Professional Documents
Culture Documents
1 अद्भत
ु वाक्क्षमता
***************
सरल तंत्र साधना विधान ..
आपके लिए ..
जीवन में मान सम्मान और स्नेह और आदर का एक अपना ही स्थान हैं जिसे हर कोई चाहता ही हैं . पर उसके लिए अब बहुत सारी चीजों की
आवश्यकता होती हैं उच्च पढाई उच्च शिक्षा .. अनेको अन्य बाते .. पर यह सब एक दिन में तो नहीं आ सकता हैं इसके लिए तो बचपन से लगतार श्रम
करना ही पड़ता हैं.. पर एक चीज ऐसी हैं जो .. गर आपके पास हो तो अनेको लाभ आपको यु ही मिल सकते हैं ..
आप लोकप्रिय हो सकते हैं.. आप मान सम्मान भी प्राप्त करसकते हैं.. और साथ ही साथ सभी के स्नेह के पात्र भी . और वह हैं आपको वाणी का सौदर्य.
यहाँ मतलब आप किस तरीके से बोलते हैं और कितना मीठा पर हो..... बिना चापलूसी युक्त .. वह हैं अर्थ.
पर कोई हास्य हि हास्य की बात नहीं ..बल्कि धीरता और गंभीरता का उचित समावेश हमेशा होना ही चहिये .. चाहे आप बात कर रहे हो या कुछ और
आपके व्यक्तिव्य को तो आपकी भाषा स्वयं बता दे ती हैं.
पर यह सब संभव हो कैसे .. यही तो मुख्य बात हैं . अब किसी को तोजन्म से मिली हैं ..कोई इतना भाग्यशाली हैं ही .. पर अन्य सभी का क्या..
शास्त्रों में कहा गया हैंकि वाणी के लिए माँ भगवती काली की साधना सर्वोपरि हैं. पर अब हर बात केलिए भी तो साधना नहीं की जा सकती हैं . और साथ
ही साधना विधान भी तो ऐसा हो की फल मिले ही ..कम करने पर भी ..
जब तीन बार महाकाली के बीज मंत्रो का संयुक्तीकरण किया जाता हैं तो यह एक अद्भत
ु बात हैं की बीज मन्त्र तो महाकाली के ही होंगे पर उनका लाभ
साधक को सरस्वती बीज मन्त्र जैसे मिलेगा.
मंत्र - क्रीं क्रीं क्रीं Kreem kreem kreem
इस मंत्र का जितना जप संभव हो चलते फिरते करते जाये . जिसे करना हो तो नियानस
ु ार भी कर सकते हैं सामान्य नियम तो अब सभी जानते हैं ही .
आप स्वयं ही दो महाशक्तियों के स्नेहके पात्र बन जायेंगे ..तब फिर अद्भत
ु वाक्क्षमता तो आपके हाथ में ही होगी ...
2. सरस्वती
*********
हमारी बहिनों के लिए इस नवरात्री में विशेष सरस्वती साधना विधान ..
चाहे जितनी भी बड़ी बाते कह दे पर यह सच्चाई हैं की हमारे समाज में आज भी अवस्था बहुत अच्छी नहीं हैं नारी वर्ग की ..
स्थितिया परिवर्तित तो तेजी से हो रही हैं पर मानसिकता तो कम या ज्यादा आज भी वैसी ही हैं .. पर यह तो स्वत ही धीरे धीरे होता जायेगा ..
उन्हें किसी की दया की जरुरत नहीं हैं .........
हाँ अगर जरुरत हैं तो केबल एक शब्द की वह हैं “प्रोत्साहन “
की .. अगर वह हम कर पाए तो ..
हैं न आश्चर्य जनक बाते की जो वेद को लिखने में योग्य पात्रा रही हैं उन्हें ही आज ..उस वर्ग को आज यह अवस्था दे खनी पड़ रही हैं ...
पर यह तो समाज का चक्र हैं जो की अब पन
ु ः ऊपर उठने को हैं . पर यह वर्ग आज अपनी पहचान कैसे बनाये???सिर्फ दया भाव से ..नहीं नहीं
की यह असहाय हैं इस कारण से ..नहीं नहीं
2
की यह सबल नहीं हैं इस बात से ..नहीं ..
बल्कि हर में एक वही आत्मा तो हैं क्या फर्क पड़ा यदि एक उसी आत्मा ने अब एक नारी जाती का आवरण ले लिया .. कल को वहीआत्मा एक पुरुष का
आवरण भी ले कर चलती रहे गी ..
यहाँ बात हैं अपने व्यक्तित्व को एक अर्थ दे ने की हैं .. क्योंकि कुछ प्रशन ऐसे हैं की अगर उसके उत्तर में उलझे रहे तो समय ही नष्ट करना हैं ,, कोई
एक पल में तो सामाजिक अवधारणाये बदलने से रही ..
पर यह निर्बल से सबल तक की यात्रा हमारी बहिनों को ही करनी हैं ..
पर हो यह कैसे ..???
और फिर यही एक विरोधाभाष सामने आ जाता हैं की .. अब आप बताये बात तो बहुत बड़ी बड़ी हो गयी .. कुछ ठोस पर भी बात हो जाये ..
अपने व्यक्तित्व को निखार ने सौंदर्य की भूमिका हो सकती हैं पर उससे भी कहीं जयादा अपने गुणों को आगे लाने में हैं .. मतलबबौद्धिक क्षमता को
सबके सामने रखने की हैं .. स्वाभाव गत शर्मीला प न अपनी जगह सही हो सकता हैं
पर जब हमारी बहिने उच्च प्रज्ञा से युक्त होंगी तब बात ही क्या हैं
फिर प्रशन हैं की यह उच्च प्रज्ञा या यह उच्च बौद्धिक क्षमता आये कहाँ से?? .. तो हम भले हि कितना कहे की सारा विश्व तीन महाशाक्तियों का परिणाम
है या युक्त हैं पर ऐसा लगता हैं की हैंकी मानो सिर्फ दो ही स्थितिया हैं शत्रु निवारणार्थ महाकाली और धन के लिए महालक्ष्मी
..भला किसे हैं समय की वह माँ सरस्वती की उपासना करें या जाए ...
