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Saral Tantra Prayog 1 - Anu Bhaiya


By Rahul Agarwal on Friday, January 27, 2012 at 8:05 PM

1 अद्भत
ु वाक्क्षमता
***************
सरल तंत्र साधना विधान ..
 
आपके लिए ..
 
जीवन में मान सम्मान और स्नेह और आदर का एक अपना ही स्थान हैं जिसे हर कोई चाहता ही हैं . पर उसके लिए अब बहुत सारी चीजों की
आवश्यकता होती हैं उच्च पढाई उच्च शिक्षा .. अनेको अन्य बाते .. पर यह सब एक दिन में तो नहीं आ सकता हैं इसके लिए तो बचपन से लगतार श्रम
करना ही पड़ता हैं.. पर एक चीज ऐसी हैं जो .. गर आपके पास हो तो अनेको लाभ आपको यु ही मिल सकते हैं ..
 
आप लोकप्रिय हो सकते हैं.. आप मान सम्मान भी प्राप्त करसकते हैं.. और साथ ही साथ सभी के स्नेह के पात्र भी . और वह हैं आपको वाणी का सौदर्य.
यहाँ मतलब आप किस तरीके से बोलते हैं और कितना मीठा पर हो..... बिना चापलूसी युक्त .. वह हैं अर्थ.
 
पर कोई हास्य हि हास्य की बात नहीं ..बल्कि धीरता और गंभीरता का उचित समावेश हमेशा होना ही चहिये .. चाहे आप बात कर रहे हो या कुछ और
आपके व्यक्तिव्य को तो आपकी भाषा स्वयं बता दे ती हैं. 
 
पर यह सब संभव हो कैसे .. यही तो मुख्य बात हैं . अब किसी को तोजन्म से मिली हैं ..कोई इतना भाग्यशाली हैं ही .. पर अन्य सभी का क्या..
 
शास्त्रों में कहा गया हैंकि वाणी के लिए माँ भगवती काली की साधना सर्वोपरि हैं. पर अब हर बात केलिए भी तो साधना नहीं की जा सकती हैं . और साथ
ही साधना विधान भी तो ऐसा हो की फल मिले ही ..कम करने पर भी ..
 
जब तीन बार महाकाली के बीज मंत्रो का संयुक्तीकरण किया जाता हैं तो यह एक अद्भत
ु बात हैं की बीज मन्त्र तो महाकाली के ही होंगे पर उनका लाभ
साधक को सरस्वती बीज मन्त्र जैसे मिलेगा.
 
मंत्र - क्रीं क्रीं क्रीं Kreem kreem kreem 
 
इस मंत्र का जितना जप संभव हो चलते फिरते करते जाये . जिसे करना हो तो नियानस
ु ार भी कर सकते हैं सामान्य नियम तो अब सभी जानते हैं ही .
 
आप स्वयं ही दो महाशक्तियों के स्नेहके पात्र बन जायेंगे ..तब फिर अद्भत
ु वाक्क्षमता तो आपके हाथ में ही होगी ... 
 
 
 
2. सरस्वती
*********
 
हमारी बहिनों के लिए इस नवरात्री में विशेष सरस्वती साधना विधान ..
 
चाहे जितनी भी बड़ी बाते कह दे पर यह सच्चाई हैं की हमारे समाज में आज भी अवस्था बहुत अच्छी नहीं हैं नारी वर्ग की ..
 
स्थितिया परिवर्तित तो तेजी से हो रही हैं पर मानसिकता तो कम या ज्यादा आज भी वैसी ही हैं .. पर यह तो स्वत ही धीरे धीरे होता जायेगा ..
 
उन्हें किसी की दया की जरुरत नहीं हैं ......... 
 
हाँ अगर जरुरत हैं तो केबल एक शब्द की वह हैं “प्रोत्साहन “
 
की .. अगर वह हम कर पाए तो ..
 
हैं न आश्चर्य जनक बाते की जो वेद को लिखने में योग्य पात्रा रही हैं उन्हें ही आज ..उस वर्ग को आज यह अवस्था दे खनी पड़ रही हैं ...
 
पर यह तो समाज का चक्र हैं जो की अब पन
ु ः ऊपर उठने को हैं . पर यह वर्ग आज अपनी पहचान कैसे बनाये???सिर्फ दया भाव से ..नहीं नहीं
 
की यह असहाय हैं इस कारण से ..नहीं नहीं 
2

 
की यह सबल नहीं हैं इस बात से ..नहीं ..
 
बल्कि हर में एक वही आत्मा तो हैं क्या फर्क पड़ा यदि एक उसी आत्मा ने अब एक नारी जाती का आवरण ले लिया .. कल को वहीआत्मा एक पुरुष का
आवरण भी ले कर चलती रहे गी ..
 
यहाँ बात हैं अपने व्यक्तित्व को एक अर्थ दे ने की हैं .. क्योंकि कुछ प्रशन ऐसे हैं की अगर उसके उत्तर में उलझे रहे तो समय ही नष्ट करना हैं ,, कोई
एक पल में तो सामाजिक अवधारणाये बदलने से रही .. 
 
पर यह निर्बल से सबल तक की यात्रा हमारी बहिनों को ही करनी हैं .. 
 
पर हो यह कैसे ..???
 
और फिर यही एक विरोधाभाष सामने आ जाता हैं की .. अब आप बताये बात तो बहुत बड़ी बड़ी हो गयी .. कुछ ठोस पर भी बात हो जाये ..
 
अपने व्यक्तित्व को निखार ने सौंदर्य की भूमिका हो सकती हैं पर उससे भी कहीं जयादा अपने गुणों को आगे लाने में हैं .. मतलबबौद्धिक क्षमता को
सबके सामने रखने की हैं .. स्वाभाव गत शर्मीला प न अपनी जगह सही हो सकता हैं 
 
पर जब हमारी बहिने उच्च प्रज्ञा से युक्त होंगी तब बात ही क्या हैं 
 
फिर प्रशन हैं की यह उच्च प्रज्ञा या यह उच्च बौद्धिक क्षमता आये कहाँ से?? .. तो हम भले हि कितना कहे की सारा विश्व तीन महाशाक्तियों का परिणाम
है या युक्त हैं पर ऐसा लगता हैं की हैंकी मानो सिर्फ दो ही स्थितिया हैं शत्रु निवारणार्थ महाकाली और धन के लिए महालक्ष्मी 
 
..भला किसे हैं समय की वह माँ सरस्वती की उपासना करें या जाए ...
 
जबकि यही अवस्था साधक वर्ग की हैं .उसे भी सरस्वती साधना में कोई खास रूचि नहीं. आप ही बताये शायद हि कोइ होगा जो इस ग्रुप में में कभी
किसी ने लिखा हो की उसे सरस्वती साधना चाहिए ... 
 
जबकि हम सभी यह तथ्य भूल जाते हैं की सारे मंत्र ... सारा ज्ञान ... तो माँ सरस्वती से ही सबंधित हैं . और यह तो केबल बताई गयी बाते हैंकि सरस्वती
का इससे बैर हैं या उससे वैर ..एक सफल और उच्च प्रज्ञा यक्
ु त जीवन में सभी कुछ होना ही चहिये ..
 
आज जो नए नए माता पिता हैं वह अपने बेटियों पर भी ध्यान दे ने लगे हैं उनकीशिक्षा के लिए भी परे शान होने लगे हैं .. और क्यों न हो यह भी तो
उन्ही का तो अंश हैं . 
 
पर जब चाह कर भी वह परिणाम न आ पा रहे हो तो .. अपनी बेटियों का .... अपनी सहयोगी की बौद्धिक विकास और योग्यता के लिए .... इन साधनाओ
को दे खना ही होगा ... कौन नहीं चाहे गा की उसकी बेटी या धर्मपत्नी योग्य हो पढ़ी हो .. और सिर्फ पढ़ी ही न हो बाकि वह बौद्धिक क्षमता भी हो ..
 
और यहाँ विशेषकर विद्यार्थी वर्ग के लिए तो उसकी एक जबरजस्त क्षमता हो याददास्त की .. तब न आपकी बेटिया अपनी बौद्धिकक्षमता का ...प्रज्ञा का ..
प्रकाश ... चारो और दिखा पाएंगी ..
 
इसके लिए अनेको विधान हैं .. कुछ बहुत बड़े तो कुछ छोटे भी .........
 
नवरात्री आ रही हैं , या तो अपनी बहिनों को.... बेटियों को यह करवाए या उनके नाम से संकल्प ले कर साधक स्वयं करे . साधक को भी फायदा होगा
क्योंकि आखिर बीज मन्त्र का उच्चरण उसके माध्यम से ही हो रहा हैं और जिसके लिए किया जा रहा हैं उसे तो होगा ही .
 
नवरात्री काल में अब आप नियम तो सभी जान गए तो क्या बार बार वही बताऊँ..
 
बस इतना याद रखें की रोज कम सेकम २० से ३० मिनिट तक 
 
सरस्वती बीजमंत्र “ऐं“ का जप करे  
 
और ऐसी मन में भाव रखे की माँ का के स्वरुप की दिव्यता आपके अंदर आती जा रही हैं जैसी ही आपकी याददास्त क्षमता बढे गी .. आपकी पहचान
स्वयं ही बनने लगेगी , 
 
अनेको विषय स्वत ही आसानी से समझ में आने लगें गे . और जहाँ रूप का एक अर्थ हैं वहाँ बौद्धिक् क्षमता भी तो वही हैं..
3

 
अब इस नवरात्रि में इस अनुष्ठान को स्वयं के लिए या अपने बच्चो केलिए करे यह तो आप पर हैं . हाँ यह जरुर हैंकि अपने अनुष्ठान के बाद अपनी
माला परू ी ही जाने के बाद करे ... हमारे बच्चो को माँ सरस्वती की पर्ण
ू वरद हस्तता प्राप्त हो ...
 
मित्रों सदगुरुदे व कहते हैं की जबभी एक नारी अगर मनोयोग से साधना क्षेत्र मे आती हैं तो अनेको पुरुष भी उसकी योग्यता के सामने नहीं खड़े हो सकते
हैं क्योंकि शक्ति तत्व में ... शक्ति तत्व कहीं जयादा आसानी से समाहित होगा न... 
 
