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जीवनी हज़रत हाजी मलंग कल्याण और हज़रत हाजी अली मुंबई

हजरत हाजी अली मुंबई का मकबरा

द्वारा अनुवाद किया गया

हफीज अनवर

है दराबाद, भारत

ईमेल: hafeezanwar@yahoo.com
2

द्वारा प्रकाशित

© हफीज अनवर

पहली बार प्रकाशित १४४१/२०२०

सभी अधिकार सुरक्षित। प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना इस


प्रकाशन के किसी भी भाग का पुनरुत्पादन या भंडारण किसी पुनर्प्राप्ति
प्रणाली में या किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से, इलेक्ट्रॉनिक
या अन्यथा प्रसारित नहीं किया जा सकता है ।
3

अंतर्वस्तु

0.प्रस्तावना …………………………………..
……………………………….04
4

1.लेखक का परिचय……………………………..
………………………….05

2. हज़रत बावा हाजी मलंग कलियां की जीवनी ………….……… 37

3.हज़रत हाजी अली मंब


ु ई की जीवनी
……………………………….52

श्लोक फतेहा (उद्घाटन)

तेरी स्तति
ु कठिन है और सबमें छिपी है तेरी खबि
ू यां

आप वहां सब में दिखाई दे रहे हैं और आप वहां हर चीज में हैं

हर कण के लिए, आप शुरू से अंत तक बने हैं

आप इस दनि
ु या और दस
ू री दनि
ु या में नहीं सभी के पालनकर्ता हैं

आप संसार के स्वामी हैं और आप संसार के क्षमा करने वाले हैं


5

आप सभी के प्रति दयालु हैं और सभी व्यक्तियों पर आपकी कृपा है

जो पवित्र हैं तो आप ऐसे व्यक्तियों पर दया करते हैं

उन सब पर आपकी विशेष कृपा और कृपा है

आप मालिक हैं, हर कोई फैसले के दिन कर्मों का निपटारा करता है

आपके हाथ में एक दं ड और एक पुरस्कार है और आप मालिक हैं

हमारी सारी पूजा आपके लिए है , हे दो लोकों के भगवान

सभी गुलाम मूल से आपके हैं, चाहे वह बड़ा हो या छोटा

हमारी सभी ज़रूरतों के लिए आप ज़रूरी हैं और आपका व्यक्तित्व


दयालु है

आप उन सभी को दे ते हैं जो आपको बुलाते हैं आप सभी के लिए एक


दयालु सहायक हैं

हमें अभी ऐसे सही रास्ते पर चलाओ, किस रास्ते पर चले गए

आपकी कृपा से और सभी वास्तव में ऐसे ही मार्ग पर चले गए

लेकिन ऐसा कोई रास्ता कभी नहीं होगा, जिसे आप नज़रअंदाज़ कर दें

आपके बहुत गस्


ु से के कारण इस तरह से किसने खोया और गम
ु राह
किया
6

यह आपके दास की प्रार्थना है और आपके निम्नतम की प्रार्थना है

हफीज की नमाज़ को इस तरह स्वीकार करो कि तम


ु दो दनि
ु याओं के
मालिक हो
-------------------------------------------------- -----------------------

द्वारा अनुवाद किया गया

हफीज अनवर

ईमेल: hafeezanwar@yahoo.com,

है दराबाद, भारत

लेखक का परिचय

मेरा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

दावा आईडी: २८७२३०

सदस्यता संख्या: २५२९५६


7

प्रिय श्री मोहम्मद अब्दल


ु हफीज,

'दो एपिसोड के अनुवाद का विश्व रिकॉर्ड' के लिए अपने हालिया


रिकॉर्ड प्रस्ताव का विवरण हमें भेजने के लिए धन्यवाद

हम यह कहने से डरते हैं कि हम इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में


स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

दो एपिसोड का विवरण

कर्णी की ओवैसी।

टीपू सुल्तान।

दर्भा
ु ग्य से, हमारे पास इस श्रेणी के लिए पहले से ही एक रिकॉर्ड है
और आपने जो हासिल किया है वह इससे बेहतर नहीं है । वर्तमान विश्व
रिकॉर्ड है :

1948 में संयक्


ु त राष्ट्र द्वारा निर्मित मानवाधिकारों की सार्वभौम
घोषणा नामक छह-पष्ृ ठ के दस्तावेज़ का अबखाज़ से ज़ुलु तक 321
भाषाओं और बोलियों में अनुवाद किया गया था।

हम जानते हैं कि यह आपके लिए निराशाजनक होगा। हालांकि, हमने


विशिष्ट विषय क्षेत्र और समग्र रूप से रिकॉर्ड के संदर्भ में आपके
8

आवेदन पर ध्यान से विचार किया है और यह हमारा निर्णय है । गिनीज


वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के पास पर्ण
ू विवेक है कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के
आवेदन स्वीकार किए जाते हैं और हमारा निर्णय अंतिम होता है ।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अपने विवेक से और किसी भी कारण से कुछ
रिकॉर्ड की पहचान कर सकता है क्योंकि या तो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
द्वारा निगरानी नहीं की जाती है या अब व्यवहार्य नहीं है ।

चूंकि आपका रिकॉर्ड आवेदन स्वीकार नहीं किया गया है , गिनीज


वर्ल्ड रिकॉर्ड्स किसी भी तरह से आपके रिकॉर्ड प्रस्ताव से संबंधित
गतिविधि से जड़
ु ा नहीं है और हम किसी भी तरह से इस गतिविधि का
समर्थन नहीं करते हैं। यदि आप इस गतिविधि के साथ आगे बढ़ना
चुनते हैं तो यह आपकी अपनी इच्छा से और आपके अपने जोखिम पर
होगा।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में आपकी रुचि के लिए एक बार फिर धन्यवाद।

सादर,
9

राल्फ हन्नाह

रिकॉर्ड प्रबंधन टीम


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Publication note for the second episode by David


Rosnenbaum of the New York times
10

इफ्तेखारी सिलसिला द्वारा लेखक के काम की सराहना


11

यह नोट लेखक द्वारा नीचे दी गई पुस्तक के अनुवाद के काम के लिए


इफ्तेखारी सिलसिला की सराहना के रूप में दिखाता है और

इस पस्
ु तक 'मस्लि
ु म संतों और मनीषियों' (फरीद अल-दीन अत्तर
द्वारा तदकीर्तल अलियाह) को जोड़ना जो कि बहुत है

पश्चिमी दनि
ु या में अंग्रेजी जानने वाले व्यक्तियों और उनकी वेबसाइट
पर प्रसिद्ध है ।

लिंक इस प्रकार है , जो पुस्तक में लेखक का नाम मोहम्मद अब्दल



हफीज आरए के रूप में अपनी वेबसाइट पर दिखा रहा है । इसका लिंक
इस प्रकार है

www.silsilaeiftekhari.in/SufiBooks/140/Mohammed%20Abdul
%20Hafeez%20R.A/Tazkara-tul-Aulia%20(Memories%20of
%20the%20Saints).aspx

यह इफ्तेखारी सिलसिला की आधिकारिक साइट है । ... मोहम्मद


अब्दल
ु हफीज आरए; सीरत फकर-उल-अरीफीन मौलाना हकीम
सैय्यद सिकंदर शाह आर.ए.; स्वानेह-ए-मौलाना रूम शेख शिबली
नोमानी आरए; सफ
ू ी

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12

हफीज अन्वे के बारे में imes रिपोर्टर श्री डेविड


ई। रोसेनबाम को पीटा गया, लूट लिया गया और उनकी मौत के
लिए भेज दिया गया

6 जनवरी 2006 की शक्र ं टन में ,


ु वार की रात को नॉर्थवेस्ट वाशिग
जब न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर मिस्टर डेविड ई. रोसेनबाम को
पीटा गया, लूट लिया गया और उनकी मौत के लिए भेज दिया
गया। लेकिन किताब के इतिहास में तदकीरत अल-औलिया
(मुस्लिम संत और रहस्यवादी) का नाम

श्री डेविड ई. रोसेनबौम को हमेशा याद किया जाएगा क्योंकि


उन्होंने उपरोक्त लेख को निम्नलिखित विवरणों के साथ विशेष
नोट के साथ प्रकाशित किया था। 1. फरीद अल-दीन अत्तर के
जीवन के बारे में कुछ विवरण। 2. फरीद अल-दीन अत्तर द्वारा
किए गए कार्यों का विवरण। 3. उन्होंने उपरोक्त पुस्तक से
अनुवादक (मोहम्मद अब्दल
ु हफीज बी.कॉम) और दस
ू रे मुख्य
अध्याय ओवैस ऑफ कर्नी के अनव
ु ाद के अपने काम का भी
13

परिचय दिया। उपरोक्त दस


ू रा एपिसोड फरीद अल-दीन अत्तर
द्वारा तधकिरत अल-औलिया (मस्लि
ु म संतों और मनीषियों) से
है ।
-------------------------------------------------- -----------------------

मेरे कुछ काम

मेरे कुछ अंग्रेजी अनुवाद कार्यों में निम्नलिखित पुस्तकें शामिल


हैं।

1. तड़कीर्तल औलिया (मुस्लिम संत और रहस्यवादी) - ए.एस.


नूरदीन मलेशिया।

2. है दराबाद के मस्लि
ु म संत Muslim

3.गल
ु ज़ार औलिया

4.कशफ-उल-असरार

5.बहार-ए-रहमत।

8. हस्त बहिस्ते

9.200 बच्चे किताबें kid


14

10.मदीना शहर के १०० नाम

11. बीदर के मस्लि


ु म संत

12. बीजापरु के मस्लि


ु म संत

14.तधकीर्तल औलिया (मुस्लिम संत और रहस्यवादी)

15. हज़रत सैयद शाह गुलाम अफजल बियाबानी की जीवनी

16. खैर मजालिस

17. हजरत खाजा उस्मान हारून की जीवनी

18. हजरत बाबा ताजद्द


ु ीन नागपरु की जीवनी

19. अनीस अरवा हज़रत खाजा मोइनद्द


ु ीन चिश्ती द्वारा

20. पैगंबर मोहम्मद की जीवनी (शांति उस पर हो)

21. हजरत मशूक रब्बानी वारं गल की जीवनी

22. हजरत शाह शाह अफजल बियाबानी की जीवनी

23. हज़रत सैयद शाह सावर बियाबानी की जीवनी

24. वारं गल के मस्लि


ु म संत

25.चेन्नई के मस्लि
ु म संत

26. औरं गाबाद के मुस्लिम संत


15

27.हस्त बहिस्ट (8 प्रसिद्ध चिश्तिया सूफी आदे श पुस्तकें)

28. शेख अब्दल


ु कादर जिलानी की जीवनी

29.शाह बू अली कलंदरी

30.शाह बाज कलंदर

31.हज़रत बहाउद्दीन ज़िकेरिया मुल्तानी

32. शाह मोहम्मद ग़ौस ग्वालियर की जीवनी

मेरी किताब के लिए एक विज्ञापन


16

मुस्लिम संत और रहस्यवादी'

तधकिरातो के एपिसोड

फरीद अल-दीन अत्तारी के अल-अवलिया

यह पहले ही जारी हो चक
ु ा है और इसका विक्रय मल्
ू य आरएम
35.00 प्रति प्रति है और जिसे नीचे दिए गए पते से सीधे
मलेशिया से प्राप्त किया जा सकता है ।
17

द्वारा प्रकाशित

जैसा। नरू दीन

पी.ओ.बॉक्स 42-गोम्बक,

53800 कुआलालंपुर

दरू भाष: 03-40236003

फैक्स 03-40213675

ई-मेल: asnoordeen@yahoo.com
-------------------------------------------------- ----------------------------

मेरी दस
ू री किताब के लिए एक विज्ञापन

मस्लि
ु म संत और रहस्यवादी'

तधकिरातो के एपिसोड

फरीद अल-दीन अत्तारी के अल-अवलिया

(पूरक संस्करण)
18

यह पुस्तक वर्ष 2014 के दौरान अमेज़ॅन बक्


ु स यू.एस.ए.
द्वारा पहले ही जारी की जा चुकी है और इसकी बिक्री मूल्य
प्रति कॉपी USD 5.00 है और जिसे सीधे नीचे दिए गए पते से
प्राप्त किया जा सकता है ।

इस किताब में फरीद अल-दीन अत्तार के तीन लंबे


एपिसोड

पुस्तक 'मुस्लिम संतों और रहस्यवादियों' को जोड़ा जाता है और


जिसमें शेख अबुल हसन करकानी के बारे में विश्व प्रसिद्ध
प्रकरण उपलब्ध है और यह आम जनता और संतों और
रहस्यवाद के ज्ञान के अन्य विद्वान व्यक्तियों को सचि
ू त किया
जाता है कि शेख अबल
ु हसन करकानी की जीवनी विवरण इस
पस्
ु तक की इस कड़ी को छोड़कर नहीं पाए जाते हैं। पता इस
प्रकार दिया गया है जिससे यह पुस्तक सीधे प्राप्त की जा
सकती है ।

अमेजन डॉट कॉम


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19

मेरी तीन कविताएं

कृपया मेरी तीन कविताएँ खोजें जो इस प्रकार हैं और ये मेरे


कॉलेज के दिनों से प्रसिद्ध और प्रसिद्ध हैं और जो पहले ही ए.य.ू
में प्रकाशित हो चक
ु ी हैं। है दराबाद की कॉलेज पत्रिका और अब
मैंने इन कविताओं को इस पस्
ु तक में जोड़ा है ।

1. ताजमहल

रात के अँधेरे में

मैंने गोरे के मकबरे का दौरा किया

शानदार चांदनी में पूर्ण सुंदर

शाहजहाँ का प्यार और मुमताज की खूबसूरती

आज के प्यार और गरीबी का मजाक बनाना

सुंदरता की भावनाओं के बिना कोई नहीं छोड़ता


20

ताजमहल की महिमा दे खने के बाद

ताज याद दिला रहा था प्यार का फर्ज

और राजा की प्रेम की शक्ति दिखा रहा है

कलह के अँधेरे में आज भी

ताज प्रेम और जीवन का पाठ पढ़ा रहा है ।

द्वारा

मोहम्मद अब्दल
ु हफीज, बी.कॉम.
-------------------------------------------------- -----

2. तेरी याद में

यादों की खश
ु बू लेकर आया उनका मौत का दिन day

जिसने हमारी सबसे दख


ु द यादों की गहराई को हिला दिया

यहाँ तक कि मौसमी परिवर्तन और अन्य सांसारिक मामले भी

उसकी सबसे दख
ु द प्यार भरी यादों को कम नहीं कर सका
21

सबसे दख
ु द दःु ख के कारण, हमारी आत्माएं टूट जाती हैं

हम सांसारिक हारे हुए हैं और हमारे दिल टूट गए हैं

ओह: उसकी सबसे परु ानी यादें जो आपको नहीं मरनी चाहिए

दनि
ु या के उद्धार को कवर करने के लिए हमारा मार्गदर्शन करें

ओह: स्वर्गीय भगवान इस आत्मा की दे खभाल करते हैं

जिसने कभी किसी सांसारिक सुख-शांति का सामना नहीं किया।

द्वारा

मोहम्मद अब्दल
ु हफीज, बी.कॉम.
-------------------------------------------------- ----

3. मंद लौ

जब उसके जीवन की लौ बझ
ु ने वाली थी

हम में से कोई नहीं वहाँ अलविदा कहने के लिएतु

यह हमारे पूरे जीवन के लिए कितना दर्दनाक है


22

कि हम उसे मत्ृ यु के समय नहीं दे ख सकते

हर इंसान की मौत निश्चित है

लेकिन उसकी अजीब मौत कैसे सच हुई?

