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Bahan Ka Khayal Main Rakhunga
Bahan Ka Khayal Main Rakhunga
सरो जनी - सागर बेटा, मने शा लनी क पै कग कर द है, सुबह कतने बजे
नकलना है।
सरो जनी- और हां सागर, शा लनी को पहले जाकर थोड़ी शा पग करा दे ना,
कुछ डेली वयर और कालेज जाने के लए...
शा लनी- नह भाई
मेरी ल बाई 5' 10" और शा लनी क 5' 7" । रंग हम दोन का ही गोरा है, मैने
उठकर पीछे कमरे से लाकर उसे कपड़े दये और कहा ये पहन लो थोड़ा गम
कम लगेगी । शा लनी ने कपड़े लए और पीछे कमरे मे जाकर चज करके मेरे
पास आकर बैठ गई,
ये सुनकर शा लनी हंसने लगी और खड़े होकर मुझसे कहने लगी क ये कपड़े
तो ब त आरामदायक ह भै या, कतना लग रहा है ।।
मने उससे कहा अब तुम भी आराम कर लो, यह ं लेट जाओ अभी तु हारे
लए पीछे कमरे को साफ करके उसम कूलर लगवा ं ,
शा लनी वह मेरे साथ ही लेट गई, सफर क थकान से हम दोन ज द ही सो
गए ।।।
दोपहर के तीन बजे मेरी न द खुली तो मुझे ब त भूख लगी थी, म उठकर
बाहर बरामदे म बे सन म हाथ मुंह धोकर मैगी नूड स बनाने लगा । फर मने
शा लनी को आवाज लगाकर जगाया, पर वह नह उठ ।
मैगी बनाने के बाद म कमरे म आकर शा लनी को हाथ लगाकर उठाने ही जा
रहा था क म एकदम से क गया। शा लनी इस व करवट लेट थी और
उसके दोन ध के बीच क घाट का काफ ह सा मेरी वी गले क ट शट से
दख रहा था। हर बार सांस लेने के बाद उसके ध भी फूल- पचक रहे थे। म
उसे जगाने के बजाय उसके पूरे बदन को उपर से नीचे क ओर दे खने लगा ।
न कर म उसक गोरी सुडौल भरी भरी जांघ और नीचे ह के भूरे रंग के र य
से पैर म ।
अब मुझे एहसास आ क मेरी बहन शा लनी ब त ही खूबसूरत है और मां
क ही तरह उसका शरीर भी हर ह से से खूबसूरत कटाव लए है,,
म शा लनी से बस कुछ इंच क री पर खड़ा आ वह पर जैसे ज हो गया
था । अचानक मुझे सुबह बस क बात याद आ गई क कैसे वो आदमी
शा लनी का प ा खसकने के बाद उसके ध को घूर रहा था और यहां अब
म खुद अपनी बहन के ध को हर सांस के साथ उठते बैठते दे ख रहा था।।
शा लनी- जी भाईजी,
मै- मेरे होते तु ह कुछ नह होगा बेटा, और छोट सी चीज से ऐसे डरते नह ह,
तु ह तो अब अकेले ही यहाँ कालेज भी आना जाना है... बी ेव गल बेटा....
खैर .. मने अपनी बाइक टाट क और शा लनी पीछे बैठ गई, उसके हाथ म
काफ बैग थे जससे पता चलता था क वह शा पग करके आ रही है ।।
शा लनी- जी भाईजी
मै- (थोड़ा सोच कर) हां, हां म यहां था तो... कौनसा तु ह सारे कपड़े
नकालने थे,,, अब यहाँ हम ही दोन को रहना है... इतनी शरम ठ क नह ...
और तुम अपने भाई के साथ ही अनक फरटे बल हो... ऐसे कैसे रहगे हम
साथ म ... मुझे दे खो म जैसे रहता था तु हारे आने से पहले वैसे ही ं।।
मने कपडे डाल कर बाइक अंदर रखी और गेट लाक करके कपड़े फर से
नकाल कर शा लनी के पास लेट गया, गेट लाक होने के बाद म घर का कोई
दरवाजा बंद नह करता, लाईट आन थी, हम दोन को उजाले म सोने क
आदत है।।
म- गुड नाईट...
सुबह जब मेरी आंख खुली तो दे खा अभी साढ़े पांच बजे ह मतलब आधे घंटे
और सोया जा सकता था मेरे ट न से,,, म लेटा रहा फर अचानक शा लनी
क ओर दे खा तो वह पैर फैलाये बेसध
ु सो रही है और उसक शाट न कर
समटकर उसक जांघ मे चपक थी और ऊपर उसक ट शट समीज स हत
उसक ना भ के काफ उपर तक उठ थी,,,, और उसके नंगी जांघ स हत पैर
धया रोशनी म चमक रहे थे .... मने तुरंत नजर सरी तरफ कर ली और
यान हटाने के लए मोबाइल उठा लया, कुछ दे र बाद मेरी नजर फर
शा लनी पर चली गई,,, अब वह मेरी ओर करवट ई जससे उसके तन ने
वी गले क ट मे गहरी घाट जैसी बना ली और उसके गोरे गुदाज सीने को
दे खकर मुझे पता नह या हो गया क म शा लनी के पूरे शरीर को दे खने
लगा और एक अजीब सी सुरसुरी छा गई पूरे बदन मे और च मे मेरा लंड
खड़ा हो गया...
कहाँ जरा सी चूचं ी क झलक पाने के लए हम जैसे लडके तरसते थे, माकट
म ह क सी चूच ं ी दख जाये कसी से सी भाभी/आंट /लड़क क तो लंड
तुरंत सलामी दे ता था,,,
ह थमैथुन से ही काम चल रहा था,,कभी कसी को छू ने का मौका नह मला
था।।
मने े श होकर कपड़े डाले और शा लनी को बना जगाए गेट बाहर से लाक
करके ध और ेड लेने आ गया ।
सुनीता भाभी- सागर भैया कैसे हो, और आपके साथ कौन आया है।
सुनीता भाभी मेरे बगल वाले मकान म रहती ह और पूरे मोह ले म मेरी बात
उनके ही प रवार से होती है, वो 40 साल क भरे बदन क सुद ं र सं कारी
म हला ह, उनके दो ब चे ह वो अपने ब च के ही कूल मे ट चर ह,, अ सर
सुबह सुबह वो झाड लगाते ए अपनी चूच ं ी दखा दे ती थी तो मेरा दन बन
जाता था । खैर हम लोग मे हंसी मजाक चलता रहता था ।।
गेट खोल कर मै अंदर आया तो दे खा, शा लनी अभी सो रही थी, एक बार
फर मेरी नजर शा लनी के सीने पर पड़ी, वह सीधे लेट थी और उसके ध
के न पल जा हर हो रहे थे, इतने से ही मेरा लंड फर झटके खाने लगा,....
(उसे या पता क उसके यौवन ने उसके बड़े भाईजी क ऐसी हालत करद
थी क उसे भागना पड़ा )
म- कुछ भी चलेगा, म तो सुबह ऐसे नकल लेता था, बाहर ही चाय पानी होता
था ।
कमरा भी ब त ढं ग से सजाया था ।
शा लनी- जी भाई आप आ गए ।
म- हां, हां ऐसा करो तुम भी नहा लो फर साथ म काफ पीते ह, म कुछ
नै स लाया ं और तु हारे लए एक सर ाइज है,,
शा लनी के बदन क खुशबू से म मदहोश होने लगा । मने मादा खुशबू के बारे
म सुना था और आज म उसे महसूस भी कर रहा था, जाने कतनी दे र बाद
शा लनी ने अपना चेहरा थोड़ा अलग करते ए कहा, भाईजी हमारी पहली
से फ हो जाए और ह का सा सीधे होकर वो कैमरा आन करके से फ लेने
लगी,,,
शा लनी- य भाईजी, या आ ?