अगर आप कितना सहमत हो मुझसे यह तो मैं नहीं जानता हूँ ... पर अपने ही ग्रुप को ले ले ..यहाँ जैसे ही नारी वर्ग ने अपनी लेखनी उठाई हैं सभी
उनकी बौद्धिक क्षमता को दे ख कर आश्चर्य चकित हैं ... और जो भी नयी नयी लेखिका सामने आई हैं ..उनके लिखने कि शैली ...और प्रज्ञा दे खें ...
 
कितना न ज्ञान उनके माध्यम से आ रहा हैं.. 
 
तो हमारी शेष बहिने क्या कर रही हैं ???... 
 
एक बार सोचे और .... इस साधना को करते चले और अपने अंदर जो भी सदगुरुदे व का प्रखर प्रज्ञा छुपी हैं उस सूर्य की ज्योति से स्वयं भी प्रकाशित हो
और हम सब को उसका परिचय भी दे .....
 
और आखिर में तो यह तो बात बहिनों की... बेटियों की हुयी ....,
 
आप क्या सोचते हैं कोई हम लोगों की याद रखने की अवस्था कोई बहुत बहुत अच्छी हैं??.......एक बार अपने ह्रदय पर हाथ रख कर बताये .अपने ही सगे
भाई बहिनों के मोबाइल नंबर हम ् में से कितनो को याद हैं ... 
 
तो क्या ..कोई और सबुत चाहिए ...... 
 
इस प्रक्रिया को हमें नहीं करना चहिये...
 
अब और क्या सोच रहे हैं आप ..... 
 
 
 
3. आपके व्यक्तिव्य प्रखरता
******************
 
सरल तंत्र साधना ..
 
आपकेलिए ही ..
 
मंत्रो का एक अपना ही संसार हैं ऐसे ऐसे मंत्र आपको प्राप्त हो सकते हैं .. की आप को विश्वास भी नहीं होगा की यह भी संभव है या इन कार्यों के लिए
भी मन्त्र दिए हुए हैं .
 
मंत्र पर विश्वास अविश्वास की बात नहीं .. बल्कि उन्हें परखने का भाव होना चहिये और फिर अगर कुछ कमी पाई जाती हैं उनके परिणाम की ...... तो
उन कारणों पर विचार किसी योग्य से करे ...... न की पूरे मंत्र या साधना क्षेत्र को ही एक आप अपना प्रमाण पत्र जारी कर दे ..
 
सूर्य की तेजस्विता से कोन नहीं वाकिफ होगा . प्रत्यक्ष दे व जो हमारे सामने हैं उनकी प्रखरता को किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं हैं .
 
अगर वह प्रखरता आपके व्यक्तिव्य में आ जाये तो ... फिर क्या बात हैं..
 
जब भी किसी से बात चित करने जाना हो तो इस मंत्र का १०८ बार उच्चारण करके जाए .अप पाएंगे सामने वाला आपकी बातों के प्रति अब और ज्यादा
सहयोगी रुख अपनाएगा .. और आप कहीं ज्यादा सफलता का अनभ
ु व करें गे ..बस कोई और विधान नहीं हैं. मंत्र जप ही पर्याप्त हैं ..
 
मंत्र : ॐ धं काली काली स्वाहा
Mantra : om dham kaali kaali swahaa 

Saral Tantra Prayog 2 - by Anu Bhaiya


By Rahul Agarwal on Friday, January 27, 2012 at 8:15 PM
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माँ भगवती दर्गा


ु – स्वयं सिद्ध मंत्र विधान .
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हमेशा यह अनिवार्य नहीं हैं की हर मंत्र को सिद्ध करे तभी वह परिणाम दे गा . बहुत सारे ऐसे भी मंत्र हैं जो महा योगियो द्वारा निर्माणित हैं . या प्रकृति
द्वारा स्वयं रचित हैं या उन ब्रम्हांड पुरुषों द्वारा दिए गए हैं या निर्मित हैं . 
 
जो हमें प्राप्त होते हैं.. अगर साधक इन ् मंत्रो का जप भी अपनी सुविधा अनुसार करता रहे तो भी वह वही सब परिणाम दे ख सकता हैं जो की किसी भी
अन्य मंत्र से पाए जा सकते हैं पर जब अन्य कोई भी नियम न माना जा रहा हो 
 
तब ..भी आप इन सिद्ध मंत्रो का असर दे ख सकते हैं यह धीरे धीरे ही सही पर आपके शरीर गत उर्जा से मिलकर एक अद्भत
ु रक्षात्मक वातावरण का
निर्माण कर दे ते हैं अनेको विपत्तियां स्वत दरू कर दे ते हैं और अनेको मनोबंछित लाभ भी प्राप्त कराने में समर्थ होते हैं..
 
यह सही हैं को कोई निश्चित लाभ या निश्चित इच्छा के लिए आपको तो एक क्रम निर्धारित करना ही पड़ेगा इस बात को समझना ही पड़ेगा . 
 
पर आज एक ऐसा ही स्वयं सिद्ध मंत्र 
 
आप सभी केलिए जो माँ आद्याशक्ति दर्गा
ु जो जीवन की दर्ग
ु ति को नष्ट करती हैं उनसे सम्बन्ध का हैं आपके लिए..
 
Mantra : ह्रीं दं ू दर्गा
ु यै नम: |
Mantra : hreem dum durgayei namah |
 
रोज बस ११ माला माला मंत्र जप करना पर्याप्त हैं ...
 
परिणाम आप स्वयं दे खेंगे .. क्योंकि माँ की कृपा वहभी माँ आद्या शक्ति की अगर साधक पर जब होरही हो तो कुछ क्या शेष रहे गा....smileAnu
 
 
2. सन्
ु सान में आपको विश्राम
********************************************
 
सरल तंत्र साधना विधान ...
 
शाबर मंत्रो में तो शरीर रक्षा के अनेको मंत्र विधान आसानी से उपलब्ध हैं सभी का प्रभाव भी कुछ विशेष को छोड़ दे तो लगभग समान सा ही हैं ..
 
यहाँ पर भी एक विधान आपके सामने हैं ..मन लीजिये कहीं सुन्सान में आपको विश्राम करना पड़ गया तो स्वाभविक हैं की कुछ चिंता आ ना की कहीं
....
 
तो कुछ मंत्रो को तो याद कर ही लेना चहिये .. जो छोटे हो सरल हो और अगर कहीं उनके सिद्ध करने की प्रक्रिया भी यदि सरल हो तो ..
 
मंत्र : फरीद चले परदे श को कुत्तुब जी के भाव सांपां चोरां नाहरां तीनो दांत वन्धाव ||
 
Mantra : Farid chale pardesh ko kuttub ji ke bhav Saanpaan choraan naahraan teeno daant vandhaav ||
 
बस किसी भी शुभ दिन केबल १०८ बार पढ़ कर सिद्ध कर ले और लोहबान से १०८ बार आहुति भी .
 
उपयोग ऐसे करना हैं .जहाँ पर विश्राम करना हो वहाँ पर अपने चारो और पानी से या किसी भी अन्य से एक रे खा खिंच दे .
 
NPRU

Saral Tantra Prayog 3 - Anu Bhaiya


By Rahul Agarwal on Friday, January 27, 2012 at 8:22 PM

 
मनोकामना पूर्ति का अद्भत
ु विधान ::
 
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यह शब्द की मन में उल्लास जगा दे ता हैं . जीवन में हर परिस्तिथि का एक अपना ही महत्त्व हैं .और जब एक व्यक्ति इन परिस्थितियों में जाता हैं तो
कुछ कमियों कुछ विवशता के कारण स्वाभाविक हैं की उसके मन में इच्छाए का जन्म ले, पर इनकी पूर्ति कैसे हो यही सबसे बड़ी समस्या हैं , और जब
मन की इच्छाए पूर्ण न हो तो स्वाभाविक हैंकि कुछ निराशा मन में आ जाये ...
पर मनोकामना पूर्ति के अनेको प्रयोग में से कुछ तो बहुत ही बह
ृ द हैं तब क्या किया जाए .साधनाओ के क्षेत्र में अनेको ऐसे विधान हैं की जिसके माध्यम
से साधक अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हैं . 
 
इसमें से यन्त्र विधान के प्रयोग कहीं जयादा सफल होते हैंक्योंकि यन्त्र तो एक माध्यम हैं जो साधक की इच्छा और मनोकामना को उसके इष्ट तक ले
जाता हैं और उसके वरदायक प्रभाव को साधक तक ले आता हैं यह ज्यामितीय रूप में एक विशिष्ट दे व और उनकी समग्र शक्तियों का रे खांकन हैं . 
 
नियम इ स प्रकार हैं की साधक नहा धो कर अपने आसन में बैठ जाये . और भगवान ् गणेश का कोई भी चित्र प्राप्त कर ले फिर शुभ समय या शुभ पर्व
में इस यन्त्र की रचना करे इसमें आवश्यक हैंकि जो यन्त्र निर्माण के कलम लेना हैं वह सफ़ेद आक की ही हो . जब यह यन्त्र का निर्माण हो जाय तो
सामान्य रूप से इसकी पज
ू ा करने के बाद इसको किसी सुनसान स्थान या जंगल में गडा दे , और बस धीरे धीरे आप स्वतः दे खेंगे की आपकी इच्छाए पूरी
होती जाएँगी .मनोकामना पर्ति
ू की सफलता के लिए सदगरु
ु दे व जी का पज
ू न क्रिया के प्रारं भ में और अंत में करना और गरु
ु मंत्र की जितनी माला आप
कर सके यह और भी इस क्रिया के प्रभाव को बढ़ा दे गा .
 
 
======================================
 
 
सर्वार्थ सिद्धि प्रदायक माँ दर्गा
ु स्त्रोत विधान ...
 
अनेको साधानाए हमारे सामने हैं . पर हम सिर्फ सोचते ही रह जाते हैं . कभी किसी कारण से कभी किसी कारण से . अपर जब समस्या सामने आ जाति
हैं तो . अब भाग दौड़ करने से फायदा भी कहाँ होता हैं .. और आधिकांश साधक की यही मनोस्थिति रहती हैं की वह अब क्या करे .. अब जबकि वह
समस्या के बीच भवर में हैं . अब तो कोई ज्योतिषी और न कोई उसकी सहायता कर पाता हैं . और कोई भी उसे उपाय बताये तो भी अब वह क्या करे .
कई बार आर्थिक कारण से ही व्यक्ति परे शां होता हैं और जो उपाय बाते जा रहा हैं उसमे ही इतना खर्चा दिख रहा रहा होता हैं तब वह क्या करें . 
 
