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4. 1857 क ववद्रोह 34
● मध्य प्रदे श में वर्द्रोह
● िोपाल राज्य (1707-1947)
○ गोंड राजाओां के अधीन िोपाल
○ िोपाल की बेगम
● होल्कर राज्य
● दे र्ास राज्य (1735-1947)
○ दे र्ास (र्ररष्ठ शाखा) (बाबा सादहब)
○ दे र्ास राज्य (जनू नयर शाखा)
● धार राज्य
● ग्र्ाभलयर राज्य
● डडिं डोरी के घु घुआ राष्ट्रीय उद्यान में ममले 6.5 करोड़ वर्ष पु राने जीवाश्म ने सामित कर मिया मक मध्य प्रिे श की जमीन
उतनी ही प्राचीन है मजतनी की िु मनया ।
● धार के बाग इलाके में 100 से ज्यािा डायनासोर के अण्ोिं के जीवाश्म ममले है l
○ वैज्ञामनक ों ने इन जीवाश् ों के लगभग 7 कर ड़ से 6.5 कर ड़ वर्ष पुराने ह ने का अनुमान लगाया है। अोंडे के अलावा,
क्षे त्र में डायनासोर के घोिंसलोिं के जीवाश्म भी पाए गए हैं ।
● वर्ष 2003 में एक अमे ररकी वैज्ञामनक ने एक मवशाल डायनास र के जीवाश् ों की पहचान की थी, मजसे "राजसौरस
नर्मडेन्सिस" नाम मिया गया था।
● सन् 1930 में प्रोफेसर लैडकर ने सामित मकया मक र्ध्यप्रदे श जुराडसक पाकम की भूडर् है , 1877 ई. में उन्हें जिलपुर के
पास टाइटे नोसॉर डायनासोर का जीवाश्म ममला।
● ईस्ट इों मडया कोंपनी के अमिकारी डवडलयर् स्लीर्ैन क जबलपु र छावनी क्षे त्र र्ें हजारोिं हडियााँ ममली।
● सन् 1933 में , र्ैटली ने जबलपु र के पास र्ानव आकार के डायनासोर प्राप्त मकये और इनका नाम जिलपुररया रखा।
● भू वैज्ञामनक दृमि से, र्ध्यप्रदे श गोिंडवाना भूडर् का एक भाग है ।
र्ध्यप्रदे श र्ें पाषाण युग (40 लाख ईसा पू वम से 4000 ईसा पू वम)
● नरडसिंहपु र के पास भूतरा गााँव में वैज्ञामनक क पु रापाषाण युग का हडियार ममला ज मध्यप्रिे श में सिसे पुराना माना
जाता है ।
● बे तवा और नर्मदा की घाटी से ममली क्वाटम जाइट से बनी हाि की कुल्हाड़ी।
● नर्मदा घाटी सवे क्षण र्ें नरडसिंहपु र के होशिंगाबाद र्ें प्राचीन जीवाश्म ममले हैं।
● हिनोरा र्ें मानव नर्मदे नू नमर्ेडडस की खोपड़ी ममली है ।
● वाकणकर क चिंबल घाटी के र्िंदसौर से उपकरण ममले हैं ।
आदर्गढ़ (होशिंगाबाद)
● नमष िा निी के तट पर र्ेसोडलडिक स्िल।
● गुहा मचत्र के अवशे र् ममले है ।
भीर्बे टका (रायसेन)
● यह एक पु रापाषाण और र्ध्यपाषाण स्िल है ।
● 500 गुफाएँ पाई जाती हैं ।
डसिंगरौली
● कई गुफाएँ ममलीों उिाहरण के मलए र्ािंडा गु फाएाँ और बाघ गु फाएाँ (िार)
● इन सभी गुफाओों के डचत्रोिं र्ें लाल, सफेद, काले, पीले प्राकृडतक रिं गोिं का प्रयोग मकया गया है ।
किंु जन
● मध्य प्रिे श के सीधी डजले र्ें न्सस्ित कुोंजन एक नवपाषाण स्िल है ।
● भारत में नवपार्ाण काल 2,600 से 800 ईसा पूवष के िीच का काल है l
● इसे तीन चरण ों में वगीकृत मकया गया है -
○ चरण- I - क ई धातु उपकरण नही िं ममला l
○ चरण- II - सीममत मात्र में तााँबे और कािंसे के औजार ममले है।
○ चरण- III - इसकी मवशेर्ता लोहे का उपयोग है।
र्ध्य प्रदे श र्ें कािंस्य युग
