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प्रस्तावना

स्वस्स्तक प्रततक अत्यंत प्राचिन प्रततक हैं जीसका उदभव आयय संस्रुतत और आयय धर्यसे र्ाना जाता हैं ।

स्वस्स्तकको प्रततकोंका ववश्वगुरु र्ाना जाता हैं कयुंकी र्ानव उत्पविका ये सवय प्रथर् चिन्ह हैं । हजारों

वर्षोंसे स्वस्स्तका प्रततक ही एक ऐसा प्रततक हैं जो ववश्वव्यापी और ववश्वर्ें सवयर्ान्य हैं । स्वस्स्तक
प्रततकका उपयोग ववश्वके सारे खंडोर्े पाया गया हैं । र्ानव जातीके ये सवयप्रथर् प्रततकका उपयोग परु ातन

युगोंसे ही हर संस्रूतत, सभ्यता और धर्ोंर्ें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपसे होता आया हैं । स्वस्स्तक ववश्वकी हर

र्ानवजातीका अत्यंत प्राण वप्रय प्रततक है कयुंकी स्वस्स्तक चिन्हको पुरातन कालसे ही एक आध्यास्त्र्क,

शुभकारी, लाभकारी पुण्यकारी और र्ौक्षदायी प्रततकके रूपर्ें आदरणीय, सन्र्ाननीय और पूजनीय र्ाना

गया हैं । स्वस्स्तकको पस्िर्ी दे शोर्ें प्रेर्, प्रकाश, जीवन और सौभाग्यका चिन्ह भी र्ाना जाता हैं ।

ववश्वकी सवयप्रथर् र्ानव संस्रुतत आययसंस्कृतत और आययधर्य या सनातनधर्यसे लेकर र्ायन, यहुदी,

एझटे क, इन्का, पेगन, ताओ, शींतो, क्ररस्ियन, इस्लार् जैसे अन्य धर्ों और ववववध संस्कृततओंने स्वस्स्तक

प्रततकका प्रयोग धार्र्यक चिन्ह, शुभकार्ना चिन्ह, लाभकारक चिन्ह, रक्षाप्रततक या तो कलात्र्क चिन्हके
रूपर्ें स्स्वकारा हैं । आज भी ववश्वके अचधकांश लोग स्वस्स्तक प्रततकको धार्र्यक,आध्यास्त्र्क, शुभ, र्ंगल

एवं लाभ और कल्याणका प्रततक र्ानते हैं और उनका आदर और सन्र्ानसे उसे ग्रहण करते हैं और

ऊसकी पज
ू ा और साधना करते हैं । आययधर्ेकी शाखाएं जैसे हहंद,ु र्शख, जैन, बौध और झोरोस्रीयन और
पव
ू क
य े अन्य ताओ, शीन्तो जैसे धर्ोंर्ें स्वस्स्तक प्रततकको ईश्वरका प्रततक र्ाना गया हैं ईसीलीए उसे

पज
ू नीयका स्थान प्रदान क्रकया गया हैं । हहंद ु धर्यर्ें स्वस्स्तकको श्री गणेश का और शक्तिका स्वरुप र्ाना
गया हैं और उसे सवय संस्कारों और पज
ू ाके ववधानोंर्े श्री गणेशजीकी तरह सवय प्रथर् स्थान दीया गया हैं ।
सख
ु शांतत, सौभाग्य और सम्रवु ि प्रदान करनेवाले ये दै वी और िर्त्कारीक प्रततककी भक्ति और साधनाकी
गंगाधारातो प्राचिनकालसे अववरत बह रही हैं र्गर स्वस्स्तकके गण
ु गानके भजन और गीत अलभ्य होनेसे
एक आध्यास्त्र्क अनभ
ु तू त उदभववत होने पर र्ैने ववश्वकी सवयप्रथर् भजन रिना ‘’ स्वस्स्तकार्त
ृ ’’
प्रकाशीत की थी और अब ये र्ेरी दस
ु री भजन, आरती गीत, धन
ू ईत्यादीकी रिना ‘’स्वस्स्तकगंगा’’
प्रकाशीत करनेके अवसर प्राप्त हुआ ईसीलीये र्ैं अने आपको धन्य और अहोभाग्य सर्झता हुं ।

ववश्वके पावन पववत्र और कल्याणकारी स्वस्स्तक प्रततकके भक्तिभावको उजागर करने और उसका प्रिार
प्रसार करनेके र्हा आशयसे लीखी हुई ये र्ेरी नवीन रिना ‘’स्वस्स्तकगंगा’’ के प्रकाशनको आप सहर्षय
स्स्वरुत करें गे। र्ेरी आप भिजनोंको नम्र बबनती हई की आप ईस गंगाजलके सर्ान पावन और पववत्र
‘’स्वस्स्तकगंगा’’के हर बुंद स्वरूप रिनका आिर्न जरूर करें गे और अन्य भि जनों कोभी प्रसादके रूपर्ें
अपयण करें गे । हर स्वस्स्तक प्रेर्ी भिजनोंको र्ेरी नम्र प्राथयना हैं की स्वस्स्तक प्रततकका उपयोग और
प्रदशयन सावयजनीक भज-क्रकतयन और अन्य धार्र्यक काययरर्ोंर्े अचधक और ववशेर्षरूपसे करें और स्वस्स्तक
प्रततकके सवोिर् वैभवपण
ू य स्थान और गरीर्ाको ववश्वर्ें प्रिाा्ररत और प्रसाररत करनेर्ें अपना योगदान प्रदान
करें । स्वस्स्तक प्रततकके बारे र्ें दस
ु रे ववश्वयुिके पयंत पस्िर्र्ें फैलाये गये अयोग्य और बबनाधार
ततरस्कार और ध्रण
ु ाका सख्त ववरोध और खंडन करके पस्िर्के अबुध और अज्ञानी लोगों को स्वस्स्तकके
सच्िे हदव्य स्वरूप और र्हिाके बारें र्े उनको प्रर्शक्षक्षण प्रदान करके सारे ववश्वर्ें स्वस्स्तककी प्रततष्ठाको

पुनः प्रस्थावपत करनेर्ें आपका योगदान ा् अपयण ा् करें । आभार सह धन्यवाद् ।

जय स्वस्स्तकर् ा् । स्वस्स्तक प्रततककी जय हो ।


ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः ।
अनंत ितुथी, भाद्र, शुकल पक्ष ितुथद
य शी, - हे र्ंतकुर्ार गजानन पाध्या

ववरर् संवत २०६९ ‘स्वस्स्तक सदन’, ईंग्लंड

ई. सन. २०१३ युनाईटे ड क्रकंग्डर्


SacredSwastika@aol.com
कवव पररिय
श्री हें र्ंतकुर्ार गजानन ा् पाध्याका जन्र् पूवेय र्ुंबई राज्यके थाणे स्जल्ले औरा् हालके गुजरात राज्यके

पारसीओंके ऐततहासीक स्थल संजान बंदरके पास खिलवाडा गांवर्ें हुआ था । सुरतकी पी.टी. सायन्स

कालीजर्ें अभ्यास करके उन्होंने दक्षक्षण गुजरात ववश्वववद्यालयसे रसायन और भौततकशास्त्रर्ें स्नातककी

पदवी प्रथर् वगंर्ें उविणय होके प्राप्तकी थी । पश्च्यात उन्होंने हाफकीन ईंस्टीट्युट ओफ रीसिय एन्ड

बायोफार्ायस्युटीकल्स, परे ल,र्ुम्बईर्ें अभ्यास करनेके बाद पोलीर्र टे कनोलोजीकी अनुस्तानतककी पदवी

युतनवसीटी ओफ आस्टन ईन ा् बर्र्ंगहार्से प्राप्त करने केलीए १९७६र्ें ईंग्लंड आये थे । परदे शर्ें

आगर्नके बाद अभ्यासके साथ ा् साथ उन्होंने आयय धर्य, संस्कृतत, परर्परा और र्ातभ
ृ ार्षाको जीवंत और
ज्वलंत बनानेके अर्भयानर्ें अपना अर्ूल्य योगदान भी प्रदान क्रकया । ईंग्लंडकी कुछ स्थातनक
संस्थाओंके संस्थापका् प्रर्ुख औरा् अन्य राष्ट्रीय और आंतर राष्ट्रीय संस्थाओंके सदस्यभी हैं । उन्होंने

१९९५ र्ें हहंद ु स्वातंत्र्यवीर स्र्तृ त संस्थार् ा् नार्की संशोधन संस्थाकी शरुआतकी और सात दशकसे

स्जतनवार्ें पडे हुए गुजरातके सवयप्रथर् रांततकारी स्वातंत्र्यवीर पंक्तडत श्यार्जी कृष्णवर्ाय औरा् उनकी

पत्नी भानुर्तीजीके अस्थीकंु भोको भारत भेजनेके काययर्ें र्हत्वपूणय योगदान प्रादानकीया औरा् कृष्णवर्ाय

दं पतीके अंततंर् ईच्छा परीपूणय करनेर्ें अपना ववशेर्ष योगदान ा् दीया । पंक्तडत श्यार्जीकी स्र्तृ तर्ें लंडन

स्स्थत उनके र्कानपे अथाग प्रयत्न करके स्म्रुतततक्ति लगवायी और सोबोनय ववश्वववद्यालय, पेरीस औरा्

ओक्षफडय ववश्वववद्यालय, ओक्षफडयर्ें पंक्तडत श्यार्जी कृष्णवर्ाय रौप्य िंद्रककी स्थापना करवायी जो हरा् दो

साल संस्कृतके ववद्वान को आयय या वेदीक धर्यके और संस्कृत भार्षाके संशोधन और अध्ययनके लीए

ववशेर्ष पाररतोवर्षकके रुपर्ें प्रदान ा् कीया जाता हैं । श्री हे र्ंतकुर्ारने पंक्तडत श्यार्जीके ववर्षयर्ें गहन
संशोधन और अभ्यास करके श्यार्जीकी ईंग्लीशर्ें चित्रजीवनी ‘ The Photographic Reminiscance

of Pandit Shyamaji Krishnavarma’ और गुजराती एवं हहंदीर्ें ‘काव्यांजली’ और ‘श्रिांजली’ नार्की

पूस्स्तकाएं भी लीखके प्रकाशीतकी हैं.

श्री हे र्ंतकुर्ारने यव
ु ावस्थासे ही लेखन काययका शौख और धन
ू थी । वो भजनों, राष्ट्रभक्तिकें गीतों, शौयय
गीतों, आध्यास्त्र्क गीतों के रचिता कतत हैं और धार्र्यक, राजनैततक और सार्ाजीक तनबंधोंके भी
लेखक हैं । स्वस्स्तक प्रततकके युरोपर्ें सावयजतनक उपयोग पर प्रततबंध लादनेके युरोपीयन पालायर्ेन्टके
प्रस्तावके ववरोधर्ें प्रकार्शत कीया गया उनका अंग्रेजी लेख, ‘’ Hands off our Sacred Swastika’
को बहोत प्रशंशा और धन्यवाद प्राप्त हुए थे । लेखन और प्रकाशन काययकी शंख
ृ लार्ें ‘ददय ’,
‘सत्यनारायण्की कथा’, ‘स्वार्र्वववेकानंद संक्षक्षप्त जीवन िररत्र’’, हहन्द ु धर्य’, ‘स्वस्स्तकार्त
ृ ’,
‘स्वस्स्तकगंगा’ ‘स्वस्स्तकधारा (गुजराती), ‘Swastika Poems’, ‘जय हहन्दत्ु वर् (म्युझझकल सी .डी.)’
ईत्यादीका सर्ावेश होता हैं ।
पंक्तडत श्यार्जीकी स्र्तृ त सदा ज्वलंत रखनेकी उनकी र्हे च्छाके अर्भयानर्ें अपने संशोधनों और

अभ्यासपे आधारीत और अन्य पुस्तकोंपे अवलंबीत गुजराती भार्षार्ें एक ववस्तत


ृ जीवनी प्रकार्शत
करनेकी योजनाभी आकार ले रही हैं । ईस तरह परदे शर्ें रहते हुए भी श्री हें र्ंतकुर्ार गजानन

पाध्याने अपने धर्य, संस्कृतत,साहहत्य, राष्ट्रप्रेर् और दे श्भक्ति जैसे ववववध क्षेत्रोंर्ें अपना अणर्ोल और

प्रशंशनीय योगदान अपयण क्रकया हैं ।

सदभाग्य, आबादी और शुभेच्छाके प्रततक स्वस्स्तकके सुप्रिार प्रसार और उनके पावन पववत्र, शुभ,

र्ंगल और आध्यास्त्र्क स्वरूपको पस्िर्के सर्ाजर्ें न्याय और सन्र्ान प्राप्त कराके पस्िर्के दे शोर्ें

स्वस्स्तकके प्रततकको पुनः प्रस्थावपत के अर्भयानर्ें श्री हें र्ंतकुर्ार सरीय हैं और अन्य संस्थाओंके

सतत संपकयर्ें रहते हैं ।

ववश्वकी सवयप्रथर् स्वस्स्तक पर लीखे गीतोंकी पुस्स्तका ‘स्वस्स्तकार्त


ृ ’के बाद ये हद्वतीय पुस्स्तका
’स्वस्स्तकगंगा’ श्री हें र्ंतकुर्ारकी स्वस्स्तक प्रततकके प्रतत उनकी श्रिा, आस्था और सर्पयणताका
एक अणार्ोल उदाहरण हैं । हर् अपेक्षा रखते हैं की श्री हें र्ंतकुर्ार गजानन ा् पाध्याके स्वस्स्तक
प्रततककी साधना, आराधना और प्रशंशार्ें र्लखे हुए ये भजन, गीत, आरती, धन
ू ईत्याहदके ये
‘स्वस्स्तकगंगा’ पुस्तकको ववश्वकी स्वस्स्तक वप्रय श्रिालु भारतीय जनता उनका सहर्षय स्वागत करे गी ।
स्वस्स्तक वंदना…..

जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….


जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
तेरा रिवणय र्हातेज हैं.. ितुभज
ूय ा र्हार्र्य हैं…[२]
हे कृपा करो स्वस्स्त दे वता.. र्ुझे वर दे दो..[२]
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
[..आलाप…]
श्री दे वीके र्हायंत्र हो..र्सविके र्हार्ंत्र हो..[३]
पज
ु े तम्
ु हें प्रथर् दे वता.., शभ
ु र् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शभ
ु र् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
तर्
ु भाग्यके र्हाप्रततक हो, सौभाग्यके दानवीर हो…[३]
जीस घरर्ें तेरा वास हो.. उनका सदा कल्याण हो…
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
शीवजीका तुर् बत्रशुल हो, र्ां शक्तिका तुर् िर हो..[३]
बनके कवि रक्षा करो..दया करो अनुकंपा कओ…
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
श्री गणेशका तुर् प्रततक हो, शुभलाभका र्हा चिन्ह हो..
पूजे जो जन स्वस्स्तकको, उनका सदा उिार हो..
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. शुभर् करो र्ंगलर् करो….
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत
स्वस्स्तक तुम्हें प्राणार् हैं..पावन पववत्र ये नार् हैं.. [३]
तुझसे सभी सुख पार्ते.. कृपा करो करुणा करो…
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत.. कृपा करो करुणा करो…
शुभर् करो र्ंगलर् करो…. [२]
जय जय स्वस्स्तक जय गणपतत..
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……

ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……स्वार्र् जय स्वस्स्तक हरे ….


भकत जनोंके संकट… आयय जनोंके संकट.. तत क्षण दरू करे ।
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्न वांछीत फल पावे…, कष्ट र्र्टे तनका….स्वार्र्…,,,,[२]
सख
ु वौभव घर आवे….. शांतत र्र्ले र्नकी……
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्ात ृ वपत ृ तर्
ु र्ेरे…, शरण जाऊं र्ैं क्रकसकी….स्वार्र्…[२]
तर्
ु बीन नहह कोई र्ेरा… अपेक्षा करुं र्ैं क्रकसकी ?...
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तर्
ु परर् परर्ेश्वर…. तर्
ु हो सवयव्यापी…स्वार्र्……..[२]
ब्रह्मा ववष्णु र्हे श्वर… तुर् सबके स्वार्र्….
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तुर् दयाके र्हासागर….तर्
ु हो कृपालु प्रभु…स्वार्र्..[२]
तुर् वरके हो दाता…..तुर् हो श्रीगणेश दे वा…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तुर् हो शुभलाभ प्रततक..तुर् सबके शुभकारी..स्वार्र्.[२]
तुर् र्ंगलर्य दयार्य,.. तुर् हो शुभ कल्याणी…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्ैं अबुध अज्ञातन… र्ैं रोधी कपटी कार्ी…..स्वार्र्….[२]
कृपा करो तुर् हर् पर… हे ववश्वके र्हा आचधपतत…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
दःु ख हताय सुख कताय… ववश्वेश्वर तुर् र्ेरे…..स्वार्र्….[२]
वरद हस्त उठाओ… शुभ आर्शर्ष हर्ें दे नें…..
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
वविार आिार सुधारो.. पाप हरो दे वा…..स्वार्र्…[२]
श्रिा भक्ति बढाओ..आस्था शक्ति बढाओ..हे स्वस्स्तक प्राणपतत…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
आदी प्रततक नर्स्तुभ्यर्…..
ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ………
ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः
ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ………
आदी प्रततक नर्स्तुभ्यर्..[२], प्रर्सि र्र् स्वस्स्तकर् ।
श्री गणेश नर्स्तुभ्यर्…[२], गजानन नर्ोस्तत
ु े ।
आदी प्रततक नर्स्तुभ्यर्..[२] ..[२] [कोरस]
शुभर् करोती कल्याणर्….[२], र्ंगलर् भाग्योदयर् ।
र्हाववघ्न हरर् दे वर्……[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
रिवणयर् ितुभज
ूय र्……[२] ितुष्कोणर् सर्ाकृततर् ।
अदभूतर् िर्त्कारीर्..[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
बत्रदे वर् त्वर् र्हारुपर्…[२] ब्रह्मा ववष्णु र्हे श्वरर् ।
र्हापाप हरर् दे वर्…[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
बत्रदे वीर् त्वर् र्हाशक्तिर्…[२] गौरी लक्ष्र्ी सरस्वततर् ।
रक्षणर् भक्षणर् कतांर्…[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
ररवि कतायर् र्सवि कतायर्…[२] ज्ञान ववज्ञान र्ोक्षदर् ।
र्हाशक्तिर् र्हाभक्तिर्…[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
िर बत्रशुल धारीर् दे वर्…[२] वज्रास्त्रर् ब्रह्मास्त्रर् ।
सुयय वायु ईन्द्र अस्ग्न रुपर्…[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
तर् स्वस्स्तकर् ववश्वकतायरर्..[२] सवयत्र सवयज्ञ सवयव्यावपर् ।
सवय पाप हरर् दे वर्…[२] तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…
तर् स्वस्स्तकर् प्रणर्ाम्यहर्…[को. ४]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..

स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे , स्वस्स्त करदे स्वस्स्तका ।


शुभर् शुभर् शुभर् कर दे , शुभर् करदे स्वस्स्तका ।
लाभर् लाभर् लाभर् कर दे , लाभर् करदे स्वस्स्तका ।
कल्याण कल्याण कल्याण कर दे , कल्याण करदे स्वस्स्तका ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
नीरोगी करदे तनववयकारी करदे तनःस्वाथी हर्े तुं करदे रे ।
तनर्ोही करदे तनरहं कारी करदे , तनष्कलंकीत हर्े तुं करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
तनभयय करदे तनस्िंत करदे , तनस्पह
ृ हर्े तुं करदे रे ।
तनपुण करदे तनष्णांत करदे , तनखालस हर्े तुं करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
तनपेक्ष करदे तनर्ग्न करदे , तनरर्भर्ानी हर्े तुं करदे रे ।
तनदोर्षी करदे तनवेदी करदे , तनयर्र्त हर्े तुं करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
तनरं जन करदे तनष्कार्ी करदे , तनष्पक्षी हर्े तुं करदे रे ।
तनभोगी करदे तनसगी करदे , तनहदध्यासी हर्े तुं करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
तनःशंकी करदे तनलोभी करदे , तनर्यल हर्े तुं करदे रे ।
ज्ञानी करदे स्वार्भर्ानी करदे , स्वाध्यायी हर्े तुं करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
भरदे भरदे भरदे भरदे , र्ेरी खाली झोली तंु भरदे रे ।
करदे करदे करदे करदे , र्ेरां सब शभ
ु र्ंगल तंु करदे रे ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त कर दे …..
ॐ स्वस्स्तकर्……….. [धुन]
ॐ स्वस्स्तकर् ॐ कार स्वस्स्तकर् । [२]
स्वस्स्तक र्ंगलर् स्वस्स्तकाकार र्ंगलर् । [२]
ब्रह्मा स्वस्स्तकर् शारदा स्वस्स्तकर् !
सवयसवृ ष्टके हैं सजयनहार स्वस्स्तकर् ।…..
ववष्णु स्वस्स्तकर् लक्ष्र्ी स्वस्स्तकर् !
सवयसवृ ष्टके हैं तारणहार स्वस्स्तकर् ।…..
र्शव स्वस्स्तकर् श्रीशक्ति स्वस्स्तकर् !
सवयसवृ ष्टके हैं ववसजयनहार स्वस्स्तकर् ।….
गणेश स्वस्स्तकर् रुविर्सवि स्वस्स्तकर् !
सवय सवृ ष्टके हैं ववघ्नहार स्वस्स्तकर् ।…….
ववनायक स्वस्स्तकर् गजानन स्वस्स्तकर् !
दे वोंके र्हादे व हैं स्वस्स्तक र्ंगलर् ।….
स्वस्स्त र्ंगलर् स्वस्स्तक र्ंगल॥
स्वस्स्तक [४] हे स्वस्स्तक र्ंगलर् ।
स्वस्स्तक शुभर् स्वस्स्तक शुभर्
स्वस्स्तक [४] हे स्वस्स्तक शुभर् ।…….

