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भारत के िस मंिदर

मंिदर थान

अ रधाम मंिदर िद ी

अमरकंटक मंिदर छ ीसगढ़

अमरनाथ गुफा मंिदर ज ू और क ीर

अंगराबाद मंिदर झारखंड

अ ामलाईयर मंिदर तिमलनाडु

ब ीनाथ मंिदर उ राखंड

बृहदे र मंिदर तिमलनाडु

चे ाकेसवा मंिदर कनाटक

दु िगयाना मंिदर पंजाब

ारकािधश मंिदर गुजरात


गंगो ी मंिदर उ राखंड

ण मंिदर पंजाब

गोमेते र मंिदर कनाटक

होयसले र मंिद कनाटक

इ ॉन मंिदर उ र दे श

कालीघाट मंिदर पि म बंगाल

कामा ा मंिदर असम

कानका मंिदर आं दे श

कां चीपुरम मंिदर तिमलनाडु

काशी िव नाथ मंिदर उ र दे श

केदारनाथ मंिदर उ राखंड

खजुराहो मंिदर म दे श

कोणाक सूय मंिदर ओिडशा


कु कोणम मंिदर तिमलनाडु

ल ीनारायण मंिदर िद ी

िलंगराज मंिदर ओिडशा

भगवान जग ाथ मंिदर ओिडशा

कमल मंिदर नई िद ी

मािलनीथन मंिदर अ णाचल दे श

मािणकरण मंिदर िहमाचल दे श

मीना ी मंिदर तिमलनाडु

ने ई र मंिदर तिमलनाडु

राम तीरथ मंिदर पंजाब

रामानथ ामी (रामे रम) मंिदर तिमलनाडु

रणकपुर मंिदर राज थान

सबरीमाला मंिदर केरल


सां ची ूप म दे श

शंकरचाय मंिदर ज ू-क ीर

िशरडी साईं बाबा मंिदर महारा

ी िदगंबर जैन लाल मंिदर िद ी

िस िवनायक मंिदर महारा

सोमनाथ मंिदर गुजरात

ी प नाभ ामी मंिदर केरल

िथलई नटराज मंिदर तिमलनाडु

ित पित बालाजी मंिदर आं दे श

वै ो दे वी मंिदर ज ू-क ीर

िव प मंिदर कनाटक

यमुनो ी मंिदर उ राखंड


ित पित बालाजी, आं दे श
भगवान िव ु का िस ित पित वकटे र म र आ दे श के िच ूर िज़ले के ित पित म
थत है । समु तल से 3200 फीट ऊंचाई पर थम ित मला के सात पवतों म से एक वकटाि
पर बना ी वकटे वर मंिदर यहां का सबसे बड़ा आकषण है । इसिलए इसे सात पवतों का म र
के नाम से भी जाना जाता है । भगवान ित पित बालाजी को भारत के सबसे अमीर दे वताओं म से
एक माना जाता है । माना जाता है िक भगवान ित पित बालाजी अपनी प ी प ावती के साथ
ित मला म िनवास करते ह। ऐसे कहा जाता है िक यिद कोई भ कुछ भी स े िदल से मां गता
है , तो भगवान उसकी सारी मुराद पूरी करते ह।

अ रधाम मंिदर, िद ी
भारत की राजधानी िद ी म यमुना नदी के तट पर थत अ रधाम या ामीनारायण अ रधाम
मंिदर भारतीय सं ृ ित, वा ुकला, और आ ा कता के िलए एक स ा िच ण है । इसे
ोितधर भगवान ािमनारायण की पु ृित म बनवाया गया है । यह प रसर लगभग 100
एकड़ भूिम म फैला आ है । इसीिलए इसको दु िनया का सबसे िवशाल िहं दू म र प रसर होने
का गौरव हािसल है और 26 िदस र 2007 को इसको िगनीज बुक ऑफ व रकाड् स म
शािमल िकया गया है । इस मंिदर की खािसयत यह भी है िक इसम ील, इ ात या कं ीट का
इ ेमाल नहीं िकया गया है । यह मंिदर भारतीय सं ृ ित, स ता, परं पराओं और आ ा कता
की आ ा को दिशत करता है ।

कामा ा दे वी मंिदर, असम


बेहद खूबसूरत और अपनी एक अलग सं ृ ित िलए ए पूव र भारत का वेश ार गुवाहाटी
असम का सबसे बड़ा शहर है । भारत का िस कामा ा मंिदर गुवाहाटी से 8 िकलोमीटर दू र
पहाड़ी पर नीलां चल पहािड़यों म थत है । यह मंिदर श की दे वी सती का मंिदर है । नीलशैल
पवतमालाओं पर थत मां भगवती कामा ा का िस श पीठ सती के इ ावन श पीठों म
सव थान रखता है । यहीं भगवती की महामु ा यानी योिन-कु थत है । मा ता है िक
भगवान िव ु के च से खंिडत होने पर सती की योिन नीलां चल पहाड़ पर िगरी थी।

जग ाथ मंिदर पुरी, ओिडशा


जग ाथ मंिदर उड़ीसा के तटवत शहर पुरी म थत है । यह मंिदर भगवान जग ाथ ( ीकृ ) को
समिपत है । पुरी का जग ाथ धाम चार धामों म से एक है । मंिदर का वािषक रथया ा उ व िस
है । इस रथ की र यों खींचने और छूने मा के िलए पूरी दु िनया से ालु यहां आते ह, मा ता
है िक इससे मो की ा होती है । इसम मंिदर के तीनों मु दे वता- भगवान जग ाथ, उनके
बड़े ाता बलभ और भिगनी सुभ ा, तीनों तीन अलग-अलग भ और सुस त रथों म
िवराजमान होकर नगर की या ा को िनकलते ह। म काल से ही यह उ व अित हष स के
साथ मनाया जाता है ।

ेम मंिदर, वृ ावन
सन 2001 से िनमाण काय ारं भ करवा सन 2012 म जगद् गु कृपालु जी महाराज ने अपने नॉन
ॉिफटे बल चै रटे बल ट से भगवान ीकृ का मथुरा (उ र दे श) म 54 एकड़ की भूिम पर
एक सुंदर िवशाल मंिदर का िनमाण करवाया, िजसे के ‘ ेम मंिदर’ के नाम से जाना जाता है | दू र
दू र से सैलानी यहाँ पर आते ह और आन की अनुभूित पाते ह |

काशी िव नाथ वाराणसी, उ र दे श


वाराणसी म गंगा तट पर थत काशी िव नाथ मंिदर बारह ोितिलगों म से एक है । िशव की
नगरी काशी म महादे व सा ात वास करते ह। ऐसा माना जाता है िक एक बार इस मंिदर के दशन
करने और पिव गंगा म ान कर लेने से मो की ा होती है । इस मंिदर म दशन करने के
िलए आिद शंकराचाय, स एकनाथ रामकृ परमहं स, वामी िववेकानंद, महिष दयानंद,
गो वामी तुलसीदास सभी का आगमन आ ह। काशी िव वनाथ मंिदर का िहं दू धम म एक िविश
थान है । बाबा िव नाथ के मंिदर म तड़के सुबह की मंगला आरती के साथ पूरे िदन म चार बार
आरती होती है । मा ता है िक सोमवार को चढ़ाए गए जल का पु अिधक िमलता है । खासतौर
पर सावन के सोमवार म यहां जलािभषेक करने का अपना एक अलग ही मह है ।

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