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मध्य प्रदे श का इतिहास, संस्कृति, सातहत्य और भूगोल

क्रम ांक अध्य य क न म पष्ृ ठ सांख्य

यूननट -1 (प्रीलिम्स) मध्य प्रदे श क इनिह स, सांस्कृनि और स हहत्य

पेपर A यूननट 5 (मेन्स) मध्य प्रदे श के र जवांश

1. मध्य प्रदे श क प्र चीन इनिह स 1


● मध्य प्रदे श में पाषाण यग
ु (40 लाख ईसा पर्
ू व से 4000 ईसा पर्
ू )व
● मध्य प्रदे श में काांस्य युग
● ताम्रपाषाण युग
● र्ैददक युग
● महाजनपद युग
● मौयव राजर्ांश
● मौयव के बाद
● गुप्त काल
○ गुप्त काल के अभिलेख
○ गप्ु त काल के मांददर
● अन्य राजर्ांश

2. मध्य प्रदे श क मध्यक िीन इनिह स 11


● मालर्ाड़ का परमार राजर्ांश
● कच्छपगत राजर्ांश
● चांदेल राजर्ांश

3. मध्य प्रदे श 13-15वीां शि ब्दी के दौर न 15


● कुतुब-उद-दीन ऐबक (1206-1210 ई.)
● इल्तुतभमश
● मध्य प्रदे श में तग
ु लक
● मालर्ा सल्तनत (1401-1561)
○ खखलजी र्ांश (1436-1531)
○ गज
ु रात के तहत मालर्ा
○ मालर्ा पर मुगल आक्रमण (1535)
● फारूकी राजर्ांश (1398-1601)
○ फारूकी राजर्ांश (1398-1401) मुगलों के अधीन
● गोंड साम्राज्य
● बघेलखांड राजर्ांश
○ बघेल सत्ता का वर्स्तार
○ आर्कवटे क्चर
○ पन्ना राज्य
○ मध्य प्रदे श में मराठों का आगमन
○ िोपाल का युद्ध और दोराहा सराय की सांधध

पेपर A यनू नट 4 (मेन्स) मध्य प्रदे श में स्विांत्रि आांदोिन

4. 1857 क ववद्रोह 34
● मध्य प्रदे श में वर्द्रोह
● िोपाल राज्य (1707-1947)
○ गोंड राजाओां के अधीन िोपाल
○ िोपाल की बेगम
● होल्कर राज्य
● दे र्ास राज्य (1735-1947)
○ दे र्ास (र्ररष्ठ शाखा) (बाबा सादहब)
○ दे र्ास राज्य (जनू नयर शाखा)
● धार राज्य
● ग्र्ाभलयर राज्य

5. स्विांत्रि आांदोिन में मध्य प्रदे श क योगद न 50


● होम रूल लीग
● असहयोग आांदोलन
○ जबलपुर झांडा सत्याग्रह
● सवर्नय अर्ज्ञा आांदोलन
○ जांगल सत्याग्रह
○ चरण पादक
ु ा सत्याग्रह
○ तुररया सत्याग्रह 1931
○ व्यक्क्तगत सत्याग्रह
● िारत छोड़ो आांदोलन

पेपर A यूननट 4 (मेन्स) मध्य प्रदे श की स ांस्कृनिक ववर सि

6. मध्य प्रदे श के स ांस्कृनिक पहिू 55


● लोक नत्ृ य
○ ननमाड़ क्षेत्र का लोक नत्ृ य
○ मालर्ा क्षेत्र का लोक नत्ृ य
○ बुांदेलखांड क्षेत्र का लोक नत्ृ य
○ बघेलखांड का लोक नत्ृ य
● मध्यप्रदे श के नाटक
○ ननमाड़ का लोक नाटक
○ बघेलखांड का लोक नाटक
○ मध्य प्रदे श के अन्य लोक नाटक
● मध्यप्रदे श के लोक गीत
○ ननमाड़ क्षेत्र
○ मालर्ा क्षेत्र
○ बुांदेलखांड लोक गीत
○ बघेलखांड लोक गीत
○ मध्य प्रदे श के अन्य लोक गीत
● मध्यप्रदे श के व्यक्क्तत्र्
○ प्रभसद्ध सांगीतकार
○ मध्यप्रदे श के सादहत्यकार
○ मध्यप्रदे श के लोक लेखक
○ मध्यप्रदे श के प्रभसद्ध धचत्रकार
○ मध्य प्रदे श के प्रभसद्ध कलाकार/नाटककार
○ बुांदेलखांड के मध्यकालीन कवर्
○ महत्र्पूणव जनजातीय व्यक्क्तत्र्
● मध्यप्रदे श की लोक धचत्रकारी
○ ननमाड़ क्षेत्र के लोक धचत्र
○ मालर्ा क्षेत्र के लोक धचत्र
○ बघेलखांड क्षेत्र की लोक पें दटांग
○ बांद
ु े लखांड क्षेत्र की लोक पें दटांग
● मध्यप्रदे श के मेले और त्यौहार
○ मध्य प्रदे श के महत्र्पूणव मेले
● मध्यप्रदे श की र्ास्तुकला
○ मध्य प्रदे श की रूपाांकर कला
○ धातु हस्तभशल्प
● मध्य प्रदे श की बोभलयााँ

7. मध्य प्रदे श में स ांस्कृनिक सांस्थ न, अक दलमय ां और सांग्रह िय 98


● साांस्कृनतक सांस्थान, अकादभमयाां
● परु ातत्र्, अभिलेखागार और सांग्रहालय मध्य प्रदे श
● सांग्रहालय
● मध्यप्रदे श के पुरस्कार और सम्मान

8. मध्य प्रदे श के पययटन स्थि 110


● धाभमवक महत्र् के स्थल
● मध्य प्रदे श के अन्य महत्र्पूणव स्मारक, गुफाएां और भशलालेख
● मध्य प्रदे श के र्कले और महल
● वर्श्र् धरोहर स्थल
● मध्य प्रदे श के छत्र और मकबरे
यनू नट - 3 (प्रीलिम्स) मध्य प्रदे श क भूगोि

पेपर B यूननट 3 (मेन्स) मध्य प्रदे श क भूगोि

9. मध्य प्रदे श क पररचय 140


● मध्य प्रदे श की स्थलाकृनत
● मध्य प्रदे श की िौगोभलक क्स्थनत
● प्रमुख क्जले
● िौगोभलक तथ्य
● उल्लेखनीय तथ्य

10. मध्य प्रदे श के भौनिक ववभ ग 148


● वर्िाजन
● िौनतक वर्िाग और उनकी मख्
ु य वर्शेषताएां
● तथ्यात्मक ननष्कषव

11. मध्य प्रदे श में जिव य,ु ऋिए


ु ँ और वर् य 153
● जलर्ायु
● मध्य प्रदे श के जलर्ायु क्षेत्र
● मौसम
● मध्य प्रदे श में र्षाव वर्तरण
● तथ्यात्मक ननष्कषव

