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होम ऑल कैटगरीज डायर ी ाथ मक च क ा ह गैलेरी ट ेरक वचार ह ूज अबॉउट अस कॉ े अस क इन इं ग लश

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जोड़ के रोग

ए ू ेशर ारा उपचार :


प रचय-
शरीर के जस भाग पर ह ड् डयां आपस म जुड़ी रहती ह उस अंग को जोड़ कहते ह। य द इन जोड़ म कसी कार आं त का कसर

का रोग हो जाता ह तो उसे जोड़ का रोग कहते ह। अमे रका क अथराइटस फाउं डशन के अनुसार जोड़ का दद 60 अडीनोयड
कार का हो सकता ह तथा इस रोग से ब त अ धक लोग पी ड़त होते ह। अकड़न
जब इस कार का रोग कसी को हो जाता ह तो उसके शरीर के कई अंग म वकृ त आ जाती ह। इस रोग
ए ाइना
के कारण न ही आसानी से चल पाता ह और न ही कोई काय सही तरीके से कर पाता ह।
जोड़ के सभी रोग का ए ू ेशर च क ा ारा उपचार करने से पहले यह जान लेना ज री ह क इस रोग के अन ा

ल ण तथा कारण ा ह? तथा रोगी के शरीर क ह ड् डय क रचना ा ह?


Appeal For Social Welfare एं जाइना पे ो रस
मनु के शरीर म 206 ह ड् डयां होती ह जनका र वा हकाओं के ारा पोषण होता ह। इन ह ड् डय का पूर शरीर
इस वेबसाईट पर ा से संबं धत जो भी आं ख क बनावट
जानका रयां ह वह जनक ाण के उ से दी
के साथ स क बना रहता ह। इन ह ड् डय को कै यम तथा फा ोरस त मजबूत बनाते ह। अगर इन त क शरीर
म कमी हो जाती ह तो शरीर क ह ड् डयां कमजोर हो जाती ह जसके कारण जोड़ का रोग हो सकता ह। अपच
गई ह। हमारी साईट का एक मा उ यह ह
क ये जानका रयां लोग तक आसानी से प च ं शरीर को ग त दान करने के लए ह ड् डय के ब त से जोड़ होते ह। मनु क खोपड़ी को छोड़कर शरीर क बाक एप डसाइ टस
सके
सब ह ड् डय के जोड़ ग त कर सकते ह। कुछ पदाथ इन ह ड् डय को चकना करते रहते ह जसके कारण ही जोड़
इस वेबसाईट पर ा से संबं धत जो भी ऐंठन
जानका रयां ह वह जनक ाण के उ से क ह ड् डयां याशील होती ह तथा ग त करते समय उनम कोई दद नह होता ह। कई सार जोड़ के इद- गद तरल पदाथ
अवसाद
दी गई ह। हमारी साईट का एक मा उ क थै लयां होती ह ज बरसे कहते ह। सभी कार क ह ड् डय क स यां अलग-अलग जगह पर व भ कार क
यह ह क ये जानका रयां लोग तक आसानी होती ह। स यां सभी दशाओं म घूम सकती ह। जो लोग अपने खाए ए भोजन को पचाने म 12 से 18 घ े का समय बाल के रोग
से प ंच सके, इस लए हम आपसे आ ह
लेते ह उन य को इस कार का रोग ब त अ धक होता ह। बांझपन
करते ह क आप हमार URL (A type
web address) को अपने साईट, ॉग या जोड़ के कुछ रोग इस कार ह-
बवासीर
सोशल मी डया पर पो कर। मैटाइड अथराइटस-
यहां से URL Copy और Paste कर- जोड़ के ब त सार रोग म मैटाइड अथराइटस वह रोग ह जसके कारण जोड़ म सूजन हो जाती ह। इस रोग को एनोर या नव सा
ा से संबं धत सभी कार क
सं श म आर. ए. कहते ह क इस रोग म एक से अ धक जोड़ भा वत होते ह तथा इस रोग के कारण शरीर बलनी
जानका रयां और समाधान (उपचार,
औष धयां तथा च क ा प त) सभी क श भी कम हो जाती ह। इस लए इस रोग को कई नाम से भी जाना जाता ह जो इस कार ह-
ब र पर पेशाब कर दना
लोग के लए <a
href="http://www.jkhealthwor ो नक पोलीराइं टस बवाई
ld.com/hindi">www.jkhealthwo ो नक ा े सव अथराइं टस
rld.com/hindi</a> म न:शु काइ टस
ो लफेर टव अथराइं टस
उपल ह।
अ ो फक अथराइं टस बुखार

