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First Published by WINGS PUBLICATION 2022


Copyright © अंकुश पारे 2022

Title: हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य


All Rights Reserved.
ISBN 978-93-90661-27-5

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ह पुस्तक उन सभी लोगों को समर्पि त है जिन्हे हकलाहट है, पर मन
में एक जिद है कि वह उसे ठीक करने वाले है।

यह पुस्तक समर्पि त है मर
े े सभी क्लाइं ट, फोलोवर, टीम मेंबर के लिए
जिन्होंने मुझ पर भरोसा रखा की मै उन्हे मदद कर सकता हू।

यह पुस्तक समर्पि त है मर
े े घरवालों को जिन्होंने हमेशा मुझे प्रेरणा दी
और हर समय जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
ñdrH$¥{V
पु स्तक लिखते समय बहुत लोगों ने मुझे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में
मदद की और मै उन सबका धन्यवाद करना चाहूँगा:

गजानन पारे, सविता पार,े श्त


वे ा देशपांड,े प्रिया पावडे, अंजली पारे,
प्रदीप पावडे, ओजस्वी पावड,े नह
े ा राऊत, दीपक परबत, कैलाश पिं जानी,
अभिषेक जोशी, ईप्सिता दास, नबजित मुजम
ु दार, रसिका नाचने, हिरल
पारख
े , विशाल विकानी, राजेश बर
े वाल, सोहम देशपांड,े केयूर नाकरानी,
रविकांत गुप्ता, सैकत अधुरया, अद्वैत जोशी, अनिकेत काळे , विशाखा
मानकर, तस्मिया शैख, रजींदर सोनी, दीपश
े हरगुड,े सौरभ सिं घ, आकाश
सुथार।
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प्रस्तावना
लेखक के बारे में

सेक्शन १ : सही स्ट्रै टिजी .......................................................................1


चप्ट
ै र १ : हकलाहट क्या होती है? ................................................................. 4
• जब आपका जन्म होता है
• आपकी भाषा
• रिसर्च क्या कहता है?
• हकलाहट की शुरुवात कैसे हुई?
• हकलाहट क्या है?
• हकलाहट शरीर में कहा होती है?
• सारांश

चप्ट
ै र २ : जानिए आपकी असली समस्या क्या है (रूट कॉज़)..........15
• जानिए अपने आपको
• रूट कॉज़ = anxiety / nervousness
• रूट कॉज़ = n
 ot able to face problem / less
experience with speaking
• रूट कॉज़ = mouth opening / your mouth is not
opening effectively
• रूट कॉज़ = speed of speaking is fast / excitement
• रूट कॉज़ = tongue vibration issue / tongue is not
flexible while speaking
• रूट कॉज़ = breathing flow issue
• रूट कॉज़ = word hiding / fillers / use unnecessary
words
• रूट कॉज़ = body is not free while speaking
• रूट कॉज़ = your self-image is not confident / not
worthy / compare self with other
• रूट कॉज़ = fumbling issue
• रूट कॉज़ = tongue location is not correct
• रूट कॉज़ = you drink less water
• रूट कॉज़ = you are speaking by holding air in
stomach
• शब्दों में दिक्कत
• कठिन शब्दों का विश्लेषण

चप्ट
ै र ३ : हकलाहट दरू करने की स्ट्रै टिजी और प्लैनिंग ................. 28
• अपने आप से कुछ सवाल पूछे
• अपने बिलीफ को चेंज कैसे कर?े
• अपने समय का सही इस्तेमाल
• अपनी डायरी लिखे
• अपने कामों को visualize करे
• अपने टारगट
े को सट
े करे
• पॉप मेथड
• छोटे गोल्स vs बडे गोल्स

चप्ट
ै र ४ : अपने आप को एक पत्र लिखना ...........................................49

चप्ट
ै र ५ : आपकी सक्सेस चेकलिस्ट ..................................................... 52
• फेसबुक ग्प
रु
• अपने सक्स
से के लिए एक सहयोगी
• आपका daily schedule
• भूलो और याद दिलाओ
सेक्शन २ : सही प्रैक्टिस ................................................................. 55
चप्ट
ै र ६ : सांस ले ना और बोलना (क्या है इसका कनेक्शन?).......57
• ब्रीदिं ग का महत्त्व
• ब्रीदिं ग और माइन्ड्सेट
• ब्रीदिं ग सही से कैसे कर?े
• बोलते समय कैसे ब्रीदिं ग करनी चाहिए?
• ब्रीदिं ग फार्मूला (X:X, X:2X, X:4X:2X)
• घबराहट को २ सक
े ं ड में कैसे हटाए?
• ब्रीदिं ग और फोकस
• आपको ब्रीदिं ग का ज्यादा ही प्रॉब्लेम हो तो क्या करे?
• मेरे कुछ सुझाव
• आपके टास्क

चप्ट
ै र ७: बोलने का सही तरीका ................................................................75
• लोग कैसे सोचते और बोलते है
• पब्लिक स्पीकर कैसे सोचते और बोलते है
• जिसको हकलाहट है वो कैसे सोचते और बोलते है
• ईफेक्टिव स्पीकर कैसे बन?े
• मेरे कुछ सुझाव
• आपके टास्क

चप्ट
ै र ८ : बॉडी लैं ग्ज
वे और हकलाहट .................................................... 82
• बॉडी लैं ग्वेज सरल भाषा में
• बॉडी लैं ग्वेज में क्या क्या आता है?
• बॉडी लैं ग्वेज से हकलाहट कैसे दूर कर?े
• आपका रूट कॉज़ अगर बॉडी लैं ग्वेज है तो…
• मुस्कु राने के जबरदस्त फायदे
• चेहरे के इक्स्श
प्रे न
• मुह
ं का खोलना
• हाथो का इस्तेमाल अच्छी तरह से कैसे करे
• आँखों का इस्तेमाल
• शरीर मुद्रा
• कान्फिडन्स बढ़ाए २ मिनट में
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क

चप्ट
ै र ९ : आवाज और शब्द ........................................................................98
• आवाज क्या होती है?
• हम बात कैसे करते है?
• आवाज के स्त्रोत
• स्पष्ट और गहरी आवाज
• आवाज के लिए व्यायाम
• गहरी आवाज के लिए व्यायाम
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क

चप्ट
ै र १० : स्वर ...............................................................................................105
• स्वर क्या होते है?
• स्वर का महत्त्व?
• स्वर बोलने की प्रैक्टिस?
• स्वर बोलते समय सबसे बड़ी भूल
• आपकी भाषा और स्वर
• स्वर के लिए रीडिं ग कैसे कर?े
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क
चप्ट
ै र ११ : व्ज
यं न .............................................................................................117
• व्यंजन क्या है?
• आपकी भाषा और व्यंजन
• फाउं डेशन
• शब्द और उसके सटीक फाउं डश
े न (स्वर, व्यंजन)
• फाउं डेशन को याद कैसे रख?े
• फाउं डेशन के लिए कुछ और टिप्स
• फाउं डेशन के लिए रीडिं ग कैसे करे
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क

चप्ट
ै र १२ : हकलाहट और ब्लोकेज .........................................................133
• आपके शब्द बोलते समय क्यो ब्लॉक होते है?
• आपकी जुबान और मुह
ं की स्मरणशक्ति
• न्यूटन का पहला ला और ब्लोकेज
• ३ सरल स्टेप्स में ब्लोकेज को हैन्डल करे
• आपके ब्लॉक और आपका वास्तविक जीवन
• Anxiety और ब्लॉक
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क

चप्ट
ै र १३ : बोलते समय याद रखे यह महत्त्वपूर्ण नियम .................145

चप्ट
ै र १४ : रीडिंग प्रैक्टिस ..........................................................................150
• चेक फाउं डश
े न रीडिं ग
• माउथ ओपनिं ग रीडिं ग
• क्लेरिटी रीडिं ग
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क
चप्ट
ै र १५ : अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे? ........154
• रात को सोने से पहले
• सुबह कैसे प्रैक्टिस कर?े
• शाम को क्या कर?े
• मेरे कुछ सुझाव
• टास्क

सेक्शन ३ : सही इम्प्लिमेन्टेशन ............................................165


चप्ट
ै र १६ : २ मिनट इम्प्लिमेन्टेशन फार्मूला .....................................168

चप्ट
ै र १७ : लोगों से बात (कम्फर्ट ज़ोन)................................................ 173

चप्ट
ै र १८ : लोगों से बात (अंजान लोगों के सामने)..........................179

चप्ट
ै र १९ : लोगों का रिएक्शन कैसे हैन्डल करे? ...............................186

चप्ट
ै र २० : छोटी बात पर बडे काम की ..................................................193

चप्ट
ै र २१ : रूट कॉज़ + प्रैक्टिस + इम्प्लिमेन्टेशन .............................199
• रूट कॉज़ = Anxiety / nervousness
• रूट कॉज़ = not able to face problem /
less experience with speaking
• रूट कॉज़ = mouth is not opening effectively
• रूट कॉज़ = speed of speaking is fast / excitement
• रूट कॉज़ = tongue is not flexible while speaking
• रूट कॉज़ = breathing issue
• रूट कॉज़ = word hiding / fillers /
using unnecessary word
• रूट कॉज़ = body is not free while speaking
• रूट कॉज़ = your self-image is not confident /
not worthy / compare self with other
• रूट कॉज़ = fumbling issue
• रूट कॉज़ = cluttering
• रूट कॉज़ = you are speaking by holding air in
stomach

सेक्शन ४ : आदत और मन ...................................................... 209


चप्ट
ै र २२ : अच्छा बोलने की आदत कैसी लगाई जाए? ................... 211
• आदत कैसे लगती है?
• आदत लगाने के २ रास्ते
• जब रॉकेट लॉन्च होता है
• कितना समय लगता है आदत लगाने के लिए?
• हकलाहट वापस कब आती है?
• टास्क

चप्ट
ै र २३ : मन विचलित क्यो होता है? ................................................220

चप्ट
ै र २४ : असफलता को कैसे स्वीकार करे ....................................225

चप्ट
ै र २५ : मेरा अनुभव .............................................................................229

महत्त्वपूर्ण लिंक्स ........................................................................................233


àñVmdZm
“Your speaking is an outcome of
how you think & listen“
- Ankush Pare

ह कलाहट कोई बीमारी नही है बल्कि एक आदत है। यह एक ऐसी आदत


है जो आपके जीवन में बहुत समय से है और इसके पीछे आपका बहुत
बड़ा हाथ है। मेरे अनुभव से किसी को जन्म से ही हकलाहट नही होती पर
यह एक आदत है जिसके कारण आपके अनुभव और फैसले है जो आप
अक्सर बोलते समय लेते है। जब आप किसी इं सान के सामने बात करते
है और अचानक किसी शब्द को जानबूझकर छिपाते है क्योकि ऐसा करने
से आपकी हकलाहट नही दिखग
े ी और उस इं सान के लिए आप हकलाने
वाले नही है। इस तरह के फैसले ही आपकी हकलाहट को बढ़ावा देते है जो
हर बार आपको यही कहते है की हकलाहट एक कमजोरी है जिसे आपको
छिपाना चाहिए।

हकलाहट आपके बोलने की एक आदत है जो अपने खुद को लगाई है।


यह आदत आपके जीवन में बहुत सालों से है क्योकि जब भी आप बोलते
है तो हमेशा अपने आप को अच्छा दिखाने की कोशिश करते है। दुनिया का
हर इं सान अपने आप को अच्छा दिखाने की कोशिश करेगा और अपनी
गलतियों को ज्यादा से ज्यादा छिपाएगा। आप जिस शब्द को छिपाते है
वही शब्द बाद में आपकी हकलाहट को और बढ़ाते है क्योकि शब्दों को
छिपाना आपकी आदत बन गई है और ऐसा करने से आपके पास बहुत
कम अनुभव है उन शब्दों को बोलने का जो आपके लिए सबसे ज्यादा
कठिन है।

आपकी हकलाहट एक परिणाम है - आपकी सोच, आपके फैसले , और


आपके सुनने का। आप खुद को मन में कैसे सुनते है और कैसे सोचते है
यही सबसे महत्त्वपूर्ण होता है यह तय करने के लिए की आपको बाहर
हकलाहट होगी या नही। अगर आप खुद की इमेज ऐसी सोच ले ते है की
आप अटकने वाले है, आप से शब्द नही निकलें ग,े लोग हसेंगे और इसके
साथ साथ आपके शब्द भी आपको मन में सुनाई देते है की आप अटक रहे
है - यह सब कुछ आपके मन में चलता है। जब आप यही दिनभर सोचते है
तो जब वह एक्शन होती है तो ऐसा ही होगा जैसा आपने सोचा था। आपके
मन में खुदकों ले कर एक इमेज है जिसमे आप हकलाते है और वही इमेज
बाहर भी दिखती है पर आप पूरी कोशिश करते है उसे छिपाने की।

हकलाहट को दूर करने के लिए सबसे पहला स्टे प होगा की आप इसे


एक आदत की तरह देखे और एक नयी आदत लगाने की कोशिश करे
जिसमे आप इस पुस्तक में बताए गए सभी नियमों का पालन करे और
तकनीक को फॉलो कर।े नयी आदत लगाते समय सबसे पहले अपने
ऊपर भरोसा रखे की आप इसे कर पाएं गे और अपने सेल्फ इमेज को चेंज
करने की कोशिश कर।े किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए
सबसे पहले उसका रूट कॉज़ देखे और फिर सही इलाज के साथ आगे बढ़े ।
बिना रूट कॉज़ को समझे अगर आप आगे बढ़ते है तो आप अंधर
े े में तीर
मार रहे है जिसका निशाना सही जगह लगने के चांस बहुत कम है।

इस पुस्तक को लिखते समय मैने हर उस बात का खयाल रखा जो


आपको अच्छा रिजल्ट दे सकता है, हर उस सवाल का जवाब देने की
कोशिश की है जो आपके मन में आ सकता है। मेरा अनुभव और मेरे
क्लाइं ट के अनुभवों को मिलाकर इस पुस्तक में हर उस तकनीक को
बताने की कोशिश की है जो आपको बोलते समय मदद करेगी।

आप जिस भी भाषा में बात करते है और जिन शब्दों पर अटकते है, उन


सभी शब्दों के फाउं डेशन को पूरे डिटे ल्स में शेयर करने की कोशिश इस
पुस्तक में की गई है। स्वर और व्यंजन की कैसे प्रैक्टिस करनी चाहिए,
कैसे उन शब्दों को बाहर बोलना है, और उसकी रीडिं ग कैसे करनी है, इस
तरह की बहुत सारी बाते यहा पर बताई गई है। एक इं सान जिसे अपनी
हकलाहट को ठीक करना है तो शुरू से अंत तक उसे क्या करना चाहिए
जिसमे प्रैक्टिस, स्ट्रैटिजी, बाहर बोलना, नियम फॉलो करना, डेड्लाइन
सेट करना, सेल्फ इमेज, और तकनीक यह सब कुछ बताया गया है।
आपकी आदत कैसे लगती है, कितना समय लग सकता है, हकलाहट
वापस आती है तो क्या करना चाहिए - यह सब कुछ पूरे डिटे ल्स से साथ
यहा पर शेयर किया गया है।

आखिर में बस यही कहना है की अगर किसी को हकलाहट है और


उसे ठीक करनी है तो यह पुस्तक उसके लिए बहुत मददगार साबित होगी
क्योकि इस पुस्तक में लिखी गई हर एक बात एक अनुभव है जो किसीको
भी हकलाहट को दूर करने के लिए बहुत ज्यादा फायदेमद
ं हो सकता है।

मे आशा करता हू की इस पुस्तक में बताई गई हर एक बात को आप


गंभीरता से लें गे और पुस्तक को शुरू से अंत तक पढ़ें ग।े हकलाहट कोई
बीमारी नही। यह बस एक आदत है जो आप एक नयी आदत के साथ बदल
सकते है।

आपके उज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाए !!!

अंकुश गजानन पारे


पुण,े भारत
ऑक्टोबर २०२१
boIH$ Ho$ ~mao _o§
अं कुश पारे का जन्म महाराष्ट्र, भारत के एक छोटे से गाव में हुआ, जहा
पर ज्यादातर लोग खत
े ी बाड़ी करते है और साधारण सी जिं दगी जीते
है। उनका जीवन बहुत साधारण रहा है। बचपन से ही उन्हे हकलाहट की
दिक्कत थी जिसके कारण वह कम बात करते थ।े

कम उम्र में ही अंकुश को बड़ा कुछ करने की इच्छा थी और इसके


लिए वह कोशिश भी करते थ।े बचपन से ही वह पढ़ाई में आगे और खेलने
के लिए हमेशा तैयार रहते थ।े गाव के स्कू ल में पढ़ते हुए दिनभर बाहर
खल
े ना, खेत में जाना, और गाय, बैल को चराने के लिए ले कर जाना यही
उनका काम और शौक भी था।

अंकुश बचपन से ही हर समस्या को एक चुनौती मानकर उसे सुलझाने


की कोशिश करते थ।े हकलाहट उनके जीवन में बचपन से ही एक समस्या
थी। वही हकलाहट एक बहुत बड़ी समस्या बनती गई क्योकि इसी की
वजह से वह ज्यादातर स्टेज पर बोलना, रिश्द
ते ारों से कॉल पर बात करना
और अंजान लोगों से बात करना टालते थ।े बहुत बार हकलाहट की वजह
से उनका मजाक भी उडाया गया। सब कुछ आते हुए भी चुप रहने की आदत
हो गई थी। घरवाले यह देखकर काफी परश
े ान रहते थे की इनके भविष्य
का क्या होगा।

अंकुश बचपन से बहुत जिद्दी थ।े वह कम बात करते थे पर उनके मन


में बहुत कुछ चलता रहता था। वह लोगों की कम सुनते थे क्योकि लोग
उन्हे हमेशा कम समझते थे पर उनका यह विश्वास था कि वह कुछ बड़ा
कर सकते है।

स्कू ल में अंकुश का प्रदर्शन बहुत साधारण था। वह एक साधारण


विद्यार्थी की तरह रहते थ।े हमश
े ा पीछे बैठना, क्लास में कम बात करना,
प्रश्न होने पर भी कभी खड़े होकर नही पूछना और परीक्षा में बस पास होने
जितनी ही पढ़ाई करना।

पर जब वह कॉलेज में गए और उन्हे यह समझ में आया की अगर ऐसा


ही चलता रहा तो वह भविष्य में कुछ नही बन पाएं गे क्योकि वह अपने
प्ज़
रे न्टै शन में बात नही कर पाते और इं टरव्यू में हमश
े ा फेल होते थे। तब से
ही उन्होंने अपनी हकलाहट पर काम करना शुरू किया और हर रोज बिना
बहाना बनाए प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया।

शुरुवात में उन्हे कुछ पता नही था कि क्या प्रैक्टिस करनी है और कैसे
इस हकलाहट को ठीक किया जा सकता है, क्योकि उस समय इं टरनेट
की सुविधा बहुत कम थी और आसपास कोई ऐसा व्यक्ति नही था जो
अंकुश को मार्गदर्शन कर सके। घरवालों के पास इतने पैसे नही थे की
किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा सके और घरवाले यही कहते थे कि यह उम्र
के साथ ठीक हो जाएगा। जो भी लोग मिलते थे कुछ ना कुछ बताते थे कि
दवाई से ठीक होगा, अपने जुबान पर सुपारी रखो, या फिर जुबान के नीचे
पन
े रखो और फिर बोलो। कुछ लोग काली मिर्च, आमला, और दवाई खाने
की बात करते थे और अंकुश ने भी सब कुछ करने की कोशिश की परंतु
कुछ खास असर नही हुआ।

उम्र बढ़ती जा रही थी और भविष्य की चिं ता और बढ़ रही थी। तब मोबाईल


फोन भी आ गए थे। फिर खुद से कुछ प्रैक्टिस करना शुरू हुआ जैसे कि
जोर जोर से रीडिं ग करना, शर
े की तरह आवाज निकालना, संस्कृत के
श्लोक पढ़ना, और कोई आसपास ना होने पर अपने आप से बात करना।
इस सभी बातों का असर दिखने लगा था पर वह आत्मविश्वास अभी भी
नही था। फिर जानबूझकर लोगों से बाते करना शुरू हुआ, कॉलेज में हर
प्ज़
रे न्टै शन में भाग लेना, क्लास में प्रश्न पूछने के लिए हर बार अपना हाथ
ऊपर उठाना, कस्टमर केयर से कॉल पर बात करना। हर उस परिस्थिती
का सामना करना जिसके लिए मन में डर था। हर दिन सुबह ध्यान लगाना
और बाराखड़ी की प्रैक्टिस करना।

ये सब कुछ करते समय कुछ दोस्त मजाक उड़ाते थे क्योकि यह सब


कुछ उनके लिए अजीब था। पर धीरे धीरे चीजे बदलनी शुरू हो गई और
कुछ महीने के अंदर एक आत्मविश्वास आ गया कि अब कही भी बोल
सकते है। जॉब लगने के बाद २, ३ सालो के अंदर ही मन में सवाल आए की
जॉब मेरे लिए नही है और कुछ बड़ा अगर करना है तो जॉब छोड़ना पड़ेगा।

इस सफर में बहुत सारी बाते अंकुश के मन में चल रही थी। उन्होने तुरत

ही जॉब छोड़कर उन लोगों को मदद करनी शुरू कर दी जिनको हकलाहट
की समस्या थी। इसके लिए सोशल मीडिया ने बहुत ज्यादा मदद की। बस
२ से ३ साल के अंदर भारत और बाहर से लोग जुडने लगे और लगभग
२५,००० से भी ज्यादा लोगों को इन २, ३ सालों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप
में लोगों की मदद हुई। कम से कम १५ अलग अलग देशों से लोग उनके
ट्रैनिं ग प्रोग्राम से जुड़ गए।

उनके क्लाइं ट में डॉक्टर, इं जीनियर, बैंकर, अकाउन्टन्ट, स्टूडेंट,


हाउसवाइफ, बिजनेसमैन, मैनेजर, टीम लीड, टीचर, और वो सारे लोग जुड
गए जिनको हकलाहट की समस्या थी। अंकुश के अनुभव और सिखाने
की लगन से लगभग हर इं सान को अपने हिसाब से रिजल्ट आना शुरू
हो गए।

अंकुश अब खुदकों एक speaking coach मानते है जो हर उस इं सान


को मदद करना चाहते है जिसे आत्मविश्वास की कमी है, लोगों के सामने
बात करने से डरते है, हकलाहट की समस्या है, और जिसे अपने आप को
ईफेक्टिव स्पीकर बनाना है।

अंकुश की अकादमी (अंकुश पारे ग्लोबल अकादमी) एक ऐसा


प्लेटफॉर्म है जो हर उस इं सान की मदद कर रही है जिसे हकलाहट की
समस्या है। उनके विडिओ कोर्स, यूट्ब
यू के कंटेन्ट, और पुस्तक लोगों को
एक अच्छा वक्ता बनने में मदद कर रही है। हर कोई इं सान अंकुश के साथ
जुडता जा रहा है। सभी इं टरनट
े के जरिए और ज्यादातर ऑनलाइन ही
अपनी समस्या का समाधान पा रहा है।

इस पुस्तक में अंकुश ने हर उस तकनीक, नियम, और अनुभव को


बताया है जिससे उन्हे फायदा हुआ और उनके क्लाइं ट को भी। यह पुस्तक
लिखने में काफी समय लगा और पुस्तक में बताई गई सभी बाते कोई भी
व्यक्ति जिसे हकलाहट की दिक्कत है आसानी से इस्तेमाल कर सकता /
सकती है।
Section 1

gh>r ñQ—>{¡ Q>Or

1
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

अ गर आप एक नए शहर में आए है और आपको उस शहर की किसी


जगह पर जाना है तो आप कैसे जाएं ग?े

आपका उत्तर होगा की हम ऑटो, टै क्सी, या कैब से जाएं गे। बिल्कु ल


सही! ले कीन अगर आपको ये जानकारी मिल जाए कि आज सारे ट्रांसपोर्ट
वाले हडताल पर है और कोई भी नही है जो आपको ले जाएगा; अपितु
आपका वहा पर जाना अनिवार्य है तो?

तो अब आप खुद पैदल जाना शुरू कर देंग।े बिल्कु ल सही कर रहे हो


आप! पर यहा एक और सवाल आता है कि आप शहर में नये है और आपको
रास्ता भी नही पता। तो अब क्या करेंग?े तो आप फट से अपने मोबाइल
में मॅप का एप्लीकेशन ओपन करेंगे और बाकी का काम तो आपको पता
ही है।

मेरा असली सवाल अब यही से शुरू होता है कि जब आप उस मॅप


ऐप्लिकेशन को ओपन करते है, जैसे कि गूगल मॅप, तो ये ऐप्लिकेशन
आपसे सबसे पहले क्या पूछता है?

१. आपका करंट लोकेशन (जहा पर आप अभी हो)

२. आपका डेस्टिनश
े न (जहा आपको जाना है)

३. आपका नंबर

४. कुछ और

2
सही स्ट्रै टिजी

अगर आपका जवाब २, ३, या ४ है तो यह सही जवाब नही है। कोई


भी मैप ऐप्लिकेशन आपको सब से पहले करंट लोकेशन याने की अभी
आप कहा पर हो यह पूछता है। उसके बाद आपको कहा जाना है, मतलब
डस्े टिनेशन पूछता है।

अगर यही बात हम अपने हकलाहट को दूर करने के लिए देखे तो यहा
पर २ चीजों पर आपको ध्यान देने की जरूरत है।

१. आपका करंट लोकेशन (जहा आप अभी हो)

२. आपका डेस्टिनश
े न (आपको जहा जाना है)

आपके रियल लाइफ में आप अभी कहा पर हो? तो इसका उत्तर है -


अभी आपको हकलाहट की दिक्कत है - यह आपका करंट लोकेशन है।

तो फिर आपको जाना कहा है? आपको बहुत अच्छे से बोलना है /


पब्लिक स्पीकर बनना है - यह आपका डस्े टिनश
े न है।

अब अपने डेस्टिनश
े न तक पहुंचने से पहले आपका मॅप आपको पूछता
है कि अभी आप कहा पर हो? मतलब आपको किस तरह की प्रॉब्ले म है?

हकलाहट की समस्या में बहुत सारे रूट कॉज़ होते है और वही आपका
रूट कॉज़ (आपके हकलाहट की जड़) है। हम इस सेक्शन में देखने वाले
है की आखिर आपको किस तरह की समस्या है।

अगर आप अपनी समस्या को अच्छी तरह से समझ गए तो आपकी


आधी समस्या यही पर समाप्त हो जाएगी । चलिए देखते है वो कैसे?

3
चैप्टर १
हकलाहट क्या होती है ?

जब आपका जन्म होता है

जब आपका जन्म होता है उस समय सब से पहले आप रोते है और


आपके घरवाले हसते है। ऐसा आपने बहुत बार सुना होगा । अगर आप
अपने घर में किसी को भी पूछेंगे की उस समय आप कैसे दिखते थे तो
उनको सब कुछ याद आता है। मगर क्या आपको कुछ याद आता है?

जब आपका जन्म होता है तो आपके पास कुछ भी अनुभव नही होता,


परंतु जैसे जैसे आप बडे होते जाते है वैसे ये दुनिया, आपके घरवाले , आपके
रिश्तेदार, आपको बहुत कुछ सिखाते जाते है।

कुछ लोग मानते है की उनको जन्म से ही हकलाहट की समस्या है


परंतु क्या सच में ऐसा है?

अगर आपकी जुबान/जीभ में कुछ प्रॉब्लेम हो जैसे की जुबान थोडी सी


कटी हो या फिर ऊपर चिपकी हुई है तो वो अलग समस्या है। उसका इलाज
किसी स्पेशलाइज़ डॉक्टर से बात करने से ठीक हो सकता है। मगर मेरा
अनुभव यह कहता है की हकलाहट जन्म से किसी को नही होती है। इसका
उत्तर हम इस चैप्टर में देखग
ें ।े

अगर आप यह कहते है की आपके घर में दूसरे लोगों को हकलाहट है,


तो ये आनुवशि
ं क हुआ; परंतु ऐसा नही होता। अगर ऐसा होता तो आपके
साथ फिर आपके भाई-बहन को भी ये समस्या होनी चाहिए पर शायद
4
हकलाहट क्या होती है ?

ऐसा नहीं होगा। इसका उत्तर आपको निम्नलिखित मिल जाएगा।

जब आपका जन्म होता है तबसे आप अपने माता-पिता को देखकर


बडे होते है। तो यह हो सकता है कि आपके माता-पिता में से किसी को
समस्या हो और आपने उनको कॉपी किया या फिर आपके रिश्तेदारो में से
किसीको कॉपी किया हो।

जब आपका जन्म होता है उस समय से आपको हकलाहट की समस्या


नही होती। ये तो ज्यादातर आपके अनुभव स,े दूसरों को देखकर, और
किसी की नक्ल करने से आपके अंदर आती है।

इसके और भी बहुत सारे कारण हो सकते है जो हम एक-एक करके


देखग
ें ।े जब आप इस पुस्तक को पूरा पढ़ लें ग,े तब आपको पूरा ग्यान हो
जाएगा की हकलाहट क्या है और इसको कैसे ठीक किया जाता है।

आपकी भाषा

पूरी दुनिया में 6500 से अधिक भाषाओ में लोग बाते करते है और
उसमे से एक भाषा में आप बात करते है। आप जिसी भी भाषा में बात करते
है, वो भाषा आपने कहा से सीखी? आपका जवाब होगा हमारे घर वालों से।
बिल्कु ल सही! तो क्या यह भाषा आपको सीखने में बहुत कठनाइया हुई?
शायद नही क्योकि बचपन में हम जल्दी सिख जाते है।

सोचो की आपका जन्म अगर अमरिका में होता, तो आप कौन सी भाषा


में बात करते? इं ग्लिश! अगर आप हिं दुस्तान में पैदा हुए है तो आप कौन सी
भाषा में बात करेंग?े हिन्दी, या फिर आपकी लोकल भाषा! इसका मतलब
आपके शहर, देश, कल्चर के हिसाब से आपकी भाषा का चुनाव होता है।

अब बात करते है आपके हकलाहट के बारे में। क्या आपको रशियन


बोलने में दिक्कत होती है? आप इस सवाल पर अभी हसेंगे क्योकि आपको
रशियन भाषा नही आती। तो फिर उसमे हकलाहट कैसी? अगर ऐसा है

5
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

मतलब आपकी समस्या आप जो भाषा बोलते है उसमे आती है। शायद


आपको अब ये मेरा पॉइं ट समझ में आ चुका है।

अगर आप हिन्दी, इं ग्लिश, और आपकी लोकल भाषा में बात करते है


तो आपके हकलाहट का अनुभव भी उसी भाषाओ में है। तो आपकी प्रैक्टिस
आपको उसी भाषा में करनी चाहिए जिस भाषा में आपको दिक्कत आती
है। अगर आपको एक से ज्यादा भाषा में दिक्कत है तो आपको उन भाषाओ
का भी प्रैक्टिस करना पड़ग
े ा।

नोट: हम जब भी कोई ऐसे शब्द को देखते है या पढ़ते है जिसे हमने


पहले कभी नही देखा/पढ़ा, तो आपके उस शब्द पर हकलाहट के चांस
बहुत ज्यादा है क्योकि आपके पास शब्द को बोलने का अनुभव नही है।
आप जिस शब्द पर हकलाते है उस पर भी आपका लोगों के सामने बोलने
का अनुभव कम है।

रिसर्च क्या कहता है

अगर आप हकलाहट के बारे में इं टरनट


े पर सर्च करेंगे तो आपको बहुत
सारी जानकारी मिलेगी। जैसे की दुनिया के 1% लोगों को हकलाहट की
समस्या है । जब में इस पुस्तक को लिख रहा हू (साल २०२१) तो दुनिया
की आबादी इस समय 750 करोड़ (7.5 बिलियन) है। उसका 1% होता है
7.5 करोड़ (75 मिलियन)। अगर अकेले हिं दुस्तान की बात करे तो कुल
आबादी है 130 करोड़ (1.3 बिलियन) और उसका 1% होता है 1.3 करोड़ (13
मिलियन)। इसका मतलब है की आप इस दुनिया में अकेले इं सान नही है
जिसको यह समस्या है, आपके जैसे बहुत सारे लोग और भी है।

हकलाहट की शुरुवात ?

बहुत सारे लोग अपने बचपन से ही हकलाहट की समस्या से परेशान


रहते है। कुछ लोगों की हकलाहट स्कू ल से तो किसी की कॉलेज से शुरू
6
हकलाहट क्या होती है ?

हुई है। पर इस हकलाहट की शुरुवात आखिर कैसे होती है? मेरे अनुभव से
में इस विषय को २ भागों में डिवाइड करना चाहूँगा:

१. किसी को देख कर

२. अपने मन में आए उस नकारात्मक विचार से

१. किसी को देख कर

जैसा की हमने पहले बात की - अगर आप यह मानते है कि आपकी


हकलाहट आपके माता–पिता या फिर घर में किसी की वजह से आयी
है, मतलब ये अनुवशि
ं क ह,े तो जरा सोचिए की फिर तो ये आपके घर में
आपके भाई, बहन और दूसरे लोगों को भी होनी चाहिए। तो क्या ऐसा है?
अधिकांश लोगों के साथ ऐसा नही है और शायद आपके घर पर भी ऐसा
नही होगा। रिसर्चर के पास भी इस बात के पुख्ता सबूत नही की हकलाहट
आनुवशि
ं क है।

बहुत सारे लोगों का यह अनुभव है की उनके घर में किसीको हकलाहट


थी/है या फिर उनके पड़ोस में किसीको थी या फिर उनके किसी दोस्त
को थी और उन्होंने उनको देखा या फिर चिढ़ाया और उनके जीवन में ये
समस्या आ गई। तो हकलाहट की शुरुवात शायद किसीको देखकर होती
है। यह एक कारण हो सकता है । क्योकि बचपन में हम बहुत जल्दी किसी
को भी कॉपी करते है और शायद आपने किसी की हकलाहट कॉपी की है
और अब वो आपके मन में छप गई है।

२. अपने मन में आए उस नकारात्मक विचार से

बहुत लोगों का यह अनुभव है कि किसी भी बात को बोलने से पहले वो


यह सोचते है की वह नही बोल पाएं गे और बिल्कु ल वैसा ही होता है। इसका
मतलब यह होता है की

7
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

“जहा आपकी सोच जाएगी, आपकी ऊर्जा उसके साथ जाएगी “

तो क्या इसका मतलब आपकी सोच या फिर वो विचार जो आपको


कहते है की “तुम नही कर पाओग”े एक कारण है आपके हकलाहट के
पीछे? मेरा अनुभव या फिर मैने जीतने भी लोगों को हकलाहट दूर करने
में मदद की उनका अनुभव कुछ ऐसा ही है।

इसमे एक कारण यह भी हो सकता है की आप के अंदर का सेल्फ


कान्फिडन्स, जो हमश
े ा किसी सीनियर के सामन,े बडे पोस्ट वाले इं सान
के सामने कम होता है। या फिर आप खुद को दूसरों से हमेशा कम समझते
हो।

अब ये नकारात्मक विचार कहा से आए या फिर आपकी यह हकलाहट


आपको किसने दी है? चले देखते इस diagram से

Action

Plan for next action Analysis

Conclusion

इस diagram में ४ स्टेप्स है जिसका क्रम इस प्रकार है

१. Action (कार्य)

२. Analysis (विश्लेषण)

8
हकलाहट क्या होती है ?

३. Conclusion (निष्कर्ष)

४. Plan For Next Action (अगला कार्य करने की योजना)

१. Action (कार्य)

हम जब भी कोई एक्शन लेते है तो उसका रिजल्ट हमको मिलता है,


और जब हम एक्शन नही लेते तब?

आप अपनी लाइफ में हमश


े ा एक्शन में ही रहते है। इसका उदाहरण इस
प्रकार है -

सोचो अगर आपका मोबाईल फोन टेबल पर उलटा रखा है और आपको


कॉल आया, पर आपको नही पता की कॉल किसका है। अब आपने कॉल
को उठाने के लिए मोबाईल हाथ में लिया और देखा की आपके बॉस का
कॉल आया है तो आप कॉल को उठायेंगे और बॉस से बात करेंग,े भले ही
आपको हकलाहट हो। इस प्रकार की एक्शन का रिजल्ट आपको यह मिल
सकता है की शायद आपका कान्फिडन्स बढ़े की आपने बॉस से बात की।

सोचो अगर यही कॉल किसी स्ट्रैन्जर से आता है जो की आप नही उठाते


है। तो शायद इसका रिजल्ट आपका डर बढ़ने में हो सकता है क्योकि
आपने उस सिचूऐशन को फेस नही किया।

तो इन दोनों सिचूऐशन में आपने एक्शन लिया है - एक कॉल उठाकर


और एक कॉल नही उठाकर।

मतलब हम जब किसी काम को नही करते है तो वह भी एक काम ही


होता है। आप चाहे या ना चाह,े आप हमश
े ा एक्शन में ही रहते है। अगर ये
सही है तो हो सकता है कि आपने हमश
े ा ही शब्दों को छिपाने का या फिर
चेंज करने का एक्शन लिया होगा क्योकि आपको वो एक्शन ले ते समय
ज्यादा आसान लगा होगा और आपकी हकलाहट वहा से शुरू हुई हो।

9
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२. Analysis (विश्लेषण)

जब आप एक्शन लेते है तो उसके बाद आता है विश्ले षण। हो सकता है


की आपने अपने शब्दों को बोला और बोलते समय आप अटक गए या फिर
घबराहट की वजह से आपने कुछ नही बोला तो उसके बाद आपके मन में
जो भी कुछ आता है जैसे की “मै तो फिर से अटक गया,” “मुझ से नही
होगा,” “मै तो ऐसा ही हू,” तो ये आपका एक विश्लेषण है जो नकारात्मक
सोच की तरफ ले कर जाता है। अगर आप एक्शन के बाद नकारात्मक
विश्ले षण करते है तो आने वाले हर एक्शन में आप ऐसी ही सोच रखोगे
और कुछ भी बदलाव नही होगा। आपकी सोच जो एक्शन ले ने के बाद
होती है अगर उसमे आप बस खुद को कोसते है या फिर अपने आपको
कम समजते है और यही सोच आपकी अगर बहुत सालों से है तो ये भी एक
शुरुवात हो सकती है आपके हकलाहट की।

विश्ले षण याने कि अनैलिसिस करते समय हमेशा आप क्या अच्छा


कर सकते है या आपने कैसे इम्पव
्रू किया ऐसी सोच जल्दी रिजल्ट दे
सकती है। आप विश्लेषण करते समय अपने आप नीचे दिए गए ३ प्रश्न
पूछ सकते है।

१. what went wrong? (क्या गलत हुआ?)

२. what went well? (क्या अच्छा हुआ?)

३. what could be improved? (क्या अच्छा हो सकता था?)

यह प्रश्न आपको मदद करेंगे सही विश्लेषण करने के लिए।

३. Conclusion (निष्कर्ष)

जैसा आपने विश्लेषण किया वैसे आप एक निष्कर्ष पर आते है।


उदाहरण के लिए - अगर आप इं टरव्यू देते समय कुछ नही बोल पाए और
आपको ५ मिनट के अंदर ही बाहर भेज दिया गया तो ऐसे समय अगर आप

10
हकलाहट क्या होती है ?

यह निष्कर्ष निकालते है की “मर


े ा कुछ नही हो सकता,” “शायद मुझे कभी
भी नौकरी नही मिलेगी,” और इसी तरह से और कुछ। ऐसे निष्कर्ष आपको
तभी आ सकते है जब विश्लेषण करते समय आप नेगटिव ही सोचेंग।े जैसा
आपका विश्ले षण याने कि अनैलिसिस वैसा आपका एक निष्कर्ष।

बचपन में अगर आप किसी के सामने पहली बार अटक कर बात करे
थे और उसे देखकर वह इं सान आपके ऊपर हसा होगा तो उस समय शायद
आपने कुछ इस तरह से निष्कर्ष निकाला होगा।

१. Action = आप अटक कर बोले और आगे वाला इं सान हसने लगा

२. Analysis = आपको लगा की मर


े े हकलाहट के वजह से वह इं सान हस
रहा है, तो अगर मै मर
े ी हकलाहट को छिपाऊ तो? में अपने शब्दों को
अगर नही बोलूं गा तो कोई भी मुझ पर नही हसग
े ा।

३. C
 onclusion = आपने यह निष्कर्ष निकाला की आज के बाद मै पूरी
कोशिश करूं गा की जो भी कठिन शब्द है जिसपर मै अटकता हू उन्हे मै
छिपाने की कोशिश करूं गा या फिर किसी दूसरे शब्दों का सहारा लूँ गा।

४. Plan for next action = आप अब हर बार शब्दों को छिपा रहे है और


यही आपकी आदत बन चुकी है।

ऊपर बताए गए ४ बातों को अगर आप ध्यान से देखग


ें े तो यह एक
साइकिल की तरह है जो बहुत सालों से आपके जीवन से जुड़ी है। आप बहुत
सालों से अपने शब्दों को छिपा रहे है या उन्हे दूसरे शब्दों से चेंज कर देते
है और ऐसा बहुत सालों का आपका अनुभव है। यही अनुभव अब आपकी
आदत बन चुकी है और यह आदत आपने खुद लगाई है क्योकि जब कभी
आप पहली बार किसी के सामने अटक कर बोल रहे थे उस समय अगर
आप फिर से उस शब्द को बोलते बिना यह सोचे की आगे वाला इं सान
हसग
े ा या नही तो शायद आज आपको हकलाहट भी ना होती।

11
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

हकलाहट क्या है ?

अब हम देखते है कि हकलाहट आखिर क्या होती है? अगर आप


हकलाहट के बारे में इं टरनट
े पर सर्च करेंगे तो आपको बहुत कुछ पता
चलेगा।

जब हम सर्च करते है - what is stammering/stuttering?


तो हमको यह बताया जाता है - speech disorder, disfluency,
repeating sound/syllable/word, etc.

मै आपको बहुत ही सरल शब्दों में बताना चाहूँगा। जब हम कहते है


speech disorder तो उसका मतलब होता है की आपकी स्पीच ऑर्डर में
नही है (disorder)। या फिर disfluency मतलब आपकी स्पीच fluent
नही है (disfluency)। या फिर आप शब्द repeat करके बोलते है या फिर
उसका पहला अक्षर या फिर साउन्ड।

तो क्या आपकी ये बहुत बड़ी समस्या है? बिल्कु ल नही।

अगर कोई इं सान को हकलाहट नही है मतलब वो इं सान अपने स्पीच


को order में या तो fluently बोलता है और आप नही बोल पाते। बस
इतना ही तो फरक है। आपके इस disorder/disfluency के कुछ कारण
हो सकते है जो हम अगले चैप्टर में अच्छे से देखग
ें ।े

हकलाहट शरीर में कहा पर होती है?

जब आप किसी के सामने बात करते है तो कभी कभी आपको गले में


प्श
रे र महसूस होता है, कभी कभी आपके मुह
ं से हवा ही बाहर नही आती।
कभी तो आपका मुह
ं ही नही खुलता। आपके छाती में प्रेशर महसूस होता
है, धड़कने तेज हो जाती है । बहुत बार आपकी जुबान एक जगह पर अटक
जाती है या फिर आपको पसीना आता है। यह सब तो शरीर से ही जुड़ी
समस्या है तो क्या हकलाहट शरीर में है ? चलिए देखते है

12
हकलाहट क्या होती है ?

जब हमारे मन में घबराहट आती है तो आपको पसीना आता है, दिल


की धड़कने तेज हो जाती है, मुह
ं से आवाज ही नही निकलती। जब आप
किसीके सामने बात करते है या फिर बात को शुरू करने से पहले अगर
आपके मन में खुद को लेकर सल्फ
े डाउट आता है की आप बोल नही
पाएं गे, अटक जाएं गे तो आपका अटकना लगभग तय है।

अब फिर से यह सवाल आता है की आपकी हकलाहट आपके शरीर में


है या कही और?

आपका शरीर लगभग हर बार आपके मन को फॉलो करता है, अगर


आप खुश होते हो आपका शरीर वैसा फ़ील करता है, जब आपक ग़ुस्सा
होते हो तब शरीर वैसा फ़ील करता है। तो जैसे आपके मन में वैसा ही शरीर
में आपको फ़ील होता है । तो आपकी समस्या पहले आपके मन से शुरू
होती है। आपका शरीर बस मन को फॉलो करता है और मै हमेशा अपने
क्लाइं ट से एक बात कहता हू।

Your Mind Has a Problem, Your Body Has a Solution

आपकी हकलाहट आपके मन के साथ है और यह कोई बीमारी नही


है बल्कि यह आपकी बोलने की बुरी आदत है। तो इसकी शुरुवात आपके
मन के विचार से शुरू हुई थी और अब आपका शरीर उसको फॉलो कर रहा
है। तो आपकी हकलाहट आपके मन में है ना की आपके शरीर में।

आपकी हकलाहट ज्यादातर समय आपके फीलिंग के साथ होती है


और फीलिंग आपके मन के साथ जुड़ा है। जैसे की बोलने से पहले घबराहट
या “मै नही बोल पाऊँगा” ये एक फीलिंग है और उसके बाद ही आपको
ज्यादातर समस्या होती है।

आपकी हर फीलिंग आपके सांस लेने के प्रक्रिया (breathing) के

13
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

साथ जुड़ी होती है। जैसे की - जब anxiety होती है या मन में सेल्फ डाउट
आता है तब आपका ब्रीदिं ग बहुत तेज हो जाता है परंतु वही जब आप खुश
रहते है या फिर घर पर अकेले हो तब यही ब्रीदिं ग नॉर्मल रहती है।

इसका मतलब की हकलाहट बाहर आने से पहले आपके अंदर फीलिंग


आती है की आप नही बोल पाएं ग,े यही फीलिंग फिर आपके breathing
को चेंज करती है, और फिर आपके बोलने में आपको परेशानी होती है।

तो आपकी हकलाहट कोई बीमारी नही है और न ही इसके लिए कोई


ऑपरेशन करना पड़ता है। ये बस आपकी एक आदत है जिसको आपको
चेंज करना है एक नई अच्छा बोलने की आदत के साथ। और वो हम आने
वाले चैप्टर में समझेंग।े

सारांश

हकलाहट आपकी कोई बीमारी नही है। ये आपके मन के विचार है और


आपका शरीर मन को फॉलो करता है। हकलाहट आपकी एक बोलने की
बुरी आदत है जिसको आप ठीक कर सकते हो।

बहुत सारे लोगों को यह समस्या है ओर बहुत सारे लोगों ने इसको ठीक


भी किया हुआ है।

किसी भी बच्चे को जन्म से हकलाहट नही होती है (जीभ में कोई


शारीरिक समस्या हो तो वो अलग होता है।)

14
चैप्टर 2
जानिए आपकी समस्या क्या है
(रूट कॉज़)

इस चैप्टर में हम आपके रूट कॉज़ याने कि आपकी असली समस्या


क्या है इसके ऊपर बहुत गहरी चर्चा करेंग।े इस चैप्टर में बताया गया हर
शब्द आपके बहुत काम का है। मै अपने अनुभव से आपके सामने बहुत
सारे रूट कॉज़ रखुग
ं ा और मुझे विश्वास है कि उसमे से कोई ना कोई आपका
रूट कॉज़ जरूर होगा। मैने अब तक जितने भी लोगों की उनके हकलाहट
को ठीक करने के लिए मदद की है, वही अनुभव मै यहा शेयर करने वाला
हू। तो चलिए देखते है आपका रूट कॉज़ याने कि आपकी असली समस्या
क्या है?

जानिए अपने आप को

कभी कभी आगे वाला इं सान आपकी गलतियों को अच्छे से देख सकता
है क्योकि उसको वही दिखता है जैसे आप हो। बहुत बार हम अपनी समस्या
को सामने से नही देख सकते और मन में अपनी ही कुछ कहानी बनाने
लगते है। इसका नुकसान यह होता है की हम अपने आप को सही से समझ
नही पाते और अपने जीवन में बस उतना ही करते है जितना आपके उस
कहानी में सोचा है। परंतु जब आप इस पुस्तक को पढ़ रहे हो मतलब आप
अपने जीवन को बदलना चाहते है और इस हकलाहट की समस्या को दूर
करना चाहते है। विश्वास रखे जब आप इस पुस्तक को पूरा पढ़ें गे और मेरे

15
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बताए हुए रास्ते पर चलें गे तो मुझे विश्वास है की वैसा ही होगा।

तो अब हम जानने की कोशिश करते है थोडा आपके बारे में। मुझे अगर


आपको अच्छी तरह से जानना है और आपकी समस्या को समझना है तो
मुझे आपको सुनना पड़ग
े ा और देखना भी पड़ग
े ा। परंतु क्या आपको खुद
पता है आपके बारे में सब कुछ ?

अगर मुझे और आपको, आपके बारे में जानना है तो आपका पहला


काम जो आपको अभी करना है।

एक्शन १ : हमारे प्राइवट


े फेसबुक ग्प
रु पर आपका परिचय

इस एक्शन को कम्प्लीट करने के लिए आपको नीचे दिए गए काम


को करना पड़ेगा (विश्वास रख,े यही आपका पहला एक्शन आपके अंदर
विश्वास जगाएगा की आप सही दिशा में चल रहे हो।)

१. फ
 े सबुक पर सर्च करे www.facebook.com/groups/
fromstammeringtoeffectivespeakerbook

(From Stammering To Effective Speaker Book - Ankush Pare)


और उसको जॉइन करते समय जो प्रश्न पूछे गए है उनका सही उत्तर दे (यह
ग्प
रु पूरी तरह से प्राइवट
े रहग
े ा, मतलब ग्प
रु के बाहर का कोई भी व्यक्ति
आपके किसी भी ऐक्टिविटी और विडिओ को कोई नही देख पाएगा)

२. इस ग्रुप के ऐड्मिन या कन्ट्रोलर आपके दिए गए प्रश्नों के उत्तर की


जाच करेंगे और आपको ग्प
रु में शामिल करेंगे (हम पूरी कोशिश करेंगे
की वही लोग ग्रुप में शामिल हो जो इस बुक को पढ़ रहे है और अपनी
हकलाहट को पूरी तरह से ठीक करने के लिए गंभीर है)।

16
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

एक्शन २: आपके जो भी शब्दों मे समस्या होती है वो सारे आप नीचे दिए


गए बॉक्स में लिखे (उदाहरण - दुनिया, घर, मम्मी)

एक्शन ३: अपने मोबाईल का विडिओ रिकॉर्डिं ग शुरू करे और अपने बारे में
बात करना शुरू कर,े साथ में इस रिकॉर्डिं ग में आपने जो ऊपर शब्द लिखे
है वो सारे आपको इसमे बताने है। शब्दों को बोलते समय अगर समस्या
आ रही हो तो वो विडिओ में दिखाए, शब्दों को छिपाना नही है। अगर आपको
अपनी समस्या के बारे में पता है तो उसको भी आप विडिओ में शेयर करे।
अगर आप शब्दों को छिपाएं गे या फिर अपनी समस्या को शेयर नही करेंगे
तो इस पुस्तक में आगे दी गई सारी बाते व्यर्थ हो जाएं गी और आप इस
पुस्तक का पूरा लाभ नही उठा पाएं ग।े

आपको शायद अब समझ में आ गया हो तो अपने मोबाईल को कही


पर रखकर, सामने बैठकर विडिओ रिकॉर्डिं ग करना शुरू करे और कम से
कम ३ से ५ मिनट का विडिओ बनाए।

इस पुस्तक में आगे जो भी लिखा है उसको तब तक नही पढ़ना जब


तक आप इस विडिओ को कम्प्लीट नही करेंग।े

अब आपके पास आपका विडिओ है जिसमे आपके बारे में और आपके


प्रॉब्ले म के बारे में बताया गया है जिसका इस्तेमाल अब आपको इस पूरे

17
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चैप्टर में करना है। क्योकि वही विडिओ अब आपको अपने प्रॉब्ले म के बारे
में बताएगा और आपका रूट कॉज़ आपके सामने आ जाएगा।

अगर आपको विडिओ रिकार्ड करते समय कोई हकलाहट नही हुई
या फिर आपको उसको फिर से बनाना है तो आप जिस फेसबुक ग्रुप में
शामिल हो चुके हो उस ग्प
रु में आपको फेसबुक लाइव जाकर बोलना है ३
से ५ मिनट, ताकि आपकी असली समस्या वहा पर दिखे क्योकि घर पर
अकेले में विडिओ में बात करते समय आपको ज्यादा समस्या नही होगी।
में आपको यह भी बता सकता हू की आपका रिकार्ड किया विडिओ अगर
आप फेसबुक ग्रुप में अपलोड करेंगे तो ग्प
रु मेंम्बर आपको उसमे फीडबैक
भी दे सकते है। जिससे आपको और अच्छे से आप के समस्या के बारे में
पता चल जाएगा।

अगर आपका विडिओ आपके साथ है या फिर फेसबुक पर आपकी


लाइव विडिओ बन चुकी है तो अब में आपके सामने रूट कॉज़ की लिस्ट
रखता हू। आपको अपने विडिओ के साथ उस लिस्ट को चेक करना है और
आपका रूट कॉज़ आपके सामने आ जाएगा। चलिए शुरू करते है।

मै आपके सामने १३ अलग अलग लिस्ट रखुग


ं ा और आपको उसके
साथ आपका विडिओ चक
े करना है, विडिओ बनाते समय आपके साथ
जो भी हुआ वो आप लिस्ट के साथ चक
े कर।े इसके अलावा बोलते समय
ज्यादातर आपके साथ जो होता है उसे भी ध्यान मे रखकर नीचे दी गई
लिस्ट को चेक करे। आपके रूट कॉज़ एक से ज्यादा हो सकते है।

१. क्या आपके दिल की धड़कने तेज हो जाती है?


२. क्या आपके मन में ये सोच आती है की आप बोल नही पाएं गे, अटक
जाएं गे?
३. क्या आपके छाती में आपको प्श
रे र ज्यादा लगता है?
अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Anxiety / Nervousness

18
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

४. क्या आप अपनी आख
ँ ों को`जानबुझकर बंद करते है या फिर आंखे
कैमरा को या फिर आगे वाले इं सान के आख
ँ ों मे नही देख पाते है ?