र्ंगल र्तू तय जय श्री गणेशर्


र्ंगल र्ूततय जय श्री गणेशर्, र्ंगल र्ूततय जय श्री स्वस्स्तकर् ।
सत्यर् र्शवर् सुंदरर् प्रततकर्, प्रभुर्य स्वरुपर् जय श्री स्वस्स्तकर् ।
शुिर् पावनर् पुजनीय वंदनर्, पूण्यर् पववत्रर् श्री प्रभुर्य प्रततकर् ।
सुयर्
य िंद्रर् इा्न्द्रर् स्वरुपर्, तेजस्स्व ज्योततर्यय स्वस्स्तक प्रततकर् ।
आध्यास्त्र्कर् त्वर् हरी ॐ नादर्, नवदग
ु ाय र्ां र्हाशक्ति प्रततकर् ।
आध्यशक्ति र्ां जगदं बा स्वरुपर्, सवयशक्ति सबय दे व दे वी सर्ानर् ।
शुभर् लाभर् र्ंगलर् स्वस्स्तकर्, सस्च्िदानंद चिन्हर् श्रीस्वस्स्तकर् ।
सुख शांतत सर्वृ ि दाता स्वस्स्तकर्, हर शुभवर दाता स्वस्स्तकर् ।
सष्ठ
ृ ी सजयनहार प्रततक स्वस्स्तकर्, ववश्वऋतु र्हादे वर् स्वस्स्तकर् ।
सवयत्र सवयज्ञ सवयव्यावप स्वस्स्तकर्, परर्ात्र्ा वप्रय प्रततक स्वस्स्तकर् ।
र्क्तु ि र्ौक्ष ऐश्वययस्य प्रततकर्, अदभत
ू -अलैक्रकक िर्त्कारी स्वस्स्तकर् ।
सवय र्नोरथ पररपण
ू क
य ताय स्वस्स्तकर्, नर्ो नर्ो श्री गणेश प्रततकर् ।
ईश्वर स्वस्स्तक हैं…..

ईश्वर स्वस्स्तक हैं स्वस्स्तक ही र्शव हैं स्वस्स्तक ही सुंदर हैं ।


जागो उठकर सोिो, स्वस्स्तक ज्योत उजागर हैं
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्..[२] स्वस्स्तकर्… आ …आ..
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्. [२]…..
स्वस्स्तक कलार्ें .. [२] कारीगीरींर्ें स्वस्स्तक… ववश्वर्ें स्वस्स्तक सारे …
कृपा करो प्रभु दे खुं ईनको, हर र्ानवके हृदयर्ें
स्वस्स्त गणेश शरणर्……. शुभर् लाभर् र्ंगलं….
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर् …..
ईश्वर स्वस्स्तक हैं स्वस्स्तक ही र्शव हैं स्वस्स्तक ही सुंदर हैं ।
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्….
स्वस्स्तक धर्ंर्ें..[२] कर्यर्ें स्वस्स्तक, स्वस्स्तक सारे जीवनर्ें ..।
िारो तरफ दे खुं स्वस्स्तकको, हर सष्ट
ृ ीके कण कणर्ें ….
ब्रह्मा ववष्णु र्हे श शरणर्…. सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्….
ईश्वर स्वस्स्तक हैं स्वस्स्तक ही र्शव हैं स्वस्स्तक ही सुंदर हैं ।
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्….
स्वस्स्तक र्ंहदरर्ें …[२] स्तप
ु ोर्ें स्वस्स्तक, स्वस्स्तक है अपासरोर्ें …
दया करो पभु दशयन करुं उनके, हर धर्ोंके स्थानोंर्ें …..
सवय धर्ो शरणर्…. सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्….
ईश्वर स्वस्स्तक हैं स्वस्स्तक ही र्शव हैं स्वस्स्तक ही संद
ु र हैं ।
सत्यर् र्शवर् स्वस्स्तकर्…. सत्यर् र्शवर् प्रततकर्…

++++++++++

धून ा्……
हरर ॐ स्वस्स्तक, हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक स्वस्स्तका । [OR HARE HARE]
श्री ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
शुभर् स्वस्स्तक लाभर् स्वस्स्तक र्ंगलर् ा् स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
हदव्यर् ा् स्वस्स्तक भव्यर् ा् स्वस्स्तक अघ्ययर् स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
सत्यर् ा् स्वस्स्तक र्शवर् ा् स्वस्स्तक सुंदरर् ा् स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
आराध्यर् ा् स्वस्स्तक पूजनर् ा् स्वस्स्तक, ऐश्वययर् ा् स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..

स्वस्स्तक हैं अततर्ंगलर्, स्वस्स्तक आकार भी हैं अततर्ंगलर् ।


सत्यर् र्शवर् अतत संद
ु रर्, लाभर् शभ
ु र् अतत कल्याणर्यर् ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
श्री गणेशजीका स्वरूप हैं वो, ररवि र्सविके स्वार्र् भी हैं वो ।
बडे ध्यानसे जो जन भजलें तो, उसे सख
ु शांतत सर्वृ ि दे वो ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
श्री र्शवजीका स्वरूप हैं वो, र्ां गौरीकी र्हाशक्ति हैं वो ।
बडे ध्यानसे जो पूजलें, उसे र्हाशक्तिका वरभी दें वो ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
श्री ववष्णुजीका स्वरूप हैं वो, र्ां लक्ष्र्ीका वैभव हैं वो ।
बडे ध्यानसे जो रटलें, उसे धनधान्यका वर भी दें वो ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
श्री ब्रह्माजीका स्वरूप हैं वो, र्ां शारदाका र्हाज्ञान हैं वो ।
बडे ध्यानसे जो जपलें, उसे र्हाववद्याका दान भी दें वो ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
स्वस्स्तककी कृपा और करुणासे, स्जवन सफल हो जायें ।
सुख शांतत िैन पाके , प्रभुर्ें र्हा तल्लीन वो हो जायें ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
स्वस्स्तकको भक्तिभावसे जो भजले, धन्य धन्य वो हो जायें ।
स्वस्स्तककी ही र्हाकृपासे, र्ोक्षर्ुक्तिको अवश्य ही वो पायें ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..
स्वस्स्तककी र्हहर्ां हैं अतत न्यारी, ववश्वजनोंको है वो प्यारी ।
श्री स्वस्स्तक नार्को तुं जपलें , स्वस्स्तक प्रततकको तुं पूजले ।
स्वस्स्तक हैं अतत र्ंगलर्………..

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स्वस्स्तक ब्रह्मा, स्वस्स्तक ववष्णु स्वस्स्तक दे वो र्हे श्वर ।


स्वस्स्तक साक्षात परब्रह्म, तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः ।

स्वस्स्तक र्शव, स्वस्स्तक शक्ति स्वस्स्तक दे वो गणपतेश्वर ।


स्वस्स्तक साक्षात परर्सख
ु र् ा् , तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक,


हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक, अदभूत ा् अलौक्रकक प्रततक हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक जपलो स्वस्स्तक, िर्त्कारी आध्यास्त्र्क नार् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
धर्य हैं स्वस्स्तक कर्य हैं स्वस्स्तक, स्जवनका गुढ र्र्य हैं स्वस्स्तक ।
अथय हैं स्वस्स्तक कार् हैं स्वस्स्तक, स्जवनका र्हा उदे श्य हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
ब्रह्मा हैं स्वस्स्तक ववष्णु हैं स्वस्स्तक, सवृ ष्ठके सजयनहार हैं स्वस्स्तक ।
र्शव हैं स्वस्स्तक श्रीशक्ति हैं स्वस्स्तक, सवृ ष्ठके ववसजयनहार हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
िर्त्कारी हैं स्वस्स्तक तेजस्स्व हैं स्वस्स्तक, सुयय दे वताका स्वरुप हैं स्वस्स्तक ।
शीतल हैं स्वस्स्तक सौम्य हैं स्वस्स्तक , िंद्र दे वताका स्वरुप हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
ज्ञान हैं स्वस्स्तक ववज्ञान हैं स्वस्स्तक, वेदोंका र्हा वरदान हैं स्वस्स्तक ।
पावन हैं स्वस्स्तक पववत्र हैं स्वस्स्तक, आययजनोंका पूण्यनार् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ……
गौरव हैं स्वस्स्तक गररर्ा हैं स्वस्स्तक, आययजनोका स्वार्भर्ान हैं स्वस्स्तक ।
स्वर्ान हैं स्वस्स्तक सन्र्ान हैं स्वस्स्तक, आययधर्यका धर्यध्वज हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
सवोि हैं स्वस्स्तक सवयश्रेष्ठ हैं स्वस्स्तक, प्रततकोर्ें र्हान प्रततक हैं स्वस्स्तक ।
सवोिर् हैं स्वस्स्तक सवयप्रथर् हैं स्वस्स्तक, श्रीगणेशजीका शभ
ु प्रततक हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
सवयव्यावप हैं स्वस्स्तक सवयत्र हैं स्वस्स्तक, प्रभुकी तरह सवयज्ञ हैं स्वस्स्तक ।
अनाहद हैं स्वस्स्तक अर्ध्य हैं स्वस्स्तक, प्रभुकी तरह अनंत हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
परर्वपता है स्वस्स्तक र्हार्ाता हैं स्वस्स्तक, बत्रभुवनके परर्ात्र्ा हैं स्वस्स्तक ।
दे वता हैं स्वस्स्तक दे ववयां हैं स्वस्स्तक, परर्ेश्वरका नरनारी प्रततक हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ………
स्वस्स्तक श्लोक

स्वस्स्तक प्रततक परर् पुण्यर्, सत्यर् र्शवर् ि सुंदरर् ।


स्वस्स्तक प्रततक सवय दे वानार्, स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।।

आययधर्य प्रततकर् स्वस्स्तक, आयय शक्ति बल संवधयनर् ।


आयय संस्कृतत स्वार्भर्ानर्, स्वस्स्त प्रततकर् अतत उिर्र् ।।

स्वस्स्त करोतत स्वस्स्तकर् शभ


ु र् लाभर् ि सवयर्ंगलर् ।
स्वस्स्तक प्रततक र्हािर्त्कारीर्, स्वस्स्तक प्रततकाय प्रणाम्यहर् ।

स्वस्स्तक करोतत कल्याणर्, शभ


ु र् लाभर् ि र्ंगलर् ।
आरोग्यर्, अथयर् ि ऐश्वययर्, स्वस्स्तक प्रततक परर्ेश्वरर् ।

स्वस्स्तक नार् सवयदेवानार् स्वस्स्तक नार् शुभ र्ंगलर् ।


सवयदा स्वस्स्त करो दे व, स्स्वकृत करोस्स्र् र्र् वंदनर् ॥

स्वस्स्त ब्रह्मा, स्वस्स्त ववष्णु स्वस्स्त दे वो र्हे श्वर ।


स्वस्स्तकः साक्षत परब्रह्म, तस्र्ैश्री स्वस्स्तके नर्ः ॥

शुभर् करोतत कल्याणंर्, आरोग्यर् धनसंपदा ।


शत्रब
ु ुवि ववनाशाय स्वस्स्तक प्रततकर् नर्ोस्तुते ।

स्वस्स्तक ब्रह्मा स्वस्स्तक ववष्णु, स्वस्स्तक दे वो र्हे श्वरा ।


स्वस्स्तक साक्षात पर ब्रह्म, तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः ।

िर्त्कारर्य रुपं स्वस्स्तक, रिवणय ितुभज


ूय र् ।
प्रसन्नर्वद ध्यायेत, सवयववघ्नो नाशंतये ।

सवय र्ंगल र्ांगल्यार्, गणेशर् सवायथय साचधके ।


शरण्यंर् सवय भूतानार् नर्ार्ो स्वस्स्त स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..

स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् , भज प्यारे तुं स्वस्स्तक नार् ।


जपले जपले तुं स्वस्स्तक नार्, हर पल हर घडी सुबह और शार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..
स्वस्स्तक हैं परर् ईश्वरका नार्, स्वस्स्तक हैं परर् શ્રીशक्तिका नार् ।
स्वस्स्तक हैं परर् पावन नार्, स्वस्स्तक हैं परर् पववत्रताका नार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..
स्वस्स्तक हैं परर् िर्त्कारका नार्, स्वस्स्तक हैं परर् ऐश्वययका नार् ।
स्वस्स्तक हैं परर् श्रिाका नार्, स्वस्स्तक हैं परर् आस्थाका नार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..
स्वस्स्तक हैं परर् अलौक्रकक नार्, स्वस्स्तक हैं परर् अदभूत नार् ।
स्वस्स्तक हैं परर् पावन नार्, स्वस्स्तक हैं परर् पववत्रताका नार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..
स्वस्स्तक हैं परर् पज
ू नीय नार्, स्वस्स्तक हैं परर् आदणीय नार् ।
स्वस्स्तक हैं परर् वंदनीय नार्, स्वस्स्तक हैं परर् कृपालु नार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..
स्वस्स्तक हैं परर् शभ
ु -लाभका नार्, स्वस्स्तक हैं परर् र्ंगल नार् ।
स्वस्स्तक हैं श्री गणेशका नार्, स्वस्स्तक हैं आययधर्य प्रततक र्हान ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार् …..

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धून…..

जपलो नार् नार् नार् स्वस्स्तक नार् नार् नार् ।…..


स्वस्स्तक नार् नार् नार् राधे श्यार् श्यार् श्यार् ।
जपलो श्यार् श्यार् श्यार् राधे श्यार् श्यार् श्यार् ।
जपलो नार् नार् नार् स्वस्स्तक नार् नार् नार् ।
स्वस्स्तक नार् नार् नार्, सीते रार् रार् रार् ।
जपलो रार् रार् रार्, सीते रार् रार् रार् ।
बोलो स्वस्स्तक राधेश्यार् बोलो स्वस्स्तक सीतेरार् ।
हे राधेश्यार् राधेश्यार् हे सीतेरार् सीतेरार् ।
भजलो स्वस्स्तकका तर्
ु नार् हरघडी करते शभ
ु कार्।
जपलो नार् नार् नार् स्वस्स्तक नार् नार् नार् ।…..
स्वस्स्तक नार् नार् नार् राधे श्यार् श्यार् श्यार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो जपलो रटलो प्यारे , भजलो तुर् श्री स्वस्स्तकका शुभनार् ।


भजलो जपलो रटलो प्यारे , भजलो तुर् श्री गणेशजी का शुभनार् ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार्, जय जय जय श्री स्वस्स्तक नार् ।
गणेश नार् जय श्री गणेश नार्. जय जय जय हो श्री गणेशका नार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..
भजलो स्वस्स्तक शुभकारी नार्, भजलो स्वस्स्तक र्ंगलकारी नार् ।
भजलो लाभकारी गुणकारी नार्. सुख सम्पवि और वैभवकारी नार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..
भजलो स्वस्स्तक सजयनहारी नार्, भजलो स्वस्स्तक ववश्वकर्ायका नार् ।
भजलो ितुर्ख
ुय ी कर्लबबहारी नार्. भजलो ब्रह्मास्त्रधारी ब्रह्माका नार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..
भजलो स्वस्स्तक कंु जबबहारी नार्, भजलो स्वस्स्तक गोवधयनधारीका नार् ।
भजलो गदाधारी शंखधारीनार्. लक्ष्र्ीपतत सद
ु शयधारी र्हाववष्णक
ु ा नार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..
भजलो स्वस्स्तक ववसजयनहारी नार्, भजलो स्वस्स्तक र्हे श्वरका नार् ।
भजलो कैलाशपतत जटाधारी नार्. उर्र्यापतत बत्रशल
ु धारी र्शवका नार् ।
भजलो जपलो रटलो प्यारे …..
भजलो भजलो भजलो भजलो, प्यारे भजलो श्री स्वस्स्तकका नार् ।
जपलो जपलो जपलो जपलो, प्यारे जपलो श्री स्वस्स्तकका नार् ।
रटलो रटलो रटलो रटलो, प्यारे रटलो श्री स्वस्स्तकका नार् ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……

जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान, परर् पावन हैं स्वस्स्तकका नार् ।


स्वस्स्तक नार् जय स्वततक नार्, भज प्यारे तुं स्वस्स्तक का नार् ।
श्री गणेश हैं तेरो नार्, सबका कर दे तुं कल्याण ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……
जय र्शवनंदन जय गणेश नार्, पावयती नंदन स्वस्स्तक नार् ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……
सख
ु कताय दख
ु हताय नार्, ववघ्नववनाशी गजानन नार्
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……
परर् ईश्वर हैं स्वस्स्तक नार्, भिोंका हैं अतत वप्रयतर् नार् ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……
शभ
ु लाभका प्रततक र्हान, र्ंगलर्त
ू ी श्री गणेश सर्ान ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……
ववश्वर्ें प्रिर्लत स्वस्स्तक नार्, स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान ।
जय स्वस्स्तक जय प्रततक र्हान ……

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जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर् …..

जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर्, जयतु जयतु स्वस्स्त स्वस्स्तकर् ।


जयतु गणेशर् जयतु गणेशर्, जयतु जयतु स्वस्स्त श्रीगणेश शरणर् ।
जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर् …..
सवयररवि दायकर् सवयर्सवि दायकर्, सौभाग्य दायकर् सदभाग्य दायकर् ।
सवयशभ
ु दायकर्, सवयलाभ दायकर्, र्ंगलर् दायकर् कल्याणर् दायकर् ।
जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर्…..
सव
ु स
य ख
ु दायकर् सवयशांतत दायकर्, आरोग्य दायकर् सदा ऐश्वयय दायकर् ।
सवयशक्ति दायकर्, सवयबल दायकर्, र्हाभक्ति दायकर् र्हार्क्तु ि दायकर् ।
जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर् …..
सदध्यान दायकर् अभीज्ञान दायकर्, आध्यात्र् दायकर् आनंद दायकर् ।
सद्कर्य दायकर्, सदबुवि दायकर्, सदवविार दायकर् सदगतत दायकर् ।
जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर् …..
सत्संग दायकर् सद्व्यवहार दायकर्, सदधर्य दायकर् सदािार दायकर् ।
सदधर्य दायकर्, सदकार् दायकर्, सदा अथय दायकर् र्हार्ौक्ष दायकर् ।
जयतु स्वस्स्तकर् जयतु स्वस्स्तकर् …..
नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..

नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर्, नर्ो नर्ो श्री गणेश प्रततकर् ।
जपो जपो श्री स्वस्स्तक र्ंत्रर्, पूजो पूजो श्री स्वस्स्तक र्हायंत्रर् ।
स्र्रो स्र्रो श्री स्वस्स्तक नार्र्, भजो भजो श्री स्वस्स्तक र्हातंत्रर् ।
गाओ गाओ श्री स्वस्स्तक गानर्, करो करो श्री स्वस्स्तक र्हायोगर् ।
नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..
नर प्रततकर् नारायणी प्रततकर्, दे व प्रततकर् र्हादे वी प्रततकर् ।
हदव्य प्रततकर् प्रभावी प्रततकर्, सौयय प्रततकर् तेजस्स्व प्रततकर् ।
नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..
पावन प्रततकर् पववत्र प्रततकर्, शुि प्रततकर् सत्य प्रततकर् ।
शुभ प्रततकर् लाभ प्रततकर्, र्ंगल प्रततकर् कल्याणी प्रततकर् ।
नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..
ब्रह्मा प्रततकर् ववष्णु प्रततकर्, र्शव प्रततकर् श्री शक्ति प्रततकर् ।
सौयय प्रततकर् ईन्द्र प्रततकर्, रुद्र प्रततकर् श्री र्रूत प्रततकर् ।

नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..

