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बगललाममखखी ददे वखी सलाधनला :---

बगललाममखखी ददे वखी दश महलाववद्यलाओओं मम आठवखीओं महलाववद्यला कला नलाम सदे उल्लदेखखत हहै । वहैददक शब्द ‘वल्गला’
कहला हहै , जजिसकला अरर्थ ककत्यला सम्बन्ध हहै , जिजो बलाद मम अपभओंश हजोकर बगलला नलाम सदे प्रचलाररत हजो गयला ।
बगललाममखखी शतम-सओंहलारक ववशदेष हहै अततः इसकदे दकक्षिणलाम्नलायखी पजशचमलाम्नलायखी मओंत अधधक ममलतदे हह । नहैऋत्य
व पजशचमलाम्नलायखी मओंत प्रबल सओंहलारक व शतम कजो पखीडला कलारक हजोतदे हह । इसमलयदे इसकला प्रयजोग करतदे समय
व्यजकत घबरलातदे हह । वलास्तव मम इसकदे प्रयजोग मम सलावधलानखी बरतनखी चलादहयदे । ऐसखी बलात नहहओं हहै कक यह
ववद्यला शतम-सओंहलारक हह हहै , ध्यलान यजोग मम इससदे ववशदेष सहयतला ममलतखी हहै । यह ववद्यला प्रलाण-वलायम व मन
ककी चओंचलतला कला स्तओंभन कर ऊध्वर्थ-गतत ददे तखी हहै , इस ववद्यला कदे मओंत कदे सलार लमलतलादद ववद्यलाओओं कदे ककट
मओंत ममललाकर भखी सलाधनला ककी जिलातखी हहै । बगललामख
म खी मओंतत्रों कदे सलार लमलतला, कलालह व लक्ष्मखी मओंतत्रों सदे पमदटत
कर व पदभदेद करकदे प्रयजोग मम ललायदे जिला सकतदे हह । इस ववद्यला कदे ऊध्वर्थ-आम्नलाय व उभय आम्नलाय मओंत
भखी हह, जजिनकला ध्यलान यजोग सदे हह ववशदेष सम्बन्ध रहतला हहै । ततपमर समन्दरह कदे ककट मन्तत्रों कदे ममललानदे सदे यह
ववद्यला बगललासमन्दरह हजो जिलातखी हहै , जिजो शतम-नलाश भखी करतखी हहै तरला वहैभव भखी ददे तखी हहै ।

महवषर्थ च्यवन नदे इसखी ववद्यला कदे प्रभलाव सदे इन्द्र कदे वज्र कजो स्तजम्भत कर ददयला रला । आददगमरु शओंकरलाचलायर्थ
नदे अपनदे गमरु शखीमद्-गजोववन्दपलाद ककी समलाधध मम ववघ्न डलालनदे पर रदे वला नदह कला स्तम्भन इसखी ववद्यला कदे
प्रभलाव सदे ककयला रला । महलाममतन तनम्बलाकर्थ नदे एक पररवलाजिक कजो नखीम कदे वक्षि
क पर सय
क र्थ कदे दशर्थन इसखी ववद्यला
कदे प्रभलाव सदे करलाए रदे । इसखी ववद्यला कदे कलारण ब्रह्मला जिखी सजक षट ककी सओंरचनला मम सफल हमए ।

शखी बगलला शजकत कजोई तलाममसक शजकत नहहओं हहै , बजल्क आमभचलाररक ककत्यत्रों सदे रक्षिला हह इसककी प्रधलानतला हहै ।
इस सओंसलार मम जजितनदे भखी तरह कदे दतःम ख और उत्पलात हह, उनसदे रक्षिला कदे मलए इसखी शजकत ककी उपलासनला करनला
शदेषठ हजोतला हहै । शक
म ल यजिव
म रद मलाध्यओंददन सओंदहतला कदे पलापाँचवम अध्यलाय ककी २३, २४ एवओं २५वखीओं कजणडकलाओओं मम
अमभचलारकमर्थ ककी तनवजक त्त मम शखीबगललाममखखी कजो हह सवर्वोत्तम बतलायला हहै । शतम ववनलाश कदे मलए जिजो ककत्यला
ववशदेष कजो भकमम मम गलाड ददे तदे हह, उन्हम नषट करनदे वलालह महला-शजकत शखीबगललाममखखी हह हहै ।

तयखीमसद्ध ववद्यलाओओं मम आपकला पहलला स्रलान हहै । आवशयकतला मम शमधच-अशमधच अवस्रला मम भखी इसकदे प्रयजोग
कला सहलारला लदेनला पडदे तजो शमद्धमन सदे स्मरण करनदे पर भगवतखी सहलायतला करतखी हहै । लक्ष्मखी-प्रलाजपत व शतन
म लाश
उभय कलामनला मओंतत्रों कला प्रयजोग भखी सफलतला सदे ककयला जिला सकतला हहै ।

ददे वखी कजो वखीर-रलातत भखी कहला जिलातला हहै , कयत्रोंकक ददे वखी स्वम म ब्रह्मलास्त-रूवपणखी हह, इनकदे मशव कजो एकवकत-महलारुद्र
तरला मत्क यमञ्जिय-महलाददे व कहला जिलातला हहै , इसखीमलए ददे वखी मसद्ध-ववद्यला कहला जिलातला हहै । ववषणम भगवलान म शखी ककमर्थ हह
तरला यदे मओंगल ग्रह सदे सम्बजन्धत मलानखी गयखी हह ।
शतम व रलाजिककीय वववलाद, ममकदमदेबलाजिखी मम ववद्यला शखीघ-मसवद्ध-प्रदला हहै । शतम कदे द्वलारला ककत्यला अमभचलार ककयला
गयला हजो, प्रदेतलाददक उपद्रव हजो, तजो उकत ववद्यला कला प्रयजोग करनला चलादहयदे । यदद शतम कला प्रयजोग यला प्रदेतजोपद्रव
भलारह हजो, तजो मओंत क्रम मम तनम्न ववघ्न बन सकतदे हह -

