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विषय-सचू ी(जय वजनेन्द्र)

1. महामंत्र- नवकार प्रार्थना .................................................................... 5


2. जिनवाणी स्तुजत .............................................................................. 6
3. मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा ......................................................... 7
4. नमोकार मन्त्त्र है न्त्यारा ...................................................................... 8
5. नवकार मंत्र ही महामंत्र ..................................................................... 9
6. अररहतं िय िय जसद्ध प्रभु िय िय .................................................. 11
7. तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरण ................................................ 12
8. रूम झूम करता पधारो मारा भैरो जी .................................................. 13
9. दादा तेरा क्या फ़र्थ नहीं भक्तो के घर आने का ..................................... 14
10. पारस रे तेरी कजिन डगररया ............................................................. 15
11. मधब
ु न के मजं दरो में भगवान बस रहा है .............................................. 16
12. चाहे जकतना ही िोर लगा लेना ........................................................ 17
13. िीवन है पानी की बूँद ................................................................... 18
14. बाबा कुण्डलपुर वाले की भजक्त करो झम झम के .................................. 19
15. िब से गुरु दशथ जमला मनवा मेरा जिला जिला .................................... 20
16. बिे कुण्डलपर में बधाई .................................................................. 21
17. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है (िैन भिन) ........................... 22
18. आि की इस दुनीयाूँ मे जकतना फै ला है भ्रष्टाचार................................... 23
19. सज धज कर जजस जिन मौत की शहजािी आएगी ................................. 24
20. तिथ (बहारो फुल बरसावो-सुरि) ...................................................... 25
21. आत्म नगरमे ज्ञान की गग
ं ा .............................................................. 26
22. तिथ (मुझको अपने गले-हमराही) ...................................................... 27

23. तिथ (नगरी नगरी व्र्ारे व्दारे) ........................................................... 28


24. सत्य व्रत का लहग
ं ा पजहनो ................................................................. 28

2
25. तजज (िो हस
ं ो का जोडा जिछुड गयो रे–गंगा जमुना) ............................... 29
26. बोल-बोल आदेश्वर वाला परा दे ....................................................... 30
27. प्रभु पाश्वथनार्, प्रभु भेरवनार् क्षमापना मंत्र ............................................. 32
28. मेरा धाम (मोक्ष) .......................................................................... 33
29. श्री पारस इजक्तसा .......................................................................... 34
30. मनवा ! मधुर गीत तु गाले .............................................................. 37
31. मेरी नैया पडी मझधार में ................................................................ 38
32. जिया तुम अपने को पजहचानो .......................................................... 39
33. यहा झुिा है िंिा ......................................................................... 40
34. जनश्चय और व्यवहार ....................................................................... 41
35. मै क्या करु, -संगम....................................................................... 42
36. धमथ का हुवा हाल बेहाल ................................................................ 43
37. यह जग माया का िाजार ................................................................ 44
38. कर लेना तु त्याग भलाई भी ............................................................ 45
39. तुझे हम ढंढ रहे है कहां है देहरे वाले ................................................. 47
40. एक दर पे जभिारी है ..................................................................... 48

ं न-2 सुि बरसा ....................................... 50


41. बरसा पारस सुि बरसा आग
42. तुझे जपता कहुं या माता तुझे जमत्र कहुं या भ्राता.................................... 51
43. स्वागतम गुरूवर शरणागतम गुरूवर ..................................................... 52
44. िय महावीरा बोल िरा बोल है ये अनमोल िरा ................................... 54
45. मैं तेरी महर की नर्र चाहता हुं ........................................................ 56
46. तेरी याद में ओ भगवन हम तो हुए जदवाने ........................................... 57
47. तेरा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता ह,ं ....................................... 58
48. मोक्ष के प्रेमी हमने कमो से लढते देिे ............................................... 59
49. मधुबन के मंजदरो में भगवान बस रहा है .............................................. 60
50. भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना .................................................. 61
51. िीवन है पानी की बूँद कब जमट िाए रे ............................................. 62
52. बाबा कुण्डलपरु वाले की भजक्त करो झम झम के .................................. 63

3
53. िब से गुरु दशथ जमला मनवा मेरा जिला जिला .................................... 64
54. बिे कुण्डलपर में बधाई .................................................................. 65
55. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है ............................................ 66
56. सि धि कर जिस जदन मौत की शहिादी आएगी ................................. 67
57. िब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है ............................................... 68
58. भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना .................................................. 69
59. तेरे चरणो मे आये भगवान आशा लेके आये है ..................................... 70
60. अररहतं िय िय जसद्ध प्रभु िय िय .................................................. 71
61. िय जिनेन्त्र बोजलए ........................................................................ 72
62. देि तेरे सस
ं ार की हालत क्या हो गई महावीर ...................................... 73
63. ध्यान – ध्यान धरना है धरले ............................................................ 74
64. कभी वीर बन के , महावीर बन के ...................................................... 75
65. पारस प्यारा है.............................................................................. 76
66. भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना .................................................... 77
67. नाम है तेरा तारण हारा ................................................................... 78

4
महामं त्र - निकार प्रार्थ ना
नवकार मंत्र है महामंत्र,इस मंत्र की महहमा भारी है।
आगम में कही, गरुु वर से सनु ी, अनभु व में हिसे उतारी है ॥टेर॥
अररहतं ाणं पद पहला है, अरर आरहत दरू भगाता है ।
हसद्धाणं सहु मरन करने से,मन इहछित हसहद्ध पाता है।
आयररयाणं तो अष्ट हसहद्ध और नव हनहि के भडं ारी हैं॥नव.॥1॥
उवज्झायाणं अज्ञान हतहमरहर, ज्ञान प्रकाश फै लाता है ।
सव्वसाहूणं सब सख ु दाता, तन मन को स्वस्थ बनाता है।
पद पााँच के समु ररन करने से, हमट िाती सकल बीमारी है ॥नव.॥2॥
श्रीपाल सदु शशन मेणरया, हिसने भी िपा आनंद पाया ।
िीवन के सनू े पतझड़ में, हफर फूल हखले सौरभ िाया ।
मन नंदन वन में रमण करे , यह ऐसा मंगलकारी है॥नव.॥3॥
हनत नई बिाई सनु े कान, लक्ष्मी वरमाला पहनाती।
‘ अशोक महु न’ ियहविय हमले, शांहत प्रसन्नता बढ़ िाती ।
सम्मान हमले, सत्कार हमले, भव-िल से नैया तारी है ॥नव.॥4॥

5
वजनिाणी स्तुवत
हमथ्यातम नाश वे को, ज्ञान के प्रकाश वे को,
आपा पर भास वे को, भानु सीबखानी है॥
िहों द्रव्य िान वे को, बन्ि हवहि मान वे को,
स्व-पर हपिान वे को, परम प्रमानी है॥
अनभु व बताए वे को, िीव के िताए वे को,
काहूं न सताय वे को, भव्य उर आनी है॥
िहां तहां तार वे को, पार के उतार वे को,
सखु हवस्तार वे को यही हिनवाणी है॥
हिनवाणी के ज्ञान से सझू ेलोकालोक,
सो वाणी मस्तक िरों, सदा देत हूं िोक॥
है हिनवाणी भारती, तोहह िपंू हदन चैन,
िो तेरी शरण गहैं, सो पावे सखु चैन॥

6
मं त्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
यह हो वो िहाि हिसने लाखों को तार
णमो अररहतं ाणं
णमो हसद्धाणं
णमो आयररयाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
अररहतं ों को नमन हमारा, अशभु िमश अरर हनन करें
हसद्धों के सहु मरन से आत्मा हसद्ध क्षेत्र को गमन करे
भव भव में ना हो िनम दोबारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...

आचायों के आचारों से हनमशल हनि आचार करें


उपाियाय को ध्यान िरें हम संवारता सत्कार करें
सवश सािू को नमन हमारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...
णमो अररहतं ाणं
णमो हसद्धाणं
णमो आयररयाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
सोते उठते, चलते हफरते इसी मंत्र का िाप करे
ताप हमारे तो उनका भी िे दअपने आप करें
इसी मंत्र का लेलो सहारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...

7
नमोकार मन्द्त्र है न्द्यारा
नमोकार मन्त्र है न्यारा,
इसने लाखो को तारा
इस महा मात्र का िाप करो,
भव िल से हमले हकनारा

णमो अररहतं ाणं


णमो हसद्धाणं
णमो आयररयाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
एसोपचं णमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो
मंगला णं च सव्वेहस,ं पडमम हवई मंगलं

8
निकार मं त्र ही महामं त्र
नवकार मंत्र ही महामंत्र, हनि पद का ज्ञान कराता है।
हनि िपो शद्ध
ु मन बच तन से, मनवांहित फल का दाता है॥1॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

पहला पद श्री अररहतं ाणां, यह आतम ज्योहत िगाता है।


यह समोसरण की रचना की भव्यों को याद हदलाता है॥2॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

दिू ा पद श्री सद्धाणं है, यह आतम शहि बढ़ाता है।


इससे मन होता है हनमशल, अनभु व का ज्ञान कराता है॥3॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

तीिा पद श्री आयररयाणां, दीक्षा में भाव िगाता है।


दुःु ख से िुटकारा शीघ्र हमले, हिनमत का ज्ञान बढ़ाता है॥4॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

चौथा पद श्री उवज्ज्ञायण,ं यह िैन िमश चमकता है।


कमाशस्त्रव को ढीला करता, यह सम्यक् ज्ञान कराता है॥5॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

पचं मपद श्री सव्वसाहूणं, यह िैन तत्व हसखलाता है।


हदलवाता है ऊाँचा पद, संकट से शीघ्र बचाता है॥6॥

नवकार मंत्र ही महामंत्र…

तमु िपो भहवक िन महामंत्र, अनपु म वैराग्य बढ़ाता है।


हनत श्रद्धामन से िपने से, मन को अहतशातं बनाता है॥7॥
9
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

सपं णू श रोग को शीघ्र हरे , िो मंत्र रुहच से ध्याता है।


िो भव्य सीख हनत ग्रहण करे , वो िामन मरण हमटाता है॥8॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र…

