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कुमारी पूजा
‘कुमारी-पूजा’ से भगवती स ः स होती है। कुमारी-पूजा म जा￸त-भेद नह माना गया है। चार वण क कुमा रय क
पूजा, ■जनका फल भी ￱भ -￱भ है, शा ारा िन द है। ‘मे -त ’ म लखा है िक ‘ ा ण-कुमारी’ के पूजन से सव-इ ,
‘ ि य-कुमारी’ के पूजन से यश, ‘वै य-कुमारी’ के पूजन से धन तथा ‘शू -कुमारी’ के पूजन से पु का लाभ होता है।
‘ क द-पुराण’ के मत से िवप -काल म ‘अ यजा-कुमारी’ का पूजन करना चािहए।
‘कुमारी-पूजा’ म हेय और काम-बु￸ अिन -कारक होती है। अतः सावधान होकर
कुमारी-फुजा करनी चािहए। ‘यामल’ के मत से दो वष से ऊपर क कुमारी का पूजन िविहत ह, य िक एक-वष या कुमारी
क ग ध, पु प, व और नैवे के ￸त ￸च नह होती। वैसे अ य थ म एक वष से षोडश वष तक क क याएँ ￱भ -
￱भ देवता मका कही गई ह। ‘वाडवानलीय-त ’ के अनुसार ‘कुमारी-पूजा’ का उ म क प– सात, आठ और नौ वष या,
म यम क प – पाँच, छः और दस-वष या एवं अधम क प– एक, दो, तीन और चार वष या कुमारी का पूजन है।
नवरा म कुमारी-पूजन का मह व बहुत अ￸धक है। कुमा रकाएँ माँ के य िव ह ह। अतः माँ के समान इनका पूजन
क याण-कारी है। ￸तपदा से नवमी तक कुमा रय को दगु ा- व पा मानकर पूजा करनी चािहए। यिद ￸त-िदन कुमारी-पूजा
स भव न हो, तो त के पारण के िदन ‘अ मी’ या ‘नवमी’ को कुमारी-पूजा अव य करनी चािहए।
कुमारी-पूजा म गणेश और बटु क के साथ सात, पाँच, तीन या एक कुमारी क पूजा करनी चािहए। गणेश और बटु क क पूजा
के लए छोटे लड़क को लेना चािहए। आसन िबछाकर पहले गणेश, िफर बटु क, उसके बाद कुमारी-पूजा करनी चािहए।
गणेश क पूजा के लए ‘ॐ गं गणेशाय नमः’ म से पा , अ य, ग ध, दीप, व -नैवे आिद से पूजा करे। बटु क क पूजा
के लए ‘ॐ वं वटु काय नमः’ म से पा , अ य, ग ध, दीप, व -नैवे आिद से पूजा करे। कुमारी-पूजा के लए पहले
दोन हाथ म पु प लेकर ाथना करे। यथा-
म ा र-मय ल म , मातृणां प-धा रण ।
नव-दगु ा मकां सा ात्, क यामावाहया महं ।।
जगत्-पू ये जग -व े, सव-शि - व िप￱ण ।
पूजां गृहाण कौमा र जग मातनमोऽ तु ते ।।
उ ाथना कर हाथ म लए पु प को कुमारी के चरण पर रखकर णाम करे। िफर ‘ॐ कुमाय नमः’ म से पा , अ य,
ग ध, दीप, व -नैवे आिद से पूजा करे। पूजा करने के बाद सबको पु प-माला पहनाकर भोजन कराए। जब वे भली कार
तृ हो जाएँ , तब उनका हाथ-मुँह धुलाकर उनके हाथ म द￸ णा दान कर और उ ह णाम कर।
क याओं के पूजन-म अलग-अलग इस कार ह –
ॐ ॐ ॐ सर व यै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ रमायै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ गौय देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ दगु ायै देवतायै
नमः, ॐ ॐ ॐ च मु यै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ हर-ि यायै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ उमायै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ
भीमायै देवतायै नमः, ॐ ॐ ॐ शा तायै देवतायै नमः।
यिद स भव हो। तो कुमारी-पूजा कर ‘कुमारी-कवच’, ‘कुमारी-सह -नाम’ का पाठ कर।

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