शा लनी - (अपने उपरी शरीर को दे खते ए) ओह... वारी भाई, मने यान
नह दया... और वो नीचे दे खने लगी ।
म- कोई बात नह बेटा.... यहां अपने घर के अंदर तो चाहे जैसे रहो बट बाहर
नकलते ए थोड़ा यान रखना बस ।
म- तुम ा य नह पहनती ?
लेडी- जी कसके लए ?
शा लनी- जी हम दोन के लए ।
म- ठ क है , ले लो जो लेना है ।।
म- जी , आप दोन दखाईये ।
म- एक दो और लेलो ।
शा लनी- नह , पहले चेक कर लूं क कोई ा लम न हो, फर बाद म और ले
लूंगी ।
लेडी- जी, मैम आप इधर आकर ायल म म जाकर चेक कर ल मने आपके
साइज ३४ के दोन सेट ायल म म रख दये ह
लेडी- हंसते ए ,,जी वो कहते ह ना " पारखी नजर... नरमा सुपर... मैम
हमारा रोज का काम है ...
म- ठ क है!
……………
म शा लनी को एक अ छे रे तरां म लेकर गया, रात होने से शाद शुदा जोड़े
भी थे और कुछ यंग कप स,। कुछ लड़ कयां ब त ही ए सपोज कर रही थी
पर म एक बार दे खकर सरी तरफ दे खने लगता क कह शा लनी मुझे ना
दे ख ले... ल डया ताड़ते ए!
शा लनी- जी , करती ं
मेरी रात जैस-े तैसे कट गई, रात म कई बार मेरी नजर म शा लनी के बदन को
दे खकर सनसनी ई, उसके ध थोड़े-थोड़े दख रहे थे मेरा मन तो कई बार
कया क थोड़ा सा छू लूं, ले कन मेरी ह मत नह हो रही थी, मने फैसला
कया क म पहले शा लनीे के मन क तो जान लूं। शा लनी को शायद लड़के-
लड़क का शारी रक आकषण या है, पता नह था ।
सागर- अरे है ना... लैक काफ ,,, लैक ा,,, और लैक पट ...
सागर- अरे,,, इसम खचाई वाली कौन सी बात है,,, और हां, तु हारी ा का
डजाइन उस ऐड वाली से अ छा है, उसके जैसा नह है,,,,
सागर- यही क... क.. तु हारी छोट है,,,, मुझे ऐसा लगा क उस एड वाली
के बराबर ही ह।।
कूलर क तेज आवाज से शा लनी को मेरे आने क आहट सुनाई नह पड़ी थी,
मुझसे चार फुट क री पर बेड के उपर ध से गोरे बदन क माल कन, मेरी
बहन सफ काली ा और पट पहन कर बदास सो रही थी । सीधे लेटने के
कारण हर सांस के साथ उसक चू चयां उठ बैठ रह थ और ऐसा लग रहा था
क उसक ा कह फट ना जाए, सुबह म ठ क से दे ख भी नह पाया था तो म
बना कोई आवाज कए उसके से सी बदन को दे खने लगा और पता नह
कब मेरा सरा हाथ मेरे लग पर आ गया और म पट के ऊपर से ही अपना
लौड़ा सहलाने लगा ।
धया बदन, सुराहीदार गदन, बड़ी बड़ी आँख, खुले ए बाल और गोरे गोरे
ज म पर काली ा जसमे उसके 34 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग
रहे थे जैसे कसी ने दो सफेद कबूतर को जबरद ती कैद कर दया हो।
उसक चू चयाँ बाहर नकलने के लए तड़प रही थ । चू चय से नीचे उसका
सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी ना भ, ऐसा लग रहा था जैसे कोई
गहरा छोटा कुँआ हो। उसक कमर ऐसी जैसे दोन पंज म समा जाये। कमर
के नीचे का भाग दे खते ही मेरे तो ह ठ और गला सूख रहा था ।
मुझे ऐसा लगा क एक दो मनट अगर म इसे ऐसे ही दे खते रहा तो म अभी
खड़े खड़े ही झड़ जाऊंगा । मगर म अब क ं या?
सागर- नह , अभी नह ।
सागर- कस लए
सागर- अरे पागल,,, तुम फालतू म परेशान हो रही हो, मने पहले ही कहा था
क यहां जैसे मन हो वैसे रहो,,, घर के अंदर,,, हां बाहर नकलते ए थोड़ा
यान रखना बस। और तुम ऐसा करोगी तो हम लोग कैसे रहगे साथ म।
सागर- ब चे, तुम य ऐसे सोच रही हो क बाहर कसी को पता चलेगा, अरे
इस गेट के अंदर क नया सफ हम दोन क है, कसी को कैसे पता चलेगा
क हम घर म या करते ह, कैसे रहते है। और तु हारे आने से पहले म तो घर
म यादातर बना कपड़ के ही रहता था,,, सो बी है पी एंड इं वाय योर
लाइफ।
सागर- और या कया आज दन भर म,
शा लनी- आपके जाने के बाद मने साफ सफाई करने के बाद थोड़ी दे र ट वी
दे खी, फर खाना खाकर आराम कर रही थी... फर आप आ गये....
सागर- अ छा ,चलो अब मजाक बंद,,,, अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है,
कुछ चा हए हो तो बोलो..
शा लनी- जी, भाई म भी यही सोच रही थी, यहां शहर म गम कुछ यादा ही
होती है, खाना बनाने म पसीना पसीना हो जाता है पूरा। अगर कूलर ना हो
तब तो यहां रहना मु कल है।
और शा लनी पीछे कमरे म जाकर अपने कपड़े लेकर बाथ म म घुस गई।
कैसे बेशम क तरह अपनी बहन क लाज के टु कड़े टु कड़े कर रहा ं उसके
अध न न बदन को घूरते ए।
कुल मलाकर वो दे खने मे एक कड़क पटाखा माल लग रही थी, वो अगर मेरी
बहन ना भी होती तो इस व त म उसे दे ख कर मर मट ता..
कुछ लड़ कयां नये एड मशन वाली भी गजब अंग दशन कर रह थ ... मुझे
लगा साला यहां तो एक से एक खूबसूरत आईटम ह और चंचल भी,,,, कह
शा लनी इन सब के च कर म ना आ जाए।। आज कल म सट का माहौल
दे ख ही रहा था, पहले लड़ कयां सफ यार करत थ और आज कल चुदाई
और शा पग ....
मने पहली बार शा लनी को यार कहकर बात क थी, और शायद उसे अ छा
ही लगा था
शा लनी मेरे सामने खड़ी हो कर अपने हाथ उपर करके बाल संवार रही थी
जससे उसक चू चयां काफ़ बड़ी लग रही थ , मेरे लौड़े म फर से तनाव
आने लगा, फर वो पानी क बोतल सर के पास रख कर मेरे बगल म लेट गई,
हम ट वी दे ख रहे थे, तभी ट वी म मडर फ म का गाना आ गया... कभी मेरे
साथ कोई रात गुजार...
गाना ख म होते होते मेरा ल ड पूरी तरह से खड़ा हो गया जो शायद शा लनी
भी दे ख रही थी, बट मने उसे छु पाने क को शश नह क ... सोचो सामने
न पर म लका शेरावत और बगल म कुछ इंच क री पर एक अधनंगी
लड़क ....
शा लनी- जी भाई,
और वो काफ खुश लग रही थी मतलब उसे मेरा उसके पेट पर हाथ रखकर
सोना बुरा नह लगा था,,,
शा लनी- कभी-कभी ।
रात के 10: 00 बजे थे हम दोन को अब घर वापस आना था।
हमने रा ते म ही एक रे टोरट म खाना खा लया, रे टोरट से नकल कर
बाहर..
मै - या आ ?