अकारण ही उसे राज्य के लोग परे शां करने लगे , उसका मान सम्मान सब चौपट सा होता दिख रहा हो .संतान प्राप्त , विवाह और न जाने ऐसी कितनी
समस्याए हैं जिनका उल्लेख तो नहीं किया जा सकता हैं पर वह हैं . और उसे उसका निराकरण भी चाहिए हर दर्गा
ु सप्तसती की किताब में एक माँ दर्गा

के ३२ नाम का स्त्रोत दिया गया हैं , 
 
1. इसका पाठ करने का साधारण तो यही हैं की स्वच्छ होकर ११ बार इसका स्त्रोत का पाठ करे .और जब आप किसी भी विपत्ति में फस गए हो . या
कुछ ऐसी समस्या में आ गए हो की उससे मुक्ति चाहते हो . तो इस स्त्रोत का पाठ सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता हैं हाँ पर किस समस्या
के लिए यह पाठ किया जा रहा हैं इसका उल्लेख जरुर करें ,
 
2. एक इसका विशिष्ट प्रयोग यह हैं की जब नवरात्री प्रारं भ हो तब से उन ९ दिनों में सुबह शाम और अर्ध रात्रि में इस स्त्रोत का १०८ बार पाठ करे
(मतलब हर दिन ३*१०८=३२४ बार पाठ होगा).
 
इस स्त्रोत को स्वयं भगवती ने ही उच्चरित किया हैं , और उनका ही अभय वाणी हैं की इसका फल मिलेगा ही . पर एक तथ्य का जरुर ध्यान रखे की
जिस समय पाठ किया जा रहा हो उस समय या तो सामने चित्र या मूर्ति दे वी की अष्ट भज
ु ा स्वरुप की जरुर हो . और लाल पुष्पों से उनका पूजन अवश्य
करे .
 
बहुत हो लाभदायक प्रयोग हैं , और आसानी से प्राप्त हैं . एक बार क्रम करके दे खे तो सही आपकी समस्त समस्याए दरू होंगी ही .

सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए :: by- Anurag Singh Gautam
By Dev Raj on Friday, January 6, 2012 at 6:08 PM

                               सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला


 
मित्रो , बह
ृ द साधना का अपना एक महत्त्व हैं , पर यह भी सच हैं जहाँ पर सुई का काम हैं वहाँ पर तलवार या तोप की क्या जरुरत, ब्लॉग में और तंत्र
कौमुदी में आपको अनेक लेख बह
ृ द साधना विधान के बारे में मिलते रहते हैं , पर जीवन की आप धापी में कभी कभी समय चाह कर भी नहीं मिलता तो
ऐसे समय ...क्या किया जाए , और कभी कभी मन की अवस्था के कारण चाह कर भी उच्च प्रयोग की समय अवधि के कारण उनमे बैठा नहीं जा पाता
हैं.
 
• तो किसी के घर में कोई अलग से कमरा ही नहीं हैं .
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• तो किसी के घर वाले ही सहयोग नहीं कर रहे हैं तो वाह चाह कर भी नहीं कर पा रहा हैं .
 
• तो कोई साधना काल के दौरान करने वाली आवश्यक शारीरिक सुचिता नहीं कर पा रहा हैं
 
• तो किसी के आस पास कोई ऐसी पवित्रतम जगह नहीं हैं की वह वहां पर जा कर अपनी साधना कर पाए
 
• तो कोई अपनी उम्रगत समस्या चाहे छोटी या बड़ी के कारण भी नहीं कर पा रहा हैं
 
• तो कोई इससे से परे शां हैं की उसे साधना की सही प्रक्रिया कैसे की जाये यह मालम
ू नहीं हैं तो कहीं कुछ उल्टा न हो जाये
 
• तो कोई आर्थिक समस्या के कारण मन मार कर रह जाता हैं .
 
इस तरह और भी जीवन की समस्याए तो अपनी जगह हैं .
 
तो अब से इस लेख माला के अंतर्गत बहुत ही छोटे छोटे प्रयोग हम NPRU की ओर से दे ने जा रहे हैं जो की face book पर ही उपलब्ध होंगे . और आप
इन छोटे छोटे प्रयोगों को अपने जीवन में जगह दे कर कर लाभान्वित हो सकते हैं .
 
यह प्रयोग बहुत की कम सामग्री या लगभग नहीं पर ही आधारित होंगे और निश्चय ही इसमें कुछ स्त्रोत ... कुछ सरल साबर विधान .... और कुछ
महत्वपूर्ण अत्यधिक सरल प्रयोग ..... आपके सामने इस श्रंखला में होंगे , और यदि इन से किसी को भी लाभ पहुँचता हैं तो हमारा प्रयास की हम सफल
मानेगे
 
.और लाभ तो पहुंचेगा ही .
 
आपका
smile
Anu
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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-१
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
किसी भी शुभ दिन से /ग्रहण से / सदगुरुदे व जी का यथाशक्ति पूजन कर हर रोज़ 108 बार इस मंत्र का जप करे , और ऐसा आपको 40 दिन तक करना हैं
, मतलब इसे यदि दै निक पूजन में शामिल कर ले तो कहीं ज्यादा अच्छा होगा उतने दिन तक... और इस 40 दिन की अवधि के बाद यदि आप चाहे तो
म...ात्र 11 / 21 बार जप करते जाये . आप पर सदगुरुदे व और भगवती लक्ष्मी की कृपा हमेशा रहे गी और जीवन की नुन्यताये स्वतः समाप्त होगी , क्योंकि
कहा गया हैं
 
लक्ष्मी की स्तुति में कहते हैं " सब कुछ संभव हो जाता मन नहीं घबराता "
 
1. समय कोई भी या प्रातकाल ज्यादा अच्छा होगा
2. आसन कोई भी रं ग का हो या फिर पीला रं ग यही बात वस्त्रो की हैं .
3. जप माला यदि कमल गट्टे की हो तो और भी अच्छा होगा
4. और कोई शरीरिक शुचिता के कठोर नियम नहीं हैं ,जैसा संभव हो पाए .
 
बस अपना रोज़ का मंत्र जप जब समाप्त हो तो सदगुरुदे व जी के श्री चरणों में जप समर्पण करना न भूले ...और इसके पहले एक माला गुरु मंत्र करना
तो आपको याद हैं ही .
 
मंत्र
राम राम क्या करे ,चीनी मेरा नाम ,
सर्व नगरी में बस करूँ मोहू सारा गाँव |
राजा की बकरी करूँ ,नगरी करूँ बिलाई
नीचा में ऊँचा करूँ सिद्ध गोरखनाथ की दह
ु ाई ||
 
Raam raam kya Karen , chini mera naam ,
7

Sarv nagri me bs karun ,mohu sara gaon |


Raajaa ki bakri karun , nagri karun bilayi ,
Nichha me unchha karun , siddh gorakhnath ki duhayi ||
 
आपके जीवन में यह सरल प्रयोग धनागम लाये और प्रसन्नता भी ..... यही उन श्री चरणों में हमारी पूरी NPRU टीम की आप सभी के लिए प्रार्थना हैं
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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-2
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
सारा विश्व ही दो सामान भागो में बटा हुआ मालूम होता हैं , या यु कहे की हर चीज के दो पक्ष हैं सख ु हैं तो दःु ख भी हैं , हानि हैं तो लाभ भी हैं , आप
किसी एक पक्ष को लेंगे या चुनेगे तो दस
ू रा मुस्कुराता हुआ आपकी प्रतीक्षा करे गा ही . संपत्ति तो सभी चाहें गे पर ...विपत्ति को कौन ...
 
आपके जीवन से विपत्ति तत्व को निकलने के लिए यह एक सरल प्रयोग जो अपने दे श के अनेको तंत्र आचार्यो के द्वारा परीक्षित और प्रशंसित हैं
.
आप बाजार से एक पूरा नारियल ले आये मतलब उसके ऊपर पूरी जटा हो (छिला हुआ न हो ) , फिर किसी भी पज ू ा के सामान की दक
ू ान से लाल रं ग का
धागा जिसे मौली भी कहा जा ता हैं उसे ले ले . और इस धागे को अपनी शारीर की लम्बाई जितना काट ले. मतलब धागे की लम्बाई और आपके शरीर
की लम्बाई एक बराबर हो और इस कटे हुए पूजा के धागे को उस लाये गए नारियल पर अच्छी तरह से लपेट दे .
 
(गठान बांधने की जरुरत नहीं हैं )
 
फिर किसी भी बहते पानी के स्त्रोत मतलब साफ़ पानी वाले नदी में इसको प्रवाहित कर दे . और जब यह वह रहा हो तो मन ही मन आप यह सोचे की
इसके साथ आपकी समस्याए परे शानी विपत्ति भी आपके पास से इस नारियल की तरह आपसे दरू जा रही हैं .
बस एक बात ध्यान में रखना हैं की इस प्रयोग को करने के लिए रविवार का दिन ही उपयोग करना हैं , मतलब सारा कार्य नारियल खरीदने से लेकर .जो
भी.. सब रविवार को करना हैं और इ स प्रयोग को आपको पांच रविवार लगातार करना हैं ,
 
और मैं आपसे यह निवेदन करना चाहूँगा की इस प्रयोग को करने के पहले यदि सदगुरुदे व का पज
ू न और उनसे अपने लिए प्रार्थना कर ले और प्रयोग के
संपन्न होने पर मतलब हर रविवार को भी तो .... परिणाम आप ही महसस
ू करें गे .
 
आपके जीवन से दर्भा
ु ग्य की ……विपत्ति की छाया हटे यही हमारी पूरी NPRU TEAM की आपके लिए शुभ कामना हैं.
 
 
NPRU TEAM
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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-3
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
मित्रो शारीरिक स्वास्थ्य बनाये रखने में दांतों का अपना ही एक महत्त्व हैं , और आधिन्काश वर्ग दांतों के दर्द की समस्या से जुझता रहता भी हैं. इस दर्द
से बचने के लिए लोग कितनी दवाइयां लेते रहते हैं ,
...
साबर प्रयोग में एक प्रयोग बहुत ही सरल पर अत्याधिक प्रभावशाली हैं , बस प्रातः काल जब भी आप मंजन कर रहे हो तब मुंह में पानी भरकर इस मंत्र
को सात बार मन ही मन जप ले और कुल्ला कर दे , और यह प्रक्रिया सात बार करना हैं , यदि आप प्रतिदिन यह करते गए तो आप पाएंगे की भविष्य में
भी कभी आपको दांतों के दर्द से सामना नहीं करना पड़ेगा , यह बहुत ही अनुभूत प्रयोग हैं .
 
