You are on page 1of 29

चतुवग दायक पा थव शवपूजा वमश

नारद ने ई र से कहा क हे भो! धम, अथ, काम, मो

.c
के परम हतसाधन को कृ पा करके बतलाइये, जो सभी

ail
पाप का वनाशक, सभी अ र का नवारक,
सवव यकर और क लयुग म सव स दायक है-

gm
नारद उवाच
धमाथकाममो ाणां साधनं परमं हतम् ।
@
त सव कथय व वमनु ा ोऽ म ते वभो ॥१॥
an
सवपाप यकरं सवा र नवारणम् ।
th

सवव यकरं चैव कलौ सव स दम् ॥२॥


ns

ई र ने कहा- हे नारद! सुनो, अब उस शवपूजन वधान


sa

को कहता ,ँ जसके अनु ानमा से मनु य कृ तकृ य हो


जाता है। पा थव ल का पूजन कये बना जो अ य
vv

दे वता का पूजन करता है, उसक वह पूजा थ होती


as

है। उसके नान, दान भी थ होते ह। पा थव-पूजन के


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
लये शु म लाकर उसे वशेष कार से शो धत करे।
उससे यथो व ध से ल ाकृ त बनावे। इस उ म
पा थव ल का पूजन व ध- वधान से करे। त ् नाम से

.c
अख ड प से उसक पूजा करे। म से म लावे। उस

ail
म से आकृ त बनावे, उसे त त करे, उसम दे वता का
आवाहन करके उसे नान कराकर उसका पूजन कर

gm
उससे मा माँग कर वसजन करे।
हर, महादे व, महे र, शूलपा ण, पनाकधृक, पशुप त, शव,
@
महादे व- इन नाम से म से पूजन एवं वसजन करे।
an
पा थव ल को दो ख ड म बनाकर पूजा करने से वह
पूजा न फल होती है। पके जामुन के फल के बराबर ल
th

सवाथ स दायक होता है। चपटा ल हा न एवं


पीड़ाकारक होता है। वबौज के साथ मूल म से पूजा
ns

करे। ब स हत चौदहवाँ वर औ एवं ह अथात् 'ह ' शव


sa

क कृ पा दान करने वाला शव का णव है। शव, भव,


, उ , भीम, ईशान, महादे व, पशुप त नामक आठ
vv

मू तय क पूजा कर। ये आठ भू म, जल, अ न, वायु,


आकाश, सोम, सूय, यजमान मू त व प होते ह-
as

आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ई र उवाच
शृणु नारद व या म शवपूजा वधानकम् ।

.c
य यानु ानमा णे कृ तकृ यो भवे र: ॥३॥

ail
अकृ वा पा थवं ल ं यो यदे वं पूजयेत् ।

gm
वृथा भव त सा पूजा नानदाना दकं वृथ्◌ा ॥४।॥
शु ां मृदं समानीय पुनः शो य वशेषतः ।
@
ल ाकारं ततः कु या थो व धना पुमान् ॥५॥
an
पूजयेत् स वधानेन पा थवं ल मु मम् ।
अख डं कारये नाव यमाणै नाम भ: ।॥६ ॥
th

मृदाहरणसंघ त ा ानमेव च।
ns

नपनं पूजनं चैव म वे त वसजनम् ॥७॥


sa

हरो महे र ैव शूलपा ण: पनाकधृक्।


पशुप तः शव ैव महादे व इ त मात् ॥८ ॥
vv

ख ड यः करो येवं त य पूजा प न फला ।


as

प वज बूफलाकारं सवकाम दं शवम् ।॥९।॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ववरं यः करो येवं हा नपीडाकरं भवेत् ।
कु या सा ा वबीजेन मूलम ेण पूजनम् ॥१०॥

.c
चतुदश वरोपेतो हकारो ब संयुतः ।

ail
शव सादजनकः शव णवसं क: ॥११।॥

gm
शव भव ो ौ भीम ईशानसं क: ।
महादे वः पशुप तमू त भ ैव पूजयेत् ॥१ २।॥
@
तरापोऽनलो वायुराकाशः सोमसूयकौ ।
an
यजमान इ त ौ मूतयः प रक तताः ॥१३॥
th