12. मध्य प्रदे श की लमट्टी 157


● भमट्टी
● मध्य प्रदे श की प्रमख
ु भमट्टी
● मद
ृ ा अपरदन
○ मद
ृ ा अपरदन के प्रकार
○ मध्य प्रदे श में मद
ृ ा अपरदन के प्रमुख क्षेत्र
● मद
ृ ा अपरदन की रोकथाम
● मद
ृ ा सांरक्षण के तरीके
13. नहदय ँ और मध्य प्रदे श की जि ननक स प्रण िी 166
● मध्य प्रदे श में ड्रेनेज भसस्टम
● मध्य प्रदे शकी नददयाां
○ नमवदा नदी
○ चांबल नदी
○ बेतर्ा नदी
○ ताप्ती नदी
○ सोन नदी
○ तर्ा नदी
● अन्य नददयााँ
● मध्य प्रदे श के झरने
○ तथ्यात्मक ननष्कषव
● मध्य प्रदे श की प्रमुख भसांचाई और नदी घाटी पररयोजनाएां
○ मध्य प्रदे श की मुख्य नददयाां और बाांध
○ प्रमुख भसांचाई और नदी घाटी पररयोजनाएां
○ मध्य प्रदे श की सांयक्
ु त पररयोजनाएां
○ मध्य प्रदे श की मुख्य नहरें
○ नदी को जोड़ने र्ाली पररयोजनाएां
○ तथ्यात्मक ननष्कषव

14. मध्य प्रदे श में वन 180


● र्न क्षेत्र
● र्नों का र्गीकरण
● र्न आर्रण पर डेटा

15. मध्य प्रदे श की जैव ववववधि 187


● बायोस्फीयर ररजर्व
○ मध्यप्रदे श में बायोस्फीयर ररजर्व
● राष्रीय उद्यान
○ मध्यप्रदे श में राष्रीय उद्यान
● र्न्यजीर् अियारण्य
○ मध्यप्रदे श के र्न्यजीर् अभ्यारण्य
● र्ेटलैंड्स
● तथ्यात्मक ननष्कषव

16. मध्य प्रदे श के प्र कृनिक खननज सांस धन 195


● राज्य की अथवव्यर्स्था में योगदान
● राज्य के प्रमख
ु खननज
● राज्य से खननजों का ननयावत
● राज्य खननज नीनत 2010
● प्रमुख खदानें / क्षेत्र

17. मध्य प्रदे श में पररवहन 207


● रोडर्ेज
● रे ल पररर्हन
● र्ायु पररर्हन
1 र्ध्य प्रदे श का प्राचीन इडतहास
CHAPTER

● डडिं डोरी के घु घुआ राष्ट्रीय उद्यान में ममले 6.5 करोड़ वर्ष पु राने जीवाश्म ने सामित कर मिया मक मध्य प्रिे श की जमीन
उतनी ही प्राचीन है मजतनी की िु मनया ।
● धार के बाग इलाके में 100 से ज्यािा डायनासोर के अण्ोिं के जीवाश्म ममले है l
○ वैज्ञामनक ों ने इन जीवाश् ों के लगभग 7 कर ड़ से 6.5 कर ड़ वर्ष पुराने ह ने का अनुमान लगाया है। अोंडे के अलावा,
क्षे त्र में डायनासोर के घोिंसलोिं के जीवाश्म भी पाए गए हैं ।
● वर्ष 2003 में एक अमे ररकी वैज्ञामनक ने एक मवशाल डायनास र के जीवाश् ों की पहचान की थी, मजसे "राजसौरस
नर्मडेन्सिस" नाम मिया गया था।
● सन् 1930 में प्रोफेसर लैडकर ने सामित मकया मक र्ध्यप्रदे श जुराडसक पाकम की भूडर् है , 1877 ई. में उन्हें जिलपुर के
पास टाइटे नोसॉर डायनासोर का जीवाश्म ममला।
● ईस्ट इों मडया कोंपनी के अमिकारी डवडलयर् स्लीर्ैन क जबलपु र छावनी क्षे त्र र्ें हजारोिं हडियााँ ममली।
● सन् 1933 में , र्ैटली ने जबलपु र के पास र्ानव आकार के डायनासोर प्राप्त मकये और इनका नाम जिलपुररया रखा।
● भू वैज्ञामनक दृमि से, र्ध्यप्रदे श गोिंडवाना भूडर् का एक भाग है ।

र्ध्यप्रदे श र्ें पाषाण युग (40 लाख ईसा पू वम से 4000 ईसा पू वम)
● नरडसिंहपु र के पास भूतरा गााँव में वैज्ञामनक क पु रापाषाण युग का हडियार ममला ज मध्यप्रिे श में सिसे पुराना माना
जाता है ।
● बे तवा और नर्मदा की घाटी से ममली क्वाटम जाइट से बनी हाि की कुल्हाड़ी।
● नर्मदा घाटी सवे क्षण र्ें नरडसिंहपु र के होशिंगाबाद र्ें प्राचीन जीवाश्म ममले हैं।
● हिनोरा र्ें मानव नर्मदे नू नमर्ेडडस की खोपड़ी ममली है ।
● वाकणकर क चिंबल घाटी के र्िंदसौर से उपकरण ममले हैं ।
आदर्गढ़ (होशिंगाबाद)
● नमष िा निी के तट पर र्ेसोडलडिक स्िल।
● गुहा मचत्र के अवशे र् ममले है ।
भीर्बे टका (रायसेन)
● यह एक पु रापाषाण और र्ध्यपाषाण स्िल है ।
● 500 गुफाएँ पाई जाती हैं ।
डसिंगरौली
● कई गुफाएँ ममलीों उिाहरण के मलए र्ािंडा गु फाएाँ और बाघ गु फाएाँ (िार)
● इन सभी गुफाओों के डचत्रोिं र्ें लाल, सफेद, काले, पीले प्राकृडतक रिं गोिं का प्रयोग मकया गया है ।
किंु जन
● मध्य प्रिे श के सीधी डजले र्ें न्सस्ित कुोंजन एक नवपाषाण स्िल है ।
● भारत में नवपार्ाण काल 2,600 से 800 ईसा पूवष के िीच का काल है l
● इसे तीन चरण ों में वगीकृत मकया गया है -
○ चरण- I - क ई धातु उपकरण नही िं ममला l
○ चरण- II - सीममत मात्र में तााँबे और कािंसे के औजार ममले है।
○ चरण- III - इसकी मवशेर्ता लोहे का उपयोग है।
र्ध्य प्रदे श र्ें कािंस्य युग
● एरण (सागर) : काों स्य युग के औजार ममले थे - 2000 ईसा पूवष से 700 ईसा पूवष तक l
● खेडडने र्ा (होशिंगाबाद): 3500 साल पुराना काों स्य युग

1
● अकुरा; नागदा (उज्जैन): महत्त्वपूणष काों स्य युग स्थल
● र्हे श्वर- नवदाटोली (1660 ईसा पू वम से 1440 ईसा पूवम): िुद्ध के ग्रोंथ और प्रमसद्ध काों स्य युग की सभ्यता में इन ि शहर ों
का उल्ले ख है ।
● तेओि
िं र (रीवा) और भरहुत (सतना): तीसरी और चौथी शताब्दी की शहरी सभ्यता ममली।

