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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences

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Mantra Tantra Yantra Vigyan:#3 PART(NARAYAN / PRACHIN / NIKHIL-MANTRA SADHANA VIGYAN) Rejuvenating
Ancient Indian Spiritual Sciences - Narayan | Nikhil Mantra Vigyan formerly Mantra Tantra Yantra Vigyan is a monthly
magazine containing articles on ancient Indian Spiritual Sciences viz.
Nothing impossible
असम्भव कु छ भी नही बस आप में
इच्छा शक्ति होनी चाहिए। आप में कु छ खास है बस आप को उसे बहार निकलना है। आप एक आम इंसान से महान बन सकते है। सोचना
अभी से शुरू करे कल बहुत देर हो जायेगी|निखिलेश्वरनंद)

Mantra Gurudev Arvind Shrimali NAND KISHORE GuruJI Shivir KAILASH Guru ji SHIVIRS

Secret Of Guru mantra गुरु मंत्र रहस्य ॐ परम तत्व... mtyv

Sunday, August 12, 2018 Portal

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Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr Narayan Dutt Infomedia Vandana Yellow Pages

Shrimali, महाकाल मंत्र, शिव शंकर साधना Mantra Tantra Yantra Vigyan Facebooks
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Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr Narayan Dutt Shrimali, महाकाल मंत्र, शिव शंकर Vidyalaya

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Nikhil Kunj at Jodhpur, India:

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Nikhil Kunj at Jodhpur, India:
Nikhil Mantra Vigyan,
14A, Main Road,
Dr. Shrimali Marg,
High Court Colony,
Jodhpur 342001, Rajasthan, India
https://m.youtube.com/watch?v=RpTGUbQZ2-0
phone 91-291-2638209/2624081

Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan


hirendra pratap singh
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Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr Narayan Dutt Shrimali,
महाकाल मंत्र,
शिव शंकर साधना

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बावन भैरव प्रयोग) Bawan Bhairav Prayog by Dr. Narayan


Dutt Shrimali
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बावन भैरव प्रयोग) Bawan Bhairav Prayog by Dr. Narayan Dutt Shrimali

(बावन भैरव प्रयोग) Bawan Bhai…


Bhai…

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सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र sarv karya janjira


mantra sadhana
सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र “या उस्ताद बैठो पास,
काम आवै रास। ला इलाही लिल्ला हजरत वीर
कौशल्या वीर, आज मज रे जालिम शुभ करम दिन
कर...

HIDDEN SECRETS OF
https://m.youtube.com/watch?v=iYRwVlPXvV8 YAKSHINI SADHNA
यक्षिणी साधना के लिए साधक का
चिंतन क्या होना चाहिए ? वस्तुतः

सि र्फ क्षि णी के लि ही हीं ल्कि त्ये


https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 1/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
सिर्फ यक्षिणी के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक साधना
Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan
hirendra pratap singh
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9:40 PM
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के लिए साधक का चिंतन प...

KARN PISHACH SADHNA


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Bawan Bhairav,
Prayog by Dr. Narayan Dutt Shrimali,
बावन भैरव प्रयोग)
================ Do you know whose
speed is the highest speed in whole
universe…Hmmm... Come on just give a
Friday, June 1, 2018
thought hnnna.. What happen...

दुर्गा गुप्त-सप्तशती gupt durga saptashati मेरे अनुभूत सरल लघु प्रयोग
(MERE ANUBHOOT SARAL
LAGHU PRAYOG)
मेरे अनुभूत सरल लघु प्रयोग
(MERE ANUBHOOT SARAL
LAGHU PRAYOG)        1.घर
मे क्लेश का वातावरण अचानक से हो जाए तो थोडा
नमक ले ...

Sulemani tantra sadhna 3 सुलेमानी तंत्र -साधना


-3
सुलेमानी तंत्र ----साधना -3 जहां सभी तंत्रो में तीक्ष्ण
सुलेमानी तंत्र को माना गया है !क्यू के इस में सिद्धि
जल्द और तीक्ष्ण होती है !ऐसा न...

Sule Maani Peer Budhu Shah pratya


sadhna proyog
सुलेमानी पीर बुधु शाह पर्तक्ष साधना-- अब से कु श
तीखा हो जाये --- मेरा मतलव है कु श तीक्षण
साधनाए जो सर्वदा गुप्त रही है! यह साधना मुझे मेरे
...

दुर्गा गुप्त-सप्तशती gupt durga


saptashati
दुर्गा गुप्त-सप्तशती सात सौ मन्त्रों
की 'श्री दुर्गा सप्तशती, का पाठ
करने से साधकों का जैसा कल्याण
होता है, वैसा-ही कल्याणकारी
दुर्गा गुप्त-सप्तशती
इसक...
सात सौ मन्त्रों की 'श्री दुर्गा सप्तशती, का पाठ करने से साधकों का जैसा कल्याण होता है, वैसा-ही कल्याणकारी
इसका पाठ है। यह 'गुप्त-सप्तशती' प्रचुर मन्त्र-बीजों के होने से आत्म-कल्याणेछु साधकों के लिए अमोघ फल-प्रद है।
sadhna 5 Mudhra Vigyan
इसके पाठ का क्रम इस प्रकार है। प्रारम्भ में 'कु ञ्जिका-स्तोत्र', उसके बाद 'गुप्त-सप्तशती', तदन्तर 'स्तवन' का पाठ IMPORTENCE OF
MUDRAS पंचमकार में से एक
करे । १, ३ , ५ ,११ ५१ पाठ  किया जाये रोज तो सप्तशती का पूरा लाभ साधक को मिलता ही है उस के हर कार्य
"मुद्रा" के बारे में जितनी भ्रान्ति हैं
बनने लगता है जो चाहे इच्छा हो प्राप्त होने लगता है | लक्ष्मी की किरपा साधक पर हमेशा बानी रहती है  बहुत कम लोग ही समझ ही पाते
हैं कि क्या हैं...
कु ञ्जिका-स्तोत्र

Mohini Devi मोहिनी देवी


।।पूर्व-पीठिका-ईश्वर उवाच।।

मोहिनी देवी का अवतार भगवान


श्रृणु देवि, प्रवक्ष्यामि कु ञ्जिका-मन्त्रमुत्तमम्।
विष्णु जी ने लिया था !जब शंकर
येन मन्त्रप्रभावेन चण्डीजापं शुभं भवेत्‌॥1॥
जी ने भ्स्मा सुर को किसी को सिर
न वर्म नार्गला-स्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्‌।
पर हाथ रख कर भस्म करने की
शक्ति प्रदान की तो वोह...
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासं च न चार्चनम्‌॥2॥

कु ञ्जिका-पाठ-मात्रेण दुर्गा-पाठ-फलं लभेत्‌।

अति गुह्यतमं देवि देवानामपि दुर्लभम्‌॥ 3॥

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गोपनीयं प्रयत्नेन स्व-योनि-वच्च पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्‌।

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पाठ-मात्रेण संसिद्धिः कु ञ्जिकामन्त्रमुत्तमम्‌॥ 4॥

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अथ मंत्र
Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji

ॐ श्लैं दुँ क्लीं क्लौं जुं सः ज्वलयोज्ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल प्रबल-प्रबल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा

॥ इति मंत्रः ॥

इस 'कु ञ्जिका-मन्त्र' का यहाँ दस बार जप करे । इसी प्रकार 'स्तव-पाठ' के अन्त में पुनः इस मन्त्र का दस बार जप कर
Dr Narayan D…
D…
'कु ञ्जिका स्तोत्र' का पाठ करे ।

।।कु ञ्जिका स्तोत्र मूल-पाठ।।

नमस्ते रुद्र-रूपायै, नमस्ते मधु-मर्दिनि।

नमस्ते कै टभारी च, नमस्ते महिषासनि॥

नमस्ते शुम्भहंत्रेति, निशुम्भासुर-घातिनि।

जाग्रतं हि महा-देवि जप-सिद्धिं कु रुष्व मे॥

ऐं-कारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रति-पालिका॥


क्लीं-कारी कामरूपिण्यै बीजरूपा नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्ड-घाती च यैं-कारी वर-दायिनी॥

विच्चे नोऽभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि॥

karpoora gour…
gour…
धां धीं धूं धूर्जटेर्पत्नी वां वीं वागेश्वरी तथा।

क्रां क्रीं श्रीं मे शुभं कु रु, ऐं ॐ ऐं रक्ष सर्वदा।।

ॐ ॐ ॐ-कार-रुपायै, ज्रां-ज्रां ज्रम्भाल-नादिनी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि, शां शीं शूं मे शुभं कु रु॥

ह्रूं ह्रूं ह्रूं-काररूपिण्यै ज्रं ज्रं ज्रम्भाल-नादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवानि ते नमो नमः ॥7॥

।।मन्त्र।।
अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव, आविर्भव, हं सं लं क्षं मयि जाग्रय-जाग्रय, त्रोटय-त्रोटय दीप्तं कु रु कु रु स्वाहा॥
ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा॥
परमहंस स्वामी
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कु ञ्जिकायै नमो नमः ।।

सां सीं सप्तशती-सिद्धिं, कु रुष्व जप-मात्रतः ॥


निखिलेश्वरानंद जी
इदं तु कु ञ्जिका-स्तोत्रं मंत्र-जाल-ग्रहां प्रिये।

अभक्ते च न दातव्यं, गोपयेत् सर्वदा श्रृणु।।


तुम्हे अपने जीवन मे रुकना नही है, तुम्हे अपने
कुं जिका-विहितं देवि यस्तु सप्तशतीं पठे त्‌।
जीवन मे एक क्षण भी विचार नही करना है, कि
न तस्य जायते सिद्धिं, अरण्ये रुदनं यथा॥
तुम्हारा जीवन बहुत थोडा सा बच गया है और
ति श्री ले गौ री त्रे शि र्व ती दे जि स्तो र्ण डी बी है हि से री
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
। इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुं जिकास्तोत्रं संपूर्णम्‌।
पगडंडी बहुत लंबी है। हिमालय से पुरी समुद्र तक
की यात्रा, जीवन मे धीरे -धीरे चलने से समुद्र नही
मिल सके गा क्योंकि नदी धीरे धीरे चलेगी तो बीच मे
गुप्त-सप्तशती सुख जायेगी। तुम्हारे मेरे बीच में बहुत कम फासला
ॐ ब्रीं-ब्रीं-ब्रीं वेणु-हस्ते, स्तुत-सुर-बटुकै र्हां गणेशस्य माता।
रह गया है और मेरे पास बहुत कम समय रह गया है
स्वानन्दे नन्द-रुपे, अनहत-निरते, मुक्तिदे मुक्ति-मार्गे।।
इसलिए हम उस फासले को कितना जल्दी पार कर
हंसः सोहं विशाले, वलय-गति-हसे, सिद्ध-देवी समस्ता।
लें, यह तुम पर निर्भर है।
हीं-हीं-हीं सिद्ध-लोके , कच-रुचि-विपुले, वीर-भद्रे नमस्ते।।१
मेरे उपस्थित होना तुम्हारे मध्य! बस
यही कारन था - तुम्हारा निर्माण! तुमको
ॐ हींकारोच्चारयन्ती, मम हरति भयं, चण्ड-मुण्डौ प्रचण्डे।
गड़ना था
खां-खां-खां खड्ग-पाणे, ध्रक-ध्रक ध्रकिते, उग्र-रुपे स्वरुपे।।

हुँ-हुँ हुँकांर-नादे, गगन-भुवि-तले, व्यापिनी व्योम-रुपे।


यह ललकार हैं अब भी नहीं
हं-हं हंकार-नादे, सुर-गण-नमिते, चण्ड-रुपे नमस्ते।।२

जागोगे तो कब जागोगे
ऐं लोके कीर्तयन्ती, मम हरतु भयं, राक्षसान् हन्यमाने।
अनंत देवी देवता हैं, अनंत उपासना पद्धति है, कहाँ कहाँ
जाकर सिर झुकाओगे, किन किन दरवाज़ों पर जाकर
घ्रां-घ्रां-घ्रां घोर-रुपे, घघ-घघ-घटिते, घर्घरे घोर-रावे।।

नाक रगडोगे, जीवन के दिन तो थोड़े से ही हैं, गिनती के


निर्मांसे काक-जंघे, घसित-नख-नखा, धूम्र-नेत्रे त्रि-नेत्रे।

हैं. वे तो ऐसे ही समाप्त हो जायेंगे, फिर क्या मिलेगा?


हस्ताब्जे शूल-मुण्डे, कु ल-कु ल ककु ले, सिद्ध-हस्ते नमस्ते।।३

जीवन यूँ ही भटकते हुए मंदिरों में , तीर्थों में, साधू


सन्यासियों के पास समाप्त हो जायेगा. यदि तुम्हें सदगुरु
ॐ क्रीं-क्रीं-क्रीं ऐं कु मारी, कु ह-कु ह-मखिले, कोकिलेनानुरागे।
मिल गये हैं, तो सब कु छ छोड़कर उनके चरण क्यूँ नहीं
मुद्रा-संज्ञ-त्रि-रे खा, कु रु-कु रु सततं, श्री महा-मारि गुह्ये।।
पकड़ लेते.

तेजांगे सिद्धि-नाथे, मन-पवन-चले, नैव आज्ञा-निधाने।


परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद
ऐंकारे रात्रि-मध्ये, स्वपित-पशु-जने, तत्र कान्ते नमस्ते।।४

GIVE ME FAITH AND DEVOTION, AND I WILL


ॐ व्रां-व्रीं-व्रूं व्रैं कवित्वे, दहन-पुर-गते रुक्मि-रुपेण चक्रे ।
GIVE YOU FULFILMENT & COMPLETENESS
त्रिः -शक्तया, युक्त-वर्णादिक, कर-नमिते, दादिवं पूर्व-वर्णे।।

ParamPujya Pratahsamaraniya Om
ह्रीं-स्थाने काम-राजे, ज्वल-ज्वल ज्वलिते, कोशिनि कोश-पत्रे।
स्वच्छन्दे कष्ट-नाशे, सुर-वर-वपुषे, गुह्य-मुण्डे नमस्ते।।५
Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji
Mantra Tantra Yantra Vigyan (formerly Mantra
Tantra Yantra Vigyan) is a monthly magazine
ॐ घ्रां-घ्रीं-घ्रूं घोर-तुण्डे, घघ-घघ घघघे घर्घरान्याङि् घ्र-घोषे।

containing articles on ancient Indian Spiritual


ह्रीं क्रीं द्रूं द्रोञ्च-चक्रे , रर-रर-रमिते, सर्व-ज्ञाने प्रधाने।।

Sciences viz. Mantras, Tantric Procedures,


द्रीं तीर्थेषु च ज्येष्ठे, जुग-जुग जजुगे म्लीं पदे काल-मुण्डे।
Talisman, Astrology, Sadhanas, Yoga,
सर्वांगे रक्त-धारा-मथन-कर-वरे , वज्र-दण्डे नमस्ते।।६ Ayurveda, Meditation, Hypnotism, Numerology,
Palmistry, Alchemy, Occult sciences etc. It
ॐ क्रां क्रीं क्रूं वाम-नमिते, गगन गड-गडे गुह्य-योनि-स्वरुपे।
details numerous Sadhanas and Dikshas to
वज्रांगे, वज्र-हस्ते, सुर-पति-वरदे, मत्त-मातंग-रुढे ।।
realise ambitions & resolve tensions, worries &
स्वस्तेजे, शुद्ध-देहे, लल-लल-ललिते, छे दिते पाश-जाले।
problems regarding finance, domestic, marital ,
किण्डल्याकार-रुपे, वृष वृषभ-ध्वजे, ऐन्द्रि मातर्नमस्ते।।७
black magic, intelligence, health etc. It also
includes practical methods to attain spiritual
upliftment , kundalini activation etc. You can
ॐ हुँ हुँ हुंकार-नादे, विषमवश-करे , यक्ष-वैताल-नाथे।

attain Totality and Perfection by taking Dikshas


सु-सिद्धयर्थे सु-सिद्धैः , ठठ-ठठ-ठठठः , सर्व-भक्षे प्रचण्डे।।
from Reverent Trimurti Gurudevs and
जूं सः सौं शान्ति-कर्मेऽमृत-मृत-हरे , निः समेसं समुद्रे।
performing Sadhanas.
देवि, त्वं साधकानां, भव-भव वरदे, भद्र-काली नमस्ते।।८
Divine Quotation
Only a Guru can raise one from the level of
ब्रह्माणी वैष्णवी त्वं, त्वमसि बहुचरा, त्वं वराह-स्वरुपा।
animal existence. Even gods cannot reveal
त्वं ऐन्द्री त्वं कु बेरी, त्वमसि च जननी, त्वं कु मारी महेन्द्री।।
what is the real purpose of human life. Those
ऐं ह्रीं क्लींकार-भूते, वितल-तल-तले, भू-तले स्वर्ग-मार्गे।
who do not have a physical body, those who
पाताले शैल-श्रृंगे, हरि-हर-भुवने, सिद्ध-चण्डी नमस्ते।।९
were never born cannot understand the aim of
human life. But a Guru is born as an ordinary
human and He attains to totality though His
हं लं क्षं शौण्डि-रुपे, शमित भव-भये, सर्व-विघ्नान्त-विघ्ने।

efforts. Hence only He can take a disciple to


गां गीं गूं गैं षडंगे, गगन-गति-गते, सिद्धिदे सिद्ध-साध्ये।।
the highest echelons of human life.
वं क्रं मुद्रा हिमांशोर्प्रहसति-वदने, त्र्यक्षरे ह्सैं निनादे।

हां हूं गां गीं गणेशी, गज-मुख-जननी, त्वां महेशीं नमामि।।१०

Note

स्तवन

या देवी खड्ग-हस्ता, सकल-जन-पदा, व्यापिनी विशऽव-दुर्गा। जय गुरुदेव,


श्यामांगी शुक्ल-पाशाब्दि जगण-गणिता, ब्रह्म-देहार्ध-वासा।।
सोऽहं .....