उसके प्यारे रिश्तेदार उससे दरू थे

और वे अंतिम दर्शन के लिए नहीं पहुँच सकते

हमें स्वर्गीय प्रभु में विश्वास करना चाहिए

हमारी विशाल और महान मानव भूमि को किसने बनाया

ज़रूर, उसने कब्र में स्थान हासिल कर लिया है

तो, हमें चिंता नहीं करनी चाहिए कि अल्लाह जाना जाता है

द्वारा

मोहम्मद अब्दल
ु हफीज, बी.कॉम.
===============================

लेखक काजीपेट कब्रिस्तान में बहुत रोया


23

लेखक ने विदे श की अपनी सेवा से लौटने पर कई वर्षों के अंतराल


के बाद काजीपेट का दौरा किया, हाल ही में मई 2014 के महीने में
काजीपेट में अपने दादा और दादी की कब्र का दौरा किया।

जब वह अपने दादा की कब्र पर गए, जो एक बड़े नीम के पेड़ के


नीचे है और उसका शेड कब्रिस्तान के बड़े क्षेत्रों में फैला हुआ है और मेरी
दादी की कब्र मेरे दादा की कब्र के बगल में स्थित है । दोनों कब्रों का
रखरखाव अच्छी तरह से किया जाता है इसलिए वे अच्छी स्थिति में
उपलब्ध हैं।

चंकि
ू दोनों कब्रें बड़े परु ाने नीम के पेड़ के नीचे हैं, इसलिए वहां बहुत
छाया है , साथ ही इतना ठं डा और शांतिपूर्ण वातावरण और आराम भी
उपलब्ध है । तो कब्रिस्तान में व्याप्त नीम के पेड़ की शाखाओं की
शीतलता के कारण वहां बहुत शांति और आराम का माहौल मिलता है ।
इसी कारण यहाँ शीतलता और शान्ति का वातावरण रहता है और इसी
कारण लेखक के मन में यह विचार उत्पन्न होगा कि वे दोनों शान्ति की
स्थिति में रह रहे हैं।

हालाँकि, लेखक वहाँ बहुत रोया क्योंकि उनके दादा जो कई वर्षों


तक काजीपेट के दरगाह के प्रशासक थे और उनकी दादी जो कई वर्षों
तक काजीपेट गाँव में रहती थीं और उन्होंने वहाँ कई प्रयास किए और
उन्होंने वहाँ अब कई जरूरतमंद महिलाओं और बच्चों की मदद की।
24

उन दोनों को काजीपेट तीर्थ के कब्रिस्तान में दफनाया गया है और


उनके वंश से उन्हें दे खने के लिए गांव में कोई नहीं है , लेकिन कई
अज्ञात आगंतक
ु वहां उनकी कब्रों का दौरा कर रहे हैं और लेखक ने
व्यक्तिगत रूप से उन कब्रों पर कई फूल दे खे हैं जो उन लोगों द्वारा
रखे गए थे। अज्ञात व्यक्तियों।
-------------------------------------------------- ---------------------------

लेखक के परिवार के सदस्यों का काजीपेट से संबंध

जब मेरे दादा शेख दादन दस


ू रे स्थान से अपने स्थानान्तरण पर
काजीपेट पहुंचे और वे हजरत सैयद शाह सरवर बियाबानी रदी अल्लाहू
अन्हु के उत्तराधिकारी और महान सफ
ू ी गरु
ु हजरत सैयद शाह
अफजल बियाबानी के पत्र
ु की अवधि के दौरान काजीपेट में सफ
ू ी केंद्र
की शिक्षाओं से आकर्षित हुए। रदी अल्लाहु अन्हु। जब मेरे दादाजी
उनके शिष्य बने और उन्होंने तुरंत निम्नलिखित चीजें छोड़ दीं।

1. उसने पुलिस विभाग में अपनी बेहतर नौकरी छोड़ दी। 2. उसने
अपना मूल स्थान मेडक छोड़ दिया। 3. उसने अपना बड़ा घर मेडक में
छोड़ा।
25

हजरत सैयद शाह गुलाम बियाबानी रदी अल्लाहु अन्हु की


मेहरबानी और मेहरबानी से मेरे दादाजी को दरगाह शरीफ के एस्टे ट
प्रशासक की नौकरी और काजीपेट गांव के केंद्र से 1000 गज जमीन का
एक भूखंड मिला था। इस भूखंड पर मेरे दादाजी ने 500 गज की दरू ी पर
एक बड़ा घर (गुलशन मंजिल) और 500 गज में एक बड़ा बगीचा बनाया
था।

जैव, लेखक के लिंक

मेरा नाम मोहम्मद अब्दल


ु हफीज है और मैंने उस्मानिया
विश्वविद्यालय, है दराबाद, भारत से वाणिज्य में स्नातक किया है । मैं
इस्लामी किताबों का अनुवादक हूं और सूफी किताबों में दिलचस्पी
रखता हूं और वर्ष 2009 में फरीद अल दीन अत्तर की प्रसिद्ध सूफी
किताब 'तड़कीराताल औलिया' के 58 अध्यायों का उर्दू से अंग्रेजी में
अनुवाद किया है और किताब के कुछ अध्याय नीचे प्रकाशित किए गए
हैं। वेब साइट और अल्लाह की कृपा और मदद के कारण इतनी सारी
26

वेब साइटों पर बड़ी संख्या में इसके पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल
रही है ।

पस्
ु तक 'मस्लि
ु म सेंट्स एंड मिस्टिक्स' पहले ही एएस नरू दीन
मलेशिया द्वारा प्रकाशित की गई थी और इस पुस्तक में वर्ष 2013 में
55 एपिसोड उपलब्ध हैं और एक अन्य पुस्तक मुस्लिम सेंट्स एंड
मिस्टिक्स भी किंडल, अमेज़ॅन यूएसए द्वारा प्रकाशित की गई है , और
इस पुस्तक में लंबे तीन एपिसोड उपलब्ध हैं। वर्ष 2014 में ।

मैं एक सेवानिवत्ृ त सचिव हूं और सउदी में एक खाड़ी दे श में काम


करता हूं

अरब कई वर्षों से और उनका एक बेटा है और उसका नाम मोहम्मद


अब्दल
ु वसी रब्बानी है , जो सेंट डोमिनिक स्कूल सलीमनगर कॉलोनी
है दराबाद और के.बी.एन. में पढ़ रहा था। इंजीनियरिंग कॉलेज गुलबर्गा
और वह एक आईटी इंजीनियर हैं और विदे श में काम कर रहे हैं। हमारे
चार छोटे पोते-पोतियां हैं और उनके नाम इस प्रकार हैं और उनमें से
शहज़ान बहुत होशियार लड़का है और मेरी पत्नी का नाम आथर
फातिमा है और मेरी बहू का नाम जूही यास्मीन है और उसकी शिक्षा
सेंट डोमिनिक स्कूल सलीमनगर कॉलोनी है दराबाद में हुई थी, वाणी
गर्ल्स कॉलेज और मदीना गर्ल्स कॉलेज इन शिक्षण संस्थानों की
27

असाधारण और मेधावी छात्रा के रूप में ।1. मोहम्मद सुलेमान 2.


मोहम्मद उस्मान 3. मोहम्मद शहजान 4. सहरीश फातिमा

मझ
ु े सफ
ू ी कृतियों का अनव
ु ाद करना अच्छा लगता है और मेरा
अनुवादित पहला एपिसोड न्यूयॉर्क टाइम्स के मिस्टर डेविड रोसेनबौम
के निम्नलिखित प्रकाशन नोट के साथ उपलब्ध है , जो ऊपर
उल्लिखित प्रसिद्ध यू.एस.ए. वेबसाइट पर उपलब्ध है ।इ।

काजीपेट जागीर में मेरे पिता, मोहम्मद अफजल और मेरे भाई


मोहम्मद अब्दस
ु समद और मैं मोहम्मद अब्दल
ु हफीज और मेरी बहन
मेहर यनि
ू सा का जन्म हुआ था। काजीपेट में मेरे पिता ने श्री अब्दल

मजीद की बेटी अख्तर बेगम से शादी की

बीदर जिला जो उस समय शिक्षा विभाग में शिक्षा अधिकारी के पद


पर कार्यरत थे। काजीपेट दरगाह शरीफ में कई वर्षों की सेवा के बाद
बहुत प्रसिद्धि और अच्छे नाम के साथ, मेरे दादा का निधन हो गया और
उनकी मत्ृ यु पर, हमारा बड़ा घर वीरान हो गया क्योंकि हमारे परिवार
के सभी सदस्य है दराबाद और कुछ अन्य स्थानों पर चले गए, लेकिन
मेरे दादाजी माँ अपनी दासी के साथ बड़े अकेले घर में रहती थी क्योंकि
वह कभी भी अपने महान सूफी गुरु की जगह छोड़ने के बारे में नहीं
सोचती थी। वहाँ कई वर्षों तक रहने के बाद, जब वह अपने पैर के
फ्रैक्चर के कारण बीमार हो गई, तो उसे है दराबाद स्थानांतरित कर
28

दिया गया था, लेकिन उसकी मत्ृ यु पर काजीपेट में महान सूफी केंद्र के
लिए उसके महान प्रेम के कारण, हम उसके शव को है दराबाद से
काजीपेट ले गए थे। और उसे उसके मर्शि
ु द (आध्यात्मिक गरु
ु ) सैयद
शाह सरवर बियाबानी की कब्र के पीछे दफनाया गया था। (आर.ए.)

1986 के दौरान मैंने अपने परिवार के सदस्यों को है दराबाद से


काजीपेट जागीर में बसाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन मैं इस
मामले में सफल नहीं हुआ क्योंकि मेरे बेटे (मोहम्मद अब्दल
ु वसी
रब्बानी) का सेंट गेब्रियल स्कूल फातिमा नगर में प्रवेश के लिए
आवेदन स्वीकार नहीं किया गया था। दे र से प्रस्तत
ु करने के कारण।
हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ है दराबाद में रह रहे हैं, लेकिन हम
हजरत सैयद शाह अफजल बियाबानी आरए और हजरत सैयद शाह
सरवर बियाबानी आरए की पवित्र दरगाह के दर्शन करने का कोई मौका
नहीं छोड़ते हैं। काजीपेट जागीर में नियमित रूप से।
-------------------------------------------------- --------------------------

काजीपेट तीर्थस्थल पर मेरे दादाजी की सेवा के दौरान चोरी की एक


घटना event

सैयद शाह गुलाम अफजल बियाबानी के काल में यह घटना घट रही


थी। उस समय नोबन खाना (जिस स्थान से ढोल की थाप से समय की
29

घोषणा की जाती है ) के कर्मचारियों के वेतन के रूप में पचास रुपये का


अनद
ु ान था, जिसमें कुछ कर्मचारी सदस्य वहां काम करते थे और
इसकी अध्यक्षता करते थे। पर्यवेक्षक। है दराबाद के महामहिम निज़ाम
की सरकार द्वारा, हर महीने शाही अनुदान होता था जिसका उपयोग
सरकारी खजाने से पर्यवेक्षक के माध्यम से काजीपेट मंदिर के संरक्षक
तक पहुंचने के लिए किया जाता था। वहां से यह संपदा के प्रशासक के
पास पहुंचग
े ा और जिसका उपयोग सभी संबंधित कर्मचारियों को वेतन
की राशि वितरित करने के लिए किया जाएगा।

तफ
ु जल हुसैन के संदर्भ के अनस
ु ार एक महीने के नोबत खाना के
पर्यवेक्षक को रॉयल कोषागार कार्यालय से वेतन के रूप में पचास रुपये
की राशि प्राप्त हुई और वह है दराबाद भाग गया। लेकिन धर्मस्थल की
इमारत में , कर्मचारी उससे वेतन प्राप्त करने की प्रतीक्षा कर रहे थे और
अंत में , वे यह जान पाए कि पर्यवेक्षक काजीपेट से भाग गया था और
वह है दराबाद पहुंच गया था।

उस समय काजीपेट की दरगाह के संरक्षक है दराबाद में थे। तो


एस्टे ट प्रशासक शेख दादन, जो इस पुस्तक के अनुवादक के दादा थे,
को इस मामले का विवरण तुफज़ल हुसैन के वकील को बताया गया था
और इस घटना का उल्लेख सैयद खाजा सादात हुसैन बियाबानी ने
अपनी उर्दू पुस्तक 'लेमत बियाबानी' में किया था। हजरत सैयद शाह
30

गुलाम अफजल बियाबानी की जीवनी के शीर्षक के साथ मेरे द्वारा


पहले ही अनव
ु ादित किया जा चक
ु ा है और अमेज़ॅन डॉट कॉम पर
पेपरबैक और इलेक्ट्रॉनिक पस्
ु तक प्रारूपों में पोस्ट किया गया है ) और
उन्हें इस घटना के विवरण का उल्लेख उनके पेज 110-111 पर किया
गया था। और उनसे पुलिस विभाग के सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई
करने का अनुरोध किया गया था। अपने जवाब में तुफजल हुसैन के
वकील ने उन्हें लिखा कि चूंकि दरगाह के संरक्षक है दराबाद में मौजूद हैं
और अगर हम उनके खिलाफ कार्रवाई शरू
ु करते हैं, तो दयालत
ु ा के
कारण अगर अपराधी को माफ कर दिया जाएगा तो इस मामले में यह
उचित नहीं होगा। उसके खिलाफ मामला शुरू करें । इसलिए बेहतर है
कि पहले धर्मस्थल के संरक्षक से कार्रवाई की मंजूरी ली जाए ताकि इस
मामले में आगे की कार्रवाई करना उचित हो.