जबकि यही अवस्था साधक वर्ग की हैं .उसे भी सरस्वती साधना में कोई खास रूचि नहीं. आप ही बताये शायद हि कोइ होगा जो इस ग्रुप में में कभी
किसी ने लिखा हो की उसे सरस्वती साधना चाहिए ...
जबकि हम सभी यह तथ्य भूल जाते हैं की सारे मंत्र ... सारा ज्ञान ... तो माँ सरस्वती से ही सबंधित हैं . और यह तो केबल बताई गयी बाते हैंकि सरस्वती
का इससे बैर हैं या उससे वैर ..एक सफल और उच्च प्रज्ञा यक्
ु त जीवन में सभी कुछ होना ही चहिये ..
आज जो नए नए माता पिता हैं वह अपने बेटियों पर भी ध्यान दे ने लगे हैं उनकीशिक्षा के लिए भी परे शान होने लगे हैं .. और क्यों न हो यह भी तो
उन्ही का तो अंश हैं .
पर जब चाह कर भी वह परिणाम न आ पा रहे हो तो .. अपनी बेटियों का .... अपनी सहयोगी की बौद्धिक विकास और योग्यता के लिए .... इन साधनाओ
को दे खना ही होगा ... कौन नहीं चाहे गा की उसकी बेटी या धर्मपत्नी योग्य हो पढ़ी हो .. और सिर्फ पढ़ी ही न हो बाकि वह बौद्धिक क्षमता भी हो ..
और यहाँ विशेषकर विद्यार्थी वर्ग के लिए तो उसकी एक जबरजस्त क्षमता हो याददास्त की .. तब न आपकी बेटिया अपनी बौद्धिकक्षमता का ...प्रज्ञा का ..
प्रकाश ... चारो और दिखा पाएंगी ..
इसके लिए अनेको विधान हैं .. कुछ बहुत बड़े तो कुछ छोटे भी .........
नवरात्री आ रही हैं , या तो अपनी बहिनों को.... बेटियों को यह करवाए या उनके नाम से संकल्प ले कर साधक स्वयं करे . साधक को भी फायदा होगा
क्योंकि आखिर बीज मन्त्र का उच्चरण उसके माध्यम से ही हो रहा हैं और जिसके लिए किया जा रहा हैं उसे तो होगा ही .
नवरात्री काल में अब आप नियम तो सभी जान गए तो क्या बार बार वही बताऊँ..
बस इतना याद रखें की रोज कम सेकम २० से ३० मिनिट तक
सरस्वती बीजमंत्र “ऐं“ का जप करे
और ऐसी मन में भाव रखे की माँ का के स्वरुप की दिव्यता आपके अंदर आती जा रही हैं जैसी ही आपकी याददास्त क्षमता बढे गी .. आपकी पहचान
स्वयं ही बनने लगेगी ,
अनेको विषय स्वत ही आसानी से समझ में आने लगें गे . और जहाँ रूप का एक अर्थ हैं वहाँ बौद्धिक् क्षमता भी तो वही हैं..
3
अब इस नवरात्रि में इस अनुष्ठान को स्वयं के लिए या अपने बच्चो केलिए करे यह तो आप पर हैं . हाँ यह जरुर हैंकि अपने अनुष्ठान के बाद अपनी
माला परू ी ही जाने के बाद करे ... हमारे बच्चो को माँ सरस्वती की पर्ण
ू वरद हस्तता प्राप्त हो ...
मित्रों सदगुरुदे व कहते हैं की जबभी एक नारी अगर मनोयोग से साधना क्षेत्र मे आती हैं तो अनेको पुरुष भी उसकी योग्यता के सामने नहीं खड़े हो सकते
हैं क्योंकि शक्ति तत्व में ... शक्ति तत्व कहीं जयादा आसानी से समाहित होगा न...
अगर आप कितना सहमत हो मुझसे यह तो मैं नहीं जानता हूँ ... पर अपने ही ग्रुप को ले ले ..यहाँ जैसे ही नारी वर्ग ने अपनी लेखनी उठाई हैं सभी
उनकी बौद्धिक क्षमता को दे ख कर आश्चर्य चकित हैं ... और जो भी नयी नयी लेखिका सामने आई हैं ..उनके लिखने कि शैली ...और प्रज्ञा दे खें ...
कितना न ज्ञान उनके माध्यम से आ रहा हैं..
तो हमारी शेष बहिने क्या कर रही हैं ???...
एक बार सोचे और .... इस साधना को करते चले और अपने अंदर जो भी सदगुरुदे व का प्रखर प्रज्ञा छुपी हैं उस सूर्य की ज्योति से स्वयं भी प्रकाशित हो
और हम सब को उसका परिचय भी दे .....
और आखिर में तो यह तो बात बहिनों की... बेटियों की हुयी ....,
आप क्या सोचते हैं कोई हम लोगों की याद रखने की अवस्था कोई बहुत बहुत अच्छी हैं??.......एक बार अपने ह्रदय पर हाथ रख कर बताये .अपने ही सगे
भाई बहिनों के मोबाइल नंबर हम ् में से कितनो को याद हैं ...
तो क्या ..कोई और सबुत चाहिए ......
इस प्रक्रिया को हमें नहीं करना चहिये...
अब और क्या सोच रहे हैं आप .....
3. आपके व्यक्तिव्य प्रखरता
******************
सरल तंत्र साधना ..
आपकेलिए ही ..
मंत्रो का एक अपना ही संसार हैं ऐसे ऐसे मंत्र आपको प्राप्त हो सकते हैं .. की आप को विश्वास भी नहीं होगा की यह भी संभव है या इन कार्यों के लिए
भी मन्त्र दिए हुए हैं .
