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शक्तत चक्र ऩय त्राटक भें होने वारे अनब

ु व

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distance is 2-3 feet. You can see the board easily. Practice on the middle
image.
जफ तक भन ऩये शान यहता है तफ तक हभ कोई कामय बी ढॊ ग से बी नह ॊ हो ऩता है . छोट सी उम्र भें चश्भा रग जाता है आॉखे
कभजोय ददभाग की शक्तत बी कभजोय हो जाती है . कह भन नह ॊ रगता है .अध्ममन शक्तत कभजोय हो जाती है . फदरते वक़्त के
साथ ददभाग की शक्तत का ववकाश सह ढॊ ग से नह ॊ हो ऩा यहा है .

कहा गमा है भन की शक्तत का कोई छोय नह ॊ है . जरुयत है फस ववश्वास औय भन ऩय ननमॊत्रण की. भन ऩय ननमॊत्रण कयना ज्मादा
भुक्श्कर नह ॊ है , जरुयत है फस ननममभत अभ्मास की. ननममभत अभ्मास औय एक तम वक़्त ऩय अभ्मास कय आऩ सफ कुछ कय
सकते है ,भन भें कई तयह से ववचाय आते है औय सबी ववचाय ऩुये नह ॊ हो ऩाते है . इसे हभ साभान्म तोय ऩय हरके भें रे रेते है .
रेककन असरभे मे हभाय आत्भशाॊनत का नाश कयती है .औय हभ अऩने रक्ष्म भें सपरता हामसर नह ॊ कय ऩाते है . इसमरए भन भें
ववचायो की सॊख्मा को घटामा जाता है , इसके कई भाध्मभ है . रेककन भॊक्जर एक है ध्मान.

ध्मान :- शय य की हरचर शाॊत कय जफ भन को एकाग्र ककमा जाता है.तफ एक अवस्था ऐसी आती है जफ भक्तततक बफरकुर
शाॊत औय हल्का रगने रगता है .शय य भें नमी ऊजाय का प्रवाह भहसूस होने रगता है ,इस अवस्था भें हभ मसपय एक ववचाय ऩय ह
क्स्थय हो जाते है .

पामदा:
१. ध्मान से हभाये सोचने औय कामय कयने की ऺभता का ववकाश होता है .
२. जीवन की सफसे फड़ी काभमाफी आत्भववश्वास( खद
ु ऩय ववश्वास) फढ़ता है .
३. जफ हभ ध्मान भें सपरता हामसर कयते है तफ भन हय वक़्त शाॊत यहता है , चेहये ऩय ख़श
ु ी,औय आकषयक व्मक्ततत्व का
ननभायण होता है .
४. जफ बी भन भें हरचर हो जरुय नह ॊ की ध्मान के मरए कह फैठना हो भाहोर फनाना हो, आऩ कह बी चरते हुए खर
ु आॉखों
से मा फॊद आॉखों से बी भन को शाॊत कय सकते है , मे बफरकुर एक कॊप्मट
ू य भें कभाॊड दे ने जैसा होता है कभाॊड द औय हो गमा.
इसके मरए एक खास अभ्मास की जरुयत होती है .
५. जो आगे फढ़ने भें दहचककचाते है उनके मरए ध्मान सफसे फदढ़मा भाध्मभ है ,जैसे ह भन भें ववचाय आमा औय हभ खद
ु फखद
ु उस
यस्ते ऩय चर ददए.
६. क्जनके सोचने सभझने की शक्तत कभजोय है वो इसे आजभा कय आयाभ से औय फेहतय सोच सकते है .
७. क्जन्हे चश्भा रगता है औय वक़्त के साथ फढ़ता जाता है ,वो ध्मान औय त्राटक से धीये धीये चश्भा छुड़ा सकते है .
कई फाय काभ भें हभाया भन नह ॊ रगता है , मा कपय भाहोर कुछ ऐसा हो जाता है की आऩ उस भाहोर भें ऩये शान हो जाते है . ध्मान
औय त्राटक से आऩ भाहोर के प्रबाव से भुतत हो जाते है , भाहोर चाहे कैसा बी अवप्रम हो आऩ उसके प्रबाव नह ॊ आते है .
जफ इतने पामदे ध्मान से है त्राटक से है तो सबी इसे कयना चाहते होंगे.

ध्यान कौन कर सकता है .

