You are on page 1of 2

श्री श्री नित्यािंद चंद्रस्य िाम द्वादशक स्तोत्रम्

चंद्रमा के समान भगवान श्री ननत्यानंद प्रभु के बारह सुंदर पनवत्र नाम

श्रील साववभौम भट्टाचार्व द्वारा


नित्यािंदो वधूतेंदूर, वसुधा-प्राण-वल्लभ जाह्नवी-जीनवत-
पनत, कृष्ण-प्रेम-प्रभु पद्मावती-सुत: श्रीमि, शनच-िंदि-
पूववज: भावोिमत्तो जगत-त्राता, रक्त-गौर-कालेवरः
1} नित्यािंद: वह जो लगातार ताजा अवतार और हमेशा नवस्तार करने वाला है भगवान
गौरां ग-कृष्ण के शुद्ध के शाश्वत और सवोच्च आनंदमर् मधुरता का अवतार शु द्ध प्रेम।

2} अवधूतेंदु : प्रेम के नदव्य पागलपन का पारलौनकक चंद्रमा पूरी तरह से अपनी स्वर्ं
की भौनतक ऊजाव से अप्रभानवत।

3}वसुधा-प्राण-वल्लभ: श्रीमती वसुधा की सबसे प्यारी और प्यारी जीवन-सां स- दे वी,


भगवान बलराम की पत्नी श्रीमती वरुणी-दे वी का प्रत्यक्ष अवतार।
4} जाह्नवी-जीनवता-पनत: श्रीमती जाह्नवी-दे वी (अवतार) के शाश्वत नदव्य पनत भगवान
बलराम की पत्नी श्रीमती रे वती-दे वी) और उनके जीवन के अनुरक्षक और अनुरक्षक
और आत्मा।

5] कृष्ण-प्रे म-प्रद: वह जो भगवान के नलए शुद्ध, नवशुद्ध और आनंदमर् प्रेम प्रदान


करता है कृष्ण का पनवत्र नाम, रूप, लीलाएं और चरण कमल।
6} प्रभु: आध्यात्मत्मक और भौनतक सृनि में सभी भक्ों और सभी आत्माओं के सवोच्च
भगवान और गुरु।
7}पद्मावती-सुता: श्रीमती पद्मावती-दे वी का सबसे नप्रर् नप्रर् और नदव्य पुत्र।
8} श्रीमि : वे नदव्य नदव्य प्रताप के हैं और वे सनातन पनत हैं और भाग्य की दे वी की
पत्नी।

9} शची-िंदि-पू ववजा: सवोच्च भगवान गौरां ग के सबसे प्यारे बडे भाई, शची माता के
नदव्य पुत्र।

10} भावोन्मत्त: वह नजसका शारीररक रूप लगातार पागल और जलमग्न रहता है शु द्ध
प्रेम की अत्यनधक उत्साही भावनाएँ ।

11} जगत-त्राता: आध्यात्मत्मक और भौनतक सनहत पूरी सृनि के रक्षक दु ननर्ा।


12} रक्त-गौरा-काले वारा: वह नजसका नदव्य शारीररक रं ग और चमक लाल रं ग के
साथ सुनहरा है
भगवान ननत्यानंद के पनवत्र नाम पाठ की मनिमा

श्री ननत्यानंद चंद्रस्य नाम-द्वादशकम शुभम


य इदं प्रत्यिम प्रातः प्रत्य उत्तराय पथेन नरः

"वि सबसे भाग्यशाली व्यक्ति जो इन बारि शुभ चंद्रमा के समान भगवान ननत्यानंद
पनवत्र नामों का पाठ करता िै िर नदन सुबि 6 - 8.30 बजे

स क्लेश-रनितो भूत्वा प्राप्नु यात् स्व-मनो-रथम


तुर्णम चैतन्य-दे वस्य करुर्ा-भजनम भवेत

ऐसा व्यक्ति बहुत जल्दी जीवन के सभी दु खों, बाधाओं और कनठनाइयों से मुि िो जाता
िै और जीवन में अपने सभी सबसे पोनित और अंतरं ग इच्छाओं की पूनतण प्राप्त करता िै ।
बहुत ऐसा व्यक्ति शीघ्र िी भगवान गौरां ग-दे व की परम अिै तुकी कृपा का सवोच्च पात्र
बन जाता िै । ''

You might also like