च र आना
मैन कैटगरीज यह रोग पु ष से अ धक य को होता ह। यह रोग 25 वष से 50 वष क अव ा म अ धक होता ह ले कन फर
सेर ल पलसी
आयुव दक औष धयां भी यह रोग कसी भी उ म हो सकता ह। यह रोग ब को भी हो सकता ह।
मैटाइड अथराइटस रोग होने का कारण- चमड़ी के रोग
हो मयोपै थक औष धयां
ठं ड ान पर रहने वाले लोग को यह रोग अ धक होता ह। यह रोग जब कसी को हो जाता ह तो वह कोलाइ टस
आयुवद से उपचार
अगर गम ान पर चला भी जाए तो भी उसे कोई लाभ नह होता ह। मैटाइड अथराइटस रोग च ा तथा
हो ोपैथी से उपचार कंज वाइ टस
भावा क अशां त के कारण भी हो सकता ह। वैसे इस रोग के होने के मुख कारण शरीर क झ ी म कसी कार क
योगा ास से उपचार स ाइ टस
सूजन हो जाने, र संचारण न लकाओं म कसी कार का रोग हो जाने तथा ेत र क णकाओं का जोड़ के आस-
ाथ मक च क ा से उपचार पास अ धक मा ा म इक ा हो जाना ह। इस रोग के होने का कारण छोट-छोट जीवाणु भी हो सकते ह जो आर से ही दमा
मसाज से उपचार शरीर म पनपते रहते ह और एका-एक जोड़ पर हार (आ मण) करते ह।
दांत दद
ए ू ेशर से उपचार जब यह रोग कसी को हो जाता ह तो इसका असर धीर-धीर शु होता ह और इसके कारण एक या अ धक
दांत म मवाद
चु क से उपचार जोड़ म दद तथा कड़ापन रहता ह। सबसे पहले इस रोग का असर हाथ-पैर के जोड़ पर होता ह। कभी-कभी तो इसका
गु रोग का उपचार असर केवल घुटन के दद के प म होता ह। इस रोग से पी ड़त जब सुबह के समय म ब र से उठता ह तो उसके धमनी क सूजन

जल च क ा अंग म अ धक कठोरता आ जाती ह तथा जैस-े जैसे दोपहर का समय होता ह वैस-े वैसे दद तथा कठोरता कम होती जाती धू पान
आहार च क ा ह। धीर-धीर इस रोग का असर हाथ-पैर क अंगु लय से कोह नय , बाजुओ,ं घुटन , टखन तथा कू तक प च ं जाता
दल का दौरा
सूय च क ा ह। इस रोग के कारण रोगी के हाथ-पैर क अंगु लयां टढ़ी और स होना शु हो जाती ह। इस रोग के हो जाने के
कारण रोगी के शरीर क ह ड् डयां कमजोर तथा पतली होने लगती ह। ूर दोष
आकाश च क ा
स शोथ रोग- डसमेनो रया
अ चक ा
स शोथ रोग के कारण रोगी के जोड़ म सूजन तथा वकृ त हो जाती ह। इसके अलावा इस रोग के कारण रोगी
आसन ए मा
के ायु, तंतु तथा मांसपे शय म भी रोग उ हो जाता ह। इस रोग के होने के ू सर ल ण भी हो सकते ह। य द इस
ाणायाम-क - या एं डोमे यो सस
ाणायाम-क -जानका रयां रोग का उपचार ठीक कार से न कराया जाए तो रोगी के दय तथा फेफड़ को भी नुकसान प च ं सकता ह। इस रोग से
गले म खराश
मु ा ारा च क ा पी ड़त को न द ब त कम आती ह तथा कमजोरी ब त अ धक आ जाती ह। रोगी को थकावट ब त ादा महसूस
गलगंड
आहार क जानकारी होती ह और उसके शरीर म पीलापन नज़र आने लगता ह। कभी-कभी तो इस रोग के कारण रोगी के शरीर का रंग ही बदल
गभाव ा क जानकारी जाता ह तथा रोगी को ह ा बुखार भी हो जाता ह और रोगी के शरीर का वजन घटने लगता ह। इस रोग से पी ड़त गदन का दद