ध्मान वह इॊसान इॊसान कय सकता है क्जसभे इच्छा हो ध्मान कयने की, ननममभत औय ननत्म एक तम वक़्त ऩय ध्मान कय उसके
राब उठा सकते है .

ध्मान शुरू कयने के कुछ ननमभ है मे ननमभ हय जगह रागू होते है .


१. ध्मान मा त्राटक सफ
ु ह ज्मादा अच्छा यहता है , तमों की भाहोर शाॊत, साप औय ऩववत्र होता है , इस वक़्त भें ब्रह्भाभरृ
ु त होता है .
तो मे भक्तततक को ज्मादा चेतन यखता है .
२. ध्मान मा त्राटक हभेशा तम वक़्त ऩय ननममभत कयना चादहए
३. ध्मान मा त्राटक के सभमकार भें भन ऩय सॊमभ औय वाणी भें भधयु ता यखनी चादहए. ज्मादा फोरने के फजाम जरुयत के दहसाफ
से फोरना चादहए.
४. आऩ क्जतना शाॊत यहते है उतना ह अऩने अॊदय जाते है .अऩने आऩ से जुड़ते है .
अगय आऩ इनभे से ककसी बी ऩऺ को अऩनाना चाहते है तो आऩ शुरुआत कय सकते है .

शक्तत चक्र ऩय अभ्मास :-

शक्तत चक्र ऩय त्राटक कयने से ऩहरे हभें सुफह उठ कय ननममभत कक्रमाकराऩ से ननऩट कय आसान ग्रहण कय ऩहरे साॉस की गनत
को ननममभत कयना चादहए.इससे त्राटक भें सुववधा होती है . इसके फाद बफना ककसी दफाव के साभान्म त्राटक की बानत शक्तत चक्र
ऩय अभ्मास कयना चादहए. शक्तत चक्र का अभ्मास सुफह कयना अच्छा यहता है . तमोकक इस वक़्त भन भें ज्मादा ववचाय नह ॊ होते
है .इस वजह से भन को क्स्थय कयने भें वक़्त नह ॊ रगता है

शक्तत चक्र ऩय अभ्मास साभन्म त्राटक की बाॊनत कयते है .रेककन इस अभ्मास भें बावना बी द जाती है , जैसे की भें शक्तत चक्र
ऩय अभ्मास कय यहा हु औय भेया भन ववचाय शुन्म हो यहा है . इस तयह का अभ्मास हभाये भन को ववचाय शुन्म फनता है . क्जससे
भन बफरकुर हल्का भहसूस होने रगता है . अभ्मास कयते कयते जफ हभें शक्तत चक्र कारे यॊ ग की फजाम चभकता रगने रगे तफ
हभाय आत्भशक्तत फढ़ने रगती है . औय शक्तत चक्र कारे यॊ ग की फजाम चभकता द खता है . कुछ ददन के अभ्मास के फाद मे
अवस्था प्राप्त की जाती है .जफ अभ्मास कयते कयते कुछ ददन हो जाते है तफ शक्तत चक्र भें कम्ऩन होने रगता है . मे इसमरए
होता है ह तमों की हभाया अवचेतन भन जाग्रत होने रगता है . इसे हभ भानमसक बावना दे कय क्स्थय कयना चादहए . इस वक़्त
क्स्थय भन से हभें अभ्मास कयना चादहए जैसे की शक्तत चक्र की क्स्तथथ फदरने मा कपय दहरने डुरने ऩय भन को शाॊत कय कपय
अभ्मास कयना चादहए. कुछ ददन फाद मे क्स्तथथ सुधय जाती है .औय शक्तत चक्र क्स्थय हो जाता है . इससे अबमस भें आगे फढ़ते
यहने ऩय हभ कुछ ऐसे दश्मय द खते है क्जन्हे हभ नह ॊ दे खते ऩय स्वऩन भें अवचेतन भन ने उन्हें भहसूस ककमा होता है . शक्तत चक्र
ऩय अभ्मास अगय फना यहता है , तो हभ शक्तत चक्र को कारे यॊ ग से अन्म यॊ ग भें फदरता दे ख सकते है . मे सफ यॊ ग फदरना हभाय
आत्भशक्तत औय इच्छाशक्तत ऩय ननबयय कयता है .तमों की इन दोनों शक्तत का ववकास होता है . इन्हे जाग्रत कय सम्भोहन की
अवस्था रामी जा सकती है .जैसे की भात्र बावना दे ने से शय य का रयरैतस हो जाना औय भन का तनाव दयू हो जाना. आकषयक
फनना औय बी फहुत कुछ.
शक्तत चक्र ऩय अभ्मास कभ से कभ 3 भह ने तक कयना चादहए. इससे अभ्मास फना यहता है . औय ककसी अनब
ु व भें हभें ज्मादा
वक़्त नह ॊ रगता है .

