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हरगौरी सिद्धि साधना 1
हरगौरी सिद्धि साधना 1
कहने का ता य है की उसके जीवन मे काल मे उसके पित की मृ ु ना हो .....और उसे िवधवा का जीवन ना
गुजारना पड़े .....तो इसी कड़ी मे सद् गू दे व िन खल ारा द अ ंत दु लभ और िसंपल एक िदवसीय
योग आप सब के सामने रख रहा ँ ......
मूलतः हरगौरी का ता य भगवन िशव और माता पावती से है ....िजस कार माता पावती अखंड सौभा वती
है ....िक उनके पित दे वादीदे व महादे व है ....जो सही अथ मे पूण पु ष है ....आदश पित है ....और सम
सँसार को गित दे ने वाले समथ दे वता है .......
उसे भगवान िशव के आशीवाद प अखंड सौभा वती होने का आशीवाद ा होता है ......िजससे
उनके पित की आयु ल ी और दीघायु होती है .......और साथ साथ कुँवारी गु बहने अगर इस योग को
स करित है तो उ े ज से ज मनोवां िछत उ म वर की ा होती है ......
और इसी कारण सद् गू दे व भी बोल के गये है सभी गु बहनो और मिहलाओ को यह चािहये की हजार
काम छोड़ कर भू इस योग को वह स करे .....
4. िकसी कँु वारी गु बहन या मिहला िजसकी शादी मे अड़चन आ रही है या यो वर नही िमल रहा है तो इस
योग के स करने पे उनका िववाह शी होता है .....और उसे े ओर उ म पित की ा होती है
.....शी िववाह के िलये यह सव े योग है ...
5. यिद कोई िवधवा ी इस योग को स करती है तो उसके पित को सदगित ा होती है ....और वह िशव
लोक को ा होता है ....और इस योग को स करने से िवधवा ी भी मृ ु के उपराँत मु को ा
होती है और िशव लोक को जाती है ....
अतः वा व मे हरगौरी िस साधना हर गु बहन और ी के िलये वरदान प है .....और मेरा तो यही कहना है उ े
यह योग करना ही करना चिहये .....
साधना साम ी
भगवान िशव और माता पावती का साथ वाला फोटो
पारद िशविलंग
िटक माला
घी का दीपक
आसन कोई भी
व कोई भी साफ और शु
दीपक घी का
िदशा -पूव
अब करना यह है की फा ुन कृ प की अमाव ा यानी 23 फरवरी को गु बहने सूय दय से पहले उठे .....याद रहे ये
must है सुबह सूय दय से पहले उठना ही है ....
उसके बाद बाल धो कर ान करे .......और पीठ पर वालो को खुले रहने दे ....
इसके बाद सूय उदय होने पर एक लौटा मे जल भर कर और उसमे कुछ पु डाल दे ....अब उस लौटे से भगवान सूय को सात
बार थोड़ा थोड़ा कर जल चढ़ाये .....
िफर जब आप जल चढ़ा चुके है तो भूिम पे जहाँ जल िगरा हो ......उस जगह की सात बार दि णा करे ....और भगवान सूय से
दि णा करते ए यह ाथना करे की वह उसके पित को तेज ी बनाये ...उसे बल और साहस और श दान करे .......और
कुँवारी बहने जल अपण बस दि णा करे और कुछ माँगे नही .....
उसके बगल मे एक थाली पे कुमकुम से क बना कर उस पर पारद िशविलंग थािपत करे .....
इसके बाद नमः िशवाय बोलते ए भगवान िशव और माता पावती को जल से धो कर .....िफर साफ कपड़े से फोटो को पोंछ
कर …
अब पारद िशविलंग के सामने एक लौटा ले के उसके चारो और रोली धागा बाँ धे....
िफर उसमे जल भरे ....जल भरते व ऐसी कामना करे की सभी निदयाँ इस लौटे मे समािहत हो रही है ......
अब उस ना रयल पे माँ गौरी समझ कर उस पर सात कुमकुम की िबंिदया लगावे ......और उसपे अ त और सात केसर की
िबंिदया लगावे .....अब उस ना रयल का पँचोपाचर पूजन करे ....यानी चंदन अ त पु धूप दीप से ....
इसके बाद गु बहने अपने माथे पे केसर और कुमकुम का ितलक करे .....
यिद िवधवा ी है तो हाथ मे जल ले के सँक करे की मेरे पित की मु हेतु और जीवन उपराँत िशवलोक ा हे तु यह
योग स करने जा रही hu.....
इस कार सँक लेने के बाद भगवान िशव और माता पावती को णाम करे .....
और पूजा उपराँ त िटक माला को ना रयल पे चढ़ा दे .....जो सामने ही लौटे के ऊपर रखा है ....
इसके बाद िकसी भी तरह के 108 पु जो पहले से एक अलग ेट मे रखा हो और जल से धुला हो .....उसे ले .....
अब हर बार एक पु उठाये और उसपे केसर और कुमकुम की िब ी लगाये .....और िन मँ बोलते ए कलश पे चढ़ाये .....
हरगौरी महामँ -
जब यह काय स हो जाये तो पूण आनँद के साथ भगवान िशव को दू ध का बना आ कोई भी िम ान चढ़ाये ......
आरती स होने पे पुनः हाथ जोर के अपने सौभा ा के िलये ीह् सुख के िलये ....पु पौ की ा और अपने पित की
उ ित के िलये भगवान से ाथना करे .....
मह ूण बात :-
सािधका और गु बहने जो भी इस िदन यह योग स कर रही है .....वो पूरे िदन मे िसफ एक बार भोजन करे .....
भोजन सा क हो .....
दू सरे िदन वो ना रयल ... िटक माला इ ािद सब नदी तलाब ....या िकसी िशव मँिदर मे चढ़ा आये .....
पु षो म राज िन खल
िन खल साधक प रवार