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IRDAI (Appointed Actuary) Regulations 2022
IRDAI (Appointed Actuary) Regulations 2022
-33004/99
सी.जी.-ए.पी.-अ.-10122022-240973
xxxGIDHxxx
CG-AP-E-10122022-240973
xxxGIDExxx
असाधारण
EXTRAORDINARY
भाग III—खण्ड 4
PART III—Section 4
प्राजधकार से प्रकाजित
PUBLISHED BY AUTHORITY
फा. सं. भा.बी.जि.जि.प्रा./जिजि./5/184/2022. —बीमा अजधजियम, 1938 (1938 का 4) की धारा 114ए की उप-धारा (2) के खंड
(िेडडी) तथा बीमा जिजियामक और जिकास प्राजधकरण अजधजियम, 1999 (1999 का 41) की धाराओँ 14 और 26 द्वारा प्रदत्त
िजक्तयों का प्रयोग करते हुए प्राजधकरण बीमा सलाहकार सजमजत के साथ परामिश करिे के बाद, इसके द्वारा जिम्नजलजखत जिजियम
बिाता है, अथाशत्: -
ii. “बीमांकक” से बीमांकक अजधजियम, 2006 की धारा 2 की उप-धारा (1) के खंड (क) में यथापररभाजर्त बीमांकक
अजभप्रेत है;
iii. “जियुक्त बीमांकक” से इि जिजियमों के जिजियम 3(क) में उजल्लजखत बीमांकक अजभप्रेत है ;
iv. “प्राजधकरण” से बीमा जिजियामक और जिकास प्राजधकरण,1999 (1999 का 41) की धारा 3 की उप-धारा (1) के
अधीि स्ट्थाजपत भारतीय बीमा जिजियामक और जिकास प्राजधकरण अजभप्रेत है;
v. “भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि” से बीमांकक अजधजियम, 2006 (2006 का 35) की धारा 3 के अधीि स्ट्थाजपत
सांजिजधक जिकाय अजभप्रेत है;
vi. “व्यािसाजयक मािक” से भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि द्वारा अपिे सदस्ट्यों के जलए मागशदिी िोट/व्यिहार मािक के
जिगशम द्वारा जिजिर्दशष्ट व्यिहार का मािक अजभप्रेत है।
ख. यहाँ इि जिजियमों में प्रयुक्त और अपररभाजर्त, परं तु बीमा अजधजियम, 1938 (1938 का 4) अथिा बीमा जिजियामक
और जिकास प्राजधकरण अजधजियम, 1999 (1999 का 41) में पररभाजर्त सभी िब्दों और अजभव्यजक्तयों के अथश िही
होंगे िो क्रमिः उि अजधजियमों में उिके जलए जिधाशररत दकये गये हैं।
3. जियुक्त बीमांकक की जियुजक्त के जलए प्रदक्रया.---
क. भारत में बीमा व्यिसाय करिे के जलए पंिीकृ त बीमाकताश इि जिजियमों के जिजियम 3(ख) और जिजियम 3(च) के
अधीि, बीमांकक को जियुक्त करता है, िो अजधजियम के प्रयोििों के जलए `जियुक्त बीमांकक’ के रूप में िािा िाएगा।
ख. बीमाकताश के जलए जियुक्त बीमांकक के रूप में जियुक्त दकये िािे के जलए कोई व्यजक्त पात्र होगा, यदद िहः
i. साधारणतः भारत का जििासी है;
ii. बीमांकक अजधजियम, 2006 के अिुसार एक फे लो सदस्ट्य है;
iii. िीिि बीमाकताश के मामले में जिम्नजलजखत अपेिाएँ पूरी करिेिाला, भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि (आईएआई) का
फे लो सदस्ट्य है;
क. िीिि बीमा के िेत्र में कम से कम 12 िर्श का अिुभि रखता/रखती है तथा उसमें से कम से कम 7 िर्श
का फे लोजिप के बाद का अिुभि होगा।
बिते दक, यदद आिेदक िे भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि से अथिा दकसी ऐसे संस्ट्थाि या जिकाय से जिसके
साथ आईएआई का पारस्ट्पररक मान्यता करार हो, िीिि बीमा में जििेर्ज्ञ अिुप्रयोग अथिा जििेर्ज्ञ
उन्नत स्ट्तरीय जिर्य उत्तीणश दकया है, तो ऊपर जिजियम 3(ख)(iii)(क) में यथाउजल्लजखत फे लोजिप के
बाद के अिुभि सजहत अिुभि के मािदंड को 2 िर्श कम दकया िाएगा।
ख. जिजियम 3ख(iii)(क) के अंतगशत जिजिर्दशष्ट रूप में 7 िर्श अथिा 5 िर्श, िैसा लागू हो, में से कम से कम 3
िर्श का फे लोजिप के बाद का अिुभि दकसी भारतीय िीिि बीमाकताश के संबंध में िार्र्शक सांजिजधक
मूल्यांकि की तैयारी अथिा समीिा अथिा उत्पाद के कीमत-जिधाशरण में होगा।
उपयुशक्त के बाििूद, िीिि बीमा के िेत्र में िीिि पुिबीमा व्यिसाय के जलए पुिबीमा जििरजणयों को