मुझे पता चला कि एस्टे ट प्रशासक शेख दादन को पत्र डाक द्वारा
है दराबाद में धर्मस्थल के संरक्षक के अवलोकन के लिए भेजे गए थे।

एस्टे ट प्रशासक शेख दादन जो इस अनव


ु ादक के दादा हैं और जिनकी
स्मति
ृ में इस घटना का विशेष रूप से यू.एस.ए. में अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट
पुस्तकालयों के पाठकों की जानकारी के लिए निम्नलिखित पुस्तक से
अनुवाद किया गया था, विशेष रूप से इन दो वेबसाइटों के पाठकों के
लिए निम्नानुसार है । www.calmeo.com और www.scribd.com
31

इस पर हुआ यह है कि राशि खर्च करने के बाद नोबत खाना के


पर्यवेक्षक संरक्षक को दे खने के लिए पहुंचे और उन्होंने उन्हें इस मामले
में सभी विवरण बताए और उन्होंने उनसे अपनी गलती माफ करने का
अनुरोध किया और उन्होंने इस मामले में जोर से चिल्लाया और वह
उनसे अनुरोध किया कि उन्हें अपने पद पर वापस शामिल होने की
अनुमति दी जाए।

बाद में पता चला कि दरगाह के संरक्षक को तीन दिनों की अवधि के


लिए है दराबाद में उनके आवास पर पर्यवेक्षक रखा गया था। उस अवधि
के दौरान एस्टे ट ए . के पत्रउसके लिए प्रशासक और वकील पहुंच रहे
थे। इस पर उन्हें है दराबाद से काजीपेट तक की यात्रा का खर्च नोबत
खाना के पर्यवेक्षक को दिया गया और उन्हें है दराबाद से काजीपेट भेज
दिया गया और उन्हें एस्टे ट प्रशासक को निर्देश दिया गया जो इस
प्रकार है ।

"कि पर्यवेक्षक को उसकी सेवा में प्रस्तत


ु किया गया और वह अपने बरु े
काम पर शर्मिंदा था इसलिए उसे इस मामले में अपनी गलती माफ कर
दी गई। तो आप भी उसे माफ कर दीजिए और उसे अपने कर्तव्य में
शामिल होने दीजिए। अन्यथा, वह एक गरीब व्यक्ति है जिसके साथ
छोटे बच्चे हैं इसलिए वे आर्थिक रूप से गरीब हो जाएंगे और इस
32

मामले में नष्ट हो जाएंगे। नोबत खाना के स्टाफ सदस्यों के वेतन की


व्यवस्था दस
ू रे फंड से करें ।”

इसलिए कुछ दिनों के बाद, पर्यवेक्षक है दराबाद से काजीपेट वापस


आ रहा था और उसे अपने पद पर शामिल होने की अनुमति दी गई थी,
आदे श के अनुसार काजीपेट के दरगाह के संरक्षक और नोबत खाना के
कर्मचारियों के सदस्यों को अन्य निधि से उनके वेतन का भुगतान
किया गया था। संपत्ति का प्रशासक।
-------------------------------------------------- ---------------------------

(संदर्भ: हजरत गल
ु ाम अफजल बियाबानी की जीवनी के मेरे अनव
ु ादित
अंग्रेजी संस्करण से नीचे की उर्दू किताब से)
-------------------------------------------------- -----------------------

संदर्भ: उर्दू किताब 'लेमत बियाबानी' से

सैयद खाजा सादात हुसैन बियाबानीb

-------------------------------------------------- --------------------------

द्वारा अनुवाद किया गया

मोहम्मद अब्दल
ु हफीज, बी.कॉम.

अनुवादक 'मुस्लिम संत और रहस्यवादी'


33

(फरीद का तदकिरा अल-अवलिया)

-------------------------------------------------- ---------------------------

अंत में मैं इस लेख के पाठकों से अनुरोध करता हूं कि वे हमारी दादी
और दादा के लिए प्रार्थना करें , जिसके लिए लेखक इस मामले में उनकी
मदद और सहयोग के लिए उनके लिए बाध्य होंगे।

मैं अपने दादा और दादी की कब्रों के अज्ञात आगंतुकों के लिए


काजीपेट मंदिर के कब्रिस्तान में उनकी तरह की यात्राओं और कब्रों पर
फूल रखने के लिए भी बाध्य हूं और जिसके लिए मैं इस एहसान और
ध्यान को नहीं भूल सका, इसलिए मैं प्रार्थना करूंगा इस मामले में उन्हें
इस मामले में मेरा हार्दिक धन्यवाद दे ने के लिए।

हे काजीपेट तीर्थ के प्रिय यात्रियों

हफीज अनवर की फरमाइश को न करें नजरअंदाज

सलाम
34

मैं कुछ फूल लगाने और काजीपेट मंदिर में अपने दादा-दादी की कब्र
पर प्रार्थना करने का अनरु ोध करता हूं।

स्थान: तीसरे मकबरे पर और इसके पीछे पर्व


ू दिशा में कुएं की ओर
मख
ु करके और कब्रिस्तान में पहले बड़े नीम के पेड़ में सार्वजनिक
रसोई घर में दो कब्रें हैं और एक पुरानी सफेद स्थायी कब्र है जो दाईं
ओर खड़ी है और दे ख रही है । तीसरा मकबरा और उसके बायीं ओर एक
कब्र क्षेत्र की सीमा पत्थरों को दिखा कर अधूरी स्थिति है और पहली
कब्र मेरे दादाजी की है और दस
ू री कब्र दादी की है ।

मेरा धन्यवाद

मैं अपने वंश की कब्रों के लिए अज्ञात आगंतक


ु ों के लिए प्रार्थना करूंगा

ताकि वे लंबे समय तक जीवित रह सकें और सही इस्लामी रास्ते पर


चल सकें

हफीज इस मामले में आपकी दयालत


ु ा के लिए बहुत बाध्य हैं
35

जो प्रार्थना और फूलों के लिए मेरे दादा-दादी की मदद करता है

मोहम्मद अब्दल
ु हफीज, बी.कॉम.

अनुवादक 'मुस्लिम संत और रहस्यवादी'

(फरीद का तदकिरा अल-अवलिया)

-------------------------------------------------- --------------------------

आदरणीय हफीज साहब

वा अलैकुम अस्सलाम,

जजाकल्लाह आपके ईमानदार समय और प्रयासों के लिए यह एक


प्रभावशाली योगदान है वास्तव में , यह एक अच्छा अंग्रेजी अनव
ु ाद है
और हमें अंग्रेजी बोलने वाले लोगों के साथ साझा करने में मदद करे गा।
आपके अनुवाद में कुछ स्थानों को अपडेट करने की आवश्यकता है ।
36

अल्लाह SWT आपको हज़रत सैयद जलालुद्दीन जमालुल बहार मशूक


रब्बानी के आध्यात्मिक समर्थन के साथ आशीर्वाद दे ।

मेरा मानना है कि हमें लगभग 55 साल पहले हज़रत सैयद


औलिया क़ादरी आरए द्वारा किए गए संकलन को बढ़ाना चाहिए--
अन्य ऐतिहासिक पुस्तकें हैं (एपी पुरातत्व और राज्य केंद्रीय
पुस्तकालय और अन्य पुस्तकालयों में उपलब्ध होनी चाहिए। मैं कुछ
किताबें जानता हूं जैसे कि मिश्कत उन नुबुवाह। हजरथ सैयद गुलाम
अली शाह आरए, महबब
ू -जिल-मेनन - तड़किराय औलिया डेक्कन पष्ृ ठ
248 और तवारीकुल औलिया द्वितीय भाग पष्ृ ठ 528 द्वारा।

इंशा अल्लाह, अली पाशा उपर्युक्त पुस्तकों और अन्य स्रोतों से हज़रत


मशूक़ अल्लाह आरए के बारे में जानकारी एकत्र करें गे और हम जल्द
ही एक संशोधित संस्करण प्रिंट करें गे।

एक बार फिर, आपके अनुवाद कार्य के लिए आपको और हमारी हार्दिक


सराहना के लिए धन्यवाद।

वसल्लम।
37

सधन्यवाद,

सैयद जलाल क़ादरी

5873 ई बेवर्ली सर्क ल

हनोवर पार्क आईएल 60133

सेल # 847-436-8535

माँ की प्यारी याद में memory

माँ आप दीर्घायु हो और ३ नवंबर २०१६ को हमें छोड़कर चली गई

और जीवन का एक अच्छा रोड मैप बनाकर हमें जीवन दिखाया


38

आपने बचपन से आज तक हमारी रक्षा की

इसलिए हम अपने परू े जीवन काल में आपकी उपेक्षा नहीं कर सकते हैं

फिजूलखर्ची में आपका जीवन बिल्कुल भी नीरस नहीं था

यह एक सख
ु ी जीवन के संघर्ष का एक उदाहरण था

जिंदगी से लड़ने का आपका संकल्प इतना महान था

इस तरह से आपको अच्छे लाभ प्राप्त हुए हैं

आपने दनि
ु या में अभिनय किया, लेकिन धर्म में भी सक्रियइलाके

आपकी उपस्थिति भगवान की कृपा के कारण एक कृपा थी

आपके निधन के बाद, घर में नुकसान और क्षति हुई थी

उसका नाम अख्तर, वह अपने जीवन में भाग्य का सितारा था

अस्पताल में 6 दिन में खत्म हुआ उनका जीवन सफर

हम पर एक ऐसी छाप छोड़ी है जिसे हटाया नहीं जा सकता


39

हे भगवान, आपको दनि


ु या में एक स्थान दिया गया है

कृपया उसके अंतिम विश्राम स्थल पर दया करें


-------------------------------------------------- ------------------------

मोहम्मद अब्दल
ु हफीजी

ईमेल: hafeezanwar@yahoo.com

अनुवादक 'मुस्लिम संत और रहस्यवादी'

(फरीद अल-दीन अत्तारी के तदकिरा अल-अवलिया)

तुर्की संस्करण में हस्त बहिस्ट

प्रियजनों

अच्छा दिन

कृपया लिंक खोजें।

www.idefix.com/ekitap/hasth-bahist
40

सादर

मोहम्मद अब्दल
ु हफीजी

ईमेल hafeezanwar@yahoo.com
-------------------------------------------------- ----------------------------

आरई: मेरी किताब: हजरत शेख अब्दल


ु कादर जिलानी की जीवनी

रे टिग
ं 3.6 - समीक्षाएं 26,566

प्रिय सब

सलाम

कृपया लिंक इस प्रकार खोजें।

www.google.com/search?
q=BEST+BOOK+biography+of+hazrat+shaikh+abdul+qUADER&o
q=best&aqs=chrome.0.69i59l2j69i57j69i60l3.5559j0j7&sourcei
d=chrome&ie=UTF-8
41

सादर

हफीज अनवर

ईमेल: hafeezanwar@yahoo,com

आरई मेरी किताब हज़रत-खाजा-शम्सद्द


ु ीन-तर्क
ु -एम्प-हदरत-ब-ु अली-
कलंदर

प्रिय सब

सलाम

कृपया लिंक इस प्रकार खोजें और 4.59 (booktopia.live द्वारा 41,792


रे टिग
ं )
42

Booktopia.live/show/book/42604653/hadrat-khaja-
shamsuddin-turk-amp-hadrat-bu-ali-
qalandar/12166281/23361764/93364ef3e37fcd3/

HAFEEZ ANWAR - जाने-माने लेखक हैं, उनकी कुछ किताबें पाठकों के


लिए आकर्षण हैं जैसे कि

हज़रत खाजा शमसद्द


ु ीन तर्क
ु और हज़रत बू अली कलंदर किताब, यह
मोस्ट वांटेड में से एक है

हफीज अनवर दनि


ु या भर के लेखक पाठक।

रे टिग
ं विवरण

34,157 रे टिग

५ में से ४.५२ स्टार


5 40% (16,752)

४ ३३% (१३,८६५)
3 19% (7,931)
2 5% (2,167)
1 3% (1,077)
43

-------------------------------------------------- ----------------------------

कुल 41,795
-------------------------------------------------- ----------------------------

हफीज अनवर

ईमेल hafeezanwar@yahoo.com

मेरी किताब हजरत बाबा ताजुद्दीन नागापुर की समीक्षा


44

प्रिय सब

सलाम

कृपया लिंक इस प्रकार खोजें

अत्यधिक अनश
ु ंसित पस्
ु तक!
45

www.amazon.de/gp/customer-
reviews/R330I97WJYKOC2/ref=cm_cr_srp_d_rvw_ttl?
ie=UTF8&ASIN=1520834861

हफीज अनवर

ईमेल hafeezanwar@yahoo.com
46

यह अद्भत
ु और महान सूफी संत ताजुद्दीन बाबा के जीवन से दर्ल
ु भ और
दिलचस्प विवरणों के साथ एक मल्
ू यवान पस्
ु तक है , जिन्होंने अपना
अधिकांश जीवन नागपरु में पर्व
ू स्वतंत्र भारत में बिताया।

मास्टर ई. भारद्वाज द्वारा लिखित शिरडी साईं बाबा के जीवन


इतिहास में मुझे इस संत का नाम मिला था। वहाँ यह बताया गया है
कि एक बार शिरडी बाबा ने अपने शिष्यों को रहस्यमय तरीके से अपने
सटका (एक छोटी छड़ी जिसे वे अपने साथ ले जाते थे) के साथ पानी के
बर्तन पर ढोल बजाकर भ्रमित किया। उन्होंने अपनी कार्रवाई को यह
कहते हुए समझाया, कि वे नागपरु में ताजद्द
ु ीन बाबा की कुटिया में लगी
आग को बझ
ु ा रहे हैं। दस
ू री ओर ताजुद्दीन बाबा ने बापू साहब बुटी
नामक एक धनी आगंतुक को अपना शिष्य मानने से इनकार कर
दिया। उन्होंने उसे शिरडी बाबा से मुक्ति पाने के लिए कहा। दोनों संत
आध्यात्मिक धरातल पर एक-दस
ू रे के सान्निध्य में थे!