१॰ जिप तनयम पकवक


र्थ नहहओं हजो सकमगदे ।

२॰ मओंत जिप मम समय अधधक लगदेगला, जजिह्वला भलारह हजोनदे लगदेगखी ।

३॰ मओंत मम जिहलापाँ “जजिह्वलाओं ककीलय” शब्द आतला हहै , उस समय स्वयओं ककी जजिह्वला पर सओंबजोधन भलाव आनदे लगदेगला,
उससदे स्वयओं पर हह मओंत कला कमप्रभलाव पडदेगला ।

४॰ ‘बमवद्धओं ववनलाशय’ पर पररभलाषला कला अरर्थ मन मम स्वयओं पर आनदे लगदेगला ।

सलावधलातनयलापाँ -

१॰ ऐसदे समय मम तलारला मओंत पमदटत बगललामख


म खी मओंत प्रयजोग मम लदेवम, अरवला कलालरलातत ददे वखी कला मओंत व कलालह
अरवला प्रत्यओंधगरला मओंत पमदटत करम । तरला कवच मओंतत्रों कला स्मरण करम । सरस्वतखी ववद्यला कला स्मरण करम
अरवला गलायतखी मओंत सलार मम करम ।

२॰ बगललामख
म खी मओंत मम “ॐ ह्लहओं बगललाममखखी सवर्थदषम टलानलाओं वलाचओं ममखओं पदओं स्तओंभय जजिह्वलाओं ककीलय बमवद्धओं ववनलाश
ह्लहओं ॐ स्वलाहला ।” इस मओंत मम ‘सवर्थदषम टलानलाओं’ शब्द सदे आशय शतम कजो मलानतदे हमए ध्यलान-पकवक
र्थ आगदे कला मओंत
पढम ।

३॰ यहह सओंपकणर्थ मओंत जिप समय ‘सवर्थदषम टलानलाओं’ ककी जिगह कलाम, क्रजोध, लजोभलादद शतम एवओं ववघ्नत्रों कला ध्यलान करम
तरला ‘वलाचओं ममखओं …….. जजिह्वलाओं ककीलय’ कदे समय ददे वखी कदे बलापाँयम हलार मम शतम ककी जजिह्वला हहै तरला ‘बमवद्धओं ववनलाशय’
कदे समय ददे वखी शतम कजो पलाशबद्ध कर ममद्गर सदे उसकदे मजस्तषक पर प्रहलार कर रहह हहै , ऐसखी भलावनला करम ।

४॰ बगललामख
म खी कदे अन्य उग्र-प्रयजोग वडवलाममखखी, उल्कलाममखखी, ज्वलाललामख
म खी, भलानमममखखी, वह
क द्-भलानमममखखी, जिलातवदेदममखखी
इत्यलादद तओंत ग्ररत्रों मम वखणर्थत हहै । समय व पररजस्रतत कदे अनमसलार प्रयजोग करनला चलादहयदे ।

५॰ बगलला प्रयजोग कदे सलार भहैरव, पकक्षिरलाजि, धकमलावतखी ववद्यला कला जलान व प्रयजोग करनला चलादहयदे ।

६॰ बगललामख
म खी उपलासनला पखीलदे वस्त पहनकर, पखीलदे आसन पर बहैठकर करम । गओंधलाचर्थन मम कदेसर व हल्दह कला
प्रयजोग करम , स्वयओं कदे पखीलला ततलक लगलायम । दहप-वततर्थकला पखीलह बनलायम । पखीत-पमषप चढलायम, पखीलला नहैवदेद्य चढलावम
। हल्दह सदे बनखी हमई मलालला सदे जिप करम । अभलाव मम रुद्रलाक्षि मलालला सदे जिप करम यला सफदेद चन्दन ककी मलालला
कजो पखीलह कर लदेवम । तमलसखी ककी मलालला पर जिप नहहओं करम ।
।। बगलला उत्पजत्त ।।

एक बलार सममद्र मम रलाक्षिस नदे बहमत बडला प्रलय मचलायला, ववषणम उसकला सओंहलार नहहओं कर सकदे तजो उन्हत्रोंनदे ससौरलाषट
ददे श मम हररद्रला सरजोवर कदे समखीप महला-ततपमर-समन्दरह ककी आरलाधनला ककी तजो शखीववद्यला नदे हह ‘बगलला’ रुप मम
प्रकट हजोकर रलाक्षिस कला वध ककयला । मओंगलवलार यक
म त चतमदर्थशखी, मकर-कमल नक्षितत्रों सदे यक
म त वखीर-रलातत कहह
जिलातखी हहै । इसखी अद्धर्थ-रलातत मम शखी बगलला कला आववभलार्थव हमआ रला । मकर-कमल नक्षित – भरणखी, रजोदहणखी, पमषय,
मघला, उत्तरला-फलाल्गमनखी, धचतला, ववशलाखला, ज्यदेषठला, पकवलार्थषलाढला, शवण तरला उत्तर-भलाद्रपद नक्षित हहै ।

।। बगलला उपलासनलायलाओं उपयजोगखी कमल्कमललादद सलाधनला ।।

बगलला उपलासनला व दश महलाववद्यलाओओं मम मओंत जिलाग्रतत हदे तम शलापजोद्धलार मओंत, सदेतम, महलासदेतम, कमल्कमललादद मओंत कला
जिप करनला जिरुरह हहै । अततः उनककी सओंकक्षिपत जिलानकलारह व अन्य ववषय सलाधकत्रों कदे मलयदे आवशयक हहै ।

नलाम – बगललाममखखी, पखीतलाम्बरला, ब्रह्मलास्त-ववद्यला ।

आम्नलाय – ममख आम्नलाय दकक्षिणलाम्नलाय हह इसकदे उत्तर, ऊध्वर्थ व उभयलाम्नलाय मओंत भखी हह ।

आचलार – इस ववद्यला कला वलामलाचलार क्रम मख्


म य हहै , दकक्षिणलाचलार भखी हहै ।

कमल – यह शखीकमल ककी अओंग-ववद्यला हहै ।

मशव – इस ववद्यला कदे त्र्यओंबक मशव हह ।

भहैरव – आनन्द भहैरव हह । कई ववद्वलान आनन्द भहैरव कजो प्रममख मशव व त्र्यओंबक कजो भहैरव बतलातदे हह ।

गणदेश – इस ववद्यला कदे हररद्रला-गणपतत ममख्य गणदेश हह । स्वणलार्थकषर्थण भहैरव कला प्रयजोग भखी उपयमकत हहै ।