10
अररहंत जय जय वसद्ध प्रभु जय जय
अररहतं िय िय हसद्ध प्रभु िय िय ।
सािू िीवन िय िय िैन िमश िय िय ॥

अररहतं मंगल हसद्ध प्रभु मंगल ।


सािू िीवन मंगल, िैन िमश मंगल ॥

अररहतं उत्तम हसद्ध प्रभु उत्तम ।


सािू िीवन उत्तम, िैन िमश उत्तम ॥

अररहतं शरणम हसद्ध प्रभु शरणम ।


सािू िीवन शरणम, िैन िमश शरणम ॥

11
तुम से लागी लगन ले लो अपनी शरण
तमु से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो िी संकट हमारा ।
हनशहदन तमु को िपाँ,ू पर से नेह तिाँ,ू िीवन सारा,
तेरे चाणों में बीत हमारा ॥टेक॥

अश्वसेन के रािदलु ारे , वामा देवी के सतु प्राण प्यारे ।


सबसे नेह तोड़ा, िग से माँहु को मोड़ा, संयम िारा ॥मेटो॥

इद्रं और िरणेन्द्र भी आए, देवी पद्मावती मंगल गाए।


आशा परू ो सदा, दुःु ख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ॥मेटो॥

िग के दुःु ख की तो परवाह नहीं है, स्वगश सख


ु की भी चाह नहीं है।
मेटो िामन मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारा ॥मेटो॥

लाखों बार तम्ु हें शीश नवाऊाँ, िग के नाथ तम्ु हें कै से पाऊाँ ।
‘पंकि’ व्याकुल भया दशशन हबन ये हिया लागे खारा ॥मेटो॥

12
रूम झूम करता पिारो मारा भै रो िी
रूम झमू करता पिारो मारा भैरो िी
थोरा बालडु ा िोवे है थोरी बाट,
पिारो मारा भैरो िी

मेवानगर दादा आप हबरािो,


थोरी महहमा अपरम पार,
पिारो मारा भैरो िी...

हाथ में हत्रशल


ू थोरे खप्पर शोभे
थोड़ा डम डम डमरू आवाि,
पिारो मारा भैरो िी...

मेवा हमठाई थोरे तेल चढ़े है,


ते तो भिो री परू ो सब आस,
पिारो मारा भैरो िी...

मारवाड़ ध्यावे थाने गोडवाड़ ध्यावे


थाटं ध्यावे है आखो मेवाड़,
पिारो मारा भैरो िी...

नाकोड़ा दरबार दादा थोरे चरने आयो हो


दादा माथा ऊपर राखिो हाथ,
पिारो मारा भैरो िी...

13
दादा ते रा क्या फ़र्थ नहीं भक्तो के घर आने का
नाकोड़ा वाले सनु लेना एक सवाल दीवाने का,
अगर समझ में आ िाए, तो भिो को समझा देना ।
हमने अपना हनयम हनभाया, नाकोड़ा पैदल आने का,
दादा तेरा क्या फ़र्श नहीं भिो के घर आने का ॥

हिसका घर िोटा सा हो, क्या उसके घर नहीं आते,


या हफर मझु से प्रेम नहीं, क्यों मेरे घर नहीं आते ।
अब इतना बतलादो दादा कै से तझु े मनाने का,
दादा तेरा क्या फ़र्श नहीं भिो के घर आने का ॥

ऐसा रास्ता ढूंढ़ हलया रोि हमले तो चैन आए,


इक हदन हमलने तमु आयो, इक हदन हमलने हम आए ।
अब तो पक्का सोच हलया घर नाकोड़ा में बनाने का,
दादा तेरा क्या फ़र्श नहीं भिो के घर आने का ॥

हिसका हिसका घर देखा वो क्या तेरे लगते हैं,


ररश्तेदारी में दादा वो क्या हमसे बढ़के हैं ।
क्या मेरा हक्क नहीं बनता है तझु को घर पे बल ु ाने का,
दादा तेरा क्या फ़र्श नहीं भिो के घर आने का ॥

14
पारस रे ते री कविन डगररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया
हकस हवहि मैं तोहे पाऊाँ रे सााँवररया

कहठन तेरा हिन रूप में आना कहठन तेरे शभु दशशन पाना
कहठन हटाना श्री मखु से निररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया

सयम हनयम कहठन व्रत तेरे, तेरी तरह सनु भगवन मेरे
ओढ़ना कहठन ब्रह्मचयश की चदररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया

कहठन महल ति वन में िाना कहठन रात हदन ध्यान लगाना


टप अहत कहठन, कहठन महु नचयाश
रे हिनवर तेरी कहठन डगररया

कहठन तझु े आहार कारण अतं राय से कहठन बचाना


कहठन हिमाना हबन प्याली हबन थररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया

कहठन प्रहार कमठ के सह के कहठन उपसगश में अवहचल रह के


पायी कहठन के वल की उिररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया

मोक्ष िहां से गया तू हिनराई उस पवशत की कहठन चढ़ाई


तहु ी ले चल मेरी थाम के उाँगररया
पारस रे तेरी कहठन डगररया

15
मधुब न के मं वदरो में भगिान बस रहा है
मिबु न के मंहदरो में भगवान बस रहा है ।
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥

आध्यात्म का यह सोना पारस ने खदु हदया है,


ऋहिओ ं ने इस िरा से हनवाशण पद हलया है ।
सहदओ ं से इस हशखर का स्वहणशम सयु श रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में...

तीथंकरों के तप से पवशत हुआ यह पावन,


के वल्य रहश्मओ ं का बरसा यहां सावन ।
उस ज्ञानामृत के िल से पवशत सरस रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में...

पवशत के गभश में है रत्नो का है वो खिाना,


िब तक है चंन्द सरू ि होगा नहीं परु ाना ।
िन्मा है िैन कुल में तू क्यों तरस रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में...

नागो को भी यह पारस रािेन्द्र सम बनाए,


उपसरग के समय िो िेन्द्र बन के आए ।
पारस के सर पे देवी पद्मावती यहााँ है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में...

16
चाहे वकतना ही जोर लगा ले ना
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा
चाहे हकतना ही उसको मना लेना, हफर भी न सनु ेगा कुि भी तेरा
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा

१ िब उसका बल ु ावा आएगा, तब न चलेगा बहाना तेरा -2


पल में ही २ सब कुि िोड़ तझु े ,होना पड़ेगा रवाना रे ।
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा

२ हम सब तो कठपतु हलयााँ है, डोर हमारी उसके हाथो में -२


हिस हदन वो २ उसको िोड़ देगा, नहीं होगा कभी हफर उठना रे
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा ।

३ सबको बराबर दी हे देखो, उसने यहााँ पर श्वासे रे -२


हिसकी भी २ हो िाएगी श्वासे परू ी, नहीं होगा सवेरा उनका रे
चाहे हकतना ही िोर लगा लेना, हफर भी न चलेगा िोर तेरा
चाहे हकतना ही उसको मना लेना, हफर भी न सनु ेगा कुि भी तेरा ।

17
जीिन है पानी की बूँू द
िीवन है पानी की बाँदू कब हमट िाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट िाए रे

हितना भी कर िाओगे, उतना ही फल पाओगे


करनी िो कर िाओगे, वैसा ही फल पाओगे
नीम के तरु में नहीं आम हदखाए रे
िीवन है पानी की बाँदू ...

चााँद हदनों का िीवन है, इसमें देखो सख ु काम है


िनम सभी को मालमू है, लेहकन मृत्यु से ग़ाहफ़ल है
िाने कब तन से पक्षं ी उड़ िाए रे
िीवन है पानी की बाँदू ...

हकस को मने अपना है, अपना भी तो सपना है


हिसके हलए माया िोड़ी क्या वो तेरा अपना है
तेरा हो बेटा तझु े आग लगाए रे
िीवन है पानी की बाँदू ...

गरुु हिस को िू लेते हैं वो कंु दन बन िाता है


तब तक सल ु गता दावानल, वो सावन बन िाता है
आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
िीवन है पानी की बाँदू ...

18
बाबा कु ण्डलपुर िाले की भवक्त करो झूम झू म के
बाबा कुण्डलपरु वाले की भहि करो झमू झमू के
झमू झमू के , घमू घमू के ,
घमू घमू के , झमू झमू के
हवद्यासागर िोटे बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...
कुण्डलपरु की सन्ु दर पहहड़या
पहहड़या पे है सन्ु दर अटररया
झमू झमू के , घमू घमू के ,
िहा हवरािे बड़े बाबा, भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...

नए मंहदर में हुआ रे कमाल है


बड़े बाबा की मरू त हवशाल है
झमू झमू के , घमू घमू के ,
मंहदर हवरािे बड़े बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...
हवद्यासागर िी का यह सपना
सपना देखो हो गया अपना
झमू झमू के घमू घमू के
से उठ गए बाबा, भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की....

बाि रहे मृहदगं मिीरा


सारे िग की हर ली है पीड़ा
झमू झमू के , घमू घमू के
हबगड़ी बना दे बड़े बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की...

19
जब से गु रु दशथ वमला मनिा मे रा विला विला
पिू ो मेरे हदल से यह पैगाम हलखता हू,ाँ गिु री बाते तमाम हलखता हूाँ
दीवानी हो िाती वो कलम, हे गरुु वार हिस कलम से तेरा नाम हलखता हूाँ

िब से गरुु दशश हमला, मनवा मेरा हखला हखला


मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

फांसले हमटा दो आि सारे , होगये गरू ु िी हम तम्ु हारे


मनका का पंिी बोल रहा, संग संग डोल रहा
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

आि यह हवाएाँ क्यों महकती, आि यह घटाएं क्यों चहकती


अगं अगं में उमंग, बड़ रही है सगं सगं
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

तम्ु ही ही समय सार मेरे, तम्ु ही हो हनयम सार मेरे


हखल रही है कहल कहल, महक रही गली गली
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

20
बजे कु ण्डलपर में बधाई
बिे कुण्डलपर में बिाई,
के नगरी में वीर िन्मे, महावीर िी
िागे भाग हैं हत्रशला मााँ के ,
के हत्रभवन के नाथ िन्मे, महावीर िी

हो... शभु घडी िनम की आई,


सवरग से देव आये, महावीर िी
तेरा नवन करें मेरु पर
के , इद्रं िल भर लाए, महावीर िी

हो.. तझु े देवीआं झल ु ाये पलना,


मन में मगन हो के , महावीर िी
तेरे पलने में हीरे मोती,
के . गोररओ ं में लाल लटके , महावीर िी

हो... अब ज्योहत तेरी िागी


के सयू श चााँद हिप िाए, महावीर िी
तेरे हपता लटु ावें मोहरें
खिाने सारे खल ु िाएंगे, महावीर िी

हो... हम दरश को तेरे आए


के पाप सब काट िाएंग,े महावीर िी
बिे कुण्डलपर में बिाई,

21
मे रा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है (जै न भजन)
मेरा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
करते हो तमु गरुु वार, मेरा नाम हो रहा है

पटवार के हबना ही मेरी नाव चल रही है


हबन मांगे मेरे गरुु वार हर चीि हमल रही है
हर वार दश्ु मनो का नाकाम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से...

