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25. तजज (िो हस
ं ो का जोडा जिछुड गयो रे–गंगा जमुना) ............................... 29
26. बोल-बोल आदेश्वर वाला परा दे ....................................................... 30
27. प्रभु पाश्वथनार्, प्रभु भेरवनार् क्षमापना मंत्र ............................................. 32
28. मेरा धाम (मोक्ष) .......................................................................... 33
29. श्री पारस इजक्तसा .......................................................................... 34
30. मनवा ! मधुर गीत तु गाले .............................................................. 37
31. मेरी नैया पडी मझधार में ................................................................ 38
32. जिया तुम अपने को पजहचानो .......................................................... 39
33. यहा झुिा है िंिा ......................................................................... 40
34. जनश्चय और व्यवहार ....................................................................... 41
35. मै क्या करु, -संगम....................................................................... 42
36. धमथ का हुवा हाल बेहाल ................................................................ 43
37. यह जग माया का िाजार ................................................................ 44
38. कर लेना तु त्याग भलाई भी ............................................................ 45
39. तुझे हम ढंढ रहे है कहां है देहरे वाले ................................................. 47
40. एक दर पे जभिारी है ..................................................................... 48
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53. िब से गुरु दशथ जमला मनवा मेरा जिला जिला .................................... 64
54. बिे कुण्डलपर में बधाई .................................................................. 65
55. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है ............................................ 66
56. सि धि कर जिस जदन मौत की शहिादी आएगी ................................. 67
57. िब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है ............................................... 68
58. भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना .................................................. 69
59. तेरे चरणो मे आये भगवान आशा लेके आये है ..................................... 70
60. अररहतं िय िय जसद्ध प्रभु िय िय .................................................. 71
61. िय जिनेन्त्र बोजलए ........................................................................ 72
62. देि तेरे सस
ं ार की हालत क्या हो गई महावीर ...................................... 73
63. ध्यान – ध्यान धरना है धरले ............................................................ 74
64. कभी वीर बन के , महावीर बन के ...................................................... 75
65. पारस प्यारा है.............................................................................. 76
66. भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना .................................................... 77
67. नाम है तेरा तारण हारा ................................................................... 78
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महामं त्र - निकार प्रार्थ ना
नवकार मंत्र है महामंत्र,इस मंत्र की महहमा भारी है।
आगम में कही, गरुु वर से सनु ी, अनभु व में हिसे उतारी है ॥टेर॥
अररहतं ाणं पद पहला है, अरर आरहत दरू भगाता है ।
हसद्धाणं सहु मरन करने से,मन इहछित हसहद्ध पाता है।
आयररयाणं तो अष्ट हसहद्ध और नव हनहि के भडं ारी हैं॥नव.॥1॥
उवज्झायाणं अज्ञान हतहमरहर, ज्ञान प्रकाश फै लाता है ।
सव्वसाहूणं सब सख ु दाता, तन मन को स्वस्थ बनाता है।
पद पााँच के समु ररन करने से, हमट िाती सकल बीमारी है ॥नव.॥2॥
श्रीपाल सदु शशन मेणरया, हिसने भी िपा आनंद पाया ।
िीवन के सनू े पतझड़ में, हफर फूल हखले सौरभ िाया ।
मन नंदन वन में रमण करे , यह ऐसा मंगलकारी है॥नव.॥3॥
हनत नई बिाई सनु े कान, लक्ष्मी वरमाला पहनाती।
‘ अशोक महु न’ ियहविय हमले, शांहत प्रसन्नता बढ़ िाती ।
सम्मान हमले, सत्कार हमले, भव-िल से नैया तारी है ॥नव.॥4॥
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वजनिाणी स्तुवत
हमथ्यातम नाश वे को, ज्ञान के प्रकाश वे को,
आपा पर भास वे को, भानु सीबखानी है॥
िहों द्रव्य िान वे को, बन्ि हवहि मान वे को,
स्व-पर हपिान वे को, परम प्रमानी है॥
अनभु व बताए वे को, िीव के िताए वे को,
काहूं न सताय वे को, भव्य उर आनी है॥
िहां तहां तार वे को, पार के उतार वे को,
सखु हवस्तार वे को यही हिनवाणी है॥
हिनवाणी के ज्ञान से सझू ेलोकालोक,
सो वाणी मस्तक िरों, सदा देत हूं िोक॥
है हिनवाणी भारती, तोहह िपंू हदन चैन,
िो तेरी शरण गहैं, सो पावे सखु चैन॥
6
मं त्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
यह हो वो िहाि हिसने लाखों को तार
णमो अररहतं ाणं
णमो हसद्धाणं
णमो आयररयाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
अररहतं ों को नमन हमारा, अशभु िमश अरर हनन करें
हसद्धों के सहु मरन से आत्मा हसद्ध क्षेत्र को गमन करे
भव भव में ना हो िनम दोबारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...
