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3. उत्तर प्रदेश का भौतिक विभाजन व जलवायु-1
3. उत्तर प्रदेश का भौतिक विभाजन व जलवायु-1
77°30′ पूवी िे शाां िर से लेकर 84°39′ पूवी िे शान्तर के मध्य दृदिगि होिा है ।
इस प्रकार उत्तर प्रिे श का अक्ाां शीय दवस्तार 7°36′ िथा िे शान्तरीय दवस्तार 7°09′ है । क्ेत्रफल के सांिर्भ में उत्तर
प्रिे श राजस्थान, मध्य प्रिे श व महारािर के बाि 2,40,928 वगभ दकमी क्े त्रफल के साथ चौथे स्थान पर है जो दक
सम्पूर्भ र्ारि के क्े त्रफल का 7.33% र्ाग है ।
उत्तर प्रिे श राज्य कुल 8 राज्यं एवां 1 केंद्रशातसि प्रदे श के साथ सीमा बनाने के साथ ही पडोसी िे श नेपाल के
साथ अपनी सीमा साझा करिा है ।
राज्य की सबसे लम्बी सीमा मध्य प्रिे श के साथ बनिी है इस प्रकार मध्य प्रिे श उत्तर प्रिे श के सवाभ दिक दजलोां के
साथ सीमा बनाने वाला राज्य है जबदक उत्तर प्रिे श का लदलिपुर दजला मध्य प्रिे श से िीन िरफ से घेरा हुआ दजला
है । उत्तर प्रिे श का सोनर्द्र दजला जहााँ सवाभ दिक प्रिे शोां को स्पशभ करने वाला दजला है वहीां प्रिे श के अन्दर सवाभ दिक
दजलोां से सीमा बिायूाँ दजला बनािा है ।
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उत्तर प्रदे श के सीमाविी राज् िथा उनसे सीमा साझा करने वाले तिले
उत्तर प्रिे श के साथ सीमा बनाने वाले राज्योां की सांख्या-9 है ।
उत्तर प्रिे श नेपाल रािर (7 दजले )- महारािगं ि, तसद्धाथथनगर, बलरामपु र श्रावस्ती, बहराइच,
लखीमपु रखीरी, पीलीभीि के साथ अंिरराष्ट्रीय सीमा र्ी साझा करिा है ।
उत्तर प्रदे श के सीमाविी प्रदे श सीमा साझा करने वाले तिलय की संख्या
मध्य प्रिे श (सवाभ दिक 11 दजले) (क्रमश: आगरा, इटावा, जालौन, झााँ सी, लदलिपुर, महोबा, बााँ िा,
उत्तर से िदक्र् की िरफ) दचत्रकूट,प्रयागराज, दमजाभ पुर, सोनर्द्र
दबहार के ( 7 दजले ) (क्रमश: िदक्र् से सोनर्द्र, चांिौली, गाजीपु र, बदलया, िे वररया कुशीनगर,
उत्तर) दजले महाराजगांज
हररयार्ा (6 दजले) क्रमशः उत्तर से िदक्र् सहारनपुर, शामली, बागपि, गौिमबु द्धनगर, अलीगढ़, मथुरा
इसके उत्तर से दहमालय की दशवादलक श्रेर्ी, िदक्र् में दवन्ध्य श्रेर्ी अवस्थस्थि है ।
उत्तराखण्ड राज् के उत्तर प्रदे श से तवभातिि हयने के पू वथ उत्तर प्रदे श के भूगयल का अध्ययन िीन
भौतिक िेत्रयं में बााँटा गया है । िैसे-
उत्तर प्रिे श का दवर्ाजन होने के बाि यहााँ के र्ौदिक स्वरूप में पररविभन आया है ।
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विभमान में सम्पूर्भ प्रिे श को भाभर व िराई क्े त्र, मध्य का मैदानी भाग व दतिण का पठारी भूभाग जैसे दवर्ागोां
में बााँ टा जािा है ।
यह सहारनपुर से प्रारम्भ हो कर पूवी उत्तर प्रिे श के कुशीनगर पडरौना िक पिली पटटी के रूप
में दवस्ताररि है ।