प्रमाजणत करिेिाले समकि समीिक अथिा स्ट्ितंत्र बीमांकक अथिा पैिल बीमांकक अथिा बीमांकक के
रूप में अिुभि अथिा िीिि बीमा व्यिसाय में बीमांदकक परामिश कायश में अथिा प्राजधकरण के पास
संबंजधत अिुभि पर भी जिचार दकया िाएगा।
ग. कम से कम 3 िर्श का अिुभि मध्यम अथिा िररष्ठ स्ट्तरीय प्रबंधि की भूजमका में होगा।
iv. साधारण बीमाकताश के मामले में जिम्नजलजखत अपेिाएँ पूरी करिेिाला भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि (आईएआई) का
फे लो सदस्ट्यः
क. साधारण बीमा के िेत्र में कम से कम 9 िर्श का अिुभि तथा उसमें से कम से कम 4 िर्श का अिुभि
फे लोजिप के बाद का अिुभि होगा।
बिते दक, यदद आिेदक िे भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि से अथिा दकसी अन्य संस्ट्थाि अथिा जिकाय से
जिसके साथ आईएआई का पारस्ट्पररक मान्यता करार हो, साधारण बीमा में जििेर्ज्ञ अिुप्रयोग अथिा
जििेर्ज्ञ उन्नत स्ट्तरीय जिर्य उत्तीणश दकया है, तो जिजियम 3(ख)(iv)(क) में यथाउजल्लजखत फे लोजिप के
बाद के अिुभि के मािदंड सजहत अिुभि के मािदंड को 2 िर्श कम दकया िाएगा।
ख. जिजियम 3ख(iv)(क) के अंतगशत जिजिर्दशष्ट रूप में 4 िर्श अथिा 2 िर्श, िैसी जस्ट्थजत हो, में से कम से कम
2 िर्श का फे लोजिप के बाद का अिुभि दकसी भारतीय साधारण बीमाकताश के िार्र्शक सांजिजधक
मूल्यांकि अथिा उत्पाद के कीमत-जिधाशरण की तैयारी अथिा समीिा में होगा।
[भाग III—खण्ड 4] भारत का रािपत्र : असाधारण 3
उपयुशक्त के बाििूद, साधारण बीमा के िेत्र में साधारण बीमा व्यिसाय के जलए पुिबीमा जििरजणयों को
प्रमाजणत करिेिाले समकि समीिक अथिा पैिल बीमांकक अथिा बीमांकक के रूप में अिुभि अथिा
साधारण बीमा व्यिसाय में बीमांदकक परामिश कायश में अिुभि अथिा प्राजधकरण के पास संबंजधत
अिुभि पर भी जिचार दकया िाएगा।
ग. कम से कम 3 िर्श का अिुभि मध्यम अथिा िररष्ठ स्ट्तरीय प्रबंधि की भूजमका में होगा।
v. स्ट्िास्ट््य बीमाकताश के मामले में जिम्नजलजखत अपेिाएँ पूरी करिेिाला भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि (आईएआई) का
फे लो सदस्ट्यः
क. साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य बीमा के िेत्र में कम से कम 9 िर्श का अिुभि तथा उसमें से कम से कम 4 िर्श
फे लोजिप के बाद का अिुभि होगा।
बिते दक, यदद आिेदक िे भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि से अथिा दकसी अन्य संस्ट्थाि या जिकाय से जिसके
साथ आईएआई का पारस्ट्पररक मान्यता करार हो, साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य बीमा में जििेर्ज्ञ अिुप्रयोग
अथिा जििेर्ज्ञ उन्नत स्ट्तरीय जिर्य उत्तीणश दकया है, तो जिजियम 3(ख) (v)(क) में यथाउजल्लजखत
फे लोजिप के बाद के अिुभि के मािदंड सजहत अिुभि के मािदंड को 2 िर्श कम दकया िाएगा।
ख. जिजियम 3(ख)(v)(क) में यथाउजल्लजखत 4 िर्श अथिा 2 िर्श, िैसा लागू हो, में से कम से कम 2 िर्श का
फे लोजिप के बाद का अिुभि दकसी भारतीय साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य बीमाकताश के िार्र्शक सांजिजधक
मूल्यांकि अथिा उत्पाद के कीमत-जिधाशरण की तैयारी अथिा समीिा में होगा।
उपयुशक्त के बाििूद, साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य बीमा के िेत्र में साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य पुिबीमा
व्यिसाय के जलए पुिबीमा जििरजणयों को प्रमाजणत करिेिाले समकि समीिक अथिा पैिल बीमांकक
अथिा बीमांकक के रूप में अिुभि अथिा साधारण अथिा स्ट्िास्ट््य बीमा व्यिसाय में बीमांदकक परामिश
कायश में अिुभि अथिा प्राजधकरण के पास संबंजधत अिुभि पर भी जिचार दकया िाएगा।
ग. कम से कम 3 िर्श का अिुभि मध्यम अथिा िररष्ठ स्ट्तरीय प्रबंधि में होगा।
vi. पूणशकाजलक आधार पर बीमाकताश का कमशचारी;
