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गणेश चतथ ु ीची

ऩज
ू ा कयण्माची
ऩद्धत
Ganesh Chaturthi Puja vidhi in Marathi

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1. आवाहन एवं प्रततष्ठाऩन (Avahana and
Pratishthapan)
• आवाहन (Avahana)

ऩज
ू ेची वरु
ु लात गणऩतीच्मा आलाशनाऩावन

व्शामरा शली, भत
ू ीवभोय भंत्राचा जऩ कयाला,
अव्शान भद्र
ु ा दाखलन
ू (दोन्शी शाताचे तऱले जोडून
आणण दोन्शी अंगठे आतन
ू दभ
ु डून आव्शाण भद्र
ु ा
तमाय शोते).
“शे शे यम्फ त्लभेह्मेहश ह्मम्म्फकात्र्मम्फकात्भज।
सवद्धि-फद्धु ि ऩते त्र्मष रषराब द्धऩत्ु द्धऩत्।।
नागस्मं नागशायं त्लां गणयाजं चतब
ु ज
ु भ ्।
बद्धू ऴतं स्लामध
ु ौदव्मय् ऩाळांकुळऩयश्लधय्।।
आलाह्मासभ ऩज
ू ाथं यषाथं च भभ ् कृतो्।
इशागत्म गश
ृ ाण त्लं ऩज
ू ां मागं च यष भे।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
आवाहमासभ-स्थाऩमासभ।।”

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• प्रततष्ठाऩन (Pratishthapan)
गणऩतीचे आलाशन केल्मानंतय, भंत्राचा जऩ
कयताना गणऩतीरा भत
ू ीभध्मे फवला.
“अस्मय प्राण् प्रततष्ठन्तु अस्मय प्राणाषयन्तु च।
अस्मय दे लत्लभचाुमय भाभशे तत च कश्चन।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
िप्र
ु ततष्ठो वयदो बव॥”

2. आिन (Asana)
गणऩतीचे आलाशन केल्मानंतय आणण त्माची
प्रततष्ठाऩना झाल्मानंतय, अंजरीभध्मे ऩाच पुरे
घ्मा (दोन्शी शाताच्मा तऱशातारा जोडून) आणण
भंत्राचा जऩ कयताना श्री गणेळारा आवन
दे ण्मावाठी भूतीवभोय ठे ला.
“द्धलचचत्रयत्नखचचतं हदव्मास्तयणवंमुतभ ्।
स्लणु सवंशावनं चारु गश
ृ ाण गुशाग्रज।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
आिनं िभऩपमासभ॥”
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3. ऩाद्म (Padya)

गणऩतीरा आवन हदल्मानंतय, भंत्राचा जऩ


कयताना ऩाम धुण्मावाठी त्मारा ऩाणी अऩुण कया.
“ॐ वलुतीथुवभुद्भत
ू ं ऩाद्मं गन्धाहदसबमत
ु भ ्।
गजानन गश
ृ ाणेदं बगलान बक्तलत्वर्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
ऩादमोः ऩाद्मं िभऩपमासभ।”

4. अर्घमप (Arghya)

गणऩतीरा ऩाडमा अऩुण केल्मानंतय, भंत्राचा जऩ


कयताना गणऩतीरा वुगंधी ऩाणी अऩुण कया.
“ॐ गणाध्मष नभस्तेऽस्तु गश
ृ ाण करुणा कय।
अघ्मं च पर वंमुक्तं गन्धभाल्माषतयमत
ु भ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
हस्तोयमं िभऩपमासभ।”

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5. आचभन (Achamana)
अघ्मु अऩुण केल्मानंतय, भंत्राचा जऩ कयताना
गणऩतीरा आचभन कयण्मावाठी ऩाणी अऩुण कया.
“द्धलघ्नयाज नभस्तभ्
ु मं त्रत्रदळययसबलम्न्दत।
गङ्गोदकेन दे लेळ कुरुष्लाचभनं प्रबो।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
भख
ु े आचभनीमं िभऩपमासभ।।”

6. स्नान भन्त्र (Snana Mantra)


• स्नान (Snana)

आचभनानंतय भंत्राचा जऩ कयताना श्री गणेळारा


स्नानावाठी ऩाणी अऩुण कया.
“नभुदा चन्द्रबागाहद गङ्गावङ्गवजयजर
ु य्।
स्नातन तोसव भमा दे ल द्धलघ्नवघं तनलायम।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
िवापङ्ग स्नानं िभऩपमासभ।।”

