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2. सैकड़ों वर्ष पहले धरती पर मनष्ु य़ों का तनवास क्य़ों नहीं था?
उत्तर: सैकड़ों िर्ष पहिे धरिी का िापमान बहुि ज्यादा था। इसी कारण उस समय धरिी
पर मनष्ु य का तनिास नह ीं था।
उत्तर: जो अक्षर हमें धरिी के बारे में ज्ञान दे िे हैं, जैसे कक सडकें, पहाड, नददयााँ, आदद सब
प्रकृति के अक्षर है ।
उत्तर: यह खि पींडिि जिाहरिाि नेहरू ने अपनी बेट इींददरा गाींधी के लिए लिखा है ।
6.परु ाने समय के बारे में सही सही बताना क्य़ों मश्ु श्कल है ?
उत्तर: परु ाने समय के बारे में सह -सह बिाना इसलिए मश्ु ककि है क्य़ोंकक उस समय के
िोग आज के िोग़ों की िरह ककिाबें नह ीं लिखा करिे थे और उस समय का जो कुछ भी
बचा हुआ था, सभी िगभग नष्ट हो चक
ु ा है ।
8. क्या दे खकर पता चलेगा कक धरती पर पहले मौसम गमष हुआ करता था?
उत्तर: पहिे के समय मे पाए जाने िािे इींसानो एिीं जानिऱों के बचे हुए हड्डिय़ों को दे खकर
यह पिा चििा है कक धरिी पर पहिे मौसम गमष हुआ करिा था।
उत्तर: कोई भी ज़बान, जैसे कक दहींद , उदष ,ू फारसी, आदद सीखने के लिए यह बहुि जरूर है
कक हमें उस ज़बान के अक्षऱों के बारे में जानकार होनी चादहए।
उत्तर: िेखक ने िडकी से यह उम्मीद िगाई है कक िह सींसार में फैिे अक्षऱों को पहचानेगी
और केिि ककिाब में छपे इतिहास को ह नह ीं बश्कक अन्य इतिहास को भी पढे गी। िेखक
िडकी से यह आशा करिे हैं कक िडकी भी उनकी िरह आस-पास की चीजें दे खें और अपनी
समझ को बढाएीं।
12. ववद्वाऩों ने परु ाने समय के बारे में जानकारी कहााँ से इकट्ठा ककया?
उत्तर: विद्िाऩों ने परु ाने समय के बारे में जानकार इकट्ठा करने के लिए पत्थऱों, पहाड़ों
और नददय़ों के सींरचना को दे खा और परु ाने समय के जानिऱों और इींसाऩों के हड्डिय़ों का
अध्ययन ककया। उन्ह़ोंने अपने सारे अध्ययऩों को एक ककिाब का रूप ददया। आज िह
ककिाब इतिहास के रूप में जानी जािी है ।
उत्तर: पत्थऱों और पहाड़ों को िेखक ने गौर से दे खने को इसलिए कहा है क्य़ोंकक पत्थऱों और
पहाड़ों से हमें बहुि कुछ सीखने को लमििा है । इस कहानी में िेखक ने िडकी को पत्थऱों
और पहाड़ों को गौर से दे खने को कहा है क्य़ोंकक िेखक चाहिे हैं कक िह िडकी भी अन्य
िोग़ों की िरह, यह सींसार रूपी ककिाब पढकर विद्िान बन जाए।
उत्तर: आज से िाख़ों-करोड़ों साि पहिे इस धरिी का जन्म हुआ था। पहिे यह धरिी बहुि
गमष हुआ करिी थी। धरिी पर पहिे ककसी भी प्रकार के जीिन की कोई भी सींभािना नह ीं
थी। धीरे -धीरे जब यह धरिी ठीं िी हुई, िब यहाीं जानिऱों का जन्म हुआ। जानिऱों के जन्म
के कई हजार साि़ों बाद, यहाीं मानि-जाति का जन्म हुआ।
इतिहासकाऱों के अनस
ु ार इस धरिी पर सबसे पहिे पेड- पौधे, कफर जानिर, और अींि में
मानि जाति रहने िगे।
उत्तर: प्रेमचींद का जन्म, 31 जुिाई 1880, को िाराणसी के तनकट िमह गाींि में एक
कायस्थ पररिार में हुआ था। इनकी मािा का नाम आनींद दे िी िथा वपिा का नाम मींश
ु ी
अजायबराय था। प्रेमचींद के वपिा, िमह में , िाकमींश
ु ी थे। प्रेमचींद को पढने का शौक बचपन
से ह था। सन ् 1898 मे, मैदिक की पर क्षा उत्तीणष करने के बाद, िे एक स्थानीय विद्यािय
में , लशक्षक तनयक्
ु ि हो गए। जीिन के अींतिम ददऩों में िह गींभीर रूप से बीमार पड गए और
िींबे समय िक बीमार रहने के पकचाि 8 अक्टूबर 1936, को उनका तनधन हो गया। प्रेमचींद
के सिषश्रेष्ठ प्रलसद्ध उपन्यास़ों में से गोदान, सींबन और सेिा सदन प्रमख
ु है ।
उत्तर: पींडिि जिाहरिाि नेहरू का जन्म, 14 निींबर 1889 को, ब्रिदटश भारि के इिाहाबाद
में हुआ था। इनके वपिा मोिीिाि नेहरू, एक धनी बैररस्टर थे। जिाहरिाि नेहरू िीन भाई
बहन थे, श्जनमें िह सबसे बडे थे और बाकी की दो बहने थी। इन्ह़ोंने अपनी स्कूि लशक्षा
है रो से, और कॉिेज की पढाई, दितनट कॉिेज, कैंब्रिज (िींदन) से परू की। इसके बाद
उन्ह़ोंने िॉ की पढाई कैंब्रिज विकिविद्यािय से परू की। पींडिि जिाहरिाि नेहरू 1912 में
भारि िौटे और भारि में ह िकािि शरू
ु की। जिाहरिाि नेहरू ने 1920 – 1922 मे
असहयोग आींदोिन में सकिय दहस्सा लिया। पींडिि जिाहरिाि नेहरु की मत्ृ य,ु 27 मई
1964 को 74 िर्ष की आयु में , ददकि में हुई।
उत्तर: धरिी पर पहिे से पढे हुए अिशेऱ्ों की जाींच और अध्ययन से हमें धरिी के पि
ू ष रूप के
बारे में पिा चििा है । इतिहास को लिखने के लिए जो साक्ष्य हमें लमिे, िह हमें विलभन्न
जगह खुदाई से लमिे। साक्ष्य से हमें यह पिा चिा कक धरिी पर पहिे कोई िोग समाज या
ग्राम रहा करिे थे। लमिे हुए जीिाकम के ऊपर, सभी के राय को इकट्ठा करके, एक सिोत्तम
राय को ििज्जो द जािी है । कफर इसे एक ककिाब का रूप ददया जािा है , श्जससे हमें और
आपको इतिहास के बारे में पिा चििा है ।
20. दतु नया का हाल जानने के ललए लेखक ने कौन सा तरीका समझाया है ?
उत्तर: दतु नया का हाि समझने के लिए िेखक ने कहा है कक, हमें आसपास की ऐसी चीजें
जो बहुि ह पहिे से है , उसे परखने की आिकयकिा है । िह कौन सी चीज है ?, िह ऐसी क्य़ों
ददखिी है ? जब कोई िस्िु दे खकर ऐसे सिाि हमारे मन में आए, िो यह जरूर है कक हम
उसकी जानकार प्राप्ि करने की कोलशश करें । यह हमें दतु नया समझने का एक अिग
नजररया प्रदान करे गा।