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" वीर भो य वसुंधरा " अथात : केवल वीर और श शाली लोग ही इस धर by Rajendrasinghji Abhesinghji Vaja-Rathore
केवल वीर और श शाली लोग ही इस धरती / वसुंधरा का उपभोग कर सकते ह.
" Only brave will inherit the earth " Jay Rajputana; Ranbanka Rathore... By: Dr. Rajendrasinghji Abhesinghji Rathore G.E.S.,Ph. D., and Dr.
Manisha Parmar Ph D-History

ज़मीन उसी को नसीब होती है जो उसके लए खून बहा सकता है फर वो चाहे कसी भी धम, जाती या समाज का हो. भारत का इ तहास ऐसे अन गनत नाम से भरा आ है
ज होने इस ज़मीन के लए अपने खून क आखरी बूँद तक दाँव पर लगाद ओर आज भी हर दन उन नाम क फह र त मे कई नये नाम शुमार हो रहे है. ऐसे नाम जनके जबान
पर आते ही सीना गव से फूल जाता है ओर आँखे उनके स मान मे झुक जाती है. ज होने इस वीर क धरती पर ज म लया ओर वीरता क परंपरा को जारी र खा. जनके स मान
मे हम आज भी कहते है ""वीर भो य वसुंधरा""...जो कायर है, वो हार गये.... नर-नाहर बाज़ी मार गये....

यहाँ पु षाथ ही वीर है और वीर ही पु षाथ है । सामा यतया शूर और वीर पयायवाची समझे जाते ह । क तु वशेषत: अथ को दे खते वे दोन म अंतर है । शूर श द ह साथक '
ी ' धातु से बना है , अत: यह श द उस सै नक का वाचक है , जो आदे श पर गोली चला दे ता है । सोचना - वचारना उसका काम नह । क तु वीर श द ग यथक ' वीर ' धातु से बना
है , अत: सेना का स पूण नी त - नधारण पूवक यु करना आ द वीर क सीमा म आती ह । ु त म ' वीर भो य वसुंधरा ' के वषय म कहा गया है । वीर वही है जो यु भी याय-
पूवक करे । वै दक नारी या माता क घोषणा है क _ ' मम पु : श ु हणो: अथो मे हता वराट ' अथात मेरे पु इतने सश ह क वे एक स चे वीर के समान श ु का वध
करने वाले ह तथा मेरी पु याँ भी मेरे समान ही द एवं वराट गुण से यु स तान को उ प कर सके ।

वसूं अथात ऐ य को धारण करने वाली वसुंधरा ही वीर क थाती है । वीरता ही पु ष का आभूषण माना गया है। स चा वीर जन-क याण के भाव को सम रख कर ही काय
करता है । वीर श द वशेषत: पंजाब म भाई के लए ही यु होता है । इससे प होता है क भाई को वीर होना ही चा हए और हर वीर ही भाई है । वीर ही मु खया होता है और
मु खया मुख के जैसा होना चा हए । जो भी वह हण करे तो उसका वतरण करे , अपने मुख म रख कर ही नह बैठ जाना चा हए । और वह तन के सभी अंग का पालन-पोषण
करे । दनकर क ये पं याँ बलकुल ही सट क ह ' यु को तुम न कहते हो , मगर जब उठ रह चगा रयां , भ - भ वाथ के कु लश संघष क , यु तब तक व म
अ नवाय है। '

साथ ही वीरता के साथ पु षाथ भी होना आव यक है । जो पूरी श से प र म नह करते , उ ह ल मी नह मलती । आलसी मनु य पापी होता है । भगवान प र म करने वाल
को म बनाता है । इस लए म करना चा हए । चलने वाले क जंघाएँ सश होती ह , जो सफलता मलने तक काम म जुटे रहते ह ; उनक आ मा तभा-स प होती है ।
प र मी मनु य क सम त ु टयाँ माग म वत: समा त हो जाती ह ।