● एरण (सागर) : काों स्य युग के औजार ममले थे - 2000 ईसा पूवष से 700 ईसा पूवष तक l
● खेडडने र्ा (होशिंगाबाद): 3500 साल पुराना काों स्य युग
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● अकुरा; नागदा (उज्जैन): महत्त्वपूणष काों स्य युग स्थल
● र्हे श्वर- नवदाटोली (1660 ईसा पू वम से 1440 ईसा पूवम): िुद्ध के ग्रोंथ और प्रमसद्ध काों स्य युग की सभ्यता में इन ि शहर ों
का उल्ले ख है ।
● तेओि
िं र (रीवा) और भरहुत (सतना): तीसरी और चौथी शताब्दी की शहरी सभ्यता ममली।
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ताम्रपाषाण युग
● कायिा (उज्जैन): 1800-1300 ईसा पूवष की अवमि की तााँबे की कुल्हाड़ी; ज्योडतषी वराहडर्डहर का जन्मस्िान हैं ।
● एरण (सागर): प्राचीन नाम अररमकनी, सती का सबसे पु राना डशलालेख ममला ,ब्लै क-रे डवे यर, पें टेडवे यर ममला ।
● नवदाटोली (र्हे श्वर) : ग ल आकार की ममट्टी की कुमटया, आयताकार चूल्हा, गेहँ, चने की खे ती ।
● अवारा(र्िंदसौर): नवदाटोली के समान, मचमत्रत लाल-काले और भूरे-सफेद रों ग के ितष न ममले ।
● आजाद नगर- मु साखे ड़ी (इों िौर): ताम्रपाषाण स्िल ।
● डिं गवाला - यह उज्जै न से 32 डकलोर्ीटर दू र बस्ती में स्स्थत है , यह मपछली शताब्दी की खु िाई से अस्ित्व में आया था।
● नागदा - यह उज्जै न मजले में चोंिल निी के तट पर है। इस ताम्रपार्ाण ििी से ममट्टी के ितषन और छ टे पत्थर के हमथयार
भी ममले हैं ।
वै डदक युग
● वािव में , आयम सिंस्कृडत 1500-1000 ईसा पूवष ऋग्वैडदक काल में उत्तर तक ही सीममत थी और िाि के वै डदक काल
(1000-600 ई.) में ,इसने मवन्ध्याचल क पार कर मध्यप्रिे श में प्रवेश मकया।
● मनु के 10 पुत्र ों में से एक करुष ने बघे लखिंड र्ें करुष विं श की स्थापना की।
● चिंद्रविं श - मनु की पुत्री इला का मववाह स म से हुआ और उन्ह न ों े इस वोंश की स्थापना की। सोर् का शासन बुिं देलखिंड में
था।
इक्ष्वाकु विंश
● मनु के पुत्र इक्ष्वाकु के नाम से इस वोंश की स्थापना हुई, मजसका शासकीय क्षे त्र दिं डकारण्य िा l
● इस वोंश के प्रतापी राजा र्ान्धाता ने अपने पुत्र पु रुकुत्त्स क मध्य भारत के नागा राजाओों (गोंिवों के मवरुद्ध) की सहायता
के मलए भे जा।
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● उसी वोंश के र्ुचकिंु ड ने अपने पूवषज राजा मान्धाता के नाम पर ऋक्ष और पररपात्र पवम त श्ृिंखलाओिं के िीच नमष िा के तट
पर र्ान्धाता (ओोंकारे श्वर - मान्धाता) शहर की स्थापना की।
● कुछ इमतहासकार ों ने उल्ले ख मकया है मक लों का जिलपुर से 15 मकल मीटर िू र स्स्थत थी।
● मवमिशा पर शत्रु घ्न के पुत्र शत्रुघडत का शासन था।
○ कामलिास के रघुवोंश के अनुसार, शत्रुघन ने यादवोिं क हराया और अपने पुत्र शत्रुघमत क डवडदशा के राजा के रूप
में स्थामपत मकया।
● महाभारत युद्ध के िौरान, उज्जै न के राजकुमार डबिं द और अनु डविं द तथा राजा नील (मामहष्मती) कौरव ों की ओर से लड़े
थे ।
● जिलपुर के पास तेवर को र्हाभारत र्ें डत्रपु री के रूप र्ें वडणमत मकया गया है ।
