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अनुक्रमाणिका

 प्रस्तावना

 परिवहन का अर्थ

 परिवहन की विधि

 परिवहन तथा संचार का महत्व

 परिवहन के माध्यम

 परिवहन की विधि के घटक

 एक परिवहन विधि निम्न का एक संयोजन है :

 एक स्थिर या मोबाइल कार्यबल

 परं परागत साधन

पैदल

पालकी

 बैल गाड़ी एवं घोड़ा गाड़ी

 साइकिल रिक्शा

 परिवहन का महत्व एवं उपयोगिता 

 निष्कर्ष

प्रस्तावना

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परिवहन-वस्तुओं तथा यात्रियों को एक स्थान से दस
ू रे स्थान तक ले जाने की

प्रक्रिया को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य पशुओं तथा विभिन्न

प्रकार के वाहनों का प्रयोग किया जाता है । आधनि


ु क यग
ु में परिवहन तथा

संचार आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन गए हैं।

परिवहन के माध्यम-वस्तुओं तथा सेवाओं के परिवहन के लिए स्थल जल

वायु तथा पाइपलाइन के माध्यमों का उपयोग किया जाता है । परिणाम

स्वरूप परिवहन के तीन मुख्य माध्यम है जिन्हें क्रमशः स्थल परिवहन जल

परिवहन तथा वायु परिवहन के नाम से पक


ु ारा जाता है । पाइपलाइन एक

अन्य माध्यम है जो आजकल अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है । सड़क और

रे ल यातायात स्थल परिवहन के अंग हैं। जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो

अन्य माध्यम है । पाइप लाइनों का प्रयोग जल पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस

जैसे द्रव्य पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है ।

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परिवहन का अर्थ

परिवहन मानव साधन का एक माध्यम है जिसकी सहायता से व्यक्तियों, वस्तुओं

और विभिन्न संदेशों को एक स्थान से दस


ू रे स्थान तक पहुंचाया जाता है । किसी भी

राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक विकास तथा भावात्मक एकता के लिए उन्नत एवं

विकसित परिवहन के सभी साधनों का होना नितांत आवश्यक होता है ।

प्राचीन समय में मनष्ु य ही परिवहन का सर्वोत्तम माध्यम होता था, अर्थात स्वयं

मनष्ु यों को तथा सामानों को सिर या कंधे पर लादकर एक स्थान से दस


ू रे स्थान तक

पहुंचाने में मदद करता था। बाद में सभ्यता के विकास के साथ-साथ पशओ
ु ं का सहारा

लिया। गधे, खच्चर, घोंड़े, हाथी, कुत्ते आदि पशुओं के साथ माल ढोने का कार्य लिया

गया। बाद में बैल एवं भैंस का प्रयोग किया जाने लगा।

आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ तकनीकी परिवहनो का प्रयोग किया जाने

लगा। आज वर्तमान में त्वरित एवं सहज-सल


ु भ परिवहन माध्यम में रे ल को ज्यादा

महत्व दिया जाता है । चाहे यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में या फिर

किसी उद्योग के लिए कच्चे माल की आयात या निर्मित माल को लंबी दरू ी तक ले

जाने में रे लवे की भमि


ू का महत्वपर्ण
ू रहा है ।

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परिवहन शब्द संस्कृत के ‘‘वह’’ धातु से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ ‘‘वहन’’

से है तथा ‘परि’’ उपसर्ग जोड़कर परिवहन शब्द का अर्थ लगाया जाता है जिसका

शाब्दिक अर्थ भार को वहन करना है । इसके अलावा कंधे से उठाकर ले जाना या सिर

पर वहन करने जैसे भावार्थ लगाया जाता है । परिवहन में यांत्रिकी के प्रयोग से भी

लगाया जाता है । जैसे साइकिल का प्रयोग करना, चार पहिये, छ: या दस पहिये का

प्रयोग करना भी होता है , यह परिवहन सड़क मार्ग द्वारा संचालित किये जाते हैं।

इसके साथ ही रे ल या ट्रे न जिसे संस्कृत में लौह पथ गामिनी के नाम से भी जाना

जाता है । वायय
ु ान या जलयान भी परिवहन का प्रकार है ।

परिवहन का अर्थ उन गतिविधियों से है , जिनके अंतर्गत सामान और व्यक्तियों को

एक स्थान से दस
ू रे स्थान पर लाने-ले जाने में सहायता मिलती है । व्यवसाय में

इसको एक सहायक क्रिया के रूप में माना जाता है , जो कच्चे माल को उत्पादन के

स्थान तक और तैयार समान को उपभोग/बिक्री के लिए लोगों तक पहुँचाने में

व्यापार और उद्योग की सहायता करती है । जो व्यक्ति अथवा व्यावसायिक इकाइयाँ

इस गतिविधि में लगी हैं, उन्हें ट्रांसपोर्टर कहा जाता है । ट्रांसपोर्टर कच्चे माल, तैयार

सामान, व्यक्तियों आदि को एक स्थान से दस


ू रे स्थान पर ले जाते हैं।

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परिवहन की विधि

परिवहन-वस्तुओं तथा यात्रियों को एक स्थान से दस


ू रे स्थान तक ले जाने की प्रक्रिया

को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य पशुओं तथा विभिन्न प्रकार के वाहनों

