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जिस दिन इंसान ने चांद पर कदम रखा था ठीक उसी दिन से एक विशेष विचारधारा के लोगों ने यह भ्रम फै लाया कि इंसान

कभी चांद पर गया ही


नहीं।हीं कु छ लोग कह रहे थे कि चांद जाने में अमेरिकी सरकार इतना पैसा क्यों खर्च कर रही है जबकि इस पैसे से अनेक गरीब लोगों को शिक्षा
स्वास्थ्यजैसी मूलभूत चीजें दी जा सकती हैं। हो सकता है कि मनुष्य को चांद पर भेजने में अमेरिका की कई सारे निजी हित शामिल हो इनसे कोई
इंकार नहीं करता। लेकिन मनुष्य के चांद पर जाने से जो लाभ मानव जाति को हुआ है वह अतुलनीय है और उससे के वल अमेरिका को ही नहीं पूरी
मानव जाति को लाभ हुआ है। ५० वर्ष पहले आब आपोलो मिशन चांद पर गया तब उसने ऐसी गहरी तकनीकों का आविष्कार किया जिन से मानव
जीवन मानव जीवन को बहुत गहरा लाभ पहुंचा है। जैसे जब अपोलो को किया जाता था तब इंजीनियरों के सामने वाइब्रेशन की समस्या आई। जिस
समय अपोलो को लांच किया जाता तब बहुत ही भयंकर वाइब्रेशन का इंजीनियरों को सामना करना होता। इसके लिए तकनीक का अविष्कार किया
गया और आज ये ही तकनीक गगनचुंबी बिल्डिंग में भूकं प रोकने के लिए उपयोग होती है। अगर अपोलो मिशन के लिए तकनीक का अविष्कार ना
हुआ होता तो आज इतनी भव्य तथा गगनचुंबी इमारतें बनाना संभव नहीं हो पाता और भूकं प से भी कई लोग जान गंवा चुके होते, रेलवे लाइन और
रेलवे के भारी यातायात सहन करने वाले पुल भी इतनी मजबूती के साथ कभी ना बन पाते। नासा के जो चांद पर जा रहे थे उनके स्वास्थ्यकी जांच
करने के लिए मेडिकल बनाए गए थे। जो आज हर एक अस्पताल में इस्तेमाल होते हैं और इंसान के दिल, सांस और खून के स्तर का लाइव टेलीकास्ट
उपलब्ध कराते हैं। जरा सोचिए यह तकनीक मरीजों के लिए कितनी लाभप्रद है जो अपोलो मिशन के दौरान खोजी गईं थीं।थीं जिस समय अपोलो चांद
पर उतरा था अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण रोधी चादर से ढका गया था जिसे रेडियंट बैरियर इंसुलेशन कहा जाता है। इसका उपयोग आज कहीं पर
आग लग जाने पर लोगों को सुरक्षित निकालने में किया जाता है। फायरफाइटर्स भी इस का उपयोग करते हैं। परिधान खास फाइबर से तैयार किए
गए थे जिनमें आग नहीं लगती थी। इन्हीं परिधानों का उपयोग आज सेना फायरफाइटर्स और विभिन्न संगठनों के लोग आपात स्थिति में या देश की
रक्षा में करते हैं। अपोलो मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खासतौर पर हेयरिंग गैजेट बनाए गए थे जो उन्हें सुनने में मदद करते थे। आज यही गैजेट
हमारे वह दिव्यांग भाई बहनों प्रयोग करते हैं जो सुन नहीं करते या जिनकी सुनने की क्षमता की सुनने काफी कम होती है। सोचिए अगर यह सब ना
होता तो कितने लोग अपने जीवन से ज्यादा हाथ गंवा चुके होते हैं या फिर उसका अनंद नहीं उठा पाते। प्रकृ ति हमें खोजी बने रहने के लिये प्रेरित
करती हैं और हमें अलोचकों की चिन्ता किये बिना यह करते रहना चाहिए।

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