You are on page 1of 63

पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास

पाठ – 1 क्या , कब, कहााँ और कै से ?


रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जुिे प्रश्नों के
इन िथ्यों से अिगि होंगे और फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
पाठ के वनम्न मख्ु य विन्दु समझ
➢ िारि में आरंविक जीिन चचाम कर सकें गे :-
जाएंगे :-
आरंविक जीिन ि अिीि के ➢ आखेट ि संग्राहक ✓ कृ वि का आरंि
ज्ञान स्रोि, आखेट ि संग्राहक , ➢ प्राचीन िारि की नवदयां ि ✓ वसंधु सभ्यिा के प्रर्थम नगर
प्राचीन काल में नममदा नदी का पहािों की अिवस्र्थवि ✓ गगं ा घाटी के नगर , मगध
मागम, उपमहाद्वीप का प्राकृ विक ➢ मगध साम्राज्य ✓ राजाओ ं ि वकसानों के जीिन में
मानवचत्र , सल ु ेमान, वकरर्थर के ➢ प्राचीन काल के यावत्रयों की विन्निा
पिमि, गारो ि विंध्य की समस्याएाँ ✓ साधारर् स्त्री ि परुु िों द्वारा अपने
पहावियााँ, वसधं ु ि उसकी ➢ िारि के इवं िया नाम का कायों का वििरर् न रखना
er
He

सहायक नवदयां , गंगा की इविहास ✓ अिीि में वलखी पस्ु िकों का


r
ma
Ku

सहायक सोन नदी , मगध ➢ अिीि के अविलेख रूप में वििरर्


jay

साम्राज्य ि प्राचीन काल के


Vi

पािं ु वलवपयााँ ✓ िारि के इवं िया नाम का


यावत्रयों की समस्याएाँ , िारि के
➢ पांिुवलवपयााँ खराि ि नष्ट होने इविहास
इवं िया नाम का इविहास, अिीि
की समस्या ✓ प्राचीन काल के यावत्रयों की
के अविलेख रूप में पांिुवलवपयााँ
ि इनके खराि होने की समस्या, ➢ उत्कीर्म अविलेख समस्याएाँ
उत्कीर्म अविलेख ि वसक्के , ➢ प्राचीन वसक्के ✓ प्राचीन िारि की नवदयां ि
इविहास में विवर्थयााँ ि ईस्िी , ➢ इविहास में विवर्थयााँ ि इनके पहािों की अिवस्र्थवि
ईसा पिू म का प्रत्यय , वमस्र की विविन्न रूपों के अर्थम ििाना ✓ परु ाित्िविदों के साक्षात्कार के
अज्ञाि वलवप, जानिरों के ➢ वमस्र की अज्ञाि वलवप वलए ज़रूरी प्रश्न
माध्यम से वचत्रर् कर वलवप ➢ जानिरों के माध्यम से वचत्रर् ✓ इविहास में विवर्थयााँ ि इनके
दर्ामना, परु ाित्िविदों की कर वलवप दर्ामना विविन्न रूपों के अर्थम ििाना
समस्याएं और उनके साक्षात्कार ➢ परु ाित्िविदों के साक्षात्कार के ✓ प्राचीन अविलेख ि वसक्के
से जिु े प्रश्नों का वनमामर् करना । वलए ज़रूरी प्रश्न ✓ उत्कीर्म अविलेख
पाठगर् प्रश्न ि र्लू याांकन
1. आज लोग यात्राएाँ क्यों करर्े हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-3)
उत्तर : आज लोग यात्राएाँ वनम्नवलवखि कारर्ों से करिे हैं
• अपने ररश्िेदारों, वमत्रों आवद से वमलने के वलए।
• काम के वलए।
• व्यापार के वलए।
• पयमटन स्र्थलों की सैर के वलए ।
2. क्या र्ुर् बर्ा सकर्ी हो नक कठोर सर्ह पर लेख नलखिाने के क्या लाभ थे? ऐसा करिाने र्ें क्या-क्या
कनठनाइयााँ आर्ी थीं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु र्क, पेज-5)
उत्तर :
er
He

• कठोर सिह पर वलखे लेखों को लंिे समय िक सरु वक्षि रक्षा जा सकिा र्था, क्योंवक ये लेख आसानी से वमट नहीं
r
ma

पािे र्थे।
Ku
jay
Vi

• हम अविलेखों के माध्यम से अपने अिीि की जानकाररयााँ प्राप्त करिे हैं।


• कठोर सिह पर वलखना कवठन कायम र्था, वजसे वलखने में अवधक समय लगिा होगा।
3. क्या पुरार्त्त्िनिदों को बहुिा कपडों के अििेष नर्लर्े होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु र्क, पेज-6)

उत्तर : परु ाित्त्िविदों को कपिों के िहुि कम अिर्ेि वमलिे होंगे, क्योंवक उस समय सूिी कपिे का उपयोग वकया
जािा र्था, जो समय के सार्थ-सार्थ सि-गल जािे हैं।
इविहास और विवर्थयााँ (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-8)
पृष्ठ 3 पर दो नर्नथयााँ हैं, उनका पर्ा लगाओ। इनके नलए र्ुर् नकस अक्षर सर्ूह का प्रयोग करोगी?
उत्तर : ये दो विवर्थयााँ 4700 और 2500 है इनके वलए िी०सी० अक्षर समहू का प्रयोग करें गे।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-8-9)
जैसावक हमने पहले पढा, अविलेख कठोर सिहों पर उत्कीर्म करिाए जािे हैं। इनमें से कई अविलेख कई सौ ििम पिू म
वलखे गए र्थे। सिी अविलेखों में वलवपयों और िािाओ ं का प्रयोग हुआ है। समय के सार्थ-सार्थ अविलेखों में प्रयक्त ु
िािाओ ं िर्था वलवपयों में िहुि िदलाि आ चक ु ा है विद्वान यह कै से जान पािे हैं वक क्या वलखा र्था? इसका पिा
अज्ञाि वलवप का अर्थम वनकालने की एक प्रविया द्वारा लगाया जा सकिा है। इस प्रकार से अज्ञाि वलवप को जानने की
एक प्रवसद्ध कहानी उत्तरी अफ्रीका देर् वमस्र से वमलिी है। लगिग 5000 ििम पिू म यहााँ राजा-रानी रहिे र्थे।
वमस्र के उत्तरी िट पर रोसेट्टा नाम का एक कसिा है। यहााँ से एक ऐसा उत्कीवर्मि पत्र्थर वमला है वजस पर एक ही लेख
िीन विन्न-विन्न िािाओ ं िर्था वलवपयों (यनू ानी िर्था वमस्त्री वलवप के दो प्रकारों) में है। कुछ विद्वान यनू ानी िािा पढ
सकिे र्थे। उन्होंने ििाया वक यहााँ राजाओ ं िर्था रावनयों के नाम एक छोटे से फ्रेम में वदखाए गए हैं। इसे ‘कारिर् ू ’ कहा
जािा है। इसके िाद विद्वानों ने यनू ानी िर्था वमस्त्री सकं े िों को अगल-िगल रखिे हुए वमस्री अक्षरों की समानार्थमक
ध्िवनयों की पहचान की। जैसावक िमु देख सकिे हो यहााँ एल अक्षर के वलए र्ेर िर्था ए अक्षर के वलए वचविया के
वचत्र िने हैं। एक िार, जि उन्होंने यह जान वलया वक विविन्न अक्षर वकनके वलए प्रयक्त ु हुए हैं, िो िे आसानी से अन्य
अविलेखों को िी पढ सके ।
1. नर्स्र के रोसेट्टा नार्क कस्बे र्ें नर्ले पत्थर पर लेख नकर्नी भाषाओ ां र्था नलनपयों र्ें उत्कीनणार् है?
er
He

उत्तर : वमस्र के उत्तरी िट पर रोसेट्टा नामक कस्िे में वमले पत्र्थर पर लेख िीन विन्न-विन्न िािाओ ं िर्था वलवपयों में
r
ma
Ku

उत्कीवर्मि वकया गया है।


jay
Vi

2. र्ेर का वचत्र वकस अक्षर के वलए प्रयक्त


ु वकया गया है?
उत्तर : र्ेर का वचत्र ‘एल’ अक्षर के वलए प्रयक्त
ु वकया गया है।
3. वचविया का वचत्र वकस अक्षर के वलए प्रयक्त
ु वकया गया है?
उत्तर : वचविया का वचत्र ‘ए’ अक्षर के वलए प्रयक्त
ु वकया गया है।
• कलपना करो र्ुम्हें एक पुरार्त्त्िनिद् का साक्षात्कार लेना है। र्ुर् उन पााँच प्रश्नों की एक सूची र्ैयार करो |
नजन्हें र्ुर् पुरार्त्त्िनिद् से पूछना चाहोगी।
उत्तर : प्रश्नों की एक सचू ी
• परु ाित्त्िविद् अिीि में िनी िर्था प्रयोग में लाई िस्िओ
ु ं का अध्ययन क्यों करिे हैं?
• परु ाित्त्िविद् वकसी स्र्थान की खदु ाई वकस आधार पर करिे हैं?
• क्या खदु ाई करिे समय वकसी प्रकार की सािधानी िी रखी जािी है?
• खदु ाई में वमली चीजों की उम्र का कै से पिा लगाया जािा है?
• खदु ाई में वमली चीजों को कहााँ और क्यों रखा जािा है?
प्रश्न-अभ्यासः
पाठ्यपस्ु िक से
आओ याद करें
1. वनम्नवलवखि का समु ेल करो : नममदा घाटी
उत्तर :

er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

2. पाण्िुवलवपयों िर्था अविलेखों में एक प्रमख


ु अंिर ििाओ।
उत्तर : पाण्िुवलवपयााँ प्रायः िािपत्रों अर्थिा िोजपत्रों पर हार्थ से वलखी जािी र्थी, जिवक अविलेखों को पत्र्थर या धािु
जैसी कठोर सिहों पर उत्कीर्म (खोदकर वलखना) वकया जािा र्था।
आओ चचाम करें
3. रर्ीदा के प्रश्न को वफर से पढो। इसके क्या उत्तर हो सकिे हैं?
उत्तर : हमें अिीि के वििय में पाण्िुवलवपयों ि अविलेखों का अध्ययन करके जानकारी प्राप्त की जा सकिी है। इसके
अलािा ईटं और पत्र्थरों से िनी इमारिों के अिर्ेिों, वचत्रों, मवू िमयों, औजारों, हवर्थयारों, ििमनों िर्था | वसक्कों आवद
के द्वारा िी जानकाररयााँ वमलिी हैं।

er
He
r
ma
Ku

4. परु ाित्त्िविदों द्वारा पाई जाने िाली सिी िस्िओ


ु ं की एक सचू ी िनाओ। इनमें से कौन-सी िस्िएु ाँ पत्र्थर की िनी हो
jay

सकिी हैं?
Vi

उत्तर : परु ाित्त्िविदों द्वारा पाई जाने िाली िस्िएु ाँ-


• वसक्के
• हवर्थयार
• आििू र्
• वचत्र िर्था मवू िमयााँ
• औजार
• हि्वियााँ
• पत्र्थर िर्था ईटोंं से िनी इमारिों के अिर्ेि।
पत्र्थर से िनी िस्िएु -ाँ
• इमारिें
• हवर्थयार
• औजार
• मवू िमयााँ

er
He
r
ma

5. साधारर् स्त्री िर्था परुु ि अपने कायों का वििरर् क्यों नहीं रखिे र्थे? इसके िारे में िुम क्या सोचिी हो?
Ku
jay
Vi

उत्तर : साधारर् स्त्री और परुु ि अपने कायों का वििरर् नहीं रखिे र्थे, इसके वनम्नवलवखि कारर् हो सकिे हैं|
• साधारर् स्त्री और परुु ि अपने कायों को इिना महत्त्िपर्ू म नहीं मानिे होंगे वक उनका वििरर् िैयार वकया जाए।
• यह िी संिि है वक िे पढे-वलखे िी न हों।
• यह िी संिि है वक िे गरीि हों और उत्कीर्म करिाने का कायम खचीला हो।
6. कम से कम दो ऐसी िािों का उल्लेख करो, वजनसे िम्ु हारे अनसु ार राजाओ ं और वकसानों के जीिन में विन्निा का
पिा चलिा है।
उत्तर : राजाओ ं और वकसानों के जीिन में अंिर

• राजाओ ं का जीिन िैिि और ऐश्वयम से पररपर्ू म होिा र्था, जिवक वकसानों का जीिन कष्टों िरा होिा र्था।
• राजा अपनी विजयों का लेखा-जोखा रखिे र्थे, जिवक वकसान अपने कायों का लेखा-जोखी नहीं रखिे र्थे। आओ
करके देखें
7. पृष्ठ 1 पर वर्ल्पकार र्ब्द का पिा लगाओ। आज प्रचवलि कम से कम पााँच विन्न-विन्न वर्ल्पों की सचू ी िनाओ।
क्या ये वर्ल्पकार
(क) स्त्री, (ख) परुु ि, (ग) स्त्री िर्था परुु ि दोनों होिे हैं?
उत्तर :

8. अिीि में पस्ु िकें वकन-वकन पर वलखी गई र्थीं? िमु इनमें से वकन पस्ु िकों को पढना पसंद करोगी?
er
He

उत्तर : अिीि में पस्ु िकें वनम्नवलवखि विियों पर वलखी जािी र्थीं ।
r
ma
Ku
jay

• धावममक मान्यिाओ ं ि व्यिहारों पर।


Vi

• राजाओ ं के जीिन पर।


• औिवधयों िर्था विज्ञान पर।
• महाकाव्य, कवििाएाँ िर्था नाटक पर।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 2 आरांनभक र्ानि की खोज र्ें
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जुिे प्रश्नों के
विद्यार्थी इन िथ्यों से अिगि फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
होंगे और पाठ के वनम्न मख्ु य
• आखेट संग्राहकों का गफ ु ाओ ं में चचाम कर सकें गे :-
विन्दु समझ जाएंगे :-
20 लाख ििम पहले आरंविक
रहना • वर्कारी-खाद्य संग्राहक एक
मानि द्वारा आखेटक ि खाद्य • गफ ु ाओ ं में वचत्रकारी स्र्थान से दसू रे स्र्थान पर क्यों
संग्रह कायम , नवदयों के आस- • नवदयों के आस-पास जीिन की घमू िे रहिे र्थे? उनकी यात्रा और
पास जीिन की र्रुु आि होना, र्रुु आि होना आज की हमारी यात्रा के कारर्ों
काम हेिु पत्र्थर ि लकवियों , में क्या समानिाएाँ या क्या
• काम हेिु पत्र्थर ि लकवियों ,
हि्वियों का प्रयोग , िारि के विन्निाएाँ हैं?
er

हि्वियों का प्रयोग
He

परु ापािावर्क(20 लाख ििम से • आज िमु फल काटने के वलए


r

• िारि के परु ापािावर्क(20 लाख


ma
Ku

12000 ििम िक) , कौन-से औज़ार चनु ोगे? िह


ििम से 12000 ििम िक) ,
jay

निपािावर्क , महापािावर्क औज़ार वकस चीज़ से िना


Vi

निपािावर्क , महापािावर्क
परु ास्र्थलों का मानवचत्र होगा?
परु ास्र्थलों का पररचय ि इनके
समझना, पािार् औज़ार
स्र्थलों को मानवचत्र पर ढूाँढना । • िीमिेटका, हुन्स्गी और कुरनल ू
वनमामर् के िरीके , आग की की अिवस्र्थवि ििाना ।
खोज ि िदलिी जलिायु से • आग की खोज ि इसका उपयोग
• परु ापािावर्क , निपािावर्क ,
खेिी की र्रुु आि , परु ापािार् • मवहलाओ ं ि परुु िों के द्वारा
महापािावर्क परु ास्र्थलों का
यगु में िारि में र्िु रमगु म के आपसी काम का वििाजन
पररचय
अंिों से मनके िनाने के • फसल काटने के औज़ार
अिर्ेि वमलना, हुन्स्गी का • एटलस में फ्रांस ढूाँढना
• िीमिेटका, हुन्स्गी और कुरनल ू
सक्ष्ू म वनरीक्षर् ,एटलस में फ्रांस • वर्कारी-खाद्य सग्रं ाहक आग
की अिवस्र्थवि ििाना ।
ढूाँढना, गफ ु ाओ ं में आरंविक का उपयोग वकन-वकन चीजों के
जीिन की कल्पना और • परु ापािार् यगु में िारि में वलए करिे र्थे?
र् ि
ु रम ग
ु म के अि
ं ों से मनके िनाने
अनष्ठु ानों के प्रवि कल्पना • आग की खोज ि इसका उपयोग
करना । के अिर्े ि वमलना ।
• गफ ु ाओ ं में वचत्रकारी का अर्थम
समझना
पाठ्यपस्ु िक के आंिररक प्रश्न
1. यहााँ पत्र्थरों के औजारों के कुछ उपयोग ििाए गए हैं। ऐसे कामों की एक सचू ी िनाओ वजनमें इस िरह के औज़ार
काम आिे हैं। ििाओ वक इनमें से कौन-कौन से काम सामान्य पत्र्थरों से वकए जा सकिे हैं। कारर् सवहि उत्तर दो।
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-13)
उत्तर : पत्र्थरों के औजारों के उपयोग|
• फल-फूल काटने।
er
He
r
ma

• हि्वियााँ और मासं काटने। |


Ku
jay
Vi

• पेिों की छाल उिारने के वलए।


• जानिरों की खाल उिारने के वलए।
• हवर्थयार (िाले और िार्) िनाने के वलए।
• लकवियााँ काटने के वलए।
2. क्या िमु ििा सकिे हो वक रहने के वलए लोगों ने यह जगह क्यों चनु ी होगी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक,
पेज-15)
उत्तर : लोग इन गफ
ु ाओ ं में इसवलए रहिे र्थे, क्योंवक यहााँ उन्हें िाररर्, धपू और हिाओ ं से राहि वमलिी होगी।
3. अगर िम्ु हें अपने वनिास स्र्थान के िारे में ििाना पिे िो िमु इनमें से कौन-सा नाम चनु ोगे? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-16)
(क) आिास
(ख) उद्योग-स्र्थले
(ग) आिास और उद्योग-स्र्थल
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) आिास
4. आज हम आग का उपयोग वकस वलए करिे हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-17)
उत्तर : आज आग का उपयोग
• िोजन पकाने के वलए।
• फै वक्ियों में धािु वपघलाने के वलए।
• सदी से िचाि के वलए।
er
He

• विविन्न प्रकार की मर्ीनों को चलाने के वलए।


r
ma
Ku
jay

5. पृष्ठ 13 पर िने वचत्र देखो। इस दौरान िनाए गए औजारों में िम्ु हें कोई िदलाि वदखाई देिा है? (
Vi

एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्िक, पेज-17)


उत्तर : ये औजार लगिग 10 हजार ििम पिू म िनाए गए र्थे। ये औजार आमिौर पर िहुि छोटे होिे र्थे, इन्हें आसानी से
काफी दरू फें का जा सकिा र्था।
6. निपािर् का क्या मिलि होिा होगा? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-17)
उत्तर : निपािार् यगु में मनष्ु य स्र्थायी जीिन व्यिीि करने लगा र्था। िह कृ वि के सार्थ-सार्थ पर्पु ालन िी करिे | र्थे।
ििमनों का उपयोग चीजों को रखने के वलए वकया जाने लगा र्था। |
7. इन मनकों का उपयोग वकसवलए वकया गया होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-18)
उत्तर : इन मनकों का उपयोग र्ायद जेिराि िनाने के वलए वकया जािा होगा।
8. आज हमें र्िु रु मुगम कहााँ वमलिे हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-18)
उत्तर : आज हमें र्िु रु मुगम अफ्रीका के िनों में देखने को वमलिे हैं।
9. क्या िमु दसू रे प्रकार के परु ास्र्थलों के नाम ििा सकिे हो? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-19)
उत्तर :दसू रे प्रकार के परु ास्र्थल

• कुछ परु ास्र्थलों पर झोपवियों और घरों के वनर्ान वमले हैं।


• आरंविक कृ िकों ि पर्पु ालकों के परु ास्र्थल।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक पेज-19)
अपने एटलस में फ्रासं ढूाँढो। यह वचत्र फ्रासं की एक गफ
ु ा का है। इस परु ास्र्थल की खोज लगिग 100 साल पहले चार
स्कूली छात्रों ने की र्थी। इस िरह के वचत्र लगिग 20,000 साल पहले से लेकर 10000 साल पहले के िीच िनाए गए
होंगे। इनमें कई जानिरों के वचत्र हैं। इनमें जंगली घोिे, गाय, िैंस, गैंिा, रे निीयर, िारहवसंघा और सअ
ु रों को गहरे -
चमकीले रंगों से वचवत्रि वकया गया है।
इन रंगों को लौह-अयस्क और चारकोल जैसे खवनज पदार्थों से िनाया जािा र्था। यह संिि है वक इन वचत्रों को उत्सिों
er
He

के अिसर पर िनाया जािा र्था या वफर इन्हें वर्काररयों द्वारा वर्कार पर वनकलने से पहले कुछ अनष्ठु ानों के वलए
r
ma

िनाया गया होगा।


Ku
jay
Vi

क्या िमु इन्हें िनाने का कोई और कारर् ििा सकिे हो?