का प्रयोग किया जाता है ।

संचार-सूचनाओं को उनके उद्गम स्थान से गंतव्य स्थान तक किसी चैनल के

माध्यम से पहुंचाने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। डाक सेवाएं टे लीफोन तार और

फैक्स सेवाएं इंटरनेट और उपग्रह संचार के प्रमुख साधन हैं। यहां एक अच्छा साधन

है

परिवहन तथा संचार का महत्व

आधनि
ु क यग
ु में परिवहन तथा संचार आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन गए हैं।

यह सुविधाएं वस्तुओं के उत्पादन क्षेत्रों का उनके उपयोग के चित्र सहित संबंध

स्थापित करती हैं। यदि परिवहन तथा संवाद के तंत्र काम करना बंद कर दें तो विश्व

की अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी। परिवहन व संचार मार्ग चैनलों और वाहनों का एक

संजाल बनाता है जिसके माध्यम से व्यापार होता है ।

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परिवहन के माध्यम-वस्तुओं तथा सेवाओं के परिवहन के लिए स्थल जल वायु तथा

पाइपलाइन के माध्यमों का उपयोग किया जाता है । परिणाम स्वरूप परिवहन के

तीन मुख्य माध्यम है जिन्हें क्रमशः स्थल परिवहन जल परिवहन तथा वायु

परिवहन के नाम से पुकारा जाता है । पाइपलाइन एक अन्य माध्यम है जो आजकल

अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है । सड़क और रे ल यातायात स्थल परिवहन के अंग हैं।

जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो अन्य माध्यम है । पाइप लाइनों का प्रयोग जल

पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे द्रव्य पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है ।

स्थल परिवहन-परिवहन के सभी माध्यमों में स्थल परिवहन का सबसे अधिक महत्व

है क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का अधिकांश परिवहन स्थल पर ही होता है ।प्राचीन

काल में मनष्ु य स्वयं ही वाहन का काम करता था आज भी कुछ ऐसे भाग है जहां

मानव वाहन परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है । सघन वन प्रदे श अथवा उबर खाबर

पर्वती प्रदे श कुछ ऐसे ही इलाके हैं जहां सड़कों का निर्माण कठिन है और भार ढोने का

कार्य मानव स्वयं ही करता है ।आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व मनुष्य ने परिवहन के

लिए पशुओं का प्रयोग करना शुरू किया। मुख्य रूप से घोड़ा तथा खच्चर बोझा ढोने

के काम करते थे पहिए के आविष्कार से पशओ


ु ं द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों तथा

वैगनोर का प्रचलन बढ़ गया।

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ऊपर हम विचार विमर्श कर चुके हैं कि परिवहन, दरू ी की बाध को समाप्त कर दे ता है ,

क्योंकि आजकल एक स्थान पर बनाई गई (तैयार की गई) वस्तु अलग-अलग स्थानों

पर उपलब्ध हो जाती है । चाहे पूरे संसार में दरू ी जितनी भी हो। बिना परिवहन के कोई

भी व्यापार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता है ।

निर्माताओं और उत्पादकों को कच्चा माल उपलब्ध कराना : परिवहन के माध्यम से

ही कच्चे माल को उसके उपलब्ध ् होने के स्थानों से उन स्थानों तक ले जाना संभव हो

पाता है , जहाँ उसे संसाध्ति तथा एकित्रत करके उससे अर्(निर्मित अथवा पूर्णत:

निर्मित वस्तए
ु ँ तैयार की जाती हैं।

उपभोक्ताओं को वस्तुएं उपलब्ध कराना : परिवहन की सहायता से वस्तुओं को एक

स्थान से दस
ू रे स्थान तक बड़ी आसानी और तेजी से पहुंचाया जा सकता है । इस

प्रकार दरू -दराज के स्थानों पर तैयार सामान दे श के विभिन्न क्षेत्रों में पैफले

उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग किया जा सकता है ।

लोगों का जीवन-स्तर बेहतर बनाना : परिवहन-साध्नों की सहायता से कम लागत में

बड़े पैमाने पर सामान का उत्पादन होता है । इससे लोगों में अपनी पसंद का और

अलग-अलग कीमत वाला बढ़िया किस्म का सामान खरीदने की इच्छा जागती है ।

इससे लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा उठता है ।

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कम लागत में ं अध्कि उत्पादन को सुविधजनक बनाता है : हम जानत े है कि बड़े

पैमाने पर उत्पादन सदा हमारी पसंद के स्थान पर होना सम्भव नहीं है , क्योंकि इसके

लिए बड़े बनि


ु यादी ढांचे की आवश्यकता होती है , विशेषत: जमीन की, जो आसानी से

हर जगह उपलब्ध ् नहीं होती है । परन्तु परिवहन, सुगमता से मानव शक्ति एवं

आवश्यक कच्चा माल विनिर्माण के लिए अंतिम रूप से चयनित स्थान पर उपलब्ध

करा दे ता है । बड़े पैमाने पर उत्पादन से प्रति इकाई लागत कम आती है ।

आपातकाल और प्रा्राकृतिक आपदा की स्थिति में सहायता पहुँचाना : यु( या

आंतरिक गड़बड़ी (अशांति) जैसी राष्ट्रीय संकट की स्थिति में परिवहन सशस्त्रा

सेनाओं और उनके लिए जरूरी सामान को शीघ्रता से संकट के स्थान पर पहुंचाने में

मदद करता है ।

रोजगार सज
ृ न में ं सहायता करना : परिवहन से लोगों को ड्राइवर, कंडक्टर, पायलट,

विमान कर्मचारी, समुद्री जहाज के कैप्टन आदि के पदों पर रोजगार मिलता है । इन

लोगों को परिवहन व्यवसाय में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है । इसके अलावा कुछ