2
ताम्रपाषाण युग

● कायिा (उज्जैन): 1800-1300 ईसा पूवष की अवमि की तााँबे की कुल्हाड़ी; ज्योडतषी वराहडर्डहर का जन्मस्िान हैं ।
● एरण (सागर): प्राचीन नाम अररमकनी, सती का सबसे पु राना डशलालेख ममला ,ब्लै क-रे डवे यर, पें टेडवे यर ममला ।
● नवदाटोली (र्हे श्वर) : ग ल आकार की ममट्टी की कुमटया, आयताकार चूल्हा, गेहँ, चने की खे ती ।
● अवारा(र्िंदसौर): नवदाटोली के समान, मचमत्रत लाल-काले और भूरे-सफेद रों ग के ितष न ममले ।
● आजाद नगर- मु साखे ड़ी (इों िौर): ताम्रपाषाण स्िल ।
● डिं गवाला - यह उज्जै न से 32 डकलोर्ीटर दू र बस्ती में स्स्थत है , यह मपछली शताब्दी की खु िाई से अस्ित्व में आया था।
● नागदा - यह उज्जै न मजले में चोंिल निी के तट पर है। इस ताम्रपार्ाण ििी से ममट्टी के ितषन और छ टे पत्थर के हमथयार
भी ममले हैं ।

वै डदक युग
● वािव में , आयम सिंस्कृडत 1500-1000 ईसा पूवष ऋग्वैडदक काल में उत्तर तक ही सीममत थी और िाि के वै डदक काल
(1000-600 ई.) में ,इसने मवन्ध्याचल क पार कर मध्यप्रिे श में प्रवेश मकया।
● मनु के 10 पुत्र ों में से एक करुष ने बघे लखिंड र्ें करुष विं श की स्थापना की।
● चिंद्रविं श - मनु की पुत्री इला का मववाह स म से हुआ और उन्ह न ों े इस वोंश की स्थापना की। सोर् का शासन बुिं देलखिंड में
था।

इक्ष्वाकु विंश

● मनु के पुत्र इक्ष्वाकु के नाम से इस वोंश की स्थापना हुई, मजसका शासकीय क्षे त्र दिं डकारण्य िा l
● इस वोंश के प्रतापी राजा र्ान्धाता ने अपने पुत्र पु रुकुत्त्स क मध्य भारत के नागा राजाओों (गोंिवों के मवरुद्ध) की सहायता
के मलए भे जा।

3
● उसी वोंश के र्ुचकिंु ड ने अपने पूवषज राजा मान्धाता के नाम पर ऋक्ष और पररपात्र पवम त श्ृिंखलाओिं के िीच नमष िा के तट
पर र्ान्धाता (ओोंकारे श्वर - मान्धाता) शहर की स्थापना की।
● कुछ इमतहासकार ों ने उल्ले ख मकया है मक लों का जिलपुर से 15 मकल मीटर िू र स्स्थत थी।
● मवमिशा पर शत्रु घ्न के पुत्र शत्रुघडत का शासन था।
○ कामलिास के रघुवोंश के अनुसार, शत्रुघन ने यादवोिं क हराया और अपने पुत्र शत्रुघमत क डवडदशा के राजा के रूप
में स्थामपत मकया।
● महाभारत युद्ध के िौरान, उज्जै न के राजकुमार डबिं द और अनु डविं द तथा राजा नील (मामहष्मती) कौरव ों की ओर से लड़े
थे ।
● जिलपुर के पास तेवर को र्हाभारत र्ें डत्रपु री के रूप र्ें वडणमत मकया गया है ।
र्हाजनपद युग
अविंती (उज्जैन)

● दीपविं श के अनु सार, राजा अच्युतगामी ने उज्जैन शहर की स्थापना की थी।


● चीनी यात्री ह्वे नसाों ग ने सातवीों शताब्दी में अपने यात्रा वृत्ताों त में उज्जैडयनी (उ-शे -येन-ना) का उल्ले ख मकया है।
● चण्प्रद्योत र्हासेन (िुद्ध के समकालीन) के शासन काल में उज्जै न राजिानी अवोंती और मामहष्मती के साथ महाजनपि ों
का महस्सा था।
● मिम्बसार ने चण्ड प्रद्य त क ठीक करने के मलए अपने वैद्य जीवक क भे जा।
● मशशु नाग (मगि) ने नों िीवमष न (उज्जै न के राजा) क हराया और इसे मगि साम्राज्य में ममला मिया।

चेडद र्हाजनपद

● राजधानी: सुन्सिर्ती या सोडिवती, यह िुोंिेलखों ड का एक महस्सा थी और खारवे ल के तहत कडलिंग की एक शाखा


थी। िाि में मगि ने चेमि पर कब्जा कर मलया।
● मशशु पाल चेडद र्हाजनपद का राजा था मजसका वि श्री कृष्ण ने मकया था। उसके िाि उसका पुत्र धु ष्ट्केतु चेमि िे श का
राजा िना।
● र्हाभारत युद्ध में श्री िुिकेतु ने पाों डव ों का साथ मिया था।

र्हाजनपद के दौरान अन्य क्षेत्र

● वत्स - ग्वामलयर
● चेमि — खजु राह
● अनू प - मनमाड़ (खोंडवा)
● िशरना - मवमिशा
● टुों डीकर — िम ह
● नलपुर - नरवर (मशवपुरी)

र्ौयम राजविं श
● पु रुगु प्त चोंद्रगुप्त के शासन के िौरान र्ालवा क्षेत्र का राज्यपाल था।
● मिन्िु सार द्वारा अश क क अविं ती का राज्यपाल मनयुक्त मकया गया था।
● अश क ने उज्जै न पर 11 वर्ों तक राज्यपाल के रूप में शासन मकया।
● गु जमर (िमतया), रूपनाि (जिलपुर), सािंची (रायसेन), पान गु रडड़या (सीह र) के डशलालेखोिं से सामित ह ता है मक अश क
ने इन क्षे त्र ों पर शासन मकया था।
● गुजषर मशलाले ख से अश क का नाम दे वनार्डप्रय राजा अशोक ममला।
● अश क ने बे सनगर (मवमिशा) की श्ीदे वी/र्हादे वी से मववाह मकया की।

4
● कुणाल अश क के चार पुत्र ों में से एक थे , उन्ह न
ों े उज्जैन में 8 वर्ों तक शासन मकया।
● अश क की मृ त्यु के िाि भी, वह प्राों तीय शासक के रूप में कायष करता रहा। इसके िाि उसका पुत्र सम्प्रडत उज्जैन का
प्रान्तीय शासक िना।
● सम्प्रमत ने िीरे -िीरे िमक्षण चौकी के आस-पास के क्षे त्र क जीत मलया और उस पर कब्जा कर मलया।

