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प्रागैतिहातिक कालीन इतिहाि की िमझ

तिद्वानों ने इतिहाि को उिके िाक्ष्यों के आधार पर मुख्य रूप िे िीन तहस्िों में तिभातिि तकया है। ये प्रागैतिहातिक
काल, आद्य ऐतिहातिक काल और ऐतिहातिक काल के नाम िे िाने िािे हैं।
प्रागैतिहातिक काल के अंिगगि इतिहाि के उि कालखंड को शातमल तकया िािा है, तििके बारे में िानकारी प्राप्त
करने के तलए हमारे िमक्ष के िल पुरािातविक िाक्ष्य ही उपलब्ध हैं। इिकी िानकारी प्राप्त करने के तलए हमारे पाि
तकिी भी प्रकार के िातहतवयक िाक्ष्य उपतस्िि नहीं हैं। इि आधार पर प्रागैतिहातिक काल के अिं गगि मानि इतिहाि
के आरंभ िे लेकर के हड़प्पा िभ्यिा िे पहले िक का काल शातमल तकया िािा है।
आद्य ऐतिहातिक काल के अिं गगि इतिहाि के उि कालखडं को शातमल तकया िािा है, तििके बारे में िानकारी
प्राप्त करने के तलए हमारे िमक्ष परु ािातविक िाक्ष्य के िाि-िाि िातहतवयक िाक्ष्य भी उपलब्ध हैं, लेतकन उन
िातहतवयक िाक्ष्यों को अभी िक पढा नहीं िा िका है। इि आधार पर आद्य ऐतिहातिक काल के अंिगगि हड़प्पा
िभ्यिा और िैतिक िंस्कृ ति को शातमल तकया िािा है।
ऐतिहातिक काल के अंिगगि इतिहाि के उि कालखंड को शातमल तकया िािा है, तििके बारे में िानकारी प्राप्त
करने के तलए हमारे िमक्ष िातहतवयक और पुरािातविक िोनों ही िाक्ष्य उपलब्ध हैं ििा िातहतवयक िाक्ष्य को पढा
िा चकु ा है और उनके आधार पर उि कालखडं के बारे में िानकारी प्राप्त की िा रही है। इि कालखडं के अंिगगि
िैतिक िभ्यिा के बाि िे लेकर ििगमान काल िक का िपं र्ू ग इतिहाि शातमल तकया िािा है।
प्रागैतिहातिक काल
प्रागैतिहातिक काल को मुख्य रूप िे पाषार् काल के नाम िे िाना िािा है क्योंतक इि काल में पाषार् उपकरर्ों की
प्रधानिा िी। तिद्वानों ने प्रागैतिहातिक काल को पाषार् उपकरर्ों की उपतस्िति के आधार पर िीन खंडों में तिभक्त
तकया है। ये िीन खंड हैं- पुरापाषार् काल, मध्य पाषार् काल और निपाषार् काल।

1. परु ापाषार् काल (25 लाख ईिा पिू ग िे 10,000 ईिा पिू ग) :
इतिहाि के इि कालखंड में मानि एक तशकारी ि खाद्य िंग्राहक के रूप में अपना िीिन व्यिीि करिा िा। इि िौर
में मानि को पशपु ालन ि कृ तष का ज्ञान नहीं िा। इतिहाि के इि िमय में मानि आग िे पररतचि िो िा, लेतकन िह
उिका िमतु चि उपयोग करना नहीं िानिा िा। अपनी गतितितधयों के िचं ालन के तलए मानि इि िौरान अनेक
प्रकार के पाषार् उपकरर्ों का प्रयोग करिा िा। परु ापाषार् काल में भी मनष्ु य अलग-अलग िमय में अलग-अलग
िरह के पाषार् उपकरर्ों का उपयोग कर रहा िा। इन्हीं पाषार् उपकरर्ों के आधार पर इतिहािकारों ने पुरापाषार्
काल को पनु ः िीन काल खंडों में तिभातिि तकया है। ये हैं- तनम्न पुरापाषार् काल, मध्य परु ापाषार् काल और उच्च
परु ापाषार् काल।

1.1 तनम्न परु ापाषार् काल (25 लाख ईिा पूिग िे 1 लाख ईिा पूिग) :
• इि िौरान मानि पाषार् उपकरर्ों का तनमागर् करने के तलए क्िार्गिाइर् पविर का उपयोग करिा िा। इि
िौरान पाषार् उपकरर्ों के तनमागर् के तलए ‘बतर्काश्म’ (Pebble) का उपयोग भी तकया िािा िा।
‘बतर्काश्म’ पविर के ऐिे र्ुकड़े होिे िे, िो पानी के बहाि िे रगड़ खाकर गोल मर्ोल ि िपार् हो िािे िे।
• तनम्न परु ापाषार् काल के िौरान मानि द्वारा प्रयोग में लाए िाने िाले प्रमख
ु पाषार् उपकरर्ों के नाम हस्ि
कुठार, तििारर्ी, खडं क और गंडािा िे। गडं ािा एक ऐिा बतर्काश्म होिा िा, तििके एक िरफ धार लगाई
िािी िी और खंडक एक ऐिा बतर्काश्म में होिा िा, तििके िोनों िरफ धार लगाई िािी िी।
• तनम्न परु ापाषार् काल के प्रमखु स्िलों में ििगमान पातकस्िान में तस्िि िोहन निी घार्ी, कश्मीर, रािस्िान
का िार रे तगस्िान, मध्य प्रिेश की नमगिा निी घार्ी में तस्िि भीमबेर्का, हिनौरा, उत्तर प्रिेश के तमिागपरु
तस्िि बेलन घार्ी, ितमलनाडु में पल्लिरम, अतिरपक्कम, आंध्र प्रिेश में कुरनूल, नागािगनु कोंडा, कनागर्क
में इिामपरु आति शातमल िे।
1.2 मध्य परु ापाषार् काल (1 लाख ईिा पूिग िे 40,000 ईिा पिू ग) :

• इि िौरान मानि पाषार् उपकरर्ों का तनमागर् करने के तलए क्िार्गिाइर् पविर के स्िान पर िैस्पर और चर्ग
नामक पविरों का उपयोग करिा िा। इि िौर में आकर पाििान उपकरर्ों का आकार तनम्न परु ापाषार् काल
की अपेक्षा छोर्ा हो गया िा।
• इि काल में मानि मख्ु य रूप िे िेधनी, फलक िेधक, खरु चनी आति पाषार् उपकरर्ों का उपयोग करिा
ु रूप िे फलक पर आधाररि होिे िे। इि िौरान फलक उपकरर्ों की प्रधानिा तमली है,
िा। ये उपकरर् प्रमख
इिीतलए मध्य परू ापाषार् काल को एच डी िाकं तलया ने ‘फलक िस्ं कृ ति’ की िज्ञं ा िी है।
• महाराष्र तस्िि नेिािा, उत्तर प्रिेश तस्िि चतकया ि तिगं रौली, झारखडं तस्िि तिहं भमू ि पलाम,ू गिु राि
तस्िि िौराष्र क्षेत्र, मध्य प्रिेश तस्िि भीमबेर्का की गफ
ु ाएं, रािस्िान तस्िि बेड़च, कािमली, पष्ु कर क्षेत्र,
िार का रे तगस्िान इवयाति मध्य परु ापाषार् काल िे िंबंतधि प्रमख ु स्िल है।
1.3 उच्च परु ापाषार् काल (40,000 ईिा पिू ग िे 10,000 ईिा पिू ग) :
• उच्च परु ापाषार् काल के िौरान पाषार् उपकरर्ों के तनमागर् के तलए मानि द्वारा िैस्पर, चर्ग, त्लंर् आति
पविरों का उपयोग तकया िािा िा। इि िौरान मनष्ु य द्वारा तनतमगि तकए िाने िाले पाषार् उपकरर्ों का
आकार मध्य परु ापाषार् काल के िौरान तनतमगि पाषार् उपकरर्ों िे और अतधक छोर्ा हो गया िा।
• इि काल में मानि फलक एिं िक्षर्ी पर आधाररि पाषार् उपकरर्ों का अवयतधक तनमागर् करने लगा िा।
आकार में छोर्े होने के कारर् इन पाषार् उपकरर्ों के उपयोग िे मानि की िक्षिा ि गतिशीलिा में िृति हो
गई िी।
• महाराष्र तस्िि इनामगांि ि पर्र्े, आंध्र प्रिेश तस्िि कुरनूल, नागािगनु कोंडा ि रे तनगंर्ु ा, मध्य प्रिेश तस्िि
भीमबेर्का, कनागर्क तस्िि शोरापरु िोआब, रािस्िान तस्िि बढू ा पष्ु कर, उत्तर प्रिेश तस्िि लोहिं ानाला,
बेलन घार्ी इवयाति उच्च परु ापाषार् काल िे िंबतं धि प्रमखु स्िल हैं।

2. मध्य पाषार् काल (10,000 ईिा पिू ग िे 4,000 ईिा पिू ग) :


• मध्य पाषार् शब्ि का प्रयोग ििगप्रिम होडर माइकल िेस्रूप द्वारा तकया गया िा। इि काल में मनष्ु य द्वारा
पशपु ालन की शरुु आि कर िी गई िी। इि िमय िक मनष्ु य द्वारा उपयोग तकए िाने िाले पाषार् उपकरर्ों
का आकार और अतधक छोर्ा हो गया िा।
• गिु राि तस्िि लांघनाि ि रिनपुर, कनागर्क तस्िि िंगर्कल्ल,ू आंध्र प्रिेश तस्िि नागािगनु कोंडा, पतिम
बंगाल तस्िि बीरभानपुर, मध्य प्रिेश तस्िि भीमबेर्का एिं आिमगढ, ितमलनाडु तस्िि र्ेरी िमहू , उत्तर
प्रिेश तस्िि मोरहाना पहाड़, लेखतहया, चौपानीमांडो इवयाति मध्य पाषार् काल िे िंबंतधि प्रमख ु स्िल है।

3. निपाषार् काल (4,000 ईिा पिू ग िे 1,000 ईिा पिू ग) :


• निपाषार् शब्ि का प्रयोग िबिे पहले िॉन लब्ु बॉक द्वारा तकया गया िा। यह काल पररि पररििगन का काल
िा। इि िौरान ही मानि ने िबिे पहले कृ तष की तितधिि िरीके िे शरुु आि की िी।
• इि िौरान मनष्ु य ने तमट्टी के बिगन बनाने के तलए चाक का आतिष्कार कर तलया िा। मनष्ु य इि िमय
घमु क्कड़ िीिन वयाग कर स्िाई िीिन िीने लगा िा। इि िौरान मानि चािल, गेह,ं कपाि, रागी, कुलिी,
िौ इवयाति तितभन्न फिलें उगाने लगा िा।
• इि िौरान मनष्ु य मख्ु यिः छे नी, कुल्हाड़ी, बिल
ू े इवयाति तितभन्न पाषार् उपकरर्ों का इस्िेमाल करिा िा।
इि िौरान िेिी िे हुए पररििगनों के कारर् मनष्ु य का िीिन अपेक्षाकृ ि काफी आिान हो गया िा। इि िौर
िक मनष्ु य ने आग का उपयोग करना भी िीख तलया िा, इिीतलए गाडगन चाइल्ड ने निपाषार् काल को
‘निपाषार् क्ांति’ की िंज्ञा िी है।
इि प्रकार, प्रागैतिहातिक काल के िौरान पविर ही मानि तिकाि को आगे बढाने में िबिे प्रमख ु िाधन तिि हुए िे।
मनष्ु य ने अपनी आिश्यकिाओ ं के तितभन्न कायों को िंपन्न करने के तलए पाषार् उपकरर् को ही आधतु नक बनाया
िा और उन्हीं पाषार् उपकरर्ों ि अन्य परु ािातविक िाक्ष्यों के आधार पर ही आि हम प्रागैतिहातिक काल के
इतिहाि का लेखन कर िकिे हैं। तफर िहााँ िक आईएएि की परीक्षा में इतिहाि के इि खडं िे पछ ू े िाने िाले प्रश्नों
का ििाल है, िो इतिहाि िैकतल्पक तिषय के अलािा इि खंड िे प्रश्न नहीं पूछे िािे हैं। और िैकतल्पक तिषय में
भी इि खंड िे मानतचत्र िे िंबंतधि ििाल ही पूछे िािे हैं। इिीतलए िामान्य अध्ययन की अपेक्षा इतिहाि िैकतल्पक
तिषय िाले अभ्यतिगयों के तलए यह र्ॉतपक अतधक महविपर्ू ग है।
तिधं ु घार्ी िभ्यिा
भारि में तिंधु घार्ी िभ्यिा पहली नगरीय िभ्यिा िी। खिु ाई में प्राप्त हुए अिशेषों िे पिा चलिा है तक तिंधु घार्ी
िभ्यिा के लोगों की िोच अवयंि तिकतिि िी। उन्होंने पक्के मकानों में रहना आरंभ कर तिया िा। चाँतू क इि िभ्यिा
का तिकाि तिंधु निी ि उिकी िहायक नतियों के आि पाि के क्षेत्र में हुआ िा, इिीतलए इिे ‘तिंधु घार्ी िभ्यिा’
का नाम तिया गया है। इि िभ्यिा की खिु ाई िबिे पहले ििगमान पातकस्िान में तस्िि ‘हड़प्पा’ नामक स्िल पर हुई
िी। अिः इिे ‘हड़प्पा िभ्यिा’ भी कहा गया।

तिंधु घार्ी िभ्यिा का काल खंड


तिधं ु घार्ी िभ्यिा के कालखंड के तनधागरर् को लेकर तितभन्न तिद्वानों के बीच गंभीर मिभेि हैं। तिद्वानों ने तिंधु घार्ी
िभ्यिा को िीन चरर्ों में तिभक्त तकया है, ये हैं-

1. प्रारंतभक हड़प्पा िंस्कृ ति अििा प्राक् हड़प्पा िंस्कृ ति : 3200 ईिा पिू ग िे 2600 ईिा पिू ग
2. हड़प्पा िभ्यिा अििा पररपक्ि हड़प्पा िभ्यिा : 2600 ईिा पिू ग िे 1900 ईिा पिू ग
3. उत्तरििी हड़प्पा िस्ं कृ ति अििा परििी हड़प्पा िंस्कृ ति : 1900 ईिा पूिग िे 1300 ईिा पिू ग
तिंधु घार्ी िभ्यिा का क्षेत्रीय तिस्िार

• हड़प्पा िभ्यिा भारि भतू म पर लगभग 13 लाख िगग तकलोमीर्र के क्षेत्रफल में तत्रभिु ाकार स्िरूप में फै ली
हुई िी।
• यह उत्तर में ‘मांडा’ (िम्मू कश्मीर) िक, ितक्षर् में ‘िैमाबाि’ (महाराष्र) िक, पूिग में ‘आलमगीरपरु ’
(उत्तरप्रिेश) िक और पतिम में ‘िवु कागेंडोर’ (पातकस्िान) िक फै ली हुई िी।
• यह िभ्यिा िौराष्र, रािस्िान, हररयार्ा, पतिमी उत्तर प्रिेश इवयाति क्षेत्रों में भी तिस्िृि िी।
तिंधु घार्ी िभ्यिा िे िंबंतधि प्रमख
ु स्िल

1. हड़प्पा :

• यह स्िल ििगमान पातकस्िान के पंिाब प्रांि के मोंर्गोमरी तिले में तस्िि है। यहााँ िबिे पहले उवखनन कायग
तकया गया िा। यह रािी निी के िर् पर तस्िि है।
• िबिे पहले 1826 ईस्िी में एक अंग्रेि पयगर्क चाल्िग मेिन ने हड़प्पा के र्ीले के तिषय में िानकारी िी िी।
इिके बाि हड़प्पा स्िल की तितधिि खिु ाई 1921 ईस्िी में श्री ियाराम िाहनी के नेिवृ ि में आरंभ हुई िी।
• इि स्िल पर आबािी िाले क्षेत्र के ितक्षर्ी भाग में एक कतिस्िान प्राप्त हुआ है, तििे तिद्वानों ने ‘कतिस्िान
एच’ का नाम तिया है।
• हड़प्पा िे हमें एक तिशाल अन्नागार के िाक्ष्य भी तमले हैं। यह तिंधु घार्ी िभ्यिा की खिु ाई में प्राप्त हुई
िमाम िंरचनाओ ं में ििू री िबिे बड़ी िंरचना है। इि अन्नागार में 6-6 की 2 पंतक्तयों में कुल 12 तिशाल
कक्ष तनतमगि पाए गए हैं।
• हड़प्पा िे हमें एक पीिल की इक्का गाड़ी तमली है। इिी स्िल पर स्त्री के गभग िे तनकलिे हुए पौधे िाली एक
मृण्मतू िग भी तमली है।
• िमचू ी हड़प्पा िभ्यिा में हमें िबिे अतधक अतभलेख यक्त ु महु रें यहीं िे ही प्राप्त हुई हैं।

2. मोहनिोिड़ो :
• मोहनिोिड़ो का तिंधी भाषा में शातब्िक अिग होिा है- ‘मृिकों का र्ीला’। यह ििगमान पातकस्िान में तिंध के
लरकाना तिले में तस्िि है। यह स्िल तिधं ु निी के िर् पर तस्िि है। इि स्िल पर उवखनन कायग 1922
ईस्िी में श्री राखाल िाि बनिी के नेिवृ ि में हुआ िा।
• इि स्िल िे हमें एक तिशाल स्नानागार के िाक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहााँ िड़कों का िाल तबछा हुआ िा। यहााँ पर
िड़कें तग्रड प्रारूप में बनी हुई िीं। यहााँ िे तमली िबिे बड़ी इमारि तिशाल अन्नागार है।
• ििागतधक महु रें मोहनिोिड़ो िे प्राप्त हुई हैं। उल्लेखनीय है की हड़प्पा स्िल िे ििागतधक अतभलेख यक्त
ु महु रें
प्राप्त हुई हैं।
• ु अिशेषों में शातमल हैं- कािं े की निगकी की मतू िग, मद्रु ा पर अतं कि पशपु ति नाि
यहााँ िे प्राप्त हुए अन्य प्रमख
की मतू िग, ििू ी कपड़ा, अलक ं ृ ि िाढी िाला पिु ारी, इवयाति।

3. चन्हिड़ो :

• चन्हिड़ो ििगमान में पातकस्िान में तिंधु निी के िर् पर तस्िि है। यहााँ पर उवखनन कायग 1935 ईस्िी में
अनेस्र् मैके के नेिवृ ि में तकया गया िा।
• यहााँ पर शहरीकरर् का अभाि िा। इि स्िल िे तितभन्न प्रकार के मनके , उपकरर्, महु रें इवयाति प्राप्त हुई हैं।
इि आधार पर तिद्वानों द्वारा अनमु ान लगाया िािा है की चन्हिड़ो में मनके तनमागर् का कायग होिा िा।
इिीतलए इि स्िल को तिंधु घार्ी िभ्यिा का औद्योतगक कें द्र भी माना िािा है।
• चन्हिड़ो तिंधु घार्ी िभ्यिा का एक मात्र ऐिा स्िल है, िहााँ िे हमें िक्ाकार ईर्ों के िाक्ष्य प्राप्त होिे हैं।
4. कालीबंगा :
• कालीबगं ा स्िल ििगमान रािस्िान के हनमु ानगढ तिले में तस्िि है। यह प्राचीन ‘िरस्ििी निी’ के िर् पर
तस्िि िा। इि स्िल की खोि 1953 ईस्िी में अमलानंि घोष द्वारा की गई िी।
• कालीबगं ा नामक स्िल िे हमें ििु े हुए खेि, एक िाि िो फिलों की बुिाई, अतनन कंु ड के िाक्ष्य तमले हैं।
यहााँ िे िल तनकािी प्रर्ाली के िाक्ष्य नहीं तमलिे हैं।
• यहााँ िे बेलनाकर महु रों, अलक
ं ृ ि ईर्ोंं के िाक्ष्य तमले हैं।

5. लोिल :
• लोिल ििगमान में गिु राि के अहमिाबाि में भोगिा निी के िर् पर तस्िि है। यह स्िल खंभाि की खाड़ी के
अवयंि तनकर् तस्िि है।
• इि स्िल की खोि 1957 ईस्िी में श्री एि. आर. राि द्वारा की गई िी। तिंधु घार्ी िभ्यिा का यह स्िल
एक प्रमख ु बिं रगाह स्िल िा।
• तिधं ु घार्ी िभ्यिा के इि बिं रगाह स्िल लोिल में एक तिशाल गोिी बाड़ा तमला है।
• लोिल िे धान ि बािरे , िोनों के िाक्ष्य तमलिे हैं। इि बिं रगाह स्िल िे हमें िीन यगु ल िमातधयों के िाक्ष्य
भी प्राप्त होिे हैं।

6. धौलािीरा :
• धौलािीरा ििगमान गिु राि के कच्छ तिले की भचाऊ िहिील में तस्िि है। यह तिंधु घार्ी िभ्यिा कालीन
स्िल मानहर ि मानिर नतियों के पाि तस्िि है।
• धौलािीरा में अन्य तिधं ु घार्ी िभ्यिा कालीन स्िलों के तिपरीि नगर का तिभािन िीन तहस्िों में तमलिा है।
तिंधु घार्ी िभ्यिा कालीन अन्य नगरों का तिभािन िो तहस्िों में तकया गया िा।
• धौलािीरा में हमें बााँध अििा कृ तत्रम िलाशय के िाक्ष्य तमले हैं। इििे यह तिि होिा है तक इि नगर में िल
प्रबंधन की उवकृ ष्ट व्यिस्िा मौििू िी।
इनके अलािा, अन्य स्िलों में राखीगढी, िंघोल, रोपड़, कोर्िीिी इवयाति शातमल हैं।

तिंधु घार्ी िभ्यिा में नगर तनयोिन


• िड़कें िमकोर् पर कार्िी िीं और इि प्रकार िे नगर योिना एक तग्रड प्रारूप अिागि् िाल पिति पर
आधाररि िी।
• तिधं ु घार्ी िभ्यिा में िल तनकािी प्रर्ाली भी अपना तिशेष महवि रखिी है। इि िौरान शहर में नातलयों का
िाल तबछा हुआ िा।
• भिन तनमागर् के तलए पक्की ईर्ोंं का प्रयोग तकया िािा िा। तिधं ु घार्ी िभ्यिा कालीन प्रवयेक घर में एक
रिोई घर और एक स्नानागार होिा िा।
• नगर को िो तहस्िों में तिभातिि तकया िािा िा। एक ‘पतिमी र्ीला’ होिा िा, तििे ‘िगु ग’ कहिे िे, िबतक
ििू रा तहस्िा ‘पिू ी र्ीला’ होिा िा, तििे ‘तनचला नगर’ कहिे िे।

तिंधु िभ्यिा कालीन लोगों की िामातिक तस्िति

• यह िमाि मािृित्तावमक रहा होगा। इतिहािकारों के अनिु ार, िमाि चार िगों में तिभक्त िा- तिद्वान, योिा,
श्रतमक और व्यापारी।
• ये लोग शाकाहार और मााँिाहार, िोनों ही िरह के भोिन का प्रयोग करिे िे। ये ऊनी और ििू ी, िोनों ही
प्रकार के िस्त्रों का उपयोग करिे िे। परुु ष और मतहलाएाँ, िोनों ही आभषू र् पहनिे िे।
• तिधं ु घार्ी िभ्यिा के लोग शांतितप्रय लोग िे। यहााँ िे िलिार, ढाल, तशरस्त्रार्, किच इवयाति के िाक्ष्य
नहीं तमले हैं।

तिंधु िभ्यिा कालीन लोगों की आतिगक तस्िति

• ये लोग तितभन्न कृ तष िस्िुओ,ं िैिे- िौ, चािल, गेह,ाँ मर्र, िरिों, राई, तिल, िरबिू , खिरू इवयाति का
उपयोग करिे िे।
• तिधं ु घार्ी िभ्यिा के स्िलों िे हमें ििु े हुए खेि के िाक्ष्य, एक िाि िो फिलें बोए िाने के िाक्ष्य इवयाति
प्राप्त हुए हैं।
• हड़प्पा िभ्यिा एक कांस्य यगु ीन िभ्यिा िी। कािं ा बनाने के तलए िांबे और तर्न को क्मशः 9:1 के
अनपु ाि में तमलाया िािा िा। हड़प्पा िभ्यिा के लोग लोहे के प्रयोग िे पररतचि नहीं िे और िंभििः उन्हें
िलिार के तिषय में भी िानकारी नहीं िी।
• इि िौरान आंिररक और बाह्य िोनों ही व्यापार िमृि अिस्िा में िे। िमु ेररयन िभ्यिा के लेखों िे ज्ञाि होिा
है तक तििेशों में तिंधु िभ्यिा के व्यापाररयों को मेलुहा के नाम िे िाना िािा िा।
• लोिल नामक तिधं ु घार्ी िभ्यिा कालीन स्िल िे हमें फारि की महु रें प्राप्त होिी हैं ििा कालीबगं ा िे
बेलनाकर महु रें प्राप्त होिी हैं। ये िभी प्रमार् तिधं ु घार्ी िभ्यिा के अिं रागष्रीय व्यापार की ओर इशारा करिे
हैं।
तिंधु घार्ी िभ्यिा का पिन

• तिधं ु घार्ी िभ्यिा का पिन कै िे हुआ, इिके िंबंध में तितभन्न तिद्वानों के अनेक मि हैं। लेतकन उनमें िे
कोई भी मि ििगिम्मति िे स्िीकार नहीं तकया िा िकिा क्योंतक ये िभी मि तिफग अनमु ानों के आधार पर
तिए गए हैं।
• गाडगन चाइल्ड, मॉतर्गमर व्हीलर, तपनगर् महोिय िैिे तिद्वानों ने तिधं ु घार्ी िभ्यिा के पिन का कारर् आयग
आक्मर् को माना िा, लेतकन तितभन्न शोधों के आधार पर अब इि मि का खंडन तकया िा चक ु ा है और
यह तिि तकया िा चक ु ा है तक आयग बाहरी व्यतक्त नहीं िे, बतल्क िे भारि के ही मल ू तनिािी िे। इितलए
आयों के आक्मर् के कारर् तिंधु घार्ी िभ्यिा के पिन के मि को िैध नहीं माना िा िकिा है।
• इिके अलािा, तितभन्न तिद्वान िलिायु पररििगन, बाढ, िख ू ा, प्राकृ तिक आपिा, पाररतस्ितिकी अिंिल
ु न,
प्रशाितनक तशतिलिा इवयाति को तिंधु घार्ी िभ्यिा के पिन के तलए उत्तरिायी कारक मानिे हैं।
िाक्ष्यों िे पिा चलिा है तक तिंधु घार्ी िभ्यिा एक अवयंि तिकतिि िभ्यिा िी, लेतकन अभी िक इि बाि का
कोई िीधा िपार् को उत्तर नहीं तिया िा िकिा है तक आतखर इिका पिन कै िे हुआ होगा। इिके अलािा, तिधं ु
घार्ी िभ्यिा की तचत्रावमक तलतप अभी िक पढी भी नहीं गई है। ऐिे में, िब िक तिधं ु घार्ी िभ्यिा की तलतप नहीं
पढ ली िािी, िब िक इिके अनिल ु झे ििालों का कोई स्पष्ट उत्तर िेना िल्िबािी होगी।
िैतिक यगु | Vedic Age

o िैतिक पाठ िैतिक यगु के पुनतनगमागर् के तलए िचू ना का प्राितमक स्रोि है।
o इि िानकारी को परु ािातविक िामग्री के माध्यम िे परू क तकया गया है। माना िािा है तक िैतिक ग्रंिों की
रचना इडं ो आयों ने की िी।
o इडं ो आयगन्ि इडं ो-यरू ोपीय भाषाओ ं के पररिार की इडं ो ईरानी शाखा के एक िब िमहू का उल्लेख करिे हैं।
o िे खिु को आयग के रूप में ितर्गि करिे हैं िो “आर” िे व्यवु पन्न है तििका अिग है खेिी करना।
o आयों के आगमन की पतु ष्ट करने िाले तितभन्न तििांि हैं:
तििांि अतभधारर्ाएं प्रस्िािना