7
नमोकार मन्द्त्र है न्द्यारा
नमोकार मन्त्र है न्यारा,
इसने लाखो को तारा
इस महा मात्र का िाप करो,
भव िल से हमले हकनारा
8
निकार मं त्र ही महामं त्र
नवकार मंत्र ही महामंत्र, हनि पद का ज्ञान कराता है।
हनि िपो शद्ध
ु मन बच तन से, मनवांहित फल का दाता है॥1॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…
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अररहंत जय जय वसद्ध प्रभु जय जय
अररहतं िय िय हसद्ध प्रभु िय िय ।
सािू िीवन िय िय िैन िमश िय िय ॥
11
तुम से लागी लगन ले लो अपनी शरण
तमु से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो िी संकट हमारा ।
हनशहदन तमु को िपाँ,ू पर से नेह तिाँ,ू िीवन सारा,
तेरे चाणों में बीत हमारा ॥टेक॥
लाखों बार तम्ु हें शीश नवाऊाँ, िग के नाथ तम्ु हें कै से पाऊाँ ।
‘पंकि’ व्याकुल भया दशशन हबन ये हिया लागे खारा ॥मेटो॥
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रूम झूम करता पिारो मारा भै रो िी
रूम झमू करता पिारो मारा भैरो िी
थोरा बालडु ा िोवे है थोरी बाट,
पिारो मारा भैरो िी
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दादा ते रा क्या फ़र्थ नहीं भक्तो के घर आने का
नाकोड़ा वाले सनु लेना एक सवाल दीवाने का,
अगर समझ में आ िाए, तो भिो को समझा देना ।
हमने अपना हनयम हनभाया, नाकोड़ा पैदल आने का,
दादा तेरा क्या फ़र्श नहीं भिो के घर आने का ॥
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पारस रे ते री कविन डगररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया
हकस हवहि मैं तोहे पाऊाँ रे सााँवररया
कहठन तेरा हिन रूप में आना कहठन तेरे शभु दशशन पाना
कहठन हटाना श्री मखु से निररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया
सयम हनयम कहठन व्रत तेरे, तेरी तरह सनु भगवन मेरे
ओढ़ना कहठन ब्रह्मचयश की चदररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया
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मधुब न के मं वदरो में भगिान बस रहा है
मिबु न के मंहदरो में भगवान बस रहा है ।
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
16
चाहे वकतना ही जोर लगा ले ना
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा
चाहे हकतना ही उसको मना लेना, हफर भी न सनु ेगा कुि भी तेरा
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा
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जीिन है पानी की बूँू द
िीवन है पानी की बाँदू कब हमट िाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट िाए रे
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बाबा कु ण्डलपुर िाले की भवक्त करो झूम झू म के
बाबा कुण्डलपरु वाले की भहि करो झमू झमू के
झमू झमू के , घमू घमू के ,
घमू घमू के , झमू झमू के
हवद्यासागर िोटे बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...
कुण्डलपरु की सन्ु दर पहहड़या
पहहड़या पे है सन्ु दर अटररया
झमू झमू के , घमू घमू के ,
िहा हवरािे बड़े बाबा, भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...
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जब से गु रु दशथ वमला मनिा मे रा विला विला
पिू ो मेरे हदल से यह पैगाम हलखता हू,ाँ गिु री बाते तमाम हलखता हूाँ
दीवानी हो िाती वो कलम, हे गरुु वार हिस कलम से तेरा नाम हलखता हूाँ
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बजे कु ण्डलपर में बधाई
बिे कुण्डलपर में बिाई,
के नगरी में वीर िन्मे, महावीर िी
िागे भाग हैं हत्रशला मााँ के ,
के हत्रभवन के नाथ िन्मे, महावीर िी
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मे रा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है (जै न भजन)
मेरा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
करते हो तमु गरुु वार, मेरा नाम हो रहा है
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आज की इस दुनीयाूँ मे वकतना फै ला है भ्रष्टाचार
आि की इस दनु ीयााँ मे हकतना फै ला है भ्रष्टाचार
ये के सा कलयगु आया है
मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये के सा कलयगु आया है
आि की इस दहु नया मे ---------------------------
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सि िि कर हिस हदन मौत की शहिादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं,
सामान सो बरस का है, पल की खबर नहीं।
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तजथ (बहारो फु ल बरसािो-सुर ज)
तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है ।
सिु र िाये प्रभु िीवन ,ये इछिा लेके आये है ॥
न आवे भाव हहसं ा का वचन हहतकर सदा बोले ।
शील सतं ोि मय िीवन की वाि ं ा लेके आये है ॥तेरे चरणो मे॥1
सभी से प्रेम हो ,हमको नही व्देि द्रुष्टो से ।
भाव दऽु हखयो पे हम अपना दया को लेके आये है ॥तेरे चरणो मे ॥2
काम और क्रोि की अहग्न हमारी शांत हो भगवन ।
लोभ ,मद मोह मदशन की सहु चता लेके आये है ॥तेरे चरणो मे ॥3
रहे हनत भाव समताका ,न ममता हो हमे तन से ।
सफल हशवराम हो ,कामना लेके आये है ॥तेरे चरणो मे॥4
25
आत्म नगरमे ज्ञान की गं गा
हिससे अम्रतु बरसा ।
सम्यकद्रुष्टी भर भर पीवे,हमथ्याद्रुष्टी प्यासा ॥
सम्यकद्रुष्टी समता िल मे, हनत ही गोते खाता है ।
हमथ्याद्रुष्टी राग व्देिकी ,आग मे झल ु सा िाता है।
