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आधे प्राप्त हुई है , पहली श्री अमर जै न सदस्य द्वारा शिक्षादिकारी ,बिहार के
विरुध्द व श्रीमती ऋषिका वर्मा द्वारा चिकित्सा अधिकारी , छत्तीसगढ़
के विरुध्द .........| मे ने उक्त सोचनाओ को सदन की नियमावली के नियम १६९ के
आधीन परीक्षणों उपरांत जाँच अनु संधान एव प्रतिवे दन हे तु विशिष्ठ अधिकार
समिति को सोंप दिया है |
Sabhapati सु शर् ी अनन्य जी के माध्यम से नियमावली के नियम २६७ (क) के आधीन
शु न्य कल की सु चना पढें गी |
Ananya
SABHAPATI महिला एवं बल विकास मं तर् ी श्री श्रेयषी जी अपना उत्तर दें गी .
SHREYASHI माननीय अध्यक्ष महोदय मैं सदन के पटल के माध्यम से माननीय विपक्ष को
बताना चाहती हं ू कि ऐसा कहना सर्वथा अनु चित होगा कि भारत की सं वैधानिक
व्यवस्था में नारियों को शामिल करने में सरकार सक्षम नहीं है । हमारी सरकार
प्रारं भ से ही लिं ग के आधार पर भे दभाव के सर्वथा विपक्ष में रही है । अगर ऐसा
नहीं होता तो सदन के प्रमु ख के आदरणीय के पद पर एक महिला आसीन नहीं
होती। अरे हमने तो वित्त से ले कर रक्षा विभाग तक महिलाओं के हाथ में दे कर
नारी शक्ति में अपने विश्वास को जनता के समक्ष साबित किया है । हमारी
चु नावी मे निफेस्टो का प्रमु ख मु द्दा जनसा जनता से था कि हम लिं ग न्याय की
पूर्णतया स्थापित करें गे और हमने उस दिशा में प्रयत्न काफी मु स्तै दी से शु रू कर
दिया है एवं परिणाम आपके सामने हैं आप दे ख सकते हैं कि सदन में उपस्थित
सदस्यों में बहुमत हमारी नारी शक्ति का ही है
SABHAPATI श्री दिशा मिश्रा जी अपना प्रश्न वित्त मं तर् ी से पोछेंगी
DISHA MISHRA माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मु झे इस बात पर जरा भी सं देह नहीं है कि इस
सरकार ने महं गाई सं तुलित करने हे तु व भ्रष्टाचार पर लगान लगाने के लिए
विगत वषोँ मे ठोस कदम उठाए और उन्होंने इस कार्य मे अपना एड़ी चोंटी का
जोर भी लगाया. Demonetisation इसका एक प्रत्याश उदाहरण है . ऐसे
अने क उदाहरण है जै से MSME के वो वादे , जनता की जे बों मे 3 3 लाख रुपये
जाने के वो वादे जो निरर्थक साबित हुए. Demonetization जिसके द्वारा
भ्रष्टाचार को नियं त्रित करने का आश्वासन दिया गया था उसका परिणाम
विपरित ही पाया गया. भ्रष्टाचार को प्रत्याश और अप्रत्यक्ष रूप से कानूनी
स्वीकृति दे दी गई और inflation की हालत बत्त से बदत्तर दिखाई दे रही है .
महँ गाई आसमान छू रही है एवं नागरिकों की मूल-भूत आवश्यकताओं पर कर
लगाए जा रहे हैं I जो इतिहास का पहला प्रकरण माना जा सकता है I वह
दिन दरू नहीं जब हम भी श्री लं का जै से दे शों की श्रेणी में आऐंगे I मैं अपनी
सरकार से यह जानना चाहती हँ ू कि जब यह सारे निर्णय सरकार द्वारा ही लिए
गए थे , जिसमे जनता की सहमती सं गलित नहीं थी तो क्या यह प्रजातं तर् का
परिचय है या ??
SABHAPATI वित्त मं तर् ी श्री चारु जी ,आपको आपका जवाब दे ने की अनु मति है
माननीय _मैं सदन के माध्यम से सरकार का असम के बाढ़ पीड़ितों की तरफ sarkar का
ध्यान आकर्षित karna चाहता हूं |मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि कितना फर्क
पड़ता है | जम्मू या कश्मीर में आतंकवाद की घटना होती है या अरुणाचल प्रदे श में कोई
हलचल होती है तो हम पड़ोसियों को दोष दे ने लगते हैं| असम के बाढ़ को हम प्राकृतिक
आपदा का नाम लेकर सहानुभूति भर जता कर रह जाते हैं। मुंबई की बाढ़ पर या दिल्ली
में होने वाले ट्रै फिक जाम पर सारे टीवी चैनल 15 मिनट तक कार्यक्रम बना सकते हैं
लेकिन असम की बाढ़ से जन और धन की इतनी अधिक हानि होने के बाद भी सिर्फ 2
मिनट की औपचारिकता परू ी कर दी जाती है क्या वहां के लोग अपने आपको बाकी
हिंदस्
ु तानियों से अलग नहीं समझेंगे
इंसान तिनका तिनका करके अपना आशियाना बनाता है और एक बार उसके उसका घर
छीन ले जाती है तो फिर उसके पास क्या बचेगा पता नहीं वह नेता लोग रात को कैसे सो
पाते हैं जो इस बारे में कुछ कर तो सकते हैं पर खाते नहीं आखिर क्यों हमें कितना फर्क
पड़ता है
दे श के एक हिस्से में जुलाई के माह में बाढ़ आई हुई थी लोग अपने जीवन जीने का संघर्ष
कर रहे थे और दस
ू रे हिस्से में पॉलिटिकल संकट गहराया था
मैं ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि
क्या किसी को सच में कोई फर्क पड़ता है ?
SABHAPATI गह
ृ मंत्री विराट जी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उत्तर दें गे |
VIRAT SHARMA माननीय अध्यक्ष जी माननीय मैं आपके माध्यम से अपने मित्र को और सदन
को यह सूचित करना चाहता हूं कि असम में तिब्बत से आने वाली नदियों से
हर वर्ष बाढ़ आती है और इससे जन और धन की हानि होती है ।
2 साल पहले असम में बाढ़ का प्रचंड रूप यह था कि नदी का पानी काजीरं गा
नेशनल पार्क में भी घुस गया था जिससे कई rhynos की मत्ृ यु हो गई और
बहुत पालतू पशुओं की मत्ृ यु से नुकसान हो गया।
● इसके लिए इसके लिए इसके लिए जो भी हमारे पड़ोसी दे शों से ब्रह्मपुत्र
नदी वह कर आती है उनके साथ मिलकर बांध बनाए जाने हे तु प्रस्ताव
रखे गए हैं जिससे कि बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सके।
SABHAPATI निर्वाचित क्षैत्र क्रमांक १६७ झाँसी की सदस्य सुश्री सरगम जी की ओर से सदन
की नियमावली के नियम २७७ (1) के आधीन आवेदन प्राप्त हुआ है जिसमे
उन्होंने उनके परिवार में अकार्मिक निधन के कारण अवकाश हितु प्रार्थना पात्र
प्रस्तुत किया है वर्त्तमान सत्र की सभा में अनुपस्थित रहने की आज्ञा चाही है
SABHAPTI Those who are in the favour of the bill say eyes