ज्ञानानां साधयन्ती, तिमिर-विरहिता, ज्ञान-दिव्य-प्रबोधा।


Nothing impossible

असम्भव कु छ भी नही बस आप में इच्छा होनी चाहिए ।


सा देवी, दिव्य-मूर्तिर्प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।१

आप में कु छ खास है बस आप को उसे बहार निकलना


है । आप एक आम इंसान से महान बन सकते है ।
ॐ हां हीं हूं वर्म-युक्ते, शव-गमन-गतिर्भीषणे भीम-वक्त्रे।

सोचना अभी से शुरू करे कल बहुत देर हो जायेगी । मंत्र


क्रां क्रीं क्रूं क्रोध-मूर्तिर्विकृ त-स्तन-मुखे, रौद्र-दंष्ट्रा-कराले।।
तंत्र यन्त्र विज्ञान कलयुग की श्रीमदभगवदगीता ही हैं.
कं कं कं काल-धारी भ्रमप्ति, जगदिदं भक्षयन्ती ग्रसन्ती-
जिसका प्रत्येक अक्षर, प्रत्येक मंत्र किसी के भी दुर्भाग्य
हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।२
को सौभाग्य में बदलने की पूर्ण क्षमता रखता हैं। यह मात्र
एक पत्रिका ही नहीं वरन ज्ञान को फ़ै लाने का एक शाश्वत
ॐ ह्रां ह्रीं हूं रुद्र-रुपे, त्रिभुवन-नमिते, पाश-हस्ते त्रि-नेत्रे।
प्रयास हैं जो ग्यानगंज (सिद्धाश्रम) से निर्देशित किया जा
रां रीं रुं रं गे किले किलित रवा, शूल-हस्ते प्रचण्डे।।
रहा हैं..
लां लीं लूं लम्ब-जिह्वे हसति, कह-कहा शुद्ध-घोराट्ट-हासैः ।

आप सभी के सहयोग से हमने अब गुरुदेव के बताये


कं काली काल-रात्रिः प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।३

मार्ग पर चलना आरभ कर दिया है, जिसका गंताव्यस्थल


अन्नंत है. सहयोग इसलिए क्योंकी गुरु का वास हम सभी
ॐ घ्रां घ्रीं घ्रूं घोर-रुपे घघ-घघ-घटिते घर्घराराव घोरे ।
में है और हम उनके पुंज बनकर लुप्त होती इस तंत्र धरा
निमाँसे शुष्क-जंघे पिबति नर-वसा धूम्र-धूम्रायमाने।।
को किं चित मात्र भी सींच सके तो ये सार्थक होगा.

ॐ द्रां द्रीं द्रूं द्रावयन्ती, सकल-भुवि-तले, यक्ष-गन्धर्व-नागान्।


यहाँ मैं एक बात कहना चाहूँगा कि "अलौकिक साधनायें"
क्षां क्षीं क्षूं क्षोभयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।४
साधकों के द्वारा कि हुई सध्नायों के विषय में यदि ज्ञान दे
तभी उसकी सार्थकता है. लिखी हुई या इधर-उधर से
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भद्र-काली, हरि-हर-नमिते, रुद्र-मूर्ते विकर्णे।
पढ़कर बताना ठीक नहीं, क्योंकी वह चोरी है.

चन्द्रादित्यौ च कर्णौ, शशि-मुकु ट-शिरो वेष्ठितां के तु-मालाम्।।


दू सरी बात ये है कि यदि हम वह साधना बताएं जिसे
स्त्रक् -सर्व-चोरगेन्द्रा शशि-करण-निभा तारकाः हार-कण्ठे ।
हमने स्वयं किया है तो उन सभी ले लिए एक सहज ज्ञान
सा देवी दिव्य-मूर्तिः , प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।५
का मार्ग खुल जायेगा जो इसके बारे में अन्दर ही अन्दर
सोचते अधिक हैं, क्रियान्वयन नहीं.

उन सभी साधकों का जिन्होंने अलग-अलग साधनायें कीं


ॐ खं-खं-खं खड्ग-हस्ते, वर-कनक-निभे सूर्य-कान्ति-स्वतेजा।

और उसमे सफलता प्राप्त करने के बाद उसकी विधि


विद्युज्ज्वालावलीनां, भव-निशित महा-कर्त्रिका दक्षिणेन।।
और बारीकियों से दू सरों को अवगत कराया. यहाँ एक
मे स्ते वि रि न्ती र्ण है कि बि के कि सी भी
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 3/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
वामे हस्ते कपालं, वर-विमल-सुरा-पूरितं धारयन्ती।
बात महत्वपूर्ण है कि बिना गुरु आज्ञा के किसी भी
सा देवी दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।६
साधना को करना मुर्खता है. क्योंकी गुरु ही वह हैं जो
प्रत्यक्षीकरण का पल निर्धारित करते हैं.

ॐ हुँ हुँ फट् काल-रात्रीं पुर-सुर-मथनीं धूम्र-मारी कु मारी।


आशा है आप सभी अपने साधनात्मक अनुभवों व साधना
विधि का ज्ञान उन सभी को बताने में रूचि रखेंगे जिन्हें
ह्रां ह्रीं ह्रूं हन्ति दुष्टान् कलित किल-किला शब्द अट्टाट्टहासे।।

इसकी आवश्यकता है. क्योंकी भारत का ये इतिहास पूर्व


हा-हा भूत-प्रभूते, किल-किलित-मुखा, कीलयन्ती ग्रसन्ती।

में भी गोपनीयता कि भेंट चढ़कर कई महत्वपूर्ण


हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।७
साधनायें खो चुका है और कु छ खोने कि कगार पर हैं.

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं कपालीं परिजन-सहिता चण्डि चामुण्डा-नित्ये।

रं -रं रं कार-शब्दे शशि-कर-धवले काल-कू टे दुरन्ते।।

हुँ हुँ हुंकार-कारि सुर-गण-नमिते, काल-कारी विकारी।


दुर्भाग्य है....विडम्बना है....मनन करें .......

त्र्यैलोक्यं वश्य-कारी, प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।८


एक ओर जहाँ विज्ञान और अध्यात्म के माध्यम से लोगों
के दिमाग़ में

वन्दे दण्ड-प्रचण्डा डमरु-डिमि-डिमा, घण्ट टंकार-नादे।


पढने को लेकर विकसित देशों में अतीन्द्रिय और रूहानी
शक्तिओं पर

नृत्यन्ती ताण्डवैषा थथ-थइ विभवैर्निर्मला मन्त्र-माला।।

व्यापक शोध कार्य चल रहे हैं, conciousness


रुक्षौ कु क्षौ वहन्ती, खर-खरिता रवा चार्चिनि प्रेत-माला।

awareness प्रोजेक्ट्स वैज्ञानिकों

उच्चैस्तैश्चाट्टहासै, हह हसित रवा, चर्म-मुण्डा प्रचण्डे।।९


द्वारा बनाये जा रहे हैं वहीं हमारे देश में इन गुह्य विधाओं

को अन्धविश्वास, तिरस्कार, उपहास का कारण टीवी/


ॐ त्वं ब्राह्मी त्वं च रौद्री स च शिखि-गमना त्वं च देवी कु मारी।
मीडिया ड्रामा और नौटंकी

त्वं चक्री चक्र-हासा घुर-घुरित रवा, त्वं वराह-स्वरुपा।।


बनवाकर बनाता जा रहा है...

रौद्रे त्वं चर्म-मुण्डा सकल-भुवि-तले संस्थिते स्वर्ग-मार्गे।


मनन करें ये अबौद्दिक प्रचार-प्रसार हमारे वैदिक/जातक
पाताले शैल-श्रृंगे हरि-हर-नमिते देवि चण्डी नमस्ते।।१०
वांग्मय को कहाँ ले

जा रहा है.......?
रक्ष त्वं मुण्ड-धारी गिरि-गुह-विवरे निर्झरे पर्वते वा।

संग्रामे शत्रु-मध्ये विश विषम-विषे संकटे कु त्सिते वा।।


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व्याघ्रे चौरे च सर्पेऽप्युदधि-भुवि-तले वह्नि-मध्ये च दुर्गे।

रक्षेत् सा दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।११

इत्येवं बीज-मन्त्रैः स्तवनमति-शिवं पातक-व्याधि-नाशनम्।


2 1 1 7 1 8 9
प्रत्यक्षं दिव्य-रुपं ग्रह-गण-मथनं मर्दनं शाकिनीनाम्।।

इत्येवं वेद-वेद्यं सकल-भय-हरं मन्त्र-शक्तिश्च नित्यम्।


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मन्त्राणां स्तोत्रकं यः पठति स लभते प्रार्थितां मन्त्र-सिद्धिम्।।१२

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चं-चं-चं चन्द्र-हासा चचम चम-चमा चातुरी चित्त-के शी।

यं-यं-यं योग-माया जननि जग-हिता योगिनी योग-रुपा।।

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डं-डं-डं डाकिनीनां डमरुक-सहिता दोल हिण्डोल डिम्भा।

रं -रं -रं रक्त-वस्त्रा सरसिज-नयना पातु मां देवि दुर्गा।।१३


guru ji ka parichay
(1)
________________________________

देवी कवच/चण्डी कवच Subscribe To

देवी कवच
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विनियोग – ॐ अस्य श्रीदेव्या: कवचस्य ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, ख्फ्रें चामुण्डाख्या महा-लक्ष्मी: देवता, ह्रीं ह्रसौं
ह्स्क्लीं ह्रीं ह्रसौं अंग-न्यस्ता देव्य: शक्तय:, ऐं ह्स्रीं ह्रक्लीं श्रीं ह्वर्युं क्ष्म्रौं स्फ्रें बीजानि, श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये सर्व रक्षार्थे च
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पाठे विनियोग:।

ऋष्यादि-न्यास – ब्रह्मर्षये नम: शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नम: मुखे, ख्फ्रें चामुण्डाख्या महा-लक्ष्मी: देवतायै नम: हृदि, ह्रीं
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ह्रसौं ह्स्क्लीं ह्रीं ह्रसौं अंग-न्यस्ता देव्य: शक्तिभ्यो नम: नाभौ, ऐं ह्स्रीं ह्रक्लीं श्रीं ह्वर्युं क्ष्म्रौं स्फ्रें बीजेभ्यो नम: लिंगे,
श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये सर्व रक्षार्थे च पाठे विनियोगाय नम: सर्वांगे।
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ध्यान-
ॐ रक्ताम्बरा रक्तवर्णा, रक्त-सर्वांग-भूषणा।

रक्तायुधा रक्त-नेत्रा, रक्त-के शाऽति-भीषणा।।1

रक्त-तीक्ष्ण-नखा रक्त-रसना रक्त-दन्तिका।

पतिं नारीवानुरक्ता, देवी भक्तं भजेज्जनम्।।2

वसुधेव विशाला सा, सुमेरू-युगल-स्तनी।

दीर्घौ लम्बावति-स्थूलौ, तावतीव मनोहरौ।।3

कर्क शावति-कान्तौ तौ, सर्वानन्द-पयोनिधी।

भक्तान् सम्पाययेद् देवी, सर्वकामदुघौ स्तनौ।।4


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खड्गं पात्रं च मुसलं, लांगलं च बिभर्ति सा।

आख्याता रक्त-चामुण्डा, देवी योगेश्वरीति च।।5

अनया व्याप्तमखिलं, जगत् स्थावर-जंगमम्।


पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित अनमोल कृ तियां
इमां य: पूजयेद् भक्तो, स व्याप्नोति चराचरम्।।6

।।मार्क ण्डेय उवाच।।


हिमालय के योगियों की गुप्त सिद्धियां
ॐॐॐ यद् गुह्यं परमं लोके , सर्व-रक्षा-करं नृणाम्।
स्मशान भैरवी
यन्न कस्यचिदाख्यातं, तन्मे ब्रूहि पितामह।।1
सर्व सिद्धि प्रदायक यज्ञ विधान
।।ब्रह्मोवाच।। षोडश त्रिपुर सुंदरी
ॐ अस्ति गुह्य-तमं विप्र सर्व-भूतोपकारकम्।
विश्व की श्रेष्ठ दीक्षाएं
देव्यास्तु कवचं पुण्यं, तच्छृ णुष्व महामुने।।2
विश्व की अलौकिक साधानाएं
प्रथमं शैल-पुत्रीति, द्वितीयं ब्रह्म-चारिणी।
लक्ष्मी प्राप्ति
तृतीयं चण्ड-घण्टेति, कू ष्माण्डेति चतुर्थकम्।।3
मैं बहे फै लाये खडा हूं
पंचमं स्कन्द-मातेति, षष्ठं कात्यायनी तथा।
मूलाधार से सहस्रार तक
सप्तमं काल-रात्रीति, महागौरीति चाष्टमम्।।4

मंत्र रहस्य
नवमं सिद्धि-दात्रीति, नवदुर्गा: प्रकीर्त्तिता:।

भौतिक साधना और सफलता


उक्तान्येतानि नामानि, ब्रह्मणैव महात्मना।।5

भैरव साधना
अग्निना दह्य-मानास्तु, शत्रु-मध्य-गता रणे।

विषमे दुर्गमे वाऽपि, भयार्ता: शरणं गता।।6


बृहद हस्त-रे खा शास्त्र
न तेषां जायते किं चिदशुभं रण-संकटे। बगलामुखी साधना
आपदं न च पश्यन्ति, शोक-दु:ख-भयं नहि।।7
फिर दू र कहीं पायल खनकी
यैस्तु भक्त्या स्मृता नित्यं, तेषां वृद्धि: प्रजायते।
प्रैक्टिकल हिप्नोटिजम
प्रेत संस्था तु चामुण्डा, वाराही महिषासना।।8
प्रत्यक्ष हनुमान सिद्धि
ऐन्द्री गज-समारूढ़ा, वैष्णवी गरूड़ासना।
निखिलेश्वरानन्द सहस्रनाम
नारसिंही महा-वीर्या, शिव-दू ती महाबला।।9
निखिलेश्वरानंद स्तवन
माहेश्वरी वृषारूढ़ा, कौमारी शिखि-वाहना।

ह्मी र्वा षि
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
ब्राह्मी हंस-समारूढ़ा, सर्वाभरण-भूषिता।।10
ध्यान धारना और समाधि
लक्ष्मी: पद्मासना देवी, पद्म-हस्ता हरिप्रिया।
धन वर्षिणी तारा
श्वेत-रूप-धरा देवी, ईश्वरी वृष वाहना।।11
दीक्षा संस्कार
इत्येता मातर: सर्वा:, सर्व-योग-समन्विता।
तांत्रिक सिद्धियां
नानाभरण-षोभाढया, नाना-रत्नोप-शोभिता:।।12

तंत्रोक्त गुरु पूजन


श्रेष्ठैष्च मौक्तिकै : सर्वा, दिव्य-हार-प्रलम्बिभि:।

तंत्र साधना
इन्द्र-नीलैर्महा-नीलै, पद्म-रागै: सुशोभने:।।13

दृष्यन्ते रथमारूढा, देव्य: क्रोध-समाकु ला:।


ज्योतिष और कालनिर्णय

शंखं चक्रं गदां शक्तिं, हलं च मूषलायुधम्।।14


गुरु गीता
खेटकं तोमरं चैव, परशुं पाशमेव च।
ऐश्वर्य महालक्ष्मी साधना
कु न्तायुधं च खड्गं च, शार्गांयुधमनुत्तमम्।।15
आधुनिकतम हिप्नोटिजम
दैत्यानां देह नाशाय, भक्तानामभयाय च।
अमृत बूंद
धारयन्त्यायुधानीत्थं, देवानां च हिताय वै।।16
अप्सरा साधना
नमस्तेऽस्तु महारौद्रे ! महाघोर पराक्रमे !

