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आज लगभग दस महीने ए ह मेरे साथ मेरी छोट बहन शा लनी को रहते

ए, हमारे शहर के मकान म...


म पछले चार साल से यहां रहता ँ, बी.एस.सी करने के बाद म एक क पनी
म मे डकल र जटे टव क जाब करने लगा ,ं हमारा गांव यहां से 150
कमी क री पर है, घर पर मां सरो जनी और बहन शा लनी रहत ह। मां
पता जी क जगह अनुक पा जाब पर बक म सहा यका ह, खेती बाड़ी भी
पया त है। खैर म नौकरी के साथ साथ इ नू से पढ़ाई भी कर रहा ं, म दो वष
वायज हा टल म रहने के बाद दो कमर वाला छोटा मकान नगर नगम क
क म म मल गया क त पर और पछले दो साल से म अपने नजी मकान
म रहने लगा। 

जदगी म त कट रही थी और म अपने गांव जाने वाला था ,,, 

मेरी बहन शा लनी का इंटरमी डएट का रज ट आने पर मं घर आया तो मां ने


बताया क यह अब शा लनी BSc ही करेगी, और तु हारे शहर से ही करना
चाह रही है तो मने कहा अ छ बात है फाम तो पहले ही डाल रख ह, दे खते ह
क कसी अ छे कालेज म एड मशन मल जाये । मां ने कहा क इसे अपने
साथ ही ले जाओ और इससे तु हारे खाने पीने क भी स लयत हो जायेगी,
म तुम लोग से मलने महीने प ह दन म आती र ग ं ी।

शा लनी ने ब त मेहनत से पढाई क और 89% मा स लायी थी, मने दे खा


क वह ब त खुश है और उसने ले चरर बनने क इ छा जा हर क ।
मेरी उ इस समय 24साल और शा लनी क 19 साल है, हम लोग का रहन
सहन का तर गांव के अ य प रवार से थोड़ा बेहतर है, घर पर मां साड़ी
पहनती ह और शा लनी सलवार सूट या कट् टाप । म पांच साल से शहर म
रहता ँ इस लये शा लनी और मेरे बीच कभी कोई तू तू म म नह ई। हर
रोज हम लोग क फोन पर बात होती थी।
घर पर खाना खाते ये रात म,

सरो जनी - सागर बेटा, मने शा लनी क पै कग कर द है, सुबह कतने बजे
नकलना है।

सागर- म मी आज कल गम ब त हो रही है इस लए सुबह 5 बजे वाली बस


से नकलना ठ क रहेगा।

सरो जनी- बेटा, जतने भी अ छे कालेज ह सभी म अ लाई कर रखा है


आनलाइन तूने पर दे खना अगर अपने घर के पास ही एड मशन मल जाये तो
ब त ही अ छा रहेगा।

शा लनी- भाईजी, कालेज अ छा हो चाहे पास हो या र

सागर- ठ क है इसी ह ते म सभी कालेज क ल ट जारी होगी, दे खते ह ।

सरो जनी- और हां सागर, शा लनी को पहले जाकर थोड़ी शा पग करा दे ना,
कुछ डेली वयर और कालेज जाने के लए...

शा लनी- मां ... वो भाई से वो भी

सागर- या बात है बहना

सरो जनी- अरे कुछ नह सागर , शा लनी काफ दन से जी स वगैरह पहनना


चाह रही है, मने कहा था जब बाहर पढऩे जाओगी तब पहनना, इसे इसक
पसंद के ही कपड़े दलाना..
सागर- ओ के , म मी कपड के अलावा भी काफ चीज लेनी पड़गी, मेरा तो
अकेले कैसे भी चल जाता था, बाथ म भी ठ क कराना है और पीछे कमरे
क साफ-सफाई भी, शा लनी पीछे वाले कमरे म रहेगी जससे इसक पढ़ाई
म कोई द कत न हो।

खाने के बाद मां ने कहा ब च ज द सो जाओ सुबह नकलना भी है, हम


दोन मां के ही बेड पर दाय बाय उनको लपटकर सो गए ।
सुबह हम लोग ज द ही तैयार हो कर हाईवे पर आकर बस म बैठ गए, कगले
क बे से भीड़ बढ़ती गई और आस-पास काफ लोग बस म खड़े खड़े सफर
कर रहे थे। कुछ दे र बाद मने दे खा क एक आदमी लगातार हमारी तरफ घूर
रहा है, शा लनी व डो साइड बैठ बाहर दे ख रही थी, 

जब मने गौर से दे खा तो शा लनी का प ा खसकने क वजह से उसके सीने


के उभार का काफ ह सा दख रहा था, मेरी समझ म नह आया क म या
क ँ ? 
उस आदमी को टोकने से कोई फायदा नह था वह हटता तो सरा आ
जाता।। कुछ दे र सोचने के बाद मने धीरे से शा लनी के कान म कहा- अपना
प ा ठ क करो बेटा...

बस अपनी र तार से चली जा रही थी, शा लनी ने अब अपना प ा ठ क कर


लया था और हम लोग थोड़ी ब त बात करते ए शहर आ गए, आटो लेकर
अपने घर आ गए।

कालोनी के मकान को आगे ह से पर मने बड़ा गेट लगवा दया था जससे


गेट बंद होने पर पूरा घर सुर त था, मने गेट खोला और आटो से सामान
उतारकर अंदर ले आया और गेट बंद कर लया, गेट बंद होने पर बाहर से
हमारे घर के अंदर का कुछ नह दखता था.. । अंदर का म खोल कर
ज द से मने कूलर चलाया, य क हम दोन पसीने पसीने हो रहे थे गम के
कारण।

शा लनी आज हमारे मकान म पहली बार आयी थी तो उसने पीछे वाला


कमरा, कचन, बाथ म सब घूम घूम कर दे ख रही थी और हम लोग बात कर
रहे थे। मने गम के कारण अपनी जी स शट नकाल द और अंडर वयर
बनयान म ब तर पर लेट गया। शा लनी भी आगे बरामदे से पीछे कमरे तक
कई च कर लगाकर हाथ मुंह धोकर मेरे पास ही बेड के साइड म बैठ गई।
और हम लोग बात करने लगे।।

सागर- शा लनी, तुम भी कपड़े चज करलो और थोड़ा आराम करलो फर हम


लोग दोपहर बाद माकट चलगे।

शा लनी- नह नह भाई, म ऐसे ही ठ क ं, और चज करके भी सूट ही


पहनना है तो यही ठ क है

सागर- य ? कोई ह के कपड़े नह है या, नाईट वगैरह

शा लनी- नह भाई

सागर- अ छा कोई बात नह तुम ऐसा करो अभी मेरा बरमूडा और ट शट


पहन लो, शाम को हम लोग नये कपड़े लगे ही ।।

मेरी ल बाई 5' 10" और शा लनी क 5' 7" । रंग हम दोन का ही गोरा है, मैने
उठकर पीछे कमरे से लाकर उसे कपड़े दये और कहा ये पहन लो थोड़ा गम
कम लगेगी । शा लनी ने कपड़े लए और पीछे कमरे मे जाकर चज करके मेरे
पास आकर बैठ गई, 

सागर- ओ हो.. कपड़े लेने क कोई ज रत नह है, मेरा ही साइज फट आ


रहा है... (शा लनी ने ट शट और नेकर पहली बार पहना था) , 

ये सुनकर शा लनी हंसने लगी और खड़े होकर मुझसे कहने लगी क ये कपड़े
तो ब त आरामदायक ह भै या, कतना लग रहा है ।।

मने उससे कहा अब तुम भी आराम कर लो, यह ं लेट जाओ अभी तु हारे
लए पीछे कमरे को साफ करके उसम कूलर लगवा ं , 
शा लनी वह मेरे साथ ही लेट गई, सफर क थकान से हम दोन ज द ही सो
गए ।।। 

सफर क थकान से हम दोन एक ही ब तर पर सो रहे थे, दो छोटे द वान


जोड़ कर एक बेड जैसा बन गया था जस पर दो लोग आराम से सो सकते
थे। पीछे कमरे म एक सगल द वान पड़ा था। 

दोपहर के तीन बजे मेरी न द खुली तो मुझे ब त भूख लगी थी, म उठकर
बाहर बरामदे म बे सन म हाथ मुंह धोकर मैगी नूड स बनाने लगा । फर मने
शा लनी को आवाज लगाकर जगाया, पर वह नह उठ । 
मैगी बनाने के बाद म कमरे म आकर शा लनी को हाथ लगाकर उठाने ही जा
रहा था क म एकदम से क गया। शा लनी इस व करवट लेट थी और
उसके दोन ध के बीच क घाट का काफ ह सा मेरी वी गले क ट शट से
दख रहा था। हर बार सांस लेने के बाद उसके ध भी फूल- पचक रहे थे। म
उसे जगाने के बजाय उसके पूरे बदन को उपर से नीचे क ओर दे खने लगा ।
न कर म उसक गोरी सुडौल भरी भरी जांघ और नीचे ह के भूरे रंग के र य
से पैर म ।
अब मुझे एहसास आ क मेरी बहन शा लनी ब त ही खूबसूरत है और मां
क ही तरह उसका शरीर भी हर ह से से खूबसूरत कटाव लए है,, 
म शा लनी से बस कुछ इंच क री पर खड़ा आ वह पर जैसे ज हो गया
था । अचानक मुझे सुबह बस क बात याद आ गई क कैसे वो आदमी
शा लनी का प ा खसकने के बाद उसके ध को घूर रहा था और यहां अब
म खुद अपनी बहन के ध को हर सांस के साथ उठते बैठते दे ख रहा था।।

मुझे ब त अजीब सा लगा क म ये या कर रहा ं अपनी ही सगी बहन को


म एक लड़क /औरत क तरह कैसे दे खने लगा ।। मने बाहर बरामदे म
आकर फर से मुंह धोया और अंदर आकर शा लनी के दा हने पैर को
हलाकर उसे जगाया ...
शा लनी को मने जगाया, उठते ही उसने एक अंगड़ाई ली और दोन हाथ सर
के पीछे लेजाकर उसने अपने बाल को ठ क कया । एक बार फर मेरी नजर
बहन के बड़े बड़े तन पर टक गई जो उसके बाल संवारने से और भी बड़े
दख रहे थे। शा लनी उठकर टायलेट करके े श होकर आई और हमलोग ने
ना ता कया,

म- शा लनी तुम ऐसा करो क अभी कचन म ज रत क चीज क ल ट


बना लो, म तो ऐसे ही कुछ भी कह भी खा लेता था।हम लोग इधर से जाते
समय कराना टोर पर दे दगे और शा पग से वापस आते म लेते आयगे।

शा लनी- जी भाईजी, 

मं अभी भी च ी बनयान मे ही था, असल मे अकेले रहने के कारण गम के


दन म म कम से कम कपड़ म या नंगे रहना ही पसंद करता था, अकेले
रहने के अपने मजे ह, 
खैर शा लनी क मौजूदगी म नंगे रहने का सवाल ही नह था। म नहाने के
लए बाथ म म चला गया, हमारा बाथ म और लै न वाइंट है और उपर
छत पर जाने वाले जीने के नीचे बना है, बाहर बरामदे म ही सरी साइड
अपनी अपाचे बाईक रखता था और कपड़े भी वह सुखा लेता था म नहाकर
वैसे ही च ी बनयान पहनकर कमरे के अंदर आया तो शा लनी ने ल ट मेरे
हाथ म दे द , उसने इन 15 मनट म ही कचन से लेकर डेलीयूज क लगभग
सभी चीज क ल ट बना द थ , हम दोन ने आपस म बात करके ल ट
फाईनल कर ली, ।
मने शा लनी से कहा क तुम भी ज द से नहाकर तैयार हो जाओ, शा लनी ने
अपना बैग उठाकर बेड पर रखा और अपने लए कपड़े नकालने लगी, म
इस बीच कमरे क अलमारी म लगे बड़े आईने म अपने बाल ख च रहा था,
शा लनी ने एक ीन कलर का सूट नकाला और साथ म एक काली च ी
और सफेद समीज( लप) नकाली, और मुझसे बोली - भाई म टावेल नह
लाई ं पुरानी थी काफ , अभी आपक ही ले लूं !

म - मने कहा हां ले लो बाहर ही है । उसे समझाते ए कहा क अब यहां कोई


भी चीज के लए पूछना नह न ही कसी चीज म शम हचक रखना, जैसे
चाहो, म त होकर रहो और पढ़ाई करो ।

वह कपड़े लेकर नहाने बाथ म म चली गई और म कपड़े पहनने लगा ।


कपड़े पहनने के बाद मने एक चीज यान क , क शा लनी ने ा नह
नकाली, ा का खयाल मन म आते ही एक अजीब सी फ लग ई। मुझे
लगा वो शायद भूल गई है और पता नह या सोचकर म उसके बैग म ा
ढूं ढने लगा, वो यादा कपड़े नह लायी थी य क उसे नये टाइ लश लुक
वाले कपड़े यह लेने थे। उसके बैग मे ा नही मली, मने बैग बंद कर बेड के
नीचे रख दया । 
बाथ म से शावर चलनेक आवाज आ रही थी, मुझे अजीब सी उ ेजना हो
रही थी ।

मने ट वी चला ली और यूज दे खने लगा।

शा लनी नहाकर कमरे म आयी तो एक अजीब सी सुगध ं जैसी फैल गई,


उसने सलवार सूट पहन रखा था और उसका सूट काफ टाईट फ टग का था
जो उसपर ब त अ छा लग रहा था, वो आईने के सामने आ कर बाल ठ क
करने लगी, बाल बनाते बनाते वह पूछने लगी क आपको भी शा पग करनी है
अपने लए ना ।

म- नह अभी आज सफ तु हारे लए ज री कपडे ले लेते ह फर एड मशन


के बाद ले लगे। तुम बताओ या या लेना है।

शा लनी- घर के डेली वयर और कालेज जाने के लए दो सेट ।

मने बाइक नकाली और गेट लाक कर हम लोग माकट के लए नकल लए,


धूप ब त तेज थी तो शा लनी ने अपना प ा पूरे चेहरे पर बांध लया था और
दोन साइड पैर करके बैठ गई ।।
शा लनी सरी बार शहर आयी थी और रा ते म वो काफ चीज के बारे मे
पूछती रही और म बताता रहा, बात करते करते हम लोग शा पग माल प ंच
गए, बाइक पाक करके हम दोन अंदर आ गए,, अंदर एअर कंडीशन होने से
थोड़ा गम से राहत मली।

हम दोन काफ दे र यूं ही माल म घूमते रहे, म तो अपने रेगल


ु र काम म लग
गया मतलब माल म आयी ई एक से बढ़कर एक से सी माल लड़ कयां और
भा भय को शा लनी से नजर बचाकर ताड़ता रहा । फर हमने आइस म
खाई और शा लनी से मने कहा चलो अब कुछ खरीद भी कर ल, मु त क
ठं डी हवा काफ खा चुके ह,,, 

मेरे ऐसा कहने से शा लनी हंसने लगी । हंसते ए वह ब त खूबसूरत दख


रही थी, हंसते समय उसके ध भी हल रहे थे, जो उसे और आकषक बना
रहे थे, न जाने य पर मेरी बार बार नजर शा लनी के बड़े बड़े तन पर ही
जा रही थी । सामने एक ज स शो म म जाकर हम ज स दे खने लगे,,,

एक से स गल आयी और उसने कहा, सर मे आई हे प यू इन सेले शन ??

हां जी , ये मेरी स टर है इसके लए ज स टाप सेले ट कराईये।।

से स गल- मैम आपको शायद 28 ज स आयेगी और टाप ?

शा लनी- मुझे नह पता, लीज आप चेक कर ल ।।

एक सरी से सगल ने शा लनी को च जग म क ओर बुलाया और कहा,


मैम आप इधर आ जायं , टै ट्स चेक कर ल।

दो मनट बाद वो से सगल शा लनी के शरीर को इंचीटे प से इधर उधर नापने


के बाद हंसते ए बोली, इट् स 34"/28"/36 ।।

और उस से सगल ने शा लनी को ज स और ट शट टाप पसंद कराये उसके


साइज के और शा लनी से ायल करनेको कहा,
शा लनी कपड़े लेकर ायल म म चली गई, म ायल म के बाहर खड़ा हो
गया, 
पांच मनट बाद शा लनी ने दरवाजा खोला और मुझे दखाते ए बोली,
भाईजी फट है ना।।

मने उसे उपर से नीचे तक एक सरसरी नगाह से दे खा, उसने लैक ज स और


ीन ट पहनी थी, ज स टाप म अब उसके शरीर का हर कटाव साफ जा हर
हो रहा था, ल बाई अ छ होने से उसके पैर काफ ल बे और सीने के उभार
और बड़े लग रहे थे, इतने म ायल म म लगे आईने मे दे खते ए शा लनी
पीछे घूम गई.... और मुझे उसके भारी नत ब भी दख गए,,, सलवार सूट मे
यह सब उतना जा हर नह होता है, शा लनी का पीछे का शरीर भी गजब का
आकषक था,, 

उसने कहा भाई सरी ज स भी ाई कर लेती ं और दरवाजा बंद कर


लया।।

बारा दरवाजा खुला तो मने अब शा लनी को लूज स और हाइट टाप मे


दे खा, ये ेस भी उस पर ब त अ छ लगरही थी, इस बार भी उसने आगे
पीछे घूम कर आईने म दे खा और आंख ही आंख म मुझसे मेरी राय पूछ तो
मने उसे ऊंगली का गोल छ ला बनाकर बताया क जबरद त है.... मेरे ऐसा
करनेसे वो थोड़ा शमा गई और नीचे दे खने लगी और बोली - दोन ेस ठ क
है यही ले लेते ह, म चज कर लेती ं,,

म- अरे ,अब चज क या ज रत है जब ये ले ही लया है तो इसी को पहने


रखो... आओ बाहर. 

सरे कपड़े और उसके पुराने कपड़े पैक कराकर पेमट दे कर हम शाप से


बाहर आ गए ।
लोग गलत बोलते ह क लड़ कय /औरत को शा पग कराना मु कल और
पकाउ काम है, मेरी बहन शा लनी ने तो फटाफट पसंद करके ले लया,,,

शा लनी से मने कहा , अब या लेना है 

शा लनी- द ा ,वो घर मे पहनने के लए आप जैसे क फटबल कपड़े ही लेने


ह,, 

बात करते ए हम माल क सरी लोर पर आ गए और बग बाजार म वेश


कया,,, य क एवरेज बजट म डेली वयर वहां काफ अ छे मल जाते ह।

हमने थोड़ी ही दे र म शा लनी के लए दो न कर और दो 3/4 कै ी पसंद


कर लए इनके ायल क ज रत नह थी, अब हम लाइट ट शट दे ख रहे थे
तो मने एक लीवलेस बनयान टाईप ट शट शा लनी को दखाते ए कहा ये
कैसी रहेगी 

शा लनी ने उसे हाथ म लया और अपने सीने पर उपर से ही रख कर वो


दे खने लगी, फर बोली-- ठ क है, इसमे गम कम लगेगी।

तो हम दो लीवलेस और दो नामल ह क ट शट सेले ट करके वहां से


नकले, अब तक शाम के सात बज चुके थे। 

मने मां को वी डयो काल करी और बताया क हम लोग शा पग कर रहे ह,


मने शा लनी क ओर कैमरा करके मां को दखाया,,,

मां- बेटा तुम लोग ठ क हो ना , 


शा लनी- हां, म मी, हम लोग ठ क ह और थोड़े कपडे़ भी ले लए ह, अब घर
नकल रहे ह।

मां- सागर बेटा, जरा मोबाइल मे शा लनी को पूरा दखा तो सही,,,


मने मोबाइल थोड़ा र कर दया जससे शा लनी क पूरी बाडी म मी को
दखने लगी,,,

मां- शा लनी बेटा, तुम ब त अ छ लग रही हो, सागर बेटा... तुमने अ छे


कपडे़ दलाये ह। अब तुम लोग घर नकलो और टाइम से खाना खा लेना,
ओके...

फोन कट करके मने शा लनी से पूछा- कुछ और लेना है अभी या फर घर


चल।

शा लनी- जी... जी भाई.. लेना... नह नह .. कुछ नह  

म और शा लनी काफ समय से माल म थे अब हमे घर नकलना था तो हम


लोग पा कग मे जाने के लए ए केलेटर पर आ गए जो बेसमट पा कग म
जाता था, म और शा लनी साथ ही ए केलेटर पर चढ़े , पता नह कैसे शा लनी
का बैलस बगड़ा और वह आगे क ओर गरने ही वाली थी क उसने मेरी
बाय कोहनी पकड़ ली और साथ ही मने उसे कमर से पकड़ कर अपनी ओर
ख चा ।। ये सब एक दो सेकड मे ही आ और हम ए केलेटर से नीचे पा कग
म आ गए, शा लनी ब त डर गई थी और जैसे ही मने अपने साथ उसे
ए केलेटर से उतारकर खड़ा कया, इस समय हमारे साथ कोई पा कग म नह
आया था और न ही आस पास कोई दख रहा था, अमूमन आज माल मे ही
भीड़ कम थी,
शा लनी जो मुझसे सट के खड़ी थी, अचानक से मुझे पकड़ कर अपने साथ
चपका लया और ससकते ए बोली - भाईजी आप ने मुझे बचा लया ,
और एक बार फर मुझे कस कर अपने से चपका लया । शा लनी और मेरी
हाईट मे जरा सा ही अंतर है उसने अपना चेहरा मेरे सीने मे छु पा लया था
और फर बोली - आपके साथ म सेफ फ ल करती ं भाईजी 

(मैने भी शा लनी के पीछे हाथ ले जाकर उसको बाह मे भर लया ) 

मै- मेरे होते तु ह कुछ नह होगा बेटा, और छोट सी चीज से ऐसे डरते नह ह,
तु ह तो अब अकेले ही यहाँ कालेज भी आना जाना है... बी ेव गल बेटा....

और यार से मने उसक पीठ को ह का सा सहलाया और उसके गाल पर


ह का सा हाथ लगाकर उसे हंसाने क को शश क , 

म- चलो बेटा अब घर चलते ह,,,, 

(हम दोन अभी भी एक सरे से चपके ए थे, तभी अचानक से सामने से


आता एक स यो रट गाड दखा जो हमारी ही तरफ आ रहा था, मने ज द
से शा लनी को अपने से अलग कया और उसका एक हाथ पकड़कर अपनी
बाईक क ओर चल दया) 

गाड- जरा भी शरम हया नह है तुम लोग को, यह पा कग म ही चु मा चाट


शु कर द , बेशरम हो रहे ह लोग ...

म- कते ए, जी वो ऐसी बात नह है ये तो मेरी छोट बहन है।


गाड- (हंसते ए) हां हां यहाँ सब भाई बहन ही बताते ह पकड़े जाने पर, 

शा लनी- आप बना बात के बदतमीजी कर रहे ह हम लोग भाई बहन ही ह


वो भी सगे...।

गाड- अरे बहनजी, तो म कब कह रहा ं क तुम लोग भाई बहन नह हो,


मगर अभी जो गले मलन हो रहा था उसे दे खकर मुझे लगा क ज द चलो
नह तो पूरी प चर यह पा कग म बन जायेगी,,,, ऐसा तो यहां रोज होता है
अपना या .. अपनी तो ूट है... जनके पास गाड़ी है वो तो गाड़ी म नपट
लेते ह.... आप जैसे बाहर ही शु हो जाते ह... भाईजी माफ करना... आप
जाओ .. अपना या... ूट है ।।

वो कमीना गाड लगातार बोले ही जा रहा था और हाथ जोड़ कर माफ वाले


अंदाज म बक बक कर रहा था ।

म- (बात को ख म करने के इरादे से) ठ क है कोई बात नह ...

गाड- ठ क है भाई... बे ट आफ लक... गुड लक.. गुड कपल... लवली


कपल...

वो बोलता रहा और म शा लनी के साथ अपनी बाइक के पास आ गया, अब


मुझे लगा क वो गाड नशे मे बड़बडा़ रहा है...

खैर .. मने अपनी बाइक टाट क और शा लनी पीछे बैठ गई, उसके हाथ म
काफ बैग थे जससे पता चलता था क वह शा पग करके आ रही है ।। 

हम दोन घर क ओर चल दए, रा ते म शा लनी और मेरे बीच कोई बात नह


हो रही थी, शायद वो गाड वाली घटना क वजह से, 
घर के पास आकर कराना टोर वाले से सामान लेते ए हम घर आ गए , मने
बाइक बाहर ही रखी और हम अंदर आ गए, कमरे मे आते ही मने कूलर
चलाया और फटाफट अपने कपड़े नकालकर म अपनी आरामदायक
पोजीशन यानी च बनयान मे आ गया और शा लनी पीछे कमरे म जाकर
सारे बैग रखकर मेरे पास आकर बेड पर बैठ गई, कूलर क हवा ठं डी थी,
पांच मनट ऐसे ही बैठे रहते ए हो गए थे पर हम लोग कोई बात नह कए थे,
मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था...

मै- शा लनी, नौ बज रहे ह, खाने का या करना है।

शा लनी- जी, भाईजी, म अभी कुछ बनाती ं,

म- ां , चज कर लो फर आराम से बनाना कोई ज द नह है 


और कल से मुझे जाब पर भी जाना है.... इस बीच दे खते ह एड मशन क
ल ट जारी हो जायेगी तो फर एक दो दन क छु लेकर काम हो जायेगा।।

शा लनी- जी भाईजी

म- और हां, तुम आज इसी बेड पर सो जाना य क तु हारे म म तो अभी


कूलर नह लग पाया है,, कल लगवा लगे।।

शा लनी- जी, यह सो जाऊंगी वैसे भी म कभी अकेली नह सोती...

मने ट वी चला द और शा लनी चज करके नये कपड़ मे से ही एक लैक


शाट न कर और हाइट ट पहनकर आयी और कूलर के आगे खड़ी हो गई,
तो मने दे खा क शा लनी पूरी तरह पसीने मे भीगी ई है,,,,
म- अरे तुम तो पूरा पसीने से नहाई लग रही हो, या आ ।।

शा लनी- वो कमरे म पंखा नह है तो ब त गम लग रही थी और मुझसे ज स


भी ज द नकल नह रही थी ।

मै- ओ हो... इतनी गम थी तो तुम यह चज कर लेती..और पसीने से नहाई


हो फर भी कपड़े पहन लए ।।

शा लनी- जी... भाईजी... वो यहां आप थे इस लए म पीछे चली गई थी....

मै- (थोड़ा सोच कर) हां, हां म यहां था तो... कौनसा तु ह सारे कपड़े
नकालने थे,,, अब यहाँ हम ही दोन को रहना है... इतनी शरम ठ क नह ...
और तुम अपने भाई के साथ ही अनक फरटे बल हो... ऐसे कैसे रहगे हम
साथ म ... मुझे दे खो म जैसे रहता था तु हारे आने से पहले वैसे ही ं।।

शा लनी-- सारी भाईजी,,, मेरा वो मतलब नह था, पर मुझे लगा आपके


सामने चज नह करना चा हए, ,,, 

(शा लनी का हाथ पकड़ कर अपने पास बेड पर बठाते ये)

म- दे खो बेटा... ब कुल होकर रहो... हम लोग अब बड़े हो गए ह और


एक सरे के सामने चज नह करना चा हए ले कन कभी इस तरह क
सचुएशन हो तो कर सकते ह और करना ही चा हए, हम भाई बहन ह और
यहां इस शहर मे हमे ही एक सरे का खयाल रखना है... लड़ाई के लए भी
म ही ँ और यार के लए भी म ही मलूंगा..., सो रलै स 
शा लनी - जी भाई , अब कुछ खाने को बना लया जाए ।

शा लनी कचन म चली गई और म ट वी दे खने लगा ।।


शा लनी खाना बनाने लगी, खाना बनाते समय भी उसे काफ गम लगी और
वो कई बार कूलर के सामने आ कर दो मनट खड़ी होती फर कचन म
जाकर खाना बनाती । म आराम से लेटकर अपने कुछ फोन का स नपटा
रहा था,, 

शा लनी- भाईजी खाना रेडी है

म- ठ क है तुम पांच मनट आराम कर लो फर खा लेते ह और म उठकर


टायलेट करने गया ।

हम लोग के पास कोई डाय नग टे बल तो था नह , हमने बेड पर ही खाना


खाया और बात करत करते 

शा लनी- भाईजी, थै स फार शा पग, और आपके साथ शा पग मे मजा आ


गया.. लव यू भाई.... 
और हां ने ट टाइम से अब जब भी शा पग जायगे आप भी अपने लए भी
शा पग करगे... ा मस करो भाई...

म - ठ क है चलो सोते ह सुबह से अगले छह दन मुझे फर से गधे क तरह


फ ड म घूमना है ।

मने कपडे डाल कर बाइक अंदर रखी और गेट लाक करके कपड़े फर से
नकाल कर शा लनी के पास लेट गया, गेट लाक होने के बाद म घर का कोई
दरवाजा बंद नह करता, लाईट आन थी, हम दोन को उजाले म सोने क
आदत है।।

हम लोग बराबर मे लेटे थे ले कन र र और ट वी चल रहा था। हम लोग


इधर उधर क बात कर रहे थे, कल या करना है वगैरह वगैरह ।
शा लनी- भाईजी , वो गाड या उ टा सीधा बक रहा था , बदतमीज को हम
कपल दखाई दे रहे थे।। 

म - अरे कोई नह , ऐसे बदतमीज मलते ही रहते ह, असल मे वहाँ यादातर


कपल ही जाते ह और गलत काम करते ह मौका दे खकर...

शा लनी- ओ हो... ,भाई अब सोते ह, गुडनाइट...

म- गुड नाईट... 

और थोड़ा पास जाकर मने उसे माथे पर कस कया तो शा लनी ने अपनी


बड़ी बडी आंख अचानक से मेरी आँख से मलाई और एकटक मेरी आंख म
दे खने लगी फर ....वापस सीधे लेट गई, हम दोन ऐसे ही सो गए ।।

सुबह जब मेरी आंख खुली तो दे खा अभी साढ़े पांच बजे ह मतलब आधे घंटे
और सोया जा सकता था मेरे ट न से,,, म लेटा रहा फर अचानक शा लनी
क ओर दे खा तो वह पैर फैलाये बेसध
ु सो रही है और उसक शाट न कर
समटकर उसक जांघ मे चपक थी और ऊपर उसक ट शट समीज स हत
उसक ना भ के काफ उपर तक उठ थी,,,, और उसके नंगी जांघ स हत पैर
धया रोशनी म चमक रहे थे .... मने तुरंत नजर सरी तरफ कर ली और
यान हटाने के लए मोबाइल उठा लया, कुछ दे र बाद मेरी नजर फर
शा लनी पर चली गई,,, अब वह मेरी ओर करवट ई जससे उसके तन ने
वी गले क ट मे गहरी घाट जैसी बना ली और उसके गोरे गुदाज सीने को
दे खकर मुझे पता नह या हो गया क म शा लनी के पूरे शरीर को दे खने
लगा और एक अजीब सी सुरसुरी छा गई पूरे बदन मे और च मे मेरा लंड
खड़ा हो गया... 

कहाँ जरा सी चूचं ी क झलक पाने के लए हम जैसे लडके तरसते थे, माकट
म ह क सी चूच ं ी दख जाये कसी से सी भाभी/आंट /लड़क क तो लंड
तुरंत सलामी दे ता था,,, 
ह थमैथुन से ही काम चल रहा था,,कभी कसी को छू ने का मौका नह मला
था।।

मेरा एक हाथ मेरी च ी मे मेरा लंड सहला रहा था और एक फ ट र मेरी


जवान ,मादकता से भरी ई मांसल शरीर वाली बहन सो रही थी,, शा लनी
क हर सांस के साथ उसक चूच ं ी ऊपर नीचे हो रही थ और म हाथ से अपने
लंड को और तेज मसलने लगा,,, 
शा लनी क चूचं ी ब त ही शानदार और बड़ी थी, ना भ भी ब त गहरी , और
उसक जांघ क मांसलता को दे खकर म एक नयी नया म वचरण कर रहा
था,,, क अचानक बाहर पेपर फकने क आवाज आई...और म हड़बड़ा गया,
अचानक से बेड से उतरकर म बाहर बरामदे म भाग आया...। मुझे ब त ही
आ म ला न हो रही थी.. 

म बाहर आकर जीने पर बैठ गया और अपने कांपते ए शरीर को संय मत


करने लगा, मेरे दमाग म कोई एक खयाल क नह रहा था कभी शा लनी
क बड़ी बड़ी चूच ं ी मेरे सामने आ रही थी और साथ ही एक खयाल मुझे
ध कार रहा था क तुम इतना गंदा कैसे सोचने लगे अपनी ही बहन के बारे
मे ... 
रह रह कर मुझे ऐसे ही खयाल आते जा रहे थे और मुझे शा लनी क
मासू मयत और मां का मुझ पर भरोसा सब याद आने लगा, 
आज तो ये पहला दन ही था शा लनी का मेरे साथ,,,, हम तो अब आनेवाले
काफ साल तक साथ रहना है, ऐसे कैसे रह पायगे हम साथ म...

मने े श होकर कपड़े डाले और शा लनी को बना जगाए गेट बाहर से लाक
करके ध और ेड लेने आ गया ।

म कुछ दे र बाद लौटा और गेट खोल ही रहा था क बगल वाली सुनीता


भाभीजी अपने घर के बाहर झाड लगा रही थी और 

सुनीता भाभी- सागर भैया कैसे हो, और आपके साथ कौन आया है।

म- भाभी म ठ क ं, वो मेरी छोट बहन शा लनी है अब यह रह कर पढ़ाई


करेगी।।

सुनीता भाभी - इसी लये म क ँ मेरे दे वर राजा कल से ब त बजी दख रहे


ह.... एक बार हमसे हे लो हाय नह और अभी भी चोरी से मेरी नंदरानी के
पास जा रहे हो... हां हां... अब हम जैसी बु ढ़या को कौन पूछेगा.... नया माल
जो ले आये हो....और वो हंसती रही ।

म- अरे अरे, नह भाभीसा, ऐसी कोई बात नह है, आज आपको मलाता


अपनी बहन से,,,,थोड़ा बजी था ।

सुनीता भाभी- म काम करके आ जाऊंगी मलने, चलो अ छा है अब आपके


खाने पीने क स लयत हो जाऐगी ।

सुनीता भाभी मेरे बगल वाले मकान म रहती ह और पूरे मोह ले म मेरी बात
उनके ही प रवार से होती है, वो 40 साल क भरे बदन क सुद ं र सं कारी
म हला ह, उनके दो ब चे ह वो अपने ब च के ही कूल मे ट चर ह,, अ सर
सुबह सुबह वो झाड लगाते ए अपनी चूच ं ी दखा दे ती थी तो मेरा दन बन
जाता था । खैर हम लोग मे हंसी मजाक चलता रहता था ।।

सुनीता भाभी क चूचं ी दे खने के लए म अ सर उसी समय अपनी बाइक


साफ करता था घर के बाहर , आज भी बड़े गले के कुत से उनक बडी़ बडी़
चूच
ं ी लटकती ई दख रही थी, अंदर वो हमेशा ा पहनती ह। मुझे जाने य
आज उनक चूं चयां आकषक नह लगी.। एक सी मत मजाक से यादा कुछ
नह होता था हम दोन म, शायद उनक चूं चयां दे खने क मेरी आदत के बारे
मे वो जानती थी पर कभी जा हर नह कया ।

गेट खोल कर मै अंदर आया तो दे खा, शा लनी अभी सो रही थी, एक बार
फर मेरी नजर शा लनी के सीने पर पड़ी, वह सीधे लेट थी और उसके ध
के न पल जा हर हो रहे थे, इतने से ही मेरा लंड फर झटके खाने लगा,....

सुबह के सात बज चुके थे और मने शा लनी को कंधे से हला कर जगाया..

शा लनी ने थोड़ा कुनमुनाते ए हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली और अपने


बालो क पोनीटे ल बनाते ए गुडमा नग बोल कर वह बेड से उतरकर सीधे
े श होने गई,,, 

शा लनी का ये अंगड़ाई लेता आ बदन दे खकर मुझे फर से झुरझुरी होने


लगी ।।

म पछले दो घंट से कई बार उ े जत आ था और सैकड़ बार अपने आप


को अपनी ही बहन के बदन को ना दे खने का यास कर चुका था । 
म सही गलत मयादा ज मेदारी आ द सब चीज के बारे म सोच रहा था क
तब तक शा लनी बाथ म से नकल कर कमरे से होते ये सीधा कचन मे
चली गई ।

शा लनी- भाईजी आप ये ध और ेड कब ले आये।

म-म बाहर से अभी लेकर आया ं तु हे सोता दे खा तो सोचा वापस आकर


जगाऊँ ।

(उसे या पता क उसके यौवन ने उसके बड़े भाईजी क ऐसी हालत करद
थी क उसे भागना पड़ा )

शा लनी- भाई काफ या चाय

म- कुछ भी चलेगा, म तो सुबह ऐसे नकल लेता था, बाहर ही चाय पानी होता
था ।

शा लनी- पहले क बात और थी,अब तो आप ना ता भी करगे और खाना भी


खाकर जायगे ।

(मुझे शा लनी क केय रग बात सुनकर ब त अ छा लगा और म अपने आप


को उसके शरीर के त आकषण के लये और ध कारने लगा ) 

म- हां हां खला खला कर मोटा कर दो ।

म बेड पर ही बैठा था और शा लनी के साथ ना ता करने के बाद हम लोग


बात करने लगे ।

मने शा लनी को घर को लाक करना और आस पास के बारे म बताया,


सुनीता भाभी के बारे म बताया क वो अ छ म हला ह बाक आस पास म
कसी से मतलब नह रखता...

म- शा लनी, म अब साढ़े नौ बजे व कग के लए नकलूंगा और चार बजे आ


गया तो ठ क नह तो रात के आठ बजने ह, यही मेरा ट न है ।

शा लनी- ठ क है भाई म कुछ खाने के लए बनाती ं आप तैयार हो जाइए, म


बाद मे नहाऊंगी ।

म नहा धोकर तैयार आ, इतनी दे र मे मेरा दमाग थोड़ा संतु लत आ था


और म फर से शा लनी को अपनी भोली बहन के जैसे दे ख रहा था, 

शा लनी ने मुझे पराठे खलाए और म े श मूड से अपना बैग लेकर शा लनी


को कसी के लए भी गेट ना खोलने क हदायत दे ते ए म नकल आया।।

सोमवार होने से मुझे व कग के बाद डपो जाना पड़ा और इसक वजह से


शाम के छह बजे मुझे फुरसत मली, दन भर मे मेरे दमाग म बार बार
शा लनी क ही बात और याद आ रही थ । दन म कई बार मन कया क
शा लनी से बात क ँ वो या कर रही है, कैसी है, अकेले बोर तो नह हो रही
है,,, बट कैसे... शा लनी के पास मोबाइल नह था,, 

म घर के लए नकला और सोचा ना ते के लए कुछ ले लूं ।


ना ता लेकर मेरी नजर सामने क मोबाइल शाप पर पड़ी और मेरे कदम उधर
बढ़ चले,
म घर आया और गेट खोलकर जैसे ही मेरी नजर बरामदे म चार तरफ पड़ी,
म हैरान हो गया, हर चीज करीने से रखी है और साफ-सुथरी, मने आगे कमरे
म कदम रखते ही शा लनी को आवाज लगाई.. शा लनी....

कमरा भी ब त ढं ग से सजाया था ।

शा लनी पीछे कमरे म साफ़ सफाई म लगी थी और वह तेज चलती ई मेरे


पास आई और मुझे ऐसा लगा क वो मेरे गले लगने वाली है पर वो ठठक
कर खड़ी हो गई ।

शा लनी- जी भाई आप आ गए ।

म- हां, या हो रहा है सुबह से, तुमने तो एक दन म ही घर को बदल दया है।

शा लनी ( ज से पानी नकाल कर मुझे दे ते ए)- वो भाई , म आपके जाने


के बाद बोर हो रही थी तो मने थोड़ी सफाई कर डाली।

म- इधर आओ बैठो दे खो कतना पसीने से नहाई ई हो , और सारी सफाई


या एक ही दन म करनी है।

वो कूलर के सामने बेड पर बैठ गई । इस समय शा लनी ने लाइट यलो कलर


का सलवार सूट पहन रखा था और अपना प ा सर म बांध रखा था ,कुत के
अंदर से उसक सफ़ेद समीज पूरी तरह दख रही थी, न पल भी जा हर हो
रहे थे.... ा तो वह पहनती ही नह है, इससे शा लनी के बड़े तन म उभरे
उसके न पल नुमायां हो रहे थे । म फर से शा लनी के मादक उ त उरोज
को दे खने से अपने आप को रोक नह पाया ।
शा लनी- भाई आपके लए काफ बनाऊं ।

म- हां, हां ऐसा करो तुम भी नहा लो फर साथ म काफ पीते ह, म कुछ
नै स लाया ं और तु हारे लए एक सर ाइज है,,

शा लनी ने घर को ब त अ छा सेट कया था, अब हमारा ये कमरा बेड म


और पीछे वाला टडी/ टोर म जैसे था, शा लनी ने सारे कपड़े और फालतू
चीज को पीछे कमरे म रख दया था और वह से वो अपने लए लीवलेस ट
-शट और न कर नकाल कर मेरे सामने से नकल कर बाथ म म चली गई
।। 

म कपड़े बदल कर बरमूडा और ब नयान म लेट गया आंख बंद करके। और


सोचने लगा क अभी अभी शा लनी को दे खकर मुझे कोई से सुअल याल
नह आया जब क इस दौरान भी उसके उ त उरोज क झल कयां कई बार
दख । मुझे लगा क ये सब नेचरु ल है और मुझे अपनी बहन के साथ यार से
रहना है । म अपने आप को फर से सही ग़लत के दोराहे पर ले आया । जाने
कतनी उधेड़ बुन के बाद आ खर मने ये सोच लया क

"मेरी बहन य द सुद


ं र है या साफ़ ल ज़ म से सी है तो सब उसे दे खगे ही
और म भी उसके प को थोड़ा नहार लूं तो इससे कसी का या बगड़
जायेगा, और म इससे बच भी नह सकता य क मुझे उसके साथ ही रहना
है ।।"

मने सोच लया क अब से शा लनी को दे खने क को शश म नह क ं गा पर


जो दखाई दे रहा होगा उसको दे ख कर उसके युवा बदन का द दार करने से
अपने आप को रोकूंगा भी नह । और कौन सा हम लोग फ जकल होने जा
रहे ह, थोड़ा सा आंख ही तो सक रहा ं। यही सब सोचते ए मेरी नाक म
एक महक सी आई और साथ म शा लनी कमरे म आ गई तो मने आंख खोली
और म उसे दे खता ही रह गया । 

न कर शा लनी क सुडौल जांघ म चपका आ था जो उसके घुटन से


काफ ऊपर तक ही था, एकदम टाइट लग रहा था, और उपर लीवलेस
बनयान टाइप ढ ली ट -शट म वह ब त ही गजब लग रही थी । उसके पूरे
खुले ए कंधे और सुद
ं र हाथ बड़े ही आकषक लग रहे थे। उसके पैर क नंगी
पड लय पर पानी क कुछ बूंद उपर से नीचे लुढ़क रह थी । शा लनी
अलमारी के आईने म अपने बाल ठ क करने लगी ।।

काफ टाइम से म पोन दे खता आया , और कभी कभी नोवे स भी पढ़ता


था, फै टे सी से सी कहा नय वाली। म शु से ही कम बोलने वाले टाइप का
रहा ।ं अपने ही धुन म रहता ं। कोई मुझे दे ख कर नही कह सकता था क
म से स का इतना भूखा ं । 
म जब भी कसी से सी लड़क को दे खता था तो उसको इमै जन करता था
क उसक बाडी अंदर से कैसी दखती होगी, उसका फगर या होगा। सब
कुछ मेरे दमाग मे चलता रहता था आम लड़क क तरह।
और यहां कम सन जवानी क दहलीज पर खड़ी मेरी सगी बहन ऐसे से सी
कपड़ म मेरे आस पास घूम रही है, म उसे कैसे ना दे खूं , और य न दे खूं ।। 

शा लनी ने बाल बनाकर पोनीटे ल बना ली और चाय बनाई , हम दोन ने


ना ता कया, इस बीच मने गौर कया क शा लनी के कंध और बगल के
ह से म उसक सफ़ेद समीज दखाई दे रही है य क शायद उसक समीज
बड़ी थी, असल म ऐसी ट -शट के अ दर लड़ कयां ा पहनती ह ना क
समीज । 
मने अपनी नजर को वहां से हटाया और फर मने शा लनी से अपनी आंख
बंद करने को कहा , और मने बैग से नकालकर सैमसंग का एं ॉयड मोबाइल
उसके हाथ पर रख दया, और उसने आंख खोली ।।

शा लनी- वाव..... फोन मेरे लए भाईजी, और ये कहकर वो मेरे गले लग


गई.....

हम दोन खड़े थे और इस बार माल क तरह कसी के दे खने का डर भी नह


था, तो मने भी शा लनी को कस कर अपने सीने से चपका लया और उसक
पीठ पर मेरा हाथ खुद ब खुद सरकने लगा ।
म उसक पीठ सहलाते सहलाते ए उसके बाल म भी उंगली घुमाने
लगा,और शा लनी ने भी मुझसे अलग होने क को शश नह क । कुछ दे र म
ही मुझे लगा जैसे मेरे लग म तनाव आने लगा है और म ये सोचने लगा कह
शा लनी इसे महसूस ना कर ले, म ह का सा पीछे होकर उसके गुदाज तन
क गम महसूस कर रहा था।

शा लनी के बदन क खुशबू से म मदहोश होने लगा । मने मादा खुशबू के बारे
म सुना था और आज म उसे महसूस भी कर रहा था, जाने कतनी दे र बाद
शा लनी ने अपना चेहरा थोड़ा अलग करते ए कहा, भाईजी हमारी पहली
से फ हो जाए और ह का सा सीधे होकर वो कैमरा आन करके से फ लेने
लगी,,, 

शा लनी क दा हनी चूच


ं ी अब भी मेरे सीने से बायी ओर से दबी थी। उसने
ब त सारे फोटो ख च डाले फर अलग होकर वो फोटो दे खने लगी ।

फोटो दे ख कर उसने कहा भाईजी फोन ब त ही अ छा है और फोटो


वा लट भी अ छ है, उसने कहा भाई म मी को वी डयो काल करते ह ।
और वो म मी का फोन नं मलाने लगी, मुझे लगा क मां के साथ वी डयो
काल के लए शा लनी के कपड़े कुछ यादा ही खुले ह कह मां ने दे ख लया
क बगल के साइड से शा लनी क समीज और उसके कांख के बाल साफ़ न
होने से दखाई दे रहे थे ।

मने शा लनी से कहा- वो ... वो शा लनी म मी को अभी वी डयो काल मत


करो, नामल काल कर लो बेटा ।

शा लनी- य भाईजी, या आ ?

म- (कुछ सोच कर) - वो... वो ... बेटा..

शा लनी- या भाई जी ....

म- ( ह मत करके) वो तु हारी समीज दखाई दे रही है ना... शायद म मी को


ठ क ना लगे!

शा लनी - (अपने उपरी शरीर को दे खते ए) ओह... वारी भाई, मने यान
नह दया... और वो नीचे दे खने लगी ।

म- कोई बात नह बेटा.... यहां अपने घर के अंदर तो चाहे जैसे रहो बट बाहर
नकलते ए थोड़ा यान रखना बस ।

शा लनी मोबाइल म फ चस दे खने लगी और हम बात करते रहे ।

म- शा लनी, एक बात पूछूं??


शा लनी-जी...

म- तुम ा य नह पहनती ?

शा लनी (मोबाइल म दे खते ए) - वो भाईजी, मुझे कन पर रैशेज हो जाते


ह ा पहनने से, हाई कूल के बाद मां लायी थी.... ...बट रैशेज हो गये और
म मी ने कहा क समीज ही पहनो ।

(शा लनी के इतने आराम से बोलने से मुझको अ छा लगा क वो मेरे साथ


खुलकर अपने अंत: व के बारे म बात कर रही है)

म- वो अ छ वा लट के नह ह गे, इसी लए रैशेज हो गए ह गे, योर काटन


कपड़े से रैशेज नही ह गे।

शा लनी- जी भाईजी, ा ना पहनने से कभी कभी अजीब लगता है।

म- हां, और सलवार सूट म समीज चल जाती है बट इन सब टाइ लश कपड़


के लए ा ही ठ क रहती है ।

मने घड़ी क ओर दे खा और कहा- शा लनी चलो, ऐसा करते ह माकट चलते


ह और तु हारे लए काटन मेटे रयल क ा ले लेते ह, वापसी म तुमसे तु हारे
नये मोबाइल क ट भी ले लूंगा ।

शा लनी-( हंसते ए) - जी भाईजी, ये ठ क रहेगा यहां तो अ छ वा लट क


मल ही जायेगी, म चज कर लेती ं आप भी रेडी हो जाईए ।

शा लनी पीछे कमरे म जाकर चज करने लगी मगर उसने दरवाजा सफ


ढलका दया, लाक नह कया । म भी शा लनी के नकलने के बाद कमरे म
जाकर चज करने लगा ।

शा लनी ने ज स और टॉप पहना था, कपड़े पहनते पहनते म अभी अभी हम


दोन के बीच ई बातचीत के बारे म सोच रहा था और मेरे बदन म सहरन सी
दौड़ गई । तभी मुझे अचानक से सी कहा नय म अपनी बहन को ा
खरीदवाने के से सी वाकये मेरे दमाग म लैश करने लगे ।

हम दोन घर से नकले और म बाइक चलाते ए सोच रहा था क अब


शा लनी के बदन को ठ क से दे खने का शायद मौका मल जाए और उसके
साथ थोडा़ खुलकर बात हो जाये। म पास के ही एक शो म म शा लनी के
साथ आ गया, संयोग से यहां एक भाभी टाइप क औरत से सगल थी ।

म- जी, इनर वयर दखाइये ?

लेडी- जी कसके लए ?

शा लनी- जी हम दोन के लए ।

म- (धीरे से शा लनी के कान म)- अरे, मेरे लए नह ।।

शा लनी- मने कहा था ना क अब से शा पग दोन लोग क होगी...... है ना, ।

म- ठ क है , ले लो जो लेना है ।।

और लेडी ने ओके बोलकर साइड के सरे काउंटर पर ा पट का एक रेड


कलर का सेट नकाल कर रख दया।
लेडी- मैम आप डजाइन दे खते जाओ, पसंद आने पर आप अपने साइज का
ायल कर ली जएगा। 

म- जी, असल म इसको थोड़ी कन मे ा लम है उसक वजह से आप फुल


काटन मेटे रयल ही दखाईये लीज़ ।

लेडी- सर फुल काटन कपड़े म तो हाइट कलर ही आयेगा, हां वस काटन


मेटे रयल म कलर भी मल जाएंग,े और वो सेफ भी रहगे।

म- जी , आप दोन दखाईये ।

वो लेडी एक एक करके काउंटर पर ा पट के सेट रखती जा रही थी, रात


होने के कारण उसक शाप पर एक गाड जो बाहर बैठा था उसके सवा और
कोई नह था।

म और शा लनी बराबर म सट कर खड़े थे काउंटर के इस पार, शा लनी ने


एक सफेद रंग क ा हाथ म लेकर उसे दे खते ए मेरी ओर दे खा, मने आंख
आंख म उसे ओ के का इशारा कर दया, उसके साथ एक छोट सी पट भी
थी, सफेद रंग क ही। 

उसको साइड म रख कर शा लनी ने एक लैक ा हाथ म लेकर उसी तरह


मेरी ओर दे खा और मने भी उसे इस बार ह क सी आंख दबाकर मु कुरा के
ओके का इशारा कया, उसने लेडी से कहा - मेरा हो गया इनके लए
दखाईये। 

म- एक दो और लेलो ।
शा लनी- नह , पहले चेक कर लूं क कोई ा लम न हो, फर बाद म और ले
लूंगी ।

म शा लनी क समझदारी और भोलेपन पर फदा हो रहा था और साथ ही


साथ मेरा ल ड भी ,,, 

लेडी- जी , और उसने काफ सारे कलर म वी शेप े ची नकाल कर रख


दया,,

शा लनी ने उसम से एक हाइट और एक लैक े ची नकाल कर साइड म


रख दया अपनी ा पट के साथ। मने साथ म हाइट बनयान ले ली अपना
साइज बताकर ।

लेडी- जी, मैम आप इधर आकर ायल म म जाकर चेक कर ल मने आपके
साइज ३४ के दोन सेट ायल म म रख दये ह

शा लनी- (धीरे से) आपको कैसे पता क मुझे ३४ साइज ही आयेगा 

लेडी- हंसते ए ,,जी वो कहते ह ना " पारखी नजर... नरमा सुपर... मैम
हमारा रोज का काम है ...

शा लनी भी ह का सा मु कुराई और मेरी ओर दे ख कर कहा - ओके , और वो


ायल म म चली गई,

और पांच मनट बाद ही बाहर नकल कर आ गई और बोली- फ टग ठ क है


आप पैक कर दो ।
लेडी- जी, वैसे आपने जो दोन सेट लए है वो काटन म बे ट है हमारे पास
और वो लेडी और से स के लए म खन लगाने लगी आप डेली लाइट
मेकअप आइटम भी ले सकती है और डयो, पर यूम भी , सारी चीज़ ह हमारे
पास डेली यूज टू ाइडल मेकअप तक ।।

म- हां, शा लनी दे ख लो,

शा लनी उस लेडी से काफ बात कर रही थी और वो चतुर से सगल क तरह


उसे बाल म लगाने वाले लेचर , म वगैरह पसंद कराती जा रही थी।

फर शा लनी ने काफ सारे साज-स जा के आइटम लए ।

अचानक उस लेडी ने शा लनी से कहा- आप ये भी ले ली जए, यू नीड इट, ये


कहकर उसने एक वीट म (हेयर रमूवर) शा लनी को पकड़ाई। शा लनी ने
उसे भी रख लया । हम बल पे करके बाहर आ गए और 
म अब तक लगातार शा लनी को उन दोन ा म इमै जन कर रहा था और
इधर उधर क बात कर रहा था ,,

म- हां तो शा पग हो गई, अब ट कहां दे नी है मुझे मोबाइल वाली 

शा लनी- भाई मुझे कहां पता है यहां का कुछ भी, आप ही ले चलो।

म- ठ क है!

म फर से बाइक चलाते ए सोच रहा था क जैसे से सी कहा नय म पढ़ता


ं क बहन ने ा पहनकर दखाई और उसक ा म कसी ई चू चय को दे ख
कर भाई का ल ड खड़ा हो जाता है ....ऐसा कुछ भी मेरे साथ नह
आ... य ??? 

……………
म शा लनी को एक अ छे रे तरां म लेकर गया, रात होने से शाद शुदा जोड़े
भी थे और कुछ यंग कप स,। कुछ लड़ कयां ब त ही ए सपोज कर रही थी
पर म एक बार दे खकर सरी तरफ दे खने लगता क कह शा लनी मुझे ना
दे ख ले... ल डया ताड़ते ए! 

खैर... हमने खाना खाया और काफ बात क और घर क ओर चल दए, रात


के साढ़े दस बज रहे थे और सड़क पर भीड़ कम थी, शा लनी काफ खुश थी
और बाइक पर मुझसे चपक कर बैठ थी, उसक चू चय क नरमाहट का
मुझे बीच-बीच म अपनी पीठ पर एहसास होता तो म गनगना उठता, घर
आकर बाइक अ दर करके गेट लाक कया।

म - शा लनी, चज कर लो,अब सोते ह, काफ टाइम हो गया है।

शा लनी- जी , करती ं

और वो पीछे कमरे म जाकर चज करने लगी। म अपने कपड़े उतार कर


बनयान और च म आ गया और बेड पर एक साइड लेट गया । शा लनी भी
न कर और लीवलेस ट -शट पहन कर आई और साथ म ही लेट गई। उसने
ट -शट के अ दर समीज भी नह पहनी थी और उसके उ त उरोज गजब ढा
रहे थे ,,, हम लोग बात करते रहे।

म- ऐसे तो रात म टाइट कपड़े नह पहनने चा हए पर तुम ऐसा करो क आज


ा पहनकर सो जाओ जससे ये पता चल जाएगा क अब तु हारी बाडी पर
रैशज
े तो नह हो रहे ह ।

शा लनी- जी, म वो सुबह पहन लूंगी 

म- ओके, और मन मारकर म सोने लगा, साथ म लो वो यूम पर ट वी चला


द , हम दोन ऐसे ही थोड़ी बात कर रहे थे।

अचानक ट वी पर सनी लयोनी का कांडोम का व ापन आने लगा और म


अचानक से बोल पड़ा- तु हारी ा भी तो इसी तरह क है ना....

ये बोल कर मने शा लनी क तरफ दे खा और मुझे अपनी गलती का एहसास


आ क म ये या बोल गया अपनी ही सगी बहन से .... और वो भी सनी
लयोनी का कांडोम एड दे खते ए....
कुछ सेकंड बाद एड ख म हो गया और 

शा लनी- नह भाई.... वो जो हम लोग लाए ह वो डफरट है ।

म- ( ह मत करके) अरे नह ... इसी तरह क तो है ।

शा लनी- (थोड़ा मु कुरा कर) भाई वो कलर दोन का लैक है पर डजाइन


डफरट है .... और मेरी छोट भी...

म- नह , मने दे खा था इसी तरह क तो है।

शा लनी- ठ क है भाई, आप नह मानते ह तो सुबह जब पहनूग


ं ी तो दे ख लेना
क एड वाली से डफरट है ।
इतना सुनते ही मेरी हाटबीट बढ़ गई और म ज द से बोला - ठ क है, सुबह
दे खते ह,,,, गुडनाईट और म ट वी आफ करके करवट बदल कर सोने क
को शश करने लगा ।

आंख ब द करके म सनी लयोनी और शा लनी क चू चय क तुलना करने


लगा.... और और शा लनी ने ला ट म वो या बोला था - मेरी छोट है.... हाय
र बा.... शा लनी मुझे कैसे दखायेगी सुबह ा पहनकर.... कैसी दखेगी
उसक चू चयां... इ ह हसीन खयाल म खड़े ल ड के साथ म सो गया ।।

मेरी रात जैस-े तैसे कट गई, रात म कई बार मेरी नजर म शा लनी के बदन को
दे खकर सनसनी ई, उसके ध थोड़े-थोड़े दख रहे थे मेरा मन तो कई बार
कया क थोड़ा सा छू लूं, ले कन मेरी ह मत नह हो रही थी, मने फैसला
कया क म पहले शा लनीे के मन क तो जान लूं। शा लनी को शायद लड़के-
लड़क का शारी रक आकषण या है, पता नह था ।

सुबह म ज द ही उठ गया और बाहर जाकर ध ले आया,वापस आ कर गेट


खोलकर अंदर आया तब तक शा लनी भी उठ कर े श होने के लए
बाथ म म जा चुक थी,,, म पेपर पढ़ रहा था, और कुछ दे र बाद शा लनी
कमरे म आई और अपने साथ वही खुशबू पूरे कमरे म फैला द ,,,

शा लनी- भाई ...

सागर- (म अब तक पेपर म ही आंख गड़ाए ए था) हां, 

और शा लनी क तरफ दे खा,,,, म तो दं ग रह गया,, शा लनी ने नीचे न कर


पहनी थी और ऊपर सफ गुलाबी रंग क टावेल लपेट रखी थी,,, कंध पर दो
काली ा क प दख रही थी,,, म एक टक उसे दे खता रह गया....
शा लनी- कल आप कह रहे थे क मेरी ा उस एड वाली जैसी है, दे खऐ ये
वैसी नह है।

इतना बोल कर उसने एक झटके से आगे से टावेल खोलकर मेरी ओर उछाल


कर बेड पर फक द ।

म कुछ सेकंड तक तो उसे दे खता ही रह गया पर वो एक दम से पीछे कमरे म


चली गई.... 

