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तक़दीर की तस्वीर

तक़दीर की तस्वीर

हमारा अतीत हमारे हाथ में नहीं है,

परंतु हम अपना भिवषय अपने हाथो से बना


सकते है।

Er. ROHIT SHARMA

ii
“मैं शायर नही तो ना सही उसको रहता है तो ये भ्रम रहने दे,

मुझसे चाहे सब कुछ छीन ले मेरे मािलक पर इन हाथों में


कलम रहने दे।”

Er. Rohit Sharma

SHARMA PUBLISHER
Melbourne, Australia
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तक़दीर की तस्वीर / रोिहत शमार्


Dedicated to…
“बच्चे िजतने मज़ीर् बड़े हो जाए पर माँ बाप के िलए बच्चे ही रहते
है”, ये बात मेरी माँ Sunita Sharma अक्सर कहा करती है।
उसके प्रेम और स्नेह का सदक़ा िक मैं आज इस क़ािबल हूया के ये
िकताब िलखने की िहम्मत जुटा पाया।

“तलवार की धार से भी तेज़ कलम होती है इसको चलाना सीख


लो तो िज़ं दगी की मुिश्कलों पे फ़तह पा सकोगे”, ये बात मेरे िपता
Sudershan Sharma मुझसे अक्सर कहा करते है। िज़ं दगी के
बारे में मुझे समझाना और ज्ञान को हमेशा ही पैसे से भी मूल्यवान
बताना ही एक कारण है िक आज मैं ये ज्ञान की बातें इस िकताब
के ज़िरए आप तक पहुँ चा पा रहा हू।

“मेहनत हमेशा रंग लाती है और आलस िक़स्मत खाती है”, मेरी


बीवी Seerat Sharma हमेशा मुझसे कहा करती है। उसे शायद
लगता है के मैं आलसी हूँ । उसी की प्रेरणा है के मैं आज अपनी
मेहनत का रंग इस िकताब के कोरे पन्नो पे चड़ा के अपनी िक़स्मत
को आज़माना चाहता हूँ ।

मेरे तीन पुत्र Rehan, Suhan, और Vihan तीन िदशायों की


तरह है जो मुझे हर तरफ़ से झकड़े हुए है। उनके प्यार की वजह से
ही मैं इस ज्ञान को पकड़ पाया हूँ ।
Contents
ABOUT THE AUTHOR ...................................................... x
ABOUT THIS BOOK ......................................................... xi
ABOUT ME AND MY OTHER BOOKS ............................. xv
Introduction.................................................................xvii
1. JUPITER ..................................................................... 25
Jupiter in First House ................................................ 29
Jupiter in Second House ........................................... 33
Work in Progress .......................................................... 39
िलखा जब िक़स्मत का काग़ज़,

वक़्त था वो गेब का।

भेद उसमें गुम था रखा,

मौत िदन और ऐब का।

ख़याल रखना था बताया,

कृतघन इं सान का।

एवज़ लड़की लड़का बोला,

ख़तरा था शैतान का।

(लाल िकताब)
ABOUT THE AUTHOR

ABOUT THE AUTHOR


रोिहत शमार् एक भारतीय मूल के ऑस्ट्रेिलयाई लेखक हैं िजनका
जीवन के प्रित एक अलग दृिष्टकोण है। उन्होंने 2011 में िवक्टोिरया
यूिनविसर् टी ऑस्ट्रेिलया से इलेक्ट्रॉिनक इं जीिनयिरं ग में अपनी मास्टर
िडग्री पूरी की। भारत में पले-बढ़े और ऑस्ट्रेिलया में काम काज करके
रोिहत शमार् ने दुिनया के पूवर् और पिश्चम दोनों छोर का अनुभव
िकया।

बचपन से ही उनकी िवज्ञान में गहरी रुिच और ईश्वर में असीम


आस्था रही। बचपन से ही उन्हें अंतिरक्ष यात्रा में बहुत िदलचस्पी थी।
भिवष्य को जानना और समय की यात्रा कर पाना उनका हमेशा से ही
सपना रहा।

उन्होंने 14 साल की उम्र में अपनी मौसी से हस्तरेखा शास्त्र सीखा।


जब उन्हें महसूस हुआ िक हस्तरेखा िवज्ञान उनको संतुष्ट करने के
िलए पयार्प्त नहीं है, तो उन्होंने 19 साल की उम्र में ज्योितष सीखना
शुरू कर िदया। उन्होंने 2000 में लाल िकताब पढ़ना शुरू िकया। सन
2005 में उन्होंने एक Yahoo Group बनाया जहाँ वो लोगों की
कुंडिलया मुफ़्त देखते थे और उनकी परेशािनयों का समाधान करते
थे।

उनका अपना YouTube Channel है जहां वह ज्योितष पढ़ाते


हैं। उनके पास एक फेसबुक पेज भी है जहां वे अपने शोध कायर् को
पोस्ट करते हैं और लोगों का मागर्दशर्न भी करते हैं।

वह हमेशा कहते हैं िक हर कोई अपने भिवष्य को बेहतर बना


सकता है, कुछ इसे कड़ी मेहनत कहते हैं और अन्य इसे केवल भाग्य
कहते हैं। उनके काम की बहुत लोगों ने प्रशंसा की है और दुिनया भर
में उनके कई अनुयायी है।
x
ABOUT THIS BOOK
सोच को बदलो िसतारे बदल जायेंगे।

नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे।।

किश्तयाँ बदलने की ज़रूरत नहीं।

िदशायों को बदलो िकनारे बदल जायेंगे।।

मैंने जबसे होश सम्भाली है तबसे यू लगता है िक कोई है जो हमें


चला रहा है। इसे ईश्वर कहु या ग्रहों की चाल, इसे भ्रम कहु या
ख़याल। जो भी है कुछ तो है जो इं सानी समझ से भी बाहर है। कई
बार बहुत मेहनत करने पे भी हाथ कुछ नहीं लगता और कई बार िबना
मेहनत िकए बोहत कुछ हाथ लग जाता है। कुछ लोग इसे तक़दीर
कहते है और कुछ लोग इसे कमर् कहते है। ये तक़दीर और कमर् के
झगड़े में उलझने से बेहतर है के मान लूँ के कोई गैिब ताक़त है जो
हमारी िक़स्मत या कमर् में फेर बदल कर सकती है। कुछ लोग इस
गैिब ताक़त या तक़दीर को ज्योितष के द्वारा समझने की कोिशश
करते हैं।