अस्ग्न प्रततकर् वायु प्रततकर्, यर् प्रततकर् श्री सोर् प्रततकर् ।

र्र्त्र प्रततकर् आहदत्य प्रततकर्, ऋत प्रततकर् श्री रती प्रततकर् ।

नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..

सरस्वतत प्रततकर् उर्षा प्रततकर्, प्रजन्य प्रततकर् वरुण प्रततकर् ।

अस्श्वन प्रततकर् पुसाण प्रततकर्, साववत्र प्रततकर् ववश्वदे व प्रततकर् ।

नर्ो नर्ो श्री स्वस्स्तक प्रततकर् …..


प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..

प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर्, र्नोहर, सश


ु ोर्भत हदव्यर् प्रततकर् ।
स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् शुभर् प्रततकर्, सत्यर् र्शवर् संद
ु रर् स्वस्स्तकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
आयय प्रततकर् हहंद ु प्रततकर्, जैन प्रततकर् बौध प्रततकर् ।
शीख प्रततकर् जरथोष्ट्री प्रततकर्, शींतो प्रततकर् ताओ प्रततकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
वेदीक प्रततकर् कोस्प्टक प्रततकर्, एझटॅ क प्रततकर् र्ायन प्रततकर् ।
कबाली प्रततकर् ड्रुईड प्रततकर्, रोर्न प्रततकर् ग्रीक प्रततकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
अपािे प्रततकर् र्ोला प्रततकर्, ‘बोनपो’ प्रततकर् ‘चथयोसोक्रफ’ प्रततकर् ।
‘र्ॅसन’ प्रततकर् ‘रे र्लयन’ प्रततकर्, ‘फलुन’ प्रततकर् आनदर्ागी प्रततकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
‘टे म्प्लर’ प्रततकर् ‘बहाय’ प्रततकर्, ‘काओ दाई’ प्रततकर् सवयजाती प्रततकर् ।
सवयधर्य प्रततकर् सवयसंस्कृतत प्रततकर्, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् शुभर्ंगल प्रततकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..

र्ंहदरोंपे स्वस्स्तकर् ििोंपे स्स्तकर्, र्स्स्जदपे स्वस्स्तकर् र्सनागोगोंपे स्वस्स्तकर् ।


सवयसवृ ष्ठ प्रततकर् सवयववश्व प्रततकर्, सवयत्रर्, सवयव्यावप सवयज्ञर् स्वस्स्तकर् ।
प्रततकर् प्रततकर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..

जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्, आयय धर्यका हैं प्रततक र्हान ।


स्वस्स्तक नार् जय स्वततक नार्, वेदीक प्रततक हैं सवय र्हान ।
र्हाशक्ति हैं तेरो नार्, सबको सदबुवि दे हे भगवान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
ब्रह्मा ववष्णु शीव तेरो नार्, ववश्वके प्रथर् हैं वो भगवान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
इश्वर अररहं त तेरो नार्, दे दे सबको अहहंसाका ज्ञान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
इश्वर बुि हैं तेरो नार्, फैला दे जगर्ें शांतत ध्यान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
इश्वर वाहे गुरु तेरो नार्, दे दे धर्य संरक्षणका ज्ञान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
इश्वर अर्षो हैं तेरो नार्, दे दे जन सेवाका वरदान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
वेदीकधर्यके तुर् हो सब नाथ, ववश्वववजयकी उठादो नाद ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..
गाओ सौ स्वस्स्तकके र्र्लके गान, फैलादो आययधर्यकी शान ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्…..

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श्लोक…..

ॐ स्वं स्वस्स्तकये नर्ो नर्ः श्रीगणेश रुपाय नर्ो नर्ः ।


स्वस्स्त ववनायक नर्ो नर्ः र्ंगल र्तू तय र्ोररया ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.


तत सत तत सत हरर ॐ तत सत श्री ॐ तत सत हरर ॐ स्वस्स्तक.

ॐ स्वस्स्तकर् यजा र्हे सग


ु स्न्धं पवु ष्टवधयनर् ।
उवायरूस्कर्व बन्धनान र्त्ृ योर्क्ष
ुय ीयर्ार्त
ृ ात ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..

ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान, स्वस्स्तक प्रततक हैं श्री गणेश सर्ान ।
स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार्, प्यारसे भजले तुं स्वस्स्तक नार् ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तकको जपे जो कोई नरनार, कृपा करे वो उन पर परर् अपार ।
स्वस्स्तकको पज
ू े जो सवय प्रथर्बार, उनका हो जाये सदा र्हाकल्याण ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तकको बबराजे जो घरके द्वार, स्वस्स्तक बने उनका सदा रक्षणहार ।
स्वस्स्तकको भजे जो हर हदन-रात, उनका हो जाये धन्य धन्य हजार ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तकको स्र्रे जो पल पल बार, स्वस्स्तक बने उनका तारणहार ।
स्वस्स्तकको रटे जो हर हदन-रात, उनका हो जाये सदा ही बेडापार ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तकको ध्यावे जो सदा काल, स्वस्स्तक करे उनका शुभ र्ंगलकार ।
स्वस्स्तकको नर्े जो सदा वारं वार, स्वस्स्तक दे उनको वरदान अपार ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तकका हैं अदभूत िर्त्कार, स्वस्स्तककी हैं र्हा र्ाया अपरं पार ।
करो कोटी वंदन करो तुर् वारं वार, स्वस्स्तक करे गा तेरो भव भव पार ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
स्वस्स्तक नार् जो स्र्रे अंततर्काल, उनको र्र्ले सदा स्वगयके द्वार ।
स्वस्स्तकानंद स्वार्र् कहे ये तुं र्ान, भज स्वस्स्तक भज गणेश नार् ।
ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक र्हान …..
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..

वंदनर् प्रतत वंदनर्, स्वस्स्तक प्रततकको हो वंदनर् ।


सुस्वागतर् सुस्वागतर् स्वस्स्तकका हो सुस्वागतर् ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..
स्वस्स्तक तो पूण्य प्रततक हैं, स्वस्स्तक तो पववत्र प्रततक हैं ।
स्वस्स्तक तो पावन प्रततक हैं, स्वस्स्तक तो जय श्री गणेश हैं ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..
स्वस्स्तक तो आयोंकी प्राण हैं, स्वस्स्तक तो आयोंकी शान हैं ।
स्वस्स्तक तो आयोंका सन्र्ान हैं, स्वस्स्तक तो आयोंकी पहे िान हैं ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..
स्वस्स्तक तो आयोंका स्वार्भर्ान हैं, स्वस्स्तक तो आयोंका गौरवभी हैं ।
स्वस्स्तक तो आयोंका स्वर्ान हैं, स्वस्स्तक तो आयोंकी सन्र्ान हैं ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..
स्वस्स्तक तो आयोंकी संस्कृतत हैं, स्वस्स्तक तो आयोंकी यशकीततय हैं ।
स्वस्स्तक तो आयोंकी सदभाव हैं, स्वस्स्तक तो आयोंका र्हाप्राण हैं ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..
स्वस्स्तक तो आयोंकी शक्ति हैं, स्वस्स्तक तो आयोंकी भक्ति हैं ।
स्वस्स्तक तो आयोंका आराध्य हैं, स्वस्स्तक तो आयोंका ईश हैं ।
वंदनर् प्रतत वंदनर् …..

+++++++++
धन
ू ….
हररॐ हररॐ हररॐ हररॐ सवयत्र हररॐ स्वस्स्तकर् ।
श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ सवयत्र श्री ॐ स्वस्स्तकर् ।
शुभर् शुभर् शुभर् शुभर् सवयत्र शुभर् स्वस्स्तकर् ।
लाभर् लाभर् लाभर् लाभर् सवयत्र लाभर् स्वस्स्तकर् ।
र्ंगलर् र्ंगलर् र्ंगलर् र्ंगलर् सवयत्र र्ंगलर् स्वस्स्तकर् ।
पववत्रर् पववत्रर् पववत्रर् पववत्रर् सवयत्र पववत्रर् स्वस्स्तकर् ।
शि
ु र् शि
ु र् शि
ु र् शि
ु र् सवयत्र शि
ु पावन स्वस्स्तकर् ।
सत्यर् सत्यर् सत्यर् सत्यर् सवयत्र सत्यर् स्वस्स्तकर् ।
र्शवर् र्शवर् र्शवर् र्शवर् सवयत्र र्शवर् स्वस्स्तकर् ।
संद
ु रर् संद
ु रर् संद
ु रर् संुदरर् सवयत्र संद
ु रर् स्वस्स्तकर् ।
सुंदरशुशोर्भता…..

स्वस्स्त न इन्द्रो वि
ृ श्रवाः । स्वस्स्त नः पूर्षा ववश्ववेदाः ।
स्वस्स्त नस्ताक्ष्यो अररष्टनेर्र्ः । स्वस्स्त नो बब्रहस्पततदय धातु |
ॐ शास्न्तः ॐ शास्न्तः ॐ स्वस्स्तका ॐ स्वस्स्तका ॥

सुंदर..शुशोर्भता…..र्ोरा स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका… स्वस्स्तका… सुंदर..शुशोर्भता…


अदभूता…. र्ोरा स्वस्स्तका…[२] नयनरम्या…. र्ोरा स्वस्स्तका…[२]
सुंदरशुशोर्भता…..
स्वस्स्त न इन्द्रो……..
अलौक्रकका….. र्ोरा स्वस्स्तका…. स्वततका… स्वस्स्तका… सुंदरशुशोर्भता…
हरे …. हरे …जय श्री स्वस्स्तका….हरे … हरे … जय श्री गणेशा…
स्वस्स्तका.. हो स्वस्स्तका.. गणेशा… हो गणेशा..[२]
सुंदरशुशोर्भता…..
स्वस्स्त न इन्द्रो……..
तुर् र्ेरे ईष्टदे व तुर्, तुर् र्ेरे आराध्य दे व तुर्,
तुर् हो र्ेरी साधना, तुर् हो र्ेरी आराधना… स्वस्स्तका… हो.. स्वस्स्तका…
सुंदरशुशोर्भता…..
स्वस्स्त न इन्द्रो……..
तर्
ु हर ववघ्न हरे तर्
ु , तर्
ु हर दख
ु कष्ट हरे तर्

तर्
ु जबभी प्रसन्न हो जाये, सभीका भाग्योदय होजाये…स्वस्स्तका.. हो..स्वस्स्तका..
संद
ु रशश
ु ोर्भता…..
स्वस्स्त न इन्द्रो……..
तर्
ु सवय र्ंगल करे , तर्
ु सवयदा शभ
ु लाभ करे
र्ैंने परर् आनंद पाया, तेरी भक्तिके गण
ू गान गाया.. गणेशा.. हो..गणेशा..
सुंदरशुशोर्भता…..
स्वस्स्त न इन्द्रो……..
तुर् र्ेरे सवयस्व हो…, तुर् ही र्ेरे ववधाताभी हो..
जोभी तेरा वर पाये….., धन्य जीवन उनका हो जाये.. हरे .. हरे ..जय..
सुंदरशुशोर्भता…..
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..

स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवय र्हान, स्वस्स्तकका करो तुर् र्हासन्र्ान ।


स्वस्स्तक नार् जय स्वस्स्तक नार्, हरी ॐ स्वस्स्तक जपो शुभनार् ।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
स्वस्स्तक हैं वेदोंका र्हाववज्ञान, स्वस्स्तक हैं गीताजीका र्हाज्ञान ।
आययसंस्कृततका हैं प्रततक र्हान, आययधर्यका है वो धर्यध्वज सर्ान ।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
स्वस्स्तक हैं आययपरं पराका स्वर्ान, स्वस्स्तक हैं आयोंका स्वार्भर्ान ।
आयय संस्कारोंका र्हार्ूल्य सर्ान, आयय श्रेष्ठताका हैं वो एक प्रर्ाण ।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
स्वस्स्तक हैं परर्ेश्वरका वरदान, स्वस्स्तक हैं नरनारी र्हाशक्ति सर्ान ।
सेवा शश्र
ु त ृ ाका हैं वो र्हा अर्भयान, र्ानवताका र्ानव प्रततक र्हान ।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
स्वस्स्तक हैं ववश्वका सदभाग्य तनशान, स्वस्स्तक हैं जगका शभ
ु -लाभ तनशान ।
प्रेर् शांतत करुणाका हैं प्रततक र्हान, सर्ानता अनक
ु ं पाका हैं वो ही तनशान.
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
उठो जागो ये र्ुढ पस्िर्वालों, करते हो ववनम्र स्वस्स्तकको कयुं बदनार् ।
स्वस्स्तक नहह है कोइ दष्ट
ु ताका नार्, स्वस्स्तकतो हैं ववश्वकल्याणका नार्।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्, पस्िर्वालोंको सन्र्तत दो भगवान ।
करलो स्वस्स्तक प्रततकको प्रणार्, करनेको आत्र् जन जगत कल्याण ।
स्वस्स्तक हैं जगर्ें सवयर्हान …..

**********
धन
ू …..

श्री ॐ नार् स्वस्स्तकर्, श्री ॐ कार स्वस्स्तकर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल, र्ंगल स्वस्स्तक र्ंगलर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त स्वस्स्त, स्वस्स्तक र्ंगलर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल, र्ंगल स्वस्स्तक र्ंगलर् ।
श्री गणेश र्ंगलर् श्री ववनायक र्ंगलर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल र्ंगल स्वस्स्तक प्रततक र्ंगलर् ।
श्री गणपतत र्ंगलर् श्री गजानन र्ंगलर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल र्ंगल स्वस्स्तक आकार र्ंगलर् ।
श्री ववघ्नेश्वराय र्ंगलर् श्री वरदाय र्ंगलर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल र्ंगल स्वस्स्तकाकृतत र्ंगलर् ।
श्री र्सविववनायक र्ंगलर् श्री अष्टववनायक र्ंगलर्, र्ंगल र्ंगल र्ंगल र्ंगल स्वस्स्तकचिन्ह र्ंगलर् ।
श्री ॐ स्वस्स्तक वंदनर् श्री ओर् गणेश वंदनर्, वंदन वंदन वंदन वंदन स्वस्स्तक-गणेश वंदनर् ।
हे …धून लगी धून लगी धून लगी रे …..

हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे , हर्ें स्वस्स्तक नार्की धन
ू लगी रे ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे , हर्ें स्वस्स्तक ध्यानकी धन
ू लगी रे ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं हर्ें प्राणसेभी प्यारां, ववश्वजओंका हैं लादलां दल
ु ारां ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं सारे ववश्वर्ें तनराला, भावसे भजत हैं उसे ववश्व सारां ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं बडा सुंदर सलौनां, शुशोर्भत कलार्य शोभे वो न्यारां ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं बडा अदभूत अनौखा, नयन्रम्य र्नर्ोहक प्रततक हैं र्धरु ां ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं स्वयं स्वरूप प्रभुका, श्रािा आस्थासे पूजे उसे ववश्वजन सारां ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं शुभ र्ंगल शगुनवंता, भाव भक्तिसे भजे उसे ववश्व्जन सारां ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं पुतनत पावन पववत्र, आययजनोंका प्रथर् चिन्ह है वो प्यारां ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं दयालु और र्ायालु, भिजनोंपे सदा सवयदा कृपा करनेवाला ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं सदा कल्याण करनेवाला, सख
ु सम्पवि और संततत दे नेवाला ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं सदा भाग्योदय करनेवाला, शांतत संतोर्ष और परर्ानंद दे नेवाला ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं सदा शवु ि ववृ ि करनेवाला, र्हा पण्
ु य और र्हाफल दे नेवाला ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं आध्यात्र् और ऐश्वयय दे नेवाला, शभ
ु ार्शर्ष और शभ
ु वर दे नेवाला ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे …..
स्वस्स्तक प्रततक हैं आत्र्शुवि करनेवाला, ररवि, र्सवि और बल-बुवि दे नेवाला ।
स्वस्स्तक प्रततक हैं स्वयं श्री गणेश स्वरूपा, भक्ति शक्ति र्ुक्ति और र्ौक्ष दे नेवाला ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे ….. हर्ें स्वस्स्तक नार्की धन
ू लगी रे ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे ….. हर्ें स्वस्स्तक प्रततककी धन
ू लगी रे ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे ….. हर्ें श्रीगणेश नार्की धन
ू लगी रे ।
हे …धन
ू लगी धन
ू लगी धन
ू लगी रे ….. हर्ें गजानन नार्की धन
ू लगी रे ।
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…, नयनां प्यासे रे ….[२] +++++
कृपा दया जब तेरी उतरे ….रं क बने र्हाराजा रे …..
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..
रि रं गके फूल िढाउं …पच्िीश पकवानके भोग लगाउं … आ..आ..
र्धरु र्ेवाका प्रसाद िढाउं …उतारुं र्ैं तेरी आरती रे ….
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..
ज्योततर्यय हदपर्ाल प्रगटाउं … संध्या पूजा पाठ कराउं ..आ…आ…
नवरत्नोंके अलंकार िढाउं ….तेरे िरण कर्लर्ें रे ….
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..
हर पल तेरा ध्यान लगाउं …हर घडी तेरा भजन र्ैं गाउं ..आ… आ
नीशहदन र्ैं तेरे गन
ु गाउं …जपजाप करुं र्ैं तेरा रे …..
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..
तेरे बबरहर्ें आंसु बहाउं … र्नको र्ैं कैसे सर्झाउं …. आ..आ…
आंखर्र्िोली अबतो छोडो…हे स्वस्स्तक स्वार्र् रे ….
दशयन द्यो स्वस्स्तक गणेश र्ेरे…..

++++++++++

धून…..
हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…
श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
ॐ ॐ स्वस्स्तक ॐ ॐ स्वस्स्तक ॐ ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
ह्ीं ॐ स्वस्स्तक ह्ीं ॐ स्वस्स्तक ह्ीं ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
श्रीं ॐ स्वस्स्तक श्रीं ॐ स्वस्स्तक श्रीं ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
कलीं ॐ स्वस्स्तक रीं ॐ स्वस्स्तक रीं ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
गं ॐ स्वस्स्तक गं ॐ स्वस्स्तक गं ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…..
स्वं ॐ स्वस्स्तक स्वं ॐ स्वस्स्तक स्वं ॐ स्वस्स्तक हरर हरर…
ॐ ह्ीं श्रीं कलीं गं स्वं श्री स्वस्स्तकायनर्ः ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकाय……

ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर् ा्… ॐ नर्ो श्री गजाननर् ा् ।[२]


ॐ नर्ो र्हा प्रततकर् ा्… ॐ नर्ो त्वर् नर्ो नर्ः।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर् ा्……
तुर् तो र्ेरे ईष्टदे व हो, तर्
ु तो र्ेरे आराध्य हो । [२]
तुर् तो र्ेरे ववधाता हो, तुर् र्ेरे पूण्य प्रततक हो ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तर् ा्……
तुर् तो र्ेरा जीवन हो, तुर् तो र्ेरे आदशय हो ।
तुर् तो र्ेरा भाग्य हो, तर्
ु ही तो र्ेरा प्राण हो ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तर् ा्……
तुर् तो र्ेरी आराधना हो, तुर् तो र्ेरी साधना हो । [२]
तुर् तो र्ेरी प्राथयना हो, तुर् तो र्ेरी अियना हो । [२]
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तर् ा्……
तुर् तो र्ेरे पालक हो… तुर् तो र्ेरे आभूर्षण हो ।
तुर् तो र्ेरे सजयक हो.. तुर् तो र्ेरे ववनाशक हो ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तर् ा्……
तुर् तो र्ेरे र्हादे व हो, तुर् तो र्ेरी र्हादे वी हो ।
तुर् तो र्ेरे परर्ेश्वर हो, तुर् तो र्ेरे लीये सवयस्व हो ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तर् ा्……

स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्..