जीवन म पहली बार मने कसी को ा म दे खा था इस तरह इतने करीब से,,,, 

म कुछ बोल ही नह पाया उसक शानदार चू चय को काली ा म दे खना मेरे


लए एक सपने के सच होने जैसा था... एक झटके म शा लनी क उ त गोरी
गुदाज चू चय को दे ख कर मेरे शरीर म अजीब सी हलचल मचा द , कमरे म
जाते ए उसक पीठ पर ा क प कयामत ढा रही थी । सच म गोरे बदन
पर काला रंग ब त ही से सी लग रहा था ।

शा लनी ट -शट पहन कर कचन म आ गई।

मैने सोच लया था क बहन के साथ बातचीत म खुलने का ये अ छा मौका है


सागर- या बना रही हो।

शा लनी- जी,,, लैक काफ ।

सागर- य भई, आज सबकुछ लैक- लैक...


शा लनी- हंसते ए,,, या... और या लैक है??

सागर- अरे है ना... लैक काफ ,,, लैक ा,,, और लैक पट ...

शा लनी- भाई ईईईईईईईईई... लीज़ ,अब आप मेरी खचाई ना करो..!

सागर- अरे,,, इसम खचाई वाली कौन सी बात है,,, और हां, तु हारी ा का
डजाइन उस ऐड वाली से अ छा है, उसके जैसा नह है,,,, 

शा लनी- हां, म तो रात म ही कह रही थी। 

सागर- हां, भई, तुम जीती... म हारा... बट तुमने कहा था क....

शा लनी- और या कहा था...

सागर- यही क... क.. तु हारी छोट है,,,, मुझे ऐसा लगा क उस एड वाली
के बराबर ही ह।।

शा लनी- भाई, लीज़,,,,

शा लनी और म एक सरे को दे ख बना ये सब बात कर रहे थे,, तब तक


शा लनी काफ लेकर मेरे पास आई और मुझे काफ दे कर मेरे पास बैठ गई ।

मैने ट वी आन कर द और काफ पीकर े श होकर अपनी तैयारी करने


लगा... आज मैने भी पहली बार काली े ची अंडर वयर पहनी थी, इसी लए
मने टावेल लपेट रखी थी,,,, नह तो म अंडर वयर म ही रहता था घर म...
मैने शा लनी को बताया क शायद आज अवध कालेज का कटआफ आ
जायेगा,, ।।
और म आने वाले और हसीन पल को सोचते ए अपने काम पर नकल गया
।। 

मेरा काम म जरा सा भी मन नह लग रहा था, रह रह कर शा लनी के से सी


बदन का खयाल आ रहा था मने दो तीन बार फोन करके उससे बात क , और
शाम को ज द घर आने को बोला । तभी मुझे पता चला अवध कॉलेज का
कटआफ आ गया है, मने जाकर ल ट दे खी,,, शा लनी का एड मशन ओके
हो गया था, मने फोन नकाला उसे बताने के लए,, फर सोचा घर चलकर
शा लनी को सर ाइज दे ता ं ।

दोपहर के 3: 00 बज रहे थे और म ज द ज द घर क ओर चला जा रहा


था रा ते म मने ना ते के लए नमक न और कुछ मठाई ले ली । घर आकर
मने अपनी चाभी से गेट खोला, कूलर चल रहा था और कमरे का दरवाजा
ऐसे ही ढलका आ था, मने दरवाजे को खोलकर जैसे ही अंदर दे खा तो मेरे
हाथ से ना ते का पैकेट छू टते- छू टते बचा....

कूलर क तेज आवाज से शा लनी को मेरे आने क आहट सुनाई नह पड़ी थी,
मुझसे चार फुट क री पर बेड के उपर ध से गोरे बदन क माल कन, मेरी
बहन सफ काली ा और पट पहन कर बदास सो रही थी । सीधे लेटने के
कारण हर सांस के साथ उसक चू चयां उठ बैठ रह थ और ऐसा लग रहा था
क उसक ा कह फट ना जाए, सुबह म ठ क से दे ख भी नह पाया था तो म
बना कोई आवाज कए उसके से सी बदन को दे खने लगा और पता नह
कब मेरा सरा हाथ मेरे लग पर आ गया और म पट के ऊपर से ही अपना
लौड़ा सहलाने लगा ।

अब मने गौर से दे खा तो शा लनी ने अपनी बगल के बाल साफ़ कर दये थे, ये


दे खते ही मुझे खयाल आया क इसका मतलब इसने अपने नीचे के बाल
या न झांटे भी साफ़ करी ह गी, ये सोच कर ही म बना कुछ कए खड़े खड़े
ही उसक काली पट म फूले ए ह से को घूरने लगा । शा लनी के ा से
नीचे का पेट एक दम सपाट और चकना था, उसक ना भ काफ गहरी थी,
और ना भ के नीचे उसक काली पट म बंद चूत...आह.....

मेरे अंदर का भाई ये मानने को तैयार ना था क मेरी बेहन चुदाई क उमर पर


प ँच चुक है, ले कन मेरे अंदर का मद सॉफ दे ख रहा था क मेरी बहन पर
जवानी एक तूफान क तरह चढ़ चुक थी।
वो ब तर पर सफ अपनी ा और पट म पड़ी थी।

धया बदन, सुराहीदार गदन, बड़ी बड़ी आँख, खुले ए बाल और गोरे गोरे
ज म पर काली ा जसमे उसके 34 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग
रहे थे जैसे कसी ने दो सफेद कबूतर को जबरद ती कैद कर दया हो। 
उसक चू चयाँ बाहर नकलने के लए तड़प रही थ । चू चय से नीचे उसका
सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी ना भ, ऐसा लग रहा था जैसे कोई
गहरा छोटा कुँआ हो। उसक कमर ऐसी जैसे दोन पंज म समा जाये। कमर
के नीचे का भाग दे खते ही मेरे तो ह ठ और गला सूख रहा था ।

शा लनी के चूतड़ का साइज़ भी जबरद त था । ब कुल गोल और इतना


ख़ूबसूरत क उ ह तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मलाकर
वो पूरी से स क दे वी लग रही थ …

मुझे ऐसा लगा क एक दो मनट अगर म इसे ऐसे ही दे खते रहा तो म अभी
खड़े खड़े ही झड़ जाऊंगा । मगर म अब क ं या?

म सोचने लगा क अगर म शा लनी को इस हालत म जगाता ं, तो कह वो


बुरा ना मान जाए और इस कम सन जवानी को भोगने क इ छा अभी ख म
हो जाए । फर मुझे लगा क यही वो मौका है जो आगे क राह और आसान
कर सकता है... र क लो और मज़ा या सजा जो मले, 
ये तो शा लनी को जगाने के बाद ही पता चल पाएगा ।

मने सारी ह मत बटोर कर शा लनी के दा हने पैर को छू कर उसे हलाया और


आवाज भी द ... शा लनी शा लनी....उठो...

एक झटके से शा लनी बेड पर उठ कर बैठ गई और सामने मुझे दे खकर च क


गई,,, कुछ सेकंड बाद उसे अपने शरीर क अधन न अव था का आभास आ
और उसने पास म पड़ी ई चादर ख च कर अपने आप को सीने से ढक
लया,,,, और हकलाते ए बोली....

शा लनी- आप कब आये भाई ।

सागर- बस, अभी-अभी आया और तु हे जगाया ।

शा लनी- (उसक आवाज कांप रही थी) जी...जी आप इतनी ज द , आप तो


शाम को आनेवाले थे ।

(मन म सोचते ए क अगर म शाम को आता, तो तु हारे का तल न का


द दार कहां होता )

सागर- वो तु हे खुशखबरी दे नी थी, इस लए सारा काम छोड़कर म ज द आ


गया।

शा लनी- ( चादर से अपने को ढकते ए) खुशखबरी,,,, कैसी खुशखबरी।


सागर- मेरी यारी बहना... तु हारा एड मशन शहर के टाप के अ्वध गल
कालेज म हो जायेगा, आज ल ट जारी हो गई है और म दे ख भी आया ,ं
कल चलकर तु हारा एड मशन करा दगे और अगले वीक से लासेज़ शु ।।

शा लनी- वाऊ... थक यू भाईजी,,,, माम को बताया।

सागर- नह , अभी नह ।

शा लनी चादर लपेट कर ही बेड से उठ कर मेरे पास से होती ई पीछे कमरे


म चली गई और कपड़े पहन कर बाहर आई।

मने तब तक ना ता एक लेट म नकाल कर रख दया।। शा लनी से मने चाय


बनाने को कहा,,, और चाय ना ता करने के बाद..

शा लनी- भाईजी,, वारी।

सागर- कस लए

शा लनी- वो.. वो म इस तरह सो रही थी,,, और उसने नज़र नीची कर ली।

सागर- अरे, तो इसम या आ, म भी तो च बनयान म ही रहता ं और


यहां कौन आने वाला है मेरे सवा।

शा लनी- नह , मुझे ऐसे नह सोना चा हए था, लीज़, आप माम से मत कहना


सागर- अरे पागल,,, तुम फालतू म परेशान हो रही हो, मने पहले ही कहा था
क यहां जैसे मन हो वैसे रहो,,, घर के अंदर,,, हां बाहर नकलते ए थोड़ा
यान रखना बस। और तुम ऐसा करोगी तो हम लोग कैसे रहगे साथ म।

शा लनी- बट भाई, कसी को पता चला क म घर म ऐसे... 

सागर- ब चे, तुम य ऐसे सोच रही हो क बाहर कसी को पता चलेगा, अरे
इस गेट के अंदर क नया सफ हम दोन क है, कसी को कैसे पता चलेगा
क हम घर म या करते ह, कैसे रहते है। और तु हारे आने से पहले म तो घर
म यादातर बना कपड़ के ही रहता था,,, सो बी है पी एंड इं वाय योर
लाइफ।

शा लनी- जी, ठ क है।

सागर- और हां , तुमने सुबह से ा पहनी है ना,, तो कोई रैशज


े वगैरह तो नह
ए तु ह।

शा लनी- नह , ब कुल भी नही, इसका फै क अ छा है, क फ़टबल है... 

सागर- और या कया आज दन भर म,

शा लनी- आपके जाने के बाद मने साफ सफाई करने के बाद थोड़ी दे र ट वी
दे खी, फर खाना खाकर आराम कर रही थी... फर आप आ गये....

सागर- हां, साफ-सफाई तो अ छ ई है घर क भी और तु हारे जंगल क


भी...

शा लनी- मेरे जंगल क ???

सागर- अरे, म वो तु हारे अंडरआम वाले जंगल क बात कर रहा ं... और म


हंसने लगा ।

तभी शा लनी जोर से च लाई ... भाईईईईईई ,आप फर मेरे मज़े ले


रहे ह , लीज़....

सागर- अ छा ,चलो अब मजाक बंद,,,, अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है,
कुछ चा हए हो तो बोलो.. 

रात को आठ बजे म वापस आया तब तक शा लनी ने खाना बना लया था


और हमने कुछ दे र तक ट वी दे खी फर मने शा लनी से कहा, म नहा लूं फर
खाना खाते ह और म नहाने के लए बाथ म म आ गया। पछले दन से
लगातार शा लनी के से सी बदन को दे खने से सैकड़ बार मेरा ल ड खड़ा हो
चुका था, और इस समय भी मने जैसे ही अपनी बनयान और च उतार कर
पानी डाला, तो ल ड फर से खड़ा हो गया। मने सोचा क अब ह तमैथन ु
करने से ही आराम मलेगा , आज के पहले मने हजार बार मुठ मारी थी
अलग अलग भा भय , आं टय , फ म क हीरोइन को याद करते ए, आज
भी म पड़ोस वाली सुनीता भाभी को याद करके मुठ मारने लगा। पर पता
नह कब मेरी बंद आंख म शा लनी का चेहरा आया और म दोपहर म दे खे
नजारे को सोचते ए झड़ गया, 

झड़ने के बाद म ज द से नहाया और सफ टावेल लपेट कर बाहर आ गया ।


अंजाने म ही सही शा लनी के नाम ये मेरा पहला ह तमैथुन था ।

कमरे म आ कर मने सफ बरमूडा पहना बना अंडर वयर के और उपर


बनयान भी नह पहनी, बहाना गम का था पर मेरे दमाग म कुछ और
खुराफात चल रही थी।
सागर- शा लनी तुम भी नहा लो फर खाना खाते ह ।

शा लनी- जी, भाई म भी यही सोच रही थी, यहां शहर म गम कुछ यादा ही
होती है, खाना बनाने म पसीना पसीना हो जाता है पूरा। अगर कूलर ना हो
तब तो यहां रहना मु कल है।

सागर- हां, यहां गम थोड़ी यादा होती है गांव से,,,

और शा लनी पीछे कमरे म जाकर अपने कपड़े लेकर बाथ म म घुस गई।

थोड़ी दे र बाद कमरे म फर से मादा महक फैल गई, म लेटकर ट वी दे ख रहा


था, मने नज़र उठा कर दे खा तो शा लनी ने सरी ट -शट और न कर पहनी
ई थी और वह आईने के सामने अपने बाल संवार रही थी ।
या गजब ढा रही थी वो ....

हम लोग ने खाना खाया और फर मने शा लनी से कहा क अगर तुम बोर हो


गई हो दन भर घर म तो चलो थोड़ा सा बाहर वाक करके आते ह, शा लनी ने
मना कर दया बाहर जाने को,,,

आज मौसम म उमस और गम कुछ यादा ही थी, हम लोग बेड पर लेट कर


ट वी दे ख रहे थे, और सुबह शा लनी के एड मशन के बारे म बात कर रहे थे । 

शा लनी- भाई जी आज गम ब त है, ऐसा लग रहा है क न द नह आयेगी ।

सागर- हां,,,, है तो,,, और उपर से तुमने इतने कपड़े भी लाद रख ह ।

शा लनी- हां, बट हम लड़ कय को आप लोग जैसी लबट कहां,,,


सागर- य , कसने तु हारी लबट पे रोक लगा रखी है, कम से कम मने तो
नह ...

शा लनी- नह , मेरा वो मतलब नह था, बट म कपड़े नकाल कर भी तो नह


रह सकती,,,, आप क तरह

सागर- हां, नकाल कर नह रह सकती बट कम तो कर सकती हो,,, जब भी


यादा गम हो। तुम ऐसा करो क अपनी पुरानी वाली समीज और न कर
पहन लो, अंडरगामट टाइट होने से गम यादा ही लगती है , मने भी नह
पहने ह ।

शा लनी- नह नह भाई, मुझे ठ क नह लगेगा,,,, ऐसे म कभी रही नह ।

सागर- या ठ क नह लगेगा, तुम मेरे साथ भी क फ़टबल नह हो तो बाहर


कैसे नकलोगी अकेले माडन कपड़ म, 

मने उसे काफ समझाया तब उसने कहा क ठ क है म ाई करती ं, और वो


उठकर पीछे म म चली गई।

म लेटे लेटे अपने लान क कामयाबी पर खुश हो रहा था और अब मुझे


यक न हो रहा था क म शा लनी को धीरे धीरे अपनी लव इन गल ड बना
ही लूंगा बस मुझे थोड़ी हो शयारी से काम लेना होगा, अब तक मने शा लनी
को छु आ भी नह था ना ही मुझे इसक कोई ज द थी... इतने म शा लनी
आकर मेरे पास लेट गई। 

सागर- दै ट्स गुड,,,, अब कुछ गम कम लगेगी।


शा लनी- जी, 

वो अब भी मेरे तरफ दे ख नह रही थी, सीधे ट वी न पर ही नजर गड़ाए


थी।

उसक समीज सफेद रंग क थी और उसके उ त उरोज से कुछ नीचे उसक


ना भ के ऊपर तक थी, मने थोड़ा सा आंख घुमाकर दे खा तो उसके न पल
अलग से नुमायां हो रहे थे, मने तुरंत अपनी आंख हटाई य क मुझे लगा क
मेरा ल ड ने फर से जागने लगा है और नीचे मने च भी नह पहनी ई थी ।

म सोच रहा था क ज द से ज द शा लनी सो जाये, जससे म बना डर के


उसके शरीर को दे खूं, शायद छू भी लूं।

हम ऐसे ही बात करते ए ट वी आफ करके सो गए। 

म तो सोने का नाटक ही कर रहा था करीब एक घंटे तक मेरे मन म फर से...


खुद के सवाल और खुद के ही जवाब....

वासना तो कसी र ते को नही मानती, फर ये उधेड़बुन यूँ?

कह ऐसा तो नही जो चाहत ज म क यास ने शु क थी वो आ मा क


यास म बदल गयी है।

मेरे दलो दमाग म आँ धयाँ चल रही थी, मेरा ज म जैसे एक सूखे प े क


तरह फड़फडा रहा था. ये या हो रहा है, या ये समाज भाई बहन के यार
को इज़ाज़त दे गा अपनी ही बहन से यार करने के लए.
या ये यार कभी परवान चढ़ पाएगा. अगर ये यार ही है तो इसमे वासना
कहाँ से आ गयी। यूँ मेरा ज म शा लनी के ज म म समाने के लए बेताब
है. यूँ उसके ज म से भड़क ई यास को म उसी के बदन से बुझाने क
आस लगाए बैठा ं ।

कैसे बेशम क तरह अपनी बहन क लाज के टु कड़े टु कड़े कर रहा ं उसके
अध न न बदन को घूरते ए।

उफफफफफ फ़ ये या हो रहा है ये कस दलदल क ओर बढ़ रहा ँ म,

या माँ के व ास को उसके न ल ेम को वासना क ब ल चढ़ाना ठ क


होगा? या शा लनी कभी दल से उसके साथ ऐसा संबंध बनाएगी - नही....
या शा लनी कभी उसे एक मद के प म दे खेगी - शायद नही ।

तो फर यूँ ये गंदे ख़यालात मेरे मन से यूं नही जा रहे. इसी उधेड़बुन म म


यूँ ही जागता रहा ।

कमरे क लाइट जल रही थी और म सरी तरफ करवट बदल कर लेटा आ


था, अंत म जैसे ही मुझे लगा क शा लनी सो गयी है, बस एक झटके म ही
सारी नै तकता गायब हो गई और म शा लनी के एकदम करीब आकर उसे
सूघ
ं ने लगा, या मदहोश करने वाली महक आ रही थी उसके कामुक बदन
से,,, म उठकर बैठ गया और उसके यौवन को जीभर कर दे खने लगा । 

मेरा उसको समीज पहनाना अब काम म आ रहा था, अब तक मने शा लनी


के ध ा म कैद ए ही दे ख थे, 
अब समीज इतनी ढ ली थी क शायद नंगी चू चय के दशन हो जाए,
धीरे धीरे मने शा लनी क समीज को आधी चू चय तक उठा डाला ।

मने ब त को शश क उसक समीज को गदन तक उठाने क पर उसक पीठ


से दबी ई थी, मने धीरे धीरे उसक चू चय पर हाथ रखकर ह का सा दबाव
बनाया तो ऐसा लगा जैसे ई का नरम गोला हो, म डर भी रहा था क अगर
शा लनी जाग गई और अपने आप को इस हालत म दे खेगी, और कह मेरे
खड़े लौड़े को दे ख लया तो आज ही मेरे लौड़े लग जाने ह,।

करीब दो घंटे तक म जागता रहा और बना यादा छू ए शा लनी के बदन को


दे ख कर धीरे-धीरे अपने लौड़े को सहलाते सहलाते मुठ मार कर , वही पास
म पड़े कपड़े म अपना वीय प छ कर सो गया, मुठ मारने म आज जैसा आनंद
कभी नह आया था ।।

सुबह म जानबूझकर दे र तक लेटा रहा और शा लनी ने े श होकर चाय बनाई


और मुझे जगाया, मेरा ल ड अभी सुबह वाले रेगल ु र हाड कंडीशन म खड़ा
था, मुझे प का यक न था क शा लनी ने चाय पकड़ाते ए उसे दे खा ज र
था , म इतने से ही गनगना उठा, शा लनी ने ट -शट पहन ली थी, और हम
लोग बात करते ए कालेज जाने क तैयारी करने लगे ।

म म म कपड़े पहन रहा था और शा लनी पीछे कमरे म ।

करीब 5 मनट के बाद जब शा लनी बाहर नकल कर आई तो म उसे दे खता


रह गया, शा लनी ने जो कपड़े पहने ए थे उनमे मैने उसे पहली बार दे खा था,

उसने एक वाइट कलर क ट शट पहनी ई थी जो उसके बदन से बुरी तरह


चपक ई थी, और वो इतनी टाइट थी क उसक लैक ा क पूरी परेखा
मुझे दखाई दे रही थी, और उसमे उसके बू स काफ़ बड़े लग रहे थे, म तो
रात को उसके बू स को अधनंगा दे ख चुका था इस लए मुझे उनका असली
साइज़ पता था, वरना इस वाली ा मे उसके बू स दे ख कर म तो बेहोश ही हो
जाता ।

और नीचे उसने ज स पहनी ई थी, जो उसक जाँघो पर चपक थी, वो भी


काफ़ टाइट थी, और उसे पहन कर चलने मे उसे शायद ह क परेशानी हो
रही थी..साथ मे उसने हाइ हील के स डल पहने ए थे..

कुल मलाकर वो दे खने मे एक कड़क पटाखा माल लग रही थी, वो अगर मेरी
बहन ना भी होती तो इस व त म उसे दे ख कर मर मट ता..

मैने उसे दे ख कर ह क सी सीट मारी और वो शमा गयी,


शा लनी ने मुझे मु का दखाकर मारने का इशारा कया, जो मुझे ब त अ छा
लगा, हमारे बीच अब थोड़ी थोड़ी चुहलबाज़ी शु हो गई थी ।

उसके सीने का उभार दे ख कर मेरे दल क धडकन तेज़ हो गयी. ा म


चू चयां और बड़ी हो जाती ह, शा लनी बलकुल कसी हरोईन जैसी दख
रही थी. उसक चुची कसी पहाड़ी क चोट क मा फ़क खड़ी थी ।

मुझे लगा क शा लनी ने मुझे उसक चूच


ं ी को घूरते ये दे ख लया है. मै शरम
के मारे चुप रहा. और हम लोग बाइक से कालेज के लए नकल पड़े ।

रा ते मे बाईक पर जब मै ेक मारता तो शा लनी का सीना मेरी पीठ से


टकराता और मेरी पट मे त बू बन रहा था, मुझे महसूस हो रह था क शा लनी
भी शरारती ढ ग से मु कुरा रही थी.
"मुझे अ ही तरह से पकड कर रखो, कही गर ना जाना !" मैने कहा तो
शा लनी ने मुझे कमर से कस के पकड़ लया और उसका हाथ मेरे ल ड से
अ धक र नही था. उसक सांस मेरी गदन से टकरा रही थी. उ ेजना क
हालत मे हम कालेज प ंच गये. 

कालेज म आ कर हम लोग ने एड मशन क फाम लट ज पूरी क , और


लासेज़ शु होने के लए पता करके हम लोग कालेज घूमते रहे.. काफ
पैरट् स और कुछ लड़ कय के वाय े ड भी साथ म थे वहां पर, सभी लोग
अपने अपने काम म बजी थे, इस कालेज क खा सयत यह थी क यहां
अपर म डल लास फै मली क लड़ कयां यादा पढ़ती थी, शहर क सबसे
माडन लड़ कय म से कुछ एक यहां भी घूम रह थ , सी नयर लड़ कय म
कुछ ने ब त ही से सी कपड़े पहन रखे थे, कसी के ध दख रहे थे तो
कसी क लो वे ट ज स के ऊपर पट ... और कसी क ा नुमाइश कर रही
थी कपड़ के ऊपर से ...

लड़ कय का कालेज होने से खुलापन या कह नंगापन कुछ यादा ही था।

कुछ लड़ कयां नये एड मशन वाली भी गजब अंग दशन कर रह थ ... मुझे
लगा साला यहां तो एक से एक खूबसूरत आईटम ह और चंचल भी,,,, कह
शा लनी इन सब के च कर म ना आ जाए।। आज कल म सट का माहौल
दे ख ही रहा था, पहले लड़ कयां सफ यार करत थ और आज कल चुदाई
और शा पग ....

मने तो पहले से ही सोच लया था क मुझे शा लनी को वाय े ड के च कर


म पड़ने से पहले ही अपना हम ब तर बना लेना है, और अब म ये ज द
करना चाह रहा था ।
खैर,,, म और शा लनी लाई रे ी का काड बनवाने के बाद बाहर बड़े ाउंड म
आकर घास पर एक पेड़ क छांव म बैठ गये ।

सागर- तो तु हारे तो सारे काम हो गए, अब दस मनट आराम कर ल फर घर


चल । और कालेज कपस कैसा लगा।

शा लनी- ब त जबरद त... बस पढ़ाई भी ऐसी ही जबरद त हो... 


वह ब त ही ए साइटे ड थी 

सागर- हां, यहां पढ़ाई भी टाप लास है और बाक सब भी

शा लनी थोड़ा हंसने के बाद बोली हां वो तो दख रहा है।

सागर- हां, दख तो रहा ही है, यहां क लड़ कय का का फ डे स दे खा...


बो ड यूट ज...

शा लनी- बो ड भी और बेशम भी...

सागर- अरे, यहां मुझे तो कोई बेशम नही दखाई दे ता है...

शा लनी- वो सामने ही दे खए, वो लड़क क शम।

सागर- नह , वो या बेशम कर रही है, वो तो अपने साथ आए लड़के से बात


कर रही है।

शा लनी- नह ,मेरा वो मतलब नह है, आप वो.... वो उसके कपड़े दे खए


कतना ए सपोज हो रहा है।
सामने कुछ र पर जो लड़क खड़ी थी, उसने खुले क ध वाली ेस पहनी
थी जससे उसक लाल रंग क ा क प यां पूरी दखाई दे रही थी, और
अंदर से उसक लाल ा का शेप पूरी तरह से सफेद रंग के झीने टाप से
नुमायां हो रहा था, उसक चू चयां काफ़ बड़ी थी, नीचे उसने शाट ज स
पहनी थी जो उसके घुटन से कुछ ऊपर ही थी और उसके गोरे मांसल पैर
को दे खकर कसी का भी ल ड खड़ा हो जाता.... 

सागर- कम आन... यार इतना सब चलता है यहां सट म, कसी के पास


इतना टाइम नह है क वो ये सब दे ख... ब त बजी ह लोग और माडन भी ।

मने पहली बार शा लनी को यार कहकर बात क थी, और शायद उसे अ छा
ही लगा था

शा लनी- ओके .. ओके,भाई ...अब मुझे भी यह आना है , इ ह के साथ


पढ़ना है,,, 

सागर- हां भई, और एक तुम हो क घर के अंदर भी तु हे शम आती है वो भी


मेरे साथ, इन लड़ कय का का फ डे स दे खो,,,,

शा लनी- ऐसा कुछ नह है वो आप के साथ थोडा़ यान रखना ज री रहता


है, आ टरआल, यू आर माई ए डर दर, और मेरी तरफ से आपको कोई
परेशानी ना हो, बस .... वैसे म भी इस तरह के कपड़े पहनना पसंद क ं गी,
बट कालेज म नह , कोई पाट वगैरह हो तो....

सागर- कोई नह , जब तु हारे अंदर का फ डे स आ जायेगा तो तुम भी


पहनोगी कालेज हो या पाट ... इट् स आल अबाउट का फ डे स ।
शा लनी- ओके, दे खते ह, अब घर चल,या और कसी क बेशम दे खनी है...
हंसते ए

सागर- हां, चलो, आज के लए इतनी काफ है अब तो हर रोज तु ह जब


कालेज छोड़ने आऊंगा तो ऐसी बेशर मयां हर रोज दे खने को मलगी .. ही ही
हंसते ए ...

मुझे तुमको घर प ंचाकर काम पर भी जाना है,

कालेज क एक से एक जबरद त माल आईटम को दे खकर मेरा ल ड कई


बार हरकत म आया था और बाईक पर वापसी के समय शा लनी भी कुछ
यादा ही सटकर बैठ थी, मने कई बार उसक गुदाज चु चय को अपनी पीठ
पर महसूस कया, और बात करते ए हम घर आ गए । इस थोड़ी चुहलबाज़ी
से मुझे थोड़ी ह मत और बढ़ क शा लनी को ज द ही म लाइन पर ले
आऊंगा ।

शा लनी को घर छोड़ कर म अपना बैग लेकर घर से नकल लया, मन म


सारी पढ़ ई से स कहा नय के करदार नजर के सामने आ रहे थे, मेरी
समझ म नह आ रहा था क म शा लनी के साथ बातचीत म थोड़ा सा हो
पाया ं अब उसके शरीर के साथ अपने आप को कैसे क ं ,,, कालेज म
लड़ कय के नंगपे न ने मेरी कुछ मदद तो कर द थी, मगर इसके आगे या ??

शाम को सात बजे म वापस घर आया और आते ही मने कपड़े बदले और


नहाने लगा,,, नहाकर मने फर से बना अंडर वयर के बरमूडा पहन लया।।

शा लनी मेरे लए ना ता बनाकर ले आई और मेरे सामने रख दया और रखते


ए जब वो झुक तो मेरी गंद नज़र ने पहली बार, जान बूझकर, उसक ट -
शट के खु ले ए गले के अ दर क तरफ दे खा…

और जो मुझे दखा, उसके बाद तो मेरे लंड का बैठे रहना ार हो गया..


गला नीचे करने क वजह से उसके गले क गहरी घा टयाँ अंदर तक मुझे
दखाई दे गयी… दो पके ए मोटे तरबूज ठ क मेरी नज़र के सामने थे…

उनक कसावट का अंदाज़ा म थोड़ा थोड़ा ले ही चूका था, काली ा म कसे


ए ऐसे थे क वो हल भी नही रहे थे, एकदम कसी प थर क तरह जम कर
चपके ए थे वो उसक छाती से..

पर यहाँ मेरी गंद नज़र क चोरी पकड़ी गयी।

म उसके बू स को दे ख रहा था और वो मुझे

शा लनी- भाई कहां हो तुम, चाय ठं डी हो जायेगी ।

और एक का तलाना माइल दे कर वो अपनी गा ड मटकाती ई फर से


कचन मे चली गयी..

मेरा मुँह खु ला का खु ला रह गया, शा लनी ने कुछ नही कहा… एक तरह से


दे खा जाए तो मैने आज ही पहली बार शा लनी के ऑलमो ट नंगे बू स दे खे
उसक जानकारी म, और उसने मुझे दे खते ए पकड़ा भी और मु कुराइ भी..
यानी उसे इस बात मे मज़ा आ रहा है या ??

शा लनी ने आज वीशेप गले क ट -शट और न कर पहनी थी, इन कपड़ो मे


उसके शरीर का एक एक उभार खुल कर दखाई दे रहा था, म अभी लेटकर
ट वी दे खने लगा । शा लनी को खाना बनाने क तैयारी के लए बार बार मेरे
सामने से गुज़रना पड़ रहा था उसके मादक बदन और म त चाल को दे ख
दे ख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था और म अपनी बहन क म त जवानी का
नयन सुख ले रहा था मुझे पता ही नही चला क कब मेरे बरमूडा मे बड़ा सा
टट बन गया था तभी शा लनी मेरे पास आई और बोली-भाई खाना कब
खायगे ?

सागर- थोड़ी दे र म,, 

इतना कहकर शा लनी वहाँ से नही हट और एक टक मेरे बरमूडे मे बने त बू


को दे खने लगी मुझे समझ नही आया क वो ऐसे या दे ख रही है जब मैने
उसक नज़रो का पीछा कया और अपने त बू को दे खा तो झट से अपने हाथ
से अपने लंड को दबा दया और वो झट से बाहर बरामदे म चली गई ।

कुछ दे र बाद वो अंदर आई और

हम लोग ने खाना खाया और शा लनी ने साफ सफाई करने के बाद कहा,


भाई म नहाने जा रही ,ं ब त पसीना हो रहा है ऐसे तो न द नह आयेगी, म
लेटकर ट वी दे ख रहा था, कुछ दे र बाद शा लनी नहाकर कमरे म आई तो म
उसे दे खता ही रह गया, आज उसने बना कहे समीज और न कर पहन ली
थी, ा तो प का नह पहनी थी और शायद पट भी नह ।

शा लनी मेरे सामने खड़ी हो कर अपने हाथ उपर करके बाल संवार रही थी
जससे उसक चू चयां काफ़ बड़ी लग रही थ , मेरे लौड़े म फर से तनाव
आने लगा, फर वो पानी क बोतल सर के पास रख कर मेरे बगल म लेट गई,
हम ट वी दे ख रहे थे, तभी ट वी म मडर फ म का गाना आ गया... कभी मेरे
साथ कोई रात गुजार...
गाना ख म होते होते मेरा ल ड पूरी तरह से खड़ा हो गया जो शायद शा लनी
भी दे ख रही थी, बट मने उसे छु पाने क को शश नह क ... सोचो सामने
न पर म लका शेरावत और बगल म कुछ इंच क री पर एक अधनंगी
लड़क ....

मने माहौल को थोड़ा ह का करने क को शश क

सागर- शा लनी , अगले वीक से तु हारे लासेज़ शु हो जायगे, कल शाम


को चलकर तु हारी बु स वगैरह ले ल और कुछ कपड़े भी... 

शा लनी- जी भाई, 

सागर- ओके, गुडनाईट, अब सोते ह...

न द तो मेरी आंख से गायब थी, मुझे इंतज़ार शा लनी के सोने का था...


करीब एक घंटे बाद मने अपना कल वाला काय म फर शु कया...
शा लनी के बदन को सूंघने से ही मेरा ल ड खड़ा हो गया और मने धीरे से
उसक समीज उपर उठाई और हौले हौले से उसक चू चयां सहलाने लगा मने
चू चय को दबाया नह य क अगर दबाव यादा आ तो शा लनी कह
जाग ना जाए ।

म उसके पेट पर हाथ रख कर उसक ना भ म उंगली डाल कर धीरे धीरे


सहलाता रहा मने थोड़ी ह मत करके आज उसक न कर को आराम से
थोड़ा नीचे सरका दया.... ये सारा काम करते करते ए घंटे भर हो चुका था।

मने जब दे खा न कर और नीचे नह हो रही है तो मैने धीरे से अपना हाथ


उसके अंदर कर दया... उसने पट नह पहनी थी, और या बताऊं वो
एहसास..... ये मेरी लाइफ का पहला टाइम था कसी क चूत को छू ने का...
ब कुल चकनी और मखमली... न कर म इला टक बड होने से ब त
यादा परेशानी नह ई हाथ को उसक अनछु ई बुर को सहलाने म... म
शा लनी क बुर को दे ख नह पा रहा था मगर अंदर क गम को पूरा महसूस
कर रहा था,,, मने ब त सावधानी से अपना दा हना हाथ उसक बुर के उपर
रखा और बाय हाथ से अपने लौड़े को सहलाने लगा,, तभी शा लनी ने ह क
सी करवट बदलने क को शश क , मने झट से अपना हाथ बाहर नकाल
लया और कुछ दे र इंतजार करने के बाद मने यादा को शश नह क फर से
हाथ अंदर डालने क ,,,, 

मेरे लौड़े म अब दद हो रहा था जो बना मुठ मारे ठ क नह होने वाला था,, म


धीरे से उठकर बाहर बरामदे म आ गया और वहां शा लनी ने नहाने के बाद
अपनी ा और पट सूखने के लए फैलाई थी, उसक ा को हाथ म लेकर
उसे चूसने चाटने लगा और अपने लौड़े पर रगड़ रगड़ कर उसी म अपना वीय
नकाल दया और उसे फर से सूखने के लए टांग दया।

मुठ मारने के बाद सारा जोश ठं डा हो जाता है और वही मेरे साथ भी


आ,एक बार मैने सोचा क ा को धोकर डाल ं , पर कुछ सोच कर मने उसे
ऐसे ही रहने दया और कमरे म लेट ई अ सरा के साथ लेट गया, सोने से
पहले उसके पेट पर आज हाथ रखकर, म सोने लगा, म अभी भी शा लनी के
बदन से चपका नह था, सफ उसके खुले पेट पर हाथ रखकर सो गया।

मुझे इस सब म मजा तो आ रहा था मगर म चाहता था क जो काम म चोरी


से करता ं, वो खुलकर कर सकूं.... जाने वो दन कब आएगा जब शा लनी
कहेगी.... लो भाई पी लो मेरे ध जीभर कर.... चूस लो इनका सारा रस...
इ ही क पना म मुझे न द आ गई ।
अगले दन सुबह मेरी न द फर शा लनी से पहले खुल गई पर मने फर से
अपना हाथ उसके गोरे पेट पर रख दया और सोने क ए टं ग करने लगा, म
शा लनी का रये सन दे खना चाहता था,,, 

म आंख बंद करके लेटा रहा और काफ दे र तक इंतजार करने के बाद


शा लनी के बदन म हरकत ई,वो थोड़ा सा ऊपर क ओर खसक लेटे ही
लेटे... उसने अब तक मेरा हाथ नह हटाया था अपने पेट से.... करीब पांच
मनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद शा लनी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और
उसे ह का सा सहलाते ए धीरे से हटा दया और वो बेड से उठ कर बाथ म
म चली गई ।

म वैसे ही लेटा रहा, शा लनी ने े श होकर चाय बनाई और मुझे जगाया... 

शा लनी- उठो भाई, योर बेड ट इज रेडी ।

म अंगड़ाई लेते ए उठा और उसे गुड मॉ नग बोलकर चाय का कप हाथ म


पकड़ा,,, मेरे बरमूडे म फर से मा नग हाडआन क वजह से त बू बना आ
था, मगर अब मने उसे छु पाने क को शश नह क , शा लनी भी मेरे साथ बेड
पर बैठ कर चाय पी रही थी और उसने समीज नकाल कर ट शट पहन ली
थी,।

और वो काफ खुश लग रही थी मतलब उसे मेरा उसके पेट पर हाथ रखकर
सोना बुरा नह लगा था,,, 

सुबह सुबह बना ा के शा लनी के उछलते ए ध दे खकर अपने आप को


रोक पाना ब त मु कल काम था...
खैर, डेली ट न के काम करते ए म ना ता करके अपने काम पर नकल
लया और शा लनी से शाम को शा पग मॉल चलने को कहकर उसे रेडी रहने
को बोल दया!

दन म मने कई बार उसको वी डयो काल करी, म ज द घर आना चा हए रहा


था ।

म शाम को वापस आया और आज म ये सोच कर शा पग मॉल जाने के लए


नकला था क शा लनी के साथ बातचीत म और होने क को शश
क ं गा।

म और शा लनी शाम पांच बजे शॉ पग के लए अपनी बाईक से नकल आये


। मने नो टस कया क शा लनी ने घर से नकलते समय बाईक पर मुझसे री
बनाई थी और थोड़ी र नकल कर वो बात करने के बहाने मेरी पीठ से
चपक कर बैठ गई । इस दोहरे च र को दे ख मुझे ब त अ छा लगा, ऐसा
लगा जैसे शा लनी को घर पे मुझे अपना बदन दखाने म कोई ॉ लम नह
होती है या शायद उसे मुझे अपना बदन दखाना अ छा लगने लगा है। वह
घर से नकलते समय बाहर वो एक साधारण सीधी लड़क क तरह सादगी
से रहती है।

हम लोग पहले एक बुक टोर पर गए और शा लनी क कुछ बु स लेकर आगे


क शा पग के लए नकले ।

शा लनी बाईक क सीट पे बैठे ए ही मने अपनी बाईक एक मॉल के तरफ


मोड़ लया। म गाडी पा कग म लगा के शा लनी को आगे आगे चलने को बोल
कर फॉलो करने लगा। शा लनी ने अपने बदन को ज स और ट -शट म ढक
तो लया था ले कन वो अपने से सी फगर को नह छु पा पा रही थी और
ज स म उसके बड़े- बड़े ह स क सी को भी पागल बना सकते थे।

मॉल म हर उ के काफ लोग एक बार मुड़ के मेरी बहन क मटकती गांड


को ज र दे खते। 

सबसे पहले शा लनी ने एक शाप म ा और पट लेने प चे। मेरी चारो तरफ


लेडीज के अंडरगारमट लटके थे मेरे अलावा वहां सभी लड़ कयां शॉ पग कर
रही थी। 

शा लनी का कां फडस इस बार दे खने वाला था वो टहल टहल कर कलरफुल


ा और पट सच करने लगी मने भी हे प करना चाहा तो शा लनी ने मुझे ३४
साइज ढूं ढने के लए बोला। म २-३ ा उठा कर शा लनी क तरफ बढ़ाया। 

शा लनी - ओह ... वाव.. ये ा तो अ छ लग रही ह ले कन ये ३४बी है ।

मै - ३४बी, बट तुमने ३४ ही तो बोला था।

शा लनी - हाँ ले कन मुझे कप साइज डी च हये।

म - तो या ३४बी छोटा साइज है ?

शा लनी - (अपने हाथो को अपने बू स के तरफ दखाते ए।) साइज सेम है


ले कन ३४डी का कप बड़ा होता है ।

मै - (शा लनी के बू स को घूरते ये) ओके म और दे खता ं ।


मने एक लाल रंग का सेट पसंद कया जो पो का डाट् स वाला था, एक और
पपल कलर का, दो शा लनी ने पसंद कया उनम से एक पैड वाली ा कन
कलर क भी थी। चार सेट ा पट लेने के बाद मने और शा लनी ने ज स ट -
शट हम दोन के खरीदे दो दो सेट। 

शा लनी क आज क शा पग को दे खकर कोई यह नह कह सकता था क


हम दोन बॉय ड और गल ड नह ह ।

मेरे लाख कहने पर भी उसने कसी भी कपड़े का ायल नह कया । हम


दोन को आज क शॉ पग म ब त मजा आया था पछली बार क शॉ पग म
शा लनी शमा रही थी इस बार सबसे पहले अपने लए ा और पट खरीद वो
भी मुझे दखा दखाकर अलग अलग डजाइन डफरट फै क क ।

शा लनी ने अपने लए कुछ टॉल और ट शट के ऊपर पहनने वाले फुल लथ


अपरन जैसी ह क ट -शट ली, । 

शा लनी- भाई जी आपके लए तो अंडर गारमट लए ही नह मने कहा था क


अब से जो भी शा पग होगी दोन क होगी।

म- अरे रहने को मेरे पास वैसे भी ब त है।

शा लनी- हां हां, आपको कोई ज रत ही नह , आप तो वैसे भी बना


अंडरगामट यादा अ छा फ ल करते ह... और वो ह के से मु कुराई...

म - हां वो तो है या तु ह अ छा फ ल नह होता बना ा पट के ।

शा लनी- कभी-कभी ।
रात के 10: 00 बजे थे हम दोन को अब घर वापस आना था।
हमने रा ते म ही एक रे टोरट म खाना खा लया, रे टोरट से नकल कर
बाहर..

शा लनी- भाई जी, एक मो ट इ पाटटेे ट चीज़ तो लेना म भूल ही गई।

म- या, अभी तो माकट लोज़ हो रही ह ।

शा लनी- वो ... भाई मेरे पी रयड शायद कल से शु हो जायगे, तो वो पैड


लेना है और कोई पेन कलर भी, मुझे पेट म दद कुछ यादा होता है ।

मने आसपास नजर दौड़ाई तो दे खा क एक मे डकल टोर खुला था, वहां से


जाकर मने पैड लए तब तक शा लनी रे टोरट के बाहर वेट करती रही।,
हमारे पास काफ सारे बैग हो गये थे ।
हम 11: 00 बजे घर आ गए । घर आकर म तुरंत अपने बना अंडर वयर के
बरमूडे मे आ गया और लेटकर ट वी आन कर ली, शा लनी सारे बैग लेकर
पीछे कमरे म चली गई।

शा लनी - भाई जी।। भाईजी

मै - या आ ?

शा लनी पीछे अपने कमरे मअपने नए कपडे ाई करना चाहती थी।।

शा लनी ने पीछे कमरे से मुझे आवाज द तो मने पूछा या आ तो उसने


कहा भाई म अपने कपड़ो क फ टग चेक कर रही ं, आप भी अपनी ज स
चेक कर ली जए, बट मने कहा म सुबह चेक कर लूंगा, तुम ाई कर लो....
और पहन कर बाहर आओ ... म हसीन नजारे को दे खने क तम ा लए
लेटकर ट वी दे खता रहा.....

थोड़ी दे र म शा लनी ीन कलर क ट शट और डाक ाउन कलर क ज स


पट पहने मेरे सामने खड़ी थी। वह ब त ही यादा हॉट लग रही थी। उसके
बाल पूरे खुले ये थे।

शा लनी - भाईजी, ये पट तो ब त टाइट है, मने कमर के साइज २८ दे ख के


लया था। ले कन ये यहाँ मेरी थाईज पे ब त टाइट है।

मै - (टाइट पट म शा लनी क जांघ कसी-कसी थी और उसक बुर का उभार


भी साफ़ नज़र आ रहा था) हाँ , ये थोड़ी तो टाइट है। ले कन इसम तुम अ छ
दख रही हो ।

(मने मु कराते ए कहा और उठकर बैठ गया)

शा लनी -भाई,वो .... वो... मने ये पट बना पै ट के पहनी है फर भी ये इतनी


टाइट है, तो पै ट पहनने के बाद और टाइट हो जाएगी।

( बना पै ट के ?? शा लनी क े बात सुनते हीे मने अपनी नज़र उसक बुर
वाले ह से पे गड़ा ली। ओह ....... शा लनी क बुर मुझसे बस कुछ इंच क
री पर थी । मेरा लंड खड़ा होने लगा)

शा लनी - (थोड़ा उदास होते ये) मुझे सारे कपडे ाई कर के लेने चा हए थे।

मै - कोई बात नह मेरी वीट बहना, ये अभी ह का सा ढ ली होयेगी पहनने


पर, इसका फै क ऐसा ही है और नह तो चज करके सरी ले लगे। तुम
बाक के कपड़े भी ाई कर के दे ख लो,,,, ा और पै ट भी ... कह वो भी तो
छोट नह है ?

मने मौका दे ख कर चौका मारा....

शा लनी - ठ क है भाई जी आप यह बेड पे बै ठये म बाक के कपड़े भी ाई


करती ँ।

मै बेड पे बैठ गया, और शा लनी पीछे मुड़ कर कमरे म जाकर कपड़े उतारने
लगी । आज के पहले वो हमेशा दरवाजा ढलका करके कपड़े बदलती थी
और मने कभी उसे चोरी से दे खा भी नह था, कपड़े बदलते ए, म ह का सा
बेड से उतर कर पीछे कमरे क तरफ दे खा तो खुले दरवाजे से उसक नंगी
गोरी चकनी पीठ मेरे सामने थी ।

शा लनी शा पग बैग से उसक रेड ा नकाल के पहन रही थी, शा लनी अपने
हाथ पीछे करके ा का क लगा रही थी, उसक गोरी पीठ पर लाल ा क
सफ एक प ,,,,अ ह 

म सोचने लगा क शा लनी के सामने से बू स अभी कैसे दख रहे ह गे। म


दवार के तरफ पलो लगा कर बैठ गया और वहां से शा लनी को ऐसे
अधनंगा दे ख मेरा लंड रगड़ने का मन करने लगा और म अपना हाथ बरमूडे
म डालकर लंड को मसलने लगा।

शा लनी ने बना मेरी तरफ मुड़े अपनी ा पहन ली,मेरा एक हाथ अभी भी
लंड को मसल रहा था। शा लनी ने एक टॉवल लपेटकर अपनी पैट उतार कर
बेड पे फक द और पैर उठा के पट पहनने लगी। म तेजी से मुठ मार रहा
था। उसने पैट और ा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गरा दया और मेरी
तरफ मुड़ गई। 

मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहन अपने भरे-भरे बदन को
सफ एक रेड कलर के ा और पै ट म ढके मेरे सामने कुछ र खड़ी थी,
शा लनी ने कई बार अपनी बाडी को इधर उधर करके अपने आप को
एडज ट कया और फर वो मेरी तरफ बढ़ ..... सफ लाल पो का डॉट् स ा
और लाल रंग क पट म.... क़यामत लग रही थी वो .....

मैने अपना हाथ लो कर दया ता क शा लनी को पता न चले के म मुठ मार


रहा ं।

शा लनी - (मेरे एकदम करीब आकर) कैसी लग रही ँ भाईजी, इसक


फ टग तो ठ क है।

म - (मेरी साँसे तेज़ थी) ब त अ छ लग रही हो बहना,,,,, लाल कलर के ा


पै ट म ब त गोरी लग रही हो.... और और.... से सी भी... मने एक झटके
म बोल दया ।

शा लनी - (हँसते वे ) स ची भाई, ,,, मुझे भी इसका कलर ब त पसंद है।

मेरे सामने ही अपने ा को छू ते ये बोली....

शा लनी - भाई जी, इस ा क वा लट कतनी अ छ है ना ? वैसे भी ये


आपक पसंद क ई है ।

मै- (म ह मत करके शा लनी के पास आया और अपने हाथ उसके काँधे के


पास ा को ह का सा छू ते ए बोला-- हाँ इसका फै क तो ब त अ छा है
और फ टग भी,,,,

मने धीरे से अपना हाथ नीचे कया और साइड से शा लनी क े ा के थोड़ा सा


अंदर हाथ ड़ालते ये ा के कपड़े को छू ने लगा। मेरी उंग लय ने शा लनी क
जानकारी म पहली बार उसक नंगी बू स को महसूस कया था ।

मने हाथ को ज द से वहां से हटा लया य क म शा लनी को शक म नह


आने दे ना चाह रहा था , इस सब के दौरान मेरा ल ड इस तरह खड़ा था क म
अगर शा लनी को सट जाता तो प का वो मेरे औजार को महसूस कर लेती,,,,

मुझे लगा क आज मेरी लाटरी लग रही है पहली बार मैने शा लनी को छु आ


और वो भी सीधे उसके अपर े ट को,,,,, 

शा लनी फर से अपनी मदमाती गांड़ को लहराते ए कमरे म जाकर सरी


ज स ट -शट पहनकर बाहर आई.... 

मेरा लौड़ा बद तूर खड़ा था और म उसे छु पाने के बजाय अब और दखाना


चाहता था क दे ख मेरी से सी बहना, तुझे दे खकर कैसे तेरे भाई का ल ड
बेकाबू हो रहा है ।

शा लनी ने मुझसे पूछा- ये कैसी है ?

म- ब त ही शानदार, इस ज स क फ टग तो तु हारी थाईज पर भी ठ क आ


रही है..... और ये कहकर मने उसक गुदाज और मांसल दा हनी जांघ को छू
लया, जैसे म उसका फै क दे ख रहा होऊं ।
शा लनी- थक गॉड.... ये फट है... ... थक यू दर फार शा पग... यू आर ट

और ये कहकर वो पीछे कमरे म चली गई।

मुझे लगा क वो और ा पट पहन कर आने वाली है पर उसने अंदर जाकर


कपड़े उतारने के बाद समीज और न कर पहनी फर मेरे सामने से नकलते
ए वो सीधे बाथ म म घुस गई । 

मने अपने दल को समझाया क बेटा.... कहते ह ना क स का फल मीठा


होता है... और थोड़ा थोड़ा ही मीठा खाओ, नह तो डाय बट ज होने का
खतरा रहता है.... मतलब आज ही सारा मजा लेने के च कर म कह काम ना
बगड़ जाए ।

खैर, रात काफ हो चुक थी अब तक मेरा ल ड भी कुछ शांत हो गया था क


शा लनी आकर बेड पर बैठ गई ।

म भी उठकर बाथ म म आया और ह तमैथन ु करने के लए ल ड हाथ म


लया, फर कुछ सोचकर बना मुठ मारे म टायलेट करके शा लनी के बगल म
लेट गया और हमने एक सरे को गुडनाईट बोला ....

कुछ दे र बाद मने शा लनी को आवाज द ... शा लनी..... शा लनी

वो भी अभी जाग रही थी और मेरी तरफ दे ख कर बोली - जी...

म- एक बात पूछूं ?

शा लनी- एक या .... कतनी भी पू छए।


म- वो तु हे ा के कप साइज और पैड वाली ा, इस सबके बारे म कैसे पता
चला ।

शा लनी- सपल भाई जी, गूगल बाबा से आप कुछ भी पूछो , उनके पास हर
चीज का जवाब है,,,, वो ा के बारे म भी मने गूगल से ही डटे ल जाना ।

म- ओहो... और या या सी े ट जाने ह गूगल से ।

शा लनी- और या,,,, मतलब मने ा डजाइन सच कए फर सारी डटे स


मल गई ।

म- अ छा,,,, और बाक कपड़े भी कर ाई कर लेना... सुबह

शा लनी- जी, 
और ये कहकर उसने करवट ली और अब हमारे चेहरे आमने-सामने थे कुछ
इंच क री पर, फर उसने आंख बंद कर ली और म समीज के गले से बाहर
नकल आई उसक चू चय को दे खता रहा, उसक सांस क महक सीधे मेरी
सांस म समा रही थी....

कुछ दे र बाद मुझे भी न द आ गई और आज क रात म उसके शरीर से बना


खेले ही सो गया ।

सुबह म जब जगा तो शा लनी सो रही थी, मने दे खा क उसक समीज थोड़ा


ऊपर हो गई थी जससे नीचे क तरफ से उसक दा हनी चूच ं ी दख रही थी
मने ये मौका हाथ से जाने नह दया और धीरे से अपना हाथ उसके मखमली
पेट पर रख कर ऊंगली थोड़ा सा उसक चू चय तक प ंचाकर सोने क
ए टं ग करके लेटा रहा,,,,, 
ऐसा करते ही मेरा लौड़ा जबरद त तरीके से खड़ा हो गया पर अब मेरी
ह मत बढ़ चुक थी,,,, 

काफ दे र बाद शा लनी उठ और मेरे हाथ को साइड म करके बाथ म म


घुस गई,,,, 

अब मने भी अपनी आंख खोली, मेरा दल और ल ड दोन ब लय उछलने


लगा, य क अब मुझे यक न हो गया था क ज द ही म अपना हाथ
शा लनी क जानकारी म उसक चू चय तक प ंचा लूंगा, दबा लूंगा ।

बाथ म के दरवाजे के खुलने क आवाज़ के साथ मने फर से आंख बंद कर


ली और सीधे होकर लेटा रहा, इस तरह लेटने से मेरा ल ड सीधा छत क ओर
नशाना साधे ए था ।

शा लनी कमरे म आई और मुझे बंद आंख से ऐसा लगा जैसे वो मेरे लौड़े को
ही दे ख रही हो, और ये सोच कर ही मेरे लौड़े ने ह का सा झटका खाया, ये
शायद कुछ यादा ही हो गया था । शा लनी के कचन म जाकर चाय बनाने
क आवाज़ आई ।

कुछ मनट बाद वो आई और

भाई जी,,,, भाई,, उ ठए,,, योर बेड ट इज वे टग .... 

और मने अपने लौड़े के उभार को उसक ओर दे खते ए एडज ट करने क


को शश करते ए उसे गुडमा नग बोल कर चाय अपने हाथ म ले ली।
मेरी चाय पकड़ाकर शा लनी अपनी चाय भी कचन से ले आयी और सामने
कुस पर बैठ कर चाय पीने लगी, म बेड पर ही बैठा था,,,,, आज मने गौर
कया तो रोज क तरह उसने समीज उतार कर ट शट नह पहनी थी, वो अब
भी समीज म ही थी, मुझे ये दे खकर और अ छा लगा.... मतलब अब शा लनी
भी मेरे साथ क फरटे बल है , कम कपड़ म या या... आने वाले दन म बना
कपड़ के.... सोच कर ही म मन ही मन म मु कुरा उठा ।

रोज क तरह म डेली ट न के काम करते ए, शा लनी के मदम त यौवन


को दे खते ए, और नहाने के समय मुठ मार कर, तैयार हो कर ना ता करके
आ फस के लए नकल लया, एक नये दन और नई उमंग के साथ..... 

दन म मने हमेशा क तरह उसे कई बार वी डयो काल क , और उसने मुझे


बताया क उसने सारे कपड़े चेक कर लए ह, साइज और फ टग ठ क है। तो
मने कहा मुझे या पता क फ टग ठ क है क नह ...तो उसने कहा आप
खुद दे ख ली जएगा आकर, म कह जा नह रही ं,,,, और हंसते ए उसने
बाय बोल कर फोन कट कर दया ।

दोपहर तीन बजे शा लनी क काल आई और उसने मुझसे पूछा ...

शा लनी- हेलो भाईजी, वो पेन कलर टै बलेट कहां रखी है आपने ?

सागर- य , या आ मेरी वीट ....?

शा लनी- जी... जी, , वो मेरा पी रयड शु हो गया है और मुझे दद हो रहा है।

सागर- ओह,,,, वो मेरी बु स क साइड म जो ड बा है उसी म है,दे खो...


शा लनी- जी, मल गई,

सागर- यादा पेन हो रहा हो तो म आ जाऊं और हम कसी डॉ टर के पास


चलते ह।

शा लनी- नह ,,, नह , भाई जी, ये टशन तो हर महीने क है, शु के दो दन


पेन रहता है बट पेन कलर से आराम मल जाता है, आप अपना काम करने
के बाद ही आना.... आई एम फाइन भाई... डो ट वरी .... ।

सागर- ओके बेटा,,,, अपना याल रखना म ज द ही आ जाऊंगा।।

रात क म ती भरी मा लश करने के बाद मुझे जबरद त न द आयी थी और म


सुबह दे र तक सोता रहा, शा लनी उठ गई थी और बाथ म म थी, म लेटकर
मोबाइल म गेम खेलता रहा तभी शा लनी नहाकर कमरे म आई और उसक
मादक खुशबू से कमरा महक उठा । 

म- गुडमा नग वीट ... आज इतनी सुबह सुबह रेडी...

शा लनी- गुडमा नग भाई,,, वो पैड चज करना था इस लए साथ म ही नहा


लया,,, वो बाल बनाते ए बोली

म- ओह.... या यादा ली डग हो गई,,,, अब दद तो नह हो रहा है??

शा लनी- हां, फ ट डे ही यादा ली डग भी होती है और दद भी, अब ठ क


है... बट आपने मेरी ब त हे प क ..... थ स ो... लव यू... वो चहकते ए
बोली
सागर- अरे.. कोई नई,, म नह क ं गा तो कौन करेगा, माम नह ह तो म तो ं
ना....,,, लव यू टू वीट ... 

ये बोल कर म बेड से उतरा और शा लनी के सेब जैसीे ला लमा लए गाल पर


एक ह का सा यार वाला चु बन ले लया और बाथ म म घुस गया ।

ऐसी ही चुहलबा ज़य म दन नकल रहे थे, अब म खुलकर शा लनी को


ह का फु का टच कर लेता था और रात को सोते समय म रोज उसक
समीज म हाथ डालकर सोने लगा , उसक चू चय को सहलाते रहा,,,
खुलकर मा लश करने का फर से मौका नह मला । म घर म चलते उठते
बैठते ए उसक जवानी का द दार करता रहा।।

आज शा लनी का पी रयड ख म हो गया था और कल संडे था, तो हमने


आज क रात म ट ले स म मूवी दे खने का ो ाम बनाया और रात के शो
के लए घर से नकल लए , 

आज काफ दन बाद उसने सलवार सूट पहना आ था और हां, जबसे


उसने ा पहननी शु क थी, तबसे तो पहली बार म उसे सलवार सूट म दे ख
रहा था,,,, मानो ना मानो मगर ा पहनने के बाद लड़ कय क चूं चयां और
बड़ी और से सी दखने लगती ह,,, शा लनी क म त बड़ी बड़ी चू चयां और
भी बड़ी लग रही थी.... 

मने शा लनी से घर से नकलते ए बोला - गुड लु कग बेबी.... 

(बोलना तो म चाहता था क गुड लु कग से सी बेबी.... ले कन बोल नह


पाया)
घर से कुछ र नकलते ही शा लनी ने बात करने के बहाने अपनी गुदाज
चु चय को मेरी पीठ पर लगा दया और म उनक गरमी को महसूस करते ए
म ट ले स प च ं गया,,।

मने शा लनी को साइड म रोककर जानबूझकर दो ह ते पुरानी पूनम पांडे क


नशा मूवी का टकट ले लया और काउंटर वाले से र वे ट करके कानर क
ही सीट ले ली ,,, 

टकट वाला- अरे कह भी बैठ जाईयेगा, पूरा हाल ही खाली है... और


मु कराते ए टकट दे दया ।

शा लनी क आज फ ट मूवी थी म ट ले स म मेरे साथ.... अब तक हम


दोन एक सरे से काफ हद तक खुल चुके थे और मुझे पता था क पूनम
पांडे क मूवी म या होगा.... 