को भूख ब त कम लगती ह तथा उसे कुछ भी खाने क इ ा नह होती ह। इस रोग के कारण रोगी के ायु-सं ान म भी गै ोएं इ टस
मानव शरीर क जानकारी
वकार हो जाते ह। रोगी को ऐसा अनुभव होता ह क कोई उसके शरीर म कोई सुईयां चुभा रहा ह। इस रोग के कारण कई
कामसू क जानकारी घबराहट
रो गय के नाखून कमजोर तथा भुरभुर से हो जाते ह।
वटा मस-और- मनर घाव-ज
र वा हकाओं म सूजन हो जाने के कारण रोगी क टांग पर गहर रंग के ध े तथा छोट-छोट फोड़ हो जाते ह। इस
स दय साधन
रोग के कारण कई रो गय क छाती म दद भी होने लगता ह तथा उनक आं ख सूखी सी नजर आने लगती ह। इस रोग के घुटने का दद
आयुव दक ट हो जाने के कारण कई य का मुंह सूखा-सूखा सा रहने लगता ह क उनके मुंह म लार अ धक मा ा म नह बन
ूकोमा
ह ट पाती ह तथा कई रो गय के ीहा तथा जगर भी बढ़ जाते ह।
ूटी ट मधुमेह
कभी-कभी तो इस रोग के हो जाने पर कुछ महीने तक जोड़ म दद नह होता ह ले कन अचानक फर से दद शु हो
योगा ट जाता ह। यह सभी ल ण ेक रोगी म एक जैसे नह होते ह। इस रोग से पी ड़त को अ धक से अ धक आराम गु ांग म म े

ह फट् नस करना चा हए। गुद तथा मू से स त रोग


सु वचार अ स शोथ-
हाथ का दद
अनमोल वचन कई वष तक लगातार एक ही काम करने क वजह से जोड़ म कुछ प रवतन आ जाने के कारण अ स शोथ
ेट इं डयन ोटस का रोग हो जाता ह। यह रोग चरका लक शारी रक कमजोरी का रोग ह। दय न यता

अ स शोथ को कई नाम से जाना जाता ह जैस-े ह नया


ा सलाह
ा ान ओ े-अथ सस हचक

से नॉ लज हाइपरो फक अथराइं टस हाइपोथाइरॉइ ड


अथराइं टस डफोरम
ह ी रया
सेनेसे अथराइं टस
Jkhealt…
304 likes इ ुएंजा ( )ू
यह रोग अ धकतर ादा उ के य को होता ह। इस रोग के ल ण उन य म भी दखने को मलते ह
जबान का रोग तुतलाना तथा हकलाना
जनका मा सकधम बंद हो जाता ह।
जबड़ का दद
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इस रोग के कारण शरीर के एक जोड़ या अ धक जोड़ म दद, जकड़न तथा कड़कड़ाहट क आवाज सुनाई दती ह।
इस रोग के कारण को चलने- फरने तथा शारी रक काम करने म द त होती ह। जब रोगी सुबह के समय जवानी
म ब र से उठता ह तो उसके जोड़ म तेज जकड़न होती ह पर जब रोगी थोड़ा चलता- फरता ह तो उसक जकड़न कम जुकाम
होने लगती ह। इस रोग के कारण रोगी क स य म सूजन हो सकती ह जैसे-जैसे रोग पुराना होता जाता ह वैसे-वैसे
बार-बार या ब त ादा पेशाब आना
रोगी के जोड़ के आकार म प रवतन होना शु होने लगता ह। इस रोग के कारण वे जोड़ अ धक भा वत होते ह जो पूर
शरीर का वजन संभालते ह अथात घुटने, कू े तथा रीढ़ क ह ी। यह रोग मोट य को अ धक होता ह क ब त पसीना आना