यकक्षिणखी – ववडलामलकला यकक्षिणखी कला मदेरु-तओंत मम ववधलान हहै । प्रयजोग हदे तम अओंग-ववद्यलायम -मत्क यमञ्जिय, बटमक,
आग्नदेयलास्त, वलारुणलास्त, पलाजिर्थन्यलास्त, सओंमजोहनलास्त, पलाशमपतलास्त, कमल्लमकला, तलारला स्वपनदेशवरह, वलारलाहह मओंत ककी
उपलासनला करनखी चलादहयदे ।

कमल्लमकला – “ॐ कक” अरवला “ॐ हकपाँ क्षिक” मशर मम १० बलार जिप करनला ।

सदेतम – कणठ मम १० बलार “हहओं” मओंत कला जिप करम ।

महलासदेतम – “स्तखीओं” इसकला हृदय मम १० बलार जिप करम ।


तनवलार्थण – हकओं, हहओं शखीओं सदे सओंपमदटत करदे एवओं मओंत जिप करम । दहपन पमरशचरण आदद मम “ई” सदे सम्पमदटत मओंत कला
जिप करम ।

जिखीवन – मकल मओंत कदे अओंत मम ” हहओं ओओं स्वलाहला” १० बलार जिपदे । तनत्य आवशयक नहहओं हहै ।

ममख-शजोधन – (दलातन
क ) करनदे कदे बलाद “हओं हहओं ऐओं” जिलसओंकदेत सदे जजिह्वला पर अनलाममकला सदे मलखम एवओं १० बलार
मओंत जिप करम ।

शलापजोद्धलार – “ॐ ह्लहओं बगलदे रुद्रशलायओं ववमजोचय ववमजोचय ॐ ह्लहओं स्वलाहला” १० बलार जिपदे ।

उत्ककीलन – “ॐ ह्लहओं स्वलाहला” मओंत कदे आदद मम १० बलार जिपदे ।.

(प्रस्तमत ‘बगलला-दशक’ स्तजोत मम पलापाँच मन्त बगलला ववद्यला कदे समख-सलाध्य और सम-शखीघ फल-दलायखी हह । इस
मन्तत्रों मम एक बगलला कदे ‘मन्दलार’ मन्त नलाम सदे प्रमसद्ध हहै ।

उकत स्तजोत मम मन्त तजो पलापाँच हह, पर उनकदे ववषय मम मन्तजोद्धलार तरला फल-समदेत दस पद्य हजोनदे कदे कलारण
‘बगलला-दशक’ नलाम ददयला हहै ।)

समवणलार्थभरणलाओं ददे वखीओं, पखीत-मलाल्यलाम्बरलावत


क लाम म ।

ब्रह्मलास्त-ववद्यलाओं बगललाओं, वहैररणलाओं स्तम्भनखीओं भजिदे ।।

मह सव
म णर्थ कदे बनदे सवलार्थभरण पहनदे हमए तरला पखीलदे वस्त और पखीलदे पषम प (चम्पला) ककी मलालला धलारण करनदे

वलालह एवओं सलाधक कदे वहैररयत्रों कला स्तम्भन करनदे वलालह ब्रह्मलास्त-ववद्यला-स्वरुपला बगलला ववद्यला भगवतखी कजो
भजितला हकपाँ ।

बगलला कदे मल
क ववद्यला-स्वरुप कला वववदेचन

(१)

यजस्मओंल्लजोकला अलजोकला अणम-गमरु-लघवतः स्रलावरला जिओंगमलाशच ।

सम्प्रजोतलातः सजन्त सकतदे मणय इव वह


क त म-तत्त्वमलास्तदेऽम्बरओं तत म ।।

पखीत्वला पखीत्यहैक-शदेषला परर-लय-समयदे भलातत यला स्व-प्रकलाशला ।

तस्यलातः पखीतलाम्बरलायलास्तव जिनतन ! गण


म लान म कदे वयओं वकतम
म खीशलातः ।।
हदे जिनतन ! जजिसमम यदे लजोक, जिजो दृशय दहखनदे यजोग्य हह और अलजोक, जिजो अदृशय – न दहखनदे यजोग्य हह (ऐसदे
बहमत सदे पदलारर्थ और जिखीवलादद तत्त्व हह, जिजो मलानव दृजषट मम नहहओं आतदे, परन्तम अवशयमदेव अपनखी सत्तला सकक्ष्म-
सदे-सकक्ष्म रखतदे हह ), वदे अणम-सदे-अणम, लघम छजोटदे , गमरु बडदे, स्रकल-रुप वलालदे स्रलावर तरला जिओंगम, जस्रर और चर-
स्वरुप वलालदे -सभखी ओत-प्रजोत हह, वपरजोए हमए हह । जिहैसदे सकत मम मनकदे वपरजोए हमए हत्रों । वह सबसदे बडला तत्त्व
अम्बर – आकलाश – महलाकलाश-तत्त्व हहै । इस महलाऽऽकलाश-तत्त्व मम हह यह सब कमछ प्रपञ्च ब्रह्मलाणड
अनदेकलानदेक व्यलापत हजो रहदे हह । यह भलावलारर्थ हमआ ।

उस महला-महलान म अम्बर तत्त्व कजो महला-प्रलय-समय मम पखी-पखीकर कदेवल एक-मलात आप स्व-प्रकलाश सदे शदेष
रहतखी हह । स्वयओं कदेवल आप हह प्रकलाशमलान रहतखी हह । उस ‘पखीतलाम्बरला – पखीतम म अम्बरओं यरला सला’ – पखी मलयला
हहै महलाऽऽकलाश-तत्त्व जजिसनदे, ऐसखी महला मकल-मलायला-स्वरुपला भगवतखी बगलला ! आपकदे गमण-गलान करनदे मम हम
कसौन समरर्थ हजो सकतदे हह ! ।

(२)