र्ध्य प्रदे श र्ें स्तूप

● उज्जैन का बौद्ध स्तूप: िुद्ध के महापररमनवाष ण के िाि अवोंती का अमिग्रहण हुआ, मजस पर वैश्य टे करी में िू प िनाया
गया। यह अि तक ममले िू प ों में सिसे िड़ा है ।
● सािंची - यहाँ मु ख्य रूप से तीन िू प हैं और अन्य छ टे िू प भी हैं , साों ची क तीसरी शताब्दी में वै डदक डगरर या चैत्यडगरी
कहा जाता था और िू सरी शताब्दी ईसा पूवष में काकवान।
○ सर जॉन र्ाशमल ने 1912 ई. और 1920 ई. के िीच सािंची स्तूप का जीणोद्धार करवाया।
○ स्तूप क्रर्ािंक 1 ज िहुत महत्व का िताया जाता है, उसमें साररपुत्र और र्हार्ोगली की अन्सस्ियााँ रखी गई हैं।
● सतधारा स्तूप - साों ची के पास एक प्राचीन बौद्ध केंद्र। कमनों घम ने इसकी ख ज 1853 ई. में की थी, अि तक यहाँ 40
स्तूप और 17 डवहार ममले हैं ।
● अिं धेर का स्तूप - मवमिशा से 12 मकल मीटर िू र अोंिेर नामक स्थान से तीन िू प ों के अवशे र् ममले हैं ।
● सोनारी स्तूप - साों ची से 9 मकल मीटर िू र 8 स्तूपोिं के अवशेष यहाँ ममले हैं , मजनमें से स्तूप निंबर 1 सिसे िड़ा है , ज
240 फीट चौकोर प्रािंगण में स्स्थत है ।
○ भोजपुर के स्तूप - मवमिशा से 10 मकल मीटर की िू री पर 37 अवशेर् ममले हैं।
○ इसी तरह रायसेन मजले के खरवई से दो स्तूपोिं और डवहारोिं के अवशेष ममले हैं।
● भरहुत का स्तूप मध्य प्रिे श में सतना के पास नागोद में स्स्थत है , इसकी ख ज 1873 ई. में हुई थी।
● दे उर कोठार रीवा मजले की तहसील के अोंतगषत आता है , मजसे अश क के समय तीसरी शताब्दी में िनाया गया था।
● तुर्ैन स्तूप अश क नगर में स्स्थत है , ज मवमिशा और मथुरा क ज ड़ने वाले व्यापार मागष पर स्स्थत था। प्राचीन काल में
इसे तुम्बावन कहा जाता था।
● कसरावद के स्तूप : खरग न मजले में स्स्थत कसरावि में 11 िू प ममले हैं ।
● र्हे श्वर और नवदाटोली: महे श्वर की पहचान प्राचीन दडक्षणी अविं ती की राजधानी र्ाडहष्मती से हुई है ।
○ यह नगर प्रमतष्ठान और उज्जैन के िीच िमक्षणी सड़क पर स्स्थत था।
● पान गुरडड़या से पररक्रमा पथ वाला एक िू प ममला है ।

5
र्ौयों के बाद
शुिंग राजविंश
● र्ालडवकाअडिडर्त्रर् के अनुसार, अमिममत्र ने मवमिशा पर अपने मपता पु ष्यडर्त्र शुिंग के प्रमतमनमि के रूप में शासन मकया
था।
● राजा भागवत के शासन के िौरान, हे डलयोडोरस (एों टीलसीिास (तक्षमशला के इों ड -ग्रीक राजा)) मवमिशा आए और गरुड़
स्तम्भ की स्िापना की यह स्थानीय रूप से खार् बाबा के नाम से जाना जाता है ।
● भरहुत स्तूप (सतना) शुों ग काल के िौरान मनममष त।
● इस िौरान सािंची की िाहरी िीवार भी िनाई गई थी।

सातवाहन राजविंश
● सातवाहन ों ने कण्व विं श क समाप्त करने से पहले 27 ईसा पू वम में शासन मकया था।
● सािंची स्तूप की वे डदका पर उत्कीणष अमभले ख से मालवा पर शातकणी से पहले के शासन से सोंिोंमित सूचना ममलती है ।
● कुछ सातवाहन मसक्के दे वास, उज्जैन, जर्ुडलया, तेवर, भेड़ाघाट से प्राप्त हुए हैं ।
● पुराण ों के अनु सार, मसमु क ने पूवी मालवा (मवमिशा) क्षेत्र पर शासन करने वाले कण्वोिं और शुिंगोिं की शन्सि क समाप्त
करके सातवाहन विं श की स्थापना की।
● शातकणी के राज्य ों में अनू प (मनमाड़), आकार (पूवी मालवा) और अविंती (पमिम मालवा) शाममल थे l
● सातवाहन का अडभलेख मध्यप्रिे श के साों ची से प्राप्त हुआ है ।
● उसके पुत्र पुलुमावी की कदम र्न विं श (सीमथयन राजवोंश) से हार हुई l
● शातकणी प्रथम क सातवाहन विं श का सबसे शन्सिशाली राजा माना जाता है ।

भारत-यूनानी शासक 200 ईसा पूवम से 50 ईसा पूवम तक


● डे मेमटि यस के उत्तरामिकारी, डर्नािंडर (मममलों ि) ने मध्यप्रिे श पर हमला मकया इसकी जानकारी उसके बालाघाट के
डसक्ोिं से ममलती है l
● नागसेन ने उसे बौद्ध धर्म र्ें पररवडतमत कर मिया।

शक शासन
● शक ों ने भारत के पमिमी भाग से भारत-यूनानी शासन की जगह ली और 4 क्षत्रप ों अथाष त् पिं जाब, र्िुरा, उज्जैन और
नाडसक की स्थापना की।
● शक ों की सोंयुक्त शासन प्रणाली में एक परों परा थी मक वररष्ठ शासक "र्हाक्षडत्रय" की उपामि िारण करता था और अन्य
कमनष्ठ शासक ों क "क्षडत्रय" कहा जाता था।

उज्जैनी क्षत्रप (कदम र्क विंश)


● चष्ट्न द्वारा स्थामपत और िाि में रुद्रदार्न द्वारा शामसत।
● चष्ट्न विं श का सिसे शस्क्तशाली शासक नहपान था।
● वह सातवाहन राजा गौतर्ी पु त्र शातकणी के समकालीन थे ।
● नामसक मशलाले ख से ज्ञात ह ता है मक गौतमी पुत्र शातकणी ने पूवी मालवा तथा पमिमी मालवा द्वारा नहपान क पराि
मकया l
● चोंद्रगुप्त 'डवक्रर्ाडदत्य' द्वारा अिं डतर् कदम र्क राजा रुद्रसेन की हत्या की गई थी l
गुप्त काल
● गुप्त काल के िौरान समु द्रगु प्त ने सागर, दर्ोह, जबलपु र के माध्यम से िमक्षण की ओर प्रवेश मकया तथा उसने शक
राजा श्ीधरवर्मन क हराया और सागर में एरण डशलालेख अोंमकत करवाया।

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● मजसका प्रमाण उियमगरर में जैन गुफा में मौजू ि है , मजसके ले ख में र्हाराजाडधराज रार् गु प्त का उल्ले ख है , ताँ िे के
मसक्के पूवी मालवा में डवडदशा और एरण से प्राप्त हुए हैं ।
● मवमिशा के मनकट िु जषनपुरा गाँ व से चौथी शताब्दी की तीन मू मतषयाँ ममलती हैं , मजन पर महाराजामिराज रार्गुप्त का उल्लेख
ब्राह्मी डलडप में ममलता है ।
● चोंद्रगुप्त मद्वतीय ने शक राजा क हराया और उज्जैनी क अपनी दू सरी राजधानी के रूप में स्थामपत मकया l
● प्रिर् राजधानी पाटडलपु त्र थी l
● उदयडगरर (मवमिशा) से प्राप्त डशलालेख से चोंद्रगुप्त मद्वतीय के वीरसेन (युद्ध और शाों मत) मों त्री के िारे जानकारी ममलती
है l
● उियमगरर गुफाओों का मनमाष ण गुप्त राजाओों द्वारा मकया गया था, जहाँ वराह अवतार महत्त्वपूणष है l
● धार की बाघ गु फाओिं का सोंिोंि भी गुप्त वोंश से है l
● जिलपुर में स्स्थत डतगवा गुप्त काल का एक र्हत्त्वपू णम डवष्णु र्िंडदर है l