लोगों को परिवहन से अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार मिलता है जैसे परिवहन के

विभिन्न साधनों और परिवहन के उपकरणों का निर्माण करने वाले कारखानों में

लोगों को काम मिलता है । लोग परिवहन के साधनों की मरम्मत और रख-रखाव के

लिए सवि
ु धाजनक स्थानों पर सर्विस सेंटर भी खोल सकते हैं।

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मजदरू ों की गतिशीलता में सहायता : परिवहन सुविधाएँ मजदरू ों को कार्य के स्थानों

तक पहुँचाने में बहुत मदद करती हैं। आपको मालम


ू होगा कि दस
ू रे दे शों के उद्योगों

और कारखानों में काम करने के लिए हमारे दे श से लोग दस


ू रे दे श जाते हैं और विदे शी

भी हमारे दे श में कार्य करने के लिए आते हैं। दे श में भी लोग रोजगार की खोज में एक

स्थान से दस
ू रे स्थान पर जाते हैं। साथ ही यह हमेशा संभव नहीं होता कि कारखाने के

आस-पास से ही मजदरू मिल जाए। अधिकांश उद्योगों में लोगों को उनके निवास

स्थान से कार्य स्थल तक लाने ले जाने के लिए परिवहन की अपनी व्यवस्था है ।

राष्ट्रों को निकट लाने में सहायता : परिवहन से लोगों तथा माल के एक दे श से दस


ू रे

दे श में आवागमन में सहायता मिलती है । इससे विभिन्न दे शों के लोगों में संस्कृति,

विचारों और रीति रिवाजों का आदान-प्रदान होता है । इससे लोगों में अन्य दे शों के बारे

में बेहतर समझ तथा ज्ञान उत्पन्न होता है । इस प्रकार परिवहन अंतर्राष्ट्रीय भाईचारा

बढ़ाने में सहायता करता है ।

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परिवहन के माध्यम

मोटर सायकल, ट्रक, बस, कार, जीप में बैठकर एक स्थान से दस


ू रे स्थान तक जाने

के लिए हमें सड़क मार्ग की आवश्यकता होती है । रे लगाड़ी और मालगाड़ियां रे ल की

पटरियों पर ही दौड़ती हैं। जल मार्ग से जाने के लिए हम नौका, स्टीमर, जलयान का

उपयोग करते है , उसी प्रकार हे लीकाप्टर और हवाई जहाज के लिए हवा की

आवश्यकता होती है । अत: परिवहन के सभी साधनों के लिए एक माध्यम विशेष की

आवश्यकता होती है । परिवहन के माध्यम है -

 सड़क परिवहन

 रे ल परिवहन

 जल परिवहन

 वायु परिवहन

सड़क परिवहन -

सड़क मार्ग से परिवहन जानवरों के द्वारा (घोड़े, ऊॅंट, गधे) जानवरों द्वारा खींची

जाने वाली गाड़ियों तथा मोटर वाहन (वैन, ट्रक आदि) से किया जाता है । जानवर

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तथा जानवरों के द्वारा खींचे जाने वाले वाहन का उपयोग कम मात्रा में गांवों तक ही

सीमित है । वैन शहर के भीतर स्थानीय परिवहन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।

अधिकांश माल ट्रकों के द्वारा ढोया जाता है जो सग


ु म, कम खर्चीले तथा सुरक्षित

माने जाते हैं।

रे ल परिवहन -

रे ल परिवहन से अभिप्राय यात्रियों एवं माल का रे लगाड़ी के माध्यम से आवागमन से

है जो इसी उद्देश्य से बिछाई गई रे ल की पटरियों पर चलती हैं। दरू स्थानों में ले जाने

की क्षमता की दृष्टि से रे ल परिवहन कम खर्चीला एवं सरु क्षित है । भारत में रे ल

परिवहन भारत सरकार के स्वामित्व में है तथा माल के परिवहन में इसका बड़े

पैमाने पर उपयोग किया जाता है ।

जल परिवहन -

जल परिवहन से अभिप्राय माल एवं यात्रियों को जल मार्ग से लाने व ले जाने से है ।

जिसमें बोट, स्टीमर, लॉच, जहाज आदि के माध्यमों को उपयोग में लाया जाता है ।

यह संचालन दे श के भीतर अथवा एक दे श से दसू रे दे श मे हो सकता है । भारत में

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परिवहन के इस साधन का उपयोग कम है क्योंकि दे श के भीतर जलमार्ग सीमित हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समुद्र एवं महासागर से परिवहन तटवर्ती क्षेत्रों में बहुत