उनका वजन ब त अ धक होता ह। इस रोग से बचने के लए को अपना वजन बढ़ने नह दना चा हए ब वजन कान
कम करने का यास करना चा हए।
कान बजना
अ स शोथ रोग होने का कारण-
जब ह ड् डय के जोड़ म कोई रोग हो जाता ह या ह ड् डय के सर पर दरार सी पड़ जाती ह, जोड़ के ऊपर वाली क

सतह पर कुछ स ी आ जाती ह और फर जोड़ से कुछ आवाज आने लगती ह तो यह रोग हो जाता ह। इस रोग के हो कलाई का दद
जाने पर जोड़ पर नई ह ड् डयां पनपने लगती ह। यह रोग अनुवां शक भी हो सकता ह जो मां से उसक लड़क तक प च ं कंधे का दद
जाता ह पर लड़का इस रोग से भा वत नह होता ह। इस रोग म मैटाइड रोग क तरह बुखार नह होता ह, न ही भूख
कंठमाला
कम लगती ह। इस रोग के कारण रोगी का वजन भी नह घटता ह और न ही इस रोग के कारण रोगी का पूरा शरीर कसी
न कसी कार से रोग होता ह। खांसी

ग ठया- खसरा
ग ठया का रोग अ धकतर पु ष को होता ह। यह रोग 40 क उ क बाद के पु ष को अ धक होता ह। य म
खुजली
यह रोग तो ब त ही कम होता ह ले कन अगर होता भी ह तो उन य को होता ह जन य का मा सकधम बंद हो
जाता ह। इस रोग के कारण कोह नय , टखने, कलाई, हाथ-पैर तथा ह ड् डय के जोड़ भा वत होते ह। कडनी कॉ लक

ग ठया रोग होने का कारण- कू े का दद


जब शरीर म यू रक ए सड क मा ा सामा से अ धक हो जाती ह तो ग ठया रोग हो जाता ह। कुछ वशेष ोटीन
लकवा
त ु र पदाथ का पाचन ठीक कार से नह हो पाता ह तो यह पदाथ यू रक ए सड म बदल जाते ह। ऐसी अव ा
ल ी आयु के लए
म यू रक ए सड क मा ा शरीर म अ धक हो जाती ह और यह पदाथ शरीर के बाहर जाने के अलावा अ र ही रहने लगता
ह। यू रक ए सड के ल जोड़ म वशेष प से, गुद तथा चा म जमा होने लगता ह। ये ल सुईय क तरह लू लगना

चुभने लगते ह जसके कारण यह रोग हो जाता ह। नशीले पदाथ के कारण होने वाले रोग
यह रोग अनुवां शक भी हो सकता ह और कुछ जा त के य म यह अ धक होता ह। मांस-मछली, कसी खास
टां सलाइ टस
ांड क शराब तथा अ धक पौ क भोजन का सेवन करने से भी ग ठया रोग हो जाता ह।
इस रोग का भाव रोगी म अचानक ही दखने लगता ह। 90 तशत य को यह रोग पैर के अंगूठ से शु चा के रोग

