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राजीव मल्होत्रा कृत

"विभिन्नता" का लघु – संस्करण

लघ-ु संस्करण रचयिता: जगदीश चन्द्र पन्द्त


Vibhinnata - Laghu Sanskaran
ISBN: 978-1-937037-04-8

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कॉपीराइट © राजीव मल्होत्रा


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ू रचनाकार होने का नैयतक दावा करता है । व्िक्ततगत प्रिोग के अलावा, इस
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ु तक का कोई भी अंश ललखखत पव
ु ाानम
ु यत के बिना व्िावसायिक अथवा ककसी भी रूप में उपिोग नहीं
ककिा जा सकता।
"विभिन्नतत " कत लूघु-र सिंसकरेण
जगदीश श चि सिं्द्र पनत दतरेत "Being Different” के रतरेत सिंश कत अ्नुितद

प्रसतति्नत
'विभिन्नतत' रेतजीि मलहहोतत का की पुसतक 'Being Different' कत अ्नुितद है जहो उ्नका की हतलू का की पुसतक-तई म में रे एक है
औरे उ्नका की पहलूी पुसतक 'Breaking India' के बतद एि सिं तीररेी पुसतक 'Indra's Net' के पहलूे प्रकतभशत हुई| इ्नम में रे
प्रत््ेक पुसतक जिस जर विष् कहो लूेकरे श चिलूती है, उरके दतरेत िह एक ्न्त पररेदृश् प्रसतुत करेती है, जहो क्रमशमशः (१)
ितरेत कत वपछलूे २०० िष्षों कत इभतहतर, (२) ककर प्रकतरे पजिस पश्चिम रे ितरेत भिन्न है एि सिं (३) ककर प्रकतरे प्रतश चिी्न कतलू
रे कह सिंद िपलू धम्म ्ने अप्नी दतश्मभ्नक एकतत कहो ब्नत्े रेकरत है , औरे इ्न ती्नों म में रे हहोकरे एक रतत िति-धतरेत बहती है,
जिस जरकत गहरेत रमबनध ितरेत के ररेहोकतरेों रे रेहत है | इ्न पुसतकों के मुर-पृष्ठ रे उद्धररेत कुछ अ सिंशों रे प्रत््ेक पुसतक
कहो भलूर्ने के पीछे, लूेरक के उदेश् कहो िलूी प्रकतरे रमझत जत रकेगत|

ितरेत विर सिंड्न, - '्द्रविड़ितदी एि सिं दभलूतितदी दरेतरेों म में पजिस पश्चिमी हसतक्षेप', जहो 'Breaking India' कत कह सिंदी अ्नुितद बतततत
है कक ककर प्रकतरे रे "ती्न ऐरे िैजिस ्विक मकड़-जतलू ितरेत का की अर सिंडतत कहो विर सिंकडत करे्ने म में लूगे हुए हैं जिस ज्नके,
रुगकित कक्र्तशीलू आधतरे-सतमि ितरेत के अ सिंदरे स्तवपत हैं| ्े हैं: (१) पतककसतत्न रे र सिंबद्ध इसलूतमी जिस जहतद; (२)
्नैपतलू जैरे वबश चिौभलू्ों के मतध्म रे श चिी्न-रमभ््मत मतजिस कर्मससिस्ट त्त मति-ितकद्ों के रमिपलूह औरे (३) मत्नितभधकतरेों के
्नतम परे पजिस पश्चिम दतरेत पहोवषत विर सिंड्न-कतरेी ्द्रविड़ितदी एि सिं दभलूतितदी पहश चित्न में| ्ह पुसतक इ्नम में रे तीररेे वब सिंद ु परे
ध्त्न आकवष्मत करेती है कक: अमरेीकत एि सिं ्िपलूरेहोप का की श चिश चि्, बुवद्धजीिी-िग्म, विश चितरे-म सिंश चि, र सिंगि्न, ररेकतरे में एि सिं
मत्नितभधकतरे-रमिपलूह, ककर प्रकतरे रे ्द्रविड़ितकद्ों त्त दभलूत रमुदत्ों का की पहश चित्नों कहो शेष ितरेत रे अलूग करेते रेहे
हैं| शहोध रे पत्त ग्त कक ककर प्रकतरे विदेशी ध्नरेतभश कत उप्होग भशक्षत, मत्नितभधकतरेों, ्नेतृत्ि एि सिं रशवक्तिकरेण-
प्रभशक्षण के ्नतम परे ितरेत म में ऐरी ्होज्नतएएँ श चिलूत्ने हेतु हहोतत है, जहो क्रहोधी ्ुितओ सिं कहो उ्नका की ितरेती् पहश चित्न रे
विरेत करेते रेहते हैं|

्ह पुसतक बड़े रेहोश चिक ढं सिंग रे ्ह बततती है कक कैरे अप्रश चिभलूत ्नसलूी भरद्धत सिंतों कत प्र्होग आज िी विकतरशीलू देशों म में,
गृह्ुद्ध एि सिं जतभत-र सिंहतरे िड़कत्ने ितलूी कतलपभ्नक र सिंरेश चि्नतएएँ प्रसतुत करे्ने औरे उग-विितद छेड़्ने के भलूए हहोतत है| ईससिस्ट
इ सिंकड्त क सिंप्नी कतलू रे आरे सिंि, ्द्रविड़-आनदहोलू्न के ही २०० िष्षों के इर इभतहतर म में, ऐरी भश चिनततज्नक बतत में आरे सिंि हुई!
उरकत आधुभ्नकतम सिरुप '्द्रविड़-ईरतइ्त' आनदहोलू्न है, जहो दहो रौ िष्म पहलूे ब्नतई गई दरेतरेों कहो उघतड़्ने हेत,ु
रेतज्नैभतक-रत सिंसकृभतक इभतहतर गढ़्ने म में लूगत हुआ है| इर कत््म म में रेत, प्रमुर पजिस पश्चिमी हजिस सत्ों एि सिं उ्नके ितरेत जिस स्त
भमतों के ्नतम, ्ह पुसतक बततती है जिस जरकत उदेश् इर विष् परे ्ह रचश चिी बहर आरे सिंि करे्नत है, कक त्तकभ्त
मत्नितभधकतरे एि सिं अन् 'रशवक्तिकरेण' पररे्होज्नतएएँ, ककर हद तक केिलू अधम गभतविभध्ों परे, पदत्म डतलू्ने हेतु श चिलूतई
जतती सिं हैं| बैजिस लज््न विदत्न, कहोएनतड एलससिस्ट, इरे पिपलूित्मत्-ितद, 'ितरेत-श चिौकरी', 'दजिस क्षण-एभश्त अध्््न' ्नतम के ग सिंिीरे
रेतज्नैभतक भ्रषतश चितरे के अड्डों कत आज िी पिपलूि्मित, रुलूतरत करे्ने ितलूी पुसतक मत्नते हैं|

विभिन्नतत , 'पतपश्चितत्् रति्मिौभमकतत कहो ितरेती् श चिु्नौती', (Being Different कत अ्नुितद है जहो देिेन्द्र भर सिंह एि सिं
रुरेेश भश चिपलूिपलू्नकरे दतरेत र सिंपन्न कक्त ग्त) म में लूेरक, ितरेत का की ओ़रे कसिस्टका की पजिस पश्चिम का की एकसिस्टक दृवष कहो पलूसिस्टकरे, उ्नरे
परेसपरे भिन्नततओ सिं परे उ्नके रत् रीधे रचश चिे र सिंितद का की श चिु्नौती कत रतम्नत करे्ने हेतु, ितरेत का की कदशत रे उनह में धतभम्मक
दृवष रे देर्ने परे ध्त्न आकवष्मत करेते हैं| ऐरत करे्ने परे, दहो्नों पक्ष जहो एक दर
िपलू रेे एि सिं अप्ने बतरेे म में िी, अब तक
वब्नत परेीक्षण कक्े हुए विश चितरे रेरते आ्े हैं, उ्नकहो लूेरक श चिु्नौती देते हैं| िे सपष करेते हैं कक जहतएँ अकदती्

1
ऐभतहतभरक रेहस्होद्तसिस्ट्न पजिस पश्चिमी मजहबों के आधतरे हैं, िहत सिं ितरेती् धम्षों कत आगह रशरेीरे ्ही सिं औरे अिी, आत्मजत्न
प्रतप्त करे्नत है| िे ्ह िी इ सिंभगत करेते हैं कक धम्म म में भ्नकहत आधतरेििपलूत एकतत के विपरेीत, पजिस पश्चिमी विश चितरे त्त इभतहतर,
कृवतम एकतत परे आभआश्रित हैं| िे ध्त्न कदलूतते हैं कक र सिंसकृत पदों के विर सिंड्नकतरेी अ्नुितदों रे ककर प्रकतरे का की हतभ्न हुई
है औरे उरका की आलूहोश चि्नत हहो्नी श चितकहए एि सिं ्ह िी कक आपरी भिन्नततओ सिं परे पजिस पश्चिमी व््गतत त्त उ्नका की कटसिस्टरे
व््िस्तत्मक र्नक, धम्म म में अरेतजकतत के प्रभत रकतरेतत्मक रहजतत के वबलूकुलू विपरेीत है| िैजिस ्विक दृवषकहोण का की
िकतलूत करेते हुए उनहों्ने पतपश्चितत्् रति्मिौभमकतत कहो अप्नी इर पुसतक के दतरेत ्नकतरे कद्त है|

लूघु र सिंसकरेण -ितग १ ("Being Different” के पृष्ठ ३०६ तक)


विभिन्नतत कत ्ह लूघु-र सिंसकरेण Being Different के उरी मिपलूलू अ्नुितद के अलूहोक म में तय्तरे कक्त ग्त है| ्ह
उ्नके भलूए रुविधत-ज्नक हहोगत जहो मिपलूलू पुसतक के रतरेत सिंश कहो अ सिंगेजी औरे कह सिंदी दहो्नों म में पढ़्नत श चितह मेंगे| इनह में पढ़्नत दहो्नों
अदत
ु पुसतकों कहो पढ़्ने कत विकलप ्नही सिं है , िरे्न इ्नम में म में रे ककरी एक कहो िी कई बतरे पढ़्ने के उपरेत सिंत , महत्िपिपलूण्म
रिपलूतों के समरेण कहो पुखतत करे्ने हेतु ्ह लूघु-र सिंसकरेण रुभध पतिकों के भलूए उप्होगी हहोगत| ितग २ म में इर पुसतक कहो
पढ़करे क्त करे्नत अिीष हहोगत, कत रुलूतरत कक्त ग्त है|

इन्द्र-जतलू – 'कह सिंद िपलू धम्म का की दतश्मभ्नक एकतत'| इन्द्र-जतलू (Indra's Net) का की अिधतरेणत जहो अ्ि्म िेद रे लूी गई है, िह
अनतरर्संबद्धतत का की एक रशक्ति उपमत है| िह बौद्ध धम्म के अिततमरक रिपलूत के मतध्म रे पजिस पश्चिमी विश चितरे म में रमत्त, जहतएँ
िह अब उत्तरे-आधुभ्नकतत-ितद के मिपलूलू म में स्तवपत है| इर उपमत के अ्नुरतरे, अ सिंततमशः कुछ िी अप्ने आप रे अजिस सतत्ि
म में ्नही सिं है एि सिं रब रीमतएएँ विर सिंकडत का की जत रकती सिं हैं| Indra's Net ्ने कह सिंद िपलू धम्म का की रुलूी र सिंरेश चि्नत, एकतत एि सिं रततत्
के सपषीकरेण हेत,ु इन्द्रजतलू का की र सिंकलप्नत कत आितह्न कक्त है| इर दृवषकहोण रे पतरे सिंपररेक, आधुभ्नक एि सिं उत्तरे-
आधुभ्नक जैरे पजिस पश्चिमी िगरकरेणों म में, कह सिंद िपलू धम्म कहो रमेसिस्ट्नत र सिंिि ्नही सिं है, जिस जर रूप म में पजिस पश्चिम अप्ने कहो पररेितवषत
करेतत रेहत है; बजिस लक, ्ह रतफ है कक कह सिंद िपलू धम्म एक ही रम् म में , वब्नत अ सिंतवि्मरेहोधों के इ्न ती्नों िग्षों रे व््तप्त रेहतत
आ्त है|

लूेरक कहो ्ह पुसतक भलूर्ने का की प्रेरेणत तब भमलूी, जब उ्नका की पुसतक 'Being different' कहो, अमरेीका की मजहबी
अकतदमी दतरेत, पुसतक म में कदए गए मिपलूलू वब सिंदओ
ु सिं का की ओ़रे ध्त्न कदए वब्नत ही '्नि-कहनदि
ु तद', जहो उ्नके अ्नुरतरे सितमी
वििेकत्न सिंद त्त अन् कह सिंद िपलू रेतष्ट्रितकद्ों दतरेत शुरू कक्त ्त, जैरत ही मत्न भलू्त ग्त, जबकक, पुसतक म में पजिस पश्चिम के रत्
ितरेत के र सिंब सिंधों के विष् म में महत्ि के कई वब सिंद ु उित्े गए ्े| इरभलूए '्नि-कहनदि
ु तद' के इर शरेतरेती भम्क कहो
रमतप्त करे्ने हेतु, शीघ्रतत रे तुरे सिंत कुछ करे्नत, लूेरक के भलूए आिश्क हहो ग्त|

रेतजीि मलहहोतत के लूेर्न रे मेरेे जुड़्ने कत क्रम िष्म २०११ के उत्तरेतध्म म में आरे सिंि हु आ औरे उरके बतद मुझे 'Being
different' कहो कई बतरे पढ़्ने का की प्रेरेणत हुई| पजिस ्डत आश्रिीरेतम शमत्म आश चित््म रे मतश चि्म १९७९ म में भमलू्ने के बतद, जहो मेरेे
पिपलूज् गुरुदेि ्े, का की जीि सिंत तपस्त एि सिं उ्नके विसतृत कह सिंदी लूेर्न रे, गहरेतई रे पररेभश चित हहो्ने के कतरेण, मेरेे म्न म में
रेतजीि जी का की इर अ सिंगेजी पुसतक के रसिस्टीक ि रही कह सिंदी अ्नुितद हेत,ु पहलूे उरके कह सिंदी अ्नुितद का की पररे्होज्नत रे
जुड़्ने, त्त कफरे दहो्नों के लूघु-र सिंसकरेण, अ सिंगेजी एि सिं कह सिंदी म में तय्तरे करे्ने का की बतत पैदत हुई| इर प्रकतरे, पुसतक के
कह सिंदी अ्नुितद 'विभिन्नतत' कत प्रकतश्न २०१३ म में हुआ औरे अब इरके लूघु-र सिंसकरेण कहो िी लूेरक का की अ्नुमभत रे,
पतिकों के उप्होग हेतु प्रसतुत कक्त जत रेहत है| ्ह आशत है कक 'विभिन्नतत' कत ्ह लूघु-र सिंसकरेण, ितरेत के कह सिंदी
ह्रद्-क्षेत के रहृद् पतिकों कहो वप्र् लूगेगत औरे िे इरकत गह्न अध्््न करे्ने के बतद, इरका की गिपलूढ़ जत्न रेतभश के
प्ररतरेण कत कतम, िलूी प्रकतरे रे करे्ने हेतु तत्परे हों जत् मेंगे| अ सिंगेजी म में भलूरी गई इ्न ती्नों पुसतकों कहो पढ़्ने कत
अ्नुिि, मेरेे, अप्ने भलूए एक प्रकतरे कत बौवद्धक अभि्त्न एि सिं आध्तजिस त्मक पु्नजत्मगरेण के रमत्न रेहत है, जिस ज्न के
मतध्म रे ्हिपलूदी-ईरतई मजहबों का की तुलू्नत म में िेदों, िेदत सिंत, िैषणि, बौद्ध एि सिं जै्न दश्म्नों के विष् म में मेरेी रमझ म में
आमिपलूलू-श चििपलूलू पररेित्म्न आ्त प्रतीत हहोतत है| मेरेी रेत् म में, हरे ितरेती् कहो इ्न ती्नों अ सिंगेजी पुसतकों एि सिं उ्नके अ्निपलूकदत

2
र सिंसकरेणों कहो पढ़्नत श चितकहए|

र्नतत्न धम्म का की रेित म में, उरके विशतलू दश्म्न कहो ्ज-शतलूतओ सिं, क्तितश चिकों का की व््तर पीिों, म सिंकदरेों औरे िज्न-
म्डभलू्ों रे ऊपरे उितकरे उरे अमरेीका की मजहबी अकतदमी त्त ितरेत औरे वि्वि िरे म में घिपलूम्ने ितलूे गुरुओ सिं के म सिंश चिों
तक पहु सिंश चित दे्ने कत जहो अकदती् कतम, रेतजीि मलहहोतत ्ने कक्त है, उरके भलूए उनह में रब कत कहोकसिस्ट-कहोकसिस्ट रतधुितद है|

कद्नत सिंक १५ अगसत, २०१४ जगदीश श चि सिं्द्र पनत

3
विष् रिपलूश चिी
पृष्ठ र सिंख्त
१. प्रसतति्नत १
२. विष् प्रिेश ५

ितग १
३. रजिस न्नकहत सित्नुििपलूत जत्न ब्नतम इभतहतर-केजिस न्द्रकतत ७
४. अभिन्न आधतरेििपलूत एकतत ब्नतम कृवतम कदरतिसिस्टी एकतत २७
५. अरेतजकतत के प्रभत व््गतत ब्नतम जकसिस्टलूतत एि सिं असपषतत के प्रभत रहजतत ४३
६. र सिंसकृभत्ों कहो रहोश चि-रमझकरे पश चित्नत ब्नतम अ्नुितदेतरे-र सिंसकृत ५३

ितग २
७. पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत रे मुकतबलूत ७३
८. भ्नषकष्म – पिपलूि्मपक्ष औरे िविष् का की रेतह ८३

पररेभशष क ८७

पररेभशष र ९३

4
ितग १

विष् प्रिेश

पिपलूि्म रे पजिस पश्चिम कहो देर्ने परे िह कैरत कदरतत है, बजत् इरके कक पिपलूरेे वि्वि कहो पजिस पश्चिमी ्नज़ररेए रे ही केिलू
देरत जत्? अप्नी बहु-प्रश चितररेत, आत्मतिलूहोक्न का की क्षमतत के बतिजिपलूद, पजिस पश्चिम कहो अप्नी बहुत रतरेी कभम्त सिं
कदरतई ही ्नही सिं पड़ती सिं औरे उरे पिपलूि्म, रतरकरे ितरेत का की जरूरेत है, जहो उरी का की िलूतई के भलूए इ्न कभम्ों
रे उरे अिगत करेत रकतत है औरे इर प्रकतरे पिपलूरेे वि्वि म में आज व््तप्त कई रमस्तओ सिं के रमतधत्न म में िी
्होगदत्न दे रकतत है|

ितरेत सि् सिं अप्नी एक विभशष एि सिं रमेककत रभ््तत है जिस जरके अ सिंदरे औरे बतहरे, विविध र सिंसकृभत्ों, मतों
एि सिं दश्म्नों के मध्, उ्नका की गह्न भिन्नततओ सिं के बतिजिपलूद िी, उ्नरे रकतरेतत्मक र सिंितद स्तवपत करे्ने का की
क्षमतत भरद्ध है, जिस जरके बलू परे मत्नितत का की विभिन्न धतरेतओ सिं कहो अप्ने म में शत सिंभतपपिपलूण्म विभध्ों रे रमतकहत
करे्ने म में िह रफलू िी हुआ है| इर पुसतक कत विष् है, ितरेत ककर प्रकतरे पजिस पश्चिम रे भिन्न है, जिस जरम में ्ह
िी रहोज का की गई है कक वि्वि ितरेत कहो जैरत कदरतई पड़तत, िह पजिस पश्चिम का की दृवष रे ककर प्रकतरे भिन्न है|
ितरेत कहो केिलू प्रतश चिी्न औरे ्निी्न के एक पुभलू सिंदे का की तरेह ्नही सिं देरत जत रकतत, जिस जरे अप्रत््तभशत औरे
अरहज रूप रे वब्नत ककरी सितितविक एकतत के, कृवतम रूप रे जहोड़ कद्त ग्त हहो| ितरेत ितसति म में एक
रमेककत रमतज व््िस्त स्तवपत करे्ने का की विभध औरे उरकत पररेदृश् प्रसतुत करेतत है, जिस जरम में कई भिन्न
मतों औरे ्हतएँ तक कक ्नतजिस सतकतत औरे विजत्न कत िी पिपलूण्म रमतिेश हुआ है - रत् ही जीि-मतत के
अजिस सतत्ि हेतु कसिस्टकतऊ प्त्मिरेण-र सिंरेक्षण एि सिं भशक्षत के प्रभतमत्न िी स्तवपत कक्े गए हैं जहो आज के उिरेते
हुए वि्वि के भलूए आिश्क हैं|

लूेरक कत ध्त्न अमरेीका की इभतहतर औरे र सिंसकृभत परे विशेष रूप रे क मेंक्द्रत है, क्िपलू सिंकक िे ही आज पजिस पश्चिमी
पहश चित्न के मुख् ्नुमत् सिंदे हैं| ्िपलूरेहोप के इभतहतर का की रमीक्षत, लूेरक मिपलूलूतमशः पजिस पश्चिम का की सि् सिं के विष् म में, एि सिं
ितरेत के प्रभत उ्नका की रमझ एि सिं उरका की ओ़रे उ्नकत दृवषकहोण उजतगरे करे्ने के उदेश् रे करेते हैं , विशेष रूप
रे ितरेत त्त उर रभ््तत, जिस जररे एक आधुभ्नक रेतष्ट्र के रूप म में ितरेत कत उद् हुआ है, के प्रभत पजिस पश्चिम
का की दृवष के भ्नधत्मरेण म में, जम्म्नी के ्होगदत्न परे ध्त्न क मेंक्द्रत करेते हैं| ितरेत का की पहश चित्न कहो र सिंकडत करे,
उरके विभिन्न अि्िों के रूप म में पजिस पश्चिम दतरेत प्रश चिभलूत विभध रे िे देर्ने रे परेहेज़ करेते हैं, जिस जर प्रकक्र्त
कत उललूेर उ्नका की वपछलूी पुसतक “Breaking India” म में देर्ने कहो भमलूतत है|

लूेरक ्ने '्हिपलूदी-ईरतई'-िण्म-र सिंकरे जैरे र सिंबहोध्न कत उप्होग, उर मत-व््िस्त के भलूए कक्त है जहो इ्न दहो्नों
मतों म में सिीकृत है, विशेषकरे ऐभतहतभरक रेहस्होद्तसिस्ट्न कहो उ्नके दतरेत कदए गए महत्ि कहो लूेकरे, जिस जरकत
उललूेर लूेरक ्ने "इभतहतर-केजिस न्द्रकतत" कह करे कक्त है| पजिस पश्चिमी आधतरेििपलूत मतन्ततएएँ एि सिं मिपलूल् केिलू
मतत इभतहतर-केजिस न्द्रकतत रे ही ्नही सिं, िरे्न अरेसतुितदी ्िपलू्नत्नी तक्म एि सिं प्र्होगतभआश्रित जत्न परे उ्नका की भ्नि्मरेतत
के पररेणतम-सिरुप गढ़ी गई रत सिंसकृभतक पहश चित्न जिस जरे पजिस पश्चिम कहत ग्त, रे िी उपजी सिं, जहो कहोई रमेककत
इकतई ्न हहोकरे केिलू मतत एक कृवतम व््िस्त है, जहो गभतशीलू तहो है, लूेकक्न गहरेतई रे अजिस स्रे िी है,
जिस जर रे आरे सिंि रे ही विसततरेितदी, व््ग औरे बेश चिै्न आक्रतमक अजिस स्रेतत फ़ैैलूत्ने ितलूी, ऐभतहतभरक

5
पररे्होज्नतओ सिं ्ने जनम भलू्त है| इर अजिस स्रेतत ्ने गैरे-पजिस पश्चिमी लूहोगों परे ही ्नही सिं , िरे्न सि् सिं पजिस पश्चिमी लूहोगों
परे िी कहरे बरेपत है|

'धम्म' एक र सिंसकृत शबद है जहो अप्ने म में शततजिस बद्ों रे विकभरत हहो रेही, विविधतत-र सिंपन्न जीि्न-शैभलू्ों एि सिं
विश चितरेों कहो रमेसिस्टे हुए है, जहो ितरेत म में उपजी कह सिंद,िपलू बौद्ध, जै्न औरे भरर धम्षों का की आध्तजिस त्मक परेमपरेतओ सिं के
पररेितरे का की ओरे इ सिंभगत करे्ने हेतु रतमतन्तमशः, आज प्र्होग कक्त जततत है औरे ्ह देर्ने म में आतत है कक
इ्नम में रे प्रत््ेक र सिंप्रदत् के विविध पररेदृश् त्त रतध्नतएएँ, उ्नका की आत सिंररेक रुलूे-प्न एि सिं अ्नतक्रतमक-
व््िहतरे पद्यभत्ों, एि सिं तत्ि-भश चि सिंत्न के उचश चि सतरे परे आधतरेििपलूत गहरेी एकतत के पहोषक कदरतई देते हैं|
पजिस पश्चिम म में व््तप्त इभतहतर-केजिस न्द्रकतत औरे विजत्न ब्नतम आस्त के द सिंदों रे ितरेती् धम्म व््िस्त (जिस जरम में
प्र्होगतत्मकतत एि सिं त्नति कत अिति कतई ्नही सिं रेहत है), रदत मुक्ति रेही है| लूेरक इर धतभम्मक दृवषकहोण कत
उप्होग केिलू उर विशेषणतत्मक एकसिस्टक लूगी हुई दृवष कहो पलूसिस्ट्ने के भलूए करेते हैं, जहो रतमतन्तमशः पजिस पश्चिम
रे पिपलूि्म का की कदशत म में कसिस्टका की रेहती आई है औरे पररेणतमतमशः, पजिस पश्चिम कहो अ्नत्तर ही पुष करेती रेही है|

लूेरक पजिस पश्चिम के रतपेक्ष, ितरेती् धम्म कहो उ्न दहो श चिरेम छहोरेों रे अलूग रेरते हैं, एक जिस जरके फलूसिरूप
धतभम्मक जत्न कहो अभत आश्रिेष्ठ बतत करे उग-रेतष्ट्री्तत औरे द सिंि पररेलूजिस क्षत हहो्ने लूगे, जहो वि्वि रमुदत् रे
व््िहतरे करे्ने म में ककि्नतई पैदत करे रकतत है, ्हतएँ तक कक अलूग-्लूक पड़्ने कत जहोजिस रम िी पैदत हहो
रकतत है| दर
िपलू रेत छहोरे जिस जररे उनहों्ने परेहेज़ कक्त है िह है - धम्म कहो श चिुभ्ननदत विरेहोधतितरी उदतरे विश चितरेों कत
एक र सिंगह-मतत कदरतकरे, उरका की सितितविक पररेित्म्नकतरेी क्षमतत के भलूए उपलूबध, अभ्नित््म एकतत्मतत कत
उरम में अिति पैदत करे दे्नत| जिस ज्न श चितरे क्षेतों म में ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं औरे धतभम्मक र सिंसकृभत्ों म में अ सिंतरे है िे
इर प्रकतरे हैं:-

१. रजिस न्नकहत सित्नुििपलूत जत्न ब्नतम इभतहतर-केजिस न्द्रकतत


२. अभिन्न आधतरेििपलूत एकतत ब्नतम कृवतम कदरतिसिस्टी एकतत
३. अरेतजकतत के प्रभत व््गतत ब्नतम जकसिस्टलूतत एि सिं असपषतत के प्रभत रहजतत
४. र सिंसकृभत्ों कहो रहोश चि-रमझकरे पश चित्नत ब्नतम अ्नुितदेतरे-र सिंसकृत

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#१: रजिस न्नकहत सित्नुििपलूत जत्न ब्नतम इभतहतर – केजिस न्द्रकतत

ितरेती् धतभम्मक औरे ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं म में, देित्ि कहो जत्न्ने का की विभध्ों म में मौभलूक अ सिंतरे है| धतभम्मक
परेमपरेतओ सिं ्ने 'अध्तत्म विद्यत' ्नतम रे आत सिंररेक विजत्न औरे प्र्होगतत्मक विभध्ों का की एक विसतृत आश्रि सिंरलूत
विकभरत का की जिस जरके मतध्म रे श चिेत्नत का की प्रकृभत के शहोध दतरेत, देित्ि कत प्रत््क्ष रतक्षतत्कतरे एि सिं श चिेत्नत का की
उचश चि जिस स्भत्त सिं प्रतप्त करे्ने के कक्े, भरद्ध रतधकों दतरेत प्र्होगतभआश्रित भ्नरेीक्षण कक्त ग्त| रतध्नत रे रहोजत
ग्त इ्नके रत्् कहो, रहोज्ने एि सिं उरकत अ्नुिि प्रतप्त करे्ने हेतु, प्रत््ेक जिस जजतरिपलू रतधक कहो सि् सिं प्र्तर
करे्नत हहोतत है| लूेरक ्ने 'रजिस न्नकहत जत्न' के र सिंबहोध्न रे इर अध्तत्म-विद्यत का की ओ़रे र सिंकेत कक्त है|

इरके विपरेीत, मत्नि-मतत के रतमिपलूकहक ितग् के विष् म में, ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतए सिं देि-दत
िपलू ों के दतरेत कक्े
गए ऐभतहतभरक रेहस्होद्तसिस्ट्नों परे भ्नि्मरे रेहते हैं| मत्नि का की दशत ई्विरे का की अिजत के पतप रे उपजी है ,
जिस जरकत आरे सिंि आदम औरे हव्ित, जहो मत्नि-मतत के पुरेरे हैं, दतरेत कक्े गए प्र्म पतप रे हुआ| हरे एक
व््वक्ति पतपी ही पैदत हहोतत है | इरके कतरेण मत्नि-मतत देित्ि रे ्नही सिं जुड़ रकते (कम रे कम धतभम्मक अ््म
म में तहो ्नही सिं ही); इरके बजत् मुवक्ति आध्तजिस त्मक लूक्ष् है, जहो केिलू ई्विरे का की आजतओ सिं कत पतलू्न करेके प्रतप्त
हहो रकती है औरे जहो विशेष देि-दत
िपलू ों के रमिपलूह एि सिं इ सिंभगत का की गई ऐभतहतभरक घसिस्ट्नतओ सिं के दतरेत ही रमझी
जत रकती सिं हैं| इर भलूए, उर दैिी हसतक्षेप के ऐभतहतभरक दसततिेज़ कहो रतिधत्नी रे रेकरत जत्नत अभ्नित््म
है, एि सिं उरके रत्् कहो आगे बढ़त्नत औरे आक्रतमकतत के रत् उर परे श चिश चि्म दतरेत आगह कक्त जत्नत
आिश्क है| ्ह इभतहतर रतरेे वि्वि परे अभ्नित््मतमशः, लूतगिपलू मत्नत जततत है औरे मत्नितत के रतमिपलूकहक ितग्
कत भ्नधत्मरेण एि सिं उर परे भ्नण्म् , 'अ सिंभतम रम्' (End Times) परे कक्त जत्ेगत| लूेरक ्ने पिपलूि्मकतलू के
दौरेत्न इलहतम रे प्रतप्त कक्े गए, दैिी रत्् के विभशष एि सिं प्रत्मशः विरेहोधी दतिों परे इर प्रकतरे, डसिस्टकरे आगह
करे्ने कहो इभतहतर-केजिस न्द्रकतत कत ्नतम कद्त है|

धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के सित्नुििपलूत जत्न का की तुलू्नत म में ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं का की इभतहतर-केजिस न्द्रकतत, इ्नके
ितरेी अ सिंतरे कहो कदरततत है, जहो एक ऐरी रमस्त िी है जिस जरके पररेणतम-सिरुप अ्नभग्नत, म्नहोविजतभ्नक,
मजहबी एि सिं रतमतजिस जक र सिंघष्म, जनम लूे रकते हैं| इभतहतर कहो इत्नत महत्ि दे्नत (्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतए सिं
रेहस्-ितकद्ों कहो शक का की ्नज़रे रे देरती श चिलूी आई हैं) एक रतधक का की, अप्ने अ सिंदरे झत सिंक करे रहोज करे्ने
का की सित सिंततत कहो कमजहोरे करे देतत है, जिस जरका की अ्नुमभत ्कद श चिश चि्म दे्ने लूगे तहो ऐरे रतधकों के परेसपरे विरेहोधी
रत्् के दतिों कत रमनि् र सिंिि ्नही सिं हहो रकेगत, जहो अ सिंतही्न कलूह कत कतरेण ब्न रकतत है|

अध्त् १ – दस
ु रतहर भिन्नतत कत

ितरेती् धतभम्मक रभ््ततओ सिं कत रत सिंसकृभतक एि सिं आध्तजिस त्मक रतएँश चित, पजिस पश्चिम का की रहोश चि रे वबलूकुलू भिन्न है|
भिन्नतत-जभ्नत व््गतत रे भ्नपसिस्ट्ने कत एक प्रश चिभलूत तरेीकत जहो रतमतन्तमशः कदरतई ही ्नही सिं पड़तत, ककरी हद
तक, इरीभलूए विशेष रूप रे औरे िी रतरे्नतक है| लूेरक ्हतएँ एक र सिंसकृभत दतरेत दर
िपलू रेी कम शवक्तिित्न कहो
विस्तवपत करे उरे पश चित्ने का की ओ़रे ध्त्न कदलूत रेहे हैं , जिस जर रे भिन्नतत कहो कम कदरत्ने हेतु, बलूित्न
र सिंसकृभत, रमत्नतत कत ढंोंग करे, आश्रिहोत कहो इ सिंभगत कक्े वब्नत उरे आत्मरतत करेती रेहती है| लूहोकवप्र्
र सिंसकृभत के सतरे परे, ितरेत औरे पजिस पश्चिम म में बरेतबरेी कदरतई िी पड़ रकती है, लूेकक्न गहरेे सतरेों परे जहतएँ

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रभ््तत का की मिपलूलू अिधतरेणतएएँ भ्नितर करेती सिं हैं , िहत सिं कत््मक्षेत झुकत हुआ है| र सिंसकृभत कहो अप्ने म में भमलूत्त
जत्नत, बरेतबरेी कत महज, एक कदरतित िरे है|
प्रत्मशः जब िैजिस ्विक र सिंसकृभत औरे रति्मिौभमकतत का की बतत उिती है, तब ऐरत उजलूत पररेदृश् प्रसतुत कक्त
जततत है कक ितरेती् धतभम्मक औरे पतपश्चितत्् र सिंसकृभत्ों कत र सिंगम रदत रे ही शुि रेहत है, जिस जर धतरेणत ्ने
कई विकृभत्ों औरे आश्रिहोतों कत जिस जक्र कक्े वब्नत, पजिस पश्चिम दतरेत ितरेती् र सिंसकृभत के तत्िों कहो आत्मरतत कक्त
जत्ने के रत् रत्, कटसिस्टरे ईरतइ्त, मतकर्मितद, पिपलू सिंजीितदी विसततरेितद एि सिं अदरेिपलू दशर धम्म-भ्नरेपेक्षतत के अभत
वि्नतशकतरेी प्रिति का की अ्नदेरी का की है| ्ुित िग्म, रतरकरे इर ्नई प्रकतरे का की िैजिस ्विक पहश चित्न कहो, अप्नी मिपलूलू
परेमपरेतओ सिं का की का कीमत परे तहो प्रत्मशः तुरे सिंत अप्नततत है| विभशष र सिंसकृभत्ों कहो आपर म में घुलू-भमलू करे एक हहो
जत्ने के िहोलूे भरद्धत सिंतों का की दलूीलू, इर प्रकतरे दी जतती है कक अब तहो एक रमतलू, धम्म-भ्नरेपेक्ष वि्वि उिरेतत
श चिलूत जत रेहत है, जिस जरम में रतमिपलूकहक इभतहतरों, पहश चित्नों एि सिं वि्वितरों के आधतरे परे कहोई भिन्नतत रेह ्नही सिं
जत्ेगी| गत रदी कत आधुभ्नकतत-विरेहोधी आनदहोलू्न ऐरी ही एक र सिंरेश चि्नत ्ी जिस जरकत महत्ितकत सिंक्षी, कदरतिे
कत लूक्ष् तहो ्ह ्त कक पजिस पश्चिमी आक्रतमकतत कत बकहषकतरे हहो, लूेकक्न उरके पतर ऐरत कहोई विकलप ्नही सिं ्त
जिस जरके अ सिंतग्मत िे भिन्नततओ सिं कहो रकतरेतत्मक रूप रे उिरे्ने दे्ने के महत्ि कहो रमझ रकते, ्न ही उरम में
ऐरी रमझ ्ी कक क्िपलूएँ भिन्नततओ सिं कहो रमनि् रे रेह्ने दे्नत, वि्वि के भलूए अिीष िी हहो रकतत है|
िै्विीकरेण कहो ऐरी शत्षों एि सिं र सिंरेश चि्नतओ सिं म में प्रत्मशः प्रसतुत कक्त जततत है, जिस ज्नकत प्रतदि
ु त्मि वपछलूे ५०० िष्षों
के, वि्वि परे पजिस पश्चिमी अभधपत्् के अधी्न हुआ, जहो उ्न मिपलूल्ों त्त वि्वितरों परे आधतररेत है, जिस ज्नकत उद्गम
्िपलूरेहोपी् लूहोगों के विभशष इभतहतर औरे मजहबी अ्नुि िों रे हुआ| रतमिपलूकहक पहश चित्नों के विर सिंड्न औरे त््तग
रे एि सिं 'आधुभ्नकतत', '्नसलूितद', 'मजहब', त्त 'रेतष्ट्रितकदतत' के परेे का की रहोश चि, जैरे आकष्मक विश चितरेों रे, रिी
रीमत-रेेरतओ सिं कहो श चिु्नहोती कदए जत्ने परे जहो भश चित उिरेतत है, उरम में सित सिंत वि्वि कत ्नही सिं, िरे्न उनही सिं
शवक्तिर सिंपन्न पहश चित्नों कत प्रिुत्ि स्तवपत रेहतत है, जहो आज तक अप्ने इभतहतर के वििरेण औरे मिपलूल्ों के
दम परे बलूिती हहो श चिलूी सिं हैं|

इर दतिे कत, कक िै्विीकरेण कत आिश्का की् अ््म पतपश्चितत््ीकरेण है, कत आधुभ्नक श चिी्न एक अचछत विपरेीत
उदतहरेण है, जिस जर्ने आज वि्वि िरे रे व््िहतरे करे्ने म में अप्नी विभशषतत कहो अप्नी शत्षों परे बरिपलूबी प्रसतुत
कक्त है| इर उदतहरेण रे ्ह सपष हहो जततत है कक पजिस पश्चिम रे अप्नी भिन्नतत कहो प्रदभश्मत करे्ने कत अ््म ,
शेष वि्वि रे अलूग-्लूग हहो जत्नत ्त पिपलूि्म-आधुभ्नकतत म में अ्ित ककरी पुरेतत्न-सिप्न लूहोक म में असिस्टके रेह
जत्नत कदतवप ्नही सिं है|

िैश चितररेक उदतरेतत के ढंोंग कहो िेद्नत : भिन्नततओ सिं कहो िुलूत्ने हेतु 'रब एक हैं' के िति कहो आगह-पिपलूि्मक
प्रसतुत करे्ने के प्रमुर म सिंश चिों म में रे अ सिंतरत्ममप्रदतभ्क-र सिंितद कत म सिंश चि प्रमुर है| जिस जर मजहब म में 'फज़र देिततओ सिं'
का की पिपलूजत हहोती हहो औरे जिस जरके मत्न्ने ितलूों कहो 'मिपलूभत्म-पिपलूजक' ्त 'कतकफ़ैरे' कह करे कहकतरेत रे जत्नत जततत हहो,
उनह में रह्न तहो कक्त जत रकतत है, लूेकक्न उ्नकत रममत्न तहो ्नही सिं हहो रकतत| इर बतत परे लूेरक ्ने जहोरे
कद्त है, कक 'परेसपरे-रममत्न' कत िति रमरेरतत कहो व््क्ति करेेगत, बजत् 'रह्नशीलूतत' के जहो कृपत करे्ने
जैरत है| ्िपलूरेहोप म में ईरतइ्त के रब र सिंप्रदत्ों के बीश चि रकद्ों के मजहबी ्ुद्धों के बतद, 'रह्नशीलूतत' परे जहोरे
दे्ने कत श चिलू्न प्रश चिभलूत हुआ| 'रह्नशीलूतत' कहो 'परेसपरे रममत्न' म में बदलू्ने रे, ईरतइ्त के उ्न विभशष दतिों
परे आ सिंश चि आएगी, जिस ज्नके बलू परे उ्नके दतरेत बड़े पैमत्ने परे धमत्मनतरेण के भलूए श चिलू्ने ितलूे अभि्त्नों कत
औभश चित्् स्तवपत हहोतत आ्त है| लूु्ेरे्न र सिंप्रदत् के अ्नु्तभ््ों कहो तहो ्ह वि्वितर करे्नत हहोतत है कक

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बतइवबलू ही, रमसत दैिी जत्न कत प्रकसिस्ट आश्रिहोत है औरे िही 'एक-गन्' है, जहो रिी वि्वितरों एि सिं भरद्धत सिंतों के
विष्ों कत भ्नणत्म्क है|

्ह रि्मविकदत है कक ितरेत म में ईरतई पतदरेी छलू रे 'रब एक हैं' कत िुलूतित जतत करे रु्न्ने ितलूों कहो
रतमतन्त्त भ्नहत््त करे, अ सिंततमशः उ्नकत धमत्मनतरेण करेते आए हैं| ्ह सपष है कक अ सिंतरत्ममप्रदतभ्क-र सिंितद
जैरे रति्मजभ्नक म सिंश चिों के मतध्म रे वि्वि के मजहबों के बीश चि, ्ुगों पुरेत्ने जकसिस्टलू मतिेद ्नही सिं रुलूझतए जत
रकते हैं, लूेकक्न कम रे कम ्ह तहो मत सिंग हम करे ही रकते हैं कक, उ्नम में ितग लूे्ने ितलूे लूहोग, जहो ग सिंिीरे
भश चिनतक मत्ने जतते हैं, िे इनह में झुिलूत करे 'रब एक हैं' कत मुरहोसिस्टत पह्ने रेह्ने के बजत् आम्ने-रतम्ने उ्न
रमस्तओ सिं का की ओ़रे देर करे, रमतधत्न भ्नकतलू्ने कत प्र्तर तहो करे में| रदृश्तत एकतरेफत ्नही सिं हहो रकती है:
्कद 'क' 'र' के रमत्न है तहो 'र' कहो िी 'क' के रमत्न ही हहो्नत श चितकहए| लूेकक्न आश्रिी कृषण ्त महतदेि भशि
कहो ककत्ने भगरेजतघरे िही िैजिस ्विक िगित्न मत्न्ने कहो तय्तरे हैं जिस जर कत िण्म्न बतइवबलू म में है ? अिररे-विशेष
परे रदृश्तत के दतिे के पररेक्षण कत ्ह व््तिहतररेक तरेीकत प्र्होग म में लूत्त जत रकतत है| रुललूम-रुललूत
तौरे परे िलूे ही जब अ सिंतरत्ममप्रदतभ्क-र सिंितदरेत ईरतई प्रश चितरेक रदृश्तत के दतिे ्न करेते हों, लूेकक्न उपजिस स्त
कह सिंद िपलू प्रभतितभग्ों कहो इरी बश चिकत्ने आधतरे का की धतरेणत के िुलूतिे म में इ्न र सिंितदों म में ितग लूे्ने हेतु िे प्रेररेत
करेते हैं| प्रमुर ईरतई र सिंप्रदत्, अप्ने धमत्मनतरेण के उदेश्ों कहो इरी प्रिृभत कत अ्नुररेण करे के हत्ों हत्
र सिंश चितभलूत करेते रेहते हैं, जब आरे सिंि रे ही आश्रिहोततओ सिं कहो दहोसती के झत सिंरों म में रेर करे िे भ्नहत््त करे देते हैं|

भिन्नतत - जभ्नत व््गतत ्त परेसपरे रममत्न ?: भिन्नतत कत रममत्न हहो, ्हतएँ तक कक उरे रकतरेतत्मक
मत्नकरे गौरेितजिस नित िी कक्त जत् त्त रब ओ़रे रे रुलूे कदलू रे उरकत पररेक्षण हहो, इर रुझति कत प्रत्मशः,
रमत्न रूप रे ितरेती्ों औरे पजिस पश्चिमी लूहोगों दतरेत विरेहोध कक्त जततत है| लूेरक इर विरेहोध कहो 'भिन्नतत-
जभ्नत व््गतत' कह करे र सिंबहोभधत करेते हैं, जहो अकररे रत सिंसकृभतक एि सिं मजहबी रनदि्षों म में लूहोगों म में प्रकसिस्ट
हहोतत है| ्ह उर मत्नभरक अरहजतत का की ओ़रे इशतरेत करेती है जहो, भिन्नतत के अहरतर रे रतमतन्तमशः
उत्पन्न हुआ करेती है त्त उरे कमतरे करे्ने, भछपत्ने ्त भमसिस्टत्ने का की प्रिृभत के रत्-रत् विश चितरेों, आस्तओ सिं
औरे पहश चित्न म में रमत्नतत का की अपेक्षतकृत , आरेतमदत्क अिस्त का की तलूतश म में रेहती है| ऐरी विश चितरे-धतरेत श चितरेों
ओ़रे व््तप्त प्रकृभत के वबलूकुलू विपरेीत है, जिस जरम में पशुओ सिं, पौधों, पुषपों, ऋतुओ सिं, श चिटसिस्टत्नों एि सिं ्हतएँ तक कक
ब्रहत्ड के हरे सतरे का की विरेतसिस्ट विविधतत म में, प्रत््क्ष भिन्नततएएँ, गहरेतई रे भ्नकहत कदरतई पड़ती सिं हैं|

पजिस पश्चिमी रभ््तत कत ्ह श चिलू्न रेहत है कक िह अन् रभ््ततओ सिं के र्ड-र्ड करे उनह में अप्नी आश्रिेजिस ण्ों,
जिस जनह में 'गहोरेे', 'ईरतई', एि सिं 'प्रगभतशीलू' ्नसलू दतरेत भ्नधत्मररेत कक्त ग्त ्त, म में स्तवपत करेते हैं, जहो पिपलूि्म का की
ओ़रे पजिस पश्चिमी एकसिस्टक लूगी दृवष कहो विशेषतभधकतरे प्रदत्न करेतत है औरे उरे रति्मिौभमक प्रभतमत्न घहोवषत करे
औरेों कहो उनह में मत्न्ने के भलूए मजबिपलूरे करेतत है| ्ह एक भ्न् सिंतणकतरेी व््िस्त िरे है|

ितरेती् धतभम्मक र सिंसकृभत्ों म में पलूे-बढ़े कई लूहोग सि् सिं के गहोरेे, पजिस पश्चिमी, ईरतई, आकद ्न हहो्ने के कतरेण
ही्नतत-जभ्नत व््गतत महरिपलूर करेते हैं, औरे उ्नका की ्नई पहश चित्न कहो तब बढ़तित भमलूतत है जब िे ्ह कलप्नत
करे्ने लूग जतते हैं कक िे उपभ्निेशकों के रत सिंश चिे म में, उ्नके वि्वि-इभतहतर के वििरेण म में, उ्नके िैजिस ्विक विश चितरे,
ितषत, भम्क, रौंद््म-शतस्त्र आकद म में िलूी प्रकतरे रे स्तवपत हहो गए हैं| एक र सिंसकृभत कहो दर
िपलू रेे के दतरेत पश चित्े
जत्ने औरे इर प्रकतरे अप्ने म में भमलूत भलूए जत्ने के मुकतबलूे, उ्नम में परेसपरे आदत्न-प्रदत्न का की प्रकक्र्त श चिलूती

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रेह्ने दे्ने रे, िे दहो्नों अभधक दीघ्मजीिी हहो रकते हैं, जब कक पश चितई गई र सिंसकृभत तहो ्नष ही हहो जतती है|
ितरेती् परेमपरेतए सिं परेसपरे रममत्न के आधतरे परे भिन्नततओ सिं कहो रमस्त ्नही सिं मत्नती सिं हैं, उ्नका की रेक्षत का की
व््िस्त ब्नतती हैं| प्रकृभत म में जैरी अभ्नजिस पश्चिततत, र सिंश् एि सिं कई औरे प्रकतरे का की जकसिस्टलूततए सिं रमतई रेहती सिं हैं,
भिन्नतत उरकत ही भश चितण तहो प्रसतुत करेती है औरे उ्नके प्रभत रहजतत, ितरेती् िैजिस ्विक दृवष म में र सिंभ्नकहत है|

भिन्नतत - जभ्नत व््गतत - दमि रे: पजिस पश्चिम बहुत बेश चिै्नी रे प्रभतकक्र्त करेतत है, जब किी ्हिपलूदी-ईरतई
वि्वितरों म में भ्नकहत व््तपक अरहजतत औरे रतलूीप्न के बदौलूत, उरे प्रतप्त हुई आभधपत् स्तवपत करे्ने का की
उरका की विरेतरत रे श चिलूी आ रेही इर प्रिृवत्त कहो श चिु्नौती भमलूती है, जिस ज्न वि्वितरों दतरेत पतपश्चितत्् र सिंसकृभत
रकद्ों रे जकड़ी हुई है औरे अभिििपलूत रेही है| ्ह बेश चिै्नी ्त व््गतत मुख्तमशः ती्न तरेीकों रे प्रकसिस्ट हहोती है:

* रीधी कह सिंरत रे बेकहश चिक, दर


िपलू रेे कत रफत्त अ्ित जबरे्न धमत्मनतरेणकरे्नत; एक शवक्ति-र सिंपन्न श चिश चि्म वि्वि िरे
म में मजहबी-रमत्नतत स्तवपत करे्ने हेतु अप्ने इ्विरे-प्रदत्त अभधकतरे रे इर ईरतई पररे्होज्नत कहो र सिंश चितभलूत
करेतत है|

* मुख्-धतरेत रे दर
िपलू रेे कहो बेदरलू करे्नत, ततकक िह कहोई रतरेत ्न पैदत करे पतए| अमरेीका की दतश्मभ्नक रेौरेसिस्टी
अप्नी 'व््तिहतररेक' रहोश चि इर प्रकतरे रे फरेमतते हैं कक, ितरेती् विश चितरे-धतरेत पजिस पश्चिमी लूहोगों के भलूए
अप्रतर सिंभगक है, क्िपलू सिंकक ्कद उरके अध्््न रे उ्नके करे्ने-धरे्ने म में कहोई फक्म ्नही सिं पड़तत, तहो उररे कही सिं कहोई
फक्म ्नही सिं पड़तत, जिस जर रहोश चि के फलूसिरुप पजिस पश्चिमी अकतदमी दतरेत ितरेती् रभ््तत कहो दजिस क्षण एभश्तई
अध्््न एि सिं हतभशए के लूहोगों के भलूए आरेजिस क्षत, ऐरे ही कहो्नों म में धकेलू कद्त ग्त|

* दर
िपलू रेे मत के विभध-विधत्न का की छलूपिपलूि्मक ्नक़लू करे्नत, जहो उर मत म में एक प्रकतरे का की घुरपैि है, ततकक
भ्नकहत भिन्नतत कहो फा कीकत करे अ सिंततमशः उरे पश चित जत्नत| ्ह बलूशतलूी रह्होगी दतरेत दर
ु रेे के विभध-विधत्न कहो
अप्नत्ने कत कदरतित करेते हुए, भिन्नतत भमसिस्टत्ने कत अत्भधक छलू-पिपलूण्म तरेीकत है - केिलू इरभलूए कक दर
िपलू रेे
परे दबति डतलू करे उरे आभधपत् रे अ सिंततमशः, धमत्मनतरेण हेतु मजबिपलूरे कक्त जत रके| पजिस पश्चिम रे इतरे क्षेतों म में
घुरपैि करे्ने का की ्ह विभध, रेण्नीभत के तौरे परे कै्भलूक परे सिंपरेत म में अब बरिपलूबी सिीकृत है| सिस्टसक्न जेरुइसिस्ट
भमश्नरेी रेौबरेसिस्टहो द ्नहोवबलूी (१५७७-१६५६) इर विभध कत रबरे अगणी-प्रित्मक ्त, जहो १६०८ म में दजिस क्षण
ितरेत आ्त ्त औरे आज उरके कतम कहो श चिश चि्म दतरेत रत सिंसकृभतक-घुरपैि का की आदश्म कत््म-विभध मत्नत जततत है
- ्द्यवप ्ह छलूपिपलूण्म ्त| दजिस क्षण ितरेती् कै्भलूक मत के मत्न्ने ितलूों दतरेत आज जहो विभध-विधत्न औरे
व््वक्तिगत ्नतमों म में कह सिंद िपलू ्नतमतिभलू्ों कत उप्होग कक्त जततत है , उरके भलूए रेौबरेसिस्टहो द ्नहोवबलूी मुख् रूप रे
जिस जममेदतरे है, विशेषकरे आ सिंध्र प्रदेश औरे तभमलून्नतडिपलू म में| िेदों, ्होग-रिपलूतों औरे उपभ्नषदों रे, लूगिग रौ
उद्धरेण लूेकरे रेहोम्न कै्भलूक श चिश चि्म ्ने २००८ म में 'इ सिंकड््न बतइवबलू' प्रकतभशत का की, जहो व््तिहतरेतमशः पेग्न (मिपलूभत्म-
पिपलूजक) कहो पतलूतिपलू ब्नतकरे उरके रतरेे कहो हसिस्टत्ने जैरत है | ितरेत म में ईरतई रत सिंसकृभतक-घुरपैि कहो जिस जर प्रकतरे
रे अनजतम कद्त जत रेहत है, िह एक ऐरी ग सिंिीरे रमस्त है, जिस जरके अ सिंतग्मत कह सिंद िपलू धम्म के उ्न तत्िों कहो
उररे अलूग करे्ने कत प्र्तर कक्त जततत है जिस जनह में ईरतई लूहोग बहोझ रमझते हैं, ततकक ्हतएँ का की र सिंसकृभत कहो
प सिं्-भ्नरेपेक्ष ब्नत कद्त जत्| इरकत एक भश चि सिंतत-ज्नक जिलू सिंत उदतहरेण है, ितरेत-्नतट्म कहो उरका की मिपलूलू कह सिंद िपलू
पहश चित्न रे विरेत करे्ने कत एक प्रश चिभलूत अभि्त्न, ततकक धमत्मनतरेण हेतु इर ्नृत््-विधत म में भ्नकहत गह्न
रौनद््मशतस्त्री् र सिंकेतों कहो उप्होग म में लूत्त जत्|

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भिन्नतत - जभ्नत व््गतत - ही्नतत रे: भिन्नतत-जभ्नत व््गतत ककरी रत सिंसकृभतक अ्ित रेतज्नैभतक आदत्न-
प्रदत्न म में केिलू बलूशतलूी पक्ष कहो ही महरिपलूर ्नही सिं हहोती है| जहो पक्ष जत्ने-अ्नजत्ने अप्नी ही्न अिस्त कहो
अप्नी ही पहश चित्न रे उत्पन्न हुआ महरिपलूर करे्ने लूगतत है, उरी परे भिन्नततओ सिं कहो भमसिस्टत्ने कत जिस जममत
अकररे आ पड़तत है, ततकक िह अपेक्षतकृत कम अज्नबी, कम ही्न, ्त कम रे कम बलूशतलूी पक्ष के रत सिंश चिे
म में, आरत्नी रे असिस्ट्ने के कतवबलू मत्नत जत्ने लूगे| ऐरत कुछ व््िहतरे रतमतन्तमशः, अ्नेक रमतजों म में देरत जत
रकतत है, औरे ितरेत ्ने तहो इरे गहरेे रे अप्नत ही भलू्त है| मजहबी भिन्नततओ सिं रे उत्पन्न व््गतत तहो
अन् प्रकतरे का की भिन्नततओ सिं म में िी छलूक रकती है| उदतहरेणत््म, जहो धमत्मनतररेत हहो श चिुके हैं औरे जहो
धमत्मनतरेण हेतु दबति म में हैं, िे अभधकतभधक पतपश्चितत्् रत सिंसकृभतक श चिलू्नों कहो पर सिंद करेते हुए कदरतई पड़ रकते
हैं| इरके फलूसिरूप, गहोरेे रमतजों दतरेत सिीकृत हहो्ने म में कई ितरेती् गि्म महरिपलूर करे्ने लूगते हैं; िे अप्नी
प्रगभत रुभ्नजिस पश्चित करे्ने हेतु बदलूे म में भिन्नततओ सिं कहो भमसिस्टत करे, गहोरेी र सिंसकृभत का की ्नक़लू करे्ने म में लूग जतते
हैं| रमत्नतत ज़तकहरे करे्ने का की ्ह इचछत रतही त्त गहरेे, दहो्नों सतरेों परे हहोती है औरे प्रसतुत प्रकतरे कत
विशेषण उ्न लूहोगों के भलूए शत्द कषदत्क िी हहो रकतत है, जिस ज्नका की व््गतत एि सिं रत सिंसकृभतक ही्नतत कत
िति इररे उजतगरे हहोतत हुआ कदरेगत|

पजिस पश्चिमी लूहोगों के बीश चि एक ितरेती् अप्ने हत्ों रे रत्ने म में अभधक अरहज महरिपलूर करे रकतत है, बभ्नसपत
परे सिंपरेतगत ितरेती्ों के बीश चि एक पजिस पश्चिमी व््वक्ति छुरेत-कत सिंसिस्टे रे रतते हुए महरिपलूर करेेगत (बजिस लक उरका की भिन्नतत
उरे औरे अभधक विशेषतभधकतरे प्रदत्न करे रकतत है)| पजिस पश्चिमी पररेिेश म में उ्नरे भिन्न कदर्नत औरे कुछ िी
करे्नत तहो एक ितरेती् के भलू्े तहो अत््भधक व््गतत कत रबब हहो ही रकतत है| कह सिंद िपलू गुरुओ सिं के दतरेत एक
औरे उदतहरेण ही्नतत-जभ्नत ्नक़लू कत तब देर्ने कहो भमलूतत है जब, 'िैजिस ्विक' औरे उदतरे कदर्ने त्त अप्नी
बतत कहो म्नित्ने हेतु िे अकररे 'रब मजहब रमत्न हैं' कह करे अप्नी परे सिंपरेत कहो धिपलूभमलू करेते हैं, जब कक
उनह में कह्नत श चितकहए कक 'रब मजहब बरेतबरे तहो हैं लूेकक्न भिन्न िी'| ितरेत म में ्हिपलूदी-ईरतइ्त कक ्ह
्नक़लू, विशेषरूप रे उपभ्निेश कतलू म में आरे सिंि हु ई जब कह सिंद िपलू ्नेतत, उपभ्निेशकों कक ्नक़लू करे उ्नका की
परेमपरेतओ सिं कहो अप्नत्ने लूगे, ततकक ्िपलूरेहोपी् र सिंिेद्नतओ सिं रे रुविधत पिपलूि्मक रतम सिंजस् स्तवपत हहो रके|

हड़प्नत एि सिं आत्मरतत करे्नत : भिन्नतत-जभ्नत व््गतत रे भ्नपसिस्ट्ने का की एक विभध, इरभलूए िी विशेषरूप रे
रतरे्नतक है क्ों कक िह आम तौरे परे कदरतई ही ्नही सिं पड़ती| अप्ने म में भमलूत्ने, भिन्नतत कम करे्ने त्त
रमत्नतत कत आगह करे्ने का की आड़ म में, एक र सिंसकृभत दतरेत दर
िपलू रेी कम बलूिती र सिंसकृभत कहो विस्तवपत करे,
उरे पश चित्ने का की ओ़रे लूेरक ्हतएँ र सिंकेत करे रेहे हैं| हतलूतएँकक जहतएँ तक लूहोकवप्र् र सिंसकृभत कत रितलू है, ितरेत
औरे पजिस पश्चिम, रमत्नतत के सतरे परे भमलूते कदरतई पड़ रकते हैं, लूेकक्न गहरेे सतरेों परे जहतएँ रभ््तत का की मिपलूलू
अिधतरेणतएएँ भ्नितर करेती सिं हैं, िहत सिं कत््मक्षेत एक ओ़रे झुकत हुआ है| र सिंसकृभत कहो हड़प्नत रमत्न कदर्ने कत
छद कदरतित िरे है| कमजहोरे र सिंसकृभत बलूित्न ितलूी म में ऐरे पश चितई जतभत है कक:

१. िपलू रेी रभ््तत के सिस्टुकड़े-सिस्टुकड़े करे, उ्नम में रे अप्नी पर सिंद के सिस्टुकड़ों कहो हड़प्ने के भलूए
बलूित्न रभ््तत दर
श चिु्न लूेती है;
२. अप्ने इभतहतर एि सिं प्रभतमत्नों कहो ध्त्न म में रेरकरे, इ्न श चिु्ने हुए सिस्टुकड़ों कहो बलूिती रभ््तत, अप्नी ितषत
त्त रतमतजिस जक व््िस्त म में इर तरेह बैितती है कक, आश्रिहोत-परे सिंपरेत रे उ्नके र सिंब सिंधों कत ्नतमहो-भ्नशत्न ्न रेहे;
३. र सिंगतलूी गई रभ््तत अप्नी रत सिंसकृभतक औरे रतमतजिस जक पिपलूएँजी रहोकरे गरेीब हहो जतती है, क्िपलू सिंकक हसिस्टतए गए

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अ सिंशों, जिस जनह में बलूिती रभ््तत के इभतहतर म में बैित्ने हेतु र सिंशहोभधत कक्त जततत है औरे इर प्रकतरे इ्न अ सिंशों
कहो आश्रिहोत रभ््तत रे अर सिंबद्ध दशत्म्त कद्त जततत है, ्हतएँ तक कक उरके विपरेीत िी कदरत कद्त जततत है;
४. र सिंगतलूी गई रभ््तत एक औरे मृत र सिंसकृभत के रूप म में, लूहोकभरद्ध अजत्बघरे म में दतजिस रलू करे दी जतती है
औरे रदत के भलूए उरका की ओ़रे रे, बलूिती रभ््तत कहो रतरेत रमतप्त हहो जततत है|
५. ककरी रभ््तत के श चिुभ्ननदत अ सिंशों के पश चितए जत्ने के बतद जहो सिस्टुकड़े बश चिते हैं , िे हसिस्टत्े औरे ्नष कक्े जत्ने
हेतु ही रेह जतते हैं| भिन्नततओ सिं के भमसिस्ट जत्ने के कतरेण ही कहोई रभ््तत पश चितए जत्ने औरे मेजबत्न के गुण-
रिपलूतों के अ्नुरूप ढंलू्ने हेतु भशकतरे ब्न जतती है| बलूिती पक्ष अप्ने रौंद््मशतस्त्र, ितषत, प्रभतमत्नों, ऐभतहतभरक
आदश्म त्त दश्म्न कहो अप्नी अिधतरेणतओ सिं के मुततवबक ऊपरे रे ्होप देतत है औरे उनह में रति्मिौभमक वि्वि-दृवष
के रूप म में प्रभतवष्ठत करे देतत है|
६. ्नसलू-ितद परे आधतररेत िक्षक-रभ््तत जहो इर उदतहरेण म में पजिस पश्चिम है, पश चिी हुई रभ््तत का की का कीमत परे
पुष हहोती श चिलूी जतती है औरे ्ह विडमब्नत ही है कक, प्रभत-तक्म म में पजिस पश्चिम अप्ने कहो वि्वि के केन्द्र म में
स्तवपत मत्नितत कहो हत सिंक्ने ितलूत इ सिंज्न बतत करे, इर प्रकक्र्त कहो रभ््तत का की प्रगभत बतततत है| पजिस पश्चिमी
रभ््तत दतरेत गैरे-पजिस पश्चिमी रभ््ततए सिं केिलू र सिंगतलूे जत्ने-्होग् र सिंरतध्न के रूप म में ही प्रतर सिंभगक मत्नी जतती सिं हैं|
७. दर
िपलू रेी रभ््ततओ सिं के अ्नुदत्नों का की फरलू कहो हड़प्ने के अलूतित, पजिस पश्चिम ्ने उ्नका की जड़ों कहो तहो ्नष कक्त
ही है, औरे इर प्रकतरे मत्नि र सिंसकृभत म में विविधतत कहो रमतप्त करे्ने के रत्-रत् िविष् म में उ्न रभ््ततओ सिं
दतरेत औरे प्रश चिुरे उत्पतद्न करे्ने का की उ्नका की क्षमतत कहो िी कु सिंकित करे कद्त| जहो तत्ि पश चितए जत श चिुके हहोते हैं िे
उ्न र सिंसकृभत्ों के अ सिंभतम भ्नषकष्म हुआ करेते हैं, क्िपलू सिंकक उरके उपरेत सिंत पश चितई गई रभ््ततओ सिं म में उ्नका की रेही-
्ही हजिस ड्ड्त सिं मतत शेष रेह जतती सिं हैं औरे मृत हहो्ने के कतरेण उ्नका की अगगतमी, सितितविक विकतर का की क्षमतत
प्रत्मशः रमतप्त हहो श चिुकती है|

भिन्नतत - जभ्नत व््गतत के भमथ्त रमतधत्न - धम्म औरे रदृश्तत : कई ितरेती्ों ्ने इर ि् कहो गहरेतई
रे अप्नत भलू्त है कक, भिन्नततओ सिं के कतरेण कह सिंरत हहोती है औरे इरभलूए िे सि् सिं कहो पजिस पश्चिम रे अप्नी
भिन्नतत के भलूए दहोषी मत्न्ने लूग जतते हैं| कह सिंरत रे घबरेतए, िे अप्नी पहश चित्न कहो धिपलूभमलू करे 'रदृश्तत' का की
ओ़रे री सिंश चिे श चिलूे जतते हैं| ितरेती् अभिजतत्् िग्म 'विशुद्ध' पतपश्चितत्् र सिंसकरेण ितलूे रदृश्तत-्ुक्ति कह सिंद िपलू धम्म म में
रहज महरिपलूर करेते हैं (जैरत कक उपभ्निेश कतलू म में िी ्त)| ितरेती् धम्म 'रत ्' औरे 'अरत ्', 'दैिी' औरे
'आरुरेी' म में सपष भिन्नतत कत प्रभतपतद्न करेते हैं औरे रदृश्तत कत िहोलूत-ितलूत भरद्धत सिंत, उर भिन्नतत कत
अ्नतदरे करेतत है| धम्म के विष् म में इर प्रकतरे का की रतमतन् गलूतफहभम्त सिं , उ्न रिी ततमभरक कह सिंदओ
ु सिं के
भलूए एक प्रकतरे का की रुरेक्षत प्रदत्न करेते हैं जहो ही्नतत-जभ्नत व््गतत रे गसत रेहते हैं| व््िहतरे म में इर प्रकतरे
कत दी्न-ही्न हति-िति ितरेती् धम्म कहो क्षीण, विकृत औरे अ सिंततहोगत्ित पश चितए जत्ने का की ओ़रे लूे जततत है|

'एकत्ि' कहो अकररे भिन्नतत कत प्रभतकतरे करे्ने के अ््म म में बतत कद्त जततत है ('रदृश्तत' के रमत्नत्र के रूप
म में), जब कक ब्रहत्ड का की विरेतसिस्ट विविधतत म में 'एक' औरे 'एक के अ्नेक रूप', एक रत् विद्यमत्न हहो्ने का की बतत
परे, िेदत सिंत ितसति म में आगह करेतत रेहत है| ्ह रतपेक्ष् ितसतविकतत उर 'एक' परे ही आभआश्रित हहो्ने परे िी,
िलूे ही सि् सिं रे पृ्क अजिस सतत्ि म में ्नही सिं है, उरके अजिस सतत्ि कहो कतई ्नकतरेत ्नही सिं जत रकतत| रतपेक्ष्
अजिस सतत्ि कहो ्नकतरे्ने का की बतत, ितसति म में ितरेती् धम्म के विभिन्न र सिंप्रदत्ों म में रे कहोई िी ्नही सिं करेतत है ,
बजिस लक प्रत््ेक र सिंप्रदत् वब्नत फलू का की इचछत के, जिस ज़ममेदतरेी रे कम्म करे्ने परे जहोरे देतत है| ईरतई धमत्मनतरेण-
कतत्म, रदृश्तत कहो (इर 'एकत्ि' के रमत्नत्र के रूप म में) गलूे लूगत्ने का की आड़ म में, िलूे ही रत सिंसकृभतक-घुरपैि

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करे्ने म में रफलू हहो जतते हों, हका कीकत म में िे ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं कहो अिैध मत्नते हैं | ्कद िे ितसति
म में मजहबों एि सिं र सिंसकृभत्ों के बीश चि रदृश्तत म में वि्वितर करेते हहोते तहो, उनह में कह सिंदओ
ु सिं, बौद्धों औरे जै्नों कहो
धमत्मनतररेत करे्ने का की आिश्कतत ही ्नही सिं पड़ती, क्िपलू सिंकक तब ्े कतकफ़ैरे मत्ने ही ्न जतते| कह सिंदओ
ु सिं दतरेत 'रब
धम्म एक रदृश्' का की असपष धतरेणत कत आगह करे्नत, इकतरेफत रुलूत हुआ एक ऐरत घततक रेतसतत ब्न जततत
है, जहो विसततरेितदी र सिंगकित मजहबों दतरेत ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं कहो धिपलूभमलू करे्ने औरे अप्ने म में
भमलूत्ने रे आरे सिंि हहोते हुए अ सिंततमशः, उ्नके पेसिस्ट म में पश चितए जत्ने का की ओ़रे उनह में धकेलू देतत है|

उत्तरे-आधुभ्नक सिस्टतलूमसिस्टहोलू : इभतहतर के त्त-कभ्त 'बृहद-आख्त्नों' कहो, पतपश्चितत््-प्रगभत का की छहोसिस्टी-महोसिस्टी


क्तओ सिं रे बढ़करे ्न मत्नते हुए उनह में विर सिंकडत करे्ने का की प्रकक्र्त कहो, उत्तरे-आधुभ्नकितद ्ने श चिलू्न प्रदत्न
कक्त है| इर ितद के मत्न्ने ितलूे रब पहश चित्नों कहो भमसिस्टत्ने अ्ित धिपलूभमलू करे दे्ने का की दलूीलू देते हैं, क्िपलू सिंकक
उ्नके अ्नुरतरे रिी रकतरेतत्मक विभशष र सिंसकृभत्तएँ अप्ने पररेिेश म में कमजहोरे औरे दबे हुए तपकों कत दम्न
करे्ने ितलूी हैं| इरी के कतरेण गैरे-पजिस पश्चिमी र सिंसकृभत्ों के अजिस सतत्ि परे आज र सिंकसिस्ट आ पड़त है, जिस जनह में
प्रहोत्रतह्न, र सिंरेक्षण औरे विकभरत हहो्ने के अिररे कदए जत्ने का की तुरे सिंत आिश्कतत है| जिस जर ितरेती् विभशषतत
कहो लूेरक सपष करे रेहे हैं, िह उत्तरे-आधुभ्नकितदी्ों दतरेत भग्नतई गई रमस्तओ सिं रे प्रितवित ्नही सिं है, क्िपलू सिंकक
(१) िह ऐभतहतभरक विभशषतत ्त आश्रिेषतत परे आधतररेत ्नही सिं है, श चितहे िह मजहबी हहो अ्ित अन् कहोई, (२)
िह जत्न का की भ्नपश्चि्तत्मकतत कत कहोई दतित ्नही सिं करेतत, त्त (३) दर
िपलू रेों परे कुछ िी लूतद्ने कत उरे कहोई
आदेश ्नही सिं है|

उत्तरे-आधुभ्नक रेिै्त ्ह मत्नतत है कक आज कत अमरेीका की रमतज एक ऐरत उदतहरेण है, जिस जरम में विद्यमत्न
िण्मर सिंकरे र सिंसकृभत्त सिं पहश चित्नों कहो धिपलूभमलू करे रेही सिं हैं, जिस जरके कतरेण रिी रीमत रेेरतएएँ अप्रतर सिंभगक हहो गई हैं
औरे इरभलूए िह एक व््गतत-मुक्ति रमतज ब्न रेहत है| ऐरत कहोई प्रमतण ्नही सिं भमलूतत है कक पजिस पश्चिमी र सिंगि्नों
म में जहतएँ रत्तत विरेतजती है, िहत सिं रीमत रेेरतए सिं भमसिस्ट श चिुका की सिं हों| उत्तरे-आधुभ्नक विदत्नों कहो श चितकहए कक िे लूहोक-
वप्र् र सिंसकृभत औरे अमिपलूत्म आकृभत्ों के विशेषण रे इतरे जतकरे, पजिस पश्चिमी शतर्न, व््िरत् एि सिं ईरतइ्त के
उ्न दम्नकतरेी रगि्नों कत विर सिंड्न करे में, जिस ज्नम में रत्तत-व््िस्त ितसति म में विरेतजती है | रेतष्ट्र-रेतज्ों एि सिं उ्नरे
रमब सिंभधत पहश चित्नों का की उत्तरे-आधुभ्नक आलूहोश चि्नत, ितसति म में रतमतज्ितद कहो इर हद तक पहोषण प्रदत्न करे
रेहत है कक िह उ्नके प्रभतभ्नभध के रूप म में उ्नके भशकतरे कहो, अप्नी पहश चित्नों कहो इकतरेफत छहोड़ दे्ने के भलूए
तय्तरे करे देती है| ऐरत इरभलूए है, क्िपलू सिंकक पजिस पश्चिम जहो भ्न्त्मत करेतत है िह उरे ्न तहो रुद मत्नतत है औरे
्न ही अप्नों के भलूए बढ़तित देतत है| अमरेीकत एि सिं ्िपलूरेहोपी् र सिंघ का की शवक्ति उ्नके उदतरे उत्तरे-आधुभ्नक विदत्नों
का की रतही गभतविभध्ों रे प्रितवित ्नही सिं हहोती है| इ्न 'उदतरे' विदत्नों दतरेत र सिंपन्न अभधकत सिंश विदेशी-अध्््नों
विष्क शहोध कत भ्नकहतत््म, ितसति म में, रेतजरत्तत त्त श चिश चि्म के कहतों के पहोषण हेतु ही हहोतत है|

ितरेती् विश चितरेकों दतरेत ितरेत कत विर सिंड्न एक ्नए प्रकतरे के औपभ्निेभशकितद के अजिस स्तत्म-मिपलूलूक प्रिति कहो
आम सिंवतत करे रेहत है| ितरेती् उत्तरे-आधुभ्नकितदी रबरे प्रश चिभलूत प्रकतरे का की उर भिन्नतत के झ सिंडतबरेदतरे ब्न
गए हैं, जहो 'दभलूतों' का की दृवष म में उनह में ही्न िग्म कत रदस् मत्नतत है| लूेकक्न कई ऐरे दभलूत अलपर सिंख्क
रमिपलूहों कत जिस ज़ममत, अ सिंतरेत्मष्ट्री् गिजहोड़ों (जिस ज्नम में श चिश चि्म, श चिी्नी-मतिितदी एि सिं इसलूतमी प्रमुर हैं) ्ने लूे भलू्त है
जिस जरके कतरेण िे ्न केिलू ितसति म में सिश चितभलूत औरे सित सिंत हहो गए हैं, बजिस लक एक ्नए प्रकतरे के दरेिपलू रे
र सिंश चितभलूत औरे भ्न् सिंवतत औपभ्निेभशकितद के अ्नुश चिरे ब्न गए हैं| उत्तरे-आधुभ्नक विर सिंड्न दतरेत, ितरेती् धम्म

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कहो असत-व््सत सिस्टुकड़ों म में तहोड़ करे पजिस पश्चिम के अ सिंदरे पश चितए जत्ने हेतु तय्तरे करे, इर प्रकतरे उरका की प्रकक्र्त
रुविधतज्नक ब्नत दी जतती है, जहतएँ रे उ्न सिस्टुकड़ों कहो पजिस पश्चिम दतरेत धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के भलूए विदत्नों दतरेत
अप्रतर सिंभगक कदरत्त जततत है औरे कफरे उ्नरे क्रम रे अलूग िी करे कद्त जततत है, ततकक बतरेी-बतरेी रे उनह में
श चिु्न करे पश चित्त अ्ित ्नष कक्त जत रके| पजिस पश्चिम दतरेत ितरेती् रभ््तत कहो पश चित्ने हेतु प्रहोत्रतह्न कद्े जत्ने
का की प्रकक्र्त, विभश चित तक्षों के आधतरे परे उभश चित िहरेतइ जतती रेही है; दर
िपलू रेे शबदों म में उ्नके अ्नुरतरे, ितरेती्
रभ््तत जैरी कहोई श चिीज़ ्न किी ्ी औरे ्न ही ्ह अब है, औरे इर तक्म के रम््म्न म में कफरे एक औरे दतित
कक्त जततत है कक, 'इजिस नड््न' शबद का की र सिंरेश चि्नत तहो अ सिंगजों दतरेत का की गई ्ी|

उत्तरे-आधुभ्नकितद कई मत््नों म में ितरेती् दश्म्नों रे भमलूतत-जुलूतत है| व््वक्ति के अहम कहो, धम्म विर सिंकडत
करेतत है जबकक, उत्तरे-आधुभ्नकितद रतमिपलूकहक रत सिंसकृभतक पहश चित्न कहो विर सिंकडत करेतत है | श चििपलू सिंकक उरके पतर
सि् सिं का की रतध्नत एि सिं अ्नुििपलूभत रे, भिन्नततओ सिं के पतरे जत्ने म में रहत्क, श चिेत्नत का की उचश चि अिस्त प्रतप्त करे्ने
हेतु धतभम्मक परेमपरेतओ सिं कत ्होग उपलूबध ्नही सिं है, उरके दतरेत कक्े गए विर सिंड्न का की इभतआश्रिी शिपलून्ितद अ्ित
उदतरी्नतत के रूप म में हहो जतती है, जबकक इरके विपरेीत ितरेती् धम्म म में अह सिंकतरे के विर सिंड्न रे, आत्मजत्न
का की र सिंकलप्नत औरे उरका की अ्नुििपलूभत के दतरेत, एक रकतरेतत्मक अजिस सतत्ि कत आधतरे तय्तरे हहोतत है|

पिपलूि-्म पक्ष: पिपलूरेब का की ओ़रे एकसिस्टक लूगी दृवष कहो उलूसिस्ट्नत : ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं के लूहोगों दतरेत पजिस पश्चिमी िग्षों
म में वि्वि कहो देरत जत्नत ही िह पजिस पश्चिमी 'एकसिस्टक लूगी दृवष' है, जहो उ्नके पररेदृश् कहो रति्मिौभमक रत््-
भ्नधत्मरेण के प्रभतमत्न स्तवपत करे्ने कत एकतभधकतरे प्रदत्न करे्ने ितलूत दजत्म ितसति म में देतत है| इरके कतरेण
पजिस पश्चिमी लूहोग सि् सिं अप्नी कभम्ों, विफलूततओ सिं, र्नकों, रतभर्तों एि सिं विभश चितततओ सिं कहो देर्ने के मतमलूे म में,
अ सिंधे ब्ने रेह जतते हैं| दर
िपलू रेी रभ््तत जब इर प्रकतरे का की एकसिस्टक लूगी दृवष कत लूक्ष् ब्न जतती है तब, िह
रतपेजिस क्षक ब्न्ने के रत् रत् रति्मिौभमक रेह ही ्नही सिं जतती| लूेरक के अ्नुरतरे इर रमस्त कहो रुलूझत्ने
हेतु, पिपलूि्म-पक्ष का की प्रतश चिी्न एि सिं शवक्तिशतलूी ितरेती् परे सिंपरेत अप्नत्ी जत्नी श चितकहए, जिस जरके अ सिंतग्मत भिन्नततओ सिं
रे दृवष हसिस्ट्नी ्नही सिं है, िरे्न वब्नत रदृश्तत के कदरतिे के औरे ्न ही ककरी व््गतत के, उ्नकत सपषीकरेण
करे्ने कत प्र्तर रेहतत है| पिपलूि्म-पक्ष म में कई ऐरी रतिधतभ्न्त सिं बरेत्नी हहोती सिं हैं जहो आज प्रत्मशः कदरतई ही ्नही सिं
पड़ती सिं हैं, जैरे, रीधत मुकतबलूत, भिन्नततओ सिं कत सपषीकरेण, औरे बरेतबरेी का की पिपलूि्मधतरेणत|

अध्त् २ – ्होग : इभतहतर रे मुवक्ति : इ्विरे कहो जत्न्ने का की दहो विभध्तएँ

(१) ्हिपलूदी-ईरतई मजहब : ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं म में इलहतम 'ऊपरे' रे आतत है, जिस जरका की दीक्षत परेमे्विरे दतरेत
प्रदत्त रनदेश के रत् हहोती है त्त जिस जरे पत्ने के भलूए मत्नि म में पतततत आिश्क है , लूेकक्न जहो अप्ने आप
म में कतफ़ैा की ्नही सिं है| िह विशेष ऐभतहतभरक घसिस्ट्नत इ्न मजहबों कत रुदृढ़ आधतरे है, जब सि् सिं परेमे्विरे ्ने
म्नुष्ों कहो रत्् कत रनदेश पहश चित्न्ने हेतु बतहरे रे हसतक्षेप कक्त ्त औरे जहो कतलूत सिंतरे म में आधतरे ब्न
ग्त, इ्न हसतक्षेपों के विसतृत वििरेणों के दसततिेजों के र सिंगह त्त अध्््न करे्ने के ज्निपलू्न कत| लूेरक
'इभतहतर क में्द्रीक' कहते हैं परेमे्विरे कहो जत्न्ने के इर तरेीके कहो| ितरेती् धम्म व््वक्ति का की रतत दैिी-क्षमतत
कत आगह करेते हैं जहो ्हिपलूदी-ईरतई मजहबों के 'पतप रे मुवक्ति' के आगह के रि्म्त प्रभतकिपलूलू है| धम्म का की दृवष
रे ्हिपलूदी-ईरतइ्त का की इभतहतर-केजिस न्द्रकतत, अजीब ्नही सिं तहो विभश चित अिश् है| जैरत कक आश्रिी अरेविनद कहते हैं:
'जिस जर प्रकतरे ्िपलूरेहोप म में ईरत का की ऐभतहतभरकतत के प्रश्न परे विितद पैदत हुए ्े, उनह में एक आध्तजिस त्मक

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मत्नभरकतत ितलूत ितरेती्, अभधकत सिंशतमशः रम् का की बबत्मदी ही मत्नेगत'| िे आगे कहते हैं कक '्कद म्नुष् रूप
म में इ्विरे अ्त्मत क्रतइससिस्ट, हमतरेी अ सिंतरेतत्मत के अ सिंदरे भ्नितर करेते हैं, तहो मैरेी कत पुत किी ्त ्त तड़प-तड़प
के जुकड्त म में क्रिपलूर परे मरेत ्त, रे कहोई फक्म पड़्ने ितलूत ्नही सिं है?'