मेरी हिंदगी में तमु हो, हकस बात की कमी है


मझु े और अब हकसी की परवाह भी नहीं है
तेरी बदौलतों से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से...

दहु नया में होंगे लाखों, तेरे िैसा कौन होगा


तझु िैसा बदं ापरवर भला ऐसा कौन होगा
तेरे नाम का ही सहु मरन, आराम दे रहा है
मेरा आपकी कृ पा से...

22
आज की इस दुनीयाूँ मे वकतना फै ला है भ्रष्टाचार
आि की इस दनु ीयााँ मे हकतना फै ला है भ्रष्टाचार
ये के सा कलयगु आया है
मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये के सा कलयगु आया है
आि की इस दहु नया मे ---------------------------

1 हिन मात हपता ने पाला पोिा, भल ु गये है आि उहन्हको


उनके ऐहसानो के बदले, मार रहे है िक्के उनको
उहन्हके घर से उनको ही, कर रहे बेघर, ये के सा कलयगु ----
आि की इस दनु ीयााँ मे ---------------------------

२ िो भाई कभी न झगड़ ते थे, झगड़ रहे है आि वो हकतने


िमीन िायदाद के खाहतर देखो, लड़ रहे है आि वो हकतने
ु ा दीया है आि उन्होनो बचपन का सब प्यार, ये के सा कलयगु ----
भल
आि की इस दनु ीयााँ मे ---------------------------

३ मोह मााँया मे हो गये अन्िे, लगने लगे अपने भी पराये


कोन है भाई कोन बहन है, भान रहा ना अब कीसी को
अपनो से ही कर रहे हे, बे ढंगा व्यवहार, ये के सा कलयगु ----
आि की इस दनु ीयााँ मे कीतना फै ला है भ्रष्टाचार

ये के सा कलिगु आया है, मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार


ये के सा कलिगु आया है

(तिश – देख तेरे संसार की हालत ------ )

23
सि िि कर हिस हदन मौत की शहिादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं,
सामान सो बरस का है, पल की खबर नहीं।

सि िि कर हिस हदन मौत की शहिादी आएगी,


ना सोना काम आएगा, ना चादं ी आएगी।

िोटो सा त,ू हकतने बड़े अरमान तेरे,


हमट्टी का त,ु सोने के सब सामन हैं तेरे।
हमट्टी की काया हमट्टी में हिस हदन समाएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चादं ी आएगी॥

पर तोल ले, पंची तू हपंिरा तोड़ के उड़ िा,


माया महल के सारे बंिन िोड़ के उड़ िा।
िड़कन में हिसहदन मौत तेरी गनु गनु ायेगी,
ना सोना काम आएगा, ना चादं ी आएगी॥

काहे करे नादान तू दहु नया में नादानी,


काया तेरी यह रािसी है राख हो िानी।
‘रािेंदर’ तेरी आत्मा हवदेह िायेगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी॥

24
तजथ (बहारो फु ल बरसािो-सुर ज)
तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है ।
सिु र िाये प्रभु िीवन ,ये इछिा लेके आये है ॥
न आवे भाव हहसं ा का वचन हहतकर सदा बोले ।
शील सतं ोि मय िीवन की वाि ं ा लेके आये है ॥तेरे चरणो मे॥1
सभी से प्रेम हो ,हमको नही व्देि द्रुष्टो से ।
भाव दऽु हखयो पे हम अपना दया को लेके आये है ॥तेरे चरणो मे ॥2
काम और क्रोि की अहग्न हमारी शांत हो भगवन ।
लोभ ,मद मोह मदशन की सहु चता लेके आये है ॥तेरे चरणो मे ॥3
रहे हनत भाव समताका ,न ममता हो हमे तन से ।
सफल हशवराम हो ,कामना लेके आये है ॥तेरे चरणो मे॥4

25
आत्म नगरमे ज्ञान की गं गा
हिससे अम्रतु बरसा ।
सम्यकद्रुष्टी भर भर पीवे,हमथ्याद्रुष्टी प्यासा ॥
सम्यकद्रुष्टी समता िल मे, हनत ही गोते खाता है ।
हमथ्याद्रुष्टी राग व्देिकी ,आग मे झल ु सा िाता है।
समता िल का सी ाँचन करके हे सख ु शाहं त पा िाता ॥आत्म नगर मे॥1
पण्ु य भावको िमश मान करके ,ससं ार बढाता ।
राग बंिकी गत्ु थीको वह,कभी न कभी न सल ु झा पाता ।
िो शभु फलमे तन्मय होता,वह भी हनगोद मे िाता॥आत्म नगर मे॥2
पर मे अहक ं ार तु करता ,परका स्वामी बनता ।
इसहलये संसार बढाकर,भवसागरमे रुलता।
एक बार हनि आत्मरसका पान करो हे ज्ञाता ॥आत्म नगर मे॥3
मनष्ु य भव दल ु शभ है, पाकर आत्म ज्योत िगाले ।
ज्ञान उिाले मे आ करके ,अपनी हनिी उठाले ।
तु है शध्ु द हनरंिन चेतन हशवपरु का वासी है॥आत्म नगर मे ॥

26
तजथ (मुझ को अपने गले - हमराही)
आये यहा तो कुि कर िाओ,सनु लो मेरे भाई।
खदु को हकसी से कम नही समझो,नरतन का यह सार है ॥आये यहा॥
खदु ही खदु ा तु खदु ही हिन है खदु ही क्रुष्ण राम है।
बनिाये तेरी आत्मा ,परमात्माका िाम है ।
नही असंभव कायश यहा पर,यह तो सल ु भ संसार है॥आये यहा तो॥
दीनों से तु प्यार है करले,दीनानाथ ही बनिाये।
ऊंच नीच का भेद िोडदे,समदशी तु कहलाये।
कौन िनी यहा कौन गरीब है,तिदे कुहवचार है॥आये यहा तो॥
आया अके ला है िग मे और अके ला िायेगा ।
काहे हकसी से व्देि करे तु यहा से कुि पायेगा नही ।
गर चाहे तेरा नाम रहे यहा,िरले सदाचार है॥आया यहा तो कुि कर िाओ॥

27
तजथ (नगरी नगरी व्र्ारे व्दारे )
िोटी मोटी बहहनों पहरो शीलकी चनु ररया ।
प्यारी प्यारी चनु ररयासे ररझेगे सावररया ॥
शीश फुल हटका हो हकलपे बडोके आदर मानका ।
शास्त्र श्रमण साहहत्य गीतका ,ऐरराँ ग होवे कान का।
समता रखना द;ु खमे न बरसाना रे बदररया ॥िोटी मोटी॥1
पहतव्रत पन की हबंहदया सोहे,लज्िा कािल आाँखमे।
घर समाि की रीती हनतीका,सदु र लागे हो नाक मे ।
पानकी लाली हमठी बोली,बोलो बन कोयहलया॥िोटी मोटी॥2
चतरु ाईिी चेली पोलका,नेकलेस होवे ज्ञानका ।
अछिे स्वास्थ का भिु बदं पहहनो,घडी चहु डयााँ दानकी।
बरु ी निरसे कभी न देखो ,हनचे रखो निररया॥िोटी मोटी॥4
सत्य व्रत का लहं गा पहहनो
ओढनी शभु कमशकी।
भिरंगका माहुर मेहदी,हबिीया अहहसं ा िमश की ।
अछिी चाल की पग मे पहनो ,झनक झनक पायहलया ॥िोटी मोटी॥4
यह चनु री सभु द्रा ओढी रािमती हसता सतीने।
ओढी चदं ना,ओढी अिं ना,कलावती,मैनावतीने।
के वल महु न यश चम चम चमके ,ओढी रे सदंु रीया॥
िोटी मोटी बहहनों पहरी शीलकी चनु ररया,प्यारी प्यारी चनु ररयोसे॥5

28
तिश (दो हंसो का िोडा हबिु ड गयो रे – गं गा िमु ना)
काया से चेतन हनकल गयो रे ,पडी रही काया
भसम भई रे ॥
या काया को खबु हखलाई,तरह तरह का भोिन हखलाया ।
आहखर तो मल ही उगल रही रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥1
या काया को खबु सिाई ,वस्त्र आभिु ण से मढाई ।
आहखर तो हमट्टी मे हमल गई रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥2
टेबल कुची पलगं हबिाई,नरम गद्दी चादर ओढाई ।
आहखर अथी पर िर दई रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से॥3
या काया को संग संग साथी ,चेतन का कोई नही साथी ।
हसं अके लो उड गयो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से ॥4
या काया को सब िग रोता,चेतन की सहु ि नही लेता ।
कौन गती मे भटक रहो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से ॥5
िब तक श्वासा तब तक आशा , हनकली श्वासा हो वनवासा ।
श्वास श्वास मे भिन करो रे ।
पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से चेतन हनकल गयो रे ,पडी रही काया भसम भई रे ॥6