र्हाजनपद युग
अविंती (उज्जैन)
चेडद र्हाजनपद
● वत्स - ग्वामलयर
● चेमि — खजु राह
● अनू प - मनमाड़ (खोंडवा)
● िशरना - मवमिशा
● टुों डीकर — िम ह
● नलपुर - नरवर (मशवपुरी)
र्ौयम राजविं श
● पु रुगु प्त चोंद्रगुप्त के शासन के िौरान र्ालवा क्षेत्र का राज्यपाल था।
● मिन्िु सार द्वारा अश क क अविं ती का राज्यपाल मनयुक्त मकया गया था।
● अश क ने उज्जै न पर 11 वर्ों तक राज्यपाल के रूप में शासन मकया।
● गु जमर (िमतया), रूपनाि (जिलपुर), सािंची (रायसेन), पान गु रडड़या (सीह र) के डशलालेखोिं से सामित ह ता है मक अश क
ने इन क्षे त्र ों पर शासन मकया था।
● गुजषर मशलाले ख से अश क का नाम दे वनार्डप्रय राजा अशोक ममला।
● अश क ने बे सनगर (मवमिशा) की श्ीदे वी/र्हादे वी से मववाह मकया की।
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● कुणाल अश क के चार पुत्र ों में से एक थे , उन्ह न
ों े उज्जैन में 8 वर्ों तक शासन मकया।
● अश क की मृ त्यु के िाि भी, वह प्राों तीय शासक के रूप में कायष करता रहा। इसके िाि उसका पुत्र सम्प्रडत उज्जैन का
प्रान्तीय शासक िना।
● सम्प्रमत ने िीरे -िीरे िमक्षण चौकी के आस-पास के क्षे त्र क जीत मलया और उस पर कब्जा कर मलया।
● उज्जैन का बौद्ध स्तूप: िुद्ध के महापररमनवाष ण के िाि अवोंती का अमिग्रहण हुआ, मजस पर वैश्य टे करी में िू प िनाया
गया। यह अि तक ममले िू प ों में सिसे िड़ा है ।
● सािंची - यहाँ मु ख्य रूप से तीन िू प हैं और अन्य छ टे िू प भी हैं , साों ची क तीसरी शताब्दी में वै डदक डगरर या चैत्यडगरी
कहा जाता था और िू सरी शताब्दी ईसा पूवष में काकवान।
○ सर जॉन र्ाशमल ने 1912 ई. और 1920 ई. के िीच सािंची स्तूप का जीणोद्धार करवाया।
○ स्तूप क्रर्ािंक 1 ज िहुत महत्व का िताया जाता है, उसमें साररपुत्र और र्हार्ोगली की अन्सस्ियााँ रखी गई हैं।
● सतधारा स्तूप - साों ची के पास एक प्राचीन बौद्ध केंद्र। कमनों घम ने इसकी ख ज 1853 ई. में की थी, अि तक यहाँ 40
स्तूप और 17 डवहार ममले हैं ।
● अिं धेर का स्तूप - मवमिशा से 12 मकल मीटर िू र अोंिेर नामक स्थान से तीन िू प ों के अवशे र् ममले हैं ।
● सोनारी स्तूप - साों ची से 9 मकल मीटर िू र 8 स्तूपोिं के अवशेष यहाँ ममले हैं , मजनमें से स्तूप निंबर 1 सिसे िड़ा है , ज
240 फीट चौकोर प्रािंगण में स्स्थत है ।
○ भोजपुर के स्तूप - मवमिशा से 10 मकल मीटर की िू री पर 37 अवशेर् ममले हैं।
○ इसी तरह रायसेन मजले के खरवई से दो स्तूपोिं और डवहारोिं के अवशेष ममले हैं।
● भरहुत का स्तूप मध्य प्रिे श में सतना के पास नागोद में स्स्थत है , इसकी ख ज 1873 ई. में हुई थी।
● दे उर कोठार रीवा मजले की तहसील के अोंतगषत आता है , मजसे अश क के समय तीसरी शताब्दी में िनाया गया था।
● तुर्ैन स्तूप अश क नगर में स्स्थत है , ज मवमिशा और मथुरा क ज ड़ने वाले व्यापार मागष पर स्स्थत था। प्राचीन काल में
इसे तुम्बावन कहा जाता था।