नारद ने कहा क हे दे व! सवकामद कौन सा वधान है,


ns

जसके अनु ान से मनु य कृ तकृ य होता है-


sa

नारद उवाच
दे व के न वधानेन कत ं सवकामदम् ।
vv

य यानु ानमा ण े कृ तकृ यो भवे र: ॥१४॥।


as

आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ई र ने कहा – हे मुने! मनु य को कामना के उ े य से
न य उ म पा थव ल बनाना चा हये। पा थव ल
अख ड बनता है एवं ावर ल दो ख ड म बनता है।

.c
पूव वधान से पा थव ल का पूजन करना चा हये।

ail
कामना के अनुसार पूजन म ल क सं या होती है।
व ाथ एक हजार ल बनावे धनाथ पाँच सौ ल

gm
बनावे पु ाथ प ह सौ ल बनावे। मो ाथ एक करोड़
ल बनावे। भू म क कामना से एक हजार ल बनाना
@
चा हये। पाथ तीन हजार, तीथाथ दो हजार, सु कामी
तीन हजार, व ाथ एक सौ आठ, मारणाथ सात सौ.
an
मोहनाथ आठ सौ एवं उ ाटन के लये एक हजार ल
th

बनावे। त न के लये एक हजार मारण के लये पाँच


सौ जेल से छु टकारे के लये डेढ़ हजार, महाराजभय म
ns

पाँच सौ, चोरा द संकट म दो सौ, डा कनी के भय म पाँच


सौ द र ता नवारण म पाँच हजार और सवाथ स के
sa

लये दश हजार ल बनावे एक ल पाप वनाशक, दो


vv

ल धनदायक एवं तीन ल सभी कामना का पूरक


है। इस कार कामनानुसार पूजन म ल क सं या
as

कही गई है-
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ई र उवाच
मुने सव य नेनन पा थवं ल मु म् ।

.c
कत ं ह नृ भ न यं कामु य य नतः ॥१५॥

ail
अख डं पाथवं ल ं ख डं ावरं मतम् ।

gm
पूव े न वधानेन पू यं ल तु पा थवम् ॥१६॥
सं या पा थ व ल ानां यथाकामं नग ते ।

@
व ाथ ल साह ं धनाथ शतप चकम् ॥१७॥
an
पु ाथ साधसाह ं का ताथ शतप ञकम्।
मो ाथ को टगु णतं भूकाम तु सह कम् ॥१८॥
th

पाथ सह ं च तीथाथ सह कम् ।


ns

सु कामी साह ं व ाथ च शता कम् ॥१९॥


sa

मारणाथ स तशतं मोहनाथ शता कम् ।


उ ाटनपर ैव सह ं च यथो तः ॥२०॥
vv

त नं तु सह ेण मारणं शतप चकम् ।


as

नगडा मु काम तु सह ं साधमी रतम् ॥२१॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
महाराजभये पंचशतं चोरा दसङ् कटे ।
शत यं तु डा क या भये प शतं तु वा ॥२२॥

.c
दा र य् े प चसाह मयुतं सवकामदम् ।

ail
एकं पापहरं ो ं लङ् चाथ स दम् ॥२३॥

gm
लङ् ं सवकामानां कारणं परमी रतम् ।
उ रो रमेव यात् पूव गणनाव ध ॥२४॥

@
an
ा तर म कहा गया है क दश हजार ल बनाने
महाराजभय का हरण होता है। डेढ़ हजार ल से ब न
th

से छु टकारा होता है। दश हजार ल बनाने से मनु य


कारागृह से छू टता है। डा कनी आ द के भय होने पर सात
ns

हजार ल बनावे। पु ा त के लये एक हजार पाँच सौ


पचपन ल बनावे। दश हजार ल बनाने से क या ा त
sa

होती है। इस कार ल ाचन से अतुल स मलती है।


vv

पृ वी पर एक लाख ल ाचन करने वाला सा ात् शव के


समान हो जाता है-
as

ल ानामयुतं कृ वा महाराजभयं हरेत।्


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
सह ा ण तथा प च नगडा मु ये ुवम् ॥ १ ॥
कारागृहा दमु यथमयुतं कारये धः।