29
बोल-बोल आदेश्व र िाला पूरा दे
बोल-बोल आदेश्वर वाला कांई थोरी मरिी रे ।
म्हा स्यंू मंडु े बोल २ बोल बोल म्हारा ऋिभ
के सरीया काईं थारी मरिी रे दौ स्य… ंू
माता मोरा देवी वाट िोवंता इतने बिाई आई रे
आि ऋिभ िी उतरया बाग में सणु हरसाई रे
म्हा स्यं… ू ।। १।।
नहाय िोयने गि असवारी करी मोरा देवी
माता रे िाय बाग में नन्दण हनरखी पाई
साता रे म्हा स्य मंडू े बोल, बोल २ … ।। २।।
राि िोडने हनकल्यो रे ररखबो आ लीला
अद्भूती रे चमेर, ित्र और हसहं ासन
मोहनी मतू ी रे म्हा स्यंू मंडु े बोल, २ ।। ३।।
हदन भर बैठी वाट िोवंता कद मारों ररखबो आसी रे
कहती भरतने आदीनाथिी री खवरयां लयावो रे मास्यंू
कीसे देश में गंयो रे बालेसर तिु हबना वहनता सहू न रे
बात कहो हदल खोले लालिी क्यंू वणीया मनु ी रे
म्हा स्यंू मंडु े बोल ।। ४।।
रया मिे में हुई सख ु साता खबू हकया हदल चाया रे
अब तो बोल आदेश्वर म्हा स्यंू कलपे काया रे
म्हा स्यंू मंडु े… ।। ५।।
खेर हुई सो हो गई बाला बात भली नहह कीरे
गयां हपिे कागद नहीं हदन्यों म्हारी खबरया ना हलनी रे
मां स्यंू मंडु े ।। ६।।
ओलमा मैं देऊं कठे लग पािो क्यंू नहीं बोले रे
दुःु ख िननी को देख आदेश्वर हहवडो डोल रे
म्हा स्यंू मंडु े ।। ७।।
अहनत्य भावना भाई ये माता हनि आतम ने त्यारी रे
के वली पापी मोक्ष हसिाया ज्याने वन्दना हमारी रे
म्हा स्यंू मंडु े ।। ८।।
30
महु ि का दरवािा खोल्या मोरा देवी माता रे
काल असख्ं या रह्या उघाडया िम्बू िड गया ताला रे
म्हा स्यंू मंडु े।। ९।।
साल बहोत्तर तीथश ओसोया, घेवर प्रभु गणु गाया रे
मनोहर महू तश प्रथम िीणदे िी की अणमू पाया रै –
महा स्यंू मंडु े बोल, बोल २
आदेश्वर वाला कोई थारी मरिी रे , म्हा स्यं,ू मंडु े बोल ।। १०।।

31
प्रभु पाश्वथ नार्, प्रभु भेर िनार् क्षमापना मं त्र
है प्रभु पाश्वशनाथ, है प्रभु भेरवनाथ, मेरे से रात हदन हर्ारो अपराि होते रहते है.
मैं आपका दास हुं यह समझकर कृ पा पवू शक क्षमा करो |
मैं आपका आवाहन करना नहीं िानता हवसिशन करना नहीं िानता तथा पिू ा
करने का ढंग नहीं िानता, है प्रभु मझु े क्षमा करो
मंत्रहहन् हक्रयाहीन तथा भहिहहन् िो पिू न हकया है. वह आपकी कृ पा से पणू श हो |
है प्रभु मैं अज्ञानी हु, अपरािी हु, मैं आपकी शरण मैं अगया हु,
इसहलए दया का पात्र आगे िो आपको उहचत लगे वैसा करे
भल ू से, अज्ञान से, बहु िभांत होने का कारन कुि न्यनू ता या अहिकता हो गयी
हो तो क्षमा करो और िल्दी प्रसन्न हो
आपतो गोपनीय से गोपनीय वास्तु की रक्षा करने वाले हो,
मेरे हनवेदन हकये गए इस पाठ को स्वीकार करो,
आपकी कृ पा से मेरी मनोकामना पणू श हो |
(सीिी प्राप्त हो )
ॐ ह्रीं श्रीं भैरविेव पूजजताय, श्री नाकोडा पार्श्जनाथाये नमः

32
मे रा धाम (मोक्ष)
शध्ु दातम है मेरा नाम,
मात्र िानना मेरा काम ।
महु िपरु ी है मेरा िाम
हमलता िहााँ पणु श हवश्राम॥
िहााँ भख ु का नाम नही है,
िहााँ प्यास का काम नही है।
खााँसी और िख ु ाम नही है॥
आहि व्याहि का नाम नही है॥
सत हशव संदु र मेरा िाम,
शध्ु दातम है मेरा नाम।
मात्र िानना मेरा काम॥1
स्वपर-भेद हवज्ञान करे गे ,
हनि आतम का ध्यान िरे गे।
राग-व्देि का त्याग करे गे,
हचदानदं रस पान करे गे॥
सब सख ु दाता मेरा िाम,
शध्ु दातम है मेरा नाम ।
मात्र िानना मेरा काम ॥2
िय हिनेन्द्र

33
श्री पारस इवक्तसा
पारस प्रभु के चरणों मैं, हनशहदन करू प्रणाम |
मन वंहचत परु ो प्रभ,ु श्याम वणश सख
ु िाम || १ ||
चरण-शरण मैं भि तम्ु हारा, शरणागत हु मैं दहु खयारा |
भव- सागर से हमें उबारो, अपने यश की बात हवचारो || २ ||
तमु िन िन के बने सहारे , हम तो सारे िग से हारे |
हारा तमु को हार चढ़ावे, तो िग मैं कै से यश पावे || 3 ||
िीवन के हर बिं न खोलो, मत मेरे पापो को तोलो |
पिू ा की कुि रीत न िाने, आये मन की पीर सनु ाने || ४ ||
तमु ने अनगहनत पापी तारे , मैं भी आया द्वार तम्ु हारे |
मझु को के वल आस तम्ु हारी, अपना लो है भाव- भयहारी || ५ ||
सकल िरा को स्वगश बनाया, व्यंतर को संहकत दरसाया |
लेकर नर-अवतार िरा पर, पाप हमटाया ज्ञान िगाकर || ६ ||
पोि वादी दशमी हतहथ पाकर, नभ से उतरी हकरण िरा पर |
िमशपरु ी काशी मैं िन्मे, शंकर रमे, िहा कण कण मैं || ७ ||
बडभागी वह वामा माता, हिसने िन्मा तमु सा िाता |
अश्वसेन के पतू कहाये, हफर भी िगतहपता पद पाये || ८ ||
कमठ तपस्वी अहत अहभमानी, प्रभु तमु सकल तत्व के ज्ञानी |
आग िली सगं िली तपस्या, िमश बन गया स्वयं समस्या || ९ ||
काष्ट हचराय, नाग हदखाया, आसं ू से अहभिेक कराया |
महामंत्र नवकार सनु ाकर, स्वगश हदलाया पण्ु य िगाकर ||
िन्य िन्य वे प्राणी िलचर, मंत्र सनु ाते हिन्हें हिनेश्वर |
महामंत्र की महहमा भारी, पारस प्रभु वतो ियकारी ||
राि महल के राग- रंग मैं, रहकर भी थे नहीं संग मैं |
नेहमनाथ की करुना िानी, िग की समझी पीर परु ाणी ||

34
राग हमटा वैराग िगाया, महु िपंथ पर चरण बढ़ाया |
भले- बरु े का भाव न रखते, प्रभवु र तो समता मैं रमते ||
लगे बरसने ओले सीर पर, विाश होती रही हनरंतर |
आिं ी ने हगरी हशखर हगराये, पारस प्रभु को कौन हडगाए ||
सरु नर नरपहत महु निन देवा, करते प्रभु चरणों की सेवा|
प्रभु अनंता, प्रभु कथा अनंता कह न सके सरु नरवर सन्ता ||
पद्मावती सेहवका माता, हिसकी महहमा हत्रभवु न गाता |
हिसमे प्रभु को सीर पर िारा, रहा भमू ंडल सारा ||
मााँ की मरू त मंगलकारी, परु े मनोकामना सारी |
चरण कमल मैं शीश नमाऊ, अपनी हबगड़ी बात बनाऊ ||
फणिर ने फन- ित्र बनाया, श्री िनेंद्र देव हिाशया |
है हचंतामहण ! हचंता चरु ो, हवघ्न हरो हर इछिा परु ो ||
शंकर िैसे हर कंकर मैं, पारस वैसे हर पत्थर मैं |
िाम तम्ु हारे बने हर्ारो, पश
ु शदानी हमें उबारो ||
शकं े श्वर हो या नागेश्वर, नाकोडा या हशखर हगररवर |
तेरे चमत्कार घर-घर मैं, महहमा व्यापी नगर नगर मैं ||
मिु हुए सम्मेत हशखर से, रक्षक िहा भोहमय सरसे |
पहले उनको शीि नामाओ, अपनी यात्रा सफल बनाओ ||
नाकोडा के भैरव देवा, तमु भिो को देते मेवा |
झं-झं-झं झंकार कर रहे, सबकी नैया पार कर रहे ||
नाम तमु ारा हिसने िारा, उससे सभु ट के सरी हारा |
सहु मरन करे नाम िो तेरा,मेट िाए पापो का फे रा ||
दरू देश क्यों दौड़े तपते, हबगड़े काम बने िो िपते|
कहलयगु भी सतयगु बन िाए, िो तेरी कृ पा हो िाए ||
भिो को भगवान् बनाते, सेवक को श्रीमान बनाते |
लोहे को कंचन कर डाले, ऐसे पारस परम हनराले ||
नमस्कार है चमत्कार को, हरो हमारे अन्िकार को |
हम घर मंगल, हम घर मंगल,बन िाए हम हनमशल-हनशल ||

35
सिे होठ पर सबके खहु शया, रहेना िग मैं कोई दहु खया |
गाये सब िन गीत प्यार का, दशशन होवे महु ि द्वार का ||
पारस प्रभु चरनन हचत लाये, िो पारस इकतीस गाये |
उसकी हर मंशा हो परू ी प्रभु से रहे न उसकी दरु ी ||
पास प्रभु के द्वार पर, खड़ा झक ु ाकर शीश |
हरो पीर मन की प्रभ,ु दो मंगल आशीि ||
िैसा हु वैसा प्रभ,ु हु तेरा ही दास |
चन्द्र चरण की शरण मैं, एक तम्ु हारी आस ||
मैं अनाथ पर नाथ त,ू रखना मझु पर हाथ |
स्वीकारो मझु पहतत को, प्रभु पारसनाथ ||