सामान्य है । परिवहन का यह माध्यम लम्बी दरू ी तक भारी माल को ले जाने के लिए

कम खर्चीला है ।

वायु (हवाई) परिवहन -

माल लाने ले जाने एवं व्यक्तियों के आने जाने के लिए हवाई जहाज के उपयोग को

वायु परिवहन कहते हैं। यह परिवहन का सबसे तेज गति वाला माध्यम है तथा

इसका अधिकांश उपयोग यात्रियों को लाने, ले जाने के लिए होता है । जहां तक

वस्तुओं का सम्बन्ध है वायु परिवहन का प्रयोग उच्चमूल्य वाली हल्की वस्तुओं के

लिए होता हैं जैसे कि दवाए, मशीन के पर्जे


ु , इलैक्ट्रोनिक सामान आदि। बड़े माल

वाहक हवाई जहाजों की व्यवस्था के कारण अब माल ढोनें के लिए हवाई परिवहन

का उपयोग दे श के भीतर एवं विदे शी व्यापार के लिए काफी बढ़ गया है ।

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परिवहन की विधि

यातायात अथवा परिवहन तथा संचार

परिवहन-वस्तओ
ु ं तथा यात्रियों को एक स्थान से दस
ू रे स्थान तक ले जाने की

प्रक्रिया को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनष्ु य पशुओं तथा विभिन्न प्रकार

के वाहनों का प्रयोग किया जाता है ।

संचार-सूचनाओं को उनके उद्गम स्थान से गंतव्य स्थान तक किसी चैनल के

माध्यम से पहुंचाने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। डाक सेवाएं टे लीफोन तार और

फैक्स सेवाएं इंटरनेट और उपग्रह संचार के प्रमुख साधन हैं। यहां एक अच्छा साधन

है

परिवहन तथा संचार का महत्व

आधुनिक युग में परिवहन तथा संचार आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन गए हैं।

यह सवि
ु धाएं वस्तओ
ु ं के उत्पादन क्षेत्रों का उनके उपयोग के चित्र सहित संबंध

स्थापित करती हैं। यदि परिवहन तथा संवाद के तंत्र काम करना बंद कर दें तो विश्व

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की अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी। परिवहन व संचार मार्ग चैनलों और वाहनों का एक

संजाल बनाता है जिसके माध्यम से व्यापार होता है ।

परिवहन के माध्यम-वस्तुओं तथा सेवाओं के परिवहन के लिए स्थल जल वायु तथा

पाइपलाइन के माध्यमों का उपयोग किया जाता है । परिणाम स्वरूप परिवहन के

तीन मुख्य माध्यम है जिन्हें क्रमशः स्थल परिवहन जल परिवहन तथा वायु

परिवहन के नाम से पक
ु ारा जाता है । पाइपलाइन एक अन्य माध्यम है जो आजकल

अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है । सड़क और रे ल यातायात स्थल परिवहन के अंग

हैं। जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो अन्य माध्यम है । पाइप लाइनों का प्रयोग

जल पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे द्रव्य पदार्थों के परिवहन के लिए किया

जाता है ।

स्थल परिवहन-परिवहन के सभी माध्यमों में स्थल परिवहन का सबसे अधिक

महत्व है क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का अधिकांश परिवहन स्थल पर ही होता है ।

प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं ही वाहन का काम करता था आज भी कुछ ऐसे भाग है

जहां मानव वाहन परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है । सघन वन प्रदे श अथवा उबर

खाबर पर्वती प्रदे श कुछ ऐसे ही इलाके हैं जहां सड़कों का निर्माण कठिन है और भार

ढोने का कार्य मानव स्वयं ही करता है ।आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व मनुष्य ने

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परिवहन के लिए पशुओं का प्रयोग करना शुरू किया। मुख्य रूप से घोड़ा तथा खच्चर

बोझा ढोने के काम करते थे पहिए के आविष्कार से पशुओं द्वारा खींची जाने वाली

गाड़ियों तथा वैगनोर का प्रचलन बढ़ गया।

परिवहन की विधि (या परिवहन के साधन या परिवहन प्रणाली या परिवहन का

तरीका या परिवहन के रूप) वह शब्द हैं जो वस्तुत: परिवहन के अलग-अलग तरीकों

के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सबसे प्रमख


ु परिवहन के साधन हैं हवाई परिवहन,

रे ल परिवहन सड़क परिवहन और जल परिवहन, लेकिन अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं

जिनमें पाइप लाइन, केबल परिवहन, अंतरिक्ष परिवहन और ऑफ-रोड परिवहन भी

शामिल हैं। मानव संचालित परिवहन और पशु चालित परिवहन अपने तरीके का

परिवहन है , लेकिन यह सामान्य रूप से अन्य श्रेणियों में आते हैं। सभी परिवहन में

कुछ माल परिवहन के लिए उपयुक्त हैं और कुछ लोगों के परिवहन के लिए उपयुक्त

हैं।

प्रत्येक परिवहन की विधि को मौलिक रूप से विभिन्न तकनीकी समाधान और कुछ

अलग वातावरण की आवश्यकता होती है । प्रत्येक विधी की अपनी बनि


ु यादी

सवि
ु धाएं, वाहन, कार्य और अक्सर विभिन्न विनियमन हैं। जो परिवहन एक से

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अधिक मोड का उपयोग करते हैं उन्हें इंटरमोडल के रूप में वर्णित किया जा सकता

