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क ा 10 गिणत सभी मह वपूण सू

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नये पाठय म 2023-24 के अनुसार)
(नये

पाठ-1 वा तिवक सं याएँ

1. येक भा य सं या को अभा य सं यायाओं के गुणनफल के प म य त िकया जा सकता है ।


2. दो सं याओं का गु णनफल = म म.स. (HCF) X ल.स. (LCM)
3. दो अभा य सं याओं का म.स. (HCF) 1 होता है तथा ल.स. उन सं याओं
ओं के गुणनफल के बराबर होता है अथात
यिद p और q दो अभा य सं याऐंऐं ह तो इनका HCF 1 होगा तथा LCM pq होगा ।

पाठ-2 ब पद

1. ब पद की घात :- िकसी ब पद p(x) म चर x की उ चतम घात, ब पद की घात कहलाती है ।


जै से – ब पद 3x3 - 2x2 + 5x + 1 म चर x की उ चतम घात 3 है इसिलए इस ब पद की घात भी 3 है ।
2. रै खक ब पद :- घात 1 के ब पद को रै खक ब पद कहते ह । उदाहरण – 3x+2, 4x-3
4x इ यािद
2
3. ि घात ब पद :- घात 2 के ब पद को ि घात ब पद कहते ह । उदाहरण - 4x + 4x + 1, 1 x2 – 2x +1 इ यािद
4. ि घात ब पद :- घात 3 के ब पद को ि घात ब पद कहते ह । उदाहरण - 2-x3, x3 - x2 + 3 इ यािद
5. ब पद के शु यक :- यिद ब पद p(x) म x का मान k रखने पर ब पद का मान शु य हो जाता है तो k उस ब पद का
शु यक कहलाता है ।

अथात यिद ब पद p(x) म x = k रखने पर p(k) = 0 होता है तो यह वा तिवक सं या k ब पद का शु यक


य कहलाता है ।

नोट :- िजतनी ब पद की घात होती है उस ब पद के उतने ही शु य


यक होते ह ।
कों एवं गु णाकों म स ब ध – यिद ि घात ब पद p(x) = ax2+bx+c के शु यक α व β ह तो
6. ि घात ब पद के शु यकों
का गुणांक
शु यकों का योग =
का गुणां क

अथात α + β =

अचर पद
शु यकों का गुणनफल =
का गु णां क

अथात αβ =

7. यिद ि घात ब पद के शु यक
क िदए हों तो ब पद ात करना - यिद ि घात ब पद के शु यक
य α व β ह तो
ब पद p(x) = x2 – (α + β)x + αβ
इसके बाद इसे सरल रै खीय प म बदल ल ।

पाठ-3 दो चर वाले रै खक समीकरण यु म

1. दो चर वाले रै खक समीकरण :-- ax + by + c = o


2. दो चर वाले रै खक समीकरण यु म के हलों की कृित :-
यिद समीकरण यु म
a1x + b1y + c1 = 0
a2x + b2y + c2 = 0 है तो
अनु पातों की तुलना करने पर solankimaths.com
अनुपातों की तु लना िन िपत रे खाऐं बीजगिणतीय हल संगत/असंगत