मंत्र :
काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला
तुम हो बत्तीस बार हमजोला
हम लाये तम
ु बैठे खाओ
अन्तकाल में संग ही जाओ ||
 
Kaahe risiyaaye ham to hain akela
Tum ho battis baar hamjola
Ham laye tum baithhe khao
8

Ant kaal me sang hi jao ||


 
NPRU TEAM
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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-4
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
हर साधक , हर व्यक्ति अपने कामो में पूर्णता चाहता ही हैं , और उसके लिए वह प्रयत्न भी करता हैं पर एक से एक समस्याए उसके सामने आती जाती
हैं .एक से बचे भी तो दस
ू री सामने आकर खड़ी होती हैं ही .. व्यक्ति तोकभी अपनी गलती के लिए परे शां होता ह...ैं तो कभी कभी अकारण कोई सामने
वाला उसके लिए परे शानी उत्पन्न करता जाता हैं .
तो आप किसी भी रविवार को एक भोज पत्र ले आये और आपको स्याही के लिए लाल चन्दन का प्रयोग करना हैं, और इस यन्त्र का निर्माण कर ले किसी
भी लकड़ी से या अपने हाथो से अंकन कर ले . फिर जब कोई भी यन्त्र बनाया जाता हैं तो आप जानते हैंकि उसकी धुप दीप अगरबत्ती से पूजा तो एक
आवश्यक अंग हैं ही फिर इसके बाद इस बने हुए यन्त्र को किसी भी ताबीज़ में भरकर , लाल धागे से ही बांधे.. हाँ यह आवश्यक हैं कि पुरुष वर्ग इसे सीधे
हाथ में और महिला वर्ग इसे उलटे हाथ में बांधे..
और आप पाएंगे की आपके कार्यो में जो अनावश्यक रूकावट आ रही हैं वह स्वत ही दरू होती जाएगी .....
 
(img:218398514908202)
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                             सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-5
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
चिंता चिता के समान हैं , पर इस युग में बिना चिंता के जीवन कैसे संभव हैं . एक चीनी दार्शनिक से उसके पास आये एक आगंतुक ने कहा की “मुझे
कोई ऐसा रास्ता बताये की जिससे मुझे फिर कभी चिंता कभी न हो” .
...
उसने कहा मुझसे क्यों पूंछते हो .. मैं तो जीवित हु …..पछ
ूं ना हैं तो जाकर कब्रिस्तान में जा कर मर्दों
ु से पूंछो .. ये रहस्य उन्हें ही मालूम हैं क्योंकि उन्हें
अब कोई चिंता हैं नहीं .
 
मानव जीवन होगा तो चिंता तो होगी ही न. पर एक बात थोडा सोचने की हैं की बिना चिंता के हम करें गे क्या , यह तो हमारी एक भाग हो गयी हैं.. पर
एक सीमा से ज्यादा चिंता का होना भी ठींक नहीं हैं . मित्रो यह तो हुयी एक दर्शन की बात ......
 
पर हमें तो सदगुरुदे व जी ने साधक बनाया हैं हमारी कल्पना भी उन्होंने ऐसे ही की हैं और कल्पना क्या ….हमें उन्होंने अपने स्व रक्त से साधक बनाने
के लिए ही सींचा हैं सदगुरुदे व जी ने हमें साधना रूपी अस्त्र दिया हैं ,,जिसके माध्यम से हम ... इस चिंता रूपी शत्रु को समाप्त कर सकते हैं..
 
जो भी साधनाए दी जाती हैं या दी जा रही हैं या तंत्र कौमुदी में आयी हैं .. आ रही हैं वह सब इस लिए ही तो हैं की हम साधना के माध्यम से चिंता
मुक्त हो कर उस उच्चस्तरीय ज्ञान को आत्मसात करने के लिए आगे बढ़ सके ....
 
पर समयाभाव के कारण परे शां हमारे अपने भाई बहिनों के लिए .... यह एक सरल सा मन्त्र जो आपके श्रद्धा बिस्वास की डोर की सहायता से आपके लिए
राहत प्रदान कर दे गा ..कोई भी नियम नहीं हैं बस यह की आप इसे चलते फिरते कभी भी जप कर सकते हैं और यदि मन हो तो इसका रोज़ १०८ बार
जप आपको निश्चय ही अनुकूलता दे गा ही .
 
ॐ वं वं वं नमो रुद्रे भ्यो क्षरं क्षरांक्षरी स्वाहा ||
Om vam vam vam namo rudrebhyo kshramkshraamkshari swaha ||
*******************************************************************************
 
                            सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-6
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
ऐसा कौन नहीं हैं जीवन में अपनी मनोकामना की पूर्ति सुनकर प्रसन्न न हो जाता हो ,
...
एक लोक कथा हैं ...एक बार एक व्यक्ति को चांस मिला स्वर्ग जाने का और सीधे भगवान ् से ही मिलने का ...... वहां जब वह पहुंचा तो उसने दे खा...पहले
कमरे में ढे रो सामान तरह तरह के खिलोने और पता नहीं क्या क्या .रखा हैं . .. उसने अपने मार्ग दर्शक से पूंछा की इसकी यहाँ क्या जरुरत हैं , उसने
9

कहा लोग जब धरती पर इच्छा मागते हैं तो यहाँ पर वह चीज बना कर भेजने केलिए तैयारी होती हैं .और तब तक वह व्यक्ति इतना भी वेट नहीं कर
पाता और दस
ू री इच्छा मागने लगता हैं तो ..इसी कारण यह सब यहाँ इकठ्ठा हो गया .
(पोस्टल service पर कमेन्ट न करे ).
 
मित्रो सदगुरुदे व कहते हैं कि इच्छा तो होनी ही चाहिए ,, और आज हम आपको एक ऐसा सरल सा प्रयोग इस स्तम्भ अंतर्गत रख रहे हैं जो की आपकी
इच्छा पूर्ति में सहायक होगा .
 
बस जप संख्या कम से कम १० माला हैं और कोई भी नियम नहीं चलते फिरते जैसा बने इस मंत्र को करते जाए , निश्चय ही आपकी मनो कामना पूर्ति
में बहुत सहायता मिलेगी .
 
मन्त्र : ॐ हर त्रिपुर हर भवानी बाला राजा प्रजा मोहिनी मम चिंतित फलं दे हि दे हि भुवनेश्वरी स्वाहा ||
Mantra : om har tripur har bhavani bala raja praja mohini chintit falam dehi dehi bhuvneshri swaha ||
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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-7
 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
मित्रो , अब कौन होगा जिसे या तो शारीरिक समस्या न हो ,,और मानलो कि किसी को नहीं हैं तो मानसिक तो हो गी ही , और हम में से आधिकाश को
तो यु कहूँ दोनों थोड़ी थोड़ी सी रहती ही हैं , और
 
ऊपर से अगर किसी को यह शक हैं की उस पर कोई प्रयोग कराया गया हैं तो बस समझ लीजिये की सब हो गया ,आप कि सारी दलीले एक तरफ
.....आप कितना भी समझाओ उसे....... वह नहीं मानने वाला ...कुछ केस में तो यह सही भी होता हैं पर अब हर बात को तांत्रिक प्रयोग मान लिया जाए
यह भी तो ठीक नहीं हैं न ...
 
साधक को जब तक किसी योग्य व्यक्ति से इस बात की सत्यता का पता नहीं चल जाए यु ही भय बीत नहीं होना चाहिए .
.
और मन लीजिये कोई समस्या आ जाती हैं तो सबसे पहले कौन से दे व याद आते हैं भारतीय लोगों को...... आप सही हैं भगवान ् हनुमान ..
भला “को नहीं जानत जग में कपि सकंट मोचन नाम तिहारो ....”
 
जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप
करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा
विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे ..
 
यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह
सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं .
 
मंत्र :
ॐ नमो हनम
ु ते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरे त स्वाहा ||
 
Om namo hanumte pavan putray vaishwanar mukhaay pap dristi ,ghor dristi hanumdaagya sphuret swaha ||
 
(कम से कम १०८ बार मंत्र जप तो करे ही )
 
और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उस पर छिडके .. उसे भगवान ् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शरू
ु हो जायेगा
 
और जो भी भाई बहिन यदि इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दरू होती जाएगी .. तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान
साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. हाँ महिला वर्ग को भी कोई रोक नहीं हैं वे भी निसंकोच कर सकती हैं . यह धारणा मन से हटा दे की
उन्हें कोई रोक हैं ....पर उनके लिए जो आवश्यक सावधानी बताई जाती हैं उसका उन्हें भी पालन करना ही चाहिए ...इस बात का विशेष ध्यान रखे . 
और मैं एक बार पुनः पूरी विनम्रता के साथ यह कहूँगा कि की , हम साधक के प्राण तो सदगुरुदे व ही हैं और साधना या प्रयोग कभी भी करे उसमे
शुरुआत और अंत में सदगुरुदे व का पूजन अवश्य करे अब यह आप पर हैं की आप मानसिक करते हैं या .....परन्तु करना हमें जरुर हैं क्योंकि सफलता
और सिद्धि प्रदान करना और साधना या प्रयोग की भल
ू चक
ु को क्षमा करते हुए इस पथ पर आगे बढ़ाना केबल और केबल उन्ही के कर कमलो में हैं .
 आज का दिन आप सभी के लिए शुभ दायक हो .
))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))
                                सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-8
10

 
आज एक ऐसा ही प्रयोग
 
जितने भी शुभ पक्ष हैं उसमे उन्नति हम सभी चाहते हैं ही . पर सबसे कहीं ज्यादा किसी बात की उन्नति का कहीं फर्क पड़ता हैं तो वह हैं हमारी कार्य
क्षेत्र का क्योंकि उसका सीधा सा सम्बन्ध हमारी सामाजिक सम्मान से हैं हमारे कार्य कुशलता से हैं और साथ ही साथ धन क...े और आगमन से हैं ..
 
और व्यक्ति को लगता हैं की उसका इतने दिन तक श्रम करना सार्थक हो गया ,, और आप जानते हैं ही की जब भी कार्य क्षेत्र में पदोन्नति की बात
उठती हैं तो व्यक्ति के मन में कैसा कैसा भाव आता हैं, और जिसको मिल जाती हैं उसके चेहरे की रौनक का तो क्या कहना ........
 