गुप्तकाल के अडभलेख
र्िंदसौर डशलालेख
● सोंस्कृत में वत्सभट्टी द्वारा मलस्खत हैं l
● यह बिं धुवर्मन से सोंिोंमित है l
तुर्ैन डशलालेख
● अशोकनगर मजले में स्स्थत है l
● कुर्ारगु प्त के िारे में जानकारी ममलती है l
सुडपया डशलालेख
● रीवा में स्स्थत है l
● इसमें घट त्कच के समय से गुप्त राजा के कालक्रम का वणषन है ।
एरण डशलालेख
● यह सागर मजले में स्स्थत है ।
● हण ों के आक्रमण की जानकारी िे ता है
र्िंदसौर डशलालेख
● गुप्त सम्राट कुमारगुप्त मद्वतीय से सोंिोंमित यह अमभले ख र्िंदसौर (िासपुर) से प्राप्त हुआ है ।
● यह मशलालेख सोंस्कृत भार्ा में मलखा गया है l
सािंची डशलालेख
● इसमें हरर स्वाममनी द्वारा आयम सिंघ क मिए गए िान का उल्ले ख है ।

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गुप्त काल के र्िंडदर

● मतगवा का मवष्णु मों मिर - जिलपुर


● भू मरा का मशव मों मिर - नागौि (सतना)
● पावषती मों मिर नचना कुठार(अजय गढ़ पन्ना)
● ि ि मों मिर साों ची (रायसेन)
● मशव मों मिर - ख ह (नागौि)

अन्य राजविं श
वाकाटक विंश (150 ई. से 450 ई.)

● मवोंध्यशस्क्त (250-270 AD) द्वारा डवडदशा र्ें स्िाडपत।


● महत्त्वपूणष राजा प्रवरसेन थे मजन्ह न
ों े 4 अश्वर्ेध यज्ञ मकए और पवाया (ग्वामलयर) के नाग विं श के साथ वै वाडहक सिंबिंध
स्थामपत मकये l
● एक अन्य राजा प्रवरसेन मद्वतीय ने र्हाकाव्य सेतुबिंध मलखा था।
हूणोिं द्वारा हर्ला
● 5वीों शताब्दी में हूणोिं के ने ता डर्डहरकुल ने मध्यप्रिे श के पोंजाि से सागर तक मवजय प्रास्प्त के मलए आक्रमण मकये l
● तोरर्ण के शासन के प्रथम वर्ष के अमभले ख सागर के मनकट एरण में उपलब्ध डवशाल वराह र्ूडतम से ममलते हैं ।
● त रमण के पुत्र डर्डहरकुल ने ग्वामलयर के आस-पास शासन मकया
● मों िसौर के औलीकर विं श ने मममहरकुल क परामजत कर मालवा से खिे ड़ मिया।
र्िंदसौर के औलीकर राजविं श
● िशपुर में जयवर्मन द्वारा स्थामपत।
● एक अन्य राजा िोंिुवमष न ने कुर्ारगु प्त की सवोच्चता स्वीकार की।
● नरवमष न के नाम पर पहला मशलालेख ममला l
● यश वमष न ने अिं डतर् हूण राजा डर्डहरकुल क हराया और भारत से हण ों के शासन क समाप्त कर मिया
● मालवा क्षेत्र का नाम औलीकरोिं द्वारा मिया गया था।

पररव्राजक राजविंश

● पररव्राजक ने पन्ना के पास िुोंिेलखों ड में शासन मकया।


● प्रथम राजा- दे वदया
● प्रमु ख राजा- हन्सस्तन
● हस्िन के मशलाले ख- खोह, जबलपु र और र्झगिं वा
उच्चकल्प के शासक
● उच्च कल्प का आिुमनक भाग उिं चेहरा (सतना) है ।
● ये पररव्राजक महाराजाओों के पड़ सी थे ।
● इस वोंश के प्रिर् राजा दे वदी थे l

पुष्यभू डत राजविंश/वधमन साम्राज्य


● राजा राज्यवधमन क मालवा के राजा िे वगुप्त ने मार मिया था ले मकन अगले राजा हषमवधमन ने ििला मलया और नमष िा के
िमक्षणी तट पर िे वगुप्त क हराया l

शैल विंश

● आठवीों शताब्दी में महाकौशल के पमिमी भाग में शैल विं श की स्थापना।
● राधोली (िालाघाट मजला) से प्राप्त एक ताँ िे की प्लेट शैल विं श की विं शावली िे ती है ।
● प्रथम राजा - श्ीवधमन, उसका पुत्र पत्थु वधमन मजसने गु जमरोिं पर डवजय प्राप्त की।
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र्ौखरी विंश

● मध्यप्रिे श के पूवी मनमाड़ मजले में , असीरगढ़ डकले के महाराज सवष वमष न का एक तम्मा र्ुहर अडभलेख प्राप्त हुआ है ,
मजसके सोंिोंि में कुछ मवद्वान ों का मत है मक र्ौखरी राज्य पू वी डनर्ाड़ डजले तक फैला हुआ था l

र्ैकाल के पािं डव विंश

● अर्रकिंटक और वतषमान अनू पपु र डजले के आस-पास के क्षे त्र क र्ैकाल के नाम से जाना जाता था।
● पाों डव वोंश के राजाओों के िारे में जानकारी राजा भरत बल के बासनी ताम्र पत्र से प्राप्त ह ती है ।
● पहला राजा- जयबल, उसका पुत्र वत्सिल।
● िाि में गुप्त वोंश की शस्क्त कम ह ने के कारण स्स्थमत का लाभ उठाकर राजा स्वतोंत्र ह गया।
● अोंमतम सम्राट – भरतबल

कलचुरी राजविंश

● कलचुरी है हाय विं श की एक शाखा है , मध्यप्रिे श के प्राचीन इमतहास में कलचुरी वोंश का महत्त्वपूणष स्थान है ।
● मध्यप्रिे श में कलचुरी वोंश की दो प्रर्ुख शाखाएाँ - र्ाडहष्मती की कलचुरी और डत्रपुरी की कलचुरी शाखाएँ थीों ।

र्ाडहष्मती का कलचुरी विंश

● इस कलचुरी वोंश की प्राचीन राजधानी र्ाडहष्मती थी।


● मामहष्मती में मध्यप्रिे श राज्य के र्हे श्वर, ओिंकारे श्वर र्न्धाता और र्िंडला नामक तीन स्थान शाममल थे ।
● इसके तीन प्रमु ख राजाओों - कृष्णराज, शिंकरगढ़ और बुद्ध राजा के नाम ममलते हैं ।
● अन्य प्रमु ख शासक शिंकरगढ़ और बु द्ध राज थे ।