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• ऩञ्चाभत
ृ स्नानभ ् (Panchamrita
Snanam)

स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता श्री


गणेळारा ऩंचाभत
ृ (दध
ू , दशी, भध, तूऩ आणण
वाखय मांचे सभश्रण) वश स्नान कया.
“ऩञ्चाभत
ृ ं भमाऽऽनीतं ऩमोदचध, घत
ृ ं भध।ु
ळकुया च वभामुक्तं स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

• ऩमः/दध
ू स्नानभ ् (Payah/Dugdha
Snanam)

ऩंचाभत
ृ स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता
श्री गणेळारा ऩमा (दध
ू ) वश स्नान कया.
“काभधेनुवभुद्भत
ू ं वलेऴां जीलनं ऩयभ ्।
तेज् ऩुम्ष्िकयं हदव्मं स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

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• दधध स्नानभ ् (Dadhi Snanam)

दग्ु ध स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता


श्री गणेळारा दशी घारन
ू स्नान कया.

“ऩमवस्तु वभद्भ
ु त ू ं भधयु ाम्रं ळसळप्रबभ ्।
दध्मानीतं भमादे ल स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

• घत
ृ स्नानभ ् (Ghrita nanam)

दधी स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता


श्री गणेळारा तऩ
ू ाने स्नान कया.

“नलनीत वभत्ु ऩन्नं वलुवंतोऴकायकभ ्।


घत
ृ ं तभ्
ु मं प्रदास्मासभ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

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• भधु स्नानभ ् (Madhu Snanam)

घत
ृ स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता श्री
गणेळारा भधाने स्नान कया.

“ऩष्ु ऩये णव
ु भद्भ
ु त ू ं वस्
ु लाद ु भधयु ं भध।ु
तेज् ऩम्ु ष्िकयं हदव्मं स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

• शकपया स्नानभ ् (Sharkara nanam)

भधु स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता श्री


गणेळारा वाखये ने स्नान कया.

“इषुवायवभद्भ
ु त ू ं ळकुया ऩम्ु ष्ि दा ळुबा।
भराऩशारयका हदव्मा स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

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• िव
ु ासित स्नानभ ् (Suvasita Snanam)

ळकुया स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना आता


श्री गणेळारा वग
ु ंधी तेराने स्नान कया.

“चम्ऩाकाळेकफकुर भारती भोगयाहदसब्।


लासवतं म्स्नग्धताशे तु तयरं चारु प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”

• शुद्धोदक स्नानभ ् (Shuddhodaka


Snanam)

वुलासवता स्नानाभ नंतय, भंत्राचा जऩ कयताना


आता श्री गणेळारा ळुि ऩाण्माने (गंगाजर) स्नान
कया.

“गङ्गा च मभुना चयल गोदालयी वयस्लती।


नभुदा सवन्धु् कालेयी स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।”
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7. वस्र व उत्तयीम िभऩपण (Vastra and
Uttariya Samarpan)
• वस्र िभऩपण (Vastra Samarpan)
आता भंत्राचा जऩ कयताना भोरी (भोरी) नलीन
कऩडे म्शणून गणऩतीरा अऩुण कया.
“ळीतलातोष्ण वन्त्राणं रजामा यषणं ऩयभ।
दे शारंकयणं लस्त्रभत् ळाम्न्त प्रमच्छ भे।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
वस्रं िभऩपमासभ।”

• उत्तयीम िभऩपण (Uttariya Samarpan)


लस्त्र वभऩुणानंतय, आता भंत्राचा जऩ कयताना
गणऩतीरा ळयीयाच्मा लयच्मा बागांवाठी कऩडे
अऩुण कया.
“उत्तयीमँ तथा दे ल नाना चचत्रत्रतभुत्तभभ ्।
गश
ृ ाणेद्रं भमा बक्तमा दत्तं तत ् वपरी कुरु।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
उत्तयीम िभऩपमासभ॥”
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8. मज्ञोऩवीत (Yajnopavita)

लस्त्र अऩुण केल्मानंतय भंत्राचा जऩ कयताना


गणऩतीरा मसोऩद्धलता अऩुण कया.
“नलसबस्तन्तसु बमक्
ु तं त्रत्रगुणं दे लताभमभ ्।
उऩलीतं भमादत्तं गश
ृ ाण ऩयभेश्लय।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
मज्ञोऩवीतं िभऩपमासभ।।”

9. गन्त्ध (Gandha)