महाबले ! महोत्साहे ! महाभय विनाशिनि।।17

त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये ! शत्रूणां भयविर्द्धनि !


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प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री, आग्नेय्यामग्नि देवता।।18

दक्षिणे चैव वाराही, नैऋत्यां खड्गधारिणी।

प्रतीच्यां वारूणी रक्षेद् , वायव्यां वायुदेवता।।19

dimostration in metallic alchemy


उदीच्यां दिशि कौबेरी, ऐशान्यां शूल-धारिणी।

ऊर्ध्वं ब्राह्मी च मां रक्षेदधस्ताद् वैष्णवी तथा।।20


ऑनलाइन कार्यशाला
एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शव-वाहना।
(workshop) - 28/9/2021 - Nikhil
जया मामग्रत: पातु, विजया पातु पृष्ठत:।।21
Important Information/ एक आवश्यक, विशिष्ट
अजिता वाम पार्श्वे तु, दक्षिणे चापराजिता।
सूचना - 8/12/2020 - Nikhil
शिखां मे द्योतिनी रक्षेदुमा मूर्ध्नि व्यवस्थिता।।22
 - 7/6/2020 - Nikhil
मालाधरी ललाटे च, भ्रुवोर्मध्ये यशस्विनी।
vishisht paarad shivling - 7/6/2020 - Nikhil
नेत्रायोश्चित्र-नेत्रा च, यमघण्टा तु पार्श्वके ।।23
संगीत के सात स्वर और सात
शंखिनी चक्षुषोर्मध्ये, श्रोत्रयोर्द्वार-वासिनी।
चक्र - 20/6/2018 - Anonymous
कपोलौ कालिका रक्षेत्, कर्ण-मूले च शंकरी।।24

नासिकायां सुगन्धा च, उत्तरौष्ठे च चर्चिका।

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अधरे चामृत-कला, जिह्वायां च सरस्वती।।25

दन्तान् रक्षतु कौमारी, कण्ठ-मध्ये तु चण्डिका।


.. शिव कवचम् ..
(6)
घण्टिकां चित्र-घण्टा च, महामाया च तालुके ।।26
‎" नरकों की विभिन्न गतियाँ "
(3)
कामाख्यां चिबुकं रक्षेद् , वाचं मे सर्व-मंगला।
(दुर्लभोपनिषद)
(5)
ग्रीवायां भद्रकाली च, पृष्ठ-वंशे धनुर्द्धरी।।27
Aab To Jag Guru Purnima Mahotsava
नील-ग्रीवा बहि:-कण्ठे , नलिकां नल-कू बरी।
Camp
(4)
स्कन्धयो: खडि्गनी रक्षेद् , बाहू मे वज्र-धारिणी।।28
About Bhairavi Sadhana
(3)
हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदिम्बका चांगुलीषु च।
About Swami Nikhileshwaranand ji
(2)
नखान् सुरे श्वरी रक्षेत्, कु क्षौ रक्षेन्नरे श्वरी।।29
about what Siddhashram Questions
(4)
स्तनौ रक्षेन्महादेवी, मन:-शोक-विनाशिनी।

about your illness


(1)
हृदये ललिता देवी, उदरे शूल-धारिणी।।30

aghor achuk vashikaran tantrik tantra


नाभौ च कामिनी रक्षेद् , गुह्यं गुह्येश्वरी तथा।
mantra sadhna
(3)
मेढ्रं रक्षतु दुर्गन्धा, पायुं मे गुह्य-वासिनी।।31
Apsara Mantra Tantra Sadhana
(3)
कट्यां भगवती रक्षेदू रू मे घन-वासिनी।

Aryan culture protector


(2)
जंगे महाबला रक्षेज्जानू माधव नायिका।।32

गुल्फयोर्नारसिंही च, पाद-पृष्ठे च कौशिकी।


Ayurveda Divine Power
(1)

पादांगुली: श्रीधरी च, तलं पाताल-वासिनी।।33


Baglamukhi Jayanti
(5)
नखान् दंष्ट्रा कराली च, के शांश्वोर्ध्व-के शिनी।
Baglamukhi: interesting facts
(1)
रोम-कू पानि कौमारी, त्वचं योगेश्वरी तथा।।34
bangalamukh sadhana
(1)
रक्तं मांसं वसां मज्जामस्थि मेदश्च पार्वती।
Bawan Bhairav
(1)
अन्त्राणि काल-रात्रि च, पितं च मुकु टेश्वरी।।35
Chandra Grahan
(1)
पद्मावती पद्म-कोषे, कक्षे चूडा-मणिस्तथा।
Chinnmsta secret छिन्नमस्ता रहस्य
(5)
ज्वाला-मुखी नख-ज्वालामभेद्या सर्व-सन्धिषु।।36
chndra grahan
(1)
शुक्रं ब्रह्माणी मे रक्षेच्छायां छत्रेश्वरी तथा।

dhumavati mahavidha sadhana


(2)
अहंकारं मनो बुद्धिं, रक्षेन्मे धर्म-धारिणी।।37

Diksha methodology
(2)
प्राणापानौ तथा व्यानमुदानं च समानकम्।

वज्र-हस्ता तु मे रक्षेत्, प्राणान् कल्याण-शोभना।।38


Diksha significance
(3)

रसे रूपे च गन्धे च, शब्दे स्पर्शे च योगिनी।


Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji- Mahakali
Sadhna
(10)
सत्वं रजस्तमश्चैव, रक्षेन्नारायणी सदा।।39

Dr. Narayan Dutta Shrimali Ji


(62)
आयू रक्षतु वाराही, धर्मं रक्षन्तु मातर:।

यश: कीर्तिं च लक्ष्मीं च, सदा रक्षतु वैष्णवी।।40


Durlabhopanishad
(2)
गोत्रमिन्द्राणी मे रक्षेत्, पशून् रक्षेच्च चण्डिका।
Ganesh destruction crisis ode
(2)
पुत्रान् रक्षेन्महा-लक्ष्मीर्भार्यां रक्षतु भैरवी।।41
give ordeal
(5)
धनं धनेश्वरी रक्षेत्, कौमारी कन्यकां तथा।
Goddess Saraswati Ji sadhana
(2)
पन्थानं सुपथा रक्षेन्मार्गं क्षेमंकरी तथा।।42
Going from your constellation
(1)
राजद्वारे महा-लक्ष्मी, विजया सर्वत: स्थिता।
Gurorastakam
(2)
रक्षेन्मे सर्व-गात्राणि, दुर्गा दुर्गाप-हारिणी।।43

GURU BHAJAN (गुरु भजन)


(5)
रक्षा-हीनं तु यत् स्थानं, वर्जितं कवचेन च।

Guru Gita
(3)
सर्वं रक्षतु मे देवी, जयन्ती पाप-नाशिनी।।44

Guru Gita Mantra short


(2)
।।फल-श्रुति।। guru ji ka parichay
(1)
सर्वरक्षाकरं पुण्यं, कवचं सर्वदा जपेत्। Guru Mantra Mystery Part -1
(3)
इदं रहस्यं विप्रर्षे ! भक्त्या तव मयोदितम्।।45
Guru Paduka Stotram By Bhagawat Pada
देव्यास्तु कवचेनैवमरक्षित-तनु: सुधी:।
Adi Sankara
(1)
पदमेकं न गच्छे त् तु, यदीच्छे च्छु भमात्मन:।।46
Hanuman Chalisa in different style-
कवचेनावृतो नित्यं, यत्र यत्रैव गच्छति। Narayan Dutt Shrimali
(1)
तत्र तत्रार्थ-लाभ: स्याद् , विजय: सार्व-कालिक:।।47
happy new year 2011
(1)
यं यं चिन्तयते कामं, तं तं प्राप्नोति निश्चितम्।
Hell of the different speeds
(2)
परमैश्वर्यमतुलं प्राप्नोत्यविकल: पुमान्।।48
how do the mala jaap
(1)
निर्भयो जायते मर्त्य:, संग्रामेष्वपराजित:।
I am a painter
(1)
त्रैलोक्ये च भवेत् पूज्य:, कवचेनावृत: पुमान्।।49

Is dedicated to you
(2)
इदं तु देव्या: कवचं, देवानामपि दुर्लभम्।

KARN PISHACH SADHNA


(1)
ठे तो नि त्रि न्वि
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 5/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
य: पठे त् प्रयतो नित्यं, त्रि-सन्ध्यं श्रद्धयान्वित:।।50 kind of Diksha
(1)
देवी वश्या भवेत् तस्य, त्रैलोक्ये चापराजित:।
kundali jagran by GUNJARANN KRIYA
(1)
जीवेद् वर्ष-शतं साग्रमप-मृत्यु-विवर्जित:।।51
kundali jagran mantra
(3)
नश्यन्ति व्याधय: सर्वे, लूता-विस्फोटकादय:।

kundali jagran mantra part-1


(1)
स्थावरं जंगमं वापि, कृ त्रिमं वापि यद् विषम्।।52

kundali jagran mantra part-2


(1)
अभिचाराणि सर्वाणि, मन्त्र-यन्त्राणि भू-तले।

kundali jagran mantra part-3 manipur


भूचरा: खेचराश्चैव, कु लजाश्चोपदेशजा:।।53

chakra
(1)
सहजा: कु लिका नागा, डाकिनी शाकिनी तथा।

Kundalini Awakening
(1)
अन्तरीक्ष-चरा घोरा, डाकिन्यश्च महा-रवा:।।54

Lalitha Sahasranamam Full (Stotra &


ग्रह-भूत-पिशाचाश्च, यक्ष-गन्धर्व-राक्षसा:।

Meaning)
(1)
ब्रह्म-राक्षस-वेताला:, कू ष्माण्डा भैरवादय:।।55

Little importance Sadnaa


(2)
नष्यन्ति दर्शनात् तस्य, कवचेनावृता हि य:।

LIVE Diwali Pujan 2011


(1)
मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजो-वृद्धि: परा भवेत्।।56

यशो-वृद्धिर्भवेद् पुंसां, कीर्ति-वृद्धिश्च जायते।


love
(1)
तस्माज्जपेत् सदा भक्तया, कवचं कामदं मुने।।57
Mahakaal Mahima
(2)
जपेत् सप्तशतीं चण्डीं, कृ त्वा तु कवचं पुर:।
Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr
निर्विघ्नेन भवेत् सिद्धिश्चण्डी-जप-समुद्भवा।।58
Narayan Dutt Shrimali
(1)
यावद् भू-मण्डलं धत्ते ! स-शैल-वन-काननम्।
Mahakaal Sadhna महाकाल साधना by Dr
Narayan Dutt Shrimali
(1)
तावत् तिष्ठति मेदिन्यां, जप-कर्तुर्हि सन्तति:।।59

देहान्ते परमं स्थानं, यत् सुरै रपि दुर्लभम्।


Mahakali Mahavidya
(2)
सम्प्राप्नोति मनुष्योऽसौ, महा-माया-प्रसादत:।।60
MAHAKALI Sadhana
(1)
तत्र गच्छति भक्तोऽसौ, पुनरागमनं न हि।
mantra
(2)
लभते परमं स्थानं, शिवेन सह मोदते ॐॐॐ।।61
Mata Bhagavati jagdamba
(1)
।।वाराह-पुराणे श्रीहरिहरब्रह्म विरचितं देव्या: कवचम्।। Mohini Devi मोहिनी देवी
(1)
MTYV Vishwa Vidyalaya
(3)
Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan
hirendra pratap singh
at
12:26 AM
1 comments
Mysterious power of Mantra 1
(1)
NAKSHATRA TANTRA SE MANORATH
SIDDHI
(3)
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दुर्गा गुप्त-सप्तशती
NARAYAN MANTRA SADHANA VIGYAN
(1)
Thursday, May 31, 2018 Narayana Kavacham
(1)
nav grah dos mukti mantra
(1)

सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र sarv karya janjira mantra sadhana Nikhil Elements Overview
(3)
Nikhileshwarananda Stawan
(1)
सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र
Para Vidya / Surya Vigyan (परा विद्या)
(1)
“या उस्ताद बैठो पास, काम आवै रास। ला इलाही लिल्ला हजरत वीर कौशल्या वीर,
आज मज रे जालिम शुभ करम Paramhansa Swami Trijta Aghori ji
(1)
दिन करै जञ्जीर। जञ्जीर से कौन-कौन चले? बावन वीर चलें, छप्पन कलवा चलें। चौंसठ योगिनी चलें, नब्बे नारसिंह Praan Vikhandan Mantra (प्राण विखंडन मंत्र)
चलें। देव चलें, दानव चलें। पाँचों त्रिशेम चलें, लांगुरिया सलार चलें। भीम की गदा चले, हनुमान की हाँक चले। नाहर (1)
की धाक चलै, नहीं चलै, तो हजरत सुलेमान के तखत की
दुहाई है। एक लाख अस्सी हजार पीर व पैगम्बरों की दुहाई Praan Vikhandan Mantra and Para Vidya
है। चलो मन्त्र, ईश्वर वाचा। गुरु का शब्द साँचा।”
Surya Vigyan
(1)
विधि- उक्त मन्त्र का जप शुक्ल-पक्ष के सोमवार या मङ्गलवार से प्रारम्भ करे । कम-से-कम ५ बार नित्य करे । अथवा Pravachan
(1)
२१, ४१ या १०८ बार नित्य जप करे । ऐसा ४० दिन तक करे । ४० दिन के अनुष्ठान में मांस-मछली का प्रयोग न करे । Prayog by Dr. Narayan Dutt Shrimali
(1)
जब ‘ग्रहण’ आए, तब मन्त्र का जप करे ।
Prosperity
(1)
यह मन्त्र सभी कार्यों में काम आता है। भूत-प्रेत-बाधा हो अथवा शारीरिक-मानसिक कष्ट हो, तो उक्त मन्त्र ३ बार Purv Jivan Darshan Sadhana
(2)
पढ़कर रोगी को पिलाए। मुकदमे
में, यात्रा में-सभी कार्यों में इसके द्वारा सफलता मिलती है।

question answering for sadhana or mantra.


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(2)
अक्षय-धन-प्राप्ति मन्त्र
SABAR GURU PARTYAKSH SADHNA
(1)
प्रार्थना

sadgurudev chalisa.
(1)
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।

SADGURUDEV PRASANG- THAT ONE


पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
SECOND
(1)
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।

sadhan saflta rahsya


(1)
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।

sadhna 5 Mudhra Vigyan


(2)
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।

samast dos nivaran ek divas sadhana tantra


तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।

mantra
(1)
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।

saraswati sadhana
(1)
मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”

Seeker and master


(1)
विधि- ‘दीपावली’ की सन्ध्या को पाँच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर
रुई की बत्ती जलाए। ‘लक्ष्मी जी’ को
दीप-दान करें और ‘मां कामाक्षा’ का ध्यान कर उक्त प्रार्थना करे । मन्त्र का १०८ बार जप करे । ‘दीपक’ सारी रात shadhna
(2)
जलाए रखे और स्वयं भी जागता रहे। नींद आने लगे, तो मन्त्र का जप करे । प्रातः काल दीपों के बुझ जाने के बाद उन्हें Shaman Diksha
(1)
नए वस्त्र में बाँधकर ‘तिजोरी’ या ‘बक्से’ में रखे। इससे श्रीलक्ष्मीजी का उसमें वास हो जाएगा और धन-प्राप्ति होगी। Shiv Poojan and Aarti by Gurudev Dr.
प्रतिदिन सन्ध्या समय दीप जलाए और पाँच बार उक्त मन्त्र का जप करे ।
Narayan Dutt Shrimali ji
(1)
______________________________________________
Shiva Tandava Strotram
(1)
आकर्षण-मन्त्र(Attraction-mantra)
Shri Sanyukt Lakshmi Ganesh prayog
(1)
सर्व-जन-आकर्षण-मन्त्र
Shunya Siddhi शुन्य सिद्धि
(1)
१॰ “ॐ नमो आदि-रुपाय अमुकस्य आकर्षणं कु रु कु रु स्वाहा।”
Siddhashram
(2)
विधि- १ लाख जप से उक्त मन्त्र सिद्ध होता है। ‘अमुकस्य’ के स्थान पर साध्य या साध्या का नाम जोड़े। “आकर्षण’” Siddhashram is a boon
(1)
का अर्थ विशाल दृष्टि से लिया जाना चाहिए। सूझ-बूझ से उक्त मन्त्र का उपयोग करना चाहिए। मान्त्र-सिद्धि के बाद Simplest Sabar mantra very important life
प्रयोग करना चाहिए। प्रयोग के समय अनामिका उँगली के रक्त से भोज-पत्र के ऊपर पूरा मन्त्र लिखना चाहिए। (1)
जिसका आकर्षण करना हो, उस व्यक्ति का नाम मन्त्र में जोड़ कर लिखें। फिर उस भोज-पत्र को शहद में डाले। बाद So that my disciples who are moves toward
में भी मन्त्र का जप करते रहना चाहिए। कु छ ही दिनों में साध्य वशीभूत होगा।
completion
(1)
२॰ “ॐ हुँ ॐ हुँ ह्रीं।”
success
(1)
३॰ “ॐ ह्रों ह्रीं ह्रां नमः ।”
Success in Sadhna
(6)
४॰ “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं इँ नमः ।”
sukra grah shanti maha mantra
(1)
विधि- उक्त मन्त्र में से किसी भी एक मन्त्र का जप करें । प्रतिदिन १० हजार
जप करने से १५ दिनों में साधक की
Sun Gem Sadhana सूर्य मणि साधना
(1)
आकर्षण-शक्ति बढ़ जाती है। ‘जप’ के साध्य
का ध्यान करना चाहिए।

surya grahan
(1)
_________________________________________________

talks about Sishya Dharm by Dr. Narayan


शत्रु-नाशक प्रयोग-श्रीकृ ष्ण कीलक

Dutt Shrimali
(1)
श्रीकृ ष्ण कीलक

Telepathy Power
(1)
ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्।

THE DIVINE ANCIENT HERMITAGE


क्लम प्रसति के शालिं, भजेऽम्बुज-रूचि हरिम्।।

SIDDHASHRAM
(1)
विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो !

Third Eye and Yoga तीसरा नेत्र और योग


(2)
भी दे हि श्री लो
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 6/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
ममाभीष्ट-वरं देहि, श्रीमत्-कमल-लोचन !।।
TOTKA VIGYAN
(1)
भवाम्बुधेः पाहि पाहि, प्राण-नाथ, कृ पा-कर !
TRATAK SE DHYAN KI OR
(1)
हर त्वं सर्व-पापानि, वांछा-कल्प-तरोर्मम।।
Truth behind Maa Saraswati??
(1)
जले रक्ष स्थले रक्ष, रक्ष मां भव-सागरात्।

tumhi tum ho bas


(1)
कू ष्माण्डान् भूत-गणान्, चूर्णय त्वं महा-भयम्।।

upay dhan samridhi prpati hetu


(1)
शंख-स्वनेन शत्रूणां, हृदयानि विकम्पय।

Vivah Badha Nivarak Saabar Sadhna


(1)
देहि देहि महा-भूति, सर्व-सम्पत्-करं परम्।।

what is Diksha
(1)
वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक !

ज्वरं दाहं मनो दाहं, बन्ध बन्धनजं भयम्।।


what is paap by Gurudev Dr. Narayan Dutt
Shrimali ji
(4)
निष्पीडय सद्यः सदा, गदा-धर गदाऽग्रजः !

इति श्रीगोपिका-कान्तं, कीलकं परि-कीर्तितम्।


WISH
(1)
यः पठे त् निशि वा पंच, मनोऽभिलषितं भवेत्।
Yakshini Sadhna
(3)
सकृ त् वा पंचवारं वा, यः पठे त् तु चतुष्पथे।।
अघोर शिव साधना
(1)
शत्रवः तस्य विच्छिनाः , स्थान-भ्रष्टा पलायिनः ।
अघोरी
(1)
दरिद्रा भिक्षुरूपेण, क्लिश्यन्ते नात्र संशयः ।।
अघोरी अचूक वशीकरण मंत्र
(1)
ॐ क्लीं कृ ष्णाय गोविन्दाय गोपी-जन-वल्लभाय स्वाहा।।
अद्भुत आरा/Aura साधना
(1)
विशेष – एक बार माता पार्वती कृ ष्ण बनी तथा श्री शिवजी माँ राधा बने। उन्हीं पार्वती रूप कृ ष्ण की उपासना हेतु अपने नक्षत्र से जाने अपनी बीमारी के बारे में
(1)
उक्त ‘कृ ष्ण-कीलक’ की रचना हुई।

अपराध क्षमापन स्तोत्र


(1)
यदि रात्रि में घर पर इसके 5 पाठ करें , तो मनोकामना पूरी होगी। दुष्ट लोग यदि दुः ख देते हों, तो सूर्यास्त के बाद चैराहे
अब तो जाग
(1)
पर एक या पाँच पाठ करे , तो शत्रु विच्छिन होकर दरिद्रता एवं व्याधि से पीड़ित होकर भाग जायेगें।

अष्ट यक्षिणी साधना


(3)
_______________________________

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र


अष्टोत्तर शत्नामानी
(1)
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र
से बादशाह डरे । राजा के मुख आने वाला समय तुमसे ये अवश्य पूछे गा
(5)
से प्रजा डरे , हाथा चढ़े सिन्दू र। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढे री, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय आर्य संस्कृ ति के रक्षक
(1)
गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”
उच्छिष्ट गणपति साधना
(1)
विधि-
ऋण मुक्ति भैरव साधना
(1)
सामग्रीः - धूप या गुग्गुल, दीपक,
घी, सिन्दू र, बेसन का लड्डू । दिनः - बुधवार, गुरुवार या शनिवार। निर्दिष्ट वारों में यदि ऋण मोचन लक्ष्मी साधना; लक्ष्मी प्राप्ति के बीस सूत्र
ग्रहण, पर्व, पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ-सिद्धि योग हो तो उत्तम। समयः - रात्रि १० बजे। जप संख्या-१२५। अवधिः - ४० दिन।
(3)
किसी एकान्त स्थान में या देवालय में, जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, भगवान् गणेश की षोडशोपचार से पूजा करे । ऋषियों की वाणी
(1)
घी का दीपक जलाकर, अपने सामने, एक फु ट की ऊँ चाई पर रखे। सिन्दू र और लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और कनकधारा स्तोत्र
(1)
प्रतिदिन १२५ बार उक्त मन्त्र का जप करें । प्रतिदिन के प्रसाद को बच्चों में बाँट दे। चालीसवें दिन सवा सेर लड्डू के कालिकाष्टक (शंकराचार्य विरचितम)
(1)
प्रसाद का भोग लगाए और मन्त्र का जप समाप्त होने पर तीन बालकों को भोजन कराकर उन्हें कु छ द्रव्य-दक्षिणा में
काही विधि करूं उपासना
(3)
दे। सिन्दू र को एक
डिब्बी में सुरक्षित रखे। एक सप्ताह तक इस सिन्दू र को न छू ए। उसके बाद जब कभी कोई कार्य
कु छ विशेष रोग निवारण मंत्र
(2)
या समस्या आ पड़े, तो सिन्दू र को सात बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपने माथे पर टीका लगाए। कार्य सफल
क्रोध त्याग अवश्य करें !
(1)
होगा।

__________________________________________________
गणपति पूजन एवं मनोकामना पूर्ति प्रयोग
(1)
श्री गणेश मन्त्र
गणेश मोहिनी साधना Ganesh siren Silence
(1)
देपालसर (चूरु) गणेशजी
गुरु - शिष्य का पारस्परिक संबंध
(3)
“ॐ नमो सिद्ध-विनायकाय सर्व-कार्य-कर्त्रे सर्व-विघ्न-प्रशमनाय सर्व-राज्य-वश्य-करणाय सर्व-जन-सर्व-स्त्री-पुरुष- गुरु आह्वान् स्तोत्र
(1)
आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा।”
गुरु की कृ पा से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है
(1)
विधि- नित्य-कर्म से निवृत्त होकर उक्त मन्त्र का निश्चित संख्या में नित्य १ से १० माला ‘जप’ करे । बाद में जब घर से गुरु पूर्णिमा
(1)
निकले, तब अपने अभीष्ट कार्य का चिन्तन करे । इससे अभीष्ट कार्व सुगमता से पूरे हो जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा वि॰ संवत् 2056-जुलाई-1998


(1)
_________________________________________________________

गुरु भजन सँगीत


(2)
सर्व-कामना-सिद्धि स्तोत्र

गुरु मंत्र - मूल तत्त्व दुर्लभ स्तोत्र - त्रिजटा अघोरी


(1)
श्री हिरण्य-मयी हस्ति-वाहिनी, सम्पत्ति-शक्ति-दायिनी।

मोक्ष-मुक्ति-प्रदायिनी, सद् -बुद्धि-शक्ति-दात्रिणी।।१


गुरु मंत्र रहस्य
(6)

सन्तति-सम्वृद्धि-दायिनी, शुभ-शिष्य-वृन्द-प्रदायिनी।
गुरु-पुष्य नक्षत्र योग क्या है
(1)
नव-रत्ना नारायणी, भगवती भद्र-कारिणी।।२
गुरुगीता लघु
(1)
धर्म-न्याय-नीतिदा, विद्या-कला-कौशल्यदा।
गुरुमंत्र की शक्तियाँ
(1)
प्रेम-भक्ति-वर-सेवा-प्रदा, राज-द्वार-यश-विजयदा।।३
गुरुमंत्र से समाधी की और
(1)
धन-द्रव्य-अन्न-वस्त्रदा, प्रकृ ति पद्मा कीर्तिदा।
गुरोरष्टकं
(1)
सुख-भोग-वैभव-शान्तिदा, साहित्य-सौरभ-दायिका।।४
ग्रह दोष क्या है?
(5)
वंश-वेलि-वृद्धिका, कु ल-कु टुम्ब-पौरुष-प्रचारिका।

जन्मकुं डली और साधना में सफलता के योग


(1)
स्व-ज्ञाति-प्रतिष्ठा-प्रसारिका, स्व-जाति-प्रसिद्धि-प्राप्तिका।।५

जप!! क्यों और कै से?


(1)
भव्य-भाग्योदय-कारिका, रम्य-देशोदय-उद्भाषिका।

सर्व-कार्य-सिद्धि-कारिका, भूत-प्रेत-बाधा-नाशिका।
जब कभी आप मुझे समझेंगे जब गंगा मे पानी बह
चुका होगा
(1)
अनाथ-अधमोद्धारिका, पतित-पावन-कारिका।

जिसके सामने सारी साधनायें न्यून हैं.


(1)
मन-वाञ्छित॒फल-दायिका, सर्व-नर-नारी-मोहनेच्छा-पूर्णिका।।७

साधन-ज्ञान-संरक्षिका, मुमुक्षु-भाव-समर्थिका।
जैसी रही भावना जिसकी
(3)

जिज्ञासु-जन-ज्योतिर्धरा, सुपात्र-मान-सम्वर्द्धिका।।८
जो डर गया समझो मर गया
(1)
अक्षर-ज्ञान-सङ्गतिका, स्वात्म-ज्ञान-सन्तुष्टिका।
जो तंत्र से भय खाता हैं
(1)
पुरुषार्थ-प्रताप-अर्पिता, पराक्रम-प्रभाव-समर्पिता।।९
जो दुः ख आया नहीं है उसे टाला जाना चाहिए
(3)
स्वावलम्बन-वृत्ति-वृद्धिका, स्वाश्रय-प्रवृत्ति-पुष्टिका।
ज्योतिष में फलकथन का आधार
(1)
प्रति-स्पर्द्धी-शत्रु-नाशिका, सर्व-ऐक्य-मार्ग-प्रकाशिका।।१०
ज्वालामालिनी यंत्र
(1)
जाज्वल्य-जीवन-ज्योतिदा, षड्-रिपु-दल-संहारिका।
तंत्र क्या है..कुं डलिनी क्या होती है
(1)
भव-सिन्धु-भय-विदारिका, संसार-नाव-सुकानिका।।११

तंत्र साधनाएं
(9)
चौर-नाम-स्थान-दर्शिका, रोग-औषधी-प्रदर्शिका।

तंत्रोक्त नवग्रह साधना


(2)
इच्छित-वस्तु-प्राप्तिका, उर-अभिलाषा-पूर्णिका।।१२

ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है


(1)
श्री देवी मङ्गला, गुरु-देव-शाप-निर्मूलिका।

आद्य-शक्ति इन्दिरा, ऋद्धि-सिद्धिदा रमा।।१३


तांत्रोक्त गुरु पूजन --निखिल जन्म उत्सव साधना
(1)

सिन्धु-सुता विष्णु-प्रिया, पूर्व-जन्म-पाप-विमोचना।


तुम्हारा जन्म हुआ
(1)
दुः ख-सैन्य-विघ्न-विमोचना, नव-ग्रह-दोष-निवारणा।।१४
दक्षिणमार्गी पारद शिवलिंग साधना
(1)
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीसर्व-कामना-सिद्धि महा-यन्त्र-देवता-स्वरुपिणी श्रीमहा-माया महा-देवी महा-शक्ति महालक्ष्म्ये नमो दस महाविद्या के मंत्रो और इनके प्रभाव
(1)
नमः ।
दांत के दर्द से सम्बंधित मंत्र
(1)
ॐ ह्रीं श्रीपर-ब्रह्म परमेश्वरी। भाग्य-विधाता भाग्योदय-कर्त्ता भाग्य-लेखा भगवती भाग्येश्वरी ॐ ह्रीं।
दान की महत्ता
(1)
कु तूहल-दर्शक, पूर्व-जन्म-दर्शक, भूत-वर्तमान-भविष्य-दर्शक, पुनर्जन्म-दर्शक, त्रिकाल-ज्ञान-प्रदर्शक, दैवी-ज्योतिष- दिव्य औषधी ब्राहमी
(1)
महा-विद्या-भाषिणी त्रिपुरे श्वरी। अद्भुत, अपुर्व, अलौकिक, अनुपम, अद्वितीय, सामुद्रिक-विज्ञान-रहस्य-रागिनी, श्री-
दिव्य युग
(1)
सिद्धि-दायिनी। सर्वोपरि सर्व-कौतुकानि दर्शय-दर्शय, हृदयेच्छित सर्व-इच्छा पूरय-पूरय ॐ स्वाहा।

दुर्गा गुप्त-सप्तशती
(1)
ॐ नमो नारायणी नव-दुर्गेश्वरी। कमला, कमल-शायिनी, कर्ण-स्वर-दायिनी, कर्णेश्वरी, अगम्य-अदृश्य-अगोचर-
नक्षत्र योग क्या है
(1)
अकल्प्य-अमोघ-अधारे , सत्य-वादिनी, आकर्षण-मुखी, अवनी-आकर्षिणी, मोहन-मुखी, महि-मोहिनी, वश्य-मुखी, विश्व-
वशीकरणी, राज-मुखी, जग-जादू गरणी, सर्व-नर-नारी-मोहन-वश्य-कारिणी, मम करणे अवतर अवतर, नग्न-सत्य नव वर्ष पर आप सभी गुरुभाई और गुरुबहिनो को
हार्दिक मंगलकामनायें
(1)
कथय-कथय।

ती र्त ने र्श ॐ मो श्री र्णे री दे वी क्ति यि नी र्वे प्सि र्व र्य


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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
अतीत अनाम वर्तनम्। मातृ मम नयने दर्शन। ॐ नमो श्रीकर्णेश्वरी देवी सुरा शक्ति-दायिनी। मम सर्वेप्सित-सर्व-कार्य- नवग्रह शांति मंत्र
(1)
सिद्धि कु रु-कु रु स्वाहा। ॐ श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीमहा-माया महा-शक्ति महा-लक्ष्मी महा-देव्यै विच्चे-विच्चे श्रीमहा-देवी
महा- निखिलेश्वरानंद पंचक
(1)
लक्ष्मी महा-माया महा-शक्त्यै क्लीं ह्रीं ऐं श्रीं ॐ।
निखिलेश्वरानंद स्तवन
(2)
ॐ श्रीपारिजात-पुष्प-गुच्छ-धरिण्यै नमः । ॐ श्री ऐरावत-हस्ति-वाहिन्यै नमः । ॐ श्री कल्प-वृक्ष-फल-भक्षिण्यै नमः । ॐ
निराशा एक प्रकार की-नास्तिकता है
(1)
श्री काम-दुर्गा पयः -पान-कारिण्यै नमः । ॐ श्री नन्दन-वन-विलासिन्यै नमः । ॐ श्री सुर-गंगा-जल-विहारिण्यै नमः । ॐ
श्री
नौकरी मे प्रमोशन या उन्नति पाने हेतु सरल साधना
मन्दार-सुमन-हार-शोभिन्यै नमः । ॐ श्री देवराज-हंस-लालिन्यै नमः । ॐ श्री अष्ट-दल-कमल-यन्त्र-रुपिण्यै नमः । ॐ श्री विधान
(2)
वसन्त-विहारिण्यै नमः । ॐ श्री सुमन-सरोज-निवासिन्यै नमः । ॐ श्री कु सुम-कु ञ्ज-भोगिन्यै नमः । ॐ श्री पुष्प-पुञ्ज- परमपूज्य सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद जी
(1)
वासिन्यै नमः । ॐ श्री रति-रुप-गर्व-गञ्हनायै नमः । ॐ श्री त्रिलोक-पालिन्यै नमः । ॐ श्री स्वर्ग-मृत्यु-पाताल-भूमि-राज-
पापांकु शा एकादशी साधना
(1)
कर्त्र्यै नमः ।