होता ह। जब अंगूठ म दद होता ह तो इस रोग के कारण अंगूठा लाल हो जाता ह। इस रोग के कारण अंगूठ म सूजन तथा उबकाई
ब त तेज दद होता ह। इस रोग के कारण रोगी को बुखार भी हो सकता ह। यह रोग अंगूठ के अलावा घुटन ,
उ र चाप
कोह नय तथा कान के बाहरी भाग म भी सूजन के प म हो सकता ह। इस रोग क सूजन का उपचार न भी कया जाए
उ ी (वमन)
तो भी यह सूजन कुछ दन के अ र अपने आप ही ठीक हो जाती ह। इस रोग के कारण दद दन म कम तथा रात म
अ धक होता ह। उ ादी अवसाद
ग ठया का रोग नय मत प से ायाम करने, अ धक पानी पीने तथा उन पदाथ को हण करने, जनसे शरीर म शरीर का वजन कम तथा ादा होना
यू रक ए सड क मा ा कम हो जाती ह, से ठीक हो जाता ह।
सदा युवा रहना (वृ ाव ा को रोकना)
एं क लु सग सपांडालाइ टस-
यह रोग अ धकतर 20 से 40 वष के पु ष म अ धक पाया जाता ह। या ा कमजोर होना
एं क लु सग सपांडालाइ टस रोग का कारण- यौन श बढ़ाने के उपाय
एं क लु सग सपांडालाइ टस रोग के होने का कोई ठोस कारण तो अभी तक पता नह चल सका ह। यह रोग आं ख
अ : ावी रसो ादक न लकाहीन ं थयां
के कसी रोग हो जाने के कारण भी हो सकता ह। इस रोग के कारण रीढ़ क ह ी म कड़ापन भी आ सकता ह। इस रोग और इन
के कारण पीठ म काफ दद होता ह तथा रीढ़ क ह ी म जकड़न सी आ जाती ह जसके कारण सर को हलाना भी
मले रया
क ठन हो जाता ह। इस रोग से पी ड़त जब सुबह के समय म उठता ह तो उसक पीठ म अ धक दद होता ह। कई
रो गय को नत तथा जांघ के पछले भाग म भी दद होता ह। इस रोग के कारण रीढ़ क ह ी म सूजन आ जाने से अ नय मत या पीड़ादायक मा सकधम

छाती पूरी तरह फूल नह पाती जसके कारण रोगी को सांस लेने म क ठनाई आती ह। इस रोग के कारण रोगी के घुटन मान सक तनाव
तथा बाजुओ ं के जोड़ म भी दद शु हो जाता ह।

अ मृ ु ता-
म शोथ
अ मृ ुता रोग 20 से 30 वष क उ के य म अ धक पाया जाता ह।
अ मृ ु ता रोग होने का कारण- मसूढ़ के रोग

अ मृ ुता रोग शरीर म वटा मन `डी´ क कमी होने के कारण होता ह। आधे सर का दद
यह रोग जब कसी को हो जाता ह तो उस क ह ी को दबाने पर दद होता ह। इस रोग के कारण
मग
रोगी क कमर तथा जांघ म दद होता ह जो रात के समय म ब त तेज हो जाता ह। इस रोग के कारण रोगी क टांगे तथा
रीढ़ क ह ी ुक जाती ह और रोगी का पे गुहा चपटा हो जाता ह। म ीपल सलेरो सस

इस रोग से बचने के लए रोगी को वटा मन `डी` यु भोजन का सेवन अ धक मा ा म करना चा हए। इसके मू ाशय म पथरी
अलावा रोगी को भोजन म म न, फल तथा ू ध का अ धक योग करना चा हए।
मोटापा
सा टशु मै ट -
मो तया ब
यह रोग कसी भी को हो सकता ह। यह ब त कोमल तंतुओ,ं मांसपे शय , ब न तंतुओ ं तथा मांसपेशी और
पु का दद स ी रोग ह। यह रोग सभी य को अपने जीवन म ज र होता ह मुंह का अ र
सा टशु मै ट रोग होने का कारण- मुंहासे
यह रोग कई कारण से होता ह जैसे- चोट लगने के कारण, अ धक च ा करने के कारण, उदासीनता होने के
मू ा (बेहोशी)
कारण, शारी रक मता से अ धक काम करने के कारण या भारी वजन उठाने आ द के कारण।
इस रोग के हो जाने पर के शरीर को दबाने से दद होता ह इस रोग म दद सुबह के समय म अ धक होता ह मसकुलर डस ाफ