आयग प्रिािन o यह तििािं एक दृतष्टकोर् िा तक आयग एड्रं ोतमयो o यह िबिे स्िीकृ ि तििािं है
तििांि िंस्कृ ति िे तहिं ू कुश के उत्तर में चले गए और िहां
िे िे भारि पहुचं े।
o इि तििांि को घोड़ों, अतनन िोष, िीतलयों के
पतहये और िाह िंस्कार के प्रमार्ों द्वारा िमतिगि
तकया गया है।

मध्य एतशयाई o यह तििांि मानिा है तक आयग मध्य एतशया और o यह तििांि मैक्िमलू र द्वारा प्रतिपातिि
तििािं यरू े तशयन स्र्ेपी िे चले गए। तकया गया िा।
o िैतिक ग्रंिों और अिेस्िा की अिधारर्ाओ ं के o हाल के अध्ययन “ितक्षर् और मध्य
बीच िमानिा है। एतशया के िीनोतमक गठन” ने इि
दृतष्टकोर् का िमिगन तकया।

यरू ोपीय o यह तििांि यूरोप को आयों की मािृभूतम मानिा o तििािं िर तितलयम िोन्ि द्वारा
तििािं िा। प्रस्िातिि तकया गया िा।
o यह िल ु नावमक भाषाई अध्ययन लैतर्न, िमगन और
िंस्कृ ि पर आधाररि है।

भारिीय o यह तििािं आयों को भारिीय उपमहाद्वीप के तलए o तििािं को डॉ. िपं र्ू ागनिं और एिी
तििांि स्ििेशी मानिा िा। िाि ने प्रतिपातिि तकया िा।
o इिका प्रमार् यज्ञ की पहुचं और ऋनिेि में तमलने
िाले भौगोतलक आंकड़ों िे तमलिा है।

आकग तर्क o तििािं का मानना िा तक उत्तरी आकग तर्क आयों o बाल गगं ाधर तिलक ने प्रतिपातिि
क्षेत्र तििांि की मािृभतू म है क्योंतक उन्होंने 6 महीने के लंबे तिनों तकया िा
और लंबी रािों की बाि की िी।

तिब्बि o यह तिब्बि को आयों का घर मानिा िा o स्िामी ियानन्ि िरस्ििी ने प्रतिपातिि


तििािं तकया।
o िबिे स्िीकृ ि दृतष्टकोर् यह िा तक आयग आप्रिािन की एक श्रृंखला िी।
o प्रारंतभक भारिीय आयग उि भौगोतलक क्षेत्र में रहिे िे िो पिू ी अफगातनस्िान पंिाब और पतिमी उत्तर प्रिेश
के कुछ तहस्िों को किर करिा िा।
o तिधं ु अल्पतिराम तििे तिंधु कहा िािा है, को आयों की मािृभतू म माना िािा है।
o एक और निी तििका उल्लेख तमलिा है िह है िरस्ििी िो अब रािस्िान की रे ि में खो गई है।
o तिि क्षेत्र में आयग िबिे पहले भारि में बिे, उिे िाि नतियों की भूतम कहा िािा है।

िैतिक यगु का भगू ोल | Geography of the Vedic Age

प्रारंतभक िैतिक काल | Early Vedic period

o प्रारंतभक आयग तिंधु और उिकी िहायक नतियों के आिपाि और आिपाि के क्षेत्रों में तस्िि िे।
o इि क्षेत्र को िप्त-तिंधु क्षेत्र (िाि नतियों की भतू म) के रूप में िाना िािा है।
o इिके अलािा यह खोई हुई िरस्ििी निी के आिपाि फै ली हुई है, िो क्षेत्र रािस्िान में ििगमान घनगर निी
द्वारा िशागया गया है।
o इि चरर् में िमद्रु का कोई ििं भग नहीं िा।
o तहमालय और गंगा के बारे में कोई उल्लेख नहीं तकया गया िा।
!
उत्तर िैतिक काल | Post Vedic period

o बाि के काल में, आयग आग और लोहे के औिारों की मिि िे पिू ी क्षेत्रों में चले गए।
o उनके द्वारा बिाए गए क्षेत्र में गरुु पांचाल क्षेत्र (इडं ो-गंगा तिभातिि और ऊपरी गंगा घार्ी) शातमल िे।
o इि चरर् के िौरान, उन्होंने पिू ी और पतिमी िमद्रु , यानी अरब िागर और तहिं महािागर और नमगिा और
तिध्ं य पहाड़ों का भी ज्ञान प्राप्त तकया।

िैतिक यगु की रािनीतिक िंरचना | Political Structure of the Vedic Age

o प्रारंतभक िैतिक िमाि एक अधग खानाबिोश आतििािी िमाि िा तििमें िेहािी अिगव्यिस्िा िी।
o यहााँ कबीले को िन कहा िािा िा और कबीलाई मतु खया को रािन, गोपति या गोपा कहा िािा िा।
o रानी को मतहषी कहा िािा िा।

प्रारंतभक िैतिक युग का प्रशािन | Administration of the Early Vedic Age

o रािशाही के उिाहरर् िे लेतकन प्रमख


ु का पि िंशानगु ि नहीं िा।
o मतु खया को गोपति या गोप कहा िािा िा।
o िेिवि का कोई तििांि रािशाही िे िड़ु ा नहीं िा।
o आतििािी िभा द्वारा चनु ाि के उिाहरर् हैं तििे ितमति कहा िािा िा।
o िन की ओर िे भगिान को प्रािगना करने के िाि-िाि िश्ु मनों िे िन और मिेतशयों की रक्षा के तलए रािन
तिम्मेिार िा।
o िन अक्िर पतर्यों िे लड़िे िे िो िन के मिेतशयों को िंगल में तछपािे िे। अपने मिेतशयों को िापि पाने
के तलए िैतिक भगिान इद्रं का आह्वान तकया गया िा और गतिष्ठी िैिे यि ु लड़े गए िे।
o रािन को िभा, ितमति, तिधािा, गर् िैिे लोकतप्रय तनकायों द्वारा िहायिा प्रिान की गई िी।
o िभा में कुछ प्रमख ु िे िबतक ितमति एक बड़ा तनकाय िा। तिधािा शरीर में िबिे प्राचीन िी।
o तिि स्िान पर मिेतशयों को रखा िािा िा उिे “गौन” कहा िािा िा और गायों की खोि को गतिष्ठी कहा
िािा िा।
o प्रारंतभक िैतिक िमाि में तपिृिश ं ीय व्यिस्िा िी।
o पररिार के मतु खया को कुला कहा िािा िा।
o ररग िोिाइर्ी के प्रशािन में शातमल िे –
o परु ोतहि : िह उनकी कमगकाडं िेिाओ ं को करने िे िंबतं धि िा और उिे ितक्षर्ा और िान प्राप्त हुआ।
o िेनानी : िह िेना के नेिा िे।
o व्रिपति : उनका िरोकार क्षेत्र को तनयंतत्रि करने िे िा।
o ग्रातमर्ी : ग्रातमर्ी गााँि की नेिा और यि ु इकाई िी।
o िन को आगे तिि में तिभातिि तकया गया िा और यह बिले में कई कुल या कुर्ुम्ब में तिभातिि हो गया
िा।
o कुर्ुम्ब की इकाई के रूप में “गृह” और इिके प्रमख ु के रूप में कुलपा िे, िबतक गृह का नेिवृ ि गृहपति करिे
िे।
o कुलों के िमहू ने एक चना बनाया और चने का नेिवृ ि एक ग्रातमर्ी ने तकया।

उत्तर िैतिक यगु का प्रशािन | Administration of the Later Vedic Age

o उत्तर िैतिक काल में, िन िनपिों में तिकतिि हुए।


o क्षेत्र के तलए इन िनपिों के बीच बार-बार यि
ु होिे िे।
o इि चरर् के िौरान, रािन का अतधकार अतधक स्पष्ट हो गया और उिे रितनन नामक एक िहायक कमगचारी
द्वारा िमतिगि तकया गया, िो रािा के 12 रवन िे।
o यहााँ, मतु खया िंशानगु ि हो गया।
o स्िायी िेना की मौििू गी नहीं िी।
o रािियू , िािपेयी, अश्वमेध िैिे तितभन्न बतलिान रािन द्वारा िभी तिशाओ ं के शािक बनने के तलए तकए
गए िे।
o रािन ने िम्रार्, एकरि और तिरार् िैिी उपातधयााँ धारर् कीं।
o राष्र शब्ि तििने क्षेत्र को इतं गि तकया, इि अितध में पहली बार तिखाई तिया।
o िभा और ितमति िैिी िभाओ ं पर तनभगरिा कम कर िी गई। इि चरर् में तिधािा परू ी िरह िे गायब हो गई।
o मतहलाओ ं को अब इन िभाओ ं में शातमल होने की अनमु ति नहीं िी।

िैतिक यगु की अिगव्यिस्िा | Economy of the Vedic Age

प्रारंतभक िैतिक काल | Early Vedic period


o इस काल में समाज पशच ु ारक था और कृषि लोगों का षितीयक व्यवसाय था।
o मुख्य धन मवेशी थे।
o कृषि के वल उपभोग के उद्देश्य से की जाती थी। लकडी के हल के फाल और ऋग्वेद का उल्लेख
षमलता है।
o अनाज का सबसे आम नाम यव था।
o बाली षनमााताओ ं की ओर से राजन को एक स्वैषछिक उपहार था।
o कोई कर नहीं लगाया गया था और न ही कोई खजाना रखा गया था।
o मुद्रा या षसक्कों का कोई उल्लेख नहीं है, हालांषक षनषशका नामक एक सोने के टुकडे का उल्लेख
षमलता है।
o इस काल में वस्तु षवषनमय प्रणाली प्रचषलत थी और षवषनमय का सबसे पसंदीदा माध्यम गाय थी।
o तांबे के औजार पंजाब और हररयाणा राज्यों से प्राप्त होते हैं। लोहा उन्हें ज्ञात नहीं था।
o षकसी भी धातु के षलए प्रयुक्त होने वाला सबसे सामान्य नाम अयस था।
o प्रारंषभक वैषदक काल के जीवन में घोडों ने महत्वपूणा भूषमका षनभाई।
o प्रचषलत आषथाक गषतषवषधयााँ षशकार, बढ़ईगीरी, बुनाई, धातु गलाने आषद थीं।

उत्तर िैतिक काल | Later Vedic Period


o कई फिलों की कृ तष शरू ु हुई और पशपु ालन िारी रहा। इिने खानाबिोश प्रकृ ति पर एक िीमा लगा िी।
o गेहं िैिी फिलें िौ चािल मगंू उड़ि िहां खेिी की िािी है
o इि काल में लोहे की खोि की गई िी और कृ तष उद्देश्यों के तलए िंगल को िाफ करने के तलए आग का
उपयोग तकया िािा िा
o एक बढा हुआ अतधशेष िा तििके कारर् रािा के खिाने में बाली और भग िैिे पारंपररक योगिान िे।
o कोषाध्यक्ष को िमग्रीत्री और भगिखु ा कहा िािा िा िो कर ििल ू करिे िे।
o तितभन्न कलाओ ं और तशल्पों िैिे तक बढईगीरी को गलाना, आभषू र् बनाना, मरना, तमट्टी के बिगन बनाना
भी इि अितध में उल्लेतखि हैं।

िैतिक यगु का िामातिक िीिन | Social Life of the Vedic Age

प्रारंतभक िैतिक काल | Early Vedic period

िमाि का तिभािन | Division of the society


o िमाि आयों में तिभातिि िा और गैर आयग पर्ू ग तिराम गैर क्षेत्रों को िाि और िस्यु कहा िािा िा। आयग
िािों के प्रति नरम और िस्यओ
ु ं के प्रति शत्रिु ापर्ू ग िे।
o िमाि कबीले की दृतष्ट िे तिभातिि िा।
o यहां िक तक रािन और पुरोतहि भी कबीले नेर्िकग का तहस्िा िे

िर्ग व्यिस्िा | Varna System

o िर्ग िैतिक और अिैतिक लोगों के बीच भेिभाि का आधार िा।


o इितलए ऋनिैतिक िमाि को परू ी िरह िे िमिािािी िमाि नहीं कहा िा िकिा क्योंतक िामातिक
स्िरीकरर् श्रम और तलंग के तिभािन पर आधाररि िा।
o हालााँतक इि काल में चार गनु ा िर्ग व्यिस्िा और कठोर िाति व्यिस्िा परू ी िरह िे तिकतिि नहीं हुई िी।
o ऋनिैतिक लोग िाि प्रिा िे पररतचि िे। इन िािों का उपयोग घरे लू उद्देश्यों के तलए तकया िािा िा न तक
कृ तष के तलए।

िामातिक गतिशीलिा | Social Mobility


o इि अितध के िौरान, गतिशीलिा के उिाहरर् िे िहां लोग अपना पेशा बिल िकिे िे। इि प्रकार, िख्ि
िामातिक पिानक्
ु म का अभाि िा।

मतहलाओ ं की तस्िति | Status of women


o मतहला ने महविपर्ू ग पिों पर कायग तकया और तशतक्षि िीं।
o उनकी तिधानिभा िभा और ितमति िक पहुचं िी।
o मतहलाओ ं को िा अपना पति चनु ने का अतधकार िा।
o ििी या पिाग प्रिा का कोई प्रचलन नहीं िा

तििाह िस्ं िा | Institution of Marriage


o प्रारंतभक िैतिक लोग एकांगी तििाह का अभ्याि करिे िे हालांतक बहुतििाह और बहुपतिवि िैिी प्रिाएं भी
मौििू िीं।
o लेतिरे र् (पति की मृवयु पर छोर्े भाई िे तििाह करने की प्रिा) भी तिद्यमान िी।
o तनयोग तििाह (यह तिधिा तििाह का एक प्रकार िा तििमें तनःिंिान तिधिा को अस्िायी रूप िे पति के
भाई िे बच्चे पैिा करने के तलए तििाह तकया िािा िा)।

उत्तर िैतिक काल | Later Vedic Period

िमाि का तिभािन | Division of the Society

o िमाि को िाति व्यिस्िा के आधार पर िमाि के 4 गनु ा तिभािन के रूप में तिभातिि तकया गया िा।
o िाति बतहतिगिाह और कठोर िामातिक पिानक् ु म की प्रिाएं तिकतिि हुई।ं
o यज्ञों की प्रिा में िृति हुई तिििे िाह्मर्ों की शतक्त में िृति हुई।

o
िर्ग व्यिस्िा | Varna System
o इि काल में िर्ग व्यिस्िा अतधक तितशष्ट हो गई
o यह व्यिस्िा िन्म के आधार पर अतधक और व्याििातयक दृतष्ट िे कम होिी गई।
o िर्ागश्रम धमग िमाि ने िीिन के चार चरर्ों को प्रितशगि तकया।

िामातिक गतिशीलिा | Social Mobility


o इि अितध में गतिशीलिा के उिाहरर् प्रतिबंतधि िे।

मतहलाओ ं की तस्िति | Status of women


o मतहलाओ ं को घर के कामों और अधीनस्ि तस्िति िक िीतमि कर तिया गया िा।
o उन्हें िभा और ितमति िैिी िािगितनक िभाओ ं में भाग लेने की अनमु ति नहीं िी
o ििी प्रिा और पिाग के उिाहरर् िे।
o हालांतक, मतहलाओ ं की अपमानिनक तस्िति के बािििू गागी, मैत्री और कावयायनी िैिे तिद्वान िे।

तििाह िंस्िा | Institution of Marriage


o इि काल में बाल तििाह अतधक प्रमख ु हो गया।
o गोत्र की व्यिस्िा िंस्िागि िी।
o एक ही गोत्र के व्यतक्त के बीच तििाह तनतषि िा
o एक ही गोत्र की मतहलाओ ं िे तििाह करने िाले परुु षों के तलए चद्रं यान िपस्या का उल्लेख है।

िैतिक यगु का धमग | Religion of the Vedic Age

प्रारंतभक िैतिक काल | Early Vedic period


o मंतिर या मतू िग पिू ा के कोई उिाहरर् नहीं िे।
o लोग आतिम िीििाि का अभ्याि करिे हैं। िे हिा, बाररश और पानी िैिी प्रकृ ति की शतक्तयों की पिू ा
करिे िे।
o प्रिा और पाशु के तलए िरल, लघु और कम कमगकांडीय पिू ा और यज्ञ का अभ्याि तकया िािा िा। पिू ा
का मख्ु य उद्देश्य िनिख्ं या में िृति करना िा, नर बच्चे के पशु पतक्षयों की रक्षा करना और बीमाररयों िे
बचाि करना िा
o अनष्ठु ान स्ियं पररिार द्वारा तकया िािा िा और तकिी भी पिु ारी की उपतस्िति नहीं होिी िी।
o मंत्रों का िाप अनष्ठु ान का एक महविपर्ू ग तहस्िा िा। प्रमख
ु नर िेििा इि प्रकार िे :
o िज्र के िेििा इद्र

o अतनन िेि अतनन

o िल के िेििा िरुर्

o पौधों के िेििा िोम

o यम मृवयु के िेििा

o िंगल भागों और मिेतशयों के िेििा पष ू ान


o तिष्र्ु परोपकारी भगिान

o अतश्वनी यि ु और उिगरिा के िेििा


o प्रमखु िेतियााँ इि प्रकार िीं ;
o िातित्री िौर िेििा

o अनंि काल की अतिति िेिी

o पृथ्िी की िेिी

o मृवयु की िेिी Nirrti

o भोर की उषा िेिी

उत्तर िैतिक काल | Later Vedic Period


o इि काल में मतू िग पिू ा प्रमुख हो गई।
o बतलिान अतधक तिस्िृि और महविपर्ू ग हो गए।
o िािू और शगनु ने िामातिक धातमगक िीिन में प्रिेश तकया।
o िाह्मर्ों ने महवि प्राप्त तकया और अपना िचगस्ि बनाए रखा
o प्रमख
ु ों और उनके क्षेत्र पर अतधकार स्िातपि करने के तलए अश्वमेध िैिे यज्ञों का बड़े पैमाने पर प्रिशगन हुआ
o प्रमख
ु नर िेििा इि प्रकार िे :
o इद्र
ं और अतनन ने खो तिया महवि
o िृतष्ट के िेििा प्रिापति हुए ििोच्च

o िेििाओ ं के िगग में तिभािन िा। पशओ ु ं के िेििा पषू न शद्रू ों के िेििा बने।

िैतिक िातहवय | Vedic Literature

िैतिक ग्रंिों को िो भागों में िगीकृ ि तकया गया है, श्रतु ि और स्मृति।
श्रतु ि | Shruti
o श्रतु ि िह पाठ है तििे िनु ा िािा है या िब िे ध्यान में िे िब ऋतषयों के तलए ईश्वरीय रहस्योद्घार्न का एक
उवपाि है।
o श्रतु ि में चार िेि और िंतहिा शातमल हैं।

स्मृति | Smriti
o स्मृति िे हैं िो िामान्य मनष्ु यों द्वारा याि की िािी हैं।
o स्मृति में 6 िेिांग, चार उपिेि और िेिों पर भाष्य शातमल हैं
o बेहिर िमझ के तलए स्ििेशी आिं ोलन के बारे में तिस्िार िे िानें।

िेि | Vedas
ऋनिेि | Rigveda
o ऋनिेि िबिे परु ाना िेि है और भारि में प्रारंतभक िैतिक लोगों के िीिन को िशागिा है।
o इिके पाठ में 1028 भिन हैं, तिन्हें बाि में 10 मंडलों में तिभातिि तकया गया है।
o मंडल 2-7 ऋनिेि ितमति का िबिे पुराना तहस्िा हैं और उन्हें पाररिाररक पस्ु िकें कहा िािा है क्योंतक िे
ऋतषयों के पररिारों को तनधागररि करिे हैं।
o मंडला 8 में तितभन्न िेििाओ ं को िमतपगि भिन हैं।
o ऋनिेि का उपिेि आयिु ेि है।
o ऋनिेि िे िड़ु ा िाह्मर् ऐिरय है।

िामिेि | Samaveda
o िामिेि ऋनिेि िे तलए गए छंिों का िंग्रह है
o इिमें प्रतिि ध्रपु ि राग शातमल है तििे निीनिम िानिे द्वारा गाया गया िा
o इिका उपिेि है गंधिग िेि
o इििे िड़ु ा िाह्मर् ििातिंश है।

यििु ेि | Yajurveda
o यह बतलिानों के प्रिशगन की प्रतक्या िे िंबंतधि है
o इिे आगे शक्ु ल यििु ेि और कृ ष्र् यििु ेि में तिभातिि तकया गया है
o शक्ु ल यििु ेि : इिमें के िल मंत्र हैं। इिमें मध्यातिना और पनु राििगन शातमल हैं।
o कृ ष्र् यििु ेि : इिमें मंत्रों के िाि-िाि गद्य की व्याख्या और भाष्य भी शातमल हैं
o यििु ेि का उपिेि धनुर िेि है।
o इििे िड़ु ा िाह्मर् गोपि है।

अििगिेि | Atharvaveda

o अििगिेि अन्य िीन िेिों िे अलग है क्योंतक यह बरु ी आवमाओ,ं खिरे , मत्रं ों, भिनों, प्रािगनाओ,ं शातियों
और अंवयेतष्ट को िरू करने के तलए उपयोग तकए िाने िाले िैतनक िािू मंत्रों पर कें तद्रि है।
o अििग नाम पिु ारी अििगन िे आया है, िो एक धातमगक प्रिगिक और उपचारक िे।
o अििगिेि की रचना बाि में हुई है।
o इि िेि के 20 अध्यायों में 5687 मन्त्र हैं।

िेिागं | Vedangas

िेिागं का शातब्िक अिग है “िेिों का अगं ”। उन्हें मानि मल


ू का माना िािा है और ित्रू ों के रूप में तलखा िािा है।
छह िेिागं इि प्रकार हैं:
o तशक्षा (फोनेतर्क्ि)
o कल्पा (अनष्ठु ान तिज्ञान)
o ज्योतिष (खगोल तिज्ञान)
o व्याकरर् (व्याकरर्)
o तनरुक्त (व्यवु पतत्त)
o छंिा (मेतरक्ि)

उपतनषि | Upanishads
o िे उि ज्ञान का िंकेि िेिे हैं िो तशक्षक के पाि बैठकर प्राप्त तकया गया िा
o इन्हें िेिािं ी के नाम िे भी िाना िािा है।
o 108 उपतनषि हैं तिनमें िे 13 िबिे प्रमख ु हैं।
o उन्होंने आवमा और िाह्मर् की अिधारर्ा पेश की।
o उनके अनिु ार िाह्मर् िह्मांड का मल ू िवि है और एक अपररििगनीय तनरपेक्ष ित्ता है।
o उपतनषि मख्ु य रूप िे प्रकृ ति में िाशगतनक हैं और उच्चिम ज्ञान की बाि करिे हैं।
o िवयमेि ियिे मंडु क उपतनषि िे तलया गया है।
o छािं ोनय उपतनषि पहले िीन आश्रमों को ििं तभगि करिा है और तििाह के रूपों पर चचाग करिा है।

परु ार् | Puranas

o शब्ि का शातब्िक अिग है प्राचीन या ठंडा।


o माना िािा है तक पुरार्ों की रचना िेि व्याि ने की िी।
o िे 5िीं और 6िीं शिाब्िी के आिपाि हुए धातमगक तिकाि िे िंबंतधि तितभन्न तिषयों का इलाि करिे हैं।
o परु ार् 18 महापरु ार् और अनेक उपपरु ार्ों में तिभातिि हैं
o उन्हें उत्तर िैतिक ग्रंि माना िािा है।
o इिमें चार यगु ों की अितध में पांच तिषयों पर चचाग की गई है। िे हैं:
o िरगा – िह्मांड की प्राितमक रचना।
o प्रतििगग – मनोरंिन, तिनाश के बाि माध्यतमक रचना।
o मन्िंिर – तितभन्न मनओ ु ं के राज्य।
o िंश – िेििाओ ं और ऋतषयों की िंशािली।
o िश ं ानचु ररि (शाही िश ं ) – िौर (ियू गिश
ं ी) और चद्रं (चद्रं िश
ं ी) राििश
ं ों का इतिहाि।
धमगशास्त्र | Dharmashastra

o धमग शास्त्र नैतिकिा और धातमगक किगव्य के बारे में पाठ हैं।


o धमगशास्त्र धमग, अिग, काम और मोक्ष िैिे परुु षशास्त्र की पतू िग को िंितभगि करिा है।
o िे धमग ित्रू और स्मृति में तिभातिि हैं।

बौि धमग और िैन धमग

1) उवपतवि के कारर्

• ु , िोनों क्षतत्रय
िाह्मर् नामक परु ोतहि िगग के प्रभवु ि के तिरुि क्षतत्रयों की प्रतितक्या। महािीर और गौिम बि
कुल के िे।
• िैतिक बतलिानों और खाद्य पिािों के तलए मिेतशयों की अधं ाधधंु हवयाओ ं ने नई ं कृ तष अिगव्यिस्िा को
अतस्िर कर तिया, िो खेिी करने के तलए मिेतशयों पर तनभगर िी। बौि धमग एिं िैन धमग िोनों इि हवया के
तिरुि खड़े हो गए िे।
• पंच तचतन्हि तिक्कों के प्रचलन और व्यापार एिं िातर्ज्य में िृति के िाि शहरों के तिकाि ने िैश्यों के महवि
को बढािा तिया, िो अपनी तस्िति में िधु ार करने के तलए एक नए धमग की िलाश में िे। िैन धमग एिं बैि धमग
ने उनकी िरूरिों को िल ु झानें में िहायिा की।
• नए प्रकार की िपं तवि िे िामातिक अिमानिाएं पैिा हो गई ंऔर आम लोग अपने िीिन के प्रारंतभक स्िरूप
में िाना चाहिे िे।
• िैतिक धमग की ितर्लिा और अध: पिन में िृति हुई।
2) िैन धमग और बौि धमग और िैतिक धमग के बीच अंिर