मसोऩद्धलता अऩुण केल्मानंतय भंत्राचा जऩ कयताना


गणऩतीरा वुगंध अऩुण कया.
“श्री खण्ड चन्दन हदव्मं गन्धाढमं वुभनोशयभ ्।
द्धलरेऩणं वुयश्रेष्ठ चन्दनं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
गन्त्धं िभऩपमासभ॥”

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10. अक्षत (Akshata)
गंध अऩुण केल्मानंतय, भंत्राचा जऩ कयताना
गणऩतीरा अषता (अखंड तांदऱ
ू ) अऩुण कया.
“अषताश्च वयु श्रेष्ठ कंु कुभारा् वळ
ु ोसबता्।
भमा तनलेहदता बक्तमा गश
ृ ाण ऩयभेश्लय।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
अक्षतान ् िभऩपमासभ॥”

11. ऩुष्ऩ भारा, शभी ऩर, दव


ु ापङ्कुय, सिन्त्दयू
(Pushpa Mala, Shami Patra,
Durvankura, Sindoor)
• ऩुष्ऩ भारा (Pushpa Mala)
आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा पुरांनी
फनलरेरी भारा अऩुण कया.
“भाल्मादीतन वुगन्धीतन भाल्मादीतनलय प्रबु्।
भमा हृतातन ऩुष्ऩाणण गह्
ृ मन्तां ऩूजनाम बो्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
ऩुष्ऩभारं िभऩपमासभ।”
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• शभी ऩर (Shami Patra)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा ळभी ऩत्र


अऩुण कया.
“त्लम्त्प्रमाणण वऩ
ु ष्ु ऩाणण कोभरातन ळुबातन लय।
ळभीदरातन शे यम्फ गश
ृ ाण गणनामक।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
शभी ऩराणण िभऩपमासभ।”

• दव
ु ापङ्कुय (Durvankur)

आता भंत्राचा जऩ कयत अवताना गणऩतीरा तीन


ककंला ऩाच ऩत्रकांवश दल
ु ाु अऩुण कया.
“दल
ु ाुकयान ् वुशरयतानभत
ृ ान ् भङ्गर प्रदान ्।
आनीतांस्तल ऩूजाथु गश
ृ ाण गणनामक।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
दव
ु ापङ्कुयान ् िभऩपमासभ।।”

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• (Sindoor) सिन्त्दयू

आता भंत्राचा जऩ कयताना हिऱकांवाठी गणऩतीरा


सवंदयू अऩुण कया.
“सवन्दयू ळोबनं यक्तं वौबाग्मं वख
ु लधुनभ ्।
ळुबदं काभदं चयल सवन्दयू ं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
सिन्त्दयू िभऩपमासभ।”

12. धूऩं (Dhupam)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा धूऩ अऩुण


कया.
“लनस्ऩततयवोद्भत
ू ो गन्धाढमो गन्ध् उत्तभ्।
आ म् वलु दे लानां धूऩोऽमं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
धूऩभाघ्राऩमासभ िभऩपमासभ।”

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13. दीऩं (Deepam)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा दीऩ अऩुण


कया.

“वाज्मं चलततुवंमुक्तं लम्ह्नना मोम्जतं भमा।


दीऩं गश
ृ ाण दे लेळ त्रयरोक्मततसभया ऩशभ ्।।
बक्त्मा दीऩं प्रमच्छासभ दे लाम ऩयभात्भने।
त्राहशभां तनयमाद् घोयाद्दीऩज्मोततनुभोऽस्तुत।े ।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
दीऩं दशपमासभ।”

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14. नैवेद्म एवं कयोद्वतपन (Naivedya and
Karodvartan)

• नैवेद्म तनवेदन (Naivedya Nivedan)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा नयलेद्म


अऩुण कया.

“नयलेद्मं गह्
ृ मतां दे ल बम्क्त भे ह्मचरां कुरु।
ईम्सवतं भे लयं दे हश ऩयत्र च ऩयां गततभ ्।।
ळकुया खण्ड खाद्मातन दचध षीय घत
ृ ातन च।
आशायं बक्ष्म बोज्मं च नयलेद्मं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
नैवेद्मं भोदकभमऋतुपरातन च िभऩपमासभ।।”

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• चन्त्दन कयोद्वतपन (Chandan
Karodvartan)

नयलेद्म अऩुण केल्मानंतय, भंत्राचा जऩ कयताना


चंदन ऩाण्मात सभवऱून गणऩतीरा अऩुण कया.