पापांकु शा साधना
(3)
श्री लक्ष्मी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीशक्ति-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीदेवी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री रसेश्वरी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री ऋद्धि-यन्त्रेभ्यो
नमः । श्री सिद्धि-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री कीर्तिदा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीप्रीतिदा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीइन्दिरा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री पारद लक्ष्मी
(2)
कमला-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीहिरण्य-वर्णा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरत्न-गर्भा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुवर्ण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुप्रभा- पारद विग्रह के सम्बन्ध में
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपङ्कनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीराधिका-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपद्म-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरमा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीलज्जा- पूजन एवं मनोकामना पूर्ति प्रयोग
(1)
यन्त्रेभ्यो
नमः । श्रीजया-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपोषिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसरोजिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीहस्तिवाहिनी-यन्त्रेभ्यो बगलामुखी जयंती
(1)
नमः । श्रीगरुड़-वाहिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसिंहासन-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीकमलासन-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । बावन भैरव प्रयोग)
(1)
श्रीपुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीतुष्टिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीवृद्धिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपालिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीतोषिणी- बीजात्मक तंत्र और भाग्य उत्कीलन विधान
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरक्षिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीवैष्णवी-यन्त्रेभ्यो नमः ।
भय मुक्ति प्रयोग
(1)
श्रीमानवेष्टाभ्यो नमः । श्रीसुरे ष्टाभ्यो नमः । श्रीकु बेराष्टाभ्यो नमः । श्रीत्रिलोकीष्टाभ्यो नमः । श्रीमोक्ष-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीभुक्ति-
भाग्योदय लक्ष्मी यंत्र
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीकल्याण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीनवार्ण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीअक्षस्थान-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुर-स्थान-यन्त्रेभ्यो
भारत का उत्थान
(4)
नमः । श्रीप्रज्ञावती-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपद्मावती-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीशंख-चक्र-गदा-पद्म-धरा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीमहा-लक्ष्मी-
भारत का उत्थान तुम कर सकते हो
(4)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीलक्ष्मी-नारायण-यन्त्रेभ्यो नमः । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीमहा-माया-महा-देवी-महा-शक्ति-महा-लक्ष्मी-
स्वरुपा-श्रीसर्व-कामना-सिद्धि
महा-यन्त्र-देवताभ्यो नमः ।
भारत का पहला आतंकवादी मुस्लिम था भारत का
इतिहास
(1)
ॐ विष्णु-पत्नीं, क्षमा-देवीं, माध्वीं च माधव-प्रिया। लक्ष्मी-प्रिय-सखीं देवीं, नमाम्यच्युत-वल्लभाम्। ॐ महा-लक्ष्मी च
भैरवी स्त्री शक्ति का उदगम भी होती है
(1)
विद्महे विष्णु-पत्नि च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। मम
सर्व-कार्य-सिद्धिं कु रु-कु रु स्वाहा।

विधिः -
मंत्र जप प्रभाव:-
(1)
१॰ उक्त सर्व-कामना-सिद्धी स्तोत्र का नित्य पाठ करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती है।
मंत्र शक्ति और प्रभाव - उनके नियम
(1)
२॰ इस स्तोत्र से ‘यन्त्र-पूजा’ भी होती हैः -
मंत्र शक्ति गूढ़ार्थ १
(1)
‘सर्वतोभद्र-यन्त्र’ तथा ‘सर्वारिष्ट-निवारक-यन्त्र’ में से किसी भी यन्त्र पर हो सकती है। ‘श्रीहिरण्यमयी’ से लेकर ‘नव-ग्रह- मंत्र साधना के नियम
(1)
दोष-निवारण’- १४ श्लोक से इष्ट का आवाहन और स्तुति है। बाद में “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं” सर्व कामना से पुष्प समर्पित कर मन्त्र मुलं गुरु बाक्यम
(2)
धऽयान करे और यह भावना रखे कि- ‘मम सर्वेप्सितं सर्व-कार्य-सिद्धिं कु रु कु रु स्वाहा।’
महा ऋषि मारकं डे पुनीत सरस्वती साधना
(1)
फिर अनुलोम-विलोम क्रम से मन्त्र का जप करे -”ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीमहा-माया-महा-शक्त्यै क्लीं ह्रीं ऐं श्रीं ॐ।”
महाकाल मंत्र
(2)
स्वेच्छानुसार जप करे । बाद में “ॐ श्रीपारिजात-पुष्प-गुच्छ-धरिण्यै नमः ” आदि १६ मन्त्रों से यन्त्र में, यदि षोडश-पत्र हो,
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम
(1)
तो उनके ऊपर, अन्यथा यन्त्र में पूर्वादि-क्रम से पुष्पाञ्जलि प्रदान करे । तदनन्तर ‘श्रीलक्ष्मी-तम्त्रेभ्यो नमः ’ और ‘श्री सर्व-
माँ कामाख्या का शक्तिपीठ
(1)
कामना-सिद्धि-महा-यन्त्र-देवताभ्यो नमः ’ से अष्टगन्ध या जो सामग्री मिले, उससे ‘यन्त्र’ में पूजा करे । अन्त में ‘लक्ष्मी-
गायत्री’ पढ़करपुष्पाजलि देकर विसर्जन करे ।
मां सरस्वती की पूजा-उपासना
(1)

___________________________________________________
माया दासी संत की साकट की शिर ताज
(1)
नवनाथ-शाबर-मन्त्र
मिलना और बिछु ड़ना दोनों जीवन की मजबूरी है।
(2)
“ॐ नमो आदेश गुरु की। ॐकारे आदि-नाथ, उदय-नाथ पार्वती। सत्य-नाथ ब्रह्मा। सन्तोष-नाथ विष्णुः , अचल अचम्भे-
नाथ। गज-बेली गज-कन्थडि-नाथ, ज्ञान-पारखी चौरङ्गी-नाथ। माया-रुपी मच्छे न्द्र-नाथ, जति-गुरु है गोरख-नाथ। घट- मृत्योर्मा अमृतं गमय
(7)
घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई। नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। ॐ नमो आदेश गुरु की।।”
मे गर्वस्थ वालकको चेतना देता हुँ :
(1)
विधिः - पूर्णमासी से जप प्रारम्भ करे । जप के पूर्व चावल की नौ ढे रियाँ बनाकर उन पर ९ सुपारियाँ मौली बाँधकर यह कोई अनहोनी घटना नहीं है
(1)
नवनाथों के प्रतीक-रुप में रखकर उनका षोडशोपचार-पूजन करे । तब गुरु, गणेश और इष्ट का स्मरण कर आह्वान यह ललकार हैं अब भी नहीं जागोगे तो कब जागोगे
करे । फिर मन्त्र-जप करे । प्रतिदिन नियत समय और निश्चित संख्या में जप करे । ब्रह्मचर्य से रहे, अन्य के हाथों का (8)
भोजन या अन्य खाद्य-वस्तुएँ ग्रहण न करे । स्वपाकी रहे। इस साधना से नवनाथों की कृ पा से साधक धर्म-अर्थ-काम- युग परिवर्तन
(7)
मोक्ष को प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है। उनकी कृ पा
से ऐहिक और पारलौकिक-सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
युद्धम् देहि
(1)
विशेषः -’शाबर-पद्धति’ से इस मन्त्र को यदि ‘उज्जैन’ की ‘भर्तृहरि-गुफा’ में बैठकर ९ हजार या ९ लाख की संख्या में ये कै सी परिक्षा
(1)
जप लें, तो परम-सिद्धि मिलती है और नौ-नाथ प्रत्यक्ष दर्शन देकर अभीष्ट वरदान देते हैं।
रस कर्म में सिद्धि
(1)
_______________________________________________________

राज्यलक्ष्मी की साधना; लक्ष्मी प्राप्ति के बीस सूत्र


(1)
नवनाथ-स्तुति

लक्ष्मी प्राप्ति के बीस सूत्र


(1)
“आदि-नाथ कै लाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै,
सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की
लक्ष्मी साधना
(2)
राखै। कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई, अञ्चति अचम्भे-नाथ
सहाई। ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी, मत्स्येन्द्र-नाथ दादा
बहुरङ्गी। गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी, काटै कलि-मल, तारै भव-पीरा। नव-नाथों के नाम सुमिरिए, तनिक भस्मी ले लघु नवग्रह स्तुति
(1)

मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों का नाम। सेवक लालकिला का का असली नाम लालकोट है
(1)
सुमरे चन्द्र-नाथ, पूर्ण होंय सब काम।।”
लोग नारायण दत्त श्रीमाली जी का इतना विरोध क्यों
विधिः - प्रतिदिन नव-नाथों का पूजन कर उक्त स्तुति
का २१ बार पाठ कर मस्तक पर भस्म लगाए। इससे नवनाथों की करते है?
(2)
कृ पा मिलती है। साथ
ही सब प्रकार के भय-पीड़ा, रोग-दोष, भूत-प्रेत-बाधा दू र होकर मनोकामना, सुख-सम्पत्ति आदि वह मनुष्य ही नहीं हैं
(1)
अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं। २१ दिनों तक, २१ बार पाठ करने से सिद्धि होती है।
विचित्र हनुमान वीर मंत्र तत्काल अनिष्ठ दू र करे ।
(1)
नव-नाथ-स्मरण
विशाल हिरदे पक्ष जागरण की तन्त्रोकत गणपती
“आदि-नाथ ओ स्वरुप, उदय-नाथ उमा-महि-रुप। जल-रुपी ब्रह्मा सत-नाथ, रवि-रुप विष्णु सन्तोष-नाथ। हस्ती-रुप साधना
(1)
गनेश भतीजै, ताकु कन्थड-नाथ कही जै। माया-रुपी मछिन्दर-नाथ, चन्द-रुप चौरङ्गी-नाथ। शेष-रुप अचम्भे-नाथ, विशिष्ट सिद्धियां
(2)
वायु-रुपी गुरु गोरख-नाथ। घट-घट-व्यापक घट का राव, अमी महा-रस स्त्रवती खाव। ॐ नमो नव-नाथ-गण, चौरासी शिव शंकर साधना
(2)
गोमेश। आदि-नाथ आदि-पुरुष, शिव गोरख आदेश। ॐ श्री नव-नाथाय नमः ।।”
शिव सहस्त्रनाम
(1)
विधिः - उक्त स्मरण का पाठ प्रतिदिन करे । इससे पापों का क्षय होता है, मोक्ष
की प्राप्ति होती है। सुख-सम्पत्ति-वैभव से शिष्य धर्म
(1)
साधक परिपूर्ण हो जाता है। २१ दिनों तक २१ पाठ करने से इसकी सिद्धि होती है।
शिष्य धर्म गुरु वाणी
(1)
___________________________________________________

शिष्यता के सात सूत्र


(2)
आय बढ़ाने का मन्त्र

शिष्यत्व
(5)
प्रार्थना-विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-प्रिया सती से प्रगट हुई कामाक्षा भगवती। आदि-शक्ति युगल-मूर्ति महिमा अपार, दोनों
शुक्र महाग्रह मंत्र
(1)
की प्रीति अमर जाने संसार।
दोहाई कामाक्षा की, दोहाई दोहाई। आय बढ़ा, व्यय घटा, दया कर माई।

मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः शिव-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै, ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।”
श्रधा क्या होती है ?
(1)
विधि- किसी दिन प्रातः स्नान कर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप कर ११ बार गाय के घी से हवन करे । नित्य ७ बार जप श्राद्ध और पितरे श्वर तर्पण srad aur pitesvar
tarpan
(1)
करे । इससे शीघ्र ही आय में वृद्धि होगी।

________________________________________________
श्री अर्जुन-कृ त श्रीदुर्गा-स्तवन
(1)
शत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र
श्री गुरु स्तोत्रम्
(1)
विनियोगः - ॐ अस्य श्रीशत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र-मन्त्रस्य ज्वालत्-पावक ऋषिः , अनुष्टुप छन्दः , श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवता, श्री धूमावती जयंती
(1)
मम शत्रु-पाद-मुख-बुद्धि-जिह्वा-कीलनार्थ, शत्रु-नाशार्थं, मम स्वामि-वश्यार्थे वा जपे पाठे च विनियोगः ।
श्री नारायण कवच
(1)
ऋष्यादि-न्यासः - शिरसि ज्वालत्-पावक-ऋषये नमः । मुखे अनुष्टुप छन्दसे नमः , हृदि श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवतायै नमः , श्री नारायण दत्त श्रीमालीजी
(1)
सर्वाङ्गे मम शत्रु-पाद-मुख-बुद्धि-जिह्वा-कीलनार्थ, शत्रु-नाशार्थं, मम स्वामि-वश्यार्थे वा जपे पाठे च विनियोगाय नमः ।।
श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोत्रम
(1)
कर-न्यासः - ॐ ह्रां क्लां अंगुष्ठाभ्यां नमः । ॐ ह्रीं क्लीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ ह्रूं क्लूं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ ह्रैं क्लैं श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र
(1)
अनामिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रौं क्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रः क्लः करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः ।

श्रीसरस्वती स्तोत्रम्
(1)
हृदयादि-न्यासः - ॐ ह्रां क्लां हृदयाय नमः । ॐ ह्रीं क्लीं शिरसे स्वाहा। ॐ ह्रूं क्लूं शिखायै वषट्। ॐ ह्रैं क्लैं कवचाय
सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद पंचक
(1)
हुम्। ॐ ह्रौं क्लौं नेत्र-त्रयाय वौषट्। ॐ ह्रः क्लः अस्त्राय फट्।

समर्पण –34 लोका अधिलोक यात्रा


(1)
ध्यानः -

गीं हि नीं त्रि शि सीं रौ भै वी


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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
रक्तागीं शव-वाहिनीं त्रि-शिरसीं रौद्रां महा-भैरवीम्,
सम्पूर्ण सृष्टि पारद और गंधक से ही उद्भव हुयी है
(1)
धूम्राक्षीं भय-नाशिनीं घन-निभां नीलालकाऽलंकृ ताम्।
सम्मोहन तंत्र
(2)
खड्ग-शूल-धरीं महा-भय-रिपुध्वंशीं कृ शांगीं महा-
सरस्वती पूजा की संपूर्ण विधि और मुहूर्त
(2)
दीर्घागीं त्रि-जटीं महाऽनिल-निभां ध्यायेत् पिनाकीं शिवाम्।।

सर्वशक्ति सम्पन्न माँ बगलामुखी साधना


(2)
मन्त्रः - “ॐ ह्रीं क्लीं पुण्य-वती-महा-माये सर्व-दुष्ट-वैरि-कु लं निर्दलय
क्रोध-मुखि, महा-भयास्मि, स्तम्भं कु रु विक्रौं
सहस्त्रनाम
(1)
स्वाहा।।” (३००० जप)

साधक और सदगुरु पहचान


(2)
मूल स्तोत्रः -

खड्ग-शूल-धरां अम्बां, महा-विध्वंसिनीं रिपून्।


साबर मंत्र
(5)

कृ शांगींच महा-दीर्घां, त्रिशिरां महोरगाम्।।


साबुन से मानव जीवन को ख़तरा
(1)
स्तम्भनं कु रु कल्याणि, रिपु विक्रोशितं कु रु।
सिद्ध देवरं जिनी गुटिका
(1)
ॐ स्वामि-वश्यकरी देवी, प्रीति-वृद्धिकरी मम।।
सिद्धाश्रम पञ्चक
(1)
शत्रु-विध्वंसिनी देवी, त्रिशिरा रक्त-लोचनी।
सुलेमानी अप्सरा साधना -- लाल परी
(1)
अग्नि-ज्वाला रक्त-मुखी, घोर-दंष्ट्री त्रिशूलिनी।।
सुलेमानी सरस्वती साधना
(1)
दिगम्बरी रक्त-के शी, रक्त पाणि महोदरी।
सुलेमानी साधना
(2)
यो नरो निष्कृ तं घोरं , शीघ्रमुच्चाटयेद् रिपुम्।।