मंत्र पर विश्वास अविश्वास की बात नहीं .. बल्कि उन्हें परखने का भाव होना चहिये और फिर अगर कुछ कमी पाई जाती हैं उनके परिणाम की ...... तो
उन कारणों पर विचार किसी योग्य से करे ...... न की पूरे मंत्र या साधना क्षेत्र को ही एक आप अपना प्रमाण पत्र जारी कर दे ..
सूर्य की तेजस्विता से कोन नहीं वाकिफ होगा . प्रत्यक्ष दे व जो हमारे सामने हैं उनकी प्रखरता को किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं हैं .
अगर वह प्रखरता आपके व्यक्तिव्य में आ जाये तो ... फिर क्या बात हैं..
जब भी किसी से बात चित करने जाना हो तो इस मंत्र का १०८ बार उच्चारण करके जाए .अप पाएंगे सामने वाला आपकी बातों के प्रति अब और ज्यादा
सहयोगी रुख अपनाएगा .. और आप कहीं ज्यादा सफलता का अनभ
ु व करें गे ..बस कोई और विधान नहीं हैं. मंत्र जप ही पर्याप्त हैं ..
मंत्र : ॐ धं काली काली स्वाहा
Mantra : om dham kaali kaali swahaa
मनोकामना पूर्ति का अद्भत
ु विधान ::
5
यह शब्द की मन में उल्लास जगा दे ता हैं . जीवन में हर परिस्तिथि का एक अपना ही महत्त्व हैं .और जब एक व्यक्ति इन परिस्थितियों में जाता हैं तो
कुछ कमियों कुछ विवशता के कारण स्वाभाविक हैं की उसके मन में इच्छाए का जन्म ले, पर इनकी पूर्ति कैसे हो यही सबसे बड़ी समस्या हैं , और जब
मन की इच्छाए पूर्ण न हो तो स्वाभाविक हैंकि कुछ निराशा मन में आ जाये ...
पर मनोकामना पूर्ति के अनेको प्रयोग में से कुछ तो बहुत ही बह
ृ द हैं तब क्या किया जाए .साधनाओ के क्षेत्र में अनेको ऐसे विधान हैं की जिसके माध्यम
से साधक अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हैं .
इसमें से यन्त्र विधान के प्रयोग कहीं जयादा सफल होते हैंक्योंकि यन्त्र तो एक माध्यम हैं जो साधक की इच्छा और मनोकामना को उसके इष्ट तक ले
जाता हैं और उसके वरदायक प्रभाव को साधक तक ले आता हैं यह ज्यामितीय रूप में एक विशिष्ट दे व और उनकी समग्र शक्तियों का रे खांकन हैं .
नियम इ स प्रकार हैं की साधक नहा धो कर अपने आसन में बैठ जाये . और भगवान ् गणेश का कोई भी चित्र प्राप्त कर ले फिर शुभ समय या शुभ पर्व
में इस यन्त्र की रचना करे इसमें आवश्यक हैंकि जो यन्त्र निर्माण के कलम लेना हैं वह सफ़ेद आक की ही हो . जब यह यन्त्र का निर्माण हो जाय तो
सामान्य रूप से इसकी पज
ू ा करने के बाद इसको किसी सुनसान स्थान या जंगल में गडा दे , और बस धीरे धीरे आप स्वतः दे खेंगे की आपकी इच्छाए पूरी
होती जाएँगी .मनोकामना पर्ति
ू की सफलता के लिए सदगरु
ु दे व जी का पज
ू न क्रिया के प्रारं भ में और अंत में करना और गरु
ु मंत्र की जितनी माला आप
कर सके यह और भी इस क्रिया के प्रभाव को बढ़ा दे गा .
======================================
सर्वार्थ सिद्धि प्रदायक माँ दर्गा
ु स्त्रोत विधान ...
अनेको साधानाए हमारे सामने हैं . पर हम सिर्फ सोचते ही रह जाते हैं . कभी किसी कारण से कभी किसी कारण से . अपर जब समस्या सामने आ जाति
हैं तो . अब भाग दौड़ करने से फायदा भी कहाँ होता हैं .. और आधिकांश साधक की यही मनोस्थिति रहती हैं की वह अब क्या करे .. अब जबकि वह
समस्या के बीच भवर में हैं . अब तो कोई ज्योतिषी और न कोई उसकी सहायता कर पाता हैं . और कोई भी उसे उपाय बताये तो भी अब वह क्या करे .
कई बार आर्थिक कारण से ही व्यक्ति परे शां होता हैं और जो उपाय बाते जा रहा हैं उसमे ही इतना खर्चा दिख रहा रहा होता हैं तब वह क्या करें .
अकारण ही उसे राज्य के लोग परे शां करने लगे , उसका मान सम्मान सब चौपट सा होता दिख रहा हो .संतान प्राप्त , विवाह और न जाने ऐसी कितनी
समस्याए हैं जिनका उल्लेख तो नहीं किया जा सकता हैं पर वह हैं . और उसे उसका निराकरण भी चाहिए हर दर्गा
ु सप्तसती की किताब में एक माँ दर्गा
ु
के ३२ नाम का स्त्रोत दिया गया हैं ,
1. इसका पाठ करने का साधारण तो यही हैं की स्वच्छ होकर ११ बार इसका स्त्रोत का पाठ करे .और जब आप किसी भी विपत्ति में फस गए हो . या
कुछ ऐसी समस्या में आ गए हो की उससे मुक्ति चाहते हो . तो इस स्त्रोत का पाठ सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता हैं हाँ पर किस समस्या
के लिए यह पाठ किया जा रहा हैं इसका उल्लेख जरुर करें ,
2. एक इसका विशिष्ट प्रयोग यह हैं की जब नवरात्री प्रारं भ हो तब से उन ९ दिनों में सुबह शाम और अर्ध रात्रि में इस स्त्रोत का १०८ बार पाठ करे
(मतलब हर दिन ३*१०८=३२४ बार पाठ होगा).