५. क्या आपके चेहरे पर इक्स्श


प्रे न बोलते समय कुछ खराब हो जाते है
(नाक, मुह
ं , आंख)े ?

६. क्या आपका शरीर कांपता है (बॉडी वाइब्ट


रै ) या फिर पसीना छूटता है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Not able to face problem /


less experience with speaking

७. क्या बोलते समय आपके होंठ कापते है? या फिर चिपक जाते है?

८. क्
 या आपका मुह
ं अच्छे से खुलता नही है? क्या आप मुह
ं को अच्छे से
खोल नही पाते है?

९.आपको स्वर से शुरू होने वाले शब्दों में दिक्कत होती है(अ आ इ ई उ ऊ
ए ऐ ओ औ)?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - mouth opening issue /


your mouth is not opening effectively

१०. क्या आपके बोलने की स्पीड ज्यादा है?

११. क्या आप शब्दों को बार बार दोहराते हो (उदाहरण - प प पानी)?

१२. क्या बोलते समय अक्सर लोग आपकी बात समझ नही पाते है?

१३. क्या आप बोलते समय शब्दों को खा जाते हो?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - your speed of speaking is


fast / excitement

19
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

१४. क्या बोलते समय आपकी जीभ अक्सर ऊपर की तरफ तालु पर
चिपक जाती है?

१५. क्या आपकी जीभ वाइब्ट


रै नही हो पाती (उदाहरण - र्ररर्रररर)?

१६. क्या आपकी जीभ बोलते समय अक्सर बाहर आ जाती है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Tongue vibration issue /


tongue is not flexible while speaking

१७. क्या बोलते समय आपके शब्द रुक रुककर बाहर आते है? क्या
अनावश्यक रूप से आपका बोलने का फ़्लो रुक जाता है?

१८. क्या आपको बोलते समय ऐसा लगता है की सांस रुक जाती है?

१९. क्
 या बोलते समय आप ३, ४ शब्दों से ज्यादा नही बोल पाते / एक
वाक्य को पूर्ण नही कर पात?े

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Breathing Flow Issue

२०. क्
 या आप बोलते समय अनावश्यक शब्दों का इस्तेमाल करते है
(उदाहरण - Ummm, hmmm, Ok , मतलब, etc)?

२१. क्
 या आप अपने शब्दों को घूमा फिराके बोलते है / महत्त्वपूर्ण शब्द के
पहले अनावश्यक शब्दों को इस्तेमाल करते है?

२२. क्या आप बोलते समय शब्दों का अनुक्रम बदल देते है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Hide word / Filler Issue /


Issue with using unnecessary word

20
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

२३. क्या बोलते समय आपके चह


े रे पर बहुत कम हावभाव दिखते है?

२४. क्या बोलते समय आपका शरीर जकडन सी महसूस करता है?

२५. क्या बोलने के बाद आपको थका थका सा लगता है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Body is not feeling


comfortable / Body is not free while speaking

२६. क्या बोलने से पहले आपके मन में आता है की आप बोल नही पाएं गे?

२७. क्या आपको हकलाहट ज्यादातर आपसे सीनियर या फिर जिनको


आप नही जानते उनके सामने होती है?

२८. क्या आपकी हकलाहट परिस्थिती के अनुसार होती है (उदाहरण -


स्टेज पर, इं टरव्यू में)?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Your self image for yourself
is less confident, not worthy, compare with others

२९. क्या आपको बोलने से पहले मन में कुछ नही आता फिर भी आप
शब्दों पर अटक जाते है या उनको बार बार बोलते है?

३०. क्या शब्द बोलते समय आप कन्फ्ज़


यू हो जाते है और कोई भी शब्द
बोलने की कोशिश करते है?

३१. क्या आपको हकलाहट ज्यादा तब होती है जब आप जोश में आ जाते है


या फिर किसीको एकदम से बात बतानी हो?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Fumbling Issue / Excitement

21
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

३२. क्या बोलते समय आप “र” शब्द के लिए “ल” जैसा उच्चारण करते है?

३३. क्
 या बोलते समय आपको लगता है की आप स्पष्ट’ बोलते है पर
आगेवाले इं सान को आपकी भाषा जल्दी समझ नही आती है?

३४. क्या बोलते समय आपके मुह


ं से ज्यादा हवा बाहर आती है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Tongue is not touching to


correct location / foundation issue

३५. क्
 या बोलते समय/बोलने के बाद आपके गले में खराश जैसा लगता
है?

३६. क्
 या लगातार बहुत सारा बोलने के बाद आपके गले में कुछ समस्या
लगती है?

३७. क्या बोलते समय आपको बार बार खांसी आती है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - Your water level in body is


down / you drink less water / dehydration

३८. क्
 या आप वाक्य को पूर्ण करते है पर आपके पेट पर ज्यादा दबाव आ
जाता है?

३९. क्या वाक्य को पूरा करने के बाद अंदर ही अंदर आपको थका हुआ
महसूस होता है?

४०. क्या बोलते समय आप अपने गले पर ज्यादा दबाव देते है या आपको
वैसा महसूस होता है?

अगर इनमे से कुछ है तो रूट कॉज़ - you are speaking by


holding air in stomach

22
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

इसके अलावा आपके जो भी शब्द है जिन पर आपको ज्यादा समस्या


होती है वो आप यह नीचे दिए गए बॉक्स में लिखे (उदाहरण - क , क्र , प्र, च )

अब मै आपको कुछ और प्रश्न पूछना चाहूँगा। अगर आपके जवाब में


किसी भी शब्द पर आपको बोलने में दिक्कत आती है या फिर ऐसा लगता
है तो आपको उसको उस प्रश्न के नीचे लिखना है।

ऊदहरण के लिए - आपका प्रश्न है - आपके देश के आसपास जीतने


भी देश है उनके नाम बताने में कोई दिक्कत?

और अगर आपके उत्तर में अमरिका, जापान, ईरान ये शब्द आपको


कठिन लगते है तो आपको उसको लिखना है। तो चलिए में आपको प्रश्न
पूछता हू और आप उसका जवाब तभी लिखेंगे जब आपको उत्तर/शब्द में
दिक्कत होती है। अगर आपको उस उत्तर/शब्द बोलने मे कोई भी दिक्कत
नहीं होती या उसपर आप कभी नहीं अटकते तो ऐसे शब्दों को नहीं लिखना
है।

प्रश्न १ - आपका पूरा नाम बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

23
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

प्रश्न २ - आपके घर में जीतने भी लोग रहते है उनके नाम बोलते समय
किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न ३ – आपके रिश्द


ते ार के नाम बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत
(मामा, चाचा, मौसी, उनके बच्)चे ? -

प्रश्न ४ - आपके रिश्द


ते ार के आखरी नाम बोलते समय किसी शब्द पर
दिक्कत (सरनेम)? –

प्रश्न ५ - आपके रिशेदार जिस गाव/शहर में रहते है उनके नाम बोलते
समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न ६ - आपके अड़ोस पड़ोस के लोगों के नाम बोलते समय किसी शब्द
पर दिक्कत? –

प्रश्न ७ - आपका पूरा पत्ता बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न ८ - आपके घर के ५० किलोमीटर के आसपास के गाव के नाम


बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न ९ - आपके जिले में जीतने भी गाव है उनके नाम बोलते समय किसी
शब्द पर दिक्कत? –

24
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

प्रश्न १० - आपके राज्य में जीतने भी जिले या फिर नामचीन शहर के नाम
बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न ११ - आपके देश में जीतने भी राज्य है उनके नाम बोलते समय किसी
शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १२ - आपके देश में जितने भी नामचीन शहर है उनके नाम बोलते
समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १३ - आपके देश में जीतने भी पोलिटिकल पार्टी / पोलीटिशन उनके


नाम बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १४ - आपके देश में जीतने भी नामचीन कलाकार है उनके नाम


बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १५ - दुनिया में जीतने भी देश है, फेमस सिटी या लोग है उनके नाम
बोलते समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १६ - आप टीवी पर जीतने भी न्यूज चैनल देखते है उनके नाम बोलते


समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

प्रश्न १७ - आपके मोबाईल में जीतने भी ऐप्लकैशन है उनके नाम बोलते


समय किसी शब्द पर दिक्कत? –

25
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

प्रश्न १८ - अगर आप सब्जी खरीदने बाहर जाते है तो उसमे किसी सब्जी


के नाम पर दिक्कत? –

प्रश्न १९ - अगर आप फल खरीदने जाते है तो उसमे किसी फल के नाम


पर दिक्कत? –

प्रश्न २० - १ तो १०० तक जीतने भी नंबर है उन में से किसी नंबर में


दिक्कत?

प्रश्न २१ - अगर आप किराना दुकान पर जाते है तो वहा पर कोई प्रोडक्ट


को बोलने में दिक्कत?

अब आपने ऊपर जितने भी शब्द लिखे है जिसमे आपको दिक्कत है,


आपको उन शब्दों का विश्लेषण करना है ताकि आप अपनी समस्या को
सही से समझ सके। वो कैस?े चलिए, देखते है!

आपको ऊपर लिखे शब्दों का ३ तरह से विश्लेषण करना है:

१. आ
 पने जीतने भी शब्द लिखे है उस में जो अक्षर सबसे ज्यादा आया है
उसको पहले और फिर बाकी उसी हिसाब से क्रम में लिखने है।

उदाहरण – ऊपर पूछे गए गए प्रश्नों के उत्तर मे अगर आपके ४० शब्दों


की शुरुवात “क” से हुई है, २५ शब्दों की शुरुवात “ट” शब्द से हुई है, २०
शब्दों की शुरुवात “प” शब्दों से हुई, और इस प्रकार बाकी के शब्द - तो
आपको पहले विश्लेषण में लिखना है
• क
• ट
• प
• (बाकी के शब्द इसके नीच)े
26
जानिए आपकी समस्या क्या है (रूट कॉज़)

इस विश्ले षण से हमे ये पता चलेगा की शुरुवात के कोणसे अक्षर पर


आपको ज्यादा दिक्कत होती है

२. अब आपको हर अक्षर से साथ यह देखना है की सारे शब्दों में क्या पैटर्न
बन रहा है और उसको लिखना है।

उदाहरण - क अक्षर से शुरू होने वाले ४० शब्द थे तो उन में यह देखना


है की आखिर कौन सा पैटर्न शब्द के साथ रीपीट हो रहा है, जैसे की -
कानपुर, कांचन, कापड़ - इस में पहला अक्षर “का” आ रहा है और “का”
शब्द का मतलब “क + आ“ तो शायद आपक मुह
ं “आ” याने कि स्वर के
लिए अच्छे से खुलता नही है (का = क + आ )।

यहापर आपका पैटर्न दो तरह से हो सकते है – १. आपको “क” अक्षर से


शुरू होने वाले शब्दों मे दिक्कत है, २. आपको “क” अक्षर से शुरू होने वाले
उन शब्दों मे दिक्कत है जिसकी शुरुवात “क” के साथ “आ” स्वर के साथ
होती है यानि की “का”

३. अब आपको यह लिखना है की आखिर आपको हकलाहट क्यो होती है,


जैसे की घबराहट, पहले से ही सोच कर रखना या फिर अनजान इं सान
के सामने ही।

आपको शायद अब पता चल गया होगा कि आपको कौन कौन से शब्दों


पर दिक्कत है और आपका रूट कॉज़ क्या है। अगर आपको अभी भी थोडा
कन्फ़्युशन है तो इस चैप्टर को फिर से एक बार पढे और दिए गए प्रश्नों के
उत्तरो को लिखे। आगे बढ़ने से पहले आपको रूट कॉज़ पता होना चाहिए।
तभी आपको यह पुस्तक मदद कर पाएगी।

27
चैप्टर 3
हकलाहट दरू करने की स्ट्रै टिजी
और प्लैनिंग

“If you fail to plan, you plan to fail”


- Benjamin Franklin

अगर आपको अपने लाइफ में कुछ पाना हो, आपके कुछ गोल्स है, तो
उसको जल्दी पाने का तरीका होता है – उसे आप अड्वान्स में प्लान करे।
हकलाहट को अपनी लाइफ से दूर करना भी एक गोल है जिसके लिए
आपका सही प्लान आपको मदद कर सकता है। चलिए देखते है की ये
स्ट्रैटिजी और प्लैनिं ग कैसे करते है।

अपने आपसे कुछ सवाल पूछे

किसी भी चीज की शुरुवात करना उतना कठिन नही है जितना उसके


ऊपर बने रहना। चलो मान लेते है की आपकी इच्छा है कि आपको एक
बहुत अच्छा वक्ता बनना है जो कही पर भी बिना डरे बात करता है और
लोग उसकी बात को सुनना पसंद करते है। आपने उसके लिए कुछ प्रयास
करना शुरू भी कर दिए तो क्या इतना करने से आप सफल बन जाओगे?

मेरे अनुभव से मुझे ऐसा लगता है कि अगर आपके अंदर उस चीज को


करने का जुनन
ू हो और आपको फरक नही पड़ता कि आपके सामने या

28
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

पीठ पीछे लोग क्या कहते है, तो आप जल्दी सफल बन सकते हो। पर ये
जुनन
ू आएगा कहा स?े

मे आपको कुछ सवाल पूछता हू, जो शायद थोड़े कडवे लग सकते है


परंतु उसके उत्तर में आपका जुनन
ू छिपा है जो आपको लं बे समय तक
प्रेरित रखेगा।

१. आपको इस दुनिया में कितने लोग जानते है?

इस प्रश्न का उत्तर शायद आप ऐसा देंगे की ज्यादा से ज्यादा १०० या


२०० लोग। उस में आपके घरवाले, रिश्द
ते ार, दोस्त, पड़ोसी, ऑफिस में
काम करने वाले लोग या कुछ और जिन से आप बाहर मिलते है।

परंतु सवाल अब यह आता है कि दुनिया में करोड़ों लोग है और उस में से


एक आप। हर दिन किसी का जन्म होता है और हर दिन कोई ना कोई इस
दुनिया से जाता है। तो क्या आपको भी इसी तरह जीना है? जो एक दिन तो
दुनिया से जाने वाला है?

क्या आपको नही लगता की आप बहुत कुछ कर सकते है ले कीन आप


नही कर रहे हो क्योकि आपको बस हकलाहट की दिक्कत है? 10 करोड़
शुक्राणु में से एक शुक्राणु जो जीतता है उसी का नतीजा आप हो। तो क्या
आपको नही लगता की माँ के पट
े में ही आपने बहुत बढ़ी लढाई जीत ली
थी और वही योद्धा अब भूल गया है की वो क्या कर सकता है। क्योकि
उसको बस एक छोटी सी हकलाहट की दिक्कत है।

आज एक बात को आप अपने मन से कह दो - “ मै एक योद्धा हू जो


इस दुनिया में जीतने के लिए आया हू और तुम (मन) मेरे गुलाम हो। हाँ,
भले ही मुझे कभी कभी डर लगता है मगर इसका मतलब यह नही की मै
डरपोक हू। आज मै तुम्हे वचन देता हू कि बहुत जल्द ये दुनिया मुझे जानने
लगेगी और यह छोटी सी हकलाहट उसके सामने कुछ नही रहेगी।”

29
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२. आपकी हकलाहट की समस्या को कौन दूर कर सकता/सकती है?

आप जब अपने भगवान के सामने हाथ जोड़ते है तो शायद आप यह


बोलते है की - “हे भगवान! मुझे हकलाहट से मुक्ति दो, कुछ ऐसा चमत्कार
करो की मै बहुत अच्छा बोलना शुरू करू।” तो क्या अब तक आपकी
हकलाहट ठीक हो गई?

भगवान से जब आप कुछ भी मांगते हो तो वो आपकी पहले परीक्षा


लेता है की सच में आप इसके लिए तैयार हो ? आपका भगवान आपको
सब कुछ देने के लिए तैयार है पर क्या आप तैयार है उसके बताए हुए रास्ते
पर चलने के लिए? उसका रास्ता शायद आपको थोडा डराने वाला लगता
हो पर आपकी मंजिल बहुत ज्यादा खूबसूरत है जो चाहती है की आप जल्दी
से जल्दी वह पर पहोच जाओ । पर आप है किसी के इं तजार में बैठे हो जो
बस आपके सपनों में है की कोई तो आएगा जो मुझे इस हकलाहट से दूर
लेकर जाएगा ।

आपके सपनों में जो आ रहा है वो दूसरा कोई नही, खुद आपका कल


है। बस फरक इतना है की आपका कल आप से बहुत खूबसूरत है, स्मार्ट
है, और उसने अपनी समस्या को दूर कर लिया है परंतु आप शायद उसको
पहचान नही पा रहे हो।

उठो मेरे दोस्त और चलने लगो! उस रास्ते पर जिस पर आपको चलना


ही है। रास्ता थोडा सा कठिन है, मंजिल थोडी दूर है, परंतु विश्वास रखो जब
आप उस मंजिल पर पहुंच जाओगे तो आप उस इं सान से मिलोगे जो बहुत
कुछ बडा कर सकता है और वो आप ही होंग।े बस खुद पर विश्वास रखो और
आगे बढ़ते रहो।

30
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

३. क्या होगा अगर आपने इसे ठीक नही किया तो?

वैसे तो हम हमेशा सोचते है की हमारे जीवन का क्या उद्देश है? और इसी


सोच में हम अपनी पूरी जिं दगी बीता देते है। शायद हमे यह लगता है की
कोई हमे खत लिखकर बता देगा की वो उद्देश क्या है या फिर आजकल
एसएमएस या व्हाट्सप्प कर देगा, पर ऐसा नही होता। आपके जीवन में
जो भी कठीनाईया अब तक आयी है उसने आपको कमजोर बनाया है
या मजबूत? अगर आप कठीनाईयों का सामना करते है तो आप अंदर से
मजबूत बन जाएं गे और उस पर अगर ध्यान न दे या फिर उसको टालते
रहे तो आप अंदर से कमजोर बन जाएं ग।े

अब आपके जीवन में एक समस्या आ गई है जो है आपकी हकलाहट।


ये हकलाहट आपके हर काम में बाधा डालती है, हर इं सान के सामने
आपको शर्मिं दा करती है, हर बार आपको पीछे लाने का प्रयास करती है।
ऐसा क्यो?

इसका जवाब है की आपने अपनी हकलाहट की समस्या को कभी


ध्यान से देखा ही नही कि आखिर वो कैसी है, क्यो आपके अंदर है, आपको
हमश
े ा परेशान क्यो करती है। आपने शायद उसका सामना सही से किया
ही न हो। शायद आपने ज्यादा ध्यान ही ना दिया हो और इसी वजह से
आपकी वो कमजोरी बन चुकी है।

अब यही कमजोरी आपके ऑफिस में, घर पर, दोस्तों के सामने,


रिश्तेदारों के सामने, और जहा भी आप बात करते है - हर जगह पर आपके
साथ होती है और आप अपने जीवन का आनंद पूरी तरह से नही उठा पाते।

सोचो क्या होगा अगर आपने इस हकलाहट को अभी भी दूर नही किया
तो? तो वही होगा जैसे अब तक हो रहा है। वही होगा जो अब तक आपके
बस सपनों में है मगर शायद कभी हकीकत में नही होगा। आप चाहे जितनी
कोशिश करो, जब तक आपकी हकलाहट को आप गंभीरता से नही ले ते
और उसके ऊपर काम नही करत,े तब तक वही होगा जो आप नही चाहते है।

31
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आप इं टरव्यू में अपने आप को सही तरह से एक्स्प्रेस नही कर पाएं गे,


जॉब में प्रमोशन आपको छोड़कर किसी ऐसे इं सान को दिया जाएगा जो
अच्छे से बोल सकता है, आप जब भी कुछ सामान ले ने जाएं गे या किसी
को online ऑर्डर देंगे तो हमश
े ा ही अटक जाएं गे और वही सब कुछ होगा
जो आप नही चाहते है।

तो अगर आपको जीवन में वो चाहिए जिसके आप हकदार हो तो बस


एक ही काम करना पड़ेगा की आज से आपके इस हकलाहट को गंभीरता
से ले ना शुरू करे और अपने जीवन का उद्देश यही रखे की चाहे कुछ भी हो
जाए मै एक स्पष्ट वक्ता के रूप में उभर कर आऊँगा और सभी को दिखा
दूंगा कि मै थोडा नही बहुत कुछ कर सकता हू।

अपने बिलीफ को चेंज कैसे करे?

बिलीफ का मतलब वह भावना की कोई वस्तु या व्यक्ति नैतिक रूप


से सही है, अथवा उसका अस्तित्व है। बिलीफ एक आपकी धारणा है जो
किसी को सही और किसी को गलत मानती है। आपका बिलीफ आपके
काम करने के तरीकों में, आपकी सोच में, यहा तक की आपके एक्शन में
बहुत बार दिखता है।

हकलाहट को आप अपनी जिं दगी से बाहर कर सकते है या फिर ये


आपके साथ जिं दगी भर रहने वाली है, ये सोच भी आपका बिलीफ ही
डिसाइड करता है। तो अगर आपको हकलाहट को दूर करना है तो पहले
सोच लो की ये दूर होती है या नही क्योकि जैसा आपने सोचा फिर वैसा
ही आपके एक्शन में भी दिखता है । उदाहरण - अगर आप मानते हो की
हकलाहट ८०% ही ठीक हो सकती है तो आपके एक्शन भी ८०% ही आने
वाले है ना की १००%?

पर आपकी यह सोच किसने बनाई है? हम बचपन में अपने माता-


पिता से बहुत कुछ सीखते है, फिर रिश्द
ते ारो स,े दोस्तों से, समाज से, सोशल

32
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

मीडिया से, अपने धर्म स,े और जिनको आप मानते है, फॉलो करते है उनसे
भी। तो आपका जब जन्म हुआ था तब आपका दिमाग खाली था। पर जैसे
आप बडे होते गए वैसे आपका बिलीफ भी उसके साथ बदलता गया या
फिर और ज्यादा स्ट्रॉंग होता गया।

अब तक हम बात करते आ रहे है हकलाहट के बारे में। तो सबसे पहले


आपका बिलीफ जो बना है वो पहले तो आपके उन अनुभवो से बना है जहा
पर आप अटक रहे थे और शायद आपने सोचा की हकलाहट कभी ठीक
हो ही नही सकती। या फिर उन सोशल मीडिया से जहा पर आप किसीका
विडिओ देखकर मान जाते हो ये तो कभी ठीक नही हो पाएगी बस मैनेज
हो सकती है।

अगर १०० लोगों में से ९० लोग यह कहते है की २ + २ = ३ तो इस


बात को बाकी के १० में से ८ लोग भी शायद मान ले ते है की ऐसा ही होगा
बिना यह देखे की इस में कितनी सच्चाई है क्योकि १०० में से ९० लोग यह
बोल रहे है तो सही ही होगा। पर अगर उन १० में से २ इं सान यह कहते है २
+ २ = ४ तो शायद बाकी के ९८ लोग उनके ऊपर हसेंगे या उनको पागल
समझेंग।े पर जैसा की आपको पता है की २ + २ = ४ होते है तो आपको
पता है की ९८ लोगों का बिलीफ गलत है और २ लोगों का बिलीफ यहा
पर सही है।

ऐसा ही कुछ आजकल आपको सोशल मीडिया पर देखने को मिलता


है। लोग अपनी हकलाहट की समस्या को लेकर बाते करते है की में तो
१० साल से प्रैक्टिस कर रहा हू, परंतु अब तक भी ठीक नही हुई मतलब
ये ठीक नही हो सकती या फिर कोई इं सान कुछ इं टरनेट से पढ़ कर बता
रहा है कि हकलाहट दूर नही हो सकती है। अब में आपको यह पर कुछ मेरा
इं टरनेट को ले कर विश्लेषण बताना चाहूँगा।

आप जब गूगल पर कुछ सर्च करते है तो आपके सामने बहुत सारी


लिंक्स आती है और आप ज्यादातर पहले ६ लिंक्स में से किसी एक लिंक

33
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

को क्लिक करते है। उसके बाद उस इनफार्मेशन को ले कर अपनी राय


बनाते हो या अपने ग्यान को बढ़ाते हो। जो भी लिंक्स आपको गूगल पर
मिलती है, क्या वो गूगल की पर्सनल लिंक्स है? नही! क्या गूगल उन
लिंक्स पर जो लिखा है उसपर कुछ प्फ
रू चक
े करती है? नही! जो लिंक्स
पहले आपको दिखते है क्या सच्चाई बता रहे है और बाकी के लिंक्स झूठ
बोल रहे है? नही! ऐसा नही होता।

आपको गूगल, यूट्ब


यू , फेसबुक, या अन्य कोई भी सोशल मीडिया जो
इनफार्मेशन शेयर करता है वो उनके सर्च इं जन आप्टमज़ैशन से आपके
सामने आता है मतलब आपने सर्च किया हुआ वर्ड अगर उन लिंक्स में कही
पर भी कनेक्ट करता है तो वो आपके सामने आता है और हम ज्यादातर
पहले ६ लिंक्स में से किसी लिंक को क्लिक करके आगे बढ़ते है। अब
जिस इं सान ने उन लिंक्स पर या उसके वब
े साईट पर जो लिखा है क्या
वो सच होता है? शायद हा या शायद ना। वो इं सान अपने वेबसाईट पेज
पर उसका अनुभव लिखता है या फिर उसका जो बिलीफ है उस हिसाब से
लिखता है पर उस को पढ़कर आप उसे सच मान ले ते है।

मै यहा पर ये नही कह रहा की इं टरनट


े पर सब कुछ झूठ है या फिर सब
कुछ सच है मगर जब कोई इं सान अपनी हकलाहट के बारे में कुछ बताता
है तो वो उसका अनुभव है। तो क्या ये जरूरी है की आपका भी अनुभव वैसा
ही हो?

जो लोग अपनी हकलाहट को दूर कर चुके है वो अपना कीमती समय


इं टरनेट पर जाकर ये सर्च नही करते है की हकलाहट कैसे ठीक होती है
क्योकि वो अब उनके मन में आता ही नही और जिसके अंदर हकलाहट
है वो इं टरनेट पर सर्च करता है और उसको, जैसा की हमने ऊपर एक
उदाहरण में देखा है की, ९८% लोग जो बोल रहे है वही सच नजर आता है
पर जो २% लोग जो अपनी हकलाहट को ठीक कर चुके है अब इसके ऊपर
बात नही करते क्योकि वो उसको भूल चुके है।

34
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

तो आपके बिलीफ को अगर आपको चेंज करना है तो पहले आप ये


मान लो की कोई भी चीज इस दुनिया में असंभव नही होती है। ये जरूर हो
सकता है जिस समय आप इसको सोच रहे हो, शायद उस समय वो आपको
असंभव लगे परंतु उचित समय के साथ सब कुछ संभव हो जाता है।

जैसे की अगर ५० साल पहले अगर कोई यह बोलता की मै अपने घर


पर बैठकर हजारों किलोमीटर दूर बैठे इं सान से बात कर सकता हू और
उसको देख भी सकता हू, तो शायद लोग उस पर हसेंगे पर ले कीन वही
असंभव लगने वाली बात आज संभव है। वैसे ही अगर आपको आज ऐसा
लगता है कि हकलाहट को दूर नही किया जा सकता है, तो शायद इस
समय आपको ऐसा लग रहा हो पर समय के साथ सब कुछ संभव हो जाता
है। यही चीज मै आपको आने वाले चैप्टर में बताने वाला हू।

अपने समय का सही इस्म


ते ाल

अब हम यह देखते है की आप अपने समय का सही इस्तेमाल करके


कैसे अपनी हकलाहट को ठीक कर सकते है। यहा पर मै आप से स्पष्ट
करना चाहता हू की हकलाहट को ठीक करने के लिए किसीको कम
समय लग सकता है और किसीको ज्यादा ये निर्भर करना है की आप
प्रैक्टिस कैसे करते है और बाहर जाकर लोगों के सामने तकनीक से कैसे
बात करते है। याद रखे समय हमश
े ा बलवान होता है और आपको समय के
साथ आगे बढ़ना है क्योकि समय आपके लिए नही रुकता। आप समय के
साथ चलें गे तो बहुत जल्द अपनी मंजिल तक पहुंच सकते है।

हम यहा पर आने वाले ३० से ९० दिन तक इसको फॉलो करेंगे और


आप खुद के अंदर बहुत सारा बदलाव देखग
ें ।े

जिस इं सान को जीवन में सक्स


से मिली है वो एक बात बार बार कहता
है कि मैने समय का सही तरीके से इस्तेमाल किया और जिस इं सान को
सक्सेस चाहिए उसको भी अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए।

35
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपकी सक्सेस आपके हकलाहट को दूर करके एक स्पष्ट वक्ता बनना


है और अब हम देखते है कैसे समय का सही इस्तेमाल करे।

आपको आज से अपने २४ घंटों का हिसाब रखना है क्योकि यही हिसाब


आपको ज्यादा समय निकाल कर देगा; आपके प्रैक्टिस और रिजल्ट के
लिए, आपके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के लिए। आपको ज्यादा
टें शन ले ने की जरूरत नही है। हम आपके इस्तेमाल ना होने वाले समय
का इस्तेमाल करेंगे अपनी हकलाहट को दूर करने के लिए।

सबसे पहले आपको मर


े े कुछ सवालों का जवाब देना है और उन्हें प्रश्नों
के सामने लिखना है।

१. आप रात को कितने बजे सोते है? :

२. आप सुबह कितने बजे उठते है? :

३. आपके लं च का समय? :

४. आपके डिनर का समय? :

५. ऐ
 से ३ समय जिस समय आपका फोकस सबसे ज्यादा होता है (उदाहरण
- नहाने के बाद, शाम को ५ बजे, रात को ९ बजे जब आप बाहर घूमने
के लिए निकलते है)? :

६. ऐसा कोई समय जहा पर आप कुछ खास नही करते है और वो आप


इस्तेमाल कर सकते है? :

ऊपर दिए गए प्रश्नों के उत्तर से आपको अब पता चल रहा होगा कि


आपके पास समय तो होता है पर आप उसका उचित इस्तेमाल नही कर
रहे हो। अब देखते है आपको ऐसा क्या करना है जिससे आपका मन हमेशा
व्यस्त रहे और आप अपने २४ घंटों का अच्छे से इस्तेमाल कर सके।

सबसे पहले आपका रात को सोने का समय और सुबह उठने के समय


में ८ घंटों से ज्यादा अंतर नही होना चाहिए। अगर ८ घंटे से ज्यादा अंतर है
मतलब आप बिना मतलब के ज्यादा सोते है। यह आपके पूरे दिन का १/३

36
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

हिस्सा आप सोने में लगाते हो। मर


े े हिसाब से आपके सोने और उठने के
समय में ७ घंटों का अंतर पर्याप्त होता है और अगर आप थोडा जल्दी उठना
शुरू करे तो आपको ज्यादा समय मिल जाएगा अपनी प्रैक्टिस करने के
लिए।

दूसरा आपका लं च और डिनर का समय ३० मिनट से ज्यादा नही होना


चाहिए। अगर आप अपने परिवार के साथ खाना खाते है और उस समय
बात भी करते हो तो वो अच्छी बात रहग
े ी क्योकि वहा आपकी प्रैक्टिस हो
रही है बात करने की। पर बिना मतलब के अगर आप टीवी देख रहे हो, या
मोबाईल में कुछ देखते समय खाना खा रहे हो, तो आपको उसको तुरत

रोकना है। खाना खाने का समय ज्यादा से ज्यादा ३० मिनट रखे।

आप सुबह उठने के तुरत


ं बाद अगर अपने सोशल मीडिया को देखते है
ं बंद कर।े सुबह उठने के बाद पहले २ घंटे बहुत ज्यादा
तो ऐसा करना तुरत
महत्त्वपूर्ण होते है क्योकि उस समय आपका फोकस अच्छा होता है। उस
समय आपको वही काम करने चाहिए जो सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जैसे
की योग अभ्यास, कसरत करना, या फिर हकलाहट के लिए प्रैक्टिस।

आपके दिनभर में कुछ समय ऐसे भी होते है जिस समय आपका
फोकस बहुत अच्छा होता है। जैसे की अगर आप ऑफिस में बैठे है और
सारे लोग लं च के लिए चले गए हो उस समय आपका फोकस बहुत अच्छा
होता है क्योकि बाहर से कोई आपको डिस्टर्ब नही कर रहा, या फिर शाम
को ५ बजे जब मौसम शांत और ठं डा लगने लगता है उस समय भी आप
ज्यादा फोकस रहते हो। या फिर रात को जब आप खाना खाने के बाद
बाहर टहलने निकलते हो तो उस समय भी आप ज्यादा फोकस होते हो।
जब आप फोकस में होते हो उस समय हमश
े ा अपने मोबाईल को या फिर
हर उस चीज को आपको दूर रखना है जो आपको डिस्टर्ब कर सकती है।
ऐसा करने से आप अपने समय का सबसे अच्छा इस्तेमाल कर सकते हो।

अब हम बात करते है की आपके २४ घंटों का इस्तेमाल आप कैसे

37
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ज्यादा अच्छे से करे ताकि आपका ऑफिस या कॉलेज के साथ साथ आप


सारे हकलाहट की प्रैक्टिस और बाहर का अनुभव इन सभी को मैनेज
कर सके। जो भी प्रैक्टिस होगी वो हम आने वाले चैप्टर में डिस्कस करने
वाले है:

१. आ
 पको दुकान से एक छोटी स्पाइरल डायरी खरीदनी है, जिसका
इस्तेमाल आप आपके रोज के कामों को लिखने के लिए करेंगे (Daily
Schedule)

२. आपको उस डायरी में रात को सोने से पहले आपके समय को डिवाइड


करके लिखना है।

उदाहरण के लिए:

सुबह ६ तो ६.३० - तैयार होना है (इम्पॉर्टन्ट मॉर्निं ग टास्क)

सुबह ६.३० से ७ - योगा अभ्यास

सुबह ७ से ८.३० - हकलाहट की प्रैक्टिस

सुबह ८.३० से ९ - कॉल पर बाते / बाहर का अनुभव / दूसरों से साथ


बोलना है

सुबह ९ से ९.३० - नहाना और तैयार होना है

सुबह ९.३० से १० - ब्क


रे फास्ट

- (और इस तरह बाकी के काम)

३. जब आप डायरी लिखने वाले है तब उसमे आपके जो फोकस वाले समय


है उस समय आपको ज्यादातर वो काम करने है जो सबसे महत्त्वपूर्ण है।
जैसे की बोलने की प्रैक्टिस, ऑफिस का काम, भविष्य के बारे में कुछ
प्लान।

38
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

४. आपको डायरी में सोने का और सुबह उठने का समय लिखना है और


कोशिश करनी है की समय के साथ ही रहेंग।े अगर किसी कारण आप
थोड़े देरी से उठते है तो जिस समय आप उठते है उस समय से जो चीज
आपको महत्त्वपूर्ण लगती है उस पर ज्यादा काम करे। आज रहने देते है
क्योकि में ले ट हो गया हू ऐसा बहाना मत बनाए क्योकि एक छोटासा
बहाना आपका रोज का बहाना हो सकता है और कुछ दिन के बाद आप
वापस वही पर आ जाएं गे जहा पर आप पहले थ।े

आपको यह डायरी हर रोज लिखनी है जब तक आप अपने लक्ष्य तक


पहुंच नही जाते। हो सकता है की डायरी लिखना आपको बहुत आसान लग
रहा है और आप यह भी कहेंगे की इसे मै बाद में कर लूं गा। पहले मै इस
पुस्तक को पढ़ ले ता हू, तो मर
े ी सलाह आपसे यही रहेगी की अगर आपसे
पास अभी कोई डायरी नही है तो आप किसी भी पप
े र पर आपका आज का
प्लान लिखे। अगर आप इसको रात में पढ़ रहे है तो आप कल का प्लान
लिखे। ऐसा करने से आप ज्यादा फोकस हो जाएं गे और आप फोकस के
साथ आपके समय को इस्तेमाल करना शुरू करेंग।े

तो शायद अब आप तैयार है आपके प्लान के साथ की आपको क्या


करना है और अगर अभी भी तैयार नही है तो इसका अर्थ यह हो सकता है
की शायद आप उतने गंभीरता से अपने अपनी हकलाहट की समस्या को
नहीं ले रहे हे।

जब आप हर दिन डायरी लिखते है तो आपको उसके अलावा एक काम


और करना है - वो है आपका परफॉरमेंस चक
े करना की आपने आज
कितना डायरी (daily schedule) को फॉलो किया।

उदाहरण के लिए - जब भी आप कल का प्लान लिखे उसके पहले


आपने आज जो भी फॉलो किया उसको डायरी में टिक करे, जिसको नही
किया उसके सामने क्रॉस कर,े और पूरे दिन भर आपने जितना भी फॉलो
किया उसका प्रतिशत (percentage) लिख।े हर दिन कोशिश ये रखे की

39
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आप कम से कम ५०% डायरी को फॉलो करे और ज्यादा से ज्यादा फॉलो


कर।े ऐसा भी हो सकता है की १००% उसको फॉलो ना कर पाए तो कोई
बात नही। ले कीन आप यह देखग
ें े की इस डायरी की वजह से आप जो
पहले आपके समय को सही चीजों के लिए इस्तेमाल नही कर रहे थे वो
अब करने लगे है और आपके कॉलेज या ऑफिस के काम के साथ आप
हकलाहट की प्रैक्टिस और बाहर बोलने का अनुभव भी ले पा रहे हो।

अपने कामों को visualize करो

अगर आपको अपने डायरी में जो लिखा है उसको पूरा फॉलो करना
है और वो भी बिना किसी रिमाइं डर के तो इस तकनीक को आपको रोज
इस्तेमाल करना है। यह तकनीक बहुत ज्यादा शक्तिशाली है जो आपको
एक सफल इं सान बना सकती है। चाहे आप इसको अपने हकलाहट को
ठीक करने के लिए इस्तेमाल करे या फिर किसी दूसरे गोल के लिए, ये
हमश
े ा काम करेगी।

visualize करना मतलब आप जो काम कल करने वाले है उसको


आपको सोने से पहले अपने आख
ँ ों के सामने देखना है और ऐसे देखना है
की वो काम आप कर रहे हो और साथ में उसी समय कर रहे हो जिस समय
के लिए आपने उसको डायरी में लिखा हुआ है।

यहा पर एक बात आप को समझना जरूरी है की जो काम / टास्क


है उसको आपको ऐसे देखना है की वो हो रहा है मतलब आपको उसको
वर्तमान में लगातार (present continuous) में देखना है।

उदाहरण के लिए -

अगर आपने सुबह ६ बजे उठने का समय लिखा है और आप उसके लिए


अलार्म भी सेट कर चुके हो तो आपको अपने मन में उसको ऐसे visualize
करना है - आप सुबह ६ बजे अलार्म को बंद कर रहे है और आप अपने बेड
से उठ रहे हो।
40
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

अगर आपने सुबह ७ से ८ बजे का समय हकलाहट की प्रैक्टिस के लिए


सट
े किया है तो ऐसा मन में visualize करना है की आप अपनी जगह
पर बैठ गए हो जहा पर रोज बैठते हो प्रैक्टिस के लिए और आपके घड़ी या
मोबाईल में ७ बज गए है और आपकी प्रैक्टिस शुरू हो गई है।

आपको रात को सोने से पहले आप जो डायरी में लिखते है वो सब कुछ


मन में visualize करना है सुबह से रात तक। आपको देखना है की उस
समय आप उस काम को कर रहे हो। इसको आप २ से ३ बार रीपीट करे
और सो जाइए फिर आप अपने जीवन में चमत्कार का एहसास करेंगे की
सारे काम जो आपने डायरी में लिखे है वो सभी अपने समय से पूरे हो रहे है
और आपका मन अपने आप याद दिला रहा है।

अगर आपको इस तकनीक को टेस्ट करना है और अभी दिन है तो २


घंटे बाद जो भी आपको काम करना है उसको २, ३ बार आप visualize
करो की उस समय आप वो करना शुरू कर दिए हो और फिर अपने काम में
लग जाओ। मेरा अनुभव यह कहता है की २ घंटे बाद आपका मन आपको
याद दिलाएगा की आपको अब ये काम करना है।

आपको यह तकनीक हर रोज फॉलो करनी है। आपके डायरी के साथ


जब तक आप अपने लक्ष्य को हासिल नही करते ये छोटीसी बात आपको
बहुत ज्यादा मदद कर सकती है कामयाब होने के लिए।

अपने टारगेट को सेट करे

अगर आप किसी भी लक्ष को जल्दी हासिल करना चाहते हो तो उसका


सबसे सरल और सीधा जवाब है की आप उस लक्ष को किसी पेपर पर
लिखे और उसके सामने आपको उस लक्ष्य को कब तक हासिल करना है
वो तारीख लिखे। ऐसा करने से आपके मन में एक टारगेट सेट होता है की
आपको उस लक्ष तक पहुंचना है और आपके पास इतने दिन है। तो आप
उसके लिए ज्यादा फोकस हो जाते हो। क्योकि जब तक आप उस गोल को

41
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

लेकर आपकी डेड्लाइन सट


े नही करते तब तक आप उसको गंभीरता से
नही लें ग।े

उदाहरण के लिए -

अगर आपकी परीक्षा की तारीख आज से एक साल के बाद है तो आप


उसके लिए ज्यादा सीरीअस नही है क्योकि आपके पास बहुत सारा समय
है पढ़ाई करने के लिए। आप अपने परीक्षा को छोड़कर बाकी दूसरे कामों
को करने लगेंग।े परंतु अगर वही परीक्षा अब ७ दिन के बाद है तो आपका
पूरा फोकस परीक्षा के लिए पढ़ाई पर होगा और बाकी के काम को आप
ज्यादा महत्त्व नही देंग।े

जब आप अपना टारगट
े सट
े करते हो तो आपको उसको ले कर ज्यादा
गंभीर होना चाहिए। अगर ऐसा आप नही करते है तो टारगेट सेट करने
के बाद भी आप बाकी कामों को ज्यादा महत्त्व देंगे और डेड्लाइन निकल
जाने के बाद भी आप उसको पूरा नही कर पाएं ग।े ये उस तरह से है की नया
साल शुरू होते ही लोग बहुत सारे गोल सट
े करते है जैसे की उनको रोज
कसरत करनी है, रोज पुस्तक पढ़ना है, रात को जल्दी सोना है, और वो
ऐसा साल के पहले दिन से मतलब १ जनवरी से करना शुरू करते है। उस
दिन आप किसी भी गार्डन में या जिम में जाएं गे तो आपको वहा बहुत भीड़
मिले गी मगर जब आप १०-१५ दिन के बाद उसी गार्डन या जिम में जाओगे
तो वहा पर अब उतनी भीड़ नही है। ऐसा इसीलिए है क्योकि वो लोग अपने
गोल को ले कर ज्यादा सीरीअस नही थ।े

शायद ऐसा आपके साथ भी हो सकता है। लेकीन मुझे पूरा विश्वास है की
अगर आप यहा तक पुस्तक को पढ़ रहे हो तो आप अपनी हकलाहट को
लेकर सीरीअस हो और आप अपने टारगट
े को सट
े करके पूरी ईमानदारी
के साथ उस पर काम करेंग।े

अब बात करते है की ये टारगट


े कैसे सट
े करना होता है और कैसे आप
अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हो; वो भी दिए गए समय के

42
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

अंदर! चाहे वो हकलाहट को दूर करना ही क्यो ना हो। तो चलिए देखते है!

हम यहा पर ९० दिन का टारगट


े सट
े करके चलते है। अगर आपने आज
से प्रैक्टिस और बाहर बोलना शुरू किया तो आज से ९० दिनों तक आप
कैसे अपने टारगेट तक पहुंच सकते है यह बताने के लिए मै आपके साथ
नीचे एक तकनीक शय
े र करना चाहूँगा।

पॉप मेथड (POP Method)


P - Pain
O - Obstacle
P - Pleasure

अगर आपको कल सुबह जिम जाना है तो आप कैसे जाएं गे? अगर आप


हर दिन जिम जाते है तो आपके लिए यह एक आदत है। परंतु अगर आप
बहुत दिनों से सोच रहे थे मगर अभी तक नही गए या कभी कभी गए तो
इसके पीछे आपके मन में आए वह कारण है की क्यो आपको आज सोना
चाहिए। अगर आपको हर दिन जिम जाना है तो हम इसको पॉप मेथड से
इसका समाधान ढूंढ सकते है।

यहा पर आपका pain है की आपसे सुबह उठा नही जाएगा।

यहा पर आपके obstacle हो सकते है -

१. आपका सुबह अलार्म नही बजा।

२. आपको आपके जिम के कपड़े नही मिले।

३. आपके शूज खराब हो चुके है।

४. आपको बाइक की चाबी नही मिल रही है।

५. आपके बाइक में पट्


े रोल नही है।

43
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

६. शायद आपका दोस्त आज जिम नही आ रहा।

७. कुछ और ...

बहुत बार आप शायद इस तरह के obstacle की वजह से जिम नही जा


पात।े क्योकि आपके मन को एक कारण मिल चुका है कि आपको क्यो
नही जाना चाहिए।

यहा पर pleasure आता है की आप आज जिम गए तो आपको एक


आनंद मिलता है। अपने लिए कुछ करने का और शायद आपने उसका
एक फोटो भी सोशल मीडिया पर शय
े र किया।

ऊपर दिए गए उदाहरण से हमे यह पता चलता है जब आपको कुछ


करना होता है तो आप शायद शुरुवात तो कर देते हो पर अगर बीच में एक
भी कारण मन को मिल गया तो आप उस काम को वही पर रोक देते हो।

अब हम उदाहरण ले ते है हकलाहट का -

यहा पर pain है आपकी हकलाहट (stammering)

यहा पर pleasure है आपका प्रभावी बोलना (fluent speaker )

यहा पर obstacle आने वाले है -

१. आपके अंदर इच्छा नही है अपने हकलाहट को दूर करने की।

२. आपको कोनसी प्रैक्टिस करनी है वही नही पता।

३. आप अब प्रैक्टिस तो कर रहे हो पर उसको बाहर लोगों के सामने नही


बोल पाते।

४. आप प्रैक्टिस भी कर रहे हो और बाहर भी बोल रहे हो पर आप उसको


जारी नही रख पाते (७, ८ दिनों के बाद आप प्रैक्टिस करना बंद कर देते
हो)।

५. आप पिछले २१ दिनों से लगातार सारी प्रैक्टिस और बाहर बोलने का

44
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

अनुभव ले रहे हो, घर पर अच्छे से बोल पा रहे हो पर अब आपको लगता


है की अब बहुत हो गया। मै अब खुश हू। स्टेज पर बात नही भी की तो
क्या फरक पड़ेगा?

६. अब आप स्टेज पर बात कर पा रहे हो।

इन सब obstacle पर जब आप काबू पा ले ते हो तब आपका जो


pleasure है वह एक प्रभावी वक्ता बनना है। वहा पर आप पहुंच जाते हो।

ये सब कुछ आपको दिखने में तो बहुत आसान लगता है परंतु जब आप


उस एक एक obstacle को दूर करते हो तब आपको समझ आता है इसमे
आपको फोकस के साथ आगे बढ़ना होता है।

तो आपको अब क्या करना है? जो भी हमने ऊपर obstacle लिखे है


वो या फिर आपको जो obstacle लगते है वो ये सारे आपको लिखने है
और ९० दिनों के अंदर आपको उनको दूर करना है। इसके लिए आप नीचे
दिए गए बॉक्स में आपके सारे obstacle लिख सकते है।

45
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

अब हम बात करने वाले है की हम अपने बडे टारगेट को कैसे छोटे छोटे


टारगेट में बाट के जल्द से जल्द अपने pleasure तक पहुंच सकते है।

छोटे गोल्स Vs बडे गोल्स

ब्राइन ट्रे सी अपने एक पुस्तक में सवाल पूछते है की अगर आपको एक


बहुत बडा हाथी खाना है तो कैसे खाएं ग?े उसका जवाब वो लिखते है - एक
बार में एक निवाला (one bite at a time)। इसका मतलब ये है की
अगर आपको बडे गोल को हासिल करना है तो आपको उस गोल को छोटे
छोटे गोल में बाटना पड़ग
े ा। यही सबसे तेज तरीका हो सकता है किसी भी
गोल को हासिल करने का। हम इसी तकनीक को अपने हकलाहट को दूर
करने के लिए इस्तेमाल करेंग।े

हम यहा पर पॉप मथ
े ड में जो obstacle पुस्तक में लिखे है वो और
जो आपने ऊपर के बॉक्स में लिखे है वो सारे obstacle को हम एक
गोल मानते है और हम उन गोल तक पहुंचकर उसपर काम करके उसका
समाधान करने की कोशिश करेंग।े

हम यहा पर ९० दिन का टारगट


े रखते है और इन ९० दिनों में जितने
भी सारे obstacle आएं गे हम उनको ही अपना गोल बनाकर आगे बढ़ें ग।े

मे यहा पर उदाहरण के तौर पर ऊपर लिखे हुए ६ obstacle / गोल को


एक समय के साथ लिखुग
ं ा।

Obstacle १: दिन १ (आपके अंदर मोटवैशन आ चुका है अपनी हकलाहट


को ठीक करने का)

Obstacle २: दिन २ से ७ (आपको अब पता चल गया है की कौन सी


प्रैक्टिस करनी है, यहा पर गौर करने वाली बात यह है की २ से ७ दिन तक
आपको सही प्रैक्टिस कौन सी करनी है वो देखना है। बस प्रैक्टिस करने
से रिजल्ट नही आएगा। परंतु सही प्रैक्टिस करने से रिजल्ट जरूर आएगा

46
हकलाहट दूर करने की स्ट्रै टिजी और प्लै निं ग

और आपकी सही प्रैक्टिस आपके रूट कॉज़ के साथ होगी। सभी प्रैक्टिस
को हम अगले सेक्शन में देखग
ें )े ।

Obstacle ३: दिन ८ से २५ (अब आप बहुत दिनों से प्रैक्टिस कर रहे है पर


अभी भी बाहर जाकर लोगों से बात नही कर रहे हो)।

Obstacle ४: दिन २६ से ४० (अब आप रोज प्रैक्टिस से साथ हर दिन नए


लोगों से भी मिल रहे हो और अपने अंदर सुधार भी देख रहे हो)।

Obstacle ५: दिन ४१ से ६० (अब आप रोज प्रैक्टिस और बाहर बोलने का


अनुभव ले रहे है, साथ में बाहर विडिओ शूट कर रहे हो, सोशल मीडिया पर
लाइव जा रहे हो, आप मीटिं ग में प्रश्न पूछ रहे हो, और वह सब कुछ कर रहे
हो जिससे आपका कान्फिडन्स बढ़ सकता है)।

Obstacle ६: दिन ६१ से ९० (आप प्रैक्टिस और बाहर बोलने का अनुभव


रोज ले रहे है। अब आप हर दिन मौका देख रहे हो हर उस जगह पर बात
करने का जहा पर आपको थोडा डर लगता है। आप अपने दोस्तों से कॉल
पर बात कर पा रहे हो और सभी लोग आपके अंदर कुछ बदलाव देख पा
रहे है)।

मैने ऊपर बस एक उदाहरण दिया है आपको समझाने के लिए। आप


अपने दिनों को अपने गोल या रिजल्ट के हिसाब से बाट सकते है। आपको
लगातार ९० दिनों तक इसको करना है ताकि आपके अंदर का बोलने का
डर पूरी तरह से निकाल जाए। अगर आपके लिए ९० दिन कम समय है
तो आप उसे बढ़ा सकते है और अपने रिजल्ट के अनुसार उसे मैनेज करे।

अब आप नीचे दिए गए बॉक्स में अपने छोटे गोल लिखेंगे और उनके


सामने उनके दिन भी लिखेंग।े आप चाहे तो दिन के साथ साथ आपकी
डेड्लाइन भी लिख सकते हो ताकि आप और ज्यादा फोकस के साथ
इसको कर पाएं गे।

47
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

हमने अभी तक जितना भी सीखा या समझा है उसके बाद अब आपको


यह पता चल गया है की हकलाहट को दूर करने की स्ट्रैटिजी कैसे बनानी
है और अब वही स्ट्रैटिजी आपके सामने भी है। अगर आपने अभी तक भी
इस चैप्टर में दिए गए प्रश्नों के उत्तर नही लिखे है तो नेक्स्ट चैप्टर पर जाने
से पहले आपको यह करना अनिवार्य है। ऐसा करने से आप सही दिशा में
जाना शुरू करेंगे और आपके मंजिल तक बहुत जल्द पहुंच जाएं गे।

48
चैप्टर 4
अपने आप को एक पत्र लिखना

ऐसा मैने बहुत बार देखा है कि आप बाहर से कितनी भी कोशिश कर


लो पर अगर आपके अंदर आपकी सल्फ
े इमेज ही गलत सेट है तो बाहर
रिजल्ट आपको नही मिलता है। मै जब मर
े े क्लाइं ट को हकलाहट ठीक
करने का प्रशिक्षण देता हू तो उसमे सबसे ज्यादा महत्त्व उनकी सेल्फ इमेज
को देता हू। बहुत सारे क्लाइं ट प्रशिक्षण शुरू होने से पहले अपने आप को
कम समझते है। वो अपना एक बिलीफ बनाकर चलते है कि मुझे तो अब
इस हकलाहट के साथ ही पूरी जिं दगी बितानी पड़ग
े ी। मगर जब प्रशिक्षण
खत्म होता है तो वो अपने आपको एक कॉन्फिडेंट और प्रभावी वक्ता मानने
लगते है और वो वैसा अनुभव भी करते है।

हम इस चैप्टर में यह देखग


ें े की आप भी कैसे अपने सेल्फ इमेज को
सुधार सकते है जो आपको अंदर से मजबूत बनाएगा और आपका विश्वास
बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा अपने ऊपर।

यहा पर हम बात कर रहे है एक पत्र लिखने के बारे में। यह पत्र किसको


लिखना है और उसमे क्या लिखना है ये हम अब देखते है।

यहा पर जो पत्र लिख रहा है और जो पत्र पढ़ रहा है वो दोनों समय के


हिसाब से अलग अलग है पर एक ही इं सान है। मतलब एक वो इं सान जो
आपका भविष्य है और एक वो इं सान जो आपका वर्तमान है। जिसको में बोल
सकता हू - फ्च
यू र सल्फ
े (future self) और करंट सल्फ
े (current self).