और दोपहर के समय म कम हो जाता ह। इस रोग के कारण रोगी के शरीर म थकावट हो जाती ह और इसके बाद रात के मू ावरोध (पेशाब का क जाना)
समय म दद फर से होने लगता ह। यह रोग अ धकतर रीढ़ क ह ी, खासकर गदन के भाग तथा पीठ के नीचे वाले भाग
मायोपैथी
क मांसपे शय म अ धक होता ह। इस रोग के कारण शरीर के जन अंग म दद और सूजन होता ह वे इस कार ह-
टखने, कोह नयां, कू ,े ए ड़यां, हाथ के अंगूठ के पास का भाग तथा जांघ का ऊपरी भाग आ द। ना भच के अ ायी रोग (ना भ का टलना)

मै टक फ वर- नाक बंद हो जाना


मै टक फ वर का रोग ब तथा जवान य म अ धक पाया जाता ह। नकसीर
मै टक फ वर रोग होने का कारण-
नपुंसकता
यह रोग गला खराब हो जाने के कारण शु होता ह और इस रोग के कारण रोगी के जोड़ म सूजन हो जाती ह। इस
रोग से रोगी के जोड़ म दद के साथ-साथ तेज बुखार हो जाता ह। इस रोग के कारण रोगी के दय का वा ब त ऐंठनदार नस

अ धक भा वत होता ह और यह आगे चलकर रोग का कारण भी बनता ह। नवस ेकडाउन


जुवेनॉइल अथराइटस-
ूमो नया
यह रोग 12 से 15 वष तक के ब को अ धक होता ह। इस रोग से लड़ कयां अ धक भा वत होती ह। यह रोग
होने से पहले रोगी को तेज बुखार होता ह। ूरा या

स टल रोग- न र चाप (लो ड ेशर)


यह रोग अ धकतर ब को होता ह। 5 वष क आयु के छोट ब े वशेष प से लड़ कय को यह रोग होता ह।
पाचनतं
इस रोग के कारण ब ा अपना हाथ नह हला पाता ह और उसके एक या कई अंग के जोड़ म दद होना शु हो जाता
आं ख क पलक म गांठ बनना
ह। ब े के जोड़ म सूजन हो जाती ह तथा जोड़ कठोर हो जाते ह। इस रोग के कारण ब े को ह ा बुखार होने के
साथ-साथ उसक भोजन के त अ च भी हो जाती ह। पार कनसन

बरसाइटस- पतले द (डाय रया-डीसे ी)


इस रोग के कारण पदाथ क एक गु ी सी बन जाती ह जो चा तथा ह ी के बीच या मांस-र ुओ ं के बीच
पे चश
म बन जाती ह।
कारण- पीठ दद

कसी तरह क चोट लग जाने या कसी भी अ ाकृ तक या के कारण बरसा के पास कै यम त जमा होकर पी लया
एक सूजन सी बना दता ह। यह रोग सीधे तौर पर ह ड् डय के जोड़ से स त नह होता पर बरसा के जोड़ के समीप
पे कअ र
होने पर इनम सूजन से न य ही ह ी के जोड़ पर भाव पड़ता ह। बरसा म सूजन हो जाने के कारण ही इसको
ट डनाइ टस
बरसाइं टस नाम से जाना जाता ह।
इस रोग म घुटन , टखने पर तथा कोह नय पर सूजन हो जाती ह जसके कारण रोगी को ब त अ धक क होता थकान
ह। त ी के मे र डयन पर त ब ु ारा
घुटन का दद- उपचार
जोड़ के अ रोग क तरह ही घुटने के रोग से भी ब त अ धक पी ड़त होते ह। यह रोग अधेड़ उ क
ं थय का भाव
य को अ धक होता ह।
गु ांग क हप ज
घुटने म दद होने का कारण-
घुटने से ब त अ धक काम लेन,े शरीर म वटा मन `सी´ क कमी हो जाने या अ धक ठं ड लग जाने के कारण घुटने गदन तथा पीठ म दद

म दद हो जाता ह। अ धक कमजोरी हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता ह। ं थल र


घुटने म दद का रोग दोन घुटन म एक साथ भी हो सकता ह। इस रोग के कारण रोगी के घुटने म वकृ त
पैर के पंज और टखन का दद
और सूजन आ जाती ह तथा ब त तेज दद होता ह। इस रोग से पी ड़त रोगी जब अपनी टांग को ल ा करता ह तो उसके
घुटने म तेज दद होता ह। य द घुटने से कोई चीज छ भी जाती ह तो भी ब त तेज दद होने लगता ह। इस रोग के कारण पेट के ऊपरी भाग का दद