इस स्त्रोत को स्वयं भगवती ने ही उच्चरित किया हैं , और उनका ही अभय वाणी हैं की इसका फल मिलेगा ही . पर एक तथ्य का जरुर ध्यान रखे की
जिस समय पाठ किया जा रहा हो उस समय या तो सामने चित्र या मूर्ति दे वी की अष्ट भज
ु ा स्वरुप की जरुर हो . और लाल पुष्पों से उनका पूजन अवश्य
करे .
बहुत हो लाभदायक प्रयोग हैं , और आसानी से प्राप्त हैं . एक बार क्रम करके दे खे तो सही आपकी समस्त समस्याए दरू होंगी ही .
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए :: by- Anurag Singh Gautam
By Dev Raj on Friday, January 6, 2012 at 6:08 PM
• तो किसी के घर वाले ही सहयोग नहीं कर रहे हैं तो वाह चाह कर भी नहीं कर पा रहा हैं .
• तो कोई साधना काल के दौरान करने वाली आवश्यक शारीरिक सुचिता नहीं कर पा रहा हैं
• तो किसी के आस पास कोई ऐसी पवित्रतम जगह नहीं हैं की वह वहां पर जा कर अपनी साधना कर पाए
• तो कोई अपनी उम्रगत समस्या चाहे छोटी या बड़ी के कारण भी नहीं कर पा रहा हैं
• तो कोई इससे से परे शां हैं की उसे साधना की सही प्रक्रिया कैसे की जाये यह मालम
ू नहीं हैं तो कहीं कुछ उल्टा न हो जाये
• तो कोई आर्थिक समस्या के कारण मन मार कर रह जाता हैं .
इस तरह और भी जीवन की समस्याए तो अपनी जगह हैं .
तो अब से इस लेख माला के अंतर्गत बहुत ही छोटे छोटे प्रयोग हम NPRU की ओर से दे ने जा रहे हैं जो की face book पर ही उपलब्ध होंगे . और आप
इन छोटे छोटे प्रयोगों को अपने जीवन में जगह दे कर कर लाभान्वित हो सकते हैं .
यह प्रयोग बहुत की कम सामग्री या लगभग नहीं पर ही आधारित होंगे और निश्चय ही इसमें कुछ स्त्रोत ... कुछ सरल साबर विधान .... और कुछ
महत्वपूर्ण अत्यधिक सरल प्रयोग ..... आपके सामने इस श्रंखला में होंगे , और यदि इन से किसी को भी लाभ पहुँचता हैं तो हमारा प्रयास की हम सफल
मानेगे
.और लाभ तो पहुंचेगा ही .
आपका
smile
Anu
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-१
आज एक ऐसा ही प्रयोग
किसी भी शुभ दिन से /ग्रहण से / सदगुरुदे व जी का यथाशक्ति पूजन कर हर रोज़ 108 बार इस मंत्र का जप करे , और ऐसा आपको 40 दिन तक करना हैं
, मतलब इसे यदि दै निक पूजन में शामिल कर ले तो कहीं ज्यादा अच्छा होगा उतने दिन तक... और इस 40 दिन की अवधि के बाद यदि आप चाहे तो
म...ात्र 11 / 21 बार जप करते जाये . आप पर सदगुरुदे व और भगवती लक्ष्मी की कृपा हमेशा रहे गी और जीवन की नुन्यताये स्वतः समाप्त होगी , क्योंकि
कहा गया हैं
लक्ष्मी की स्तुति में कहते हैं " सब कुछ संभव हो जाता मन नहीं घबराता "
1. समय कोई भी या प्रातकाल ज्यादा अच्छा होगा
2. आसन कोई भी रं ग का हो या फिर पीला रं ग यही बात वस्त्रो की हैं .
3. जप माला यदि कमल गट्टे की हो तो और भी अच्छा होगा
4. और कोई शरीरिक शुचिता के कठोर नियम नहीं हैं ,जैसा संभव हो पाए .
बस अपना रोज़ का मंत्र जप जब समाप्त हो तो सदगुरुदे व जी के श्री चरणों में जप समर्पण करना न भूले ...और इसके पहले एक माला गुरु मंत्र करना
तो आपको याद हैं ही .
मंत्र
राम राम क्या करे ,चीनी मेरा नाम ,
सर्व नगरी में बस करूँ मोहू सारा गाँव |
राजा की बकरी करूँ ,नगरी करूँ बिलाई
नीचा में ऊँचा करूँ सिद्ध गोरखनाथ की दह
ु ाई ||
Raam raam kya Karen , chini mera naam ,
7
कहा लोग जब धरती पर इच्छा मागते हैं तो यहाँ पर वह चीज बना कर भेजने केलिए तैयारी होती हैं .और तब तक वह व्यक्ति इतना भी वेट नहीं कर
पाता और दस
ू री इच्छा मागने लगता हैं तो ..इसी कारण यह सब यहाँ इकठ्ठा हो गया .
(पोस्टल service पर कमेन्ट न करे ).
मित्रो सदगुरुदे व कहते हैं कि इच्छा तो होनी ही चाहिए ,, और आज हम आपको एक ऐसा सरल सा प्रयोग इस स्तम्भ अंतर्गत रख रहे हैं जो की आपकी
इच्छा पूर्ति में सहायक होगा .
बस जप संख्या कम से कम १० माला हैं और कोई भी नियम नहीं चलते फिरते जैसा बने इस मंत्र को करते जाए , निश्चय ही आपकी मनो कामना पूर्ति
में बहुत सहायता मिलेगी .