अंदर अभी लाइट जल रही थी और हमारा टकट ला ट क रो म कानर म था ,


हम दोन जाकर अपनी सीट पर बैठ गए और आस पास दे खा तो पूरे हाल म
गनती के लोग थे, पता नह कैसे शो चल रहा था। हमारी लाइन म सरे कोने
पर एक नया शाद शुदा जोड़ा बैठा था , लाल लाल लंहगा चुनरी म नई नवेली
हन फुल टं च माल लग रही थी,, और हमारे आगे भी एक कपल ही बैठे थे,,,
इसी तरह र र ही लोग बैठे ए थे ।

कुछ दे र म मूवी शु हो गई और लाईट आफ हो गई ।

म- मूवी म भीड़ ब कुल भी नह है।

शा लनी- हां,,,, बट मूवी तो ठ क ठाक लग रही है,,, 


म- मूवी र ू तो अ छे थे, आगे दे ख कैसी है,,,

कुछ मनट तक तो ठ क था पर फर पूनम पांडे के एक से एक बढ़कर से सी


सीन शु हो गये और शा लनी बड़े गौर से दे खने लगी और म मूवी के साथ
साथ शा लनी और आगे वाले जोड़े पर भी नजर रखे ए था,, ये मूवी मेरी
उ मीद से भी यादा नंगप
े न वाली सा बत हो रही थी,,, और मुझे गरम कर
रही थी,,, 

इस मूवी क कहानी म एक कम उ के लड़के का अपनी ट चर के त


आकषण, और वासनामय चाहत क कहानी बन रही थी धीरे धीरे और तभी
मेरे आगे बैठे ए जोड़े म से लड़क उठकर लड़के क गोद म बैठ गई और
दोन ने जबरद त तरीके से चूमा चाट शु कर द ... ऊं आआ आह ... छोड़
ना

म- (धीरे से शा लनी के गाल से एकदम सटते ए) असली मूवी हमारे आगे


चल रही है,,, दे ख,,,
और वो ह का सा उठकर थोड़ा और दे खती है,,, दे ख तो उसने भी लया होगा
पहले ही

शा लनी- (मेरे कान म फुसफुसाते ए) ं... दोन मूवी ठ क चल रही ह.. ही


ही ही ....

अब हम दोन बराबर उस जोड़े पर भी नजर रखे ए थे। कुछ दे र क सग


करने के बाद अचानक लड़क उस लड़के क गोद से उठ और अपनी सीट
पर बैठते ही कुछ तेज से बोली - भाई ईईईई ... या है,,, धीरे नह दबा
सकते,,, 
लड़का- वारी द ,,,, वो मूवी इतनी हाट है क म या क ं , कं ोल नह होता,,
लीज़ द आओ ना

लड़क - नह ,, कं ोल करो,,, अब कुछ नह करने ं गी,,,

लड़का- अ छा मेरी यारी द ,,,, आप अपनी सीट पर ही रहो बट कम से कम


बु बू तो सहलाने दो,,, लीज़... द ...कम आन

लड़क - अब यहां नह , घर पर दबा लेना और बु बू पी भी लेना... 

लड़का- द , आप घर पर बोलोगी ,म मी आ जायगी,,,, पापा को पता चल


जाएगा,,, और आप घर पर कुछ करने नह दोगी
लड़क - अ छा मेरे यारे राजा भाई ा मस... तू रात को मेरे म म आ
जाना,,,, अब खुश,,, शां त से मूवी दे ख... । 

लड़का - ओह माय लव .. कतने दन से बु बू नह पलाया है आपने याद


है...

लड़क - अब यादा सट मत हो ... पागल आज सुबह ही तूने कचन म पया


था और कस भी कया ... तेरा तो पेट ही नह भरता है मेरे भाई ...

लड़का - ( अपनी सीट से थोड़ा उठकर लड़क को गले लगा कर कस करने


लगा और लड़क ने उसे कुछ मनट बाद हटा दया ) थ स द ,,, लव यू सो
मच माई से सी द ..., , यू आर बे ट द ...।

और कुछ दे र तक वो शां त से मूवी दे खते रहे ।


म और शा लनी दोन उनक बात थोड़ा आगे होकर सुन रहे थे,,, वो दोनो तो
ऐसे हो कर बात और चु मा चाट कर रहे थे जैसे उ ह हम दोन के अपने
पीछे होने का पता ही नह हो ,, गजब ह मत वाले थे दोन भाई-बहन ,,,,
अब हमारा यान मूवी म कम और उन दोन पर यादा था.. हम दोन एक
सरे के साथ कान के ह से से सटे ए थे और मेरा एक हाथ शा लनी के कंधे
पर था । मूवी क लाइट म बार बार म शा लनी के चेहरे को दे ख रहा था और
वो कभी मुझे, कभी मूवी, कभी सामने वाले जोड़े को...

अब ये साफ हो गया था क सामने बैठा जोड़ा सगे भाई बहन ह और वाइंट


फै मली क वजह से इनको शायद घर म मौका नह मल पाता है, इसी लए
लड़का इतना उतावला हो रहा है । इसका मतलब दोन भाई बहन म ेमी-
े मका वाला यार है...

मुझे लगा क शायद शा लनी को ये सब अजीब लग रहा हो, मगर वो ब त


उ सुकता से उन दोन क हरकत को दे ख रही थी,,,, मेरे लए तो यह सोने पर
सुहागा हो गया था.... उधर मूवी म एक से स सीन शु हो चुका था .. पूनम
पांडे के ए स ेशन ऐसे थे जैसे सच म लंड उसक बुर म हो .. 

म ये सोच कर खुश हो रहा था क इन दोन क हरकत से शा लनी को अब


लगेगा क भाई बहन के बीच ेमी- े मका वाला यार नामल है और यह
आज़ कल सब करते ह,,,, अब ये मेरे उपर था क म इस कंडीशन का फायदा
कैसे और कतना उठा पाता ं ।

कुछ दे र तक वो शांत रहे, तभी मूवी का साउंड एकदम कम होने से चू ड़य के


खनकने क आवाज आई और मने अपनी लाइन के शाद शुदा जोड़े क ओर
दे खा तो न क लाइट म दखा क वो लोग भी चु मा चाट म लगे ए ह,,,
मने बात का सल सला बढ़ाया....

म- शा लनी,,, उधर भी मूवी चालू है...

शा लनी ने उधर दे खा और थोड़ा सा हंसते ए बोली

शा लनी- (कान म फुसफुसाते ए) यहां तो सभी अपनी अपनी मूवी म बजी


ह... और हंसती रही....

मूवी के इंटरवल तक यही सब दे ख दे ख कर म भी गम हो चुका था, मेरी भी


इ छा हो रही थी क म भी शा लनी को कस क ं और और चूं चयां दबाऊं ...

लाइट जलते ही सब सामा य हो गया और म बाहर आ कर को ड क और


पापकान लेकर जब सीट पर बैठने के लए आया तो दे खा क वो सामने वाला
लड़का और लड़क दोन ही जबरद त माट थे और एक शानदार जोड़े जैसे
लग रहे थे । हम लोग पापकान खाते ए धीरे धीरे बात करने लगे ।

म- यहां से नकल कर बाहर ही खाना खा लया जाए ।

शा लनी- हां ठ क रहेगा, रात भी काफ हो जायेगी ।

कुछ दे र बाद मूवी म पूनम पांडे क रोमां टक चुदाई का जबरद त सीन शु


हो गया और इस समय भी मेरा हाथ शा लनी के कंधे पर ही था... 

अचानक मने अपने हाथ से उसके कंधे को थोड़ा जोर से दबा दया और
शा लनी ने ह के से उंह ... कया, बट बोली कुछ नह और सामने वाली सीट
पर तो हलने डु लने और सी.... सी.. आह .... क ससका रयां आ रह थ ,,,,
वो दोन फर से चु मा चाट म जुट गए थे,,,,,,।।

कुछ दे र बाद जब एक हाट सांग न पर शु आ तो मुझसे बदा त नह


आ और मने धीरे धीरे अपने दा हने हाथ को शा लनी के कंधे से धीरे-धीरे
उसक ा क प के साथ नीचे करता गया और अपनी नजर न पर ही
रखी,,,,, 
कुत के बड़े गले क वजह से अब मेरा हाथ उसक ा के कप तक प ंच चुका
था और अंदर हाथ डालने के लए म बहाने से थोड़ा हला और अपने चेहरे
को शा लनी के चेहरे से एकदम सटा दया । इस हलने म मेरी उंग लयां
शा लनी क ा के कप के थोड़ा अ दर , शायद उसके न पल के ऊपर तक
प ंच गई थी,,,,,, म कुछ दे र ऐसे ही का रहा और तरछ नजर से शा लनी के
चेहरे को दे खा..... वो भी सीधे सामने दे ख रही थी....!!!

अब तक मने शा लनी क चू चय को कसी ना कसी बहाने से मतलब


मा लश करने के बहाने या फर सोते समय ही दबाया था और वो भी घर के
अंदर.....

ये पहली बार था क मेरा हाथ शा लनी क चू चय पर था और हम दोन के


पास कोई बहाना नह था,,,, वो भी इस तरह प लक लेस पर,,,, मेरे हाथ म
जैसे कंपन हो रहा था सोच सोच कर क शा लनी का या रये सन होगा......

गाना ख म होते होते म हौले हौले से उसक ा के अ दर ही चू चय को पंजे


से सहलाने लगा और सामने ही दे खता रहा,,,, मेरी शा लनी से नजर मलाने
क ह मत नह हो रही थी,,,,, ले कन मने गाना ख म होने के बाद भी हाथ से
उसक दा हनी चूचं ी को सहलाना बंद नह कया ,,,,,,, 

करीब पांच मनट बाद शा लनी थोड़ा सा ऊपर उठ और अपने सर को मेरे


सर से सटा दया और साथ ही मेरे चूच
ं ी वाले हाथ पर अपना हाथ रख
दया,,,,,,

मेरी तो एकदम सांस ही क गई एक मनट के लए,,, मगर शा लनी ने मेरे


हाथ को हटाया नह ब क ह का सा सहला दया और मेरी जान म जान
आई....

हम दोन म कोई बात नह हो रही थी और अब मेरे हाथ ने खुलकर उसक


चू चय सहलाना शु कर दया.... म चाह कर भी उसक सरी चूची को छू
नह पा रहा था.... ले कन उसक गदन म हाथ डाल कर जहां तक प चं
सकता था मने शा लनी क चू चय को सहलाया । 

मेरे सरे हाथ ने अपना काम कब का शु कर दया था, मतलब ज स के


ऊपर से ही ल ड को मसलना, मेरा लौड़ा कसी भी व पानी छोड़ सकता
था,, पता नह शा लनी ने मुझे अपना लौड़ा दबाते ए दे खा क नह ...

अब तक मुझे शा लनी के कुत म हाथ डाले काफ टाइम हो गया था और ना


जाने मूवी म इस बीच या आ और कब मूवी ख़ म हो गई, य क मेरी
आंख ज र न पर थी मगर म दे ख और महसूस कुछ और कर रहा था,,,,,
मतलब शा लनी क म त जवानी से भरपूर बड़ी बड़ी चू चयां 

और लाइट जलते ही म शा लनी क चू चय से अपना हाथ नकाल कर सीधा


हो कर बैठ गया। जब सामने वाले भाई बहन क जोड़ी उठ तो म भी उठकर
शा लनी के हाथ को पकड़ कर बाहर नकलने लगा,,, हाल म थोड़ी चहल-
पहल थी,,,

अब बाहर क लाइट म पहली बार हमने उन भाई बहन को दे खा.... लगभग


ु के थे,, और एक सरे के हाथ म हाथ डाल कर ेमी-
हमारी ही एज प
े मका क तरह कार पा कग क ओर जा रहे थे.... 

लड़का- द .. ा मस याद रखना बु ...


लड़क - मेरे राजा भैया मुझे ा मस याद है ,,, अब तुम यह ना ा मस पूरा
करने लगो कह ,,,, ही ही ही हंसते ए..

म भी उसी तरह शा लनी के हाथ को पकड़ कर उससे सटकर ेमी- े मका के


जैसे बाईक पा कग क ओर चलने लगा ।

पीछे से उन दोन को दे ख कर मने काफ दे र क चु पी को तोड़ा.....

म- अ छ जोड़ी है.... ल वग कपल

शा लनी- यस,,,, बटटटट ??

म- या,,,, बट या ?

शा लनी- (मुझसे सटकर चलते ए) वो... वो .. कपल नही है मेरा मतलब...


वो तो...

म- हां,,, वो तो या ?

शा लनी- म स... दर स टर ... लड़का बोल रहा था द ... उस लड़क को ।

म- ओह तेरी... तो या आ वो भाई बहन भी है और कपल भी... स पल ।


शा लनी- ंह ... स पल .. हंसते ए...बड़े लोग बड़ी बात.... ।

(अब तक हम अपनी बाईक के पास आ चुके थे और मने मौका दे ख कर


शा लनी के कंधे को ह के से अपने कंधे से उचकाते ए , हंस कर बोला)

म- सोनो रटा,,, बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी बाते होती रहती ह,,,,
और हंसते ए बाइक टाट क , शा लनी ने पीछे बैठते ही मेरी पीठ पर एक
पंच मारा यार वाला और... चलती बाइक पर

शा लनी- ,ं ,, तो आपको बड़े बड़े शहर क बड़ी बड़ी बात अ छ लगती ह....
हा ... हा ...है ना भाईजी...

म - और या,,, एक मूवी के टकट म दो दो मूवी दे खने को मल गई,,, हा ....


हा ...

शा लनी ने फर से मेरी पीठ पर पंच लगाया और हंसते ए हम एक रे टोरट


म खाना खाने के लए आ गये, खाना खाने के बाद हम लोग घर के लए
नकल पड़े,,,,, मेरी तो पांच उंग लयां घी म थी, ये सोच कर ही शा लनी को
भी उन भाई बहन क चु मा चाट म मजा आया 
और उसने एक बार भी ये नह कहा क मेरे यारे भैया आप भी तो अपनी
बहन क चू चयां दबा रहे थे, मसलने क को शश कर रहे थे,,,, खैर म ब त
उ सुकता से घर म अंदर आया और चज करने के बाद हम दोन साथ म सोने
क तैयारी म जुटे थे

म रोज क तरह अंडर वयर नकाल कर बरमूडा पहनकर ब तर पर लेट गया,


शा लनी आते ही बाथ म म घुस गई शायद उसे ब त तेज सू-सू आयी थी,
कुछ मनट बाद शा लनी आकर मेरे बगल म लेट गई मगर आज उसने कपड़े
चज नह कए और सलवार सूट म ही लेट थी, अंदर क ा भी नह नकाली
थी ,,, 

म कहां सोच रहा था क आज तो शायद खुलकर कुछ मज़ा लेने को मले,


मगर यहां तो मेरे अरमान पर पानी फरता नजर आ रहा था, य क पछले
काफ दन से शा लनी बना कहे, सफ समीज और न कर पहन कर मेरे
साथ सोती थी और म रात म जी भरकर उसक रसीली चू चय से खेलता
था,,,, उनक गरमी को महसूस करता था ,, ये तो खड़े ल ड पर धोखा था ।
मुझे अब तो न द आनी नह थी तो म फर से शा लनी से बात करने लगा ।

म- आज तु ह ठं डी लग रही है या ?

शा लनी- नह तो, ऐसा य लगा आपको ?

म- वो आज तुमने चज नह कया और सलवार सूट पहन कर ही लेट गई हो,,,,

शा लनी- नह .. नह .. बस ऐसे ही मन नह कया तो ...

म- अ छा,जब गम लगे तो चज कर लेना... वैसे तुमने बताया नह क मूवी


कैसी लगी ?

शा लनी- भाई जी, मूवी अ छ थी, मेरे लए तो वैसे भी यादगार रहने वाली है
य क ये मेरे वीट और केय रग भै या के साथ म ट ले स म मेरी पहली
मूवी थी... नाम भी अ छा है... नशा.... हमेशा याद रहेगी ।

म- हां,,, अ छ थी,,, और थोड़ा सा बो ड भी... पूनम वाज लु कग सो से सी


एंड हॉट....
शा लनी- हां,,, थोड़ा सा ए सपोज तो अब सभी मूवीज म होता ही है,,, बट
भाई,,, लीज़ माम से मत बोलना क हमने ये मूवी दे खी साथ म, उनको शायद
ठ क ना लगे ।

म- ओह... कम आन बेबी, इसम ऐसा या था जो माम को ठ क नह लगेगा,,,


इतना सब नामल है ,,, चलो तुम कहती हो तो नह बताऊंगा,,, अ छा मेरी
यारी बहना और या- या छु पाना है माम से.... हंसते ए

शा लनी - (हंसते ए) भाई ईईईई,,, आप फर से मेरे से मजे लेने लगे,,,, मेरा


और कोई सी े ट नह है... आपके ज र ह ??

म - अ छा अ छा,, बेबी,,, तु हारे तो सी े ट ही सी े ट ह.... और म हंस


दया..।

शा लनी- मुझे भी आपके ब त से सी े ट पता ह,,,,, (और वो लेटे लेटे ही मेरी


तरफ घूम गई और मेरी आंख म दे खने लगी,,,, मु कराते ए... म भी अपलक
उसक बड़ी-बड़ी काली आंख म दे खता रहा ,,, फर शा लनी ने ही नज़र
झुका ली.... वाह.... या जबरद त फ लग थी उसक आंख क गहराई म ,,,
जैसे ढे र सवाल...)

म- अ छा, तो अब तुम मेरा कोई सी े ट बताओ,,, जो म सबसे छु पाता ं ।

शा लनी- बताऊं... और हंसते ए मेरे बरमूडे क इला टक को ख चते ए,,,,


आप ना इसके अंदर कुछ नह पहनते,,,,, और वो हंसती रही,,,,

म - ओह... तो ये कौन सा सी े ट ह, सभी रहते ह ऐसे ग मय म आज कल,,,


ये वाला कै सल ,,, और कुछ बताओ....

शा लनी - आपक गल ड

म- कोई है नह , सबको पता है,,, तुमको भी पता है,,, कसल...

शा लनी ने इसी तरह काफ चीज बतायी मेरे बारे म ले कन म सब को कै सल


करता गया और आ खर म उसने जो बोला तो मेरी आगे क काम लीला क
कहानी बन गई,,,,,

म- और कुछ बोलो... तु ह मेरा कोई भी सी े ट नह पता,,,, और म हंस दया

शा लनी - वो वो ... आज मूवी म जो ...... "बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी
बात होती रहती ह" जो हो रहा था ,,,ना.... आपको वो पसंद है.... है ना
भाई.... बोलो ... बोलो अब बोलो,,,, ये है आपका सी े ट,,,, गाट इट,,,, 

म- ं,,,, तो ये तो तु हारा भी सी े ट ह... तुम भी तो कान लगाकर सुन रही थी


और दे खा भी मेरे ही जतना....

शा लनी - मेरा य ,,, वो तो आप दखा रहे थे,,, तो 

म- मतलब म तु ह कुछ भी दखाऊं,,, तुम दे खोगी ।

शा लनी- हां,, य नह ,,, आप मुझे कोई ऐसी-वैसी चीज थोड़े ना दखायगे ।

म- अ छा, मेरी यारी बहना को अपने भाई पर इतना भरोसा है,,, और म


उसके चेहरे पर गरे ए बाल को सहला कर उसके चेहरे पर से हटाने के
बहाने पूरे चेहरे को सहलाते रहा,,,, गदन के नीचे उसके कुत के गहरे गले से
उसक रसीली चूं चयां भी दख रही थी,,

शा लनी- हां,,,, मेरे वीट वीट राजा भैया,,,,, आप पर ही मुझे पूरा भरोसा है...
आप कभी कुछ भी ग़लत नह होने दगे मेरे साथ।

और हम दोन एक सरे क नजर म दे खते ए ब तर पर गले मलने के


जैसे लपट गये और शा लनी मेरे सीने म ब च क तरह चपक गई,,, वो ब त
इमोशनल हो गई थी और म काफ दे र तक शा लनी क पीठ को सहलाता
रहा,,,, 

कुछ पल तक तो ये भाई बहन वाले यार का आ लगन रहा,,, मगर मेरे लग


ने अपना काम शु कर दया और शा लनी के पेट पर वो चुभने लगा,
शा लनी क चूं चयां अब पूरी तरह मेरे नंगे सीने म धंस रही थी,,, उसके बदन
म गजब क मादक खुशबू थी।।

मने एक को शश क क इस समय ल ड ना खड़ा हो ले कन सब बेकार.... म


शा लनी क पूरी पीठ सहला रहा था कुत का कपड़ा बड़ा चकना था और
उससे भी यादा चकनी शा लनी क पीठ का खुला ह सा... बार बार मेरे
हाथ म उसक ा क प म अटक रहा था,,, 

मने अपने ल ड को शा लनी के पेट म घुसने से बचाने के लए ह का सा


अपने आप को एडज ट करने क को शश क मगर ल ड महाराज ने शा लनी
के पूरे पेट पर रगड़ाई कर द ,,, और झटके लेने लगे,,, म कुछ और करता
इसके पहले शा लनी अचानक मेरी बाह के घेरे से बाहर नकल कर खड़ी हो
गई और दरवाजे पर बाहर से खड़े हो कर हंस कर बोली ....
शा लनी- भाई ईईईई...ये रहा आपका सबसे बड़ा सी े ट (मेरे बरमूडे म खड़े
ल ड क ओर उंगली दखाते ए ),,, और इतना कह कर वो बाथ म म घुस
गई.....

अहा.... इतना सुनते ही मेरे ल ड ने एकदम छत क ओर सीधे खड़े हो कर


सलामी ठोक .... 

म शा लनी के बाथ म से आने के पहले ल ड को बैठा दे ना चाहता था मगर


वो और झटके लेने लगा और बैठने का नाम ही नह नह ले रहा था,,,

इस कंडीशन म ल ड को शांत करने का सफ एक ही तरीका है मुठ मारकर


गम नकाल दो,,, इस समय म वो भी नह कर सकता था...
मने अब अपने ल ड को मसलना बंद कर दया और करवट होकर लेट गया,
बना अंडर वयर के ढ ले ढाले बरमूडे म खड़े ल ड को शा लनी से छु पाना
अस भव था,, म सोचता आ लेटा रहा,,, अब म ये समझ गया था क
शा लनी कुछ कुछ समझ तो रही है मेरे इरादे ,,, या अभी भी वो समझ नह पा
रही है,, अब मने एक कदम आगे बढ़ने का तय कर लया ।

कुछ दे र बाद शा लनी आकर मेरे बगल म लेट गई और दो मनट सीधे लेटने
के बाद मेरी तरफ करवट होकर बोली,,*

शा लनी- भाई ,,न द नह आ रही है और ऐसा लग रहा है क आप भी अपने


सी े ट वाले गेम म हारने से कुछ बोल नह रह ह, ।

म- अरे नह बेबो,,,, नाराज और तुमसे,,, कभी नह ,,, और वो मेरा ही नह


सभी वायज का सी े ट होता है ,,, कम आन,,, रलै स ,,, वो कभी कभी हो
जाता है ,,,, हाड,,,,*
शा लनी - ही,,, ही,,, कभी कभी,,, या*...

मने माहौल को फर से बनाने क को शश क और अपना एक हाथ उसके


गाल पर फराने लगा ,,,, उसक बड़ी-बड़ी चू चयां सांस के साथ और बड़ी
बड़ी हो रही थी,,,,*

म - अरे,,, वो हो जाता है समटाइ स ... यार वो तुम नह समझोगी,, कतना


एम ै सग होता है कभी कभी ,,, तुम लोग क तो मौज है,,, पता ही नह
चलता,,,, म बोलता गया ...

शा लनी- मुझे पता है मेरे राजा भैया, बट ,, ही ही ,, ये अभी ...*

म- अरे, कोई नह ,, अभी दो मनट म रेगल


ु र हो जाएगा ।।

हम दोन के खुलकर बना नाम लए अपने ल ड के बारे म बात करने क


सोच कर ही ल ड और झटके लेने लगा ।

और वो मेरे पास आ कर मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे धीरे धीरे


सहलाने लगी । म भी उससे अपने शरीर के नीचे के ह से को थोड़ा र
रखकर उसके बाल म उंग लयां फराने लगा और उसके बदन क खुशबू से
मेरी आंख बंद होने लगी और शा लनी ने भी ह क सी मु कान के साथ
अपनी आंख ब द कर ली,,,, अभी रात के एक बज रहे थे और कल संडे होने
से हम कोई ा लम नही थी,,, दे र से सोने म,,,*

मने अचानक गौर कया क मूवी से आने के बाद शा लनी मुझे बार बार राजा
भैया बोल रही है... मतलब शा लनी को मूवी म उन दोन भाई बहन का यार
करना शायद अ छा लगा और तभी वो उस लड़क के जैसे अपने भाई को
राजा भैया बोल रही है,,, मने फर से बात करने क शु आत करी ,,,,,*

म- शा लनी,,,, अ छा ये तो सोचो क इस समय वो दोन या कर रहे ह गे ।

शा लनी - ( आंख बंद करके ही) कौन दोन ??

म- अरे वही मूवी वाले द ,,,,, और राजा भैया ।

शा लनी - (आंख खोल कर एकदम ब च जैस)े - ही,,,, ही,,,, जाने या कर


रहे ह गे ,,,सो गए ह गे और या ?

म - तुमको लगता है क मूवी म हमारे सामने इतने बेसबरे लोग सो गए ह गे,,,,


ही,,, ही,,,, गुड जोक,,,,*

शा लनी - हां ये तो है कैसे दोन तेज तेज आवाज करके मूवी म ही शु थे,,,
अब तो,,,,, और वो चुप हो गई ।

म बराबर उसक पीठ से लेकर सर तक के खुले फैले बाल को सहलाता रहा


। मने दे खा क शा लनी भी उन दोन भाई बहन के बारे म बात करने म मजा
ले रही है और मूवी म अपनी चूची मजवाने को नजरंदाज कर रही है तो म
और आगे बढ़ा ,,,,*

म- शु थे , या शु थे , अरे वो दोन तो इस समय एक ही कमरे म ह गे तब


तो पगलाये ह गे चु मा चाट म,,, 
म ह मत करके बोल गया ...*
शा लनी - ं ,,, वैसे भाई,,, सच म मुझे तो वो दोन पागल , बेवकूफ लोग लग
रहे थे,,, कैसे वहां सबके सामने,,,*

म- अरे, तो बेचारे या कर सुना नह था क घर म मौका नह मलता,,,, तभी


तो मूवी म आए थे शायद।

शा लनी- ओह ,,,,। सो सैड टोरी ,,,, आपके बड़े बड़े शहर म ऐसी बड़ी बड़ी
बात होती रहती ह,,,, है ना,,,, और वो खल खला कर हंस पड़ी ,,, ।

"सो सैड नह सो सेफ रलेशन" अगर वो दोन बेवकूफ ना कर तो तो ,,, इट् स


सेफ ...*

आजकल वाय डस ब त परेशान करते ह रलेशन शप म तरह


तरह से ,,,*तु ह नह पता ,,, 

अब तक क बात से ये तो प का हो गया था क शा लनी को उन दोन सगे


भाई बहन के बीच ेमी- े मका वाला यार दे खकर ये नामल लगा है और मेरे
लए रा ता साफ है ....*

म- अ छा मतलब,,, सबके सामने यार का इजहार ना कर और और


घर म ..... हंसते ए*

शा लनी- हां हां,, कम से कम बाहर तो यान ही रखना चा हए, आप सोचो


अगर हम दोन के अलावा कोई और वहां होता तो ,, मतलब कोई अंकल,,,
आंट ,,, टाईप ,,, ही ही,,,*

म- हां, हां,, कोई और होता तो तो तो ,,,, वो भी शु हो जाता वह ,,, ।।


शा लनी- (धीरे से फुसफुसाते ए) तो शु तो था ही ,,,,,,*

और थोड़ा तेज से बोली गुडनाईट भाई,,, और सोने क को शश करने लगी ।

मने ये सुना तो मूवी म शा लनी क चूं चय को मसलने क याद आ गई और


मुझे ये भी लगा क उसे मूवी म प लक लेस पर मेरे हाथ से चू चयां
दबवाना पसंद नह है,,, और घर के अंदर,,,???
खैर कुछ दे र म हम दोन को ही न द आ गई ।
अगली सुबह हम दोन क आंख साथ ही खुली और शा लनी ब कुल नामल
बहैव कर रही थी । वही रोज जैसे गांड़ मटकाते ए चलना ... चूं चय को
उछाल उछाल कर चलना ,,, म भी दन म कोई सीन एट करने के मूड म
नह था,,, दन भर हमने घर क साफ-सफाई क और प डग काम नपटाते
रहे और कई बार अब हम दोन म अथ बात हो जा रही थी ।*

बाहर बरामदे म सफाई करते ए जब मेरी नज़र कपड़ पर पड़ी, तो मने दे खा


क शा लनी क जन दो ा म मने मुठ मारी थी पछले दन ,, वही लाल और
काली ा टं गी ई है.... इसका मतलब शा लनी ने दोन ा को अब तक धोया
नह था,,, या शा लनी को पता चल गया था क उसक ा म मने ह तमैथन ु
करके अपने वीय से लबालब भगोया है, । और इसी तरह काम करते समय
म शा लनी के बदन को दे ख दे ख कर गनगना उठता और आगे उसे छू ने के
बहाने बनाने क सोचने लगा ।

और शा लनी के बदन क गोलाईय को दे ख कर मेरा दन कट गया ,शाम को


खाने के बाद हम दोन थोड़ी दे र छत पर टहले और पड़ोसी मेरी सैकड़ बार
क पना म कये ह तमैथुन क साथी से सी भाभी से हम दोन ने काफ
दे र तक बात क ।
भाभी ने शा लनी क खूबसूरती क जी भर तारीफ क , चांदनी रात म
शा लनी क म त जवानी के द दार का अहसास अलग था म अब उसके
शरीर से उसके समपण के साथ खेलना चाहता था चोरी चुपके से नह ।।,,
मगर कैसे ??

भाभी ने ऐसे ही मजाक मजाक म पूछ लया क हम दोन साथ सोते ह क


अलग-अलग म म ,,, तो शा लनी ने ब त सफाई से झूठ बोला ।

शा लनी-भाभी, ए चुअली भै या आगे म म दे र तक ट वी दे खते ह और म


पढ़ाई के लए पीछे म म ही रहती ,ं ,, वही सो भी जाती ं ।

भाभी- अरे, म तो कह रही थी,,,सुला लो सागर भै या मेरी लाडो रानी को


अपने पास,, नह तो कोई और ले उड़ेगा,, ज़माना ख़राब है और मेरी ननद
रानी है ब त से सी... पटाखा,,, स हल के रहना , मेरी ब ोरानी,,, मेरे दे वर से,,
और वो हंसने लगी
शा लनी- हां हां,, खूब मजे ले लो आप लोग,,, मुझे से सी से सी बोल बोल
कर, भाभी आप भी ना...

भाभी -अरी ब ो , म तो मजाक कर रही ं, सागर भै या ब त ही केय रग ह


और तु हारा अ छे से याल रखगे ।। और कसी हरामी ने मेरी ब ो पर नजर
भी डाली ना तो दे ख रही हो ना मेरे दे वर राजा क सा लड बाडी ...

शा लनी (इठलाती ई) वो तो है ,, मेरे राजा भैया क सा लड बाडी... 


म - हां हां ,,, अब तुम दोन लोग मलकर मेरी खचाई करोगे ,,,

फर ऐसे ही थोड़ी दे र बात करने के बाद हम नीचे आ गये ।


और म आईने के सामने बाल संवारती ई शा लनी को दे ख कर अपनी चाल
चलते ए बोला ...

पता है बचपन म म तु ह अपने कंधे तक उठा लेता था ,,, अब पता नह ...


उठा पाऊं क नह ,,, और अपने डोले दे खने का नाटक कया जैसे म अपनी
ताकत का अंदाजा लगा रहा होऊं ।

शा लनी :- यू नह उठा सकते भाई...म इतनी भारी नह ं और मोट तो


बलकुल भी नह ....

शा लनी ने थोड़ा माहौल को ह का करने के लए मजाक कया ले कन जब


उसने सोचा होगा क वो या बोल गयी तब उसे अहसास आ होगा क वो
गलती कर बैठ है ।

... ये सुनके मेरी आंखो म चमक आ गयी... शा लनी को उठाने क उसे गोद
म बठाने क बात को सोचते ही... मेरे मन म दबी हवस एकदम से उछल
पड़ी।

म :- नह नही, तुम बलकुल मोट नह ...ब क बलकुल फट हो... सुपर


हट हो ... मेरी बहना, दे खा नह भाभी जान कैसे तु हारी खूबसूरती क
तारीफ कर रही थ ।।

(मन म...तुमने सही जगा पे सही वजन बढा़या आ है बेबी .. जहां जतनी
मांसलता होनी चा हए उतनी ही है...)

शा लनी :- ह म ..
और वो थोड़ी शरमा गयी , म उसके चेहरे को दे खते ए उसे उठाने लगा ।

शा लनी- भाई जी,,,, लीज़ ,आराम से उठाना... गरा मत दे ना...और उससे भी


इ पोट ट अपनी कमर का याल रखना....

म :- तुम चता मत करो...अभी ब त जान है मुझमे... पहले तो म तु ह उपर


उछाल कर गोद म बैठा लेता था ।

हम दोन ने एक सरे को दे खा... शा लनी ने आज भी वही घुटन के काफ


उपर तक वाली न कर पहन रखी थी ..टॉप तो हमेशा क तरह वो बना बांह
क ट -शट थी ...और म थोड़ा आगे आ... शा लनी क तेज चलती ए सांसे
मेरे चेहरे से टकरा ....उसके ज म क खुशबू मेरी सांस म बस सी गयी...

शा लनी को भी मेरी साँस क महक आने लगी थी ... मने शा लनी क कमर
पे हाथ रखा और और थोड़ा झुका... मेरा चेहरा शा लनी क गोल मटोल बड़ी
सी चु चय के करीब था.... म उ ह दे खने लगा... शा लनी को मेरी साँस
अपनी चू चय के बीच लीवेज पे महसूस ई....उसने दे खा क म बड़ी बड़ी
आखे फाड़ के उसक चु चय को घूर रहा ं...
तो शा लनी ने अपने हाथ मेरे कंधे पे रखे और इंतजार करने लगी क म उसे
उठाऊंगा...

म शा लनी क चु चय को इतने करीब से दे ख रहा था... और मेरा ल ड बना


अंडर वयर के फर से बरमूडे म खड़ा हो गया था

.... फर म अपने हाथ धीरे से नीचे ले गया... म जानबुझ के अपनी हथे लयां
शा लनी क गांड को सहलाते ए नीचे ले गया... यू क पता नह , ऐसा मौका
बारा कब मले या, ना मले... शा लनी को मेरे हाथ का पष अपनी गांड पे
होते ही उसक आँखे बंद सी ई...उसक आह नकल गयी...ले कन उसने वो
बाहर अपनी जुबान पर नह आने द ....शायद वो भी गम होने लगी थी और
उसक भी चूत गीली होने लगी हो ......उसका ज म गरम होने लगा...

ये सब सफ कुछ सेक ड म आ ले कन ब त गहरा असर छोड़ रहा था मने


अपने हाथ उसक सुडौल गांड़ के नीचे ले जाकर एक हाथ से सरे हाथ को
पकड़ा और शा लनी को उठाने लगा....*

शा लनी ने मुझे गले से पकड़ रखा था...एक झटके के साथ शा लनी के दोन
पैर हवा म थे...झटके के कारण शा लनी का बैलस थोडा बगड़ा और उसका
भार मुझ पर पड़ने लगा...उसक चु चयां अब मेरे चहरे पे दब सी गयी..
और मेरी नाक म उसक चू चय क महक भर गई ...

शा लनी ने तुरंत अपने आप को थोड़ा पीछे कया...ले कन तब तक मुझको


उसक बड़ी-बड़ी चू चय के गुदाजपन का अहसास हो चूका था...कुछ पल
के लए ही सही ले कन मने अपने ह ठ शा लनी क चु चय पे रख दए थे....

आज ये पहली बार आ था क मेरे ह ठ ने उसक बड़ी बड़ी नरम चु चय


को अपने ह ठ से छु आ भले ही वो ट -शट के ऊपर से ही था । उसक बड़ी-
बड़ी चू चय को अपने चेहरे पे पा के मेरे होश उड़ गए थे.... मेरा लगभग सात
इंच ल बा और ढाई इंच मोटा लौड़ा खड़ा हो गया था जो अब सीधा 90 ड ी
के एंगल म खड़ा हो चुका था और शा लनी क नंगी जांघ पे रगड़ खा रहा
था....

शा लनी को जब मेरे कड़क लंड का अहसास आ तो उसक चूत और भी


गीली होने लगी होगी ...उसके कान एकदम गरम हो गए...उसका चेहरा और
गुलाबी रंग का होता जा रहा था......
शायद शा लनी को अब ये सब बदा त के बाहर हो रहा था....

शा लनी- ओह ... भाई लीज़ नीचे उता रये...म गर जाउंगी....।

म तो उसे ऐसे ही पकड़े रहना चाहता था पर अब ये करना ठ क नह था......


म धीरे धीरे शा लनी को नीचे उतारने लगा....उतारते व त मेरे हाथ फरसे
शा लनी क मांसल गुदाज , ग े जैसी गांड़ पर आ के.. शा लनी को मेरे खड़े
लंड का अहसास भी हो रहा था....उसने झट से अपने आप को मुझसे र
कया.. मेरी सांस भारी हो रही थी और थोड़ा सा हांफ भी रहा था... शा लनी
ने जब ये दे खा तो...

शा लनी- आप ठ क तो ह ना ??... कए म पानी लेके आती ं..

शा लनी मुझसे नज़र नह मला पा रही थी और ना ही म ...इस लए वो पानी


लेने के बहाने से कचन म भाग गयी....

म बेड पर बैठ गया और अपना लंड अड् ज ट करने लगा... शा लनी जब


कचन से पानी लेकर वापस आ रही थी तब उसनेे मुझे अपना लंड दबाते ए
दे खा तो वो शरम से पानी पानी हो गयी...उसने मुझको पानी दया... शा लनी
मेरे सामने खड़ी थी और मेरे खड़े ल ड को घूर रही थी ,,, ।

म :- (पानी पीते ए.......) फट ं म भी ,,,, अभी भी तु ह म... बचपन क ही


तरह उठा लेता ं ।

शा लनी :- अ छा ,,,, भाई जी आप तो सुपर हट हो सुपर फट बाड़ी भी है


आपक ,,,, च लए जी, अब सोते ह...11.30 बज गए है....
म :- को तो बेबी ...अभी तो तु ह बाह म उठाया है ...अब जरा गोद म भी
तो बठा लूं ,,,,
और मने उसे अपनी ओर ख च लया ।।

शा लनी को शायद यक नह हो रहा था क मने जानबूझ कर ऐसा कया...


शा लनी ही या...मुझको खुद पे यक नह हो रहा था क क मने ये कहते
ए शा लनी को अपनी गोद म बठा लया है... शा लनी जब बैठ तो उसक
पीठ मेरी तरफ थी...मेरे हाथ उसक कमर के इद गद थे.... मुझको जैसे ही
उसक मांसल गांड का पश अपने लंड पे आ मेरा लंड हरकत करने लगा...

शा लनी को भी मेरे खड़े लंड का पश अपनी गांड पे साफ़ साफ़ महसूस होने
लगा.... शा लनी अब थोड़ा सा साइड से टन ई... जसक वजह से उसक
चु चयां फर से मेरे चेहरे के पास आ गयी...वो भलीभां त जानती थी क इस
समय म बस उसके ज म को छू ने के बहाने ढूं ढ रहा ं ।

पर म ऐसे खुलकर ऐसा कुछ क ं गा, इसपे शा लनी को यक नह हो रहा


होगा ।

शा लनी ने ह के से उठने क को शश क तो मने अपना एक हाथ उसक


जांघ पे रख दया...जब शा लनी उठने क को शश कर रही थी तब उसक
नरम गांड दो तीन बार मेरे हल बी टाइट लंड से रगड़ गयी... जससे मेरा लंड
और भी जोश म आ गया.... शायद शा लनी को ये सब अ छा तो लग ही रहा
था पर ब त अजीब फ ल हो रहा हो मेरी तरह .... कुछ दे र बाद

हम दोन के लए ही ये सब कुछ पहली बार और पहला एहसास ही था ।

शा लनी :- लीज़ अब छो ड़ये मुझे...ये या कर रहे हो आप ,, आ सी ई ई ??


मने उसक जांघ पे हाथ का दबाव बनाया ...

म :- कुछ नह बेबी...बचपन म तु हे म ऐसे ही गोद म लया करता था । और


आगे अपना हाथ उसके पेट पर रख दया,,*

शा लनी मुझको ऐसे इमोशनल होते ए दे ख शांत हो गयी.... शा लनी ने घूमे


ए अपना एक हाथ मेरे गले म डाला और सरे हाथ को मेरे चेहरे पे रखा....

हम दोन ने एक सरे को दे खा और शा लनी उस पल म बह गयी...और उसी


हालात म उसने मुझे गले लगा लया... शा लनी मेरी गोद म बैठ ई थी
जसके वजह से मेरा चेहरा सीधा चु चय के ऊपरी ह से पे दब गया...
शा लनी ने या कया इसका अहसास उसे तब आ जब उसे अपनी गांड पे
फरसे मेरा लंड खड़ा होते ए महसूस आ...

मने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और शा लनी को कस के गले लगा


लया...और थोड़ा सा शा लनी को पकड़ के खुद भी अड् ज ट हो गया... मने
अपने गाल शा लनी क चु चय पे एक दो बार दबा लए....और नीचे से
अपना लंड उचका के शा लनी क गांड़ पर रगड़ रहा था ।।

शा लनी क हालत फर से खराब होने लगी....उसक पहले से ही गीली चूत


और भी गीली होने लगी होगी ....

मेरे गरम लंड का पश उसे अपनी बुर के आस पास हो रहा था...अगर वो


न कर और पट ना होती...लंड सीधा उसक बुर पे रगड़ रहा होता....उसक
धड़कन बढ़ने लगी थी....उसक सांसे तेज हो रही थी.... जसक वजह से
उसक चु चयां जसपे मेरा चेहरा था...वो तेजी से ऊपर नीचे होने लगी...
शा लनी क ट -शट गले के पास कुछ यादा ही खुल गई थी,, शायद जब मने
उसे उठाया था तब ख चा तानी म उसके गोरे गोरे तन भी उपर से खुल गए
थे । मने अपना गाल उसक चु चया जो लगभग अधनंगी हो चुक थी उसको
सहला रहा था। वो अब मुझसे र होना चाहती थी पर...उसे वो सब अ छा
लगने लगा था...उसे ब त मजा आ रहा था... तभी तो वो मुझे रोक नह रही
थी ।।

म धीरे धीरे उसक ऊपर नीचे होती चु चय पे अपने गाल दबा रहा था...और
नीचे से थोड़ा अपनी गांड़ को उठाया और लंड को शा लनी क गांड पे
रगड़ा... शा लनी को एक झटका सा लगा और वो ह का सा उठ खड़ी ई ।

मुझसे अपने को ह का सा अलग कया... मुझको लगा क मने बेवजह ही


ऐसा यू कया .... मेरे पास और मजे करने का मौका था ले कन म भी या
करता...जब लंड खड़ा हो जाता है तो उसे रगड़ना मज़बूरी हो जाती है... मने
और शा लनी ने एक सरे को दे खा...

शा लनी :- अब मुझे उठने द जये. उसक आवाज म गज़ब क खनक थी ..


और यास थी ... ।।

मेरे पास अब कोई बहाना नह था उसे रोकने का.. शा लनी बैठे बैठे ही सरी
साइड सरक गयी...उसने दे खा क मेरा लंड पुरी तरह से तना आ है.. बरमूडे
म अलग से जा हर.... मुझको पता था शा लनी जैसे ही उठे गी उसे वो दखाई
दे ने लगेगा... म तैयारी म था... मने झट से बेड पे रखा आ त कया उठाया
और अपने लंड को कवर कर लया।।

हम दोन ब त गरम हो चुके थे। और चुप थे। या बात कर कसी को समझ


नह आ रहा था...

शा लनी - भै या अब सोते ह... ..

शा लनी ने ही उस ख़ामोशी को तोड़ा .... 

************

कल रात शा लनी के सोने के बाद मने उसे अपनी बाह म भर लया और उसे
चपका कर सो गया ,,,

अगले दन सुबह शा लनी नामल बहेव कर रही थी...ये दे ख कर मैने ये सोचा


क या तो शा लनी को मेरे उसक चू चय को पीकर उसक बुर चोदने के
इरादे का पता नह चल रहा है या पता है फर भी वो अनजान बन के मजे ले
रही है.... ।।

मने सुबह जब शां त से वचार कया तब मने ब त सोचा और ये तय कया


क अब म कम से कम दन म तो शा लनी से थोड़ा री बना के र ंगा,,, यू
क ये सब ब त यादा हो रहा था। इस सब के च कर म कह शा लनी क
पढ़ाई ना ड टब हो जाए ,,,

ले कन जब एक बार ऐसा कुछ होता है .. तो होते रहने का दल करता है......


एक बार कोई मद कसी औरत को छू लेता है तो दोन ही एक सरे से यादा
दे र र नह रह सकते और शा लनी पर कयामत के जैसे जवानी आयी थी,,
उसका क पाना नामुम कन हो गया था...कलरात जो भी आ था उससे मेरी
ह मत और भी बढ़ गयी थी।
आज शा लनी पहले दन कालेज म लास अटड करने के लए जाने के लए
तैयार हो रही थी, मुझे कई बार शा लनी के शरीर को ह के फु के अंदाज म
टच करने का सुबह सवेरे मौका लगा । आज शा लनी ने लैक कलर क ट -
शट के साथ यू शाट ज स पहनी थी,, उसके अंदर पपल कलर क ा पहनी
थी जसक एक प दे ख कर मने जाना,, गौर से दे खने पर ा अपना पूरा
शेप दखा रही थी,, शा लनी क म त चू चयां और गजब ढा रही थी ।

ये अजब खेल हो रहा था हम दोन के बीच,,, दोन को पता है क अब हम


दोन सफ भाई बहन नह रहे,,,, मगर ये भी नह पता क या हो गये ह , ,,,
हो रहे ह ,,,.... ेमी- े मका..... पछले दन से जैसे हो रहा था और अब ये
कने वाला भी नह था,,,

ले कन म भी ,,,,, जो खुद शा लनी को अपनी तरफ से उकसा रहा था


जानबूझकर ,,, मेरे म अभी भी इतनी ह मत नह ई थी क म शा लनी को
सीधे सीधे छू लूं बना कसी बहाने के ,,

जो भी भाई या बहन इस तरह के रलेशन शप म रहे ह या रहना चाहते ह,


उनको पता है क ये इतना आसान नह है सगी बहन को एक झटके म चोद
दे ना ,,, पकड़ कर चूच
ं ी दबा दे ना ,,, कस कर लेना ,,,, 
मगर शायद अब आग तो दोन तरफ लगी थी कसी को कम और कसी को
यादा ......

पहल कौन करेगा,,, लाज शम का ये आ खरी पड़ाव कब और कैसे पार


होगा ,,, ले कन जैसा भी चल रहा है,, ब त मजेदार है

,,, कहां म चू चय क एक झलक पाने को तरसता रहता था । और अब मेरे


हाथ से इतनी हसीन चू चयां मसली जा रही ह वो भी इतनी गोरी पंची, और
परफे ट साइज ३४बी क चु चय को अपने गर त म लेने के लए बस एक
छोटे -से बहाने क ज रत है बस..... चू चयां हाथ म .... कुछ दन बाद शायद
बहाने क ज रत भी ना रहे और ये रसीले उरोज हमेशा हमेशा के लए मेरे
हो जाएं ।

शा लनी ने ना ता वगैरह का काम ब त पीड म नपटाया और मेरे साथ ही


अपने बैग को लेकर बाईक से कालेज के लए नकल पड़ी । बाईक पर हम
दोन के बीच हवा जाने क भी जगह नह थी इतना चपक कर बैठ गई थी
शा लनी बात करने के बहाने से , खैर,,, मुझे तो दन भर क एनज मल गई
थी उसक चू चय क रगड़ से अपनी पीठ पर ,,,

कालेज प ंच कर गेट के पास मने शा लनी को बाईक से उतारा और बे ट


ऑफ लक और गुड डे बोल कर म भी अपने काम पर नकल पड़ा ।

शा लनी को जाते ए पीछे से दे खने से ही मेरा ल ड फर से खड़ा हो गया


और म बाईक लेकर वहां से नकल लया । दन म मने कई बार शा लनी से
बात क और काफ सारे जोक, हंसी-मजाक वाले और उ ह म कुछ डबल
मी नग चुटकुले मने उसके मोबाइल पर भेजे ।

तीन बजे वो आटो से घर को आ गई,, ।।

और चार बजे के आसपास उसके र लाई मैसज े आने शु ए ,,, मतलब


े पढ़ लए ह ,,, अब मने उसे काफ सारे फनी वी डयो
शा लनी ने सारे मैसज
भी भेज दये , उसने उनको दे खकर र लाई कया और ह क फु क चै टग
करने के बाद मने उसे वी डयो काल कर द ,,,,
मुझे उसको दे ख बना अब चैन नह आ रहा था ।
म- हाय बेबी, या कर रही हो ?

शा लनी- अभी तो लेट ई ं भै या और ट वी दे ख कर आपके मैसज


े पढ़
रही थी ।।

शा लनी ने मोबाइल ऐसे पकड़ रखा था क सफ उसका चेहरा ही दखाई दे


रहा था,,, ह का सा मोबाइल हलने पर मुझे उसके नंगे कंधे पर ा क काली
प दखाई पड़ गई , मतलब शा लनी ने उपर सफ ा पहन रखी है और
नीचे भी या सफ पट ,,,, आह,,,*

मेरे लौड़े म सनसनाहट सी होने लगी और म उसे लैक कलर क ा म दे खने


को उ सुक हो गया,,, कोई बहाना बनाकर मोबाइल फुल लथ पर आ जाता तो
मजा आ जाता । बात करते करते मेरे दमाग म ाइक कया क सुबह तो
शा लनी ने पपल कलर क ा पहनी थी और अब यह लैक कलर क ा म
लेट है .....

ओहो... तो मतलब उसने मेरे ह तमैथुन क गवाही दे ती मेरे सूखे बीज से


महक ई अपनी काली ा पहनी है । और और उसने इसे धोया भी नह था
कई दन से ।

मतलब मतलब मेरे वीय से सनी ई ा पहनकर शा लनी लेट ई है तो या


शा लनी को मेरे ह तमैथुन करने और वीय उसक ा म लगाने के बारे म पता
है और वो उसे पसंद भी कर रही है??

म अब ज द ही अपना काम नपटाते ए घर प ंचना चाहता था ।।

मगर मने शा लनी से झूठ बोला क म दे र से घर आऊंगा और


म - कुछ लाना हो तो बता दो ?

शा लनी- नह भैया बस आप आ जाओ लाना कुछ नह है ,,,,अ छा एक


चॉकलेट लेते आना । अब म सोने जा रही ं जब आप आएंगे तभी जागूग
ं ी
वैसे कतने बजे तक आएंगे ।।

म - सात तो बज ही जाएंगे ।

अ छा जरा मोबाइल मेरी टे बल क तरफ करो मुझे उस पर अपना कुछ पेपर


दे खना है और शा लनी ने उठ कर टे बल क तरफ मोबाइल करने के च कर म
मुझे अपनी रसीली चू चय को काली ा म एक झलक दखला ही दया और
पट उसने शायद ट वाली पहनी ई थी ह क झलक पाकर ही म नहाल
हो गया । म शा लनी क चू चय को पहले भी ा म कैद ए दे ख चुका था
और तब उसने खुद दखाया था ,,, इस तरह वी डयो काल म उसक ा म
कैद रसीली चू चय ने मेरी हालत ख ता कर द ...

म पांच बजे ही ये सोचकर घर के लए नकला क शा लनी अभी तक सो रही


होगी और मुझे द दार हो जायेगा उसके मखमली बदन का ।

म अपने ही घर म दबे पांव लाक खोलकर अंदर आया और ब त धीरे से गेट


बंद कर दया,,,,

सामने कमरे म कूलर फुल पीड म चल रहा था और दरवाजा खुला था


मतलब शा लनी सो रही है । और म दबे पांव अंदर कमरे म आ कर धीरे से
कुस पर बैठ गया और शा लनी के सफेद रोशनी म चमक रहे गोरे बदन पर
काली ा और पट ,,,
उसक पपल कलर वाली ा साइड म पड़ी ई थी बेड पर शायद उसने उसे
उतार कर लैक ा पहनी थी और फर वैसे ही सो गई ।

उसक चू चयां पहाड़ क चोट क तरह उपर उठती बैठती हर सांस के


साथ ,,,, नीचे अंदर क ओर धंसा आ सपाट पेट,,, उसके नीचे छोट सी पट
से सफ उसका यो नछे ही ढका था पीछे के ह स पर तो आधी से अ धक
गांड़ का ह सा खुला ही था । मने आज जीभर कर शा लनी के इस यौवन को
नहारा,, उसके कुछ फोटो भी ले लया मौका दे ख कर ,,,,

म शा लनी के एक दम करीब होकर उसके बदन क खुशबू लेने लगा, तो मने


दे खा क मेरे सूखे ए वीय के ध बे साफ साफ दखाई दे रहे थे उसक ा के
कसम।

शा लनी का एक हाथ सीधा और सरा उसक पट के ऊपर था .... शायद ये


भी सहला रही हो अपनी बुर .... और सहलाते सहलाते ए सो गई होगी ,,, ।

रसगु ला सामने है मगर खा नह सकते वाली हालत हो रही थी,, ले कन


यादा इंतजार नह करना पड़ेगा शायद इस रसगु ले को चूस चूस कर खाने
के लए इसी उ े य और उ मीद से मने उसे हाथ नह लगाया ।

इ छा तो कभी नह भरती उसके बदन को दे ख कर ले कन काफ समय बाद


म बाहर बरामदे म आकर खड़ा आ तो दे खा क वो लाल ा भी मेरे वीय के
ध ब को अलग दखा रही थी,,, शा लनी ने उसे भी धोया नह था और बाक
सारे कपड़े वो हर रोज धुल लेती थी ।। शा लनी भी कुछ कुछ हरकत करने
लगी है ,,

मने कुछ संय मत होकर बरामदे से ही आवाज लगाई ,,


शा लनी,, बेबी ,, और बोलते ए कमरे म आ गया तभी शा लनी क आंख
खुली और सामने मुझे दे ख कर थोड़ा सा च क कर उठ कर बैठ गई ।

मगर पछली बार क तरह हड़बड़ाई नह और ना ही अपने बदन को मुझसे


तुरंत छु पाने क को शश भी नह क ,, ब क मुझ पर बजली गराते ए
उसने अपने दोन हाथ से अपनी आंख को भ चा और उसक चूं चयां और
उछल कर ा से बाहर नकलने को ई ,, और आंख से हाथ हटाते ए
बोली ....

शा लनी- भाई,,,, आप .... रात यादा हो गई या ?

म - नह म ही थोड़ा ज द आ गया ,,,

और शा लनी कुछ और सोच पाती उससे पहले मने उसक फेवरेट चाकलेट
को उसके हाथ म पकड़ा दया और उसनेे पकड़ते ए थ स ो बोला ।

म उसे यादा से यादा दे र तक ा पट म ही रखना चाहता था । शा लनी ने


भी कोई ज दबाजी नह क और मने चाकलेट का रैपर नकाल कर सीधा
उसके ह ठ के पास लगा दया और वो खाने लगी,,, दो बाइट खाने के बाद
शा लनी ने मुझे भी चाकलेट खलाई और आराम से बेड से उतर कर पीछे
कमरे म कपड़े पहनने के लए चली गई ,,,

पीछे उसक पट उसक गा ड क दरार म घुस गई थी और उसके लहराते ए


कदम,,, ले कन वो बदास होकर पेश आ रही थी ,,,,

ये एक तरह से उसके का फ डे स को भी दखाता था ,,,


मने भी चज कर लया और शा लनी इस बार ट -शट के साथ कै ी पहनकर
कचन म चाय बनाने लगी ।।
हम दोन म बना बात के ही बात हो रह थ ,,, आंख ही आंख म.......

शा लनी ने रात का खाना बनाया और नहाने के बाद अपनी रात वाले रेगल
ु र
कपड़े मतलब समीज और न कर म आ गई । काश इसने कल रात ये कपड़े
पहने होते तो शायद म और भी मज़ा ले पाता।।

ले कन यहां कौन सा शा लनी भागी जा रही थी,,, जो मज़े म कल कमी रह


गई थी को शश करके आज रात को पूरी करने क इ छा मेरे मन म कुलांचे
भरने लगी । मगर कैसे आज या बहाना बनाऊं जससे शा लनी के से सी
बदन का भोग लगाने का मौका मल जाए ।।

शा लनी- भाई आप भी नहा ली जए फर खाना खाते ह ।

म - हां,, हां,,, मैने खयाल क नया से बाहर आकर जवाब दया । 

बाथ म म घुस कर दरवाजा बंद करते ही, हगर पर टं गी शा लनी क सुबह


पहनी ई पपल कलर क ा और टे ड पट नजर आ गई,, वो शायद उ ह
बाहर फैलाना भूल गई थी । फर मेरे दमाग म आया क शा लनी ने अभी
शाम को तो लैक वाली ा पहनी थी और मैने दरवाजा खोल कर बाहर
बरामदे म दे खा तो लैक ा र सी पर टं गी ई थी,,,, मने बाहर आ कर काली
ा को छू कर दे खा तो वो ब कुल सूखी थी ,,, मतलब

शा लनी ने मेरे वीय वाली ा को फर से बना धुले ए टांग दया है,,,, ये सब


दे ख कर मेरा मन कहने लगा .... मं जल अब र नह है शा लनी के मन म भी
अब से स के खयाल आने लगे ह,,, मुझे उसक ा म ह तमैथुन करने म मजा
आता है और शा लनी को मेरे ह तमैथुन के बाद वीय से सनी ई ा
पहनने म .... 

म वापस बाथ म म घुस गया और सबसे पहले मने शा लनी क पपल कलर
क ा उठाई और अपने लंड पर रगड़ना शु कर दया,,,, मने शा लनी क
ं ा भी और चाटा भी ,,, 
म त चू चय को छु पाने वाली ा को सूघ

म अपना लंड हला रहा था और

अ ह्ह स् या चु चयां है शा लनी क उ फ्फ इतने करीब से


दे खा-दे खी और छू ना.......