स्तवन
(1)
।।फल-श्रुति।।

स्तोत्रम
(2)
इमं स्तवं जपेन्नित्यं, विजयं शत्रु-नाशनम्।

होली पर विशिष्ट लघु प्रयोग


(1)
सहस्त्र-त्रिशतं कु र्यात्। कार्य-सिद्धिर्न संशयः ।।

जपाद् दशांशं होमं तु, कार्यं सर्षप-तण्डु लैः ।

पञ्च-खाद्यै घृतं चैव, नात्र कार्या विचारणा।। Subscribe To


।।श्रीशिवार्णवे शिव-गौरी-सम्वादे विभीषणस्य रघुनाथ-प्रोक्तं शत्रु-विध्वंसनी-स्तोत्रम्।।

विशेषः -

Posts
यह स्तोत्र अत्यन्त उग्र है। इसके विषय में निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान अवश्य देना चाहिए-


All Comments
(क)

(ख) प्रथम और अन्तिम आवृति में नामों के साथ फल-श्रुति मात्र पढ़ें । पाठ नहीं होगा।

(ग) घर में पाठ कदापि न किया जाए, के वल शिवालय, नदी-तट, एकान्त, निर्जन-वन, श्मशान अथवा किसी मन्दिर के
एकान्त में ही करें ।

Blog Archive
(घ) पुरश्चरण की आवश्यकता नहीं है। सीधे ‘प्रयोग’ करें । प्रत्येक ‘प्रयोग’ में तीन हजार आवृत्तियाँ करनी होगी।

__________________________________________________________
► 
2022
(2)
► 

देवाकर्षण मन्त्र

► 
2021
(3)
► 

“ॐ नमो रुद्राय नमः । अनाथाय बल-वीर्य-पराक्रम प्रभव कपट-कपाट-कीट मार-मार हन-हन पथ स्वाहा।”

विधिः - कभी-कभी ऐसा होता है कि पूजा-पाठ, भक्ति-योग से देवी-देवता साधक से


सन्तुष्ट नहीं होते अथवा साधक ► 
2020
(4)
► 

बहुत कु छ करने पर भी अपेक्षित सुख-शान्ति नहीं पाता। इसके लिए यह ‘प्रयोग’ सिद्धि-दायक है।
► 
2019
(23)
► 

उक्त मन्त्र का ४१ दिनों में एक या सवा लाख जप ‘विधिवत’ करें । मन्त्र को भोज-पत्र या कागज पर लिख कर पूजन- ▼ 
2018
(13)
▼ 

स्थान में स्थापित करें । सुगन्धित धूप, शुद्ध घृत के दीप और नैवेद्य से देवता को प्रसन्न करने का संकल्प करे । यम- ▼ 
August
(2)
▼ 

नियम से रहे। ४१ दिन में मन्त्र चैतन्य हो जायेगा। बाद में मन्त्र का स्मरण कर कार्य करें । प्रारब्ध की हताशा को
Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr
छोड़कर, पुरुषार्थ करें और देवता उचित सहायता करे गें ही, ऐसा संकल्प बनाए रखें।
Narayan Dutt ...
_____________________________________________________________

बावन भैरव प्रयोग) Bawan Bhairav Prayog


सर्व-संकटहारी-प्रयोग
by Dr. Nara...
“सर्वा बाधासु, वेदनाभ्यर्दितोऽपि।

स्मरन् ममैच्चरितं, नरो मुच्यते संकटात्।।


► 
June
(1)
► 

ॐ नमः शिवाय।”
► 
May
(2)
► 

_____________________________________________________________

► 
April
(3)
► 

विविध कार्य-साधक अम्बिका मन्त्र

► 
March
(2)
► 

विविध कार्य-साधक अम्बिका मन्त्र

ॐ आठ-भुजी अम्बिका, एक नाम ओंकार।


► 
January
(3)
► 

खट्-दर्शन त्रिभुवन में, पाँच पण्डवा सात दीप।

► 
2017
(11)
► 

चार खूँट नौ खण्ड में, चन्दा सूरज दो प्रमाण।

हाथ जोड़ विनती करूँ , मम करो कल्याण।।


► 
2016
(28)
► 

नित्य 108 जप करके जो भी प्रार्थना की जायेगी, पूरी होगी। सिद्ध मन्त्र है, अलग से सिद्ध करना आवश्यक नहीं है। ► 
2015
(24)
► 

नित्य कु छ जप पर्याप्त है।


► 
2014
(50)
► 

8 1 6

► 
2013
(3)
► 

3 5 7

4 9 2
► 
2012
(37)
► 

कु छ प्रयोग निम्नलिखित है -
► 
2011
(144)
► 

चुटकी में राख लेकर 3 बार अभिमन्त्रित करके मारने से लगी आग बुझ जायेगी, भूत-प्रेतादि दू र होंगे, बुखार उतर ► 
2010
(41)
► 

जायेगा, नजर आदि दू र होगी।

► 
2009
(1)
► 

शत्रुनाषार्थ- 1 नारियल, 2 नींबू, एक पाव गुड़, 1 पैसा भर सिंदू र, अगरबत्ती और नींबू बंध सके , इतना लाल कपड़ा।
शनिवार को रात में कण्डे की आग जलाकर पूर्वाभिमुख बैठकर कण्डे की राख 1 चुटकी लेकर उस पर 1 बार मन्त्र
पढकर शत्रु की दिशा में फें के, ऐसा तीन बार करें । फिर कहे कि ‘‘मेरे अमुक शत्रु का नाश करो’’ और 1 नींबू काटकर Gurudev Kailash Chandra Shrimaliji
आग पर निचोड़ें। फिर शेष बचा नींबू और सिन्दू र कपड़े में लपेट कर रात भर अपने सिरहाने रखे और सवेरे पहर 3-4
Trilochan Mahadev Dhan Maihar Shakti
बजे उसे शत्रु के घर में फें क दे या किसी से फिं कवा दें। नारियल, अगरबत्ती और गुड़ किसी देवी मन्दिर में चढ़ा दें।
Sadhana Mahotsav - Jaunpur (Uttar
प्रसाद स्वयं न खाए। शत्रु का नाश होगा।
Pradesh) - 17/12/2016 - Unknown
________________________________________________________________
Tripur Sundari Sarva Sammohan Tri-Shakti
दुर्गा शाबर मन्त्र Diksha Mahotsav - Kailash Narayan Dham
“ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह वाहिनीं बीस हस्ती भगवती, रत्न मण्डित सोनन की माल। उत्तर पथ में आन बैठी, हाथ सिद्ध (New Delhi) - 8/12/2016 - Unknown
वाचा ऋद्धि-सिद्धि। धन-धान्य देहि
देहि, कु रू कु रू स्वाहा।”
Purushottam Gauri Shakti Sadhana
उक्त मन्त्र का सवा लाख जप कर सिद्ध कर लें।
फिर आवश्यकतानुसार श्रद्धा से एक माला जप करने से सभी कार्य Mahotsav - Darbhanga
(Bihar) - 3/12/2016 - Unknown
सिद्ध होते हैं। लक्ष्मी प्राप्त होती है। नौकरी में उन्नति और व्यवसाय में वृद्धि होती है।

Navgraha Shani Rahu Vakri Dosh Nivaran


________________________________________________________________

Diksha Mahotsav - Kailash Siddhashram


श्रीहनुमत्-मन्त्र-चमत्कार-अनुष्ठान
(Jodhpur) - 28/11/2016 - Unknown
(प्रस्तुत विधान के प्रत्येक मन्त्र के ११००० ‘जप‘ एवं दशांश ‘हवन’ से सिद्धि होती है। हनुमान जी के मन्दिर में, ‘रुद्राक्ष’ Kaal Bhairav Vijay Shree Diksha Mahotsav
की माला से, ब्रह्मचर्य-पूर्वक ‘जप करें । नमक न खाए तो उत्तम है। कठिन-से-कठिन कार्य इन
मन्त्रों की सिद्धि से - Kailash Narayan Dham (New
सुचारु रुप से होते हैं।)
Delhi) - 24/11/2016 - Unknown
१॰ ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, वायु-सुताय, अञ्जनी-गर्भ-सम्भूताय, अखण्ड-ब्रह्मचर्य-व्रत-पालन-तत्पराय, धवली-कृ त-
जगत्-त्रितयाय, ज्वलदग्नि-सूर्य-कोटि-समप्रभाय, प्रकट-पराक्रमाय, आक्रान्त-दिग्-मण्डलाय, यशोवितानाय, My Blog List
यशोऽलंकृ ताय, शोभिताननाय, महा-सामर्थ्याय, महा-तेज-पुञ्जः -विराजमानाय, श्रीराम-भक्ति-तत्पराय, श्रीराम-
लक्ष्मणानन्द-कारणाय, कवि-सैन्य-प्राकाराय, सुग्रीव-सख्य-कारणाय, सुग्रीव-साहाय्य-कारणाय, ब्रह्मास्त्र-ब्रह्म-शक्ति- issplist at Yahoo! Groups
ग्रसनाय, लक्ष्मण-शक्ति-भेद-निवारणाय, शल्य-विशल्यौषधि-समानयनाय, बालोदित-भानु-मण्डल-ग्रसनाय, अक्षकु मार- -

छे दनाय, वन-रक्षाकर-समूह-विभञ्जनाय,
द्रोण-पर्वतोत्पाटनाय, स्वामि-वचन-सम्पादितार्जुन, संयुग-संग्रामाय, गम्भीर- Mantra Tantra Yantra Vigyan
शब्दोदयाय, दक्षिणाशा-मार्तण्डाय, मेरु-पर्वत-पीठिकार्चनाय, दावानल-कालाग्नि-रुद्राय, समुद्र-लंघनाय, -
सीताऽऽश्वासनाय, सीता-रक्षकाय, राक्षसी-संघ-विदारणाय, अशोक-वन-विदारणाय, लंका-पुरी-दहनाय, दश-ग्रीव-शिरः -
र्णा दि लि नि र्व मे हो वि जि ज़िं गी
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 9/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
कृ न्त्तकाय, कु म्भकर्णादि-वध-कारणाय, बालि-निर्वहण-कारणाय, मेघनाद-होम-विध्वंसनाय, इन्द्रजित-वध-कारणाय, ज़िंदगीनामा
सर्व-शास्त्र-पारं गताय, सर्व-ग्रह-विनाशकाय, सर्व-ज्वर-हराय, सर्व-भय-निवारणाय, सर्व-कष्ट-निवारणाय, सर्वापत्ति- -

निवारणाय, सर्व-दुष्टादि-निबर्हणाय, सर्व-शत्रुच्छे दनाय, भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-ध्वंसकाय, सर्व-कार्य- मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान


साधकाय, प्राणि-मात्र-रक्षकाय, राम-दू ताय-स्वाहा।।
भैरव तंत्र साधना
कै से करे
-
भैरव तंत्र साधना
कै से
२॰ ॐ नमो हनुमते, रुद्रावताराय, विश्व-रुपाय, अमित-विक्रमाय, प्रकट-पराक्रमाय, महा-बलाय, सूर्य-कोटि-समप्रभाय, करे
राम-दू ताय-स्वाहा।।
1 year ago

_________________________________________________________________

गणेश शाबर मन्त्र (पाठान्तर सहित)

Mantra Tantra Yantra Vigyan


“गणपत वीर भूखे मसान, जो फल माँगू सो फल देत, गणपत देखे, गजपत डरे , गणपत के छत्र से बादशाह डरे , मुख
देखे राजा-प्रजा डरे , हाथा चढ़े सिन्दू र औलिया गौरी का पुत्र, गूगल खेये करुँ गा ढे री, रिद्धि-सिद्धि गणपत लाये घनेरी, Error loading feed.
गिरनार पति ॐ नमो स्वाहा”

_________________________________________________________________
Maps
काली-शाबर-मन्त्र

“काली काली महा-काली, इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली। पीती भर भर रक्त प्याली, उड़ बैठी पीपल की डाली। दोनों
हाथ बजाए ताली। जहाँ जाए वज्र की ताली, वहाँ ना आए दुश्मन हाली। दुहाई कामरो कामाख्या नैना योगिनी की, ईश्वर
महादेव गोरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।।”

विधिः - प्रतिदिन १०८ बार ४० दिन तक जप कर सिद्ध करे । प्रयोग के समय पढ़कर तीन बार जोर से ताली बजाए।
जहाँ तक ताली की आवाज जायेगी, दुश्मन का कोई वार या भूत, प्रेत असर नहीं करे गा।

__________________________________________________________________

महा-लक्ष्मी मन्त्र

“राम-राम क्ता करे , चीनी मेरा नाम। सर्व-नगरी बस में करुँ , मोहूँ सारा गाँव।

राजा की बकरी करुँ , नगरी करुँ बिलाई। नीचा में ऊँ चा करुँ , सिद्ध गोरखनाथ की दुहाई।।”

विधिः - जिस दिन गुरु-पुष्य योग हो, उस दिन से प्रतिदिन एकान्त में बैठ कर कमल-गट्टे की माला से उक्त मन्त्र को
१०८ बार जपें। ४० दिनों में यह मन्त्र
सिद्ध हो जाता है, फिर नित्य ११ बार जप करते रहें।

शीघ्र धन प्राप्ति के लिए

“ॐ नमः कर घोर-रुपिणि स्वाहा”

विधिः उक्त मन्त्र का जप प्रातः ११ माला देवी के किसी सिद्ध स्थान या नित्य पूजन स्थान पर करे । रात्रि में १०८ मिट्टी के
दाने लेकर किसी कु एँ पर
तथा सिद्ध-स्थान या नित्य-पूजन-स्थान की तरफ मुख करके दायाँ पैर कु एँ में लटकाकर व
बाँएँ पैर को दाएँ पैर पर रखकर बैठे । प्रति-जप के साथ एक-एक करके १०८ मिट्टी के दाने कु एँ में डाले। ग्तारह दिन
तक इसी प्रकार करे । यह प्रयोग शीघ्र आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए है।

लक्ष्मी-पूजन मन्त्र

“आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ । गले में हार पहनाऊँ ।। बचनों की
बाँधी, आवो हमारे पास। पहला वचन
श्रीराम का, दू जा वचन ब्रह्मा का, तीजा वचन महादेव का। वचन चूके , तो नर्क पड़े। सकल पञ्च में पाठ करुँ । वरदान
नहीं
देवे, तो महादेव शक्ति की आन।।”

विधिः - दीपावली की रात्रि को सर्व-प्रथम षोडशोपचार से लक्ष्मी जी का पूजन करें । स्वयं न कर सके , तो किसी
कर्म-
काण्डी ब्राह्मण से करवा लें। इसके बाद रात्रि में ही उक्त मन्त्र की
५ माला जप करें । इससे वर्ष-समाप्ति तक धन की
कमी नहीं होगी और सारा वर्ष सुख तथा उल्लास में बीतेगा।

________________________________________________________________

वशीकरण, सम्मोहन व आकर्षण हेतु “उर्वशी-यन्त्र” साधना

इस यन्त्र को चमेली की लकड़ी की कलम से, भोजपत्र पर कुं कु म या कस्तुरी की स्याही से निर्माण करे ।इस यन्त्र की
साधना पूर्णिमा की रात्री से करें । रात्री में स्नानादि से पवित्र होकर एकान्त कमरे में आम की लकड़ी के पट्टे पर सफे द
वस्त्र बिछावें, स्वयं भी सफे द वस्त्र धारण करें , सफे द आसन पर ही यन्त्र निर्माण व पूजन करने हेतु बैठें । पट्टे पर यन्त्र
रखकर धूप-दीपादि से पूजन करें । सफे द पुष्प चढ़ाये। फिर पाँच माला “ॐ सं सौन्दर्योत्तमायै नमः ।” नित्य पाँच रात्रि
करें । पांचवे दिन रात्री में एक माला देशी घी व सफे द चन्दन के चूरे से हवन करें । हवन में आम की लकड़ी व चमेली
की लकड़ी का प्रयोग करें ।

सिद्ध मोहन मन्त्र

क॰ “ॐ अं आं इं ईं उं ऊं हूँ फट्।”

विधिः - ताम्बूल को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्या को खिलाने से उसे खिलानेवाले के ऊपर मोह उत्पन्न होता है।
ख॰ “ॐ नमो भगवती पाद-पङ्कज परागेभ्यः ।”

ग॰ “ॐ भीं क्षां भीं मोहय मोहय।”

विधिः - किसी पर्व काल में १२५ माला अथवा १२,५०० बार मन्त्र का जप कर सिद्ध
कर लेना चाहिए। बाद में प्रयोग के
समय किसी भी एक मन्त्र को तीन बार जप करने से आस-पास के व्यक्ति मोहित होते हैं

मोहन

३॰ दृष्टि द्वारा मोहन करने का मन्त्र

“ॐ नमो भगवति, पुर-पुर वेशनि, सर्व-जगत-भयंकरि ह्रीं ह्रैं, ॐ रां रां रां
क्लीं वालौ सः चव काम-बाण, सर्व-श्री समस्त
नर-नारीणां मम वश्यं आनय आनय स्वाहा।”