( बना पै ट के ?? शा लनी क े बात सुनते हीे मने अपनी नज़र उसक बुर
वाले ह से पे गड़ा ली। ओह ....... शा लनी क बुर मुझसे बस कुछ इंच क
री पर थी । मेरा लंड खड़ा होने लगा)
शा लनी - (थोड़ा उदास होते ये) मुझे सारे कपडे ाई कर के लेने चा हए थे।
मै बेड पे बैठ गया, और शा लनी पीछे मुड़ कर कमरे म जाकर कपड़े उतारने
लगी । आज के पहले वो हमेशा दरवाजा ढलका करके कपड़े बदलती थी
और मने कभी उसे चोरी से दे खा भी नह था, कपड़े बदलते ए, म ह का सा
बेड से उतर कर पीछे कमरे क तरफ दे खा तो खुले दरवाजे से उसक नंगी
गोरी चकनी पीठ मेरे सामने थी ।
शा लनी शा पग बैग से उसक रेड ा नकाल के पहन रही थी, शा लनी अपने
हाथ पीछे करके ा का क लगा रही थी, उसक गोरी पीठ पर लाल ा क
सफ एक प ,,,,अ ह
शा लनी ने बना मेरी तरफ मुड़े अपनी ा पहन ली,मेरा एक हाथ अभी भी
लंड को मसल रहा था। शा लनी ने एक टॉवल लपेटकर अपनी पैट उतार कर
बेड पे फक द और पैर उठा के पट पहनने लगी। म तेजी से मुठ मार रहा
था। उसने पैट और ा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गरा दया और मेरी
तरफ मुड़ गई।
मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहन अपने भरे-भरे बदन को
सफ एक रेड कलर के ा और पै ट म ढके मेरे सामने कुछ र खड़ी थी,
शा लनी ने कई बार अपनी बाडी को इधर उधर करके अपने आप को
एडज ट कया और फर वो मेरी तरफ बढ़ ..... सफ लाल पो का डॉट् स ा
और लाल रंग क पट म.... क़यामत लग रही थी वो .....
म- एक बात पूछूं ?
शा लनी- सपल भाई जी, गूगल बाबा से आप कुछ भी पूछो , उनके पास हर
चीज का जवाब है,,,, वो ा के बारे म भी मने गूगल से ही डटे ल जाना ।
शा लनी- जी,
और ये कहकर उसने करवट ली और अब हमारे चेहरे आमने-सामने थे कुछ
इंच क री पर, फर उसने आंख बंद कर ली और म समीज के गले से बाहर
नकल आई उसक चू चय को दे खता रहा, उसक सांस क महक सीधे मेरी
सांस म समा रही थी....
शा लनी कमरे म आई और मुझे बंद आंख से ऐसा लगा जैसे वो मेरे लौड़े को
ही दे ख रही हो, और ये सोच कर ही मेरे लौड़े ने ह का सा झटका खाया, ये
शायद कुछ यादा ही हो गया था । शा लनी के कचन म जाकर चाय बनाने
क आवाज़ आई ।
अचानक मने अपने हाथ से उसके कंधे को थोड़ा जोर से दबा दया और
शा लनी ने ह के से उंह ... कया, बट बोली कुछ नह और सामने वाली सीट
पर तो हलने डु लने और सी.... सी.. आह .... क ससका रयां आ रह थ ,,,,
वो दोन फर से चु मा चाट म जुट गए थे,,,,,,।।
म- या,,,, बट या ?
म- हां,,, वो तो या ?
म- सोनो रटा,,, बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी बाते होती रहती ह,,,,
और हंसते ए बाइक टाट क , शा लनी ने पीछे बैठते ही मेरी पीठ पर एक
पंच मारा यार वाला और... चलती बाइक पर
शा लनी- ,ं ,, तो आपको बड़े बड़े शहर क बड़ी बड़ी बात अ छ लगती ह....
हा ... हा ...है ना भाईजी...
म- आज तु ह ठं डी लग रही है या ?
शा लनी- भाई जी, मूवी अ छ थी, मेरे लए तो वैसे भी यादगार रहने वाली है
य क ये मेरे वीट और केय रग भै या के साथ म ट ले स म मेरी पहली
मूवी थी... नाम भी अ छा है... नशा.... हमेशा याद रहेगी ।
शा लनी - आपक गल ड
शा लनी - वो वो ... आज मूवी म जो ...... "बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी
बात होती रहती ह" जो हो रहा था ,,,ना.... आपको वो पसंद है.... है ना
भाई.... बोलो ... बोलो अब बोलो,,,, ये है आपका सी े ट,,,, गाट इट,,,,
शा लनी- हां,,,, मेरे वीट वीट राजा भैया,,,,, आप पर ही मुझे पूरा भरोसा है...
आप कभी कुछ भी ग़लत नह होने दगे मेरे साथ।
कुछ दे र बाद शा लनी आकर मेरे बगल म लेट गई और दो मनट सीधे लेटने
के बाद मेरी तरफ करवट होकर बोली,,*
मने अचानक गौर कया क मूवी से आने के बाद शा लनी मुझे बार बार राजा
भैया बोल रही है... मतलब शा लनी को मूवी म उन दोन भाई बहन का यार
करना शायद अ छा लगा और तभी वो उस लड़क के जैसे अपने भाई को
राजा भैया बोल रही है,,, मने फर से बात करने क शु आत करी ,,,,,*
शा लनी - हां ये तो है कैसे दोन तेज तेज आवाज करके मूवी म ही शु थे,,,
अब तो,,,,, और वो चुप हो गई ।
शा लनी- ओह ,,,,। सो सैड टोरी ,,,, आपके बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी
बात होती रहती ह,,,, है ना,,,, और वो खल खला कर हंस पड़ी ,,, ।
... ये सुनके मेरी आंखो म चमक आ गयी... शा लनी को उठाने क उसे गोद
म बठाने क बात को सोचते ही... मेरे मन म दबी हवस एकदम से उछल
पड़ी।
(मन म...तुमने सही जगा पे सही वजन बढा़या आ है बेबी .. जहां जतनी
मांसलता होनी चा हए उतनी ही है...)
शा लनी :- ह म ..
और वो थोड़ी शरमा गयी , म उसके चेहरे को दे खते ए उसे उठाने लगा ।
शा लनी को भी मेरी साँस क महक आने लगी थी ... मने शा लनी क कमर
पे हाथ रखा और और थोड़ा झुका... मेरा चेहरा शा लनी क गोल मटोल बड़ी
सी चु चय के करीब था.... म उ ह दे खने लगा... शा लनी को मेरी साँस
अपनी चू चय के बीच लीवेज पे महसूस ई....उसने दे खा क म बड़ी बड़ी
आखे फाड़ के उसक चु चय को घूर रहा ं...
तो शा लनी ने अपने हाथ मेरे कंधे पे रखे और इंतजार करने लगी क म उसे
उठाऊंगा...
.... फर म अपने हाथ धीरे से नीचे ले गया... म जानबुझ के अपनी हथे लयां
शा लनी क गांड को सहलाते ए नीचे ले गया... यू क पता नह , ऐसा मौका
बारा कब मले या, ना मले... शा लनी को मेरे हाथ का पष अपनी गांड पे
होते ही उसक आँखे बंद सी ई...उसक आह नकल गयी...ले कन उसने वो
बाहर अपनी जुबान पर नह आने द ....शायद वो भी गम होने लगी थी और
उसक भी चूत गीली होने लगी हो ......उसका ज म गरम होने लगा...
शा लनी ने मुझे गले से पकड़ रखा था...एक झटके के साथ शा लनी के दोन
पैर हवा म थे...झटके के कारण शा लनी का बैलस थोडा बगड़ा और उसका
भार मुझ पर पड़ने लगा...उसक चु चयां अब मेरे चहरे पे दब सी गयी..
और मेरी नाक म उसक चू चय क महक भर गई ...