उत्तर :
• खाली समय का सदपु योग करने के वलए िनाया जािा होगा।
• वर्कार करने की योजना िैयार करने के वलए िनाया जािा है।
कल्पना करो िमु आज से 12,000 साल पहले पत्र्थर की एक गफ ु ा में रहिे हो। पृष्ठ 15 पर देखो। िम्ु हारे मामा गफ
ु ा की
एक िीिरी दीिार पर वचत्र िना रहे हैं और िुम उनकी सहायिा करना चाहिे हो। िुम रंग िनाओगे, रे खाएाँ खींचोगे या
वफर उनमें रंग िरोगे? िम्ु हारे मामा िम्ु हें कौन-कौन सी कहावनयााँ सनु ाएाँगे?
उत्तर :वनम्नवलवखि कहावनयााँ सनु ाएाँगे
• पत्र्थरों, लकवियों और हि्वियों के औजारों के संिंध में।
• जानिरों के वर्कार करने के संिंध में।
• वचत्रों और रंगों के सिं धं में।
• फसलों को उगाने के सिं धं में।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपस्ु िक से)
आओ याद करें
1. इन िाक्यों को परू ा करो।
(क) वर्कारी-खाद्य सग्रं ाहक गफ
ु ाओ ं में इसवलए रहिे र्थे क्योंवक ••••••••••••••
(ख) घास िाले मैदानों का विकास •••••••••••••• साल पहले हुआ।
(ग) आरंविक लोगों ने गफ
ु ाओ ं की •••••••••••••• पर वचत्र िनाए।
(घ) हुस्ाँ गी में •••••••••••••• से औजार िनाए जािे र्थे।
er
He

उत्तर :
r
ma
Ku
jay

(क) उन्हें िाररर्, धपू और हिाओ ं से राहि वमलिी र्थी।


Vi

(ख) 12,000
(ग) िीिरी दीिारों
(घ) चनू े के पत्र्थरों ।
2. उपमहाद्वीप के आधवु नक राजनीविक मानवचत्र को पृष्ठ 136 पर देखो। उन राज्यों को ढूाँढो जहााँ िीमिेटका, हुगाँ ी
और कुरनल
ू वस्र्थि हैं। क्या ििु ार की रे ल इन जगहों के पास से होकर गई होगी?
उत्तर : हााँ ििु ार की रे ल इन जगहों के पास से होकर गजु री होगी। आओ चचाम करें
3. वर्कारी-खाद्य सग्रं ाहक एक स्र्थान से दसू रे स्र्थान पर क्यों घमू िे रहिे र्थे? उनकी यात्रा और आज की हमारी यात्रा के
कारर्ों में क्या समानिाएाँ या क्या विन्निाएाँ हैं?
उत्तर :(क) वर्कारी-खाद्य संग्राहक के एक स्र्थान से दसू रे स्र्थान पर घमू ने के वनम्नवलवखि कारर् र्थे
• एक जगह लगािार रुकने से िोजन की समस्या उत्पन्न हो जािी होगी, इसवलए िोजन की िलार् में इन्हें एक स्र्थान
से दसू रे स्र्थान पर जाना पििा र्था।
• जानिरों का वर्कार करने के वलए पीछे -पीछे जाया करिे होंगे।
• पेिों और पौधों में फल-फूल अलग-अलग मौसम में आिे हैं, अिः ऋिु पररििमन के अनसु ार | स्र्थान पररििमन करिे
होंगे।
• पानी की िलार् में इधर-उधर जाना पििा होगा।
(ख) आज हम यात्राएाँ अलग (विन्न) कारर्ों से करिे हैं; जैसे
• रोजगार की िलार् में।
• व्यापार करने के वलए।
• नािे-ररश्िेदारों से वमलने के वलए।
• स्कूलों ि दफ्िरों में जाने के वलए।
er
rHe
ma

• सस्ं कृ वि का प्रचार-प्रसार ि भ्रमर् के वलए।


Ku
jay
Vi

4. आज िमु फल काटने के वलए कौन-से औज़ार चनु ोगे? िह औज़ार वकस चीज़ से िना होगा?
उत्तर : आज फल काटने के वलए चाकू का प्रयोग करें गे। चाकू स्टील या लोहे का िना होिा है, वजसको पकिने के
वलए लकिी या प्लावस्टक का हैंिल होिा है।
5. वर्कारी-खाद्य संग्राहक आग का उपयोग वकन-वकन चीजों के वलए करिे र्थे? क्या िमु आज आग का उपयोग इनमें
से वकसी चीज़ के वलए करोगे!
उत्तर : वर्कारी-खाद्य संग्राहक द्वारा आग का प्रयोग
• मांस िनू ने के वलए।
• प्रकार् के वलए।
• खिरनाक जानिरों को दरू िगाने के वलए।
आज आग का प्रयोग
• मासं िनू ने के वलए। आओ करके देखें
6. अपनी पवु स्िका के पन्ने पर एक लाइन खींचकर इसके दो खाने िनाओ। िाएाँ खाने में, उन खाद्य पदार्थों की सचू ी
िनाओ, वजन्हें वर्कारी-खाद्य संग्राहक खािे र्थे (पृष्ठ 11 पर देखो) और दाएाँ खाने में िमु जो चीजें खािे हो उनमें से
कुछ के नाम वलखो। क्या िम्ु हें इन दोनों में कोई समानिा या िेद वदखाई देिा है?
उत्तर : वर्कारी-खाद्य संग्राहक के खाद्य पदार्थम जंगली जानिरों का कच्चा अर्थिा िनू ा मांस, मछवलयााँ, वचवियााँ, फल-
मल
ू , पौधे, पवत्तयााँ िर्था अंिे।
आज के खाद्य पदार्थम : चािल, रोटी, सवब्जयााँ, फल, दधू , पका हुआ मांस आवद।
7. यवद िम्ु हारे पास कोई गवु टका (प्राकृ विक पत्र्थर का टुकिा, जैसे वक पृष्ठ 13 पर वदखाया गया है) हो िो उसे वकस
काम के वलए इस्िेमाल करोगे?
उत्तर : खेल खेलने, िादाम ि अखरोट के वछलके छीलने आवद के काम आ सकिी है।
8. ऐसे दो काम वलखो वजन्हें आज मवहलाएाँ और परुु ि दोनों करिे हैं। दो ऐसे काम ििाओ वजन्हें वसफम मवहलाएाँ ही
करिी हैं और दो िे वजन्हें वसफम परुु ि ही करिे हैं। अपनी सूची की अपने दो सावर्थयों | की सवू चयों से िल
ु ना करो। क्या
er
He
r

िम्ु हें इनमें कोई समानिा या िेद वदखाई दे रहा है?


ma
Ku
jay

उत्तर : परुु ि और मवहला दोनों द्वारा वकए जाने िाले कायम


Vi

• कार, साइवकल, स्कूटर ि मोटरसाइवकल चलाना।


• दफ्िरों में काम करना।
के िल मवहलाओ ं द्वारा वकए जाने िाले कायम|
• छोटे िच्चों की देखिाल करना।
• िच्चों को जन्म देना।
के िल परुु िों द्वारा वकए जाने िाले कायम
• फायर विगेि
• फौज में
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 3 भोजन : सांग्रह से उत्पादन र्क
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जिु े प्रश्नों के
इन िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
के वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े
• विविन्न प्रकार के िोजन चचाम कर सकें गे :-
:-
प्राचीन िारि में विविन्न प्रकार के • खेिी ि पर्पु ालन की • सिसे पहले कुत्तों को ही पालिू
िोजन, खेिी ि पर्पु ालन की र्रुु आि क्यों िनाया गया?
र्रुु आि , लोगों का िसना ि • लोगों का िसना • क्या िम्ु हें लगिा है वक वर्कारी
िवस्ियों का उदय, अनाज से िीज, • घमु ंिू मांस िंिारर्: पर्ु या िोजन-संग्रह करने िाले ििमन
खाद्य , उपहार ि िंिारर् के कायम िनािे और उनका प्रयोग करिे
• आरंविक अनाज ि हि्वियों
होना, पर्ओु ं से मांस वमलने की होंगे?
er
He

के परु ास्र्थलों की सचू ी का


कारर् उनको घमु ंिू मासं ििं ारर् • िोजन के अविररक्त जानिरों से
r
ma

अध्ययन करना
Ku

समझना, आरंविक अनाज ि और क्या-क्या वमल सकिा है?


• स्र्थायी जीिन की ओर मानि
jay

हि्वियों के परु ास्र्थलों की सचू ी


Vi

के कदम • खेिी करने िाले लोग एक ही


का अध्ययन करना , स्र्थायी जीिन स्र्थान पर लंिे समय िक क्यों
की ओर मानि , कृ िक ि • कृ िक ि पर्पु ालक समहू ों
रहिे र्थे?
पर्पु ालक समहू ों का जनजावि का जनजावि कहलाना
• आरंविक अनाज ि हि्वियों के
कहलाना, नए रीवि-ररिाजों का • नए रीवि-ररिाजों का उदय
जन्म होना । परु ास्र्थलों की सचू ी

मेहरगढ में जीिन और मृत्यु की • मेहरगढ में जीिन और मृत्यु • कृ िकों-पर्पु ालकों का जीिन
प्रविया का सक्ष्ू म वनरीक्षर्, मृत्यु की प्रविया वर्कारी-खाद्य संग्राहकों के
क िाद जीिन में विश्वास दर्ामिे जीिन से वकिना विन्न र्था ?
• मृत्यु क िाद जीिन में विश्वास
हुए कि में र्ि के सार्थ िकरी
• कि में र्ि के सार्थ िकरी • कौवियों ि सीवपयों के चिाल
दफनाना, दाओजली हेविंग में
दफनाना हयक ू , िक
ु ी के कारोिार
जेिाईि पत्र्थर ि काष्ठाश्म वमलना,
कौवियों ि सीवपयों के चिाल • दाओजली हेविंग • मेहरगढ में जीिन और मृत्यु की
प्रविया
हयक ू , िक
ु ी के कारोिार • चिाल हयक ू , िकु ी के
सीवपयों के कारोिार • दाओजली हेविंग
पाठगर् प्रश्न ि र्लू याांकन
1. क्या िमु ििा सकिे हो वक सिसे पहले कुत्तों को ही पालिू क्यों िनाया गया? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-23)
उत्तर : मनष्ु य पहले वर्कार करके अपना पेट िरिा र्था। कुत्तों की पाँघू ने की क्षमिा अवधक होिी है, इसवलए कुत्ता आने
िाले खिरे को िााँपकर पहले ही चौकन्ना कर देिा है, इसवलए कुत्ते को सिसे पहले पालिू िनाया गया।
2. क्या िम्ु हें लगिा है वक वर्कारी या िोजन-संग्रह करने िाले ििमन िनािे और उनका प्रयोग करिे होंगे? अपने जिाि
का कारर् ििाओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-24)
उत्तर : वर्कारी या िोजन-संग्रह करने िाले ििमन नहीं िनािे होंगे, क्योंवक िे िोजन की िलार् में सदा एक स्र्थान से
दसू रे स्र्थान पर घमू िे रहिे र्थे िर्था िे इिना अवधक िोजन-संग्रहर् नहीं करिे र्थे वक िोजन के संग्रहर् के वलए ििमनों
की आिश्यकिा पिे।
3. िोजन के अविररक्त जानिरों से और क्या-क्या वमल सकिा है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-24)
उत्तर :िोजन के अविररक्त जानिरों से हमें वनम्नवलवखि िस्िुएाँ वमलिी हैं
• जानिरों की खाल से चमिा वमलिा है।
• जानिरों की हि्वियों से औजार िनाए जािे हैं।
er

• जानिरों से सामान ढोने ि गािी खींचने का काम होिा है।


He
r
ma

4. आज जानिरों का उपयोग वकसवलए होिा है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-24)


Ku

उत्तर :आज जानिरों का उपयोग वनम्नवलवखि प्रकार से वकया जािा है


jay
Vi

• गािी खींचने िर्था माल ढोने के वलए वकया जािा है।


• जानिरों की खाल से चमिा िनाया जािा है।
• जानिरों से दधू प्राप्त वकया जािा है।
5. परुु िों द्वारा वकए जाने िाले कामों की एक सचू ी िनाओ। मवहलाएाँ क्या-क्या काम करिी हैं?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-28)
उत्तर : परुु िों द्वारा वकए जाने िाले काम- जानिरों को झंिु में चराना, मछली पकिना, वर्कार करना परुु िों का काम
र्था।
मवहलाओ ं द्वारा वकए जाने िाले काम- खेिों में काम जैसे-जमीन िैयार करना, िीज िोना, पौधों की देखिाल करना,
फसल काटना, अनाज कूटना, पीटना जैसे काम करिी र्थीं।
6. कौन-से ऐसे काम हैं, जो स्त्री-परुु ि दोनों करिे हैं? (एनसीई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-28)
उत्तर : झोपवियााँ िनाना, औजार िनाना, टोकररयााँ िनाना, जानिरों की देखिाल करना, दधू वनकालना, ििमन िनाना
आवद।
7. स्िर 2 और 3 को देखो। कौन-सा ज्यादा परु ाना है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-29)
उत्तर : स्िर 3 ज्यादा परु ाना है।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-30)
एटलस में िक ु ी हढाँ ो। निपािार् यगु के सिसे प्रवसद्ध परु ास्र्थलों में एक चिाल ह्यक
ू िक ु ी में है। यहााँ दरू -दराज स्र्थानों से
कई चीजें लाई जािी र्थीं और उनका उपयोग वकया जािा र्था। जैसे सीररया से लाया गया चकमक पत्र्थर, लाल सागर
की कौवियााँ िर्था िमू ध्य सागर की सीवपयााँ। ध्यान रहे वक उस समय िक पवहए िाले िाहन का विकास नहीं हुआ र्था।
लोग सामान खदु या जानिरों की पीठ पर लादकर ले जाया करिे र्थे।
ििाओ कौवियों िर्था सीवपयों का क्या उपयोग होिा होगा?
उत्तर : कौवियों िर्था सीवपयों का उपयोग र्ायद आकिमक आििू र्ों को िनाने में होिा होगा।
कल्पना करो
अगर िम्ु हारे पास जमीन का एक छोटा-सा टुकिा हो िो िमु उसमें कौन-सी फसल उगाओगी । िीज कहााँ से वमलेंगे?
और िमु उन्हें कै से िोओगी? अपने पौधों की देखिाल िमु कै से करोगी? और कै से यह समझोगी वक अि फ़सल
काटने लायक हो गई है?
उत्तर :
• अपने क्षेत्र में िोई जाने िाली खाद्य फसल उगाएाँगे ।
er

• िीज िाजार से खरीदेंगे ।


rHe
ma

• जमीन की जिु ाई करने के िाद फसल िोएाँगे ।


Ku

• फसल की वनराई-गिु ाई, कीटनार्क का वछिकाि, उिमरकों का प्रयोग, वसच ं ाई, पवक्षयों ि जानिरों से रक्षा करें गे ।
jay
Vi

• सिी फसलों की एक वनविि अिवध होिी है िर्था फसल पकने के िाद पीली हो जािी है। इसी आधार पर हम फसल
की कटाई करें गे ।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्र्क से
आओ याद करें
1: खेिी करने िाले लोग एक ही स्र्थान पर लंिे समय िक क्यों रहिे र्थे?
उत्तर : खेिी करने िाले लोग एक ही स्र्थान पर लिं े समय िक रहिे र्थे, क्योंवक िवू म को कृ वि योग्य िनाने, िीजों को
िोने, फसल की देखिाल िर्था फसल के पकने के वलए एक लंिे समय की आिश्यकिा होिी र्थी। इसवलए खेिी करने
िाले लोगों को एक ही स्र्थान पर लंिे समय िक रहना पििा र्था।
2. पृष्ठ 25 की िावलका को देखो। नेइनओ ु अगर चािल खाना चाहिी है, िो उसे वकन स्र्थानों पर जाना चावहए
उत्तर : नेइनओु को चािल खाने के वलए कोवल्िहिा (आधवु नक उत्तर प्रदेर्) या महागढ (आधवु नक उत्तर प्रदेर्) जाना
चावहए। |
3. परु ाित्त्िविद् ऐसा क्यों मानिे हैं वक मेहरगढ के लोग पहले के िल वर्कारी र्थे, और िाद में उनके वलए पर्पु ालन
ज्यादा महत्त्िपर्ू म हो गया?
उत्तर : परु ाित्त्िविदों द्वारा मेहरगढ की खदु ाई में सिसे नीचे के स्िरों से वजन जानिरों की हि्वियााँ वमली हैं, उनमें वहरर्
। िर्था जगं ली सअ ु र प्रमख ु हैं, वजससे पिा चलिा है वक इस अिस्र्था में मानि के िल वर्कार पर वनिमर र्था, इसके ऊपर
के स्िरों में िेि िर्था िकररयों की हि्वियााँ ज्यादा वमली हैं, इससे पिा चलिा है वक इस काल में लोगों ने पर्पु ालन
करना आरंि कर वदया र्था।
4. सही या गलि ििाओ।
(क) हल्लरू में ज्िार-िाजरा वमला है। (ख) िजु महोम में लोग आयिाकार घरों में रहिे र्थे।
(ग) वचरौद कश्मीर का एक परु ास्र्थल है। (घ) जेिाइट, जो दाओजली हेविंग में वमला है, चीन से लाया गया होगा।
उत्तर : (क) सही (ख) गलि (ग) गलि (घ) सही
आओ चचाम करें ।
5. कृ िकों-पर्पु ालकों का जीिन वर्कारी-खाद्य संग्राहकों के जीिन से वकिना विन्न र्था, िीन अंिर ििाओ।
उत्तर : इनमें अंिर इस प्रकार िवर्मि वकया जा सकिा है :-
• कृ िकों-पर्पु ालकों का जीिन स्र्थायी र्था, जिवक वर्कारी-खाद्य सग्रं ाहक का जीिन अस्र्थायी र्था, क्योंवक िे िोजन
er

की िलार् में इधर-उधर घमू िे रहिे र्थे।


He
r
ma

• कृ िकों-पर्पु ालकों को िोजन कृ वि उत्पादों िर्था पालिू पर्ओ ु ं पर आधाररि होिा र्था, जिवक वर्कारी-खाद्य
Ku

सग्रं ाहकों का जीिन जगं ली जानिरों ि अन्य उत्पादों पर आधाररि होिा र्था।
jay
Vi

• कृ िकों-पर्पु ालकों ने अपने रहने के वलए आिासों का वनमामर् करना आरंि कर वदया र्था, जिवक वर्कारी-खाद्य
संग्राहक प्रायः गफ ु ाओ ं और कंदराओ ं में रहिे र्थे।
6. पृष्ठ 25 की िावलका में वदए गए जानिरों की एक सचू ी िनाओ और यह िी ििाओ वक इनका उपयोग वकस रूप में
वकया जािा र्था।

7. िमु वजन अनाजों को खािे हो उनकी एक सचू ी िनाओ।


उत्तर : हम वनम्नवलवखि अनाजों को खािे हैं
• गेहाँ • चािल • िाजरा • मक्का • ज्िार • जौ
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 4 आरांनभक नगर
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जिु े प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के मख्ु य फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े :-
• हिप्पा सभ्यिा के अिर्ेिों का चचाम कर सकें गे :-
4700 प्राचीन हिप्पा सभ्यिा के
अिर्ेिों का इविहास ि अिवस्र्थवि का
इविहास, अिवस्र्थवि • प्रायः परु ानी इमारिों को िोिकर
िारिीय मानवचत्र पर विश्लेिर् , • हिप्पा की नगर विर्ेििाएाँ उनकी जगह नए ििन िनाए जािे हैं।
हिप्पा की नगर विर्ेििाएाँ ि नगर • हिप्पा की नगर योजनाएाँ , क्या िम्ु हें लगिा है वक परु ानी इमारिों
योजनाएाँ , जीिनर्ैली ि अनष्ठु ान, जीिनर्ैली ि अनष्ठु ान को सरु वक्षि रखना चावहए?
वचत्रकारी, हिप्पा के ििन , नाले ि • हिप्पा के ििन , नाले, सिकें • महु रों का उपयोग वकस वलए वकया
सिकों का आकार , वनमामर् र्ैली जािा है ?
• हिप्पा में नगरीय जीिन
आवद की जानकारी , हिप्पा में नगरीय • हिप्पा के लोगों के वलए धािएु ाँ,
er

• हिप्पा नगर के वर्ल्प ि धािु


He

जीिन, हिप्पा नगर के वर्ल्प ि धािु लेखन, पवहया और हल क्यों


r
ma

कायम, पत्र्थर की महु रें ि ििमन


Ku

कायम, पत्र्थर की महु रें ि ििमन वनमामर् । महत्त्िपर्ू म र्थे?


jay

7000 ििम पिू म मेहरगढ में िस्त्र ि चांदी • मेहरगढ में िस्त्र ि चांदी उद्योग • हिप्पा के वकसानों और पर्पु ालकों
Vi

उद्योग के साक्ष्य वमलना, मवू िमकला में


• मवू िमकला में दक्षिा का जीिन क्या उन वकसानों से विन्न
उनके लोगों की दक्षिा , फे यन्स , र्था वजनके िारे में िुमने वपछले
हिप्पा ले लोगों द्वारा राजस्र्थान से • हिप्पा सभ्यिा में कच्चे माल
अध्याय में पढा है?
िािं ा आयाि करना ि कनामटक से का आयाि ि इसके स्रोि
• हिप्पा के लोगों की िोजन सामग्री
सोना आयाि करना, ज़मीन जिु ाई हेिु • कृ वि उपकरर् ि पर्पु ालन
की सचू ी िनाओ।
हल का प्रयोग ि पर्पु ालन, गुजराि के • धौलिीरा में नगर िसाना
धौलिीरा में नगर िसाना ि अविलेख, • एटलस में वमस्र ढूाँढो।
• लोर्थल िन्दरगाह
लोर्थल िन्दरगाह से कच्चा माल • क्या िम्ु हें लगिा है, वक मरने के िाद
आयाि करना , मनके , महु र ि • मनके , महु र ि महु रिंदी इन राजाओ ं को इन चीजों की जरूरि
महु रिंदी , 3900 ििम पिू म अचानक से • हिप्पा नगर सभ्यिा का अिं पिी होगी?
हिप्पा नगर सभ्यिा का अंि होना और होना • हिप्पा नगर सभ्यिा का अिं होना
लोगों का पिू म और दवक्षर्ा की ओर • पिू म वमस्र में वपरावमि वनमामर् • मेहरगढ में िस्त्र ि चांदी उद्योग
पलायन । 5000 ििम पिू म वमस्र में का इविहास
वपरावमि वनमामर् का इविहास ि • लोर्थल िन्दरगाह
• एटलस में वमस्र दर्ामना
एटलस में वमस्र ढूाँढना । • वमस्र में वपरावमि वनमामर् का इविहास
र्लू याांकन ि पाठगर् -प्रश्न
1. प्रायः पुरानी इर्ारर्ों को र्ोडकर उनकी जगह नए भिन बनाए जार्े हैं। क्या र्ुम्हें लगर्ा है नक पुरानी
इर्ारर्ों को सुरनक्षर् रखना चानहए? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-33)
उत्तर : यवद परु ानी इमारिों का कोई ऐविहावसक महत्त्ि है िो उन्हें अिश्य सरु वक्षि रखना चावहए, परंिु वजन इमारिों |
का कोई ऐविहावसक महत्त्ि नहीं है और िे जीर्म-र्ीर्म ि जजमर हो चक ु ी हैं िो उन्हें िोिकर नई इमारिें िोिकर िनाई
जानी चावहए।
2. नगर र्ें रहने िाले लोगों की एक सच ू ी बनाओ। क्या इनर्ें से कुछ ऐसे लोग हैं, जो र्ेहरगढ़ जैसे गााँिों र्ें
रहर्े थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-35 )
उत्तर : हिप्पा सभ्यिा के नगर में वनम्नवलवखि लोग रहिे र्थे
• वर्ल्पकार • र्ासक • वलवपक • व्यापारी इनमें से कोई िी मेहरगढ जैसे गााँिों में नहीं रहिे र्थे।
3. आज भी र्हु र का प्रयोग होर्ा है। पर्ा लगाओ नक र्हु रों का उपयोग नकसनलए नकया जार्ा है। (
एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्िक, पेज-40 )
उत्तर : वकसी िी महत्त्िपर्ू म दस्िािेज िर्था वकसी िी िस्िु को छे िछाि मक्त ु करने के वलए महु र का प्रयोग वकया जािा
है।
er

