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तक़दीर की तस्वीर
ii
“मैं शायर नही तो ना सही उसको रहता है तो ये भ्रम रहने दे,
SHARMA PUBLISHER
Melbourne, Australia
Copyright © 2020 by Er. Rohit Sharma
Sharma Publishers
Cranbourne North,
Melbourne VIC 3805
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(लाल िकताब)
ABOUT THE AUTHOR
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पहले ज्योितषी सलाह अवश्या लेनी चािहये। कोई भी उपाय को करने
से पहले आप िकसी ज्योितषी से सलाह मशवरा ले कर ही करे।
नहीं। कुछ लोग िनशािनयों को बेिटं ग भी कहते है। ऐसी बेिटं ग करके
कुछ ज्योितषी ख़ुद को सूपस्टार्र समझने लगते है। िनशािनयों या
बेिटं ग से कोई ज्योितषी महान नहीं बनता बािलिक िवषय को गहराई
में समझने से ही सफलता प्राप्त होती है।अत मेरी आप सब से
गुज़ािरश है के आप लोग िनशािनयों पे जेयादा ज़ोर ना दे।
संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो बीमार नहीं होता। ठीक उसी
प्रकार संसार में कोई भी ऐसा नहीं है िजसको मुिश्कलों और
परेशािनयों का सामना नहीं करना पड़ता। बीमार होने पे जैसे हम दवा
लेते है ठीक उसी प्रकार मुिश्कलों और परेशािनयों के वक़्त उपाय द्वारा
हम ख़ुद को ठीक रख सकते है। या यू कहे के इसको पड़ने के बाद
हम समझ सकते है के आम िज़ं दगी में िकस प्रकार के बदलाव लाकर
हम सुखी और ख़ुशाल जीवन वयोतीत कर सकते हैं।
अंत में यही कहना चाहूँ गा के िकसी भी बात को िबना सोचे समझे
पड़कर वहम कर लेना हािनकारक होगा। हर इं सान की जनम कुंडली
के साथ साथ उसकी कमर् कुंडली भी होती है और अपनी कमर् कुंडली
को अच्छा और तंदरुस्त बना के रखना ही हमें परेशािनयों और
मुिश्कलों से बचाता रहेगा।
- रो#हत शमा*
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रास्ते धुँधले भी हो तो कोई फ़क़र् नही,
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- रो#हत शमा*
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Introduction
कमर् की गठरी लाद के, जग में िफरे इं सान।
अगर हम देखे तो िजस प्रकार से जीव बदल रहे है ठीक उसी प्रकार
से उन जीवों की िकरयाएँ भी बदल रही है और अिधक जिटल होती
जा रही है। अब इं सान की ही बात करे, वो इं सान या तो वहाँ से भाग
कर िसफ़र् अपनी िज़ं दगी बचा सकता है, या बकरी को खोलने के
बाद भाग सकता है, या आग को बुझाने का प्रेयास कर सकता है या
कुछ और। यानी के उसके कमर् कुछ हद तक क़ुदरती कमोर्ं से अलग
है और उसकी ख़ुद की सोच से प्रभािवत है। अगर वो क़ुदरती कमोर्ं से
अलग कमर् करता है तो िनिश्चत तोर पे उसे उन कमोर्ं का फल भी
िमलेगा।
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Newton ने भी तो कहा है, “To every action there is equal
and opposite reaction”। Newton के इस law की बात करे तो
वो क़ुदरत की हर क़ुदरती चीज़ पे लागू होता है और उसी समय असर
भी करता है। उदाहरण के तोर पे अगर आप rubber की ball को ज़ोर
से दीवार पे मारेंगे तो वो दीवार से टकरा कर उसी समय वािपस
आएगी। परंतु इं सान जब कमर् करता है तो उसके कमोर्ं का फल उसी
समय नही िमलता। िजस प्रकार से इं सान के कमर् जिटल है उसी
प्रकार से इं सान के कमोर्ं का फल भी जिटल है। परंतु स्मरण रहे कमोर्ं
का फल िमलेगा अवश्य।
इं सान क़ुदरती कमर् के अधीन होते हुए भी ख़ुद के कमर् करने में भी
सक्षम है। इसी िलए इं सान का जीवन बाक़ी सबसे अलग, जिटल
और रहस्यमयी है। इं सान ने अहम के अधीन होकर अपने कमोर्ं को
इतना महान मान िलया के क़ुदरती कमोर्ं को िबलकुल ना माना। उसने
अपने बाहुबल और कमोर्ं से रात में भी िदन जैसी रोशनी कर दी।
पहाड़ों के सीने चीर रास्ते बना िदए। रेिगस्तान में भी जंगल बना िदया,
समंदर में नक़ली island बना िदए। यहाँ तक के मैंने सुना के चाइना
आसमा में एक नक़ली चाँद लगाने वाला था िजस से रात के समय भी
पूरनमांशी के चाँद की तरह हमेशा रोशनी रहती। पर वह असफल हो
गया।
है? क्या िक़स्मत को जाना जा सकता है? क्या िकस्मत में सुधार िकया
जा सकता है ? अगर ये सब सम्भव है तो वो कौन है जो ये सब कर
सकता है? क्या वो िवज्ञान है या ख़ुद का ज्ञान? क्या वो डाक्टर है या
ज्योितषी?