• िे मौििू ा िर्ग व्यिस्िा को कोई महवि नहीं िेिे िे।


• उन्होंने अतहिं ा के ििु माचार का प्रचार तकया।
• उन्होंने िाह्मर् द्वारा तनंतिि धन उधारिािाओ ं ितहि िैश्यों को शातमल तकया।
• िे िाधारर्, नैतिकिािािी और िपस्िी िीिन को पिंि करिे िे।
बौि धमग

1) गौिम बि
ु और बौि धमग

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गौिम बि ु का िन्म 563 ईिा पिू ग में कतपलिस्िु के तनकर् लतु म्बनी नामक स्िान पर शाक्य िंश के रािा के यहां
हुआ िा। इनकी मािा कौशल िश ं की रािकुमारी िीं। 29 िषग की आयु में बि
ु के िीिन के चार दृश्य उन्हें वयाग के
मागग पर ले गए। िे दृश्य तनम्नानिु ार िे-
• एक बढू ा आिमी
• एक बीमार व्यतक्ि
• एक िन्यािी
• एक मृि व्यतक्ि
बि
ु के िीिन की प्रमख
ु घर्नाएं

घर्ना स्िान प्रिीक


िन्म लम्ु बनी कमल और िांड
महातभतनष्क्मर् - घोड़ा
तनिागर् बोध गया बोतध िृक्ष
धमगचक् प्रििगन िारनाि चक्
महापररतनिागर् कुशीनगर स्िपू

2) बौि धमग के तििांि

a. चार आयग िवय

1. िख
ु - िीिन िख ु ों िे भरा है।
2. िमिु ाय - ये िखु ों का कारर् होिे हैं।
3. तनरोध- ये रोके िा िकिे हैं।
4. तनरोध गातमनी प्रतिपद्या- िख ु ों की िमातप्ि का मागग

b. अष्र्ांतगक मागग

1. िम्यक दृतष्र्
2. िम्यक िंकल्प
3. िम्यक िार्ी
4. िम्यक कमागन्ि
5. िम्यक आिीि
6. िम्यक व्यायाम
7. िम्यक स्मृति
8. िम्यक िमातध

c. मध्य मागग- तिलातििा और तमिव्यतयिा िोनों का वयाग करना

d. तत्ररवन- बि
ु , धमग और िघं

3) बौि धमग की मख्ु य तिशेषिाएं और इिके प्रिार के कारर्

1. बौि धमग को ईश्िर और आवमा पर तिश्िाि नहीं िा।


2. मतहला की िंघ में प्रतितष्र् स्िीकायग िी। िाति और तलंग िे पृिक िंघ िभी के तलए खल ु ा िा।
3. पाली भाषा का प्रयोग तकया गया, िो आम लोगों के बीच बौि तििांिों के प्रिार में मििगार तिि हुई।
4. अशोक ने बौि धमग को अपनाया और इिे मध्य एतशया, पतश्चम एतशया और श्रीलक ं ा में फै लाया।
5. बौि िभाएं

• प्रिम पररषि: प्रिम पररषि िषग 483 ईिा पिू ग में रािा अिािशत्रु के िंरक्षर् में तबहार में रािगढ के पाि
िप्िपर्ी गफ ु ाओ ं में आयोतिि की गई, प्रिम पररषि के िौरान उपाली द्वारा िो बौि िातहवय तिनय और िवु िा
तपिाका िक ं तलि तकए गये।
• तद्विीय पररषि: तद्विीय पररषि िषग 383 ईिा पिू ग में रािा कालाशोक के िंरक्षर् में िैशाली में आयोतिि की
गई िी।
• िृिीय पररषि: िृिीय पररषि िषग 250 ईिा पिू ग में रािा अशोक महान के िंरक्षर् में पार्तलपत्रु में आयोतिि
की गई िी, िृिीय पररषि के िौरान अतभधम्म तपिाका को िोड़ा गया और बौि धमग के पतित्र ग्रंि तत्रतपर्क
को िक ं तलि तकया गया।
• चििु ग पररषि: चििु ग पररषि िषग 72 ईस्िीं में रािा कतनष्क के िंरक्षर् में कश्मीर के कुण्डलिन में आयोतिि
की गई िी, चििु ग पररषि के िौरान हीनयान और महायान को तिभातिि तकया गया िा।
4) बौि धमग के पिन के कारर्

1. बौि धमग उन धातमगक तक्याओ ं और िमारोहों के अधीन हो गया, तिनकी उन्होंने मल ू रूप िे तनंिा की िी।
2. उन्होंने पाली छोड़कर िंस्कृ ि को अपना तलया। उन्होंने मतू िग पिू ा शरू
ु कर िी और भक्िों िे कई ं िमान प्राप्ि
तकए।
3. मठ आिानी िे प्यार करने िालों के िचगस्ि के अधीन हो गए और भ्रष्र् प्रिाओ ं के कें द्र बन गए।
4. िज्रायन प्रिा का तिकाि होने लगा।
5. बौि मतहलाओ ं को िािना की िस्िु के रूप में िेखने लगे।

5) बौि धमग का महवि और प्रभाि

a. िातहवय

1. तत्रतपर्क
िवु ि तपिाका- बि
ु के िचन
तिनय तपिाका- मठ के कोड
अतभधम्म तपिाका- बि ु के धातमगक प्रिचन
2. तमतलिं पान्हों- मींिर और िंि नागिेना के बीच के िंिाि
3. िीपािाम्श (Dipavamsha) और महािाम्श (Mahavamsha) – श्रीलक ं ा का महान इतिहाि
4. अश्िघोष के द्वारा बौिचररत्र

b. िप्रं िाय

1. हीनयान (Lesser Wheel)- ये तनिागर् प्रातप्ि की गौिम बि ु की िास्ितिक तशक्षाओ ं में तिश्िाि करिे
हैं। िे मतू िग पिू ा में तिश्िाि नहीं करिे और हीनयान पाठ में पाली भाषा का प्रयोग करिे िे।
2. महायान (Greater Wheel)- इनका मानना है तक तनिागर् गौिम बि ु की कृ पा और बोतधिवि िे प्राप्ि
तकया िा िकिा है न तक उनकी तशक्षा का पालन करके । ये मतू िग पिू ा पर तिश्िाि करिे िे और महायान पाठ
में िंस्कृ ि भाषा का प्रयोग करिे िे।
3. िज्रायन- इनका मानना है तक तनिागर् िािू और काले िािू की िहायिा िे प्राप्ि तकया िा िकिा है।

c. बोतधिवि

1. िज्रपातर्
2. अिलोतकिेश्िरा या पद्मपातर्
3. मिं श्रू ी
4. मैत्रीय
5. तकतश्िग्रह
6. अतमिाभ/अतमवयषु ा

d. बौि धमग की िास्िु कला

• पिू ा का स्िल- बि ु या बोतधिवि के अिशेषों िाले स्िपू । चैवय, प्रािगना कक्ष िबतक तिहार, तभक्षओ
ु ं के
तनिाि स्िान िे।
• गफ ु ा िास्िकु ला का तिकाि- िैिे गया में बराबर गफ ु ाएं
• मतू िग पिू ा और मतू िगयों का तिकाि
• उवकृ ष्र् तिश्ितिद्यालयों का तनमागर् तििने पूरे तिश्ि के छात्रों को आकतषगि तकया।

िैन धमग
• िैन धमग 24 िीिंकरों में तिश्िाि करिा है तििमें ऋषभिेि िबिे पहले और महािीर, बि ु के िमकालीन
24िें िीिंकर हैं।
• 23िें िीिंकर पाश्िगनाि (प्रिीक: नाग) बनारि के रािा अश्ििेन के पत्रु िे।
• 24िें और अंतिम िीिंकर ििगमान महािीर (प्रिीक: शेर) िे।
• उनका िन्म कंु डग्राम (तबहार तिला मिु ्फरपुर) में 598 ईिा पूिग में हुआ िा।
• उनके तपिा तििािग ‘ज्ञािृक कुल’ के मतु खया िे।
• उनकी मां तत्रशला, िैशाली के तलच्छिी के रािा चेिक की बहन िीं।
• महािीर, तबंतबिार िे िंबतं धि िे।
• यशोिा िे तििाह के बाि बेर्ी तप्रयिशगनी का िन्म हुआ, तिनके पति िमाली उनके पहले तशष्य बने। 30 िषग
की उम्र में, अपने मािा-तपिा की मृवयु के बाि, िह िन्यािी बन गए।
• अपने िन्याि के 13िें िषग (िैशाख के 10िें िषग) में, िृतम्भक ग्राम के बाहर, उन्हें ििोच्च ज्ञान (कै िल्य)
की प्रातप्ि हुई।
• िब िे उन्हें िैन या तििेंतद्रय और महािीर और उनके अनयु ातययों को िैन नाम तिया गया िा।
• उन्हें अररहिं की उपातध प्राप्ि हुई, अिागि,् योनयिा। 72 िषग की आयु में, 527 ईिा पिू ग में, पर्ना के पाि
पािा में उनकी मृवयु हो गई।
िैन धमग की पांच प्रतिज्ञाएं
• अतहिं ा- तहिं ा न करना
• िवय- झठू न बोलना
• अस्िेय- चोरी न करना
• अपररग्रह- िपं तवि का अतधग्रहर् न करना
• िह्मचयग- अतििातहि िीिन
िीन मख्ु य तििािं
• अतहिं ा
• अनेकांििाि
• अपररग्रह
िैन धमग के तत्ररवन
• िम्यक िशगन- िम्यक श्रिा
• िम्यक ज्ञान- िम्यक िन
• िम्यक आचरर् – िम्यक कमग
ज्ञान के पांच प्रकार
• मति िन
• श्रिु िन
• अितध िन
• मनाहप्रयाय िन
• के िल िन
िैन िभाएं

• प्रिम िभा 300 ईिा पूिग चंद्रगप्ु ि मौयग के िंरक्षर् में पार्तलपत्रु में हुई तििके िौरान 12 अंग िंकतलि तकए
गए।
• तद्विीय िभा 512 ईिा में िल्लभी में हुई तििके िौरान 12 अंग और 12 उपअंग का अंतिम िंकलन तकया
गया।
िंप्रिाय

• श्िेिांबर- स्िल
ू भद्र- िो लोग िफे ि िस्त्र धारर् करिे िे। िो लोग अकाल के िौरान उविर में रहे िे।
• तिगंबर- भद्रबाहु- मगध अकाल के िौरान डेक्कन और ितक्षर् में तभक्षओ ु ं का पलायन। ये ननन रहिे िे।
िैन िातहवय

िैन िातहवयकार प्रकृ ि का प्रयोग करिे िे, िो िस्ं कृ ि के प्रयोग की िुलना में लोगों की एक आम भाषा है। इि प्रकार
िे िैन धमग लोगों के माध्यम िे िरू िक गया। महविपर्ू ग िातहतवयक कायग इि प्रकार हैं-

• 12 अंग
• 12 उपअगं
• 10 पररक्र्
• 6 छे िित्रू
• 4 मल
ू ित्रू
• 2 ित्रू ग्रंि
• िंगम िातहवय का भाग भी िैन तिद्वानों की िेन है।

16 महाजनपद – उनकी राजधानी एवं भौगोलोक षस्थषत

महाजनपद ,उनकी राजधानी एवं भौगोलोक क्षेत्र


महाजनपद राजधानी वतामान भौगोषलक षस्थषत
1.अगं चपं ा भागलपुर /मगंु ेर के आि-पाि का क्षेत्र -पिू ी तबहार

2.मगध रािगृह,िैशाली,पार्तलपत्रु पर्ना /गया (मगध के आि-पाि का क्षेत्र ) -मध्य-ितक्षर्ी


तबहार (16 महाजनपद में सवााषधक शषक्तशाली)

3.काशी िारार्िी आधतु नक बनारि -उत्तर प्रिेश

4.िवि कौशाम्बी इलाहाबाि (प्रयागराि)-उत्तर प्रिेश

5.िज्िी िैशाली ,तििेह,तमतिला िरभंगा/मधिु नी के आि-पाि का क्षेत्र -तबहार

6.कोिल श्रािस्िी अयोध्या/फै िाबाि के आि-पाि का क्षेत्र -उत्तर प्रिेश

7.अिन्िी उज्िैन ,मतहष्मति मालिा -मध्य प्रिेश

8.मल्ल कुशाििी िेिररया -उत्तर प्रिेश

9.पंचाल अतहछत्र ,कातम्पल्य उत्तरी उत्तर प्रिेश

10.चेिी शतक्तमिी बंिु ल


े खंड -उत्तर प्रिेश एिं मध्य प्रिेश

11.कुरु इद्रं प्रस्ि तिल्ली,मेरठ एिं हरयार्ा के आि-पाि का क्षेत्र

12.मवस्य तिरार् नगर ियपरु -रािस्िान

13.कम्बोि हार्क रािौरी/हािरा -उत्तर प्रिेश


14.शरू िेन मिरु ा आधतु नक मिरु ा -उत्तर प्रिेश

15.अश्मक पोिन ि. भारि में गोिािरी निी घार्ी के आि-पाि का क्षेत्र (द.भारत
का एक मात्र महाजनपद)

16.गधं ार िक्षतशला पेशािर ि रािलतपडं ी के आि-पाि का क्षेत्र -पातकस्िान

16 महािनपि – अिलोकन
1.अवषन्त : इिकी पहचान मध्य प्रिेश के आधतु नक मालिा क्षेत्र िे की िा िकिी है | तिन्ध्य पिगि श्रृंखला इिे
2 भाग में तिभातिि करिी िी ― उत्तरी अितन्ि और ितक्षर्ी अितन्ि | उत्तरी अितन्ि की रािधानी उज्ितयनी
और ितक्षर्ी अितन्ि की रािधानी मातहष्मति (आधतु नक माहेश्वर) िी | ये िोनों रािधातनयां उत्तर भारि के एक ओर
िक्कन िे और पतिमी िमुद्री िर् के बंिरगाहों िे िोड़ने िाले व्यापाररक मागग पर तस्िि होने के कारर् अवयंि
महविपर्ू ग िीं | प्राचीन काल में यहााँ हैहय िंश का शािन िा | प्रद्योि यहााँ का प्रिापी शािक हुआ |
2.अश्मक या अस्सक : पातर्तन की “अष्टाध्यायी” ,माकग ण्डेय परु ार् ,बृहि् िंतहिा ि कई यूनानी स्रोिों के
अनिु ार अश्मक का राज्य उत्तर-पतिमी भारि में िा | िबतक बौि ग्रन्िों के अनुिार यह नमगिा और गोिािरी नतियों
के बीच तस्िि िा और दषक्षण भारत का एकमात्र महाजनपद था | इि प्रिेश की रािधानी पोर्न (तििे
आधतु नक बोधन िे तचतन्हि तकया िा िकिा है) िी। इि राज्य के रािा इक्ष्िाकुिशं के िे। इिका अितन्ि के िाि
तनरंिर िघं षग चलिा रहिा िा और अिं िः यह राज्य अितन्ि के अधीन हो गया।
3.अंग : यह मगध के परू ब में , तबहार के ििगमान मगंु ेर और भागलपरु तिले के आिपाि का क्षेत्र िा | यह चम्पा
निी (आधतु नक चन्िन निी ) द्वारा मगध िे अलग होिा िा | इिकी रािधानी भी चंपा ही िी तििे पहले मातलनी
नाम िे भी िाना िािा िा । चंपा उि िमय भारि के िबिे प्रतिि नगरों में िे एक िी। अंग का मगध के िाि
हमेशा िंघषग होिा रहिा िा और अंि में मगध ने इि राज्य को परातिि कर अपने में तमला तलया| महाभारि का
प्रतिद्द रािा कर्ग इि अंग िेश का ही रािा िा | िीघग तनकाय के अनिु ार महागोतिंि ने इि नगर की तनमागर् योिना
बनाई िी | तबंतबिार ने अंग के शािक िह्मित्त को हराकर इि राज्य को मगध िाम्राज्य में िमातहि कर तलया |
िवपिाि अिािशत्रु को अंग का उप रािा तनयक्त ु तकया गया |
4.कम्बोज : यह गांधार-कश्मीर के उत्तर में आधतु नक पामीर का पठार क्षेत्र में तस्िि िा िहााँ रािौड़ी ि हिड़ा
क्षेत्र आिे िे | हार्क या रािापरु इि राज्य की रािधानी िी। ििगमान में यह भारि िे बाहर स्िातपि है | चन्द्र िधगन
ि ििु ाक्ष्ना इिके 2 िबिे प्रतिि शािक हुए |
5.काशी : काशी का राज्य उिर में वरुणा और ितक्षर् में असी निी के बीच बिा िा | इिकी रािधानी उत्तर
प्रिेश का ििगमान बनारि ( िारार्िी-तििका नाम िरुर्ा और अति नतियों के नाम पर ही पड़ा है ) िा | 23िें िैन
िीिंकर पाश्वगनाि के तपिा अश्विेन काशी के ही रािा िे | इिका कोशल,मगध ि अंग राज्य के िाि िंघषग चलिा
रहिा िा | गुतत्तल िािक के अनिु ार काशी नगरी 12 योिन तिस्िृि िी और भारि िषग की ििगप्रधान नगरी िी |
अंििः इिे कोिल राज्य में तमला तलया गया |
6.कुरु : परंपरानिु ार यह यतु धतष्ठर के पररिार द्वारा शातिि िा और इिकी रािधानी आधतु नक इन्द्रप्रस्ि (िो बाि में
7िीं ििी में िोमर रािपिू ों द्वारा तिल्ली नाम िे स्िातपि की गई) िी | इि महा िनपि में आधतु नक हररयार्ा ििा
तिल्ली के यमनु ा निी के पतिम के क्षेत्र अश ं शातमल िे | िैनों के उत्तराध्ययन ित्रू ग्रन्ि में यहााँ के इक्ष्िाकु नामक
रािा का उल्लेख तमलिा है | िािक किाओ ं में ििु िोम, कौरि और धनंिय यहााँ के रािा माने गए हैं |
कुरुधम्मिािक के अनिु ार, यहााँ के लोग अपने िीधे-िच्चे मनष्ु योतचि बिागि के तलए अग्रर्ी माने िािे िे और ििू रे
राष्रों के लोग उनिे धमग िीखने आिे िे | बि ु के काल िक कुरु एक छोर्ा िा राज्य िा िो आगे चलकर एक गर्-
िंघ बना |
7.कोशल/कोसल : यह एक शतक्तशाली राज्य िा तििमें ििगमान उत्तर प्रिेश के अयोध्या , गोंडा ,गोरखपरु और
बहराइच तिलों के क्षेत्र शातमल िे | यह पिू ग में गडं क (तििे शास्त्रों में ििानीरा कहा गया है),पतिम में गोमिी,
ितक्षर् में िाई ं(ितपगका निी ) और उत्तर में तहमालय की िराई के बीच तस्िि एक िरु तक्षि राज्य िा | िरयू निी इि
राज्य को उत्तरी ि ितक्षर्ी 2 तहस्िों में बीच िे तिभातिि करिी िी | उत्तरी कोिल की प्रिम रािधानी अयोध्या िी।
श्रािस्िी (तििकी पहचान आधतु नक िहेि -महेि के रूप में की गई है) इिकी तद्विीय रािधानी िी। कुशाििी ि
तिरपुर (आधतु नक श्रीपुर) ि.कोिल की रािधानी िी | कोशल के एक रािा कंश को पातलग्रंिों में ‘बारानतिनगहो’
कहा गया है | उिी ने काशी को िीि कर कोशल में तमला तलया िा | कोशल के िबिे प्रिापी रािा प्रिेनतिि हुए
िो बि ु के िमकालीन िे |
8.गांधार : पातकस्िान का पतिमी ििा अफ़गातनस्िान का पिू ी क्षेत्र और कश्मीर के कुछ भाग इि राज्य में आिे
िे । इिकी रािधानी िक्षतशला िी िो की एक िमकालीन ज्ञान एिं व्यापार की नगरी के रूप में प्रतिद्द िी | यहीं
भारि का पहला तिश्वतिद्यालय स्िातपि हुआ िा | प्राचीन िक्षतशला एक अवयंि प्रमख ु नगर िा िो अफगातनस्िान
और मध्य एतशया को िाने िाले स्िल मागों पर पड़िा िा और यह नगर तिंधु निी के द्वारा अरब िागर में तस्िि
िामतु द्रक मागों िे भी िड़ु ा हुआ िा | महाकाव्यों के अनिु ार, इिी स्िान पर िन्मेिय ने प्रतिि नाग यज्ञ करिाया
िा | बौि, िैन और यनू ानी स्रोिों में इि नगर की काफी चचाग हुई है | इि स्िान पर तकये गये परु ािातविक उवखननों
के िौरान िीन प्रमख ु बतस्ियों को रे खांतकि तकया गया है िो भीर, तिरकप और तिरिख ु के नाम िे िाने िािे हैं। भीर
का र्ीला इि नगर की प्राचीनिम बस्िी है िहां 6ठी – 5िीं शिाब्िी िा.िं.प.ू िे लेकर ििू री शिाब्िी िा. .प.ू िक
के अिशेष तमले हैं | ध्यािव्य हे तक गंधार का यह राज्य आधतु नक कंिहार िे अलग है िो तक इि क्षेत्र िे ितक्षर्
में तस्िि िा | पक्ु कुििी या पश्ु करतिन 6ठी ििी में यहााँ का प्रतिद्द शािक हुआ तििने अिन्िी को परातिि तकया
िा | (तक्षषशला की खोज एलेक्ज़ेंडर कषनंघम नामक पुरातत्वषवद ने 1871 में की थी जो षक भारतीय
परु ातषत्वक सवेक्षण (A.S.I) के प्रथम महा -षनदेशक थे | इसके अलावा उन्हें सघू न , अषहित्र, सगं ल,
षवराट, श्रावस्ती ,कौशाम्बी, पद्मावती, वैशाली, नालदं ा इत्याषद जैसे ऐषतहाषसक स्थलों की भी खोज का
श्रेय जाता है)
9.चेषद : चेिी ििगमान उत्तर प्रिेश के बंिु ल
े खंड का क्षेत्र िा | इिकी रािधानी शतक्तमिी िी िो िेट्ठीििी नगर के
नाम िे िानी िािी िी | इि राज्य का उल्लेख महाभारि में भी है | तशशपु ाल यहााँ का प्रतिद्द रािा िा तििका िध
परंपरानिु ार भगिन कृ ष्र् ने तकया िा |
10.वषज्ज या वषृ ज : ितज्ि का शातब्िक अिग होिा है- पशपु ालक िमिु ाय | यह 8 (कुछ स्रोिों के अनिु ार
9) राज्यों का एक िंघ िा िो अट्ठकुतलक कहलािे िे | यह गंगा निी के उत्तर में नेपाल की िराई में तस्िि िा
| ितज्ियों के इन आठ कुलों में ितज्ि, तलच्छति और तििेह और नयातत्रक ििागतधक महविपर्ू ग िे | अन्य कुल
उम्र,भोग,कौरि ,एच्छिक आति िे तिनके बारे में अतधक िानकारी नहीं तमलिी | नयातत्रक की रािधानी
‘नातिका’ िी | िैन महािीर इिी कुल के िे | इि िंघ का ििागतधक शतक्तशाली गर्राज्य िैशाली के तलच्छतियों
का िा, िो क्षतत्रय िे। इि राज्य की रािधानी िैशाली िी, तििकी पहचान आधतु नक तबहार के मिु ्फरपरु तिले में
गंडक निी के िर् पर तस्िि िशाढ िे की गई है | तििेह की रािधानी तमतिला िी, िो ििगमान नेपाल की िीमा में
िनकपरु नामक कस्बे के रूप में आि भी तिद्यमान है | गंगा निी ितज्ि और मगध बीच की िीमा का तनधागरर् करिी
िी | इि िघं में आठ न्यायालय िे | िैन परंपरा के अनिु ार, यहां महािीर का िन्म स्िान िा और परु ार्ों में इिे
िीिल नामक शािक का नगर बिलाया है,तििके कारर् इिका नाम िैशाली पड़ा | रािा िीिल का गढ कहे िाने
िाले पुरािातविक र्ीले िे पुराने िगु ग के अिशेष तमले हैं | यहीं िे प्राप्त एक िालाब को तलच्छतियों के राज्यातभषेक
िे िड़ु े प्रतिि िालाब में माना िािा है | षलछिषव गणराज्य को षवश्व का पहला गणतंत्र माना जाता है
| मगध के शािक अिािशत्रु ने अपने मंत्री िस्िकार की िहायिा िे ितज्ि कुल पर तििय प्राप्त कर ली ।
“महािस्ि”ु िे ज्ञाि होिा है तक महावमा बि ु 11 तलच्छतियों के तनमंत्रर् पर िैशाली गए िे | ितज्ि गर् िंघ के
शािक चेिक तत्रशाला (महािीर की मािा) के भाई िे और मगध के रािा तबतम्बिार की पवनी चेलान्ना के तपिा |
11.वत्स या वंश : उत्तर प्रिेश के प्रयाग (आधतु नक इलाहाबाि अििा प्रयागराि) के आि-पाि का क्षेत्र | इिकी
रािधानी कौशाम्बी िी िो बौि ि िैन िोनों धमों का प्रमख ु कें द्र िी | यह अपने उवकृ ष्ट ििू ी िस्त्रों के तलए प्रतिद्द िा
| बि ं का शािन िा तििका प्रिापी रािा उियन हुआ | उिने अिन्िी के शािक चडं प्रद्योि
ु काल में यहााँ पौरि िश
को बंिी बना तलया िा | पुरार्ों के अनिु ार, रािा तनचक्षु ने यमनु ा निी के िर् पर अपने राज्यिंश की स्िापना िब की
िी िब हतस्िनापुर राज्य का पिन हो गया िा |
12.पांचाल : इिके अंिगगि मध्य गंगा -यमनु ा िोआब का पतिमी उत्तर प्रिेश िमातहि िा तििमे रुहेलखण्ड
आिा है | यह गंगा निी द्वारा 2 शाखाओ ं में तिभातिि िा ― उत्तरी पंचाल और िक्षतर् पंचाल | उत्तरी पांचाल की
रािधानी अतहच्छत्र िी तििको आधतु नक बरे ली के राम नगर िे तचतन्हि तकया िािा है ,और िक्षतर् पांचाल की
रािधानी कातम्पल्य िी तििकी पहचान फरुगखाबाि तिले के कातम्पल्य िे की गई है | कन्नौि भी इिी क्षेत्र में तस्िि
िा | चल
ु ानी िह्मित्त पाचं ाल िेश का एक महान शािक हुआ |
13.मत्स्य या मछि : इिमें ििगमान रािस्िान के अलिर, भरिपरु ििा ियपरु के क्षेत्र शातमल िे | इिकी
रािधानी तिरार्नगर िी तििकी पहचान आधतु नक िैरार् के रूप में की गई है | इिका नाम इि राज्य के िंस्िापक
तिरार् के नाम पर पड़ा | ऐिा माना िािा है तक अज्ञाििाि के िौरान इिी राज्य ने पांडिों को शरर् तिया िा |
14.मल्ल : यह 9 कुलों का एक गर् िंघ िा िो पिू ी उत्तर प्रिेश के िेिररया और गोरखपुर के आिपाि
तिस्िृि िा | मल्लों की िो शाखाएाँ िीं | एक की रािधानी कुशीनारा िी िो ििगमान कुशीनगर या कतिया है ििा
ििू रे की रािधानी पािा या पि िी िो ििगमान फातिलनगर है | प्रारंभ में मल्ल का राज्य एक राििंत्र िा िो तक
बाि में गर्ित्रं में पररितिगि हो गया | कुश िािक में गोकाक को िहां का प्रतिि रािा बिाया गया है |
15.सरु सेन या शरू सेन : यह प.उत्तर प्रिेश में तस्िि िा तििकी रािधानी मिरु ा िी | प्रारंतभक ऐतिहातिक काल के
प्रमखु नगरों में मिरु ा का स्िान आिा है | महाभारि और परु ार्ों में इि स्िान को यािि िश ं ो िे िोड़ा गया तिनमें
िृष्र्ी भी एक कुल िा तििमें कृ ष्र् का िन्म हुआ िा | यह नगर गंगा के उबर मैिानों के द्वार पर तस्िि और
उत्तरापि का एक प्रमख ु के न्द्र है क्योंतक यहां िे उत्तरापि ितक्षर्ििी तिशा में मालिा की और िािा िा और एक मागग
पतिमी िर् को और मिरु ा नगर के उत्तर में यमनु ा के तनकर् अंबरोश र्ोला को मिरु ा के िांस्कृ तिक स्िर तिन्याि में
कालखंड िे िोड़ा गया है | बौि ग्रंिों के अनिु ार अिंति पत्रु यहााँ का रािा िा िो बि ु का तशष्य िा | उिी के
प्रयािों िे इि राज्य में बौि धमग का तिस्िार हुआ | परु ार्ों में मिरु ा के राििश ं कहा िािा िा |
ं को यििु श
16.मगध : मगध महािनपि ितक्षर् तबहार के ििगमान पर्ना ि गया तिले में तस्िि िा ि िभी 16
महािनपिों में िबिे शतक्तशाली तिि हुआ क्योंतक धीरे धीरे अन्य िभी राज्यों को स्िंय में िमातहि कर यह भारि
का प्रिम िाम्राज्य बना | मगध का प्रिम स्पष्ट उल्लेख अििग िेि में तमलिा है | हालांतक ऋनिेि में मगध का
प्रवयक्ष उल्लेख िो नहीं तकंिु कीकर् िािी और उिके रािा परमअंगि की चचाग है िो तक िंभिि इिी क्षेत्र िे
िबं तं धि है | मगध के बारे में अतधक िानकारी हमें महाभारि और परु ार्ों िे तमलिी है | शिपि िाह्मर् में भी इि
क्षेत्र को ‘कीकर्’ कहा गया है | गगं ा निी घार्ी के क्षेत्र में आने के कारर् यह एक अवयिं उपिाऊ क्षेत्र भी िा
| इिकी प्रारतम्भक रािधानी रािगृह (ििगमान रािगीर) िी िो चारो िरफ िे पिगिो िे तघरी होने के कारर् तगररिि
के नाम िे भी िानी िािी िी और िामररक रूप िे बहुि िरु तक्षि िी | रािगीर के ऐतिहातिक महवि को बौि एिं
िैन िोनों धमों िे िोड़ा गया है | यहााँ िो नगरों को रे खांतकि तकया िा िकिा है- प्राचीन रािगीर एिं निीन रािगीर |
प्राचीन रािगीर पांच पहातड़यों के बीच तस्िि िा तििके चारों िरफ़ िोहरे पविर के िरु क्षा घेरे बने हुए िे िो
तबतम्बिार के द्वारा बनिाए गए िे | निीन रािगीर भी पविर की िीिारों िे तघरा िा और प्राचीन रािगीर के उत्तर में
बिाया गया िा | यह िरु क्षा घेरे 25 िे 30 मील के िायरे में फै ले िे और िभं ििः अिािशत्रु के द्वारा बनिाए गए
िे | बाि में िैशाली एिं पार्तलपत्रु इिकी रािधातनयां बनी |
मगध का संषक्षप्त इषतहास