𝒂𝟏 𝒃 केवल एक ही हल अथात
1. ≠ 𝒃𝟏 ित छे दी रे खाऐं संगत
𝒂𝟐 𝟐 अि तीय हल

𝒂𝟏 𝒃𝟏 𝒄𝟏
2.
𝒂𝟐
= 𝒃𝟐
≠ 𝒄𝟐
समा तर रे खाऐं कोई हल नहीं असंगत

𝒂𝟏 𝒃𝟏 𝒄𝟏 अप रिमत प से अनेक
3. = = संपाती रे खाऐं संगत
𝒂𝟐 𝒃𝟐 𝒄𝟐 हल

3. दो चर वाले रै खक समीकरण यु म को हल करने की िविधयाँ :-


(i) ाफीय िविध
(ii) बीजगिणतीय िविध
(A) िव थापन िविध
(B) िवलोपन िविध

पाठ-4 ि घात समीकरण

1. ि घात समीकरण :- वह समीकरण िजसम चर x की उ चतम घात 2 होती है, ि घात समीकरण कहलाती है ।
उदाहरण :- x2 +2x +1 = 0, x2 – 9 = 0 इ यािद ।
2. ि घात समीकरण का मानक प :- ax2 + bx + c = 0 , जहाँ a, b और c अचर ह ।
3. ि घात समीकरण के मूल ात करना :- ि घात समीकरण के दो मूल होते ह, इ हे िन न िविधयों से हल करते ह ।
(i) गुणनख ड िविध :- इसे हम िन न उदाहरण से समझते ह ।

x2+5x+6 = 0

चरण I - सबसे पहले x2 का गुणां क तथा अचर पद का गुणनफल करते ह ।

x2 का गुणां क x अचर पद = 1x6 = 6

चरण II - अब x के गुणां क 5 को ऐसी दो सं याओं के प म िलखते ह िजनका गुणा करने पर 6


2
(x का गुणां क x अचर पद) आए तथा योग करने पर 5 (x का गुणां क) आए ।
2
x + 5x + 6 = 0

5 (x का गुणांक)

2
2 x 3 6 (x का गुणां क x अचर पद)
=

चरण III - x2+5x+6 = 0


2
x +2x+3x+6 = 0
x(x+2) +3(x+2) = 0
(x+3)(x+2) = 0
x+3 = 0 या x+2 = 0
x = -3 या x = -2
अत: ि घात समीकरण के मूल -3 और -2 ह ।
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(ii) ि घाती सू ( ीधराचाय िविध ) :-

यिद ि घात समीकरण ax2 + bx + c = 0 है तो

±√
ि घात समीकरण के मू ल x =
4. ि घात समीकरण के मूलों की कृित ात करना :-

यिद ि घात समीकरण ax2 +bx+c = 0 है तो मू लों की कृित होगी –


(i) यिद b2-4ac > 0 है तो मूल वा तिवक व िभ न-िभ न होंगे ।
(ii) यिद b2-4ac = 0 है तो मूल वा तिवक व बराबर होंगे ।
(iii) यिद b2-4ac < 0 है तो कोई मू ल वा तिवक नही ं होगा ।

पाठ-5 समा तर ेि़ढयाँ :-

1. समा तर ेढ़ी का थम पद a तथा सावअ तर d :- समा तर े ढ़ी का पहला पद, स. े . का थम पद a कहलाता है।


स. े . का सावअ तर d, िकसी भी पद म उसके पीछे वाला पद घटाकर ात िकया जा सकता है ।
2. समा तर ेढ़ी का n वां पद :- श दावली :-
यिद A.P. का थम पद a तथा सावअ तर d है तो थम पद = a
समा तर ेढ़ी का n वां पद ात करने का सू सावअ तर = d
an = a + (n-1)d पदों की सं या = n
3. समा तर ेढ़ी के थम n पदों का योग :- n वां पद = an
अंितम पद = l
𝒏
Sn = 𝟐 [ 2a + (n – 1)d ] पदों का योग = Sn

𝒏
या Sn = [a+l]
𝟐
पाठ- 6 ि भुज :-

1. सम प आकृितयॉं – सम प से ता पय समान प से है अथात वे आकृतयॉं िजनका प या आकार समान होता है ,