49
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपका फ्यूचर सल्फ


े बहुत ज्यादा प्रभावी शैली के साथ बात करता है।
वो दिखने में बहुत सुद
ं र है। उसके अंदर कूट कूट के कान्फिडन्स भरा पडा
है। वो हर किसी के साथ अच्छे से बात करता है। हमेशा मुस्कु राता रहता है।
लोग उनके बोलने की शैली की तारीफ करते है। ये फ्यूचर सेल्फ कही पर
भी बात कर सकता है और वो अपने हर सपने को साकार कर रहा है और
अपने जीवन में बहुत खुश है।

आपका करंट सल्फ


े जो आप अभी हो; जिसके अंदर शायद थोडा
कान्फिडन्स कम है, हकलाहट की दिक्कत है, बाहर बोलने का अनुभव
कम है, और ऐसे ही अन्य समस्याओ के साथ अपने जीवन को जी रहा है।

अब आपको अपने आप को फ्च


यू र सल्फ
े मानकर अपने करंट सेल्फ
को एक पत्र लिखना है। जिसका उदहारण इस प्रकार है -

प्रिय करंट सेल्फ,

मै आशा करता हू की तुम अपने सपने को साकार करने के लिए पूरी


कोशिश कर रहे/रही हो। मुझे बताते हुए बहुत आनंद हो रहा है कि अब में
बहुत अच्छा वक्ता बन चुका हू। मैने अपनी हकलाहट को पूरी तरह से दूर
कर लिया है और अब मै कही पर भी बहुत अच्छे से बोल पाता हू। लोग मेरे
बोलने की शैली की दिल खोलकर तारीफ करते है। अब में अंदर से बहुत
कॉन्फिडेंट महसूस करता/करती हू। में अब बहुत सुद
ं र और प्रभावशाली
दिखता/दिखती हू। मर
े ा शरीर अब स्वस्थ है और मेरा वजन <आपका
मनचाहा वजन लिख>
े किलो है। मै अब बहुत सारे लोगों की मदद करता हू
और मै अपनी जिं दगी को बहुत खुशी से जी रहा हू।

मेरे प्रिय करंट सल्फ


े , अपने सपनों के साकार करने लिए सब कुछ
करो। मुझे यकीन है तुम जरूर उसको करोगे और हम जल्द ही मिलने वाले
है। मुझे तुमसे मिलने का बस
े ब्री से इं तजार है।
50
अपने आप को एक पत्र लिखना

धन्यवाद

तुम्हारा फ्यूचर सल्फ


<Sign>

<Date>

आपको भी खुद को इसी तरह का पत्र अभी लिखना है। आप चाहे तो अपने
पत्र में और भी बहुत सारी बाते ऐड कर सकते है - जैसे की साल का कितना
कमाते हो, आपके बच्चे कैसे है, आपका कोई गोल आपने पूरा किया, या
फिर और कुछ।

आप को इसी तरह का पत्र अपने आपको रोज लिखना है, कम से कम


२१ दिन। आप यह देखग
ें े कि आप अंदर से और बाहर से एक ही हो गए हो।
आप चाहे तो इसे ९० दिन या उससे ज्यादा दिनों तक भी जारी रख सकते है।

टिप : आप चाहे तो ऐसा एक पत्र लिफ़ाफ़े में बंद करके पोस्ट से खुद
को भेज सकते हो।

51
चैप्टर 5
आपकी सक्स
से चेकलिस्ट

हमने अभी तक जितना भी कुछ देखा है इससे आपको एक आत्मविश्वास


आया होगा कि आप सही रास्ते पर चल रहे हो। हकलाहट को दूर करने के
लिए हम हर संभव कोशिश करने वाले है। आपने जो इस पुस्तक को चुना
है अपनी मदद के लिए तो आपको मुझे शत प्रतिशत फॉलो करना होगा।
इस पुस्तक में दी गए हर एक टास्क को आपको मन लगाकर करना है। तो
अब आपकी चेकलिस्ट देखते है की आपको क्या क्या करना है।

स्टेप 1 : फेसबूक ग्रुप को जॉइन

www.facebook.com/groups/
fromstammeringtoeffectivespeakerbook

फेसबुक ग्रुप का नाम – “From Stammering To Effective


Speaker Book – Ankush Pare” (search on Facebook, fill all
details & request for joining)

स्टेप 2 : अपने सक्स


से के लिए एक सहयोगी

आप जब इस सफर में आगे बढ़ें गे तो बीच बीच में आपका रिजल्ट


चक
े करने के लिए या फिर आपको याद दिलाने के लिए या फिर आपको
प्रैक्टिस के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आपको किसी की मदद लगेगी।
52
आपकी सक्सेस चेकलिस्ट

आप अगर अपने फॅमिली के साथ रहते है तो घर के किसी भी १ सदस्य


को जो आपकी इसमे मदद कर सकते है उनको बता दे की मैने आज से
हकलाहट की प्रैक्टिस शुरू की है। आपका काम यह होगा की आप बस
मुझे चेक करते रहे की मै फॉलो कर रहा हू या नही।

अगर आप हॉस्टल में रहते है या फिर घर से बाहर किसी दूसरे शहर


में है तो आपके किसी दोस्त को अपना सहयोगी बनाइये। ऐसा करने से
आप ज्यादा फोकस हो जाएं गे क्योकि अब वो सहयोगी आपको रोज प्रश्न
पूछेगा की आपने आज क्या क्या किया।

मे आपसे चाहूँगा कि आप इस पुस्तक में सीखी हर एक बात अपने


सहयोगी के साथ शेयर करे और बताए की जब मै कोई भी प्रैक्टिस करूं गा
या फिर लोगों के सामने बात करूं गा और उसमे कुछ गलती कर रहा हू
तो मुझे तुरत
ं बताए। ऐसा करने से आप गलती को तुरत
ं सुधार सकते है।

स्टेप 3 : आपका daily schedule

आपको एक डायरी खरीदनी है और उस पर आपको रोज अपना दिनभर


का समय और उसके सामने आपका टास्क लिखना है। डायरी लिखने के
बाद आप उसको visualize करेंगे और ऐसा करने से आपका मन आपको
याद दिलाता रहेगा की आपको हर वक्त क्या करना है।

स्टेप 4 : आपके डेड्लाइन

हमने पॉप मेथड में जो सीखा है उसमे आपके जो भी obstacle थे


उनको आपको अपने गोल मानने है और हर गोल के सामने आपको एक
डेड्लाइन भी लिखनी है। आप चाहे तो हर गोल के साथ आपको कितना
समय देना है वो भी लिख सकते है। आप घंटों के हिसाब से भी गोल लिख
सकते हो।

53
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

स्टेप 5 : भूलो और याद दिलाओ

मेरे अलावा आपने इससे पहले जो कुछ हकलाहट को दूर करने के


लिए किसी पुस्तक, विडिओ, ट्रैनिं ग से सीखा होगा तो उसको भूल जाओ
और इस पुस्तक में जो भी कुछ सीखेंगे उसको याद रखना है। मै चाहूँगा की
आप पुस्तक में सिखाई गई हर बात को जीवनभर याद रखे।

54
Section 2

ghr à¡pŠQ>g
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

हम हमेशा एक बात सुनते आए है या फिर आप शायद कहते भी होंगे कि


“Practice makes man perfect “ पर ये वाक्य पूरा सच नही है। सही
वाक्य होना चाहिए “Right practice makes man perfect.“ हम
जब सही प्रैक्टिस करेंगे तब हम लक्ष्य के बहुत करीब पहुंच पाएं गे। एक
अच्छा डॉक्टर मरीज को ठीक जल्दी तभी कर सकता है जब उसको मरीज
की असली समस्या पता चल गई हो। मरीज की समस्या समझने के लिए
अच्छा डॉक्टर मरीज को सही प्रश्न पूछता है और अपने अनुभव से फिर
उसका इलाज करता है।

यह पुस्तक भी आपको डॉक्टर की तरह मदद कर सकती है पर इस


डॉक्टर का प्रश्न पूछने का काम आपको ही करना है और शायद हमने जो
पिछले सेक्शन के चैप्टर 2 में आपके रूट कॉज़ को जाना तो अब आपको
आपकी समस्या पता है। अगर अभी भी पता नही है तो फिर से चैप्टर 2 में
जो भी बताया गया है आपको वो करना है।

इस सेक्शन में हम जो भी कुछ बाते करेंगे वो सारी बाते प्रैक्टिस के


लिए होंगी। आपको सही प्रैक्टिस करने के लिए आपकी समस्या पता होनी
चाहिए और में आशा करता हू की आपकी समस्या आपको पता है।

अगर सेक्शन को पढ़ते समय कही पर भी आपको कुछ समझने में


कठिनाई होती है तो उसे फिर से पढे। कभी कभी एक बार पढ़ने से सबकुछ
समझ में नही आता। तो चलिए पुरी गहराइ के साथ देखते है कि सही
प्रैक्टिस कौन सी करनी चाहिए।

56
चैप्टर 6
सांस ले ना और बोलना (क्या है
इनका कनेक्शन)

हम इस चैप्टर में आपके सांस और बोलने को अच्छे से समझेंग।े अगर


आपको बोलने से पहले घबराहट होती है या फिर दिल की धड़कने तेज हो
जाती है तो उसको किस तरह से मैनेज करना है यह सीखेंग।े अगर आपका
रूट कॉज़ anxiety है, तो भी यह चैप्टर आपको हेल्प करने वाला है। तो
चलिए समझते है सांस के साथ बोलने का क्या कनेक्शन है।

ब्रीदिंग का महत्त्व

एक इं सान जब आराम से बैठा हुआ होता है तो वो एक मिनट में 15 से


16 बार सांस ले ता है और छोड़ता है। वही इं सान जब कसरत करता है तो ये
बढ़ जाता है जैसे की अगर आप बहुत तेज भाग रहे हो तो आप 1 मिनट में
लगभग 40 से 50 बार सांस को लेते और छोड़ते है।

अगर आप अपनी सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर कंट्रोल कर


लेते हो तो आप लगभग अपने जीवन की बहुत सारी समस्या का समाधान
पा सकते है। आपकी हर समस्या आपके ब्रीदिं ग के साथ कनेक्ट होती है।
आप देखते है की जब आप ग़ुस्सा हो जाते हो तो आपकी सांस थोडी जल्दी
फूलने लगती है, और जब आप खुश होते हो तो आपकी सांस बहुत शांत
महसूस होती है। अगर ऐसा आपने कभी महसूस नही किया है तो आज के
बाद आप जरूर इस बात पर ध्यान रखना।

57
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

एक सही सांस लेने की प्रक्रिया आपको लगभग हर तरह से मदद कर


सकती है। जैसे की मन को शांत रखना, मानसिक स्पष्टता, नींद अच्छी
आना, शरीर के प्रतिकार शक्ति को मजबूत करना, खाने को सही से पचाना,
और अपने तनाव को कम करना। इसके अलावा सही मात्रा में आक्सिजन
शरीर में ले ने से और कार्बन डायआक्साइड को बाहर निकालने से आपके
दिल की धड़कने सीमित हो जाती है जिससे आपका ब्लड प्रेशर आपके
काबू में रहता है।

ब्रीदिंग और माइन्ड्सेट

हमारा ब्रीदिं ग और माइन्ड्सेट एक दूसरे के साथ कनेक्टेड होता है।


हमारे मन में जो भी कुछ चलता है उसके साथ हमारे ब्रीदिं ग पर भी इम्पैक्ट
होता है। जैसे की हम जब ग़ुस्सा होते है तो हमारा ब्रीदिं ग बदल जाता है और
जब हम खुश होते है तो अलग होता है। आपके माइन्ड्सेट का सीधा संबध

आपके ब्रीदिं ग के साथ है। जैसे की हम नीचे कुछ फीलिंग जो आपके अंदर
आते है वो लिखेंगे और उसके सामने आपका ब्रीदिं ग स्टे ट लिखेंग।े

घबराहट - ब्रीदिं ग बहुत तेज हो जाती है/छाती तक सांस आती है

चिं ता - ब्रीदिं ग तेज हो जाती है/छाती तक सांस आती है

उदासी - ब्रीदिं ग नॉर्मल से थोडी ज्यादा होती है/छाती तक सांस आती है

खुशी - ब्रीदिं ग नॉर्मल होती है/छाती या पट


े तक सांस आती है

आराम - ब्रीदिं ग धीमी हो जाती है/पट


े तक सांस आती है

सुस्त - ब्रीदिं ग बहुत धीमी हो जाती है/पट


े तक सांस आती है

आप हमेशा इस बात को महसूस करेंगे की आपका माइन्ड्सेट जब चेंज


होता है तब आपका ब्रीदिं ग भी साथ में चेंज होता है । जब आप बाहर लोगों
के सामने बात करना चाहते हो तो तभी कुछ घबराहट सी आपके अंदर
होने लगती है और आपका ब्रीदिं ग बहुत तेज हो जाता है। वही आप जब

58
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

घरवालों के सामने या दोस्तों के सामने होते हो तब ब्रीदिं ग नॉर्मल होता है।

इसका मतलब ये हुआ की आपकी हकलाहट के पीछे ब्रीदिं ग है या फिर


ऐसा भी हो सकता है की अगर आपकी ब्रीदिं ग आपके कंट्रोल में आ गई
तो आपकी हकलाहट भी कंट्रोल में आ जाएगी। वो कैसे? चलिए देखते है!

ब्रीदिंग सही से कैसे करे

ब्रीदिं ग सही से कैसे करना है इस प्रश्न का उत्तर आपको एक छोटा


बच्चा दे सकता है पर शायद आप नही। पर बच्चों को समझाना नही आता
और आप अभी बच्चे नही है। आप इसका जवाब बच्चों को देखकर भी बता
सकते है।

अगर आपके घर में कोई बच्चा है, तो जब भी वो बैठता है, बात करता है,
चलता है, या फिर सोता है, तो उस समय आप उस बच्चे के पेट पर हाथ रखे।
आप देखग
ें े की बच्चे का पट
े हमश
े ा फूलता है। अब वही काम आप ही अपने
साथ करे - अपने पेट पर हाथ रखे जब आप चल रहे होते हो, बैठे होते हो, या
फिर बात कर रहे होते हो, आप देखते है कि बच्चे का पेट जितना फूल रहा
था उतना आपका नही फूल रहा है या फिर आपकी छाती ज्यादा फूलती है।

अब आप पूछेंगे की इसमे से फिर सही ब्रीदिं ग कौन सी है तो इसका


सीधा और सरल जवाब है जैसा बच्चा कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योकि
बच्चे को कोई नही सिखाता की ब्रीदिं ग कैसे करनी है पर वो अपने आप
होने लगती है। मतलब आपके शरीर को पता होता है ब्रीदिं ग कैसे करनी है।
पर जब हम बडे होते रहते है तब आपकी ब्रीदिं ग अब छाती तक होती है या
किसी किसी की तो गले तक भी होती है। तो अब क्या करना पड़ेगा? अब
आपको अपने ब्रीदिं ग को पट
े तक लेकर जाने की कोशिश करना है। वो
कैस?े चलिए देखते है!

59
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

नीचे दी गई स्टेप्स को आपको फॉलो करना है:

१. एक कुर्सी या बेड पर बैठ जाईए (बैठते समय आपके पैर जमीन पर होने
चाहिए और पीठ को थोडा सीधा रखिए)।

२. अपना एक हाथ पट
े पर और एक हाथ छाती पर रखे (यह स्टे प करना
अनिवार्य नही है लेकीन जब आप पहली बार करते है तो जल्दी समझ
में आ जाता है)।

३. अब आपको पेट को बाहर की तरफ फुलाते समय नाक से सांस को


अंदर खीचना है और आपका पट
े फुलाकर सांस को अंदर ले ना है। दोनों
एक साथ होना चाहिए।

४. कोशिश यह करनी है की छाती कम से कम फूले ।

५. अब आपको नाक से सांस बाहर निकालनी है और आपका पेट अपने


आप अंदर आ जाएगा।

Fig. Breathing Process


60
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

कुछ बाते : पेट को अपने लिमिट में ही फुलाना है। प्रक्रिया करते समय
अपनी आँखों को बंद करके अपने ब्रीदिं ग पर ध्यान देना है। ऐसा करने से
आप जल्दी सीख पाएं ग।े इस प्रक्रिया को आपने ज्यादा से ज्यादा ५ मिनट
ही करना है। फिर उसको कुछ समय बाद दोहराना है। आप ऐसा दिन में
कम से कम १० बार अलग अलग समय पर कर।े

ऊपर दी गई स्टेप्स को अब आप एक जगह पर खड़े होकर कोशिश करे।


अगर आपसे ये हो रहा है तो थोडी जगह को बदल कर फिर से प्रयास करे।
ऐसा करने से आप अब खड़े होकर भी इसको कर सकते है।

अब आप उसी प्रक्रिया को धीरे धीरे चलते समय करना है। याद रखे
आपको बहुत ही धीरे धीरे चलना है। तेज चलने से आपको यह प्रक्रिया
करने में मुश्किल हो सकती है।

यह सभी प्रक्रियाए (बैठकर, खड़े होकर, चलते समय) आप दिन में १०


बार दोहरा सकते है। बस याद रखे आपको लिमिट में ही सब कुछ करना है।

इस प्रोसेस को अच्छे से विडिओ के जरिए समझने के लिए पुस्तक के


आखिरी पेज पर आपको कुछ लिं क्स मिले गी वहा पर जाकर आप इसे
देख सकते है।

इस प्रक्रिया को हम बल
े ी ब्रीदिं ग या डीप ब्रीदिं ग भी कह सकते है।

इस प्रक्रिया को आपको बोलते समय नही करना है। जब आप बात


नही कर रहे हो या फिर कही पर बस बैठे हो तभी करे। बोलते समय कैसा
ब्रीदिं ग करना है ये हम अब आगे देखग
ें ।े

बोलते समय कैसे ब्रीदिंग करनी चाहिए

अक्सर मैने यह देखा है कि बहुत सारे लोग अपनी सांस को रोक कर


बात करते है, जिससे उनके शब्द बाहर निकल जाते है या फिर कुछ लोग
अपनी सांस को छोड़ते समय बात करते है। इन दोनों प्रयासों में लोग अपने

61
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

शब्दों को बाहर निकाल पाते है। पर इन दोनों प्रयासों में आपकी आवाज
बदल जाती है या फिर सुननव
े ाले को आपकी बात थोडी अजीब सी लगती
है। क्योकि जिस इं सान को हकलाहट की दिक्कत नही होती है वह इं सान
अपनी सांस के साथ कुछ नही करता। वो बस बोलने पर ही ध्यान देता है।

मेरा यहा पर उद्देश यह है की आप ऐसे बात करे जैसे की कोई ऐसा इं सान
जिसको हकलाहट की दिक्कत नही है। हमारा उद्देश यहा पर हकलाहट को
ठीक करके एक आम इं सान की तरह या फिर उससे भी अच्छी तरह से
बात करने की है। अगर आपका उद्देश बस शब्दों को किसी तरह से बाहर
निकालना है तो आप कोई भी तकनीक इस्तेमाल कर सकते है जिसमे
सुननेवाले को अजीब लग सकता है परंतु आपका उद्देश्य जो शब्दों को
निकालना है वह हो जाएगा। आप यह चाहते है कि आपकी बाते अजीब ना
लगे और आप बहुत अच्छे से बात करे तो आपको मेरी कुछ बाते ध्यान में
रखनी पडेगी।

१. बात करते समय आपको अपनी सांस पर ध्यान नही रखना है। आपकी
ब्रीदिंग अपने आप होती रहेगी।

२. ज
 ब आप बात नही करते है तब आपको सांस पर ध्यान देना है।

३. अगर आप से शब्द निकलता नही है, जस


ै े की ब्लॉक आ गया है, उस
समय मेरी एक तकनीक फॉलो करनी है जो हम आगे देखग
ें ।े

साइं स यह कहता है की आवाज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने


के लिए हवा एक माध्यम होता है। जब हम बात करते है तो आपके मुह से
हवा बाहर आती है और इसके साथ आवाज, जिसको हम शब्द कहते है।
इसका मतलब आपके अंदर थोडी बहुत हवा होना जरूरी है। जब आप बात
करते है, तो उस समय हवा बाहर आती है। इसका मतलब ऐसा नही होता
की आपको जानबूझकर हवा बाहर निकालकर बोलना है।

तो इसका मतलब यही होगा की बात करते समय आपको सांस पर


ध्यान नही देना है । सांस अपने आप आपके अंदर बाहर होगी और आपको

62
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

बस अपने बोलने पर ही ध्यान रखना है । पर अगर आपको बोलने से पहले


घबराहट सी होती है या फिर आपकी सांस छाती तक या गले तक ही आती
है । तो उसके लिए आप नीचे बताई गई तकनीक को फॉलो करे

अब में यहा पर ३ तकनीक बताऊँगा, जो आपके ब्रीदिं ग प्रॉब्ले म को


बहुत हद तक कम कर देगी। मै इसको समझाने के लिए कुछ शब्दों का
इस्तेमाल करूं गा।

x = number of seconds (सांस लेन/े छोड़ने का समय)

Inhale = सांस को अंदर लेना

Exhale = सांस को बाहर छोड़ना

Hold = सांस को रोक कर रखना

नीचे दी गई ३ फार्मूला को आपको कुर्सी पर बैठ कर करना है जिसमे


आपके पैर जमीन पर होंग।े ज्यादा फोकस के लिए आप आँखों को बंद कर
सकते है।

१. x: x (Inhale: Exhale)

यहा पर x:x का मतलब जीतने समय के लिए आपने सांस को अंदर


लिया उतने ही समय में आपको सांस को बाहर निकालना है। उदाहरण के
लिए : x = ३, तो ३ सक
े ं ड तक सांस अंदर ले और ३ सेकंड में सांस को बाहर
निकाले ।

इस फार्मूला में आपको सांस नाक से लेनी है और पेट तक ले कर जानी


है। फिर नाक से ही सांस को बाहर छोड़ना है। याद रहे सांस अंदर ले ते समय
और बाहर निकालते समय आपको नाक पर ज्यादा दबाव नही डालना है
और न ही आपके पेट पर। इस प्रक्रिया में आपका फोकस सांस अंदर आने
में और बाहर जाने पर होना चाहिए। इस प्रक्रिया में आप सांस को १ सेकंड
तक होल्ड कर सकते है पर ऐसा करना आवश्यक नही है।

63
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

यह क्रिया आपको कम से कम १० बार और ज्यादा से ज्यादा २० बार


करनी है। किसी समय अगर आपको सांस लेने में दिक्कत होती है, तो आप
बीच बीच में रुक सकते हो। यह ब्रीदिं ग बल
े ी ब्रीदिं ग की तरह की करनी है।

२. x: २x (inhale: exhale)

इस फार्मूला में आपने जीतने समय के लिए सांस को अंदर लिया है


उससे दुगने समय में उसको बाहर निकालना है। ऐसा तब होगा जब आप
सांस को बाहर धीमी गती से निकालें ग।े

इस फार्मूला को आप २ तरह से कर सकते है।

१. अगर आपको अपने सांस के ऊपर नियंत्रण पाना है (ऐसा करने से आप


कम सांस में ज्यादा बाते कर सकते है)।

inhale = नाक, exhale = नाक

इसमे आपको सांस को नाक से अंदर लेना है और नाक से ही बाहर


निकालना है। जब आप नाक से सांस को बाहर निकालते है और धीमी
गती से निकालते है तब २ चीजे होती है -

१. आप अपने ब्रीदिं ग को धीमा बनाते है, जैसे कि अगर आप एक मिनट में
१५ बार ब्रीदिं ग करते है, तो अब आप प्रैक्टिस करते समय १२ से १३ बार
ब्रीदिं ग करेंग।े मतलब आपकी ब्रीदिं ग थोडी कम हो चुकी है।

२. इसका फायदा आपको ज्यादा देर तक बात करने में होता है। यही
फार्मूला बहुत सारे पब्लिक स्पीकर भी फॉलो करते है।

इस फार्मूला को आपको प्रैक्टिस करते समय प्रयास करना है। इसको


आप १० से १५ बार अभ्यास कर सकते है।

२. अगर आपको अपनी घबराहट (anxiety) को काबू में लाना है (ऐसा


करने से आप बोलने से पहले थोडा शांत हो जाएं गे)।
64
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

inhale = नाक, exhale = मुह


मुह
ं से सांस को निकालना तभी करना है जब anxiety हो। बाकी
समय हमेशा नाक का ही इस्तेमाल कर।े

इसमे आपको सांस को नाक से अंदर लेना है पर आपको सांस मुह


ं से
ही बाहर निकालनी है। जब आप मुह
ं से सांस को बाहर निकालते है तब
आपकी घबराहट कई हद तक कम हो जाती है। आपको सांस को मुह
ं से
धीमी गती से बाहर निकालना है।

इस फार्मूला को आप बोलने से पहले जब घबराहट आती है तब


इस्तेमाल करना है। जब आपकी घबराहट थोडी कम है, तब यह फार्मूला
बहुत अच्छे से काम आता है। जब घबराहट बहुत ज्यादा होती है, उस समय
आपको दूसरा फार्मूला फॉलो करना पड़ग
े ा, जो हम बहुत जल्द इस चैप्टर
में देखग
ें ।े

३. x: ४x: २x

x = inhale (नाक से सांस को अंदर ले ना)

४x = hold (सांस को नाक में रोक कर रखना)

२x = exhale (नाक से सांस की बाहर निकालना)

इस फार्मूला में आपके अंदर जो टें शन/स्ट्रेस है वो बहुत हद तक कम


होता है। यहा पर आपका फोकस सांस लेने पर और सांस बाहर निकालने
के अलावा आपको सांस को नाक में रोकने पर भी होना चाहिए। उदाहरण
के लिए - अगर हम x =३ मानते है तो आपको ३ सेकंड तक नाक से सांस
को अंदर ले ना है पेट तक। फिर ४x मतलब १२ सक
े ं ड (४ * ३ = १२) तक
नाक में सांस को रोकना है और २x मतलब ६ सक
े ं ड में सांस को नाक से
बाहर निकालना है।

यहा पर ध्यान देने वाली बात यह है की (x:४x:२x) इस फार्मूला में आप


x के लिए कोई भी नंबर ले सकते है जैसे की x = २, x =३, x = ४। अगर
65
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपसे नाक में सांस ज्यादा देर तक रोकी नही जाती है तो आपसे जितना
रोका जा सकता है उतना ही कर।े जैसे की अगर x =३ है, तो आपको १२
सक
े ं ड तक सांस को रोकना है पर ऐसा अगर आपको मुश्किल लगता है,
तो आप सांस को ६ सक
े ं ड तक रोकने का प्रयास करो और फिर समय के
साथ इस नंबर को बढ़ाओ।

तो हमने ऊपर ३ फार्मूला देखे है। हर फार्मूला के साथ कोई न कोई


फायदा है। अब देखते है इसको कब और कैसे कर।े

आप जब सुबह उठते है तब सुबह तैयार होने के बाद एक कुर्सी पर बैठ


जाइए। अपने पैरों को जमीन पर रख,े पीठ सीधी रखे, और अपनी आँखों को
बंद करे । नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर:े

(X: X) - १० बार

(X: 2X) - १० बार

(X: 4X: 2X) - १० बार

आप चाहे तो इसे १५ बार भी कर सकते है। आप शाम को भी कर सकते


है। अगर आपको अब यह अच्छे से समझ आ गया है, तो आप इसे चलते
समय भी कर सकते है। पर मर
े ी सलाह है कि सुबह आप बैठकर ही करे।
इसको करने के बाद आप अपने अंदर एक खुशी को महसूस करेंगे और
ऐसा रोज करने से आपकी घबराहट धीरे धीरे कम हो जाएगी।

अगर यह प्रोसेस आपको विडिओ के रूप में देखनी है तो आप पुस्तक


के आखिरी पेज पर लिं क्स को चेक करे। यह प्क्रै टिस हमारे विडिओ कोर्स
का पार्ट है।

66
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

इसके बाद आप अनुलोम विलोम २० बार और कपालभाती २० बार


कर सकते है। अगर आपको सांस की ज्यादा समस्या है तो इसको आपको
अच्छे से करना चाहिए। शायद यही फार्मूला आपकी सबसे ज्यादा मदद कर
सकता है। (अगर आपको अनुलोम विलोम और कपालभती कैसे करना है
यह पता नही, तो आप यूट्ब
यू पर इस प्रैक्टिस को सर्च करे)।

इसको आप जीवनभर भी कर सकते है। परंतु आपको इसको आजसे


रोज सुबह और शाम को अगले ९० दिनों तक करना है। याद रखे यह
फार्मूला प्रैक्टिस करने के लिए है। बोलते समय इसका आपको ब्रीदिं ग पर
फोकस नही करना है। वह अपने आप होगी।

नोट : जब भी याद आए आपको बेली ब्रीदिं ग करना है। दिनभर आपकी


जैसी नॉर्मल ब्रीदिं ग है उसी को फॉलो करे। X:X, X:2X, X:4X:2X ब्रीदिं ग
प्क्रै टिस आपको दिए गए समय पर ही करनी है। कुछ दिनों के बाद आपकी
बेली ब्रीदिं ग आपके लिए नॉर्मल ब्रीदिं ग हो जाएगी।

घबराहट को २ सेकंड में कैसे हटाए?

बहुत बार ऐसा होता है की बोलने से पहले हमारे अंदर घबराहट सी होने
लगती है और ऐसा तब होता है जब:

1. हम किसी अंजान व्यक्ति के सामने आते है।

2. लोग आपको सुनना चाहते है।

3. कोई आपको अचानक से मंच पर बुलाता है।

4. अगर आपके बॉस का कॉल आता है।

5. आपको सबके सामने कुछ प्रेजेंट करना है।

6. और कुछ इस तरह की सिचूऐशन।

67
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ऐसे समय पर आपने जो भी कुछ सीखा है या फिर आपने जो भी कुछ


प्रैक्टिस की है वो आप भूल जाते है। मन में अंदर से आवाज आती है की तुम
नही कर पाओगे। या फिर आपका शरीर कापने लगता है। साथ में दिल की
धडकन तेज हो जाती है। ऐसे समय आपको anxiety जैसा कुछ महसूस
होता है।

जब आपके शरीर में anxiety आती है तब सबसे पहले आपकी ब्रीदिं ग


तेज हो जाती है। आपके छाती में भारी भारी जैसा कुछ महसूस होता है।
अचानक से दिल की धडकन तेज हो जाती है। शरीर के अंदर अजीब सी
बेचन
ै ी होने लगती है की कब ये समय निकले गा। ऐसा होने पर आपके
शब्द मुह
ं से नही निकाल पाते। उस समय आपको नीचे दिए गए फार्मूला
को फॉलो करना है। याद रखे यह फार्मूला जरूरत होने पर ही इस्तेमाल
करे।

सबसे पहले आपकी anxiety ज्यादातर आपके छाती में होती है। अगर
आपको उसको बाहर निकालना है तो आपको मुह
ं से सांस ले कर छाती
तक ले कर जाना होता है। फिर मुह
ं से सांस को बाहर निकालना होता है।

जब आपको anxiety को निकालना है तब आपकी छाती और


आपका मुह ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है। नाक से सांस को बाहर निकालने
से anxiety जल्दी बाहर नही आती। इसीलिए मुह
ं का इस्तेमाल करना
बहुत जरूरी है।

जैसे की जब हम किसी भी बडे काम को करते है जिसमे आप बहुत


प्श
रे र में रहते है। वह काम होने के बाद आप अपने मुह
ं से सांस को छोड़कर
कहते है - “ हह हो गया!”

फार्मूला : x : x (Inhale : Exhale )

इस फार्मूला में आपको सांस को छाती तक मुह


ं से ही अंदर ले ना है और
मुह
ं से छाती में भरी हवा को बाहर निकालना है। सांस को छोड़ते समय
धीरे धीरे सांस को बाहर निकाले। जल्दी सांस निकालने से anxiety बाहर

68
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

नही आती। इसको आपको 2 से 3 तीन बार करना है। यह अच्छे से काम
तब करेगा जब आप उसको बोलने के कुछ सक
े ं ड पहले ही करते है। यह
फार्मूला को आप anxiety breathing भी कह सकते हो।

ब्रीदिंग और फोकस

बहुत बार हम बोलने को और अपने ब्रीदिं ग को एक जैसा ही मान ले ते


है। जैसे की सांस को छोड़ते समय बोलना या फिर बोलते बोलते बीच में
सांस को जानबूझकर लेना। ऐसा करने से आप ना ही सही से बोल पाते है
और ना ही सही से ब्रीदिं ग कर पाते है।

ब्रीदिं ग भले ही बोलने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है। परंतु आपको


दोनों को एक साथ फोकस नही करना चाहिए। आपके शरीर को अच्छे
से पता होता है की कब सांस लेनी और कब छोड़नी होती है। एक ऐसा
इं सान जिसको हकलाहट नही है वह कभी भी इन दोनों को एक साथ
जानबूझकर करने की कोशिश नही करता क्योकि यह दोनों बाते एक
लय में, साथ साथ होती है (synchronized)। तो अब सवाल आता है की
इन दोनों को कैसे करे ताकि आपको सबसे अच्छा रिजल्ट मिले । इसको
हम दो भागों में बाटते है।

1. जब हम बात नही करते है।

2. जब हम बात करते है।

1. जब हम बात नही करते है उस समय हमे नाक से सांस ले कर नाक से


ही छोड़ना होता है। उदाहरण के लिए - जब हम किसीकी बात सुन रहे है,
हम अपनी बात को बोलते समय रुक रहे है। हम चल रहे है, देख रहे है।
इन जैसे कामों में हम जब बात नही करते है उस समय आपको नाक से
सांस ले कर नाक से ही छोड़ना होता है।

69
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

2. जब हम बात करते है उस समय आपका मुह


ं खुला रहता है और आपके
नाक से सांस ले ना मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में शरीर अपने आप
आपके मुह
ं से ही सांस लेना और छोड़ना शुरू करता है। इस प्रोसेस में
आपको कुछ नही करना पड़ता है। ये सब कुछ शरीर अपने आप करता
है। पर अगर आपको बोलते समय घबराहट सी होती है तो आप मुह
ं का
इस्तेमाल कर सकते है। जब बात नही करते है तो उस समय नाक का
इस्तेमाल करे और बल
े ी ब्रीदिं ग को फॉलो कर।े

आपके काम की बात

१. बातचीत करते समय anxiety आती है तो कहा पर फोकस करे?

अगर आप किसी से बातचीत कर रहे है जैसे की कभी आप बोलते है


और कभी आप सुनते है और बातचीत करते समय आपके अंदर घबराहट
होने लगती है, तो ऐसे समय आप मुह
ं से सांस ले ना और छोड़ना शुरू
कर।े जब आप सुन रहे है और अब आपको बोलना है, उस समय मुह
ं को
खोलकर रखे और मुह
ं से गले तक सांस ले और मुह
ं से ही छोड़ना शुरू करे।
यह सबसे अच्छा तरीका होता है बातचीत करते समय अपनी anxiety को
कम करने का। इस प्रोसस
े को आप रीपीट करे जबतक आपकी बोलने
की बारी नहीं आती।

२. बातचीत करते समय हकलाहट के विचार ना आने के लिए कहा पर


फोकस करे?

जब आप बात नही कर रहे है और अगर किसी की बात सुन रहे है,


लेकीन आपके अंदर कोई घबराहट नही है, तो उस समय आपका फोकस
अगर आपके ब्रीदिं ग पर होगा (मतलब की पट
े तक सांस अंदर आ रही
है और बाहर जा रही है यह आप देख रहे हो) तो आपका मन हमेशा शांत
रहग
े ा। आपके मन में कोई भी हकलाहट के लिए विचार नही आएगा।
70
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

अगर आपका प्रश्न अब यह होगा की फिर हमारा ध्यान तो सुनने से हट


जाएगा तो ऐसा नही होगा। आप सुन रहे है बस बीच बीच में जो आपके मन
में विचार आएं गे वह आप अपने ब्रीदिं ग पर फोकस करके हटा सकते है।

अगर आपको ब्रीदिंग का ज्यादा ही प्रॉब्लेम हो तो क्या करे?

ऐसा भी हो सकता है की आपको ज्यादातर समस्या ब्रीदिं ग के साथ ही


हो। आपकी हकलाहट की जड आपकी ब्रीदिं ग ही हो। तो ऐसे समय आपको
नीचे दी गई कुछ बातों का खास ध्यान रखना है।

अगर आपको ब्रीदिं ग की समस्या ज्यादा है तो सबसे पहले आपको


ज्यादातर ऐसे शब्दों पर समस्या होगी जो शायद “ह”, “स” या ऐसे शब्द
जिसमे “ह” की ध्वनि आती है जैसे की - “ख” = क+ह, “घ” = ग+ह , “फ”
= प+ह, और इसी तरह के दूसरे शब्द।

इसमे दूसरी समस्या यह भी हो सकती है की आप बस 2 से 3 शब्द


बोलकर ही थक जाते है। या फिर आपको बोलते वक्त थोडा थका थका
सा लगता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योकि आपके अंदर सांस बहुत कम
जाती है। या फिर वह सांस पट
े तक नही जा पाती और शायद आपकी सांस
आपके छाती या गले तक ही आती है।

इसमे यह भी हो सकता है की आपको किसी भी शब्द पर समस्या नही


है, मगर आपके शब्द रुक रुक कर बाहर आते है। या फिर आपके गले में
कुछ आपको अटका हुआ सा लगता है।

इसके अलावा एक और कारण यह भी हो सकता है कि शायद आपके


नाक से सांस अंदर ही नही जाती। शायद आपकी हमेशा से एक ही नासिका
चलती है। जब आप दुसरी नासिका से सांस ले ने की कोशिश करते हो तब
नही ले पाते। ऐसे समय आपको किसी “ENT specialist” (नाक, कान,
और गले का डॉक्टर) की राय ले नी चाहिए। आपके नाक की हड्डी जब
बढ़ती है तब ऐसा होता है।
71
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

मैने ऐसे बहुत से लोगों की हकलाहट दूर करने में मदद की है जिनको
ज्यादातर सांस की ही समस्या थी । इस समस्या का समाधान पाने के लिए
आपको अपनी ब्रीदिं ग पर थोडा ज्यादा फोकस करना पड़ेगा। वो कैसे?
चलिए देखते है!

१. हमेशा कोशिश करे की आप बल


े ी ब्रीदिं ग कर।े जब भी आपको ध्यान
आए अपने ब्रीदिं ग पर फोकस कर।े

२. सब
ु ह उठकर फ्रेश होने के बाद, आपको सबसे पहला काम करना है
- अपने ब्रीदिं ग को सट
े करने का जो आप कर सकते है - X:X , X:2X,
X:4X:2X। इन ३ फार्मूला को रोज १५ बार कर के।

३. अनुलोम विलोम २० बार और कपालभाती २० बार - इसे करने से भी


आपको फायदा होता है। इसको आप रोज कर।े

४. बोलते समय जब भी जरूरत पड़े बीच में रुक जाए । अपनी सांस को
नॉर्मल बनाए और फिर से शुरू कर।े

ये सब कुछ करते हुए आपको धीरज रखना पड़ग


े ा। आप देखग
ें े की अगर
आप इन सभी बातों को रोज फॉलो करते है तो बहुत जल्द आपकी ब्रीदिं ग
नॉर्मल हो जाएगी।

मेरे कुछ सुझाव

अगर आपके अंदर बोलते समय anxiety आती है और आप उसी समय


घबरा जाते है कि अब कैसे बोलना है, तो उस समय एक काम जरूर करे।

जब भी आपको बोलना है और मन में बच


े न
ै ी सी होती है, मन कहता है
तुम शायद अटक जाओग,े उस समय अपने मुह
ं को थोडा खुला रखकर धीरे
धीरे मुह
ं से हवा को गले तक लाकर फिर गले से धीरे धीरे छोड़ते रहे। ऐसा
करने से आपके अंदर की घबराहट कम हो जाएगी और कोशिश करो की
उस शब्द को थोडा समय लेकर जरूर बोलो। अगर आपने शब्द को बदल

72
सांस ले ना और बोलना (क्या है इनका कनेक्शन)

दिया या फिर बोला ही नही, तो मन इस बात को देखकर आपके अंदर और


ज्यादा डर पैदा करता है। यही डर अब आपको हमश
े ा परेशान करेगा।

मुह
ं से हवा को लेते और छोड़ते रहना और बोलते रहना एक बहुत अच्छा
उपाय है आपके डर को बोलते समय कम करने का। यह मेरा खुद का
अनुभव रहा है। जब मुझे भी कभी हकलाहट होती थी और मै उसे ऐसे ही
बोलने की कोशिश करता था।

एक और सुझाव है कि अपनी ब्रीदिं ग को हमश


े ा देखा करे की अब वह
कैसी है, क्या वो तेज हो गई है, या धीमी है। ऐसा करने से शरीर में आने वाले
तनाव को आप आने से पहले ही कम कर सकते है। क्योकि जब भी आपके
शरीर में कुछ बुरा होने वाला होता है, तो सबसे पहले आपका ब्रीदिं ग चेंज
होता है।

73
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टास्क

इस चैप्टर में आपको शायद ब्रीदिं ग के बारे पता चल गया


है। पता होना और अनुभव में होना इसमे बडा अंतर होता है। तो
आपको नीचे दिए गए कुछ कामों को करना है। ताकि आप इस
पुस्तक से सिखी हर बात का अनुभव ले और अपने हकलाहट
को जल्द से जल्द दूर कर।े

१. आपको अगले २४ घंटों तक बल


े ी ब्रीदिं ग को करना है। तो
याद रहे बेली ब्रीदिं ग ज्यादा से ज्यादा ५ मिनट ही करे। थोडा
सा समय जाने दे और फिर से कर।े (ज्यादा देर तक बेली
ब्रीदिं ग करने से पट
े दर्द करता है, कुछ दिनों तक कम रखे।
आदत हो जाने पर आप इसे बढ़ाए)।

२. बोलते समय आप anxiety ब्रीदिं ग को फॉलो करने की


कोशिश कर।े अगर आपको बोलते वक्त समस्या नही आ
रही है फिर भी इसको करे क्योकि यह आपको एक अनुभव
देगा।

३. वस
ै े तो आप ब्रीदिं ग हर रोज करते है और वो अपने आप
होती है। पर अगले ७ दिनों तक आप जानबूझकर अपने
ब्रीदिं ग पर फोकस करे और उसको हमश
े ा नॉर्मल रखने की
कोशिश कर।े

74
चैप्टर 7
बोलने का सही तरीका

इस चैप्टर में हम बात करने का सही तरीका कैसे होना चाहिए और जो


लोग अच्छे से बात करते है, कभी हकलाते नही है उनके बारे में बात करेंग।े
साथ में पब्लिक स्पीकर भी कैसे बात करते है वो सब कुछ हम देखने वाले
है। इस चैप्टर से आपको समझ आ जाएगा की आपको अगर अच्छा स्पीकर
बनना है तो आपको क्या करना चाहिए। तो चलिए देखते है।

लोग कैसे सोचते और बोलते है

जिस इं सान के मन में कभी भी हकलाहट को ले कर एक भी विचार


नही आया वह इं सान जब बोलता है तब उसके मन में बोलने को ले कर
कभी भी सेल्फ डाउट नही आता। वह व्यक्ति जब भी बोले गा उस समय
उसके मन में जो भी कुछ चल रहा है वह अच्छे से बाहर शब्दों के साथ
बोलेगा। इसका मतलब एक ऐसा इं सान जिसके मन में कभी हकलाहट
को ले कर विचार नही आया, उस इं सान को भी (अगर उसने वैसे सोचना
शुरू किया तो) हकलाहट शुरू हो सकती है। शायद आपके साथ भी ऐसा ही
कुछ हुआ हो। आप पहले अच्छे से बात करते थ।े कभी मन में हकलाहट को
लेकर कुछ नही आता था। मगर एक दिन आपने उसके ऊपर सोचना शुरू
किया। इसकी शुरुवात कुछ इस तरह से हो सकती है।

1. आपने कभी किसो को हकलाते हुए देखा और आपको लगा की ऐसा मेरे
साथ तो नही होगा।
75
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

2. आपने हकलाते हुए इं सान को देखकर उसकी तरह बात करना शुरू
किया और फिर आपके मन में उसको लेकर विचार आने लगे।

3. आ
 पने किसी विडिओ में देखा की अगर आपको कुछ इस तरह की
समस्या है तो आपको हकलाहट शुरू हो सकती है और फिर आपने
उसको सच मान लिया।

4. आपके घरवाले या फिर घर का कोई सदस्य आपके साथ कठोरता से


बात करता था और उसके सामने आपकी हकलाहट शुरू हो गई।

ज्यादातर लोगों का यही अनुभव है कि उनको बचपन से हकलाहट


नही थी। ले कीन कुछ सालों से है। उनके घर पर किसी को नही है मगर
उनको है। शायद ऐसा ही कुछ आपके साथ भी है। जो लोग बहुत अच्छे से
बात करते है वो ऐसा कैसे सोचते है? तो उसका जवाब यही है की जैसे आप
सोचते थे अपनी हकलाहट शुरू होने से पहले। तो याद करते है की आप
पहले कैसे सोचते थ।े

१. आप किसी को भी कॉल करने से पहले कुछ नही सोचते थे कि आपको


अपने वाक्य को किस तरह बोलना है। वाक्य अपने आप बन जाता था
और आप बहुत देर तक बिना हकलाहट के बात करते थे।

२.पूरे दिन आपको एक भी बार हकलाहट को लेकर विचार नही आता था।
ऐसा बहुत सालों तक होता रहा।

3. किसी अंजान व्यक्ति से बात करने से पहले आपको कभी डर नही


लगता था।

4. अक्सर आप लोगों के बीच अपनी बात को रख पाते थे वो भी बिना डरे।

5. अ
 पने स्कू ल या कॉलेज में, आप कक्षा में प्रश्न पूछते थे और कभी कभी
सामने जाकर बोलते भी थ।े

6. आपको कभी भी अपने शब्दों को लेकर विचार नही आते थे कि वो कैसे


निकल रहे है।

76
बोलने का सही तरीका

अगर आपके साथ ऊपर दी गई बाते होती थी तो आप उन लोगों में से


थे जिनको कभी हकलाहट नहीं थी। तो जिनको हकलाहट नही होती है
वो कैसे सोचते है ये आप अपने आपसे ही पूछ सकते है। क्योकि आप भी
कभी उस जिं दगी को जी रहे थ।े अगर आप उन लोगों के साथ अपनी तुलना
करते है जिनको हकलाहट नही है तो आपको एक ही जवाब मिले गा की
वो कभी वैसा सोचते ही नही कि उनको हकलाहट होगी। पर आप हमेशा
सोचते रहते है आपको हकलाहट होगी और वैसा ही होता है।

पब्लिक स्पीकर कैसे सोचता और बोलता है

एक पब्लिक स्पीकर जब बात करता है तो वो बहुत सारी प्रैक्टिस


करके जाता है। या फिर उसने वहा तक पहुंचने के लिए बहुत सारी मेहनत
ली होगी। अगर आपको बचपन से ही स्टेज पर बात करने का अनुभव है
या फिर आप बहुत बार स्कू ल या कॉलेज में स्टेज पर बात कर चुके हो,
तो फिर आपका अनुभव ही आपको एक अच्छा पब्लिक स्पीकर बनने के
लिए मदद कर सकता है।

एक पब्लिक स्पीकर किसी के सामने बोलने से पहले यह सोचता है


की मै एक पब्लिक स्पीकर हू और लोग मुझे उसी नजर से देखते है। तो में
वैसे ही दिखाने की कोशिश करूं गा। या फिर वह इं सान अंदर से पब्लिक
स्पीकर होता है और बाहर वो उसे अपनी बातों से दिखाता है।

शायद आपके अंदर कुछ उलटा होता है। आप अंदर यह सोचते या मानते
है की मै तो हकलाता हू तो बाहर भी जब आप बात करते है तो वही दिखता
है। जैसा आप अंदर सोचते है वैसा बाहर भी दिखता है।

पब्लिक स्पीकर अपने श्रोता के सामने हमश


े ा उसी तरह से बात करने
की कोशिश करेगा जैसे वो दिखाना चाहग
े ा। पब्लिक स्पीकर स्टेज पर
जाने से पहले अपने आप को अच्छा बोलने के लिए प्रेरित करेगा। वह
अपने आप को ऊर्जावान रखने की कोशिश करग
े ा। अपने आप से बात

77
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

करग
े ा और बोले गा की तुम कर पाओग,े फिर ऑडियंस उसको सुनती है
और प्रभावित हो जाती है।

पब्लिक स्पीकर हमश


े ा अपने ऑडियंस के सामने जाने से पहले अपने
आप को ऊर्जावान रखग
े ा और खुद को प्रेरित करग
े ा। वही एक ऐसा इं सान
जिसको हकलाहट है, वह अपने आप को बोलने से पहले कोसेगा या फिर
नकारात्मक सोच बनाएगा की तुमसे नही होगा, तुम नही कर पाओगे,
अगर तुम बोलोगे तो अटक जाओग।े

तो अगर आपको लोगों के सामने बात करनी है, जैसे एक पब्लिक


स्पीकर करता है, तो आपको उसकी तरह ही सोचना पड़ेगा। अपने आप को
बोलने के लिए प्रेरित करना पड़ग
े ा। जब भी आप किसी के सामने बोलने
जाओगे तो मन में अपने आप से बात करो कि तुम कर पाओगे, तुमसे हो
जाएगा, और फिर देखिए क्या कमाल होता है आपके जीवन में!

जिसको हकलाहट है वो कैसे सोचते और बात करते है?

ऊपर दी गई दोनों प्रकार के लोग कैसे सोचते है ये आपको पता चल


गया होगा। जैसा वो सोचते है, उनके बोलने में भी वही छलकता है। पर
जब हम हकलाहट की बात करते है तब ज्यादातर लोग सबसे बडी गलती
अपनी सोच में ही करते है। हमश
े ा एक बात याद रखे।

जो भी आपके मन में है वही आँखों से दिखता है और आपका शरीर


उसको फॉलो करता है।

इसका मतलब यह हुआ कि शरीर ज़्यादातर वही कहता है जो आपका


मन उसको कहने के लिए बोलता है। अगर आपके मन में डर हो कि आप
बोल नही पाएं गे, तो वही शरीर भी दिखाता है। मै यह नही कह रहा कि
आपकी समस्या आपके मन में ही है, हालाकी ज़्यादातर समस्या वही है।

78
बोलने का सही तरीका

आपकी सोच में ही आपकी खुद की इमेज ऐसी है की आप बात नही


कर सकते है, अटक जाएं ग,े आगे वाला शायद हस देगा, मै उसी शब्द पर
अटक जाऊंगा, और ऐसे अलग अलग विचार आएं गे। उसी सोच की वजह
से आपको बाहर भी वैसा ही अनुभव आता है। अगर आपकी अपने बारे में
सोच बदल गई या फिर आपने अपने आप को वैसा आज से बोलना शुरू
किया तो बहुत जल्दी आपकी खुद की इमेज बदलने के बाद आपके बाहर
की दुनिया भी बदलती नजर आएगी।

अपनी सेल्फ इमेज को बदलने के लिए आप नीचे दिए गए वाक्य को


हररोज अपने आप से बोले, जब भी मन मे बोलने से पहले डाउट आता है
या फिर मन मे बोलने को लेकर नकारात्मक विचार आने लगते है तो इस
वाक्य का आपको हरदिन जाप करना चाहिए -

“ <your name> is the best effective speaker in the world “

उदाहरण के लिए – अंकुश पारे इस द बेस्ट ईफेक्टिव स्पीकर इन द वर्ल्ड

इस वाक्य की खास बात यह है की जब आप अपना नाम ले कर


अपने आप से यह बोलते रहते है तो मन थोड़ा कन्फ्यूज़ होता है की यह
व्यक्ति(आप) दुनिया का सर्वश्ष्ट
रे वक्ता कैसे हो सकता है? पर जैसे जैसे
आप इस वाक्य को बार बार मन मे या बाहर बोलना शुरू करेंगे तो आपका
मन भी इसके साथ सहमत हो जाएगा। मन के अगर आपकी सेल्फ इमेज
चेंज हो गई तो वैसे वो बाहर भी दिखग
े ी। अगर आप अंदर से ईफेक्टिव
स्पीकर जैसा महसूस करोगे तो आपके बोलने मे भी वैसा ही दिखेगा।

इस वाक्य को आप दिनभर मे जितनी बार रीपीट करेंगे उतना ही


फायदा होगा। सुबह उठने के बाद शीशे मे देखकर बोले , कॉल करने से
पहले बोले , किसी से बात करने से पहले याद कर,े और हर उस जगह पर
मन मे बोले जहा आपके मन मे खुदकों लेकर डाउट आएगा।

79
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ईफेक्टिव स्पीकर कैसे बने?

ईफेक्टिव स्पीकर बनने के लिए आपको पहले ये जानना जरूरी है की


ईफेक्टिव स्पीकर क्या होता है। तो उसका फार्मूला यह है -

ईफेक्टिव स्पीकिंग = वर्ड(Word) + वॉइस(Voice) + बॉडी


लैं ग्वेज(Body Language)

रिसर्च यह कहता है कि अच्छा वक्ता बनने के लिए आपको ऊपर दिया


गया फार्मूला पता होना चाहिए। इसमे ईफेक्टिव स्पीकिंग अगर 100%
मानते है, तो उसमे आपके बॉडी लैं ग्वेज का हिस्सा 55% होता है, वॉइस
का हिस्सा 38% होता है, और वर्ड हा हिस्सा केवल 7% ही होता है। तो अगर
आप यह मानते है की हकलाहट को दूर करने के लिए आपको बस शब्दों
को ही बोलना होगा तो ऐसा नही है। बहुत सारे लोग यही पर गलती करते
है। यह बात बिलकुल सही है की शब्दों का बाहर निकलना जरूरी है, मगर
आपका ध्यान केवल शब्दों पर ही होगा तो शायद आपकी हकलाहट दूर
होने के लिए ज्यादा समय लगग
े ा। अगर आपका ध्यान बॉडी लैं ग्वेज और
वॉइस पर होगा तो हकलाहट दूर होने की संभावना बढ़ जाती है।

बॉडी लैं ग्वेज, वॉइस इन दोनों का महत्त्व ईफेक्टिव स्पीकिंग में लगभग
93% है और शब्दों का महत्त्व बस 7%। हकलाहट को दूर करने के लिए भी
यह बात आपको ध्यान रखनी चाहिए की बस शब्दों को मुह
ं से बोलने की
कोशिश करने से शायद शब्द जल्दी बाहर नही आएं गे। ले कीन आप बॉडी
लैं ग्वेज और वॉइस से इन्हे जल्दी बाहर निकाल सकते है।यह हम आने
वाले चैप्टर में देखने वाले है।

मेरे कुछ सुझाव

यहा तक आपको समझ में आ गया होगा कि बहुत बार हमारी सोच ही
हमारे हकलाहट को बढ़ाती है। आज से आपको यह देखना है कि बोलने से
पहले आपके मन में किस तरह के सवाल आते है। उन सवालों के जवाब
80
बोलने का सही तरीका

आप खुद से पूछे और देखे कि क्या अभी भी आपका मन उससे सहमत


नही होता। बहुत बार हमारे मन में चल रहे विचार ऐसे होते है जो बस हम ही
सोचते है मगर असली जिं दगी में ऐसा बिल्कु ल नही होता। क्या आपके भी
विचार ऐसे ही है जिसका बाहर की दुनिया में कोई स्थान नही?