अ ह मजा आ जाता है.... उ म्म उसक बुर भी कतनी मुलायम और


चकनी होगी..... स् और गीली भी .... उ फ्फ अब तो वो भी मजे
ले रही है अ ह्ह वो भी चाहती है स स स अब तो वो भी इतना गरम हो
जाती है क आजकल म चुदाई हो ही जायेगी ..... मुझसे ....उ म् म
अ ह् ह कतना मजा आएगा उसको चोदने म अ ह उसक बड़ी
बड़ी चु चया दबाने म अ ह्ह स स 
और
मने ज द ज द तेज हाथ से अपने लौड़े को आगे पीछे करते ए उसक ा
के दोन क स को अपने गाढ़े वीय से भर दया और फर वैसे ही हगर पर
उसक ा को टांग दया ,,, और नहाने के बाद सफ टावेल लपेट कर बाहर
आ गया । मुझे अब जरा भी डर या संकोच नह था क शा लनी उसे दे खकर
या सोचेगी ।। 

शा लनी पीछे कमरे म बु स वगैरह दे ख रही थी और मने उसे आवाज द क


खाना लगाओ ,, हम बेड पर ही खाते थे अ सर,,, 
म वैसे ही सफ टावेल लपेट कर ही बैठा रहा.... म अब इतना उतावला हो
रहा था शा लनी के लए क अब म उसे अपना लंड कसी बहाने से दखाना
चाहता था,,,, ले कन म ये चाहता था क शा लनी को ये लगे क मेरा ल ड
उसको धोखे से दख रहा है म जानबूझकर नह दखा रहा ं,,, 

खाना खाते ए हम दोन बात करते रहे और मने टावेल को इस तरह तरछा
कया क मेरे सामने बैठ ई शा लनी को वो दखाई दे जाए ... मेरा ल ड
खड़ा हो ही रखा था पहले से ,,,,,, 

कुछ दे र बाद शा लनी क नजर मेरे दोन पैर के बीच उपर क ओर नशाना
साधते ए मेरे लौड़े पर पड़ गई,,,, अब उसके चेहरे का रंग बदल रहा था और
वो थोड़ा सा नजर इधर उधर करके फर से मेरे लौड़े को दे ख रही थी ,,, मेरा
ल ड और झटके लेने लगा और मने थोड़ा सा ऊपर क ओर हल कर
शा लनी के लए ल ड को दे खना और आसान कर दया ।

हम दोन ही खाना खाते ए बात करते रहे और शा लनी ने उठकर लेट


वगैरह हटाई और कचन म जाकर काम करने लगी । म शा लनी को अपना
लौड़ा दखाने म कामयाब रहा और शा लनी ने भी नजर भर कर उसे
दे खा था ,,,

मने टावेल हटाकर आज कई दन बाद शा लनी क शा पग क ई हाईट


े ची पहली बार पहनी और उपर कुछ नह पहना , मेरे नंगे सीने पर एक भी
बाल नह था,,,,और लेटकर ट वी दे खने लगा ।

पहले म बड़ी फुल साइज क अंडर वयर पहनता था या फर नंगा ही रहता


था घर म शा लनी के आने से पहले ,,,
शा लनी मेरे से कुछ र पर बतन साफ कर रही थी और म लेटकर अपने लंड
को े ची म दबा कर एडज ट कर रहा था,, मगर मेरे हल बी टाइट लंड को
इसम छु पाना नामुम कन था खैर म छु पाना चाहता भी नह था, बस ये चाहता
था क शा लनी को ये सबकुछ यार म लगे और यार से लगे,,, 

कोई जोर जबरद ती ना हो जो कुछ भी हम दोन म हो रहा था वो धीरे धीरे


यार से ही हो रहा था। सफेद वी शेप अंडर वयर म मेरे लौड़े क फूली ई
नस भी गौर से दे खने पर दख रह थी और तभी शा लनी ने कमरे म आ कर
एक नजर मुझ पर डाली और पानी क बोतल मेरे पास रख कर मु कुराते ए
पीछे कमरे म चली गई ।। 

उसे थोड़ा काम था पढ़ाई का शायद ..... शा लनी अपने काम म बजी थी।
इधर म उसके शरीर को छू ने का मौका नह मलने के कारण थोड़ा बेचन
ै हो
रहा था.... ।।

म ब त ही लो वो यूम म ट वी चैनल बदल रहा था और कसी से सी गाने


क तलाश म चैनल बदलता ही रहा.... असल म ट वी पर मेरा यान ही नह
था,,, तभी मेरी नजर सामने रखी ई ठं डे तेल क शीशी पर पड़ी और ......
मेरे शैतानी दमाग म एक आई डया आया ...

मने शा लनी को आवाज द ,,,

शा लनी- जी आई.....

और एक पल म ही वो मेरे सामने खड़ी थी,,, म अभी भी लेटा था पीठ के बल


और इस समय मेरा ल ड नामल ही था तो भी ऐसी च य म लंड का आकार
कार अलग ही दखाई दे ता है,,, 
शा लनी- या आ भाई?

म- मेरा सर दद कर रहा है,,

शा लनी-तो लीज़ आप दवाई ले ली जए।

म- अरे नह ,,, दवाई नह ,, वो माम ने एक तेल दया है उसे लगा कर थोड़ी सी


मा लश कर दो,,, बस अभी ठ क हो जाएगा

ये सुन के शा लनी को मन म हँसी आ गयी ...उसे थोड़ा अजीब तो लगा होगा


पर मन म कही न कह वो खुश भी ई क म उसके लए कैसे तड़प
रहा ं .....और या या बहाने बना रहा ं..

शा लनी:- अ..वो.. भै या..मै 

म :- ओ ह कोई बात नह ...म खुद ही लगा लेता ... थोड़ा तो आराम


मलेगा...तुम अपना काम कर लो,,,

मने ऐसा बोला तो शा लनी पघल गयी...उसे लगा होगा सर क मा लश


करने म या बुराई है...दस मनट म मा लश कर ं गी...

शा लनी :- नह नह भाई...म वो ये सोच रही थी क...जाने द जये आप


लाईये तेल....

म :- तु हे कोई ा लम तो नह ...मतलब क तु हारा काम??


शा लनी :- काम हो ही गया है...बाक सुबह कर लुंगी म यही सोच ही रही
थी...वो मुझे न द भी आ रही थी... ठ क है आज आपक म त मा लश कर
दे ती ं .... 

हां म यहाँ नीचे बैठ जाता ं तुम बेड पे बैठ जाओ... ये ठ क रहेगा ।

मने दे खा शा लनी ने आज एक थोड़ी टाइट समीज पहनी थी..अंदर ा तो वो


नह पहनी थी...और नीचे न कर पहना था... ा नह पहनी थी तो या पट
भी नह पहनी होगी ये सोच के मेरे मन म ल फूटने लगे...

और मने दे खा क उसके न पल कड़क होने लगे थे... जसक वजह से


उसके समीज के पतले कपड़े से साफ़ साफ़ दखाई दे रहा था क उसके
न पल खड़े है... म नीचे बैठ गया... शा लनी मेरे सर के पीछे बेड पे बैठ
गयी... और हमारे ठ क सामने तो अलमारी म लगा आदमकद आइना था...
हम दोन उसमे साफ़ साफ़ दखाई दे रहे थे... 

मने अपने पैर फश पर लंबे कये और अपने दोन हाथ अपने लंड को छु पाने
के हसाब से अपनी े ची पर रखे ए थे.... म शा लनी के दोन पैर के बीच
बेड पे पीठ टकाए बैठा आ था...
.... शा लनी क नंगी जांघे मेरे कंधो से टकरा रही थी। 

शा लनी ने कुछ तेल मेरे सर पर डाला और कुछ अपने हाथ पे लया और


धीरे धीरे मा लश करने लगी... शा लनी के मुलायम हाथ का पश जैसे ही
मेरे सर के बाल को आ तो मेरा रोम रोम रोमां चत हो उठा... और मेरा लंड
अंगड़ाई लेने लगा... जसको मने हाथ से थोड़ा दबा दया...

म :- आहा हा .. म कतना अ छा लग रहा है...


शा लनी:- या भाईजी ??

म- तु हारे मुलायम हाथ....

शा लनी बस थोड़ा मु कुराई....शा लनी ने आईने म दे खा क म अपने लंड को


लगातार धीरे धीरे दबा रहा ं .. तो उसक हँसी नकल गयी।

शा लनी:- म... स.... 

और वो अपने नचले ह ठ को अपने दांत से काट रही थी .....

शा लनी धीरे धीरे मा लश करने लगी... म अपना सर थोड़ा थोड़ा पीछे लेके
जा रहा था...

म :- शा लनी थोड़ा जोर लगा के करो...सर म तेल नह लगाना है सफ ,,,,


थोड़ा दबाना भी है...

शा लनी :- ओके भाई .....

शा लनी अब थोड़ा जोर लगाने लगी और थोड़ी च पी करने लगी जसक


वजह से बना ा क उसक चु चयां उछलने लगी... म ये नजारा आईने म
दे ख रहा था.... मेरा लंड ये दे ख के और भी जोर मारने लगा... शा लनी का
यान जब आईने पे गया और दे खा क म उसक उछलती ई चु चय को
आँखे फाड़ के दे ख रहा ं तो वो शरमा गयी...

एक अजीब सी लहर मेरे दल म उठ जो सीधा मेरे लौड़े पे जाके ख म ई...


मेरे ल ड म ीकम का पहला बू द आ गया था...

म- शा लनी थोड़ा आगे सरको ना...ये बेड मेरे गदन को चुभ रहा है....

शा लनी न चाहते ए भी थोड़ा आगे सरक आयी.... शा लनी अब ब कुल


बेड के कानर पे बैठ थी और पैर फैले होने के कारण उसक बुर आगे क
ओर आ गयी थी,,,,,, मने झट से अपना सर पीछे कया और अपने सर का
पछला ह सा शा लनी क बुर पे न कर के उपर से रख दया.... 

जैसे ही उसने वो महसूस कया वो अपने आप ही थोड़ा आगे खसक गयी...


मेरा सर उसक बुर से बस कुछ ही री पे था. मुझको ये समझ आ गया क
शा लनी थोड़ा आगे खसक चुक है... मने आईने म दे ख के अंदाजा लगा
लया क मेरा सर शा लनी क बुर से कतनी री पे है। मने शा लनी के हाथ
पकड़ लये और अपने माथे पे रख दए।

म :- यहाँ पे दबाओ थोड़ा....ब त दद कर रहा है।

मेरे हाथ हटाने क वजह से मेरे लंड का


उभार शा लनी को ऊपर से साफ़ दखाई दे ने लगा। शा लनी उसे आँखे फाड़
के दे खने लगी। ये चीज मने आईने म दे ख ली.... मने बारा अपना हाथ लंड
को छु पाने के लए नह रखा...शा लनी मेरा खड़ा लंड दे ख के और भी
उ े जत होने लगी थी। शा लनी अब थोड़ा जोर लगा के मेरा सर दबा रही थी
जससे म जानबुझकर अपना सर पीछे ले जा रहा था.... ।।

शा लनी क तो जैसे जान ही मुंह म आ गयी...वो गरम होने लगी थी... म


उसके चेहरे के हाव भाव दे ख रहा था... मुझे शा लनी क फूली ई बुर का
मुलायम अहसास साफ़ साफ़ हो रहा था। मने अपना सर अड् ज ट करने के
बहाने से एक दो बार शा लनी क बुर पर और दबा दया। शा लनी को मजा
आने लगा था... शायद ...

वो भले ही कतनी भी को शश करती हो मुझसे र रहने क पर जब भी वो


करीब आ जाती थी तो शा लनी को शायद खुद को काबू रखना दन ब दन
मु कल होते जा रहा था। मैने ब त ब ढ़या चाल चली थी... यू क अब
शा लनी जब भी मेरा सर दबाने के लए जोर डालती म अपना सर पीछे ले
जा के जोर से शा लनी क बुर पे दबा दे ता...शा लनी क हालत ब त ख़राब
हो चली थी...अब शा लनी भी अपनी गांड़ को थोड़ा सरका के अपनी बुर को
मेरे सर पर दबाने लगी थी... इस हालात म ल ड बेकाबू और खयालात म
सफ इस संगमरमरी बदन को भोगने क इ छा ... बस और कुछ नह ...

शा लनी क फूली ई मुलायम बुर के पश को पाकर मैने अपनी आँखे बंद


कर ली ...उसक बुर का इस तरह महसूस करने का मेरे लए यह पहला
मौका था भले ही बीच म कपड़े क एक द वार थी मेरे सर और शा लनी क
बुर के बीच म,,,, मने फर से अपने हाथ अपने लंड पर रख लए और थोड़ा
थोड़ा उसे दबाने लगा।

शा लनी ने जब ये दे खा क म बेशम हो कर उसके सामने ही लंड को मसल


रहा ं तो उसक बुर शायद और पानी छोड़ने लगी होगी .... मुझे लगने लगा
क उसक न कर अब गीली होने लगी है.... वो या करे उसे शायद कुछ
समझ नह आ रहा था।

मुझे लगने लगा क ऐसे ही थोड़ी दे र चलते रहा तो हम दोन ऐसे ही झड़


जायगे ।।

शा लनी - भाई ईईईई ....बस हो गया या?? मेरे हाथ दद करने लगे ह...
मुझको तो लग रहा था क ये सब कभी ख म ही ना हो पर अब मेरी मज़बूरी
थी...

म :- हां...ठ क है...अब आराम है मुझे।। 

म फश पर ही सीधा बैठा रहा और पीछे मुड़ा..मुड़ते ही मेरी नजर पहले


शा लनी क बुर क तरफ़ गयी .. मुझे वहां कुछ गीला सा दखा.. एक ध बा
जेस.े .....पहले तो मुझे लगा क तेल का होगा पर अगले ही पल मुझे समझ
आ गया क वो तेल नह है... शा लनी ने झट से अपने पैर पास कर लए यू
क वो दे ख रही थी क म उसक बुर वाले ह से को बड़े गौर से दे ख रहा ं... 

ओ ह इसका मतलब शा लनी क बुर ने पानी छोड़ दया था ...मेरे


साथ ... शायद पहली बार ... और उसक बुर गीली हो गयी थी..,मतलब उसे
ये सब अ छा लग रहा है.....उसे मजा आ रहा था.... म तो चलो कुछ और
करते है...

म :- म .... शा लनी ब त अ छा म साज कया तुमने... अब चलो म भी


तु हारे सर म तेल लगा दे ता ं.....बड़ा अ छा तेल है... े श हो जाओगी...
बेबी तुम ...भी ...और न द अ छ आएगी ।।

शा लनी शायद समझ गयी क म अब और कुछ हरकत करने वाला


ं....अभी मेरा मन नह भरा था ....

शा लनी:- नही भाई जी ठ क है...

म :- या सोचने लगी ?? चलो बैठो नीचे म ऊपर बैठता ं.....


शा लनी शरमाते ए नीचे बैठ गयी... म ऊपर बेड पे बैठ गया... और उसके
सर पे तेल डाल के धीरे धीरे मा लश करने लगा...ऊपर से शा लनी के बड़े
गले क समीज से शा लनी क चु चयां आधी से यादा दखाई दे रही थी।
गोल गोल बड़ी बड़ी गोरी चु चय को दे ख के मेरा लंड फरसे खड़ा होने लगा
था...

शा लनी ने आईने म दे खा क म उसक चु चय को यादा से यादा दे खने


क को शश कर रहा ं.... . शा लनी को ह क सी हँसी आ गई ..... शा लनी
भी अब इस खेल का मजा ले रही थी या कुछ और चाहती थी.. और मुझे
तड़पाने के लए उसने जानबूझकर

धीरे से अपनी समीज का नचला ह सा पकड़ा और नीचे ख चने लगी... ा


नही होने के कारण समीज उसक चकनी चू चय पे फसलते ए नीचे जाने
लगा....शा लनी ये काम इतने धीरे कर रही थी क मुझको पता भी ना
पड़े ...ले कन अब मुझको शा लनी क चूं चय का काफ ह सा साफ़ साफ़
दखाई दे रहा था। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था.... म थोड़ा आगे आ
और शा लनी के सर को पीछे ख चा...और अपने लंड पे रख लया....जैसे ही
शा लनी को मेरे कड़क लंड का पश अपने सर पे आ उसने आँखे बंद कर
ली ।

मेरा ल ड भी फूल पचक रहा था जसका एहसास शा लनी को अपने सर


पर ज र हो रहा होगा....

म - बेबी,,,ऐसे ही रहो...म तु हारा सर अब अ छे से दबा दे ता .ं ...

शा लनी - ओके ,, भाई.... अ छा लग रहा है, लीज़ कां ट यू ....


शा लनी का सर पीछे आ जाने के कारण उसक चु चयां ऊपर क ओर आ
गयी थी...और शा लनी ने समीज को थोड़ा ख च के पकड़ा आ था इस लए
सफ न् प स ही समीज म छु पे ए थे....और शा लनी ने अपनी छाती को
जानबूझ के थोड़ा ऊपर क ओर उठा लया.... जससे उसक चु चय का
दलकश नजारा मुझको मल रहा था वो अदभुद था.... 

म उसे ऐसे दे ख के पागल हो गया.... अपना लंड उचका उचका के अपनी


ख़ुशी जा हर करने लगा.... मेरे लंड का उचकना शा लनी को फ ल हो रहा
था....उसक साँसे तेज होने लगी....धड़कने बढ़ने लगी....उसक तेज साँस
के साथ ऊपर नीचे होती उसक अधनंगी चु चय को दे खकर मुझको होश ही
नही रहा..... म शा लनी का सर अपने लंड पे दबाने लगा.... शा लनी भी मजे
से कड़क लंड का पश ए जॉय करने लगी....कुछ मनट तक यही
सल सला चलता रहा....

म :- अ छा लग रहा है ना बेबी,,,, इस मा लश से तुम एकदम रलै स हो


जाओगी ....

शा लनी :- हां जी,,,... 

उसने अपनी आंख बंद ही रखी... शायद इस हालात म वो मुझसे नज़र मला
भी नह पाती .... म लगातार सामने आईने म भी दे ख रहा था ...

म :- मजा आ रहा है ,, बेबो,,??

शा लनी:- मजा ...?? मतलब ?? कैसा मज़ा ??


म जोश म होश खो बैठा था... और भूल गया था क म अपनी ही सगी बहन
के साथ इस हालात म ं,,, इतना होने पर भी हम दोन म अभी इतनी से सी
बात का सल सला शु नह आ था,,,,।।

म :- वो..म म..मेरा...मेरा मतलब...

मेरी बात अधूरी ही रह गयी... यूं क तभी कमरे के खुले दरवाजे से बरामदे
क ओर से एक बड़ा सा क ड़ा शा लनी के हाथ पे आके बैठा और उड़ गया ...
बड़ी तेज आवाज भी कर रहा था...

..शा लनी कसी और ही नया म थी...वो आँखे बंद करे ए थी...वो एकदम
से डर गयी और हाथ से उसे झटक दया और थोड़ा च लाते ए वो झटके से
खड़ी हो गई। वो डर गयी थी और इधर उधर दे खने लगी।

म भी ज द से अपने खड़े ल ड का त बू दखाते ए बेड से उतर कर खड़ा


हो गया,,, ये सब कुछ सेकंड म ही हो गया था ।

म :- या आ बेबी ?? यूं डर गयी या ?? कुछ नही एक क ड़ा था...बस.. 


रलै स ...

शा लनी अब भी डरी ई थी... म फर से आगे आ और उसे बाह म लया


और ...उसको अपने नंगे सीने से चपका लया

म :- अरे कुछ नही होता उससे...

शा लनी:- वो बड़ा ही अजीब फ ल आ हाथ पे...


शा लनी इधर डरी ई थी और म अपने काम म लगा आ था.... मैने शा लनी
को अपनी बाह म कस लया... शा लनी के बड़े बड़े कड़क न स मुझको
अपनी नंगी छाती पे महसूस हो रहे थे। नरम नरम चु चय के पश से मेरा लंड
जो थोड़ा सा मुरझा गया था....वो फर से टाइट होने लगा.....इस बार मेरा
लंड सही नशाने पर था... 
यूक
ं एक तो वो थोड़ा मुरझा गया था जससे शा लनी को जब गले लगाया
तब उसका फासला कम था ले कन अब जब वो टाइट होने लगा था तब
शा लनी क बुर के ब त करीब हो गया था....

म शा लनी क पीठ पे हाथ घुमा रहा था.... और धीरे धीरे म अपने हाथ घुमाने
का दायरा बढ़ा रहा था... नीचे कमर तक... फर थोड़ा और नीचे शा लनी गांड
के ऊपरी ह से पे हाथ घुमाने लगा....
शा लनी अब संभल रही थी...वो डर के ै क से नकल कर वापस सही ै क पे
लौट आई थी... मेरा हाथ अपनी गांड़ को सहलाते ए पाकर वो उ े जत होने
लगी....वो चाहती तो मुझको र कर सकती थी पर उसे मजा आने लगा था...
उसक सांस क गम बता रही थी......

म :- सब ठ क है..कुछ नह होता...इतना या डरना?

म शा लनी को अपने आप से और चपकाते ए बोला ...

शा लनी अब खुद मुझसे चपकती ई अपनी सांस को स हाल रही थी ...


मने मौके का फायदा उठाया और अपना लंड शा लनी क फूली ई बुर से
और सटा दया...., हम दोन क ल बाई म थोड़ा सा ही अंतर है जो आज
बड़ा फायदा प ंचा रहा था ।

शा लनी क आह नकलते नकलते बची....शा लनी भी शायद अब पीछे नही


हटना चाहती थी...या उसे सच म पता ही नह है क ये हम-दोन म या हो
रहा है... इसक मं जल कहां है ??

उसने भी अपनी बुर मेरे लंड क ओर थोड़ा बढ़ा द ...दोन ही वासना म अंधे
हो चुके थे.... लगभग दो मनट हो चुके थे पर हम दोन ही एक- सरे को
छोड़ना नही चाहते थे...

ले कन तभी वो क ड़ा फरसे उड़ते ए आया और शा लनी के हाथ पे बैठ


गया... मैने झटके से उसे उड़ाया...ले कन इस दर मयान मुझसे शा लनी क
बाह का घेरा छू ट गया .... और शा लनी ये दे ख के हंस पड़ी...

शा लनी:- हा हा हा ....दे खा मने नही कहा था...दे खो आप भी डर गए ना??

शा लनी और मने दे खा क वो क ड़ा एक कोने म बैठा आ था.... और उसके


रगने वाली जगह पर पानी जैसा थोड़ा गाढ़ा ल वड नकल आया था ,,,, 

मने उस हरामी क ड़े को झाड से मार कर बाहर बरामदे म फक दया और मेरे


पीछे ही शा लनी जाकर बाथ म म घुस गई ।
म वापस आकर बेड पर लेट गया और सोचने लगा क क ड़े क वजह से
आज इतना हसीन सपना पूरा होते होते टल गया ,,,, मेरी सफ़ेद े ची म मेरे
ीकम के दो पाट साफ दखाई दे रहे थे .... 

शा लनी बाथ म से वापस आ कर उस क ड़े के ल वड को बड़े गौर से


दे खने के बाद मु कुराते ए बोली --

भै या यही क ड़ा था शायद.... जसे म कई दन से ढूं ढ रही थी,,, यही मेरे


अंडरगामट म कई दन से ल वड लगा रहा था... और भाई मने अभी दे खा
बाथ म म मेरी पपल वाली ा पर ऐसा ही ताजा ल वड लगा आ है जैसे
अभी अभी लगाकर आया था... मने उसे अभी शाम को ही धुला था ... 

अब मेरी चोरी पकड़ी गई थी य क ये काम उस छोटे क ड़े का नह ब क


मेरे सात इंची बड़े क ड़े का था ,,, एक पल को मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ने
लगी ,,, ले कन मने अपने आप को स हाला ....

और वो मेरे पास ही बेड पर लेट गई .......


अब तक मेरा जोश थोड़ा ठं डा हो गया था और म ये भी सोच रहा था क
शा लनी को इस तरह से स क राह पर ले चलने से पहले उसको और
व ास म लेना चा हए ,,, कह उसे ये सब मेरी तरफ से यादती ना लगे और
हमारे र ते म कोई कड़वाहट ना आ जाये ,,, 

शा लनी बाथ म से वापस आ कर उस क ड़े के ारा छोड़े ल वड को बड़े


गौर से दे खने के बाद मु कुराते ए बोली --

भै या यही क ड़ा था शायद.... जसे म कई दन से ढूं ढ रही थी,,, यही मेरे


अंडरगामट म कई दन से ल वड लगा रहा था... और भाई ... मने अभी
दे खा बाथ म म मेरी पपल वाली ा पर ऐसा ही ताजा ल वड लगा आ है
जैसे अभी अभी लगाकर आया था... मने उसे अभी शाम को ही धुला था ... 

और वो मेरे पास ही बेड पर लेट गई ....... 

म - (थोड़ा सा सोचने के बाद) हां हां ,,, यही क ड़ा होगा ।

शा लनी- हां , गंद तो कर दे ता था मेरी ा ,,, बट भाई इसके ल वड क


मेल बड़ी अ छ होती थी ,,, अजीब सी ,,, क क टाइप ,पर अब तो आपने
उसे मार दया ....।

म- मेल अ छ थी तो बताना चा हए था म उसे नह मारता ,,,, चलो कोई नह


म आ क ं गा क तु हारे लए वो पर यूम वाला क ड़ा उपर वाला फर से
भेज दे ,,, बेबी को पर यूम वाली ा पहनना पसंद है ...है ना ... हा हा हा ....

शा लनी - भाई ईईईई ... आपसे तो कोई बात बताओ, बस आप मेरे मज़े लेने
लगते हो ... (झूठ नाराजगी दखाते ए)

म- अरे,, अरे मेरी वीटू ,, नाराज य हो रही हो ,, अब हम आपस म मजाक


भी नह कर सकते या ?? 

शा लनी - तो ठ क है अब म भी आपके मजे लूंगी ,,, ठ क से ,, बट आप अगर


मेरे से बड़े भाई ना होते, तब म बताती ।

म- या बताती ...?? वैसे ये बड़े छोटे भाई बहन वाले च कर म ना ...


शा लनी हम दोन या ऐसा नह कर सकते क हम दो त क तरह एक सरे
से बात कर सक ??

शा लनी - हां,, भाई ,, आप और म दो त क तरह ही तो रहते ह ...बस 

म- कहां ह दो त क तरह ,, जरा सा मजाक कया और बेबो नाराज !

शा लनी - अरे म नाराज वाराज नह ं... और आपसे तो कभी नाराज हो ही


नह सकती । 
(लेटे लेटे हीअपना हाथ उसके हाथ म लेकर) 

म- तो अब हम दोन आज से एक वादा करते ह क अब से हम दोन भाई


बहन के साथ साथ डस भी है और एक सरे से कोई भी चीज छु पायगे नह
और हर तरह क बात शेयर करगे ,, और ये शरम वरम ब कुल नह ,,,
प का ,,, ए ी ??

शा लनी - हां, ए ी , आज आपने मेरे मन क बात कही है ,, डस ,, बट ...

म- बट या? म तो वैसे भी तुमसे होकर बात करता ं और तु ह अभी भी


शायद कोई संकोच हो रहा है,,, बोलो ना.. े ड ,,,, और ड शप म कोई
आप वाप नह .. तुम मेरे नाम से मुझे बुला सकती हो,,, ।

शा लनी - ठ क है,,, मेरे राजा भैया ।

म- फर से भै या ? 

शा लनी- अरे , े ड ... मेरा भै या भी तो है क नह , अब थोड़ा सा टाइम तो


लगेगा ही ,,, सा...गर .... हंसते ए ....

हम दोन को बात करते ए काफ समय हो गया था तो मने कहा 

ठ क है े ड ,,,, अब एक गुडनाईट क सी दो और हम सोते ह ,,, 


शा लनी ने ह के से खसककर मेरे माथे पर कस कया और लेट गई ।

म- ये तो फर से भै या वाली गुडनाईट ई ,, े डस म तो ऐसी गुडनाईट


क सी होती है 
और बोलते ए मने शा लनी क आंख म दे खा और उसके संतरी ह ठ पर
अपने जीवन का पहला लप कस कर दया ,, ह का सा चूसते ए ... मीठू ...
है ....

शा लनी शरमा गई और मु कुराते ए मेरे सीने म एक मु का मार कर सरी


ओर करवट ले कर लेट गई और बोली - गुडनाईट राजा... भै .... 

उसके मुंह से भै या नकलते नकलते रह गया और मने उसे पीछे से अपनी


बाह म भर लया मगर अपने ल ड वाले ह से को र ही रखा,,, मेरे हाथ
उसक चू चय पर थे समीज के उपर से और शा लनी ने मेरे हाथ को अपने
हाथ से ऐसे चपका लया जैसे वो कह रही हो भाई ... अब दबाना मत मेरी
ं ी .... 
चूच

मेरे मन म अब शा लनी के साथ सुबह से ही े ड शप और उसक आंड़ म


वाय े ड बनने के याल आने लगे और हम दोन ऐसे ही सो गए ,,, हसीन
सुबह के इंतजार म .... 

*****************************
सुबह न द खुली तो मेरा हाथ अभी भी शा लनी के पेट पर ही था और उसक
समीज ह क सी उपर हो रही थी और मुझे सुबह सवेरे ही बड़े बड़े खरबूजे
के आकार क खूबसूरत चू चय के नचले ह से के दशन हो गए । म लेटे लेटे
ही शा लनी के बाल म उंग लयां फराने लगा और वो भी जाग गई ....

सुबह सवेरे एक सोती ई शोख हसीना के अधनंगे बदन को दे ख कर अपनी


सुबह शु करने से अ छा इस नया म कोई सरा मजा नह हो सकता
इसके बराबरी का ,,, सोते ए वो ब त ही मासु मयत से भरी लग रही थी ।।

उसके जागते ही मने उसके रसभरे ह ठ पर एक चु बन ले लया, और गुड


मा नग बोला ,,,,कल रात से थोड़ा सा यादा मजा आया ,,,, ह ठ को चूसने म

शा लनी ने भी उठते ए गुड मा नग बोला और 

शा लनी - या भाई ,, मने अभी श भी नह कया और तुम .... ही ... ही ... 

म- वैसे ये कल रात से यादा मी ठू था मैडम,,, चलो कोई नह ... श कर


लो तो फर से...

शा लनी- न न ना ... फर शु हो गये ।

म- अरे, अब हम दो त ह और नो ल मट इन े ड शप 

शा लनी- ल मट म तो रहना पड़ेगा मेरे राजा भैया ।

म- हां हां मेरी वीटू दो त .... बहना


म बाथ म म जाकर े श होने लगा तभी मेरा हाथ मेरे ल ड पर प ंच गया
और रात क म ती, सुबह सवेरे का ह ठ का रसपान याद आते ही ल ड खड़ा
हो कर झटके लेने लगा,,,,, हमेशा क तरह इसका एक ही इलाज था,,, मुठ
मारना .... खड़े खड़े मुठ मारकर म े श हो कर बाहर नकल आया और
तुरंत ही शा लनी बाथ म म घुस गई ।

और जब वो बाथ म म चली गई तो मुझे याद आया क बाथ म क फश


पर म पानी डालकर अपना वीय साफ़ करना भूल गया ं ,, आज कल वीय
भी ब त यादा नकलता है ह तमैथन ु करने म ..... 
कुछ दे र बाद शा लनी े श होकर ना ता बनाने लगी और कचन से ही बोली

शा लनी- भाई ,,, वो क ड़ा लग रहा है फर से आ गया है ।

म- अ छा,,, दखा या ?? फर से तु हारी ा म पर यूम लगा दया ।। 

शा लनी- नह नह ,,, आज तो पूरे बाथ म क फश पर फैला था उसका


ल वड ... 

म- ओ हो ... बेचारे क ड़े को पता नह था,,, नह तो अपना पर यूम खराब


नह करता ..... हा .. हा ...

शा लनी - ही ही ही हंसते ए ... हां ये क ड़ा तो पालने लायक है ।

म- अरे उस छोटे क ड़े को पालकर या करना ,,, ये पर यूम ल वड उसका


है ही नह ....
शा लनी - या ?? तो कसका है ??

अब म फंस गया था क शा लनी को म कैसे बताऊं क वो क ड़ा नह ,, उसके


बड़े भाई के ह तमैथन
ु करने से नकलने वाली म है ।

म- अरे यार , वो ... वो अरे तुम नह जानती ।

शा लनी- या नह जानती और तु ह पता है तो बताओ ?

म- कोई नह फर कभी बताऊंगा ।

शा लनी - या ? तु ह पता है तो बताओ ...नो सी े ट ... े डस म ...


बताओ.. बताओ अभी .. । 

और ये बोलते ए वो मेरे सामने चाय क कप लेकर आ गई , म अभी बना


अंडर वयर के बरमूडे म था और शा लनी ने समीज उतार कर ट -शट पहन
ली थी ।
म चाय पीते ए 

म- अरे,,, वीटू ... फर कभी बताऊंगा ,,, 

शा लनी - (चाय सप करते ए) नह मुझे अभी जानना है उस पर यूम वाले


क ड़े के बारे म ... कल तो बड़े बड़े वादे कर रहे थे तुम ... नो सी े ट ,,,
सबकुछ शेयर करगे ।

मने सोचा क ये मौका तो अ छा है शा लनी से थोड़ा और खुलने का ,, और


ह मत करके ...
म- अ छा बेबो , बताता ं बट ा मस करो क तुम नाराज़ नह होगी ?

शा लनी - म तो तुमको आलटाइम ा मस कर चुक ं कभी ना नाराज होने


का ,,, मेरे वीटू भै या राजा ...

म- बेबी, ,, वो ल वड ,,, वो .. वो मेरा है... और मने अपनी नजर सरी तरफ


कर ली 

शा लनी - हाट ? तु हारा है,, कैसे , लीज़ मुझसे झूठ मत बोलो यार ,,, और
तुम कहां से नकालते हो इतना सारा ल वड

म- वो यार, म अब तु ह कैसे समझाऊं ? 

शा लनी - कैसे यार ... या है सच सच बताओ ? मेरी बाडी से तो ऐसा कुछ


नह नकलता ? 

म- वैसे बेबी .... वो लड़क को ही नकलता है ऐसा ल वड ... ए साइटमट


म ... लड़ कय का अलग होता है ...

कुछ दे र के स ाटे के बाद ...

शा लनी- (उ सुकता से) तो मतलब कहां से नकलता है ये ....

इस तरह क गरमा गरम बात से मेरा ल ड फर से खड़ा हो गया और उसे


शा लनी भी दे ख रही थी ... 
म- बेबी, इट् स नेचरु ल, सभी लड़क को होता है .... और ये हम लोग के
पे नस से नकलता है । 

मेरी और शा लनी क नजर एक साथ मेरे ल ड पर पड़ी और ल ड ने एक


झटका लगा दया ....

शा लनी- भाई जी, वहां से तो तुम सु-सु करते ह ... आई कांट बलीव ...
ही ही ... सु-सु वाली जगह से वो ल वड ... सच सच बताओ ना ... लीज़ ।

म- अरे अब म कैसे बताऊं तु हे , ये यह से नकलता है यार .... 

मेरी ह मत जवाब दे रही थी और शा लनी के चेहरे के भाव भी बदल रहे थे..


म फलहाल और यादा बात नह करना चाहता था इस टा पक पर ,, मेरे
बरमूडे म त बू बना आ था ।

मने बात बदलते ए कहा चलो यार फटाफट रेडी हो नह तो हम लोग लेट हो
जायगे ।

शा लनी - बट भाई ,, मेरी समझ म नह आ रहा है क आप के पे नस से ....

म- लीव इट ! म बाद म तु ह बताता ं ,, प का ...

*************************************

अब हम दोन म बात चीत और आपसी सहम त से छे ड़छाड़ का एक नया


दौर शु हो गया था जसम मजा आना शु हो गया था, 
हम दोन ऐसे ही म ती करते ए नहाने के बाद तैयार हो कर कालेज के लए
नकल पड़े, अब शा लनी मुझसे आप के बजाय तुम कहकर बात कर रही थी
और वो कुछ यादा ही खुश लग रही थी , मने उसे कालेज गेट पर छोड़ा और
टाइम म काल करने को बोल कर अपने काम पर नकल आया ।

दन भर म भी त रहा और शा लनी से बात नह हो पाई, उसने कालेज से


नकलने के समय मैसज े कया और सरा मैसेज घर प ंच कर कया ,, कुछ
दे र बाद मने शा लनी को हाट् सएप पर र लाई कया...

म- हेलो बेबी ।

शा लनी-हां भाई कहाँ हो, कैसे हो ?

मने तुरंत र लाई कया ।

म- म त ं थोड़ा सा बजी था काम म आज ,,, आज यादा मेहनत हो


गई ........ माइल आइकॉन के साथ भेजा मेसज
े ।

शा लनी- हां हां, पता है मुझे आजकल तुम डबल मेहनत जो कर रहे हो !
माइल आइकान के साथ।

म -"(च कते ए) कौनसी डबल मेहनत ?" 

शा लनी - एक तो जाब वाली और ... सरी.... माइल आइकॉन ।

म- और सरी ??
शा लनी - ही ही ...वही जो आज बाथ म म क , ल वड ... ही... ही

मुझे लगा क शा लनी भी म ती के मूड म है और म भी था तो म भी मजा


लेने लगा

म -" ओ ह टॉयलेट ! टॉयलेट ही तो क थी" 

शा लनी- अ छा,, सफ टॉयलेट क , टॉयलेट म सफ़ेद गाढ़ा पानी कब से


नकलने लगा ।

म - ं ,, अ छा तु ह जानना था क ये सफेद पानी कैसे नकलता है ,, अब


बताऊं ।

शा लनी- हां, हां, वैसे मने गूगल सच कया था अभी, इस पानी को सीमेन
कहते ह ना भाई , बट नकलता कैसे ह ये नह समझ पायी ।

म- ं ं ,, जय हो गूगल बाबा क ,, वेट करो , म एक वी डयो भेजता ं, उसे


दे खो ,,, समझ जाओगी ।

मने एक अं ज े लडू के का ह तमैथन


ु करते ए वीय नकालने का वी डयो
डाउनलोड करके उसे भेज दया और वेट करने लगा उसके र लाई का ।
कुछ दे र बाद उसका र लाई आया 

शा लनी- ओह माई गॉड,,, ये ऐसे नकलता है ,,, भाई ..तुम भी ऐसे ही .... 

म- हां, वीटू , ये ऐसे ही नकलता है और म भी ऐसे ही नकालता ं ।


शा लनी- बट इसम या कोई मजा भी आता है, करते यूं ह ??

म- अरे, मजा ही मजा आता है ,, श द म नह बताया जा सकता ,, केवल


फ ल कर सकते ह ,,, तुम भी करना चाहती हो या ? मजा लेना है या ?

शा लनी- ही ही ,,, तुम ही लो मजा ,, मुझे नह लेना,, ही ही ,,, और मेरे पास


तो डंडा भी नह है,,,,हा...हा....हा 

म- म तो मजे ले ही रहा ं,,, तु ह चा हए तो बोलो ... और हां तु हारे मजे म


डंडा नह कुछ और काम आयेगा ।

शा लनी- या काम आयेगा ,, ??

म- यार ऐसे म कैसे बताऊं ,, वी डयो भेजूं ,,, लड़ कय के मजे वाला ?

शा लनी- ं ं ,, नह रहने दो ,,

म- वेट , आराम से दे खना 

और मने एक सुंदर सी र शयन हसीना का उसक बुर म उंगली डाल कर


ह तमैथुन करने का वी डयो डाउनलोड करने के बाद शा लनी को भेज दया
और उसके र लाई का इंतजार करने लगा,,, वी डयो तीन मनट का था और
शा लनी का र लाई दस मनट तक नह आया तो मने ही फर से मैसज े
भेजा 

म- या आ ड ,, दे खा वी डयो ?
शा लनी- हां ,, 

म- बताया भी नह क दे ख लया ,,,, हा हा.. हा.. या ाई करने लगी ,,,


ही...ही..ही

शा लनी- नह यार, ये सब मुझसे नह होने वाला ,, बट लगता काफ मजेदार


है ,, उस लड़के और इस लड़क के चेहरे से लग रहा था ,, खले खले ए थे
करने के बाद ,,, हा .... हा ....

म- चलो कोई नह , तु ह जानना था क ये सब कैसे होता है तो मने बताया ,,


कुछ और भी पूछना हो तो बोलो 

शा लनी- ही ही*,, गु जी आज के लए इतना ान काफ है बस आप शाम


को ज द आ जाओ ,, ओके ,,, अब म आराम करने जा रही ं ।।।

म- आराम ही करना ...बेबो.... 

शा लनी- हा हा हा ... बाय बाय ,,, लव यू हमेशा .......

शाम को म घर आया और शा लनी ने बोला*


शा लनी- वेलकम बैक े ड*
या पयोगे,, चाय या काफ ?*

मन तो कया क बोल ं ना चाय ना काफ ,,, मुझे तो ध पीना है और वो भी


तु हारा ,,, मगर अभी वो समय नह आया था,, और मने कहा - काफ
और म अपने कपड़े उतार कर सफ लैक वी शेप े ची म आ गया और
कूलर के सामने बेड पर बैठकर अपना पसीना सुखाने लगा । शा लनी कचन
से मुझे दे ख रही थी और ये दे ख कर मेरा ल ड फर बेकाबू होने लगा ।

शा लनी मेरी े ची क तरफ दे खती है तो शायद उसक धड़कन तेज हो


जाती है, े ची म मेरा लंड वकराल प से तना आ था, आजकल ये तो
अ धकतर समय खड़ा ही रहता है ,,, शा लनी अपने मन म सोचने लगी होगी
क कतना बड़ा पे नस है उसके राजा भैया का ! 
शा लनी काफ का कप लेकर मेरे पास आकर बैठ गई और नजद क से मेरे
त बू को दे खने लगी, दोपहर क गरम बात से लंड से वीय रसने के कारण
एक ध बा पड़ गया था, शा लनी समझ जाती है क लंड से नकलने वाले
ल वड का ध बा है ये, और वो सोच रही होगी क मेरा पानी नकल गया है,
ले कन म तो इसक बहन ,ँ या मुझे दे खकर मेरे भाई का पे नस खड़ा आ
है ?
काफ़ और ना ता करके दोन लोग हो जाते ह। 

थोड़ी ब त म ती करते ए हम दोन खाना खाने के बाद एक एक करके


नहाने के बाद बेड पर लेट गए और इधर उधर क बात करते रहे,, शा लनी ने
अपने कालेज क बात भी बताई,, मगर मुझे ऐसा लग रहा था क वो बार बार
कुछ कहना चाहती है और कह नह पा रही है ,,,,

शा लनी शायद कोई से स वाली बात पूछना चाहती थी ले कन कैसे पूछे यही
सोच सोच कर परेशान थी । ले कन ह मत जुटा कर बोल ही दे ती है। फोन
पर बात अलग थी ले कन आमने-सामने अभी थोड़ी झझक हो रही थी ।

शा लनी - भाई मुझे तुमसे कुछ बात करनी है?*

म- हां, तो बात ही तो कर रहे ह,, 

उसके ऐसे बोलने से मुझे थोड़ी घबराहट होती है, म समझ जाता ं क
शा लनी दोपहर से आगे क बात पूछेगी।

म - ह ह हा बोलो" घबराहट के कारण हकला जाता ं।

शा लनी - अरे तुम इतना घबरा यूँ रहे हो भाई... और वो मेरा चेहरा दे ख कर
मु करा दे ती है, मेरा डर कम हो जाता है।

म- नह यार घबरा नह रहा "ँ *

शा लनी - यार भाई जबसे वो दोनो वी डयो दे ख ह ना भाई तब से बड़ा


अजीब सा लग रहा है,, ये सब है या ? लीज़ े ड ...*
और वो नज़र नीची करके कानर म दे खने लगी ।

म- तु ह अब या जानना रह गया है वीटू ? 


करवट होकर उसक आंख म दे खते ए...

शा लनी- ब त कुछ .... जैस.े .. जैसे ,वो लड़का जैसे तेज़ तेज़ करता है तो
दद नह होता है या ?

म- हलाने से दद नह होता है, हर लड़का अपनी कामा न को शांत करने के


लए हलाता है, इसे मुठ मारना भी कहते ह और अं ज
े ी भाषा म
masturbation कहते है"*

शा लनी यह सुनकर हैरान रह जाती है, उसे यह बात बलकुल पता नह थी।
शायद उसक बुर म भी अचानक सरसराहट पैदा हो गई थी,उसे अब इन बात
के बारे म सुनना ब त अ छा लग रहा था।

शा लनी - (उ सुकता से) या तुम भी हलाते हो उतनी ही तेज हाथ से ?"

म - यार, इस टा पक को बंद कर दो,मुझे शम आ रही है अब बताने मे ...

शा लनी- भूल गये तुम मेरे गु हो और अपनी श या क ज ासा को शांत


करना हर गु का फज है, भाई जी मेरे मन म कई सवाल है उन सवालो को
कसी और से म पूछ नह सकती ँ, एक तुम ही तो हो जससे म बात कर
सकती ँ ...

शा लनी के इस तरह के सीधे सवाल सुनकर म हल गया ले कन शा लनी क


बात भी मुझे ठ क लगी,आ खर अपने सवालो के जवाब कससे पूछेगी वो,*
म बेड के कोने पर लेटा था और सामने शा लनी बेड पर ही लेट कर मेरी बात
को यान से सुन रही थी, मेरी नज़र शा लनी क टांगो के बीच म चली जाती है,
बुर बाली जगह न कर गीला हो गया था, म समझ गया क शा लनी क बुर
पानी छोड़ रही है।*

म -" हाँ यार, करता ँ कभी कभी, तभी तो पर यूम मला तु ह .. 

शा लनी यह सुनकर शरमा जाती है।

शा लनी -"अ छा ,,यह ..यह काम करते यूँ है, मतलब हलाते यूँ ह?"

म अब बना झझक बोलने लगा

म -" जब ए साइट हो और से स करने का मन होता है तो हाथ से हला कर


लड़के मजा ले लेते ह, जन लड़को क शाद हो जाती है या उनक गल ड
होती है वो से स कर लेते ह उनको हलाना नह पड़ता"*

शा लनी बड़े गौर से सुनती है और मु करा कर बोलती है

शा लनी -"अ छा इसका मतलब तु हारा मन से स करने के लए करता है


इस लए तुम हलाते हो "*

म- "हाँ बेबी,, ले कन यह काम तो लड़ कयां भी करती ह दे खा नह था


वी डयो लप म .....

शा लनी- हां, लड़ कयां भी करती ह बट


म -"लड़ कयां ऊँगली करती है"*

शा लनी हैरान रह जाती है य क उसने तो कभी ऊँगली क ही नह ।

शा लनी- " या ऊँगली करती ह,जब से स करने का मन होता है तब"*

म-"हाँ बेबी, तुम नह करती हो कभी , कभी-कभार*

शा लनी अब तक काफ हॉट फ ल कर रही थी,जीवन म पहली बार उसे कुछ


कुछ हो रहा था,जो बड़ा आन दायक लग रहा था शा लनी को ।

म- " नह यार, मने आज तक ऐसा कभी नह कया"*

म-" तुमको से स करने का मन नह करता कभी"*

शा लनी -'अब तक तो कभी नह कया ले कन वो वी डयो लप दे खने से


पता नह यूँ बड़ा अजीब सा लग रहा है मुझे"*

म - अरे यार, इससे पहले जब तुमने मूवी म उस राजा भैया और द द को


से सुअल हरकत करते दे खा तो कुछ अजीब सा महसूस कया था तुमने ...

अब मेरा लंड जोर जोर से झटके मार रहा था, े ची म त बू बन गया था


जसे शा लनी दे ख रही थी।

शा लनी -"नह मुझे कुछ भी महसूस नह आ था, मजा आ रहा था बस


उनक हरकत दे ख कर , या कोई कमी है मुझमे"*
शा लनी थोड़ा सा घबराती ई बोली।

म - नो नो बेबी, कमी तो नह है यार, अगर कमी होती तो तु हारा पानी नह


नकलता वहां से, खलन तो हो रहा है तुमको"*

मने शा लनी क बुर क ओर इशारा करते ए बोला, शा लनी यह दे खकर


शमा गई ,,

शा लनी- "धत् बड़े बेशरम हो ...अपनी ही बहन क ओर इशारा कर रहे हो ....


और उसने अपने पैर ह के से समेट लए...
*
म- यार, इसम अब शम कैसी तुम मेरी श या हो तो सट क जानकारी तो दे नी
ही पड़ेगी, और और एक बार रात को भी तु हारे वहां से पानी नकल रहा
था"*

शा लनी - तुमने दे खा था पानी नकलते ए,पता नह कब से ये ॉ लम ई


है, कसी डॉ टर को दखाना पड़ेगा या?"*

म- अरे नह यार, डॉ टर क ज रत नह है, एक बार तुम ऊँगली कर लो,सारा


पानी एक बार म ही नकल जाएगा, फर बार बार नही नकलेगा"*

मेरी ऐसी खु लमखु ला बात सुनकर शा लनी शमा जाती है

शा लनी- नह भाई, मुझे डर लगता है, ऊँगली अंदर जाएगी तो दद


होगा"*और या करना ये सब करके ...

म उसक बचपने भरी बात सुनकर हंसने लगा और माहौल को थोड़ा ह का


करने क को शश क

म- तो शाद के बाद या करोगी तुम जब पे नस अंदर जाएगा, तुम अपना डर


अभी ख़ म कर लो तो अ छा है बाद म परेशानी होगी,ऊँगली तो फर भी
छोट होती है और लड़ कयां तो केला,मूली गाजर और पता नह या या
डालती ह"*वी डयो डाउनलोड करके दखाऊं ......

शा लनी- हाट ? पे नस अंदर कैसे जायेगा इतनी सी जगह म, पागल कुछ भी


बोल दे ते हो ...

म- अरे यार, असली से स म पे नस लड़क क वजाईना के अंदर ही जाता


है....*

शा लनी- ं ... नह यार, ये सब मुझसे नह होगा , मुझे अजीब लगता है*,,,

म - हे बेबो , ऊँगली करने म तो मजा आता है, दे खा नह था वी डयो म, ऐसा


करो, तुम बाथ म म जाकर एक बार ऊँगली करके आओ, वरना तु हारी
पै ट और न कर ऐसे ही गीली होती रहेगी ,,,

शा लनी- वो पै ट मने पहनी ही नह है , म जरा साफ करके आती ं,,,

शा लनी शमा रही थी,ले कन फर कुछ सोच कर बाथ म म चली गई।।*

मेरा लंड भी काफ दे र से झटके मार रहा था, म भी अब मुठ मारे बना नह
रह पाऊंगा ऐसा मुझे लगा। म लेटे लेटे सोचने लगा क शा लनी अंदर
बाथ म म कैसे उंगली डाल कर अपनी बुर क अगन को शांत कर रही
होगी,,,,
अ ह या गजब सीन होगा अंदर...

करीब पांच मनट बाद शा लनी बाथ म से नकली और वो पसीने से


लथपथ*थी, मेरी नज़र सीधे उसक गीली समीज म चपक ई चू चय पर
जम गई,,, मेरी और शा लनी क नजर मली और शा लनी शरमा जाती है।

म- मजा आया न बेबी , अब जब भी तु हारा मन करे तब कर लया करो"

शा लनी- या कर लया क ं . 

म- (झटके से) अपनी बुर म उंगली...

शा लनी- छ छ .. तुम कतने ग दे हो गये हो ,, और या बोला ... बु....

म- अरे मेरी वीट बहना, वो उंगली डाल कर पानी नकाला क नह तुमने


अभी

म हँसते ए बोला और शा लनी मेरे खड़े लंड क तरफ दे खती है जो पूरा


खड़ा आ था,*

शा लनी- मने ऐसा वैसा कुछ नह कया है भाई

म- ओहो... तो इतनी दे र कैसे लगी बाथ म म बेबी... ही ही ..

शा लनी- तुम भी ना,,, यार पाट आयी थी ,, बस और कुछ नह


म- कोई नह ,,, आज नह तो कल.. उंगली... 
इतना कहकर म हंसता रहा...

शा लनी -"ओ हो जाओ जाओ ज द से कर लो ,,, तु ह कं ोल नह हो


रहा,,,... हा हा*

म- या कर लू मेरी यारी बहना "*


मने मजाक करते ए बोला और हँसने लगा....

शा लनी- अपने इसको हला कर शांत कर लो...

शा लनी ने मेरे खड़े लंड क ओर इशारा कया जो बरमूडे म त बू बना आ


था, और मु कुराती रही..

जब इतनी से सी बात हो ही रही थी तो मने एक और चांस मारा ... 

म- ,ं ,, करना तो पड़ेगा ही नह तो न द भी नह आने वाली ऐसे तो

शा लनी- ( खल खला कर हंसते ए) तो जाओ ना ,, करो ,, रोका कसने है,,


अब या बड बाजा चा हए जनाब को,, 
और वो ब तर से थोड़ा सा साइड हो गई जैसे मुझे रा ता दखा रही हो
बाथ म म जाकर ह तमैथुन करने के लए ,,,

अब ये एक अलग तरह का एहसास हो रहा था जब एक लड़क कह रही हो


क जाकर लंड हला कर पानी नकाल लो और इस तने ए खंबे को भी
आराम करने दो ... 
म बेड से उतर कर बड़ी बेशम से दरवाजे के पास क गया और
म- तु ह अगर पर यूम चा हए हो तो अपनी ा ...

शा लनी- नह नह ,यू आर टू मच.... नाट ... वाय .. अब जाओ भी


अ छा रहने दो,,,मत करो आ जाओ लेट जाओ ,, 
वो चढ़ाते ए बोली

मने उसक एक नह सुनी और बाथ म का दरबाजा बंद करके बरमूडे से


लंड को आज़ाद करके शा लनी के कामरस से भरे बदन को याद करते ए
जोर जोर से लंड के सुपाड़े क चमड़ी को आगे पीछे करने लगा और आंख
बंद करते ही ऐसा लगा जैसे म शा लनी क बुर पर अपने लौड़े को रगड़ रहा
,ं ,, और म यह सोचकर और जोर से अपने लंड पर मसाज करते ए और
तेज तेज मुठ मारने लगा, शा लनी क बुर का खयाल मेरी उ ेजना और बढ़ा
दे ता है ,,,
उसक चू चय को दबा कर सहलाने का भी मौका मलता है थोड़ा थोड़ा
कभी कभी,,, मगर उसक बुर को ना तो म अब तक दे ख ही पाया था और ना
ही ठ क से कभी छू पाया था,,, मने आज तक कसी क भी लड़क या औरत
क बुर को नंगा नह दे खा था,,, तो मेरे लए शा लनी क पट म बंद तरकोण
अब भी एक रह य ही था ,,, 

और यही सब सोचते ए कुछ ही दे र म म झड़ गया और सफाई करने के बाद


म म आ गया ।
म पसीने से लथपथ हो गया था , बाथ म म गम काफ थी और उपर से
इतना गमा गम बात का दौर शा लनी के साथ...... इस तरह क सारी गम
का लावा अब बह चुका था और म तौ लया से अपने हाथ को सुखाते ए
शा लनी के पास बेड पर उसके बगल म लेट गया,,,

कूलर क ठं डी हवा म कुछ आराम मला , शा लनी काफ रलै स लग रही


थी, हम लोग म काफ दे र तक कोई बात नह ई ।
जाने कतनी दे र तक हम दोन आंख बंद करके एक सरे के पास बराबर म
लेटे रहे और बना बात कए भी हम दोन म बात तो हो ही रही थी,,,

ये अभी अभी जो हम दोन ने कया था उसके बाद हम दोन के बीच शरमो


हया क एक बड़ी द वार गर चुक थी और जाने कहां तक गरने वाली थी ,,,,
अब मुझे जाने य यह सब अभी भी शायद एक सपना ही लग रहा था,,,

शा लनी के कहने पर आज अभी अभी मने ह तमैथुन कया है,,, या गजब


एहसास हो रहा था ,,, या होगा ,,, अब ,,, या हो रहा है,,, हम दोन शायद
यही सोच रहे थे ,,,* 
मगर जो भी है यह हम दोन भाई बहन के यार और एक सरे पर व ास
को और अ धक बढ़ा रहा था ... 

सुबह सवेरे से आज मेरा मन बड़ा चंचल और उतावला हो रहा था क अब


गाड़ी पटरी पर है और अपनी रेल ज द ही शा लनी क पटरी यानी बुर पर
दौड़ सकती है ,,,, मगर कैसे ....

शा लनी आज मुझसे पहले उठकर े श होकर बेड ट लेकर मेरे पास आकर
बोली 

शा लनी - गुड मा नग ....

म- गुड मा नग वीट ... और बेड से नीचे उतर कर उसके मुंह के पास आकर
सीधे ह का सा ल स पर कस कया और हम दोन साथ म बैठकर बात
करते रहे ...
रात म हम दोन के बीच जो भी आ उसक कोई भी बात ना शा लनी ने क
और ना ही मने ... 

हम दोन ना ता करने के बाद बैठकर पेपर पढ़ रहे थे और मने धीरे धीरे


बात का सल सला बढ़ाया*... 

म- तु हारे कालेज म छु कब होने वाली है ,,, काफ दन बाद दो दन क


छु यां मेरी एक साथ हो रह ह 15और 16 को,, तु हारी भी सेम डे छु यां
ह तो हम लोग घर घूम कर आते ह एक दो दन के लए ...

शा लनी - आज पता करती ं कालेज म छु कब से है ,,, घर चलने का मेरा


भी मन कर रहा है ,,,

म-ठ क है बेबी,, हम चलगे... अब चलो रेडी हो जाओ नह तो हम लोग लेट


हो जायगे... आज मुझे थोड़ी ज द नकलना है ,,,

और मने भी अपने कपड़े उठा कर अलमारी से बाहर नकाल कर बेड पर


डाल दए और नहाने चला गया, मेरे नहाने के समय लंड फर से कुलांचे भर
रहा था मगर मने मुठ नह मारी और नहाकर रोज क तरह टावेल लपेट कर
बाहर नकल आया,,, कमरे म आ कर अपनी च पहनी,,
शा लनी भी उठकर अपने कपड़े लेकर नहाने के लए बाथ म म घुस गई
और म रेडी होने लगा ,,,

कुछ दे र बाद कमरे म वही जानी पहचानी मादक खुशबू फैल गई मतलब
शा लनी नहाकर कमरे म आई थी और मेरे पास से नकलते ए पीछे कमरे म
चली गई,,,,, वो एक ह क ट -शट और न कर पहन कर नकली थी बाथ म
से.....

शा लनी ने पीछे कमरे से ही बोला ...

शा लनी- भाई आज एक थोड़ी बड़ी टावेल ले आना,,, शाम को फुल साइज


लेडी टावेल ...

म- हां ,, ले आऊंगा,, मगर ये टावेल भी तो नई तु हारे लए ही लाया था ,,, योर


फेवरेट कलर ,, ीन ...

शा लनी- ये तो अ छ है बट भाई बाथ म म अंदर इतनी गम होती है और


पूरे कपड़े वही अंदर पहनो तो फर से सब पसीने पसीने हो जाता है... बड़ी
टावेल हो तो इधर कमरे म आकर कपड़े पहन लया क ं ...
म ये सुनकर फर से वासना के समंदर म गोते लगाने लगा और क पना करने
लगा क शा लनी जब बाथ म से केवल एक तौ लया लपेट कर बाहर
नकलेगी तो कैसी लगेगी... ऐसे सीन तो फ म म ही दे ख थे अब तक...

म कपड़े पहन कर तैयार हो चुका था और शा लनी का वेट कर रहा था ट वी


दे खते ए और वो पीछे कमरे म तैयार हो रही थी,,, कुछ दे र बाद वो बाहर
नकली और बोली 

शा लनी- आई एम रेडी ,, दर चल ..

म- हां, चलो 
और मने उसे माईल दे ते ए अपना बैग उठाया और शा लनी ने भी अपना
कालेज बैग अपनी पीठ पर टांग लया,,,,, 
हम दोन बरामदे म आ गए और म अपनी बाइक नकालने ही जा रहा था गेट
खोलकर मगर तभी शा लनी ने अचानक से कहा ,,,

शा लनी-भाई एक मनट लीज़, अंदर कमरे म आओ

म- या कुछ भूल रही हो ,, ले लो,,


और म उसके साथ कमरे म फर से अंदर आ गया,,, 

वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और बोली

शा लनी- भाई जरा मेरी ा का क एक टे प आगे बढ़ा कर लगा द जए,,,


ब त टाइट लग रही है,, लीज़ यार मुझसे नह लगेगा ज द ,,
और उसने अपनी ट -शट अपनी पीठ से उपर तक उठा द ,, और उसक नंगी
चकनी पीठ पर सफेद ा क प दखाई दे ने लगी,,

ये सब एक दो सेकंड म ही हो गया और मेरे हाथ मशीन क तरह उसक पीठ


पर प ंचे और मने क खोलने क को शश क ,,, ब त ही टाईट थी ा क
प,,,,,,,, 

म- यार ,, ा तो तु हारे साइज़ क थी,34 साइज़ था ना ,,,,, लगता है तु हारी


चू चय का साइज़ बढ़ गया है।। हंसते ए...