ईरतइ्त म में ईरत के शिपलूलूी परे बभलूदत्न के मतध्म रे ही ई्विरे तक पहुएँश चि्ने कत रेतसतत रुलूत; इरीभलूए उर
एक विभशष ऐभतहतभरक घसिस्ट्नत कत उरके भलूए इत्नत अभधक महत्ि है| ईरतइ्त कम रे कम दहो ्ुगों म में
फैलूे, त्त-कभ्त 'मुवक्ति के इभतहतर' कहो िी मतन्तत प्रदत्न करेतत है| इ्नम में पहलूत है परेमे्विरे के 'श चिुभ्ननदत
लूहोग' इजरेतइभलू्ों कत क्त्नक, जहो 'रेतष्ट्रों के प्रकतश' मत्ने गए हैं औरे जहो वि्वि म में न्त् त्त शत सिंभत लूतते हैं |
उर के बतद, ईरतई श चिश चि्म ्ने कतलूत सिंतरे म में 'परेमे्विरे के लूहोगों' के दतभ्त्ि के रत्-रत्, इजरेतइभलू्ों औरे
रतरकरे क्रतइससिस्ट के प्रकतश कहो रेतष्ट्रों म में फ़ैैलूत्ने कत जिस ज़ममत, विरेतरत म में पत्त| अन् र सिंसकृभत्ों औरे
रभ््ततओ सिं कहो रुधतरे्ने त्त मतग्मदश्म्न प्रदत्न करे्ने का की, त्त-कभ्त दैिी आजत ईरतई्ों कहो इ्न वि्वितरों रे
ही भमलूी (किी-किी बलूपिपलूि्मक िी), जिस जरके कतरेण ऐरे अभि्त्नों कहो उभश चित िहरेत्त जततत है| रिी ईरतई
औरे ्हिपलूदी इ्न पररे्होज्नतओ सिं कत रम््म्न ्नही सिं करेते , औरे पिपलूि्म औरे ्निविधत्न दहो्नों, ऐरे ्नेतृत्ि कहो
प्रहोत्रतह्न दे्ने का की बतत करेते हैं जिस ज्नम में अभधरेहोपण के स्त्न परे उदतहरेण प्रसतुत करे्ने का की रीर दी गई है|
इ्नके बतिजिपलूद िी, इर आक्रतमक भमश्न के िति के कतरेण ही वि्वि िरे म में ईरतई्ों दतरेत कई विसततरेितदी
आक्रतमक अ्नुशतर्नों एि सिं कत््मक्रमों कहो अनजतम कद्त जततत रेहत है| पररेणतमतमशः, रिपलू्न-ररेतबत औरे स्त्नी्
एि सिं मिपलूलू र सिंसकृभत्ों कत वि्नतश हुआ है| इरके आगे, ्ह ध्त्न दे्ने ्होग् बतत है कक धमत्मनतररेत लूहोग,
ईरतई रमतज म में रमत करे उ्नके वि्वितरों कहो अप्नत्ने के बतद अप्ने पहलूे के ररेशतेदतरेों रे दरेिपलू ी तहो ब्नत्ने
लूगते ही हैं, धमत्मनतरेण रे पिपलूि्म के अप्ने पिपलूि्मजों औरे परेमपरेतओ सिं कहो कहोर्ने िी लूगते हैं| ईरतई परेमपरेतए सिं
दतित करेती सिं हैं कक परेमे्विरे ्ने उ्न परे विशेष कृपत का की| उपरेहोक्ति दहो्नों मतमलूों म में, केिलू एकमतत रतमिपलूकहक
इकतई, पहलूे इजरेतइलू औरे उरके बतद श चिश चि्म ही परेमे्विरे का की कृपत पत्ने हेतु श चिु्ने गए| ्हिपलूदी-ईरतई पैगमबरेों के
बतरेे म में भलूजिस रत, ्े रि्मआश्रिेष मजहबी अभधकतरे-र सिंपन्न दसततिेज़ मत्ने गए हैं, जहो उ्न रमतजों परे ही केिलू
लूतगिपलू ्नही सिं हहोते हैं जहतएँ िे उपजे ्े, िरे्न पिपलूरेी मत्नितत परे िी िे रदत के भलूए लूतगिपलू हहोते हैं| पिपलूरेी पृथिी गृह
कत ितग् इ्न दसततिेजों कहो रही रमझ्ने परे भ्नि्मरे करेतत है | इर तरेह र सिंगकित मजहब, एक प्रकतरे कत
इभतहतर-कलूब है जहो पैगमबरेी-भशक्षत त्त भ्नदिर्देशों कहो 'रही' रूप रे रमझत्ने का की व््िस्त करेतत है| मुवक्ति हेतु
ऐरत रतमिपलूकहक औरे इभतहतर-क मेंक्द्रत दृवषकहोण, इरी उदेश् हेतु ितरेती् धम्म म में, हरे व््वक्ति दतरेत सि् सिं प्र्तर-
रेत हहो्ने के वबलूकुलू विपरेीत है|

रत्् कहो प्ररतररेत करे्ने के भलूए केिलू इभतहतर के दसततिेजों परे ही भ्नि्मरे रेह्नत, जिस ज्नम में परेसपरे प्रभतकिपलूलू
दतिे िी विद्यमत्न रेहते हैं, त्त जहो अब पुवष अ्ित ्नक़लू कक्े जत्ने हेतु प्रत््क्षतमशः उपलूबध िी ्नही सिं हैं,
अिैजतभ्नक औरे अततकक्मक लूग्ने के अभतररेक्ति रमस्त-गसत िी है, जिस ज्नके कतरेण विभिन्न मजहबों त्त
प्रभतद सिंकद्ों के बीश चि र सिंघष्म पैदत हहोते रेहते हैं| शतस्त्र जहो अक्षरेशमशः रत्् औरे भ्नवि्मितद हहो्ने कत िी दतित करेते
हैं, त्त जिस ज्नके ऐभतहतभरक वििरेणों कहो श चिु्नौती ्नही सिं दी जत रकती है , िे अप्ने कुछ अ््षों म में प्रत््क्ष रूप रे
असपष िी हुआ करेते हैं, जिस जरकत पररेणतम अ सिंततमशः ज़मी्न परे वि्नतशकतरेी हहोतत है| ्हिपलूकद्ों के भलूए मुवक्ति
व््वक्तिगत ्नही सिं है, रतमिपलूकहक हहोती है औरे इभतहतर म में परेमे्विरे के दतरेत हसतक्षेप करे्ने रे इजरेतइलू कत उद्धतरे
हहो्नत, इर मुवक्ति कत गहरेत लूक्षण है| ्ह उद्धतरे (एक ऐभतहतभरक घसिस्ट्नत) हुए वब्नत, परेमे्विरे का की आजत कहो
जत्न्नत अर सिंिि, औरे मुवक्ति का की ओ़रे जत्ने कत मतग्म अप्रतप् औरे अगम् हहोतत| बतइवबलू म में इजरेत्भलू्ों दतरेत

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भमस्र रे किपलूश चि कत जिस जर प्रकतरे रे िण्म्न कक्त ग्त है, िह एक भ्नणत्म्क घसिस्ट्नत है| ्हिपलूकद्ों दतरेत रतमिपलूकहक
मुवक्ति म में वि्वितर कत ्ह एक अकतट् त्त केन्द्री् तत्थ् मत्नत जततत है| ईरतई्ों म में प्रश चिभलूत वि्वितर है,
कक उ्नका की मुवक्ति ती्न ऐभतहतभरक घसिस्ट्नतओ सिं के ितसतविक हहो्ने परे भ्नि्मरे करेती है: ईरत कत अिततरे, ईरत कत
बभलूदत्न, औरे कफरे ईरत कत पु्नतरुत््त्न| पतरहोिरे का की रेसम म में, ्हिपलूदी अप्ने पिपलूि्मजों के भ्नषक्रमण कहो ्तद
करेते हैं, जब कक ईरतई ईससिस्टरे परे ईरत के पु्नतरुत््त्न कहो ्तद करेते हैं| ईरतई्ों के अ्नुरतरे परेमे्विरे कत
अिततरे केिलू एक बतरे ईरत के रूप म में हुआ , ्द्यवप ्हिपलूदी औरे मुरलूमत्न ्ह ्नही सिं मत्नते कक ऐरत कहोई
अिततरे किी हुआ िी ्त|

इभतहतर ब्नतम भम्क : पजिस पश्चिमी दृवषकहोण का की जड़ में, कक 'इभतहतर' औरे 'भम्क' एक दर
िपलू रेे रे वबलूकुलू अलूग
हैं, ्हिपलूदी-ईरतई पतरे सिंपररेक रहोश चि म में रमत्े हुए हैं| ्िपलूरेहोपी् प्रबहोध-कतलू रे पहलूे तक बतइवबलू-आधतररेत
रतकहत्् कहो व््तपक रूप रे ऐभतहतभरक रत्् के रूप म में मत्नत जततत ्त औरे अब िी जहो ईरतई मजहब के
केन्द्री् क्त्नक हैं, िे अकतट् ऐभतहतभरक तत्थ् करेतरे कदए जतते हैं| अभधकत सिंश पजिस पश्चिभम्ों के भलूए अन्
र सिंसकृभत्ों के मततधतररेत आख्त्न 'भम्क' (्त भशषतश चितरे िश कह में तहो 'पवित क्तएएँ') मत्ने जतते हैं, जबकक
िे अप्ने आख्त्नों कहो इभतहतर के दृवषकहोण रे रत्् मत्नते हैं| उ्नका की मतन्तत है कक, पजिस पश्चिम का की ििपलूतकतलू
रे ही श चिलूी आ रेही अविभछन्न इतहतर का की धतरेत के रमत्न, जहो िविष् तक जत्ने का की क्षमतत रेरती है, िह
अन् रभ््ततओ सिं के पतर ्नही सिं है| पजिस पश्चिम आज तक ्ही जहोरे देतत रेहतत है कक ितरेत के क्त्नक पिपलूण्मतमशः
कतलपभ्नक हैं, जिस ज्नकत कहोई ऐभतहतभरक आधतरे ्नही सिं है , बतिजिपलूद इरके कक उदतहरेण के भलू्े, उपगहों के हतलू
के भश चितों ्ने ररेसिती ्नदी औरे आश्रिीकृषण का की दतरेकत के अजिस सतत्ि के प्रमतण कदए हैं|

पजिस पश्चिम ्ह मत सिंग करेतत है कक उरके भम्क ऐभतहतभरक मत्ने जत सिं् , ततकक उ्नके रत्् हहो्ने कत दतित कक्त
जत रके| ितरेती्, इभतहतर-केजिस न्द्रकतत कत लूबतदत ्नही सिं ढंहोते हैं, इरभलूए उ्न परे ऐरत दतित करे्ने कत कहोई
दबति ्नही सिं है कक उ्नके भम्क इभतहतर हैं| इभतहतर के अप्ने-अप्ने र सिंसकरेण के दतिे हुआ करेते हैं जहो
आपर म में प्रभतदजिस नदतत करेते रेहते हैं| रतमतन्तमशः, इभतहतर म में क्त रजिस ममभलूत कक्त ग्त है औरे क्त ्नही सिं,
ककर बतत परे जहोरे कद्त ग्त, ककरके दृवषकहोण कहो प्रधत्नतत दी गई, कौ्न रे मिपलूल् दबतए गए, आकद
अभधकत सिंशतमशः एकपक्षी् हहोतत है| पजिस पश्चिम म में, एक शवक्ति-र सिंपन्न त सिंत औरे विसतृत प्रकक्र्त विकभरत का की गई, जहो
उ्नके इभतहतर कहो ब्नत्ने म में लूगत हुआ है, औरे जिस जरके अ सिंतग्मत पजिस पश्चिमी मत्नविका की, मुख्तमशः अप्ने भम्कों कहो
इभतहतर कत रूप दे्ने म में त्त आश्रिेष्ठतत के पजिस पश्चिमी वि्वितरों कहो िैजिस ्विक इभतहतर के रत सिंश चिों के रूप म में प्रसतुत करे्ने
म में प्र्तररेत रेहत है, ततकक अन्ों कहो 'रभ््' ब्नत्ने अ्ित दम्न करे्ने हेतु उरके ्नेतृत्ि कहो रब, अप्ने
ितग् म में बदत हुआ रमझ्ने लूग में| अप्ने अतीत कहो रति्मिौभमक रत सिंश चिे के रूप म में रिी रमुदत्ों परे लूतगिपलू करे्ने
का की बतत, ितरेत का की कहोई जतभत किी रहोश चिती ही ्नही सिं|

रि्म्नतशी रहोश चि : बतइवबलू के रेहस्होद्तसिस्ट्नों का की पुसतक का की व््तख्त के अ्नुरतरे अ सिंभतम पररेजिस स्भत कहलूत्ने
ितलूी घसिस्ट्नत, वि्वि कत प्रलू् सिंकतरेी त्त कह सिंरतत्मक अ सिंत है, जहो बतइवबलू-आधतररेत मजहबों का की ऐरी शबदशमशः
त्तकभ्त रत्् घसिस्ट्नतओ सिं म में रजिस ममभलूत है, त्त जहो ईरतइ्त के रमग इभतहतर परे छत्त हुआ रेहत है| ्ह
विपदतओ सिं का की एक पिपलूरेी आश्रि सिंरलूत का की िविष्-ितणी करेतत है: क्रतईससिस्ट त्त क्रतईससिस्ट-विरेहोधी का की ितपरी औरे
क़्तमत कत कद्न, जिस जरके अ सिंतग्मत मुवक्ति औरे ्नरेक-द सिंड के सपष भ्नण्म् कक्े जत् मेंग|े इभतहतर के अ सिंत के इर
भरद्धत सिंत कहो ऐशेसिस्टौलूौजी कहते हैं| इर प्रकतरे, इभतहतर कत केिलू आरे सिंि ही पररेितवषत ्नही सिं है, उरकत िविष्

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म में अ सिंत-वब सिंद ु िी पररेितवषत है, जैरत कक क्रतईससिस्ट दतरेत रब रेतष्ट्रों परे अप्नत भ्नण्म् दे कदए जत्ने के रम्
जिस स्रे हहो जत्ेगत| सिस्टतइम पवतकत के एक लूेर म में ्ह सपष कक्त ग्त ्त कक, अमरेीकत कहो रदत रे इभतहतर
के इर िव्् वििरेण के अलूहोक म में, उरके ्नेततओ सिं दतरेत जत्नत ग्त ्त|

इभतहतर - केजिस न्द्रकतत कैरे प्रितिी है : ईरतई मजहब – परेतए इलहतम के रूप म में

पजिस पश्चिमी विश चितरे ्ह सिीकतरे करेतत है कक जत्न्ने का की मत्निी् रीमतए सिं हैं , लूेकक्न इ्न रीमतओ सिं कहो लूत सिंघ्ने का की
तक्नीकों एि सिं रतध्नतओ सिं का की आश्रि सिंरलूत के विकतर म में िह अरफलू रेहत है | बतइवबलू म में परेमे्विरे ्ने मत्नि के
जत्न्ने का की रीमत परे प्रभतबनध लूगत्त ्त, जहो प्रतीक रूप म में जत्न के िृक्ष के अचछे -बुरेे फलू ्न रत्ने के
भ्नदिर्देश रे प्रकसिस्ट हहोतत है| विजत्न औरे दश्म्न के आधुभ्नक पतपश्चितत्् लूौककक र सिंरेश चि्नतओ सिं दतरेत िी, ्दत-कदत कई
विधतओ सिं म में बुवद्ध का की रीभमत क्षमततओ सिं कत उललूेर करे्ने के दतिे कक्े जतते हैं| इ्न रीमतओ सिं कहो लूत सिंघ्ने हेतु
पजिस पश्चिम ्ने अध्तत्म-विद्यत ररेीरी कहोई व््िजिस स्त िैजतभ्नक विधत किी विकभरत ्नही सिं का की| विजत्न त्त
मजहब क्षेत के विदत्न, एलू्न िॉलूेर जहो इर कमी का की ओ़रे रतर ध्त्न कदलूतते हैं, भलूरते हैं: “...अरेसतु के
रम् रे ही पजिस पश्चिम ्ने मत्नभरक गभतविभध्ों के भ्नरेीक्षण हेतु एक वि्विर्नी् ् सिंत के रूप म में प्र्होग म में लूत्ने
के भलूए, बुवद्ध कहो पररेषकृत करे्ने का की विभध्ों के विकतर का की ओ़रे, ्नही सिं के बरेतबरे प्रगभत का की है| औरे ...आज
तक िी पजिस पश्चिम म में ककरी ऐरे प्र्होगतभआश्रित-विजत्न के विकतर म में कतफ़ैा की प्रभतरेहोध जतरेी है|” ्िपलूरेहोपी् अ सिंधवि्वितरों
्ने तहो, व््िजिस स्त आधतरे परे अध्तत्म-विद्यत के अ्नुररेण का की प्रकक्र्त कहो सितधी्नतत पिपलूि्मक श चिलूत्ने का की प्रिृभत
कहो िसतुतमशः, मतरे ही डतलूत|

िॉलूेर ्ह कदरतते हैं कक ईरतई रेहस्ितदी्ों ्ने िी मत्निी् क्षमततओ सिं परे ग सिंिीरे प्रभतबनध लूगत्े ्े| िे
इ सिंभगत करेते हैं कक ऐरत प्रतीत हहोतत है इ्नम में एक 'व््तपक भ्नषकष्म' उिरे श चिुकत ्त : “...कक भश चि सिंत्न का की
उचश चितम अिस्तए सिं अभ्नित््म रूप रे क्षजिस णक सितिति का की हहोती सिं हैं, जहो रतमतन्तमशः लूगिग आधे घ सिंसिस्टे रे अभधक
लू सिंबे रम् तक ्नही सिं रेह पतती सिं| रेहस्म्-र सिं्होग का की इर प्रकृभत का की क्षजिस णकतत परे जहोरे दे्ने कत आगह, रबरे
पहलूे ऑगससिस्टी्न रे आरे सिंि हुआ प्रतीत हहोतत है, औरे ्ही कफरे प्रभतवब सिंवबत हहोतत है, एक हज़तरे रतलू बतद
मतइससिस्टरे एकहतसिस्ट्म के लूेर्न म में...”| ्ह कहत जत रकतत है कक, रमतभध, अ्त्मत श चिेत्नत का की िह अिस्त जिस जरम में
म्न-बुवद्ध रतत रूप रे वब्नत व््िधत्न के, जत्नततीत अिस्त म में तललूी्न रेहती है, का की र सिंकलप्नत कत पजिस पश्चिमी
विश चितरे, बकहषकतरे करेतत रेहत है| ्द्यवप प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट मजहब कई मत््नों म में िैजतभ्नक भ्नरेीक्षण के प्रभत मैती िति
रेरतत ्त, िॉलूेर तक्म देते हैं कक गह्न आत सिंररेक भ्नरेीक्षण के मतमलूे म में उर्ने पजिस पश्चिमी मत्नर कहो औरे िी
अभधक र सिंकुभश चित करे कद्त| मजहब के अलूतित, ्िपलूरेहोपी् विजत्न पिपलूरेी तरेह रे बतहरेी दभु ्न्त तक ही रीभमत
रेहत, त्त उरका की दतश्मभ्नक असिस्टकलूबतजिस ज्त सिं, ्होग जैरी आत सिंररेक तक्नीकों रे दरेिपलू रेही सिं| ऐरी पररेजिस स्भत म में रेे्ने
डेकतसिस्ट्म (१५९६-१६५०) के प्रश चि सिंड प्रिति ्ने जिस स्भत कहो औरे बद्तरे ब्नत्त| ्द्यवप ऐरत प्रतीत हहोतत है कक उर्ने
आत सिंररेक प्र्होगतत्मक भ्नरेीक्षण के आधतरे परे 'मैं रहोश चितत हिपलूएँ, इरभलूए मैं हिपलूएँ' रे अप्नी बतत आरे सिंि का की , लूेकक्न
िॉलूेर के अ्नुरतरे िह इरे अध्तत्म-विद्यत का की कदशत म में लूे जत्ने के बजत्, दतश्मभ्नक रूप रे मिपलूलूतमशः विर सिंड्न
का की कदशत म में लूे ग्त औरे ऐरत प्रतीत हहोतत है का की - “एक मत-शतस्त्री् श चितलू के दतरेत डेकतसिस्ट्म ्ने ्ह घहोषणत
करे दी, कक दैिी् रूप रे रूह कहो शतरेीरे म में डतलूत ग्त है, औरे इर प्रकतरे प्रितिी तरेीके रे मत्नि म्न-बुवद्ध
कहो प्रतकृभतक जगत रे उर्ने दरेिपलू करे कद्त ग्त... डेकतसिस्ट्म के बतद तहो, दहो शततजिस बद्ों तक पजिस पश्चिमी विजत्न के
दतरेत म्न-बुवद्ध कत अध्््न आरे सिंि ही ्नही सिं हहो पत्त|”

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पजिस पश्चिमी मजहबी म्नहोविजत्न के अगणी विदत्न विभलू्म जेमर (१८४२ -१९१०) के कत््म परे िी इर प्रभतबनध
का की छत्त ब्नी रेही, जिस जरके सि् सिं के पतर इर शहोध-कत््म के भलूए आिश्क प्र्होगतभआश्रित ् सिंत ्नही सिं ्े| िॉलूेर
आगे बततते हैं - "र सिंक्षेप म में, ऐरत प्रतीत हहोतत है कक कहोपभ्न्मकर रे लूेकरे आधुभ्नक रम् तक पजिस पश्चिमी
विजत्न का की कदशत औरे विकतर-प्, पिपलूरेी तरेह रे मध्-्ुगी्न ईरतई-ब्रहत सिंकडका की रे प्रितवित रेहे|” आज के
रैद्धत सिंभतक विदत्नों के पतर अभधकत सिंश रूप रे, इर प्रकतरे का की सि् सिं रे प्र्होग करे्ने के आधतरे ही ्नही सिं हैं,
जिस ज्नके बलू परे िे ितरेती् धम्म का की जत्न-मीमत सिंरतओ सिं कहो रमझ िी रकते|

्हिपलूदी औरे ईरतई मत्शतस्त्री, प्रतश चिी्न अभधभ्न्मों कहो इर प्रकतरे ग सिंिीरेतत रे पढ़ते हैं , जैरे िका कीलू लूहोग जकसिस्टलू
व््तपतररेक अ्नुब सिंधों कहो शत्द पढ़ते होंगे| मत्शतजिस स्त्र्ों के बीश चि ितद-विितद, रश चिमुश चि म में व््तिरतभ्क िका कीलूों म में
बहर का की ्तद कदलूतते हैं| मत्शतस्त्र कहो पढ़्ने का की इर पद्धभत कत अ्नुररेण करे्ने हेतु, विदत्न लूहोग रबिपलूतों कत
अध्््न इर प्रकतरे रे करेते हैं, कक परेमे्विरे औरे मत्नितत के बीश चि हुए अ्नुब सिंधों कहो पु्नभ्न्मभम्मत कक्त जत
रके| इरभलूए, इ्न मजहबों के पत सिंकडत्् परे अभधकत सिंशतमशः कत्निपलू्नी-न्त्शतस्त्र त्त ऐभतहतभरक-विशेषण का की
प्रिृवत्त्त सिं हतिी रेही सिं हैं| ्े र सिंस्तए सिं अभधभ्न्मों कत र सिंरेक्षण, उ्नके अ््म-भ्नधत्मरेण, भमथ्त दतिों एि सिं विरेहोभध्ों
का की हहो्ने ितलूी धमकक्ों रे उ्नका की रेक्षत, उ्नके वितरेण परे भ्न् सिंतण करे्ने, औरे विसततरेितदी पररे्होज्नतओ सिं के
रञश चितलू्न म में, उ्नकत रनदि्म देकरे उ्नरे फत्दत उित्ने का की देर-रेेर करेते रेहते हैं| र सिंदभि्मत प्रत््ेक इब्रतकहमी
मजहब म में, परेमे्विरे ्ने रतमिपलूकहक रूप रे उर एक रमिपलूह रे लूे्न-दे्न कक्त है| ्हिपलूदी 'श चिु्ने' हुए लूहोग हैं, ईरतई
इ्विरे-पुत के बभलूदत्न रे लूतितजिस नित लूहोग हैं, औरे मुरलूमत्न लूहोग उममत के रूप म में र सिंगकित हहोकरे, पैगमबरे
के मतफ़ै्मत िेजे गए अललूतह के अ सिंभतम त्त पिपलूण्म आदेश कहो मत्न्ने ितलूे हैं| इरभलूए, प्रत्मशः ध्त्न बतहरे का की
ओ़रे रेहतत है (जैरत कक इ्नका की र सिंस्तओ सिं दतरेत व््क्ति हहो)| कई महत्िपिपलूण्म अभधभ्न्म िैय्वक्तिक आध्तजिस त्मकतत
के बतरेे म में ्नही सिं, रतमुकहक मुवक्ति के रमबनध म में हहोते हैं, जिस ज्नम में कतकफरेों का की परेतज् के भलूए रमतज त्त
रेतज्नीभत कहो र सिंगकित करे्ने के भ्नदिर्देश हहोते हैं| व््वक्तिगत मुवक्ति कत अ्नुिि केिलू मृत््ु के बतद, सिग्म म में ही
हहोतत है|

पैगमबरेी परेमपरेतओ सिं म में प्रतभधकतरे : ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं म में ई्विरे तक मत्निी्-पहुएँश चि कहो रमझ्ने हेतु ,
उ्नके अकदती् पैगमबरेी इभतहतर कहो ही रबरे महत्िपिपलूण्म मत्नत जततत है, जैरत कक हम्ने देरत िी है|
आध्तजिस त्मक अिीपरत ्हतएँ मुख्तमशः आत्म-बहोध पत्ने के बतरेे म में ्नही सिं, िरे्न िह अभधकतरे व््वक्ति्ों एि सिं
रमतजों के बतरेे म में परेमे्विरे का की इचछत जत्न्ने के भलूए हहोतत है| इभतहतर-केजिस न्द्रकतत इ्न मजहबों के रिी
पहलूुओ सिं म में गहरेतई रे उलूझी हुई है| ्द्यवप रिी पैगमबरे बहुत कतलू पहलूे आए ्े, उ्नकत अशरेीररे इभतहतर,
आज केिलू उ्नके विभशष अभधकृत उपदेशों के आश्रिहोत के रूप म में हमतरेे पललूे रेह ग्त है | ्नतज़ुक वब सिंद ु ्ह है
कक ईरतई्ों कहो कहत जततत है कक िे ईरत के अिततरे कहो सिीकतरे करे में (केिलू ईरत कहो ही, औरे ककरी कहो
्नही सिं) लूेकक्न िे सि् सिं उरी प्रकतरे, अप्ने अ सिंदरे उ्नका की अ्नुििपलूभत ्नही सिं करे रकते| 'ईरत ब्न्ने' कत अ््म हहोगत कक
ऐरे बहुत रतरेे लूहोग ईरत जैरी अिस्त कहो प्रतप्त करे लू मेंगे, औरे इरकत अ््म हहोगत - ईरत का की औरे श चिश चि्म का की
ित्ममत्न अकदती्तत कत आधतरे ही रहोरलूत हहो जत्ेगत| शतस्त्रों औरे िविष् ितजिस ण्ों म में िजिस ण्मत, त्त-कभ्त
ऐभतहतभरक तथ्ों का की पुवष, ितसति म में अर सिंिि हहोती है| दर
िपलू रेी ओ़रे इरी प्रकतरे, िैजतभ्नक जत्नकतरेी इभतहतर-
क में्द्रीक ्नही सिं है| विजत्न म में िी इभतहतर तहो अिश् है, लूेकक्न उरकत आश् ईरतइ्त म में उरके आश् रे
वबलूकुलू भिन्न है| ईरत के विष् म में जैरे दतिे ईरतई्ों दतरेत कक्े जतते हैं, उ्न रे वबलूकुलू भिन्न गौतम
बुद्ध ्ने विशेष जहोरे देकरे कहत ्त कक, उ्नकत भ्नित्मण केिलू एक शत्वित तथ् का की रहोज िरे ्ी, जहो रदत रे

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अजिस सतत्ि म में ्त| रेहस्ितद कहो प्रत्मशः पजिस पश्चिम म में अवििेकपिपलूण्म अ्ित बश चिकत्नी मत्नभरक अिस्त मत्नत जततत
है, जहो ितसति म में हुए अ्नुिि के विक्षेप अ्ित उरके बतरेे म में गलूतब्त्नी का की ओ़रे रतधक कहो प्रिृत करे
रकतत है| कै्भलूक र सिंप्रदत् म में तहो औपश चितररेक रूप रे मरे्ने के कुछ भ्नजिस पश्चित िष्षों के उपरेत सिंत ही एक
आध्तजिस त्मक गुरु कहो र सिंत का की उपतभध दी जतती है, ततकक उरके दतरेत श चिश चि्म के र सिंस्तगत प्रिुत्ि कहो ककरी
प्रकतरे का की श चिु्नौती का की कदए जत्ने का की रमिति्नत ्न रेहे, जहो एक जीवित गुरु रे तहो किी िी भमलू रकती है|

्हिपलूदी त्त ईरतई परेमपरेतओ सिं म में औपश चितररेक क्रमतश चितरेों, कत्निपलू्नी र सिंकहततओ सिं, मत-विधत्नों के मिपलूलू-पति के
अ्नुरतरे जहो र सिंस्तए सिं र सिंश चितभलूत हहोती सिं हैं, िे ही ्ह भ्न् सिंवतत औरे त् करेती सिं हैं कक क्त उ्नके मजहबों म में
प्रतमतजिस णक औरे रतभधकतरे मत्नत जत रकतत है| रिी प्रभतद सिंकद्ों कहो दहो्म दजिर्दे कक ओ़रे धकेलू कद्त जततत है|
अन् र सिंप्रदत्ों कहो बरेतबरेी कत दजत्म त्त हतकद्मक रममत्न किी िी ्नही सिं कद्त जततत है| अ सिंतरतर्संप्रदतभ्क र सिंितद
कदरतित िरे है| इरकत एक उदतहरेण है, र सिं ३२५ म में ्नतइरी्न भरद्धत सिंत दतरेत पहलूी बतरे ईरतइ्त कहो रेहोम्न
रतमतज् कत रेतज् दतरेत अ्नुमहोकदत, अभधकतररेक मजहब घहोवषत कक्त ग्त ्त, जहो ऐभतहतभरक त्त
मत्शतस्त्री् दतिों का की एक ऐरी रिपलूश चिी है, जहो अभधकत सिंश ईरतई श चिश चि्षों म में दह
ु रेतई जतती है त्त जिस जरका की आधतरेी्-
शप् हरे ईरतई कहो लूे्नी अभ्नित््म हहोती है| ्ही कै्भलूक मत, इससिस्ट्न्म ऑ्ऑर्थोडॉकरी, अभधकत सिंश प्रहोसिस्टेससिस्टनसिस्ट श चिश चि्षों
त्त ए सिंजिस गलूक्न कम्िपलूभ्न््न कत अभधकतररेक भरद्धत सिंत है औरे ईरतई एकतत के कई आधतरेों म में रे एक है, जबकक
इरी प्रकतरे कत दर
िपलू रेत आधतरे विभधित बतपभतसमत, अ्त्मत दीक्षत है|

ईरत कहो मुरलूमत्न, एक महत्न पैगमबरे तहो मत्नते हैं, लूेकक्न इ्विरे-पुत के रूप म में उ्नके हहो्ने का की र सिंिति्नत
कहो ही कतई ्नकतरेते हैं, क्िपलू सिंकक इसलूतम हि करेतत है कक इ्विरे के कहोई पुत ्त पुवत्त सिं ्नही सिं हैं औरे कहोई
इ्विरे जैरत ्नही सिं हहो रकतत| ईरत का की इर प्रकतरे इ्विरे-पुत रे पैगमबरे के रूप म में पदति्नभत, ईरतई्ों कहो कतई
म सिंजिपलूरे ्नही सिं है, क्िपलू सिंकक इररे ्नतइरी्न-भरद्धत सिंत के मिपलूलू भ्नदिर्देशों कत ही उललू सिंघ्न हहो जत्ेगत औरे इरकत अ््म
हहोगत कक इसलूतम कत दजत्म ईरतइ्त रे ऊपरे है, क्िपलू सिंकक िह बतद के पैगमबरे दतरेत परेमे्विरे के ्निी्नतम
प्रभतजत-पतों के रत् प्रिृत हुआ ्त| इर भलूए, कुरेत्म्न कहो ईरतई लूहोग परेमे्विरे कत प्रभतजत-पत ्नही सिं मत्नते हैं|
रदत, अकदती् रत्् के ऐरे ही दतिों रे र सिंघष्म पैदत हुआ करेते हैं|

्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं म में र सिंश चिरेण : इब्रतकहमी मजहबों म में रित्मभधक अभधकतरे्ुक्ति पैगमबरेों का की रिपलूश चिी ब सिंद हहो
श चिुका की है, औरे ्ही जिस स्भत उ्नके भलूजिस रत अभधभ्न्मों का की िी है| भ्नणत्म्क उपदेश कदए जत श चिुके हैं , श चितहे िह
पिपलूि्म विधत्न हहो, ्न्त विधत्न हहो ्त कुरेत्म्न| आज के ककरी पैगमबरे के उपदेशों कहो िह दजत्म ्त अभधकतरे
भमलू ही ्नही सिं रकतत जहो बतइवबलू ्त कुरेत्म्न कहो प्रतप्त है| रेहस्ितद कहो गैरे-ईरतई मत्नकरे, प्रहोसिस्टेससिस्टनसिस्ट शहोध्न
का की शुरुितत करे्ने ितलूे मतकसिस्ट्म्न लूिपलू्रे ्ने उरका की भ्न सिंदत का की ्ी| बतद म में, उत्तरे-कैंसिस्ट-ितदी बुवद्धजीिी र सिंसकृभत ्ने
सपषतमशः, रेहस्ितद कहो ततकक्मकतत के विरुद्ध पररेितवषत करे उरे अकतदमी रे बकहषकृत करे कद्त| जैरे-तैरे
रेहस्ितद औरे ततकक्मकतत कहो, एक दर
िपलू रेे के वबलूकुलू विरुद्ध बतत्ने का की ्ह रूढ़ीबद्धतत आज तक िी पजिस पश्चिम म में
विद्यमत्न है| रेहस्ितद अ्ित रदेह-अ्नुििपलूभत्ों के प्रभत दि
ु त्मग् रे, इर प्रकतरे के बैरे-पिपलूण्म दृवषकहोण के कतरेण
ही ितसति म में पजिस पश्चिम म में आत सिंररेक विजत्नों का की परे सिंपरेतएएँ ्त ि सिंशतिभलू्त सिं बत्नत्ने ितलूे र सिंप्रदत् ही तय्तरे ्नही सिं
हहो पत्े| सिस्टौमर आ' कहोजिस मप त्त फत सिंभरर द रतलर के िवक्तिम्-अभ््तर का की महत्न भ्न्म-पुजिस सतकतओ सिं के प्रभत
िी भतरेसकतरे कत िति है, जिस जरके कतरेण कम ईरतई्ों कहो इ्नका की जत्नकतरेी है | ितरेती् धम्म-परेमपरेतओ सिं म में
उपलूबध भरद्ध-र सिंतों का की रदत बढ़्ने ितलूी आश्रि सिंरलूतओ सिं का की तरेह, जिस जर मजहब म में उरी प्रकतरे विकभरत हहो्ने ितलूी

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आश्रि सिंरलूत तय्तरे हहो जतएगी, उरे भ्न् सिंवतत करे्ने म में ककि्नतई तहो पैदत हहोगी ही, जहो जड़-भरद्धत सिंत रे र सिंपन्न
मजहबों के भ्न् सिंतण म में ्नही सिं हहो रकती है| सितितविक है कक, भरद्ध-र सिंतों का की रदत बढ़्ने ितलूी आश्रि सिंरलूतओ सिं कहो,
इरी कतरेण इ्न मजहबों म में ककरी प्रकतरे कत प्रहोत्रतह्न ्नही कद्त जततत है|

कुछ हलूकों म में ्ह धतरेणत है कक ितरेती् धम्म का की तरेह ईरतइ्त के पतर अप्नत ्होग त्त अध्तत्म-विद्यत
है, जहो अकररे ितरेती् धम्म रे अध्तत्म कहो अलूग करे्ने के बतद हभ््त करे, उरे ्हिपलूदी-ईरतई ्त पजिस पश्चिमी
लूौककक-िजतभ्नक रत सिंश चिे म में ढंतलू्ने के प्र्तर हेतु, रम््म्न पततत है| इर आधतरे परे पजिस पश्चिमी इभतहतर के वबररेे
पड़े हुए अर सिंबद्ध उदतहरेणों कहो बढ़त-श चिढ़त करे इसतेमतलू िी कक्त जततत है| पुरेत्ने पजिस पश्चिमी हजिस सत्ों कहो
अगजिस ण्ों के रूप म में मकहमत-म सिंकडत करे एि सिं उ्नके भलू्े ्नई ििपलूभमकत ब्नतकरे उनह में ितरेती् शहोध-कतत्मओ सिं के
स्त्न परे बैितकरे, उनह में भ्नरेपितद रूप रे ितरेती् आश्रिहोतों रे उधतरे लूी गई मिपलूलू रहोज के प्र्म आविषकतरेक
के रूप म में प्रसतुत करे कद्त जततत है| ्हतएँ र सिंकेत कक्त जत रेहत है उर वब सिंद ु का की ओरे कक, पतपश्चितत्् र सिंसकृभत
परे ितरेती् दश्म्न कत गहरेत प्रिति हुआ है, कफरे िी उरे पजिस पश्चिम दतरेत लूगतततरे उपेजिस क्षत कक्त जततत रेहत है|

देह के प्रभत िज्म्नतएएँ : कई ्हिपलूदी औरे ईरतई ्नेततओ सिं म में अिी िी ितरेती् ्होग, प्रश चि सिंड विितदों कत विष् रेहत
है| आज िी ्होग-रतधकों कहो उररे विमुर करे्ने के कई प्र्तर हहोते रेहते हैं, क्िपलू सिंकक उरे भमथ्त देिततओ सिं का की
इबतदत कहो प्रहोत्रतकहत करे्ने ितलूी एक अ सिंजत्नी प्रकतरे का की प्रभतकिपलूलू रतध्नत-पद्यभत मत्नत ग्त है| इर त्नति
कत अभधकतरे कतरेण बुतपरेसती, मिपलूभत्मपिपलूजत औरे देह के प्रभत िज्म्नतओ सिं रे रमब सिंभधत ्हिपलूदी-ईरतई ि् त्त
व््गतत है| देह कहो पजिस पश्चिम के पिपलूरेे इभतहतर म में शम्म त्त अपरेतध-बहोध कत कतरेण मत्नत ग्त है, जिस जरे हसिस्टत्ने के
प्र्तर, प्रबहोध-कतलू त्त उरका की ततकक्मकतत ्ने ्नही सिं के बरेतबरे कक्े| ्हिपलूदी मजहब, मिपलूलू जिस जसमत्नी पतप का की
र सिंकलप्नत के विष् म में, ईरतई जु्निपलू्न कत पिपलूरेी तरेह रे रहितगी तहो ्नही सिं है, लूेकक्न सित्नुििपलूत आत्म-बहोध का की
रहोज करे्ने के बजत्, परेमे्विरे का की आजत-पतलू्न परे उरकत आगह अिश् है| जीि औरे देह के अ सिंतदर्संद के
विष् म में अप्ने अ सिंदरे का की बेश चिै्नी कत िण्म्न करेते हुए, जिस जनह में िे परेसपरे धुरे विरेहोधी िी मत्नते हैं, बतइवबलू के
प्रश चितरेक पौलू के अ्नुरतरे '...मुझे अप्ने शतरेीरे के अ सिंगों म में एक दर
िपलू रेत भ्न्म जहो मेरेी इजिस न्द्र्ों म में रकक्र्
हहोकरे, मेरेी बुवद्ध के भ्न्म के विरुद्ध ्ुद्ध करेतत हुआ कदरतई पड़तत रेहतत है, औरे जहो मेरेे अ सिंगों के अ सिंदरे
कतम करेतत हुआ मुझे पतप के भ्न्म कत गुलूतम ब्नत देतत है'| परेमे्विरे कहो पत्ने औरे अप्ने ही देह के
मतध्म रे उरम में रेम्ने का की र सिंिति्नत कहो आम सिंवतत िी करे्नत, इर पतप कत रबरे िीित्र रूप मत्नत ग्त है|
बुतपरेसती अ्त्मत, भमथ्त देिों का की रुदी हुई आकृभत के रूप म में िी पिपलूजत करे्नत, एक औरे िज्म्नत है, ्द्यवप
कै्भलूक मततिलू सिंबी त्त ईससिस्ट्न्म औ्ऑर्थोडॉकरी श चिश चि्म के रदस्, कई िष्षों पहलूे रे ही हहोलूी फी फॅभमलूी एि सिं र सिंतों
का की प्रभतकृभत्ों कत रममत्न करे्ने के आदी हहो गए ्े| ्होग के पजिस पश्चिमी रतधकों कहो बुतपरेसती म में भलूप्त हहो्ने
के र सिंदेह कत रतम्नत करे्नत, उ्नका की रबरे बड़ी बतधतओ सिं म में रे एक है| बुत के रमत्न ही देह का की पिपलूजत का की
कलप्नत रे ितरेती् ्होग का की र सिंबद्धतत स्तवपत करे्ने के कतरेण, ्हिपलूदी-्होग औरे ईरतई-्होग जैरे िण्म-र सिंकरे
पैदत हुए हैं| बुतपरेसती के ि् रे मुक्ति कक्े हुए ्होग कत दतित, ऐरत िण्म-र सिंकरे ्होग प्रसतुत करेतत है|
इरभलूए, ्ह विश चितरे कक मनत हमतरेे अ सिंदरे परेमे्विरे कत आितह्न करेते हैं , शक का की ्नज़रे रे त्त अपवित
करे्ने ितलूे जत्ने जतते हैं| श चििपलू सिंकक बतईवबलू अ्ित तहोरेतह दतरेत मनत मतन् ्नही सिं हैं, िे एक रचश चिे परेमे्विरे के
प्रभत प्रत््म्नत ्नही सिं हहो रकते, इरभलूए िे झिपलूिे देिों के प्रभत ही प्रत््म्नत हहोते होंगे|

(२) ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतए सिं : ितरेती् धतभम्मक र सिंप्रदत् ऐभतहतभरक घसिस्ट्नतओ सिं परे उरी प्रकतरे अ्ित उरी

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हद तक भ्नि्मरे ्नही सिं कक्त करेते जैरत कक ्हिपलूदी-ईरतई मजहब कक्त करेते हैं| धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के अ्नुरतरे
कहोई िी व््वक्ति पतपी के रूप म में पैदत ्नही सिं हहोतत, ्द्यवप िह अप्ने अतीत के र सिंसकतरेों के रमुचश चि् के दबति म में
तहो रेहतत है, जहो उरे अप्ने मिपलूलू सिरुप रे अ्नजत्न ब्नत्े हुए रेरतत है| रौितग्िश, उरके अ सिंदरे एक ऐरी
जनमजतत ्नैवष्ठक क्षमतत है कक िह इर दशत रे पतरे जतकरे, अप्ने आप कहो उररे उबतरे रके त्त इरी
जीि्न म में िह अप्नी रतध्नत रे रत ्-भश चित-आ्न सिंद के अ्नुिि का की एक ऐरी अिस्त प्रतप्त करे लूे, जिस जरे एक
रतधक रे दर
िपलू रेे रतधक तक िी पहु सिंश चित्त जत रकतत है| सित्नुििपलूत-जत्न कत प् मत्नि-मतत के दैिी हहो्ने के
उदतत्त विश चितरे रे आरे सिंि हहोतत है औरे ्ह मत्नितत कहो ितरेत कत महत्नतम अ्नुदत्न है| परेमे्विरे कहो इर प्रकतरे
जत्न्ने कहो ही लूेरक, 'रजिस न्नकहत जत्न' कहते हैं| ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतए सिं ्ह इ सिंभगत करेती सिं हैं कक रत््
कही सिं रुदरेिपलू सिग्म म में जिस स्त ्नही सिं है, जिस जरे पैगमबरेों के दलू
ु ्मि हसतक्षेप रे ही प्रतप्त कक्त जत रकतत है , िरे्न
िह िसतुतमशः हरे व््वक्ति, पशु, पौधे, त्त ्हतएँ तक कक ब्रहत्ड के रिपलूक्षमतम कण के अविितजिस जत रत ्
(अजिस सतत्ि) म में िी भ्नितर करेतत है| कह सिंद िपलू धम्म जैरी ई्विरे कहो मत्न्ने ितलूी परेमपरेतएएँ, मत्नितत कहो परेमे्विरे
का की ही विििपलूभत मत्नते हैं, जबकक बौद्ध त्त जै्न धम्म जैरी ई्विरे कहो ्न मत्न्ने ितलूी परेमपरेतए सिं, हरे व््वक्ति का की
आत्म-बहोधी श चिेत्नत कहो रिऑर्थोचचश चि ््त््म मत्नते हैं| लूेरक के मत कहो र सिंक्षेप म में व््क्ति करेते हुए ररेश चिड्म लूे्नॉ्
आगे कहते हैं कक - 'इसलूतमी औरे ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं के विपरेीत, कह सिंद िपलू अ्ित बौद्ध धम्म का की परेमपरेतओ सिं
म में इभतहतर कत कहोई आध्तजिस त्मक महत्ि ्नही सिं है| मत्नि कत रिऑर्थोचश चि आदश्म है जीि्न-मुक्ति हहो्नत – ऐरी
अिस्त जिस जरम में व््वक्ति कतलू रे परेे हहो जततत है|'

रिी ितरेती् परेमपरेतए सिं परेम रत्् कहो जत्न्ने के इर गैरे-ऐभतहतभरक त्त रीधे प् कहो भ्नवि्मितद रूप रे
अ सिंगीकतरे करेते हैं औरे िे ्हिपलूदी-ईरतई अ््षों म में एक श चिरेम ऐभतहतभरक एि सिं रतमिपलूकहक पहश चित्न विकभरत करे
जत्न, मतन्ततओ सिं एि सिं अ्नुििपलूभत कहो र सिंश चितररेत ्नही सिं करेते हैं| इरके बजत् हरे रतधक, ्नए भररेे रे रिऑर्थोचश चि
रत्् कहो रहोज्ने का की अप्ने ही अ सिंदरे का की क्षमतत के रहतरेे किी िी, ्ही सिं औरे अिी अप्नी रतत रतध्नत
आरे सिंि करे रकतत है| आश्रिी अरेविनद ्ने पत्त ्त कक उ्नके पिपलूि्म के आध्तजिस त्मक अ्नुििों का की पुवष, उ्नके िेद
पढ़्ने के उपरेत सिंत सपष रूप रे हुई ्ी| इर प्रकतरे ितरेती् धतभम्मक रतधकों के भलूए परेमे्विरे कहो रदेह जत्न्ने
का की ईरत का की अ्नुििपलूभत सिीकत््म है, क्िपलू सिंकक ्ह रिी कहो हहो रकती है, केिलू ईरत कहो ही हहो, ऐरत ्नही सिं|

पजिस पश्चिमी आश्रिहोततओ सिं हेतु धम्म का की व््तख्त - कुछ उत्तेजक प्रश्न :
प्रश्न जहो लूेरक ्ने पिपलूछ:े ्दी रब इभतहतर, आप का की पहुएँश चि के बतहरे हहो जत् ्त उरे झुिलूत कद्त जत् तहो,
आपके मजहबी जीि्न परे क्त प्रिति पड़ेगत? परेमे्विरे रे ऐभतहतभरक घसिस्ट्नतओ सिं के मतध्म रे प्रतप्त जत्न के
वब्नत, ्दी आपकहो अप्नत पिपलूरेत जीि्न जी्नत पड़े, तहो आप क्त करे मेंगे? ककर प्रतभधकतरे के अ सिंतग्मत आप अप्नत
मजहबी जीि्न जीए सिंगे, ्दी जी पतए तहो? दर
िपलू रेे शबदों म में, क्त आप आध्तजिस त्मक रत्् कहो अप्ने रे, वब्नत
इ्न ऐभतहतभरक आश्रिहोतों परे भ्नि्मरे हुए रहोज पतए सिंग,े ्त कफरे क्त आप इ्नके उपलूबध ्न हहो्ने रे रहो रे
जत् मेंग?
े लूेरक प्रश्न करेते हैं कक क्िपलूएँ उ्नका की मजहबी भ्नष्ठत इत्नी अभ्नजिस पश्चित औरे कुछ ऐभतहतभरक घसिस्ट्नतओ सिं
परे इर हद तक औरे इत्नत भ्नि्मरे करेती है? क्त र सिंगि्न-आधतररेत ्हिपलूदी-ईरतई मजहब इभतहतर के ब सिंधक
हैं? ्हिपलूदी्ों औरे ईरत्ों कत विदत एि सिं रुर सिंसकृत रमिपलूह, जहो इर प्रकतरे के प्रश्नों कहो पिपलूछे जत्ने के भलूए तय्तरे
्नही सिं ्त, अरुरेजिस क्षत अ्नुिि करे्ने लूगत औरे बहुत ही उद्देभलूत हहो ग्त औरे कुछ तहो हतप्रि ही रेह गए|

धम्म औरे प्रत््क्ष अ्नुिि : लूेरक ्ने अप्ने आश्रिहोततओ सिं कहो रमझत्त कक उ्नकत धम्म वब्नत ऐभतहतभरक

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दसततिेजों के बश चित रेह रकतत है| ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में, प्रत््क्ष अ्नुििपलूभत एि सिं व््वक्ति दतरेत सि् सिं
प्र्होगतभआश्रित पररेक्षण के भलूए जहो रकक्र् आत सिंररेक औरे बतह्य रतध्नत आिश्क हहोती है, िह जत्न प्रतभप्त औरे
रत्् का की रहोज हेतु महत्िपिपलूण्म हहोते हैं| इरभलूए आत्मत्नुशतर्न परे ध्त्न क मेंक्द्रत रेहतत है, ककरी कतलपभ्नक
भरद्धत सिंत एि सिं उरी के अ्नुररेण हेतु कतई ्नही सिं| देितत कहोई ऐभतहतभरक व््वक्ति्ों का की तरेह रदत ्नही सिं देरे जतते
हैं, िरे्न रि्मव््तपी गुरुत्ितकष्मण का की शवक्ति जैरी अ्नैभतहतभरक शवक्ति्ों के रूप म में जत्ने जतते हैं| अ सिंततमशः, वब्नत
बीती घसिस्ट्नतओ सिं परे भ्नि्मरे हुए, जीि्न कत लूक्ष् है - आत्म-जत्न प्रतप्त करे्नत|

इभतहतर म में रजिस ममभलूत है तथ्तत्मक वििरेण - भम्क त्त कुछ औरे : ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतए सिं इभतहतर
के मतध्म रे ििपलूतकतलू रे ितसतत रेरते हैं, जहो एक ऐरत र सिंसकृत शबद है जिस जरका की व््तख्त रतमतन्तमशः
'भम्क' अ्ित केिलू 'आख्त्न' के रूप म में का की जतती है| आम तौरे परे पजिस पश्चिम म में िगित्न आश्रिीकृषण औरे
आश्रिीरेतम का की क्तएएँ 'भम्क' के रूप म में जत्नी जतती हैं, जहो रतधतरेण पजिस पश्चिमी बहोलूश चितलू का की ितषत म में ऐरी
घसिस्ट्नतओ सिं कहो इ सिंभगत करेतत है जिस ज्नके बतरेे म में ऐरत प्रश चिभलूत हहो कक िे कतलपभ्नक, अजीबहो-गरेीब, ्हतएँ तक
अ सिंध-वि्वितर रे प्रेररेत िी, रूकढ़ितदी ्त झिपलूिठ, त्त जहो पजिस पश्चिमी मतन्तत म में तहो रचश चितई रे वबलूकुलू परेे हैं|
्िपलूरेहोपी् विदत्नों ्ने, ्िपलू्नत्नी-रेहोम्न गौरेि-ग सिं्ों एि सिं ईरतइ्त रे पिपलूि्म के ्िपलूरेहोप कत अध्््न करे, उपभ्निेशों एि सिं
गैरे-ईरतई र सिंसकृभत्ों के विष् म में इर प्रकतरे कत भ्न्तमक िगरकरेण करे कद्त|

इभतहतर : धतभम्मक रभ््ततओ सिं म में ििपलूतकतलू कहो केिलू भम्क अ्ित त्तकभ्त हुबहिपलू तथ्तत्मक वििरेणों के
दतरेत ही व््क्ति ्नही सिं कक्त जततत| ््होभश चित रूप रे, इभतहतर इ्न िग्षों के स्त्न परे हहोतत है, जिस जरम में पिपलूि्मपक्ष
(ििपलूतकतलूी्न आख्त्न) के रत् जीि्न के रिी पक्षों के विष् म में रनदेश िी रजिस ममभलूत रेहते हैं| इभतहतर कत
ररेहोकतरे रत्् रे है, केिलू तथ्तत्मक वििरेण रे ही ्नही सिं| इभतहतर के रत् पुरेतण कहलूत्ने ितलूे आख्त्न,
तथ्तत्मक वििरेण के रत् रत् भम्क िी हहोते रेहे हैं, औरे उ्नके बहु-आ्तमी दृवषकहोण, उनह में मतत
तथ्तत्मक वििरेणों रे कही सिं अभधक उदतरे ब्नत देते हैं| रत्् तथ्तत्मक वििरेणों परे भ्नि्मरे ्नही सिं है; बजिस लक,
तथ्ों कत वििरेण रत्् का की अभिव््वक्ति हैं| अप्नी परे सिंपरेत का की ििपलूतकतलूी्न घसिस्ट्नतओ सिं के तथ्तत्मक वििरेणों कहो
अभधकत सिंश कह सिंद िपलू लूश चिीलूे दृवषकहोण रे देरते हैं| इभतहतर मिपलूलूतमशः, बहुलूततितदी िी हहोतत है: उरके रतमतन्तमशः, कई
र सिंसकरेण हहोते हैं| ककरी आख्त्न कत र सिंशहोभधत र सिंसकरेण, अन् रिी र सिंसकरेणों कहो भ्नरेसत ्नही सिं करे देतत|
आश्रिी अरेविनद जहो आश्रिीकृषण का की ऐभतहभरकतत कहो मतन्तत देते हैं, सपष करेते हैं कक उर ऐभतहभरकतत परे कुछ
िी भ्नि्मरे ्नही सिं करेतत, क्िपलू सिंकक ितरेती् आख्त्नों का की शत्वित प्रकृभत म में ककरी िी वििरेण कहो र सिंदभि्मत
घसिस्ट्नतओ सिं के िौभतक स्त्न अ्ित कतलू रे जहोड़ करे ्नही सिं देरत जततत है|
पिपलूि्म का की ओ़रे पजिस पश्चिमी एकसिस्टक लूगी दृवष : इभतहतर के बहुआ्तमी प्रसतुतीकरेण रे ्न भ्नपसिस्ट पत्ने के कतरेण,
पजिस पश्चिमी विदत्न उरे भम्क औरे केिलू भम्क के रूप म में ही िगरकृत करेते हैं , जबकक उ्नके अप्ने भम्कों के
वििरेण ््त््म घसिस्ट्नतओ सिं का की तरेह प्रसतुत हहोते हैं| ितरेती् आध्तजिस त्मक शतस्त्रों का की व््तख्त, ्हिपलूदी त्त ईरतई
मजहबी क्तओ सिं का की व््तख्त म में प्र्ुक्ति विभध्ों रे वबलूकुलू भिन्न हहोती है| जैरे उदतहरेणत््म, पजिस पश्चिम कत
अध्््न रमतजशतस्त्री् विभध्ों एि सिं ् सिंतों दतरेत हहोतत है, जबकक त्तकभ्त आकदम रमतजों कत अध्््न
प्रधत्नतमशः, ्नृविजत्न एि सिं उ्नके लूहोक रतकहत्् के मतध्म रे कक्त जततत है; ्िपलूरेहोपी् त्त अमरेीका की रतमतजिस जक
इकतइ्ों कहो रदत रमुदत् के रूप म में बतत्त जततत है, ज्नजतभत्ों के रूप म में किी ्नही सिं|

ितरेती् विसततरेितद उर तरेह रे किी र सिंश चितभलूत ्नही सिं हुआ, जैरत पजिस पश्चिम ्ने कक्त| इभतहतर औरे तथ्तत्मक

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वििरेण के आपरी रमबनध कही सिं ज्तदत जकसिस्टलू औरे परेत-दरे-परेतदतरे हहोते हैं, औरे पररेित्म्न के प्रभत ितरेत
का की पतरे सिंपररेक दृवष किी िी ििपलूतकतलू के श चिरेणों कत वि्नतश अ्ित अिमिपलूल््न करे्ने का की ्नही सिं रेही| जबकक,
रतमतन्तमशः पजिस पश्चिम के मजहबी औरे लूौककक कह सिंरतत्मक इभतहतर म में, उ्नके विकतर-क्रम म में बड़े पररेित्म्न हेतु,
हरे सतरे के बतद पिपलूि्म सतरे कहो धमका की-िरेत मत्नत जततत है औरे उरे ्त तहो पिपलूरेी तरेह रे पश चित्त, अ्ित क्रिपलूरेतत
रे उरे ्नष कक्त जततत है|

रेतमत्ण औरे महतितरेत : इभतहतर, तथ्तत्मक वििरेण औरे भम्क दहो्नों कहो ही रमेसिस्ट लूेतत है| ितरेती्
महतकतव्् महतितरेत औरे रेतमत्ण इभतहतर का की इर शैलूी के उत्कृष उदतहरेण हैं, जिस ज्नके रेकडों र सिंसकरेणों म में
उनह में बतरे बतरे रु्नत्त ग्त है | ितरेती् क्तितश चि्न का की परे सिंपरेत िसतुतमशः र सिंितदतत्मक है: ्न केिलू अप्नत
व््तख्त्न आरे सिंि करे्ने रे पहलूे क्तितश चिक आश्रिहोततओ सिं रे पिपलूछतत है कक िे क्त रु्न्नत श चितह मेंगे , बजिस लक पिपलूरेी क्त
के दौरेत्न उ्नरे र सिंितद जतरेी रेरतत है| वब्रकसिस्टश उपभ्निेशितकद्ों ्ने वि्वि-इभतहतर के अप्ने र सिंसकरेण म में ितरेत
के बहुमुरी इभतहतर कहो भ्नम्न-सतरे परे स्तवपत करे्ने हेतु उरकत तथ्तत्मक अ्नुितद करे कद्त|
इभतहतरकतरे रेणजीत गुहत कहते हैं कक 'पजिस पश्चिम म में रेतज् औरे इभतहतर-लूेर्न के बीश चि वि्वि-इभतहतर-्नतम कत
रेण्नैभतक गिब सिंध्न स्तवपत हुआ...उर रेण्नीभत के भलूए ििपलूतकतलू परे भ्न् सिंतण आिश्क है...अभधक महत्ि
का की बतत ्ह है कक उ्नके अप्ने क्त्नक कहो इभतहतर के रूप म में कदरत्नत ्त, जिस जरके भलूए उरे ्नतगररेक
रमतज रे हसिस्टत करे रेतज्तधी्न करे कद्त ग्त'| ितरेती् लूहोगों ्ने ििपलूलू रे धीरेे-धीरेे वि्वि-इभतहतर म में इर
प्रकतरे का की अप्नी प्रविवष कहो शरेतफत म में सिीकतरे करे भलू्त, जबकक इरके फलूसिरूप पैदत हुए भ्रम कहो जत्न-
मीमत सिंरक कह सिंरत कत एक जघन् कृत्् ही कहत जत्ेगत|

सित्नुििपलूत जत्न का की पररेणभत : अप्नी पुसतक 'आत सिंररेक क्रत सिंभत' म में एक प्रमुर बौद्ध विदत्न रेॉबसिस्ट्म थ्िपलूम्न, भलूरते
हैं कक पजिस पश्चिम म में एक भम्क बहुप्रश चिभलूत है कक 'िहोर' विजत्न ही भ्नषपक्ष हहो रकतत है, कक आत सिंररेक भशक्षण
का की विधतए सिं व््वक्तिपरेक हहोती हैं, बहुत हुआ तहो िे रदतश्ी िी हहो रकती हैं, औरे भ्नकृषतम जिस स्भत म में तहो िे
अ सिंधवि्वितरी त्त सिेचछतश चितरेी हहोती हैं| ऐरी विधतए सिं 'परे-लूहोकितदी' हहोती सिं हैं जहो इर िौभतक/रतमतजिस जक वि्वि
म में हमकहो अचछठ अ्नुििपलूभत दे्ने के अलूतित, िे कहोई लूति ्नही सिं पहु सिंश चितती सिं| िे बततते हैं कक िौभतक पदत््मम् इर
वि्वि कत अध्््न करे्ने तक ही, पजिस पश्चिमी िैजतभ्नक रीभमत रेह गए हैं औरे गलूती रे िे इरे ही भ्नषपक्षतत
मत्न बैिे हैं| धतभम्मक रतधकों ्ने प्रतश चिी्न कतलू रे ही दृश्/दृषत, र सिंजत्न-बहोध/अिधतरेणत, देह/म्न-बुवद्ध,
दर
िपलू रेत/सि् सिं, रमतज/व््वक्ति, अ्नुिि/धतरेणत, अ््म-भ्नधत्मरेण/प्रतीक, आकद के मध् दर
िपलू रेी ओ़रे, परेसपरे
भ्नि्मरेतत कहो पहश चित्नत औरे उ्नके दतरेत प्र्होग म में लूतई गई विधत कत िैजभ्नक हहो्ने कत दतित, पिपलूण्मतमशः तक्म-र सिंगत
िी है| आत सिंररेक विजत्नों कत विकतर, भ्नरेीक्षण, प्र्होग, रमीक्षतत्मक अ्नुरनधत्न एि सिं ितद-विितद के मतध्म
रे प्रतश चिी्न कतलू रे ही दर
िपलू रेी ओ़रे, विभधित कक्त ग्त औरे उ्नके विष् म में ्हिपलूदी-ईरतई मजहबी धतरेणतओ सिं
के विजत्न-विरेहोधी हहो्ने जैरत कहोई भ्रम ्नही सिं ही हहो्नत श चितकहए| इर प्रकतरे, बतहरेी औरे आत सिंररेक विजत्न, दहो्नों
ही विधतएएँ विभधित रूप रे र सिंश चितभलूत हहो्ने परे िे िैजतभ्नक हहो रकती सिं हैं| ितरेत, भतबबत औरे श चिी्न ्ने अप्ने
अप्ने आत सिंररेक विजत्नों कत लू सिंबत इभतहतर हहो्ने के बतिजिपलूद , किी िी बतहरेी विजत्नों कहो ्नकतरेत ्नही सिं है,
क्िपलू सिंकक उ्नके िहत सिं धम्म औरे विजत्न के बीश चि, पजिस पश्चिमी मजहब औरे विजत्न म में िष्षों श चिलू्ने ितलूे र सिंघष्म जैरी
जिस स्भत किी ्ी ही ्नही सिं|

प्रत््क्ष - अ्नुििितद के रूप म में अध्तत्मविद्यत : ्ह रतत रिपलूक्षम भ्नरेीक्षण औरे वििेश चि्नतत्मक तक्म का की विभध

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रे प्रतप्त, आत्मत एि सिं प्त्मिरेण कत रुभ्न्होजिस जत एि सिं व््िजिस स्त जत्न है| ्ह मत्नती है कक, रमग ््त््म कत
रमपिपलूण्म जत्न प्रतप्त करे्नत र सिंिि है, जहो रुर प्रतभप्त हेतु जीि्न औरे मरेण का की जिस स्भत्ों परे अभधकतरे देगत|
अध्तत्मविद्यत, आगे ्ह दतित करेती है कक इर जत्न कहो दर
िपलू रेों कहो भररत्त िी जत रकतत है| ्ह विद्यत
ककरी भरद्धत सिंत अ्ित मत परे अ सिंध-वि्वितर करे्ने का की मत सिंग ्नही सिं करेती, िरे्न रतधकों कहो प्रेररेत करेती है कक िे
अप्ने वि्वितरों त्त विश चितरेों के गुण-दहोषों का की रमीक्षत सि् सिं करे में| ऐरत, रतत आत सिंररेक भ्नरेीक्षण का की विभध्ों
दतरेत कक्त जततत है, जिस जरके भलूए अप्नत म्न ही एक ् सिंत के रूप म में आत सिंररेक जत्नकतरेी प्रतप्त करे्ने हेतु
उप्होग म में लूत्त जततत है| इर विजत्न का की ऐरी विभध्ों का की प्रकक्र्तओ सिं कत प्रितिी हहो्नत, उ्नके ऐभतहतभरक
प्रमतणों अ्ित उ्नके पररेणतमों का की अ्नुकिपलूलूतत परे भ्नि्मरे ्नही सिं करेतत| इर भलूए, आिश्क है कक, प्र्मतमशः,
प्रगभत के भ्नरेीक्षण हेतु, म्न-बुवद्ध कहो एक रिपलूक्षम ् सिंत का की तरेह लूगतततरे कुछ रम् के भलूए रतधत जत् त्त
ध्त्न का की जिस स्रेतत औरे रमगतत कहो अभधक रे अभधक बढ़त्त जत्|

पहलूी रहोज जहो इर प्रकतरे के आत सिंररेक भ्नरेीक्षण रे हहोती है, िह ्ह है कक हमतरेे मजिस सतषक का की धिभ्न्ों म में
रे कहोई िी, मिपलूलूतमशः हमतरेी ्नही सिं हहोती| अभधकत सिंश ितरेती् धतभम्मक पद्यभत्त सिं ्ह सिीकतरे करेती हैं कक हमतरेे
अ सिंदरे, अप्नी त्त वि्वि का की जहो ग़लूतफ़ैहभम्त सिं गहरेतई रे घरे करे श चिुका की सिं हैं, िह अविद्यत (भमथ्त जत्न) है|
व््वक्ति का की पर सिंद उरके र सिंसकतरेों के रृज्न कहो रहतरेत देती सिं हैं, जहो कफरे उरका की अभिजतत (cognition) हेतु,
छलू्नी कत कतम करेती सिं हैं| पररेणतमतमशः दृश् र सिंरतरे कतलपभ्नक ्त मत्तिी ब्न जततत है | ्ह भरद्धत सिंत, रमत्न
आधतरे-रूप रे कह सिंद,िपलू बौद्ध त्त जै्न परेमपरेतओ सिं कहो सिीकत््म है, जहो अप्नी अप्नी पद्यभत्ों रे इ्न र सिंसकतरेों के
पतरे जत्ने के अप्ने अप्ने तरेीकों कत प्रभतपतद्न करेते रेहते हैं| अतमशः, भ्नधत्मररेत अ्नुक्रम इर प्रकतरे रे है:
विकलप/कम्म – र सिंसकतरे/अिशेष – ्नतम/रूप – ितर्नत/लूत| इरभलूए शत सिंत, जिस स्रे अ सिंतमशःकरेण एक सिचछ
प्र्होगशतलूत के रमत्न है| मध्स्-वब्नत, प्रत््क्ष-जत्न के मौभलूक हहो्ने के उरके दतिे कत, पजिस पश्चिमी रतमतजिस जक-
रेतज्नैभतक-रत सिंसकृभतक आगह्ुक्ति-ऐभतहतभरक विशेषण एि सिं ्नृविजत्न दतरेत, विर सिंड्न हहो ही ्नही सिं रकतत| ऐरी
पद्यभत्ों कहो रही मत््नों म में रेहोगों कत उपश चितरे ि ततजिस त्िक असिस्टकलूों रे दरेिपलू मत्नत जत रकतत है, औरे ितसतविक
सितधी्नतत औरे रुर के भलूए आिश्क िी, बजत् मजहबों के रूप म में ही केिलू इनह में मत्नत जत्|

ितरेती् धम्म-परेमपरेतओ सिं म में प्रतभधकतरे : जहतएँ इभतहतर-केजिस न्द्रक दृवषकहोण पवित ऐभतहतभरक दसततिेजों का की
केन्द्री्तत कत आगह करेतत है, िहीँ ितरेती् धम्षों का की दृवष आध्तजिस त्मक प्रमतण के रूप म में, जीि सिंत भरद्ध पुरुषों
(ऋवष, मुभ्न अ्ित आश्रिमण, गुरु आकद) कहो सिीकतरे करेती है, जिस जरके कतरेण धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में ्े ही
भरद्ध पुरुष, केन्द्री् हहोते हैं| इरकत अ््म है, रतमतन्तमशः रीधे अ सिंति्वै्वक्तिक र सिंपक्म रे ही र सिंपन्न, अमिपलूत-्म रत््
कत सित्नुििपलूत विभध्ों दतरेत आध्तजिस त्मक-रमप्रेषण (गुरु-भशष् रमबनध), जहो पजिस पश्चिमी बतहरेी विभध दतरेत, शतस्त्र-
अध्््न परे आगह-्ुक्ति रमप्रेषण रे, भिन्न है| ककरी अिततरे-विशेष (्त बहोभधरत्ि) के प्रभत ककरी का की रूभश चि
हहो्ने कत अ््म ्ह ्नही सिं हहोतत है कक अन् अिततरेों कहो त््तग कद्त ग्त हहो औरे ्न ही उ्न अन् अिततरेों कहो
रतरेे के रूप म में देरत जततत है| इररे िी अभधक महत्िपिपलूण्म बतत ्ह है कक, ्ह आगह किी ्नही सिं रेहत कक
इभतहतर के त्त-कभ्त एकमतत रही र सिंसकरेण कहो, मत्निी् गितही परे मतन् करेतरे दे कद्त जत्, जिस जरके
आधतरे परे बतइवबलू-आधतररेत अध्््नों कहो तनम्तत रे श चिलूत्ने म में पररेआश्रिम हहोतत रेहत है| ्न ही भरर-धम्म
पैगमबरेों परे भ्नि्मरे करेतत है| उरके र सिंस्तपक, आश्रिी गुरु ्नत्नकदेि ्ने किी िी इ्विरे ्त अिततरे ्त इ्विरे-पुत
अ्ित इ्विरे के पैगमबरे हहो्ने कत दतित ्नही सिं कक्त| उनहों्ने पुरेतत्न धम्म-भ्नष्ठत, भरद्धत सिंत अ्ित ककरी प्रकतरे के
ऐभतहतभरक आख्त्नों कत रहतरेत भलूए वब्नत, िवक्ति के मतग्म रे परेमे्विरे कहो पत्ने कत दतित कक्त ्त| उ्नका की

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भशक्षत के अ्नुरतरे इरी प्रकतरे का की उपलूजिस बध हरे इ सिंरत्न कहो, िवक्ति के मतग्म रे हहो रकती है| पजिस पश्चिमी दश्म्न रे
वबलूकुलू भिन्न, जिस जरम में ्होग अ्ित ध्त्न के दतरेत श चिेत्नत म में आत सिंररेक पररेित्म्न का की मत सिंग ्नही सिं का की जतती औरे
केिलू तक्म कत आधतरे रेहतत है, ितरेती् दतश्मभ्नक पद्यभत्त सिं आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं रे गहरेतई रे जुड़ी हुई हैं|
बहु-भ्नजिस नदत म्नुसमृभत (पजिस पश्चिम म में रतमतन्तमशः कहे जत्ने ितलूे 'म्नु के कत्निपलू्न') िी किी, रिी परे लूतगिपलू इ्विरेी
कत्निपलू्न का की तरेह ्नही सिं मत्नी गई, जिस जरे बतद म में कत्निपलू्न के रूप म में वब्रकसिस्टश शतरकों दतरेत लूतगिपलू कक्त ग्त, केिलू
्ह कदरत्ने के भलूए कक ितरेती्ों कहो उपभ्निेशकों दतरेत 'कह सिंद िपलू कत्निपलू्न' (जहो कत्निपलू्न उनही सिं कक देर-रेेर म में
तय्तरे कक्त ग्त ्त) के प्रतिधत्नों के अ्नुरतरे शतभरत कक्त जततत है| म्नुसमृभत सपषतमशः ्ह िक्तिव्् देती है
कक िह रति्मलूौककक अ्ित रति्मिौभमक ्नही सिं है| म्नुसमृभत कत ऐरत उदतरे दृवषकहोण हहोते हुए िी, पजिस पश्चिम दतरेत
ितरेती् धतभम्मक रूकढ़ितद ्नतम (्त अरकहषणुतत ्त अलूगतिितद) जैरी प्रश चिभलूत का की गई धतरेणतएएँ, ररेतररे
विरेहोभधितरी है| आध्तजिस त्मक प्रकक्र्तओ सिं के सितितविक लूश चिीलूेप्न परे प्रत्मशः ्नैभतक रतपेक्षितद कत आरेहोप
लूगतत रेहतत है| जहो हहो, ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में तमर के प्रिति म में हहो्ने ितलूी ्नैभतक कढंलूतई औरे
रतपेक्षितद के दहोष रे बश चिति के, कई व््िजिस स्त प्रतिधत्न विद्यमत्न हैं|

धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में रमप्रेषण : सित्नुििपलूभत के वब्नत ्कद जत्न का की श चिश चित्म केिलू उरे कुछ िैश चितररेक िग्षों म में
भरकहोड़ करे का की जत्गी, तहो िह कदतभश चित देहमुक्ति-जत्न कहलूत्ेगत| सित्नुििपलूभत रे अजिस ज्मत जत्न मतत दतश्मभ्नक
प्रसततिों त्त ्नतम-रूप का की ितषतई रीमतओ सिं रे ब सिंधे बुवद्धितद रे कही सिं आश्रिेष्ठ मत्नत ग्त है, जिस जरके कतरेण ऋवष्ों
औरे ्होभग्ों कत स्त्न प सिंकडतों (पुरेहोकहतों) रे ऊपरे मत्नत ग्त है| उदतहरेण के भलूए, मनतों कत रसिरे
उचश चितरेण अ्ित शतस्त्रों कत रसिरे पति करे्नत, इरी भलूए कह सिंद िपलू औरे बौद्ध धम्षों म में बचश चिों कहो भररत्त जततत है,
जहो उ्नके अ््म रमझ्ने का की क्षमतत िी ्नही सिं रेरते, क्िपलू सिंकक ्ह मत्नत जततत है कक वब्नत उ्न मनतों का की रही
रमझ के िी, उ्नकत रसिरे पति प्रितिकतरेी हहोतत है| अप्ने कमप्नों के विशेष गुणों के कतरेण, ्े मनत रीधे
ही बचश चिों के शरेीरे परे औरे गहरेतई म में उ्नका की रिी कहोभशकतओ सिं औरे उर रे िी रिपलूक्षम सतरे तक अप्नत विशेष
प्रिति डतलूते हैं, औरे इर प्रकतरे बश चिप्न रे ही आत्मरतत हहो करे गहरेतई रे पररेित्म्नकतरेी ब्न जतते हैं|

प्रतश चिी्न शतस्त्रों कहो क सिंिस् करे उ्नकत रसिरे पति करे्ने का की परे सिंपरेत, इ्नके भलूजिस रत रूप कहो पढंकरे रीर्ने रे
कई मत््नहो म में ज्तदत रही है, क्िपलू सिंकक उचश चितरेण म में तुकसिस्ट तहो तुरे सिंत पकड़ी जत रकती है , जबका की भलूरत तुकसिस्ट
कई शततजिस बद्ों तक िी, वब्नत पकड़े रेह रकती है| ्द्यवप लूेर्न ्ने र सिंश चितरे म में क्रतजिस नतकतरेी रुधतरे अिश् कक्त
है, ितरेती् परे सिंपरेत प्रतश चिी्न कतलू रे ही ्ह मत्नती आ रेही है (जहो पजिस पश्चिम म में लू सिंबे रम् रे गत्ब है) कक
उचश चितररेत शबद आध्तजिस त्मक उजत्म औरे िक्तित का की उपजिस स्भत रे लूबतलूब िरेत रेहतत है| उचश चितररेत शबद परे इर
प्रकतरे कत आगह ्ह रमझ्ने म में रहत्क है कक, क्िपलूएँ गुरु कत रतमीप् लूतिकतरेी हहोतत है| पजिस पश्चिम के
र सिंगीतकतरे औरे ्नत्मक इर सित्नुििपलूभत-्ुक्ति परे सिंपरेत कहो कलूतकतरेों त्त प्रश सिंरकों के दृवषकहोण रे िी ररेतहते हैं|
इर प्रकतरे का की रतमिपलूकहक सित्नुििपलूभत एक रमुदत् कहो िी हहोती है, जैरत उदतहरेण के भलूए, रेतमत्ण का की मिपलूलू
क्त के बतरे बतरे रतलूत्नत म सिंश चि्न के अिररे परे रेतमलूीलूतओ सिं म में हहोती है| अन् र सिंसकृभत्ों रे जब जब
ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतएएँ र सिंपक्म म में आती सिं हैं, िे रदत स्त्नी् आध्तजिस त्मक परे सिंपरेतओ सिं त्त उ्नके गुरुओ सिं कत
आदरे करेती सिं रेही सिं हैं|
पजिस पश्चिम म में कई लूहोगों कहो ऐरी धतरेणत है कक ितरेती् धतभम्मक रभ््ततए सिं जड़ हैं त्त उ्नम में पररेित्म्न एि सिं
सि्मेि पु्नभ्न्ममत्मण अ्ित पु्नजत्मगरेण का की क्षमतत ्नही सिं है - कक बतद के रेहस्होद्तसिस्ट्न औरे गह्न भश चि सिंत्न के
आधतरे परे िी, उ्नकत शतस्त्रहोक्ति जत्न रम् रम् परे र सिंशहोभधत ्नही सिं हहोतत| ककरी हद तक ऐरी धतरेणत

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धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के इभतहतर-क में्द्रीक ्न हहो्ने के कतरेण िी ब्नी है| एक औरे सपषीकरेण ्ह है कक,
ितरेती् धम्षों म में दृवषकहोणों म में पररेित्म्न शत्द ही किी कह सिंरतत्मक हुए हों, अभधक्रमण एि सिं विस्तप्न परे
आधतररेत पररेित्म्न तहो किी िी ्नही सिं हुए, औरे ्न ही इ्नके अलूग ्ुग, विभशषकतलू अ्ित रम्तिभध (कम
रे कम पजिस पश्चिमी अ््म म में) किी हुए| ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं के लू सिंबे इभतहतर का की मतकिर्दे का की बतत ्ह है कक,
उरम में ्नितश चितरे शत्द ही किी झगड़तलूिपलू रेहत हहो| पजिस पश्चिम म में जहो पिपलूि-्म आधुभ्नक, आधुभ्नक एि सिं उत्तरे-आधुभ्नक
कतलू कहलूतते हैं, उ्नके रह-अजिस सतत्ि कहो ितरेत एक रत् कत्म रेरतत आ्त है| कई उत्कृष धतभम्मक
रतधकों ्ने तहो अप्ने जीि्न के रबरे मिपलूल्ित्न िष्षों कहो ध्त्न का की विधतओ सिं कहो पररेशुद्ध करे्ने म में वबतत्त| इर
रे सपष हहोतत है कक, धतभम्मक रभ््ततओ सिं म में रतमतन्तमशः बतश चितलू केन्द्री् प्रतभधकतरे त सिंत क्िपलूएँ ्नही सिं हुआ करेते,
ककर प्रकतरे आधुभ्नक िैजतभ्नक त्त अन् बौवद्धक श चिु्नौभत्ों कहो उ्नके लूहोग कुशलूतत रे भ्नितते हैं, औरे क्िपलूएँ
उ्नम में अपेक्षतकृत अन् लूहोगों परे भ्न् सिंतण करे्ने अ्ित अप्नत ढंहोलू वपसिस्टित्ने का की रेतज्नैभतक इचछत-शवक्ति कत
अिति रेहतत है|

इ्न विरेहोधतितरों के रतरेत सिंश का की ततभलूकत के भलूए विभिन्नतत' के पृष्ठ १२१ त्त 'Being Different' के पृष्ठ १००
कहो देर में|

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#२: अभिन्न एकतत ब्नतम कृवतम एकतत
रिी ितरेती् धतभम्मक र सिंप्रदत् ्ह धतरेणत रेरते हुए अप्ने विश चितरे प्रसतुत करेते हैं , कक अ सिंततमशः पिपलूरेत ब्रहत्ड
एका कीकृत रमवष है, जिस जरके अ सिंतग्मत रमपिपलूण्म अजिस सतत्ि त्त उरका की रतपेजिस क्षक अभिव््वक्ति्तएँ परेसपरे गह्न रूप
रे जुड़ी हुई हैं| ्द्यवप रतधतरेण लूहोग इर एका कीकृत रमवष का की अ्नुििपलूभत ककि्नतई रे परे पतते हैं, धम्म का की
विभिन्न आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं म में ऐरत अ्नुिि पत्ने हेतु प्त्मप्त र सिंरतध्न भ्नकहत हैं, जहो इर एकतत का की
अभिव््वक्ति कहो रमझ्ने के भलूए ््ेष मौभलूकतत एि सिं छिपलूसिस्ट प्रदत्न करेते हैं| श चििपलूएँकक आधतरेििपलूत अनतभ्न्मकहत एकतत
कत िति मजबिपलूत है, इर भलूए वब्नत अरेतजकतत का की आश सिंकत के, रतध्नतओ सिं औरे दश्म्नों के विभिन्न विकलपों म में
रे श चि््न हेतु अभधक विविधतत रदत विद्यमत्न रेहती है| ,

पजिस पश्चिमी वि्वि-दश्म्न, श चितहे मजहबी हहो अ्ित लूौककक, इरके िठक विपरेीत विश चितरे रे अप्नत दृवषकहोण प्रसतुत
करेते हैं: ब्रहत्ड मिपलूलूतमशः, अलूग अलूग अि्िों ्त पृ्क तत्िों कत जमतिड़त है जहो, एक ओ़रे ्हिपलूदी-ईरतई
ऐभतहतभरक रेहस्होद्तसिस्ट्नों के परेम प्रिुत्ि रे त्नति म में है तहो, दर
िपलू रेी ओ़रे उर जत्न रे त्नति म में है जहो अभत
दैतितदी आणविक ्िपलू्नत्नी तत्िजत्न औरे अरेसतुितदी कदविध तक्म रे पैदत हुआ - एक प्रकतरे रे ्ह कहत जत
रकतत है कक पजिस पश्चिमी वि्वि-दश्म्न, ्हिपलूदी रेहस्होद्तसिस्ट्न औरे ्िपलू्नत्नी तक्म के बीश चि मिपलूलूतमशः, एक परेसपरे अ सिंतवि्मरुद्ध
एि सिं अितसतविक भमआश्रिण ब्न बैित है| पजिस पश्चिमी दश्म्न औरे उररे उपजे विजत्न (कुछ विशेषततओ सिं के रत्) त्त
उ्नके मजहब, दहो्नों कहो ही एकतत ढंिपलू सिंड्ने का की ्त उरकत आविषकतरे करे्ने का की जरुरेत है, जिस जरे पत्ने म में उनह में
व््गतत औरे ककि्नतई कत रतम्नत करे्नत पड़तत है|

अध्त् ३ – आधतरेििपलूत एकतत औरे कृवतम एकतत

ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतएएँ परेमे्विरे के रत् रमसत िौभतक एि सिं अिौभतक ््त््म का की अभिन्नतत कक
तत्िमीमत सिंरत रे ओ़त-प्रहोरो़त हैं - जिस जरे 'आधतरेििपलूत एकतत' के र सिंबहोध्न रे अब र सिंदभि्मत कक्त जत रेहत है| उ्नके
मुख् ररेहोकतरे हैं - प्रकसिस्ट रूप रे पृ्क इकतइ्त सिं कैरे औरे क्िपलूएँ इर आधतरेििपलूत एकत्ि म में रे उिरेती सिं हैं|
भरद्धत सिंतों त्त कक्र्तनि््न म में महत्िपिपलूण्म भिन्नततएएँ हहोते हुए िी, रिी ितरेती् धतभम्मक र सिंप्रदत् उर एकत्ि
का की प्रतभप्त हेतु, विसततरेपिपलूि्मक एि सिं विभधित अप्ने अप्ने भरद्धत सिंत त्त प्रकक्र्तएएँ प्रसतुत करेते हुए इर
अनतभ्न्मकहत एकत्ि परे अप्ने वि्वितर कहो रतझत करेते हैं, जिस जरे पजिस पश्चिमी मजहबों म में उलूसिस्ट कद्त जततत है|

पजिस पश्चिमी मजहबों कत दृवषकहोण पदत््म, जीि्न त्त परेमे्विरे म में परेसपरे पृ्कतत रे आरे सिंि हहोतत है| ्हिपलूदी-ईरतई
मजहबों कत आध्तजिस त्मक लूक्ष् उर एकत्ि ्त रमनि् कहो प्रतप्त करे्नत हहोतत है जहो पहलूे रे अजिस सतत्ि म में है
ही ्नही सिं| अनतभ्न्मकहत पृ्कतत उ्नका की पिपलूि्मधतरेण है: परेमे्विरे औरे मत्नि पतप के कतरेण पृ्क हैं औरे एक
दर
िपलू रेे रे वबकुलू पृ्क हैं, ्ह ब्रहत्ड आणविक कणों कत जमतिड़त है , आकद| इरके अलूतित, ऐभतहतभरक त्त
पैगमबरेी रेहस्होद्तसिस्ट्न परे भ्नि्मरेतत, मत्नि कहो ििपलूतकतलू रे बत सिंध देतत है , औरे मुवक्ति कत लूहोि उरे िविष् का की
ओ़रे महोड़े रेहतत है, जिस जरके कतरेण बत्ममत्न म में िह अरम सिंजर म में डहोलूतत रेहतत है| ऐरत वि्वि-दश्म्न एकत्ि
हतभरलू तहो करे रकतत है, लूेकक्न िह एकतत अभ्नजिस पश्चित, रिपलूक्षम औरे बहुत हुआ तहो ब्नतिसिस्टी ही हहोती है| इरके
अभतररेक्ति, प्रत्मशः उरे हतभरलू करे्ने हेतु ततकत त्त प्रिुत्ि प्र्होग म में लूत्त जततत है| लूेरक इरे 'कृवतम
एकतत' के रूप म में र सिंदभि्मत करेते हैं|

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पजिस पश्चिमी प्रबहोध का की आणविक औरे सिस्टुकड़ों-म् प्रकृभत त्त उरके एकतरेफत तक्म के फलूसिरूप, पजिस पश्चिमी दश्म्न
औरे पजिस पश्चिमी िैजतभ्नक परे सिंपरेत, अकररे विर सिंड्न परे उतरे आ्त करेती है | विर सिंड्न, रमवष कहो रमझत्ने हेतु
उरके सिस्टुकड़ों का की व््तख्त रे आरे सिंि हहोतत है| व््िहतरे म में ऐरी प्रकक्र्त अभधकतरे कतमगतरे हहोती है, औरे इरी
भलूए आधुभ्नक विजत्न ्ने हमतरेे जीि्न म में इर कतमगतरे भ्न्म के उप्होग रे महत्िपिपलूण्म रुविधतएएँ जहोड़ी हैं|
इब्रतकहमी परेमपरेतओ सिं का की प्रिृवत्त अप्नत ध्त्न बतहरे का की ओ़रे क मेंक्द्रत रेर्ने का की हहोती है: जबकक, धतभम्मक
परेमपरेतए सिं अ सिंदरे का की ओ़रे िी देरती सिं हैं| ऐभतहतभरक भ्नदिर्देशों का की ओ़रे दृवष गढ़तए रेर्ने औरे श चिेत्नत का की
र सिंरेश चि्नतओ सिं कहो रहोज्ने का की ितरेती्ों का की जैरी प्रिृवत्त म में, जमी्न-आरमत्न कत अ सिंतरे है|

आधतरेििपलूत एकतत औरे कृवतम एकतत का की पररेितषत : आधतरेििपलूत एकतत कत अ््म है कक, अ सिंततहोगत्ित केिलू
रमवष ही अजिस सतत्ि म में है; रमवष जिस ज्नरे भ्नभम्मत है, उ्नकत अजिस सतत्ि रतपेक्ष मतत है| इर आधतरेििपलूत एकतत
का की प्रकृभत कहो सपष करे्ने के भलूए जिस जर उपमत कत उप्होग हुआ है िह है, एक मुसकरेतहसिस्ट कत श चिहरेे रे जैरत
रमबनध| एक मुसकरेतहसिस्ट कत अजिस सतत्ि श चिहरेे रे ककरी प्रकतरे िी पृ्क हहो ्नही सिं रकतत; िह श चिहरेे परे ही
आभआश्रित औरे भ्नि्मरे िी रेहती है| जहो हहो, श चिहरेे कत अजिस सतत्ि सित सिंत है, श चितहे िह िह मुसकरेतए ्त ्नही सिं| हरे
इकतई कत रमबनध, ब्रहत सिंडी् रमवष रे इरी प्रकतरे कत है: एक ही कदशत म में है ्ह भ्नि्मरेतत| ,

कृवतम एकतत उरके एक दर


िपलू रेे रे पृ्क, जहो अि्ि अजिस सतत्ि म में हैं, रे आरे सिंि हहोती है| उदतहरेणत््म, एक
महोसिस्टरे गतड़ी के कलू-पुज्षों कत अजिस सतत्ि अलूग अलूग है, जब तक कक उनह में जहोड़ करे पिपलूरेी गतड़ी तय्तरे ्न करे
लूी जत्| ऐरे ही, पतरे सिंपररेक िौभतक शतस्त्र म में ब्रहत्ड कहो पृ्क प्रत्भमक कणों के जमतिड़े के रूप म में देरत
ग्त है| रमस्त ्ह ब्न जतती है कक उ्न वबररेे कणों कहो बतहरेी शवक्ति रे एकजुसिस्ट कक्त जत् तहो कैरे
(बजत् इरके कक र सिंबद्धतत अ सिंदरे रे ढंिपलू एँडी जत्)| ऐरे भश चि सिंत्न रे आरे सिंि हहो्ने के कतरेण, ्ह कहोई आकजिस समक
बतत ्नही सिं है कक, ्हिपलूदी-ईरतई मजहबी प्रत््म्नतएएँ ऐरत अभ््तर करेती सिं हैं जहो अ सिंतर के बतहरे का की ओ़रे क मेंक्द्रत
हहोती सिं हैं क्िपलू सिंकक इ्न परेमपरेतओ सिं के अ्नुरतरे, रबकत अहम सित सिंत है औरे रबरे पृ्क िी|

ितरेती् धम्म र सिंप्रदत्ों म में इर आधतरेििपलूत एकतत का की, दृश् र सिंरतरे म में भ्नत््-प्रभत हहो्ने ितलूे विविधततपिपलूण्म
कहोलूतहलू िरेे दृजिस गिष्ों (phenomena) रे रिपलूक्षम रब सिंधों का की प्रकृभत म में ग सिंिीरे भिन्नततएएँ हहो्ने के बतिजिपलूद, उर
एकतत के विष् म में ती्न रमत्न अभिलूक्षण कदरतई पड़ते हैं: क – प्रकसिस्ट रूप रे पृ्क कदरतई पड़्ने ितलूी
रिी इकतइ्ों कत, इर एकत्ि रे सित सिंत, ितसति म में अजिस सतत्ि ्नही सिं है| र – ्ह रमवष पिपलूण्म रूप रे सित सिंत
औरे अविितज् है| ग – इर आधतरेििपलूत एकत्ि म में सि् सिं के अ सिंदरे रे ही रब दृजिस गिष्ों कहो उत्पन्न करे्ने का की
क्षमतत रजिस ममभलूत है| इरके अलूतित, रिी धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के अ्नुरतरे, रिी परेसपरे रमब सिंभधत इकतइ्त सिं
जिस स्रे ्नही सिं हैं, बजिस लक भ्नरे सिंतरे पररेित्म्नशीलू अिस्त म में रेहती सिं हैं| रब कुछ - रकलू पदत््म, िति्नत, मत्नितत,
रिपलूक्षम रे रिपलूक्षमतरे कण तक, प्रत््ेक अलूग इकतई, कतलू कत प्रत््ेक क्षण औरे आकतश कत प्रत््ेक घसिस्टक-
रतत ् रूप रे पररेिभत्मत हहो रेहे हैं|

कह सिंद िपलू धम्म म में, रृवष सि् सिं ही श चिक्रा की् है औरे परेमे्विरे रे पृ्क ्नही सिं है| श चििपलू सिंकक परेमे्विरे अ सिंशतमशः ब्रहत्ड रूप म में
अभिव््क्ति है (केिलू ब्रहत्ड म में ही ्नही सिं), पिपलूरेत ब्रहत्ड बहोधम् औरे अ सिंततमशः, एक है| इर प्रकतरे, परेमे्विरे
ब्रहत्ड के रत् एक है, कफरे िी सि् सिं उररे पृ्क िी| ्ह दृवषकहोण एके्विरेितद रे भिन्न है, जिस जरके
अ्नुरतरे एक इ्विरे ऊपरे रे पिपलूरेे वि्वि कहो र सिंश चितभलूत करेतत है , त्त इरके विपरेीत पजिस पश्चिम म में रमझे जत्ने ितलूे

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रििर्दे्विरेितद रे िी भिन्न है, जिस जरके अ्नुरतरे ब्रहत्ड कहो ही इ्विरे मत्नत जततत है, वब्नत ककरी बतहरेी परेमे्विरे
के| ितरेती् धतभम्मक ई्विरेितद इ्न दहो्नों अिधतरेणतओ सिं कहो अप्ने म में रजिस ममभलूत कक्े हुए है| ब्रह औरे ब्रह का की
अभिव््वक्ति्त सिं, अवि्होज् हैं| विविधतत म में एकतत इर प्रकतरे, शत्वित ््त््म का की प्रकृभत औरे उरकत ततजिस त्िक
सििति िी है| इर विश चितरे कहो कह सिंद िपलू धम्म रे पतकरे, पजिस पश्चिमी दतश्मभ्नकों ्ने इरे एक ्न्त ्नतम कद्त है -
panentheism, pantheism जिस जरे ्न रमझत जत्|

बौद्ध धम्म का की, ्द्यवप आधतरेििपलूत एकत्ि का की रमझ िेदत सिंत रे वबलूकुलू भिन्न है , कफरे िी िह ििपलूतकतलू,
ित्ममत्न त्त िविष् का की हरे श चिीज़ म में मिपलूलूतमशः परेसपरे र सिंबद्धतत औरे अनतरेभ्नि्मरेतत कहो मत्नतत है, श चितहे िह
िौभतक हहो अ्ित अिौभतक| हरे क्षजिस णक अजिस सतत्ि हरे दर
िपलू रेे क्षजिस णक अजिस सतत्ि परे, एक अ सिंतर्ममबद्ध-जतलू के
रूप म में रदत भ्नि्मरे रेहतत है| ितसतविकतत इर प्रकतरे, भ्नरे सिंतरे पररेित्म्नशीलू वि्वि के अ सिंतर्ममबद्ध सििति के
एकत्ि रे पहोवषत हहोती है, जिस जरकत अस्तभ्त्ि ही उरका की विविधतत कहो आकतरे देतत है| आध्तजिस त्मक औरे
लूौककक म में ककरी प्रकतरे के विरेहोधतितर कत अ्नुिि, ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतए सिं ्नही सिं करेते हैं| ितरेती्
धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के विदत्न ऑग्म्न, सपष करेते हैं: 'देित्ि का की कह सिंद िपलू र सिंकलप्नत, देित्ि का की ्हिपलूदी-ईरतई
अिधतरेणत रे वबलूकुलू विपरेीत है , जहतएँ परेमे्विरे-मत्नि के बीश चि के अ सिंतरे म में ककरी धु सिंधलूेप्न का की कहोई
र सिंिति्नत ्नही सिं है| एक पजिस पश्चिमी परेमे्विरे जहो है िही है, औरे िह जहो है उररे भिन्न तहो िह हहो ही ्नही सिं रकतत|
उ्नके अ्नुरतरे, एक बदलूतत हुआ देितत कहोई देितत ्नही सिं है| लूेकक्न ितरेत म में एक देितत कत देित्ि बढ़ िी
रकतत है औरे छहोसिस्टत िी हहो रकतत है| इर प्रकतरे, देित्ि का की अिधतरेणत के आश्रिेणीकरेण कत ्ह पहलूिपलू, रिी
जैि रूपों के एका कीकरेण कत एक ढंत सिंश चित, कह सिंद िपलू धम्म कहो प्रदत्न करेतत है| जै्न औरे बौद्ध धम्षों कहो, ककरी हद तक,
इरी विश चितरे कत िैकजिस लपक व््तिहतररेक सिरुप प्रसतुत करेते हुए रमझत जत रकतत है'|

्हिपलूदी-ईरतई मजहबों म में एकत्ि औरे विविधतत के बीश चि के रमबनध इररे वबलूकुलू भिन्न हैं औरे िे रिी
िौभतक त्त अिौभतक इकतइ्ों कहो अप्नत पृ्क श चिरेम अजिस सतत्ि भलूए हुए देरते हैं, जहो केिलू इ्विरे के
आदेश रे ही बतहरे रे जुड़े हुए हैं| ईरतइ्त का की कई व््तख्तओ सिं म में हहोलूी जिस सपररेसिस्ट कहो परेमे्विरे कत रि्मव््तपक
रूप तहो मत्नत ग्त है, ्द्यवप हहोलूी जिस सपररेसिस्ट का की अिधतरेण किी िी एक केन्द्री् विश चितरे के रूप म में प्रसतुत ्नही सिं
हुई है; इरके अलूतित, ईरतइ्त ्ने किी िी िलूतई (परेमे्विरे) औरे बुरेतई (शैतत्न), ्त पवित औरे अपवित के
बीश चि उ्नका की रहोश चि के अ्नुरतरे विद्यमत्न पृ्कतत म में, रतम सिंजस् स्तवपत ्नही सिं कक्त|

िैजिस ्विक तत्िजत्न का की अिधतरेणतओ सिं म में तुलू्नत हेतु - विभिन्नतत कत पृष्ठ १३६ औरे 'Being Different' कत पृष्ठ
११२ देर में|

इ सिं्द्रजतलू : आधतरेििपलूत एकत्ि कत िैश चितररेक रत सिंश चित इ सिं्द्रजतलू का की उपमत म में पररेलूजिस क्षत हहोतत है, जहो कई ितरेती्
धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में रमत्न रूप रे विद्यमत्न है | ऐरत कहत जततत है कक िैकदक देितत इ सिं्द्र के पतर एक
अपररेभमत जतलू है, जिस जरका की हरे गत सिंि म में एक इर प्रकतरे का की मजिस ण विद्यमत्न है, जिस जरम में अन् रब गत सिंिों म में
जिस स्त प्रत््ेक मजिस ण प्रभतवब सिंवबत हहोती है; कहोई िी मजिस ण सि् सिं पृ्क अजिस सतत्ि म में ्नही सिं है| अप्ने म में रब
मजिस ण्ों के प्रभतवबमब रे, प्रत््ेक मजिस ण विभशष है| इ सिं्द्रजतलू एक ऐरे ब्रहत्ड कत प्रतीक है जिस जरम में प्रत््ेक
इकतई का की अन् रब इकतइ्ों रे अ्न सिंत प्रकतरे का की भ्नि्मरेततएएँ एि सिं रमबनध हैं, जहो रब परेसपरे गु सिं्े हुए हैं त्त
जिस ज्नकत पृ्क अजिस सतत्ि केिलू इर रतमिपलूकहक ितसतविकतत के रनदि्म म में है| इ सिं्द्रजतलू के प्रतरे सिंभिक विश चितरे कत

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उललूेर अ्ि्म िेद (श चितरे िेदों म में एक) म में भमलूतत है, जहतएँ वि्वि कहो महत्न शक्र ्त इ सिं्द्र के जतलू के रूप म में
देरत ग्त है| इ सिं्द्रजतलू का की उपमत ्ह िी र सिंकेत करेती है कक एक रि्मव््तपी बहोधतत्मक रृज्नशीलूतत है, जहो
रमसत जीि-जगत म में रमतई हुई है| रि्मत पृ्कतत कत आितर मत्त है| इर अपररेभमत जतलू का की हरे एक
मजिस ण दतरेत अन् रब मजिस ण्ों के प्रकतश कहो प्रभतवब सिंवबत करे्ने का की क्षमतत कहो, क्रमशमशः-रहोश चि्ने ितलूी बुवद्ध रे
रमझ्नत ितसति म में ककि्न है, लूेकक्न तत्ि-मीमत सिंरत त्त विजत्न के क्षेत म में जहो हतलू के िष्षों म में कई
बहुआ्तमी भरद्धत सिंत उिरेे हैं, उ्नके भलूए अगगतमी विश चितरे के रूप म में इर अपररेभमत जतलू का की र सिंकलप्नत रसिस्टीक
रतवबत हुई है| इर प्रकतरे, आज जिस जर गुण कहो हहोलूहोगतम म में मुख् मत्नत ग्त है, उरकत एक उत्कृष लूक्षण
इ सिं्द्रजतलू ्ने आधुभ्नक विजत्न रे बहुत रम् पहलूे प्रसतुत करे कद्त ्त, जहो ्ह है कक हहोलूहोगतम के हरे अ सिंश
म में उरका की रमग रिपलूश चि्नत हहोती है | िौभतक ब्रहत्ड का की हहोलूहोगतकफक-प्रकृभत विष्क भमशेलू सिस्टतलूबहोसिस्ट के हतलू के
भरद्धत सिंत हेतु, उनह में इर उपमत ्ने सपषत्त प्रेरेणत दी| प्रणतलूी-विशेष के अि्िों म में परेसपरे जकसिस्टलू र सिंब सिंध, जहो
िौभतक, प्रतीकतत्मक ्त िैश चितररेक हहो रकते हैं, जिस जर परे डगलूर हौफससिस्टेडरे ्ने कत््म कक्त, कहो िी इ सिं्द्रजतलू
का की र सिंकलप्नत ्ने ही प्रेरेणत दी| मत्निी् मजिस सतषक के अ सिंदरे का की अ सिंतर्ममबद्धतत के ्नमिपलू्नों त्त अ सिंतजत्मलू का की
कत््म-पद्यभत के प्रभतरूपों कहो िी इ सिं्द्रजतलू का की र सिंकलप्नत ्ने प्रितवित कक्त है | आधतरेििपलूत एकत्ि का की ितरेती्
धतभम्मक िति्नत कहो िगिद्गीतत के अध्त् ७ म में र सिंक्षेप म में प्रसतुत कक्त ग्त है, जिस जरम में िगित्न आश्रिीकृषण ्ने
सपष कक्त है कक पिपलूरेी रृवष उ्नकत ही सित्त है (िगिद्गीतत ७.४ – ७.१३)| गीतत रे बहुत पहलूे, िेदों ्ने
केिलू एक शत्वित ््त््म के कई परेतों औरे सतरेों म में हहो्ने कत िण्म्न कक्त| रम् के अ सिंतरेतलू रे, बहुदेिितद
रे एके्विरेितद का की ओ़रे जिस ररक्ने के पजिस पश्चिमी विदत्नों के दतिों जैरी कहोई बतत इ्न शतस्त्रों म में ्नही सिं हुई, जहो किी
तहो इनह में केिलू एके्विरेितदी के रूप म में देरते अ्ित उ्नका की विविधतत कहो बहुदेिितदी के रूप म में देरते, औरे
इर प्रकतरे रदत उनह में एक दर
िपलू रेे के स्त्न परे ही देरते रेहे, किी िी एक रत् ्नही सिं|

' बनधु ' - रुर सिंगततत कत भरद्धत सिंत : बनधु एक ऐरी र सिंकलप्नत है जिस जरकत उप्होग ्ह सपष करेतत है कक
रमवष त्त उरके अि्ि, ककर प्रकतरे आधतरेििपलूत एकत्ि म में आपर म में जुड़े रेहते हैं | रिपलूक्षम औरे लूहोकहोत्तरे
जगत एक ओ़रे हैं तहो उ्नरे र सिंगभत करेतत दर
िपलू रेी ओ़रे दृवषगहोश चिरे जगत है| बनधु शबद, रिपलूक्षम जगत औरे
ब्रहत्ड के परेसपरे रमबनध कहो सपष करेतत है, जहतएँ रिपलूक्षम जगत ब्रहत्ड कत ्नकशत है, औरे विरेहोधतितरी
तरेीके रे ्े एक दर
ु रेे कहो प्रभतवब सिंवबत करेते हैं| रृवष का की हरे इकतई अप्ने म में पिपलूरेी रृवष कहो रमत्े हुए है|
आधतरेििपलूत एकत्ि कत ्ह विश चितरे ितरेती् धतभम्मक व््िस्त के रिी पहलूुओ सिं म में प्रभतवब सिंवबत हहोतत है, जिस ज्नम में
रजिस ममभलूत हैं, उ्नकत दश्म्न, विजत्न, विविध र सिंप्रदत्, ्नीभतशतस्त्र, आध्तजिस त्मकतत, कलूत, र सिंगीत, ्नृत््कलूत,
भशक्षत, रतकहत््, मौजिस रक आख्त्न, रेतज्नीभत, विितह, अ््मशतस्त्र औरे रतमतजिस जक र सिंरेश चि्नतएएँ| रिी कलूतएएँ त्त
विजत्न, अ सिंतरर्संब सिंभधत हैं औरे उनह में मत्निी् प्रकृभत कहो विविध प्रकतरे रे अप्ने कहो अभिव््क्ति करेते हुए देरत
जत रकतत है, जहो सि् सिं उर ब्रहत्ड के एकत्ि रे उपजी है| इ्नम में रे कहोई एक क्षेत रिी दर
िपलू रेों कहो अप्ने म में
रमत्े हुए प्रभतवब सिंवबत करेतत है|

कतलू, प्रितह त्त श चिक्रा की् कत््म-कतरेण : ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतए सिं, अ्नुिितभआश्रित ््त््म कहो क्षजिस णक त्त
भ्नरे सिंतरे पररेित्म्नशीलू मत्नते हैं, जिस जरम में ििपलूतकतलू, ित्ममत्न औरे िविष् के आरेपतरे के िेद धु सिंधलूत जतते हैं|
दृश् जगत का की रब घसिस्ट्नतओ सिं कहो प्रितवित करे्ने ितलूी इर पररेित्म्नशीलू अिस्त म में, पु्नरेतिृत हहो्ने ितलूी
आकृभत्तएँ जिस स्रे औरे सित सिंत ' िसतुएएँ ' जैरी कदरतई पड़्ने लूगती सिं हैं, ्द्यवप िे रीभमत बुवद्ध का की मत्तिी
रेश चि्नतएएँ मतत हैं| विदत्न टॉ् विलर्न ऑग्म्न ्ह विश चितरे रेरते हैं कक, ितरेती् धतभम्मक दश्म्न कहो रमझ्ने म में

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पजिस पश्चिभम्ों कहो ककि्नतई इरभलूए हहोती है क्िपलूएँकक 'पजिस पश्चिमी अभ्नित््मतत-ितद के जिस स्रे िगरकरेण' के रहतरेे िे,
'ितरेती् दश्म्न का की गत््तत्मक विशेषततओ सिं' परे बहर करे्ने हेतु अप्ने कहो अक्षम पतते हैं| पजिस पश्चिमी मत्नर
घसिस्ट्नतओ सिं कहो स्त्न-कतलू म में जिस स्रे देरतत है, अ्त्मत तथ्तत्मकतत के रूप म में, जबकक धतभम्मक परेमपरेतएएँ ििपलूत
के अभधक लूश चिीलूे आख्त्न, इभतहतर परे रहजतत अ्नुिि करेते हैं| पजिस पश्चिम, परेम भरद्धत सिंतों कहो ढंिपलू सिंड तत है जिस जनह में
िे भ्न् सिंवतत करे रकते हैं| पजिस पश्चिमी तत्िमीमत सिंरत रे भिन्न, जिस जरम में स्त्न-कतलू कहो अिौभतक इकतइ्ों के रूप
म में मत्नत ग्त है, ितरेती् तत्िमीमत सिंरत म में स्त्न-कतलू 'धततु' (पदत््म) हैं औरे िे अन् िसतुओ सिं कहो िी
प्रितवित करेते हैं| इरभलूए, रेतमत्नुजम भ्नषकष्म भ्नकतलूते हैं कक 'ितरेती् "आध्तजिस त्मक" हैं, कत उलसिस्टत विश चितरे
है कक िे ितसति म में "िौभतक बुवद्धितदी" हैं, जहो पजिस पश्चिमी अ््षों म में िौभतकितद ्नही सिं हहोगत, क्िपलू सिंकक 'पदत््म' अ सिंततमशः
ब्रह है ्त िगित्न का की अभिव््वक्ति औरे इरभलूए आध्तजिस त्मकतत रे अभिन्न'|

धम्म के तक्मशतस्त्र म में मघ्् का की ििपलूभमकत रजिस ममभलूत है : कुलू भमलूतकरे, अभ्नजिस पश्चिततत का की जिस स्भत म में ितरेती्
धम्षों के दतश्मभ्नक विदत्न, रहजतत अ्नुिि करेते रेहे हैं औरे एक ततकक्मक भरद्धत सिंत के रूप म में िी िे
अभ्नजिस पश्चिततत कहो प्रितिी तरेीके रे प्र्होग म में लूतते हैं| ्कद पजिस पश्चिम का की तरेफ मुड़ में तहो हम देर मेंगे कक ककर प्रकतरे
अरेसतु कत प्रभरद्ध "अपिजिस ज्मत-मध् कत भ्न्म" – "्ह ्त िह ही" का की दलूीलू देतत रेहत है| पिपलूित्मत् दश्म्न म में,
इररे कही सिं औरे अभधक जकसिस्टलू, लूेकक्न उत्नी ही प्रररे रमझ ितलूे तक्म प्रसतुत कक्े गए हैं | जैभ्न्ों ्ने
उदतहरेण के भलूए, 'जहो एकमतत भ्नषकष्म ्न हहो' के विसतृत भरद्धत सिंतों कहो प्रसतुत कक्त है, अ्त्मत, 'अ्नेक-अ सिंत-
ितद' ्नतम रे जत्ने गए भरद्धत सिंत कहो, जहो उ्नके मुख् त्त मिपलूलूििपलूत भरद्धत सिंतों कत आधतरे िी रेहत है| जै्न धम्म
का की इर प्रणतलूी का की शतरतओ सिं म में रे एक 'स्तद-ितद' कहलूततत है, जिस जर म में रही औरे गलूत के अलूतित औरे िी
भ्नषकष्म हहोते हैं|

ितरेती् बौद्ध दतश्मभ्नकों म में रे एक रबरे विभशष विदत्न ्नतगतजु्म्न, ्ने िी एक पररेषकृत तक्म विकभरत कक्त
्त, औरे आकद श सिंकरे ्ने िेदत सिंत के अ्नुरतरे ्ह बतत्त ्त का की हमतरेी रमझ रदत अधिपलूरेी ही रेहती है, जहो
तुकसिस्टपिपलूण्म हहोकरे र सिंशहोभधत हहोती रेहती है| िेद कत िक्तिव््, रत्् एक है लूेकक्न उरे रकदप्र अलूग अलूग ्नतमों
रे व््क्ति करेते हैं, म में िी दर
िपलू रेों के जत्न कहो रममत्न दे्ने का की बतत कही गई है, जहो अ सिंततमशः, रत्् भरद्ध िी हहो
रकती है| ितरेती तक्मशतस्त्र म में कई प्रभतद सिंदी र सिंप्रदत् हैं, जिस जरके कतरेण ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं म में एकमतत
भ्नणत्म्क जत्न मीमत सिंरत कत अिति रेहत है| (पररेभशष क लूश चिीलूे तक्मशतस्त्र के विष् म में कह सिंद,िपलू बौद्ध, औरे जै्न
दृवषकहोणओ सिं कहो सपष करेतत है|)

र सिंसकृत का की ्ह एक विशेषतत है कक बजत् केिलू रही/गलूत के रीधे विकलपों के मुकतबलूे, उरम में ककरी
प्रसतति रे भिन्न हहो्ने के छ: अलूग अलूग तरेीके हैं| र सिंसकृत के उपरग्म 'अ' दतरेत कम रे कम रतत प्रकतरे
का की भिन्नततएएँ व््क्ति का की जत रकती सिं हैं जैरे: अरहमभत; अ्नुमत्न; अ्नुपजिस स्भत; अरतदृश् ्त भिन्नतत
(जिस जरम में कुछ रमत्नतत िी हहो रकती है ); अि्नभत/कसिस्टहोती/कमी; प्रभतकिपलूलू/अ सिंतवि्मरेहोध; औरे
बुरेतइ/अ्होग्तत/अ्नुप्ुक्तितत/अि्द्रतत/तमर| दर
िपलू रेी ओ़रे कदविध, पजिस पश्चिमी, हतएँ/्नत कत तक्म, अपेक्षत करेतत है
कक रब उत्तरे, इ्न दहो्नों म में रे एक ही हहो रकतत है, अ्त्मत, वब्नत विकलप के, अभ्नजिस पश्चिततत ्त अपररेभमत ्त
अरीम वबलूकुलू ्नही सिं|

िैजतभ्नक रमस्तओ सिं के पररेक्षण हेतु ितरेती् दृवषकहोण का की विभध कत आरे सिंि, प्र्होगतभआश्रित भ्नरेीक्षणों दतरेत कहोई

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व््तिहतररेक ्नुसरत भ्नधत्मररेत करेते हुए हहोतत है, औरे ्ह ्नुसरत रदत िविष् के प्रमतणों अ्ित पैमतइशों दतरेत
गलूत िी रतवबत हहो रकतत है| ्ह एक कक्र्तशीलू पररेकलप्नत के रूप म में अभधक हहोती है जिस जरे ितिी अभधक
कुशलू पैमतइश दतरेत रुधतरेत जततत रेहतत है| ककरी ्नुसरे कहो अ सिंभतम ्त भ्नणत्म्क ्नही सिं मत्नत जततत, औरे ऐरे
रिी भ्नषकष्म भ्नरेीक्षक का की श चिेत्नत के सतरे परे भ्नि्मरे हहोते हुए अस्तई औरे तुलू्नतत्मक ्त रतपेजिस क्षक हहोते हैं|
इर प्र्होगतभआश्रित विभध रे आत सिंररेक विजत्नों म में भ्नरेीक्षण करे्ने हेतु, ्होगी दतरेत एक प्र्होगशतलूत के रूप म में
अप्ने शरेीरे कत प्र्होग कक्त जततत है| इर प्र्होगतभआश्रित विभध रे भिन्न है ्हिपलूदी-ईरतई दृवषकहोण, जिस जरम में
अ सिंभतम भरद्धत सिंत के प्रभतपतद्न हेतु विरेहोधी विभध्ों म में आपरी सिस्टकरेति ्त तक्म रे भ्नषकष्म भ्नकतलू्ने का की
विशेषतत अभधक हहोती है|

एक िौभतक विजत्नी रेौड्डम ्नरेभरमहत, ितरेती् प्र्होगतभआश्रित पद्यभत कहो व््तिहतररेक मत्नते हैं| िे भलूरते हैं:
'्िपलू्नत्नी दृवषकहोण कहो सि् सिं-भरद्ध-प्रभतरूप भ्नमत्मण करे्ने का की विभध मत्नत जत रकतत है (अ्त्मत, सि् सिं-भरद्ध-
रिपलूवक्ति ्त प्रभतरूप>ततकक्मक भ्नषकष्म ्त पररेणतम>अ सिंभतम ्त भ्नणत्म्क प्रमे्); औरे ितरेती् दृवषकहोण कहो
रत सिंश चित/्नकशत ढंिपलू सिंढं्ने ितलूत औरे प्रणतलूी ्त विभध-रेश चिभ्तत (अ्त्मत, भ्नरेीक्षण>प्रणतलूी>विभधमतन् भ्नषकष्म)|
ितरेती् दृवषकहोण सि् सिं-भरद्ध-रिपलूवक्ति्ों औरे प्रभतरूपों कहो गहरेे र सिंश् रे देरते हुए िी बड़ी पसिस्टुतत प्रदभश्मत
करेतत है...'| पु्नमशःभ्नरेीक्षणोंपरेत सिंत रत््तप्न करे्नत इर प्रकतरे, ितरेती् दृवषकहोण का की विशेषतत रेही है| िौभतक
विजत्न औरे गजिस णत के कित सिंसिस्टम ्त सिंवतका की-आधतररेत दृगविष्ों (phenomena in quantum mechanics) का की
हतलू का की रहोज में जहो, अभ्नजिस पश्चिततत परे भ्नि्मरे करेती सिं हैं, किहोरे अरेसतुितदी प्रभतरूप के मुकतबलूे ितरेती् धम्म-
आधतररेत तक्म रे कही सिं अभधक रुर सिंगत पतई गई हैं|

ऐरेवि्न आश्रिहोएकड सिंगरे (१८८७-१९६१) का की जीि्नी के लूेरक, िौलसिस्टरे मुअरे के अ्नुरतरे, उ्नका की िेदत सिंत का की रमझ
औरे उ्नके शहोध कत््म म में एक सपष ्नैरे सिंत््म है: '...१९२५ म में, िौभतक विजत्न कत वि्वि-दृश् एक बड़े ् सिंत कत
प्रभतरूप ्त जहो ब्नत, परेसपरे एक दर
िपलू रेे कहो प्रितवित करे्ने ितलूे वि्होज्-कणों के भमलू्ने रे| आश्रिहोएकड सिंगरे औरे
हतइर सिंबग्म त्त उ्नके अ्नुगतभम्ों ्ने, अगलूे कुछ िष्षों म में र सिंितव््-आ्तमों ितलूे परेसपरेतरूढ़ अवि्होज् तरे सिंगों
(based on superimposed inseparable waves of probability amplitudes) परे आधतररेत वि्वि कत
्नकशत तय्तरे कक्त| ्ह वि्वि-दृश् पिपलूरेी तरेह रे िेदत सिंत के उद्होष 'एकमेि रत ्' का की र सिंकलप्नत रे रुर सिंगत है'|
भ्नरेीजिस क्षत के आकतरे का की अभिजतत म में भ्नरेीक्षक (अ्त्मत, उरका की श चिेत्नत) का की अहम ििपलूभमकत है, ्ह विश चितरे
आधुभ्नक विजत्न के दश्म्न कहो िेदत सिंत कत एक वििेश चि्नतत्मक अ्नुदत्न है| आइ्नससिस्टतइ्न औरे सिस्टैगौरे के बीश चि
मिपलूलू पसतक म में र सिंदभि्मत िततत्म म में हुई अरहमभत कत आश्रिहोत िी ्ह वब सिंद ु ही ्त| िेदत सिंत के इर भरद्धतत ्ने, इर
प्रकतरे पजिस पश्चिम म में अभिजतत के अध्््नों के फलूते-फिपलूलूते क्षेत कहो प्रक्षेवपत कक्त| भ्न्तमक तक्म का की रीमतएएँ
जहो अभ्नजिस पश्चिततत-आधतररेत हैं, के कई औरे धम्म-आधतररेत अिधतरेणतएएँ विद्यमत्न हैं| जब, १९३० के दशक म में
गौडेलू के प्रमे् ्ने ्ह दशत्म्त कक भ्नगम्नतत्मक तक्म का की प्रणतलूी ककर प्रकतरे अधिपलूरेी ही हहो रकती है, तब
परे सिंपरेतगत ितरेती् तक्म-शतजिस स्त्र्ों कहो रही मत्नत ग्त| ्हतएँ ्ह कह्ने कत अभिप्रत् ्नही सिं है कक ितरेती्ों ्ने
कित सिंसिस्टम ्त सिंवतका की ्त गौडेलू के प्रमे् का की पररेकलप्नत विकभरत करेलूी हहो अ्ित उ्न कत परेीक्षण कक्त हहो,
लूेकक्न ्ह तथ् कक आधुभ्नक रहोज में धम्म-आधतररेत दश्म्नों रे रुर सिंगत हैं त्त इ्न दश्म्नों कत आध्तजिस त्मक
झुकति ऐरी रहोजों के भ्नकहतत््म औरे विसततरे हेतु रुलूत हुआ है, मतकिर्दे का की बतत अिश् है| तत्िमीमत सिंरत,
िौभतक विजत्न औरे मत्नविका की जैरे विष्ों म में, विविध दृवषकहोणों त्त अभ्नजिस पश्चित पररेणतमों रकहत जकसिस्टलूततओ सिं
रे भ्नपसिस्ट्ने का की क्षमतत, ितरेती् धतभम्मक उदतरेतत का की बुभ्न्तद रेही है|

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इरम में कहोई अश चिमित ्नही सिं, कक धम्म-आधतररेत दश्म्नों म में रत्् कत रही अ्नुमत्न लूगत्ने हेतु, तक्नीक के रूप म में
पजिस पश्चिम के मुकतबलूे, भ्नषेध कत उप्होग अभधक है| रत्् कत रही वििरेण रहज िग्षों के परेे हहो रकतत है,
इर परे जहोरे दे्ने हेतु भ्नषेध व््क्ति करे्ने का की पिपलूि्म-िजिस ण्मत रतत विभध्ों म में रे ककरी एक के मुकतबलूे 'हतएँ' कहो
ख़तररेज कक्त जततत है| परेम ््त््म, मतत पदत््म ्नही सिं, ्न रीभमत ही, त्त पिपलूरेी तरेह लूहोकततीत िी ्नही सिं है -
उरका की रमस्तओ सिं के रमतधत्न हेतु, अदैत परे जहोरे दे्नत अभधक पर सिंद कक्त जततत है, बजत् एकत्ि के|
भ्नषेध का की विभध कत विसततरे ्नैभतकतत तक िी हहोतत है| 'मैं आपकहो हतभ्न ्नही सिं पहुएँश चित्नत श चितहतत हिपलूएँ ' कह्ने म में
अभधक विसतृत र सिंिति्नतएएँ हैं बजत् कक 'मैं आपका की रहत्तत करे्नत श चितहतत हिपलूएँ' म में, औरे इरी प्रकतरे 'मैं आप
रे ्नफरेत ्नही सिं करेतत हिपलूएँ' कह्ने म में 'मैं आपकहो ह्रद् रे लूगततत हिपलूएँ' अभधक व््क्ति करेतत है| इरी प्रकतरे, बौद्ध
त्त कह सिंद िपलू धम्षों म में, करुणत, दत्न आकद रे अकह सिंरत कत अ््म अभधक व््तपक है| तथ्ों का की तरेह जब विश चितरे
सिीकृभत-्होग् ्नही सिं रेह जतते, तब धम्म म में उ्नकत बकहषकतरे करे्ने का की प्रिृभत ्नही सिं है, िरे्न उनह में उपमतओ सिं का की
तरेह व््क्ति कक्त जततत रेहतत है| इरी कतरेण, कह सिंद िपलू अप्नी र सिंसकृभत त्त शतस्त्रों के बौवद्धक पक्षों कहो आरत्नी
रे हृद् सिंगम करेते हैं|

पररेदृश् त्त रतपेक्ष जत्न : धम्म-आधतररेत दश्म्न एि सिं प्रणतभलू्त सिं अभिव््वक्ति का की रीमतएएँ रहोजती सिं हैं औरे जहोरे
देती सिं हैं कक प्रत््ेक व््वक्ति कत रत्् उरका की अभिजतत, पिपलूि्म-अिस्त औरे इर त्त पिपलूि्म जनमों के र सिंसकतरेों, औरे
व््वक्ति के पररेदृश् के िी रतपेक्ष ही हहो रकतत है, त्त पिपलूण्म रत्् ककरी एक पररेदृश् रे वबलूकुलू परेे है|
दश्म्न शबद र सिंसकृत म में कफलूौरौकफ के भ्नकसिस्टतम है, जिस जरकत अ््म 'दृश्' है, जैरत कक कहोण-विशेष रे ककरी
िसतु कहो देर्नत| इरभलूए, प्रत््ेक दश्म्न एक ही दृश् हहो रकतत है त्त उरे अन् पररेदृश्ों के रही हहो्ने का की
र सिंिति्नत कहो सिीकतरे करे्नत हहोगत| इर िजह रे ्ह अपेजिस क्षत है कक आध्तजिस त्मक दृवषकहोणों म में विविधतत
हहोगी औरे िे भिन्न होंगे ही| परेम ््त््म केिलू उर अिस्त कहो इ सिंभगत करेती है जहो अ सिंभतम है त्त जिस जरके
पतरे कहोई रहोश चि र सिंिि ्नही सिं है औरे इरी भलूए उरे 'अव््क्ति' कहत ग्त है| परेम सितधी्नतत कत अ््म है रमसत
(रीभमत) दृश्ों रे मुवक्ति| ककरी श चिरेम िति कहो लूेकरे ््त््म का की र सिंकलप्नत व््क्ति करे्ने कत पररेणतम,
अरकहषणुतत, सित््मपरेतत, ि भ्नषकतम-िृवत्त रे देर रक्ने का की अक्षमतत म में पररेिभत्मत हहो ही जतती है| जबकक,
विभिन्न दृषतओ सिं का की र सिंजत्नतत्मक विविधतत िी उ्नका की क्षमततओ सिं औरे कदलूश चिजिस सप्ों रे र सिंगती रेरती सिं हैं|

आश्रिी अरेविनद सपष करेते हैं कक ककर प्रकतरे पररेदृश्ों का की ्ह विविधतत ब्रहत्ड का की विविधतत कत कहसरत है|
श चििपलूएँकक ््त््म कहो बहुपरेती् त्त बहुमुरी कदरत्त जततत है, इरभलूए कई पजिस पश्चिमी विदत्न, वब्नत रमझे ही कक,
विभिन्न देिगण उरी एकमेि रत ् के विविध पहलूिपलू हैं, कह सिंद िपलू धम्म कहो गलूती रे बहुदेिितदी करेतरे दे देते हैं|
्द्यवप परेम ््त््म, भ्नरेतकतरे औरे कलप्नततीत है, रतमतन् व््वक्ति्ों कत, देिततओ सिं जैरे आकष्मक प्रभतभ्नभध्ों
का की रहत्तत रे, उर परेम ््त््म तक, कम रे कम पहुएँश चि ्नत र सिंिि तहो हहो जततत है| श चििपलूएँकक रब वििरेण
रतपेजिस क्षक हैं, ्नरे ्त ्नतरेी, दहो्नों ्नरे औरे ्नतरेी, ्नत ्नरे ्नत ्नतरेी, त्त वबलूकुलू भलू सिंगततीत के रूप म में परेमे्विरे
व््क्ति कक्े जत रकते हैं| केिलू ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं म में ही देिी के रूप म में परेमे्विरे कहो व््क्ति करे्ने कहो
लूेकरे, इत्नत विसतृत शतस्त्री् जत्न उपलूबध है|

इर रतपेक्षतत के रनदि्म म में देर्ने परे, कम्म-कत सिंड कहो एक प्रकतरे के पवित ्नतट्-शतलूत के रूप म में देरत जत
रकतत है| इरम में रिी जत्नेजिस न्द्र्तएँ प्र्होग म में आती सिं हैं: दृश् िसतुएएँ, धिभ्न्त सिं, रुग सिंध में, पिपलूजत कम्म, सपश्म, त्त
सितद| पजिस पश्चिमी लूहोग ऐरे कम्म-कत सिंडों के विसतृत, बहुमुरी विष्-िसतु रे अपररेभश चित हहो्ने के कतरेण उनह में

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बहुदेिितदी अव््िस्त के रूप म में देरते हैं | ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में रिी विश चितरेधतरेतएएँ, ककरी हद तक,
कम्मकत सिंड म में कक्र्तजिस नित हहो जतती सिं हैं | परेमे्विरे कत प्रभतभ्नभधत्ि करे्ने का की हमतरेी क्षमतत के विष् म में, तक्म का की
रीमत तक धतभम्मक र सिंश् रेहतत है| परेम औरे रतपेक्ष, दहो्नों रत््ों कत स्त्न जीि्न म में है, रत्् जहो रतपेक्ष है
िह हम में रत सिंरतररेक ितसतविकततओ सिं कहो रमझ्ने औरे उ्नकत धम्म के अ्नुरतरे रतम्नत करे्ने म में रहत्क हहोतत है|

सित्त्ततत औरे िैश चितररेक बहुलूतत : एक अिीपरत जहो पजिस पश्चिम त्त पिपलूि्म दहो्नों म में रमत्न है, िह है रीभमतततओ सिं
औरे ब सिंध्नों रे मुवक्ति| पजिस पश्चिमी परेमपरेतएएँ, इर र सिंरतरे म में सितधी्नतत के रतमतजिस जक, रेतज्नैभतक एि सिं रत सिंसकृभतक
आ्तमों परे आगह कक्त करेते हैं, औरे उररे बतद का की पररेजिस स्भत म में पतप त्त मृत््ु रे मुवक्ति का की| पजिस पश्चिमी
पररेदृश् ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में अकम्म््तत, ितग्ितद त्त हततशत देरतत है| जब हम इर दृवष कहो
पलूसिस्टते हैं तहो, एकत-एक भिन्न भश चित उिरेतत है| ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतएएँ अप्ने कहो पजिस पश्चिम का की कु सिंितओ सिं रे
मुक्ति देरते हैं, पतप औरे अपरेतध-बहोध के ितरे के तलूे दबे अप्ने कहो ्नही सिं देरते, त्त ्न िे ककरी र सिंस्तगत
प्रतभधकतरेी, ऐभतहतभरक पिपलूि-्म दृषतनत अ्ित मजहबी रीमतओ सिं के अधी्न ब सिंधे हुए रेहते हैं|

सितमशः अप्ने अ सिंदरे रे रीर्ने का की सित्त्ततत : अप्नी आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं के मतध्म रे हरे व््वक्ति के
अ सिंदरे जीि सिंत ऋवष, 'जिस ज्न', 'अरेहत' अ्ित 'बहोभधरत्ि' ब्न्ने का की क्षमतत हहो्ने के विष् म में, ितरेती् धतभम्मक
परेमपरेतएएँ, ्हिपलूदी-ईरतई मजहबों रे मिपलूलूतमशः भिन्न हैं | ्े अिस्तएएँ कई शतस्त्रों का की जनमदतती हैं| इर प्रकतरे
आध्तजिस त्मक भरद्ध, अ्न सिंत विभध्ों रे ्नई ्नई परेर रहोज रकते हैं| आध्तजिस त्मक अ्नुिि इर प्रकतरे वपछलूे
अ्नुिि कहो विस्तवपत करे्ने ितलूी ्न हहोकरे, ितसति म में र सिंश चि्ी परेमपरेत है, ्द्यवप कुछ परेमपरेतएएँ कतलूतनतरे
म में सितमशः लूुप्त िी हहो रकती सिं हैं| रम् के अ सिंतरेतलू रे परेमपरेतएएँ बदलूती हैं, कफरे िी उ्नकत ्नैरे सिंत््म रहजतत रे
प्रतश चिी्न, आधुभ्नक त्त उत्तरे-आधुभ्नक रहोश चि कहो अप्ने म में रमत्े रेर्ने औरे एक दर
िपलू रेे कहो ग सिंिीरेतत रे
प्रितवित औरे पहोवषत करे्ने हेतु उनहे रक्षम ब्नततत है, त्त रत्् कत अ्नुरनधत्न, भ्न्भमत आध्तजिस त्मक
रतध्नत रे विलूग ्न हहो्ने पतए, औरे उ्नकत परेपीड़त-मुवक्ति औरे प्रकतश पहुएँश चित्ने कत कत््म िी जतरेी रेह्ने कहो
रुभ्नजिस पश्चित करेतत है| मौभलूक बदलूति करे्ने ितलूी इर आध्तजिस त्मक परेमपरेत का की प्रत्भमकतत, मतत रिपलूश चि्नत कहो
िरेी्तत दे्ने ितलूी पजिस पश्चिमी परेमपरेत रे वबलूकुलू भिन्न है|

ितरेती् धम्म-जत्न 'आश्रिुभत' (अपौरुषे् जत्न), 'मत' (रेत् ्त पररेकलप्नत), 'ितद' (दलूीलू ्त दृवष), 'भरद्धत सिंत'
(पुष पररेकलप्नत), 'शतस्त्र' (विश चितरे व््िस्त अ्ित हम में मतग्मदश्म्न प्रदत्न करे्ने हेतु प्रमतजिस णत दृवषकहोण),
'समृभत' (ऐभतहतभरक दसततिेज) म में िगरकृत है| लूेरक रे जब पिपलूछत ग्त का की कह सिंद िपलू बतइवबलू कौ्न री पुसतक है,
तब उ्नकत उत्तरे ्त का की, 'कह सिंदओ
ु सिं का की बतइवबलू एक पुसतकतलू् है, केिलू एक ककततब ्नही सिं'|

पिपलूित्मगहों एि सिं कम्षों रे मुवक्ति : विविध विभध्ों के उप्होग दतरेत म्नुष्ों कहो कम्म-ब सिंध्नों रे अ सिंततमशः मुवक्ति
कदलूत्नत, धम्म कत मुख् अभिप्रत् है| इरके पररेणतमसिरूप रतधक रत ्-भश चित-आ्न सिंद का की अिस्त अ्ित
'एकत्ि-श चिेत्नत' प्रतप्त करेतत है, जिस जरम में रतधक, रहज ही िही कम्म करे्ने हेतु प्रेररेत हहोतत है जहो उरके आर-
पतर का की जिस स्भत्ों म में आिश्क हहो, जिस जर अिस्त म में उरके ्नए कम्म र सिंभश चित ्नही सिं हहो्ने पतते, क्िपलू सिंकक कम्षों कहो
करे्ने म में अहम िति का की अ्नुपजिस स्भत के कतरेण उरम में कतत्मप्न कत िति ्नही सिं रेह जततत है औरे ििपलूतकतलू के
कम्म धीरेे धीरेे क्षीण हहोकरे रमतप्त हहो जतते हैं| बौद्ध धम्म म में इरके रमतुल् अिस्त म में रतधक कहो ्ह बहोध
हहोतत है कक ििपलूत, ित्ममत्न त्त िविष् जैरी कहोई िी िौभतक अ्ित बौभधक इकतई, जहो अलूग कदर्नत शेष

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रेह रकती हहो, ्नही सिं रेह जतती औरे िह उ्न 'िसतुओ सिं' रे मुक्ति हहो श चििपलूकत है, जिस ज्नकत कहोई अजिस सतत्ि अ सिंततमशः ्नही सिं
है, एि सिं जिस ज्नके पीछे ितग्ने रे ही 'दमशःु र' अिश् प्रतप्त हहोतत है| बौद्ध धम्म का की जत्नततीत अिस्त म में रतपेक्ष
र सिंरतरे रे रतधक मुवक्ति अ्नुिि करेतत है, जिस जररे उरकहो रदेह भ्नित्मण प्रतप्त हहो जततत है| कम्म-भरद्धत सिंत ितग्ितद
्नही सिं है, जहो ककरी बतहरेी दबति रे व््वक्ति का की सितधी्नतत छठ्न लूेतत हहो, जैरी कक गलूत पजिस पश्चिमी रहोश चि है|
ितसति म में, कम्म-भरद्धत सिंत वब्नत ककरी फलू का की इचछत कक्े, भ्नषकतम कम्म करे्ने का की एक रतत श चिु्नौती है|

पिपलूि्मकतलूी्न तथ्ों त्त र सिंस्तगत रत्तत-त सिंत रे मुवक्ति : कह सिंद िपलू परेमपरेतओ सिं म में श चिेत्नत का की जहो अिस्त ईरत ्ने प्रतप्त
का की ्ी, िह हम म में रे हरे व््वक्ति पत रकतत है औरे ्ह ककरी देितत-विशेष ्त ककरी ऐभतहतभरक घसिस्ट्नत ्त
र सिंस्त परे वि्वितर करे्ने परे भ्नि्मरे ्नही सिं है| इर अिस्त कहो पत्ने के भलूए हम में मरे्नत िी अितश्क ्नही सिं है;
इर र सिंरतरे म में जीवित रेह करे िी हम इरे पत रकते हैं, जैरत कक र सिंिितमशः, ईरत ्ने कक्त ्त| ्हतएँ कहोई
भगरेजतघरे, मितधीश अ्ित केन्द्री् रत्तत ्नही सिं है | बजिस लक, रकद्ों के दौरेत्न अ्नभग्नत अिततरे, िविष्-िक्तित
औरे र सिंत हुए हैं त्त ्नई ्नई आद्यतजिस त्मक विभध्तएँ आती सिं गई जिस जनहों्ने परेमपरेतओ सिं कहो ्नए-्नए अ््म देकरे
जीवित रेकरत| कहोई रत्तत ककरी कहो कह सिंद िपलू ्नही सिं घहोवषत करेती है| कहोई रत्तत ककरी कहो कह सिंद िपलू धम्म रे बकहषकृत
्नही सिं करे रकतत|

रतमतन्तमशः ्ह मत्नत जततत रेहत है कक पजिस पश्चिमी लूहोग, व््वक्तिपरेक हहोते हैं जबकक एभश्तई ऐरे ्नही सिं हहोते, कफरे
िी, गौरे रे देर्ने परे ितसतविकतत इरके विपरेीत ही प्रतीत हहोगी| पजिस पश्चिमी लूहोग जहो ्हिपलूदी ्त ईरतई
परे सिंपरेतओ सिं कहो मत्नते हैं, सपष रूप रे अभधकतरे मजहबी र सिंगि्नों के औपश चितररेक रदस् हुआ करेते हैं , जहो
ककरी रमरूपतत-विशेष परे जहोरे देते हैं औरे व््वक्तिगत विरममभत एि सिं मजहबी प्र्तओ सिं के भ्नजीकरेण कहो,
गुसरे रे देरत जततत है| इरके विपरेीत, ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं म में मिपलूलूतमशः, व््वक्तिितद विद्यमत्न है औरे ्ही
कतरेण है कक उ्नके अ सिंदरे विविध वि्वि-दृवष्तएँ, श चिलू्न, प्, छवि्तएँ त्त उप-र सिंसकृभत्त सिं रहमभत रे रेहती सिं रेही सिं
हैं| धतभम्मक कक्र्तओ सिं, वि्वितरों एि सिं अश चि्म्नतओ सिं म में बौवद्धक तक्म-वितक्म कत किी अिति ्नही सिं रेहत|

सिधम्म - के भ्नधत्मरेण म में सित्त्ततत : अभधकत सिंश ितरेती् परेमपरेतओ सिं म में , हरे व््वक्ति कत इर र सिंरतरे म में, अप्नत
एक विभशष 'सिधम्म' ्त उदेश् हहोतत है| इ्नकत भ्नधत्मरेण व््वक्ति-विशेष के ििपलूतकतलू के कम्षों त्त गुणों के
आधतरे, परे उरके सििति औरे उरके इर जीि्न म में विद्यमत्न रनदि्म के अ्नुरतरे हहोतत है| बौद्धों म में 'उपत्'
(कुशलू रतध्न) का की र सिंकलप्नत हहोती है, जिस जरके आधतरे परे भिन्न सििति ितलूे व््वक्ति्ों म में 'परेसपरे एक दर
िपलू रेे
कत रममत्न' हहोतत है| जै्न परे सिंपरेतएएँ िी ितदों त्त रति्मिौभमक परेम भ्नदिर्देशों रे जैभ्न्ों कहो र सिंरेक्षण प्रदत्न
करेती सिं रेहती सिं हैं| परेम एकमेि रत्् कहो पत्ने कत केिलू एक ही रही मतग्म है, ऐरी रहोश चि के ्नीश चिे दबे हुए ्न
हहो्ने के कतरेण ितरेती् धम्म विभिन्न कदशतओ सिं म में फलूते-फिपलूलूते रेहे हैं|

इष-देि श चि््न म में सित्त्ततत : कह सिंद िपलू धम्म म में अिततरे परेमे्विरे के मिपलूत्म रूप हहोते हैं| अिततरे िैरी ही ििपलूभमकत
भ्नितते हैं जैरी ईरतइ्त म में ईरत भ्नितते हैं, लूेकक्न कहोई िी अिततरे एक मतत ्नही सिं मत्नत जततत, औरे कह सिंद िपलू
धम्म म में अन् परेमपरेतओ सिं के ऐरे दतिों कहो रहष्म सिीकतरे कक्त जततत है| इरभलूए, ईरत कहो कह सिंद िपलू कदव््, अ्त्मत
इ्विरे के एक अिततरे के रूप म में ररेलूतत रे मत्न रकते हैं, लूेकक्न केिलू एक-मतत अिततरे के रूप म में ्नही सिं|
पृथिी कहो िी पवित ििपलूगहोलू के रनदि्म म में देिी के रूप म में परेमे्विरे मत्नत जततत है; उदतहरेण के भलूए, ग सिंगत ्नदी
कहो ग सिंगत देिी के शरेीरे के रूप म में उ्नका की अभिव््वक्ति मत्नत जततत है| हरे व््वक्ति के आधतजिस त्मक-ध्त्न के

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केन्द्री्-करेण हेतु इष-देि का की अिधतरेणत अप्नतई जतती है, औरे ्ह एक प्रकतरे के विभशष व््वक्तिगत
एके्विरेितद के रूप म में मत्नत जत रकतत है, जहो रति्मिौभमक मत्नकरे दर
िपलू रेों परे ्होपत ्नही सिं जततत| प्रभतमत के
अलूतित, इष-देि कहोई एक मनत िी हहो रकतत है| एक कह सिंद िपलू ्ह कहेगत कक ईरतई्ों ्ने अप्ने इष-देि ईरत कहो
उितकरे, रति्मिौभमक ब्नत कद्त है, औरे तदहोपरेत सिंत आक्रतमक धमत्मनतरेण के मतध्म रे व््िजिस स्त रूप रे
उनहों्ने अप्नी िौभतक शवक्ति कहो आगे बढ़त्त है|

धतभम्मक परे सिंपरेत कत सिजिस ण्मम रिपलूत : पजिस पश्चिमी सिजिस ण्मम भ्न्म कहतत है कक हम में दर
िपलू रेों के रत् िैरत ही व््िहतरे
करे्नत श चितकहए जैरत हम उ्नरे श चितहते हैं| भ्नसर सिंदेह ्ह दहो दलूों के बीश चि, हहो्ने ितलूे आदत्न-प्रदत्न के आशतितदी
पररेणतम हतभरलू करे्ने कत रबरे व््तिहतररेक तरेीकत है| उररे ऊएँश चिे सतरे परे, ्हिपलूदी-ईरतई मजहबों कत आगह
्ह है कक, अप्ने पड़होरी कहो िैरे ही प्तरे करेहो जैरे हम अप्ने आप कहो करेते हैं| धतभम्मक परे सिंपरेतओ सिं कत
सिजिस ण्मम रिपलूत इरे एक कदम आगे लूे जततत है औरे कहतत है कक, अ सिंततमशः 'दर
िपलू रेत' कहोई है ही ्नही सिं, क्िपलू सिंकक
आत्मत के सतरे परे प्रत््ेक दर
िपलू रेत िही है जहो म में हिपलूएँ| इरकत आधतरे पिपलूि्म-र सिंदभि्मत आधतरेििपलूत-एकतत का की
तत्िमीमत सिंरत म में है| त्िश चित के िण्म के प्रभत िी धतभम्मक रभ््ततओ सिं म में ्ह रमिति का की िृवत्त पैिठ हुई है|
कह सिंदओ
ु सिं के दहो प्रमुर अिततरे िगित्न आश्रिीकृषण त्त िगित्न आश्रिीरेतम रत सिंिलूे िण्म के हैं, औरे देिी के रबरे
लूहोकवप्र् रूप, कतलूी त्त दग
ु त्म कत िण्म िी रत सिंिलूत है | िगित्न विषणु िी रत सिंिलूे - 'मेघ िण्म' – बतदलूों के
रे सिंग के हैं, त्त देितभधदेि महतदेि भशि िी| िण्म परे महतितरेत गन् म में एक सपष र सिंितद है जहो उरे िरेी्तत
दे्ने का की अपेक्षत व््वक्ति के गुणों कहो िरेी्तत दे्ने कत आगह करेतत है|
इर सिजिस ण्मम रिपलूत का की िति्नत के अ्नुरूप, ितरेती् धतभम्मक-व््िहतरे के रतधकों कहो ऐरी रलूतह किी ्नही सिं दी
जतती कक िे अन् मतों के अ्नु्तभ््ों के वि्वितरों म में दरलू द में - जिस जरे अकररे गलूती रे पजिस पश्चिभम्ों दतरेत
भ्नजिस षक्र्तत मत्न भलू्त जततत है| इरम में कहोई आपश्चि््म ्नही सिं है कक कह सिंदओ
ु सिं ्ने प्रतरे सिंभिक ईरतई्ों, ्हिपलूकद्ों त्त
पतरेभर्ों कहो शरेण दी, जब ईरतइ्त के त्त कफरे इसलूतम के आरे सिंि के प्रतरे सिंभिक शततजिस बद्ों म में िे अप्नी
अप्नी मततृििपलूभम म में मजहबी उत्पीड्न रे रततए जत्ने परे, ितग करे ितरेत आए ्े| लूेकक्न, अप्ने मत के
मिपलूलू वि्वितरों कहो छहोड़े वब्नत, ईरतइ्त उरी प्रकतरे आश्रिीकृषण त्त आश्रिीरेतम कहो इ्विरे के मत्निी् अिततरे के रूप
म में मतन्तत ्नही सिं दे रकती, जैरे िह ईरत कहो देती है, ्नत ही िे ्ह मत्न रकते हैं कक महतदेि भशि रि्म-
व््तपी जत्नततीत परेम देि हैं, ्नत ही कक पिपलूजत कक्े जत्ने हेतु परेमे्विरे के रूप म में देिी कहो, उ्नका की मतएँ त्त
पती िी मत्नत जत रकतत है|

पजिस पश्चिम का की कृवतम एकतत : लूेरक अब ्हिपलूदी-ईरतई परेमपरेतओ सिं का की तरेफ मुड़ते हैं औरे धतभम्मक दृवषकहोण के
अ्नुरतरे ्ह कदरत्ने कत प्र्तर करेते हैं, कक अप्नी मिपलूलू अिधतरेणतओ सिं एि सिं ब्रहत्ड विजत्नों का की अप्नी रमझ
रे उत्पन्न जकसिस्टलू रमस्तओ सिं रे िे बुरेी तरेह रे भघरेे हुए हैं| उ्नरे दर
िपलू रेों का की भिन्नतत रे उत्पन्न ककि्नतई
उनह में व््ग करेती है, जिस जरे िे कफरे बतहरे का की ओ़रे प्रक्षेवपत करेते हैं | लूेरक का की मतन्तत है कक पजिस पश्चिमी
रभ््तत के पतर एकतत है, जिस जरे इर पुसतक म में पररेितवषत कृवतम एकतत रे अभधक ्नही सिं मत्नत जत रकतत है|
्ह एकतत पृ्क औरे सित सिंत अि्िों रे आरे सिंि हहोती है , जिस ज्न कहो केिलू बड़े प्र्तर-पिपलूि्मक एकत कक्त जत
रकत| अप्नी व््वक्तिितदी रहोश चि के कतरेण, तक्म-पहोवषत अप्ने अह सिंकतरे कहो पजिस पश्चिम मकहमत-मजिस ्डत करेतत है, जहो
्ह ्त िह का की रहोश चि कहो पैदत करेतत है त्त इर प्रकतरे रे, अह सिंकतरे रे भ्न् सिंवतत हहो रक्ने ितलूे, आणविक
ब्रहत्ड विजत्न परे जहोरे देतत रेहत है| अप्नी कदविभधक-तक्म (binary logic) रे रीभमत हुई दृवष रे जब कहोई
पजिस पश्चिमी व््वक्ति, कह सिंद िपलू धम्म कहो देरतत है तहो उरका की वि्वि-दृवष कहो जहो श चिु्नौती भमलूती है िह उरे किहोरे औरे

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रतरे्नतक जैरी कदरतई पड़ती है| पजिस पश्चिम के विकतर के कुछ पहलूिपलू ध्त्न दे्ने ्होग् हैं: पहलूत, ्हिपलूदी-ईरतई
ब्रहत्ड त्त पतरे सिंपररेक ्िपलू्नत्नी वि्वि-दृवष के बीश चि का की दरेतरे, कफरे िे पत सिंश चि मुख् गभतविभध्त सिं (पृ.३६) जिस ज्नम में
कह सिंरत के बतिजिपलूद, विरेहोधी वि्वि-दृवष्ों के मध्, कृवतम एकतत स्तवपत करे्ने के प्र्तर कक्े जतते रेहे|

पजिस पश्चिम कहो गढ़्ने हेतु सिस्टेमपलूसिस्ट्न ्होज्नत : िष्म २००३ म में ब सिंगलूुरु म में "विजत्न औरे धम्म" परे आ्होजिस जत वि्वि-
रममलूे्न के दौरेत्न लूेरक कहो एक अ्नुिि हुआ, जिस जररे उनह में पजिस पश्चिमी रहोश चि म में विद्यमत्न ्नतजुक त्त अर सिंगत
आत सिंररेक एकतत, सपष रूप रे देर्ने कहो भमलूी| सि् सिं एक िौभतक विजत्नी हहो्ने के ्नतते िे भश चि सिंभतत हुए कक,
प्रभतवषत पजिस पश्चिमी िैजतभ्नक जहो िहत सिं उपजिस स्त ्े, उनहों्ने बड़ी हहोश्तरेी रे अप्ने मजहबी परेमपरेतओ सिं का की जड़ों
म में घुरी हुई इभतहतर-केजिस न्द्रकतत कहो कैरे श चिुपके रे भ्नकतलू कद्त, ततकक िे सि् सिं िैजतभ्नक प्रतीत हहोते रेह में|
इरभलूए, उकरत्ने के भलूए लूेरक ्ने उ्नरे आगे पिपलूछत: '्हिपलूदी-ईरतई मजहबों रे जुड़े हुए िैजतभ्नक, विजत्न
औरे धम्म रमबनधी इर बहर म में, इभतहतर-केजिस न्द्रकतत का की रमस्त कहो क्त आप सिस्टतलू रेहे हैं, ्द्यवप इभतहतर-
केजिस न्द्रकतत आप के विभशष हहो्ने के दतिे के क में्द्र म में है?' लूेरक ्ने ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं का की, कुछ
इभतहतर रे इतरे विभध्ों कत उललूेर कक्त कक ककर प्रकतरे िे प्रत््क्ष िैजतभ्नक अ्नुििितद कहो प्रदभश्मत
करेती सिं हैं| दर
िपलू रेे शबदों म में, अध्तत्म-विद्यत (अनतभ्न्मकहत मत्निी् क्षमततओ सिं परे आधतररेत) प्र्होगतभआश्रित विजत्न
है क्त, औरे ्कद ऐरत है तहो क्त ऐभतहतभरक रूप रे अकदती् इलहतमों रे उरका की र सिंगभत हहो रकती है ? उर
रममलूे्न म में कुछ प्रमुर आितज में इर मत का की ्ी सिं कक लूेरक ्ह भरद्ध करे्ने कत अप्नत प्र्तर जतरेी रेकर में कक
इभतहतर-केजिस न्द्रकतत रे विजत्न का की र सिंगती ्नही सिं हहो रकती, क्िपलू सिंकक िहत सिं परे इर परे श चिश चित्म रे बश चित ग्त|