यु तो यह तथ्य भी किसी न किसी तरह भाग्य से ही जुड़ा हैं
 
हम इस श्रंखला में भाग्य उन्नति , धन आगमन , और रोग से मुक्ति और मानसिक तनाव से छुटकारे के लिए आप को लगतार ऐसे प्रयोग दे ते जायेंगे
जिनको आप बहुत ही आराम से कर सकते हैं ..
 
और आज हम आपके सामने ,, भगवान ् हनम
ु ान जी से सबंधित एक प्रयोग जो की प्रमोशन से पदौन्नति से संबंध का हैं आपके सामने हैं ..... बस हर दिन
इस निम्न मन्त्र का १०८ बार उच्चारण होना चाहिए ही ,
 
ॐ ह्रीं हनु हनम
ु न्ते रुद्रात्मकायै हूं फट ||
Om hreem hanu hanumante rudraatmkaayai hoom fat ||
 
मंत्र जप भगवान ् हनम ु ान जी की कोई भी मर्तिू या मंदिर में करे या किसी भी उनके चित्र के सामने करे . शेष सारे नियम जो भी आप पालन कर सकते
हैं करे और निश्चय ही प्रमोशन से सबंध में आने वाली बाधाये दरू होगी ... बस आप मन लगाकर करे तो ......
 
पर प्रयोग क्यों किया जा रहा हैं यह संकल्प तो हर प्रयोग में एक भाग हमेशा रहे गा मतलब अपना संकल्प जरुर ले ..और पज्
ू य सदगरु
ु दे व का आशीर्वाद
तो एक आवश्यक तथ्य हैं ही , यह तो अति आवश्यक तथ्य , नियम हैं जो हमें सफलता दिलाता हैं ही
 
NPRU TEAM

ANURAG BHAIYYA DWAAR YANTRA LEKHAN AUR SARAL TANTRA


VIDHAAN PAR LEKH... 5
By Rahul Agarwal on Friday, January 27, 2012 at 8:29 PM
यन्त्र लेखन में ::::::: भोज पत्र
 
यंत्रों के जब प्रयोग सामने आते हैं तो एक सामान्य साधक का यह सोचना स्वाभाविक हैं की इन्हें बनाया कैसे जाये . दस
ू रा यह भोज पत्र क्या हैं , क्या
इसमें भी कुछ गुणवत्ता दे खना जरुरी हैं .भोज पत्र पर यंत्र बनाना कहीं ज्यादा उचित माना गया हैं .यु तो काल अवधि को दृष्टिगत रखते हुए चांदी ताम्बे
और स्वर्ण पर भी निर्माण दे खने में आया गया हैं कतिपय विशष्ट यंत्रो के साथ यदि धातओ ु ं से जड
ु ी हुयी कुछ विशष्ट ता हैं तो यह अलग बात हैं
 
क्योंकि हर धातु का अपना एक अलग ही गुण हैं जो मानव को प्रभावित भी करता हैं हैं कुछ धातय
ु े अलग तत्व को तो कुछ अलग तत्वों की प्रतिनिधि
होती हैं , यहाँ तत्व से तात्पर्य सत रज तम से हैं . और किसके लिए किस प्रकार की व्यवस्था हैं यह तो कोई योग्य ही सामने रख सकता हैं, क्योंकि अगर
यह विज्ञानं हैं तो सारे कार्य कलाप में एक निश्चित परिणाम की प्राप्ति के लिए एक निश्चित तरीका भी तो उपयोग होगा.
 
भोज पत्र एक वक्ष
ृ का नाम हैं और इसकी छाल ही भोज पत्र के नाम से बिकती हैं यह एक और भूरे रं ग की तो दस
ू री और सफ़ेद रं ग की होती हैं भूरे रं ग
को ही लाल कह कर बाजार में उपलब्ध कराया जाता हैं ., ध्यान रहे भोज पत्र की यह छाल जिस पर यह यन्त्र बनाया जाना हैं वह साफ़ सथ
ु रा और टुटा
फूटा न हो .और इसको बाजार से ले आये साथ ही यह तो एक कागज़ की तरह का होता हैं तो जितना बड़ा यन्त्र हो उस आकार का इसको काट कर
टुकड़ा लेना चाहिए. 
 
यंत्र के प्रयोग जिनमे यंत्रो को धारण करने का निर्देश होता हैं उन्हें सामन्यतः भोज पत्र में ही बना कर फिर बाज़ार में मिल रहे विभिन्न ताबीजो के
अनुसार से उनके अंदर भर कर प्रयोग करना चाहिए .ताबीज की धातु भी यदि निर्देशित हो तो उसका पालन करे या फिर जो भी धातु या त्रि धातु का
आपको ठीक लगे उसका उपयोग करे ..
 
जितना अच्छा और उच्च कोटि का भोज पत्र होगा उतना ही अच्छा हैंहाँ यदि निर्देशित हो तो आप इन यंत्रो को अच्छे से मधवा भी सकते हैं .इन यंत्रो के
निर्माण के लिए महा पर्व ही नहीं बल्कि कोई भी शुभ समय लिया जा सकता हैं और इस बात की जानकारी तो आप सदगुरुदे व द्वारा रचित “काल निर्णय
“ नाम के ग्रथ से जान सकतेहैं
 
11

फिर भी यह भी नहीं हो पा रहा हो हर दिन दिन के १२ बजे एक महूर्त होता हैं जिसे अभिजीत महूर्त कहते हैं उस समय भी उपयोग कर सकते हैं ,
हलाकि जैसा निर्देशित किया गया हो उस यंत्र के निर्माण प्रक्रिया के बारे में वैसा किया भी जाना चहिये . और जब यन्त्र का निर्माण हो जाये तो अब
उसकी पज
ू न कैसे करना हैं यह भी एक आवश्यक बात हैं क्योंकि जा की रही भावना जैसी .. 
 
यदि आप मानते हैं की उस यन्त्र में भले ही निर्माण प्रक्रिया कितनी भी न सरल रही हो . अब यन्त्र में दे व वर्ग का आगमन हैं तो फिर उस दे व वर्ग का
पूजन भी करते आना चाहिए सामन्यतः धुप दीप अगरबत्ती और कुछ भोग पदार्थ और मन ही मन उनसे अनुकूलता की प्रार्थना बहुत हैं आगे हम इन
यंत्रो से सम्बन्ध में जो भी और अन्य आवश्यक जानकारी सम्भ्याव होती जायेगी वह आपके सामने रखते जायेंगे ही . क्योंकि यन्त्र विधान भले ही सरल
हो पर वह इतना गुढ़ और महत्वपूर्ण हैं की साधक सोच भी नहीं सकता की ऐसे यन्त्र और उनके विधान संभव हैं जो पल में परिणाम भी दे सकते हैं ..
पर वह तो बहुत आगे की बात हैं अभी तो इस विज्ञानं के प्रारं भ की बात भी ध्यान से समझना और जानना चाहिए ....
 
smile
 
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-11 आज एक ऐसा ही प्रयोग 
 
मित्रो , कभी कभी यह भी संभव हैं की किसी ऐसे रास्ते से हमारा निकलना हो जहाँ पर हमें कुछ अज्ञात का भय समाया दीखता हो , फिर वह सत्य हो या
नहीं यह एक अलग बात हैं पर उ स स्थान की ऋ णा त्मक उर्जा के कारण या फिर हमारे शरीर की उर्जा का उस उर्जा से सही संयोग न होने के कारण
ऐसा कई बार होता हैं, एक ऐसा ही मन्त्र आपके सामने रख रहा हुं जो की तंत्रग्यो द्वारा बहुत ही प्रशंसित हैं ..बस इसको याद कर ले और जब भी किसी
भी ऐसे स्थान से निकलना हो आप इस मंत्र का तीन बार उच्चारण करे और एक ताली बजा दे , इन इतर योनिया अगर सच में वहां हैं तो उनसे आपकी
रक्षा होगी ही .
 
मंत्र : रास्ते मुझे खुदा कस्त दीदम गुम सदी की राशि Raaste mujhe khuda kast didam gum sadi ki raashi 
 
NPRU TEAM
 
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-9 आज एक ऐसा ही प्रयोग 
मित्रो ,
 
अगर आज का समय दे खे तो यही लगता हैं की चिंताए तो वास्तव में हमारी साथी हैं हम कितना भी भागे ये पीछा नहीं छोडती हैं , अब या तो कभी
ज्ञात की चिंता या फिर कभी अज्ञात की चिंता तो लगी ही रहे गी न ... क्योंकि मानव जीवन हैं तो ऐसा स्वाभाविक भी हैं , पर इनका निवारण भी होना
चाहिए .तंत्रज्ञो ने एक ऐसा ही मंत्र सामने रखा हैं जो की बहुत सरल हैं कोई ताम झाम नहीं हैं , और इस मंत्र को आसानी से किया जा सकता हैं .. और
इसको अगर आप मानसिक रूप से करें तो कहीं ज्यादा उचित होगा ....चलते फिरते जैसे भी बने बस करते जाए .. आपको अनक ु ू लता प्राप्त होगी ही .मंत्र
:ॐ हं शं शा ॐ ह्रीं फट स्वाहा ||Om ham sham shaaa om hreem fat swaha ||

कुछ उपाय ---------


By Aditya Sharma on Wednesday, July 10, 2013 at 6:45 PM

कारोबारी समस्या

कारोबारी सफलता के लिए


कारोबारी सफलता के लिए प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पूरे घर की सुंदर
सफाई करें । तत्पश्चात परिवार के सभी सदस्य नहा धोकर शुद्ध वस्त्र धारण
करके एक जगह एकत्रित होकर अपने बीच में चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा
दें । वस्त्र के ऊपर 11 मुट्ठी मसूर की दाने रखकर उसके ऊपर एक चौमख
ु ा दीपक
प्रज्ज्वलित कर रख दें । तत्पश्चात घर के सभी सदस्य संद
ु र काण्ड का पाठ
करें । संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।