मन्त्र : ॐ हर त्रिपुर हर भवानी बाला राजा प्रजा मोहिनी मम चिंतित फलं दे हि दे हि भुवनेश्वरी स्वाहा ||
Mantra : om har tripur har bhavani bala raja praja mohini chintit falam dehi dehi bhuvneshri swaha ||
(((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((((
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-7
आज एक ऐसा ही प्रयोग
मित्रो , अब कौन होगा जिसे या तो शारीरिक समस्या न हो ,,और मानलो कि किसी को नहीं हैं तो मानसिक तो हो गी ही , और हम में से आधिकाश को
तो यु कहूँ दोनों थोड़ी थोड़ी सी रहती ही हैं , और
ऊपर से अगर किसी को यह शक हैं की उस पर कोई प्रयोग कराया गया हैं तो बस समझ लीजिये की सब हो गया ,आप कि सारी दलीले एक तरफ
.....आप कितना भी समझाओ उसे....... वह नहीं मानने वाला ...कुछ केस में तो यह सही भी होता हैं पर अब हर बात को तांत्रिक प्रयोग मान लिया जाए
यह भी तो ठीक नहीं हैं न ...
साधक को जब तक किसी योग्य व्यक्ति से इस बात की सत्यता का पता नहीं चल जाए यु ही भय बीत नहीं होना चाहिए .
.
और मन लीजिये कोई समस्या आ जाती हैं तो सबसे पहले कौन से दे व याद आते हैं भारतीय लोगों को...... आप सही हैं भगवान ् हनुमान ..
भला “को नहीं जानत जग में कपि सकंट मोचन नाम तिहारो ....”
जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप
करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा
विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे ..
यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह
सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं .
मंत्र :
ॐ नमो हनम
ु ते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरे त स्वाहा ||
Om namo hanumte pavan putray vaishwanar mukhaay pap dristi ,ghor dristi hanumdaagya sphuret swaha ||
(कम से कम १०८ बार मंत्र जप तो करे ही )
और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उस पर छिडके .. उसे भगवान ् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शरू
ु हो जायेगा
और जो भी भाई बहिन यदि इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दरू होती जाएगी .. तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान
साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. हाँ महिला वर्ग को भी कोई रोक नहीं हैं वे भी निसंकोच कर सकती हैं . यह धारणा मन से हटा दे की
उन्हें कोई रोक हैं ....पर उनके लिए जो आवश्यक सावधानी बताई जाती हैं उसका उन्हें भी पालन करना ही चाहिए ...इस बात का विशेष ध्यान रखे .
और मैं एक बार पुनः पूरी विनम्रता के साथ यह कहूँगा कि की , हम साधक के प्राण तो सदगुरुदे व ही हैं और साधना या प्रयोग कभी भी करे उसमे
शुरुआत और अंत में सदगुरुदे व का पूजन अवश्य करे अब यह आप पर हैं की आप मानसिक करते हैं या .....परन्तु करना हमें जरुर हैं क्योंकि सफलता
और सिद्धि प्रदान करना और साधना या प्रयोग की भल
ू चक
ु को क्षमा करते हुए इस पथ पर आगे बढ़ाना केबल और केबल उन्ही के कर कमलो में हैं .
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ दायक हो .
))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-8
10
आज एक ऐसा ही प्रयोग
जितने भी शुभ पक्ष हैं उसमे उन्नति हम सभी चाहते हैं ही . पर सबसे कहीं ज्यादा किसी बात की उन्नति का कहीं फर्क पड़ता हैं तो वह हैं हमारी कार्य
क्षेत्र का क्योंकि उसका सीधा सा सम्बन्ध हमारी सामाजिक सम्मान से हैं हमारे कार्य कुशलता से हैं और साथ ही साथ धन क...े और आगमन से हैं ..
और व्यक्ति को लगता हैं की उसका इतने दिन तक श्रम करना सार्थक हो गया ,, और आप जानते हैं ही की जब भी कार्य क्षेत्र में पदोन्नति की बात
उठती हैं तो व्यक्ति के मन में कैसा कैसा भाव आता हैं, और जिसको मिल जाती हैं उसके चेहरे की रौनक का तो क्या कहना ........
यु तो यह तथ्य भी किसी न किसी तरह भाग्य से ही जुड़ा हैं
हम इस श्रंखला में भाग्य उन्नति , धन आगमन , और रोग से मुक्ति और मानसिक तनाव से छुटकारे के लिए आप को लगतार ऐसे प्रयोग दे ते जायेंगे
जिनको आप बहुत ही आराम से कर सकते हैं ..
और आज हम आपके सामने ,, भगवान ् हनम
ु ान जी से सबंधित एक प्रयोग जो की प्रमोशन से पदौन्नति से संबंध का हैं आपके सामने हैं ..... बस हर दिन
इस निम्न मन्त्र का १०८ बार उच्चारण होना चाहिए ही ,
ॐ ह्रीं हनु हनम
ु न्ते रुद्रात्मकायै हूं फट ||
Om hreem hanu hanumante rudraatmkaayai hoom fat ||
मंत्र जप भगवान ् हनम ु ान जी की कोई भी मर्तिू या मंदिर में करे या किसी भी उनके चित्र के सामने करे . शेष सारे नियम जो भी आप पालन कर सकते
हैं करे और निश्चय ही प्रमोशन से सबंध में आने वाली बाधाये दरू होगी ... बस आप मन लगाकर करे तो ......
पर प्रयोग क्यों किया जा रहा हैं यह संकल्प तो हर प्रयोग में एक भाग हमेशा रहे गा मतलब अपना संकल्प जरुर ले ..और पज्
ू य सदगरु
ु दे व का आशीर्वाद
तो एक आवश्यक तथ्य हैं ही , यह तो अति आवश्यक तथ्य , नियम हैं जो हमें सफलता दिलाता हैं ही
NPRU TEAM
फिर भी यह भी नहीं हो पा रहा हो हर दिन दिन के १२ बजे एक महूर्त होता हैं जिसे अभिजीत महूर्त कहते हैं उस समय भी उपयोग कर सकते हैं ,
हलाकि जैसा निर्देशित किया गया हो उस यंत्र के निर्माण प्रक्रिया के बारे में वैसा किया भी जाना चहिये . और जब यन्त्र का निर्माण हो जाये तो अब
उसकी पज
ू न कैसे करना हैं यह भी एक आवश्यक बात हैं क्योंकि जा की रही भावना जैसी ..
