Professional Documents
Culture Documents
Santan Gopal Stotra 2
Santan Gopal Stotra 2
सत
ु सम्प्राप्तये कृष्णं नमामि मधस
ु द
ू नम ्॥१॥
मैं पत्र
ु की प्राप्ति के लिये लक्ष्मी पति, कमलनयन, दे वकी नन्दन तथा
सर्वपापहारी, मधस
ु द
ू न, श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूँ ॥1॥
नमाम्यहं वासद
ु े वं सत
ु सम्प्राप्तये हरिम।्
मैं पत्र
ु प्राप्ति के उद्दे शन्से उन वासद
ु े व श्री हरि को प्रणाम करता हूँ, जो
यशोदा के अंक में बाल गोपाल रूप से विराजमान हैं और नन्दन को आनन्द
दे रहे हैं ॥2॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
अस्माकं पत्र
ु लाभाय गोविन्दं मनि
ु वन्दितम ्
अपने को पत्र
ु की प्राप्ति के लिये मैं मनि
ु वन्दित वसु दे व दे व की नन्दन
गोविन्द को सदा नमस्कार करता हूँ ॥3॥
पत्र
ु सम्प्राप्तये कृष्णं नमामि यदप
ु ड्
ु भवम ्॥४॥
मैं पत्र
ु पाने की कामना से उन यदक
ु ु लतिलक श्री कृष्ण को नमस्कार करता
हूँ, जो साक्षात ्कमला पति अच्यत
ु (विष्ण)ु होकर भी गोपबालक रूप से
गौओं की रक्षा में लगे हुए हैं ॥4॥
पत्र
ु कामेष्टिफलदं कंजाक्षं कमलापतिम ्।
दे वकीनन्दनं बन्दे सत
ु सम्प्राप्ये मम ॥५॥
मझ
ु े पत्र
ु की प्राप्ति हो, इसके लिये मैं पत्र
ु ष्टि
े यज्क का फल दे ने वाले
कमलनयन लक्ष्मी पति दे वकी नन्दन श्री कृष्ण की वन्दना करता हूँ ॥5॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
पद्यापते पदानेत्र पदानाभ जनार्दन।
अस्माकं पत्र
ु लाभाय नमामि श्रीशमच्यत
ु म ्॥७॥
यशोदा के अंक में बाल रूप से विराज मान तथा अपनी महिमा से कभी च्यत
ु
न होने वाले मनि
ु वन्दित लक्ष्मी पति गोविन्द को मैं प्रणाम करता हूँ। ऐसा
करने से मझ
ु े पत्र
ु की प्राप्ति हो ॥7॥
गोविन्द मे सत
ु ं दे हि नमामि त्वां जनार्दन ॥८॥
श्री पते! दे वदे वेश्वर! दीन-द:ु खियों की पीड़ा दरू करने वाले अच्यत
ु ! गोविन्द!
मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। जनार्दन! मैं आपको प्रणाम करता हूँ ॥8॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
भक्तकामद गोविन्द भक्त रक्ष शभ
ु प्रद।
रुक्मिणीनाथ ! सर्वेश्वर! मझ
ु े सदाके लिये पत्र
ु दीजिये। भक्तों की इच्छा पर्ण
ू
करने के लिये कल्पवक्ष
ृ स्वरूप कमलनयन श्री कृष्ण! मैं आपकी शरण में
आया हूँ ॥10॥
दे वकीसत
ु गोविन्द वासद
ु े व जगत्पते।
दे व की पत्र
ु ! गोविन्द! वासद
ु े व! जगन्नाथ! श्री कृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। में
आपकी शरण में आया हूँ ॥11॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
वासद
ु े व जगद्वन्द्य श्रीपते परु
ु षोत्तम।
विश्ववन्द्य वासद
ु े व ! लक्ष्मीपते ! परु
ु षोत्तम ! श्रीकृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। में
