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हरगौरी िस साधना

हरगौरी िस साधना (पित की ा थ और ल ी आयु के िलये )


सभी गु बहनो की यह इ छा रहती है की उसका पित थ सुँदर व दीघायु हो ....और शायद हर मिहला
की यह इ छा रहती है की वह अखंड सौभा वती बनी रहे ......

कहने का ता य है की उसके जीवन मे काल मे उसके पित की मृ ु ना हो .....और उसे िवधवा का जीवन ना
गुजारना पड़े .....तो इसी कड़ी मे सद् गू दे व िन खल ारा द अ ंत दु लभ और िसंपल एक िदवसीय
योग आप सब के सामने रख रहा ँ ......

मूलतः हरगौरी का ता य भगवन िशव और माता पावती से है ....िजस कार माता पावती अखंड सौभा वती
है ....िक उनके पित दे वादीदे व महादे व है ....जो सही अथ मे पूण पु ष है ....आदश पित है ....और सम
सँसार को गित दे ने वाले समथ दे वता है .......

तोडल तं मे यह प से िलखा आ है ......साथ ही साथ िशव पुराण मे भी इस साधना के िवषय मे


िव ृत िववेचना है .....इन श ों के अनुसार जो भी गु बहने ....मिहलाएँ ...इस योग को हरगौरी िस
िदवस पे स करती है ......

उसे भगवान िशव के आशीवाद प अखंड सौभा वती होने का आशीवाद ा होता है ......िजससे
उनके पित की आयु ल ी और दीघायु होती है .......और साथ साथ कुँवारी गु बहने अगर इस योग को
स करित है तो उ े ज से ज मनोवां िछत उ म वर की ा होती है ......

और इसिलये िपछले हजारो वष से फा ुन कृ की अमाव ा को हरगौरी िस िदवस मनाया जाता है


......और इस वष यह िदवस यानी फा ुन कृ की अमाव ा 23 फरवरी को पर रहा है ......

वा व मे पूरे वष मे गु बहनो और मिहलाओ के िलये यह अ ंत मह ूण और सौभा दायक पव है .....

और इसी कारण सद् गू दे व भी बोल के गये है सभी गु बहनो और मिहलाओ को यह चािहये की हजार
काम छोड़ कर भू इस योग को वह स करे .....

मूल मे क ँ तो यह वा िवक प मे तँ ो करवा चौथ है .....इसिलये हर गु बहन और िकसी भी मिहला


को यह योग स करना चिहये ही चिहये .....
तोडल तं मे इस योग के करने से होने वाले लाभो की चचा की गयी है :-

1. जो भी गु बहन और मिहला इस योग को स करती है ...उसके पित को भगवान िशव के आशीवाद से


दीघायु आयु की ा होती है ....साथ ही साथ उसके पित की वष भर अकाल मृ नही हो सकती है .....और
उस मिहला का पित पूण रोग रिहत हो के थ जीवन करता है ....

2. हर वष जो भी गु बहने और मिहलाएँ हरगौरी िस िदवस पे हरगौरी योग स करती है ....वो जीवन


पय अखं ड सौभा वती बनी रहती है .......उसे अपने जीवन काल मे पित की मृ ु का सामना नही करना
पड़ता है ....और इस योग के भाव से पित प ी के बीच ीह् जीवन का कलह पर र तनाव और मतभेद
दू र हो जाता है ...

3. िशव पुराण मे यह विणत है की हरगौरी साधना स करने वाली मिहला या गु बहन को उ म पु की


ा होती है ......और कोई ी इस योग को स करे तो कभी बाँझ नही रह सकती है ……साथ साथ
िकसी को बार बार पु ी हो रहा है तो इस साधना के भाव से उसे पु र की ा होती है ....

4. िकसी कँु वारी गु बहन या मिहला िजसकी शादी मे अड़चन आ रही है या यो वर नही िमल रहा है तो इस
योग के स करने पे उनका िववाह शी होता है .....और उसे े ओर उ म पित की ा होती है
.....शी िववाह के िलये यह सव े योग है ...

5. यिद कोई िवधवा ी इस योग को स करती है तो उसके पित को सदगित ा होती है ....और वह िशव
लोक को ा होता है ....और इस योग को स करने से िवधवा ी भी मृ ु के उपराँत मु को ा
होती है और िशव लोक को जाती है ....

अतः वा व मे हरगौरी िस साधना हर गु बहन और ी के िलये वरदान प है .....और मेरा तो यही कहना है उ े
यह योग करना ही करना चिहये .....

साधना साम ी
भगवान िशव और माता पावती का साथ वाला फोटो

पारद िशविलंग

िटक माला

घी का दीपक

िकसी भी कार के 108 फूल

ना रयल जो की जटा यु हो और िजसकी िगरी िनकली ना हो ...


साधना िवधान
एक िदवसीय योग है जो की 23 फरवरी को करना है सुबह मे ....

आसन कोई भी

व कोई भी साफ और शु

दीपक घी का

िदशा -पूव

अब करना यह है की फा ुन कृ प की अमाव ा यानी 23 फरवरी को गु बहने सूय दय से पहले उठे .....याद रहे ये
must है सुबह सूय दय से पहले उठना ही है ....

उसके बाद बाल धो कर ान करे .......और पीठ पर वालो को खुले रहने दे ....

इसके बाद सूय उदय होने पर एक लौटा मे जल भर कर और उसमे कुछ पु डाल दे ....अब उस लौटे से भगवान सूय को सात
बार थोड़ा थोड़ा कर जल चढ़ाये .....