शा लनी- धत् पागल.... चू चयाँ बोलते ह शम नह आती,कल बाथ म जाते


टाइम भी आपने बु .... बोला था,म समझ गई थी तुम या बोलना चाहते थे ...
ही ही हंसते ए

म- ओ ह बेबी, इनको चू चयाँ ही बोलते ह और उसको बुर ....*

और इतना कहकर मने कसी तरह शा लनी क ा को पहले क म फंसा


दया उसक पीठ पर हाथ फेरते ए उसक ट -शट को नीचे कर दया,,, इतने
म ही मेरा ल ड फर से खड़ा हो कर बेकाबू होने लगा,,, 
शा लनी मेरी तरफ मुड़ी और

शा लनी- ओ ह कतना ग दा बोलते हो,,, तुम प का बेशरम हो , चूच ं ी को


बू स और बुर को वजाईना बोला करो यार,,, वैसे तुम अपने पे नस को या
बोलते हो ??*
और वो मेरी पट म फर से उभार दे ख लेती है,,,,

म- लंड बोलता ँ इसको, और मुझे तो शु दे हाती भाषा बोलना अ छा


लगता है"*इस मामले म,,,,

शा लनी- तुम पागल हो एक दम और तुम मुझे भी बेशरम बना कर


छोड़ेग"े *लंड .डडड ,,, ही ही ही ,,,
और मेरे सीने पर झूठे गु सा दखाते ए एक पंच मारा और अपनी ट -शट
ठ क करके 

शा लनी- अब चलो भी ,, अब लेट नह हो रहे ,, 


और एक का तलाना मु कुराहट उसके चेहरे पर फैल गई,,,

म- पागल नह ँ म ,, इतना यार करने वाला भाई तुमको नह मलेगा


कह ,जो तुमको ान भी दे "*हा.... हा ...

शा लनी- "हाँ तुम तो गु हो ही मेरे अब ...

हमने घर लाक कया और कालेज के लए नकल पड़े,, रा ते म शा लनी ने


बोला टाइम म मेरे कालेज के बाद काल करना ,,, 
और कालेज गेट पर शा लनी को बाइक से उतार कर म उसे बाय बोलने ही
वाला था क तभी हम दोन के पास से नकलते ए एक लड़क कालेज के
अंदर जा रही थी उसने एक झीना सा सफ़ेद टाईट टाप पहना था,,, जससे
उसक अंदर क लाल ा एक दम अलग ही चमक बखेर रही थी अंदर क
बड़ी चू चय को छु पाने के बजाय और दखा रही थी मेरे मुंह से अचानक
नकल गया
ओह हहह से सी... 

और मेरे पास खड़ी ई शा लनी ने मेरी कमे सुन ली 

शा लनी- वो मेरे ही लास म है,, तमा नाम है उसका,, उसका वाय े ड


भी है,,, तु हारी दाल नह गलने वाली....... और वो मु कुरा रही थी

म- अरे यार ऐसा कुछ नह है,,,वो ठ क लगी दखने म तो बस मुंह से अचानक


नकल गया,,,

शा लनी- अ छा तो जो आपको ठ क लगता है उसे आप से सी बोलते ह


इसका मतलब ये है क म ठ क ठाक नह ं ,,,

म- नह मेरी वीट बहना,, तुम तो ठ क ठाक नह इन जैस म मा टर पीस


हो..... मतलब सुपर हट,,, सुपर हाट और सुपर से सी ,,,,
ये सुनकर शा लनी थोड़ा सा झप गई और बोली 

शा लनी- अ छा,,, अब जाओ भी झूठ के सरदार,, लेट नह हो रहे अब.. 


उसके चेहरे पर गजब क लाली छा गई थी शायद मेरे सुपर से सी बोलने से
और म भी उसे हैव ए गुड डे बोल कर अपने काम पर नकल गया ।।

दन म एक दो बार मैसेज भेजते रहे हम दोन एक- सरे को और दोपहर बाद


े आया - म घर आकर आराम कर रही ,ं
शा लनी का मैसज हो कर
र लाई करो...

म अपने काम से अमूमन तीन बजे तक वैसे भी हो जाता था और उसके


े र लोग फज मांडवाली करवाते थे,, खैर मने सबसे
बाद तो सी नयर मैनज
अलग आकर मैसज े भेजा 

म- हाय से सी

शा लनी- ओह हाय,, और से सी कौन??

म- है एक लड़क  

े उसी को भेजो ,, मुझे य ??


शा लनी- ं हह,, तो मैसज

म- उसी से सी लड़क को तो भेजा है

शा लनी- ही ही ही,, रांग नंबर

म- नो ए चुअली नंबर राइट है मगर उसका साइज़ शायद अब 34B से बढ़


गया है ...
शा लनी- हे यू नाट वाय , ,, कहां प ंच गए ,,

म- कह नह एक से सी लड़क से हाटसऐप पर चै टग कर रहा ं ,,

शा लनी- ं हहह ,, मेरे राजा भैया,, इधर लाइन पर तु हारी छोट बहन है,,,

म- हां,, मेरी वीट बहना,, और वो से सी भी है....

शा लनी- अ छा चलो मान लया म से सी ं,, अब खुश,,

म- इसम तु हारे मानने ना मानने से या ,,, जो है सो है ,,

शा लनी- हा हा हा ,, भाई वेट .. म जरा टायलेट करके आती ं ,,, 

कुछ मनट बाद ,,,


शा लनी- हेलो, आय एम बैक 

म- ओहो वेलकम बैक ,, आराम से कर लया ना ,,,

शा लनी- हां ,, 

म- कतनी उंग लय से कया ??

शा लनी- ओह गॉड,, भाई म टायलेट करने गई थी,, तुम तो फर शु हो


गए.... 

म- मुझे या पता तुमने या या कया और कैसे कैसे कया ,,


शा लनी - अरे यार मुझे अभी ज रत नह है ये सब करने क ,, तुमने तो
सुबह भी कया होगा ना ,, हा हा हा...

म - मने सुबह या कया,, साफ बोलो ना

शा लनी- ं,, वही जो तुमने कल रात कया था ,,,


अ छा याद आया गु जी,, ह तमैथन ु ,,,,, हा हा हा

म- ं,, अरे सुबह थोड़े ना कया था ,,

शा लनी- तो अब कब करोगे?

म- पता नह कोई टाइम टे बल थोड़े ना है इसका 

शा लनी- मतलब कल रात कया तो फर से कब ल वड बन जायेगा फर


से.......

म- एक बार करने के बाद कुछ मनट का टाइम चा हए और फर से लंड


टाइट,,

शा लनी लंड श द पढ़कर प का फर शमा गई होगी

शा लनी- छ ... कतना ग दा बोलते हो तुम, लंड क जगह पे नस भी तो


लख सकते हो ...*

म- अरे े ड म गु ँ तु हारा , और मेरे ारा बोले गए हर श द से एक


त या भी होती है, अब दे खो न मैने लंड श द लखा तो तु हारी बुर से
पानी बहने लगा होगा, तु हारी पट फर से गीली हो गई होगी बेबी* ,, दे खो ना

शा लनी-" ओ हो भाई... तु हारी बात म ना,,, मतलब तु हारा भी गीला हो


जाता है या"* ऐसे ही

म- हां कभी कभी

शा लनी - जैसे कब गीला होता है तु हारा??

म- अरे, कभी कुछ से सी सीन दखाए जाए बस हो जाता है ,,

शा लनी- से सी सीन मतलब

म- यार कसी क चू चय को दे ख कर, कभी कसी क गांड़ मतलब बैक


.ू ......

शा लनी- हाट,, तुम नह सुधरने वाले,, अब गांड़ .. हा हा हा 

म- यार गांड़ बोलने म यादा उ ेजना होती है ना 

शा लनी- ,ं , भाई तो कल रात कसक दे खी थी चूं चयां और बैक मतलब


गांड़??

अब म फंस गया था जानती शा लनी भी थी क म उसी क रसीली चू चय


और ग े दार गांड़ को दे खकर उ े जत होता ं मगर एक अं तम लाज का
पदा अभी भी हमारे दर मयान बरकरार था जो कसी भी व गरने वाला था,,
जाने कब,,,,,,,,, 
फलहाल मने झूठ बोला

म- ओह हहह कल ना वो सनी लयोनी का एक हाट वी डयो दे खा था तो बस


वही याद आ रहा था..

शा लनी- चल झूठे ,, स ची म सनी लयोनी का वी डयो ही दे खा था या कुछ


और....

म लखना चाहता था क मेरी बहना वो सनी लयोनी को दे खकर नह तु ह


दे ख दे ख कर खड़ा आ था मेरा लौड़ा,, मगर कुछ सोच कर 

म- हां यार,, ब त ही हाट था,,

शा लनी- मुझे या पता हाट था क बो रग ,, मुझे भेजो म भी तो दे खूं,,,,,,,,,,,,


म- ओह तुम रहने दो यार वो xxx है।

शा लनी- xxx मतलब,, ये कौन सी मूवी है,,,

म- नो यार,, xxx मतलब फुल से स,,,,, असली रयल से स ,,,

शा लनी- ं हह,, भेजो मुझे भी दे खना है,, होता या है xxx मूवी म ,,,

म- यार म तु ह सरी भेजता ं सा ट से सी सीन वाली ,, वो तुम रहने दो


वीट ...

शा लनी- नह ,, अब तो मुझे दोन भेजो,, मुझे दोन दे खना है ,, लीज़ गु जी ,,


म- ठ क है बहना ले कन बाद म मुझे मत कहना क ये सब या दखा
दया ,, 

और मने शा लनी के मोबाइल पर सनी लयोनी क एक 15 मनट क फुल


चुदाई जसम वो अपने हसबड डे नयल वेबर के साथ म त से स करती है
और एक ज म फ म क लप भेज द ....... 
मने जानबूझ कर काम का बहाना बना कर मैसज े कर दया क अब म जा
रहा ं बाद म चै टग करते ह,,, असल म म चाहता था क शा लनी आराम से
वो दोन वी डयो लप डाउनलोड करके दे ख ल ,,, अब जो भी होगा दे खा
जायेगा।। म अपने मन म तरह-तरह के याली पुलाव पका रहा था क
शा लनी अकेले वो चुदाई के म त सीन कैसे दे ख रही होगी,, 
कह उसे बुरा ना लगे ये सब,, मगर पछले दन से उसके अंदर एक नई
लड़क धीरे धीरे ज म ले रही है जो गांव क रहने वाली सीधी-साद शम ली
लड़क शा लनी से एकदम अलग...... बो ड और बदास,,,, 

खैर इसके बाद शा लनी ने कोई मैसज े नह भेजा और ना ही मने,,, शाम को


सात बजे म दल म दल म थोड़ी थोड़ी बेचन ै ी के साथ घर प ंचा ,,, और
शा लनी को दे खकर मेरी सारी बेचन
ै ी जाने कहां खो गई और या गजब सीन
म थी वो मेरे सामने ..

शा लनी ने ज स और मेरी ट -शट पहन रखी थी,, मगर ट -शट नीचे से उसके
गुदाज और गोरी चु चय को दखा रही थी,,,

वो से फ लेने म इतनी खोई ई थी क म गेट खोलकर जब उसके सामने आ


गया तब उसने दे खा मुझे ,,,,,

उसने मेरी एक पुरानी ट -शट को नीचे से काटकर छोटा कया था और उसी


को पहन कर से फ पोज म नीचे से अपने म त उरोज को नुमायां कर रही
थी ,,, अचानक से होश म आने पर शा लनी ने तुरंत मोबाइल टे बल पर रख
दया और.....

शा लनी- ओह,,,, वारी भाई,,, आप कब आ गए,,,

और इतना कहकर उसने अपने हाथ से अपनी ट -शट को नीचे ख चते ए


अपने उरोज को छु पाने क नाकाम को शश क ,,,, मगर ट -शट को शायद
उसने यादा ही छोटा काट दया था,,, और वो थोड़ा सा सकुचाते ए पीछे
कमरे म चली गई ,,,,

मेरे लए कुछ सेकंड क उसक चु चय के इस तरह के दशन के बाद अपने


आप को फर से कामुक वचार से नकालना अस भव था और म फर से
उसके साथ से सी बात करने के बहाने ढूं ढने लगा,,,,,,, म भी अपने कपड़े
उतार कर सफ े ची म आ गया और तब तक शा लनी ने भी चज कर लया
और एक ट -शट कै ी पहनकर कचन से बोली ,,

शा लनी- या पयोगे भाई,, चाय या कॉफ

म- जो भी तुम यार से पला दो ,, कुछ भी,,,

शा लनी- म तो हर चीज तुमको यार से ही पलाती ं मेरे राजा भैया,,,

म- पीने का मन तो कुछ और कर रहा है,,, पता नह मलेगा क नह ,,,

शा लनी- बोलो ना भाई,,, जो कहो ,, वो पला ं ,, बस वो आईटम घर म होना


चा हए,,,
इतना कहकर वो मेरे सामने ठं डे पानी क बोतल लेकर आ गई ,,,

म- अरे,,, जसक मुझे सबसे यादा यास लगी है वो तो तु हारे ही पास है ,,,

शा लनी- या ,,, ?? 

और वो थोड़ा सा मु कुरा रही थी,, म भी हंसते ए बोला

म- अरे वीट ,,, पानी,, और या ,,, तुमने या समझा,,,,,,


और पानी क बोतल उसके हाथ से लेकर म पानी पीने लगा 

शा लनी- ,, अ छा म काफ बनाती ं ,,,,,, 

वो कचन म गई और मने ट वी चला लया और लेटकर े ची म उपर से ही


अपने लौड़े को सहलाते ए शा लनी के मोबाइल म उसके अभी अभी के
से सी फोटोशूट के फोटो दे खने लगा ,,, ले कन कसी भी फोटो म यादा
चूं चयां नह दख रही थी,,,मेरा ल ड ठने लगा फर से उसके फोटो गैलरी म
फोटो दे ख दे ख कर,,,, 

म- बेबो,, फैशन डजाइनर बनने का शौक कब से शु हो गया ,,,

शा लनी- ( कचन से) अरे कुछ नह ,,, बैठे बैठे बोर हो रही थी तो नेट पर एक
वी डयो दे खा यू ड कपड़ से कुछ नया बनाने वाला ,,, बस ाई कर लया
ऐसे ही,,,

म- अ छे फोटो आये ह ,,,

शा लनी- (लगभग च लाते ए) भाईईईईईई,, वो तुम मत दे खो,,,

म- य ,, ना दे खूं,,, अ छे ह फोटो तो दे खा,,,, और तारीफ क ,,

शा लनी- ओह यार ,,, वो उसम दख रहा है ना सब ,,, म ना डलीट करने


वाली थी तब तक आप आ गये ,,,

म- या दख रहा है ,, क्लयर फोटो तो ह ना ,,, 


शा लनी- ओह गाड,,, वो नीचे से ट -शट यादा छोट कट गई थी तो ... 

म- तो या ? फोटो तो और भी अ छे आये ह ,,, 

शा लनी- (झ लाकर) यार डलीट कर दो लीज़ ना मेरे राजा भैया,,, वो उसम


मेरी े ट दख रह ह ....

म -(हंसते ए) हा हा हा हा हा,, साफ बोलो ना फोटो म तु हारी चू चयां दख


रही ह ,,,, वीट यही तो फोटो को पेशल बना रहा है ,,, टे लुक ,,, माडल
लग रही हो तुम तो ,,,

शा लनी- अ छा रहने दो अब झूठ तारीफ ,, म और माडल ,, नो वे ,,,

म- य या कमी है मेरी बहना म,,,, कसी भी टाप क हीरोइन को ट कर


दे ने वाली तो हो ,,,34-28-36 परफे ट ,,,,

और इतने म वो कचन से आकर मेरे हाथ म काफ का कप पकड़ाते ए मेरी


े ची म से बाहर नकलने क को शश करते ए मेरे ल ड पर उसक नजर
पड़ी,,,

शा लनी- लो मेरे बेशरम,,, झूठ के सरदार ,,, काफ पी लो ,,, हंसते ए

म- (काफ सप करते ए) ये लो ,,अब मने कौन सी बेशम क है ,,,

शा लनी- बेशरम,, अभी या कह रहे थे क मेरी चू चयां दख रही ह फोटो म,,

म- ओह कम ऑन यार ,, वैसे ,, ह ब त खूबसूरत ,,, सो अपी लग ,,, से सी,,


मने पहली बार शा लनी क चु चय क तारीफ क थी उसके सामने,,, उसे भी
अ छा लग रहा था शायद,,,
लड़ कय क तारीफ करो तो वो से ट हो ही जाती ह।।

शा लनी- भाई ईईईई, तुम ना हो ब त बड़े वाले बेशरम और अब मुझे भी


अपने जैसे बना कर छोड़ेगे ,,, 

म- तुम मेरे जैसी कहां बनोगी,, तु ह तो फोटो म दखाने म भी शम आती


है,,,चू .... 

मेरे आ खरी श द मेरे मुंह म ही रह गए और शा लनी ने अपनी कप रखते ए


मेरे सीने पर एक यार वाला पंच जमाते ए बेड पर हंसते ए मेरे बगल म
गरते ए लेट गई,, मगर इस दर मयान मेरे सीने से लेकर नीचे े ची तक
काफ क गरम छ टे गर गई और म भी हंसते ए ही बोला,,, 

म- जला दया ना,,, ओह ,,, शट ,,,

मेरे ऐसा बोलते ही शा लनी ब त तेजी से उठ और मेरे सीने पर पड़ी काफ


के छ ट को पास म पड़े ए कपड़े से साफ़ करने लगी और ऐसा करते ए
मेरी े ची के उपर पड़ी छ ट को भी ह के से दो तीन बार प छा और मेरे
लौड़े ने इस कंडीशन म एक जबरद त झटका लगा दया,,, और शा लनी के
हाथ को ये ज र महसूस आ होगा और वो थोड़ा अलग हटते ए...

शा लनी- वारी भाई,, वो म ,,

म- कोई नह ,,, जरा सी हाट थी काफ ,,, और उपर से हाट बेबी का पंच ,,, हा
हा हा,,, म तो जल गया,,, 

शा लनी- तुम ना फर शु हो गए ,,,,,

और वो अपनी काफ सप करते ए कमरे से बाहर बरामदे म नकल


गई,,,,,,,,, और म अपने लौड़े पर पहली बार शा लनी के हाथ क छु अन भले
ही वो कपड़े के उपर से थी,, उसी को याद करते ए लेटे लेटे ही ट वी दे खते
रहा....... 

कुछ दे र बाद शा लनी सूखे ए कपड़े हाथ म लेकर मेरे पास से गुजरते ए
पीछे कमरे म चली गई और म उसके मोबाइल म फोटो वी डयो सच करता
रहा,,, तभी मुझे दोपहर म मेरी ही भेजी ई सनी लयोनी क दोन वी डयो
दख और मेरी तम ा फर से हलोर मारने लगी क जैसे आज शा लनी ने
मेरे लौड़े को कपड़े के ऊपर से प छा,,,, उस तरह बना कपड़ के कब मेरा
ल ड उसके मुलायम हाथ म आयेगा ,,, 

शा लनी पीछे कमरे म ही अपनी पढ़ाई करने लगी और म कुछ दे र बाद


उठकर पानी पीने के लए कचन म गया और कमरे के खुले दरवाजे से मेरी
नज़र सीधे उसक ट -शट के गले से बाहर झांकती ई म त चू चय पर चली
गई,,, 
वो बेड पर झुक कर कुछ लख रही थी ,, म वापस आकर लेट गया और फर
कुछ दे र बाद म भी अपने आफ शयल काम लैपटॉप पर नपटाने लगा,, और
करीब नौ बजे शा लनी ने आकर पूछा 

शा लनी- भै या, खाने म या बनाऊं ?

म- कुछ भी,, जो यार से बनाओ,,

शा लनी- ,ं ,, तो आज कुछ नह बनाती,,,,, केवल यार ,,,,, खाओ,, वो


इठलाती ई बोली ,,

म- ठ क है तो यार ही खलाओ,,, शु करो,,,, 

शा लनी- तुम भी ना भाई,, अब यार खलाऊं कैसे तु ह ,,, ये भी या कोई


खाने वाली चीज है,, 

म- हा हा हा हा,, दे खा नह या कैसे यार खाते ह और पीते ह ,,,,, सनी


लयोनी क मूवी म,,,
शा लनी (झूठे गु से से कचन म जाकर)- भाई ईईईई,, कुछ तो शम करो यार,,,

म- वैसे तुमने बताया भी नह क वी डयो लप कैसी थी,, हा हा हा 

शा लनी- अब तुम रहने दो नह तो मार खाओगे मुझसे ,,,

म- अरे हम तो आपक द ई हर चीज को खा लगे,, अब चाहे यार दो या


मार.....

शा लनी- अ छा अ छा ,, अब यादा रोमां टक ना बनो और ज द से बताओ


या बनाऊं 

म -अले ले मेरी वीट बहना नाराज ना हो,,,खाना बनाना कसल,,, चलो हम


डनर बाहर करते ह आज ,,, 

शा लनी कचन से लगभग दौड़ते ए आई और बोली 

शा लनी- वाऊ ,, तो म रेडी हो जाऊं,,

 
वो जब तैयार हो कर बाहर नकली तो उसे दे खकर मेरी आंख फट रह ग ,,
उसने ट -शट के साथ अपनी कोई पुरानी कट पहनी थी और उसक चू चयां
क़यामत ढा रही थी,,, 

और अगले पांच मनट बाद हम लोग बाईक पर सवार होकर घर से कुछ र


एक रे तरां म आ गए ,,, वहां मने एक अ छे मेजबान क तरह शा लनी क
पसंद का ही सारा खाना मंगवा लया,,, और खाते ए 

म- बेबी,, तुमने बताया नह क कालेज म छु कब से शु हो रही है

शा लनी- हां तुमसे बताना भूल गई ,, हम लोग चल सकते ह दो दन के


लए,,, 

म- ठ क है फर परस नकलते ह सुबह बाइक से ही,,,, मजा आयेगा,, चार


घंटे लगगे ,,

शा लनी- हां डन ,,,

म- तु ह कुछ चा हए तो नह घर जाने से पहले,,, कपड़े वगैरह ,,,

शा लनी शा पग का नाम सुनते ही और यादा खुश हो गई और बोली 


शा लनी- मुझे चा हए तो कुछ नह ,, बट अगर तुम इतना कह रहे हो तो कुछ
कपड़े ले ही लूं ,,, हंसते ए

म- ओके ! कल कालेज से आते समय माल म ही आ जाना म वह आ


जाऊंगा,,,,,

शा लनी- ओह सो वीट माय ो,, लव यू हमेशा.... 

और हम लोग खाना खाने के बाद रा ते म आईस म खाते ए घर आ गए,,, 


घर आकर चज करने के बाद हम दोन हमेशा क तरह साथ म बेड पर लेटे थे
और घर जाने के बारे म बात कर रहे थे,,,,, तभी मेरे मोबाइल पर एक दो त ने
एक मैसजे भेजा , मैसेज म लखा था लोकल एम एम एस ,,मने व डयो को
डाउनलोड कया और शा लनी क नजर तो ट वी पर थी,,, और मने वो
वी डयो ह का सा उसक नजर बचाकर ले कर द ,,, वी डयो म जैसे बताया
गया क लड़क लड़का लोकल अपने ही शहर के ह तो दे खने म इंटरे ट और
बढ़ गया था ,,, कुल वी डयो लप बारह मनट क थी,, मने दे खा क लड़क
का तो फुल फेस दख रहा है मगर लड़के ने कैमरा ऐसा सेट कया था क
उसका चेहरा नजर ना आए,,, लड़क ब त ही वाइ ड से स कर रही थी और
लंड को अपने मुंह म लेकर चूस रही थी,, 
शा लनी ने मेरे चेहरे क मु कुराहट दे ख कर पूछा ,, 

शा लनी- या दे ख रहे हो जो अकेले अकेले मु कुरा रहे हो ,, 

म- वही जो तुमने दोपहर म दे खा था,, बट इसम हीरोइन अपने ही शहर


क है ,, सो वाइ ड,,,,
म रोज क तरह बना अंडर वयर के सफ बरमूडे म लेटा था और अब तक
वो मेरे लौड़े से बने ए त बू को भी दे ख चुक थी ,, 
शा लनी ने हंसते मेरे त बू बनाते ए लंड क ओर दे खते ए कहा

शा लनी- हां सो वाइ ड,,,, वो तो दख रहा है ,, हा हा हा 


और हीरोइन लोकल मतलब ??

म- अरे यार कसी ने अपनी पसनल वी डयो बनायी और वो अब वायरल है,,,


सब दे ख रहे ह ,, तुम दे खोगी ??

शा लनी- नह रहने दो,, 

म- अ छा कोई नह मेरे पास लेटकर नह दे खना चाहती तो म तु हारे


मोबाइल पर भेज रहा ं,, पीछे कमरे म जाकर दे ख लो,, म त मूवी बनी है
यार,, 
और मने उसके मोबाइल पर वो वी डयो लप भेज भी द ये बोलते बोलते,,, 

शा लनी के मोबाइल पर मैसज े टोन बजी और उसने मेरी तरफ शरारती


मु कान के साथ दे खा,,, मगर मोबाइल उठाया नह ,,, 
मने भी अपना मोबाइल रख दया और हम दोन ट वी दे खते रहे,,, कुछ दे र
बाद शा लनी उठ और बोली

शा लनी- म जरा अपनी बु स रख लूं बैग म सुबह के लए ,,,, 

और उसने ब त धीरे से अपना मोबाइल भी उठाया और पीछे कमरे म चली


गई,,, आईला,,, मतलब शा लनी वो वी डयो लप दे खने के लए बहाने से
पीछे कमरे म गई है,,, मेरे साथ या मेरे सामने उसे अभी भी इस तरह के से स
टे प दे खने म उसे शरम आ रही थी ,,,, 
पीछे कमरे म कूलर के चलने क आवाज आई तो म भी अपने मोबाइल पर
अधूरी लप आगे दे खने लगा ,,,
या माहौल बना आ था मुझसे दस पं ह फट र मेरी बहन से स लप
दे ख रही थी और म भी जोश म आ कर अपना लंड बरमूडे से बाहर
नकालकर उसे मु ठयाने लगा,, वी डयो म लड़क अब लड़के के लंड पर बैठ
कर उछल रही थी और तेज़ तेज़ आवाज़ म ओह फक मी,, फक मी लाईक
दस,, बोले जा रही थी ,,,,

मने आज तक कभी भी छु पकर शा लनी को नह दे खा था पर ना जाने य


इस समय मेरे मन म आया क दे खूं तो शा लनी या कर रही है कमरे म ,,,
और पहली बार म अपने खड़े ल ड को हाथ म पकड़ कर बेड से उठ कर
कचन म खड़े हो कर पीछे कमरे क वडो म झांकने लगा,,, 

बेड पर कुछ कताब के साथ ही मोबाइल भी पड़ा था और शा लनी क नजर


उसी पर जम ई थी,,, मेरी उ ेजना चरम पर प च
ं गई थी और मने वह
कचन म जोर जोर से लंड को मसलते ए पानी नकाल दया ,,
मगर शा लनी ने मेरी उ मीद के मुता बक कोई ऐसी वैसी हरकत नह क थी
अब तक,, चुपचाप दे ख रही थी, मगर उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे और
ला लमा छा गई थी पूरे चेहरे पर , तभी मुझे याल आया क वी डयो तो अब
तक ख म हो जाना चा हए था तो या शा लनी उसे र ले करके बारा दे ख
रही थी ,,,शायद हां ...

जैसे क हमेशा मुठ मार कर ड चाज होने के बाद लगता है,,, जोश ठं डा,,
दमाग ठकाने और मने ज से पानी नकाल कर पया और अपने वीय को
कचन म फश पर वैसे ही पड़े रहने दया,,, म चुपचाप आकर लेट गया और
कुछ दे र बाद शा लनी भी आकर मेरे बराबर म लेट गई ,,,

कुछ मनट बाद शा लनी ने मेरी ओर करवट ली जससे उसक समीज से


चू चय क घाट नजर आने लगी ,,

शा लनी- ये वैसे वाली वी डयोज़ दे ख कर मन और तरह का य हो जाता है


भै या?? उसने बड़ी ही मासू मयत से कहा

म- हां,, होता तो है,, सबका होता है,, मेरा भी होता है,, 

शा लनी- कहां,, तु ह तो कुछ नह आ ,,,(मेरे बरमूडे म सोये लंड क तरफ


दे खते ए)
म भी समझ गया और 

म- वो म रलै स हो गया ं ना अभी,,,

थोड़ा आ य से मेरे बरमूडे पर नजर रखते ए


शा लनी- या रलै स हो गए,, कब कैसे??

म (बेशम हो कर) - वो बेबो,, मने अभी हाथ से कर लया ना,, इसी लए ये सो


रहा है,,,, और बोलते ए मने फर से अपने लौड़े को शा लनी के दे खते ए ही
बरमूडे के उपर से मसल दया ।।

एक ह क सी कामुक मु कान उसके चेहरे पर फैल गई और मने बात का


सल सला आगे बढ़ाया,,,

म- तुम भी रलै स हो जाती तो ये बेचन


ै ी ना होती,, म त न द आती,,,

शा लनी- मुझे ये सब ठ क नह लगता है,, उंगली से अजीब सा लगता है,, तुम


लोग का अ छा है,, जब मन हो कर लेते हो,,

म- अ छा,, स ची बताना, तुमने उंगली से ाई कया क नह अब तक,,

शा लनी- ं हह, दोपहर म वो सनी लयोनी वाले वी डयो लप दे खने के बाद


पता नह या आ ...और भाई म ना,,, उस पहले वाली वी डयो लप म
जैसे लड़क कर रही थी वैसे ही करने लगी और भाई ,,, मुझे अंदर ब त दद
आ फर नह कया ,, 
म- ं ह ,, बेबी तु ह ना ,,,कुछ चकनी म उंगली से अंदर बाहर करने म
लगानी चा हए थी तो दद नह होता ,, 
शा लनी- ं,, भै या या सब हीरोइन ऐसी मूवी बनाती ह सनी लयोनी जैस,े ,

म- नह ,,,, 
और मने शा लनी को शाट म सनी लयोनी के बैक ाउंड के बारे म बताया तो
सुनते सुनते वो अपने ह ठ को दांत से काटने लगी,,, ब त ही हाट लग रही थी
वो मुझसे कुछ इंच क री पर,,,, और समीज म उसके म त बड़े बड़े खरबूजे
जैसे उरोज,,, हर सांस के साथ उठ बैठ रह थ ,,,,

शा लनी- ( हंसते ए) मतलब ये लोग अपनी से सी वी डयो बना कर पैसे


बनाते ह,,, ओह माई गॉड ,,,

म- हां,,, ह हर तरह के लोग नया म,,,,,,, वैसे आजकल ये सब नामल हो रहा


है ,,,

शा लनी- हां,, लगता तो ऐसे ही है,, अभी जो वी डयो लप दे खी उसम तो


लड़क एकदम पागल हो गई थी और कैसे कैसे कर रही थी ,, ओह ,,,आह
आइ,,, हंसते ए

म- तुम करोगी जब,,, तो शायद तुम उससे भी यादा वाइ ड हो जाओ ,, 

शा लनी- हा हा हा,, म ये सब नह करने वाली ,, बकवास,,, और कसके


साथ,,, उंगली तो होती नई,,,, 

म- उंगली भी होगी जरा सा वैसलीन लगा लो ,,, और कंपलीट मजा लेना है तो


वाय े ड बना लो ,,, हा हा हा 
शा लनी ने लेटे लेटे ही मेरे सीने म एक जबरद त मु का मार दया और हंसते
ए ,,,

शा लनी- मुझे नह बनाना वाय े ड ,,, नह लेना ऐसा मज़ा ,, तुम ज र बना
लो अपनी गल ड कसी को ,,, तु हारे इसके लए ,,,, 
मेरे ल ड क ओर इशारा करते ए

म- म तो इन सब गल ड वाले च कर से र ही सही ,,,, अपना हाथ है ना ,,,

शा लनी- ही ही ही ,,, फलहाल े ड तो है ही मेरे पास,,,, तुम अपना जुगाड


दे ख लो कह ,,,,, हा हा हा हा,,, दे खो दे खो वो फर से जाग रहा है ,, हां हां हां,,,

शा लनी क म त जवानी को दे खकर उ े जत होने म समय नह लगा और


मुझे मुठ मारे ए पं ह मनट ही ए थे मगर लंड महाराज बरमूडे को फर से
टांग कर त बू बना रहे थे ,,,

म- ओह शट ,, यार ये फर से ,,
म लंड को बड़ी बेशम से बरमूडे के उपर से सहलाने लगा और
सो जाओ महाराज ,,, और शा लनी मेरे लौड़े को इस तरह मसलने को दे खकर
ब त जोर से हंस पड़ी और 

शा लनी- तुम और तु हारा ये ,,, या कहते ह ,,,, लंड ,, हा हा हा हा 

म- यादा हंस मत ,,, म तो अभी फ़र से हला लूंगा ,,, अपनी दे खो ,,, गीली
गीली हो कर रात भर रहोगी ,,, हा हा हा 

शा लनी- नह ,,, ऐसा कुछ नह है,, मेरा कुछ भी गीला नह है ,,, 


म- ही ही ही,, चल झूठ ,, मुझे या पता,,, दखाओ तो पता चले ,,,

शा लनी- तुम ब त ग दे हो रहे हो,, अपनी ही बहन को नंगी दे खोगे,,,


छ ,,,,,गंदे भै या ,,,

मने अब उसके थोड़ा सा पास होकर धीरे-धीरे से कहा ,,

म- गंदे भै या नह ,, अ छे भै या,, जो अपनी बहना से कुछ नह छु पाता,,, और


म अपने लौड़े को सहलाते रहा बरमूडे के उपर से ही ,,,

शा लनी- छु पाया तो है ,, अभी भी,, 


और उसने मेरे हाथ म पकड़े ए लंड क ओर इशारा कया ,,,

म- ये तो ,,, अरे तु ह दे खना है या ,, दखाऊं,,,


और मने सरे हाथ से बरमूडे क इला टक को ह का सा नीचे ख च दया,,,

शा लनी ने तुरंत अपनी आंख बंद कर ली और


शा लनी- भाईईईईईई ,,, उसको बंद ही रखो,,, पजड़े म,,, लीज़ ,, यार,, ये मत
करो ,,,
मुझे लगा क ये सही मौका है शा लनी को अपने लौड़े को पहली बार दखाने
का ,,, और मने बरमूडे को नीचे कर दया और मेरा फनफनाता आ लंड
सीधा छत क ओर सलामी दे ने लगा,,, आह,,, मेरे सपन क रानी, मेरी वीट
बहना मेरे बगल म सफ समीज और न कर म लेट ई थी और म उसे
अपना लौड़ा दखाने क को शश कर रहा था,,, शा लनी ने अब तक अपनी
आंख खोली नह थी,,, 
म- तो मोहतरमा,,, पेश है आपक खदमत म ,,,, मेरा छोटा सा लंडडडड

इतना सुनते ही शा लनी क ना चाहते ए भी थोड़ा सा आंख खुल ग और


उसने कन खय से मेरे खड़े ल ड के थम दशन कर लए ,,, मगर उसने
अपने हाथ को अपनी आंख से हटाया नह ,,, 

मने बेशम हो कर अपने लौड़े को सहलाते ए कहा 

म- बेबी दे ख लो जीभर कर,,, फर मत कहना क म कुछ भी छु पाता ं अपनी


वीट बहना से ,,,

शा लनी ने आंख बंद कर के ही बोला

शा लनी- तुम उसे बंद करो,, झूठे,,, ये छोटा है तो बड़ा कतना होता है ,,, हा
हा हा हा हा ही ही हंसते ए

म- ठ क है मैडम को नह दे खना है तो शो लोज ,,,


और शा लनी ने समझा क मने बरमूडे को उपर कर लया है मगर मने ऐसा
कया नह और उसने अपनी आंख खोल द ,,,,

शा लनी- ओह माई गॉड ,,, सो बग,, झूठे ज द बंद करो इसे ,,

म - अरे यार थोड़ी सी हवा लग जाने दो इसको भी बेचारा चौबीस घंटे बंद ही
रहता है ,, और मने सहलाते ए लंड क चमड़ी को ह का सा पीछे कया तो
मेरा लाल सुपाड़ा धया रोशनी म चमक उठा ,,, शा लनी ने इसे बड़े गौर से
दे खा और 
शा लनी- लीज़ भैया,, इसे अंदर करो,,

म- ओह,,, कहां अंदर क ं मेरी बहना,,

शा लनी शायद मेरे इशारे को समझ गई और उसने अपने हाथ से अचानक


मेरे बरमूडे को नीचे मेरे घुटन के पास से पकड़ कर ऊपर ख चने लगी और
इस दर मयान उसके मुलायम हाथ से मेरा गम लंड छू गया उसने उसे पूरा
उपर ख च दया और अपना हाथ हटाकर बोली ,,,

शा लनी- इस तरह अंदर करने को कह रही थी ,,, पागल,, इतना बड़ा ,,, 

म- कहां बड़ा है मेरा,,, कुल जमा सात इंच का ही तो है मेरा छु ू,,, 

शा लनी ने अपनी हंसी रोकते ए कहा,,,,,,,

शा लनी- अरे और क ा बड़ा चा हए तु ह भाई ,,, सेवेन इंच ,,, मने तो जो


वी डयो दे ख ह सबसे बड़ा ही है तु हारा,,, हा हा हा हा

मेरा हाथ अब भी बरमूडे के उपर से लंड को मसल रहा था और अब हम


दोन काफ खुलकर बात करते रहे ,,,

म- यार मेरा तो मन कर रहा है क .... म एक बार कर लूं, नह तो न द नह


आयेगी,,, तुम या ऐसे सो पाओगी ?

शा लनी- पता नह ,,
और उसने अपनी दोन टांग को मोबाइल दे खते ए आपस म लेटे लेटे ही
रगड़ दया ,,,
म- बेबी एक काम करो तुम ना,, ये मेरा मोबाइल लो और इस फो डर म कई
अ छ वी डयो लप है,, इसे दे खते ए म के साथ उंगली करके रलै स
हो जाओ,,, नह तो तु हारी उलझन ऐसे ही रहेगी,,, रात भर गीली गीली,,,,

शा लनी- नह भै या,,, मुझसे नह होगा,,,,

मने बेड से उतर कर पास म रखी न वया म क ड बी उसके हाथ म


पकड़ा द और आंख ही आंख म उसे उठने का इशारा कया,,, और वो धीरे
से बेड से उठ और म हाथ म पकड़ कर बाहर नकल गई,,,, मने ज द से
अपने मोबाइल पर एक अ छा सा दे शी लड़क का चूत म उंगली करने वाला
वी डयो ले करके उसके पीछे -पीछे बाथ म के दरवाजे पर आकर बाहर ही
उससे बोला ..

म- बेबो,,, ये ले लो,, तु ह आसानी होगी करने म,,, और मने मोबाइल उसके


सरे हाथ म पकड़ा दया,,

शा लनी शमा रही थी,ले कन फर कुछ सोच कर बाथ म का दरवाजा बंद


कर लया ।।

अब म दरवाजे के बाहर अपने लौड़े को हाथ से सहलाते ए सोच रहा था क


अंदर जाकर शा लनी ने शायद न कर उतारकर कमोड पर टाँगे फैला कर
चूत को मसला हो और शा लनी को ह का ह का सु र चढ़ा हो, वी डयो
दे खकर,,, शा लनी हौले हौले चूत को रगड़ती है,चूत से लगातार पानी रस रहा
होगा , शा लनी अपनी एक ऊँगली आराम से चूत म घुसेड़ती है म के
साथ ,,उसे ऐसा लगा होगा जैसे पे नस घुसड़
े दया हो, शा लनी घुसड़ े ती है
फर नकालती है ऐसा कई बार करने से उसे मजा आने लगा होगा और
शा लनी जोर जोर से ऊँगली अंदर बाहर करने लगती है, शा लनी तेज तेज
सस कयाँ ले रही थी,,कभी हलके से च लाती है, दरवाजे के बाहर खड़ा म
सब सुन रहा था। म बाथ म के दरबाजे के बाहर से ही बोला ....*

म -" बेबो कैसा लग रहा है तुमको,*

शा लनी मेरी बात सुनकर बोली--


अ छा सा स सा,,, शा लनी क सस कयाँ बड़ी तेजी से चलने लगी थी,,कभी
कभी उ ेजना के मारे कमोड पर गांड़ भी उछाल दे रही थी शायद,,,

शा लनी -"ह ह हाँ सच कहा भाईईईईई ब त मममजा अ अ आ रहा ह ह


है,मुझे कुछ हो रहा ह है सा .. गर"*भै या,,,

और शा लनी जीवन म पहली बार झड़ जाती है, बुर से पानी क पचकारी


छु ट् ती है, ब त सारा पानी नकलता है शायद,,ऐसा लग रहा था जैसे अब
शा लनी मूत रही हो। शा लनी का ज म ठं डा पड़ने लगता है, वो पानी से
साफ़ करती है अपनी बुर और टाँग,े *और फर पांच मनट बाद वो दरवाजा
खोल कर बाहर नकल आयी,,, वो ब त रलै स लग रही थी,, हाथ मुंह
धोकर एक दम रलै स ,,,उसक नजर नीचे ही थी,,

मेरी और शा लनी क नजर मलते ही शा लनी शरमा गई,,,


म- मजा आया न बेबी , अब जब भी तु हारा मन करे तब कर लया करो"

शा लनी- मुझे लगता था क दद होता होगा यादा,पर म से वाकई म ब त


अ छा लगा, वा तव म तुम एक अ छे गु हो

म- मान गई ना, अब तुम कमरे म जाओ, मुझे भी बाथ म जाने दो,मेरा भी


मन कर रहा है ब त ....

म हँसते ए बोला और शा लनी मेरे खड़े लंड क तरफ दे खती है जो पूरा


खड़ा आ था,*

शा लनी -"ओ हो जाओ ज द से कर लो ,,, हा हा*

म- या कर लू मेरी यारी बहना "*


मने मजाक करते ए बोला और हँसने लगा....

शा लनी- अपने इस छोटे से छु ू को हला कर शांत कर लो...


मोबाइल चा हए या??

शा लनी मेरे खड़े लंड क ओर इशारा करती है, जो े ची म त बू बना आ


था,

म- नह अभी ज रत नह ,, फुल चाज है मेरा छु ू ,, 

म जैसे ही बाथ म म पहला कदम रखा तो फसल गया और फश पर पड़े


पानी को हाँथ से छु कर दे खा , थोड़ा गाढ़ा और चप चपा पानी पड़ा आ था,
म समझ गया क यह शा लनी क बुर से नकलने बाला कामरस है, बाथ म
का दरबाजा खुला आ ही था अब तक,,,
शा लनी ने मेरे फसलने क आवाज सुनी और मुड़कर मेरी तरफ फर से आ
गई

म- यह तु हारी बु .... सॉरी वजाईना से नकला आ पानी है,ब त चप चपा


और गाढ़ा है इस लए फसल गया,,,,,,,,
म हाथ पर लगे बुर के कामरस को दखाते ए बोला। शा लनी मेरे ारा बुर
बोलने पर शमा जाती है, मने भी बुर श द पूरा ना बोलकर वजाइना बोल दया
था ,जो वो बार बार कहती थी।।

शा लनी- ओ ह सॉरी यार, साफ़ करना भूल गई, तुम हाथ धो लो ये ग दा है*

म- नो यार, यह ग दा नह होता है,इसम भी मेरे ल वड जैसे मदहोश करने


वाली खुशबू है, मुझको तो यह पानी ब त पसंद आ रहा है, इसी पानी से म
अपने पे नस क मसाज क ँ गा, मुझे झड़ने म आसानी होगी" शा लनी ये
सुनकर हैरान हो जाती है।

शा लनी- ओ हो भाई , ऐसा मत कर तु ह इंफे सन हो सकता है" ।

और म आज बरमूडे को उतार कर फश पर बैठ कर शा लनी के बुर से


नकलने वाले पानी को हाथ म फश से लेकर अपने लौड़े को जबरद त तरीके
से आगे पीछे करने लगा,,, कुछ दे र पहले ही मने ह तमैथुन कया था तो इस
बार थोड़ा यादा टाइम लगना ही था,,, म ये सोच कर और अ धक उ े जत
हो गया क आज शा लनी ने पहली बार अपनी बुर म उंगली डाल कर अपना
पानी नकाला है और उसी पानी को म अपने लौड़े पर लगाकर ह तमैथुन कर
रहा ं,,,, और कुछ मनट क मेहनत के बाद मने भी अपने वीय क पचकारी
मारी और नहाकर बरमूडा पहनकर शा लनी के पास आकर लेट गया,,, 

अब हम दोन ने आपसी सहम त से से स का एक अहम पड़ाव तय कर


लया था,,, एक सरे को बताकर ह तमैथन ु करने क शु आत,,, कब एक
सरे क सहम त से एक सरे का ह तमैथुन करगे,,,, मतलब मेरे लौड़े पर
शा लनी का हाथ या ह ठ.... और शा लनी क म त चूत म मेरी ऊंगली,,,,,,,,,,
जाने कब वो दन आयेगा,, 

हम दोन ही अब पूरी तरह से शांत और संतु हो गये थे और दोन ही एक-


सरे से फलहाल नजर नह मला पा रहे थे,,,,, मगर म इस हसीन मौके को
जाया नह जाने दे ना चाहता था,,, और मने ह के से करवट होकर 

म- गुड नाईट बेबी.... 


और इतना कहकर मने उसे अपने साथ चपका लया और उसके बाल म
उंग लयां फराने लगा ,,, वो भी मुझसे अ छे से चपक गई और
इसी बीच मने उसके रसभरे गुलाबी ह ठ पर चु बन करने क को शश क तो
आज मुझे पहली बार लगा क शा लनी ने मेरे ह ठ को ह के से चूसा और
फर कुछ सेकंड म ही अलग हटा लया अपना चेहरा,,,

शा लनी- गुड नाईट भाई,,, और उसने ह के से अपने सर को मेरे सीने म दबा


दया,,, उसने भी आज पहली बार मुझे कस कर अपनी बाह म भर लया
और सोने क को शश करने लगी,,

म- (धीरे से उसके कान म) कतनी उंग लयां अंदर करी थी,,,

और इतना सुनते ही शा लनी ने मेरी पीठ पर जोर से अपने हाथ से मु क क


बरसात कर द ,,, म हंसने लगा ,,, उसने सफ इतना कहा ,,
शा लनी- अब सो भी जाओ ,, सुबह भी होगी,,, सब अभी जानना है,,, 

और हम दोन ऐसे ही चपक कर सो गए एक और हसीन सुबह के इंतजार


म.........

रात क म तयां और उसके बाद एक और हसीन सुबह के इंतजार म हम


दोन को ब त ही ब ढ़या न द आयी और सुबह तक हम दोन एक- सरे से
लपटकर सोते रहे,,,

सुबह मेरी न द खुली तो मेरे ह ठ पर शा लनी के रसीले ह ठ को पाया,,,,


आज ये पहला दन था जब शा लनी ने सुबह सवेरे अपनी तरफ से मुझे ह ठ
पर कस कया था,,,, 

उसने ह के से मेरे ह ठ पर लेटे लेटे ही चूमा था मगर उसके नम मुलायम


रसीले ह ठ क छु अन से ही मेरी न द खुल गई और मने भी उसके पीछे हाथ
ले जाकर उसके ह ठ को थोड़ा यादा जोर से चूस लया और उसक नंगी
कमर पर अपना हाथ भी फराने लगा,,, ये कोई एक दो मनट जैसे चला और
शा लनी ने अपने ह ठ मेरे ह ठ से छु ड़ाते ए गुड मा नग बोला और साथ ही
बेड से उतरते ही शकायती लहजे म बोली...

शा लनी- या भाई,,, सुबह सुबह पूरी बाडी के रोय खड़े कर दए,,,

मने हंसते ए अपने सुबह सवेरे के रेगल


ु र हाड आन कंडीशन म खड़े अपने
बरमूडे म त बू बनाये ए लंड क ओर दे खा,,,, और

म- हा हा हा,, रोय ही खड़े ए ह ना 

शा लनी ने भी मेरे बरमूडे क तरफ एक नजर डाली और हंसते ए े श होने


चली गई और म सुबह सवेरे शा लनी ारा कए पहले कस को याद करते
ए लेटा रहा,,, 

शा लनी ने े श होकर चज कर लया और एक ट -शट और न कर पहन कर


कचन म चाय बनाने लगी,, चाय लेकर जब वो मेरे सामने खड़ी ई तो उसक
ट -शट के अ दर से झांकते ए उसक बड़ी-बड़ी चू चय के दोन न पल
नुमायां हो रहे थे,,, 

मेरा ल ड अब भी खड़ा ही था मगर अब हम दोन इतना खुल चुके थे क अब


उसे छु पाने या शरमाने क कोई ज रत नह थी,,

हम लोग ने साथ म चाय पी और मने शा लनी से कहा 


म- तुम आज कालेज के बाद माल म आ जाना,,, फर शा पग करगे,,, 
म जरा बाहर नकाल कर अपनी बाइक साफ कर लूं ,,,

शा लनी- जी,, म भी तब तक ना ते के लए कुछ बना लेती ,ं ,,


और म अपनी बाइक बाहर नकाल कर कपड़े से साफ़ करने लगा,,, तभी
हमेशा क तरह पड़ोसी भाभी दरवाजे को खोलकर झाड लगाते ए मेरे
सामने आ गई,,, हमेशा क तरह उनके झुककर झाड लगाने से उनक तरबूज
के आकार क बड़ी मगर आकषक चू चय क झलक उनके बड़े गले के
लाउज से मल रही थी और हम लोग आपस म बात करने लगे...

भाभी- भै या कैसे हो,,, 

म- ठ क ं भाभी सा,,,, 

और म घूर घूर कर उनक म त चू चय को दे खता रहा बात करते ए,,,


आ खर ये ही तो वो म त चू चयां है जनको शा लनी के आने से पहले म दे ख
दे ख कर अपनी आंख सकता था सुबह सवेरे और मेरे ह तमैथनु करने के
समय क मेरे सपन क रानी क म त चू चयां,,,,

कुछ दे र बाद गेट को ह का सा खोल कर शा लनी ने भी भाभी को गुड मा नग


बोला और हालचाल पूछा,,, कुछ दे र बाद हम लोग अपने अपने घर म अंदर
आ गये ,,

शा लनी- या हो रहा था बाहर


म- मतलब, अरे यार म बाईक साफ कर रहा था और या ?

शा लनी- ,ं ,, हाथ तो बाइक साफ कर रहे थे और आंख ,,,

शायद शा लनी ने भाभी के बड़े गले से दखती ई चू चय को मुझे घूरते ए


दे ख लया था ,,, 

म- या मतलब है आंख कहां थी ?

शा लनी- तु ह पता है कहां थी तु हारी आंख ,,, भाभी सा ने सुबह सवेरे अपने
दे वर राजा को म त दशन करवाए ह,, हा हा हा,, 

म- या यार ,, या बोल रही हो,, भाभी सा ने कौन से दशन करवाए ह मुझे,,


म समझा नह ??

शा लनी - वैसे भाभी लाउज़ ब त अ छे पहनती ह,,, है ना,,, 

और शा लनी खल खला कर हंसते ए अपने कपड़े लेने पीछे कमरे म चली


गई और म अपने लैपटॉप से कुछ मे स भेजने लगा और शा लनी नहाने के
लए बाथ म म चली गई,,

मुझे लगा क शा लनी को रात क पहली बार चूत म उंगली करने और मेरे
मुठ मारकर उससे चपक कर सोने क कोई शकायत नह है मगर शायद
कसी और म हला क तरफ मेरे दे खने से भी उसे बुरा फ ल हो रहा है,,, 

मतलब या शा लनी अब मेरे लए पजे सव हो रही है,,, ऐसा तो तब होता है


जब कोई लड़क कसी लड़के के साथ अफेयर म होती है तो उसे बुरा लगता
है जब उसका वाय े ड कसी और क तरफ अ ै ट होता है या दे खता है,,,
उसका आज सुबह मुझे खुद से ह ठ पर कस करना ,,,, या शा लनी को भी
मुझसे यार हो रहा है धीरे धीरे,,, मेरी तरह,,, 

खैर म यही सब सोचते ए अपने काम को नपटा रहा था लैपटॉप पर क


तभी मुझे वही जानी पहचानी मादा महक कमरे म महसूस ई और मने नजर
उपर उठाई तो मेरी धड़कन तेज हो गई,,,,,,,

शा लनी ने सफ टावेल लपेट रखा था जो म उसके लए लाया था,,,,और अंदर


बाथ म से बना कुछ पहने,,, नकल कर मेरे सामने से होती ई पीछे कमरे
म चली गई,,,, आह,,, सुबह सुबह उसके अधनंगे बदन पर पानी क बूंद उसके
पैर पर बहते ए बड़ी तेजी से उपर से नीचे उतर रही थी और म उसके पैर
को ही दे खता रहा उसके कमरे म जाकर दरवाजा ह का सा बाहर क ओर
ध कयाने तक ,,,,

म जब तक उसके इस टावेल म लपटे ए प के स मोहन से बाहर आता


उससे पहले ही शा लनी क आवाज आई- भाई,, जरा यहां आना,,,

म हां बोलकर बना कुछ सोचे-समझे जैसे ही कमरे के ह के खुले दरवाजे को


ध कयाते ए अंदर घुसा तो एक हसीन नजारा मेरी आंख के सामने
था.............. 

शा लनी मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी और उसके हाथ पीछे ा के क को


लगाने क को शश कर रहे थे,,,,, उसक गोरी चकनी पीठ पर सफेद ा क
प.....आह,,, ये सब काफ था... मेरे होशोहवास खो जाने को.... और जैसे
ही मेरी सरसरी नजर शा लनी के नचले शरीर पर गई तो ऐसा लगा .... क
लंड बरमूडे को फ़ाड़ कर बाहर नकल आने को आतुर है........

शा लनी ने एक हाइट कलर क लेगी पहनी ई थी और उसके अंदर से


उसक टे ड पट उसक कामुकता से भरपूर जांघ को छु पाने के बजाय
और दखा रही थी,,, 

शा लनी- भाई,,, अब खड़े रहोगे या मेरा काम भी करोगे ,,,

म अपने याल से बाहर नकलकर तुर त बोला- हां बोलो बेबी,,,

शा लनी- मेरी ा का क ...

इतना सुनते ही मने आगे बढ़ कर उसक साइड से दखती ई चू चय को


ह के से उंगली से छू ते ए क को लगा दया और म एक सीधे मासूम ब चे
क तरह कमरे से बाहर नकल आया,,,,,, 
मजबूरी थी य क म शा लनी के साथ सुबह सवेरे या दन भर से सुअल
हरकत करना नह चाहता था और अपने आप को रोक भी नह पाता था,,, 
कभी कभी अजीब सी उ ेजना और आ म ला न म त वचार मन म आ
ही जाते थे,,, 

म सीधा बाथ म म नहाने के लए घुसा मगर कुछ सोच कर बाहर नकल कर


र सी पर टं गी ई शा लनी क ा को उठाया और उसे लेकर बाथ म का
दरवाजा बंद कर लया,,,
नहाते ए मने शै पू और साबुन के म त झाग को अपने सात इंची ल ड पर
रगड रगड़ कर शा लनी क ा के क स म अपना वीय नकाल दया,,, और
राहत क सांस ली क अब दन भर शायद ल ड महाराज शांत रहे,,, 

और नहाकर म भी सफ टावेल लपेट कर बाहर नकल कर शा लनी क ा


को और अपनी च को सूखने के लए र सी पर डाल कर अंदर कमरे म
आकर कपड़े पहनने लगा,,, शा लनी कचन म थी और उसने एक गजब का
ाक सूट पहना आ था और नीचे लेगी,,,,,,

उसके शरीर का कोई भी ह सा अनाव यक प से दखाई भी नह दे रहा था


और उसके बावजूद वो ब त ही हाट और आकषक लग रही थी,,, सुद ं र
लड़ कयां बना बदन दखाउ कपड़े पहन कर भी कसी को भी आक षत कर
ं रता पायी है,,, मेरी बहन ने,,, और उसने आज
सकती ह,,, या गजब क सुद
थोड़ी सी डाक रेड लप टक भी लगा रखी थी अपने रसीले ह ठ को और
अ धक आकषक बनाने के लए,,, म तो बस उसे दे खता ही रह गया ....

शा लनी ना ते क े लेकर मेरे पास आई और हमने यार से साथ म बैठकर


ना ता कया और कालेज के लए नकल पड़े,, 

रा ते म रोज़ क तरह शा लनी क म त चू चय क रगड़ को अपनी पीठ पर


महसूस करते ए,,,,, म और शा लनी दोपहर बाद शा पग और कल गांव वाले
घर माम के पास चलने के बारे म बात करते ए उसके कालेज प च
ं गए और
मने उसके बाइक से उतरते ही धीरे से बोला 

म- यू आर लु कग वेरी यूट फुल,,, अपना याल रखना,,


बाय बाय से सी,,

और म उसके जवाब का इंतजार कए बना बाईक टाट करके नकल लया,,,

**************

दोपहर म हम दोन माल म मले और टाप लोर पर जाकर हम दोन ने पहले


लंच कया ह का फु का और शा पग करने के लए ऐसे ही इधर उधर शो म
पर नजर डालते ए हम दोन माल म घूम रहे थे,,, मुझे शा लनी के चेहरे पर
हमेशा वाली मु कुराहट और उसक बात बात पर चुहलबाज़ी नह दख रही
थी जब क पछले आधे घंटे से हम दोन साथ थे,,,वो कुछ परेशान सी लगी
मुझे,, और मने उससे पूछ ही लया,,,,

म- या बात है मेरी वीट बहना,, कहां खोई खोई सी हो,,, कुछ लेना है या ऐसे
ही म ती करते ए माल म घूम कर घर चलना है ?

शा लनी- नह ,, लेना है ना,, बट भाई ऐसा करते ह चलो आज बाहर एक


माकट है जो वहां चलते ह ,,, कालेज म लड़ कयां बता रही थी क वहां काफ
अ छ रज मलती है ,,,, 

म- ठ क है चलो,,,

और म शा लनी के हाथ म हाथ डाल कर उसे बाहर पा कग म ले आया,,, और


बाइक से हम लोग पास क माकट के लए नकल पड़े ,,, 

म रहता तो इसी शहर म था साल से मगर मुझे इस माकट म आना नह आ


था,,, यहां सैकड़ छोट बड़ी कान थ और सब क सब लेडीज वयर क ,,,

शा लनी ने आज अपने लए काफ सारे कपड़े लए और कुछ ब त ही बो ड


टाइप क ेस और जी स ट -शट,,, ले गस,,, सच म इस माकट म काफ कम
दाम पर लेटे ट फैशन के कपड़े मल गए थे,,, 
आज क शा पग म मुझे मजा नह आया य क शा लनी कुछ खोई खोई सी
जो थी,,, 
मुझसे रहा नह गया और मने फर से शा लनी से पूछा,,,

म- या बात है बहना,,, कहां गुम हो तुम,,,, 

शा लनी- वो कुछ नह भै या,, बस आज कालेज म ,,,, 


म- या आ कालेज म,, कसी ने तु ह परेशान कया या ?

शा लनी ने मेरा हाथ पकड़ कर माकट म एक साइड पर पड़ी बच पर बैठते


ए बोला 

शा लनी- भै या,,, वो ना,,, कल जो हम लोग ने वी डयो लप दे खी थी ना,,,


भाई जी वो लड़क हमारे ही कालेज क है,,, सी नयर है हम लोग क ,,, 

म- हां,, ऐसा या,,, 

शा लनी- हां भै या,, आज पूरे कालेज म उसी वी डयो क बात हो रही थी


और पता चला क उस लड़क ने अपनी बदनामी के डर से सुसाइड करने क
को शश भी क कल रात म ही,,, 

म- ओह माई गॉड,, ये तो ब त बुरा आ उस लड़क के साथ,, उसे यान


रखना चा हए था क वी डयो रका डग ना करते वो सब करते ए ,,

शा लनी- हां भाई,, मुझे ब त डर लग रहा है तबसे,, वो लड़क का कई साल


पुराना अफेयर था उस लड़के से,,, ब त यार भी करते थे एक सरे से,,, पर
उस कमीने लड़के ने उसक इ जत खराब कर द ,,, साथ ही साथ उसके
प रवार क भी,,, लड़के सब ऐसे ही ग दे होते ह,,,

मने शा लनी के हाथ को हाथ म लेकर ह के से सहलाया और,,, 

म- सच म ,, ब त ग़लत काम कया है उस कमीने,,, भ सड़ी वाले ने,

ना चाहते ए भी मेरे मुंह से गाली नकल गई,, 


शा लनी- आज कालेज सपल मैम ने भी कामन असे बली म सब
लड़ कय को ब त समझाया क इस तरह के काम से लड़ कय को र ही
रहना चा हए नह तो थोड़े मजे के लए सारा जीवन नक बन सकता है,,,

म- हां बेबी,, लड़ कय को ऐसे हरामी लौड़ से र ही रहना चा हए,, साला


कमीना,,, उसक बहन का वी डयो ऐसे ही वायरल हो तो पता चलता
मादरचोद को,,,

शा लनी- वैसे लड़का पकड़ लया है पु लस ने ,,, बट अब वो लड़क और


उसक फै मली ,,, ओह गाड ,,,

मने शा लनी को खूब समझाया और धीरे धीरे बात ही बात म शा लनी को ये


यक न दलाया क सब लड़के बुरे नह होते,,, मगर लड़ कय को से स
स ब ध बनाने के समय म यान रखना चा हए क जसके साथ वो ये कर रही
ह,, वो कभी उसे इस तरह बदनाम ना कर पाए,,, 

और बात ही बात म मने मूवी थयेटर वाले राजा भैया और द द क बात


छे ड़ द और शा लनी से कहा 

म- आज कल के माहौल को दे खते ए तो सबसे सही फैसला उन दोन ने


कया है,,,

शा लनी- या सही कया ?

