व नमअ ात होना म ः- “आजू-बाजू जाला बूना, पकड़ चोटी, धर पछाड़ । लाओ हरफ का मु दा ।।”
िवधः- चार िम ी के कु डे लेकर, एक म अ छा जल भरो, दस ू रे म घी का
दीपक जलाओ तीसरे म लोबान क धूप और चौथे कु डे म केस रया चावल रखो । उ म पढ़ते जाओ और चावल को जल-भरे कु डे म छोड़ते जाओ । येक बार चावल छोड़ने के बाद उसी जल भरे कु डे म अपना मुँह भी देखना है । यह योग राि म करना है और म को जपते-जपते आसन पर ही सोना हे । यान रहे, सोते समय पूव िदशा को ■सर, प म को पैर और उ र क ओर मुख हो । िवध से करने पर यह योग थम राि ही भाव िदखाएगा ।