.c
डा क या दभये स तसह ं कारये तः ॥२ ॥

ail
सह ं प चप चाशदपु ो ह कारयेत।्

gm
ल ानामयुतेनैव क यकां सततं लभेत् ॥ ३ ॥
एवं ल ानेनैवमतुलां यमा ुयात्।

@
ल मेकं तु ल ानां यः करो त नरो भु व ॥४ ॥
an
शव एव भवे सोऽ प ना काया वचारणा।
th
ns

फल वशेषाथ ल नमाण का नणय


sa

पा थव ल पूजन से से करोड़ य के फल ा त होते


ह। मनु य को भोग, मो , काम अथ होते ह। वहरण
vv

के पाप से छु टकारे के लये सोने के ल क पूजा करे।


नमक के लग क पूजा से सौभा य ा त होता है। पा थव
as

लग सम त कामना को दे ने वाला होता ह। बालू से


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
न मत लग अनेक गुण से यु होता है। तल- प से
बने लग के पुजन से ाम का लाभ होता है। भूसे से
न मत लग का पुजन मारण कम म कया जाता है। अ

.c
से न मत ल अ्र दान करने वाला होता है। गुड़ से

ail
बना लग ौ त बढ़ाने वाला होता है। ग न मत लग से
भोग ा त होता है। श कर से न मत ल से सुख ा त

gm
होता है। यव प से न मत ल वंशवृ करता है।
चावल के आँटे से न मत लग ब त पु दे ने वाला होता
@
है। सम त रोग के नाश के लये गोबर से न मत लग क
पूजा करनी चा हये। के श एवं अ से न मत लग सम त
an
श ु का वनाशक होता है। आसुरी लवण से न मत
लग सम त लोक को वश म करने वाला होता है। ह द -
th

चूण से न मत लग से त न होता है। त डु लचूण से


ns

न मत लग व ा दे ने वाला होता है। दही एवं ध से


न मत ल क त, ल मी एवं सुख दे ने वाला होता है।
sa

धा य न मत लग धा य दे ने वाला एवं फल न मत लग
vv

फल दे ने वाला होता है। मु ाफल (क हड़ा) या


आँवलाफल से न मत ल सम त सौभा य एवं पु य दे ने
as

वाला होता है। म खन से न मत लग क त एवं सा ा य


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
दे ने वाला होता है। वा एवं गुडूची से न मत लग
अपमृ यु का नवारक होता है। ईख से न मत लग
उ ाटनकारक होता है। इ नील (नीलम) से बना लग

.c
स ता दे ने वाला होता है। टक से न मत लग

ail
असं य लोग का वा म व दान करता है। रजत- न मत
लग के पूजन से पतर क मु होती है। वगलोक क

gm
ा त के लये सुवण न मत ल क पूजा करनी चा हये।
ता - न मत लग से पु ा त होती है। पीतल- न मत
@
लग का पूजन कृ ष काय हेतु कया जाता है। क त
an
चाहने वाले को क से से नर मत लग क पूजा करनी
चा हये एवं श मृ यू क कामना वाले को सदा लौह न मत
th

लग क पूजा करनी चा हये। वरशा त के लये सदा


च दन- न मत लग क पूजा करनी चा हये एवं शा त
ns

चाहने वाल को कपूर- न मत लग का अचन करना


चा हये। ग क कामना वाले क तूरी से बने लग का
sa

अचन करना चा हये एवं गोरोचन से बने लग क पूजा


vv

प चाहने वाले को करना चा हये। का त चाहने वाले को


बराबर कु ड् धूम एवं के शर न मत ल का अचन करना
as

चा हये। ेत अगर से बने लङग क पूजा से महाबु को


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
वृ होती ह। काले अगर से न मत ल के पूजन से
धारणा श बढ़ती है। य कदम के ल से ी त क
वृ होती है। गाय क कामना से गे ँ के चूण से बने ल

.c
क पूजा करनी चा हये। मूंग के चूण से बने ल के पूजन

ail
से मु मलती है। उड़दचूण ल से न य इ अथ क
स होती है। चने के वेसन से न मत ल के पूजन से

gm
बु बढ़ती है। धा य न मत ल क पूजा से धा य ा त
होते ह। यव धा य म त ल से सभी अ र का
@
नवारण होता है। ेत तल से न मत ल के पूजन से
ेत प म वास ा त होता है। जो मनु य काले तल से
an
स यक् प से ल बनाकर पूजन करता है, वह कामदे व
के समान य का य होता है-
th