इस ज्योितष को समझना भी उतना ही मुिश्कल है िजतना िक़स्मत


और कमोर्ं को समझना। यूँ कहे के जब तक ऊपर वाले की कृपा ना
हो हम ज्योितष को नहीं समझ पाते। ज्योितष एक कला की तरह है
िजसे चुराया नहीं जा सकता। हाँ कड़ी मेहनत और लगन के साथ
आप इसको समझ ज़रूर सकते है।

ज्योितष कई प्रकार का होता है िजसमें से मुझे सबसे अच्छा और


सटीक लगा “लाल िकताब”। जी हाँ “लाल िकताब”। मैं जैसे जैसे
ABOUT THIS BOOK

इस िकताब को पड़ता गया इस महासागर में डू बता गया। ये ज्ञान


समंदर की तरह ही है जो अपने भीतर कई ख़ज़ाने छु पा के बैठा है।
िजतनी भी बार इस महासागर में डु बकी लगाता हूँ कुछ नया दृश्य और
ख़ज़ाना हाथ लगता है। िफर हर बार सोचता हूँ के वो ख़ज़ाना आप
लोगों के साथ बाँटू। ऐसा सोचते ही मुझे अपने िपता की कही बात
याद आ जाती है। मेरे िपताजी अक्सर कहा करते है के िकसी भूखे
को हर रोज़ मछली ला कर देने की बजाये अगर आप उसे मछली
पकड़ना िसखा दे तो वो सबसे उत्तम रहेगा।

सोचता हूँ के आप सबको इस महासागर के भीतर ले चलू,ँ पर


हर कोई अच्छा तैराक नहीं होता। समंदर नदी में तैरना सीखने से पहले
ज़रूरी है के आप िकसी तालाब में डु बकी लगाना सीखे तो बेहतर
रहता है। हर बड़ी चीज़ की शुरूयात इक छोटे से प्रेयास से ही होती
है। िजस प्रकार छोटे छोटे पत्थर बड़े भवन का िनमार्ण करते है, िजस
प्रकार बूँद बूँद से समंदर बनता है उसी प्रकार एक छोटा सा लेख एक
बड़ी िकताब को समझने में सहायक हो सकता है।

जैसे हर बड़ी चीज़ की शुरूयात एक छोटे से प्रयास से होती है


उसी तरह मन में ख़याल आया की “लाल िकताब” को सरल तरीक़े
से सब तक पहुँ चाऊ। आम लोग लाल िकताब को समझ नहीं पाते
क्यूँिक ये एक महासागर की तरह है। मैंने इस महासागर को गागर में
उतारने की कोिशश की है िजसका नाम मैंने “तक़दीर की तस्वीर”
रखा है।

इस िकताब में 12 भावो में 9 ग्रहों के बारे में सरल और स्पष्ट


तरीक़े से जानकारी दी गई है। हर प्रकार से कोिशश की गई है की
इसको सरल स्पष्ट और सूक्ष्म रखा जाये। इसके साथ ही इसमें अपने
अनुभव, िनशािनयाँ, सावधािनयां, मकान कुंडली वस्तु और उपाय भी
बताए है जो के काफ़ी प्रभावशाली है। परंतु कोई भी उपाय करने से

xii
पहले ज्योितषी सलाह अवश्या लेनी चािहये। कोई भी उपाय को करने
से पहले आप िकसी ज्योितषी से सलाह मशवरा ले कर ही करे।

इस िकताब को पड़ने के उपरांत आपको काफ़ी कुछ पता चलेगा


जो आपकी या िकसी अपने की िज़ं दगी बदल सकता है। ये िकताब
एक अमृत कुंड की तरह है िजसके हर लफ़्ज़ सत्य है। इसकी एक
एक बात सत्य है और ग्रहों की पिरपूरन जानकारी देती है। अशुभ ग्रहों
के असर से बचने के िलए बहुत ही सरल ओर कारगर उपाय िदए गये
हैं। इस िकताब में दी हुई भिवष्यवाणी और संकेत पूरन सत्य है। देश
काल पिरस्थती या अन्य दृिष्ट-योग से फलादेश में 10 -20 प्रितशत
िभन्नता होनी स्वाभािवक है।

इस िकताब को पड़ने के बाद आपका मन अवश्य करेगा के आप


लाल िकताब को गहराई से समझे और पड़े। ये िकताब लाल िकताब
को गहराई में समझने में मदद करेगी और आपको एक अच्छा
भिवषयकतार् बना सकती है। इस िकताब से आप अपनी या िकसी
अपने की िज़ं दगी की परेशािनयों को दू र कर सकते हैं। आप अपने
भीतर के अवगुनो को त्याग कर नए सदगुनो को अपना सकते है जो
आपको एक नयी और अच्छी िज़ं दगी प्रधान कर सकते हैं।

इस िकताब को बहुत ही सरल भाषा में और स्पष्ट िलखने का


प्रेयास िकया गया है। इसमें लम्बी लम्बी इधर उधर की बातें ना िलख
कर साफ़ और स्पष्ट बात को िलखा गया है। शुभ और अशुभ का भी
त्याग िकया गया है। क्यूँिक मेरे अनुभव में ये आया है के हर िकसी
को कुछ शुभ और कुछ अशुभ फल िमल रहे होते है। इसिलए इस
िकताब में शुभ अशुभ का त्याग करके िसफ़र् फलादेश रूप में ही िलखा
गया है।

इसके साथ साथ िकताब में हर ग्रह की िनशािनया दी गई है िजस


से स्पष्ट िकया जा सकता है के ग्रह उसी भाव का फल दे रहा है या
ABOUT THIS BOOK

नहीं। कुछ लोग िनशािनयों को बेिटं ग भी कहते है। ऐसी बेिटं ग करके
कुछ ज्योितषी ख़ुद को सूपस्टार्र समझने लगते है। िनशािनयों या
बेिटं ग से कोई ज्योितषी महान नहीं बनता बािलिक िवषय को गहराई
में समझने से ही सफलता प्राप्त होती है।अत मेरी आप सब से
गुज़ािरश है के आप लोग िनशािनयों पे जेयादा ज़ोर ना दे।

इस िकताब में सबके िलए कुछ ना कुछ है। आप चाहे ज्योितष


सीख रहे है या िसखा रहे है, इस िकताब को पड़ने से आपको कुछ
लाभ ही होगा। इस िकताब को हर वो इं सान पड़ सकता है िजसको
ज़रा सी भी ज्योितष की जानकारी है। आप अपनी कुंडली िकसी भी
सॉफ़्ट्वेर के ज़िरए िनकाल सकते है और िफर देख सकते है के कौन से
भाव में क्या ग्रह है। आप िफर हर भाव के अनुसार उस ग्रह का फल
देख सकते है और उपाय भी कर सकते है।

संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो बीमार नहीं होता। ठीक उसी
प्रकार संसार में कोई भी ऐसा नहीं है िजसको मुिश्कलों और
परेशािनयों का सामना नहीं करना पड़ता। बीमार होने पे जैसे हम दवा
लेते है ठीक उसी प्रकार मुिश्कलों और परेशािनयों के वक़्त उपाय द्वारा
हम ख़ुद को ठीक रख सकते है। या यू कहे के इसको पड़ने के बाद
हम समझ सकते है के आम िज़ं दगी में िकस प्रकार के बदलाव लाकर
हम सुखी और ख़ुशाल जीवन वयोतीत कर सकते हैं।

अंत में यही कहना चाहूँ गा के िकसी भी बात को िबना सोचे समझे
पड़कर वहम कर लेना हािनकारक होगा। हर इं सान की जनम कुंडली
के साथ साथ उसकी कमर् कुंडली भी होती है और अपनी कमर् कुंडली
को अच्छा और तंदरुस्त बना के रखना ही हमें परेशािनयों और
मुिश्कलों से बचाता रहेगा।

- रो#हत शमा*

xiv
ABOUT ME AND MY
OTHER BOOKS
रास्ते धुँधले भी हो तो कोई फ़क़र् नही,

तू मंिज़ल पे नज़र साफ़ रख।

कभी िक़स्मत पे कभी कमोर्ं पे,

तो कभी उस परवरदीगार पे िवश्वास रख।।

लोग कहते है िवश्वास बोहत बड़ी चीज़ है पर न ही कोई िकसी पे


िवश्वास करता है और ना ही कोई िकसी के िवश्वास पे पूणर् उतरता
है। कई बार तो हम लोग ख़ुद पे ही िवश्वास करना छोड़ देते है। हम
जो अपनी आँ खों से देखते है केवल उसपे ही िवश्वास करते है। जब
बात रब की आती है तो लोग िवश्वास तो करते है पर साथ में कुछ
लोग ये भी कहते है के रब िदखता नही तो हम कैसे िवश्वास करे।
इं सान की िफ़तरत है के चमकतार को नमस्कार करता है और जो
िदखता है उसको ही सलाम करता है पर भूल जाता है के ईश्वर ने तो
उसे बोहत कुछ देखने को िदया है, और ईश्वर ने इतने चमत्कार िकए
है िजनको वह आज तक भी समझ ना पाया है।

मेरी ये िकताब उसी ईश्वर उसी परवरदीगार को समिपर् त है। िकसी


को हो ना हो मुझे उस ईश्वर और उसकी रचना पे पूरन िवश्वास है।
इसी के साथ साथ मुझे “लाल िकताब” पर भी पूरन िवश्वास है।
लाल िकताब एक समूँिद्रक शास्त्र है िजसमें ज्योितष, हस्तरेखा, वास्तु
और ना जाने क्या क्या ख़ज़ाना छु पा हुआ है।
ABOUT ME AND MY OTHER BOOKS

मेरी यह िकताब “लाल िकताब” पर ही आधािरत है। इस िकताब


को मैंने बेहद सरल और स्पष्ट रखा है। यह िकताब आपको ज्योितष
का ज्ञान देने के साथ साथ उपाय ओर सावधािनया भी बताती है जो
आपकी िज़ं दगी को बेहतर बना सकती है। अगर आपको इस िकताब
में िदए उपाय और फलादेश से कुछ लाभ हो तो कृपया िकसी पशु,
पक्षी या प्रकृित के िलए कुछ अच्छा ज़रूर कीिजएगा। आशा करता
हू आपको ये िकताब पससंद आएगी।

अपनी अगली आने वाली िकताबो में मैंने हर इक ग्रह का सम्पूणर्


फलादेश देने का प्रयास िकया है। उन िकताबों में मैंने अपने अनुभव
और अपने िमत्रों के अनुभव भी िलखे है। जल्द ही मैं वो िकताबें संपन
करके आप तक पहुँ चा दू ँगा।

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- रो#हत शमा*

xvi
Introduction
कमर् की गठरी लाद के, जग में िफरे इं सान।

जैसा करे वैसा भरे, िविध का यही िवधान।।

कहते है 3 सेबों ने दुिनया बदल दी।

1. पहला जो Adam ने Eve को िदया,

2. दू सरा जो Newton ने िगरता देखा और

3. तीसरा जो Steve ने हमें Apple devices दी।

ये तीनो ने इं सान की िज़ं दगी पूरी तरह से बदल के रख दी। अगर


ADAM या STEVE की बात न भी करूँ तो िफर भी इसमें कोई दो-
राय नही के NEWTON ने सेब को िगरते देखा और
GRAVITATION की खोज की। NEWTON की इस बात को
पूरे िवश्व ने माना और उसको सहराया भी। परंतु जब हमारे ऋिष
मुिनयों ने आसमा को देखा और ये कहा के इं सान को ग्रह और िसतारे
प्रभािवत करते है तो िकसी ने नही माना।

दरासल, जब हर सेब पेड़ की शाख़ से िगरता है तो वो धरती पे ही


िगरता है पर हर इं सान को िसतारे एक जैसा फल नही देते। यान यूँ
कहे के अगर दो जुड़वा बच्चे है तो उनके िसतारे एक होने के बावजूद
भी एक चोर बन जाता है और एक डाक्टर। यही वजह है के हम
ज्योितष पे इतना िवश्वास नही कर पाते।
INTRODUCTION

अब देखे जब सेब धरती पे िगरता है तो वास्तिवकता ये है की न


सेब ने अपना कमर् बदला था और ना ही धरती ने अपना कमर् बदला
था। सेब क़ुदरती कमर् में बँधा हुआ था और धरती भी अपने क़ुदरती
कमर् के अनुसार चक्कर काट रही थी। सेब ने कभी संतरा बनने के
बारे में नही सोचा था और ना ही कभी धरती ने अपना रास्ता बदल कर
िकसी और िसतारे का चक्कर लगाने को सोचा था। दोनो क़ुदरती
कमर् की मयर्दयों के अधीन थे। यही वजह है के उनके फल में कोई हेर
फेर नही होता। परंतु मनुष्य के साथ ऐसा नही होता।

मान ले, एक जगह पे एक पेड़ है, उस पेड़ के साथ एक बकरी बंधी


है, उस पेड़ के नीचे एक कुत्ता और एक इं सान सोया हुया है। एकदम
से पेड़ के पास आग लग जाती है। पेड़ कोई भी कमर् नही कर सकता
और वही का वही खड़ा जल सकता है। बकरी भी पेड़ के साथ बंधी
हुई है अत बकरी महसूस कर सकती है के ख़तरा है पर वो भी वहाँ से
भाग नही सकती, वो िसफ़र् मैं-मैं कर के ख़ुद को बचाने की गुहार कर
सकती है। कुत्ता तो कुत्ता होता है, कहते है मािलक से वफ़ा करता है।
क्या अगर मािलक वहाँ रहे तो कुत्ता भी आग में जल जाएगा या भाग
जाएगा ?