तब मेरा सौभाग्य था कि मझ
ु े उसी लेखक मास्टर भारद्वाज द्वारा
लिखित ताजद्द
ु ीन बाबा की लघु जीवनी पढ़ने का सौभाग्य मिला,
जिसने मझ
ु े बहुत प्रभावित किया। इस संक्षिप्त हालांकि बहुत
मूल्यवान जीवनी का दोष यह था कि इसमें वर्णित तथ्य और विवरण
पूर्ण नहीं हैं या तार्कि क क्रम में व्याख्या नहीं की गई है । जिससे असंतोष
47

की भावना पैदा होती है । फिर भी पाठक को ताजुद्दीन की अपार


आध्यात्मिक शक्ति और सार्वभौमिक प्रेम का अंदाजा हो जाता है ।
लेकिन इस संत के बारे में और जानने के लिए मेरी दिलचस्पी जगी।

इसने मुझे हमेशा अधिक विवरण के साथ संत की पूरी जीवनी की


तलाश में रखा। जैसे ही मुझे मोहम्मद अब्दल
ु हफीज के काम का पता
चला, मैं रोमांचित हो गया और मैंने इसे तुरंत ऑर्डर कर दिया और अब
मैं इस पुस्तक का एक खुश मालिक हूं।

इस सफ
ू ी संत के जीवन से कई महत्वपर्ण
ू विवरण, जो लापता कड़ियों
की तरह थे, मैं इस पस्
ु तक से एकत्र कर सकता था:

1. संत की वंशावली के बारे में ।

2. उनका बचपन और सांसारिक जीवन से ईश्वरत्व की ओर संक्रमण;


महत्वपूर्ण घटनाएं जो घटीं और उनकी पूर्णता के मार्ग पर उत्प्रेरक के
रूप में काम किया।

3. नागपरु के महाराजा और अभिजात वर्ग के अन्य सदस्यों के साथ


उनका संबंध।

4. हिंद-ू शिष्यों और अनुयायियों के साथ उनके संबंधों का एक विस्तत



विवरण।
48

भारत अध्यात्म का दे श है । इसके कई आध्यात्मिक गुरुओं ने धर्म की


संकीर्ण सीमाओं को पार किया है , सार्वभौमिक मानवतावाद का प्रचार
और अभ्यास किया है । उनके लिए यह शायद ही मायने रखता था कि
उनके आगंतुक किस धर्म के थे - बिना किसी भेदभाव के उनकी मदद
की गई, क्योंकि केवल उनकी योग्यता उनकी जाति या पंथ से मायने
नहीं रखती थी।

स्वामी वीरभ्रहें द्र के प्रमुख शिष्य सैय्यद नाम के एक मुसलमान थे।


शिरडी बाबा एक मस्जिद में रहते थे और मस
ु लमानों और हिंदओ
ु ं
द्वारा समान रूप से उनकी पज
ू ा की जाती थी। ताजद्द
ु ीन बाबा भी इस
मामले में अलग नहीं थे।

जैसा कि अब्दल
ु हफीज ने इस किताब में एक हिंद-ू शिष्य वें कट राव के
बारे में लिखा है , जो रे लवे गार्ड के रूप में काम करता था। लोगों ने उन्हें
ताजउद्दीन के पास बैठे दे खा, हालांकि उन्हें उस जगह को छोड़कर मुंबई
के लिए रवाना होने वाली ट्रे न में नागपरु से निकल जाना चाहिए था।
उनकी नौकरी ने इसकी मांग की। लेकिन वें कट राव उस जगह को नहीं
छोड़ते, क्योंकि वह पूरी तरह से बाबा की मौजूदगी में मग्न हैं। अन्य
लोगों को आश्चर्य हुआ कि उन्हें भी उसी समय उस ट्रे न में जाते हुए
दे खा गया, जो बॉम्बे के लिए रवाना हुई थी!
49

पश्चिमी भोगवाद इस घटना को "बायलोकेशन" कहता है - ताजुद्दीन


बाबा द्वारा अपनी अलौकिक शक्तियों के कारण कई बार दिखाया गया
चमत्कार। लेकिन हफीज का बयान एक सवाल खल
ु ा छोड़ दे ता है : क्या
संत ट्रे न में वें कट राव के रूप में दिखाई दिए? या क्या उसने यह
अलौकिक शक्ति अपने शिष्य को हस्तांतरित कर दी ताकि वह एक ही
समय में दो स्थानों पर प्रकट हो सके? आध्यात्मिक गुरु दोनों चीजों को
करने में सक्षम हैं।

इस पस्
ु तक का एक बहुत ही दिलचस्प हिस्सा यह है कि यह मस्लि
ु म
या सफ
ू ी तांत्रिकवाद की एक झलक दे ता है (पष्ृ ठ 81 दे खें) और यह
समझाने की कोशिश करता है कि चमत्कार कैसे होते हैं। यदि लेखक
दस
ू रे संस्करण की योजना बना रहा है तो इस विषय को विस्तत
ृ करने
की आवश्यकता है ।

आधुनिक भारतीय इतिहास की दृष्टि से इस ग्रंथ का अत्यधिक महत्व


है । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पीछे योग और रहस्यवाद को अभी
तक परू ी तरह से मान्यता प्राप्त प्रेरक शक्ति नहीं है ।

"गांधी और अली ब्रदर्स" नामक अध्याय में गांधी परिवार को ताजद्द


ु ीन
बाबा और बाबा को दो भविष्यवाणियां करते हुए दिखाया गया है - एक
गांधी के लिए और दस
ू री अली ब्रदर्स के लिए। दोनों सच हो जाते हैं! मैं
50

लेखक से अनुरोध करता हूं कि यदि संभव हो तो इस अध्याय को


अधिक विवरण और तस्वीरों के साथ विस्तत
ृ करें । इससे इस पस्
ु तक
का मल्
ू य सौ गन
ु ा बढ़ जाएगा!

भाषा के संबंध में कुछ कमियां हैं। अंग्रेजी एक विदे शी भाषा है । सही
पूर्वसर्ग या सहायक क्रिया को चुनना हमेशा आसान नहीं होता है । इसके
बावजूद पाठक एक विदे शी भाषा के भाषाई कांटेदार बाड़ के पीछे संत
ताजुद्दीन बाबा की ईश्वरीय छवि को चमकता हुआ दे खता है ।

यह उन सभी के लिए अनश


ु ंसित पस्
ु तक है जो रहस्यवाद में रुचि रखते
हैं, सार्वभौमिक प्रेम जो धर्मों की संकीर्ण सीमाओं को पार करता है और
आध्यात्मिक साधकों के लिए।

डॉ वनमाली गुंटुरु
vanamali.sg@arcor.de

गुंटूर, आंध्र प्रदे श, भारत


51

Biography of Hazrat Bawa Haji Malang Kalyan Hindi edition

Mausoleum of Hazrat   Bawa Haji Malang


 
 
Translated by
Hafeez Anwar
Email: hafeezanwar@yahoo.com
52

प्रस्तावना

यह हज़रत हाजी मलंग और हज़रत हाजी अली की जीवनी की एक


किताब है और यह एक बहुत ही नई किताब है और जो वर्ष 2020 में
अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हो रही है । कृपया ध्यान दें कि यह महाराष्ट्र
के दो पवित्र व्यक्तित्वों के बारे में एक जीवनी है ।

यह एक छोटी सी पस्
ु तक है जिसमें दो पवित्र व्यक्तियों की
आत्मकथाएँ जोड़ी गई हैं और इस पुस्तक में पश्चिमी भारत के इस
महान शेखों की कुछ महान उपलब्धियाँ हैं जो अभी तक आम लोगों को
ज्ञात नहीं हैं, व्यक्तियों और

अन्य व्यक्तियों को एक में प्रकाशित किया जाता है बहुत ही रोचक


शैली इसलिए इस कारण से पाठकों को इस मामले में बहुत रुचि और
ध्यान मिलेगा।

इस पुस्तक में उर्दू पुस्तक, 'स्वाने-उमरी बावा हाजी मलंग' के जीवनी


विवरण का अनुवाद मेरे द्वारा अंग्रेजी संस्करण में अनुवाद पर जोड़ा
गया है और यह पुस्तक एक प्रसिद्ध और प्रसिद्ध पुस्तक है जिसे मुंशी
53

सैयद सुलेमान आसिफ ने लिखा है और जिन्होंने कालिया के हजरत


हाजी मलंग की जीवनी के बारे में उर्दू भाषा में यह किताब लिखी है ।

उपरोक्त तथ्यों और विवरणों से, यदि पाठक इस पस्


ु तक के पहले
अध्याय को पढ़ना शुरू कर दें गे और इसके पढ़ने को तब तक नहीं
रोकेंगे जब तक कि वे इसके अंतिम अध्याय तक नहीं पहुंच जाते
क्योंकि इस पुस्तक में कुछ रोचक घटनाएं और साथ ही पवित्र संत के
अन्य महान चमत्कार और प्रयास हैं जोड़ा गया और इस पवित्र संत का
कई सदियों पहले दनि
ु या से निधन हो गया था।

भले ही यह एक छोटी सी किताब है लेकिन अपने महत्व के कारण


कई रोचक घटनाओं और इसमें सकारात्मक जानकारी के कवरे ज के
कारण यह इतना महान है कि यह ज्ञान और पवित्र संत की जानकारी
के सागर की तरह है और जो दनि
ु या से चले गए थे। उनके महान
प्रयासों और विदे शों में इस्लाम के प्रचार और प्रचार कार्य के लिए कई
कठिन कार्य इसलिए यह पस्
ु तक छोटी है लेकिन यह इस्लाम के सही
रास्ते की ओर लोगों के मार्गदर्शन के लिए ज्ञान और जानकारी का
सागर पेश करे गी।

इस पुस्तक को महान पुस्तक 'मुस्लिम संतों और रहस्यवादियों'


(फरीद अल दीन अत्तर द्वारा तदकीर्तल अलियाह) के अनुसार
संपादित और स्वरूपित किया गया है जो पश्चिमी दनि
ु या में अंग्रेजी
54

जानने वालों के बीच बहुत प्रसिद्ध है । तो इस कारण उर्दू की किताबों


और उसके साहित्य से तल
ु ना करने पर इसमें कुछ छोटे -छोटे अंतर
होंगे। इस पस्
ु तक का उद्देश्य पश्चिमी दनि
ु या में प्रस्तत
ु करना है जहां
सूफीवाद की पुस्तकों और पवित्र संतों की जीवनी की बड़ी खोज और
मांग है , जिन्होंने अपना पूरा जीवन टी के लिए बिताया और बिताया।
वह अल्लाह के अंतिम नबी की परं परा और प्रथा के अनुसार दनि
ु या के
सभी कोनों में इस्लामी धर्म का प्रचार और प्रचार करता है ।

इन महान सफ
ू ी संतों के बारे में लिखना न केवल कठिन है बल्कि
यह बहुत कठिन कार्य है क्योंकि वे न केवल भारत क्षेत्र के पश्चिमी तट
में अपने समय के महान धर्मपरायण व्यक्तित्व थे, बल्कि वे दक्कन
क्षेत्र के एक महान सूफी गुरु भी थे। सदियों पहले इस्लाम के प्रचार और
प्रचार के लिए कड़ा संघर्ष किया, इसलिए संक्षेप में उनमें से कुछ
पश्चिमी भारत क्षेत्र में अपने समय के कुतुब (धुरी पर आध्यात्मिक
धरु ी में सर्वोच्च कैडर) थे और जिन्होंने प्रचार के लिए कई महान प्रयास
किए और भारत के पश्चिमी तट और उसके आसपास इस्लाम का
प्रचार-प्रसार और उनके समय में ऐसा कोई व्यक्तित्व नहीं था।
55

