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Theme : लमंडल
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By Sudarshan Gurjar
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ाथ मक च ान के ल ण-
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● अ ंत कठोर और कटाव के लए तरोधी।
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● जीवा का अभाव।
● सू तम कण क बनावट मोटी या महीन होती ह, जो मै ा के ठं डा होने क दर पर नभर करती ह।
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● इनम लौह ख नज चुर मा ा म होते ह।
● अ रीकृत तथा रवेदार च ान।
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ाथ मक च ान के 2 कार होते ह-
व भ उ ोग के लए एक मह पूण संसाधन ह।
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जा सकता ह-
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● हंगा ट गा-हंगा हाआपाई - दसंबर 2021 म एक सामु क ालामुखी म व ोट आ
● कवाची और ेट सट कन - सोलोमन ीप म एक ालामुखी म व ोट
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● कलाउआ - एक ढाल (Shield) ालामुखी संयु रा अमे रका
● नाइराग गो- कांगो लोकतां क गणरा म इस ालामुखी के व ोट से जान-माल क हा न होती ह।
● माउं ट एटना - इटली
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ालामुखी व ोट का पयावरण पर भाव -
● ालामुखीय राख या धूल एक व ोट के दौरान वातावरण म व ा रत होते ह और पृ ी पर एक परत का
नमाण कर सूय से आने वाले काश को रोक कर अ ायी शीतलन का कारण बनते ह। जैसे : माउं ट ाकाटाऊ
व ोट के ारा लघु हमयुग लाया गया।
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● ालामुखीय राख के ढर बड़ े म फैलते ह और ता म कमी का कारण बनते ह।
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● व ोट से भूकंपीय ग त व ध म वृ होती ह जससे भूकंप, भू लन, पंक वाह (mudflow), राख और गरज
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पृ ी के अ धकांश स य ालामुखी प र- शांत पेटी म पाए जाते ह ज " रग ऑफ फायर या अ वलय" भी कहा
जाता ह। ालामुखी व ोट का े ीय पयावरण के साथ-साथ पृ ी के मौसम और जलवायु पर अ का लक और
दीघका लक दोन भाव पड़ते ह। आपदा बंधन योजनाओं के या यन और वकास के मा म से हम उ चत कदम
उठाकर उनके भाव को कम कर सकते ह।
एक उपमहा ीप, महा ीप का उपखंड बनाने वाला एक बड़ा, अपे ाकृत - न हत भूभाग ह। भारतीय ेट पर त,
भारतीय उपमहा ीप का उपयोग अ र उन े को संद भत करने के लए कया जाता ह जनम भारत, पा क ान और
बां ादश शा मल ह, क उनक व श भौगो लक, राजनी तक और सां ृ तक पहचान ह।
● भारतीय उपमहा ीप जो पहले ग डवाना (एकअ ध महा ीप) का ह ा था, ने सव थम अंटाक टका और
मेडागा र को पृथक करना शु कर दया। तथा बाद म यह उ र पूव क ओर व ा पत होता चला गया और
लगभग 55 म लयन वष पहले यूर शयन ेट से टकरा गया।
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● भौ तक वशेषताओं के संदभ म, यह द ण ए शया म त एक ाय ीपीय े ह जो उ र म हमालय, प म
म ह ू कुश और पूव म अरकान ेणी से घरा आ ह। इसके उ र-द ण वभाजन प, उ र म सधु-गंगा का
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मैदान त ह, जसम सधु, गंगा और पु नदी तं शा मल ह और द ण म द न का पठार त ह,
जसके मुख नदी तं म महानदी, गोदावरी, कृ ा और कावेरी न दयाँ शा मल ह।
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● भारत, े फल क से ु नया का 7वां सबसे बड़ा दश ह ,जो हद महासागर म त ह वशेष प से, इसके
प म म अरब सागर, द ण प म म ल ीप सागर और पूव म बंगाल क खाड़ी त ह।
प र- शांत अ वलय ( रग ऑफ फायर) वह े ह जहां बड़ी शांत महासागरीय ेट आसपास क कई छोटी ववत नक
ेट से मलती ह और घोड़ क नाल का आकार बनाती ह। इसक सव मुख वशेषता स य ालामुखी और बार-बार
आने वाले भूकंप ह।
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ान -
अ वलय शांत, जुआन ड फूका, कोको, भारतीय-ऑ लयाई, ना का, उ री अमे रक और फलीपीन ेट