्ह रि्म-विकदत है कक 'प्रबहोध' (Enlightenment) ्नतम कत ्िपलूरेहोपी् आनदहोलू्न, सित सिंत िैजतभ्नक शहोध कहो
र सिंिि ब्नत्ने हेतु ईरतई प्रतरतद परे एक दीघ्मकतलूी्न हमलूत ्त, जिस जरकत उदेश् रेतज्नैभतक रूप रे शवक्ति-शतलूी
पतदरेी-िग्म के प सिंर कुतरे्नत ्त| ईरतइ्त, विजत्न रे इर लूड़तई म में हतरे गई ्ी, औरे अब कफरे रे उरके
मजहबी विदत्न दर
िपलू रेे कडबबों म में रजतकरे, अप्ने ऐभतहतभरक भरद्धत सिंतों कहो ्नए भररेे रे विजत्न-रममत कदरत्ने के
प्र्तर म में लूगे हुए हैं| ईरतइ्त कहो एक 'िैजतभ्नक मत-शतस्त्र' कत रूप देकरे उरके पु्नग्मि्न के कतम म में ऐरे
विदत्नों कत जबरेदसत प्रिति पड़ रेहत है| िे 'व्हतइसिस्टहेड-ितद - (Whiteheadianism)' ररेीरे दतश्मभ्नक िग्षों कत
उप्होग, उरी प्रकतरे करे्ने म में लूगे हैं, जैरे बहुत पहलूे के श चिश चि्म मत-शतजिस स्त्र्ों ्ने ्िपलू्नत्नी दश्म्न कहो हड़पत ्त|

पजिस पश्चिमी रहोश चि का की उत्पवत्त : भ्नकहत रमस्तएएँ - ितरेती् धतभम्मक पररेप्रेक्ष् रे देर्ने परे, पजिस पश्चिमी रहोश चि म में ऐरी
कुछ मौभलूक अिधतरेणत रमबनधी रमस्तएएँ , जहो रम् रम् परे रतह परे प्रकसिस्ट हहोती सिं हैं, उ्नके दतरेत
अप्नतई गई कृवतम एकतत के दतिे कहो श चिु्नौती देती सिं रेहती सिं हैं| िे इर प्रकतरे हैं :
१. आत सिंररेक विजत्नों, तक्नीकों, विभध्ों औरे ऐरे भरद्धत सिंतों कत पजिस पश्चिमी रहोश चि म में अिति है, जहो हमतरेे आत सिंररेक
जीि्न त्त श चिेत्नत के क्षेतों म में अ्नुरनधत्न कहो र सिंिि ब्नत रक में क्िपलू सिंकक - उ्नकत आगह इभतहतर-केजिस न्द्रकतत परे
आधतररेत परेमे्विरे के भ्नदिर्देशों परे है | प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट रुधतरे ्ने वििेश चि्नतत्मक एि सिं िैजतभ्नक तथ्ों एि सिं इलहतम-
आधतररेत रत््ों के रमेक्न कत रेतसतत रहोलूत तहो ्त, औरे प्रबहोध ्ने मत औरे तक्म म में रमनि् लूत्ने कत, कुछ
हद तक रफलूतत के रत् बीड़त िी उित्त ्त|
२. ईरतइ्त म में बौवद्धकतत-विरेहोध औरे उरके मिपलूलू शतस्त्रों म में ितद-विितद, तक्म त्त ब्रहत्ड-रमबनधी रहोज का की
प्रिृवत्त कत अिति हहो्नत - मिपलूलू-ग सिं्ों कत र सिंितदी, लूेकक्न अभधकत सिंशतमशः कतव््म्, कत्निपलू्नी, ऐभतहतभरक औरे
गीततत्मक हहो्नत| कही सिं कही सिं उ्नम में दतश्मभ्नक विश चितरेों कत पररेलूजिस क्षत हहो्नत, लूेकक्न उ्नकत स्त्न इलहतम म में

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केन्द्री् ्न हहो्नत, त्त जहो दश्म्न ईरतई्त के जनम के कतफ़ैा की बतद पलूेसिस्टहो रे आ्तत कक्त ग्त ्त, उरे श चिश चि्म-
अभधभ्न्म के ग सिं्ों रे ्नीश चिे कत स्त्न कद्त जत्नत| ईरतइ्त म में र सिंत सिस्टॉमर अकितइ्नर (१२२५-'७४), तक्म-
र सिंगत जतएँश चि-पड़ततलू का की विधतओ सिं कत रमतिेश करे्ने हेतु अरेसतु का की ओ़रे मुड़े ्े| इर प्रकतरे, पलूेसिस्टहो औरे
अरेसतु दहो्नों, ईरतई मत-शतस्त्र के विकतर के मुख् आश्रिहोत तहो ब्ने, लूेकक्न िे ्िपलू्नत्नी ्े, ईरतई किी ्नही सिं|
३. र सिंतृभप्त का की रहोज म में बतहरे का की ओ़रे प्रक्षेपण का की प्रिृवत्त कत हहो्नत, जिस जरके दबति म में रतमतज्ितदी विसततरे एि सिं
विभ्न्होज्न के अ सिंतही्न अभि्त्नों कत ्नेतृत्ि करे्नत| पजिस पश्चिमी रभ््तत म में उपरेहोक्ति रतत कक्र्तशीलू दरेतरेों के
रत्-रत्, अन् अ्नब्नों का की उपजिस स्भत: प्रतश चिी्न ब्नतम आधुभ्नक, अरभ्् ्त मिपलूभत्मपिपलूजक ्त कतकफ़ैरे ब्नतम
रभ््, आकदम ब्नतम पररेषकृत, त्त बहुदेिितदी ब्नतम एके्विरेितदी| ्े लूगिग रिी दरेतरे में आगे श चिलूकरे एक
प्रिृवत्त दतरेत दर
िपलू रेी कहो हडप्ने, अ्ित जबरे्न कृवतम रमझहोते करे्ने, ्त प्रभतरेहोधी तत्िों कत पिपलूण्म बकहषकतरे
करे्ने के फलूसिरूप उ्न दरेतरेों का की इभतआश्रिी हहो्नत| इ्न लूगिग रिी प्रकक्र्तओ सिं म में बतहरे का की ओ़रे दर
िपलू रेों परे
कह सिंरतत्मक प्रक्षेपण हुए हैं - श चितहे िह व््वक्ति्ों परे हुए हों ्त रमिपलूहों परे| इरके उदतहरेण हैं - ईरतइ्त के
प्रतरे सिंभिक िष्षों म में ्िपलूरेहोप का की प्रतश चिी्न ििपलूभम-आधतररेत मतों औरे रत सिंसकृभतक व््िस्तओ सिं (त्तकभ्त मिपलूभत्मपिपलूजक
र सिंसकृभत) कत रफत्त औरे ्िपलूरेहोपी् आभधपत्् के दौरेत्न कई मिपलूलू अमरेीकक्ों कत जतभतर सिंहतरे| उदतहरेणत के
भलूए, पजिस पश्चिमी भश चि सिंत्न के आधतरे परे ितरेत, दहो्नों - रभ्् औरे बब्मरे, आकदम औरे पररेषकृत, प सिं्भ्नरेपेक्ष औरे
धतभम्मक है, क्िपलू सिंकक जब ऐरी रभ््ततओ सिं रे पजिस पश्चिम कत रतम्नत हहोतत है जहो उरके कदविभधक िगरकरेणों त्त
विरेहोधी श चिरेम वि्वितरों म में िठक रे ्नही सिं बैिते हैं, तब पजिस पश्चिमी मत्नर म में गजब का की भ्रत सिंभत्त सिं पैदत हहो्ने लूग जतती सिं
हैं| धतभम्मक पररेप्रेक्ष् रे देरत जत् तहो पजिस पश्चिम, सितधी्नतत के भलूए ्नही सिं िरे्न अप्नी छवि के भ्नदिर्देशों के भलूए
प्रभतबद्ध रेहत है, जिस ज्नके अ्नुरतरे उनह में रीभमत वि्वि म में अरीभमत विसततरे का की श चितह दौड़तती रेहती है| ्ह हम में
मतलूिपलूम है का की ऐरी श चितह ्न तहो भश चिरेस्तई है औरे ्नत ही इरे पिपलूरेी मत्नितत के उप्होग हेतु रहोश चित जत रकतत है|

४. दैत-िति कहो त््तगे वब्नत, अहम का की सितधी्न रेह्ने का की अजिस स्रे त्त प् रे िसिस्टकती रहोज, जहो सि् सिं औरे
दर
िपलू रेों के बीश चि दहो्नों सतरेों, व््वक्तिगत त्त रतमिपलूकहक परे अ सिंदरू्नी त्नति का की उपजिस स्भत मत्नकरे श चिलूतत है, जहो
र सिंरतरे म में जैरत कुछ हहोते हुए देरतत है औरे 'उरम में परेित्म्न लूत्ने का की अभ्नित््मतत है', ऐरत अ्नुिि करेतत है,
उरके कतरेण उर अहम म में एक गहरेी व््गतत प्नपती रेहती है| जिस जत्नी गहरेी व््गतत हहोगी, अहम िी उत्नत
ही उग हहो जत्ेगत, जैरे जैरे उरके पतर िह ्नही सिं हहोगत, जिस जरे पत्ने का की उरका की श चितह तीब्रतरे हहोती श चिलूी
जत्ेगी| ्ह प्रकक्र्त अ्न सिंत है औरे आत्मघतती िी, क्िपलू सिंकक ्ह एक क्रवतम अहम-िति का की अिधतरेणत परे
आभआश्रित है| केिलू ित्ममत्न के क्षण कत दीघ्मकतलूी्न भ्नरेीक्षण करे्ने रे ही आत सिंररेक विजत्नों का की रहोज हहो
रकती है एि सिं उ्नके भ्नषकष्षों के आधतरे परे इर व््गतत कत रमतधत्न औरे अभतक्रमण कक्त जत रकतत है|
लूेकक्न ित्ममत्न क्षण परे, पजिस पश्चिमी रहोश चि म में ििपलूतकतलू औरे िविष् रदत हतिी रेहते हैं, श चितहे उरके कतरेणों म में
बतइवबलू का की आश्रिृवष का की अिधतरेणत हहो, आदम के पत्न का की क्त हहो, मुवक्ति हहो, रम् कत अ सिंत हहो, त्त महोक्ष,
्त कफरे प्रगभत औरे विकतर का की लूौककक अिधतरेणतएएँ हहो, जहो इ्नरे भमलूते-जुलूते ्नक़शे-कदमों परे श चिलूते रेहते
हैं| ्ह ििपलूत-औरे-िविष् का की रतत मत्नभरक विश चितरेणत, िव्् ऐभतहतभरक आख्त्न कत ही एक र सिंसकरेण है,
जहो ित्ममत्न के क्षण प्रभत-क्षण के अ्नुिि कहो भछपत देतत है| ईरत रमेत ्हिपलूदी पैगमबरेों कहो, किी िी
व््वक्तिगत सितधी्नतत रे ज्तदत ररेहोकतरे ्नही सिं ्त; इरके बजत् उनहों्ने परेमे्विरे का की आजत-पतलू्न दतरेत
रतमिपलूकहक मुवक्ति पत्ने परे जहोरे कद्त ्त| आदम-हव्ित के मिपलूलू पतप ्ने ईरतई्ों कहो व््वक्तिपरेकतत तहो प्रदत्न का की
- जहो पतप रे र्नी हुई विभशषतत है औरे इरभलूए उरम में अबद्धतत ्त सितधी्नतत लूेशमतत कहो ्नही सिं है|

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ईरतई मततनधतत त्त ्िपलू्नत्नी तक्म – एक विर सिंगभत - पजिस पश्चिमी र सिंसकृभत का की मुख् दरेतरेों म में रे विजत्न त्त
मजहब का की दरेतरे प्रमुर है, जैरत सिस्टेमपलूसिस्ट्न फतउनडेश्न रे लूेरक का की भिड सिंत म में कदरतई कद्त| इर त्नति का की
गहरेी जड़ में विशेषकरे अमरेीकत म में हैं , जहतएँ डतवि्म्न के क्रभमक-विकतर के भरद्धत सिंत के स्त्न परे अब रृवषितद कहो
स्तवपत करे्ने के प्र्तरों कत श चिलू्नत, उर वब सिंद ु का की ओ़रे र सिंकेत करेते हैं , जिस जरके अ्नुरतरे, दहो्नों, ्हिपलूदी त्त
ईरतई मजहबों के भरद्धत सिंतों म में अविक्रे् तत्िों म में रे एक है: कक बतहरेी परेमे्विरे दतरेत भरफ्म एक बतरे 'कुछ ्नही सिं'
रे पिपलूरेी रृवष रेश चिी गई|

्हिपलूदी औरे ्िपलू्नत्नी मत्नर – मैथ्िपलू आ्न्मलड (१८२२-८८), जिस जनहों्ने विजत्न त्त मजहब के बीश चि दरेतरे के उद्गम
कत िण्म्न बहुत पहलूे कक्त ्त, भलूरते हैं: ्िपलू्नत्नी (्िपलू्नत्नी मत्नर के हत् म में मत्नि जीि्न एक ित्िी्-
रहजतत, सपषतत भलूए हुए, एि सिं तेजजिस सितत रे िरेपिपलूरे है; ्ह कहत जत रकतत है कक िे मतधु््म औरे प्रकतश रे
लूबतलूब हैं) एि सिं ्हिपलूदी म्नतर (्ह बतइवबलू आधतररेत है - जहो स्त्न इरम में पतप रे िरेत हुआ है, िह ्िपलू्नत्नी
मत्नर के मुकतबलूे ितकई म में अभत विशतलू है), दहो्नों कत प्रतदि
ु त्मि मत्नि का की प्रकृभत का की आिश्कततओ सिं रे हुआ
है, औरे दहो्नों अप्नत ध्त्न उ्नका की पिपलूतर हेतु ््त शवक्ति लूगतते हैं| लूेकक्न उ्नके तरेीके इत्ने भिन्न हैं, िे
दहो्नों इत्ने भिन्न वब सिंदओ
ु सिं परे आगह करेते हैं, औरे अप्नी अप्नी व््िस्तओ सिं के अ्नुरूप ऐरे ऐरे भिन्न
भिन्न कक्र्त कलूतपों कहो अनजतम देते रेहते हैं, कक एक के हत्ों रे मत्नि प्रकृभत कत जहो श चिेहरेत दर
िपलू रेे के हत्ों
म में जब जततत है, तहो िह कफरे िैरत ही ्नही सिं रेह जततत, जैरत पहलूे ्त| आ्न्मलड आगे कहते हैं कक प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट-
ितद औरे कै्भलूक-ितद के बीश चि का की बड़ी दरेतरे ्ने ईरतइ्त औरे ्िपलू्नत्नी मत्नर के बीश चि का की इर गहरेी औरे
श चिौड़ी रतई कहो पतसिस्ट्ने कत कतम वबलूकुलू कक्त ही ्नही सिं, बजिस लक प्रौसिस्टेससिस्ट सिंसिस्टितद कत दृवषकहोण उरी मत्नर का की कदशत
म में एक औरे तरेह कत दर
िपलू रेत अलूग मतग्म ्त जैरत कै्भलूकितद कत, त्त िह बौवद्धकतत म में उररे कतफ़ैा की न्िपलू्न
िी कहत जत रकतत है| इरके अलूतित, एक बड़ी रमस्त ्िपलू्नत्नी पक्षका की का की ओ़रे रे िी है|

अरेसतु: मध्मतग्म का की उपेक्षत - तक्म रत्् तक पहु सिंश चिततत है , रत्् एक ही है, भ्नजिस पश्चित, रतफ-रु्रेत, पिपलूरेी तरेह
रे सपष औरे प्रतमत्् है, असपषतत रे मुक्ति| रत्् के विष् म में ्ह दृवष ककरी हद तक पजिस पश्चिम दतरेत
अरेसतुितदी मध्मतग्म-उपेक्षत के पतरे सिंपररेक भ्न्म कहो प्रभतष्ठतवपत करे्ने के कतरेण हुआ, जहो ्ह घहोवषत करेतत
है कक ककरी प्रसतति के दहो विपरेीत पक्षों के मध् म में कुछ ्नही सिं हहोतत, औरे इर प्रकतरे कहोई मध्-मतग्म ्नही सिं
हहो रकतत| इरे कदर सिं्होजक, अ्ित दहो-मिपलूल्रेत व््िस्त के रूप म में र सिंदभि्मत कक्त जततत है| ्द्यवप ्ह
भरद्धत सिंत व््तिहतररेक जीि्न के रेहोज़ मरेिर्दे के सपष वििेदों कहो रमझ्ने हेतु उप्होगी है, इर रखत भ्न्म कहो
पजिस पश्चिमी रहोश चि म में आधतरेििपलूत महत्ि दे कद्त ग्त है औरे इर प्रकतरे, बतद के विश चितरे-विभ्नम् के द सिंदतत्मक ्त
कक्र्तितितत्मक विितदों म में, इर भ्न्म ्ने किहोरे पतब सिंकद्त सिं लूगत्ने कत कतम कक्त| इ्नके फलूसिरूप पजिस पश्चिमी
दतश्मभ्नक परेमपरेतएएँ, तक्म के इर किहोरे 'हतएँ ्त ्नत सिं, ्ह ्त िह' के मध्मतगर्-उपेक्षत के भ्न्म कहो अप्नत्ने
का की ओ़रे प्रिृत हुई; रश चिमुश चि म में, अब ्ह पजिस पश्चिमी विश चितरे कत मुख् भरद्धत सिंत ब्न श चिुकत है| मिपलूलू तत्ि त्त
विभशषततितद एक दर
िपलू रेे कहो रुदृढ़ ब्नतते हैं, दहो्नों बौवद्धक भ्न् सिंतण कहो मदद औरे बढ़तित देते हैं| मध्मतगर्-
उपेक्षत कत भ्न्म िसतुओ सिं का की परेसपरे भ्नि्मरेतत, उ्नके अ सिंतरर्संब सिंभधत त्त अ सिंतव््त्मप्त हहो्ने का की र सिंिति्नतओ सिं कहो
रमतप्त करे देतत है| ्ह अभिन्न आधतरेििपलूत एकतत का की गु सिं्ी औरे प्रितही र सिंब सिंधों का की विभशषतत के, पिपलूण्मत्त
विपरेीत है| ्ह विभशषततितदी तक्म, इभतहतर-केजिस न्द्रकतत का की विभशषततितदी प्रकृभत के रत् भमलूकरे, ्हिपलूदी-
ईरतई विभशषततितदी लूहोकतश चितरे का की दहो पकका की बुभ्न्तद में तय्तरे करेतत है|

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पजिस पश्चिम के पत सिंश चि मुख् र सिंशेवषक आनदहोलू्न : ्े ऐरे पत सिंश चि ऐभतहतभरक आनदहोलू्न हुए हैं जिस ज्नम में कृवतम एकतत
का की रमस्तएएँ त्त पजिस पश्चिमी-अहम के प्रक्षेपण सपष हहोते हैं| ्े इर प्रकतरे हैं:

१. रेहोम कत प्रतदि
ु त्मि त्त पजिस पश्चिमी ईरतई जगत कत जनम: (र्न २७४-३३७) रेहोम्न रमतसिस्ट कौ्नससिस्ट सिंसिस्टतइ्न दतरेत
ईरतइ्त कहो अप्नत करे रेतज् कत मजहब ब्नत दे्ने रे, विसतृत पैमत्ने परे ईरतइ्त का की इर प्रकतरे लूतमब सिंदी
हुई कक रेहोम्न रतमतज्ितद के ढंत सिंश चिे के अ सिंतग्मत, पहलूी बतरे रेहोम म में ईरतई प्रिति्ुक्ति प्रभतष्ठत्न का की स्तप्नत
हुई| ्हतएँ हम उपरेहोक्ति रमस्ों म में रे कुछ कहो रतह परे उिरेते हुए देर्नत आरे सिंि करे मेंग,े विशेषकरे: श चिेत्नत कहो
विकभरत करे्ने हेतु आत सिंररेक विजत्नों कहो तक्नीक के रूप म में प्र्होग करे्ने का की उपेक्षत करे्नत, बौवद्धक
तत्िमीमत सिंरत त्त इलहतम-आधतररेत मजहबों के बीश चि का की व््गतत्ुक्ति कृवतम-एकतत, त्त पजिस पश्चिमी आक्रतमक
मत्नभरकतत कत देह रे अलूग कक्त जत्नत औरे उरकत बतह्य-प्रक्षेपण, जहो व््तपक रतमिपलूकहक धमत्मनतरेण का की
गभतविभध्ों त्त रतमतज्ितदी विसततरे का की पररे्होज्नतओ सिं कहो, रम् रम् परे अनजतम कद्त करेतत रेहत है|
ईरतइ्त के पहलूे लूगिग एक हज़तरे िष्षों म में , इर रेहोम्न रतमतज्ितद ्ने ्त तहो सि् सिं पवित रेहोम्न रतमतज्
के रूप म में अ्ित, रेहोम्न कै्भलूक श चिश चि्म के रूप म में, पिपलूरेे ्िपलूरेहोप परे अप्नत एकछत प्रिति स्तवपत करे कद्त ्त|
२. प सिं्द्रहिी सिं औरे रहोलूहिी सिं शततजिस बद्ों कत ्निजतगरेण एि सिं शहोध्न : प सिं्द्रहिी सिं औरे रहोलूहिी सिं शततजिस बद्ों के दौरेत्न,
्न केिलू दैिी त्त लूौककक रत्तत के बीश चि ही, बजिस लक ्हिपलूदी (Hebraism) त्त ्िपलू्नत्नी मत्नर (Hellenism) के
बीश चि िी, तत्कतलूी्न अर सिंतुभलूत मध्ुगी्न र सिंशेषण म में एक भगरेतिसिस्ट आई| लूिपलू्रे, कैलूवि्न औरे उ्नके
अ्नु्तभ््ों के आगह परे, रुधतरेकों ्ने 'आश्रिहोत (अ्त्मत बतइवबलू) का की ओ़रे ितपरी' परे जहोरे कद्त, जबकक कलूत
औरे रतकहत्् के रम््मक मत्निितकद्ों ्ने, जहो किी किी उ्नके रह्होगी ब्न जत्त करेते ्े, ्िपलू्नत्नी उत्कृष
रतकहत्् के शतस्त्रों, मिपलूल्ों एि सिं विश चितरेों के पु्नजत्मगरेण के रत्, कै्भलूक पुरेहोकहती-रत्तत के विरुद्ध तक्म एि सिं
कलप्नत शवक्ति के उप्होग के प्रभत, ्नए भररेे रे अप्नी बश चि्नबद्धतत परे बलू कद्त| प्रतश चिी्न ्िपलू्नतभ्न्ों के
दतश्मभ्नक त्त िैजतभ्नक ग सिं्ों का की पु्नप्रत्मभप्त रे, इर ्निजतगरेण (Renaissance) कहो एक ्नई प्रेरेणत िी भमलूी
्ी| ्े प्रतश चिी्न ्िपलू्नत्नी गन् उरके बतद, इसलूतमी विदत्नों के मतध्म रे प्ररतररेत हुए, जहो रेहोम्न श चिश चि्म के
मुकतबलूे, ्िपलू्नत्नी विजत्न के प्रभत कम अरह्नशीलू ्े| प्रौसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट शहोध्न (Reformation) ्ने, जिस जर्ने
्निजतगरेण (Renaissance) के रत् रत् औरे उरके तुरे सिंत बतद ही जहोरे पकड़त, ्न्े तक्मर सिंगत एि सिं िैजतभ्नक
विभध्ों कत प्र्होग कक्त त्त अ्नुरनधत्न जहो वब्नत दबति के कक्त जततत हहो, उरका की िकतलूत िी का की| कफरे
िी, इ्न व््तपक हलूश चिलूों के फलूसिरूप जहो आनदहोलू्न उिरेे, िे मिपलूलूतमशः एक दर
िपलू रेे रे विितजिस जत ्े औरे एक
दर
िपलू रेे रे र सिंघष्मरेत िी| दम्नकतरेी एि सिं कदरतिसिस्टी महएँगे कै्भलूक पुरेहोकहती त सिंत के हसतक्षेप रे मुवक्ति पत्ने के
भलूए औरे परेमे्विरे रे रीधे र सिंपक्म रतध्ने हेतु, प्रौसिस्टेससिस्ट सिंसिस्टौं ्ने व््वक्तिगत एि सिं रहज प्रत््म्नत त्त सिैभछक भश चि सिंत्न
परे अप्नी ओ़रे रे जहोरे विशेष कद्त|
३. प्रबहोध एि सिं आधुभ्नक विजत्न कत जनम: इर आनदहोलू्न ्ने, जहो अब तक िी लूगिग श चितलूिपलू है, आधुभ्नक
पजिस पश्चिमी दश्म्न त्त तब रे कतफ़ैा की अभधक आगहपिपलूि्मक, दैिी औरे लूौककक (sacred and secular) म में भिन्नतत
के उद् कहो देरत है, जहो ककरी हद तक रेे्ने डेकतसिस्ट्म के कत््म म में देह-मुक्ति तक्म का की विज् के कतरेण हुआ|
आत सिंररेक विजत्नों ्त उ्नरे भमलूती-जुलूती ककरी अन् श चिीज रे वबलूकुलू कसिस्टकरे, एि सिं डेकतसिस्ट्मितद दतरेत जिस जर
दैत कहो एक ्नई ऊ सिंश चितई परे मकहमतम सिंकडत करे कद्त ग्त ्त, परे आभआश्रित हहोकरे आधुभ्नक भश चि सिंत्न, भ्नरतभलूर
देह-मुक्ति तक्म का की ्नीब परे रड़त कक्त ग्त है| रेतज्-रेतष्ट्र का की र सिंकलप्नत इरी दैत का की छत्त म में पैदत हुई औरे
बढ़ी, त्त ककरी हद तक िह रेहोम्न कै्भलूक श चिश चि्म कत लूौककक र सिंसकरेण (secular version) िी ब्न गई|
्िपलू्नत्नी तक्म औरे िैजतभ्नक अ्नुरनधत्न के बढंते कदमों ्ने (ईरतइ्त कहो प्रिति-ही्न ब्नत्ने के रत् रत्)

40
प्रबहोध (Enlightenment) कहो प्रहोत्रतकहत कक्त| िैजतभ्नक के रूप म में देह कहो ् सिंत कत प्रभतरूप डेकतसिस्ट्म मत्नते ्े,
जहो िौभतक शतस्त्र के भ्न्मों के दतरेत र सिंश चितभलूत हहोतत है, लूेकक्न कटसिस्टरे कै्भलूक के रूप म में डेकतसिस्ट्म मत्नते ्े
कक रूह, परेमे्विरे के भ्नदिर्देश मत्न्ने ्त ्नत मत्न्ने के भलूए सित सिंत है , जिस जरके पररेणतम उरे 'न्त् के कद्न'
(Day of Judgement) के अिररे परे िुगत्ने होंगे| "म में रहोश चितत हिपलूएँ, इरभलूए मैं हिपलूएँ" (I think, therefore I
am), उरका की प्रभरद्ध कहतित ब्न गई एि सिं कत््म विभध िी| िति्नतओ सिं एि सिं जैि-पदत््म कत र सिंरतरे, दतश्मभ्नक
कलप्नतओ सिं त्त िैजतभ्नक अ्नुर सिंधत्नों के र सिंरतरे रे वबलूकुलू पृ्क करे कद्त ग्त, जिस जर्ने कफरे अप्नत ्न्त
र सिंरतरे रेश चि्नत आरे सिंि कक्त| इर प्रकतरे विजत्न त्त मजहब म में कहोई र सिंघष्म ्नही सिं हहो रकतत, क्िपलू सिंकक अप्ने अप्ने
क्षेत म में दहो्नों सित्त्त हैं औरे इ्नम में रे ककरी का की िी, दर
िपलू रेे के क्षेत म में कहोई हैभर्त ्नही सिं है| जीि्न रे इ्विरे
का की उपजिस स्भत के पररेत््तग कत अ््म, कतलूत सिंतरे म में रमतज रे मिपलूल्ों कत पररेत््तग हहो ग्त, क्िपलू सिंकक ब्रहत्ड औरे
वि्वि कत रञश चितलू्न, मिपलूल्-मुक्ति ्त सिंवतक भ्न्मों रे हहोतत कदरत्त ग्त| ऐरे रमतज के परेमतणु-रूप आकतरे के
व््वक्ति्ों के बीश चि के रमबनध, केिलू एक-दर
िपलू रेे के कहतों के पहोषण हेतु, अ्नुब सिंधों के मतध्म रे ही हहो पतए सिंग,े
जहो केिलू अप्ने ही कहत म में कत््मरेत होंगे - पिपलूरेे रमतज के कहत कहो ध्त्न म में रेरकरे ्नही सिं | रब के व््वक्तिगत
िलूे कहो जहोड़करे जहो '्होग' ब्नेगत िह ही रमतज कत िलूत कहलूत्ेगत|
४. उन्नीरिी सिं त्त बीरिी सिं शततबदी कत पिपलूित्मत् - पु्नजत्मगरेण : कुछ विदत्नों कत मत्न्नत है, कक अितरेहिी सिं
शततबदी के बतद रे पजिस पश्चिम, पिपलूित्मत् पु्नजत्मगरेण (oriental renaissance) रे गुजरेत है| इर आनदहोलू्न ्ने,
अकररे बगैरे विदत्नों दतरेत पहश चित्ने औरे रहोजे गए तथ्ों का की अभिसिीकृभत के, एभश्तई रमतजों, विशेषकरे
ितरेत का की धतभम्मक परेमपरेतओ सिं रे पजिस पश्चिम कहो भिड़ते देरत| इर सिस्टकरेतहसिस्ट ्ने पजिस पश्चिम कहो श चिु्नौती दी त्त उरके
कई रमस्तगसत प्रक्षेपणों कहो उितरेत िी| र सिंसकृत एि सिं उरके पररेषकृत पतरे सिंपररेक शतस्त्रों के रत् ्िपलूरेहोपी्
रमतगम ्ने, उन्नीरिी सिं रदी के दौरेत्न अत््भधक जीि सिंत त्त प्रितिकतरेी एक बौवद्धक आ सिंदहोलू्नों कहो जनम
कद्त| ्िपलूरेहोपी् ितरेतविदों (Indologists) एि सिं ्िपलूरेहोप म में कक्र्तशीलू उ्नके विरेहोभध्ों दतरेत, विशेषकरे पजिस पश्चिम का की
रुमत्नी त्त उरका की आधुभ्नकतम अिधतरेणतओ सिं कहो आकतरे दे्ने के कतम कहो अनजतम दे्ने म में उ्न पजिस पश्चिमी
विदत्नों का की ििपलूभमकत, जिस जरे प्रत्मशः जत्न-बिपलूझकरे भछपतकरे रेकरत जततत है, अ्ित उरे कमतरे करे के आ सिंकत
जततत है, परे रे पदत्म उित्ने के भलूए अिी बहुत कतम कक्त जत्नत बतका की है| लूेकक्न जिस जर बतत परे ्हतएँ विशेष
बलू कद्त जत रेहत है, िह ्ह है कक, एभश्तई र सिंसकृभत्ों त्त उ्नका की तत्िमीमत सिंरतओ सिं कहो 'पश चित्ने' के इ्न
लूुके-छुपे प्र्तरों ्ने, पजिस पश्चिमी कृवतम एकतत के अ सिंदरे, पहलूे रे औरे िी अभधक त्नति पैदत करे कद्त है|
५. औपभ्निेभशक विसततरे : पिपलूित्मत्-पु्नजत्मगरेण (oriental renaissance) के रत् रत्, पजिस पश्चिमी-औपभ्निेभशक
विसततरे िी हुआ ्त, जिस जरके दौरेत्न हुई कह सिंरत त्त आक्रमण के वििरेण िलूी ित सिंभत दसततिेजों म में भलूरे गए|
श चितहे जिस जर िजह रे िी इर बतत कहो अकररे ्नज़रे सिंदतज़ करे कद्त जततत हहो, तथ् ्ही है कक, इर विसततरे का की
प्रेरेणत एि सिं उरका की र सिंरेश चि्नत के भरद्धत सिंत, ईरतई वि्वि-दृवष के अ सिंदरे ही गहरेतई रे विद्यमत्न ्े, ्द्यवप ितसति म में
्ह विसततरे, लूौककक-िैजतभ्नक प्रगभत के ्नतम परे एि सिं 'वपछड़े' लूहोगों कहो परेतसत करे्ने हेतु कक्त ग्त ्त|
जैरे जैरे पजिस पश्चिमी र सिंसकृभत के अ सिंदरे मजहबी एि सिं लूौककक त सिंतों का की दरेतरे बढ़ती गई ्ी, अभधकतरे िैरे िैरे ही
्े विसततरेितदी अभधगहण हहोते श चिलूे गए| एक ही रम् म में, मजहबी त्त लूौककक, दहो्नों त सिंत इर
उपभ्निेशीकरेण म में रहितगी ्े, जहो श चितहे रतह परे ्िपलूरेहोप म में िलूे ही एक दर
िपलू रेे के विरेहोधी रेहे हों, दहो्नों ही
उर एक मजहबी औरे ब्रहत सिंडी् आधतरे रे उपजे ्े , जिस जरम में मजहबों के ऐभतहतभरक इलहतमों एि सिं िैजतभ्नक
प्रगभत के अप्ने अप्ने त्नति परेसपरे घुलूे-भमलूे हुए ्े| ्निजतगरेण त्त प्रबहोध (Renaissance and the
Enlightenment) के दौरेत्न हुए एका कीकृत ईरतई वि्वि-दृवष म में विितज्न के बतद, उ्नके विभिन्न अि्ि आपर
म में जहोरेों रे सिस्टकरेतए, लूेकक्न अप्ने घरे के अ सिंदरू्नी त्नति कहो कम करे्ने के भलूए, िे वि्वि िरे म में ईरतई

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विसततरे हेतु कफरे रे रत् हहो गए| रत सिंसकृभतक इभतहतरविद डेविड लूौ् ्ने, इ्न ईरतई विसततरेों कहो अनजतम
दे्ने हेतु, उ्नपरे हहो रेहे म्नहोिैजतभ्नक दबति कत विशेषण कक्त| अप्ने कहो रुरेजिस क्षत ब्नत्े रेर्ने हेतु, एक
तरेीकत ्ह िी है कक हम हतिी हहो्ने के भलूए दर
िपलू रेे कहो अप्ने अभधकतरे म में लूे लूेते हैं| ्िपलूरेहोपी् विसततरे के बतद
'्नि ्िपलूरेहोप' के रूप म में, प्रौसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट एि सिं ईरतई मुवक्ति के इभतहतर के लूौककक र सिंसकरेण परे जहोरे देते हुए उद्
हुआ, एक ्नई दभु ्न्त सिं, अमरेीकत कत|

इ्न अिभध्ों म में रे प्रत््ेक म में, हम पतते हैं कक अिभध-विशेष रे पिपलूि्म के ्िपलू्नत्नी (Hellenic) एि सिं ्हिपलूदी
(Hebraic) मिपलूल्ों के अजिस स्रे र सिंशेषण सिस्टिपलूसिस्ट्ने लूगते ्े, त्त उ्नके आपरी त्नति के पररेणतम-सिरूप पैदत हहो्ने
ितलूी व््गतत कत प्रक्षेपण, दर
िपलू रेों परे प्रत्मशः, कह सिंरतत्मक तरेीकों रे हुआ|

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#३: अरेतजकतत के प्रभत व््गतत ब्नतम जकसिस्टलूतत एि सिं असपषतत के प्रभत रहजतत
ितरेती् धतभम्मक रभ््ततएएँ, विविधतत एि सिं असपषतत म में ज्तदत रहज त्त आरेतम रे रेहते हैं, पजिस पश्चिम के
मुकतबलूे| ्होभगरेतज आश्रिी अरेविनद के अ्नुरतरे, श चििपलूएँकक धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में विद्यमत्न एकतत्मतत कत आधतरे,
उ्नका की एकतत का की रमझ है, उरम में अपररेभमत विविधतत हहो रकती है, वब्नत विघसिस्ट्न एि सिं अरेतजकतत म में ढंेरे हहो
जत्ने के ककरी ि् के पैदत हुए| ्े परे सिंपरेतएएँ, अप्ने आधतरेििपलूत शतस्त्रों, महतकतव््ों, आदश्षों एि सिं मिपलूल्ों के बलू
परे, व््िस्त त्त अव््िस्त, दहो्नों कहो एक ही पररेितरे कत रदस् मत्नते रेहे हैं औरे इ्न दहो्नों म में परेसपरे
रह्होग-आधतररेत प्रभतद सिंकदतत के विश चितरे के इद्म-भगद्म ही, रमु्द्र-म सिं््न के विविध आख्त्नों कहो बु्नते हैं, जहो
क्षीरे रतगरे के म सिं््न के विष् म में पुरेतणों म में प्रश चिभलूत, ्नत्नत प्रकतरे के बरत्न करेते हैं|

पजिस पश्चिम म में, अरेतजकतत कहो म्नहोिैजतभ्नक एि सिं रतमतजिस जक दृवष्ों रे एक रतत रतरेे का की तरेह देरत जततत है -
एक ऐरी अिस्त, जिस जर परे जीत हतभरलू करे्ने हेतु उरे भ्न् सिंवतत ्त ्नष करे्नत जरुरेी है| र सिंसकृभत, ्नसलू,
भलू सिंग, ्ौ्न-अ्नुजिस स्भत आकद का की परेसपरे भिन्नततओ सिं रे उत्पन्न रमस्तओ सिं के रमतधत्न हेतु भ्नदिर्देश दे्ने के
भलूए, ्ह ि्-भमभआश्रित रहोश चि, म्नहोिैजतभ्नक रूप रे पजिस पश्चिम के अहम कहो अभत बलूित्न एि सिं भ्न् सिंतक ब्नत देती
है| ऐरी एकतत परे आधतररेत, एक ब्रहत्ड-विजत्न जहो कृवतम है, व््गततओ सिं रे िरेत हुआ रेहत करेतत है|

अध्त् ४. व््िस्त औरे अव््िस्त

ितरेती् धतभम्मक दृवष ्ह कहती है कक त्तकभ्त 'अव््िस्त' एक प्रतकृभतक एि सिं रतमतन् अिस्त है; उरे
व््िस्त दतरेत र सिंतुभलूत कक्त जत्नत आिश्क तहो है ही, लूेकक्न उरे भ्न् सिंवतत करे्ने ्त पिपलूरेी तरेह रे ्नष
करे्ने ्त बतहरे रे उरम में जबरे्न र सिंबद्धतत पैदत करे्ने का की, कहोई ततबड़-तहोड़ आिश्कतत ्नही सिं है| इरके विपरेीत
पजिस पश्चिम, अव््िस्त कहो एक ग सिंिीरे रतरेत मत्नतत है, जिस जरे ्नष करेके ्त पिपलूरेी तरेह रे ही आत्मरतत करेके,
दरेिपलू कक्त जत्नत आिश्क है| अरेेरी् (non-linear thinking) भश चि सिंत्न, विरेहोधी जिस स्भत्ों एि सिं ररेलूतत रे
आरत्न अिधतरेणतओ सिं ्त रीधे व््क्ति ्नही सिं कक्त जत रक्ने ितलूी जकसिस्टलूततओ सिं कत रतम्नत करे्नत, ितरेती्
सितितविक मत्नते हैं| अप्रत््तभशत अ्ित विकेजिस न्द्रत जिस स्भत्ों म में इरके विपरेीत पजिस पश्चिमी लूहोग, प्रत्मशः डरे जतते
हैं| िे ऐरी जिस स्भत्ों कहो िठक कक्े जत्ने हेतु उनह में 'रमस्तओ सिं' के रूप म में देरते हैं| र सिंसकृत के विशतलू
ितएँगम् म में हम में, अव््िस्त त्त भिन्नतत रे भ्नपसिस्ट्ने के कई रनदि्म-र सिंिेदी एि सिं लूश चिीलूे तरेीके कदरतई पड़ते हैं|
्हतएँ रदत, रमतत एि सिं र सिंतुलू्न का की रहोज के रत् रत्, अव््िस्त के प्रभत रहजतत का की रहोज िी रेहती है|

दर
िपलू रेी ओ़रे, ज्नेभरर का की रृवष-विष्क कहतभ्न्ों औरे ्िपलू्नत्नी शतस्त्रों म में, इ्न दहो धुरे विरेहोधी जिस स्भत्ों के
र सिंघष्म म में, विज् रदत व््िस्त का की ही हहोती है| अव््िस्त तब पैदत हहोती है, जब म्नहोिैजतभ्नक एि सिं
रत सिंसकृभतक दृवष्ों रे, रतमतन्तमशः रमतज म में ऐरे दृगविष्ों कत अ्नुिि कक्त जततत है, जहो दृषत कहो आरत्नी
रे बदत्मशत ्नही सिं हहो पतते, जिस जरके कतरेण िसतुजिस स्भत कत र सिंजत्न लूे्नत ककि्न हहो जततत है| इर दशत कहो रह्न
करे्ने का की क्षमतत, व््वक्ति्ों एि सिं र सिंसकृभत्ों म में भिन्न भिन्न रीमतओ सिं तक हहोती है, लूेकक्न कुछ रमत्न
जिस स्भत्तएँ प्रत््क्ष कदरतई पड़ती सिं हैं| ितरेती् धतभम्मक र सिंसकृभत्ों के लूहोग भिन्नतत, अप्रत््तभशततत एि सिं
अभ्नजिस पश्चिततत कत रतम्नत, ज्तदत आरत्नी रे करे लूेते हैं, पजिस पश्चिमी लूहोगों के मुकतबलूे|

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पजिस पश्चिम, आ्वितर्नों एि सिं भ्नजिस पश्चिततत के भलूए तरेरतत है, ककरी हद तक इरभलू्े, क्िपलू सिंकक, ्ह ्त िह का की विरेहोधी
जिस स्भत्ों म में रे, एक कत श चि््न, उरकत हि है| पजिस पश्चिमी मजहब इरी जीि्न के बतद मुवक्ति ्त ्नरेकितर कत
आ्वितर्न देकरे, मृत््ु-ि् कत रमतधत्न देते हैं, जबकक धतभम्मक दृवष के अ्नुरतरे जीि कहो श चिेत्नत के श्नैमशः श्नैमशः
विकतर हेतु, विभिन्न घुमतिदतरे, अलूग अलूग मतग्षों रे श चिलूकरे, हततशतओ सिं एि सिं अलूग अलूग सतरे के
पररेित्म्नों कत, रूभश चि के अ्नुरूप अ्नुररेण करे्ने के भलू्े, कई जनम भमलूते हैं| ईरतई लूहोग, जहो ककरी रतर
भरद्धत सिंत (denomination) कहो मत्नते हैं, अकररे आ्ने ितलूे रम्त सिंत (End Times) एि सिं सिग्म जैरे कतलूे-
रफ़ैेद, सपष प्रत््तभशत पररेणतमों कहो पर सिंद करेते हैं| ऐरी अ््म-पिपलूण्म अभिकलप्नत म में, दष
ु तत कहो जड़ रे रमतप्त
करे्ने हेतु 'शैतत्न के विरुद्ध ्ुद्ध' कत आकष्मक उदेश्, उनह में रिपलूब िततत है|

लूेकक्न ितरेती् ब्रहत्ड विजत्न के अ्नुरतरे, कहोई 'अ सिंभतम ्ुद्ध' ्नही सिं हहो रकतत, क्िपलू सिंकक कहोई आरन्न पररेणतम
है ही ्नही सिं| हरे रृवष के अ सिंत के बतद, रदत एक ्नई रृवष कत जनम हहोतत है, जहो ब्रहत सिंडों का की एक अ्नत आश्रि सिंरलूत
म में एक हहोती है, जिस जरकत ्न कहोई आकद हैं ्न अ सिंत| एक अ्नतदी औरे अ सिंत सिंत ब्रहत्ड का की अिधतरेणत, अभधकत सिंश
पजिस पश्चिमी लूहोगों के भलूए ि्तिह है, जिस जनह में भ्नजिस पश्चित रीमतओ सिं का की आदत है - रम् कत आरे सिंि औरे अ सिंत, रृवष
कत आरे सिंि औरे अ सिंत, वप सिंड जहो रीभमत औरे पृ्क हैं , आकद| 'कम्म के बीजों के ्नतश' कत विश चितरे औरे इर
प्रकतरे वपछलूे रब कम्षों के प्रिति रे मुक्ति हहो्ने कत अ््म है - मत्निी् रतध्नत के मतध्म रे इरी जनम म में
आत्मजत्न प्रतप्त करे्ने का की र सिंिति्नत| ्हतएँ कहोई स्तई सिग्म ्त ्नरेक ्नही सिं है; उरी ितसतविकतत के अ सिंदरे, ्े
एि सिं ऐरी अन् अिस्तएएँ िी विद्यमत्न हैं| ्े क्रमशमशः, जकसिस्टलू ितिततीत लूहोक हैं, जिस जनह में 'सिग्म' एि सिं '्नरेक' के
रूप म में भश चिवतत कक्त जततत है| सिग्म अ्ित ्नरेक म में भ्नितर करे्नत, ककरी के भलूए िी, रदत अस्तई हहोतत है|
श चिेत्नत के सतरेों के अ्नुरतरे, ऐरे कई लूहोकों कत अजिस सतत्ि मत्नत जततत है| रिऑर्थोचश चि अिस्त म में, हम उर एक
परेम रत ् रे एकत्ि का की अ्नुििपलूभत करेते हैं, जिस जररे रिी कत उदि हुआ है औरे जिस जरम में रिी कत अ सिंततमशः,
विलू् हहो्नत है| ककरी कत ऐरे बहु-आ्तमी ब्रहत्ड म में पररेभ्रमण करे्नत, उरके भलूए व््गतत कत कतरेण ्नही सिं
ब्न रकतत, क्िपलू सिंकक अ सिंततमशः, हमतरेत सिरुप रत ्-भश चित-आ्न सिंद के रूप म में रुरेजिस क्षत है | लूेरक अब पतिकों कहो ्ह
देर्ने हेतु आम सिंवतत करेते हैं कक, ककर प्रकतरे पजिस पश्चिम, ्न केिलू अव््िस्त रे ि्िीत रेहतत है, बजिस लक िे उर
ि् कहो ितरेत एि सिं उरका की र सिंसकृभत के विरुद्ध ककर प्रकतरे प्रक्षेवपत करेते रेहते आ्े हैं|

ितरेती् 'अव््िस्त ' एि सिं पजिस पश्चिमी व््गतत : लूेरक के अप्ने भ्नजी अ्नौपश चितररेक भ्नरेीक्षण इर बतत का की पुवष
करेते हैं, कक अप्रत््तभशत जिस स्भत्ों म में ितरेती्, पजिस पश्चिमी लूहोगों के मुकतबलूे, अभधक रहज रेहते हैं| इरके
विपरेीत अभधकत सिंश पजिस पश्चिमी लूहोग रतमतन्तमशः, अप्रत््तभशत अ्ित विकेजिस न्द्रत जिस स्भत्ों रे ि्िीत रेहते हैं | हम
देर मेंगे कक, पजिस पश्चिमी लूहोगों का की ऐरी प्रिृवत्त्ों कहो प्रदभश्मत करे्ने हेतु ितसति म में कुछ अध्््नशीलू प्रमतण
उपलूबध है| जैरत भशकतगहो वि्विविद्यतलू् के दजिस क्षण एभश्तइ विष् के विदत्न लूहोइड एि सिं रुज़त्न रुडौलफ़ै बततते
हैं, 'ितरेत कहो ्कद पजिस पश्चिम का की दप्मण-छवि के रूप म में देरत जत्, तहो िह पतरेलूौककक, ितग्ितदी,
अरमत्नततितदी प्रतीत हहोतत है| ऐरत प्रतीत हहोतत है कक, हम अप्ने जैरे कमतरे हहो जत् मेंग,े कम इहलूहोकितदी,
भ्नपुण, रमततितदी एि सिं व््वक्तिितदी हहो जत् मेंगे ्कद ितरेती् जैरे िे हैं, उररे कम हहो जत सिं्'| कै्रेी्न मे्हो का की
पुसतक 'द फेर ऑफ मदरे इ सिंकड्त' - 'एक रफतई भ्नरेीक्षक का की ररेपहोसिस्ट्म' (a drain inspector's report), जिस जरे
महतत्मत गतएँधी ्ने ऐरत बतत्त ्त, औरे मध्-१९५० तक, जिस जरके कुलू रत्ततईर अमरेीक्न र सिंरकरेणों म में ढंतई
लूतर रे अभधक प्रभत्तएँ अकेलूे अमरेीकत म में ही वबक श चिुका की सिं ्ी सिं, ितरेत के विष् म में अमरेीकक्ों के विश चितरेों कहो
भ्नधत्मररेत करे्ने म में बहुत प्रितिशतलूी रेही| ऐरे वििरेणों ्ने ितरेती्ों का की छवि 'अ्नैभतक एि सिं अवि्विर्नी्'

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रूकढ़ितकद्ों का की तरेह गढ़ी| रतमतन् रूप रे अव््िस्त, ्नैभतक अभ्नजिस पश्चिततत एि सिं भ्नजिस षक्र्तत कहो अमरेीक्न
लूहोग, मदत्म्नगी का की कमी रे जहोड़ते हैं| ितिुकतत, ितरेती्ों का की मुख् विशेषतत के रूप म में मत्नी जतती है| रेौसिस्टरे
बततते हैं कक अमरेीका की विदेश ्नीभत रदत रे एक औरे एकमतत रत्् के प्रौसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट विश चितरे रे र सिंश चितभलूत हुई है|
इरभलूए ितरेत का की गुसिस्टभ्नरेपेक्षतत कहो, ्नैभतक अभ्नजिस पश्चिततत एि सिं रतपेक्षतत के उदतहरेण सिरूप देरत ग्त -
अ्त्मत, कह सिंद िपलू रही औरे गलूत म में िेद ्नही सिं करे रकते औरे ्न उरका की भश चि सिंतत ही िे करेते हैं| कह सिंद िपलू धम्म उरी
प्रकतरे रमस्तगसत है जैरे रतम्ितद:, इर भलूए, ्नैभतक भ्नजिस पश्चिततत का की कमी उ्नम में रेहती है, ्ह डलूेर के
विश चितरे ्े|

र सिंजत्न लूे्ने का की एभश्तइ एि सिं पजिस पश्चिमी र सिंसकृभत्ों का की भिन्न विभध्त सिं, अब िैजतभ्नक भ्नरेीक्षण के विष् ब्न
गए हैं| भमभशग्न वि्विविद्यतलू् के र सिंजत्नतत्मक विजत्न के शहोध कतत्म ररेश चिड्म भ्नसबैसिस्ट, जिस जनहों्ने इर विष् परे
अध्््न कक्त, बततते हैं कक, ितसति म में एभश्तइ लूहोग र सिंरतरे कहो, गहोरेे उत्तरेी अमरेीक्नों रे भिन्न तरेीकों रे
देरते हैं, औरे भ्नषकष्म भ्नकतलूते हैं कक एभश्तइ लूहोग रमरेरतत एि सिं जकसिस्टलू र सिंब सिंधों म में अभधक रहज रेहते हैं|
विर सिंड्न-ितदी पिपलूित्मगह, जहो पजिस पश्चिम के अ््म म में व््िस्त है औरे ितरेत के अ््म म में अव््िस्त है, ्ह ्नही सिं
रमझत पततत है, कक ितरेती् लूहोग कैरे विविध आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं म में भ्नषणतत हहो्ने के रत्, विजत्न,
व््िरत् एि सिं अभि्त सिंवतका की जैरे तक्मर सिंगत क्षेतों म में िी पतरे सिंगत हहोते हैं | ितरेती्ों का की तक्म शवक्ति कहो ही्न
घहोवषत करे्ने के उपरेत सिंत, पजिस पश्चिमी विदत्नों कहो उ्नका की विश चितरे पद्यभत्ों का की आश्रिेषतत कहो पिपलूरेी तरेह रे सिीकतरे करे्ने
म में ककि्नतई हहोती है, बतिजिपलूद इरके कक उ्न पद्यभत्ों कत पजिस पश्चिम परे प्रिति भ्नवि्मितद रेहत है| कफरे िी, बहु-
आ्तमी विभध-पिपलूि्मक रहोश चि्ने, रुभ्न्होज्न एि सिं अ्नुिि करे्ने परे आधतररेत रमकतभलूक ितरेती् दृवषकहोण,
पजिस पश्चिमी विश चितरेों का की हतलू का की कई महत्िपिपलूण्म रहोजों के मिपलूलू म में रेहत है, जिस ज्नम में रजिस ममभलूत है जत्न-मीमत सिंरत के
भरद्धत सिंत के रूप म में 'र सिंरेश चि्नतितद' का की रहोज, एक ऐरी विभध, ितषतओँ-रमतजों, दहो्नों के अध्््न म में रमत्न रूप
रे जिस जररे, क्रतजिस नतकतरेी पररेित्म्न हुआ है| जैरत कक ररेश चिड्म लूे्नॉ् कत भ्नषकष्म है: 'रहज-जत्न रे आकृभत्ों का की
पहश चित्न एि सिं रमकतभलूक र सिंजत्न (दहो्नों र सिंरेश चि्नतितद के पहलूिपलू) कहो 'अिैजतभ्नक अततकक्मकतत' बतत करे उरे हे्
करेतरे दे्नत, एक दि
ु त्मग्पिपलूण्म गलूती है, विशेषकरे ितरेत जैरे रमतज के भलूए, जिस जरका की प्रभतित कहो, ्द्यवप लू सिंबे
रम् रे ही 'पुरेतत्न' बद्नतम देकरे कलू सिंककत कक्त ग्त, औरे जिस जर्ने पजिस पश्चिम का की अ्नुक्रभमक तक्म्ुक्ति श चिरेण-
दरे-श चिरेण एकरेेरी् विकतर-पद्यभत के मुकतबलूे, अप्नी रहोश चि का की आश्रिेष्ठतत कहो लूगतततरे प्रदभश्मत कक्त है, औरे
जिस जरे अब वि्वि िरे म में पु्नमशः प्रभतष्ठत प्रतप्त हहो िी रेही है'|

अव््िस्त के प्रभत ितरेती् रहजतत : र सिंजत्न लूे्ने के मतमलूे म में ितरेती् धम्षों कत लूश चिीलूतप्न, ककरी हद
तक उ्नके दतरेत आधतरेििपलूत एकतत एि सिं र सिंदि्म कहो महत्ि कदए जत्ने रे है| मिपलूलू रूप रे रिी कुछ परेसपरे जुड़े
हुए मत्ने जतते हैं, इरभलूए बहुलूतत रे ि्िीत ्न हहोकरे, उरम में रहज रेह्नत उ्नके भलूए सितितविक है| 'एकतत
हम में रेश चि्नी श चितकहए, लूेकक्न रमरूपतत जरूरेी ्नही सिं', आश्रिी अरेविनद ्ने भलूरत औरे िे आगे कहते हैं - 'प्रकृभत
अ्न सिंत विभशषीकरेण कत आ्न सिंद लूे रकती है' क्िपलू सिंकक 'शत्वित अपररेित्म्नी्तत' दतरेत प्रदत्त, 'रुरेजिस क्षत आधतरे' रदत
अप्रितवित रेहतत है| व््िस्त-अव््िस्त के बीश चि इरी प्रकतरे के प्रितही औरे परेसपरे-र सिंबद्ध ररेशतेदतरेी ्ने ितरेत
का की रतमतजिस जक, रेतज्नैभतक एि सिं ्नतगरे र सिंरेश चि्नतओ सिं कहो आकतरे कद्त है| उपभ्निेशकतलू रे लूेकरे आजतक, जिस जर
बतत ्ने कई पजिस पश्चिभम्ों कहो श चिककत कक्त है, िह है ्हतएँ परे सिंपरेतगत ितरेती् रमतज का की विकेजिस न्द्रत, सिर सिंश चितलू सिं
का की प्रकृभत| ्ह विकेजिस न्द्रत र सिंरेश चि्नत बहुत भिन्न है, पजिस पश्चिम कहो पर सिंद, रमरूपतत, क में्द्री्कृत-प्रतभधकतरे एि सिं
भ्न् सिंवतत व््िस्त रे| ितरेती् र सिंसकृभत म में, जिस स्रे आदश्षों एि सिं आशु-रेश चि्नत के बीश चि गत्तत्मक ररेशतेदतरेी हहो्ने

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रे रज्म्नतत्मकतत, फलूती-फिपलूलूती रेही है| ितरेती् कलूत म में एकत्ि तहो है, लूेकक्न िह एक ही प्रकतरे के आकतरेों
का की पु्नरेतिृवत्त ्नही सिं है; िह अ्नेकतत म में एकतत है| ्ह प्रकरेण ितसतुकलूत, कवितत, र सिंगीत, मिपलूभत्मकलूत - रश चिमुश चि
कह सिंद िपलू जीि्न-पद्यभत के रिी कलप्नी् आ्तमों म में पररेलूजिस क्षत हहोतत है| ितरेती् आध्तजिस त्मक लूश चिीलूेप्न कहो
्तदृजिस चछकतत (म्नमत्नतप्न), छलू अ्ित प्रररेतत कत अिति रमझ्ने का की ग़लूती ्नही सिं का की जत्नी श चितकहए: न्त्
शतस्त्र म में ककरी भरद्धत सिंत कहो स्तवपत करे्ने हेतु पत सिंश चि विभध्ों रे परेीक्षण आिश्क हहोतत है; मीमत सिंरत म में रतत
भरद्धत सिंतों के आधतरे परे ककरी रमस्त कत भ्नधत्मरेण हहोतत है; र सिंसकृत म में िैजतभ्नक गन् भलूर्ने हेतु 'त सिंत-्ुवक्ति'
्नतम का की तक्नीक में प्र्होग का की जतती सिं हैं ; औरे प्रभतसपभध्म्ों रे ितद-विितद करे्ने हेतु विविध स्तवपत विभध्तएँ
हहोती सिं हैं| पजिस पश्चिम म में प्रश चिभलूत दतकह्ने-मजिस सतषक का की व््िस्तत्मक-रहोश चि के रत् ितरेती् इभतहतर म में बत सिं्े-
मजिस सतषक का की रज्म्नतत्मक-रहोश चि प्नपती रेही है, औरे इ्न दहो्नहो कत आपरी त्नति, ितरेत का की विविध
रत सिंसकृभतक र सिंरेश चि्नतओ सिं म में प्रकसिस्ट हहोतत रेहत है|

पति्न क्त्नक : िेदों औरे उपभ्नषदों म में, त्त र सिंसकृत के विशतलू ित सिंगम् म में, हम रमतत एि सिं र सिंतुलू्न का की
रहोज म में रेत, अव््िस्त औरे भिन्नतत के रमतधत्न हेतु, अव््िस्त के प्रभत पिपलूरेी जतगरूकतत के रत्, कई
रनदि्म-र सिंिेदी एि सिं लूश चिीलूी कत््म विभध्तएँ देर पतते हैं| जे्नभै रर का की रृवष विष्क कहतभ्न्ों त्त ्िपलू्नत्नी शतस्त्रों
म में, अव््स्त एि सिं व््िस्त के दहो ध्रुिों के बीश चि एक रतत ्ुद्ध श चिलूतत रेहतत है, जिस जरम में जीत रदत व््िस्त
का की ही हहो्नी हहोती है| पजिस पश्चिम का की र सिंसकृभत एि सिं उ्नके म्नहोविजत्न के आधतरेों म में, व््िस्त का की इर प्रकतरे का की,
अिश्मितिी जीत का की र सिंरेश चि्नत ही इर कदरे गहरेतई रे छतई हुई है, कक इर बतत कत ित्न, पजिस पश्चिभम्ों कहो
सि् सिं रे हहो्नत बहुत ककि्न है, जब तक कक ्ह बतत ककरी दर
ु रेे के दतरेत उनह में बततई ्न जत्|

िेद: िैकदक रतकहत्् म में, कई आख्त्न आते हैं जहो रृवषकतत्म प्रजतपभत दतरेत ऐरे ब्रहत्ड का की रेश चि्नत के वििरेण
देते हैं, जिस जरम में व््िस्त एि सिं अव््िस्त का की दहो शवक्ति्ों कहो र सिंतुलू्न म में रेकरत जत रकेगत - अ्त्मत, उरम में
अ सिंतर्ममबद्धतत तहो हहो्नी हहोगी, कफरे िी, उर अित सिंभछत अिस्त रे बश चिे रेह्नत िी आिश्क हहोगत, जिस जरम में रृवष
सिस्टुकड़ों म में बसिस्टती ्त अरेतजकततपिपलूण्म जिस स्भत म में ही रेह जतती| प्रजतपभत रमझते हैं कक ्ह रमपिपलूण्म जीि्न,
अभतविभशष भिन्नतत एि सिं अभत रमरूपतत के दहो विपरेीत अभतक्रमी ध्रुिों के बीश चि, र सिंतुलू्न का की जिस स्भत म में रेह्नी
श चितकहए| अ सिंततमशः, उनह में 'ब सिंधुतत' ्नतम का की रमत्नतत का की शवक्ति के मतध्म रे ऐरे ब्रहत्ड का की रृवष कहो रेश चि्ने म में
रफलूतत भमलू ही गई, जिस जर परे अध्त् ३ म में विसततरे रे िण्म्न है | ््त््म के विभिन्न लूहोकों म में परेसपरे
र सिंब सिंधों का की रहोज के प्र्तरों के अ्नेक वििरेण िेदों म में भमलूते हैं औरे रिपलूत रूप म में ्ही भरद्धत सिंत िैकदक विश चितरे
ित सिंगम् एि सिं ्नैभतक र सिंितद म में व््तप्त हैं| श चिेत्नत औरे रज्म्नतत्मकतत के क्षीरे-रतगरे कत म सिं््न, अ्त्मत रमु्द्र-
म सिं््न, एक ऐरत आख्त्न है जहो रिी ितरेती् धम्षों का की परे सिंपरेतओ सिं म में विशेष स्त्न रेरतत है, औरे ्ह
प्रदभश्मत करेतत है कक ककर प्रकतरे दहो विपरेीत ध्रुिों, एक ओ़रे व््िस्त के प्रतीक देिततओ सिं त्त दर
िपलू रेी ओ़रे
अव््िस्त के प्रतीक अरुरेों के बीश चि शत्वित, एक र सिंघष्म श चिलूतत रेहतत है, जहो र सिंघष्म हरे व््वक्ति के अ सिंदरे िी
श चिलूतत रेहतत है| इर आख्त्न कहो अक्षरेशमशः रत्् मत्न्ने कत इरेतदत ्न हहोते हुए िी, इर बतत का की ओ़रे ्ह
ध्त्न कदलूततत है कक दहो्नों विपरेीत अिस्तओ सिं, व््िस्त त्त अव््िस्त के बीश चि र सिंतुलू्न के उपरेत सिंत, उ्नके
पतरे जतकरे उनह में अ सिंततमशः, आध्तजिस त्मक अ्नुििपलूभत का की अिस्त के अधी्न ही रेह्नत है| व््िस्त कहो जड़ ्न ब्न्ने
दे्ने हेतु अव््िस्त, रज्म्नतत्मकतत कत आश्रिहोत ब्न्ने कत कतम करेती है| अजिस सतत्ि (रत ्) ्न केिलू अरत परे
कसिस्टकत हुआ है, ्े दहो्नों ध्रुि आपर म में घभ्नषतत औरे रकक्र्तत रे ब सिंधे हुए िी हैं| िगित्न आश्रिीकृषण कत मतधु््म
िति जहो कदव्् प्रेम का की अभिव््वक्ति के विष् म में है, कहो व््िजिस स्त अ्नुशतर्न (िगित्न आश्रिीकृषण कत दर
िपलू रेत

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रूप) के प्रतीक बुवद्ध, रे आश्रिेष्ठ मत्नत ग्त, ्त्नी, 'व््िस्त का की जिस स्भत' रे िी बढ़करे प्रेम का की अिस्त है|

परेसपरे भ्नि्मरेतत कत ब सिंध्न, जहो मिपलूलू रूप म में ब सिंधिपलू का की िैकदक अिधतरेणत ही है, ब्रहत्ड का की आधतरेििपलूत एकतत कहो
बत सिंधती है| िैकदक ्ज एक कत््मशतलूत है, जिस जरम में ऐरे ब सिंधुओ सिं कहो ढंतलूत जततत है, जहो व््िस्त म में अव््िस्त
के विलू् कहो र सिंिि ब्नततत है| ऋगिेद म में, एक विलूक्षण अ सिंतदृ्मवष प्रसतुत है, जहो प्रकृभत के भ्न्तमक रिपलूत के
रूप म में, ब्रहत सिंडी् व््िस्त एि सिं लू् कहो 'ऋतम ्' के र सिंबहोध्न रे पररेलूजिस क्षत करेती है, जिस जरके दतरेत प्रत््ेक िसतु
कहो उरका की प्रकृभत एि सिं गभत प्रदत्न का की गई है त्त रिपलूक्षम एि सिं स्िपलूलू के बीश चि र सिंतुलू्न कत्म है| पजिस पश्चिम ्ने
जिस ज्न महत्िपिपलूण्म क्षेतों कहो, दैिी औरे लूौककक (sacred and secular) कहो, सििति औरे प्रकृभत कहो, आपर म में
अलूग करे कद्त है, उ्नके बीश चि 'ऋतम ्' रेतु कत कतम करेतत है|

बतइवबलू औरे ्िपलू्नत्नी देिक्तएएँ : बतइवबलू रृवष-क्तएएँ त्त ्िपलू्नत्नी-आख्त्न, व््िस्त कहो अव््िस्त के
मुकतबलूे, विशेषतभधकतरे प्रदत्न करेते हैं| जे्नैभरर का की रृवष क्तओ सिं म में (अध्त् १-२), उदतहरेण के भलूए,
परेमे्विरे रतरेे ब्रहत्ड का की रृवष शिपलून् रे एक ही बतरे म में करे डतलूते हैं, जिस जरम में रिी परेसपरे विरेहोधी जहोड़े
शतभमलू रेहते हैं| परेमे्विरे प्रकतश औरे अ सिंधकतरे के कद-विभधक (binary) िग्षों कहो स्तवपत करेते हैं| पजिस पश्चिमी
भश चि सिंत्न म में जहो विशेषततएएँ हैं, अभधकतरे िे ्ही सिं रे शुरू हहोती सिं हैं: असपषतत एि सिं भ्नरेतकतरेत्ि के मुकतबलूे कद-
विभधक एि सिं विभशष वििेदों कहो विशेषतभधकतरे कद्त जत्नत, ररेवक्ति-रतलूीप्न रे र सिंततर कत िति, रतमतन् स्त्न-
कतलू रततत्् (normal space-time continuum) रे देित्ि का की र सिंकलप्नत कहो भिन्न एि सिं वबलूकुलू बतहरे
मत्न्नत| ्हतएँ मत्नि कहो ई्विरे के, िलूे-बुरेे पेड़ (tree of knowledge) के फलू ्न रत्ने के भ्न्म कत पतलू्न
करे्नत हहोतत है| जब िी आदम औरे हव्ित इर भ्न्म कत उललू सिंघ्न करेते हैं , तब ही उनह में हहोश आतत हुआ
प्रतीत हहोतत है, औरे उ्नका की श चिेत्नत म में पतप कत बहोध कोंधतत है| उनह में अश चित्नक पतत श चिलूतत है कक िे ्नग्न हैं
औरे िे इ्विरे के रतम्ने शम्मरतरे हहो जतते हैं , औरे इ्विरे रे ्ह शम्म एि सिं दरेिपलू ी कत िति, उ्नम में ि् म में बदलू
जततत है| ईरतइ्त का की रब रे अभधक प्रश चिभलूत, ्ह आदम औरे हव्ित का की क्त, बतइवबलू म में केन्द्री् कत्निपलू्नी
स्त्न रेरती है औरे आम तौरे परे (्द्यवप हमेशत ्नही सिं) अक्षरेशमशः, रत्् मत्नी जतती है, जबकक प्रजतपभत कत
रृवष-विष्क क्त्नक, इत्नत प्रश चिभलूत ्नही सिं है औरे ्न ही उरे अक्षरेशमशः रत्् ही मत्नत जततत है|

कह सिंद िपलू धम्म म में ककरी बतहरेी शैतत्न ्त ईरत-विरेहोधी जैरी शवक्ति का की र सिंकलप्नत ्नही सिं है| ्ह वि्वि-दृवष, अधम्म का की
अ्नदेरी ्नही सिं करेती लूेकक्न ्ह रलूतह अिश् देती है कक, शुि औरे अशुि अप्ने अ सिंदरे ही हहोते हैं औरे ककरी
बतहरेी भ्न् सिंतण के वब्नत, अप्नी श चिेत्नत कहो उन्नत करे्ने रे ही शुि ि अशुि दहो्नों रे ऊपरे उित जत रकतत
है| रेतज्नैभतक सतरे परे, उदतहरेण के भलूए, प्रभतद सिंदी रेतष्ट्रों कहो किी िी इर प्रकतरे र सिंबहोभधत ्नही सिं कक्त जत्ेगत
जैरे, 'शैतत्न कत रतमतज्' (रेतष्ट्रपभत रेीग्न जैरे रहोवि्त रूर कहो र सिंबहोभधत करेते ्े) ्त ककरी 'शैतत्नी धुरेी'
(रेतष्ट्रपभत जौज्म बुश जैरे अमरेीकत के भलूए रतरे्नतक मत्ने जत्ने ितलूे रेतष्ट्रों कहो र सिंबहोभधत करेते ्े)| बुरेतई रे
र सिंघष्म बतहरेी ्नही सिं आत सिंररेक है, ्ही भश चिवतत करेते हैं ितरेती् आख्त्न, जिस ज्नम में बतहरेी शतु कत ्नतश ्न करे
देितत विष पी जतते हैं | र सिंिितमशः, क्रतईससिस्ट के दर
िपलू रेे आगम्न कहो इ सिंभगत करे्ने ितलूी इरी प्रकतरे का की क्त,
'रेहस्होद्तसिस्ट्न का की ककततब' म में देर्ने कहो भमलूती है, जिस जरम में िे शैतत्न कहो एक प्रत््क्ष ्ुद्ध म में हरेत्ने के बजत्,
पश चित लूेते हैं| लूेरक के अ्नुरतरे ्ह कह्ने का की आिश्कतत ्नही सिं, कक ऐरे विश चितरे का की र सिंिति्नत उ्नका की एक
कलप्नत मतत है, क्िपलू सिंकक ्हिपलूदी त्त ईरतइ्त के भलूए 'िलूे ब्नतम बुरे'े का की दैतितदी रहोश चि परेम भरद्धत सिंत है|
इरी प्रकतरे ्िपलू्नत्नी र सिंसकृभत म में, उदतहरेण के भलूए, व््िस्त एि सिं प्रकतश कत आकतशी् देितत जिस जउर,

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अव््िस्त त्त अ सिंधकतरे के अव््िजिस स्त एि सिं असपष देिततओ सिं, सिस्टतइसिस्टे्नों कहो पिपलूरेी तरेह रे उरतड़ फैंकतत है|

र सिंदि्मगत ्नैभतकतत : ्नैभतकतत के क्षेत म में विविधतत एि सिं रिपलूक्षम वििेदों के बतरेे म में पजिस पश्चिमी लूहोग विशेष रूप रे
अरहज हहो जतते हैं| उनह में, ितरेती् धतभम्मक ्नैभतकतत, अरेतजक, आिेगशीलू, अततकक्मक एि सिं भरद्धतनतही्न प्रतीत
हहो रकती है| पजिस पश्चिभम्ों कहो सपष ्न कदर्ने ितलूे, ्नैभतकतत-विष्क भरद्धत सिंत एि सिं अ्नुशीलू्न, लूेकक्न धम्म का की
रममतन् परे सिंपरेतओ सिं म में रजिस ममभलूत हैं| रतर पररेजिस स्भत त्त रमस्त के रनदि्म के अ्नुरूप ही, धतभम्मक
्नैभतकतत इर प्रकतरे भ्नधत्मररेत है, जहो पजिस पश्चिमी ्नैभतकतत कहो जरुरेत रे ज्तदत विभधबद्ध-किहोरे-अश चिलू त्त
एकत सिंगी कदरतती है| अप्ने प्रितिी भ्नब सिंध "विश चितरे करे्ने का की क्त ितरेती् विभध िी है?” म में, ए.के.रेतमत्नुज्न
'रनदि्म-मुक्ति' एि सिं 'रनदि्म-र सिंिेदी' जैरी शबदतिलूी कत प्र्होग, ्नैभतकतत परे पजिस पश्चिम एि सिं ितरेत म में प्रश चिभलूत
दृवषकहोण के अ सिंतरे कहो कदरत्ने हेतु करेते हैं| इ्न दहो प्रिृवत्त्ों के अप्ने अप्ने रतमतजिस जक एि सिं रेतज्नैभतक
भ्नकहतत््म भ्नकलूते हैं| रनदि्म-मुक्ति विश चितरे-पद्यभत, ऊपरे-रे-्नीश चिे पररेश चितभलूत, क में्द्री्कृत-शतर्न एि सिं भ्न्म्न
पद्यभत का की भ्न्म-बद्ध व््िस्त रु्नुजिस पश्चित करे्ने के भलूए, कद-विभधक िग्षों एि सिं तक्म, इभतहतर-क में्द्रीक कतलू-क्रमों
ि विविध कत्निपलू्नों कहो मत्नती है जहो सिस्टीमों-के-प्रभशक्षण, जैरे रे्नत, विक्रा की जैरे विितगों ्त भमश्नररे्ों हेतु,
विविध भ्न्मों के मतध्म रे उप्होगी हहोती है|

दर
िपलू रेी ओ़रे धम्म म में, रुलूेप्न के ितिरे रे, जकसिस्टलू ्नैभतक प्रश्नों के विविध रमतधत्न, रनदि्म के अ्नुरूप त्
हहोते हैं| ्नैभतक प्रश्नों के स्त्नी् रनदि्म के भ्नधत्मरेण हेत,ु िौगहोभलूकतत कत ध्त्न रेरते हुए, उ्न विविध
पहलूुओ सिं परे िी विश चितरे हहोतत है, जैरे 'आआश्रिम धम्म' (बश चिप्न, गृहस्ी, ित्नप्रस्, रन्तर आकद विष्क), 'िण्म-
धम्म' (व््िरत् विष्क), 'जतभत-धम्म' (रमुदत् विष्क), 'सििति-धम्म' (व््वक्ति-प्रकृभत विष्क), एि सिं
'सिधम्म' (जीि्न के उदेश् विष्क) के रत् रत् 'रतमतन्-धम्म' (रब के भलू्े औरे रदत के भलूए)| विशेष
पररेजिस स्भत्ों म में िी उभश चित कत््मितही के भलूए 'आपद-धम्म' कत भ्नदिर्देश धम्म देतत है, श चितहे िह रतमतन्
पररेजिस स्भत म में अमतन् ही क्ों ्न हहो| रब परे लूतगिपलू हहो्ने ितलूे एकछत भ्न्म कत अिति ही रदत ितरेती्
जीि्न का की बहुलूतत कत आधतरे रेहत है| ्नीभत्ों के प्रमुर र सिंकलूक औरे भ्नभतशतस्त्र म में भ्नपुण, प्रतश चिी्न ितरेत के
प्रख्तत ऋवष म्नु ्ने, ्नैभतकतत के विष् म में सपष भ्नदिर्देश कद्े, कक प्रशतरक कहो धम्म के रनदि्म -र सिंिेदी हहो्ने
कत ध्त्न रेर्नत श चितकहए| ्नैभतक रतपेक्षतत कत जहो आरेहोप, इर र सिंदि्म-र सिंिेदी ्नैभतकतत परे लूगत करेतत है, िह
गलूत है, क्िपलू सिंकक ्नी्त औरे उरके पररेणतम-सिरुप अ सिंततमशः हहो्ने ितलूे व््िहतरे के आधतरे परे ही, ्नैभतक
भ्नण्म्ों कत मिपलूल्त सिंक्न कक्त जततत है| ककरी कहो आहत ्न करे्नत - अकह सिंरत आदश्म है एि सिं रत््, परेम धम्म|
र सिंदि्मगत ्नैभतकतत, रतमतन्-धम्म के पहोषण हेतु औरे उरके अधी्न रेहकरे, व््वक्ति-विशेष कहो मतग्म-दश्म्न देती
है| इ्न दहो सतरेों के बीश चि रमबनध, कद-ध्रुिी् (दहो्नों म में रे एक कत विकलप) ्नही सिं हहोकरे, रत्् कहो हरे रम्
दहो्नों सतरेों परे एक रत् देर्ने ितलूत हहो्नत श चितकहए, जबकक पहलूी विभध दहो्नों सतरेों के बीश चि सित््म के आधतरे
परे भ्नण्म् करे्ने का की छिपलूसिस्ट देती हुई कदर रकती है (घहोरे तमर का की अिस्त म में)| रदत इर प्रकतरे, रनदि्म-
र सिंिेदी (रतपेक्ष) धम्म कत पतलू्न करेते हुए रनदि्म-मुक्ति (िैजिस ्विक) धम्म कत िी ध्त्न रेकरत जततत है| व््वक्ति का की
श चिेत्नत का की रतजिस त्िक अिस्त म में ही जहो करे्नत र सिंिि है, िह धम्म का की रिऑर्थोत्तम अभिव््वक्ति है औरे ्ही उरकत
सिधम्म है, जहो व््वक्ति-विशेष के भलूए पररेजिस स्भत-विशेष के अ्नुरतरे ऐरे रतजिस त्िक व््वक्ति दतरेत सि् सिं त् कक्त
जततत है, जबकक ततमभरक एि सिं रेतजभरक प्रिृवत्त के व््वक्ति्ों के भलूए हरे पररेजिस स्भत के अ्नुरूप र सिंकहतत -बद्ध
भ्न्म ब्ने हुए हैं|