हजरत बावा हाजी मलंग कल्याण की जीवनी

हजरत बावा हाजी मलंग की समाधि

द्वारा अनव
ु ाद किया गया

हफीज अनवर

ईमेल: hafeezanwar@yahoo.com
56

द्वारा प्रकाशित

© हफीज अनवर

प्रकाशित १४४१/२०२०

सर्वाधिकार सरु क्षित। प्रकाशक की लिखित अनम


ु ति के बिना इस
प्रकाशन के किसी भी भाग को पन
ु : प्रस्तत
ु या संग्रहीत नहीं किया जा
सकता है , या किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से, इलेक्ट्रॉनिक या
अन्यथा प्रसारित नहीं किया जा सकता है ।
57

कलियान के सल्
ु तान हजरत बावा हाजी मलंगी

हज़रत बावा हाजी मलंगो की समाधि

कालिया के सुल्तान हजरत हाजी मलंगी की स्तुति में


58

ओह हाजी मलंग आप सदियों से कलियान के सुल्तान हैं

लेकिन आपका नाम और कीर्ति परू ी दनि


ु या में मशहूर है

आप यमन से हैं लेकिन भारत में इस्लाम का दीया जला दिया

और कालिया में इस्लाम के प्रचार के लिए मश्कि


ु ल से प्रयास किया

हफीज तुम्हारा पुराना नौकर है और वह तुम्हारे स्थान से चला गया

तो उसकी गलती को नज़रअंदाज कर दें कि वो आपके आसमान के


मकबरे पर नहीं गया

आप कलियां क्षेत्र में इस्लाम के दीपक हैं और सफलता प्राप्त करें

तो इसी वजह से आपका नाम भारतीय इतिहास की किताब में लिखा है

अब हफीज को हो रही है आपकी जीवनी की किताब लिखने में कठिनाई

चंकि
ू वह आपके जीवन का विवरण नहीं ढूंढ रहा है और लिखने का
प्रयास कर रहा है

वैसे भी हफीज इस मामले में मुश्किल की नाव पर सवार है


59

लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इसे पूरा करने के लिए बाबा का सहयोग


मिलेगा

हफीज उम्मीद कर रहे हैं कि बाबा की किताब जल्द ही चमकने लगेगी

और भारत में अपने पाठकों के बीच प्रसिद्ध और प्रसिद्ध होगा

बाबा की समाधि पर अल्लाह अपनी रहमत बरसाए

हे बाबा बाहिब हफीज और सभी व्यक्तियों की इच्छाओं को स्वीकार


करते हैं

जो आपके आसमान की चोटी, मकबरे पर जाता है और दरू से सम्मान


दे ता है

आखिर में ऐ अल्लाह शाह मलंग की किताब को आसमान के तारे जैसा


बना दे ता है

ताकि लोगों को उनका विवरण और मार्गदर्शन पस्


ु तक से मिल सके

और वे बाबा की शिक्षा का पालन करके अपने जीवन को पवित्र बना


सकते हैं
60

द्वारा

हफीज अनवर

ईमेल hafeezanwar@yahoo.com

प्रस्तावना

यह किताब 'स्वाने-उमरी बावा हाजी मलंग' बहुत पुरानी है और जिसे


मुशी मोहम्मद अब्बास ने उर्दू भाषा में प्रकाशित किया है और मेरे
द्वारा पहली बार अंग्रेजी भाषा में अनव
ु ाद किया है । उन्होंने इस पस्
ु तक
को उर्दू भाषा में प्रकाशित किया है , जिसके प्रकाशन की तिथि का
उल्लेख नहीं है । कृपया ध्यान दें कि यह उर्दू में 'स्वाने-उमरी बावा हाजी
मलंग' पुस्तक की जीवनी है । यह बहुत कठिन कार्य है क्योंकि हज़रत
61

हाजी मलंग 'भारत के पश्चिमी तट के क्षेत्र में न केवल अपने समय के


एक महान धर्मपरायण व्यक्तित्व थे, बल्कि वे अपने समय के एक
महान उपदे शक भी थे। तो, संक्षेप में , वह भारत के पश्चिमी तट पर
अपने समय के कुतुब (धुरी पर आध्यात्मिक धुरी में सर्वोच्च कैडर) थे।
लंबे समय तक वे लोगों के धार्मिक प्रवचनों, उपदे शों और आध्यात्मिक
प्रशिक्षण में लगे रहे और उन्होंने पश्चिमी भारत के क्षेत्रों और इस क्षेत्र
के आसपास इस्लाम के प्रचार और प्रचार कार्य के लिए कई महान
प्रयास किए और ऐसा कोई नहीं था। उनके समय में व्यक्तित्व।

इस सफ
ू ी संत और जो यमन से भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचे थे,
की सकारात्मक जानकारी और महान विवरणों के कारण पाठक इस
पुस्तक को पढ़ने में रुचि लेंगे।

इस पुस्तक को अंग्रेजी संस्करण में महान पुस्तक 'मुस्लिम संतों और


रहस्यवादियों' के अनुसार संपादित और स्वरूपित किया गया है (फरीद
अल-दीन अत्तर द्वारा तदकीर्तल औलिया) जो पश्चिमी दनि
ु या में
अंग्रेजी जानने वालों के बीच बहुत प्रसिद्ध है । अत: इस कारण उर्दू की
किताबों और उसके साहित्य से तल
ु ना करने पर इसमें कुछ छोटे -छोटे
अंतर होंगे। इस पस्
ु तक का उद्देश्य पश्चिमी दनि
ु या में प्रस्तत
ु करना है
जहां सफ
ू ीवाद की किताबों और पवित्र संतों की जीवनी की बड़ी खोज
62

और मांग है , जिन्होंने दनि


ु या के सभी कोनों में इस्लामी धर्म के प्रचार
और प्रचार के लिए अपना परू ा जीवन व्यतीत किया और खर्च किया।
अल्लाह के आखिरी नबी की परं परा और प्रथा के अनस
ु ार।

यह एक छोटी सी पुस्तक है जिसमें हजरत बाबा हाजी मलंग की


जीवनी जोड़ी गई है और इस पुस्तक में कल्याण और पश्चिमी भारत के
इस महान शेख की कुछ महान उपलब्धियां हैं, जो अभी तक जीन को
ज्ञात नहीं हैंral, व्यक्तियों और अन्य व्यक्तियों को बहुत ही रोचक
शैली में प्रकाशित किया जाता है , इस कारण से, पाठकों को इस
मामले में बहुत रुचि और ध्यान मिलेगा।

उपरोक्त तथ्यों और विवरणों से, यदि पाठक इस पुस्तक के


पहले अध्याय को पढ़ना शुरू कर दें गे और इसके पढ़ने को तब
तक नहीं रोकेंगे जब तक कि वे इसके अंतिम अध्याय तक नहीं
पहुंच जाते, जैसा कि इस पुस्तक में कुछ दिलचस्प घटनाओं और
साथ ही पवित्र संत के अन्य महान चमत्कार और प्रयास हैं।
जोड़े गए हैं और यह पवित्र संत जो लगभग 750-800 साल पहले
दनि
ु या से चले गए थे।

इस पुस्तक को महान पुस्तक 'मुस्लिम संतों और


रहस्यवादियों' (फरीद अल-दीन अत्तर द्वारा तदकीर्तल अलियाह)
के अनुसार संपादित और स्वरूपित किया गया है जो पश्चिमी
63

दनि
ु या में अंग्रेजी जानने वालों के बीच बहुत प्रसिद्ध है । अत: इस
कारण उर्दू की किताबों और उसके साहित्य से तल
ु ना करने पर
इसमें कुछ छोटे -छोटे अंतर होंगे। इस पस्
ु तक का उद्देश्य पश्चिमी
दनि
ु या में प्रस्तुत करना है जहां सूफीवाद की किताबों और पवित्र
संतों की जीवनी की बड़ी खोज और मांग है , जिन्होंने दनि
ु या के
सभी कोनों में इस्लामी धर्म के प्रचार और प्रचार के लिए अपना
पूरा जीवन व्यतीत किया और खर्च किया। अल्लाह के आखिरी
नबी की परं परा और प्रथा के अनस
ु ार।

हजरत बावा हाजी मलंग कल्याण की जीवनी


64

इतिहास: महाराष्ट्र राज्य के ठाणे जिले में "नल राजा" नाम के


एक राजा ने शासन किया। आम जनता पर अत्याचार और
उसके राज्य में राक्षसों द्वारा बनाई गई तबाही असहनीय
अनुपात तक पहुंच गई। उत्पीड़ितों का रोना भगवान तक पहुंच
गया था और भगवान ने बाबा मलंग को उस स्थान का दौरा
करने का आदे श दिया जहां से समाज के खिलाफ ये अपराध
किए जाते हैं और इन राक्षसों को खत्म करके आम आदमी की
सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हैं।
65

मलंगगढ़ (जिसे बाबा हाजी मलंगगढ़ या मलंग गाड भी कहा


जाता है ), महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के माथेरान हिल रें ज में
स्थित एक पहाड़ी किला है । किला समद्र
ु तल से लगभग 789
मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।

बाबा मलंग और उनके अनय


ु ायी इस पर्वत के पास ब्राह्मण
वाडी नामक छोटे से गाँव में पहुँचे। पहुंचने पर उन्हें बहुत प्यास
लगी और उन्होंने एक ब्राह्मण केतकर परिवार के घर से पानी
मांगा। ब्राह्मण ने महसूस किया कि बाबा मलंग और उनके
अनुयायी थक गए हैं, उन्होंने आराम करने के लिए जगह की
व्यवस्था की और उन्हें पानी के बजाय दध
ू दिया। ब्राह्मण के
इस पवित्र कार्य की बाबा ने विधिवत सराहना की और उन्होंने
उन्हें आशीर्वाद दिया। उन्होंने ईश्वर द्वारा आदे शित कार्य को
जल्द से जल्द पूरा करने के लिए ब्राह्मण से छुट्टी ली।

उन्हें एक छोटा और साफ-सुथरा स्थान मिला जहाँ बख्तावर


रखना चाहते थे इसलिए बाबा मलंग ने उन्हें आशीर्वाद दिया
और कहा कि "कलयग
ु " के दौरान इस स्थान को "पहला कदम"
के रूप में जाना जाएगा और इसे पवित्र माना जाएगा।
66

किंवदं ती के अनुसार राजा और रानी को पत्थर में बदल दिया


गया है और आज भी जनता पर विश्वास करके पथराव किया
जाता है । पहाड़ पर चढ़ने में दो चोटियों के पार एक रस्सी द्वारा
रु। में ले जाना शामिल है । 20.00. इसके बाद आप चढ़ाई जारी
रखते हैं और चोटियों को पत्थर मारने की कोशिश करते हैं और
ऐसा माना जाता है कि यदि आपका पत्थर किसी एक चोटियों
से टकराता है , तो आपकी इच्छा तब तक पूरी होगी जब तक
आप दिल्ली के सिंहासन की कामना नहीं करते हैं।

वर्तमान उपयोग

पिरमाची के रास्ते में कई झोंपड़े हैं। मंदिर से कल्याण के लिए


बसें और ऑटो-रिक्शा काफी दे र तक चलते हैं, हालांकि आखिरी
बस के बारे में पूछताछ करना सबसे अच्छा है । 2007 में ,
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम-सुयोग-यशिता कंसोर्टियम को
मलंगवाड़ी से कल्याण की ओर मलंगगढ़ पठार तक एक
फनिक्यल
ु र रे लवे बनाने के लिए एक अनब
ु ंध दिया। वन विभाग
से परमिट आने में 4 साल लग गए और अब काम शुरू हो गया
है । मलंगगढ़ फनिक्युलर रे लवे की लंबाई 1 किमी से अधिक
होगी और 320 मीटर की ऊंचाई हासिल करे गी। यह हर एक घंटे
67

में 1000 यात्रियों को पहाड़ी से ऊपर और नीचे ले जाने में सक्षम


होगा।

ू हिस्से में ट्रे किंग करना अच्छा है । बेस गांव


इस पर्वत के पर्वी
से पीर माछी पहुंचने में 1 घंटे और सोन माची पहुंचने में आधा
घंटा लगता है । हालाँकि, बालेकिला की चढ़ाई बहुत कठिन और
जोखिम भरी है । एक स्थानीय ग्रामीण बालेकिला तक चढ़ने के
लिए अनुरक्षण प्रदान करता था। हालांकि, केवल उचित उपकरण
और रस्सियों वाले विशेषज्ञ पर्वतारोहियों को ही बालेकिला पर
चढ़ने का साहस करना चाहिए।

इस्लामिक उर्दू किताब के अनुसार हज़रत बाबा मलंग की


जीवनी मुंशी मोहम्मद अब्बास ने मुंबई में प्रकाशित की थी।

हजरत बावा हाजी मलंग की जीवनी, कलियां

बावा मलंग चमत्कारों के समुद्र का जाना माना मोती था

वह उस समय के संत और पवित्र व्यक्ति के सितारे थे

बावा मलंग भविष्यद्वक्ताओं के राजा का प्रतिबिंब था


68

बावा पूरी तरह से दया और लाभ का बड़ा समुद्र था

भारत की भमि
ू उनकी गरिमा और महान कृपा का गौरव है

और हर मस
ु लमान शान की शान है अरब के चाँद की

परं परा के अनुसार, उन्होंने अपने दे श को भारत की भूमि की


ओर छोड़ दिया

अद्वितीय हीरे की तरह वह यमन की खदान से आया था

जोश में वह यमन के बगीचे से भारत चला गया

पंछी की तरह वह यमन से फ्लाइट से भारत आ रहा था

लंबी दरू ी तय करने के बाद वह कोकणु पहुंचे

लंबी यात्रा के बाद वह अपने स्थान और गंतव्य पर पहुंचे

यह मैंने कहा कि उस पहाड़ पर राजा का महल था

किले की मूर्ति पूजा में और शहर में बेवफाई होती थी

राजा क्रूर और क्रूर था और इतना मतलबी के रूप में जाना जाता था

वह इस्लामी धर्म और सभी मनष्ु यों के खिलाफ थे

उसकी पत्नी भी बहुत क्रूर थी और फिरौन की पत्नी की तरह थी

वह एक अंधेरी रात की तरह थी और उसके सिर पर दीया था


69

एक दिन शाह ने अल्लाह के आखिरी नबी के जन्म का आयोजन किया

बेवफाई के अँधेरे में जिसने उजाला दिया ईश्वर की एकता

रहस्योद्घाटन के कारण, एक रे गिस्तान में प्रकाश था, पहाड़ पर

वहाँ उसने जो दे खा वह पहाड़ पर एक जलता हुआ दीया था

वहाँ नर्क के स्थान की रौशनी बुझा दी गई

शीघ्र ही साहस का, काफिरों का प्रकाश नहीं रहा

अँधेरा दे खकर राजा जोर-जोर से रोने लगा

तो दै त्य की कब्र का स्थान जो बरु ी तरह तड़प रहा था

वहाँ इतनी बड़ी समस्या का सामना करने के लिए बहुत शोर और रोना
था

क़यामत का दिन आया तो इतना ख़तरा था

इसने जीवन के प्रकाश को अचानक रोक दिया है और किसका पता नहीं


है ?

