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System Concept
System Concept
1. Organization
2. Interaction
3. Interdependence
4. Integration
5. Central objective
Organization –
सिस्टम की सबसे पहली विशे षता organization है । Organization के अं दर structure
(सं रचना) और order (क् रम) आते हैं । सिस्टम का एक सही structure और order होना
चाहिए।
Integration –
ू री विशे षता integration है । इं टीग्रेशन का अर्थ होता है दो या दो से
System की दस
अधिक components को आपस में मिलाकर एक सिस्टम बनाना।
Interaction –
ू रे के साथ
सिस्टम की तीसरी विशे षता Interaction है । यह बताता है कि component एक दस
किस तरह से मिलकर काम करते है ।
Interdependence –
सिस्टम की चौथी विशे षता interdependence है । यह बताता है कि सिस्टम के components
एक दसू रे पर किस तरह से निर्भर होते है ।
ू रे
अगर कोई component किसी काम को perform या पूरा नहीं कर पा रहा है तो सिस्टम के दस
component भी काम को पूरा नही कर पाएं गे।
Central objective –
सिस्टम का एक central objective होता है । central objective का मतलब है कि सिस्टम का
एक मु ख्य उद्दे श्य होता है और इस मु ख्य उद्दे श्य को पूरा करने के लिए सभी components कार्य
करते हैं ।
साधारण भाषा में कहे तो छोटे छोटे component आपस में मिलके एक काम को पूरा करते है ।
जिसको हम central objective कहते है ।
यानी कि system हमारे main objective को पूरा करने के लिए छोटे छोटे components या
parts की मदद ले ता है ।
Element of system -:
Output और Input –
सिस्टम का मु ख्य उद्दे श्य आउटपु ट प्रदान करना होता है जो उसके user के लिए उपयोगी
हो.
Input एक सूचना होती है जिसे सिस्टम को processing के लिए दिया जाता है .
Output प्रोसे सिंग के बाद प्राप्त हुआ परिणाम (result) होता है .
Processor –
Processor सिस्टम का एक component है जो प्रोसे सिंग की प्रक्रिया को पूरा करता
है अर्थात् यह input को output में बदलता है .
यह सिस्टम का operational component है .
Control –
Control सिस्टम को guide करता है अर्थात् यह सिस्टम का मार्गदर्शन करता है .
यह input, output और processor की कार्यविधि को control (नियं त्रित) करता है .
Feedback –
यह system को फीडबै क प्रदान करता है .
positive feedback सिस्टम की performance को प्रोत्साहित (encourage) करता है .
Negative feedback सिस्टम को information (सूचना) प्रदान करता है . इस सूचना के
आधार पर system को बे हतर बनाया जाता है .
Environment –
environment एक “supersystem” होता है जिसके अं दर organization कार्य करती है .
यह बाहरी elements का एक source (स्रोत) होता है .
यह निर्धारित करता है कि सिस्टम को को कैसे कार्य करना चाहिए.
Boundaries and Interface –
एक सिस्टम को उसकी boundaries (सीमाओं) के द्वारा अवश्य define किया जाना
चाहिए.
प्रत्ये क system के पास boundaries होती है जो उसके प्रभाव और नियन्त्रण के क्षे तर्
को निर्धारित करती हैं .
Types of system -:
Physical and Abstract System in Hindi
Physical system वह सिस्टम होता है जिनका nature (प्रकृति) tangible होता
है । Tangible का मतलब होता है जिन चीज़ो को हम छू सकते है और महसूस कर सकते
हैं ।
आसान शब्दों में कहें तो, “वह सिस्टम जिसे हम touch कर सकते है और महसूस कर
सकते हैं उसे Physical system कहते हैं ।”
फिजिकल सिस्टम dynamic और static दोनों तरह के होते हैं । Dynamic का मतलब
होता है जो अपने आपको change कर ले और static का अर्थ है जो change नही होता।
फिजिकल सिस्टम के उदाहरण हैं – chair (कुर्सी), desk (मे ज) और computer. ये सभी
tangible है । आप इनको दे ख और छू सकते है ।
इसमें कुर्सी और मे ज static है और कंप्यूटर के अं दर जो programs होते हैं वे dynamic
होते हैं क्योंकि वे user के हिसाब से change होते रहते हैं ।
Abstract system एक non-physical सिस्टम होता है अर्थात हम इसे ना तो touch कर
सकते है ना ही महसूस कर सकते हैं ।
Open system यूजर की जरूरत के अनु सार अपने आपको change कर ले ते है । इसके
अलावा open system इनपु ट को receive करते है और आउटपु ट को deliver करते है ।
यानी यह command के अनु सार काम करते है ।
इसको एक example की मदद से समझते है । मान लीजिए एक software
development कंपनी है । जो software को बनाती है । अब user वहाँ पर जाकर अपनी
जरूरत के हिसाब से software को बनवा सकता है । कंपनी उस user को software
बनाकर दे गी। ये user कंपनी में काम नहीं करता। फिर भी कंपनी ने उस user को काम
करके दिया। कहने का मतलब यह है की open system बाहरी environment के साथ
interact हो जाते है ।
Isolate रहने के कारण Closed system असल दुनिया में पाया नहीं जाता है । यह केवल
एक concept है ।
Natural and Manufactured system in Hindi
Natural system वह सिस्टम होता है जिसे nature (प्रकृति) के द्वारा बनाया जाता है । यानी ये
सिस्टम nature के दवारा बनाये जाते है । इस सिस्टम में किसी human being (इं सान) की
ज़रूरत नहीं पड़ती।
इसमें सारा प्रोसे स natural यानी nature के द्वारा होता है । इसका सबसे अच्छा example है
solar system और season .