स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. [४]


स्वस्स्तक नार्.. नार्.. नार्.. बोलो जय जय जय ा् श्री स्वततक नार् …
स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. [४]
राधेश्यार् श्यार्.. श्यार्.. श्यार्.. बोलो जय जय हो श्री राधेश्यार्..
स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. [४]
सीतेरार्… रार्.. रार्.. रार्.. बोलो जय जय हो श्री सीतेरार् … ..
राधेश्यार् राधेश्यार् सीतेरार् सीतेरार् राधेश्यार् राधेश्यार् सीतेरार् सीतेरार्…
भजलो भजलो भजलो भजलो प्यारे श्री स्वस्स्तक गणेशका तुर् नार् ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका…

स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….[२], तुर् सब स्वस्स्तक करे …


स्वस्स्तका…. हे .. स्वस्स्तका….[२], तुर् सब शुभर्ंगल करे …
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
तर्
ु ववववध ववघ्न हरे …[२] तर्
ु हर र्ागय प्रर्शश्त करें ।
तर्
ु हर दःु ख-दररद्र हरे , तर्
ु सदा हर कष्टको भी हरे ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
जब स्वस्स्तका प्रसन्न होये, तब सभीका भाग्योदय होये ।
तर्
ु सबका सर्
ु ंगल करे .., तर्
ु सबका शभ
ु लाभ करे ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
तुर् हर भय दरू करे …[२] तुर् हर भीती-डर दरू करे ।
तुर् सबको तनभयय करे …, तुर् सबको बलवान करे ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
जब कोई तेरी भक्ति करे … तुर् उनको शुभार्शर्ष दें ।
तुर् उनका कल्याण करें … तुर् उनका भव पार करे ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
तुर् सतचित आनंद करे ..[२] तुर् शांतत सबको दे ।
तुर् स्वगय उसे अपयण करें …तुर् र्हार्ोक्ष प्रदान करें ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका….
श्रीगणेशा… हे …. श्रीगणेशा… कृपा करो हे गणेशा ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका.. दया करो हे स्वस्स्तका ।
श्रीगणेशा… हे …. श्रीगणेशा… अनुकंपा करो हे गणेशा ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका.. करुणा करो हे स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका…
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….

स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका…. सारे जगका स्वस्स्तका ।


स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका…. र्नर्ोहना स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका…. नयनर्ोहना स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….
जगद्के हो जगद्पतत दे वा ववश्वके हो ववश्वेश्वर दे वा ।
ितहुय दशाओंर्ें तर्
ु छाया हो तर्
ु स्वस्स्तका….
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….
कलाचधपतत हो प्रततका, धर्ायचधपतत हो प्रततका ।
प्रततकोंके र्हाप्रततक हो तुर् स्वस्स्तका….
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….
सवयश्रेष्ठ हो स्वस्स्तका, सवयर्ान्य हो स्वस्स्तका ।
र्ानवता र्हचिन्ह हो तर्
ु स्वस्स्तका…
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….
र्ंगलकताय हो प्रततका, सवयशुभकताय हो प्रततका ।
सदभाग्यका भाग्योदय हो तुर् स्वस्स्तका…
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका….
ऋतुराजा हो स्वस्स्तका, शस्त्र-अस्त्र हो स्वस्स्तका ।
ततर्र्र तेजोर्यय हो तुर् स्वस्स्तका……
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका
तंत्र-र्ंत्र हो स्वस्स्तका, यंत्र-योग हो स्वस्स्तका ।
र्हािर्त्कारी प्रततक हो तुर् ा् स्वस्स्तका ।
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका
आययधर्ोंका हो स्वस्स्तका , आययसंस्कृतत हो रखवाला ।
ववश्वशांतत र्हासंदेश हो स्वस्स्तका..
स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका…
संुदरर् संुदरर् र्र् …..

संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् स्वस्स्तक प्रततक हैं संद
ु रर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् स्वस्स्तक प्रततक हैं वंदनर् ।
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् …..
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् शभ
ु प्रततक हैं संद
ु रर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् शभ
ु प्रततक वंदनीयर् ।
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् लाभ प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् लाभ प्रततक हैं वंदनीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् भाग्य प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् भाग्य प्रततक वंदनीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् र्ंगल प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् र्ंगल प्रततक वंद नीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् गणेश प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् गणेश प्रततक वंदनीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् आयय प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् आयय प्रततक वंद नीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
सुंदरर् सुंदरर् र्र् धर्य प्रततक हैं सुंदरर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् धर्य प्रततक वंदनीयर् ।
सुंदरर् सुंदरर् र्र् …..
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् कर्य प्रततक हैं संद
ु रर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् कर्य प्रततक वंदनीयर् ा् ।
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् …..
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् र्ौक्ष प्रततक हैं संद
ु रर् ।
वंदनर् वंदनर् र्र् र्ौक्ष प्रततक वंदनीयर् ।
संद
ु रर् संद
ु रर् र्र् …..
स्वस्स्तक तेरो नार् …..

स्वस्स्तक तेरो नार्, श्री गणेश तेरो नार्…..[२]


सबको सदबुवि दे भगवान…..सबका करो तुर् कल्याण..
स्वस्स्तक तेरो नार् …..
अभागी जनोंका भाग्य न रुठे …[२] भिजनोंकी आर्षा न तुटे..[२]
दशयन बबना…दाता..[२] जाये न प्राण…..
सबको सदबुवि दे …..
ये सष्ठ
ृ ीके सजयन करनेवाले…[२] तनधयनओ धन दे ने वाले…[२]
धनवानोंको दे शुभ ज्ञान…. सबको सदबुवि दे …..
स्वस्स्तक तेरो नार् …..
ववश्वजनों आपसर्ें न झगडे..[२] बंधत्ु वके वो भावको तरसे….[२]
सवयजनोंको दे दे गीताका ज्ञान…
स्वस्स्तक तेरो नार् …..
सत्कर्ीओंका सत्कर्य न छूटे …[२], सदधर्ीओंका सदधर्य न छूटे ..[२]
सवयजनोको र्र्ले….सदा…[२] आध्यास्त्र्क… ज्ञान..
स्वस्स्तक तेरो नार् …..
इश ववश्वका व्यवहार न बबगडे..[२] आययधर्यका प्रभाव न उजडे… [२]
सवयको र्र्ले …सदा…[२] सुख शांतत वरदान……
स्वस्स्तक तेरो नार् …..

श्लोक…..

स्वस्स्तक प्रततक परर् पूण्यं, पावनर् पववत्रर् सदा ।


र्ंगलर् तनर्यलर् शभ
ु र्, सौभाग्यर् प्रततकर् सदा ॥
स्वस्स्तक प्रततक परर् हदव्यर्, िर्कारीर् कल्याणींर् ा् तथा ।
र्क्तु िदर् र्ौक्षदर् िैव, ऐश्वयय प्रततकर् सवयदा सदा ॥
*
स्वस्स्तक प्रततक परर् पववत्रर्, तनत्यं ध्यायंतत योगीनः ।
सख
ु दर् शांततदर् िैव, स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।।
*
नर्ो दे वो र्हा दे वो स्वस्स्तक दे वो सवायथय साचधके ।
शरण्ये स्वस्स्तके शक्ति, ररवि र्सवि नर्ो स्तुते ।
*
स्वस्स्तक प्रततक र्हा हदव्यर्, तनत्यं पूजयंतत सवेजनार् ।
धन धान्याहद सुख प्राप्त्यथयर्, स्वस्स्तक साधना करोम्यहर् ।
शत शत तुर्को प्रणार् …..

शत शत तुर्को प्रणार्, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार् ।


शत शत तुर्को नर्न, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार् ।
शत शत तुर्को प्रणार् …..
हर् आये तेरे िरणकर्लर्ें , साधना जागत
ृ करो तर्
ु हर्ारी ।
हे र्ंगल र्ुततय श्री गणेशा, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[२]
शत शत तुर्को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[२]
भक्ति ज्ञानकी ज्योत जलादो..[२] र्नर्े श्रिा भाव बहादो…[२]
तब होगा हर्ारां कल्याण, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..
शत शत तुर्को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[
शुभ लाभ र्ंगल करदो हर्ारां, दख
ु कष्ट ववघ्न हरो सब हर्ारां ।
जपते ही तेरो शभ
ु नार्, हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्..[२]
शत शत तर्
ु को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्..[
शभ
ु आर्शर्ष हर्ें शभ
ु वर दो…[२] हर्रे स्जवनका उिार करदो ।
द्यो सख
ु शांततके आर्शवायद…,, हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्.
शत शत तर्
ु को प्रणार् ….. हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्.
र्ोह र्ायाके बंधन र्र्टादो, तनर्यल नीरकी सरीता बहादो..[२]
करदो कृण्वन्तो आययर् ववश्वर्, हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्…[२].
शत शत तुर्को प्रणार् ….. हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्

***********
धन
ू …..

गजानना श्री गजानना श्री ॐ स्वस्स्तक गजानना ।


गजानना श्री गजानना हरर ॐ स्वस्स्तक गजानना ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक गजानना श्री ॐ स्वस्स्तक गजानना ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक गजानना हरर ॐ स्वस्स्तक गजानना ।
ववनायका श्री ववनायका श्री ॐ स्वस्स्तक ववनायका ।
ववनायका श्री ववनायका हरर ॐ स्वस्स्तक ववनायका ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक ववनायका श्री ॐ स्वस्स्तक ववनायका |
स्वस्स्तक स्वस्स्तक ववनायका हरर ॐ स्वस्स्तक ववनायका ।
श्लोक…..
शभ
ु र् करोतत स्वस्स्तकर्, लाभर् र्ंगलर्ेव ि ।
यत कृपा तर् हं वन्दे , सवयकाये स्वस्स्त भवेद सदा ।
*
अझखल ववश्वाकारर्, अझखल ववश्वर् प्रवतयते ।
सवे जनार् पज्
ू यते स्वस्स्तक, तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः
*
र्ंगलर् प्रततक स्वस्स्तक, र्ंगलर् प्रततकध्वज ।
र्ंगलर् ितुष्कोण रुपाय, र्ंगलाय रिवणो हरी ।
सवय र्ांगल र्ांगल्ये, स्वस्स्त सवायथय साचधके ।
शरण्ये गणेशे ररवि-र्सवि, शक्तिदे वी नर्ोस्तुते ।
*
नर्ो दे वो र्हा दे वो । स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।
नर्ः श्री गणेश रुपाय, प्रथर्ो प्रततकाय नर्ो नर्ः ।
*
अदभूतो पववत्राकार, र्हा दे वो श्री स्वस्स्तका ।
सवेकायाय शुभर् कतायर्, ववघ्नर् हताय ववनायका ।
*
जयंतत र्ंगलाकारर्, शुभाकारर् सुख-शांतत दायकर् ।
सवे करोतत कल्याणर्, श्री स्वस्स्तकर् प्रणर्ांम्यहर् ।
*
सवे करोतत शुभर् लाभर्, सुख सर्वृ ि सदा दायकर् ।
सवय ववघ्नो हरे श्रीगणेशर्, श्री स्वस्स्तकर् प्रणर्ांम्यहर् ।
सवे करोतत सुर्ंगलर् । आरोग्य ऐश्वयय सदा दायकर् ।
सवय संकट हरे शभ
ु प्रततकर्, श्री स्वस्स्तकर् प्रणर्ांम्यहर् ।
सवे करोतत पावनर् पववत्रर्, शक्ति शांतत सदा दायकर् ।
सवय पाप हरे र्हा श्रीगणेशर्, श्री स्वस्स्तकर् प्रणर्ांम्यहर् ।
सवे करोतत सदा कल्याणर्, ररवि र्सवि सदा दायकर् ।
र्क्तु ि र्ौक्ष र्हा दातायर्, श्री स्वस्स्तकर् प्रणर्ांम्यहर् ।
*
नर्ो दे वो र्हा दे वो, स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।
नर्ः श्रीगणेश रुपाय, शुभ र्ंगल प्रततके नर्ो नर्ः ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..

जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक जय गणेश दे वा ।


शुभलाभ र्ंगल प्रततक,प्रथर् पूजीत र्हा दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
र्ायावंत करुणावंत, ितभ
ु ज
ूय ा धारी ।
रि वणयर्ें वो शोभे, अष्ठांगधारी दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
भिोंके र्नर्ें भायें, स्वस्स्तक र्हा दे वा ।
आरती पूजन करे , जप तप करे सेवा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
तनधयनको धन दे त, दःु खीयनको सुखर्ेवा ।
तनबयलको बल दे त, अशकतको र्हाशक्ति दे वा.
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
अज्ञानीको ज्ञान दे त, भिों को भक्ति सेवा ।
रोगीको आरोग्य दे त, हर कष्ट हरे दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
स्वस्स्तक शरणर्ें आयें, वो पाये शभ
ु ार्शर्ष दे वा ।
धन्य धनय जीवन होये, कल्याण करे श्रीगणेशा ।
शभ
ु लाभ र्ंगल प्रततक,प्रथर् पज
ू ीत र्हा दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक जय गणेश दे वा ।

धून ा्.....

जय जय स्वस्स्त स्वस्स्तक हरी बोल…[४] हरर बोल हरर बोल हरर हरर बोल[२]
जय…… जय….स्वस्स्त… स्वस्स्तक….. हरर…. बोल……
स्वस्स्त बोल स्वस्स्त बोल स्वस्स्त बोल [४]…जय…जय…]
शभ
ु र् बोल शभ
ु र् बोल शभ
ु र् बोल..[४] ….जय जय…
र्ंगल बोल र्ंगल बोल र्ंगल बोल ..[२]… जय जय…
जय श्री स्वस्स्तक प्यारे बोल ..[२] जय श्री गणेश प्यारे बोल ..[२]
जय श्री र्सविववनायक बोल…जय श्री अष्ठववनायक बोल..[२]..जय… जय….
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….

हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें हैं, बस अब तो एक ही नार् [२] ।


श्री स्वस्स्तक नार् स्वस्स्तक नार् स्वस्स्तक नार् ।
श्री गणेश नार् गणेश नार् गणेश नार् ।
श्री ववनायक नार् ववनायक नार् ववनायक नार् ।
र्ैं कैसे रटुं श्री गणेशजीका नार्, र्ैं कैसे जपंु श्री ववनायकका नार् ।,
गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नार्, ररविर्सविपतत श्री अष्टववनायक नार् ।
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….
र्ैं कैसे रटुं श्री र्युरेश्वरका नार्, र्ैं कैसे जपुं श्री र्हागणपततका नार् ।
गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नार्, ररविर्सविपतत श्री अष्टववनायक नार् ।
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….
र्ैं कैसे रटुं श्री वरदववनायकका नार्, र्ैं कैसे जपुं श्री चिंतार्झणका नार् ।
गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नार्, ररविर्सविपतत श्री अष्टववनायक नार् ।
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….
र्ैं कैसे रटुं श्री चगरीजात्र्कका नार्, र्ैं कैसे जपुं श्री ववघ्नेश्वरका नार् ।
गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नार्, ररविर्सविपतत श्री अष्टववनायक नार् ।
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….
र्ैं कैसे रटुं श्री बलालका नार्, र्ैं कैसे जपुं श्री र्सविववनायकका नार् ।
गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नार्, ररविर्सविपतत श्री अष्टववनायक नार् ।
हे र्ेरे र्नर्ें .. हे र्ेरे तनर्ें …….

श्लोक…..

नर्ो नर्ः ॐ नर्ो नर्ः, श्री स्वस्स्तक प्रततके नर्ो नर्ः ।


श्री र्सविववनायक नर्ो नर्ः, श्री गणेशरुपाय नर्ो नर्ः ।
नर्ो नर्ः ॐ नर्ो नर्ः, श्री स्वस्स्तक प्रततके नर्ो नर्ः ।
श्री ितभ
ु ज
ूय ाय नर्ो नर्ः, श्री रिवणय प्रततके नर्ो नर्ः ।
नर्ो नर्ः ॐ नर्ो नर्ः, श्री स्वस्स्तक प्रततके नर्ो नर्ः
श्री स्वस्स्तववनायक नर्ो नर्ः, श्री स्वस्स्तगजानन नर्ो नर्ः ।
नर्ो नर्ः ॐ नर्ो नर्ः, श्री स्वस्स्तक प्रततके नर्ो नर्ः
श्री अष्ठववनायक नर्ो नर्ः, श्री गणपतत बापा र्ोररया ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..

जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक जय गणेश दे वा ।


शुभलाभ र्ंगल प्रततक,प्रथर् पूजीत र्हा दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
र्ायावंत करुणावंत, ितभ
ु ज
ूय ा धारी ।
रि वणयर्ें वो शोभे, अष्ठांगधारी दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
भिोंके र्नर्ें भायें, स्वस्स्तक र्हा दे वा ।
आरती पूजन करे , जप तप करे सेवा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
तनधयनको धन दे त, दःु खीयनको सुखर्ेवा ।
तनबयलको बल दे त, अशकतको र्हाशक्ति दे वा.
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
अज्ञानीको ज्ञान दे त, भिों को भक्ति सेवा ।
रोगीको आरोग्य दे त, हर कष्ट हरे दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक…..
स्वस्स्तक शरणर्ें आयें, वो पाये शुभार्शर्ष दे वा ।
धन्य धनय जीवन होये, कल्याण करे श्रीगणेशा ।
शभ
ु लाभ र्ंगल प्रततक,प्रथर् पज
ू ीत र्हा दे वा ।
जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक जय गणेश दे वा ।
जब जब स्वस्स्तकका…..

स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. [४] ******************
स्वस्स्तक नार्.. नार्.. नार्.. बोलो जय जय श्री स्वततक नार् …

जब जब स्वस्स्तकका नार् र्लया [२] हर ववघ्नोंको र्ैंने पार क्रकया ।


जब जब स्वस्स्तकका नार् र्लया [२] हर संकट भयका नाश हुआ ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
जीवनके हर र्ोडपे र्ैंने, स्वस्स्तकके िरनर्ें शरण र्लया।
जीवनके हर कोई संघशोर्ें , स्वस्स्तकने हर्ें ही साथ हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक नार्का ध्यान क्रकया, वपडा व्याचध सब र्र्ट गया ।
स्वस्स्तक नार्का र्ंत्र जपा, हर र्भती डर सब भाग गया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक र्ंगलका नार् र्लया, हर दःु ख दररद्र दरू हुआ ।
र्ेरे जीवनके भवसागरको, स्वस्स्तक नार्ने ही तार हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक कृपासे सबकुछ पाया, हर्ें नवजीवन आधार र्र्ला ।
सि कहता हुं श्रीगणेश तुर्को, तुर्ने नवजीवन दान हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक नार्……….

जय स्वस्स्तक श्री गजानन गणेशा.....

जय स्वस्स्तक श्री गजानन गणेशा, करो कायय सदा र्सि हर्ारां ।


जय गणपतत श्री ववनायक गणेशा, करो र्नोरथ पररपूणय हर्ारां ।
जय श्री स्वस्स्तक…..
करो कल्याण तुर् सभी भिजनोंका, हरो हर कष्ट दख
ु दररद्र हर्ारां ।
करो उिार तुर् सवय स्वस्स्तकजनोंका, जीवन धन्य तुर् करो हर्ारां ।
जय श्री स्वस्स्तक…..
करो उत्कर्षय तुर् सभी वपक्तडतजनोंका, हरो आपवि और हर संकट हर्ारां ।
तेरे बबना नहहं हैं कोई और हर्ारां, करदो तुर्ही सवय शुभ र्ंगल हर्ारां ।
जय श्री स्वस्स्तक…..
शुभनार् जपुं र्ैं हदनरात तुम्हारां, करो कृपा हे स्वस्स्तक श्री गणेशा ।
करो उपकार अनुग्रह तुर् र्हा दे वा, करो साथयक यह स्जवन हर्ारां ।
जय श्री स्वस्स्तक…..
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....

छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा, वो ही भाग्य ववधाता हैं ।


होगा ही जो स्वस्स्तक िाहे गा, वो ही तो ववश्वववधाता हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....
सारे ववश्वके हर शुभ र्ंगलका, स्वस्स्तक ही तो कतायहताय हैं ।
ववश्वजनोंका भाग्योदय करनेवाला, स्वस्स्तक ही तो भथाय हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....
भिजनोंका कल्याण करनेवाला, स्वस्स्तक ही आर्शर्षदाता हैं ।
स्वस्स्तजनोंकी रक्षा करनेवाला, स्वस्स्तक ही र्हा आरक्षक हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....
भौततक सख
ु भोग दे नेवाला, स्वस्स्तक ही परर् कृपालु हैं ।
आध्यास्त्र्क सख
ु दे नेवाला, स्वस्स्तक ही र्हा श्रीगणेशा हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....
भक्ति शक्ति बल बवु ि दे नेवाला, स्वस्स्तक ही उजायधारी हैं ।
ततनों लोकर्ें सदा रहे नेवाला, स्वस्स्तक ही सजयनहारी हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....
परर् परर्ेश्वको पानेका, प्रततकर्य परर् पथ स्वस्स्तक हैं ।
र्ुक्ति र्ौक्षका वर पानेका, स्वस्स्तक ही र्हा वरदाता हैं ।
छोड दे उनपर तेरे भाग्यकी रे खा.....