विधिः - किसी भी सिद्ध योग में उक्त मन्त्र का १०००० जप करे । बाद में साधक अपने मुहँ पर हाथ फे रते हुए उक्त मन्त्र
को १५ बार जपे। इससे साधक को सभी लोग मान-सम्मान से देखेंगे।

४॰ तेल अथवा इत्र से मोहन

क॰ “ॐ मोहना रानी-मोहना रानी चली सैर को, सिर पर धर तेल की दोहनी। जल मोहूँ
थल मोहूँ, मोहूँ सब संसार।
मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी
भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई गौरा-पार्वती की, दुहाई बजरं ग बली
की।

ख॰
“ॐ नमो मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई लोना चमारी की,
दुहाई गौरा-पार्वती की। दुहाई बजरं ग बली की।”

विधिः - ‘दीपावली’ की रात में स्नानादिक कर पहले से स्वच्छ कमरे में ‘दीपक’
जलाए। सुगन्धबाला तेल या इत्र तैयार
रखे। लोबान की धूनी दे। दीपक के पास पुष्प, मिठाई, इत्र इत्यादि रखकर दोनों में से किसी भी एक मन्त्र का २२ माला
‘जप’ करे । फिर लोबान की ७ आहुतियाँ मन्त्रोचार-सहित दे। इस प्रकार मन्त्र सिद्ध होगा तथा तेल या इत्र प्रभावशाली
बन जाएगा। बाद में जब आवश्यकता हो, तब तेल या इत्र को ७ बार उक्त मन्त्र से अभीमन्त्रित कर स्वयं
लगाए। ऐसा
कर साधक जहाँ भी जाता है, वहाँ लोग उससे मोहित होते हैं। साधक को सूझ-बूझ से व्यवहार करना चाहिए। मन चाहे
कार्य अवश्य पूरे होंगे।

श्री कामदेव का मन्त्र

(मोहन करने का अमोघ शस्त्र)

“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद,
तप-तप, सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कु रु-कु रु स्वाहा।”

विधीः - उक्त मन्त्र का २१,००० जप करने से मन्त्र सिद्ध होता है। तद्दशांश हवन-तर्पण-मार्जन-ब्रह्मभोज करे । बाद में
नित्य कम-से-कम एक माला जप करे । इससे मन्त्र में चैतन्यता होगी और शुभ परिणाम मिलेंगे।

प्रयोग हेतु फल, फू ल, पान कोई भी खाने-पीने की चीज उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्य को दे।

उक्त मन्त्र द्वारा साधक का बैरी भी मोहित होता है। यदि साधक शत्रु को लक्ष्य में रखकर नित्य ७ दिनों तक ३००० बार
जप करे , तो उसका मोहन अवश्य होता है।

___________________________________________________________________

श्री भैरव मन्त्र

“ॐ गुरुजी काला भैरुँ कपिला के श, काना मदरा, भगवाँ भेस। मार-मार काली-पुत्र। बारह कोस की मार, भूताँ हात
ले जी खूँ गेडि हाँ ऊँ भै रुँ को की रि द्धि वो चौ बी को की सि द्धि वो ती हो
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 10/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
कलेजी खूँहा गेडिया। जहाँ जाऊँ भैरुँ साथ। बारह कोस की रिद्धि ल्यावो। चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो। सूती होय,
तो जगाय ल्यावो। बैठा होय, तो उठाय ल्यावो। अनन्त के सर की भारी ल्यावो। गौरा-पार्वती की विछिया ल्यावो। गेल्याँ
की रस्तान मोह, कु वे की पणिहारी मोह, बैठा बाणिया मोह, घर बैठी बणियानी मोह, राजा की रजवाड़ मोह, महिला
बैठी रानी मोह। डाकिनी को, शाकिनी को, भूतनी को, पलीतनी को, ओपरी को,
पराई को, लाग कूँ , लपट कूँ , धूम कूँ ,
धक्का कूँ , पलीया कूँ , चौड़ कूँ , चौगट कूँ , काचा कूँ , कलवा कूँ , भूत कूँ , पलीत कूँ , जिन कूँ , राक्षस कूँ , बरियों से बरी
कर दे। नजराँ जड़ दे ताला, इत्ता भैरव नहीं करे , तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे , माता पार्वती का चीर
फाड़ लँगोट करे । चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई
बार ? खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कू ण पूजा मेटे। राजा मेटे राज से जाय, प्रजा मेटे दू ध-पूत से
जाय, जोगी मेटे ध्यान से जाय। शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।”

विधिः - उक्त मन्त्र का अनुष्ठान रविवार से प्रारम्भ करें । एक पत्थर का तीन


कोनेवाला टुकड़ा लिकर उसे अपने सामने
स्थापित करें । उसके ऊपर तेल और सिन्दू र का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढावें। वहाँ नित्य सरसों के तेल
का दीपक जलावें। अच्छा होगा कि दीपक अखण्ड हो। मन्त्र को नित्य २१ बार ४१ दिन तक जपें। जप के बाद नित्य
छार, छरीला, कपूर, के शर और लौंग की आहुति दें। भोग में बाकला, बाटी बाकला रखें (विकल्प में उड़द के पकोड़े,
बेसन के लड्डू और गुड़-मिले दू ध की बलि दें। मन्त्र में वर्णित सब कार्यों में यह मन्त्र काम करता है।

श्री भैरव मन्त्र

“ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का


पुत्र! हाजिर होके , तुम मेरा कारज करो तुरत। कमर बिराज मस्तङ्गा लँगोट, घूँघर-माल।
हाथ बिराज डमरु खप्पर त्रिशूल। मस्तक बिराज तिलक सिन्दू र। शीश बिराज जटा-जूट, गल बिराज नोद जनेऊ। ॐ
नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत। नित उठ करो आदेश-आदेश।”

विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८)
जप करे । भोग में गुड़ व तेल का शीरा तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को
खिलाए। यह प्रयोग किसी
अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।

भैरव वशीकरण मन्त्र

१॰ “ॐनमो रुद्राय, कपिलाय, भैरवाय, त्रिलोक-नाथाय, ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”

विधिः - सर्व-प्रथम किसी रविवार को गुग्गुल, धूप, दीपक सहित उपर्युक्त मन्त्र का पन्द्रह हजार जप कर उसे सिद्ध करे ।
फिर आवश्यकतानुसार इस मन्त्र का १०८ बार जप कर एक लौंग को अभिमन्त्रित लौंग को, जिसे वशीभूत करना हो,
उसे खिलाए।

२॰ “ॐ नमो काला गोरा भैरुं वीर, पर-नारी सूँ देही सीर। गुड़
परिदीयी गोरख जाणी, गुद्दी पकड़ दे भैंरु आणी, गुड़,
रक्त का धरि ग्रास, कदे न छोड़े मेरा पाश। जीवत सवै देवरो, मूआ सेवै मसाण। पकड़ पलना ल्यावे। काला भैंरु न
लावै, तो अक्षर देवी कालिका की आण। फु रो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”

विधिः - २१,००० जप। आवश्यकता पड़ने पर २१ बार गुड़ को अभिमन्त्रित कर साध्य को खिलाए।

३॰ “ॐ भ्रां भ्रां भूँ भैरवाय स्वाहा। ॐ भं भं भं अमुक-मोहनाय स्वाहा।”

विधिः - उक्त मन्त्र को सात बार पढ़कर पीपल के पत्ते को अभिमन्त्रित करे । फिर मन्त्र को उस पत्ते पर लिखकर,
जिसका वशीकरण करना हो, उसके घर में फें क देवे। या घर के पिछवाड़े गाड़ दे। यही क्रिया ‘छितवन’ या ‘फु रहठ’
के पत्ते द्वारा भी हो सकती है।

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नजर उतारने के उपाय

१॰ बच्चे ने दू ध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दू ध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कु त्ते या गाय को
खिला दें।

२॰ नमक, राई के दाने, पीली सरसों, मिर्च, पुरानी झाडू का एक टुकड़ा लेकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर से ‘आठ’ बार
उतार कर अग्नि में जला दें। ‘नजर’ लगी होगी, तो मिर्चों की धांस नहीँ आयेगी।

३॰ जिस व्यक्ति पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर उससे हाथ फिरवाने से लाभ होता है।

४॰ पश्चिमी देशों में नजर लगने की आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फर्नीचर को छू लेता है। ऐसी
मान्यता है कि उसे नजर नहीं लगेगी।

५॰ गिरजाघर से पवित्र-जल लाकर पिलाने का भी चलन है।

६॰ इस्लाम धर्म के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अण्डा’ या ‘जानवर की कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख दें।
दरगाह या कब्र से फू ल और अगर-बत्ती की राख
लाकर ‘नजर’ वाले के सिरहाने रख दें या खिला दें।

७॰ एक लोटे में पानी लेकर उसमें नमक, खड़ी लाल मिर्च डालकर आठ बार उतारे । फिर थाली में दो आकृ तियाँ- एक
काजल से, दू सरी कु मकु म से बनाए। लोटे का पानी थाली में डाल दें। एक लम्बी काली या लाल रङ्ग की बिन्दी लेकर
उसे तेल में भिगोकर ‘नजर’ वाले पर उतार कर उसका एक कोना चिमटे या सँडसी से पकड़ कर नीचे से जला दें।
उसे थाली के बीचो-बीच ऊपर रखें। गरम-गरम काला तेल पानी वाली थाली में गिरे गा। यदि नजर लगी होगी तो, छन-
छन आवाज आएगी, अन्यथा नहीं।

८॰ एक नींबू लेकर आठ बार उतार कर काट कर फें क दें।

९॰ चाकू से जमीन पे एक आकृ ति बनाए। फिर चाकू से ‘नजर’ वाले व्यक्ति पर से एक-एक कर आठ बार उतारता
जाए और आठों बार जमीन पर बनी आकृ ति को काटता जाए।

१०॰ गो-मूत्र पानी में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाए और उसके आस-पास पानी में मिलाकर छिड़क दें। यदि स्नान करना
हो तो थोड़ा स्नान के पानी में भी डाल दें।

११॰ थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मिर्च लेकर, जिसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सिर
पर सात बार घुमाकर आग में डाल दें। ‘नजर’-दोष होने पर मिर्च जलने की गन्ध नहीं आती।

१२॰ पुराने कपड़े की सात चिन्दियाँ लेकर, सिर पर सात बार घुमाकर आग में जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है।

१३॰ झाडू को चूल्हे / गैस की आग में जला कर, चूल्हे / गैस की तरफ पीठ कर के , बच्चे की माता इस जलती झाडू को
7 बार इस तरह स्पर्श कराए कि आग की तपन बच्चे को न लगे। तत्पश्चात् झाडू को अपनी टागों के बीच से निकाल
कर बगैर देखे ही, चूल्हे की तरफ फें क दें। कु छ समय तक झाडू को वहीं पड़ी रहने दें। बच्चे को लगी नजर दू र हो
जायेगी।

१४॰ नमक की डली, काला कोयला, डंडी वाली 7 लाल मिर्च, राई के दाने तथा फिटकरी की डली को बच्चे या बड़े पर
से 7 बार उबार कर, आग में डालने से सबकी नजर दू र हो जाती है।

१५॰ फिटकरी की डली को, 7 बार बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर आग में डालने से नजर तो दू र होती ही है,
नजर लगाने वाले की धुंधली-सी शक्ल भी फिटकरी की डली पर आ जाती है।

१६॰ तेल की बत्ती जला कर, बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर दोहाई बोलते हुए दीवार पर चिपका दें। यदि नजर
लगी होगी तो तेल की बत्ती भभक-भभक कर जलेगी। नजर न लगी होने पर शांत हो कर जलेगी।

१७॰ “नमो सत्य आदेश। गुरु का ओम नमो नजर, जहाँ पर-पीर न जानी। बोले छल सो अमृत-बानी। कहे नजर कहाँ से
आई ? यहाँ की ठोर ताहि कौन बताई ? कौन जाति तेरी ? कहाँ ठाम ? किसकी बेटी ? कहा तेरा नाम ? कहां से
उड़ी, कहां को जाई ? अब ही बस कर ले, तेरी माया तेरी जाए। सुना चित लाए, जैसी होय सुनाऊँ आय। तेलिन-
तमोलिन, चूड़ी-चमारी, कायस्थनी, खत-रानी, कु म्हारी, महतरानी, राजा की रानी। जाको दोष, ताही के सिर पड़े।
जाहर पीर नजर की रक्षा करे । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। फु रो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”

विधि- मन्त्र पढ़ते हुए मोर-पंख से व्यक्ति को सिर से पैर तक झाड़ दें।

१८॰ “वन गुरु इद्यास करु। सात समुद्र सुखे जाती। चाक बाँधूँ, चाकोली बाँधूँ, दृष्ट बाँधूँ। नाम बाँधूँ तर बाल बिरामनाची
आनिङ्गा।”

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विधि- पहले मन्त्र को सूर्य-ग्रहण या चन्द्र-ग्रहण में सिद्ध करें । फिर प्रयोग हेतु उक्त मन्त्र के यन्त्र को पीपल के पत्ते पर
किसी कलम से लिखें।
“देवदत्त” के स्थान पर नजर लगे हुए व्यक्ति का नाम लिखें। यन्त्र को हाथ में लेकर उक्त मन्त्र
११ बार जपे। अगर-बत्ती का धुवाँ करे । यन्त्र को काले डोरे से बाँधकर रोगी को दे। रोगी मंगलवार या शुक्रवार को
पूर्वाभिमुख होकर ताबीज को गले में धारण करें ।

ॐ मो दे वे ले प्रे ले बी ले रि ले ले ले की
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१९॰ “ॐ नमो आदेश। तू ज्या नावे, भूत पले, प्रेत पले, खबीस पले, अरिष्ट पले- सब पले। न पले, तर गुरु की,
गोरखनाथ की, बीद याहीं चले। गुरु संगत, मेरी भगत, चले मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”

विधि- उक्त मन्त्र से सात बार ‘राख’ को अभिमन्त्रित कर उससे रोगी के कपाल पर टिका लगा दें। नजर उतर जायेगी।

२०॰ “ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय, ह्रीं धरणेन्द्र-पद्मावती सहिताय। आत्म-चक्षु, प्रेत-चक्षु, पिशाच-चक्षु-सर्व नाशाय,
सर्व-ज्वर-नाशाय, त्रायस
त्रायस, ह्रीं नाथाय स्वाहा।”

विधि- उक्त जैन मन्त्र को सात बार पढ़कर व्यक्ति को जल पिला दें।

२१॰ “टोना-टोना कहाँ चले? चले बड़ जंगल। बड़े जंगल का करने ? बड़े रुख का पेड़ काटे। बड़े रुख का पेड़ काट के
का करबो ? छप्पन छु री बनाइब। छप्पन छु री बना के का करबो ? अगवार काटब, पिछवार काटब, नौहर काटब,
सासूर काटब, काट-कू ट के पंग बहाइबै, तब राजा बली कहाईब।”

विधि- ‘दीपावली’ या ‘ग्रहण’-काल में एक दीपक के सम्मुख उक्त मन्त्र का २१ बार जप करे । फिर आवश्यकता पड़ने
पर भभूत से झाड़े, तो नजर-टोना दू र होता है।

२२॰ डाइन या नजर झाड़ने का मन्त्र

“उदना देवी, सुदना गेल। सुदना देवी कहाँ गेल ? के करे गेल ? सवा सौ लाख विधिया गुन, सिखे गेल। से गुन सिख के
का कै ले ? भूत के पेट पान कतल कर दैले। मारु लाती, फाटे छाती और फाटे डाइन के छाती। डाइन के गुन हमसे
खुले। हमसे न खुले, तो हमरे गुरु से खुले। दुहाई ईश्वर-महादेव, गौरा-पार्वती, नैना-जोगिनी, कामरु-कामाख्या की।”

विधि- किसी को नजर लग गई हो या किसी डाइन ने कु छ कर दिया हो, उस समय वह किसी को पहचानता नहीं है।
उस समय उसकी हालत पागल-जैसी हो जाती है। ऐसे समय उक्त मन्त्र को नौ बार हाथ में ‘जल’ लेकर पढ़े । फिर उस
जल से छिं टा मारे तथा रोगी को पिलाए। रोगी ठीक हो जाएगा।
यह स्वयं-सिद्ध मन्त्र है, के वल माँ पर विश्वास की
आवश्यकता है।

२३॰ नजर झारने के मन्त्र

१॰ “हनुमान चलै, अवधेसरिका वृज-वण्डल धूम मचाई। टोना-टमर, डीठि-मूठि सबको खैचि बलाय। दोहाई छत्तीस
कोटि देवता की, दोहाई लोना चमारिन की।”