समता िल का सी ाँचन करके हे सख ु शाहं त पा िाता ॥आत्म नगर मे॥1
पण्ु य भावको िमश मान करके ,ससं ार बढाता ।
राग बंिकी गत्ु थीको वह,कभी न कभी न सल ु झा पाता ।
िो शभु फलमे तन्मय होता,वह भी हनगोद मे िाता॥आत्म नगर मे॥2
पर मे अहक ं ार तु करता ,परका स्वामी बनता ।
इसहलये संसार बढाकर,भवसागरमे रुलता।
एक बार हनि आत्मरसका पान करो हे ज्ञाता ॥आत्म नगर मे॥3
मनष्ु य भव दल ु शभ है, पाकर आत्म ज्योत िगाले ।
ज्ञान उिाले मे आ करके ,अपनी हनिी उठाले ।
तु है शध्ु द हनरंिन चेतन हशवपरु का वासी है॥आत्म नगर मे ॥
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तजथ (मुझ को अपने गले - हमराही)
आये यहा तो कुि कर िाओ,सनु लो मेरे भाई।
खदु को हकसी से कम नही समझो,नरतन का यह सार है ॥आये यहा॥
खदु ही खदु ा तु खदु ही हिन है खदु ही क्रुष्ण राम है।
बनिाये तेरी आत्मा ,परमात्माका िाम है ।
नही असंभव कायश यहा पर,यह तो सल ु भ संसार है॥आये यहा तो॥
दीनों से तु प्यार है करले,दीनानाथ ही बनिाये।
ऊंच नीच का भेद िोडदे,समदशी तु कहलाये।
कौन िनी यहा कौन गरीब है,तिदे कुहवचार है॥आये यहा तो॥
आया अके ला है िग मे और अके ला िायेगा ।
काहे हकसी से व्देि करे तु यहा से कुि पायेगा नही ।
गर चाहे तेरा नाम रहे यहा,िरले सदाचार है॥आया यहा तो कुि कर िाओ॥
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तजथ (नगरी नगरी व्र्ारे व्दारे )
िोटी मोटी बहहनों पहरो शीलकी चनु ररया ।
प्यारी प्यारी चनु ररयासे ररझेगे सावररया ॥
शीश फुल हटका हो हकलपे बडोके आदर मानका ।
शास्त्र श्रमण साहहत्य गीतका ,ऐरराँ ग होवे कान का।
समता रखना द;ु खमे न बरसाना रे बदररया ॥िोटी मोटी॥1
पहतव्रत पन की हबंहदया सोहे,लज्िा कािल आाँखमे।
घर समाि की रीती हनतीका,सदु र लागे हो नाक मे ।
पानकी लाली हमठी बोली,बोलो बन कोयहलया॥िोटी मोटी॥2
चतरु ाईिी चेली पोलका,नेकलेस होवे ज्ञानका ।
अछिे स्वास्थ का भिु बदं पहहनो,घडी चहु डयााँ दानकी।
बरु ी निरसे कभी न देखो ,हनचे रखो निररया॥िोटी मोटी॥4
सत्य व्रत का लहं गा पहहनो
ओढनी शभु कमशकी।
भिरंगका माहुर मेहदी,हबिीया अहहसं ा िमश की ।
अछिी चाल की पग मे पहनो ,झनक झनक पायहलया ॥िोटी मोटी॥4
यह चनु री सभु द्रा ओढी रािमती हसता सतीने।
ओढी चदं ना,ओढी अिं ना,कलावती,मैनावतीने।
के वल महु न यश चम चम चमके ,ओढी रे सदंु रीया॥
िोटी मोटी बहहनों पहरी शीलकी चनु ररया,प्यारी प्यारी चनु ररयोसे॥5
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तिश (दो हंसो का िोडा हबिु ड गयो रे – गं गा िमु ना)
काया से चेतन हनकल गयो रे ,पडी रही काया
भसम भई रे ॥
या काया को खबु हखलाई,तरह तरह का भोिन हखलाया ।
आहखर तो मल ही उगल रही रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥1
या काया को खबु सिाई ,वस्त्र आभिु ण से मढाई ।
आहखर तो हमट्टी मे हमल गई रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥2
टेबल कुची पलगं हबिाई,नरम गद्दी चादर ओढाई ।
आहखर अथी पर िर दई रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥3
या काया को संग संग साथी ,चेतन का कोई नही साथी ।
हसं अके लो उड गयो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से ॥4
या काया को सब िग रोता,चेतन की सहु ि नही लेता ।
कौन गती मे भटक रहो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से ॥5
िब तक श्वासा तब तक आशा , हनकली श्वासा हो वनवासा ।
श्वास श्वास मे भिन करो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से चेतन हनकल गयो रे ,पडी रही काया भसम भई रे ॥6
29
बोल-बोल आदेश्व र िाला पूरा दे
बोल-बोल आदेश्वर वाला कांई थोरी मरिी रे ।
म्हा स्यंू मंडु े बोल २ बोल बोल म्हारा ऋिभ
के सरीया काईं थारी मरिी रे दौ स्य… ंू
माता मोरा देवी वाट िोवंता इतने बिाई आई रे
आि ऋिभ िी उतरया बाग में सणु हरसाई रे
म्हा स्यं… ू ।। १।।
नहाय िोयने गि असवारी करी मोरा देवी
माता रे िाय बाग में नन्दण हनरखी पाई
साता रे म्हा स्य मंडू े बोल, बोल २ … ।। २।।
राि िोडने हनकल्यो रे ररखबो आ लीला
अद्भूती रे चमेर, ित्र और हसहं ासन
मोहनी मतू ी रे म्हा स्यंू मंडु े बोल, २ ।। ३।।
हदन भर बैठी वाट िोवंता कद मारों ररखबो आसी रे
कहती भरतने आदीनाथिी री खवरयां लयावो रे मास्यंू
कीसे देश में गंयो रे बालेसर तिु हबना वहनता सहू न रे
बात कहो हदल खोले लालिी क्यंू वणीया मनु ी रे
म्हा स्यंू मंडु े बोल ।। ४।।
रया मिे में हुई सख ु साता खबू हकया हदल चाया रे
अब तो बोल आदेश्वर म्हा स्यंू कलपे काया रे
म्हा स्यंू मंडु े… ।। ५।।
खेर हुई सो हो गई बाला बात भली नहह कीरे
गयां हपिे कागद नहीं हदन्यों म्हारी खबरया ना हलनी रे
मां स्यंू मंडु े ।। ६।।
ओलमा मैं देऊं कठे लग पािो क्यंू नहीं बोले रे
दुःु ख िननी को देख आदेश्वर हहवडो डोल रे
म्हा स्यंू मंडु े ।। ७।।
अहनत्य भावना भाई ये माता हनि आतम ने त्यारी रे
के वली पापी मोक्ष हसिाया ज्याने वन्दना हमारी रे
म्हा स्यंू मंडु े ।। ८।।
30
महु ि का दरवािा खोल्या मोरा देवी माता रे
काल असख्ं या रह्या उघाडया िम्बू िड गया ताला रे
म्हा स्यंू मंडु े।। ९।।
साल बहोत्तर तीथश ओसोया, घेवर प्रभु गणु गाया रे
मनोहर महू तश प्रथम िीणदे िी की अणमू पाया रै –
महा स्यंू मंडु े बोल, बोल २
आदेश्वर वाला कोई थारी मरिी रे , म्हा स्यं,ू मंडु े बोल ।। १०।।
31
प्रभु पाश्वथ नार्, प्रभु भेर िनार् क्षमापना मं त्र
है प्रभु पाश्वशनाथ, है प्रभु भेरवनाथ, मेरे से रात हदन हर्ारो अपराि होते रहते है.