शा लनी को भी मेरे खड़े लंड का पश अपनी गांड पे साफ़ साफ़ महसूस होने
लगा.... शा लनी अब थोड़ा सा साइड से टन ई... जसक वजह से उसक
चु चयां फर से मेरे चेहरे के पास आ गयी...वो भलीभां त जानती थी क इस
समय म बस उसके ज म को छू ने के बहाने ढूं ढ रहा ं ।
म धीरे धीरे उसक ऊपर नीचे होती चु चय पे अपने गाल दबा रहा था...और
नीचे से थोड़ा अपनी गांड़ को उठाया और लंड को शा लनी क गांड पे
रगड़ा... शा लनी को एक झटका सा लगा और वो ह का सा उठ खड़ी ई ।
मेरे पास अब कोई बहाना नह था उसे रोकने का.. शा लनी बैठे बैठे ही सरी
साइड सरक गयी...उसने दे खा क मेरा लंड पुरी तरह से तना आ है.. बरमूडे
म अलग से जा हर.... मुझको पता था शा लनी जैसे ही उठे गी उसे वो दखाई
दे ने लगेगा... म तैयारी म था... मने झट से बेड पे रखा आ त कया उठाया
और अपने लंड को कवर कर लया।।
************
कल रात शा लनी के सोने के बाद मने उसे अपनी बाह म भर लया और उसे
चपका कर सो गया ,,,
म - सात तो बज ही जाएंगे ।
और शा लनी कुछ और सोच पाती उससे पहले मने उसक फेवरेट चाकलेट
को उसके हाथ म पकड़ा दया और उसनेे पकड़ते ए थ स ो बोला ।
शा लनी ने रात का खाना बनाया और नहाने के बाद अपनी रात वाले रेगल
ु र
कपड़े मतलब समीज और न कर म आ गई । काश इसने कल रात ये कपड़े
पहने होते तो शायद म और भी मज़ा ले पाता।।
म वापस बाथ म म घुस गया और सबसे पहले मने शा लनी क पपल कलर
क ा उठाई और अपने लंड पर रगड़ना शु कर दया,,,, मने शा लनी क
ं ा भी और चाटा भी ,,,
म त चू चय को छु पाने वाली ा को सूघ
खाना खाते ए हम दोन बात करते रहे और मने टावेल को इस तरह तरछा
कया क मेरे सामने बैठ ई शा लनी को वो दखाई दे जाए ... मेरा ल ड
खड़ा हो ही रखा था पहले से ,,,,,,
कुछ दे र बाद शा लनी क नजर मेरे दोन पैर के बीच उपर क ओर नशाना
साधते ए मेरे लौड़े पर पड़ गई,,,, अब उसके चेहरे का रंग बदल रहा था और
वो थोड़ा सा नजर इधर उधर करके फर से मेरे लौड़े को दे ख रही थी ,,, मेरा
ल ड और झटके लेने लगा और मने थोड़ा सा ऊपर क ओर हल कर
शा लनी के लए ल ड को दे खना और आसान कर दया ।
उसे थोड़ा काम था पढ़ाई का शायद ..... शा लनी अपने काम म बजी थी।
इधर म उसके शरीर को छू ने का मौका नह मलने के कारण थोड़ा बेचन
ै हो
रहा था.... ।।
शा लनी- जी आई.....
हां म यहाँ नीचे बैठ जाता ं तुम बेड पे बैठ जाओ... ये ठ क रहेगा ।
मने अपने पैर फश पर लंबे कये और अपने दोन हाथ अपने लंड को छु पाने
के हसाब से अपनी े ची पर रखे ए थे.... म शा लनी के दोन पैर के बीच
बेड पे पीठ टकाए बैठा आ था...
.... शा लनी क नंगी जांघे मेरे कंधो से टकरा रही थी।
शा लनी धीरे धीरे मा लश करने लगी... म अपना सर थोड़ा थोड़ा पीछे लेके
जा रहा था...
म- शा लनी थोड़ा आगे सरको ना...ये बेड मेरे गदन को चुभ रहा है....
शा लनी - भाई ईईईई ....बस हो गया या?? मेरे हाथ दद करने लगे ह...
मुझको तो लग रहा था क ये सब कभी ख म ही ना हो पर अब मेरी मज़बूरी
थी...
उसने अपनी आंख बंद ही रखी... शायद इस हालात म वो मुझसे नज़र मला
भी नह पाती .... म लगातार सामने आईने म भी दे ख रहा था ...
मेरी बात अधूरी ही रह गयी... यूं क तभी कमरे के खुले दरवाजे से बरामदे
क ओर से एक बड़ा सा क ड़ा शा लनी के हाथ पे आके बैठा और उड़ गया ...
बड़ी तेज आवाज भी कर रहा था...
..शा लनी कसी और ही नया म थी...वो आँखे बंद करे ए थी...वो एकदम
से डर गयी और हाथ से उसे झटक दया और थोड़ा च लाते ए वो झटके से
खड़ी हो गई। वो डर गयी थी और इधर उधर दे खने लगी।
म शा लनी क पीठ पे हाथ घुमा रहा था.... और धीरे धीरे म अपने हाथ घुमाने
का दायरा बढ़ा रहा था... नीचे कमर तक... फर थोड़ा और नीचे शा लनी गांड
के ऊपरी ह से पे हाथ घुमाने लगा....
शा लनी अब संभल रही थी...वो डर के ै क से नकल कर वापस सही ै क पे
लौट आई थी... मेरा हाथ अपनी गांड़ को सहलाते ए पाकर वो उ े जत होने
लगी....वो चाहती तो मुझको र कर सकती थी पर उसे मजा आने लगा था...
उसक सांस क गम बता रही थी......
उसने भी अपनी बुर मेरे लंड क ओर थोड़ा बढ़ा द ...दोन ही वासना म अंधे
हो चुके थे.... लगभग दो मनट हो चुके थे पर हम दोन ही एक- सरे को
छोड़ना नही चाहते थे...
शा लनी - भाई ईईईई ... आपसे तो कोई बात बताओ, बस आप मेरे मज़े लेने
लगते हो ... (झूठ नाराजगी दखाते ए)
म- फर से भै या ?
*****************************
सुबह न द खुली तो मेरा हाथ अभी भी शा लनी के पेट पर ही था और उसक
समीज ह क सी उपर हो रही थी और मुझे सुबह सवेरे ही बड़े बड़े खरबूजे
के आकार क खूबसूरत चू चय के नचले ह से के दशन हो गए । म लेटे लेटे
ही शा लनी के बाल म उंग लयां फराने लगा और वो भी जाग गई ....
म- अरे, अब हम दो त ह और नो ल मट इन े ड शप
शा लनी - हाट ? तु हारा है,, कैसे , लीज़ मुझसे झूठ मत बोलो यार ,,, और
तुम कहां से नकालते हो इतना सारा ल वड
शा लनी- भाई जी, वहां से तो तुम सु-सु करते ह ... आई कांट बलीव ...
ही ही ... सु-सु वाली जगह से वो ल वड ... सच सच बताओ ना ... लीज़ ।
मने बात बदलते ए कहा चलो यार फटाफट रेडी हो नह तो हम लोग लेट हो
जायगे ।
*************************************
म- हेलो बेबी ।
शा लनी- हां हां, पता है मुझे आजकल तुम डबल मेहनत जो कर रहे हो !
माइल आइकान के साथ।
म- और सरी ??
शा लनी - ही ही ...वही जो आज बाथ म म क , ल वड ... ही... ही
शा लनी- हां, हां, वैसे मने गूगल सच कया था अभी, इस पानी को सीमेन
कहते ह ना भाई , बट नकलता कैसे ह ये नह समझ पायी ।
शा लनी- ओह माई गॉड,,, ये ऐसे नकलता है ,,, भाई ..तुम भी ऐसे ही ....
शा लनी- ं ं ,, नह रहने दो ,,
म- या आ ड ,, दे खा वी डयो ?
शा लनी- हां ,,
शा लनी शायद कोई से स वाली बात पूछना चाहती थी ले कन कैसे पूछे यही
सोच सोच कर परेशान थी । ले कन ह मत जुटा कर बोल ही दे ती है। फोन
पर बात अलग थी ले कन आमने-सामने अभी थोड़ी झझक हो रही थी ।
उसके ऐसे बोलने से मुझे थोड़ी घबराहट होती है, म समझ जाता ं क
शा लनी दोपहर से आगे क बात पूछेगी।
शा लनी - अरे तुम इतना घबरा यूँ रहे हो भाई... और वो मेरा चेहरा दे ख कर
मु करा दे ती है, मेरा डर कम हो जाता है।
शा लनी- ब त कुछ .... जैस.े .. जैसे ,वो लड़का जैसे तेज़ तेज़ करता है तो
दद नह होता है या ?
