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धूम्र वाराही मन्त्र

1.ववनियोगः

अस्य श्री धूम्र वाराही महामन्त्रस्य ।कालमत्ृ यु ऋष िः ।बह


ृ ती छन्त्दिः ।श्री शरुमारणरूषिणी धूम्रवाराही दे वता ।धूूँ बीजं ।हुूँ शक्तिः ।ॐ
कीलकं ।मम धूम्र वाराही प्रसाद ससद्ध्यर्थे जिे षवनियोगिः ॥

2.कर न्त्यास

1 ॐ धूूँ धूूँ मत्ृ युधूमे अङ्गुष्ठाभ्यं िमिः


2 ॐ धूूँ धूूँ कालधूमे तजजिीभ्यां िमिः
3 ॐ धूूँ धूूँ म्यमाभ्यां िमिः
4 ॐ धूम्रवाराहह अिासमकाभ्यां िमिः
5 ॐ हुूँ फट् कनिकष्िखाभ्यां िमिः
6 ॐ स्वाहा करतलकर िष्ृ ठाभ्यां िमिः
7 इनत कर न्त्यासिः

3.षडङ्ग न्त्यास

1 ॐ धूूँ धूूँ मत्ृ युधूमे हृदयाय िमिः


2 ॐ धूूँ धूूँ कालधूमे सशरसे स्वाहा
3 ॐ धूूँ धूूँ सशखायै व ट्
4 ॐ धूम्रवाराहह कवचाय हुं
5 ॐ हुूँ फट् िेररयाय वौ ट्
6 ॐ स्वाहा अस्राय फट्
7 इनत डङ्ग न्त्यासिः
भूभव
ुज स्सुवरोसमनत हदग्बन्त्धिः॥

4.ध्यािम ्

िमस्ते धूम्रवाराहह वैररप्राणािहाररणण ।


गोकण्ठसमव शाधल
ूज ो गजकण्ठं यर्थाहररिः ॥
षिब र्तं च दे वेसश आशलमाम्सं च भक्षय ।
िशूि ् ददासम ते शरून्त्वन्त्दे त्वां शरुरूषिणण ॥

5. Pañcapūjā ( पञ्चपूजा ) :-

1 लूँ - िथृ र्थव्याकत्मकायै गन्त्धं समिजयासम।


2 हूँ - आकाशाकत्मकायै िुष्िैिः िूजयासम।
3 यूँ - वाय्वाकत्मकायै धूिमाघ्राियासम।
4 रूँ - अग्न्त्याकत्मकायै दीिं दशजयासम।
5 वूँ - अमत
ृ ाकत्मकायै अमत
ृ ं महािैवेद्धयं निवेदयासम।
6 सूँ - सवाजकत्मकायै सवोिचार िज
ू ाम ् समिजयासम॥

6.जपमाला मन्त्रं

ॐ मां माले महामाये सवजमन्त्र स्वरूषिणण।


चतव
ु ग
ज ज स्त्वनयन्त्यस्त स्तस्मान्त्ये ससद्धथधदा भव॥

7.गुरु मन्त्र
ॐ ह्ीं ससद्धधगुरो प्रसीद ह्ीं ॐ

8.सप्तदसाक्षरर मन्त्र

ॐ धूूँ धूूँ मत्ृ युधूमे धूूँ धूूँ कालधूमे धूूँ धूूँ धूम्रवाराही हूूँ फट् स्वाहा ॥

9.षडङ्ग न्त्यास

1 ॐ धूूँ धूूँ मत्ृ युधूमे हृदयाय िमिः


2 ॐ धूूँ धूूँ कालधूमे सशरसे स्वाहा
3 ॐ धूूँ धूूँ सशखायै व ट्
4 ॐ धूम्रवाराहह कवचाय हुं
5 ॐ हुूँ फट् िेररयाय वौ ट्
6 ॐ स्वाहा अस्राय फट्
7 इनत डङ्ग न्त्यासिः
भूभव
ुज स्सुवरोसमनत हदकग्वमोकिः॥

10.ध्यािम ्

िमस्ते धूम्रवाराहह वैररप्राणािहाररणण ।


गोकण्ठसमव शाधल
ूज ो गजकण्ठं यर्थाहररिः ॥
षिब र्तं च दे वेसश आशलमाम्सं च भक्षय ।
िशूि ् ददासम ते शरून्त्वन्त्दे त्वां शरुरूषिणण ॥

11.पञ्चपूजा

1 लूँ - िथृ र्थव्याकत्मकायै गन्त्धं समिजयासम।


2 हूँ - आकाशाकत्मकायै िुष्िैिः िूजयासम।
3 यूँ - वाय्वाकत्मकायै धूिमाघ्राियासम।
4 रूँ - अग्न्त्याकत्मकायै दीिं दशजयासम।
5 वूँ - अमत
ृ ाकत्मकायै अमत
ृ ं महािैवेद्धयं निवेदयासम।
6 सूँ - सवाजकत्मकायै सवोिचार िज
ू ाम ् समिजयासम॥

12.समपपणम ्

गुह्यानतगुह्यगोप्त्री त्वं गह
ृ ाणास्मात्कृतं जिम ्।
ससद्धथधभजवतु मे दे षव त्वत्प्रसादान्त्मनय कस्तरा॥

13.जपािंतरं मालामन्त्रं

श्लोक॥
ॐ त्वं माले सवजदेवािां प्रीनतदा शुभदा भव।
शुभं कुरुष्य मे भद्रे यशो वीयं च दे हहमे॥

मन्त्र॥
ॐ ह्ीं ससद्ध्यै िमिः॥

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