आपको अपने मन में चल रहे प्रश्नों के उत्तर देने है और बोलने से


पहले अपने आपको एक पब्लिक स्पीकर या ईफेक्टिव स्पीकर की तरह
दिखाना है।

अगर मन में आता है कि मै नही बोल पाऊंगा, अटक जाऊंगा तो उसी


समय मन को बोलिए कि तुम यह कर सकते हो और उस काम को करने
में लग जाइए क्योकि बहुत बार आपके बोलने का अनुभव आपके मन में
आए विचारों को रोकने का सबसे अच्छा तरीका होता है।

टास्क

१. आपको हर रोज खुद को यह याद दिलाना है की - “<your


name> is the best effective speaker in the world।“
ऐसा करने से आपकी सल्फ
े इमेज जल्दी चेंज हो जाएगी जो
अभी आपकी हकलाहट की है।

२. जब भी आपके मन में विचार आए कि आप नही कर सकते


तो उस समय यह सोचना कि आप जिसको अपनी प्रेरणा
मानते है अगर वह आपकी जगह होता तो क्या करता? और
आपको अंदर से ताकद मिलेगी!

३. हर दिन नए अनुभव को लेना शुरू कर।े घर आकर यह देखिए


कि इन अनुभवों को मै फिर से एक बार कम गलतियों के
साथ कैसे कर सकता हू और वैसा कर।े

81
चैप्टर 8
बॉडी लैं ग्ज
वे और हकलाहट

किसी भी व्यक्ति को कॉन्फिडेंट दिखने के लिए अपने शरीर का सहारा


लेना पड़ता है। यही शरीर आपकी हकलाहट को दूर करने के लिए भी
आपकी मदद कर सकता है। हम इस चैप्टर में देखग
ें े कि कैसे बॉडी लैं ग्वेज
का इस्तेमाल करके आप आसानी से हकलाहट को दूर कर सकते है।

बॉडी लैं ग्ज


वे सरल भाषा में

बॉडी लैं ग्वेज का मतलब अपने शरीर का इस्तेमाल करके आप अच्छे


से बोल सकते है और अपने शब्दों को बाहर निकाल सकते है। बॉडी लैं ग्वेज
एक ऐसी कला है जो आपको हर बार मदद करग
े ी चाहे आप स्टेज पर हो
या किसी इं सान के सामने । बॉडी लैं ग्वेज का मतलब एक ऐसी कला होती
है जो हर किसीको आपके तरफ खीच लाती है। आप उनके सामने बहुत ही
अच्छे से अपनी बात को रख पाते है, वो भी पूरे कान्फिडन्स के साथ। जब
कोई भी तकनीक काम नही करती है तब आपको बॉडी लैं ग्वेज ही बचाती
है। यह इतनी आसान है की आपको इसको सीखने की भी जरूरत नही है
क्योकि आप इसे हर रोज इस्तेमाल करते है। लेकीन अगर आपको हर
बार एक्सपर्ट की तरह बोलना है तो आपको बॉडी लैं ग्वेज को गहराई से
समझने की जरूरत है। तो चलिए देखते है!

82
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

बॉडी लैं ग्ज


वे में क्या क्या आता है?

बॉडी लैं ग्वेज में मुख्य तौर पर नीचे दिए गए ६ भाग आते है

१. स्माइल

२. चह
े रे के इक्स्प्रेशन

३. मुह
ं का खोलना

४. हाथो का इस्तेमाल

५. आँखों का इस्तेमाल

६. शरीर का दिखावा / शरीर मुद्रा

यहा पर हर एक भाग बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है क्योकि आपके


हकलाहट को कम करने के लिए सबसे ज्यादा महत्त्व इनका ही है। हम
अभी एक एक करके सभी भागों को समझेंग।े

बॉडी लैं ग्ज


वे से हकलाहट कैसे दूर करे

अगर आपको हकलाहट को ठीक करना है तो सबसे पहले यह देखना


पड़ग
े ा की आखिर आपकी समस्या कहा पर है। बॉडी लैं ग्वेज से हकलाहट
ठीक करने के लिए यह जानना जरूरी है कि आपकी समस्या सच में शब्द
में है या फिर कही और।

जब हम यह केहते है कि मुझे उस शब्द पर समस्या है या वो शब्द मुझसे


नही निकले गा तो इसका मतलब हुआ कि आपको पूरे शब्द उच्चारण में
दिक्कत नही आती बल्कि आपको उस शब्द के पहले अक्षर पर ही दिक्कत
आती है। अगर आप उस पहले अक्षर को निकाल पाते है तो बचे हुए सारे
अक्षर उसके पीछे निकल जाते है। उदाहरण के लिए - अगर आपको “भारत”
शब्द पर दिक्कत है तो आपको पूरे भारत शब्द पर दिक्कत नही है बल्कि
पहले अक्षर “भा” पर दिक्कत है। अगर आप “भा” शब्द को निकाल पाते

83
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

है तो “रत” शब्द अपने आप निकल जाएगा और सुननेवाले को “भारत”


ऐसा ही सुनाई देगा। आपका बॉडी लैं ग्वेज आपको पूरे शब्द पर इस्तेमाल
नही करना है। बस आपको पहले अक्षर को निकालने के लिए ही उसका
इस्तेमाल करना है। अब हम नीचे देखते है कैसे बॉडी लैं ग्वेज का इस्तेमाल
करके आप शब्दों को बडी आसानी से निकाल सकते है।

आपका रूट कॉज़ अगर बॉडी लैं ग्ज


वे है तो?

अगर आपका रूट कॉज़ बॉडी लैं ग्वेज है जो कि हमने पिछले सेक्शन
में ही निकाल लिया था, तो यह चैप्टर आपके लिए सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण
है। इसका मतलब यह हो सकता है कि आप अपने शरीर में जकडन सी
महसूस करते है, मुह
ं सही से खुल नही पाता, हाथो का इस्तेमाल आप कम
से कम या बिल्कु ल नही करत।े तो चलिए देखते है।

मुस्कु राने के जबरदस्त फायदे

अगर आपको रियल स्माइल कैसे होती है वह देखना है एक छोटे बच्चे


को देख।े शायद आपने एक बात को नोटिस किया होगा कि जब भी आप
किसी बच्चे के साथ बात करते है या खल
े ते है तब ज्यादा हसते रहते है और
ज्यादा खुश होते है। आप उस समय एक रियल स्माइल करते है जो बहुत
बार आप लोगों के सामने नही कर पात।े

स्माइल करने के वैसे बहुत सारे फायदे है, पर कुछ ऐसे फायदे जो
आपके हकलाहट को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण है वह हम देखते है।

बॉडी लैं ग्वेज में सबसे पहला भाग मुस्कु राहट का है जो सबसे आसान
और सबसे बेहतरीन है। मुस्कु राहट के बहुत सारे फायदे है जैसे की आपका
तनाव कम हो जाता है, खून का दबाव कम हो जाता है, शरीर में पाज़िटिव
फीलिंग आती है, और ऐसे ही बहुत सारे फायदे। पर हम यहा पर देखने वाले

84
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

है कि मुस्कु राने के कुछ ऐसे भी फायदे जो की हकलाहट को कम कर


सकते है या फिर आप पहले से बह
े तर बात कर सकते है।

जब हम दिल से मुस्कु राते है तब आपका मुह


ं खुल जाता है, दात दिखने
लगते है, गाल थोड़े से ऊपर की तरफ खिच जाते है, और आंखे छोटी हो
जाती है। ऐसा होने के बाद आपको अंदर से अच्छा लगने लगता है। आप
उस जगह पर कम्फर्ट महसूस करते है। ऐसा होने पर आप यह देखते है कि
जो जगह पहले आपके लिए थोडीसी असहज थी अब वही मुस्कु राने के
बाद आपके लिए सहज हो गई। आप बडे आराम से बात करने लगे है। तो
मुस्कु राने का पहला फायदा यह होगा कि आप कही पर भी कम्फर्ट के
साथ बात कर पाएं ग।े आपको मुस्कु राते समय ही बोलना है ऐसा नही है पर
वैसा कर सकते है। मै यह बताने की कोशिश कर रहा हू कि मुस्कु राने से
आपको कही पर भी घर जैसा लगता है और जैसे आप घर पर अच्छे से बात
करते है वैसे ही बाहर भी कर पाएं ग।े

मुस्कु राने का दूसरा सबसे बडा फायदा यह है की जब आप किसी को


देखकर थोडी देर के लिए मुस्कु राते है तब आगे वाला इं सान भी आपको
देखकर मुस्कु राएगा। ऐसा १० में से ९ इं सानो के सामने होगा। जब दोनों
एक दूसरे को देखकर मुस्कु राते है, तब दोनों ही बात करते समय कम्फर्ट
फ़ील करते है। अगर ऐसा आपके साथ होता है तब आप यह देखते है कि
आप उस इं सान के सामने बहुत अच्छे से बात रख पा रहे है जैसे की वो
आपका कोई दोस्त हो।

आप किसी के साथ बोलते समय भी बीच बीच में मुस्कु रा सकते है।
इससे आपके अंदर की फीलिंग हमश
े ा पाज़िटिव रहेगी और आगे वाले
इं सान को भी ऐसा लगग
े ा की आप उसकी बातों में रुचि ले रहे है। आपको
बाते करना पसंद है। तो आपको आज से ही मुस्कु राने की कोशिश करनी
है। उसकी शुरुवात आप अभी करेंगे - इस पुस्तक को नीचे रख कर अपने
आप को कैमरा या शीशे में देखकर मुस्कुराना है। आपको इस तकनीक
का फायदा अभी से ही मिलना शुरू हो जाएगा।
85
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चेहरे के इक्स्प्रेशन और मुह


ं का इस्म
ते ाल

बहुत बार ऐसा होता है की हम बात तो मुह


ं से कर रहे है पर हमारे चेहरे
का इस्तेमाल पूरी तरह से नही होता क्योकि हम बिना इक्स्प्रेशन/हावभाव
से बात करते है या फिर मुह
ं को हम अच्छे से खोल नही पाते जिसके
कारण हमारे शब्द अंदर ही अटक जाते है। हमारा चेहरे का बहुत बडा काम
हकलाहट को कम करने के लिए हो सकता है अगर आप उसको सही से
इस्तेमाल करे। अब हम जानते है कि कैसे हम उस पहले अक्षर को निकाल
सकते है अपने चेहरे के इक्स्श
प्रे न और मुह
ं को थोडा ज्यादा खींचकर।

१. चेहरे के इक्स्प्रेशन

बहुत सारे सिचूऐशन में आप अपनी बॉडी का ज्यादा इस्तेमाल नही कर


सकते है जैसे की बॉस के सामने या किसी इं टरव्यू में तो उस समय चेहरे
के इक्स्प्रेशन बहुत ज्यादा मदद करते है। आपके इक्स्प्रेशन आपके शब्दों
को निकालने के लिए बहुत मदद करते है। बहुत बार लोग कन्फ्यूज़ हो
जाते है कि उनके इक्स्श
प्रे न अच्छे से नही आते है तो उसकी प्रैक्टिस आप
घर पर कुछ इस तरह कर सकते है।

१. शीशे के सामने या विडिओ ऑन करके खड़े हो जाए।

२. एक वाक्य ले और उसे कमसे कम ५ अलग अलग प्रकार से बोले ।

३. हर बार आप कुछ अलग इक्स्श


प्रे न का इस्तेमाल करे और देखे इसमे
सबसे अच्छा कौन सा दिखता है?

४. अच्छे इक्स्प्रेशन आने के लिए आप खुद को एक अभिनेता मान सकते


है जो डाइअलॉग बोल रहा है।

५. आप उन वाक्यों की प्रैक्टिस करे जो आप अक्सर बोलते है।

६. आप इसे हर रोज १० मिनट तक प्रैक्टिस करे और लोगों के सामने


दिखाने की कोशिश कर।े

86
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

२. मुह
ं का खोलना

अगर आप अपने मुह


ं को अच्छे से खोलते है तो आपके शब्द आसानी
से और स्पष्टता से बाहर आते है। बहुत सारे लोग मुह
ं को छोटा खोलकर
बोलने की कोशिश करते है जिससे बहुत बार उनके शब्द स्पष्ट नही आते
है, होठ चिपक जाते है, जुबान को हिलने के लिए कम जगह मिलती है।
ज्यादातर हकलाहट की समस्या आपके मुह
ं को अच्छे से खोलने से चली
जाती है। आगे आने वाले चैप्टर में आपको मुह
ं को कैसे स्वर की तरह
खोलना है यह पता चलेगा पर अभी के लिए आपको एक काम करना है
जब भी आप बोलें गे तो मुह
ं को थोडा और खोलकर बोलने की कोशिश
करे।

अगर आपको इक्स्श


प्रे न की प्क्रै टिस (facial expression) और मुह

का खोलना (mouth opening) को विडिओ के रूप में देखना है, तो
आप पुस्तक के अंत में पेज पर दिए गए लिं क पर जाकर देख सकते है।
विडिओ कोर्स में इसे E&O Practice, facial expression, और mouth
opening reading से बताया गया है।

हाथो का इस्तेमाल अच्छी तरह कैसे करे

वैसे तो हम अपने हाथो का इस्तेमाल बोलते समय जाने अनजाने में


करते रहते है। हम इन्ही हाथो का इस्तेमाल करके अपनी हकलाहट को भी
ठीक कर सकते है। जैसे की आपको अब पता चल गया है आपकी समस्या
किसी भी शब्द के पहले अक्षर पर होती है। अगर हम उसी अक्षर को अपने
हाथो से निकालते है, तो बचा हुआ शब्द भी निकल जाता है। इसको करते
समय ये जरूर ध्यान में रखे की आप इसकी जितनी प्रैक्टिस करेंगे उतना
ही ये ज्यादा अच्छा होगा। कुछ समय बाद आपके हाथ आपके शब्दों के साथ
अपने आप इस्तेमाल होंग।े

87
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

इस तकनीक को इस्तेमाल करने से पहले आपको कुछ प्रैक्टिस


करनी पड़ेगी जो हम अभी करेंग।े

१. आ
 पको सबसे पहले एक शीशे के सामने या फिर अपने कैमरा के सामने
खड़ा होना है।

२. अब आपको जितने भी प्रकार के हैन्ड मूवमेंट पता है वो सारे करने की


कोशिश किजीए मगर बिना कुछ बोले।

३. अ
 ब आप उसमे से कोई भी एक हैन्ड मूवमेंट ले कर उसके साथ एक
शब्द बोलो। उदाहरण के तौर पर अपना नाम बोलीए और साथ में हैन्ड
मूवमेंट।

४. ऐसा आपको कम से कम पांच बार करना है। याद रखे आपके हाथ और
शब्द का पहला अक्षर एक साथ होना चाहिए।

५. आ
 प इसमे अपने चह
े रे के इक्स्श
प्रे न को भी इस्तेमाल कर सकते है।

जब आप किसी एक इं सान से बात करते है या फिर ऐसी कोई जगह


जहा पर हाथो का इस्तेमाल करना मना है या फिर जहा वो अच्छा नही
दिखेगा जैसे कि किसी इं टरव्यू रूम या फिर आपके बॉस के सामने। तो
इस समय आप हाथो के अलावा अपनी गर्दन का इस्तेमाल कर सकते है।
आपको बस पहले अक्षर से साथ अपनी गर्दन को इस्तेमाल करना है और
आपका शब्द जल्दी निकल जाएगा।

अगर आपको और भी ज्यादा अच्छे से इस तकनीक को इस्तेमाल करना


है, तो आप ३ चीजों को एक साथ कर सकते है। यह काफी कॉन्फिडेंट भी
दिखता है जैसे की - “ हाथो का इस्तेमाल + गर्दन + चेहरे के इक्स्प्रेशन।“

अब आप इन तीनों को कैमरा या शीशे के सामने करने की कोशिश


करे और देखे कि कैसे आपके शब्द निकलते है।

बहुत सारे लोगों की यह समस्या होती है कि जब उनको हकलाहट


होती है तो उनके हाथ, पैर, गर्दन, शरीर अपने आप ही हिलने लगते है। पर

88
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

अगर आप अपने शरीर को सही तरह से इस्तेमाल करे तो वही आपका


कान्फिडन्स भी बढ़ा सकता है।

हैन्ड मूवमेंट करते समय कुछ और बाते आपको याद रखनी चाहिए
जैसे कि:

१. आपके हैन्ड मूवमेंट आपके सामने कौन है उसके हिसाब से होने चाहिए।
हर जगह पर आप हैन्ड मूवमेंट नही कर सकत।े ऐसे समय पर आप अपने
गर्दन या फिर इक्स्श
प्रे न का इस्तेमाल कर सकते है।

२. आपके हैन्ड मूवमेंट आपके शब्दों के हिसाब से होने चाहिए। अगर ऐसा
नही होता, तो आगे वाले को वह कुछ अजीब लगता है।

हैन्ड मूवमेंट की प्रैक्टिस अगर आप रोजाना करते है और उसको लोगों


के सामने इस्तेमाल करते है, तो कुछ दिन के भीतर ही आपकी वह आदत
बन जाएगी। मगर याद रखे कि कोई भी चीज कुछ दिन करते समय आपको
फोकस के साथ करनी चाहिए। इससे वो चीज आपको याद रहती है।

आंखो का इस्तेमाल

अक्सर लोग यह मान लेते है की आई कान्टैक्ट का मतलब किसी


के आंखो में आंखे डालकर बात करना होता है। ऐसा इसीलिए क्योकि
लोग इस शब्द का अर्थ शब्दशः लेते है। मगर सोचिए की अगर कोई इं सान
आपके आंखो में देखकर बहुत देर से बात कर रहा है तो आपको कैसा
लगग
े ा? आपको यह बात बहुत अजीब लगग
े ी और शायद आप कही और
देखना शुरू कर दोगे क्योकि आप वहा पर असहज महसूस कर रहे है।

जब आप आंखो का इस्तेमाल बोलते समय करेंगे तो हमेशा यह बाते


याद रखे:

१. आई कान्टैक्ट का मतलब हमश


े ा आंखो में देखना नही होता है। आप उस
इं सान के चेहरे पर कही भी देख सकते है।

89
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२. बोलते समय हम हमश


े ा एक सीमित दूरी बनाकर रखते है और उस
इं सान को देखते है। तो लगातार एक ही जगह पर आपको नही देखना
चाहिए। अपनी आंखो को यहा वहा घुमाना चाहिए। इससे आगे वाला
इं सान को कम्फर्ट फील होगा और वो आपकी बात सुनने पर ज्यादा
ध्यान देगा।

३. ह
 म आई कान्टैक्ट इसीलिए करते है ताकि सामने वाले इं सान को यह
लगे कि हम वही पर है और उस बातचीत का हिस्सा है।

शरीर का दिखावा / शरीर मुद्रा

जब हम किसी इं सान के सामने बात करते है तो उस समय सामने वाले


इं सान का ध्यान ज्यादातर आप कैसी बॉडी लैं ग्वेज से बात करते है वही
होता है। क्योकि आपका शरीर आपके बारे में बहुत कुछ बताता है। शायद
आप भी ऐसा ही करते है। अगर आपका बॉडी लैं ग्वेज एक कॉन्फिडेंट इं सान
की तरह है तो अंदर से भी आप ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करते है।

आज के बाद जब भी आप कही पर बात करते है तो अपनी बॉडी लैं ग्वेज


पर ध्यान जरूर दे। चाहे आप बैठे हो, खड़े हो, या फिर चल रहे हो। आपकी यह
छोटी सी बात आपको बोलते समय बहुत मदद कर सकती है।

अगर आपको तुरत


ं अपने शरीर को एक कॉन्फिडेंट पर्सन की तरह
दिखाना है तो नीचे दी गई बातों का ध्यान रख।े

१. आपकी पीठ थोडी सीधी रखे और हाथ थोड़े बाहर।

२. अ
 पने दोनों पैर के बीच में थोडी जगह रख।े यह देखे की दोनों पैर एक
दूसरे के साथ पैरलेल है या नही।

90
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

Fig. Parallel Feet

अगर में यहा पर बॉडी लैं ग्वेज को सरल भाषा में बताऊ, तो आपको बस
इन स्टेप्स को फॉलो करना है।

१. बोलते समय अपने चेहरे पर स्माइल रखे।

२. अ
 पने मुह
ं को अच्छे से खोले और बोलते समय चेहरे के इक्स्प्रेशन का
इस्तेमाल करे।

३. कुछ शब्दों के साथ अपने हाथो का इस्म


ते ाल करे।

४. सामने वाले इन्सान की आंखो में ज्यादा देर ना देखे और उससे थोडी
दूरी बना कर रखे।

५. अपने पैरों की तरफ ध्यान दे। दोनों पर


ै ों को एक दूसरे से पैरले ल रखे।

६. अपने शब्दों को बोले और देखे की आपकी बॉडी लैं ग्ज


वे से आप अंदर से
कॉन्फिडेंट महसूस करते है।

91
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

कान्फिडन्स बढ़ाए २ मिनट में

कान्फिडन्स एक फीलिंग होती है जो आप अंदर से महसूस करते है।


जब आपके अंदर कान्फिडन्स आता है तब आपको अंदर से ऐसा लगता
है कि आप अब कुछ भी कर सकते है। आपके मन में कोई भी शंका नही
आती। आप उस प्रवाह में अपना काम कर लेते है। पर कभी कभी आपके
अंदर कान्फिडन्स कम हो जाता है। मन मे बहुत सारे प्रश्न आते है कि मै
यह कर पाऊँगा या नही। उस समय आपके शरीर में भी वैसा अनुभव होता
है। आप जो भी काम कर रहे है उसमे आप अपना सौ प्रतिशत नही दे पाते।
शायद आपने इसका बहुत बार अनुभव किया है और बोलते समय तो ऐसा
बहुत बार हुआ होगा।

अब हम देखते है की कान्फिडन्स बढ़ाने के लिए क्या करना पड़ेगा


ताकि आपका कान्फिडन्स २ मिनट में बढ़ जाए और आप कही पर भी
अच्छे से बात कर सके।

आपका कान्फिडन्स बढ़ाने के लिए नीचे दी गए सारी बाते महत्त्वपूर्ण है:

१. आपका शरीर

२. आपकी ब्रीदिंग

३. आप कैसे बैठते/खड़े/चलते हो

४. आपके चेहरे के इक्स्श


प्रे न

५. आपकी आंखे

६. आपका मन

अब हम देखते है की ऊपर दी गई सारी बाते कैसे आपके कान्फिडन्स


को बढ़ा या कम कर सकती है।

उदाहरण के लिए - जब आपके अंदर बोलने से पहले एक घबराहट


सी आती आती है, मन में बहुत सारे सवाल आते है, और फिर आपको
हकलाहट होती है, तब आपके साथ कुछ इस प्रकार होता है:
92
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

१. शरीर : आपका शरीर कापने लगता है या फिर आपको पसीना छूटता है।

२. ब्
 रीदिं ग : आपकी ब्रीदिं ग बहुत तेज हो जाती है। दिल में बेचन
ै ी सी होने
लगती है।

३. बठ
ै ना/खडे होना/चलना : आपके बैठने में शरीर आगे झुकने लगता है।
खडे होते समय शरीर अस्थिर हो जाता है और चलते समय आपके पैर
कापते है (मतलब आपके शरीर को अच्छा नही लगता।)

४. चह
े रे के इक्स्प्रेशन : आपके इक्स्श
प्रे न अचानक से बदल जाते है।
आपके चेहरे पर डर दिखने लगता है या फिर आपका मुह
ं थोडा अजीब
तरीके से खुलता है।

५. आ
 ख
ं े : आप सामने वाले से नजर नही मिला पाते है और ज्यादातर
आपकी आंखे नीचे देखने लगती है।

६. मन : आपके मन में शंका आती है कि आप शायद अटक जाएं गे, लोग
क्या कहेंग,े मेरी इमेज तो खराब नही होगी।

इसका मतलब यह होता है कि जब आपके मन में यह आ जाता है कि


आप बोल नही पाएं गे तो आपके शरीर और आपकी आंखो में वह दिखता
है। जैसा मन में होता है वैसा ही आप बोलते है।

इसका अर्थ यह निकलता है की - “ जो भी आपके मन में होता है, वो


आंखो से दिखता है और शरीर उसको फॉलो करता है।” उदाहरण के लिए
- अगर आपके ले फ्ट या राइट साइड पर कुछ आवाज आती है तो सबसे
पहले आपके दिमाग को पता चल जाता है अपने कानों से। उसके बाद
दिमाग आंखो से कहता है कि देखो वहा पर क्या हो रहा है। फिर आंखो के
साथ आपका शरीर भी उसके पीछे जाता है। आपकी गर्दन आपके आंखो
को फॉलो करती है।

मन आंख े शरीर

93
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

हम हमेशा ऊपर दी गई प्रोसस


े को ही फॉलो करते है ले कीन अगर
हम उसका उलटा करे तो क्या होगा? मतलब अगर आपके अंदर बोलने
से पहले डर है तो आप अपने शरीर को वैसा दिखाए जैसा एक कॉन्फिडेंट
इं सान दिखाता है। आंखो को हमश
े ा सीधा रखे और चेहरे पर थोडी स्माइल
रखे तो आपका मन अपने आप कुछ समय के बाद कॉन्फिडेंट फ़ील
करने लगता है।

इसका मतलब - “इसे तब तक नकली तरह से करते रहे जब तक आप


वह बन नही जाते” (fake it till you become it)

ऊपर दिए गए वाक्य का मतलब यह होगा की आपके शरीर और आंखो


को ऐसा दिखाए की मानो आप एक कॉन्फिडेंट इं सान ही हो। भले ही आप
अंदर से वह नही हो (नकली)। कुछ समय के बाद आपका मन वैसा ही
बन जाएगा। हमने यह सीखा है कि जब भी अपने मन में कोई शंका आती
है तो बोलने से पहले आपके शरीर, आंख,े और चह
े रे के इक्स्प्रेशन, बैठने या
खड़े होने का तरीका, और आपका मन इन सभी पर इसका प्रभाव पड़ता है।
सामने वाला व्यक्ती यह देख सकता है की आप अंदर से डरे हुए हो। परंत’ु
अगर इन्ही सब चीजों को ऐसा दिखाए की आप एक कॉन्फिडेंट इं सान है,
तो सामने वाला व्यक्ती भी इसी बात को स्वीकार कर ले गा और कुछ देर
बाद आपको भी अंदर से कॉन्फिडेंट ही महसूस होगा।

तो इस २ मिनट कॉन्फिडेंट फार्मूला को करने के लिए आपको नीचे दी


गई स्टेप्स को फॉलो करना है। इस तकनीक को आप कान्फिडन्स बूस्ट
तकनीक भी बोल सकते है। इसको करने के लिए आप एक कुर्सी पर बैठ
जाईए या आप खड़े हो जाईए। नीचे दिए गए हर एक स्टे प को आपको फॉलो
करना है। याद रखे हर एक स्टेप में ज्यादा से ज्यादा २ सेकंड का ही अंतर
होना चाहिए।

१. एक कॉन्फिडेंट इं सान जैसे बैठता है आपको वैसा ही बैठना है या फिर


खड़ा होना है।

94
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

२. एक कॉन्फिडेंट इं सान जैसे सांस लेता और छोड़ता है, आपको वैसे ही
सांस को ले ना और छोड़ना है।

३. एक कॉन्फिडेंट इं सान जैसे चह


े रे पर इक्स्श
प्रे न रखता है, वैसे ही आपको
चह
े रे पर इक्स्प्रेशन लाने है।

४. एक कॉन्फिडेंट इं सान जैसे मुस्कु राता है, वैसे ही आपको मुस्कु राना है।

Fig. Confident Seating Posture Fig. Confident Standing Posture

५. ऊपर के ४ स्टे प को फिर से रीपीट करे और अंदर फील करे की आपका


कान्फिडन्स अब बढ़ रहा है।

६. फ
 ील करे की अब आपका कान्फिडन्स ६ तक पहुंच गया और धीरे धीरे
१० तक जा रहा है (१०/१० मतलब जबरदस्त कान्फिडन्स)।

७. जब आपका कान्फिडन्स १०/१० हो जाए, तो फिर आपको अपने मन ही


मन में एक वाक्य को १५ बार बोलना है और ध्यान से सुनना है (मुह
ं से
नही बोलना है बस मन में ही)।
95
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

वाक्य - “मेरा नाम <आपका नाम> है और मै एक कॉन्फिडेंट पर्सन हू


/ मै एक ईफेक्टिव स्पीकर हू!”

ऊपर की सारे स्टेप को फॉलो करने के बाद अब आप देख सकते है कि


आपका कान्फिडन्स पहले से ज्यादा बढ़ चुका है। अगर अभी भी आपको
वैसा नही लग रहा है तो एक बार स्टेप्स को याद कर ले और फिर कुर्सी
पर बैठ कर फॉलो कर।े आपका कान्फिडन्स २ मिनट में ही बढ़ जाएगा।

इस तकनीक को आप हर जगह पर इस्तेमाल कर सकते है और यह


आपको बहुत अच्छा रिजल्ट उस जगह पर देगा जहा पर आपको बोलना है।

उदाहरण के लिए - इं टरव्यू रूम में जाने से पहले , प्रेज़न्टै शन देने से


पहले , कॉल पर बात करने से पहले, और जहा पर आपको लगता है उस
जगह पर।

मेरे कुछ सुझाव

इस चैप्टर में हमने बॉडी लैं ग्वेज और कान्फिडन्स दोनों के बारे में समझा
है। आपको अब समझ में आ गया है कि कैसे कॉन्फिडेंट होकर बात करनी
चाहीए। अगर आप हर रोज शीशे के सामने या अपने कैमरा के सामने इसे
प्रैक्टिस करे तो आपको बहुत अच्छा रिजल्ट मिले गा। इस प्रैक्टिस को
करते समय आप अपने आप को एक अभिनत
े ा समझे और ऐक्टिं ग करने
की कोशिश करे। इससे आपके चह
े रे पर इक्स्श
प्रे न अच्छे आएं गे, हाथो का
इस्तेमाल अच्छा होगा, और आप को जल्दी समझ में आएगा।

आप बॉडी लैं ग्वेज को कॉल पर बात करते समय भी इस्तेमाल कर


सकते है। बॉडी लैं ग्वेज से बात करना यह आपकी आदत बनाइये।

96
बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट

टास्क

१. फेसबुक ग्रुप में लाइव जाकर अपने बारे में कुछ बताईए।
अपनी बॉडी लैं ग्वेज का भी इस्तेमाल किजीएगा।

२. अ
 पने किसी दोस्त या रिश्द
ते ार को कॉल करे और बोलते
समय बॉडी लैं ग्वेज का इस्तेमाल कर।े आप चलते समय,
कानों मे हेड्फोन लगाकर भी बात कर सकते है और साथ
मे अपने बॉडी लैं ग्वेज का इस्तेमाल कर।े

३. कोई भी एक टॉपिक ले और खुद का एक विडिओ शूट करे।


उस विडिओ को देखकर अपनी कमजोरी निकाले और
फिर से इस प्रोसस
े को फॉलो करे जब तक आप अपने
परफॉरमेंस से संतष्ट
ु नही हो जात।े

97
चैप्टर 9
आवाज और शब्द

इस चैप्टर में हम देखने वाले है कि आप किस तरह से मधुर आवाज में,


उतार चढाव के साथ बोल सकते है। इसके साथ आपके शब्दों को कैसे
बहुत सटीक, साफ, और स्पष्ट बाहर निकाल सकते है। हम पूरे चैप्टर में
सीखने वाले है कि शब्दों के साथ अपनी आवाज पर कैसे काम करे। बोलते
समय साफ कैसे बोले ताकि लोगों को आपका हर एक शब्द अच्छे से
समझ में आए।

आवाज क्या होती है?

आवाज एक ध्वनि है जो इं सान के अंदर से आती है। इसको हम अंग्रेजी


में voice कहते है। आपके अंदर से जो आवाज आती है और जो भी बाहर की
आवाजे आती है उन सभी को एक जगह से दूसरी जगह ले कर जाने के लिए
हवा का बहुत बडा महत्त्व है। हमने यह अपने विग्यान पाठशाला में पढ़ा है।
शायद आपने उसको लेकर कुछ प्रयोग भी कीए होंगे। आवाज के बहुत सारे
रूप हो सकते है जैसे की:

१. बोलना (speak)

२. उच्चारण करना (pronounce)

३. ध्वनि (sound)

४. शोर (noise)
98
आवाज और शब्द

आवाज एक ऊर्जा का रूप है, जो की कम्पन के कारण पैदा होती है।


यह अपने कानों तक पहुंचकर हमे सुनाई देती है। इसके संचारण के लिए
किसी न किसी माध्यम का होना आवश्यक है। जब हम बात करते है तो
अपने अंदर से जो आवाज आती है और मुह
ं से बाहर जाती है उसे हम बात
करना कहते है। चलिए जानते है इं सान कैसे बात करते है!

हम कैसे बात करते है?

जब हम बात करते है तब हमारे अंदर से हवा बाहर आती है और उसके


साथ कुछ ध्वनि भी बाहर आता है। हमारे मन में जो शब्द होता है उसी तरह
से शब्द बाहर आता है। मुह
ं के अंदर जीभ, दात, तालु , आदि का इस्तेमाल
करके आप बोलते है। यहा पर गौर करने वाली बात यह है कि आपके मुह

से जो भी शब्द बाहर आते है वह पहले ही आपके मन में आ चुके होते है। हम
बस अपने मन को पढ़ते है और यह पढ़ना इतना तेज होता है की कई बार
ऐसा लगता है की हमारे शब्द अपने आप ही निकल रहे है। याद रखे आप
वही बोलते है जैसे आप सोचते है और सुनते है। उसके बाहर से आप कुछ
नही बोलते क्योकि आपके मन में वह है ही नही।

आवाज के स्त्रोत:

हमारे मुह
ं से जो शब्द बाहर आते है उनके मुख्य तौर पर २ स्त्रोत (सोर्स) है।

१. गले से

२. पट
े से

उदाहरण के लिए - अगर हम हिं दी भाषा की बात करे तो उसमे लगभग


५२ वर्णाक्षर (स्वर + व्यंजन) होते है। आजकल हम सभी ५२ इस्तेमाल नही
करते है, ले कीन जितने भी करते है, आवाज के साथ उन सभी के बस २
ही स्त्रोत है।

99
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

(क, ख) (ग, घ) (च, छ) (ज, झ) (ट, ठ) (ड, ढ) (त, थ) (द, ध) (प, फ)


(ब, भ) - इन अक्षर को बोलते समय आपकी आवाज एक जैसी लगेगी।
परंतु अगर आप अपना एक हाथ छाती पर और दुसरा हाथ पेट पर रखते है,
तो आपको समझ में आएगा की दोनों अक्षर अलग अलग है।

सरल भाषा में बताऊ तो उदाहरण के लिए अगर हम (क, ख) को अग्रेजी


में लिखे तो वो बनेगा (ka, kha)। अब हम जब अंग्रेजी में लिखे अक्षर का
स्लपे िंग देखे तो लगभग एक जैसा ही है। बस “ख” शब्द में “h” ज्यादा आ
गया है और ऐसा हर जोड़ी के साथ हुआ है, जो ऊपर लिखा है।

जब हम h मतलब “ह” अक्षर को बोलते है और आपका एक हाथ पेट


और दुसरा छाती पर रखते है, तो पता चलता है ज्यादा हवा पेट से आ रही है।
इसका मतलब जिस भी शब्द में “ह” की ध्वनि है जैसे की – ख, घ, छ, झ, ठ,
ढ, थ, ध, फ, और भ, इन सभी के स्त्रोत पट
े है।

यहा पर एक बात को याद रख,े जिस शब्द में “ह” की ध्वनि आती है
उसका स्त्रोत पेट से आता है। यहापर “श,” “ष” ये ऐसे अक्षर है जिनके
स्लपे िंग “sha” में - “h” आता है लेकीन ये “ह” ध्वनि नही है इसीलिए “श,”
“ष” पेट से नही आते है।

जिस अक्षर में “ह” की ध्वनि नही आती है वो सभी के स्त्रोत आपके गले
से आते है। अगर आप अपना हाथ गले पर रखेंगे और थोडा नीचे ले कर
जाएं गे, तो आपको एक जगह पर गड्ढा लगग
े ा जो थोडा छाती के ऊपर है।
उस गड्ढे से आपके सारे अक्षर आते है जिसमे “ह” का ध्वनि नही है, जैसे की
– क, ग, च, ज, ट, ड, त, द, प, ब, म, य, र, ल, व, श, ष, और स।

ध्यान देने वाली बात यह है की सभी स्वर का स्त्रोत भी गले से है जहा


से ऊपर के अक्षर आते है।

अब आपके ध्यान में आ गया होगा कि आप किसी भी भाषा का कोई


भी अक्षर ले , तो उसके दो ही स्त्रोत है - एक पट
े और दूसरा गला। स्त्रोत का
मतलब बस आपकी हवा कहा से बाहर आ रही है। यह आपको शब्द बोलने

100
आवाज और शब्द

में इतनी मदद नही करग


े ी जितनी आपको फाउं डश
े न तकनीक करेगी जो
हम आने वाले चैप्टर में देखग
ें ।े

याद रखे - स्त्रोत और फाउं डेशन दोनों अलग है। स्त्रोत आपकी आवाज
के साथ संबधं ित है पर फाउं डेशन शब्द कैसे मुह
ं से बाहर आता है उससे
संबधं ित है।

अगर हम इन दोनों स्त्रोत के नाम देखे तो वो कुछ इस प्रकार होंगे:

१. अल्पप्राण (गले से आने वाले अक्षर)

२. महाप्राण (पेट से आने वाले अक्षर)

यहा पर प्राण का मतलब वह हवा जो बोलते समय बाहर आती है। अल्प
मतलब कम और महा मतलब ज्यादा। जो अक्षर गले से बाहर आ रहा है
उसमे हवा कम ही बाहर आएगी तो वो हुआ अल्पप्राण। जो अक्षर पेट से
बाहर आ रहा है उसमे हवा ज्यादा बाहर आती है तो वो हुआ महाप्राण।

स्पष्ट और गहरी आवाज

आवाज को स्पष्ट बनाना और गहरी बनाना यह दोनों अलग अलग


बाते है। अगर आपको आवाज को स्पष्ट बनाना है तो आपको मुह
ं और
गले पर ध्यान देना पड़ग
े ा। अगर आपको गहरी आवाज में बात करनी है
तो आपको पेट पर ध्यान देना पड़ग
े ा। आपको बोलते समय जानबूझकर
किसी भी प्रकार की आवाज नही निकालनी है।

आवाज के लिए व्यायाम

अगर आपके गले में कोई खराश या गला बैठ गया हो तो आपकी
आवाज स्पष्ट नही आती है। उसके लिए आप गरारे करते है या फिर डॉक्टर
की सलाह ले ते है। अक्सर यह देखा गया है कि लड़कों की आवाज १८ साल
की उम्र से बदलना शुरू हो जाती है और लड़कियों की आवाज १४ साल से
101
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ही। ऐसा इसीलिए होता है क्योकि उसी उम्र से यौवन की शुरुवात होती है।
तब लड़के और लड़किया अपने शरीर में बदलाव महसूस करते है। उसी
समय उनकी आवाज भी बदलने लगती है।

अगर आप लड़की है और आपकी उम्र १४ साल से कम है, या फिर आप


लड़के है और आपकी उम्र १८ साल से कम है; तो आपको बताए जाने वाले
प्रैक्टिस का फायदा इतना नही होगा - क्योकि उसके लिए आपका शरीर
तैयार नही है। परंतु आप इसे कर सकते है। अगर आपकी उम्र उससे ज्यादा
है तो आप इन प्रैक्टिस को हर दिन कर।े

स्पष्ट आवाज के लिए प्रैक्टिस

आपकी साफ आवाज आपके गले से आती है और अगर आपका मुह



अच्छे से खुल रहा हो तो और भी ज्यादा स्पष्ट आती है। आवाज को साफ
बनाने का सरल उपाय है रोज सुबह ब्रश करने के बाद २ से ३ बार गरारे
(gargling) करे। अगर आप गुनगुने पानी या फिर उसमे थोडा नमक
डालकर गरारे करेंगे तो रिजल्ट अच्छा आता है। यही आप ठं डे पानी से भी
कर सकते है। अगर आप रात को भी ब्रश करते है तो उसके बाद भी गरारे
कर सकते है।

दूसरा उपाय यह होगा की सिं घासन योगा कर।े रोज सुबह ५ बार और
बोलते समय अगर थोडा ज्यादा मुह
ं खोलें गे तो अच्छे रिजल्ट आते है।

गहरी आवाज के लिए प्रैक्टिस

गहरी आवाज हमश


े ा पट
े से ही आती है। इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण
ध्वनि है “ह” जो पेट से आता है। अगर आप “ह” को थोडा ज्यादा मुह
ं खोल
कर बोलें गे और लं बे समय तक बोलें गे तो इससे काफी फायदा होता है।
आप “ह” ध्वनि को उछल उछलकर भी बोल सकते है जिससे आपके पेट

102
आवाज और शब्द

से ज्यादा हवा बाहर आएगी। सिं घासन को करने से भी आवाज गहरी हो


सकती है।

याद रखे आवाज को गहरी बनाने के लिए कम से कम ४० से ५० दिन


लग सकते है। आपको इसे रोजाना करना पड़ग
े ा तभी आपको रिजल्ट
दिखेगा।

आवाज की प्रैक्टिस को विडिओ से अच्छे से जानने के लिए आप


पुस्तक के अंत में दी गई लिं क को चेक करे। सभी प्रैक्टिस “Clear &
Deep Voice in 30 Days” इस विडिओ कोर्स में बताई गई है।

मेरे कुछ सुझाव

बोलते समय शब्दों के स्पष्टता पर ज्यादा ध्यान देने पर शब्द अच्छे से


आने लगते है। आवाज को अच्छा बनाने के लिए आपकी ब्रीदिं ग अच्छी
होनी चाहिए और आप इसके लिए बल
े ी ब्रीदिं ग को फॉलो करे। जितनी
गहरी आपकी ब्रीदिं ग उतना ही आपकी आवाज गहरी। दिनभर आप पर्याप्त
मात्रा में पानी पिये जिससे आपका गला जल्दी नही सूखग
े ा और इससे
आपकी आवाज अच्छी आएगी। दिनभर कम बात करने से भी गले को
आराम मिलता है और आपकी आवाज अच्छी निकलती है। जहा जरूरत
नही है वहा कम बात करे और जब बात करे तब पुस्तक में बताई गई
तकनीक को फॉलो कर।े

अगर आपकी आवाज नाक से आती है या हमश


े ा जुखाम या सर्दी रहती
है तो आपको “ent specialist” या किसी डॉक्टर को दिखने की जरूरत
है। आपकी नाक का आपके आवाज को अच्छा बनाने मे बहोत बड़ा रोल
होता है।

103
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टास्क

१. हर रोज गरारे करना और “ह” ध्वनि की प्रैक्टिस करे।

२. पर्याप्त मात्रा में दिनभर पानी पिय।े

३. बोलते समय अपने शब्दों को स्पष्ट बोलने का प्रयास करे।

४. अपनी आवाज को औडियो रीकॉर्डर से रिकार्ड करे और


आपकी आवाज को सुन।े

५. आपकी आवाज कैसी है यह जानने के लिए अभी दोनों


कानों पर हाथ रखे और कुछ शब्दों को बोले । आपको जैसा
सुनाई देगा वैसा ही लोग आपकी आवाज को सुनते है।

104
चैप्टर 10
स्वर

स्वर क्या होते है?

स्वर आपके शब्दों को बोलते समय आकार देता है। कोई भी स्वर बोलते
समय आपका मुह
ं खुल जाता है यानि आपका ध्यान मुह
ं को खोलकर
शब्दों को बोलने पर होता है। हम ऐसा भी बोल सकते है कि बिना मुह
ं खोले
आप स्वर नही बोल सकते।

मतलब जिन वर्णों का उच्चारण करते समय सांस, कंठ, तालु , आदि
स्थानों से बिना रुके निकलती है उसे स्वर कहा जाता है। वैसे तो कोई भी
शब्द बिना मुह
ं खोले नही बोला जाएगा वो स्वर की वजह से ही हो रहा है।
यह हम आगे देखने वाले है।

स्वर का महत्त्व

स्वर का महत्त्व अनन्य साधारण है। किसी भी भाषा में, हम इसको ४


भागों में समझते है।

१. स्वर का मतलब अपने मुह


ं को अच्छे से खोलना

उदाहरण के लिए - हिं दी में लगभग १३ स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ,


ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः

अगर आप स्वर को बोलते है तो आप यह देखग


ें े की आपका मुह
ं खुल

105
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

रहा है और आपका पूरा ध्यान मुह


ं खोलने पर ही जा रहा है। आपके मुह
ं के
अंदर ज्यादा कुछ नही हो रहा है।

इन स्वरो में “ऋ,” “अं,” “अः,” को हम आजकल ज्यादा इस्तेमाल नही


करते है। तो अगर आप इनको छोड़कर बाकी के स्वर बोलें गे तो आपको
समझ में आएगा कि हर स्वर के साथ आपका मुह
ं खुल रहा है। अगर आप
ध्यान से स्वर को बोलें गे और अपने मुह
ं को शीशे या कैमरा में देखग
ें े तो
आपको पता चले गा कि हर स्वर के साथ आपका मुह
ं अलग प्रकार से खुल
रहा है।

जब भी आप स्वर बोलते है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, तो आपका


मुह
ं अच्छे से स्वर की तरह खुलता है।

२. स्वर शब्दों को बोलने में महत्त्व प्रदान करता है

उदाहरण के लिए - अगर आप कोई भी शब्द बोलते है तो उसमे स्वर


आता है, परंतु अगर हम उस स्वर को शब्द से निकाल दे तो क्या उस शब्द
को बोलने में कोई महत्त्व रहग
े ा?

चलिए देखते है!

अगर आप अपने नाम का स्लपे िंग अंग्रेजी में लिखते है और उसमे आने
वाले स्वर को निकाल देते है, तो बचे हुए शब्द को आप बोल नही पाते।
उदाहरण - जैसे की मर
े ा नाम अंकुश पारे है, तो इसका अंग्रेजी होता है -
Ankush Pare

Ankush शब्द में जो स्वर आते है वो है - a, u

अगर हम a ओर u को Ankush शब्द से निकाल दे तो आपका शब्द


े ा - nksh वैसे ही अगर हम Pare शब्द से a और e स्वर निकाल देते
रहग
है, तो शब्द रहेगा - pr अब आप Ankush Pare में स्वर निकाल ले ने के
बाद जो बचा हुआ शब्द है - nksh pr इसको आपको बोलने का प्रयास

106
स्वर

करना है और वो भी ऐसे की यह एक पूर्ण शब्द है। तो चलिए जरा बोलने


की कोशिश करे!

अगर आप इन शब्दों को बिना स्वर के बोल पा रहे है तो मेरा एक ही


प्रश्न है। आप जो अपने मुह
ं को खोल रहे है वो तो स्वर की वजह से ही होता
है। पर इन शब्द में तो स्वर नही है। तो आप मुह
ं कैसे खोल सकते है? नही
खोल सकते!

इस उदाहरण से यह पता चलता है कि स्वर आपके शब्द को बोलते


समय महत्त्व प्रदान करता है। या फिर यह कहे कि बिना स्वर के शब्द का
कोई महत्त्व नही होता।

३. हर शब्द में स्वर आता ही है, बिना स्वर के कोई शब्द नही होता।

उदाहरण के लिए - आप अपने घर में जीतने भी लोग है उनके नाम


सोचे और उसको अंग्रेजी में एक कागज पर लिख।े फिर अपने दोस्तों के
नाम सोचे, अपने स्कू ल का नाम, कॉलेज का नाम, कोई भी नाम सोचे,
और उसे एक कागज पर अंग्रेजी में लिख।े आप यह देखग
ें े की हर शब्द में
स्वर आता है। यहा पर अंग्रेजी स्वर आएं गे – a, e, i, o, u

आप कोई भी नाम सोचीए। उस हर शब्द में स्वर आता ही है। दुनिया का


ऐसा कोई शब्द नही जिसमे स्वर नही आएगा। क्योकि बिना मुह
ं खोले तो
आप बोल नही सकते और मुह
ं खोलने का मतलब स्वर होता है।

अब आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि ऐसे भी कुछ शब्द होते


है जिसमे स्वर बिल्कु ल नही आत।े यहा पर आपके लिए स्वर का मतलब
- हिं दी में “ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, “ और अंग्रेजी में - “ a, e, i, o,
u” होगा।

जैसे की - my, sky, myth, rhythm, try, cry और इसी तरह से बाकी
भी शब्द जिसमे स्वर नही आत।े

107
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

इन शब्दों में तो कोई भी स्वर नही आ रहा है और मै तो आपको कह रहा


हू कि बिना स्वर के कोई शब्द नही होता। यहा तक कह रहा हू कि दुनिया
के हर शब्द में स्वर आता ही है। तो यह बिल्कु ल सही बात है। कैसे? चलिए
देखते है!