शा लनी यह सुनकर हैरान रह जाती है, उसे यह बात बलकुल पता नह थी।
शायद उसक बुर म भी अचानक सरसराहट पैदा हो गई थी,उसे अब इन बात
के बारे म सुनना ब त अ छा लग रहा था।
म -" हाँ यार, करता ँ कभी कभी, तभी तो पर यूम मला तु ह ..
शा लनी -"अ छा ,,यह ..यह काम करते यूँ है, मतलब हलाते यूँ ह?"
मेरा लंड भी काफ दे र से झटके मार रहा था, म भी अब मुठ मारे बना नह
रह पाऊंगा ऐसा मुझे लगा। म लेटे लेटे सोचने लगा क शा लनी अंदर
बाथ म म कैसे उंगली डाल कर अपनी बुर क अगन को शांत कर रही
होगी,,,,
अ ह या गजब सीन होगा अंदर...
शा लनी- या कर लया क ं .
शा लनी आज मुझसे पहले उठकर े श होकर बेड ट लेकर मेरे पास आकर
बोली
म- गुड मा नग वीट ... और बेड से नीचे उतर कर उसके मुंह के पास आकर
सीधे ह का सा ल स पर कस कया और हम दोन साथ म बैठकर बात
करते रहे ...
रात म हम दोन के बीच जो भी आ उसक कोई भी बात ना शा लनी ने क
और ना ही मने ...
कुछ दे र बाद कमरे म वही जानी पहचानी मादक खुशबू फैल गई मतलब
शा लनी नहाकर कमरे म आई थी और मेरे पास से नकलते ए पीछे कमरे म
चली गई,,,,, वो एक ह क ट -शट और न कर पहन कर नकली थी बाथ म
से.....
शा लनी- आई एम रेडी ,, दर चल ..
म- हां, चलो
और मने उसे माईल दे ते ए अपना बैग उठाया और शा लनी ने भी अपना
कालेज बैग अपनी पीठ पर टांग लया,,,,,
हम दोन बरामदे म आ गए और म अपनी बाइक नकालने ही जा रहा था गेट
खोलकर मगर तभी शा लनी ने अचानक से कहा ,,,
म- हाय से सी
म- है एक लड़क
शा लनी- ं हहह ,, मेरे राजा भैया,, इधर लाइन पर तु हारी छोट बहन है,,,
शा लनी- तो अब कब करोगे?
शा लनी- ं हह,, भेजो मुझे भी दे खना है,, होता या है xxx मूवी म ,,,
शा लनी ने ज स और मेरी ट -शट पहन रखी थी,, मगर ट -शट नीचे से उसके
गुदाज और गोरी चु चय को दखा रही थी,,,
म- अरे,,, जसक मुझे सबसे यादा यास लगी है वो तो तु हारे ही पास है ,,,
शा लनी- ( कचन से) अरे कुछ नह ,,, बैठे बैठे बोर हो रही थी तो नेट पर एक
वी डयो दे खा यू ड कपड़ से कुछ नया बनाने वाला ,,, बस ाई कर लया
ऐसे ही,,,
म- कोई नह ,,, जरा सी हाट थी काफ ,,, और उपर से हाट बेबी का पंच ,,, हा
हा हा,,, म तो जल गया,,,
कुछ दे र बाद शा लनी सूखे ए कपड़े हाथ म लेकर मेरे पास से गुजरते ए
पीछे कमरे म चली गई और म उसके मोबाइल म फोटो वी डयो सच करता
रहा,,, तभी मुझे दोपहर म मेरी ही भेजी ई सनी लयोनी क दोन वी डयो
दख और मेरी तम ा फर से हलोर मारने लगी क जैसे आज शा लनी ने
मेरे लौड़े को कपड़े के ऊपर से प छा,,,, उस तरह बना कपड़ के कब मेरा
ल ड उसके मुलायम हाथ म आयेगा ,,,
वो जब तैयार हो कर बाहर नकली तो उसे दे खकर मेरी आंख फट रह ग ,,
उसने ट -शट के साथ अपनी कोई पुरानी कट पहनी थी और उसक चू चयां
क़यामत ढा रही थी,,,
जैसे क हमेशा मुठ मार कर ड चाज होने के बाद लगता है,,, जोश ठं डा,,
दमाग ठकाने और मने ज से पानी नकाल कर पया और अपने वीय को
कचन म फश पर वैसे ही पड़े रहने दया,,, म चुपचाप आकर लेट गया और
कुछ दे र बाद शा लनी भी आकर मेरे बराबर म लेट गई ,,,
म- नह ,,,,
और मने शा लनी को शाट म सनी लयोनी के बैक ाउंड के बारे म बताया तो
सुनते सुनते वो अपने ह ठ को दांत से काटने लगी,,, ब त ही हाट लग रही थी
वो मुझसे कुछ इंच क री पर,,,, और समीज म उसके म त बड़े बड़े खरबूजे
जैसे उरोज,,, हर सांस के साथ उठ बैठ रह थ ,,,,
म- तुम करोगी जब,,, तो शायद तुम उससे भी यादा वाइ ड हो जाओ ,,
शा लनी- मुझे नह बनाना वाय े ड ,,, नह लेना ऐसा मज़ा ,, तुम ज र बना
लो अपनी गल ड कसी को ,,, तु हारे इसके लए ,,,,
मेरे ल ड क ओर इशारा करते ए
म- ओह शट ,, यार ये फर से ,,
म लंड को बड़ी बेशम से बरमूडे के उपर से सहलाने लगा और
सो जाओ महाराज ,,, और शा लनी मेरे लौड़े को इस तरह मसलने को दे खकर
ब त जोर से हंस पड़ी और
म- यादा हंस मत ,,, म तो अभी फ़र से हला लूंगा ,,, अपनी दे खो ,,, गीली
गीली हो कर रात भर रहोगी ,,, हा हा हा
शा लनी- तुम उसे बंद करो,, झूठे,,, ये छोटा है तो बड़ा कतना होता है ,,, हा
हा हा हा हा ही ही हंसते ए
म - अरे यार थोड़ी सी हवा लग जाने दो इसको भी बेचारा चौबीस घंटे बंद ही
रहता है ,, और मने सहलाते ए लंड क चमड़ी को ह का सा पीछे कया तो
मेरा लाल सुपाड़ा धया रोशनी म चमक उठा ,,, शा लनी ने इसे बड़े गौर से
दे खा और
शा लनी- लीज़ भैया,, इसे अंदर करो,,
शा लनी- इस तरह अंदर करने को कह रही थी ,,, पागल,, इतना बड़ा ,,,
शा लनी- पता नह ,,
और उसने अपनी दोन टांग को मोबाइल दे खते ए आपस म लेटे लेटे ही
रगड़ दया ,,,
म- बेबी एक काम करो तुम ना,, ये मेरा मोबाइल लो और इस फो डर म कई
अ छ वी डयो लप है,, इसे दे खते ए म के साथ उंगली करके रलै स
हो जाओ,,, नह तो तु हारी उलझन ऐसे ही रहेगी,,, रात भर गीली गीली,,,,
शा लनी- ओ ह सॉरी यार, साफ़ करना भूल गई, तुम हाथ धो लो ये ग दा है*
म- ठ क ं भाभी सा,,,,
शा लनी- तु ह पता है कहां थी तु हारी आंख ,,, भाभी सा ने सुबह सवेरे अपने
दे वर राजा को म त दशन करवाए ह,, हा हा हा,,
मुझे लगा क शा लनी को रात क पहली बार चूत म उंगली करने और मेरे
मुठ मारकर उससे चपक कर सोने क कोई शकायत नह है मगर शायद
कसी और म हला क तरफ मेरे दे खने से भी उसे बुरा फ ल हो रहा है,,,
**************
म- या बात है मेरी वीट बहना,, कहां खोई खोई सी हो,,, कुछ लेना है या ऐसे
ही म ती करते ए माल म घूम कर घर चलना है ?