सहारनपुर एवां सम्बद्ध क्ेत्रोां में र्ााँ र्र क्ेत्र की चौडाई 34-35 दकमी. िक है जो पूवभ में बढने पर
क्रमशः कम होिी जािी है ।
र्ााँ र्र क्ेत्र का दनमाभ र् नदियोां द्वारा लाये गये। कांकड-पत्थर से हुआ है। इस क्ेत्र में नदियााँ र्ूदमगि
हो कर लु प्त हो जािी है ।
इस र्ूर्ाग में र्ााँर्र क्ेत्र की लु प्त हुई नदियााँ िरािल पर प्रकट हो जािी है ।
यहााँ की जलवायु नम होने के कारर् स्वास्थ्य के दृदि के अनुकूल नहीां है । अत्यदिक वर्ाभ प्राप्त करने
के कारर् िराई क्ेत्र िलिली स्वर्ाव वाला है । यहााँ उपजाऊ मृिा के कारर् गन्ना िथा िान की फसल प्रचुर
मात्रा में उगाई जािी है ।
इसकी औसि ऊाँचाई 80 से 300 मीटर िक है जबदक इसके ढाल की दिशा उत्तर पदिम से िदक्र् पूवभ
की ओर है ।
इस मैिानी र्ूर्ाग पर गांगा, यमुना, शारिा, घाघरा, गोमिी, राप्ती जैसी सिानीरा नदियोां के प्रवाह के कारर्
यह सम्पूर्भ क्ेत्र अत्यन्त उपजाऊ व उवभ र है ।
मृिा सांरचना के आिार पर सम्पूर्भ मैिानी र्ाग का अध्ययन िो र्ागोां में बााँ ट कर दकया जािा है । -
1. बांगर िेत्र
2. खादर िेत्र
बाां गर क्ेत्र वह होिा है जहााँ , नदियोां के बाढ़ का पानी नहीां पहुां च पािा है । यह मैिानी क्ेत्र का उाँ चा र्ूर्ाग है जो
पुरानी काां प मृिा से दनदमभ ि है । बॉगर मैिानी क्े त्र की उवभ रिा अपेक्ाकृि कम होिी है ।
जबदक मैिानी क्ेत्र का वह र्ूर्ाग जहााँ नदियोां द्वारा उपजाऊ मृिा की परि प्रदि वर्भ दबछा िी जािी है वह
खािर क्ेत्र कहलािा है ।
खािर क्ेत्र में नदियोां द्वारा अवनदलका अपरिन करने के कारर् बीहडोां का दनमाभ र् हुआ है ।
जैसे यमुना िथा चम्बल नदियोां के द्वारा दनदमभि बीहड। सम्पूर्भ मध्य के मैिान में रबी िथा खरीफ फसलोां
की पैिावार प्रचुर रूप से होिी है ।
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दतिण का पठारी प्रदे श
यह प्रिे श मध्य के मैिानी र्ाग के ठीक िदक्र् में स्थस्थि है ।
वास्तव में पठारी क्ेत्र प्रायद्वीपीय पठार का ही आां दशक दवस्तार है दजसे बुन्देलखण्ड पठार के नाम से जाना
जािा है । इस पठार के उत्तर में गांगा-यमुना का प्रवाह है िथा िदक्र् में दवन्ध्य श्रेर्ी मौजूि है ।
इस क्ेत्र का ढाल िदक्र् से उत्तार दिशा की िरफ है । जबदक इसकी औसि ऊांचाई 300 मीटर है । दकन्तु
दमजाभ पुर एवां सोनर्द्र की सोनाकर िथा कैमूर पहादडयााँ 600 मीटर िक ऊाँची है ।
बुन्देलखण्ड की पठारी क्े त्र में बघे लखण्ड पठार का र्ी कुछ अां श दृदिगि होिा है । सोनर्द्र में सोनापु र व
रत्नागढ़ की पहाडी के साथ सोन निी का क्ेत्र बघे लखण्ड पठार के अन्तगभ ि आिा है ।
बुन्देलखण्ड पठार प्राचीन नीस चट्टानयं से दनदमभि है । यहााँ की प्री-कैम्ब्रयन युग की चटटानोां का बाहुल्य है ,
पाई जाने वाली पहादडयोां के क्य के कारर् उनका अवदशि रूप दृदिगोचर होिा है ।