ऊपर दिए गए शब्दों में एक अक्षर जो हर शब्द में आ रहा है वह है - y


याने कि की “य्” (हिं दी में)। “य्” और “व” यह दोनों अक्षर को अर्धस्वर
भी कहा जाता है। मतलब “य्” और “व” का इस्तेमाल हम शब्दों में स्वर की
तरह भी कर सकते है। “य्” और “व” कहने के लिए तो व्यंजन है, अपितु
जब आप “य्” और “व” को बोलते है, तो आपका मुह
ं खुल जाता है। मुह
ं के
अंदर कुछ हलचल नही होत।े यह स्वर के साथ भी होता है। इसीलिए “य्”
और “व” मतलब अंग्रेजी में y और v/w को अर्धस्वर कहा जाता है।

तो ऊपर दिए गए उदाहरण से यह समझ में आता है कि दुनिया के हर


शब्द में स्वर आता है। बिना स्वर के कोई शब्द बनता नही है। अगर हम
ऊपर की तीनों बातों को एक साथ देखे जैसे की:

१. स्वर का मतलब अपने मुह


ं को अच्छे से खोलना।

२. स्वर शब्दों को बोलने में महत्त्व प्रदान करता है।

३. हर शब्द में स्वर आता ही है। बिना स्वर के कोई शब्द नही होता।

तो आप यह निष्कर्ष लगा सकते है कि आज से आप जब भी कोई शब्द


बोलने की कोशिश करेंग,े तो आपको मुह
ं अच्छे से खोलना है। अपने मुह

को स्वर की तरह खोलना है। आप जितना अच्छे से मुह
ं को स्वर की तरह
खोलें गे उतना ही आपका शब्द स्पष्ट और बिना रुके, बिना हकलाहट के
बाहर आ सकता है।

108
स्वर

स्वर बोलने की प्रैक्टिस

हिं दी भाषा में १३ स्वर होते है जिसमे से हम १० सबसे ज्यादा बोलते है –


अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। इन सभी स्वर उच्चारण में एक बात समान
है वो है आपका मुह
ं का खुलना। तो आपका मुह
ं कैसे खुलता है यह भी
जानना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

हमारा मुह
ं ज्यादातर २ तरह से खुलता है:

१. Horizontal (आड़ा)

२. Outside (बाहर)

अगर हम horizontal मुह


ं खोलने की बात करे, तो उसमे ६ स्वर आते है:

• अ, आ, इ, ई, ए, ऐ

अगर हम outside मुह


ं खोलने की बात करे तो उसमे ४ स्वर आते है:

• उ, ऊ, ओ, औ

अगर हमे इन स्वर की प्रैक्टिस करनी है ताकि आपके शब्द आसानी


ं अच्छे से खिचना जरूरी है। बहुत बार यह देखा
से बाहर आए तो आपका मुह
गया है कि जिस इं सान को स्वर में ही ज्यादा दिक्कत होती है, वह अपने मुह

को अच्छे से उस स्वर की तरह खोल नही पाता। अब हम देखते है की स्वर
की प्रैक्टिस कैसे कर।े

जब हम अपने मुह
ं को horizontal (आड़ा) खींचते है, तब “अ, आ, इ, ई,
ए, ऐ,” यह सारे स्वर आपके अच्छे से आते है। पहले हम horizontal खिचना
सीखेंग।े

जब हम “E” यह अंग्रेजी शब्द बोलते है तब हमारा मुह


ं horizontal
(आड़ा) खुलता है। इसकी प्रैक्टिस करते समय आपको नीचे दी गई बातों
का ध्यान रखना है:

• अपने दातों (ऊपर और नीचे वाले) के बीच में १ उं गली का अंतर रखना

109
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

है। यह करने के लिए पहले अपनी उं गली दातों के बीच में रखे। फिर
उं गली निकालकर जो अंतर बीच में रह जाता है, उसको उतना ही रखना
है जितना अंतर अभी है। उतना ही आपको पूरी E “प्रैक्टिस करते समय
रखना है।

Fig. E Sound Practice

• मह
ुं को आड़ा खींचते समय “E” की आवाज निरंतर २० सेकंड तक रखे
और उसके बाद मुह
ं को अपने पहली वाली अवस्था में लाए।

• “E” बोलते समय अपने मुह


ं अपने लिमिट में ही horizontal (आड़ा)
खोले और उसको वही पर बनाए रखे ताकि आपका मुह
ं अच्छे से खुलने
में मदद हो।

जब हम “O” यह अंग्रेजी शब्द बोलते है, तब हमारा मुह


ं outside (बाहर)
खुलता है। “O” बोलते समय हमारे दोनों होठ बाहर की तरफ जाते है।
इसकी प्रैक्टिस करते समय आपको नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना है:

• “O” बोलते समय आपके ऊपर का होठ (upper lip) नीचे की तरफ
खींचना है जिससे आपका चह
े रा, गाल थोड़े नीचे खीचेंग।े आप जैसे सेल्फी

110
स्वर

निकालते समय “पाउट” करते है, उससे थोडा और नीचे खींचे ताकि
आपके गाल नीचे जाएं गे और दोनों होठो के बीच में गोल बनेगा।

Fig. O Sound Practice

• पहले आपको “O” की तरह मुह


ं बनाना है और बाद मे “O” की ध्वनि
निकालते हुए प्रैक्टिस करनी है।

• “O” को बोलते समय आपको निरंतर २० सक


े ं ड तक आवाज निकालनी
है। फिर उसके बाद मुह
ं को अपने पहली वाली जगह पर ले कर जाए।

ऊपर दी गई दोनों प्रैक्टिस को हम “E&O” प्रैक्टिस भी बोल सकते है।


आपको पहले २० सक
े ं ड “E” की प्रैक्टिस करनी है और फिर उसके बाद
“O” की प्रैक्टिस फिर से २० सक
े ं ड। यही आपको ५ बार करना है।

इस प्रैक्टिस को आप सुबह और शाम दोनों समय कर सकते है। इस


प्रैक्टिस को करने के बाद आपका मुह
ं पहले से ज्यादा खुलने लगेगा।

अगर आपको “E&O” विडिओ के रूप में देखना है और समझना है, तो


पुस्तक के अंत में आप विडिओ कोर्स लिं क को चेक करे।

111
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

स्वर बोलते समय सबसे बड़ी भूल

अगर आपको सबसे ज्यादा दिक्कत स्वर बोलने में है या फिर स्वर
से शुरू होने वाले शब्दों में है, तो आप एक ही गलती बार बार कर रहे है।
आपकी एक गलती आपको हमश
े ा ही शब्द को सही से बोलने से रोकती
है। या तो यह गलती आपको अब तक किसी ने बताई ही नही है या फिर
किसीने इतने गौर से उसको कभी देखा नही है। मै आपको विश्वास दिलाता
हू कि अगर आप यह एक गलती नही करेंगे तो आपके सारे स्वर से शुरू
होने वाले शब्द आसानी से निकाल जाएं ग।े चलिए देखते है वो गलती जो
शायद आप हर रोज करते है।

हमने इससे पहले यह देखा है कि आपका मुह


ं दो तरह से खुलता है।
पहला आड़ा और दूसरा बाहर परंतु शायद आप तीसरे तरीके से अपने मुह

को खोल रहे है और वो है - नीचे की तरफ।

नीचे की तरफ मुह


ं को खोलने का मतलब यह होगा की आपका जबड़ा
(Jawline) नीचे की तरफ ज्यादा जाता है। इसको समझने के लिए हम
कुछ प्रयोग करेंग।े

१. आपका एक हाथ गले पर रख।े

२. अब अपने गले के सबसे ऊपर वाले भाग (कंठ) को दोनों उं गलियों से
आराम से पकड़े।

३. अब अपने जबडे को पूरा नीचे की तरफ खींच।े

४. आप महसूस करेंगे की आपका जबड़ा जब नीचे जाता है तो आपका कंठ


ब्लॉक हो जाता है। या फिर वहा से हवा आनी बंद हो जाती है।

५. अब अपने जबडे को आड़ा खींचे (horizontal) और अपने कंठ को देख।े


आपका कंठ अब ब्लॉक नही है। वहा से हवा आ रही है।

६. नीचे दी गई इमेज से आप अच्छे से समझ सकते है।

112
स्वर

Fig. Jaw Goes Down Fig. Jaw Goes Horizontal

इसका मतलब यह हुआ की बहुत सारे लोग जिनको ज्यादातर स्वर में
ही दिक्कत आती है वह अपने जबडे (jawline) को बोलते समय ज्यादा
नीचे खींचते है। वही पर वो गलती करते है। याद रखे आपको मुह
ं को स्वर
की तरह ही खोलना है। उसके दो ही प्रकार होते है - आड़ा और बाहर। आपका
जबड़ा बोलते समय थोड़ा नीचे जाता है पर अगर वह बहुत ज्यादा नीचे
जाता है और आपके गले मे हवा अटक जाती है तो वैसा नहीं होना चाहिए।

अगर आपको इसकी और अच्छे से प्रैक्टिस करनी है, तो नीचे दी गई


बातों को रोज करना शुरू कर।े

१. जब भी मौका मिले, अपने मुह


ं को स्वर की तरह स्ट्रे च करते रहे; खास
करके आड़ा (horizontal) स्ट्रेच।

२. अ
 गर कोई शब्द स्वर से शुरू होता है, तो जानबूझकर मुह
ं को स्वर की
तरह ही खोलकर बोले।

113
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपकी भाषा और स्वर

अब तक हमने हिं दी के स्वर को अच्छे से जाना है परंतु क्या यही बात


किसी भी भाषा में मदद कर सकती है? इसका जवाब है: ‘जी हा! बिल्कु ल
कर सकती है!’ अगर आप हिं दुस्तान में रहते है, तो लगभग १९,५०० से भी
ज्यादा अलग अलग मातभ
ृ ाषा में लोग बात करते है। उसमे से २२ भाषा
भारत के संविधान में मौजूद है या फिर लोग उसे सबसे ज्यादा बोलते है।
इन सभी भाषाओ में स्वर है और हमने जो भी अभी तक देखा वह हर भाषा
में होगा। आप चाहे बंगाली, हिं दी, मराठी, पंजाबी, आसामी, तेलुगु, तमिल,
गुजराती, कन्नड, कश्मीरी, मणिपुरी, मैथिली, उर्दू, या और भी कोई भाषा
बोलीए।

अगर आप नेपाल से हो, तो नप


े ाली भाषा में यही स्वर है जो हिं दी में
है। अगर आप पाकिस्तान से हो तो पंजाबी में भी यही स्वर है । अगर आप
श्रीलं का से हो तो तामिल भाषा में भी यही स्वर है।

आप दुनिया की किसी भाषा को ले सकते है, चाहे वो अंग्रेजी, जापानी,


रशियन, माल्दारिन, अरेबिक, कोरियन, जर्मन, फ्रेंच, स्पैनिश, या कोई भी
दूसरी भाषा। इन सभी भाषाओ के साथ जो स्वर आते है, वह हिं दी की तरह
ही होते है। जहा पर आपका मुह
ं को खोलकर बोलना, बिना स्वर के शब्द
नही बनना ये सब होगा।

उदाहरण के लिए अगर हम अंग्रेजी भाषा ले तो उसमे ५ स्वर आते है – a,


e, i, o, u

इन स्वर को बोलते समय भी वो सब कुछ होगा जो हिं दी बोलते समय


होता है।

तो अगर आप स्वर में बताए हुए प्रक्रिया को किसी भी भाषा में प्रयोग
करेंग,े तो आपको एक जैसा ही अनुभव मिलेगा।

114
स्वर

स्वर के लिए रीडिं ग कैसे करे?

अब हम देखते है कि स्वर की प्रैक्टिस करने के लिए आप किस तरह


से रीडिं ग कर सकते है। नीचे दिए गए स्टेप्स को आपको फॉलो करना है।
इस रीडिं ग को फोकस के साथ करने से रिजल्ट जल्दी ही मिल जाएगा।

१. र
 ीडिं ग करते समय एक बार में एक ही शब्द बोलना है (वाक्य को पूरा
करने के पीछे नही रहना)।

२. ह
 र शब्द के पहले अक्षर के साथ जो स्वर आता है उसकी तरह ही मुह
ं को
खोलना है। उदाहरण के लिए - भारत शब्द में पहला अक्षर है “भा” और
उसका स्वर है “आ,” तो आपको “आ” की तरह मुह
ं खोलना है (भ + आ
= भा)।

३. आ
 पको मुह
ं को स्वर की तरह खींचते समय शब्द को बोलना है, ताकि
खींचना और शब्द को बोलना एक साथ हो।

४. इसे रोज १५ मिनट पढ़ना है और उस भाषा में पढ़ना है जिसमे आपको


दिक्कत होती है।

टिप : अगर आपको १ से ज्यादा भाषा में दिक्कत आती है तो आप अलग


अलग भाषा में भी रीडिं ग कर सकते है। आप एक रीडिं ग सुबह करे और
दूसरी शाम को कर सकते है। या फिर कुछ समय के बाद।

मेरे कुछ सुझाव

बाहर की दुनिया में अगर आपको ज्यादातर समस्या स्वर के साथ या


फिर जबड़ा (jawline) नीचे जाने की समस्या है, तो नीचे दी गई बातों को
फॉलो करे:

१.बाहर आपको कोई भी शब्द दिखे जैसे कि किसी दुकान का नाम, प्रोडक्ट
का नाम, या कोई न्यूज, तो उस समय जानबूझकर उन शब्दों को बोलिए
और अपने मुह
ं को स्वर की तरह खोले।

115
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२. ज्यादातर शब्दों में ऐसे स्वर आते है जो हम मुह


ं को आड़ा खींचकर
बोलते है। तो आपको जब भी याद आए, मुह
ं को जानबूझकर आड़ा
(horizontal) खींचे और ऐसा बार बार कर।े

३. बोलने से पहले और बोलते समय अगर आप थोडासा मुह


ं को खोलकर
रखते है तो बहुत आसानी से शब्दों को स्वर की तरह खींच सकते है।

टास्क

१. फेसबुक ग्रुप में लाइव जाकर आपके बारे में या किसी अन्य
विषय पर ५ मिनट तक बात करे और उस समय स्वर की
तरह मुह
ं खोलने पर ध्यान दे।

२. अपने किसी दोस्त/रिश्द


ते ार को कॉल करे और बोलते
समय मुह
ं को ज्यादा से ज्यादा स्वर की तरह ओपन करे।

116
चैप्टर 11
व्ज
यं न

व्ज
यं न क्या है?

व्यंजन एक ऐसा ध्वनि है जिसको बोलने के लिए स्वर की जरूरत


पड़ती है। व्यंजन बोलते समय आप मुह
ं में किसी ना किसी तरह का कंपन
करते है जिसको निकालने के लिए आपकी जीभ, तालु , दात, कंठ, आदि
का इस्तेमाल होता है। हम व्यंजन बिना स्वर के नही बोल सकते है और
अगर किसी शब्द में एक भी स्वर नही है तो वह “य्” या “व” इनमे से कोई
एक होता ही है क्योकि इनको अर्धस्वर कहा जाता है। हर स्वर के उच्चारण
में “अ” स्वर लगा होता है।

आपकी भाषा और व्ज


यं न

हिं दी वर्णमाला में लगभग ५२ अक्षर होते है, जिनमे १३ स्वर, ३३ व्यंजन,
४ जोड़ व्यंजन, और ३ द्विआधारी व्यंजन होते है। इनमे से हिं दी में ज्यादातर
बोले जाने वाले ४५ अक्षर है, जिनमे १० स्वर और ३५ व्यंजन है। ३५ व्यंजन
में भी ३१ व्यंजन ही लोग आजकल बोलते है।

स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (१०)

व्यंजन – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ,
ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह (३१)
117
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

वैसे तो हिं दी में ५२ अक्षर होते है लेकीन हकलाहट को ठीक करने के


लिए ऊपर दी गए ४१ शब्द भी काफी है। अगर आप ध्यान से इन अक्षरो
को देखग
ें े तो आपको पता चलेगा की इन शब्दों के बाहर से कोई भी शब्द
आपके बोलने में नही आता और आप अक्सर इन्ही शब्दों में हकलाते है।

अब हम बात करेंगे की इन व्यंजन को कैसे बोलना है और कैसे इनके


फाउं डेशन को चेक करना है।

फाउं डेशन
यहा पर फाउं डेशन का मतलब यह होगा की वह व्यंजन कहा से आता
है इसको देखना। बहुत बार लोग डर जाते है बोलते समय क्योकि उनको
समझ नही आता है की शब्द को कैसे बोलना होता है। आगे वाला इं सान
आपको देख रहा है और आपके बोलने का इं तज़ार कर रहा है। यही बात
आपको और भी ज्यादा बच
े न
ै करती है। फिर आप कुछ भी करके उस शब्द
को बोलने का प्रयास करते है तो आपको हकलाहट होती है।
आपकी हकलाहट पूरे शब्द पर नही होती बल्कि उसके पहले अक्षर
पर होती है। वह अक्षर ऊपर बताए गए ४१ अक्षरों में से ही आएगा। अगर
आपको उस पहले अक्षर का फाउं डश
े न पता हो तो आपके मन में डर नही
आएगा की आपको कैसे बोलना है। उस शब्द को निकालने में फाउं डेशन
आपकी मदद करेगा और सामने वाले व्यक्ती को समझ में भी नही आएगा
कि आपने कोई तकनीक फॉलो की है। देखते है अब फाउं डेशन तकनीक।
शायद आपने इनमे से कुछ शब्दो को सुना होगा; स्कू ल में या आपकी
भाषा सीखते हुए:
१. कंठस्य
२. तालव्य
३. मूरन्य
्ध
४. दंतस्य
५. ओष्ठस्य

118
व्यंजन

अगर आपने इन शब्दों को सुना है, तो आपको फाउं डेशन बचपन से


ही पता थे पर शायद आपने उसके ऊपर ज्यादा ध्यान नही दिया। फिर जब
सोशल मीडिया या यूट्ब
यू पर आपके समस्या का समाधान ढूंढना शुरू
किया होगा, तब शायद समझे कि समाधान आपके पास ही था; बस आपने
उसको वैसे देखा नही था।

अब हम हर एक अक्षर का फाउं डश
े न देखते है।

क, ख, ग, घ (कंठस्य)

• यह अक्षर आपके कंठ से बाहर आते है। आप इसे बोलते समय आपका
ध्यान आपके कंठ पर होना चाहिए। आपका ध्यान कंठ के अलावा कही
भी नही होना चाहिए, जैसे की जीभ या दात।

• आपकी एक उं गली गले के ऊपर रख(े कंठ पर) और क, ख, ग, घ, को बोले ।


आपको उस जगह पर हलचल महसूस होगी। वही आपका फाउं डेशन है।

• अगर आपका ध्यान अभी भी फाउं डश


े न पर नही जा रहा है, तो आप मुह

को थोडा ज्यादा खोले और गरदन को थोडा ऊपर की तरफ ले कर जाए।
अब फिर से शब्दों को बोले। आपका ध्यान अब कंठ पर ही आएगा।

च, छ, ज, झ (तालव्य)

• इन अक्षरो में आपकी जीभ(Tip of the tongue) आपके तालु (upper
jaw) को लगती है, जिसको हम तालव्य भी कहते है।

• अपनी जीभ को अगर आप ऊपर के दातों को लगाकर पीछे की तरफ


लेकर जाएं गे, तो दातों के थोडासा पीछे आपकी जीभ लगती है। यहा
आपको थोडी सख्त जगह महसूस होती है।

• अगर आप मुह
ं को थोडा ज्यादा खोलें ग,े तो जीभ को तालव्य भाग पर
लगाकर अक्षर जल्दी बाहर और स्पष्टता के साथ आते है।

119
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

• आपको अगर अभी भी समझ नही आ रहा है तो आप “च, छ, ज, झ”


बोलकर देखे और आपकी जुबान जहा पर लगती है वही तालव्य भाग है।

• अगर आपको इन अक्षरों में ज्यादा समस्या है तो च, छ, ज, झ बोलते समय


आप तालव्य भाग पर जीभ को वाइब्ट
रै कर सकते है। जैसे कि एक रोबोट
बोलता है।

ट, ठ, ड, ढ, ण (मूरन्य
्ध )

• इन अक्षरों में आपकी जीभ(Tip of the tongue) मूर्धन्य को लगती है,
जो तालव्य से भी थोडा पीछे होता है।

• अपनी जीभ को अगर आप ऊपर के दातों को लगाकर पीछे की तरफ


लेकर जाएं गे, तो पहले तालव्य भाग लगता है। उसके बाद वही भाग थोडा
ऊपर (slope) की तरफ जाता है वहा पर आपकी जीभ लगती है।

• अगर आप मुह
ं को थोडा ज्यादा खोलें गे तो जीभ को मूर्धन्य भाग पर
लगाकर अक्षर जल्दी बाहर और स्पष्टता के साथ आते है।

• आपको अगर अभी भी समझ नही आ रहा है, तो आप “ट, ठ, ड, ढ ” बोलकर


देख।े आपकी जुबान जहा पर लगती है वही मूर्धन्य भाग है।

• अगर आपको इन अक्षरों के उच्चारण में समस्या है, तो आप जीभ को पीछे


की तरफ खींचने की प्रैक्टिस कर सकते है। आप जीभ को कंठ की तरफ
खींचे इससे आपकी जीभ थोडी लचीली बनकर जल्दी मूर्धन्य भाग को
लगती है।

•य
 हा पर “ण” शब्द ज्यादातर भाषा में इस्तेमाल नही होता। परंतु मराठी
और पंजाबी में इसका इस्तेमाल लोग करते है। “न” और “ण” यह दोनों
अलग है और हिं दी में “न” ही बोला जाता है। इसका फाउं डेशन आपको
आगे मिले गा।

120
व्यंजन

त, ठ, द, ध, न (दंतस्य)

• इन अक्षरों में आपकी जीभ(Tip of the tongue) दात के पीछे लगती है।
यहा पर दात का मतलब आपके ऊपर के दात।

• अगर आपको इन अक्षरों पर ज्यादा समस्या आती है, तो पहले अपनी


जीभ को दात के पीछे लगाकर फिर मुह
ं को थोडा पीछे की तरफ खींचते
समय बोलिए।

• बहुत सारे लोगों की जीभ बोलते समय दात के पीछे नही लगती क्योकि
शायद जीभ छोटी हो या फिर दात और जीभ के बीच में अंतर ज्यादा हो।
इसीलिए पहले मुह
ं को थोडा पीछे खिचिए ताकि दात थोड़े पीछे आएं गे
और अब जीभ को लगाकर बोलिए।

• अगर आपकी जीभ दातों से फिसलकर बाहर आती है, तो याद रखे - जीभ
को दात के पीछे से तब तक नही हिलाना है जब तक वह शब्द/अक्षर
बाहर नही आए (मतलब अक्षर का ध्वनि और आपकी जीभ एक साथ
काम करे)।

प, फ, ब, भ, म (ओष्ठस्य)

• इन अक्षरों में आपकी जीभ का इस्तेमाल नही होता। इसमे आपके होठ ही
इस्तेमाल होते है।

• ज्यादातर लोगों को इन अक्षरों पर ही समस्या होती है। इसके पीछे कारण


यह है कि इसमे आपके होठ से ही शब्द बाहर आते है और बहुत बार
आपके होठ बोलने से पहले ही चिपक जाते है।

• इन अक्षरों को बोलते समय हमश


े ा ही अपने दोनों होठो के बीच जगह रखे
और जब भी शब्द को बोलना है तब होठो को चिपकने ना दे। बोलने से
पहले दोनों होठो में जगह रखे और बोलते समय होठ लगाकर जल्दी से
होठ फिर से खोलते समय शब्द/अक्षर बोले।

121
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

• अगर आपको इन अक्षरों को बोलते समय ज्यादा समस्या होती है, तब


आप जब भी समय मिले अपने होठो को वाइब्ट
रै करने की कोशिश करे।
जैसे कि एक घोडा करता है (इसको आप बझींग (buzzing) तकनीक
भी बोल सकते है)। याद रखे यह तकनीक बोलते समय नही करनी है।

य्, र, ल, व (अंतस्य )

इन चारों अक्षरों को अलग अलग बोलते है क्योकि इनका एक ही


फाउं डेशन नही बनेगा।

य्

• इस अक्षर को हम अर्धस्वर भी कहते है। तो इसका मतलब यह हुआ की


आपको मुह
ं खोलकर इसको बोलना होगा।

• इस अक्षर को बोलते समय आपका मुह


ं पहले पीछे की तरफ जाएगा,
फिर आगे आएगा। अगर आपका मुह
ं ऐसे नही जा रहा है, तो उसको वैसे
ही खोले जैसा यहा पर बताया गया है क्क
यु ी बोलते समय यही उसका
सही फाउं डेशन है।

• इस अक्षर को बोलते समय आपकी जीभ वाइब्ट


रै होती है। जीभ को वाइब्रैट
करने की सही जगह मूर्धन्य है जहा पर आप (ट, ठ, ड, ढ) को बोलते है।

• यह अक्षर कही पर भी वाइब्ट


रै होता है। इसीलिए बहुत सारे शब्दों में इसका
प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए - क्रिकेट, ट्रैनिं ग, त्रिपुरा, प्रशांत।

• अगर आपको इस अक्षर पर ज्यादा समस्या है, तो आपको इसकी अलग


से प्रैक्टिस करनी पड़ग
े ी जो हम आगे बताएं ग।े अभी के लिए बस यह याद
रखे की आपको जीभ को वाइब्ट
रै करते समय ही बोलना है।
122
व्यंजन

टिप - बहुत सारे लोग जिनको तुतलाने की समस्या होती होती है,
उनका र वाइब्रैट नही होता है। इसका नतीजा यह होता है की उनके शब्द
स्पष्ट बाहर नही निकलते। अगर आपके जीभ का ऊपरी हिस्सा कटा
हुआ है या फिर वह बहुत चपटा/सपाट है, ऐसे वक्त आपको हर रोज “र”
वाइब्रैशन की प्रैक्टिस करनी चाहिए। कुछ महीनों में “र” वाइब्रैट होना
शुरू हो जाएगा।

• इस अक्षर को बोलते समय आपकी जीभ आपके दातो के पीछे वाले थोडे
ऊपरी भाग पर जाकर लगती है।

• यह अक्षर को वर्णमाला में दंत्य अक्षर भी कहा गया है क्योकि यह बोलते
समय जुबान आपके दात के ऊपरी भाग में लगती है। यह जगह दंतस्य
अक्षरों से थोडी सी ऊपर होती है (त थ द ध न)।

• अगर आपको इस अक्षर में समस्या है, तो हमश


े ा बोलते समय पहले थोडा
मुह
ं पीछे की तरफ खोले, ताकि दात और जीभ के बीच का अंतर कम हो
जाए और जीभ को लगाकर शब्द को बोलिए। आपका शब्द जल्दी बाहर
आएगा।

• इस अक्षर को हम अर्धस्वर भी कहते है। तो इसका मतलब यह हुआ की


आपको मुह
ं खोलकर इसको बोलना होगा।

• इस अक्षर को बोलते समय आपका मुह


ं बाहर की तरफ जाकर फिर अंदर
की तरफ आएगा (यह बिल्कु ल उलटा है “य्” अक्षर से)।

• अगर ऐसा नही हो रहा है, तो जैसा बताया गया है वैसे ही करे क्योकि यही
इसका सही फाउं डश
े न है।

123
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टिप - जिनको स्वर में दिक्कत होती है उनको ज्यादातर “य्” और “व”
में भी दिक्कत होती है, क्योकि यह दोनों अर्धस्वर है। इन अक्षरों को अच्छे
से बोलने के लिए आपका मुह
ं खुलना बहुत जरूरी है।

श, ष, स (ऊष्म/संघर्षी)

इन अक्षरो में आपकी हवा ज्यादा इस्तेमाल होती है। इनको बोलते समय
जो ध्वनि बाहर आती है वो मुह
ं में संघर्ष करके आता है।

• इस अक्षर की हवा मूर्धन्य (ट, ठ, ड, ढ) से आती है। आपका मुह


ं आडा
खुलता है। इसमे हवा को बाहर फेकना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

• इस अक्षर की हवा तालव्य (च, छ, ज, झ) से आती है। मुह


ं थोडा बाहर की
तरफ खुलता है। इसमे हवा को बाहर फेकना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

• इस अक्षर की हवा दंतस्य (त, थ, द, ध, न) से आती है। मुह


ं आडा खुलता है,
इसमे हवा को बाहर फेकना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

टिप – श, ष, स अक्षर को बोलते समय आपकी हवा को बाहर फेकना


बहुत आवश्यक है। उसके लिए आपको थोडा मुह
ं को ज्यादा खोलना पड़ेगा,
ताकि वह हवा अच्छे से बाहर आए। अगर आपको इन अक्षर पर ज्यादा
समस्या होती है तो शायद आपकी सांस की दिक्कत हो सकती है जिसमे

124
व्यंजन

बोलते समय आपकी सांस बीच में अटक जाती है।

ह (पेट से)

• यह अक्षर पेट से बाहर आता है, जैसा हमने पहले अल्पप्राण और महाप्राण
में देखा था।

• इस अक्षर को बोलते समय आपको पट


े पर ध्यान नही देना है, बल्कि
आपकी हवा बाहर आ रही है उस पर ध्यान देना है।

• अगर आपको इस अक्षर पर ज्यादा समस्या होती है तो आपको हर रोज


सिं घासन करना चाहिए। सिं घासन करते समय आपको उसमे “ह” की
ध्वनि निकालना जरूरी है।

शब्द और उसके सटीक फाउं डेशन

ऊपर बताए हुए सभी अक्षरों के फाउं डश


े न को अगर आपको प्रैक्टिस
करना है तो एक कागज पर सभी हिं दी वर्णमाला को लिखना है। फिर उसे
कही ऐसी जगह पर लगाना है जहा पर आप उसे आते जाते देख सके। अपने
मोबाईल फोन की स्क्रीन पर भी इसे रख।े उदाहरण के लिए -

125
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

फाउं डेशन प्रैक्टिस

स्वर

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ - मुह
ं को स्वर की तरह खोलना है।

व्ज
यं न

क, ख, ग, घ - कंठस्य (गले के ऊपर फोकस)।

च, छ, ज, झ - तालव्य (जीभ तालु को जाकर लगती है/दात के थोडा पीछे )।

ट, ठ, ड, ढ, ण - मर्धन्य
ू (जीभ मूर्धन्य को जाकर लगती है/तालव्य से थोडा
पीछे )।

त, थ, द, ध, न - दंतस्य (जीभ ऊपर के दात पर जाकर लगती है)।

प, फ, ब, भ, म - ओष्ठस्य (होठो की हलचल)।

य् - मुह
ं अंदर जाकर फिर बाहर।

र - जीभ का वाइब्रैशन होता है।

ल - जीभ दात के ऊपरी भाग पर जाकर लगती है।

व - मुह
ं बाहर जाकर फिर अंदर।

श, ष, स - हवा को बाहर फेकना है।

ह - पेट से हवा बाहर आती है।

आपको ऐसे ही एक कागज पर लिखकर उसको आपके प्रैक्टिस की


जगह पर लगाना है और मोबाईल में भी लगाना है।

126
व्यंजन

फाउं डेशन को याद कैसे रखे?

फाउं डेशन को याद रखने का सबसे अच्छा तरीका होगा की आप हमेशा


फाउं डेशन के बारे में सोचो। पहले तो आपको स्वर और व्यंजन को एक के
बाद एक बोलना है। फाउं डश
े न को बोलने के २ तरीके होते है।

१. बिना आवाज कीये , बस फोकस करे फाउं डश


े न पर।

२. आवाज के साथ।

अगर आप बाहर घूम रहे है या फिर आपके आसपास लोग है तो आप


आवाज के साथ फाउं डश
े न चक
े नही कर पाएं ग,े क्योकि लोग देखग
ें े तो
आपको थोडा अजीब लगग
े ा। उस समय आप बिना आवाज के भी फाउं डेशन
चक
े कर सकते हो। यह पर बिना आवाज के फाउं डेशन चेक करने का
मतलब २ प्रकार से होगा।

स्वर - अगर आप स्वर को बोल रहे हो तो आपका फोकस अपने मुह


ं को
स्वर की तरह खोलने पर होना चाहिए। एक स्वर बोलने के बाद दूसरे स्वर
को बोलने से पहले थोडा समय ले और फिर बोलिए। अगर आप फटाफट
सब कुछ बोलें गे तो आप कुछ नही सिख पाएं ग।े आपको हर एक अक्षर पर
फोकस करना है जिसमे मुह
ं का स्ट्रेच सबसे महत्त्वपूर्ण है। स्वर को आप
कम से कम ३ बार दोहराइए।

व्यंजन - अगर आप व्यंजन को बिना आवाज के चेक कर रहे है तो


आपका फोकस उसी जगह पर होना चाहिए जहा पर फाउं डेशन है। हर २
व्यंजन के बीच में समय ले और फटाफट ना बोले। आपको हर व्यंजन को
सही से समझना है क्योकि बोलते समय यही आपको काम आने वाला है।
व्यंजन को आप कम से कम ३ बार दोहराइए।

अगर आप घर पर है तो आप आवाज के साथ फाउं डेशन चेक करे


और उसको कमसे कम ३ बार दोहराइए। ऐसा ही आप दिनभर करे। अगर
आपको बाहर आवाज के साथ फाउं डश
े न चक
े करने में कोई दिक्कत नही
है तो आप बाहर भी वैसा कर।े
127
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टिप - फाउं डेशन को बाहर आवाज के साथ बोलने से आपको जल्दी


और अच्छा रिजल्ट मिल सकता है। यह मेरा अनुभव है।

फाउं डेशन को याद रखने का दूसरा सबसे अच्छा तरीका है कि आपको


घर पर या बाहर जो भी शब्द दिखता है उसके पहले अक्षर का फाउं डेशन
चक
े करे। आपके आसपास बहुत सारी चीजे होती है और उसके कुछ नाम
भी है तो आप उनका भी फाउं डश
े न चक
े कर सकते है। उदाहरण के लिए -

आपके सामने यह पुस्तक है तो आप पुस्तक का फाउं डेशन चेक कर


सकते है। जिसका पहला अक्षर है “प।” आपको “प” का फाउं डेशन चेक
करके “उ ” के तरह मुह
ं को खोलना (“पु” = “प” + “उ”) है और बाकी का
शब्द बोलना है। आपके आसपास अगर देखग
ें े तो बहुत सी चीजे आपको
नजर आएगी जैसे की - कुर्सी, टेबल, मोबाईल, चार्जर, पेन, हेड्फोन,
दरवाजा, खिड़की, पंखा, बल्ब, परदे, अलमारी, इत्यादि।

जब आप बाहर जाते है तो उस समय आपको बहुत सारे शब्द दिखते है,


जिसको आप फाउं डेशन को चक
े करके बोल सकते है। उदाहरण के लिए -

किसी दुकान का नाम, होर्डिं ग पर कुछ विज्ञापन, पैकेट पर नाम, रोड के


साइड पर गाव के नाम, टीवी पर जो नाम आते है, व्हाट्सप्प मैसेज इत्यादि।

आप जितना ज्यादा फाउं डश


े न को चक
े करेंग,े उतना ही आपको वो
जल्दी याद होगा और बोलते समय आप उसे इस्तेमाल कर पाएं गे। इससे
आपकी हकलाहट बहोत कम हो जाएगी।

याद रखे - अगर आपको कोई नींद से जगाकर किसी भी शब्द का


फाउं डेशन पूछे तो भी आपको आना चाहिए, ऐसी आपकी प्रैक्टिस होनी
चाहिए।

आपको इन फाउं डश
े न को हर रोज कम से कम १० बार बोलना है। आप
अगर इसको बाहर प्रैक्टिस करेंग,े तो आपको ज्यादा फायदा होगा। बाहर
जब आप घूमते है या फिर किसी काम के लिए बाहर जाते है, तब आपके
आस पास लोग होते है। आपको ऊपर बताए गए फाउं डेशन से ही शब्द
128
व्यंजन

को बोलना होता है। अगर आप इन शब्दों के फाउं डेशन को चेक करेंगे तो


आपको एक कान्फिडन्स आता है की आप बोल पाएं गे। याद रखे किसी के
सामने बोलते समय इसको प्रैक्टिस नही करना है। जब आप बात नही कर
रहे है तब प्रैक्टिस करना है ताकि फाउं डश
े न आपके दिमाग में फिट हो जाए
और अपने आप हर फाउं डश
े न के साथ अच्छे से बोल पाए।

फाउं डेशन के लिए कुछ और टिप्स

दुनिया के किसी भी भाषा में स्वर और व्यंजन आते है। बोलने वाला
हर शब्द स्वर और व्यंजन को मिलाकर ही बनता है। आप दिनभर जो भी
शब्द बोलते है उसकी शुरुवात या तो स्वर से होगी या फिर व्यंजन से। जैसे
हमने हिं दी वर्णमाला को समझने की कोशिश की वैसे ही आप जो भी भाषा
बोलते है उसमे भी वही नियम लागू है।

अगर आप अंग्रेजी का इस्तेमाल ज्यादा करते है तो यही फाउं डेशन वहा


पर भी लागू होगा। उदाहरण के लिए - अगर आप car शब्द का इस्तेमाल
करते है तो भले ही शब्द की शुरुवात “c” से हुई है पर बोलते वक्त यह “क”
है (कार)। आपको बस “क” का फाउं डश
े न चक
े करना है और “आ” की
तरह मुह
ं को खोलकर बोलना है। आप दुनिया का कोई भी शब्द ले , चाहे
वो अंग्रेजी में हो, फ्रेंच, जर्मन, रशियन, या फिर किसी अन्य भाषा में, उसके
पहले अक्षर को आपको हिं दी भाषा के साथ जोड़कर देखना है और उसके
पहले अक्षर का फाउं डश
े न चक
े करना है।

अंग्रेजी के बहुत सारे उदाहरण ऐसे हो सकते है जिसकी शुरुवात अलग


अक्षर से हो पर बोलते समय उसका ध्वनि अलग आए या फिर आप अंग्रेजी
के पहले अक्षर को देखकर फाउं डश
े न चक
े करे पर वह अलग हो। उदाहरण
के लिए -

129
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

Germany - “ज”, Chocolate - “च”, Table - “ट”, Stammering


- “स”, Eight - “ए”, Water - “व”, Zebra - “झ”, Xerox - “झ”, Yellow
- “य” Scissor - “स”, Australia - “औ”, Uber - “ऊ”, Camera - “क”

ऊपर बताए गए उदाहरण से आपको यह समझ में आ गया होगा की


फाउं डेशन किसी भी भाषा में इस्तेमाल हो सकते है, बस आपको उसे हिं दी
भाषा के साथ जोड़ कर देखना होगा। आपको ज्यादा से ज्यादा फाउं डेशन
को चेक करना है और उसको बोलते समय भी चेक करने की कोशिश
करनी है।

याद रखे - बोलते समय आपको हर एक शब्द का फाउं डेशन चेक नही
करना है। जहा पर दिक्कत हो उस शब्द का ही चेक करना है। आप अपनी
प्रैक्टिस के लिए बीच बीच में किसी भी शब्द का फाउं डेशन चेक कर सकते
है ताकि आपकी प्रैक्टिस हो। यह वैसा ही है जैसे आप जिम में कसरत करने
से पहले उछल कूद करके या फिर स्ट्रेच करके शरीर को गरम करते है।

फाउं डेशन को प्रैक्टिस में लाने के लिए आपको नीचे दी गई फाउं डेशन
रीडिं ग को रोज प्रैक्टिस करना चाहिए।

फाउं डेशन के लिए रीडिं ग कैसे करे?


फाउं डेशन रीडिं ग सबसे महत्त्वपूर्ण रीडिं ग है। हकलाहट को दूर करने के
लिए यह रीडिं ग आपकी मदद कर सकती है -

१. आपको शब्द को बिना हकलाहट के बोलना है।

२. आपको शब्द सटीक और स्पष्टता के साथ बोलना है।

३. आपको हर शब्द पर नियंत्रण पाना है।

सुबह उठने के बाद और बाकी प्रैक्टिस करने के बाद, जब आप रीडिं ग


करना शुरू करे तो सबसे पहले आपको फाउं डश
े न रीडिं ग को ही प्रैक्टिस
करना है और उसके बाद बाकी की रीडिं ग। चलिए देखते है कैसे करना है
रीडिं ग।
130
व्यंजन

फाउं डेशन रीडिं ग के ४ नियम है।

१. आपको एक बार में एक ही शब्द को बोलना है।

२. ह
 र शब्द के पहले अक्षर का फाउं डेशन चेक करना है (स्वर और व्यंजन
के हिसाब से)।

३. पहले अक्षर के स्वर के तरह मुह


ं खोलते समय बोलना है।

४. अगर गलती हो तो शब्द को दुबारा बोले , जबतक आपको फाउं डेशन के


शब्द बोलने का विश्वास नही आता तबतक शब्द को बोलते रहे।

ऊपर बताए हुए ४ नियमो को फॉलो करके आपको अपनी प्रादेशिक


भाषा मे रीडिं ग करनी है। यह वही भाषा है जिसको आप ज्यादातर बोलते हो
या फिर जिस भाषा में आपको समस्या हो।

फाउं डेशन चेक करना और फाउं डेशन रीडिंग को विडिओ के रूप में
समझने के लिए आप पुस्तक के अंत में दिए गए लिं क को चेक कर सकते
है।

मेरे कुछ सुझाव

आपकी हकलाहट को दूर करने के लिए फाउं डेशन एक बहुत अच्छी


तकनीक है। जितनी ज्यादा इसकी प्रैक्टिस करेंगे उतना आपको यह
फायदा देगी। आप फाउं डश
े न को दिनभर याद करने की कोशिश करे जैसे
की आप “अ” से शुरू करे और “ह” तक चक
े कर।े सारे स्वर और व्यंजन
को दिन में कम से कम १० बार चक
े कर।े कही बोलने से पहले या जब भी
मन में सेल्फ डाउट आए तब इसको प्रैक्टिस कर।े इससे आप देखग
ें े आपके
अंदर एक कान्फिडन्स आ गया है।

131
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टास्क

१. फेसबुक ग्रुप में लाइव जाकर अपने बारे में बताए और हर


एक शब्द का फाउं डश
े न चक
े करते हुए बात करे।

२. अभी आप जिस जगह पर हो वहा आपके आस पास बहुत सारी


चीजे है। उनके नाम बोलते समय पहले अक्षर का फाउं डेशन
चेक करे। उदाहरण - टेबल, फैन, मोबाईल, चार्जर, दरवाजा,
इत्यादि।

३. कम से कम ५० शब्दों के फाउं डश


े न चक
े करे।

४. इस प्रैक्टिस को कम से कम १० दिन तक करे ताकि आपके


दिमाग में सारे फाउं डश
े न आ जाए।

132
चैप्टर 12
हकलाहट और ब्लोकेज

आपके शब्द बोलते समय ब्लॉक क्यो होते है?

कोई भी समस्या जीवन में आने से पहले वह आपको बहुत सारे इशारे
देती है परंतु हम उसको नजरंदाज करते रहते है। आपका बोलते समय
ब्लॉक आना भी उसमे से ही एक है। बोलते समय ब्लोकेज आने का
मतलब हो सकता है:

१. आप शब्द को बोल नही पा रहे है।

२. गले में कुछ अटक गया ऐसा लगता है।

३. बोलते समय हवा बाहर नही आ रही है।

बोलते समय ब्लॉक आने के पीछे एक सबसे बडा कारण है - अपने


विचारों को बाहर आने से रोकना या फिर उसको उस प्रकार से बाहर नही
निकालना जैसे वो मन में आते है। शायद आप मन में आए विचारो को
मुह
ं से बाहर निकालते समय किसी शब्द के पीछे छिपा देते है। ऐसा भी हो
सकता है की आप वाक्य को ही बदल देते है या फिर शब्द को आगे पीछे
बोलते है। यह सब कुछ करते समय आप अपने मन में आ रहे विचारों को
वैसे नही बाहर निकाल रहे है जैसे उन्हे निकालना चाहिए। ऐसा करने से
आपका मन कुछ सिख रहा है। चलिए देखते है कैसे!

133
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपके बोलने के विचार एक ऊर्जा है। अगर हम इसे बाहर बोलने में
नही निकालें गे तो वही ऊर्जा आपके अंदर दब जाती है। हो सकता है कि कुछ
दिन या साल पहले आप कोई शब्द नही बोल पाए और उसकी ऊर्जा मन
में ही दबी रही। फिर धीरे धीरे आप शब्दों को बिना बोले ही मन में रखते रहे
और उसकी ऊर्जा आपके अंदर ज्यादा बढ़ती रही। फिर उसी शब्द को ले कर
आपके अंदर नकारात्मक विचार आने लग।े , आपका मन जब भी उस शब्द
को बोलने की कोशिश करता तब आप नही बोल पाए। उसके बाद बहुत
सारे शब्दो पर ऐसा ही होने लगा। तो सरल भाषा में ब्लोकेज का मतलब यह
होगा की मन में आए विचार को आपने ऊर्जा के रूप में बाहर नही बोल पाए
और वही ऊर्जा अंदर दब गई। धीरे धीरे आपका मन सिख गया कि जब भी
ऐसे कोई शब्द आए उसको बोलना नही या फिर घूमा फिरा के बोलना है।

आपके ब्लोकेज ऐसे ही आपके जीवन में नही आए। आपने उसके ऊपर
शायद काम नही किया और अब वही शब्द आपको बोलने के लिए सबसे
कठिन लगते है, जो कि बचपन में आप आसानी से बोल पाते थे।

अगर आपको अपने ब्लोकेज को अपने जीवन से दूर करना है तो आज


से आपको एक बात का जरूर ध्यान रखना पड़ग
े ा - बोलते समय मन
में जो भी विचार आए, उस विचार की ऊर्जा को आपको बोलकर बाहर
निकालना है। अगर आपकी आदत शब्द को छिपाना है तो आप कितना भी
प्रयास करे आपकी हकलाहट आपके जीवन में फिर भी रहेगी। आज से जो
भी शब्द हो, उसको बाहर निकाले। अगर आपको हकलाहट होती है, तो वो
बस एक या दो बार होगी पर उसके बाद वही शब्द आपके लिए आसान बन
जाएगा और उसका ब्लोकेज आपके मन से निकल जाएगा।

किसी को यह मत दिखाइए कि आप कितना अच्छे से बोलते है पर मन


ही मन में आप शब्दों को छिपा रहे है या फिर घूमा फिरा के बोल रहे है। मन
में जिस तरह से शब्द आ रहे है बस उसी फ़्लो से बात करे। कोई भी शब्द को
छिपाओ मत। यही छोटीसी बात बहुत जल्दी आपके मन से ब्लोकेज को
दूर करने में मदद करग
े ी।
134
हकलाहट और ब्लोकेज

आपके जुबान और मुह


ं की स्मरणशक्ति

अगर कोई ऐसा शब्द हो जो हमने अभी तक कभी देखा नही, सुना नही,
और बोला नही, तो ऐसा शब्द बोलते समय कोई भी इं सान अटक जाएगा।
उदाहरण के लिए - अगर आपने कभी संस्कृत नही पढ़ी और पहली बार
कोई संस्कृत शब्द बोलते है तो हर इं सान अटक जाएगा। आप चाहे कोई
रशियन भाषा का भी शब्द बोलते है तभी ऐसा ही होता है।

इसके पीछे कारण यह है की आपके जीभ और मुह


ं के पास उस शब्द को
बोलने का अनुभव नही है। जब आपके पास शब्द को बोलने का अनुभव
नही होता तब हकलाहट होती है। हम अगर इसी बात को अपने ब्लोकेज
शब्दों के साथ देखे तो आपको समझ में आएगा कि आपके ब्लोकेज शब्दों
का भी आपके पास बोलने का अनुभव या तो नही है या फिर बहुत कम है।
अगर आप उस ब्लोकेज शब्दों को ज्यादा से ज्यादा बोलें गे तो जीभ, मुह
ं को
अनुभव मिले गा।

जैसे हमारे दिमाग के पास स्मरणशक्ति होती है, वैसे ही हमारे शरीर
के पास भी उसकी स्मरणशक्ति होती है। आपके जुबान के पास भी शब्दों
को ले कर स्मरणनशक्ति होती है। आपके दात और मुह
ं के पास भी उनकी
स्मरणशक्ति होती है।

आपकी हकलाहट भी आपके स्मरणशक्ति का ही एक भाग है जिसके


साथ आपका शरीर जुड़ा है। आपको अपने शरीर, जीभ, मुह
ं को कठिन
शब्द बोलने का अनुभव देना होगा। जब आपको यह अनुभव आ जाएगा
तक वह शब्द अपने आप बाहर निकलते रहेंग।े

न्यूटन का पहला नियम और ब्लोकेज

किसी भी ब्लोकेज को अच्छे से नियंत्रित करने के लिए न्यूटन का


पहला नियम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अगर आप इस नियम को बोलते समय
इस्तेमाल करेंग,े तो आपको आपकी हकलाहट में बहुत फायदा होगा।

135
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

पहले जानते है की क्या है न्यूटन का पहला नियम -

“An object at rest stays at rest and an object in motion


stays in motion with the same speed and in the same
direction unless acted upon by an unbalanced force.”

“वस्तु अपनी विरामावास्था या एक सीध में एकरूप गत्यावस्था में तब


तक रहती है, जब तक बाह्य बल द्वारा उसकी विरामावस्था या गत्याव्स्था में
कोई परिवर्तन ना लाया जाए।”

सरल भाषा में कहा जाए तो - अगर कोई वस्तु गती में है तो गती में ही
रहेगी जब तक आप उसको ना रोके, और अगर कोई वस्तु रुकी हुई है वह
रुकी रहेगी जब तक आप उसको धक्का नही देंग।े

हम जब भी किसी शब्द पर अटकते है या फिर ब्लोकेज आ जाता है


तब, बहुतांश लोग अपने शरीर में एक जकड़न सी महसूस करते है। उनका
शरीर रुक जाता है। मुह
ं खुला का खुला रह जाता है और मुह
ं से हवा भी
बाहर नही आती। इस प्रकार की स्तिथी को हम न्यूटन के पहले लॉ के साथ
जोड़कर देखे तो आप उसी स्थिति में आ गए हो जहा पर क्रिया रुक गई है।
उसको शुरू करने के लिए आपको बाहरी बल/ताकद का इस्तेमाल करना
पड़ग
े ा। आपने बहुत बार महसूस किया होगा की कुछ लोगों का शरीर अपने
आप हिलने लगता है। हाथ, पैर से वो झटके देते है। गरदन हिलने लगती है
और मुह
ं पर अजीब से भाव आ जाते है। यह वही बात है की आपको गती में
आना है और आप बाहरी बल का इस्तेमाल कर रहे हो।

इसका मतलब यह हुआ की जब भी ब्लोकेज आते है आपका शरीर


रुक जाता है फिर आपको समझ नही आता की अब आप कैसे बोले । उसी
समय आपका शरीर पूरी ताकद से साथ शब्द को बाहर निकालना चाहता
है। यह क्रिया देखने में काफी अजीब लगती है और लोग इसे देखकर हसते
है क्योकि ऐसा उनके साथ नही होता और उनको यह काफी मजेदार
लगता है।

136
हकलाहट और ब्लोकेज

अब इसी के उलट ब्लोकेज को दूर करने के लिए अगर आप शरीर को


ना रुकने दे और शरीर में हलचल रखे तो शब्द बोलने में आपको आसानी
हो जाती है। यहा पर बॉडी लैं ग्वेज का काफी अच्छे से आप इस्तेमाल कर
सकते है जो हमने इससे पहले देखा है कि आपके हाथ, गरदन, और चेहरे
के भाव का इस्तेमाल करके भी आप अच्छे से बोल सकते है।

जब भी ब्लोकेज आता है तो सबसे पहले आप चेहरे पर स्माइल लाइये


या फिर गरदन को हिलाना शुरू रखे या हाथो के साथ बोलना जारी रखे।
ऐसा करने से आपका शरीर गती में आता है और वह गती में ही रहेगा।
इस गती का इस्तेमाल करके आप शब्द को बोल सकते है और आप यह
देखकर हैरान होंगे कि आपके शब्द अब निकल रहे है।

याद रखे - इस प्रक्रिया में आपके बॉडी लैं ग्वेज का बहुत बडा हाथ है।
अगर आपके हाथ, पैर, गर्दन, और शरीर अजीब तरीके से हिलते है, तो
उसको सबसे पहले बंद कर।े फिर शीशे के सामने हर रोज अपनी बॉडी
लैं ग्वेज से शब्दों को बोलने का प्रयास कर।े आपको बॉडी लैं ग्वेज की ऐसी
प्रैक्टिस करनी है जिसे वो बाहर लोगों के सामने अच्छी दिखे और आपका
भी अपने प्रति विश्वास बढ़े। आप जितना ज्यादा इसको बाहर इस्तेमाल
करेंगे उतने ही जल्दी आप इसे सिख पाएं ग।े शायद पहले कुछ दिन तक
आपको थोडा अजीब लगग
े ा। आपके दोस्त भी आपको नोटिस करेंगे पर
इस प्रक्रिया को जारी रखे तो बहुत जल्दी आप इसमे भी माहिर बन जाएं गे।

३ सरल स्टेप में ब्लोकेज को हैन्डल करे

नीचे दी गई ३ स्टेप्स को आप अगर ब्लोकेज आते समय फॉलो करते


है तो आप आसानी से उसको नियंत्रित कर पाएं ग।े याद रखे हर एक स्टे प
अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कोई भी स्टेप को बिना करे अगले स्टे प पर नही जाए।

स्टेप १. बोलने से पहले पॉज़ ले परंतु शरीर को गती में रखे।

स्टेप २. अपने मुह


ं से थोडी सी सांस को धीरे धीरे बाहर निकालने का प्रयास
137
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

करे।

स्टेप ३. जो भी शब्द है उसके पहले अक्षर का फाउं डेशन चेक करके उसको
कान्फिडन्स के साथ बोले ।

१. पहली स्टेप

इस स्टे प में आपको उस शब्द को बोलने से पहले थोडा सा रुकना है।


आप २ सेकंड तक रुक सकते है पर जब आप रुकते है इसका मतलब
यह होगा की मुह
ं से कुछ आवाज नही आ रही है पर आपका शरीर गती में
है, वह हिल रहा है। यहा पर शरीर का मतलब आपकी गर्दन, चेहरे के भाव
या हाथ हो सकते है। या फिर तीनों भी एक साथ हो सकते है। एकदम से
आपको शब्द को नही बोलना है। थोडा समय लेकर भी बोले तो आप अच्छे
से नियंत्रित कर पाएं ग।े

२. दूसरी स्टेप

इस स्टे प में आपको गले से थोडी सी सांस को बाहर की तरफ निकालना


है ताकि जो आपके अंदर डर है वह थोडा कम हो। इससे आपके गले से मुह

तक सांस आना शुरू हो जाती है और आप एक फ़्लो में आ जाते है, जो
न्यूटन के पहले लॉ की तरह है। इस स्टेप को आप प्रैक्टिस कर सकते है
कुछ इस तरह से:

• आपको मुह
ं को खुला रखना है और मुह
ं से ही सांस को गले तक ले कर
जाना है।

•अब आपको गले से ही सांस को बाहर निकालना है।

• सांस निकालते समय धीरे धीरे सांस बाहर निकालनी चाहिए। एकदम से
सांस को बाहर निकालने से अंदर का डर कम नही होगा।

138
हकलाहट और ब्लोकेज

इस प्रक्रिया में २ प्रकार है:

१. बोलते समय शब्द पर ब्लोकेज आ गया।

२. ब्लोकेज आने के बाद सांस को बाहर निकाला पर फिर भी ब्लोकेज है।

पहली प्रक्रिया में अगर आप बोल रहे है और बीच में ब्लॉक आ रहा है, तो
उस समय आपको बस गले की सांस को मुह
ं से बाहर निकालना है। फिर
शब्द को बोलना है। इस प्रकार से जब आप सांस को बाहर निकालते है, तब
आपको एक समय पर ऐसा लगता है कि आपका डर या ब्लोकेज कम हो
गया है। तब आपको शब्द को बोलना है।

दूसरी प्रक्रिया में अगर आपने पहली प्रक्रिया कर ली परंतु फिर भी मन


में डर है या ब्लॉक है और आपका मन शब्द को बाहर निकालने के लिए
तैयार नही है, तो उस समय आपको फिर से सांस को गले तक ले ना है और
बाहर निकालते समय जब मन तैयार हो तब शब्द को बोलना है।

जब तक आपका मन तैयार ना हो शब्द को बोलने के लिए आप ऊपर


की प्रक्रिया को ३ से ४ बार भी दोहरा सकते है।

३. तीसरी स्टेप –

इस स्टे प में जब आपके मन से डर थोडा कम हो जाए और सांस गले


से बाहर जा रही है उस समय आपको शब्द के पहले अक्षर का फाउं डेशन
चक
े करके बोलना है। शब्द को बोलते समय आपका मुह
ं अच्छे से खुलना
चाहिए। आप यहा पर अपने हाथो का, चह
े रे के भाव का, गर्दन का इस्तेमाल
कर सकते है ताकि वह शब्द बिना रुकावट के बाहर आए।

याद रखे - अगर ऊपर बताई गई स्टेप से आपका शब्द निकल गया
परंतु आप थोडासा अटक भी गए, तो उस शब्द को आप उसी समय दोहराइए।
आप शब्द को उसी समय दोहरा सकते है या फिर बोलते समय कभी भी
दोहरा सकते है। ऐसा करने से आपके मन में उस शब्द को ले कर अच्छा

139
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

अनुभव आएगा कि आपने शब्द को बोल दिया। यही नियम आपको मन से


ब्लॉक हो हटाने में मदद करग
े ा।

आपके ब्लॉक और आपका वास्तविक जीवन

आपके ब्लोकेज अगर बचपन में नही थे पर फिर धीरे धीरे वो आपके
बोलने में आ गए है, तो इसके पीछे आपके वास्तविक जीवन में आप कैसे
खुद को दिखाते है यह महत्त्वपूर्ण है। अक्सर हम लोगों के सामने अपने
आपको अच्छा ही दिखाने की कोशिश करते है। हर कोई इं सान अपनी
अच्छी बातों को सामने रखता है और बुरी बातों को ज्यादा से ज्यादा छिपाने
की कोशिश करता है।

आपने अक्सर एक वाक्य सुना या पढ़ा होगा -

“First impression is the last impression.”