अगर हम देखे तो िजस प्रकार से जीव बदल रहे है ठीक उसी प्रकार
से उन जीवों की िकरयाएँ भी बदल रही है और अिधक जिटल होती
जा रही है। अब इं सान की ही बात करे, वो इं सान या तो वहाँ से भाग
कर िसफ़र् अपनी िज़ं दगी बचा सकता है, या बकरी को खोलने के
बाद भाग सकता है, या आग को बुझाने का प्रेयास कर सकता है या
कुछ और। यानी के उसके कमर् कुछ हद तक क़ुदरती कमोर्ं से अलग
है और उसकी ख़ुद की सोच से प्रभािवत है। अगर वो क़ुदरती कमोर्ं से
अलग कमर् करता है तो िनिश्चत तोर पे उसे उन कमोर्ं का फल भी
िमलेगा।

xviii
Newton ने भी तो कहा है, “To every action there is equal
and opposite reaction”। Newton के इस law की बात करे तो
वो क़ुदरत की हर क़ुदरती चीज़ पे लागू होता है और उसी समय असर
भी करता है। उदाहरण के तोर पे अगर आप rubber की ball को ज़ोर
से दीवार पे मारेंगे तो वो दीवार से टकरा कर उसी समय वािपस
आएगी। परंतु इं सान जब कमर् करता है तो उसके कमोर्ं का फल उसी
समय नही िमलता। िजस प्रकार से इं सान के कमर् जिटल है उसी
प्रकार से इं सान के कमोर्ं का फल भी जिटल है। परंतु स्मरण रहे कमोर्ं
का फल िमलेगा अवश्य।

इं सान क़ुदरती कमर् के अधीन होते हुए भी ख़ुद के कमर् करने में भी
सक्षम है। इसी िलए इं सान का जीवन बाक़ी सबसे अलग, जिटल
और रहस्यमयी है। इं सान ने अहम के अधीन होकर अपने कमोर्ं को
इतना महान मान िलया के क़ुदरती कमोर्ं को िबलकुल ना माना। उसने
अपने बाहुबल और कमोर्ं से रात में भी िदन जैसी रोशनी कर दी।
पहाड़ों के सीने चीर रास्ते बना िदए। रेिगस्तान में भी जंगल बना िदया,
समंदर में नक़ली island बना िदए। यहाँ तक के मैंने सुना के चाइना
आसमा में एक नक़ली चाँद लगाने वाला था िजस से रात के समय भी
पूरनमांशी के चाँद की तरह हमेशा रोशनी रहती। पर वह असफल हो
गया।

इं सान जब अपने कमोर्ं में असफल हो जाता है या उसके सामान


कमोर्ं का फल िभन्न आने लगता है तो वो उसे िक़स्मत का नाम देकर
अपनी ग़लितयाँ िकस्मत पे थोंपने लगता है। यह वही इं सान है िजसने
कभी क़ुदरती कमोर्ं को नही समझा और अपने कमोर्ं पे ही अहम रखा।
िवफलता की अनुभूित होने के उपरांत वो अपनी हार को िकस्मत की
हार बताने लगता है। क्या िकस्मत क़ुदरती कमर् है? क्या उसके अपने
ही कमर् जो क़ुदरत में हेर फेर करते है उसकी िक़स्मत बन जाते है?
क्या िक़स्मत कमोर्ं से भी बड़ी है? क्या िकये हुए कमर् ही िकस्मत बनते
INTRODUCTION

है? क्या िक़स्मत को जाना जा सकता है? क्या िकस्मत में सुधार िकया
जा सकता है ? अगर ये सब सम्भव है तो वो कौन है जो ये सब कर
सकता है? क्या वो िवज्ञान है या ख़ुद का ज्ञान? क्या वो डाक्टर है या
ज्योितषी?

हम आम तौर पे कहते है “an apple a day keeps the doctor


away” यानी के रोज़ एक सेब खाते रहो और डाक्टर से दू र रहो। क्या
सेब खाना िबलकुल एक उपाय की तरह है? हम जब भी बीमार होते
है तो डाक्टर के पास जाते है और डाक्टर हमारी जांच कर के दवा दे
देता है। अगर दवा असर नही करती तो हम डाक्टर बदलते है या दवा।
जब कुछ भी काम ना आए तो हम प्राथर्ना या दुया करते है। दुया हम
उस परवरिदगार, ईश्वर या उस क़ुदरत से करते है शायद िजसको
हमने कभी देखा ही नही। क्या हम उस क़ुदरत से अपने गलत िकए
कमोर्ं की शमा माँगते है? क्या उस से प्रथना करते है के अब हमारे
कोई भी कमर् काम नही कर रहे और अब तू ही मदद कर।

कोई भी शारीिरक रोग हो तो हम उपचार करते है और अगर शरीर


की जगह िकस्मत रोगी हो तो क्या हमें उपाय करना चािहए? अगर
आपको ज्ञात हो तो मैंने ऊपर सबसे पहले िलखा था “ऐन ऐपल आ
डे कीप्स द डाक्टर अवे”, यानी के अच्छे कमर् करते रहना ही हमें अच्छा
जीवन प्रधान करता है। “लाल िकताब” की बुिनयाद ही यही है। लाल
िकताब हमें हर रोज़ छोटे छोटे अच्छे कमर् करने को कहती है िजस से
हमारी िज़ं दगी बेहतर हो सके। ध्यान रिखएगा मैंने बेहतर कहा है ये
नही कहा के हमारी िज़ं दगी बदल सके। एक सेब के पेड़ की अगर
अच्छी देख़बाल की जाए तो वो एक अच्छे बड़े और स्वािदष्ट सेब दे
सकता है, संतरे नही। और अगर उसी सेब के पेड़ के पालन पोषण का
ज्ञात ना हो तो वो हमें छोटे, िवकार युक्त सड़े हुए सेब भी दे सकता
है।

