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बगलामु खी साधना के मह पू ण त

बगलामुखी जयंती (01/05/2020) पे कुछ िवशेष:-


सबसे पहले म बता दु बगलामुखी बोल चाल की हमारी भाषा मे बोलते है .....

असल मे सु नाम व ामुखी होता है ....िजसमे व ा का अथ होता है लगाम अथात..... लगाम लगाना.......

इसिलए इ न की दे वी कहा जाता है ....

इनका एक नाम... पीता रा भी है ... ोिक दे वी की साधना म हर व ु पीली इ माल की जाती है .....

दस महािव ाओं म इनका कम या थान आठवा है ....इसे तं ो म िस िव ा कहा गया है ....

ोिक इसके साधना के भाव तुरंत फिलत होते है .....

मूलतः इन दे वी की साधना की जाती है िन काय के िलए :-


1. श ुओ पे हावी होने के िलए ...अथात श ु को िन ेच करने के िलए ....
2. श ु के मदन करने के िलए....श ुओ के स ूण नाश के िलए ....
आप मं के स ो से भी इसे समझ सकते है ... जो 36 अ रों का मूल मं है उसम एक स है
सवदु ानांम अथात सभी कार के दु ो से जो हमसे दु ता करे ......

यहाँ श ुओं से तातपय और अ श ु से है ...

श ु- हमारे आस पास के ....जो हमे हािन प चाने चाहते है ...

अ श ु-बीमारी ...द र ता... मािनसक ेश....

3. िकसी भी कार के मुकदमे म सफलता ा हेतु....


4. भूत ेत आिद इतर योिन जो अिन कारी है उनसे र ा के िलए .....
5. िकसी भी कार की तं बाधा को ख करने के िलए.......
साथ साथ खुद पे िकये ए िकसी भी कार की तं योग को काटने या ख करने के िलए....

कहते है जो सवा लाख मं जाप कर माँ व ा का यं अपने घर मे .... या अपने भुजाओ पे बांधता है ...वैसे
साधक या वैसे थान पे िकसी भी कार का अिहत श ु ारा नही हो सकता है .....ना वैसे साधक पे जहर असर
करता है ..... ना वैसे साधक की अकाल मृ ु हो सकती है .......

अब बात आती है इसके साधना म ान रखने वाली कुछ मह पूण बात


1. इनका मूल मं है :-

ऊँ हलीम बगलामुखी सवदु ानां वाचं मुखं पदम् ंभय: िज वां कीलय: बु म िवनाशय: हलीम फट

यह 36 अ रों से बना है ..ओर माँ वगला का सबसे िद ओर चेत मं है ....

इस पूरे मं म जो सबसे मह पूण अ र है वो है हलीम (HLEEM) .......

मं जाप के समय इस िसफ एक स का ान से सु ओर उ ारण करना है सबका इस बात का ान


रखे.........

लामा प ित से जो माँ वगलामुखी की साधना होती है ....उसमे मूल मं से पहले हलीम बीज की एक माला जाप
ओर मूल मं जाप के बाद भी हलीम बीज का एक माला जाप करना होता है ....

तो आप समझ सकते है यह हलीम िबज माँ व ा की साधना म िकतना मह पूण भाव रखता है.....

2. ऊपर जो माँ व ा का मूल मं है उसम जो एक स है सवदु ानांम.....जब आप मं िस कर रहे होते


है तो सवदु ानां म स का ही मं म योग करे .....

पर मं िस होने के बाद कोई िवशेष स ु आपको परे शान कर रहा है.....ब त ही ादा...दै िनक जीवन
म ....तो सवदु ानांम म सव की जगह उस श ु का नाम बोले मं म ........

अथात जैसे श ु का नाम रिव है तो आप मं के सवदु ानांम की जगह रिव-दु ानाम बोिलयेगा.....ऐसा
बोल के एक माला करने से श ु तुरंत िन ेच हो जाता है ....इस बात का सभी ान रखे....

3. माँ वगला की साधना म पूण प से बर ाचाय का योग करना चािहए..........


यहां तक िकसी कार की अ ील िवचार भी ना लाना चािहए....ना अ ील पढ़ना या दे खना चािहए …हो
सके तो मिहला से िजतना कम संपक म रहे साधना काल मे ............
इस बात का साधक पूण संक त हो के साधना काल मे पालन करे ...

4. माँ वगला की साधना म माला का िवशेष िवधान है ....ओर इस साधना म आप िसफ दो ही तरह की माला
का योग कर सकते है ………..
एक पीली हकीक माला........ओर दू सरा ह ी माला..........

जो पूण प से पीली ह ी से बनी हो........ िजसे ह र ा माला भी कहते ....

ओर यही पीली ह ी की माला सबसे अिधक भावी और सही रहता है .....

अगर पीली ह ी की माला ना िमले तो ही पीली हकीक की माला योग करे ....इसका ान रखे सब....
5. माँ व ा की साधना म यं का भी िवशेष मह है ....िबना यं की इनकी साधना सफल नही होती है .....
सो साधक ान रखे माँ व ा का यं ता प पे अंिकत हो तो बिढ़या........
ओर अगर घर मे बनाना हो तो िसफ चने की दाल से माँ वलगामुखी यं का िनमाण करे ......