अचा पा थव ल ानां को टय फल दा ॥५ ॥
ns

भु दा मु दा न यं त कामाथदा नृणाम्।
sa

वप रहाराथ सौवण ल मचयेत् ॥६ ॥


vv

लवणेन च सौभा यं पा थवं सावका मकम्।


अनेकगुणस ूतं रेतो ं प रक ततम् ॥७ ॥
as

ामदं तल प ो यं तुषो ं मारणे मृतम्।


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
अ ो म दं ो ं गुडो ं ी तवधनम् ॥ ८ ॥
ग ो ं भोगदं चैव शकरो ं सुख दम्

.c
यव प ो वं ल ं वंशकामोऽचये पुमान् ॥ ९ ॥

ail
त डु लानां च प ने पु बा यमा ुयात्।

gm
सवरोग वनाशाय गोमयो ं पूजयेत् ॥ १० ॥
के शा स वं ल ं सवश ु वनाशनम्।

@
आसुरं लवणो ं च सवलोकवशङ् करम् ॥११ ॥
an
त ने रजनी प स वं ल मु मम्
त डु लो व प ानां ल ं व ा दं मृतम् ॥ १२ ॥
th

द ध धो वं ल ं क तल मीसुख दम्।
ns

धा यदं धा यजं ल ं फलो ं फलदं भवेत् ॥ १३ ॥


sa

पु याथ सवसौभा यमु ाधा ीफलो वम्।


नवनीतो वं ल ं क तसा ा यदायकम् ॥१४ ॥
vv

वागुडूचीस ूतमपमृ यु नवारणम् ।


as

इ दु डो वं ल ं ु टमु ाटये परम् ॥१५ ॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
इ नीलमयं ल ं ब पोषणकामकृ त् ।
ा टकं ब वा म वफलदं मु न भः मृतम् ॥१६ ॥

.c
पतॄणां मु ये पू यं ल ं रजतस वम्।

ail
हेमजं स यलोक य ा तये पूजये पुमान् ॥१७ ॥

gm
पूजये ा जं ल ं पु कामो ह मानवः।
कृ षकाम तु सततं ल ं प लस वम् ॥ १८ ॥

@
क तकामोऽधये ल ं सदा कां यसमु वम्।
an
श मु ारणकाम तु ल ं लोहमयं सदा ॥ १ ९ ॥
वरशा यै च दनजमचये धवत् सदा।
th

कपूरस वं ल ं शा तकामोऽचये सदा ॥ २० ॥


ns

क तूरीस वं ल ं ग कामो ह पूजयेत।्


sa

ल ं गोरोचनो ं च पकाम तु पूजयेत् ॥ २१ ॥


का तकाम तु सततं ल ं कु ङ् कु मके सरम्।
vv

ेताग समु तू ं महाबु ववधनम् ॥ २२ ॥


as

धारणाश दं ल ं कृ णाग समु वम्।


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
य कदमस ूतं ल ं ी त ववधनम् ॥ २३ ॥
गोधूम प जं ल ं गोकामो ह पूजयेत्।

.c
मु प मयं ल ं पूजय मु मा ुयात् ॥ २४ ॥

ail
माष प मयं ल ं न य म ाथ स दम्।

gm
चणको व पटे न ल ं बु ववधनम् ॥ २५ ॥
ल ं ी हमयं पू यं धा यकामेन न यशः।

@
यवधा यमयं ल ं सवा र नवारणम् ॥ २६ ॥
an
यः करो त तलैः ेतै त व् ीपे च महीयते।
यः कृ णै तलैः स य ल ं कृ वाचये रः ॥ २७ ॥
th

कामेश यो न यं भवे ीणां ह मानवः।


ns
sa

ऋतु पु प से लगाचन का वशेष फल


vv
as

गम म बेलाफू ल से न मत ल क पूजा करने से


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
खेतीबारी म सफलता होती ह। वषा ऋतु म ध ूर के फू ल
से बने ल क पूजा करने से इस लोक म और परलोक
म सुख ा त होता है शरत् काल म नीलो पल के ल क