36
मनिा ! मधुर गीत तु गाले

मनवा ! मिरु गीत तु गाले ।


इस दहु नयाकी बातोंको ति,
िीवन सफल बनाले ॥
िगमे चारो ओर अिेंरा ,
िाग रे मनका हुआ सबेरा ।
हवियोसे अब मनको हटाकर,िीवन ज्योत िगाले॥मनवा ॥1
झठु ा िग ये झठु ा बस्ती कभी न हमटे तेरी हस्ती ।
काया मायाके ति ििं े ,
िैन िमश अपना ले ॥मनवा॥2
हमठे हमठे गीत सनु ाकर अपने आपे आप रमाकर।
ज्ञान कमल का बनकर भंवरा,मि ु ानंद रस पा ले॥मनवा॥3

37
मे री नै या पडी मझधार में
मेरी नैया पड़ी मझिार में, प्रभु तू ही खेवनहार रे ।
अब तेरे सहारे हबन भगवान, कौन नैया करे गा मेरी पार रे ॥
तमु ने सब की लाि बचाई, मेरी भी लाि बचा लेना ।
में हूाँ प्रभिु ी दीन दख ु ारी, चरणों में अपने बल ु ा लेना ॥
हफर डरने की हमे क्या बात रे , मेरी लाि है हतहारे हाथ रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ….॥ १ ॥
हम तम्ु हें ढूंढे तमु नहीं पावो, ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
आया शरण में दास हतहारे , तेरे हबना नहीं रह सकता ॥
िरा सनु ले तू मेरी पक ु ार रे , मझु े तेरा ही एक आिार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ….॥ २ ॥
दीन दयाल दया के सागर, हदनों के रखवारे हो ।
हमको भी अब तारो स्वामी, सबके तारन हारे हो ॥
कहे “हरख” तू ही करतार रे , तेरे हाथ में हमारी पतवार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे … ॥ ३ ॥

38
वजया तुम अपने को पवहचानो
हिया तमु अपनेको पहहचानो ॥
उपयोगी िीवस्य लक्षणम,आगम मााँहह बखानौ ।
दशशन ज्ञान सहहत सो चेतन,
बाकी सब िड िानौ ॥हिया तमु अपनेको पहचानो॥1
रागाहदक बिं नके वश हो,तमु हनिरुप भल
ु ानौ ।
मोह महामद पीकर चेतन
,तमु परको हनि मानौ ॥ हिया तमु अपनेको पहचानो॥2
काम क्रोि मोहाहद लोभ,
सब ये हवभाव है िानो ।सदानंद चैतन्य ज्ञानम ,
ही सभु ाव है मानो ॥हिया तमु अपनेको पहहचानो॥3
िड और चेतन हभन्न सदासे,
इनको ऐसे िानो ।
हकती हनकल िावे िब चेतन,
िडको पडे िलानो ॥हिया तभु अपनेको पहहचानो॥4
िय हिनेन्द्र

39
यहा झु िा है जं जा
यहा झठु ा है िंिाल,
िोड दे मेरे भाई॥
िग मोहमाया का िाल,
िोड दे मेरे भाई॥
गर सखु पाना तझु े तो तिाना चाहहये ,
नाम प्रभु का हदलसे,भिना चाहहये,
ना चादं ी ना सोना, ना चाहहये दौलत माल,॥िोड दे मेरे भाई॥1
दष्टु करम ये पीिे तेरे पडे हुये,
लभु ा रहे है ठोर ठोर पे अडे हुये,
चक्कर मे फंसिाये तो,करते हाल बे हाल,॥िोड दे मेरे भाई॥2
भटके गा नरको मे पाप का भार ले,
अब भी संभल कर,सदाचार तु िार ले,
“पाश्व”् हतहारा साथी,करले तु कल्याण॥िोड दे मेरे भाई
िग मोहमाया का िाल,िोड दे मेरे भाई॥3

40
वनश्चय और व्यिहार
हनश्चय को लक्ष्य मानो,
व्यवहार पर चलो तमु ।
िोडो बरु े करम सब ,
अछिे करम करो तमु ॥
प्रक्षाल भिन,पिु न िप आहद है शभु सािन ।
शभु सािनोसे अपना
िीवन हनमशल करो तमु ॥1
मादशव,क्षमा व आिशव और सत्य ,दान,सयं म,
इन सारे सदगणु ोपर शभु आचरण करो तमु ॥2
सदसािनोके व्दारा, हनश्चयको प्राप्त कर लो ।
पा हनश्चय आत्मका, हफर हचतवन करो तमु ॥3
हनि परका भेद एक हदन,
आ िायेगा समझमे ।
िो पर है उसे िोडे,
हनिका वणशन करो तमु ॥4
व्यवहार हबना िगमे चलना चेतन कहठन है।
हनश्चय न हमले तब तक ,
व्यवहार पर चलो तमु ॥5
िय हिनेन्द्र

41
मै क्या करु, -सं ग म
मै क्या करु वीर,
इस िगमे फंस गया
होय,होय िग मे फंस गया॥
िो ही चाहा भागना ,
मोह डोरी ना टुटगई,
नश्वर िग माया से मेरी,
ममता ही िुटी नही ,
प्रभु हरो मेरी पीर ,
इस िग मे फंस गया ॥मै क्या करु॥1
झठु े है यह ररश्ते नाते,
झठु ा यह संसार है,
सब तो सख ु के साथी ,
के वल दख ु का नही यार है,
मै हो गया अिीर,
इस िगमे फंस गया॥मै क्या करु वीर ॥2
नाम तेरा, ध्यान तेरा ,
हदल से ही भल ु ा हदया ,
कमशने ऐसे दष्टु मझु े ,
भव भव मे रुला हदया,
“पाश्वश ” काटो अब िंहिर,
इस िग मे फंस गया॥मै क्या करु वीर ॥3
िय हिनेन्द्र

42
धमथ का हु िा हाल बे हाल
िमश का हुवा हाल बेहाल
िमाना बदला बदली चाल,
िमश का हुवा हाल बेहाल।
व्यवहारी व्यवहार मे भलु रहा,
हनश्चयी हनश्चय मे झल
ु रहा ॥
चल रहे सभी अलटी पलटी चाल॥िमाना॥1
िमश का हो रहा प्रदशशन बाह्य ,
अंदर भयी खोकली काया ।
िमश हवरोने बदली चाल॥िमाना॥2
भेि (वेशात्तर)हक पिु ा घरघर होय,
परीक्षा भावो हक न कोय।
नई है चाल नई है ढाल॥िमाना ॥3
िा रहा घर घर भौहतकवाद,
हिप रहा हिसमे आत्म वाद ।
कहु क्या है ये पंचम काल ॥िमाना॥4
संदु र वस्त्र और आहार हविय इन्द्रीयो हक मौि बहार ॥
इन्ही मे रही िमश की चाल॥िमाना ॥5
भावना अिमश की बढ रही,
हशतलता सब मे ही भर रही ॥
न िाने “चद्रं ” भहवष्य क्या हो हाल ॥िमाना ॥6

43
यह िग माया का बािार
मन,िन्म िरा तु सिु ार,
यह िग माया का बािार,
आगे हपिे है कमो की मार,
िहााँ बचना है दश्वु ार ॥
िन दौलत ये महल अटारी,
क्षण मे रािा बने हभखारी,
चदं हदनो मे यह नाशिाये
चेत िरा तु न फंस िाये ,
प्रभु शरण से करलो उध्दार॥यह िग माया का बािार॥1
आय अके ला िाय अके ला ,
दहु नया है स्वप्नो का मेला ,
बंिी मठ्ठु ी लेकर आये,
हाथ पसारे खाली िाये ,
मौत भी न करे इतिार॥यह िग माया का बािार॥
गर पाना है महु ि नगररया,
कदम बढाना उसी डगररया,
िाती िो हशवपरु को है प्यारे ,
अनंत सख ु ो का वैभव िारे ,
“पाश्वश”प्रभु की कर ियकार,
लेिाये तझु को भव से पार॥यह िग माया का बािार॥
िय हिनेन्द्र

44
कर ले ना तु त्याग भलाई भी
कर लेना तु त्याग भलाई भी,
मानव िीवन का काम है ये।
ईश्वर ने िो हमको भेिा है,
वो साथ हदया पैगाम है ये॥
गफलत मे ना यु ही खो देना,
रंगीन िवानी मे घहडया ।
क्षण भर भी न खाली िा पाये,
आराम को मान हराम है ये॥कर लेना त॥ु 1
िन दौलत महल अटारी ये,
दहु नया मे तझु े फुसलातीहै ये ।
इस सब से तु नफरत ही करना ,
कमश बिं न का इतं िाम है ये।
सयमं ओर त्याग अहहसं ा से,
िीवन मे नेकी ही करना ।
इस िन्म को हफर न पायेगा,
ईश्वर का अमल्ु य इनाम है ये॥कर लेना तु त्याग भलाई भी॥

45
एक बार प्रभु आओ चाहे आके चले जाना

एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले िाना,


िाने नहीं देंगे हम, तमु िाके तो हदखलाना
वो कौन घड़ी होगी, वो कौन सा पल होगा,
तेरा दशशन कर भगवन, मेरा िनम सफल होगा,
एक पल की खाहतर तमु , अब और ना तरसाना…

एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले िाना,


िाने नहीं देंगे हम, तमु िाके तो हदखलाना…..

हमने तझु े पिु ा है, मन वाणी कमों से,


दीदार की प्यासी है, आंखे कइश िन्मों से,
इक झलक हदखाके तमु , ये प्यास बझु ा िाना…

एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले िाना,


िाने नहीं देंगे हम, तमु िाके तो हदखलाना…..

मेरी आस बंिी तमु से, ये आस ना तोड़ोगे,


ये दहु नया देख रही, हवश्वास ना तोड़ोगे
हूं पणू श समहपशत मैं, मझु को नही ठुकराना…

एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले िाना,


िाने नहीं देंगे हम, तमु िाके तो हदखलाना…..