xx
हम लोग शरीिरर् क रोगों के उपचार के िलए डाक्टर के पास तो
जाते है पर िक़स्मत के रोगों के उपचार के िलए ज्योितषी के पास जाने
से िहचिकचाते है। हम अपनी ही संस्कृित को छोड़कर भूलकर िवदेशी
संस्कृित अपनाते है। हम अपने बच्चों को “क” फ़ोर कबूतर कहने के
बजाए “A” फ़ोर ऐपल कहना सबसे पहले िसखाते है। हमें लगता है
िक कबूतर कहने से कही हमारे बच्चे कबूतर बािज़याँ ना करने लग
जाए। परंतु हम भूल जाते है के कबूतर सही मायने में शांित का प्रतीक
है। जब इं सान का मन और िदमाग़ शांत हो तो ही इं सान अच्छा िनणेर्
ले पाता है। हम भूल जाते है के हमारी अपनी संस्कृित में िकतनी अच्छी
अछी बातें िछपी है। हम भूल जाते है के हमारे ऋिष मुिनयों ने हमें
िकतना कुछ िदया है। हमें अपनी संस्कृित को समझने की ज़रूरत है
और ज्योितष भी इसका एक महत्वपूरन अंग है। हम सब को ज्योितष
सीखना चािहए और अपनी िज़ं दगी के िछपे राज़ और तक़दीर को
समझना चािहए।

इं सान जब जन्म लेता है तो अपने साथ बंद हाथों में तक़दीर लेकर
आता है और जब मृत्यु को प्राप्त करता है तो खुले हाथों से िकए कमोर्ं
के फल अपने संग ले जाता है। जन्म लेते ही बच्चा सबसे पहले रोता
है, उस रोने की आवाज़ “आ” शब्द जैसी होती है। हम जब प्रसन्न
होते है तो हँ सते है उस हँ सने की आवाज़ “ह” शब्द जैसी होती है। हम
जब पहला शब्द बोलते है तो वो “म” होता है। कुछ लोग इसे माँ के
साथ जोड़ देते है परंतु मेरे िवचार से ये शब्द “मैं” को दशार्ता है।

अब तीनो शब्द को जोड़ िदया जाए तो “अहम” बनता है। जीवन


और मृत्यु के बीच में फँसा इं सान ता उम्र िकसी ना िकसी अहम में
रहता है। उसका अहम ही उसके दुःख और परेशािनयों का कारण
बनता है। वो जो चाहे उसका िमल जाना भी अहम (अहंकार) बन जाता
है और जो ना िमले उसका िमलना भी अहम (ज़रूरी) बन जाता है।
इसी अहम में वो ता उम्र दुखी और परेशान नज़र आता है। हर वक़्त
INTRODUCTION

अहम में रहने से िदमाग में िभन िभन िवचार आते हैं। वक़्त भी “व” से
और िवचार भी “व” से। अब उसका “अहम” कई बार “वहम” बन
जाता है। ये वहम उसके कमोर्ं में हर फेर करता है और वो और अिधक
दुखी और परेशान होता रहता है।

जब दुःख और परेशानी हद से अिधक बड़ जाती है तो ये दुखी


और परेशान इं सान उस रब से उस राम से रोज़ दुखो से मुिक्त की
याचना करता है। जब राम रूपी “र” शब्द उसकी िज़ं दगी में आता है
तो “रहम” बन जाता है। ईश्वर की दया और कृपा होना और िफर
वही दया और कृपा हम से औरों तक जाना ही “रहम” है।

ईश्वर की दया और कृपा हम पर तब ही होगी जब हम ख़ुद को


जान समझ सकेंगे। हम समझ सकेंगे के हम कौन है और हमारे पास
ईश्वर की दया और कृपा प्राप्त करने के िलए कैसा पात्र है। हम िकस
प्रकार से उस पात्र को सही प्रयोग करके ईश्वर की दया और कृपा
प्राप्त कर सकते है। मैं इस पात्र को मानव शरीर और उसके द्वारा िकए
गए कमर् समझता हूँ । उस पात्र का मैला कुचेला होना या उलटा होना
बदिक़स्मती समझता हूँ ।

ईश्वर की दया प्राप्त करने से पहले हमें उस पात्र को साफ़ करना


और सही िदशा में रखना होगा। ठीक उसी प्रकार िजस प्रकार आप
चलते हुए नल के नीचे सही जगह पे बतर्न रख कर उस बतर्न को जल
से भरते है और िफर नल को बंद कर देते हैं। परंतु ईश्वर की दया और
कृपा का नल कभी बंद नही होता, ज़रूरत िसफ़र् पात्र को समझने की
और उसको इस्तेमाल करने के ज्ञान की है। हम इस पात्र को कम
छोटा नही कर सकते परंतु िभन्न िभन्न प्रकार से पकड़ने से उसमें जल
कम या अिधक एकित्रत हो सकता है।

अब एक और सवाल यह है िक हमारा पात्र िकसी दू सरे के


पात्र से िभन्न या बड़ा छोटा क्यूँ है? हो सकता है हमारे िकसी कमोर्ं की

xxii
वजह से ही वो पात्र हमें छोटा या बड़ा िमला। शायद ये हमारी िक़स्मत
है। या यू कहूँ िक हमारे कमर् ही हमारी िक़स्मत का पात्र तय करते है।

अब इस पात्र को िकस प्रकार से उपयोग करके अिधक से अिधक


जल ग्रहण करना हमारे कमर् है। या यू कहो के हमारे कमर् ही हमारी
िक़स्मत के पात्र के जल को बदल रहे है। यानी के हमारे अच्छे बुरे
कमर् ही हमारी िक़स्मत के जल में हेर फेर कर रहे हैं।हमें जो पात्र िमला
है हम उसे तो बदल नही सकते, हाँ उसके प्रयोग की िविध को जानकर
या उस जल की मात्रा के ज्ञात अनुसार उसका सही प्रयोग करके
अिधक लाभ ले सकते हैं।