शक्तत चक्र त्राटक भें सफसे उच्च भन जाता है . इसका कायण है इसका भहत्व जो की कई त्राटक भें ककमा जाता है . शक्तत चक्र ऩय
ननममभत त्राटक से बफॊद ु त्राटक,दऩयण त्राटक औय भोभफत्ती त्राटक का राब एक साथ मभर जाता है .

शक्तत चक्र ऩय अभ्मास के साथ हभ प्राण ऊजाय अभ्मास बी कयते है . इससे हभें सम्भोहन के मरए ऊजाय मभरती है .सम्भोहन भें
सपरता के मरए हभाया भन शाॊत औय आकषयण शक्तत की जरूययत होती है . अगय हभ शक्तत चक्र ऩय अभ्मास के साथ प्राण
ऊजाय अभ्मास कयते है तो सम्भोहन भें सपरता मभरती है .
प्राण शक्तत :-
प्रत्मेक प्राणी जफ ऩमायवयण से वामु रेता है .मे वामु प्राण वामु के रूऩ भें शय य द्वाया र जाती है .जफ तक प्राण वामु ताजा
मभरती यहती है . हभ चस्
ु त औय तॊदयु स्त यहते है हभाया शय य इस वामु को जफ रेता है तफ शय य की प्रणार के आरावा बी मे
वामु थोड़े थोड़े कय हभाये नामब ऺेत्र भें मे प्राण वामु सयॊ क्षऺत होती है .मे सयॊ क्षऺत प्राण वामु तफ काभ भें र जाती है जफ हभ
ककसी अन्म गनतववथध भें बाग रेते है . ऩय आज के दौय भें प्राण वामु सयॊ क्षऺत कभ होती है औय आवश्मकता ज्मादा.इसके
कायण हभें सस्
ु ती अनत है ककसी काभ भें बाग रेने भें थकान जल्द ह भहसस
ू होने रगती है ..तमों की ऩमायवयण से हभ उतनी
भात्र भें प्राण वामु नह ॊ रे सकते क्जतनी हभें चादहए.
इसके मरए जफ हभ प्राणामाभ कयते है तफ साॉस को अऩने अॊदय योक कय उसे सयॊ क्षऺत कयते है . बफरकुर वैसे ह जैसे खाना
खा के उसके टुकड़ो भें से ऩोषण प्राप्त कयना.इमसरए जफ हभ प्राणामाभ कयते है तो हभें अऩने अॊदय उतणता का अहसास
होता है मे उतणता प्राणवामु की है .
मोग भें कई ऐसे उऩाम फतामे जाते है क्जनसे हभ ज्मादा से ज्मादा प्राणवामु को अऩने अॊदय सयॊ क्षऺत कय सकते है .जैसे
कऩारबानत औय साॉस के प्राणामाभ. इसके आरावा सवासन एक ऐसा उऩाम है क्जसभे हभ न मसपय प्राण वामु को अॊदय
सयॊ क्षऺत कयते ह फक्ल्क अऩने शय य ऩय ननमॊत्रण कय एक नै ऊजाय का अहसास बी कय सकते है .

------------------------शवासन ----------------------------------------

शवासन एक प्राणामाभ है क्जसभे हभ अऩने शय य को मसथथर कयते है मे प्राणामाभ ननम्न तयह से पामदे भॊद है .
१. हभाया शय य की थकान दयू होती है , शय य की जो थकान सोने से ५ घॊटे भें दयू होती है वो शवासन से मसपय आधा घॊटे भें ह
दयू हो जाती है .
२. शवासन से शाय रयक औय भानमसक तनाव दयू हो जाता है .
३. जो प्राण वामु हभें ऩुये ददन के मरए चादहए वो हभें शवासन से मभर जाती है .औय जो पारतू के कामो भें खचय हो जाती है उसे
सयॊ क्षऺत कय सकते है .
४. शवासन से हभ अऩनी ववचाय ऺभता फढ़ा सकते है . तमों की शवासन भें हभ ववचाय की भात्र कापी हद तक ननमॊबत्रत कय
रेते है औय कपय हभ उस जगह ऩय ज्मादा से ज्मादा सोच ऩते है जहा जरुयत होती है .
५. शवासन से हभ ननद्रा की फीभाय को दयू कय सकते है .औय गहन ननद्रा का अनुबव बी कय सकते है .