तो किस दश्ु मन ने इस मामले में हम पर गप


ु चप
ु तरीके से हमला किया
था?

ऐसी चिंता में सुबह के ढोल की थाप शुरू हो गई


70

तो उस समय विशाल पर्वत पर प्रार्थना का आह्वान हुआ

प्रार्थना की पक
ु ार के कारण कान खराब हो गए और मत्ृ यु निकट थी

पहाड़ काँपता हुआ और नीचा हो गया और काँपने लगा

जब कैनन की आग लगी तो भगवान के नारे सुने गए

सो सब द्वेषी मनुष्य जो मुंह से पथ्


ृ वी पर गिरे थे

जब उसने पहाड़ी पर फजर की सुबह की नमाज़ पूरी की

उस समय पहाड़ पानी के समान और पत्थर मोम के समान थे

उसकी संगति में उसके साथ सत्य के तीन व्यक्ति थे

जो भगवान की एकता की नदी के सत्य के गोताखोर के रूप में थे

उनके नाम मीर बख्तियार और उनके चाचा वहां उपलब्ध थे

जो दे श में प्रसिद्ध और साधुता के लिए जाने जाते थे

उनमें से एक पहाड़ी पर पहली मंजिल के रूप में जल्द ही शहीद हो गया


था

फिर रहस्य का दस
ू रा ज्ञाता जिसने भी संसार छोड़ दिया है

तीसरा व्यक्ति जो एक पहाड़ी पर सत्य के मार्ग में मारा गया

तीन दोस्तों को वहीं पहाड़ी पर कब्रों में दफनाया गया था


71

जब शाह ने अंतिम संस्कार किया और उन सभी को संबोधित किया


गया

एक काफिर पहाड़ी का निवासी था वहां पाया गया था

शाह, जो "हा हबीब" कहकर बहादरु घोड़े पर बैठा था

वह अल्लाह की सफलता की पवित्र स्मति


ृ में एक पाठ में व्यस्त था

इसके अलावा, सच्चे पवित्र व्यक्तियों से "हां मुजीब" का आह्वान है

दस
ू री तरफ खड़े है रान बदनसीब लोग मिले

शाह का घोड़ा हवा में और पहाड़ की ओर उड़ रहा था

हवा की तरह, घोड़ा पहाड़ी तक पहुंचने के लिए आसमान में उड़ रहा था

जब उसने नीचे दे खा तो उसने ऊपर की तरफ ऊपर की तरफ दे खा

छलांग में बहादरु घोड़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंच गया

वह अपने स्वामी को पहाड़ की ऊंचाई की ओर ले जा रहा था

उसका मार्गदर्शक कौन था जिसका वह मालिक था और उसका बहुत


अच्छा दोस्त था

अंत में रोने से और वह जल्द ही धरती पर गिर रहा था

अपने मालिक को मंज़िल तक ले जाकर आख़िरकार धरती पर सो गया


72

तो उसके दिल में घोड़े की मौत का इतना दख


ु है

और इसलिए वह अपने वफादार घोड़े की दख


ु द मौत के बारे में बहुत
चिंतित था

आंखों में आंसू थे और उसकी जुबान तो थैंक्स में मशगूल थी

उदास मन में एकाकीपन था तो उनके चेहरे पर मायूसी थी

वह असहाय अवस्था में था, क्योंकि उसका मित्र अंतिम मौन में था

उसकी दोस्ती पर, सच्चाई का शेर अपनी शान के लिए बहुत था

यह सच है खबर फैल गई कि अल्लाह के पैगंबर वहां आ रहे थे

सेडान में मौके पर, जो क्षेत्र में एक प्रसिद्ध तथ्य है

दोपहर की नमाज़ के समय तो जब वह वहाँ पहुँचे

संक्षेप में , वह अल्लाह का नाम लेकर पवित्र प्रार्थना में शामिल हो गया

राजा जो एक बड़े बाघ की तरह था और जिसने उसे वहां दे खा है

उसकी सोच को आंकने के लिए उसके जैसे बिल्ली का बच्चा जो अकेला


पाया गया था

उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि वह ऐसे व्यक्ति नहीं लगते हैं

उसकी महिमा और गरिमा के कारण, वह उससे बहुत डरता था


73

मेरे सारे आकर्षण उसके सामने कुछ भी नहीं हैं और मेरे जाद ू का कोई
फायदा नहीं है

आप इस मामले में जल्द ही जाने और खोजने के लिए यव


ु ा और प्यारे
हैं

वह कौन है ? ताकि कोशिश करने के लिए उसे यहाँ अनदे खा करें और


उसे जाने दें

राजा की बेटी यह सुनकर, तो वह तैयार हो जाती है

कि वह जाएगी और पता लगाएगी कि वह व्यक्ति कौन है जो यहां


आया था

वह एक बड़े बाघ की तरह है और वह मुर्गा की तरह असहाय स्थिति में


है

मैं हवा में उड़ूग


ं ा और खबर लाऊंगा कि कौन है वो एलियन

तुम डरते हो लेकिन मुझमें मर्दों जैसा जज्बा है और उससे लड़ो

मैं बिल्ली की तरह हूं और मेरे सामने वह जल्द ही बेसध


ु हो जाएगा

संक्षेप में , वह रोती हुई बाघिन की तरह वहाँ से भागी, दे खने के लिए

वह उसके पास पहुँची और शाह के साथ युद्ध के मैदान में पहुँची

वह सबसे कमजोर व्यक्ति के रूप में डर से गिर गई और वह पहुंच गई


74

वह एक मरे हुए व्यक्ति की तरह पथ्


ृ वी पर गिर गई और बेचैन हो गई

वह बेहोश हो गई है और डर के मारे चप
ु थी

उसे दे खते ही उसके हृदय में शीघ्र ही एक स्थिर बाण आ गया

उसने उससे कहा, "ओह मेरी बेटी, तुम्हें क्या बीमारी है ?"

आप पथ्ृ वी पर चिंता क्यों कर रहे हैं तो बहुत जल्द मेरे पास आओ

वो रो पड़ी और बोली सरजल्दी करो और मुझे बहुत जल्द ठीक करो

इस मामले में एक गंभीर चोट है कृपया ध्यान से मेरी मदद करें

पता नहीं कैसे एक तीर जो पहुंच गया और नक


ु सान कर रहा था

तो इसके लिए अब मैं दनि


ु या में अपने जीवन की बदतर स्थिति दे ख
रहा हूं

उन्होंने हं सते हुए कहा कि "अरे अच्छे स्वभाव की बेटी चिंता मत करो"

अब आपके लिए अपने दिल से अपने प्यार को हटाना मुश्किल है

अल्लाह की मेहरबानी से तुम मेरी अपनी बेटी जैसी हो गई हो

इस्लाम के मह
ु ावरे का पाठ करें और बेवफाई की रोशनी से दरू रहें

इस दर्द की वजह से आपका दिल मोम जैसा हो गया है


75

आपकी स्थिति कुछ भी हो लेकिन आपने बहुत सम्मान और लाभ


प्राप्त किया

उनके उपदे श से राजकुमारी पर अच्छा प्रभाव पड़ा

बेवफाई दरू हो गई और अब उसका दर्द नहीं बचा था

दोषियों में , वहाँ उसे सच्चे विश्वास का फल मिला

उसने अपनी गर्दन नीचे करके कहा, "हे सहायकों के महान राजा"

आपने मेरे टूटे हुए दिल को अच्छे और बेहतरीन तरीके से ठीक किया

क्यों विजयी लोग जो पराजित व्यक्ति की परवाह करते हैं

मैं तम्
ु हारे लिए अपना जीवन बलिदान करता हूं और इसलिए मझ
ु े
अपनी दासी बना दे ता हूं

मुझे इस्लामी कानून के वफादारों के घेरे में शामिल करें

बेवफाई और विश्वासघात का अंधेरा उसके रास्ते में नहीं था

सिर में था सत्य का प्रेम और दृष्टि में ईश्वर की एकता

अब मझ
ु े अपने जीवन में दयालु अल्लाह की पहचान मिल गई है

मैं अँधेरे में था और इस्लाम के नेक रास्ते की तलाश में था


76

उन्होंने कहा "ओह मेरी प्यारी बेटी अल्लाह आपको जल्द ही स्वीकार
कर लेगा"

अपने कर्मों के कारण, आपने पवित्र स्वर्गीय घंटों में शामिल किया है

आपके साथ मुस्तफा, मुर्तुजा और बीबी फातिमा और सभी खुश हैं

आपकी कब्र पर सभी फरिश्तों की कृपा हमेशा बनी रहे गी

संक्षेप में जब उसने उसे विश्वास का एक वाक्यांश सुनाने के लिए कहा


तो

हर पत्ते से आमीन की जोर से पक


ु ार आयी

रॉयल क्वीन जो "मेरी बेटी तम


ु ने हमें धोखा दिया" के रूप में रोया

तो अब इस वजह से दनि
ु या में मेरा जीना मुश्किल हो गया

शाही राजा पर भी क्रोध और रोष गिर गया था

गदा लेते हुए वह समय के शाह के सामने आगे बढ़ रहा था

उसने क्या दे खा कि पवित्र कुरान की एक खुली किताब है

और उनकी बेटी घंघ


ू ट पहन कर पवित्र ग्रंथ पढ़ रही है

वह सिर पकड़कर गिर पड़ा था इसलिए वहां से भाग गया

उसे पहाड़ पर उसके सभी दोस्तों से लड़ने के लिए बुलाया गया था


77

वह एक दश्ु मन और जादग
ू र है जो उससे पहले लड़ने के लिए आया था

अत: समय न दें और शीघ्र ही उसे इसी स्थान पर मार डालें

हम रहें या रहें , तो गदा हाथ में लेकर आ जा

जैसे खिलौना इस दश्ु मन को एक बार में बसा दे ता है , इसलिए उसे


समय न दें

उनसे कहा गया था "अरे काफिर सच की बात ध्यान से सुनता है "

कि वह जादग
ू र नहीं है , लेकिन मुझमें इस्लामी गुण हैं

यदि आप इस्लाम स्वीकार करते हैं, तो नियमित रूप से पांच दै निक


नमाज़ परू ी करें

मैं महान अल्लाह की अनुमति से तुम्हें मोक्ष दं ग


ू ा

नहीं तो इस जगह पर आपका नाम और हस्ताक्षर नहीं होगा

और तुम दनि
ु या से दरू हो जाओगे इसलिए जल्दी सोच लो

राजा के क्रूर होने के कारण उसके उपदे श का कोई परिणाम नहीं


निकला

दोस्तों की शान और ताकत में ताकतवर समझ रहा था


78

उसकी गदा उसके हाथ में थी और वह गर्व के साथ उसके आगे-आगे


चला गया

उसने सन
ु ा है कि प्रार्थना के समय परमेश्वर की पक
ु ार उसके कानों में है

इस ज़ोरदार प्रार्थना कॉल के लिए सभी काफिरों को कांपते हुए


आश्चर्यचकित किया गया

और शीघ्र ही अपने स्थानों पर पत्थर की मूर्तियाँ बन गए

वहाँ अपने समय के राजा और काफिरों का रं ग समाप्त हो गया था

एक पक्षी की तरह, वह उड़ गया और महान राजा का अंत हो गया

वहाँ इस्लामी उपदे शक की छाप जगजाहिर थी

पहाड़ और रे गिस्तान पर इस्लाम की छाप थी

अब उसके साथ, तो रोशनी की नन्ही खिलौना लड़की रह गई

और उसकी कब्र वहीं पहाड़ी पर स्थापित की गई

ओह शाह मलंग आओ और संकट के समय में जल्द ही हमारी मदद


करें

चंकि
ू दश्ु मन तैयार हैं और इस बार मारने के लिए हमारे साथ लड़ रहे हैं

अब हमारे बीच शांति नहीं है और अब आपस में युद्ध नहीं है


79

हम सम्मान के बिना हैं, गरीब हैं और जगह में बहुत कुछ नष्ट कर
दिया है

हमें इस्लामी कानन


ू की शान और मर्यादा की कोई परवाह नहीं है

दिल और जुबान पर कुछ तो है , पर ईमानदारी नहीं मिली

धर्म की दौड़ में हर कोई दनि


ु या का पवित्र इंसान है

तो हम हार में हैं और हर जगह अपमान का सामना कर रहे हैं

जिसे हम समझते हैं कि वह समूह में है और वह हमारा दश्ु मन है

दिखने में एक हमारा दोस्त है , लेकिन वह हमारा असली महान दश्ु मन


है

हमें ऐसे इस्लामी विश्वास पर गर्व था, अब हमारे पास ऐसा नहीं है

खंजर नुकीले होते हैं, लेकिन इतनी मेहनत में एकता नहीं होती

हे मेरे स्वामी, अपने कमरे से बाहर आओ और हमारे सभी कार्यों को


दे खें see

और अपने दासों की दशा को ध्यान से दे खो और हम सबकी सहायता


करो

गले पर खंजर हैं तो दश्ु मनी तो हर जगह मिलती है


80

दोस्तों के पेट पर तो चेहरे पर पैर और हाथ होते हैं

पैगंबर और अल्लाह की खातिर जल्द ही हमारी समस्या का समाधान


करें

आसिफ को आपकी कृपा की जरूरत है और उसकी आंखें बहुत गीली हैं

और मेरे पूर्वजों को उनकी वर्तमान दशा का समाचार सुनाओ

दनि
ु या में उनके बेटों पर अत्याचार हो रहे हैं

ओह, अली, आप संकट के समाधानकर्ता हैं क्योंकि दोस्त पीछे मुड़ रहे
हैं

जो हमारे सम्मान, बच्चों और हमारे सभी स्रोतों के दश्ु मन हैं

उर्सवीं वर्षगांठ)