यह सब इस प्रकार है िजस प्रकार आपके बैंक में पड़ा पैसा


आपकी िकस्मत है। अगर आपको ज्ञात हो के आपके बैंक में िकतना
पैसा है तो आप बेफालतू के खचेर्ं रोक कर उस पैसे को सही और
ज़रूरत की चीज़ों में इस्तेमाल कर सकते है। इसी के साथ आप और
धन कमा कर इस बैंक में जमा कर सकते है। बैंक में पड़ा धन आपकी
िक़स्मत है। और आप के द्वारा िकया कमर् भी धन बन जाता है जो बैंक
(िक़स्मत के ख़ज़ाने) में आप जमा करवाते है। आपके अच्छे कमर् हर
समय इस ख़ज़ाने में बड़ोतरी करते रहते है और बुरे कमर् कमी। जब
भी आप िकसी के साथ अच्छा कमर् करते है िकसी की मदद करते है
तो वो आपके इस बैंक खाते में धन जमा करवा देता है। जैसे आप हर
समय अपना बैंक बैलेन्स चेक करते रहते है वैसे ही आपको इस
िक़स्मत और कमोर्ं के ख़ज़ाने यानी के अपनी कुंडली पे नज़र ज़रूर
डालनी चािहए। आपकी कुंडली आपका बैंक अकाउं ट ही है। इसे
समय समय पे अप्डेट ज़रूर करते रहना चािहए।

अपनी कुंडली देख कर हमें ज्ञात होता है के हम कौन है और कैसे


है, हम में क्या गुण और अवगुन है, हमें िक़स्मत का कैसा पात्र िमला
है और कैसे हम अपने कमर् और भी अच्छे कर के उस पात्र को अिधक
INTRODUCTION

से अिधक भर सकते है और लाभ उठा सकते है। हमें अपने िवकारों


को दू र करना चािहए और जो हमारे िलए बेहतर है उसे रोज़ाना
इस्तेमाल में लाना चािहए। ऐसा करने से हम ख़ुद को एक अच्छे तरीक़े
से जान पाएँ गे और अपनी िज़ं दगी को बेहतर बना सकेंगे।

- रो#हत शमा*

xxiv
1. JUPITER
तक़दीर की तस्वीर

बृहस्पित एक उग्र, उदात्त, परोपकारी, िवस्तारक, आशावादी,


सकारात्मक और गिरमापूणर् ग्रह है। मन और आत्मा की उच्च
िवशेषताएं , उदारता, खुशी, खुशी और उत्साह के साथ-साथ उच्च तकर्
क्षमता और सही िनणर्य की शिक्त सभी बृहस्पित द्वारा शािसत हैं।
बृहस्पित शैिक्षक रुिचयों, कानून, धमर्, philosophy, बैंिकंग,
अथर्शास्त्र को िनयंित्रत करता है और धमर्, शास्त्रों, बुजुगोर्ं और
उपदेशकों के िलए िकसी के प्यार और लालसा को दशार्ता है। वह
धन, प्रगित, दाशर्िनक स्वभाव, अच्छे आचरण, स्वास्थ्य और बच्चों
का भी प्रतीक है।

बृहस्पित 'ब्रहस्पितवार' और पीले रंग का प्रितिनिधत्व करता है।


दू सरे, 5 वां और 9 वां घर का ब्रहस्पित से िवशेष सम्बंध माना जाता
है। सूयर्, मंगल और चंद्रमा उसके िमत्र हैं, जहां बुध और शुक्र उसके
शत्रु हैं। राहु, केतु और शिन उसके प्रित तटस्थता अपनाते हैं। वह चौथे
घर में ऊंचा फल देता है और 10 वां घर उसकी नीचता या दुबर्लता
का घर माना जाता है।

1, 5, 9 और 12 घरों में रखे जाने पर बृहस्पित अच्छे पिरणाम


प्रदान कर सकता है, लेिकन 6 वां, 7 वां और 10 वां उसके िलए बुरे
घर हैं। जब िकसी कुंडली के 10 वें घर में शुक्र या बुध आता है तो
बृहस्पित खराब पिरणाम देता है। हालांिक, बृहस्पित कभी भी िकसी
भी घर में अकेले होने पर बुरा पिरणाम नहीं देता है। जैसे एक िपता-
गुरु (बृहस्पित), पुत्र-चेला (केतु) को बहुत प्रितकूल रूप से प्रभािवत
करता है, वैसे ही ब्रहस्पित की अच्छी या बुरी िस्थित केतु को प्रभािवत
करती है।यिद कुंडली में शिन, राहु या केतु के साथ हो तो बृहस्पित
अशुभ फल प्रदान कर सकता है।

26
रोिहत शमार्

बृहस्पित के बुरे प्रभाव के लक्षण

लाल िकताब के अनुसार जब कुंडली में बृहस्पित पीिड़त होता है तो


सबसे पहले शिन ख़राब होता है यानी के इं सान के कमर्, मशीने
आिद।जातक के िसर के बाल सफ़ेद हो जाते हैं या झड़ने लगते है।
उसकी िशक्षा अधूरी रह जाती है या उसके िकसी काम नही आती।
आँ खों की तकलीफ़े, साँस का फूलना, नेत्र रोग, मानहािन होना, गाले
िजगर और फेफड़ों के रोग आिद प्रभाव देखने को िमलते हैं।

बृहस्पित की शांित के िलए सामान्य उपाय

1. अपना खान पान और आचरण शुध रखना।


2. केसर का ितलक लगाना।
3. सोने का चकोर टु कड़ा पीले कपड़े में अपने पास रखना।
4. अपने आँ गन में सोराजमुखी और गेंदे के फूल लगाना।
5. गाले में कोई माला ना पहनना और सोने की चैन धमर् करना।

बृहस्पित ग्रह से संबंिधत अन्य ज्योितषीय उपाय

हम लोग अपनी जीवन शैली में ज़रा सा पिरवतर्न कर के भी


बृहस्पित ग्रह के अशुभ प्रभावों को दू र कर सकते है।
6. अपने माता िपता गुरु और बजुगर् लोगों की सेवा और आदर करते
रहना।
7. अपने धमर् और धमर् की मयर्दयों का पालन करना और िकसी भी धमर्
के बारे में अपशब्द ना बोलना।
8. पीपल और केले के पेड़ की सेवा करनी।
9. चने की दाल खानी और लंगर में दान करनी।
10. ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः!’ या ब्रहस्पित के अन्य मंत्र का जाप करना।
11. ख़ुद को मोटापे से बचा के रखना।
12. धूम्रपान से दू र रहना।

27
तक़दीर की तस्वीर

बृहस्पित को अन्य सभी ग्रहों का गुरु और ब्रह्मा जी का प्रतीक


माना गया है। बृहस्पित की कृपा से जीवन में ज्ञान, धमर्, संतान और
ऐश्वयर् की प्रािप्त होती है, इसिलए कुंडली में बृहस्पित की िस्थित
प्रबल होनी बहुत आवश्यक है।