िफर जब आप जल चढ़ा चुके है तो भूिम पे जहाँ जल िगरा हो ......उस जगह की सात बार दि णा करे ....और भगवान सूय से
दि णा करते ए यह ाथना करे की वह उसके पित को तेज ी बनाये ...उसे बल और साहस और श दान करे .......और
कुँवारी बहने जल अपण बस दि णा करे और कुछ माँगे नही .....

दि णा करने के उपराँ त पूजा म मे आप आये ......

सव थम गणपित पूजन कर ....उनसे आशीवाद ले ....

िफर िन जैसे गु पूजन करते है वैसे ही गु पूजन कर....

कम से कम 4 माला गु मँ जाप करे .....

उसके बाद सद् गू दे व िन खल से साधना मे सफलता ा हेतु आशीवाद ले ....

अब हरगौरी साधना शु करे .....


सामने भगवान िशव और माता पावती का साथ वाला े म चढ़ा फोटो रखे .....

उसके बगल मे एक थाली पे कुमकुम से क बना कर उस पर पारद िशविलंग थािपत करे .....

इसके बाद नमः िशवाय बोलते ए भगवान िशव और माता पावती को जल से धो कर .....िफर साफ कपड़े से फोटो को पोंछ
कर …

केसर का ितलक करे ......

साथ साथ िशविलंग पे भी जल अिपत करे ......

िफर पंचाअमृत से ान कराये ........नमः िशवाय बोलते ए....


पुनः शु जल से ान कर ...पारद िशविलंग को साफ कपड़े से पोछे .....और पारद िशविलंग पे केसर से ितलक करे ....अब
फोटो और पारद िशविलंग का पँचोपचार पूजन करे ......कहने का मतलब धूप दीप पु अ त चंदन िदखावे .....

अब पारद िशविलंग के सामने एक लौटा ले के उसके चारो और रोली धागा बाँ धे....

िफर उसमे जल भरे ....जल भरते व ऐसी कामना करे की सभी निदयाँ इस लौटे मे समािहत हो रही है ......

अब उस पर जटा वाला ना रयल थािपत करे ......

अब उस ना रयल पे माँ गौरी समझ कर उस पर सात कुमकुम की िबंिदया लगावे ......और उसपे अ त और सात केसर की
िबंिदया लगावे .....अब उस ना रयल का पँचोपाचर पूजन करे ....यानी चंदन अ त पु धूप दीप से ....

इसके बाद गु बहने अपने माथे पे केसर और कुमकुम का ितलक करे .....

और दािहने हाथ मे जल ले के यह सँक करे की ....


मे अमुक ...अमुक गो उ ....अपने पित की उ ित ..उ म ा थय की कामना हेतु ...उनके दीघायु होने के िलये आज
फा ुन मास के कृ प के अमाव ा को यह योग करने जा रही है .....

यिद कुँवारी गु बहन है तो हाथ मे जल ले के यह सँक ले की ज ी से ज ी योग और उ म वर ा हे तु और सुख


दायक ीह् जीवन के िलये यह योग स कर रही ँ .....

यिद िवधवा ी है तो हाथ मे जल ले के सँक करे की मेरे पित की मु हेतु और जीवन उपराँत िशवलोक ा हे तु यह
योग स करने जा रही hu.....

इस कार सँक लेने के बाद भगवान िशव और माता पावती को णाम करे .....

अब जो िटक माला है आपका उसका भी पँचो चार पूजन करे .....

और पूजा उपराँ त िटक माला को ना रयल पे चढ़ा दे .....जो सामने ही लौटे के ऊपर रखा है ....

इसके बाद िकसी भी तरह के 108 पु जो पहले से एक अलग ेट मे रखा हो और जल से धुला हो .....उसे ले .....

अब हर बार एक पु उठाये और उसपे केसर और कुमकुम की िब ी लगाये .....और िन मँ बोलते ए कलश पे चढ़ाये .....

हरगौरी महामँ -

ॐ सौभा गौरी महादे वायै नमः


इस तरह 108 बार पु ले के उसपे कुमकुम और केसर का ितलक लगा के हरगौरी मं बोलते ए 108 फूल कलश पे चढ़ाये ......

जब यह काय स हो जाये तो पूण आनँद के साथ भगवान िशव को दू ध का बना आ कोई भी िम ान चढ़ाये ......

और िफर भगवान िशव की आरती स करे ....

आरती स होने पे पुनः हाथ जोर के अपने सौभा ा के िलये ीह् सुख के िलये ....पु पौ की ा और अपने पित की
उ ित के िलये भगवान से ाथना करे .....

उसके बाद मा माँ ग कर आसन ाग दे .....

मह ूण बात :-
सािधका और गु बहने जो भी इस िदन यह योग स कर रही है .....वो पूरे िदन मे िसफ एक बार भोजन करे .....

भोजन सा क हो .....

बेहतर होगा अगर आप उपवास रखो पूरे िदन ....

सं ा समय पुनः भगवान िशव की आरती करे ....

दू सरे िदन वो ना रयल ... िटक माला इ ािद सब नदी तलाब ....या िकसी िशव मँिदर मे चढ़ा आये .....

इस कार आपका यह योग स होता है ......

आशा है आप सब इस योग से लाभ लगे .....और ज र से ज र इस योग को आप स करोगे ......

पु षो म राज िन खल

िन खल साधक प रवार

जय सद् गू दे व जय माँ भगवती ।

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