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-41)


He
r
ma

अपने एटलस में वमस्र ढूाँढो। नील नदी के आसपास िाले इलाकों को छोिकर वमस्र का अवधकांर् िाग रे वगस्िान है।
Ku

लगिग 5000 साल पहले वमस्र में र्ासन करने िाले राजाओ ं ने सोना, चााँदी, हार्थी दााँि, लकिी और हीरे -जिाहराि
jay
Vi

लाने के वलए अपनी सेनाएाँ दरू -दरू िक िेजीं। इन्होंने ििे-ििे मकिरे िनिाए वजन्हें ‘वपरावमि’ के नाम से जाना जािा
है। राजाओ ं के मरने पर उनके र्िों को इन्हीं वपरावमिों में दफ़नाकर सरु वक्षि रखा जािा र्था। इन र्िों को ममी कहा
जािा है। उनके र्िों के सार्थ और िी अनेक चीजें दफनायी जािी र्थीं। इनमें खाद्यान्न, पेय, िस्त्र, गहने, ििमन, िाद्ययंत्र,
हवर्थयार और जानिर र्ावमल हैं। किी-किी र्ि के सार्थ उनके सेिक और सेविकाओ ं को िी दफना वदया जािा र्था।
दवु नया के इविहास में र्िों को दफनाने की परंपरा को देखिे हुए वमस्र में सिसे ज्यादा धन-दौलि खचम वकया जािा।
र्था। क्या िम्ु हें लगिा है, वक मरने के िाद इन राजाओ ं को इन चीजों की जरूरि पिी होगी? उत्तर नहीं, क्योंवक मरने के
पिाि मनष्ु य वकसी सासं ाररक िस्िु का उपिोग नहीं कर सकिा है। इसवलए मरने के िाद राजा िी इन चीजों का प्रयोग
नहीं कर सकिे हैं और उन्हें िी इन चीजों की आिश्यकिा नहीं पिी होगी।
कलपना करो
िमु अपने मािा-वपिा के सार्थ 4000 साल पहले लोर्थल से मोहनजोदिो की यात्रा कर रहे हो । यह – ििाओ वक िमु
यात्रा कै से करोगे, िम्ु हारे मािा-वपिा यात्रा के वलए अपने सार्थ क्या-क्या ले जाएाँग?े और मोहनजोदिो में िुम क्या
देखोगे? उत्तर हम लोर्थल से मोहनजोदिो की यात्रा समुद्र के रास्िे नाि से करें गे। मेरे मािा-वपिा कीमिी पत्र्थरों, र्ंखों
और धािओ ु ं से िनी चीजें अपने सार्थ ले जाएाँगे। हम मोहनजोदिो में महान स्नानागार, घर, नाले और सिकों के
वनमामर् योजना को देखेंगे।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपस्ु र्क से)
आओ याद करें
1. परु ाित्त्िविदों को कै से ज्ञाि हुआ वक हिप्पा सभ्यिा के दौरान कपिे का उपयोग होिा र्था?
उत्तर : वनम्नवलवखि िथ्यों से कपिों के उपयोग के वििय में पिा चलिा है
• मोहनजोदिो से कपिे के टुकिों के अिर्ेि, चॉदी के एक फूलदान के ढक्कन िर्था अन्य कुछ िस्िओ ु ं से वचपके
वमले हैं।
• पकी वमट्टी िर्था फे योन्स से िनी िकवलयााँ सिू किाई का संकेि देिी हैं।
• मोहनजोदिो से एक कढाईदार िस्त्र पहने व्यवक्त की मवू िम वमली है।
2. वनम्नवलवखि का समु ेल करो :
er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

3. हिप्पा के लोगों के वलए धािएु ,ाँ लेखन, पवहया और हल क्यों महत्त्िपर्ू म र्थे?
उत्तर : धािएु -ाँ परु ाित्त्िविदों को धािु की िनी हुई िहुि-सी िस्िएु ाँ वमली हैं, िााँिे और कााँसे से औजार, हवर्थयार, गहने
और ििमन िनाए जािे र्थे। सोने और चााँदी से गहने और ििमन िनाए जािे र्थे। लेखन-लेखन का कायम वलवपक करिे र्थे।
िे महु रों पर िो वलखिे ही र्थे और र्ायद अन्य चीजों पर िी वलखिे होंगे जो िच नहीं पाई है। पवहया-सामान को ढोने
िर्था यािायाि के रूप में पवहया िाहनों का उपयोग वकया जािा र्था। हल-हल का प्रयोग खेिों को जोिने और िीजों
की ििु ाई के वलए वकया जािा र्था। आओ चचाम करें ।
4. इस अध्याय में पकी वमट्टी (टेराकोटा) से िने सिी वखलौनों की सचू ी िनाओ। इनमें से कौन-से वखलौने िच्चों को
ज्यादा पसंद आए होंगे?
उत्तर :पकी वमट्टी (टेराकोटा) से िने वखलौनों की सचू ी|
• वखलौना गािी • गवु िया • विविन्न पर्ओ
ु ं की आकृ वि के वखलौने; जैस—
े याक, िैल, सअ ु र, िैंस, िालू आवद।
• वचविया के आकार की सीवटयााँ • वखलौना हल
र्ायद िच्चों को इन वखलौने में से वखलौना गािी, पर्ओ
ु ं की आकृ वि िाले वखलौने िर्था वचविया के आकार की
सीटी अवधक पसदं आई होगी।
5. हिप्पा के लोगों की िोजन सामग्री की सचू ी िनाओ। आज इनमें से िुम क्या-क्या खािे हो? वनर्ान लगाकर
ििाओ।

er
He
r
ma
Ku
jay

6. हिप्पा के वकसानों और पर्पु ालकों का जीिन क्या उन वकसानों से विन्न र्था वजनके िारे में िमु ने वपछले अध्याय में
Vi

पढा है? अपने उत्तर में इसका कारर् ििाओ।


उत्तर : अंिर
• हिप्पा के वकसान और पर्पु ालक पिू मििी वकसानों और पर्पु ालकों की िल ु ना में अवधक प्रकार की फसलों का
उत्पादन करिे र्थे।
• हिप्पा के वकसान पिू मििी वकसानों की िलु ना में विविन्न उपकरर्ों जैसे हल आवद का िी उपयोग करिे र्थे।
• हिप्पा के वकसान कृ वि उत्पादों को गावियों के द्वारा नगरों में िी िेजिे र्थे, जिवक पिू मििी वकसान ऐसा नहीं करिे र्थे।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 5 क्या ििािी हैं हमें वकिािें और किें
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सूचक
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जुिे प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएंगे :-
• िेदों की रचना ि विर्ेििाएाँ चचाम कर सकें गे :-
प्राक सस्ं कृ ि में िेदों की रचना:
ऋग्िेद , सामिेद, यजिु ेद ि • ऋग्िेद, सामिेद, यजिु ेद ि • महापािार्ों के वनमामर् के वलए
अर्थिमिेद । संस्कृ ि ि इसका अन्य अर्थिमिेद की विर्ेििाएाँ लोगों के काम सचू ीिद्ध करना ।
िािा समहू ों से सिं धं , िािाओ ं के • सस्ं कृ ि ि इसका अन्य िािा • ऋग्िेद, सामिेद, यजिु ेद ि
आपसी संिंध ि िािा पररिार, समहू ों से संिंध अर्थिमिेद की विर्ेििाएाँ
कश्मीर में वमली ऋग्िेद पाण्िुवलवप • िािा पररिार ि िािा संिंध • ऋग्िेद के िर्मन, आयम और दस्यु
का अंग्रेज़ी अनिु ाद 150 ििम पहले • आज हम जो वकिािें पढिे हैं िे
• ऋग्िेद पाण्िुवलवप का अग्रं ेज़ी
er
He

प्रकावर्ि होना, विश्वावमत्र और ऋग्िेद से कै से विन्न हैं?


अनिु ाद 150 ििम पहले
r
ma

नवदयां , मिेर्ी , घोिे और रर्थ,


Ku

लोगों की विर्ेििाएाँ ििाने िाले


प्रकावर्ि होना • एक राजा का जीिन दास या
jay

• ऋग्िेद के िर्मन, आयम और दस्यु दासी के जीिन से कै से विन्न


Vi

र्ब्द, विर्् और जन , आयम और


दस्य,ु दास ि दावसयााँ । • विश्वावमत्र और नवदयां होिा र्था?
3000 ििम पिू म महापािार् किें • महापािार् किें िनाना • परु ाित्त्िविद् किों में दफ़नाए गए
िनाना, उन किों में लोहे के सामान लोगों के िीच सामावजक अंिर का
• किों में लोहे के सामान
के अिर्ेि वमलना, अमीर ि गरीि पिा कै से लगािे हैं?
लोगों की किों में अंिर होना, • आवर्थमक आधार पर किें
• ऋग्िेद के राजा और अन्य राजाओ ं
इनामनागााँि में र्िों का वसर उत्तर • इनामनागााँि में र्िों का वसर
के िीच कोई एक फ़कम ििाइए ।
की ओर होना, एक व्यवक्त को पााँच उत्तर की ओर
• इनामनागााँि में र्िों को कै से दफन
कमरों के मकान के आाँगन में 4 पाए • अमीर व्यवक्त या गााँि के मवु खया
िाले वमट्टी के सन्दक ू में दफनाना, करिे र्थे ?
को विर्ेि िरह से दफनाना
कंकालों का अध्ययन क्यों ि कै से, • 3500 ििम पिू म चीन में र्ुरू हि्वियों
• कंकालों का अध्ययन क्यों ि
इनामगााँि के लोगों के काम -धधं े । पर िविष्यिार्ी लेखन के िारे में
कै से
एटलस में चीन ढूढं ो ि 3500 ििम आप क्या जानिे हैं ?
• एटलस में चीन
पिू म िहााँ र्रू ु हि्वियों पर • कंकालों का अध्ययन क्यों करिे हैं ?
िविष्यिार्ी लेखन का िोध होना • हि्वियों पर िविष्यिार्ी लेखन
र्लू याांकन ि पाठगर्- प्रश्न
1. र्हापाषाणों के ननर्ााण के नलए लोगों को कई र्रह के कार् करने पडर्े थे। हर्ने जो कायों की सूची
बनाई है उन्हें िर्बद्ध करो । गड्ढे खोदना, निलाखांडों को ढोकर लाना, बडे पत्थरों को र्रािना और र्रे हुए
हुए को दफ़नाना । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-48)
उत्तर : गि्ढे खोदना, मरे हुए को दफ़नाना, वर्लाखंिों को ढोकर लाना और ििे पत्र्थरों को िरार्ना ।
2. क्या हडप्पा के िहरों र्ें लोहे का प्रयोग होर्ा था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-48)
उत्तर : नहीं, हिप्पा के र्हरों में लोहे का प्रयोग नहीं होिा र्था ।
3. क्या र्ुम्हें लगर्ा है नक यह नकसी सरदार का िि था? अपने जिाब का कारण बर्ाओ।
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-50)
उत्तर : हााँ, यह र्ि वकसी सरदार का ही होगा, क्योंवक यह घर अन्य घरों की िल
ु ना में ििा र्था िर्था िस्िी के िीचों-
िीच में िसा र्था िर्था र्ि को दफ़नाने के वलए चार पैर िाले ििे संदक
ू का प्रयोग वकया गया र्था ।
er
He

4. र्म्ु हारे अनस


ु ार िरीर के बारे र्ें उन्होंने इर्नी निस्र्र्ृ जानकारी कै से इकट्ठा की होगी?
r
ma
Ku

(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु र्क, पेज-50)


jay
Vi

उत्तर : र्ायद िैद्य चरक ने वकसी व्यवक्त के मृि र्रीर की चीि-फाि करके यह जानकारी एकवत्रि की होगी ।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-51)
एटलस र्ें चीन को देखो। लगभग 3500 साल पहले हर् यहााँ की लेखन कला के सबसे परु ाने उदाहरण पार्े
हैं।
यह जानिरों की हि्वियों पर वलखा गया र्था। इन्हें िविष्यिार्ी करने िाली हि्वियााँ कहा जािा है, क्योंवक यह
मान्यिा र्थी वक ये िविष्य ििािी हैं। राजा लोग वलवपकारों से इन हि्वियों पर सिाल वलखिािे र्थे-क्या िे यद्ध ु जीिेंगे?
क्या फसलें अच्छी होंगी? क्या उन्हें पत्रु होंगे? वफर इन हि्वियों को आग में िाल वदया जािा र्था, जहााँ इनमें गमी से
चटककर दरारें पि जािी र्थीं । िविष्यिक्ता इन दरारों को ििे ध्यान से देखकर िविष्यिार्ी करने की कोवर्र् करिे र्थे।
जैसा र्ायद िमु िी सोच रही होगी ये िविष्यिक्ता किी-किी गलिी िी करिे र्थे । ये राजा र्हरों में महल िनाकर
रहिे र्थे। उन्होंने िेर्मु ार दौलि इकट्ठी कर ली र्थी वजनमें ििे-ििे नक्कार्ी वकए हुए कााँसे के ििमन र्ावमल र्थे, लेवकन
िे लोहे का इस्िेमाल करना नहीं जानिे र्थे ।
ऋग्िेद के राजा और अन्य राजाओ ां के बीच कोई एक फ़का बर्ाइए ।
उत्तर : ऋग्िेद के राजा ििी राजधावनयों ि महलों में नहीं रहिे र्थे, जिवक चीन के राजा र्हरों में महल िनाकर रहिे र्थे।
कलपना करो
र्ुर् 3000 िषा पहले के इनार्गााँि र्ें रहर्ी हो। नपछली रार् सरदार की र्ृत्यु हो गई। आज, र्ुम्हारे र्ार्ा-
नपर्ा दफ़न की र्ैयारी कर रहे हैं। यह बर्ार्े हुए सारे दृश्य का िणान करो नक अांनर्र् सांस्कार के नलए कै से
भोजन र्ैयार नकया जा रहा है। र्ुम्हें क्या लगर्ा है, खाने र्ें क्या नदया जाएगा?
उत्तर : मेरे मािा-वपिा सरदार को उसके घर के आाँगन में दफनाने के वलए गि्ढा खोद रहे हैं। सरदार का घर िस्िी के
िीच में है। सरदार के र्ि को चार पैरों िाले वमट्टी के एक ििे सदं क
ू में िदं करके दफनाया जाएगा । सरदार का
मनपसदं खाना िैयार वकया जा रहा है । इस खाने को सरदार के र्ि के सार्थ दफनाया जाएगा। इसके अलािा सरदार
की अन्य मनपसदं चीजें, कीमिी िस्िएु ाँ और उनके द्वारा प्रयोग की जाने िाली अन्य िस्िएु ाँ िी र्ि के सार्थ दफनायी
जाएंगी ।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपस्ु र्क से
आओ याद करें
er
He

1. ननम्ननलनखर् को सुर्ेल करो


r
ma
Ku
jay
Vi
2. िाक्यों को परू ा करो :
(क) …………………… के वलए दासों का इस्िेमाल वकया जािा र्था।
(ख) …………………… में महापािार् पाए जािे हैं।
(ग) जमीन पर गोले में लगाए गए पत्र्थर या चट्टान …………………… का काम करिे र्थे।
(घ) पोटम-होल का इस्िेमाल …………………… के वलए होिा र्था।
(ङ) इनामगााँि के लोग …………………… खािे र्थे।
उत्तर : (क) मावलक की सेिा करने
(ख) दक्कन, दवक्षर्ी िारि, उत्तरपिू ी िारि और कश्मीर
(ग) वचह्नों
(घ) पत्र्थरों से िने हुए कमरे में जाने
(ङ) अनाज, फल और मांस
er
He

आओ चचाा करें
r
ma
Ku

3. आज हर् जो नकर्ाबें पढ़र्े हैं िे ऋग्िेद से कै से नभन्न हैं ?


jay
Vi

उत्तर : आज हम जो वकिािें पढिे हैं िे वलखी और छापी गई हैं, जिवक ऋग्िेद का उच्चारर् और श्रिर् वकया जािा
र्था। ऋग्िेद की रचना के सवदयों िाद इन्हें वलखा गया र्था। ऋग्िेद छपने का काम मवु श्कल से दो सौ साल पहले हुआ।
4. पुरार्त्त्िनिद् कब्रों र्ें दफ़नाए गए लोगों के बीच सार्ानजक अांर्र का पर्ा कै से लगार्े हैं?
उत्तर : परु ाित्त्िविद् दफ़नाए गए लोगों की किों से प्राप्त िस्िओ
ु ं के आधार पर सामावजक अंिर का पिा लगािे हैं।
जैस-े िह्मवगरर में एक व्यवक्त की कि से 33 सोने के मनके और र्ंख पाए गए हैं, जिवक दसू री कि के कंकाल के पास
के िल वमट्टी के ही ििमन वमले हैं। यह अंिर दफनाए गए लोगों की सामावजक वस्र्थवि में विन्निा को दर्ामिा है।
5. एक राजा का जीिन दास या दासी के जीिन से कै से नभन्न होर्ा था?
उत्तर : एक दास या दासी का कष्टपर्ू म जीिन राजा के ऐश्वयमपूर्म जीिन से पर्ू मिः विन्न होिा र्था। दास या दासी िे स्त्री
और परुु ि होिे र्थे वजन्हें राजा द्वारा यद्ध
ु में िंदी िनाया जािा र्था। उन्हें राजा की जायदाद माना जािा | र्था और उन्हें
राजा की सिी आज्ञाओ ं का पालन करना पििा र्था।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 6 राज्य , राजा और एक प्राचीन गर्राज्य
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सूचक
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जुिे प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएंगे :-
• अश्वमेघ यज्ञ की प्रविया ,महत्ि चचाम कर सकें गे :-
प्राचीन काल में अश्वमेघ यज्ञ की
प्रविया ,महत्ि ि अनष्ठु ान विवध ,
ि अनष्ठु ान विवध • महाजनपदों के राजा ऋग्िेद में
िर्म व्यिस्र्था – िाह्मर्, क्षवत्रय , • िर्म व्यिस्र्था – िाह्मर्, क्षवत्रय , उल्लेवखि राजाओ ं से वकस प्रकार
िैश्य ि र्द्रू का पररचय, िर्म िैश्य ि र्द्रू विन्न र्थे?
व्यिस्र्था का विरोध, राजाओ ं को • िर्म व्यिस्र्था का विरोध • लोगों ने िर्म-व्यिस्र्था का विरोध
अि जनपद के राजा कहना, पृष्ठ 57 • राजा िनाम परु ोवहि व्यिस्र्था क्यों वकया?
पर वदए गए जनपदों का विश्लेिर् ,
• िारिीय जनपदों का विश्ले िर् • महाजनपद के राजाओ ं ने व़िले क्यों
er
He

राजाओ ं द्वारा सेना रखना ि िव्य िनिाए?