मैं आपका दास हुं यह समझकर कृ पा पवू शक क्षमा करो |
मैं आपका आवाहन करना नहीं िानता हवसिशन करना नहीं िानता तथा पिू ा
करने का ढंग नहीं िानता, है प्रभु मझु े क्षमा करो
मंत्रहहन् हक्रयाहीन तथा भहिहहन् िो पिू न हकया है. वह आपकी कृ पा से पणू श हो |
है प्रभु मैं अज्ञानी हु, अपरािी हु, मैं आपकी शरण मैं अगया हु,
इसहलए दया का पात्र आगे िो आपको उहचत लगे वैसा करे
भल ू से, अज्ञान से, बहु िभांत होने का कारन कुि न्यनू ता या अहिकता हो गयी
हो तो क्षमा करो और िल्दी प्रसन्न हो
आपतो गोपनीय से गोपनीय वास्तु की रक्षा करने वाले हो,
मेरे हनवेदन हकये गए इस पाठ को स्वीकार करो,
आपकी कृ पा से मेरी मनोकामना पणू श हो |
(सीिी प्राप्त हो )
ॐ ह्रीं श्रीं भैरविेव पूजजताय, श्री नाकोडा पार्श्जनाथाये नमः
32
मे रा धाम (मोक्ष)
शध्ु दातम है मेरा नाम,
मात्र िानना मेरा काम ।
महु िपरु ी है मेरा िाम
हमलता िहााँ पणु श हवश्राम॥
िहााँ भख ु का नाम नही है,
िहााँ प्यास का काम नही है।
खााँसी और िख ु ाम नही है॥
आहि व्याहि का नाम नही है॥
सत हशव संदु र मेरा िाम,
शध्ु दातम है मेरा नाम।
मात्र िानना मेरा काम॥1
स्वपर-भेद हवज्ञान करे गे ,
हनि आतम का ध्यान िरे गे।
राग-व्देि का त्याग करे गे,
हचदानदं रस पान करे गे॥
सब सख ु दाता मेरा िाम,
शध्ु दातम है मेरा नाम ।
मात्र िानना मेरा काम ॥2
िय हिनेन्द्र
33
श्री पारस इवक्तसा
पारस प्रभु के चरणों मैं, हनशहदन करू प्रणाम |
मन वंहचत परु ो प्रभ,ु श्याम वणश सख
ु िाम || १ ||
चरण-शरण मैं भि तम्ु हारा, शरणागत हु मैं दहु खयारा |
भव- सागर से हमें उबारो, अपने यश की बात हवचारो || २ ||
तमु िन िन के बने सहारे , हम तो सारे िग से हारे |
हारा तमु को हार चढ़ावे, तो िग मैं कै से यश पावे || 3 ||
िीवन के हर बिं न खोलो, मत मेरे पापो को तोलो |
पिू ा की कुि रीत न िाने, आये मन की पीर सनु ाने || ४ ||
तमु ने अनगहनत पापी तारे , मैं भी आया द्वार तम्ु हारे |
मझु को के वल आस तम्ु हारी, अपना लो है भाव- भयहारी || ५ ||
सकल िरा को स्वगश बनाया, व्यंतर को संहकत दरसाया |
लेकर नर-अवतार िरा पर, पाप हमटाया ज्ञान िगाकर || ६ ||
पोि वादी दशमी हतहथ पाकर, नभ से उतरी हकरण िरा पर |
िमशपरु ी काशी मैं िन्मे, शंकर रमे, िहा कण कण मैं || ७ ||
बडभागी वह वामा माता, हिसने िन्मा तमु सा िाता |
अश्वसेन के पतू कहाये, हफर भी िगतहपता पद पाये || ८ ||
कमठ तपस्वी अहत अहभमानी, प्रभु तमु सकल तत्व के ज्ञानी |
आग िली सगं िली तपस्या, िमश बन गया स्वयं समस्या || ९ ||
काष्ट हचराय, नाग हदखाया, आसं ू से अहभिेक कराया |
महामंत्र नवकार सनु ाकर, स्वगश हदलाया पण्ु य िगाकर ||
िन्य िन्य वे प्राणी िलचर, मंत्र सनु ाते हिन्हें हिनेश्वर |
महामंत्र की महहमा भारी, पारस प्रभु वतो ियकारी ||
राि महल के राग- रंग मैं, रहकर भी थे नहीं संग मैं |
नेहमनाथ की करुना िानी, िग की समझी पीर परु ाणी ||
34
राग हमटा वैराग िगाया, महु िपंथ पर चरण बढ़ाया |
भले- बरु े का भाव न रखते, प्रभवु र तो समता मैं रमते ||
लगे बरसने ओले सीर पर, विाश होती रही हनरंतर |
आिं ी ने हगरी हशखर हगराये, पारस प्रभु को कौन हडगाए ||
सरु नर नरपहत महु निन देवा, करते प्रभु चरणों की सेवा|
प्रभु अनंता, प्रभु कथा अनंता कह न सके सरु नरवर सन्ता ||
पद्मावती सेहवका माता, हिसकी महहमा हत्रभवु न गाता |
हिसमे प्रभु को सीर पर िारा, रहा भमू ंडल सारा ||
मााँ की मरू त मंगलकारी, परु े मनोकामना सारी |
चरण कमल मैं शीश नमाऊ, अपनी हबगड़ी बात बनाऊ ||
फणिर ने फन- ित्र बनाया, श्री िनेंद्र देव हिाशया |
है हचंतामहण ! हचंता चरु ो, हवघ्न हरो हर इछिा परु ो ||