बैठने वाले का भा य भी बैठ जाता है , और जो खड़ा हो जाता है तो उसका भा य भी खड़ा हो जाता है । तथा जो सो जाते ह तो उनका भा य भी सो जाता है । साथ ही जो चलने
लगते ह तो उनका भा य भी चलने लगता है । सोने वाल के लए सदा ही क लयुग है । ज ह ने म करने का वचार कर लया , उसके लए ापर ार भ हो गया । जो कम करने
के लए खड़े हो गये उनके लए ेता आ गया और ज ह ने काम करना ार भ कर दया उनके लए सतयुग आ गया _ ' क ल: शयानो भव त , सं जहा तु ापर: । उ ाम ेता
भव त कृतं स प ते चरम ॥ '

कसी ने कहा है वीर भो या वसुंधरा। अथात वीर ही इस धरती पर राज करते ह। कु े म अजुन के मोह त होने पर ीकृ ण ने उसे यही तो कहा था क जीतने पर पृ वी
कारा य मलेगा और वीरग त पाने पर वग का। आगे क बात तो आपको पता ही है।
ऐसे रणवीर के साथ ही धमवीर, कमवीर, दानवीर, णवीर और कलमवीर जैसे लोग भीहोते ह, पर मी डया के बढ़ते भाव से इस जा त म 'बयानवीर' नामक एक नये समूहका
उदय आ है, जनक जुबान कैमरे दे खते ही खुजलाने लगती है। भले ही इससेउनक छ छालेदर हो, पर 'बदनाम गर ए तो, कुछ नाम ही तो होगा' के ये समथकबदजुबानी से बाज
नह आते।
पछले दन द ली म 23 वष य युवती से ए बबर कम से भड़क आग म ऐसेबयानवीर ने भी तेल डाला। शमा जी ऐसी ही कुछ अखबारी कतरन मुझे दखा रहे थे।
आं दे श के कां ेस अ य बो सा नारायण राव का कहना था क दे श को आजाद आधी रात म मलने का अथ यह नह है क म हलाएं भी आधी रात म सड़क पर घूमनेलग।
आ खर वह लड़क इतनी रात म वहां या कर रही थी? उसे तो अपने घर होनाचा हए था।
बो सा जी! आप जो भी कह, पर उस लड़क को न जाने य यह म हो गया था क द ली रा य और के म कां ेस क सरकार है। कां ेस क सवसवा और द ली क मु यमं ी
म हला होने के कारण यहां म हलाएं सुर त ह। खैर, अब तो जो आ सो आ, पर आशा है क बाक म हलाएं और लड़ कयां सुर ा के शायद इस म म न रह।
म य दे श क कृ ष वै ा नक अ नता शु ला के अनुसार य द वह लड़क उन द रद केआगे समपण कर दे ती, तो कम से कम उसक आंत तो बच जात । म हला होकर भी
यहकहने वाली शु ला 'मैडम' को यह तो पता ही होगा क म हला के लए इ जत कतनीबड़ी चीज है? उस युवती क मृ यु के बाद शु ला 'मैडम' का या कहना है, यहजानकारी
नह मली।
रा प त णव बाबू के पु अ भजीत मुखज संसद म नये-नये आये ह, पर ह तोखानदानी कां ेसी। या न करेला और नीम चढ़ा। उनका कहना है क आजकल मोमब ीमाच
नकालने का भी फैशन चल पड़ा है। ऐसी अ धकांश म हलाएं रंगी-पुती होती ह।वे दन म दशन करती ह और रात को ड को लब म जाती ह। जब उनके बयान परसब तरफ थू-