आद्यहैजस्तयलाऽक्षिरहै यद्
र्थ ववधध-हरर-धगररशखीओंस्तखीन म समरलान म वला गमणलाओंशच,

मलातलाजस्तस्तजोऽपयवस्रलातः सततममभदधत म तखीन म स्वरलान म तखीओंशच लजोकलान म ।

वदेदलाद्यओं त्यणर्थमदेकओं ववककतत-ववरदहतओं बखीजिमत्रों त्वलाओं प्रधलानम म,

मल
क ओं ववशवस्य तर
म यर्य्यं ध्वतनमभरववरतओं वजकत तन्मदे धशयजो स्यलात म ।।

हदे मलाततः ! पखीतलाम्बरदे ! भगवतत ! अकलार आदद तखीन वणर्णों सदे ‘प्रणव’ ॐ कदे ववशलदेषण मम – अ + उ ऐसदे तखीन
अक्षिर हह । इन तखीनत्रों अक्षिरत्रों मम ब्रह्मला-ववषण-म महदे श इन तखीनत्रों ददे वत्रों कजो और तखीन (सत्त्व, रजितः, तमतः) गण
म त्रों ककी
एवओं तखीन मलातलाओओं एक-द्वव-ततमलातलाओओं कजो तरला उदलात्त, अनमदलात्त, स्वररत – इन स्वरत्रों कजो तरला तखीन
अवस्रलाओओं (जिलाग्रत, स्वपन, समषमजपत) कजो और तखीन लजोकत्रों (भकतः, भमवतः, स्वतः) कजो तनरन्तर बतललायला हमआ यह वदेद
कला आद्य वणर्थ ॐ-कलार (प्रणव) तखीन अक्षिरवलालला ववककतत-रदहत तनववर्थकलार आपकला बखीजि हहै । यह आपकजो
अपनखी तखीन वणर्थ-ध्वतनयत्रों सदे उकत सभखी तखीन-तखीन ददे वत्रों, गमणत्रों, अवस्रलाओओं, मलातलाओओं, स्वरत्रों और लजोकत्रों मम सवर्थ-
प्रधलान-तत्त्व ववशव कला मकल-तरम हय तत्त्व तनरन्तर बतललातला हहै । वह ममझदे शखी प्रदलान करनदे वलालला हजो ।

(३)

सलान्तदे रलान्तदेन वलामलाक्षिखण ववधम-कलयला रलाजजितदे त्वओं महदे मश !

बखीजिलान्ततःस्रला लतदेव प्रववलसमस सदला सला दह मलायला जस्ररदे यम म ।


जिपतला शयलातलाऽवप भकतहैरहतन तनमश हररद्रलाकत-वस्तलावत
क देन ।

शतकन म स्तभ्नलातत कलान्तलाओं वशयतत ववपदजो हजन्त ववत्तओं ददलातत ।।

हदे महदे मश ! भगवतत बगलदे ! ‘वलामलाक्षिखण’ बलापाँएओं नदेत मम अरलार्थत म ईकलार मम , ‘ववधम-कलयला’ (रलान्तदेन रलाजजितदे सलान्तदे)
‘रलान्तदे’ लकलार सदे और ‘ववधम-कलयला’ चन्द्र-तबन्द म अनमस्वलार तबन्द म सदे ववरलाजजित, ‘सलान्त’ हकलार मम अरलार्थत म ईकलार
मम लकलार ममलदे हमए और अनमस्वलार-यमकत हकलार सदे “ह्लहओं” बनतला हहै । इसदे ‘जस्रर-मलायला’ कहतदे हह । यहह
बगलला कला मख्
म य बखीजि हहै । इसमम हदे महदे मश ! आप बखीजि मम लतला ककी तरह सदला ववललास करतखी हजो । वहह
‘जस्रर-मलायला’ आपकला एकलाक्षिर ममख्य मन्त हहै । यह ध्यलान और जिप करनदे सदे भकतजो, सलाधकत्रों कजो, जिजो ददन मम
रलात मम हररद्रला (हल्दह) सदे रओं गदे वस्त पहनदे हमए, हल्दह ककी मलालला सदे, पखीतलासन पर बहैठदे इसदे ध्यलातदे-जिपतदे हह यला
जिपतदे आपकला ध्यलान करतदे रहतदे हह, तजो यहह ‘जस्रर-मलायला’ महला-मन्त उन सलाधकत्रों कदे शतओ
म ओं कजो स्तजम्भत
करतदे हहै , मनजोहर कलाममतनयत्रों कजो वशखीभकत करतला हहै , ववपजत्तयत्रों कजो दरक करतला हहै और मन-मलानला धन प्रदलान
करतला हहै । अरलार्थत म सभखी वलाजञ्छत प्रदलान करतला हहै ।

(४)

मसौनस्रतः पखीत-पखीतलाम्बर-वमलत-वपमतः कदेसरहयलासवदेन ।

ककत्वलाऽन्तस्तत्त्व-शजोधओं कमलत-शधम च-सध


म ला-तपर्थणजोऽचलार्य्यं त्वदहयलाम म ।

कमवर्थन म पखीतलासनस्रतः कर-धत


क -रजिनखी-ग्रजन्र-मलालजोऽन्तरलालदे ।

ध्यलायदेत म त्वलाओं पखीत-वणलार्य्यं पटम-यमवतत-यमतजो हहजपसतओं ककओं न ववन्ददे त म ।।

हदे पखीतलाम्बरदे भगवतत ! आपकला सलाधक मसौन धलारदे हमए, यहलापाँ ‘मसौन’ सदे अन्यलान्य बलातचखीत करनदे, ककसखी दस
क रदे सदे
बजोलनदे कला तनषदेध समझनला चलादहए, स्वयओं सलाधक तजो ध्यलान-मन्तलादद उच्चलारण करम हह, ऐसला सओंकदेत हहै । पखीलदे
आसन पर बहैठ, पखीलदे वस्त पहन, अपनखी चतमर शजकत कदे सलार कदेसर आसव सदे तत्त्व-शजोधन कर अन्तयलार्थग
मम ध्यलान-पकजिला कर उसखी शजोधधत कदेसर कदे आसव सदे भगवतखी कजो तपर्थण अपर्थण कर (पमनतः आवरण-सदहत
पकजिला पकणर्थ कर) हररद्रला-ग्रजन्र ककी मलालला हलार मम लदे उससदे जिप करतला हहै (सशजकत हह जिप करतला हहै ) और आप
पखीत-वणर्णों कला ध्यलान करतला हहै , तजो तनशचय हह वह कसौन-सला मनजोरर हहै , जिजो उसदे प्रलापत न हजो । अरलार्थत म वह
समरर्थ सलाधक सभखी अभखीषट पला सकतला हहै । यह प्रयजोग भखी अनमभकत हह हहै ।