शंकर िैसे हर कंकर मैं, पारस वैसे हर पत्थर मैं |
िाम तम्ु हारे बने हर्ारो, पश
ु शदानी हमें उबारो ||
शकं े श्वर हो या नागेश्वर, नाकोडा या हशखर हगररवर |
तेरे चमत्कार घर-घर मैं, महहमा व्यापी नगर नगर मैं ||
मिु हुए सम्मेत हशखर से, रक्षक िहा भोहमय सरसे |
पहले उनको शीि नामाओ, अपनी यात्रा सफल बनाओ ||
नाकोडा के भैरव देवा, तमु भिो को देते मेवा |
झं-झं-झं झंकार कर रहे, सबकी नैया पार कर रहे ||
नाम तमु ारा हिसने िारा, उससे सभु ट के सरी हारा |
सहु मरन करे नाम िो तेरा,मेट िाए पापो का फे रा ||
दरू देश क्यों दौड़े तपते, हबगड़े काम बने िो िपते|
कहलयगु भी सतयगु बन िाए, िो तेरी कृ पा हो िाए ||
भिो को भगवान् बनाते, सेवक को श्रीमान बनाते |
लोहे को कंचन कर डाले, ऐसे पारस परम हनराले ||
नमस्कार है चमत्कार को, हरो हमारे अन्िकार को |
हम घर मंगल, हम घर मंगल,बन िाए हम हनमशल-हनशल ||
35
सिे होठ पर सबके खहु शया, रहेना िग मैं कोई दहु खया |
गाये सब िन गीत प्यार का, दशशन होवे महु ि द्वार का ||
पारस प्रभु चरनन हचत लाये, िो पारस इकतीस गाये |
उसकी हर मंशा हो परू ी प्रभु से रहे न उसकी दरु ी ||
पास प्रभु के द्वार पर, खड़ा झक ु ाकर शीश |
हरो पीर मन की प्रभ,ु दो मंगल आशीि ||
िैसा हु वैसा प्रभ,ु हु तेरा ही दास |
चन्द्र चरण की शरण मैं, एक तम्ु हारी आस ||
मैं अनाथ पर नाथ त,ू रखना मझु पर हाथ |
स्वीकारो मझु पहतत को, प्रभु पारसनाथ ||
36
मनिा ! मधुर गीत तु गाले
37
मे री नै या पडी मझधार में
मेरी नैया पड़ी मझिार में, प्रभु तू ही खेवनहार रे ।
अब तेरे सहारे हबन भगवान, कौन नैया करे गा मेरी पार रे ॥
तमु ने सब की लाि बचाई, मेरी भी लाि बचा लेना ।
में हूाँ प्रभिु ी दीन दख ु ारी, चरणों में अपने बल ु ा लेना ॥
हफर डरने की हमे क्या बात रे , मेरी लाि है हतहारे हाथ रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ….॥ १ ॥
हम तम्ु हें ढूंढे तमु नहीं पावो, ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
आया शरण में दास हतहारे , तेरे हबना नहीं रह सकता ॥
िरा सनु ले तू मेरी पक ु ार रे , मझु े तेरा ही एक आिार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ….॥ २ ॥
दीन दयाल दया के सागर, हदनों के रखवारे हो ।
हमको भी अब तारो स्वामी, सबके तारन हारे हो ॥
कहे “हरख” तू ही करतार रे , तेरे हाथ में हमारी पतवार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे … ॥ ३ ॥
38
वजया तुम अपने को पवहचानो
हिया तमु अपनेको पहहचानो ॥
उपयोगी िीवस्य लक्षणम,आगम मााँहह बखानौ ।
दशशन ज्ञान सहहत सो चेतन,
बाकी सब िड िानौ ॥हिया तमु अपनेको पहचानो॥1
रागाहदक बिं नके वश हो,तमु हनिरुप भल
ु ानौ ।
मोह महामद पीकर चेतन
,तमु परको हनि मानौ ॥ हिया तमु अपनेको पहचानो॥2
काम क्रोि मोहाहद लोभ,
सब ये हवभाव है िानो ।सदानंद चैतन्य ज्ञानम ,
ही सभु ाव है मानो ॥हिया तमु अपनेको पहहचानो॥3
िड और चेतन हभन्न सदासे,
इनको ऐसे िानो ।
हकती हनकल िावे िब चेतन,
िडको पडे िलानो ॥हिया तभु अपनेको पहहचानो॥4
िय हिनेन्द्र
39
यहा झु िा है जं जा
यहा झठु ा है िंिाल,
िोड दे मेरे भाई॥
िग मोहमाया का िाल,
िोड दे मेरे भाई॥
गर सखु पाना तझु े तो तिाना चाहहये ,
नाम प्रभु का हदलसे,भिना चाहहये,
ना चादं ी ना सोना, ना चाहहये दौलत माल,॥िोड दे मेरे भाई॥1
दष्टु करम ये पीिे तेरे पडे हुये,
लभु ा रहे है ठोर ठोर पे अडे हुये,
चक्कर मे फंसिाये तो,करते हाल बे हाल,॥िोड दे मेरे भाई॥2
भटके गा नरको मे पाप का भार ले,
अब भी संभल कर,सदाचार तु िार ले,
“पाश्व”् हतहारा साथी,करले तु कल्याण॥िोड दे मेरे भाई