• मगध के िबिे प्राचीन िंश बहगद्रि िंश का िंस्िापक िृहद्रि िा | उिने तगररिि (रािगृह) को अपनी
रािधानी बनाई िी | महाभारि का शतक्तशाली रािा िरािंध िृहद्रि का पत्रु िा |
• बहगद्रि िंश 6ठी ििी ई.प.ू िमाप्त हो गया और हयगक िंश का िंस्िापक तबतम्बिार मगध की गद्दी पर
544 ई० प०ू बैठा | िह बि ु का िमकालीन िा और बौि धमग का अनयु ायी बना | उिने िह्मित्त को
हराकर अंग राज्य को मगध में तमला तलया। रािगृह का तनमागर् कर उिे अपनी रािधानी बनाया | तबतम्बिार
ने मगध पर करीब 52 िषों िक शािन तकया | महावमा बि ु की िेिा में तबतम्बिार ने ही राििैद्य िीिक
को भेिा | इतिहाि में तबतम्बिार की प्रतिति इितलय है की उिने िैिातहक िंबंध स्िातपि कर अपने
िाम्राज्य का तिस्िार तकया। इिने कोशल नरे श प्रिेनतिि की बहन महाकोशला िे, िैशाली के चेर्क की
पत्रु ी िेल्लना िे ििा मद्र िेश (आधतु नक पंिाब) की रािकुमारी क्षेमा िे तििाह कर इन राज्यों िे मगध के
अच्छे िम्बन्ध स्िातपि तकये | तििाह में उपहार के स्िरुप उिे कई क्षेत्र भी इन रािाओ ं िे तमले | कौशल
नरे श प्रिेनिीि िे उिे िहेि स्िरूप काशी प्राप्त हुआ िो तक आतिगक रूप िे एक अवयिं ही िमृि नगर हुआ
करिा िा | ििू री पवनी रािकुमारी चेलान्ना के कारर् उिके िाम्राज्य की उत्तरी िीमा िरु तक्षि हो गई |
• तितम्बिार की हवया उिके पत्रु अिािशत्रु ने कर िी और िह 493 ई० प०ू में मगध की गद्दी पर बैठा
| अिािशत्रु का उपनाम कुतर्क िा | अिािशत्रु ने 32 िषों िक मगध पर शािन तकया | अिािशत्रु
प्रारंभ में िैनधमग का अनयु ायी िा | तकंिु बि
ु के िम्पकग में आ कर उिने बौि धमग अपना तलया | अिािशत्रु
के कुशल मंत्री का नाम िषगकार या िरस्कार िा तििकी िहायिा िे अिािशत्रु ने िैशाली पर तििय प्राप्त
की | अिािशत्रु की प्रतिति रि – मिू ल एिं महा -शीला- कंर्क नामक िो नए अस्त्रों के प्रयोग के कारर् है
तििका प्रयोग उिने िैशाली के तिरुि अपने यि ु में तकया िा | अिािशत्रु की हवया उिके पत्रु उिातयन ने
461 ई० प०ू में कर िी और िह मगध की गद्दी पर बैठा |
• उिातयन को ही पातर्लग्राम की स्िापना का श्रेय िािा है िो आगे चलकर पर्ना बना | उिातयन िैनधमग
का अनयु ायी िा | उिातयन का पत्रु नागिशक हयगक िंश का अंतिम रािा हुआ |
• नागिशक को उिके मंत्री तशशनु ाग ने 412 ई० प०ू में अपिस्य करके मगध पर तशशनु ाग िंश की स्िापना
की |
• तशशनु ाग ने अपनी रािधानी पार्तलपत्रु िे हर्ाकर िैशाली में स्िातपि की | तशशुनाग का उत्तरातधकारी
कालाशोक या काकिर्ग पनु ः रािधानी को पार्तलपत्रु ले गया | तशशुनाग िश ं का अतं िम रािा नंतििधगन िा
| इिके बाि मगध में निं िश
ं की स्िापना हुई |
• ं का िस्ं िापक महापद्म निं िा | कई ग्रन्िों में उिे उग्रिेन कहा गया है | िबतक निं िश
नन्ििश ं का अंतिम
शािक घनानंि तिकन्िर के आक्मर् के िमय मगध का िम्रार् िा | चन्द्रगप्तु मौयग ने अपने कूर्नीति गरुु
चार्क्य (कौतर्ल्य अििा तिष्र्गु प्तु ) की िहायिा िे घनानंि को पिस्ि कर मौयग िाम्राज्य की स्िापना की |
इिके बाि कई शिातब्ियों िक मगध भारि का शतक्त कें द्र रहा |

मगध के उविान के कारर्


हम पािे हैं तक महा िनपिों की कुल िंख्या 16 िी ,तकंिु कालांिर में मगध महािनपि इन िभी महा िनपिों को
परास्ि कर इनमें िे िबिे शतक्तशाली हो कर उभरा और भारि का प्रिम िाम्राज्य बना | इतिहािकारों ने मगध के
िाम्राज्यिािी शतक्त के रूप में उविान के पीछे तनम्न कारर् बिाए हैं :

• मगध की भौगोतलक तस्िति:- मगध की रािधानी रािगृह एिं पार्तलपत्रु प्राकृ तिक िीमाओ ं िे िरु तक्षि िी |
रािगृह पहातड़यों िे और पार्तलपत्रु नतियों िे तघरा हुआ िा | इितलए इि पर बाहरी आक्मर् िम्भि नहीं
िा | अिः यहााँ के रािाओ ं को राज्य तिस्िार का अििर प्राप्त हुआ, तििका लाभ उन लोगों ने उठाया |
िाि ही िे बाहरी आक्मर्ों िे भी बहुि हि िक िरु तक्षि रहे |
• आतिगक िम्पन्निा:- इि राज्य में कृ तष, उद्योग और व्यापार की उन्नि तस्िति िी | मगध का राज्य गगं ा के
उपिाऊ मैिान में आिा िा और िाि ही यहााँ लोहे के भी प्रचुर खान उपलब्ध िे (तिनमें िे अतधकांश अब
झारखण्ड में आिे हैं) िो कृ तष ििा औिार िोनों में अवयंि लाभाकरी िे | राज्य को भरपरू कर की प्रातप्त
होिी िी, तििके बल पर िेना का गठन कर िाम्राज्यिािी प्रिृतत्त को बढािा तिया गया |
• िैतनक िंगठन:- मगध में िदृु ढ िैन्य व्यिस्िा िी | इिके पाि हािी की र्ुकड़ी िी, िो िलिली क्षेत्र में घोड़े
ु िी | यि
िे अतधक उपयक्त ु के नए अस्त्र-शस्त्रों िे मगध की िेना ििु तज्िि िी | मगध की िैतनक ििोच्चिा
ने मगध के उवकषग में प्रमख
ु भतू मका तनभाई।
• आरंतभक िैन और बौि लेखकों ने मगध की महत्ता का कारर् तितभन्न शािकों की नीतियों को बिाया है |
इन लेखकों के अनिु ार तबंतबिार, अिािित्तु ,अशोक , चन्द्रगप्तु और महापद्मनंि िैिे प्रतिि रािा अवयंि
महविाकांक्षी शािक िे, और इनके मंत्री उनकी नीतियााँ लागू करिे िे | मगध में अनेक िाम्राज्यिािी प्रिृतत्त
के शािक हुए, तिन्होंने युि एिं कूर्नीति द्वारा मगध की िीमा का तिस्िार तकया। तबतम्बिार की “तििाह के
द्वारा कुर्नीतिक प्रिार की तनि “ अवयिं िफल रही |

नगरीकरण : महाजनपदों में व्यापार एवं जीवन


छठी ििी ईिा पिू ग का काल आतिगक प्रगति एिं तद्विीय नगरीकरर् का काल कहलािा है | इि काल में कृ तष में लोहे
ु हुआ ,पक्की ईर्ोंं का प्रयोग अतधक तकया िाने लगा और िैन्य हतियारों में भी लोहे के प्रयोग के
का प्रयोग शरू
कारर् एक क्ांति आई | िाम्राज्य का उिय प्रारंभ हुआ और इि प्रकार नगरों के तिकाि के कारर् रोिगार एिं
व्यििाय के भी नए-नए िृिन हुए | अरण्यकों में पहली बार “नगर” शब्ि का उल्लेख आया है | इि काल में कुल
60 नगरों की िानकारी तमलिी है | बि ु कालीन 6 प्रमख
ु नगर राितगरी, चंपा, कौशांबी, िाके ि, श्रािस्िी एिं
िारार्िी िे |
महा िनपिों में िे अतधकांश व्यापाररक रूप िे बहुि महविपर्ू ग िे क्योंतक िे भरि के मख्ु य व्यापाररक मागों पर तस्िि
िे और इनके िहारे बहुमल्ू य िामानों का यािायाि होिा िा | महा िनपिों में इि िमय िक तितभन्न प्रकार के
व्यििाय भी प्रचतलि हो चुके िे तिनमे व्यापार ि कृ तष के अतिररक्त पशपु ालक ,ििी,हिाम ,रिोइये,धोबी,रंगरे ि
इवयाति का नाम उल्लेखनीय है |
शािकों के द्वारा तितभन्न प्रकार के तिशेषज्ञों को भी बहाल तकया िािा िा तिनमें पैिल योिा, धनधु ागरी ,घुड़ििार,
हािी पर यि ु करने िाले ििा रि चलाने िाले िभी िे | नगरीय व्यििायों में िैद्य, शल्य तचतकविक ििा
लेखाकार भी ितम्मतलि िे मद्रु ा तितनमय-करिा और गर्ना भी नगरीय व्यििाय में आिा िा | नर् (कलाकार या
रंगकमी), नर्क (निगक), शोकितयक (िािगू र),नगाड़ा बिाने िाले , भतिष्यिक्ता इवयाति की भी चचाग ऐतिहातिक
स्रोिों में की गयी है। मेले भी आयोतिि होिे िे तिन्हें “िमाि” कहा िािा िा | तितभन्न प्रकार के तशल्पों का भी
उल्लेख हमें तमलिा है | इनको बनाने िाले तशल्पकार नगरों में रहिे िे | इनमें यानकार, ििं कार (हािी िांि की िस्िु
बनाने िाले), कमगकार (धािु का काम करने िाले), स्िर्गकार, कोशीयकार (रे शम का काम करने िाले), पालकण्ड
(बढई), िचू ीकार (िईु बनाने िाले), नलकार और मालाकार ििा कुम्भकार(कुम्हार) प्रमख ु हैं | तितभन्न प्रकार के
ु तिशेषिा िी | इि काल की एक अन्य अहम
श्रेर्ी िन्गठन (guilds) का होना भी इि काल की एक प्रमख
तिशेषिा है इतिहाि में पहली बार मद्रु ा का प्रयोग |
इि काल में तनतमगि तिक्कों को आहि तिक्का कहा िािा िा िो आमिौर पर चांिी के होिे िे | इिी िमय
काषागपन,पाि ,मातिक,कातकर्ग आति तिक्कों का भी उल्लेख तमलिा है | तकंिु आहि तिक्का तििे पचं माकग तिक्का
भी कहिे हैं, भारि का प्राचीनिम तिक्का है | इिके प्रिम प्रमार् िक्षतशला में तमलिे हैं | क्योंतक िक्षतशला गांधार
क्षेत्र में आिा िा इिीतलए कई बार इिे गांधारर् तिक्का भी कहा िािा है |

महािनपिों की रािनैतिक व्यिस्िा


महािनपिों में आमिौर पर राििन्त्र िा िहााँ रािा का शािन होिा िा लेतकन गर् और िंघ के भी उल्लेख
ऐतिहातिक स्रोिों में तमलिे हैं | ऐिे राज्यों में कई लोगों का िमहू शािन करिा िा और इि िमहू का प्रवयेक
व्यतक्त रािा कहलािा िा | िैन महािीर और गौिम बि ु ऐिे ही गर्ों िे िंबंतधि िे | िैन महािीर िज्िी िंघ के
नयातत्रक कुल के िे, िबतक बि ु का िम्बन्ध शक्य गर् िे िा | बि ु के तपिा िद्दु ोधन कतपलिस्िु के शाक्य गर् के
रािा िे | इनके अतिररक्त कई अन्य महविपर्ू ग गर् इि प्रकार िे :

1. रामग्राम के कोषलय- यह राज्य शाक्यों के पूिग में बिा हुआ िा | िोनों राज्यों की तिभािक रे खा रोतहर्ी
निी िी और निी-िल के बाँर्िारे के तलए िोनों राज्यों में िघं षग चलिे रहिे िे
2. पावा के मल्ल- यह महािीर की तनिागर् स्िली िी
3. कुशीनारा के मल्ल- यह गौिम बि ु की तनिागर् स्िली िी
4. षमषथला के षवदेह- तििेह की रािधानी तमतिला िी | यह ितज्ि िंघ का ही एक घर्क राज्य िा
5. षपप्पलीवन के मोररय- यह गर्राज्य नेपाल की िराई में तस्िि िा और मौयों िे इनका िम्बन्ध िोड़ा
िािा है
6. सुसुमार के भग्ग- यह राज्य आधतु नक तमिागपरु , उत्तर प्रिेश के तनकर् तस्िि िा
7. अल्लकप्प के वषु ल- ितु ल,शाहाबाि और मिु ्फरपरु के मध्य बिा हुआ अल्लकप्प राज्य का भाग िा
8. के सपुत्त के कालाम- यह एक छोर्ा-िा गर्राज्य िा | गौिम बि ु के गरु आलार कलाम यहीं के आचायग
िे | यहााँ का प्रतिि नगर के िपत्तु गोमिी निी के िर् पर बिा हुआ िा
9. वैशाली के षलछिषव- यह गर् िृतज्ि िंघ का घर्क िा। इि िंघ में िबिे प्रमख ु तलच्छति ही िे
| तलच्छतियों को परम्परा पर आधाररि न्याय-व्यिस्िा के तलए िाना िािा है | तलच्छति गर्राज्य को
तिश्व का पहला गर्िंत्र माना िािा है | .
हयाक वंश

का िंस्िापक तबंतबिार िा। िैन िातहवय में तबंतबिार को श्रेतर्क क्यों कहा गया है। तबंतबिार ने रािगृह (तगररिि)
नामक नगर की स्िापना की ििा इिे अपनी रािधानी बनाई ।रािगृह िीनों ओर िे पहातड़यों िे तघरा हुआ
िा। तबंतबिार ने तिियों ि िैिातहक िंबंधों के द्वारा अपने िंश का तिस्िार तकया। इिने 3 राििंशों मैं िैिातहि
िबं धं स्िातपि तकए प्रिम षलछिवी गणराज्य के शासक चेटक की पााँचिी पत्रु ी चेलना के िाि तििाह तकया।
तद्विीय, कौशल राज्य प्रिनिीि की बहन महाकौशला िे तििाह तकया तिििे िहेि में काशी का प्रांि प्राप्त हुआ।
िृिीय, मद्र िेश (कुरू के िमीप) की रािकुमारी िे तििाह तकया। Dy

nasties of Magadha
Empire In Hindi
तबंतबिार की हवया उिके पत्रु अिािशत्रु ने कर िी । आिाि शत्रु को कुतर्क भी कहा िािा है। अिािशत्रु का
कौशल नरे श प्रिनिीि िे यि ु हुआ तिििे पहले िो प्रिनिीि की हार हुई परंिु बाि में िोनों में िमझौिा हो गया
प्रिनिीि ने अपनी पत्रु ी िातिरा का तििाह अिािशत्रु िे कर तिया। अिािशत्रु का ितज्ि िघं के िाि भी यि ु हुआ,
तििमें उिने अपने कूर्नीतिज्ञ मंत्री िविकार की िहायिा िे तलच्छतियों की शतक्त पर तििय प्राप्त की। इि प्रकार
काशी और िैशाली को तमला लेने के बाि मगध का िाम्राज्य और तिस्िृि हो गया। अिािशत्रु के शािनकाल के
8िें िषग में गौिम बि
ु की मृवयु हुई िी। अिािशत्रु के काल में रािगृह की िप्तपर्ी गफ
ु ा (या ित्तपर्गगहु ा) में प्रिम
बौि िगं ीति का आयोिन तकया गया। Dynasties of Magadha Empire In
Hindi
अिािशत्रु की हवया इिके पत्रु उितयन ने कर िी। उतिय ने गंगा और िोनू नतियों के िंगम पर पार्तलपत्रु / कुिमु परु
नामक नगर की स्िापना की ििा रािगृह िे अपनी रािधानी िही स्िानांिररि की। अितन्ि के शािक “पालक” की
शह पर “उिातयन” की हवया की गई िी, एक व्यतक्त ने छुरा घोंप कर की। उितयन के बाि उिके िीन पत्रु ों अतनरुि,
मडंु क और नागिशक (िशगक) ने बारी-बारी िे तकिने राि तकया। बाि में िनिा ने इन तपिृहन्िाओ ं को शािन िे
हर्ाकर तशशनु ाग नामक एक योनय अमावय को रािा बनाया।

हयाक राजवंश के शासक एवं शासन अवषध:


• तबतम्बिार (544 ई. प.ू िे 493 ई. प.ू )

• अिािशत्रु (493 ई.प.ू िे 461 ई.प.ू )


• उिातयन (461 ई.प.ू िे 445 ई.प.ू )
• अतनरुि

• मड
ं क
• नागिशक

नागिंश – 412 ई. प.ू िे 344 ई. प.ू


तशशनु ाग ने अिंिी राज्य को िीि कर उिे मगध िाम्राज्य में तमला तलया। तशशुनाग ने अपनी नई रािधानी िैशाली
में स्िातपि की िी। तशशनु ाग का उत्तरातधकारी कालाशोक हुआ, तििने अपनी रािधानी पनु ः पार्तलपत्रु में
स्िानांिररि की ििा इिके बाि पार्तलपत्रु में ही मगध की रािधानी रही। कालाशोक के शािनकाल में िैशाली में
तद्विीय बौि िगं ीति का आयोिन हुआ। कालाशोक का उत्तरातधकारी महानतन्िन हुआ, तििका िध बार्भट्ट रतचि
हषगचररि के अनिु ार काकिर्ग की रािधानी पार्तलपुत्र में घमू िे िमय एक शद्रू िािी पत्रु महापद्मननि नामक व्यतक्ि
ने चाकू मारकर हवया कर िी िी। इि प्रकार नागिंश की िगह मगध का राज्य नंि िंश के हािों में आ
गया। Dynasties of Magadha Empire In Hindi
नंद वंश-344 ई. पू.से 324 ई. पू.

मगध िाम्राज्य का िबिे शतक्तशाली शािक िा पुरार्ों में इिे एकछत्र एकरार् कहा गया है इिके अतिररक्त
महापद्यनन्ि की अन्य उपातधयां उग्रिेन, आपरोपरशुराम, ििग क्षत्रान्िक आति िी महापद्यनन्ि ने कतलंग की तििय
ििा िहां तिन िुतलया नामक नहर भी खिु िाई। इिका उल्लेख बाि में कतलंग के शािक खारिेल ने अपनी
हािीगुम्फा अतभलेख में तकया है इिी अतभलेख िे पिा चला है तक महापद्मनिं कतलगं िे तिनिेन की िैन प्रतिमा
उठा लाया िा।

निं िशं का अतं िम शािक धनानदं हुआ घर आनिं के िमय ही 326 ईिा पिू ग में तिकंिर ने भारि पर आक्मर्
तकया िा घनानिं के परु ोतहि चार्क्य ने चद्रं गप्तु मौयग की िहायिा िे परातिि तकया इि प्रकार मगध में मौयग िश
ं की
स्िापना हुई
नंि िंश का अंतिम शािक घनानंि हुआ धनानंि के िमय में ही 326ई. प.ू में तिकंिर ने भारि में आक्मर् तकया
िा। धनानंि के परु ोतहि चार्क्य ने चंद्रगप्तु मौयग की िहायिा िे धनानंि को परातिि तकया। इि प्रकार मगध में मौयग
िंश की स्िापना हुई। Dynasties of Magadha Empire In Hindi
छठी ििी ई.प.ू के िौरान भारि के रािनीतिक ,आतिगक, िामातिक एिं धातमगक क्षेत्र में कुछ महविपर्ू ग पररििगन हुए।
आगे इन पररििगनों ने भारि के इतिहाि को एक निीन तिशा प्रिान की। िस्ििु ः यह िमस्ि पररििगन िवकालीन िीिन
की निीन आिश्यकिाएं के ही पररर्ाम िे। इन्हीं पररििगनों के कारर् छठी ििी ई.प.ू के इतिहाि को प्राचीन भारिीय
इतिहाि में तिशेष स्िान प्राप्त है।
छठी ििी ई.प.ू की महविपूर्ग घर्नाएं /पररििगन
> राजनीषतक क्षेत्र की महत्वपूणा घटनाएं /पररवतान– गर्िंत्रों की स्िापना ,16 महािनपिों/ तद्विीय नगरीकरर्
का उिय ,मगध का उवकषग आति।
> आषथाक क्षेत्र की महत्वपूणा घटनाए/ं पररवतान– कृ तष उवपािन में िृति ,निीन तशल्प -उद्योगों का तिकाि,
िातर्ज्य- व्यापार में तिस्िार, तनयतमि मद्रु ा का प्रचलन, तद्विीय नगरीकरर् का उिय आति।
> सामाषजक क्षेत्र का महत्वपण ू ा घटनाएं /पररवतान– िर्ग व्यिस्िा में पररििगन ,िाति व्यिस्िा एिं अस्पृश्यिा
का उद्भि, तस्त्रयों की तस्िति में तगरािर् आति।
> धाषमाक क्षेत्र की महत्वपूणा घटनाएं /पररवतान– आश्रम व्यिस्िा परुु षािग, 16 िंस्कार ,आठ प्रकार के तििाह
का प्रचलन ,िैन ि बौि धमग का उद्भि आति।
Alexander Invasion in India

▪ षसकंदर (Alexander) ने िचपन िे ितु नया को तििने की ख्िाब िेखा िा।


▪ और, अपने िपने को िल्िी ही तिकंिर ने परू ा करिे हुए कई क्षेत्रों पर तििय प्राप्त की िी।
▪ तिकंिर ने भारि (Alexander Invasion of India) को िीिने के तलए एक प्रारंतभक
किम के रूप में, काबुल घाटी और उत्तर पषिम सीमा के पहाडी क्षेत्र पर तििय प्राप्त की िी,
▪ और, 326 ईसा पवू ा में षसकंदर ओषहन्द पहंचा गया िा, अटॉक के पाि।
▪ भारि िीमांिर आने के तलए िब तिकंिर ने एक चाल चली िी, झेलम नदी को पार करने के तलए।
▪ और, उि पार रािा ‘पोरस’ यि ु के तलए िैयार िे।
▪ इिके बाि हुई लड़ाई में रािा पोरि हार गया िा।
▪ हारने का कारन िा ”भारतीय उनकी एकता का अभाव”
▪ लेतकन तिकंिर ने रािा पोरि की बहािरु ी के तलए बहुि उिारिा िे व्यिहार तकया िा।
▪ इतिहाि में इि यि ु को ”हैडस्पेस” (Hydaspes) के नाम िे भी िाना गया है।
▪ िीि के बाि, ग्रीक सेना ‘ब्यास’ पहुचं गया िा।
▪ और, तिकंिर को 326 ईिा पिू ग में अपने स्िान िे िापि लौर्ना पड़ा िा।
▪ क्यों तक उनके िैतनकों ने आगे िाने िे इनकार कर तिया िा।
▪ ििा, तिकंिर ‘ब्याि’ के पार महान ”मगध साम्राज्य” िे डर गया िा।
▪ तिकंिर िि 323 ईसा पूवा में ”बेबीलोन” पहुचाँ ा िा।
▪ और, 33 विा की आयु में उनकी मृवयु हो गई िी।
Effects of this attack
▪ भारत और यूरोप के बीच भूषम और समुद्री मागा खोलकर, षसकंदर ने दोनों को एक दूसरे के करीब