आपकी शरण में आया हूँ ॥12॥
कमलनयन! कमलाकान्त! दस
ू रोंपर दया करने वालों में सर्वश्रेष्ठ श्रीकृष्ण ।
मझ
ु े पत्र
ु प्रदान कीजिये। मैं आपकी शरण में आया हूँ ॥13॥
लक्ष्मीपते पद्मनाभ मक
ु ु न्द मनि
ु वन्दित।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
कार्यकारणरूपाय वासद
ु े वाय ते सदा।
नमामि पत्र
ु लाभार्थ सख
ु दाय बध
ु ाय ते ॥१५॥
आप कार्य-कारणरूप, सख
ु दायक एवं विद्वान ्हैं। मैं पत्र
ु की प्राप्तिके लिये
आप वासद
ु े वको सदा नमस्कार करता हूँ ॥15॥
तभ्
ु यं नमामि दे वेश तनयं दे हि मे हरे ॥१६॥
अस्माकं पत्र
ु लाभाय भजामि त्वां जगत्पते।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
श्रीमानिनीमानचोर गोपीवस्त्रापहारक ।
मानिनी श्री राधा के अपहरण करने वाले तथा अपनी आराधना करने वाली
गोपांगनाओं के वस्त्र को यमन
ु ातट से हटाने वाले (उन्हें सख
ु प्रदान करने
वाले) जगन्नाथ ! वासद
ु े व ! श्रीकृष्ण ! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये ॥18॥
अस्माकं पत्र
ु सम्प्राप्ति कुरुष्व यदन
ु न्दन।
रमापते वासद
ु े व मक
ु ु न्द मनि
ु वन्दित ॥१९॥
यदन
ु न्दन! रमापते! वासद
ु े व! मनि
ु वन्दित मक
ु ु न्द! हमें पत्र
ु की प्राप्ति
कराइये ॥19॥
वासद
ु े व सत
ु ं दे हि तनयं दे हि माधव।
पत्र
ु ं मे दे हि श्रीकृष्ण बत्सं दे हि महाप्रभो ॥२०॥
वासद
ु े व ! मझ
ु े बेटा दीजिये। माधव! मझ
ु े तनय (संतान) दीजिये। श्रीकृष्ण!
मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। महाप्रभो! मझ
ु े वत्स (बच्चा) दीजिये ॥20॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
डिम्भकं दे हि श्रीकृष्ण आत्मजं दे हि राघव।
श्री कृष्ण! मझ
ु े डिंभक (पत्र
ु ) दीजिये। रघन
ु न्दन! मझ
ु े आत्मज (औरस पत्र
ु )
दीजिये। भक्तों की अभिलाषा पर्ण
ू करने के लिये कल्पवक्ष
ृ स्वरूप नन्द!
मझ
ु े तनय दीजिये ॥21॥
कमलानाथ गोविन्द मक
ु ु न्द मनि
ु वन्दित ॥२२॥
सत
ु ं दे हि श्रियं दे हि श्रियं पत्र
ु प्रदे हि मे ॥२३॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
यशोदास्तन्यपानज्ञं पिबन्तं यदन
ु न्दनम।्
रमापते वासद
ु े व अ्रियं पत्र
ु जगत्पते ॥२५॥
पत्र
ु ं श्रियं श्रियं पत्र
ु पत्र
ु मे दे हि माधव।
माधव ! पत्र
ु और धन (दीजिये), धन और पत्र
ु (दीजिये), मझ
ु े पत्र
ु प्रदान
कीजिये। श्रीपते ! हमारे दीनता पर्ण
ू बचन पर ध्यान दीजिये ॥ 26 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
गोपालडिम्भ गोविन्द बासद
ु े व रमापते।
मद्बवाज्छितफलं दे हि दे वकीनन्दनाच्यत
ु ।
मम पत्र
ु ार्थितं धन्यं कुरुष्व यदन
ु न्दन ॥२८॥
दे वकीनन्दन ! अच्यत
ु ! मझ
ु े मनोवांछित फल (पत्र
ु ) दीजिये। यदन
ु न्दन !