vii. एक ऐसा व्यजक्त जिसिे कोई व्यािसाजयक अथिा अन्य कदाचार िहीं दकया है;
viii. भारत में दकसी अन्य बीमाकताश का जियुक्त बीमांकक िहीं है;
ix. एक ऐसा व्यजक्त जिसके पास भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि द्वारा िारी दकया गया व्यिहार (प्रैजटटस) का प्रमाणपत्र है ;
x. 70 िर्श से अजधक आयु का/की िहीं है।
ग. इि जिजियमों की अजधसूचिा की तारीख की जस्ट्थजत के अिुसार ितशमाि जियुक्त बीमांककों के जलए व्यिस्ट्थाः
इि जिजियमों की अजधसूचिा की तारीख की जस्ट्थजत के अिुसार ितशमाि जियुक्त बीमांकक संबंजधत बीमाकताश के जियुक्त बीमांकक के रूप
में िारी रहिे के जलए पात्र हैं।
घ. बीमाकताश समय-समय पर जिजिर्दशष्ट दकये िािेिाले फामेट में आिेदि प्रस्ट्तुत करते हुए जियुक्त बीमांकक
की जियुजक्त के जलए प्राजधकरण के अिुमोदि की अपेिा करे गा।
ङ. प्राजधकरण आिेदि की प्राजप्त की तारीख से तीस ददि के अंदर उसे स्ट्िीकार करे गा अथिा अस्ट्िीकार
करे गा।
बिते दक आिेदि को अस्ट्िीकार करिे से पहले प्राजधकरण बीमाकताश को अपिी बात कहिे के जलए
सुििाई का एक अिसर देगा।
च. बीमाकताश िो जिजियम 3(ख) के अिुसार जियुक्त बीमांकक की जियुजक्त करिे में असमथश है, पात्रता की
ितों में से दकसी ितश की छू ट देिे के जलए जलजखत में प्राजधकरण को आिेदि प्रस्ट्तुत करे गा। प्राजधकरण
एक अथिा उससे अजधक ितों से छू ट प्रदाि कर सकता है। तथाजप, जिजियम 3(ख)(ii), 3(ख)(vii) और
3(ख)(ix) के अंतगशत ितों के संबंध में कोई छू ट िहीं होगी।
छ. जियुक्त बीमांकक की जियुजक्त प्राजधकरण द्वारा अिुमोदि की तारीख को अथिा उसके बाद प्रभािी होगी।
4. आिेदि को अस्ट्िीकार करिे का प्रभाि.--- बीमाकताश जिजियम 3(ङ) के अंतगशत उजल्लजखत, आिेदि की अस्ट्िीकृ जत से चार
सप्ताह के अंदर जिजियम 3(ङ) के अंतगशत अपिे द्वारा अस्ट्िीकृ त व्यजक्त को छोड़कर जियुक्त बीमांकक के रूप में दकसी अन्य
व्यजक्त की जियुजक्त के जलए जिजियम 3(घ) के अंतगशत प्राजधकरण को आिेदि प्रस्ट्तुत करे गा।
5. जियुक्त बीमांकक के जबिा व्यिसाय का संचालि करिा.---
क) कोई भी बीमाकताश जियुक्त बीमांकक के जबिा बीमा/पुिबीमा व्यिसाय का संचालि िहीं करे गा। इस संबंध में दकसी भी
अििुपालि के जलए बीमा अजधजियम, 1938 के संबंजधत उपबंधों के अंतगशत उपयुक्त कारश िाइयाँ की िाएँगी।
4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART III—SEC.4]
ख) प्राजधकरण, जिजियम 5(क) के अंतगशत उपबंधों से छू ट के जलए बीमाकताश द्वारा अिुरोध दकये िािे पर उपयुक्त समझे गये
रूप में ऐसी अिजध के जलए छू ट प्रदाि कर सकता है, परं तु यह एक िर्श से अजधक िहीं होगी।
ग) प्राजधकरण का अध्यि ऊपर जिजियम 5(ख) के अंतगशत उजल्लजखत छू ट पर जिचार करिे के जलए अस्ट्थायी उपबंधों के
संबंध में समय-समय पर पररपत्र िारी कर सकता है।
6. जियुक्त बीमांकक की जियुजक्त का समापि.---
क. प्राजधकरण द्वारा अिुमोदि को िापस लेिे की िोरटस जियुक्त बीमांकक को जिम्नजलजखत कारणों पर दी िाएगीः
i. जिजियम (3) के उप-जिजियम (ख) के अिुसार उसका पात्र होिा समाप्त हो िाता है, अथिा;
ii. दक उसिे प्राजधकरण की राय में इि जिजियमों के अंतगशत जियुक्त बीमांकक के कतशव्यों और दाजयत्िों का पयाशप्त रूप
से और उजचत रूप से जिष्पादि िहीं दकया है।
ख. प्राजधकरण ऐसे जियुक्त बीमांकक को एक िोरटस देिे के बाद उसे अपिी बात कहिे के जलए सुििाई का अिसर प्रदाि
करे गा तथा उसके बाद अिुमोदि को िापस लेते हुए अथिा िारी की गई िोरटस का जिरसि करते हुए उपयुक्त आदेि
िारी करे गा।
ग. यदद दकसी व्यजक्त का जिजियम 6(क) में उजल्लजखत कारणों को छोड़कर अन्य प्रकार से बीमाकताश का जियुक्त बीमांकक
रहिा समाप्त होता है, तो बीमाकताश और जियुक्त बीमांकक इसके जलए कारण प्राजधकरण को ऐसी सेिा-समाजप्त से एक