28
रोिहत शमार्

Jupiter in First House

Ju

इल्म राज तेरा ख़ज़ाने की चाबी,

फ़क़ीरी मुकम्मल या देगा नवाबी।

फलादे श:

प्रथम भाव में ब्रहस्पित जातक को अमीर बनाता है। िशक्षा भले
ही कम हो िफर भी पड़ें िलखों का बाप होगा। जातक स्वस्थ रहेगा
और दुश्मनों से कभी नहीं डरेगा। यिद 7 वां भाव ख़ाली तो िववाह के
बाद सफलता और समृिद्ध आएगी। 8 वें भाव में राहु हो तो िदल का
दौरा या अस्थमा िपता की मृत्यु का कारण बनता ह।

बृहस्पित पहले घर में अनुकूल पिरणाम देने के िलए माना जाता


है। जातक सभी सांसािरक सुख और आध्याित्मकता के साथ धनी
भी होता है। बृहस्पित जातक को धािमर् क बनाता है और उसे िशक्षा,
ज्ञान और धन का दाता भी माना जाता है। उनके ज्ञान और उदार और
सहायक प्रकृित के कारण वह सामािजक क्षेत्र में सम्मािनत होता है।

जातक आध्याित्मक होता है और उसके पास दू सरों की


समस्याओं को हल करने की शिक्त होती है। जातक धमर्, इितहास,
ज्योितष और इस तरह के अन्य पिवत्र ज्ञान की ओर झुक जाएगा।

29
तक़दीर की तस्वीर

पहले घर में बृहस्पित के पिरणाम अिधक सकारात्मक होंगे यिद


लगन का स्वामी चंद्रमा, मंगल, सूयर् या बृहस्पित ख़ुद हो। इस तरह
के जातक, धािमर् क, िशिक्षत, िवद्वान, जानकार और सहायक होते
है। जातक समृिद्ध और खुशी के साथ लंब जीवन जीने वाला होता
है।

यिद पहले घर में बृहस्पित बुध, शुक्र, राहु से पीिड़त है, तो


पिरणाम नकारात्मक हो सकते हैं।जातक अहंकार की समस्या से
पीिड़त हो सकता है और वह स्वाथीर् और आत्म-केंिद्रत होगा।

िवशेष:

1. प्रथम भाव में ब्रहस्पित जातक को अमीर बनाता है।


2. िशक्षा भले ही कम हो िफर भी पड़ें िलखों का बाप होगा।
3. जातक स्वस्थ रहेगा और दुश्मनों से कभी नहीं डरेगा।
4. यिद 7 वां भाव ख़ाली तो िववाह के बाद सफलता और समृिद्ध
आएगी।
5. 8 वें भाव में राहु हो तो िदल का दौरा या अस्थमा िपता की मृत्यु का
कारण बन सकता है।

अनुभव:

1. फ़ैक्टरी या बड़े वेयोपार का मािलक।


2. कोई बड़ी सरकारी अधर्सरकारी कुसीर् पे बैठने वाला।
3. नौकरी पेशा हो तो उच्च पद्द होगा।
4. ब्रहस्पित शत्रु ग्रहों से पीिड़त ना हो तो सरकारी नौकरी या अच्छे पद्द पे
होगा।
5. बुिधमान, िवधवान, करमकांडी।
6. 22 वषर् के बाद अच्छी सेहत व भाग्या उदय होगा जब खाना नो॰7 ख़ाली
हो।

30
रोिहत शमार्

7. अगर खाना नो॰7 में कोई ग्रह हो तो ब्रहस्पित को जगा हुआ मानेगे। अब
जातक का भाग्या उदय जनम से ही होगा।
8. बाप दादा और बजुगोर् का मान सम्मान होगा और उनकी आयु लम्बी
होगी।
9. छोटी उम्र में ही नाम कमाने वाला।
10. नेक स्वभाव, नेक सलाहकार, इसकी सलाह से िकए गए काम से
िकसी को भी धन या मान हािन नहीं होगी।
11. ब्रहस्पित के साथ या सप्तम भाव में मंगल बैठा होने पर जातक जनम
से धनवान व लम्बी जागीरों का मािलक होगा।
12. िनं दक रक्त िवकार या साँस से उत्पन होने वाले रोग हो सकते है अगर
ब्रहस्पित ख़राब हो रहा हो।
13. िपता के िलए अशुभ, िपता को स्वाश रोग या िपता की मृत्यु दम घुटने
से होती है, ख़ासकर जब अष्टम भाव में राहु हो तो।
14. जवानी में बाल सफ़ेद हो जाना ब्रहस्पित की अशुभ िनशानी होगी।
15. उम्र से पहले बाल सफ़ेद होने के बाद:- बाप, सोना, धन, ऐशो आराम
की कमी महसूस होगी।
16. घर में बहुत कम लोग उच्च िशिक्षत होंगे।

िनशािनयाँ:

1. हर 8 वषर् के बाद कष्ट आयेगा।


2. जातक के सिटर्िफ़केट गुम जायेंगे या जातक ने सम्भाले हुये नहीं होंगे।
3. जातक को या पिरवार में िकसी को िपत्ते या गुदेर् की पथरी होगी।

सावधािनयां:

1. यिद शिन 5 वें घर में िस्थत है, तो घर का िनमार्ण न करें।


2. यिद शिन 9वें भाव में िस्थत है, तो शिन से संबंिधत कोई भी मशीनरी
न खरीदें।
3. यिद शिन 11,12 वें भाव में िस्थत है, तो शराब अंडो का सेवन न करें।
4. बुध के िवशैले प्रभाव को कम करने के िलए नाक में चाँदी पहने।
5. अपने भाग्य पर िवश्वास रखें और कोई भी दान, मदद न लें।

31
तक़दीर की तस्वीर

6. मिहलाओं का सम्मान करें।


7. शुद्ध सोना पहनें।
8. नया काम इस्त्री की सलाह से करे।
9. धूम्रपान ना करना।

मकान कुंडली:

10. जातक को North-East में toilet नही बनाना चािहए।


11. NE में कोई भी कबाड़ नही रखना चािहए।
12. NE िबलकुल साफ़ रखनी चािहए।
13. NE में Cactus या गमले में चोड़े पत्तों वाले पौधे नही लगाने चािहए।
14. NE की दीवार के साथ कोई इलेक्ट्रॉिनक समान या िकसी कुँवारी
कन्या की फ़ोटो नही लगनी चािहए।
15. NE की दीवार पे पीला रंग करवाना चािहए।
16. NE की दीवार पे Gold के फ़्रेम में अपने Certificate या गुरु की
फ़ोटो लगनी चािहए।
17. NE में झाड़ू , कूड़ेदान, Shoes, शीशा, संगीत के यंत्र नही रखने
चािहए।