म- ठ क है चलो,,,
म- उन दोन ने अगर कभी ऐसा वी डयो बनाया भी तो,,,, ना कोई भाई अपनी
बहन को बदनाम करेगा और ना ही बहन अपने भाई को ,,,
मने मौका दे खा और
शा लनी- हां हां,, बड़े आये वाय े ड बनने,,, तुम तो मेरे राजा भैया ही ठ क
हो,,,
म- मेरी तरफ से ये आफर हमेशा रहेगा,,, तुम सोच कर बताना,,,
म- ये कैसी है,,
मने शा लनी से पूछ पूछ कर उसके लए अलग अलग तरह क चार सेट ा
पट पसंद करी ,,, खास बात ये थी क पट सभी के साथ छोटे साइज क ही
थी। आ खर म मने एक छोट साइज क घुटन के उपर तक आने वाली
नाईट भी खरीद ली,, जसे दे खकर शा लनी ब त खुश हो गई और मुझे
थ स बोला ,,
भाभी- मुझे जरा यूट पालर जाना है,, या शा लनी को आप मेरे साथ भेज
दगे,,,
भाभी- चलोगी ननद रानी,,, वो मुझे कुछ सामान लाना है तो उसे पकड़ कर
तुम बैठ जाना मेरी कूट पर ,,,
शा लनी - हां,, अब आपने पहली बार कुछ कहा है तो आपको मना कैसे
क ं गी भाभीसा ,,,
भाभी- ठ क है,,, हम लोग पांच बजे तक चलगे और सात बजे तक वापस ,,,
और हां भई,, शा पग या ई है आज वो तो दखाया नह तुमने
मुझसे चंद फट र मेरे जीवन क पहली नंगी चू चयां मेरी नज़र के सामने
थ ,,, शा लनी के शरीर पर इस समय सफ और सफ एक पट ही थी,,, उपर
से वो पूरी तरह नंगी ही थी,, एक चादर थी और वो भी अ त त.....
या नजारा था मेरे सामने,,, मेरे सपन क रानी मेरी सगी बहन इस हालत म
बेखबर हो कर सो रही थी और मेरी हालत ख ता हो रही थी,,, मने ज द से
अपने मोबाइल फोन से उसके कुछ फोटो ख चे और अपने लंड को पट के
ऊपर से ही मसलने लगा।
म- हां हां लाओ कुछ ठं डा सा पहले,, इतनी हाट यूट वीन को दे खकर म
भी हाट हो गया ं ,, ह हा हा हा,,
शा लनी कचन मे जाकर चाय बनाने लगी और मने ट वी चला लया और बेड
पर आधा लेट गया और चाय के साथ चायवाली मतलब शा लनी का इंतजार
करने लगा ।
म- कसम से ,, अगर मुझे ये पता होता क तुम पालर जाकर ऐसे बज लयां
गराओगी तो पहले ही भाभी से बोल दया होता...
म-ओहो*,*हो*,*हो*!!*तुम*बड़ी तो हो*गई
हो*?*मगर* सफ*बदन*से*बढ़*गई हो*बेबी*!*ले कन*अपने भाई के लए
तुम*हमेशा छोट सी ब ची ही रहोगी,,,,,,,,,
शा लनी-ओहो,*भाई!*
ऐसा*कहकर*उसने*भी*मुझे जोर*से*बाह म भर* लया ,,
इस*समय*अगर*मुझे* कसी*चीज*का*अहसास*हो*रहा*था*तो*वो
चीज*थी*मेरे*सीने*पर*दबी* ई*,*मेरी*बहन*क *बड़ी*बड़ी चू चयां*!!
म- अ छा ये बात है...
मने मु करा कर कहा और अपने दोन हाथ शा लनी के पेट पर ले जा कर
कुत के ऊपर से ही उसे गुदगुदा दया....
शा लनी- ओके,,,
शा लनी- भाई ये जो तुमने इतने सारे फोटो और वी डयो लप भेजे ह,,, वही
हाइड करना है,,, यार कह म मी ने दे ख लया तो गये काम से ....
म- वैसे तुम य इतना परेशान हो,, तु हारी तो जबराट खरबूजे जैसी ह,,, ा के
साथ भी और ा के बना भी,,,
शा लनी- भाई ईईईई,,अब तुम अपनी बहन क भी दे खने लगे हो या,,, यू बैड
वाय...
और शा लनी मुझसे करीब दस कदम आगे बढ़कर अपने दाय बाय दे खकर
थोड़ा संकोच के साथ अपनी ज स का बटन खोल कर बड़ी तेजी से एक साथ
जी स और पट को नीचे करके बैठ गई और म ऐसे एंगल पर खड़ा था जहां
से मुझे उसके ला लमा लए ए गोल चूतड़ के दशन हो गए और शा लनी
पेशाब करने के बाद बड़ी तेजी से फर खड़ी ई और साथ ही साथ उसने
अपनी ज स और पट भी उपर ख च ली,,, जससे मुझे यादा कुछ नह
दखा,,, मेरे सामने शा लनी पेशाब कर रही है ये सोच कर ही लंड महाराज
टाईट होने लगे,,,, हो भी य ना,,,
म- अरे म भी तो कर लूं,,
शा लनी- वाऊ ,,, भाई कतना म त नजारा है,,, हमारे घर के इतने करीब है ये
और हम लोग को इसके बारे म अब तक पता नह था,,,
तभी बात करते करते झरने वाली जगह आ जाती है और वो कपल अपनी
गाड़ी पहाड़ के बीच बने रा ते पर ले जाता है और बड़े बड़े पहाड़ो के बीच
गाडी रोक दे ता है । हमने भी अपनी बाइक वही पास म खड़ी कर द और
जैसे ही गाड़ी से आगे नकलते ह वहां का सु दर वातावरण दे ख कर खुश हो
जाते ह ।
शा लनी- नह ,,, मुझे नह नहाना,, तुम नहाओ,,, वैसे भी तुम आंख सेककर
गम हो गए होगे,,, है ना भाई,,, हा हा हा
ऐसा मने कई बार कया और शा लनी भी थोड़ा कनारे पर आकर मेरे उपर
पानी फकने लगी,,, मेरे पानी फकने से उसक ट -शट काफ यादा भीग गई
थी और उसक ा क परेखा नजर आने लगी थी,,,,
म- चोट तो नह आई?*
तभी शा लनी खड़ी ई और उसक गोरी गोरी टांग धूप म अलग ही चमक
बखेर रही थी उपर क ट -शट उसने अब तक उतारी नह थी,,,
उसने मेरी तरफ दे खते ए अपनी उंगली से सु-सू करने का इशारा कया और
वो बड़ी च ान से आगे चलकर पेशाब करने के लए लहराते ए कदम से
जाने लगी,,,, उसका ये प और भी का तलाना अंदाज दखा रहा था,,, शायद
इसी लए जानकर कहते ह क लड़ कय के कपड़े एक एक करके
उतरने/उतारने का मजा ही कुछ और है,,, उसके चलने से उसके दोन चूतड़
क आपसी रगड़ और थरकन को उसक छोट सी पट कहां छु पा पाती,,,,
लड़का- हां हां,, मेरी रानी बहना,, तू तो चूस चूस कर अपने लूडो को खड़ा कर
ही लेगी,, बट एक राउंड पहले अपनी चूत म झड़ने दे ,,, आज पूरे पांच दन हो
गए ह तेरी ओखली म मूसल डाले ए,,
और वो लड़का उस लड़क को लटा दे ता है,, लड़क गजब क सुद ं रता पायी
थी और साथ ही उसक चूं चयां भी म त थ ,,,
लडक़ - बहन चोद मुझे गरम करके मज़े ले रहे हो,,, तु हारी दे री के च कर म
ही म उस कमीने सौरभ के झांसे म आ गई थी,,,
सो नया- हां भाई तूने मुझे बचा लया नह तो वो कमीना मुझे अपने सारे
दो त के आगे नंगी घुमाता ,,,,
ओह तेरी तो,,, ये दोन तो ब त बड़े वाले खलाड़ी नकले चुदाई के खेल के,,
मतलब ये दोन भाई बहन अपनी चुदाई क वी डयो रका डग कर रहे थे और
अब दे ख रहे ह क वी डयो अ छ बनी ई है या नह ,,,
सो नया- ऐसा करते ह भाई उधर जो छोटा झरना है वहां चलते ह,,
और वो दोन सरी तरफ जाने लगे,,,
म- या मारते ह ?