लाया था।
▪ षसकंदर के आक्रमण ने एक एकीकृत साम्राज्य बनाने की आवश्यकता के षलए भारतीय राजनेताओ ं

की आाँखें खोल दी थी।


▪ आक्रमण की तारीख षसकंदर के प्रारंषभक भारतीय इषतहास की पहली षवश्वसनीय तारीख है।

▪ और, कालानक्र ु षमक कषिनाइयों को हल करने में काफी मदद करती है।

मौयग िाम्राज्य (322-185) ईिा पूिग - प्राचीन भारिीय इतिहाि

मौया साम्राज्य के संस्थापक – चंद्रगप्तु मौयग

मौया साम्राज्य - चंद्रगप्तु मौयग की तििय

मौया साम्राज्य - इतिहाि अध्ययन िामग्री और नोर््ि के िहि।


तिकंिर के आक्मर् के बाि, भारि में उत्तर पतिमी क्षेत्र को तितभन्न तििेशी हमलों का िामना करना पड़ा तिििे इन
भारिीय राज्यों में अशांति फै ल गई। िबतक, उि िमय शािन करने िाले नंद धनानंद िारा कृषि पर लगाए गए
अपने गभं ीर कराधान शासन के कारण लोकषप्रय नहीं थे। इि िरह की तस्ितियों ने अन्य अतधकाररयों को
शािन िंभालने का अििर तिया।

यह भारि के इतिहाि में ििग िबिे महान िाम्राज्यों में िे एक िा। मौयों का शासन 322 - 185 ई.पू. िहां
महान िंस्िापक िम्रार् चंद्रगप्तु मौयग द्वारा भारि के अतधकांश तहस्िे को एक राज्य के रूप में एकिर्ु तकया गया
िा। कौषटल्य या चाणक्य की मदद से चंद्रगुप्त मौया ने इस षवशाल साम्राज्य की नींव रखी।

चंद्रगप्तु के बाद, उनके पत्रु षबदं ु सार ने लगभग परू े उपमहाद्वीप पर राज्य का तिस्िार तकया। यह ध्यान तिया िाना
चातहए तक मौयग िाम्राज्य के पाि प्राचीन भारि में िबिे शतक्तशाली िेना िी। षबंदुसार के बाद मौया वंश का सबसे
बडा सम्राट अशोक आया। िे एक कुशल योिा और कुशल प्रशािक िे। कतलंग यि ु के बाि, अशोक बौि धमग
का अनयु ायी बन गया और उिने तमशनररयों को भेिकर भारिीय उपमहाद्वीप में इिका प्रिार तकया।

मौयग राििंश के शािकों के तििरर् का िर्गन हम एक अन्य पोस्र् में करें गे, पहले मौयग िाम्राज्य के बारे में एक अन्य
महविपर्ू ग तिषय पर तिचार करिे हैं, उनका प्रशािन

मौया साम्राज्य – शासक


चंद्रगुप्त मौया (324/321-297 ईिा पिू ग )
षबन्दुसार (297-272 ईिा पिू ग )
अशोका (232-268 ईिा पिू ग )
मौयग यगु

▪ ु स्रोत कौषटल्य (चाणक्य या षवष्णुगुप्त) का 'अिगशास्त्र' और मैगस्थनीज


मौया इषतहास के प्रमख
की पुस्तक 'इषं डका' है।
▪ ू ि का रािििू - 304 से 299 ई. पू. रहा।
मैगस्िनीि चंद्रगप्तु के िरबार में यनू ानी िम्रार् िैल्यक
▪ पाचं िीं शिाब्िी में षवशाखादत्त ने 'मद्रु ाराक्षस' नाम की पस्ु िक की रचना की। इि पस्ु िक में मौयग यु
ग का इतिहाि ितर्गि है।
▪ िायु पुरार् और तिष्र्ु पुरार् में भी मायग यगु की िानकारी उपलब्ध है।
▪ बौि िातहवय में 'दीप वंश', 'महावंश', 'बोषध वंश',
'टीका' तथा 'षदव्यवदान' आति में मौयग इतिहाि की िानकारी उपलब्ध है।
▪ िैन िातहवय में भद्रिाहु की रचना 'कल्पसूत्र' और हेम चंद्र की रचना 'पररषशष्टपवाान' में मौयायु
गीन इषतहास उपलब्ध है।
▪ तििेतशयों के िृिांि िैिे तिकंिर के िािी न्यारकि, उनैिीक्ीर्ि ििा अररस्र्ोबलि, स्र्ैबो कातर्गयि
, तडओडोरि, प्लर्ू ाकग , ितस्र्न, तप्लनी आति, चीनी यात्री फाह्यार्, िेर् िागं ििा इतविगं के तििरर्
आति िे मायग कालीन िानकारी प्राप्त होिी है।
▪ भारि के तितभन्न भागों, पातकस्िान और अफगातनस्िान अशोक के प्राप्त हुए 37 अषभलेख, रुद्रिम
न का िनू ागढ अतभलेख, मौयगकालीन कलाकृ तियां ििा भननािशेष, स्िपू ों, तिहारों, मठों, गफ
ु ाओ ं
आति िे ििा मौयगकालीन तिक्के भी उि िमय के इतिहाि पर प्रयाप्त प्रकाश डालिे हैं।
▪ चंद्रगप्तु मौयग ने अपने गरुु चार्क्य (कौतर्ल्य या तिष्र्गु प्तु ) की िहायिा िे मगध के शािक घनानंि
का िध करके 'मगध' पर अतधकार कर तलया िा।
▪ िाह्मर् ग्रंि के अनिार चंद्रगप्तु शद्रू िा िबतक 'मद्रु ाराक्षि' में उिके तलए 'िृषल' और 'कुलहीन' श
ब्ि का प्रयोग हुआ है।
▪ अिगशास्त्र चंद्रगप्तु मौयग के क्षतत्रय होने के िंकेि तमलिे हैं।
▪ बौि िातहवय 'महािश
ं ' और 'तिव्यििान' आति में चद्रं गप्तु मौयग को क्षतत्रय स्िीकार तकया गया है।
▪ चंद्रगप्तु मौयग की 'चंद्रगप्तु ' िंज्ञा का प्राचीनिम अतभलेखीय िाक्ष्य रुद्रिम के िूनागढ अतभलेख िे तम
लिा है।
▪ चंद्रगप्तु मौयग की ितक्षर् भारि की तििय के तिषय में िानकारी ितमल ग्रंि 'अहनानख
ू ' और 'मरु नानुर
' ििा अशोक के अतभलेखों िे तमलिी है।
▪ चंद्रगप्तु का िाम्राज्य उत्तर में षहमालय तथा पषिम में षहंदूकुश तक फैला था। इिकी राजधानी
पाटषलपुत्र िी।
▪ निं िश
ं का अिं कर चद्रं गप्तु ने इिना बड़ा िाम्राज्य स्िातपि तकया तक उिे ही भारिीय िाम्राज्य का
पहला ऐतिहातिक िंस्िापक माना िािा है।
▪ सवाप्रथम चंद्रगप्तु ने मगध पर आक्रमण षकया, इि यि
ु में में उिे असफलता तमली।
▪ इिके बाि उिने ििगप्रिम पंजाब और षफर मगध पर षवजय प्राप्त की।
▪ मगध की कें द्रय ित्ता हाि लगने के बाि उिने 305 ई. प.ू सैल्यूकस को पराषजत तकया।
▪ यि ू ि को अपनी पत्रु ी 'हेलन' का तििाह चद्रं गप्तु िे करना पड़ा।
ु में परातिि होने पर िैल्यक
▪ िैल्यक ू ि को हार के पररर्ाम स्िरूप कंधार, काबल ु , तहराि और बलतू चस्िान चंद्रगप्तु को िौंपने पड़े।
चद्रं गप्तु मौयग के पिाि उिका पत्रु 'तबिं िु ार' गद्दी पर बैठा।
▪ यनू ानी लेखकों ने षबंदुसार को 'अषमत्रघात' की उपाषध दी। पौरातर्क अनश्रु ुति में उिे 'नंििार' औ
र 'भद्रिार' तलखा गया है। िैन ग्रंि में 'तिििु ार' और चीनी ग्रंि में 'तबंिपु ाल' नाम तिया गया है।
▪ बौि ग्रंि के अनिु ार उिकी 16 रातनयां िीं तिनमें 'िभु द्रागी' प्रमख
ु िी।
▪ तबिं िु ार द्वारा अपने शािनकाल में तकिी प्रिेश की तितिि करने का प्रमार् उपलब्ध नहीं है।
▪ तबंििु ार ने यनू ान, तमश्र, िीररया आति िेशों िे मैत्रीपर्ू ग िंबंध बनाए।
▪ यनू ानी रािििू 'डैमकि' तबंििु ार के िरबार में आया।
▪ तबिं िु ार के शािनकाल में तमश्र के शािक ने एक रािििू 'डायोषनषसयस' भारि भेिा िा।
▪ परु ार्ों के अनिु ार तबंििु ार ने 25 िषग राज्य तकया िबतक बौि ग्रंिों उिका शािनकाल 27 या 2
8 िषों का बिाया गया है।
▪ षबंदुसार की मृत्यु 274 ई. प.ू में हुई िी।
▪ बौि ग्रंि के अनिु ार तबंििु ार के 101 पत्रु ों में िे 'िमु न' (ििु ीम) िबिे बड़ा,
'अशोक' ििू रा और 'तिष्य' िबिे छोर्ा िा।
▪ अठारह िषग की आयु में अशोक को 'अिंतिराष्र का प्रमख
ु बनाकर 'उज्ितयनी' भेिा।
▪ अशोक ने 'महािेिी' नाम की शाक्यकुलीन तितिशा की रािकुमारी िे तििाह तकया। महेंद्र और िंघ
तमत्रा अशोक और महािेिी के िंिान िे।
▪ अशोक के इलाहाबाि स्िम्भ लेख िे ज्ञाि होिा है तक उिकी ििू री पवनी का नाम 'कारूपाकी' िा
और उिके पत्रु का नाम 'तििर' िा।
▪ बौद्ध ग्रंथ के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों का वध करके षसंहासन पर अषधकार षक
या था। अशोक का बड़ा भाई ििु ीम हो उिका प्रतिद्वंद्वी िा।
▪ अशोक के गद्दी पर बैठने के बािििू उिके तितधिि् राज्यतभषेक होने में 269 ई. प.ू िक चार िषों
का तिलम्ब हुआ।
▪ कषलंग युद्ध 261 ई. प.ू हआ था। अशोक ने अपने राज्य के िेरहिें िषग में 'कतलंग' पर तििय
प्राप्त की।

ु का िर्गन अशोक ने तशलालेख 13 के अंिगगि स्ियं तलखिाए। कतलंग पर आक्मर् करने के कई


कतलगं यि
कारर् बिाए िािे हैं:

1. अशोक एक िीर योिा, महविाकांक्षी ििा िाम्राज्यिािी शािक िा।


2. मैगस्िनीि के अनिु ार कतलगं के शािक के पाि एक तिशाल और िदृु ढ िेना िी।
3. कतलंग अशोक के िाम्राज्यिािी शरीर में एक कांर्ा िा। राज्य की िरु क्षा, दृढिा और एकीकरर् के
तलए कतलंग को िीिना बहुि िरूरी िा।
4. अशोक ितक्षर् भारि िाने िाले िल और स्िल भागों पर अतधकार करना चाहिा िा।

'राििरंतगर्ी' के लेखक कल्हर् के अनिु ार अशोक भगिान तशि का अनयु ायी िा।

ऐतिहातिक स्रोि
चंद्रगप्तु के िीिन और उपलतब्धयों का िर्गन प्राचीन और ऐतिहातिक ग्रीक, तहंि,ू बौि और िैन ग्रंिों में तकया गया
है, हालांतक िे तिस्िार िे काफी तभन्न हैं। चंद्रगप्तु मौयग के िीिन का िर्गन करने िाले ऐतिहातिक स्रोि तिस्िार िे
काफी तभन्न हैं। चंद्रगप्तु का िन्म लगभग 340 ईिा पिू ग हुआ िा और लगभग 295 ईिा पिू ग में उनकी मृवयु हो
गई िी।

कालानक्
ु तमक क्म में उनके मख्ु य िीिनी स्रोि हैं:
भारि की िंिि में चरिाहा चंद्रगप्तु मौयग की मतू िग
▪ ग्रीक और रोमन स्रोि, िो िबिे परु ाने िीतिि अतभलेख हैं तिनमें चंद्रगप्तु या उनिे िंबंतधि पररतस्ितियों
का उल्लेख है; इनमें तनयरचि, ओनेतितक्र्ि, कै िंतड्रया के अररस्र्ोबुलि, स्रैबो, मेगस्िनीि,
तडयोडोरि, एररयन, तप्लनी ि एल्डर, प्लर्ू ाकग और ितस्र्न द्वारा तलतखि कायग शातमल हैं।
▪ परु ार् और अिगशास्त्र िैिे तहिं ू ग्रंि; बाि में रतचि तहिं ू स्रोिों में तिशाखित्त की मद्रु ाराक्षि, िोमिेि की
किािररििागर और क्षेमेंद्र की बृहिकिामंिरी में तकंिितं ियां शातमल हैं।
▪ बौि स्रोि िे हैं िो चौिी शिाब्िी या उिके बाि के हैं, तिनमें श्रीलंकाई पाली ग्रंि िीपिंश (राििंश
खंड), महािंश, महािंश र्ीका और महाबोतधिंश शातमल हैं।
श्रिर्बेलगोला में 7िीं िे 10िीं शिाब्िी के िैन तशलालेख; ये तिद्वानों के िाि-िाि श्वेिाबं र िैन

परंपरा द्वारा तििातिि हैं। [ मौयग िम्रार् का उल्लेख करने के तलए व्याख्या तकया गया ििू रा तिगंबर पाठ
10 िीं शिाब्िी के बारे में है िैिे तक हररिेना (िैन तभक्ष)ु के िहिकिाकोश में, िबतक चंद्रगप्तु के बारे
में परू ी िैन किा 12 िीं शिाब्िी में हेमचंद्र द्वारा पेररिष्टपिगन में पाई िािी है।
Sunga Dynasty : 185 BC – 73 BC Post Mauryan Period

▪ मौयग िाम्राज्य के अंतिम शािक बृहद्रथ िा।


▪ और, उनके िाह्मर् कमांडर िे पुष्यषमत्र सगुं ा।
▪ तिन्होने, 185 ईिा पिू ग में िगंु िश ं की स्िापना की िी।
▪ िगंु िश ं की रािधानी मध्यप्रिेश की तितिशा शहर िा।
▪ पष्ु यतमत्र िंगु ा िाह्मर् कुल िे िे।
▪ और, मौयग शािन काल में िाह्मर्िािी प्रभाि काफी कम िा।
▪ क्यंतू क उि िमय िैन धमग और बि ु धमग का काफी प्रभाि िा।
▪ और, िम्रार् अशोक ने भी बि ु धमग प्रचार के तलए काफी कुछ तकया िा।
▪ इितलए, िगंु िश ं के िमय काल में पष्ु यतमत्र िगंु ा ने िाह्मर्िािी प्रभाि का पनु रुिार तकया िा।
▪ तििकी ििह िे, भागवत धमा काफी महविपर्ू ग हो गया िा।
▪ पष्ु यतमत्र िंगु ा रूतढिािी तहंिू धमग का एक कट्टर अनयु ायी िा।
▪ और, पष्ु यतमत्र िंगु ा ने आपने शािन काल में दो ‘अश्वमेध यज्ञों’ भी कराये िे।
▪ तिनके पिु ारी पिंितल नाम का व्यतक्त िा।
▪ पििं तल का िन्म मध्य भारि में गोनािाग में हुआ िा।
▪ और, िे ‘महाभाष्य’ के भी लेखक िे।
▪ िंगु शािन काल में ही पष्ु यतमत्र िंगु ा ने कातलिाि द्वारा तलतखि नार्क ‘मालतिकातननतमत्र’ में आपने
पत्रु अषग्नषमत्र को इि नार्क का नायक बनाया िा।
▪ और, राजा पुष्यषमत्र ने आपने शासन काल के दौरान अशोक िारा षनषमात सांची स्तूप को घेरने
वाली बारीक प्रवेश रेषलगं का भी षनषमात करवाया था।
▪ हालााँतक, अतननतमत्र के बाि, वसुमित्र, वज्रमित्र, भागभद्र, देवभूमि िैिे कमिोर शािकों की एक
श्रृख
ं ला का अनिु रर् तकया गया िा,
▪ तिििे िगंु राििंश का पिन हुआ िा।

Kanva Dynasty : 73 BC – 28 BC
▪ िगंु िंश के अंतिम शािक देवभूषत िे।
▪ और, उनके मंत्री िे वासुदेव।

▪ तिन्होने 73 ईिा पूिग में, िग ंु िश


ं की रािा िेिभूति की हवया कर िी िी।
▪ और, तिह ं ािन पर कब्िा कर कण्व वश ं की स्िापना कर िी िी।
▪ कण्ि िंश की रािधानी तबहार के पार्तलपत्र ु िा।
▪ लेतकन, यह िंश ज्यािा िमय शािन कर नही पाया िा।

▪ ििा, इि िंश के अंतिम शािक ससुरमान िे।

▪ और, 28 ईिा पि ू ग में कण्ि शािन काल की अितध िमाप्त हो गई िी।


Satavahana Dynasty : 60 BC – 225 AD (Capital – Paithan)
▪ कण्ि िश ं के बाि 60 ईिा पिू ग – 37 ईिा पिू ग में िाििाहनों ने िक्खन (Decan) और मध्य भारि िक
आपने िाम्राज्य को फै ला तिया िा।
▪ और, षसमुका िाििाहन िंश का िंस्िापक िा।
▪ ििा, िाििाहनों को परु ार्ों में ितर्गि आन्रों के िमान माना िािा िा।
▪ ििा, िाििाहन िंश के महान शािक िे गौतमीपुत्र सातकणी।
▪ तिन्होंने 106 – 130 ईिा में िाििाहन शतक्त को पनु िीतिि तकया,
▪ और, शक (Sakas) क्षत्रप नहपान को हराया।
▪ और, 23 िें िबिे बड़े िाििाहन शािक िने।
▪ ििा, इि िंश के 24 िें शािक िातशतष्ठपत्रु श्री ििाकर्ी का तििाह शक क्षत्रप रुद्रिमन की पत्रु ी िे हुआ
िा।
▪ लेतकन उनके द्वारा िो बार परातिि हुए िे।
▪ और, इि िंश के 27 िें शािक यज्ञ श्री सातकणी अंतिम महान शािक िे।
▪ ििा, पल्लमवी III, इि िश ं का 30 िां शािक िा।
▪ िो अतं िम िाििाहन शािक िे।
▪ ििा, िाििाहनों की आतधकाररक भाषा प्राकृत िी।
▪ और, िाििाहन ने रािकोषीय और प्रशाितनक प्रतिरक्षा के िाि िाह्मर्ों और बौि तभक्षओ ु ं को भतू म िान
करने की भी प्रिा शुरू की िी।
▪ ििा, भारि में भूतम अनिु ान के िबिे पुराने तशलालेख में प्रमार् पहली शिाब्िी ईिा पिू ग के हैं।
▪ इिके इलािा, िाििाहनों ने मख्ु य रूप िे िांबे, कास्ं य के तिक्के भी िारी तकए िे।
Post Mauryan Period
The Indo – Greeks: 2nd Century BC

▪ मौयग काल में इडं ो – ग्रीक्ि उत्तर पतिमी भारि के पहले तििेशी शािक िे।
▪ और, उनके प्रतिि शािक का नाम िा मेनआनडर, तिन्हे षमषलंडा के रूप में भी िाना िािा िा।
▪ 165 – 145 ईिा पिू ग में तमतलंडा ने बौि धमग िे प्रभातिि होकर बौि धमग को अपना तलया िा।
▪ और, बौि धमग में उनके गरुु के नाम िे नागसेन तिन्हे नागाजानु के नाम िे भी िाना िािा िा।
▪ ििा, इडं ो – ग्रीक शािन काल भारि के इतिहाि में महविपर्ू ग है,
▪ क्योंतक बड़ी िख्ं या में तिक्के उिी शािन काल में िारी तकये गए िे।
▪ ििा, इडं ो – ग्रीक भारि में सोने के षसक्के िारी करने िाले पहले शािक िे।
▪ और, उत्तर पतिमी भारि में गांधार स्कूल को शरू ु करने का श्रेय इडं ो – ग्रीक के ऊपर िािा है।
▪ इिके िाि इन स्कूल में ‘हेलेतनक’ यानी ग्रीक िुतिधाओ ं और ग्रीक प्रभाि भी पाया गया है।
The Sakas : 1st Century BC – 4th Century AD

▪ भारि में इडं ो – ग्रीक की िगह बाि में शक (Sakas) ने ली िी।


▪ तिन्हे, स्काइषथयन के रूप में भी िाना िािा है।
▪ भारि में 130 – 150 ईिा में िबिे प्रतिि शक शािक के नाम िे रुद्रदामन।
▪ और, िे अपने िैन्यकरर् ििा िािगितनक कायों और िंस्कृ ि के िंरक्षर् के तलए भी प्रतिि िे।
▪ ििा, रुद्रिामन ने िाििाहन के तखलाप काफी लड़ाईया भी लड़ी िी।
▪ और, रुद्रिामन के इलािा नहापना, उषावदेव, घिामिका, चश्िाना आति.. महविपर्ू ग शक (Sakas)
शािक िे।

The Parthians : 1st Century BC – 1ST Century AD


▪मल
ू रूप िे पातिगयन ईरान के िे।
▪ और, शक (Sakas) के शािन काल में ही ईरान के पातिगयन ने उत्तर – पतिमी भारि में शक (Sakas)

की िगह ले ली िी।
▪ तििके कारर्, शक (Sakas) के शािन क्षेत्र को बहुि छोर्ा कर तिया िा।

▪ और, पातिगयन ने अपने क्षेत्र को बड़ा तलया िा।

▪ ििा, पातिगयन के िििे प्रतिि एक रािा िे,

▪ तिनका नाम गोंडफनेस िा।

▪ और, गोंडफनेि के शािन काल में ही िेंर् िॉमि (St. Thomas) ईिाई धमग के प्रचार के तलए भारि

आए िे।
The Kushans : 1st Century AD – 3rd Century AD
▪कुषार् मध्य एतशया के पााँच येऊची (Yeuchi) कुलों में िे एक कुल िे।
▪ कुषार् ने उत्तर – पतिमी भारि में पातिगयनों की िगह ली,

▪ और, तफर तनचले तिध ं ु बेतिन और मध्य गगं ा िक िाम्राज्य को तिस्िार तकया।
▪ प्रिम कुषार् िंश की स्िापना कडषफसेस I / कुजुल कडषफसेस द्वारा की गई िी।

▪ और, कुषार् िंश का िि ू रा रािा कडषफसेस II / वेमा कडषफसेस िा।


▪ तिन्होंने िोने के तिक्के िारी तकए िे।

▪ इिी िरह दूसरा कुषाण वंश कमनष्क द्वारा स्िातपि तकया गया िा।

▪ इिी शािन काल में कुषार् िश ं के रािाओ ं ने ऊपरी भारि पर अपने शतक्त का तिस्िार तकया िा।
▪ उनकी रािधातनयााँ पेशािर (परु ु षपरु ा) और मिरु ा में िीं।
▪ कुषार् िंश में 78 – 101 ईिा में िबिे प्रतिि कुषार् शािक कतनष्क िा।

▪ तििे षितीय अशोक के नाम िे भी िाना िािा है।

▪ उन्होंने 78 ईसा में एक यग ु की शरुु आि की िी।


▪ तििे शक युग के रूप में भी िाना िािा है।

▪ और, इि शक यग ु को भारत सरकार द्वारा उपयोग तकया िािा है।


▪ कतनष्क महायान बौि धमग का एक महान िंरक्षक िा।

▪ इनके शािनकाल में कश्मीर के कुंडलवन में 4 वें बौद्ध पररिद का आयोिन तकया गया िा।

▪ और, इिी पररषि में वसुषमत्रा ने अध्यक्षिा की िी।

▪ िहााँ बौि धमग के महायान रूप के तििांिों को अंतिम रूप तिया गया िा।

▪ और, इनके शािनकाल के िमय ही शाही िरबार में परसवा, वसुमित्र, अश्वघोष, नागार्ु न,

चरक और िथरु ा िैिे कुछ तिद्वानों को िंरक्षर् तमला िा।


▪ ििा, कुिाणों ने चीन िे शरू ु होने िाले प्रतिि रेशम मागा को तनयंतत्रि तकया िा।
▪ िो, उनके िाम्राज्य िे ईरान और पतिमी एतशया िक िािा िा।

▪ यह मागग कुषार्ों की महान आय का स्रोि िा।

▪ ििा, कुषार् भारि के पहले शािक िे,

▪ तिन्होंने व्यापक पैमाने पर िोने के तिक्के िारी तकए िे।

▪ और, इि िश ं के अंतिम महान शािक वासदु ेव प्रथम िा।


Facts About Post Mauryan Period
▪ Post Mauryan Period के िमय िीन स्कूल प्रमख ु िे।
▪ अिराविी स्कूल, गांधार स्कूल और िथर ु ा स्कूल ।
▪इनमे अमराििी स्कूल को ििु तज्िि तकया गया गया िा सातवाहन वंश के िमय।
▪ ििा, गाध
ं ार स्कूल और मिरु ा स्कूल को ििु तज्िि तकया गया गया िा,
▪ शक (Sakas) और कुिाण (Kushans) के िमय काल में।

▪ तििमे गांधार स्कूल में ग्रीक का काफी प्रभाि िा।

▪ िबतक, मिरु ा स्कूल को एक स्ििेशी रूप ने तिकतिि तकया िा।

▪ ििा, Post Mauryan Period के िमय 46 – 47 ईस्िी में,

▪ एक नाषवक, षहप्पालस, ने पतिम एतशया िे भारि के तलए मानिन ू िमद्रु ी मागग की खोि की िी।
▪ और, महविपर् ू ग बिं रगाह िे, बैरगाजा और बारबेररकम िो की पतिमी िर् पर िे।
▪ ििा, अररकमे डु बि ं रगाह पातं डचेरी पिू ी िर् के पाि िे।
▪ और, Post Mauryan Period में ही भारि का मध्य एतशया, चीन, रोमन तिश्व और ितक्षर् पि ू ग
एतशया िे िंपकग िा।
The Gupta Empire in Ancient India