डत्रपुरी का कलचुरी

● चालु क् ों द्वारा परामजत ह ने के िाि, िुद्धराज के वोंशज मामहष्मती क छ ड़कर चेडद दे श में भाग गए और डत्रपु री र्ें अपनी
राजधानी स्थामपत की।
● मत्रपुरी शाखा के सिंस्िापक वार्राज थे ।
● शासक कोक्ल प्रिर् इस वोंश का एक सक्षम और प्रतापी राजा था।
● गोंगिे व के पुत्र लक्ष्मी कणम या कणम दे व, कलचूरर राजाओों में सिसे राजसी राजा थे ।
● कणष िे व क डहिं द का ने पोडलयन कहा जाता है ।
● कणष िे व ने जिलपुर के पास अपने नाम पर कणामवती शहर की स्थापना की और अर्रकिंटक के र्िंडदरोिं का मनमाष ण
मकया।
● कलचुरी वोंश का अिं डतर् शासक डवजय डसिंह था।

राष्ट्रकूट राजविंश

● राििकूट वोंश की ि शाखाएँ सातवीों से िसवीों शताब्दी तक मध्य प्रिे श में रहीों।
● पहली शाखा
○ इस वोंश की एक शाखा ने बै तूल-अर्रावती क्षेत्र पर शासन मकया।
○ राज्य की चार शाखाएँ - दु गामराज, गोडविं द राज, स्वार्ीराज और नन्नाराज।
○ तीतर खेड़ी और र्ुलताई (िैतूल) से नन्नाराज के ि ताम्र पत्र प्राप्त ह ते हैं ।
○ िों मतिु गष ने अपने शासन काल में इस शाखा का मवलय मकया ह गा।
● दू सरी शाखा
○ इसका शस्क्तशाली राजा दिं डतदु गम (744 ई.) था।

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○ उन्ह न
ों े महानिी और नमष िा के आस-पास कई युद्ध लड़े ।
○ उज्जै न के गु जमर शासकोिं ने राििकूट क हराया और शासन मकया।
○ उन्ह न
ों े लगभग 750 ई. में उज्जै न में डहरण्यगभम यज्ञ करके खु ि क स्थामपत मकया।
○ िों मतिु गष के उत्तरामिकारी कृष्ण ने मध्य प्रिे श के पूरे र्राठी क्षे त्र पर अडधकार कर मलया

गुजमर-प्रडतहार विंश

● नागभट्ट प्रिर् द्वारा इस वोंश की स्थापना की गयी थी l


● इसने अरि ों क हराया और मालवा क र्ुन्सस्लर् आक्रर्ण से िचाया
● यह िों मतिु गष द्वारा परामजत हुआ l

नाग विंश

● नाग वोंश का उिय ग्वाडलयर-डवडदशा क्षे त्र में हुआ,


● पुराण ों में मवमिशा में शासन करने वाले नाग-वोंश के राजाओों में शेषा, भोडगन, सदाचिंद्र, धन धर्म, भुतानिं दी, डशशु निं दी
और यशोनिं दी का उल्ले ख है ।
● िू सरी शताब्दी ई. के अोंमतम चरण में , मवमिशा ग्वामलयर क्षे त्र के एक नए नाग विं श का उदय हुआ।
● सिंस्िापक-वृर्नाग, मजसका एक मसक्का मवमिशा से मनकला है
● वृर्नाग के िाि, भीर्नाग शासक था, मजसने अपनी राजिानी क डवडदशा से पद्मावती (ग्वामलयर) स्िानािंतररत कर
मिया।
● इस वोंश के अोंमतम शासक गणपडतनाग क गुप्त शासक समु द्रगुप्त ने परामजत कर नाग विं श का अिं त मकया था।

बोडध और र्ेघराज विंश

● िू सरी-तीसरी शताब्दी ई. में , वतषमान तेवर (जिलपुर) के मत्रपुरी क्षे त्र पर बोडध विं श के राजाओिं का शासन था।
● मत्रपुरी की खु िाई से प्राप्त डर्ट्टी-मु द्रा अोंकन में चार शासक -ों श्री बोडध, वासु बोडध, चिंद्र बोडध और डशव बोडध के नाम ों
का उल्ले ख है ।
● इस समय के आस-पास मध्य प्रिे श के बुिं देलखिंड क्षे त्र पर र्ेघविंश के शासकोिं का शासन था।
● इस वोंश का प्रथम शासक भीर्सेन था।
● कौशाम्बी और भाटा के अलावा िाँ िवगढ़ मजले के उमररया से माघ वोंश के शासक ों के मसक्के, मु हर और मशलाले ख प्राप्त
हुए हैं ।

वाकाटक विंश

● वाकाटक वोंश की उत्पमत्त के िारे में इमतहासकार ों में मतभेि है ।


● मफर भी कुछ इमतहासकार िुोंिेलखों ड क वाकाटक विं श का र्ूल स्िान मानते हैं ।
● वाकाटक वोंश के सोंस्थापक डविं ध्य शन्सि थे , मजन्हें पु राणोिं में मू ल रूप से डवडदशा का शासक कहा गया था।
● रुद्र सेन प्रथम के राज्य में जबलपु र और बालाघाट शाममल थे ।
● रुद्र सेन प्रथम की राजधानी नागपु र थी।
● वाकाटक राज वोंश के अोंमतम शासक पृ थ्वी सेन डद्वतीय के अडभलेख की प्रास्प्त िालाघाट मजले से हुई है ।

10
2 मध्य प्रदे श का मध्यकालीन इभतहास
CHAPTER

मालवा का परमार राजवं श


● परमार अभिलेख ं में परमार ों की उत्पत्ति ऋभि वभशष्ठ द्वारा 'अबू पवव त' पर आय त्तित यज्ञ वे दी से हुई बताई गई है ।
● अन्य अत्तिले ख - 'उदयपु र प्रशस्ति', 'नागपुर प्रशस्ति', 'वसंतगढ़ अभिलेख', 'पट नारायण अभिलेख', 'जैन
अभिलेख'

उपेंद्र

● उन्हें राष्ट्रकूट सम्राट ग भवं द-तृतीय द्वारा शासक त्तियुक्त त्तकया गया था।
● 'उदयपु र प्रशस्ति' में उिकी प्रशों सा की गई।
● आठवीों शताब्दी के उिरार्ध में राििीत्ततक पररस्थथत्ततय ों का लाि उठाकर वह 'अवं ती' के शासक बिे l
● 818 ई. में ग भवं द तृतीय की मृ त्यु ह गई, त्तिसका लाि उठाकर इन्ह ि ों े राज्य का त्तवस्तार करिा शुरू कर त्तिया और
मालवा पर अभिकार कर त्तलया।

वैर भसं ह

● उपेंद्र के पुत्र वैर त्तसोंह उिके अगले उिरात्तर्कारी बिे l


● परमार ों की प्रारं भिक राजिानी उज्जैन थी, ले त्तकि वैर त्तसोंह त्तद्वतीय के शासिकाल के िौराि, परमार ों िे अपिी रािर्ािी
क उज्जैन से िार में स्थानांतररत कर त्तिया।
● मालवा के परमार वोंश के भसयाक प्रथम का िाम उदयपु र प्रशस्ति में त्तमलता है ।
● त्तसयाक प्रथम के बाि 893 ई. तक उियपुर प्रशस्स्त में त्तकसी रािा का उल्ले ख िहीों त्तमलता।