थू ई, तो उ ह ने बेशम से माफ मांग ली। कां ेस ने तो उ ह माफ कर दया, पर जनता ने कया या नह , यह अगले चुनाव म ही पता लगेगा।
अपने गृहमं ी शदे साहब न जाने कस ह से आये ह ? द ली क पु लस सीधे-सीधेउनके ही अधीन है। जब आ ो शत युवा द ली म सड़क पर थे, तो कसी ने उ हयुवा से
बात कर लेने क सलाह द । इस पर वे भड़क गये और बोले क य द म हर कसी से मलने लगा, तो कल दशन कर रहे माओवा दय से भी मलना पड़ेगा।गृहमं ी जी आप ध य
ह। अब हम समझ गये क दे श म हर घर असुर त य है?
बंगाल क मु यमं ी ममता बनज , उनके दल के वधायक चरंजीत च वत और पूवमं ी अनीसुरहमान के बयान भी अभ ता क सीमा से आगे चले गये। दो साल पूव उ. .क
त कालीन दे श कां ेस अ य ीमती रीता (ब गुणा) जोशी ने भी मु यमं ीमायावती के लए ऐसी ही एक गंद ट पणी क थी।
शमा जी के पास ऐसी कई कतरन और भी थ , ज ह पढ़ने या सुनने म मेरी कोई चनह थी। इस लए उ ह बीच म ही रोककर मने पूछा क इतनी बड़ी घटना के बाद भीहमारे
महान दे श क अ त महान पाट के अ य धक महान नेता ी रा ल बाबा तब तकचुप य रहे, जब तक वह लड़क मर नह गयी?
- हो सकता है उनका बयान लेखक नये साल क छु पर हो, या फर वे गुजरात केसदमे से उबर न पाये ह ।
- और मनमोहन सह जी?
- वे तो 'ठ क है' क उलझन को ठ क करने म लगे ह।
शमा जी कभी-कभी सचमुच ब त माक क बात कह जाते ह। उनके इस बयान से म तोपूरी तरह सहमत ं, और आप...?
ll
‘वीर भो या वसुंधरा’
सर वती परमा मा क़े उस व प को कहते ह जसके ारा हम ान- व ान ,बु , ववेक को अ जत करते ह. जस कार कसी सं था या संगठन क थापना से पूव उसके लये
नयम- वधान बनाये जाते ह.उसी कार परमा मा ने सृ क़े सृजन से पूव मनु य ारा पालन करने हेतु नयम क संरचना वेद क़े प म क .मनु य है ही मनु य इस लए क,उसम
मनन करने क मता है,अ य कसी भी ाणी को परमा मा ने यह यो यता नह द है.पूव-सृ क मो - ा त आ मा को परमा मा ने अं गरा आ द ऋ षय क़े प म वेद- ान
दान करने हेतु वी पर अवत रत कया.परमा मा वंय अवतार नह लेता है न ही नस और नाडी क़े बंधन म बंधता है जैसा क,प गा-पं थय ने चा रत कर रखा है.,ढ गय -
पाखं डय ने वेद- वपरीत अपने न हत वाथ म गलत पूजा प तयाँ वक सत कर ली ह.आज आम जनता उ ह म फंस कर अपना अ हत करती जाती और खी होती
रहती है.आज ान- व ान क़े दे वता सर वती क पूजा क़े अवसर पर एक बार फर सबको पाख ड से बचने हेतु े रत करने का छोटा सा यास इस लेख क़े मा यम से कर रहा ँ.