नया कारोबार करने से पहले


नया कारोबार, नई दक
ु ान या कोई भी नया कार्य करने से पूर्व मिट्टी के पांच
पात्र लें जिसमें सवाकिलो सामान आ जाएं। प्रत्येक पात्र में सवा किलो सफेद
तिल, सवा किलो पीली सरसों, सवा किलो उड़द, सवा किलो जौ, सवा किलो साबुत
मूंग भर दें । मिट्टी के ढक्कन से ढं क कर सभी पात्र को लाल कपड़े से मुंह
बांध दें और अपने व्यवसायकि स्थल पर इन पांचों कलश को रख दें । वर्ष भर यह
कलश अपनी दक
ु ान में रखें ग्राहकों का आगमन बड़ी सरलता से बढ़े गा और कारोबारी
12

समस्या का निवारण भी होगा। एक वर्ष के बाद इन संपूर्ण पात्रों को अपने ऊपर


से 11 बार उसार कर बहते पानी में प्रवाह कर दें । और नये पात्र भरकर रख
दें ।

कार्य में बार-बार आने वाली समस्या


यदि आपको अपने कार्य में अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।
बार-बार कार्य में रूकावट आ रही हो तो आप अपने घर में शनिवार के दिन तुलसी
का पौधा लगाएं और हर रोज सुबह-शाम घी का दीपक जलाने से कार्य में बार-बार
आने वाली समस्या का निवारण बड़ी सरलता से हो जाएगा।

कारोबार में अनावश्यक परे शानी हे तु


अगर कारोबार में अनावश्यक परे शानी आ रही हो, लाभ मार्ग अवरोध हो रहा हो तो
हर रोज शाम को गोधलि
ू वेला में यानि साढ़े पांच से छ: बजे के बीच में अपने
पूजा स्थान में श्री महालक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करके या तुलसी के पौधे
के सामने में गो घत
ृ का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद उसक
अंदर अपने इष्ट दे व का ध्यान करते हुए एक इलायची डाल दें । ऐसा नियमित 186
दिन करने से व्यापार में लाभ होगा। दीपक और इलायची हमेशा नया प्रयोग में
लाएं।

कारोबारी समस्या निवारण हे तु


कारोबार में समस्या आ रही हो, व्यवसाय चल नहीं रहा हो और कर्ज से परे शान
हो रहे हो तो इस प्रयोग को करके दे खें। यह प्रयोग किसी भी महीने शुक्ल
पक्ष के प्रथम गरु
ु वार के दिन शरू
ु करें और नियमित 186 दिन करें । हर रोज
स्नानोपरांत पीपल, बरगद या तुलसी के पेड़ के नीचे चौमख
ु ा दे सी घी का दीपक
जलाएं। और शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर एक पाठ विष्णु सहस्रनाम का करें तथा
11 माला ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र की जाप करें । मां लक्ष्मी की
कृपा होगी और कारोबारी समस्या का निवारण हो जाएगा।

व्यवसाय में बाधाएं


यदि आपके व्यवसाय में बाधाएं चल रही हों तो आपको अपने कार्यस्थल पर पीले
रं ग की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए तथा पूजाघर में हल्दी की माला लटकानी
चाहिए। भगवान लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में लड्डू का भोग लगाना चाहिए।

व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ


व्यवसाय में मनोनक
ु ू ल लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो किसी भी शनिवार
के दिन नीले कपड़े 21 दानें रक्त गुंजा के बांधकर तिजोरी में रख दें । हर
रोज धूप, दीप अवश्य दिखाएं। अपने इष्टदे व का ध्यान करें । ऐसा नियमित करने
से व्यापार में लाभ मिलेगा और सफलता भी प्राप्त होगी।

कारोबारी, पारिवारिक, कानूनी परे शानियों से छुटकारा दिलाने वाला अमोध प्रयोग
आप अपना काम कर रहे हो कठिन परिश्रम के बावजूद भी लोग आपका हक मार दे ते
हैं। अनावश्यक कार्य अवरोध उत्पन्न करते हों। आपकी गलती न होने के बावजूद
भी आपको हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा हो तो यह प्रयोग आपके लिए
बहुत ही लाभदायक सिध्द होगा। रात्रि में 10 बजे से 12 बजे के बीज में यह
उपाय करना बहुत ही शभ ु रहे गा। एक चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछा कर उसके ऊपर
11 जटा वाले नारियल। प्रत्येक नारियल के ऊपर लाल कपड़ा लपेट कर कलावा बांध
दें । इन सभी नारियल को चौकी के ऊपर रख दें । घी का दीपक जला करके धूप-दीप
नेवैद्य पुष्प और अक्षत अर्पित कर। नारियल के ऊपर कुमकुम से स्वस्तिक बनाए
और उन प्रत्येक स्वस्तिक के ऊपर पांच-पांच लौंग रखें और एक सुपारी रखें।
माँ भगवती का ध्यान करें । माँ को प्रार्थना करें कष्टों की मुक्ति के लिए।
कम्बल का आसन बिछा कर ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री दे व्यै
नम:11 माला करें , तत्पश्चात नारियल सहित समस्त सामग्री को सफेद कपड़े में
बांध कर अपने ऊपर से 11 बार वार कर सोने वाले पलंग के नीचे रख दें । सुबह
13

ब्रह्म मर्ुहूत्त में बिना किसी से बात किए यह सामग्री कुएं, तालाब या
किसी बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें । कानूनी कैसी भी समस्या होगी उससे
छुटकारा मिल जाएगा।

ऋण मुक्ति और धन वापसी के उपाय


किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन प्रदोष काल में यह पूजा
प्रारं भ करें । किसी भी प्राण प्रतिष्ठित शिव मंदिर में जाकर श्रद्धापूर्वक
शिव की उपासना करें । शिव पूजन के उपरांत अपने सामने दो दोने रख दें । एक
दोने में यानी बायें हाथ वाले दोनें में 108 बिल्वपत्र पीले चंदन से
प्रत्येक बिल्व पत्र में ॐ नम:शिवाय लिखकर रख दें । तत्पश्चात शद्ध
ु आसन
बिछाकर एक बिल्वपत्र अपने दाहिनी हाथ में लें और इस ॐ ऋणमुक्तेश्वर
महादे वाय नम:। मंत्र का जाप करें । और दाहिने हाथ वाले दोने में बिल्व पत्र
को रख दें । ऐसा 108 बार करें । जाप पूरा होने के उपरांत एक पाठ ऋणमोचन मंगल
स्तोत्र का करें । साथ ही सर्वारिष्ट शान्त्यर्थ शनि स्तोत्र का पांच पाठ
भी करें । ऐसा नियमित 40 दिन तक पूजा करने से ऋण से छुटकारा मिल जाएगा।

ऋण मुक्ति के लिये
आप अपने कारोबार में कर्जे से डूबे जा रहे है रात-दिन मेहनत करने के
उपरांत भी कर्जा उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है तो यह प्रयोग आपके लिये
बहुत ही अनक ु ू ल व फायदे मंद रहे गा। किसी भी माह के शक् ु ल पक्ष के प्रथमा के
दिन नित्यक्रम से निवत्ृ त होकर स्नानोपंरात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और
अपने पूजा स्थान में यह पज
ू ा प्रारं भ करें । 6 इंच लम्बी गूलर की पेड़ की जड़
ले उसके ऊपर 108 बार काले रं ग का धागा ॐ गं गणपतये नम:मंत्र का जाप करते
हुये लपेटे। भगवान गणेश जी से ऋण मुक्ति की प्रार्थना करें । 108 चक्र होने
के बाद इस लकड़ी को स्वच्छ थाली में पीला वस्त्र बिछाकर रख दें । तत्पश्चात
श्रद्धानस
ु ार धप
ू ,दीप, नैवद्य, पष्ु प अर्पित करें । घी का दीपक प्रज्जवलित
कर उसमें एक इलायची डाल दें । शुद्ध आसन बिछाकर अपने सामने हल्दी से रं गे
हुये अक्षत रख लें। अपने हाथ में थोड़े से अक्षत लें ॐ गं गणपतये ऋण हरताये
नम:मंत्र का जाप करके अक्षत गलू र की लकड़ी के ऊपर छोड़ दे । ऐसा 108 बार
करें । अगले दिन यह प्रक्रिया पुन:दोहरायें। ऐसा नवमी तक पूजन करें । नवमी
के दिन रात में सवा ग्यारह बजे पुन:एक बार पूजन करें । ऋण हरता गणपति की 11
माला जाप करें । तत्पश्चात इस लकड़ी को अपने ऊपर से 11 बार उसार कर के अपने
घर के किसी कोने में गड्डा खेंद कर दबा दे । उसके ऊपर कोई भारी वस्तु रख
दें । ऐसा करने से कर्ज से छुटकारा मिल जायेगा।

ऋण से छुटकारे हे तु
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन गेहूं के सवा किलो
आटा में सवा किलो गुड़ मिलाकर उसके गुलगुले या पूएं बनाएं। शाम के समय
हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदरू घोलकर अभिषेक करने के उपरांत घी का
दीपक जलाएं और वहीं बैठकर हनुमान चालीसा के 7 पाठ करें । तत्पश्चात हनम
ु ान
जी को इन गुलगुले और पूएं का भोग लगाएं और गरीब व जरूरतमंद व्यक्तियों को
बांट दें । ऐसा 11 मंगलवार करें , ऋण से छुटकारा मिलेगा।

ऋण मुक्ति के लिए
ऋण मुक्ति के लिए उपाय सर्वप्रथम पांच गुलाब के फूल लाएं। ध्यान रहे कि
उनकी पंखड़
ु ी टूटी हुई न हो। तत्पश्चात सवा मीटर सफेद कपड़ा, सामने रचो कर
बिछाएं और गुलाब के वार फूलों को चारों कोनों पर बांध दें । फिर पांचवा
गुलाब मध्य में डालकर गांठ लगा दें । इसे गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों में
प्रभावित करें । प्रभक
ु ृ पा से ऋण मुक्ति और घर में सुख समध्दि
ृ की प्राप्ति
होती है ।

व्यवसायिक परे शानी का निवारण


14

दीवाली के दिन नित्यकर्म से निवत


ृ होकर स्नानोपरांत अपने पूजा स्थान में
लक्ष्मी बीसा यंत्र एवं कुबेर यंत्र की श्रद्धापर्वूक स्थापना करने के
उपरांत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और अक्षत से पंचोपचार पूजन करें ।
तत्पश्चात शुद्ध आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर 11 माला इस ॐ यक्षाय
कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यादि पताये धन धान्य समद्धि
ृ में दे ही दापय दापय
स्वाहा मंत्र की जाप करें । संपूर्ण व्यावसायिक परे शानियों का निवारण होगा।
हर रोज इस मंत्र की सब
ु ह-शाम एक माला जाप करने से अवश्य धन में वद्धि