2. Feasibility study-:
Feasibility study, सिस्टम डवलपमे न्ट लाइफ साइकिल (sdlc)का दस ू रा महत्वपूर्ण
चरण है । इसका मु ख्य कार्य यह है कि किसी भी प्रोजे क्ट को पूरा करने के लिए किस
प्रकार के वातावरण की आवश्यकता होगी, उस प्रोजे क्ट को बनाने में काम आने
वाले स्त्रोतो का पता लगाना है । feasibility study का मु ख्य कार्य किसी भी
समस्या को सु लझाना ही नही बल्कि सिस्टम के लिए उस लक्ष्य को प्राप्त करना है ।
जिससे उस सिस्टम का आगे अच्छा स्कोप हो सके । इसके लिए feasibility
study को तीन भागो मे वर्गीकृत किया जाता है ।
1. Technical feasibility study ( in hindi)
3:- Analysis:- planning phase में problems को define किया जाता है तथा analysis
phase में उन problems को अधिक details के साथ examine किया जाता है ।
analysis phase में यूजर की requirements को दे खा जाता है , कि End users की क्या क्या
जरूरतें है । इस phase में सिस्टम के हार्डवे यर और सॉफ्टवे यर को अच्छी तरह से study किया
जाता है । इसमें end users तथा designers दोनों मिलके problem areas को हल करते है ।
Ch-2
कॉस्ट-बेनेफिट एनालिसिस क्या होता है ?
कॉस्ट-बे नेफिट एनालिसिस (Cost Benefit Analysis) एक प्रणालीगत प्रक्रिया होती
है जिसे व्यावसायिक घराने इसका विश्ले षण करने के लिए उपयोग में लाते हैं कि कौन से
फैसले करने हैं और कौन से छोड़ दे ने हैं । कॉस्ट-बे नेफिट एनालिसिस किसी स्थिति या कदम
से अपे क्षित सं भावित नतीजों का सं क्षिप्त विवरण प्रस्तु त करता है और फिर उस कदम को
उठाने से सं बंधित कुल लागत को घटा दे ता है । कुछ परामर्शदाता या विश्ले षक किसी खास
शहर में रहने से सं बंधित लाभें और लागतों जै सी अमूर्त वस्तु ओं पर डॉलर मूल्य निर्धारित
करने के लिए मॉडलों का निर्माण भी करते हैं । सीबीए में किसी प्रॉजे क्ट को आगे बढ़ाने के
निर्णय के परिणामस्वरूप अर्जित राजस्व या बचत की गई लागत जै से मापयोग्य वित्तीय
मे ट्रिक्स शामिल होते हैं । एक सीबीए में कर्मचारी के मनोबल और ग्राहक सं तुष्टि जै से
निर्णयों से अमूर्त लाभ और लागत या प्रभाव भी शामिल हो सकता है ।
Data flow diagram (DFD) in hindi:-
data flow diagram इनफार्मे शन सिस्टम से गु जरने वाले डे टा के flow का एक ग्राफिकल
प्रस्तु तीकरण है .
जै सा कि इसके नाम से पता चल रहा है यह केवल डे टा (सूचना) के फ्लो, डे टा कहाँ से आया, यह
कहाँ जाये गा, तथा यह कैसे स्टोर होगा इस पर केन्द्रित होता है .
DFD components:-
System Testing-:
System Testing एक प्रकार की टे स्टिं ग तकनीक है जिसमें पूरे system को test किया जाता है .
सिस्टम टे स्टिं ग में software requirement specification (SRS) के आधार पर पूरे software
product के behavior (स्वभाव) को check किया जाता है .
इस टे स्टिं ग का मु ख्य उद्दे श्य Business और end user की जरूरतों को evaluate (मूल्यां कित)
करना होता है .
किसी भी कंप्यूटर की सु रक्षा सबसे बड़ी जिम्मे वारी होती है । इसका अर्थ हुआ कि ऑपरे टिंग सिस्टम के
इं टीग्रिटी और confidentiality को सु निश्चित करने की प्रक्रिया। एक सिस्टम को सिक्योर यानी
सु रक्षित तभी कहा जा सकता है जब उसके सारे सं साधनों का प्रयोग किसी भी स्थिति में इक्षित रूप से
किया जा सके। ले किन कोई भी सिस्टम पूरी तरह से सु रक्षित होने की गारं टी नहीं दे सकता क्यों बहुत सारे
ऐसे वायरस, थ्रेट और बाहरी एक्से स के प्रयाद होते हैं । किसी भी सिस्टम की सु रक्षा को इन दो तरीकों से
ठे स पहुंचाई जा सकती है :
Threat:एक प्रोग्राम जिसके पास सिस्टम को खराब करने की क्षमता मौजूद होती है ।
Attack:सु रक्षा घे रा को तोड़ने का प्रयास और सं साधनों का बिना अनु मति एक्से स करना।
इस से सिस्टम में कोई भी पीछे से घु स सकता है । Accidental Threats से सु रक्षित रहने कि प्रक्रिया
तु लनात्मक रूप से आसान है । जै से, DDoS अटै क।