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माता महा-ल मी क अनुभूत साधना

१॰ यह साधना अ -रा म, पि चम- दशा क ओर मुख कर, कुशासन के ऊपर र त-क बल तथा
उसके ऊपर पीत रेशमी व बछाकर, उस पर बैठकर करनी चा हए । पहले आचमन-पूवक आसन-
शु -म वारा आसन शु करे ।

अब अपने सामने प व भू म पर अ त बछाकर, काय- स हेत,ु कामना के अनुसार वण, रजत


या ता का कलश उन अ त के ऊपर था पत करे । उसम जल भर कर कलश म मोती डाले । मोती
के अभाव म कमल-ग ा डालकर पूजन करे । ता के द पक क थापना कर, उसम पीले रंग क
वषम-सं यक बि तयाँ डाले तथा गो-घृत भर कर व लत करे । शु गो-घृत के अभाव म शु तल-
तैल डाले । “ स -ल मी- तो ” का पाठ कर यान करे । दोन हाथ क अँगु लय और अंगु ठ को
मलाकर खले हुए कमल के समान आकार बनाकर ‘प -मु ा’ का दशन कर । इससे देवी अ धक
स न होती है । पीले रेशमी डोरे म गूँथकर, उसका व ध-वत् पूजन कर “महा-ल मी म ” का जप
करने से शी सफलता मलती है ।

२॰ महा-ल मी का अनुभूत म

ाथनाः - ॐ महा-ल मी नम तु यं, गृह-वासो करो स वम् ।

म ः- ॐ महा-ल मी ीं ीं ीं काम-वीजाय फ ।

वधानः- ह त न म शु होकर, अ -रा म कमल के पूल पर उ त म पढ़कर उसम ल मी जी


का आवाहन करे । दूवा से दूध के वारा उस फूल को सि चत करे । च दन, रोल , स दूर से उसका
पूजन कर साद अ पत करे । तब आरती करे । फर अ य देकर कमल-ग े क माला से ४१ दन तक
त दन एक हजार जप करे ।

भोजन एक बार करे । स य ह बोले, झूठ कदा प नह ं । परा न का भ ण न करे । भू म पर शयन


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