पहली मुलाकात में ही लोग प्रभावित होते है, बाद में नही।

अगर आप ऊपर बताए वाक्य को गंभीरता से ले ते हो और हर एक


संभव कोशिश करते हो की कोई छोटी सी भी गलती ना हो, तो उसी समय
आपका ध्यान कैसे आप गलतियों को छिपाये उस पर जाता है ना की आप
कैसे और अच्छे से बोले इसपर। इसमे आपके मन में अंदर ही अंदर दबाव
बनता है और दिल की धडकने तेज हो जाती है, घबराहट सी होने लगती है।
उस समय ब्लोकेज को नियंत्रित करना बहोत मुश्किल हो जाता है।

पर क्या सच में पहली मुलाकात ही सबसे महत्त्वपूर्ण होती है?

आपको पहले अपने आप को स्वीकार करना है कि आपको एक बोलते


समय अटकने की बुरी आदत है। यह स्वीकार करने के बाद आप उस पर
काम भी कर रहे है। ऐसा करने से आप अब निश्चिंत हो चुके है कि आपसे
गलती हो सकती है। आप उस पर हर दिन सुधार कर रहे है। ऐसा सोचने
से आपकी ब्लोकेज की आधी समस्या ऐसे ही खत्म हो जाएगी। बाकी की

140
हकलाहट और ब्लोकेज

समस्या आपके प्रैक्टिस और इस पुस्तकं में बताई जाने वाली तकनीक से


ठीक हो जाएगी।

वास्तविक जीवन में आप जितना लोगों पर प्रभाव डालने की कोशिश


करेंगे और उसी समय मन में अपने ब्लोकेज को छिपाकर, तो ऐसे प्रभाव
से लोग आपको कुछ समय तक तो याद रखेंग,े ले कीन आपको वही
गलतिया या ब्लोकेज जीवनभर याद आएं गे।

अब आपको तय करना है कि आपको पहले ब्लोकेज को छिपाकर


लोगों को प्रभावित करना है या फिर अपनी हकलाहट को स्वीकार करके
लोगों के सामने जाना है और हर दिन उसपर काम करना है।

Anxiety और ब्लॉक

बहुत सारे लोगों को ब्लोकेज की समस्या के साथ साथ anxiety की


भी समस्या होती है और उनके ब्लोकेज के पीछे anxiety का ही हाथ होता
है। बोलते समय anxiety को कम करने का सबसे आसान तरीका होता है
आपकी सांसो पर आपका नियंत्रण।

हमने चैप्टर ६ - “सांस लेना और बोलना” इस चैप्टर में anxiety के


बारे में अच्छे से समझने की कोशिश की। बोलने से पहले anxiety को
कैसे कम करना चाहिए और बोलते समय भी क्या क्या करना चाहिए यह
सब कुछ देखा है। पर आपकी असली समस्या तब होती है जब आप बात
कर रहे है और अचानक से मन में सल्फ
े डाउट आता है, anxiety बढ़ जाती
है और बाकी के लोग बस आपको ही देख रहे है। उस समय anxiety कम
करना बहुत मुश्किल बन जाता है और जैसे लोगों के चेहरे पर भाव आते
है वैसे आपका कान्फिडन्स कम हो जाता है। ऐसे समय क्या करना चाहिए
यह हम जानते है ताकि आपकी हकलाहट ना हो और आप अच्छे से बोल
सके।

141
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बोलते समय anxiety आती है तब आपके गले में और छाती में थोडा
भारी भारी लगता है और हवा बाहर नही आ पाती है। ऐसे समय में आपका
पहला काम होना चाहिए की रुकी हुई सांस को फिर से गती में लाना याने
कि हवा को बाहर निकालने की कोशिश करना।

बोलते समय आप नाक से सांस नही ले सकते है। अगर आप शब्द


को बोलते समय नाक से सांस लेने की कोशिश करते है, तो यह बहुत
कठिन हो जाता है। आप किसी भी इं सान को बोलते समय ध्यान से देखे
तो आप समझ जाएं गे की वह इं सान मुह
ं से सांस को ले रहा है और छोड़
रहा है। इसका मतलब यह हुआ की रुकी हुई सांस को बोलते समय बाहर
निकालने के लिए मुह
ं का ही इस्तेमाल करना चाहिए। मुह
ं से जल्दी सांस
बाहर आती है और ज्यादा मात्रा में भी आती है।

इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए आपको इसका नियमित


अभ्यास करना होगा। बोलते समय अचानक ब्लॉक आने के बाद हमको
समझ नही आता की क्या करे परंतु अगर आपकी इस पर प्रैक्टिस अच्छी
हो तो वह आपके बोलने का एक अंग होगा। इसको करने के लिए आपको
नीचे दी गए बातों का ध्यान रखना पड़ग
े ा:

१. मुह
ं से गले तक एक सांस ले।

२. अब उसी सांस को गले से धीरे धीरे बाहर निकाले ।

३. स
 ांस निकालते समय, एक समय पर मन को ऐसा लगता है कि अब
आप बोल सकते है, उस समय मुह
ं को अच्छे से ओपन करके बोलना है।

४. इस प्रक्रिया को करते समय अगर मन तैयार नही है, तो फिर से स्टे प १,
२, ३ को फॉलो करना है।

ऊपर बताई गई प्रक्रिया को ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस में लाना है।


जानबूझकर किसी भी शब्द के साथ इसको करने की कोशिश करे ताकि
आपकी प्रैक्टिस हो।

142
हकलाहट और ब्लोकेज

उदाहरण के लिए - आपको बोलना है “मै कल बाहर घूमने जा रहा हू।”

इस वाक्य में अगर आपको “घूमन”े शब्द में दिक्कत होती है तो उस


शब्द से पहले आप किसी भी शब्द के साथ इस तकनीक को फॉलो करे,
जैसे की “कल” या “बाहर” ताकि आपका जो ब्लोकेज आने वाला है उसका
दबाव कम हो और थोडी सी anxiety कम हो। उसके बाद आप “घूमने” इस
शब्द पर तकनीक को फॉलो कर।े आपको बहुत अच्छा रिजल्ट आएगा।
सरल भाषा में बताए तो “घूमन”े शब्द बोलने से पहले जो anxiety आने
वाली है उसको आपने डिवाइड कर दिया उसके पहले शब्दों के साथ, तो
आपकी anxiety ब्लोकेज के पहले ही कम हो जाएगी और आप आसानी
से शब्द को बोल देंग।े

अगर आपको लगता है की आपको किसी शब्द पर ब्लोकेज नही आ


रहा है तभी भी आप कोशिश करे की इस प्रैक्टिस को फॉलो करे। ऐसा
करने से आपकी यह आदत आपको हर बार हकलाहट से बचाएगी।

मेरे कुछ सुझाव

ब्लोकेज आपको ज्यादातर बाहर आता है। तो आप कोशिश करे की


आप इस तकनीक को जानबूझकर लोगों के सामने फॉलो करे। घर पर
आप इसकी प्रैक्टिस कर सकते है। फिर आप घरवालों के सामने उसे
फॉलो करे, कॉल पर फॉलो कर,े और बाहर जाकर भी फॉलो करे।

अकेले में आपको इतने ब्लोकेज नही आएं गे तो ज्यादा समय बाहर दे।
काम के १० शब्दों को हर रोज लोगों के सामने ब्लोकेज तकनीक से बोले ।
आपके ब्लोकेज को दूर करने का सबसे सही तरीका यही होगा।

143
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

टास्क

१. अपने सभी ब्लोकेज शब्दों को एक पप


े र पर लिखे।

२. सभी ब्लोकेज शब्दों के लेकर एक कहानी बनाइये। इस


कहानी में सभी शब्द इस्तेमाल होंगे और उसे मोबाईल से
विडिओ रिकार्ड करे (ब्लोकेज तकनीक के साथ)।

३. उसी कहानी को फेसबुक ग्प


रु में लाइव जाकर बोलिए।

४. आप इन शब्दों को हर रोज जानबूझकर लोगों के सामने


बोलिए और ऐसा अगले १० दिन तक कर।े

144
चैप्टर 13
बोलने समय याद रखे यह
महत्त्वपूर्ण नियम

हम इस चैप्टर में कुछ महत्त्वपूर्ण नियम देखने वाले है जो आपकी


हकलाहट में आपको मदद करेंग।े ऐसे नियम जो आपकी बोलने की गती
को कम कर देंग,े आपके बोलने में स्पष्टता लाएं गे, मन से उन कठिन
शब्दों को निकालने में मदद करेंग,े और आपको बोलने का सही तरीका
बताएं गे।

नियम क्रमांक १ : एक शब्द एक बार

बहुत बार लोग बोलते समय जल्दबाजी में अपने वाक्य को समाप्त
करने की कोशिश करते है और फिर हकलाते है। जब आप एक वाक्य
जल्दबाजी से बोलने की कोशिश करते है उस समय उसके बीच अगर
कठिन शब्द आता है तो उस समय ब्लोकेज तकनीक को इस्तेमाल करने
में मुश्किल होगी। जब तक आपके पास अपने शब्दों का नियंत्रण नही
है तब तक हकलाहट कम या ठीक नही हो सकती। हकलाहट को ठीक
करने का सबसे पहला नियम - एक शब्द के बाद ही दूसरा शब्द बोलना है
और बोलते समय जल्दबाजी नहीं करनी है।

उदाहरण के लिए -

145
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बातचीत करते समय हम बहुत सारे वाक्य बोलते है। बातचीत करने
का मतलब बहुत सारे वाक्यों को बोलना।

हर वाक्य में बहुत सारे शब्द होते है। वाक्य का मतलब बहुत सारे शब्द
को एक के बाद के बोलना।

अगर आपको बातचीत बिना हकलाहट के करनी है तो वाक्य पर


नियंत्रण लाना पड़ेगा। वाक्य पर नियंत्रण लाना है तो आपको शब्दों पर
नियंत्रण लाना पड़ेगा। हर शब्द की शुरुवात या तो स्वर से होगी या फिर
व्यंजन से। पहले आपको एक शब्द एक बार बोलना होगा और हर एक
शब्द के बाद थोडा विराम लेना पड़ग
े ा। यहा पर विराम का मतलब थोडासा
रुकना है जिससे आपके अगले शब्द के पहले आप तैयार है उस शब्द को
बोलने के लिए।

नियम क्रमांक २ : बोलते समय शब्दों में स्पष्टता

जब आप एक बार में एक शब्द बोलते है, तो आपका ध्यान उस शब्द के


स्पष्ट उच्चारण पर ही होना चाहिए। स्पष्ट उच्चारण का मतलब यह होगा
कि आपका मुह
ं स्वर की तरह अच्छे से खुलना चाहिए ताकि शब्द बाहर
स्पष्ट आ सके। अगर आपका ध्यान शब्दों को स्पष्ट बोलने में होगा तो मन
में हकलाहट का विचार नही आएगा और आप वर्तमान के एक एक शब्द
को स्पष्टता के साथ बोलें ग।े तब आप वाक्य पर नही अटकेंगे और पूरी
बातचीत हकलाहट के बिना होगी।

यहा पर शब्दों में स्पष्टता का मतलब होगा कि आपका पूरा ध्यान मुह

स्वर की तरह खोलने पर ही होना चाहिए। शब्द स्पष्ट तभी निकलता है जब
आपका मुह
ं अच्छे से खुलता है।

146
बोलने समय याद रखे यह महत्त्वपूर्ण नियम

नियम क्रमांक ३: स्वर की तरह मुह


ं खींचते हुए बोलिए
जब आप एक शब्द एक बार बोल रहे है, तो उस शब्द को स्पष्ट बोलने
का प्रयास कर रहे है। तब यह तीसरा नियम आपको और ज्यादा मदद कर
सकता है जो यह कहता है कि अगर आप मुह
ं को स्वर की तरह ओपन
करते समय बोलें गे तो आप बिना अटके शब्द को बोल पाएं गे।

सरल भाषा में कहा जाए तो - अगर आप मुह


ं को पहले ही खींचते है और
फिर शब्द को बोलते है तो उस समय न्यूटन का नियम काम नही करेगा
क्क
यु ी पूरा मुह
ं खींचने के बाद आपका मुह
ं रुक जाएगा और आप अटक
सकते है। पर अगर आप शब्द को खींचते समय बोलते है, जहा पर मुह
ं पूरा
नही खिचा है पर आप खींच रहे है उस समय न्यूटन का नियम आपके काम
आएगा और उस समय शब्द बिना अटके बाहर आ जाता है।

नियम क्रमांक ४ : अगर अटक गए तो शब्द को फिर से बोले


कभी कभी ऐसा भी होता है कि आपने ऊपर बताए हुए तीनों नियम को
फॉलो किया पर फिर भी शब्द अटक जाए, तो उस समय अपने मन में उस
शब्द को ले कर खराब अनुभव बन जाता है कि आप वहा पर अटक गए।

उदाहरण के लिए - अगर आप मीटिं ग में बात कर रहे है और वहा पर ३


नियमों के साथ बात कर रहे है, ब्लोकेज तकनीक भी इस्तेमाल कर रहे
है, पर फिर भी अगर आप किसी एक शब्द पर अटक गए या फिर आपने
उसे हकलाहट के साथ बोल दिया, तो उस समय का अनुभव आपके मन में
छप जाएगा की मै इतने सारे लोगों के सामने अटक गया। अब ये लोग मेरे
बारे मे क्या सोचेंग?े उस अनुभव के बाद आपका कान्फिडन्स अचानक से
कम हो जाएगा और आप बाकी के शब्दों पर भी अटक जाएं गे। इस प्रकार
के परिस्थिती में अगर आप जिस शब्द पर अटके अगर वही शब्द उन लोगों
के सामने फिर से एक बार बोलते है जब तक आपका शब्द अच्छे से नही
आता है तो वही अनुभव आपके मन में ऐसा छप जाता है की आपने वहा पर
अच्छे से बोला। फिर आपका मन उस बात को जल्दी भूल जाता है।
147
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आप जिस शब्द पर अटक जाते है या हकलाहट से साथ बोलते है, तो


आप या तो उस शब्द को तुरत
ं उसी समय फिर से बोले या फिर उस बातचीत
में कही ना कही उसको फिर से बोलने की कोशिश करे। ऐसा आपको
इसीलिए करना है क्योकि वही मीटिं ग, वही सारे इं सान, वही समय, वही
मन में भावना शायद आपके जीवन में वापस नही आती और अगर एक
बार वह चली गई तो फिर आपके मन में उसकी यादे रहती है कि आप वहा
पर अटक गए थे या फिर हकलाहट के साथ बोले थे। लोग आपकी बात
भूल जाएं गे और वो यह भी भूल जाएं गे कि आपने कैसे बोला। अगर आपने
उस समय इस नियम को फॉलो नही किया तो आप इस अनुभव को हर
दिन याद करेंगे पर उसके ऊपर कुछ नही कर पाएं गे।

तो अभी तक हमने जो भी देखा है उन चार नियमो को आपको याद


रखने है और उन्हे हर रोज बोलने में फॉलो करना है।

नियम क्रमांक १ : एक शब्द एक बार।

नियम क्रमांक २ : बोलते समय शब्दों में स्पष्टता।

नियम क्रमांक ३ : स्वर की तरह मुह


ं खींचते हुए बोलिए।

नियम क्रमांक ४ : अगर अटक गए तो शब्द को फिर से बोले ।

मेरे कुछ सुझाव

अगर आपको यह नियम बोलते समय याद रखना है तो आप इसका


फोटो निकालकर अपने मोबाईल स्क्रीन पर वॉलपेपर की तरह सेट करे।
ऐसा करने से जैसे ही आप मोबाईल देखग
ें े आपको सब कुछ याद आ
जाएगा।

अपने हाथो पर कोई धागा या कोई बैंड बांध दे ताकि वो आपको याद
दिलाए कि आपको इन नियमों का पालन करना है।

148
बोलने समय याद रखे यह महत्त्वपूर्ण नियम

टास्क

१. नियमों का पालन करते हुए आज कम से कम ३ लोगों से


बात करे।

२. अगले ७ दिनों तक अलग अलग लोगों से बात करे और


नियमों को फॉलो कर।े

३. फेसबुक ग्रुप में लाइव जाकर नियमों के बारे में डीटे ल में
बताए और साथ में इन्हे फॉलो कर।े

149
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चैप्टर 14
रीडिंग प्रैक्टिस

आप जितना ज्यादा और जितने फोकस के साथ रीडिं ग करोगे उतना ही


आपको बोलने में फायदा होगा। बोलना और पढ़ना दोनों एक जैसे ही होते
है। फरक बस इतना है कि बोलते समय हम मन की बात को पढ़ते है और
पढ़ने में हम पेपर पर लिखे शब्दों को पढ़ते है। अगर आप पूरी लगन और
मन से पढ़ें गे तो आपको बोलने में भी यह मदद करेगा।

इस चैप्टर में हम देखने वाले है ३ ऐसे रीडिं ग जो आपको बहुत अच्छा


रिजल्ट दे सकते है। हर एक रीडिं ग का रिजल्ट अलग अलग है तो आपको
हर रीडिं ग को फोकस के साथ पढ़ना है।

आपको यह रीडिं ग उस भाषा में करनी है जिस भाषा में आपको दिक्कत
होती है। अगर आपको एक से ज्यादा भाषा में दिक्कत है तो पहले ३ रीडिं ग
को एक ही भाषा में कर।े उसके बाद दूसरी भाषा में फिर से यह ३ रीडिं ग
कर।े आप रीडिं ग सुबह करेंगे तो बहुत फायदा होगा। शाम या रात को करने
से ज्यादा फायदा नही है क्योकि उसके बाद सो जाते है या फिर कम बात
करते है।

वैसे हमने यह तीनों रीडिं ग को इस सक्श


े न में देखा है। फिर भी एक बार
और पढ़ने से आपको ज्यादा समझ में आ जाएगा।

रीडिं ग का अगर आपको फायदा लेना है तो रीडिं ग करते समय खाली


दीवार के सामने बैठकर कर।े ऐसा करने से आपका फोकस पूरी तरह से

150
रीडिं ग प्रैक्टिस

रीडिं ग पर रहेगा और पढना ज्यादा प्रभावी होगा।

रीडिं ग जिस अनुक्रम से बताया जाएगा उसी अनुसार आपको पढ़ना है।

१. चेक फाउं डेशन रीडिं ग

आपकी हकलाहट को दूर करने के लिए यह रीडिं ग सबसे ज्यादा


महत्त्वपूर्ण है। इस रीडिं ग में आपको हर शब्द के फाउं डेशन को चेक करना
है। इससे आपकी बाहर बोलते समय फाउं डश
े न के साथ बोलने की प्रैक्टिस
हो जाएगी। रीडिं ग को करने के स्टेप्स इस प्रकार है -

१. एक साथ एक ही शब्द बोलना है।

२. शब्द को बोलते समय उसके पहले अक्षर का फाउं डेशन चेक करना है
(उदाहरण - “भारत” तो “भ” का फाउं डश
े न)।

३. अगर गलती हुई तो शब्द को फिर से बोले।

४. १५ मिनट तक पढ़ना है।

५. कुर्सी या बेड पर बैठकर पढ़ना है (शीशे के सामने नही पढ़ना)।

२. माउथ ओपनिंग रीडिं ग

इस रीडिं ग में आपका फोकस मुह


ं को स्वर की तरह खोलने पर होना
चाहिए। आप चाहे तो इस रीडिं ग में फाउं डश
े न चक
े कर सकते हो पर सबसे
ज्यादा महत्त्व मुह
ं को खोलने का है। इस रीडिं ग से आपके सारे स्वर की
प्रैक्टिस हो जाएगी। अगर आपको ज्यादातर स्वर पर ही दिक्कत है तो यह
रीडिं ग सबसे महत्त्वपूर्ण है। रीडिं ग को करने के स्टेप्स इस प्रकार है -

१. एक साथ एक ही शब्द बोलना है।

२. श
 ब्द के पहले अक्षर में जो स्वर है उसके तरह मुह
ं को खोलना है । (उदाहरण
- “भारत” - “भ” + “आ”, आपको “आ” की तरह मुह
ं खोलना है)।

३. म
 ह
ुं को पहले अक्षर के स्वर की तरह खींचते समय शब्द को बोलना है।

151
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

४. अगर गलती हुई तो शब्द को फिर से बोले।

५. १५ मिनट तक पढ़ना है।

६. शीशा या कैमरे के सामने पढे ताकि आप कैसे मुह


ं को खोल रहे है यह
देख पाए।

३. क्लॅ रिटी रीडिं ग

इस रीडिं ग में शब्द की स्पष्टता पर सबसे ज्यादा फोकस देना है। रीडिं ग
करते समय आपका मुह
ं स्वर की तरह खुलेगा। इस रीडिं ग में आपको
फाउं डेशन और मुह
ं को खोलना यह दोनों के साथ पढ़ना है। शब्द में स्पष्टता
का मतलब यह होगा कि जब आप शब्द मुह
ं से बोलें गे और कानों से सुनग
ें े
तो वह शब्द आपके कानों को स्पष्ट और अच्छा लगना चाहिए। अगर ऐसा
नही होता तो शब्द को बार बार बोले जब तक स्पष्टता नही आती। शब्द को
स्पष्ट बोलने का और एक तरीका यह होगा की आप शब्द को अक्षरों में
अलग कर के बोले - उदाहरण “भारत” = “भा”+ “र” + “त”। रीडिं ग करने
के स्टेप्स इस प्रकार है -

१. एक साथ एक ही शब्द बोलना है।

२. शब्द बोलते समय उसकी स्पष्टता को सुनना है।

३. अ
 गर स्पष्टता नही आती, तो फिर से बोले। शब्द को अक्षरों में बाटकर
भी बोल सकते है।

४. १५ मिनट तक पढ़ना है।

५. कुर्सी या बेड पर बैठकर पढ़ना है (शीशे के सामने नही पढ़ना)।

मेरे कुछ सुझाव:

रीडिं ग प्रैक्टिस करते समय जहा पर ज्यादा शोर नही है उस जगह पर

152
रीडिं ग प्रैक्टिस

कर।े आप रीडिं ग में व्हाट्सअप के मैसेज, फेसबुक का कोई पोस्ट या कुछ


ऐसा जो आपके बोलने में आता है वो भी पढ़ सकते है। अगर आप उन शब्दों
को पढ़ें गे जो आप हर रोज बोलते है तो आपको ज्यादा फायदा होगा। आप
इस पुस्तक को भी पढ़ सकते है पर ऐसा कुछ पढे जो आपके बोलने में
आता हो।

अगर आपको इन सभी रीडिं ग को विडिओ के रूप में समझना है तो


पुस्तक के अंत में लिंक को चेक करे। इसके लिए हमारा अलग से विडिओ
कोर्स है (Reading Practice For Fluency), जहा ६ अलग अलग
प्रकार की रीडिं ग प्रैक्टिस बताई गई है।

टास्क:

१. सभी रीडिं ग को अभी कम से कम ५ मिनट तक पढे (हर


रीडिं ग को ५ मिनट)।

२. अ
 गर आप स्कू ल या कॉलेज में जाते है, तो नोटिस बोर्ड पर
लगे नोटिस को भी पढे।

३. अपने ईमेल, मैसेज आज से हर दिन रीडिं ग जैसे पढे ।

153
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चैप्टर 15
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर
प्रैक्टिस कैसे करे

इस चैप्टर में हम देखग


ें े कि कैसे आपको सुबह से शाम तक अपने दिन को
अपने हकलाहट को दूर करने के लिय इस्तेमाल करना है। सुबह उठने
के बाद क्या करना है? बाहर जाते समय क्या करना है? खाली समय का
कैसे इस्तेमाल करना है? रात को सोने से पहले क्या करना है? यह सब
कुछ हम देखने वाले है। इसके पहले हमने जो भी कुछ देखा है वो सब कुछ
कैसे अपने प्रैक्टिस में लाए और कैसे उसका पूरा फायदा ले कर अपनी
हकलाहट को जल्द से जल्द दूर करे - यह सब कुछ इस चैप्टर में हम
देखने वाले है। तो चलिए देखते है!

रात को सोने से पहले

चैप्टर ३ (हकलाहट को दूर करने की स्ट्रैटिजी): हमने इस चैप्टर में


देखा है कि आपको एक डायरी लिखनी है। आपका कल का दिन कैसे
जाएगा और आप क्या क्या करने वाले है? अगले २४ घंटे आपके सामने
होने चाहिए ताकि आप एक मिनट भी अपना बर्बाद ना करे। इससे कम से
कम दिनों के अंदर ही आपकी हकलाहट दूर हो जाएगी।

आपको एक डायरी लेनी है और आज से उसके ऊपर रोज रात को सोने


से पहले आप कल जो भी कुछ करने वाले है वो सब कुछ लिखना है।

अगर आपको इस तकनीक का सबसे ज्यादा फायदा ले ना है तो जो भी


154
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे

आपने डायरी में लिखा है वो रात को सोने से पहले अपनी आंखो के सामने
लाकर २ से ३ बार ऐसा देखना है जैसे कि वो अभी हो रहा है। आपको उस
काम को वर्तमान में देखते समय आप उस काम को कर रहे है ऐसा देखना
है ताकि कल क्या होने वाला है यह आपके मन में पहले से ही है। जैसे वो
समय आएगा वैसे आपका मन याद दिलाएगा कि आपको अभी यह काम
करना है।

उदाहरण के लिए - अगर आपने लिखा है कि सुबह ५.३० बजे उठना है


और फिर जिम में ६ बजे तक पहुंचना है। इस काम को देखते समय आप
जैसे सुबह उठते है और आपके मोबाईल या घड़ी में ५.३० बजे है वैसा देखना
है। फिर आप बेड पर बैठ गए है। आप तैयार हो गए है और आप जिम में आ
गए है। जिम में जो घडी है उसमे अभी ६ बजे है ऐसा आपको देखना है।

ऐसा ही आपको हर काम के साथ करना है। सुबह से रात तक हर काम


को आपको अपनी आंखो के सामने लाना है और ऐसा आपको २ से ३ बार
करना है। आप देखग
ें े की इस तकनीक के साथ हर दिन हर काम को बडे
अच्छे से कर रहे है और आपके दिन का सही इस्तेमाल करके आप जल्द
ही अपनी हकलाहट को ठीक करोग।े

टिप : अगर आपको सुबह जल्दी उठकर हकलाहट की प्रैक्टिस करनी


है पर हर दिन आप अलार्म बंद करके फिर सो जाते है और दिनभर अपने
आपको कोसते रहते है आज प्रैक्टिस नही कर पाया, कल करूं गा, और
कल फिर ऐसा ही होता है, तो इसका एक उपाय है जो हम अभी देखग
ें ।े

बहुत सारे लोग सुबह का अलार्म लगाते है और अलार्म बंद करते समय
यह सोचते है कि सुबह उठकर मुझे क्या क्या करना है। उनको याद आता
है मुझे तो हकलाहट ठीक करने की प्रैक्टिस करनी है पर मेरा नोटबुक
या यह पुस्तक कहा रखा है यह पता नही। मर
े े टेबल पर बहुत सारा सामान
है और अब उसको कौन हटाएगा? घरवाले जाग गए होंगे तो उनके सामने
कैसे प्रैक्टिस करू? सुबह की चाय कौन बनाएगा? ऐसे बहुत सारे सवाल

155
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपके मन में आएं गे और आपका मन आपको एक सलाह देगा कि आप


आज सो जाइए, कल से प्रैक्टिस करेंग।े

इतने सारे जो मन में सुबह सुबह प्रश्न आते है और हम नींद में होते है
तब ज्यादातर लोग अपने मन की सुनकर उस काम को कल के लिए
टाल देते है। पर क्या हम ऐसा कुछ कर सकते है जिससे मन के पास कोई
कारण ना बचे कि आपको यह कल से करना चाहिए। इसका उत्तर है हा!
चलिए देखते है!

उदाहरण के लिए - आपको सुबह हकलाहट को ठीक करने की प्रैक्टिस


करनी है तो आप जिस जगह पर प्रैक्टिस करेंगे वहा पर सोने से पहले इस
पुस्तक को रख दे। साथ मे रीडिं ग के लिए कुछ न्यूजपेपर रखे। पेन और
नोटबुक रख दे, ताकि कुछ लिखना हो या कुछ याद आए तो जल्दी से
लिखने के लिए। सुबह जो भी आप कपड़े पहनते है उन्हे निकाल कर तैयार
रख।े अगर आप नहाने के बाद प्रैक्टिस करना चाहते है, तो आपका टॉवल,
साबुन, और कपड़े एक जगह पर रख दे।

अगर आप ऊपर बताई हुई बातों को करते है, तो जब आप सुबह उठें गे तो


आपके मन के पास कोई कारण नही बचग
े ा कि आपको अब क्यो सोना
चाहिए और आप अपने आप ही उठ जाएं गे अपनी प्रैक्टिस के लिए।

सुबह प्रैक्टिस कैसे करे?

सुबह उठने के बाद आपको वो सारी प्रैक्टिस करनी है जो हमने इस


पुस्तक में बताई हुई है। अगर आप इस पुस्तक को यहा तक पढ़ चुके है तो
आपको आपका रूट कॉज़ पता चल गया होगा और सारे प्रैक्टिस भी। अब
आपको उस प्रैक्टिस को करके लोगों के सामने बात करनी है। मै आपको
अभी एक एक स्टे प के साथ बताने वाला हू कि सुबह उठने के बाद कौन
सी प्रैक्टिस किस प्रैक्टिस के बाद करनी चाहिए।

156
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे

प्रैक्टिस १ : ब्रीदिंग प्रैक्टिस

सुबह उठकर पेट खाली होने के बाद आपको ब्रीदिं ग प्रैक्टिस करनी है।
यह प्रैक्टिस सबसे पहले इसीलिए करनी है क्योकि रात को सोते समय
आपका ब्रीदिं ग बदल जाता है। सुबह उठने के बाद वही ब्रीदिं ग कुछ समय
तक आपके साथ रहता है और आपको थोडा आलस सा लगता है। अगर
आप बताए गए ब्रीदिं ग को करते है तो आपका ब्रीदिं ग दिनभर बात करने
के लिए सेट हो जाएगा। ब्रीदिं ग प्रैक्टिस में ३ प्रकार आते है।

१. x: x (inhale: exhale)

२. x: २x (inhale: exhale)

३. x: ४x: २x (inhale: hold: exhale)

आपको ऊपर बताई गई ब्रीदिं ग एक के बाद एक करनी है। आपको


कुर्सी पर बैठकर इस ब्रीदिं ग को करना है, जमीन पर बैठकर नही। जमीन
पर बैठने से आपका पट
े संकुचित हो जाता है, दब जाता है। कुर्सी पर बैठने
से आपके पैर जमीन पर है और एक आसन में बैठ जाते है।

आपको ब्रीदिं ग नाक से लेनी है और नाक से ही छोडनी है। हर ब्रीदिं ग


प्रैक्टिस को कम से कम ११ बार और ज्यादा से ज्यादा १५ बार करे।

चैप्टर ६ (सांस लेना और बोलना) - अगर ब्रीदिं ग प्रैक्टिस करते समय


आपको कोई दिक्कत है तो आप इस चैप्टर एक बार पढ़ सकते है।

प्रैक्टिस २ : चेहरे के इक्स्श


प्रे न और मुह
ं को खींचना

इस प्रैक्टिस को आपको ब्रीदिं ग प्रैक्टिस के बाद करना है। इसमें आपके


चह
े रे और मुह
ं को सक्रिय बनाना है। बहुत बार अगर बोलते समय आपका
मुह
ं सक्रिय है और अगर आपके चह
े रे पर इक्स्श
प्रे न अच्छे से आते है, तब
आपका शब्द जल्दी बाहर निकल जाता है।

इस प्रैक्टिस को करते समय मुह


ं या चह
े रे को ज्यादा खींचना नही है।
157
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपको प्रैक्टिस अपनी सुविधा के अनुसार करनी है। अगर आप हद से


ज्यादा चेहरे या मुह
ं को खींचते है क्योकि आपको लगता है कि ऐसा करने
से जल्दी रिजल्ट आएगा तो ऐसा नही होता है। उदाहरण के लिए - अगर
आप जिम में पहली बार जाते है और सारी कसरत एक दिन में ही करना
चाहते है तो वैसा आपसे हो भी जाएगा पर आप दूसरे दिन से नही जाएं गे,
क्योकि आपका शरीर अब दर्द सह रहा है।

१. बाहरी इक्स्प्रेशन - ४

२. अंदरूनी इक्स्प्रेशन - १०

३. मुह
ं को आडा और बाहर खींचना - ५ बार

ऊपर बताए गए क्रम के अनुसार ही आपको प्रैक्टिस करनी है।

चैप्टर ८ ( बॉडी लैं ग्वेज और हकलाहट) - अगर कोई दिक्कत आती है


या समझ में नही आ रहा हो तो आप इस चैप्टर को फिर से एक बार पढे ।

प्रैक्टिस ३ : सिंघासन

अब आपको सिं घासन को करना है जिसमे आपका “ह” ध्वनि बाहर


आएगा। सिं घासन करते समय आपके मन में कोई भी डर नही होना चाहिए
की लोग कैसी प्रतिक्रिया देंग।े अगर आप मन में लोगों का डर ले कर
सिं घासन करते है तो आपको सिं घासन ज्यादा फायदा नही देगा। सिं घासन
का मतलब शेर की तरह दहाड़ना और दहाड़ते समय मन में डर नही होना
चाहिए।

याद रखे - सिं घासन करते समय अगर खांसी आती है तो आप शायद
ज्यादा जोर देकर उसको कर रहे है। ऐसा नही करना चाहिए। सिं घासन
करते समय शरीर पर ज्यादा दबाव नही रखना है और सिं घासन को सुबह
५ बार ही करना चाहिए। सिं घासन को शाम में करने से आपको लाभ कम
और हानी ज्यादा होगी क्योकि सिं घासन में आपके गले का सबसे ज्यादा

158
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे

इस्तेमाल होता है। दिनभर जब आप बात करते है और फिर सिं घासन करते
है तब गले पर ज्यादा दबाव आता है जिस कारण गला जल्दी खराब होकर
आपकी आवाज भी बदल सकती है।

चैप्टर ९ (आवाज और शब्द) - इस चैप्टर में आपको सिं घासन कैसे


करना है यह बताया गया है।

प्रैक्टिस ४ : गहरी और स्पष्ट आवाज

सिं घासन के बाद आप अपनी आवाज के लिए भी प्रैक्टिस कर सकते


है ताकि बोलते समय आपकी आवाज भी अच्छी निकले । अच्छी आवाज के
लिए आपको कम से कम ३० से ४० दिन तक इस प्रैक्टिस को लगातार
करना है।

चैप्टर ९ (आवाज और शब्द) - इस चैप्टर में आप आवाज के लिए जो


बताया गया है उसको फॉलो कर।े

प्रैक्टिस ५ : फाउं डेशन को चेक करना

यह प्रैक्टिस करते समय आपको सारे स्वर और व्यंजन को चेक करना


है और उसको बोलने का प्रयास करना है। फाउं डश
े न चेक करने को आप
उसी तरह देख सकते है जिस तरह आप कसरत करने से पहले शरीर को
स्ट्रेच करते है। रीडिं ग या बोलने से पहले अगर आपने सारे फाउं डेशन चेक
किए तो आपको अंदर से एक आत्मविश्वास आता है कि अब आप बोल
सकते है क्योकि उसके बाहर से कोई भी शब्द नही आता है।

आपको आवाज की प्रैक्टिस करने के बाद फाउं डेशन को चेक करना


है। फाउं डेशन को आपको कम से कम २ से ३ बार बोलना है। अगर चाहे तो
आप उस फाउं डेशन के साथ किसी शब्द को भी बोल सकते है।

159
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चैप्टर ११ (व्यंजन) - इस चैप्टर में आपको सारे फाउं डेशन मिल जाएं गे।
इसके अलावा आप फाउं डश
े न को एक अलग से पेज पर लिखकर उसको
कही पर चिपका दे, ताकि दिनभर उसको आप याद कर पाए।

प्रैक्टिस ६ : चेक फाउं डेशन रीडिं ग

फाउं डेशन चेक करने के बाद आपको अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ना
है। अगर आपको स्थानीय भाषा के अलावा भी कोई दूसरी भाषा में दिक्कत
है तो उसे एक साथ ना पढे। पहले सारी रीडिं ग प्रैक्टिस एक भाषा में करे।
उसके बाद ही दूसरी भाषा में सारी रीडिं ग कर।े

फाउं डेशन चेक करने से आपके मुह


ं ओर जीभ को एक लचीलापन
मिलता है। इससे आप बाहर भी अच्छे से बोल पाते है।

याद रखे - फाउं डश


े न चक
े करते समय आपका ध्यान बस फाउं डेशन
चक
े करने पर ही होना चाहिए। जीभ कहा पर लगती है? हवा कैसे बाहर
आती है? शब्द कैसे स्पष्ट निकल रहा है? या फिर पॉज़ आ रहा है क्या या
नही यह देखना है ।

इस रीडिं ग को आपको कम से कम १५ मिनट तक लगातार करना है।


अगर आप चाहे तो आप इसको ४५ मिनट भी कर सकते हो। पर बाकी की
रीडिं ग को भी समय देना चाहिए।

चैप्टर १४ (रीडिं ग प्रैक्टिस) - इस चैप्टर में आपको चेक फाउं डेशन


रीडिं ग कैसे करनी है यह बताया गया है। अगर कोई दिक्कत है, तो इस
चैप्टर को फिर से पढे।

प्रैक्टिस ७ : माउथ ओपनिंग रीडिं ग

इस रीडिं ग में आपका ध्यान अपने मुह


ं को स्वर की तरह खींचने पर ही
होना चाहिए। आप चाहे तो फाउं डश
े न को चक
े भी कर सकते है पर सबसे

160
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे

ज्यादा महत्त्व आपके मुह


ं को खींचने पर होगा। इस रीडिं ग के बाद आपका
मुह
ं अच्छे से खुलना शुरू होगा और शब्द भी जल्दी बाहर आएं गे।

इस रीडिं ग को आपको अपनी स्थानीय भाषा में लगातार कम से कम


१० मिनट पढ़ना है। अगर आप चाहे तो आप १० मिनट से ज्यादा भी पढ़
सकते हो।

चैप्टर १४ (रीडिं ग प्रैक्टिस) - इस चैप्टर में आपको माउथ ओपनिं ग


रीडिं ग के बारे में बताया गया है।

प्रैक्टिस ८ : क्लेरिटी रीडिं ग

इस रीडिं ग को करते समय आपका ध्यान अपने कानों पर होना चाहिए


और यह देखना है कि आपके शब्द स्पष्ट निकलते है या नही। शब्द को पढ़ते
समय आपके मुह
ं से स्पष्ट शब्द निकलने चाहिए इसका ध्यान रखना है।
अगर आपको शब्द स्पष्ट नही लगता, तो उसको फिर से दोहराइए। पढ़ते
समय आप मुह
ं को स्वर की तरह खोल सकते है और साथ ही फाउं डेशन
को भी चेक कर सकते है। फाउं डश
े न को चक
े करना और मुह
ं को स्वर की
तरह खोलने से आपका शब्द और भी ज्यादा स्पष्ट निकलने लगता है।

इस रीडिं ग को आपको अपनी स्थानीय भाषा में कम से कम १५ मिनट


पढ़ना है। आप चाहे तो समय को बढ़ा भी सकते है।

चैप्टर १४ (रीडिं ग प्रैक्टिस)- इस चैप्टर में क्लेरिटी रीडिं ग को बताया


गया है।

अगर हम इन सभी प्रैक्टिस को देखे तो आपको ८ प्रैक्टिस करने पड़ेंग।े


इसको कम से कम ४५ मिनट से १ घंटा समय लग सकता है। अगर आपको
रीडिं ग की ज्यादा प्रैक्टिस करनी है, तो आप पूरा १ घंटा ३० मिनट की
प्रैक्टिस करे।

161
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

सभी ८ प्रैक्टिस इस प्रकार है -

१. ब्रीदिंग प्रैक्टिस

२. चेहरे के इक्स्प्रेशन और मुह


ं का खिचना

३. सिंघासन

४. गहरी और स्पष्ट आवाज

५. फाउं डेशन को चेक करे

६. चेक फाउं डेशन रीडिं ग

७. माउथ ओपनिंग रीडिं ग

८. क्लेरिटी रीडिं ग

वैसे तो आपको ऊपर बताई गई सारी प्रैक्टिस सुबह ही करनी चाहिए।


परंतु किसी कारण आपसे नही हो रही है तो आप प्रैक्टिस(१, २, ३, ४, ५)
सुबह करे और जब समय मिले तब रीडिं ग की प्रैक्टिस(६, ७, ८) करे।

अगर आपका कारण यही है कि आपको सुबह जल्दी उठने में परेशानी
होती है तो यह कारण आपको आलसी बनाएगा और हर बार आप यही
कारण से पीछे रह जाओग।े

प्रैक्टिस को बाहर कैसे इस्म


ते ाल करे?

बाहर प्रैक्टिस या इम्प्लिमन्


े टे शन कैसे करे यह हम अगले सेक्शन में
देखने वाले है। आपको दिनभर इम्प्लिमन्
े टे शन पर ध्यान देना है ताकि
बाहर का अनुभव आपको अच्छा आए।

शाम को क्या करे?

सुबह की प्रैक्टिस करने के बाद और लोगों से बात करने के बाद जब

162
अच्छे रिजल्ट के लिए दिनभर प्रैक्टिस कैसे करे

शाम होती है तब आप कुछ ऐसे काम कर सकते है जो आपका कान्फिडन्स


और बढ़ाएगा। यहा पर मर
े े कुछ सुझाव आपके सामने रखता हू।

१. कॉल पर बात

• आप अपने किसी भी दोस्त के साथ या फिर घरवालों से हर रोज बात


करना शुरू करे। आप शाम को कॉल कर सकते हो, या फिर रात का
खाना खाने के बाद बाहर घूमते समय भी कर सकते है। कॉल पर बात
करते समय सारे तकनीक से बात कर।े दिनभर जो भी अनुभव आया है
उसके साथ प्रैक्टिस कर।े ऐसा करने से आपको बात करने का अच्छा
अनुभव आएगा। ये भी आपके एक प्रैक्टिस की तरह ही आपको मदद
करेगा।

२. फेसबुक ग्रुप में लाइव बात

• यह प्रैक्टिस भी काफी फायदेमद


ं हो सकती है। आप जिस ग्रुप में अब जुड
चुके है उस ग्रुप में अगर आप हर रोज लाइव आकर बात करते है जिसमे
आपने आज दिनभर क्या क्या किया या फिर आपका कोई अनुभव शेयर
कर सकते है। ऐसा करने से आप खुद के विडिओ बाद में देख भी सकते है
और जो भी ग्रुप में लोग है वो भी आपको अपनी प्रतिक्रियाए दे सकते है।
ऐसा करने से आप हर रोज अपनी प्रगती को देख सकते है।

मेरे कुछ सुझाव

इस चैप्टर में बताई गई सारी प्रैक्टिस को आपको हर रोज करनी है।


ऐसा आपको तब तक करना है जब तक आपको एक अच्छा रिजल्ट ना
मिले । एक अच्छा रिजल्ट आने के लिए आपको कम से कम २१ और ज्यादा
से ज्यादा ३ महीने लग सकते है। जैसे किसी बिजनस को उं चाइयों पर

163
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

लेकर जाने के लिए कुछ नियम होते है, वैसे ही बोलते समय भी आपको
कुछ नियम फॉलो करने है। नीचे बताई गई ३ बातों को आप हमेशा फॉलो
करे।

१. ब
 ोलते समय एक शब्द एक बार बोले। बोलने में जल्दबाजी ना करे।
अपना समय ले कर ही बोलने की शुरुवात कर।े

२. बोलते समय अपने शब्दों को स्पष्ट बोलने का प्रयास करे। हर शब्द


आपके मुह
ं से स्पष्ट आना चाहिए इसी पर फोकस करे।

३. अ
 गर आप किसी शब्द पर हकलाते है, तो उस शब्द को तुरत
ं बोले या
फिर बातचीत में बीच में कही पर बोल दे। ऐसा करने से आपके मन से
उस शब्द को ले कर अच्छा अनुभव बनग
े ा कि आप शब्द बिना हकलाहट
के बोल पाए।

ऊपर बताए हुई ३ बाते हमश


े ा बोलते समय याद रखे। आप देखग
ें े की
आपका ध्यान हमेशा अच्छा बोलने पर होगा, ना की हकलाहट पर।

इस चैप्टर में बताई गई सभी प्रैक्टिस आपको विडिओ कोर्स में भी मिल
जाएगी जहा पर मै उन प्रैक्टिस को कैसे करता हू यह पता चल जाएगा।
सभी विडिओ कोर्स की लिंक आपको पुस्तक के अंत में मिले गी।

टास्क

१. आप जहा पर रोज प्रैक्टिस करते है या फिर पढ़ाई करते है उस


जगह इस पुस्तक में बताए गए महत्त्वपूर्ण नोट्स को अपने
हाथो से लिखकर या फिर प्रिन्ट निकालकर लगा दे।

२. ह
 र रोज नोट्स को पढे और सभी तकनीक, नियम, प्रैक्टिस
को याद कर।े

164
Section 3

ghr Bpåßc_oÝQo>eZ

165
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

इस सेक्शन में हमने अभी तक जो भी सीखा है उसको बाहर कैसे इस्तेमाल


करना है अब वो सीखेंग।े प्रैक्टिस करने से हकलाहट दूर नही होती। उसके
लिए आपको लोगों से बात करनी पड़ती है। आपकी समस्या घर पर नही
है, वो बाहर है। अगर आप एक कमरे में बैठकर हकलाहट को दूर करने
के लिए प्रैक्टिस कर रहे है तो वो बस आपको अंदर से कान्फिडन्स देगी
कि आप अब कुछ समय के लिए अच्छे से बोल पाएं गे पर जब तक आप
उसी प्रैक्टिस को लोगों के सामने इस्तेमाल नही करेंग,े तब तक कुछ नही
होगा।

इस सेक्शन में हम उस बात को रखेंगे जो आपके दिनभर में होती रहती


है और जहा पर आपको बोलना होता है। जब हम लोगों के सामने होते है तब
बहुत सारी बाते ऐसी होती है जो आपको खुद के अनुभव के बाद पता चलती
है। मेरे हकलाहट के अनुभव और इतने साल तक के लोगों की मदद करने
के अनुभव से यह भी करना आपके लिए सरल हो जाएगा।

यह सेक्शन आपको बोलने से पहले, बोलते समय और बोलने के बाद


तीनों जगह पर मदद करग
े ा। अगर आपको हकलाहट को पूरी तरह से
अपनी जिं दगी से हटाना है तो जितना हो सके उतना लोगों से बात करे।
नई नई जगहो पर जाए और अपनी बात को रख।े हर उस बात को करने
की कोशिश करे जहा पर आपको डर लगता है तो यह बात आपके मन से
बोलने का डर ही मिटा देगी।

अगर आप खुद को ही पूछेंगे कि क्या लोगों से बात करने की आपने


हर संभव कोशिश की है, अपनी बात बिना शब्दों को छिपाए रखने की?
166
सही इम्प्लिमेन्टेशन

तो आप सभी का जवाब लगभग ना में ही होगा। इस पुस्तक में दी जा रही


सभी बाते आपको भविष्य में एक अच्छा वक्ता बनाने में मदद कर सकती
है। इस पुस्तक में बताई गई हर बात मै अपने अनुभव से लिख रहा हू। मेरे
अनुभव ने अब तक बहुत लोगों की जिं दगी में बदलाव कीए है और यही
अच्छे बदलाव बहुत जल्द आपके जीवन में भी होंगे अगर आप बाहर जाकर
लोगों से बात करना शुरू करेंगे और नीचे बताए जाने वाली बातों को
फॉलो करेंग।े

167
चैप्टर 16
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२ मिनट इम्प्लिमेन्टेशन
फार्मूला

इस चैप्टर में हम देखग


ें े कि कैसे आप २ मिनट में अपनी पूरी महत्त्वपूर्ण
तकनीक को याद करे और आत्मविश्वास के साथ लोगों के सामने बोले ।
इस तकनीक में वो सब कुछ है जो बोलते समय आपकी मदद करेगा।
इस तकनीक को आपको बोलने से पहले प्रैक्टिस करना है ताकि बोलते
समय आप तैयार रह।े

सुबह की प्रैक्टिस पूरी करने के बाद जब आप बाहर निकलते है, तो


आप बहुत सारे लोगों से मिलते है, बात करते है, और मन में एक अजीब सी
बात चलते रहती है की कही में यहा पर अटक गया तो? वो शब्द मेरे लिए
कठिन है? वही मुझे अब बोलना है तो मै अब कैसे बोलू ?