.c
पूजा भ पूवक करने से लभ स ा त होती ह।

ail
हेम त ऋतु म फू लने वाले मनोरम पु प से न मत ल
क पूजा से शव सा न य ा त होता है। श शर म होने

gm
वाले पु प से न मत ल का पूजन करने से मनु य सभी
पाप से मु होकर लोक म जाता है जस कसी भी
@
कार से कसी भी व तु से ल बनाकर पूजन करने से
ाजाप य क स होती है। जस रा माका समय बना
an
ल पूजन के तीत होता है, उसक सव महाहा न
होती है सभी दान, त, तीथ नयम, य के फल
th

ल ाचन से ही ा त होते ह। क लयुग म संसार म


ns

ल ाचन जैसा े है, वैसा सरा कोई अचन नह है। यह


शा नणय है। ल भु मु का दायक और सभी
sa

वप य का नवारक होता है। इसके न य पूजन से


vv

मनु य शवसायु य को ा त करता है-


ी मे च म लकापु यस वं ल मु मम् ॥२८॥
as

पूज य वा नरो भ या ा ो त महती कृ षम् ।


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
वषासु पूजये या ल ं कनकपु पजम् ॥२९ ॥
इह चामु मके लोके सुखीभव त चा मनः ।

.c
नीलो पलमयं ल ं कृ वा शर द मानवः ॥३० ॥

ail
पूजये परमां स भ या ा ो त न यशः ।

gm
हैम तीयै कु सुमै ल ं कृ वा मनोरमम् ।॥३१॥
भ या चा य म तमान् शवेन सह मोदते ।

@
श शरे सबवपु पो यं ल म य य मानवः ॥३२॥
an
सवपापं वहायाशु णा सह मोदते ।
येन के न कारेण य य क या प व तुनः ॥३३ ।॥
th

कृ वा ल ं सम य य ाजाप यमवापुयात् ।
ns

वना लड् गाचनं य य कालो ग त न यशः ॥३४॥


sa

महाहा न भवे य सव ा य रा मनः ।


कृ वा सवा ण दाना न ता न व वधा न च ।॥३५॥
vv

तीथा न नयमा य ा ल ाचातः कृ ताः मृता: ।


as

कलौ ल ाचन े ं यथा लोके यते ॥३६ ॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ततोऽ य ा त ना ती त शा ाणामेष न यः ।
भु मु दं ल ं व वधाप वारणम् ॥३७।॥।

.c
पूज य वा नरो न यं शवसायु यमा ुयात्।

ail
gm
व वध लग क े ता

@
सभी ल म पा थव ल उ म होता है । इस ल क
an
व धवत् पूजा से मनु य सभी कामना को ा त करता
है प र से बने ल के पूजन से इहलोक म परम
th

स ता स हत सभी कामना क ा त होती है और


सदै व उ म सुख मलता है। प र से न मत ल से े
ns

टक- न मत ल होता है। टक से े प राग


का ल होता है। प राग से े का मीर होता है।
sa

का मीर से े पु पराग का ल होता है। पु पराग ल


vv

से े नीलम का ल होता है। नीलम से े गोमेद का


ल होता है और इससे े गा मत ल होता है
as

गा मत से े मा ण य ल होता है। मा ण य से े
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
मूंगा का ल होता है। मूंगे से े मोती का ल होता है
मोती के ल के े चाँद का ल और चाँद से े
सोने का ल होता है। वण ल से े हीरे का ल

.c
और हीरे से े पारे का ल होता है। पारद ल से े

ail
बाण ल होता है। इससे े कोई ल नह होता। नमदा
जल के म य म त ल को बाण ल कहते ह सभी

gm
तीथ, य , सांग दान त, काल स या योग स का
बाण ल म वास रहता है। बाणासुर ारा अ चत ल
@
को बाण ल कहते ह। इसका व धवत् अचन भ पूवक
करने पर शवलोक का वास मलता है। बाण ल के
an
नमा य म च डे र का अ धकार नह है शव वयं
बाण ल होकर च का त के दय म रहते ह। इस पर
th