सम प आकृितयॉं कहलाती ह ।
सम पता के िलए ~ तीक का उपयोग िकया जाता है ।
2. सवागसम आकृितयॉं – सवागसम से ता पय सभी अंग समान से है अथात वे आकृितयॉं िजनका प / आकार समान
होने के साथ-साथ इनके सभी माप भी समान हों , सवागसम आकृितयॉं कहलाती ह ।
सवागसमता के िलए ≅ तीक का उपयोग िकया जाता है ।
नोट:- सभी सवागसम आकृितयॉं सम प होती ह पर तु इसके िवपरीत सभी सम प आकृितयॉं सवागसम
नही ं होती ह ।
3. सम प ि भुज :- दो ि भु ज (∆𝐴𝐵𝐶~∆𝑃𝑄𝑅) सम प होते ह यिद
(i) उनके संगत कोण बराबर होते ह । (∠𝐴 = ∠𝑃, ∠𝐵 = ∠𝑄 और ∠𝐶 = ∠𝑅 )
(ii) उनकी संगत भु जाऐं एक ही अनु पात म हों अथात समानु पाती हों ।
अथात = =

4. आधारभू त समानु पाितकता मेय :– यिद िन न आकृित के अनुसार ∆𝐴𝐵𝐶 व ∆𝐴𝐷𝐸 सम प ह तो


A
(i) DE II BC

D E
(ii) = होता है ।

B C नोट:- इसका िवलोम भी स य है ।


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5. ि भुजों की सम पता के िलए कसौिटयाँ :-
(i) AAA ( तीनों सं गत कोण बराबर हों )
(ii) AA ( दो संगत कोण बराबर हों )
(iii) SSS ( तीनों सं गत भु जाऐं समानु पाती हों )
(iv) SAS ( एक संगत कोण बराबर तथा दो संगत भु जाऐं समानु पाती हों )

पाठ- 7 िनदशांक यािमित :-

1. मूल िब दु :- X-अ तथा Y-अ जहॉं ित छे द करते ह , मूल िब दु कहलाता है । इसके िनदशां क (0,0) होते ह ।
2. भुज तथा कोिट :- िकसी िब दु (x, y) का x िनदशां क भुज तथा y िनदशां क कोिट कहलाता है ।
x अ पर थत िकसी िब दु का कोिट का मान शु य होता है तथा Y-अ पर थत िकसी िब दु का
भु ज का मान शु य होता है ।
3. दो िब दु ओ ं के म य दू री का सू :-
PQ = (𝒙𝟏 − 𝒙𝟐 )𝟐 + (𝒚𝟏 − 𝒚𝟐 )𝟐
4. िकसी िब दु की मूल िब दु से दू री :-
OP = 𝒙𝟐 + 𝒚𝟐

5. िवभाजन सू :-
x= ,y=

6. म य िब दु के िनदशांक :-

x= , y=

पाठ- 8 ि कोणिमित का प रचय :-

1. समकोण ि भुज :- ऐसा ि भु ज िजसका एक कोण समकोण होता है, समकोण ि भु ज कहलाता है।

यिद Ѳ यून कोण है तो


कण :- समकोण ि भुज की सबसे ल बी भु जा कण कहलाती है ।
ल ब :- यून कोण Ѳ के सामने वाली भुजा ल ब कहलाती है । कण (K)
लब
आधार :- कण तथा यून कोण Ѳ के साथ वाली भुजा आधार कहलाती है ।
(L)
पाइथोगोरस मे य के अनुसार
Ѳ
(कण)2 = (आधार)2 + (ल ब)2
आधार (A)
2. ि कोणिमतीय अनुपात :-
𝑳𝑨𝑳 ( लाल )
Hint :-
𝑲𝑲𝑨 ( कका )
sinѲ cosѲ tanѲ श दावली :-
L A L लब = L
K K A आधार = A
cosecѲ secѲ cotѲ कण =K
𝑳 𝑨 𝑳
sinѲ = , cosѲ = , tanѲ =
𝑲 𝑲 𝑨
𝑲 𝑲 𝑨
cosecѲ = , secѲ = , cotѲ = solankimaths.com
𝑳 𝑨 𝑳
3. यु म ि कोणिमतीय अनु पात :- 4. tanѲ व cotѲ का मान :-