46
तुझे हम ढूं ढ रहे है कहां है देह रे िाले
तझु े हम ढूंढ रहे है,
कहां है देहरे वाले,
या तो अब सामने आ,
या हमे भी तु िुपाले… तुझे हम…

सफर में हिन्दगी के ,


कुि ऐसे मोड़ आये,
हिन्हे समझा था अपना,
वो हनकले पराये,
एक तेरा है सहारा,

गले से तु लगाले… तझु े हम…

ददश से अपना ररश्ता,


परु ाना हो गया है,
तेरी चाहत मे ये हदल,
हदवाना हो गया है,
सनु सदा िड़कनो की-2
हम है तेरे हवाले… तझु े हम…

डोर सांसो की टूटे,


िमाना चाहे रूठे ,
यही बस आरिु है,
तेरा दामन ना िुटे,
तड़फते है तेरे हबन,
ु ाले… तझु े हम…
पास अपने बल

47
एक दर पे वभिारी है
एक दर पे हभखारी है,
बड़ा दीन–दख ु ारी है,
तेरी बाट हनहार रहा,
तेरा नाम पक ु ार रहा.. एक दर पे..

इस हदल में उदासी है,


आंखे दशश की प्यासी है,
तेरे दशशन हो िाये,
इछिा ये िरा सी है,
सनु ी सी आंखों से,

तेरा द्वार हनहार रहा.. एक दर पे..

सनु ते है तेरी रहमत,


हर ओर बरसती है,
हम पर भी दया कर दो,
हसरत ये मचलती है,
अब तो आ िाओ ं प्रभ,ु
तेरा बेटा पकु ार रहा.. एक दर पे..

िन दौलत ना चाहहये,
ना चादं ी ना सोना,
दे दो अपने हदल में,
एक िोटा सा कोना,
िी नही पायेंगे हम,
तेरा गर इन्कार रहा.. एक दर पे..

48
दहु नयां के सताये है,
तेरी शरण में आये है,
कर दो कृ पा अब हम पर,
हम ठोकरें खाये है,
अब थाम लो तमु दामन,
बैरी संसार रहा.. एक दर पे..

49
बरसा पारस सु ि बरसा आं ग न-2 सुि बरसा
बरसा पारस, सख ु बरसा,
आंगन-2 सख ु बरसा
चनु -2 कांटे नफरत के ,

प्यार अमन के फूल हखला… बरसा पारस..

द्वेि–भाव को हमटा,
इस सकल ससं ार से,
तेरा हनत सहु मरन करें ,
हमल–िल ु सारे प्यार से,
मानव से मानव हो ना िदु ा… आंगन-2

झोहलयां सभी की त,ु


रहमों–करम से भर भी दे,
पीर–पवशत हो गइश,
अब तो कृ पा कर भी दे,
ु … आंगन-2
मांगे तझु से ये ही दआ

कोइश मन से है दख ु ी,
कोइश तन से है दखु ी,
हे प्रभु ऐसा करो,
कुल िहान हो सख ु ी,
सख
ु मय िीवन सबका सदा… बरसा पारस..

50
तुझे वपता कहुं या माता तुझे वमत्र कहुं या भ्राता
तझु े हपता कहुं या माता,
तझु े हमत्र कहुं या भ्राता,
सौ-2 बार नमन करता हूं
ु ा के माथा… तझु े हपता कहु…
चरणों में झक ं

हे परमेश्वर तेरी िग में,

है महहमा बहुत हनराली,


तु चाहे तो बि िाये,
हर एक हाथ से ताली
हे प्रभु तेरी कुदरत का,
ये खेल समझ नही आता… तझु े हपता कहु…

सती मैना ने तझु े पक ु ारा,


तनु े पहत का कोढ़ हमटाया,
महु न मानं तंगु ने ध्याया,
सौ तालों को तोड़ हगराया,
कण-2 में तु बसा है,
पर कही नर्र नही आता… तझु े हपता कहु… ं

है िरा पाप से बोझल,


तब हमने तझु े पक ु ारा,
अब िीरि ड़ोल रहा है,
तु दे दे हमे सहारा,
हबन तेरे इस दहु नया में,
हमे कोइश नर्र नही आता… तझु े हपता कहु…

51
स्िागतम गुरू िर शरणागतम गु रू िर
स्वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरूु वर,
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरूु वर,
तनु े भिों से वादा हकया था, हक बल
ु ाओगें िब चला आउंगा,

िब बढ़ने लगेगा अिं ेरा, ज्ञान का दीप आके िलाउंगा,


स्वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू ु वर,
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू ु वर,

तेरी उम्मीद, तेरा सहारा, हमने रो-2 के तझु को पक ु ारा,


हम तो तेरे है, तेरे रहेंगे, तु बता कब बनेगा हमारा,
स्वागतम गरू ु वर, शरणागतम गरू ु वर,

सस्ु वागतम गरू


ु वर, शरणागतम गरूु वर,
तेरी राहों में पलकें हबिाइश, तेरी आमद को गहलयां सर्ाइश,
ना कर देर अब आिा प्यारे , वरना होगी बड़ी र्ग हसाइश,

स्वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू ु वर,


सस्ु वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू ु वर,
तेरी दहु नया का दस्तरु है क्या, हिसे चाहो वो हमलता नही है,

पर ये भी हकीकत है तझु हबन, एक पत्ता भी हहलता नही है


स्वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू
ु वर,
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू
ु वर,

तेरे दर पर मेरा सर झक
ु ा है, इसे दहु नया में झक
ु ने ना देना,
हम रहे ना रहे इस िहां में, नाम भिो का हमटने ना देना,
स्वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू ु वर,
52
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू ु वर,
हमसे कोइश खता गर हुइश है, हफर भी तझु से महोब्बत करें गे,
हमे मोक्ष की परवाह नही है, हम तो तेरी ही पिु ा करें गे,

स्वागतम गरूु वर, शरणागतम गरू


ु वर,
सस्ु वागतम गरू
ु वर, शरणागतम गरू
ु वर

53
जय महािीरा बोल जरा बोल है ये अनमोल जरा
िय महावीरा बोल िरा,
बोल है ये अनमोल िरा,
करदे पली पार तझु े,
तु लंगर तो खोल िरा,
सहदयों से िो भटक रहे थे,
उनका बेडा पार हुआ,

उलट फे र मे अटक रहे थे,


उनका भी उद्धार हुआ,
आना िाना लगा रहेगा,
मन की आंखे खोल िरा,
िय महावीरा बोल िरा,

बोल है ये अनमोल िरा,


मतलब के है ररश्ते नाते,
कोइश हकसी का यार नही,
झठु ी कसमें, झठु े वादे,
ये सछचा ससं ार नही,

प्यार यहां पर बना हतर्ारत,


खोल ना इसकी पोल िरा
िय महावीरा बोल िरा,
बोल है ये अनमोल िरा,
क्या िीना, क्या मरना यारों,

ये दहु नया एक सपना है,

54
कदम–कदम पे िोखा देगी,
यहां नही कोइश अपना है,
ऐसी दहु नया तझु े मबु ारक,
हमसे कुि ना बोल िरा,
िय महावीरा बोल िरा,
बोल है ये अनमोल िरा

55
मैं ते री महर की नर्र चाहता हुं
मैं तेरी महर की नर्र चाहता हु,ं
दआु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं
मैं तेरी महर की नर्र चाहता हु,ं
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…

तमन्ना मचलके ये गाने लगी है,


तेरी याद भगवन सताने लगी है,
तझु े हाले–हदल की ख़बर चाहता हु,ं
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…

तरसते है नैना ओ महावीर आओ,ं


तम्ु हारे है हम यंु ना हमको सताओ,ं
इबादत तेरी हर पहर चाहता हु,ं
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…

मेरे हदल की सनु ी महहफल सिादे,


तझु े कै से पाउ ये तहु ी बतादे
िो तझु से हमला दे, सफर चाहता हूं

दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…

तझु से हमलन की प्यास िगी है,


आओगे इक हदन ये आस लगी है,
सबे–गम की अब मैं सहर चाहता हूं
दआ
ु ओ ं में अपनी असर चाहता हु,ं मैं तेरी महर…

56
ते री याद में ओ भगिन हम तो हु ए वदिाने
तेरी याद में ओ भगवन,
हम तो हुए हदवाने,
तझु को खबर नही कुि,
दहु नया लगी सताने, तेरी याद…

हदल ददश से भरा है,


कोइश ना आसरा है,
आये है तेरे दर पे,
हम हाले हदल सनु ाने, तेरी याद…
टुटा हरे क सपना,
कोइश नही है अपना,
अब तमु ही आओ ं भगवन,
हमको गले लगाने, तेरी याद…

करदे मरु ाद परु ी,


हमट िायेगी ये दरू ी,
पल भर को आिा भगवन,
मख
ु ड़ा हमे हदखाने, तेरी याद…
हमको है आस तेरी,
अब कर ना वीरा देरी,
महावीर िल्दी आओ,ं
इस आस को बंिाने, तेरी याद…
अब सांस थम रही है,
और सांझ ढल रही है,
आना पडेगा तझु को,
बझु ती िंमा िलाने, तेरी याद…

57
ते रा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता हं,
तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं
तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…

मेरी आख
ं ों से टपके हैं, िो तेरी याद में आसं ,ू
उन्ही अष्को के मोती से-2, तेरी माला बनाता हू… ं

तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं


तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…

िमाने भर ने बख्िी हैं, मझु े िो ददश की दौलत,
तेरे कदमों की आमद पे, उसे पल पल लटु ाता हु… ं

तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं


तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…

तम्ु हारी बाट तकते है, मेरे ये बावरे नैना-2,
अिी ये बावरे नैना-2,

तेरी राहों में ऐ भगवन, मैं हनत पलकें हबिाता हू…


तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं


तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…

नर्र िन्ु िला रही है अब, िड़कना भी है कम हदल का,


तम्ु हारे नाम की िंमा, मैं बझु -2 के िलाता हू…

तेरा ही नाम है लब पे, तझु े ही गनु गनु ाता हू,ं


तम्ु हारे प्यार के नग्म,ें मैं दहु नया को सनु ाता हू…

58
मोक्ष के प्रे मी हमने कमो से लढते देिे
मोक्ष के प्रेमी हमने कमो से लढते देखे ।
मखमल मे सोनेवाले ,
भहु म पे हगरते देखे ॥
सरसोंका दान हिसको,
हबस्तर पर चबु ता था ।
काया की सिु नही,
गीिड तन खाते देखे ॥मोक्षके प्रेमी॥1
पारसनाथ स्वामी,
उसही भव मोक्षगामी ।
कमो ने नही कवट्या पत्थरतक हगरते देखे
॥मोक्षके प्रेम॥2
सदु शशन शेठ प्यारा,
राणीने फंदा डाला ।
शील को नही भंगा,
शल ु ीपे चढते देखे॥मोक्ष के प्रेमी॥3
बौध्द का िब िोर था,
हनष्कलंक देव देखे।
िमश को नही िोडा,
मस्तक तककटते देखे ॥मोक्षके प्रेमी॥4
भोगों को त्यागो चेतन,
िीवन तो बीता िाये।
आशा ना परु ी होई
मरघट मे िाते देखे॥मोक्षके प्रेम हमने कमोसे लढते देखे॥5

59
मधुब न के मं वदरो में भगिान बस रहा है
मिबु न के मंहदरो में भगवान बस रहा है ।
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥

आध्यात्म का यह सोना पारस ने खदु हदया है,


ऋहिओ ं ने इस िरा से हनवाशण पद हलया है ।
सहदओ ं से इस हशखर का स्वहणशम सयु श रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में…

तीथंकरों के तप से पवशत हुआ यह पावन,


के वल्य रहश्मओ ं का बरसा यहां सावन ।
उस ज्ञानामृत के िल से पवशत सरस रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में…

पवशत के गभश में है रत्नो का है वो खिाना,


िब तक है चंन्द सरू ि होगा नहीं परु ाना ।
िन्मा है िैन कुल में तू क्यों तरस रहा है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में…

नागो को भी यह पारस रािेन्द्र सम बनाए,


उपसरग के समय िो िेन्द्र बन के आए ।
पारस के सर पे देवी पद्मावती यहााँ है,
पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मिबु न के मंहदरों में…

60
भगिान मे री नै या उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना ।
अब तक तो हनभाया है, आगे भी हनभा देना ॥

दल बल के साथ माया, घेरे िो मझु को आ कर ।


तमु देखते ना रहना, झट आ के बचा लेना ॥

सभं व है झंझटों में मैं तझु को भल


ू िाऊं ।
पर नाथ दया कर के मझु को ना भल ु ा देना ॥

तमु देव मैं पिु ारी, तमु इष्ट मैं उपासक ।


यह बात अगर सच है तो सच कर के हदखा देना ॥

तेरी कृ पा से हमने हीरा िनम यह पाया ।


िब प्राण तन से हनकले, अपने में हमला लेना ॥

61
जीिन है पानी की बूँू द कब वमट जाए रे
िीवन है पानी की बाँदू कब हमट िाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट िाए रे

हितना भी कर िाओगे, उतना ही फल पाओगे


करनी िो कर िाओगे, वैसा ही फल पाओगे
नीम के तरु में नहीं आम हदखाए रे
िीवन है पानी की बाँदू …

चााँद हदनों का िीवन है, इसमें देखो सख


ु काम है
िनम सभी को मालमू है, लेहकन मृत्यु से ग़ाहफ़ल है
िाने कब तन से पक्ष
ं ी उड़ िाए रे
िीवन है पानी की बाँदू …

हकस को मने अपना है, अपना भी तो सपना है


हिसके हलए माया िोड़ी क्या वो तेरा अपना है
तेरा हो बेटा तझु े आग लगाए रे
िीवन है पानी की बाँदू …

गरुु हिस को िू लेते हैं वो कंु दन बन िाता है


तब तक सल ु गता दावानल, वो सावन बन िाता है
आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
िीवन है पानी की बाँदू …

62
बाबा कु ण्डलपुर िाले की भवक्त करो झूम झू म के
बाबा कुण्डलपरु वाले की भहि करो झमू झमू के
झमू झमू के , घमू घमू के ,
घमू घमू के , झमू झमू के
हवद्यासागर िोटे बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की…

कुण्डलपरु की सन्ु दर पहहड़या


पहहड़या पे है सन्ु दर अटररया
झमू झमू के , घमू घमू के ,
िहा हवरािे बड़े बाबा, भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की…
नए मंहदर में हुआ रे कमाल है
बड़े बाबा की मरू त हवशाल है
झमू झमू के , घमू घमू के ,
मंहदर हवरािे बड़े बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की…
हवद्यासागर िी का यह सपना
सपना देखो हो गया अपना
झमू झमू के घमू घमू के
से उठ गए बाबा, भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की….
बाि रहे मृहदगं मिीरा
सारे िग की हर ली है पीड़ा
झमू झमू के , घमू घमू के
हबगड़ी बना दे बड़े बाबा की भहि करो झमू झमू के
बाबा कुण्डलपरु वाले की…

63
जब से गु रु दशथ वमला मनिा मे रा विला विला
पिू ो मेरे हदल से यह पैगाम हलखता हू,ाँ गिु री बाते तमाम हलखता हूाँ
दीवानी हो िाती वो कलम, हे गरुु वार हिस कलम से तेरा नाम हलखता हूाँ

िब से गरुु दशश हमला, मनवा मेरा हखला हखला


मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

फांसले हमटा दो आि सारे , होगये गरू ु िी हम तम्ु हारे


मनका का पंिी बोल रहा, संग संग डोल रहा
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

आि यह हवाएाँ क्यों महकती, आि यह घटाएं क्यों चहकती


अगं अगं में उमंग, बड़ रही है सगं सगं
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

तम्ु ही ही समय सार मेरे, तम्ु ही हो हनयम सार मेरे


हखल रही है कहल कहल, महक रही गली गली
मेरी तमु से डोर िड़ु गयी रे , मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

64
बजे कु ण्डलपर में बधाई
बिे कुण्डलपर में बिाई,
के नगरी में वीर िन्मे, महावीर िी
िागे भाग हैं हत्रशला मााँ के ,
के हत्रभवन के नाथ िन्मे, महावीर िी

हो… शभु घडी िनम की आई,


सवरग से देव आये, महावीर िी
तेरा नवन करें मेरु पर
के , इद्रं िल भर लाए, महावीर िी

हो.. तझु े देवीआं झल ु ाये पलना,


मन में मगन हो के , महावीर िी
तेरे पलने में हीरे मोती,
के . गोररओ ं में लाल लटके , महावीर िी

हो… अब ज्योहत तेरी िागी


के सयू श चााँद हिप िाए, महावीर िी
तेरे हपता लटु ावें मोहरें
खिाने सारे खल ु िाएंगे, महावीर िी

हो… हम दरश को तेरे आए


के पाप सब काट िाएंग,े महावीर िी
बिे कुण्डलपर में बिाई,
के नगरी में वीर िन्मे, महावीर िी

65
मे रा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से सब काम हो रहा है
करते हो तमु गरुु वार, मेरा नाम हो रहा है

पटवार के हबना ही मेरी नाव चल रही है


हबन मांगे मेरे गरुु वार हर चीि हमल रही है
हर वार दश्ु मनो का नाकाम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से…

मेरी हिंदगी में तमु हो, हकस बात की कमी है


मझु े और अब हकसी की परवाह भी नहीं है
तेरी बदौलतों से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी कृ पा से…

दहु नया में होंगे लाखों, तेरे िैसा कौन होगा


तझु िैसा बंदापरवर भला ऐसा कौन होगा
तेरे नाम का ही सहु मरन, आराम दे रहा है
मेरा आपकी कृ पा से…

66
सज धज कर वजस वदन मौत की शहजादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं,
सामान सो बरस का है, पल की खबर नहीं।

सि िि कर हिस हदन मौत की शहिादी आएगी,


ना सोना काम आएगा, ना चादं ी आएगी।

िोटो सा तू, हकतने बड़े अरमान तेरे,


हमट्टी का त,ु सोने के सब सामन हैं तेरे।
हमट्टी की काया हमट्टी में हिस हदन समाएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी॥

पर तोल ले, पंची तू हपंिरा तोड़ के उड़ िा,


माया महल के सारे बिं न िोड़ के उड़ िा।
िड़कन में हिसहदन मौत तेरी गनु गनु ायेगी,
ना सोना काम आएगा, ना चादं ी आएगी॥

काहे करे नादान तू दहु नया में नादानी,


काया तेरी यह रािसी है राख हो िानी।
‘रािेंदर’ तेरी आत्मा हवदेह िायेगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी॥

67
जब कोई नहीं आता मे रे बाबा आते है
िब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥

मेरे नैया चलती है, पतवार नहीं चलती ।


हकसी और को अब मझु को तरकर नहीं चलती ॥
मै डरता नहीं िग से, बाबा साथ आते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥

कोई याद करे उनको दुःु ख हल्का हो िाए ।


कोई भहि करे उनकी, वो उनका हो िाए ॥
ये हबन बोले सब कुि पहचान िाते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥

ये इतने बड़े होकर, दीनो से प्यार करे ।


अपने भिो के दुःु ख को वो पल में दरू करे ॥
सब भिो का कहना बाबा मान िाते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥

मेरे मन के मंहदर में बाबा का वास रहे ।


कोई रहे ना रहे बस बाबा पास रहे ॥
मेरे व्याकुल मन को बाबा िान िाते है ।
मेरे दुःु ख के हदनों में वो बड़े काम आते है ॥

68
भगिान मे री नै या उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तोह हनभाया है, आगे भी हनभा देना
हम हदन दख
ु ी हनिशन, हनत नाम िपे प्रहतपल
यह सोच दरस दोगे, प्रभु आि नहीं तो कल
िो बाग़ लगाया है फूलो से सिा देना
अब तक तोह हनभाया…