• राजाओ ं द्वारा सेना रखना, वकले
r
ma

महल िनिाना,जनिा से कर • जनिा से कर िसल


Ku

िनिाना ि कर िसल ू ना ू ी
िसल ू ी, लोहे के उपकरर्ों से कृ वि
jay

• कृ वि में आए पररििमनों की समझ


Vi

ि धान रोपर् र्रू ु होना । • लोहे के उपकरर्ों से कृ वि


मगध साम्राज्य का सक्ष्ू म वनरीक्षर् , • मगध साम्राज्य • िवज्ज सघं अन्य महाजनपदों से कै से
विंविसार ि अजािर्त्रु का र्ासन , विन्न र्था?
• विवं िसार ि अजािर्त्रु का
वसकंदर का िी मगध आिमर् से
र्ासन • विंविसार ि अजािर्त्रु का र्ासन
पीछे हटना । िवज्ज राज्य की
राजधानी िैर्ाली (विहार), गर् • िवज्ज राज्य • अजािर्त्रु ि िवज्ज संघ
व्यिस्र्था, अजािर्त्रु ि िवज्ज सघं • अजािर्त्रु ि िवज्ज संघ • गप्तु र्ासकों द्वारा गर् ि संघ पर
, वनयवमि सिाएं , गांिों ि नगरों • गांिों ि नगरों पर र्ासन ि गर् विजय
पर र्ासन ि गर् वमलकर र्त्रु से वमलकर र्त्रु से वििना • एटलस में यनू ान
विििे र्थे मगर 1500 ििम पूिम गप्तु • पिू म गप्तु र्ासकों द्वारा गर् ि संघ • एर्थेंस की र्ासन व्यिस्र्था
र्ासकों द्वारा गर् ि संघ पर विजय पर विजय हावसल करना
हावसल करिे हुए इनको अपने • एर्थेंस प्रजािन्त्र ि उसकी विर्ेििाएाँ
अधीन वकया जाना । एटलस में • एटलस में यनू ान • समाज के िे कौन-से समहू र्थे, जो
यनू ान ि एर्थेंस की र्ासन व्यिस्र्था • एर्थेंस की र्ासन व्यिस्र्था में गर्ों की सिाओ ं में वहस्सा नहीं ले
में प्रजािन्त्र ि उसकी विर्ेििाएाँ । प्रजािन्त्र का पररचय देना । सकिे र्थे?
पाठगर् प्रश्न ि र्लू याांकन
1. लोगों ने िर्म-व्यिस्र्था का विरोध क्यों वकया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-56)
उत्तर : िर्म-व्यिस्र्था के विरोध के वनम्नवलवखि कारर् र्थे
• कुछ लोग जन्म के आधार पर िर्म-वनधामरर् सही नहीं मानिे र्थे।
• कुछ राजा खदु को परु ोवहि से श्रेष्ठ मानिे र्थे।
• कुछ लोग व्यिसाय के आधार पर िर्म-वनधामरर् ठीक नहीं मानिे र्थे।
• कुछ लोगों का मानना र्था वक अनष्ठु ान सपं न्न करने का अवधकार सिका हो।
2. महाजनपदों के राजा ऋग्िेद में उल्लेवखि राजाओ ं से वकस प्रकार विन्न र्थे? दो अंिर ििाओ।
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-58)
उत्तर : महाजनपदों के राजा िर्था ऋग्िेद के राजाओ ं में वनम्नवलवखि दो अंिर हैं
er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

3. वर्कारी ि खाद्य-संग्राहक राजाओ ं को क्या देिे होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-59)
उत्तर : वर्कारी िर्था खाद्य-संग्राहक, राजाओ ं को जिी-िवू टयााँ, वहरर्, िाघ जैसे जानिरों की खालें, हार्थी दााँि आवद
देिे होंगे।
4. िवज्ज संघ अन्य महाजनपदों से कै से विन्न र्था? कम से कम िीन अंिर ििाओ। (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-62)
उत्तर : िवज्ज संघ िर्था महाजनपदों में अंिर वनम्न प्रकार हैं
5. लगिग 2500 साल पहले एर्थेन्स के लोगों ने एक र्ासन-व्यिस्र्था की स्र्थापना की, वजसे प्रजािंत्र या गर्िंत्र कहिे
हैं। यह व्यिस्र्था लगिग 200 सालों िक चली। इसमें 30 साल से ऊपर के उन सिी परुु िों को पर्ू म नागररकिा प्राप्त र्थी,
जो दास नहीं र्थे। िहााँ एक सिा र्थी जो महत्त्िपर्ू म विियों पर वनर्मय लेने के वलए सालिर में कम से कम 40 िार िल
ु ाई
जािी र्थी। इस सिा में सिी नागररक िाग ले सकिे र्थे। र्ासन के कई पदों पर वनयवु क्तयााँ लॉटररयों द्वारा की जािी र्थीं।
सिी नागररकों को सेना और नौसेना में अपनी सेिाएाँ देनी होिी र्थी। औरिों को नागररक का दजाम नहीं वमलिा र्था।
व्यापाररयों िर्था वर्ल्पकारों के रूप में एर्थेन्स में रहने और काम करने िाले िहुि से विदेवर्यों को िी नागररक
अवधकार नहीं वमले र्थे। एर्थेन्स में खदानों, खेिों, घरों और कायमर्ालाओ ं में काम कर रहे दासों को िी नागररक
अवधकार नहीं वमले र्थे।
er
He

क्या एर्थेन्स में िास्िि में जनिंत्र र्था?


r
ma
Ku

उत्तर : एर्थेन्स में जनिंत्र नहीं र्था, क्योंवक


jay
Vi

• औरिों को नागररक का दजाम प्राप्त नहीं र्था।


• खदानों, खेिों, घरों और कायमर्ालाओ ं में काम करे रहे दासों को नागररक अवधकार नहीं वमले र्थे।
कलपना करो : िैर्ाली के उस सिागार में िमु अदं र झााँक रहे हो जहााँ मगध के राजाओ ं द्वारा आिमर् का सामना
करने के विियों पर चचाम की जा रही है। िमु ने क्या सनु ा?
उत्तर : िैर्ाली के सिागार में राजा मगध की विर्ाल सेना के वििय में चचाम कर रहे र्थे वक मगध के पास पैदल,
रर्थ और हावर्थयों की िहुि ििी सेना है और उसका मक
ु ािला कै से वकया जाए। सिी राजा घिराए हुए र्थे।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपस्ु िक से
आओ याद करें
1. सही या गलि ििाओ। |
(क) अश्वमेध के घोिे को अपने राज्य से गजु रने की छूट देने िाले राजाओ ं को यज्ञ में आमवं त्रि वकया जािा र्था।
(ख) राजा के ऊपर सारर्थी पवित्र जल का वछिकाि करिा र्था।
(ग) परु ाित्त्िविदों को जनपदों की िवस्ियों में महल वमले हैं।
(घ) वचवत्रि-धसू र पात्रों में अनाज रखा जािा र्था।
(ङ) महाजनपदों में िहुि से नगर व़िलािदं र्थे।
उत्तर :
(क) सही
(ख) गलि
(ग) गलि
er
He

(घ) गलि
r
ma
Ku
jay

(ङ) सही
Vi

2. नीचे वदए गए खानों में वनम्नवलवखि र्ब्द िरो।


वर्कारी-संग्राहक, कृ िक, व्यापारी, वर्ल्पकार, पर्पु ालक
3. समाज के िे कौन-से समहू र्थे, जो गर्ों की सिाओ ं में वहस्सा नहीं ले सकिे र्थे?
उत्तर : वस्त्रयााँ, दास िर्था कम्मकार गर्ों की सिाओ ं में वहस्सा नहीं ले सकिे र्थे।आओ चचाम करें
4. महाजनपद के राजाओ ं ने व़िले क्यों िनिाए?
उत्तर : महाजनपद के राजाओ ं द्वारा वकलों के वनमामर् करने के प्रमख
ु कारर् वनम्नवलवखि र्थे.
• कुछ राजा िाहरी राजाओ ं के आिमर् के िय से अपनी सरु क्षा के वलए वकलों का वनमामर् करिे र्थे।
• कुछ राजा अपनी र्वक्त िर्था समृवद्ध का प्रदर्मन करने के वलए वकलों का वनमामर् करिे र्थे।
5. आज के र्ासकों के चनु ाि की प्रविया जनपदों के चनु ाि से वकस िरह विन्न र्थी?
उत्तर : आज र्ासकों का चनु ाि आम जनिा द्वारा मिदान के माध्यम से वकया जािा है, परंिु जनपदों में कुछ लोग ििे-
ििे यज्ञों को आयोवजि कर राजा िन जािे र्थे। आओ करके देखें
7. प्रश्न 2 के उत्तर में ििाए गए समहू ों में से कौन-से समहू आज िी कर देिे हैं।
उत्तर : आज िी (i) व्यापारी (ii) वर्ल्पकार (iii) पर्पु ालक कर देिे हैं।
8. प्रश्न 3 के उत्तर में ििाए गए समहू ों में वकन-वकन को आज मिदान का अवधकार प्राप्त है?
उत्तर :
• वस्त्रयााँ
• दास
• कम्मकार ।
आज इन िीनों समहू ों को मिदान का अवधकार प्राप्त है।
er
He
r
ma
Ku
jay
Vi
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 7 नए प्रश्न नए निचार
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जिु े प्रश्नों के उत्तर
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक चचाम कर
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े :-
• महात्मा िद्ध
ु का जन्म, जीिन सकें गे :-
महात्मा िद्धु का जन्म, जीिन ि कायों
का पररचय , िद्ध ु की वर्क्षाएाँ , • िद्ध
ु की वर्क्षाएाँ • िद्ध
ु ने लोगों िक अपने विचारों का
सारनार्थ स्िपू , वकसागोिमी की • वकसागोिमी की कहानी प्रसार करने के वलए वकन-वकन िािों पर
कहानी, उपवनिदों का अर्थम और िाि, जोर वदया?
• उपवनिदों का अर्थम और िाि
िवु द्धमान विखारी द्वारा िाह्मर्ों से • उपवनिदों का अर्थम और िाि
• व्याकरर्विद पावर्नी के सत्रू
िोजन लेने की कर्था, व्याकरर्विद • ऊाँ च-नीच, जाविपावि का िेदिाि नहीं
पावर्नी के सत्रू । • िवु द्धमान विखारी की कर्था
करना चावहए, क्यों ?
er

िधममान महािीर के विचार प्रसार ि • िधममान महािीर के विचार • जेन्द-अिेस्िा नामक ग्रंर्थ की िािा और
He

जैन धमम, प्राकृ ि िािा में महािीर के


r
ma

• जैन धमम का गजु राि, िवमलनािु रीवि-ररिाज वकस से वमलिे-जुलिे हैं?


Ku

विचार, जैन धमम का गजु राि,


• जरर्थस्त्र
jay

ि कनामटक में फै लाि ु की मल ू वर्क्षा सत्रू क्या है?


िवमलनािु ि कनामटक में फै लाि,
Vi

1000 साल की मौवखक वर्क्षाओ ं का • मौवखक वर्क्षाओ ं का 1500 • महािीर के विचार


1500 ििम पिू म गजु राि के िल्लिी में ििम पिू म गुजराि के िल्लिी में • पिू म गजु राि के िल्लिी में लेखन,
लेखन वकया जाना
लेखन, गृह त्याग करने िालों हेिु संघ, • विक्षओ ु ं का विनयवपटक ग्रंर्थ
िौद्ध विक्षओ ु ं का विनयवपटक ग्रर्थं , • िद्ध
ु ि महािीर द्वारा , गृह त्याग • विक्खु -विक्खवु र्यों द्वारा लोगों को
विक्खु -विक्खवु र्यों हेिु विहार नामक करने िालों हेिु संघ िनाना ।
विहारों में वर्क्षा प्रदान करना
र्रर्स्र्थल िनाना, विक्षु िनने पर • विक्खु -विक्खवु र्यों द्वारा लोगों
अपना िर्म, श्रेर्ी ि पररिार त्यागना, • िह्मचयम ,गृहस्र्थ, िानप्रस्र्थ ि सन्यास
को विहारों में वर्क्षा प्रदान करना
विक्खु -विक्खवु र्यों द्वारा लोगों को • वस्त्रयों को िेद अध्ययन की आज्ञा न
• िाह्मर्ों द्वारा आश्रम व्यिस्र्था
वर्क्षा प्रदान करना, िाह्मर्ों द्वारा वमलना
का विकास करना
आश्रम व्यिस्र्था का विकास करना , • आज दवु नया का त्याग करने िाले वस्त्रयों
िह्मचयम ,गृहस्र्थ, िानप्रस्र्थ ि सन्यास , • िह्मचयम ,गृहस्र्थ, िानप्रस्र्थ ि
और परुु िों के िारे में और अवधक
वस्त्रयों को िेद अध्ययन की आज्ञा न सन्यास का प्रत्यय समझाना
जानने का प्रयास करो। ये लोग कहााँ
वमलना । एटलस में ईरान ढूाँढना ि • एटलस में ईरान ढूाँढना रहिे हैं, वकस िरीके के कपिे पहनिे हैं
जर्थमस्त्र
ु की वर्क्षाओ ं का ग्रंर्थ जेंद – • जर्थमस्त्र
ु की वर्क्षाओ ं का ग्रंर्थ जेंद िर्था क्या खािे हैं? ये दवु नया का त्याग
अिेस्िा । – अिेस्िा के िारे में ििाना । क्यों करिे हैं
र्लू याांकन ि पाठगर्-प्रश्न
1. िेदों की रचना के वलए वकस िािा का प्रयोग हुआ र्था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्िक, पेज-66)
उत्तर : संस्कृ ि
2. िद्ध
ु दःु खी मााँ को क्या वर्क्षा देने का प्रयास कर रहे र्थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्िक, पेज-67)
उत्तर : िद्ध
ु दःु खी मााँ को समझाना चाहिे र्थे वक मृत्यु एक अटल सत्य है। एक-न-एक वदन मृत्यु सिको आनी है। इस
सत्य को स्िीकार करना होगा।
3. विखारी ने िोजन पाने के वलए ऋवियों को वकस िरह मनाया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-68)
उत्तर : विखारी ने ऋवियों को सािमिौम आत्मा का सही रूप में ज्ञान देकर िोजन पाने के वलए मनाया।
4. महािीर के वलए ‘वजन’ र्ब्द का प्रयोग क्यों हुआ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-70)
उत्तर : वजन र्ब्द का अर्थम है ‘विजेिा’। महािीर एक विजेिा ही र्थे वजन्होंने लोगों को अपने विचारों िर्था वर्क्षा को
अपनाने के वलए प्रेररि वकया और विजय प्राप्त की।
5. सघं के जीिन से आश्रमों की यह व्यिस्र्था वकस िरह विन्न र्थी? यहााँ वकन िगों का उल्लेख हुआ है? क्या सिी
चार िगों को यह आश्रम व्यिस्र्था अपनाने की अनमु वि र्थी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-72)
उत्तर : सांघ का जीिन
er
He

• संघ का जीिन िहुि ही सरल र्था।


r
ma
Ku

• संघ के लोग घर का त्याग कर सच्चे ज्ञान की िलार् में जािे र्थे।


jay

• संघ के लोग अपना ज्यादािर समय ध्यान िर्था योग करके वििािे र्थे।
Vi

• इस संघ में िाह्मर्, क्षवत्रय, व्यापारी िर्था र्द्रू र्ावमल र्थे।


आश्रर्ों का जीिन
• आश्रमों का जीिन जवटल र्था इसमें रहकर मनष्ु य पारंपररक वनयमों का पालन करिे र्थे।
• इसमें लोग गृहस्र्थ आश्रम के वनयमों का पालन करिे र्थे।
• इसमें व्यवक्त अन्य सासं ाररक वियाकलापों में समय वििािे र्थे।
• इसमें िाह्मर्, क्षवत्रय िर्था िैश्य िगों को आश्रम व्यिस्र्था अपनाने की अनमु वि नहीं र्थी।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-73)
एटलस में ईरान खोजो । जरर्थस्त्र ु एक ईरानी पैगम्िर र्थे। उनकी वर्क्षाओ ं का सक ं लन जेन्द-अिेस्िा नामक ग्रर्थं में
वमलिा है। जेन्द-अिेस्िा की िािा िर्था इसमें िवर्मि रीवि-ररिाज, िेदों की िािा और रीवि-ररिाजों से काफ़ी वमलिे-
जलु िे हैं। जरर्थस्त्र
ु की मूल वर्क्षा का सत्रू है : ‘सद-् विचार, सद-् िचन िर्था सद-् कायम।’
‘हे ईश्वर! िल, सत्य-प्रधानिा एिं सवद्वचार प्रदान कीवजए, वजनके जररए हम र्ांवि िना सकें ।’
एक हजार से अवधक ििों िक जरर्थस्त्र ु िाद ईरान का एक प्रमख ु धमम रहा। िाद में कुछ जरर्थस्त्र
ु िादी ईरान से
आकर गजु राि और महाराष्ि के िटीय नगरों में िस गए। िे लोग ही आज के पारवसयों के पिू मज हैं।
1. जरर्थस्त्र
ु की वर्क्षाओ ं का संकलन वकस ग्रर्थं में वमलिा है?
उत्तर : जरर्थस्त्र
ु एक ईरानी पैगम्िर र्थे उनकी वर्क्षाओ ं का संकलन जेन्द-अिेस्िा नामक ग्रंर्थ में वमलिा है।
2. जेन्द-अिेस्िा नामक ग्रंर्थ की िािा और रीवि-ररिाज वकस से वमलिे-जल ु िे हैं?
उत्तर : जेन्द-अिेस्िा की िािा िर्था इसमें िवर्मि रीवि-ररिाज, िेदों की िािा और रीवि-ररिाजों से काफी वमलिे-जल
ु िे
हैं। |
3. जरर्थस्त्र
ु की मलू वर्क्षा सत्रू क्या है?
उत्तर : जरर्थस्त्र
ु की मल ू वर्क्षा का सत्रू है; सद् विचार, सद-् िचन िर्था सद-् कायम।
4. कुछ जरर्थस्त्र
ु िादी ईरान से आकर िारि में कहााँ िस गए र्थे?
उत्तर : कुछ जरर्थस्त्र
ु िादी ईरान से आकर गजु राि और महाराष्ि के िटीय नगरों में िस गए। िे लोग ही आज | के
पारवसयों के पिू मज हैं।
कल्पना करो
िमु लगिग 2500 ििम पिू म के एक उपदेर्क को सनु ने जाना चाहिी हो। िहााँ जाने की अनुमवि लेने के वलए िुम अपने
मािा-वपिा को कै से सहमि करोगी, इसका िर्मन करो।
उत्तर : मैं अपने मािा-वपिा को उपदेर्क की वर्क्षाओ ं के वििय में जानकारी देंगी। उनके द्वारा समाज की िलाईिर्था
er

वस्त्रयों की िलाई के वलए वकए जा रहे प्रयासों की जानकारी देंगी। उनसे जिु े लोगों के जीिन में आए िदलािों के
He
r
ma

वििय में जानकारी देंगी और उनसे अपने वलए उपदेर् सनु ने की अनमु वि मााँगगू ी।
Ku

प्रश्न-अभ्यास पाठ्यपस्ु र्क से


jay
Vi

आओ याद करें
1. बुद्ध ने लोगों र्क अपने निचारों का प्रसार करने के नलए नकन-नकन बार्ों पर जोर नदया ?
उत्तर : वनम्नवलवखि िािों पर जोर वदया
• यह जीिन कष्टों और द:ु खों से िरा हुआ है और कष्टों का कारर् हमारी इच्छा ि लालसा है।
• आत्म संयम अपनाकर हम अपनी इच्छा ि लालसा से मवु क्त पा सकिे हैं।
• लोगों को दयालु होने के सार्थ-सार्थ जानिरों के जीिन का िी आदर करने की वर्क्षा दी।
• हमारे अच्छे कमों का पररर्ाम ििममान जीिन के सार्थ-सार्थ िाद के जीिन को िी प्रिाविि करिा है।
2. ‘सही’ ि ‘गलि’ िाक्य ििाओ।
(क) िद्ध
ु ने पर्िु वल को िढािा वदया।
(ख) िद्ध
ु द्वारा प्रर्थम उपदेर् सारनार्थ में देने के कारर् इस जगह का िहुि महत्त्ि है।
(ग) िद्ध
ु ने वर्क्षा दी वक कमम का हमारे जीिन पर कोई प्रिाि नहीं पििा।
(घ) िद्ध
ु ने िोध गया में ज्ञान प्राप्त वकया।
(ङ) उपवनिदों के विचारकों का मानना र्था वक आत्मा और िह्म िास्िि में एक ही हैं।
उत्तर :(क) गलि (ख) सही (ग) गलि (घ) सही (ङ) सही
3. उपननषदों के निचारक नकन प्रश्नों का उत्तर देना चाहर्े थे?
उत्तर : उपवनिदों के विचारक मख्ु यि: कुछ कवठन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास कर रहे र्थे; जैस|े
• कुछ विचारक मृत्यु के िाद के जीिन के िारे में जानना चाहिे र्थे।
• कुछ विचारक यज्ञों की उपयोवगिा के िारे में जानना चाहिे र्थे।
• कुछ विचारक आत्मा के वििय में जानने चाहिे र्थे।
4. र्हािीर की प्रर्ुख निक्षाएाँ क्या थीं?
उत्तर : महािीर की प्रमख
ु वर्क्षाएाँ
er
He

• सत्य जानने की इच्छा रखने िाले प्रत्येक स्त्री-परुु ि को अपना घर छोि देना चावहए।
r
ma
Ku

• अवहसं ा के वनयमों का किाई से पालन करना चावहए।


jay
Vi

• ऊाँ च-नीच, जाविपावि का िेदिाि नहीं करना चावहए। आओ चचाम करें ।


5. अनघा की र्ााँ क्यों चाहर्ी थी नक उनकी बेटी बद्ध
ु की कहानी से पररनचर् हो? र्म्ु हारा इसके बारे र्ें क्या
कहना है?
उत्तर : अनघा की मााँ चाहिी र्थी वक उसकी िेटी िद्ध
ु के जीिन और उनकी वर्क्षाओ ं से िलीिााँवि पररवचि हो।
इसवलए िह अपनी िेटी को िद्ध
ु की कहानी से पररवचि कराना चाहिी र्थी।
6. क्या र्ुर् सोचर्े हो नक दासों के नलए सांघ र्ें प्रिेि करना आसान रहा होगा, र्का सनहर् उत्तर दो ।
उत्तर : महािीर ि िद्ध
ु के संघ में दासों का प्रिेर् करना सरल नहीं रहा होगा, क्योंवक िद्ध
ु ने संघ में रहने के वलए जो
वनयम िनाए र्थे उनके अनसु ार दासों को संघ में प्रिेर् से पहले अपने स्िामी से अनमु वि लेना आिश्यक र्था।
आओ करके देखें
7. इस अध्याय र्ें उनललनखर् कर् से कर् पााँच निचारों र्था प्रश्नों की सच
ू ी बनाओ। उनर्ें से नकन्हीं र्ीन
का चुनाि कर चचाा करो नक िे आज भी क्यों र्हत्त्िपण
ू ा हैं?
उ : विचार • आत्मसयं म • दयालिु ा • अवहसं ा • अच्छे कमम • मृत्यु जीिन का अटल सत्य है।
प्रश्न –• जीिन कष्टों ि द:ु खों से िरा हुआ क्यों है?
• क्या मृत्यु के िाद जीिन है?
• यज्ञों की क्या उपयोवगिा है? २
• विश्व में ऐसा क्या है? जो वक स्र्थायी है और मृत्यु के िाद िी िचिा है।
• आत्मा और िह्म में क्या संिंध है?
आज की उपयोवगिा के कारर्
(i) आत्मसंयम- आज मनष्ु य की इच्छाएाँ और लालसाएाँ िढिी ही जा रही हैं जो उसके िढिे द:ु खों का
कारर् है अिः आज िी मनष्ु य आत्मसंयम अपनाकर दःु खों से छुटकारा पा सकिा है।
er
He

(ii) अवहसं ा- आज चारों िरफ अपनी समस्याओ ं को दरू करने के वलए वहसं ा का रास्िा अपनाया जा रहा | है, लेवकन
r
ma
Ku