𝟏 𝟏 𝒔𝒊𝒏Ѳ 𝒄𝒐𝒔Ѳ
sinѲ = , cosecѲ = tanѲ = cotѲ =
𝐜𝐨𝐬𝐞𝐜Ѳ 𝐬𝐢𝐧Ѳ 𝐜𝐨𝐬Ѳ 𝐬𝐢𝐧Ѳ
𝟏 𝟏
cosѲ = , secѲ =
𝐬𝐞𝐜Ѳ 𝐜𝐨𝐬Ѳ
𝟏 𝟏
tanѲ = cotѲ =
𝐜𝐨𝐭Ѳ 𝐭𝐚𝐧Ѳ
5. कुछ िविश ट कोणों के ि कोणिमतीय अनुपात :-

Ѳ 00 300 450 600 900

1 1 √3
sinѲ 0 1
2 √2 2
√3 1 1
cosѲ 1 0
2 √2 2
1
tanѲ 0 1 √3 अप रभािषत
√3
1
cotѲ अप रभािषत √3 1 0
√3
2
secѲ 1 √2 2 अप रभािषत
√3
2
cosecѲ अप रभािषत 2 √2 1
√3

6. ि कोणिमतीय सवसिमकाएँ :-

(i) sin2Ѳ + cos2Ѳ = 1


(ii) 1 + tan2Ѳ = sec2 Ѳ
(iii) 1 + cot2Ѳ = cosec2 Ѳ

पाठ- 9 ि कोणिमित के कुछ अनु योग :-

1. ि रे खा :- े क की आँ ख को व तु से िमलाने वाली रे खा ि रे खा कहलाती है ।

ि रे खा

आँ ख
ै ितज रे खा
2. उ नयन कोण :- यिद कोई व तु हमारी आँ ख से उपर होती है अथात ि रे खा, ैितज रे खा से उपर होती है तो इनके
म य बनने वाला कोण उ नयन कोण कहलाता है ।
व तु
ि रे खा

उ नयन कोण solankimaths.com


आँ ख
ैितज रे खा
3. अवनमन कोण :- यिद कोई व तु हमारी आँ ख से नीचे होती है अथात ि रे खा, ैितज रे खा से नीचे होती है तो इनके
म य बनने वाला कोण अवनमन कोण कहलाता है । solankimaths.com

ैितज रे खा आँ ख
अवनमन कोण

नोट:- अवनमन कोण = उ यन कोण


ि रे खा
व तु

पाठ- 10 वृत :-

1. वृ त की अ ित छे दी रे खा / छे दक रे खा / पश रे खा :-

(i) अ ित छे दी रे खा (ii) छे दक रे खा (iii) पश रे खा


P P P

Q Q Q

वह रे खा जो वृत को िकसी वह रे खा जो वृत को दो वह रे खा जो वृत को केवल


िब दु ओं पर ित छे द करती एक िब दु पर ित छे द या
भी िब दु पर ित छे द नही ं करती
है, छे दक रे खा कहलाती है । पश करती है , पश रे खा
अ ित छे दी रे खा कहलाती है ।
कहलाती है ।

2. वृ त की पश रे खाओं की सं या :- वृत पर अन त पश रे खाऐं खीच


ं ी जा सकती ह । पर तु

(i) वृत पर थत िकसी एक िब दु P से वृत पर एक और केवल एक पश रे खा खी ंची जा सकती है ।


(ii) वृत के बाहर थत िब दु P से केवल दो पश रे खाऐं खी ंची जा सकती ह ।
(iii) वृत के अ दर थत िब दु P से शु य पश रे खाऐं खी ंची जा सकती ह ।
(i) (ii) (iii)

A
A

P P P

B B

पश रे खाओं की सं या = 1 पश रे खाओं की सं या = 2 पश रे खाओं की सं या = 0


3. मेय 1 :- बा िब दु से वृत पर खी ंची गई पश रे खाओं की ल बाईयां बराबर होती ह ।

A
PA = PB

4. मेय 2 :- वृत के िकसी िब दु पर पश रे खा, पश िब दु से जाने वाली ि या पर ल ब होती है ।