िग मोहमाया का िाल,िोड दे मेरे भाई॥3
40
वनश्चय और व्यिहार
हनश्चय को लक्ष्य मानो,
व्यवहार पर चलो तमु ।
िोडो बरु े करम सब ,
अछिे करम करो तमु ॥
प्रक्षाल भिन,पिु न िप आहद है शभु सािन ।
शभु सािनोसे अपना
िीवन हनमशल करो तमु ॥1
मादशव,क्षमा व आिशव और सत्य ,दान,सयं म,
इन सारे सदगणु ोपर शभु आचरण करो तमु ॥2
सदसािनोके व्दारा, हनश्चयको प्राप्त कर लो ।
पा हनश्चय आत्मका, हफर हचतवन करो तमु ॥3
हनि परका भेद एक हदन,
आ िायेगा समझमे ।
िो पर है उसे िोडे,
हनिका वणशन करो तमु ॥4
व्यवहार हबना िगमे चलना चेतन कहठन है।
हनश्चय न हमले तब तक ,
व्यवहार पर चलो तमु ॥5
िय हिनेन्द्र
41
मै क्या करु, -सं ग म
मै क्या करु वीर,
इस िगमे फंस गया
होय,होय िग मे फंस गया॥
िो ही चाहा भागना ,
मोह डोरी ना टुटगई,
नश्वर िग माया से मेरी,
ममता ही िुटी नही ,
प्रभु हरो मेरी पीर ,
इस िग मे फंस गया ॥मै क्या करु॥1
झठु े है यह ररश्ते नाते,
झठु ा यह संसार है,
सब तो सख ु के साथी ,
के वल दख ु का नही यार है,
मै हो गया अिीर,
इस िगमे फंस गया॥मै क्या करु वीर ॥2
नाम तेरा, ध्यान तेरा ,
हदल से ही भल ु ा हदया ,
कमशने ऐसे दष्टु मझु े ,
भव भव मे रुला हदया,
“पाश्वश ” काटो अब िंहिर,
इस िग मे फंस गया॥मै क्या करु वीर ॥3
िय हिनेन्द्र
42
धमथ का हु िा हाल बे हाल
िमश का हुवा हाल बेहाल
िमाना बदला बदली चाल,
िमश का हुवा हाल बेहाल।
व्यवहारी व्यवहार मे भलु रहा,
हनश्चयी हनश्चय मे झल
ु रहा ॥
चल रहे सभी अलटी पलटी चाल॥िमाना॥1
िमश का हो रहा प्रदशशन बाह्य ,
अंदर भयी खोकली काया ।
िमश हवरोने बदली चाल॥िमाना॥2
भेि (वेशात्तर)हक पिु ा घरघर होय,
परीक्षा भावो हक न कोय।
नई है चाल नई है ढाल॥िमाना ॥3
िा रहा घर घर भौहतकवाद,
हिप रहा हिसमे आत्म वाद ।
कहु क्या है ये पंचम काल ॥िमाना॥4
संदु र वस्त्र और आहार हविय इन्द्रीयो हक मौि बहार ॥
इन्ही मे रही िमश की चाल॥िमाना ॥5
भावना अिमश की बढ रही,
हशतलता सब मे ही भर रही ॥
न िाने “चद्रं ” भहवष्य क्या हो हाल ॥िमाना ॥6
43
यह िग माया का बािार
मन,िन्म िरा तु सिु ार,
यह िग माया का बािार,
आगे हपिे है कमो की मार,
िहााँ बचना है दश्वु ार ॥
िन दौलत ये महल अटारी,
क्षण मे रािा बने हभखारी,
चदं हदनो मे यह नाशिाये
चेत िरा तु न फंस िाये ,
प्रभु शरण से करलो उध्दार॥यह िग माया का बािार॥1
आय अके ला िाय अके ला ,
दहु नया है स्वप्नो का मेला ,
बंिी मठ्ठु ी लेकर आये,
हाथ पसारे खाली िाये ,
मौत भी न करे इतिार॥यह िग माया का बािार॥
गर पाना है महु ि नगररया,
कदम बढाना उसी डगररया,
िाती िो हशवपरु को है प्यारे ,
अनंत सख ु ो का वैभव िारे ,
“पाश्वश”प्रभु की कर ियकार,
लेिाये तझु को भव से पार॥यह िग माया का बािार॥
िय हिनेन्द्र
44
कर ले ना तु त्याग भलाई भी
कर लेना तु त्याग भलाई भी,
मानव िीवन का काम है ये।
ईश्वर ने िो हमको भेिा है,
वो साथ हदया पैगाम है ये॥
गफलत मे ना यु ही खो देना,
रंगीन िवानी मे घहडया ।
क्षण भर भी न खाली िा पाये,
आराम को मान हराम है ये॥कर लेना त॥ु 1
िन दौलत महल अटारी ये,
दहु नया मे तझु े फुसलातीहै ये ।
इस सब से तु नफरत ही करना ,
कमश बिं न का इतं िाम है ये।
सयमं ओर त्याग अहहसं ा से,
िीवन मे नेकी ही करना ।
इस िन्म को हफर न पायेगा,
ईश्वर का अमल्ु य इनाम है ये॥कर लेना तु त्याग भलाई भी॥
45
एक बार प्रभु आओ चाहे आके चले जाना
46
तुझे हम ढूं ढ रहे है कहां है देह रे िाले
तझु े हम ढूंढ रहे है,
कहां है देहरे वाले,
या तो अब सामने आ,
या हमे भी तु िुपाले… तुझे हम…
47
एक दर पे वभिारी है
एक दर पे हभखारी है,
बड़ा दीन–दख ु ारी है,
तेरी बाट हनहार रहा,
तेरा नाम पक ु ार रहा.. एक दर पे..