“चन्दनं भरमोद्भत
ू ं कस्तम
ू ाुहद वभम्न्लतभ ्।
कयोद्लतुनकं दे ल गश
ृ ाण ऩयभेश्लय।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
चन्त्दनेन कयोद्वतपनं िभऩपमासभ।।”

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15. ताम्फूर, नारयकेर एवं दक्षक्षणा िभऩपण
(Tambula, Narikela and Dakshina
Samarpan)

• ताम्फूर िभऩपण (Tambula Samarpan)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा तांफुरा


(वुऩायीवश ऩान) अऩुण कया.

“ॐ ऩूगीपरं भशाहदव्मं नागलल्रीदरयमत


ु भ ्।
एरा चूणाुहदवंमुक्तं ताम्फूरं प्रततगह्
ृ मताभ ्।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
भुख वािाथपभेरा ऩूगी पराहद िहहतं ताम्फूर
िभऩपमासभ।।”

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• नारयकेर िभऩपण (Narikela Samarpan)

आता भंत्राचा जऩ कयताना बगलान गणेळारा


नरयकेरा (नायऱ) अऩुण कया.
“इदं परं भमादे ल स्थाद्धऩतं ऩयु तस्तल।
तेन भे वपरालाम्सतबुलेजन्भतन जन्भतन।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
नारयकेर परं िभऩपमासभ।।”

• दक्षक्षणा िभऩपण (Dakshina Samarpan)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा दक्षषणा


(बेि) अऩुण कया.
“हशयण्मगबुगबुस्थं शे भ फीजं द्धलबालवो्।
अनन्त ऩुण्म परदभत् ळाम्न्तं प्रमच्छ भे।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
द्रव्मं दक्षक्षणां िभऩपमासभ।।”

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16. नीयाजन एवं द्धविजपन (Neerajan and
Visarjan)

• नीयाजन/आयती (Neerajan/Aarti)

तांफुरा अऩुण आणण दक्षषणा वभऩुणानंतय भंत्राचा


जऩ केल्मानंतय गणऩतीची आयती कया.

“कदरी गबु वम्बूतं कऩयूु ं तु प्रदीद्धऩतभ ्।


आयाततुकभशं कुले ऩश्म भे लयदो बल।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
कऩयूप नीयाजनं िभऩपमासभ।”

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• ऩष्ु ऩाञ्जसर (Pushpanjali)

आता भंत्राचा जऩ कयताना गणऩतीरा ऩष्ु ऩांजरी


अऩुण कया.
“नानावग
ु म्न्ध ऩष्ु ऩाणण मथा कारोद्भलातन च।
ऩष्ु ऩाञ्जसरभुमा दत्तो गश
ृ ाण ऩयभेश्लय।।
ॐ सिद्धद्ध-फद्धु द्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
भन्त्र ऩष्ु ऩाञ्जसर िभऩपमासभ।।”

• प्रदक्षक्षणा (Pradakshina)

आता भंत्राचा जऩ कयताना पुरांनी प्रतीकात्भक


प्रदक्षषणा (श्री गणेळाच्मा डालीकडून उजलीकडे
प्रदक्षषणा) अऩुण कया.
“मातन कातन च ऩाऩातन सातासात कृतातन च।
तातन वलाुणण नश्मम्न्त प्रदक्षषणा ऩदे ऩदे ।।
ॐ सिद्धद्ध-फुद्धद्ध िहहताम श्री भहागणाधधऩतमे नभः।
प्रदक्षक्षणां िभऩपमासभ।”

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• द्धविजपन (Visarjan)

आता भंत्राचा जऩ कयताना द्धलवजुनावश श्री गणेळ


ऩूजेची वांगता कया.

“आलाशनं न जानासभ न जानासभ तलाचुनभ ्।


ऩूजां चयल न जानासभ षभस्ल गणेश्लय।।
अन्मथा ळयणं नाम्स्त त्लभेल ळयणं भभ ्।
तस्भात्कारुण्म बालेन यषस्ल द्धलघ्नेश्लय।।
गतं ऩाऩं गतं दख
ु ं गतं दारयद्रम भेल च।
आगता वुख वम्ऩम्त्त् ऩुण्माच्च तल दळुनात ्।।
भन्त्रशीनं किमाशीनं बम्क्तशीनं वुयेश्लय।
मत्ऩूम्जतं भमा दे ल ऩरयऩूणं तदस्तु भे।।
मदषयऩद भ्रष्िं भात्राशीनं च मद्भलेत ्।
तत्वलु षम्मतां दे ल प्रवीद ऩयभेश्लय।।”

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