चढ़े नैवे के भ ण सेसौ चा ायण त का फल मलता


ns

है। बाण ल म ा अ ा दो प ह बाण ल म तल


का च होने पर वह साद ल के प म ा है।
sa

बाण, चाँद , र न, टक, सोना, का मीर का च का त


vv

और वायंभवु ल म शव जी सदै व स हत रहते ह,


यह स य है, इसम संशय नह है। शव के ना भ व प
as

ल का पूजन महा मा को न य करना चा हये। यह


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
लग पूजा के लये अ य सभी लग से े कहा गया है-
एत सव ल े यः श तं पूजा वधानकै ः।

.c
ल ानाम प सवषां पा थवं ल मु मम् ॥ ३८ ॥

ail
कृ वा स ू य व धव सवा कामानवा ुयात्।

gm
पाषाणस वं ल ं संपू य परया मुदा ।।३९ ।।
इह कामानवा ो त सदा चानु मं सुखम्।
@
पाषाणा ा टकं े ं ा टका प रागजम् ॥४० ॥
an
प रागा का मीरं का मीरा पु परागजम्।
पु परागा द नील म नीला गोमदम् ॥४१ ॥
th

ततो गा मतं े ं त मा मा ण यस वम्।


ns

मा ण या मं े ं व मा मौ कं परम् ॥ ४२ ॥
sa

मौ का ाजतं े ं सौवण राजता परम्।


सौवणा रकं े ं हीरका पारदं मृतम् ॥४३ ॥
vv

पारदा ाणजं े ं ततः े ं न व ते।


as

नमदाजलम य ं बाण ल म त मृतम् ॥४४ ॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
सवतीथा न य सा दान ता न च।
स यं योग स ा द बाण ल े च सं तम् ॥४५ ॥

.c
बाणासुरा चत ल ं बाण ल ं त यते।

ail
अ य य व धव या शवलोके महीयते ॥४६ ॥

gm
बाण ल े न च डेशे न च नमा यक पना ।
सव बाणा पतं ा ं श या भ या नचा यथा ॥४७ ॥

@
बाण ल े वयंभतू े च का ते द ते।
an
चा ायणशतं ये ं श ुनैवे भ णम् ॥४८ ॥
ा ा ा वभागोऽयं बाण ल े वधीयते।
th

तद पतं तलं च ं ा ं सादसं या ॥४ ९ ॥


ns

बाणे च रजते र ने ा टके हेम न मते।


sa

का मीरे च का ते च ल े वायंभवु े तथा ॥५० ॥


सदा स हतो दे वः स यं स यं न संशयः।
vv

शवना भमयं ल ं न यं पू यं महा म भः ॥५१ ॥


as

आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
लग का वध उ मा द व प

.c
उ मं म यमं नीचं वधं ल मी रतम् ॥५२ ॥

ail
चतुर गुलमु ायं र यं वे दकया शवम् |

gm
उ मं ल मा यातं मु न भ त को वदै ः ॥५३ ॥
तदध म यमं ो ं त याध वाधमं मृतम्।
एवं ल ं समासा @ ाभ सम वतः ॥५४ ॥
an
पूज य वा लभे कामा मनसा चा भला षतान्।
th

उ म म यम नकृ – तीन कार के ल होते ह मु नय


ns

और त श के अनुसार वेद से चार अंगल


ु ऊपर त
ल उ म होता है। दो अंगल
ु उ ल म यम होता है
sa

एवं एक अंगल
ु उ ल अधम होता है। इस कार
vv

ा पत ल का पूजन ा-भ से करने पर सभी


इ त काम और अ भलाषा क पू त होती है।
as

ल ाराधन परम साधन


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
सभी शा का आलोडन करके , उनके अथ को जानकर
यह न त कया गया है क ल पूजन से पु षाथ ा त
होते ह। सभी मू तय को छोड़कर वशेषतः कमजाल को

.c
यागकर व ान् परम भ से शव ल का पूजन करे।

ail
भवसागर म डू बते सभी ावर जंगम को तरने का साधन
ल ाचन ही है। इससे े कोई सरा साधन नह है

gm
अ ान त मर से अ एवं वषयास चेतना वाल के
लये संसार म ल ाचन के अ त र सरा कोई सहारा

से
@
नह है। इस सवाथ स दायक ल क पूजा महाभ
ा द सभी दे वता, सभी मु न, य - रा स- ग व
an
चारण- स -दै यदानव करते ह। वे सभी थोड़े ही दन म
th