म- दे खो यार,, उन दोन ने बाहर कसी के साथ र क लेने से अ छा अपनी


ज रत को आपस म पूरा कर लया और कोई र क नह है इस तरह क
बदनामी का ,,, हां थोड़ी सावधानी रख,, बस,, 
शा लनी- हां भै या,, इस तरह के वी डयो वायरल करने वाले से तो ठ क ही ह
वो दोन ,,, 

म- उन दोन ने अगर कभी ऐसा वी डयो बनाया भी तो,,,, ना कोई भाई अपनी
बहन को बदनाम करेगा और ना ही बहन अपने भाई को ,,, 

शा लनी- ं,, ,, और तुम कल मुझसे कह रहे थे क म भी वाय े ड बना लूं


कसी को,,, मुझे नह बनाना कसी भी लड़के को वाय े ड 

मने मौका दे खा और

म- मने वाय े ड बनाने के लए कहा था मतलब कोई अ छा सा समझदार


और ज मेदार लड़का हो, तु हारी इ जत का याल रख और खूब यार करे,,,
तो ,,, बना सकती हो,,, ये तु हारी लाइफ है ,,,, म तु ह बांध कर रखना नह
चाहता,,, खुलकर जयो ,,, और उसके गाल म हाथ लगाकर,,,,, हंस के जयो,,,

शा लनी के चेहरे पर काफ दे र बाद मु कुराहट आयी और

शा लनी- ं,, ऐसा कौन है मेरा,,,, तु हारे सवा ,,, जस पर म अपने आप से


भी यादा भरोसा कर सकती ं,, 

म- तो वीटू ,, बना लो ना,, मुझे अपना वाय े ड ? हंसते ए

शा लनी ने मेरी तरफ दे खा और हंसते ए,,, 

शा लनी- हां हां,, बड़े आये वाय े ड बनने,,, तुम तो मेरे राजा भैया ही ठ क
हो,,, 
म- मेरी तरफ से ये आफर हमेशा रहेगा,,, तुम सोच कर बताना,,, 

शा लनी- या भाई तुम भी ना,, मेरे गु , मेरे दो त और भै या,,,, सबकुछ तु ह


हो,,, और या बाक है,,,

हंसते ए वो बच से उठ और बोली- चलो भाई अब घर चलते ह,,, 

म- हां,,, चलते ह ,,, 

और हम लोग माकट से बाहर नकलने ही वाले थे क मेरी नज़र एक शो म


पर पड़ी जसम शीशे के पार तरह-तरह क रंगीन ा और पट लाइन से टं गी
ई थी तो आज़ क बो रग शा पग और शा लनी के मूड को थोड़ा अ छा
करने के इरादे से मने साथ चलती ई शा लनी के कंधे को अपने कंधे से
हलाया और,,,

म- उधर दे खो ,,, लेना है,,, 

शा लनी- नह रहने दो भाई,, ह तो काफ सारी,,,

म- काफ सारी ह तो,,, बट कोई नई डजाइन वाली ले लो,,, 

शा लनी- या करना नई डजाइन का,,, कसी को दखाना है या ?

म- अरे चलना यार,,, चलो आज म पसंद करता ं तु हारे लए,,,


शा लनी- तुम ना भाई,,, अ छा चलो

और हम दोन शो म के अंदर घुस गये,,, जहां हजार तरह क ा और पट


रंग बरंगी, डजाइनर नाइट वयर लाइन से लटक रहे थे,, हम दोन थोड़ी दे र
तक ऐसे ही दे खते रहे फर मने एक ा उठाई और शा लनी को दखाते ए 

म- ये कैसी है,,

शा लनी- अ छ है,, आपक पसंद हमेशा अ छ ही होती है,,


मने उसके साथ क मै चग पट उठाई तो उसे दे खते ही शा लनी बोल पड़ी

शा लनी- ओह,, ये ब त छोट है यार,, अजीब लगेगा,,,

म- कुछ अजीब नह लगेगा,, या एक ही तरह के कपड़े पहनना ,, सभी तरह


के पहनकर दे खना चा हए,,, 

शा लनी (थोड़ा सोचकर) अ छा , ले लो,,

मने शा लनी से पूछ पूछ कर उसके लए अलग अलग तरह क चार सेट ा
पट पसंद करी ,,, खास बात ये थी क पट सभी के साथ छोटे साइज क ही
थी। आ खर म मने एक छोट साइज क घुटन के उपर तक आने वाली
नाईट भी खरीद ली,, जसे दे खकर शा लनी ब त खुश हो गई और मुझे
थ स बोला ,,

शा पग करने के बाद हम दोन ने आइस म खाई फर घर क ओर चल पड़े


हम दोन घर के बाहर ही प च ं े थे और बगल म भाभी भी अपना गेट खोल


रही थी,,, वो भी अपने ब च को लेकर कूल से घर आ गई थ ,,, 

भाभी- लग रहा है आप लोग शा पग करके आ रहे ह ,, 

म- हां,, भाभी सा ,, 

भाभी- अ छा अभी आकर दे खती ं या या लाये हो,,, 

और हम लोग अपने अपने घर म अंदर आ गए,, मने शा लनी से कहा क मुझे


अभी वापस जाना पड़ेगा और म शाम तक आऊंगा,, और म कुछ दे र गम के
कारण कूलर के पास बैठ कर अपने पसीने को सुखाकर ठं डा पानी पीकर
कुस पर सु ताने लगा ,,

तभी हमारी बेल बजी ,, शायद भाभी बाहर थ ,,, शा लनी ने अब तक चज कर


लया था और एक ट -शट और कै ी पहन ली थी,, मने उठकर गेट खोला
और भाभी अंदर आ गई,,, भाभी मूलतः बहार क रहने वाली है और पूर बया
होने के कारण वो ब त ही मजा कया भी है,, मगर सफ मजा कया,,, 
अंदर आकर भाभी कुस पर बैठ गई और शा लनी ने उनके आ त य म पानी
और मठाई लाकर रख द ,, 

भाभी- भै या,, ए चुअली म अपने एक काम से आई ं आपके पास


म- हां हां,, बो लए ,,

भाभी- मुझे जरा यूट पालर जाना है,, या शा लनी को आप मेरे साथ भेज
दगे,,, 

म- अरे तो आप मुझसे य पूछ रही ह,, शा लनी से पू छए,,, वो जाना चाहे तो


उसे ले जाइए ,,

भाभी- चलोगी ननद रानी,,, वो मुझे कुछ सामान लाना है तो उसे पकड़ कर
तुम बैठ जाना मेरी कूट पर ,,,

शा लनी - हां,, अब आपने पहली बार कुछ कहा है तो आपको मना कैसे
क ं गी भाभीसा ,,,

भाभी- ठ क है,,, हम लोग पांच बजे तक चलगे और सात बजे तक वापस ,,,
और हां भई,, शा पग या ई है आज वो तो दखाया नह तुमने 

शा लनी- जी भाभी,, अभी दखाती ं,,,, और वो पीछे कमरे से शा पग बै स


लेकर आई ,,,,

वो दोन बेड पर कपड़े फैला फैला कर और उलट पुलट कर दे ख रही थी,,,


भाभी लगातार शा लनी के कपड़ क तारीफ कर रही थी और जब शा लनी
ने बताया क ये सब मेरी पसंद के ह तो भाभी ने कहा क कभी हमको भी
शा पग करवा द जए आपक कलर वाईस ब त अ छ है ,,,

इस बीच मने गौर कया क शा लनी अपने अंडरगामट वाली पालीबैग नह


लायी थी,,, मतलब वो भाभी के सामने ये नह दखाना चाहती थी क हम
दोन भाई बहन एक साथ एक सरे के अंडरगारमट् स क शा पग भी करते
ह,,,

मने उन दोन से कहा 

म- मुझे तो नकलना है अभी आप दोन साथ चले जाना,,, और म अपनी


बाइक लेकर नकल गया ,,, 
***************

शा लनी ने भाभी के साथ पालर प ंच कर मुझे मैसजे कया ये बताने के लए


ं गई है ,,, उसके बाद मेरे एक म ने मुझे अपने काम से रात
क वो वहां प च
के आठ बजे तक फंसाये रखा,,, इस बीच शा लनी ने घर आकर मुझे मैसज े
कर दया था ,,, म लगभग सवा आठ बजे घर प ंचा और मने अपनी चाभी से
गेट खोला और धीरे से गेट बंद करके आगे बरामदे से कमरे क ओर कदम
बढ़ा दए,, पता नह कैसे मेरे मन म अपने ही घर म चोर क तरह घुसने का
याल आया था,,,, 
इस याल के पीछे कारण ये था क म जब भी इस तरह चुपचाप बाहर से घर
के अंदर आता ं तो कई बार शा लनी के शरीर को अधनंगा दे खने का नायाब
तोहफा मल जाता था,,, और इसी उ मीद म मने दरवाजा ह का सा अंदर क
ओर ध कयाया और सामने का नज़ारा दे ख कर म अपनी क मत पर र क
करने लगा ,,,

सामने बेड पर शा लनी लेट ई थी और दबे पांव घर म अंदर आने का मेरा


फैसला सही सा बत आ,, 

अब तक म शा लनी क चू चय को सहलाने , ह का सा उसके सोते समय


दबाने, और ा म बंद काफ बार दे ख चुका था,, वो खुद ही मुझे ा म कसी
अपनी उ त चू चय को दखा चुक थी , ा ाई करते समय,,,,हम दोन यहां
तक आगे बढ़ चुके थे क मेरे उकसाने पर शा लनी ने अपनी चूत म उंगली
डाल कर अपना थम ह तमैथुन भी कर लया था,,, मगर अब तक मने कभी
भी शा लनी क म त चू चयां नंगी नह दे खी थी,, बना कसी अवरोध के,, 

मुझसे चंद फट र मेरे जीवन क पहली नंगी चू चयां मेरी नज़र के सामने
थ ,,, शा लनी के शरीर पर इस समय सफ और सफ एक पट ही थी,,, उपर
से वो पूरी तरह नंगी ही थी,, एक चादर थी और वो भी अ त त.....

हर सांस के साथ उसक बड़ी-बड़ी चू चयां उपर नीचे हो कर फूल पचक रह


थ और नीचे उसक नयी छोट सी पट ,,, आह,,, पट म तो मने आज तक
शा लनी को नह दे खा था,,

या नजारा था मेरे सामने,,, मेरे सपन क रानी मेरी सगी बहन इस हालत म
बेखबर हो कर सो रही थी और मेरी हालत ख ता हो रही थी,,, मने ज द से
अपने मोबाइल फोन से उसके कुछ फोटो ख चे और अपने लंड को पट के
ऊपर से ही मसलने लगा।

मने जब बेड पर नजर दौड़ाई तो दे खा क शा लनी के पास ही मेरे सूखे ए


वीय से सनी ई ा पड़ी थी और जो कपड़े पहन कर वो भाभी के साथ पालर
गई थी वो भी बगल म पड़े ए थे,,, मतलब शा लनी पालर से आने के बाद
शायद कपड़े उतार कर कुछ दे र आराम करने के लए लेट थी और फर ऐसे
ही सो गई और मेरी जोरदार क मत क म मौके पर आ गया और शा लनी के
इस जवानी से भरपूर प के दशन मल गए ।

मने थोड़ा और करीब जाकर उसके बदन क खुशबू को महसूस करने क


को शश क ,, मगर मेरी गा ड भी फट रही थी क अगर शा लनी ने आंख
खोल द तो म या जवाब ं गा,,, 

मगर म उसके यौवन पर फदा हो चुका था और मेरे दमाग ने कुछ दे र के


लए काम करना बंद कर दया था,,,

मने पहली बार इतने करीब से कसी लड़क को दे खा था इस हालत म,,,मेरी


उ ेजना बढ़ती जा रही थी और म शा लनी क छोट सी पट म बंद उसक
गुलाबी गु ड़या के दशन करना चाहता था,,, उसक सबसे क मती चीज और
उसके शरीर का यही आ खरी अंग था जो अब भी मेरे द दार से बरी था,,,
उसके नत ब पर भी बाक शरीर जैसी ही चकनाहट और चमक थी,, 

उसने एक ह क सी करवट ली और उसक दोन चू चय ने एक सरे को


दबाते ए एक कमनीय नजारा बना दया,,,,

भाभी ने पालर म शा लनी का भी ह का फु का मेकअप और मेकओवर


करवा दया था जो उसे और खूबसूरत बना रहा था

मेरे सामने लेट ई इतनी खूबसूरत लड़क को दे खकर कोई भी आ यच कत


रह जाता , शायद अपने होशोहवास खो कर उसके संगमरमरी बदन को अपने
बा पाश म जकड़ कर उसे मसल डालता। शा लनी क खूबसूरती का पहले
से कायल था म और मैने दे खा क यूट -पालर जाने के बाद तो उसका काया-
पलट ही हो गया था. शा लनी ने बाल म टे प-कट करवाया था जससे उसके
बाल कसी मॉडल से तीत हो रहे थे और उसके खुले ए बाल उसके गोरे
बदन पर फैल कर उसे और सुंदर बना रहे थे,,, उसका चेहरा भी मेकअप से
दमक रहा था और गोरे-गोरे गाल पर ला लमा फैली थी। शा लनी क आँख
को ह के म कारे ने और अ धक मनमोहक बना दया था व उसके ह ठ पर
एक गाजरी रंग क पाकल- लप टक लगी थी जससे वे काम-रस से भरे
ए जान पड़ रहे थे,* 

सामने " प क रानी" लेट ई थी और उसके प को चुराने क हसरत लए


म उसका बड़ा भाई "चोर का राजा" क तरह उसके प को नजर भर कर
चुरा रहा था,,,,,,,,,,, मेरा ल ड फटने वाला लग रहा था ह का सा ीकम भी
शायद नकल गया था मेरा,,, 

मने अब अपने नयन सुख को वराम दे ना ही ठ क समझा और धीरे से कमरे


से बाहर नकल कर बरामदे म आकर थोड़ा सा जूत को फश पर पटक कर
तेज आवाज म चलकर फर से कमरे म आया जससे शा लनी को लगे क म
अभी अभी आया ,ं ,,

मने बेड पर पड़ी ई चादर उठाई और शा लनी क पट के पास उसक नंगी


कमर पर हाथ रख कर उसे हलाते ए जगाया,,,, मगर मने बड़ी चालाक से
जब तक शा लनी ने अपनी आंख नह खोली तब तक मने चादर उसके उपर
नही डाली,,,,

शा लनी ने आंख खोली और हम दोन क नजर एक सरे से मलते ही उसे


अपनी नंगी चू चय स हत अपने नंगे शरीर का याल आते ही उसने अपनी
आंख फर से बंद कर ली और मने उसके उपर चादर डालकर उसे शरमो हया
से बाहर नकालने क को शश क ,,,

उसने चादर से अपने आप को ठ क से ढकते ए मुझसे बोला...


शा लनी- वारी भाई,,, वो म ना,,,

म उसे बीच म ही रोकते ए बोला

म- कस बात का वारी ,, म भी तो े ची म ही रहता ं,, इट् स ओके यार

असल म म चाहता था क शा लनी को ये भी नामल लगे जससे आने वाले


समय म वह फर से मेरे सामने ऐसे अपनी चू चय को दखाती रहे और म
अपनी कामवासना को उसक नंगी गुदाज चु चय को दे ख दे ख कर कर कुछ
हद तक शांत कर पाऊं या और भड़काऊ,,,

शा लनी अपने शरीर के साथ उस चादर को लपटाए ए ऐसे उठ बेड से क


म उसके हसीन कामुक बदन को और ना दे ख पाऊं और वो बना कुछ बोले
ही पीछे कमरे म चली गई और कुछ मनट बाद सलवार सूट पहन कर बाहर
नकल आई ,, 
शायद वह अभी अभी अपनी हसीन चू चय के नजारे को मेरे ारा दे खे जाने
से कुछ यादा ही शरमा गई थी और अपने पूरे बदन को ढकने के लए ही
सलवार सूट पहन ली थी

और शा लनी ने मुझे पानी क बोतल पकड़ाते ए पूछा....

शा लनी- भै या,, कुछ चाय काफ बनाऊं तु हारे लए 

म भी इस बीच बेशरम हो कर अपने कपड़े उतार कर सफ े ची म आ गया


और अपने खड़े ल ड को छु पाने का कोई यास नह कया

म- हां हां लाओ कुछ ठं डा सा पहले,, इतनी हाट यूट वीन को दे खकर म
भी हाट हो गया ं ,, ह हा हा हा,,

शा लनी- (अपने बाल का जूड़ा बनाते ए) भाईईईईई ! टॉप इट ना...’ वह


तो बस म ती-म ती म ह का सा मेकअप करवा लया मने भाभी के
जबरद ती करने पर ,,

शायद मेरा रए शन दे ख उसे लग रहा था क म उसक टाँग ख च उसे सताने


के लए ऐसा बोल रहा था । शा लनी मेरे सामने खड़ी थी और म उसे और
छे ड़छाड़ करते ए उसक सुंदरता क तारीफ करने लगा

म- अरे,, 'पहले यह तो बता दो क आप ह कौन न परी ?' 


मने भी जरा मु कुरा कर मजाक करने के अंदाज़ से कहा

कुछ दे र तक यूँ ही हम दोन के बीच ख च-तान चलती रही, उसक खूबसूरती


को नहारने के मारे म रह-रह कर उसे दे ख मु काए जा रहे थे और उसक
तरफ दे ख दे ख कर कमट कर उसे चढ़ा रहा था,, 

शा लनी कचन मे जाकर चाय बनाने लगी और मने ट वी चला लया और बेड
पर आधा लेट गया और चाय के साथ चायवाली मतलब शा लनी का इंतजार
करने लगा ।

शा लनी चाय लेकर आई और जैसे ही उसने झुककर मुझे चाय का कप


पकड़ाया तो मेरी सीधी नजर उसके कुत के अंदर से झांकती ई म त चू चय
पर जम गई,,, आह,,, इ ह म त उरोज को म अभी कुछ दे र पहले ही पूरा
नंगा दे ख चुका था मगर ऐसे हसीन नज़ारे जतना दे खो उतनी ही यास बढ़ती
जाती है,,
फर से मेरी और शा लनी क नजर आपस म मली और शा लनी को शायद
एहसास हो गया क उसने कुत के अंदर समीज या ा कुछ नह पहना है और
म उसक रसीली चू चय को दे ख रहा ं,, और वो तुरंत मेरे पास बैठ गई और
अपने कुत को ह के से ठ क कया

खैर,, हम दोन साथ-साथ म चाय पी रहे थे और मने फर से उसे छे ड़ा

म- कसम से ,, अगर मुझे ये पता होता क तुम पालर जाकर ऐसे बज लयां
गराओगी तो पहले ही भाभी से बोल दया होता...

शा लनी- या यार,, तुम फर से ..

म- या फर से,,, अब बजली गरा रही हो तो म या क ं ,,

आ खरकार शा लनी को भी थोड़ी लाज आने लगी और वह उठकर बाथ म


म जा कर अपना मुहँ धो कर मेकअप हलका साफ़ कर आई,,

म- 'अरे वो लड़क कहाँ गई जो अभी यहाँ बैठ चाय पी रही थी ?'


मने शा लनी को मेकअप उतारने के बाद दे खते ए हंस कर पूछा,,,

शा लनी- भाई,,आप फर चालू हो गए...' शा लनी हँसते ए बोली.

म- अरे भई इतनी सु दर लड़क के साथ बैठा था अभी म क या बताऊँ?


मने उसे दे खते ए मु करा कर कहा -पर पता नह कहाँ गई उठ कर अभी
तु हारे आने से पहले...'

शा लनी- हा हा हा..भाग गई वो मुझे दे खकर..


शा लनी हँसते ए बोली...
म- ओह...मेरा तो दल ही टू ट गया फर... 
मने झूठा ःख कट करते ए अपने हाथ से े ची के उपर से ही अपने लौड़े
को मसल दया,, जैसे मुझे वहां खुजली हो रही हो,,,

शा लनी- ऊऊऊ.. ं,,. य आपक गल ड थी या वो?


शा लनी मजाक करते ए बोली और मुझको एक बार फर मौके पर चौका
मारने का चाँस मल गया ,,,,,

म- मेरी क मत म कहाँ ऐसी गल ड.......


मने उदास होने का ामा कया जैसे मेरी कोई ब त ही क मती चीज मुझसे
खो गई हो

शा लनी- हाहाहा भाई..गल ड चा हए तुमको? कल घर चल ही रहे ह तो


म मी को बता ँ गी,,, ज द आपक शाद का इंतजाम कर,,, 

शा लनी ने ठहाका लगाते ए कहा, उसे भी मेरी टांग खचाई का मौका मल


गया और एक उंगली से उसने मेरी े ची म तड़पते ए लंड क ओर इशारा
कया तो म और मेरा लौड़ा दोन ही खुशी से गनगना उठे ,,,

म- बता दो भई...मेरा या है तुम ही फँसोगी ? 


मने उसे अपने पास ही बेड पर बैठाते ए शरारत से कहा.

शा लनी- ही ही ही,,वो कैसे?


शा लनी ने अचरज जताया.

म- वो ऐसे मेरी वीट बहना,, म भी म मी से बता ं गा क तुमने मेरी ख़ूबसूरत


गल ड को भगा दया,,, हा हा हा
शा लनी- ओह शट...भाईईई ! कतने खराब हो आप...हमेशा मुझे हरा दे ते
हो... 
शा लनी ने मुहँ बनाकर पाँव पटकते ए नखरा कया....

हाहाहा... म उसे चढ़ाने के लए हंसता रहा...

शा लनी- हाँ*!*हाँ*! ले लो मेरे मज़े

म- अले ले,,मेरी यारी बहना


ऐसा*कहके*मने*मजाक*म*उसके*गाल*को पकड़कर*ख च* लया*
और*ऐसे*उसका*गाल*ख चना*उसे अ छा*नह *लगता था कभी भी बचपन
से ही......

शा लनी-भाई*तु ह*मालूम*ह*ना*मुझे*ऐसे*करना*पसंद*नह *.*म* या


छोट ब ची ँ*अभी*?*अब*म*बड़ी हो*गयी* ँ*,,,,

मने उसके ऐसा बोलते ही अपनी आंख उसक चू चय पर गड़ा द और,,,,

म-ओहो*,*हो*,*हो*!!*तुम*बड़ी तो हो*गई
हो*?*मगर* सफ*बदन*से*बढ़*गई हो*बेबी*!*ले कन*अपने भाई के लए
तुम*हमेशा छोट सी ब ची ही रहोगी,,,,,,,,,

ऐसा*कहकर*मने*उसे यार से बाँह *म*भर* लया*,

शा लनी-ओहो,*भाई!*
ऐसा*कहकर*उसने*भी*मुझे जोर*से*बाह म भर* लया ,,
इस*समय*अगर*मुझे* कसी*चीज*का*अहसास*हो*रहा*था*तो*वो
चीज*थी*मेरे*सीने*पर*दबी* ई*,*मेरी*बहन*क *बड़ी*बड़ी चू चयां*!!

शा लनी- दे ख लेना भै या अगर आपने मुझे फर तंग कया तो आपसे कभी


बात नह क ँ गी...' 
उसने मेरे नंगे सीने पर अपने आप को चपकाते ए कहा

म- ले कन तुमने तो मुझसे नाराज ना होने का ॉ मस कया था ना ,,,

शा लनी- 'वो...वो तो मने ऐसे ही आपको उ लू बनाने के लए कर दया था,, 


शा लनी के चेहरे पर भी शरारती मु कान लौट आई थी...

म- अ छा ये बात है...
मने मु करा कर कहा और अपने दोन हाथ शा लनी के पेट पर ले जा कर
कुत के ऊपर से ही उसे गुदगुदा दया....

'आह या क चा बदन है... हर व त महकती भी रहती है...आह...' म


शा लनी के जवान ज म पर इस तरह हाथ सकते ए सोच रहा था,,,,

शा लनी- ईईईईईई...हाहाहा...भा ई ई या..नह नाराज होती...ईई...' शा लनी


उछलती ई हँस रही थी.

फर अचानक से जैसे उसे होश आया और द वार पर लगी ई घड़ी को


दे खकर हंसते ए बोली

शा लनी- अब म ती बंद,,, यार मुझे तो भूख लग रही है,, कुछ खाने के लए


बनाऊं या ऐसे ही सोना है ,,, 
और इतना कहकर वो कचन क ओर चली गई और म अपने लौड़े को
सहलाते ए सां वना दे ने लगा क परेशान ना हो,,, तेरा न बर भी आयेगा मेरे
लंड राजा......

शा लनी खाना बनाती रही और म अपनी कामवासना को थामे ए ट वी


दे खते ए बीच-बीच म कुछ कुछ बात चीत करते ए हम लोग खाना खाने के
बाद एक बार फर से रोज़ क तरह म नहाने चला गया और नहाने के बाद म
बरमूडा पहनकर अपने लैपटॉप पर अपने कुछ काम नपटाने लगा और
शा लनी नहाने के बाद आज फर से मेरे सामने से ही सफ तौ लया लपेट कर
अपने मखमली बदन को अधनंगा पानी से भीगा आ,, मुझे दखाते ए
अपने बदन को मेरी नज़र से छु पाने के लए पीछे कमरे म अपने कपड़े
पहनने के लए चली गई,,, बलखाती कमर,,, लहराते ए कदम,,, जैसे कह रहे
ह ..... कब ख चोगे ये तौ लया.... आ खरी द वार...

खैर,, शा लनी ने मुझसे कहा क वो कल सुबह सवेरे ज द नकलना ठ क


रहेगा,,, आज कल गम कुछ यादा ही हो रही है,, मने भी कहा क ब त
सुबह ही नकलते ह,,, 
और वो अपना ै वल बैग पैक करने लगी,,, 
गम के मौसम के आ खरी के दन क गरमी वैसे भी ब त भयानक होती
है,,,,बा रश के दन नजद क आ रहे थे,,, मुझे बा रश का मौसम ब त सुहाना
लगता है,,, उसका एक बड़ा-सा कारण है क बा रश के दन म एक से
बढ़कर एक सुद ं र हसीना के भीगे ए बदन दे खने को मलते ह,,,

मगर आज कल तो मेरे पास सोते जागते ए शायद मेरी क पना से भी


यादा खूबसूरत बदन का द दार मुझे मल रहा था,,,, और दल म उसे यार
से भोगने क लालसा,,, 
म लेट चुका था और शा लनी भी काफ दे र बाद मेरे पास आ कर लेट गई,,,,
आज उसने एक ब त ही झीने से कपड़े का सफेद शाट शट पहना था और
न कर,, सफेद शट से उसके तन छु प रहे थे मगर उसक गोलाई को और
यादा दखा भी रहे थे,,, 

लड़ कय के शरीर को भी बनाने वाले ने या बनाया है,,, पूरा नंगा भी ,,,


से सी,, अधनंगी भी से सी,,, और असली खूबसूरत राजकुमा रयां कपड़ म
अधढक और यादा से सी,,,

शा लनी और मने एक सरे को चूमते ए गुडनाईट क सी क और मने


उसके नये शाट शट क तारीफ क ,,, 

उसके ह ठ को चूसने के बाद म अपनी ह ठ पर अपनी जीभ फराने लगा


जसे शा लनी दे ख रही थी,, फर उसने रमोट से ट वी आफ कर द और
करवट बदल कर मेरी तरफ अपनी गांड़ को करके लेट गई,,, कुछ दे र बाद मने
करवट बदल कर उसे पीछे से पकड़ कर अपने आप से चपका लया और
मेरा ल ड भी साथ ही साथ खड़ा होने लगा,, मने बना डरे उसके शट के
ऊपर से उसके सीने पर अपने एक हाथ को रख दया था और शा लनी क
अनछु ई चू चय क गम को उस झीने से काटन के सफेद शट के ऊपर से ही
महसूस करने लगा,,,, मने शा लनी को थोड़ा सा हलाकर अपने लौड़े को
थोड़ा एडज ट कया और उसके चूतड़ से ह का सा री बना ली,,, तन क
गम म एक अलग ही नशा होता है,,, कुंवारे तन क गम अ छे अ छे लोग
का लंड खड़ा कर दे ती होगी,,, मेरी या औकात थी,, मगर म मगरम छ क
तरह आंख बंद करके लेटा रहा और धीरे धीरे शा लनी के शट के बटन के बीच
अपनी एक उंगली फराई और ठ क उसी पल,,,,

शा लनी- (उन द आवाज म) राजा भैया सोने दो ना,,, सुबह ज द उठकर घर


चलना है ना,,, और उसने मेरे हाथ को अपने हाथ म लेकर उसे वैसे ही अपने
सीने पर रख दया,,,,,,, 

ये शा लनी क ओर से एक अनकहा संदेश था क आज ज द सोने दो ना


भाई लीज़,,, और मेरी चू चय को छू कर मुझे बेकरार ना करो,,, नह तो ,,, 
खैर एक जा के जैसे हम दोन को न द आ गई कुछ ही मनट म और हम
दोन एक सरे से ऐसे ही लपटते चपकते ए सोते रहे,,,

सुबह हम दोन ने उठते ही एक- सरे को गुड मा नग क सी करी और ज द


से तैयार होने लगे,,, शा लनी तो जैसे उड़ कर घर प ंच जाना चाहती थी,,, 
उसने ज द -ज द मेरे लए चाय बनायी और वो नहाने के लए बाथ म म
चली गई,,
म बैठा यूज पेपर पढ़ रहा था क वो मेरे सामने से ही तौ लया लपेट कर
नकली,,,,,,,, और सुबह सुबह मेरे सारे शरीर के रोएं खड़े हो गए,,, 

उसक टावेल ह क सी नीचे बंधी ई थी जसम से उसक गोरी गोरी चू चयां


बाहर झांक रही थी। लड़ कय के शरीर को अधनंगा दे खने पर एक अलग ही
रोमांच पैदा हो जाता है,,,, 

कुछ एक मनट उसके प के नशे म चूर म बैठा ही रहा,,, फर म भी उठकर


नहाने के लए बाथ म म गया और ज द ही नहाकर टावेल लपेट कर अपनी
े ची अंडर वयर को ढूं ढते ए बाहर बरामदे से लेकर कमरे म दे खते ए म
पीछे कमरे म दरवाजा धकेलता आ घुस गया और सामने एक और हसीन
नजारा मेरा इंतजार कर रहा था,,, शा लनी ट -शट पहन रही थी और मुझे
पीछे से उसक नंगी पीठ का अ छा सा नजारा मल गया,,,
शा लनी अपनी ट -शट ठ क करते ए मुझसे बोली

शा लनी- या भाई, तुम तैयार नह हो रहे,,, ज द करो यार,,

म- वो मेरी च ी नह मल रही है,,,


और शा लनी ने बेड पर पड़े ए कपड़ म से मेरी अंडर वयर दे ते ए बोली
ज द करो,,, वी आर गे टग लेट ,, और वो अपने बाल को संवारने लगी,, 
मने े ची को पहनते ए बना उसे उपर ख चे पहले ही टावेल हटा दया और
मेरे ह के से खड़े ल ड क झलक शा लनी को मल गई,,,, मने भी आराम से
े ची म दबाकर लंड को एडज ट कया और ज स पहनने लगा,,,
और जैसी मुझे उ मीद थी शा लनी ने मेरे लंड को दे खकर हंसते ए कहा...

शा लनी- हा हा हा,, जंगली ... जानवर

म उसका मतलब समझ गया क वो मेरी बढ़ ई झांट को दे खकर ऐसा बोल


रही है,,,, म भी मु कुराते ए

म- कहां है जंगल और उसम रहने वाला जंगली जानवर

शा लनी- वही जानवर जसे तुम च म दबा रहे हो और कौन, हा हा हा हा

म- अरे यार , वो काफ दन से जंगल म सफाई नह करी है ना तभी झांटे


थोड़ा बढ़ गई ह,,, वापस आ कर जंगल को सफाचट मैदान बना ं गा,, 

शा लनी- (हंसते ए) वो या बोला तुमने अभी,,,,, झांटे,, 

म- हां,, तो,,, यहां के बाल को झांटे ही कहते ह बेबो ,,,

शा लनी- जी गु जी,, हा हा हा हा,, झांटे,,,,

म- हां हां हंस लो,,, तु हारी भी तो बड़ी हो गई ह,,,

शा लनी- मेरी अभी नह बढ़ ह,,, पी रयड म तो लीन करी थी मने,,,,, और


तुमने कब दे ख ली मेरी,,,, झाअअ

म- हां, यादा बड़ी नह है तु हारी झांटे अभी,,, वापस आ कर तुम भी लीन


कर लेना,,,, वो शाम को जब तुम सो रही थी सफ पट म,,, तो थोड़े से दख
रहे थे भूरे भूरे से बाल,,, 

शा लनी ये सुनकर शरमा गई और कमरे से बाहर नकलते ए बात बदलते


ए बोली

शा लनी - ं,,, बेशरम,,


भाई माम को काल करके बता दो,, हम लोग घर आ रहे ह,,,

म- नह यार,,, रहने दो,, म मी को सर ाइज दगे,,,

शा लनी- ओके,,, 

और वो फर से कमरे म आ कर अपनी ट -शट के अ दर डयो े करने लगी


और फर डयो मेरी तरफ बढ़ाया तो मने कहा,, तुम ही लगा दो
और शा लनी ने मेरे उपर से नंगे सीने और मेरी बगल के अंदर डयो े कर
दया,,,,, 
हम दोन तैयार हो कर घर से नकलने ही वाले थे क शा लनी ने मुझसे कहा

शा लनी- भाई,,, वो मोबाइल म फोटो और वी डयो कैसे हाइड करते ह,,

म- य या हाइड करना है बेबी,, मोबाइल दो,, म एप डाउनलोड कर दे ता


ं,,,

शा लनी- भाई ये जो तुमने इतने सारे फोटो और वी डयो लप भेजे ह,,, वही
हाइड करना है,,, यार कह म मी ने दे ख लया तो गये काम से ....

म- ओ हो,,, बेबी सच म समझदार हो रही है,,,

और फोटो और वी डयो मने हाइड करना उसे बताया और फर हम लोग घर


को लाक करके,, पड़ोसी भाई साहब और भाभी जी से एक दो दन म आने
को बता कर हमारे घर का यान रखने को कहकर बाय बाय बोलकर बाइक
टाट करके नकल लए,,,,,,

शा लनी इतने दन बाद घर जाने को लेकर ब त उ सा हत थी , घर से बाहर


नकल कर दन क ह क खली ई धूप म शा लनी का चेहरा एकदम दमक
रहा था ये ए स ा लो कल पालर म ए मेकओवर का कमाल था,,, और
टाइट ज स और ट -शट म वो ब त ही हाट और से सी लग रही थी,,, मेरे
पीछे बाइक पर बैठ ई आइटम बा ब को रा ते म ऐसे ही घूर घूर कर दे खने
वाल क कभी नह है इस नया म,,, जैसे अब तक म लड़क क बाइक के
पीछे से चू चयां रगड़ती ई सरी लड़ कय को दे खता था वैसे ही अब बारी
सर के एहसान उतारने क आती ई थी और आजकल म भी पटाखा माल
को अपनी बाइक पर लेकर नकलता ं,,
और कुछ र चलने पर उसने कहा 

शा लनी- भाई,, कह अ छा सा डपाटमटल टोर दे खकर कुछ को ड क


और च स ले लो,,, म रा ते भर ऐसे तो बोर हो जाऊंगी,,,

म- ठ क है,,, बट मेरा ये वादा है बेबी ,म तु ह रा ते म बोर नह होने ं गा,,,

और कुछ र बाद एक टोर के बाहर मने बाइक रोक और शा लनी से कहा


क जाकर ले लो ,,, जो भी खाना है रा ते म,,, और शा लनी बाइक से उतरकर
टोर का शीशे का दरवाजा खोल कर अंदर गई,,, तभी मेरी नजर टोर म
खड़ी ई एक आइटम मतलब लड़क पर पड़ी,,,, और म भी बाइक का टड
लगा कर टोर के अंदर शा लनी के पीछे जाकर खड़ा हो गया ।

मगर मेरी तरछ नजर उस लड़क क पीठ पर दखती ई उसक ा प


और साइड से दखती ई उसक चू चय पर ही अटक थी,,, नीचे उसने एक
न कर पहनी थी जो क सफ उसके चूतड़ को छु पाने के काम आ रही थी,,,
लड़क सांवली सी थी मगर पीछे से आकषक लग रही थी,, उसक जांघ ब त
ही भरी भरी थी और म शा लनी के पीछे पेमट काउंटर पर खड़ा था,, बेखबर,,,
शा लनी ने को ड क और च स लेकर पेमट कर दया और मेरी नज़र का
पीछा करते ए उसने दे खा क म एक टक उस लड़क को घूरे जा रहा ,ं ,,
और उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ कर कहा,,,

शा लनी- गु जी,,, चल क अभी आंख क रोशनी और बढ़ानी है,,,


और वो मेरा हाथ अपने हाथ म लेकर बाहर बाइक तक ले आई,,,
म बाइक टाट कर के चलने ही वाला था क तभी उस लड़क ने सामने शीशे
के दरवाजे को खोला,,, बाहर नकलने के लए,,,, और उसके चेहरे को
दे खकर मेरे सारे अरमान सो गए,,, बड़ी ही अजीब सी लग रही थी,,, और
कपड़े भी अजीब ही तरीके से पहन रखी थी,,, वो मेरे पास से नकलते ए
सड़क के सरी तरफ खड़ी अपनी कार क ओर बढ़ ,,,

साली पीछे से म त चुदासी आईटम लग रही थी और सामने से चेहरा दे खकर


खड़ा लंड भी मुरझा जाता,,,, मेरे लए यह एकदम बेइ जती महसूस करने
वाला पल था,,, साला यहां चौबीस घंटे एक दम पटाखा माल मेरे पास रहता है
और म इस घ टया आईटम को दे खने के च कर म टोर के अंदर तक चला
गया था,,,,
खैर मने बाइक टाट क और शा लनी ने मेरे पीछे बैठते ही मुझे चढ़ाने के
लए मेरी पीठ पर मु का मारते ए बोला,,,

शा लनी- आईला,,, गु जी के साथ तो धोखा हो गया,,, घूर घूर ना दे ख


ब लए......
और वो गाने क तरह गुनगुनाने लगी,,,

म- "उर ना बुर, चली फतेपुर" 

और म बाइक क पीड बढ़ाते ए थोड़ा सा गु से म बोल गया...

शा लनी मेरे कान के पास अपने मुंह को लगाकर बोली,,,

शा लनी- या,, या कहा तुमने भै या,,?

म- अरे कुछ नह वो हम लड़क क भाषा है,,, ऐसे घ टया आईट स के लए,,,

शा लनी- लड़क क भाषा मतलब,,, इसका मतलब या है यार,,, बताओ ना


भाई,,

म- अ छा सुनो इसका मतलब ये है क ऐसी लड़ कयां जो अपने घ टया


लु स को अ छे कपड़ म छु पा कर जबरद ती से सी बनने क को शश
करत ह ना,, उ ह को कहते ह...

शा लनी- हा हा हा,, मतलब जन लड़ कय क शकल सूरत अ छ नह है वो


अ छे कपड़े भी ना पहन,,, और या या कहते हो तुम लड़के लोग,, ऐसी
लड़ कय को दे खकर,,,

म- यार जब बाडी दखाने लायक हो तभी दखाना चा हए,, इस लड़क क


तरह जो नकलेगी, उसे लोग कहगे ही,,,,, 
"चूत ना चूच
ं ी नखरे नूरजहां के" 

शा लनी ने शायद जानबूझकर अपनी गुदाज चू चय को मेरी पीठ पर दबाया


और

शा लनी- हा हा हा हा,, ये वाला तो और भी मजेदार है,,, ना चू,, ना चू,ं ,, ,हा हा


हा या या ला जकल कमट् स करते हो तुम लोग,, 

म- हम लोग या,, लड़ कयां भी तो करती ह ,, ला जकल कमट् स,,,

शा लनी- म तो नह करती,,, और हां उस हाई लास मैडम के बारे म तु हारा


आधा कमट सही नह था,,, े ट तो ठ क ही थी उसक ,,,

म (हंसते ए)- हा हा हा,, अरे बेबो,,, उसक चू चयां भी ा के सहारे ही टाईट


लग रही थी,,
ऐस क जब ा म कसी ई चू चयां दे खो तो जबराट गोल खरबूजे,,,,, और ा
के खुलते ही पल पली लौक जैसे लटकती ई ,,,,,
शा लनी ने फर से मेरे पीठ पर मु का मारते ए मुझसे कहा

शा लनी- ओह माय गॉड,,, तुम लड़के भी ना,,,, लो च स खाओ और को ड


क पओ और पल पली लौक वाली मैडम के याल से बाहर नकलो,,
मेरे राजा भैया,,,

और उसने चलती ई बाईक पर मुझे अपने हाथ से च स खलाया फर मेरे


मुंह म को ड क लगाई,,,

शा लनी- वैसे मैडम ने ा अ छ पहनी थी,,, कलर अपी लग था,,,

म- अरे छोड़ो भी उसे,,, अ छ ा म अ छ चू चयां और अ धक अ छ


दखती है,,, 

शा लनी- ं,,,,तो जनाब, इसके भी ए सपट ह,,, हा हा हा

म- वैसे तुम य इतना परेशान हो,, तु हारी तो जबराट खरबूजे जैसी ह,,, ा के
साथ भी और ा के बना भी,,,

शा लनी ब त जोर से च लाकर बोली

शा लनी- भाई ईईईई,,अब तुम अपनी बहन क भी दे खने लगे हो या,,, यू बैड
वाय...

म- अरे यार, अब या म अपनी बहन क तारीफ भी ना क ं ,,, और तब


जब क वो इस धरती पर आई ई सबसे हसीन लड़ कय म से एक हो,,, म तो
अपने आप को नह रोक पाऊंगा,,,

शा लनी ने मेरे पेट म पीछे से ह क सी गुदगुद लगाई और मने उसे मना


कया क ये हाईवे है बेबी,, यादा मजाक नह ,, गाड़ी डसबैलस हो जायेगी,,

खैर,,, ऐसे ही हंसी मजाक करते ए हम दोन शहर से काफ र नकल आए


थे और अब कं ट के जंगल के बजाय चार ओर ह रयाली नजर आ रही थी
मगर धूप धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी,,, हम लोग को बाइक से चलते ए
करीब दो घंटे हो गए थे और मुझे जोर क पेशाब लगी थी और मने एक
जगह जहां पर काफ ह रयाली थी,, वह पर बाइक साइड म खड़ी कर द ,,,
और शा लनी से उतरने को कहा....

शा लनी- या आ भाई,, बाइक य रोक द ,,,

म- अरे बेबो,, नह रोकता तो जो को ड क पला पला कर तुमने मेरा गाल


लैडर भर दया है ना वो फट ही जायेगा,,,
और मने बाइक को फुल टड पर लगाया तो शा लनी भी बोली....

शा लनी- लगी तो मुझे भी है,,

म- तो कर लो यार,, कसी ने रोका है या??

शा लनी- यहां पर कैसे,, सब गा डयां नकल रही ह,,, तु हारा या कह भी


कर सकते हो...

म- तो ठ क है मत करो,,, जब फट जायेगा गाल लैडर तो करना..... अ छा


सा मु त दे खकर,,,
और म थोड़ा सा आगे बढ़ा तभी शा लनी पीछे से बोली,,,

शा लनी- लीज़ भैया मजाक नह ,, स ची बड़ी तेज लगी है सु सू ,,,

म- अ छा ठ क है इधर आगे आओ और उधर थोड़ा सा नीचे जाकर उन पेड़


क आंड़ म कर लो,,

और शा लनी मुझसे करीब दस कदम आगे बढ़कर अपने दाय बाय दे खकर
थोड़ा संकोच के साथ अपनी ज स का बटन खोल कर बड़ी तेजी से एक साथ
जी स और पट को नीचे करके बैठ गई और म ऐसे एंगल पर खड़ा था जहां
से मुझे उसके ला लमा लए ए गोल चूतड़ के दशन हो गए और शा लनी
पेशाब करने के बाद बड़ी तेजी से फर खड़ी ई और साथ ही साथ उसने
अपनी ज स और पट भी उपर ख च ली,,, जससे मुझे यादा कुछ नह
दखा,,, मेरे सामने शा लनी पेशाब कर रही है ये सोच कर ही लंड महाराज
टाईट होने लगे,,,, हो भी य ना,,, 

शा लनी अपनी ज स ठ क करते ए थोड़ा सा आगे मेरी ओर बढ़ और मेरे


पास आ कर बोली
शा लनी- ओह यार,,, इट फ स गुड नाऊ,,,, चलो भाई,,

म- अरे म भी तो कर लूं,,

शा लनी- तो करो ना,,, 


और इतना कहकर वो मेरे पास ही खड़ी रही,,,,,, मने भी कुछ सेकंड ककर
अपनी ज़प खोल कर ल ड को बाहर नकाल लया और मूतने लगा,,,,,
शा लनी मेरे बराबर म खड़ी थी और बड़े गौर से मेरे अधखड़े ल ड को दे ख
रही थी,,,, मने मजा लेते ए अपने लौड़े को ह के से हलाया तो मेरे मूत क
धार और र गरने लगी,,, 
या हसीन मौका था,,,, हाईवे के कनारे म खड़ा मूत रहा था और मेरी बहन
शा लनी मुझे मूतते ए दे ख रही थी,,,काश वो मेरे लौड़े को अपने हाथ म
पकड़ ले तो मजा आ जाये,,,, मेरा मूत अब नकलना बंद आ तो मने लंड को
हला हला कर आ खरी बूंद टपकाई,,, मगर अब तक मेरा सात इंची ल बा
लौड़ा अपने पूरे शबाब पर आ गया था और म भी आराम से अपने लौड़े को
ज स म घुसेड़ने क को शश करने लगा,,,
मगर लंड और टाइट होता जा रहा था,, खड़े ल ड को ज स क छोट सी ज़प
के रा ते अंदर करना नामुम कन लगा तो मने अपनी बे ट और ज स का बटन
खोल कर उसे नीचे करके अपने लंड को एडज ट करके े ची म दबाकर बंद
कया और मने अपनी नजर शा लनी से मलाई तो वह मुझे दे ख कर मु कुराते
ए बोली

शा लनी- या उसे तोड़ने का इरादा है,,

म- नह भई,,, तोड़ दया तो सु सू कहां से क ं गा, हा हा हा,,

शा लनी- हा हा हा,,, वैसे भाई तुमने अपने छु ू को जैसे दबाया है अंदर दद


नह होता है या ?

म- य ,,, तुम अपने खरबूज को ा म दबाकर रखती हो तो या दद होता है,,

शा लनी- ं,,, पागल या उसम ह ी होती है जो टू ट जायगे और दद होगा,,,

म- तो या मेरे लंड म ह ी है जो टू ट जायेगी,,, 

शा लनी (आ य से)- हाट,,, इसम ह ी नह होती तो ये ऐसे इतना कड़क


कैसे हो जाता है?

म- बेबी,, इसम कोई ह ी नह होती है,,, ए साइट होने पर इसक मस स


टाईट हो जाती ह और ये बड़ा और कड़क हो जाता है,
ये बोलकर म शा लनी का हाथ पकड़ कर ऊपर क ओर ढलान पर चढ़ने
लगा,,,

शा लनी- ं,, (धीरे से चलते ए) तो अभी तुम ए साइट कैसे हो गए,,,?

म- (झूठ बोलते ए) म कहां ए साइट ं,,,,


शा लनी- झु े कह के,,, या मने दे खा नह अभी,,, जब तुमने उसे बाहर
नकाला तब तो छोटा सा था और सु सू करते करते वो कतना बड़ा हो गया
और और वो अंदर भी नह जा रहा था,,, 

हम दोन बाइक के पास आ गये और शा लनी ने बैग से पानी क बोतल


नकाली हम दोन ने हाथ धुले और,,, शा लनी ने बैग अपनी पीठ पर टांग
लया और हम दोन बाइक पर सवार होकर आगे चल दए,,,,,

अभी हम लोग आधे रा ते म ही थे और ह के ह के से ऊंचे नीचे ट ले जैसे


पहाड़ी रा ते पर चल रहे थे,,, कुछ र बाद एक बड़ी नद आने वाली थी,,,,
नद का पुल काफ ल बा था और कुछ लोग वहां पुल पर खड़े होकर से फ
ले रहे थे तो मने भी बाइक बीच पुल पर रोक द ,,
हम दोन भी से फ पोज लेने लगे,,, काफ अ छा नजारा था आसपास,,, यहां
ठं डी हवा के कारण थोड़ी गम भी कम लग रही थी,,,
हमारे पास म ही एक कपल से फ ले रहे थे और आपस म बात कर रहे थे

लड़का- जानू,, चलो ना उधर ट ले के पीछे एक वाटरफॉल है,,, वहां नहाते ह


और म त से फ लेते ह,,,

लड़क - हां,, बट यार सेफ है वो जगह,,,,, मुझे जंगल म ब त डर लगता है,,


लड़का- ब कुल सेफ है और उधर यादा लोग जाते भी नह है,,, सफ
कप स ही मलगे उधर,,,

लड़क - ठ क है चलो यार झरने के पानी म नहाने का मजा ही अलग है,,

ये सब सुन कर मेरे दमाग म तुरंत आई डया आया क य ना हम लोग भी


वहां जाकर झरने के पानी म नहाने का आनंद ल और मने शा लनी से कहा..
म- बेबी,,, या हम लोग भी चल,,, मजा आ जायेगा वाटर फाल म,,, मेरा तो
मन कर रहा है,,,

शा लनी- हां, चल सकते ह अभी तो टाईम भी ब त है,,, थोड़ी दे र क कर घर


के लए नकलगे,,, बट मुझे नहाना नह है,,, तुम नहाना,,,
और मने भी अपनी बाइक उस लड़के क बाइक के पीछे लगा द ,,, कुछ र
हाईवे पर चलने के बाद एक क चे रा ते पर उसने बाइक मोड़ द और भी
उनके पीछे चलता रहा,,,,।।

म ये सोचते ए बाइक चला रहा था क शा लनी का नज रया भी धीरे धीरे मेरे


त थोड़ा बदल सा गया है। आज सुबह से म उसे दो बार अपना लंड दखा
चुका था और पेशाब करते ए मेरा लंड दे ख कर शा लनी खुद हवस क आग
म जली होगी और मेरे उकसाने पर उसने खुद अपनी चूत क आग को शांत
करने के लए पहले भी उंग लओ से ह तमैथन ु कया था , या अभी अगर म
फर से को शश क ं तो बात कुछ और आगे बढ़ जाये शायद ,,,

उधर शा लनी भी उस पल को नह भुला पा रही थी जब बाथ म म उसने


पहली बार अपनी ा पर लगे मेरे लंड से नकले कामरस को उंग लओ से
लेकर चाटा था हालाँ क उसे तब तक ये पता नह था क वो मेरा वीय है
ले कन कह न कह मेरे त उसका रवैया और नज रया बदला था और धीरे
धीरे हम लोग म और अ धक खुलकर बात और छे ड़छाड़ होने लगी थी,,,,

शा लनी शायद अब भी र ते क मयादा को लांघना नह चाहती थी इस लए


वयं ही अपने मन को थर करती है ।*
इधर मेरा भी शा लनी के त लगाव बढ़ता जा रहा था और अब मेरी हवस म
यार भी आ गया था । हमदोन शांत बैठे थे बाइक पर और चलते जा रहे
थे,,,तभी शा लनी बोलती है 

शा लनी- वाऊ ,,, भाई कतना म त नजारा है,,, हमारे घर के इतने करीब है ये
और हम लोग को इसके बारे म अब तक पता नह था,,,

म- हां,,, मुझे भी पता नह था जब क म तो बाइक से ही इस रा ते से कई बार


घर जा चुका ं,,, कोई नह शायद इस हसीन नज़ारे को दे खना एक हसीना के
साथ ही लखा था इस लए आज से पहले यहां आना नह आ,,,,

शा लनी- अ छा तो सामने वाली बाइक पर सवार हसीना का शु या अदा हो


रहा है,,

म- नह तो,,, म तो अपनी बाइक पर बैठ हसीना क बात कर रहा ं बेबी,,


और शा लनी हंसते ए बोली

शा लनी- तुम बाज नह आओगे,,,

तभी बात करते करते झरने वाली जगह आ जाती है और वो कपल अपनी
गाड़ी पहाड़ के बीच बने रा ते पर ले जाता है और बड़े बड़े पहाड़ो के बीच
गाडी रोक दे ता है । हमने भी अपनी बाइक वही पास म खड़ी कर द और
जैसे ही गाड़ी से आगे नकलते ह वहां का सु दर वातावरण दे ख कर खुश हो
जाते ह ।

दो छोटे -छोटे पहाड़ो के बीच वशाल नद जसका पानी ऊँचे पहाड़ क च ान


से गर रहा था*,,,,
जगह इतनी सु दर और शांत थी क घंटो बैठकर उस जगह का आनंद लया
जा सकता है । शा लनी तो उस झरने को दे ख कर ब त यादा खुश हो गई
और तुरंत छोटे छोटे पहाड़ो पर चढ़कर उस झरने के पास जाकर दे खती है ।
वहां पर आने पर पता चला क यहां छोटे छोटे काफ झरने ह,,
झरने का पानी जैसे ही नीचे गरता उसक बौछार शा लनी के ऊपर आती है।
हम दोन उस सु दर वातावरण को दे खने लगते ह ।
दो चार ेमी े मका भी आए ए थे जो उस झरने का आनंद ले रहे थे और
नद के बहते पानी म नहा रहे थे । एक कार का पयटन थल था ये झरना
जहां पर सफ ेमी े मका आकर मौज म ती कया करते थे शहर और गांव
के कोलाहल से र,,,,

झरने के नीचे नहाते लोग को दे ख कर शायद शा लनी का ब त मन कर रहा


था नहाने का ले कन वो तो पहले ही मना कर चुक थी नहाने के लए,,,,

हम दोन हाथ म हाथ डाल कर कुछ दे र तक इधर-उधर घूमते रहे,,, और


थोड़ा आगे जाने पर एक जगह दो लड़ कयां ऐसे नहा रही थी क उ ह दे ख
कर शा लनी के साथ साथ म भी थोड़ा सा आ यच कत हो गया वो दोन
लड़ कयां उपर से ब कुल नंगी थी और एक सरे पर पानी उछाल उछाल
कर मज़े ले रही थी और उ ह हम दोन के या कसी और के दे खने से ब कुल
भी फक नह पड़ा और तभी उनम से एक लड़क ने अपनी बड़ी बड़ी चू चय
को अपने ही हाथ से दबाने लगी और साथ ही मोबाइल से से फ पोज भी
लेने लगी,,,,
शा लनी ये सब दे खकर मेरे हाथ को पकड़े ए ही आगे चलने लगी और मेरी
तरफ दे ख कर ह का सा मु कुरा द ,,,मेरा ल ड उन दोन लड़ कय को
दे खकर उ े जत हो गया था और म ज द से पानी म उतर कर अपने आप
को ठं डा करना चाहता था,,,
कुछ र नकल कर आने के बाद

म- चलो नहाते ह यहां,,, इधर इस पास भी कोई नह है,,,

शा लनी- नह ,,, मुझे नह नहाना,, तुम नहाओ,,, वैसे भी तुम आंख सेककर
गम हो गए होगे,,, है ना भाई,,, हा हा हा

म- ठ क है तुम इधर ही बैठो च ान पर,,, म तो चला इस ठं डे ठं डे पानी का


मजा लेन,े ,, 

और शा लनी ने अपनी पीठ से बैग उतार कर नीचे च ान पर रख दया और म


भी अपने कपड़े उतारने लगा,, मने सफ च ी नह उतारी और शा लनी क
ओर दे खते ए पानी म छलांग लगा द ,,, वो वह से बैठकर मुझे पानी म
म ती करते ए दे खती रही और मोबाइल से फोटो भी लेती रही,,, पानी
यादा गहरा नह था और म र तक तैर कर जाता फर शा लनी के पास
च ान के पास आकर उसके ऊपर पानी क छ टे मारकर भाग जाता,,,,

ऐसा मने कई बार कया और शा लनी भी थोड़ा कनारे पर आकर मेरे उपर
पानी फकने लगी,,, मेरे पानी फकने से उसक ट -शट काफ यादा भीग गई
थी और उसक ा क परेखा नजर आने लगी थी,,,,

मने कई बार उससे कहा क आ जाओ ब त मजा आ रहा है ठं डे ठं डे पानी


म,,,तरो ताजा हो जाओगी,,,, मगर वो अभी भी संकोच कर रही थी शायद मेरे
साथ इस खुली ई जगह पर नहाने म,,,,,,,,

इस बार जैसे ही उसी च ान पर नीचे हो कर शा लनी मुझ पर पानी फकने क


को शश करती है तो उसका पैर फसल जाता है और झरने के बहते पानी म
वो गर जाती है , खैर उसे तैरना आता था,,, मगर जैसे ही कुछ गरने क
आवाज़ सुनी मने तो दे खा क शा लनी पानी म गर गई है । नद यादा गहरी
नह थी शा लनी क चू चय तक पानी था । म ज द से तैरता आ उसके
पास आया और उसे अपनी बांह म भर कर स हालने लगा,,, और उसके
शरीर को जोर से भ च कर मने उसके पेट को दबाया तो शा लनी को*एक
तेज धार के साथ उ ट ई और सारा पानी उसके मुँह से नकल गया,, थोड़ी
दे र म वो सामा य हो गई।

म अभी भी उसको बाह म थामे ए था, वो मेरे उपर से नंगे ज म और


मजबूत बाँह म अभी तक चपट ई थी । वो महसूसबार कसी पु ष के
ज म को इस तरह भीगे बदन महसूस कर रही थी वो भी उसका भाई ।
शा लनी क सांस तेज हो गई और दल तेजी से धड़कने लगा,, शायद उसक
चूत से पानी म पानी रसने लगा था और उसे इसका एहसास आ तो वह
मुझसे थोड़ा सा अपने बदन को र कर ली,,,, म तो आज सुबह से ही शा लनी
और मेरे बीच क बात सुनकर और रा ते म मूतने के बहाने उसे अपना लौड़ा
दखाने से गम हो रहा था मेरा लंड अभी भी अकड़ा आ था । शा लनी के
कामुक ज म को छू कर मेरा लंड कब खड़ा हो जाता है मुझे पता भी नह
चलता है,,, इतनी से सी लड़क के खयाल से ही लौड़े झटके लेने लगते ह हम
जैसे कुंवारे लड़क के,,, 

जब शा लनी मुझसे अलग ई तब मने अपने लंड क अकड़न को महसूस


कया जो े ची से बाहर आने को बेताब हो रहा था ,,,, म अपने मन को
नयं त करते ए

म- चोट तो नह आई?*

शा लनी- चोट तो नह आई है भै या ले कन मेरे सारे कपडे भीग गए, अब म


भीगे कपड़े पहन कर घर कैसे जाउंगी,, वो च तत होती ई बोली*

म- पहले तुम नहा लो अब भीग तो गई ही हो और बैग म जो कपड़े ह उसम


से नकाल कर पहन लेना,,, सो स पल,,

शा लनी- वो तो ठ क है ले कन घर पर भीगे ए कपड़े म मी ने दे ख लया तो


उनको या बताएंग,े ,,

म- हर ा लम का सो यूशन है बेबी,,, अरे यार कुछ भी बता दे ना या फर


ऐसा य नह करती तुम,,, ये कपड़े उतार कर उस च ान पर डाल दो और
जब तक ये थोड़ा सूख जाए तब तक हम लोग नहाते ह,, कम आन यार,,,
इतना म त नजारा है,,,

शा लनी- कपड़े सूखने म 2 घंटे लगगे तब तक म या पहन कर र ंगी,

म- तब तक तुम पानी म नहाओ, 2 घंटे तक पानी के अंदर ही रहो,, कुछ मत


पहनो और या ,,,

शा लनी- ओ हो भाई इतने ठ डे पानी म 2 घंटे तक र ं,, और बना कपड़


के,, पागल म नंगी नह हो सकती यहां,, यार समझा करो,,,

म- या बेबो,,, अभी दे खा नह पीछे उधर वो दोन लड़ कयां भी तो बना


कपड़ के मजे कर रही थी,, 

शा लनी- नह भाई,, मुझसे नह होगा और उन बेशरम लड़ कय क तो तुम


बात ही मत करो,, खैर,,उ ह ने भी कम से कम पट तो पहन ही रखी है,,

म- ओह बेबी,, अब यार यहां कोई भी कपड़े पहन कर तो नह नहा रहा है


और सब एक जैसे ही है,, कोई कसी को ड टब नह कर रहा,,

मने काफ समझाया उसे क यहां इस तरफ कोई हम दे ख नह रहा है और म


तो तु ह पहले भी दे ख ही चुका ं हर तरह से.... ा पट म और बना ा के
भी,,,तो मुझसे कैसी शरम ,,, 

आ खर कार मेरी बहस म जीत ई और शा लनी अपनी ज स और ट -शट


उतार कर सफ ा पट म नहाने के लए तैयार हो ही गई,,,,, 
और वो धीरे धीरे पानी से बाहर नकल कर सामने क बड़ी च ान के पास गई
और एक बार फर से आस पास दे खने के बाद बैठकर अपनी ज स नकाल
द ,,,,, म भी कनारे पर आकर उसके आने का वेट करने लगा

तभी शा लनी खड़ी ई और उसक गोरी गोरी टांग धूप म अलग ही चमक
बखेर रही थी उपर क ट -शट उसने अब तक उतारी नह थी,,, 
उसने मेरी तरफ दे खते ए अपनी उंगली से सु-सू करने का इशारा कया और
वो बड़ी च ान से आगे चलकर पेशाब करने के लए लहराते ए कदम से
जाने लगी,,,, उसका ये प और भी का तलाना अंदाज दखा रहा था,,, शायद
इसी लए जानकर कहते ह क लड़ कय के कपड़े एक एक करके
उतरने/उतारने का मजा ही कुछ और है,,, उसके चलने से उसके दोन चूतड़
क आपसी रगड़ और थरकन को उसक छोट सी पट कहां छु पा पाती,,,,

म वह कनारे पर पानी म ब कुल कनारे लेटे जैसे था क तभी सामने से


शा लनी मुझे हाथ के इशारे से अपनी ओर बुला रही थी और साथ ही उसने
सरे हाथ क एक उंगली अपने ह ठ के उपर रख रखी थी जैसे वो कह रही
हो क भाई ज द से मेरे पास आ जाओ मगर बना आवाज कए... 