● कसरावद के स्तूप : खरग न मजले में स्स्थत कसरावि में 11 िू प ममले हैं ।
● र्हे श्वर और नवदाटोली: महे श्वर की पहचान प्राचीन दडक्षणी अविं ती की राजधानी र्ाडहष्मती से हुई है ।
○ यह नगर प्रमतष्ठान और उज्जैन के िीच िमक्षणी सड़क पर स्स्थत था।
● पान गुरडड़या से पररक्रमा पथ वाला एक िू प ममला है ।
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र्ौयों के बाद
शुिंग राजविंश
● र्ालडवकाअडिडर्त्रर् के अनुसार, अमिममत्र ने मवमिशा पर अपने मपता पु ष्यडर्त्र शुिंग के प्रमतमनमि के रूप में शासन मकया
था।
● राजा भागवत के शासन के िौरान, हे डलयोडोरस (एों टीलसीिास (तक्षमशला के इों ड -ग्रीक राजा)) मवमिशा आए और गरुड़
स्तम्भ की स्िापना की यह स्थानीय रूप से खार् बाबा के नाम से जाना जाता है ।
● भरहुत स्तूप (सतना) शुों ग काल के िौरान मनममष त।
● इस िौरान सािंची की िाहरी िीवार भी िनाई गई थी।
सातवाहन राजविंश
● सातवाहन ों ने कण्व विं श क समाप्त करने से पहले 27 ईसा पू वम में शासन मकया था।
● सािंची स्तूप की वे डदका पर उत्कीणष अमभले ख से मालवा पर शातकणी से पहले के शासन से सोंिोंमित सूचना ममलती है ।
● कुछ सातवाहन मसक्के दे वास, उज्जैन, जर्ुडलया, तेवर, भेड़ाघाट से प्राप्त हुए हैं ।
● पुराण ों के अनु सार, मसमु क ने पूवी मालवा (मवमिशा) क्षेत्र पर शासन करने वाले कण्वोिं और शुिंगोिं की शन्सि क समाप्त
करके सातवाहन विं श की स्थापना की।
● शातकणी के राज्य ों में अनू प (मनमाड़), आकार (पूवी मालवा) और अविंती (पमिम मालवा) शाममल थे l
● सातवाहन का अडभलेख मध्यप्रिे श के साों ची से प्राप्त हुआ है ।
● उसके पुत्र पुलुमावी की कदम र्न विं श (सीमथयन राजवोंश) से हार हुई l
● शातकणी प्रथम क सातवाहन विं श का सबसे शन्सिशाली राजा माना जाता है ।
शक शासन
● शक ों ने भारत के पमिमी भाग से भारत-यूनानी शासन की जगह ली और 4 क्षत्रप ों अथाष त् पिं जाब, र्िुरा, उज्जैन और
नाडसक की स्थापना की।
● शक ों की सोंयुक्त शासन प्रणाली में एक परों परा थी मक वररष्ठ शासक "र्हाक्षडत्रय" की उपामि िारण करता था और अन्य
कमनष्ठ शासक ों क "क्षडत्रय" कहा जाता था।
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● मजसका प्रमाण उियमगरर में जैन गुफा में मौजू ि है , मजसके ले ख में र्हाराजाडधराज रार् गु प्त का उल्ले ख है , ताँ िे के
मसक्के पूवी मालवा में डवडदशा और एरण से प्राप्त हुए हैं ।
● मवमिशा के मनकट िु जषनपुरा गाँ व से चौथी शताब्दी की तीन मू मतषयाँ ममलती हैं , मजन पर महाराजामिराज रार्गुप्त का उल्लेख
ब्राह्मी डलडप में ममलता है ।
● चोंद्रगुप्त मद्वतीय ने शक राजा क हराया और उज्जैनी क अपनी दू सरी राजधानी के रूप में स्थामपत मकया l
● प्रिर् राजधानी पाटडलपु त्र थी l
● उदयडगरर (मवमिशा) से प्राप्त डशलालेख से चोंद्रगुप्त मद्वतीय के वीरसेन (युद्ध और शाों मत) मों त्री के िारे जानकारी ममलती
है l
● उियमगरर गुफाओों का मनमाष ण गुप्त राजाओों द्वारा मकया गया था, जहाँ वराह अवतार महत्त्वपूणष है l
