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Deep Narayan Kumar

R B College, Dalsinghsarai, Samastipur


B.A Part-II, Geography of India

भारत की भौगोलिक संरचना


भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के ववतरण और इसके प्रततरूप से
है जो िगभग हर दृष्टि से काफी ववववधतापूणण है । दक्षिण एलशया के तीन प्रायद्वीपों में से
मध्यवती प्रायद्वीप पर ष्स्ित यह दे श अपने ३२,८७,२६३ वगण ककमी िेत्रफि के साि ववश्व का
सातवााँ सबसे बडा दे श है । साि ही िगभग १.३ अरब जनसंख्या के साि यह पूरे ववश्व में चीन के
बाद दस
ू रा सबसे अधधक जनसंख्या वािा दे श भी है ।
भारत मेँ चट्िानोँ के कई उप समूह पाए जाते हैं और कुछ उप समूहोँ को लमिाकर समूह का
तनमाणण होता है । सामान्यतः भारतीय चट्िानोँ का वगीकरण इस प्रकार से है – आककणयन क्रम की
चट्िानेँ, धारवाड क्रम की चट्िानेँ, कुडप्पा क्रम की चट्िानेँ, ववन्ध्य क्रम की चट्िानेँ, गोंडवाना
क्रम की चट्िानेँ, दक्कन ट्रे प िलशणयरी क्रम की चट्िानें।
आककणयन क्रम की चट्िानोँ का तनमाणण पथ्
ृ वी के सबसे पहिे ठं डे होने पर हुआ। ये रवेदार चट्िानें
हैं, ष्जनमें जीवन का अभाव है । यह नीस, ग्रेनाइि, और लशटि प्रकार की हैं। इनका ववस्तार
कनाणिक, तलमिनाडु, आंध्र प्रदे श, मध्य प्रदे श, उडीसा, छोिा नागपुर का पठार तिा राजस्िान के
दक्षिण पूवी भाग पर है ।
धारवाड क्रम की चट्िानोँ के तनमाणण के तनमाणण आककणयन क्रम की चट्िानोँ से प्राप्त हुए हैं। यहां
रुपांतररत तिा स्तरभ्रटि चट्िान है । इनमें जीवाशेष नहीीँ पाए जाते हैं। यह प्रायद्वीप एवं वाह्य
प्रायद्वीप दोनों मेँ पाई जाती हैं।
धारवाड क्रम की चट्िानेँ दक्षिण दक्कन प्रदे श मेँ उत्तरी कनाणिक से कावेरी घािी तक (लशमोगा
ष्जिे मेँ) पष्श्चमी हहमािय की तनचिी घािी मेँ लमिती है ।
मध्यवती एवं पूवी दक्कन प्रदे श मेँ नागपुर व जबिपुर मेँ सासर श्रेणी, बािाघाि व भहिंडा मेँ
धचपिी श्रेणी, रीवा, हजारीबाग, आहद में गोंडाराइि श्रेणी तिा ववशाखापत्तनम मेँ कूदोराइि श्रेणी
नाम से ववस्तत
ृ हैं।
कुडप्पा क्रम की चट्िानोँ का नामकरण आंध्र प्रदे श के कुडप्पा ष्जिे के नाम पर हुआ, सामान्यतः
ये चट्िानें 2 भागों में ववभक्त हैं – 1. तनचिी कुडप्पा चट्िानें, 2. उपरी कुडप्पा चट्िानें।
तनचिी कुडप्पा चट्िानें पापाधानी एवं चेधार श्रेणी प्रमख
ु चट्िानेँ है , उपरी कुडप्पा चट्िानें कृटणा
व नल्िामिाई श्रेणी की प्रमुख चट्िानें हैं, ये चट्िानें िगभग 22,000 वगण ककिोमीिर मेँ फैिी हैं
तिा आंध्र प्रदे श, मध्य प्रदे श, राजस्िान, महाराटट्र, तलमिनाडु तिा हहमािय के कुछ िेत्रों मेँ
ष्स्ित हैं।

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ववंध्यन क्रम की चट्िानोँ का नाम ववंध्याचि के नाम पर पडा है । यह परतदार चट्िानेँ हैं तिा
इनका तनमाणण जि तनिेपों से हुआ है । यह 5 प्रमुख िेत्रोँ मेँ पाई जाती हैं –
सोन नदी की घािी मेँ इन्हें सेमरी के नाम से पुकारते हैं।
आंध्र प्रदे श के दक्षिणी पष्श्चमी भाग मेँ करनूि श्रेणी मेँ पाई जाती हैं।
भीमा नदी घािी मेँ इन्हें भीमा श्रेणी कहते हैं।
राजस्िान मेँ जोधपरु तिा धचत्तौरगढ़ में यह पिनी श्रेणी के रुप मेँ ववस्तत
ृ हैं।
उपरी गोदावरी घािी तिा नमणदा घािी के उत्तर मेँ मािवा बुंदेिखंड प्रदे श मेँ इन चट्िानोँ का िेत्र
ववस्तत
ृ है ।
गोंडवाना क्रम की चट्िानेँ दामोदर नदी घािी मेँ राजमहि पहाडडयोँ तक ववस्तत
ृ हैं, महानदी की
घािी मेँ महानदी श्रेणी, गोदावरी की सहायक नहदयां जैसे – वेनगंगा व वधाण की घाहियोँ मेँ,
प्रायद्वीप भारत के अन्य िेत्रोँ मेँ यह कच्छ, काहठयावाड, पष्श्चम राजस्िान, मद्रास, गुंिूर, किक,
राजमहें द्री, ववजयवाडा, ततरुधचरापल्िी और रामनािपुरम मेँ लमिती हैं।
दक्कन ट्रे प का तनमाणण काि अपर कक्रिे लशयस से इयोसीन काि तक माना जाता है , प्रायद्वीपीय
भारत मेँ ज्वािामुखी ववस्फोि के फिस्वरुप दरार उद्गार के रुप मेँ िावा तनकिा ष्जसने दक्कन
ट्रे प के मुख्य पठार की आकृतत को जन्म हदया। दक्कन ट्रे प मुख्यतः बेसाल्ि व डोिोराइि प्रकृतत
की है । चट्िानें काफी कठोर हैं इनके किाव के कारण चट्िान चूणण बना है , ष्जससे कािी लमट्िी
का तनमाणण हुआ है यही लमट्िी कपास लमट्िी या रे गुर लमट्िी भी कहिाती है । दक्कन ट्रे प
महाराटट्र गुजरात मध्यप्रदे श मेँ फैिा है तिा कुछ िेत्र झारखंड एवं तलमिनाडु मेँ अवष्स्ित है ।
िलशणयरी क्रम की चट्िानोँ का तनमाणण इयोसीन युग से िेकर प्िायोसीन यग
ु की अवधध मेँ हुआ है ।
भारत के लिए इसका अत्यधधक महत्व है क्योंकक इसी काि मेँ भारत ने वतणमान रुप धारण ककया
िा।
िलशणयरी चट्िानेँ वाह्य प्रायद्वीपीय भू-भाग मेँ प्रमुख रुप से पाई जाती हैं। पाककस्तान मेँ यह
बिधू चस्तान के मकरान ति से िेकर सि
ु ेमान ककिणर श्रेणी, हहमािय पवणत से होती हुई मयांमार के
अराकानयोमा पवणत श्रेणी तक फैिी हैं।

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