है ।

अन्य

कच्चे तेल के लिए ट्रांस अलास्का पाइपलाइन

सबसे अधिक तरल और गैसों के लिए पाइपलाइन परिवहन पाइप के माध्यम से

माल भेजता है , लेकिन वायच


ु ालित ट्यब
ू हवा के सहारे ठोस संकुचित कैप्सल
ू को भी

भेज सकते हैं। तरल पदार्थ/गैसों के लिए, किसी भी रासायनिक स्थिर तरल या गैस

के द्वारा पाइप लाइन के माध्यम से भेजा जा सकता है । मल, गारा, पानी और बियर

के लिए कम दरू ी की प्रणाली का प्रयोग होता है , जबकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक

गैस के लिए लंबी दरू ी के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है ।

केबल परिवहन एक ऐसा स्रोत है जहाँ वाहनों को केबल के द्वारा खींचा जाता है । यह

आमतौर पर ढलान वाले स्थानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है । विशेष समाधान

में हवाई ट्रामवे, एलीवेटर, चलती सीढ़ी और स्की लिफ्ट शामिल हैं इसमें से कुछ को

वाहक परिवहन के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है ।

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अंतरिक्ष परिवहन पथ्
ृ वी के बाहर परिवहन के साधन के लिए अंतरिक्ष यान का

इस्तेमाल किया जाता है । जबकि इस प्रौद्योगिकी में बड़ी मात्रा में अनस
ु ंधान किए

गए हैं, इसका उपयोग बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रहों को छोड़ने के लिए किया जाता है ।

हालांकि, आदमी चांद पर उतरा है और सौर मंडल के सभी ग्रहों की जांच के लिए

भेजा गया है ।

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परिवहन की विधि के घटक

एक परिवहन विधि निम्न का एक संयोजन है :

यातायात के बनि
ु यादी ढांचे: यातायात मार्ग, नेटवर्क , नोड (स्टे शनों, बस टर्मिनलों,
हवाई अड्डा टर्मिनलों), आदि

वाहन और कंटे नर: ट्रक, गाड़ी, जहाज, विमान और ट्रे नें.

एक स्थिर या मोबाइल कार्यबल

प्रणोदन प्रणाली और बिजली की आपूर्ति (कर्षण)

ऑपरे शन: ड्राइविंग, प्रबंधन यातायात संकेत, रे लवे सिगनल, हवाई यातायात
नियंत्रण, आदि

दनि
ु या की सबसे महत्वपूर्ण परिवहन विधि की तुलना

दनि
ु या भर में यात्री परिवहन विधि के लिए व्यापक रूप से सबसे अधिक
ऑटोमोबाइल (16,000 बिलियन यात्री कि.मि.), बसें (7000), वायु (2800), रे ल
(1900) और शहरी रे ल (250) का इस्तेमाल होता है ।[1] .

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प्रयुक्त मोड के लिए माल परिवहन व्यापक रूप से सबसे अधिक सागर (40,000
बिलियन टन), इसके बाद रोड (7000), रे ल (6500), तेल पाइपलाइनें (2,000) और
अंतर्देशीय नेविगेशन (1500) का इस्तेमाल होता है ।

परं परागत साधन

पैदल

ऋषिकेश में एक पैदल पल


ु ।

प्राचीन काल में लोग लंबी दरि


ू याँ अधिकतर पैदल तय किया करते थे। उदाहरणार्थ,

आदि शंकराचार्य ने पैदल परू े भारत की यात्रा की थी। आज भी दे श के ग्रामीण और

नगरीय क्षेत्रों में भी प्रतिदिन लोग कई किलोमीटर की दरू ी पैदल चलकर ही पूरी करते

हैं।

मुंबई महानगर में , पैदल यात्रियों का पारगमन सध


ु ारने के लिए, मुंबई महानगर

विकास प्राधिकरण, ने मुंबई स्काइवॉक परियोजना के अर्न्तगत ५० से अधिक[10]

पैदल पुलों का निर्माण कार्य आरं भ किया है ।

पालकी

वाराणसी में पालकी का तस्वीर। लगभग १८९० का।

पालकी अमीरों और नवाबों का एक शानदार यात्रा का साधना था। पालकी शब्द

संस्कृत 'पालकी' से आया है । तमिल में उसे 'पालाक्कु' कहतें हैं। पर्त
ु गाली पालकी को

'पालन क्वीम' बल
ु ाते थे और अंग्रेजों उसे 'पालन क्वीन'। पुराने दिनों में इसका प्रमुख

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उपयोग दे वता और मूर्तियों को ले जाना था। पुराने दिनों में इसका प्रमुख उपयोग

दे वता और मूर्तियों को ले जाना था। बाद में १५वी सदी में यह ग्यान हैं कि नवाबें इसे

यत्रो के लिए उपयोग करते थे। अमीर परिवारों के लड़कियाँ, औरतें को पालकी में

घुमाया जाता था और उनके अनुरक्षण के लिए नर घोड़ों पर सवार करते थे। धीरे धीरे

जमीनदार और राज-घराने के सदस्य भी इसका उपयोग करने लगें ।

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बैल गाड़ी एवं घोड़ा गाड़ी

गन्ना अपवाहन करने के लिए ग्रामीण महाराष्ट्र में एक बैल गाडी।

बैलगाड़ियों का उपयोग पारं परिक रूप से पर्वहन साधन के रूप में किया जाता रहा है ,

मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में । आज भी भारत के नगरों और ग्रामों में बैलगाड़ियां