● धार की बाघ गु फाओिं का सोंिोंि भी गुप्त वोंश से है l
● जिलपुर में स्स्थत डतगवा गुप्त काल का एक र्हत्त्वपू णम डवष्णु र्िंडदर है l
गुप्तकाल के अडभलेख
र्िंदसौर डशलालेख
● सोंस्कृत में वत्सभट्टी द्वारा मलस्खत हैं l
● यह बिं धुवर्मन से सोंिोंमित है l
तुर्ैन डशलालेख
● अशोकनगर मजले में स्स्थत है l
● कुर्ारगु प्त के िारे में जानकारी ममलती है l
सुडपया डशलालेख
● रीवा में स्स्थत है l
● इसमें घट त्कच के समय से गुप्त राजा के कालक्रम का वणषन है ।
एरण डशलालेख
● यह सागर मजले में स्स्थत है ।
● हण ों के आक्रमण की जानकारी िे ता है
र्िंदसौर डशलालेख
● गुप्त सम्राट कुमारगुप्त मद्वतीय से सोंिोंमित यह अमभले ख र्िंदसौर (िासपुर) से प्राप्त हुआ है ।
● यह मशलालेख सोंस्कृत भार्ा में मलखा गया है l
सािंची डशलालेख
● इसमें हरर स्वाममनी द्वारा आयम सिंघ क मिए गए िान का उल्ले ख है ।
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गुप्त काल के र्िंडदर
अन्य राजविं श
वाकाटक विंश (150 ई. से 450 ई.)
पररव्राजक राजविंश
शैल विंश
● आठवीों शताब्दी में महाकौशल के पमिमी भाग में शैल विं श की स्थापना।
● राधोली (िालाघाट मजला) से प्राप्त एक ताँ िे की प्लेट शैल विं श की विं शावली िे ती है ।
● प्रथम राजा - श्ीवधमन, उसका पुत्र पत्थु वधमन मजसने गु जमरोिं पर डवजय प्राप्त की।
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र्ौखरी विंश
● मध्यप्रिे श के पूवी मनमाड़ मजले में , असीरगढ़ डकले के महाराज सवष वमष न का एक तम्मा र्ुहर अडभलेख प्राप्त हुआ है ,
मजसके सोंिोंि में कुछ मवद्वान ों का मत है मक र्ौखरी राज्य पू वी डनर्ाड़ डजले तक फैला हुआ था l
● अर्रकिंटक और वतषमान अनू पपु र डजले के आस-पास के क्षे त्र क र्ैकाल के नाम से जाना जाता था।
● पाों डव वोंश के राजाओों के िारे में जानकारी राजा भरत बल के बासनी ताम्र पत्र से प्राप्त ह ती है ।
● पहला राजा- जयबल, उसका पुत्र वत्सिल।
● िाि में गुप्त वोंश की शस्क्त कम ह ने के कारण स्स्थमत का लाभ उठाकर राजा स्वतोंत्र ह गया।
● अोंमतम सम्राट – भरतबल
कलचुरी राजविंश
● कलचुरी है हाय विं श की एक शाखा है , मध्यप्रिे श के प्राचीन इमतहास में कलचुरी वोंश का महत्त्वपूणष स्थान है ।
● मध्यप्रिे श में कलचुरी वोंश की दो प्रर्ुख शाखाएाँ - र्ाडहष्मती की कलचुरी और डत्रपुरी की कलचुरी शाखाएँ थीों ।
डत्रपुरी का कलचुरी
● चालु क् ों द्वारा परामजत ह ने के िाि, िुद्धराज के वोंशज मामहष्मती क छ ड़कर चेडद दे श में भाग गए और डत्रपु री र्ें अपनी
राजधानी स्थामपत की।
● मत्रपुरी शाखा के सिंस्िापक वार्राज थे ।
● शासक कोक्ल प्रिर् इस वोंश का एक सक्षम और प्रतापी राजा था।
● गोंगिे व के पुत्र लक्ष्मी कणम या कणम दे व, कलचूरर राजाओों में सिसे राजसी राजा थे ।
● कणष िे व क डहिं द का ने पोडलयन कहा जाता है ।
● कणष िे व ने जिलपुर के पास अपने नाम पर कणामवती शहर की स्थापना की और अर्रकिंटक के र्िंडदरोिं का मनमाष ण