▪ Gupta Empire की नींि तीसरी ििा चौथी शिाब्िी की शरुु आि में हुआ िा।
▪ मौयागकाल की िीिरी शिाब्िी ईस्िी में तीन राजवंशो का उिय हुआ िा।
▪ तिनमे मध्य भारत में नाग शषक्त, दषक्षण भारत में वाकाटक शषक्त ििा पूवी भारत में गुप्त वंश की
शतक्त प्रमख
ु िे।
▪ मौयग िंश के पिन के पिाि नष्ट हुई रािनीतिक एकिा को पनु ः स्िातपि करने का श्रेय गप्तु िंश को िािा है।
▪ गप्तु राििंश प्राचीन भारि के िभी राििश ं ों में िे प्रमख
ु एक राििश
ं िा।
▪ ििा, इि गप्तु िश ं का प्राचीन शरुु िािी राज्य आधषु नक भारत के उत्तर प्रदेश ििा षबहार है।
▪ ु िाि 280 ईशा के आिपाि िी।
गप्तु िाम्राज्य के प्रारंतभक शरू
▪ लेतकन, इि िाम्राज्य के पूर्ग शािन काल 319 ईसा से 540 ईसा िक िी।

Kings Shreegupta and his son Ghatotkachgupta

▪ Gupta Empire में िंस्िापक के रूप में श्रीगुप्त को िाना िािा है।
▪ हालांतक पूना ताम्रपत्र अतभलेख में श्रीगप्तु को ‘आषदराज’ कहकर िम्बोतधि तकया गया है।
▪ यातन श्रीगप्तु तकिी के अधीन शािक िा।
▪ क्यों की उि िमयकाल में महारािा की उपातध ‘सामन्तों’ को प्रिान की िािी िी,
▪ इिीतलए श्रीगप्तु भारतशिों शािक के अधीन प्रयाग राज्य का शािक िा।
▪ श्रीगप्तु के िाि इि राििंश में श्रीगप्तु का पत्रु घटोत्कच गुप्त प्रिम रािा बना।
▪ 280 ईसा के आिपाि गप्तु िाम्राज्य में पहले रािा हुये।
▪ इि िाम्राज्य में शािक घर्ोवकच का राज्य मगध के आि-पाि िक ही िीतमि िा।
▪ और, लगभग 467 ईसा िक यह िाम्राज्य का राि िा।
▪और, प्रारतम्भक गप्तु रािाओ ं का िाम्राज्य गंगा द्रोणी, प्रयाग, साके त (अयोध्या) ििा मगध िक
फै ला फै ला हुआ िा।
King Chandragupta I

▪ Gupta Empire में घटोत्कच गुप्त के बाि उनके पत्रु चन्द्रगुप्त प्रथम रािा बने िे।
▪ इि िाम्राज्य के चन्द्रगप्तु प्रिम स्ििन्त्र मगध शािक िा।
▪ चन्द्रगप्तु प्रिम का शािन काल 320 ईसा से 334 ईसा के आिपाि िी।
▪ और, उन्होंने मगध िाम्राज्य को तिस्िृि करने के तलए तलच्छति राज्य िे भी िंबंध िोड़े िे,
▪ षलछिषव के रािकुमारी कुमारदेवी के िाि चन्द्रगप्तु प्रिम का तििाह हुआ िा।
▪ तििके फलस्िरूप, मगध तलच्छति राज्य के क्षेत्र में िमातहि हो गया।
▪ और, इि िम्बन्ध को स्िातपि करके चन्द्रगप्तु प्रिम ने अपने राज्य मगध को रािनैतिक दृतष्ट िे िदृु ढ ििा
आतिगक दृतष्ट िे िमृिशाली बना तिया िा।
▪ ििा, चन्द्रगप्तु प्रिम ने कौशाम्बी और कौशल िैिे राज्यों के महारािाओ ं को भी िीि तलया िा।
▪ और, अपने राज्य में िमातहि करने के िाि िाि िाम्राज्य की रािधानी पाटषलपुत्र में स्िातपि कर िी
िी।
▪ चन्द्रगप्तु प्रिम ने ‘महाराजा षधराज’ की उपातध प्राप्त की िी।
▪ और, चन्द्रगप्तु प्रिम के शािनकाल में ही उन्होंने अपने तििाह की स्मृति में कुमार िेिी ििा उनके
तचत्र के तिक्के भी चलाए िे।

Gupta Empire king Samudragupta

▪ Gupta Empire में चंद्रगप्तु प्रिम के प्रिाि उनके पत्रु समुद्रगुप्त इि राििंश का रािा बने िे।
▪ िमद्रु गप्तु कुमारिेिी ििा चंद्रगप्तु प्रिम का पत्रु िा।
▪ और, िमद्रु गप्तु 335 ईसा से 380 ईसा पिू ग िक अपने रािगद्दी पर शािन तकया िा।
▪ इि िाम्राज्य की रािधानी पाटषलपत्रु िी।
▪ िमद्रु गप्तु प्राचीन भारिीय इतिहाि में गप्तु राििश ं का अिाधारर् िैतनक योनयिा िाला एक महानिम
शािक िा।
▪ और, हररिेण िेिे तिद्बान इनके िाम्राज्य के मन्त्री ििा िरबारी कति िे ।
▪ इिके िाि िे िमद्रु गप्तु की राििभा के एक महविपर्ू ग िभािि भी िे।
▪ और, इन्होने प्रतिि कृ ति ‘प्रयाग प्रशषस्त’ में िमद्रु गप्तु की िीरिा का िर्गन तकया है।
▪ िमद्रु गप्तु को नेपोषलयन की भी उपातध िी गई िी।
▪ िमद्रु गप्तु का महविपर्ू ग अतभयान ितक्षर् की िरफ़ िा।
▪ और, उन्होंने ितक्षर् में बारह षवजयों तकये िे।
▪ और, िमद्रु गप्तु एक अच्छे शािक होने के िाि िाि िे एक िंगीिज्ञ, कति और कला के िानकर भी िे।
▪ ििा, गप्तु िाम्राज्य में िमद्रु गप्तु का शािनकाल रािनैतिक तिस्िार और प्रतिि िांस्कृ तिक दृतष्ट कोर् के
कारर् इिे प्रषतष्ठा काल भी माना गया है।
▪ इिके िाि िमद्रु गप्तु ने तलच्छतियों के ििू रे राज्य नेपाल को भी अपने राज्य में तमला तलया िा।
▪ िमद्रु गप्तु ने एक तिशाल िाम्राज्य का तनमागर् तकया िो की उत्तर में षहमालय िे लेकर दषक्षण में षवन्ध्य
पवात िक िा।
▪ििा, पूवा में बंगाल की खाडी िे पषिम में पूवी मालवा िक तिस्िृि िा।
▪ लेतकन, तिन्ध, गि ु राि, कश्मीर और पतिमी रािस्िान को छोड़कर िमस्ि उत्तर भारि इि िाम्राज्य में
ितम्मतलि िा।
▪ ििा, ितक्षर् के शािक ििा पतिम भारि की तििेशी शतक्तयााँ भी इनकी अधीनिा को स्िीकार करिी िीं।

▪ और, िमद्र ु गप्तु ने भी ‘महाराजाषधराज’ की उपातध को धारर् की िी।


▪ इि िाम्राज्य में िमद्र ु गप्तु ने िबगप्रिम अश्वमेध यज्ञ भी कराये िे।
Gupta King Ramagupta

▪ 380 ईसा में िमद्रु गप्तु का िेहान्ि के प्रिाि, उनके पुत्र रामगुप्त Gupta Empire के रािा बने।
▪ और, रामगुप्त के िोटे भाई चन्द्रगुप्त षितीय िे।
▪ लेतकन, रामगप्तु एक कायर रािा िा।
▪ तििके चलिे िे शकों द्वारा परातिि होने िाि एक अपमान िनक ितन्ध कर अपने पवनी रुवस्वाषमनी को
शकरािा के पाि भेंर् कर तिया िा ।
▪ इिी के कारर् रामगप्तु तनन्िनीय के पात्र हो गया िा।
▪ लेतकन, रामगप्तु के छोर्े भाई चन्द्रगप्तु तद्विीय बड़ा ही पराक्मी ििा स्िातभमानी िा।
▪चन्द्रगप्तु तद्विीय ने ध्रिु स्िातमनी को उिार तकया।
▪ और, अपने बड़े भाई रामगप्त ु की हवया कर 375 इसा में चन्द्रगप्तु तद्विीय ने रािगद्दी पर आिीन हुये ,
▪ ििा, ध्रि ु स्िातमनी िे तििाह कर उन्हें अपना पवनी बना तलया,
▪ और, िच ु ारु रूप िे शािन करने लगे िे।
Gupta Empire king Chandragupta II Vikramaditya (Golden Age)

▪ चन्द्रगप्तु तद्विीय गप्तु साम्राज्य की शािक बनने के िाि ,


▪ उन्होंने वसुबन्धु को अपने िरबारी मन्त्री के रूप में तनयक्त ु तकया िा।
▪ ििबु न्धु िो की प्रतिि बौद्ध षविान िे।
▪ ििा, शकों के ऊपर भी चन्द्रगप्तु तद्विीय ने तबिय हातिल की िी।
▪ तििके कारर् इनकी िाम्राज्य की शतक्त और बड़ गई िी।
▪ चन्द्रगप्तु तद्विीय ने नाग राजवश ं के िाि भी िैिातहक िम्बन्ध स्िातपि की िी।
▪ उन्होंने, नाग रािकुमारी कुबेर नागा के िाि तििाह तकया िा।
▪ और, रािकुमारी कुबेर नागा ने एक कन्या को िन्म तिया िा।
▪ इि कन्या की नाम प्रभावती गुप्त िी।
▪ ििा, चन्द्रगप्तु तद्विीय ने अपने िाम्राज्य का और तबस्िार करने के तलए वाकाटकों राजवंश के िाि
िैिातहक िम्बन्ध भी िोड़े िे।
▪ उन्होंने अपने पत्रु ी प्रभाििी गप्तु की तििाह िाकार्क नरे श रूद्रसेन षितीय के िाि कर तिया िा।
▪ और, िाकार्कों और गप्तु ों की ितम्मतलि शतक्ि िे शकों का उन्मल ू न कर तिया तकया िा।
▪ चन्द्रगप्तु तद्विीय अपने िाम्राज्य की पररपक्क शािक होने के िाि िाि िे उच्चकोतर् का तिद्वान ििा तिद्या
का उिार िंरक्षक भी िा।
▪ और, िे एक महान िंगीिज्ञ भी िे, तििे िीर्ा िािन का शौक िा।
▪ििा, उन्हें कषवराज भी कहा गया है।
▪ और, अशीम पराक्मी के कारर् िे षवक्रमाषदत्य के नाम िे भी िि ं ार में प्रतिि हुये िे।
▪ ििा, चन्द्रगप्त
ु तद्विीय के शािनकाल को स्वणा यगु भी कहा गया है।
The winning sequence of Chandragupta II
▪ शकों पर तििय प्राप्त करने के बाि चन्द्रगप्त ु तद्विीय ने अपने िाम्राज्य को के िल मिबिू नही तकया,
▪ बतल्क उिका पतिमी िमद्र ु पत्तनों पर भी अतधपवय स्िातपि कर तिया िा।
▪ और, इि तििय के पिाि चन्द्रगप्त ु तद्विीय ने आपने Gupta Empire की रािधानी को उज्जैन में
स्िातपि कर तिया िा।
▪ इनका िाम्राज्य पषश्चम में गुजरात िे लेकर पूवा में बंगाल िक ििा उत्तर में षहमालय की

तापघटी िे दषक्षण में नमादा नदी िक तिस्िृि िा।


▪ ििा, उनके शािनकाल में ही चीनी बौद्ध यात्री फाषहयान भारि आये िे।

▪ फातहयान ने 399 ईस्वी से 414 ईस्वी िक भारि की यात्रा की िी।

▪ चन्द्रगप्त
ु तद्विीय ने िबिे पहले शकों द्वारा परे शानी करने िाली गिु राि के कातठयािाड़ ििा पतश्चमी
मालिा को 389 ईिा िे 412 ईिा के मध्य में आक्मर् कर तितिि तकया िा।
▪ उिके िाि, चन्द्रगप्त ु तद्विीय ने तिन्धु के पााँच मख ु ों को पार कर वाषहकों पर तििय प्राप्त की िी।
▪ ििा, िातहकों का िमिल् ु य कुषार्ों के िमरूप पाया गया है।
▪ उिके प्रिाि, उन्होंने बग ं ाल के शासकों के िघं के ऊपर तििय प्राप्त तकया िा।
▪ महाशैली स्िम्भ लेख के अनि ु ार यह िभी के ऊपर चन्द्रगप्तु तद्विीय ने तििय पाई िी।
▪ और, अपने िाम्राज्य में तिलीन कर तिस्िृि कर तिया िा।

▪ चन्द्रगप्त
ु तद्विीय की शािनकाल में ही उन्होंने अपने िरबार में षविानों ििा कलाकारों को आश्रय प्रिान
तकया िा।
▪ उनके िरबार में षवशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, षवष्णुशमाा , भास्कराचाया, अमरषसंह, शंकु,

वाराहषमषहर, आयाभट्ट, षवशाखदत्त, धन्वन्तरर और काषलदास िैिे नौ रत्न िे।


▪ िो इि िरबार के गौरि िे।

▪ और, 414 ईसा में चन्द्रगप्त ु तद्विीय की मृवयु हो गई िी।


Gupta Empire
Gupta Empire king Kumaragupta I

▪ चन्द्रगप्तु तद्विीय की मृवयु के बाि 415 ईसा में उनके पत्रु कुमारगुप्त प्रथम ने Gupta Empire की
रािगद्दी िभं ाली िी।
▪ िह चन्द्रगप्तु तद्विीय की पवनी रुवदेवी की िबिे बड़ा पत्रु िा।
▪ ििा, गोषवन्दगुप्त उनका छोर्ा भाई िा।
▪ और, िे वैशाली का राज्यपाल िा।
▪ इिके िाि कुमारगुप्त प्रथम ने अपने शािनकाल में भी समुद्रगुप्त की िमरूप दषक्षण भारत में तििय
अतभयान चलाया िा।
▪ और, कुमारगप्तु ने भी िमद्रु गप्तु की िरह अश्वमेध यज्ञ कराये िे,
▪ ििा, िमद्रु गप्तु की िरह कुमारगप्तु प्रिम ने भी तिक्के चलाये िे।
▪ और, षमलरक्द अतभलेख िे मालमू परिा हे की,
▪ कुमारगप्तु प्रिम का शािनकाल िव्ु यिस्िा ििा शातन्ि का शािनकाल िा।
▪ उन्होंने अपने िाम्राज्य को िंयोतिि और िुखि बनाये रखा िा।
▪ कुमारगप्तु प्रिम ने भी िमद्रु गप्तु और चन्द्रगप्तु प्रिम ििा तद्विीय की िरह कई उपातधयााँ धारर् कीं िी।
▪ श्री महेन्द्र षसहं , महेन्द्र कुमार, महेन्द्रा षदव्य और श्री महेन्द्र िैिे उपातधयााँ उनके अतधकार में िा।
▪ कुमारगप्तु प्रिम के शािनकाल में ही नालन्दा षवश्वषवद्यालय की स्िापना की गई िी।
▪ और, 455 ईसा में कुमारगप्तु प्रिम की मृवयु हो गई िी।
▪ कुमारगप्तु ने चालीस विों िक अपने िाम्राज्य पर शािन तकया िा।
▪इिके इलािा, कुमारगप्तु प्रिम स्ियं एक वैष्णव धमाानुयायी िा।
▪ और, उन्होंने धमा सषहष्णत ु ा नीषत का भी पालन तकया िा।
Gupta Empire king Skandagupta

▪ कुमारगप्तु प्रिम की मृवयु के िमय ही पष्ु यषमत्र ने Gupta Empire पर आक्मर् तकया िा।
▪ पष्ु यतमत्र उत्तर भारि के एक महान रािा िे।
▪ और, िे शुंग साम्राज्य के िंस्िापक भी िे।
▪ लेतकन, कुमारगप्तु प्रिम की पत्रु स्कन्दगुप्त ने पष्ु यतमत्र को यि
ु में परास्ि कर तिया िा।
▪ और, 455 ईसा में गप्तु िाम्राज्य के रािा के रूप में तिंहािन पर बैठा िा।
▪ उन्होंने, बारह विा िक िाम्राज्य में शािन तकया िा।
▪ ििा, षवक्रमाषदत्य, क्रमाषदत्य आति उपातधयााँ भी धारर् कीं िी।
▪ स्कन्िगप्तु के शािनकाल में ही उन्हें कई प्रकार के कतठनाइओ और परे शानीओ का िामना करना पड़ा िा।
▪ िैिे, उनके शािन काल में भारी िषाग के कारर् मौयगकाल में बनी सुदशान झील का बााँध र्ूर् गया िा।
▪ तििके चलिे िो माह के भीिर स्कन्िगप्तु ने अपने प्रचुर धन को व्यय करके पविरों की िड़ाई द्वारा उि झील
के बााँध को पुनतनगमागर् करिा तिया िा।
▪ लेतकन, िबिे अतधक परे शानी स्कन्िगप्तु को हूणों कबीले की लोगो ने तकया िा।
▪ हर् एक लर्ु ेरी और िगं ली िाति िी,
▪ और, तिनका मल ू स्िान वोल्गा के पिू ग में िा।
▪ िोल्गा यूरोप की एक निी है।
▪ और, इन्ही हर्ों की एक शाखा ने तहि ंक
ु ु श पिगि को पार करके फ़ारि ििा भारि की ओर रुख तकया िा।
▪ ििा, हर्ों ने िबिे पहले गाध ं ार पर कब्िा कर तलया और तफर गप्तु िाम्राज्य (Gupta
Empire) पर आक्मर् कर तिया िा।
▪ लेतकन, स्कंिगप्त ु ने इिी हर्ों की आक्मर् पर इि िंगली िाति को करारी तशकस्ि िी िी।
▪ तििके चलिे अगले 50 िषों िक हर्ों ने भारि की िरह रुख नहीं तकया।

▪ और, इिी गप्त ु राििंश में स्कन्िगप्तु आतखरी शतक्तशाली िम्रार् िे।
▪ इिके इलािा स्कन्िगप्त ु एक उिार शािक भी िा,
▪ तिन्हे, प्रिा के िख ु -िःु ख प्रति तनरन्िर तचन्िा रहिी िी।
▪ और, उनकी मृवयु 467 ईसा में हुई िी।

Decline Gupta Empire


▪ स्कंिगप्त ु की मृवय के प्रिाि परुु गप्तु गप्तु राितिंहािन पर बैठा िा।
▪ लेतकन बृि होने के कारर् िे िच ु ारु रूप िे अपने शािन को चला नही पाये िे।
▪ परु
ु गप्तु कुमारगप्तु का पत्रु िा।
▪ और, स्कन्िगप्त ु का िौिेला भाई िा।
▪ ििा, कुमारगुप्त षितीय, बुधगुप्त और नरषसंहगुप्त बालाषदत्य परु ु गप्तु के पुत्र िे।
▪ परुु गप्तु के िाि 445 ईसा में कुमारगप्तु षितीय ने Gupta Empire पर शािन तकया िा।
▪ ििा, कुमारगप्त ु तद्विीय के प्रिाि बध ु गप्तु ने 475 ईसा से 495 ईसा िक गप्तु राििंश पर शािन िनाये
रखे िे।
▪ बध ु गप्तु के प्रिाि उनका छोर्ा भाई नरषसंहगुप्त बालाषदत्य ने शािन तकया िा।
▪ परु ु गप्तु के िभी पत्रु में िे नरतिंहगप्तु बालातिवय िबिे शतक्तशाली ििा पराक्मी िा।
▪ और, इन्होने िंगली कतिले हर्ों के तनष्ठु र रािा षमषहरकुल को भी परातिि कर तिया िा।

▪ नालन्िा मद्र ु ा लेख में नरतिंहगप्तु को परम भागिि के रूप भी कहा गया है।
▪ नरतिंहगप्त ु के बाि उिका पत्रु कुमारगप्तु ततृ ीय मगध के रािा बना िा।
▪ इिके प्रिाि कुमरगुप्त िृिीय के मृवयु के बाि उिका पुत्र दामोदरगुप्त ने शिन तकया िा।

▪ और, िामोिरगप्त ु के बाि उनका पत्रु महासेनगुप्त शािक बना िा।


▪ उन्होंने असम नरे श सुषस्थत वमा न को भी परातिि तकया िा।

▪ ििा, महािेनगप्त ु के तनधन के बाि उनके पत्रु देवगुप्त और उिके प्रिाि माधवगुप्त इि गप्तु िाम्राज्य के
शािक िे।
▪लगभग 200 – 260 विों के आिपाि गप्तु िाम्राज्य ने शािन तकया िा।
▪ और, तफर इि िाम्राज्य की नीि कमिोर हो गई िी।

▪ तििके कारर्, 540 ईसा के आिपाि गप्त ु िाम्राज्य का पिन हो गया िा।
Administration of the Gupta Empire
▪ गप्त
ु प्रशािन अवयतधक षवके न्द्रीकृत िा,
▪ िश ं ानगु ि अनिु ानों में यह अिगव्यिस्िा के अधग – िामिं ी चररत्र को िशागिा है।
▪ इिमें स्ियं शातिि िनिातियों और िनिातियों के राज्यों का एक िंघ शातमल िा।

▪ िो गप्त
ु के प्रमखु अक्िर शाही शतक्तयों के प्रतितनतधयों के रूप में कायग करिे िे।
▪ इि प्रशािन में रािाओ ं को मंतत्रपररषि के एक मंत्री द्वारा िहायिा प्रिान की िािी िी।

▪ इि िरह की एक पररषि का अतस्िवि प्रयाग स्तंभ षशलालेख में तनतहि है,

▪ िो तिह ं ािन के तलए िमद्रु गप्तु के चयन पर ‘िभा’ ििस्यों की प्रिन्निा की बाि करिा है।
▪ गप्त
ु रािाओ ं ने महादृज, सम्राट, एकषधराज, चक्रवषतान िैिे अषतरंषजत उपातधयााँ लीं िी,
▪ िो उनके बड़े िाम्राज्य और िाम्राज्यिािी तस्िति को िशागिे िे।

▪ ििा, रािकुमार को तनयक्त ु करने की प्रिा प्रचलन िी।


▪ और, कुमारमात्य ने गप्त ु ों के अधीन उच्च अतधकाररयों की भिी के तलए मख्ु य कै डर का गठन भी तकया िा।
▪ तििमे मंत्री, सेनापषत, न्याय के महादद ं नायका मत्रं ी षनयुक्त होके आिे िे,
▪ इिके िाि शांषत और युद्ध के सषं धषवग्रह मत्र ं ी भी िे,
▪ तिन्हें आनुिंतशक रूप िे चन ु ा िािा िा।
▪ िंतधतिग्रह का कायागलय िबिे पहले समुद्रगुप्त के अधीन आिा िा।

▪ तििके तलए हररिे ण को उन्होंने इि पि के तलए तनयुक्त तकया िा।

▪ इिके इलािा अन्य महविपूर्ग अतधकारी भी िे, िैिे शाही महल की महाप्रषतहार, प्रमुख, घुडसवार सेना

की प्रमुख महाशवपषत, हाथी वाषहनी के प्रमुख,


▪ ििा, नगर-रक्षक षवभाग के मख् ु य अषधकारी आति ..
Administrative Unit of the Gupta Empire

Gupta Empire
Administrative Unit
▪ गप्तु काल के प्रान्ि को भुषक्त कहा िािा िा।
▪ तिनमे िे कुछ महविपर्ू ग भतु क्त िे, पवू ी मालवा, पषिमी मालवा, मगध, बधामान, पड्रुं वधान, तेराभषु क्त
उत्तरेन षबहार, सौराष्र, बधामान और मगध।
▪ और, शहर का प्रिशगन के तलए एक पररिद िा,
▪ तििे पौर कहा िािा िा,
▪ तििमे, नगर षनगम के अध्यक्ष, मुख्य लेखाकार, कारीगरों के एक प्रषतषनषध और व्यापाररयों के
श्रेणी के मुख्य प्रषतषनषध शातमल िे।
▪ िबतक मौयों के िहि, शहर ितमति को मौयग िरकार द्वारा तनयक्त ु तकया गया िा,
▪ और, गप्तु ों के िहि, इिमें स्िानीय प्रतितनतध शातमल िे।
▪ ििा, गप्तु काल के िौरान ही प्रशाितनक अतधकार का तिघर्न शरू ु हुआ िा।
▪ और, इि गप्तु शािनकाल में ही ग्राम प्रधान पहले की िल ु ना में अतधक महविपर्ू ग हो गए िे।
▪ इि गप्तु काल में पहली बार नागररक और आपराषधक कानून को स्पष्ट रूप िे पररभातषि और
पररिीतमि तकया गया िा।
▪ ििा, गप्तु रािा मख्ु यिः रूप िे भतू म रािस्ि पर तनभगर िे,
▪ िो की 1/4 िे 1/6 तबच में उवपािन के ऊपर कर ितं चि करिे िे।
▪ और, गप्तु काल में िेना िब ग्रामीर् इलाकों िे गिु रिे िे,
▪ उहा के लोगों द्वारा िेना को तखलाया िािा िा,
▪ और,इि कर को सेनाभक्त कहा िािा िा।
▪ििा, ग्रामीर्ों को भी शाही िेना और अतधकाररयों की िेिा के तलए वषशष्ठ नामक श्रम के अधीन तकया
गया िा।
▪ गप्त
ु काल में भतू म िे िड़ु ी अग्रहरा और देवघर िैिे अनिु ान शातमल िा।
▪ और, भतू म अनि ु ान में नमक और खानों पर शाही अतधकारों का एकातधपवय हस्िांिरर् िा।
The economy of the Gupta Empire