सप्ताह के अंदर सूजचत करें गे।
घ. बीमाकताश जियुक्त बीमांकक के साथ परामिश करिे के बाद जियुक्त बीमांकक की सेिाओँ के समापि से उत्पन्न होिेिाले
िार्र्शक सांजिजधक जििरजणयों के प्रस्ट्तुतीकरण में जिलंब से बचिे के जलए प्रयास करे गा।
7. जियुक्त बीमांकक की िजक्तयाँ :---
क. जियुक्त बीमांकक की पहुँच बीमाकताश के कब्िे में अथिा उसके जियंत्रण में जिद्यमाि ऐसी समस्ट्त सूचिा और दस्ट्तािेिों
तक होगी यदद िह पहुँच जियुक्त बीमांकक के कायों और कतशव्यों के उजचत और प्रभािी जिष्पादि के जलए आिश्यक है।
ख. जियुक्त बीमांकक बीमाकताश के दकसी भी अजधकारी अथिा कमशचारी से इि जिजियमों के जिजियम 7(क) के प्रयोिि के
जलए दकसी भी सूचिा की अपेिा कर सकता है।
ग. जियुक्त बीमांकक जिम्नजलजखत के जलए पात्र होगाः
i. बीमाकताश के जिदेिकों की बैठक सजहत, प्रबंधक-िगश की बैठकों में तथा बीमाकताश के िेयरधारकों अथिा
पाजलसीधारकों की बैठकों में उपजस्ट्थत होिा, ऐसे दकसी भी जिर्य पर बोलिा और चचाश करिा,---
क. िो जिदेिकों को ददये गये बीमांदकक परामिश से संबंजधत है;
ख. िो बीमाकताश की िोधि-िमता को प्रभाजित कर सकता है;
ग. िो पाजलसीधारकों की उजचत अपेिाओँ को पूरा करिे के जलए बीमाकताश के साम्यश को प्रभाजित कर
सकता है; अथिा
घ. जिस पर बीमांदकक परामिश आिश्यक है।
घ. जियुक्त बीमांकक, जियुक्त बीमांकक के रूप में अपिे कायों के जिष्पादि के प्रयोिि के जलए
बीमाकताश को कोई भी िक्तव्य देिे के जलए पात्र होगा। यह दकन्हीं अन्य जिजियमों के
अंतगशत जियुक्त बीमांकक को प्रदत्त दकसी अन्य जििेर्ाजधकार के अजतररक्त है।
ङ. जियुक्त बीमांकक के जियुजक्त-पत्र का कोई भी उपबंध इि जिजियमों के अंतगशत उसके कतशव्यों, दाजयत्िों और जििेर्ाजधकारों को
प्रजतबंजधत अथिा जििाररत िहीं करे गा।
8. कतशव्य और दाजयत्ि.--- जििेर् रूप से और पूिोक्त जिर्यों पर दकसी प्रजतकू ल प्रभाि के जबिा, तथा बीमा उद्योग और
पाजलसीधारकों के जहत में, बीमाकताश के जियुक्त बीमांकक के कतशव्यों और दाजयत्िों में जिम्नजलजखत िाजमल होंगेः---
i. बीमाकताश की देयताओँ और आजस्ट्तयों का बीमांदकक मूल्यांकि संचाजलत करिे के प्रयोिि के जलए सभी आिश्यक
अजभलेख उसे उपलब्ध करािा सुजिजित करिा;
ii. बीमाकताश के प्रबंधक-िगश को बीमांदकक परामिश प्रदाि करिा, जििेर् रूप से उत्पाद अजभकल्पि और कीमत-
जिधाशरण, बीमा संजिदा िाटयरचिा, जििेि और पुिबीमा के िेत्रों में;
iii. क. हर समय िोधि-िमता बिाये रखिे के जलए बीमाकताश के साम्यश के साथ संबद्ध िोजखमों की पहचाि और
जिगरािी करिा;
[भाग III—खण्ड 4] भारत का रािपत्र : असाधारण 5
ख. बीमाकताश के बोडश को उि िोजखमों की सूचिा देिा िहाँ जियुक्त बीमांकक जिश्वास करता है दक ऐसे महत्िपूणश सरोकार हैं िो
बीमाकताश की िोधि-िमता को प्रजतकू ल रूप से प्रभाजित कर सकते हैं तथा साथ ही, िोधि-िमता की जस्ट्थजत को सुधारिे के जलए की
िािेिाली कारश िाइयों पर जसफाररिें करिा एिं प्राजधकरण को सूजचत करिा यदद बीमाकताश जस्ट्थजत को सुधारिे के जलए आिश्यक कदम
िहीं उठाता;
iv. अजधजियम की धारा 64िी के उपबंधों का अिुपालि इस धारा के अंतगशत अपेजित तरीके से मूल्यांदकत की गई
आजस्ट्तयों और देयताओँ के प्रमाणीकरण के संबंध में करिा;
v. अजधजियम की धारा 64िीए के उपबंधों का अिुपालि इस धारा के अंतगशत अपेजित तरीके से िोधि-िमता
मार्िशि के आिश्यक जियंत्रण स्ट्तर को बिाये रखिे के संबंध में करिा;
vi. बीमाकताश के प्रबंधक-िगश का ध्याि ऐसे दकसी भी जिर्य की ओर आकर्र्शत करिा जिसके संबंध में उसका जिचार है
दक अजधजियम के ऐसे दकसी स्ट्िरूप के उल्लंघि से बचिे के जलए बीमाकताश द्वारा कारश िाई करिे की आिश्यकता है,
िो पाजलसीधारकों के जहतों को प्रभाजित कर सकता है;
vii. समय-समय पर प्राजधकरण के जिदेिों का अिुपालि करिा;