दे वता वह है जो दे ता है और बदले म लेता नह है,जैस-े वृ ,नद ,वायु,बादल(मेघ),अ न,भू म,अंत रछ आ द.अतः जो लोग इनसे अलग दे वता क क पना कर पूजते ह , न य ही
वेद- वपरीत आचरण करते ह जो परमा मा क़े नदश का खुला उ लंघन नह तो और या है?. फर क भोगने पर परमा मा को कोसते है और अपनी गलती को सुधारते
नह . य क ढ गी-पाखंडी सुधार होने नह दे ना चाहते.दोषी कौन?

आज कल एक रवाज़ चल रहा है वै ा नक धम को अवै ा नक बताने का.आज क़े तथा-क थत वै ा नक सु नयो जत तरीके से चार करते ह क,धम- यो तष आ द अवै ा नक
,ढ ग एवं टोटका ह.अ ान क इं तहा इस से यादा या होगी?जो वा तव म अ व ान है,टोटका और टोना,ढ ग तथा पाख ड है उसे तो पूजा जाता है और ऐसा वे तथा-क थत
सा दा ही यादा करते ह.बनारस जो धम-नगरी समझा जाता है वह से स बं धत लोग ऐसा करने म अ णी ह.यह कोई आज नयी बात नह है.बनारस क़े ही तथा क थत व ान
ने जो उस समय क़े शासक क़े अनुगामी थे पहले तो गो वामी तुलसी दास जी क़े ल खत थ को जलाना शु कया और जब उ ह ने बनारस शहर छोड़ कर अवधी म 'राम च रत
मानस'क रचना करके जनता का आ हान शासन व था को उलट दे ने का कया तो कुच चला कर मानस को पू य बना दया गया और राम को अवतार ,भगवान् आ द घो षत
कर दया गया जससे आम जनता उनके च र का आचरण न करने क सोचे तथा पंगु ही बनी रहे और शासक क लूट बरकरार रहे.राम ने सा ा यवाद रावण का संहार करके
भारतीय रा वाद क र ा क थी. अब आप उ ह भगवान् का अवतार मान तब आप वैसा ही कैसे कर सकते ह और नह कर भी रहे ह.तब लुटते र हये फर य रोते ह हमारा धन
वस बैक म य प ंचा ? हम गण-त म भी औपनैवे शक ब ती जैसे य ह ?बनारस क़े करमकांडी वग ने गंगा क़े घाट पर बड़े -बड़े आरे लगा रखे थे और वग जाने क़े
इ छु क लोग से मोट दान -द णा लेकर उ ह ढलान क़े रा ते भेज दे ते थे.बेवकूफ वग लालची उन आर से कट कर गंगा म बह जाता था उसके प रवार जन ज मना कर उन
तो का पेट और भरते थे. यह था गुलाम भारत म बनारस का व ान.वहां क़े तीस मारखा व ानी लॉगर आज फर दहाड़ रहे ह उन क़े मंत को समझने और अपनी र ा
करने क महती आव यकता है.
हमारा भारतीय वै दक- व ान हम बताता है क,हम जस पृ वी क़े वासी ह वह अपनी धुरी पर एक लाख यारह हजार छै सौ क.मी. त घंटे क ग त से घुमते ए अपने से १३
लाख गुना बड़े और नौ करोड़ ३० लाख मील क री पर थत सूय क प र मा कर रही है.सब ह का प रवार एक सौर प रवार है और एक अरब सौर प रवार क़े समूह को एक
नीहा रका कहते ह और ऐसी १५०० नहा रकाय वै ा नक साधन ारा दे खी गई ह.एक आकाश गंगा म २०० अरब तारे ह और अरब आकाश गंगाएं व मान ह.एक आकाश गंगा
का काश वी पर आने म १० अरब वष लग जाते ह. काश क ग त ३ लाख क.मी. त से कड है.अथात जब से यह पृ वी बनी है तब से कुछ न का काश वी पर अभी
नह प ंचा है.इतने वशाल हमांड क़े र चयता क व था म ह-उप ह ,न आ द अपने थान (आ बट)पर स य ह एक सरे से री बनाये रख कर ग तशील ह और आपस
म नह टकरा रहे ह.स पूण ा ड ३६० ड ी म फैला है.सूय जस पर नर तर ही लयम और हाई ोजन क़े व फोट हो रहे ह स पूण ा ड का प र मण ३० -३० ड ी क़े
हसाब से कर रहा है ,इस कार १२ रा शयाँ ह और २७ न ह २८ व अ भ जत को गणना लायक न होने क़े कारण नह गनते ह. येक न म चार चरण होते ह .सूय छै माह
उ रायण तथा छै माह द् शनायन रहता है.सूय क ६० कलाएं ह.