▪ गप्तु शािनकाल में अिगव्यिस्िा भतू म के अिं गगि िा।


▪ गप्तु काल में भूतम को पांच िमहू ों में वगीकृत तकया गया िा।
▪ िैिे की क्षत्रभूषम कृषि योग्य भूषम में िगीकृ ि िा।
▪ ििा, षखला को बंजर भूषम में भाग तकया गया िा।
▪ और, वास्तु भूषम को रहने योग्य भूषम ििा चरगाह भूषम को चरागाह भूषम में िगीकृ ि तकया गया िा।
▪ इिके िाि अपराजत भषू म को वन भषू म में भाग तकया गया िा।
▪ और, पष्ु पाला नामक एक अतधकारी ने तिले में िभी भतू म के भतू म हस्िािं रर् के अतभलेख (record)
को बनाए रखा िा।
▪ ििा, गप्तु ों ने स्िानीय तितनमय के तलए अच्छी िंख्या में चांिी के तिक्के भी िारी तकए िे।
▪ और, लम्बी अितध के व्यापार में गप्तु अितध में तगरािर् िेखी गई िी।
▪ क्यों की िीिरी शिाब्िी ईस्िी के बाि रोमन िाम्राज्य के िाि व्यापार में तगरािर् आई िी।
▪ और, भारिीय व्यापाररयों ने ितक्षर् पिू ग एतशयाई व्यापार पर अतधक भरोिा करना शरू ु कर तिया िा।
▪ तििके चलिे व्यापार िेिस्िा की रफ़्िार धीमी हो गई िी।
▪ और, गप्तु काल में िभी प्रान्ि पर व्यापार को िंभालने के तलए कुछ तिशेष िे।
▪ िैिे पव
ू ी तट के बदं रगाह को ताम्रषलषप्त और घटं शाला िभं ालिे िे।
▪ ििा, दषक्षण पव ू ा एषशया के िाि उत्तर भारतीय व्यापार को कंदूरा िभं ालिे िे।
▪ और, पषिमी तट की भार भडौच, चुल ििा कल्याण के ऊपर िी।

▪ ििा, कै म्बे ने भूमध्य और पषिम एषशया के िाि व्यापार तकया िा।

Culture of the Gupta Empire

▪ गप्तु काल में वास्तुकला के प्रति तिशेष िोर तिया गया िा।
▪ और, िास्िक ु ला को तीन श्रेषणयों में तिभातिि तकया गया िा। िैिे,
‘’चट्टान को काटा गया गफ ु ाएाँ’’ :
Rock Cut Caves
▪ एलोरा समह ू (महारास्र) और बाग (मध्य प्रदेश)
‘’संरचनात्मक मंषदर’’ :
Structural Temples
▪ देवगढ़ (झांसी षजला, यपू ी), भूरा का षशव मंषदर (नागोद, एमपी), षवष्णु और कंकाली मंषदर
(षतगावा, एमपी), नचना कुथवा का पावाती मषं दर (पन्ना षजला, एमपी), खोह का षशव मंषदर (
सतना, पन्ना, एमपी), षभतरगााँव के कृष्ण ईटं मंषदर (कानपुर, उत्तर प्रदेश), षसरपरु के लक्ष्मण मंषदर
(लक्ष्मण, एमपी), तथा षवष्णु मषं दर और वराह मषं दर (एमपी)
‘’स्तूप’’ :
Stupas

मीरपुर खास (षसध ं ), धम्मेख (सारनाथ), और रत्नाषगरी (उडीसा)
▪ ििा, इि िाम्राज्य ने िास्िुकला की महान ऊंचाइयों को प्राप्त तकया िा।
▪ नागर शैली (षशखर शैली) को तिकतिि करके , गप्तु कला ने भारिीय िास्िक ु ला के इतिहाि में प्रिेश
तकया िा।
▪ गप्तु काल में मतं िरो की िास्िक ु ला िबिे तितशष्ट तिशेषिाओ ं में िे एक िी।
▪ और, मतं िर की िास्िक ु ला अपने गभगगहृ (श्रीनाि कक्ष) के िाि तििमें भगिान की प्रतिमा रखी गई िी,
गप्तु काल िे शरू
ु हुई िी।
▪ देवगढ़ के दशावतार मंषदर के अिशेष, िबिे अलंकृि और खबू िूरिी िे बना गप्तु ा मंतिर भिन का
उिाहरर् है।
▪ और, पहली बार हमें तिष्र्,ु तशि और अन्य िेििाओ ं के तचत्र भी इि अितध में तमलिे हैं।
▪ बिु की िबिे अच्छे छतियों के नमनू े में िे िारनाि का एक बैठा हुआ बि ु तचत्र है,
▪ िो बि ु को धम्म का उपिेश िेिा हुआ िशागिा है।
▪ ििा, िाह्मर्िािी तचत्रों में िे शायि िबिे प्रभािशाली उियतगरर में एक गफ ु ा के द्वार पर राहि के रूप में
उके रा गया िा।
▪ इि काल की तचत्र बाग (धार षजला, एमपी) और अजंता (औरंगाबाद षजला, महाराष्र) में पाई िािी
है।
The literature of the Gupta Empire
▪ गप्त
ु काल की अितध में कुछ परु ानी धातमगक षहदं ू ग्रथ ं /पस्ु तकें तलखी गई ंिी।
▪ िैिे मनु स्मृषत, मत्स्य पुराण, षवष्णु पुराण, अथाात वायु पुराण, रामायण और महाभारत,

▪ और, कुछ बौद्ध पाि िे षवशुषदमाग (बौद्धघोि) ििा अषभधमाा कोि (षदग्नागा)

▪ और, जै न पाि िे न्यवतारम (षसद्देना)

▪ इिके िाि कुछ महिगपर् ू ग साषहत्य भी िे,


▪ िैिे धमा षनरपेक्ष साषहत्य में प्रमख ु िे, कुमारसम् भावम,् रघुवंशम, मेघदूतम,् अषभज्ञान शाकुण
तालम् (काषलदास), ऋतुसम्हर (प्रथम काव्य), मालषवकाषग्नषमत्र (पहला नाटक), पच ं तंत्र (षवष्णु
शमाा), मुदराक्ष (षवशाखदत्त), षकराताजानु ीय (भैरवी), षवक्रमवृषष्ट यम और कामसूत्र (वात्स्यायन)
▪ और, कुछ वैज्ञाषनक साषहत्य िे, वृहत् संषहता, लगह जातक (वाममषहरा), वृहत् जातक, अष्टांग

हृदय षचषकत्सा (वाग्भट्ट), आयाभटीय, सयू ा षसद्धान्त (आयाभट्ट), नवषनषधम (धन्वंतरर), ब्रह्मषसद्धांत
(ब्रह्मगुप्त) ििा पंच षसद्धान्तक
▪ और, इनमे िे कुछ िातहवय को अंग्रेिी में भी अनुिाि तकया गया िा।

▪ िैिे मनस् ु मषृ त ििा अषभज्ञान शकुंतलम (यानी शकुंतला की मान्यता) का अनिु ाि षवषलयम
जोन्स द्वारा अग्रं ेिी में तकया गया िा।
▪ और, ‘अषभज्ञान शकुंतलम साषहत्य को काषलदास द्वारा तलखा गया िा।

▪ इिके िाि काषलदास को भारत का शेक्सषपयर भी कहा िािा है,

▪ ििा, कामित्र ू के ऊपर िबिे शरुु आिी तकिाब भी है।


▪ और, िैज्ञातनक िातहवय ब्रह्मषसद्धांत का अनि ु ाि ‘षसंध-षहंद’ के िहि तकया गया िा।
▪ ििा, शहर के जीवन के यथाथा वादी, गण ु ी दरबारी वसतं सेना की प्रेम कहानी, मृछिकषटका (यानी
षमट्टी की गाडी) और एक गरीब ब्राह्मण चारुदत्त िैिे कुछ षचत्रण भी उल्लेखनीय है।
Gupta Empire Society
▪ Gupta Empire में िमाि की वणा व्यवस्था को िातियों के प्रिार के कारर् पररितिगि तकया गया

िा।
▪ और, इि िमाि में मख् ु य रूप िे तीन उपािान िे,
▪ िैिे बड़ी िख् ं या में तििेतशयों को भारिीय िमाि में आवमिाि तकया गया िा।
▪ ििा, उन्हें क्षतत्रय के रूप में िाना िािा िा।

▪ और, भतू म अनि ु ान के माध्यम िे िाह्मर्िािी िमाि में आतििािी लोगों का एक बड़ा अिशोषर् हुआ िा।
▪ इिके िाि आरोतपि िनिातियों को शद्र ू िर्ग में िमातहि कर तलया गया िा।
▪ ििा, व्यापार और शहरी कें द्रों की तगरािर् और तशल्पों के स्िानीय चररत्र के पररर्ामस्िरूप तशतल्पयों के
िमाि को अक्िर िातियों में बिल तिया िािा िा।
▪ और, इि अितध में शद्रू ों के िामातिक पिों में िधु ार के िाि िाि उन्हें महाकाव्यों और परु ाणों को िनु ने
के भी अनमु ति िी।
▪ ििा, कृष्ण नामक िेििा की पिू ा भी शद्रू ों द्वारा तकया िािा िा।
▪ और, तीसरी शताब्दी के बाि िे ही िमाि में अस्पश्ृ यता का प्रचलन िेि हो गया िा।
▪ इि अितध में मषहलाओ ं की षस्थषत भी खराब हो गई िी।
▪ ििा, बहुतििाह प्रचलन िामान्य िा।
▪ और, मतहलाओ ं के आभूिण और वस्त्रों के रूप में स्त्रीधन के अलािा तकिी भी िपं तत्त के अतधकार िे
िंतचि कर तिया गया िा।
▪ गप्तु शािक के िंरक्षर् में, वैष्णववाद बहुि लोकतप्रय िा।
▪ क्यों की िेििाओ ं की िंबंतधि िंघों के िाि उनकी एकिा द्वारा लोकतप्रयिा मतू िग को ितक्य तकया गया िा।
▪ तिििे षवष्णु के साथ लक्ष्मी का िड़ु ाि ििा पावाती का षशव के िाि िड़ु ाि हो गया िा।
▪ और, इिी गप्तु काल िे ही मषू ता पज ू ा षहदं ू धमा की एक िामान्य तिशेषिा बन गई िी।
▪ ििा, इि अितध में ही वज्रयाषनज्म और बौद्ध तांषत्रक पथ ं ों के तिकाि काल िा।

▪ Rajput Period की सातवीं शताब्दी में रािपिू भारि में उभर कर आिे हे और तितभन्न क्षेत्र पर
रािा बनकर अस्िातपि हो िािे है।
▪ लेतकन इतिहाि में रािपिू की उवपतत्त को लेकर कई इतिहािकारो का मि अलग अलग है।
▪ तििेशी इतिहािकार कनाल जेम्स टॉड के अनिु ार रािपिू िह तििेशी िातियााँ है, तिन्होंने भारि पर
आक्मर् तकया िा।
▪ और, िे रािपिू ों को षवदेशी सीषथयन जाषत की िमरूप मानिे िे।
▪ िीतियन िाति यूरेषशया के स्तेपी इलाके की एक प्राचीन खानाबिोश िातियों के गर्ु का नाम िा।
▪ ििा, रािपिू ों और िीतियन इन िोनों िातियों की िामातिक एिं धातमगक तस्िति एक बराबर िी।
▪ और, िोनों जाषतयों में पजू ा का प्रचलन, याषज्ञक अनुष्ठानों का प्रचलन, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का
प्रचलन,
▪ रथ के िारा यद्धु को सचं ाषलत करने का प्रचलन, रहन-सहन और वेश-भिू ा की िमानिा िी।
▪ तिििे यह प्रिीि होिा है तक रािपिू िीतियन के ही िंशि िे।
▪ परन्िु तििेशी इतिहािकार ‘वी.ए. षस्मथ’ और कषनंघम के अनिु ार शक ििा कुषार् िैिी तििेशी िातियां
िो भारि में आक्मर् करने के तलए आये िे।
▪ िही िाति आगे चलकर भारिीय िातियों के िाि तमतश्रि हो िािे है।
▪ और, कालक्म में रािपिू के रूप में उभरिे है।
▪ तििेशी इतिहािकार रािपिू ों को तििेशी इिीतलए मानिे िे,
▪ क्यों की यही इतिहािकार तििेशी िे,
▪ और, इनकी दृतष्टकोर् िे इतिहाि को इन्होने िेखा िा।
▪ ििा, भारतीय इषतहासकार िैिे डॉ. गौरी शंकर ओझा और दशरथ शमाा का मानना िा की भारि में
प्राचीन क्षतत्रयां िो िातियां िी,
▪ िह िातियां आया िे िम्बतं धि िे।
▪ और, उन्ही िातियों के िश ं ि बाि में चलकर के रािपिू ों के रूप में उभरिे है।

Chandbardai’s theory about the origin of Rajputs


▪ इतिहाि में चंदबरदाई चारण ने रािपि ू की उवपतत्त को लेकर एक अलग षसद्धांत तिया है।
▪ चंिबरिाई ‘’पृथ्वीराज-रासो’’ की रचतयिा है।

▪ पृथ्वीराज-रासो षहंदी भािा में तलखा एक महाकाव्य है।

▪ तििमे पृथ्िीराि चौहान के िीिन और चररत्र का िर्गन तकया गया है।

▪ और, चंिबरिाई षहन्दी साषहत्य के आतिकालीन कषव ििा पृथ्वीराज चौहान के षमत्र िे।

▪ चंिबरिाई चारर् तलखिे हैं तक रािपि ू ों की उवपतत्त अतननकंु ड िे हुई हैं।


▪ िब पृथ्िी िैवयों के आिंक िे आक्ान्ि और परे शान िी,

▪ िब महषिा वषशष्ठ ने िैवयों के तिनाश के तलए आबू पवात पर एक अषग्नकुण्ड का तनमागर् कर यज्ञ तकया।

▪ और, इि यज्ञ की अतनन िे चौहान, प्रषतहार, परमार, एिं सोलंकी / चालुक्य िैिे चार योद्धाओ ं की

उवपतत्त हुई।
▪ तििके फलस्िरूप अन्य रािपि ू िंश इन्हीं योिाओ ं की िन्िाने हैं।
Chauhan Dynasty in the Rajput period

▪ सातवीं शताब्दी में अजमेर के षनकट ‘’शाकम्भरी’’ में वासदु ेव के द्वारा चौहान वशं को स्थाषपत करने
का िर्गन तमलिा है।
▪ इि वंश के प्रारषम्भक शासक कन्नौज के गुज्जर प्रषतहार शासको के अंतगात अपना शासन करिे िे।
▪ और, दसवीं शताब्दी के शरुु िािी िौड़ में चौहान िंश के शािक ‘’वाकपषतराज प्रथम’’ ने आपने को
स्ििंत्र घोतषि कर तलया िा।
▪ इिीतलए चौहान िंश के वास्ताषभक संस्थापक के रूप में वाकपषतराज प्रथम को कहा िािा है।
▪ िैिे िो इि िंश के कई रािा हुए िैिे षसद्धराज, षवग्रहराज षितीय, षवग्रहराज ततृ ीया, अजयराज,
अणोराज, षवग्रहराज चतुथा और पृथ्वीराज चौहान तृतीया।
▪ इनमे िे अजमेर नगर की स्थापना इिी िंश के राजा ‘’अजयराज’’ ने आपने शािन काल के िौरान तकया
िा।
▪ और, अजमेर को आपनी राजधानी बनाई िी।
▪ और, इि िंश की रािा षवग्रहराज चतुथा ने आपने शािन काल के िमय तोमरो वंश की स्वतंत्रता को
िीनकर आपने आधीन सामन्त बनाया िा।
▪ तोमर राजवश ं ने षदल्ली शहर को बिया है।
▪ ििा, इि चौहान िंश के सबसे प्रतापी और शषक्त शाली राजा िे (1178 ईसा) पथ्ृ वीराज चौहान
ततृ ीया।
▪ इन्हे रायषपथौरा भी कहा िािा है।
▪ और, िे सोमेश्वर राजा के पत्रु िे।


▪ 1191 ईसा में पथ्ृ वीराज चौहान ततृ ीया ने एक यद्ध ु तकया िा मोहम्मद गोरी के िाि।
▪ तििे इतिहाि में तराइन का प्रथम युद्ध के नाम िे िाना िािा है।
▪ इि यिु में मोहम्मि गोरी हार िािा है, और पृथ्िीराि उिे छोड़ िेिा है, क्यों की िे बहुि ियालु तकिम के िे।
▪ लेतकन 1192 ईसा में मोहम्मि गोरी ने तफर िे आक्रमण तकया और पृथ्वीराज चौहान तृतीया
को तराइन का षितीय यद्ध ु में पराषजत कर िेिा है।
▪ इिके िाि इि िंश का राजा गोषवन्दा हुए लेतकन कुछ िमय के अन्िराल महु म्मि गौरी का गुलाम
कुतुबद्दु ीन ऐबक द्वारा चौहान िशं का िमन कर तिया िािा है।
Rajput Period
Pratihara Dynasty in the Rajput period

▪ गज ु ार प्रषतहार राजवश ं का स्िापना नागभट्ट प्रथम ने 725 ई॰ में की िी।


▪ यह राििश ं गज ु रात और राजस्थान के दषक्षण पषिम सीमा क्षेत्र िक फैला हआ एक भारिीय िंश िा।
▪ इि िाम्राज्य की प्रातम्भक रािधानी मध्यप्रिेश में बिा तशप्रा निी के तकनारे उज्जैन में िी।
▪ आिवीं शताब्दी में नागभट्ट प्रिम के िमयकाल में ही भारि में अरबों का आक्मर् शरू ु हो चक
ु ा िा।
▪ मुहम्मद षबन काषसम िह पहला मिु तलम शािक िा तिन्होंने तिन्ध और मल्ु िान पर अतधकार कर तलया
िा।
▪ इिके िाि कई मिु तलम आक्मर्कारी गिु राि के रास्िे भारि में घिु ने की प्रयाि तकया लेतकन नागभट्ट प्रिम
ने उनिभी को खिैड़ तिया िा।
▪ और, इि िंश की प्राितमक िानकारी पुलके षशन षितीय के ऐहोल षशलालेख िे तमलिी है।
▪ लेतकन, आठिीं शिाब्िी में गिु गर प्रतिहार िंश के और एक शतक्तशाली शािक वत्सराज के शािनकाल
में षत्रपक्षीय सघं िा हुए िे।
▪ तििमे, पूवा में पाल वंश, उत्तर में गुजार प्रषतहार एिं दक्कन ( Deccan) में राष्रकूट िे।
▪ और, िविराि ने कन्नौि के तनयत्रं र् के तलए पाल शासक धमापाल और राष्रकूट राजा दषन्तदुगा को
परातिि कर तिया िा।
▪ परन्िु राष्रकूर् शािक रुव धारविा ने लगभग 800 ई० में िविराि को परातिि तकया िा।
▪ और, ध्रिु धारिषग एकान्िरर् के िाि ही पाल नरे श धमगपाल ने तफर िे कन्नौि पर कब्िा कर तलया िा।
▪ िविराि के बाि उनका पत्रु नागभट्ट षितीय (805 – 833 ई॰) रािा बना,
▪ और, इन्होने धमगपाल िे कन्नौि को तिि कर आपने िाम्राज्य का कें द्र कन्नौि को बना तिया िा।
▪इिके बाि गिु गर-प्रतिहार िंश के िबिे प्रभावशाली रािा िे षमषहरभोज।
▪ इन्होने आपने शािनकाल मे कन्नौि के राज्य का अतधक तिस्िार तकया िा।

▪ ििा, तमतहरभोि तिष्र्ु के उपािक िे,

▪ और, इन्होने आषदवराह की उपातध भी धारर् की िी।

▪ तमतहरभोि का शािनकाल प्रतिहार िाम्राज्य के तलये स्वणा काल माना गया है।

▪ और, इि िंश का अंतिम शािक यशपाल िा।

Parmar Dynasty of Malwa in the Rajput period


▪ परमार िंश के िंस्िापक प्रमार िा।


▪ प्रमार ऋषि वषशष्ठ द्वारा अषग्नकुंड से प्रकट होने िाला एक पुरुि िा।
▪ ऋतष ितशष्ठ ने तिश्वातमत्र के तिरुि यिु में िहायिा प्राप्त करने के तलये आबु पिगि पर एक यज्ञ तकया िा।
▪ तििके फलस्िरूप प्रमार प्रकर् हुआ और ऋतष ितशष्ठ के िाि िेने का प्रर् तलया िा।
▪ इि िश ं के आिवीं शताब्दी के प्रारंतभक काल में उपेन्द्र कृष्णराज ितक्षर् के राष्रकूर्ो िंश के िामिं िे।
▪ लेतकन, राष्रकूर्ों के पिन के बाि (948 – 974 ई॰) षसंपाक षितीय के नेिवृ ि में परमार िंश को
मक्त
ु करा तलया गया िा।
▪ इिीतलए षसंपाक षितीय को परमार वंश का असल संस्थापक माना िािा है।
▪ तिंपाक तद्विीय के िो पत्रु िे वाक्पषत मुंज और षसंधरु ाज।
▪ इि िंश में िाक्पति मंिु अतधक शतक्त शाली रािा िे,
▪ ििा, इनके िरिार में पद्म्गप्तु , हलायथु और धनज ं य िैिे महान तिद्वानो का तनिाि िा।
▪ और, िे साषहत्य, कला एिं सस्ं कृषत के प्रधान िरं क्षक िे।
▪ ििा, कृ तत्तम मुंजसागर झील का तनमागर् भी इन्होने करिाया िा।
▪ िाक्पति मंिु ने चालुक्य सम्राट तैलप षितीय को िह बार यि ु में परातिि तकया िा।
▪ लेतकन सातवीं यद्ध ु में चालक्ु य िम्रार् तैलप षितीय ने वाक्पषत मज ुं को पराषजत कर उनकी हवया कर
िी िी।
▪ और, इि िंश में िाक्पति मंि ु के प्रिाि (995 – 1010 ई॰) षसध ं ुराज रािा बने,
▪ षसंधुराज की िरबार में रािकति पद्दमगुप्त द्वारा रतचि ‘नवसाहसांक चररतम’ में तिंधरु ाि की िीिन के

चररि का िर्गन तकया गया है।


Raja Bhoj (रािा भोि) in the Rajput period
▪ परमार िंश में तिधं रु ाि के बाि उनके पत्रु भोज (1010 – 1055 ई॰) रािा हुए और िे
एक कषवराज एिं सस्ं कृषत का महान िरं क्षक िे।
▪ राजा भोज ने तचतकविा शास्त्र में आयुवेद सवास्व और स्िापवय शास्त्र में समरांगणसूत्रधार िैिे 20 िे

अतधक ग्रंिों की रचना की िी।


▪ और, इन्होने भोजपुर नामक नगर की स्िापना की िी और आपने धारा नगरी में एक सरस्वती मषं दर ििा

एक संस्कृत महाषवद्यालय का तनमागर् करिाया िा।


▪ रािा भोि ने आपने शािन काल के िौरान कल्याणी के चालक् ु यों और अषन्हलवाड के चालक्ु यों को
परास्ि तकया िा।
▪ लेतकन चंदेल शासक षवद्याधर के हािों परास्ि हुए िे। ।

▪ ििा, रािा भोि के शािन काल के अंतिम चरर् में कल्यार्ी और अतन्हलिाड़ के चालक् ु यों ने तमलकर
मालिा पर आक्मर् तकया,
▪ और, रािा भोि को परातिि कर उनकी हवया कर िी िी।

▪ और, रािा भोि के मृवयु के प्रिाि “अद्यधारा षनराधारा षनरालम्बा सरस्वती” िनप्रिाि प्रचतलि हो गया

िा।
▪ तििका अिग है षवद्या और षविान् दोनों षनराषश्रत हो गए है।
Chaulukya / Solanki Dynasty of Gujarat

▪ गुजरात में अषन्हलवाड के चालक्ु य िंश को सोलक ं ी वंश के नाम िे िाना िािा है।
▪ िोलक ं ी िश ं को महषिा वषशष्ठ द्वारा तकये गए यज्ञ की अतननकुण्ड िे उवपन्न होने िाले रािपिू माने िािे है।
▪ प्राचीन ग्रिं कुमारपाल चररत और वणारत्नाकर में कुल 36 िोलक ं ी रािपिू ों का िर्गन तमलिा है।
▪ और, यह िंश में कुछ रािा शैव धमा के उपािक िे, परन्िु अतधकिर रािा जैन धमा को मानिे िे।
▪ िोलंकी िंश के संस्थापक के रूप में मूलराज प्रथम को िाना िािा है।
▪ और, अषन्हलवाड इि िश ं की राजधानी िी।
▪ इि िंश में महविपर्ू ग रािाओ ं में, भीम प्रथम, जयषसंह षसद्धराज, कुमारपाल और भीम षितीय िे।
▪ और, रािा भीम प्रथम के (1023 – 1065 ईसा) शािनकाल में ही महमूद गज़नवी ने 1025
ईिा में गज ु रात पर आक्मर् तकया
▪ और, सोमनाथ मंषदर को लूटा एिं नष्ट कर तिया िा।
▪ बाि में भीम प्रिम ने िोमनाि मंतिर को तफर िे ठीक करिा तिया िा।
ििा, भीम प्रिम के शािनकाल में उनके िामंि षवमलशाह ने माउंट आबू पवात पर षदलवाडा जैन

मषं दर का तनमागर् तकया िा।


▪ इिके बाि इि िंश में रािा जयषसह ं षसद्धराज के शािनकाल में प्रतिि जैन षविान् हेमचन्द्र इनके िरबारी
कति िे।
▪ और, राजा कुमारपाल के शािनकाल में कुमारपाल ने चौहान और परमार िंश की आक्मर् को तिफ़ल

कर तिया िा।
▪ ििा, पशुहत्या और मद्यपान के ऊपर प्रषतबंध भी लगाया िा।

▪ और, भीम षितीय रािा (1178 – 1238 ईसा) इि िश ं का अंषतम शासक िा।
▪ इन्होने मोहम्मद गोरी को 1178 ईसा और कुतुबद्द ु ीन ऐबक को 1195 ईसा में परास्ि तकया िा।
▪ लेतकन, बाि में कुिब ु द्दु ीन ऐबक ने भीम तद्विीय िे गिु राि के अतन्हलिाड़ को छीन तलया।
▪ और, 1201 में कुिब ु द्दु ीन ऐबक िे भीम तद्विीय ने आपने राज्य को तफर िे प्राप्त कर तलया िा।
Causes of the Decline of Rajputas
▪ भारि में िाििीं और बारहिीं शिाब्िी के मध्य में चौहान, प्रतिहार, परमार ििा िोलंकी / चालक् ु य राििंश
िे।
▪ परन्िु इन प्रमख् ु य राििंश के इलाबा और भी कई रािपिू िंश उभर कर आये िे,
▪ िैिे, गहडवाल वंश, बुंदेलखंड के चंदेल वंश और चे षद राजवंश आति…

▪ रािपि ू िंश के अबतध में मतहलाओ ं की तस्िति भी अच्छी िी मतहलाओ ं को उच्च पि पर तनयक्त ु तकया
िािा िा।
▪ लेतकन जौहर और सती प्रथा का भी प्रचलन िा।

▪ रािपि ू िश
ं का शािनकाल उत्तरी भारि में तिस्िृि िा।
▪ परन्िु आपिी मिभेि के कारर् यह रािपि ू ों अपने ही अलग गर्ु बनािे िे और ििू रों िे श्रेष्ठ होने का िािा
करिे िे।
▪ और, रािपि ू ों के मध्य में भाईचारे की भािना रखिे हुए गैर रािपिू ों को शातमल नहीं करिे िे।
▪ तिििे आपि में एकिा का अभाि होिा चला गया,