viii. यह सुजिजित करिा दक बीमाकताश की समग्र कीमत-जिधाशरण िीजत बीमाकताश की समग्र िोजखम-अंकि और दािा
प्रबंध िीजत के अिुरूप है;
ix. पुिबीमा व्यिस्ट्थाओँ की पयाशप्तता को सुजिजित करिा;
x. िोजखम प्रबंध प्रणाली के प्रभािी कायाशन्ियि में योगदाि करिा;
xi. प्राजधकरण द्वारा अपेजित अजतररक्त सूचिा के संबंध में अजधजियम की धारा 21 के उपबंधों का अिुपालि करिा;
xii. उपयुशक्त के अजतररक्त, िीिि बीमा व्यिसाय करिेिाले बीमाकताश के जियुक्त बीमांकक के कतशव्यों में जिम्नजलजखत
िाजमल होंगेः
क. अजधजियम की धारा 13 के अंतगशत अपेजित रूप में बीमांदकक ररपोटश और सारांि तथा अन्य जििरजणयों
का प्रमाणीकरण करिा;
ख. उि पाजलसीधारकों को जििकी पाजलजसयाँ मृत्यु अथिा अंतर-मूल्यांकि अिजध के दौराि अन्य प्रकार के
कारण से भुगताि के जलए पररपक्व होते हैं, िीिि बीमाकताश द्वारा देय अंतररम बोिस अथिा बोिसों की
जसफाररि के संबंध में अजधजियम की धारा 112 के उपबंधों का अिुपालि करिा;
ग. बीमाकताश के प्रबंधि-व्ययों के संबंध में बीमांदकक परमिश देिा;
घ. यह सुजिजित करिा दक बीमा उत्पादों की प्रीजमयम दरें उजचत हैं;
ङ. यह प्रमाजणत करिा दक गजणतीय आरजित जिजधयों (मैथमेरटकल ररज़िों) का जिधाशरण भारतीय बीमा
जिजियामक और जिकास प्राजधकरण (िीिि बीमा व्यिसाय की आजस्ट्तयाँ, देयताएँ और िोधि-िमता
मार्िशि) जिजियम, 2016 के ितशमाि उपबंधों के अिुसार तथा भारतीय बीमांकक संस्ट्थाि द्वारा िारी
दकये गये मागशदिी िोटों/बीमांदकक व्यिहार मािक एिं प्राजधकरण द्वारा ददये गये दकन्हीं जिदेिों को
ध्याि में रखते हुए दकया गया है;
च. यह सुजिजित करिा दक पाजलसीधारकों की उजचत अपेिाओं पर देयताओँ के मूल्यांकि और सहभागी
पाजलसीधारकों, िो अजधिेर् के अंि के जलए पात्र हैं, को अजधिेर् के जितरण के जिर्य में जिचार दकया
गया है;
छ. बीमांदकक परामिश बीमा उद्योग और पाजलसीधारकों के जहत में प्रस्ट्तुत करिा;
ि. गजणतीय ररज़िों के पररकलि का समन्िय करिा;
झ. गजणतीय ररज़िों के पररकलि में प्रयुक्त कायशपद्धजतयों और अंतर्िशजहत माडलों एिं दकये गये पूिाशिुमािों
के औजचत्य को सुजिजित करिा;
ञ. गजणतीय ररज़िों के पररकलि में प्रयुक्त डेटा की पयाशप्तता और गुणित्ता का आकलि करिा;
ट. बीमाकताश के बोडश को गजणतीय ररज़िों की जिश्वसिीयता और पयाशप्त ता के बारे में सूजचत करिा;
xiii. उपयुशक्त (i) से (xi) तक के अजतररक्त, साधारण बीमा अथिा स्ट्िास्ट््य बीमा व्यिसाय करिेिाले बीमाकताश के जियुक्त
बीमांकक के कतशव्यों में जिम्नजलजखत िाजमल हैं:
क. यह सुजिजित करिा दक बीमा उत्पादों की प्रीजमयम दरें उजचत हैं;
ख. यह प्रमाजणत करिा दक उपगत परं तु सूजचत िहीं दकये गये दािों के जलए ररज़िों (आईबीएिआर) और
अन्य ररज़िों (उपगत परं तु पयाशप्त रूप से सूजचत िहीं दकये गये दािों (आईबीएिईआर) और प्रीजमयम
6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART III—SEC.4]
कमी ररज़िश (पीडीआर) को जमलाकर) सजहत दािा ररज़िों का जिधाशरण बीमांदकक जसद्धांतों का उपयोग
करते हुए और भारतीय बीमा जिजियामक और जिकास प्राजधकरण (साधारण बीमा व्यिसाय की
आजस्ट्तयाँ, देयताएँ और िोधि-िमता मार्िशि) जिजियम, 2016 के ितशमाि उपबंधों में जिधाशररत तरीके
से दकया गया है;
ग. बीमाकताश के प्रबंधि-व्ययों के संबंध में बीमांदकक परामिश देिा;
घ. आईबीएिआर के जलए ररज़िों और अन्य ररज़िों (आईबीएिईआर और पीडीआर के जलए ररज़िों सजहत)
के पररकलि का समन्िय करिा;
ङ. आईबीएिईआर और पीडीआर के जलए ररज़िों सजहत आईबीएिआर के जलए ररज़िों औऱ अन्य ररज़िों के
पररकलि में प्रयुक्त डेटा की पयाशप्तता और गुणित्ता का आकलि करिा;
च. बीमाकताश के बोडश को आईबीएिईआर के जलए ररज़िों और पीडीआर सजहत आईबीएिआर के जलए