तमु शांहत सिु ाकर हो, तमु ज्ञान हदवाकर हो


ममु हाँस चगु े मोती, तमु मानसरोवर हो
दो बंदू सिु ा रूस की, हम को भी हपला देना
अब तक तोह हनभाया…

रोकोगे भला कब तक, दशशन दो मझु े तमु से


चरणों से हलपट िाऊं प्रभु शोक लता िैसे
अब द्वार खड़ा तेरे , मझु े रह हदखा देना
अब तक तोह हनभाया है…

मझदार पड़ी नैया डगमग डोले भव में


आओ हत्रशाला नंदन हम ियान िरे मन में
अब दस करे हवनती, मझु े अपना बना लेना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना

अब तक तोह हनभाया है आगे भी हनभा देना

69
ते रे चरणो मे आये भगिान आशा ले के आये है
तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है ।
सिु र िाये प्रभु िीवन, ये इछिा लेके आये है ॥

न आवे भाव हहसं ा का वचन हहतकर सदा बोले ।


शील सतं ोि मय िीवन की वाि ं ा लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥1

सभी से प्रेम हो, हमको नही व्देि द्रुष्टो से ।


भाव दऽु हखयो पे हम अपना दया को लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥2

काम और क्रोि की अहग्न हमारी शांत हो भगवन ।


लोभ, मद मोह मदशन की सहु चता लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥3
रहे हनत भाव समताका, न ममता हो हमे तन से ।

सफल हशवराम हो, कामना लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥4

70
अररहंत जय जय वसद्ध प्रभु जय जय
अररहतं िय िय हसद्ध प्रभु िय िय ।
सािू िीवन िय िय िैन िमश िय िय ॥

अररहतं मंगल हसद्ध प्रभु मंगल ।


सािू िीवन मंगल, िैन िमश मंगल ॥

अररहतं उत्तम हसद्ध प्रभु उत्तम ।


सािू िीवन उत्तम, िैन िमश उत्तम ॥

अररहतं शरणम हसद्ध प्रभु शरणम ।


सािू िीवन शरणम, िैन िमश शरणम ॥

71
जय वजने न्द्र बोवलए
िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र बोहलए।
िय हिनेन्द्र की ध्वहन से, अपना मौन खोहलए॥
सरु असरु हिनेन्द्र की महहमा को नहीं गा सके ।
और गौतम स्वामी न महहमा को पार पा सके ॥

िय हिनेन्द्र बोलकर हिनेन्द्र शहि तौहलए।


िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, बोहलए॥
िय हिनेन्द्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो

िय हिनेन्द्र बोलने को हर मनष्ु य स्वतंत्र हो॥


िय हिनेन्द्र बोल बोल खदु हिनेन्द्र हो हलए।

िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र बोहलए॥


पाप िोड़ िमश िोड़ ये हिनेन्द्र देशना।
अष्ट कमश को मरोड़ ये हिनेन्द्र देशना॥
िाग, िाग, िग चेतन बहुकाल सो हलए।

िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र बोहलए॥


है हिनेन्द्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो।
कर रहे प्राथशना, प्राथशना पर ध्यान दो॥
िय हिनेन्द्र बोलकर हृदय के द्वार खोहलए।

िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र, िय हिनेन्द्र बोहलए॥

िय हिनेन्द्र की ध्वहन से अपना मौन खोहलए॥


मि
ु क द्वार है सब एक दस्तक हभन्न है।
भाव है सब एक मस्तक हभन्न है।
हिंदगी स्कूल है ऐसी िहााँ पाठ है सब एक पस्ु तक हभन्न है

72
देि ते रे सं सार की हालत क्या हो गई महािीर
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई महावीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।
सरू ि न बदला, चााँद न बदला, न बदले हदन-रात,
हकतने बदल गए हालात।
आि आदमी बना िानवर, नहीं समझे ये प्यार की भािा,
पैसों की खाहतर भाई ही, भाई के प्राणों का प्यासा।
अपनी हतिोरी भरने को बेच रहा िमीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।

माता-हपता की कदर नहीं है, भटक रहे दर-दर ये बेचारे ,


नहीं साथ कोई रखना चाहे दरू भागते इनसे सारे ।
इन्ही कपतू ों की करनी से, हालत है गम्भीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।
झठू बोलता, कम ये तौलता, करे हमलावट और मक्कारी,
नकली दवा बनाये बेचे अकल गई है इनकी भारी।
इतनी हगरावट आ गई भगवान कै से ढ़कंू अब चीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।

प्रभु भहि तो भलू गया ये, बाईक खबू भगाये,


खाकर गटु खा हदन भर माँहु में पीक थक
ू ता िाये।
माबाईल को लगा कान से लगता बड़ा अमीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।
िात-पात सब खत्म हो रही, नहीं नर्र आता ईमान,
हगरहगट िैसे रंग बदलते, बन गये हैं सब शैतान।
‘‘िैनी’’ अरि करे हिनवर हफर आवो है वीर,
हकतनी बदल गई तस्वीर।

73
ध्यान – ध्यान धरना है धरले
(तिश – िमू मचाले)
ध्यान – ध्यान िरना है िरले, िमश िमश करना है करले

िैन िमश है सबसे प्यारा, िमश ही तो हिंदगी है, िमश ही तो हर खश


ु ी है
भहि के भावो में आकार झमू , झमू रे मानव झमू रे मनवा झमू ….

िमश हबना नहीं महु ि हमले, सबको यहााँ है पता


बेखबर हो तु यू न िीवन हबना, तु भी ले – ले भहि का मिा
भहकत की ये भावना हो, भहि की ये चाहता हो
भहि की भावो में आके झमु , झमु रे मनवा …..

पल – पल यहााँ सभी कमश खड़े, कमो को खदु को बचा


करनी एसी कमश हफर न मी तु िन्म एसी भहि के भाव िगा
भावो की महहमा को उिारो, भावो की शहि को मानो

भावो की लहरों में आके झमु , झमू रे मनवा ……

74
कभी िीर बन के , महािीर बन के
तीथंकर वंदना ( Tirthankar Vandana )

कभी वीर बन के , महावीर बन के चले आना,


दरश मोहे दे िाना॥
तमु ऋिभ रूप में आना, तमु अहित रूप में आना।
संभवनाथ बन के , अहभनंदन बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु समु हत रूप में आना, तमु पद्‍म् रूप में आना।
सपु ाश्वशनाथ बन के , चंदा प्रभु बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥

तमु पष्ु पदतं रूप में आना, तमु शीतल रूप में आना।
श्रेयासं नाथ बन के , वासपु ज्ू य बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु हवमल रूप में आना, तमु अनंत रूप में आना।
िरमनाथ बन के , शांहतनाथ बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥

तमु कंु थु रूप में आना, तमु अरह रूप में आना।
महल्लनाथ बन के , महु न सव्रु त बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
तमु नहम रूप में आना, तमु नेहम रूप में आना।
पाश्वशनाथ बन के , महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥
कभी वीर बन के , महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे िाना॥

75
पारस प्यारा है
(तिश- राहिका गोरी से)

पारस प्यारा है. िीवन आिारा है, नैया लगा दे प्रभु पार
अरे ओ सनु लो मेरी पकु ार
तारणहाराह है, दीन दयाला है बाबा लगा दे भव पार
अरे ओ सनु लो मेरी पक ु ार
पारस प्यारा है ….

सन्ु दर मन हर नारी, देखो ये करुणा िारी


सन्मागश की देनारी, है हनमशल मन करनारी
मंहदर में आ िाओ- 2 मरू त सहु ानी है
पारस प्यारा है ….

ज्ञान दीपक िरनारी, दुःु ख दोहम हवपदा हारी


हत्रभवु न में महहमा भारी, गणु गाते सरु नर नारी
भहि से … पा िाओ – पा िाओ, शहि हनराली है
पारस प्यारा है …..

76
भावना एक मे री प्रभु स्वीकार ले ना
(तिश- थोडा सा प्यार हुआ है…)

भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना


डूबे ना नाव मेरी – २, इसे तु तार लेना भावना एक मेरी….

शरण हमने हलया है, अपशण तम्ु हे हकया है


हदल में बसा हलया, ये हदल तमु को हदया है
आि आकार खड़ा हूाँ – २ मझु े यू तार लेना भावना एक मेरी….

नाथ तमु सा हमला है, ह्रदय का बाग हखला है


कमो का राि हहला है मझु े सरताि हमला है
ु ी है – २, कोई ना नाथ मेरे भावना एक मेरी….
तम्ु हे पाकर खश

ज्ञान तमु ने हदया है, पान उसका हकया है


आि हहिशत हिया है गम को भल ु ा हदया है
भाव की पष्ु प माला – २, इसे तमु िार लेना भावना एक मेरी….

प्रभु तमु ने हदखाया, भहि का भाव िगाया


आस लेकर बड़ी, दशशन तेरा सहु ाया
िैन ज्ञान आया – २, रटन है हदवस रे ना भावना एक मेरी….

77
नाम है ते रा तारण हारा
नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दशशन होगा……..
नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दशशन होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सन्ु दर, वो हकतना सन्ु दर होगा – 2
तमु ने तारे लाखो प्राणी
यह सतं ो की वाणी है
तेरी िहव पर मेरे भगवन
ये दहु नया दीवानी है – 2
भाव से तेरी पिू ा रचाओ,ं िीवन में मंगल होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सन्ु दर, वो हकतना सन्ु दर होगा – 2
सरु वर महु नवर हिनके चरण में
हनशहदन शीश िक ु ते है
िो गाते है प्रभु की महहमा
वो सब कुि पा िाते है – 2
अपने कष्ट हमटाने को तेरे, चरणों का वंदन होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी संदु र, वो हकतना संदु र होगा – 2
मन की मरु ाते लेकर स्वामी
तेरे चरण में आये है ,
हम है बालक , तेरे हिनवर
तेरे ही गणु गाते है – 2
भाव से पार उतरने को तेरे, गीतों का सरगम होगा
हिनकी प्रहतमा इतनी सदंु र, वो हकतना सदंु र होगा – 2
नाम है तेरा तारण हारा ……

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