स हत कई ववत नक ेट के बीच क सीमा बनाते ए लगभग 40,000 कलोमीटर ल ाई तक फैली ई ह।
यह पेटी ट गा और ू ह ाइड् स, इं डोने शयाई ीपसमूह, फलीप स, जापान, कुरील ीप और अलेउ तयन जैसे
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गठन -
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उ भूकंपीय ग त व ध और ालामुखी का े -
(Geography Model Answer) UPSC Mains - Hindi Medium / Indian Geography
Theme : लमंडल
यह ु नया का सवा धक भूकंपीय और ालामुखीय प से स य े ह।
पृ ी के 85% से अ धक भूकंप इसी े म आते ह। यह पेटी, ववत नक ेट के सीमांत के साथ साथ न मत
ह। यह वह े ह जहां आम तौर पर महासागरीय सघन ेट, ू सरी कम घन वाली ेट के नीचे न लत
हो जाती ह। इस न लन े या सबड न जोन म जहां ेट अ भसरण सीमाओं पर अ ारो पत होती ह,
वहां ेट क ग तशीलता और उनका टटना, भूकंप का कारण बनता ह। इस कार यह ु नया का सबसे अ धक
भूकंपीय और ालामुखीय प से स य े ह।
● उदाहरण - 1960 का चली भूकंप, 1964 का अला ा भूकंप, 2010 का चली भूकंप, और 2011 का
जापान भूकंप और साथ ही वह भूकंप जसने 2004 क वनाशकारी हद महासागर सुनामी उ क।
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ालामु खय का नमाण न लन क या के कारण आ ह क अ वलय म पृ ी के अ धकांश
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न लन े त ह।
● उदाहरण - संयु रा अमे रका के 65 स य ालामुखी म से 27 ालामुखी केवल अलेउ तयन
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ीप समूह म त ह। जापान का माउं ट फ़ूजी, इं डोने शया का ाकाटोआ ालामुखी आ द।
त ल का गठन -
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प र शांत पेटी, उन त ल का घर ह, जहाँ से पृ ी के भीतर वार े म ऊ ा का उ म होता ह। यह
ऊ ा, वार के ऊपरी भाग म त च ान को पघलाने म सहायता करती ह। पघली ई च ान, जसे मै ा के
नाम से जाना जाता ह, भूपपटी म मौजूद दरार के मा म से पृ ी क सतह पर धकेल दी जाती ह, जससे
ालामु खय का नमाण होता ह।
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प र शांत पेटी या "अ वलय" अ धकांश भूकंपीय ग त व धय और ालामुखी याओं को आ य दता ह, यह पृ ी
के आतं रक भाग और उसके गठन को समझने म मुख भू मका नभाता ह। ले कन वै ा नक के एक हा लया अ यन से
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पता चला ह क शांत ेट, जो अ वलय म अ धकांश ववत नक ग त व धय को संचा लत करती ह, ठं डी हो रही ह।
उ ने पता लगाया ह क शांत ेट के सबसे नवीन भाग, ेट के पुराने भाग क तुलना म तेज़ ग त से शीतल और
संकु चत हो रह ह। इससे नई प रक नाओं और पृ ी के बार म अ मह पूण समझ का वकास हो सकता ह।
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आ कयो पलागो, जसे कभी-कभी एक ीप समूह कहा जाता ह, एक ृंखला, समूह या ीप का सं ह ह जो सागरीय े
म बारीक से बखर ए होते ह। आ कयो पलागो, अ र ालामुखीय होते ह, जो ालामुखी उ ार े म चापीय उ ार
के कारण बनते ह, ले कन यह कटाव, न ेपण और भू म के उ ान का प रणाम भी हो सकते ह। उनक भूवै ा नक उ
के आधार पर, ीपसमूह बनाने वाले ीप को महासागरीय ीप, महा ीपीय टकड़ या महा ीपीय ीप कहा जा सकता ह।
इं डोने शया और फलीप स ु नया के पाँच मु ीपसमूह म से दो ह।
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भौगो लक ान -
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इं डोने शया, ु नया के सबसे स य ालामुखीय व भूकंपीय े - शांत अ वलय और ु नया के ू सर सबसे स य
े - ए ाइड पेटी के बीच त ह।
सुंडा महासागरीय ेट (यूर शयन ेट का ह ा) और इं डो-ऑ लयाई ेट के बीच अ भसरण के कारण इं डोने शयाई
आ कयो पलागो का गठन आ था जब क सुंडा महासागरीय ेट और फलीपीन महासागरीय ेट के बीच अ भसरण के
कारण फलीपीन ीपसमूह का गठन आ था। फलीप स को बनाने वाले हजार ीप म से कई ीप को कोणीय आकर के
प म के वग कृत कया गया ह जो तीन ेट (यूर शयन ेट, फलीपीन महासागरीय ेट और इं डो-ऑ लयाई ेट)
क ट र के बाद न लन (सबड न) के प रणाम प बने थे।
गठन -
1. महासागर-महासागर अ भसरण म, दो महासागरीय
ेट आपस म अ भसरण करती ह या टकराती ह।