ररज़िों और अन्य ररज़िों की जिश्वसिीयता और पयाशप्तता के बारे में सूजचत करिा;
xiv. प्राजधकरण को जिम्नजलजखत के संबंध में एक उजचत समय के अंदर अपिी राय जलजखत में सूजचत करिा:
क. बीमाकताश द्वारा अजधजियम और दकन्हीं अन्य अजधजियमों का कोई उल्लंघि ऐसे स्ट्िरूप का है दक िह
पाजलसीधारकों अथिा बीमाकताश द्वारा िारी की गई पाजलजसयों के जहताजधकाररयों के जहतों को
महत्िपूणश ढंग से प्रभाजित कर सकता है;
ख. टया बीमाकताश के जिदेिकों िे ऐसी कारश िाई िहीं की है िो इि जिजियमों के अंतगशत उसके कतशव्यों और
दाजयत्िों का प्रयोग करिे के जलए उसे समथश बिािे हेतु उजचत रूप से आिश्यक है ; अथिा
ग. टया बीमाकताश का कोई अजधकारी अथिा कमशचारी इि जिजियमों के अंतगशत उसके कतशव्यों और दाजयत्िों
का जििशहण करिे से उसे रोकिे के जलए व्यिहार में जलप्त है।
xv. यदद कोई जियुक्त बीमांकक, बीमांकक के रूप में कायश करिे के जलए जिरर्हशत दकया िाता है, तो जियुक्त बीमांकक के
रूप में उसकी जिद्यमािता तत्काल समाप्त हो िाती है;
xvi. अपिे कतशव्यों और दाजयत्िों का जििशहण करते समय जियुक्त बीमांकक सामान्यतः स्ट्िीकृ त बीमांदकक जसद्धांतों और
प्रथाओँ का उजचत ध्याि रखेगा;
xvii. जियुक्त बीमांकक दकसी भी संस्ट्था के द्वारा उसके जिरुद्ध प्रारं भ गई अिुिासजिक कायशिाही की सूचिा प्राजधकरण
को इस प्रकार प्रारं भ दकये िािे से सात ददि के अंदर देगा/देगी।
9. जहतों का संघर्श -
क. जियुक्त बीमांकक इि जिजियमों के अिुसार कायश करे गा/करे गी, तथा िह दकसी अन्य िमता में कायश िहीं करे गा अथिा
िहीं करे गी, िो इि जिजियमों के अिुसार जियुक्त बीमांकक के रूप में उसकी भूजमका जिष्पाददत करिे में जहतों के संघर्श
में पररणत हो सकता है;
ख. बीमाकताश और जियुक्त बीमांकक, जियुक्त बीमांकक के रूप में उसके कायशकाल के दौराि हर समय उपयुशक्त जिजियम 9(क)
के उपबंधों का अिुपालि करें गे।
10. बीमाकताश के दाजयत्ि –
क. बीमाकताश जियुक्त बीमांकक को पयाशप्त संसाधि उपलब्ध करायेगा;
ख. पयाशप्त बीमांदकक जििेर्ज्ञता जिर्मशत अथिा जिकजसत करिे के जलए, प्राजधकरण द्वारा समय-समय पर अजधसूजचत अिजध
के अंदर जियुक्त बीमांकक के अजतररक्त, कीमत-जिधाशरण और मूल्यांकि के प्रयोििों के जलए िीिि बीमाकताश अपिे पास
कम से कम दो बीमांकक रखेंगे तथा साधारण/स्ट्टैंड-अलोि स्ट्िास्ट््य बीमाकताश कम से कम एक बीमांकक रखेंगे;
ग. बीमाकताश यह सुजिजित करे गा दक जियुक्त बीमांकक को उसके कतशव्यों और दाजयत्िों का जििशहण करिे में बीमाकताश के
जिजभन्न कायश पयाशप्त समथशि देंगे;
घ. बीमाकताश यह सुजिजित करे गा दक जियुक्त बीमांकक प्राजधकरण के द्वारा िारी दकये गये कं पिी अजभिासि ददिाजिदेिों
के ितशमाि उपबंधों के अिुसार पररभाजर्त रूप में एक ही समय बीमाकताश के मुख्य िोजखम अजधकारी की भूजमका
जिष्पाददत िहीं करे गा/िहीं करे गी।
ङ. बीमाकताश सुजिजित करे गा दक जियुक्त बीमांकक बीमाकताश के मुख्य कायशकारी अजधकारी को सीधे ररपोटश करे गा/करे गी।
11. पुिबीमा व्यिसाय के जलए प्रयोज्यता –
[भाग III—खण्ड 4] भारत का रािपत्र : असाधारण 7
भारत में स्ट्थाजपत िाखा के माध्यम से पुिबीमा व्यिसाय में लगे हुए दकसी जिदेिी पुिबीमाकताश के मामले को छोड़कर, ये
जिजियम भारत में पुिबीमा व्यिसाय करिेिाले पुिबीमाकताशओँ के जलए लागू होंगे।
12. स्ट्पष्टीकरण आदद िारी करिे के जलए प्राजधकरण की िजक्त –
इि जिजियमों के अंतगशत दकसी भी उपबंध की प्रयोज्यता अथिा उसके अथश -जिणशय में उत्पन्न होिेिाली दकसी भी िंका अथिा
करठिाई को दूर करिे के जलए, अध्यि आिश्यक समझे गये रूप में उपयुक्त स्ट्पष्टीकरण अथिा ददिाजिदेि िारी कर सकता है।
A. These Regulations may be called Insurance Regulatory and Development Authority of India (Appointed
Actuary) Regulations, 2022.