िन दौलत ना चाहहये,
ना चादं ी ना सोना,
दे दो अपने हदल में,
एक िोटा सा कोना,
िी नही पायेंगे हम,
तेरा गर इन्कार रहा.. एक दर पे..
48
दहु नयां के सताये है,
तेरी शरण में आये है,
कर दो कृ पा अब हम पर,
हम ठोकरें खाये है,
अब थाम लो तमु दामन,
बैरी संसार रहा.. एक दर पे..
49
बरसा पारस सु ि बरसा आं ग न-2 सुि बरसा
बरसा पारस, सख ु बरसा,
आंगन-2 सख ु बरसा
चनु -2 कांटे नफरत के ,
द्वेि–भाव को हमटा,
इस सकल ससं ार से,
तेरा हनत सहु मरन करें ,
हमल–िल ु सारे प्यार से,
मानव से मानव हो ना िदु ा… आंगन-2
कोइश मन से है दख ु ी,
कोइश तन से है दखु ी,
हे प्रभु ऐसा करो,
कुल िहान हो सख ु ी,
सख
ु मय िीवन सबका सदा… बरसा पारस..
50
तुझे वपता कहुं या माता तुझे वमत्र कहुं या भ्राता
तझु े हपता कहुं या माता,
तझु े हमत्र कहुं या भ्राता,
सौ-2 बार नमन करता हूं
ु ा के माथा… तझु े हपता कहु…
चरणों में झक ं
51
स्िागतम गुरू िर शरणागतम गु रू िर
स्वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरूु वर,
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरूु वर,
तनु े भिों से वादा हकया था, हक बल
ु ाओगें िब चला आउंगा,
तेरे दर पर मेरा सर झक
ु ा है, इसे दहु नया में झक
ु ने ना देना,
हम रहे ना रहे इस िहां में, नाम भिो का हमटने ना देना,
स्वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू ु वर,
52
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू ु वर,
हमसे कोइश खता गर हुइश है, हफर भी तझु से महोब्बत करें गे,
हमे मोक्ष की परवाह नही है, हम तो तेरी ही पिु ा करें गे,
53
जय महािीरा बोल जरा बोल है ये अनमोल जरा
िय महावीरा बोल िरा,
बोल है ये अनमोल िरा,
करदे पली पार तझु े,
तु लंगर तो खोल िरा,
सहदयों से िो भटक रहे थे,
उनका बेडा पार हुआ,
54
कदम–कदम पे िोखा देगी,
यहां नही कोइश अपना है,
ऐसी दहु नया तझु े मबु ारक,
हमसे कुि ना बोल िरा,
िय महावीरा बोल िरा,
बोल है ये अनमोल िरा
55
मैं ते री महर की नर्र चाहता हुं
मैं तेरी महर की नर्र चाहता हु,ं
दआु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं
मैं तेरी महर की नर्र चाहता हु,ं
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…
56
ते री याद में ओ भगिन हम तो हु ए वदिाने
तेरी याद में ओ भगवन,
हम तो हुए हदवाने,
तझु को खबर नही कुि,
दहु नया लगी सताने, तेरी याद…
57
ते रा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता हं,
तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं
तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…
ं
मेरी आख
ं ों से टपके हैं, िो तेरी याद में आसं ,ू
उन्ही अष्को के मोती से-2, तेरी माला बनाता हू… ं
58
मोक्ष के प्रे मी हमने कमो से लढते देिे
मोक्ष के प्रेमी हमने कमो से लढते देखे ।
मखमल मे सोनेवाले ,
भहु म पे हगरते देखे ॥
सरसोंका दान हिसको,
हबस्तर पर चबु ता था ।
काया की सिु नही,
गीिड तन खाते देखे ॥मोक्षके प्रेमी॥1
पारसनाथ स्वामी,
उसही भव मोक्षगामी ।
कमो ने नही कवट्या पत्थरतक हगरते देखे
॥मोक्षके प्रेम॥2
सदु शशन शेठ प्यारा,
राणीने फंदा डाला ।
शील को नही भंगा,
शल ु ीपे चढते देखे॥मोक्ष के प्रेमी॥3
बौध्द का िब िोर था,
हनष्कलंक देव देखे।
िमश को नही िोडा,
मस्तक तककटते देखे ॥मोक्षके प्रेमी॥4
भोगों को त्यागो चेतन,
िीवन तो बीता िाये।
आशा ना परु ी होई
मरघट मे िाते देखे॥मोक्षके प्रेम हमने कमोसे लढते देखे॥5
59
मधुब न के मं वदरो में भगिान बस रहा है
मिबु न के मंहदरो में भगवान बस रहा है ।
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
60
भगिान मे री नै या उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना ।
अब तक तो हनभाया है, आगे भी हनभा देना ॥
61
जीिन है पानी की बूँू द कब वमट जाए रे
िीवन है पानी की बाँदू कब हमट िाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट िाए रे
62
बाबा कु ण्डलपुर िाले की भवक्त करो झूम झू म के
बाबा कुण्डलपरु वाले की भहि करो झमू झमू के
झमू झमू के , घमू घमू के ,
घमू घमू के , झमू झमू के
हवद्यासागर िोटे बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की…
63
जब से गु रु दशथ वमला मनिा मे रा विला विला
पिू ो मेरे हदल से यह पैगाम हलखता हू,ाँ गिु री बाते तमाम हलखता हूाँ