मुझे लगा क वो मुझे कुछ दखाना चाहती है और म चुपचाप पानी से


नकलकर दबे पांव शा लनी के पास प ंच गया,,,

मने उसे इशारे से पूछा क या है पर वो बोली कुछ नह और दबे पांव आगे


बढ़ म भी उसके पीछे पीछे चल दया,,,, करीब पं ह कदम चलकर वो क
गई और मेरे हाथ को पकड़ कर सामने पड़े ए दो बड़े प थर के बीच क
झरी म दे खने का इशारा कया.....
मने एक कदम आगे बढ़ा कर शा लनी से सटकर खड़े होकर उस झरी म
दे खा तो दोन प थर के उस पार दो जवान ज म एक सरे म ऐसे समाये
ए थे जैसे ज म के यासे ह और एक सरे म समा जाना चाहते ह ,,,, उनके
सारे कपड़े वही पास म बखरे पड़े ए थे और वो दोन आराम से बात करते
ए एक सरे के अंग को चूम रहे थे और चाट रहे थे,,, ऐसा लग रहा था जैसे
उ ह कसी के दे खने का जरा भी डर ना हो,,,

खैर, वैसे तो म ब त ानी बनता था शा लनी के सामने से स संबं धत बात


म,,, मगर इस बार सच म मेरी भी घ घी बंध गई थी,,, मने कभी कसी को
अस लयत म इस तरह नंग धड़ंग चुदाई क तैयारी करते ए नह दे खा था
अब तक,,, मेरा सारा ान वी डयो लप तक ही सी मत था,,, लाईव वी डयो
का मेरा भी यह पहला मौका था और शा लनी का भी,,
हम दोन ने एक साथ एक सरे क नजर म दे खा और इस बार हम दोन को
थोड़ी सी झप लगी और हम एक- सरे क आंख म दे खने क बजाय फर से
झरी म दे खने लगे,,, उधर अब तक एंगल बदल चुका था,,,

हम दोन से कुछ फट क री पर दो नंगे बदन चुदाई क शु आत करने वाले


थे और हम-दोन भाई बहन उनके लाईव वी डयो को दे ख रहे थे ऐसी हालत
म कोई आ खर कैसे अपने आप पर कं ोल रख,,, सामने वाले जोड़े म लड़क
यादा उ े जत लग रही थी और लड़के के लंड को अपने हाथ म लेकर उसे
बड़ी तेजी से आगे पीछे कर के मसल रही थी और तभी लड़का बोला,,,

लड़का- आह सो नया क जा ,,, नह तो मेरा माल तेरे हाथ म ही नकल


जायेगा,,

लड़क - तो झड़ जाओ ना मेरे बहन चोद रा ल भै या,, म अपने लूडो को फर


से खड़ा कर लूंगी,, 

लड़का- हां हां,, मेरी रानी बहना,, तू तो चूस चूस कर अपने लूडो को खड़ा कर
ही लेगी,, बट एक राउंड पहले अपनी चूत म झड़ने दे ,,, आज पूरे पांच दन हो
गए ह तेरी ओखली म मूसल डाले ए,,
और वो लड़का उस लड़क को लटा दे ता है,, लड़क गजब क सुद ं रता पायी
थी और साथ ही उसक चूं चयां भी म त थ ,,,

लड़क - रा ल भै या मने या रोका था तु ह,,, मेरी ओखली म मूसल डालने


से,,,वो तो घर म तु हारी ख़ुद ही गांड़ फटती रहती है,,, अब पूरी कर लो
अपनी इ छा,,, खुले आसमान के नीचे चुदाई क ,,,
लड़का धीरे-धीरे अपने लौड़े को सहलाते ए लड़क के उपर लेट जाता है
और उसक चूत के मुहाने पर अपना लौड़ा टका कर

लड़का- डालूं,,,, अ छा आज रहने दो,, फर कभी क ं गा,,

लडक़ - बहन चोद मुझे गरम करके मज़े ले रहे हो,,, तु हारी दे री के च कर म
ही म उस कमीने सौरभ के झांसे म आ गई थी,,,

रा ल- वो तो अ छा आ मुझे पता चल गया क तू चुदासी हो गई है और


सौरभ से कसी भी दन चुदवाने वाली है,,,, तभी मने तुझसे बात क और उस
कमीने भ सड़ी वाले सौरभ के जाल से तुझे नकाला,,,,

सो नया- हां भाई तूने मुझे बचा लया नह तो वो कमीना मुझे अपने सारे
दो त के आगे नंगी घुमाता ,,,,

और नीचे से अपने चूतड़ को उछाल कर ल ड को अपनी चूत म समा हत


कर लया और साथ ही नीचे से ध के लगाने लगी,,,
वो दोन हंस रहे थे और अब दोन ने चुदाई म र तार पकड़ ली थी,,,

अब तक हम दोन को यह पता चल गया था क ये जोड़ी भी हमारी तरह भाई


-बहन ह और यहां पर खुले आसमान तले चुदाई का आन द लेने आये ह,,, 

म अब चोर नज़र से शा लनी को भी दे ख रहा था और साथ ही सामने हो रही


लाइव चुदाई भी,, उसके चेहरे पर गरमाहट क ऐसी वाली छाई थी जैसे अभी
उसके गाल से खून बाहर नकल आयेगा और गदन से नीचे उसक तेज
चलती ई सांस के साथ उसक ा और भीगी ट -शट म कैद चू चयां बद तूर
उपर नीचे हो रही थी,,, ब त ही कामुक नजारा था और अब मेरे खाली हाथ
को भी अपने आप ही काम सूझ गया और मेरा बायां हाथ मेरी े ची के अंदर
प ंच गया और मने अपने लौड़े को पकड़ कर दबाया तो उ ेजना म मेरे मुंह
से ह क सी ससकारी नकल गई और शा लनी ने मेरी ओर दे खा,,, 
और आंख ही आंख म इशारा कया क आवाज ना करो भै या नह तो हम
लोग क पहली लाईव चुदाई दे खने म बाधा पड़ सकती है,,,,, और उसने जब
अपनी नजर नीचे क ओर क तो उसने मेरे हाथ को अपने खड़े ल ड को
मु ठयाते ए दे खा जो अब मेरी े ची से बाहर नकल चुका था और अपने
पूरे सात इंची ल बाई को अ तयार कर चुका था,,,

हम दोन क नजर आपस म टकरा और हम दोन एक साथ सामने झरी म


फर से दे खने लगे,,, उधर अब तक एंगल बदल चुका था और लड़क सो नया
घोड़ी बन गई थी और उसका भाई रा ल उसके भारी चूतड़ को पकड़ कर
ताबड़तोड़ ध के लगा रहा था और वो लड़क सो नया भी तेज तेज आवाज
म बोल बोल कर म त हो कर चुदवा रही थी,,,, 

सो नया- रा ल मेरी जान फ़ाड़ दे आज मेरी भ सड़ी को,,, आह और अंदर


पेल ना,,, घर पर हर समय चुदासे रहते हो,,, अब चोद मेरे भाई,, मेरी जान,,
आह ,,, तेज,,, पेल ना,,, म अब आने वाली ं,,,

रा ल- आह ,,, सो नया मेरी जान,,, चोद तो रहा ं,,, और कतना अंदर चा हए


तुझे,,,मेरा पूरा ल ड तो अंदर जा रहा है,,,तेरी चूत म आग कुछ यादा ही लगी
ई है,,, ले मेरी बहना,,, और वो और तेज ध के मारने लगा

रा ल- मेरा लौड़ा शायद अब तेरी भ सड़ी के लए छोटा पड़ रहा है,,, है ना,,


चल अब मेरे उपर आ जा मेरी जान,,,, 
और उन दोन ने तुरंत ही चुदाई का एंगल बदल लया और रा ल नीचे लेट
गया और सो नया उसके उपर बैठ कर ल ड पर उछलने लगी और उसक
म त गोल गोल गोरी चु चयां उसके हर ध के के साथ जबरद त उछाल मार
रही थी,,,

मेरी और शा लनी दोन क सांस तेज हो गई थी और म अब अपने ल ड के


सुपाड़े क चमड़ी को पीछे तक ख चते ए अपने आप को ह तमैथन ु क
या म लीन कर चुका था,,, मुझे जरा भी डर या शम नह आ रही थी क
शा लनी मेरे से कुछ इंच क री बना कर खड़ी ई है,,,,,,,
तभी शा लनी ने मेरे लौड़े क तरफ दे खा और मुझे अपने लौड़े को इस तेजी
से मु ठयाते ए दे खकर ना चाहते ए भी उसके उ े जत चेहरे पर मु कान
फैल गई और वो मेरे हाथ के पीछे जाने के साथ मेरे खुलते बंद होते लाल
लाल सुपाड़े को बड़े ही गौर से दे खने लगी,,,,

मेरे रोमांच क कोई सीमा नह थी और म कभी शा लनी को और कभी रा ल


और सो नया क चुदाई को दे खकर अपने हाथ को र तार दे रहा था,,, 

कोई यूं ही एक दो मनट हो गए मगर शा लनी ने झरी के उस पार हो रही


भाई बहन क घमासान चुदाई को दे खने के बजाय अपने भाई के ल ड को
दे खना यादा पसंद कया और टकटक लगाए रही,,,, तभी मने उ ेजना म
यं वत होकर पता नह कैसे अपने दा हने हाथ को शा लनी के उभरे ए
चूतड़ पर रख दया और सरे हाथ से मेरा ल ड मु ठयाना जारी रहा,,,

एक बार फर से हम दोन क नजर टकरा और मने उ ेजना म उसे भी


आंख से इशारा कया क तुम भी उंगली डाल कर अपने गम बदन क भ
को शांत कर लो मेरी बहन,,

शा लनी ने भी अपनी लाल डोरे तैरती ई बड़ी बड़ी आंख से इशारे म ही


मना कया क मुझे नह करना,,, 
मगर इस बीच उसने अपने गुदाज चूतड़ पर रखे ए मेरे हाथ को नह हटाया
तो मने भी अपने हाथ का दबाव थोड़ा सा बढ़ाया तो उसक पट का स क
कपड़ा मेरे हाथ को महसूस आ,,,,, मेरा सरा हाथ मेरे लंड क गम को
ठं डा करने म लगा आ था,,,

उधर झरी के पार 


चुदाई ख म हो गई थी और दोन एक सरे के उपर लेट कर एक सरे के
बदन को सहला रहे थे,,, तभी सो नया उठ और हमारी साइड आकर उसने
कोने से कुछ उठाया और वापस वैसे ही मदमाती ई अपने खूबसूरत भरपूर
भरे ए पसीने से लथपथ बदन क नुमाइश करते ए रा ल के पास आकर
नंगे बदन ही बैठ गई और वो सो नया के हाथ म पकड़े ए कैमरे म दे खने
लगे,,,

और इधर अब मेरे अंदर का वालामुखी फटने को तैयार था और मने अपने


हाथ क र तार को और तेज कर दया,,, और मेरे ल ड ने वीय क पहली
पचकारी मारी जो सामने वाले प थर पर पड़ी,,, मेरे ल ड से पचकारी छू टते
समय मेरे हाथ का दबाव अपने आप ही शा लनी के ह स पर बढ़ गया और
मने तेज चलती सांस के साथ ही अपने लौड़े को हलाते ए अपने वीय क
आ खरी बूंद टपकाई और नजर उठाते ही शा लनी क नजर से जब मेरी
नज़र मली तो वो एकटक मेरे झटके खाते ए ल ड को ही दे ख रही थी और
उ जे ना म त मु कान उसके चेहरे पर छाई ई थी,,,,, 
मने अपने लौड़े को दबाकर े ची के अंदर दबा दया और एकदम अ छे
ब चे के जैसे सामने दे खने लगा....
और शा लनी भी अंदर क ओर दे खने लगी,,,,,,,,

ओह तेरी तो,,, ये दोन तो ब त बड़े वाले खलाड़ी नकले चुदाई के खेल के,,
मतलब ये दोन भाई बहन अपनी चुदाई क वी डयो रका डग कर रहे थे और
अब दे ख रहे ह क वी डयो अ छ बनी ई है या नह ,,, 

सो नया- ( हंसते ए) चलो भ या ,, अब जगह बदल कर एक राउंड हो


जाए,,,,,,,, एक वी डयो दे खा था पानी म जबरद त चुदाई का,,, पानी म चोदोगे
मुझे ,,,,

रा ल- हा हा हा,, मेरी चुदासी बहना,, कतनी जगह बदल बदल कर चुदवा


चुक हो,, शु बेड म से आ और फर कचन, बाथ म, आंगन, बरामदा,
खेत म, जंगल म, और आज पहाड़ी झरने के पास,,, अब पानी म,,,,, 

और वो दोन अपने तन ढकने भर के कपड़े पहनने लगे,,,

हम दोन म अब तक कोई बात नह ई थी सफ आंख ही आंख म इशारे से


काम हो रहा था,,

सो नया- ऐसा करते ह भाई उधर जो छोटा झरना है वहां चलते ह,,
और वो दोन सरी तरफ जाने लगे,,,

म- चल,, उधर,, लाईव शो दे खने,,

शा लनी- नह ,, इतना काफ है,, अब म नह दे ख पाऊंगी,,,


उसक आवाज म कंपकपी महसूस हो रही थी,,,,

और मने उसके हाथ को अपने हाथ म पकड़ा और हम लोग वापस पानी क


ओर चलने लगे,, जहां पर हम लोग के कपड़े और बैग वगैरह रख ए थे,, हम
दोन म अब भी कोई बात नह हो रही थी,,,
म झरने के कनारे आकर बना बोले पानी म उतरने लगा और शा लनी क
ओर दे खा तो वो भी अपनी ट शट पहने ए ही पानी म उतरने लगी,,,, नीचे से
उसक नंगी टांग और जांघ के बीच सफ एक छोट सी पट ,,

म- शा लनी तुम भी ट -शट उतार कर उधर प थर पर डाल दो तो हम लोग


के नकलने तक सूख जायेगी,,,

शा लनी- लीज़ भैया,, 


और वो बना ट -शट उतारे पानी म मेरे पास आ गई,,
मने अब उससे यादा जबरद ती करना ठ क नह समझा और हम ऐसे ही
पानी म मजे लेकर नहाने लगे,, शा लनी भी पानी म तैरने लगी और कुछ
मनट बाद उसके चेहरे पर सामा य मु कान फैल गई और अब शायद वो
थोड़ा सा रलै स फ ल कर रही थी,, अभी अभी क सजीव सारण वाली
भाई बहन क चुदाई लीला दे खने के बाद,,,

अब म भी शा लनी के पानी म तैरते ए से सी बदन को ट -शट और पट म


कैद ए ही नहारने लगा और कुछ एक मनट बाद मेरा ल ड फर से खड़ा
होने लगा,,,,,,
शा लनी तैरते ए मेरे पास आई और बोली

शा लनी- भाई,, चलो अब झरने के नीचे नहाते ह,,

और म उसके साथ तैरते ए पास के प थर को पकड़ कर ऊपर झरने क


तरफ चल दया,, शा लनी भी मेरे पीछे आ कर खड़ी हो गई और हम दोन
उपर से गरते ए ठं डे पानी म अपने बदन क गम को शांत करने लगे,,,
खैर, मेरी गम तो नकल चुक थी मगर शा लनी क बुर क गम अभी तक
नह नकली थी,,, तभी मेरे दमाग म आया क बना उकसाये शा लनी अपनी
बुर म उंगली डालेगी नह और अगर यहां आज वो अपनी बुर म उंगली करने
लगी तो शायद म भी उसको ह तमैथनु करते ए दे ख पाऊं जैसे उसने आज
ु करते ए दे खा है,, यही सब सोचते ए,,,
मुझे पहली बार ह तमैथन

म- जी भर के नहा लो बहना,, बाद म मत कहना क गम लग रही है,,

शा लनी- हां भाई,,आप भी 

म- अरे,, यार, मुझे तो अब ठं ड लग रही है,, मेरी गम तो नकल चुक है,,उस


प थर पर पड़ी है,, हा हा हा,, तु हारी बाक है,,

शा लनी- (हंसते ए) नह ऐसा कुछ नह है,,

और हम दोन एक सरे पर पानी फकते ए हंस हंस कर खेल रहे थे

म- हां, अभी तो कह रही हो ऐसा कुछ नह है और जब रा ते म बाइक पर


गीला गीला लगेगा तब या करोगी,,

शा लनी- छोड़ो ना भाई,, कुछ और बात करो ना,,

म- हां,, तो और बात या कर,, आई लाईक करट अफेयस,, सो करट अफेयर


म आज का टा पक है... रा ल और सो नया का रोमांस,, कैसा लगा??

और म उसके एकदम पास आकर हंसते ए उसके पेट म भीगी ई ट -शट के


उपर से गुदगुद करने लगा और शा लनी हंसते ए अपने आप को पानी म
स हालने के च कर म ह का सा फसली और मने उसे अपनी बाह म भर
कर थाम लया,,,,, ये सब कुछ एकदम फ मी लग रहा था,,, पानी म भीगती
ई एक शोख हसीना और उसके भीगे बदन म चू चय क उठान,, ,, 
शा लनी- तु ह तो बस मौका चा हए मुझे चढ़ाने का,,, वो दोन भी पागल थे
तु हारी तरह,,, 

म- अ छा पागल ही सही,,, मगर दोन म यार ब त जबरद त है,, एक सरे


पर मरते ह दोन ,,

शा लनी ने पानी म ही मेरी बाह के घेरे से आजाद होते ए नीचे क तरफ


पानी म छलांग लगा द और नीचे पानी म तैरते ए मेरी तरफ दे ख कर बोली,,,

शा लनी- वो एक सरे पर मरते नह ह गु जी,,,, मारते ह एक सरे को,,, हा


हा हा हा हा

म भी अब तक छलांग लगाकर शा लनी के पास आया,,, पानी हम दोन के


गदन क उंचाई तक ही था यहां पर ,,, म भी उसके डबल मी नग बोली को
समझकर जवाब म उसक आंख म आंख डालकर बोला,,,

म- या मारते ह ?

शा लनी- बदमाश,, तु ह पता तो है , फर भी,,,, बेशरम ,,,

और वो तैर कर मुझसे र जाने लगी,,


मने उसे पानी म ही पीछे से पकड़ लया और पानी के अंदर उसक चकनी
जांघ से लेकर नीचे पैर तक अपने पैर से सहलाते ए,, 

म- मुझे तो ये भी पता है क रा ल और सो नया दोन इस समय पानी म


ध का-पेल मचाए ए ह गे,,,

शा लनी- ओह वारी ,,,आपका शो मस हो गया,,,


म- और या म त शो चल रहा होगा उधर तो,,,

शा लनी- सच म दोन कतने हद दज के बेशरम है,, वो सो नया तो करते ए


भी भै या भै या बोल रही थी,,, पागल,,,

म- और यहां कुछ लोग को उंगली करने म भी शम आती है,,,,

शा लनी- तुम ना,, भाई,,, या कुछ भी,,, मतलब कह भी,,, म ना तु हारी तरह
बेशरम नह हो पाउंगी,, ओह गाड कैसे तुम वह शु हो गए थे,,,

म- हां हां,, म तो बेशरम ही ठ क ,ं ,, जो करता ं,, खु लमखु ला,, चोरी चोरी


उंगली नह करता...

शा लनी- धत् पागल,, और मेरे सीने म मु का मारते ए,,, मुझसे नह होगा


ऐसी जगह,,

म- ं,,,, तुमसे नह होगा तो म कर दे ता ,ं ,, और मने उसे पानी से बाहर


अपनी बीच वाली उंगली नकाल कर इशारा कया तो वो झप गई और अपनी
आंख नचा करके आगे क ओर तैरते ए बोली

शा लनी- भाई,,, म जब इस सब से अपना दमाग हटाती ं वैसे ही तुम ना


फर से मुझे,,, 

म- अ छा जी,, उ टा चोर कोतवाल को डांटे,, कसने बुलाया था लाईव शो


दे खने के लए,, हा हा हा हा 

शा लनी- मुझे लगा क वो लड़का कह उस लड़क के साथ कुछ ग़लत करने


वाला है,,,,

म- तो वो ग़लत काम कर रहा था क सही??

शा लनी- अब यह तो वो लोग जान,,,, तु ह तो खूब मज़ा आया ना,,, हला


हला कर ,,,, आज तो तुम अपने सु-सु क जान ही नकाल दे ने वाले थे,,,,

म- यार,, अब ऐसा लाइव शो दे खने के बाद कैसे कं ोल होता मुझे,,, तो मने


कर लया,,, तु ह तो शम आती है भाई,, वैसे तुम कैसे कं ोल कर लेती हो ,,

शा लनी- बस हो जाता है कभी कभी नह भी होता,, बट,,

म- बट,, अभी मन कर रहा है रलै स होने का,,

शा लनी- (धीरे से) यहां कैसे,, इट् स टू र क भै या,, यहां खुले म,,

अब म समझ गया क शा लनी भी अपनी बुर म उंगली डाल कर अपनी गम


शांत करना चाहती है मगर यहां खुले म और मेरे सामने उसे अब भी शम आ
रही है,, तो मने मौका दे ख कर पानी म ही उसके एकदम पास आकर उसके
भीगे बदन को पानी म दे खते ए बोला,,

म- या बेबो,, इधर हम दोन के सवा आसपास कोई और नह है,, और तु ह


बाहर खुले म नंगे होकर उंगली करने म डर लगता है तो पानी के अंदर ही कर
लो,, कसी को पता भी नह चलेगा,, अगर कोई आ भी जाए तो,,

शा लनी- ं,,, पानी म कैसे,,

म- उधर कनारे पर घुटन तक पानी है बस कमर तक पानी म खड़े हो कर


कर लो,,

शा लनी- अरे,, ऐसे थोड़े हो पायगा,, 

म- तुम उधर चलो तो म बताता ं,,,, आराम से हो जाएगा और पानी म उंगली


करने का मजा भी अलग ही आयेगा,,, तु ह ब त अ छा फ ल होगा,,,,,

और मने उसके हाथ को पकड़ कर साथ म तैरते ए थोड़ा सा कनारे पर


आकर उसके सामने कमर तक पानी म खड़े हो कर उसक उ ेजना म ट -
शट म कैद चू चयां बद तूर उपर नीचे हो रही थी और म उसे दे खते ए बोला,,,

म- पट उतार दो और थोड़ा सा पैर फैला कर कर लो,,,

शा लनी- म पानी म ऐसे ही नंगी,, नह भाई,, सब दख रहा है,,साफ पानी म,,,

म- बाहर से थोड़े ना दखेगा और म उधर मुंह कर लेता ं,, बस,,,,, या फर


बोलो,,, म तु ह रलै स कर ं ,,,, 

और उसे अपनी बीच वाली उंगली दखाई,,,

शा लनी- तुम ना,,, तुम र ही रहो,,, म कर लूंगी,,, अब उधर घूमो,,,

और म उ टा हो गया और मुझे लगा क शा लनी ने मेरे पीछे झुककर पानी म


अपनी पट नकाल द और म बस उसक बुर क क पना म खोने लगा,,,

अजब मंजर था मेरे ब कुल पीछे कमर तक पानी म मेरी सगी बहन घुटन से
नीचे पूरी नंगी खड़ी थी और अपनी बुर म उंगली डाल कर अपनी कामवासना
को शांत करने क तैयारी म,,, एक बार मेरे मन म आया क पीछे घूम कर दे खूं
क कैसे शा लनी ने अपनी चूत म उंगली डाली है,,, और उसक बुर कैसी है,,,,
पानी काफ साफ़ था और उसम गौर से दे खने पर सबकुछ साफ दखाई दे
रहा था और यही सब सोचते ए मेरे ल ड म फर से तनाव आने लगा,,,
तभी मेरे हाथ म शा लनी का हाथ आया पीछे से और उसने मुझे अपनी पट
पकड़ा द ,,,,,

शा लनी- भाई,, इसे पकड़ लो नह तो पानी म बह जाएगी,,,

म- ठ क है,,, आराम से करो,,,, म हे प क ं ,,,,,,

शा लनी- (थोड़ा सा हंसते ए) तुम बस उधर दे खो,, मुड़ना नह ,,,

म- मेरा तो दे ख लया ,,,अब अपने टाईम बड़ी शरम आ रही है,, करो,, करो,,,,
म चोरी से नह दे खता,,, जब दखाओगी तभी दे खूंगा,,,,

शा लनी- अब तुम चुप भी हो जाओ,,,आह,,,स,,सा,,,सी,,,,,

अब मुझे पानी क आवाज के अलावा भी आवाज आने लग और उनम से


शा लनी क ह क ह क सस कयां भी शा मल थ ,, 
म ब कुल इमानदारी से खड़ा रहा और अपने पीछे दे खने का ब कुल भी
यास नह कया,,,,

पीछे मुझे महसूस हो रहा था क शा लनी ने अपनी बुर म उंगली डाल द है


और अब वो भी मदहोशी क ओर बढ़ रही होगी,,,, कुछ दे र तक खामोश हो
कर म भी आस पास के मनोरम वातावरण को दे खकर उ े जत अव था म
शां त से खड़ा रहा जससे मेरी बहन के ह तमैथन
ु करने म कोई वधान
उ प ना हो,,,,,
मेरे हाथ म उसक स क कपड़े वाली पट थी और म उसे अपने चेहरे के
पास लाकर उसे सूंघने लगा,,,, और कुछ एक मनट के बाद मुझे ऐसा लगा क
शा लनी के हाथ क र तार कुछ तेज़ हो गई है एक तेज आवाज के साथ
उसने मेरे कंधे पर पीछे से हाथ रख दया और,,,

शा लनी- भाई ईईईई,,, मेरी पट ,,,,

मने बना मुड़े उसक पट को उसके हाथ म दे दया और उससे पूछा,,,

म- हो गया,,, 

शा लनी- ह हां,, ,,,, म पट पहन नह पाऊंगी,,, पानी म,,,

म- बाहर नकल कर पहन लो,,,

और तभी शा लनी के पानी से बाहर क तरफ नकलने क आवाज आई और


साथ ही म भी घूम गया और पानी से बाहर नकलती ई एक मदम त हसीना
के पछवाड़े को दे खकर उ े जत हो कर अपने आप मेरा हाथ मेरे ल ड को
मसलने लगा े ची के उपर से ही,,, म पहली बार इस तरह कसी जवान
बदन के नंगे चूतड़ को आपस म रगड़ते ए दे ख रहा था,,,,
शा लनी ने कनारे पर जाकर एक ट ले पर बैठ कर अपनी पट पहनी और
फर से पानी म मेरे पास आ गई,,,

म- रलै स होने के बाद चेहरा और खल जाता है,, है ना,,, यूट वीन,,,

म उसके चेहरे पर पड़ती धूप म खले ए उसके गोरे गोरे मुखड़े को


दे खकर बोला,,,

शा लनी- य या पहले मेरा चेहरा मुरझाया आ था,,

म- नह यार,,, ड चाज होने के बाद एक अलग ही नखार आता है,,,

शा लनी- ं,,, तभी तु हारे चेहरे पे यादा ही नखार रहता है आजकल,,, हा


हा हा हा हा,,,,

म- यादा कैसे,,

शा लनी- तुम तो दन भर म जाने कतनी बार ड चाज होते हो,,, अभी अभी
कया था और दे खो तो तु हारा छु ू फर से मचल रहा है,, हा हा हा हा

उसने मेरी े ची म भीगने से खड़े लंड को पानी के अंदर भी दे ख लया था


और उसी क ओर इशारा करते ए बोली थी,,,

म- वैसे पानी म मने कभी कया नह ,,कैसा लगा,,,, कुछ अलग मजा आया
या ?

शा लनी- ठ क लगता है पानी म ,,,बट खड़े होकर बैलस नह बनता,,, तुम


लोग के मजे ह,, चाहे जैसे करो,,,

म- हां,, यादा मजे के च कर म ही तो रा ल और सो नया उधर पानी म गये


ह,,,

शा लनी- हां,, तु हारा मन अभी भी नह भरा है शायद,,,


बट भाई अब ब त म ती हो गयी है ,, हम लोग को चलना चा हए,, नह तो
घर प ंचने म अंधेरा हो जायेगा,,,

हम लोग को इस हसीन वाद म घूमते, नहाते और चुदाई दे खते ए ह तमैथुन


करने म काफ मजा आ चुका था और यादा मजे के च कर म कह कुछ
गड़बड़ी ना हो जाए,,, 

हम दोन कुछ दे र तक ऐसे ही पानी म और म ती करते ए पानी से बाहर


नकल कर अपने बैग के पास आगये और शा लनी ने बैग से अपने पहनने के
लए कपड़े नकाल लए और मेरी तरफ दे ख कर बोली

शा लनी- भाई, म चज कर के आती ं,,,, और वो प थर के पीछे चली गई,,,

मने भी अपनी गीली े ची नकाल कर बना अंडर वयर के ही ज स पहनी


और शा लनी का वेट करने लगा,,,,,
तभी शा लनी प थर के पीछे से नकल कर आई और म अपलक उसे दे खता
ही रह गया,, उसने ट -शट और पट पहनी थी,,, पट उसक न कर टाईप क
थी और उसक जांघ को और आकषक बना रही थी,,, और उसने अपनी
सरी ज स बैग से नकाल ली,,, और,,,

शा लनी- भै या,,, ये वाली ज स अभी ह क सी गीली ही है,, सरी ही पहन


लेती ं,,,
और उसने वह प थर पर टे क लगाकर ज स पहनी,,, और हम दोन एक- सरे
के हाथ म हाथ डाल कर अपनी बाइक क ओर चल दए,,,,

बाइक टाट करके हम लोग घर क ओर चल पड़े,,, शा लनी क सबसे अ छ


बात यह है क वो सबकुछ करने और दे खने के बाद यादा बात नह करती
है,, से स स ब धी बात के बारे म,,, अभी अभी हम दोन ने साथ म एक भाई
बहन क चुदाई दे खी,,, मने उसके साथ खड़े होकर मुठ मारी और उसने मेरे
पीछे खड़े होकर पानी म अपनी चूत म उंगली डाली, मगर अब भी हम दोन
ने एक- सरे के कसी भी अंग को नाजायज तरीके से छु आ तक नह था,,,
शा लनी का बचपना अभी तक बरकरार था और मेरी चुहलबाज़ी बढ़ती जा
रही थी दन त दन,,,,,

रा ते म बाइक पर म बराबर शा लनी से ह क फु क छे ड़छाड़ वाली बात


करते ए मज़े के साथ ाइ वग करते ए घर के करीब प ंचने वाला था तो
मने शा लनी से कहा क हम लोग सीधे घर ही चलते ह तो उसने भी कहा,, हां,,
सीधे घर चलो,,, और मने हाइवे से बाइक अपने घर क ओर बढ़ा द ,, शाम हो
चुक थी और आसपास घर म लाइट जल रही थी,,,,

हम दोन घर प ंचे और माम हम लोग को दे खकर आ यच कत हो गई और


गले लगाकर बोली,,

सरो जनी- मेरे ब च तुम लोग ने ऐसे अचानक आकर मुझे सर ाइज दया
है,,, ब त याद आती है तुम लोग क ,,,

शा लनी- माम हम लोग भी आपको ब त मस करते ह,,,, काश हम सब साथ


म ही रह,,,,

म- हां,, माम कुछ करो और अपना ांसफर शहर म ही करवा लो,,,, फर हम


सब साथ म रहगे,,

शा लनी- हां,,, माम कतना अ छा होगा,,हम सब साथ रहगे,,

सरो जनी- अ छा मेरे ब च ,,, कुछ समय बाद दे खते ह,,, अभी तो मु कल है
मेरा ांसफर,,, अ छा अब मुझे छोड़ो,,, कुछ खाना पीना है,,, थक भी गये ह गे
तुम लोग,,,

और हम दोन ने अपनी बाह के घेरे से माम को आजाद कया और माम


कचन म चली गई,,, उनके पीछे पीछे शा लनी भी कचन म प ंच गई,,,,
म भी अपने कमरे म जाकर कपड़े बदल कर कचन के बाहर खड़े हो कर
माम से बात करने लगा और शा लनी कचन से नकल कर अपने कमरे म
बैग लेकर चली गई,,,, 

वो कुछ मनट बाद बाहर आई कपड़े बदल कर और उसने ट -शट कै ी पहनी


ई थी,,, हम तीन साथ म बैठ गए और चाय ना ता करने लगे,,,,

सरो जनी माम- थ स बेटा,,, तुमने शा लनी के लए अ छे कपड़े सेले ट कए


ह,,, अब मेरी बेट और भी सुद
ं र लग रही है,,, 
माम शा लनी क ओर दे खते ए बोली

म- ओहो माम,,, तो आप का मतलब है मेरी बहना पहले सुद


ं र नह थी,,,,

शा लनी- ,ं ,, अब आप दोन लोग मलकर मेरी टांग खचाई करने लगे,,, वैसे
माम ये वाले कपड़े मेरी ही पसंद के ह,,,

सरो जनी माम - अरे मेरे ब च ,,, कोई कसी क खचाई नह कर रहा है,,,
बस काफ दन बाद दे खा है ना तुम दोन को,,, तो अ छा लग रहा है,,, बस
तुम दोन ऐसे ही यार से रहो,,,

म- माम ,,, आप ब कुल भी परेशान ना आ कर हम दोन के लए,,, हम


अ छे दो त बन गए ह और साथ म खूब म ती करते ह,,, कोई लड़ाई झगड़ा
नाराजगी नह होती,,,, और अब तो शा लनी मुझे खला खला कर मोटा कर
दे रही है,,,

म अपने डोले माम और शा लनी को दखाते ए बोला

शा लनी- (हंसते ए) हां हां हां,,, अब म खाना बना लेती ं,,, और भाई को
बाहर का नह खाना पड़ता,,, वैसे माम,,, भै या अभी मोटे ब कुल नह है,,,
ब कुल जान अ ाहम जैसे फट और माट,,,, हीर है मेरा भाई,,, 
म- हां माम ,, मुझे तो वैसे भी बाहर क कोई चीज पसंद नह ,,, घर म अगर
सब कुछ मल जाए तो वो ठ क रहता है और सेफ भी ,,,
मेरे चेहरे पर एक कु टल मु कान शा लनी को दे खते ए फैल गई

सरो जनी माम - हां हां,, मेरे दोन ब च म कोई भी मोटा नह है,,, तुम दोन
फट हो,,, हां म ज र मोट हो रही ं आज कल,,,

हम दोन क चाय ख म हो गई थी और हम दोन एक साथ उठकर माम के


पीछे से आकर कुस के दोन तरफ से उनके गले लग गये और एक साथ बोले
- आप ब कुल भी मोट नह ह और उ टे अकेले रहकर आप शायद आज
कल अपने खाने का यान नह रखत ह,,,

और ऐसे ही हम सब बात करते रहे और कुछ दे र बाद शा लनी से मलने


पड़ोसी सहेली आ गई और वो उसके साथ बात करने लगी,,,,, म भी घर के
आसपास के लोग से मला और रात के नौ बजे तक घर वापस आ गया,,,,

म घर म घुसा तो सामने माम बैठ ट वी दे ख रही थी और मुझे दे ख कर


शा लनी उनके पास से उठते ए बोली,,,

शा लनी- म नहाने जा रही ं माम फर खाना खाते ह,, 

वो कमरे म कपड़े लेने के लए गई और पीछे पीछे मै भी प ंच गया और वो


अपने कपड़े नकाल रही थी बैग से,,,, उसने एक बार मेरी तरफ दे खा और
हाथ म कपड़े लेकर बाहर जाने लगी,, तभी म बोला,,,

म- म भी चलू या" 

शा लनी- चुप करो तुम अब,,

म - य ,,, हम दोन ने तो वैसे भी एक सरे को नहाते ए दे खा है,,


शा लनी- नह यार,, हम ह कहां,,, तु ह कुछ होश है,,,

म -" य " 

शा लनी- पागल,,, हम घर म ह,,, माम के साथ,,

और वो म से चली गयी म सोचने लगा क शा लनी मेरे साथ थोड़ा थोड़ा


खुलने तो लग गयी है ले कन उसे शम आ रही है,,, या फर माम क मौजूदगी
से उसने मना कया है,,,, ओह तेरी तो,,,, मतलब अगर हम दोन अकेले होते
तो शा लनी को मेरे साथ घर के बाथ म म नहाने म शायद कोई इंकार नह
था,,,,, चलो कोई नह ,,, दो दन के बाद हम दोन फर से अपने शहर के
मकान म अकेले हो ही जायगे,,,,,,, 

म वह बैठ गया और सोचने लगा क आगे या कया जाए थोड़ी दे र बाद


शा लनी नहा के आई ,, माम अब कचन म जा चुक थ ,,, उसको दे खते ही म
पागल हो गया नहा के उसने वी नेक का टॉप और कै ी पहनी थी वो ब त ही
से सी लग रही थी गीले गीले ढ ले से बाल ज ह उसने लप से बांध रखा
था गले म पतली सी चेन कान म छोटे छोटे टो स उसका टॉप जो उसके बदन
से चपका आ था उसके चपके ए टॉप म से उसके मोटे मोटे नरम तन
बाहर क तरफ नकलते ए ब त से सी शेप बना रहे थे उसके गोरे चकने
चमकते हाथ उसके नीचे उसक कै ी,,, वो मेरे सामने घूम रही थी तो उसे दे ख
दे ख के म पागल ए जा रहा था फर वो बॉडी लोशन क बोतल लेके मेरे
सामने बैठ गयी और अपने हाथ म लोशन लेके अपने हाथ पे लगाने लगी म
उसे लोशन लगाते ए दे ख रहा था और उसक खूबसूरती को नहार रहा था
और वो भी बीच बीच म मुझे मु कुराते ए दे ख रही थी*

हाथ पे लोशन लगाने के बाद वो पैर पे लोशन लगाने के लए झुक और


उसके टॉप के गले म से मुझे अंदर क एक झलक दखी शा लनी ने टॉप के
अंदर वाइट कलर क शमीज और उसके अंदर वाइट कलर क ा पहन रखी
थी पूरे म म उसके बदन क डयो क और लोशन क खुशबू महक रही थी
फर लोशन लगा के उ े बोतल साइड म रखी और मु कुराते ए अपनी
आई ो ऊपर करके मुझे इशारा कया,,, जैसे कह रही हो या दे ख रहे हो मेरे
चुदासे भै या,,,

म शा लनी के शरीर के हर कोने और कटाव को ना जाने कतने एंगल से दे ख


चुका था और छू भी चुका था मगर आज दन भर के से सी वाकये से भरपूर
सफर के दौरान मेरी भूख और बढ़ गई थी और मुझे थोड़ा सा यादा मज़ा
इस लए भी आ रहा था क यहां माम क मौजूदगी म शा लनी से छे ड़छाड़ का
गुना मजा आ रहा था,,, शा लनी ने आज रात के समय सोने के लए भी ा
और समीज पहनी ई है,,, माम के साथ होने से,,,, और मने मौका दे खते ए
तीर चलाया...

म- ब त से सी लग रही हो यार,,,

शा लनी (हंसते ए)- अ छा मुझे तो पता ही नह था ,,,


और हंसने लगी हम दोन मु कुराते ए एक सरे क आँख म दे ख रहे थे
तभी म मी आई और 

सरो जनी माम- नहा लया शा लनी,,

शा लनी- हाँ म मी 

सरो जनी माम- चलो तुम दोन खाना खा लो,,,,, 

म- माम दो मनट,,, म भी नहा लूं,,,

सरो जनी माम- बेटा,,, ऐसा करो,, खाना खा लो फर बाद म नहाकर सो


जाना,,, म भी बाद म ही नहाऊंगी ,,,,, न द अ छ आएगी,,
म- ठ क है,,,

और हम लोग डाइ नग टे बल पर आकर खाना खाने के लए बैठ गए,,,,

सरो जनी माम- तुम दोन आज बाइक से इतनी र आये हो,,, ब त थक गए


ह गे,,,

म- नह तो,, म तो नह थका,, उ टे मुझे तो बाइक से सफर म ब त मज़ा


आया,,, शा लनी शायद थक गई है,,,
और मने शा लनी क ओर दे खते ए आंख मार द ,,,

शा लनी- (हड़बड़ी म) नह माम ,,, थकान नह है और रा ते म स ची म ब त


मज़ा आया,,, है ना भै या,,,
और उसने मुझे दे खते ए मेरी ही तरह आंख मारी,,,

सरो जनी माम- हां बाइक से अपनी मज रहती है जहां चाह क सकते ह,,,

शा लनी- हां माम,,, हम लोग रा ते म,,,,

इतना कहकर ही शा लनी क गई मुझे एक पल को लगा कह झटके म


शा लनी हम दोन के झरने वाली जगह कने के बारे म ना बोल पड़े,, मगर
उसने अपने आप को स हाला,,,

सरो जनी माम - हां,, या आ था रा ते म,,,

मने बात को स हालते ए कहा

म- अरे माम,,, कुछ नह रा ते म शा लनी को ब त जोर क सु सू लगी थी


और ये बोलने म शमा रही थी,,,, बस म होती तो ,,,,, हा हा हा
सरो जनी माम- (हंसते ए) हां,,, तो कर लेती ,,,,, शम म कपड़ म करने से तो
अ छा है,,, फर या कया,,

म- वो तो जब मुझे सु सू लगी तो मने बाइक रोक तो मैडम का गाल लैडर


बस फटने ही वाला था,,,हा हा हा,,,

शा लनी- हां हां,, तुम लोग का या ,,,कह भी खड़े हो गए,,,,, माम आप ही


बताइए,,, हाइवे कनारे खुले म टायलेट करने म,,,, हम लेडीज को कतना
अजीब लगता है,,,

सरो जनी माम- हां भाई,, लड़क को तो ये आराम रहता है ,,और हम लेडीज
को थोड़ा यान रखना पड़ता है,,, बट ऐसी कंडीशन म करना पड़ता है,,,,,
और वैसे भी तुम अकेले तो थी नह ,,, तु हारा भाई तो था ही साथ म,,, तो
हाइवे कनारे भी या डरना,,, 

इसका मतलब माम क तरफ से भी इतनी इजाजत तो थी ही,,, मगर उ ह


या पता था क उनके दोन ब च म भाई बहन के यार के जुनन ू म धीरे धीरे
ेमी- े मका वाला यार पनपने लगा है और अब तक तो उनका बेटा ही
अपनी सगी बहन के बदन को भोगना चाहता था मगर शायद अब उनक
मासूम बेट शा लनी भी धीरे धीरे बहन से े मका बनने क राह पर चल पड़ी
है,,,, मेरी छे ड़छाड़ भरी बात म उसे भी मजा आने लगा है और ऐसा लगता है
क ज द ही वो मेरी सारी काम वासना क पू त करने वाली है,,, उसके
साथ खड़े होकर ह तमैथन ु करते ए सगे भाई बहन क घमासान चुदाई
दे खने के बाद तो अब हमारे बीच एक और पदा हट चुका था,,,

हम लोग ने खाना खाने के बाद कुछ और दे र तक वह डाइ नग टे बल पर ही


हंसी-मजाक कया और फर माम और शा लनी कचन म बतन लेकर चली
गई और म नहाने के लए बाथ म म,,,,,,,,,,,,, 

अंदर बाथ म म जाकर मने लाइट जलाई और अपनी टावेल को हगर पर


टांगने के लए हाथ आगे बढ़ाया तो वैसे ही मेरी नजर हगर पर पहले से टं गी
ई एक लैक ा पर पड़ी और साथ ही एक लैक पट भी थी,,,,,

मुझे याद आया क ये ा और पट शा लनी क तो है नह तो इसका मतलब


है यह माम क है और पता नह कैसे मेरे शरीर म एक सहरन सी दौड़ गई,,,
मुझे ठ क से याद नह क आज से पहले मने कभी अपनी माम क ा और
पट को इस तरह दे खा हो और मेरे शरीर के रोएं खड़े हो गए ह ,,, ऐसा पहली
बार आ था,, मने एक बार अपने आप को समझाया क म यह या कर रहा
ं अभी तक तो म अपनी बहन के बदन को दे ख कर उ े जत हो जाता ं
और अब आज माम के अंत: व दे खकर उ ेजना,,,,, ये सब हो या रहा है,,,
मने शावर चालू कर दया और,, ा को हाथ म लेकर उसक प पर क के
पास लखे न बर को दे खने लगा,,,, माम क ा का साइज़ 36 था,,, मतलब
शा लनी से कुछ बड़ी चू चयां ह,, खैर वो तो उन दोन क उ का अंतर था
ही,,, और शा लनी क चू चयां अभी तक एक तरह से अनछु ई ही थी,,, ह का
ह का फु का सहलायी गयी थी मेरे हाथ से,,, जब क माम तो हम दोन को
ध पलाने के बाद भी ऐसा गजब फगर बना के रखी ह,,,

मेरी मॉम सरो जनी ब त ही आकषक म हला हे जो अपने शरीर का पूरा


धयान रखती ह। सुबह उठते ही वो योग और ाणायाम करती हे ,४० साल
पार क उ होने के बाद भी कोई उ ह दे खता है तो वो उ ह हमारी मॉम कम
शा लनी क बड़ी बहन और मेरी द द यादा समझता है,, यही नही मॉम घर
म हमेशा साड़ी या सूट म ही रहती हे , मने उ ह कभी गाउन वगैरह म हमारे
सामने आते नही दे खा चाहे वो अकेले म कैसे भी रहती हो। अभी भी मॉम ने
एक शानदार सूट पहन रखा था जो उनपे ब त फब रहा था। न जाने आज
यू मेरा मन बार बार मॉम को एक आकषक म हला के जैसे दे खने को
लाला यत हो रहा था और ना चाहते ए भी म शा लनी और माम के बदन म
अंतर और समानताएं ढूं ढने लगा और साबुन लगाते ए मेरे हाथ जैसे ही मेरे
लौड़े पर प ंचे तो वो झटके लेने लगा और मेरे हाथ ल ड पर आगे पीछे होने
लगे,,,,, म उ े जत हो गया और हाथ बदल बदल कर बड़ी ही तेजी से
ह तमैथुन करते ए शा लनी एवं माम के खूबसूरत बदन क क पना म
गोते लगाते ए झड़ गया,,, झड़ने के बाद मुझे बड़ी आ म ला न ई क म
अपनी माम के लए कैसे इस तरह सोचने लगा,,,,

म नहाने के बाद बाथ म क फश पर फैले अपने वीय को पानी से अ छ


तरह साफ करने के बाद बाहर नकल आया और टावेल लपेट कर,,, और
अपने कमरे म जाकर च और लोअर पहन लया,,,, तभी शा लनी आई और
बोली

शा लनी- भाई जी,, म तो माम के साथ ही सोऊंगी,, आप भी आ जाओ,,, माम


नहाने गई ह,,

म- हां,,, चलो म भी माम के साथ ही सोऊंगा,,, वैसे भी मुझे अकेले अब शायद


न द भी ना आए,,,

और मने शा लनी को दे खते ए उसे आंख ही आंख म इशारा कया,,, उसने


भी आंख ही आंख म कहा,,, चल हट बदमाश,,, 
और वो माम के कमरे म चली गई,,, कुछ दे र बाद म भी माम के कमरे म आ
गया माम भी कुछ दे र बाद आ गई ,, उ ह ने सलवार सूट पहन रखा था,,,और
बीच म माम लेट ,,, हम दोन ने उनके दोन तरफ लेटते ए ही उ ह यार से
अपनी अपनी बाह म भर लया और 

म- आज कतने दन बाद मुझे माम के साथ लेटने को मला है,,,


और मने उ ह अपनी बाह म और कस लया,,,, उनके बदन और चेहरे पर
पानी क ह क ह क सी बूंद इधर उधर पड़ी ई थी और जैसी महक
शा लनी के नहाए ए बदन से आती थी ठ क वैसी ही खुशबू माम के बदन से
भी आ रही थी,,, मेरे हाथ माम के सीने पर थे और अब मुझे उनक गोलाईय
क नरमी और गुदाजपन का एहसास आ,, माम ने अंदर ा नह पहनी थी,,
तो मने अपनी पकड़ ढ ली कर द और वैसे ही शा लनी ने माम को ब कुल
मेरी तरह अपनी बाह म माम को कस लया,,, और यार से माम के गाल पर
एक प पी ले ली,,, और बोली 
शा लनी- लव यू हमेशा माम,,,

सरो जनी माम- लव यू टू बेबी,,,

और उ ह ने भी शा लनी के माथे और गाल पर प पी ली,,,

म- सारा यार बेबी के लए और मेरा या??


म झूठ नाराजगी दखाते ए बोला

और माम ने पलटकर मुझे भी गाल पर एक प पी ली और बोली

सरो जनी माम- मेरे ब च ,, मेरा यार तुम दोन के लए है और बराबर ,,,, ना
कसी को कम और ना कसी को यादा ,,,

और हम दोन को अपने दोन तरफ क बड़ी बड़ी चू चय के साथ चपका


लया और गुडनाईट बोलकर हम दोन के बाल को सहलाने लगी,,, पता नह
कब हम दोन सो गए और ......

कल दन भर क ल बी बाइक ाइ वग और सुबह सवेरे शहर से चलते ए


रा ते म ए मजेदार वाकये ने मुझे और भी कामुक बना दया था और कल
रात म ना चाहते ए भी मेरा मन अपनी बहन के साथ साथ माम के बदन को
भी दे ख दे ख कर कुछ ऐसा वैसा हो रहा था,,,, इससे बचने का एक ही उपाय
था क मुझे ज द से ज द कोई असली से स पाटनर मल जाए और म
अपनी कामवासना को उसके बदन के अंदर उड़ेल ं ,,, नह तो मेरे ये कामुक
वचार और आगे बढ़ते ही जाएंगे और आज जो भूख शा लनी के बदन को
भोगने के लए मुझसे जो कुछ करवा रही है,,, म वही सब कह कसी और के
साथ ना कर बैठं ू ,,, माम के लए मने न य कया क अब कुछ भी हो जाए
मगर म उनको से सुअल होकर नह दे खूंगा,,,,, यही सब सोचते ए म रात म
बड़े ही यार से चपक कर माम और शा लनी के साथ सोया आ था और
सुबह जब मेरी आंख खुली तो बेड पर सफ म और शा लनी ही थे,,, माम
उठकर जा चुक थी,,,,

हम दोन करवट लेटे ए थे और पछले काफ दन से सोकर उठने के बाद


हम दोन का पहला काम एक सरे को चूमते ए गुड मा नग बोलने का होता
था,,,,
म इसी उधेड़बुन म था क यहां घर पर माम क मौजूदगी म शायद शा लनी
को ठ क ना लगे,,,, वैसे भी वो बात ही बात म या कभी कभी इशारे से कह
ही दे ती है क उसे हमारे बदलते ए र ते म हो रही छे ड़छाड़ से कोई परेशानी
नह हो रही है मगर ये सब कुछ हम दोन के बीच रहे और सावज नक ना हो
तो अ छा है,,,, 

खैर मेरी उलझन को ज द ही वराम मल गया और शा लनी ने बेड से उठ


कर दरवाजे के बाहर दे खते ए दरवाजे को फर से ढलका दया और
पलटकर उसने मुझे पकड़ा और मुझे कस करने लगी म भी उसके ह ठ चूसने
लगा ,,, म सीधा लेटा आ था और शा लनी झुककर मुझे ह ठ पर गुड
मा नग क सी दे रही थी,,,,,,वो आज कुछ यादा ही जोश म पागल क तरह
मेरे ह ठ चूस रही थी और म उसके ह ठ चूस रहा था,,,,,, ये हर रोज कुछ
सेकंड होता था सुबह सवेरे मगर आज जब वो अलग होने लगी तो मने फर
उसे अपनी तरफ ख चा और कस करते ए मने कमर के पास उसक ट शट
के अंदर हाथ डाल दया और उसके चकने नंगे पेट पर अपनी उंग लय को
फराने लगा,,,,, हम दोन क नजर आपस म टकरा और शा लनी ने आंख
ही आंख म इशारे से उसे छोड़ने को कहा,,,,

मेरे हाथ क गुदगुद से शा लनी थोड़ा सा असहज ई और हम दोन बेड पे


गर गए, म अभी भी ह ठ चूस रहा था फर मने अपना हाथ बाहर नकाला
और उसे कस करते ए उसक पीठ पर हाथ फराने लगा,,,,

हम लगातार एक सरे को कस कर रहे थे ,,, आज मुझे ऐसा लगा क


शा लनी भी सफ गुड मा नग बोलने वाला कस नह कर रही है ब क एक
े मका सबक नजर से बचाकर अपने ेमी को सु भात कह रही है,,,,,, अब
तक का ये सबसे ल बा चलने वाला कस था हम दोन के लए,,,,,, 
तभी माम ने आवाज लगाई और हम दोन अलग ए हम दोन ने एक सरे
को दे खा मुझे ब त नशीला सा लग रहा था मेरा सर ह का ह का घुमने लगा
था,,,,,

एक सरे से अलग होकर ब तर से उठने के बाद हम दोन ने हंसते ए


कहा,,,, गुड मा नग,,,,,

शा लनी- आज आपने रोज़ क तरह पहले गुड मा नग नह बोला,,,

म- मने सोचा आज तु ह मौका दे ता ं पहल करने का,,, या रोज़ रोज़ म ही


क ं ,,, 

शा लनी- (मु कुराते ए) थ स,,, भाई,,, वैसे अब जो पहले जगेगा वह तो


गुड मा नग पहले बोलेगा,,,
म- थक यू मत बोलो शा लनी,,, वो जरा उस तरह बोलो ना,,, या कहती हो
तुम,,, लव यू हमेशा ,,,,बोलो ,, 

शा लनी- (मु कुराते ए) "धत ..... और वो दरवाजे को खोलकर बाहर


नकलने के लए बढ़ मगर मने आज उसके मूड को दे खते ए फर से उसे
अपनी ओर ख च लया और म अपने ह ठ उसके पास ले जाने लगा तो उसने
बोला 

शा लनी- भैया ,,,हटो ना यार,,,नह तो म मी आ जाएगी ,,,

म र हो गया म मी क वापस आवाज आई और शा लनी बलखाती ई म मी


के पास चली गई शायद ना ता बनवाने,,,,,, 

म ब त खुश था य क शा लनी भी अब मुझसे यार करने लग गई थी उसके


पास होने से उसको छू ने से उसके बदन क खुशबू से ही मुझे कुछ होने लग
जाता था तभी म े श होकर वाश म से बाहर नकला तो सामने कचन म
शा लनी अकेले खड़ी थी,,,,, म अपने कमरे क तरफ बढ़ा तो शा लनी ने मुझे
कचन से आवाज द म अंदर गया तो शा लनी परांठे बनाने के लए आटा गूथ ं
रही थी और म मी बाहर गई थी मने पीछे से शा लनी को दे खा* 

शा लनी- भाई,, ये ड बा उपर से उतार दो,,,


मने ड बा उतार के रख दया और शा लनी को छे ड़ने के लए उसक कमर म
गुदगुद कर द और साथ ही उसको पीछे से पकड़ के उसके कान के पास
धीरे से बोलते ए कस कया और 

म- एक कस दो ना वीटू ,,,

शा लनी- "पागल हो या म मी आ जाएंगी" ,, बाहर ही ह घर के,,, 

म - वो तो बाहर ह लीज दो ना" 


और ये कहते ए मने उसको पीछे से टाइट पकड़ लया ,, कमर के पास से
और उससे चपक गया ,,,

शा लनी- "छोड़ो ना भैया " (हंसते ए) तुम ना आज ब त बेसबरे हो रहे हो,,, 

ले कन मने उसे नह छोड़ा*

मने पीछे से पकड़े ए ही उसक कमर के पास ट -शट उठा कर अपनी


उंग लय को काम पर लगा दया और कहा 

म- पहले कस दो,, छोट सी,, 

शा लनी- अभी तो द थी म म,,

म- एक और दो ना तु हारे ह ठ है ही इतने मीठे ,, एक से मेरा या होगा,,,

वो मु कुराते ए पीछे मुड़ कर बोली 

शा लनी- अरे साइड म तो आओ मुंह पीछे कैसे घुमाऊं भैया ,, तुम मानने
वाले तो हो नह ऐसे,, ज द से कर लो,, 
" मने उसे घुमा लया और अपने ह ठ उसके ह ठो पे रख दए ,,, शा लनी भी
मुझे कस करने लगी और म भी उसके नरम मुलायम ह ठो को चूसने लगा
उसके ह ठ चूसते चूसते म उसक ट शट के ऊपर से उसक पीठ को सहलाने
लगा उसे दबाने लगा तभी उसने मेरे ह ठ छोड़ दए और बोली 

शा लनी- बस अब हो गया,,, 

म- या ,,,बस इतना सा 

वो मु कुराते ए बोली 

शा लनी- हाँ इतना सा ,,, जाओ अब यहाँ से भै या,,, 

और म भी मु कुराते ए बाहर आ गया थोड़ी दे र बाद म मी अंदर आई ,, जो


काम मुझसे अकेले रहते ए नह आ था वो आज यहां माम क मौजूदगी म
हो गया,, जाने कैसे मेरे अंदर ह मत आई और मने पहली बार शा लनी से
खुलकर उसको कस करने क इ छा जताई और उसने भी अपने भाई क
इ छा को पूरा करने म कोई कसर नह रखी,,,, गुड मा नग के बहाने से लए
कस और एक आन डमांड कस म बड़ा फक होता है,,, आज पहली बार ही
मने कस करते ए अपने हाथ को उसक ट -शट के अ दर घुसाया था,,,
इसके पहले शा लनी क जानकारी म मने कभी उसक ट -शट के अ दर
उसके मखमली बदन को सहलाया नह था,,, वो अलग बात थी क उसके
सोने के बाद म जतना स भव हो उतना उसके बदन को सहला लेता था,,,,,,

सरो जनी माम- अरे शा लनी ये ेस तो चज कर ले इसी म काम कर रही है


या??