कृष्णराज या वाक्पभत I

● यह प्रत्ततहार िरे श महें द्र पाल (892-908 ई.), ि ज II और मभहपाल (912-942 ई.) तीि ों के समकालीि थे।
● इिका िाम 'उदयपुर प्रशस्ति' और ‘नवसाहसांकचररत’ ि ि ों में वत्तणधत है ।
● वाक्पत्ततप्रथम िे 'परम िट्टारक महाराजाभिराज परमेश्वर' की शाही उपात्तर् र्ारण की।

हिव / भसयक II

● उन्हें "भसन्ह दत्त िट्ट" िी कहा िाता था।


● परमार वोंश का पहला स्वतोंत्र रािा भसयक भितीय था।
● राष्ट्रकूट ित्तिण में केंत्तद्रत थे और च ल संघिव में व्यस्त थे।
● ऐसे समय का लाि उठाकर त्तसयक त्तद्वतीय िे तुरोंत 949 ई. में 'महाराजभिराजपभत' और 'महामंडभलक चूडामभण' की
उपात्तर् र्ारण की
● िवसाहसाों कचररत’ में 'भसयक भितीय' की त्तविय ों का त्तवस्तृ त उल्लेख त्तमलता है । उसिे हूण ों क िी परात्तित त्तकया।
● ’हूणमंडभलक’ की स्थथत्तत परमार और चेत्ति वोंश के राज्य ों के बीच यािी िमध िा के उिर में आर्ुत्तिक 'ह शंगाबाद' और
'महू' के बीच थी।
● चोंिेल के खजुराह भशलाले ख (956 ई.) से पता चलता है त्तक यश वमध ि चोंिेल मालवा रािा के त्तलए मृ त्यु के िे वता थे
● इस समय चोंिेल का साम्राज्य त्तवत्तिशा तक फैल गया और वह मालवा की सीमा में प्रवेश कर गया।
● सीयक िे अोंत्ततम काल में राष्ट्रकूट की रािर्ािी 'मान्यखे त पर अत्तर्कार कर त्तलया।

वाक्पभत भितीय या मुंज या उत्पल (974 से 994 ई.)

● भसंिुराज (997-1000 ई.) - यह मुों ि का छ टा िाई था, ले त्तकि मुों ि क त्तसोंर्ु राि के पुत्र ि ि से अत्तर्क लगाव था और
उसे रािकुमार के रूप में त्तियुक्त त्तकया।

11
● त्तसोंर्ुराि िे नवसहसंक, नवीनसाहसंक, कुमार नारायण, अवं तीश्वर, परमार महािारत, मालव राि की उपात्तर् र्ारण
की।
● त्तसोंर्ुराि िे हूण ों पर त्तविय प्राप्त की। बडनगर प्रशस्ति में इसका त्तवशे ष उल्ले ख त्तमलता है l (1151 ई.)

राजा ि ज (1000-1055 ई.)

● वह कला और संस्कृभत के महाि संरक्षक थे।


● ि िपुर भशव मंभदर का त्तिमाध ण त्तकया।
● र्ार में सोंस्कृत सीखिे के त्तलए ि जशाला ख ली l
● इन्ह ि ों े चोंिेल रािा त्तवद्यार्र पर हमला त्तकया, लेत्तकि 1008 ई. में हार गये l
● ि ि िे म हम्मि गििवी के स्खलाफ भहं दुशाही राजा आनंदपाल की मिि की
● 1047 में , चालुक्य रािकुमार स मेश्वर प्रथम िे ि ि क हराया और र्ार क लू ट त्तलया, त्तिसपे िल्द ही पुिः कब्जा कर
त्तलया गया।
● उन्ह ि ों े ि पाल में ि जताल झील का त्तिमाध ण कराया।
● फररश्ता के अिु सार रािा वषध में ि बार ि ि का आय िि करता था, ि 40 त्तिि ों तक चलता था।
● र हक इसके प्रर्ाि मों त्री थे और कुलचंद्र, शाहद तथा सुरभदत्य उिके तीि महाि सेिापत्तत थे ।

राजा ि ज के साभहत्य

● तत्त्व प्रकाश; समरगढ़-सूत्रिार, भसद्धान्त संग्रह


● अोंत्ततम परमार रािा महलिे व था ि आइन-उल-मुल्क द्वारा 1305 ई.में परात्तित हुआ l
● रािा ि ि के बाि ियत्तसोंह प्रथम, उियात्तित्य, लक्ष्मिे व, िमधिेव, यश वमध ि, ियवमध ि, परमार महा कुमार आत्ति रािा बिे ।
● इसके बाि परमार साम्राज्य कई छ टे टु कड ों में त्तविात्तित ह गया, अं भतम राजा ि ज भितीय था, त्तिसके बाि वषध 1305
की तारीख मालवा में महलकदे व के शासनकाल के रूप में िािी िाती है ।
● सुल्तान जलालुद्दीन स्तखलजी िे मालवा पर आक्रमण त्तकया और उसे त्तिल्ली सल्तित में त्तमला त्तलया।

साभहत्य, कला और वािुकला

● वाक्पभत भितीय मुंज एक कत्तव-हृिय रािकुमार थे , यश रुपवल क के ले खक र्त्तिक, नवसाहसांकचररत के ले खक


पद्मगुप्त, दशरुपक के ले खक र्िों िय, उिके िरबार में रहते थे ।
● रािा मुों ि क कभववृ ि िी कहा िाता था।
● ि ज कालीन या ि ि के िाम से उपलब्ध ग्रोंथ ों की सूची हाल ही में िगवती लाल राजपु र भहत की पुस्तक ि िराि में
प्रकात्तशत हुई थी ि इस प्रकार है
1. साभहत्य शास्त्र: सरस्वती काों तािरि, श्ृों गार प्रकाश
2. साभहत्य: चोंपू रामायण, श्ृों गार मों िरी कथा, सुिात्तषत प्रबोंर्, त्तवद्या त्तवि ि, शात्तलकथा, अवत्तिकुमध सतकध, क िण्डकाव्य,
महाकाली त्तविय, वाग्यिे वी स्तुत्तत
3. व्याकरण: प्राकृत व्याकरण, सरस्वती कठिवरण
4. क ि: िम्मत्तलका, अम्खायाख्या, अिे काथध क श
5. संगीत: गीत प्रकाश
6. इभतहास :- सोंिीविी
7. दशवन: न्यायवात्ततधक - तत्व प्रकाश, त्तसद्धान्त सोंग्रह, त्तसद्धान्त सार त्तवत्तर्, राि मातंड, य ग सूत्र वृत्ति, त्तशव तत्व रत्न
कात्तलका, तत्व चोंत्तद्रका
8. खग ल भवज्ञान और ज्य भति: आत्तित्य प्रताप त्तसद्धान्त, रािमातंड, रािमृ गक, त्तवद्वज्ञािवल्लि (प्रश्न त्तवज्ञाि)