मकया।
● कलचुरी वोंश का अिं डतर् शासक डवजय डसिंह था।
राष्ट्रकूट राजविंश
● राििकूट वोंश की ि शाखाएँ सातवीों से िसवीों शताब्दी तक मध्य प्रिे श में रहीों।
● पहली शाखा
○ इस वोंश की एक शाखा ने बै तूल-अर्रावती क्षेत्र पर शासन मकया।
○ राज्य की चार शाखाएँ - दु गामराज, गोडविं द राज, स्वार्ीराज और नन्नाराज।
○ तीतर खेड़ी और र्ुलताई (िैतूल) से नन्नाराज के ि ताम्र पत्र प्राप्त ह ते हैं ।
○ िों मतिु गष ने अपने शासन काल में इस शाखा का मवलय मकया ह गा।
● दू सरी शाखा
○ इसका शस्क्तशाली राजा दिं डतदु गम (744 ई.) था।
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○ उन्ह न
ों े महानिी और नमष िा के आस-पास कई युद्ध लड़े ।
○ उज्जै न के गु जमर शासकोिं ने राििकूट क हराया और शासन मकया।
○ उन्ह न
ों े लगभग 750 ई. में उज्जै न में डहरण्यगभम यज्ञ करके खु ि क स्थामपत मकया।
○ िों मतिु गष के उत्तरामिकारी कृष्ण ने मध्य प्रिे श के पूरे र्राठी क्षे त्र पर अडधकार कर मलया
गुजमर-प्रडतहार विंश
नाग विंश
● िू सरी-तीसरी शताब्दी ई. में , वतषमान तेवर (जिलपुर) के मत्रपुरी क्षे त्र पर बोडध विं श के राजाओिं का शासन था।
● मत्रपुरी की खु िाई से प्राप्त डर्ट्टी-मु द्रा अोंकन में चार शासक -ों श्री बोडध, वासु बोडध, चिंद्र बोडध और डशव बोडध के नाम ों
का उल्ले ख है ।
● इस समय के आस-पास मध्य प्रिे श के बुिं देलखिंड क्षे त्र पर र्ेघविंश के शासकोिं का शासन था।
● इस वोंश का प्रथम शासक भीर्सेन था।
● कौशाम्बी और भाटा के अलावा िाँ िवगढ़ मजले के उमररया से माघ वोंश के शासक ों के मसक्के, मु हर और मशलाले ख प्राप्त
हुए हैं ।
वाकाटक विंश
10
2 मध्य प्रदे श का मध्यकालीन इभतहास
CHAPTER
उपेंद्र
● उन्हें राष्ट्रकूट सम्राट ग भवं द-तृतीय द्वारा शासक त्तियुक्त त्तकया गया था।
● 'उदयपु र प्रशस्ति' में उिकी प्रशों सा की गई।
● आठवीों शताब्दी के उिरार्ध में राििीत्ततक पररस्थथत्ततय ों का लाि उठाकर वह 'अवं ती' के शासक बिे l
● 818 ई. में ग भवं द तृतीय की मृ त्यु ह गई, त्तिसका लाि उठाकर इन्ह ि ों े राज्य का त्तवस्तार करिा शुरू कर त्तिया और
मालवा पर अभिकार कर त्तलया।
वैर भसं ह
कृष्णराज या वाक्पभत I
● यह प्रत्ततहार िरे श महें द्र पाल (892-908 ई.), ि ज II और मभहपाल (912-942 ई.) तीि ों के समकालीि थे।
● इिका िाम 'उदयपुर प्रशस्ति' और ‘नवसाहसांकचररत’ ि ि ों में वत्तणधत है ।
● वाक्पत्ततप्रथम िे 'परम िट्टारक महाराजाभिराज परमेश्वर' की शाही उपात्तर् र्ारण की।
हिव / भसयक II
● भसंिुराज (997-1000 ई.) - यह मुों ि का छ टा िाई था, ले त्तकि मुों ि क त्तसोंर्ु राि के पुत्र ि ि से अत्तर्क लगाव था और
उसे रािकुमार के रूप में त्तियुक्त त्तकया।
11
● त्तसोंर्ुराि िे नवसहसंक, नवीनसाहसंक, कुमार नारायण, अवं तीश्वर, परमार महािारत, मालव राि की उपात्तर् र्ारण
की।
● त्तसोंर्ुराि िे हूण ों पर त्तविय प्राप्त की। बडनगर प्रशस्ति में इसका त्तवशे ष उल्ले ख त्तमलता है l (1151 ई.)