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अ सिंतहोभ्न्हो द भ्नकहोलूर, एक दतश्मभ्नक जिस जर्ने कई दशकों तक धतभम्मक परेमपरेतओ सिं कत अध्््न कक्त, िे
बततते हैं कक धम्म म में भ्नकहत ्नैभतकतत वबलूकुलू ही भिन्न प्रकतरे का की है, जहो बतहरेी भ्न्मों एि सिं ऐभतहतभरक
रेहस्होद्तसिस्ट्नों परे भ्नि्मरे वबलूकुलू ्नही सिं करेती, औरे भलूरते हैं: - 'ककरी व््वक्ति दतरेत ित्ममत्न के अ्नुरूप,
धमत्म्नुरतरे भ्नण्म्, रही एि सिं वििेकपिपलूण्म भ्नण्म् लूे्ने का की तक्नीकों कत अभ््तर ही कौशलू हेतु प्रभशक्षण
कहलूततत है...जहो ऋगिेद कतलू रे ितरेती् शतस्त्रों म में व््क्ति है: ्हतएँ भलूए गए भ्नण्म् का की ्नैभतकतत परे जहोरे है,
बजत् बतहरेी भ्न्मों के तहत भ्नण्म् लूे्ने का की ्नैभतकतत परे'| उ्नकत भ्नषकष्म है कक, भ्नण्म् लूे्ने का की ऐरी
पद्यभत (कतत्म ि दर
िपलू रेे के बीश चि अ्नुब सिंध के अ्नुरतरे, तक्म्ुक्ति-अ्न््मक बततों एि सिं कदरतिसिस्टी 'रत्् तलूतश्ने'
हेतु...), जहो इर ओ़रे रमवप्मत भशक्षत-पद्यभत के कतरेण ऐरी ब्नी है, कैरे रमतज कहो प्रितवित करेती है: ्ह
उरी कत प्रभतफलू है| पजिस पश्चिम ्ने अप्ने लूहोगों कहो अ्नुबधों के अ्नुरूप कत््म करे्ने हेतु प्रभशजिस क्षत कक्त है - ्ह
रत्् है, ्ह भमथ्त है - लूेकक्न इ्न रब पजिस पश्चिमी लूहोगों म में जकसिस्टलू पररेजिस स्भत्ों म में उभश चित भ्नण्म् लूे्ने का की
क्षमतत कत अिति है, जहतएँ उ्नके रतम्ने विविध विपलप हहोते हैं, औरे जहतएँ उ्न पररेजिस स्भत्ों के भ्नरेीक्षण हेतु
उनह में, अप्नी बुवद्ध का की आिश्कतत िी हहो रकती है|
प्रतर सिंभगक एि सिं गैरे-भ्नदिर्देशतत्मक ितरेती् रमतज त्त भ्नदिर्देशतत्मक पजिस पश्चिमी रमतज के बीश चि कुछ भिन्नततएएँ
"विभिन्नतत " के पृष्ठ २३१ परे औरे 'Being Different' के पृष्ठ २०१ परे उपलूबध ततभलूकत म में सपष का की सिं गई हैं|

रौंद््मबहोध , ्नैभतकतत एि सिं रत्् : भिन्नतत एि सिं अव््िस्त के प्रभत पजिस पश्चिभम्ों का की व््गतत कहो देरते हुए,
इरम में आपश्चि््म क्त, कक िे ितरेती् रौंद््मबहोध रे िी श चिककत एि सिं व््तकुलू हहो जतते हैं| पजिस पश्चिमी र सिंसकृभत
'गहोरेेप्न', बततश चिीत एि सिं व््िहतरे म में िहोलूेप्न, त्त एक सपष एि सिं पु्नरेतिृवत्त-्होग् कलूत का की र सिंरेश चि्नत, कहो
विशेषतभधकतरे देती है, जबकक धतभम्मक दृवषकहोण रत सिंिलूतप्न, गिपलूढ़तत, रुशीलूतत, आशु-रेश चि्नत एि सिं रेहस् कहो पर सिंद
करेतत है| आगे, पलूिपलूसिस्टहो रे जुड़्ने के बतद रे ही, पजिस पश्चिम ्ने अचछतई, रत्् एि सिं रौंद््म के ती्न मिपलूलूििपलूत मिपलूल्ों
कहो पकका की तरेह रे जुड़े हुए देरत, जिस जरके कतरेण जहो 'रु सिंदरे' है, उरे 'अचछत' हहो्नत श चितकहए, औरे इर कतरेण
'रत््' िी|

इरके विपरेीत, ितरेती् मत्नर म में, रत््, अचछतई एि सिं रौंद््म परेसपरे वबलूकुलू भिन्न हैं, औरे प्रत््ेक मिपलूल्
एक-दर
िपलू रेे रे, अपेक्षतकृत सित सिंत रूप रे पररेश चितभलूत है| र सिंसकृत पद 'रत््म-भशिम-रुनदरेम' म में रत्् प्रमुर है,
औरे 'िलूे' औरे 'रुनदरे' रे िह प्रबलू िी है| ्ह जरूरेी ्नही सिं है कक रौंद््म औरे अचछतई का की उपजिस स्भत कत
अ््म, रत्् का की उपजिस स्भत िी दशत्म्नत है, ्न ही ऐरत ही है कक रौंद््म कत अिति, अरत्् ्त ्नैभतक भ्रषतत कहो
इ सिंभगत करेतत है| इर प्रकतरे, ्नसलूी्-रूढ़ीबद्ध रहोश चि के आधतरे परे रत सिंिलूे लूहोगों के विष् म में प्रश चितरे हेतु, ऐरत
रूढ़ विश चितरे स्तवपत करे, उनह में ्नीश चि बतत्ने के भलूए, बतइवबलू आधतररेत ईरतई मत्शतस्त्र एि सिं ्िपलू्नत्नी प्रिति जहोड़े
गए| अन् र सिंसकृभत्ों के मिपलूल्त सिंक्न के ्नए आधतरे स्तवपत करे्ने हेतु, पविततत त्त विभशष ि सिंशतिलूी-
विष्क ईरतई ररेहोकतरेों के रत् रु सिंदरेतत एि सिं रौंद््मबहोध के ्िपलू्नत्नी मतपद सिंड प्र्होग कक्े गए, जिस ज्न र सिंसकृभत्ों
कहो अकररे कुरूप, अरभ््, ि सिछनद-रमिहोगी - औरे उ्नके देिततओ सिं एि सिं प्रतीकों कहो विषम, असपष,
डरेति्नत त्त ्हतएँ तक, हतस्प्रद िी करेतरे कद्त ग्त| ्े पिपलूित्मगह ककत्ने ही ्नतरमझ एि सिं भ्नरे््मक आज क्िपलूएँ
्न मत्ने जत सिं्, लूेकक्न पजिस पश्चिम के रत् गैरे-गहोरेे लूहोगों का की भिड सिंत परे, इ्नकत बड़त ही जहरेीलूत प्रिति पड़त है,
जहो आज तक िी पजिस पश्चिमी रहोश चि एि सिं दृवषकहोण कहो, ितरेत एि सिं ितरेत के लूहोगों के प्रभत रतही औरे गह्न, दहो्नों
तरेीकों रे प्रेररेत करेतत है, औरे पजिस पश्चिम का की परेम कह सिंरतत्मक एि सिं आक्रतमक, िश चि्मसि का की पररे्होज्नतओ सिं कहो उ्नके
विरुद्ध अनजतम देतत रेहतत है|

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रौंद््म कत रत्् एि सिं अचछतई, औरे ती्नहो कत पजिस पश्चिमी रभ््तत के रत् रतहश चि््म, उ्नके लूौककक विश चितरे म में िी
प्रकसिस्ट हहोतत है| ितरेत के लूहोगों परे कैंसिस्ट (Kant) ्ने, उदतहरेण के भलूए, उ्नका की कलूत एि सिं धतभम्मक रौंद््मबहोध के
आधतरे परे हललूत बहोलूत, जिस जरे उर्ने 'विकृत' मत्नत| बहुत शीघ्र हम इ्न दृवषकहोणों के कुछ पुरेत्ने वििरेणों परे
विश चितरे करे मेंगे, रतर तौरे परे, ईरतई मत्शतस्त्र म में उ्नका की जड़ों एि सिं इर मत्शतस्त्र के ्िपलू्नत्नी मिपलूल्ों रे विलू् के
फलूसिरूप जहो हुआ| अदतलूत म में उपजिस स्त हहो्ने के भलूए, पजिस पश्चिमी िका कीलू अप्ने मुिजिस ककलूों कहो औपश चितररेक
िेशििपलूषत एि सिं अप्ने बतलूों कहो सिचछ त्त तरेतीब रे ब्नत्ने का की रलूतह देते हैं, क्िपलू सिंकक आप कैरे कदरते हैं, ्ह
आपका की ्नैभतकतत एि सिं रत््ितकदतत प्रदभश्मत करेतत है| 'अव््िजिस स्त व््िहतरे' जुम्म हहो्ने त्त 'अव््िजिस स्त'
रौंद््मबहोध के कतरेण, कई वबलूकुलू भ्नदऑर्थोष व््वक्ति पजिस पश्चिम म में कदककत म में पड़ श चिुके हैं|

अ्विेत विदत्नों ्ने प्रदभश्मत कक्त है कक ककर प्रकतरे अ्विेत रौंद््मबहोध कहो अकररे, दष
ु तत एि सिं अततकक्मकतत रे
जुड़त हुआ कदरत्त जततत है, औरे ककर प्रकतरे ्ह उर अिधतरेणत कहो बलू देतत है कक, गहोरेे लूहोग िलूतई एि सिं
रत्् के रेक्षक हैं| जहो िी हहो, उदतहरेण के भलूए, जैरे ही एजिस लिर प्रेरलूे ्ने अ्विेत र सिंगीत का की ्नक़लू करे उरे
गहोरेे आश्रिहोततओ सिं के रमक्ष प्रसतुत कक्त, िह ्विेत र सिंसकृभत म में रमत्होजिस जत हहो ग्त, औरे तब िह अरेतजक त्त
रतरे्नतक ्नही सिं रेहत| अफा कीक्न-अमरेीक्नों कहो रतधुितद, कक उ्नके प्र्तरों रे रति्मजभ्नक म सिंश चि परे ्नैभतकतत एि सिं
गहोरेेप्न के बीश चि का की र सिंगभत कहो श चिु्नौती दी गई है, श चितहे ्ह अिी िी दृढं है औरे ्नुकरत्न पहु सिंश चितती रेहती है|

बतइवबलू कत उप्होग कुछ ्नसलूों ्त ि सिंशतिभलू्ों के दम्न कहो उभश चित िहरेत्ने हेतु कक्त ग्त ्त, जिस जनह में
त्तकभ्त ्नैभतक-अधमतत कत दहोषी मत्न भलू्त ग्त हहोगत| र सिं १५१७ औरे १८४० के दौरेत्न कहोई दहो करेहोड़
अ्विेत, अफा कीकत म में पकड़े गए औरे अमरेीकत कहो िेजे गए औरे इर प्रकतरे गुलूतम ब्नत्े गए जिस जरे जतभतगत
विधि सिंर का की र सिंजत दी जत्नी श चितकहए| विभलू्म जहोनर (१७४६-'९४) ्ने र सिंसकृत क्तओ सिं कहो बतइवबलू का की
घसिस्ट्नतओ सिं रे रहर सिंबद्ध कक्त त्त र सिंसकृत शतस्त्रों कत उप्होग इर इरेतदे रे कक्त, कक ्ह दतित कक्त जत रके,
कक कह सिंदओ
ु सिं कत श चिररेत हैम जैरत है, जहो ्नहोहत के ती्न बेसिस्टों म में रे एक ्त, जिस जरे उरके वपतत ्ने भधककतरेत ्त,
क्िपलू सिंकक उर्ने उ्नका की ्न सिंगई परे हएँरी उड़तई ्ी - औरे इर प्रकतरे हैम का की विरेतरत कहो 'बुरेत' ्त 'अपवित' मत्नत
ग्त| श चििपलूएँकक ईरतइ्त एकमतत रत््-मत मत्नत ग्त ्त, जहोनर ्ने ब्रहत, विषणु एि सिं भशि कहो ईरतई-वतदेि कत
विकृत र सिंसकरेण मत्नत, क्िपलू सिंकक मिपलूभत्म-पिपलूजत के कतरेण इ्विरे-कृपत ्न पत्ने रे उ्नकत पत्न हुआ मत्नत ग्त| कह सिंद िपलू
धम्म कहो पश चित्ने कत प्रतरे सिंभिक कतम उर्ने, केिलू ईरतइ्त का की वि्विर्नी्तत कहो स्तवपत करे्ने के उदेश् रे ही
कक्त| अमरेीकत म में बर्ने ितलूे प्रतरे सिंभिक ्िपलूरेहोपी् लूहोगों ्ने िी िहत सिं के मिपलूलू भ्नितभर्ों कहो दष
ु ्त वपछड़त
मत्न्ने हेतु, जिस जनह में िे अव््िजिस स्त दशत म में शभ्नदेि के बीहड़ म में रेह्ने ितलूे करेतरे देते ्े, इरी प्रकतरे का की
िैश चितररेक र सिंरेश चि्नत के प्रिति म में कतम कक्त ्त| इरी पृष्ठििपलूभम म में हम रमझ रकते हैं कक, आधुभ्नक पजिस पश्चिमी
कलूत-क्षेत म में ईरत कैरे 'गहोरेे ब्ने', जब कक िे ितसति म में मध्-पिपलूि्म क्षेत के लूक्षण ितलूे श्तम िण्म के रेहे
होंगे| पु्नमशः उ्नके इर ्निीकरेण के बतद, उ्नका की ्नीलूी आर में बीरिी सिं रदी के अमरेीकत म में लूहोकवप्र् हुई| गरेीबों
कहो उ्नका की मिपलूलू अ्नैभतक र सिंसकृभत रे बश चित्ने हेतु आज तक, इर विश चितरेधतरेत के औभश चित्् के आधतरे परे ही
ईरतई धमत्मनतरेण का की पररे्होज्नतओ सिं कहो अनजतम कद्त जततत है|

धतभम्मक ि्न एि सिं ्हिपलूदी-ईरतई मरुस्लू : ि्न कहो प्रत्मशः अरेतजक, भ्रमपिपलूण्म एि सिं घबरेतहसिस्ट-िरेत स्त्न मत्नत जततत
है पजिस पश्चिम म में; िह डत सिंसिस्टे (Dante) कत 'अ सिंधकतरेम् ज सिंगलू' है, जहतएँ 'रीधत रेतसतत िसिस्टकत देतत है'| मरुस्लू
प्रकतश कत स्त्न है, जहतएँ रत्् का की अप्नी स्तह-रफ़ैेद परेमतिस्त एि सिं किहोरेतत कत इलहतम हहोतत है| िह

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रतलूी, ब सिंजरे एि सिं रपतसिस्ट िी है| धतभम्मक ि्न के मुकतबलूे, दर
िपलू रेी ओ़रे इब्रतकहमी मजहबों कहो मरुस्लू के पररेिेश
्ने, उनह में उ्नकत सिरुप कद्त है| मजहबी श चिरेम अिस्तएएँ मरुस्लू म में अ्नुिि हहोती प्रतीत हहोती सिं हैं; िह
प्रत्जिस पश्चित करे्ने कत स्त्न है| मरुस्लू के भ्नितरी हररे्तलूी के भलूए तरेरते हैं , ्हतएँ तक कक इरी भलूए ्ह
उ्नकत (जैरे इसलूतम म में) पवित रे सिंग है| आश्रिी अरेविनद कहते हैं, 'पजिस पश्चिमी मत्नभरकतत ्ने बहुत लू सिंबे रम् रे
मत्नितत के भलूए एक मजहब के आक्रतमक औरे अर सिंगत विश चितरे कहो गलूे लूगत्त है, एक ऐरे िैजिस ्विक मजहब
कहो, जहो अप्नी पिपलूरेी र सिंका कीण्मतत के बलू परे रब परे लूतगिपलू हहो रकेगत'|

इरके विपरेीत, अरे्् ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में, आआश्रि्, अभतभ्-रेित एि सिं गह्न आध्तजिस त्मक प्रेरेणत कत
स्त्न है| ि्न-क्षेत रदत रे ही ितरेत म में अ्नुगह कत प्रतीक रेहत है, जहतएँ उब्मतत्म, बहुलूतत, र सिं्होज्न, परेसपरे-
भ्नि्मरेतत एि सिं उदि कत िति व््तप्त रेहतत है, जहो जीि्न के ्निी्न रूपों के पु्नित्मर त्त उ्नके आभतथ् हेतु
रदत तत्परे रेहतत है औरे जहतएँ कह सिंद ,िपलू रन्तर के पिपलूि्म ित्नप्रस् आआश्रिम म में जीि्न व््तीत करेते हैं| ि्न ऐरे
स्त्न हैं, जहतएँ व््िस्त एि सिं अव््िस्त परेसपरे र सिंतुलू्न म में रेह रकते हैं| ि्न किी िी अप्ने अ सिंभतम-श चिरेण म में
्त पररेपिपलूण्म-अिस्त म में ्नही सिं हुआ करेते, एि सिं उ्नका की विविधतत परेमे्विरे का की रि्मव््तपकतत का की एक अभिव््वक्ति
है| ्नकद्ों के कक्नतरेे इ्न परेमपरेतओ सिं ्ने जड़ में पकड़ी सिं, जिस ज्नम में पवित जलू बहतत रेहतत ्त, जहो ्नकद्त सिं पररेित्म्न
एि सिं उदि के प्रतीक हैं| ि्न का की उपमत रे रमब सिंभधत िृक्ष , बरेगद कत पेड़ है, जहो एभश्त िरे का की क्तओ सिं एि सिं
आख्त्नों म में वप्र् है, जहो एक ही र सिंरेश चि्नत हहोते हुए िी, एक जकसिस्टलू, विकेजिस न्द्रत र सिंगि्न का की तरेह, पजिस क्ष्ों,
पशुओ सिं एि सिं म्नुष्ों कहो शरेण त्त पहोषण प्रदत्न करेतत है| िह बहुक मेंक्द्रक है| इरी प्रकतरे, ितरेती् रभ््तत
एक फैलूत हुआ त सिंत है, जिस जर परे ककरी कत कहोई केन्द्री् भ्न् सिंतण ्नही सिं है, जिस जरका की उदतरे र सिंरेश चि्नत म में रब कुछ
बतहरे औरे िीतरे रे परेसपरे गु सिं्े हुए हैं| रनदि्म-र सिंिेदी र सिंसकृभत्ों का की उपमत के रूप म में िी अरे््, रसिस्टीक
बैितत है, जिस जररे सपष हहोतत है कक क्िपलूएँ धतभम्मक र सिंसकृभत्ों म में रेह्ने ितलूे लूहोग र सिंजत्नतत्मक (cognitive)
जकसिस्टलूततओ सिं म में अभधक रहजतत रे रेह पतते हैं|

पजिस पश्चिमी जहोकरे एि सिं ितरेती् विदष


िपलू क : व््िस्त एि सिं अव््िस्त के विष् म में ककरी र सिंसकृभत के भम्क, उरके
अिश चिेत्न म में अ सिंदरे तक रजिस न्नकहत हहो जतते हैं | व््िस्त एि सिं अव््िस्त के प्रभत उरके दृवषकहोण, इर प्रकतरे
कलूतओ सिं के क्षेत म में जहो उरका की रुकढं्ों, उपमतओ सिं, एि सिं प्रतीकों परे आभआश्रित हैं, रिपलूक्षम रूप रे प्रकसिस्ट हहोते रेहते हैं|
जहोकरे के रूप म में प्रश चिभलूत बैसिस्टमै्न का की छवि के दतरेत, अव््िस्त के प्रभत पजिस पश्चिमी बेश चिै्नी कहो हहोलूीिुड ्ने रतर
तौरे परे, प्रितिी तरेीके रे व््क्ति कक्त है , जहो व््िस्त/अव््िस्त कहो परेसपरे अलूग एि सिं विरेहोधी तत्िों के
रूप म में प्रसतुत करेतत है, औरे लूेरक इरका की तुलू्नत करेते हैं, र सिंसकृत महतकतव््ों एि सिं ्नतसिस्टकों म में कुरूप विदष
िपलू क
रे, जहो अव््िस्त कत प्रतीक है औरे जहो व््िस्त के प्रतीक, रु सिंदरे रेतजत कत बरेतबरेी कत भमत औरे रदत उरके
रत् रेहतत है| रमतज के रुश चितरू रञश चितलू्न कहो रुभ्नजिस पश्चित करे्ने हेतु, अव््िस्त का की शवक्ति्ों के, वििेक एि सिं
श चितुरेतई रे व््िस्त म में रमनि् कत ्ह एक अश चिेत्न रनदेश देतत है| इ्न उदतहरेणों रे हम ्ह देरते हैं कक
व््िस्त एि सिं अव््िस्त का की पजिस पश्चिमी अिधतरेणतएएँ कदविधत (binary) ्ुक्ति हैं; उ्नके ्हतएँ ्े दहो विपरेीत ध्रुि हैं,
जिस ज्नम में रे रभ््तत एि सिं जहो िलूत औरे ई्विरेी् है, कत प्रभतभ्नभधत्ि व््िस्त करेतत है, त्त जहो रभ््तत एि सिं
िलूतई त्त ई्विरेत्ि कत विरेहोधी है - कत प्रभतभ्नभध अव््िस्त है| ितरेती् दृवषकहोण अविितज् है, जहो इ्न
दहो विपरेीत पररेजिस स्भत्ों कहो, रभ््तत के आिश्क पहलूुओ सिं त्त उनह में र सिंपिपलूरेक एि सिं र सिंितदतत्मक शवक्ति्ों के
रूप म में देरतत है, लूेकक्न िह ्ह िी मत्नतत है कक इ्न दहो्नों के बीश चि म में रमेक्न त्त रतम सिंजस् का की जिस स्भत
कहो एक उचश चितरे एकतत के भरद्धत सिंत का की ओ़रे लूे जत्नत आिश्क है, ततकक इ्न पररेजिस स्भत्ों कहो अप्ने अप्ने

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कत््म-र सिंपतद्न के भलूए एि सिं अप्नी पिपलूण्म त्त उचश चितम अिस्त तक पहुएँश चि्ने हेतु, पिपलूरेत अिररे भमलू रके|

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#४: र सिंसकृभत्ों कहो रहोश चि-रमझकरे पश चित्नत ब्नतम अ्नुितदेतरे र सिंसकृत

पजिस पश्चिमी विदत्नों एि सिं उ्नके प्रिति म में आए ितरेती्ों कहो ्ह आदत पड़ श चिुका की है कक, िे ितरेती् धतभम्मक
अिधतरेणतओ सिं त्त दृवषकहोणों कहो, पजिस पश्चिमी श चिौरसिस्टों म में बैित्ने हेतु उ्नकत शबदशमशः अ्नुितद करे उर श चिौरसिस्ट कहो
रमृद्ध तहो करेते ही हैं, ि जहो उनह में पश चित रेहत है, उरकहो इर रमत्होज्न रे िे र सिंिितमशः, ्निीकृत िी करे देते
हैं| जब अप्ने भशकतरे कहो बतघ पश चित लूेतत है, तब ्ह ्नही सिं कहत जततत है कक इर पश चित्ने रे दहो्नों 'पहलूे रे
औरे अचछे हहो गए हैं' ्त दहो प्रकतरे के जत्निरे 'एक-दर
िपलू रेे म में भमलूकरे' औरे अचछत जत्निरे ब्न ग्त है|
बजिस लक, बतघ कत भशकतरे इर प्रकक्र्त म में सिस्टिपलूसिस्ट-फिपलूसिस्ट करे िहोज्न के रूप म में उरके शरेीरे कत कहसरत ब्न जततत है,
औरे पश चिे भशकतरे कत ्नतमों-भ्नशत्न भमसिस्ट जततत है| धतभम्मक परे सिंपरेतओ सिं त्त जत्न कहो जब एक बतरे पजिस पश्चिमी
भमलूती-जुलूती शबदतिभलू्ों के रमकक्ष बैित कद्त जततत है, जहो उ्नका की िति्नतओ सिं कत प्रभतभ्नभधत्ि ्नही सिं करे
रकती सिं हैं, तब िे विकृत हहोकरे भमसिस्टत िी कदए जतते हैं|

्ह रमस्त विशेषरूप रे तब ग सिंिीरे हहो जतती है , जब र सिंसकृत म में व््क्ति धतभम्मक अिधतरेणतओ सिं कहो पजिस पश्चिमी
ितषतओँ म में अ्निपलूकदत कक्त जततत है, रतर तौरे परे जब रेतज्नैभतक र सिंतुलू्न बरेतबरेी कत ्न हहो| रब ितषतओँ के
रमत्न ्न केिलू र सिंसकृत, रिपलूत रूप म में विभशष एि सिं अकदती् रत सिंसकृभतक अ्नुिि त्त विलूक्षणततओ सिं कहो धतरेण
कक्े हुए है, रत् ही िह जिस ज्न आकतरेों, धिभ्न्ों एि सिं अभिव््वक्ति्ों के प्रितिों कहो प्रकसिस्ट करेती है, उनह में उ्न
शबदों के गह्न अ््षों रे पृ्क ्नही सिं कक्त जत रकतत है | कदव्् धिभ्न्त सिं जहो र सिंसकृत ितषत है, ऐरी ही
म्नमत्नी परेमपरेतओ सिं रे ्नही सिं उपजी हैं, बजिस लक प्रतश चिी्न कतलू के ितरेती् ऋवष्ों दतरेत आत सिंररेक विजत्नों परे
आधतररेत, अप्नी आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं रे रहोजी ग्ी सिं ्ी सिं| अप्ने आकद आश्रिहोत का की रहोज हेतु, र सिंसकृत ितषत
एक अ्नुिि-आधतररेत व््िजिस स्त मतग्म प्रसतुत करेती है, केिलू मतत र सिंश चितरे हेतु रतध्न के रूप म में ही ्नही सिं,
बजिस लक सित्नुििपलूत जत्न के र सिंितहक के रूप म में िी| ितरेत, दजिस क्षण-पिपलूि्म एभश्त त्त पिपलूिर एभश्त के आध्तजिस त्मक
मतग्म-दश्मकों दतरेत कई रकद्ों तक जिस जरकहो एक र सिंपक्म ितषत के रूप म में उप्होग कक्त ग्त ्त, िह र सिंसकृत
ितषत र सिंसकृभत के र सिंितहक के रूप म में, विभशष िति का की व््िस्तओ सिं एि सिं अ्नुििपलूभत्ों का की अभिव््वक्ति कत एक
रत सिंसकृभतक रत सिंश चित ब्न गई ्ी| दश्म्न, कलूत, ितसतु-कलूत, लूहोकवप्र्-गत्नों, शतस्त्री्-र सिंगीत औरे ्नृत््, रे सिंगम सिंश चि,
मिपलूभत्मकलूत, भश चित-कलूत, रतकहत््, ती््म-्ततत, कम्म-कत सिंड त्त विभिन्न मतों के आख्त्नों कत ित सिंगम्-कहोष
र सिंसकृभत है, जहो रिी अप्नी अप्नी विधतओ सिं रे ितरेती्तत के र सिंसकृभतक लूक्षणों कहो प्रकसिस्ट करेते हैं| इरम में
प्रतकृभतक विजत्नों एि सिं तक्नीकों का की रिी शतरतएएँ, गजिस णत, अभि्त सिंवतका की, ि्नसपभत-विजत्न, भश चिककत्रत (पशु-
भश चिककत्रत रमेत), आहतररेका की, आकद िी रजिस ममभलूत हैं|

र सिंसकृत का की अ्नुितद-अ्होग् प्रकृभत एि सिं इर गुण के जिस जत्ने िी पररेणतम भ्नकलू रकते हैं, िे रिी ितरेती्
धम्म के पजिस पश्चिम म में रत सिंसकृभतक रमत्होज्न रे भ्रष हहो जतते हैं | इर रमत्होज्न के दौरेत्न, पजिस पश्चिम रे भ्नणत्म्क
भिन्नततएएँ एि सिं उ्न भिन्नततओ सिं का की रमझ रहो जतती है, रिी हहो रक्ने ितलूे महत्िपिपलूण्म प्र्होगतभआश्रित अ्नुििों
परे प्रभतबनध लूग जततत है, त्त धम्म के अत््भधक उब्मरे, उत्पतदक एि सिं कदव्् आ्तम ्नष हहो जतते हैं औरे
पुरेतिसतु का की तरेह उनह में एक ओ़रे धकेलू कद्त जततत है| ्द्यवप ्हिपलूदी-ईरतई मजहबों का की िी अप्नी पवित
ितषतएएँ हैं - हीब्रिपलू त्त लूैकसिस्ट्न, लूेकक्न र सिंसकृत का की तरेह ्े एका कीकृत रभ््ततओ सिं के आधतरे किी ्नही सिं ब्ने|
ईरतइ्त ककरी पवित ितषत रे र सिंश चितररेत ्नही सिं हुई ्ी, बजिस लक पहलूे प्रतकृत एरेैभमक के दतरेत र सिंश चितररेत हुई, जहो
ितषत कहत जततत है कक ईरत बहोलूते ्े, औरे कफरे ििपलूमध्रतगरे के तसिस्टी् क्षेत का की कहोइ्ने-्िपलू्नत्नी, बहोलूश चितलू का की

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ितषत म में प्रश चितररेत हुई|
्निविधत्न (New Testament), अप्ने अ्नभग्नत अ्नुितदों के मतध्म रे परेमे्विरे के ककरी प्रत््क्ष अ्नुिि
कत प्रश चितरे अ्ित िण्म्न ्नही सिं करेतत है, बजिस लक परेमे्विरे के बतरेे म में 'गौसपलू' ्त एक रनदेश (जिस जरकत अ््म है
'शुि रमतश चितरे') देतत है| ्नि विधत्न म में महत्ि है, उ्न शबदों के अ््म एि सिं ऐभतहतभरक कृत््ों कत, जहो इ्न
शबदों दतरेत विसततरे रे बतत्े गए हैं - उ्नकहो ध्त्नपिपलूि्मक रु्न्ने रे हहो्ने ितलूी आजिस त्मक अ्नुििपलूभत, ्कद िह
हहोती हहो तहो, ्त उ्नका की धिभ्न ्त अ्नु-गिपलूएँज कहो रु्न्ने कत कहोई महत्ि ्नही सिं है|

अध्त् ५ – अ्नुितदेतरे र सिंसकृत ब्नतम उरे पश चित्त जत्नत :

कई र सिंसकृत शबदों कत तहो अ्नुितद हहो ही ्नही सिं रकतत है| मुख् र सिंसकृत शबदों का की ्ह अरूपत सिंतरेणशीलूतत इर
बतत कत प्रमतण है कक, कई ितरेती् परेमपरेतएएँ पश चितई ्नही सिं जत रकती सिं हैं| र सिंसकृत शबदों कहो मिपलूलू रूप म में ही
ब्नत्े रेर करे उ्नके व््तपक अ््षों कहो रुरेजिस क्षत रेर्नत ही, उ्नपरे बतहरेी औपभ्निेभशक कबजे कत रतम्नत
करे्ने एि सिं धतभम्मक जत्न कहो रुरेजिस क्षत रेर्ने कत एक प्रितिी तरेीकत है | कई पजिस पश्चिभम्ों का की ्ह धतरेणत है कक
र सिंसकृत म में रमत्त हुआ धतभम्मक जत्न दर
िपलू रेी ितषतओँ म में अ्निपलूकदत हहो रकतत है, जैरे - 'ओम' 'आमी्न', 'शत सिंभतमशः'
'पीर', 'ब्रह' 'गौड' आकद के रूप म में अ्निपलूकदत हहो रकते हैं| लूेरक कत ्ह मत्न्नत है कक ऐरत वबलूकुलू ्नही सिं हहो
रकतत है|

प्रतश चिी्न हहोते हुए िी, र सिंसकृत अप्नी गह्न रेश चि्नतत्मक क्षमतत के भलूए आज िी उत्नी ही महत्िपिपलूण्म है| कहोई
र सिंसकृभत अप्ने ििपलूगहोलू एि सिं इभतहतर के र सिंश चि्ी त्त रतमिपलूकहक विभशष अ्नुििों कहो ही अभिव््क्ति करेती है|
ककरी र सिंसकृभत कहो रमझ्नत उरे जी्ने जैरत है औरे विभिन्न र सिंसकृभत्ों के विभशष अ्नुििों का की अदलूत-बदलूी,
हमेशत ्नही सिं का की जत रकती है, औरे जिस ज्न शबदों रे इ्न अ्नुििों कहो र सिंदभि्मत कक्त जततत है , उनह में रुरेजिस क्षत
रेर्नत आिश्क है; ्कद ितषतई िगरकरेण रहो जत् सिं, तब रम्त सिंतरे म में रत सिंसकृभतक अ्नुिि का की विविधतत िी
रहो जतती है| कई रत सिंसकृभतक भशलपकृभत्ों के रमत्नत्र दर
िपलू रेी र सिंसकृभत्ों म में ्नही सिं हहोते, औरे ऐरी
भशलपकृभत्ों कहो उ्न रत सिंश चिों म में बैित्नत जिस जनह में पजिस पश्चिम सिीकतरे करेे ्त जिस जनह में िे रमझ में - केिलू हड़प्ने के भलूए,
्ह ररेतररे उनह में विकृत करे्ने जैरत ही है| ्ह िी एक प्रकतरे कत छद उपभ्निेशितद एि सिं रत सिंसकृभतक
आभधपत्् है| र सिंसकृत म में ऐरे कई विभशष गुण हैं जहो ितरेती् धतभम्मक-दश्म्न का की अकदती् एि सिं अनतभ्न्मकहत-
रूप रे रनदि्म-र सिंिेद्नशीलू, उर प्रकृभत कहो प्रकसिस्ट करेते हैं, जहतएँ रे र सिंसकृत कत उद्गम हुआ ्त| र सिंसकृत का की
अरूपत सिंतरेणशीलूतत कत एक औरे गहरेत आश्रिहोत िी है: रमत्न आधतरेििपलूत कमप्नों दतरेत उरका की मिपलूलू धिभ्न्ों म में
परेत-दरे-परेत के बीश चि र सिंपक्म एि सिं अ सिंतरर्संब सिंध स्तवपत हैं| ककरी शबद कत रमग अ््म इरभलूए, बीजगजिस णत के
रिपलूत का की तरेह, उरके कई मिपलूलू ितिों कत जहोड़ हहोतत है| कहोई विदेशी र सिंसकृभत, विशेषतमशः ्कद िह औपभ्निेभशक
िी हहो, जब र सिंसकृत के ्नतम परे अप्ने रपतसिस्ट अ्नुितद ्होप्ने लूगे, तहो बहुत बड़ी हतभ्न हहो जतती है| इर रे
िी बड़ी हतभ्न तब हहोती है जब ऐरी परेतधी्न र सिंसकृभत के मिपलूलू भ्नितरी, इ्न विदेशी अ्नुितदों कहो अप्नत ही
मत्न लूेते हैं - एक ऐरी धीभम प्रकक्र्त के दतरेत जहो प्रत्मशः रिपलूक्षम हहोती है औरे जिस जरके रत् रत् जुड़े हहोते हैं
इ्न पररेित्म्नों कहो आत्मरतत करे्ने हेतु, शवक्तिित्न र सिंसकृभत दतरेत प्रदत्त प्रहोन्नभत के प्रहोत्रतह्न|

क सिंप्न-शीलू अभिन्न एकतत : र सिंसकृत क्िपलूएँ इत्नी विलूक्षण एि सिं अरूपत सिंतरेणशीलू है त्त क्िपलूएँ उर परे आधतररेत
रभ््ततएएँ औरेों रे इत्नी भिन्न हैं, ्ह रमझ्ने के भलूए हम में िेदों म में धिभ्न त्त ितषत का की रमझ कहो औरे

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गहरेतई रे देर्नत हहोगत| आकद कतलू रे ही, ितरेती् ऋवष्ों औरे िैय्तकरेणों कत ्ह वि्वितर रेहत है कक
रमग शत्वित ््त््म, मिपलूलू कमप्नों रे ही भ्नभम्मत है, ्ह कक ्े क सिंप्न, ब्रहत्ड के ह्रद् का की धडक्न में जैरी हैं|
कतलूत सिंतरे म में जैरे जैरे इ्न ब्रहत सिंडी् कमप्नों के गिपलूएँज का की प्रभतधिभ्न्तएँ रहोजी गई, िैरे िैरे ही र सिंसकृत के
िणत्मक्षरे जनम लूेते गए, जिस जर प्रकक्र्त के दौरेत्न, धिभ्न्ों रे उ्नके अ््म, म्नमत्ने तरेीके रे ्नही सिं जहोड़ कदए
गए| मत्निी् ितषत त्त अिधतरेणतएएँ एि सिं विष्िसतुएएँ, जिस ज्नका की प्रभतभ्नभध ्े धिभ्न्तएँ हैं, ््त््म के विभिन्न
सतरेों परे, इ्न कमप्नों का की इजिस न्द्र्गम् बतहरेी अभिव््वक्ति्त सिं मतत हैं|

इर गहरेे ््त््म का की रहोज, जिस जररे धिभ्न एि सिं आकतरे उिरे करे आते हैं, ककनही सिं पैगमबरेों (जहो केिलू परेमे्विरे
के रनदेशों कत र सिंश चितरे करेते हैं) के दतरेत अ्ित बुवद्ध के आधतरे परे हुए ककरी अ्नुरनधत्न रे ्नही सिं हुई ्ी,
बजिस लक भरद्धों के गहरेे ध्त्न म में उ्नके प्रत््क्ष अ्नुिि रे हुई ्ी, जिस ज्नम में रे प्रत््ेक कहो ऋवष कहत ग्त
जिस ज्नका की अदत
ु क्षमततएएँ, उनह में अ्न सिंत के कमप्नों कहो एि सिं उ्न मिपलूत्म विष्िसतुओ सिं कहो, जिस ज्नरे िे क सिंप्न रमब सिंभधत
हैं, कत प्रत््क्ष अ्नुिि करेत देती सिं हैं| ऋश चितएएँ जिस जनह में मनत कहत, उ्नका की रेश चि्नत ऋवष ्नही सिं करेते, िरे्न उनह में िे
रु्नते हैं ्त उ्नका की लू् म में तललूी्न हहो जतते हैं| र सिंसकृत शतस्त्रों कहो बुवद्ध रे रमझत जत रकतत है , लूेकक्न
इ्नम में रे कई अ्नुििभरद्ध 'अ््मित्न' कमप्नों के अ्नुक्रम हैं, जिस जनह में केिलू ्होभगक रतध्नत रे ही अ्नुिि कक्त
जत रकतत है| धिभ्न के रूप म में उ्न शतस्त्रों का की मिपलूलू प्रकृभत ही उनह में अरूपत सिंतरेणशीलू ब्नत देती है| जहो िी हहो,
र सिंसकृत के ककरी िी मनत कत ितसतविक प्र्होज्न उरके प्रिति के रूप म में प्रकसिस्ट हहोतत है | लूेरक र सिंसकृत कहो
अकदती् बततते हैं, रतर तौरे परे इर भलूए कक, जिस जर प्रकतरे रे धिभ्न रमग ््त््म के अदृश् कमप्नों कहो
अभिव््क्ति करेती है| ितरेती् धतभम्मक ितिों का की, ब्रहत्ड का की आधतरेििपलूत एकतत म में वि्वितर एि सिं ्ह िी कक,
ककर प्रकतरे र सिंसकृत उर एकतत कहो प्रकसिस्ट औरे प्रतप्त करे्ने म में रह्होग देती है, लूेरक इर विष् परे इर
अध्त् म में उरका की श चिश चित्म करेते हैं|

प्रत््क्ष अ्नुिि एि सिं परेमपरेतएएँ : ितरेती् ितषतई भरद्धत सिंत एि सिं ितषणगत परे सिंपरेतएएँ एि सिं अभ््तर अत््भधक
पररेशुद्ध हैं, त्त उ्नके अध्््न औरे अ््म, अध्तत्म एि सिं र सिंप्रदत्-विशेष के मत्न्ने ितलूों के र सिंप्रदत् रे
रमब सिंभधत प्रभशक्षण रे विलूग ्नही सिं रेहते हैं| कई ितरेती् परेमपरेतओ सिं ्ने र सिंसकृत का की, आकदकतलू का की मौभलूकतत
कहो आत्मरतत करे्ने कत प्र्तर कक्त है| 'सफहोसिस्ट' भरद्धत सिंत कहतत है कक 'धिभ्न' एि सिं 'अ््म' ितसति म में एक
भरकके के दहो पहलूिपलू हैं औरे िे अप्ने अव््क्ति रिपलूक्षम िति रे ही अभिन्न हैं| िेद 'ितक् ' के रूप म में इर
आकदकतलूी्न क सिंप्न के मिपलूत्म रूप हैं, जहो विश चितरेों, लू्बद्ध कमप्नों एि सिं स्िपलूलू पदत््षों कहो भ्नभम्मत करे्ने ितलूे बीज
धिभ्न्ों कहो जनम दे्ने ितलूी एक देिी है| िह विभिन्न लूहोकों कहो उत्पन्न करे्ने ितलूी है एि सिं जिस जर पदत््म रे
िे लूहोक रेश चिे ग्े हैं, कहो जनम देती है| कतशमीरे शैि र सिंप्रदत् कत मत है कक ितक् के श चितरे सतरे हैं : परेत
(अव््क्ति), पश्जिस नत (रिपलूक्षम र सिंितव््तत), मध्मत (िैश चितररेक र सिंकलप्नत), एि सिं बैररेी (स्िपलूलू ितणी)| भशि-रिपलूत के
अ्नुरतरे, आम जत्नकतरेी, रेहोज़ मरेिर्दे के प्रती्मत्न व््तिहतररेक र सिंपक्म रे प्रतप्त हहोती है, औरे ्ह जत्नकतरेी बतहरेी
दभु ्न्त रे रमबनध रेरती है| लूेकक्न सि् सिं इ्न दैभ्नक र सिंपक्षों कहो परेसपरे जहोड़्ने का की आिश्कतत हहोती है,
औरे जिस जर ऊजत्म रे ऐरत हहोतत है उरे 'मतवतकत' कहते हैं, जहो शबदों एि सिं प्रतीकों कहो हमतरेी रमझ म में आ्ने के
लूत्क ब्नी ितषत कत रूप प्रदत्न करे्ने हेतु, उनह में एक धतगे म में वपरेहो देती है| ब्रहत्ड का की आकद-कतलूी्न
धिभ्नक श चिेत्नत कहो 'शबद-ब्रह' कहते हैं| ररेश चिड्म लूै्नॉ् कत मत्न्नत है कक हरे कह सिंद िपलू अप्ने कहो एक रिपलूक्षम-ब्रहत सिंडी्
जीिधतरेी के रूप म में देरतत है, ऐरत जीि-धतरेी जहो बृहद-ब्रहत्ड अ्ित प्रकृभत कत ही एक हिपलू बहिपलू प्रभतरूप है|
पत सिंजभलू-्होग-रिपलूत म में इर 'ऋतमिरेत-बुवद्ध' (दृवष, परेर) कत उललूेर है, जहो पिपलूरेे ब्रहत्ड कत तत्कतलू पररेशुद्ध

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प्रत््क्ष र सिंिेदी जत्न प्रतप्त करे्ने हेतु, ्होग-शवक्ति के मतध्म रे ्होगी के भलूए ऐरत करे्नत र सिंिि करे देती है|

धिभ्न के अ््म एि सिं विष्िसतु का की एकतत्मतत : जैरे पहलूे बतत्त जत श चििपलूकत है, हरे विष्िसतु के मिपलूलू तत्ि
का की रहोज जहो हुई, ऋवष्ों दतरेत आत्मजत्न के मतध्म रे प्रतप्त उर परेम एकतत का की अ्नुििपलूभत के आधतरे परे
भरद्ध का की गई विभध रे ही र सिंसकृत का की उत्पवत्त हुई| इररे ्न केिलू जीिजगत के प्रतजिस ण्ों एि सिं ि्नसपभत्ों के
विष् म में उ्नकत िगरकृत-जत्न बढ़त ्त बजिस लक, रत् ही उ्न रब के प्रभत रमत्नुििपलूभत त्त रहज आश्रिद्धत िी
हहोती श चिलूी गई, जैरत कक आज के रमतज म में प्रश चिभलूत प्त्मिरेणी् कत्निपलू्नों के कृवतम-अ्नुपतलू्न के िठक
विपरेीत हहोतत है औरे जहो सि् सिं प्रत्मशः रेतज्नैभतक ्त व््तिहतररेक भ्नदिर्देशों के पररेणतम सिरुप हुआ करेते हैं
('विभिन्नतत ' के पृष्ठ २५५ परे एि सिं 'Being Different' के पृष्ठ २२५ परे इरकत आरेेरी भ्नरूपण प्रसतुत
है)| ितरेती् िैय्तकरेण ब्रहत्ड-विजत्नी िी हहोते हैं, जहो ब्रहत्ड म में व््तप्त भ्न्भमततत (ऋतम ्) कहो व््तकरेण
के भ्न्मों के रदृश् देरते हैं| इर प्रकतरे, ितरेती् ितषत-विजत्न, म्नहोविजत्न एि सिं ब्रहत्ड-विजत्न अप्ने
अप्ने भशक्षण रे एक ही ््त््म का की व््तख्त करेते हैं| ्होग का की िैकदक रमझ के र सिंकेत, बुवद्ध औरे विष्िसतु
का की एकजुसिस्टतत कहो प्रकसिस्ट करे्ने ितलूे शबदों रे विकदत हहोते हैं| शबदों के रत् रत् र सिंगीत के रजिस ममआश्रिण कहो
लूै्नॉ् ्ने, प्रतश चिी्न ितरेत के महत्न दतश्मभ्नक भश चि सिंत्न का की एक महत्न उपलूजिस बध कह करे र सिंबहोभधत कक्त|

मनत: हरे मनत अजिस सतत्ि के ऐरे रिपलूक्षमतम सतरे रे जनम लूेतत है, भ्नसतबधतत जहतएँ व््तप्त है| ्ह रहोज्ने के
उपरेत सिंत कक क सिंप्नों का की अभिव््वक्ति, स्िपलूलू धिभ्न्ों त्त पदत््षों के रूप म में हहोती है, ऋवष्ों ्ने मिपलूलू आश्रिहोत एि सिं
ऐकमेितकदभत्म-श चिेत्नत का की आकद-अिस्त तक पहुएँश चि्ने हेतु, अ्नेक ध्त्न-पद्यभत्ों के मतध्म रे, मनतों कत
प्र्होग करे, ऐरी विभध्ों का की रहोज का की जहो 'अपौरुषे्' ्त ककरी के दतरेत प्रकसिस्ट ्नही सिं का की ग्ी सिं| इर प्रकतरे,
र सिंसकृत आत्मजत्न प्रतप्त करे्ने कत एक रतध्न औरे मिपलूलू आश्रिहोत तक ितपर लूहोसिस्ट्ने का की अ्नुििजन् विभध िी
प्रसतुत करेती है| अभिव््वक्ति के ही प्रक्षेप-प् कहो उलूसिस्ट्ने हेतु िी, र सिंसकृत कहो मत्नि धिभ्न्ों रे आरे सिंि करे
आश्रिृवष के आश्रिहोत तक पहुएँश चि्ने का की एक विभध के रूप म में उप्होग कक्त जत रकतत है| इर भलूए, मनतों कहो जिस जनह में
उजत्म-विश चितरे-धिभ्न्ों के रमुचश चि् के रूप म में मत्नत जततत है, िे म्न-मत्ने पद्य ्नही सिं हैं, ्न ही उनह में केिलू
अिधतरेणतओ सिं का की दृवष्ों रे ही रमझत जत रकतत है| उ्नके गह्नतम रत्् का की प्रकृभत सपनद्नशीलू है, औरे ्े
सप सिंद्न हम में श चिेत्नत के उ्न सतरेों तक पहु सिंश चित रकते हैं जहो ितषततीत हैं | शैशितिस्त म में र सिंसकृत औरे मनतों कहो
क सिंिस् करेत करे भररत्ने कत एक कतरेण ्ह िी है कक, इरके पिपलूरेे प्रिति एि सिं लूति कत अ्नुिि बहुत रम्
बतद तक हहो रकतत है| आश्रिी अरेविनद, जिस जर विश चितरे कहो 'भ्नित्म्न' (involution) कहते हैं, िह बतद म में हहो्ने ितलूे
'विित्म्न' (evolution) कत आध्तजिस त्मक आधतरे है, जिस जर प्रकतरे एक बीज रे एक पेड़ बड़त हहोतत है | ककरी
मनत कत लूति केिलू उचश चितरेण करे्ने ितलूे कहो ही ्नही सिं, बजिस लक मत्नि-मतत त्त पिपलूरेे ब्रहत्ड कहो िी हहोतत है|

र सिंसकृत का की रहोज : ्होग के अ्नुििों कहो र सिंसकृत के अलूतित ककरी अन् ितषत म में िठक िठक व््क्ति करे्नत
ककि्न है, जैरे कक आश्रिी अरेविनद ्ने कहत है कक ्होग के अ्नुिि केिलू र सिंसकृत म में ही व््िजिस स्त रूप रे प्रकसिस्ट
कक्े गए हैं, जिस जरे इरी भलूए, '्होग का की ितषत' िी कहत जत रकतत है| र सिंसकृत दश्म्न बतततत है कक जिस ज्न
ऐकतक्षरेी् धिभ्न्तएँ रे र सिंसकृत अक्षरे भ्नभम्मत हहोते हैं, िे आश्रिृवष के उद्गम म में ही हैं| ितसति म में, र सिंसकृत ितषत कत
कहोई धिभ्नगतम, जिस जरका की बीज-धिभ्न ही उरका की अभिव््वक्ति कहो र सिंदभि्मत करेती है, सि् सिं ््त््म का की प्रकृभत कहो
प्रकसिस्ट करेती है|

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अन् ितषतओँ म में, हीब्रिपलू इरी प्रकतरे के दतिे करेती है | सि् सिं हीब्रिपलू ितषत पवित भलूवप मत्नी जतती है, औरे इरके
अक्षरेों के आकतरेों एि सिं धिभ्न्ों के रत् कई रेहस्म्ी परे सिंपरेतएएँ जुड़ी हुई हैं, जिस ज्नम में िे अक्षरे रजिस ममभलूत हैं,
जिस ज्नरे परेमे्विरे के प्रश चिभलूत ्नतम जेहहोितह ्त ्तह्ेह भलूरे जतते हैं, िे इत्ने पवित त्त आध्तजिस त्मक उजत्म रे
िरेे हुए मत्ने गए हैं, कक रतमतन् लूौककक व््िहतरे म में उनह में बहोलू्ने त्त भलूर्ने परे रखत प्रभतबनध है| कफरे
िी, ्हिपलूदी परे सिंपरेत म में, धिभ्न्ों के आश्रिहोत कत स्त्न भिन्न रूप रे है त्त भलूजिस रत ितषत का की आकृभत एि सिं मु्द्रत
परे अभधक ध्त्न कद्त जततत है , जबकक र सिंसकृत कत भलूजिस रत सिरूप उरके उद्गम के कतफ़ैा की रम् के बतद
आ्त ्त, औरे िह सपषत्त आरे सिंि रे ही एक ितभश चिक परे सिंपरेत रेही है| इसलूतम, िी, कुरेत्म्न के अरेबी उचश चितरेण
के विशेष कमप्नों कत उललूेर करेतत है (जिस जरके कतरेण उर अरेबी ितषत कहो क सिंिस् करे्नत एि सिं उरकत ितश चि्न
करे्नत, अप्ने आप म में मजहबी रतध्नतओ सिं के रूप म में मत्नत जततत है)| लूेकक्न रतमतन्तमशः, हीब्रिपलू त्त अरेबी कहो
्हिपलूदी एि सिं इसलूतमी परेमपरेतओ सिं म में , क्रमशमशः बतहरेी परेमे्विरे दतरेत रेश चित हुआ मत्नत ग्त है, जबकक र सिंसकृत म में
उरके मिपलूलू क सिंप्न ही सि् सिं परेम-््त््म हैं, जिस जनह में आश्रिृवष कहो जनम दे्ने ितलूत ्नतद ब्रह कहत जततत है|

एक शबद कई अक्षरेतत्मक धिभ्न्ों कत र सिं्होज्न है| अ सिंगेज़ी के मतमलूे म में, शबदों के कई अ््म शबदकहोष बतततत
है, कफरे िी मुख् धिभ्नगतमों अ्ित अक्षरेों के कहोई अप्ने अ््म ्नही सिं हहोते हैं| ्े मत्निी् व््िहतरेों एि सिं
ररेितजों के मतध्म रे विकभरत हुए मत्ने जतते हैं| र सिंसकृत म में, जबका की, प्रत््ेक धिभ्नगतम का की बीज धिभ्न के
रूप म में उरके कई रमृद्ध अ््म हहोते हैं, औरे रत् ही िे रब, व््वक्ति का की श चिेत्नत परे िी अप्नत विशेष प्रिति
डतलूते हैं| इर प्रकतरे, शबद का की शवक्ति (उरका की पवित धिभ्न), मुवक्ति-प्रदत्क है, क्िपलू सिंकक िह परेम शत्वित ््त््म
त्त श चिेत्नत का की प्रकृभत कहो रमझ्ने का की अ सिंतदृ्मवष प्रतप्त करे्ने हेतु एक रतध्न िी है|

र सिंसकृत एि सिं बहुलूतत ितद : र सिंसकृत एक रदतबहतरे रेश चि्नतत्मक ितषत है, जिस जरकत प्रत््ेक शबद विश चितरेों कत
जनमदततत त्त उ्नका की रेश चि्नत करे्ने ितलूत है| िण्ममतलूत कत हरे िण्म 'अक्षरे' कहलूततत है, जिस जरकत शबदशमशः अ््म,
अक्ष् अ्ित शत्वित हहोतत है| अक्षरे कत दर
िपलू रेत ्नतम 'िण्म' है, जिस जरकत अ््म रे सिंग है औरे उ्नरे भ्नभम्मत हहोती है
अक्षरेों का की 'िण्ममतलूत', एक 'रे सिंगों का की मतलूत' जिस जनह में एक कलूतकतरे ््त््म कत भश चित ब्नत्ने हेतु प्र्होग करेतत है |
इर प्रकतरे हरे अक्षरे कहो धिभ्न के रूप म में रु्नत जततत है एि सिं अभिव््क्ति हहोते ही, उरकत एक रे सिंग हहोतत है|

एक ही बीज धिभ्न के बहुविध अ्नुिि: बीज धिभ्न्ों रे कई रुभ्नजिस पश्चित र सिंकेतत््म, आश् औरे रिपलूक्षम िेद
ितलूे शबद जनम लूे रकते हैं, जहो भ्नि्मरे करेतत है कक कैरे उनह में बत सिंधकरे अन्ों रे जहोड़त ग्त है| श चििपलूएँकक
प्रत््ेक शबद का की रहोज एक रमग ्होभगक अ्नुिि के फलूसिरूप हुई है, एक बीज धिभ्न ्त शबद के प्रत्मशः,
बहुविध अ््म हहोते हैं, जहो एक दर
ु रेे के विपरेीत िी हहो रकते हैं| जब ककरी बीज धिभ्न रे कहोई शबद ब्नत्त
जततत है, तब उरका की धिभ्न म में स्तवपत भरद्धत सिंतों के आधतरे परे रूपत सिंतरेण हहो जततत है| ककरी विशेषज दतरेत रेश चिे
गए ्नए शबद परे जब कहोई ध्त्न क मेंक्द्रत करेतत है , तब रु्न्ने ितलूत उर शबद कत अनि् करे, उरकत
प्रसततवित अ््म जत्न लूेतत है| इरकत अ््म ्ह है कक र सिंसकृत का की विशतलू शबदतिलूी, ्नए शबदों का की रेश चि्नत हेतु
अ्न सिंत रूप रे रुलूी हुई है औरे उरकत फैलूति िी अ्न सिंत है| इर प्रकतरे, र सिंसकृत उदतरे र सिंरेश चि्नत का की ध्नी, एक
व््िस्त मत्नी जत रकती है| एक बीज धिभ्न के बहुविध सतरेों ितलूे अ््म हहोते हैं, जिस ज्नरे भ्नकलूत हुआ
प्रत््ेक शबद ककरी भिन्न लूेकक्न रमब सिंभधत अ्नुिि रे र सिंगभत रेरतत है|

उपशबद-प्त्म्ितश चिी शबद भ्नरे््मक ्नही सिं हैं: कई शबदों के बड़ी र सिंख्त म में उपशबद हहोते हैं औरे हरे उपशबद कत

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विशेष आश् एि सिं र सिंकेतत््म हहो्ने के कतरेण, ककरी शबद-विशेष के स्त्न परे दर
िपलू रेत उपशबद प्र्होग ्नही सिं कक्त
जत रकतत| ककरी एक िसतु ्त इकतई का की ओ़रे र सिंकेत करे्ने हेतु कई प्त्म्ितश चिी उपशबद हहो रकते हैं, जिस ज्नम में
रे प्रत््ेक उपशबद भिन्न बीज-धिभ्न रे उत्पन्न हहोतत है, औरे इर भलूए प्रत््ेक कत भिन्न रनदि्म एि सिं
आश् हहोतत है| र सिंसकृत म में व््वक्तिितश चिक र सिंजतएएँ प्रत्मशः, सपष-क््न हुआ करेते हैं| विषणु-रहस्र्नतम म में िगित्न
विषणु के हज़तरे ्नतम, पुरेतणों म में िजिस ण्मत उ्नका की रमसत लूीलूतओ सिं कहो अभिव््क्ति करेते हैं|

र सिंसकृत एि सिं रनदि्म: अप्नी विभशष र सिंरेश चि्नत के कतरेण ही, वििेश चि्न हेतु र सिंसकृत शतस्त्रों कहो पररेजिस स्भत-विशेष के
रनदि्म परे ध्त्न दे्ने का की आिश्कतत हहोती है| विष्-िसतु कहो रनदि्म रे अलूग ्त एक सितधी्न अ््म म में
्नही सिं देरत जत रकतत है| ए.के.रेतमत्नुज्न सपष करेते हैं 'उन्नीरिी सिं रदी तक कहोई िी ितरेती् शतस्त्र वब्नत
रनदि्म, के उपलूबध ्नही सिं ्त...िे मिपलूलू पति कहो, श चितहे िे ककत्ने ही प्रतश चिी्न क्िपलूएँ ्न हों, आज के पतिक के
रनदि्म म में प्रसतुत करेते हैं...' शबदों का की रही सिरे-शैलूी िी, उ्नके अ््म-भ्नधत्मरेण म में महत्िपिपलूण्म हहोतत है, जिस जनह में
परे सिंपरेतगत ितभश चिक रमप्रेषण म में अत््भधक महत्ि कद्त जततत ्त| इर प्रकतरे िेदों, उपभ्नषदों एि सिं अन् शतस्त्रों
कहो, उ्नका की रमपिपलूण्म मिपलूलू शुद्धतत एि सिं प्र्होज्न रकहत, रुरेजिस क्षत रेर्नत र सिंिि हहो रकत| र सिंसकृत शतस्त्रों कत ककरी
अन् ितषत म में शबदशमशः अ्नुितद, जहो र सिंसकृत परे आधतररेत ्न हहो, वबलूकुलू बेतुकत त्त अर सिंगत रु्नतइ पड़ेगत|
हरे शबद एक अ््म ितलूत ्न हहोकरे, एक विसतृत आश्रिेणी कहो धतरेण कक्े रेहतत है| उदतहरेण के भलूए, भलू सिंग शबद
कहो प्रत्मशः, उरे एक ऐरे अ््म म में, जिस जरे उरकत रतरे मत्नत जततत है, म में भरकहोड़ करे, गलूत रमझत जततत है|
'भशश्न' के रूप म में भलू सिंग कत गलूत अ्नुितद, पजिस पश्चिमी व््िहतरे म में भ्नदिर्देशतत्मक रूप म में प्र्होग कक्त जत्ने लूगत है|
कफरे िी, भलू सिंग शबद के अ््षों के विसततरे म में रजिस ममभलूत हैं - लूक्षण-भ्नशत्न-स्त्न-भश चिनह-वबललूत एि सिं प्रतीक,
औरे भलू सिंग-िेद के अ््म म में िी| ककरी उद्यहोग कत प्रतीक उरकत भलू सिंग है, औरे एक इकतई के ही कई भलू सिंग हहो
रकते हैं| शबदों के अ््म रम् के अ सिंतरेतलू रे बदलूते िी हैं| इरभलूए, ककरी शबद के एक अ््म कहो अश चिलू,
स्त्ी, औरे अलूग-्लूग मतन्ततओ सिं म में भरकहोड़ करे उर परे अड़े रेह्नत, उरे न्िपलू्नीकृत एि सिं विकृत करे्ने के
रमत्न है| र सिंसकृत व््तकरेण दहो्नों परेम छहोरेों रे परेहेज़ करेती है - एक ओ़रे रुभ्नजिस पश्चित अ््षों कत एक िग्म तहो
दर
िपलू रेी ओ़रे बेतरेतीब एि सिं सिेचछतश चितरेी अ््षों का की िरेमतरे, जैरे क सिंप्िपलूसिस्टरे का की कहोई ितषत हहोती है, जिस जररे ककनही सिं
भ्नजिस पश्चित भ्न्मों एि सिं व््तकरेण का की रहत्तत रे , अ्न सिंत प्रकतरे के कत््मक्रम तय्तरे हहोते हैं| इरके
पररेणतमसिरूप, ककरी आख्त्न के रमसत वििरेणों कहो एक भ्नजिस पश्चित 'अभधकतररेक' र सिंसकरेण म में ढंतलू्ने कत
कहोई दबति ्नही सिं हहोतत (जैरत कक ककरी विसततरेितदी परे सिंपरेत परे रमत्न रूप रे फैलू्ने हेतु दबति हुआ करेतत
है)| इर प्रकतरे, प्रत््ेक शतस्त्र के कत्निपलू्नी र सिंसकरेण कहो जहो 'शुद्ध' मत्ने जत सिं्, कहो भ्नभम्मत करे्ने का की पजिस पश्चिमी
परे सिंपरेत के रतपेक्ष, र सिंसकृत शतस्त्रों का की परे सिंपरेतएएँ रि्म्त भिन्न रेही सिं हैं|

र सिंजत्नक रनदि्म के अ सिंतग्मत है : रनदि्म कहो अ्नुिि करे्ने ितलूे रे, रनदि्म अलूग ्नही सिं है| कतत्म औरे कम्म कत
आपर म में गु सिं्त हुआ हहो्नत व््तपक है| प्रतश चिी्न ितरेती् ऋवष्ों कहो जतत ्त कक िक्तित केिलू भ्नभमत्त है, कतत्म
्नही सिं| इर विश चितरे के अ्नुरतरे ही र सिंसकृत का की र सिंरेश चि्नत हुई है, औरे ितषत म में इरके बहोध रे, अकतत्म ितलूी
अिस्त का की अ्नुििपलूभत ककरी कहो िी हहो रकती है| अ सिंगेजी का की मत्नभरकतत म में 'घसिस्ट्नतक्रम' त्त 'अन्' परे
भ्न् सिंतण करे्ने का की प्रिृभत है, जिस जरके विपरेीत, अकतत्मम् प्रिृभत के रूप म में अभिव््वक्ति, र सिंसकृत म में सितितविक
है त्त कतत्मप्न, आश्रिे् कत दतित एि सिं भ्न् सिंतण ्न करे्ने हेतु अभिव््वक्ति कत पर सिंदीदत तरेीकत िी; 'अहम हरतमी'
- अ्त्मत 'मैं हएँरतत हिपलूएँ' के स्त्न परे र सिंसकृत म में 'म्त हतस्ते' (हएँर्ने का की कक्र्त मेरेे दतरेत हहो रेही है) असिस्टपसिस्टत
्नही सिं मत्नत जततत|

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्होग विद्यत एि सिं बतह्य र सिंरतरे : श चिेत्नत का की उचश चितिस्तओ सिं म में, ऋवष्ों ्ने बतह्य पदत््षों का की प्रकृभत का की छत्नबी्न
का की| इर छत्नबी्न के फलूसिरूप उनहों्ने िौभतक जगत का की जत्नकतरेी कत व््तिहतररेक िगरकरेण कक्त| इरकत
उदतहरेण है प्रतश चिी्न ितरेत म में ि्नसपभत्ों कत विसततरे रे िगरकरेण| १७९५ म में प्रकतभशत, विभलू्म जहोनर के
मिपलूल्त सिंक्न के अ्नुरतरे, ्ह उर मत्नक लूैकसिस्ट्न-आधतररेत िगरकरेण रे कही सिं अभधक प्रगभतशीलू ्त, जहो पजिस पश्चिम
के ि्नसपभत शतजिस स्त्र्ों दतरेत प्र्होग कक्त जततत है| रब कुछ वब्नत आज के प्र्होगतभआश्रित विजत्न कहो ररेलूतत रे
उपलूबध प्र्होगशतलूतओ सिं दतरेत भ्नरेीक्षण एि सिं मतप्न का की रुविधतओ सिं का की रहत्तत के िी, इर व््िजिस स्त िगरकरेण
म में, प्रत््ेक जतभत के पौधों कत ्नतमकरेण, प्रत््ेक जतभत के तत्िों के अ्नुििपलूत-जत्न के आधतरे परे ही कक्त
ग्त ्त|

र सिंसकृत, आधुभ्नकतत एि सिं उत्तरे-आधुभ्नकतत : अितहरेिी सिं रदी के अ सिंभतम िष्षों म में जहोनर के रम् रे ही,
पजिस पश्चिमी अकतदमी म में र सिंसकृत के विदत्नों ्ने ितषत-शतस्त्र के विजत्न के रृज्न म में महत्िपिपलूण्म ्होगदत्न कक्त|
अकतदमी म में र सिंसकृत कत गह्न अध्््न लू सिंबे रम् तक करे्ने के उपरेत सिंत ही (त्त पजिस पश्चिम दतरेत अप्नी रहोज
के दहो रकद्ों बतद) ितषत-शतस्त्र कत विजत्न, र सिंसकृत रे सित सिंत हहो्ने लूत्क कतफ़ैा की हद तक ्िपलूरेहोपी् ब्न रकत
्त| उपभ्निेशितदी ितरेतविध, ्ुरेहोवप्ों दतरेत पतजिस ण्नी के व््तकरेण के अध्््न कहो, उपलूजिस बध के रूप म में एक
महत्िपिपलूण्म रहोज मत्न्ने लूगे ्े| ्िपलूरेहोप म में र सिंसकृत के विदत्न ही आधुभ्नक ितषत-शतस्त्र कहो एक अकतदमी्
विधत के रूप म में प्रतरे सिंभिक रूप रे विकभरत करे्ने ितलूे ब्ने ्े| पजिस पश्चिम के 'र सिंरेश चि्नतितद के ज्नक', फकड्म्नैंड द
रौस्ुरेे (१८५७-१९१३), जिस जनहहो्ने अप्नत पिपलूरेत अकतदमी् जीि्न पैररेर म में, पतजिस ण्नी के र सिंसकृत व््तकरेण के
पि्न-पित्न म में वबतत्त, का की मृत््ु के बतद उ्नके विद्यतभ््म्ों ्ने उ्नका की कक्षत का की कसिस्टपपजिस ण्ों कत मरेणहोपरेत सिंत
प्रकतश्न कक्त ्त, लूेकक्न उ्नम में रे र सिंसकृत, पतजिस ण्नी एि सिं ितरेती् शतस्त्रों के रिी भ्नशतभ्न्ों एि सिं रनदि्षों कहो
हसिस्टत कद्त, औरे उ्नके स्त्न परे रतमतन् एि सिं रति्मिौभमक भरद्धत सिंतों कहो रेर कद्त, जिस जनह में आधुभ्नक ्ुरेहोपी्
ितषतओँ परे लूतगिपलू कक्त जत रकतत ्त! उ्न कसिस्टपपजिस ण्ों म में जहो दतश्मभ्नक भरद्धत सिंत ्े, िे 'र सिंरेश चि्नतितद' के ्नतम
रे जत्ने गए, जिस जर के आधतरे परे बतद म में ्िपलूरेहोपी् कलूत, रमतज-शतस्त्र, इभतहतर, दश्म्न एि सिं म्नहोविजत्न म में
क्रतजिस नतकतरेी पररेित्म्न हुए| 'र सिंरेश चि्नतितद' 'उत्तरे-र सिंरेश चि्नतितद' कत पिपलूि्मितर दश्म्न ्त, जहो उत्तरे-आधुभ्नक विश चितरे कत
ततजिस त्िक दश्म्न है| अमरेीका की कवि सिस्टी.एर. इभलू्सिस्ट (१८८८-१९६५) उ्न श चि सिंद पजिस पश्चिभम्ों म में रे ्े, जहो र सिंसकृत का की
रतमथ््म त्त ितरेती् धम्म रे उरके रिपलूक्षम रमबनध कहो िलूी प्रकतरे रमझते ्े| अप्नी पुसतक 'सिस्टी.एर.
इभलू्सिस्ट एि सिं ितरेती् परे सिंपरेतएएँ' म में जिस कलू्हो कैनर्म बततती सिं हैं, कक उपभ्नषदों त्त िैकदक ग सिं्ों के अध्््न रे ही
कवि कहो इर तथ् का की जत्नकतरेी भमलूी कक ितषत के केन्द्र म में ्वितर, धिभ्न एि सिं भ्नसतबधतत भ्नितर करेते हैं|
िलूे ही उनहों्ने 'मनत-शवक्ति' शबदों कत प्र्होग ्नही सिं कक्त हहो, लूेकक्न िे उनही सिं का की ओ़रे इशतरेत करेते प्रतीत हहोते
हैं, जब उनहों्ने ्ह भलूरत कक 'ितषत के शबदत सिंश एि सिं लू्, विश चितरे त्त ितिों के श चिेत्न सतरे रे बहुत गहरेतई
तक प्रिेश करेते हैं औरे प्रत््ेक शबद कहो उजत्मित्न ब्नत देते हैं; ऐरी अत््भधक गहरेतई तक जहो इत्नी प्रतश चिी्न
हहो, जिस जरम में डिपलू ब जतते हैं आश्रिहोत तक, त्त जिस जरे रतह परे िुलूत िी कद्त ग्त हहो, कफरे िी उर आश्रिहोत रे कुछ
लूेकरे औरे ितपर रतह परे लूौसिस्ट करे, आकद औरे अ सिंत का की रहोज करेते हुए, ितषत इर प्रकतरे अप्नत कतम
करेती है| ितषत भ्नजिस पश्चित रूप रे िलूे ही, सपषत्त शबदों के अ््षों के मतध्म रे अप्नत कत््म करेती है, ्त
कफरे रमझ्ने म में, रतमतन् अ््षों म में उरके वब्नत िी ्नही सिं...'|

र सिंसकृभत के रूप म में ितरेती् धतभम्मक रभ््तत : धतभम्मक रभ््तत के सिरुप कहो र सिंसकृत ्ने पिपलूण्मत्त भ्नधत्मररेत
कक्त है एि सिं ्ह उरके एका कीकरेण कत आधतरे है| र सिंसकृत कत अ््म है 'विसतृत', 'पररेषकृत', 'रभ््' जहो

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अभिव््वक्ति का की पिपलूण्मतत कत बहोध करेततत है औरे जिस जर्ने एक विभशष प्रकतरे का की रत सिंसकृभतक व््िस्त कहो प्रितवित
कक्त, जहो इर र सिंरतरे कहो अ्नुिि करे्ने का की एक विभध है| र सिंसकृभत एक विद्यत है, जहो मत्निी् विजत्न, कलूत,
्नृत््, ितसतुशतस्त्र, रुगम-र सिंगीत, शतस्त्री्-र सिंगीत, रे सिंग-शतलूत, मिपलूभत्मकलूत, भश चितकलूत, रतकहत््, ती््म्ततत, कम्म-कत सिंड
एि सिं धतभम्मक आख्त्नों कत ि सिंडतरे है, जहो रिी आम-ितरेती् विभशषततओ सिं के मिपलूत्म रूप हैं त्त, जिस जरकहो एक
अन् ्नतम र्नतत्न-धम्म रे पुकतरेत जततत है, जहो एभश्तई र सिंसकृभत के रूप म में, दजिस क्षण एभश्त, दजिस क्षण-पिपलूि्म
एभश्त एि सिं पिपलूिर एभश्त के बड़े क्षेत म में फैलूी हुई एक फलूती-फिपलूलूती व््तपक र सिंसकृभत एि सिं रभ््तत रेही है|
पतजिस ण्नी् व््तकरेण इर ि सिंडतरे का की अदत
ु उपलूजिस बध्ों म में है, जहो सपषतत, लूश चिीलूेप्न एि सिं प्रररेतत-्ुक्ति एक
भ्नरूपक ितषत है, जिस जरका की ओ़रे प्रेरेणत हेतु क सिंप्िपलूसिस्टरे विजत्न के कुछ अगणी आकवष्मत हुए हैं| र सिंसकृत के
िैजतभ्नक एि सिं लूौककक पहलूुओ सिं ्ने ही, ितरेती् विदत्नों कहो िैजतभ्नक श चिश चित्म हेतु बघदतद आ्ने के भलूए, अरेबों
कहो प्रेररेत कक्त ्त त्त अप्ने शतस्त्रों कत अरेबी ितषत म में अ्नुितद करे्ने हेतु उ्नरे रहत्तत कत िी उनहों्ने
अ्नुरेहोध कक्त ्त|

बृहद एि सिं स्त्नी् परेमपरेतओ सिं कहो र सिंसकृत जहोड़ती है - ितरेत परे फौजी त्त रेतज्नैभतक आभधपत्् के बतद,
पहलूे फतरेरी औरे कफरे अ सिंगेजी दतरेत दबतए जत्ने के पिपलूि्मकतलू म में, र सिंसकृत कई ििपलूितगों म में प्रितिशतलूी रूप रे
प्रश चिभलूत एक जीि सिंत ितषत ्ी| इर प्रकतरे िह आध्तजिस त्मक, कलूतत्मक, िैजतभ्नक एि सिं व््तिहतररेक बहोलूश चितलू
का की ितषत के रूप म में एभश्त के बड़े ििपलूितग म में स्त्नी् ितषतएएँ बहोलू्ने ितलूों के बीश चि उप्होगी र सिंपक्म ितषत के
रूप म में प्रश चिभलूत ्ी, जहो स्त्न आज अ सिंगेजी कत है| इरके अभतररेक्ति, स्त्नी् ितषतओ सिं के रत्, आदत्न-प्रदत्न
का की दहोहरेी रेीभत रे र सिंसकृत जुड़ी हुई ्ी| र सिंसकृत का की भ्नरूपक र सिंरेश चि्नत एि सिं उरका की पररेषकृत आश्रिेष्ठ र सिंसकृभत, ऊपरे
रे ्नीश चिे का की ओ़रे स्त्नी् ितषतओँ त्त लूहोक र सिंसकृभत्ों म में र सिंश चितररेत हहोती रेहती ्ी| इरके रत् ही रत्,
र सिंसकृत का की लूश चिीलूी, रुलूी र सिंरेश चि्नत म में ्नीश चिे रे ऊपरे का की ओ़रे स्त्नी् र सिंसकृभत एि सिं ितषतओ सिं कत रमतिेश िी
हहोतत रेहतत ्त, जहो ऐरी विभध रे दहो र सिंसकृभत्ों, र सिंसकृत का की 'बृहद' एि सिं 'स्त्नी्' का की 'लूघु', के बीश चि आदत्न-
प्रदत्न रे फलूती-फिपलूलूती रेहती ्ी औरे जहो विकतर-रेत र सिंसकृत ितषत के अ सिंदरे, रम्त सिंतरे म में रिपलूत रूप म में,
अभिभलूजिस रत हहोकरे स्त्नी् र सिंसकृभत के रत् एक रतझत र सिंसकृभत के अ सिंश कत रूप लूे लूेती ्ी| दजिस क्षण एि सिं
दजिस क्षण-पिपलूि्म एभश्त म में पतई जत्ने ितलूी इरी प्रकक्र्त कहो अ्नेकतत म में एकतत के रूप म में रमझत जत रकतत है|
र सिंसकृत के प्रतश चिी्न जत्न, 'शतस्त्री्-परे सिंपरेत' ि स्त्नी् प्रश चिभलूत एि सिं अ्नौपश चितररेक ितभश चिक लूहोक-परेमपरेत के बीश चि
एक उदतरे-रहजीवितत ब्नी हुई रेहती ्ी| र सिंभ्रत सिंत िग्म के इतरे िी र सिंसकृभत के प्ररतरे हेतु, पुरेतण कई रकद्ों
के दौरेत्न रेश चिे गए ्े, जहो प्रतश चिी्न कतलू म में दनतक्त के अ्नेक रूपों म में त्त उपतख्त्नों के मतध्म रे
आध्तजिस त्मक र सिंदेशों कहो, प्रश चिभलूत र सिंसकृभत म में रमतविष हहो्ने हेतु त्त रतमतजिस जक गभतशीलूतत कहो बढ़तित दे्ने
एि सिं इर प्रकतरे, बड़ी र सिंख्त म में ज्नजतती् लूहोगों के ब्रतहण ब्न्ने के रतध्न िी ब्ने ्े| विभिन्न स्त्नी्
व््तिरतभ्क एि सिं भशलपी-रमुदत्ों के इष देिततओ सिं कहो इर पिपलूरेी प्रकक्र्त म में मतन्तत भमलूती ्ी| बड़ी र सिंख्त म में
ती््षों एि सिं उ्नका की ्तततओ सिं कहो पुरेतणों ्ने बढ़तित कद्त औरे धीरेे -धीरेे, ती््षों ्ने िैकदक ्जों कत स्त्न लूे भलू्त|
दरेिपलू -दरेतज़ बरे रमुदत्ों के भलूए ्ह गौरेि एि सिं अभत महत्ि कत विष् ब्नतत ्त, जब बहुत दरेिपलू के ती््म्तती
उ्नके ्हतएँ पहुएँश चिते , औरे इ्न ती््म्तततओ सिं के मतध्म रे रुदरेिपलू ितर क्षेतों म में, म सिंकदरे-ज्नजतती् र सिंब सिंधों कहो ितरेत
िरे म में इर प्रकतरे बढ़तित भमलूतत ्त| विविध फैलूे हुए अलपर सिंख्क रमुदत्ों के बीश चि परेसपरे शत सिंभतपिपलूण्म रह-
अजिस सतत्ि के आधतरे परे ही कह सिंद िपलू रमतज म में बहुलूततितद प्रश चिभलूत है; िह रमतज म में पररेित्म्न लूत्ने के उदेश् रे
ककरी कह सिंरतत्मक र सिंघष्म के फलूसिरूप पैदत ्नही सिं हुई, जहो आज के पजिस पश्चिमी विदत्नों के ्ह कदरत्ने के, उर
प्रत्होजिस जत प्र्तर के वबलूकुलू विपरेीत है, जिस जरके अ्नुरतरे ितरेत का की शतस्त्री्-धतभम्मक-परे सिंपरेतएएँ ्हतएँ के