साल में एक बार इस पर्वत पर बाबा के नाम पर एक बड़ा उत्सव


मनाने का समय होता है । इस साल 31 जनवरी की मध्यरात्रि को बाबा
मलंग का वार्षिक उर्स है । हर जाति और पंथ के बाबा के भक्त बड़े
उत्साह के साथ समारोह में शामिल होते हैं। इन वार्षिक समारोहों के
दौरान बाबा की पालकी निकाली जाती है और यह जल
ु स
ू बनाता है ।
81

पालकी मार्ग पूरे पहाड़ को कवर करता है और फिर उसे वापस दरगाह
में लाया जाता है । पटाखे फोड़ना और पहाड़ की रोशनी उस रात को
उजागर करती है जिस दिन यह पालकी चक्कर लगाती है । पहाड़ से
आतिशबाजी का नजारा दे खते ही बनता है । रात भर रुकने के इच्छुक
तीर्थयात्री छोटे किराये पर अस्थायी झोपड़ियों को किराए पर ले सकते
हैं। दरगाह से, 45 मिनट से 1 घंटे की और बढ़ोतरी, आपको "पंच पीर"
की कब्रों तक ले जाती है , जो उनके साथ आए बाबा के शिष्यों की हैं। इस
खंड के साथ, एक "चस्मा" की जगह का दौरा करता है । ऐसा माना
जाता है कि जिस स्थान पर बाबा के घोड़े का पैर छूता था, वहां से पानी
निकल आता था।

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग, जाति और पंथ के बावजूद, हर साल


उर्स (पुण्यतिथि) मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। दरू -दरू से कई लाख
भक्त, धर्म और विश्वासों के बावजूद, आशीर्वाद लेने के लिए वहां इकट्ठा
होते हैं।

-------------------------------------------------- ---------------------------

संदर्भ उर्दू पुस्तक: मुंशी सैयद सुलेमान आसिफ द्वारा "स्वाने-उमरी


बावा हाजी मलंग"
82

द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित: हफीज अनवर

अनव
ु ादक 'मस्लि
ु म संत और रहस्यवादी'

(तधिकारताल औलिया)

ईमेल:hafeezanwar@yahoo.com
----------------------------------------

मुंबई के सुल्तान हज़रत हाजी अली बुखारी की प्रशंसा में

हज़रत हाजी अली मुंबई का मकबरा


83

हजरत हाजी अली मंब


ु ई की स्तति
ु में

हज़रत हाजी अली मुंबई का मकबरा


84

ओह, शाह हाजी अली, आप लंबे समय से सुल्तान हैं

गरीबों की मदद कर रहे हैं, लेकिन आप सभी जरूरतमंद लोगों की


मदद कर रहे हैं

आप हिंद महासागर के तट पर चमकते सितारे की तरह हैं

आपके दरगाह में बड़ी संख्या में गरीब लोग मिलते हैं

हफीज एक गुलाम है और जिसने उसका दौरा किया और अपना


अनरु ोध जमा किया

उस समय आप दयालु थे और हफीज को उसके सभी कामों में मदद


करते थे

आपके उपकार के लिए, हफीज आपकी दयालु स्वीकृति को नहीं भल



सकता

ओह, शाह, हफीज को फिर से प्रस्तुत किया गया है , उसे आपकी सेवा
में चाहिए
85

इस बार भी हफीज आपसे मेहरबानी की उम्मीद करते हैं

जिसके लिए हफीज आपकी इस हरकत के लिए बाध्य होंगे

आप इस तरह से जाने जाते हैं कि आपका मकबरा समुद्र में नहीं डूबता

इतना बड़ा चमत्कार कहीं और नहीं मिलता

उपरोक्त चमत्कार नहीं, बल्कि सभी व्यक्तियों पर आपकी कृपा है

और आपके मेहरबानी से सभी को आपके घर खाना मिल रहा है

ओह, शाह, हफीज आपसे अनुरोध करते हैं कि आप दस


ू रों के अनुरोधों
को स्वीकार करें

क्योंकि दस
ू रों की दे खभाल करना जरूरी है और इस्लाम द्वारा
सिखाया जाता है

हफीज अनवार द्वारा


86

है दराबाद, भारत

ईमेल hafeeezanwar@yahoo.com

हज़रत हाजी अली का मकबरा

हाजी अली दरगाह मुंबई के दक्षिणी भाग में वर्ली के तट पर एक


टापू पर स्थित एक मस्जिद और दरगाह (मकबरा) है । यह
87

उज्बेकिस्तान के सूफी संत पीर हाजी अली शाह बुखारी का दरगाह है ।


शहर के केंद्र के पास, दरगाह मंब
ु ई के सबसे पहचानने योग्य स्थलों में
से एक है ।

भारत-इस्लामी वास्तक
ु ला का एक उत्कृष्ट उदाहरण, बर्बाद प्रेमियों के
बारे में किंवदं तियों से जड़
ु ा हुआ है , दरगाह में हाजी अली शाह बुखारी
का मकबरा है ।

पष्ृ ठभूमि

हाजी अली दरगाह का निर्माण 1431 में एक अमीर मस्लि


ु म व्यापारी,
सैय्यद पीर हाजी अली शाह बख
ु ारी की याद में किया गया था, जिन्होंने
मक्का की तीर्थ यात्रा करने से पहले अपनी सारी सांसारिक संपत्ति
छोड़ दी थी। बुखारा से ताल्लुक रखते हुए, वर्तमान उज्बेकिस्तान में ,
बुखारी ने १५वीं शताब्दी की शुरुआत से लेकर मध्य तक दनि
ु या भर की
यात्रा की, और अंततः वर्तमान मुंबई में बस गए।

ु ी किंवदं ती के अनस
अपने जीवन से जड़ ु ार, एक बार संत ने एक गरीब
महिला को खाली बर्तन पकड़े हुए सड़क पर रोते हुए दे खा। उसने उससे
पछ
ू ा कि समस्या क्या है , उसने कहा कि उसका पति उसे मार दे गा
क्योंकि वह ठोकर खा रही थी और गलती से वह तेल ले जा रही थी।
88

उसने उसे उस स्थान पर ले जाने के लिए कहा जहां उसने तेल गिराया
था। वहाँ उसने एक उं गली मिट्टी में दबाई और तेल निकल गया। हर्षित
महिला ने बर्तन भर दिया और घर चली गई।

बाद में , पीर हाजी अली शाह बुखारी को एक आवर्ती और परे शान करने
वाला सपना आया कि उसने अपने कृत्य से पथ्ृ वी को घायल कर दिया
है । उस दिन से पछतावे और द:ु ख से भरा वह बहुत गंभीर हो गया और
ठीक नहीं चल रहा था। फिर अपनी माँ की अनुमति से वे अपने भाई के
साथ भारत की यात्रा की और अंत में मंब
ु ई के तट पर पहुँचे - वर्ली के
पास या वर्तमान मकबरे के सामने किसी स्थान पर। उसका भाई वापस
अपने मूल स्थान पर चला गया। पीर हाजी अली शाह बुखारी ने अपनी
मां को एक पत्र भेजकर सूचित किया कि वह अच्छा स्वास्थ्य रख रहा
है और उसने इस्लाम के प्रसार के लिए स्थायी रूप से उस स्थान पर
रहने का फैसला किया है और उसे चाहिए उसे क्षमा करें ।

नमस्ते तकउनकी मत्ृ यु के बाद वे लोगों में इस्लाम के बारे में ज्ञान
फैलाते रहे और उनके भक्त नियमित रूप से उनसे मिलने आते थे।
अपनी मत्ृ यु से पहले उन्होंने अपने अनुयायियों को सलाह दी कि वे
उन्हें किसी भी उचित स्थान या कब्रिस्तान में न दफनाएं और उनके
कफन ('कफन') को समुद्र में इस तरह गिरा दें कि इसे लोगों द्वारा
दफनाया जाए जहां यह पाया जाता है ।
89

उनकी इच्छा को उनके अनुयायियों ने माना। यही कारण है कि दरगाह


शरीफ उसी स्थान पर बना है जहां समद्र
ु के बीच में उनका कफन
आराम करने के लिए आया था, जहां यह समद्र
ु के ऊपर उठने वाली
चट्टानों के एक छोटे से टीले पर स्थित था। आने वाले वर्षों में मकबरा
और दरगाह शरीफ का निर्माण किया गया।

गुरुवार और शुक्रवार को, तीर्थयात्रियों की भारी संख्या में तीर्थयात्री


आते हैं। आस्था और धर्म के बावजूद, लोग महान संत का आशीर्वाद
पाने के लिए दरगाह पर जाते हैं। कभी-कभी, विशेष रूप से शक्र
ु वार को,
विभिन्न सफ
ू ी संगीतकार दरगाह पर कव्वाली नामक भक्ति संगीत का
प्रदर्शन करते हैं।

संरचना

महालक्ष्मी क्षेत्र से

दरगाह का प्रवेश द्वार।

दरगाह एक छोटे से टापू पर बनी है जो तट से 500 मीटर की दरू ी पर,


वर्ली खाड़ी के मध्य में , [6] वर्ली के आसपास के क्षेत्र में स्थित है । यह
इमारत भारतीय-इस्लामी शैली की वास्तक
ु ला का एक शानदार नमूना
90

है । टापू महालक्ष्मी के नगर क्षेत्र से एक संकरे मार्ग से जुड़ा हुआ है , जो


लगभग एक किलोमीटर (0.62 मील) लंबा है ।

दरगाह तक पहुंच बहुत हद तक ज्वार पर निर्भर है । चंकि


ू , सेतु मार्ग
रे लिग
ं से बंधा नहीं है , जब उच्च ज्वार के दौरान पुल जलमग्न हो जाता
है तो यह दर्ग
ु म हो जाता है [उद्धरण वांछित] इसलिए, कम ज्वार के
दौरान ही दरगाह तक पहुँचा जा सकता है । दोनों तरफ समुद्र के साथ,
इस मार्ग पर चलना, मंदिर की यात्रा के मुख्य आकर्षण में से एक है ।

हाजी अली दरगाह

हाजी अली दरगाह की मीनार


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हाजी अली की दरगाह

सफेदी की गई संरचना एक संगमरमर के प्रांगण के एक क्षेत्र में स्थित


है जिसमें केंद्रीय मंदिर है । मस्जिद के भीतर का मकबरा एक लाल और
हरे रं ग की चादर (मकबरा कवर शीट) से ढका हुआ है । यह एक उत्कृष्ट
चांदी के फ्रेम द्वारा समर्थित है , जो संगमरमर के खंभों द्वारा समर्थित
है । मुख्य हॉल में कलात्मक दर्पण के काम से अलंकृत संगमरमर के
खंभे हैं: कांच के नीले, हरे , पीले चिप्स अरबी पैटर्न के साथ बहुरूपदर्शक
पैटर्न में व्यवस्थित हैं जो अल्लाह के निन्यानबे नामों का जाद ू करते
हैं। मुस्लिम परं पराओं के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-
अलग प्रार्थना कक्ष उनके सम्मान के लिए यहां उपलब्ध कराए गए हैं।
उच्च ज्वार के दौरान, दरगाह बिना किसी पहुंच के परू ी तरह से अलग-
थलग लगती है । यह एक छोटे से द्वीप जैसा दिखता है ।

मरम्मत और नवीनीकरण

खारा हवाओं और प्रति सप्ताह 80,000 आगंतुकों के प्रभाव के कारण


छह सौ साल पुरानी दरगाह संरचना लगातार नष्ट हो रही है । जबकि
1960 और 1964 में व्यापक जीर्णोद्धार किया गया था, दरगाह का सबसे
हालिया संरचनात्मक उन्नयन अक्टूबर 2008 में शरू
ु हुआ था। दरगाह
को पहली और दस
ू री गण
ु वत्ता वाले सफेद संगमरमर से सश
ु ोभित
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किया जाएगा, जिसे मकराना, राजस्थान से लाया जाएगा, उसी स्थान


से जहां से ताजमहल के लिए संगमरमर लाया गया था।

मरम्मत और संरचनात्मक कार्य को दो चरणों में परू ा करने के लिए


चौबीस महीने लगने की परिकल्पना की गई है ।[10] "फेज वन" में
मस्जिद और मीनारों का पुनर्निर्माण शामिल होगा, "फेज टू" में
सैनिटे रियम भवन का नवीनीकरण शामिल होगा। जब पुनर्निर्माण
कार्य पूरा हो जाएगा, तो पवित्र मंदिर को मुंबई के खारे समुद्र के पानी में
ताज का अहसास होगा।

हाजी अली सभी आंदोलन के लिए

'हाजी अली फॉर ऑल' भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन [11] और