अपने सभी अ भल षत व तु को ा त कर लेते ह-


ns

शा ा यालो सवा ण तदथा प रभा च ॥५५ ॥


sa

पु षाथ दं त वं न तं ल पूजनम्।
vv

सवमूत : प र य य कमजालं वशेषतः ॥५६ ॥


as

भ या परमया व ॉ ल मेवं पूजयेत।्


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ल ाचनेऽ चतं सव जग ावरज मम् ॥५७ ॥
संसाराणवम नानां ना य ारणसाधनम्।

.c
अ ान त मरा ानां वषयास चेतसाम् ॥५८ ॥

ail
लवो ना योऽ त जगतो ल ाराधनम तरा।

gm
ादयः सुराः सव मुनयो य रा साः ॥ ५ ९ ॥
ग वा ारणाः स ा दै तये ा दानवा तथा।

@
पूज य वा महाभ या ल ं सवाथ स दम् ॥६० ॥
an
अ चरा ले भरे नूनं सवान् कामान् समी हतान्।
th

व- वमाग से ही पूजा वधान श त


ns

ा ण य वै य, शू या अनुलोमज सभी को
sa

ल पूजन त त् म से करते ह। ज के लये वै दक


माग आराधना े कही गई है। अ य लोग भी वै दक
vv

म आराधना करते ह। ता क मत म द त साधक


को ता क म से वधानपूवक आराधना करनी
as

चा हये। मात को शव आराधना वै दक माग से नह


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
करनी चा हये। वै दक को सभी पूजन वै दक माग से ही
करना चा हये। वै दक को अ य माग से भगवान् शव क
आराधना नह करनी चा हये। दधी च गौतम आ द सैकड़

.c
स ब च वाले सरे माग पर नह जाते ह, के वल

ail
वै दक माग से ही पूजा करते ह। जो वै दक माग का
अनादर करके एवं मात माग को भी छोड़कर अ य माग

gm
से आराधना करते ह, उ ह कमफल नह मलता। इनम भी
पा थव ल शी स दायक है। पा थव ल से ब त
स याँ मलती ह- @
an
ा णः यो वै यो शू ो वा यनुलोमजः ॥६१ ॥
th

पूजयेत् सततं ल ं त म ेण साधकः।


ns

जानां वै दके ना प मागणाराधनं परम् ॥ ६२ ॥


sa

अ येषाम प ज तूनां वै दके ना प म तः |


vv

त ो द तानां च त ेणा प वधानतः ॥६३ ॥


मृतमाराधनं श ोनॅव वै दकव मना।
as

वै दकानां च सवषां पूजा वै दकमागतः ॥६४ ॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
कत ा ना यमागण चे याह भगवा छवः।
दधी चगौतमाद नां शतस ब चेतसाम् ॥६५ ॥

.c
न जायतेऽ यव मा प शमावै दकव मना।

ail
यो वै दकमना य कम मातमथा प वा ॥६६ ॥

gm
अ य समाचर मय न स कमफलं लभेत्।
त ा प पा थवं ल ं स दं भवेत् ॥ ६७ ॥

@
पा थवेन तु ल े न ब स मवा ुयात्।
an
युगानुसार लग े ता तथा पा थवाचन शंसा
th

स ययुग म र नमय ल का, ते ा म वण ल का, ापर


ns

म पारद ल का और क लयुग म पा थव ल का पूजन


े होता है। सभी आठ मू तय म पा थव मू त परा है।
sa

इस कार पा थव ल म शव सदै व स हत रहते ह।


जैसे सभी दे व म बड़े शव ह वैसे ही सभी ल म
vv

पा थव ल े है। जैसे सभी वेद म णव े है वैसे


as

ही पा थव ल े आरा य और पू य है। पा थव ल
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
का आराधन पु य, आयु एवं धन का वव क होता है।
यह स ता, तु , ल मी एवं कायसाधन म स द है।