इन ेट क ग त करने का कारण भूपपटी के नीचे
पाए जाने वाले मै ा ( पघली ई च ान) का मंथन
ह।
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2. दोन ेट म से सघन ेट े पत होकर,
अ भसरण े के नीचे ुबलताम ल म चली जाती ह और सतह पर एक गत का नमाण करती ह। अ भसरण
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े के नीचे के इस े को न लन का े या बेनी मेखला या बेनी ऑफ़ जोन कहा जाता ह।
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म उप त अवसाद पघल कर मै ा के प म पांत रत हो जाते ह।
साथ-साथ बनते ह।
6. धीर धीर ये पवत वलीन हो जाते ह और महसगरीय भूपपटी एक समयांतराल के बाद, महा ीपीय भूपपटी म बदल
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जाती ह।
दोन ही दश आ कयो पलागो ह, इनके पास बड़ी मा ा म छोट-बड़ ीप मौजूद ह, इं डोने शया म कुल 17,000 ीप ह,
जनम से लगभग 6,000 पर लोग नवासरत ह। सबसे बड़ ीप सुमा ा, जावा, कालीमंतन, सुलावेसी और ू गनी का
इं डोने शयाई भाग ह। फलीप स म हालां क 7,641 ीप ह। दोन उ क टबंधीय ीपसमूह ह जो ाकृ तक आपदाओं जैसे
ालामुखी व ोट, भूकंप, सुनामी और तूफान से ह। इस कार, इ वनाश से बचाने के लए इनके भू व ान को
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समझना मह पूण ह।
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● ए शया म हमालय, द ण अमे रका म एं डीज़, यूरोप म अ और उ री अमे रका म रॉक ज़ पवत ंखला, व लत
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पवत के कुछ मुख उदाहरण ह।
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महा ीप के सीमा पर व लत पवत क अव त के कारण -
● व लत पवत अ र महा ीपीय भूपपटी पर न मत होते ह। वे अ भसरण ेट क सीमाओं पर न मत होते ह, ज
कभी-कभी महा ीपीय टकराव े या संपीड़न े भी कहा जाता ह।
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● एक संपीड़न े म, ववत नक ग त व ध महा ीपीय ेट के अवसाद को स ी ड़त होने पर मजबूर करती ह।
इस कारण से, अ धकांश व लत पवत महा ीपीय ेट के कनार या पूव कनार पर पाए जाते ह
● अवसादी च ान क सबसे मोटी परत आमतौर पर महा ीप के कनार पर ही त होती ह। यह व लत पवत के
ान नधारण का एक और कारण ह।
● महा ीपीय ेट के सीमांत क च ान, अ र महा ीपीय आं त रक भाग म पाई जाने वाली च ान क तुलना म
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कमजोर और कम र होती ह। इससे वे स ी ड़त और व लत होने के त अपे ाकृत अ धक संवेदनशील होती
ह।
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व लत पवत क अव त-
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● कई बार भूकंप तब भी आते ह जब ेट एक- ू सर से टकराती ह।
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व लत पवत और ालामुखी याओ ं के बीच संबंध -
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● ालामुखी या, आमतौर पर महा ीपीय-महासागरीय अ भसरण म होता ह।
● इसका कारण यह ह क महा ीपीय-महा ीपीय अ भसरण म मोटी महा ीपीय भूपपटी परत मै ा के ब हवाह को
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रोकती ह। इस कार के अ भसरण म अ धकांशतः मै ा भूपपटी के भीतर ही भंडा रत रहता ह।
● मह ीपीय-महासागरीय अ भसरण म, पांत रत अवसाद और न लत ेट के पघलने से मै ा का नमाण
होता ह जो अपे ाकृत कम मोटी महा ीपीय परत के मा म से पृ ी क सतह पर नकल आता ह।
● उदाहरण- नाज़का ेट क सघन महासागरीय ेट, कम घन वाली द ण अमे रक महा ीपीय ेट के नीचे
लत होकर एं डीज़ का नमाण करती ह। जो द ण अमे रक ेट क मोटी, कम घन वाली च ान और
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अवसाद के वलन का प रणाम ह। एं डीज़ पवतमाला क तलछटी और पांत रत च ान स य और सु
ालामु खय से यु ह।
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उदाहरण - नेपाल और उ राखंड के भूकंप, हाल ही म माउं ट एटना, स सली ालामुखी का व ोट।
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महा ीपीय व ापन स ांत का समथन करने वाले सा -
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1. ज ॉ उपयु ता -