समस्याओ ं का हल वहसं ा से नहीं, िवल्क िािचीि और अवहसं ा के रास्िे पर चलकर ही वनकाला जा सकिा है।
jay
Vi

(iii) अच्छे कमम- आज व्यवक्त जल्दी-से-जल्दी से अमीर िनने के चक्कर में िरु े कमम करने लगा हुआ है, वजस कारर्
चारों िरफ भ्रष्टाचार फै ला हुआ है। अच्छे कमम करके भ्रष्टाचार को जि से खत्म वकया जा सकिा है।
8. आज दुननया का त्याग करने िाले नियों और पुरुषों के बारे र्ें और अनिक जानने का प्रयास करो। ये
लोग कहााँ रहर्े हैं, नकस र्रीके के कपडे पहनर्े हैं र्था क्या खार्े हैं ? ये दुननया का त्याग क्यों करर्े हैं?
उत्तर : ये वनम्नवलवखि हैं
• आज िी अनेक लोग अपने घरों और पररिारों को त्यागकर साध,ु महात्मा, मवु न िर्था विचारक िन जािे हैं।
• ये लोग मंवदरों, आश्रमों, संघों िर्था एकांि स्र्थानों पर रहिे हैं।
• ये प्रायः पीले, िगिा, सफे द कपिे पहनिे हैं या वनिमस्त्र रहिे हैं।
• ये र्ाकाहारी िोजन करिे हैं।
• ये ज्ञान की प्रावप्त के घर-पररिार का त्याग करिे हैं।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 8 अिोक एक अनोखा सम्राट नजसने युद्ध का त्याग नकया
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जुिे प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े :-
• मौयम र्ासकों की िंर्ािली चचाम कर सकें गे :-
चन्द्रगप्तु मौयम के पत्रु विन्दसु ार ि
विन्दसु ार के पत्रु अर्ोक, अर्ोक • मौयम र्ासन से प्रमख ु नगर • मौयम र्ासन से प्रमख ु नगर
के साम्राज्य में िक्षवर्ला, • िक्षवर्ला, पाटलीपत्रु ि उज्जैन • मौयम साम्राज्य के अविलेखों की
पाटलीपत्रु ि उज्जैन जैसे नगर • मौयम साम्राज्य के अविलेखों की प्रावप्त के मख्ु य स्र्थल
होना, मौयम साम्राज्य के अविलेखों प्रावप्त के मख्ु य स्र्थल और मानवचत्र • मौयम साम्राज्य प्रर्ासन
की प्रावप्त के मख्ु य स्र्थल पेज 76 पर पर इनकी अिवस्र्थवि • संसाधनों का नज़राने के रूप में
वदए मानवचत्र पर समझना , राज्य ि
• राज्य ि साम्राज्य में अंिर एकत्रर्
er

साम्राज्य में अंिर, साम्राज्य प्रर्ासन


He

• साम्राज्य प्रर्ासन की विस्िृि • पाटवलपत्रु और मोहनजोदिो में अंिर


r
ma

ि संसाधनों का नज़राने के रूप में


Ku

एकत्रर्, मेगस्र्थनीज़ द्वारा मौयम व्याख्या करना • कवलंग की लिाई से यद्ध ु को लेकर
jay

• संसाधनों का नज़राने के रूप में


Vi

राजाओ ं ि पाटलीपत्रु के िारे में वदए अर्ोक के विचारों में कै से पररििमन


गए वििरर् , कवलंग युद्ध से एकत्रर् हुआ?
अर्ोक का हृदय पररििमन, अर्ोक • मेगस्र्थनीज़ द्वारा मौयम राजाओ ं ि • उन समस्याओ ं की सचू ी िनाओ
का धम्म, अर्ोक द्वारा प्रजा को पाटलीपत्रु के िारे में वदए गए वििरर् वजनका समाधान अर्ोक धम्म द्वारा
सदं र्
े देना, अर्ोक द्वारा जनवहि के • कवलगं यद्ध करना चाहिा र्था ।
ु से अर्ोक का हृदय
कायम करना और िौद्ध धमम का पररििमन • धम्म के प्रचार के वलए अर्ोक ने
दवु नया में प्रसार करने हेिु दिू वकन साधनों का प्रयोग वकया?
िेजना, , 2400 ििम पिू म चीन में • अर्ोक का धम्म ि जनसंदर् े
सम्राटों के द्वारा 6400 वक0मी0 • चीन की महान दीिार का वनमामर् ि • “चीन की दीिार’ की विर्ेििाएाँ
विर्ेििाएाँ ििाइए।
लंिी दीिार िनाना, 100-200
मीटर पर इसमें वनगरानी िजु म • पर रे र्म मागम ि व्यापाररक मागम • चीन की दीिार’ िनाने का उद्देश्य
िनाना, पेज 84-85 पर रे र्म मागम मानवचत्र क्या र्था?
ि व्यापाररक मागम मानवचत्र , पेज • मौयम काल के िाद िारि का संवक्षप्त • पेज 84-86 का मानवचत्र ि िथ्य
86 पर मौयम काल के िाद िारि का का इविहास संकलन
संवक्षप्त का इविहास जानना ।
पाठगर् प्रश्न ि र्लू याांकन
1. उन देर्ों के नाम ििाओ जहााँ अर्ोक के अविलेख वमले हैं। िारि के कौन-से राज्य मौयम साम्राज्य से िाहर र्थे?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-76)
उत्तर :(क) वजन देर्ों में अर्ोक के अविलेख वमले हैं
• िारि • अफगावनस्िान • पावकस्िान
(ख) िारि के वनम्नवलवखि राज्य मौयम साम्राज्य से िाहर र्थे
• वसवक्कम • नागालैंि • मेघालय • असम • वत्रपरु ा
2. राजा द्वारा खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को क्यों चखिे र्थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक,
पेज-78) उत्तर : राजा को हमेर्ा इस िाि का िर रहिा र्था वक कहीं कोई उनकी हत्या करने की कोवर्र् न करें ।
इसवलए राजा के खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को चखिा र्था।
3. पाटवलपत्रु मोहनजोदिो से वकस िरह विन्न र्था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-78)
उत्तर : पाटवलपत्रु और मोहनजोदिो में अिं र He
er
r
ma
Ku
jay
Vi

4. कवलंग की लिाई से यद्ध ु को लेकर अर्ोक के विचारों में कै से पररििमन हुआ? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक पेज-79)
उत्तर : कवलंग की लिाई में करीि 1 लाख से िी ज्यादा लोग मारे गए। लगिग िेढ लाख लोग िंदी िना वलए गए।
वजनके सगे-संिंधी उनकी मौि पर विलाप कर रहे र्थे। इससे अर्ोक का हृदय द:ु ख से िर गया। उन्होंने सोचा वक एक
देर् को जीिने के वलए इिने लोगों का िध करना पििा है और जनिा अपने वमत्रों, सगे-सिं वं धयों को हमेर्ा-हमेर्ा के
वलए खो देिी है। अर्ोक ने पिािाप के िाद किी यद्ध ु न करने का वनर्मय वलया और िौद्ध धमम अपनाकर उसका
प्रचार-प्रसार वकया।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क पेज-82)
मौयम साम्राज्य के उिरने से र्थोिा पहले लगिग 2400 ििम पहले, चीन में सम्राटों ने चीन की दीिार का वनमामर् र्रू

वकया। इसे िनाने का उद्देश्य उत्तरी सीमा की पर्पु ालक लोगों से रक्षा करना र्था। अगले 2000 ििों िक इस दीिार का
वनमामर् कायम चलिा रहा, क्योंवक साम्राज्य की सीमाएाँ िदलिी रहीं। यह दीिार लगिग 6400 वकलोमीटर लंिी है िर्था
पत्र्थर और ईटं से िनी है। इसकी ऊपरी सिह सिक जैसी चौिी है। इस दीिार को िनाने के वलए हजारों लोगों को काम
करना पिा। हर 100-200 मीटर की दरू ी पर इस पर वनगरानी के वलए िजु म िने हुए हैं।
1. पिोसी देर्ों के प्रवि अर्ोक का रिैया चीनी सम्राटों के रिैये से कै से विन्न र्था?
उत्तर : कवलगं के यद्ध ु के िाद पिोसी देर्ों के प्रवि अर्ोक का व्यिहार वमत्रिापर्ू म र्था और सिी के सार्थ र्ावं िपर्ू म
संिंध िनाए र्थे जिवक चीनी सम्राटों का पिोसी देर्ों के प्रवि र्त्रिु ापर्ू म व्यिहार र्था और िे पिोसी देर्ों के सार्थ यद्ध

करिे रहिे र्थे इसवलए उनकी सीमाएाँ िदलिी रहिी र्थी।
2. चीन के सम्राटों का ‘चीन की दीिार’ िनाने का उद्देश्य क्या र्था?
उत्तर : ‘चीन की दीिार’ िनाने का उद्देश्य चीन की उत्तरी सीमा की पर्पु ालक लोगों से रक्षा करना र्था?
3. “चीन की दीिार’ की विर्ेििाएाँ ििाइए।
उत्तर : यह दीिार 6400 वकलोमीटर लंिी है िर्था पत्र्थर ि ईटं से िनी है। इसकी ऊपरी सिह सिक जैसी चौिी है। इस
दीिार को िनाने में हजारों लोगों ने 2000 ििों िक काम वकया र्था। हर 100-200 मीटर की दरू ी पर वनगरानी के वलए
िजु म िनाए गए हैं।
प्रश्न-अभ्यास पाठ्यपुस्र्क से
1. र्ौया साम्राज्य र्ें निनभन्न कार्-िि ां ों र्ें लगे हुए लोगों की सच
ू ी बनाओ।
er

उत्तर :मौयम साम्राज्य में विविन्न काम-धंधों में लगे लोग


He
r
ma

• सरकारी अवधकारी • कृ िक •पर्पु ालक •वर्ल्पकार •व्यापारी • संदर् े िाहक • जाससू • फल-फूल संग्राहक• वर्कारी
Ku

2. ररक्त स्थानों को भरो :


jay
Vi

(क) जहााँ पर सम्राटों का सीधा र्ासन र्था िहााँ अवधकारी ………………………… िसल ू िे र्थे।
(ख) राजकुमारों को अकसर प्रांिों में ………………………… के रूप में िेजा जािा र्था।
(ग) मौयम र्ासक आिागमन के वलए महत्त्िपर्ू म ………………………… और …………………………
पर वनयंत्रर् रखने का प्रयास करिे र्थे।
(घ) प्रदेर्ों में रहने िाले लोग मौयम अवधकाररयों को ………………………… वदया करिे र्थे।
उत्तर : (क) कर (ख) गिनमर (राज्यपाल) (ग) मागों, नवदयों (घ) नजराना ।
3. बर्ाओ नक ननम्ननलनखर् िाक्य सही हैं या गलर्
(क) उज्जैन उत्तर-पविम की िरफ़ आिागमन के मागम पर र्था।
(ख) आधवु नक पावकस्िान और अफ़गावनस्िान के इलाके मौयम साम्राज्य के अंदर र्थे।
(ग) चन्द्रगप्तु के विचार अर्थमर्ास्त्र में वलखे गए हैं।
(घ) कवलंग िंगाल का प्राचीन नाम र्था।
(ङ) अर्ोक के ज्यादािर अविलेख िाह्मी वलवप में हैं।
उत्तर : (क) गलि (ख) सही (ग) गलि (घ) गलि (ङ) सही ।
आओ चचाा करें
4. उन सर्स्याओ ां की सूची बनाओ नजनका सर्ािान अिोक िम्र् द्वारा करना चाहर्ा था ।
उत्तर : धम्म द्वारा दरू की जाने िाली समस्याएाँ
• अलग-अलग धमम को मानने िाले लोगों के िीच आपसी टकराि ।
• जानिरों की िवल ।
• दासों और नौकरों के सार्थ िूर व्यिहार ।
• पररिार और पिोवसयों के िीच के झगिे ।
5. िम्र् के प्रचार के नलए अिोक ने नकन सािनों का प्रयोग नकया?
उत्तर : अर्ोक के धम्म प्रचार के साधन
• धम्म महामात्त की वनयवु क्त की।
• विदेर्ों में धम्म प्रचारक और प्रविवनवधयों को िेजा।
• अर्ोक ने अपने संदर् े को कई स्र्थानों में वर्लाओ ं पर खुदिाए।
• कुछ अवधकाररयों को वनयक्त ु वकया जो राजा के संदर् े ों को उन लोगों को पढकर सनु ािे र्थे, जो खदु
6. र्म्ु हारे अनस ु ार दासों और नौकरों के साथ बरु ा व्यिहार क्यों नकया जार्ा होगा? क्या र्म्ु हें ऐसा लगर्ा है
er

नक सम्राट के आदेिों से उनकी नस्थनर् र्ें सुिार हुआ होगा? अपने जिाब के नलए कारण बर्ाओ।
He
r
ma

उत्तर :दासों के सार्थ िरु ा व्यिहार वकया जािा र्था, क्योंवक िे प्रायः यद्ध ु िंदी या खरीदे हुए स्त्री-परुु ि होिे र्थे। इनका |
Ku

स्र्थान िर्म-व्यिस्र्था में सिसे नीचे होिा र्था। इनकी समस्याओ ं के वनराकरर् हेिु कोई िी सामावजक िर्था राजनीविक
jay
Vi

संगठन नहीं होिा र्था। सम्राट अर्ोक के आदेर्ों से दासों की वस्र्थवि में अिश्य सधु ार आया होगा, क्योंवक धम्म के
द्वारा दासों की समस्याओ ं को दरू करने का प्रयास वकया गया र्था।
आओ करके देखें:- प्रश्न 7. रौिन को यह बर्ार्े हुए नक हर्ारे रुपयों पर िेर क्यों नदखाए गए हैं एक पैराग्राफ
नलखो। कर् से कर् एक और चीज़ का नार् लो नजस पर इन्हीं िेरों के नचत्र बने हैं ।
उत्तर : हमारे रुपयों पर िने र्ेरों वचत्र का ऐविहावसक महत्त्ि है। सम्राट अर्ोक के र्ासनकाल के दौरान चार र्ेरों | की
मवू िम िनाई गई और वफर उन्हें सारनार्थ में एक विर्ाल स्िंि पर स्र्थावपि वकया गया। यह वचत्र हम रुपयों-वसक्कों के
अविररक्त िारि सरकार के द्वारा प्रयोग वकए जाने िाले सिी दस्िािेजों अिं देर्ीय पत्रों िर्था स्टैंप पेपर पर िी देखिे हैं।
8. अगर िम्ु हारे पास अपना अविलेख जारी करने की र्वक्त होिी िो िमु कौन-सी चार राजाज्ञाएाँ देिे?
उत्तर : वनम्नवलवखि चार राजाज्ञाएाँ देिे
• वकसी विर्ेि िर्म के प्रवि िेदिाि नहीं वकया जाएगा।
• सिी धमों का सम्मान वकया जाएगा।
• सिी को वर्क्षा का समान अिसर वदया जाएगा।
• वस्त्रयों को परुु िों के िरािर का अवधकार प्राप्त होंगे।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 9 खुिहाल गााँि और सर्ृद्ध िहर
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जिु े प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े :-
• खेिी में आए िदलाि चचाम कर सकें गे :-
लोहे के औजारों से खेिी , वसंचाई
व्यिस्र्था, िवमल क्षेत्रों में िस्ू िामी • वसच ं ाई ि लोहे के उपकरर् • ग्राम-िोजकों के काम ििाओ। िे
को िेल्लला, हलिाहों को ऊर्मिार • कृ िक िगों की नामिली र्वक्तर्ाली क्यों र्थे?
, िवू महीन मजदरू को • प्राचीन िवमल रचनाओ ं का पररचय • गााँिों िर्था र्हरों दोनों में रहने िाले
कै िेवसयार,दास को आवदमई वर्ल्पकारों की सचू ी िनाओ।
• जािक कर्थाएाँ
कहना, प्राचीन िवमल रचनाओ ं का • अपने र्हर या गााँि के लोगों के कायों
पररचय, जािक कर्थाएाँ जैसे एक • जैसे एक वनधमन की चिरु ाई कर्था
की एक सचू ी िनाओ। मर्थरु ा में वकए
वनधमन की चिरु ाई, मवू िमकला, • वदल्ली के िलयकूप ि हिप्पा जल जाने िाले कायों से ये वकिने समान
er
He

वदल्ली के िलयकूप ि हिप्पा जल वनकास व्यिस्र्था और वकिने विन्न हैं?


r
ma
Ku

वनकास व्यिस्र्था में अिं र िझू ना, • घरों के वनमामर् की सामग्री • उन मवहलाओ ं की सचू ी िनाओ वजन्हें
jay

घरों के वनमामर् की सामग्री का •


Vi

िरूच (िेररगाजा)की कहानी वनरीक्षक वनयक्त ु कर सकिा


विश्लेिर् , िरूच (िेररगाजा)की
कहानी, प्राचीन चादं ी के वसक्कों • प्राचीन चांदी के वसक्कों का िर्मन • िेररगाज़ा से आयाि और वनयामि होने
का विश्लेिर्, प्राचीन काल में • मर्थरु ा का मवू िम कें द्र रूप में विकास िाली चीज़ों की सचू ी िनाओ।
विवनमय के साधन , मर्थरु ा का मवू िम • मदरु ै ि िारार्सी वर्ल्प • व्यापारी वकस चीज़ से इसका विवनमय
कें द्र रूप में विकास , विविध करिे हैं?
• वर्ल्पकार ि व्यापाररयों के संघ :
व्यिसायों का उदय, वर्ल्प ि श्रेर्ी • मदरु ै ि िारार्सी वर्ल्प
वर्ल्पकार : मदरु ै ि िारार्सी, • प्राचीन चांदी के वसक्कों का िर्मन
वर्ल्पकार ि व्यापाररयों के संघ : • सिू काटने की विवध ि वनयम
• श्रेवर्यों का िैंक रूप में कायम • श्रेर्ी क्या र्थे ? श्रेवर्यों का िैंक रूप में
श्रेर्ी, श्रेवर्यों का िैंक रूप में कायम,
सिू काटने की विवध ि वनयम क्या-क्या कायम करिे र्थे ?
अररकमेिु (पद्दु ुचेरी) का सक्ष ू म • अररकमेिु (पद्दु चु ेरी) पररचय • रोम के सार्थ संिंध दर्ामने िाले साक्ष्य
वनरीक्षर् ि रोम से संिंध , मानवचत्र
• मानवचत्र में यरू ोप की सचू ी िनाओ ।
में यरू ोप ि रंगमिल (एंफीवर्थएटर)
ि जलिाही सेिु का जानकारी । • रंगमिल (एफ ं ीवर्थएटर) ि जलिाही • रंगमिल (एफ ं ीवर्थएटर) ि जलिाही
सेिु सेिु के िारे में ििाएं ।
र्लू याांकन ि पाठगर्-प्रश्न
1. लोहे की ऐसी पााँच चीज़ों की सूची बनाओ नजनका प्रयोग र्ुर् रोज़ करर्े हो ।
उत्तर : प्रविवदन प्रयोग होने िाली लोहे की चीजें- (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-87)
• कुसी • पेंचकस • हर्थौिा • ििा • वचमटा
2. इस कहानी में आए व्यवक्तयों के व्यिसायों की सूची बनाओ। प्रत्येक के वलए यह िय करो वक िे
(क) र्हर में,
(ख) गााँि में, या वफर
(ग) र्हर िर्था गााँि दोनों में रहिे र्थे। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-90)

er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

3. घोडे का व्यापारी िहर र्ें क्यों आया होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-90)
उत्तर : घोिे का व्यापारी र्हर में घोिे िेचने के वलए आया होगा।
4. क्या र्नहलाएाँ कहानी र्ें बर्ाए व्यिसायों को अपना सकर्ी थीं? उत्तर के कारण बर्ाओ।
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-90)
उत्तर : मवहलाएाँ कहानी में ििाए व्यिसायों को नहीं अपना सकिी र्थी क्योंवक िे घरे लू कायों में व्यस्ि रहिी र्थीं
िर्था घर से िाहर कम ही वनकलिी र्थीं।
5. सााँची की मवू िमकला। यह मध्य प्रदेर् वस्र्थि सााँची के स्िपू की मवू िमकला का नमनू ा है। इसमें र्हर के जीिन का एक
दृश्य है। िमु अध्याय 12 में सााँची के िारे में पढोगे। इन दीिारों को देखो। क्या । िे ईटं की िनी हैं या वफर लकिी या
पत्र्थर से? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-91)
उत्तर : ये दीिारें िरार्े हुए पत्र्थरों से िनी है।
6. क्या इसकी रेनलांग लकडी की बनी हैं? इन इर्ारर्ों की छर्ों का िणान करो। ( एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-91)
उत्तर : हााँ, इसकी रे वलगं लकिी की िनी है। इन इमारिों की छिों को िनाने के वलए पक्की ईटोंं का प्रयोग वकया गया
है।
7. बेररगाज़ा से आयार् और ननयाार् होने िाली चीज़ों की सूची बनाओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक,
पेज-92)
उत्तर : िेररगाज़ा में आयाि होने िाली चीजें- िेररगाजा में र्राि, िााँिा, वटन, सीसा, मंगू ा, पख ु राज, कपिे, सोने और
चााँदी के वसक्कों का आयाि होिा र्था। िेररगाजा से वनयामि होने िाली चीजें-वहमालय की जिी-िवू टयााँ, हार्थी-दााँि
गोमेद, कानीवलयन, सिू ी कपिा, रे र्म िर्था इत्र िेररंगाजा से वनयामि वकए जािे र्थे।
8. दो ऐसी चीजें ििाओ, वजनका उपयोग हिप्पा यगु में नहीं होिा र्था। ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-
92)
उत्तर : हिप्पा यगु में घोिे िर्था रागी (एक प्रकार का अनाज) का प्रयोग नहीं वकया जािा र्था ।
9. व्यापारी वकस चीज़ से इसका विवनमय करिे हैं? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-93 )
उत्तर : व्यापारी नमक से सफे द धान का विवनयम करिे हैं।
10. िे वकस िरह यात्रा कर रहे हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-93)
उत्तर : व्यापारी रे िीले रास्िे पर गावियों से यात्रा कर रहे हैं ।
er