वैसे आपने प्रैक्टिस तो पूरे मन से की है। उसके साथ आपके अंदर एक


आत्मविश्वास भी आ गया है कि अब मै बोल पाऊंगा। फिर भी कभी कभी
ऐसा होता है कि एक डर मन में होता है। उस डर को या उस शंका को कैसे
बाहर निकाले ये हम अब देखने वाले है।

जब भी आप बाहर जाकर लोगों से बात करते है, तो आपका लक्ष्य बस


कल के मुकाबले आज थोडा अच्छा बोलने की कोशिश करनी है। उसी पर
आपका ध्यान होना चाहिए। अगर आप किसी शब्द पर अटक जाते है तो
उस शब्द को फिर से बोलने की कोशिश कर।े आज मै अटक गया मतलब
मर
े ी प्रैक्टिस किसी काम की नही है ऐसा नही सोचना है। दुनिया का हर

168
२ मिनट इम्प्लिमेन्टेशन फार्मूला

इं सान कभी ना कभी बोलते समय अटकता है पर वो उस बात पर ध्यान


नही देता और आगे बढ़ जाता है। हकलाहट दूर करने के इस सफर में
बहुत बार आपके मन में नकारात्मक भावना आएगी पर आपको हर दिन
प्रैक्टिस करके बाहर लोगों से बात करनी है और हर दिन कम से कम १%
से सुधार करे।

यहा पर में कुछ टिप्स बताने वाला हू जो आपकी बाहर बोलते समय
मदद कर सकती है।

२ मिनट का बाहरी प्रैक्टिस

यह प्रैक्टिस बहुत सरल है और यह आपके पूरे प्रैक्टिस का एक छोटा


सा हिस्सा है जो बोलने से पहले आपकी मदद करेगा। इसको करने के
लिए आपका बस २ मिनट का समय लगग
े ा। इस प्रैक्टिस में ५ छोटे छोटे
अभ्यास है जो इस प्रकार है।

१. anxiety को बाहर निकालना।

२. अपने मुह
ं को सक्रिय करना।

३. अपने होठ और जीभ को सक्रिय करना।

४. स्वर + व्यंजन (अ से ह तक) शब्दों का फाउं डश


े न चेक करना।

५. अपने आप से बात करना और खुद को प्रेरित करना।

अब हम इस २ मिनट की प्रैक्टिस को समझने की कोशिश करते है।

१. anxiety को बाहर निकालना

बोलने से पहले आपके पास कुछ समय होता है उस समय सबसे


पहले अपनी anxiety को मुह
ं से बाहर निकालना है। ये वही anxiety की
प्रैक्टिस है जो हमने चैप्टर ६ (सांस लेना और बोलना) में देखा था। आप
इसको २ से ३ बार करे जिससे अंदर की anxiety कम हो जाए।
169
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

२. अपने मुह
ं को सक्रिय करे

जब हम घबरा जाते है तब बहुत बार हमारा मुह


ं एकदम से हलचल
करना बंद कर देता है। यह सबसे ज्यादा आपके साथ बाहर अंजान लोगों
के सामने बोलने से पहले होता है। कॉल पर बात करने से पहले या फिर
कभी भी हो सकता है। उस समय anxiety को निकालने के बाद आपका
दूसरा काम मुह
ं को सक्रिय करने का होगा। ऐसा करने से आपका मुह

अच्छे से खुलना शुरू होगा और शब्द भी बिना रुकावट के बाहर आएं गे।

मुह
ं को सक्रिय करने के लिए आपको मुह
ं को खोलना है और उसको
थोडा स्ट्रे च करते रहना है। आप उसको आडा या बाहर की तरफ खींचे ताकि
आपका मुह
ं सभी स्वर के लिए अच्छे से खुले। चैप्टर ८ (बॉडी लैं ग्वेज और
हकलाहट) मे मुह
ं और चह
े रे को सक्रिय करने की प्रक्रिया बताई है।

याद रखे - आप जितना अच्छे से मुह


ं को खीचेंगे उतना ही मुह
ं सक्रिय
होगा। आप इस प्रक्रिया को ४ से ५ बार दोहराइए।

३. अपने होठ और जीभ को सक्रिय करे

जैसे आपने मुह


ं को सक्रिय किया अब वैसे ही आपको होठ और जीभ
को भी सक्रिय करना है, क्योकि बहुत सारे शब्द आपके होठ और जीभ के
सहारे ही बाहर आते है।

होठ को सक्रिय करने के लिए आपको होठो को वाइब्रैट करना है। एक


घोडा जैसे आवाज निकालता है उसी प्रकार आपको होठो के साथ आवाज
निकालनी है। ऐसा आप ३० सक
े ं ड तक करेंगे तो आपका होठ सक्रिय हो
जाएगा। इस प्रक्रिया को हम buzzing technique भी बोलते है।

जीभ को सक्रिय करने के लिए आपको जीभ को वाइब्रैट करना है।


आप जैसे “र” शब्द बोलते है उसी प्रकार से आपको “र” शब्द को वाइब्रैट
करते हुए बोलना है। शायद बचपन में आपके गाड़ी चलाने की आवाज

170
२ मिनट इम्प्लिमेन्टेशन फार्मूला

अपने जीभ को वाइब्ट


रै करके निकाली होगी, वैसे ही आपको करना है।
आप इसको ३० सेकंड तक कर।े इस प्रक्रिया को हम tongue vibration
भी कहते है।

४. स्वर + व्यंजन (अ से ह तक) शब्दों का फाउं डेशन चेक करे

चैप्टर ११ (व्यंजन) में हमने फाउं डश


े न सीखा है जिसमे स्वर और व्यंजन
को कैसे बोलना है और आपका ध्यान कहा पर होना चाहिए वही आपको
यहा पर दोहराना है। आप इसको १ से २ बार कर सकते है। बात करते समय
स्वर और व्यंजन के अलावा कोई भी शब्द नही आता और अगर आपने
उसको १ से २ बार बोला तो आपके अंदर एक विश्वास आएगा कि आप हर
शब्द को अब बोल सकते है। चैप्टर ११ (व्यंजन) मे फाउं डेशन प्रैक्टिस को
बताया हुआ है।

५. अपने आप से बात करे और खुद को प्रेरित करे

सभी प्रकार की प्रैक्टिस करने के बाद आपको खुद को प्रेरित करना


है और बोलना है कि तुम यह कर सकते हो, तुम बोल पाओगे। बहुत बार
आपका खुद के ऊपर का भरोसा अपने डर का सामना करने के लिए ही
आपकी मदद करता है। किसी भी इं सान के सामने या कही पर भी बोलने
से पहले अपने आप को एक सकारात्मक सोच दो और मन ही मन में
अपने आप को प्रेरित करो।

ऊपर बताए गए ५ प्रैक्टिस को ज्यादा से ज्यादा २ से ३ मिनट लगते है।


आप इस प्रैक्टिस को किसी के भी सामने बोलने से पहले या फिर स्टेज
पर बात करने से पहले, कॉल पर बात करने से पहले करते है, तो आपको
बहुत अच्छा रिजल्ट मिलेगा।

171
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ऐसा जरूरी नही है कि किसी के सामने जाने से पहले ही इस प्रैक्टिस


को करना चाहिए। आप इसको दिन में कभी भी करे। यह हमेशा ही आपका
आत्मविश्वास बढ़ाएगी।

मेरे कुछ सुझाव

२ मिनट इम्प्लिमन्
े टे शन फार्मूला को अगर आप दिन में कम से कम १०
बार अलग अलग समय पर प्रैक्टिस करते है, तो आपकी हकलाहट या तो
कम हो जाएगी या फिर होगी ही नही। जब आपके मन में बहुत सारे सवाल
आते है, तब यह प्रैक्टिस आपके सल्फ
े डाउट को मन से निकाल देती है।

टास्क

१. आज अपने किसी दोस्त को कॉल करने से पहले इस फार्मूला


को प्रैक्टिस करे और फिर कॉल कर।े

२. आज फेसबुक लाइव जाने से पहले इस फार्मूला को प्रैक्टिस


करे और फिर लाइव शुरू कर।े

३. अपने आसपास के दुकान पर जाते समय (रास्ते में) इस


फार्मूला को प्रैक्टिस करे और फिर बात करे।

172
चैप्टर 17
लोगों से बात (कम्फर्ट ज़ोन)

बहुत सारे लोगों का यह मानना है या यह उनका अनुभव है कि वह घर पर


अच्छे से बात करते है पर बाहर लोगों के सामने अटक जाते है। कुछ लोगों
का अनुभव इससे अलग है। उनको बाहर बोलने में कोई दिक्कत नही
होती पर घरवालों के सामने ज्यादा हकलाहट होती है।

हम इस चैप्टर में देखग


ें े कि जब आप अपने कम्फर्ट ज़ोन में होते हो तब
कैसे आपको बात करनी चाहिए और किस बात पर ध्यान देना है। अक्सर
लोग अपने कम्फर्ट झोन में कोई भी तकनीक का इस्तेमाल नही करते
या फिर वह घर और बाहर बोलने में अलग अलग व्यवहार रखते है। शायद
आपके साथ भी यह होता है की घर पर आप बहुत तेज गती से बोलते है और
बाहर अपने तकनीक को इस्तेमाल करने की कोशिश करते है।

यह चैप्टर आपको एक रास्ता दिखाएगा कि कैसे आप अपने कम्फर्ट


झोन का इस्तेमाल करके अपने डर का सामना कर सकते है जहा आपको
सबसे ज्यादा दिक्कत होती है।

आपका घर और आप

अक्सर आपने यह देखा होगा कि जब आप घर पर अकेले होते है और


अपने शब्दों को बोलते है तो आपको यकीन नही होता है कि जो शब्द कुछ
समय पहले बाहर नही निकल रहे थे वही अब आसानी से निकल रहे है।
173
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

इसका कारण यह है कि घर आपके लिए कम्फर्ट झोन है। इस झोन में


आपके मन में कोई संदेह नही आता कि आप बोल पाएं गे या नही। आपके
और आपके घर के बीच में बहुत सालों का रिश्ता है। यहा पर आप बहुत
ज्यादा सुकून से रहते है। आप जब भी अपने घर पर होते हो तो मन में किसी
भी बात का डर नही होता। आपके हर शब्द आसानी से बाहर निकलते है
क्योकि आपके बोलने को लेकर आपके मन में कोई भी आत्मसंदेह नही
आता।

आपके घरवाले और आप

जब आप घर पर अकेले होते हो तब सभी शब्द आसानी से निकलते


है पर जब आप वही शब्द घरवालों के सामने बोलते है तब थोडी दिक्कत
होती है। अगर आप बाहर १० में से ५ शब्दों पर अटकते है, तो वही घरवालों
के सामने आप २ या ३ शब्दों पर ही अटकेंगे और अकेले होने पर शायद
कभी नही।

जब आपके आंखो के सामने कोई इं सान दिखता है तब आंखो से आपके


मन में एक चित्र आ जाता है। मन उसी चित्र की तुलना अपने पहले चित्रों
के साथ करता है। अगर उस चित्र के साथ आपके पुराने अनुभव अच्छे है
तब मन कम्फर्ट झोन में आकर प्रतिक्रिया देता है। अगर आपके घरवालों
के साथ आपके बोलने के अनुभव अच्छे रहे है, तब आप घर पर अच्छे से
बोल पाते है। इसके विरुद्ध भी हो सकता है अगर आपके पिताजी, बडे भाई,
या कोई और सदस्य के साथ बोलते समय आपके अनुभव अच्छे ना हो, तो
आप उनके सामने ही ज्यादा हकलाएं ग।े

घरवालों के साथ प्रैक्टिस

आपके घरवाले आपके लिए जितना कम्फर्ट झोन में आते है उतने
बाहरी लोग नही आत।े इसका मतलब यह है कि जिस इं सान के साथ
174
लोगों से बात (कम्फर्ट ज़ोन)

आपकी ज्यादा बातचीत होती है या फिर आप उस इं सान के साथ घुलमिल


गए हो, तो आपकी हकलाहट वहा पर बहुत कम होती है। अगर आपको
बाहर लोगों के सामने बात करनी है तो उसकी शुरुवात आप घरके लोगों
के साथ कर सकते है। फरक बस इतना है की घरवाले आपकी बात पूरी
सुनने की कोशिश करेंगे और बाहर के लोग थोडा जल्दबाजी में रहेंग।े

घरवाले या बाहरवाले इन दोनों में फरक बस आपके नजरिए का है।


आप जब भी अपने घरवालों को देखते है तो आप यह मान ले ते है कि मै
तो इनके सामने अच्छे से बोल पाऊंगा। परंतु वही किसी अंजान लोगों के
सामने आपके मन में नकारात्मक विचार आता है। अगर आपने खुद के
नजरिए को बदलने की कोशिश की तो आप बाहर के लोगों के सामने भी
बोल पाएं गे क्योकि वैसे देखा जाए तो बाहर के लोग भी किसी ना किसी
के घरवाले है।

आपको अपने घरवालों से बात करते समय उसी तकनीक का इस्तेमाल


करना है जो आप बाहर करने वाले है। घर पर अलग और बाहर अलग
ऐसा नही करना है। अगर आप ऐसा करते है तो आपका मन कन्फ्यूज़ हो
जाएगा कि आखिर बात किस तकनीक से करनी है। यह गलती बहुत लोग
करते है कि वो घर पर बस बोलते रहते है पर अपने बोलने पर ध्यान नही
रखते और आप जब बाहर जाते है तो अटक जाते है। आपकी समस्या लोगों
के सामने बोलने की है तो आपकी पहली स्टेप आपके घरवाले है जिनके
सामने आपको सभी तकनीक के साथ बात करनी है। आपके घरवाले
ऐसा करने के लिए आपको प्रोत्साहित भी करेंगे क्योकि उनको आपकी
समस्या पता है। ऐसा करने से आपका आत्मविश्वास भी बढ़ जाएगा।

आपका उत्तरदायी और आप

अच्छे से बोलने के लिए घर में सभी आपको मदद करेंगे पर कोई ऐसा
एक व्यक्ति आपके घर में होगा जो आपकी गलतियों को बताने में आपकी

175
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

मदद करेगा। एक ऐसा व्यक्ति जो आपको अच्छे से जानता है और आप


उसके साथ अपनी बातों को शय
े र भी कर सकते है। आपके हकलाहट को
ठीक करने के इस सफर में आपके घर से कोई आपका हमसफ़र बनाइये,
जो आपको हर दिन आपकी गलतियों को दिखाएगा जो आप बोलते समय
करेंग।े जिसको हम आपका उत्तरदायी भी कह सकते है। अंग्रेजी में उसको
accountability partner कहते है। इस व्यक्ति का काम यह होगा कि
उसको हकलाहट की सारी प्रैक्टिस, तकनीक, नियम पता है, और वो
आपको भी अच्छे से जानता है। इस व्यक्ति का काम कुछ इस प्रकार का
होगा:

• आपको हर दिन आपने प्रैक्टिस की है या नही यह पूछना।

• आपने दिनभर बाहर कैसे तकनीक को फॉलो किया और कहा कहा पर


दिक्कत हुई यह पूछना।

• अगर यह व्यक्ति आपके साथ हो तो आपने लोगों के सामने कैसे बोला


यह बताना (बोलने के बाद ही)।

• यह व्यक्ति आपके गलती को बताने की कोशिश करेगा और आप गलती


को मानकर बिना उलटा जवाब दिए उस पर काम करेंग।े

इस व्यक्ति के साथ अब आपका भी कुछ काम कुछ इस प्रकार है:

• इस व्यक्ति को आपको हर दिन बताना है कि आपने आज कैसा बोला


और कहा पर गलती की।

• इस व्यक्ति को आप प्रोत्साहन के लिए कुछ गिफ्ट भी दे सकते है (कुछ


दिन के बाद)। इससे वह आपके ऊपर फोकस बनाए रखेगा।

• यह काम आपको कम से कम २१ दिन तक करना है।

अगर आप इन बातों को गंभीरता से लेते है तो जितना अच्छा रिजल्ट


आपको प्रैक्टिस करने के बाद मिलेगा उससे १० गुना ज्यादा आपके
उत्तरदायी (accountability partner) को साथ में जोड़ने से मिले गा।
176
लोगों से बात (कम्फर्ट ज़ोन)

आपके दोस्त और आप

घरवालों के बाद आपके कुछ दोस्त आपके लिए कम्फर्ट झोन है पर


सभी दोस्त नही। अगर आप घर पर सभी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे
है, तो अब आपको पूरी कोशिश करनी है की वही तकनीक आप दोस्तों
के सामने इस्तेमाल कर।े सभी दोस्तों में से कुछ दोस्त आपके अच्छे दोस्त
होते है, जो आपको हमश
े ा सपोर्ट करेंग।े आप उनसे अपनी इस हकलाहट
को शेयर करे और उनको भी अपना accountability partner बनने
के लिए कहे। ऐसा करने से आपको घर और बाहर दोनों जगह बहुत सारे
फीडबैक मिलते रहेंग।े आप हमश
े ा सतर्क रहेंगे कि आपसे कम से कम
गलतिया हो।

आपके दोस्त भी कुछ समय पहले आपके लिए अंजान ही थे पर उनसे


बात करने के बाद वह आपके अच्छे दोस्त बन गए। अब आपको उनके
सामने हकलाहट नही होती या तो होती भी है तो कम होती है। वैसे ही जो
अंजान लोग है आपके लिए उनसे अच्छे से बात करने की दूसरा स्टे प है
आपके दोस्त (पहला आपके घरवाले)।

लोग जिनको आप जानते है

आपके आसपास ऐसे बहुत सारे लोग होते है जिनको आप जानते


है मगर उनसे कम बात होती है। उदाहरण के लिए - आपके पड़ोसी,
दुकानदार, सबजीवाले, सिक्युरिटी गार्ड, दोस्त का दोस्त, पिताजी के जान
पहचानवाले , इत्यादि।

ये सारे लोग ऐसे है जो आपके कम्फर्ट झोन में तो नही आते पर फिर
भी आप उनके सामने तकनीक से बात करने की कोशिश कर सकते
है। इनसे बात करते समय आपके पास कोई ना कोई विषय होता है और
सामनेवाले को ज्यादा अजीब भी नही लगता। यह आपके लिए तीसरी स्टे प
है जो आपके डर को अंदर से निकालने में मदद करेगी।

177
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

याद रखे - हर जगह पर आपको पुस्तक में बताए गए नियम और


तकनीक को फॉलो करके ही बात करनी है। घर पर अलग और बाहर
अलग ऐसा करने से आपको जल्दी रिजल्ट नही मिले गा।

टास्क

१. अपने घर के किसी एक सदस्य से इस पुस्तक के बारे बताए।


ऊनको इस पुस्तक मे बताए तकनीक, नियम, प्रैक्टिस के
बारे मे जानकारी दे और उनको अपना accountability
partner बनाए।

२. अपने करीबी दोस्त से बात करे और उसे भी इस पुस्तक के


बारे मे जानकारी देकर अपना accountability partner
बनाए।

३. फेसबुक ग्रुप मे अपने अपने accountability partner के


बारे मे जानकारी दे(विडिओ या पोस्ट के जरिए)।

178
चैप्टर 18
लोगों से बात (अंजान लोगों के
सामने)

जब आप अपने कम्फर्ट झोन में बात रखने में सक्षम हो जाते है, उस समय
आपको थोडा बाहर की दुनिया में जाकर उन लोगों से भी बात करनी चाहिए
जहा पर आपको जाने से डर लगता है। आपका डर ही आपको आपकी
हकलाहट को दूर करने में बाधा डालता है। इस डर को खत्म करने के लिए
आपको अंजान लोगों से बात करना ही एकमात्र रास्ता है जो आपको उस
मंजिल पर ले कर जाएगा जो आप हमश
े ा अपने सपनों में देखते है।

इस चैप्टर में हम देखग


ें े कि कैसे आप अंजान लोगों से बात कर सकते
है। कैसे आप उनके सामने अपनी तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है।
कैसे आप पहले कुछ शब्द बोले ताकि वह व्यक्ति भी आपसे बात करने में
दिलचस्पी दिखाए। किसी अंजान जगह पर कैसे अपनी बात को रखे। स्टेज
पर कैसे बात करे और कैसे बिना डरे घर से बाहर जाकर लोगों का सामना
करे।

इस चैप्टर को पढ़ते समय आपके मन में बहुत सारे सवाल आएं गे। जो
काम आप बहुत सालों से टालते आए है वही काम कैसे करना है वो हम
देखग
ें ।े आपका मन आपको बहुत सारे कारण बताएगा कि क्यो आपको
यह नही करना चाहिए पर यकीन मानिए जिस मंजिल पर आपको पहुंचना
है उसके रास्ते में कांटे भी होंगे पर सफर बडा यादगार रहेगा। बस अपने
मन को चुप करे और उस लक्ष्य की तरफ देखे जो आपके सुनहरे कल की
शुरुवात करेगा।
179
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आपका मन और आप

जब आप किसी अंजान शहर में जाते है जहा आपको कोई नही पहचानता
तो आपके मन में २ प्रकार के विचार आ सकते है।

१. में यहा पर किसी को नही जानता। पता नही यहा लोग कैसे होंगे? मुझे
किसी से भी बात नही करनी चाहिए।

२. मझ
ु े यहा कोई नही जानता। क्यो ना मै लोगों से बात करू? वैसे भी मुझे
कौन देख रहा है? देखग
े ा भी तो मुझे कोई फरक नही पड़ता।

याद करे जब आप छोटे बच्चे थे या फिर अपने दोस्तों के साथ किसी


अंजान जगह पर घूमने के लिए जाते थे तो आप हमेशा ही नंबर २ की तरह
सोचते थे।

जब आप बडे हो गए तो आप हमश
े ा अपने आपको बोलने से रोकते है
और नंबर १ की तरह सोचते है।

यह दोनों विचार आपके अंदर हमश


े ा से होते है। मगर आपके कम्फर्ट
झोन के हिसाब से उनमे से किसी एक को चुनते है।

“You are always free to choose”

इं सान के पास चुनने के लिए हमेशा एक विकल्प होता है पर इं सान


ज्यादातर वही चुनता है जो उसके कम्फर्ट झोन में आता है। ऊपर दिए गए
दोनों विचारों में से आप किस विचार को चुनते है यह आपके ऊपर है। जो भी
विचार आप चुनग
ें े उसका परिणाम आपके भविष्य पर जरूर होगा।

आपके मन में हमश


े ा डर आएगा कि लोग क्या सोचेंगे और अगर मै
अटक गया तो क्या होगा? यह सब कुछ आपके मन की बाते है जो ज्यादातर
सच नही होती। आपका मन आपको हमश
े ा कम्फर्ट झोन में रखने की
कोशिश करेगा और आप वैसा करेंगे भी क्योकि ज्यादातर लोग अल्पावधि
(short term) के लिए सोचते है, जहा पर आपको ढे र सारे कारण मिलें गे
की क्यो लोगों से बात नही करनी चाहिए। अगर आप दीर्घावधि (long

180
लोगों से बात (अंजान लोगों के सामने)

term) के लिए सोचते है, तो बस एक ही कारण कि मुझे अपनी हकलाहट


को दूर करना है आपको लोगों के सामने बोलने के लिए मदद करेगा।

बाहर के लोग और आप

आप जब भी किसी अजनबी से बात करने की कोशिश करते है तो वो


शायद आपको जल्दी प्रतिक्रिया नही देते है। शायद आप भी वैसा ही करते
है जब कोई अंजान व्यक्ति आपसे बात करना चाहता है। बाहर बात करते
समय अगर आप बिना किसी काम के लोगों से बात करते है, तो लोग थोडा
हिचखिचाते है। अंजान लोगों से बात करने से पहले आपको यह बताना
जरूरी है कि आप क्यो बात करना चाहते है? बिना किसी काम के अगर
आप किसी भी व्यक्ति से बात करेंगे तो संभावना ज्यादा है कि लोग आपको
अनदेखा करेंग।े

किसी भी अंजान व्यक्ति से बात करते समय पहले आपको यह बताना


जरूरी है कि आप क्यो उनसे बात करना चाहते है। अब यहा पर २ तरह के
उदाहरण मै देना चाहूँगा।

१. जब आप अंजान व्यक्ति के काम की बात करते है - उदाहरण के लिए -


होटल में ऑर्डर करना/दुकान से कुछ सामान खरीदना।

२. जब आप अपने काम की बात करते है - उदाहरण के लिए - प्रैक्टिस के


लिए लोगों से बात करना।

इन दोनों परिस्थितीओ में आपकी प्रतिक्रियाए और आपका कम्फर्ट


झोन अलग अलग होंग।े अब हम जानते है कि इन दोनों परिस्थिती में कैसे
आपको अपनी तकनीक से बात करनी चाहिए।

१. जब आप अंजान लोगों से उनके काम की बात करते है?

अगर उस व्यक्ति को काम है जो आपके लिए अंजान है और उसने

181
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बोलने की पहल की तो बहुत बार आपके लिए बात करना आसान हो


जाता है। यहा पर आपको अच्छा समय मिल जाता है अपनी बात को रखने
के लिए क्योकि सामने वाला इं सान आपके उत्तर के लिए रुकता है।

उदाहरण के लिए - अगर आप किसी दुकान में जाते है, तो दुकानदार


आपको खुद होकर पूछता है कि आपको क्या चाहिए उस समय आपका
जवाब आप थोडी देर से देने पर भी वो नाराज नही होगा और वो आपके
जवाब के लिए रुकेगा।

ऐसी जगह पर आपको एक लाभ ऐसा मिलता है कि आप अपना पूरा


समय ले कर बोल सकते है और बाकी की सारी तकनीक को भी याद कर
सकते है, जैसे की आप अपने anxiety को बाहर निकाल सकते है और
अपने मुह
ं को अच्छे से खोलकर बोल सकते है। अपने हाथो का इस्तेमाल
कर सकते है और यहा तक की आप फाउं डश
े न भी चेक करके बोल सकते
हो।

इस तरह की परिस्थिती बाहर अपनी तकनीक से बात करने के लिए


आपको बहुत मदद कर सकती है। इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ ले ने के
लिए आपको नीचे दिए गए कामों को आज से करना चाहिए:

• अपने घर का सामान आप खुद दुकान जाकर खरीदे (ऑनलाइन का


इस्तेमाल कम से कम कर)े ।

• अपने आसपास जितने भी कस्टमर केयर ऑफिस, जिम, कपड़ों के


दुकान, इत्यादि जगह पर जाकर उनके सर्वि स या प्रोडक्ट के बारे में पूछे
(आपको कुछ खरीदना नही है, बस प्रैक्टिस करनी है)।

• अगर आपको क्रेडिट कार्ड कंपनी से कॉल आते है तो उनसे जानबूझकर


बात करे और उनके सर्वि स के बारे में जानने की कोशिश करे।

182
लोगों से बात (अंजान लोगों के सामने)

२. जब आप अपने काम की बात करते है

किसी भी अंजान व्यक्ति से बात करने से पहले आपके मन में बहुत सारे
सवाल आते है। ये ऐसे सवाल होते है जिनका जवाब आपको बोलने के बाद
ही पता चल सकता है। परंतु आप अपने मन से ही उनके जवाब देने की
कोशिश करते है। अंजान लोगों से बात करने से पहले कुछ इस प्रकार के
सवाल आपके मन में आ सकते है।

• वह व्यक्ति मेरे ऊपर हसग


े ा तो नही?

• अगर उसने बोलने से मना कर दिया तो?

• मर
े ा इम्प्रेशन खराब हो जाएगा?

• आज रहने देता हू। में कल कोशिश करूं गा।

कुछ इस तरह के सवाल आपके मन में आते है तो उस व्यक्ति के बारे


में आप अपनी ही एक कहानी बना लेते है। यह सारे सवाल आने के बाद
आपका मन आपको अपने कम्फर्ट झोन में रहने के लिए कहेगा। बहुत
से लोग ऐसा ही करते है। जो लोग अपने मन की बात सुनकर अंजान
लोगों से बात नही करते उनका कान्फिडन्स हमश
े ा कम ही रहता है। आप
लोगों से कम बात करते है इसीलिए आपका कान्फिडन्स कम है और आप
हकलाते है।

आपके हर सवाल का जवाब आपके बोलने में है। आप जितना ज्यादा


बोलें गे उतना ही आपको अनुभव आएगा। आपसे गलतिया होगी और यही
अनुभव आपको नए रास्ते दिखाएगा कि कैसे हकलाहट को ठीक कर
सकते है।

अगर आपको अंजान व्यक्ति से बात करनी है तो पहले तो मन की ना


सुन।े सीधा जाकर बोलने की कोशिश करे मतलब बेशरम बन जाइए।
आपकी बेशर्मी ही आपको लोगों से साथ बात करने के लिए मदद कर
सकती है।

183
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

जब आप अंजान लोगों से बात करने की कोशिश करते है तो बहुत सारे


लोग आपको सीधा जवाब नही देते है या फिर जवाब देने से कतराते है
क्योकि उनको आपका इरादा नही पता कि आप क्यो बात करना चाहते है।
इसीलिए बोलते समय सबसे पहले आपका इरादा (intention) बताइए।
आप कुछ इस प्रकार से शुरुवात कर सकते है –

• माफ करे पर क्या मै आपसे २ मिनट के लिए बात कर सकता हू?

• दरअसल मै अपने बोलने को अच्छा बनाने की प्रैक्टिस कर रहा हू और


अंजान (stranger) लोगों के सामने बात करने से मेरे रिजल्ट में मुझे
काफी मदद मिलती है।

• मर
े ा इरादा बस यही है कि मै आपसे थोडी देर तक बात करू और आपसे
फीडबैक लू की मैने कैसे बोला।

अगर आप इस प्रकार से शुरुवात करते है तो हर इं सान आपको अपना


कीमती समय देगा और आपसे बात करना चाहग
े ा क्योकि आपने अपना
इरादा उसके सामने रख दिया। उस अंजान व्यक्ति के मन में अब कोई भी
शंका नही है। शायद यह भी हो सकता है कि ऊपर बताए वाक्य बोलते
समय भी आपको हकलाहट होती है। तो फिर भी उसे जारी रखे क्योकि यह
एक सबूत होगा की आप जो भी कह रहे है वह सच है और आप सच में अपने
बोलने को अच्छा बनाने की प्रैक्टिस कर रहे है।

इस प्रकार से आप हर दिन नए नए लोगों से बात करे और अपनी


तकनीक के साथ बोले। ऐसा करने से सबसे पहले आपका डर आपके
मन से निकल जाएगा। इससे आपके शब्द आसानी से निकलना शुरू हो
जाएं गे।

याद रखे - आपकी असली समस्या आपका डर है जो आपको लोगों के


सामने बात करने से आपको रोकता है। अगर आप अपने डर का सामना
हर दिन करेंगे तो वही डर आपके कान्फिडन्स में बदल जाएगा। जो काम
पहले आपके लिए बहुत कठिन लगता था अब वही काम आप बडे आसानी

184
लोगों से बात (अंजान लोगों के सामने)

से कर रहे है।

टिप: अगर आप घर पर है और आपको अपने मोबाईल फोन से प्रैक्टिस


करनी है, तो आप अपने फोन को अपने आवाज से कंट्रोल कर सकते है
जैसे की voice recognition - “hey google!” “hey Siri!” “Alexa!”
जैसे विकल्प आपके पास होते है। आप उन विकल्पों का इस्तेमाल करके
अपने फोन के साथ भी बात कर सकते है।

टास्क

१. घर के आसपास किसी दुकान/मेडिकल/फ्रूट शॉप मे जाकर


अपना समय लेकर उनसे बात कर।े आप खरीदते समय
उनके बारे मे भी पूछ सकते है।

२. आजसे हर दिन २ से ३ अंजान लोगों से बात करे और हो सके


तो उनसे फीडबैक पूछे।

३. हर दिन अपने आप को चैलेंज करे और ज्यादा से ज्यादा


लोगों से बात कर।

185
चैप्टर 19
लोगों का रिएक्शन कैसे हैन्डल
करे?

कई बार हमे एक बात परश


े ान करती है और वो है “लोग क्या कहेंग?े ” वैसे
ये लोग कौन होते है? और क्यो ये कुछ कहते है? इसका जवाब आपको
इस चैप्टर में मिले गा। हम इस चैप्टर में हर उस रिएक्शन को जानने की
कोशिश करेंगे जो लोग आपको देते है।

लोग अक्सर कुछ ना कुछ कहते रहते है या वैसा अपने चेहरे पर दिखाते
है। अगर आप गौर से सोचे तो आप भी लोगों का ही एक हिस्सा है। आप भी
दूसरों के लिए कोई ना कोई रिएक्शन देते है। इस चैप्टर का विश्ले षण
करते समय आप अपने और लोगो की तरफ से सोचेंगे और आपको
आपका जवाब मिल जाएगा।

लोग जब आपके बोलने के ऊपर हसते है

हकलाने वाले इं सान के साथ ऐसा बहुत बार होता है कि लोग उसके
हकलाने पर हसते है। लोग हसते है क्योकि आपकी बात उनको हसाने
वाली लगती है। लोगों को आपकी बात हसाने वाली इसीलिए लगती है
क्योकि वो आपके तरह नही बोलते है। इमैजिन करे की दुनिया का हर
एक इं सान अगर हकलाके बात करे तो कोई भी हकलाने पर नही हसेगा
क्योकि सभी लोग ऐसा बोलते है। पर जब कुछ लोग सभी लोगों के
मुकाबले अलग बोलते है, तो वो हसी के पात्र बन जाते है।

186
लोगों का रिएक्शन कैसे है न्डल करे?

इसका एक अच्छा उदाहरण है - हिं दुस्तान में बहुत सारी भाषाए बोली
जाती है। हर भाषा बोलते समय अलग अलग शब्द और उनके उच्चारण
होते है। अगर आप मराठी बोलते है और कोई आपके सामने तेलुगु बोले गा
तो आपको वह अजीब लगग
े ी। एक तामिल बोलने वाले इं सान के लिए
बंगाली भाषा अजीब होगी। बहुत बार लोग एक दूसरे की भाषा को ले कर
मजाक उड़ाते है और हसते है। ऐसा इसीलिए होता है क्योकि जो भाषा
आपके लिए बोलने का भाग है वही दूसरों के लिए हसी का पात्र है। उनको
आपकी भाषा के शब्द सुनने में अजीब लगते है।

इसी प्रकार आपकी हकलाहट भी उन लोगों के लिए अजीब लगती


है जिनको कभी हकलाहट नही थी। ज्यादातर लोग हकलाते हुए इं सान
को देखकर हसते है। ऐसे बहुत सारे सिनम
े ा आप देखते है जहा पर एक
हकलाने वाले व्यक्ति का काम अपने दर्शकों को हसाना ही होता है।

जब आपको हकलाहट होती है और सामने वाला इं सान आपके ऊपर


हसता है, तो उस बात को किस तरह से देखना चाहिए यह हम देखग
ें ।े

किसी के हसने को लेकर हम उसको दो तरह से देख सकते है।

१. सामने वाला इं सान अच्छ नही है। वो आपकी कमजोरी के ऊपर हस रहा
है।

२. सामने वाला आपको आईना दिखा रहा है कि आप में कुछ कमी है और


आपको उसे ज्यादा गंभीरता से लेना चाहिए।

कोई भी इं सान जब हसता है तो आप उसे किस तरह से देखते है वह


ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। वह इं सान हसने के बाद उसे भूल जाएगा पर अगर आप
उसे अपने मन में एक कमजोरी की तरह देखते है तो वह बहुत बडी समस्या
है। आपको किसी के हसने को अपने फायदे के लिए देखना चाहिए। किसी
के हसने से आपको क्या फायदा हो सकता है? चलो देखते है।

• जब कोई भी इं सान आपको लेकर हसता है तो उससे एक बात तो तय


है कि आपको उस समस्या को ठीक करना चाहिए। शर्त यह है कि वह
187
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

समस्या का समाधान आपके हाथ में होना चाहिए। उदाहरण के लिए


- अगर आपका कद छोटा है यह आपकी कमजोरी नही है बल्कि यह
आपकी सच्चाई है। लेकीन आपकी हकलाहट आपकी कमजोरी है और
यह एक बोलने की बुरी आदत है जो आप ठीक कर सकते है।

• कोई इं सान अगर बार बार आपके बोलने पर हसता है इसका मतलब
वह इं सान की सोच शायद छोटी है और आप छोटी सोच वाले इं सान से
दूर ही रहे।

• अगर कोई आपके ऊपर हस रहा है तो ज्यादातर लोग उसे ग़ुस्से से देखते
है। अगर आप भी उसके साथ अपने ऊपर हसे तो वह व्यक्ति हसना बंद
कर देगा। क्योकि आपको चिढ़ाने के बाद जो आप रिएक्शन देते है
वही उसको चाहिए पर अगर आप उसके साथ हसते है तो उसको वैसा
रिएक्शन नही मिल रहा है जैसा वह सोच रहा है।

मेरा यह मानना है की आपको भी अपने ऊपर हसते रहना चाहिए जब


आप गलती करते है और हमश
े ा बोलना चाहिए कि “ तुझे अपने ऊपर
और काम करना पडग
े ा।” ऐसा करने से आप कभी भी अपनी हकलाहट
को कमजोरी की तरह नही देखग
ें े और जब भी गलती होगी तब आपकी
हसी आपको याद दिलाएगी कि आपको हकलाहट पर और ज्यादा मेहनत
करने की जरूरत है।

लोग जब आपको अनदेखा करते है

ऐसा बहुत लोगों के साथ होता है कि आपकी हकलाहट की वजह से


आप जिसे दोस्त समझते है वह आपको अनदेखा करते है या फिर आपके
साथ कम बात करते है। ऐसे लोगों को यह लगता है की अगर वो आपके
दोस्त बनेंगे तो लोग उनको उसी नजर से देखग
ें े जैसे वो इं सान आपको
देखता है। ऐसे सोच वाले इं सान हमश
े ा लोगों को उनके कपड़े, स्टै टस,
बोलने की शैली से तुलना करते है।

188
लोगों का रिएक्शन कैसे है न्डल करे?

मेरा यह मानना है कि अगर कोई इं सान बाहरी दिखावे से प्रभावित होता


है और वो आपका दोस्त भी है फिर भी अगर उसको आपसे कोई बेहतर
मिल जाए तो वो आपको छोड़ देगा। ऐसे दोस्त आपके साथ तब तक रहते है
जब तक उनको आपसे कुछ काम है और काम होने के बाद वही आपको
अनदेखा करते है।

जब ऐसे लोग आपको अनदेखा करते है तो यह आपके लिए बहुत अच्छी


बात है क्योकि ऐसे इं सान से बात करने से आपका कोई लाभ नही है। ऐसे
लोग आपको कभी भी धोखा दे सकते है।

अगर आपके जीवन में ऐसे लोग है जो आपको अनदेखा करते है क्योकि
आप हकलाते है तो उसे एक चैलेंज की तरह ले। अपने ऊपर पूरी मेहनत
करे और जब आप हकलाहट को ठीक कर देंगे तो बहुत सारे लोग आपसे
खुद होकर बात करेंग।े जब आप अपने जीवन की सबसे बडी समस्या को
हल करते है, जो बहुत सारे लोगों के लिए मुश्किल है, तब आप उनके
सामने एक सफल व्यक्ति बन जाते है।

लोग जब आपकी बात को पूरी कर देते है

ऐसा मेरे साथ बहुत बार हुआ है कि जब मै अपनी बात को कही पर


रखना चाहता था तो बहुत बार मर
े े घरवाले और दोस्त मेरी बात को पूरी कर
देते थे। ऐसा वो इसीलिए करते थे ताकि बोलते समय मेरी मदद हो जाए।
पर ऐसा करने से उलटा मुझे ज्यादा परश
े ानी होने लगी क्योकि मेरी यह
आदत बन गयी थी की जब भी बाहर जाऊंगा तो मेरे साथ कोई ना कोई
चाहिए जो मेरी बात को रख सकेगा। शायद ऐसा आपके साथ भी होता है।

अगर कोई इं सान आपकी बात को पूरा करता है तो उस समय के लिए


आप बोलने से बच जाते है पर हमश
े ा ही ऐसा होगा यह असंभव है। ऐसा
करने से आप हमेशा किसी के ऊपर निर्भर रहते है जो आपके भविष्य के
लिए अच्छी बात नही है। आपको खुद को सक्षम बनाना होगा ताकि बिना

189
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

किसी के सहारे भी आप अपनी बात को रख सके।

ऐसे समय में आपको अपने घरवालों और दोस्तों को बता देना चाहिए
कि जो आप मेरी मदद कर रहे है वो मर
े ी समस्या को ज्यादा बढ़ा रही
है। इस समस्या का समाधान आपके बोलने से ही होगा। आपके घरवाले
और आपके दोस्त आपके साथ हमश
े ा होते है पर इस जंग को आपको
अकेले ही लढना है। अगर आपको उनकी मदद चाहिए तो उनको आपका
accountability partner बना लीजिए जो आपकी गलतियों को
आपको बताने में मदद कर।े इं सान गलती करने से ही जल्दी सिख जाता
है इसीलिए जितना हो सके आप बोलने में गलती करे पर किसी को भी
अपनी बात को पूरी करने के लिए ना कह।े

लोग जब आपको बेचारा समझते है

बहुत बार ऐसा होता है कि जब आप हकलाते हुए बात करते है तो लोग


आपको बेचारा समझते है क्योकि लोगों के लिए हकलाना एक कमजोरी
है। वो आपको कमजोर मानते है। बहुत सारे लोगों को हकलाहट का पूरा
ग्यान नही होता और टीवी या न्यूजपप
े र में जो आता है वही सच मानकर
हकलाहट के बारे में सोचते है। हकलाहट कोई बीमारी नही है। वो तो बस
आपके बोलने की आदत है जो आपको बहुत सालों से है और आप उस
आदत को छोड़ नही पा रहे हो।

जब कोई इं सान आपके हकलाहट को देखकर आपको बेचारा समझता


है इसका मतलब यह हुआ कि शायद उसको हकलाहट के बारे में कम
जानकारी है। ऐसे समय में आप उन्हे बता सकते है यह बस मेरी एक आदत
है जो में छोड़ने की कोशिश कर रहा हू। बिना किसी के सहारे आप अपनी
बात को पूरा करने की कोशिश कर।े शायद इस बात को बताते समय भी
आपको हकलाहट हो सकती है पर फिर भी अपनी बात को पूरा करे ताकि
सामने वाला इं सान यह समझे कि आप जल्दी हार मानने वालों में से नही

190
लोगों का रिएक्शन कैसे है न्डल करे?

है। यह बात उनको प्रभावित कर सकती है जिसके बाद वह आपको बेचारा


कभी नही समझेंग।े

लोग जब दूसरों के सामने आपका मजाक उड़ाते है

कुछ लोग ऐसे भी होते है जो आपकी हकलाहट का जानबूझकर दूसरों


के सामने मजाक उड़ाएं ग।े शायद ऐसे लोगों का आप जानते भी होंगे। ऐसे
लोगों का काम हमेशा दूसरों के ऊपर हसना होता है क्योकि ऐसा करने से
उन्हे मजा आता है। आपके स्कू ल या कॉलेज के समय ऐसे लोग जरूर होंगे
जिन्होंने आपका मजाक बस इसीलिए उडाया होगा क्योकि आप शब्दों पर
अटक जाते थे। ले कीन कुछ ऐसे भी दोस्त होंगे जो कभी आपके ऊपर नही
हसे होंगे। जब आप इन दोनों प्रकार के लोगों को याद करते है तो आपको
एक बात समझ में आयी होगी कि जिस व्यक्ति ने आपका जानबूझकर
मजाक उडाया है वो हर किसी के साथ वैसा ही व्यवहार करता आया है।

उस व्यक्ति की आदत ही वैसी है और वो उसके साथ अपने जीवन में


खुश है। वो आपको हर रोज याद नही करता कि आप कैसी अजीब तरीके
से बात करते थे या आपका मुह
ं कैसे बन जाता था जब आप अटकते थे।
परंतु आप उस इं सान को बहुत बार याद करते है और आप खुद को कम
समझने की गलती करते है।

जब कोई व्यक्ति आपका मजाक उड़ाता है और ऐसा बार बार करता है तो


ऐसे व्यक्ति को नजरअंदाज करना ही सही रहग
े ा क्योकि ऐसे व्यक्ति हमेशा
यही चाहते है कि आप कुछ बोले और उन्हे मौका मिले फिर से वही करने
का जिससे उनको खुशी मिलती है। ऐसे लोग आपके जीवन में ज्यादा देर
तक नही रहेंगे पर आपकी एक जिम्द
मे ारी है कि आप अपने हकलाहट को
जल्द से जल्द ठीक करे ताकि आपकी कमजोरी जब आपकी ताकद बन
जाएगी तो वही सबसे बडा तमाचा होगा उन लोगों के गाल पर जो पहले
कभी आपके ऊपर हसते थ।े

191
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

इन सभी बातों के अलावा आप हमश


े ा मुस्कु राते रहे और अपनी हर
गलती से सीखे। याद रखे - एक ही गलती को बार बार करने से वो आपकी
आदत बन जाती है। अगर आप उसी गलती पर काम करके इम्प्रूव करते है
तो आप अपने लक्ष्य की और एक कदम आगे बढ़ाते है।

टास्क

१. आपके घरवाले/दोस्त/जाननव
े ाले लोगों की एक लिस्ट
बनाइये और उन्हे इस चैप्टर मे ऊपर बताए गए केटे गरी मे
बाट दे।

२. आजसे लोगों के रिएक्शन को इस चैप्टर मे बताई गई बाते


से हैन्डल कर।े

192
चैप्टर 20
छोटी बात पर बडे काम की

हम इस चैप्टर में कुछ ऐसी बाते देखग


ें े जो है तो छोटी मगर आपकी
हकलाहट दूर करने में आपको बहुत ज्यादा फायदा दे सकती है। कुछ
बाते आपके आसपास होती रहती है जिसका आप इस्तेमाल करके अपने
रिजल्ट को जल्दी ला सकते है।

आपका सोशल मीडिया

ज्यादातर लोग हर १ घंटे में अपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते


है और वैसा करते करते वो कम से कम १५ मिनट ऐसे ही बीता देते है।
आप इस समय का इस्तेमाल अपनी प्रैक्टिस के लिए बहुत अच्छे से कर
सकते है। सोशल मीडिया पर आपको टेक्स्ट, औडियो, और विडिओ इन
तीनों के रूप में कंटेन्ट दिखता है और अगर आप ध्यान से अपनी बोलने
की समस्या को देखग
ें े तो हमने इस पुस्तक में इन्ही तीन बातों पर ज्यादा
ध्यान दिया है। उदाहरण के लिए -

टे क्स्ट = रीडिं ग, फाउं डेशन

औडियो = आपकी आवाज, क्लेरिटी

विडिओ = बॉडी लैं ग्ज


वे

जब भी आप अपने सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सअप, यूट्ब


यू , इं स्टाग्राम,

193
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ट्विटर, या अन्य दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल करते है, तो आप उन लोगों से


जल्दी सीख सकते है जो सोशल मीडिया पर अच्छा काम करते है।

जो भी इं सान विडिओ बनाता है आप उससे बॉडी लैं ग्वेज को जल्दी सिख


सकते है। अगर किसी की आवाज अच्छी है तो आप उसी के तरह बात करने
की कोशिश कर सकते हो। जब भी आप कोई टेक्स्ट पढ़ते हो तो उसे आप
फाउं डेशन के साथ भी पढ़ सकते हो।

ऐसा करने के लिए आपको अलग कुछ समय नही निकालना पड़ेगा
क्योकि आपका मोबाईल ज्यादातर आपके हाथो में ही होता है। बस आपको
उसका इस्तेमाल अपने प्रैक्टिस के लिए करना है। आज के बाद जब भी
आपको कोई मैसेज करग
े ा तो आप उसे मन ही मन मे ना पढ़कर बस
बोलकर पढ़ने की कोशिश कर।े जब भी आप कोई विडिओ देखते हो तो उस
इं सान का बॉडी लैं ग्वेज देखने की कोशिश करो और हो सके तो विडिओ
को बीच में रोककर उसकी तरह बात करने की कोशिश करे। अगर आप
कोई गाना सुन रहे है तो गाने के साथ आप उसके बोल/लीरिक्स को भी
बोलने की कोशिश कर।े

निगरानी करे

बहुत सारी बाते हम बस किसी को देखकर ही सिख सकते है। आपके


आसपास बहुत सारे लोग हमश
े ा रहते है। अगर नही है तो आप किसी ऐसी
जगह पर जा सकते है जहा पर बहुत सारे लोग आते है। आपको केवल
लोगों को देखना है कि वो कैसे बात करते है, कैसे अपने हाथो का इस्तेमाल
बोलते समय करते है, कैसे खड़े रहते है, और कैसे दूसरों की बातों को सुनते
है।

उदाहरण के लिए, आपके घर के आसपास बस स्टॉप, रेल्वे स्टे शन,


सब्जी मंडी, मॉल, बैठने की जगह, इत्यादि जगहो पर आप जाकर बैठ जाइए
और लोगों की निगरानी करना शुरू कर।े देखे की लोग कैसे बात करते

194
छोटी बात पर बडे काम की

है, हसते है। जब आप लोगों को देखग


ें े तो आपको बहुत सारे ऐसी तकनीक
समझ में आएं गी जो वो लोग अंजाने में इस्तेमाल कर रहे है। इन्हे आप भी
इस्तेमाल कर सकते है बोलते समय।

मैने बहुत सी बाते दूसरों को देखकर सीखी है। अगर आपकी हकलाहट
दूसरों को देखकर शुरू हुई है तो क्यो ना आप ऐसे लोगों को देखकर सीखना
शुरू करो जो बहुत अच्छा बोलते है। आप उनके विडिओ देखकर भी बहुत
सारी बाते सीख सकते है कि कैसे एक पब्लिक स्पीकर बात करता है।

३ लोगों से बात

वैसे आप हर रोज किसी ना किसी से बात करते है। पर ज्यादातर लोग


अपने जान पहचान वाले होते है। उन लोगों के सामने शायद आप अच्छे
से बात करते होंगे पर आपको अगर जल्दी रिजल्ट चाहिए तो आपको हर
रोज कैसे भी करके ३ लोगों से बात करनी चाहिए जो आपके लिए अंजान
है। यहा पर आप ३ लोगों या उससे भी ज्यादा लोगों से बात कर सकते हो।
आपकी यह आदत आपको जल्दी रिजल्ट दे सकती है क्योकि ३ अंजान
लोगों से बात करने से आपके अंदर की घबराहट कम हो जाएगी। आप धीरे
धीरे कम गलतिया करोगे और अंजान लोगों से बात करने का आपका
कान्फिडन्स बढ़े गा।

आप अपना एक समय निश्चित करके बाहर निकले और वापस घर


लौटते समय ३ लोगों से बात करके आइए। उदाहरण के लिए - शाम के ५
बजे से ६ बजे, जब ज्यादातर लोग घरों से बाहर निकलते है आप उस समय
लोगों से बात कर सकते है। जैसे कि आप कुछ खरीदने के लिए जाते है
और वहा पर आए दूसरे कस्टमर से बात करते हो, या फिर आप गार्डन में
घूम रहे हो और वहा पर कोई इं सान बैठा है जिससे आप बात कर सकते
हो। ऐसे आपको कम से कम ३ लोगों से बात करनी है ताकि आप हर दिन
कुछ नया सीखे।

195
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

याद रखे - लोगों से कम बात करने से आपकी हकलाहट ठीक नही


होगी। आपको जानबूझकर लोगों से ज्यादा से ज्यादा बात करनी है ताकि
आपके बोलने का डर निकाल जाए।

अपने आप से बात

दिनभर हमारे मन में बहुत सारे विचार आते है। हम उन विचारों के साथ
मन ही मन में बात करते रहते है। आपका मन आपको बहुत बार सलाह
देने की कोशिश करता है और हम उस सलाह के साथ आगे बढ़ते है। हर
विचार के साथ एक ऊर्जा उत्पन्न होती है। कई बार हम उसे अपने मन
में ही रखते है और ऐसा करने से आपके अंदर आवाजे आती रहती है, जो
आपको परेशान करते रहती है। अगर आप उन आवाजों को बोलकर बाहर
निकालें ग,े तो आप यह देखते है आपका मन अब शांत हो गया है।

अपने आप से बात करने का मतलब क्या होगा? अगर आपको कोई


बात किसी को बतानी हो तो आप कुछ इस प्रकार से बोल सकते है:

• अपने आप को खुद का ऑडियंस समझ।े

• अपने आप को वह बात बताए।

• बात बताते समय उस बात को रीपीट करे जब तक आपके मन से वह


बात बाहर नही निकलती।

उदाहरण के लिए - अगर आपको दुकान से कोई सामान लाना है और


आप रास्ते से चल रहे हो, तो ऐसा इमैजिन करे कि आप अब दुकानदार से
बात कर रहे है और अपनी बात को वैसे रख।े अगर आपको किसी को ग़ुस्सा
करना है तो अगर आप वही ग़ुस्सा अपने आप से बात करके निकालें गे तो
आपका ग़ुस्सा अपने आप शांत हो जाएगा क्योकि आप बस उस ग़ुस्से को
ही बाहर निकालना चाहते थ।े

अपने आप से बात करने का मतलब सल्फ


े टॉक करना भी होता है ।

196
छोटी बात पर बडे काम की

काफी लोग सेल्फ टॉक करते है। ऐसा करने से उनके विचारों को दिशा
मिल जाती है। सेल्फ टॉक का इस्तेमाल आप अपने कठिन शब्दों को
बोलने के लिए करे। अपने आप से बात करने का मतलब आप पागल है
ऐसा बिल्कु ल नही। आपको बस कोई ऑडियंस नही मिल रहा, इसीलिए
आपने खुद को अपना ऑडियंस बनाया है।

सल्फ
े टॉक का अच्छा इस्तेमाल आप कुछ इस प्रकार कर सकते है:

• आप रास्ते से जा रहे तो अपने आप से बात कर।े अपने कठिन शब्दों का


प्रयोग करे। ऐसा करने से लोग आपको पागल नही समझेंगे क्योकि
देखने वालों को यह लग सकता है कि आप शायद ब्लू टूथ हेड्फोन से
बात कर रहे हो जो शायद उनको दिखा नही।

• अपने मोबाईल हेड्फोन को कान में लगाकर बाहर घूमते समय अपने
आप से बात करे और अपने कठिन शब्द बोले। ऐसा करते समय लोग
आपको पागल नही समझेंगे क्योकि उनको ऐसा लगेगा की आप किसी
से फोन पर बात कर रहे है (आप मोबाईल फोन कान पे लगाकर भी
कर सकते है)।

आपको शायद ऊपर की बाते पागलों जैसी लग रही है परंतु यकीन


माने जिन शब्दो को आप मन में दबाकर रखते आए हो, या फिर उन्हे’
बोलने से कतराते थ,े अब वही शब्द आप लोगों के बीच बोल पा रहे है। ऐसा
करने से आपका आत्मविश्वास और बढ़ जाएगा।

अपने मोबाईल फोन से बात

मोबाईल फोन में एक बहुत अच्छा फीचर है जो आपकी हकलाहट में


आपको मदद कर सकता है और वो है voice recognition। लगभग
हर जगह आप बोलकर अपने मैसेज को टाइप कर सकते है। आप इसका
इस्तेमाल अपने बोलने के साथ कर।े उदाहरण के लिए - व्हाट्सप्प पर
मैसेज भेजते समय अगर संभव हो तो आप व्हॉइस रिकॉर्डिं ग शेयर कर
197
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

सकते है। Siri, Alexa, Google की मदद से आप कोई भी एप को ओपन


कर सकते है या कुछ सर्च कर सकते है। जब भी गूगल पर कुछ सर्च करे
तो वो बोलकर करे। गाने बदलते समय माइक का इस्तेमाल करे। यूट्ब
यू
पर कुछ सर्च करते समय बोलकर टाइप कर।े ऐसा और बहुत कुछ आप
अपने मोबाईल फोन से कर सकते है।

आप अगर आज से मैसेज करना कम करके उस इं सान से कॉल पर


बात करेंगे तो आपकी अच्छी प्रैक्टिस हो जाएगी। इस पुस्तक को लिखते
समय भी मैने काफी सारी बाते बोलकर ही लिखी है।

इसके अलावा आप दूसरी छोटी छोटी चीजों पर ध्यान दे और देखें कि


कैसे आप हर चीज को अपनी हकलाहट को दूर करने के लिए इस्तेमाल
कर सकते है।

टास्क

१. अपने मोबाईल फोन मे voice recognition को ऑन करे


और आजसे कुछ भी लिखना या सर्च करना है तो माइक का
इस्तेमाल करके बोलिए।

२. आजसे हरदिन लोगों की निगरानी करना शुरू करे और


उनसे सीखने की कोशिश कर।े

३. आजसे कमसे कम ३ अंजान लोगों से बात करना शुरू करे।

198
चैप्टर 21
रूट कॉज़ + प्रैक्टिस +
इम्प्लिमेन्टेशन

हम इस चैप्टर में देखग


ें े कि आपके रूट कॉज़ के साथ कौन सी प्रैक्टिस
करनी है और कैसे उसे इम्प्लमेन्ट करना है।

शायद आपको अभी तक बहुत सारी बाते पता चल गई है कि कैसे आप


अपनी हकलाहट को ठीक कर सकते है। इस पुस्तक में मैने पूरे दिल से
सब कुछ बताने कि कोशिश की है। चलिए देखते है आपके रूट कॉज़ के
हिसाब से आपको क्या क्या करना चाहिए।

इस पुस्तक में बताई गई सभी बात,े नियम, तकनीक आपको फॉलो


करने है। परंतु आपको ज्यादा ध्यान अपने रूट कॉज़ पर देना है। नीचे कुछ
कॉमन रूट कॉज़ और उसके साथ उसके लिए कैसी प्रैक्टिस करनी है यह
फिर से बताया गया है।

१. रूट कॉज़ = Anxiety / Nervousness

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. ब्रीदिं ग एक्सर्साइज़ (X:X, X:2X, X:4X:2X)

२. अनुलोम विलोम, कपालभती

३. दिनभर जब भी समय मिले बल


े ी ब्रीदिं ग करे

199
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बाहर बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलने से पहले मुह


ं से सांस को छोड़े (कम से कम २ बार)।

२. ब
 ोलते समय मुह
ं को थोडासा खुला रखे ताकि सांस अंदर बाहर हो। ऐसा
करने से anxiety कम हो जाती है।

३. जब आप किसी की बात सुन रहे है या फिर आपकी बारी है बोलने की,
उससे पहले मुह
ं से सांस को २-३ बार अंदर बाहर करे (सांस को गले
तक ले और गले से बाहर निकाले)।

४. बोलते समय अगर सांस फूलती है तो थोडा रुक कर सांस को मुह


ं से
बाहर निकाले और फिर बोलना शुरू कर।े

२. रूट कॉज़ = not able to face problem/less experience with


speaking

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. सिं हासन (५ बार सुबह)।

२. शीशे के सामने बोलने की प्रैक्टिस।

३. ३० मिनट रीडिं ग (सभी)।

बाहर बोलते समय क्या याद रखे?

१. फेसबूक लाइव (जिस ग्प


रु में आप जुड़े है)।

२. १ विडिओ शूट हर रोज।

३. अंजान लोगों से बात।

४. सेल्फ टॉक।

३. रूट कॉज़ = mouth opening issue / your mouth is not

200
रूट कॉज़ + प्रैक्टिस + इम्प्लिमेन्टेशन

opening effectively

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. E&O प्रैक्टिस ५ बार।

२. माउथ ओपनिं ग रीडिं ग १५ मिनट।

३. स्वर की प्रैक्टिस।

बाहर बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलते समय अपने मुह


ं को थोडा ज्यादा खींच।े

२. अपने मुह
ं को स्वर की तरह खींच।े

३. आपका जबडा (jawline) ज्यादा नीचे की तरफ मत खींचे।

४. रूट कॉज़ = your speed of speaking is fast / excitement

कौनसी प्रैक्टिस करे?