दे खी जा सकतीं है । हाल ही के वर्षों में कुछ नगरों में दिन के समय बैलगाड़ियों और

अन्य धीमे चलने वाले वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाया है ।

अंग्रेज़ों के आगमन के साथ ही घोड़ा गाड़ियों में बहुत से प्रबलतीव्र सध


ु ार हुए हैं जिन्हें

यातायात के लिए प्रारं भिक दिनों से उपयोग में लाया जा रहा है । आज भी, छोटे कस्बों

इनका उपयोग किया जाता है और इन्हें तांगा या बग्गी कहा जाता है । मुंबई में

पर्यटकों को लभ
ु ाने के लिए विक्टोरिया काल की कुछ बग्गीयां अभी भी चलन में हैं

लेकिन अब यह बग्गीयां कम ही भारत में पाई जाती हैं।

साइकिल रिक्शा

पिछली सदी के प्रारं भ से ही रिक्शे लोकप्रिय हैं और अभी भी भारत के ग्रामों और कई

नगरों में चलन में हैं। यह तिपहिया साइकिल से आकार में बड़े होते हैं जिसमें दो या

तीन लोग पीछे की ऊँची सीट पर बैठते हैं और एक व्यक्ति आगे की सीट पर बैठकर

रिक्शा खिंचता है । इसे चलाने के लिए साइकिल के समान ही पैडल पर बल लगाना

पड़ता है । नगरीय क्षेत्रों में अब अधिकतर ऑटो रिक्शा ने इनका स्थान ले लिया है ।

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साइकिल

भारत में साइकिल का अर्थ दोपहिया सइकिल से होता है । यह अभी भी भारत में

यातायात का प्रमुख साधन है । पहले से कहीं अधिक संख्या में आज भारत में लोग

साइकिल खरीदने में समर्थ हैं। २००५ में , भारत के ४०% से भी अधिक परिवरों के पास

कम से कम एक साइकिल थी। राज्यीय स्तर पर साइकिल स्वामित्व ३०% से ७०% के

बीच है । परिवहन दो शब्दों से मिलकर बना है , परि+वहन, "परि" का अर्थ है पार व

"वहन" का अर्थ है ले जाना, अर्थात ् परिवहन का आशय पार ले जाना है । व्यक्तियों

या जीवजन्तओ
ु ं को किसी माध्यम द्वारा एक स्थान से दस
ू रे स्थान तक लाने, ले

जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है ।

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परिवहन का महत्व एवं उपयोगिता 

आधुनिक औधोगिक समाज के लिए परिवहन व संचार के साधन आवश्यक

आवश्यकता बन गये है । ज्यों-ज्यों मानव, सभ्यता की ओर अग्रसर होता गया,

परिवहन का इतिहास मानव सभ्यता का इतिहास बनता गया। अतः परिवहन के

साधन मानव सभ्यता की प्रगति के पथ प्रदर्शक बन गये है ।

1. सड़के, रे ल, जलमार्ग, वायम


ु ार्ग एवं इनके साधन मण्डी के लिए कृषि उपजें उधोगों

के कच्चामाल, उपभोक्ताओं के लिए तैयार माल, व्यापारियों के दरू स्थ माल आदि

सल
ु भ कराते है । हमारी छोटी-छोटी दै निक आवश्यकताओं की पर्ति
ू इन साधनों से ही

सम्भव होती है ।

परिवहन के साधन भारतीय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सदृ


ु ढ़ आधार प्रदान करते हुए

सदभाव एवं भाईचारे को जागत


ृ कर दे श को एकता के सूत्र मे बाँधने का कार्य भी करते

है । भारत के विस्तत
ृ विस्तार, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक बहुलता एवं

विविधता, भाषायी, सांस्कृतिक तथा वैचारिक एवं भौगोलिक दरू ी से राष्ट्रीय एकता के

खंडित होने का खतरा लगातार बना रहता है । परिवहन के साधन वैचारिक व

भौगोलिक दरि
ू यों को सीमित करके राष्ट्रीय एकता को विकसित करने मे महत्वपर्ण

भमि
ू का निभाते है ।

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3. परिवहन के साधन राष्ट्रीय नीति प्रगति व समद्धि
ृ के सच
ू क है । इनसे ही माल व

यात्री की ढुलाई नियमित, विश्वसनीय व तीवग्रामी होती है ।

4. परिवहन व संचार के द्रत


ु गामी व सक्षम साधनों के द्वारा दनि
ु या बहुत छोटी हो

गयी है । किसी एक दे श के बजारों मे हुए परिवर्तन का प्रभाव अन्य दे शों के बाजारों पर

अवश्य पड़ता है । दनि


ु या के लोगो की परस्पर निर्भरता को परिवहन के साधन सुलभ

बना दे ते है ।

5. परिवहन के साधन, प्राकृतिक आपदाओं जैसे-- अकाल, बाढ़, महामारी, अतिवष्टि


आदि के समय भी समाज की मदद करते हैं।

आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सूखा किसे कहते है , सुखा के कारण और प्रभाव