मेरी पत्र
ु विषयक प्रार्था कों सफल एवं धन्य कीजिये ॥ 28 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
आत्मजं नन्दनं पत्र
ु कुमारं डिम्भक सत
ु म।्
रघन
ु न्दद! आप सदा मझ
ु े आनन्द दायक आत्मज, पत्र
ु , कुमार, डिंभक
(बालक), सत
ु , अर्भक (बच्चा) एवं तनय (बेटा) दीजिये ॥ 30 ॥
अस्माकं पत्र
ु सम्प्राप्ये सदा गोविन्दमच्यत
ु म ्॥३१॥
ॐ“कारयक्
ु तं गोपाल श्रीयक्
ु ते यदन
ु न्दनम।्
क्लींयक्
ु त दे वकीपत्र
ु ं नमामि यदन
ु ायकम ्॥३२॥
ॐ कार यक्
ु त गोपाल, श्रीयक्
ु त यदन
ु न्दन तथा क्लींयक्
ु त दे वकीपत्र
ु यदन
ु ाथ
को मैं प्रणाम करता हूँ (अर्थात ्“ॐ श्रीं कलीं' इन तीनों बीजों से यक्
ु त
'दे वकीसत
ु गोविन्द......' इत्यादि मन्त्र का मैं आश्रय लेता हूँ) ॥ 32 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
वासद
ु े व मक
ु ु न्दे श गोविन्द माधवाच्यत
ु ।
वासद
ु े व। मक
ु ु न्द! ईश्वर ! गोविन्द! माधव! अच्यत
ु ! श्रीकृष्ण। रमानाथ !
महाप्रभो ! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये ॥ 33 ॥
राजीवनयन (कमल-सदश
ू नेत्र वाले) ! गोविन्द! कपिलाक्ष! हरे ! प्रभो! सम्पर्ण
ू
कमनीय मनोरथों की सिद्धि के लिये वर दे नेवाले श्री कृष्ण! मझ
ु े सदा के
लिये पत्र
ु दीजिये ॥ 34 ॥
दे हि मे वरसत्पत्र
ु ं रमानायक माधव ॥३५॥
नीलकमल समह
ू के समान श्याम सन्
ु दर रूप वाले जगन्नाथ! रमानायक!
माधव! मझ
ु े जलज--कमल के सदृश मनोहर एवं श्रेष्ठ सत्पत्र
ु प्रदान कीजिये
॥ 35 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
नन्दपाल धरापाल गोविन्द यदन
ु न्दन।
अजगर और वरुण के दत
ू ों से नन्दजी की रक्षा करने वाले! पथ्
ृ वी पालक !
यदन
ु न्दन ! गोविन्द ! प्रभो ।! रुक्मिणीवल्लभ श्री कृष्ण !मझ
ु े पत्र
ु प्रदान
कोजिये ॥ 36 ॥
दासमन्दार गोविन्द मक
ु ु न्द माधवाच्यत
ु ।
गोपाल पण्
ु डरीकाक्ष दे हि मे तनयं श्रियम ् ॥३७ ॥
यदन
ु ायक पद्मेश नन्दगोपवधस
ू त
ु ।
यदन
ु ाय क! लक्ष्मीपते! यशोदा नन्दन! श्रीधर! प्राणवल्लभ ! श्री कृष्ण! मझ
ु े
पत्र
ु प्रदान कीजिये ॥ 38 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
अस्माकं वाजिछतं दे हि दे हि पत्र
ु रमापते।
रमाहदयसम्भार सत्यभामामनःप्रिय ।
चन्द्रसर्या
ू क्ष गोविन्द पण्
ु डरीकाक्ष माधव ।
अस्माकं भाग्यसत्पत्र
ु ं दे हि दे व जगत्पते ॥४१॥
चन्द्रमा और सर्य
ू रूप नेत्र धारण करने वाले गोविन्द। कमलनयन ! माधव!