(५)

वन्ददे स्वणलार्थभ-वणलार्थ मखण-गण-ववलसद्धदेम-मसओंहलासनस्रलाम म ।


पखीतओं वलासजो वसलानलाओं वसम-पद-ममकमटजोत्तओंस-हलारलाओंगदलाढ्यलाम म ।

पलाखणभ्यलाओं वहैरर-जजिह्वलामध उपरर-गदलाओं ववभतखीओं तत्परलाभ्यलाम म ।

हस्तलाभ्यलाओं पलाशममच्चहैरध उददत-वरलाओं वदेद-बलाहमओं भवलानखीम म ।।

सव
म णर्थ-सदे वणर्थ (कलाजन्त, रुप) वलालह, मणखी-जिदटत सव
म णर्थ कदे मसओंहलासन पर ववरलाजिमलान और पखीलदे वस्त पहनदे हमई
(पखीलदे हह गन्ध-मलाल्य-सदहत) एवओं ‘वसम-पद’-अषट-पद-अषटलादश समवणर्थ कदे ममकमट, कमणडल, हलार, बलाहम-बन्धलादद
भकषण पहनदे हमई एवओं अपनखी दलादहनखी दजो भमजिलाओओं मम नखीचदे वहैरर-जजिह्वला और ऊपर गदला धलारण करतखी हमई; ऐसदे
हह बलाएपाँ दजोनत्रों हलारत्रों मम ऊपर पलाश और नखीचदे वर धलारण करतखी हमई, चतमभमजि
र्थ ला भवलानखी भगवतखी कजो ‘वन्ददे ’
प्रणलाम करतला हकपाँ ।

(६)

षट-ततओंशद्-वणर्थ-मकततर्थतः प्रणव-ममख-हरलाओंतघ-द्वयस्तलावककीन-

शचम्पला-पमषप-वप्रयलायला मनमरमभ-मतदतः कल्प-वक्षि


क जोपमजोऽयम म ।

ब्रह्मलास्तओं चलातनवलारयर्य्यं भमजिग-वर-गदला-वहैरर-जजिह्वलाग्र-हस्तदे !

यस्तदे कलालदे प्रशस्तदे जिपतत स कमरुतदेऽपयषट-मसवद्धतः स्व-हस्तदे ।।

पलाश, वर, गदला और वहैरर-जजिह्वला हलार मम धलारण करनदे वलालह ! आपकला प्रणव-मख
म वलालला, ॐ-कलार जजिसकला मख

हहै -आदद हहै । और ‘हरलाओंतघ-द्वय’ – ठ-द्वय-’स्वलाहला’ अन्त मम पद हहै , ऐसखी छत्तखीस वणर्णों ककी मकततर्थ-मलालला; चम्पला
कदे पमषपत्रों कजो अधधक वप्रय समझनदेवलालह आपकला यह महला-मन्त कल्प-वक्षि
क कदे समलान सवलार्थभखीषट फल ददे नदे
वलालला हहै । यहह अतनवलायर्थ, जजिसकला कजोई प्रतखीकलार नहहओं हहै ऐसला, ब्रह्मलास्त हहै । जिजो सलाधक इसदे ‘प्रशस्त’ कलाल
मम -चन्द्र-तलारलादद अनमककल समय मम जिपतला हहै (आपककी सतबधलान अचर्थनला कदे सलार), वह आठत्रों मसवद्धयत्रों कजो
अपनदे अस्त-गत कर लदेतला हहै ।

(७)

मलायलाद्यला च द्वव-ठलान्तला भगवतत ! बगललाख्यला चतमरर-तनरुढला ।

ववद्यहैवलास्तदे य एनलाओं जिपतत ववधध-यमतस्तत्व-शजोधओं तनशखीरदे ।

दलारलाढ्यतः पञ्चमहैस्त्वलाओं यजितत स दह दृशला यओं यमखीक्षिदेत तओं तम म ।

स्वलायत्त-प्रलाण-बमद्धखीजन्द्रय-मय-पतततओं पलादयजोतः पशयतत द्रलाकम ।।


हदे भगवतत ! ‘मलायलाद्यला’-मलायला ‘हहओं’ आदद मम हहै जजिसकदे, ऐसखी और ‘चतमरर-तनरुढला’ – चतमरर ववभजकत मम बहैठठी
हमई ‘स्वलाहला’ – यह ‘आख्यला’ नलाम अरलार्थत म ‘बगललायहै’; द्वव-ठलान्तला – द्वव-ठतः ‘स्वलाहला’ हहै अन्त मम जजिसकदे अरलार्थत म
‘हहओं बगललायहै स्वलाहला’ – यत्रों सपतलाणर्थ मन्त हमआ । यह भखी ववद्यला हह हहै । स्वलाहलान्त मन्त ‘ववद्यला’ कहललातदे हह
। जिजो मलानव आगम-ववधलान-कमल और आम्नलायजोकत पद्धतत सदे अद्धर्थ-रलातत मम तत्त्व-शजोधन आदद पकणक
र्थ र
‘दलारलाढ्यतः’ दलारला-शजकत, उसकदे सलार, पलापाँच मकलारत्रों सदे आपककी पकजिला करतला हहै और इस ववद्यला कला जिप करतला हहै ,
वह सलाधकदेन्द्र अपनखी दृजषट सदे जजिस-जजिसकजो ददे खतला हहै , शखीघ हह उस-उसकजो मन-प्रलाण-बमवद्ध-इजन्द्रयत्रों-समदेत स्व-
वश हमए और अपनदे चरणत्रों मम पडदे हमए ददे खतला हहै ।

(८)