दीवानी हो िाती वो कलम, हे गरुु वार हिस कलम से तेरा नाम हलखता हूाँ
64
बजे कु ण्डलपर में बधाई
बिे कुण्डलपर में बिाई,
के नगरी में वीर िन्मे, महावीर िी
िागे भाग हैं हत्रशला मााँ के ,
के हत्रभवन के नाथ िन्मे, महावीर िी
65
मे रा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
करते हो तमु गरुु वार, मेरा नाम हो रहा है
66
सज धज कर वजस वदन मौत की शहजादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं,
सामान सो बरस का है, पल की खबर नहीं।
67
जब कोई नहीं आता मे रे बाबा आते है
िब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥
68
भगिान मे री नै या उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तोह हनभाया है, आगे भी हनभा देना
हम हदन दख
ु ी हनिशन, हनत नाम िपे प्रहतपल
यह सोच दरस दोगे, प्रभु आि नहीं तो कल
िो बाग़ लगाया है फूलो से सिा देना
अब तक तोह हनभाया…
69
ते रे चरणो मे आये भगिान आशा ले के आये है
तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है ।
सिु र िाये प्रभु िीवन, ये इछिा लेके आये है ॥
70
अररहंत जय जय वसद्ध प्रभु जय जय
अररहतं िय िय हसद्ध प्रभु िय िय ।
सािू िीवन िय िय िैन िमश िय िय ॥
71
जय वजने न्द्र बोवलए
िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र बोहलए।
िय हिनेन्द्र की ध्वहन से, अपना मौन खोहलए॥
सरु असरु हिनेन्द्र की महहमा को नहीं गा सके ।
और गौतम स्वामी न महहमा को पार पा सके ॥
72
देि ते रे सं सार की हालत क्या हो गई महािीर
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई महावीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।
सरू ि न बदला, चााँद न बदला, न बदले हदन-रात,
हकतने बदल गए हालात।
आि आदमी बना िानवर, नहीं समझे ये प्यार की भािा,
पैसों की खाहतर भाई ही, भाई के प्राणों का प्यासा।
अपनी हतिोरी भरने को बेच रहा िमीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।
73
ध्यान – ध्यान धरना है धरले
(तिश – िमू मचाले)
ध्यान – ध्यान िरना है िरले, िमश िमश करना है करले
74
कभी िीर बन के , महािीर बन के
तीथंकर वंदना ( Tirthankar Vandana )
तमु पष्ु पदतं रूप में आना, तमु शीतल रूप में आना।
श्रेयासं नाथ बन के , वासपु ज्ू य बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु हवमल रूप में आना, तमु अनंत रूप में आना।
िरमनाथ बन के , शांहतनाथ बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु कंु थु रूप में आना, तमु अरह रूप में आना।
महल्लनाथ बन के , महु न सव्रु त बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु नहम रूप में आना, तमु नेहम रूप में आना।
पाश्वशनाथ बन के , महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
कभी वीर बन के , महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
75
पारस प्यारा है
(तिश- राहिका गोरी से)
पारस प्यारा है. िीवन आिारा है, नैया लगा दे प्रभु पार
अरे ओ सनु लो मेरी पकु ार
तारणहाराह है, दीन दयाला है बाबा लगा दे भव पार
अरे ओ सनु लो मेरी पक ु ार
पारस प्यारा है ….
76
भावना एक मे री प्रभु स्वीकार ले ना
(तिश- थोडा सा प्यार हुआ है…)
77
नाम है ते रा तारण हारा
नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दशशन होगा……..
नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दशशन होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सन्ु दर, वो हकतना सन्ु दर होगा – 2
तमु ने तारे लाखो प्राणी
यह सतं ो की वाणी है
तेरी िहव पर मेरे भगवन
ये दहु नया दीवानी है – 2
भाव से तेरी पिू ा रचाओ,ं िीवन में मंगल होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सन्ु दर, वो हकतना सन्ु दर होगा – 2
सरु वर महु नवर हिनके चरण में
हनशहदन शीश िक ु ते है
िो गाते है प्रभु की महहमा
वो सब कुि पा िाते है – 2
अपने कष्ट हमटाने को तेरे, चरणों का वंदन होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी संदु र, वो हकतना संदु र होगा – 2
मन की मरु ाते लेकर स्वामी
तेरे चरण में आये है ,
हम है बालक , तेरे हिनवर
तेरे ही गणु गाते है – 2
भाव से पार उतरने को तेरे, गीतों का सरगम होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सदंु र, वो हकतना सदंु र होगा – 2
नाम है तेरा तारण हारा ……
78