शा लनी- तुम ना,, भाई,,, या कुछ भी,,, मतलब कह भी,,, म ना तु हारी तरह
बेशरम नह हो पाउंगी,, ओह गाड कैसे तुम वह शु हो गए थे,,,
शा लनी- (धीरे से) यहां कैसे,, इट् स टू र क भै या,, यहां खुले म,,
अजब मंजर था मेरे ब कुल पीछे कमर तक पानी म मेरी सगी बहन घुटन से
नीचे पूरी नंगी खड़ी थी और अपनी बुर म उंगली डाल कर अपनी कामवासना
को शांत करने क तैयारी म,,, एक बार मेरे मन म आया क पीछे घूम कर दे खूं
क कैसे शा लनी ने अपनी चूत म उंगली डाली है,,, और उसक बुर कैसी है,,,,
पानी काफ साफ़ था और उसम गौर से दे खने पर सबकुछ साफ दखाई दे
रहा था और यही सब सोचते ए मेरे ल ड म फर से तनाव आने लगा,,,
तभी मेरे हाथ म शा लनी का हाथ आया पीछे से और उसने मुझे अपनी पट
पकड़ा द ,,,,,
म- मेरा तो दे ख लया ,,,अब अपने टाईम बड़ी शरम आ रही है,, करो,, करो,,,,
म चोरी से नह दे खता,,, जब दखाओगी तभी दे खूंगा,,,,
म- हो गया,,,
म- यादा कैसे,,
शा लनी- तुम तो दन भर म जाने कतनी बार ड चाज होते हो,,, अभी अभी
कया था और दे खो तो तु हारा छु ू फर से मचल रहा है,, हा हा हा हा
म- वैसे पानी म मने कभी कया नह ,,कैसा लगा,,,, कुछ अलग मजा आया
या ?
सरो जनी- मेरे ब च तुम लोग ने ऐसे अचानक आकर मुझे सर ाइज दया
है,,, ब त याद आती है तुम लोग क ,,,
सरो जनी- अ छा मेरे ब च ,,, कुछ समय बाद दे खते ह,,, अभी तो मु कल है
मेरा ांसफर,,, अ छा अब मुझे छोड़ो,,, कुछ खाना पीना है,,, थक भी गये ह गे
तुम लोग,,,
शा लनी- ,ं ,, अब आप दोन लोग मलकर मेरी टांग खचाई करने लगे,,, वैसे
माम ये वाले कपड़े मेरी ही पसंद के ह,,,
सरो जनी माम - अरे मेरे ब च ,,, कोई कसी क खचाई नह कर रहा है,,,
बस काफ दन बाद दे खा है ना तुम दोन को,,, तो अ छा लग रहा है,,, बस
तुम दोन ऐसे ही यार से रहो,,,
शा लनी- (हंसते ए) हां हां हां,,, अब म खाना बना लेती ं,,, और भाई को
बाहर का नह खाना पड़ता,,, वैसे माम,,, भै या अभी मोटे ब कुल नह है,,,
ब कुल जान अ ाहम जैसे फट और माट,,,, हीर है मेरा भाई,,,
म- हां माम ,, मुझे तो वैसे भी बाहर क कोई चीज पसंद नह ,,, घर म अगर
सब कुछ मल जाए तो वो ठ क रहता है और सेफ भी ,,,
मेरे चेहरे पर एक कु टल मु कान शा लनी को दे खते ए फैल गई
सरो जनी माम - हां हां,, मेरे दोन ब च म कोई भी मोटा नह है,,, तुम दोन
फट हो,,, हां म ज र मोट हो रही ं आज कल,,,
म- म भी चलू या"
म -" य "
म- ब त से सी लग रही हो यार,,,
सरो जनी माम- हां बाइक से अपनी मज रहती है जहां चाह क सकते ह,,,
सरो जनी माम- हां भाई,, लड़क को तो ये आराम रहता है ,,और हम लेडीज
को थोड़ा यान रखना पड़ता है,,, बट ऐसी कंडीशन म करना पड़ता है,,,,,
और वैसे भी तुम अकेले तो थी नह ,,, तु हारा भाई तो था ही साथ म,,, तो
हाइवे कनारे भी या डरना,,,
सरो जनी माम- मेरे ब च ,, मेरा यार तुम दोन के लए है और बराबर ,,,, ना
कसी को कम और ना कसी को यादा ,,,
म- एक कस दो ना वीटू ,,,
शा लनी- अरे साइड म तो आओ मुंह पीछे कैसे घुमाऊं भैया ,, तुम मानने
वाले तो हो नह ऐसे,, ज द से कर लो,,
" मने उसे घुमा लया और अपने ह ठ उसके ह ठो पे रख दए ,,, शा लनी भी
मुझे कस करने लगी और म भी उसके नरम मुलायम ह ठो को चूसने लगा
उसके ह ठ चूसते चूसते म उसक ट शट के ऊपर से उसक पीठ को सहलाने
लगा उसे दबाने लगा तभी उसने मेरे ह ठ छोड़ दए और बोली
शा लनी- बस अब हो गया,,,
वो मु कुराते ए बोली
म उनक बात सुनके सोचने लगा शा लनी नहाने वाली है म उसको नंगी नहाते
ए दे खूं या उसके साथ ही म भी नहा लूं ,,,, आह,, ये सब स भव भी है और
नह भी,,, अंगरू अभी तक ख े ही है,,,
म यही सब सोच रहा था इतने म शा लनी मेरे पास आकर बैठ गयी और
बोली
म- या करने लग जाऊंगा
म- म भी चलू या"
उसी समय डोरबैल बजी, मने तुरंत मोबाइल बंद कया और अ ड वयर और
शॉटस को ऊपर कर लया, और अपने खड़े ल ड को शॉट् स म एड् ज ट
करते ए मेन डोर खोल कर अपने घर म आने वाले आगंतुक का वागत
करने को बढ़ चला।*शा लनी अपने कमरे म थी और माम पड़ोस वाले घर म
अभी अभी गई थी,,,
जैसे ही मने मेन डोर खोला तो सामने नीलम को मु कुराते ए खड़ा पाया,
उसके एक हाथ म बुक थी। मने उसको ऊपर से नीचे तक दे खा, नीलम ने
टाँग से चपक ई लै गग पहनी ई थी और ऊपर टाईट कुता। कुत म से
उसके टाईट खड़े ए न पल साफ़ नजर आ रहे थे, शायद कुत के नीचे नीलम
ने ा नह पहनी थी। जब मने उसक आँख क तरफ़ दे खा तो पाया क
उसक नजर भी मेरे शॉट म खड़े ल ड के उभार पर थी। जैसे ही हमारी आँख
मल हम दोन एक सरे को दे ख कर हँस पड़े ये सोच कर क हम दोन एक
सरे के बदन के कस ह से को नहार रहे थे।*
शा लनी- या यार,, तुम जलेबी मत बनाओ बात क ,,, अभी अभी कैसे पता
चला ??