परिवहन का अर्थ वस्तओ


ु ं अथवा संपत्ति को एक स्थान से दस
ू रे स्थान पर लाने ले

जाने से लगाया जाता है । परिवहन का आशय उन साधनों से है जिनके द्वारा मनष्ु य

या वस्तुएँ एक स्थान से दस
ू रे स्थान तक पहुँचाये जाते हैं। परिवहन के अंतर्गत रे ल,

सड़क, जल तथा वायु परिवहन आते हैं।

परिवहन क्या है ट्रांसपोर्ट को जानने के लिए हम आपको बता दें कि आप सभी Covid-

19 के समय लॉकडाउन lockdown की प्रक्रिया से गज़


ु र चक
ु े हैं। आप अच्छी तरह

जानते हैं कि lockdown में परिवहन व्यवस्था ठप्प हो जाने से सम्पूर्ण जन-जीवन

किस तरह थम सा गया था। समस्त परिवहन तंत्र यानि कि सड़क परिवहन, रे ल

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परिवहन, जल परिवहन, वायु परिवहन आदि को बंद दे ने से सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था

अस्त-व्यस्त हो गयी थी। इससे साफ़ तौर पर आप समझ सकते हैं कि परिवहन का

महत्व क्या है ? Transport kya hai in hindi? आइये बिना दे र किए हम परिवहन के

महत्व को विस्तार से समझते हैं।

रिवहन के आर्थिक महत्व | Economic importance of transport in hindi

सामान्य जन-जीवन की दिनचर्या हो अथवा सम्पर्ण


ू अर्थव्यवस्था ही क्यों न हो।

आर्थिक विकास में परिवहन का महत्व स्पष्ट रूप से दिखाई दे ता है । परिवहन के

आर्थिक महत्व निम्न हैं।

(1) संसाधनों का महत्व- संसाधनों का कुशलतम प्रयोग बिना किसी परिवहन के

संभव नहीं है । उद्योगों द्वारा बनाये गए कच्चे माल को औद्योगिक केंद्रों तक

ले जाने और और उन्हीं औद्योगिक केंद्रों में निर्मित माल को उपभोक्ताओं

तक पहुँचाने के लिए परिवहन के साधनों का विकास आवश्यक होता है ।

(2) बाज़ार का विस्तार - किसी भी बाज़ार के विस्तार में परिवहन का अत्यंत ही

महत्वपूर्ण योगदान होता है । वस्तुओं का अधिक से अधिक उत्पादन एवं

उत्पादित वस्तओ
ु ं को दरू स्थ क्षेत्र के उपभोक्ताओं तक पहुँचाना परिवहन के

बग़ैर  असंभव है । परिवहन के साधनों की मदद से ही शीघ्र नष्ट होने वाली

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वस्तुओं को दरू स्थित बाज़ारों तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है । 

(3) श्रम की गतिशीलता - परिवहन के साधनों के कारण श्रमिकों व कर्मचारियों

की गतिशीलता को बढ़ाने में विशेष मदद मिली है । परिवहन के कारण श्रमिक

दरू -दरू के कक्षेत्रों में जाकर काम करने को तत्पर रहते हैं। उत्पादन हे तु श्रम की

इस आपूर्ति से श्रम की कार्यकुशलता में वद्धि


ृ होती है ।

(4) औद्योगीकरण - परिवहन का विकास स्वयं भी औद्योगीकरण में सहायक

होता है । औद्योगीकरण में कच्चा माल उद्योगों तक पहुँचाया जाता है । साथ

ही उद्योगों में निर्मित माल उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है । आप अच्छी

तरह जानते हैं हैं कि यह सब परिवहन के कारण ही संभव हो पाता है । परिवहन

के कारण मोटर, रे ल के इंजन व डिब्बे, पानी के जहाज़ आदि उद्योगों की

स्थापना को प्रोत्साहन मिलता है । जिससे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलता

है ।

5.कृषि का विकास - परिवहन का कृषि के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है । अच्छे

बीज, खाद, यंत्र आदि खेतों तक पहुँचाने एवं उपज को मंडी तक ले जाने में

परिवहन की महत्वपूर्ण भमि


ू का होती है । कृषि में उत्पादन तभी बढ़ता है जब

अच्छे से अच्छे साधन कृषि के लिए उपलब्ध हो पाते हैं। यदि मंडी में सही मूल्य

मिले, तो किसान अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होता है ।

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उपभोक्ताओं की संतष्टि
ु - परिवहन के विकास से एक महत्वपूर्ण सुविधा यह हुई

है कि अब उपभोक्ता अपनी पसंद या उपभोग की वस्तुओं को दे श व विदे श कहीं से

भी वस्तु को मंगवा सकता है ।

(7) क़ीमतों में स्थिरता - दे श में क़ीमतों को स्थिर बनाये रखना हो तो परिवहन की

भमि
ू का सर्वोपरि माना जाता है । किसी स्थान पर वस्तु की आपूर्ति कम हो जाने

पर यदि उस वस्तु की क़ीमत बढ़ जाये तब इस स्थिति में दस


ू रे स्थान से उस वस्तु

को लाकर उसकी बढ़ती क़ीमतों पर रोक लगाना, परिवहन के बग़ैर असंभव होता

है ।

इसी प्रकार, दे श में किसी वस्तु की कमी हो जाने पर उसे दस


ू रे दे शों से आयात

किया जाना ताकि उस वस्तु की क़ीमतों को स्थिर रखा जा सके। इस प्रक्रिया में भी

परिवहन की एक विशिष्ट भमि


ू का होती है ।

(8) तीव्र आर्थिक विकास - जिस दे श में परिवहन की सुविधा जितनी कुशल व

विकसित होगी। वह दे श उतना ही अधिक विकास कर पायेगा। सीधे शब्दों में कहा

जाए तो कुशल व विकसित परिवहन के बिना किसी भी दे श के आर्थिक विकास की

कल्पना नहीं कि जा सकती।

(ब) परिवहन के सामाजिक महत्व | Social importance of transport in hindi

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सामान्य जन-जीवन के हालातों पर नज़र डालें तो हम सामाजिक तौर पर