6. माँ व ा का एक नाम पीता रा भी है .......तो इनके साधना म कोिसस करनी चािहए हर व ु पीली
इ ेमाल करने की..............
जैसे आसन- िपला………
साधक के व िपले ...अथात पीली धोती ओर गु चादr……
ओर मिहलाये पीली सारी या ऐसा ही कोई िपला व .....

7. दीपक घी का योग करना चािहए माँ वलगामु खी साधना म ............


यहाँ तक की तं म विणत है िक घी जो िदए म इ ेमाल होगा वो भी िपले रं ग का गाय का होना
चािहए.....जो मेरी समझ से संभव ना है ...........

सो िदये जब जालये तो उसम ह ी का एक टु कड़ा रख दे .............


इसके अलावा िदए िक जो बाती होगी ....वो भी िपले कलर की होगी.....अथात िपले रं ग से रं गी बाती ही
िदए म योग करे ....इसका भी िवशेष प से ान रखे ......

कहते तो यहां तक है िक जो माँ व ा के िनयिमत साधक है वो अपना साधना क भी िपले रं ग से रं गवा ले

8. भोजन:- माँ वलगामुखी साधना म कोिसस करे जब तक साधना चले एक ही समय भोजन करने ka
ओर भोजन म कम से कम बेसन से बनी ई कोई व ु ज र स त करे ......

9. माँ व ा साधना म पु िपले ही इ ेमाल करना चािहए.................


इसके अलावा अ त भी ह ी पावडर से रं गे ए अथात िपले कलर के .........

10. बगलामुखी यं पे कुमकुम ओर चंदन नही लगाना है ...............


ब इसके जगह आप केसर या ह ी का घोल या िसफ ह ी का घोल…………
या ह ी,कपूर और गोलोचन तीनों को िमला के ि ग बना ले और उसका इ ेमाल करे .........

11. साधना काल मे सुबह म सोना नही चािहए................


बाल या दाढ़ी या नाखून ना कटवाये... जब तक साधना चले....

12. मूलतः माँ वलगामुखी की साधना िकसी भी समय कर सकते है .....अथात सूबह या राि म .....,
पर राि 10 के बाद ही इस साधना को करना चािहए ऐसा ादातर िव ानों का मत है ............

यहां तक लामा प ित म तो िदन म मना ही कर िदया है करने को साधना..........माँ व ा की ...िसफ रात म ...यानी
राि कालीन........

13. माँ व ा की साधना घर के पूजा म..... िकसी िशव मंिदर या बाहर आर क पीठ पे भी कर सकते है
घर के पूजा म म साधना करे तो साधना के दौरान साधक के अलावा और कोई पूजा म म ना रहे ना
आवे जाए.................
14. बगलामुखी साधना म संजीवनी मु ा का ब त मह है ......... था इसका योग ज र करना चािहए….

15. माँ बगलामुखी साधना का अनु ान एक लाख जाप से िस होता है ....... आप 21 िदन म या 11 िदन म
एक लाख जाप कर सकते है अपने सिवधानुसार मं ो के सं ा िदनों म िनधा रत कर………….

16. इस साधना से हम अपने ोध पे भी काबु पा सकते है....वैसे िजनको ोध ब त आता है ......इस


साधना के एक िवशेष िवधान को कर साधक अपने ोध पे िवजय पा सकता है ..........याहा म बता दु ोध
भी हमारा एक तरह से स ु ही आ....

17. अगर बार बार साधना करने पे सफलता नही िमल रहा है ...................तो माँ वगलामुखी साधना से पूव
वीर साधना .... कुलाचार पूजन.... इ ािद अनु ठान स करने चािहए साधक को.......

18. माँ बगलामुखी माला मं का सभी साधक िन गु पूजन के बाद कम से कम एक पाठ भी ज र


कीिजये......
खास कर वैसे साधक िज श ु बाधा अिधक है और जो िनयिमत प से माँ वगलामुखी की साधना करते
रहते है ……………..

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मेरा मंत :-
माँ वगलामुखी की साधना सभी साधक को एक बार जीवन मे ज र करनी चािहए.....

अगर आप स ु या जो ऊपर म बताया है उन कारणों के िलए साधना कर रहे है माँ वगला के मूल मं से जो 36
अ र का है तो सही है ....

पर िक ी को पूण सफलता चािहए और पूण िस चिजये.... यानी माँ वगला का ीकरण तो ऐसे साधक के
िलए जो माँ वगला का 36 अ रों का मूल मं है वो काफी नही रहे गा .....

तब उ माँ वगला...माँ धूमावती ओर माँ िछ का के बीज मं ो का सम य प से स ुटन कर के जाप


करना होगा .....

ऐसा कई बार सद् गु दे व भी अपने वचनो म इशारा कर चुके है .......आशा है आप सभी को ऊपर िदए जानकारी
से लाभ अव आ होगा.......

पु षो म राज िन खल

िन खल साधक प रवार

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