**********
स्वस्स्तक शांतत..
स्वस्स्तक शांतत.. स्वस्स्तक शांतत.. स्वस्स्तक शांतत.. हरर ॐ ।
स्वस्स्त ॐ स्वस्स्त ॐ, स्वस्स्तक शुभर्ंगल शांतत.. हरर ॐ. ।
स्वस्स्तक शांतत.. स्वस्स्तक शांतत.. शांतत शांतत…. हरर ॐ. ।
जलर्ें हो शांतत.. थलर्े हो शांतत, शांतत शांतत.. स्वस्स्त ॐ ।
स्वगयर्ें हो शांतत.. पस्ृ ववपे हो शांतत, शांतत शांतत.. स्वस्स्त ॐ ।
स्वस्स्तक शांतत..
बत्रभूवनर्ें हो शांतत अंतररक्षर्े हो शांतत, शांतत शांतत.. स्वस्स्त ॐ ।
ववश्वदे वोर्ें हो शांतत ब्रह्मार्ें हो शांतत, शांतत शांतत.. स्वस्स्त ॐ ।
स्वस्स्तक शांतत..
और्षचधर्ें हो शांतत वनस्पततर्ें हो शांतत, शांतत शांतत.. स्वस्स्त ॐ ।
सवयत्र हो शांतत सवयर्ें हो शांतत, शांतत शांतत … श्री स्वस्स्तक ॐ ।
स्वस्स्तक शांतत..
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....

तनभयय कताय शक्ति दे ता, स्वस्स्तक प्रततक हैं तेरो नार् ।


पावन कताय पववत्र कताय, स्वस्स्तक प्रततक हैं शभ
ु नार् ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....
सुखकताय दःु खहताय तुर् हो, ववघ्नववनाशी ववनायक नार् ।
परर्ानंद प्रततक तुर् हो, जय श्री गणेश हैं तेरो शभ
ु नार् ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....
पालक पोशक भक्षक तुर् हो, शुभ लाभ र्ंगल तेरो नार् ।
तारक सहायक रक्षक तुर् हो, परर् परर्ेश्वर हैं तेरो नार् ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....
सवयत्र, सवयज्ञ सवयव्यावप तुर् हो, कणकणर्ें हो तुर् भगवान ।
पंि तत्वर्ें तुर् ही तुर् हो, पंि परर्ेश्वर हैं तेरो शुभ नार् ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....
तेरी कृपा बबन कुछ ना होये, तुर्हो र्ाया दया करुणाका नार् ।
तेरी कृपा जीनपर जब बरसे, उनका हो जाये सवयदा कल्याण ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....
जे कोई स्वस्स्तक नार्को ध्यावे, वो पावे सुख सर्वृ ि सन्र्ान ।
जे कोई स्वस्स्तक नार्को जपले, वो पावे र्ौक्ष र्ुक्ति वैकंु ठधार् ।
तनभयय कताय शक्ति दे ता.....

जय जय जय श्री.. स्वस्स्तक बोलो…..


जय जय जय श्री.. स्वस्स्तक बोलो । जय जय जय श्री.. गजानन बोलो ।
श्री स्वस्स्तक बोलो सांई, श्री गजानन बोलो..[२]
जय जय जय जय सांई श्री शभ
ु नार् बोलो….
जय जय जय श्री गणेश बोलो । जय जय जय श्री गणपतत बोलो ।
श्री गणेश बोलो सांई, श्री गणपतत बोलो..[२]
जय जय जय जय सांई श्री लाभ नार् बोलो….
जय जय जय श्री स्वस्स्तक बोलो…..
जय जय जय श्री वरतुंड बोलो । जय जय जय श्री एकदं त बोलो ।
श्री वरतुंड बोलो सांई, श्री एकदं त बोलो..[२]
जय जय जय जय सांई श्री र्ंगल नार् बोलो….
जय जय जय श्री स्वस्स्तक बोलो…..
जय जय जय श्री ववनायक बोलो । जय जय जय श्री अष्टववनायक बोलो ।
श्री ववनायक बोलो सांई, श्री अष्टववनायक बोलो..[२]
जय जय जय जय सांई श्री प्रभुजीका प्रथर् नार् बोलो….
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..

सत्य हैं स्वस्स्तक.. र्शव हैं स्वस्स्तक.. सद


ु र हैं स्वस्स्तक हरा् जीवनर्ें .
कृपा करो प्रभु स्वतत बने सवय, हर भिोंके घर आंगनर्े….
स्वस्स्तकर् ा्….. स्वस्स्तकर् ा्….. स्वस्स्तकर् ा्….. हा..आं..आं…[२]

स्वस्स्तक हैं शभ
ु प्रततकर्.. सत्यर् र्शवर् हैं संद
ु रर् ा्… [४]
स्वस्स्तक हैं र्ंगल प्रततकर्.. सत्यर् र्शवर् हैं सुंदरर् ा्… [४]
स्वस्स्तक हैं सौभाग्य प्रततकर्.. सत्यर् र्शवर् हैं सुंदरर् ा्… [४]
स्वस्स्तकर्ेव जयते, स्वस्स्तकर्ेव जयते, जयते जयते जयते, स्वस्स्तकर्ेव जयते..
आययर्ेव जयते, अययर्ेव जयते, जयते जयते जयते, आययर्ेव जयते..
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..
सत्यर्ेव जयते सत्यर्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो सत्यर्ेव जयते..
प्रेर्र्ेव जयते प्रेम्र्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो प्रेम्र्ेव जयते..
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..
धर्यर्ेव जयते धर्यर्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो धर्यर्ेव जयते..
कर्यर्ेव जयते कर्यर्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो कर्यर्ेव जयते..
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..
अहहंसार्ेव जयते अहहंसार्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो अहहंसार्ेव जयते..
करूणार्ेव जयते करूणार्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो करूणार्ेव जयते..
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..
शांततर्ेव जयते शांततर्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो शांततर्ेव जयते..
आध्यात्म्यर्ेव जयते आध्यात्म्यर्ेव जयते, जयते जयते जयते बोलो आध्यात्म्यर्ेव जयते..
स्वस्स्तकर्ेव जयते…..

श्लोक…..

नर्ो गणेश दे वाय, स्वस्स्तक स्वरुपाय नर्ो नर्ः ।


नर्ो ववश्वदे वाय, स्वस्स्तक प्रततकाय ा् नर्ो नर्ः ॥
*
ॐ गं गणपतये नर्ो नर्ः, ॐ स्वं स्वस्स्तके नर्ोनर्ः ।
ॐ श्री गणेशाय नर्ो नर्ः, ॐ श्री ववनायक नर्ोनर्ः ।
ॐ र्सविववनायक नर्ो नर्ः, ॐ अष्ठववनायक नर्ोनर्ः ।
ॐ गजाननाय नर्ो नर्ः, ॐ गणपतत बापा र्ोररया ।
धून…..

हरर ॐ स्वस्स्तक.. हरर ॐ स्वस्स्तक.. हरर ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।


श्री ॐ स्वस्स्तक.. श्री ॐ स्वस्स्तक.. श्री ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।
श्रीं ॐ स्वस्स्तक.. श्रीं ॐ स्वस्स्तक.. श्रीं ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका..।
ह्ीं ॐ स्वस्स्तक.. ह्ीं ॐ स्वस्स्तक.. ह्ीं ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।
रीं ॐ स्वस्स्तक.. रीं ॐ स्वस्स्तक.. रीं ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।
कलीं ॐ स्वस्स्तक.. कलीं ॐ स्वस्स्तक.. कलीं ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।
स्वं ॐ स्वस्स्तक.. स्वं ॐ स्वस्स्तक.. स्वं ॐ स्वस्स्तक.. स्वस्स्तका ।
ॐ स्वाहा स्वस्स्तक ॐ स्वाहा स्वस्स्तक ॐ स्वाहा स्वस्स्तक स्वस्स्तका ।
*
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्तक प्रततक नर्ोस्तुते ।
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्त ववनायक नर्ोस्तुते ।
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्त गणेशाय नर्ोस्तुते ।
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्त गजानन नर्ोस्तुते ।
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्त गणपतत नर्ोस्तुते ।
नर्ोस्तुते नर्ोस्तुते श्री स्वस्स्तक प्रततक नर्ोस्तुते ।…[३]
*
हरे स्वस्स्तक हरे स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरे हरे ।
हरे श्रीगणेश हरे श्रीगणेश गणेश गणेश हरे हरे ।
हरे श्रीस्वस्स्तका हरे …..
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवयशुभर् ा् करे स्वस्स्तक ।
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवयलाभर् ा् करे स्वस्स्तक ।
हरे श्रीस्वस्स्तका हरे …..
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवयर्ंगलर् ा् करे स्वस्स्तक ।
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवयकल्याणर् ा् करे स्वस्स्तक ।
हरे श्रीस्वस्स्तका हरे …..
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवय आरोग्यर् ा् करे स्वस्स्तक ।
करे स्वस्स्तक करे स्वस्स्तक सवय ऐश्वययर् ा् करे स्वस्स्तक ।
हरे स्वस्स्तक हरे स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरे हरे ।
हरे स्वस्स्तक हरे स्वस्स्तक स्वस्स्त स्वस्स्त करे स्वस्स्तक ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..

ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्, ॐ नर्ो श्री गजाननर् ।


ॐ नर्ो श्री ववनायकर्, ॐ नर्ो श्री गं गणेशर् ।

सवय प्रथर् वंदन करते हैं, हे स्वस्स्तक प्रततक हर् आपको ।


सवय प्रथर् पूजन करते हैं, हे श्री गणेश स्वरुप हर् आपको ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तेरो नार् अलौक्रकक अदभूत हैं, स्वस्स्तक र्ंत्र हैं र्हा िर्त्कार ।
अपरं पार तेरी र्हहर्ां हर् गाते हैं, तेरो शुभ नार् हैं सवय र्हान ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तुर् हो दयार्य तुर् हो करुणार्य, तुर् तो हो दीनबंधु हो नाथ ।
श्री गणेशजीके आराध्य स्वरुप हो, सवय शुभ र्ंगल कताय हो नाथ ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
भक्ति साधना हर र्सवि दे ता, ररवि-र्सवि दे ता धन वैभवके साथ ।
सुख सर्वृ ि और शांतत दे ता, स्वस्स्तक दे ता र्हा फलदायी ज्ञान ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
श्रवण रटण स्वस्स्तक बीजर्ंत्रका, करता हैं आत्र् शुवि तत्काल ।
स्वस्स्तकके र्हाबीज र्ंत्र जपनेसे, होता हैं सभीका स्जवन उिार ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
जपलो रटलो भजलो हे साधो, स्वस्स्तक र्ंत्र तर्
ु हर हदन हर रात ।
पाओ गे तर्
ु र्हार्क्तु ि र्ौक्षको, पाओ गे अवश्यही तर्
ु स्वगयर्ें वास ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तर्
ु हो स्वार्र् प्रभु अंतरयार्र्, पावन पण्
ू य प्रततक हे स्वस्स्तक दे वा ।
दो शभ
ु ार्शर्ष हर्ें हे भाग्यववधाता, करदो स्वस्स्तक तर्
ु कल्याण हर्ारां ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..

र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं, ववश्वजनोंका है वो दल


ु ारां ।
युगों युगोंसे सदा अवविल खडा हैं, ये स्वस्स्तक प्रततक हर्ारां ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..
आययधर्यका र्हा शुभ प्रततक हैं, स्वस्स्तक प्रततक हर्ें अततप्यारां ।
ववश्वका र्हा र्ंगल ये प्रततक हैं, भाग्यशाली ववश्वने उन्हें र्ाना ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..
पूरब- पस्िर् या उिर-दक्षक्षण हो, स्वततकका स्थान हैं तनराला ।
युगों युगोंसे सारे ववश्वलोकर्ें , अनुपर् सबने उन्हें हैं र्ाना ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..
हर धर्य, कला और संस्कृततओंने, स्वस्स्तक प्रततकको हैं अपनाया ।
ववश्वके सारे जनसर्ुदायने, स्वस्स्तकको शुभ र्ंगल हैं र्ाना ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..
ववश्वकी हर सभ्यताओंने, स्वस्स्तकको लाभ प्रततकसे ही जाना ।
जगकी सारी जनजाततओंने, स्वस्स्तकको शुभेच्छक प्रततक हैं र्ाना ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..
स्वस्स्तक प्रततक तो शांततदत
ू हैं, स्वस्स्तक प्रततक नहह कृर आतंकी ।
प्रेर् शांतत और सदभावनाका ये, पावन पववत्र प्रततक है अतत पूराना ।
र्ानवताका ये सवय प्रथर् प्रततक हैं…..

धून…..

श्री ॐ स्वस्स्तक जय ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर ।


शुभर् स्वस्स्तक लाभर् स्वस्स्तक र्ंगलर् स्वस्स्तक हरर हरर ।
पूण्यर् स्वस्स्तक पावनर् स्वस्स्तक पववत्रर् स्वस्स्तक हरर हरर ।
हदव्यर् स्वस्स्तक भव्यर् स्वस्स्तक शुिर् स्वस्स्तक हरर हरर ।
सत्यर् स्वस्स्तक र्शवर् स्वस्स्तक सुंदरर् स्वस्स्तक हरर हरर ।
ब्रह्मार् स्वस्स्तक ववष्णुर् स्वस्स्तक र्हे शर् स्वस्स्तक हरर हरर ।
हरर हरर हरर हरर श्री ॐ स्वस्स्तक हरर हरर ।
हरर हरर हरर हरर जय ॐ स्वस्स्तक हरर हरर ।
हरर हरर हरर हरर हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..

उत्कर्षय करो उिार करो, हे स्वस्स्तक हर्ारां कल्याण करो ।


उत्थान करो उत्कृष्ट करो, हर्रे जीवनको उज्ज्वलीत करो ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..
तुर् पालक हो तुर् पोशक हो, तुर् ही तो सष्ट
ृ ीके र्हा सजयक हो ।
तुर् आत्र्ा हो तुर् परर्ात्र्ा हो तुर् ही तो ववश्वके ववधाता हो ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..
तुर् अनुकंपार्य हो तुर् करुणार्य हो, तुर् ही तो र्हा र्ायार्य हो ।
तर्
ु दयालु हो तर्
ु कृपालु हो, तर्
ु ही तो र्हा परोपकारी हो ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..
तर्
ु उपकारी हो, तर्
ु उपहारी हो, तर्
ु ही तो र्हा उपिारी हो ।
तर्
ु अदभत
ू हो तर्
ु अलौक्रकक हो तर्
ु ही तो अतत अनप
ु र् हो ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..
तर्
ु भक्ति हो तर्
ु शक्ति हो तर्
ु ही तो र्हा र्क्तु ि हो ।
तर्
ु अनरु ागी हो तर्
ु अनग्र
ु ही तर्
ु ही तो र्हा वरदानी हो ।
उत्कर्षय करो उिार करो…..

श्रेष्ठ उिर् शुशील संस्कारी….

श्रेष्ठ उिर् शश
ु ील संस्कारी, र्ानवताका प्रततक परोपकारी ।
आदशय शीलर्ें सबसे न्यारां, स्वस्स्तक हैं हर्ें प्राणसे प्यारां ।
श्रेष्ठ उिर् शश
ु ील संस्कारी….
शभ
ु लाभ और सर्
ु ंगलकारी, वैभव ववलाश और सख
ु कारी ।
दःु ख दररद्र और संकटहारी, कष्ट वपडा भय हर ववघ्नहारी ।
श्रेष्ठ उिर् शश
ु ील संस्कारी….
प्रेर् स्नेह र्ाया गुणकारी, दया कृपा करुणां अनुकंपाकारी ।
शुकनवं सदा सौभाग्यकारी, संतती सम्पवि और सर्वृ िदायी ।
श्रेष्ठ उिर् शुशील संस्कारी….
र्नोहर सुंदर सौम्यरूपधारी, आनंद उर्ंग और उत्सवकारी ।
संयर् संतोर्ष और शांततकारी, सदा सवयदा यश ववजयकारी ।
श्रेष्ठ उिर् शुशील संस्कारी….
अदभूत अलौकीक िेतनकारी, स्वस्स्तक प्रततक कल्याणकारी ।
भव्य हदब्य और िर्त्कारी, स्वस्स्तक तो हैं र्हागुणकारी ।
श्रेष्ठ उिर् शुशील संस्कारी….
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..

स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्, पववत्र प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।


स्वततक प्रततकर् शभ
ु प्रततकर्, र्ंगल प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
संद
ु र प्रततकर् सश
ु ोर्भत प्रततकर्, नयनरम्य प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
भव्य प्रततकर् हदव्य प्रततकर्, सस
ु ौम्य प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
तेजोर्यय प्रततकर् ज्योततर्यय प्रततकर्, िर्त्कारीक प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
अदभूत प्रततकर् अलौक्रकक प्रततकर्. अल्हादक प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
सौभाग्य प्रततकर् शुभेच्छक प्रततकर्, सुलाभ प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
श्रेष्ठ प्रततकर् उिर् प्रततकर्, सवयप्रथर् प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
धर्य प्रततकर् अथय प्रततकर्, कार् प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
ध्यान प्रततकर् ज्ञान प्रततकर्, योग प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
सौयय प्रततकर् िंद्र प्रततकर्, नवग्रह प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
गणेश प्रततकर् गजानन प्रततकर्, अष्टववनायक प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
ब्रह्मा प्रततकर् ववष्णु प्रततकर्, र्शव-रुद्र प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
सरस्वतत प्रततकर् लस्क्ष्र् प्रततकर्, पावयतत प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
प्रेर् प्रततकर् जीवन प्रततकर्, र्ौक्ष प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
भक्ति प्रततकर् शक्ति प्रततकर्, र्ुक्ति प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
सत्य प्रततकर् अहहंसा प्रततकर्, अस्तेय प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
परर्ेश्वर प्रततकर् परर्ेश्वरी प्रततकर्, ववश्व प्रततकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वततक प्रततकर् पावन प्रततकर्…..
वन्दे स्वस्स्तकर्…..

शभ
ु दार् र्ंगलां पावन पववत्रार्
रिवणां स्वस्स्तकर् ।
हदव्यदशयनाितभ
ु ज
ूय ाधारीणां
शशीस्वरूपवतसंद
ु रसश
ु ोर्भतां
ज्योततर्ययी र्धक
ु र स्वरुपार्
सुखदां शांततदां स्वस्स्तकर् ।।१॥ वन्दे स्वस्स्तकर् ।
कोहट कोहट युग हर स्थल सवयत्र प्रकटे
कोहट कोहट जन वंदन पूजते ।
सदा सुभार्शर्ष दे ते ।
बलशक्तिदायकर् नर्ार्र् र्ुक्तिदां ।
भयदख
ु हाररणां स्वस्स्तकर् ।।२॥ वन्दे स्वस्स्तकर् ।
तुर्हो हदव्यर् तुर्हो भव्यर्
तुर्हो कल्याणकारकर्
तुर्हो भक्ति तुर्हो शक्रक
तुर्हो र्ुक्तिदायकर्
तुम्हारी प्रततर्ा शोभे
हरघर र्ंहदरे स्वस्स्तकर् ॥३॥ वन्दे स्वस्स्तकर् ।
त्वं हह दे वो नवदग
ु ायशक्तिदे ववयां
सवयत्रार् सवयज्ञां सवयव्यापी
र्शव शक्तिस्वरुपार्, नर्ार्र् त्वार्
नर्ार्र् सुखदां शुभदां शांततदार्
श्रीगणेशां ववनायकां स्वस्स्तकर् ।।४॥ वन्दे स्वस्स्तकर् ।
आयां प्रततकां ववश्वतां पस्ु जतां
नर्ार्र्ं वंदनार्र्ं स्वस्स्तकर् ॥५॥ वन्दे स्वस्स्तकर् ।
प्रथर् पूजा हर् करते हैं…..

प्रथर् पज
ू ा हर् करते हैं, स्वस्स्तक प्रभु हर् आपकी ।
शभ
ु लाभ र्ंगलकारीकी, स्वस्स्तक र्ंत्रके जापकी ।
प्रथर् पज
ू ा हर् करते हैं…..
परर् पावन पवोत्र प्रततक, जीवन करे उिार ।
स्वस्स्तकाकार बीज र्ंत्र हैं, गणेशजीका अवतार ।
प्रथर् पूजा हर् करते हैं…..
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्, ॐ नर्ो श्री गजाननर् ।
ॐ नर्ो श्री ववनायकर्, ॐ नर्ो श्री गणेशर् ।
र्नोकार्ना परीपूणय होती, हदव्य प्रेरणा प्रगट होती ।
आचध व्याचध सब कुछ र्र्ट जाता,सुख िैन शांतत हो जाती ।
श्री स्वस्स्तकके जापसे, होता हैं तनवायण ।
श्रवण स्वस्स्त र्हार्ंत्रका, करे आत्र् कल्याण ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्….. आ…आ…
तन र्न स्जवन परर्ानंदर्य,हो जाता हैं जापसे ।
प्राणी वैकंु ठर्ें जाता हैं, भक्ति पूजा र्हा पाठसे ।
जो नीश हदन स्र्रे र्हार्ंत्र ये, वो पावे र्हापद र्ान ।
पाता हैं वो ऐश्वययका र्र्य, श्रीगणेशजीका वरदान ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्….. आ…आ…
दःु ख दररद्र सब दरू भागे, संकट कष्ट कभी नहहं आवे ।
भय भूत दर सब दरू भागे, जीवन धन्य धन्य हो जाये ।
ररवि र्सवि र्ाता कहे , धरो श्री गणेशका ध्यान ।
ववश्वर्ें अलभ्य कुछ नहहं, कओ स्वस्स्तकको प्रणार् ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्….. आ…आ…
तनत्य यज्ञ संध्या पज
ू ा करते, शत शत उन्हें प्रणांर् हैं ।
जहां रहे स्वस्स्तक जीस स्थलपे, वहींपे प्रभक
ु ा वास हैं ।
कोटी नर्न गौरीसत
ु गजानन, कोटी नर्न स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तकानंद दास तम्
ु हारो, वंदन करे वारं वार ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्….. आ…आ…
प्रथर् पज
ू ा हर् करते हैं…..
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..