इस क्ेत्र में प्रवादहि होने वाली नदियाां िल प्रपाियं का दनमाभ र् की है दजनमें तमिाथ पुर के तवन्डम, कुसे हरा,
टॉडा एवां खडं िा जल प्रपाि उल्ले खनीय है ।
बुन्देखण्ड पठार का दवस्तार लदलिपुर, बााँ िा, जालौन, कााँ ठी, महोबा, हमीरपु र, दचत्रकूट, दमजाभ पुर, सोनर्द्र
एवां प्रयागराज के ि.पू . क्े त्रोां िक है । यहााँ लाल दमट्टी की प्रिानिा है दजसमें मोटे अनाज की कृदर् होिी है ।
सामान्य रूप से यहााँ की जलवायु को उष्णकतटबं धीय मानसूनी अथवा समशीियष्ण उष्ण कतटबं धीय
िलवायु माना जािा है ।
कयपेन के अनुसार प्रिे श में शुष्क शीि मानसूनी िलवायु पाई जािी है
प्रय. स्टाम्प व डा. कािी सैय्यद अहमि द्वारा र्ारि की जलवायु का दवर्ाजन वर्ाभ के आिार पर दकया गया है ,
दजनके अनुसार उ.प्र. में 2 जलवायु क्ेत्र िे खे जा सकिे हैं -
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1. आद्रथ एवं उष्ण िेत्र
2. साधारण आद्रथ एवं उष्ण िेत्र
उत्तर प्रिे श में िीन ऋिुएाँ स्पि रूप से पाई जािी हैं । ग्रीष्म ऋिु , वर्ाभ ऋिु एवां शीि ऋिु ।
ग्रीष्म ऋिु
सूयभ के क्रमश: ककभ रे खा की ओर दवस्थापन के साथ ही प्रिे श में िापमान बढ़ने लगिा है जो दक जून माह में अपने
उच्चिम दबन्िु िक पहुां च जािा है ।
ग्रीष्म ऋिु में उत्तर प्रिे श का औसि अदिकिम िापमान 36-39°C िथा औसि न्यूनिम उत्कर्भ िापमान 21 23°C
िक रहिा है ।
प्रयागराज, कानपुर, आगरा, झााँ सी, बााँ िा, महोबा, जालौन लदलिपुर इत्यादि बुन्देलखण्डीय क्ेत्रोां का िापमान 47°C
िक पहुां च जािा है ।
वर्ाथ ऋिु
बांगाल की खाडी से उत्पन्न िदक्र्ी पदिमी मानसूनी पवने (पूवाभ ) उत्तर प्रिे श में पूरब िथा िदक्र्ी पूवभ दिशा से
प्रवे श करिी है ।
इन पवनोां का एक र्ाग पदिम दिशा की ओर वर्ाभ करिे हुए आगे बढ़िा है जबदक िू सरा र्ाग उत्तर में अवस्थस्थि
दहमालय से टकरा कर वापस लौटिा है । वापस लौटिे मानसून से ही प्रिे श के िराई क्ेत्रोां में प्रचुर वर्ाभ होिी है ।
सम्पूर्भ प्रिे श में वर्ाभ के सन्दर्भ में समरूपिा दृदिगि नहीां होिी है ।
जैसे-जैसे दहमालय से िू री बढिी है अथवा जैसे जैसे पूवभ से पदिम की ओर बढ़ा जािा है , क्रमशः वर्ाभ की मात्रा
व अवदि में कमी आने लगिी है ।
शीि ऋिु
प्रिे श में शीिकाल में चक्रवािी िथा ग्रीष्मकाल में संवहनीय वर्थ ण हयिा है।
पदिमी उत्तर प्रिे श में होने वाली चक्रवािी वर्ाभ रबी की फसल के दलए अत्यन्त उपयोगी है ।
जैसे-जैसे हम िदक्र् से उत्तर की िरफ बढ़िे हैं , वै से-वै से िापमान में दगरावट होिी जािी है ।
र्ूमध्यसागर से उत्पन्न चक्रवाि के द्वारा पदिमी उत्तर प्रिे श में 10 सेमी िक वर्ाभ करायी जािी है जो रबी की
फसल के दलए महत्वपूर्भ होिी है ।
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मैिानी क्ेत्रोां में अदिकिम िाप- 27°C
िदक्र् का पठारी क्ेत्र (औसि अदिकिम िाप)- 28.3°C
औसि न्यूनिम िाप- 13.3°C
न्यूनिम िाप- 8.5°C