मलायला-प्रद्यमम्न-यजोतनव्यनमगत-बगललाऽग्रदे च मख्
म यहै गदला-धलाररणयहै ।

स्वलाहदे तत तत्त्वदेजन्द्रय-तनचय-मयजो मन्त-रलाजिशचतमरतःर्थ ।

पखीतलाचलारजो य एनओं जिपतत कमल-ददशला शजकत-यमकतजो तनशलायलाम म ।

स प्रलाजजोऽभखीजपसतलारलार्थननमभवतत समखओं सवर्थ-तन्त-सवतन्ततः ।।

हदे मलाततः ! मलायला ‘हहओं’ (यहलापाँ जस्रर-मलायला भखी स्वखीकलायर्थ हहै , प्रसओंगजोपलात्त हजोनदे कदे कलारण), प्रद्यमम्न ‘कलहओं’ और
‘यजोतन ‘ऐओं’ – इनकदे अनमगत ‘बगलला’, उसकदे आगदे ‘ममख्यहै’ और ‘गदला-धलाररणयहै स्वलाहला’ – इस प्रकलार यह तत्त्व
(५) और इजन्द्रय (१०) ममलकर पन्द्रह वणर्थ कला ( हहओं कलहओं ऐओं बगलला-मख्
म यहै गदला-धलाररणयहै स्वलाहला) मन्त हमआ ।
इसदे ‘बगलला पञ्चदशखी मन्त रत्न’ कहतदे हह । यह चसौरला मन्त-रलाजि हहै , जिजो सलाधक-शदेषठ इस मन्त कजो कमल-
क्रम सदे -तनशला मम शजकत-समजन्वत हमआ जिपतला हहै (अचर्थन-तपर्थण सदहत), वह बमवद्धमलान म ववद्वलान म सवर्थ-तन्त-
स्वतन्त हजोतला हहै और अपनदे सभखी अभखीषट अरर्णों कला समख-पकवक
र्थ अनमभव करतला हहै ।

(९)

शखी-मलायला-यजोतन-पकवलार्थ भगवतत बगलदे ! मदे धशयओं ददे दह ददे दह,

स्वलाहदे त्रओं पञ्चमजोऽयओं प्रणव-सह-ककतजो भकत-मन्दलार-मन्ततः ।

ससौवणयलार्थ मलालयलाऽमओंम कनक-ववरधचतदे यन्तकदे पखीत-ववद्यलाम म ।

ध्यलायन म पखीतलाम्बरदे ! त्वलाओं जिपतत य इह स शखी समलामलओंधगततः स्यलात म ।।


शखी – ‘शखीओं’ बखीजि और मलायला -’हहओं’ बखीजि तरला यजोतन – ‘ऐओं’ बखीजि पकवर्थ बजोलकर ‘भगवतत बगलदे ! मदे धशयओं ददे दह
ददे दह स्वलाहला’ इस प्रकलार ‘प्रणव’ ॐ-कलार सदहत ककयला हमआ यह पलापाँचवलापाँ ‘भकत-मन्दलार’ नलाम कला बगलला ववद्यला
कला मन्त-रत्न हहै । इस मन्त कजो समवणर्थ ककी मलालला सदे समवणर्थ यन्त पर हदे पखीतलाम्बरदे ! आप भगवतखी कजो
पकजितला – ध्यलातला हमआ जिजो मनमषय जिपतला हहै , वह सओंसलार मम शखी (लक्ष्मखी) सदे समलामलओंधगत रहतला हहै । पखीतलाम्बरला
‘पञ्चदशखी’ भखी यहह हहै , प्रणव-सदहत ‘षजोडशखी’ भखी यहह हहै ।

(१०)

एवओं पञ्चलावप मन्तला अमभमत-फलदला ववशव-मलातमतः प्रमसद्धलातः,

ददे व्यला पखीतलाम्बरलायलातः प्रणत-जिन-ककतदे कलाम-कल्प-द्रम


म जन्त ।

एतलान म सओंसदेवमलानला जिगतत सम


म नसतः प्रलापत-कलामलातः कवखीन्द्रलातः ।

धन्यला मलान्यला वदलान्यला समववददत-यशसजो ददे मशकदेन्द्रला भवजन्त ।।

इस प्रकलार यदे पलापाँचत्रों मन्त ववशव मलातला ददे वखी भगवतखी पखीतलाम्बरला कदे प्रमसद्ध हह और यदे प्रणत (भकत सलाधक)
जिनत्रों कदे मलए कलाम-कल्पद्रम
म हह । इन्हम सलाधतदे हमए ववद्वलान सलाधक भकत लजोग पकणर्थ मनजोरर पलातदे और
कववरलाजि बनतदे एवओं धन्य सम्मलाननखीय तरला उदलार नम वलालदे प्रख्यलात यशस्वखी और ददे मशकदेन्द्र अरलार्थत म गमरुवर
मणडललाधखीश बनतदे हह ।

करस्र चषकस्यलात, सओंभजोज्य झषकस्य च ।

बगलला-दशकलाध्यदेतममलार्थतओंगखी मशकलायतदे ।।

हलार मम सध
म ला-पकणर्थ पलात हजो (तत्त्व-शजोधन करतला और रहस्य-यलाग मम हजोम करतला हजो तरला तपर्थण – तनरत हजो),
आगदे उस सलाधक कदे भजोज्य पदलारर्णों मम कला प्रशस्त ‘झषक’ शजोधधत सओंस्कलाररत हजो । कफर बगलला भगवतखी कला
दशक वह पढतला हजो, ऐसदे सलाधकदेन्द्र कदे मलए यला उकत सलाधक कदे आगदे मलातओंग हलारखी भखी मशक समलान हजो
जिलातला हहै । वह सलाधक हलारखी कजो भखी, अपनदे ववपररत हजो, तजो मच्छर समझतला हहै ।

|| शखी बगलला ददग्बओंधन रक्षिला स्तजोतम म ||

ब्रह्मलास्त प्रवक्ष्यलामम बगललाओं नलारदसदेववतलाम म ।

ददे वगन्धवर्थयक्षिलादद सदेववतपलादपओंकजिलाम म ।।


तहैलजोकय-स्तजम्भनखी ववद्यला सवर्थ-शतम-वशओंकरह आकषर्थणकरह उच्चलाटनकरह ववद्वदेषणकरह जिलारणकरह मलारणकरह
जिम्
क भणकरह स्तम्भनकरह ब्रह्मलास्तदेण सवर्थ-वशयओं कमरु कमरु ॐ ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ह्ललाओं द्रलाववखण-द्रलाववखण भलाममखण एदह एदह सवर्थभकतलान म उच्चलाटय-उच्चलाटय सवर्थ-दषम टलान तनवलारय-तनवलारय भकत
प्रदेत वपशलाच डलाककनखी शलाककनखीतः तछजन्ध-तछजन्ध खड्गदेन मभजन्ध-मभजन्ध मद्
म गरदे ण सओंमलारय सओंमलारय, दषम टलान म
भक्षिय-भक्षिय, ससहैन्यओं भमपततर्थ ककीलय ककीलय ममखस्तम्भनओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