शा लनी- हाँ म मी नहाउंगी अभी तो चज कर लूंगी ,,,

म उनक बात सुनके सोचने लगा शा लनी नहाने वाली है म उसको नंगी नहाते
ए दे खूं या उसके साथ ही म भी नहा लूं ,,,, आह,, ये सब स भव भी है और
नह भी,,, अंगरू अभी तक ख े ही है,,, 
म यही सब सोच रहा था इतने म शा लनी मेरे पास आकर बैठ गयी और
बोली 

शा लनी- या सोचरहे हो भैया 

मने धीरे से कहा 


म- नहाने क सोच रहा ं,,ओय चल तेरे साथ ही नहा लेता ँ ,,,और या?? 

शा लनी- रहने दो कोई ज रत नह है,,, पागल यहां माम के घर म होते ए,,

मै- य बेबी,,, माम से म बोल ं या क मेरी पीठ पर मैल लगा है और,,,

तो वो मु कुराते ए धीरे से बोली 

शा लनी- तुम भी ना भैया,,,मुझे नहलाते नहलाते आप कुछ और ही करने लग


जाओगे 

म- या करने लग जाऊंगा 

शा लनी- चुप रहो आप ,, जैसे तु ह कुछ पता नह है,,, 

मुझे शा लनी से ऐसी बात करने म ब त मजा आ रहा था,, शहर म जब सफ


हम दोन होते ह तो छे ड़छाड़ म उतना मजा नह आता जतना यहां माम क
मौजूदगी म शा लनी को उकसाने म आता है,, चोरी चोरी यार का मजा ही
कुछ और है,,, उस से ऐसी बात करते ए मेरा लंड टाइट खड़ा आ था इतने
म म मी का फोन बजा म मी फोन उठाने बेड म म गयी*,, हमारे सामने से
नकलते ए,,,
और मने शा लनी को अपनी बाँह म जकड़ लया और उसके ह ठ पर अपने
ह ठ रख कर चूमने लगा ,,,, शा लनी मुझसे छू टने क को शश करने लगी,,,इस
तरह मने आज तक उसे अचानक कभी नह पकड़ा था,,, ले कन म उसे
चूमता रहा,,,,, इधर उधर उसके गाल पर चूम लया और उसके नरम ह ठ
चूसता रहा तभी म मी क बात करने क आवाज आने लगी और मने ज द
से शा लनी को छोड़ दया जैसे ही मने उसे छोड़ा वो बोली 

शा लनी- ओए पागल हो गये हो या भैया आप,,, अगर म मी दे ख लेती तो,


बस मौका ही ढूं ढते रहते हो मुझे परेशान करने का,,,,,, मने तु हारी सुबह सवेरे
वाली डोज इसी लए यादा ही द थी,,, मगर तुम ना,, पेट ही नह भरता
तु हारा,,,,,कभी फंस जाएँगे हम लोग,,

म- तुम क पलीट कस दे ती ही नह हो कभी,,

शा लनी- लालची इ सान यादा लालच मत कया करो कभी म मी ने पकड़


लया ना तो दोन फंस जाएँगे ब त बड़ी ॉ लम हो जाएगी,,, बड़े आये
क पलीट कस वाले,,,

म उसक बात सुनके हँसने लगा फर वो उठ कर जाने लगी तो मने पूछा 

म- "कहा जा रही हो बेबी

शा लनी- नहाने जा रही ँ,,,, और या

म- म भी चलू या" 

शा लनी- चुप करो बदमाश,,

म- लीज ,, अ छा एक काम करते ह,,, आज हम दोन लोग अपने खेत वाले



ू वेल पर चलते ह और वह नहाते ह,,,,,
शा लनी उठकर खड़ी ई और जाते ए बोली,,,
शा लनी- अ छा अभी नहाने दो मुझे,,,,, वैसे अपने शहर के मकान वाला
शावर यादा अ छा है,,,,,, ब त अ छ फुहार नकलती ह उसम,,, है ना भैया,,,

और वो मेरे सामने से बलखाती ई अपने कमरे म चली गई 


और म अभी अभी उसके बोले श द का मतलब नकालने लगा तो सोच कर
ही मेरा दल जोर जोर से धड़कने लगा,,,,,,
शा लनी इशारे इशारे म कह गई थी क वो मेरे साथ हमारे शहर के मकान म
अकेले रहते ए साथ म नहाने क मेरी इ छा पूरी कर सकती है मगर यहां
नह ,,,,,, मुझे अपनी बेवकूफ भरे उतावलेपन पर हंसी आई और साथ ही
शा लनी क समझदारी पर फ भी आ क वो र त क मयादा क
दहलीज पार करने म कोई ज दबाजी नह कर रही थी ,,, मगर एक बात
का बले गौर थी क यहां माम क मौजूदगी क वजह से शा लनी का
का फ डे स कुछ अलग ही दखाई दे रहा था,,, उसक बात चीत म हम दोन
के नये बनते ए र ते को छु पाने क को शश भी रहती है और वो बात ही
बात म माम को ये भी बताती है क म उसका कतना याल रखता ं और
उसक हर ज रत को पूरा करता ं,,,,,!!

म अपने कमरे म बेड पर लेटे ए मोबाइल पर पॉन साइट् स सफ़ करने लगा,


और ल ड हलाते ए सोचने लगा क पता नह जदगी म पहली बार कसी
चूत म ल ड घुसाने का मौका जाने कब और कहां मल जाये, जससे म
अपना कौमाय खो सकूँ।*

उसी समय डोरबैल बजी, मने तुरंत मोबाइल बंद कया और अ ड वयर और
शॉटस को ऊपर कर लया, और अपने खड़े ल ड को शॉट् स म एड् ज ट
करते ए मेन डोर खोल कर अपने घर म आने वाले आगंतुक का वागत
करने को बढ़ चला।*शा लनी अपने कमरे म थी और माम पड़ोस वाले घर म
अभी अभी गई थी,,,
जैसे ही मने मेन डोर खोला तो सामने नीलम को मु कुराते ए खड़ा पाया,
उसके एक हाथ म बुक थी। मने उसको ऊपर से नीचे तक दे खा, नीलम ने
टाँग से चपक ई लै गग पहनी ई थी और ऊपर टाईट कुता। कुत म से
उसके टाईट खड़े ए न पल साफ़ नजर आ रहे थे, शायद कुत के नीचे नीलम
ने ा नह पहनी थी। जब मने उसक आँख क तरफ़ दे खा तो पाया क
उसक नजर भी मेरे शॉट म खड़े ल ड के उभार पर थी। जैसे ही हमारी आँख
मल हम दोन एक सरे को दे ख कर हँस पड़े ये सोच कर क हम दोन एक
सरे के बदन के कस ह से को नहार रहे थे।*

नीलम- भाई जी,, शा लनी,,, 


नीलम ने चु पी तोड़कर अंदर आते ए कहा।*

म- हाँ ,,, है घर पर ही,,,,


मने जवाब दया। 

नीलम ने अपने च पल उतार कर शू-रैक पर रख दये और फ़र नंगे पैर ही


अंदर आ गयी। ॉ ग म म उसके पीछे चलते ए म अपनी पड़ोसन और
शा लनी क सबसे अ छ सहेली नीलम क मोट सुडौल गाँड़, पतली कमर
और लगभग शा लनी के बराबर साइज़ क चू चय को एवं उसके ज म के
हर उभार को नहार रहा था।*

नीलम- शा लनी कहाँ है? 


नीलम ने घूम कर मुझसे पूछा और मेरी कामुक नगाह को भी उसने अपने
बदन पर रगते ए महसूस कर लया शायद,,

म- हां,, वो अभी नहाकर अपने म म गई है,,

और नीलम अपनी चौड़ी गांड़ को ठु मकाते ए शा लनी के कमरे क ओर बढ़


गई,,, उसने दरवाजा खोला और दोन सहे लयां काफ समय बाद मलने पर
च लाती ई गले लग गई एक सरे के और फर कमरे का दरवाजा बंद हो
गया,,,

म पछले कई साल से यहां नह रहता था इस लए आस पास और गांव के


से सी आइट स पर कभी नजर नह पड़ी थी,, असल गुदाज अ हड़
जवा नयां तो गांव म ही मलती ह,, शहर म तो कोई भी पालर और अ छे
कपड़ से अपने आप को से सी बना लेता है और कपड़े हटाते ही गोल गोल
खरबूजे जैसी दखने वाली चू चयां ल बी लौक जैसे लटकती ई मलती ह,,,
नीलम शा लनी से उमर म कुछ बड़ी थी और उसी तरह उसका सबकुछ
शा लनी से बड़ा ही था,,,,,,, म वैसे भी घर म अकेले बोर होता तो मने सोचा
य ना छु पकर इन दोन सहे लय क बात सुनी जाए और म शा लनी के
कमरे के बाहर खड़क के पास खड़ा हो गया और अंदर क बात सुनने क
को शश करने लगा,,, यहां से दखाई कुछ नह दे रहा था मगर उनक आवाज
साफ सुनाई दे रही थी,,,,,,,,,

नीलम- इस कुत का कपड़ा ब त पतला है या ??

शा लनी- हां,,, ये,, ये तो सचमुच ब त ह का है,,

नीलम- मुझे कॉटन के ह के कपड़े ही पसंद ह, पता ही नह चलता क कुछ


पहन भी रखा है,

शा लनी- वैसे ये नया तो है नह तो अब य पूछ रही है ह का है या मोटा,,,


आज ही पता चला या ??

नीलम- हां,, पहन तो काफ दन से रही ं मगर इसके ह के होने का पता


आज चला,,, अभी अभी,,,

शा लनी- या यार,, तुम जलेबी मत बनाओ बात क ,,, अभी अभी कैसे पता
चला ??

नीलम- कुछ नह यार,, तू तो दे ख ही रही है मने आज ा भी नह पहनी और


तुझसे मलने आ गई,, मुझे या पता था क,,,

शा लनी- हां,, ा नह पहनी तो ऐसा कौन सा पहाड़ टू ट गया मैडम,,,,


नीलम- पहाड़ तो कोई नह टू टा,,, मगर मेरी इन पहा ड़य को तु हारे भैया ने
आंख ही आंख म मसल डाला आज,,हाय,,, कैसे घूर रहे थे,,

शा लनी- या आ नीलम,,,, भाई के बारे म सोच समझ कर कुछ बोल,,, कुछ


भी कहती रहती है,,, 

नीलम- अरे,, तुझे या पता मेरी मोम क गु ड़या,,, तू कब समझेगी,, यार सब


मद एक जैसे होते है ,,,,,,और जब म साइ कल चलाती ँ तो मुझे ओवर टे क
करने के बाद जब लड़के पलट पलट कर मुझे दे खते ह, तो मुझे ब त मजा
आता है,,,

शा लनी- उन बेचारे लड़क क या गलती, तेरे इस कुत म से साफ़ उभरते


ध के न पल और म त ह स दे खकर कोई भी पागल हो जायेगा,,,

नीलम- आय हाय मेरी जान,,, यही तो म कह रही ं क आज तो मुझे लगा


क भै या कह मुझे दबोच ना ल,,, अपनी मजबूत बांह म,,,, हाय कतना
अ छा होता क,,,,

शा लनी- अब तू इतने दन बाद मली है और फर से तेरी सुई इ ह सब बात


म अटक है,,, और तू ना अब कसी को अपना वाय े ड बना ल,,,,, तुझसे
अब स नह हो रहा,,, हा हा हा हा

नीलम- सच म यार,से स करने म ब त मजा आता होगा ना,,, 


नीलम क बात से एक बात तो प क थी क दोन प क सहे लयां ह और
एक- सरे से सारी बात शेयर करती ह,,, शा लनी ने जहां अब तक अपने आप
को यार और रोमांस के खेल से खुद को र ही रखा था वह नीलम तेज
तरार और चालू क म क लड़क थी जो अब तक थी तो अनछु ई और
अनचुद , मगर उसे शायद अब जब भी मौका मले तो वो अपना कौमाय
लुटाने को तैयार बैठ है,, मुझे उनक बात को सुनकर ब त मज़ा आ रहा था
और म यह सुनकर और भी यादा खुश आ क शा लनी को मेरे च र के
बारे म कोई भी ट पणी पसंद नह चाहे वो उसक सबसे अ छ सहेली ने ही
कही हो,,,,
नीलम ने जो पूछा था शा लनी से वो बात अपने कसी करीबी जस के साथ
वो ऐसी खुली बात कर सकती थी, उसी से पूछ सकती थी,,, आ खर इस
बेचारी को भी अपने बदन क गम सताती ही होगी तो इतने दन बाद शहर
से लौट ई अपनी सहेली से उसको अपनी ज ासा शांत करने म ब त मजा
आ रहा था ,,,

शा लनी- हाँ नीलम,,,, मुझे तो ब त मजा आता है,,,


शा लनी ने हँसते ए कहा,,,

नीलम- हां यह,,, तूने कब कर लया मेरी ब ो,, मतलब तु हारा भी कोई
बॉय ड बन गया है,, हाय मेरी जान,, वैसे भी इतनी हॉट बॉडी के तो ब त से
लड़के द वाने ह गे तेरे कालेज म,,,,

शा लनी- ंह, पागल,, सब के सब लड़के लफंगे होते ह कसी के साथ भी


थोड़ा ब त आगे बढ़ने से पहले अपने भ व य के बारे म भी सोच लेना
चा हए,,

नीलम- तो या सचमुच तेरा कोई बॉय ड नह बना है शा लनी रानी,,,, तो


फर तूने से स,,,??

शा लनी- हाल फ़लहाल तो कोई नह है,,,ना होने वाला है,, और जब तुझे पता
है पहले से क मुझे इन सब बात म कोई इंटरे ट नह है तो फर तू मुझसे य
पूछ रही थी क से स म मजा कतना आता है,,,,,, तूने पूछा तो मने कहा हां,,
आता है मजा,,,, तुझे या लगा ??

नीलम- यार तेरी यही सब बात करने से म भी अब तक कुंवारी ही घूम रही ,ं ,,


एक आध बार जब कसी लड़के ने ाई भी मारी कूल टाइम म तो तू हमेशा
मुझे इ जत, मान मयादा का डर दखा दे ती थी,,,, यार ले कन अब कई बार
तो चुदाई करवाने का इतना यादा मन करता है ना क म बता नह सकती
शा लनी,,, मन करता है क या ना घुसा लूँ अपनी चूत म ,,,,,
नीलम ने हँसते ए कहा,,,

शा लनी- अब अगर तुझे सच म बदा त नह हो रहा है तो तू शाद तक का


इंतजार कर या फर कोई लड़का पटा ले,,,,,

नीलम- अभी तो पहले पूनम द द क शाद होगी, फर वकास भाईजी क


और मेरी शाद होने म तो अभी चार-पांच साल लग जायगे,,,, मुझे लगता है
तब तक चुदाई का कोई तो जुगाड़ ज द ही ढूँ ढना पड़ेगा,,

शा लनी- चल चुप कर बेशरम,,,चुदाई का जुगाड़? कतना ग दा बोलने लगी है


तू आज कल,,,

नीलम- हाँ, कोई ऐसा दो त, जसके साथ चुदाई कर के अपने ज म क आग


तो बुझा लो, ले कन वो बेवजह गले ना पड़े,,, बदनाम भी ना होने द,,,

शा लनी- तू थोड़ा सा अपनी पढ़ाई पूरी करने पर भी यान दे ,,,, और लीज


यार,, मुझसे ये सब बात मत कया कर,,,,, और तू ना कोई सेफ लड़का ढूं ढ
ले,,, जो तेरी इ छा पूरी कर दे ,,, और कसी को पता भी ना चले,,,
नीलम- हां हां,,,, तो अपने भै या से मेरा जुगाड़ करवा दे ,,,,सेफ भी रहेगा
और,,,,,,,गांव का सबसे माट लड़का मेरा वाय े ड भी बन जाएगा,,,
नीलम शा लनी से र वे ट करते ए बोली,,, और शायद शा लनी ने गु से म
उसे जवाब दया,,,

शा लनी- नीलम,,,,, तू ना मेरे भै या के बारे म कुछ भी उ टा सीधा मत सोच,,,


और,,, और वो जैसे मेरे भाई ह वैसे ही तू भी उ ह बचपन से ही भै या बोलती
आ रही है,,,,, तू कैसे उनके बारे म,,, छ छ ,,,,

नीलम- अरे यार तुम नाराज़ ना हो,,,, वो तो आज जब भै या ने दरवाजे पर


मेरी चू चय को घूरा तो मुझे लगा क उनके मन म भी,,,,,

शा लनी- जब तू बना अंडरगामट ऐसे ही घूमेगी बडी बड़ी लेकर,,,तो लड़के


दे खगे ही,,,, और भाई क नजर कह पड़ गई होगी तेरे सीने पर ऐसे ही,,,,,,,
बस तू सपने दे खने लगी,,,

नीलम- ऐसे ही पड़ी नजर और घूर घूर कर इनका रस पीने वाली नजर,,, दोन
म ब त फक होता है,,,, वैसे तू परेशान ना हो,,, तेरे भैया को वाय े ड बना
कर भी या फायदा,,, महीने दो महीने म ही मुलाकात हो पायेगी,,,

शा लनी- बड़ी नजर पहचानने लगी है तू आज कल,,,,, तुझे अब भाई क


नजर म भी,,,

नीलम- तू ना शा लनी,, पढ़ाई लखाई चाहे जतनी कर ल,,, अब तो शहर म


रहने भी लगी है और कपड़े वगैरह पहनने का तरीका भी बदल लया है,,,
मगर तू रहेगी बु क बु ही,,, अरे मद आ खर मद होता है,,,,, उसके सामने
ं र शरीर के दशन हो रहे ह तो वो करेगा ही ,,,
अगर सुद

शा लनी- हां,, मरद वरद छोड़,,, तो मैडम नीलम के ला जक से तो तु ह इस


हालत म तु हारे वकास भै या भी दे खकर आंख सकते ह गे ,,, है ना से स
गु ,,,,, 

नीलम- तू ना बहनजी ही बने रहना,,, हां मने कई बार गौर कया है क वकास
भै या भी मौका मलने पर मेरे शरीर को दे खते ह,,,अब है तो वो भी आ खर
मरद ही ना ,,,,, म भी दखा दे ती ं जानबूझकर कभी कभी अपनी चू चय क
झलक,, बेचारे झप जाते ह पकड़े जाने पर,,,

शा लनी- ंह तो बात यहां तक बढ़ चुक है,,, पहले तो तूने कभी नह बताया


वकास भै या के बारे म क वो तुझे इस तरह दे खते ह और तू दखाती भी
है,,,ये सब कबसे शु आ,,, मुझे यहां से गये ए तो अभी यादा टाइम भी
नह आ,,, तू साफ साफ बोल ना,,, बात या है यार,,,

नीलम- यार शा लनी,,, म ना ,,,,, वो कुछ दन से भै या के मोबाइल पर से सी


कहा नयां और वी डयो दे खने लगी ,ं ,,बस वो सब दे ख कर अब रहा नह
जाता,,,, और कसी के साथ कुछ करने म डर भी ब त लगता है,,, और
कहा नयां पढ़कर तो उ ेजना चरम पर प ंच जाती है,,, तू भी दे ख लेगी तो
अपने आप को रोक नह पायेगी,,,

शा लनी- तो तुम अपने वकास भै या के मोबाइल फोन पर ही से स वी डयो


दे खती हो,,, उनके सामने,,,, और ये कहा नय का या च कर है ??

शा लनी वी डयो लप और लाइव चुदाई शो तो दे ख ही चुक थी मेरे सौज य


से,,,,,, नीलम को नह पता था क इन दन शा लनी भी से स के बारे म
काफ कुछ जान और सीख चुक थी,,,,, मगर ये कहा नय वाली बात उसके
लए भी नई थी और वो नीलम से इसके बारे म जानना चाहती थी,,,

नीलम- नह यार भाई के मोबाइल का पासकोड मुझे पता है और म गेम


खेलने के बहाने से ले लेती ं और अपने कमरे म दे खती ,ं ,, भाई रोज नए
नए वी डयो लाता रहता है,,, और शा लनी,,,,एक दन ऐसे ही एक वडो
मोबाइल म खुला आ था और मने जब उसे पढ़ा तो पता चला क वो से स
क कहा नय वाली वेबसाइट है,,, यार उसम तो ऐसी-ऐसी कहा नयां लखते
ह लोग बाग क या बताऊं,,,

शा लनी (उ सुकता से) - कहानी म से स मतलब,,,

नीलम- अरे,,,तेरे पास तो मोबाइल है,,, और वो मोबाइल उठाकर उसम से स


कहा नय वाली वेबसाइट खोलकर शा लनी को दखाने लगी,,, काफ दे र तक
कमरे के अंदर से कोई आवाज नह आई,, शायद दोन मोबाइल पर से स
कहा नयां पढ़ने म लग गई थी और म बाहर खड़े खड़े अपने खड़े ल ड को
उपर से ही मु ठयाने लगा,,,
काफ दे र बाद अंदर से हंसने क आवाज आई और,,,,,,

शा लनी- तो से स गु नीलम जी महाराज,,, ये सब कहा नयां ह और


अस लयत म ऐसे भाई बहन और बाप बेट ,, मां बेटे म,,, ये सब कुछ नह
होता है,,, चल कोई नह ,,,,तू पढ़ ये कहा नयां और दे ख वी डयो,,, बाक आगे
तेरी मज तेरी जदगी और तेरी जवानी,,,

नीलम- अब तू भी ऐसे बोलेगी,,, मने सबकुछ हमेशा तुझको बताया है और


अब म फंस गई ं इस उलझन म तो तू कह रही है,, मेरी मज ,,, यार कुछ तो
बता,,,
शा लनी- अब म या बताऊं तुझे,,, या ये कह ं क जा नीलम जा,,, और जी
ले अपनी जदगी अपने भाई क बाह म,, से स कर ल अपने ही भाई के
साथ,,,
म तुझे ना मना कर रही ं और ना ही उकसा रही ं,,,

नीलम- यार,, यहां एक तो गांव म वैसे भी कह मौका नह मला आज


तक,,,अब जब घर म कुछ सोचो,,, तो ,,, तू तो जानती ही ह मेरे घर म इतने 
सारे लोग रहते ह,,,,

शा लनी- तो सारे घरवाल को कह भगा दे ,,,, वैसे तुझे ऐसा करना या होता
है जो सबके साथ रहकर नह कर पाती ??

नीलम- अरे अभी कल ही क बात है ,,, म रात म एक जबरद त कहानी पढ़ने


के बाद अपनी चू चय को सहला रही थी और अपनी बुर म उंगली डाली ही
थी बस पूनम द ने दे ख लया और मुझे ब त डांटा,, समझाया,,,,, तेरा या
तेरी तो मौज है,,, भाई बहन दोन अकेले,,जो मज हो करो,,, 

शा लनी- हाय र बा,,,, तू अपने वहां उंगली भी डालने लगी,,तेरा तो अब


अ लाह मा लक,,, तू कह कुछ ग़लत कदम ना उठा ले गरम हो कर,,,,

नीलम- साला यहां मामला ही उ टा है मुझे तेरी जगह होना चा हए था और


तुझे मेरी,,,, मतलब सोच क म अपने भै या के साथ अकेले रहती तो कोई
टशन ही नह होती,,, मजा आ जाता,,,, मगर उपर वाले ने मौका भी दया तो
तेरी जैसी बु को,,,,,

शा लनी- तेरी इ ह सब चल जलूल बात और हरकत क वजह से ही तेरे घर


वाल ने तुझे बाहर नह भेजा पढ़ाई के लए,,, और तू वकास भै या और मेरे
भाई का याल नकाल अपने मन से और कह और कसी को पटा ले ,,,,,

नीलम- यार,, अब तू बता,,, तू मेरी जगह होती तो या करती ,, म बाहर कस


कमीने पर भरोसा क ं ,,, आज कल जसे दे खो वी डयो और फोटो के सहारे
हरामी लंवडे लैकमेल करते ह लड़ कय को,,,, पटाता एक है और भोग पूरा
मोह ला लगाता है,,,

शा लनी- एक तो म तेरी तरह अपनी ऐसी हालत बनाती नह ,,, और अगर


ऐसा होता तो म भी तेरी तरह अपनी सहेली से सलाह ही मांगती,,,,, 

नीलम- अ छा एक बात बता,,,, तूने कभी गौर नह कया क तु हारे भैया,


तु हारी चू चय को दे खते ह क नह ,,,, या कुछ और ,

शा लनी- तू सचमुच म से स क भूखी है,,,,, यार हम-दोन म ऐसा कोई मौका


नह पड़ता क बाद म श म दा होना पड़े,,,, म थोड़ा यान रखती ं और तेरी
तरह म जानबूझकर भाई को अपने शरीर क नुमाइश भी नह कराती,,,,

नीलम-कराना भी नह ,,,, नह तो बाद म छु पा भी नह पायेगी,,, कौन मद तेरी


इन बड़ी बड़ी चू चय को दे खने के बाद कं ोल कर पायेगा,
शा लनी- ं,,,आह,,, छोड़ ना यार,, कतनी तेज दबा दया,,, नीलम तू ब त
शैतान हो गई है,,

नीलम- ओह हो हो हो ,,, तो मैडम ने ा भी पहनी है,,, तुझे तो पहले एलज


थी कन क ,,,, वैसे ा म कसी ई तेरी चू चयां अब मेरे बराबर क हो गई
ह,,,,,,,,
शा लनी- हां अब पहन लेती ,ं ,,काटन या इ पोटड ,,, कूल टाइम म कतनी
परेशानी होती थी सफ समीज म,,,,

नीलम- जरा दखा ना अपनी ा,,, दे खूं तो सही 


शा लनी- ले दे ख ले,,, तू ऐसे तो मानने वाली नह है,,,, 

म बाहर खड़े ए उनक बात सुनते ए अंदाज लगा रहा था क कैसे नीलम
ने शा लनी क चूच
ं ी मजाक मजाक म दबाती होगी और अब नीलम कस
तरह शा लनी क चू चय को दे ख रही होगी ा म,,,, 

नीलम- वाऊ यार शा लनी,,,, तेरी बाडी पर तो शहर का पानी चढ़ गया है और


यादा बड़ी हो गई ह तेरी और बीच म लीवेज कतना अ छे से चमकता
है,,,हाय,,, अगर म लड़का होती तो तुझे अभी पटक कर चोद दे ती,,,,, अ छा ये
बता कभी अपने भै या को छू ने का मौका दया या फर अपनी चू चय के
दशन करने का,,,,

शा लनी- तेरी सुई फर से मेरे भै या पर अटक गई,,, यार मने कभी ऐसा मौका
नह दया,,, पागल,,, और ना कभी मने भाई को चोरी से तांक-झांक करते ए
दे खा,,, 

नीलम- ऐसा कैसे तुम दोन साथ-साथ रहते हो और भै या ने कम से कम जब


तू झुककर कुछ करती होगी तब तो तेरे खरबूजे दे ख ही ह गे,,,,, अ छा कभी
दखाना उ ह फर दे खना,,,,,
सारे मरद एक जैसे होते ह,,, हा हा हा

शा लनी- धत् पागल,,,, अब तुझे मार पड़ेगी,,, तू कह इस गम म कुछ उ टा


सीधा ना कर बैठे,,,, स हाल अपने आप को नीलम ,,,
नीलम- हाय र बा,,, तू तो क़यामत ढा रही है ा म मेरी जान,,, म तो अपने
आप को स हाल ही तो रही ं अब तक,,,,, पता नह कब और कहां कसके
आगे ग ं गी,,,

तभी हमारे घर क डोर बेल बजी और शायद माम आ गई थी ,,,,मुझे ना


चाहते ए उन लोग क से सी बात को सुनना छोड़कर दरवाजा खोलने के
लए वहां से हटना पड़ा,,,,, मेरा ल ड अभी फुल साइज म था उसे चलते ए
मने कैसे भी करके े ची के अंदर दबाया और दरवाजा खोला 

सरो जनी माम- तुम लोग को भूख लगी है या नह ,,,, और शा लनी कहां है,,,
शा लनी बेटा,,,,

और म कुछ बोलता उससे पहले ही शा लनी के कमरे का दरवाजा खुला और


वो बोली ,,,,
शा लनी- आई म मी,,, वो नीलम आयी है उसी के साथ बात हो रही थी,,

म मी खाने के लए बोल कर अपने बेड म म चली गई और म अब शा लनी


के कमरे क ओर बढ़ चला,,,,, वो दोन आपस म बातचीत कर रह थ , तभी
म भी उनके पास प ंच गया ,,,, 
म- हां तो तुम दोन क बात ख म हो जाएं तो चल के हम लोग लंच कर ल,,,,,
और नीलम ,,,कैसी चल रही है तु हारी पढाई लखाई, 
नीलम- ठ क ही चल रही है भै या,,, और आपक जाब और पढ़ाई कैसी चल
रही है ,,,,, आप ने शा लनी क अ छ दे खभाल क है,,, मेरी सहेली और भी
सुद
ं र हो गई है आपके साथ रहकर,,,

म- अरे नह नीलम,,, उ टे याल तो शा लनी रखती है मेरा,,, दे खो मुझे खला


खला कर म टू बना रही है,,,

नीलम- भै या आप तो दन पर दन और यादा है डसम होते जा रहे हो,


शहर म तो ब त सी लड़ कयाँ द वानी ह गी आपक ?

म- ंह, ऐसी हमारी क मत कहाँ भई,,, वैसे ये नौकरी और ओपन यू नव सट


से पढ़ाई के बाद मेरे पास टाइम भी नह है,,, 

शा लनी- तू भी ना नीलम कब सुधरेगी,


शा लनी ने हँसते ए कहा ,,,

म- वैसे तो या बात हो रही थ , तुम दोन के बीच? मने अंजान बनते ए


पूछा,,,

नीलम- बस वो ही हमेशा क तरह, लड़ कय क बात और कैसे शा लनी जो


चाहती है वो इ छा आप इसक पूरी करते हो,,, यही सब ,,, पढ़ाई- लखाई के
बारे म भी थोड़ी ब त बात हो रही थी,,,, और म शा लनी से उसके वाय े ड
के बारे म भी,,,,

नीलम ने हँसते ए कहा, तभी शा लनी ने नीलम के गाल पर यार म एक


चपत लगाते ए उसको शांत रहने क हदायत दे ते ए, शट अप कहा,,,,,
और हम तीन हंसते ए कमरे से बाहर नकल कर खाने के लए टे बल पर
बैठ गए और नीलम अपने घर चलने को खड़ी ई,,,

नीलम- अ छा शा लनी म चलती ं काफ दे र हो गई है और जाने से पहले


मुझसे मलके ही जाना,,,

शा लनी- हां,, ठ क है,,, और एक बात सुन,,, वो ना,,, जो तूने अपनी ा लम


बतायी थी ना,,,, तू ऐसा कर वकास भाई से ही हे प ले ले तो तेरे लए ठ क
रहेगा,,,, बाहर कसी पर व ास करना ठ क नह रहेगा तेरे लए,, समझ रही
है ना,,,,
और नीलम हां हां बोलते ए अपनी चौड़ी गांड़ को लहराती ई दरवाजे के
बाहर नकल गई,,,

म- कस ा लम क बात कर रही थी तुम

शा लनी (अंजान बन कर) - अरे कुछ नह भाई,,,,, इसे पढ़ाई म थोड़ी द कत


हो रही थी तो ये बाहर श
ू न के लए बोल रही थी तो मने कहा क अपने
वकास भै या से ही पढ़ ल,,,

म- हां हां,, जब भाई है घर म तो कसी और के पास जाकर य समय खराब


करना,,, 
और तभी माम खाना लेकर आई और हम लोग खाना खाते ए बात करते
रहे,,,, 

इधर म सोच रहा था क शा लनी ने कतनी सफाई से अपने और मेरे संबंध


को छु पाया है और नीलम को इसने श
ू न नह चुदाई करवाने का इशारा
कया है अपने भाई से,,, 
और शा लनी उधर सोच रही थी क उसने कैसे मेरे सामने अपनी सहेली को
उसके भाई के साथ ही यार और रोमांस करने क सलाह दे डाली और म
समझ भी नह पाया,,, मगर उसे या पता क म तो उन दोन क एक एक
बात सुन चुका था और मुझे अपनी मं जल अब ब त ही करीब महसूस हो
रही थी,,,,,आज पहली बार खुलकर कस मांगने पर मला है और ज द ही
बन मांगे जाने या- या मलने वाला है,,,,,,,,,,,,

दोपहर के भोजन के बाद माम और शा लनी ने मलकर कचन का काम


कया और म माम के बेड म म लेटकर ट वी दे खने लगा,, कुछ दे र बाद
शा लनी और माम भी आ ग और मेरे पास ही बेड पर लेट गई,,,,, हम लोग
काफ दे र तक बात करते रहे और माम से कल वापस नकलने के लए
बताया तो वो थोड़ा भावुक हो ग और हम दोन को अपने सीने से लगा कर
मेरे और शा लनी के बाल सहलाते ए बोली,,,,

सरो जनी माम- बस मेरे ब च तुम लोग ऐसे ही यार से रहो और कोई भी
परेशानी हो तो मुझे तुरंत बताना,,,,, और शा लनी बेटा तुम अपने भाई के
खाने पीने का भी यान रखना,,, मेरा ब चा ब त मेहनत करता है,,, दन भर
फ ड क जाब म कतना तो बाइक चलानी पड़ती है,,,

शा लनी- माम , म अपनी ओर से तो यान रखती ही ,ं ,,, फर भी आप भै या


से पूछ लो,,,,, इनको कोई शकायत तो नह ,,,

सागर- नह नह म मा,,, आप ब कुल फकर ना कया करो,,, शा लनी और


म दोन एक- सरे का याल रखते ह,,,,, हां आप शा लनी से पूछ ली जए,,, म
इसका याल रखता ं क नह ,,,, और इसे शा पग से कोई शकायत तो नह
है,,,
शा लनी- नह मेरे राजा भै या,,,, मुझे आपसे कोई शकायत कभी नह होगी,,,
आप जैसे मेरी छोट छोट सी चीज का यान रखते हो ना,, ऐसा कोई भाई
नह करता होगा,,,आप इस नया के सबसे अ छे और यारे भैया ह,,, लव यू
हमेशा भाई,,,,,

सागर- लव यू टू बहना ,,,,,

सरो जनी माम- अ छा लगता है तुम दोन को ऐसे दे खना,,,,, और बेटा तुम
दोन के लए एक सर ाइज है,,,,

हम दोन एक साथ बोले पड़े - ज द बताओ ना म मा ,,,

सरो जनी माम- हम लोग को आ फस क ओर से एक टु अर पैकेज मला है


पूरी फै मली के लए तीन दन और चार रात कसी भी हल टे शन पर
गुजारने के लए,,,,, अब मेरी फै मली तो तु ह दोन हो ,,,, जब तुम लोग को
टाइम हो तो बताना,,, आ फस म पं ह दन पहले बताना होगा बु कग के
लए,,,

हम दोन बोल पड़े- वाव माम,, इट् स टे ,,, हम लोग ज द लान करते ह
शा लनी और मेरी परी ा के पहले ही घूम के आते ह,,,,, 
और ऐसे ही हम लोग बात करते ए सु ताते ए सो गए और शाम को चार
बजे तक सोते रहे,,,, हम दोन एक सरे क साइड से माम को चपके ए थे
और सबसे पहले मेरी ही आंख खुली य क मुझे दन म सोने क आदत नह
रही थी,,,,, 
म उठकर वाश म गया और कचन म जाकर चाय बनाकर माम के बेड म
म ले आया और,,
म- चाय चाय,,, इट् स ट टाइम यूट फुल लेडीज ,,,

शा लनी और माम एक साथ च ककर उठ और मेरे हाथ म चाय क े


दे खकर अपने आप को हंसने से रोक नह पाई और ,,,, मने े रखते ए दे खा
क शा लनी क ट -शट से उसक चू चय का काफ ह सा नुमायां हो रहा था
और उसने बेड पर पीछे टे क लगाकर अधलेट अव था म यान भी नह दया
और उधर माम भी उठकर अपने कपड़े ठ क कर रही थी,,,,, 

मने आगे बढ़कर चाय का कप शा लनी को पकड़ाया और साथ ही उसे आंख


ही आंख म इशारे से उसक चू चय क ओर दे खते ए बोला
म- इट् स हाट ,,,,
और इशारे से उसे ये भी बताया क कमरे म माम ह ,,,खैर, माम सरी तरफ
दे ख रही थ ,,, शा लनी क नजर भी नीचे क ओर गई तो उसे एहसास आ
क उसक चू चय का कुछ यादा ही ह सा बाहर नकल आया है और उसने
तुरंत अपने आप को बेड पर एडज ट करते ए अपनी ट -शट को नीचे ख च
लया ह का सा और,, 

शा लनी- थ स भै या,,,,
और फर हम सबने वह बेड म म ही चाय पी और मने माम से पूछा,,,

म- माम,, ये जो अपने घर के पीछे वाले खेत म ू वेल है,,, अभी चालू



हालत म है क नह ,,,

सरो जनी माम- हां,, हां वहां थोड़ा काम भी करवाया था अभी कुछ दन
पहले,,, कमरे क थोड़ी मर मत कराई थी और मोटर भी बदलवा द है,,,
अपने सारे खेत क सचाई इसी से होती है,,,

म- म आज ब ू वेल म नहाने क सोच रहा था,,, चल माम हम सब उधर


अपने खेत म घूम भी आते ह और फर अंधेरा होने से पहले आ जायगे,,,, 

सरो जनी माम- अभी तो काफ तेज धूप है,, थोड़ी दे र बाद जाना,,, म जरा
म ा जी के यहां भाभी संग बाजार जाऊंगी अभी,,, 

शा लनी- तो म यहां अकेली या क ं गी?? 

सरो जनी माम- य तु ह नह नहाना ू वेल पर या ,,, अरे वहां टं क के



पीछे से कमरे म रा ता बना दया है,,, तु ह चज करने के लए परेशान नह
होना पड़ेगा,,,, 

म- हां हां चल ना,,, वहां इतने दन से वाटर स लाई के बासी पानी से नहा
नहा कर नहाने क असली ताजगी या होती है,, तू तो भूल ही गई होगी,,, 

शा लनी- माम,,, म वहां काफ दन से गई नह ,, आसपास कोई और लोग क


फसल तो नह है आज कल ,,,

सरो जनी माम- अरे बेटा,,, घर के पीछे से जाने के अलावा अब सारे रा ते बंद
ह,,, मने खेत म चार ओर कंट ली बाड़ लगवा द है और अब उधर कोई नह
आता,,, और तेरा भाई तो है ही ना ,,,,,, शहर प ंच कर भी तेरा डर नह
नकला ,,,

म- माम,,, वहां क चाभी कहां है,, 

शा लनी- मुझे पता है आप दरवाजे के पीछे ब


ू वेल वाले कमरे क चाभी
रखत ह ना माम ,,,

सरो जनी माम - हां तु ह तो पता ही है ना शा लनी बेटा,,, अरे मेरी आधी
ज मेदारी तो तुमने ही उठा रखी थी यहां ,,, तु हारे जाने से कभी कभी ब त
परेशानी होती है,,

म- हां ,, माम ,,, आपको थोड़ी परेशानी होती तो होगी अकेले म,, ले कन
शा लनी के मेरे साथ रहने से मुझे ब त आराम है,,, ये सारा काम पढ़ाई के
साथ-साथ ब त माटली करती है ,,,
और ऐसे ही बात म हम लोग लगे रहे और म बीच-बीच म माम क नजर
बचाकर शा लनी को आंख के इशारे से मजे के लए उकसाया,, और म कुछ
दे र के लए अपने कमरे म आया और इस बीच माम तैयार हो कर बाजार
जाने के लए मेरे कमरे म आई और बोली 

सरो जनी माम- म घर को बाहर से लाक करके जा रही ं,,,, तुम लोग पीछे से
चले जाना ,,,, 
और वो चली गई,,,, 
म भी अपने कमरे से नकल कर शा लनी के कमरे म आ गया और वो अपने
कुछ पुराने कपड़ को बेड पर फैलाये ए थी ,,,,, 

म- चल ब
ू वेल पर,,

शा लनी- हां भाई अब तो माम से भी परमीशन ले ली है,,, वैसे अभी कल ही


तो रा ते म झरने के ठं डे पानी म नहाया था,,,,, और आज फर से,,,,

म- ये दल मांगे मोर,,, वैसे स ची बात ये है क मुझे ब


ू वेल म नहाये ए
काफ साल हो गए ह,,, ब ू वेल क टं क म कूदकर नहाने का आनंद ही कुछ
और है,,, 
शा लनी अपने कपड़े समेटते ए बोली

शा लनी- भाई आप भी अपने कपड़े ले ली जए म इ ह म से कुछ नकाल


लेती  ं
और म अपने कमरे म आकर कपड़े लेकर शा लनी के हाथ म पकड़ी ई
पाली बैग म डाल कर घर के पीछे से नकल कर हम खेत क ओर चल
पड़े,,,,, 

इस पूरे इलाके म हम लोग क जमीन है और पीछे एक बड़ा बरसाती


नाला,,हम दोन खेत क मेड़ पर चलते ए जा रहे थे,,,, कुछ र चलने के
बाद मेड़ पतली थी और मने शा लनी से आगे चलने को कहा,, वहां से हमारे

ू वेल का कमरा दखाई दे रहा था,,,

शा लनी के आगे चलते ए अपने आप को पगडंडी पर गरने से बचाने के


च कर म हर बार उसक कमर का लचकना और उसके पछवाड़े क दोन
दरार को आपस म रगड़ते ए दे ख कर पलभर म मेरी सोई ई उमंगे जाग
उठ और मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा,,,, म कदम दर कदम शा लनी क
बलखाती ई चाल को दे ख कर म त हो रहा था और हम लोग ब ू वेल पर
आ गये ,,,,

मने दरवाज़े का लाक खोला और हम लोग कमरे के अंदर आ गये ,,,, कमरे म
एक लकड़ी का त त भी पड़ा आ था जो यहां खेत म काम करने वाले
नौकर के लए था,,, कमरे म पंखा भी लगा था और मने आगे बढ़कर पंखा
चलाया वच ऑन करके तो काफ सारी धूल उड़ती ई कमरे म फैल गई,
शायद यहां का पंखा काफ दन से कसी ने चलाया नह था और कमरे म
भी काफ धूल थी,,,,,,,
फर शा लनी ने भी कमरे म चार तरफ दे खा और 

शा लनी- भैया, यहां कतनी धूल है कमरे म जाले भी ब त हो गए ह. म साफ


कर ँ थोड़ा ,,,,,,जब तक आप मोटर चला कर नहाओ 

म- हाँ, कर दो,, अभी या ज द है आराम से नहायगे 

शा लनी- ठ क है, म पंखा थोड़ी दे र के लए बंद क ँ ,, 

म - ठ क है,, म भी हे प कर ं ,,

शा लनी ने पंखा बंद कया और जाले साफ़ करने के लए झाड ले आयी. फर


वो तखत पर चढ़ कर उछल-उछल कर जाले साफ करने लगी. उसके ऐसे
उछलने क वजह से उसके बड़ी-बड़ी चू चयां जोर जोर से हलने लगी.
वा तव म शा लनी क मंशा भी यही थी य क वो और उछल-उछल कर
नाटक य अंदाज़ म अपनी वशाल चू चयां हला- हला कर मेरा यान अपनी
ओर आक षत करने का यास करने लगी,,

थोड़ी दे र म कमरे म गम बढ़ य क अभी भी बाहर काफ तेज धूप थी और


इस कारण मैने अपना ट -शट नकाल दया,,,,, अब म सफ ब नयान म था
और शा लनी का मांसल शरीर भी पसीने म तर-बतर हो रहा था,,,,
शा लनी ने दे खा क वो मेरा यान अपनी ओर आक षत करने म असफल हो
रही है तो उसने एक सरा दांव मारा,,,,,

शा लनी- गम कतनी बढ़ गयी है ना भैया ? म भी अपना टॉप नकाल ँ ,,,,


ग दा भी हो रहा है,,,

मने उसको भरी नगाह से दे खा क आज सूरज प म से कैसे नकल


आया है शा लनी खुद थोड़ा सा बो डनेस दखा रही थी अपनी तरफ से,,,,
तभी मुझे खयाल आया क कह नीलम के उकसाने का नतीजा तो नह है ये,,
नीलम ने हम दोन के लए आगे बढ़ने म उ ेरक का काम कया था,,,

शा लनी फर थोड़ा समझाते ए नाटक य अंदाज़ म बोली 


शा लनी- भैया…? ऐसे या दे ख रहे हो? मने अंदर ा पहन रखी है?

म- ह..हाँ… फर ठ क है,,, नकाल दो ,,,,,

शा लनी- फर ठ क है मतलब? तु ह या लगता है, ये बना ा के संभल


जायगे ?

म- ये…ये कौन?

शा लनी- भैया, तुम भी ना? ा से कौन स भलता है ? तुम या…? ये…

और उसने अपनी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चू चय क ओर इशारा कया,,,,, म


थोड़ा सकुचा-सा गया. माना क हम-दोन आपस म खुले ए थे पर अपने
ाइवेट पाट् स के बारे म शा लनी इस तरह यादा बात नह करती थी बना
कसी उकसावे के ,,, म आया तो यहां नहाने के लए ही था मगर शा लनी के
साथ म ती करने का लालच यादा था और फर म झपता आ सा बोला ,,,

म- हां,,हाँ, मुझे पता है!

आज शायद वो मुझसे मजे लेने क ठान चुक थी और थोड़ा छे ड़ते ए 

शा लनी- या पता है मेरे राजा भैया

म- तू अपना काम करेगी? गम लग रही है ब त? ज द से जाले साफ करो


और पंखा चला ,,

शा लनी- अरे सॉरी, गु सा मत हो तुम… अभी करती ँ.

और ऐसा कहते ए उसने फट से अपना टॉप नकाल दया जससे उसक


वशाल चू चयां लगभग नंगी नुमाया हो गयी,,, शा लनी क चू चयां इतनी बड़ी
थी क वो ा म बस जैसे-तैसे ही कैद रहती थी,,,,अगर टॉप ना पहना आ हो
तो आधी से भी यादा दखाई दे ती थी,,,

और टॉप उतरते ही मेरी नजर उसक गोल-गोल भारी-भारी चू चय पर पड़


गयी,,,,,,, खैर इस तरह उसक चू चय को दे खना मेरे लए कोई पहला मौका
नह था मगर जब शा लनी ने दे खा क कैसे उसका भाई ललचायी नजर से
उसक चू चय को दे ख रहा है तो उसे नीलम क कही बात याद आ गई क
सब मरद एक जैसे होते ह,, पर वो अनजान बनने का नाटक करती रही और
जाले साफ करने म फर से लग गयी,,,,

पर अब मेरा यान अपनी बहन क चू चय से हट ही नह रहा था,,, एक तो वे


बड़ी-बड़ी थी और ऊपर से शा लनी उछल-उछल कर उनको हला- हला कर
मेरा यान आक षत कर रही थी,,,, मेरी जगह अगर कोई मुदा भी होता ना, तो
वो भी इस य को दे ख कर जाग जाता,,,,,,, और म तो फर भी इंसान था,
और इस हसीन बदन को चाहने वाला,,,, म एक पल को भूल गया क ये गोल-
गोल चू चयां मेरी अपनी सगी छोट बहन क ह और हम लोग इस समय माम
के पास गांव म ह ना क शहर म अकेले,,,ये सोचते ए ही मेरे शरीर म
झुरझुरी सी छा गई और म उसके बदन को एकटक दे खता रहा,,,,,

थोड़ी दे र बाद शा लनी ने ऐसे नाटक कया जैसे उसको अभी-अभी पता चला
हो क म उसक चू चय को भाई क नजर से नह ब क एक लड़के क तरह
ताड़ रहा ं,,,,, 
म इस समय तखत के नीचे बैठा आ था और शा लनी मेरे एकदम पास
तखत पर बैठ गयी, जससे उसक चू चयां ठ क मेरे चेहरे पर हो गई और
उसने मुझसे थोड़ा नखरे-भरे अंदाज म पूछा,,,

शा लनी- दे ख लया,,, जैसे पहली बार दे खा हो,,, ही ही ही,,


मेरा जैसे मोह भंग आ और त ा टू टते ही म हकलाते ए बोला ,,,
म- ह.. हाँ… म.. मेरा मतलब है या…?

पर इसके वावजूद भी म अपनी नजर शा लनी क चू चय पर से हटा नह


पाया,,,

शा लनी- वही जो दे ख रहे हो?

अब म ब त ही श मदा-सा महसूस करने लगा य क इस तरह मने इतनी दे र


तक उसक चू चय को शा लनी क जानकारी म कभी नह दे खा था और मने
दे खा भी और ह के ह के से सहलाया भी तो कसी ना कसी बहाने से,,,, और
म इधर-उधर दे खते ए बोला

म- म…म कुछ नह दे ख रहा था?

पर आज शा लनी भी शायद इस मौके को जाने नह दे ना चाहती थी, उसने


कहा,,,
शा लनी- झूठ मत बोलो भैया… मने अपनी आँख से तु ह इनको घूरते ए
दे खा है,,,,,

म जैसे चोरी करते पकड़ा गया और अपनी गलती कबूल करते ए बोला- 

म- सॉरी यार… वो गलती से नज़र पड़ गयी और म अपनी नज़र हटा नह


पाया,,,

शा लनी- अरे इसम सॉरी वाली या बात है भैया… कोई बात नह .. तु हारी
कोई गलती नह है इसम…

म-( आ य से ) मतलब?

शा लनी- अरे दे खो भैया … मुझे पता है ये बड़ी ह और आकषक भी… तो


नजर चली भी गयी तो या हो गया? और वैसे भी तुम मेरे भाई हो … मुझे हर
दन हर तरह से दे खते हो … इसम या है,,,,,,, मगर लीज़ यार इस तरह
टकटक लगाकर ना दे खा करो,,, शरम आ जाती है,,

मुझको जैसे राहत मली हो,,, और मेरे सपने जो क गाह क ओर बढ़ चले थे


वो फर से जदा हो गये और म बोला,,,,

म- थ स बहना.. मुझे लगा तुम बुरा मान गयी होगी,,,

शा लनी ने माहौल को थोड़ा ह का कया और मेरे सामने बैठ गयी और फर


वो धीरे से हंस द …मेरे लौड़े का उभार शायद उसने दे ख लया था पंखा अभी
भी बंद थाऔर गम अभी भी लग रही,,, पसीने क बूंद शा लनी के पूरे शरीर
पर थ और उसक हर सांस के साथ उसक चू चय का उठना बैठना जारी
था,,,, फर उसने मेरी आंख म दे खते ए ऐसा बोला क मेरे साथ ही साथ मेरे
ल ड को भी झटका लगा दया,,,

शा लनी- वैस…
े कैसी लगती ह तु ह ये?

हम दोन के बीच इतने खलंदड़ीपने के बावजूद मने इतने सीधे सवाल क


उ मीद नह क थी शा लनी से, म फर हकलाते ए बोला

म- क.. क.. या??

शा लनी- अरे यही जो तुम दे ख रहे थे,, मेरी चू चयां और या गु जी,,,,


और अपनी मनमोहक चू चय क तरफ दे खा,,,

म थोड़ा हड़बड़ाता आ सा बोला,,, 

म- वो बेबो,,,ये कैसा सवाल है?

शा लनी- अरे तुम इतनी दे र से इनको दे ख रहे थे तो मने पूछा क कैसी ह,,,,

म- ठ क ह ,,,

म- भाईजी,,,म एक लड़क ँ और मेरा मन करता है क म भी अ छ लगू,ँ ,,,,,


अब मेरा कोई लड़का दो त तो है नह , और ना ही कोई बॉय ड है,,, तुम ही
मेरे दो त हो,,,,,, मेरे भाई हो पर तुम एक लड़के भी तो हो,,, तो म तुमसे अपने
बारे म तु हारा नज रया जानना चाहती ँ बस… क ये तुमको कैसी लग ?

यह बोलते ए शा लनी ने अपनी चू चय के नीचे अपने दोन हाथ रखकर


उ ह ऊपर को उठा दया,,,, और उसक ा से उछल कर उसक गोरी गोरी
चू चयां बाहर नकल आ काफ यादा,,,

अब म समझ गया था क जो मौके म शहर म ढूं ढता रहता था शा लनी के


बदन को दे खने के,,, वो मौका आज़ शा लनी खुद दे रही है यहां गांव म और
मने भी अपने आप को आज शा लनी के आदे श का गुलाम बनने म ही भला
समझा और मले मौके का फायदा उठाते ए,,,,,, और उसक बात को
समझते ए

म- अ छ तो ह,,,

शा लनी- अ छ ह मतलब?

म- मतलब अ छ ह और या,,

शा लनी- अरे भै या मतलब या अ छा लगा?

म- या बताऊँ म… बता तो रहा ँ क अ छ ह,, सुद


ं र ह,,,

शा लनी-भाई मेरा मतलब है क जैसे तुमको इनक शेप अ छ लगी या


साइज? या दोन

म- … ये वाकई कमाल क ह बेबो,,, इनक शेप भी अ छ है और साइज


भी,,,,एकदम गोल-गोल ह और बड़ी बड़ी भी… और लीवेज तो ब त ही
यादा अ ै टव बनता है तु हारा ,,,

इस बातचीत के बीच हमदोन भाई-बहन एक सरे के ब कुल आमने-सामने


बैठे थे, शा लनी ने ऊपर सफ ा पहन रखी थी जसम से उसक बड़ी-बड़ी
चू चयां दखाई दे रही थी और उसने नीचे सफ एक शॉट् स पहना आ है
जनसे उसक गोरी टांग और जांघ ब कुल साफ़ दखाई दे रही थी,,,,माहौल
म अब थोड़ी-थोड़ी खुमारी छा रही थी,,,,

शा लनी थोड़ी भावुक होते ए बोली,,,


शा लनी- म तुमको इतनी अ छ लगती ँ भैया?

म भी मौका दे ख कर थोड़ा यार जताते ए उसके गाल को सहलाते ए


बोला,,,

म- हाँ मेरी वीट बहना… तू मुझे ब त यारी लगती है,,,,

शा लनी- तो और या अ छा लगता है तु ह मुझ म?

म- बताया ना, तू मुझे पूरी क पूरी अ छ लगती है, और ब त ही यादा


अ छ लगती है. ब क तू नया के कसी भी मद को ब त अ छ लगेगी,,,.
ब त खुशनसीब होगा वो इंसान जसे तू मलेगी,,,

शा लनी- भाई, थोड़ा डटे ल म बताओ क या- या अ छा लगता है तु ह


मुझम?

और यह कहते ए खड़ी खड़ी होकर गोल-गोल घूम गयी और पोज़ मारने


लगी, जैसे अपना दशन कर रही हो,,,,

म- दे ख वीट , तेरा चेहरा ब त यारा है… तेरे ह ठ ब त खूबसूरत है… तेरी ये


(चू चय क तरफ इशारा करते ए) भी ब त यारी ह, तेरी कमर भी पतली
और आकषक है,,,

शा लनी( ज ासा भरे लहजे म)- और-और?

म- और या बताऊँ?

शा लनी(थोड़ा मायूस होते ए)- बस इतनी ही अ छ लगती ँ म तुमको?

म- अरे नह … नह … तू तो ब कुल परी-जैसी लगती है मेरी बहना,,,,

शा लनी- तुम ना ,,,,अभी मुझे बहन मत बुलाओ तो शायद और अ छे से बता


पाओगे ,,,

म- ऐसी बात नह है…तू तो सुपर से सी है यार,,,

शा लनी- तो और बताओ ना क या- या अ छा लगता है तु ह मेरे बारे म?

म- तु हारे ये पैर भी ब त ही यारे ह और ये गोरी-गोरी जांघ भी… तु हारी


कमर के नीचे ये पीछे का पाट भी ब त आकषक है,,,

शा लनी- भैया इसको ब बोलते ह ना,,,, गांड भी बोलते हो ना तुम लड़के


लोग,,,,
म- हां,, हां ,पता है क इसको गांड बोलते ह,,, मने ही तो तु ह यह सब बताया
सखाया है ,,,

शा लनी ( इठलाते ए) - अ छा? और इसको या बोलते ह?

यह बोलते ए शा लनी ने अपनी चू चय क तरफ इशारा करते ए शरारती


मु कान दे डाली और फर से मेरे सामने बैठ गयी,,, पर इस बार वो अपने पैर
फैला कर बैठ ,,, जैसे वो दखा रही हो क भाई असली खजाना और तु हारी
मं जल तो मेरे इ ह दोन पैर के बीच म ही है,,,,, अब तक मेरा ल ड भी
अपनी पूरी ताकत से े ची को फाड़कर बाहर नकल आने को बेकरार हो
रहा था और तभी शा लनी ने धमाका कया,,,

शा लनी- जब म आपको इतनी से सी और हॉट लगती ं तो फर सर को


आप शकायत का मौका कैसे दे दे ते है,,,,,,

म- मतलब,,, साफ़ साफ़ बोलो ना वीटू ,,, बात या है,,, ??

शा लनी ( थोड़ा गंभीर और गु से म)- आज आपक शकायत मली,,,,, वो


नीलम,,,,

म (च कते ए)- या नीलम ने शकायत,,, कस बात क ,,,,, मुझसे,,,

शा लनी- हां भाई,,, अपने काम ही ऐसा कया था शायद,, अब सच या है वो


तो आप जानो,,, 

म- आ खर मने कया या है,,,


शा लनी- वो कह रही थी क जब वो घर आई थी तो आप उसको घूर घूर
कर,,,,,,,, 

म- हां,,, तो,, अरे बेबो,,, मने ऐसा कुछ नह कया,,, अब जब उसका खजाना
खुला होगा तो म या कसी क भी नजर जाएगी ही,,, 

मुझे लगा क मेरा नीलम क चू चयां घूरना और नीलम का शा लनी से


बताना,,, शा लनी को अ छा नह लगा,,,, अब यहां कारण तो कुछ भी हो
सकता था क शा लनी को शाय़द यह नह पसंद क म उसक ही सहेली को
दे खूं या कह ऐसा तो नह क शा लनी अब मेरे लए पजे सव हो रही थी और
उसे यह नह पसंद क जब इतना उ दा माल वो खुद ही है तो म कसी और
को यूं दे ख रहा था,,,,

शा लनी- भाई वो कह रही थी क तेरा भाई मेरी चू चय को टकटक लगाकर


दे ख रहा था और उसे लगा क आप उसे कह छू ना लो ,,,,,

म- ओह यार,,, मेरा ऐसा कोई इरादा नह था,,, और तु ह या लगता है क म


ऐसा कुछ कर दे ता,,, नह यार,,, वलीव मी,,,

शा लनी- भै या,,, आई हैव फुल फेथ आन यू ,,,,, वो नीलम कुछ यादा ही


बोलती रहती है,,, मने भी उसे अ छे से समझा दया था क मेरा भाई ऐसा
नह है,,, गलती उसक खुद क है ऐसे कपड़े पहन कर हमारे घर आई
ही यूं ,,, 

शा लनी ने अभी नीलम के कपड़ के बारे म ऐसे बोला जब क वो खुद मेरे


सामने ा म बैठ थी और चू चय का अ धकांश ह सा दखा रही थी,,,, 
म- अरे छोड़ो ना बेबो ये सब ,,,,और चलो अब नहाते ह कतना पसीने पसीने
हो गये ह हम लोग,,,

शा लनी- आप बाहर एक बार नकल कर दे ख लो कोई आस पास म तो नह


है,,,

और मने उठकर अपनी ब नयान भी उतार द और अपने आप को े च करने


जैसे कंधे उचकाते ए म कमरे से बाहर नकल आया और चार तरफ घूम
कर दे खा कह कोई भी नह था और अब भी धूप थोड़ी तेज ही थी,,,,,,, म
कमरे म वापस आया तो मने दे खा क,,,,,

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