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'ितसतविक' मिपलूलू-भ्नितभर्ों के प्रभत अभिितिी एि सिं दम्नकतरेी रेही सिं हैं| लूेकक्न ितरेत म में, त्तकभ्त ज्नजतती्
लूहोग (गतमीण जीि्न एि सिं जत्नकतरेी का की अ्नौपश चितररेक ितभश चिक व््िस्तएएँ जिस ज्नका की विशेषतत है) रदत रे ही
ितरेत का की औपश चितररेक धम्म व््िस्त के अ सिंतग्मत शत सिंभतपिपलूि्मक, रह-अजिस सतत्ि म में रेहे हैं| प्रत्मशः ितरेत िरे म में,
उदतहरेण के भलूए, कृषण-क्तएएँ अ्नभग्नत स्त्नी् उप-र सिंसकृभत्ों म में रूपत सिंतररेत हहोकरे घुलूभमलू गई हैं एि सिं
स्त्नी् रूप रे लूगिग हरे गत सिंि त्त कही सिं कही सिं तहो हरे जतती म में, देिी उपतर्नत विविध रूपों म में प्रश चिभलूत है,
जिस जरके कतरेण क्षेती् एि सिं लूहोक परेमपरेतओ सिं का की श चिौंकत्ने ितलूी विविधतत कहो कह सिंद िपलू धम्म के कई उत्रिों एि सिं कम्म-
कत सिंडों परे आभआश्रित हहोकरे, स्त्नी् लूहोगों दतरेत ितरेत के विभिन्न ितगों म में अप्नत्त हुआ देरत जत रकतत है|

ितरेती् र सिंसकृभत एि सिं अजिस रलू - एभश्तई रभ््ततएएँ : अजिस रलू-एभश्तई रनदि्म म में, इर प्रकतरे सितधी्न
रत सिंसकृभतक परेमपरेतओ सिं म में आदत्न-प्रदत्न, परेसपरे प्रितिहोत्पद्न एि सिं रूपत सिंतरेण, जहो इ्न र सिंसकृभत्ों के बीश चि
रमतगम हहो्ने परे परेसपरे रहोजबी्न, व््तपतरे, जत्नतज्म्न का की व््िस्ों के प्रभतरेहोपण आकद के दौरेत्न हहोते ्े, िे
स्त्नी् रनदि्म म में ्नए जत्न का की रूपरेेरत कहो बदलू्ने एि सिं उनह में ्न्त रूप दे्ने हेतु, कहोई िी रहोश चिी-रमझी ्त
व््िजिस स्त औपभ्निेभशक ककरी कत््म-्होज्नत रे अभधकत सिंशतमशः, मुक्ति ्े| इरी भलूए रेतमत्ण कहो कई एभश्तई
र सिंसकृभत्ों एि सिं ितषतओँ म में रूपत सिंतररेत एि सिं आत्मरतत करे भलू्त ग्त है| कम रे कम ईसिी रदी के आरे सिंि रे
लूेकरे लूगिग तेरेहिी सिं रदी तक, गत सिंधतरे (अफगतभ्नसतत्न एि सिं पतककसतत्न के कुछ कहसरे ) जिस स्त पुरुषपुरे
(पेशतिरे) रे रुदरेिपलू पिपलूरेब म में अन्नत्न जिस स्त पत सिंडुरे सिंग (दजिस क्षण वि्त्नतम) त्त केन्द्री् जतित जिस स्त प्रमब्नम म में,
र सिंसकृत रेतजका की् त्त प्रशतरभ्नक हलूकों म में, प्रमुर ितषतई एि सिं रत सिंसकृभतक मतध्म ्ी एि सिं एभश्त के बड़े
ििपलूितग म में उरकत प्रिति एक हज़तरे िष्षों रे अभधक रेहत| ्ह र सिंसकृभत ककरी रतमतज्ितदी शवक्ति दतरेत, ्न तहो
्होपी गई ्ी औरे ्नत ही उरे केन्द्री् रूप रे र सिंगकित एि सिं र सिंश चितभलूत, ककरी श चिश चि्म जैरी र सिंस्त दतरेत कत्म
रेकरत ग्त ्त| वि्वि के ्िपलूरेहोपी्-करेण के रकद्ों पहलूे, मध् एभश्त रे अफगतभ्नसतत्न, ितरेत, आश्रिीलू सिंकत,
्तईलूैंड, कमबहोकड्त, वि्त्नतम रे लूेकरे इ सिंडहो्नीभश्त तक कत िृत्तर्ड – एक पररेषकृत अजिस रलू-एभश्तई
र सिंसकृभत कत र सिंगम-रमतगम स्लू ्त| ए.एलू. बतशम ्ने अप्नी पुसतक 'ितरेत कत र सिंसकृभतक इभतहतर' म में
सपष कक्त है कक 'ईसिी का की पत सिंश चििी रदी तक, ऐरी रेतज्-व््िस्त जहो परे सिंपरेतगत ितरेती् रेतज्नैभतक
भरद्धत सिंतों के आधतरे परे रञश चितभलूत ्ी एि सिं बौद्ध अ्ित कह सिंद िपलू धम्षों कत अ्नुररेण करेती ्ी, िह बमत्म के कई
ितगों म में, ्तईलूैंड, कह सिंद-श चिी्न, मलूेभश्त, त्त इनडहो्नेभश्त म में, स्तवपत हहो श चिुका की ्ी'| इररे िी िष्षों पिपलूि्म,
वब्रकसिस्टश इभतहतरकतरे ए.जे. सिस्टौ्नबी ्ने कहत ्त: 'रभ््ततओ सिं का की एक आश्रि सिंरलूत जहो रुदरेिपलू उत्तरे-पिपलूि्म म में जतपत्न रे
दरेिपलू ितर उत्तरे-पजिस पश्चिम म में आ्रेलूैंड तक फैलूी हुई ्ी, उरका की केन्द्री् कड़ी ितरेत ्त| इ्न दहो भररेों के बीश चि म में
्ह आश्रि सिंरलूत दजिस क्षण का की ओ़रे एक ब सिंद्नितरे का की ित सिंभत, ििपलूमध्रेेरत के ्नीश चिे इ सिंडहो्नीभश्त तक पहुएँश चिती ्ी'|

जहो िी हहो, कह सिंरतत्मक अभि्त्नों के फलूसिरूप रेहोम्न रभ््तत जिस जर प्रकतरे फैलूी ्ी औरे जिस जरके कतरेण
लूैकसिस्ट्न, रकद्ों तक ्िपलूरेहोपी््न ितषत ब्नी रेही, उररे वबलूकुलू भिन्न तरेीके रे एभश्त कत र सिंसकृतीकरेण, वब्नत
आभधपत््, दम्न, ्त स्त्नी् पहश चित्नों कहो भमसिस्टतए, शत सिंभतपिपलूि्मक तरेीके रे हुआ ्त, एि सिं जैरत िण्म्न अरुण
िटसिस्टतश चितजर का की पुसतक 'बृहत्तरे ितरेत' म में भमलूतत है '...रत सिंसकृभतक विसततरे किी िी औपभ्निेभशक दम्न एि सिं
व््तिरतभ्क रकक्र्तत के रूप म में ्नही सिं रमझत ग्त ्त, आभ््मक शहोषण के रूप म में तहो कतई ्नही सिं| श चिी्न परे
ितरेत कत प्रिति अप्ने श चिरेम रीमत परे ईसिी रततिी सिं रदी म में उर िक्ति पहु सिंश चित, जब ककरी अन् रम् रे कही सिं
अभधक र सिंख्त म में श चिी्नी भिक्षुक एि सिं रेतजका की् प्रभतभ्नभध म सिंडलू ितरेत म में जिस स्त ्नतलू सिंदत वि्वि-विद्यतलू् म में
अध्््न हेतु आ्े, जहतएँ एभश्त िरे के बौद्ध विदत्न ्न केिलू बुद्ध धम्म कत, बजिस लक िैकदक दश्म्न, गजिस णत,

61
रगहोलू-शतस्त्र एि सिं भश चिककत्रत-शतस्त्र कत िी अध्््न कक्त करेते ्े| भरद्धत सिंतों, रतध्नतओ सिं एि सिं र सिंस्तओ सिं के विष्
म में बौद्ध औरे कह सिंद िपलू धम्म म में, रतमतन् भिन्नततएएँ बहुत धु सिंधलूी ्ी औरे इ्न प्रेरेणतओ सिं कहो पत्ने म में प्र्तररेत
विदेशी र सिंसकृभत्त सिं, भिन्नततओ सिं का की ओ़रे अपेक्षतकृत कम ध्त्न कद्त करेती सिं ्ी सिं| उदतहरेण के भलूए, ्ह
जततव्् हहो, कक ितरेत रे श चिी्न गए बौद्ध भिक्षुओ सिं कत रममत्न उ्नके, कह सिंद िपलू धम्म के जत्न के भलूए िी हहोतत ्त
औरे उत्नत ही रममत्न हहोतत ्त उ्नके भिक्षु के रूप म में उ्नका की रतध्नतओ सिं एि सिं व्रतों कत| रतमतन् रूप रे,
पजिस पश्चिमी इभतहतरकतरे एि सिं उ्नकत अ्नुकरेण करे्ने ितलूे ितरेत के विदत्न, इर बड़े पैमत्ने परे र सिंसकृभत के ितरेत
रे भ्न्त्मत कहो, बुद्ध धम्म के प्ररतरे औरे प्रश चितरे के रूप म में ही र सिंदभि्मत करेते हैं, जिस जरके दतरेत एक प्रकतरे रे,
जत्न-बिपलूझकरे ितरेती् र्नतत्न धतभम्मक र सिंसकृभत कहो फा कीकत कदरत कद्त जततत है|

ईरतई 'र सिंसकृतीकरेण' एक रेतज्नैभतक-मजहबी ्होज्नत कत कहसरत ्ी, जहो वि्वि म में कही सिं अन्त जिस स्त केन्द्र रे
्होपी जतती ्ी| इर दरेिपलू ितर ईरतई गिजहोड़ के पीछे प्रत्मशः, आभ््मक एि सिं रेतज्नैभतक भ्नकहत सित््म हुआ करेते
्े, जहो स्त्नी् भ्नितभर्ों के कहतों रे भिन्न हहोते ्े, त्त उ्नके आभधपत्् कत उदेश्, उपभ्निेशक के कहतों
के अ्नुरूप शहोषण करे्नत हहोतत ्त| सपषतमशः, ्िपलूरेहोपी् शतर्न के अ सिंतग्मत, स्त्नी् भ्नितरी जहो ईरतई ब्न जतते
्े, उनह में उ्नके मुकतबलूे अचछठ रतमतजिस जक प्रभतष्ठत एि सिं रुविधतएएँ दी सिं जतती सिं ्ी सिं, जहो उनही सिं रमुदत्ों के
धमत्मनतररेत ्न हहो्ने ितलूे भ्नितभर्ों कहो रतमतन् रूप रे उपलूबध हहोती सिं ्ी सिं औरे ्ह अभधितिी प्रिृवत्त, जहो बीते
रम् का की ्तद के रूप म में आज आरत्नी रे पहश चित्नी जत रकती है , आज िी धमत्मनतरेण का की पररे्होज्नत के
रत्-रत् पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत के मतध्म रे श चिलूतई जतती है , ततकक वि्वि िरे के लूहोगों कहो एक िैजिस ्विक
इभतहतर के अ सिंतग्मत रमेसिस्ट भलू्त जत्| ईरतइ्त औरे उरके बतद इसलूतम कत विसततरे, अभधकत सिंश रूप रे जहोरे-
जबरेदसती औरे आक्रतमक तरेीकों रे उपलूबध कक्त ग्त ्त त्त आज तक िी, बहुरेतष्ट्री् क सिंपभ्न्ों का की
कत््मविभध का की ित सिंभत, वििध ईरतई र सिंगि्न ितरेत (अन् रेतष्ट्रों म में िी) के हरे ज्नपद हेतु, धमत्मनतरेण के लूक्ष्
भ्नधत्मररेत करेते हैं, जिस जरके रत्-रत्, ितजिस जब अ्नुदत्न, प्रभत-व््वक्ति धमत्मनतरेण के व््् कत रश चि्म िी
भ्नधत्मररेत हहोतत है|

अरूपतनतरेणी् आश्रिेजिस ण्तएँ : उपरेहोक्ति श चिश चित्म ्ह सपष प्रदभश्मत करेती है कक र सिंसकृत के कई शबद, रीधे रे क्िपलूएँ
अ्निपलूकदत ्नही सिं हहो रकते हैं| मुख् र सिंसकृत शबदों का की ्ह अरूपतनतरेणी् प्रकृभत, इर प्रकतरे रे ्ह िी
प्रमतजिस णत करेती है कक कई ितरेती् परे सिंपरेतएएँ पश चितई ्नही सिं जत रकती सिं हैं| र सिंसकृत शबदतिभलू्ों कहो रुरेजिस क्षत रेर
करे, इर प्रकतरे उ्नके अ््षों के पिपलूरेे विसततरे कहो बश चित करे रेर्नत, उपभ्निेशीकरेण कत प्रभतरेहोध करे्ने एि सिं
ितरेती् धतभम्मक जत्न कहो बश चितए रेर्ने कत एक रुगम रतध्न ब्न जततत है| ्ह रही है कक मत्निी् इभतहतर
म में जत्न के विकतर एि सिं उरके विसततरे म में, विभधित अ्नुितदों कत बहुत बड़त मौभलूक ्होगदत्न रेहत है| जहो िी
हहो, ऐरे मतमलूों म में, जिस ज्नम में िही अ्नुिि दर
िपलू रेी र सिंसकृभत म में िी जत्नत जततत हहो औरे उर र सिंसकृभत म में उर
अ्नुिि के भलूए कहोई शबद िी हहोतत हहो, तहो िी िह शबद केिलू 'एक श चिलू्न कत द्यहोतक' िरे हहो रकतत है,
अप्ने कमप्न-म् प्रितिों म में िह मनत के अ्नुरूप ्नही सिं ही हहो रकतत; बौवद्धक सतरे रे गहरेतई परे श चिेत्नत के
सतरेों परे िी जहो प्रिति र सिंसकृत के मनत पैदत करे रकते हैं, ऐरत शबद जहो 'एक श चिलू्न कत द्यहोतक' िरे हहो,
कतई ्नही सिं करे रकतत| अ सिंतम्मजहबी र सिंितदों म में, रमरूपतत का की रहोज म में प्रत्मशः ईशु के भलूए 'ऋवष' ्त 'गुरु';
िेदों ्त गीतत के भलूए 'कह सिंद िपलू बतइवबलू'; तहोरेतह का की ककततब के स्त्न परे '्हिपलूदी िेद'; एि सिं कह सिंद िपलू पिपलूजतओ सिं कहो
'िरेभशप' के विविध रूप बतत करे, हमेशत भ्रम फ़ैैलूत्ने के रत्-रत् कह सिंद िपलू धम्म कहो हतभ्न पहु सिंश चितई जतती है |
उदतहरेण के भलूए, रिपलू््मदेि का की उपतर्नत 'र्न गौड िरेभशप' ्नही सिं है| त सिंत कत 'अ्न््म' करे के उरे कतम-कक्र्त

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बतत्त ग्त एि सिं 'स्त्रीध्न' कहो गलूती रे दहेज मत्न भलू्त ग्त है|

ब्रह एि सिं इ्विरे, 'गौड' के रमत्नत्र ्नही सिं हैं : ब्रह शबद का की उत्पवत्त, बीज अक्षरे 'बृह' रे हुई, जिस जरकत अ््म है
'विसतृत हहो्नत'| उनमुक्ति, प्रररेणशीलू शत्वित ््त््म, जहो रब कत रृज्न करेतत है, रब म में भ्नितर करेतत है -
एि सिं रब रे परेे िी है, िह ब्रह है| जिस जर 'गौड' कहो महोजिस ज़ज़ ्ने रतई्नतइ भशररे परे देरत ्त एि सिं जिस जर 'गौड' रे
उर्ने पत््रे का की पटसिस्टी प्रतप्त का की ्ी, िह दरेिपलू दरेिपलू तक िी ब्रह के रमत्न ्नही सिं है| ्ह ्हिपलूदी-ईरतई 'गौड' रृवष
कत रेश चिभ्तत है, अप्नी ब्नतई रृवष रे वबलूकुलू भिन्न एि सिं पृ्क| इरके अलूतित, ्ह 'गौड' रत्ततितदी है, उनह में
द सिंड देतत है जहो भ्न्मों कत पतलू्न ्नही सिं करेते , औरे इभतहतर म में विभशष रम्ों एि सिं स्त्नों परे हसतक्षेप िी
कक्त करेतत है| दर
िपलू रेी ओ़रे, ब्रह, सि् सिं ब्रहत्ड है एि सिं वब्नत हमतरेे जत्ने हुए, हम रब के अनदरे, आत्मत के
रूप म में भ्नितर करेतत है, औरे अ सिंततमशः हम में ब्रह-पद प्रदत्न करेतत है| इरी प्रकतरे, ई्विरे शबद ्हिपलूदी-ईरतई रहोश चि
के अ्नुरूप 'गौड' ्नही सिं है|

भशि, वि्नतशक कत रमत्नत्र ्नही सिं है: भशि जहो ्नसिस्टरेतज एि सिं ्होभगरेतज हैं, प्रबहोध एि सिं गिपलूढ़-जत्न के प्रदततत हैं,
औरे जहो मत्नितत ि जगत कहो विविध प्रकतरे रे श चिेत्नत के क्रभमक विकतर का की ओ़रे लूे जतते हैं, उ्नके विष्
म में, पररेित्मक के रूप म में िण्म्न करे्नत अभधक रत््मक हहोगत, बजत् विर सिंड्न के मतध्म रे, पजिस पश्चिमी विदत्नों
दतरेत गलूती रे वि्नतशक के रूप म में िण्म्न कक्त जत्नत|

आत्मत, 'रहोलू' ्त 'जिस सपररेसिस्ट' कत रमत्नत्र ्नही सिं है: ब्रहत्ड रमबनधी जत्न म में ितरेत त्त पजिस पश्चिम का की भिन्नतत,
'आत्मत ्त सि् सिं का की प्रकृभत' के विष् म में इ्न दहो्नों के दृवषकहोणों का की भिन्नतत म में प्रकसिस्ट हहोती है, जहो ितरेती्
दश्म्न म में रत ्-भश चित-आ्न सिंद है, जिस जरे अध्तत्म-विद्यत के अभ््तर रे प्रतप्त कक्त जत रकतत है जबकक, अहम का की
प्रकृभत, पजिस पश्चिमी मतन्तत म में पतपम् है, जिस जर पतप का की अिस्त रे केिलू पैगमबरेों दतरेत कभतप् इभतहतर-
क मेंक्द्रत रेहस्होद्तसिस्ट्नों के रमुचश चि् परे वि्वितर करे्ने रे ही मुवक्ति भमलू रकती है | कह सिंद िपलू धम्म म में, हरे ककरी के
््त््म अहम कहो आत्मत ्नतम रे जत्नत जततत है, जहो जत्नततीत परेम ब्रह कत ही प्रभतवबमब है, जहो इर प्रकतरे,
'रहोलू' ्त 'जिस सपररेसिस्ट' का की ्हिपलूदी-ईरतई र सिंकलप्नत रे भिन्न है| आत्मत का की धतभम्मक र सिंकलप्नत पु्नज्मनम एि सिं
कम्मफलू का की र सिंकलप्नतओ सिं रे जुड़ी हुई है, जहो कम्मफलू हरे जीि के पिपलूि्म-जनम का की ितर्नतओ सिं कत पिपलूरेत लूेरत-
जहोरत है औरे जहो मृत््ु के रम् म में अगलूे जनम कहो प्रितवित करे्ने हेतु स्त्नतनतररेत हहो जततत है| कुछ
प्रतरे सिंभिक ईरतई्ों (मुख्तमशः औररेजै्न) ्ने पु्नज्मनम परे बलू कद्त िी ्त, लूेकक्न ऐरत करे्ने परे िे पिपलूि्म विधत्न
रे अरहमभत कदरत रेहे ्े| जैरे जैरे ईरतई धम्मशतस्त्र विकभरत हहोतत श चिलूत ग्त, इ्न विश चितरेों कहो ईरतई
मुख्धतरेत दतरेत त््तग कद्त ग्त| पु्नज्मनम एि सिं कम्मफलू रे जुड़ी हुई है, अ्न सिंत कतलू का की र सिंकलप्नत, जिस जरकत
्न आकद है औरे ्न अ सिंत ही है| इरके विपरेीत, ्हिपलूदी एि सिं ईरतई मजहब, रीभमत कतलू परे आधतररेत हैं,
जिस जरकत आकद िी है औरे अ सिंत िी है| वतदेिों का की र सिंकलप्नत म में 'पवित आत्मत' के रूप म में केिलू एक ही शत्वित
'जिस सपररेसिस्ट' 'गौड' म में है - औरे ईरत का की 'आत्मत' 'गौड' के रत् ही रत्, शत्वित है| लूेकक्न हरे व््वक्ति का की 'रहोलू'
कत अजिस सतत्ि, रीभमत कतलू के ही भलूए है, जहो वब्नत आकद औरे अ सिंत के आत्मत रे वबलूकुलू भिन्न है| आत्मत
जहो तत्ितमशः ब्रह जैरी ही है, औरे ककरी अन् श चिेत्नत रे अभिन्न है औरे िही पदत््म जगत कत िी परेम तत्ि
है; िह 'रहोलू' रे तहो रि्म्त भिन्न है जहो ्न केिलू 'गौड' रे पृ्क है, बजिस लक पदत््मम् जगत रे िी अलूग है|
पु्नज्मनम का की र सिंकलप्नत रे ही ििपलूतकतलू के वििरेण त्त ितिी उत्तरेतभधकतररे्ों के प्रभत लूगति कम करे्नत
आरत्न हहो जततत है, इर भलूए पजिस पश्चिमी परेमपरेतओ सिं, जिस ज्नके अ्नुरतरे हरे ककरी कहो जी्ने के भलूए एक ही जनम

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भमलूतत है, का की अपेक्षत ितरेती् धम्म कहो मत्न्ने ितलूों के भलूए अप्नी देह के प्रभत आरवक्ति कहो कम करे्नत
र सिंिि हहो जततत है| ईरतई 'रहोलू' रे भिन्न, मत्निेतरे ्होभ्न्ों म में िी आत्मत अभिव््क्ति हहो रकती है, जैरे पशु,
पौधों एि सिं रतमतन् जड़ प्रकृभत म में, जिस जरके कतरेण रतमतन्तमशः, जीिों त्त प्त्मिरेण के प्रभत आम ितरेती्ों के
ह्रद् म में आदरे सितितविक हहोतत है, ्न कक ऐरत धम्म शतस्त्र रे इतरे ककरी अन् रतमतजिस जक अ्ित रेतज्नैभतक
रहोश चि ्त आगह के कतरेण|

िेद, बतइवबलू ्त ईरत-श चिररेत के रमत्नत्र ्नही सिं हैं: 'बतइवबलू' शबद जिस जरके मतध्म रे ्हिपलूदी एि सिं ईरतई
परेमपरेतओ सिं के एक विभशष ब सिंद, इभतहतर-केजिस न्द्रक कत्निपलू्न-शतस्त्र कहो र सिंदभि्मत कक्त जततत है, उरे अनधतधुनध
तरेीके रे अन् परेमपरेतओ सिं के पवित शतस्त्रों कहो इ सिंभगत करे्ने हेतु, पजिस पश्चिम दतरेत इसतेमतलू कक्त जततत है| ्हिपलूदी
बतइवबलू कत मिपलूलू शतस्त्र तहोरेतह है, जिस जरम में रजिस ममभलूत हैं महोजिस ज़ज़ का की (Pentateuch) पत सिंश चि ककततब में, त्त कई
िविष्रिपलूश चिक ितष्, गत्ने, िज्न, ऐभतहतभरक आख्त्न एि सिं जत्न विष्क लूेर| ईरतई्ों के भलूए पवित शतस्त्र
हैं, कहब्रिपलू बतइवबलू (जिस जरे पिपलूि्म विधत्न – Old Testament कहते हैं) एि सिं ्नि विधत्न (New Testament),
जिस जरम में श चितरे रुिततत्मएएँ (Gospels), ईरत के श चितरे मुख् भशष्ों के कृत््, कई रमुदत्ों ्त व््वक्ति्ों ्त श चिश चि्षों कहो
भलूरे गए पत, एि सिं रेहस्होद्तसिस्ट्नों का की ककततब में हैं| मुरलूमत्नों के भलूए पवित शतस्त्र कुरेत्म्न है, जिस जरम में बतइवबलू म में
िजिस ण्मत रेहस्होद्तसिस्ट्नों कहो रही एि सिं दहोषही्न रूप दे कद्त ग्त है , त्त ्हिपलूदी एि सिं ईरतई बतइवबलू कत
अभधक्रमण करे्ने ितलूे ्नए रेहस्होद्तसिस्ट्नों कहो उरम में वपरेहो कद्त ग्त है|

ितरेती् परेमपरेतओ सिं म में भलूजिस रत शतस्त्रों का की जिस स्भत के रतपेक्ष पजिस पश्चिमी पवित शतस्त्रों का की जिस स्भत, जिस ज्नकत विशेष
कत्निपलू्नी स्त्न हहोतत है औरे जहो अभधकतररेक रूप भलूए हहोते हैं, त्त कुछ परेमपरेतओ सिं म में जहो अ सिंभतम िी मत्ने
जतते हैं, वबलूकुलू भिन्न है| िैकदक दृवष रे देर्ने परे बतइवबलू आश्रिुभत है, अ्त्मत प्रत््क्ष प्रबहोध का की अ्नुििपलूभत
्नही सिं है, बजिस लक अभधकत सिंशतमशः समृभत है (घसिस्ट्नतक्रमों कत एक भलूजिस रत वििरेण, जिस ज्नके रनदि्म बदलूते रेहते हैं
औरे जिस जनह में भ्न्मों म में बत सिंधत ्नही सिं जत रकतत), जहो पिपलूरेी तरेह रे अन् के दतरेत एक वििरेण है औरे ईरत के
सि् सिं के रेहस्होद्तसिस्ट्नों अ्ित अ्नुििों कत वििरेण ्नही सिं है| इरके अभतररेक्ति, ्नि विधत्न ककरी पवित ितषत म में
्नही सिं भलूरत ग्त बजिस लक, एक प्रकतरे का की प्रश चिभलूत लूौककक ्िपलू्नत्नी ितषत म में है जहो उ्न कद्नों ििपलूमध्रतगरे के
इद्म-भगद्म क्षेत म में रतमतन्तमशः बहोलूी जतती ्ी| ्द्यवप, आश्रिुभत (आकद कतलूी्न धिभ्न्ों के रमत्न) तक्नीका की रूप
रे अपौरुषे् हैं, कफरे िी दहो रनदि्म तहो हमेशत हहोते ही हैं, एक, जिस जर ऋवष ्ने उनह में (ऋश चितओ सिं कहो) रहोजत ्त
्त दर
िपलू रेत, पतिक जहो उ्नकहो रमझतत है| प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट मत कहो मत्न्ने ितलूे ईरतई्ों ्ने, तत्नतशतह श चिश चि्म के स्त्न
परे एक तत्नतशतह ककततब कहो रेर कद्त, जहो भरद्धत सिंततमशः र सिंस्तगत श चिश चि्म एि सिं उरके पतदररे्ों के भ्न् सिंतण रे
मुवक्ति श चितहते ्े| श चिश चि्म का की अभत र सिंगकित औरे र सिंस्तवपत र सिंरेश चि्नत कत भ्नकहतत््म ्ह है कक, मत-शतस्त्रों के विष्
म में उरके दतरेत जतरेी कक्े गए फतिों परे एक औपश चितररेक केन्द्री् भ्न् सिंतण रेहतत है, त्त मिपलूलू पवित शतस्त्र
कहो श चिु्नौती दे्नत मत-विरेहोधी ्त ईश-भ्न सिंदत के रमत्न मत्नत जततत है| इरके विपरेीत, श चििपलूएँकक समृभत्तएँ कई आश्रिहोतों
रे उपजी हैं औरे उ्नपरे ककरी कत िी केन्द्री् भ्न् सिंतण ्नही सिं है, इर के कतरेण कह सिंद िपलू धम्म म में वब्नत कह सिंरतत्मक
्ुद्धों अ्ित आत सिंररेक सिस्टिपलूसिस्ट-फिपलूसिस्ट के, पररेित्म्न का की र सिंिति्नत रदत ब्नी रेहती है|

ईरतई औरे कह सिंद िपलू परेमपरेतओ सिं म में पवित शतस्त्रों का की रमझ का की तुलू्नत कहो भश चिवतत करे्ने हेतु कई वब सिंदओ
ु सिं कहो एक
ततभलूकत म में उदतहरेण रकहत प्रसतुत कक्त ग्त है जहो "विभिन्नतत " के पृष्ठ २९० परे एि सिं (Being Different)
के पृष्ठ २५९ परे उपलूबध है|

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धम्म, ररेभलूज्न ्त कत्निपलू्न कत रमत्नत्र ्नही सिं है: र सिंसकृत शबद 'धम्म' का की उत्पवत्त बीज अक्षरे 'ध्री' रे हुई है,
जिस जरकत अ््म है 'जहो धतरेण करेतत है' ्त 'जिस जरके वब्नत कुछ िहरे ्नही सिं रकतत' ्त 'जहो ब्रहत्ड का की जिस स्रेतत
एि सिं लू् कहो ब्नत्े रेरतत है', औरे रनदि्म-विशेष के अ्नुरतरे जिस जर 'धम्म' शबद के विविध अ््म हहोते हैं,
पजिस पश्चिमी शबदकहोष म में उरकत कहोई रमत्नत्र है ही ्नही सिं| इरके रतपेक्ष एक विशुद्ध एि सिं ईमत्नदतरे मजहब कत
आदश्म है जहो छै ('विभिन्नतत' के पृष्ठ २९१ एि सिं Being Different के पृष्ठ २६० म में इ सिंभगत) मत्नद सिंडों कत पतलू्न
करेतत है| ्े रिी मत्नद सिंड भ्नि्मरे करेते हैं, उर एक प्रतभधकतरे का की आश्रि सिंरलूत परे जहो दभु ्न्त सिं म में ई्विरे के
ऐभतहतभरक हसतक्षेप रे अप्नी प्रमतजिस णकतत प्रतप्त करेतत है| अन् र सिंप्रदत्ों के अध्््न का की व््िस्त हेतु
र सिंितद परे ईरतइ्त के भ्न् सिंतण के फलूसिरूप, उर्ने पहलूे रे ही बततश चिीत के रब िग्षों एि सिं शीष्मकों कत
भ्नधत्मरेण कक्त, जिस जरके कतरेण अन् धम्षों का की वििेश चि्नत म में ग सिंिीरे गलूभत्तएँ हुई हैं| श चिश चि्म दतरेत भ्नधत्मररेत एि सिं
लूतगिपलू कक्े जत्ने ितलूे कत्निपलू्न का की शुरुआत, बतद के रेहोम्न रमतसिस्टों के रम् म में हुई| ्हिपलूदी कत्निपलू्न कत अ सिंभतम
आश्रिहोत है, इज़रेतइलू कत ई्विरे| रिी पजिस पश्चिमी मजहब मत्नते हैं कक ई्विरे के कत्निपलू्नों कत पतलू्न, िैरे ही हहो्नत
श चितकहए जैरे कक ककरी शतरक के आदेश कत| इरभलूए, ्ह अभत आिश्क है कक 'भमथ्त देिततओ सिं' कहो
भधककतरेत औरे हरेत्त जत्, ततकक िे गलूत कत्निपलू्न जतरेी ्न करे द में, जहो 'रही कत्निपलू्न' कहो ्नकतरे िी रकते हैं|

इरके विपरेीत, ऐरत कहोई दसततिेज़ ्नही सिं है जिस जररे पतत श चिलूे कक ितरेत के ककरी शतरक ्ने ककरी क्षेत-विशेष
के भलूए ्त ककरी रतर रम् परे, विभिन्न धतभम्मक समृभत्ों अ्ित धम्मशतस्त्रों कहो लूतगिपलू करे्ने का की कहोई
मु्नतदी का की हहो, ्न ही कक ऐरत कहोई दतित कक्त हहो कक ई्विरे ्ने ऐरे कत्निपलू्नों कत इलहतम घहोवषत कक्त है, ्न
ही कक इ्न कत्निपलू्नों कहो कहोई शतरक लूतगिपलू करेे| रेतजतओ सिं म में रे ककरी ्ने िी प्रभरद्ध समृभत्ों के ककरी िी
र सिंकलू्नकतत्म ऋवष का की भ्न्ुवक्ति ्नही सिं का की| ्तजिलक् समृभत का की शुरुआत, एक तपसिी के आआश्रिम म में हुई|
म्नुसमृभत म में उजिस ललूजिस रत उरकत आरे सिंि, म्नु का की पण्म कुसिस्टी म में हुआ, जिस जनहों्ने रमतभध का की अिस्त म में उ्नरे पिपलूछे
गए प्रश्नों कत उत्तरे कद्त| ऋवष्ों कहो म्नु उपदेश देते हैं कक हरे ्ुग कत अप्नत विभशष धम्म हहोतत है
(म्नुसमृभत, १.८२). इरभलूए, धम्म कहो मजहब मत्न्नत एक ि् सिंकरे ििपलूलू ्ी|

जतभत त्त िण्म, कतससिस्ट के रमत्नत्र ्नही सिं हैं: जतभत शबद (प्रत्मशः 'कतससिस्ट' के रूप म में गलूत अ्निपलूकदत) कहो एक
रमुचश चि् के रूप म में रमझ्नत उभश चित हहोगत, जैरत गजिस णत अ्ित रतकहत्् म में एक विधत ्त शैलूी के रूप म में|
इर शबद कत उप्होग मत्निेतरे इकतइ्ों के कक्े िी हहोतत है , उदतहरेण के भलूए, पेड़ों का की जतभत, एक प्रकतरे
के अ सिंकों का की जतभत, कक्र्तओ सिं का की जतभत, आकद| इरी प्रकतरे, 'िण्म' शबद कत अ््म है रे सिंग, औरे व््वक्ति्ों के पिपलूि्म
कम्षों एि सिं विभशष गुणों ्त प्रिृवत्त्ों के आधतरे परे, लूहोगों का की विविध विशेषततओ सिं एि सिं गुणों कहो िी इर शबद
रे र सिंदभि्मत कक्त ग्त|

ओम, आमी्न - अललूतह आकद कत रमत्नत्र ्नही सिं है: अ सिंगेजी म में र सिंसकृत शबदों कत रूपत सिंतरेण ्न हहो रक्ने कत
प्रश्न कही सिं िी इत्ने अभधक महत्ि कत ्नही सिं है, जिस जत्नत 'ओम' का की धिभ्न एि सिं उरके प्रतीक हहो्ने के अ्नुितद कहो
लूे करे है| एक रतमतन् लूेकक्न गलूत पररेपतसिस्टी, विशेषकरे 'ईरतई ्होग' के हलूकों म में प्रश चिभलूत हुई है, कक
'ओम' के स्त्न परे आमी्न अ्ित ईरत कत प्र्होग कक्त जत्ने लूगत है| मनत रूप म में ओम, क सिंप्न रूप म में
वब्नत र सिंसकतरे-गसत मत्नर का की मध्स्तत के, इ्विरे का की ही अ्नुििपलूभत है, जिस जरके स्त्न परे रमत्नत्र शबदों
कत उप्होग ्नही सिं हहो रकतत है| पत सिंजभलू ्ने ओम कहो ई्विरे कत 'ितश चिक' कहत| मत्नर-पसिस्टलू रे ्नतम-रूप एि सिं
उ्नके पृ्क रनदि्षों कहो विलूी्न करे्ने हेतु ही, ओमकतरे कत जप कक्त जततत है|

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दमशःु र, पीड़त (रफररे सिंग) कत रमत्नत्र ्नही सिं है: ितरेती् धम्म परे सिंपरेतएएँ रतमतन् रूप रे ्ह मत्नती सिं हैं कक
मत्निी् रमस्तओ सिं के मिपलूलू म में, अधिपलूरेत अ्ित गलूत र सिंजत्न एि सिं रमझ है, जहो हमतरेे दतरेत अप्ने ही पिपलूि्म-
र सिंसकतरेों के कतरेण िौभतक िसतुओ सिं, विश चितरेों, र सिंकलप्नतओ सिं एि सिं िति्नतओ सिं के रूप म में जगत कहो पृ्क-पृ्क
अि्िों रे ब्नत हुआ देरे जत्ने परे, उनह में रश चि मत्न लूे्ने रे उत्पन्न हहोतत है | जगत कहो दैत-पिपलूण्म मत्न्नत ही
बौद्धों के अ्नुरतरे, दमशःु र (र सिंतुवष कत आिति, शहोक, अ्ित व््गतत) कत कतरेण है| पजिस पश्चिमी दतश्मभ्नक, रतमतन्
व््िहतरे म में 'सि् सिं के सित्त्त-बहोध' कहो 'तत्ि' ्त 'रतरे' मत्नते हैं, लूेकक्न ितरेती् धतभम्मक दृवष रे, ऐरे तत्िों
अ्ित रतरेों म में वि्वितर ही घहोरे अजत्न है| कह सिंद िपलू अदैतितदी त्त बौद्ध, दहो्नों ही दृश् 'र सिंरतरे' कत विर सिंड्न करेते
हैं, लूेकक्न पररेणतम म में ्े, पजिस पश्चिमी उत्तरे-आधुभ्नकों के विर सिंड्न रे वबलूकुलू भिन्न हैं| जहो िी हहो, कह सिंद िपलू एि सिं
बौद्ध, दहो्नों धम्षों का की दृवष्ों के अ्नुरतरे, कहोई आकद ्नही सिं है; ््त््म अदैत है, औरे पृ्क तत्ि अस्तई एि सिं
रतपेक्ष हैं| कह सिंद िपलू एि सिं बौद्ध दहो्नों धम्षों म में, अह सिंकतरे जिस जरे पजिस पश्चिमी दतश्मभ्नक 'तत्ि' ्त 'सि् सिं कत सित्त्त-बहोध'
मत्नते हैं, रे मुवक्ति भमलू्ने परे ही ब्रह रे एक हहो्ने कत, ्त भ्नित्मण का की अिस्त कत, आ्न सिंद प्रतप्त हहोतत है| जब
उत्तरे-आधुभ्नकों दतरेत रतमिपलूकहक पहश चित्नों कत विर सिंड्न रमतप्त हहोतत है, तब कुछ शेष ्नही सिं रेह जततत, जहो रमतज
म में अलूगति औरे एक प्रकतरे का की भ्नरेतशत का की जिस स्भत कहो जनम कद्त करेतत है| जब कह सिंदओ
िपलू सिं त्त बौद्धों दतरेत
'र सिंरतरे' औरे अह सिंकतरे अ्ित 'सि् सिं के सित्त्त-बहोध' कत विर सिंड्न र सिंपन्न हहो जततत है, तब ब्रह रे एक हहो्ने का की,
ब्रहजत्न-आत्मजत्न प्रतप्त हहो्ने का की अिस्त अ्ित भ्नित्मण कत आ्न सिंद प्रतप्त हहोतत है|

्हिपलूदी त्त ईरतई मजहब पिपलूण्म-दैत परे डसिस्टे हुए रेहते हैं, अ्त्मत, दृश् रे दृषत कहो रदत, पृ्क देर्नत औरे इर
प्रकतरे मत्नि एि सिं ई्विरे के बीश चि आधतरेििपलूत अभिन्न एकतत कहो रमझ्नत ्त अ्नुिि करे्नत, उ्नके भलूए र सिंिि
ही ्नही सिं हहोतत| अह सिंकतरे, अप्ने इरेतदों कहो पिपलूरेत करे्ने, ितर्नतओ सिं कहो िहोग्ने, एि सिं जहो अवप्र् है उररे बश चि करे
रेह्ने कत प्र्तर करे्ने के भलूए दैत म में जीतत है, ्द्यवप उरके ्े इरेतदे रदत के भलूए अपिपलूण्म्नी् रेहते हैं|
अह सिंकतरे मत्नर का की एक कृवतम रेश चि्नत है औरे इरभलूए एक भ्रम, ्ह विश चितरे तहो उनह में वबलूकुलू ही असिीकत््म
है| इर प्रकतरे अह सिंकतरे के रिी कृत््, उरी अह सिंकतरे कहो रुरेतक एि सिं ततकत देते रेहते हैं| बौद्ध दृवषकहोण रे
पजिस पश्चिम के इभतहतर के विष् म में डेविड लूॉ् ्ने एक प्रब सिंध कत विकतर कक्त है, जिस जरकत उललूेर उ्नका की
पुसतक "बौद्ध दृवष म में पजिस पश्चिम कत इभतहतर" म में है - िे व््तख्त करेते हैं कक, उरके अलूग अलूग अि्िों
रमेत जहो पजिस पश्चिम कहलूततत है, िह 'सि् सिं' का की एक दहोषपिपलूण्म पररेकलप्नत परे आधतररेत है, जहो उ्नके अ्नुरतरे
'अिति' का की एक ऐरी रहोश चि परे भ्नि्मरे है, जिस जरे 'दमशःु र' के रमकक्ष रमझत जत रकतत है| इर 'सि् सिं के बहोध'
का की र सिंरेश चि्नत, दैत के आधतरे परे हहोती है, जिस जरम में रदत के भलूए, 'सि् सिं' ि 'दर
िपलू रेे' के बीश चि त्नति भ्नकहत रेहेगत
ही| लूॉ् पजिस पश्चिमी इभतहतर कहो उरके 'सि् सिं-बहोध' के रतमिपलूकहक सिरुप का की र सिंकलप्नत के विकतर के दत्रेे म में
देरते हैं, जहो विविध अितिों/दमशःु र उर्ने अप्ने हरे पड़ति परे झेलूे हैं, ि जहो जहो इलूतज उ्नके भ्नरेतकरेण का की
अर सिंिि रहोज के भलूए उर्ने जतरेी रेकरे हैं| दमशःु र के इलूतज के भलूए बतहरे का की ओ़रे देर्नत, सितधी्नतत के
विश चितरे कहो प्रतप्त करे्ने का की पजिस पश्चिमी पररेितषत है| लूॉ् ्ह िी रुझति देते हैं कक महोक्ष, मुवक्ति, भ्नित्मण, आकद
सित्त्ततत का की िैकजिस लपक र सिंकलप्नतएएँ हैं, जिस ज्न परे पजिस पश्चिम ्ने प्त्मप्त रूप रे अ्ित ग सिंिीरेततपिपलूि्मक किी विश चितरे
्नही सिं कक्त औरे िे ्ह दतित करेते हैं कक पजिस पश्चिमी सित्त्ततत कत इभतहतर, उरके सि् सिं-बहोध का की छवि के
भ्नदिर्देशों रे हत सिंकत जततत रेहत है, जिस जर अहम कहो रीभमत वि्वि म में अभमत विसततरे का की श चितह रेही है| पजिस पश्चिम का की
सि् सिं का की ्ह छवि, पतप के ब सिंध्न के र सिंसकतरेों रे िरेे, ईरतई मिपलूलू पतप रे र्ने व््वक्तित्ि के विश चितरेों दतरेत हत सिंका की
जतती रेही है, जहो िविष् म में उद्धतरे के पररेदृश् का की आर म में, रदत ित्ममत्न क्षण रे पलूत््न करे्नत श चितहतत है|

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ईरत, अिततरे ्नही सिं हैं: ईरतई ्ह मत्नते हैं कक पिपलूण्म रूपेण केिलू एकमतत ईरत ही हैं जहो शतरेीररेक एि सिं
आध्तजिस त्मक रूप रे परेमे्विरे के रमत्न हैं, औरे प्रत्मशः ऐरे प्र्तर हहोते रेहते हैं कक उनह में अिततरे बतत्त जत्,
जहो एक कह सिंद िपलू पद है| मुवक्तिदततत ईरत त्त कह सिंदओ
ु सिं के अिततरे म में मुख् अ सिंतरे परे रबरे उत्तम व््तख्त
आ सिंतहोभ्न्हो द भ्नकहोलूर ्ने का की है| “ईरत का की मुवक्तिदततत छवि ई्विरे औरे पतप रे िरेी मत्नि जतभत के बीश चि
मध्स् है| हम इर छवि कहो बभलू के बकरेे के रूप म में िी जत्नते हैं औरे एक स्त्नतपन्न रेतजत के रूप म में
िी: जिस जरे शेष रमुदत् का की मुवक्ति हेतु ककरी रतर मौके के भलूए भशकतरे के रूप म में श चिु्नत ग्त
्त...मुवक्तिदततत/पतपी का की र सिंकलप्नत का की इर ्होज्नत म में व््वक्ति्ों के भलूए अप्ने आध्तजिस त्मक जत्न कहो रुधतरे्ने
का की गु सिंजतईश के भलूए र सिंिति्नत अभधक ्नही सिं है...्हिपलूदी, इसलूतम एि सिं ईरतई मजहब, इर ्होज्नत के अ्नु्त्ी
त्त र सिंस्तपक हैं...व््वक्तिगत पररेपिपलूण्मतत इर ्होज्नत हेतु पिपलूण्म रमप्मण म में ही है...दभु ्न्त म में जहतएँ िी कह सिंरत
व््तप्त है, िहत सिं ्ह मुवक्तिदततत ्होज्नत श चितलूिपलू है ”| लूेकक्न अिततरे का की र सिंकलप्नत इररे भिन्न है: “दर
िपलू रेी ओ़रे,
मुवक्तिदततत ्होज्नत का की तुलू्नत म में अिततरे ्होज्नत म में मत्नि विकतर का की र सिंिति्नतओ सिं कत क्षेत कही सिं अभधक
विसतृत है, औरे अरत ् (अव््िस्त) के गि्म रे उपज्ने ितलूी अ्न सिंत र सिंिति्नतओ सिं म में रे ्नत्कों, देिों, म्नुष्ों
आकद रिी र सिंिि रूपों, म में मत्निी् आकतरे, जनम लूे्ने का की प्रतीक्षत करेते रेहते हैं जहो रिी त््तग का की पररेितषत
रे पररेभश चित हहोकरे, उत्रग्म हेतु रदत तत्परे रेहते हैं...”| इर ब्रहत्ड रुपी ई्विरे कहो ही हम 'जगत' कहते हैं;
औरे उरका की कदव्् लूीलूत अ्नेक रूपों म में विकभरत हहोकरे प्रकसिस्ट हहोती रेहती है; इरभलूए, इनरत्न ितसति म में
म्नुष् रूप म में ई्विरे ही है, िह उररे कम कतई ्नही सिं| इरी कतरेण ईरतइ्त कत ्ह विभशष दतित कक ईरत ही
ई्विरे के एकमतत प्रभतभ्नभध हैं, ितरेती् धतभम्मक मतों कहो वबलूकुलू सिीकत््म ्नही सिं है| अिततरे ई्विरे कत दृश्
रूप है, त्त उरके अ्न सिंत गुणों म में रे, उ्नका की विििपलूभत ककरी एक ्त अभधक गुणों के रत्् का की जीि सिंत
अभिव््वक्ति हहोती है| ई्विरे दतरेत श चिु्ने गए पैगमबरेों का की तरेह, अिततरे मध्स् कत दतभ्त्ि ्नही सिं भ्नितते हैं|

' हहोलूी जिस सपररेसिस्ट ', शवक्ति अ्ित कु्डभलू्नी कत रमत्नत्र ्नही सिं है: रिी मतों म में रमत्नतत का की प्रश चिभलूत रहोज के
कफरेतक म में, प्रत्मशः ्ह रुझति कद्त जततत है कक ईरतइ्त कत हहोलूी जिस सपररेसिस्ट, कह सिंद िपलू धम्म म में श चिभश चि्मत शवक्ति अ्ित
कु्डभलू्नी के रमत्न है| जहो िी हहो, देित्ि कत भ्नरूपण करे्ने ितलूे ्े शबद, परेसपरे भिन्न ही ्नही सिं हैं,
अर सिंगत िी हैं| अन् बततों के अलूतित, इ्न शबदों के अ््म अरमत्न एि सिं भिन्न ब्रहत्ड विजत्नों परे आधतररेत
हैं| प्रतरे सिंभिक िैकदक रतकहत्् ्ने, जगत कहो शवक्ति का की अभिव््वक्ति बतत्त औरे ्ह कह्नत उभश चित हहोगत कक
प्त्मिरेण कहो देिी मत्नकरे, ््त््म म में उरका की रुरेक्षत का की व््िस्त सितमशः हहो जतती है| ईरतइ्त म में, हहोलूी
जिस सपररेसिस्ट कहो मत्नि के 'अ सिंदरे' मत्नत है, ्द्यवप शवक्ति के विश चितरे रे भिन्न, िह मत्नि के 'सि् सिं-बहोध' अ्ित
ब्रहत्ड के रतरे के रूप म में ्नही सिं रमझत जततत, लूेकक्न इर परे उ्नकत हि तहो है कक िह ऊपरे रे अ्ित 'सि् सिं'
के बतहरे रे उतरेत है, जबकक, कह सिंद िपलू शतस्त्र कहते हैं: '्ह देह सि् सिं ही देिी कत म सिंकदरे है, ्ह उरकत डेरेत है'|

शवक्ति कहो गलूत रूप रे ईरतई र सिंरेश चि्नत म में बैित्ने कत एक औरे दषु पररेणतम ्ह भ्नकलूत है कक, कह सिंद िपलू देिी का की
उपतर्नत कहो कुमतरेी मररे्म मततत का की 'िरेभशप' कत रमत्नत्र मत्न भलू्त ग्त है| ई्विरे का की उपतर्नत देिी
मततत के रूप म में करे्नत, जहो महत-प्रतण का की प्र्म अभिव््वक्ति हैं, िह जहो कक्र्तत्मक शवक्ति हैं जिस जरके गि्म रे
रमसत ब्रहत्ड एि सिं उरके रिी रूपों का की रेश चि्नत हहोती है , ्ह वि्वि कहो कह सिंद िपलू धम्म का की एक अ्नहोरी दे्न है | बुद्ध
धम्म म में िी कित्न भ््न के ्नतम रे देिी मततत करुणत का की मिपलूभत्म हैं , देिी ्त शेरेतप श चितमत के रूप म में, िह मकहलूत
हैं जहो अरतधतरेण विभध रे परे सिंपरेत का की 'महत्न मततत' ब्न ग्ी सिं ्ी सिं| सपष है कक, जिस जर प्रकतरे कत स्त्न कुमतरेी
मररे्म मततत कहो ईरतइ्त म में प्रतप्त है एि सिं जिस जर रूप म में उनह में, आम तौरे परे उ्नके दतरेत रमझत जततत है, िह

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उर रे वबलूकुलू भिन्न है, जिस जर प्रकतरे कह सिंदओ
ु सिं म में, देिी रमझी जतती सिं हैं एि सिं उ्नका की विविध अभिव््वक्ति्ों के
मतध्म रे उ्नकहो जिस जर प्रकतरे रे उ्नके िक्तिों दतरेत अ्नुिि कक्त जततत है|

पैगमबरे ्त ईरतई र सिंत, ऋवष, गुरु ्त ्होगी के रमत्नत्र ्नही सिं हैं: ईरतई र सिंत कत अभधकतररेक अ््म है, िह जहो
मरे श चिुकत है औरे जिस जरे रेहोम्न कै्भलूक अ्ित पिपलूिर ईरतई श चिश चि्षों दतरेत मतन्तत दी गई हहो कक, ईरतइ्त के
ितदे के अ्नुरतरे सिग्म म में उरे मुवक्ति भमलू गई है एि सिं उरे ई्विरे कत कदव्् दश्म्न भमलू ग्त है | औपश चितररेक रूप
रे १०,००० रे अभधक मतन्तत प्रतप्त कै्भलूक र सिंत हैं औरे इररे कही सिं अभधक हैं पिपलूिर ईरतई श चिश चि्षों म में| ्ह
आिश्क ्नही सिं कक िे श चिेत्नत के ककरी उत्कष्म हेतु मत्ने गए हों, बजिस लक अप्ने बभलूदत्न के भलूए ही उनह में
मतन्तत दी गई हहोती है| कई र सिंत ्न तहो रेहस्ितदी ्े औरे ्नत ही मत्शतस्त्री| र सिंत मत्ने जत्ने कत मुख्
आधतरे दबति का की जिस स्भत म में व््वक्तिगत भ्नष्ठत ब्नत्े रेर्नत एि सिं श चिमत्कतरे करे्नत हहोतत है|

र सिंत शबद कत इसतेमतलू करे्ने रे प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट लूहोग परेहेज़ कक्त करेते हैं, ्द्यवप कई प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट मत प्रश चितरेक
सि् सिं, कत ई्विरे रे रीधत र सिंपक्म हहो्ने कत दतित करेते हैं| ्ह र सिंपक्म ई्विरे का की इचछत के भलूए हहोती है , ्न कक
ई्विरे के रत ्-भश चित-आ्न सिंद सिरुप के भलूए| रेहोम्न कै्भलूक लूहोगों रे कही सिं अभधक, ई्विरे रे र सिंपक्म करे्ने म में
मत्निी् प्र्तर के महत्ि कहो प्रहोसिस्टेससिस्ट सिंसिस्ट ्नकतरेते हैं, जिस जरे िे पिपलूण्म रूप रे ई्विरे का की कृपत परे आभआश्रित मत्नते हैं |
इर प्रकतरे 'र सिंत' शबद कहो 'गुरु' ्त '्होगी' कत रमत्नत्र मत्न्नत बड़ी गलूती है, अ्ित िैरे ही आश चित््म, रतधिपलू
्त जीि्नमुक्ति – जैरे र सिंबहोध्नों कहो जहो र सिंसकृत म में विभिन्न सतरे का की प्रत््क्ष आध्तजिस त्मक अिस्तओ सिं के भलूए
प्र्ुक्ति हहोते हैं, के भलूए इर तरेह 'र सिंत' शबद के रमत्न मत्न्नत बड़ी गलूती है|

इब्रतकहमी मजहबों म में पैगमबरे िह है, जिस जरे दैिी इचछत कहो पृथिी तक पहुएँश चित्ने हेतु ई्विरे ्ने श चिु्नत है, जिस जरम में
एक रतधतरेण व््वक्ति के रमत्न ही र सिंसकतरे हहोते हैं औरे ्ह कतई आिश्क ्नही सिं है कक िह एक पवित इ सिंरत्न
हहो ्त कफरे उर्ने एक ्होगी के रमत्न जीि्न जिस ज्त हहो| ्ह आिश्क ्नही सिं कक पैगमबरेों का की रेत्ों एि सिं
वि्वितरों कहो मुख्धतरेत के दृवषकहोण रे मत्शतस्त्री रही ही मत्न में, औरे जहो सि् सिं ्ह िी सपष करेते हैं कक
महत्ि, ई्विरे के रनदेश कत है, पैगमबरे कत ्नही सिं| ऋवष्ों के उद्गतरेों रे भिन्न जहो बतत मतकिर्दे का की है, िह ्ह है
कक, ई्विरे के रनदेश जिस जनह में पैगमबरे लूहोग पृथिी तक पहु सिंश चितते हैं , िे अभधकत सिंश रूप रे विभशष ऐभतहतभरक
अ्ित िविष् का की घसिस्ट्नतओ सिं रे रमब सिंभधत हहोते हैं | िीषण तबतही मश चित रक्ने का की क्षमतत रेर्ने ितलूे झिपलूिे
पैगमबरे बहुत रतरे्नतक हहो रकते हैं, जिस जरके कतरेण ही इभतहतर के रही हहो्ने कहो लूेकरे श चिश चि्म कहो इत्नी भश चि सिंतत
हुआ करेती है| ्हिपलूदी-ईरतई रहोश चि के अ्नुरूप, ई्विरे के पैगमबरे हहो्ने कत दतित ऋवष ्नही सिं करेते| ्ह महत्िपिपलूण्म
है कक अ सिंतम्मत र सिंितदों एि सिं र सिंब सिंधों के आ्होज्नों म में ितग लूे्ने ितलूे लूहोग, इ्न विभिन्नततओ सिं कहो रतक्मतत रे
पहश चित्न में, क्िपलू सिंकक ककरी ितरेती् धतभम्मक शबद, पद अ्ित आश्रिेणी परे त्तकभ्त पजिस पश्चिमी रमत्नत्र पद अ्ित
आश्रिेणी कहो स्तवपत करे्ने ्त इरके उलूसिस्टे ऐरत करे्ने रे उर र सिंसकृभत कत अ्नतिश्क विर सिंड्न हहो जततत है|

धतभम्मक देितत, मिपलूभत्मपिपलूजकों के देिततओ सिं के रमत्नत्र ्नही सिं हैं : बुतों का की पिपलूजत त्त बहुदेिितद का की प्र्तओ सिं कहो
प्रत्मशः कई मतों का की आश्रि सिंरलूत रे जहोड़करे देरत जततत है, जिस जनह में पहलूे प्रतश चिी्न इजरेतइलू ्ने औरे उरके बतद श चिश चि्म ्ने
दष
ु ततपिपलूण्म मत्नकरे ्नष कक्त| बुत-पिपलूजकों कहो ्नतजिस सतक मत्नत ग्त, जिस जनह में रतमिपलूकहक रूप रे 'परेत्त' बतत करे,
उनह में बद्नतम कक्त ग्त| उ्नरे ्ुद्ध करे्नत औरे हरेतकरे उनह में जबरे्न ईरतई ब्नत्नत हहोतत है| जैरे जैरे ्हिपलूदी
त्त ईरतई मजहब विकभरत हहोते गए औरे फैलूते गए, उनहों्ने बड़ी श चितलूतका की रे कई 'बुत-पिपलूजक' एि सिं

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'बहुदेिितदी' प्र्तओ सिं, प्रतीकों एि सिं विश चितरेों कहो पश चित भलू्त| इर प्रकक्र्त के दौरेत्न कई मतमलूों म में, परेतई र सिंसकृभत
म में घुरपैि करे उरे जबरेदसती अप्नत ब्नत लूे्ने कत कतम हहोतत रेहतत है औरे ्ह कत््म विभधित ईरत्त दतरेत
अन् र सिंसकृभत्ों कहो पश चित्ने हेतु, रतमतन्तमशः अप्नतई िी जतती रेही है| कह सिंद िपलू धम्म म में देितत एकमेि परेमे्विरे के
ही विविध प्रभतरूप हहोते हैं औरे िे उरी प्रकतरे रि्मव््तपी िी हहोते हैं| इर प्रकतरे, िे पुरेे शत्वित ््त््म कत
तत्न-बत्नत हहोते हैं औरे रत् ही लूहोकततीत एि सिं अपररेित्म्नी् िी| बतहरेी ब्रहत सिंडी् एि सिं हमतरेे अ सिंदरे विरेतज्ने
ितलूी कदव््ततएएँ, दहो्नों ही शवक्ति के रतक्षतत कदव्् रूप हहोते हैं| कह सिंद िपलू धम्म म में एक शत्वित ््त््म का की भिन्न
म्नहोिैजतभ्नक अिस्तओ सिं, उजत्मओ सिं एि सिं प्रभतितओ सिं कत प्रभतभ्नभधत्ि, विभिन्न देितत करेते हैं | विभिन्न शत्वित
तत्िों का की पिपलूजत करे्ने के अ््म म में कह सिंद िपलू धम्म 'बहुदेिितदी' (polytheistic) ्नही सिं है|

बुत, मिपलूभत्म कत रमत्नत्र ्नही सिं है: इब्रतकहमी मजहबों म में 'बुत' शबद ्नकतरेतत्मक एि सिं दष
ु ततपिपलूण्म र सिंकेतत््षों रे लूदत
हुआ है| ्ह शबद रतमतन्तमशः झिपलूिे देिततओ सिं का की रुदी हुई छवि्ों कहो र सिंदभि्मत करेतत है, जिस जनह में विशेषतभधकतरे
एि सिं रुविधतओ सिं कहो पत्ने के भलूए बभलू श चिढ़तई जतती ्ी| कुरेत्म्न, बुतपरेसतों कहो कहकतरेत रे देरतत है, जैरे कहब्रिपलू
बतइवबलू िी देरतत है| दहो्नों उ्नके विरुद्ध बलू प्र्होग का की अ्नुमभत देते हैं | ईरत एि सिं र सिंतों का की मिपलूभत्म्ों का की पिपलूजत
कहो (्द्यवप रीभमत तरेीके रे रतिधत्नीपिपलूि्मक) पिपलूिर ईरतई श चिश चि्म त्त कै्भलूक मततिलू सिंबी अप्नत्ने लूगे हैं|
ईरतइ्त म में, र सिंतों का की रुदी हुई छवि्ों कहो प्रभतमत (icon) िी पुकतरेत जततत है, जिस जनह में पविततत के क्रम म में
कम ही आ सिंकत ग्त है, औरे जिस जनह में आदरे (dulia) कत पतत तहो मत्नत जततत है, लूेकक्न पिपलूजत (latria) के ्होग्
्नही सिं, जहो ितसति म में केिलू ई्विरे का की ही हहो रकती है | रीधे रीधे बहोलूत जत्, तहो ्ह कहत जत रकतत है , कक
जिस जनह में ईरतई आदरे देते हैं िे प्रभतमतएएँ हैं औरे जिस जनह में कतकफ़ैरे पिपलूजते हैं िे बुत बतत्े जतते हैं|

ईरतई उपभ्निेशितकद्ों कत जब ितरेती् र सिंसकृभत रे पहलूे-पहलू रतम्नत हुआ, तब प्रश चिभलूत कह सिंद िपलू धम्म म में
छवि्ों एि सिं प्रभतमतओ सिं कहो जहो महत्ि कद्त जततत ्त, उररे ्हिपलूदी त्त ईरतई मजहबों के अ्नु्तभ््ों के
अ सिंदरे एक रतर तरेह कत अ सिंदरू्नी विकष्मण पैदत हुआ ्त (औरे अब िी हहोतत है)| कहोई तक्मर सिंगत िजह ्नही सिं है
कक ई्विरेत्ि कत ितरेती् भ्नरूपण, प्रभतमतओ सिं के रूप म में सिीकत््म ्न हहो, औरे उनह में बुत ही मत्नत जत्| भ्नजिस पश्चित
ही, ई्विरेत्ि के ऐरे भ्नरूपण का की प्रकृभत एि सिं उप्होभगतत के विष् म में ितरेती् धतभम्मक रमझ रे पजिस पश्चिम कुछ
रीर रकतत है| पवित छवि के भलूए र सिंसकृत म में शबद है मिपलूभत्म , जिस जरकत अ््म है 'जतगृत', 'ितसतविक' एि सिं 'जहो
कदव्् िति कहो प्रकसिस्ट करेे'| 'प्रतण', अ्ित 'कदव्् उपजिस स्भत' कहो ककरी प्रभतमत के अ सिंदरे 'प्रतणप्रभतष्ठत' के
कम्मकत सिंड के दतरेत स्तवपत कक्त जततत है| एक उत्रि के रमतप्न परे, उर उत्रि के इष का की मिपलूभत्म कत ककरी
पवित स्त्न अ्ित जलू म में 'विरज्म्न', अ्नतरवक्ति कत प्रतीक है| इ्न कृत््ों म में ्ह रनदेश कद्त जततत है, कक
ककरी कहो ककरी देितत के स्िपलूलू रूप ्त आकतरे म में आरवक्ति ्नही सिं बढ़त्नी श चितकहए, बजिस लक उरके कदव्् िति कहो
गहण करे्नत श चितकहए| आश्रिी अरेविनद कहते हैं - 'उर पत््रे का की ्नही सिं, बजिस लक उर कदव्् रत्तत का की उपतर्नत का की
जतती है जिस जरकत िह प्रभतरूप हहो'|

्ज, ईरतई बभलूदत्न कत रमत्नत्र ्नही सिं है: पजिस पश्चिमी विदत्न देितत, ्त देिततओ सिं कहो र सिंतुष करे्ने औरे/्त उ्नके
प्रभत आितरे व््क्ति करे्ने एि सिं उत्रि म्नत्ने हेतु अवप्मत कक्े गए रतद्य पदत््म, ितसतुओ सिं, जीवित पशुओ सिं, ्त
लूहोगों कहो 'मजहबी बभलूदत्न' के ्नतम रे र सिंदभि्मत करेते हैं| बभलूदत्न कत ्ह अ््म रेहोम्न मजहबी भरद्धत सिंत के
रूप म में रमझत जततत है, जिस जरके अ्नुरतरे 'पत्ने हेतु दे्नत हहोतत है'| ईरत के बभलूदत्न कहो 'प्रत्जिस पश्चित्त' के रूप म में
रमझत ग्त है, जहो प्रतश चिी्न त्त मध्-्ुगी्न कत्निपलू्नी श चिलू्न एि सिं रेीभत-ररेितजों का की रतर पहश चित्न हुआ करेती

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्ी| ई्विरे ्ने अप्ने औरे मत्नितत के बीश चि पु्नमशः मेलू-भमलूतप रमपतकदत करे्ने हेतु अप्ने एकलूौते बेसिस्टे कत
बभलूदत्न कक्त, ततकक आदम त्त हव्ित दतरेत कक्े गए मिपलूलू पतप रे पैदत हुई रमस्त कत भ्नदत्न हहो रके |
मत्नितत कहो अ्न सिंत ्नरेकितर रे बश चित्ने हेतु ्ह आिश्क ्त कक ई्विरे के न्त् के भलूए इर मिपलूलू पतप कत
प्रत्जिस पश्चित्त कक्त जत्| ्ह बभलूदत्न 'रब के भलूए केिलू एक बतरे' करे कद्त ग्त, औरे ्नि विधत्न ्ह
बतततत है इरे कफरे रे दह
ु रेत्नत ्नही सिं है|

्हिपलूदी एि सिं प्रतरे सिंभिक ईरतई दहो्नों परेमपरेतओ सिं म में, बभलूदत्न का की र सिंकलप्नत ्ने, शहतदत के रूप म में सि् सिं के
बभलूदत्न का की धतरेणत कत सिरुप गहण कक्त औरे श चिश चि्म ्ने अप्ने अ्नु्तभ््ों कहो सि् सिं कहो मुरीबत म में डतलूकरे
औरे इर प्रकतरे अप्ने विरुद्ध कह सिंरत िड़कत करे, शहीद हहो जत्ने के भलूए प्रेररेत कक्त| श चिश चि्म दतरेत र सिंत के रूप म में
घहोवषत एि सिं अभिसिीकृभत-प्रतप्त हजतरेों र सिंतों म में रे अभधकत सिंश र सिंत इरी प्रकतरे के शहीद ्े| मजहब के एक
विदत्न, जहो्नत््न ककररेश ्ने ्ह बतत्त है कक ईरतई्ों कहो श चिौ्ी रदी रे, कह सिंरत िड़कत्ने हेतु दर
िपलू रेों के विरुद्ध
आक्रतमक हहो्ने के भलूए प्रेररेत कक्त ग्त ततकक उरे घुमतकरे उ्नपरे अत््तश चितरे के रूप म में उरे प्रकसिस्ट कक्त जत
रके| शहतदत के दौरेत्न मृत््ु कहो 'रेक्ति रे बतभप्तसमत' मत्नत ग्त, जहो शहीद कहो 'पत्नी रे बतभप्तसमत' के रमत्न
मिपलूलू पतप रे मुक्ति करे देतत है| डेनिरे, कहोलूहोरेतडहो म में जिस स्त कुख्तत जौशुआ पररे्होज्नत, अरेबों डॉलूरे ितलूत
एक िैजिस ्विक र सिंगि्न है, जिस जरकत घहोवषत उदेश् पिपलूरेी मत्नितत कहो धमत्मनतरेण के मतध्म रे ईरतई ब्नत्नत है |
्ह पररे्होज्नत कही सिं िी ककरी िी ईरतई का की मृत््ु , जिस जरकत दहोष दर
िपलू रेों परे मढ़त जत रके , के गलूत आ सिंकड़े
त्त रिपलूश चि्नतएएँ पैदत करे्ने ितलूत एक रुश चितभलूत ् सिंत है| ितरेत के मतमलूे म में, जौशुआ पररे्होज्नत कत कतम
कह सिंदओ
ु सिं परे अ सिंगुलूी उित्नत है, जिस जनह में एक प्रभतद सिंदी के रूप म में मत्नते हुए, उनह में ितरेत देश कत प्रमुर मत हहो्ने
के कतरेण, परेतजिस जत करे्ने हेतु, सपष तरेीके रे ऐरी घसिस्ट्नतओ सिं म में लूक्ष् ब्नत्त जततत है|

पजिस पश्चिमी विदत्न अ्नुभश चित ढं सिंग रे ईरतई अ््षों म में , बभलूदत्न कहो र सिंसकृत शबद ्ज कत रमत्नत्र मत्नते हैं ,
जिस जरकत ितसतविक ततत्प््म '््त््म के विभिन्न सतरेों के बीश चि आदत्न-प्रदत्न' हहोतत है| आश्रिीमद िगिद-गीतत
(३:९ – १६) कहती है कक देितत हम में पहोषण देते हैं औरे हम में देिततओ सिं कहो पहोषण दे्नत श चितकहए| ्ज का की कक्र्त
मत्नितत कहो देिततओ सिं रे बत सिंध्ने कत रिपलूत है, औरे 'रि्मव््तपी ब्रह रदत रे ही ्ज म में स्तवपत हैं' (गीतत
३:१५)| रृवष सि् सिं अप्ने कहो ्ज रे ही पहोवषत करेती है| अप्ने जीि्न कहो दर
िपलू रेों के लूति के भलूए रमवप्मत
करे्नत ही ्ज के पीछे कत मुख् भरद्धत सिंत है| ्ज का की कक्र्त व््क्ति कहो अव््क्ति रे जहोड़्ने का की प्रकक्र्त िी है|
बभलूदत्न के रूप म में ्ज के अ्नुभश चित अ्नुितद के दतरेत, कई पजिस पश्चिमी विदत्नों ्ने जत्न-बुझ करे ्हिपलूदी त्त
ईरतइ्त म में आरे सिंि रे प्रश चिभलूत मत्नि-बभलू एि सिं शहतदत के इभतहतर कहो, इर पवित ितरेती् धतभम्मक कम्मकत सिंड
के स्त्न परे जहोड़ कद्त है| ईरतइ्त ्ने अप्ने प्रश चितरे-प्ररतरे हेतु शहतदत कहो एक उपतर्नत-पद्यभत के उचश चि
सतरे परे पहुएँश चित कद्त, जबकक, ितरेत म में ऐरत किी ्नही सिं हुआ|

कम्म, पीड़त (रफररे सिंग) का की पजिस पश्चिमी अिधतरेणत कत रमत्नत्र ्नही सिं है: रिी म्नुष्ों म में मिपलूलू पतप का की अिधतरेणत
के रतरेििपलूत दहोष परे ईरतई-्हिपलूदी मजहबों का की भ्नि्मरेतत, आजीि्न उ्नकत पृथिी परे पीड़त-्ुक्ति जनदगी वबतत्ने
कहो अभ्नित््म करे देतत है| इर प्रकतरे, पतप रे पीड़त पैदत हहोती है , अजत्न रे ्नही सिं, जिस जरकत इलूतज उ्नके
अ्नुरतरे केिलू ई्विरे दतरेत क्षमत कक्े जत्ने कत कृत्् है| ईरतइ्त के मतमलूे म में, केिलू ईरत, ई्विरे के पुत के
रूप म में, दर
िपलू रेों कहो मुवक्ति प्रदत्न करे रकते है , क्िपलू सिंकक केिलू िे ही मिपलूलू पतप रे मुक्ति हैं - (कु सिंितरेी मतएँ रे जनम
लूे्नत इरीभलूए अभत महत्िपिपलूण्म है)| पिपलूरेी मत्नितत कहो ्नरेक रे बश चित्ने हेतु, ईरत का की कृपत कहो उपलूबध करेत्ने

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के दतिे कत एकतभधकतरे इर प्रकतरे, ईरतई श चिश चि्षों के पतर है| इरभलूए, ईरतई त्त ्हिपलूदी मजहबों कत रदत रे
्ह मत्न्नत रेहत है कक, मत्नि-ह्रद् म में विरेतजमत्न ई्विरे का की मिपलूलूििपलूत कह सिंद िपलू अिधतरेणत, एक जुगुपरत्ुक्ति विश चितरे
है एि सिं ्नैभतक पत्न कत लूक्षण है|

पजिस पश्चिमी अहम, श चितहे िह मजहबी हहो ्त लूौककक, व््वक्तिगत हहो ्त रतमिपलूकहक, िह मत्नतत है कक उरकत एक
भमश्न है जहो उर रे कतम करेिततत रेहतत है; उरका की अप्नी एक पररेितषत है जहो उरे हम रबकहो एक शत्नदतरे
िविष् का की ओ़रे हत सिंक्ने ितलूे इभतहतर कत मुख् प्रभतभ्नभध ब्नततत है| हेगलू के रेेरी्-इभतहतर (linear
history) का की रहोश चि कत दतित, कक गैरे-पजिस पश्चिमी रभ््ततएएँ इर आक्रतमक पजिस पश्चिमी 'िति्नत' रे विरेत हैं, इर भलूए
उनह में पीड़त झेलू्नी पड़ती है, जब तक पजिस पश्चिम उनह में रफलूततपिपलूि्मक उररे उबतरे करे अप्ने म में आत्मरतत ्नही सिं
करे लूेतत| बतद म में, शहोषण कहो रमझत्ने हेतु उरकत विशेषण करे, मतकर्म के िग्म-र सिंघष्म के भरद्धत सिंत कत उप्होग
कक्त ग्त औरे प्रबलू पिपलू सिंजीपभत िग्म के विरुद्ध, रि्महतरेत के मरीहतई जिस जदहोजहद रे रमतधत्न रुझत्त ग्त|

ितरेती् धतभम्मक परे सिंपरेतओ सिं का की, मत्निी् पररेजिस स्भत के विष् म में इररे भिन्न रहोश चि है| िह अविद्यत है जहो
कत््म-कतरेण आश्रि सिंरलूत कहो जनम देती है औरे उरी रे व््वक्तिगत एि सिं रतमिपलूकहक पीड़त एि सिं दमशःु र का की पररेजिस स्भत्त सिं
पैदत हहोती सिं हैं| 'कम्म भरद्धत सिंत' कहो मत्न ्ने ितलूी, विभिन्न ितरेती् दश्म्न प्रणतभलू्ों दतरेत ऐरी रमझ अभिव््क्ति
का की जतती है, जहो अ्नुितदेतरे र सिंसकृत शबद 'कम्म' के अ्नुरतरे उरके विश चितरेों, िति्नतओ सिं एि सिं कृत््ों कत फलू,
बत्ममत्न म में त्त िविष् म में हरे ककरी व््वक्ति कहो भमलूतत है| 'कम्म' एि सिं 'कम्मफलू', इर प्रकतरे 'कत््म-कतरेण' कत
एक म्नहोिैजतभ्नक भ्न्म है| कहोई िी व््वक्ति, ककरी दर
िपलू रेे व््वक्ति के कम्म-फलू कहो ्नही सिं िहोगतत; इरभलूए, हरे
एक व््वक्ति के कम्म-फलू कत रततत, अलूग हहोतत है जिस जरम में उरके रब जनमों के एि सिं इर जनम के, अब तक
के रमसत कम्षों के फलू अ सिंककत हहोते हैं| हरे एक व््वक्ति का की अकदती् विभशषतत कत आधतरे, ितरेती्
म्नहोविजत्न म में ्ही है, जिस जरके विष् म में पजिस पश्चिमी विदत्नों ्ने गलूत तरेीके रे ्ह कदरत्ने कत प्र्तर कक्त है,
कक ितरेती् परेमपरेतओ सिं म में हरे व््वक्ति म में विभशषतत का की कमी है औरे केिलू पजिस पश्चिम म में ही व््वक्तिितकदतत कत
िति है| पीड़त के प्रभत ितरेती् दृवषकहोण इर प्रकतरे, ्न तहो ितग्ितदी अभिसिीकृभत ही है औरे ्नत ही इरकत
उलसिस्टत, अ्त्मत मत्नि जीि्न म में व््वक्ति कहो कुछ िी करे्ने का की, रुलूी छिपलूसिस्ट है| ित्ममत्न म में, वब्नत हत्-तहोबत के
पीड़त का की अभिसिीकृभत, औरे भ्नकसिस्ट िविष् म में, उरे कम करेते रेह्ने के भलूए प्र्तशीलू रेह्नत, औरे अ सिंततमशः,
कम्म-फलू के ब सिंध्न रे मुक्ति हहो जत्ने के भलूए, रतत रूप रे रतध्नत-रेत रेह्नत, ्ही जीि्न-रतध्नत है|