11. मर्थरु ा के लोगों के व्यिसायों की एक सचू ी िनाओ। एक ऐसे व्यिसाय का नाम ििाओ जो हिप्पा में नहीं र्था।
He
r
ma

(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-94)


Ku

उत्तर : मर्थरु ा के लोग मवू िमकार, िनु कर, लोहार, टोकरी िनाने िाले, माला िनाने िाले, इत्र िनाने िाले जैसे व्यिसाय
jay
Vi

में संलग्न र्थे। इत्र िनाने का व्यिसाय हिप्पा यगु में नहीं र्था।
12. उन मवहलाओ ं की सचू ी िनाओ वजन्हें वनरीक्षक वनयक्त ु कर सकिा र्था। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक,
पेज-95)
उत्तर : वजन मवहलाओ ं को वनरीक्षक वनयक्त ु वकया जा सकिा र्था िे इस प्रकार है
• विधिाएाँ • सक्षम-अक्षम मवहलाएाँ • विक्खवु र्यों • िृद्धा िेश्याओ ं • अिकार् प्राप्त दास और दावसयााँ ।
• अिकार् प्राप्त देिदावसयााँ
13. क्या काम करने के दौरान मवहलाओ ं को मवु श्कलें झेलनी पििी र्थीं? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-95)
उत्तर : काम करने के दौरान मवहलाओ ं को िहुि मवु श्कलें झेलनी पििी र्थी और अगर औरि ने अपना काम समय से
परू ा नहीं वकया, िो उसे जमु ामना देना पििा र्था। जमु ामने के रूप में अाँगठू ा िक िी काटा जा सकिा र्था।
14. रोम के सार्थ सिं धं दर्ामने िाले साक्ष्य की सचू ी िनाओ । । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-96)
उत्तर : रोम के सार्थ संिंध दर्ामने िाले साक्ष्य
• िमू ध्य-सागरीय क्षेत्र के एंफोरा जैसे पात्र वमले हैं।
• एरे टाइन’ जैसे महु र लगे लाल-चमकदार ििमन िी वमले हैं।
• रोमन लैंप, र्ीर्े के ििमन िर्था रत्न वमले हैं।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-96)
मानवचत्र 6 (पृष्ठ 84) में रोम को ढूाँढो। यह यरू ोप के सिसे परु ाने र्हरों में से एक है। इसका विकास लगिग । ििी
हुआ, जि गगं ा के मैदान के र्हर िस रहे र्थे। रोम एक िहुि ििे साम्राज्य की राजधानी र्था। यह यरू ोप, उत्तरी अफ्रीका
िर्था पविमी एवर्या िक फै ला साम्राज्य र्था। इसके सिसे महत्त्िपर्ू म र्ासकों में से एक ऑगस्टस ने करीि 2000 साल
पहले र्ासन वकया र्था। उसने कहा र्था वक रोम ईटोंं का र्हर र्था, वजसे मैंने संगमरमर का िनिाया।
ऑगस्टस और उसके िाद के र्ासकों ने कई मवं दर िर्था महल िी िनिाए। ऑगस्टस ने ििे-ििे रंगमंिल
(एवम्फवर्थयेटर) िनिाए। इनमें चारों िरफ दर्मकों के िैठने की सीढीनमु ा जगहें होिी र्थीं। यहााँ लोग विविन्न प्रकार के
कायमिम देख सकिे र्थे। उन्होंने स्नानागार िी िनिाए जहााँ वस्त्रयों िर्था परुु िों के वलए अलग-अलग समय वनधामररि र्थे।
यहााँ लोग एक-दसू रे से वमलिे र्थे, और आराम करिे र्थे। ििे-ििे जलिाही सेिु (एक्िािक्ट) के ज़ररए र्हर के
स्नानागारों, फव्िारों िर्था गसु लखानों के वलए पानी लाया जािा र्था।
ये ििे खल ु े रंगमंिल (एवम्फीवर्थयेटर) और जलिाही सेिु इिने वदनों िक कै से िचे रहे?
उत्तर : रंगमंिल (एवम्फीवर्थयेटर) और जलिाही सेिु िनाने में उत्तम इजं ीवनयररंग िर्था िस्िुओ ं का प्रयोग वकया गया र्था
जो हर मौसमी पररििमन को सहन करने में पर्ू म रूप से सक्षम र्थी वजस कारर् से इनका अवस्ित्ि आज िक कायम है।
er

कलपना करो
He
r
ma

िमु िेररगाज़ा में रहिे हो और पत्तन देखने वनकले हो। िुमको क्या-क्या देखने को वमला?
Ku

उत्तर : िेररगाज़ा की सक ं री खािी में समद्रु से आने िाली नािों को चलाना नाविकों के वलए िहुि मवु श्कल होिा र्था।
jay
Vi

यहााँ कुर्ल और स्र्थानीय मछुआरे ही नाि िर्था जहाजों को पत्तन िक ला पािे र्थे। यहााँ पर र्राि, िााँिा, वटन, सीसा,
मंगू ा, पख
ु राज, कपिे, सोने और चााँदी के वसक्कों का आयाि हो रहा र्था, जिवक वहमालय की जिी-िवू टयााँ, हार्थी
दााँि, गोमेद, कानीवलयन, सिू ी कपिा, रे र्म िर्था इत्र जैसी िस्िओु ं का यहााँ से वनयामि वकया जा रहा र्था।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्र्क से
आओ याद करें
1. खाली जगहों को िरो :
(क) िवमल के ििे िस्ू िामी को ……………………….. कहिे र्थे।
(ख) ग्राम-िोजकों की जमीन पर प्रायः ……………………….. द्वारा खेिी की जािी र्थी।
(ग) िवमल में हलिाहे को ……………………….. कहिे र्थे।
(घ) अवधकांर् गृहपवि ……………………….. िस्ू िामी होिे र्थे।
उत्तर :(क) िेल्लला
(ख) दास और मजदरू ों
(ग) उर्िार
(घ) स्ििंत्र ि छोटे।
2. ग्रार्-भोजकों के कार् बर्ाओ । िे िनक्तिाली क्यों थे ?
उत्तर : ‘ग्राम-िोजक’ के पद पर आमिौर पर गााँि का सिसे ििा ि-ू स्िामी होिा र्था। साधारर्िया इनकी जमीन पर
इनके दास और मजदरू काम करिे र्थे। इसके अविररक्त प्रिािर्ाली होने के कारर् प्रायः राजा िी कर िसल ू ने का काम
इन्हें ही सौंप देिे र्थे। ये न्यायाधीर् का और किी-किी पवु लस का काम िी करिे र्थे।
3. गााँिों िर्था र्हरों दोनों में रहने िाले वर्ल्पकारों की सचू ी िनाओ।
उत्तर : िढई, िनु कर, कुम्हार, सनु ार, मवू िमकार जैसे वर्ल्पकार गााँि ि र्हर दोनों जगह रहिे र्थे।
4. सही जिाब ढूांढो :
(क) िलयकूप का उपयोग
• नहाने के वलए
• कपिे धोने के वलए।
• वसंचाई के वलए
• जल वनकास के वलए वकया जािा र्था।
er

(ख) आहि वसक्के


He
r
ma

• चााँदी
Ku

• सोना
jay
Vi

• वटन
• हार्थी दााँि के िने होिे र्थे।
(ग) मर्थरु ा महत्त्िपर्ू म
• गााँि
• पत्तन
• धावममक कें द्र
• जगं ल क्षेत्र र्था।
(घ) श्रेर्ी
• र्ासकों
• वर्ल्पकारों
• कृ िकों
• पर्पु ालकों का संघ होिा र्था।
उत्तर : (क) 4. जल वनकास के वलए वकया जािा र्था। (ख) 1. चााँदी (ग) 3. धावममक कें द्र (घ) 2. वर्ल्पकारों
5. पष्ठृ 87 पर नदखाए गए लोहे के औजारों र्ें कौन खेर्ी के नलए र्हत्त्िपण ू ा होंगे? अन्य औज़ार नकस कार्
र्ें आर्े होंगे?
उत्तर : खेिी के वलए महत्त्िपूर्म औजार कुल्हािी िर्था हाँवसया र्थे। वकसी िस्िु को विना छुए हुए पकिने के वलए साँिसी
का प्रयोग वकया होगा।
6. अपने िहर की जल ननकास व्यिस्था की र्ुलना र्ुर् उन िहरों की व्यिस्था से करो, नजनके बारे र्ें र्ुर्ने
पढ़ा है। इनर्ें र्ुम्हें क्या-क्या सर्ानर्ाएाँ और अांर्र नदखाई नदए?
उत्तर : हमारे र्हर में जल वनकास व्यिस्र्था को योजनािद्ध िरीके से िनाया गया है। इसी िरह की जल वनकास
व्यिस्र्था को हमारे पढे गए र्हरों में अपनाया गया र्था। ये दोनों व्यिस्र्थाएाँ अनेक प्रकार से समान र्थी, लेवकन इन दोनों
व्यिस्र्थाओ ं में के िल । एक ही अिं र र्था वक हमारी व्यिस्र्था आधवु नक है, जिवक िह व्यिस्र्था प्राचीन । र्थी। प्राचीन
जल वनकास व्यिस्र्था में कीचि, ईटं और फैं स का प्रयोग वकया जािा र्था जो लिं े समय िक काम नहीं कर सकिी र्थी,
लेवकन आज की व्यिस्र्था मजििू चीजों से िैयार की गयी है िर्था लंिे समय िक उपयोग में लाई जा सकिी है।
आओ करके देखें
er
He

7. अगर र्ुर्ने नकसी निलपकार को कार् करर्े हुए देखा है र्ो कुछ िाक्यों र्ें उसका िणान करो। ( सांकेर् :
r
ma
Ku

उन्हें कच्चा र्ाल कहााँ से नर्लर्ा है, नकस र्रह के औजारों का प्रयोग करर्े हैं , र्ैयार र्ाल का क्या होर्ा है,
jay
Vi

आनद)
उत्तर : मैंने िढई वर्ल्पकार को काम करिे देखा है। िह लकिी के रूप में कच्चा वटंिर मावकम ट से खरीदिा है। वटंिर
मावकम ट में लकिी िनों से काटकर लायी जािी है। िह कई प्रकार के औजार; जैस-े लकिी वघसने िाला रंदा, लकिी
काटने िाली आरी, छे द करने िाला, हर्थौिी का प्रयोग करिा है। िैयार माल के रूप में मेज, कुसी, पलंग, दीिान
इत्यावद होिे हैं।
8. अपने िहर या गााँि के लोगों के कायों की एक सच
ू ी बनाओ। र्थरु ा र्ें नकए जाने िाले कायों से ये नकर्ने
सर्ान और नकर्ने नभन्न हैं?
उत्तर : मैं र्हरों के पररिारों में स्त्री और परुु ि दोनों को काम करिे हुए देखिा ह।ाँ वस्त्रयााँ और परुु ि दोनों दफ्िरों और
अन्य स्र्थानों पर काम करिे हैं। मर्थरु ा यािायाि और व्यापार के दो मख्ु य रास्िों पर वस्र्थि र्था िर्था िह एक धावममक कें द्र
िी र्था। मर्थरु ा िेहिरीन मवू िमयााँ िनाने का िी कें द्र र्था ।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 10 व्यापारी , राजा और र्ीथायात्री
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सूचक
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन िथ्यों व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जुिे प्रश्नों के
से अिगि होंगे और पाठ के वनम्न मख्ु य मख्ु य फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
विन्दु समझ जाएंगे :-
• मसालों को काला सोना कहना चचाम कर सकें गे :-
रोम के सार्थ काली वमचम के िदले सोने के
वसक्के लेने का व्यापार ,मसालों को काला • िारि का रोम से व्यापार • श्री सािकर्ी िटों पर वनयंत्रर् क्यों
सोना कहना, नए समद्रु ी मागों की खोज, • रोमन स्िर्म मद्रु ाएाँ िारि में करना चाहिा र्था?
चोल, चेर ि पाण्ि्य : िीन र्ासक • चोल, चेर ि पाण्ि्य र्ासक • चीन से समद्रु के रास्िे िी रे र्म का
पररिारों हेिु मिु ेंदार नामक िवमल र्ब्द वनयामि के िारे में ििाओ ।
• वनयवमि रूप से कर की िजाय
का प्रयोग, इनके द्वारा वनयवमि रूप से कर
उपहार मांगना • राजा वसल्क रूट पर अपना वनयत्रं र्
की िजाय उपहार मांगना, इसके 200 ििम क्यों कायम करना चाहिे र्थे?

er

साििाहन राजिंर् का प्रिाि


He

िाद साििाहन राजिंर् का प्रिाि िढना, • व्यापार िर्था व्यापाररक रास्िों के िारे
r

िढना
ma

700 ििम पिू म चीन में रे र्म की गप्तु खोज ि


Ku

में जानने के वलए इविहासकार वकन-


इसके वनयामि का रे र्म मागम, रेर्म मागम से • पिू म चीन में रे र्म की गप्तु खोज
jay

वकन साक्ष्यों का उपयोग करिे हैं?


Vi

आय ि इस पर कुिार् र्ासकों का • चीनी रे र्म वनयामि का रे र्म


वनयंत्रर् , स्िर्म वसक्के जारी करने िाले • समद्रु के रास्िे रे र्म िेजने में क्या
मागम ि इससे जिु े टकराि
प्रर्थम र्ासक कुिार् र्थे । सवु िधाएाँ और क्या समस्याएाँ आिी
• कुिार् र्ासकों का वनयंत्रर् होंगी?

कुिार् राजा कवनष्क द्वारा िौद्ध धमम का • कवनष्क द्वारा िौद्ध धमम का • ििाओ वक फा-वर्एन अपनी
प्रचार, िद्धु की प्रविमाएाँ िनिाना, प्रचार-प्रसार करिाना पाण्िुवलवपयों और मवू िमयों को क्यों
िोवधसत्ि से साधना, यावत्रयों हेिु गफु ाओ ं • िोवधसत्ि से साधना नहीं फें कना चाहिा र्था
िाले मठों का वनमामर्, चीनी िीर्थमयात्री
• जनकल्यार् के कायम • श्वैन त्सांग नालंदा में क्यों पढना
फा-वर्एन की यात्रा के िाद िंगाल से घर
चाहिा र्था, कारर् ििाओ
िापसी , श्वेन त्सांग की उत्तर पविम ि • श्वेन त्सांग की िारि यात्रा
• कवि सामावजक प्रविष्ठा और िवक्त में
मध्य एवर्या िूमागम से चीन िापसी , • िीर्थमयात्री फा-वर्एन की यात्रा
नालदं ा के प्रवि उसके कर्थन , िवक्त मागम ि वकसको ज्यादा महत्त्ि देिे हैं?
• नालदं ा विश्वविद्यालय
इससे जुिी कवििा, वहन्दू र्ब्द का • िवक्त की प्रमख
ु विर्ेििाएाँ क्या र्थीं?
• पविम एवर्या में ईसाई धमम
इविहास । पविम एवर्या में ईसाई धमम की • वकस रास्िे से ईसाई धमम प्रचारक
उदय गार्था ि इसामसीह के उपदेर् । • िारि में ईसाई धमम का प्रिेर् िारि आए होंगे?
र्लू याांकन ि पाठगर् -प्रश्न
1. क्या िमु ििा सकिी हो वक ये वसक्के िारि कै से और क्यों पहुचाँ े होंगे? (एनसीईआरटी पाठ्यपस्ु िक, पेज-99)
उत्तर : रोम के व्यापारी समद्रु ी जहाज़ों िर्था सिक के रास्िे व्यापार करने के वलए दवक्षर् िारि में आिे र्थे और यहााँ | से
काली वमचम, कीमिी पत्र्थर, सोना िर्था मसाले आवद खरीदने के वलए रोम के वसक्कों का प्रयोग करिे र्थे इस प्रकार रोम
के वसक्के िारि पहुचाँ े।
2. कवििा में उवल्लवखि चीज़ों की एक सचू ी िनाओ। क्या िमु ििा सकिे हो वक इन चीज़ों का उपयोग वकसवलए
वकया जािा होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-100)
उत्तर:- :

er

3. क्या िमु ििा सकिी हो वक श्री सािकर्ी िटों पर वनयंत्रर् क्यों करना चाहिा र्था? (एन०सी०ई०आर०टी०
He
r
ma

पाठ्यपस्ु िक, पेज-101)


Ku
jay

उत्तर : श्री सािकर्ी िटों पर इसवलए वनयंत्रर् करना चाहिा र्था क्योंवक िटों पर विदेर्ी व्यापारी आकर उिरिे र्थे |
Vi

और व्यापाररयों कीमिी उपहार वलए जािे र्थे िर्था िटों के आसपास के इलाकों से िारी र्ल्ु क िसूल वकया जा सकिा
र्था वजसे राज्य की आय िढ सकिी र्थी।
4. वसल्क रूट पर गावियों का उपयोग क्यों कवठन होिा होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-102)
उत्तर : वसल्क रूट पर गावियों का उपयोग इसवलए कवठन होिा होगा क्योंवक ये रास्िे दगु मम पहािी िर्था रे वगस्िानी
इलाके में वस्र्थि र्थे।
5. चीन से समद्रु के रास्िे िी रे र्म का वनयामि होिा र्था । मानवचत्र 6 ( पृष्ठ 84-85 ) में इसे ढूाँढो। सर्ुद्र के रास्र्े रेिर्
भेजने र्ें क्या सुनििाएाँ और क्या सर्स्याएाँ आर्ी होंगी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-102)
उत्तर : समद्रु के रास्िे रे र्म िेजने में दगु मम पहावियााँ ि रे वगस्िानी इलाके को पार करने परे र्ावनयााँ नहीं होिी र्थी, परंिु
समद्रु ी रास्िे में िेज ििाम िर्था समद्रु ी िफ
ू ानी हिाओ ं के कारर् समद्रु ी जहाज के रास्िा िटू कने या िूिने का खिरा रहिा
र्था।
6. िाएाँ : र्थुरा र्ें बनी बुद्ध की एक प्रनर्र्ा का नचत्र। दाएाँ : र्क्षनिला र्ें बनी बुद्ध की प्रनर्र्ा का एक नचत्र।
इन नचत्रों को देखकर बर्ाओ नक इनके बीच क्या-क्या सर्ानर्ाएाँ हैं और क्या-क्या नभन्नर्ाएाँ हैं?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-104)
उत्तर : सर्ानर्ाएाँ
• िगिान िद्ध ु दोनों वचत्रों में अिय मुद्रा में हैं।
• दोनों िगिान िद्ध ु की उके री गई मवू िम के वचत्र हैं।
नभन्नर्ाएाँ
• एक वचत्र में िगिान िद्ध ु िैठे हुए हैं िर्था दसू रे वचत्र में िगिान िद्ध
ु खिे हुए हैं।
• िैठी हुई मवू िम में िगिान िद्ध ु का र्रीर कपिों से ढका हुआ है जिवक खिी हुई मवू िम में िगिान िद्ध ु की पीठ कपिों
से ढकी हुई है।
7. पृष्ठ 100 को एक िार वफर पढो। क्या िमु ििा सकिी हो वक बौद्ध िर्ा इन इलाकों र्ें कै से फै ला होगा?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-105)
उत्तर : पृष्ठ 100 पर श्रीलंका और म्यांमार का िर्मन है। र्ायद यहााँ जो व्यापारी व्यापार करने के वलए आए होंगे। िे
िौद्ध धमम को मानिे होंगे। श्रीलक ं ा और म्यामं ार के लोग व्यापाररयों के विचारों से प्रिाविि हुए होंगे। व्यापाररक सिं धं ों
में िस्िओु ं के आदान-प्रदान के सार्थ-सार्थ विचारों, िािाओ,ं संस्कृ वि सावहत्य, धमम, खान-पान इत्यावद का िी
आदान-प्रदान होिा है इस प्रकार इन इलाकों में िौद्ध धमम फै ला होगा।
8. बर्ाओ नक फा-निएन अपनी पाण्डुनलनपयों और र्नू र्ायों को क्यों नहीं फें कना चाहर्ा था ।
er

(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-106)


He
r
ma

उत्तर : फा-वर्एन िौद्ध धमम का अनयु ायी र्था। उसने पाण्िुवलवपयााँ िर्था मवू िमयााँ अपनी िारि यात्रा के दौरान संकवलि
Ku

की र्थी यह सि उसने काफी मेहनि िर्था कई ििों िक िारि में घमू -घमू कर इकट्ठा वकया र्था वजसे िह | वफर से प्राप्त
jay
Vi

नहीं कर सकिा र्था इसवलए िह पाण्िुवलवपयों और मवू िमयों को नहीं फें कना चाहिा र्था।
9. श्वैन त्साांग नालांदा र्ें क्यों पढ़ना चाहर्ा था, कारण बर्ाओ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-106)
उत्तर : उस समय का सिसे प्रवसद्ध िौद्ध विद्या कें द्र नालंदा में र्था। नालंदा िौद्ध विद्या कें द्र वर्क्षक योग्यिा िर्था िवु द्ध में
सिसे आगे र्थे। िद्ध ु के उपदेर्ों का िह परू ी ईमानदारी से पालन करिे र्थे। परू े वदन िाद-वििाद चलिे | ही रहिे र्थे
वजसमें यिु ा और िृद्ध दोनों ही एक-दसू रे की मद्द करिे र्थे।
10. कनि सार्ानजक प्रनर्ष्ठा और भनक्त र्ें नकसको ज्यादा र्हत्त्ि देर्े हैं ? । (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-108)
उत्तर : कवि सामावजक प्रविष्ठा और िवक्त दोनों में से िवक्त को ज्यादा महत्त्ि देिे र्थे।
11. मानवचत्र 6 ( पृष्ठ 84-85) देखो और पिा लगाओ वक वकस रास्िे से ईसाई धमम प्रचारक िारि आए होंगे?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-109)
उत्तर : ईसाई धमम प्रचारक समुद्री मागम से िारि आए होंगे।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक पेज-109)
करीि 2000 साल पहले पविमी एवर्या में ईसाई धमम का उदय हुआ। ईसा मसीह का जन्म िेर्थलेहम में हुआ, जो उस
समय रोमन साम्राज्य का वहस्सा र्था। ईसा मसीह ने स्ियं को इस संसार को उद्धारक ििाया। उन्होंने दसू रों को प्यार देने
और उसी िरह दसू रों पर विश्वास करने का उपदेर् वदया, वजस िरह हर व्यवक्त दसू रों से प्यार और विश्वास की उम्मीद
करिा है।
िाइविल में ईसा मसीह के उपदेर् की िािें वलखी हैं। यहााँ इसका एक अंर् वदया गया है।
धन्य हैं िे लोग जो धमम और न्याय के वलए िख ू े प्यासे रहिे हैं,
उनकी कामनाएाँ परू ी होंगी।
जो दयालु हैं, िे धन्य हैं, क्योंवक उन्हें दया वमलेगी।
धन्य हैं िे जो वदल से पवित्र हैं,
क्योंवक िे ईश्वर के दर्मन कर सकें गे।
धन्य हैं िे जो र्ावं ि स्र्थावपि करिे हैं,
िही ईश्वर की संिान कहलाएाँगे ।
ईसा मसीह के उपदेर् साधारर् लोगों को िहुि पसंद आए और धीरे -धीरे यह पविमी एवर्या, अफ्रीका िर्था यरू ोप में
फै ल गए। ईसा मसीह की मृत्यु के सौ साल के अदं र ही िारिीय उपमहाद्वीप के पविमी िट पर पहले ईसाई धमम
er

