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!! माँ काली की आरती !!

मंगल की सेवा सनु मेरी देवा , हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सपु ारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।
जगदम्बे न कर विलम्बे, सतं न के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व रे।


चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे।।
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरूणी रूप अनपू धरे ।।


माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे |
शुक्र सख
ु दाई सदा , सहाई सतं खडे जयकार करे ।।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडे |


अटल सिहांसन बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरे ||
वार शनिचर कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे।।
शुम्भ निशुम्भ को क्षण मे मारे ,महिषासरु को पकड दले ।
आदित वारी आदि भवानी ,जन अपने को कष्ट हरे ।।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

कुपित होकर दनव मारे , चण्डमुण्ड सब चूर करे।


जब तुम देखी दया रूप हो, पल मे सकंट दूर करे।।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता ,जन की अर्ज कबूल करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे।।


सिहं पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज्य करे।
दर्शन पावे मंगल गावे ,सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे ।।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे , शिव शंकर हरी ध्यान धरे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे।।
जय जननी जय मातु भवानी , अटल भवन मे राज्य करे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै मैया काली कल्याण करे।।
मंगल की सेवा सनु मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सपु ारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।

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