-------------------------------------प्रकक्रमा का ऩहरा चयण ---------------------------------

शवासन सुफह के वक़्त ककमा जामे तो ज्मादा अच्छा यहता है तमों की.

उठने के फाद इस वक़्त ह हभाया भक्तततक शाॊत यहता है .औय ज्मादा ववचाय नह ॊ आते है .
इस वक़्त वातावयण साप होता है औय प्राण वामु शुद्ध यहती है .

इसके मरए
१ सफ
ु ह जल्द उठ कय ननत्म कक्रमाकराऩ से ननऩट कय एक कम्फर बफछा उस ऩय रेट जामे.
२. अऩने साॉस ऩय ननमत्रण कये .आॉखे फॊद कये औय कल्ऩना कये आऩ रेटे हुए है .
३. कल्ऩना कीक्जमे की आऩ क्जस अॊग के फाये भें सोच यहे है उसे दे ख बी यहे है .
४. niche ऩैयो से कल्ऩना कये की आऩके बावना दे ते ह आऩके ऩैयो भें मशथथरता आनी शरू
ु हो गई है .इसी तयह एक अॊग ऩय
मह बावना १ मभनट तक दे ते यहे कपय उससे आगे फढे औय धीये धीये ऊऩय तक आमे.
५. कई फाय ऐसा होता है की भन इधय उधय बागता है औय बावना ऩूय तयह से उस अॊग ऩय नह ॊ दे ऩते है . इसमरए हभें फाय
फाय बावना दे नी चादहए मे बावना भन भें मसपय एक ववचाय ह आने दे ती है .

--------------------------------प्रकक्रमा का दस
ू या चयण----------------------------------

साॉस को नाक द्वाया अॊदय रे औय योके यखे क्जतने दे य तक आऩ योक सकते है .साॉस योकने भें जफयदस्ती न कये जफ साॉस छोड़े
तो भह
ु को खोरे औय भह
ु से साॉस छोड़े इस तयह से हभें एक पामदा औय होता है .
जफ बी हभ ज्मादा भेहनत कयते है हभाय साॊसे तेज चरने रगती है इस तयह से कयने ऩय हभ कुछ ह दे य भें साभान्म हो
सकते है .
----------------------------प्रकक्रमा का तीसया चयण----------------------------

शवासन भें शय य को मशथथर कये साॉस को अॊदय रे औय बावना दे की जो साॉस हभने र है वो हभाये शय य भें प्राणवामु के रूऩ
भें जभा हो यह है ( ककसी अॊग ववशेषभे) इसे चाहे तो हभ बावना दे सकते है की प्राणवामु हभाये ऩैयो भें प्रवादहत हो यह
है .शुरुआती सभम भें साॉस योकने भें कदठनाई अनत है ऩय ननत्म सॊमभ से अभ्मास कयने ऩय हभ आसानी से इसे कय ऩाते है .
शुरू भें काभ सभम तक प्राण वामु को अॊदय योक ऩाते है भगय फाद भें प्राकनतयक रूऩ से ज्मादा सभम तक कय रेते है .
कुछ ददन फाद जफ हभ प्राणवामु को अॊग ववशेष भें प्रवादहत होने की बावना दे ते है तो उस अॊग भें हभें उतणता अनुबव होती है .
जफ अभ्मास कई ददन का हो जाता है तो जैसे ह हभ शय य को मशथथर कयते है हभाया ऩयू ा शय य उतणता का अनब
ु व कयता है .
तमों की प्राण वामु ज्मादा सयॊ क्षऺत होती है .

इसके ननम्न पामदे है .


१. हभाय इच्छाशक्तत फढ़ती है . शॊकल्ऩ शक्तत का ववकास होता है .
२. प्राण वामु ज्मादा से ज्मादा हभाये अॊदय सयॊ क्षऺत होती है क्जससे हभ ज्मादा चस्
ु त यहते है .
३. इससे चेहये ऩय आत्भववश्वास आता है औय चेहये ऩय एक ननखाय क्जससे हभ ज्मादा से ज्मादा रोगो को अऩनी औय
आकवषयत कयते है .

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