प्रचारक, पविमी एवर्या से आए। के रल के ईसाईयों को ‘वसररयाई ईसाई’ कहा जािा है क्योंवक संििि: िे पविम
He
r
ma

एवर्या से आए र्थे, िे विश्व के सिसे परु ाने ईसाईयों में से हैं।


Ku

प्रश्न-अभ्यास पाठ्यपस्ु र्क से


jay
Vi

आओ याद करें
2. राजा नसलक रूट पर अपना ननयांत्रण क्यों कायर् करना चाहर्े थे?
उत्तर : र्ासक कर के लाि के वलए रे र्म मागम पर वनयंत्रर् करना चाहिे र्थे, क्योंवक इस रास्िे पर यात्रा कर रहे,
व्यापाररयों से उन्हें कर, र्ल्ु क िर्था िोहफों के माध्यम से लाि वमलिा र्था।
3. व्यापार र्था व्यापाररक रास्र्ों के बारे र्ें जानने के नलए इनर्हासकार नकन-नकन साक्ष्यों का उपयोग करर्े हैं?
उत्तर : इविहासकार, व्यापार िर्था व्यापाररक रास्िों के िारे में जानने के वलए ििमनों का उपयोग करिे हैं, ऐसा अनमु ान
लगाया जािा है वक जहााँ ये ििमन िनिे र्थे, िहााँ से व्यापारी अलग-अलग जगहों पर ले गए होंगे।
4. िवक्त की प्रमख ु विर्ेििाएाँ क्या र्थीं?
उत्तर : िवक्त की मुख्य विर्ेििाएाँ हैं|
• वकसी देिी या देििा के प्रवि श्रद्धा को ही िवक्त कहा जािा है। िवक्त का पर्थ सिके वलए खल ु ा र्था, चाहे िह धनी हो
या गरीि, ऊाँ ची जावि का हो या नीची जावि का, स्त्री हो या परुु ि।
• िवक्त मागम अपनाने िाले लोग आिंिर के सार्थ पजू ा-पाठ करने के िजाए ईश्वर के प्रवि लगन और व्यवक्तगि पजू ा पर
जोर देिे र्थे।
• िवक्त परंपरा ने वचत्रकला, वर्ल्पकला और स्र्थापत्य कला के माध्यम से अविव्यवक्त की प्रेरर्ा दी है।
आओ चचाम करें ।
5. चीनी िीर्थमयात्री िारि क्यों आए? कारर् ििाओ।
उत्तर : चीनी िौद्ध िीर्थमयात्री फा-वर्एन, इवत्सग और श्वैन त्सागं िारि की यात्रा पर आए र्थे। िे सि िद्ध ु के जीिन से
जिु ी जगहों और प्रवसद्ध मठों को देखने के वलए आए र्थे इसवलए िे सिसे पहले िद्ध ु के जीिन से जुिी जगहों से
पररवचि हुए। िे प्रवसद्ध मठों को देखने गए। उन्होंने वकिािों और िद्ध ु की मवू िमयों को इकट्ठा वकया। श्वैन त्सांग िर्था
अन्य िीर्थमयावत्रयों ने उस समय के सिसे प्रवसद्ध िौद्ध विद्या कें द्र नालदं ा (विहार) में अध्ययन वकया। यह उस समय का
प्रवसद्ध िौद्ध मठ र्था।
6. साधारर् लोगों का िवक्त के प्रवि आकविमि होने का कौन-सा कारर् होिा है?
उत्तर : साधारर् लोग िवक्त मागम या परंपरा की ओर इसवलए आकविमि हुए, क्योंवक हमारी िैवदक परंपरा िहुि कठोर
र्थी, इसमें जावि ि िगों को ध्यान में रखा जािा र्था। यह कुछ लोगों को ही पजू ा करने की अनमु वि नहीं देिा र्था। िे
मंवदर में िी प्रिेर् नहीं कर सकिे र्थे, लेवकन िवक्त का पर्थ सिके वलए खल ु ा र्था, चाहे िह धनी हो या गरीि, ऊाँ ची
जावि का हो या नीची जावि का, स्त्री हो या परुु ि। । आओ करके देखें
7. िमु िाज़ार से क्या-क्या सामान खरीदिी हो उनकी एक सचू ी िनाओ। ििाओ वक िमु वजस र्हर या गााँि में रहिी
er

हो, िहााँ इनमें से कौन-कौन सी चीजें िनी र्थीं और वकन चीजों को व्यापारी िाहर से लाए र्थे?
He
r
ma

उत्तर : िाजार से खरीदी गई िस्िओ ु ं की सचू ी


Ku

1. कपिे 2. वमट्टी से िनी िस्िएु ाँ 3. चािल 4. जिू े 5. वकिािें


jay
Vi

ऊपर दी गयी िस्िओ ु ं में वकिािें, कपिे िर्था जिू े व्यापाररयों द्वारा िाहर से लाए जािे हैं, जिवक वमट्टी से िनी िस्िएु ाँ ि
चािल र्हर या गााँि में ही उपलब्ध होिे हैं।
8. आज िारि में लोग िहुि िीर्थमयात्राएाँ करिे हैं । उनमें से एक के वििय में पिा करो और एक संवक्षप्त वििरर् दो। (
संकेि : िीर्थमयात्रा में स्त्री, परुु ि या िच्चों में से कौन जा सकिे हैं? इसमें वकिना िक्त लगिा है? लोग वकस िरह यात्रा
करिे हैं? िे अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या ले जािे हैं? िीर्थम स्र्थानों पर पहुचाँ कर िे क्या करिे हैं? क्या िे िावपस आिे
समय कुछ लािे हैं?
उत्तर : लोग िहुि सारे स्र्थानों पर पजू ा (िीर्थमयात्राएाँ) करिे हैं, इनमें से एक स्र्थान हररद्वार है। यह वहदं ओ
ु ं के वलए िहुि
प्रवसद्ध स्र्थान है, यहााँ हर कोई व्यवक्त जा सकिा है। यह लोगों के वलए इसवलए महत्त्िपर्ू म है, क्योंवक यहााँ गंगा नदी
पहािों से वनकलकर मैदानों में प्रिेर् करिी है और लोग इस स्र्थान पर धावममक स्नान कर सकिे हैं। गंगा का उदगम
वहमालय में हुआ है, यहााँ िगिान वर्ि और अन्य देिी-देििाओ ं के िहुि सारे मवं दर हैं। सािन के महीने में लोग यहााँ
उत्साह के सार्थ घूमने आिे हैं और गंगा जल के सार्थ िगिान वर्ि की पजू ा करिे हैं। िे पवित्र गंगा जल लेकर विविन्न
स्र्थानों के वलए पैदल यात्रा करिे हैं।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 11 नए साम्राज्य और राज्य
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सच
ू क
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ
ु ं से जिु े प्रश्नों के उत्तर
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक चचाम कर
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएगं े :-
• प्रर्ावस्ियों का पररचय सकें गे :-
प्रर्ावस्ियों का पररचय, समद्रु गप्तु
की प्रर्वस्ि , समद्रु गप्तु के गुर्ों ि • समद्रु गप्तु के गर्ु ों ि कायों का िर्मन • समद्रु गप्तु की प्रर्वस्ि
कायों का िर्मन, समद्रु गप्तु के विजय • समद्रु गप्तु के विजय अवियान • समद्रु गप्तु के विजय अवियान और
अवियान और उपलवब्धयों को पेज • प्रर्ावस्ियों से िंर्ािवलयों का उपलवब्धयों का िर्मन करना
113 पर वदए मानवचत्र से समझना , पररचय • हिमिधमन ि हिमचररि
प्रर्ावस्ियों से िंर्ािवलयों का • पल्लि , चालक्ु य ि पल
• हिमिधमन ि हिमचररि ु के वर्न वद्विीय
पररचय, हिमिधमन ि की प्रर्वस्ियां
हिमचररि(िार्िट्ट रवचि उसकी • पल्लि , चालक्ु य ि पल ु के वर्न
er

• पल्लिों के अविलेख
He

जीिनी) , पल्लि , चालक्ु य ि वद्विीय की प्रर्वस्ियां


r
ma

• पल • कालीदास की रचना अविज्ञान-


Ku

पल ु के वर्न वद्विीय की प्रर्वस्ियां , ु के वर्न वद्विीय की कायमगार्था


jay

रविकीविम द्वारा पल ु के वर्न वद्विीय • पल्लिों के अविलेख र्ाकंु िलम


Vi

की कायमगार्था ि प्रर्ासन के • प्रर्ासन के िरीके , सेना में पद • फा-वर्एन द्वारा िारि में अछूि माने
िरीके , सेना में पद व्यिस्र्था में व्यिस्र्था में सधु ार जाने िाले लोगों की दगु मवि का िर्मन
सधु ार, एक नए प्रकार की सेना • आयामििम िर्था दवक्षर्ापर्थ के राज्यों के
िनाना, पल्लिों के अविलेखों से • एक नए प्रकार की सेना
सार्थ समद्रु गप्तु के व्यिहार में क्या अंिर
दवक्षर् राज्यों में सिाओ ं का • दवक्षर् राज्यों में सिाओ ं का
र्था ?
पररचय, आम जनिा की वस्र्थवि पररचय
• राजा वकस प्रकार यद्ध ु लििे र्थे?
ििाने िाली कालीदास की रचना • कालीदास की रचना अविज्ञान-
अविज्ञान- र्ाकंु िलम , मछुआरे र्ाकंु िलम • ग्रामिासी राजा के वलए क्या-क्या लेकर
को अंगठू ी वमलने की कर्था, फा- आिे र्थे?
• फा-वर्एन द्वारा िारि में अछूि माने
वर्एन द्वारा िारि में अछूि माने जाने िाले लोगों की दगु मवि का लेख • मानवचत्र में अरि ढूाँढना
जाने िाले लोगों की दगु मवि और • पैगंिर मोहम्मद द्वारा इस्लाम धमम की
राजा की सेना का िर्मन । अरि में • अरि में व्यापार ि मागम
र्रुु आि का िर्मन करना
व्यापार ि मागम , पैगंिर मोहम्मद • पैगिं र मोहम्मद द्वारा इस्लाम धमम
की र्रुु आि • क्या आम आदमी प्रर्वस्ियों को पढकर
द्वारा इस्लाम धमम की र्रुु आि और
समझ सकिे हैं ?
कुरान के पाक उपदेर्ों का िर्मन । • कुरान के पाक उपदेर्
पाठगर् -प्रश्न ि र्लू याांकन
1. यह िर्मन िम्ु हें उस राजा के िारे में क्या ििािा है? राजा वकस प्रकार यद्ध
ु लििे र्थे? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-112)
उत्तर : राजा यद्ध
ु के मैदान में विल्कुल आमने-सामने की लिाई लििे र्थे। िे यद्ध
ु में लिने के वलए गदाओ,ं िलिारों,
िालों िर्था िीरों आवद का िरपरू प्रयोग करिे र्थे।
2. आयामििम िर्था दवक्षर्ापर्थ के राज्यों के सार्थ समद्रु गप्तु के व्यिहार में क्या अंिर र्था? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-113)
उत्तर : समद्रु गप्तु ने आयामििम के र्ासकों को हराकर उनके राज्यों को अपने साम्राज्य में वमला वलया र्था, जिवक
दवक्षर्ापर्थ के र्ासकों ने हार जाने के िाद समुद्रगप्तु के सामने स्ियं समपमर् कर वदया र्था। इसके िाद समुद्रगप्तु ने उन्हें
वफर से र्ासन करने की अनुमवि प्रदान कर दी र्थी। इस अंिर का मख्ु य कारर् यह र्था वक समद्रु गप्तु , आयामििम के
र्ासकों पर वनयंत्रर् रख सकिा र्था, क्योंवक िे उनकी राजधानी के नजदीक र्थे, जिवक दवक्षर्ापर्थ र्ासकों पर उत्तर
er
He

िारि में िैठकर वनयंत्रर् रखना काफी कवठन र्था, क्योंवक िे उसकी राजधानी से दरू र्थे। इसवलए समद्रु गप्तु ने उनको वफर
r
ma
Ku

से र्ासन करने की अनमु वि प्रदान कर दी।


jay
Vi

3. इन उपावधयों को महत्त्ि के वहसाि से सजाओ। राजा, महाराज-अवधराज, महा-राजा।। (एन०सी०ई०आर०टी०


पाठ्यपस्ु िक, पेज-114)
उत्तर : • राजा • महा-राजा • महाराज-अवधराज ।
4. मानवचत्र 8 (पृष्ठ 136) देखो और सचू ी िनाओ वक जि हिमिधमन
(क) िंगाल िर्था (ख) नममदा िक गए होंगे िो आज के वकन-वकन राज्यों से गजु रे होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी०
पाठ्यपस्ु िक, पेज-115)
उत्तर :(क) िंगाल जाने के वलए आज के उत्तर प्रदेर्, विहार िर्था झारखंि राज्यों से गजु रना पिा होगा।
(ख) नममदा िक जाने के वलए उत्तर प्रदेर् िर्था मध्य प्रदेर् राज्यों से गजु रना पिा होगा।
5. िे कौन-से अन्य र्ासक र्थे जो िटों पर अपना वनयंत्रर् करना चाहिे र्थे? । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक,
पेज-116)
उत्तर : चोल, चेर, पािं ् य िर्था साििाहन।
6. सोचकर ििाओ वक अफ़सरों का पद आनिु वं र्क कर देने में क्या-क्या फायदे और क्या-क्या नक
ु सान हो सकिे र्थे?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-117)
उत्तर : लाि- वपिा के कई ििों का अनिु ि पत्रु के काम आिा। पत्रु िी वपिा संरक्षर् रहिे हुए काम को अच्छी | प्रकार
सीख लेिा। यवद वपिा ईमानदार अफसर होिा िो िह िही संस्कार अपने पत्रु को िी देने का प्रयास करिा और पत्रु
अपने वपिा की गररमा को िनाए रखने का प्रयास करिा।
हावन-वकसी साधारर् व्यवक्त को अफसर िनने का अिसर नहीं वमलिा। इस प्रकार व्यवक्त योग्य होिे हुए िी अफसर
नहीं िन पािा और संिि र्था वक एक अयोग्य व्यवक्त अफसर िन जािा है। इस प्रकार पद का दरुु पयोग होिा।
7. आज अगर वकसी गरीि आदमी को कुछ वमलिा है और िह पवु लस में खिर करिा है िो क्या उसके सार्थ इसी िरह
का ििामि वकया जाएगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-118)
उत्तर : हााँ, आज िी गरीि आदमी के सार्थ पवु लस इसी िरह का व्यिहार करिी।
er
He

8. एक प्रवसद्ध व्यवक्त का नाम ििाओ, वजसने प्राकृ ि में उपदेर् वदए और एक राजा का नाम ििाओ, | वजसने प्राकृ ि
r
ma
Ku

में अपने अविलेख वलखिाए। (अध्याय 7 िर्था 8 देखो।) (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-118)
jay
Vi

उत्तर : प्राकृ ि में उपदेर् वदए-िधममान महािीर प्राकृ ि में अविलेख वलखिाए-अर्ोक
9. सेना के सार्थ ले जाई जाने िाली चीजों की सचू ी िनाओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-119)
उत्तर : सेना के सार्थ ले जाए जाने िाले सामान की सचू ी
• हवर्थयार • ििमन • खाने-पीने का सामान • नगािे
10. ग्रामिासी राजा के वलए क्या-क्या लेकर आिे र्थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-119)
उत्तर : ग्रामिासी द्वारा राजा के वलए लाए गए सामान| िे दही, गिु िर्था फूलों का उपहार का उपहार लािे र्थे। िे
जानिरों को चारा िी देिे र्थे।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-120)
मानवचत्र 6 (पृष्ठ 84-85) में अरि ढूाँढो । मरुिवू म होिे हुए िी सवदयों से अरि, यािायाि का एक ििा कें द्र र्था।
दरअसल, अरि व्यापारी िर्था नाविकों ने िारि और यरू ोप (देखो पृष्ठ संख्या 100) के िीच समद्रु ी व्यापार िढाने में
एक महत्त्िपर्ू म िवू मका वनिाई र्थी। अरि में रहने िाले अन्य लोगों में िेदइु न र्थे, जो घमु क्कि किीले होिे र्थे। ये मख्ु य
रूप से ऊाँ टों पर आवश्रि होिे र्थे, क्योंवक यह एक ऐसा मज़ििू जानिर है, जो मरुिवू म में िी स्िस्र्थ रह सकिा है।
लगिग 1400 साल पहले पैगम्िर महु म्मद ने अरि में इस्लाम नामक एक.नए धमम की र्रुु आि की। ईसाई धमम की
िरह इस्लाम ने िी अल्लाह को सिोपरर माना है, उनके िाद सिी को समान माना गया है। यहााँ इस्लाम धमम के पवित्र
ग्रंर्थ कुराने का एक अंर् वदया गया है ।।
“मसु लमान वस्त्रयों और परुु िों के वलए, विश्वास रखने िाले वस्त्रयों और परुु िों के वलए, िक्त वस्त्रयों और परुु िों के वलए,
सच्चे वस्त्रयों और परुु िों के वलए, धैयमिान और वस्र्थर मन के वस्त्रयों और परुु िों के वलए, दान देने िाले वस्त्रयों और परुु िों
के वलए, उपिास रखने िाले वस्त्रयों और परुु िों के वलए, अपनी पवित्रिा िनाए रखने िाले वस्त्रयों और परुु िों के वलए,
अल्लाह को हमेर्ा याद करने िाले वस्त्रयों और परुु िों के वलए-अल्लाह ने इन सि के वलए ही क्षमा और परु स्कार रखा
है।” अगले सौ सालों के दौरान इस्लाम उत्तरी अफ्रीका, स्पेन, ईरान और िारि में फै ल गया। अरि नाविक,
जो इस उपमहाद्वीप की िटीय िवस्ियों से पहले से ही पररवचि र्थे, अि अपने सार्थ इस नए धमम को िी ले आए। अरि
के वसपावहयों ने करीि 1300 साल पहले वसंध (आज के पावकस्िान में) को जीि वलया र्था।
1. िारि और यरू ोप के िीच समद्रु ी व्यापार िढाने में वकसने महत्त्िपर्ू म िवू मका वनिाई र्थी?
उत्तर : अरि व्यापारी िर्था नाविकों ने िारि और यरू ोप के िीच समद्रु ी व्यापार िढाने में महत्त्िपर्ू म िवू मका वनिाई र्थी।
er

2. इस्लाम नामक एक नए धमम की र्रुु आि कि और वकसने की र्थी?