राजा ि ज के साभहत्य
कच्छपघात राजवं श
● कच्छपघात वोंश मध्य प्रदे श के उत्तरी िाग का एक महत्त्वपूणध रािवोंश था।
● इसका मूल स्थान ग पाचल क्षे त्र है त्तिसके अोंतगधत मध्य प्रदे श के ग्वाभलयर, मुरैना, भगन्द, भशवपु री, गु ना, अश कनगर
और दभतया त्तिले के िे त्र शात्तमल हैं ।
● अतीत में , कच्छपघात गु जवर प्रभतहार वं श के सामंत के रूप में काम करता है l
12
दे व वमवन
त मर रािवोंश ग्वात्तलयर
13
मौखरी वोंश मालवा (िासपुर, मों िसौर)
शै ल रािवोंश महाकौशल
चंदेल राजवं श
● राजिानी: खजुराह
● थथापिा: 871
● चंद्र दय ऋभि के वोंशि
● पहला रािा: नन्नु क
● िन्नुक के प ते जयभसंह के िाम पर इसका िाम जेजाकिुस्ति रखा गया।
● हिवदेव चोंिेल वोंश के पहले महत्त्वपू णव राजा थे , त्तििके शासि काल में चोंिेल वोंश क उत्तर िारत के शस्तिशाली
राजवं श ं में त्तगिा िाता था।
● हषध िेव (905 से 925) के बाि उिका पुत्र यश वमवन गद्दी पर बैठा, त्तिसिे कन्नौज के प्रभतहार ं क समाप्त कर राष्ट्रकूट
से काभलंजर का त्तकला िीत त्तलया।
● यश वमध ि (लक्ष्मणवमधि) िे खजुराह के प्रभसद्ध भवष्णु मंभदर का त्तिमाध ण कराया।
● प्रभतहार शस्ति के कमि र ह ते ही इसिे एक स्वतोंत्र राज्य की घ षणा कर िी। िंगदे व ने 'महाराजाभिराज' की उपाभि
र्ारण की।
● उसका राज्य काभलंजर से मालव नदी (बेतवा), मालव ििी से काभलंदी, कात्तलोंिी से चेभद और चेत्ति से ग परादी
(ग्वाभलयर) तक था।
● इसिे शु रू में काभलंजर क अपिी राजिानी बिाया, त्तफर खजुराह क अपिी राजिानी बिाया।
● इसिे िभटं डा के शाही शासक जयपाल क सुबुिगीन के स्तखलाफ सैन्य सहायता िे िी।
● िं ग िे खजुराह के अत्तर्काों श मंभदर ं का त्तिमाध ण कराया, इसिे जैन समुदाय के ल ग ों क खिु राह में मों त्तिर बिािे की
अिु मत्तत िी िी।
● खजुराह में ि प्रमु ख - पारसनाथ और भवश्वनाथ मंभदर हैं ।
● उिके शासिकाल के िौराि, राजा िं ग द्वारा खिु राह में जगदं बी नामक वै ष्णव मंभदर और भचत्रगुप्त नामक सूयव मंभदर
का त्तिमाध ण त्तकया गया था।
● उन्ह ि
ों े प्रयाग में गंगा-यमुना के पभवत्र संगम में अपिा शरीर त्याग त्तिया।
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