रोगी को चलने- फरने तथा उठने-बैठने म द त होने लगती ह। जब यह रोग घुटने म हो जाता ह तो घुटने से कड़- फे रजाइ टस
कड़ क आवाज भी होने लगती ह। फोड़-फुं सयां
इन सभी रोग से बचने के लए भोजन तथा ायाम पर वशेष ान दना चा हए। भोजन म उन पदाथ का सेवन
प ाशय के रोग
नह करना चा हए जन पदाथ से पेट म गैस अ धक बनती ह तथा पाचन या म हो जाती ह। चाय, शराब, कॉफ , मैदा
ू रसी
से बनी चीज, आइ म, ड ाबंद व ुएं, तला आ भोजन, मांस, चीनी, मठाइयां तथा चावल आ द का भोजन म ब त
ही कम सेवन करना चा हए। पो लयो
इस रोग से पी ड़त रोगी को अपने भोजन म ताजा हरी स य तथा फल का अ धक योग करना चा हए। य द पौ ष मता म कमी
रोग बढ़ गया हो तो एक स ाह तक ताजा हरी स य का सूप पीना चा हए। जोड़ के रोग से पी ड़त रोगी को भोजन म
ो ेट पुर: ं थ का बढ़ जाना
अन ास का सेवन अ धक करना चा हए। रोगी को वटा मन `ए`, `बी`, `सी`, `डी`, `ई` यु पदाथ को भोजन म अ धक
लेना चा हए। रोगी को रोजाना सुबह के समय म ायाम करना चा हए। जोड़ का दद होने पर रोगी को डॉ र क सलाह पु ष के रोग

के अनुसार अपना इलाज कराना चा हए। इस रोग का उपचार ए ू ेशर च क ा के ारा आसानी से कया जा सकता पु न
ह।
रजो वकृ त
ए ू ेशर च क ा के ारा जोड़ के रोग का उपचार-
जोड़ से स त अनेक रोग का उपचार ए ू ेशर च क ा के ारा आसानी से कया जा सकता ह। इन रोग र ा ता

का उपचार करने के लए सबसे पहले यह जानने क आव कता ह क ए ू ेशर च क ा के ारा शरीर के कन रीढ़ क ह ी
त ब ब ुओ ं पर दबाव दना चा हए जससे रोग ज ी ठीक हो जाए। रयूमे टक र
कभी-कभी उपचार करने के दौरान रोग को ठीक होने म कुछ समय लग जाता ह ले कन ऐसा नह ह क कसी प त
रयूमेटॉइड आथराइ टस
के ारा पूण प से आराम मल जाए। ए ू ेशर च क ा के ारा 3-4 बार ेशर दने से रोगी को पता लगने लगता ह
क वह ठीक हो रहा ह या नह । इस उपचार के ारा दद ठीक हो जाता ह तथा स शोथ अंग से सूजन घट जाती ह। रनाइ टस (ह- र)

सामा ुबलता

संके तक दद का े

सांप ारा काटना

शराब का अ धक नशा या कसी ू सर नशे के


कारण बेहोशी

सद -खांसी

कू े तथा जांघ का दद शया टका

शी पतन ंभश का अभाव

शग

(जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च ) साइनुसाइ टस


च म दये गये अंगूठ के बीच के भाग के त ब ब ुओ ं पर अंगूठ क सहायता से ेशर दने से जोड़ के रोग सरदद
ब त ज ी ठीक होने लगते ह तथा दद भी कम हो जाता ह।
न कसर

य के न का वकास

ी क उदासीनता

य के मुख रोग

सुजाक

ासन या के अंग

रयं शोथ

(जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च ) ा और सौ य का ए ू ेशर च क ा


के साथ स
पैर तथा हाथ के ायु-सं ान पर ेशर दने से (जैसा क च म दया गया ह) जोड़ के रोग म ब त अ धक
राहत मलती ह। ेत दर