यदि आप मानते हैं की उस यन्त्र में भले ही निर्माण प्रक्रिया कितनी भी न सरल रही हो . अब यन्त्र में दे व वर्ग का आगमन हैं तो फिर उस दे व वर्ग का
पूजन भी करते आना चाहिए सामन्यतः धुप दीप अगरबत्ती और कुछ भोग पदार्थ और मन ही मन उनसे अनुकूलता की प्रार्थना बहुत हैं आगे हम इन
यंत्रो से सम्बन्ध में जो भी और अन्य आवश्यक जानकारी सम्भ्याव होती जायेगी वह आपके सामने रखते जायेंगे ही . क्योंकि यन्त्र विधान भले ही सरल
हो पर वह इतना गुढ़ और महत्वपूर्ण हैं की साधक सोच भी नहीं सकता की ऐसे यन्त्र और उनके विधान संभव हैं जो पल में परिणाम भी दे सकते हैं ..
पर वह तो बहुत आगे की बात हैं अभी तो इस विज्ञानं के प्रारं भ की बात भी ध्यान से समझना और जानना चाहिए ....
smile
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-11 आज एक ऐसा ही प्रयोग
मित्रो , कभी कभी यह भी संभव हैं की किसी ऐसे रास्ते से हमारा निकलना हो जहाँ पर हमें कुछ अज्ञात का भय समाया दीखता हो , फिर वह सत्य हो या
नहीं यह एक अलग बात हैं पर उ स स्थान की ऋ णा त्मक उर्जा के कारण या फिर हमारे शरीर की उर्जा का उस उर्जा से सही संयोग न होने के कारण
ऐसा कई बार होता हैं, एक ऐसा ही मन्त्र आपके सामने रख रहा हुं जो की तंत्रग्यो द्वारा बहुत ही प्रशंसित हैं ..बस इसको याद कर ले और जब भी किसी
भी ऐसे स्थान से निकलना हो आप इस मंत्र का तीन बार उच्चारण करे और एक ताली बजा दे , इन इतर योनिया अगर सच में वहां हैं तो उनसे आपकी
रक्षा होगी ही .
मंत्र : रास्ते मुझे खुदा कस्त दीदम गुम सदी की राशि Raaste mujhe khuda kast didam gum sadi ki raashi
NPRU TEAM
सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-9 आज एक ऐसा ही प्रयोग
मित्रो ,
अगर आज का समय दे खे तो यही लगता हैं की चिंताए तो वास्तव में हमारी साथी हैं हम कितना भी भागे ये पीछा नहीं छोडती हैं , अब या तो कभी
ज्ञात की चिंता या फिर कभी अज्ञात की चिंता तो लगी ही रहे गी न ... क्योंकि मानव जीवन हैं तो ऐसा स्वाभाविक भी हैं , पर इनका निवारण भी होना
चाहिए .तंत्रज्ञो ने एक ऐसा ही मंत्र सामने रखा हैं जो की बहुत सरल हैं कोई ताम झाम नहीं हैं , और इस मंत्र को आसानी से किया जा सकता हैं .. और
इसको अगर आप मानसिक रूप से करें तो कहीं ज्यादा उचित होगा ....चलते फिरते जैसे भी बने बस करते जाए .. आपको अनक ु ू लता प्राप्त होगी ही .मंत्र
:ॐ हं शं शा ॐ ह्रीं फट स्वाहा ||Om ham sham shaaa om hreem fat swaha ||
कारोबारी समस्या
कारोबारी, पारिवारिक, कानूनी परे शानियों से छुटकारा दिलाने वाला अमोध प्रयोग
आप अपना काम कर रहे हो कठिन परिश्रम के बावजूद भी लोग आपका हक मार दे ते
हैं। अनावश्यक कार्य अवरोध उत्पन्न करते हों। आपकी गलती न होने के बावजूद
भी आपको हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा हो तो यह प्रयोग आपके लिए
बहुत ही लाभदायक सिध्द होगा। रात्रि में 10 बजे से 12 बजे के बीज में यह
उपाय करना बहुत ही शभ ु रहे गा। एक चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछा कर उसके ऊपर
11 जटा वाले नारियल। प्रत्येक नारियल के ऊपर लाल कपड़ा लपेट कर कलावा बांध
दें । इन सभी नारियल को चौकी के ऊपर रख दें । घी का दीपक जला करके धूप-दीप
नेवैद्य पुष्प और अक्षत अर्पित कर। नारियल के ऊपर कुमकुम से स्वस्तिक बनाए
और उन प्रत्येक स्वस्तिक के ऊपर पांच-पांच लौंग रखें और एक सुपारी रखें।
माँ भगवती का ध्यान करें । माँ को प्रार्थना करें कष्टों की मुक्ति के लिए।
कम्बल का आसन बिछा कर ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री दे व्यै
नम:11 माला करें , तत्पश्चात नारियल सहित समस्त सामग्री को सफेद कपड़े में
बांध कर अपने ऊपर से 11 बार वार कर सोने वाले पलंग के नीचे रख दें । सुबह
13
ब्रह्म मर्ुहूत्त में बिना किसी से बात किए यह सामग्री कुएं, तालाब या
किसी बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें । कानूनी कैसी भी समस्या होगी उससे
छुटकारा मिल जाएगा।
ऋण मुक्ति के लिये
आप अपने कारोबार में कर्जे से डूबे जा रहे है रात-दिन मेहनत करने के
उपरांत भी कर्जा उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है तो यह प्रयोग आपके लिये
बहुत ही अनक ु ू ल व फायदे मंद रहे गा। किसी भी माह के शक् ु ल पक्ष के प्रथमा के
दिन नित्यक्रम से निवत्ृ त होकर स्नानोपंरात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और
अपने पूजा स्थान में यह पज
ू ा प्रारं भ करें । 6 इंच लम्बी गूलर की पेड़ की जड़
ले उसके ऊपर 108 बार काले रं ग का धागा ॐ गं गणपतये नम:मंत्र का जाप करते
हुये लपेटे। भगवान गणेश जी से ऋण मुक्ति की प्रार्थना करें । 108 चक्र होने
के बाद इस लकड़ी को स्वच्छ थाली में पीला वस्त्र बिछाकर रख दें । तत्पश्चात
श्रद्धानस
ु ार धप
ू ,दीप, नैवद्य, पष्ु प अर्पित करें । घी का दीपक प्रज्जवलित
कर उसमें एक इलायची डाल दें । शुद्ध आसन बिछाकर अपने सामने हल्दी से रं गे
हुये अक्षत रख लें। अपने हाथ में थोड़े से अक्षत लें ॐ गं गणपतये ऋण हरताये
नम:मंत्र का जाप करके अक्षत गलू र की लकड़ी के ऊपर छोड़ दे । ऐसा 108 बार
करें । अगले दिन यह प्रक्रिया पुन:दोहरायें। ऐसा नवमी तक पूजन करें । नवमी
के दिन रात में सवा ग्यारह बजे पुन:एक बार पूजन करें । ऋण हरता गणपति की 11
माला जाप करें । तत्पश्चात इस लकड़ी को अपने ऊपर से 11 बार उसार कर के अपने
घर के किसी कोने में गड्डा खेंद कर दबा दे । उसके ऊपर कोई भारी वस्तु रख