दे व! जगदीश्वर ! हमें भाग्यशाली श्रेष्ठ पत्र
ु प्रदान कीजिये ॥ 41॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
कारुण्यरूप पद्माक्ष पद्मनाभसमर्चित।
दे वकीसत
ु श्रीनाथ वासद
ु े व जगत्पते।
दे वकी पत्र
ू ! श्रीनाथ! वासद
ु े व ।! जगत्पते! समस्त मनोवांछित फलोंको दे ने
वाले श्री कृष्ण! मझ
ु े सदा पत्र
ु दीजिये ॥ 43 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
श्रीपते वासद
ु े वेश दे वकीप्रियनन्दन।
श्रीकान्त ! वसद
ु े व नन्दन ! ईश्वर ! दे वकी के प्रिय पत्र
ु ! भक्तों के लिये कल्प
वक्ष
ृ रूप । जगत्प्रभो! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये॥ 45॥
वासद
ु े वेश सर्वेश दे हि मे तनयं प्रभो ॥४६॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
दासमन्दार गोविन्द भक्तचिन्तामणे प्रभो।
गोविन्द पण्
ु डरीकाक्ष रमानाथ महाप्रभो ।
गोविन्द! पड
ंु रीकाक्ष! स्मानाथ! महाप्रभो! श्रीकृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। मैं
आपक आया हूँ॥ 49 ॥
मत्पत्र
ु फलसिद्ध्र्थ भजामि त्वां जनार्दन ॥५०॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
स्तन्यं पिबन्तं जननीमख
ु ाम्बज
ु ं
विलोक्य मन्दस्मितमज्
ु वलाडुम ्
स्पश
ृ न्तमन्यस्तनमंगल
ु ीभि-
वन्दे यशोदाह्भग
ु तं मक
ु ु न्दम ्॥५१॥
जो मैया यशोदा के मख
ु ारविन्द की ओर दे खते हुए मन्द मस
ु कराहट के साथ
उनके एक स्तनका दध
ू पी रहे हैं और दस
ू रे स्तन का अंगलि
ु यों से स्पर्श कर
रहे हैं तथा जिन का प्रत्येक अंग उज्ज्वल आभा से प्रकाशित होता है , मैया
यशोदा के अंक में बैठे हुए उन बाल-मक
ु ु न्द की मैं वन्दना करता हूँ ॥ 51॥
याचेउहं पत्र
ु सन्तानं भवन्तं पद्मलोचन।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
अस्माकं पत्र
ु सम्पत्तेश्चिन्तयामि जगत्पते।
वासद
ु े व जगन्नाथ श्रीपते परु
ु षोत्तम।
वासद
ु े व ! जगन्नाथ ! श्री पते ! परु
ु षोत्तम ! दे वेन्द्र पजि
ू त श्रीकृष्ण ! मझ
ु े
पत्र
ु -दान कीौजिये॥ 54 ॥
महां च पत्र
ु संतानं दातव्यं भवता हरे ॥५५॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
वासद
ु े व जगन्नाथ गोविन्द दे वकीसत
ु ।
वासद
ु े व ! जगन्नाथ! गोविन्द! दे वकीकुमार! कौसल्या के प्रिय पत्र
ु राम! मझ
ु े
पत्र
ु प्रदान कीजिये॥ 56 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
दे हि मे तनयं राम दशरथप्रियनन्दन।
सीतानायक कज्जाक्ष मच
ु क
ु ु न्दवरप्रद ॥५९॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
राम मत्काम्यवरद पत्र
ु ोत्पत्तिफलप्रद।
मझ
ु े मनोवांछित वर और पत्र
ु ोत्पत्ति रूप फल दे ने वाले श्रीराम ! ब्रह्मा जी के
द्वारा वन्दित लक्ष्मीपते! आप मझ
ु े पत्र
ु दीजिये॥ 62॥
भाग्यवत्पत्र
ु संतानं दशरथात्मज श्रीपते ॥६३॥
दे वकीगर्भसंजात यशोदाप्रियनन्दन।
दे वकी के गर्भ से उत्पन्न हुए यशोदा के लाड़ले लाल ! गोपाल कृष्ण! राम!
माधव! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये॥ 64 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
कृष्ण माधव गोविन्द वामनाच्यत
ु शंकर।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
दीयतां वासद
ु े वेन तनयो मत्प्रियः सत
ु ः।
वसद
ु े व नन्दन भगवान ्श्री कृष्ण तथा सीता पति भगवान ्श्री राम सदा मझ
ु े
आनन्द दायक कुमारोपम प्रिय पत्र
ु प्रदान करें ॥ 68 ॥
वंशविस्तारकं पत्र
ु ं दे हि मे मधस
ु द
ू न।
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गतः ॥७०॥
मधस
ु द
ू न ! मझ
ु े वंश का विस्तार करने वाला पत्र
ु दीजिये ! पत्र
ु दीजिये ! ! पत्र
ु
दीजिये ! में आपकी शरण में आया हूँ॥ 70 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
ममाभीष्टसत
ु ं दे हि कंसारे माधवाच्यत
ु ।
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गतः ॥७१॥
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गतः ॥७२॥
विद्यावन्तं बद्
ु धिमन्तं श्रीमन्तं तनयं सदा।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
नमामि त्वां पदानेत्र सत
ु लाभाय कामदम।्
मक
ु ु न्दं पण्
ु डरीकाक्ष गोविन्दं मधस
ु द
ू नम ्॥७४॥
सम्पर्ण
ू मनोबांछित फलों के दाता! गोविन्द! स्वामिन!् भगवन!् श्री कृष्ण!
मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। मैं आपकी शरण में आया हूँ॥ 75 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
तनयं दे हि गोविन्द कज्जाक्ष कमलापते।
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गत: ॥७७॥
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गतः ॥७८॥
श्डुचक्रगदाखड्गशार्क्णाणे रमापते।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
नारायण रमानाथ राजीवपत्रलोचन।
सत
ु ं मे दे हि दे वेश पदापद्मानव
ु न्दित ॥८०॥
दे वकीसत
ु गोविन्द वासद
ु े व जगत्पते।
मनि
ु वन्दित गोविन्द रुक्मिणीवल्लभ प्रभो।
मनि
ु वन्दित गोविन्द । रुक्मिणीवल्लभ !प्रभो! श्री कृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये!
में आप की शरण में आया हूँ॥ 83 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
गोपिकार्जितपड्लेजमरन्दासक्तमानसस ।
गोपियों द्वार लाकर समर्पित किये गये कमलों के मकरन्द में आसक्त चित्त
वाले श्री कृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये। में आपकी शरण में आया हूँ॥ 84 ॥
ममाभीष्टसत
ु ं दे हि त्वामहं शरणं गत: ॥८५॥
वासद
ु े व रमानाथ दासानां मंगलप्रद।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
कल्याणप्रद गोविन्द मरु ारे मनि
ु वन्दित।
पत्र
ु प्रद मक
ु ु न्दे श रुक्मिणीवल्लभ प्रभो।
पत्र
ु दाता मक
ु ु न्द! ईश्वर! रुक्मिणीवल्लभ प्रभो! श्री कृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये,
में आपकी शरण में आया हूँ॥ 88 ॥
पण्
ु डरीकाक्ष गोविन्द वासद
ु े व जगत्पते।
पण्
ु डरीकाक्ष । गोविन्द ! वासद
ु े व ! जगदीश्वर ! श्रीकृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु दीजिये, में
आपकी शरण में आया हूँ ॥ 89 ॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
दयानिधे वासद
ु े व मक
ु ु न्द मनि
ु वन्दित।
दयानिधे! वासद
ु े व । मनि
ु वन्दित मक
ु ु न्द ! श्रीकृष्ण! मझ
ु े पत्र
ु प्रदान कीजिये,
मैं आपकी शरणमें आया हूँ ॥ 90
पत्र
ु सम्पत्प्रदातारं गोविन्द दे वपजि
ू तम।्
पत्र
ु और सम्पत्ति के दाता, पत्र
ु लाभ दायक, दे व पजि
ू त गोविन्द श्री कृष्ण की
हम सदा वन्दना करते हैं ॥ 91 ॥
नमस्ते पत्र
ु लाभार्थ दे हि मे तनयं विभो ॥९२॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
नमस्तस्मे रमेशाय रुक्मिणीवल्लभाय ते ।
नमस्ते वासद
ु े वाय नित्यश्रीकामक
ु ाय च।
पत्र
ु दाय च सर्पेन्द्रशायिने रं गशायिने ॥९४॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
दासस्य मे सत
ु ं दे हि दीनमन्दार राघव।
सत
ु ं दे हि सत
ु ं दे हि पत्र
ु ं दे हि रमापते ॥९६॥
यशोदातनयाभीष्टपत्र
ु दानरतः सदा।
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com
नीतिमान ्धनवानू ्पत्र
ु ो विद्यावांश्च प्रजायते।
भगवंस्त्वत्क्पायाइच वासद
ु े वेन्द्रपजि
ू त ॥९९॥
यः पठे त ्पत्र
ु शतकं सो5पि सत्पत्र
ु वान ्भवेत।्
श्रीवासद
ु े वकथितं स्तोत्ररत॑ सख
ु ाय च ॥१००॥
हिंदीपथ.कॉम – HindiPath.com