B. The Insurance Regulatory and Development Authority of India (Appointed Actuary) Regulations, 2017 and
any amendments made thereafter shall be repealed from the date these Regulations come into force.
C. These Regulations shall come into force from the date of their publication in the Official Gazette.
D. These Regulations shall be reviewed once in every three years from date of notification, unless the review
or repeal or amendment is warranted earlier.
2. Definitions. –
3(F) of these Regulations, appoint an actuary, who shall be known as the 'Appointed Actuary' for the
purposes of the Act.
B. A person shall be eligible to be appointed as an Appointed Actuary for an insurer, if he or she is:
i. Ordinarily resident in India;
ii. A Fellow member in accordance with the Actuaries Act, 2006;
iii. A Fellow Member of the Institute of Actuaries of India(IAI), satisfying the following
requirements in case of a Life Insurer:
a. At least 12 years of experience in the area of Life Insurance and out of which at least 7 years shall be
post fellowship experience.
Provided, if the applicant has passed the Specialist Application or Specialist Advanced level subject
in Life Insurance from Institute of Actuaries of India or from any other institute or body with which
IAI has Mutual Recognition Agreement, the experience criteria including post fellowship experience
criterion as mentioned in Regulation 3(B)(iii)(a) above shall be reduced by 2 years.
b. At least 3 years post fellowship experience out of 7 years or 5 years as applicable, as specified
under Regulation 3B(iii)(a) shall be in the preparation or review of annual statutory
valuation or product pricing of an Indian Life Insurer.
c. At least 3 years of experience shall be in the role of middle or senior level management.
iv. A Fellow Member of the Institute of Actuaries of India(IAI), satisfying the following
requirements in case of a General Insurer:
a. At least 9 years of experience in the area of General Insurance and out of which at least 4 years shall
be post fellowship experience.
Provided, if the applicant has passed the Specialist Application or Specialist Advanced level subject
in General Insurance from Institute of Actuaries of India or from any other institute or body with
which IAI has Mutual Recognition Agreement, the experience criteria including post fellowship
experience criterion as mentioned in Regulation 3(B) (iv)(a) above shall be reduced by 2 years.
b. At least 2 years post fellowship experience out of 4 years or 2 years as applicable, as specified under
Regulation 3B(iv)(a) shall be in the preparation or review of annual statutory valuation or product
pricing of an Indian General Insurer.
Notwithstanding above, experience in the area of General Insurance as a Peer Reviewer or Panel
Actuary or Actuary certifying reinsurance returns for General reinsurance business or experience in
actuarial consultancy in General Insurance business or relevant experience with the Authority
shall also be considered.
c. At least 3 years of experience shall be in the role of middle or senior level management.
v. A Fellow Member of the Institute of Actuaries of India(IAI), satisfying the following
requirements in case of a Health Insurer:
a. At least 9 years of experience in the area of General or Health Insurance and out of which at least 4
years shall be post fellowship experience.
Provided, if the applicant has passed the Specialist Application or Specialist Advanced level subject
in General or Health Insurance from Institute of Actuaries of India or from any other institute or
[भाग III—खण्ड 4] भारत का रािपत्र : असाधारण 9
body with which IAI has Mutual Recognition Agreement, the experience criteria including post
fellowship experience criterion as mentioned in Regulation 3(B)(v)(a) above shall be reduced by 2
years.
b. At least 2 years post fellowship experience out of 4 years or 2 years as applicable, as specified under
Regulation 3B(v)(a) shall be in the preparation or review of annual statutory valuation or product
pricing of an Indian General or Health Insurer.