नीलम- हां यह,,, तूने कब कर लया मेरी ब ो,, मतलब तु हारा भी कोई
बॉय ड बन गया है,, हाय मेरी जान,, वैसे भी इतनी हॉट बॉडी के तो ब त से
लड़के द वाने ह गे तेरे कालेज म,,,,
शा लनी- हाल फ़लहाल तो कोई नह है,,,ना होने वाला है,, और जब तुझे पता
है पहले से क मुझे इन सब बात म कोई इंटरे ट नह है तो फर तू मुझसे य
पूछ रही थी क से स म मजा कतना आता है,,,,,, तूने पूछा तो मने कहा हां,,
आता है मजा,,,, तुझे या लगा ??
नीलम- ऐसे ही पड़ी नजर और घूर घूर कर इनका रस पीने वाली नजर,,, दोन
म ब त फक होता है,,,, वैसे तू परेशान ना हो,,, तेरे भैया को वाय े ड बना
कर भी या फायदा,,, महीने दो महीने म ही मुलाकात हो पायेगी,,,
नीलम- तू ना बहनजी ही बने रहना,,, हां मने कई बार गौर कया है क वकास
भै या भी मौका मलने पर मेरे शरीर को दे खते ह,,,अब है तो वो भी आ खर
मरद ही ना ,,,,, म भी दखा दे ती ं जानबूझकर कभी कभी अपनी चू चय क
झलक,, बेचारे झप जाते ह पकड़े जाने पर,,,
शा लनी- तो सारे घरवाल को कह भगा दे ,,,, वैसे तुझे ऐसा करना या होता
है जो सबके साथ रहकर नह कर पाती ??
म बाहर खड़े ए उनक बात सुनते ए अंदाज लगा रहा था क कैसे नीलम
ने शा लनी क चूच
ं ी मजाक मजाक म दबाती होगी और अब नीलम कस
तरह शा लनी क चू चय को दे ख रही होगी ा म,,,,
शा लनी- तेरी सुई फर से मेरे भै या पर अटक गई,,, यार मने कभी ऐसा मौका
नह दया,,, पागल,,, और ना कभी मने भाई को चोरी से तांक-झांक करते ए
दे खा,,,
सरो जनी माम- तुम लोग को भूख लगी है या नह ,,,, और शा लनी कहां है,,,
शा लनी बेटा,,,,
सरो जनी माम- बस मेरे ब च तुम लोग ऐसे ही यार से रहो और कोई भी
परेशानी हो तो मुझे तुरंत बताना,,,,, और शा लनी बेटा तुम अपने भाई के
खाने पीने का भी यान रखना,,, मेरा ब चा ब त मेहनत करता है,,, दन भर
फ ड क जाब म कतना तो बाइक चलानी पड़ती है,,,
सरो जनी माम- अ छा लगता है तुम दोन को ऐसे दे खना,,,,, और बेटा तुम
दोन के लए एक सर ाइज है,,,,
हम दोन बोल पड़े- वाव माम,, इट् स टे ,,, हम लोग ज द लान करते ह
शा लनी और मेरी परी ा के पहले ही घूम के आते ह,,,,,
और ऐसे ही हम लोग बात करते ए सु ताते ए सो गए और शाम को चार
बजे तक सोते रहे,,,, हम दोन एक सरे क साइड से माम को चपके ए थे
और सबसे पहले मेरी ही आंख खुली य क मुझे दन म सोने क आदत नह
रही थी,,,,,
म उठकर वाश म गया और कचन म जाकर चाय बनाकर माम के बेड म
म ले आया और,,
म- चाय चाय,,, इट् स ट टाइम यूट फुल लेडीज ,,,
शा लनी- थ स भै या,,,,
और फर हम सबने वह बेड म म ही चाय पी और मने माम से पूछा,,,
सरो जनी माम- हां,, हां वहां थोड़ा काम भी करवाया था अभी कुछ दन
पहले,,, कमरे क थोड़ी मर मत कराई थी और मोटर भी बदलवा द है,,,
अपने सारे खेत क सचाई इसी से होती है,,,
सरो जनी माम- अभी तो काफ तेज धूप है,, थोड़ी दे र बाद जाना,,, म जरा
म ा जी के यहां भाभी संग बाजार जाऊंगी अभी,,,
म- हां हां चल ना,,, वहां इतने दन से वाटर स लाई के बासी पानी से नहा
नहा कर नहाने क असली ताजगी या होती है,, तू तो भूल ही गई होगी,,,
सरो जनी माम- अरे बेटा,,, घर के पीछे से जाने के अलावा अब सारे रा ते बंद
ह,,, मने खेत म चार ओर कंट ली बाड़ लगवा द है और अब उधर कोई नह
आता,,, और तेरा भाई तो है ही ना ,,,,,, शहर प ंच कर भी तेरा डर नह
नकला ,,,
सरो जनी माम - हां तु ह तो पता ही है ना शा लनी बेटा,,, अरे मेरी आधी
ज मेदारी तो तुमने ही उठा रखी थी यहां ,,, तु हारे जाने से कभी कभी ब त
परेशानी होती है,,
म- हां ,, माम ,,, आपको थोड़ी परेशानी होती तो होगी अकेले म,, ले कन
शा लनी के मेरे साथ रहने से मुझे ब त आराम है,,, ये सारा काम पढ़ाई के
साथ-साथ ब त माटली करती है ,,,
और ऐसे ही बात म हम लोग लगे रहे और म बीच-बीच म माम क नजर
बचाकर शा लनी को आंख के इशारे से मजे के लए उकसाया,, और म कुछ
दे र के लए अपने कमरे म आया और इस बीच माम तैयार हो कर बाजार
जाने के लए मेरे कमरे म आई और बोली
सरो जनी माम- म घर को बाहर से लाक करके जा रही ं,,,, तुम लोग पीछे से
चले जाना ,,,,
और वो चली गई,,,,
म भी अपने कमरे से नकल कर शा लनी के कमरे म आ गया और वो अपने
कुछ पुराने कपड़ को बेड पर फैलाये ए थी ,,,,,
म- चल ब
ू वेल पर,,
मने दरवाज़े का लाक खोला और हम लोग कमरे के अंदर आ गये ,,,, कमरे म
एक लकड़ी का त त भी पड़ा आ था जो यहां खेत म काम करने वाले
नौकर के लए था,,, कमरे म पंखा भी लगा था और मने आगे बढ़कर पंखा
चलाया वच ऑन करके तो काफ सारी धूल उड़ती ई कमरे म फैल गई,
शायद यहां का पंखा काफ दन से कसी ने चलाया नह था और कमरे म
भी काफ धूल थी,,,,,,,
फर शा लनी ने भी कमरे म चार तरफ दे खा और
म - ठ क है,, म भी हे प कर ं ,,
म- ये…ये कौन?
थोड़ी दे र बाद शा लनी ने ऐसे नाटक कया जैसे उसको अभी-अभी पता चला
हो क म उसक चू चय को भाई क नजर से नह ब क एक लड़के क तरह
ताड़ रहा ं,,,,,
म इस समय तखत के नीचे बैठा आ था और शा लनी मेरे एकदम पास
तखत पर बैठ गयी, जससे उसक चू चयां ठ क मेरे चेहरे पर हो गई और
उसने मुझसे थोड़ा नखरे-भरे अंदाज म पूछा,,,
म जैसे चोरी करते पकड़ा गया और अपनी गलती कबूल करते ए बोला-
शा लनी- अरे इसम सॉरी वाली या बात है भैया… कोई बात नह .. तु हारी
कोई गलती नह है इसम…
म-( आ य से ) मतलब?
शा लनी- वैस…
े कैसी लगती ह तु ह ये?
शा लनी- अरे तुम इतनी दे र से इनको दे ख रहे थे तो मने पूछा क कैसी ह,,,,
म- ठ क ह ,,,
म- अ छ तो ह,,,
शा लनी- अ छ ह मतलब?
म- मतलब अ छ ह और या,,
म- और या बताऊँ?
म- हां,,, तो,, अरे बेबो,,, मने ऐसा कुछ नह कया,,, अब जब उसका खजाना
खुला होगा तो म या कसी क भी नजर जाएगी ही,,,