आत्मला रक्षिला ब्रह्म रक्षिला ववषणम रक्षिला रुद्र रक्षिला इन्द्र रक्षिला अजग्न रक्षिला यम रक्षिला नहैऋत रक्षिला वरुण रक्षिला वलायम
रक्षिला कमबदेर रक्षिला ईशलान रक्षिला सवर्थ रक्षिला भमत-प्रदेत-वपशलाच-डलाककनखी-शलाककनखी रक्षिला अजग्न-वहैतलाल रक्षिला गण गन्धवर्थ
रक्षिला तस्मलात म सवर्थ-रक्षिला कमरु-कमरु, व्यलाघ-गजि-मसओंह रक्षिला रणतस्कर रक्षिला तस्मलात म सवर्थ बन्धयलामम ॐ ह्ललाओं
बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ह्लहओं भजो बगललाममखख सवर्थदषम टलानलाओं वलाचओं ममखओं पदओं स्तम्भय जजिह्वलाओं ककीलय बमवद्धओं ववनलाशय ह्लहओं ॐ स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं बगललाममखख एदह-एदह पकवदर्थ दशलायलाओं बन्धय बन्धय इन्द्रस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय इन्द्रशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं पखीतलाम्बरदे एदह-एदह अजग्नददशलायलाओं बन्धय बन्धय अजग्नमख


म ओं स्तम्भय स्तम्भय अजग्नशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं अजग्नस्तम्भओं कमरु-कमरु ॐ
ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं मदहषमददर्थ तन एदह-एदह दकक्षिणददशलायलाओं बन्धय बन्धय यमस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय यमशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं हृज्जिम्
क भणओं कमरु-कमरु ॐ
ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं चजणडकदे एदह-एदह नहैऋत्यददशलायलाओं बन्धय बन्धय नहैऋत्य मख


म ओं स्तम्भय स्तम्भय नहैऋत्यशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं करलालनयनदे एदह-एदह पजशचमददशलायलाओं बन्धय बन्धय वरुण ममखओं स्तम्भय स्तम्भय वरुणशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।
ॐ ऐओं हहओं शखीओं कलामलकदे एदह-एदह वलायव्यददशलायलाओं बन्धय बन्धय वलायम ममखओं स्तम्भय स्तम्भय वलायमशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं महला-ततपमर-सन्


म दरर एदह-एदह उत्तरददशलायलाओं बन्धय बन्धय कमबदेर मख
म ओं स्तम्भय स्तम्भय
कमबदेरशस्तओं तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु
ॐ ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं महला-भहैरवव एदह-एदह ईशलानददशलायलाओं बन्धय बन्धय ईशलान ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ईशलानशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं गलाओंगदेशवरर एदह-एदह ऊध्वर्थददशलायलाओं बन्धय बन्धय ब्रह्मलाणओं चतमममख


र्थ ओं ममखओं स्तम्भय स्तम्भय
ब्रह्मशस्तओं तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु
ॐ ह्ललाओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं लमलतलाददे वव एदह-एदह अन्तररक्षि ददशलायलाओं बन्धय बन्धय ववषणम ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ववषणमशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं चक्रधलाररखण एदह-एदह अधजो ददशलायलाओं बन्धय बन्धय वलासमकक ममखओं स्तम्भय स्तम्भय वलासमककशस्तओं
तनवलारय तनवलारय सवर्थसहैन्यओं ककीलय ककीलय पच पच मर मर मदर्थ य मदर्थ य ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु-कमरु ॐ ह्ललाओं
बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

दषम टमन्तओं दषम टयन्तओं दषम टपमरुषओं बन्धयलामम मशखलाओं बन्ध लललाटओं बन्ध भमवसौ बन्ध नदेतदे बन्ध कणर्णौ बन्ध नससौ
बन्ध ओषठसौ बन्ध अधरसौ बन्ध जजिह्वला बन्ध रसनलाओं बन्ध बमवद्धओं बन्ध कणठओं बन्ध हृदयओं बन्ध कमकक्षिओं बन्ध
हस्तसौ बन्ध नलामभओं बन्ध मलओंगओं बन्ध गमह्यओं बन्ध ऊरू बन्ध जिलानक बन्ध हओं घदे बन्ध गमल्फसौ बन्ध पलादसौ बन्ध
स्वगर्थ मत्क यम पलातलालओं बन्ध बन्ध रक्षि रक्षि ॐ ह्लहओं बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललामखम ख इन्द्रलाय सरम लाधधपतयदे ऐरलावतवलाहनलाय स्वदेतवणलार्थय वज्रहस्तलाय सपररवलारलाय एदह
एदह मम ववघ्नलान म तनरलासय तनरलासय ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ
ह्लहओं अममकस्य ममखओं भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।
ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख अग्नयदे तदेजिजोधधपतयदे छलागवलाहनलाय रकतवणलार्थय शजकतहस्तलाय सपररवलारलाय एदह
एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं
भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललामखम ख यमलाय प्रदेतलाधधपतयदे मदहषवलाहनलाय ककषणवणलार्थय दणडहस्तलाय सपररवलारलाय एदह
एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं
भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख वरूणलाय जिललाधधपतयदे मकरवलाहनलाय शवदेतवणलार्थय पलाशहस्तलाय सपररवलारलाय एदह
एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं
भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख वलायव्यलाय मग


क वलाहनलाय धकम्रवणलार्थय ध्वजिलाहस्तलाय सपररवलारलाय एदह एदह मम
ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं भदेदय
भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख ईशलानलाय भकतलाधधपतयदे वष