टां ल

(जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च )


आमाशय तथा अंत ड़य से स त त ब ब ु (जो हाथ क हथे लय तथा पैर के तलुव पर होते ह), पर ेशर दने से इस रोग म ब त लाभ मलता ह
क जोड़ के अ धकतर रोग तब होते ह जब कसी क पाचन या ठीक नह होती ह। जोड़ के रोग को ठीक करने के लए इन ब ुओ ं पर रोगी क
सहनश के अनुसार रोजाना कुछ सेक के लए दन म 2-3 बार ेशर दना चा हए।
(जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च )
जोड़ के रोग को ठीक करने के लए गुद क श को बढ़ाना ब त ज री ह ता क शरीर से अनाव क त पाचन या से पचकर ज ी से बाहर चले
जाएं । गुद क श को बढ़ाने के लए गुद से स त के ब ु हाथ क हथे लय तथा पैर के तलुव पर होते ह जैसा क च म दया गया ह। इन त ब
ब ुओ ं पर ेशर दने से गुद क श मजबूत हो जाती ह जससे पाचन या ठीक होने के साथ-साथ जोड़ के रोग भी ठीक होने लगते ह।

(जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च )


जोड़ के रोग को ठीक करने के लए ना भच तथा डाया ाम के त ब ब ुओ ं पर ेशर दना चा हए। ये त ब ब ु पैर तथा हाथ के ऊपर होते ह
(जैसा क च म दया गया ह)। इन त ब ब ुओ ं पर ेशर दने से जोड़ के रोग को ठीक होने म काफ मदद मलती ह। इन ब ुओ ं पर ेशर हाथ के अंगूठ
से दना चा हए।

(स शोथ के सभी रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु का च )


स शोथ के ब त से रोग को ठीक करने के लए टखने के चार ओर तथा पैर क छोटी अंगुली क तरफ हाथ के अंगूठ या अंगु लय से ेशर दना चा हए।
इन ब ुओ ं पर ेशर दने के अलावा मा लश करने से रोग और भी ज ी ठीक हो जाते ह।

(पीठ म जकड़न, घुटन तथा पैर म ह ड् डय के इद- गद सूजन तथा दद को ठीक करने के लए त ब ब ु का च )
च के अनुसार रोगी के शरीर के त ब ब ुओ ं पर ह ा-ह ा ेशर दने से घुटन तथा पैर म ह ड् डय के इद- गद सूजन, दद तथा पीठ क जकड़न
ठीक हो जाती ह।

(जोड़ के रोग तथा गदन के दद और पीठ के दद को कम करने के लए तब ब ु का च )


जोड़ के रोग को ठीक करने के लए त ब ब ु गदन से खोपड़ी तथा रीढ़ क ह ी के दोन तरफ होते ह (जैसा क च म दया गया ह)। हाथ क
अंगु लय तथा अंगूठ के ारा इन ब ुओ ं पर ेशर दने से जोड़ के कई कार के रोग ठीक हो जाते ह। यह ेशर एक दन म 3 बार दना चा हए। ठीक इसी कार
टांग पर भी ह ा-ह ा ेशर दना चा हए।

(घुटन क जकड़न, दद, टांग सीधी न कर सकना आ द रोग


के उपचार के लए त ब ब ु का च )
मोट य को ए ू ेशर च क ा से इलाज करने के साथ-साथ अपना वजन भी घटाने का यास करना चा हए तथा मैद क व ुएं, चावल, आलू तथा
तली ई चीज का सेवन नह करना चा हए।
य को जोड़ के रोग होने पर गभाशय तथा ड - ं थय स ी त ब ब ुओ ं पर ेशर दना चा हए क यह रोग इन अंग म कोई रोग हो जाने
कारण होता ह। इन ब ुओ ं पर ेशर दने से य के गभाशय तथा ड - ं थय क काय णा लय म सुधार हो जाता ह।

Tags: Rheumatoid arthritis, Hyperopic arthritis, Senescent arthritis, Gout, Soft tissue rheumatism

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