होगी।

घाटा दरू करने का उपाय


व्यापार में घाटा हो रहा हो या काम नहीं चल पा रहा हो, तो आप एक चुटकी आटा
लेकर रविवार के दिन व्यापार स्थल या अपनी दक
ु ान के मुख्य द्वार के दोनों
ओर थोड़ा-थोड़ा छिड़क दें , साथ में कहें - जिसकी नजर लगी है उसको लग जाये।
बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला। यह क्रिया शक्
ु ल पक्ष में ही करें । संभव हो
तो प्रयत्न करें कि इस क्रिया को करते हुए आपको कोई न दे खे। गुप्त रूप से
यह क्रिया करने पर व्यापार का घाटा दरू होने लगता है । इसके अलावा व्यापार
स्थल में मकडिय़ों के जाले व्यापार की वद्
ृ घि को रोकते हैं। अत: व्यापार
में बरकत के लिए प्रत्येक शनिवार को दक
ु ान की सफाई आदि करते समय मकड़ी के
जालों को अवश्य हटा दे ना चाहिए।

बिक्री बढ़ाने के व लाभ के उपाय


जिन उद्योगपतियों या व्यापारियों को काफी प्रयास और अथक परिश्रम करने के
बावजूद बिक्री में वध्दि
ृ नहीं हो पा रहा हो तो यह उपाय शुक्ल पक्ष में
गुरुवार से प्रारम्भ करें और प्रत्येक गुरुवार को इस क्रिया को दोहराते
रहें । घर के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगाजल से शुध्द कर लें या धो लें।
शध्
ु द किए गए स्थान पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और उस पर थोड़ा दाल और गड़

रख दें । साथ ही एक घी का दीपक जला दें । ध्यान रहे कि स्वस्तिक का चिह्न
हल्दी से ही बनाएं। स्वास्तिक बनाने के बाद उसको बार-बार नहीं दे खना
चाहिए। यह उपाय बहुत ही सरल है और इसका प्रभाव शीघ्र ही परिलक्षित होने
लगता है ।

कारोबार में वद्धि


ृ हे तु
हर रोज प्रात:काल नित्यकर्म से निवत्ृ त होकर स्नानोपरांत तांबे के लोटे
में जल भरकर उसमें थोड़ी सी रोली डालकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:॥ मंत्र
का जाप करते हुए तल
ु सी के पौधे में जल चढ़ाएं। शाम को गाय के शुद्ध दे सी घी
का दीपक जलांए और इसी मंत्र की पांच माला जाप करें ।

व्यवसायिक समस्याओं का निवारण हे तु


कठिन परिश्रम व मेहनत करने के उपरांत लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो
प्रत्येक गुरुवार के दिन शभ
ु घड़ी में पीले कपड़े में 9 जोड़े चने की दाल, 9
पीले गोपी चंदन की डलियां, 9 गोमती चक्र इन सबको पोटली बनाकर किसी भी
मंदिर में केले के पेड़ के ऊपर शाम के समय टांग दें । साथ ही एक घी का दीपक
भी प्रज्ज्वलित कर लें। ऐसा 11 गुरुवार करने से धन की प्राप्ति होगी और
व्यवसायिक समस्याओं का निवारण भी होगा।

धन का न रूकना
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6
लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में
किसी सन
ु सान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर
उसमें दबा दें । ऐसा 11 बुधवार करें । दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए।
इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।

धन वद्धि
ृ हे तु
15

किसी भी गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन प्रात:काल नित्यकर्म से निवत


ृ होकर
स्नानोपरांत शंख पुष्पी की जड़ अपने घर में लेकर आएं इस जड़ को गंगाजल से
पवित्र कर दें । पवित्र करने के उपरांत चांदी की डिब्बी में पीले चावल भरकर
उसके ऊपर रख दें । श्रद्धानुसार धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प, अक्षत अर्पित कर
पंचोपचार पज
ू न करें । उसके बाद इस डिब्बी को अपनी तिजोरी में रख दें । धन
में वद्धि
ृ और कारोबारमें लाभ होगा। हर गुरु पुष्य के दिन शंख पुष्पी की
जड़ व चांदी की डिब्बी बदल दें । पहले वाली बहते पानी में प्रवाह कर दें ।

कार्यक्षेत्र के व्यवधान दरू करने हे तु


यदि आपका व्यवसाय तकनीकी क्षेत्र का है और आपके व्यवसाय में हमेशा कोई न
कोई मशीन बहुत जल्दी खराब होती हो तो यह उपाय बहुत ही लाभदायक रहे गा। किसी
भी माह के प्रथम गरु
ु वार के दिन हल्दी, कंु कुम और केसर की स्याही बनाकर नौ
इंच सफेद कच्चे धागे को रं ग लें। तत्पश्चात उसमें नौ गांठ लगा दें । मशीन
के ऊपर उसी स्याही से स्वास्तिक बनाकर उस धागे को बांध दें । मशीन खराब
नहीं होगी और कर्मचारी में मन लगाकर काम करें गे

सुख-शांति हे तु
यदि आपके परिवार में हमेशा कलह रहता हो पारिवारिक सदस्य सख
ु शांति से न
रहते हो तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में जटा वाले नारियल को लपेटकर
उस पर काजल की 21 बिंदी लगा लें। और घर के बाहर लटका दें । हमेशा घर बरु ी
नजर से बच कर रहे गा और हमेशा सख
ु -शांति रहे गी।

कार्य सफलता के लिए


किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर निकलने से पूर्व दही में गुड़ या चीनी
मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने से कार्य में सफलता मिलती है । साथ ही घर से
बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें इस धन राशि से किसी जरूरत
मंद व्यक्ति को खाने की चींज दे कर निकल जाएं कार्य सफलता मिल जाएगी।

यदि जातक के अपने कर्म ठीक है , कार्य व्यवसाय में वह ईमानदारी से परिश्रम
करता हो, उसके बावजद
ू भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही हो अथवा घर में
शांति नहीं हो तो इस प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल
में एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दर्वा
ु -11, तुलसी का एक पत्ता और
एक बिल्व पत्र डालकर मत्ृ युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें तो सभी
प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है ।-

ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनं ऊर्व्वारुकमिव वंधनान्मत्ृ योर्मुक्षीय मां मत


ृ ात ्।

भगवान दत्तात्रोय को ब्रह्मा-विष्णु-महे ष की शक्तियों का संयोग कहा जाता


है । अत: दत्ताात्रोय जी की साधना गूलर के पेड़ के नीचे बैठकर करने से शीघ्र
फलदायी होती है । उत्तार पूर्व की ओर मुख करके 'ओम द्रां दत्तात्रोय नम:'
मंत्रों का 21 दिन निरं तर 21 माला जप करने से बहुत लाभ मिलता है । पज
ू ा में
श्वेत चंदन, पुष्प और केवड़े के इत्रा का प्रयोग करना चाहिए।

अक्षय तत
ृ ीया या किसी भी शुक्रवार की रात्रि को कांसे या पीतल की थाली में
काजल लगाकर काली कर दें और फिर चांदी की शलाका से लक्ष्मी का चित्र बनाएं
चाहे वह कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर
दें और एक निष्ठ होकर, मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार दिषा की ओर
मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार दीपक बनाए और उसमें किसी भी प्रकार का
तेल भरकर प्रज्जवलित करें और थाली के चारों कोनों पर रखे मंग
ू ों की माला
से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र जप करें । ओउम्ह्रीं ह्रीं
श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥ जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं
विश्राम करें और जमीन पर ही सो जाएं।
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अगर आप कर्ज से परे षान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के फूल, एक चांदी
का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों
को हाथ में ले लें और 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें । इनको इकठ्ठा कर
कहें मेरी परे षानी दरू हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले
जाकर बहते जल में प्रवाह कर दें । यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए। अगर
इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने किया जाए तो और भी अच्छा होता है ।
इसे कम से कम 7 सोमवार करना चाहिए।

बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परे शान है , आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक
हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहे गा। किसी भी माह के
पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख
कर अपने पज
ू ा स्थान में रख दें । श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें । धूप,
दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें । तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं
श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें । ऐसा 7 दिन नियमित रूप से
पज
ू न और जाप करें । पन
ु : दस
ू रे सोमवार को श्रद्धापर्व
ू क पज
ू न और जाप के
उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में
गड्डा खोदर कर डाल दें । शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल
वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें । और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और
दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें ।
मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।

स्वास्थ्य के लिये
यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग रहा कि दवा
काम नहीं कर रही है , डाक्टर बीमारी खोज नहीं पा रहे है । तो यह उपाय शुक्ल
पक्ष की अष्टमी को करना चाहिये। आठ गोतमी चक्र ले और अपने पज
ू ा स्थान में
मां दर्गा
ु के श्रीविग्रह के सामने लाल रे शमी वस्त्र पर स्थान दें । मां
भगवती का ध्यान करते हुये कंु कुम से गोमती चक्र पर तिलक करें । धूपबत्ती और
दीपक प्रावलित करें ।धूपबत्ती की भभूत से भी गोमती चक्र को तिलक करें । ॐ ऐं
ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे की 11 माला जाप करें । जाप के उपरांत लाल
कपड़े में 3 गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप दे कर धूप, दीप दिखाकर बच्चे के
गले में डाल दें । शेष पांच गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के
ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी विराने स्थान में गड्डा खोदकर दबा दें ।
आपका बच्चा हमेशा सुखी रहे गा।

आर्थिक सम्पनता के लिये


आप चाहते है कि आपकी आर्थिक संपंता स्थिर रहें के लिए उचित परिश्रम का लाभ
प्रान्त हो, किसी भी माह के प्रथम शुक्ल पक्ष को यह प्रयोग आरं भ करें और
नियमित 3 शुक्रवार को यह उपाय करें । प्रत्येक दिन नित्यक्रम से निवत्ृ त
होकर स्नानोंपरांत अपने घर में अपने पूजा स्थान में घी का दीपक जलाकर मां
लक्ष्मी को मिश्री और खीर का भोग लगायें। तत्पश्चात 11 वर्ष की आयु से कम
की कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन करायें। भोजन में खीर और मिश्री जरूर
खिलायें। भोजन के उपरांत श्रद्धानस
ु ार लाल वस्त्र भें ट करें । ऐसा करने से
मां लक्ष्मी की अवश्य कृपा होगी।