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○ द ण अमे रका का पूव तट और अ का का प मी तट एक ज ॉ पहली के टकड़ क तरह एक
ुसर से सा ता रखते ह
○ वेगेनर ने पाया क उनक च ान क परत भी उतनी ही प से सा ता दशाती ह।
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2. भूवै ा नक संरचना -
○ ाज़ील के तट पर ाचीन शैल समूह क पे टयाँ प मी अ का म पाई जाने वाली शैल समूह से मेल
खाती ह।
○ द ण अमे रका और अ का के तट पर पाए जाने वाले ाचीन समु ी न ेप, जुरा सक युग के ह।
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इसका ता य यह ह क उस समय से पूव ये महासागर कभी अ म नह थे।
3. जीवा म समानता -
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4. टलाइट -
○ यह हमनदी न ेप से न मत एक अवसादी च ान ह।
○ भारत के अवसाद क ग डवाना णाली को द णी गोलाध म 6 अलग-अलग भूभाग म अपने समक
के प म मा ता ा ह।
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5. ेसर न ेप -
○ महा ीप म कोई ात संसाधन न होने के बावजूद द ण अमे रक तट पर सोने के भंडार क उप त,
इससे ात होता ह क वे अ क महा ीप से प जया के टटने से पहले जमा ए थे।
○ द ण अमे रका, अ का, मेडागा र, अरब, भारत, अंटाक टका और ऑ लया म पम -काब नफेरस
हमनदी अवसाद का ापक वतरण महा ीपीय व ापन के स ांत के मुख सा म से एक था।
महा ीपीय व ापन स ांत काफ समय तक एक मुख स ांत रहा, हालाँ क व यु के बाद समु तल का मान च ण
और इसी तरह के अ अ यन ने वै ा नक का कोण बदल दया। सागर नतल सरण, ंश घाटी नमाण और
न लन (जहां भारी ववत नक ेट ह ेट के नीचे दब जाती ह) क याएं 1960 के दशक तक अ ी तरह से
ा पत नह थ । वेगेनर ने जसे महा ीपीय व ापन के प म मा ता दी, उसके पीछ ये मु भूग भक श याँ थ और
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इस कार लोग संवहन स ांत और ेट ववत नक स ांत क ओर अ सर ए।
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मटल ूम, पृ ी के मटल ( वार) के भीतर संवहन का एक ा वत तं ह, जसे वषम ालामुखी को समझाने हतु
प रक त कया गया ह। यह मटल के भीतर से असामा प से गम च ान का उ ान ह। ऐसा माना जाता ह क ये म
पृ ी क सतह से लगभग 2,900 कलोमीटर नीचे, कोर-मटल सीमा के पास उ होते ह। क ' म हड' उथली
गहराई तक प चं ने पर आं शक प से पघल जाता ह, म को अ र ालामुखीय हॉट ॉट के कारण के प म माना
जाता ह। यह पघला आ पदाथ ए ेनो यर और लथो यर को गम करता ह, जससे ालामुखी व ोट होता ह।
मटल एक आकषक भूवै ा नक घटना ह जसे व भ भूवै ा नक वशेषताओं और याओं के लए उ रदायी माना
जाता ह, जसम ालामुखी हॉट ॉट, म -महासागर क चो टयाँ, ालामुखी ीप ृंखला और महा ीपीय दरार आ द
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शा मल ह।
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ेट वव त नक म मटल क भू मका-
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● ेट संचलन और हॉट ॉट- मटल को पृ ी क सतह पर हॉट ॉट के नमाण के लए उ रदायी माना
जाता ह। जैसे ही ववत नक ेट अपे ाकृत र मटल म पर ग त करती ह, ालामुखीय ीप या सागरीय
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पवत क एक ृंखला का नमाण कर सकती ह। हवाई ीप ऐसे हॉट ॉट ल का एक उ ृ उदाहरण ह, जहाँ
शांत ेट, र हवाई हॉट ॉट पर ग त करती ह, जससे ालामुखीय ीप क एक ृंखला का नमाण होता
ह।
● महा ीपीय ंश- कुछ मामल म, मटल महा ीपीय ंश के नमाण म योगदान कर सकते ह, जहाँ एक
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ववत नक ेट पृथक होने लगती ह, जससे अंततः नए महासागर बे सन का नमाण होता ह। त मटल साम ी
के ऊपर उठने से लमंडल कमजोर हो सकता ह, जससे इसम खचाव और दरार पड़ने का खतरा बढ़ जाता ह।
हालां क मटल क अवधारणा को ापक प म ीकार कया गया ह, वै ा नक समुदाय म उसक सटीक कृ त,
वहार और पृ ी क ग तशील याओं म भू मका के बार म शोध और बहस चल रही ह। जैस-े जैसे ौ ो गक और
पृ ी के आं त रक भाग के बार म हमारी समझ वकास करती जा रही ह, हम इन रह मय वशेषताओं म और अ धक
अंत क उ ीद कर सकते ह।