A P B

पाठ- 11 वृतों से सं बंिधत े फल :-

1. वृ त की प रिध और े फल :- वृत की प रिध = 2𝝅r वृत का े फल = 𝝅r2

2. वृ त के ि यख ड का े फल :-
दीघ
ि यख ड
O
कोण θ वाले ि यख ड का े फल =
θ
कोण θ वाले ि यख ड के संगत चाप AB की ल बाई = लघु
A ि यख ड B
दीघ ि यख ड का े फल = 𝝅r2 – लघु ि यख ड का े फल

3. वृ त के वृतख ड का े फल :-

दीघ
वृतख ड का े फल = ि यख ड का े फल - ∆𝑂𝐴𝐵 का े .
वृतख ड
O B O

θ
लघु
A वृतख ड A B
वृतख ड का े फल = - 𝑟 𝑠𝑖𝑛𝜃

दीघ वृतख ड का े फल = 𝝅r2 – लघु वृतख ड का े फल


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पाठ- 12 पृ ठीय े फल और आयतन :-

1. घनाभ:-
घनाभ का पृ ठीय े फल = 2( ल.xचौ. + चौ.xऊ. + ऊ.xल. )

h
घनाभ का आयतन = ल. x चौ. x ऊ.
b l = ल बाई , b = चौड़ाई तथा h = ऊंचाई
l
2. घन :-

घन का पृ ठीय े फल = 6 x a2
घन का आयतन = a3
a = िकनारा

3. ल बवृ तीय बेलन :-


बेलन का व पृ ठीय े फल = 2𝜋rh
r
बेलन का स पूण पृ ठीय े फल = 2𝜋r ( r + h )

h बेलन का आयतन = 𝝅r2h

4. शंकु :-
शंकु का व पृ ठीय े फल = 𝜋𝑟𝑙
शंकु का स पूण पृ ठीय े फल = 𝜋𝑟( 𝑟 + 𝑙 )
l 𝝅𝐫 𝟐 𝐡
h शंकु का आयतन =

5. गोला :- 6. अ गोला :-
गोले का पृ ठीय े फल = 4 𝝅r2 अ गोले का व पृि य े फल = 2 𝝅r2

गोले का आयतन = 𝝅r3 अ गोले का स पूण पृि य े फल = 3 𝝅r2

अ गोले का आयतन = 𝝅r3

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पाठ- 13 सां यकी :-

1. मा य :- अवग कृत आं कड़ों के िलए


आं कड़ों का योग
मा य =
आं कड़ों की सं या
वग कृत आं कड़ों के िलए ( य िविध )

मा य =

क त मा य िविध से

मा य = a + जहाँ a = क त मा य तथा d = xi - a

पग िवचलन िविध से

मा य = a +

×ℎ जहाँ a = क त मा य तथा u =

2. मा यक :-
जहाँ l = मा यक वग की िन न सीमा
N = े णों की सं या

मा यक = l + ×ℎ cf = मा यक वग से ठीक पहले वाले वग की संचयी बार बारता


f = मा यक वग की बार बारता
h = वग माप
3. ब लक :-

ब लक = l + ×ℎ
जहाँ l=ब लक वग की िन न सीमा
h = वग माप
f1 = ब लक वग की बार बारता
f0 = ब लक वग ठीक पहले वाले वग की बार बारता
f2 = ब लक वग ठीक बाद वाले वग की बार बारता
पाठ- 14 ाियकता :-

1. ाियकता :-
घटना के अनुकूल प रणामों की सं या
ाियकता P (E) =
सभी संभव प रणामों की सं या

2. घटना E के घिटत नही ं होने की ाियकता :- P(𝐸 ) = 1 – P(E)


3. ाियकता का मान :- 0 ≤ P(E) ≤ 1
4. असंभव घटना की ाियकता का मान 0 होता है ।
5. िकसी योग की सभी ारं िभक घटनाओं की ाियकताओं का योग 1 होता है ।
6. लीप वष म 366 िदन तथा अलीप वष म 365 िदन होते ह ।
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