प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर्, प्रथर् वंदनीयर् स्वस्स्तक चिन्हर् ।


शुभर् र्ंगलर् स्वस्स्तक आकारर्, नर्ो स्तुते श्री स्वस्स्तक प्रततकर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् पूण्यर्, स्वस्स्ततक तो हैं पावनर् पववत्रर् ।
स्वस्स्तक तो हैं सत्यर् र्शवर्, भजलो प्यारे स्वस्स्तक शुभनार्र् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् आनंदर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् सुख ऐश्वययर् ।
स्वस्स्तत तो हैं परर् पज
ू तनयर्, भजलो प्यारे स्वस्स्तक सहृदयर् ।
प्रथर् पस्ू जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् सौभाग्यर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् कल्याणर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् आर्शवायदर्, भजलो प्यारे कृपालु स्वस्स्तकर् ।
प्रथर् पस्ू जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् परर्ेश्वरर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् परर्ेश्वरीर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् र्हे श्वरर्, भजलो प्यारे प्रभर्
ु य श्री स्वस्स्तकर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् श्रीगणेशर्, स्वस्स्ततक तो हैं श्री र्सविववनायकर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् अष्टववनायकर्, भजलो प्यारे जय श्री गजाननर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..

श्लोक……
स्वस्स्तकं स्वस्स्तकाकारं स्वस्स्तकात्र्ानं सवोिर्र् ।
स्वस्स्तर्ागय प्रणेधारर् प्रणतोस्स्र् स्वस्स्तकर् ।
*
नर्ार्ी स्वस्स्तक प्रततकंपववत्रं,करोर्र् स्वस्स्तक पुजनं सदा ।
जपार्र् स्वस्स्तक नार् शुिं ,स्र्रार्र् र्ंगलं स्वस्स्तकर् ा् ।
*
र्ंगलर् भगवान स्वस्स्तक, र्ंगलर् ा् स्वस्स्तवािनर् ा् ।
र्ंगलर्ं र्सविववनाकाय, र्ंगलाय तनो दे व ।
सवय र्ांगल र्ांगल्ये , स्वस्स्तके सवायथय साचधके ।
शरण्ये गणेशे ववृ ि, र्सवि बुवि नर्ोस्तुते ।
*
स्वस्स्तकाकरर् ा् परर् पववत्रर् ा्, रि वणयर् ा् ज्योततर्ययर् ा् ।
पावनर् ा् र्ोक्षदर् ा् पूण्यर् ा्, स्वस्स्तर् ा् प्रणर्ाम्यहर् ा् ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक ।


गणेशर् गणेशर् हरी ॐ स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
हदव्यर् हैं स्वस्स्तक भव्यर् हैं स्वस्स्तक ।
संद
ु रर् हैं स्वस्स्तक र्नोहरर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
पण्
ु यर् हैं स्वस्स्तक धन्यर् हैं स्वस्स्तक ।
पववत्रर् हैं स्वस्स्तक पावनर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
शुभर् हैं स्वस्स्तक हैं र्ंगलर् स्वस्स्तक ।
लाभर् हैं स्वस्स्तक सौभाग्यर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
िैतन्यर् हैं स्वस्स्तक िेतनर् हैं स्वस्स्तक ।
प्रेर्र् हैं स्वस्स्तक भाग्यर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
साध्यर् हैं स्वस्स्तक आराध्यर् हैं स्वस्स्तक ।
पूजनीयर् हैं स्वस्स्तक दशयनीयर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
अदभूतर् हैं स्वस्स्तक अलौक्रककर् हैं स्वस्स्तक ।
अहद्वत्यर् हैं स्वस्स्तक ऐश्वययर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
सत्यर् हैं स्वस्स्तक धर्यर् हैं स्वस्स्तक ।
र्शवर् हैं स्वस्स्तक श्रीदे वीर् हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..
र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……

सुनो…. सुनो…. र्ैं स्वस्स्तकाके गीत गा रहा हुं ।


हांजी स्वस्स्तक गीत।
सबसे सवोिर् गीत ।

र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……


र्ैं कयंु िाहुं स्वस्स्तका हो स्वस्स्तका जी ।
हर् कयुं िाहे स्वस्स्तका हो स्वस्स्तका जी ।
स्वस्स्तक नहह हैं कोई हीटलकी साईन ।
नहह हैं राग और द्वे र्षकी साईन ।
स्वस्स्तक तो हैं पववत्र पावन साईन ।
र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……
स्वस्स्तक नहह हैं कोई नाझी साईन ।
नहह हैं अधर्र्य आतंकीओंकी साईन ।
स्वस्स्तक तो हैं धार्र्यक साईन ।
वेहदक आयोंकी हैं वो प्यारी साईन ।
र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……
स्वस्स्तक नहह हैं भेदभावकी साईन ।
नहह हैं आतंक और कृरताकी साईन ।
स्वस्स्तक तो हैं प्रेर् सहिारकी साईन ।
स्वस्स्तक तो हैं ववश्वशांततकी साईन ।
र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……
स्वस्स्तक तो हैं सौभाग्यकी साईन । [स्वस्स्तका ईस ए गुड लक साईन]
स्वस्स्तक तो हैं जनकल्याणकी साईन । [स्वस्स्तका ईस ए वेलबीईंग साईन]
स्वस्स्तक तो हैं शुभ र्ंगल साईन । [स्वस्स्तका ईस एन ओस्स्पयस साईन]
स्वस्स्तक तो हैं वसुधव
ै की साईन । [स्वस्स्तका ईस एन युतनवसयल साईन]
र्ैं िाहुं र्ैं िाहुं……
हो र्ैं तो प्यार करुं ..

र्ैं तो प्यार करुं .. प्यार करुं .. स्वस्स्तकाको स्वस्स्तकाको जी ।


तुर् प्यार करो.. प्यार करो.. स्वस्स्तकाको स्वस्स्तकाको जी ।
स्वस्स्तका तो हैं प्रततक पुराना, आययधर्यका हैं र्हाप्रततक रे ।
ववश्व जनों का प्यारां दल
ु ारां, शुभ र्ंगल स्वस्स्तक प्रततक रे ।
हो र्ैं तो प्यार करुं ..
सारे ववश्वर्ें स्वस्स्तक हैं छाया, जगर्ें हैं उनका बहुर्ान रे ।
हर धर्य संस्कृततओंर्ें सर्ाया, जगव्यावप स्वस्स्तक नार् रे ।
हो र्ैं तो प्यार करुं ..
कलाकृतत और र्शल्प भातर्ें , अग्रज हैं उनका स्थान रे ।
प्रेर् प्रकाश जीवन भाग्यका, र्ाना हुआ हैं ये प्रततक रे ।
हो र्ैं तो प्यार करुं ..
शुभ र्ंगलका प्रततक सुहाना, लाभका उिर् प्रततक रे ।
सुख वैभवका का प्रततक सलौना, ववश्वशांततका है दत
ू रे ।
हो र्ैं तो प्यार करुं ..
स्वस्स्तका है प्रततक सत्यका, धर्य कर्यका शुभ चिन्ह रे ।
जो भावे भजले स्वस्स्तका, उनका हो सदा कल्याण रे ।
हो र्ैं तो प्यार करुं ..
वर दे वर दे वर दे …

वर दे वर दे वर दे , हे स्वस्स्तक हर्ें शभ
ु वर दे ।
भर दे भर दे भर दे , खाली झोली र्ेरी भर दे ।
भाव भक्तिसे ध्यान ज्ञानसे, प्रेर्भावसे तुं भर दे ।
बल शक्तिसे आरोग्य ऐश्वययसे, हे झोली तुं भर दे ।
वर दे वर दे वर दे …..
धन धान्यसे वैभव ववलाससे, सुख सर्वृ िसे भर दे ।
ररवि र्सविसे बुवि िातुयस
य े, हे झोली तुं भर दे ।
वर दे वर दे वर दे …..
आनंद उर्ंगसे संतोर्ष शांततसे, आध्यात्र्से तुं भर दे ।
ववनय वववेकसे दया करूणासे, हे झोली तुं भर दे ।
वर दे वर दे वर दे …..
पूण्य कर्यसे परोपकारसे, सेवाभावसे तुं भर दे ।
सुवविारसे सदभावसे, हे झोली तुं भर दे ।
वर दे वर दे वर दे …..
सदािारसे सद्व्यवहारसे, आत्र्शुविसे भर दे ।
प्रभु भक्तिसे श्रिाभावसे, खाली झोली र्ेरी भर दे ।
वर दे वर दे वर दे …..
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....

र्ंगल गीत सुनावो हे साधो, सुर्ंगल शुभ गीत तर्


ु गाओ रे ।
स्वस्स्तक नार् स्र्रण करते, स्वस्स्तकके सदगुण गाओ रे ।
स्वस्स्तक तो हैं शुभ कल्याणी, सुखदायी और सम्पततदायी ।
परर् कृपालु प्रभु वैभवदायी, यश कीततय और सदा ववजदायी ।
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....
स्वस्स्तक तो हैं र्हा र्ंगलदायी, सुख शांतत और संतोर्षदायी ।
परर् कृपालु प्रभु संततीदायी, भक्ति शक्ति और र्हा फलदायी ।
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....
स्वस्स्तक तो हैं शुभ लाभदायी, सुहाग और सदा सौभाग्यदायी ।
परर् परर्ेश्वर अनुकंपादायी, सुवि र्सवि और र्हा सर्वृ िदायी ।
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....
स्वस्स्तक तो हैं श्री गणेशरुप सांई, पावन पववत्र र्हा पूण्यदायी ।
ज्ञान बल बुवि और िातुयद
य ायी, जय हो स्वततगणेश प्रभु सांई ।
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....
र्धरु र्नोहर और आनंददायी, सुंदर सुशोर्भत नव जीवनदायी ।
ज्ञान बल बुवि और िातुयद
य ायी, जय हो स्वततगणेश प्रभु सांई ।
र्ंगल गीत सुनाओ साधो.....
स्वस्स्तक तो हैं र्त्ृ यंज
ु कारी, र्ौक्ष र्क्तु ि और आत्र्कल्याणी ।
जो पज
ू े श्री स्वस्स्तक नरनारी, होये सदा उनकी जय जयकारी ।
र्ंगल गीत सन
ु ाओ साधो.....
धून…..

हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका ।


हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका ।
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका । [कोरस]
हरर ॐ नर्ो श्री गणेशा, ॐ नर्ो श्री गणेशा ।
हरर ॐ नर्ो श्री गणेशा, हरर ॐ नर्ो श्री गणेशा ।
हरर ॐ नर्ो श्री गणेशा, ॐ नर्ो श्री गणेशा । [कोरस]
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका….
हरर ॐ नर्ो गजानना, ॐ नर्ो श्री गजानना।
हरर ॐ नर्ो गजानना हरर ॐ नर्ो गजानना ।
हरर ॐ नर्ो गजानना, ॐ नर्ो गजानना । [कोरस]
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका….
हरर ॐ नर्ो ववनायका, ॐ नर्ो श्री ववनायका ।
हरर ॐ नर्ो ववनायका, हरर ॐ नर्ो ववनायका ।
हरर ॐ नर्ो ववनायका, ॐ नर्ो ववनायका । [कोरस]
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका….
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका…. [२५]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक


हरर ॐ.. हरर ॐ.. हरर ॐ स्वस्स्तक
आयोंका हैं प्रततक स्वस्स्तक, वेहदकचिन्ह हैं स्वस्स्तक ।
सवयसनातन धर्यसंप्रदायोंका, पावन प्रततक हैं स्वस्स्तक ।
ववश्वके सवय धर्ोंर्ें भी, अतत आदरणीय हैं स्वस्स्तक ।
ववश्वव्यापी है स्वस्स्तक, ववश्वजनोंका चिन्ह हैं स्वस्स्तक ।
शुभ लाभकारी हैं स्वस्स्तक, र्ंगलकारी भी है स्वस्स्तक ।
ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्, ॐ नर्ो श्री गजाननर् ।
ॐ नर्ो श्री गणेशायर्, ॐ नर्ो श्री ववनायकर् ।
ॐ नर्ो श्री नारायणर्, ॐ नर्ो श्री शक्तिकर् ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक……
जैनोंका हैं स्वस्स्तक, स्जनालयोर्ें हैं स्वस्स्तक ।
जैनधर्यका अतत पावन, अष्टपाद है स्वस्स्तक ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, शुभर् लाभर् स्वस्स्तक ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, ॐ नर्ो र्सिाणं ।
ॐ नर्ो आयररयाणं ॐ नर्ो उवज्ज्ञाणं ।
ॐ नर्ो लोए सव्वसाहुणं ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्
स्वस्स्तक स्वस्स्तक……
बौधधर्यका चिन्ह हैं स्वस्स्तक, स्तप
ु ोर्ें स्थावपत हैं स्वस्स्तक ।
बौधोंननोंका प्यारां हैं स्वस्स्तक, ववश्वशांततका दत
ू हैं स्वस्स्तक ।
बि
ु के छाती पर सोहे स्वस्स्तक, बि
ु र् शरणर् श्री स्वस्स्तकर् ।
बि
ु र् शरणर् गच्छार्ी, धर्यर् शरणर् गच्छार्ी ।
ब्रह्मर् शरणर् गच्छार्ी,संघर् शरणर् गच्छार्ी ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक……
जपानी र्सन्तोका हैं स्वस्स्तक िीनी कन््यझ
ु नीओंका हैं स्वस्स्तक ।
अर्ेररकन ईस्न्डयनोंका हैं स्वस्स्तक, र्ायन-एझटे कोंका हैं स्वस्स्तक ।
युरोवपयन डृईडोंका हैं स्वस्स्तक, कोप्टीक क्ररश्च्यनोंका हैं स्वस्स्तक ।
रोर्न ग्रीकजनोंका हैं स्वस्स्तक, नोक्तडयक-वाईक्रकंगोंका हैं स्वस्स्तक ।
सवय ववश्वजनोंका हैं श्री स्वस्स्तक, गौरवसे बोलो जय श्री स्वस्स्तक ।
श्रीर्न स्वस्स्तकाय…..

श्रीर्न स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर [२]


तेरी र्ाया सबसे प्यारी प्यारी हरर हरर [२]
भजर्न स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर [२]
हरर ॐ स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर [२]
श्रीर्न स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर [२]
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका…[२]
ररवि स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
र्सवि स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
बोलो गणेशाय गणेशाय हरर हरर
भजो स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
जय जय स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका, हरर ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तका…[२]
स्वस्स्त ववनायक ववनायक हरर हरर
र्सविववनायक ववनायक हरर हरर
स्र्रो ववनायक ववनायक हरर हरर
जपो स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
अष्टववनायक स्वस्स्तकाय हरर हरर
स्वस्स्त स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
पूजो स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
नर्ो श्रीस्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर
नर्ो श्रीगणेशाय गणेशाय हरर हरर
श्रीर्न स्वस्स्तकाय स्वस्स्तकाय हरर हरर [२]
स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर्….

स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर्, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।


सत्यर् शीवर् संद
ु रर्, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
स्वतत स्वतत सदा कताय, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
रकतवणयर् शुशोर्भतर्, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
शुभर् लाभर् र्ंगलर्, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
श्री गणेशाय स्वरुपा, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
श्री ररवि र्सवि स्वरुपा, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
सत चित आनंद स्वरुपा, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
श्री र्ां र्हाशक्ति स्वरुपा, स्वस्स्तकर् स्वस्स्तकर् ।
ॐ नर्ो स्वस्स्तकर् ॐ नर्ो स्वस्स्तकर् [१]
स्वस्स्तकर् …स्वस्स्तकर् [११]
ॐ नर्ः प्रततकायर् ॐ नर्ो स्वस्स्तकर्
ॐ नर्ो नर्ार्ीहर् ॐ नर्ो प्रततकायर्
ॐ नर्ो श्रीगणेशायर् ॐ नर्ो श्री गजाननर्
ॐ नर्ो र्शव पुत्रायर् ॐ नर्ो गौरी सुतायर्
नर्ो नर्ो स्वस्स्तक प्रततकर्, नर्ो नर्ो स्वस्स्तक प्रततकर्

धून…..
हरर ॐ स्वस्स्तका... हरर ॐ स्वस्स्तका...

हरर ॐ गणेशा... हरर ॐ गणेशा......

ररवि र्सवि ववश्वववनायक, हरर ॐ गणेशा......

श्री ॐ स्वस्स्तका... श्री ॐ स्वस्स्तका...

श्री ॐ गणेशा... श्री ॐ गणेशा......

ररवि र्सवि अष्टववनायक, हरर ॐ गणेशा......

ॐ स्वं स्वस्स्तका... ॐ स्वं स्वस्स्तका...

ॐ गं णणेशा... ॐ गं गणणेशा...

ररवि र्सवि र्सविववनायक, हरर ॐ गणेशा......

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, हरर…. ॐ स्वस्स्तका

स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तका ।

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, हरर…. ॐ स्वस्स्तका

स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तका ।


स्वस्स्तक स्वस्स्तक …..

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक ।


गणेशर् गणेशर् हरर ॐ गणेशर्, हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ गणेशर् ।
ॐ नर्ो पावन प्रततकर्, ॐ नर्ो पववत्र प्रततकर् ।
ॐ नर्ो शुभलाभ प्रततकर्, ॐ नर्ो र्ंगल प्रततकर् ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
आययजनोंका हैं स्वस्स्तक, हहंदज
ु नोंका हैं स्वस्स्तक ।
दे वालयोंर्ें हैं स्वस्स्तक, तीथयस्थानोंर्ें हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ॐ नर्ो श्री गणेशायर् । ॐ नर्ो श्री र्सविववनायकर् ।
ॐ नर्ो श्री गजाननर् । ॐ नर्ो स्वस्स्तकायर् ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
जैनजनोंका हैं स्वस्स्तक, जीनालयोंर्ें हैं स्वस्स्तक ।
अष्टर्ंगल हैं स्वस्स्तक, श्रीसप
ु ाश्वय स्वरुप हैं स्वस्स्तक ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, शभ
ु र् लाभर् स्वस्स्तकर् ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, ॐ नर्ो र्सिाणं ।
ॐ नर्ो आयररयाणं ॐ नर्ो उवज्ज्ञाणं ।
ॐ नर्ो लोए सव्वसाहुणं ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर् ।
जीनर् शरणर् ग्च्छार्र् स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
बौधजनोंका हैं स्वस्स्तक, बौधस्तुपोर्ें हैं स्वस्स्तक ।
बुि वक्षपर हैं स्वस्स्तक, बौधगुफार्ें हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
बुिर् शरणर् गच्छार्र्, ब्रह्मर् शरणर् गच्छार्र्
संघर् शरणर् गच्छार्र्, संघर् शरणर् गच्छार्र्।
बुिर् शरणर् गच्छार्र् स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ज्ञानर् स्वस्स्तक, ध्यानर् स्वस्स्तक…… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
योगर् स्वस्स्तक, भक्तिं र् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ररविर् स्वस्स्तक र्सविर् स्वस्स्तक…. स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
भोगर् स्वस्स्तक, त्यागर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
सुखर् स्वस्स्तक, शांततर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
सुहागर् स्वस्स्तक, सौभाग्यर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
आनंदर् स्वस्स्तक, ऐश्वययर् स्वस्स्तक…. स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक..... [३]
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्.....

ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्, ॐ नर्ो र्हा स्वस्स्तकायर् ।


ॐ नर्ो र्हा गणेशायर्, ॐ नर्ो र्हा ववश्वस्वरुपायर् ।
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्…..
ॐ नर्ो शुभदायकर्, ॐ नर्ो लाभदायकर् ।
ॐ नर्ो भाग्यदायकर्, ॐ नर्ो र्ंगलकारीर् ।
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्…..
ॐ नर्ो सुखदायकर्, ॐ नर्ो शांततदायकर् ।
ॐ नर्ो ररविदायकर्, ॐ नर्ो र्सविदायकर् ।
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्…..
ॐ नर्ो वैभवदायकर्, ॐ नर्ो सर्वृ िदायकर् ।
ॐ नर्ो प्रगततदायकर्, ॐ नर्ो दायकर् ।
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्…..
ॐ नर्ो यशदायकर्, ॐ नर्ो कीततयदायकर् ।
ॐ नर्ो ववृ िदायकर्, ॐ नर्ो बवु िदायकर् ।
ॐ नर्ो र्हा प्रततकायर्…..
ॐ नर्ो ऐश्वययदायकर्, ॐ नर्ो प्रभत
ु ादायकर् ।

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक


हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री अष्टववनायक हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री गौरीनंदन हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री शंकरसप
ु त्र
ु हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री र्सविववनायक हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री ररविववनायक हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री गणेश गजानन हरर ॐ स्वस्स्तक,
हरर ॐ हरर ॐ हरर……
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक, श्री ववनायक गणपतत हरर ॐ स्वस्स्तक,
वन्दन करो…..

वन्दन करो श्री स्वस्स्तक प्रततकको, वन्दन करो श्रीगणेश प्रततकको ।


ववश्वव्यावप शुभर्ंगल स्वततप्रततकको, सवयप्रथर् पूजतनय श्री स्वस्स्तकको ।
आययजनोंके आध्यास्त्र्क प्रततकको, शुभ लाभके र्हाहदव्य प्रततकको ।
पावन पववत्र र्हाप्रभुके प्रततकको, र्हाशक्ति र्ां नवदग
ु ायके प्रततकको ।
हदव्यशक्तिदाता स्वस्स्तक प्रततकको, हदव्य िेतनादाता श्री स्वस्स्तकको ।
र्हाउजायके ज्योततर्यय सुयद
य े वको, शांत शीतल सुंदररुप िंद्रदे वको ।
श्री ब्रह्माजीके र्हाशस्त्र ब्रह्मास्त्रको, श्री र्हे श्जीके र्हान बत्रशुलशस्त्रको ।
श्री ववष्णुजीके र्हासुदशयनिरको, र्ाता नवदग
ु ाके हर अस्त्रशस्त्रोंको ।
ितुवेदोंके र्हा स्वस्स्तवािनर्ंत्रको, तंत्र यंत्र और र्हायोग र्ंत्रको ।
साधनाके र्हान आध्यात्र् प्रततकको, प्रेर् भक्तिर्य श्रीस्वस्स्तकको ।
श्री गणेशके पावन पुण्य प्रततकको, ररवि र्सवि पतत परर्ेश्वरको ।

स्वस्स्तक प्रततकर् परर् पावनर्…..

स्वस्स्तक प्रततकर् परर् पावनर्, स्वस्स्तक प्रततकर् परर् पूजतनयर् ।


स्वस्स्तक प्रततकर् परर् सुंदरर्, स्वस्स्तक प्रततकर् परर् सुशोर्भतर् ।
धनर् धान्यर् पशु-पुत्रर् लाभर्, शक्ति सार्वययर् र्हाबलर् वधयनर् ।
सख
ु र् सर्वृ िर् सव
ु ैभवर् संवधयनर्, शांततर् संतोर्षर् परर्ानंद दायकर् ।
लाभर् कीततयर् सन्र्ानर् दायकर्, ररविर् र्सविर् व्रवु िर् प्रदानयर् ।
बवु िर् िातय
ु र्
य ज्ञानर् प्रदानर्, वैभवर् र्हापद प्रर्सविर् दायकर् ।
प्रेर्र् स्नेहर् करुणार् वधयनर्, आरोग्यर् ऐश्वययर् आनंदर् वधयनर् ।
सौभाग्यर् र्ंगलर् कल्याणर् दायकर्, शवु िर् पववत्रर् पावनर् करोतत ।
दःु खर् दररद्रर्, कष्टर् तनवारणीयर्, आचध-व्याचधर् उपाचधर् हरण्यर्।
ववघ्नर् आपविर् ववपविर् हरततर्, भयर् संकटर् क्षोभर् हरण्यर्।
शुभर् सुर्ंगलर् सवयशक्तिर्ानर्, स्वस्स्त स्वस्स्त कतायर् स्वस्स्तक प्रततकर् ा् ।
वंदनर् प्रणार्र् नर्स्कार् ा् करोम्यहर् ा्, सवयर् कल्याणर् करो हे स्वस्स्तकर् ा् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तकर् ा्…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तकर् ा्, स्वस्स्तकर् ा् स्वस्स्तकर् ा् हरर ॐ स्वस्स्तकर् ा् ।


श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ स्वस्स्तकर् ा्, स्वस्स्तकर् ा् स्वस्स्तकर् ा् श्री ॐ स्वस्स्तकर् ा् ।
र्शव ॐ र्शव ॐ र्शव ॐ स्वस्स्तकर् ा्, स्वस्स्तकर् ा् स्वस्स्तकर् ा् र्शव ॐ स्वस्स्तकर् ा् ।
जय ॐ जय ॐ जय ॐ स्वस्स्तकर् ा्, स्वस्स्तकर् ा् स्वस्स्तकर् ा् जय ॐ स्वस्स्तकर् ा् ।
सत्यर् र्शवर् संद
ु रर् स्वस्स्तकर् ा्, भव्यर् हदव्यर् िैतन्यर् स्वस्स्तकर् ा् ।
पावनर् पववत्रर् पण्
ू यर् स्वस्स्तकर् ा्, शभ
ु र् लाभर् र्ंगलर् स्वस्स्तकर् ा् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
सवयत्रर् सवयज्ञर् सवयव्यावपर् स्वस्स्तकर्, अनाहदर् अनंतर् अनेकर् स्वस्स्तकर् ।
अिलर् अगोिरर् अज्ञातर् स्वस्स्तकर्, श्रेष्ठर् अनप
ु र्र् अनन्यर् स्वस्स्तकर् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
अदभूतर् अलौक्रककर् िर्त्कारीकर् स्वस्स्तकर्, अर्ूल्यर् अणर्ोलर् अतुल्यर् स्वस्स्तकर् ।
रम्यर् र्ोहकर् र्नोहरर् स्वस्स्तकर्, परर्ानंदर् उल्हासर् सस्च्िदानंदर् स्वस्स्तकर् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
र्हे श्वरर् अररहं तर् गौतर्र् स्वस्स्तकर्,पूजनीयर् वंदनीयर् आदरणीयर् स्वस्स्तकर् ।
उजायर् प्रकाशर् र्हाशक्तिर् स्वस्स्तकर्, आध्यात्र्र् ऐश्वययर् र्हातपर् स्वस्स्तकर् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
योगर् ध्यानर् भक्तिर् स्वस्स्तकर्, र्ंत्रर् यंत्रर् तंत्रर् स्वस्स्तकर् ।
धर्यर् कर्यर् र्ोक्षर् स्वस्स्तकर्, श्रिार् आस्थार् सर्पयणर् स्वस्स्तकर् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
प्रततकर् चिन्हर् शुभाकारर् स्वस्स्तकर्, सब्यर् र्सिर् भद्रर् प्रततकर् ।
प्रथर्र् पूजीतर् श्री गणेश प्रततकर्, आययधर्यर् राष्ट्रर् संस्कृततर् प्रततकर् ।
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक…..

प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..[४] चिन्ह स्वरूप श्री गणेशा ।


अतत सुंदर शोभे आकार..[२] हर र्ंदीरके हर द्वार द्वार ।
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
ितुभज
ूय िराकार … रिवणय शुभ लाभाकार..[२]
भव्य हदव्य शुभ प्रततक, र्ंगलर्ूती गणेशा..
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
ब्रह्मास्त्र वज्र शस्त्र सर्ान, बत्रशुल सुदशयन सर्ान..[२]
आयय धर्य ध्वज सर्ान, आयय गौवयका गुणगान…
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
पावन पववत्राकार….दै वी आध्यास्त्र्क आकार…[२]
पूजतनय वंदनतनय…आदरणीय र्हा आकार…
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
सवय उिर् प्रततक, सवय श्रेष्ठ्तर् प्रततक…[२]
सवयव्यावप प्रततक, सवयत्र सवयर्य प्रततक..
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
ररवि र्सवि दाता गणेश, सख
ु शांतत दाता गणेश..।..[२]
दख
ु कष्ट हताय गणेश, सवयर्सवि स्वस्स्तक गणेश ।
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
ववश्वव्यापी अनेक नार्, नरनारी भजे प्रभु सर्ान..।..[२]
ॠवर्षर्ुतन गाये गुणगान, स्वस्स्तकानंद धरे ध्यान ।
प्रथर् स्र्रो श्री स्वस्स्तक..
प्रथर् पुजो श्री स्वस्स्तक..
प्रथर् भजो श्री स्वस्स्तक..
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्, शभ
ु र् र्ंगलर् स्वस्स्तकर् ।
सत्यर् र्शवर्, संद
ु रर् स्वस्स्तकर् श्रीगणेशर् ा् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
सवोिर् सवयश्रेष्ठर्, सवोपररर् प्रततकर् ।
सवयत्रर् सवयव्यावपर्, सवेहदशार् स्वस्स्तकर् ।
हदव्यर् दौव्यर्, अव्यर् रम्यर् स्वस्स्तकर् ।
अदभूतर् अलौक्रककर्, िर्त्कारीर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
रर्झणयंर् शोर्भतर्, र्नोहरर् स्वस्स्तकर् ।
परर्ानंदर् परर्सुखर्, परर्शांततर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
सौभाभाग्यर् सदभाग्यर्, भाग्योदयर् स्वस्स्तकर् ।
आध्यास्त्र्कर् भौततकर्, दै वत्वर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
पावनर् पववत्रर्, शुिोदकर् स्वस्स्तकर् ।
तनर्यलर् तनववयकारर्, सवयगुणर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
आरोग्यर् ऐश्वययर्, उिारकर् स्वस्स्तकर् ।
शुभलाभर् र्ंगलंर्, कल्याणर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
ब्रह्मायर् र्शवायर्, नारायणायर् स्वस्स्तकर् ।
सरस्वतीर् पावयतीर्, र्हालक्ष्र्ीर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
आदरणीयर् वंदनीयर्, सत्कारणीयर् स्वस्स्तकर् ।
पज
ू तनयर् आराध्यर्, साधतनयर् स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्त स्वस्स्तकर्…..
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….

स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्तक बोल…. स्वस्स्त बोल स्वस्स्तक बोल…….[४]
स्वस्स्त बोल स्वस्स्त बोल.. स्वस्स्तक बोल स्वस्स्तक बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. सत्य बोल सत्य बोल…….[४]
सत्य बोल सत्य बोल.. सत्य बोल सत्य बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त……
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. र्शव बोल र्शव बोल…….[४]
र्शव बोल र्शव बोल.. र्शव बोल र्शव बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त……
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. सद
ुं र बोल सुंदर बोल…….[४]
सुंदर बोल सुंदर बोल.. सुंदर बोल सुंदर बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. शभ
ु बोल शुभ बोल…….[४]
शुभ बोल शुभ बोल.. शुभ बोल शुभ बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. र्ंगल बोल र्ंगल बोल…….[४]
र्ंगल बोल र्ंगल बोल.. र्ंगल बोल र्ंगल बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त..[२] स्वस्स्त बोल…. हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल…….[४]
हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल.. हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल..[२]
स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त….

धून ा्…..

जय जय स्वस्स्तक गणेश हरर बोल..[११]


हरर बोल हरर बोल हरर बोल, हरर बोल हरर बोल हरर बोल [११]
जय जय स्वस्स्तक गणेश हरर बोल….
स्वस्स्तक बोल स्वस्स्तक बोल स्वस्स्तक बोल..[२]…..[११]
जय जय स्वस्स्तक गणेश हरर बोल….
गणेश बोल गणेश बोल गणेश बोल…..[२]….[११]
जय जय स्वस्स्तक गणेश हरर बोल….
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..

प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर्, प्रथर् वंदनीयर् स्वस्स्तक चिन्हर् ।


शभ
ु र् र्ंगलर् स्वस्स्तक आकारर्, नर्ो स्तत
ु े श्री स्वस्स्तक प्रततकर् ।
प्रथर् पस्ू जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् पण्
ू यर्, स्वस्स्ततक तो हैं पावनर् पववत्रर् ।
स्वस्स्तक तो हैं सत्यर् र्शवर्, भजलो प्यारे स्वस्स्तक शभ
ु नार्र् ।
प्रथर् पस्ू जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् आनंदर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् सख
ु ऐश्वययर् ।
स्वस्स्तत तो हैं परर् पूजतनयर्, भजलो प्यारे स्वस्स्तक सहृदयर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् सौभाग्यर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् कल्याणर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् आर्शवायदर्, भजलो प्यारे कृपालु स्वस्स्तकर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् परर्ेश्वरर्, स्वस्स्ततक तो हैं परर् परर्ेश्वरीर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् र्हे श्वरर्, भजलो प्यारे प्रभुर्य श्री स्वस्स्तकर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्तक तो हैं परर् श्रीगणेशर्, स्वस्स्ततक तो हैं श्री र्सविववनायकर् ।
स्वस्स्तक तो हैं परर् अष्टववनायकर्, भजलो प्यारे जय श्री गजाननर् ।
प्रथर् पूस्जतर् स्वस्स्तक प्रततकर् …..
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…..

स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…


र्ंगल र्ंगल करो स्वस्स्तक ॐ…[२]
हरर ॐ.. स्वस्स्तक ॐ.. स्वस्स्तक ॐ….[२]
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…
आनंद आनंद करो स्वस्स्तक ॐ… [२]
हरर ॐ.. स्वस्स्तक ॐ.. स्वस्स्तक ॐ..[२]
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…
शुभ शुभ करो स्वस्स्तक ॐ…[२]
हरर ॐ.. स्वस्स्तक ॐ.. स्वस्स्तक ॐ….[२]
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…[२]
लाभ लाभ करो स्वस्स्तक ॐ…
हरर ॐ.. स्वस्स्तक ॐ.. स्वस्स्तक ॐ….[२]
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…
शांतत शांतत करो स्वस्स्तक ॐ…[२]
हरर ॐ.. स्वस्स्तक ॐ.. स्वस्स्तक ॐ….[२]
स्वस्स्त स्वतत करो स्वस्स्तक ॐ…
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, स्वतत स्वस्स्तक स्वस्स्तकाय ॐ…


श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ, श्री श्री स्वस्स्तक स्वस्स्तकाय ॐ…
स्वतत स्वस्स्तक स्वस्स्तकाय ॐ. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ….
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वतत गणेश गणेशाय ॐ….
श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ, श्री श्री गणेश गणेशाय ॐ….
स्वतत गणेश गणेशाय ॐ, हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्त ववनायक ववनायक ॐ….
श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री श्री ववनायक ववनायक ॐ….
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ ररवि र्सवि ववनायक हरर ॐ….
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्त र्शवशक्ति र्शवशक्ति ॐ….
श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री श्री र्शवशक्ति र्शवशक्ति ॐ….
स्वस्स्त र्शवशक्ति र्शवशक्ति ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…
स्वस्स्तक ॐ स्वस्स्तक ॐ स्वस्स्तक ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ
गणेश ॐ गणेश ॐ गणेश ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ
ववनायक ॐ ववनायक ॐ ववनायक ॐ ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ
र्शवशक्ति ॐ र्शवशक्ति ॐ र्शवशक्ति ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..
आ..आ,,आ..आ.. स्वस्स्तका…..

..आ,,आ..आ.. स्वस्स्तका,श्री स्वस्स्तक श्री गणेशा…[८]


स्वस्स्तका..आ..आ..…स्वस्स्तका…..आ..आ..
स्वस्स्तका स्वस्स्तका श्री गणेशा…[२]
हरे गणेशा हरे गणेशा, गणेशा गणेशा हरे हरे …..
हरे स्वस्स्तका हरे स्वस्स्तका स्वस्स्तका हरे हरे …..
गणेशा..आ..आ..आ.. गणेशा..आ..आ..आ..
स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री गणेशा…[२]
हरे गणेशा हरे गणेशा गणेशा गणेशा हरे हरे …..
हरे स्वस्स्तका हरे स्वस्स्तका स्वस्स्तका हरे हरे …..
स्वस्स्तका….आ…. आ…. स्वस्स्तका… आ…. आ….
स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री गणेश…
े [२]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री गजानना…[१२]..
स्वस्स्तका..आ..आ..आ.. गजानना..आ..आ..आ..
स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री गजानना…[२]
हरे गजानना हरे गजानना, गजानना हरे हरे …..
हरे स्वस्स्तका हरे स्वस्स्तका, स्वस्स्तका हरे हरे …..
ववनायका..आ..आ..आ.. ववनायका..आ..आ..आ..
स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री ववनायका…[२]
हरे ववनायका हरे ववनायका, ववनायका हरे हरे …..
हरे स्वस्स्तका हरे स्वस्स्तका. स्वस्स्तका हरे हरे …..
आ..आ,,आ..आ.. स्वस्स्तका…..
पुरे ववश्वर्ें हैं सवोिर्…..

पुरे ववश्वर्ें हैं सवोिर्, स्वस्स्तक प्रततक हर्ारां ।

हर्तो हैं साधक उनके, वो आराध्य हैं हर्ारां । ..….………..पुरे ववश्वर्ें

हर प्रततकोंर्ें हैं सबसे उं िा, वो प्रथर् चिन्ह हैं हर्ारां,

सारे ववश्वर्ें हैं सदा वो छायां, ववश्वजनोंको वो हैं प्यारां ! ………..पुरे ववश्वर्ें

सुंदर, सुर्नोहर, नयनरम्य, शुभ चिन्ह हैं स्वस्स्तकका ।

अदभत
ू , अहद्वतीय, अलौक्रकक, लाभ आकार हैं हर्ारां । ………..परु े ववश्वर्ें

आययधर्य संस्कार संस्कृततका, स्वस्स्तक तो हैं रखवालां ।

आयय र्ल्
ु यों और परं पराका, स्वस्स्तक तो हैं प्राणदाता । ………..परु े ववश्वर्ें

युग युगसे अवविल खडां वो, गीरीराज हहर्ालय सा वो ।

आयोंके रुधीरर्ें सदा वो बहतां, जैसे सप्तर्संधओ


ु ंकी धारा । ………..परु े ववश्वर्ें

परर् पावन पववत्र हैं वो, शुभ लाभ र्ंगल प्रततक हैं वो ।

शभ
ु कार्ना और शभ
ु ावर्षशका, प्रािीन प्रततक हर्ारां । ……………..परु े ववश्वर्ें

वेद-शास्त्रोर्ें हैं वो गुंजता, स्वस्स्त र्ंत्रका ये शुभ नारां ।

प्राणोंसे भी आयोंको प्यारां, स्वस्स्तक प्रततक हैं न्यारां । ………..पुरे ववश्वर्ें

आयय गौरव स्वार्भर्ानका, सदा झगर्गता है वो तारा ।

आयय भक्ति और अस्स्र्ताका, धर्यध्वज सा प्रततक हर्ारां । ..…..पुरे ववश्वर्ें

दे वालयोर्ें और उपाश्रयोर्ें , गुरुद्वारोंर्ें और बौध स्तुपोर्ें ।

हर घर गुफा और स्थलर्ें , हर र्ंहदरर्ें हैं स्थान तुम्हारां ।………..पुरे ववश्वर्ें

सख
ु शांतत सर्वृ ि प्रगततका, ववश्व राजदत
ू है वो हर्ारां ।

कृपा, दया करुणा अनुकम्पाका, वो प्रेरणा सुत्र है हर्ारां ।.………..पुरे ववश्वर्ें

आयय योग, यंत्र, तंत्र और र्ंत्रका, िर्त्कारीक रुप हैं न्यारां ।

शक्ति, र्ुक्ति और भक्ति भावनांका, पुवायिीन प्रततक हर्ारां ।………..पुरे ववश्वर्ें

सवायकार हैं सभी आययदेवोंका, सवयशक्ति रूप है श्रीदे वीओंका ।

हर्तो पूजक हैं सवस्स्तकके, वो परर् पूज्य दे वता हर्ारां । ………..पुरे ववश्वर्ें
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक…..