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हम लोग शरीिरर् क रोगों के उपचार के िलए डाक्टर के पास तो
जाते है पर िक़स्मत के रोगों के उपचार के िलए ज्योितषी के पास जाने
से िहचिकचाते है। हम अपनी ही संस्कृित को छोड़कर भूलकर िवदेशी
संस्कृित अपनाते है। हम अपने बच्चों को “क” फ़ोर कबूतर कहने के
बजाए “A” फ़ोर ऐपल कहना सबसे पहले िसखाते है। हमें लगता है
िक कबूतर कहने से कही हमारे बच्चे कबूतर बािज़याँ ना करने लग
जाए। परंतु हम भूल जाते है के कबूतर सही मायने में शांित का प्रतीक
है। जब इं सान का मन और िदमाग़ शांत हो तो ही इं सान अच्छा िनणेर्
ले पाता है। हम भूल जाते है के हमारी अपनी संस्कृित में िकतनी अच्छी
अछी बातें िछपी है। हम भूल जाते है के हमारे ऋिष मुिनयों ने हमें
िकतना कुछ िदया है। हमें अपनी संस्कृित को समझने की ज़रूरत है
और ज्योितष भी इसका एक महत्वपूरन अंग है। हम सब को ज्योितष
सीखना चािहए और अपनी िज़ं दगी के िछपे राज़ और तक़दीर को
समझना चािहए।
इं सान जब जन्म लेता है तो अपने साथ बंद हाथों में तक़दीर लेकर
आता है और जब मृत्यु को प्राप्त करता है तो खुले हाथों से िकए कमोर्ं
के फल अपने संग ले जाता है। जन्म लेते ही बच्चा सबसे पहले रोता
है, उस रोने की आवाज़ “आ” शब्द जैसी होती है। हम जब प्रसन्न
होते है तो हँ सते है उस हँ सने की आवाज़ “ह” शब्द जैसी होती है। हम
जब पहला शब्द बोलते है तो वो “म” होता है। कुछ लोग इसे माँ के
साथ जोड़ देते है परंतु मेरे िवचार से ये शब्द “मैं” को दशार्ता है।
अहम में रहने से िदमाग में िभन िभन िवचार आते हैं। वक़्त भी “व” से
और िवचार भी “व” से। अब उसका “अहम” कई बार “वहम” बन
जाता है। ये वहम उसके कमोर्ं में हर फेर करता है और वो और अिधक
दुखी और परेशान होता रहता है।
xxii
वजह से ही वो पात्र हमें छोटा या बड़ा िमला। शायद ये हमारी िक़स्मत
है। या यू कहूँ िक हमारे कमर् ही हमारी िक़स्मत का पात्र तय करते है।
- रो#हत शमा*
xxiv
1. JUPITER
तक़दीर की तस्वीर
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रोिहत शमार्
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रोिहत शमार्
Ju
फलादे श:
प्रथम भाव में ब्रहस्पित जातक को अमीर बनाता है। िशक्षा भले
ही कम हो िफर भी पड़ें िलखों का बाप होगा। जातक स्वस्थ रहेगा
और दुश्मनों से कभी नहीं डरेगा। यिद 7 वां भाव ख़ाली तो िववाह के
बाद सफलता और समृिद्ध आएगी। 8 वें भाव में राहु हो तो िदल का
दौरा या अस्थमा िपता की मृत्यु का कारण बनता ह।
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तक़दीर की तस्वीर
िवशेष:
अनुभव:
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रोिहत शमार्
7. अगर खाना नो॰7 में कोई ग्रह हो तो ब्रहस्पित को जगा हुआ मानेगे। अब
जातक का भाग्या उदय जनम से ही होगा।
8. बाप दादा और बजुगोर् का मान सम्मान होगा और उनकी आयु लम्बी
होगी।
9. छोटी उम्र में ही नाम कमाने वाला।
10. नेक स्वभाव, नेक सलाहकार, इसकी सलाह से िकए गए काम से
िकसी को भी धन या मान हािन नहीं होगी।
11. ब्रहस्पित के साथ या सप्तम भाव में मंगल बैठा होने पर जातक जनम
से धनवान व लम्बी जागीरों का मािलक होगा।
12. िनं दक रक्त िवकार या साँस से उत्पन होने वाले रोग हो सकते है अगर
ब्रहस्पित ख़राब हो रहा हो।
13. िपता के िलए अशुभ, िपता को स्वाश रोग या िपता की मृत्यु दम घुटने
से होती है, ख़ासकर जब अष्टम भाव में राहु हो तो।
14. जवानी में बाल सफ़ेद हो जाना ब्रहस्पित की अशुभ िनशानी होगी।
15. उम्र से पहले बाल सफ़ेद होने के बाद:- बाप, सोना, धन, ऐशो आराम
की कमी महसूस होगी।
16. घर में बहुत कम लोग उच्च िशिक्षत होंगे।
िनशािनयाँ:
सावधािनयां:
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मकान कुंडली:
उपाय:
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Ju
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िवशेष:
अनुभव:
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िनशािनयाँ:
सावधािनयां:
मकान कुंडली:
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तक़दीर की तस्वीर
उपाय:
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Work in Progress
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