दें । ऐसा करने से कर्ज से छुटकारा मिल जायेगा।
ऋण से छुटकारे हे तु
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन गेहूं के सवा किलो
आटा में सवा किलो गुड़ मिलाकर उसके गुलगुले या पूएं बनाएं। शाम के समय
हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदरू घोलकर अभिषेक करने के उपरांत घी का
दीपक जलाएं और वहीं बैठकर हनुमान चालीसा के 7 पाठ करें । तत्पश्चात हनम
ु ान
जी को इन गुलगुले और पूएं का भोग लगाएं और गरीब व जरूरतमंद व्यक्तियों को
बांट दें । ऐसा 11 मंगलवार करें , ऋण से छुटकारा मिलेगा।
ऋण मुक्ति के लिए
ऋण मुक्ति के लिए उपाय सर्वप्रथम पांच गुलाब के फूल लाएं। ध्यान रहे कि
उनकी पंखड़
ु ी टूटी हुई न हो। तत्पश्चात सवा मीटर सफेद कपड़ा, सामने रचो कर
बिछाएं और गुलाब के वार फूलों को चारों कोनों पर बांध दें । फिर पांचवा
गुलाब मध्य में डालकर गांठ लगा दें । इसे गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों में
प्रभावित करें । प्रभक
ु ृ पा से ऋण मुक्ति और घर में सुख समध्दि
ृ की प्राप्ति
होती है ।
धन का न रूकना
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6
लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में
किसी सन
ु सान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर
उसमें दबा दें । ऐसा 11 बुधवार करें । दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए।
इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।
धन वद्धि
ृ हे तु
15
सुख-शांति हे तु
यदि आपके परिवार में हमेशा कलह रहता हो पारिवारिक सदस्य सख
ु शांति से न
रहते हो तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में जटा वाले नारियल को लपेटकर
उस पर काजल की 21 बिंदी लगा लें। और घर के बाहर लटका दें । हमेशा घर बरु ी
नजर से बच कर रहे गा और हमेशा सख
ु -शांति रहे गी।
यदि जातक के अपने कर्म ठीक है , कार्य व्यवसाय में वह ईमानदारी से परिश्रम
करता हो, उसके बावजद
ू भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही हो अथवा घर में
शांति नहीं हो तो इस प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल
में एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दर्वा
ु -11, तुलसी का एक पत्ता और
एक बिल्व पत्र डालकर मत्ृ युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें तो सभी
प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है ।-
अक्षय तत
ृ ीया या किसी भी शुक्रवार की रात्रि को कांसे या पीतल की थाली में
काजल लगाकर काली कर दें और फिर चांदी की शलाका से लक्ष्मी का चित्र बनाएं
चाहे वह कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर
दें और एक निष्ठ होकर, मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार दिषा की ओर
मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार दीपक बनाए और उसमें किसी भी प्रकार का
तेल भरकर प्रज्जवलित करें और थाली के चारों कोनों पर रखे मंग
ू ों की माला
से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र जप करें । ओउम्ह्रीं ह्रीं
श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥ जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं
विश्राम करें और जमीन पर ही सो जाएं।
16
अगर आप कर्ज से परे षान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के फूल, एक चांदी
का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों
को हाथ में ले लें और 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें । इनको इकठ्ठा कर
कहें मेरी परे षानी दरू हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले
जाकर बहते जल में प्रवाह कर दें । यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए। अगर
इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने किया जाए तो और भी अच्छा होता है ।
इसे कम से कम 7 सोमवार करना चाहिए।
बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परे शान है , आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक
हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहे गा। किसी भी माह के
पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख
कर अपने पज
ू ा स्थान में रख दें । श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें । धूप,
दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें । तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं
श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें । ऐसा 7 दिन नियमित रूप से
पज
ू न और जाप करें । पन
ु : दस
ू रे सोमवार को श्रद्धापर्व
ू क पज
ू न और जाप के
उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में
गड्डा खोदर कर डाल दें । शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल
वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें । और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और
दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें ।
मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।
स्वास्थ्य के लिये
यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग रहा कि दवा
काम नहीं कर रही है , डाक्टर बीमारी खोज नहीं पा रहे है । तो यह उपाय शुक्ल
पक्ष की अष्टमी को करना चाहिये। आठ गोतमी चक्र ले और अपने पज
ू ा स्थान में
मां दर्गा
ु के श्रीविग्रह के सामने लाल रे शमी वस्त्र पर स्थान दें । मां
