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CAHE JJ19 Neelam
CAHE JJ19 Neelam
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प्मेंद की कृहतयाँ समाि को यथाशतक कथा साजहत दारा मुक करन् का पयत
मुंशी िी की कृजतयाँ जहं चुसान क् सबस् अजधक जवशाल और जकया| अपनी कहाजनयों क् बालक क् मापम स् यह उच् घोजरत
जवसृत वगल की कृजतयों मे शुमार की िाती है आ उनोंन् कहानी, करत् हए कह् जक "मै जनरथलक रजढयों और वथल क् बंधनों का
नारक, उपनास, समीका, संपाचकीय, ल्ख, संसरण इताजच चास नहीं हं आ"
अन्क जवधानं मे साजहत की रेना की है जकंतु पमुख रप स्
वह कथाकार है उनोंन् अपन् िीवन काल मे ही उपनास सामाहजक रहढवाहदता
समार की उपाजध पाप कर ली थीआ प्मेंच क् दारा कुल 15 सामाजिक रजढयों मे प्मेंच न् जववाह स् संबंजधत रजढयो िैस्
उपनास, 300 स् अजधक कहाजनयां, 10 अनुवाच, सात बाल बहजववाह, ब्म्ल-जववाह, अजभभावकों दारा ुयोजित जववाह,
पुसक् तथा 3 नारक और हिारों पृरों क् ल्ख, भारण, चह् ि पथा, पुनजवलवाह, जवधवा जववाह, पचाल पथा, वृ् जववाह,
संपाचकीय, पत, ुजच की रेना की गई है आ जिस समय मे बाल जववाह तथा पजतवत धमल क् संबंध मे बडी संव्चना और
प्मेंच न् जलखना पारं भ जकया था उस समय उनक् पीि् ऐसी से्तना क् साथ जलखा है आ उस समय क् समाि मे यह बात घर
कोई ठोस जवरासत जवदमान नहीं थी और ना ही जवेार और न कर गई थी जक तीन पुतों क् िन क् बाच िनमन् वाली ब्री
ही पगजतशीलता का कोई पारप उनक् सामन् था जसवाय बां गा अशुभ होती है आ प्मेंच न् इस रजढवाजचता का अपनी कहानी
भारा क् साजहत क्आ प्मेंच क् समय मे बंजकम ेंद ेरिा तीतर क् मापम स् पुरिोर जवरोध जकया है | होली क् शुभ
तथा शरतेंद थ् और इनक् अजतररक रॉलसॉय िैस् रस क् अवसर पर पाए िान् वाली रजढवाजचता की जनंचा करत् हए वह
साजहतकार थ्आ ल्जकन ुत् ुत् समय मे उनोंन् अंत मे कहत् है जक अगर पीन् जपलान् क् बाविूच होली एक पजवत
गोचान ko िैसी कालिई उपनास की रेना की िो ुधुजनक तोहार है तो ेोरी और ररशतखोरी को भी पजवत मानना ेाजहए|
काजसक क् रप मे पजतजरत माना िाता है आ उनक् अनुसार तोहारों का अथल है अपन् भाइयों स् प्म और
सहानुभूजत रखना, ुजथलक समसानं क् बाविूच अजतजथ
प्मेंद को पार पुिसाि सतार को मयाल चा एवं पजतरा का प् समझ ल्न् िैस्
सबस् श्र पुरसार की बात करे तो प्मेंच की याच मे भारतीय रजढवाचीतानं का भी उनोंन् पुरिोर जवरोध जकया है आ
डाक की नर स् 31 िुलाई सन 1980 ईसी को उनकी
िनशती क् अवसर पर 30 पैस् मूल का डाक जरकर िारी धमर स् संबंहधत रहढयां
जकया गया थाआ उतर पच् श क् गोरखपुर जिल् क् जिस जवदालय प्मेंच को एक महान साजहतकार क् साथ साथ एक महान
मे वह जशकक पच पर कायलरत थ् वहां प्मेंच साजहत संसथान चाशलजनक भी कह् तो अजतशयोतक नहीं होगीआ प्मेंच क् भीतर
की सथापना की गई है उसक् बरामच् मे एक जभजत ल्ख भी है क् चाशलजनक न् धमल की ुड मे िन सामान क् शोरण करन्
िहां उनस् संबंजधत वसुनं का एक संगहालय जवदमान है | वहां वालों को पहेान जलया था| वह उनक् बाहरी जवजध-जवधानों तथा
पर उनकी एक अपतक पजतमा भी सथाजपत की गई है | प्मेंच अंचरनी अशुत्यों को पहेान ेुक् थ्| इनसब को अची तरह
की िीवन संजगनी जशवरानी च् वी न् प्मेंच घर क् नाम स् स् च् खन् व परखन् क् बाच प्मेंच न् यह ठान जलया था जक वह