कच्छपघात राजवं श
● कच्छपघात वोंश मध्य प्रदे श के उत्तरी िाग का एक महत्त्वपूणध रािवोंश था।
● इसका मूल स्थान ग पाचल क्षे त्र है त्तिसके अोंतगधत मध्य प्रदे श के ग्वाभलयर, मुरैना, भगन्द, भशवपु री, गु ना, अश कनगर
और दभतया त्तिले के िे त्र शात्तमल हैं ।
● अतीत में , कच्छपघात गु जवर प्रभतहार वं श के सामंत के रूप में काम करता है l

12
दे व वमवन

● ग्वाभलयर में त मर राज्य की थथापिा की।


● त्तित्तमधत चतुिुवज मंभदर, लक्ष्मीनारायण मंभदर, जीत महल, जैत या जीत िंि और मंदर भकला।
● कीभतवपाल के शासि काल में बहल ल ल दी ने ग्वाभलयर पर आक्रमण त्तकया।
● राजा मानभसंह त मर वं श का सबसे शस्तिशाली रािा था।
● राजा मानभसंह क अपिे शासिकाल में बहल ल ल दी, भसकंदर ल दी और इब्राभहम ल दी के आक्रमण ं का सामिा
करिा पडा था।
● 1517 ई. में , इब्राभहम ल दी ने ग्वात्तलयर पर आक्रमण त्तकया और ग्वाभलयर का भकला िीता, इस युद्ध में राजा मानभसंह
की मृत्यु ह गई।
● राजा मानभसंह िारा अपिे शासिकाल में बिवाया गया मान मंभदर और गु जरी महल इसके बेहतरीि उिाहरण हैं ।
● माि त्तसोंह के पुत्र भवक्रमाभदत्य त मर वं श के अोंत्ततम शासक थे ।
● पानीपत की पहली लडाई में इब्राभहम ल दी के साथ भवक्रमाभदत्य मारा गया था।
● इस प्रकार ग्वाभलयर राज्य के त मर वं श का अं त ह गया।
● क भहनू र िाम का त्तवश्व प्रत्तसद्ध हीरा ि वतधमाि में इं ग्लैंड के महल क सुश त्तित करता है , ग्वात्तलयर के त मर वोंश का
खिािा है ।
● यह त मर जागीरदार अजीत भसंह द्वारा भवक्रमाभदत्य के बाि मुगल वं श क आगरा भकले और खु ि पर हमला ि करिे
की शतध के रूप में त्तिया गया था।

मध्य प्रदे श के प्रमुख राजवंश और उनके क्षे त्र

राजवं श क्षे त्र

चोंिेल रािवोंश बुोंिेलखों ड

त मर रािवोंश ग्वात्तलयर

परमार रािवोंश मालवा (र्ार)

बुोंिेल रािवोंश बुोंिेलखों ड

ह ल्कर रािवोंश मालवा (इों िौर)

त्तसोंत्तर्या रािवोंश ग्वात्तलयर

करुश रािवोंश बघेलखों ड

चोंद्र रािवोंश बघेलखों ड से बुोंिेलखों ड

यािव वोंश चोंबल बेतवा की ित्तिय ों का मध्य िाग

शुों ग रािवोंश त्तवत्तिशा

िागवोंश त्तवत्तिशा - ग्वात्तलयर

ब त्तर् रािवोंश िबलपुर (त्तत्रपुरी/तेवर)

माघ रािवोंश बघेलखों ड

अमीर रािवोंश अत्तहश्वश (त्तवत्तिशा/झााँ सी)

वाकाटक वोंश त्तवोंध्य प्रिे श

औत्तलकर रािवोंश िासपुर (मों िसौर)

13
मौखरी वोंश मालवा (िासपुर, मों िसौर)

पररव्रािक रािवोंश बुोंिेलखों ड

शै ल रािवोंश महाकौशल

पाों ड्य रािवोंश मै काल प्रिे श (अमरकोंटक)

चंदेल राजवं श
● राजिानी: खजुराह
● थथापिा: 871
● चंद्र दय ऋभि के वोंशि
● पहला रािा: नन्नु क
● िन्नुक के प ते जयभसंह के िाम पर इसका िाम जेजाकिुस्ति रखा गया।
● हिवदेव चोंिेल वोंश के पहले महत्त्वपू णव राजा थे , त्तििके शासि काल में चोंिेल वोंश क उत्तर िारत के शस्तिशाली
राजवं श ं में त्तगिा िाता था।
● हषध िेव (905 से 925) के बाि उिका पुत्र यश वमवन गद्दी पर बैठा, त्तिसिे कन्नौज के प्रभतहार ं क समाप्त कर राष्ट्रकूट
से काभलंजर का त्तकला िीत त्तलया।
● यश वमध ि (लक्ष्मणवमधि) िे खजुराह के प्रभसद्ध भवष्णु मंभदर का त्तिमाध ण कराया।

िंग दे व (950 से 1007)

● प्रभतहार शस्ति के कमि र ह ते ही इसिे एक स्वतोंत्र राज्य की घ षणा कर िी। िंगदे व ने 'महाराजाभिराज' की उपाभि
र्ारण की।
● उसका राज्य काभलंजर से मालव नदी (बेतवा), मालव ििी से काभलंदी, कात्तलोंिी से चेभद और चेत्ति से ग परादी
(ग्वाभलयर) तक था।
● इसिे शु रू में काभलंजर क अपिी राजिानी बिाया, त्तफर खजुराह क अपिी राजिानी बिाया।
● इसिे िभटं डा के शाही शासक जयपाल क सुबुिगीन के स्तखलाफ सैन्य सहायता िे िी।
● िं ग िे खजुराह के अत्तर्काों श मंभदर ं का त्तिमाध ण कराया, इसिे जैन समुदाय के ल ग ों क खिु राह में मों त्तिर बिािे की
अिु मत्तत िी िी।
● खजुराह में ि प्रमु ख - पारसनाथ और भवश्वनाथ मंभदर हैं ।
● उिके शासिकाल के िौराि, राजा िं ग द्वारा खिु राह में जगदं बी नामक वै ष्णव मंभदर और भचत्रगुप्त नामक सूयव मंभदर
का त्तिमाध ण त्तकया गया था।
● उन्ह ि
ों े प्रयाग में गंगा-यमुना के पभवत्र संगम में अपिा शरीर त्याग त्तिया।

भवद्यािर (1017 से 1029 ई.)

● महमूद गजनी की महत्वाकाों िाओों का सफलतापूवधक भवर ि त्तकया।


● परमार शासक ि ज और भत्रपु री कलचुरी शासक गं गदे व िी परात्तित हुए।
● भवद्यािर के बाद उसका पुत्र भवजयपाल गद्दी पर बैठा, ले त्तकि बाि में उसे गंगदे व की अिीनता स्वीकार करिी पडी।
● इस वोंश का अं भतम शासक परमारदे व(1165 ई. से 1203 ई.) (परमल) था।
● उन्ह ि
ों े दशैन दहपभत की उपाभि र्ारण की
● उन्हें 1182 ई. में पृ थ्वीराज चौहान और 1203 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक िे हराया था।
● काभलंजर के युद्ध में परमारदे व की मृ त्यु ह गई।
● आल्हा और उदल परमारदे व के दरबारी थे।

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