उपाय:

1. पीला पुखराज धारण करे (ज्योितषी परामशर् उपरांत) ।


2. िमट्टी की कुज्जी में शक्कर भरकर कच्ची ज़मीन में दबायें।
3. मंिदर बनाने हेतु मदद करना जैसे रेता, िसमेंट, बजरी आिद दान करे।
4. मंिदर की हद में पीपल लगाना और उसका ध्यान रखना।
5. केसर का ितलक अपनी नािभ पर लगाएं ।
6. अपने घर की दीवारों को पीले रंग में रंगवाएं ।
7. कुलपुरोिहत का आशीवार्द लेना।

32
रोिहत शमार्

Jupiter in Second House

Ju

जगत का धमर् गुरु,

इल्म व तालीम का मािलक।

कुंडली में दू सरा घर पिरवार, संिचत धन, वाणी और चल संपित्त


आिद के िलए होता है। इस घर में बृहस्पित का स्थान आमतौर पर
अनुकूल माना जाता है। इस घर में बृहस्पित के पिरणामों को जानने
के िलए, कुछ कारकों को ध्यान में रखा जाना चािहए। ऐसा माना
जाता है िक अगर बृहस्पित अपने िकसी भी घर में अकेला है, तो वह
अपने स्वािमत्व वाले घरों के पिरणामों को कम या नष्ट कर देगा।

दू सरे भाव में बृहस्पित का सकारात्मक गुण जातक को अच्छा


िदखने वाला, बुिद्धमान और ज्ञानवान बनाता है। वह मृदुभाषी होंगा।
इस घर में रखे जाने पर बृहस्पित जातक की दीघार्यु होने का भी
संकेत देता है। वह आज्ञाकारी पत्नी और बच्चों के साथ गुरु का भी
आशीष पाएगा। सामाज में उसका सम्मान िकया जाएगा और
सरकारी अिधकािरयों के साथ उसकी अच्छी जान पहचान होगी।
दू सरे भाव में बृहस्पित व्यिक्त को अच्छा लेखक या ज्योितषी बना
सकता है।

अगर बृहस्पित राहु, केतु या शिन जैसे ग्रहों से पीिड़त है, तो


इस घर में बृहस्पित की िनयुिक्त के पिरणाम अच्छे नहीं हो सकते

33
तक़दीर की तस्वीर

हैं। वह िवत्तीय समस्याओं के साथ-साथ शैिक्षक रुकावटों का


सामना कर सकता है। वह स्वाथीर् और आत्म केंिद्रत होगा। उसका
स्वभाव दोस्ताना नहीं होगा। धन की हािन जीवन में िचं ता का कारण
हो सकती है।

िवशेष:

1. यिद जातक ब्रहस्पित के काम करता है, तो शुक्र (पत्नी, धन और


संपित्त) की चीजें नष्ट हो जाएं गी।
2. पत्नी के साथ से तरक्की पाता है।
3. मिहलाओं द्वारा प्रशंसा की जाती है।
4. ससुराल से संपित्त िमलती है या लाभ प्राप्त होता है।

अनुभव:

1. जातक धनवान होगा।


2. ससुराल से अच्छे सम्बंध तरक़्क़ी का रास्ता होंगे।
3. सांसािरक ऐशो आराम के साधन पाने वाला।
4. िमट्टी के कामों से सोना पैदा होगा।
5. जनम समय मंिदर या धमर् स्थान पास होगा तो और भी उत्तम होगा।
6. िवप्पित के समय मंिदर में प्रथना करने से हर कष्ट दू र होता जाएगा।
7. मान इज़्ज़त का स्वामी या िवद्वान होगा।
8. जौहरी, सराफ, पुरोिहत अथवा ससुराल से भागीदारी के कामों से लाभ
पाता है।
9. कुलनाशक एहसान ना मानने वाला।
10. बड़ी बड़ी हाँकने वाला।
11. दुखी, हर समय िचं ता में रहने वाला।
12. अगर कोई भी ग्रह 12वे भाव में हो बच्चों और दौलत के सम्बंध में दुखी
रहता है।
13. स्वास्थ कमज़ोर ससुराल के साथ ना बन पाना।

34
रोिहत शमार्

िनशािनयाँ:

1. घर के बाहर सड़क टू टी होगी या गटर का ढक्कन होगा।


2. घर की दीवारें रंग िबरंगी या पापिड़याँ उतरी हुई होंगी।
3. गुरु गंटाल – योग के बाद भोग या भोग के बाद योग करने वाला।

सावधािनयां:

1. हमेशा दू सरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चािहए।


2. मेहमानों का सम्मान करना चािहए और उनकी अच्छी देखभाल करनी
चािहए।
3. घर के सामने कीचड़ से भरे हुए सभी गड्ढों और िछद्रों को भर देना
चािहए।
4. अपने घर में हमेशा कच्चा िहस्सा रखना चािहए।
5. केसर और हल्दी का ितलक लगाना भी आपके िलए लाभदायक
होगा।
6. शुद्ध सोना पहनना आपके िलए फायदेमंद रहेगा।
7. अपने घर की दीवारों को पीले रंग में रंगना चािहए।
8. िद

मकान कुंडली:

1. North-West में अँधेरा कर के नही रखना चािहए।


2. NW में िजतना प्रकाश और खुली हवा होगी उतना उत्तम होगा।
3. NW में तुलसी, मनी प्लांट, बतर्न धोने वाला िसं क, वॉश्बेिसन ना
बनाए।
4. NW में सोफ़ा, Invertor, वॉिशं ग मशीन ना रखे।
5. Shaving का सामान, डीओ, पफ़्यूम र् , मेकप का सामान ना रखे।
6. पीले कपड़े में चने की दाल लपेट कर NW में रखे।
7. अगर सम्भव हो सके तो NW में Study Room का िनमार्ण करे।

35
तक़दीर की तस्वीर

उपाय:

1. लगातार 40 िदन मंिदर जाना और केसर का ितलक करना।


2. मंिदर के पुजारी को पीले कपड़े में लपेट कर चना दाल दान करें।
3. साँप को दू ध िपलाना भी आपके िलए लाभदायक िसद्ध होगा।
4. सोने में ब्राज़ील का पुखराज धारण करना।
5. गले में सोने की चैन और शुध सोने का चौरस टु कड़ा पहनना।

36
Work in Progress

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