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक, नर्ो नर्ो नर्ो हरी ॐ स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक, नर्ो नर्ो नर्ो श्री ॐ स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

शभ
ु लाभ कताय हैं स्वस्स्तक, आनंद सर्
ु ंगल करता हैं स्वस्स्तक ।

र्नोरथ पूणय करता हैं स्वस्स्तक, र्नोकार्ना पूणय करता हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

सुख शांतत दे ता हैं स्वस्स्तक, धन धान्य दे ता हैं स्वस्स्तक ।

वैभव ववकाश दे ता हैं स्वस्स्तक, ररवि र्सवि दे ता हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

सौभाग्य सुस्वास्वय दे ता हैं स्वस्स्तक, शक्ति सार्वयय दे ता हैं स्वस्स्तक ।

ववृ ि सर्वृ ि दे ता हैं स्वस्स्तक, बल बवु ि दे ता हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

सौभाग्य सस्
ु वास्वय दे ता हैं स्वस्स्तक, शक्ति सार्वयय दे ता हैं स्वस्स्तक ।

ववृ ि सर्वृ ि दे ता हैं स्वस्स्तक, बल बुवि दे ता हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

दख
ु दर्न हताय हैं स्वस्स्तक, तुवष्ट पुवष्ट कताय हैं स्वस्स्तक ।

दररद्र कष्ट र्र्टाता हैं स्वस्स्तक, आचध व्याचध र्र्टाता हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक.....

शुभ आर्शर्ष दे ता हैं स्वस्स्तक, शुभ वरदान दे ता हैं स्वस्स्तक ।

शुभ कार्ना कताय हैं स्वस्स्तक, सवय सदा र्ंगल कताय हैं स्वस्स्तक ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरी ॐ स्वस्स्तक


जय स्वस्स्तक नार्….

ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः

ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः ॐ श्री स्वस्स्तकाय नर्ः

जय स्वस्स्तक नार्, जय जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

जय स्वस्स्तक नार्, जय जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

जय स्वस्स्तक नार्, जय जय श्रीगणेश नार्..[२]…[२]

ववघ्नववनाशी र्ंगळ नार्, जय जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

जय स्वस्स्तक नार्….

भजले भि तुं गणपतत नार्, जय श्री गणेश जय लंबोदर नार्..[२] ..[२]

जय श्रीगणेश जपो, जय श्री गणेश..[२]…[२]

जय स्वस्स्तक जय श्री गणेश नार्..[२]..[२]

स्वस्स्त गणेश भजो स्वस्स्त गणेश..[२]..[२]

जय स्वस्स्तक नार्….

ररवि र्सविके दाता भगवान, जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्..[२]..[२]

जय स्वस्स्तक नार्, जय जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

स्वस्स्तक र्ंत्र जपो हदन रात, जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

जय स्वस्स्तक नार्….

शुभ लाभकारी हैं तेरो नार्, जय स्वस्स्तक जय जय स्वस्स्तक नार्..[२] ..[२]

जय श्रीगणेश नार्, जय जय ववनायक नार्…[२]..[२]

सुख वैभवके तुर् हो भगवान, जय श्री गणेश जय गजानन नार्..[२] ..[२]

जय स्वस्स्तक नार्….

हदव्य प्रततक श्रीगणेश सर्ान, भजलो प्यारे सदा स्वस्स्तक नार् ..[२] ..[२]
श्री स्वततका श्री स्वस्स्तका....

श्री स्वततका श्री स्वस्स्तका..[२] श्री गणेशा श्री गणेशा..[२]

श्री स्वस्स्तका..तर्
ु दे वा गणेशा… तर्
ु शभ
ु र्ंगलकारीणी..

आ..आ..आ..आ... श्री स्वस्स्तका..तुर् दे वा गणेशा…

प्रथर् पज
ू ीत तर्
ु प्रततक प्रभक
ु ा..

श्री स्वस्स्तका..तुर् दे वा गणेशा…

तर्
ु हो एकदं त तर्
ु हो ववनायक..[२] तर्
ु गजाजन गणपतत

श्री स्वस्स्तका..तुर् दे वा गणेशा…

तुर् हो ररिी तुर् हो र्सवि..[२] तुर् वैभव हो तुर् व्रुवि..

श्री स्वस्स्तका. तुर् दे वा गणेशा…

तुर् सुंदर हो तुर् शुशोर्भता.. तुर् र्न र्ोहहत प्रततका..

श्री स्वस्स्तका..तुर् दे वा गणेशा…

तुर् हो र्ाता तुर्हो वपता..[२] तुर् पालन पोर्षणकताय..

श्री स्वस्स्तका..तर्
ु दे वा गणेशा…

तुर् सुखकताय तुर् दख


ु हताय..[२], कष्टहताय तुर् ववघ्नववनाशी

श्री स्वस्स्तका..तर्
ु दे वा गणेशा…

तुर् शुभकताय तुर् लाभकताय..[२] भाग्यववधाता तुर् वरदायी..

श्री स्वस्स्तका..तर्
ु दे वा गणेशा…
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..

जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान, पततत पावन श्रीगणेश नार् । ..[३]


स्वस्स्तक नार् स्वततक नार्, भज प्यारे तुं स्वस्स्तक नार् । ..[२]
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
ब्रह्मा ववष्णु शीव तेरोनार्,ववश्वके प्रथर् हैं वोभगवान ।
र्हाशक्ति हैं तेरो नार्, सबकोसदबुवि दे हे भगवान।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
इश्वर अररहं त तेरो नार्, दे दे सबको अहहंसाका ज्ञान।
तेरी अनुकम्पा हैं अपार, भज प्यारे तुं र्हावीर नार् ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
इश्वर बुि हैं तेरोनार्,फैला दे जगर्ें शांततपैगार् ।
दया करुणा है तेरी अपार, भज प्यारे तुं बुिका नार् ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
इश्वर वाहे गुरु तेरोनार्,दे दे धर्य संरक्षणकाज्ञान ।
तेरी शक्ति हई सवयर्हान, भज प्यारे तुं वाहे गुरुजी नार् ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
इश्वर अर्षो हैं तेरोनार्,दे दे जन सेवाकावरदान ।
र्ाया र्र्ता स्नेह अपार, भज प्यारे तुं अर्षॉका नार् ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
वेदीकधर्यके तर्
ु हो सबनाथ,ववश्वववजयका उठाओ नाद ।
आययधर्यका करो तर्
ु उिार, करओ ववश्वका तर्
ु कल्याण ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
गाओ सौ स्वस्स्तकके गान, फैलादोआययधर्यकी शान ।
जपलो रटलो स्वस्स्तक नार्, करे आत्र्शवु िका कार् ।
जगपतत स्वस्स्तक प्रततक र्हान …..
शत शत तुर्को प्रणार् …..

शत शत तुर्को प्रणार्, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार् ।


शत शत तुर्को नर्न, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारांनर्न ।
शत शत तुर्को प्रणार् …..
हर् आये तेरे िरणकर्लर्ें , साधना जागत
ृ करो तर्
ु हर्ारी ।
हे र्ंगल र्ुततय श्री गणेशा, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[२]
शत शत तुर्को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[२]
भक्ति ज्ञानकी ज्योत जलादो..[२] र्नर्े श्रिा भाव बहादो…[२]
तब होगा हर्ारां कल्याण, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..
शत शत तुर्को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[
शुभ लाभ र्ंगल करदो हर्ारां, दख
ु कष्ट ववघ्न हरो सब हर्ारां ।
जपते ही तेरो शुभ नार्, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[२]
शत शत तुर्को प्रणार् ….. स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्..[
शुभ आर्शर्ष हर्ें शुभ वर दो…[२] हर्रे स्जवनका उिार करदो ।
द्यो सुख शांततके आर्शवायद…,, हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्.
शत शत तुर्को प्रणार् ….. हे स्वस्स्तक तुर्को हर्ारां प्रणार्.
र्ोह र्ायाके बंधन र्र्टादो, तनर्यल नीरकी सरीता बहादो..[२]
करदो कृण्वन्तो आययर् ववश्वर्, हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्…[२].
शत शत तर्
ु को प्रणार् ….. हे स्वस्स्तक तर्
ु को हर्ारां प्रणार्.
जब जब स्वस्स्तकका…..

स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. स्वस्स्तक नार्.. [४]


स्वस्स्तक नार्.. नार्.. नार्.. बोलो जय जय श्री स्वततक नार् …

जब जब स्वस्स्तकका नार् र्लया [२] हर ववघ्नोंको र्ैंने पार क्रकया ।


जब जब स्वस्स्तकका नार् र्लया [२] हर संकट भयका नाश हुआ ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
जीवनके हर र्ोडपे जब र्ैंने, स्वस्स्तकके िरनर्ें शरण र्लया।
जीवनके हर कोई संघर्षोर्ें , स्वस्स्तकने हर्ें सदा ही साथ हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक नार्का ध्यान क्रकया, वपडा व्याचध सब र्र्ट गया ।
स्वस्स्तक नार्का र्ंत्र जपा, हर र्भती डर सब भाग गया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक र्ंगलका नार् र्लया, हर दःु ख दररद्र दरू हुआ ।
र्ेरे जीवनके भवसागरको, स्वस्स्तक नार्ने ही तार हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक कृपासे सबकुछ पाया, हर्ें नवजीवन आधार र्र्ला ।
सि कहता हुं श्रीगणेश तर्
ु को, तर्
ु ने नवजीवन दान हदया ।
जब जब स्वस्स्तकका…..
स्वस्स्तक नार्……….
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..

ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्, ॐ नर्ो श्री गजाननर् ।


ॐ नर्ो श्री ववनायकर्, ॐ नर्ो श्री गं गणेशर् ।

सवय प्रथर् वंदन करते हैं, हे स्वस्स्तक प्रततक हर् आपको ।


सवय प्रथर् पूजन करते हैं, हे श्री गणेश स्वरुप हर् आपको ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तेरो नार् अलौक्रकक अदभूत हैं, स्वस्स्तक र्ंत्र हैं र्हा िर्त्कार ।
अपरं पार तेरी र्हहर्ां हर् गाते हैं, तेरो शुभ नार् हैं सवय र्हान ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तुर् हो दयार्य तुर् हो करुणार्य, तुर् तो हो दीनबंधु हो नाथ ।
श्री गणेशजीके आराध्य स्वरुप हो, सवय शुभ र्ंगल कताय हो नाथ ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
भक्ति साधना हर र्सवि दे ता, ररवि-र्सवि दे ता धन वैभवके साथ ।
सुख सर्वृ ि और शांतत दे ता, स्वस्स्तक दे ता र्हा फलदायी ज्ञान ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
श्रवण रटण स्वस्स्तक बीजर्ंत्रका, करता हैं आत्र् शवु ि तत्काल ।
स्वस्स्तकके र्हाबीज र्ंत्र जपनेसे, होता हैं सभीका स्जवन उिार ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
जपलो रटलो भजलो हे साधो, स्वस्स्तक र्ंत्र तर्
ु हर हदन हर रात ।
पाओ गे तर्
ु र्हार्क्तु ि र्ौक्षको, पाओ गे अवश्यही तर्
ु स्वगयर्ें वास ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
तुर् हो स्वार्र् प्रभु अंतरयार्र्, पावन पूण्य प्रततक हे स्वस्स्तक दे वा ।
दो शुभार्शर्ष हर्ें हे भाग्यववधाता, करदो स्वस्स्तक तुर् कल्याण हर्ारां ।
सवय प्रथर् वंदन करते हैं…..
ॐ नर्ो पावन प्रततकर्…..

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक ।


हरर ॐ स्वस्स्तक, हरर ॐ स्वस्स्तक ।
श्री ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ स्वस्स्तक ।
स्वं ॐ स्वस्स्तक, ॐ स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक……

ॐ नर्ो पावन प्रततकर्, ॐ नर्ो पववत्र प्रततकर् ।


ॐ नर्ो शुभलाभ प्रततकर्, ॐ नर्ो र्ंगल प्रततकर् ।
आययजनोंका हैं स्वस्स्तकर्, हहंदज
ु नोंका हैं स्वस्स्तकर् ।
दे वालयोंर्ें हैं स्वस्स्तकर्, तीथयस्थानोंर्ें हैं स्वस्स्तकर् ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ॐ नर्ो श्री गणेशायर् । ॐ नर्ो श्री र्सविववनायकर् ।
ॐ नर्ो श्री गजाननर् । ॐ नर्ो स्वस्स्तकायर् ।
स्वस्स्तक धर्यर् गच्छार्र्। आययर् धर्यर् गच्छार्र्। [३]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
जैनजनोंका हैं स्वस्स्तकर्, जीनालयोंर्ें हैं स्वस्स्तकर् ।
अष्टर्ंगल हैं स्वस्स्तकर्, श्रीसुपाश्वय स्वरुप हैं स्वस्स्तकर् ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, शुभर् लाभर् स्वस्स्तक ।
ॐ नर्ो अररहं ताणर्, ॐ नर्ो र्सिाणं ।
ॐ नर्ो आयररयाणं ॐ नर्ो उवज्ज्ञाणं ।
ॐ नर्ो लोए सव्वसाहुणं ॐ नर्ो श्री स्वस्स्तकर्
स्वस्स्तक धर्यर् गच्छार्र्।आययर् धर्यर् गच्छार्र्। [३]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
बौधजनोंका हैं स्वस्स्तक, बौधस्तप
ु ोर्ें हैं स्वस्स्तक ।
बि
ु वक्षपर हैं स्वस्स्तक, बौधगफ
ु ार्ें हैं स्वस्स्तक ।
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
बुिर् शरणर् गच्छार्र्, ब्रह्मर् शरणर् गच्छार्र्
संघर् शरणर् गच्छार्र्, संघर् शरणर् गच्छार्र्।
स्वस्स्तक धर्यर् गच्छार्र्।आययर् धर्यर् गच्छार्र्। [३]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ज्ञानर् स्वस्स्तक, ध्यानर् स्वस्स्तक…… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
योगर् स्वस्स्तक, भक्तिं र् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
ररविर् स्वस्स्तक र्सविर् स्वस्स्तक…. स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
[अगले पष्ठ
ृ परा्.....]
[ रर्शः .....]
भोगर् स्वस्स्तक, त्यागर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
सुखर् स्वस्स्तक, शांततर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
सुहागर् स्वस्स्तक, सौभाग्यर् स्वस्स्तक… स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
आनंदर् स्वस्स्तक, ऐश्वययर् स्वस्स्तक…. स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक.....
हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्तक…..[३]
स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक..... [३]
**********

स्वस्स्तक र्हार्ंत्र…..

हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ हरर ॐ हरर हरर |


हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |
हरर हरर स्वस्स्तक हरर हरर स्वस्स्तक हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |
श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ श्री ॐ हरर हरर |
श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |
श्री श्री स्वस्स्तक श्री श्री स्वस्स्तक श्री ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |
जय ॐ स्वस्स्तक जय ॐ स्वस्स्तक, जय ॐ जय ॐ हरर हरर |
जय ॐ स्वस्स्तक जय ॐ स्वस्स्तक जय ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |
जय जय स्वस्स्तक जय जय स्वस्स्तक, हरर ॐ स्वस्स्तक हरर हरर |

स्वस्स्तक वंदना…..

प्रथर् स्र्रन श्री स्वस्स्तक…..[४] , प्रततक..रुप सोहे गणेश ।..[२]….[१]


ितुभज
ूय िरधार…[२] सुंदर शोभे र्ंगल आकार..[२]…[१]
शोभे हर र्ंहदर द्वार..[२]
प्रथर् स्र्रन श्री स्वस्स्तक…..[४]
भव्य हदव्य शुभ प्रततक..[२] र्ंगल र्ूती श्री गणेश..[२]…[१]
शोभे हर घरके द्वार …[२]
प्रथर् स्र्रन श्री स्वस्स्तक…..[४]
प्रथर् पूजीत श्री गणेश…[४] ऋवर्ष र्ुतन धरत हैं ध्यान.. [२]…[१]
स्वस्स्तकानंद करे प्रणार्.. हरववघ्न हरो स्वस्स्तक दे व… [२]…[१]
प्रथर् स्र्रन श्री स्वस्स्तक…..[४]
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……

नर्ो दे वो र्हा दे वो । स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।


नर्ः श्री गणेश रुपाय, प्रथर्ो प्रततकाय नर्ो नर्ः ।
[शंखनाद…..घंट्नाद.. संगीत]
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……स्वार्र् जय स्वस्स्तक हरे ….
भकत जनोंके संकट… आयय जनोंके संकट.. तत क्षण दरू करे ।
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्न वांछीत फल पावे…, कष्ट र्र्टे तनका….स्वार्र्…,,,,[२]
सुख वौभव घर आवे….. शांतत र्र्ले र्नकी……
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्ात ृ वपत ृ तुर् र्ेरे…, शरण जाऊं र्ैं क्रकसकी….स्वार्र्…[२]
तुर् बीन नहह कोई र्ेरा… अपेक्षा करुं र्ैं क्रकसकी ?...
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तुर् परर् परर्ेश्वर…. तुर् हो सवयव्यापी…स्वार्र्……..[२]
ब्रह्मा ववष्णु र्हे श्वर… तुर् सबके स्वार्र्….
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तुर् दयाके र्हासागर….तर्
ु हो कृपालु प्रभ…
ु स्वार्र्..[२]
तुर् वरके हो दाता…..तुर् हो श्रीगणेश दे वा…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
तुर् हो शुभलाभ प्रततक..तर्
ु सबके शुभकारी..स्वार्र्.[२]
तुर् र्ंगलर्य दयार्य,.. तुर् हो शुभ कल्याणी…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
र्ैं अबुध अज्ञातन… र्ैं रोधी कपटी कार्ी…..स्वार्र्….[२]
कृपा करो तर्
ु हर् पर… हे ववश्वके र्हा आचधपतत…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
दःु ख हताय सख
ु कताय… ववश्वेश्वर तर्
ु र्ेरे…..स्वार्र्….[२]
वरद हस्त उठाओ… शभ
ु आर्शर्ष हर्ें दे नें…..
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
वविार आिार सुधारो.. पाप हरो दे वा…..स्वार्र्…[२]
श्रिा भक्ति बढाओ..आस्था शक्ति बढाओ..हे स्वस्स्तक प्राणपतत…
ॐ जय स्वस्स्तक हरे ……
स्वस्स्तक र्ंत्र.....

नर्ो दे वो र्हा दे वो, स्वस्स्तक प्रततकाय नर्ो नर्ः ।


नर्ः श्रीगणेश रुपाय, शुभ र्ंगल प्रततकाय नर्ो नर्ः ।
…….
ॐ स्वस्स्तकर् यजा र्हे सुगस्न्धं पुवष्टवधयनर् ।
उवायरूस्कर्व बन्धनान र्त्ृ योर्क्ष
ुय ीयर्ार्त
ृ ात ।
………
शुभर् करोतत कल्याणंर्, आरोग्यर् धनसंपदा ।
शत्रब
ु ुवि ववनाशाय स्वस्स्तक प्रततकर् नर्ोस्तुते ।
……..
स्वस्स्तक ब्रह्मा स्वस्स्तक ववष्ण,ु स्वस्स्तक दे वो र्हे श्वरा ।
स्वस्स्तक साक्षात पर ब्रह्म, तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः ।
………
ॐ गं गणपतये नर्ो नर्ः, ॐ स्वं स्वस्स्तके नर्ोनर्ः ।
ॐ श्री गणेशाय नर्ो नर्ः, ॐ श्री ववनायक नर्ोनर्ः ।
ॐ र्सविववनायक नर्ो नर्ः, ॐ अष्ठववनायक नर्ोनर्ः ।
ॐ गजाननाय नर्ो नर्ः, ॐ गणपतत बापा र्ोररया ।
…….
र्ंगलर् प्रततक स्वस्स्तक, र्ंगलर् प्रततकध्वज ।
र्ंगलर् ितुष्कोण रुपाय, र्ंगलाय रिवणो हरी ।
सवय र्ांगल र्ांगल्ये, स्वस्स्त सवायथय साचधके ।
शरण्ये गणेशे ररवि-र्सवि, शक्तिदे वी नर्ोस्तुते ।
…….
ॐ स्वं स्वस्स्तकये नर्ो नर्ः श्रीगणेश रुपाय नर्ो नर्ः ।
स्वस्स्त ववनायक नर्ो नर्ः र्ंगल र्ूततय र्ोररया ।
…..
स्वस्स्तक ब्रह्मा, स्वस्स्तक ववष्णु स्वस्स्तक दे वो र्हे श्वर ।
स्वस्स्तक साक्षात परब्रह्म, तस्र्ै श्री स्वस्स्तके नर्ः ।
.....
स्वस्स्तक करोतत कल्याणर्, शुभर् लाभर् ि र्ंगलर् ।
आरोग्यर्, अथयर् ि ऐश्वययर्, स्वस्स्तक प्रततक परर्ेश्वरर् ।
…..
स्वस्स्तक नार् सवयदेवानार् स्वस्स्तक नार् शुभ र्ंगलर् ।
सवयदा स्वस्स्त करो दे व, स्स्वकृत करोस्स्र् र्र् वंदनर् ॥

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