.c
यथोपल सभी उपचार से भ ा से पा थक ल
का पूजन शा ो व ध से करना चा हये। पा थव ल

ail
म प चसू वभाग का वचार नह होता। आकारमा
बनाने से ही सभी स याँ मलती है। इसका नमाण

gm
ख ड म नह करना चा हये। करने से पूजा फल नह
मलता। र नज, वणज, ा टक, पारद, पा थव प ज,
@
पौ प और माषज ल अख ड बनाना चा हये-
an
कृ ते र नमयं ल ं ते ायां हेमस वम् ॥६८ ॥
ापरे पारदं े ं पा थवं तु कलौ युग।े
th

अ मू तषु सवासु मू तव पा थवी परा ॥६ ९ ॥


ns

एवं पा थव ल े तु न यं स हतः शवः।


sa

यथा सवषु दे वेषु ये े ो महे रः ॥ ७० ॥


vv

तथा सवषु ल े षु पा थवं े मु यते।


यथा सवषु वेदेषु णव महान् मृतः ॥७१ ॥
as

तथैव पा थवं े ं ारा यं पू यमेव ह।


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
पा थवारानं पु यमायुधन ववधनम् ॥७२ ॥
स ं तु दं ीदं कायसाधन स दम्।

.c
यथासव पचारै भ ासम वतः ॥७३ ॥

ail
पूजये पा थवं ल ं शा ो व धना नरः।

gm
प चसू वभागं च पा थवं न वचारयेत् ।।७४ ।।
आकारमा ं रचये सव स दायकम्।

@
ख डम कु वाणो नैव पूजाफलं लभेत् ॥७५ ॥
an
र नजं हेमजं ल ं पारदं ा टकं तथा।
पा थवं प जं पौ यं माषजं तु कारयेत् ॥७६ ॥
th
ns

शव ल नमाण म ख डाख ड वभाग नणय


sa

अख ड को चर ल कहते ह एवं ख ड को अचर ल


कहते ह। ख ड अख ड वभाग का यह चर-अचर कहा
vv

गया है। वे दका व णु है और ल महे र है। इसी से


as

ख ड ल को ावर लग कहते ह। शवव लभा


महादे वी ग रजा वेद एवं प डी सा ात् महादे व होते ह;
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
अतः दोन के योग से ख डता होती है। ावर ल को
ख ड वधान बनाना चा हये । शैव- स ा त ा नय ने
अख ड को जंगम ल कहा है। अ ान से मो हत होकर

.c
चर ल को जो दो ख ड म बनाते ह उन मूढ़ को

ail
पूजाफल नह मलता। इस लये शा ो व ध से
ख ड चर ल और अख ड ावर ल बनावे।

gm
अख ड चर ल का पूजन स ूण फलदायक होता है।
ख ड ावर ल पूजा से भी स ूण फल मलता है।
@
ख ड चर ल क पूजा से महाहा न होती है। अख ड
ावर ल म पूजा से फल नह मलता।
an
th

अख डं तु चरं ल ं ख डमचरं मृतम्।


ns

ख डाख ड वभागोऽयं चराचरतया मृतः ॥७७ ॥


वे दका तु महा व णु ल ं दे वो महे रः।
sa

अतोऽ प ावरं ल ं मृतं शेषे ख डता ॥७८ ॥


vv

वे दका तु महादे वी ग रजा शवव लभा।


as

प डका तु महेशानो योय गो ख डता ॥७ ९ ॥


आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661
ख डं ावरं ल ं कत ं ह वधानतः।
अख डं ज मं ो ं शैव स ा तवे द भः ॥८ ॥

.c
ख डं तु चरं ल ं कु व ानमो हतः।

ail
नैव स ा तवे ारो मुनयः शा पारगाः ।।८१ ।।

gm
अख डं ावरं ल ं ख डं चरमेव च।
ये कु व त नरा मूढा न पूजाफलमा ुयुः ॥८२ ॥

@
त मा ा ो व धना ख डं चरसं तम्।
an
वख डं ावरं ल ं कत ं परया मुदा ॥८३ ॥
अख डे तु चरे पूजा स ूणफलदा मृता।
th

ख डे ावरे पूजा स ूणफलदा यनी ॥८४ ॥


ns

ख डे तु चरे पूजा महाहा नः जायते।


sa

अख डे ावरे पूजा न पूजाफलदा यनी ॥८५ ॥


vv
as

आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष: 9044016661

You might also like