कम्मफलू, ईरतई अ््षों म में 'मुवक्ति' कत रमत्नत्र ्नही सिं है: ्द्यवप 'कम्म' एक ितरेती् धतभम्मक शबद है, िह
पजिस पश्चिमी शबदकहोष म में 'कम्म' ्नतम रे 'कम्मफलू' के रूप म में प्रश चिभलूत हहो श चिलूत है| 'कम्मफलू कत भरद्धत सिंत' कुछ अ््षों
म में, बतइवबलू आधतररेत न्त् का की अिधतरेणत रे रमत्नतत रेरतत है, ्द्यवप इ्न दहो र सिंकलप्नतओ सिं म में िी
महत्िपिपलूण्म भिन्नततएएँ हैं| ्हिपलूदी त्त ईरतई मजहबों म में, इ सिंरतफ रबकहो अ सिंततमशः, केिलू 'न्त् के कद्न' भमलूेगत,
जब हरे व््वक्ति कहो उरके रब कतमों के भलूए जिस जममेदतरे िहरेत्त जत्ेगत औरे उरके अ्नुरतरे ही उरे स्त्ी
रूप रे सिग्म ्त ्नरेक म में िेजत जत्ेगत, जबकक कह सिंद िपलू धम्म कत विश चितरे है कक सिग्म ि ्नरेक का की इ्न दहो
अिस्तओ सिं म में भ्नितर, रदत अस्त्ी हहोतत है औरे िह िी अचछे-बुरेे कम्षों के अ्नुपतत म में ही हहोतत है| एक
रि्म्नतशी-िविष्रिपलूश चिक र सिंघष्म के रमतप्न परे, ्ह 'न्त् कत कद्न' आतत है, जिस जरे गुह्य ितषत म में िे 'रम् कत
अ सिंत' कहते हैं| 'कम्म भरद्धत सिंत' म में, इरके विपरेीत ऐरत कहोई भ्नजिस पश्चित िैजिस ्विक 'न्त् कत कद्न' ्नही सिं हहोतत; बजिस लक,
वब्नत ऐरी कहोई रम्-रीमत के अ्ित ककरी रतमभ्क रनदि्म के िी, जिस जरम में रिी अचछे ्त बुरेे कम्म-फलू

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स्त्ी रूप रे रमतप्त हहो जतए सिंगे, ्नही सिं हहोतत| 'कम्म-फलू' कत भरद्धत सिंत एक रतत प्रितही-सिर सिंश चितभलूत, ब्रहत सिंडी्
व््िस्त है, जिस जरके अ सिंतग्मत रब कम्षों के फलू भमलूते हैं औरे िहोगे जतते रेहते हैं, जिस जर प्रकतरे प्रतकृभतक
विजत्न म में 'कत््म-कतरेण' का की प्रकक्र्त रदत श चितलूिपलू रेहती है औरे इर रनदि्म म में पु्नज्मनम कत विश चितरे महत्िपिपलूण्म है,
ततकक उप्ुक्ति फलूों कहो िहोग्ने हेतु तद्नुरतरे, आिश्कतत्नुरतरे हरे ककरी कहो ्न्त जनम भमलूतत रेहतत है|
ईरतइ्त म में, औरे पजिस पश्चिमी लूौककक (अ्त्मत म्नहोविजतभ्नक) विश चितरे म में, फलू प्रतभप्त का की रम्-रीमत रतमतन्तमशः
एक जीि्न-कतलू मत्नी जतती है| 'कम्म-फलू' के भरद्धत सिंत रे ्ह सपष हहो जततत है कक क्िपलूएँ दहो भिन्न प्रकृभत के
व््वक्ति वबलूकुलू अलूग-अलूग पररेजिस स्भत्ों म में पैदत हहोते हैं, जबकक, ईरतइ्त के अ्नुरतरे म्नुष्ों के गैरे-
बरेतबरेी के जनम, ई्विरे का की रेहस्म्ी मजर रे हहोते हैं| इ्न परेमपरेतओ सिं म में प्रमुर अ सिंतरेों के रतरे का की एक
ततभलूकत विभिन्नतत' के पृष्ठ ३३२ परे उपलूबध है त्त दर
िपलू रेी ततभलूकत जहो इ्न परेमपरेतओ सिं म में पीड़त, कम्म, मुवक्ति
एि सिं महोक्ष के रनदि्म म में तुलू्नत प्रसतुत करेती है, िह इरी पुसतक के पृष्ठ ३३३ परे उपलूबध है (respectively
on pages 299 and 301 of 'Being Different')|

कम्म्होग , ईरतई ' िकर्म ' कत रमत्नत्र ्नही सिं है: 'िकर्म' एक ईरतई शबद है जहो कह सिंद िपलू त्त बौद्ध धम्षों म में
आध्तजिस त्मक रतध्नत एि सिं कम्म्होग रे भमलूतत-जुलूतत है| किहोरे प्रहोसिस्टैससिस्ट सिंसिस्ट परेमपरेतओ सिं म में, कहोई िी अप्ने प्र्तर
्त 'िकर्म' रे मुवक्ति 'कमत' ्नही सिं रकतत, श चितहे िह आध्तजिस त्मक रतध्नतएएँ हों, उपकतरे के कृत्् हों, ्त आत्म-
बभलूदत्न हहो; प्रहोसिस्टैससिस्ट सिंसिस्ट मत के अ्नु्तभ््ों के भलूए, ्ह भ्रतजिस नत कक कहोई मुवक्ति कहो 'कमत' िी रकतत है, उ्नके
आध्तजिस त्मक विकतर का की बतधतओ सिं म में प्रमुर है| इरके पररेणतमसिरूप, प्रहोसिस्टैससिस्ट सिंसिस्ट मततिलूजिस मब्ों म में ्होग-रतध्नत
जैरी ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं के प्रभत गहरेत अवि्वितर है| कै्भलूकों म में, कुछ आध्तजिस त्मक रतध्नतएएँ ऐरी
अिश् हैं जहो ितरेती् रतध्नतओ सिं रे भमलूती-जुलूती हैं, जैरे कक मतलूत जप्नत, लूेकक्न उ्नम में िी बहुत ऐरे हैं
जहो ्होग-रतध्नत रे परेहेज़ करेते हैं, अ सिंशतमशः इरभलूए कक, इररे ईरतई विभशषतत कहो रतरेत पैदत हहो रकतत है|
ितरेती् धम्म के अ्नुरतरे, जीि्न के प्रमुर उदेश् कहो प्रतप्त करे्ने हेतु, व््वक्तिगत रतध्नत एि सिं कृपत दहो्नों का की ही
आिश्कतत हहोती है| िगिद्गीतत कम्म्होग परे जहोरे देती है, अ्त्मत ई्विरे कहो रिी कम्म-फलूों कत रमप्मण करे्ने
रे मुवक्ति पत्नत| ्हतएँ प्र्होग कक्े गए शबद 'रमप्मण' कत अ््म, जिस जममेदतरेी रे छुसिस्टकतरेत पत्नत ्नही सिं है, ऐरी
आशत रे का की रब कतम ई्विरे सि् सिं करे मेंगे - (कह सिंद िपलू परे सिंपरेत ऐरी रहोश चि कहो ततमभरक गैरे -जिस जममेदतरेी कत एक रूप
कहेगी)| '्होग' शबद का की व््तख्त करेते हुए आश्रिी अरेविनद के अ्नुरतरे - "्ह कहोई ्नुसरत ्त व््िस्त ्त
जड़ रतध्नतओ सिं कत रममुचश चि् ्नही सिं है, बजिस लक ब्रहत्ड का की मिपलूलू प्रकृभत परे आधतररेत ्ह एक शत्वित तथ् है"|

ईरतई मुवक्ति, जीिनमुवक्ति एि सिं महोक्ष कत रमत्नत्र ्नही सिं है : मिपलूलू पतप रे उत्पन्न शत्वित ्नरेकितर का की रमस्त
रे बश चि्ने कत रमतधत्न, ईरतई मुवक्ति है| लूेकक्न ऐरी कहोई रमस्त ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में विद्यमत्न
्नही सिं है| धतभम्मक मुवक्ति एि सिं ईरतई मुवक्ति म में मौभलूक भिन्नततएएँ हैं| अजत्न, पिपलूि्म र सिंसकतरेों एि सिं कम्षों के बहोझ रे
मुवक्ति ही ितसति म में महोक्ष है| ईरतई मुवक्ति, दर
िपलू रेी ओ़रे, बढ़ी हुई जतगरूकतत अ्ित श चिेत्नत के विकतर,
रेहस्म् परेत-प्रकृभत कत जत्न, ्त िौभतक रतध्नतओ सिं (्द्यवप ्े रजिस ममभलूत कक्े िी जत रकते हैं) रे कहोई
मतलूब ्नही सिं रेरती| उर मुवक्ति का की अ्नुििपलूभत केिलू ई्विरे का की इचछत के प्रभत पिपलूण्म रमप्मण रे ही हहो रकती है,
औरे ई्विरे ऐरे मतमलूों म में केिलू बतइवबलू कत ही ई्विरे हहो रकतत है| एक औरे अिस्त जहो र सिंसकृत म में िजिस ण्मत
है, जिस जरके रम-कक्ष ईरतइ्त म में कहोई अिस्त ्नही सिं है , िह है एक ऐरत व््वक्ति जिस जरे र सिंसकृत ित सिंगम् म में
जीिनमुक्ति कहत ग्त है - ऐरत व््वक्ति जहो अप्ने पिपलूि्म कम्षों रे पिपलूण्म रूप रे मुक्ति (अ्त्मत, कम्म-ब सिंध्न रे मुक्ति)
हहो श चििपलूकत है औरे कफरे िी, ित्ममत्न म में र सिंरतरे म में रकक्र् है|

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ितग २
अध्त् ६ – पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत रे मुकतबलूत

लूेरक कत इर पुसतक कहो भलूर्ने के उदेश्ों म में प्रमुर है , पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत के दतिों कहो ्नकतरे्नत| इ्न
दतिों के अ्नुरतरे, पजिस पश्चिम ही इभतहतर कहो श चिलूत्ने ितलूत है औरे उरकत लूक्ष् िी, औरे इर तरेह रे िह ्नमिपलू्नत
िी स्तवपत करेतत है, जिस जरे अन् रिी रभ््ततओ सिं एि सिं र सिंसकृभत्ों कहो अप्नत्नत ही हहोगत| ्ह विश चितरे
्िपलूरेहोवप्ों त्त अमरेीक्नों का की अनतपश्चिेत्नत म में इत्नी गहरेतई रे रमत ग्त है कक, िह उ्नका की पहश चित्नों कत
प्रमुर कहसरत ब्न श चिुकत है| इर परे िी, िह पजिस पश्चिम के भलूए उ्नके ही पररेप्रेक्ष् रे लूगिग अदृश् ही है| पिपलूि्म-
पक्ष का की विभध रे अ्ित पिपलूि्म का की ओ़रे लूगी पजिस पश्चिम का की 'एकसिस्टक दृवष कहो पलूसिस्ट्ने' रे, हम पजिस पश्चिमी
रति्मिौभमकतत के विश चितरे परे प्रकतश डतलू रकते हैं एि सिं ्ह िी रमझ रकते हैं कक, ककर प्रकतरे इर कतरेण रे
ितरेत त्त उरका की धतभम्मक परेमपरेतओ सिं कहो गलूत रमझकरे, ्नीश चित कदरत्त ग्त|

पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत कहो पहलूी बतरे तब जहोरेदतरे व््तपक अभिव््वक्ति भमलूी जब, अितहरेिी सिं रदी के अ सिंभतम
एि सिं उन्नीरिी सिं रदी के प्रतरे सिंभिक िष्षों के दौरेत्न ्िपलूरेहोप म में रूमत्नी आनदहोलू्न छत्त रेहत| इरके श चितरे मुख्
प्रभतफलू हुए, जिस ज्नम में रे प्रत््ेक कत रमबनध ितरेत औरे उरका की धतभम्मक परेमपरेतओ सिं रे है : १) एक
आध्तजिस त्मक एि सिं रत सिंसकृभतक, त्त िौभतक र सिंरतध्न के रूप म में िी पिपलूित्मत् का की 'रहोज'; २) पजिस पश्चिमी, विशेष करे,
जम्म्न ्नसलूी् पहश चित्नों कहो रुदृढ़ करे्ने म में र सिंसकृत कत उप्होग; ३) एभश्तई रेतष्ट्रों के मुकतबलूे, ्िपलूरेहोपी् त्त
अमरेीक्न रेतष्ट्रों म में व््तप्त, एक 'रति्मिौम' वि्वि-िति के प्रतदि
ु त्मि के रूप म में िैजिस ्विक इभतहतर के एक आख्त्न
कत विकतर (जिस जर आख्त्न कत प्रभतपतद्न मुख् रूप रे एक व््वक्ति, हेगलू दतरेत कक्त ग्त); औरे ४) इर
आख्त्न कत ितपर ितरेत कहो भ्न्त्मत हहो्नत, जिस जरकत रीधत प्रिति ्ह हुआ कक उर रम् इर उिरेते हुए
शवक्तिशतलूी पजिस पश्चिमी 'रति्मिौभमक' भम्क के अलूहोक म में ितरेती् लूहोगों कहो अप्ने ििपलूतकतलू के विष् म में ,
ग सिंिीरेतत रे ्नए तरेीके रे रहोश चि्ने का की आिश्कतत तब महरिपलूर हहो्ने लूगी|

जैरत कक हम देर मेंगे, इ्न श चितरेों दृवषकहोणों कत प्रिति आज िी विद्यमत्न है , जहो हरे झड़प म में हतिी रेहते हैं जब,
पजिस पश्चिम का की ितरेत रे मुलूतकतत हहोती है, रतरकरे उ्न अिधतरेणतओ सिं के रूप म में जिस ज्न परे ्ह 'रति्मिौभमकतत' कत
भम्क कसिस्टकत हुआ है| ्द्यवप इररे भमलूती-जुलूती प्रिृवत्त्त सिं हरे रभ््तत म में हहोती सिं हैं , लूेकक्न पजिस पश्चिम अप्ने
इभतहतर के वििरेण, दश्म्न त्त पहश चित्न कहो दर
िपलू रेों परे ्होप्ने म में विशेष करे रफलू रेहत| इर प्रकक्र्त कहो
अनजतम दे्ने हेतु, दर
िपलू रेों के इभतहतरों औरे पहश चित्नों कहो पश चित्ने का की आिश्कतत पड़ी, ततकक उ्नम में जहो कुछ
उप्होगी ्त उर कहसरे कहो पजिस पश्चिम कत ितग ब्नत कद्त ग्त| परेसपरे विरेहोधी वि्वि-दृवष्ों कहो जहोड़्ने के
प्र्तरों ि अ्नेक विसततरे का की पररे्होज्नतओ सिं रे पहोवषत, अहम का की व््गततओ सिं रे ्ह प्रकक्र्त र सिंश चितभलूत है|

ईरतइ्त कत तहो ्ह दतित है कक, उरे पिपलूरेी दभु ्न्त परे अप्नी इभतहतर-केजिस न्द्रकतत ्होप्ने कत ई्विरेी् आदेश
है, लूेकक्न प्रबहोध कतलू के कई ्िपलूरेहोपी् दतश्मभ्नकों ्ने िी ्नत्नत प्रकतरे के िैश चितररेक परेम भरद्धत सिंत विकभरत कक्े
जिस जनह में 'िैजिस ्विक' दजत्म दे कद्त ग्त| एक ग सिंिीरे पिपलूि्मधतरेणत रेश चिी गई कक, वि्वि इभतहतर कत आकतरे ि कदशत उरे
केिलू पजिस पश्चिमी लूक्ष् का की ओ़रे लूे जत रेहे हैं - श चितहे िह मुवक्ति हहो अ्ित िैजतभ्नक लूौककक प्रगभत| इर लूक्ष्
कहो प्रतप्त करे्ने हेतु विविध व््िस्तएएँ ब्नी, जिस ज्नम में वि्वि के रिी लूहोगों एि सिं र सिंसकृभत्ों कहो बैित्त ग्त|
इरके पररेणतम-सिरुप विभिन्न गैरे-पजिस पश्चिमी रभ््ततओ सिं का की बौवद्धक एि सिं रत सिंसकृभतक रमपदत कत पजिस पश्चिम दतरेत

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हड़प्नत जतरेी रेहत| ऐरी रति्मिौभमकतत मत्नि का की आिश्ततओ सिं कहो पिपलूरेत करे्ने म में अरफलू रेही है; बहुत हहोगत
तहो इररे पजिस पश्चिमी भ्नदिर्देश परे रभ््तत का की एक प्रकतरे का की कृवतम एकतत हतभरलू हहो िी रकती है|

पजिस पश्चिम दतरेत पश चित्ने एि सिं र सिंशेषण - विष्क एक अध्््न म में जम्म्नी कत स्त्न : अितरेहिी सिं रदी के उत्तरेतध्म
एि सिं उन्नीरिी सिं रदी के पिपलूित्मध्म म में, जम्म्नी, फत सिंर त्त इ सिंगलूै्ड म में त्तकभ्त रूमत्नी आनदहोलू्न के ्नेतत गण,
प्रतश चिी्न ितरेत म में विशेष कदलूश चिसपी कदरत्ने लूगे| तब प्रश चिभलूत विश चितरे कक ्िपलूरेहोपी् र सिंसकृभत का की उत्पवत्त कत
आधतरे ्हिपलूदी है, कत मुकतबलूत उरका की उत्पवत्त कत आधतरे ितरेत है, करे्ने लूगत| इर बदलूति कत मुख् कतरेण
्ह ्त कक, र सिंसकृत कहो प्रमुर ्िपलूरेहोपी् ितषतओँ के करेीब पत्त ग्त - जबकक हीब्रिपलू उ्नके करेीब ्नही सिं ्ी -
औरे रिी ्िपलूरेहोपी् विदत्न, र सिंसकृत म में भलूरे गए ितरेती् शतस्त्रों का की रहोज रे श चिमत्कृत ्े, जिस जरकत उप्होग
उ्नके ििपलूतकतलूी्न इभतहतर के पु्नभ्न्ममत्मण म में िी कक्त जत रकतत ्त|

र्न १८०० औरे १८५० के बीश चि, लूगिग हरे प्रमुर ्िपलूरेहोपी् भशक्षत केन्द्र ्ने एक र सिंसकृत अ्ित ितरेत-शतस्त्र
(Indology) कत विितग स्तवपत करे कद्त ्त, िह िी कई स्त्नों परे लूैकसिस्ट्न एि सिं गीक कत स्त्न भगरेत करे|
एक प्रतश चिी्न पररेषकृत र सिंसकृभत रे इर प्रकतरे का की ्नजदीका की ्ने, बुवद्धजीिी िग्म के विदत्नों कहो उरके रत्
्िपलूरेहोपी् इभतहतर कहो रतझत कदरत्ने का की रहोज के भलूए प्रेररेत कक्त| बीरिी सिं रदी के आरे सिंि तक, पिपलूरेे ्िपलूरेहोप
त्त अमरेीकत म में ितषत विजत्न के क्षेत म में र सिंसकृत कत बढ़-श चिढं करे बहोलू-बतलूत ब्नत रेहत, लूेकक्न बीरिी सिं रदी
के मध् तक, र सिंसकृत का की गह्न भशक्षत म में रूभश चि कम हहो श चिलूी ्ी, औरे आज तहो पजिस पश्चिमी उचश चि-भशक्षत के क्षेत
म में िह लूुप्त प्रत्मशः हहो गई है|

्िपलूरेहोपी् पहश चित्न-रेतज्नीभत (identity politics) के आत सिंररेक र सिंतुलू्न परे पु्नजत्मगरेण एि सिं उपभ्निेशितद, दहो्नों
कत भमलूकरे अरमत्न प्रिति पड़त| फत सिंभररी, वब्रकसिस्टश, सपे्नितरी, पुत्मगतलूी औरे इततलूिी क्रमशमशः प्रत््ेक के पतर
अप्नी अप्नी पहश चित्न औरे अप्ने अप्ने ्नतगररेकों के आत्म-रममत्न कहो बढ़तित दे्ने के भलूए इभतहतर कत एक
एक बृहद-आख्त्न मौजिपलूद ्त, लूेकक्न जम्म्नों के पतर ऐरत कहोई बड़त दतित ्नही सिं ्त, क्िपलू सिंकक ्न तहो उ्नके पतर
कहोई विदेशी रतमतज् ्त औरे ्नत ही कहोई रेतजरी विरेतरत, जिस जरपरे िे ्नतज़ करे रकते| बजिस लक, उ्न कद्नों
्िपलूरेहोप िरे का की पतठ्-पुसतकों म में जम्म्न लूहोगों कहो अरभ्् बतत्त जततत ्त, जिस जनहों्ने पहलूे रेहोम्न रतमतज् कहो
औरे उरके बतद फत सिंर म में ्िपलूरेहोप का की उचश चि र सिंसकृभत कहो ्नष कक्त ्त| इ्न पररेजिस स्भत्ों म में, जब जम्म्न लूहोगों
कहो ्ह जतत हुआ कक र सिंसकृत ितषत ्न केिलू एक विकभरत रभ््तत का की रिपलूश चिक है, बजिस लक िह अन् प्रमुर
्िपलूरेहोपी् ितषतओँ का की अपेक्षत जम्म्न के रबरे करेीब है, उ्नम में आत्मरममत्न कत एक ्न्त िति पैदत हुआ|

ितरेत त्त विशेषकरे र सिंसकृत के शतस्त्री् ्ुग के भलूए पजिस पश्चिम कत इर प्रकतरे कत रूमत्नी आकष्मण, पिपलूण्मतमशः
सित््मिश ्त| ितरेत रे जुडकरे जिस ज्न जम्म्न विदत्नों के कतम कहो आकतरे भमलूत उ्नम में जम्म्न रुमतभ्न्त के
अगजिस ण्ों म में रजिस ममभलूत ्े: जे.जी.फौ्न हरेडरे (१७४४-१८०३) औरे के.डबल्िपलू.एफ.फौ्न शेगेलू (१७७२-१८२९),
औरे इ्नके अलूतित जम्म्न आदश्मितद-व््िस्त के ती्न प्रमुर विख्तत भ्नमत्मतत ्े: एफ.डबल्िपलू.फौ्न
शैभलू सिंग (१७७५-१८५४), ए. शौपे्नहहोअरे (१७८८-१८६०), एि सिं जिस जनह में िुलूत्त ्नही सिं जत रकतत - जी.डबल्िपलू.एफ.
हेगलू| अप्ने जीि्न के अभधकत सिंश ितग म में ितरेत-शतस्त्र म में गहरेे डिपलू बे हुए इर रदी के अन् प्रमुर जम्म्न
विश चितरेकों म में रजिस ममभलूत ्े: डबल्िपलू. फौ्न हमबहोलसिस्ट(१७६७-१८३५), फत सिंत्र बौप (१७९१-१८६७) एि सिं मैकर मिपलूलूरे
(१८२३-१९००)| ्नीत्शे के दतश्मभ्नक ित सिंगम् कहो िी ितरेती् विश चितरेों ्ने प्रितवित कक्त ्त, औरे गेसिस्टे तहो

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कतभलूदतर के र सिंसकृत ्नतसिस्टक, अभिजत्न शतकु सिंतलूम रे इत्नत अभिििपलूत हुआ ्त कक उर्ने अप्नी कृभत फौससिस्ट
के प्रतकक््न कहो र सिंसकृत ्नतट्-शतस्त्र का की परेमपरेतओ सिं के आधतरे परे रेश चित| तब इ्न जम्म्न विदत्नों कत र सिंितद,
जीि सिंत वब्रकसिस्टश औरे फत सिंभररी ितरेतविदों रे िी हुआ ्त, जिस जरकत गहरेत प्रिति पड़त, उर उिरेते हुए 'पजिस पश्चिमी
विश चितरे -The West' परे जहो आज इर ्नतम रे जत्नत जततत है|

इ्न त्तकभ्त ्नए विश चितरेों के रनदि्म रे, धीरेे-धीरेे ितरेती् विश चितरेों कहो हसिस्टत्त ग्त औरे उनह में ्नए विकभरत
हहो रेहे जम्म्न श चिौरसिस्टों म में श चिु्न -श चिु्न करे बैित्त ग्त| इ्न ितरेती् विश चितरेों के ्नए उद्गम-आश्रिहोतों कहो रहोज्ने कत
प्र्तर कक्त ग्त औरे प्रमुर ्िपलूरेहोपी् विश चितरेकों दतरेत कई िैकजिस लपक पररेकलप्नतएएँ रुझतई गई| शेगेलू, जहो
जम्म्न विदत्नों म में रबरे पहलूे र सिंसकृत का की ओ़रे आकृष हुआ ्त औरे जहो ितरेत का की हरे श चिीज़ कत रम््मक ब्न
ग्त ्त, एकत-इक ितपर ईरतई ब्न ग्त औरे उर्ने, ितरेत कहो प्रतश चिी्न जम्म्न-जतभत का की जनमििपलूभम मत्न्ने के
अप्ने पहलूे के प्रब सिंध कहो ररेतररे ्नकतरे कद्त| र सिंसकृत शतस्त्रों रे ितरेती् धम्म कहो अलूग करे्ने कत उर्ने कफरे
िरेरक प्र्तर कक्त, ततकक र सिंसकृत रभ््तत के गैरे-धतभम्मक पहलूुओ सिं कहो श चिु्न-श चिु्न करे उनह में जम्म्न-ईरतई
पहश चित्न म में पश चित्त जत रके| ितरेत के प्रभत उ्नका की अबतक का की रुमतभ्न्त, इर प्रकतरे धीरेे-धीरेे घसिस्टती श चिलूी
गई, औरे शेगेलू त्त अन् जम्म्न विदत्न, ितरेत कहो कई बुरेतइ्ों ितलूत, आकदम रमतज रमझ्ने लूग गए|

हेगलू-ितदी, पजिस पश्चिम कत भम्क : ्ह अकररे िुलूत कद्त जततत है कक इर कदशत म में हेगलू कत कतम, प्रतश चिी्न
ितरेत के प्रभत रूमतभ्न्त रे लूगति का की प्रभतकक्र्त म में पैदत हुआ ्त| उर्ने ितरेती् विश चितरेों (जैरे अदैतितद)
कहो लूेकरे ितरेतविदों रे र सिंितद म में ितरेती् रभ््तत का की उप्होभगतत के विष् म में विरेहोधी तक्म कदए| उर्ने मत्नत
कक पजिस पश्चिम, औरे केिलू पजिस पश्चिम ही इभतहतर औरे िविष्-शतस्त्र कत अभिकतत्म है| ितरेत तहो 'जड़तत कत प्रतीक'
है, जिस जरके रतपेक्ष ही पजिस पश्चिम कहो पररेितवषत करे्ने हेतु उरके दतरेत उप्होग कक्त ग्त| ्द्यवप हेगलू कहो
इब्रतकहमी मजहबों रे गहरेी ्नफरेत ्ी, कफरे िी उर्ने उ्नका की इभतहतर-केजिस न्द्रकतत औरे उ्नके मुवक्ति के बृहद
आख्त्न कहो इत्नी गहरेतई रे अप्नत भलू्त ्त, कक मिपलूलू रूप रे उनह में, उर्ने कफरे रे ्नए रूप म में रड़त करे
कद्त (शत्द अ्नजत्ने म में), श चितहे इर प्रकक्र्त म में उरके ्नए विश चितरे अभधक लूौककक औरे उ्न मजहबों रे
अभधक िैजिस ्विक कदरतई पड़्ने लूगे हों|

ितसति म में इभतहतर के हेगलूितदी बृहद-आख्त्न कत महत-्नत्क 'वि्वि-िति' है (जहो कई मत््नों म में, ्हिपलूदी-
ईरतई मुवक्ति के इभतहतर कत ही प्रभतवबमब है), जहो पिपलूरेी मत्नितत का की कृवतम एकतत कत ही िति है, औरे इर
प्रकतरे, हेगलूितदी पजिस पश्चिम, भ्नवि्मितद रूप रे उत्कृष है क्िपलू सिंकक ्ह उरका की भ्न्भत है कक िह इर मुवक्ति-्ततत का की
अगुितई करेे औरे अन् रिी रभ््ततएएँ , उरकत अ्नुररेण करे में ्त ्नष हहो जत सिं् , औरे इररे आगे, कक जहो कहोई
इर ्होज्नत म में अप्ने कहो ्नही सिं बैितए सिंगे, िे इभतहतर के अ सिंग ्नही सिं हहो रकते, ्द्यवप 'वि्वि-िति' उ्नकत उप्होग
करे रकतत है, जैरे पौधों, पशुओ सिं, ििपलूभम आकद कत उप्होग कक्त जततत है| रिी म्नुष्ों कत ििपलूगहोलू तहो हहोतत
है, लूेकक्न रिी कत इर मत््ने म में इभतहतर ्नही सिं हहोतत|

कतृ्मत्ि म में कमी के कतरेण अन्ों म में इभतहतर कत अिति है, अ्त्मत, वि्वि म में कुछ करे्ने औरे पररेित्म्न लूत्ने
का की क्षमतत एि सिं उरके भलूए सितधी्नतत कत हहो्नत| ्ह 'वि्वि-िति' विभशष अभिरूप तय्तरे करेतत है, 'औरे ्े
अभिरूप वि्वि इभतहतर के रेतष्ट्र हैं| इ्नम में रे प्रत््ेक रेतष्ट्र ककरी रतर विकतर-सतरे कत प्रभतभ्नभधत्ि करेतत है,
औरे इर तरेह ्े रेतष्ट्र वि्वि इभतहतर के अलूग अलूग ्ुगों रे र सिंगती रेरते हैं'| छहोसिस्टे रे बड़े आकतरेों म में 'वि्वि-
िति' विकभरत हहोतत रेहतत है; इर भलूए विभिन्न रेतष्ट्रों कहो हेगलू इर विकतर-क्रम म में भिन्न भिन्न अिस्तओ सिं

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म में जिस स्त मत्नतत है| िह मत्नतत है कक ्ह ई्विरेी् ्होज्नत है| ्िपलूरेहोप औरे अमरेीकत कहो मत्निी् विकतर के
जुड़ित श चिमऑर्थोत्कश्षों के रूप म में कदरत्ने के भलूए, उर्ने घसिस्ट्नतओ सिं कत एक अर सिंतुभलूत कतलूक्रम गढंत| उर्ने ्ह िी
घहोषणत करे दी कक, ितरेत कत 'कहोई इभतहतर ्नही सिं है'| इर प्रकतरे 'वि्वि-िति' सपष रूप रे पजिस पश्चिमी है|

उपभ्निेशितद एि सिं ्नसलूितद कहो रही िहरेत्नत : इभतहतर के एक कदशत म में श चिलू्ने कत ्ह हेगलूी् भरद्धत सिंत,
इभतहतर कहो प्रगभत दे्ने के ्नतम परे पजिस पश्चिम दतरेत कक्े गए औपभ्निेभशक शहोषण कहो उभश चित िहरेत्े जत्ने के
भलूए प्रश चिभलूत हुआ| इर विश चितरे कहो हेगलू औरे आगे लूे जततत है, औरे कहतत है कक इभतहतर का की प्रगभत कहो
रु्नुजिस पश्चित करे्ने हेतु ्कद, ्िपलूरेहोपी् लूहोग कुछ िी करेते हों, जहो श चितहे ककत्नत ही जघन् क्िपलूएँ ्न हहो, िह मत्नि
विकतर के ्नतम परे उभश चित िहरेत्त जत रकतत है| रब लूहोग जहो गैरे- ्िपलूरेहोपी् हैं, इर प्रकतरे ्िपलूरेहोवप््न हत्ों
म में िसतुओ सिं के रमत्न हैं| जब ्े भरद्धत सिंत अफा कीक्नों परे लूतगिपलू कक्े गए तहो, िह कहतत है - 'िह (कतलूत
आदमी) अ्नगढ़ इ सिंरत्न है'| हेगलू कफरे तक्म देतत है, कक अचछत है कक अफ़ा कीका की लूहोग गुलूतमी म में ही रेह में जब
तक कक िे रभ्् हहो्ने का की पिपलूरेी प्रकक्र्त रे ्न गुजरे जत सिं्, जिस जरकत अ सिंभतम लूक्ष् है, उ्नकत ईरतई मजहब म में
पिपलूण्म रूप रे धमत्मनतररेत हहो्नत|

ितरेत - इभतहतर के वब्नत जड़ित है : सन १८२८ में हह, शेगेलू दतित करे्ने लूग गए ्े कक 'ितरेती्ों के पतर
कहोई विभधित इभतहतर ्नही सिं हैं , औरे ्न ही ऐभतहतभरक विजत्न के कहोई शतस्त्र...मत्निी् कतमकतजों एि सिं
घसिस्ट्नतक्रमों के विष् म में उ्नका की रिी अिधतरेणतएएँ पिपलूण्मतमशः पौरेतजिस णक हैं'| इरके दहो रतलू बतद ही, हेगलू ्ने सि् सिं
इरी प्रकतरे के विश चितरे व््क्ति कक्े औरे उ्नकत क््न मशहिपलूरे है कक ितरेत वब्नत इभतहतर कत एक देश है -
अ्त्मत, उरके पतर ऐरी क्षमतत ्नही सिं है कक िह रहोश चि-रमझ करे 'इभतहतर रेश चि रके'| उर्ने कहत - 'ऐभतहतभरक
रत््' ्नही सिं, 'सिप्न', ही ितरेती् म्नीषत का की उपज औरे ्ही उ्नका की सितितविक जिस स्भत्त सिं हैं|

इरके विपरेीत, पजिस पश्चिमी िति सितधी्न है औरे िह इर सितधी्नतत परे अमलू करेतत है | इरके कतरेण, पजिस पश्चिम
्ने पिपलूरेब कहो दबत्त है, औरे इर भलूए पिपलूरेब के प्रभत उ्नकत रुर सितितविक रूप रे एक मततहत जैरत है|
पजिस पश्चिम कहो ितरेत कत अध्््न करे ्तद रेर्नत है कक, उरे कक्न-कक्न श चिीजों रे परेहेज़ करे्नत है औरे उरे
क्त कुछ छहोड़्नत है - िह कतई ्नही सिं जहो उरे ितरेत रे अप्नत्नत है| िह रुझति देतत है कक, ितरेती्
परेलूहोक-ितदी अ्न सिंत म में रहो्े हुए हैं औरे िे 'रीभमत त्त विशेष' का की रही प्रकृभत (the nature of the 'finite
and the particular') का की रहोज अिी तक ्नही सिं करे पतए हैं| ऐरत रमतज दम्नतत्मक हहोतत है जहो मजहबी
उनमतद एि सिं उनमुक्ति विष्-िहोग के बीश चि झिपलूलूतत रेहतत है| इर भलूए, ितरेत अप्ने बश चिप्न म में फ सिंरत हुआ है,
विकतर म में अिरुद्ध है औरे अप्ने आप रे पररेपकि हहो्ने म में अरम््म है| महोक्ष, उरके विश चितरे म में, एक कतलपभ्नक
एि सिं ्नकतरेतत्मक मुवक्ति है| हेगलू के अ्नुरतरे, उपभ्निेश ब्न्नत ितरेत का की एक अभ्नित््म भ्न्भत है| ितरेत के
विष् म में अप्ने रब िक्तिव््ों म में, हेगलू गि्म रे अप्ने कहो '्िपलूरेहोवप््न भमसिस्टसिस्टी कत बेसिस्टत' कहतत है|

जैरत कक ितरेतविद विलहेलम हलबफतर (१९४०-२०००) सपष करेतत है, 'हेगलू कहो प्रतश चिी्न ितरेत का की व््िजिस स्त
जकसिस्टलूतत एि सिं ऐभतहतरक विविधतत का की कहोई िी प्त्मप्त जत्नकतरेी ्नही सिं ्ी'| हेगलू का की रमझ कक 'ितरेत
गभतही्न एि सिं इभतहतर-विही्न है', कहो कतलू्म मतकर्म दतरेत जतरेी रेकरत ग्त, जिस जर्ने ितरेत के विष् म में कहत ्त
कक िह 'उत्पतद्न का की ऐभश्तई-प्रणतलूी' म में फ सिंरत हुआ है| ितरेती् इभतहतरकतरे रेणजीत गुहत सपष करेते हैं
कक, ककरके पतर इभतहतर एि सिं विश चितरे-शवक्ति है औरे ककरके पतर ्नही सिं, जैरे पृ्कततितदी विश चितरेों के आधतरे परे
ही, ककर प्रकतरे औपभ्निेभशक शतर्न ितरेत परे उभश चित िहरेत्त ग्त| ितरेत के प्रभत इर प्रकक्र्त के
अपमत्नज्नक एि सिं वि्नतशकतरेी प्रिति कहो, ककरी प्रकतरे िी कम ्नही सिं आ सिंकत जत रकतत|

' पजिस पश्चिमी सितधी्नतत ' के विश चितरे कत र सिंड्न: हेगलू भलूरतत है- 'ितरेत औरे श चिी्न सितधी्नतत का की र सिंकलप्नत के

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रतरेििपलूत आत्म-िति रे वबलूकुलू विरेत हैं...| ितरेती् िैरेतग् के भरद्धत सिंत कत लूक्ष् कतमुकतत, आकत सिंक्षतओ सिं, एि सिं
रिी िौभतक ररेहोकतरेों के विष् म में रकतरेतत्मक ्नैभतक सितधी्नतत ्नही सिं है, िरे्न श चिेत्नत का की रमतभप्त तहो है ही
एि सिं आध्तजिस त्मक, ्हतएँ तक कक िौभतक जीि्न कत िी भशभ्लूीकरेण उरकत उदेश् है'| सितधी्नतत के विष्
म में ऐरत विश चितरे ्त ्ह शत्म हेगलू के भलूए भ्नणत्म्क है , जहो पजिस पश्चिम कत ईरतई हहो्ने रे जुड़त हुआ है| ्ह
विडमब्नत है कक ितरेत म में हेगलू, ईससिस्ट इ सिंकड्त क सिंप्नी के दम्नतत्मक शतर्न कहो 'रभ्् रेतष्ट्रों का की रही िीरेतत'
एि सिं 'रेतज् का की रेित हेतु बभलूदत्न' के रूप म में देरतत है|

पजिस पश्चिम म में व््वक्तिितद का की जहो अिधतरेणत उिरेी है िह अपेक्षतकृत हतलू का की बतत है , ्द्यवप प्रतश चिी्न शतस्त्री् एि सिं
इब्रतकहमी मजहबी भरद्धत सिंतों रे उरका की व््ुत्पवत्त कत दतित प्रत्मशः, अब कक्त जत्ने लूगत है| ईरतइ्त म में व््वक्तिगत
सित्त्ततत के मिपलूलू विश चितरे रे र सिंगती ्न रेर्ने ितलूे कई पहलूिपलू हैं, जिस ज्नम में मजहब के स्तवपत एि सिं रत सिंप्रदतभ्क
रेीभत्ों-ररेितजों कत अ्नुपतलू्न करे्ने का की अभ्नित््मतत रजिस ममभलूत है | इरके अलूतित, ्ह धतरेणत कक, अ सिंभतम
रम् (End Times) म में (salvation) मुवक्ति प्रदत्न करे्ने म में श चिश चि्म का की ही अहम ििपलूभमकत हहोगी, व््वक्तिगत
आध्तजिस त्मक सित्त्ततत म में सपष रूप रे ईरतइ्त म में एक बड़ी बतधत है| ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में इरके
वबलूकुलू विपरेीत, आत सिंररेक विजत्न कत विशेष महत्ि है, जिस जरम में हरे व््वक्ति कहो, वब्नत उर परे बतहरे रे, ककरी
्होपे गए शतस्त्री् भरद्धत सिंत ्त मजहबी ्त रेतज्नैभतक रत्तत के ककरी प्रकतरे के व््क्ति अ्ित अव््क्ति दबति के,
अप्ने ही मिपलूलू सििति के अ्नुरूप अप्नी इचछत रे रमुभश चित रतध्नत के मतग्म कहो सि् सिं रे श चिु्न लूे्ने का की अ्नतकद
कतलू रे अपतरे सित्त्ततत रेही है|

जम्म्न प्रिुत्ि कत जनम: एक सपष 'पजिस पश्चिम का की अिधतरेणत- idea of the West' ही इभतहतर म में हतलू का की बतत
है, जिस जरके पहलूे अएँगरेेज़, आ्ररेश, जम्म्न, इततलूिी, ्िपलू्नत्नी एि सिं सपे्न-ितरी, रब अप्ने कहो आपर म में लूड़्ने-
भिड़्ने ितलूी विभशष र सिंसकृभत्त सिं रमझते ्े, ्न कक एक रमजिस नित ्िपलूरेहोपी् रभ््तत के अ सिंग के रूप म में | हेगलू
्ह ििपलूलू जततत है कक, शेष वि्वि के पररेप्रक्ष् म में ही पजिस पश्चिम का की अिधतरेणत र सिंिि हुई है, जिस जर परे उरका की
र सिंरेश चि्नत एि सिं उरकत र सिंपहोषण भ्नि्मरे करेते हैं| हम उरके कतम म में पृ्क र सिंसकृभत्ों के रमिपलूह कहो, पजिस पश्चिम ्नतम
का की एक कृवतम एकतत म में बत सिंध्ने कत र सिंघष्म िी देरते हैं, जिस जरम में ्न केिलू ्िपलू्नत्नी, रेहोम्न, एि सिं इजरेत्लूी ही
्े, बजिस लक फ़त सिंभररी, जम्म्न, वब्रकसिस्टश, सपे्न-ितरी आकद िी ्े| हेगलू के अ्नुरतरे, िैरे तहो पजिस पश्चिम शुद्ध है,
लूेकक्न कुछ पजिस पश्चिमी लूहोग औरेों रे िी अभधक शुद्ध हैं| जम्म्नी का की भ्न्भत विभशष है औरे ईरतइ्त उरके मिपलूलू
म में है| '...जम्म्न लूहोगों का की भ्न्भत ईरतई भरद्धत सिंत के र सिंितहक के रूप म में है '| ितरेती् रभ््तत के अलूग-अलूग
कहसरों कहो तहोड़-मरेहोड़करे करे उ्न कत हेगलू के भलूए, पजिस पश्चिमी िग्षों म में पश चित्त जत्नत वबलूकुलू सितितविक एि सिं
अिीष िी है| जैरत कक हेगलू का की मत्नभरकतत कहो कदरतते हुए हलबफतर सपष करेतत है: '...्िपलूरेहोपी् विश चितरे कहो
रिी विश चितरेों का की परेमपरेतओ सिं का की रहोज-बी्न के भलूए रनदि्म एि सिं िग्षों का की व््िस्त जहो करे्नी है'| इरी रे सपष
हहो जततत है कक, तुलू्नतत्मक दश्म्न, तुलू्नतत्मक मजहब, एि सिं भ्नषपक्ष अ्ित भिन्न र सिंसकृभत्ों म में परेसपरे
रमझ पैदत करे्ने के ककरी िी प्र्तर कत हेगलू क्िपलूएँ विरेहोध कक्त करेतत ्त; बजिस लक ्ही कहतत रेहतत ्त कक
्िपलूरेहोपी् विश चितरे का की र सिंरेश चि्नत के अ सिंतग्मत, अन् रिी परेमपरेतएएँ रजिस ममभलूत हैं औरे िही पिपलूरेे जत्न के एका कीकरेण
कत एकमतत रतध्न है| वि्वि िति का की प्रगभत के एक अ सिंश कहो बढ़तित दे्ने के ही इर उदेश् कहो आगे लूे श चिलू्ने
के भलूए 'महत्न' पजिस पश्चिम म में वि्वििरे का की अन् 'ही्न' र सिंसकृभत्ों के विलू् हहो जत्ने कहो, हेगलू उभश चित मत्नतत
्त|

हेगलू का की मृत््ु के बतद, उरका की इभतहतर-विष्क ्िपलूरेहोप-क मेंक्द्रत व््तख्त कहो आ््षों का की पहश चित्न कहो विकभरत
करे्ने का की हद तक औरे आगे बढ़त्त ग्त| 'आ््म' शबद परे सिंपरेतगत ितरेती् श चिलू्न म में एक ्नैभतक ्त
आध्तजिस त्मक गुण कत द्यहोतक रेहत है, ककरी ्नसलू कत किी ्नही सिं, जैरत कक आरे सिंभिक बौद्ध ग सिं्ों म में इर शबद

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कत उप्होग बतरे-बतरे विशेष रूप रे ्नैभतक एि सिं धतभम्मक महत्ि कहो इ सिंभगत करे्ने ितलूत हहो्ने रे विकदत हहोतत है|
इरके पररेणतम सिरूप उद् हहो्ने ितलूे ्िपलूरेहोप म में ्नतत्रीितद कहो औरे तत्कतलूी्न वब्रकसिस्टश उपभ्निेश ितरेत म में
्द्रविड़-ितद कहो, ्कद ध्त्न म में रेकरत जत् तहो इर रैद्धत सिंभतक जतलूरतजी का की जघन्तत कहो कमतरे ्नही सिं आ सिंकत
जत रकतत है|

ितरेत रे ्ुरेहोपी् मुििेड़ के दौरेत्न ितरेत रम््मक औरे ितरेत विरेहोधी शवक्ति्ों दहो्नों के कत््षों कत एक रतरेत सिंश
भश चित विभिन्नतत के पृष्ठ ३५७ परे औरे (Being Different) के पृष्ठ ३२३ कद्त ग्त है|

हेगलू का की विरेतरत एि सिं ितरेती् रभ््तत : ितरेत, ितरेती्तत एि सिं ितरेती् िसतुओ सिं के प्रभत ििपलूतकतलूी्न उपेक्षत
का की िति्नत के मिपलूलू म में हेगलूितदी ्े विश चितरे रेहे हैं कक, ितरेत के पतर इभतहतर ्नही सिं है, औरे आज िी िे ितरेत
के प्रभत पजिस पश्चिमी दृवषकहोण कहो रत सिंश चित प्रदत्न करेते रेहते हैं| कई ितरेती् वि्विविद्यतलू्ों के दश्म्न-शतस्त्र विितग,
हेगलूितदी विश चितरेों एि सिं उ्नरे व््ुत्पन्न विष्ों परे आधतररेत हैं| कई ितरेती् बुवद्ध जीिी, अिी िी लूौड्म मैकॉलूे
का की छत्त म में हैं, जिस ज्नके ितरेती् र सिंसकृभत के बतरेे म में कुख्तत विश चितरेों ्ने वब्रकसिस्टश औपभ्निेभशक म्नहोिृवत्त कहो
कई पीकढ़्ों तक एक रत सिंश चित प्रदत्न कक्त| उपभ्निेशितकद्ों के प्रभत, उनह में इभतहतर कत िति दे्ने के भलूए ऐरे
ितरेती् रदत आितरेी रेहते हैं, जिस जरके विष् म में उनह में ्ह वि्वितर हहो श चिुकत है कक, ्ह उ्नके पतर पजिस पश्चिमी
शतर्न के पहलूे ्नही सिं ्त| हेगलू का की विरेतरत ऐरी है कक, उर्ने पजिस पश्चिम कहो उरके अप्ने ही त्तकभ्त
'रति्मिौभमक' विश चितरेों का की र सिंका कीण्मतत के प्रभत अ सिंधत ब्नत कद्त औरे इर प्रकतरे ितरेत-विष्क र सिंितद म में जहो
गलूत धतरेणतएएँ ब्नती सिं जत रेही सिं ्ी सिं, उ्नकहो र सिंगकित सिरुप दे कद्त| लूौककक रेतज् (secular state) म में हेगलू
के परेम भरद्धत सिंत का की उपलूजिस बध हेतु, तक्म-शवक्ति (reason) के अगररे हहो्ने कत ्ह प्र्तण-गीत है| अकतदमी्
दश्म्न-शतस्त्र, ितषत-विजत्न, रतमतजिस जक भ्न्मों एि सिं 'िैजतभ्नक' प्रकक्र्तओ सिं के रमतगम म में, ्िपलूरेहोपी् प्रबहोध के ्े
रब पिपलूित्मगह इर प्रकतरे रजिस ममभलूत हहो गए – जहो रब ईरतई मत्शतस्त्र के रत् रत्, विभिन्न रतमतज्ितदी
त्त औपभ्निेभशक मिपलूल्ों के दतरेत हत सिंके गए ्े| इ्न प्रितिों ्ने ितरेत-शतस्त्र (Indology) म में विभधित प्रिेश
कक्त, औरे आज ्े रब दजिस क्षण-एभश्त विष्क अध्््नों परे छत्े हुए हैं|

पतपश्चितत्् रति्मिौभमकतत के प्रभत रतमतन् प्रभतकक्र्तएएँ : पतपश्चितत्् रति्मिौभमकतत के दतिों के प्रभत प्रत्मशः, ती्न
रतमतन् प्रभतकक्र्तएएँ रतम्ने आती सिं हैं| एक मुख्तमशः उ्न दतिों के ्हिपलूदी-ईरतई आधतरे परे त्त एक औरे उ्नके
दतश्मभ्नक दतिों के प्रभत हहोतत है| (क) पहलूी प्रभतकक्र्त तहो रति्मजभ्नक क्षेत रे ही, धतभम्मक र सिंसकृभत कहो हसिस्टत
करे धम्म-भ्नरेपेक्षतत कहो स्तवपत करे्ने कहो, रमतधत्न मत्नकरे उरका की िकतलूत करेती है | (र) दर
िपलू रेी प्रभतकक्र्त
रिी बृहद आख्त्नों के, उत्तरे-औपभ्निेभशक विर सिंड्न का की िकतलूत करेती है, जैरत लूेरक दतरेत बतत्त ग्त है|
(ग) तीररेी प्रभतकक्र्त ही्नतत-जभ्नत व््गतत रे व््भ्त हहोकरे, पलूत््न का की रेहती है, जहो रिी परेमपरेतओ सिं कहो
एक अ्ित मतमिपलूलूी भिन्नततएएँ भलूए हुए मत्न्ने लूग जतती है| ्े ती्नों दृवष्त सिं तुकसिस्टपिपलूण्म हैं औरे दि
ु त्मग्िश इनह में
ही, जकसिस्टलू रमस्तगसत रूप देकरे ितपर ितरेत कहो विभधित भ्न्त्मत करे कद्त ग्त है|

पजिस पश्चिमी धम्म-भ्नरेपेक्षतत - ईरतइ्त कत छद रूप: धम्म-भ्नरेपेक्षतत, पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत कत एक ्नमिपलू्नत िरे
है, जहो पजिस पश्चिम का की रभ््तत का की कृवतम एकतत कत, एक कहसरत ब्न श चििपलूकत है| इभतहतर के अ सिंत म में एक िौभतक
आदश्म रेतज् स्तवपत करे्ने के इब्रतकहमी मरीहतई अभि्त्न कत मुकतबलूत, मजहब परे मतकर्म के हमलूे रे
कक्त ग्त| ्हिपलूदी-ईरतई रूप-रे सिंग का की पजिस पश्चिमी त्तकभ्त रति्मिौभमकतत के पररेणतम-सिरुप उत्पन्न हहो्ने ितलूी
्ह धम्मभ्नरेपेक्षतत, अनतभ्न्मकहत रूप रे उरका की विशेषततएएँ भलूए हुए हहोगी ही औरे इरभलूए िह, वि्वि के
विभिन्न मतों के प्रभत भ्नरेपेक्ष हहो ही ्नही सिं रकती| ब्रहत्ड, मत्निी् पहश चित्न एि सिं भिन्नतत का की प्रकृभत के
विष् म में, िह पजिस पश्चिमी पिपलूि्म-धतरेणतओ सिं त्त मिपलूल्ों रे पिपलूण्मत्त गसत है| धम्मभ्नरेपेक्षतत का की पिपलूरेी अिधतरेणत सि् सिं

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उ्न रमतजों रे उत्पन्न हुई है औरे उनही सिं परे लूतगिपलू िी हहोती है, जिस ज्नम में मजहब इभतहतर-क मेंक्द्रत हैं, रेतज्नैभतक
प्रकक्र्त म में स्तवपत हैं, विसततरेितदी हैं, औरे विजत्न के प्रभत उ्नम में अरहजतत है| ्ह एक ग सिंिीरे पजिस पश्चिमी
रमस्त कत एक ग सिंिीरे पजिस पश्चिमी रमतधत्न है| ्े रमस्तएएँ ितरेती् धतभम्मक परेमपरेतओ सिं म में ्नही सिं हैं , क्िपलू सिंकक िे
्न तहो इभतहतर-क मेंक्द्रत हैं, ्न धमत्मनतरेण म में रेत हैं, विसततरेितदी ्नही सिं हैं, औरे ्न ही उनह में िैजतभ्नक अविषकतरेों
रे ि् है| जहो हहो, इर रमस्त के मिपलूलू तक धम्मभ्नरेपेक्षतत ्नही सिं पहुएँश चि ती, केिलू पजिस पश्चिमी विश चितरेों कहो ही प्रसतुत
करेती है|

्द्यवप अमरेीका की उदतरेितद आभ््मक एि सिं ्नसलूी रमतत कहो अ सिंगीकतरे करेतत है , लूेकक्न व््िहतरे म में मजहबी
उदतरेतत हेतु उ्नका की रतमतन् अपेक्षत, अरलूी परेसपरे रममत्न के स्त्न परे केिलू रह्नशीलूतत िरे है|
रह्नशीलूतत कत विश चितरे अब प्रश चिभलूत हहो श चिलूत है, लूेकक्न जैरत कक अध्त् १ म में बतत्त जत श चििपलूकत है ,
रह्नशीलूतत बड़पप्न का की जिस स्भत रे कृपत करे्ने कत िति रेरतत है| ईरतई विभशषतत एि सिं रचश चिी उदतरेतत के
परेसपरे अ सिंतवि्मरेहोध परे किी िी रुलूे तौरे परे श चिश चित्म ्नही सिं हहोती (औरे शत्द गुप्त रूप रे िी ्नही सिं)| अमरेीका की
धम्मभ्नरेपेक्ष-उदतरेितद कहो अिी ज़मी्न परे ितसतविक बहुलूततितद के सतरे तक पहु सिंश चि्नत बतका की है | ईरतई, तिी
रचश चिे उदतरेितदी हहो रकते हैं जब िे अप्नी विभशषतत के दतिों का की अरभलू्त कहो सिीकतरे में औरे उ्न परे बतत
करे्ने कहो िी रेतजी हहो जत सिं्, जहो उनह में केिलू रह्नशीलूतत तक ही रीभमत करे देते हैं, औरे जब िे अन् मतों
कहो आदरे त्त रम््म्न तक दे्ने कहो तय्तरे हहो जत् मेंगे|

लूौककक एि सिं मजहबी वि्वि-दृवष्ों के वििेद ्ने अप्ने प्रभतवषत आधुभ्नक सिरूप कहो फ़त सिंभररी क्रत सिंभत के बतद रे
ही धतरेण कक्त ्त| रेहोम्न कै्भलूक श चिश चि्म कत रमबनध, सपषतमशः उचश चििग्म औरे मध्िगर्-रूकढ़ितद रे ्त,
जबकक ्ह मत्नत जत्ने ्त लूगत कक 'सितधी्नतत, रमतत एि सिं ितई श चितरेत' (liberty, equality and fraternity)
जैरे मिपलूल् केिलू विश चितरे-शवक्ति रे ही उपज रकते हैं| वब्रकसिस्टश रतमतज् त्त रूरी रेतजतनत रमेत कई
शवक्तिशतलूी हुकिपलूमतों के विरुद्ध उदतरेितदी बुवद्धजीवि्ों के दतरेत विश चितरे-शवक्ति, एक हभ््तरे के रूप म में प्र्होग का की
गई| कै्भलूक-ितद त्त पिपलूरेे ्िपलूरेहोप एि सिं अमरेीकतओ सिं म में धम्मभ्नरेपेक्ष रेतज्-व््िस्त के बीश चि, रुलूह कहो श चिररेतत््म
हहो्ने म में कई पीकढ़्त सिं लूग गई औरे कफरे िी उ्नके दतरेत ककरी प्रकतरे का की भ्नकहत एकतत अब तक प्रतप्त ्नही सिं का की
जत रका की है; बजिस लक उरे श चिश चि्म त्त रेतज्-व््िस्त कहो अलूग करेके ही हतभरलू कक्त जत रकत, िह ्त एक
ऐरत भरद्धत सिंत, जिस जरका की िकतलूत अमरेीकत के र सिंस्तपकों (Founding Fathers) ्ने का की| औपश चितररेक रूप रे
१९६० म में िैकसिस्टक्न कदती् (Vatican II) के बतद ही, कै्भलूक श चिश चि्म ्ने इर अलूगति कहो भरद्धत सिंत रूप रे मत्नत|

्िपलूरेहोप के रबरे महत्न एि सिं प्रितिशतलूी विश चितरेक, डतवि्म्न, मतकर्म एि सिं फौ्ड, पिपलूरेी तरेह रे धम्मभ्नरेपेक्षितदी मत्ने
जतते ्े, जिस जर दौरेत्न ईरतई मत्शतस्त्र का की बौवद्धक प्रभतष्ठत धीरेे-धीरेे भगरेती जत रेही ्ी| तब िी ईरतइ्त कही सिं
गई ्नही सिं; िह कफरे रे उग रूकढ़ितदी रूप म में उिरे्ने हेतु ििपलूभमगत हहो गई, औरे इर प्रकतरे के धम्मभ्नरेपेक्ष रेतज्
व््िस्त त्त दजिस क्षण-प सिं्ी मतितकद्ों के बीश चि कत रश सिंककत ्ुद्धविरेतम, आज िी अमरेीका की रेतज्नीभत कहो
अजिस स्रे ब्नत्े हुए है| विजत्न/मजहब का की दनद-्ुक्ति अजिस स्रेतत कहो, बतइवबलू परे आधतररेत भम्क ्त
अनधवि्वितरों के धम्मभ्नरेपेक्षतत रे विभश चित मेलू दतरेत, विजत्न एि सिं दश्म्न दहो्नों क्षेतों म में पजिस पश्चिम के कई
धम्मभ्नरेपेक्ष कहे जत्ने ितलूे ्नतमी भश चि सिंतकों के कतमों म में कदरत्त जततत है| उदतहरेण के भलूए, फत सिंभरर बेक्न,
जिस जनह में आधुभ्नक पजिस पश्चिमी विजत्न कत मरीहत मत्नत ग्त ्त, ्ह श चितहतत ्त 'कक आदम के, प्रकृभत त्त उरका की
शवक्ति के जत्न के रत् पवित एि सिं पतपरेकहत र सिंपक्म का की अिस्त का की ओ़रे लूौसिस्टत जत्..., एक ऐरी प्रगभत जहो
ितपर पत्न रे पिपलूि्म के आदम का की ओ़रे लूे जत्'| आइज़क न्िपलूसिस्ट्न, रहस्रतबदी (millennium) म में गहरेत औरे
उत्रतहपिपलूि्मक वि्वितर रेरतत ्त, औरे इर प्रकतरे अभधकत सिंशतमशः अप्नत रम् बतइवबलू आधतररेत िविष्ितणी्ों
कत अ््म भ्नकतलू्ने म में वबतततत ्त| ्होमर हौबर का की 'प्रकृभत का की अिस्त', जौ्न कैजिस लि्न के 'प्रतकृभतक मत्नि'

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कत वब्नत-इ्विरे कत उललूेर कक्े हुए धम्मभ्नरेपेक्ष र सिंसकरेण है, औरे हौबर के लूेित्््न म में बतइवबलू कत उललूेर
६५७ बतरे कक्त ग्त है, औरे उरके अन् बड़ी रेतज्नैभतक कृभत्ों म में िी इरी प्रकतरे का की प्रिृभत्त सिं कदरतई
पड़ती हैं| मतकर्मितद ्ने िी, मजहब का की आलूहोश चि्नत करे्ने म में पजिस पश्चिम के आधतरेििपलूत र सिंरेश चि्नतओ सिं एि सिं बृहद-
आख्त्नों कहो ही अप्नत्त, औरे ्े रब त्तकभ्त धम्मभ्नरेपेक्ष-वि्वि-दृवष का की अघहोवषत अिधतरेणतएएँ ब्न गई|

ितरेती् छद - धम्मभ्नरेपेक्षतत : मजहबी कह सिंरत कत मुकतबलूत करे्ने हेतु एक रतध्न के रूप म में धम्मभ्नरेपेक्षतत
कत एक औरे र सिंसकरेण पजिस पश्चिमी भशक्षत पतए हुए ितरेती् (एि सिं प्रत्मशः पजिस पश्चिम दतरेत प्रत्होजिस जत) विभशष िग्म के
लूहोग प्रसतुत कक्त करेते हैं| ितरेत म में रतमप्रदतभ्कतत कत मुकतबलूत करे्ने हेतु धम्मभ्नरेपेक्षतत कहो प्रभतवष्ठत
कक्त ग्त, जब कक ्िपलूरेहोप म में श चिश चि्म के र सिंस्तगत-प्रभतष्ठत्न के विरेहोध म में धम्मभ्नरेपेक्षतत कहो सिीकतरेत ग्त ्त|
ितरेत का की आज़तदी के बतद, गतएँधी के विकेजिस न्द्रत परे सिंपरेतगत रमतज के सिप्न के स्त्न परे ्नेहरु-ितदी
रमतजितद कहो अप्नत्त ग्त, जिस जर्ने अप्ने कहो इ सिंगलूी फॅ्ड त्त रहोवि्त र सिंघ के ्नमिपलू्ने परे ढंतलूत| १९७७ म में,
प्रधत्न म सिंती इ सिंकदरेत गतएँधी ्ने ितरेत के र सिंविधत्न म में एक र सिंशहोध्न कक्त जिस जरके दतरेत धम्मभ्नरेपेक्ष शबद
औपश चितररेक रूप रे पहलूी बतरे र सिंविधत्न का की ििपलूभमकत (Preamble) म में प्रभतवष्ठत कक्त ग्त| कदि सिंगत लूक्षमी मलू
भर सिंघ्िी कत कह्नत ्त कक 'रेक्ुलूरे' शबद कत रही अ्नुितद 'प सिं्भ्नरेपेक्ष' हहो्नत श चितकहए, ्न कक 'धम्मभ्नरेपेक्ष'
जैरत कक अभधकतररेक रूप रे तब कक्त ग्त ्त| विपरेीत-अ््म ितलूे ्े दहो र सिंसकृत शबद जिस ज्नकत अ सिंगेजी म में
अ्नुितद ्नही सिं हहो रकतत, ितरेती् धतभम्मक दृवषकहोण का की बहुलूततितदी प्रकृभत कहो रमझ्ने हेतु विशेष महत्ि
रेरते हैं| भ्नरेपेक्षतत कत अ््म हहोतत है - उदतरी्नतत, जबकक रतपेक्षतत कत शतजिस बदक अ््म हहोतत है 'आदत्न-प्रदत्न
का की अपेक्षत एि सिं िह िी परेसपरे रममत्न के रत्', जिस जरे कक 'रतपेक्ष-धम्म' के रूप म में 'रकतरेतत्मक प सिं्-
भ्नरेपेक्षतत' कहत जत एकतत है, जहो इर िति कहो िठक रे व््क्ति करे रकेगत|

ितरेती् धम्म कहो ितरेत के रनदि्म म में रति्मजभ्नक क्षेत रे हसिस्टत दे्ने कत अ््म है, उरी ितरेत के रत सिंसकृभतक एि सिं
आध्तजिस त्मक आश्रिहोतों रे उ्नका की उब्मरेत शवक्ति कहो अलूग करे दे्नत, जबकक उरम में ककरी कहो औपश चितररेक रूप रे
रदस् ब्नत्ने का की आिश्कतत ्नही सिं हहोती है अ्ित ईरतई अ््षों म में ककरी रतर र सिंप्रदत् का की शप् लूे्ने का की
उरम में व््िस्त ्नही सिं है| धम्मभ्नरेपेक्ष रमतज – अ्ित एक रमतज जिस जरम में धम्म कत कहोई स्त्न ्नही सिं है , िह
्नैभतकतत के प्रभत ककर प्रकतरे रतरे्नतक तरेीके रे विमुर हहो जत्ेगत, इरे रमझ्ने म में धम्मभ्नरेपेजिस क्षत
(secularized) ितरेती् पिपलूरेी तरेह रे अरफलू रेहे हैं| एक धतभम्मक रमतज म में इर प्रकतरे रे , आ सिंर-मिपलूद करे
धम्मभ्नरेपेक्षतत कहो आ्तत करे्ने कत पररेणतम कई तरेह रे वि्नतशकतरेी रेहत है| ितरेती् धम्मभ्नरेपेक्षतत ्ने
रमतज म में भिन्नततओ सिं कहो त्नति एि सिं रमस्तओ सिं कत आश्रिहोत मत्नकरे, उ्न भिन्नततओ सिं कहो कम करे्ने कत िरेरक
प्र्तर कक्त, लूेकक्न ऐरे हसतक्षेपों कत प्रिति कई बतरे इरकत वबलूकुलू उलसिस्टत ही हुआ है औरे कुछ मजहबी
पहश चित्न में अप्नी विभशषतत कहो त्त सि् सिं कहो पश चि्ने रे बश चित्ने हेतु, उ्नके कतरेण औरे िी हिठ हुई हैं|

उत्तरे-औपभ्निेभशक रमीक्षत : उत्तरे-उपभ्निेशितकद्ों (post-colonialists) ्ने जतक दरेीदत जैरे अप्ने उत्तरे-
आधुभ्नक (post-modernists) रतभ््ों के पद-भश चिनहों परे श चिलू करे हतलू के िष्षों म में, पजिस पश्चिम का की दतश्मभ्नक
रति्मिौभमकतत कहो विर सिंकडत करे्ने के कई प्र्तर कक्े हैं| उ्नके प्र्तर, हतलूतएँकक, रतमतन्तमशः शिपलून्ितद म में
रमतप्त हहोते हैं, क्िपलू सिंकक िे पवित त्त लूौककक (sacred and secular) के परेसपरे विरेहोधतितर जैरी मौभलूक
अिधतरेणतओ सिं रे ्त तहो हसिस्ट्नत ्नही सिं श चितहते ्त हसिस्ट ्नही सिं रकते | बृहद-आख्त्नों कत विर सिंड्न करे्ने म में उत्तरे-
आधुभ्नकततितद ्ह ििपलूलू ही ग्त है कक िह आ सिंर मिपलूदकरे धम्मभ्नरेपेक्षतत के बृहद-आख्त्न परे ही कसिस्टकत हुआ
है| उत्तरे-आधुभ्नक दतश्मभ्नक, हतलूतएँकक, पवित/लूौककक के विरेहोधतितर परे आजकलू कुछ ्नरेम पड़े हैं, िे अप्ने
कहो (कुछ बड़े अपितदों कहो छहोड़ करे) ितरेती् धतभम्मक दश्म्नों एि सिं र सिंप्रदत्ों के दृवषकहोणों कहो सिीकतरे करे्ने का की
जिस स्भत म में ्नही सिं लूत पतए हैं , जिस जनहों्ने धम्मभ्नरेपेक्षतत म में डिपलू बे हुए पतपश्चितत्् दश्म्न का की कई विड सिंब्नतओ सिं कहो

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रुलूझत्त है| ऐरत इरभलूए है, क्िपलू सिंकक िे िठक उर वब सिंद ु परे पहुएँश चि करे रुक जतते हैं, जहतएँ रे उनह में पजिस पश्चिमी
ब्रहत्ड विजत्न कहो मिपलूलू रूप रे त््तग्नत हहोगत| उदतहरेण के भलूए, उत्तरे-आधुभ्नक दश्म्न एि सिं उत्तरे-
औपभ्निेभशक अध्््नों म में उत्तरे-औपभ्निेभशक विदत्नों दतरेत, हेगलू का की पररे्होज्नत कत पिपलूण्म रूप रे विर सिंड्न करे
कद्त ग्त है, जहो पजिस पश्चिम के आलूहोश चिक के रूप म में अप्नी वि्विर्नी्तत स्तवपत करे्ने हेतु अप्नी ितरेती्
पहश चित्न कहो कबिपलूलू्ने म में किी ्नही सिं कहश चिकते, औरे िह िी प्रत्मशः ्ह िलूी ित सिंभत रमझकरे कक रेतज्नैभतक एि सिं
रत सिंसकृभतक दृवष रे इरकत क्त महत्ि है | ितसति म में अरलूी रमस्त ्ह है कक इर प्रकतरे कत विर सिंड्नकतरेी
त्त प्रगभतशीलू कहे जत्ने ितलूत विशेषण िी, उनही सिं पजिस पश्चिमी परेमपरेतओ सिं का की शत्षों औरे श चिौरसिस्टों के अ सिंतग्मत
कक्त जततत है, जहतएँ रे रमस्त मिपलूलू रूप रे शुरू हहोती है| जैरत कक हम देर श चिुके हैं, उत्तरे-आधुभ्नक रमीक्षत
प्रत्मशः, शिपलून्ितद म में रमतप्त हहो जत्त करेती है, क्िपलू सिंकक िह रकतरेतत्मक दतश्मभ्नक भश चि सिंत्न करे्ने म में वबलूकुलू
अरम््म है| कफरे िी, इ्न दतश्मभ्नकों म में रे कुछ विदत्नों के दतरेत अब ्ह तहो रमझत जत्ने ही लूगत है कक
ितरेती् धतभम्मक दश्म्नों का की पररेषकृत एि सिं र सिंितदतत्मक शैलूी एि सिं सििति म में, ऐरी प्रबलू उब्मरे क्षमतत है जहो
सपषत्त जकसिस्टलू रमस्तओ सिं कत रमतधत्न प्रसतुत करे रकते हैं , औरे इ्नम में रे कई्ों ्ने इर क्षमतत कत लूति
लूे्नत आरे सिंि िी करे कद्त है|

इरके अलूतित, ्द्यवप ऐरत इरेतदत ्न हहो्ने परे िी, इ्न विर सिंड्न-कतरेी रमतलूहोश चि्नतओ सिं कत पररेणतम प्रत्मशः
'रदृश्तत' जैरत प्रत््ुत्तरे ही हहोतत है - अ सिंतरे केिलू ्ह है कक, ्ह आध्तजिस त्मक-रदृश्तत का की तरेह ्न हहोकरे,
उपेक्षत ्त बेपरेितही का की एक अिस्त ब्न जतती है| दर
िपलू रेे शबदों म में कहत जत् तहो, प्रधत्न र सिंसकृभत्ों के
दतश्मभ्नक बृहद-आख्त्नों के इर प्रकतरे के विर सिंड्न के बतद, उ्नकत स्त्न लूे्ने हेतु कुछ बश चितत ही ्नही सिं,
जबकक ईमत्नदतरेी रे र सिंपन्न पिपलूि्म-पक्ष के पररेणतम-सिरुप अध्तत्म एि सिं धम्म परे आधतररेत आत्मजत्न का की
धतभम्मक अिधतरेणतएएँ रकतरेतत्मक अजिस सतत्ि का की आधतरे -भशलूत प्रदत्न करे मेंगे, जिस जरे जत्नबिपलूझकरे शत्द अब तक
पजिस पश्चिम दतरेत कमतरे आ सिंक्ने के प्र्तर कक्े गए हैं| इरके अलूतित इ्नम में रे कई ितरेती् विदत्न प्रत््क्ष
अ्ित अप्रत््क्ष रूप रे, पजिस पश्चिमी शैजिस क्षक एि सिं प्रकतश्न र सिंस्त्नों-वित्ती् आश्रिहोतों परे आभआश्रित एि सिं भ्नि्मरे रेहते हैं|
दर
िपलू रेे शबदों म में, ्ह िलूी-ित सिंभत जत्नते हुए कक पजिस पश्चिम का की ककत्नी आलूहोश चि्नत करे्नत िठक हहोगत, िे उरे ्नतप-
तहोलू करे ही करे्ने, अ्ित अप्ने पजिस पश्चिमी आकतओ सिं के इशतरेे परे उनही सिं के दतरेत रेश चिी गई आत्म-प्रि सिंश चि्नतओ सिं कहो
ही प्रसतुत करे्ने हेतु, पजिस पश्चिम के भलूए 'उप्होगी पतलूतिपलू पशु' कत कतम करेते रेहते हैं|

लूेरक इर बतत रे अ्नभिज हैं कक, उत्तरे-आधुभ्नकितद एि सिं उत्तरे-उपभ्निेशितद के इ्न ितरेती् विदत्नों म में रे
ककरी ्ने सि् सिं उ्नके दतरेत पजिस पश्चिम का की आलूहोश चि्नत, जहो उनहों्ने का की है, कत आधतरे ब्नत्ने हेतु किी र सिंसकृत त्त
ितरेती् धतभम्मक भरद्धत सिंतों कहो पढ़त िी हहो| लूेरक पहलूे विदत्न ्नही सिं हैं, जिस जनहों्ने इर रमिपलूह का की आलूहोश चि्नत का की
है| रेौ्नलड इ सिंडे्न भलूरते हैं कक ऐरे विदत्नों ्ने ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं के विष् म में उपभ्निेशितकद्ों का की
अिधतरेणतओ सिं कहो अप्ने अिश चिेत्न म में स्तवपत करे भलू्त है औरे अप्ने कहो ्नि-उपभ्निेशितदी ही ब्नत भलू्त
है| एर.ए्न.बतलूग सिंगतधरे आगे सपष करेते हैं - '...लूेकक्न, ्े ितरेती् उत्तरे-उपभ्निेशितदी पजिस पश्चिम के रेह्ने ितलूे
्न हहो्ने के कतरेण पजिस पश्चिम के बरेतबरे ्नही सिं ब्न रकते'| पजिस पश्चिम का की धम्मभ्नरेपेक्षतत रे प्रेरेणत पतए हुए इ्न
ितरेती् उत्तरे-उपभ्निेशितकद्ों के ऐरे दृवषकहोण के कतरेण ही, र सिंसकृत एि सिं स्त्नी् ितषतओँ कहो ितरेत म में
भगरेत्त ग्त है, क्िपलू सिंकक अ सिंगेजी ितषत एि सिं पतपश्चितत्् रतकहत्् ही अब प्रगभत के भलूए आिश्क रेतसते ब्न गए
हैं| लूेरक के क््नत्नुरतरे, पजिस पश्चिभम्ों के पद-भश चिनहों परे श चिलू करे, ितरेती् धम्म परेमपरेतओ सिं कहो कई ितरेती्
विदत्नों ्ने, 'कतससिस्ट, कतउ, एि सिं करेी' (caste, cow and curry) के शीष्मकों का की रूकढं्ों म में रमेसिस्ट करे जिस स्रे ब्नत
कद्त है|

विभिन्नतत के पृष्ठ ३६८ औरे 'Being Different' के पृष्ठ ३३४ का की ततभलूकत म में औपभ्निेभशक प्रितिों कहो

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उलूसिस्ट्ने हेतु दहो प्रकतरे का की ितरेती् आलूहोश चि्नतएएँ दी गई हैं, औरे दहो्नों ही अप्नी अप्नी तरेह रे तुकसिस्टपिपलूण्म हैं |
ररेक्ति कहोषक म में उजिस ललूजिस रत कतम लूेरक करे रेहे हैं, जिस जरे औरे अभधक कक्त जत्नत अपेजिस क्षत है|

ररेलूमभत आध्तजिस त्मक रदृश्तत : पजिस पश्चिमी रति्मिौभमकतत का की रमस्त परे एक औरे घकसिस्ट्त प्रभतकक्र्त, रब
र सिंसकृभत्ों एि सिं मजहबों म में आधतरेििपलूत रदृश्तत मत्न लूे्ने के इर दतिे म में है कक, इर रे उ्नम में मधुरे रमबनध
एि सिं ््त््म एकतत का की िति्नत पैदत हहो जत्ेगी| ऐरत रही िी हहो रकतत ्त ्कद प्रश्नगत कुछ मजहब अप्नी
ही भ्नकहत विभशषतत के दतिों परे डसिस्टे ्न रेहते , लूेकक्न िे ऐरत करेते हैं| इर रे वब्नत कहे, पजिस पश्चिमी विश चितरेों
औरे मिपलूल्ों कहो रति्मिौभमक मत्न भलू्त जततत है| कई ितरेती् गुरु एि सिं अन् रत सिंसकृभतक प्रभतभ्नभध, रब
र सिंसकृभत्ों एि सिं मजहबों म में आधतरेििपलूत रदृश्तत के विश चितरे कहो आगे बढ़त्ने के जिस जममेदतरे हैं , क्िपलू सिंकक ्ह गलूत
रहोश चि ब्न गई है कक आधतरेििपलूत रदृश्तत परे ही ध्त्न क मेंक्द्रत रेर्नत िठक है (िह िी विभशषतमशः, पजिस पश्चिम का की
रति्मिौभमकतत कहो रब परे लूतगिपलू हहो्ने ितलूत ढंत सिंश चित मत्न करे), औरे भिन्नततओ सिं का की श चिश चित्म रे परेहेज़ कक्त जत्|

्ह आज का की एक बड़ी विडमब्नत है कक लूहोगों का की रहोश चि म में 'रतमतन् ्त प्रजतभतगत' ्ने 'विशेष ्त रतर' कत
स्त्न लूे भलू्त है| इरके दहो कतरेण हैं: भिन्नतत के मुदों रे 'रतमतन् ्त प्रजतभतगत' रहोश चि कन्नी कतसिस्ट लूेती
है, एि सिं रतमतन् िक्तिव््ों का की आड़ म में अ्नतड़ीप्न कहो भछपत्त जत रकतत है| रभ््ततओ सिं के र सिंघष्म के विसततरे के
दौरेत्न 'धतभम्मक भिन्नतत' के आकतरे एि सिं अभिप्रत् कहो रमझ्ने म में हुई विफलूतत िी ककरी हद तक, इर
भ्नणत्म्क ग़लूतफ़ैहमी के कतरेण हुई है| हम देर श चिुके कक 'रदृश्तत' के प्रभत आकष्मण ककर प्रकतरे,
आत्मत््तग कत एक रतरे्नतक रूप है जहो विभिन्न र सिंसकृभत्ों म में कमजहोरे र सिंसकृभत कहो, आक्रतमक बलूित्न
र सिंसकृभत दतरेत हड़प भलूए जत्ने के भलूए रुलूत छहोड़ देती है| ितरेती्ों कहो जब भिन्नततओ सिं कत रतम्नत करे्नत
हहोतत है, तब प्रत्मशः िे 'अ्नेकतत म में एकतत' ्त बहुप्रश चिभलूत र सिंसकृत पद - 'िरुधैि कुसिस्टुमबकम' (अ्त्मत 'रतरेत
वि्वि एक पररेितरे है') जैरे ्नतरेों कत रहतरेत लूेते पतए जतते हैं| ्ह ्तद रेर्ने का की बतत है, कक पररेितरे का की
उपमत आत सिंररेक अ्नेकतत के प्रभत परेसपरे रममत्न का की िति्नत कत द्यहोतक है, रदृश्तत कत ्नही सिं|

्ह ध्ततव्् है कक आधुभ्नक ितरेती् धतभम्मक विदत्नों ्ने अन् परेमपरेतओ सिं के प्रभत पिपलूि्म -पक्ष का की प्रकक्र्त कहो
र सिंश चितभलूत करे्ने हेतु रैद्धत सिंभतक उपकरेण विकभरत ्नही सिं कक्े - कम रे कम पिपलूि्म-पक्ष सतरे का की प्रररेतत कत जहो
प्रतश चिी्न कतलू म में ितरेत म में प्रश चिभलूत ्त| ्ह कमजहोरेी िी भिन्नतत के प्रभत बेश चिै्नी रे जुड़ी हुई हहो्ने के ही
कतरेण है| श चितलूिपलू प्रतर सिंभगक-्नैभतक सिचछ सिंदतत - गैरे-जिस जममेदतरेी, पलूत््नितद एि सिं अकुशलूतत ब्न गई है| एक
ऐभतहतभरक भ्न्मतिलूी कत ्नत हहो्नत त्त वब्नत केन्द्री् मजहबी रत्तत के, औरे उरके रत् रत्, केिलू
अध्तत्मविद्यत के अ्नुििी भरद्धों परे पिपलूरेी भ्नि्मरेतत, कह सिंद िपलू रमतज का की रुरेक्षत हेतु कतई भ्नषप्रितिी भरद्ध हुई है,
िह आज का की दभु ्न्त का की पररेजिस स्भत्ों के भलूए तहो, अभत आदश्मितदी व््िस्त प्रतीत हहोती है|

इ्न कभम्ों के कतरेण, पजिस पश्चिमी श चिेलूों के मत्नर कहो रमझ्ने म में ितरेती् गुरु कत ध्त्न, उ्नका की पतपश्चितत््
पहश चित्न ्त उ्न परे हतिी अन् ऐभतहतभरक एि सिं रत सिंसकृभतक प्रितिों का की ओ़रे कम ही रेहतत है औरे िे केिलू
उ्नका की िति्नतत्मक एि सिं मत्नभरक अिस्तओ सिं तक ही अप्नी रहोश चि कहो रीभमत रेरते हैं| अभधकत सिंश पजिस पश्चिमी
लूहोगों कहो बश चिप्न रे ही उ्नका की रभ््तत के बतरेे म में ऐरी भशक्षत दी जतती है, जैरे उ्नका की रभ््तत के पुरेहोधतओ सिं
कत वििरेण, उ्नका की विभशष भ्न्भत, एि सिं वि्वि म में उ्नकत विभशष स्त्न, जहो रब, अलपतिभध म में गुरु रे र सिंपक्म
के दौरेत्न ओझलू ्त कमतरे आ सिंके जत्ने लूग जतते हैं, लूेकक्न जिस ज्नके कतरेण दीघ्मकतलूी्न अिभध म में कई
गलूतफहभम्त सिं प्रत्मशः पैदत हहो जतती सिं हैं| (इ्न प्रिृवत्त्ों के विष् म में विश चितरे करे्नत िी गुरु कत ही दतभ्त्ि है|)

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भ्नषकष्म – पिपलूि्मपक्ष एि सिं िविष् का की रेतह
पिपलूि्मपक्ष एि सिं रतपेक्ष धम्म : वपछलूे अध्त्ों म में पजिस पश्चिम त्त ितरेत के बीश चि, परेसपरे कुछ प्रमुर भिन्नततओ सिं परे
प्रकतश डतलूत ग्त है| लूेरक ्ने ्ह तक्म कद्त है कक ्े भिन्नततएएँ व््िजिस स्त पिपलूि्मपक्ष का की प्रकक्र्त के मतध्म
रे अ्ित परेसपरे रीधे र सिंितद रे ही उजतगरे हहो रकती सिं हैं| प्रश्न है: रतमतजिस जक एि सिं आध्तजिस त्मक विकतर का की
कदशत म में, आज परेसपरे रौहतद्मपिपलूण्म व््िस्त स्तवपत करे्ने म में पिपलूि्मपक्ष ककर प्रकतरे ्होगदत्न दे रकतत है औरे
्ह ककर आधतरे परे भ्नषपक्षतत एि सिं प्रिति पिपलूण्म तरेीके रे र सिंश चितभलूत हहो रकतत है?