परिवहन के महत्व को नकार नहीं सकते। ख़ासकर आज के समय में परिवहन के

साधनों के बिना समाज की कल्पना करना असंभव है । परिवहन के सामाजिक

महत्व निम्नलिखित है -

जीवन स्तर में वद्धि


ृ - मनष्ु य यदि अपनी आवश्यकता की वस्तुओं केओ प्राप्त

करने में सक्षम हुआ है तो उसका स्पष्ट कारण है परिवहन का उचित विकास।

परिवहन का विकास ही मनष्ु य के जीवन स्तर में वद्धि


ृ का कारण होता है ।

इसे भी पढ़ें 👉🏽 बाज़ार के विस्तार को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

समझाइये।

(2) ज्ञान में वद्धि


ृ - जनसामान्य के ज्ञान में वद्धि
ृ होने का श्रेय नोश्चित तौर पर हम

परिवहन के समचि
ु त विकास को दे सकते हैं। क्योंकि परिवहन के कारण ही आज

ज्ञान प्राप्त करना यानि कि स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी जाकर शिक्षा प्राप्त करना

पहले की तुलना आसान हो गया ह।

परिवहन के राजनीतिक महत्व | Political importance of transport in hindi

दे श के राजनीतिक क्षेत्रों की बात करें तो राजनितिक क्षेत्रों में भी परिवहन का

महत्त्व होता है । राजनीति में परिवहन के महत्त्व parivahan ke rajnitik

mahatva निम्न हैं -

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(1) दे श की सुरक्षा एवं शांति - दे श की सुरक्षा एवं शांति बनाये रखने के लिए

परिवहन का विशेष महत्व होता है । सकुशल परिवहन के माध्यम से ही सीमाओं

पर सैनिकों, हथियार, खाद्य सामग्री आदि को पहुँचाना सम्भव हो पाता है । दे श में

कहीं भी अशांति की स्थिति हो तो उस जगह पर फ़ौरन सुरक्षा बलों को परिवहन के

माध्यम से तैनात किया जाता है ।

(2) राजस्व की प्राप्ति - सरकार को वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों से राजस्व की प्राप्ति

होती है । साथ ही परिवहन के साधनों से भी सरकार को विभिन्न करों के रूप में

राजस्व की प्राप्ति होती है ।

(3) रोज़गार में वद्धि


ृ - परिवहन ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से बेरोज़गार

लोग कार्यकुशलता के अनुसार विभिन्न स्थानों पर जाकर रोज़गार प्राप्त करते हैं।

उपरोक्त बिंदओ
ु ं को जानने के बाद स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि

परिवहन दै निक जीवन से लेकर सम्पूर्ण संरचना का आधारभूत अंग है । इसके

बग़ैर कुशलतम अर्थव्यवस्था की कल्पना करना असंभव है ।

निष्कर्ष

प्राचीन समय में मनष्ु य ही परिवहन का सर्वोत्तम माध्यम होता था, अर्थात स्वयं

मनष्ु यों को तथा सामानों को सिर या कंधे पर लादकर एक स्थान से दस


ू रे स्थान तक

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पहुंचाने में मदद करता था। बाद में सभ्यता के विकास के साथ-साथ पशुओं का सहारा

लिया। गधे, खच्चर, घोंड़े, हाथी, कुत्ते आदि पशुओं के साथ माल ढोने का कार्य लिया

गया। बाद में बैल एवं भैंस का प्रयोग किया जाने लगा।

आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ तकनीकी परिवहनो का प्रयोग किया जाने

लगा। आज वर्तमान में त्वरित एवं सहज-सल


ु भ परिवहन माध्यम में रे ल को ज्यादा

महत्व दिया जाता है । चाहे यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में या फिर

किसी उद्योग के लिए कच्चे माल की आयात या निर्मित माल को लंबी दरू ी तक ले

जाने में रे लवे की भमि


ू का महत्वपर्ण
ू रहा है ।

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सन्दर्भ

 कूपर एट अल., 1998 281

 स्वाइन फ्लू अमेरिका यात्रा पर चेतावनी संकेत ईयू Archived 2010-12-15 at

the Wayback Machine . गार्जियन. 29 अप्रैल 2007.

 कूपर एट अल., 1998 279

 "Major Roads of the United States". United States Department of the

Interior. 2006-03-13. मल
ू से 13 अप्रैल 2007 को परु ालेखित. अभिगमन

तिथि 24 मार्च 2007.

 "Road Infrastructure Strategic Framework for South Africa". National

Department of Transport (South Africa). मूल से 27 सितंबर 2007 को

परु ालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2007.

 लेटाओ, 1992: 6-7

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