Notwithstanding above, experience in the area of General or Health Insurance as a Peer Reviewer or
Panel Actuary or Actuary certifying reinsurance returns for General or Health reinsurance business
or experience in actuarial consultancy in General or Health insurance business or relevant
experience with the Authority shall also be considered.
c. At least 3 years of experience shall be in the role of middle or senior level management.
vi. An employee of the insurer on full time basis;
vii. A person who has not committed any professional or other misconduct;
viii. Not an Appointed Actuary of any other insurer in India;
ix. A person who possesses a Certificate of Practice issued by the Institute of Actuaries of India;
x. Not over the age of 70 years.
C. Provision for existing Appointed Actuaries as on date of notification of these Regulations:
The existing Appointed Actuaries as on the date of notification of these Regulations are eligible to continue
as Appointed Actuary of the respective insurer.
D. An insurer shall seek the approval of the Authority for the appointment of Appointed Actuary, submitting
the application in the format as may be specified from time to time.
E. The Authority shall, within thirty days from the date of receipt of application, either accept or reject the
same.
Provided that before rejecting the application, the Authority shall give an opportunity of being heard to the
insurer.
F. An insurer, who is unable to appoint an Appointed Actuary in accordance with Regulation 3(B) shall make
an application to the Authority in writing for relaxation of any of the eligibility conditions. The Authority
may grant relaxation of one or more conditions. However, there shall be no relaxation in respect of
conditions under Regulations 3(B)(ii), 3(B)(vii) & 3(B)(ix).
G. The appointment of an Appointed Actuary shall take effect on or after the date of approval by the Authority.
4. Effect of rejection of the application. ---The insurer shall, within four weeks of rejection of the application
referred to under Regulation 3(E), apply to the Authority under Regulation 3(D) for the appointment of a person
as an Appointed Actuary other than the one rejected by it under Regulation 3 (E).
5. Carrying on business without Appointed Actuary. --
a) No insurer shall carry on the business of insurance/reinsurance without an Appointed Actuary. Any non-
compliance in this regard shall attract appropriate actions under the relevant provisions of the Insurance Act,
1938.
b) The Authority, on request of the insurer for relaxation of the provisions under Regulation 5(a), may grant
relaxation for such period as may deem appropriate but not exceeding one year.
c) The Chairperson of the Authority may issue circular(s) from time to time regarding the transitory provisions
for consideration of relaxation referred under Regulation 5(b) above
6. Cessation of Appointment of Appointed Actuary. -
A. An Appointed Actuary shall be given a notice of withdrawal of approval by the Authority on the
following grounds:
i. that he or she ceases to be eligible in accordance with sub-regulation (B) of Regulation (3), or;
ii. that he or she has, in the opinion of the Authority, failed to perform adequately and properly the
10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART III—SEC.4]
viii. Ensuring that overall pricing policy of the insurer is in line with the overall underwriting and claims
management policy of the insurer;
b. whether the directors of the insurer have failed to take such action as is reasonably necessary to
enable him or her to exercise his or her duties and obligations under these Regulations; or
c. whether an officer or employee of the insurer has engaged in conduct in order to prevent him or her
exercising his or her duties and obligations under these Regulations.
xv. If an Appointed Actuary is disqualified to act as an Actuary, he or she ceases to exist as Appointed Actuary
forthwith;
xvi. while carrying out his or her duties and obligations, the Appointed Actuary shall pay due regard to
generally accepted actuarial principles and practices;
xvii. the Appointed Actuary shall inform the Authority of any disciplinary proceedings initiated against him
or her by any entity within seven days from the date of such initiation.
9. Conflict of interest --
a. The Appointed Actuary shall function in accordance with these Regulations, and he or she shall not
function in any other capacity which could result in conflict of interest in performing his or her role as
Appointed Actuary in accordance with these Regulations;
b. The insurer and the Appointed Actuary shall comply with the provisions of Regulation 9(a) above at all
times during his or her tenure as Appointed Actuary
10. Obligations of the insurer --
a. The insurer shall provide adequate resources to the Appointed Actuary;
b. In order to build up or develop sufficient actuarial expertise, life insurers shall have at least two actuaries
and General/Standalone Health insurers shall have at least one actuary in addition to Appointed Actuary
for pricing and valuation purposes within such period as notified by the Authori ty from time to time;
c. The insurer shall ensure that different functions of the insurer provide adequate support to the Appointed
Actuary in discharging his or her duties and obligations;
d. The insurer shall ensure that the Appointed Actuary does not simultaneously perform the role of Chief
Risk Officer of the insurer defined as per the extant provisions of Corporate Governance Guidelines issued
by the Authority. The Chief Risk Officer however may preferably be an Actuary independent of the
Appointed Actuary.
e. The insurer shall ensure that the Appointed Actuary reports directly to Chief Executive Officer of the
insurer.
11. Applicability to reinsurance business --
These Regulations shall apply to reinsurers carrying on reinsurance business in India except in case of a foreign
insurer engaged in re-insurance business through a branch established in India.
In order to remove any doubts or difficulties that may arise in the application or interpretation of any of the
provisions under these Regulations, the Chairperson may issue appropriate clarifications or guidelines as deemed
necessary.
[ADVT.-III/4/Exty./446/2022-23]
Uploaded by Dte. of Printing at Government of India Press, Ring Road, Mayapuri, New Delhi-110064
and Published by the Controller of Publications, Delhi-110054. ALOK KUMAR Digitally signed by ALOK KUMAR
Date: 2022.12.10 15:50:14
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