भूमाता ब्रिगेड द्वारा शुरू किया गया एक नारीवादी आंदोलन है , जो
गर्भगहृ यानी पारं परिक पितस
ृ त्तात्मक निषिद्ध क्षेत्र के पास भी समान
'प्रार्थना करने का अधिकार' सुरक्षित करता है । 26 अगस्त 2016 को,
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सन
ु ाया कि महिलाएं गर्भगहृ में प्रवेश कर
सकती हैं। [13] मंदिर के ट्रस्ट ने 24 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय
को सूचित किया कि एक महीने में महिलाओं को इसमें प्रवेश करने की
अनुमति दी जाएगी। [14] जून 2012 में उन पर लगाए गए प्रतिबंध के
बाद महिलाओं को 29 नवंबर 2016 को मंदिर में प्रवेश करने की
अनुमति दी गई थी।
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लोकप्रिय संस्कृति

हाजी अली दरगाह मुंबई में एक ऐतिहासिक स्थल है , और यह दक्षिण


मुंबई में स्थित सबसे प्रतिष्ठित इस्लामी प्रतीकों में से एक है । हाजी
अली को एक धनी मस्लि
ु म व्यापारी ने बनवाया था जो हाजी अली शाह
बख
ु ारी नामक संत बन गया था। उन्होंने मक्का की तीर्थ यात्रा पर जाने
से पहले सभी सांसारिक सुखों को त्याग दिया। हाजी अली दरगाह
उनके सम्मान में 1431 ई. में बनाई गई थी। सफेदी वाली संरचना
४,५०० मीटर के क्षेत्र में स्थित है और कुरकुरे , संगमरमर के खंभों से
घिरी हुई है जो आज भी अचंभित हैं। यह 400 साल पुरानी संरचना जो
आज मंब
ु ई में खड़ी है , कई जगहों पर खराब और खराब हो गई है और
इस अद्भत
ु संरचना का संरचनात्मक उन्नयन 2008 में शरू
ु हुआ था।
दनि
ु या भर से लोग जाति, धर्म और पंथ के बावजूद हाजी अली दरगाह
में आते हैं। हाजी अली दरगाह आज एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और
अधिकांश पर्यटक पीर हाजी अली शाह बुखारी की कब्र पर धन,
स्वास्थ्य, विवाह आदि के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।
मंब
ु ई में हाजी अली दरगाह पर संत की पण्
ु यतिथि या ईद-उल-फ़िर जैसे
विशेष कार्यक्रम या कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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इतिहास

हाजी अली दरगाह हाजी अली शाह बख


ु ारी के नाम से जाने जाने वाले
एक धनी व्यापारी द्वारा बनाई गई थी, जिन्होंने सभी सांसारिक
संपत्ति को त्यागने का फैसला किया और मक्का की तीर्थ यात्रा पर
जाने से ठीक पहले एक संत बन गए। परिसर के अंदर मस्जिद
(मस्जिद) और दरगाह का निर्माण 1431 ई. में हुआ था। ऐसा माना
जाता है कि मक्का के रास्ते में हाजी अली की मत्ृ यु हो गई और उनके
शरीर को ले जाने वाला ताबत
ू अपने आप वापस 'दरगाह' में तैर गया।
हालांकि, एक अन्य किंवदं ती में कहा गया है कि हाजी अली उस बिंद ु
पर डूब गए जहां आज दरगाह है । तब से, स्मारक मुंबई के तटों का
संरक्षक रहा है ।

आर्कि टे क्चर

हाजी अली दरगाह 'मकराना' संगमरमर से बनी है , वही सफेदी वाला


संगमरमर है जिसे बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल बनाने के लिए
इस्तेमाल किया था। हाजी अली दरगाह में दो महत्वपर्ण
ू स्मारक हैं-पीर
हाजी अली शाह बख
ु ारी का मकबरा और एक मस्जिद। इस स्मारक की
वास्तुकला मुगल और इंडो-इस्लामिक वास्तक
ु ला की शैलियों और
पैटर्न को दर्शाती है । हाजी अली दरगाह 4,500 वर्ग मीटर की जगह पर
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है और 85 फीट लंबा है । दरगाह परिसर में प्रवेश करते समय केंद्रीय


मंदिर के साथ एक संगमरमर का आंगन, और लाल और हरे रं ग की
चादर के साथ ब्रोकेड मख्
ु य मस्जिद पहली संरचनाएं हैं। कलात्मक
संगमरमर के खंभे, बहुरूपदर्शक पैटर्न के साथ दर्पण का काम और केंद्र
में मीनारें मंदिर को प्रहरी बनाती हैं, जिससे स्मारक सभी के लिए एक
भव्य दृश्य बन जाता है । हाजी अली दरगाह 400 साल पुरानी संरचना है
और विभिन्न स्थानों पर इसका क्षरण हो रहा है । केंद्र सरकार की
अनम
ु ति से दरगाह ट्रस्ट अब विभिन्न स्थानों पर संरचना के
पन
ु र्निर्माण के लिए मकराना संगमरमर के स्रोत का प्रयास कर रहा है ।

करने के लिए काम

दरगाह पर जाने, प्रार्थना करने और संत का आशीर्वाद लेने के अलावा,


दरगाह में और उसके आसपास कई अन्य चीजें हैं। हाजी अली दरगाह
के परिसर के बाहर स्थानीय स्टॉल आपको कुछ स्वादिष्ट स्थानीय
व्यंजनों और कबाब, चाट, आइसक्रीम, मग
ु लई बिरयानी, है दराबादी
फास्ट फूड और यहां तक कि अमेरिकी फास्ट-फूड जैसे स्थानीय
व्यंजनों का आनंद लेने का अवसर दें गे। भोजन के अलावा, यदि आप
एक शौकीन चावला दक
ु ानदार हैं, तो पास में स्थित बाजार हैं- क्रॉफर्ड
मार्के ट और फैशन स्ट्रीट सबसे अच्छे स्थान होंगे। यदि आप शांति का
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आनंद लेते हैं और प्रकृति प्रेमी बनना चाहते हैं, तो आप माहिम बे में
समद्र
ु तट पर आराम करने का निर्णय ले सकते हैं।

निकटवर्ती स्थान

हाजी अली दरगाह दक्षिण मुंबई में लाला लाजपत राय मार्ग पर स्थित
है । सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से कुछ हाजी अली दरगाह के नजदीक
स्थित हैं। महालक्ष्मी रे स कोर्स स्टे डियम हाजी अली दरगाह से 11
किमी दरू स्थित है जबकि वर्ली सी-लिंक 6 किमी की दरू ी पर स्थित है ।
सी-लिंक आपको वर्ली और बांद्रा जाने में मदद करे गा, दोनों ही पास में
स्थित हैं।

पहुँचने के लिए कैसे करें

रे ल द्वारा

हाजी अली रे ल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है । हाजी अली दरगाह
जाने के लिए या तो महालक्ष्मी स्टे शन, मुंबई सेंट्रल स्टे शन या
भायखला स्टे शन पर उतरना पड़ता है । एक बार जब आप स्टे शन पर
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उतरते हैं, तो स्थानीय परिवहन जैसे बी.ई.एस.टी बसें, ऑटो-रिक्शा


और यहां तक कि टै क्सी भी आपको गंतव्य तक पहुंचने में मदद करें गे।

रास्ते से

हाजी अली दरगाह वर्ली के रास्ते में आती है और वर्ली सी-लिंक के ठीक
बगल में स्थित है । हाजी अली दरगाह तक घाटकोपर (ईस्टर्न एक्सप्रेस
हाईवे) या शिवाजी पार्क से भी पहुंचा जा सकता है । स्थानीय परिवहन
जैसे B.E.S.T बसें, ऑटो-रिक्शा और टै क्सी को घटनास्थल तक पहुंचने
के लिए किराए पर लिया जा सकता है । कुछ बस रूट नंबर 33, 84,124
और 521 हैं।

हाजी अली दरगाह मंब


ु ई का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है । संत पीर
हाजी अली शाह बुखारी का आशीर्वाद लेने के लिए हर हफ्ते हजारों से
अधिक श्रद्धालु, मुस्लिम और गैर-मुसलमान, दरगाह पर आते हैं। अपने
धार्मिक महत्व के अलावा, हाजी अली दरगाह आंख को प्रसन्न करने के
लिए प्रसिद्ध है और यदि आप एकांत और शांति की तलाश में हैं तो यह
सबसे अच्छी जगह है ।

पीर हाजी अली शाह बख


ु ारी (आरए) का इतिहास
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ऐसे कई संत हुए हैं जिन्होंने दरू -दरू से भारत की यात्रा की है , इस्लाम
का प्रचार किया है जैसे ख्वाजा गरीब नवाज (आरए) और कई अन्य
संत जो अरब दे शों और फारस से भारत चले गए। वे अपने स्वयं के
अंतर्ज्ञान या इच्छा से या पैगंबर मोहम्मद (SAWS - पीस बी ऑन हिम)
के निर्देशों के अनुसार अपने सपनों में या इल्म (विज़डम ऑफ फेथ)
द्वारा बताए गए अनस
ु ार या आध्यात्मिक शक्ति द्वारा बताए गए
अनस
ु ार आए। उन्हें अल्लाह (SWT) द्वारा।

संपूर्ण भारत में इस्लाम का प्रसार इस्लामी धर्म के क्रमिक विकास की


कहानी है जो अनिवार्य रूप से विभिन्न यात्रा करने वाले सफ
ू ी संतों और
व्यापारियों के माध्यम से स्थानीय स्वदे शी आबादी के बीच बस गए।

एक ईरानी संत द्वारा इस्लाम के इस तरह के प्रसार का एक शानदार


उदाहरण पीर हाजी अली शाह बख
ु ारी (आरए) का है । मस
ु लमानों की यह
मान्यता है कि जो पवित्र संत अल्लाह के मार्ग में अपना जीवन कुर्बान
कर दे ते हैं, वे अमर हैं। उनका कद शहीदों (शहीद) के बराबर है क्योंकि
उन्होंने अल्लाह (S.W.T.) के लिए अपने सांसारिक जीवन को त्याग
दिया है औरशहादत-ए-हुक़मी कहलाते हैं।
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पीर हाजी अली शाह बुखारी (आरए) के जीवन के दौरान और उनकी


मत्ृ यु के बाद कई चमत्कार हुए हैं। पीर हाजी अली शाह बुखारी (R. A.)
के बारे में जो कुछ भी जाना जाता है , वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी कार्यवाहकों
और ट्रस्टियों से सीखा जाता है क्योंकि संत ने कभी शादी नहीं की और
उनके कोई वंशज नहीं हैं। कुछ लोगों ने खद
ु को उनके वंशज या वारिस
के रूप में चित्रित करने की कोशिश की और संत, उनके मकबरे और
दरगाह के सटीक इतिहास को नष्ट कर दिया।

"रिवायत" (किंवदं तियों) से पता चलता है कि पीर हाजी अली शाह


बुखारी (आरए) अपने गह
ृ नगर में किसी एकांत स्थान पर बैठे थे और
अपनी प्रार्थनाओं में व्यस्त थे, जब एक महिला रोती और चिल्लाती हुई
वहां से गुजरी। संत ने उसके रोने के बारे में पूछा, तो उसने हाथ में एक
खाली बर्तन की ओर इशारा किया और कहा कि उसने कुछ तेल गिरा
दिया है । और अगर वह बिना तेल के घर जाती तो उसका पति उसे
पीटता। वह मदद के लिए रो रही थी। संत ने उसे शांत रहने के लिए
कहा और उसके साथ उस स्थान पर चला गया जहाँ तेल गिरा था। फिर
उसने रोती हुई महिला से बर्तन लिया और अपने अंगूठे से पथ्
ृ वी को
धक्का दिया। तेल फव्वारा की तरह निकला और बर्तन भर गया। संत
ने उसे तेल का बर्तन दिया और वह खुशी-खुशी चली गई।
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हालाँकि, उसके बाद, संत घायल होने के सपने से परे शान थे

इस तरह से प्रहार करके पथ्ृ वी। उस दिन के पछतावे और द:ु ख से भरे


हुए

बहुत गंभीर हो गया था और ठीक नहीं चल रहा था। फिर उसकी


अनम
ु ति से

माँ अपने भाई के साथ भारत की यात्रा की और अंत में तट पर पहुँचे

मुंबई - वर्ली के पास या वर्तमान मकबरे के सामने किसी स्थान पर।


उनका भाई

अपने मूल स्थान को वापस चले गए। पीर हाजी अली शाह बुखारी
(आरए) ने एक पत्र भेजा a

उसके साथ अपनी माँ को सचि


ू त किया कि वह अच्छा स्वास्थ्य रख
रहा है और वह

उन्होंने इस्लाम के प्रसार के लिए उस स्थान पर स्थायी रूप से रहने का


फैसला किया था और

कि वह उसे माफ कर दे ।
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अपनी मत्ृ यु तक वह नमाज अदा कर रहे थे और लोगों को इस्लाम के


बारे में जानकारी दे रहे थे

और भक्त नियमित रूप से उनके पास आते हैं। अपनी मत्ृ यु से पहले
उन्होंने अपने अनुयायियों को सलाह दी है

कि वे उसे किसी उचित स्थान या कब्रिस्तान में न दफनाएँ और उसका


कफन ('काफन') समुद्र में इस तरह गिरा दें कि वह लोगों द्वारा उसे
दफना दिया जाए जहाँ वह पाया जाता है ।

उनकी इच्छा को उनके अनुयायियों ने माना। इसीलिए दरगाह शरीफ़


बनाई जाती है

वह स्थान जहाँ उसका कफन समद्र


ु के बीच में विश्राम करने के लिए
आया था, जहाँ वह था

समुद्र के ऊपर उठने वाली चट्टानों के एक छोटे से टीले पर स्थित है ।


मकबरा और दरगाह

आने वाले वर्षों में शरीफ बनाए गए थे।

स्रोत: इंटरनेट
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समाप्त।

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