क वलाहनलाय कपकरर्थ वणलार्थय ततशकलहस्तलाय सपररवलारलाय एदह
एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं
भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख ब्रह्मणदे ऊध्वर्थददग्लजोकपलाललाधधपतयदे हओं सवलाहनलाय शवदेतवणलार्थय कमणडलमहस्तलाय
सपररवलारलाय एदह एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अमक
म स्य मख
म ओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ
ह्लहओं अममकस्य ममखओं भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख वहैषणवखीसदहतलाय नलागलाधधपतयदे गरुडवलाहनलाय शयलामवणलार्थय चक्रहस्तलाय


सपररवलारलाय एदह एदह मम ववघ्नलान म ववभञ्जिय ववभञ्जिय ॐ ह्लहओं अममकस्य ममखओं स्तम्भय स्तम्भय ॐ
ह्लहओं अममकस्य ममखओं भदेदय भदेदय ॐ ह्लहओं वशयओं कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं ऐओं ॐ ह्लहओं बगललाममखख रववमणडलमध्यलाद् अवतर अवतर सलाजन्नध्यओं कमरु-कमरु । ॐ ऐओं परमदेशवरहम म
आवलाहयलामम नमतः । मम सलाजन्नध्यओं कमरु कमरु । ॐ ह्लहओं बगललामखम ख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ऐओं हहओं शखीओं ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः बगलदे चतमभमजि
र्थ दे ममद्गरशरसओंयमकतदे दकक्षिणदे जजिह्वलावज्रसओंयमकतदे वलामदे
शखीमहलाववद्यदे पखीतवस्तदे पञ्चमहलाप्रदेतलाधधरुढदे मसद्धववद्यलाधरवजन्दतदे ब्रह्म-ववषण-म रुद्र-पकजजितदे आनन्द-सवरुपदे ववशव-
सजक षट-स्वरुपदे महला-भहैरव-रुप धलाररखण स्वगर्थ-मत्क यम-पलातलाल-स्तजम्भनखी वलाममलागलार्थधशतदे शखीबगलदे ब्रह्म-ववषणम-रुद्र-रुप-
तनममर्थतदे षजोडश-कलला-पररपकररतदे दलानव-रुप सहसलाददत्य-शजोमभतदे ततवणर एदह एदह मम हृदयओं प्रवदेशय प्रवदेशय
शतमममखओं स्तम्भय स्तम्भय अन्य-भकत-वपशलाचलान म खलादय-खलादय अरर-सहैन्यओं ववदलारय-ववदलारय पर-ववद्यलाओं पर-चक्रओं
छदे दय-छदे दय वखीरचक्रओं धनमषलाओं सओंभलारय-सओंभलारय ततशकलदेन म तछन्ध-तछजन्ध पलाशदेन म बन्धय-बन्धय भकपततओं वशयओं कमरु-
कमरु सम्मजोहय-सम्मजोहय ववनला जिलापयदेन मसद्धय-मसद्धय ववनला मन्तदेण मसवद्ध कमरु-कमरु सकलदषम टलान म घलातय-
घलातय मम तहैलजोकयओं वशयओं कमरु-कमरु सकल-कमल-रलाक्षिसलान म दह-दह पच-पच मर-मर हन-हन मदर्थ य-मदर्थ य मलारय-
मलारय भक्षिय-भक्षिय मलाओं रक्षि-रक्षि ववस्फजोटकलादहन म नलाशय-नलाशय ॐ ह्लहओं ववष-ज्वरओं नलाशय-नलाशय ववषओं तनववर्थषओं
कमरु-कमरु ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ कलहओं कलहओं ह्लहओं बगललाममखख सवर्थ-दषम टलानलाओं वलाचओं ममखओं पदओं स्तम्भय स्तम्भय जजिह्वलाओं ककीलय ककीलय बमवद्धओं
ववनलाशय ववनलाशय कलहओं कलहओं ह्लहओं स्वलाहला ।

ॐ बगललाममखख स्वलाहला । ॐ पखीतलाम्बरदे स्वलाहला । ॐ ततपमरभहैरवव स्वलाहला । ॐ ववजियलायहै स्वलाहला । ॐ जियलायहै


स्वलाहला । ॐ शलारदलायहै स्वलाहला । ॐ समरदेशवयर्यै स्वलाहला । ॐ रुद्रलाणयहै स्वलाहला । ॐ ववन्ध्यवलामसन्यहै स्वलाहला । ॐ
ततपमरसन्
म दयर्यै स्वलाहला । ॐ दग
म लार्थयहै स्वलाहला । ॐ भवलान्यहै स्वलाहला । ॐ भव
म नदेशवयर्यै स्वलाहला । ॐ महला-मलायलायहै
स्वलाहला । ॐ कमल-लजोचनलायहै स्वलाहला । ॐ तलारलायहै स्वलाहला । ॐ यजोधगन्यहै स्वलाहला । ॐ कसौमलायर्यै स्वलाहला । ॐ
मशवलायहै स्वलाहला । ॐ इन्द्रलाणयहै स्वलाहला । ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ह्लहओं मशव-तत्त्व-व्यलावपतन बगललाममखख स्वलाहला । ॐ ह्लहओं मलायला-तत्त्व-व्यलावपतन बगललाममखख हृदयलाय स्वलाहला


। ॐ ह्लहओं ववद्यला-तत्त्व-व्यलावपतन बगललाममखख मशरसदे स्वलाहला । ॐ ह्लहओं बगललाममखख हमओं फट स्वलाहला ।

ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः मशरजो रक्षितम बगललाममखख रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः
भलालओं रक्षितम पखीतलाम्बरदे रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः नदेतदे रक्षितम महला-भहैरवव रक्षि रक्षि
स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः कणर्णौ रक्षितम ववजियदे रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक
ह्लतः नससौ रक्षितम जियदे रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः वदनओं रक्षितम शलारददे ववन्ध्यवलामसतन
रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः बलाहक ततपमर-समन्दरर रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं
ह्लह ह्लक ह्लतः करसौ रक्षितम दग
म र रक्षि रक्षि स्वलाहला ।

ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लओंक ह्लह ह्लक ह्लतः हृदयओं रक्षितम भवलानखी रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लओंक ह्लह ह्लक ह्लतः
उदरओं रक्षितम भमवनदेशवरर रक्षि रक्षि स्वलाहला । ॐ ह्ललाओं ह्लहओं ह्लकओं ह्लह ह्लक ह्लतः !!!!!

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