दांपत्य सख
ु हे तु
यदि चाहते हुए वैवाहिक सख
ु नहीं मिल पा रहा है , हमेशा पति-पत्नि में किसी
बात को लेकर अनबन रहती हो तो किसी भी शुक्रवार के दिन यह उपाय करें ।
मिट्टी का पात्र ले जिसमें सवा किलो मशरूम आ जाएं। मशरूम डालकर अपने सामने
रख दें । पति-पत्नि दोनों ही महामत्ृ युंजय मंत्र की तीन माला जाप करें ।
तत्पश्चात इस पात्र को मां भगवती के श्री चरणों में चुपचाप रखकर आ जाए।
17

ऐसा करने से मां भगवती की कृपा से आपका दांपत्य जीवन सदा सख


ु ी रहे गा।

रोजगार के लिये
अगर आपको रोजगार की समस्या आ रही हो या आपके व्यवसाय में आर्थिक समस्या का
सामना करना पड़ रहा हो अथवा हाथ में आये अच्छे मौके निकले जा रहे हो तो ऐसी
अवस्था में किसी भी माह के शुक्ल पक्ष को यह उपाय आरं भ करें । सौ ग्राम जौ,
सौ ग्राम दे सी चना, सौ ग्राम उड़द का आटा लें तीनों आटों को मिक्स करके
गूंथ लें और इस आटे की 108 गोलियां बना लें। गोली बनाते समय ॐ श्रीं नम:
का जाप करते रहें गोलियां बनाकर किसी स्वच्छ थाली में रख दें । तत्पश्चात
दीपक जलायें और ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। 11 माला जाप करें । और जप माला
स्फटिक की प्रयोग करें तो बहुत अच्छा रहे गा। जप के बाद स्वच्छ पात्र में
जल और गंगा जल भर कर माला को पात्र में रख दें । प्रात:काल उस जल में से
माला को निकालकर उस जल को अपने घर, दक
ु ान या व्यापारिक स्थान में छिड़क
दें । ऐसा नियमित 108 दिन तक करें । 108 दिन के बाद माला को बहते पानी में
प्रवाह कर दें ।

कार्य बाधा निवारण के लिए


लाल कपड़े के ऊपर कंु कुम की स्याही बनाकर लाल चंदन की लकड़ी से गीता के
ग्यारहवें अध्याय के 36 वें शोक को श्रद्धापूर्वक लिखें। और अपने घर के
दायीं ओर किसी भी कोने में टांग दें । किसी भी प्रकार की कार्य बाधा हो
उसका निवारण हो जाएगा।

विवाह में विलम्ब के उपाय


जिस जातक की जन्म कंु डली में बह
ृ स्पति नीच का हो, 6, 8, 12 भावों में
क्रूर ग्रहों के साथ बैठा हो अथवा दृष्ट हो, प्रबल मार्के ष हो तो ऐसी
अवस्था में यह उपाय रामबाण का काम करता है । गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन गुरु
की होरा में केले की जड़ को पूजनादि करके खोदकर घर लाएं। उस जड़ को पूजन
स्थान में रखकर श्रध्दापूर्वक बह
ृ स्पति दे वता का पूजन करके पीले कपड़े में
लपेटकर अथवा सोने में जड़वाकर गले या दाहिनी भज
ु ा में धारण करें । इससे
गुरुजन्य दोषों का निवारण एवं व्यवसाय में लाभ होता है । साथ ही जिनके
विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें भी इस प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है ।

यदि किसी के विवाह में विलम्ब हो रहा है तो उसे बह


ृ स्पतिवार का व्रत करना
चाहिए। बह
ृ स्पति व्रत कथा सुननी चाहिए तथा प्रत्येक गुरुवार को हल्दी की
गांठ बिस्तर के नीचे लेकर सोएं।

यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अषोक
वक्ष
ृ की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़
को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वक्ष
ृ से सात
पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पज
ू ा करें व घर के मंदिर में रख दे ।
अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्ताों को बहते जल में
प्रवाहित कर दें ।

समय पर विवाह न हो रहा हो तो शुक्ल पक्ष में किसी गुरुवार के दिन


प्रात:काल उठकर स्नान करें । पीले वस्त्र पहल लें। बेसन को दे षी घी में
सेंककर बरू ा मिलाकर 108 लड्डू बनाएं। पीले रं ग की टोकरी में पीले रं ग का
कपड़ा बिछाकर उसमें ये लड्डू रख दें । इच्छानुसार कुछ दक्षिणा भी रख दें । यह
सारा सामान षिव मंदिर में जाकर गणेष, पार्वती तथा षिवजी का पज
ू न कर
मनोवांछित वर प्राप्ति का संकल्प कर किसी ब्राह्मण को दे दें । इससे शीघ्र
विवाह की संभावना बनेगी।

व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ के लिए


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व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ प्राप्ति नहीं हो रही हो तो किसी भी शनिवार के


दिन नीले कपड़े 21 दानें रक्त गुंजा के बांधकर तिजोरी में रख दें । हर रोज
धूप, दीप अवश्य दिखाएं। अपने इष्ट दे व का ध्यान करें । ऐसा नियमित करने से
व्यापार में लाभ मिलेगा और सफलता भी प्राप्त होगी।

धन खर्च रोकने हे तु
यदि परिवार मे अनावश्यक दघ
ु र्टनाओं की वजह से या कोर्ट-कचहरी की वजह से
अनावश्यक धन खर्च बढ़ रहा हो तो हर मंगलवार को स्वच्छ लाल वस्त्र सवा किलो
लाल मसूर बांधकर पारिवारिक सदस्यों के ऊपर से 11 बार उसार कर कपड़े सहित
बहते पानी में प्रवाह कर दें । परे शानियों से छुटकारा मिल जाएगा।

धन प्राप्ति हे तु
संपर्ण
ू प्रयासों के बावजद
ू धन की प्राप्ति नहीं होने पर किसी भी माह के
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को यह उपाय प्रारं भ करें । और लगातार एक साल तक
करें । हर रोज नित्यकर्म से निवत
ृ होकर स्नानोपरांत किसी तांबे के पात्र
स्वच्छ जल भर के उसमें थोड़ा गंगा जल और शहद मिलाकर सर्यो
ू दय से पूर्व
भगवान शिव के शिवलिंग पर ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए चढ़ा दें । लाभ
मिलेगा।

बच्चे के बीमार होने पर


यदि आपका बच्चा बीमार है जो भी खाता है उसकी उल्टी कर दे ता है । एक पान के
पत्ते पर एक बूंदी का लड्डू, पांच गुलाब के फूल रखकर बच्चे के ऊपर से सात
बार उसार कर चप
ु चाप किसी मंदिर में रखकर आ जाएं कष्टों से छुटकारा मिल
जाएगा।

भख
ू लगने के लिए
यदि आपको भूख तो है लेकिन खाना मुंह में नहीं जा रहा हो तो प्रात:काल भोजन
करते समय अपने भोजन में से एक रोटी निकाल दें उस रोटी को बरगद के पत्ते पर
रखकर रोटी के उपर एक लौंग, एक इलायची, एक साबुत सुपारी और थोड़ी सी केसर
डाल दे और अपने ऊपर से सात बार उसार कर किसी चौराहे पर चुपचाप रखकर आ
जाएं। भूख लगने लगेगी मन प्रसन्न रहे गा।

व्यापार व नौकरी में स्थिरता हे तु


वे लोग जो अपने व्यापार व नौकरी को लेकर हमेशा तनाव में रहते हैं। बार-बार
अपना कारोबार बदलते है व बार-बार नौकरी बदलते है तथा कहीं पर भी स्थिर
नहीं रह पाते हैं। उन्हें यह प्रयोग जरूर अजमाना चाहिए। 17 इंच लंबा काला
रे शमी धागा ले उसे लाल चंदन, कंु कम व केसर को घोलकर उसे रं ग लें।
तत्पश्चात 'ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा' मंत्र का जाप करते हुए आठ गांठ लगा
दें । प्रत्येक गांठ पर एक सौ आठ पर इस मंत्र का जाप करें । तत्पश्चात इस
अभिमंत्रित धागे को अपने कारोबार के मुख्य द्वार पर बांध दे । नौकरी से
संबंधित लोगों को अपनी चेयर या मेज की दराज में रख ले या कुर्सी पर यह
धागा बांध लें। कारोबार व नौकरी में अवश्य स्थिरता आ जायेगी।

बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परे शान है , आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक
हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहे गा। किसी भी माह के
पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख
कर अपने पज
ू ा स्थान में रख दें । श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें । धूप,
दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें । तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं
श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें । ऐसा 7 दिन नियमित रूप से
पूजन और जाप करें । पुन: दस
ू रे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के
उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में
गड्डा खोदर कर डाल दें । शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल
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वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें । और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और
दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें ।
मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।

दक
ु ान की बिक्री बढ़ाने हे तु
आप मेहनत कर रहे हैं दक
ु ान में पूरा सामान है परन्तु बिक्री नही हो रही हो
अपनी दक
ु ान में लक्ष्मी जी का चित्र लगाकर उनके आगे धूप व दीप जलाकर
प्रणाम करें प्रणाम करके 108 बार ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जाप
करने के बाद अपना कार्य आरं भ करें या दक
ु ानदारी शुरू करें । कारोबार में
वद्धि
ृ होगी, ग्राहक आने लगें गे और काम भी बढ़े गा।

सोचा काम बनाने के लिए


संपर्ण
ू प्रयासो के बावजद ू भी सोचा हुआ काम परू ा नहीं होता हो तो मंगलवार
के दिन यह उपाय प्रारं भ करें । और लगातार 21 मंगलवार करें । हर मंगलवार को
नित्यकर्म से निवत
ृ होकर स्नानोपरांत जटा वाले नारियल के ऊपर सवा मीटर लाल
कपड़ा लपेटकर 21 बार कलावा लपेट लें। तत्पश्चात लाल कपड़े के ऊपर 21 कंु कुम
की बिंदी लगा लें। नारियल को अपने ऊपर से 21 बार उसार कर के अपने पज
ू ाा
स्थान में रख दें । वहीं बैठकर एक पाठ सुंदरकांड का पाठ करें । तपश्चात अपनी
मनोकामना का ध्यान करते हुए इस नारियल को बहते पानी व तालाब में प्रवाह कर
दें ।

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