१. क्लेरिटी रीडिं ग १५ मिनट।

२. पॉज़ रीडिं ग १५ मिनट (विडिओ कोर्स में बताई गई है)।

बाहर बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलते समय शब्दों के स्पष्ट उच्चारण पर ध्यान दे।

२. अपने शब्दों को सुनने की कोशिश करे (active listening)।

३. ब
 ोलते समय ज्यादा से ज्यादा रुकने की कोशिश करे (२-३ शब्दो के
बाद)।

४. जल्दबाजी में कभी भी मत बोले।

५. अपना समय ले कर ही बोले।

201
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

५. रूट कॉज़ = Tongue vibration issue/tongue is not flexible


while speaking

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. ARRR साउन्ड की प्रैक्टिस कर।े

२. “र” शब्द को ज्यादा से ज्यादा वाइब्ट


रै करने की कोशिश करे।

३. दिन में कम से कम ५ बार अलग अलग समय पर “र” वाइब्रैशन की


प्रैक्टिस करे।

४. जीभ को बाहर निकालकर सीधा रखे और बिना होठ को लगाए जीभ
को घुमाये।

५. “र” शब्द वाले टं ग ट्विस्टर को प्रैक्टिस कर।े

बोलते समय क्या याद रखे?

१. जब भी “र” से शुरू होने वाले शब्द बोले उस समय जीभ को वाइब्रैट करने
की कोशिश करे।

२. अपने मुह
ं को थोडा ज्यादा खोले ताकि आपके जीभ को मुह
ं के अंदर
घूमने के लिए जगह मिल जाए।

३. अकेले होते समय “र” शब्द को वाइब्ट


रै करके बोलने की कोशिश करे।

६. रूट कॉज़ = Breathing Issue

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. बल
े ी ब्रीदिं ग

२. ब्रीदिं ग के सारे एक्सर्साइज़ - X:X, X:2X, X:4X:2X

३. अनुलोम विलोम - २० बार

४. कपालभती - २० बार

202
रूट कॉज़ + प्रैक्टिस + इम्प्लिमेन्टेशन

बोलते समय क्या याद रखे?

१. अपना समय ले कर ही बोले।

२. बोलते समय पॉज़ ले (हर २-३ शब्दो के बाद)।

३. सांस खतम हो जाने के बाद रुके, सांस ले, और फिर बोले ।

४. एक एक शब्द बोलने की कोशिश कर।े

५. जब बोल नही रहे है तब बल


े ी ब्रीदिं ग कर।े

६. सांस अटकते समय मुह


ं से सांस लेन-
े छोड़ने की कोशिश करे।

७. रूट कॉज़ = Filler Issue/Issue with using unnecessary word

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. पॉज़ रीडिं ग - १५ मिनट।

२. क्लेरिटी रीडिं ग - १५ मिनट।

बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलते समय पॉज़ लेकर बोलने की कोशिश करे।

२. active listening से आप अपने बोलने पर ध्यान दे सकते है जिससे


filler नही आएं गे।

३. अ
 गर कभी filler आने की कोशिश करते है तो आप अचानक से बोलना
बंद करे और फिर जिस शब्द को बोलना है वही बोले ।

४. u
 nnecessary words को बोलने से पहले रोके और जितना जरूरी है
उतना ही बोले ।

203
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

८. रूट कॉज़ = Body is not feeling comfortable/Body is not


free while speaking

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. शीशे के सामने हर रोज बोलने की प्रैक्टिस कर।े

२. शीशे के सामने अपने आप को एक अभिनत


े ा/अभिनेत्री मानकर शब्दों
को बोले ।

३. विडिओ शूट करते समय ज्यादा से ज्यादा हाथ और चेहरे के इक्स्प्रेशन


का इस्तेमाल कर।े

बोलते समय क्या याद रखे?

१. अपने हाथो को शब्दों के साथ इस्तेमाल कर।े

२. अपनी गर्दन को हिलाते समय बोलने की कोशिश करे।

३. कोशिश करे आपके हाथ थोड़े ज्यादा खोलकर बात करे।

९. रूट कॉज़ = Your self-image for yourself is as less confident,


not worthy, compare self with others

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. अपने घर में प्रेरणा देने वाले चित्र लगाए।

२. आपके मोबाईल और लै पटॉप में वॉलपप


े र ऐसा रखे जो आपको प्रेरित
करे।

३. सिं हासन ५ बार।

बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलने से पहले अपने आप को याद दिलाए कि आप सब कुछ कर सकते


है। आपको अब रुकना नही है।

204
रूट कॉज़ + प्रैक्टिस + इम्प्लिमेन्टेशन

२. बोलने से पहले अपने आप से यह बात कह:े “मै बहुत कॉन्फिडेंट इं सान


हू। मै यह कर पाऊंगा।”

३. ब
 ोलते समय याद रखे कि आपका भी आत्मसन्मान है जो आपसे कोई
छीन नही सकता।

१०. रूट कॉज़ = Fumbling Issue

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. क्लेरिटी रीडिं ग - १५ मिनट।

२. पॉज़ रीडिं ग - १५ मिनट।

३. विडिओ शूट/फेसबूक लाइव करते समय बोलने की स्पीड को थोडा


कम करके बोले - १५ मिनट।

बात करते समय क्या याद रखे?

१. बोलते समय शब्द को स्पष्ट बोलने पर ध्यान दे।

२. अपने बोलने को सुनने की कोशिश करे (active listening)।

३. बोलने की स्पीड को अपने कंट्रोल में रखे और बीच बीच में पॉज़ ले ।

११. रूट कॉज़ = cluttering

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. E&O प्रैक्टिस - ५ बार।

२. चक
े फाउं डेशन रीडिं ग - १५ मिनट।

३. माउथ ओपनिं ग रीडिं ग - १५ मिनट।

४. क्लेरिटी रीडिं ग - १५ मिनट।

205
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

बोलते समय क्या याद रखे?

१. अपना मुह
ं थोडा ज्यादा खोलकर बोले।

२. बोलते समय शब्द को स्पष्ट बोलने पर ध्यान दे।

३. अपने बोलने की स्पीड को कंट्रोल में रख।े

४. अगर शब्द स्पष्ट ना निकले तो फाउं डश


े न चक
े करके फिर से बोले ।

१२. रूट कॉज़ = you are speaking by holding air in stomach

कौन सी प्रैक्टिस करे?

१. ब्रीदिं ग एकझरर्साइज़ (X:X, X:2X, X:4X:2X)।

२. अनुलोम विलोम - २० बार।

३. कपालभती - २० बार।

४. सिं हासन - ५ बार।

५. दिनभर जब भी समय मिले तब बल


े ी ब्रीदिं ग करे।

बोलते समय क्या याद रखे?

१. बोलने से पहले २ सक
े ं ड रुके।

२. बोलते समय २-३ शब्दों के बाद पॉज़ ले।

३. वाक्य को जल्दी समाप्त करने का प्रयास ना करे।

४. बोलते समय बीच में सांस खत्म होने के बाद रुककर सांस ले और फिर
बोले ।

यहा पर आपके रूट कॉज़ के हिसाब से प्रैक्टिस बताई गई है पर आपको


सभी प्रैक्टिस को करना है जो इस पुस्तक में बताई गई है। प्रैक्टिस कैसे
करनी है ये और डीटेल में समझने के लिए पुस्तक के अंत मे दिए गए
विडिओ कोर्स को देख सकते है।

206
रूट कॉज़ + प्रैक्टिस + इम्प्लिमेन्टेशन

टास्क

१. आपके रूट कॉज़ और उसके लिए बताई गई प्रैक्टिस को एक


पेपर पर लिखे और घर पर लगा दे।

२. फेसबुक ग्रुप पर लाइव जाकर अपने रूट कॉज़ और उसके


लिए बताए गए प्रैक्टिस को बताए।

३. आपके accountability partner के साथ रूट कॉज़ और


प्रैक्टिस शेयर कर।े

207
Section 4

AmXV Am¡a _Z
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

यह सेक्शन आपकी हकलाहट को ठीक करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है।


अभी तक आपने सब कुछ समझ लिया है कि कैसे प्रैक्टिस करनी चाहिए
और कैसे उसे बाहर इस्तेमाल करना है और आप तैयार है अपनी जंग को
जीतने के लिए। इस जंग को जीतने के लिए जितना ग्यान आवश्यक था
वो आपको मिल गया। अब आपको इस ग्यान को हर रोज अपने जीवन
में उतारना है और इसका पूरे दिल से प्रयास करना है। यह काम करते
समय आपको कुछ दिन लग सकते है। इस बीच आपका मन विचलित हो
सकता है। पर आपको अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते समय हमेशा अपने आप
को सतर्क रखना पड़ग
े ा। ऐसी ही बहुत सारी बाते आपके साथ हो सकती है
जो आपका ध्यान प्रैक्टिस से हटाकर दुसरे कामों की और खींच सकती है।

इस सेक्शन में हम आदत कैसे लगती है? मन से कैसे अपना काम


करवाए? कैसे प्रैक्टिस करते समय फोकस रह?
े लक्ष की ओर बढ़ते समय
क्या ध्यान में रखे? इसके अलावा हर वो बात जो आपको पता होनी चाहिए।

हकलाहट ठीक करने के लिए प्रैक्टिस करने से या फिर उसे बाहर


इस्तेमाल करने से ही सफलता मिलती है ऐसा नही है। कभी कभी अपने
मन को समझने से और उसे अपने साथ लाकर अपनी सफलता का
हमसफ़र बनाने से भी आप जल्दी उस लक्ष्य तक पहुंच सकते है जो आप
हमश
े ा सपनों में ही देखते है।

हम आने वाले चैप्टर में मन के बारे में ज्यादा से ज्यादा बात करेंगे
ताकि आपका मन जब भी विचलित हो तब आपके पास उसका उत्तर हो कि
आपको अब क्या करना चाहिए।
210
चैप्टर 22
अच्छा बोलने की आदत कैसे
लगाए?

जब भी हम किसी चीज की आदत लगाना चाहते है तब हम उस काम को


ध्यानपूर्वक करने की कोशिश करते है और ऐसा करते समय हमारी बहुत
सारी ऊर्जा खर्च हो जाती है। आप बुरी आदते बहुत जल्दी लगा सकते है पर
अच्छी आदत लगाने के लिए थोडा समय लगता है। यहा पर बुरी आदतों
का मतलब वो काम जिसको करते समय आपको अभी मजा आ रहा है
परंतु भविष्य में वही आपके लिए खतरा बन सकता है। अच्छी आदतों का
मतलब वो काम जो आपको अभी थोडा बोरिं ग या कठिन लग सकता है। हो
सकता है कि आपको उसके रिजल्ट तुरत
ं ना दिखे पर भविष्य में आपको
उसका सबसे ज्यादा फायदा होगा।

आपकी हकलाहट को ठीक करने के लिए आप जो प्रैक्टिस करेंगे वो


आपको बोरिं ग लगग
े ी। शायद आप उसमे जो प्रैक्टिस सबसे आसान है
वही करेंगे और इं तेजार करेंगे अपने अच्छे रिजल्ट का तो वो दिन शायद
ही आपके जीवन में आएगा। हकलाहट एक बोलने की बुरी आदत है जो
आपने ही अपने जीवन में लाई है और यह हम सक्श
े न १ में देख चुके है। अब
इसी बुरी आदत को अगर हमे अपने जीवन से निकालना है तो उसके लिए
हमे थोडी ज्यादा मेहनत करनी पड़ग
े ी क्योकि यह आपकी बहुत सालों की
आदत है।

211
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

आदत कैसे लगती है?

आदत एक ऐसी प्रक्रिया है जो अपने आप होती है और उसके लिए


आपको ज्यादा ऊर्जा खर्च नही करनी पड़ती। जब हम किसी भी एक्शन को
बार बार दोहराते है, तो वह स्वयंचलित होकर आपका दिमाग उस एक्शन
पर खर्च होने वाली ऊर्जा को बचाने के लिए उसे स्वयंचलित याने कि
ऑटोमैटिक बनाता है ताकि दिमाग अपने दूसरे कामों में लग जाए और
यह प्रक्रिया अपने आप हो।

आपका दिमाग ज्यादातर आदतों को बनाने के कामों में ही लगा रहता


है क्योकि वो ज्यादा से ज्यादा प्रक्रिया याने कि एक्शन को ऑटोमैटिक
करे और बाकी जो सबसे महत्त्वपूर्ण काम है उसके लिए तैयार रहे। हर
दिन आप ऐसे बहुत सारे काम करते रहते है जो आपसे अपने आप होते है
और वह करते समय आपकी ऊर्जा भी खर्च नही होती। दिनभर में लगभग
६० से ८० प्रतिशत ऐसी गतीविधिया (एक्शन) है जो ऑटोमैटिक होती है।
उदाहरण के लिए - चलते समय आपको अपने पैर की तरफ ध्यान नही
देना पड़ता। आपका ब्रीदिं ग भी अपने आप ही होता है। गाड़ी चलाते समय
आपको ज्यादा ध्यान नही देना पड़ता। नहाते समय आप हर रोज एक जैसा
ही नहाते है। आप जाने अंजाने में अपना मोबाईल बार बार चेक करते है।

आपकी हकलाहट भी आपकी एक आदत ही है। आपके दिमाग ने यह


देखा कि आप हर रोज एक जैसे ही बात करते है, शब्दों को छिपाते है, थोडा
स्पीड में बोलते है। तो फिर दिमाग ने भी इसी को एक आदत में बदल दिया।
अब जब भी बोलते है यही आदत एक्शन में आती है।

आपका दिमाग ऐसा इसीलिए करता है क्योकि दिमाग की सबसे बडी


जिम्मेदारी होती है अपने शरीर की रक्षा करना। दिमाग ज्यादातर ऊर्जा
अपने शरीर की देखभाल करने में लगाता है। आपके सफल होने से ज्यादा
महत्त्वपूर्ण दिमाग के लिए शरीर का जीवित रहना है और इसीलिए दिमाग
का सिद्धांत है “ऊर्जा बचाओ, प्रयास कम करो।”

212
अच्छा बोलने की आदत कैसे लगाए?

आदत लगाने के २ रास्ते (आनंद और दर्द)

इं सान के जीवन में २ बातों का ज्यादा महत्त्व है जिनकी वजह से वह


आदत लगा भी सकता है और छुड़ा भी सकता है।

१. आनंद (pleasure)

२. दर्द (pain)

आपका दिमाग आदत लगाते समय इन २ बातों को ज्यादा महत्त्व देता


है। कोई भी आदत लगाने के लिए समय लगता है। उस बीच इं सान को
दर्द और आनंद से होकर गुजरना पड़ता है। अच्छी आदत लगाते समय दर्द
ज्यादा रहता है क्योकि उसे ज्यादा समय लगता है और बुरी आदत लगते
समय आनंद ज्यादा होता है क्योकि उसे कम समय लगता है।

शब्दों को छिपाना आसान है तो इस प्रकार की आदत जल्दी लग जाती


है। परंतु शब्दों को लोगों के सामने बिना डरे बोलने में थोडी परेशानी होती
है और इसका रिजल्ट आने में समय लगता है। तो ऐसी अच्छी आदत लगने
में भी समय लगना स्वाभाविक है। ज्यादातर लोग जल्दी आनंद ले ने की
चक्कर में छोटा रास्ता अपनाते है और फिर जीवनभर दर्द को सहते रहते
है। यही कारण है कि लोग अपनी हकलाहट को दूर करने को असंभव
मानते है। हकलाहट को दूर करना थोडा कठिन है। इसमे दर्द भी है पर
इसका रिजल्ट आपको जीवनभर आनंद देगा। हकलाहट को दूर करने
की प्रक्रिया में यह पुस्तक आपके सबसे ज्यादा लाभदायक तभी होगी जब
आप इसमे बताई गई सभी बातों को दिल से फॉलो करेंग।े चाहे शुरुवाती
दौर में इसे करते समय आपको आनंद नही भी मिल रहा हो, ले कीन यही
आपकी छोटीसी बात आपको दूसरों से अलग बनाएगी और आप जल्द ही
इसे दूर कर पाएं गे।

“Pain is 2 times more powerful than pleasure”

213
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

जब आपको किसी भी लक्ष को हासिल करना है तब आपका दर्द आपके


आनंद से दुगना शक्तिशाली हो जाता है। क्योकि इं सान हमेशा दर्द से दूर
भागना चाहता है। आनंद के पास जाना चाहता है। इसको समझाने के लिए
हम २ उदाहरण ले ते है।

उदाहरण १ - आपने एक दौड़ में हिस्सा लिया है जो १०० मीटर की है। अब


आपको बस उस १०० मीटर को पार करना है। इस दौड़ की खास बात यह
है कि १०० मीटर को पार करने के लिए आप कितना भी समय ले सकते
है । आपको कोई जल्दबाजी नही है और पहुंचने के बाद आपको इनाम भी
मिले गा, चाहे आप पहले आते है या आखरी। इस प्रकार की दौड़ में आपकी
भागने या चलने की स्पीड कम होगी और आप औसत समय से भी ज्यादा
समय लें ग।े

उदाहरण २ - आपने एक दौड़ में हिस्सा लिया है जो १०० मीटर की है


और आप तैयार है। यह दौड़ लगभग उदाहरण १ में बताई दौड़ की तरह ही है
परंतु इस दौड़ में अलग बात यह है कि आपके पीछे एक पागल कुत्ता खड़ा
है। जैसे ही आप भागेंगे वह कुत्ता आपको काटने की पूरी कोशिश करेगा
और १०० मीटर के बाद वह अपने आप रुक जाएगा। इस प्रकार की दौड़ में
आपकी भागने की स्पीड शायद ओलिम्पिक में भागने वाले धावक जितनी
या उससे ज्यादा भी हो सकती है।

इन दोनों उदाहरणो से हमे यह पता चलता है कि जब हम दर्द से दूर


जाना चाहते है तो हम पूरी कोशिश करते है और हमारी स्पीड भी बढ जाती
है। आपकी हकलाहट आपके लिए एक दर्द की तरह है जो आपको हर दिन
होता है पर शायद आपको इस दर्द की आदत हो चुकी है और आप धीमी गती
से आगे बढ़ रहे है।
इस हकलाहट की वजह से आपको हर दिन उस दर्द को याद करना
है जो आप झेल रहे है क्योकि यही दर्द आपकी प्रेरणा बनेगा। आपको
खुद होकर इस डर का सामना करना पड़ग
े ा। कुछ दिन का दर्द आपको
जीवनभर आनंद दे सकता है।
214
अच्छा बोलने की आदत कैसे लगाए?

जब रॉकेट लॉन्च होता है

हम हमेशा देखते है कि जब रॉकेट आसमान की तरफ जाने की कोशिश


करता है तो शुरुवात में काफी इं धन खर्च हो जाता है। इसके पीछे कारण
होते है -

१. रॉकेट पहले स्थिर अवस्था में होता है।

२. र
 ॉकेट अब अपने स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) से गतीज ऊर्जा
(Kinetic energy) में आने की कोशिश करता है।

३. ग
 रु
ु त्वाकर्षण बल रॉकेट को नीचे की तरफ रखने की कोशिश करता
है।

४. रॉकेट ऊपर बताई गई तीनों परिस्थितीयों के विपरीत काम कर रहा है।

और शायद आपको पता होगा कि रॉकेट अपनी ऊर्जा की ८०% ऊर्जा


शूरवात में ही खर्च कर देता है और उसके बाद २०% ऊर्जा से ऊपर जाता है।
जब रॉकेट गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से भी उं चा चला जाता है, जिसको
हम विग्यान की भाषा में एस्के प वल
े ोसिटी (Escape Velocity) कहते है,
तब वही रॉकेट बहुत कम ऊर्जा के साथ बहुत सालों तक पृथ्वी या किसी
अन्य ग्रह के आसपास घूमता रहता है।

इसी तरह से कुछ आपके साथ भी होता है। जब आप अपने बुरी आदत
को छोड़ने की कोशिश करते है तब आपको शुरुवात में जरूर कठिन
लगता है। शायद आपकी ज्यादातर ऊर्जा शुरुवात में ही खर्च हो जाए।
लेकीन जैसे जैसे आप हर रोज प्रैक्टिस करेंग,े वैसे वैसे आपको वही बात
आसान लगेगी। एक बार आपकी नयी आदत बन गई तब बिना अधिक
उर्जा के आप आसानी से उसे कही भी इस्तेमाल कर सकते है।

कितना समय लगता है आदत लगाने के लिए?

ज्यादातर लोग यही मानते है कि कोई भी नयी आदत लगाने के लिए

215
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

या फिर बुरी आदत को छोड़ने के लिए आपको २१ दिन लगते है पर क्या


सच में आपकी हकलाहट २१ दिन में दूर हो जाएगी?

अगर आपको सुबह जल्दी उठने की आदत लगानी हो तो आपको ज्यादा


से ज्यादा १० दिन लगते है क्योकि ऐसा आपने इसके पहले भी किया है।
यहा पर तो २१ दिन नही लगते है। ऐसी और बहुत सारी आदते आप कम
दिनों में लगा सकते है। तो इसका मतलब यह हुआ कि कितने दिन लगेंगे
यह आपको कौन सी आदत लगानी है उसपर निर्भर करता है।

जब हम हकलाहट की बात करते है जो कि एक बुरी आदत है और एक


ऐसी आदत जो आपके साथ सालों से है, तब आप इतनी पुरानी आदत को
निकालने की कोशिश करेंगे तो उसे थोडा समय लगेगा। अगर आप स्पष्ट
और अच्छा बोलने की नई आदत लगाना चाहते है तो उसे २१ दिन से ऊपर
लग सकते है।

मेरे अनुभव में अगर कोई व्यक्ति इस पुस्तक की बताए गई सभी बातों
को फॉलो करेगा और एक भी प्क्रै टिस नही छोड़ेगा, तो एक अच्छा रिजल्ट
आने के लिए उसे लगभग ६६ दिन लग सकते है। ६६ दिन में यहा पर
इसीलिए बोल रहा हू क्योकि मैने जीतने भी लोगों को सिखाया है उन
सभी को औसतन ६६ दिन लगे है। इसका मतलब यह बिल्कु ल नही है कि
आपको ६६ दिनों के बाद रिजल्ट दिखना शुरू हो जाएगा। इसका मतलब
यह है कि पहले दिन से ही आपको रिजल्ट दिखेगा। परंतु आपके अवचेतन
मन में इस नयी आदत को डालने के लिए इतने दिन लग सकते है या फिर
इससे भी ज्यादा दिन।

मेरी सलाह आपको यह है कि आप ९० दिनों तक हर उस प्रैक्टिस को


करे जो कि इस पुस्तक में बताई गई है और हर नियम एवं तकनीक को
फॉलो करे। जब तक आपकी अच्छा बोलने की आदत ऑटोमैटिक नही
बन जाती, तब तक आपको हर दिन इसे फॉलो करना है। अगर आपको ९०
दिनों से ज्यादा समय लग रहा है, तो आपको रुकना नही है क्योकि आपने

216
अच्छा बोलने की आदत कैसे लगाए?

वैसे भी आधा सफर तो कम्प्लीट कर ही लिया है। अब बस कुछ कदम और


चलना है।

जब आपका मन इस नयी आदत को पूरी तरह से स्वीकार कर ले गा, तो


इसका साक्षात्कार आपको कुछ इस प्रकार हो जाएगा।

१. आपके सपनों में अब हकलाहट को लेकर कुछ नही आता। आप सपनों


में स्पष्ट और अच्छे से बात कर रहे है ऐसा दिखग
े ा।

२. आपको हकलाहट अब याद नही आएगी और बहुत सारे दिनों तक


हकलाहट को ले कर एक भी विचार मन में नही आएगा।

३. आपके घरवाले , दोस्त आपको यह बार बार कहेंगे कि आप अब पहले से


अच्छा बात करते है।

इस पूरी प्रक्रिया को फॉलो करने के बाद भी अगर आपकी हकलाहट


नही गई तो आप इस प्रक्रिया को और कुछ समय के लिए करे।

हकलाहट वापस कब आती है?

ऐसा भी हो सकता है कि शायद कुछ सालों बाद आप कुछ शब्द पर


अटकना शुरू करे। शायद आपको ऐसा लगे कि आपकी हकलाहट वापस
आ रही है। उस समय आपको नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना है।

१. आपकी हकलाहट वापस आने का सबसे बडा कारण होता है - बोलते


समय सामने वाले व्यक्ती को इम्पस
्रे करने के लिए जल्दबाजी में आप
किसी शब्द को छिपा देंगे या उसके अलावा कोई दूसरा शब्द बोल देंग।े
अगर आप ऐसा कर रहे हो, तो हकलाहट वापस आने के मौके बढ़ जाते
है। ऐसे समय आप शब्दों को छिपाना बंद कर।े उसे उसी प्रकार बोले जैसे
वो आपके मन में आ रहे है - उदाहरण के लिए - अगर आपको बोलना
है “मेरा नाम अंकुश पारे है,” तो आप इस वाक्य को इसी प्रकार बोले , ना
कि इस प्रकार कि “अंकुश पारे नाम है मर
े ा।”

217
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

यहा पर गौर करने वाली बात यह है कि मन में जिस प्रकार से शब्द एक


के बाद एक आते है आपको उसी प्रकार से उसे बोलना है। अगर आप शब्दों
के स्थान को बदल देते है या फिर उसके अलावा कोई दूसरा शब्द बोलते है
तभी लोगों की हकलाहट वापस आती है।

एक ऐसा इं सान जिसे कभी हकलाहट नही थी, वो हमेशा जैसे शब्द
आते है वैसे ही बोलता है। अगर आप भी वैसा करेंगे तो आपके मन से
हकलाहट का अनुभव चला जाएगा। अगर आप ऐसा नही करते है, तो आप
अपनी पुरानी आदत को वापस से अपने जिं दगी में ला रहे हो।

अपने शब्दों और विचारों पर ध्यान दे। उन्हे हमेशा एक जैसा रखे और


मन में आए सभी शब्द बोले ।

२. आपकी हकलाहट वापस आने का दूसरा कारण यह हो सकता है कि


अब आप अपने कम्फर्ट झोन में आ चुके है। आप घर पर, दोस्तों के
सामने, ऑफिस में अच्छे से बात कर रहे है। आप अपने आप को कभी
चैलेंज नही कर रहे है ज्यादा लोगों से बोलने के लिए जो आपके लिए
अंजान है। आपको हमश
े ा ही अपने आप को चक
े करते रहना चाहिए कि
आपके मन के पास पर्याप्त अनुभव आ चुके है या नही। आप हर दिन
किसी ना किसी बहाने से लोगों से बात करे और अपने बोलने को और
अच्छा बनाइये।

३. आ
 पकी हकलाहट वापस आने का और एक कारण हो सकता है कि
जो भी हमने इस पुस्तक में बोलते समय नियम बनाए है वो आप भूल
गए है और अपनी बोलने की स्पीड को बढ़ाकर बोल रहे है। ऐसे समय
में आपको तुरत
ं अपनी स्पीड को कम करके पूरा ध्यान अपने मुह
ं को
अच्छे से खोलने पर होना चाहिए। बाकी अपने आप आना शुरू हो जाएगा।

218
अच्छा बोलने की आदत कैसे लगाए?

टास्क

१. आप ९० दिन के बाद आने वाली तारीख एक पेपर पर


लिखे(deadline) और उसके नीचे उस बीच जो भी आपके
obstacle आएं गे वह लिख।े

२. आ
 पकी हकलाहट वापस ना आए इसके लिए आप कैसे
अपने डर का सामना करेंगे उसे लिखे और आजसे उसपर
काम शुरू कर।े

३. अपने आप से promise करे की आप हरदिन प्रैक्टिस करेंगे


जब तक हकलाहट को ठीक करके प्रभावी वक्ता नहीं बन
जाते।

219
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

चैप्टर 23
मन विचलित क्यों होता है?

जब भी हम कुछ नया करने की कोशिश करते है तो कुछ दिनों तक सब


कुछ अच्छा रहता है। जैसे आपने तय किया उसी प्रकार से बाते आगे बढ़ती
है पर कुछ समय के बाद उस बात पर आपका ध्यान कम जाता है। फिर
कुछ समय के बाद आप उसे भूल जाते है।

“Thought & feeling always change with time.”


- Brian Tracy

ब्रायन ट्रे सी कहते है की आपके विचार और आपकी भावना समय के


साथ बदल जाती है। इस बात को आपने बहुत बार अनुभव किया होगा। जो
जोश आपके अंदर पहले कुछ दिनों तक होता है, वही जोश धीरे धीरे कम हो
जाता है। फिर आप उस काम को टालने लगते है।

उदाहरण के लिए - लोग नया साल आने से पहले अपनी एक लिस्ट


बनाते है जिसमे वो आने वाले साल में क्या क्या करेंगे वह सब कुछ लिखते
है और फिर १ जनवरी से उस काम में पूरे जोश के साथ लग जाते है। यही
जोश उनका कुछ दिनों तक अच्छा रहता है और फिर जैसे वो पहले थे वैसे
ही बन जाते है। इसका एक अच्छा उदाहरण है आपकी जिम मेंबरशीप। बहुत
सारे लोग नए साल में पूरे एक साल की जिम मेंबरशीप ले ते है। ये लोग
220
मन विचलित क्यों होता है ?

ज्यादा से ज्यादा २५ दिन तक लगातार जिम जाते है और उसके बाद जिम


को भूल जाते है। जिम मेंबरशीप आपको ३६५ दिनों की मिलती है और आप
यही सोचकर उसको खरीदते है कि आप हर दिन जिम जाएं गे और अपनी
सह
े त का खयाल रखेंग।े

इस उदाहरण में गौर करने वाली बात यह है कि जो विचार और भावना


नया साल शुरू होने से पहले थी वो अब कुछ दिनों के बाद बदल जाती है।
वही इं सान जो सुबह उठकर जिम जाकर कसरत करने की कोशिश करता
था वही इं सान अब सुबह देर से उठता है। वो हर दिन सुबह खुद को कहता है
की “कल करेंग,े आज रहने देते है।”

आपको पता है कि रोज कसरत करने से आपका शरीर मजबूत होगा,


और आप खूबसूरत दिखने लगेंगे पर मन इस बात को टालते रहता है और
कल करेंगे ऐसा सुझाव देता है। ऐसा करने के पीछे एक बहुत बडा कारण
है आपकी इच्छाशक्ति।

आप जब किसी की सफलता को देखकर प्रभावित होते है और आपको


भी यही सफलता चाहिए ऐसा मन में ठान लेते है। मगर वैसी प्रेरणा आपके
जीवन में ज्यादा देर तक नही रहती। आपने किसी की फिटनेस को देखकर
प्रभावित होकर जिम जाते है या फिर किसी की प्र
रे क कहानी सुनकर वैसा
ही करने की कोशिश करते है, तब यह बाहरी दिखावा आपको बहुत दिनों
तक मदद नही कर सकता।

ज्यादातर लोग किसी की सफलता को देखकर प्रभावित होते है। उस


इं सान के साथ विजेता की तरह व्यवहार करते है। किसी की सफलता को
देखकर प्रभावित होना कोई बडी बात नही परंतु जब आप उस इं सान की
तरह ही सफल बनने का मन बनाते है, तो आपको यह भी पता होना चाहिए
की उसके सफलता के पीछे कितने दिन-रात एक करके उसने मेहनत
ली है। उसी तरह की मह
े नत जब कोई दूसरा करने जाता है तो वो जल्दी
हार मान ले ता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योकि उसका लक्ष्य कभी वो था

221
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

ही नही परंतु उसने बस किसी को सफल होते देखा और वही उसके लिए
प्र
रे णा बनी।

जब आप अपनी हकलाहट को ठीक करने के लिए प्रयास करते हो,


तब शायद आप भी यही गलती कर रहे हो। एक बार अपने आपसे सवाल
करे की मुझे अपनी हकलाहट को क्यो ठीक करना है? हर दिन प्रैक्टिस
करने के लिए ऐसा क्या है जो मुझे अंदर से प्रोत्साहित कर रहा है? अगर
आपके अंदर से कोई ठोस जवाब नही आ रहा है, तो बहुत जल्द आपका मन
विचलित हो जाएगा और आप प्रैक्टिस को छोड़ देंग।े

आपको ऐसे काफी अनुभव आए होंगे जो आपको आज भी परेशान


करते है। ऐसे काफी लोग भी होंगे जो आपके ऊपर हसे होंगे या फिर
जिन्होने आपको हमश
े ा नीचा दिखाने कि कोशिश की होगी। या फिर खुद
आप कुछ बडा अपने जीवन में करना चाहते हो परंतु यही हकलाहट आपके
लिए रुकावट हो गई है। ये सब बाते जो आपके लिए एक बडे दर्द की तरह
है, जो हर दिन आपको सहना पड़ता है, तो यही सब आपके लिए प्रेरणा
बनग
े ी। हर रोज प्रैक्टिस करने के लिए आपको किसी विडिओ या दूसरों के
शब्दों की जरूरत नही पड़ग
े ी क्योंकि आपका दर्द ही आपको हर रोज याद
दिलाएगा।

अब आपको नीचे आपके ३ ऐसे कारण लिखने है कि क्यो आपको इस


हकलाहट को दूर करना है? ये वही ३ कारण है जो और अच्छा रिजल्ट
लाने के लिए आपको हर दिन प्रेरित करेंग।े

१.

२.

३.

आज के बाद जब भी आपका मन विचलित होगा और आपको अनेक

222
मन विचलित क्यों होता है ?

कारण बताएगा कि क्यो आपको आज प्रैक्टिस नही करनी चाहिए, या


क्यो आपको लोगों से बात नही करनी है, तब ऊपर लिखे ३ कारण ही
काफी है जो आपको प्रेरित करेंग।े

मन विचलित होने के पीछे दूसरे कारण भी हो सकते है जैस कि:

१. घ
 र पर बहुत ज्यादा शोर शराबा होता है और आप प्रैक्टिस पर फोकस
नही कर पाते।

२. आ
 पका सोने और उठने का समय फिक्स नही है। आप प्रैक्टिस के
समय को मैनेज नही कर पाते और कुछ दिन के बाद प्रैक्टिस करना
छोड़ देते है।

३. आप ज्यादातर अपने मोबाईल फोन को चक


े करते है। आपका किमती
समय मोबाईल फोन पर बिताने के बाद आप बाद में प्रैक्टिस को टालते
रहते है।

४. प्रैक्टिस करते समय आपका ध्यान नही रहता या फिर आप बस किसी


को दिखाने के लिए प्रैक्टिस कर रहे हो और कुछ दिन बाद आपको
लगता है इससे कुछ नही हो रहा।

५. आ
 पको बहुत सारा काम करना होता है और आप थक जाते है। फिर
प्रैक्टिस को कम समय दे पाते है।

६. आ
 पको लगता है कि आसपास लोग है तो थोडी देर के बाद प्रैक्टिस
करूं गा।

७. आपके दोस्त आपको कहते है कि इससे कुछ नही होगा या फिर आपके
प्रैक्टिस का मजाक उड़ाते है।

८. आ
 पके मन में इस पुस्तक में बताए गई तकनीको को ले कर शंका है कि
यह काम करेगी या नही?

९. आपने इं टरनेट पर कुछ लोगों को यह बोलते देखा है कि हकलाहट


कभी दूर नही हो सकती।

223
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

१०. आ
 पने इसके पहले भी किसी तकनीक को फॉलो करके हकलाहट
को ठीक करने की कोशिश की है परंतु आप उसमे असफल रहे है।

ऊपर बताई बाते शायद आपके जीवन में भी हो रही है। शायद यही
कारण होगा कि आप लगातार, हर रोज प्रैक्टिस नही कर पाते, और फिर
मन विचलित होता है।

याद रखे - दुनिया के हर इं सान का मन विचलित होता है क्योकि मन


आपके अंदर बहुत सारे सवाल लेकर आता है। मन का काम हमेशा ही एक
कम्फर्ट झोन में रहना है। इसी कारण मन आपको ज्यादा कुछ करने से
रोकता है। फिर भी आपको अपने लक्ष्य को याद करना है और आगे बढ़ना
है। यह दिक्कत बस आपके कुछ दिन की है और उसके बाद आपकी यह
आदत बन जाएगी।

टास्क

१. आ
 पके मन में “प्रैक्टिस क्यू नहीं करनी चाहिए” इसको
ले कर जीतने भी दिनभर विचार आते है वह सभी पेपर पर
लिखे।

२. प
पे र पर लिखे कारणों के सामने वह कैसे कर सकते है
उसके उत्तर लिख।े

३. पस्त
ु क पढ़ते समय इस साल जो भी आपके गोल है उन्हे
पेपर पर लिखे और दीवार पर लगा दे।

224
चैप्टर 24
असफलता को कैसे स्वीकार
करे?

असफलता और सफलता बस एक सोच है जो हर इं सान अपने तरीके से


मान ले ता है। असफल हम तभी हो सकते है जब हम मान ले ते है वरना
आपका हर कदम सफलता की ओर ही बढ़ता है।

“मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है “

जब हमने जैसे सोचा वैसा नही होता है, तो अक्सर हम उसे अपनी हार
समझ ले ते है। बहुत बार हम अपनी अपेक्षा (expectation) को ही अपनी
हार और जीत समझ लेते है। उदाहरण के लिए - अगर आपने घर पर अच्छे
से प्रैक्टिस की और आप हर शब्द को आज अच्छे से बोल पाएं गे इस अपेक्षा
से बाहर जाकर लोगों से बात करना शुरू किया तो जब आप किसी शब्द
पर अटकते है तो आप उसे अपनी हार समझ बैठते है।

तो क्या यहा पर अपेक्षा रखना ही गलत है? नही! आपको अपने आप


से अपेक्षा रखनी चाहिए क्योकि ऐसा करने से ही आप जल्दी कुछ हासिल
कर सकते है। किंतु जब आप अपने आप से बहुत ज्यादा अपेक्षा रखते है
और बाद में वैसा नही होता है तो खुद को कोसते रहते है। तब यही अपेक्षा
आपको परेशान करती है और आप अपने जीवन का आनंद नही उठा पाते।
आपकी हार या जीत आपके हाथो में नही होती पर आप अभी जो भी कुछ

225
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

कर रहे है वही आपके हाथो में है। अगर आप अभी, इसी वक्त जो भी कुछ
चल रहा है उसी पर ज्यादा ध्यान दे तो आप जीतने से भी ज्यादा इस प्रोसेस
को इन्जॉय करेंग।े भगवत गीता में महाभारत के एक अत्यंत मोहक दृष्य
का वर्णन है। जब अर्जुन युद्ध की समाप्ति के बाद क्या होगा इसको ले कर
पूछते है? तब भगवान कृष्ण उनसे बोलते है - “तुम कर्म करते रहो, फल
की चिं ता मत करो।”

कर्म करना याने कि आप अपने बोलने पर ध्यान दे। देखे की आप


और अच्छे से हर शब्द को कैसे बोल सकते है और जो भी रिजल्ट आएगा
उसके लिए अभी से चिं ता ना कर।े रिजल्ट आने के बाद अगर आपको
लगता है कि आप असफल हो गए हो, तो यह देखे कि उस असफलता
में भी आपने क्या नया सीखा। देखे की आप क्या उसमे और अच्छा कर
सकते है। आप जितना जल्दी असफल होंगे उतना जल्दी आप सीखते है
याने कि असफलता आपके लिए एक वरदान है जो हर बार आपको कुछ
नया सिखाएगी। वास्तविक रूप से देखा जाए तो हम जीत से कम ही सीख
पाते है।

हकलाहट की भाषा में असफल होने का मतलब यही होगा कि आपको


जो बोलना था वो आप नही बोल पाए या फिर उस पर अटक गए। अब यहा
पर २ तरह के मतलब निकल सकते है।

१. आप बोल ही नही पाए।

२. आप अटकते हुए बोले।

अगर आप शब्दों को बोलते नही है और बस चुप रहते है या फिर किसी


और को अपनी बात बोलने के लिए कहते है, तो ऐसी असफलता से आप
बस बहाने बनाना या फिर किसी के ऊपर निर्भर रहना सीखते है।

अगर आप शब्दों को बोलने का प्रयास करते है तो चाहे वो शब्द अटकते


हुए बाहर आए और शायद लोग भी उसे देखकर हसे पर यही आपका साहस
आपको बहुत कुछ सिखाएगा। जो आप दस साल में करने वाले थे आपके

226
असफलता को कैसे स्वीकार करे?

साहस की वजह से आप उसे बस १ साल के अंदर पूरा कर सकते है। आपके


डर के सामने जीत है पर उसके पहले आपका साहस होता है और वह आपके
दूरदृष्टि से आता है कि मुझे कुछ भी करके इस हकलाहट को दूर करना है।

आप तब तक असफल नही होते जब तक आप अपनी हार नही मान


लेत।े आपकी हार और जीत कोई दूसरा तय नही करता है, वह आपके मन
का निर्णय है। ये लढाई आपके मन की है जो आपके मन से जीती जा
सकती है।

असफलता बस एक मन की भावना है जो आपने ही बनाई हुई है और


सफलता भी उसका एक भाग है। सफल होने के बाद जो लोग बहुत जश्न
मनाते है वही असफल होने के बाद सबसे ज्यादा रोते है। आपके लिए दोनों
एक जैसे होने चाहिए और ऐसा करने से आपका मन कभी भी परेशान नही
होगा। आपका पूरा ध्यान बस आपके काम को, बोलने को, और प्रभावी
वक्ता कैसे बनना है उस पर होगा।

हकलाहट को ठीक करने की प्रक्रिया में आप ज्यादा से ज्यादा लोगों से


बात करे, और जितना हो सके उतना अपने डर का सामना करे। ऐसा करते
समय हो सकता है कि अपने शब्दों को सही से बोलने में आप असफल
रहे मगर आपका यही साहस आपको बहुत जल्दी रिजल्ट देगा। अपनी
हकलाहट को ठीक करने का सबसे कामयाब तरीका बस यही है कि आप
हर दिन अपने डर का सामना करे और जितना हो सके उतना असफल
होने की कोशिश कर।े असफल होने के बाद आप उस पर विचार करे कि
इसे और अच्छा कैसे करे और फिर से उसी डर का सामना करे। ऐसा करते
हुए आप यह देखग
ें े कि अब आपका डर आपके मन से निकल चुका है। यही
डर आपके हकलाहट का कारण था।

आपकी यह छोटी सी बात आपको बहुत ही जल्दी सफल बनाएगी।


थॉमस एडीसन जब बल्ब का आविष्कार कर रहे थे तब उन्होंने दस हजार
से भी ज्यादा असफल प्रयोग किए और फिर सफल हुए।

227
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

“I have not failed. I have just found ten thousand ways


that don’t work!”
- Thomas Edison

असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। आप जितना जल्दी


यह समझ जाएं गे उतनी ही जल्दी आपको रिजल्ट मिले गा।

टास्क

१. आजके बाद जब भी आप बोलते समय अटक जाएं गे तो उसे


एक अनुभव की तरह देखे और यह देखे की इससे आप क्या
सिख सकते है।

२. बोलते समय ज्यादा से ज्यादा अपने कठिन शब्दों का


इस्तेमाल करे।

३. अपने विचारों पर ध्यान दे और उसे सकारात्मक सोच दे।

228
चैप्टर 25
मेरा अनुभव

अभी तक आपने इस पुस्तक में जितना भी कुछ सीखा है वो सब कुछ मेरे


अनुभव का एक हिस्सा है। यह लगभग हर उस इं सान के काम आने वाला
है जिसे अपनी हकलाहट को दूर करना है और एक प्रभावी वक्ता बनना है।
इं सान सबसे ज्यादा अपने अनुभव से ही सीखता है और अनुभव कुछ करने
के बाद ही मिलता है। आप अपने मन में बहुत सारे प्लान बनाते है और
सोचते है कि ऐसा होगा तो कितना अच्छा होगा और इसी तरह के खयालों
से आप खुश भी हो जाते है। इस तरह के खयाल को जब आप असल जिं दगी
में उतारना चाहते है, तब बहुत सारी कठीनाइया आपके सामने आती है।
आपने कभी सोची नही थी, ऐसे ऐसे अनुभव आपको जिं दगी देती है। जीवन
हमे दिखा देता है कि सोचना तो आसान है पर करना उतना ही कठिन है।

यहा पर मै “कठिन” शब्द का इस्तेमाल कर रहा हू पर मै इसे “असंभव”


नही बोल रहा हू। बहुत बार हमे चीजे शुरुवाती दौर में नामुमकिन सी
लगती है परंतु जैसे जैसे हम उसे करते जाते है फिर वही बात हमे आसान
लगने लगती है।

सोचीए आजसे लगभग ३० से ५० साल पहले (इस पुस्तक को लिखते


समय अभी २०२१ साल शुरू है), अगर कोई कहता की मै यहा से किसी
ऐसे इं सान से बात कर सकता हू और देख भी सकता हू जो मुझसे हजारों
किलोमीटर दूर है तो शायद लोग उसपर जोर जोर से हसते और कहते की
229
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

यह इं सान पागल है। मगर अपने मोबाईल फोन का इस्तेमाल करके अब


हम ऐसा कर सकते है। इसी तरह अगर कोई इं सान कहता है कि मै हवा में
उड़ सकता हू बिना पंखों के यह भी १९ वी सदी से पहले असंभव था। ले कीन
अभी लोग हवाई सफर करते है।

कोई भी चीज जो शुरुवात में नामुमकिन होती है तो वो बस उस समय


के लिए होती है। जैसे जैसे समय बीतता है, वैसे वैसे चीजे मुमकिन होना
शुरू हो जाती है। हकलाहट को दूर करने के लिए भी शायद आपके मन में
ऐसे ही सवाल आ सकते है कि आपसे यह हो पाएगा या नही? तो इसका
जवाब आपको समय ही देगा जब आप हर दिन प्रैक्टिस करेंगे और इस
पुस्तक में बताई गई सभी बातों को फॉलो करेंग।े

यह पुस्तक एक मार्गदर्शक के रूप में आपकी हमेशा ही सहायता करेगा।


जब भी आपका मन विचलित होगा या मन में सवाल आएं गे, तो बस किसी
भी पेज से इस पुस्तक को पढ़ना शुरू करे और आपको एक रास्ता मिल
ही जाएगा। अगर आप इस पुस्तक को मोबाईल या लै पटॉप पर पढ़ रहे हो,
तो आपको इतना फायदा नही होगा जितना आप इसे अपने पास किताब
के रूप में महसूस करेंग।े यह पुस्तक आपको एक दोस्त की तरह हर बार
प्रोत्साहित करेगा कि आप और भी अच्छा कर सकते है।

मेरे अनुभव से में आपको बस यही बता सकता हू कि दुनिया में कोई भी
चीज असंभव नही है। हो सकता है की उस समय वह करना असंभव है मगर
समय के साथ सब कुछ संभव हो जाता है। किसी दूसरे का आपके ऊपर
विश्वास हो या ना हो, आपका खुद पर विश्वास जरूर होना चाहिए। आप तब
तक नही हारते जब तक आप मन से नही हारत।े आपका खुदपर विश्वास ही
आपकी सबसे बडी जीत है।

अगर अपने रिजल्ट को लेकर कभी किसी दिन आपके मन में शंका
आती है या फिर कुछ ऐसा अनुभव जो आपको परेशान करे तो उस दिन
हमश
े ा एक बात याद रख।े

230
मेरा अनुभव

“आप हकलाहट नही है। हकलाहट तो बस एक समस्या है जो आपकी


परीक्षा ले रही है कि आप अंदर से कितने मजबूत है क्योकि जब कभी
जिंदगी आपको बडे अवसर देगी तो आप उसके लिए तैयार रहे।”

आपके जीवन में कुछ बडा करने के बहुत बार अवसर आए होंगे ले कीन
शायद आपकी हकलाहट ने ही आपको रोका होगा। अगर आप मेरी मानो
तो उस दिन का इं तेजार मत करना जब आपकी हकलाहट ठीक हो जाएगी
और फिर आप तैयार है कुछ करने के लिए। क्या पता वो दिन तभी आएगा
जब आप आज से ही एक्शन लेना शुरू कर देंग।े

आप किसी के भरोसे मत बैठिए कि कोई आएगा या फिर कोई चमत्कार


होगा और आपके जीवन से हकलाहट दूर होगी। ऐसा बस सपनों में ही होता
है। क्या पता की आप जिसके (भगवान) भरोसे बैठे हो वो ही आपके भरोसे
बैठा हो? कि आप कुछ करे तो फिर में कुछ करता हू।

“पानी में गिरने से किसी की जान नही जाती। जान तभी जाती है जब
तर
ै ना नही आता। परिस्थिती कभी समस्या नही बनती। समस्या तभी
बनती है जब हमे परिस्थिती से निपटना नही आता। “

बस आपको आजसे अपने अनुभव को ज्यादा से ज्यादा ले ना है ताकि


आपका अनुभव ही आपको सिखाएगा कि कैसे आप जल्द से जल्द इस
हकलाहट को ठीक कर।े मर
े ा अनुभव आपको मार्गदर्शन कर सकता है
और रास्ता दिखा सकता है जो इस पुस्तक की मदद से मै कर रहा हू पर
आपका अनुभव आपकी गती बढ़ा सकता है उस मंजिल तक पहुंचने के
लिए जो आप सपनों में देखते है। आशा करता हू आप आज से बहुत सारे
अनुभवों के साथ आगे बढ़ें गे और वो कर दिखाएं गे जो देखकर लोगों के
लिए आप एक प्रेरणा बन जाएं ग।े

मैने इस पुस्तक में सब कुछ बताने की कोशिश की है जो आपकी मदद


करग
े ी, ताकि आप लोगों के सामने बात कर सके। इस पुस्तक में बताई
गई सभी बाते आप मन लगाकर फॉलो करे और बताए गए सभी टास्क

231
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

को कम्प्लीट करे।

मेरे पास आपको बताने के लिए और बहुत कुछ है परंतु जितना हो सके
उतना मैने इस पुस्तक में कम से कम शब्दों में ज्यादा बताने की कोशिश
की है। इससे आप कम समय में ज्यादा से ज्यादा इस पुस्तक का फायदा
उठा सकेंगे। अभी मै इस पुस्तक को यही पर समाप्त करता हू। आपके लिए
सभी महत्त्वपूर्ण लिंक, ग्प्स
रु , विडिओ कोर्स डिटे ल्स आपको इसी पुस्तक के
आखिरी पेज पर मिल जाएं गे। आप मुझसे सोशल मीडिया पर जुड सकते
है। कोई प्रश्न या सुझाव है तो हमे आप ईमेल या मैसज
े कर सकते है। अगर
आप इस पुस्तक को online खरीदकर पढ़ रहे थे तो आपका अनुभव/
फीडबैक वहा पर जरूर शेयर करे और जिस इं सान को इस पुस्तक की
जरूरत है उसे भी बताए।

इस पुस्तक को अंत तक पढ़ने के लिए आपको बहुत बधाई। आने वाले


समय के लिए मेरी तरफ से आपको शुभकामनाए! धन्यवाद!

232
महत्त्वपूर्ण लिंक्स
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इस पुस्तक में बताई गई प्क्रै टिस और इम्प्लिमेन्टेशन को अच्छे से


समझने के लिए नीचे दिए गए विडिओ कोर्स को देख सकते है। पुस्तक में
बताई गई हर तकनीक, नियम, प्क्रै टिस विडिओ कोर्स में उपलब्ध है।

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भाषा में बोलने वाला इं सान इसे आसानी से समझ सकता है।

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कंटेन्ट - बेली ब्रीदिं ग, चह


े रे के हावभाव, E&O Practice (यह विडिओ

233
हकलाहट से प्रभावी वक्ता बनने का रहस्य

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कंटेन्ट - सिं हासन, बॉडी लैं ग्वेज, हाथो का इस्तेमाल, Active Listening,
Pause Technique, स्वर, व्यंजन, फाउं डेशन तकनीक, ब्लोकेज
तकनीक, स्टोरी टे लिंग, और दूसरे बेसिक तकनीक (यह विडिओ कोर्स
में आपको हकलाहट के बारे में सभी बेसिक तकनीक पता चल जाएगी)

विडिओ कोर्स - My Fluency Secrets Revealed

कंटेन्ट - ब्रीदिं ग प्रैक्टिस (X:X, X:2X, X:4X:2X), माउथ ओपनिं ग,


2 मिनट इम्प्लिमेन्टेशन फार्मूला, V1 V2 VAK Implementation,
Visualization Technique ( यह विडिओ कोर्स में आपको हकलाहट
के बारे में अड्वान्स तकनीक पता चल जाएगी और बाहर कैसे इम्प्लमेन्ट
करना है यह भी बताया गया है)।

विडिओ कोर्स - Clear & Deep Voice

कंटेन्ट - साफ, स्पष्ट, गहरी आवाज की प्रैक्टिस (यह विडिओ कोर्स में
आपको आवाज के लिए सभी तकनीक बताई गई है)।

विडिओ कोर्स - Reading Practice For Fluency

कंटेन्ट - चेक फाउं डेशन रीडिं ग, माउथ ओपनिं ग रीडिं ग, क्लेरिटी रीडिं ग,
पॉज़ रीडिं ग, फ्लू अन्सी रीडिं ग, रियल लाइफ रीडिं ग (इस विडिओ कोर्स में
आपको सभी रीडिं ग प्रैक्टिस कैसे करनी है यह बताया गया है)।

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महत्त्वपूर्ण लिं क्स

विडिओ कोर्स - Handling Stranger Talk & Phone Calls

कंटेन्ट - कॉल पे बात कैसे कर?े अंजान लोगों से बात कैसे करे?

इन विडिओ कोर्स के अलावा हकलाहट को दूर करने के लिए और भी


बहुत सारे कोर्स आपको इसके साथ ही मिल जाएं गे। जैसे की – २१ दिन
का स्केजूल कैसे बनाना है, हकलाहट को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले
प्रश्न, इत्यादि।

हकलाहट को ठीक करने के सभी विडिओ कोर्स को एक साथ डिस्काउं ट


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े ट
ें ऑप्शन का स्वीकार

करती है। विडिओ कोर्स के बारे में कुछ सवाल पूछने हो,

तो आप हमे व्हाट्सप्प या ईमल


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