He
r
ma

उत्तर : लगिग 1400 साल पहले पैगम्िर महु म्मद ने अरि में इस्लाम नामक एक नए धमम की र्रुु आि की र्थी। |
Ku

3. इस्लाम धमम अपने र्रुु आि के सौ सालों में वकन-वकन देर्ों में फै ल गया?
jay
Vi

उत्तर : इस्लाम धमम अपने र्रुु आि के सौ सालों में उत्तरी-अफ्रीका, स्पेन, ईरान और िारि में फै ल गया र्था।
देखें मानवचत्र-6 (एन.सी.आर.टी. पाठ्यपस्ु िक पृष्ठ संख्या 84-85)
4. मानवचत्र 6 में उन रास्िों को ढूंढो वजनसे नाविक िर्था वसपाही इस उपमहाद्वीप में आए होंगे?
उत्तर : छात्र अपने अध्यापक की सहायिा से स्ियं करें ।
कल्पना करो
हिमिधमन की सेना अगले हफ्िे िम्ु हारे गााँि आने िाली है। िम्ु हारे मािा-वपिा इसके वलए िैयारी कर रहे हैं। िर्मन करो
वक िे क्या-क्या िोल रहे हैं और क्या कर रहे हैं।
उत्तर : मेरे मािा-वपिा राजा और उसकी सेना के स्िागि की िैयारी कर रहे। िे आपस में िािचीि कर रहे वक
गिु अच्छे िनाना िावक राजा गिु खाकर खुर् हो जािे। वपिाजी मािा से कह रहे वक जिम िक राजा यहााँ रहेंगे िम्ु हें
रोजाना अच्छे से दही िनाना है और फूलों का गल ु दस्िा िनाना है िावक राजा का मन खर् ु हो जाए। अरे हमें िो राजा
के जानिरों के वलए चारे का िी प्रिंध करना है।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्र्क से
आओ याद करें
1. सही या गलि ििाओ :
(क) हररिेर् ने गौिमी पत्रु श्री सािकर्ी की प्रर्ंसा में प्रर्वस्ि वलखी।
(ख) आयामििम के र्ासक समद्रु गप्तु के वलए िेंट लािे र्थे।
(ग) दवक्षर्ापर्थ में िारह र्ासक र्थे।
(घ) गप्तु र्ासकों के वनयंत्रर् में दो महत्त्िपर्ू म कें द्र िक्षवर्ला और मदरु ै र्थे।
(ङ) ऐहोल पल्लिों की राजधानी र्थी।
(च) दवक्षर् िारि में स्र्थानीय सिाएाँ सवदयों िक काम करिी रहीं।
उत्तर : (क) गलि (ख) गलि (ग) सही (घ) गलि (ङ)गलि (च) सही।
2. ऐसे िीन लेखकों के नाम ििाओ, वजन्होंने हिमिधमन के िारे में वलखा।
उत्तर : िार्िट्ट, श्वैन त्सांग और रवि कीविम ऐसे िीन लेखकों के नाम हैं, वजन्होंने हिमिधमन के वििय में वलखा। |
3. इस यगु में सैन्य संगठन में क्या िदलाि आए?
उत्तर : वनम्नवलवखि िदलाि आए
er
He

• राजा एक ससु ंगवठि सेना रखिे र्थे वजसमें हार्थी, रर्थ, घिु सिार और पैदल वसपाही होिे र्थे।
r
ma
Ku

• िे सेनानायक िी रखिे र्थे जो आिश्यकिा पिने पर राजा को सैवनक सहायिा वदया करिे र्थे।
jay
Vi

• इन सेनानायकों को कोई वनयवमि िेिन नहीं वदया जािा र्था। इन्हें िवू म दान वदया जािा र्था। िे दी गई िवू म से कर
िसल
ू करिे र्थे वजससे िे सेना िर्था घोिों की देखिाल करिे र्थे।
• ये सेनानायक सामंि कहलािे र्थे। जहााँ कहीं िी र्ासक दिु मल होिे र्थे ये सामंि स्ििंत्र होने की कोवर्र्, करिे र्थे।
4. इस काल की प्रर्ासवनक व्यिस्र्था में िम्ु हें क्या-क्या नई चीजें वदखिी हैं?
उत्तर : प्रर्ासन की प्रार्थवमक इकाई गााँि होिे र्थे, लेवकन धीरे -धीरे कई िदलाि आए। राजाओ ं ने आवर्थमक, सामावजक,
राजनीविक या सैन्य र्वक्त रखने िाले लोगों का समर्थमन जटु ाने के वलए कई कदम उठाए।
• कुछ महत्त्िपर्ू म प्रर्ासकीय पद आनिु ंवर्क िन गए। वजसका अर्थम है िेटे अपने वपिा का पद पािे र्थे जैसे वक कवि
हररिेर् अपने वपिा की िरह महादिं नायक अर्थामि् मुख्य न्याय अवधकारी र्थे।
• किी-किी एक ही व्यवक्त कई पदों पर कायम करिा र्था जैसे वक हररिेर् एक महादिं नायक होने के सार्थ-सार्थ
कुमारामात्य अर्थामि् एक महत्त्िपर्ू म मंत्री िर्था एक संवध-विग्रवहक अर्थामि् यद्ध
ु और र्ांवि के विियों का िी मंत्री र्था।
• स्र्थानीय प्रर्ासन में प्रमख
ु व्यवक्तयों का िोलिाला र्था। इनमें नगर-श्रेष्ठी यानी मख्ु य िैंकर या र्हर का व्यापारी,
सार्थमिाह यानी व्यापाररयों के कावफले का नेिा, प्रर्थम कुवलक अर्थामि् मख्ु य वर्ल्पकार
िर्था कायस्र्थों यानी वलवपकों के प्रधान जैसे लोग होिे र्थे। आओ चचाम करें ।
5. िम्ु हें क्या लगिा है वक समुद्रगप्तु की िवू मका अदा करने के वलए अरविन्द को क्या-क्या करना पिेगा? ।
उत्तर : अगर अरविन्द राजा समद्रु गप्तु की िवू मका अदा करिा है िो उसे वनम्नवलवखि कायम करना पिेगा
• िह र्ाही िेर्ििू ा में, मंछ
ू ों पर िाि देिे हुए, रूपहले कागज में वलपटी िलिार को र्ान से पकिकर चहलकदमी
करे गा।
• िह राज वसंहासन पर िैठकर िीर्ा िजाएगा और कवििा पाठ िी करे गा।
• िह एक महान योद्धा की िरह कई यद्ध
ु लिेगा और उन युद्धों को उसे जीिना पिेगा।
6. क्या प्रेर्वस्ियों को पढकर आम लोग समझ लेिे होंगे? अपने उत्तर के कारर् ििाओ।
उत्तर : आम लोग प्रर्वस्ियों को पढकर नहीं समझ पािे होंगे, क्योंवक िे संस्कृ ि में होिी र्थी। संस्कृ ि आम लोगों की
er
He

िािा नहीं र्थी। आम आदमी सामान्यिः पढे-वलखे नहीं र्थे इसवलए प्रर्वस्ियों को पढना और समझ जाना उनके वलए
r
ma
Ku

सिं ि नहीं र्था। आओ करके देखें


jay
Vi

7. अगर िम्ु हें अपनी िर् ं ािली िनानी हो, िो िमु उसमें वकन लोगों को र्ावमल करोगे? वकिनी पीवढयों को िमु इसमें
र्ावमल करना चाहोगे? एक चाटम िनाओ और उसे िरो।
उत्तर : अगर मैं अपनी िंर्ािली िनाऊाँ गा िो मैं उसमें िीन पीवढयों को र्ावमल करना पसंद करूंगा। मैं अपने परदादा
से र्रूु करूंगा। उसके िाद उनके िच्चे, यानी के अपने दादा और उनके िाई, अपने दादा के पत्रु यानी अपने वपिा और
िाई, वफर मैं स्ियं अपने िाई को र्ावमल करूंगा।
8. आज यद्ध ु का असर जनसाधारर् पर वकस िरह पििा है?
उत्तर : यद्ध
ु हमारे जीिन में विपवत्तग्रस्ि घटना होिी है। यद्ध
ु सामान्यिः दो देर्ों के िीच में या संयक्त ु रूप से विविन्न
देर्ों के समहू ों के िीच लिा जािा है, जिवक सामान्य लोगों का यद्ध ु के पीछे के मख्ु य उद्देश्य के प्रवि कोई लगाि नहीं
होिा है। िे यद्ध
ु से सिसे ज्यादा प्रिाविि होिे हैं। ििी संख्या में िे लोग यद्ध
ु में मारे जािे हैं। वजनका कोई िी दोि नहीं
होिा हैं। िे अपना जीिन खो देिे हैं। यद्ध ु अपने पीछे वचल्लािे हुए विधिाओ ं और अनार्थों को छोि जािा है। सिी
ससं ाधन नष्ट हो जािे हैं विकास परू ी िरह प्रिाविि हो जािा है वफर से व्यिवस्र्थि होने में िहुि समय लगिा है।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा :छठी निषय : इविहास
पाठ – 12 इर्ारर्ें , नचत्र और नकर्ाबें
रचनात्मक पाठयोजना
पाठ्यचयाा अपेक्षाएाँ निक्षण अनिगर् प्रनिया अनिगर् सूचक
Curriculum Pedagogical Learning
Expectations processes Indicators
इस पाठ के अध्ययन से विद्यार्थी इन व्याख्यान , चचाम ि िीवियो के मख्ु य विद्यार्थी वनम्न विन्दओ ु ं से जुिे प्रश्नों के
िथ्यों से अिगि होंगे और पाठ के फोकस इस िरह होंगे:- उत्तर दे सकें गे और इनके िारे में सार्थमक
वनम्न मख्ु य विन्दु समझ जाएंगे :-
• महरौली वस्र्थि लौह-स्िंि चचाम कर सकें गे :-
1500 ििम प्राचीन महरौली वस्र्थि
लौह-स्िंि विना जंग खिा है, धाि-ु • स्िपू , प्रदवक्षर्ा पर्थ • वििरगािं मंवदर, एहोल दगु म ,
मंजूिा ि स्िपू , प्रदवक्षर्ा पर्थ, • गफ ु ाओ ं में मूविम वचत्र महािवलपरु म के एकावष्मक
गफु ाओ ं में मवू िम वचत्र, मवं दरों में • मवं दरों में गिमगहृ सज्जा मवं दर की विर्ेििा ििाना
गिमगहृ सज्जा, मंवदरों का वर्खर • महरौली वस्र्थि लौह-स्िंि
• वििरगांि मंवदर, एहोल दगु म ,
वनमामर्, वििरगांि मंवदर, एहोल दगु म
ि महािवलपरु म के एकावष्मक मंवदर
महािवलपरु म के एकावष्मक • गफ ु ाओ ं में मवू िम वचत्र
मवं दर की विर्ेििा ििाना • मंवदरों का वर्खर वनमामर्
er
He

की विर्ेििाओ ं को समझना, स्िपू


• अजंिा की गफ
r

ु ा वचत्रकला
ma

ि मवं दर वनमामर् और सज्जा प्रविया • स्िपू वनमामर् की प्रविया


Ku

जानना और अजंिा की वचत्रकला


jay
Vi

िवमल महाकवि की • वसल्प्पावदकारम में मदरु ै के • वसल्प्पावदकारम में क्या िवर्मि है


वसल्प्पावदकारम में मदरु ै के विनार् विनार् की गार्था • प्राचीन िारि की पाण्िुवलवपयााँ
की गार्था का पररचय, िवमल
• मवर्मेखलई की खोई वकस चीज पर िैयार की जािी
महाकाव्य मवर्मेखलई की खोई
पांिुवलवपयााँ 100 ििम पिू म र्थीं?
पािं ु वलवपयााँ 100 ििम पिू म वमलना,
वमलना • मवर्मेखलई की खोई
कालीदास के मेघदिू की रचनाएाँ,
वहन्दू धमम के परु ार् ि महाकाव्य • कालीदास के मेघदिू की पािं ु वलवपयााँ कि वमली र्थी ?
महािारि ि रामायर् , जनगार्थाएाँ , प्रकृ वि - प्रेम रचनाएाँ • कागज का आविष्कार कि
जािक ि पंचिंत्र की कर्थाएाँ,िरहुि • महािारि ि रामायर् वकसने और कहााँ वकया र्था?
स्िपू पर उके री गई िंदर राजा की • आयमिट्ट की रचना • काई लनू ने कागज वकस विवध
कहानी जानना, आयमिट्ट की रचना आयमिट्टीयम से िैयार वकया र्था?
आयमिट्टीयम के ज्ञान िथ्य ि र्न्ू य • चीन में 1900 ििम पिू म काई • महािारि ि रामायर् के िारे में
की खोज, चीन में 1900 ििम पिू म लाँू द्वारा कागज वनमामर् की आप क्या जानिे हैं ?
काई लाँू द्वारा कागज वनमामर् की गप्तु गप्तु खोज
खोज का विश्व में धीरे -धीरे प्रसार । • आयमिट्टीयम ि मेघदिू क्या हैं ?
पाठगर् प्रश्न ि र्लू याांकन
2. क्या िम्ु हें लगिा है वक कावलदास को प्रकृ वि प्रेमी कहा जा सकिा है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-
128)
उत्तर : हााँ, कावलदास को प्रकृ वि प्रेमी कहा जा सकिा है।
3. इस उपमहाद्वीप के विविन्न िागों में महािारि और रामायर् के विन्न-विन्न रूपांिर लोकवप्रय हैं। इनके आधार पर
नाटक, गीि और नृत्य परंपराएाँ िी उिरीं। पिा करो िम्ु हारे राज्य में कौन-सा रूपािं र प्रचवलि है।
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-129)
उत्तर : इसका प्रोजेक्ट विद्यावर्थमयों को वदया जाएगा ।
4. क्या िमु ििा सकिे हो वक इसमें कहानी का कौन-सा वहस्सा वदखाया गया है? यह वहस्सा क्यों चनु ा गया होगा?
(एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-130)
उत्तर : इस कहानी के वचत्र में राजा को अपनी प्रजा के सार्थ आमों का आनंद लेिे वदखाया गया है। वजससे यह संदर् े
वमलिा है वक राजा अपनी प्रजा के सार्थ वमल-जल ु कर रहिा र्था। इसवलए ही इस वहस्से को चनु ा गया है।
5. रोम के वनिासी र्न्ू य का प्रयोग वकए िगैर वगनिी करिे र्थे। उसके िारे में और िी जानकारी हावसल करने की
कोवर्र् करो। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपस्ु िक, पेज-131)
er
He

उत्तर : इसका इन्टरनेट से उत्तर खोजने का अवधन्यास विद्यावर्थमयों को वदया जाएगा ।


r
ma
Ku

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्र्क, पेज-131)


jay

कागज़ आज हमारे रोज़मराम की वज़न्दगी का वहस्सा िन गया है। जो वकिािें हम पढिे हैं िे कागज़ पर छपी होिी हैं ,
Vi

उसी िरह वलखने के वलए िी हम कागज़ का ही उपयोग करिे हैं। कागज का आविष्कार करीि 1900 साल पहले कोई
लनू नाम के व्यवक्त ने चीन में वकया। उसने पौधों के रे र्ों, कपिों, रवस्सयों और पेि की छालों को पीट-पीट कर लगु दी
िनाकर उसे पानी में विगो वदया। वफर उस लुगदी को दिाकर उसका पानी वनचोिा और िि सख ु ा कर कागज़ िनाया।
आज िी हार्थ से कागज़ िनाने के वलए इसी विवध को अपनाया जािा है।
कागज िनाने की िकनीक को सवदयों िक गप्तु रखा गया। करीि 1400 साल पहले यह कोररया िक पहुचाँ ी। | इसके
िरु ं ि िाद ही यह जापान िक फै ल गई। करीि 1800 साल पहले यह िगदाद में पहुचाँ ी। वफर िगदाद से
यह यरू ोप, अफ्रीका और एवर्या के अन्य िागों में फै ली। इस उपमहाद्वीप में िी कागज़ की जानकारी िगदाद से ही
आई।
1. कागज का आविष्कार कि वकसने और कहााँ वकया र्था?
उत्तर : कागज का आविष्कार करीि 1900 साल पहले काई लनु नामक व्यवक्त ने चीन में वकया र्था।
2. काई लनू ने कागज वकस विवध से िैयार वकया र्था?
उत्तर : काई लनू ने पौधों के रे र्ों, कपिों, रवस्सयों और पेि की छालों को पीट-पीट कर लगु दी िनाकर उसे पानी में
विगो वदया, वफर उस लगु दी को दिाकर उसका पानी वनचोिा और िि सख ु ी कर कागज िनाया। आज िी कागज
िनाने के वलए इसी विवध को अपनाया जािा है।
3. प्राचीन िारि की पाण्िुवलवपयााँ वकस चीज पर िैयार की जािी र्थीं? ( सक ं े ि : अध्याय 1)
उत्तर : प्राचीन िारि की पाण्िुवलवपयााँ िािपत्रों अर्थिा वहमालय क्षेत्र में उगने िाले िजू म नामक पेि की छाल से विर्ेि
िरीके से िैयार िोजपत्र पर वलखी जािी र्थीं। कल्पना करो। िमु एक मंवदर के मण्िप में िैठे हो। अपने चारों िरफ़ के
दृश्य का िर्मन करो। उत्तर छात्र स्ियं करें ।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपस्ु िक से
आओ याद करें
1. वनम्नवलवखि का समु ेल करो।

er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

2. खाली जगहों को िरो :


(क) ……………………… एक ििे गर्विज्ञ र्थे।
(ख) . ……………………… में देिी-देििाओ ं की कहावनयााँ वमलिी हैं।
(ग) …………………….. को संस्कृ ि रामायर् का लेखक माना जािा है।
(घ) ……………………… और ……………………… दो िवमल महाकाव्य हैं।
उत्तर : (क) आयमिट्ट (ख) परु ार्ों (ग) िाल्मीकी (घ) वसलप्पवदकारम, मवर्मेखलई।
आओ चचाा करें
3. धािओु ं के प्रयोग पर वजन अध्यायों में चचाम हुई है, उनकी सचू ी िनाओ। धािु से िनी वकन-वकन चीजों के िारे में
चचाम हुई है या उन्हें वदखाया गया है?

4. पृष्ठ 130 पर वलखी कहानी को पढो। वजन राजाओ ं के िारे में िमु ने अध्याय 6 और 11 में पढा है। उनसे यह िंदर
राजा कै से विन्न या समान र्था?
उत्तर : पृष्ठ 130 पर िंदर राजा की कहानी अध्याय 6 और 11 में वदए गए राजाओ ं की िरह है। िंदर राजा िी अन्य
er

र्ासकों की िरह एक विर्ाल सेना रखिा र्था। िह स्ियं िवु द्धमान, कूटनीविज्ञ और िहादरु र्था। िह सही समय पर
He
r
ma

उवचि वनर्मय लेने में समर्थम र्था, जि उसने देखा वक मानि राजा उसके समदु ाय को मार िालना चाहिा है िो िदं रों के
Ku
jay

राजा ने अपनी प्रजा को िचाने की एक योजना िनाई। उसने आम के पेि की टहवनयों को िोिकर उन्हें आपस में
Vi

िााँधकर नदी पर एक पल ु िनाया। इसके एक छोर को िह िि िक पकिे रहा जि िक उसकी सारी प्रजा ने नदी को पार
न कर वलया। िह एक महान राजा र्था, लेवकन वकसी िी रूप से
यह मानि राजा से अलग नहीं र्था।
5. और िी जानकारी इकट्ठी कर वकसी महाकाव्य से एक कहानी सनु ाओ।
उत्तर : हमारे महाकाव्य में िहुि सारी कहावनयााँ हैं, जो हमें प्रिाविि करिी हैं। िे कहावनयााँ आदर्म जीिन के वलए
हमारा मागमदर्मन करिी हैं और हमें वर्क्षा देिी हैं। ऐसे ही महाकाव्य महािारि और रामायर् हैं। ऐसी ही एक कहानी
महािारि महाकाव्य में है, इसमें कौरिों और पांििों के िीच यद्ध ु की कहानी है। दोनों ही पक्ष यद्ध ु जीिने के वलए
अपने-अपने नािे-ररश्िेदारों और अन्य राजाओ ं को अपने सार्थ वमलाना चाहिे र्थे। श्रीकृ ष्र् महान र्वक्तर्ाली और
िगिान की र्वक्तयााँ रखिा र्था। िह दोनों ही पक्षों से संिवं धि र्था। इसवलए दयु ोधन जो कौरिों में सिसे ििे र्थे।
सहायिा मााँगने के वलए पहुचाँ े। ठीक उसी वदन पांििों में से एक अजमनु िी सहायिा मााँगने के वलए कृ ष्र् के पास पहुचाँ े।
श्रीकृ ष्र् उस समय सोये हुए र्थे, दयु ोधन घमंिी र्था, इसवलए िह श्रीकृ ष्र् के वसर की िरफ िैठ गया। अजमनु दयु ोधन के
िाद पहुचाँ े और िह विनम्र िी र्थे इसवलए पैर की वदर्ा में िैठ गए। श्रीकृ ष्र् ने पहले ही घोिर्ा कर रखी र्थी वक जो िी
मेरे पास पहले सहायिा मााँगने आएगा मैं उसका सार्थ दगंू ा। श्रीकृ ष्र्जी जैसे ही नींद से जागे उन्होंने अजमनु को देखा।
उन्होंने कहा वक िह अजमनु का सार्थ देंगे। दयु ोधन ने इसका विरोध वकया और कहा वक मैं पहले सहायिा मााँगने आया
ह।ाँ कृ ष्र् ने कहा वक अगर हम वकसी से िी कुछ प्राप्त करना चाहिे हैं िो इसके वलए हमें विनम्र होना पिेगा। इस प्रकार
दयु ोधन ने श्रीकृ ष्र् के सार्थ को खो वदया। इस कहानी से यह वर्क्षा वमलिी है वक हम वजससे सहायिा की अपेक्षा
करिे हैं उनके सार्थ उदिं िा का व्यिहार नहीं करना चावहए।
आओ करके देखें
6. इमारिों िर्था स्मारकों को अन्य प्रकार से सक्षम व्यवक्तयों (विकलांग) के वलए और अवधक प्रिेर् योग्य कै से िनाया
जाए? इसके वलए सझु ािों की एक सचू ी िनाओ।
उत्तर : इमारिों िर्था स्मारकों में ढलान िाले प्रिेर् द्वार की सवु िधा होनी चावहए।
• इमारिों िर्था स्मारकों में ढलान िाले प्रिेर् द्वार के सार्थ रे वलगं की सवु िधा होनी चावहए िावक पवहए | िाली कुसी
का आसानी से प्रयोग वकया जा सके ।
• इस िरह के व्यवक्तयों के वलए उवचि रोर्नी का प्रिंध होना चावहए िर्था खाली स्र्थान से अलग प्रिेर् द्वार की
व्यिस्र्था होनी चावहए। |
er
He

7. कागज़ के अवधक से अवधक उपयोगों की एक सचू ी िनाओ।


r
ma
Ku

उत्तर : कागज िहुि महत्त्िपर्ू म है। इसका प्रयोग विविन्न रूपों में वकया जािा है। इसके कुछ प्रयोग नीचे वदए गए हैं
jay
Vi

• हम जो वकिाि पढिे हैं िह कागज पर ही छपी होिी है।


• हम वलखने के वलए िी कागज का प्रयोग करिे हैं।
• िस्िओ
ु ं के पैवकट िनाने के वलए िी कागज का प्रयोग होिा है। |
• खेल का सामान जैसे वक िनाने में िी कागज का प्रयोग होिा है।
• कृ वत्रम गल
ु दस्िा िनाने में िी कागज का प्रयोग होिा है।
8. इस अध्याय में ििाए गए स्र्थानों में से िम्ु हें वकसी एक को देखने का मौका वमले िो वकसे चनु ोगे और क्यों?
उत्तर : मैं महरौली (वदल्ली) को देखना पसन्द करूंगा, मैं िहााँ लौह स्ििं देख सकें गा। यह िारिीय वर्ल्पकारों की
कुर्लिा का एक अद्भुि उदाहरर् है । आियम की िाि यह है इिने वदनों के िाद िी इसमें जगं नहीं लगा । इसी पररसर
में कुििु मीनार िी िास्िि में एक महान स्मारक है । मैं महरौली में एक मनोहर स्मारक देख सकाँू गा ।
Vi
jay
Ku
ma
r He
er

You might also like