३६०*६० =२१६०० /उ रायण/द णायन २१६००/२ =१०८०० और बाद क़े शू य क गणना नह होने क़े कारण १०८ मान बना इसी को माला म मनके क़े प म रखा और
वधान बना दया क १०८ बार जाप करने से वह एक माला या माने ा ड का एक च पूण आ. यह है हमारा वै दक व ान, जसे पा ा य क़े प गर रय क़े गीत बताते
ह.मै स मूलर सा :जमनी क़े व ान भारत आ कर ३० वष रह कर सं कृत सीखते ह और यहाँ से सं कृत क मूल पांडू ल पय ले कर चले जाते ह और जमनी म उसके आधार पर
रसच होती है तथा वह प म का व ान कहलाती है. जमन वै ा नक को स तथा अमे रका ले जा कर ( हटलर क पराजय क़े बाद)अणु(एटम )ब ब का अ व कार होता है और
वह प म क खोज बन जाती है ,है न हम भारतीय का कमाल?हमारे बनारसी सा स लागस हमारे यो तष व ान को अवै ा नक बताने का साहस कर डालते ह य क वे
आज भी दास व -भाव म जी रहे ह.
अथव वेद १० /३ /३१ म कहा है 'अ च ा नव ारा दे व पूरयो या ' अथात यह शरीर दे वता क ऐसी नगरी है क उसम दो आँख,दो कान,दो ना सका ार एक मुंह तथा दो ार
मल-मू वस नाथ ह.ये कुल नौ ार अथात दरवाजे ह जस अयो या नगर म रहता आ जीवा मा अथात पु ष कम करता और उनके फल भोगता है. ार क़े स दभ म ही इस
शरीर को ा रकापुरी भी कहा जाता है.आप आज या कर रहे है ? जस अयो या को राम ज म भूमी बना कर टश सा ा यवा दय ारा गढ़ कहानी क़े आधार पर बेवजह लड़
रहे ह उसे तो स ाट हष वधन ने साकेत नाम से बसाया था.राम क़े च र को अपने म ढालगे नह ,राम क तरह सा ा यवाद का वनाश करगे नह ब क सा ा यवा दय क चाल
म फंस कर राम क़े नाम पर अपने ही दे श म खून खराबा करग.राम ने तो सा ा यवाद रावण का संहार उसके यहाँ जाकर कया था. आज क़े सा ा यवाद अमे रका क चाकरी
हमारे दे श क़े वै ा नक करने को सदै व आतुर रहते ह.यह या है?
' सू ेण प व ी कायाम 'यह लखा है काद बरी म सातव शता द म आचाय बाणभ ने.अथात महा ेता ने जनेऊ पहन रखा है, तब तक लड़ कय का भी उपनयन होता था.
(अब तो सबका उपहास अवै ा नक कह कर उड़ाया जाता है). ावणी पू णमा अथात र ा बंधन पर उपनयन क़े बाद नया व ार भ होता था.उपनयन अथात जनेऊ क़े तीन धागे
तीन मह वपूण बात क़े ोतक ह-
१ .-माता, पता,तथा गु का ऋण उतारने क ेरणा.
२ .-अ व ा,अ याय ,आभाव र करने क जीवन म ेरणा.
३ .-हाट,हा नया,हाई ो सल ( दय,आं और अंडकोष -गभाशय )संबंधी नस का नयं ण ;इसी हेतु कान पर शौच एवं मू वसजन क़े व धाग को लपेटने का वधान था.आज
क़े तथा क थत प म समथक व ानी इसे ढ ग, टोटका कहते ह या वाकई ठ क कहते ह?
व ास-स य ारा परखा गया त य
अ व ास-स य को वीकार न करना
अंध- व ास-- व ास अथवा अ व ास पर बना सोचे कायम रहना
व ान- कसी भी वषय क़े नयमब एवं मब अ ययन को व ान कहते ह.
इस कार जो लोग सा दा होने क़े म म भारतीय वै ा नक त य को झुठला रहे ह वे खुद ही घोर अ ध व ासी ह.वे तो योग शाळा म बीकर आ द म केवल भौ तक पदाथ क़े
स यापन को ही व ान मानते ह.यह संसार वंय ही एक योगशाला है और यहाँ नर तर परी ाएं चल रह ह.परमा मा एक नरी क (इ वजीलेटर)क़े प म दे खते ए भी नह
टोकता,पर तु एक परी क (ए जा मनर)क़े प म जीवन का मू यांकन करके प रणाम दे ता है.इस त य को व ानी होने का द भ भरने वाले नह मानते.यही सम या है.
आज वसंत-पंचमी को ही महा कवी पं.सूयकांत पाठ ' नराला'का ज म दन भी है उ ह ने माँ सर वती से हम सब भारतीय क़े लये जो वरदान मँगा है ,वही इस लेख का अभी
है- jay rajputana 

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