परेसपरे रीधे र सिंितद कत जहोजिस रम उित्ने के भलूए महत्िपिपलूण्म मुदों का की गहरेी रमझ आिश्क है| हमतरेे ज़मत्ने
के इर कुरुक्षेत म में, अजु्म्न (सि् सिं लूेरक) केिलू अप्ने पक्ष के भलू्े ही ्नही सिं, बजिस लक न्त् एि सिं ब्रहत्ड म में
व््तपक ऋतम-आधतररेत धम्म का की स्तप्नत हेतु लूड़ रेहत है| अजु्म्न कहो इर ्ुद्ध म में किपलूद्ने का की प्रेरेणत उरे, उरके
रतमतजिस जक दतभ्त्ि के भ्नि्मह्न हेतु विभशष सिधम्म के रूप म में एि सिं उरके सििति रे भमलूी है| दर
िपलू रेे शबदों म में,
इर प्रकतरे ्ुद्धरेत हहो्नत उरकत कत्मव्् है, जहो कक भिन्न प्रिृवत्त के ककरी अन् व््वक्ति के भलू्े र सिंिितमशः, उरी
प्रकतरे ्न िी हहो| प्रितिकतरेी पिपलूि्मपक्ष का की व््िस्त के भलूए र सिंितद हेतु कुछ अभ्नित््मततएएँ एि सिं भ्न्म ्हतएँ
भ्नम्न प्रकतरे रे प्रसतुत कक्े जत रेहे हैं:-
१. इरे आपरी रहमभत रे भ्नधत्मररेत शतस्त्रत््म के भ्न्मों, रम् एि सिं स्त्न के रत् रिी कहो रमत्न अिररे
कदए जत्ने का की शत्म रकहत करे्नत हहोगत;
२. प्रभतितभग्ों कत लूक्ष् एक-दर
िपलू रेे कत धम्म-पररेित्म्न करे्नत ्न हहोकरे, रत्् का की रहोज करे्ने म में परेसपरे
रह्होग करे्नत हहोगत, वब्नत मौभलूक भिन्नततओ सिं कहो भश चिक्नी-श चिुपड़ी ितषत म में दबतए;
३. इर तरेह के 'प्रतीकतत्मक दनद' कत पररेणतम शत्द, रदैि अह सिंकतरे का की तुवष हेतु ककरी पक्ष का की 'विज्' के
रूप म में ्नही सिं हहो रकतत;
४. िैश चितररेक दनद म में उतरे्ने रे पहलूे अध्तत्म-विद्यत के गह्न अभ््तर के दतरेत, अहम परे प्रतरे सिंभिक भ्न् सिंतण
प्रतप्त करे्नत आिश्क हहोगत; एि सिं,
५. सि् सिं कहो आध्तजिस त्मक रूप रे प्रतमतजिस णक भरद्ध करे्ने के अलूतित, धम्म-रेक्षकों कहो विरेहोभध्ों औरे उ्नका की
परेमपरेतओ सिं एि सिं मत-शतस्त्रों का की गहरेी जत्नकतरेी हहो्नत आिश्क है| इरी प्रकतरे, पतपश्चितत्् मतों के प्रभतभ्नभध्ों
कहो, रुलूे कदमतग रे धम्म कहो उ्नका की परे सिंपरेत एि सिं वि्वि-दृवष के रतपेक्ष, एक ग सिंिीरे विकलप के रूप म में मतन्तत
कदए जत्ने का की र सिंिति्नत कहो सिीकतरे करे्नत हहोगत|

्ह पुसतक इर प्रकतरे के कत््म कहो र सिंपन्न करे्ने हेतु, तय्तरेी के भलूए एक आधतरे प्रसतुत करेती है| र सिंिितमशः,
ऐरे शतस्त्रत््म के भलूए उप्ुक्ति रति्मजभ्नक ढंत सिंश चित अध्त् ६ म में श चिभश चि्मत रतपेक्ष-धम्म है, जिस जरकत शतजिस बदक अ््म है -
'परेसपरे रममत्न पिपलूि्मक आदत्न-प्रदत्न' का की िति्नत रकहत र सिंितद| इरकत अ््म है, परेसपरे रममत्न का की रीमत
तक अ्नेकतत म में एकतत, औरे ्हतएँ तक िी, कक केिलू रह्नशीलूतत ्त बड़पप्न बघतरेते हुए उपेक्षत के िति के
स्त्न परे 'रकतरेतत्मक बहुलूततितद' कहो प्रहोत्रतकहत करेते हुए, परेसपरे भ्नि्मरेतत पैदत करे्नत| रतपेक्षतत, विविध
प्रकतरे का की आध्तजिस त्मक रतध्नतओ सिं कहो रकक्र् रम््म्न दे्ने कत एक भरद्धत सिंत है| धम्म-रतपेक्षतत ही प्रतश चिी्न
ितरेती् रेतज् के बहुलूतत-्ुक्ति श चिररेत का की विशेषतत रेही ्ी| इरभलूए, ितरेत म में धम्म भ्नरेपेक्ष रमतज व््िस्त
परे हहो रेही गरेमत-गरेम बहर म में ्ह पुसतक, कई मत््नों म में एक ्होगदत्न िी है|

रतपेक्ष-धम्म कह सिंद िपलू धम्म म में भ्नष्ठत का की मत सिंग ्नही सिं करेतत| ्नत ही िह अप्ने ररेहोकतरेों कहो परे सिंपरेतगत कह सिंदओ
ु सिं तक ही

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रीभमत करेतत है| जतभत-धम्म का की र सिंकलप्नत प्रत््ेक जतभत के पृ्क धम्म कहो आदरे दे्ने का की बतत मत्नकरे
श चिलूती है; इरभलूए, रतपेक्ष-धम्म व््िस्त म में, एक मुजिस सलूम-जतभत अप्ने आत सिंररेक मतमलूों म में, जतभत-धम्म के रूप
म में शररे्त कहो अप्नत रकती है| लूेरक पजिस पश्चिमी धम्म-भ्नरेपेक्षतत के विकलप के रूप म में रतपेक्ष-धम्म व््िस्त कत
रुझति देते हैं, जिस जरे - ककरी िी प सिं् कहो (र सिंप्रदत् ्त मजहब कहो) दर
िपलू रेे के मुकतबलूे प्रत्भमकतत ्नही सिं दे्ने
कहो, अ्त्मत, प सिं्-भ्नरेपेक्षतत के ्नतम रे उरे व््क्ति कक्त जत रकतत है| अप्ने मिपलूलू सििति के अ्नुरूप, रतपेक्ष-
धम्म विभिन्न रमुदत्ों म में विविधतत के प्रभत र सिंिेद्नशीलू हहोगत| ्ह िी है, कक धम्म परे कहोई अ सिंभतम दृवष ्नही सिं
हहो रकती, जहो कक रदत विकभरत हहो्ने एि सिं आत्मरतत करे्ने ितलूी एक रुलूी र सिंरेश चि्नत के रमत्न है| इ्न शत्षों
परे-पिपलूि्मपक्ष, ककरी ितद-विितद कहो त् करे्ने ्त एकतत परे डसिस्टे रेह्ने हेतु एक रतध्न ्नही सिं है, िरे्न रभ््ततओ सिं
म में श चिलू रेहे र सिंघष्षों के दौरेत्न, क्षण-प्रभतक्षण एकतत के िति कहो, उरे ििपलूलूते जत्ने कहो, अलूग-्लूग हहो जत्ने कहो
त्त पु्नमशः पैदत हहो्ने दे्ने हेतु, उिरे्ने दे्नत है|

अपेजिस क्षत पजिस पश्चिमी प्रभतकक्र्तएएँ : ती्न प्रकतरे का की पजिस पश्चिमी प्रभतकक्र्तएएँ हहो रकती सिं हैं -
(१) कटसिस्टरे-प सिंभ््ों का की कटसिस्टरेतत बढ़्नत; (२) इभतहतर-केजिस न्द्रकतत का की रीमत के अ सिंदरे रेहते हुए उदतरेतत; एि सिं
(३) ितरेती् धम्म के प्रभत ग सिंिीरे जिस जजतरत| आगे बढ़्ने हेतु िग्म (२) त्त (३) रे रतत र सिंितद एि सिं रह्होग,
सपष रूप रे ित सिंभछत हहोगत|

ितरेती् धम्म के ित्ममत्न गुरुओ सिं कहो श चिु्नौती : पिपलूि्मपक्ष कहो रञश चितभलूत करे्ने का की प्रकक्र्त, केिलू पजिस पश्चिमी लूहोगों
के ही भलूए श चिु्नौती ्नही सिं है| धम्म गुरुओ सिं कहो िी इरके प्रभत रचश चिी एि सिं रुलूी भ्नष्ठत हहो्नी श चितकहए त्त उनह में
इरम में प्रभशजिस क्षत करे्ने का की िी आिश्कतत है | अितरेहिी सिं एि सिं उन्नीरिी सिं रकद्ों म में, उपभ्निेशीकरेण का की क्रभमक
लूहरेों कत रतम्नत करे्ने म में, धम्म के ्नेतृत्ि ्ने ्त तहो इर रे हत् री सिंश चि भलू्त ्त अ्ित पजिस पश्चिमी प्रभतमत्नों कहो
अ सिंगीकतरे करे भलू्त| उपभ्निेशितकद्ों ्ने र सिंसकृत औरे उरके ित सिंगम् कहो रीर्ने के व््तपक प्र्तर कक्े,
्द्यवप िह उ्नके सि् सिं के ही उदेश्ों के भलूए ्त| पतदररे्ों के भशक्षत र सिंस्त्नों के मुकतबलूे, ितरेत म में धतभम्मक
र सिंस्त्नों कत कहोई विकतर ्नही सिं हुआ है; ्न ्हतएँ किी कहोई म सिंश चि ही ब्नत्त ग्त है, जहतएँ वि्वि के मजहबों के
तुलू्नतत्मक अध्््न का की ग सिंिीरे व््िस्त हहोती, ततकक दर
ु रेे मतों रे शतस्त्रत््म करे्ने हेतु ितिी ्नेतृत्ि कहो
तय्तरे कक्त जत रके|

रमरतमभ्क धम्म गुरुओ सिं एि सिं आश चित््षों म में िी पजिस पश्चिम कत ग सिंिीरे अध्््न करे्ने के प्रभत उपेक्षत पतई गई है |
उ्नकत अजत्न एि सिं अ्होग्तत, उ्नके अह सिंकतरे एि सिं पतर सिंड के पीछे भछप जतते हैं | इरके अभतररेक्ति, ितरेत का की
आज़तदी के बतद, पजिस पश्चिमी प्रेरेणत रे अप्नतई गई उरका की धम्म-भ्नरेपेक्षतत का की ्नीभत ्ने ितरेत के वि्वि-विद्यतलू्ों
कहो, औपश चितररेक मत्नविका की भशक्षण के अ सिंतग्मत धतभम्मक एि सिं मजहबी अध्््नों का की व््िस्त कक्े जत्ने रे रेहोक
कद्त ्त| धम्म औरे मजहब परे भशक्षण, रतमतजिस जक विजत्नों के अ सिंतग्मत मुख्तमशः, अब मतकर्मितदी प्रकृभत कत
है, अ्त्मत, िह धम्म औरे मजहब के विष् म में जहो विश चितरे घहोवषत करेतत है िह है, इर प्रकतरे है कक ्ह
वपछड़ेप्न का की एक बड़ी रमस्त है जिस जरे आभ््मक प्रगभत लूतकरे िठक कक्त जत्नत है|

श चििपलूएँकक अभधकत सिंश गुरुओ सिं कहो अ्नुिि-भरद्ध जत्न के प्रभत, पजिस पश्चिमी भतरेसकतरे के गहरेे इभतहतर का की रमझ ्नही सिं है,
उ्नके बहुर सिंख्क भशष् (प्रतरे सिंभिक रूमत्नी आकष्मण के बतद) एकत-इक उनह में छहोड़ करे श चिलूे जतते हैं अ्ित
उ्नका की रतध्नत फा कीका की पड़ जतती है| ्े त्त पजिस पश्चिम रे धम्म का की मुििेड़ों रे हहो्ने ितलूी अन् रमस्तओ सिं के

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वििरेण, ्िपलू-सिस्ट्न्म भ्ओरेी के प्रर सिंगों (उलसिस्टत घिपलूम्ने) परे लूेरक का की आगतमी पुसतक म में होंगे| पिपलूि्म औरे पजिस पश्चिम,
दहो्नों परे पिपलूि्म-पक्ष का की प्रकक्र्त कत क्त प्रिति हहोगत, इर परे कहोई अ्नुमत्न ्नही सिं लूगत्त जत रकतत, औरे रिी
र सिंिति्नतओ सिं के भलूए तय्तरे रेह्नत श चितकहए| इर बतत का की तत्कतलू आिश्कतत है कक दहो्नों म में जहो भिन्नतत है
उरकहो पहश चित्नत जत्, औरे इर भिन्नतत के प्रभत रममत्न के महत्ि कहो िी रमझत जत्|
गतएँधी कत सिधम्म एि सिं पिपलूि्म-पक्ष: लूेरक अप्नी पुसतक के अ सिंत म में महतत्मत गतएँधी का की तरेफ मुड़ते हैं , जिस जनहों्ने
अप्नी धतभम्मक भिन्नततओ सिं कहो, वब्नत कह सिंरत अ्ित उग-रेतष्ट्री्तत के, हि पिपलूि्मक मजबिपलूती रे रमझत्ने के
दस
ु रतहर कत रिऑर्थोत्कृष, जीि सिंत उदतहरेण प्रसतुत कक्त| उ्नका की छहोसिस्टी री पुसतक 'कह सिंद सिरेतज', जहो रौ रतलू
पहलूे प्रकतभशत हुई ्ी, वब्रकसिस्टश रतमतज् का की कदशत म में उ्नके दतरेत भ्न्होजिस जत पिपलूि्म-पक्ष कत एक उत्कृष उदतहरेण
है| ्ह पुसतक उ्नका की प्रतरे सिंभिक रेश चि्नतओ सिं म में रे एक है, औरे ्ह उपभ्निेशितद का की रमस्त के विष् म में
जत्नकतरेी प्ररतररेत करे्ने हेतु, आज िी एक मतग्म-दश्मक कत कत््म करेती है| उ्न रमस्तओ सिं ्ने अब ्नए-्नए
रूप धतरेण करे भलूए हैं, औरे बहुत रे उत्कृष रतकहत्् का की तरेह, कह सिंद सिरेतज ्ने अब कफरे रे, एक ्न्ी
प्रतर सिंभगकतत प्रतप्त करे लूी है|

अन्त् रे जिपलूझ्ने एि सिं रमिह्नी्तत-विष्क (sustainability) गतएँधी के आदश्म कहो आगे बढ़त्ने हेतु, रत््तगह
के रत् अकह सिंरत कहो जहोड़त ग्त| उनहों्ने ज़मी्नी ््त््म रे उिरे्ने ितलूी रतमतजिस जक रकक्र्तत कहो प्रहोत्रतकहत
कक्त, ततकक लूहोग उर पररेित्म्न कहो अ सिंगीकतरे करे में जिस जरे िे सि् सिं दभु ्न्त सिं म में देर्नत श चितहते हैं| उनहहो्ने एक
शतकतहतरेी रमतज का की िकतलूत का की, जहो पतररेजिस स्भतका की् दृवषकहोण रे मत सिंरतहतरेी रमतज के मुकतबलूे अभधक
कसिस्टकतऊ है| व््तपक दृवष रे अकह सिंरत कत भरद्धत सिंत र सिंसकृभत्ों परे िी लूतगिपलू हहोतत है | र सिंसकृभत्ों कत वि्नतश एक
महत्िपिपलूण्म प्रकतरे का की कह सिंरत है जिस जरे प्रत्मशः अकह सिंरत परे हहो्ने ितलूी प्रतीकतत्मक श चिश चित्मओ सिं म में कबिपलूलूत ्नही सिं जततत|
लूहोगों का की रमिपलूकहक श चिेत्नत का की अिधतरेणतओ सिं कहो छठ्न लूे्नत, उ्नका की र सिंसकृभत कहो पश चितए जत्ने का की ििपलूभमकत हहोती
है औरे ्ह उपभ्निेशीकरेण का की प्रकक्र्त कत एक प्रमुर अ सिंग िी है| 'विकतर' के ्नतम परे ऐरी कह सिंरत आज रिपलूब
श चिलूती है, जिस जरे आ सिंक्ने कत मतपद सिंड पतपश्चितत््ीकरेण म में रफलूतत है| मत्नितभधकतरेों परे र सिंितद िी, जिस जरे 'िैजिस ्विक'
कहत जततत है, िह ितसति म में रत सिंसकृभतक जतभतर सिंहतरे है औरे इरभलूए गतएँधी के अ््म म में िह कह सिंरत है|

गतएँधी उपभ्निेशितद के इर सिरुप रे िी उरी प्रकतरे लूड़े , जैरे उरका की िौभतक एि सिं रेतज्नैभतक अभिव््वक्ति रे
लूड़े ्े| ्द्यवप िे ईरतइ्त के जिस रलूतफ ्नही सिं ्े (औरे ितसति म में अकररे ईरत के उद्धरेण कद्त करेते ्े), िे
ितरेत म में ईरतई भमश्नररे्ों के विरुद्ध ्े| िह कहते ्े कक, उनह में केिलू भ्नमशःसित््म रेित करे्नी श चितकहए औरे धम्म
पररेित्म्न ्नही सिं| ्कद िे कहोई सकिपलूलू ्त हसपततलू श चिलूत्नत श चितह में ्त गरेीबों कहो िहोज्न करेत्नत श चितह में, ्े रब धम्म-
पररेित्म्न के रतध्न ्नही सिं ब्न्ने श चितकहए| ऐरी ही रहोश चि के रत् गत्ती श चिक्रिहोरेती जिस सपितक ्ने दलूीलू दी कक,
मत्नि अभधकतरेों कहो ्न केिलू रुलूि कक्त जत्नत है , िरे्न ्ह िी विश चितरेणी् है कक, कक इ्न अभधकतरेों कहो
कौ्न रुभ्नजिस पश्चित करे्ने औरे कौ्न ्नही सिं करे्ने ितलूत है| मत्नि अभधकतरेों कहो रुलूि करे्ने का की पजिस पश्चिमी विभध्तएँ,
ऊपरे रे ्नीश चिे का की ओ़रे कक्र्तशीलू एक केन्द्री् रत्तत-त सिंत दतरेत र सिंश चितभलूत हहोती सिं हैं, जिस जरम में शवक्तिर सिंपन्न
प्रभतभ्नभध्ों (रेतज्नैभतक कत््मकत्तत्म, अ्नुदत्न बतएँसिस्ट्ने ितलूे कतभम्मक त्त ऐरे सि् सिं-रेिी र सिंगि्न जिस ज्नका की पहुएँश चि
िैजिस ्विक-र सिंश चितरे मतध्मों एि सिं अ्नुदत्न के आश्रिहोतों तक है) कहो ही िह हैभर्त औरे जिस ज़ममेदतरेी रौंपी जतती है कक
िे मत्नितभधकतरेों कहो लूतगिपलू करे में| ऐरत शवक्ति-त सिंत सि् सिं रत््तगह करे, स्त्नी् लूहोगों दतरेत ्ह कतम कक्े जत्ने
के, गतएँधी के आदश्म रे बेमेलू है|

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गतएँधी मत्नते ्े कक रत सिंसकृभतक भिन्नततएएँ भमसिस्टत्े जत्ने के बजत् अभि्न सिंकदत हहो्नी सिं श चितकह् में| ्ह एक पुरेतत्न
कह सिंद िपलू विश चितरे है| विविधतत ब्रहत्ड का की रृवष कत आधतरे है | ितसति म में अ सिंगेजी शबद '्िपलूभ्न-िर्म' कत अ््म – 'एक
म में बहुत' हहोतत है| भिन्नतत रे उत्पन्न व््गतत रे गतएँधी वबलूकुलू, अदत
ु रूप रे मुक्ति ्े| गतएँधी ्ने सपष कक्त
्त कक र सिंसकृत शबद 'सिरेतज' कत अ््म केिलू रेतज्नैभतक आज़तदी ्नही सिं है; बजिस लक, कई प्रकतरे का की सितधी्नततएएँ,
इर शबद के ततत्प््म हहोते हैं| 'करे्ने का की सितधी्नतत' औरे 'दग
ु ु्मणों रे सितधी्नतत' म में बहुत बड़त अ सिंतरे है| पहलूी
प्रकतरे का की सितधी्नतत '्ह करे्ने - िह ्न करे्ने' का की सितधी्नतत है - िह बकहमु्मरी है; उरकत ततत्प््म क्रहोध,
ितर्नत, इष्त्म, आदतों एि सिं मजबिपलूररे्ों जैरी आत सिंररेक कभम्ों रे - 'दग
ु ु्मणों रे सितधी्नतत' ्नही सिं - जहो कक हमतरेे
अ सिंदरे का की अिस्त के द्यहोतक हैं| उरकत ितसतविक अ््म अह सिंकतरे रे सितधी्न हहो्नत है, मुक्ति हहो्नत है|

गतएँधी ्ने एक औरे अ्नुितदेतरे शबद प्र्होग कक्त, 'सिदेशी', अ्त्मत, 'स्त्नी् ििपलूभम रे', ककरी स्त्नी् उत्पतद
कहो िरेी्तत, जहो आज पजिस पश्चिम म में िी प्रश चिभलूत हहो श चिलूत है 'स्त्नी् मतलू ररेीदहो' आनदहोलू्न के रूप म में| गतएँधी
के सिदेशी के विश चितरे म में, लू सिंबी दरेिपलू ी परे ितरेितह्न म में हहो्ने ितलूे लू सिंबे व््् कत विरेहोध रजिस ममभलूत है औरे
इरभलूए स्त्नी् उत्पतद कहो िरेी्तत दे्नत एि सिं मौरमी ि्नसपभत एि सिं फलूों कत रेि्न करे्ने कहो प्रहोत्रतकहत
करे्नत, ित सिंभछत है| सिदेशी कत अभिप्रत् है स्त्नी् रतद्य पदत््म कहो रत्नत, कपड़े पकह्न्नत, औरे, ््तशवक्ति,
स्त्नी् रूप रे उत्पतकदत मतलू ररेीद्नत| अन् विश चितरेों के रत् ्े, गतएँधी के रेतज्नैभतक विश चितरे ब्ने| उनहों्ने
ितरेती् रमतज कहो एक ऐरत रमतज ब्नत्ने का की िकतलूत का की ्ी जहो स्त्नी् 'प सिंश चित्त' रे शतभरत हहो, जहो कक
ितरेत म में गतम-सतरे रे ऊपरेी सतरेों कहो शतभरत करे्ने ितलूी प्रतश चिी्न परे सिंपरेतगत विकेन्द्री् प्रशतर्न व््िस्त रे
श चिलूी आ रेही ्ी| ्ह विश चितरे रीधे ही वब्रकसिस्टश प्रशतर्न रे सिस्टकरेततत ्त| उनह में रदत इर बतत का की भश चि सिंतत ्ी कक
ितरेती् आगे श चिलू करे ििपलूरेे रे सिंग के अएँगरेेज़ ब्न जत् मेंगे (जहो दि
ु त्मग्िश अभधकतरे हुआ िी)|

दि
ु त्मग् रे, गतएँधी का की मृत््ु के बतद, रमतज म में र सिंितद के िग्षों कहो भ्न् सिंवतत करे्ने के उ्नके आगह कहो, ितरेत
म में िुलूत कद्त ग्त| लूेरक ्ने एक दशक अिभध के दौरेत्न, अप्नी रेश चि्नतत्मकतत के रमु्द्र-म सिं््न म में गतएँधी रे
ही मुख् रूप रे प्रेरेणत प्रतप्त का की है| इर पुसतक म में इ सिंभगत कई मतकिर्दे के वबदओ
ु सिं परे उ्नके जीि्न रे प्रकतश
पड़तत है| उ्नके दतरेत कक्त ग्त पजिस पश्चिम कत पिपलूि्म-पक्ष, श चिु्नौतीपिपलूण्म औरे दस
ु रतहर रे िरेत ्त; ितरेत म में श चिलू
रेही अ सिंतर्मभ््तत मुििेड़ कहो, उनहों्ने अप्नत कुरुक्षेत मत्नत जिस जरम में उनहों्ने अप्नत सिधम्म भ्नित्त; उ्नके दतरेत
कक्त ग्त अ्नुितदेतरे र सिंसकृत शबदों कत प्र्होग, उ्नका की र सिंसकृभत के श चितरेों ओ़रे श चिलू रेहे र सिंितद कहो भ्न् सिंवतत
करे्ने का की एक कुशलू रेण-्नीभत ्ी; औरे उ्नका की जीि्न-पद्यभत दशत्मतत ्त कक ककर प्रकतरे भिन्नतत कत आगह
रकतरेतत्मक रूप रे, प्रभतद सिंदी के प्रभत आदरे के रत् रत् िी दशत्म्त जत रकतत है| कई बतरे, जहो आदरे
उनहों्ने अन्ों कहो कद्त, िह उनह में ्नही सिं भमलूत, परे गतएँधी ्ने जहो उदतहरेण प्रसतुत कक्त, उरे जिस ज्त िी, ्ह
महत्िपिपलूण्म है|

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पररेभशष क
धम्म का की अनतभ्न्मकहत एकतत

ितरेती् धम्षों के विभिन्न र सिंप्रदत्ों के बीश चि परेसपरे शतस्त्रत््म र सिंपन्न करे्ने कत एक भ्नरे सिंतरे इभतहतर है, औरे
इ्नके भलूजिस रत प्रमतण एि सिं उ्नके विशेषण कई र्डों म में र सिंकभलूत कक्े गए हैं| लूेरक इ्न र सिंप्रदत्ों का की
परेमपरेतओ सिं के बीश चि भ्नरे सिंतरे र सिंब सिंधों एि सिं मेलू कहो भश चिनहत सिंककत करे्नत श चितहते हैं जहो धतभम्मक र सिंप्रदत्ों के विसतृत
भश चि सिंत्न क्षेत म में व््तप्त 'धम्म का की अनतभ्न्मकहत एकतत' कहो अभिव््क्ति करेतत है| इ्न धतभम्मक परेमपरेतओ सिं का की एकतत
कहो प्रतश चिी्न कतलू रे ही िेदों म में व््क्ति कक्त ग्त है, लूेकक्न केिलू िेदों कहो मत्न्ने ितलूे र सिंप्रदत्ों तक ही ्ह
अनतभ्न्मकहत एकतत रीभमत ्नही सिं है| विभिन्न र सिंप्रदत्ों म में इर प्रकतरे का की घभ्नषतत एक ऐरी विविधतत है, जहो
उ्नम में अनतभ्न्मकहत एकतत रे उपजती है| लूेरक के प्र्तर के पीछे उ्नकत उदेश् ्ह है कक, पजिस पश्चिम का की
'कृवतम एकतत' का की पृष्ठििपलूभम म में ितरेती् धम्म के अकदती् एि सिं मिपलूलू विश चितरेों कहो उजतगरे कक्त जत्| ितरेती्
धम्षों म में रजिस ममभलूत विविध धम्षों एि सिं र सिंप्रदत्ों म में रे जहो िेदों कहो ्नही सिं मत्नते िे हैं - बौद्ध, जै्न, श चिित्मक एि सिं
लूहोकत्त (बतद के दहो रमप्रदत् िौभतकितदी हैं)|

कह सिंद िपलू धम्म के अ सिंतग्मत - ' इ्विरे-ब्रहत्ड-मत्नि ' म में अभिन्न एकतत : िेदत सिंत कहो मत्न्ने ितलूे रिी रमप्रदत्
'ऐकमेितकदती्म' के रिपलूत म में आस्त रेरते हैं – अ्त्मत परेम ््त््म एक ही है जहो परेम श चिेत्नत है, जिस जर के
अभतररेक्ति कुछ िी ्नही सिं है| आकद श सिंकरे (र्न ७८८-८२०) ्ने इर परेम ््त््म कहो ब्रह बतत्त, जिस जर तत्ि रे
ब्रहत्ड का की उत्पवत्त हुई| अदैत िेदत सिंत के कतरेणत्ि ्त कतरेण-कत््म-रमबनध के भरद्धत सिंत म में, जगत ब्रह म में
अध्तभरत प्रतीत हहोतत है, जहो कक मत्त - ब्रह का की रेहस्म्ी शवक्ति के कतरेण एक र सिंजत्नतत्मक तुकसिस्ट है, औरे
जहो ््त््म म में सि् सिं के अलूतित किी िी औरे कुछ ्नही सिं रेहत है| ब्रह (दैत ्नही सिं) अदैत है, भ्नवि्मशेष (एक
रमत्न) है, औरे मिपलूलूििपलूत रूप रे (वब्नत गुण के) भ्नगु्मण ्त (वब्नत गुणितश चिक शबद के) उपतभधरेकहत है| ब्रह
का की उपमत, मकड़ी जहो वब्नत ककरी बतहरेी रहत्तत के, अप्ने ही अ सिंदरे रे अप्नत जतलूत सि् सिं भ्नकतलूती रेहती
है, रे दी जतती है, औरे ब्रह इर प्रकतरे ब्रहत्ड कत अभिन्न, दहो्नों, भ्नभमत्त एि सिं उपतदत्न कतरेण है| ब्रह,
ब्रहत्ड कत ऐरत कतरेण है जहो ततजिस त्िक रूप रे सि् सिं परेिभत्मत हुए वब्नत, प्रिति पैदत करेतत है|

िेदत सिंत कहो मत्न्ने ितलूे र सिंप्रदत्ों म में जहो िी िेद हैं, िे उ्नके अ्नुरतरे, जगत ्त िौभतक ््त््म रे परेम ््त््म
कत रमबनध, ककर प्रकतरे कत है, के प्रभत उ्नके भिन्न दृवषकहोणों कहो लूेकरे है, लूेकक्न उर परेम ््त््म का की
अनतभ्न्मकहत एकतत परे कहोई प्रश्न-भश चिनह ्नही सिं है| जहो मत्त म में भलूप्त रेहतत है, उरके भलूए दहो रत्् हैं, जैरे:
रतपेक्ष/भ्नरेपेक्ष; भ्नरेतकरे रमवष एि सिं रतकतरे (आकतरे का की विभशषततएएँ); गुण-रेकहत रमवष (भ्नगु्मण) एि सिं रगुण|
प्रत््ेक म में, जहो रतपेक्ष रत्् है, िह मत्त जभ्नत है औरे इरभलूए ्न्विरे, अपिपलूण्म, अ सिंततमशः अरत ्, एि सिं दमशःु र कत
कतरेण है|

बतद म में, रेतमत्नुज (र्न १०५५-११३७) के विभशषतदैत (विभिन्नतत भलूए हुए अदैत) रमप्रदत् ्ने श सिंकरे-
प्रभतपतकदत मत्त कहो, ब्रह रे पृ्कतत का की अ्नुििपलूभत कत कतरेण हहो्ने का की अिधतरेणत कहो श चिु्नौती दी औरे उरके
स्त्न परे ्ह प्रभतपतकदत कक्त कक, ब्रह म में ही रिी पदत््म-विशेष, गुण एि सिं र सिंिति्नतएएँ अनतभ्न्मकहत रेहती सिं हैं|
'रतमतन्' (रति्मिौम) एि सिं 'विशेष' (विभशष) दहो्नों एक दर
िपलू रेे रे अभिन्न हैं; 'रतमतन्' िह है जहो रमवषगत
दृश् है, औरे 'विशेष' उरके अ सिंदरे व््तप्त विविधतत है| भ्नरेपेक्ष औरे रतपेक्ष, इर प्रकतरे आपर म में जुड़े हुए हैं|

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विभशष इकतइ्त सिं भमथ्त ्नही सिं िरे्न मिपलूलूतमशः पृ्क कदर्ने के भलूए, परेम ््त््म का की ही प्रकृभत के रूप हैं| कह सिंद िपलू
धम्म म में ऐरी प्रिृभत रेही है जहो विभशषततओ सिं-्ुक्ति अभिन्न-एकततओ सिं रे र सिंपन्न 'रतमतन्' रमवष का की व््तपक
र सिंकलप्नत करेतत है| िेदत सिंत आधतररेत धतभम्मक रमप्रदत्ों के दश्म्न कत ्ही दृवषकहोण, पजिस पश्चिमी दश्म्नशतस्त्र म में
प्रश चिभलूत रीधी-रपतसिस्ट एकतत, जहो रब प्रकतरे का की विभशषततओ सिं रे विही्न है एि सिं ऐरी कदरतई िी पड़ती है, का की
र सिंकलप्नतओ सिं रे वबलूकुलू भिन्न है|

रेतमत्नुज के उतरेतभधकतरेी, आश्रिी जीि गहोसितमी, ्ने विभशषतदैत दश्म्न कहो पररेषकृत करे, उरे श सिंकरे के अदैत
दश्म्न रे जहोड़ करे एक व््तपक दृवषकहोण प्रसतुत कक्त| उनहों्ने कहत कक शत्वित ््त््म एक रत् दहो्नों है,
व््वषगत एि सिं रमवषगत, जबकक ततजिस त्िक रूप रे आकतरे (रूप) औरे गुण (्नतम) पृ्क ्नही सिं हैं, बजिस लक ब्रह
का की मिपलूलू प्रकृभत ही हैं| शत्वित ््त््म बहुविध र सिंिति्नतओ सिं रे र सिंपन्न है, जिस ज्नकत उररे कहोई पृ्क अजिस सतत्ि है
ही ्नही सिं| आश्रिी जीि आगे श चिलू करे, रतधक का की पतततत के अ्नुरतरे, परेम ््त््म का की पृ्क ती्न प्रकतरे का की
विििपलूभत्ों का की अ्नुििपलूभत कत उललूेर करेते हैं: (१) िति ितश चिक, रमवषगत, भ्नरेतकतरे (ब्रह); (२) व््वक्ति ितश चिक,
व््वषगत (िगित्न) एि सिं (३) ह्रद् म में विरेतजमत्न (परेमतत्म्न)| िगित्न औरे परेमतत्म्न म में कहोई शुद्ध ्त
मौभलूक अ सिंतरे ्नही सिं है - परेमतत्म्न, िगित्न का की आ सिंभशक अभिव््वक्ति ही है| आश्रिी जीि सपष करेते हैं कक
िगित्न, ब्रह एि सिं उरका की रिी विशेषततओ सिं, गुणों एि सिं तत्िों के जहोड़ के बरेतबरे हैं, त्त िगित्न का की विििपलूभत्तएँ
एि सिं अन् विशेषततएएँ, मत्नि बुवद्ध के दतरेत 'अभश चिनत््' हैं औरे िे ऐरे प्रिति प्रकसिस्ट करेते हैं ्त करे रकते हैं
जहो रतमतन्तमशः, अर सिंिि मत्ने जतते हैं| ्े विििपलूभत्तएँ ्न तहो िगित्न रे भिन्न हैं औरे ्न ही िगित्न जैरी ही
हैं| ्ह विभश चित रमबनध जहो एक रत् िैरत ही है औरे भिन्न िी है, 'िेद-अिेद', एक अकदती् भरद्धत सिंत है जहो
ितरेती् र सिंगीत, ्नृत््, मिपलूभत्मकलूत, देिहोपतर्नत, कम्म-कत सिंड, व््िहतरे म में शीलू, ्नीभत-शतस्त्र, र सिंप्रदत् आकद म में घुलूत
हुआ िी है| िगित्न कत कहोई स्िपलूलू रूप ्त आकतरे ्नही सिं है, लूेकक्न उ्नकहो रत ्, भश चित एि सिं आ्न सिंद के पृ्क
एि सिं रजिस ममभलूत रूप म में अ्नुिि कक्त जत रकतत है| िगित्न कत ्नतम औरे िगित्न एक ही हैं, औरे उरम में
िही शवक्ति है जहो िगित्न म में है, औरे इरभलूए '्नतम-जप' एि सिं '्नतम-र सिंका कीत्म्न' इर जगत कहो परेम व््होम रे
जहोड़ते हैं| आश्रिी कृषण, र सिंक्षेप म में िौभतक इचछतओ सिं ितलूे लूहोगों का की जिस स्भत के विष् म में िगिद्गीतत के अध्त् ७
के शहोक र सिंख्त २० रे २२ म में िण्म्न करेते हैं|

अदैत एि सिं िैषणि रमप्रदत्ों के बीश चि भिन्नततओ सिं कहो इर प्रकतरे र सिंक्षेप म में व््क्ति कक्त जत रकतत है : अदैत म में
पृ्कत्ि पिपलूरेी तरेह भमसिस्ट जततत है , जबकक रेतमत्नुज एि सिं आश्रिी जीि का की व््िस्त म में पृ्कत्ि तहो है , लूेकक्न िह
िगित्न रे अभिन्न है औरे िगित्न कत ही एक रूप है| अदैत के मत्न्ने ितलूे मत्नते हैं कक जीि (व््वक्ति) एि सिं
परेमतत्म्न एक ही हैं, जबकक िैषणि मत्नते हैं कक इ्न दहो्नों कत सपष र्नतत्न अजिस सतत्ि है (िगिद्गीतत
१५.७)| कफरे िी, इ्न दहो्नों रमप्रदत्ों म में पृ्क इकतइ्ों के आधतरे म में एक अभिन्न एकतत विद्यमत्न है|

आश्रिी अरेविनद दतरेत प्रभतपतकदत भ्नित्म्न - विित्म्न का की प्रकक्र्तएएँ : वििेकत्न सिंद के अ्नुरतरे, भ्नित्म्न (involution)
ही विित्म्न (evolution) कत आधतरे है, जिस जनहों्ने पहलूी बतरे उन्नीरिी सिं रदी के अ सिंभतम दशक म में इरका की ओ़रे
पजिस पश्चिम कत एि सिं आश्रिी अरेविनद कत ध्त्न आकवष्मत कक्त ्त| इर प्रकक्र्त रे िह एकमेि रत ् विविध रूपों म में
अभिव््क्ति हहोतत है| इरम में, िह अभिन्न रूप रे रमत्न शत्वित ््त््म, अप्नी अप्रकसिस्ट र सिंितव््ततओ सिं कहो ्नत्नत
प्रकतरे का की विििपलूभत्ों एि सिं रूपों म में प्रकसिस्ट करे्ने हेतु प्ररतररेत करेतत है, जिस ज्नम में प्रत््ेक विििपलूभत िी िही शत्वित
््त््म हैं, क्िपलू सिंकक प्रत््ेक ितग परेहोक्ष रूप रे िही पिपलूण्म ््त््म िी है| िह एकमेि रत ् अभिन्न रूप रे रमत्न

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एकतत तहो भलूए हुए है ही औरे रत् रत्, सि् सिं का की रमसत पृ्क पृ्क विििपलूभत्त सिं िी है, औरे कफरे िी िह
एकमेि रत ् अप्नी अभिन्न एकतत कहो (वब्नत अभिव््वक्ति के) ढंके हुए िी रेहतत है, जिस जरके कतरेण उरके
विविध रूप, उर परेहोक्ष एकतत रे बेरबरे रेहते हैं, जिस जरका की िे विभशष अभिव््वक्ति हहोते हैं| अतमशः, हरे पृ्क
ितग ्ह कतई ्नही सिं जत्न पततत कक िह उर एकमेि रत ् का की एक अभिव््वक्ति मतत है| दर
िपलू रेी तरेह रे कहैं तहो,
हरे पृ्क ितग कहो ्ह ्नही सिं पतत हहोतत है कक, िह सित सिंत इकतई ्नही सिं हैं औरे ्ह िी कक, रमवष के ही िे
विविध रूप हैं|

पिपलूरेत ब्रहत्ड ही उर एकमेि रत ् का की अभिव््वक्ति है, 'उररे अ्निरेत भ्नकलूते रेह करे, रब उरी के ्नत्नत रूप
हैं'| िह एकमेि, विकतरमत्न, आत्मश चिेत्न रमवष, औरे कुछ ्नही सिं, िगित्न का की ही रि्मव््तपकतत है| भ्नित्म्न
का की ्ह अिधतरेणत, शत्वित ््त््म का की प्रकृभत का की अिधतरेणत रे अभिन्न है औरे वि्वि दश्म्न कहो ितरेत का की एक
प्रमुर दे्न है| अतमशः, ्ह कह सिंदओ
ु सिं के भलूए ्ह मत्न्नत सितितविक है कक, जगत कत रञश चितलू्न उरके ऋतम ्-
धम्म रे हहोतत रेहतत है|

अभिन्न एकतत के प्रभत बौद्ध धम्म कत दृवषकहोण : (लूेरक कत, इर रनदि्म म में अभिन्न एकतत कहो दशत्म्ने हेतु
आगह, बौद्ध धम्म के मतध्भमक रमप्रदत् परे है) िेदत सिंत के मुख् भरद्धत सिंतों म में रे एक, जहो ्ह बतततत है कक
रतमतन् मत्नर कहो दृश् जगत का की जिस जर प्रकतरे पृ्क इकतइ्ों के रूप म में अ्नुिुभत्तएँ हहोती सिं हैं, िह अ सिंततमशः
््त््म ्नही सिं हैं, का की पुवष बौद्ध धम्म करेतत है| लूेकक्न िेदत सिंत परे सिंपरेत कहो िह एक मौभलूक श चिु्नौती देतत है, कक
ब्रह का की शत्वित ््त््म के रूप म में अिधतरेणत िी भमथ्त है | बौद्ध भरद्धत सिंत ्ह है कक, कहोई 'तथ्' ््त््म ्नही सिं
है जिस जरकत अजिस सतत्ि हहो, औरे िह रब पदत््षों के शत्वित ््त््म अजिस सतत्ि कहो पिपलूण्मत्त ्नकतरेतत है| ्ह
अिधतरेणत कक िसतुओ सिं म में कहोई सि-अजिस सतत्ि हहोतत ही ्नही सिं, 'शिपलून्तत' (रतलूीप्न) कहलूततत है जहो दहो दतिों के
आधतरे परे व््क्ति हहोती है: (१) रब िसतुएएँ क्षजिस णक घसिस्ट्नतओ सिं (र सिंसकृत म में क्षण) के प्रितह हैं, औरे (२) ककरी
िी क्षण कत कहोई िी पृ्क अजिस सतत्ि ्नही सिं है, अ्त्मत, हरे क्षण के बतद दर
िपलू रेत, तीररेत, श चिौ्त क्षण...रतत रूप
रे प्रितकहत हहोतत रेहतत है| ्ह दतित कक हरे प्रिहमत्न क्षजिस णक 'अजिस सतत्ि' रब एक दर
िपलू रेे के कतरेण हैं - (वब्नत
ककरी प्र्म ्त आकद ्त अकतरेण कतरेण के ) 'प्रतीत्् रमुत्पतद' के ्नतम रे जत्नत जततत है| श चििपलूएँकक क्षजिस णक
घसिस्ट्नतएएँ अजिस सतत्ि म में रेह ्नही सिं पतती सिं हैं, इरभलूए हरे क्षण भिन्न इकतई है|

इ सिं्द्रजतलू का की उपमत के अ्नुरूप ििपलूतकतलू, ित्ममत्न एि सिं िविष् के रिी क्षण एक दर


िपलू रेे के कतरेण हहो्ने रे एक
दर
िपलू रेे परे कतरेणपिपलूि्मक भ्नि्मरे हैं| इरकत अ््म ्ह है कक हरे क्षण बतका की रब क्षणों के कतरेण है , औरे इरभलूए
कहोई िी क्षण पृ्क रूप रे अजिस सतत्ि म में ्नही सिं है | पृ्क िसतुएएँ अ्ित प्रकक्र्तएएँ र सिंिि ्नही सिं हैं - इरभलूए
पृ्क िसतुओ सिं कत अजिस सतत्ि ्नही सिं है| हरे व््वक्ति कत हरे अ्नुिि, पिपलूरेे ब्रहत्ड रे कतरेण के रत् जुड़त हुआ है,
औरे इर प्रकतरे रब जीि आपर म में एक दर
िपलू रेे रे जुड़े हुए हैं|

प्रतीत््-रमुत्पतद दहो प्रभतरूपों म में हहोतत है: अ्न सिंत रेेरी् प्रभतकक्र्तएएँ औरे श चिक्रतकतरे परेसपरे-भ्नि्मरे प्रभतकक्र्तएएँ|
दहो्नों प्रभतरूपों म में हरे िसतु हरे अन् िसतु परे भ्नि्मरे रेहती है| बौद्ध धम्म म में ्ही शत्वित ््त््म का की
अभिव््वक्ति है, जहो अ्न सिंत क्षजिस णक घसिस्ट्नतओ सिं कत ऐरत ्नृत्् है| जिस जरे हम रतमतन् ितषत म में 'जगत' कहते हैं
औरे जिस जरे दतश्मभ्नक 'दृजिस गिष् रमबनधी अजिस सतत्ि -phenomenal existence' कहते हैं, उरे बौद्ध धम्म म में
'र सिंरतरे' के ्नतम रे जत्नत जततत है, जहो मतत इ्न घसिस्ट्नतओ सिं का की रतत धतरेतएएँ हैं जिस ज्न म में ककरी िी घसिस्ट्नत कत

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पृ्क अजिस सतत्ि ्नही सिं है| कतरेण-कत््म कत ्ह कम्म-भरद्धत सिंत, ककरी आश्रिृवष-रेश चिभ्तत िगित्न अ्ित ककरी अन्
इकतई, जहो इर आपर का की परेसपरे-भ्नि्मरेतत के बृहद जतलू रे बतहरे हहो, कत वब्नत रहतरेत भलूए श चिलूतत रेहतत है|
शत्वित ््त््म सि् सिं िी ररेक्ति है (अ्त्मत - वब्नत सि-अजिस सतत्ि के है)| इर परेसपरे-भ्निरेतत के ््त््म म में रिी
मत्नभरक प्रकक्र्तएएँ िी रजिस ममभलूत हैं| शत सिंत एि सिं जिस स्रे मत्नर दतरेत अ सिंतदृ्मवष के रतत अभ््तर - 'विपतर्नत' के
मतध्म रे बौद्ध ्होगी मत्नभरक तत्िों के प्रितह एि सिं उ्नका की अ सिंतमशःप्रकक्र्तओ सिं कत रतक्षी हहो जततत है | इर प्रकतरे
सपष रमझदतरेी – 'रमप्रजत' के मतध्म रे बौद्ध ्होगी दतरेत रिी आत सिंररेक एि सिं मत्नभरक प्रकक्र्तओ सिं कत
तसिस्टस् भ्नषकतम भ्नरेीक्षण एि सिं आत्मविशेषण र सिंिि हहो जततत है| 'ररेक्तितत' एि सिं 'प्रतीत््-रमुत्पतद का की अ्नुििपलूभत'
कहो, बुद्ध धम्म म में रमकक्ष मत्नत जततत है|

बुद्ध औरे उ्नके बतद ्नतगतजु्म्न, जिस जनह में बुद्ध के बतद कत रि्मआश्रिेष दतश्मभ्नक मत्नत जततत है, कत उदेश् ्ह ्नही सिं है
कक, ररेक्तितत का की अिधतरेणत के ककरी पृ्क अजिस सतत्ि कहो स्तवपत कक्त जत्; ्नही सिं तहो िह एक 'िसतु' ब्न
जत्ेगी जिस जरकत सि् सिं कत सि-अजिस सतत्ि हहो जत्ेगत| इरभलूए, उ्नकत आगह है कक 'ररेक्तितत ररेक्ति है', जिस जरकत
अ््म है कक ररेक्तितत कहोई ऐरी इकतई ्नही सिं है, जिस जरे दृश् र सिंरतरे रे कही सिं ऊपरे एक प्रकतरे के परेत-लूहोक के रूप
म में अभ्नित््म मत्नत जत्ने लूग जत्; ्ह केिलू दृजिस गिष् का की शत्वित प्रकृभत िरे है| शत्वित रत्् परेसपरे-
भ्नि्मरेतत के इर जतलू के प्र्होज्न रे बतहरे, एक औरे ््त््म ्नही सिं है िरे्न पदत््षों एि सिं तत्िों के विष् म में
रहोश चि्ने का की स्तवपत प्रश चिभलूत आदत रे हसिस्टकरे, ्ह रहोश चि्ने कत एक रतत प्रिहमत्न तरेीकत है, कक ऐरी ककरी
िी प्रकतरे का की इकतइ्त सिं, सि् सिं रे अजिस सतत्ि म में हैं ही ्नही सिं| बुद्ध सपष करेते हैं कक रब उपदेश 'भ्नित्मण हेतु हैं;
उ्न उपदेशों कहो पकड़करे बैि्ने हेतु ्नही सिं' औरे उनह में परेम तत्िों के रूप म में ्नही सिं रहोश चित जत्नत श चितकहए| उ्नकत
प्रभरद्ध िक्तिव्् है: 'धम्षों कहो िी छहोड़ दे्नत श चितकहए, जहो धम्म ्नही सिं हैं, उ्नकत तहो क्त कह्नत'| दर
ु मत्नि का की
िह पररेजिस स्भत है, जिस जरम में व््वक्ति र सिंरतरे कहो औरे सि् सिं कहो सि-अजिस सतत्ि रेर्ने ितलूी इकतइ्ों के रूप म में
देरतत है| ्ह र सिंजत्नतत्मक तुकसिस्ट ही, 'िसतुओ सिं' के प्रभत हमतरेे अ सिंदरे आरवक्ति औरे उनह में प्रतप्त करे्ने का की इचछत
पैदत करेते रेह्ने के भलूए जिस जममेदतरे है| इ्न इचछतओ सिं कहो तहो र सिंतुष करे्नत अर सिंिि है, क्िपलू सिंकक जिस ज्न िसतुओ सिं कहो
कहोई, र सिंतुवष के भलूए कर करे पकड़तत है, िे अ सिंततमशः अजिस सतत्ि म में हैं ही ्नही सिं - इरभलूए उ्नकहो, अ्त्मत
इचछतओ सिं कहो र सिंतुष करे्ने के रब प्र्तर व््््म श चिलूे जतते हैं|

दहो रत्् एि सिं रनदि्म: हरे दृजिस गिष् (phenomenon) म में ककरी प्रकतरे का की विभशषतत के ्न हहो्ने कत रतरेगभि्मत
िण्म्न है 'त्ततत', जहो वब्नत ककरी िैश चितररेक वििरेण कत शत्वित ््त््म है| इरभलूए, रतपेक्ष अजिस सतत्ि कहो
रतमतन् रूप रे व््िहतरे म में रमझ रक्ने के भलूए, दृजिस गिष्ों कहो दहो रत््ों, एक रतपेक्ष औरे दर
िपलू रेत शत्वित के
रनदि्म म में रमझे जत्ने का की आिश्कतत हहोती है| “धम्म का की स्तप्नत, रत सिंरतररेक श चिलू्न त्त शत्वित परेम रत््,
इ्न दहो्नों परे आधतररेत है"|

मध् मतग्म : पररेित्म्न एि सिं कम्म, ररेक्तितत के हहो्ने रे ही र सिंिि हैं| ्नतगतजु्म्न कहते हैं - 'अगरे तत्ि है, तहो पिपलूरेे
वि्वि म में कुछ उद् ्नही सिं हहोगत, कुछ ्नही सिं िहरेेगत, िह जड़ हहो जत्ेगत| पिपलूरेत दृजिस गिष्क र सिंरतरे अपररेित्म्नी् हहो
जत्ेगत'| रब प्रकतरे का की कृवतम एकततओ सिं परे ्नतगतजु्म्न कत ्ह भ्नपश्चि्तत्मक रूप रे घततक प्रहतरे है, क्िपलू सिंकक
कृवतम एकततएएँ पहलूे पृ्क तत्िों रे आरे सिंि हहोती सिं हैं औरे कफरे उ्नम में एकतत का की रहोज आरे सिंि हहोती है|
्नतगतजु्म्न सपष करेते हैं कक 'जहो कुछ िी अन् इकतइ्ों परे भ्नि्मरे रेह्ने रे उत्पन्न हहोतत है, उरे हम ररेक्तितत
के रूप म में रमझतते हैं| िह ्नतम मतत कत अजिस सतत्ि है औरे िही, ितसति म में मध् मतग्म है'| िे र सिंक्षेप म में

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बततते हैं: '्ह कह्नत कक "्ह है" उरे स्तभ्त्ि प्रदत्न करे्ने हेतु पकड़्नत है| ्ह कह्नत कक "्ह ्नही सिं है"
शिपलून्ितद का की अिधतरेणत कहो अप्नत्ने जैरत है| इरभलूए, कहोई िी जत्नी किी ्ह ्नही सिं कह रकतत है कक -
"अजिस सतत्ि है" अ्ित "अजिस सतत्ि ्नही सिं है"|

बुद्ध ्ने अप्ने पहलूे उपदेश म में एक ओ़रे पिपलूण्म रूप रे िहोग विलूतर म में रेत रेह्ने औरे दर
िपलू रेी ओ़रे रतध्नत के
्नतम परे, आत्म-प्रततड़्नत के बीश चि इर ्नए मध् मतग्म के ्नैभतक ततत्प््षों परे प्रकतश डतलूत ्त| िैश चितररेक एक
ध्रुि, जहो स्तभ्त्ि के दृवषकहोण का की अभिपुवष करेतत है औरे दर
िपलू रेत जहो शिपलून्ितद के ्नकतरेतत्मक दृवषकहोण का की
ओ़रे इशतरेत करेतत है, दहो्नों रे बश चि्ने ितलूे मध् मतग्म कहो अप्नत्ने हेतु, ्ह व््तिहतररेक तक्म है| दमशःु र का की
रमझ, उरकत कतरेण, औरे उरके भ्नितरेण हेतु ्ह मध् मतग्म, कहोई रैद्धत सिंभतक भ्नरूपण ्नही सिं है; अ्त्मत, िह
पररेित्म्न हेतु एक व््तिहतररेक विभध है| मत्नि भश चित्त म में शत्वित अजिस सतत्ि रेर्ने ितलूी इकतइ्त सिं एि सिं शिपलून्ितद
का की श चिरेम, दहो रीमतएएँ गहरेतई रे पैिठ हुई हैं| इ्न रीमतओ सिं का की ककि्नतइ्ों रे बश चि्ने हेतु, रब दृजिस गिष्ों का की
प्रकृभत कहो, परेसपरे भ्नि्मरेतत रे उकदत हहोते हुए देरत जत्नत श चितकहए|

कुशलू रतध्न - रनदि्म कत व््तिहतररेक उप्होग : इ्न दहो रत््ों के हहोते हुए, एक 'कुशलू रतध्न' ्नतम का की
व््तिहतररेक विभध है, जिस जरके दतरेत बौद्ध मतग्म का की रनदि्म-र सिंिेदी प्रकृभत का की रिपलूश चि्नत भमलूती है| बुद्ध कहते हैं कक
उ्नकत उपदेश हरे व््वक्ति का की सितितविक प्रभतित एि सिं ्होग्तत त्त उपदेश के रम्, स्त्न औरे पररेजिस स्भत
का की प्रकृभत के अ्नुरूप हहोतत है| श चििपलूएँकक रश चिेत्न जीिों का की र सिंख्त, जिस जनह में भ्नित्मण पत्नत है, िह अ्न सिंत है, इरभलूए
उ्नका की मुवक्ति के भलूए रतध्न िी अ्न सिंत हहो्ने श चितकहए, औरे, श चििपलूएँकक इ्न अ्न सिंत जीिों का की प्रिृभत्त सिं, क्षमततएएँ,
झुकति एि सिं भ्रत सिंभत्त सिं िी अ्न सिंत प्रकतरे का की हैं, बहोभध-रत्ि कहो िी हरे मतमलूे के भलूए उर मतमलूे का की
आिश्कततओ सिं के अ्नुरूप रतध्न बतत्नत श चितकहए| रिी व््वक्ति्ों का की सि-प्रकृभत एि सिं उ्नके दृजिस गिष्ों का की
ररेक्तितत कहो ध्त्न म में रेरकरे, बहोभधरत्ि कहो अप्नी बुवद्धमत्तत कत प्र्होग करे्नत श चितकहए| अगरे बहोभधरत्ि कहो
'रश चिेत्न जीि' का की अिधतरेणत कहो विष्तभआश्रित ब्नत्नत पड़ ग्त (objectify the notion of 'sentient being'),
तहो इररे उ्न व््वक्ति्ों कहो रहत्तत पहुएँश चित्ने म में बतधत रड़ी हहोगी| शत्वित रत््, जहो ्ह है कक जीिों कत कहोई
अजिस सतत्ि ्नही सिं है औरे अप्नी महत्न करुणत के रतपेक्ष रत््, के मध् म में उनह में रतत रूप रे र सिंतुलू्न ब्नत्े
रेर्नत हहोगत|

तक्म का की श चितुषकहोसिस्टी : ग सिंिीरे दतश्मभ्नक कुशलूतत त्त क्षुरेस्-धतरेत जैरी प्रररे बुवद्ध रे, ्नतगतजु्म्न ्ने अभिन्न
एकतत का की रमस्त परे अप्ने दृवषकहोण कहो सपष कक्त एि सिं कैरे भिन्नतत औरे रदृश्तत का की गह्न रमझ
विकभरत करे्ने म में भ्नपुणतत प्रतप्त का की जतए, इरकत आधतरे बतत्त| प्रभतितद के भ्न्मों एि सिं अरेसतुितदी मध्-
भ्नषेध के भ्न्म कत ितरेती् तक्म-शतस्त्र म में प्र्होग तहो कक्त जततत रेहत है, लूेकक्न केिलू ऐरे रम् त्त
विभध रे जहो रनदि्म-र सिंिेदी हों, ्न कक पजिस पश्चिमी दश्म्न का की ित सिंभत पिपलूि्म-भ्न्त अ्ित भ्नरे सिंकुश विभध रे| बुद्ध के
अजिस समतत के अजिस सतत्ि के ्न हहो्ने के भरद्धत सिंत-विष्क उपदेश के बतरेे म में, ्नतगतजु्म्न एक श चिौकत्ने ितलूी बतत
कहते हैं: '्ह कक अजिस समतत है, भररत्त ग्त है| औरे बुद्ध के दतरेत अजिस समतत के अजिस सतत्ि के ्न हहो्ने कत
भरद्धत सिंत त्त ्न अजिस समतत औरे ्न अजिस समतत-विही्नतत के भरद्धत सिंत कहो िी भररत्त ग्त है'| ्नतगतजु्म्न कत आश्
है कक आत्म्न ्त अ्नतत्म्न का की दहो श चिरेम रीमतओ सिं रे िी गह्न एक रत्् है| जहो िी हहो, विशेषण करे्ने के
उपरेत सिंत, ककरी िी ््त््म इकतई के हहो्ने का की बतत का की ओ़रे इ्न विश चितरेों कत र सिंकेत ्नही सिं हहोतत है|

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अभधकत सिंश प्रतश चिी्न ितरेती् धतभम्मक दश्म्नों कत तक्म-शतस्त्र – ककनतु ऐरत विशेषकरे ्नतगतजु्म्न रे जुड़े हुए
रमप्रदत्ों के मतमलूे म में है – ककरी िी प्रसतति के विष् म में श चितरे र सिंिति्नतएएँ, जिस जरे श चितुषकहोसिस्टी ्नतम रे जत्नत
जततत है, मत्ने जतते हैं| ्े श चितरे र सिंिति्नतएएँ हैं: रत्् (औरे अरत्् ्नही सिं); अरत्् (औरे रत्् ्नही सिं); दहो्नों
रत्् औरे अरत््; औरे ्न रत््, ्नत ही अरत््| सिीकतरे-असिीकतरे करे्ने रे पहलूे, इ्न श चितरेों र सिंिति्नतओ सिं के
विशेषण का की आिश्कतत हहोती है | रकद्ों रे प्रश चिभलूत इर श चितुषकहोसिस्टी-तक्म व््िस्त कहो, बौद्ध धम्म ्ने औरे
आगे पररेषकृत कक्त, त्त इर श चितरे र सिंिति्नतओ सिं ितलूे तक्म-शतस्त्र कहो, औरे व््िजिस स्त त्त औपश चितररेक रूप
कद्त एि सिं रनदि्म-र सिंिेदी रूप म में रिी व््तिहतररेक पररेजिस स्भत्ों म में उरकत उप्होग िी कक्त|

कह सिंद िपलू औरे बौद्ध धम्षों म में आत्म्न का की अिधतरेणत एएँ : बौद्धों के 'अ्नतत्म्न' के भरद्धत सिंत के प्रभत कह सिंदओ
ु सिं दतरेत
सितितविक रूप रे कड़त विरेहोध कक्त ग्त, क्िपलू सिंकक िह आत्मत एि सिं पुरुष (परेमतत्मत) के गैरे-बौद्ध ितरेती्
दतश्मभ्नक विश चितरे रे मिपलूलूतमशः भिन्न ्त औरे बौद्ध विश चितरे, भररेे रे इर कह सिंद िपलू दतश्मभ्नक विश चितरे कहो रेद करेतत ्त|
बौद्धों कत ्ह विश चितरे है कक - अ सिंतदृ्मवष एि सिं विशेषण के दतरेत ्ह पत्त जततत है कक व््वक्ति का की अजिस समतत एक
्ौभगक है औरे िह 'अन्' परे भ्नि्मरेतत रे उकदत हहोती है, औरे इरभलूए िह एक आकजिस समक त्त क्षजिस णक
घसिस्ट्नत िरे है| व््वक्ति के म्नहोिैजतभ्नक अहम कहो लूेकरे, लूेकक्न औरे िी ितरेती् दश्म्न प्रणतभलू्त सिं हैं , जहो कक
उरी अहम के, इरी प्रकतरे रे ितसतविक ्न हहो्ने का की बतत कहते हैं | पत सिंजभलू घहोवषत करेते हैं कक विश चितरे,
जिस जनह में िे िृवत्त्तएँ कहते हैं शत सिंत हहो जतती सिं हैं, जब पुरुष का की मिपलूलू श चिेत्नत म में कहोई िी व््वक्ति सि् सिं के अ सिंतमशःकरेण
म में जिस स्रे हहो जततत है| ्ह अिधतरेणत कक, म्न-बुवद्ध का की मिपलूलू प्रकृभत भ्नम्मलू एि सिं प्रकतशित्न है, लूेकक्न
आकजिस समक विकतरेों के कतरेण िह धु सिंधलूी हहो जतती है, बौद्ध दृवषकहोण के रमत्न ही है|

जै्न धम्म – विविध दृवषकहोण एि सिं परेसपरे रममत्न : जै्न धम्म का की िैजिस ्विक दृवष अन् ितरेती् धम्षों का की
परेमपरेतओ सिं रे भिन्न है, ्द्यवप िह अभिन्न एकतत कहो सिीकतरे करेती है, जैरत कक कह सिंद िपलू एि सिं बौद्ध धम्षों म में िी
प्रमुर रूप रे है| जै्न धम्म के मुख् भरद्धत सिंतों म में रे एक है – '्न्र कत भरद्धत सिंत', जहो ्ह घहोवषत करेतत है कक
हरे ््त््म व््वक्तिपरेक है, क्िपलू सिंकक उरकत र सिंजत्न रतपेक्ष दृवष रे हहोतत है , ककनही सिं रुभ्नजिस पश्चित दृवषकहोणों रे ्नही सिं;
धततव्् हहो कक, एक ्न् िह रनदि्म-वब सिंद ु हैं जिस जरके रतपेक्ष रब भ्नण्म् कक्े जतते हैं| रतत ्न्र हहोते हैं,
जिस ज्न रब कत उप्होग िसतु-विशेष के गुणों कहो परेर्ने हेतु कक्त जत्नत हहोतत है, जिस ज्न रे 'अ्नेकत सिंत-ितद' कत
भरद्धत सिंत सपष हहोतत है, अ्त्मत, इर विभध रे कई दृवषकहोणों रे भ्नण्म्ों कत भ्नधत्मरेण कक्त जत्नत हहोतत है| इ्न
म में रे प्रत््ेक दृवषकहोण कत भ्नधत्मरेण, व््वक्ति-विशेष के रनदि्म त्त पृष्ठििपलूभम के आधतरे परे हहोतत है| इरभलूए,
रब जत्नकतररे्त सिं केिलू एक र सिंितव््तत है ('स्तद-ितद'), अ्ित आ सिंभशक है, ्ह जै्न धम्म कत एक औरे प्रमुर
भरद्धत सिंत है| इरभलूए, शत्वित ््त््म कहो रमझ्नत केिलू एक जीि्न-मुक्ति आत्मत के भलूए ही र सिंिि है, जिस जरे
रब र सिंिति्नतओ सिं कहो एक रत् रमझ्ने का की क्षमतत प्रतप्त हहो श चिुका की हहो| जै्न तक्म-शतस्त्र ्ह मत्नतत है कक ककरी
एक िसतु के विष् म में एक ही अ््म म में परेसपरे विरेहोधी िक्तिव््, उरी स्त्न एि सिं रम् म में असिीकत््म हहोते हैं|

इर प्रकतरे जै्न तक्म-शतस्त्र, बौद्ध मतध्भमक तक्म-शतस्त्र, एि सिं विभिन्न कह सिंद िपलू व््स्तएएँ, रिी रनदि्म के प्रभत
आगह रेरते हैं, जिस जरके रतपेक्ष रचश चितइ्ों कहो वब्नत र सिंश् के जत्नत जत रके | ्े रिी अरेसतु-ितदी मध् के
भ्नषेध-विष्क तक्म औरे भ्न्म त्त बतइवबलू-आधतररेत विभशषतत कहो भररेे रे असिीकतरे करेते हैं, जब िी
इ्नकहो अ सिंभतम एि सिं शत्वित रचश चितइ्ों के रूप म में प्रसतुत कक्त जततत रेहत है|

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पररेभशष र
धतभम्मक एि सिं इब्रतकहमी परेमपरेतओ सिं का की पद्धभत्ों कत प्रणतलूी् ढंत सिंश चित
ितरेती् धम्म का की तत्िमीमत सिंरत कहो एक ऐरी बृहद-र सिंरेश चि्नत मत्नत जत रकतत है, जहो रमत्न भरद्धत सिंतों, प्रतीकों
एि सिं विभध्ों कत अ्नुररेण करे्ने ितलूे विभिन्न रमप्रदत्ों रे र सिंगती रेरतत है, जहो रिी रतध्नत के मतध्म रे
श चिेत्नत के उचश चितरे अिस्तओ सिं कहो प्रतप्त करे्ने हेतु, अभिकजिस लपत हुई हैं| वपछलूे दहो दशकों के दौरेत्न लूेरक
दतरेत इर 'धम्म का की र सिंरेश चि्नत' का की पररेितषत भ्नधत्मररेत करे्ने हेतु का की गई रहोज कत पररेणतम ्ह पुसतक है,
जिस जरम में उ्नकत प्र्तर ्ह रेहत है कक एक ओ़रे इर 'धम्म' के लूश चिीलूेप्न एि सिं उरम में अ सिंतभ्न्मकहत अ्नेकतत के प्रभत
न्त् हहो रके, औरे दर
िपलू रेी ओ़रे रत् ही, उरका की विभशषतत कहो ्नकतरे्ने ितलूी रदृश्तत के दृवषकहोण रे िी
परेहेज़ हहो रके|

कह सिंद िपलू 'रमप्रदत्', अ्ित एक अकेलूत गुरु, व््िस्तओ सिं के र सिं्होजक हैं, जहो ककरी िी रतधक के आध्तजिस त्मक
जीि्न का की पिपलूरेी व््िस्त के भ्नमत्मण हेतु , उरके विभिन्न अि्िों कत श चि््न करेते हैं| िह दीक्षत एि सिं प्रभशक्षण
के मतध्म रे उर व््िस्त कहो स्तवपत करे, रतत रूप रे उरके ितिी रञश चितलू्न कत प्रब सिंध िी करेते हैं|
कई रमप्रदत्, रौदतगरेों के भश चिनह भलूए हुए जैरे हहोते हैं, जिस ज्नके विभशष प्रतीक, कपड़े पकह्न्ने के तरेीके,
आकद हहोते हैं| इर ्नमिपलू्ने कत उदतहरेण लूेकरे, धम्म कहो इ्न रूपों म में देरत जत रकतत है - (क) व््वक्ति का की
आध्तजिस त्मक रहोज औरे उरके रत सिंरतररेक जीि्न-भ्नित्मह हेतु, एक रुलूी मतग्मदश्मक र सिंरेश चि्नत; (र) व््वक्ति-विशेष
का की रूभश चि के अ्नुरूप ऐरी र सिंरेश चि्नत के भ्नमत्मण हेतु , विभिन्न अि्िों का की उपलूजिस बध रुभ्नजिस पश्चित करे्नत; (ग)
रमप्रदत्ों रे उपलूबध, रतधकों कहो आजीि्न रमतधत्न दे्ने ितलूे , पहलूे रे तय्तरे मत-व््िस्तओ सिं कत
रमुचश चि्; (घ) कुशलू रतधक दतरेत सि् सिं अप्नी पिपलूरेी व््िस्त हेतु विकलप; (श चि) श चितलूिपलू शहोध एि सिं विकतर करे्ने
ितलूे व््वक्ति्ों अ्ित रमप्रदत्ों के ऐरे केन्द्रों दतरेत रम् रम् परे ्नए विश चितरेों एि सिं रतध्नत-प्रकक्र्तओ सिं का की
घहोषणत करे्नत; (छ) आधुभ्नक अ सिंतजत्मलू (internet) का की तरेह, धम्म का की ऐरी अिधतरेणत कत कहोई केन्द्र-वब सिंद ु
्नही सिं, कहोई मतभलूक ्नही सिं, कहोई र सिंस्तपक ्नही सिं है, औरे ्नए ्नए उद्गतरेों म में, पररेित्म्न एि सिं र सिंितद हेतु, दतरे रदत
रुलूे रेहते हैं| (ज) इर रुलूी र सिंरेश चि्नत कत प्र्होग करेते हुए प्रभतितग करे्ने हेतु, ककरी कहो िी इर व््िस्त के
इभतहतर का की जत्नकतरेी आिश्क ्नही सिं है -्ह इभतहतर-क में्द्रीक व््िस्त ्नही सिं है|

ऐरी र सिंसकृभत, रतत रूप रे अप्ने अ सिंदरे रे ही अप्रत््तभशत वब सिंदओ


ु सिं एि सिं विभध्ों रे उिरे्ने ितलूे विविध
्नितश चितरेों के मतध्म रे, ्निी्न हहोती रेहती है| उरका की आत सिंररेक व््िस्त, लू सिंबे रम् तक ककरी अलूगति एि सिं
रतर विभशष इभतहतर के प्रभत आगह रेर्ने का की रमस्त रे रदत परेहेज़ करेती रेही है औरे इर प्रकतरे रदत
र सिंतुभलूत ब्नी रेही है| जकसिस्टलू रमस्तओ सिं के विविध रमतधत्न र सिंिि हहो रक्ने के प्रभत, रुलूेप्न का की िति्नत के
कतरेण ही बहुलूततितद, गहरेतई रे ितरेती् धम्म म में बैित हुआ है|

्हिपलूदी-ईरतई मजहबों के पतर पररेित्म्न लूत्ने हेतु, इरी हद तक मौभलूक शहोध त्त विकतर के भलूए इर प्रकतरे
के रुलूेप्न के ितततिरेण का की एि सिं विविध विकलपों म में रे श चिु्नति करे्ने का की रुविधत ्नही सिं रेही है| जैरत कक हम्ने
देरत है, उनह में इर बतत परे वि्वितर ्नही सिं है कक, मत्नि सि् सिं रे रत्् के भरद्धत सिंतों कहो रहोज्ने का की क्षमतत
रेरतत है; इरभलूए, उ्नका की र्नक ऐभतहतभरक रूप रे विभशष घसिस्ट्नतओ सिं के दतिे करे्ने का की ही रेही है| उ्नका की
ब सिंद-मत्नभरकतत ्ह जिस जद एि सिं वि्वितर करे्ने कहो उकरतती रेहती है कक, उ्नके अप्ने मजहब के अभतररेक्ति औरे
कुछ िी िैध ्नही सिं है, जहो कक एक प्रकतरे कत एकतभधकतरे-प्रतप्त व््िहतरे है, जिस जरके कतरेण ्हिपलूदी-ईरतई मजहब,

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रेतज् दतरेत उपलूबध करेत्े गए 'रेतज्-भ्न् सिंवतत व््िस्त' अभधक प्रतीत हहो्ने लूगते हैं|

लूश चिीलूतप्न, श चिु्नौभत्ों कत रतम्नत करे्ने रे प्रतप्त हहोतत है| ितरेती् धम्म कत रतधक कम रे कम, ती्न विभध्ों
रे हरे ककरी अिररे परे ्नैभतक एि सिं उभश चित भ्नण्म् लूे्ने हेतु, मतग्म-दश्म्न प्रतप्त करे रकतत है - ्े ती्न विभध्तएँ
इर प्रकतरे रे हैं: शतस्त्र रे, परे सिंपरेत (रमप्रदत्, अ्ित अप्ने गुरु) रे, औरे सि् सिं का की रतध्नत के मतध्म रे
प्रतप्त, उचश चि श चिेत्नत रे| ऐरत कहोई भलूजिस रत ्नीभतशतस्त्र ्नही सिं है जहो रीधे ही 'रति्मिौम' हहो|

कह सिंद-िपलू ्नैभतकतत के रनदि्म-र सिंिेदी हहो्ने कहो मतन्तत दे्नत इरभलूए महत्िपिपलूण्म है (जहो एक अभत उत्तरे-आधुभ्नक
विश चितरे िी है) क्िपलू सिंकक, ईरतई धमत्मनतरेणरेत भमश्नरेी ्ह आरेहोप लूगतते रेहते हैं कक, कह सिंद िपलू धम्म ्नैभतक
रतपेक्षितद रे गभरत है, अ्त्मत इरम में म्न-मजर का की ्नैभतकतत व््तप्त है| ऐरे आरेहोप कहो प्रत्मशः इर प्रकतरे
िहोलूेप्न रे व््क्ति कक्त जततत है कक, रु्न्ने ितलूत गलूती रे इरे प्रश सिंरत िी मत्न रकतत है - लूतरों देितत,
बहुत रतरेे शतस्त्र, बहुतेरेे गुरु, पिपलूरेी सित सिंततत, आकद| ितरेती् धम्म के रनदि्म-र सिंिेदी सििति के विष् म में
अध्त् ४ म में विषद उललूेर कक्त ग्त है|

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