उनकी िीवन कहानी जलखी और उनक् वतकत क् उस जहस् धाजमलक रजढवाजचतानं को खत करन् क् जलए हर एक संभव
को उिागर जकया जिसस् लोग अनजभज थ्| प्मेंच क् ही ब्र् पयास करे ग्आ
अमृत राय न् कलम का जसपाही नाम स् अपन् जपताशी की
िीवन कथा जलखी है | प्मेंच िी की सभी पुसकों क् अंग्िी व साहित मे प्मेंद का अहवसिवीय योगदान
उचू ल रपां तरण तो हए ही है साथ मे रसी, ेीनी िैस् अन्क साजहत क् क्त मे प्मेंच का अजदतीय योगचान सवलजवजचत है |
जवच् शी भारानं मे भी उनकी रेनाएं काफी पजसत् को पाप उनोंन् उपनास और कहाजनयों क् दारा िन सामान को
की है आ साजहत स् िोडन् का स्तु सथाजपत जकया है आ उनकी जलखी
कृजतयाँ ुि क् समय मे भी उतनी ही पासंजगक है आ
सहवरम युग
प्मेंच क् उपनास कला क् सजणलम युग की बात करे तो सन प्मेंच क् जलए इस पकार क् उदार युक वेन अन्कान्क
1931 क् ुरं भ मे गबन का पकाशन हु था उसक् बाच 16 जहं ची क् जवदानों क् दारा अनायास ही सुना िा सकता है आ
अपैल 1931 ईसी को प्मेंच न् अपनी एक और श्र रेना प्मेंच न् एसबीुई की सचसता गहण करत् हए गां व मे 5
कमलभूजम की शुरुत की िो अगस 1932 मे िन सामान क् साल तक जनरीकण जकए और उसक् चौरान िो भी च् खा उने
जलए उपलब हो गई| प्मेंच क् पतों क् अनुसार सन 1932 मे उपनासों और कहाजनयों क् मापम स् समाि क् सामन् पसुत
वह अपना अंजतम महान उपनास गोचान को जलखना पारं भ कर जकया िो ुि क् समय मे भी पासंजगक िान पडता है आ
जचए थ् यदजप हं स और िागरण स् युक अन्क कजठनाइयों क्
मुंशी प्मेंच की कहाजनयां हचयसशा होती है जिने एक बार
कारण इसका पकाशन िून 1936 मे ही संभव हो सका|अपनी
पढ या सुन ल्न् स् मानस परल पर अजमर िाप बन िाता है आ
अंजतम बीमारी क् जचनों मे उनोंन् एक और उपनास मंगलसूत
प्मेंच की कहाजनयों और उपनासों मे ुन् वाल् गावों और
जलखना शुर ही जकया था ल्जकन अकाल मृतु क् कारण यह
जिल् को एक अलग तरह का पहेान जचया जिस् वहां क्
अधूरा ही रह गया| कमलभूजम गबन और गोचान जिस्
जनवासी कभी भुला नहीं सकत्| साजहत मे जकए गए उनक् काय्
उपनासतयी क् नाम स् जवश पजसत् जमली है | कमलभूजम अपन्
क् जलए पूरा साजहत िगत उने कभी जवसृत नहीं कर सकताआ
कां जतकारी े्तना क् कारण जवश पजस् हुआ
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सफल संपाचन जकया और अपन् साजहत सृिन का अजमर िाप 3. प्मेंच 1936. साजहत क् उद् द
िोडत् रहे | 8 अकू बर सन् 1936 ईसी को िलोचर रोग क् 4. प्मेन : िीवन पररेय ( जहनी ) ( एे . री . एम .
कारण उनका च् हां त हो गयाआ यह महान उपनासकार इस एल ) आ अजभगमन जतजथ : 9 नवंबर , 2010
चु जनया स् शारीररक रप स् तो ेला गया ल्जकन वह अपनी 5. मनोि कुमार पर 8:50 pm ल्बल: उपनास
कहाजनयों और उपनासों क् मापम स् अब तक िीजवत है और साजहत , प्मेंच , मनोि कुमार , साजहतकार
ुग् ुन् वाली पीढी अभी भुला नहीं सकेगीआ 6. कृजतयों की रपर् खा अंग्री मे जलखत् थ् प्मेंच
( जहनी ) ( एे . री . एम . एल )आ अजभगमन जतजथ : 9
संदरर – सूेी अकू बर , 2010
1. प्मेंच (2003), प्मेंच की 75 लोकजपय कहाजनयाँ , 7. अपाय 16, पृ . 574 , जहनी साजहत का इजतहास,
जचली, भारत: रािा पकाशन, ुई॰ऍस॰बी॰ऍन॰आ डॉ॰ नग्न, 33 वां संसरण - 2007, मयूर प्परबैक ,
2. जहनी साजहत का इजतहास : प्मेंद शुकआ नौएडा
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