भगवती का ध्यान करते हुये कंु कुम से गोमती चक्र पर तिलक करें । धूपबत्ती और
दीपक प्रावलित करें ।धूपबत्ती की भभूत से भी गोमती चक्र को तिलक करें । ॐ ऐं
ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे की 11 माला जाप करें । जाप के उपरांत लाल
कपड़े में 3 गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप दे कर धूप, दीप दिखाकर बच्चे के
गले में डाल दें । शेष पांच गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के
ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी विराने स्थान में गड्डा खोदकर दबा दें ।
आपका बच्चा हमेशा सुखी रहे गा।
दांपत्य सख
ु हे तु
यदि चाहते हुए वैवाहिक सख
ु नहीं मिल पा रहा है , हमेशा पति-पत्नि में किसी
बात को लेकर अनबन रहती हो तो किसी भी शुक्रवार के दिन यह उपाय करें ।
मिट्टी का पात्र ले जिसमें सवा किलो मशरूम आ जाएं। मशरूम डालकर अपने सामने
रख दें । पति-पत्नि दोनों ही महामत्ृ युंजय मंत्र की तीन माला जाप करें ।
तत्पश्चात इस पात्र को मां भगवती के श्री चरणों में चुपचाप रखकर आ जाए।
17
रोजगार के लिये
अगर आपको रोजगार की समस्या आ रही हो या आपके व्यवसाय में आर्थिक समस्या का
सामना करना पड़ रहा हो अथवा हाथ में आये अच्छे मौके निकले जा रहे हो तो ऐसी
अवस्था में किसी भी माह के शुक्ल पक्ष को यह उपाय आरं भ करें । सौ ग्राम जौ,
सौ ग्राम दे सी चना, सौ ग्राम उड़द का आटा लें तीनों आटों को मिक्स करके
गूंथ लें और इस आटे की 108 गोलियां बना लें। गोली बनाते समय ॐ श्रीं नम:
का जाप करते रहें गोलियां बनाकर किसी स्वच्छ थाली में रख दें । तत्पश्चात
दीपक जलायें और ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। 11 माला जाप करें । और जप माला
स्फटिक की प्रयोग करें तो बहुत अच्छा रहे गा। जप के बाद स्वच्छ पात्र में
जल और गंगा जल भर कर माला को पात्र में रख दें । प्रात:काल उस जल में से
माला को निकालकर उस जल को अपने घर, दक
ु ान या व्यापारिक स्थान में छिड़क
दें । ऐसा नियमित 108 दिन तक करें । 108 दिन के बाद माला को बहते पानी में
प्रवाह कर दें ।
यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अषोक
वक्ष
ृ की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़
को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वक्ष
ृ से सात
पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पज
ू ा करें व घर के मंदिर में रख दे ।
अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्ताों को बहते जल में
प्रवाहित कर दें ।
धन खर्च रोकने हे तु
यदि परिवार मे अनावश्यक दघ
ु र्टनाओं की वजह से या कोर्ट-कचहरी की वजह से
अनावश्यक धन खर्च बढ़ रहा हो तो हर मंगलवार को स्वच्छ लाल वस्त्र सवा किलो
लाल मसूर बांधकर पारिवारिक सदस्यों के ऊपर से 11 बार उसार कर कपड़े सहित
बहते पानी में प्रवाह कर दें । परे शानियों से छुटकारा मिल जाएगा।
धन प्राप्ति हे तु
संपर्ण
ू प्रयासों के बावजद
ू धन की प्राप्ति नहीं होने पर किसी भी माह के
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को यह उपाय प्रारं भ करें । और लगातार एक साल तक
करें । हर रोज नित्यकर्म से निवत
ृ होकर स्नानोपरांत किसी तांबे के पात्र
स्वच्छ जल भर के उसमें थोड़ा गंगा जल और शहद मिलाकर सर्यो
ू दय से पूर्व
भगवान शिव के शिवलिंग पर ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए चढ़ा दें । लाभ
मिलेगा।
भख
ू लगने के लिए
यदि आपको भूख तो है लेकिन खाना मुंह में नहीं जा रहा हो तो प्रात:काल भोजन
करते समय अपने भोजन में से एक रोटी निकाल दें उस रोटी को बरगद के पत्ते पर
रखकर रोटी के उपर एक लौंग, एक इलायची, एक साबुत सुपारी और थोड़ी सी केसर
डाल दे और अपने ऊपर से सात बार उसार कर किसी चौराहे पर चुपचाप रखकर आ
जाएं। भूख लगने लगेगी मन प्रसन्न रहे गा।
बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परे शान है , आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक
हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहे गा। किसी भी माह के
पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख
कर अपने पज
ू ा स्थान में रख दें । श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें । धूप,
दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें । तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं
श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें । ऐसा 7 दिन नियमित रूप से
पूजन और जाप करें । पुन: दस
ू रे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के
उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में
गड्डा खोदर कर डाल दें । शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल
19
वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें । और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और
दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें ।
मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।
दक
ु ान की बिक्री बढ़ाने हे तु
आप मेहनत कर रहे हैं दक
ु ान में पूरा सामान है परन्तु बिक्री नही हो रही हो
अपनी दक
ु ान में लक्ष्मी जी का चित्र लगाकर उनके आगे धूप व दीप जलाकर
प्रणाम करें प्रणाम करके 108 बार ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जाप
करने के बाद अपना कार्य आरं भ करें या दक
ु ानदारी शुरू करें । कारोबार में
वद्धि
ृ होगी, ग्राहक आने लगें गे और काम भी बढ़े गा।