▪ और, रािपि ू ों के शािनकाल के िमय ही महमदू गज़नवी ने भारि पर 17 बार आक्रमण तकया िा।
▪ तििके कारर् तििेशी िाकि ने धीरे धीरे भारि पर कब्जा करना शरू ु कर तिया िा।
▪ और, रािपि ू ाने के राििंशों को षदल्ली सल्तनत की ििोपरी ित्ता को स्िीकार करनी पड़ी िी।
▪ लेतकन, मेिाड़ के रािपि ू शािक राणा सााँगा ने तिल्ली िल्िनि को परास्ि करने के तलए फ़रगना
घाटी के ज़हीरुद्दीन बाबर को भारि बुलाया िा।
▪और, 1526 में पानीपत के मैदान पर पहला यद्ध ु में बाबर ने लोदी वंश के अंषतम सुल्तान इब्राषहम
लोदी को हराया िा।
▪ लेतकन इििे रािपि ू ों को तिशेष िफलिा नही तमली िी।
▪ क्यों की 1527 में खानवा की युद्ध में जहीरुद्दीन बाबर ने रार्ा िााँगा को परास्ि कर भारि में मुगल

साम्राज्य को स्थाषपत कर िी िी।


Conclusion in summary
▪ मगु लों के पिन के प्रिाि भी Rajput period में रािपिू शािकों का कोई लाभ नहीं हुआ िा।
▪ क्यों की उि िमय अग्र ं ेि की आगमन भारि पर हो चक ू ा िा।
▪ और, अठारहिीं ििी के आिपाि िब मराठा और तपण्डाररयों की प्रभाि पड़ने लगा िा।

▪ िो, रािपि ू शािकों ने िरु क्षा हेिु अंग्रेजों िे िहायिा तलया िा।
▪ और, धीरे धीरे रािपि ू ों की एकिा आभाि के कारर् रािपिू िंश का प्रभाि धीरे धीरे कम होिा गया।

harsh vardhan dynasty


गप्तु िंश ने उत्तर आर पतिम भारि पर 6िी ििी के मध्य 160 िषग राज्य तकया, उनका ित्ता कें द्र उत्तर प्रिेश और
तबहार िा और उिके बाि उत्तर भारि अनेक राज्यों में बंर् गया।

गप्तु िाम्राज्य के पिन के बाि हररयार्ा के अंबाला तिले के िानेश्वर नमक स्िान पर ििगन िश
ं की स्िापना हुई। यह
िंश हर्ों के िाि हुए अपने िंघषग के कारर् प्रतिद्द हुआ।

ं में नरवद्धान , राजवद्धान, आषदत्यवद्धान एवं प्रभाकरवद्धान शािक हुए।


इि िश

प्रभाकरििगन के िो पत्रु राज्यवद्धान एवं हिावद्धान ििा पत्रु ी राज्यश्री िी।

हिा और उसका काल (606-647 ई)

हषग और उिका िाम्राज्य


प्रभाकरििगन के बाि राज्यििगन शािक बना पर उिकी हवया मालवराज देव गुप्त एवं गौड शासक शशांक ने
तमलकर कर िी और राज्यश्री को कन्नौि में तगर्िार कर तलया गया।

िब हषग ििगन रािा बना।

हषग ने षदवाकर षमत्र की सहायता िे राज्यश्री को खोि तनकाला और ििी होने िे बचाया। और उिे कन्नौि लेकर
आया िब ििगिम्मति िे िो कन्नौि का भी शािक बन गया।

इि िरह िे उिकी रािधानी िानेश्वर िे कन्नौि आ गयी।

कन्नौज

िाििी ििी िक >> पार्लीपत्रु के बुरे तिन आ गए और कन्नौि का तििारा चमका।

कन्नौि >> ऊंची िगह पर तस्िि >> िोआब के बीच तस्िि >> तकलाबिं ी करना आिान िा >> 7िी ििी में
उिकी उत्तम ढंग िे तकलाबंिी की गयी >> पिू ी और पतिमी िोनों बािओ
ु ं पर तनयंत्रर् >> िल और स्िल िोनों
मागों िे आ िा िकिे िे

वाणभट्ट = हषग का िरबारी कति >> हषगचररि नामक पस्ु िक तलखी

हुआन िांग = चीनी यात्री िो 7िी ििी में भारि आया और 15िाल रहा

हषग = भारि का अंतिम तहन्िी िम्रार् >> न कट्टर तहन्िू और न ही िारे िेश का शािक
पिू ी भारि में हषग ने गौड़ के शैि शािक शशांक तििने बोधगया में बोतधिृक्ष का कार् डाला िा, िे मक़
ु ाबला तकया
>> 619 ई में शशांक की मृवयु के बाि यह शत्रिु ा िमाप्त हुई

हषग ने गौड़ शािक शशाक


ं को हराया ।

ितक्षर् भारि में हषग के अतभयान को नमगिा के तकनारे चालक्ु य िंश के रािा पल
ु के तशन ने रोका

ु के तशन = आधतु नक कनागर्क और महाराष्र के बड़े भू भाग पर राि करिा िा >> रािधानी = कनागर्क के
रािा पल
बीिापुर तिले के बािामी में

हषग का राज्य कश्मीर को छोड़ कए उत्तर भारि िक ही िीतमि िा


हषग ने कश्मीर पर आक्मर् कर के िहााँ िे बद्दु का िांि लाकर कन्नौि के तनकर् एक िंघाराम में स्िातपि तकया।

चीन के िाि हषग ने तमत्रिा की और 641 ई में िहााँ अपने ििू भेिे । 643 और 646 ई में िो चीनी ििू उिके
िरिार में आए ।

प्रशासन

गप्तु िंतशयों के ढरे पर शािन तकया

शािन अतधक िामंतिक और तिकें तद्रि िा। इि कारर् परमभट्टारक , महारािातधराि, िकलोत्तरपिेश्वर,चक्ििी ,
िािगभौमपरमेश्वर , परममाहेश्वर िैिी उपातधयााँ िी
हषग के पाि 100,000 घोड़े और 60,000 हािी िे (मौयो के पाि के िल 30,000 घोड़े और 9,000 हािी
िे) >> यह िभी िामिं ों िे िहयोग प्राप्त करने पर ही िभं ि िा >> हरे क िामिं िामिं एक तनधागररि पैिल िैतनक
और घोड़े िेिा िा >> इि िरह उिने अपनी िही िेना को आकार में तिशाल बनाया ।
हषु की सेना को चिरु ं तगर्ी कहा िािा िा, तििमे पैिल, घड़ु ििार, रि और हािी की र्ुकतड़यााँ िी।

अवन्ती : यद्दु और शांति का मंत्री


षसंहनाद : िेना का प्रधान
कुंतल : घड़ु ििार िेना का प्रधान

राज्य को सवाुमधक आय भतू म िे ही तमलिी िी। उपि का 6th भाग कर के रूप मे तलया िािा िा ।

भोषगक :- कर ििल
ू ने िाला
पुस्तपाल :- िमीन का तहिाब रखने िाला

परु ोतहिों को भतू मिान तिया िािा िा

पिातधकाररयों को िनि (शािन पत्र ) द्वारा िमीन िी िािी िी >> इन िब की ररयायिें अनिु ान भोगी िैिी ही िी

राजकीय आय के चार षहस्से होिे िे :

1. एक रािा के खचग के तलए

2. एक तिियिानों के तलए

3. पिातधकाररयों और अमलों के बंिोबस्ि के तलए

4. धातमगक कायग के तलए


हषग के अतधक मात्र में तिक्के नहीं तमलिे >> क्योंतक अतधकाररयों को िेिन और परु स्कार के रूप में भूषम देने की
सामंती प्रथा हषग ने ही शुरू की

तितध व्यिस्िा अच्छी नहीं िी >> हुआन िागं की िरु क्षा के प्रबधं के िािििू उिके माल िब छीन तलया गया िा

अपराध के तलए कड़ी ििा का प्रािधान >> डकै िी रािद्रोह िा >> उिके तलए डाकू का िायााँ हाि कार् तिया
िािा िा

बौद्द धमग का प्रभाि >> िडं की कठोरिा कम की गयी >> आिीिन कारीिाि तिया िाने लगा

हुयान सांग (भारि िें 629 – 645) (मशलामदत्य)

hwansang chinese traveller

चीनी यात्री >> भारि भ्रमर् तकया


नालंिा महातिहार में पढने और भारि िे बौद्द ग्रंि बर्ोर कर ले िाने आया िा

नालंिा महातिहार = बौद्द तिश्वतिधालय >> तबहार के आधतु नक नालंिा तिले में

हषग के िरबार में कई िषग रहा , हषग ने हुयान सांग को मशलामदत्य कहा िा

इिकी कारर् हषग बौद्द धमग का महा िमिगक हो गया >> बौद्द धमग के तलए िान तिये

इिने िवकालीन लोगों के आतिगक और िामातिक िीिन पर ििा िवकालीन धातमगक िंप्रिाय पर तलखा

इिके अनिु ार पार्लीपत्रु पिनािस्िा में िा >> प्रयाग और कन्नौि महविपर्ू ग हो गए िे

िामंि और परु ोतहि >> िीिन तिलािमय िा

िाह्मर् और क्षतत्रय >> िािा िीिन िा >> खेिी करने लगे

इिने शद्रू ो को कृ षक कहा है

मेहिर और चांडालों पर निर डाली >> अछूि लोग >> गााँि के बाहर बििे िे >> लहिनु प्याि खािे िे >>
नगर में प्रिेश के पहले जोर जोर िे आिाि करिे िे िातक लोग उनके स्पशग िे बचे रहे

बौद्द धमा और नालदं ा


nalanda

चीनी यात्री के िमय बौद्द लोग = 18 संप्रदाय में बंर्े हुए िे

िबिे तिख्याि = नालिं ा महातिहार >> बौद्द तभक्षओ


ु ं को तशतक्षि करने के तलए एक महातिध्यालय िा >>
10,000 छात्र िे >> िभी बौद्द तभक्षु िे >> महायान िंप्रिाय का बौद्द िशगन पढाया िािा िा
तििने भिन खिु ाई में तनकले हैं >> ये 10,000 तभक्षओ
ु ं के रहने के तलए पयागप्त नहीं हैं

ई-तविगं = एक अन्य चीनी यात्री >> 670 में नालिं ा में आया िा >> इिके अनिु ार >> के िल 3000 तभक्षु
रहिे िे

नालिं ा तिश्वतिधालय का भरर् पोषर् 100 गााँि के रािस्ि िे होिा िा (हुआन िांग के अनुिार) >> ई-तविंग के
अनिु ार 200 गााँि िे

हषग के काल में नालंिा एक प्रतिद्द बौद्द तिहार िा

धाषमाक नीषत

1. हषग शरू
ु में शैि िा पर धीरे धीरे बौद्द का महान िंपोषक हो गया

2. कन्नौि में महायान के तिद्दांिों के प्रचार के तलए एक तिशाल िम्मेलन कराया

3. हुआन िांग और कामरूप के रािा भास्करिमगन के िाि बीि िेशो के रािा और तितभन्न िंप्रिायों के कई हिार
परु ोतहि पधारे

4. फूि के िो बड़े बड़े घर बनाए गए >> हर एक में हिार हिार लोग तर्क िकिे िे

5. एक तिशाल मीनार बनाई गयी तििके मध्य में बद्दु की स्िर्ग प्रतिमा बनाई गयी >> प्रतिमा की ऊंचाई हषग की
ऊंचाई तििनी ही िी

6. हषग ने इि प्रतिमा की पिु ा की और िािगितनक भोि तिया

7. िम्मेलन में शास्त्रािग का आरंभ हुआन िांग ने तकया >> उिने महायान िंप्रिाय के ििगर्ु ो का प्रतिपािन तकया
और बोला की कोई आकर उिके िकों का खंडन करे >> पर पााँच तिन िक कोई खड़ा नहीं हो पाया >> िब उिको
िान िे मारने की गयी

8. अचानक इि मीनार में आग लग गयी और हषग पर घािक हमला तकया गया

9. 500 िाह्मर्ो को तगर्िार तकया गया >> कुछ को तनिागतिि तकया गया और कुछ को मौि की ििा िी गयी

10. कन्नौि के बाि उिने प्रयाग में महािम्मेलन बल ु ाया >> िभी िामिं , मत्रं ी, िभ्य आति लोग शातमल हुए >>
बद्दु की प्रतिमा का पिू न हुआ >> हुआन िागं ने प्रिचन तकया >> अिं में हषग ने बड़े बड़े िान तकया और अपने
शरीर के िस्त्रो को छोड़कर िभी िस्िओु ं का िान तकया >> हुआन िांग ने हषग की प्रशंिा की

11. कुम्भ मेले को प्रारम्भ करने का श्रेय हषगिधगन को ही िािा है


Cheras dynasty in The Sangam period/age

▪ चेर राजवश ं का रािधानी वषज्ज िा।


▪ और, चेर ने ितमलनाडु का कोंगु क्षेत्र और के रल के मध्य और उत्तरी भाग पर शािन तकया िा।
▪ ििा, चेर राििंश के तनयंत्रर् में पतिमी िर्, मतु िरी और र्ोंडी के बंिरगाह िे।
▪ और, इि राििंश के िबिे महान रािा िे शेनगुटटवन।
▪ तिन्हे (Red Chera) ‘लाल चेर’ के नाम िे भी िाना िािा है।
▪ और, शेनगर्ु र्िन के शािन काल में ही पवनी पिू ा का प्रारम्भ तकया गया िा।
▪ तििे कण्णगी पज ू ा भी कहा गया है।
▪ और, चेर िाम्राज्य के िाि रोमन िाम्राज्य का भी अच्छी व्यापाररक िंबंध िा।
▪ तिििे, चेर रािा व्यापार में काफी उन्नति करिे िे।
▪और, इि राििंश का रािा शेनगर्ु र्िन पहले भारिीय रािा िे,
▪ तिन्होंने, ितक्षर् भारि िे आपने िि
ू को चीन में भेिा िा।
▪ और, इि िाम्राज्य का प्रिीक तचह्न “धनि ु -बाण” िा।
▪ ििा, यह िाम्राज्य के िीन पीतढयों का िानकारी ईिा की पहली शिाब्िी में पुगलुर षशलालेख के द्वारा पाई

गई है।
The Cholas–चोल राजवश ं

▪ चेर राििंश िाि चोल राजवंश आए।


▪ चोल राििश ं का रािधानी िा उरैयरू ।
▪ िो, कपास के व्यापार के तलए प्रतिि िा।
▪ और, यह तिरुतचरापल्ली के पाि तस्िि िा।
▪ चोलों के शािनकाल में मख्ु य क्षेत्र कावेरी डेल्टा िा।
▪ तििे बाि में ‘चोलमण्डलम’ के नाम िे भी िाना िािा िा।
▪ यह िाम्राज्य ितमलनाडु का मध्य और उत्तरी भाग का क्षेत्र को तनयन्त्रर् करिा िा।
▪ और, चोल िाम्राज्य के सूती कपडे का मख्ु य व्यापार िा।
▪ तिििे धन का उपािगन होिा िा।
▪ इि िंश के महान शािक िे कररकाल।
▪ तिन्होंने, कावेरीपत्तनम या पुहार नगर की स्िापना की िी।
▪ और, अपनी रािधानी उरै यूर िे कावेरीपत्तनम में स्िानांिररि तकया।
▪ इि िाम्राज्य का प्रिीक तचह्न बाघ िा।
▪ इिके िाि यह िाम्राज्य के पाि एक कुशल नौ-सेना भी िा।
▪ इिके अतिररक्त, िंगमकाल के िातहवय में तितभन्न कतििाओ ं में िेतण्र् के यि
ु का उल्लेख तमलिा है।
▪ तििमें कररकाल ने पाण्ड्य ििा चेर ितहि ग्यारह राजाओ ं को पराषजत तकया िा।
▪ कररकाल चोल रािाओ ं में ििागतधक महविपर्ू ग शािक िा।
▪ और, कररकाल ने अपने शािनकाल में व्यापार और िातर्ज्य क्षेत्र को भी िंपन्न बनाया िा।
▪ इिके इलािा कािेरी निी के तकनारे 160 तकमी. लम्बा बाधं भी बनिाया िा।
▪ और, पतत्तनप्पालै में उनके िीिनी ििा िैन्य अतधग्रहर् को भी िशागया गया है।

Sangam Period
इन्हे पड़े – Post-mauryan period Hindi
The Pandyas–पाण्ड्य राजवंश
▪ चोल राििंश के प्रिाि पाण्ड्य राजवंश आया।

▪ पाड ं े का उल्लेख िबिे पहले मेगस्िनीि ने तकया िा।


▪ तिन्होंने कहा िा तक पाण्ड्य के राज्य मोती के तलए प्रतिि िा।

▪ पाण्ड्य राििंश का राज्य भारिीय प्रायद्वीप के िि


ु रू ितक्षर् और ितक्षर्-पिू ी भाग में िा।
▪ और, पाण्ड्यों ने मिरु ै िे शािन तकया िा।
▪पाण्ड्य के प्राितमक रािधानी कोरकई िी।
▪ िो बग ं ाल की खाड़ी िम्परपरार्ी िगं म के पाि तस्िि िी।
▪ इिके िाि, पाण्ड्योर् के शािनकाल में तीन सग ं मो का भी आयोतिि हुआ िा।
▪ और, इिी तीन संगमो का संरक्षण पाण्ड्य राजाओ ं द्वारा प्रिान तकया गया िा।

▪ इिके इलािा, पाण्ड्य राज्य धनी और िमृिशाली िा।

▪ ििा, पाण्ड्य रािाओ ं ने तनयतमि शािन करिे हुए अपना िचगस्ि िनाये रक्खा िा।

▪ और, यह िाम्राज्य का प्रिीक तचह्न ‘मिली’ िी।

▪ और, इि राज्य में िाह्मर्ों का काफी प्रभाि िा।

▪ ििा, ईिा के शरू ु आिी शिातब्ियों में पाण्ड्य रािा िैतिक यज्ञ भी तकया करिे िे।
▪ लेतकन, िमाि में तिधिाओ ं के िाि बरु ा व्यिहार तकया िािा िा।

▪ और, नषल्लवकोडन िंगम यग ु का अंतिम ज्ञाि पाण्ड्य शािक िा।


▪ इिके बाि, 300 ईस्िी पूिग िे 600 ईस्िी पि ू ग के बीच कालभ्रस ने ितमल िेश पर कब्जा कर तलया िा।
▪ तििके िाि, Sangam period धीरे -धीरे पिन की िरफ अग्रिर हो गया िा।

▪ और, इतिहािकारों ने िग ं मकाल के पहले अितध को ‘अंतररम युग’ या ‘अंधकार युग’ कहा है।
Sangam period/age Literature
▪ Sangam period में ितक्षर् भारि का एक प्राचीन इतिहाि है।

▪ िगं मकाल को िीिरी और चौिी शिाब्िी की अितध के रूप में भी िाना िािा है।
▪ ििा, इि शिाब्िी में ितमल िातहवय का भी अच्छा प्रभाि िा।

▪ इितलए इि अितध को िंगम के रूप भी में िाना िािा है।

▪ िंगम ितमल कतियों का िमागम िा।

▪ और, यह तकिी प्रधान या रािाओ ं के िंरक्षर् में ही आयोतिि तकया िािा िा।

▪ 8 िीं ििी ई. में प्राचीन ितक्षर् भारि में िीन िंगमों का आयोिन तकया गया िा।

▪ इन िीन िग ं म के नाम िे, प्रमखु सगं म, मध्य सगं म और अंषतम सगं म।


▪ तििे ‘मछ ु चंगम’ (Muchchangam) के नाम िे भी िाना िािा िा।
▪ ििा, इन िंगमों को पाण्ड्य रािाओ ं द्वारा शाही िंरक्षर् प्रिान तकया गया िा।

▪ हालााँतक, पहला संगम पांड्यों की परु ानी रािधानी दस-मदुरै में आयोतिि तकया गया िा।

▪ तििमे, िेििा और महान िंि ितम्मतलि हुए िे।

▪ लेतकन, इि िंगम का कोई िातहतवयक ग्रन्ि मौिि ू नहीं है।


▪ इिी िरह, षितीय सग ं म कपाटपुरम् में आयोतिि तकया गया िा।
▪तििका िर्गन ितमल व्याकरर् ग्रन्ि ‘तोलकाषप्पयम’् में पाई गई है।
▪ और, तृतीय सग ं म उत्तर मदुरै में आयोतिि तकया गया िा।
▪ लेतकन, इि िग ं म के अतधकाश ं ग्रिं नष्ट हो गए िे।
▪ तिनमे िे कुछ ग्रंिों या महाकाव्यों के रूप में मौिि ू है।
Sangam period/age society
▪ Sangam period में िामातिक िीिन शैली उत्तर भारि की िंस्कृ ति ितक्षर् में प्रिार हुआ िा।

▪ िंगमकाल में ही ििगप्रिम ितमल क्षेत्र में िाह्मर्ों का आगमन हुआ िा।

▪ और, शासक, ब्राह्मण, वषणक ििा षकसान िैिे चार वणा िे।

▪ तििमे िाह्मर् को अंडनार, तकिान को वेलालर, शािक को अरसर ििा ितर्क को वेषनगर कहा गया है।

▪ िंगमकाल में शािक िगग और धनी कृ षक िगग को िैल्लाल िाति के रूप में भी िाना िािा िा।

▪ और, िैल्लाल के प्रमख ु को िेतलर कहा िािा िा।


▪ ििा, खेतों में काम करने िाले मििरू ों को कडेषसयर कहिे िे।

▪ चोल राज्य में धनी कृ षकों को ‘वेल’ ििा ‘आरशु’ की उपातध िी िािी िी।

▪ और, पाण्ड्य राज्य में इन्हें ‘कषवदी’ की उपातध िी गई िी।

▪ िंगमकाल में उच्च िैतनक िगों में ििी प्रिा का प्रचलन िा।

▪ इिके इलािा, िाि प्रिा भी प्रचतलि िा।

▪ और, इिी अितध में िाति प्रिा का आधार व्यििाय िा।

▪ इिी काल में अन्िरिािीय तििाह भी प्रचतलि िा।

Sangam period/age Economy


▪ Sangam period में ‘उरै यर ू ’ सतू ी वस्त्र उद्योग का एक महविपर्ू ग के न्द्र हुआ करिा िा।
▪ और, अतधकाश ं व्यापार िस्ि-ु तितनमय के िररए होिा िा।
▪ िंगमकाल में रोम के िाि व्यापार उन्नि अिस्िा में िा।

▪ िंगमकाल में पतिमी िेशों को सूती वस्त्र, रे शम, मोती, मसाला, काली षमचा और हाथीदांत आति

का षनयाात तकया िािा िा।


▪ िितक, पुखराज, तांबा, शराब, षसक्के , टीन, िपे हए वस्त्र और शीशा आति िस्िओ ु ं
को आयात तकया िािा िा।
▪ और, पह ु ार शहर तििेशी व्यापार का एक महविपर्ू ग स्िान िा।
▪ पह
ु ार ितमलनाडु का एक कस्बा है।
▪ इिे कावेरी पत्तनम के नाम िे भी िाना िािा है।
▪ ििा, इिकी स्िापना चोल शासको ने की िी।
▪ पह ु ार शहर इितलए महविपर्ू ग िा,
▪ क्यतंू क कीमिी िामान िाले बड़े िहाज इि क्षेत्र के बद ं रगाह में प्रिेश करिे िे।
▪ िंगम काल में ग्रीको का ितक्षर् भारि के िाि व्यापार िंबंध काफी अच्छे िे।

▪ इिके अतिररक्त, ग्रीक भाषा में चावल, अदरक आति िैिे शब्ि को ितमल भाषा िे तलए गए िे।

▪ इिी अितध में कृषि, पशुपालन ििा षशकार िैिे िीतिका मख् ु य िे।
▪ और, इिी िमयकाल में कृषि का षवस्तार ऋषि अगस्त्य द्वारा तकया गया िा।

▪ ििा, िग ं मकाल में जहाजों का षनमााण ििा कताई-बनु ाई िैिे महविपर्ू ग उद्योग िे।
Political Situation of the Sangam period/age
▪ Sangam period में िमस्ि अतधकार रािा में अंितनगतहि होिा िा।

▪ और, रािा के िन्मतिन के अििर को ‘पेरूनल’ कहा िािा िा।

▪ ििा, िग ं मकाल में कारवेन, मन्नम और वन्दन िैिे उपातधयााँ रािा एिं िेििा को िी गई है।
▪ िंगमकाल में रािा का िो िरबार होिा िा, उिे ‘नलबै’ कहा िािा िा।

▪ ििा, रािा के न्याय और रािनैतिक कायगकलाप के तलए सवोछच

न्यायालय और राज्यसभा को ‘मनरम’ कहिे िे।


▪ और, िाम्राज्य में रािा के िेना तक िो अग्र र्ुकड़ी होिी िी, उिे ‘तुशी’ कहा िािा िा।

▪ ििा, िेना की तपछली र्ुकड़ी को ‘कुले’ कहा िािा िा।

▪ इिके इलािा, लड़ाई में मारे गए िैतनकों की याि में िो पािाण मषू ता यााँ बनाई िािीं िीं।

▪ उिे ‘नड्डूकल’ या िीरक्कल कहा िािा िा।

▪ और, यि ु में मारे गए िैतनकों की बन्िी तस्त्रयों को िािी बनाकर उनिे मंतिरों में िीपक िलाने का कायग भी
करिाया िािा िा।
‘’ Education System of Sangam period/age’’
मशक्षा प्रणाली
▪ Sangam period के िमय िमाि में षशक्षा का प्रचलन प्रबल िा।
▪ तशक्षा को महिगपर्ू ग माना िािा िा।
▪ यह अितध काल षशक्षा और साषहत्य का िमागम िा।
▪ िहा पे तशक्षक को ‘कणकट्टम’ कहा िािा िा।
▪ और, तशक्षा पाने िाले को ‘षपल्लै’ कहा िािा िा।
▪ ििा, कला, षवज्ञान, गषणत, व्याकरण, षचत्रकला, ज्योषति, और मूषताकला िैिे तिषयो पर िमतु चि
ज्ञान प्रिान तकया िािा िा।
▪ और, ितमल कतियों के िमागम भी इिी िग ं मकाल में पाया गया िा।
Religious Position of Sangam period/age
▪ तषमल में भगवन षवष्णु को ‘षतरुमल’ कहा िािा है।

▪ िंगम िातहवय िे पिा चलिा है तक ितक्षर् भारि में आयग िभ्यिा का तिस्िार ऋतष अगस्वय द्वारा तकया गया

िा।
▪ और, िंगम यग ु में ितक्षर् भारि में वैषदक धमा का भी आगमन हुआ िा।
▪ ितक्षर् भारि में मुरुगन का उपािना िबिे प्राचीन है।

▪ प्राचीन में मरु गन का दूसरा नाम वेलन भी िा।

▪ और, मग ु ाा मरु गन का प्रिीक तचन्ह िा।


▪ ििा, वेल या बरिी मरु गन का प्रमख ु अस्त्र िा।
▪ इिके इलािा उि िमय में तकिान भी मे रूडम इद्र ं िेि की पिू ा तकया करिे िे।

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