२॰ “वजर-बन्द वजर-बन्द टोना-टमार, डीठि-नजर। दोहाई पीर करीम, दोहाई पीर असरफ की, दोहाई पीर अताफ
की, दोहाई पीर पनारु की नीयक मैद।”

विधि- उक्त मन्त्र से ११ बार झारे , तो बालकों को लगी नजर या टोना का दोष दू र होता है।

२४॰ नजर-टोना झारने का मन्त्र

“आकाश बाँधो, पाताल बाँधो, बाँधो आपन काया। तीन डेग की पृथ्वी बाँधो, गुरु
जी की दाया। जितना गुनिया गुन भेजे,
उतना गुनिया गुन बांधे। टोना टोनमत जादू । दोहाई कौरु कमच्छा के , नोनाऊ चमाइन की। दोहाई ईश्वर गौरा-पार्वती
की,
ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”

विधि- नमक अभिमन्त्रित कर खिला दे। पशुओं के लिए विशेष फल-दायक है।

२५॰ नजर उतारने का मन्त्र

“ओम नमो आदेश गुरु का। गिरह-बाज नटनी का जाया, चलती बेर कबूतर खाया, पीवे दारु, खाय जो मांस, रोग-दोष
को लावे फाँस। कहाँ-कहाँ से लावेगा? गुदगुद में
सुद्रावेगा, बोटी-बोटी में से लावेगा, चाम-चाम में से लावेगा, नौ नाड़ी
बहत्तर कोठा में से लावेगा, मार-मार बन्दी कर लावेगा। न लावेगा, तो अपनी माता की सेज पर पग रखेगा। मेरी भक्ति,
गुरु की शक्ति, फु रो मन्त्र ईश्वरी वाचा।”

विधिः - छोटे बच्चों और सुन्दर स्त्रियों को नजर लग जाती है। उक्त मन्त्र पढ़कर मोर-पंख से झाड़ दें, तो नजर दोष दू र
हो जाता है।

२६॰ नजर-टोना झारने का मन्त्र

“कालि देवि, कालि देवि, सेहो देवि, कहाँ गेलि, विजूवन खण्ड गेलि, कि करे गेलि, कोइल काठ काटे गेलि। कोइल
काठ काटि कि करति। फलाना का धैल धराएल, कै ल
कराएल, भेजल भेजायल। डिठ मुठ गुण-वान काटि कटी पानि
मस्त करै । दोहाई गौरा पार्वति क, ईश्वर महादेव क, कामरु कमख्या माई इति सीता-राम-लक्ष्मण-नरसिंघनाथ क।”

विधिः - किसी को नजर, टोना आदि संकट होने पर उक्त मन्त्र को पढ़कर कु श से झारे ।

नोट :- नजर उतारते समय, सभी प्रयोगों में ऐसा बोलना आवश्यक है कि “इसको बच्चे की, बूढ़े की, स्त्री की, पुरूष
की, पशु-पक्षी की, हिन्दू या मुसलमान की, घर वाले की या बाहर वाले की, जिसकी नजर लगी हो, वह इस बत्ती,
नमक, राई,
कोयले आदि सामान में आ जाए तथा नजर का सताया बच्चा-बूढ़ा ठीक हो जाए। सामग्री आग या बत्ती
जला दूंगी या जला दूंगा।´´

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आँख की फू ली काटने का मन्त्र

“उत्तर काल, काल। सुन जोगी का बाप। इस्माइल जोगी की दो बेटी-एक माथे चूहा,
एक काते फू ला। दू हाई लोना
चमारी की। एक शब्द साँचा, पिण्ड काँचा, फु रो मन्त्र-ईश्वरो वाचा”

विधिः - पर्वकाल में एक हजार बार जप कर सिद्धकर लें। फिर मन्त्र को २१ बार पढ़ते हुए लोहे की कील को धरती में
गाड़ें, तो ‘फू ली’ कटने लगती है।

दाद का मन्त्र

“ओम् गुरुभ्यो नमः । देव-देव। पूरा दिशा भेरुनाथ-दल। क्षमा भरो, विशाहरो वैर, बिन आज्ञा। राजा बासुकी की आन,
हाथ वेग चलाव।”

विधिः - किसी पर्वकाल में एक हजार बार जप कर सिद्ध कर लें। फिर २१ बार पानी को अभिमन्त्रित कर रोगी को
पिलावें, तो दाद रोग जाता है।

पीलिया का मंत्र

“ओम नमो बैताल। पीलिया को मिटावे, काटे झारे । रहै न नेंक। रहै कहूं तो डारुं छे द-छे द काटे। आन गुरु गोरख-नाथ।
हन हन, हन हन, पच पच, फट् स्वाहा।”

विधिः - उक्त मन्त्र को ‘सूर्य-ग्रहण’ के समय १०८ बार जप कर सिद्ध करें । फिर शुक्र या शनिवार को काँसे की कटोरी
में एक छटाँक तिल का तेल भरकर, उस कटोरी को रोगी के सिर पर रखें और कु एँ की ‘दू ब’ से तेल को मन्त्र पढ़ते हुए
तब तक चलाते रहें, जब तक तेल पीला न पड़ जाए। ऐसा २ या ३ बार करने से पीलिया रोग सदा के लिए चला जाता
है।

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शत्रु-मोहन

“चन्द्र-शत्रु राहू पर, विष्णु का चले चक्र। भागे भयभीत शत्रु, देखे जब चन्द्र वक्र। दोहाई कामाक्षा देवी की, फूँ क-फूँ क
मोहन-मन्त्र। मोह-मोह-शत्रु मोह, सत्य तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र।। तुझे शंकर की आन, सत-गुरु का कहना मान। ॐ नमः
कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”

विधिः - चन्द्र-ग्रहण या सूर्य-ग्रहण के समय किसी बारहों मास बहने वाली नदी के किनारे , कमर तक जल में पूर्व की
ओर मुख करके खड़ा हो जाए। जब तक ग्रहण लगा रहे, श्री कामाक्षा देवी का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र का पाठ
करता रहे। ग्रहण मोक्ष होने पर सात डु बकियाँ लगाकर स्नान करे । आठवीं डु बकी लगाकर नदी के जल के भीतर की
मिट्टी बाहर निकाले। उस मिट्टी को अपने पास सुरक्षित रखे। जब किसी शत्रु को सम्मोहित करना हो, तब स्नानादि
करके उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर उसी मिट्टी का चन्दन ललाट पर लगाए और शत्रु के पास जाए। शत्रु इस प्रकार
सम्मोहित हो जायेगा कि शत्रुता छोड़कर उसी दिन से उसका सच्चा मित्र बन जाएगा।

सभा मोहन

“गंगा किनार की पीली-पीली माटी। चन्दन के रुप में बिके हाटी-हाटी।। तुझे गंगा की कसम, तुझे कामाक्षा की दोहाई।
मान ले सत-गुरु की बात, दिखा दे करामात। खींच
जादू का कमान, चला दे मोहन बान। मोहे जन-जन के प्राण, तुझे
गंगा की आन। ॐ नमः कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”

विधिः - जिस दिन सभा को मोहित करना हो, उस दिन उषा-काल में नित्य कर्मों से
निवृत्त होकर ‘गंगोट’ (गंगा की
मिट्टी) का चन्दन गंगाजल में घिस ले और उसे
१०८ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करे । फिर श्री कामाक्षा देवी का
ध्यान
कर उस चन्दन को ललाट (मस्तक) में लगा कर सभा में जाए, तो सभा के सभी लोग जप-कर्त्ता की बातों पर
हो एँ गे
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
मुग्ध हो जाएँ गे।

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दर्शन हेतु श्री काली मन्त्र

“डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर
दिखा खप्पर लियां, खड़ी कालका।
तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी का, फागड़ दीफू , गले फु ल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-
शक्ति। जय कालका खपर-धनी। जय मचकु ट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड
भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-
धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”

विधि- नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित रखते हुए अगर-बत्ती जलाकर प्रातः -सायं उक्त मन्त्र
का ४०-४०
जप करे । कम या ज्यादा न करे । जगदम्बा के दर्शन होते हैं।

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होली पर करने योग्य टोटके

१॰ यदि किसी ने आपके व्यवसाय अथवा निवास पर कोई तंत्र क्रिया करवा रखी हो,
तो होली की रात्रि में जिस स्थान
पर होलिका दहन हो, उस स्थान पर एक गड्ढा खोसकर उसमें ११ अभिमंत्रित कौड़ियाँ दबा दें । अगले दिन कौड़ियों
को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बांधकर बहते जल में
प्रवाहित कर दें । तंत्र क्रिया नष्ट हो
जाएगी ।

२॰ यदि आपके कार्यों में लगातार बाधाएँ आ रही हो, अथवा घर में अचानक ही अप्रिय घटनाएँ घटित होती
हों, जिसके
कारण बड़ी हानि उठानी पड़ती हो अथवा आपको लगता हो कि आपके घर पर कोई ऊपरी चक्कर है अथवा किसी ने
कोई बन्दिश करवा दी है, तो आप इस उपाय के माध्यम से उपरोक्त सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं ।

होली की रात्रि में घर में किसी शुद्ध स्थान पर गोबर से लीपकर उसपर अष्टदल बनाएं । फिर एक बाजोट रखकर लाल
वस्त्र बिछाकर उस पर अभिमंत्रित ३ लघु नारियल तथा श्री हनुमान यंत्र को स्थान दें । इसके बाद एक पात्र में थोड़ा-सा
गाय का कच्चा दू ध रखें तथा अलग से पंचगव्य रखें । फिर नारियल व यंत्र पर रोली से तिलक करके प्रभु श्री हनुमान्
जी से अपनी समस्या के समाधान का निवेदन करें और गुड़ का भोग लगाएँ ।

तत्पश्चात् शुद्ध घी के दीपक के साथ चन्दन की अगरबत्ती व गुग्गुल की धूप अर्पित करें । फिर ताँबे की प्लेट पर रोली से
“ॐ
हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” मंत्र लिखकर एक सामान्य नारियल को फोड़कर
(पधारकर) उसके पानी को अपने
साधना स्थल पर छिड़क दें और नारियल को प्लेट के पास रख दें । फिर मूंगे की माला से “ॐ घण्टाकर्णो महावीर सर्व
उपद्रव नाशय कु रु-कु रु स्वाहा” मंत्र की तीन माला का जप करें । मंत्र समाप्त होने के बाद प्रणाम करके बाहर आ
जाएँ । गाय के दू ध को अपने घर के चारों ओर घुमते
हुए धारा के रुप में बिखराकर कवच जैसा बना दें और पंचगव्य
से मुख्यद्वार को लीप दें ।

अगले दिन स्नान करके प्रभु को भोग व धूप-दीप अर्पत करके घण्डाकर्ण मंत्र की पुनः तीन माला का जप करें । इस
प्रकार यह क्रिया लगातार
११ दिन तक करें । ११वें दिन मंत्र जप के बाद १४-१८ वर्ष के किसी लड़के को भोजन
कराकर दक्षिणा और वस्त्र आदि दें । फिर उसका चरण स्पर्श कर विदा करें ।
उसके जाने के बाद लाल वस्त्र पर लघु
नारियल, यंत्र और टू टा नारियल रखकर एक
पोटली का रुप दें । उसको किसी लकड़ी के डिब्बे में रखकर अपने घर
में कहीं भी गड्ढा खोदकर दबा दें ।

अब ताँबे की जिस प्लेट में आपने प्रभु का नाम


लिखा था, उसमें गंगाजल डालकर धो लें और उस जल को अपने घर में
छिड़क दें । यदि आप किसी फ्लैट में रहते हों, जहाँ आपको पोटली दबाने का स्थान न मिले, तो अपने फ्लैट के पास
किसी कच्चे स्थान पर दबा सकते हैं । इस उपाय से कु छ ही समय बाद आप चमत्कारिक परिवर्तन अनुभव करें गे ।
यदि यह उपाय होली पर नहीं
कर पाते, तो शुक्ल पक्ज़ के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करें । सभी समस्या दू र हो
जायेगी ।

३॰ व्यवसाय में सफलता के लिए आप जब होली जल जाए, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं । फिर अपने
दुकान एवं व्यवसाय स्थल के आग्नेय कोण में उस अग्नि की मदद से सरसों के तेल का दीपक जला दें । इस उपाय
से
आपके दुकान व व्यवसाय स्थल की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी । इससे आपके दुकान एवं
व्यवसाय में सफलता मिलेगी ।

४॰ यदि आपके परिवार अथवा परिचितों में कोई व्यक्ति अधिक समय से अस्वस्थ हो, तो उसके लिए
यह उपाय
लाभकारी होगा । होली की रात्रि में सफे द वस्त्र में ११ अभिमंत्रित
गोमती चक्र, नागके सर के २१ जोड़े तथा ११
धनकारक कौड़ियाँ बांधकर कपड़े पर हरसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर रोगी पर से सात बार उसारकर किसी
शिव मन्दिर में अर्पित करें । व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा । यदि बिमारी गम्भीर हो, तो यह क्रिया शुक्ल पक्ष के
प्रथम सोमवार से आरम्भ करके लगातार ७
सोमवार को करें ।

५॰ यदि आप अपना कोई विशेष कार्य सिद्ध करना चाहते हों अथवा कोई व्यक्ति गम्भीर रुप से रोगग्रस्त हो, तो होली
की रात्रि में किसी काले कपड़े में काली हल्दी तथा खोपरे में बूरा भरकर पोटली बनाकर पीपल के वृक्ष के नीचे गड्ढा
खोदकर दबा दें । फिर पीपल के वृक्ष को आटे से निर्मित सरसों के तेल का दीपक, धूप-अगरबत्ती तथा मीठा जल
अर्पित करें । इसके बाद आठ अभिमंत्रित गोमती चक्र पीपल पर ही छोड़कर पीछे देखे बिना घर आ जाएं । शुक्ल पक्ष
के प्रथम शनिवार को जाकर सिर्फ उपरोक्त प्रकार से दीपक व
धूप-अगरबत्ती अर्पित करके छोड़े गए गोमती चक्र ले
आएं । जब तक कार्य सिद्ध
न हो, वह गोमती चक्र अपनी जेब में रखें अथवा जो व्यक्ति रोग-ग्रस्त हो, उसके सिरहाने
रख दें । कु छ ही समय में आपके कार्य सिद्ध होने लगेंगे अथवा अस्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ लाभ करे गा ।

६॰ यदि आप आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं, तो जिस स्थान पर होलिका जलती हो, उस स्थान पर गड्ढा खोदकर अपने
मध्यमा
अंगुली के लिए बनने वाले छल्ले की मात्रा के अनुसार चाँदी, पीतल व लोहा दबा दें । फिर मिट्टी से ढककर
लाल गुलाल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं । जब आप होलिका पूजन को जाएं , तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी
हवन सामग्री, शुद्ध घी में डु बोया लौंग का जोड़ा तथा बताशै रखें । दू सरे पान के
पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और सात
बार परिक्रमा करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें । परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री
होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं । अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई
सामग्री ले जाकर पुनः यही क्रिया करें ।
जो धातुएं आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं । फिर किसी सुनार से तीनों
धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा अंगुली के माप का छल्ला बनवा लें । १५ दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के
गुरुवार को छल्ला धारण कर लें । जब तक आपके पास
यह छल्ला रहेगा, तब तक आप कभी भी आर्थिक संकट में
नहीं आएं गे ।

७॰ यदि
आप किसी प्रकार की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं, तो होली पर यह उपाय अवश्य
करें । होली की रात्रि में
चन्द्रोदय होने के बाद अपने निवास की छत पर अथवा किसी खुले स्थान पर आ जाएं । फिर चन्द्रदेव का स्मरण करते
हुए चाँदी की एक प्लेट में सूखे छु हारे तथा कु छ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित
करें । अब दू ध से अर्घ्य प्रदान करें । अर्घ्य के बाद कोई सफे द प्रसाद तथा के सर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें
। चन्द्रदेव से आर्थिक संखट दू र कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें । बाद
में प्रसाद और मखानों को बच्चों में
बांट दें । आप प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रदेव को दू ध का अर्घ्य अवश्य दें । कु छ ही दिनों में आप अनुभव करें गे कि
आर्थिक संकट दू र होकर समृद्धि बढ़ रही है ।

८॰ होली के दिन अपने घर पर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान में सूर्य डू बने से पहले धूप-दीप करें । घर व
प्रतिष्ठान की
सारी लाइट जला दें तथा मन्दिर के सामने माँ लक्ष्मी का कोई मंत्र ११ बार मानसिक रुप से जपें । तत्पश्चात् घर अथवा
प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर जिस स्थान पर होली जलनी हो, वहां की मिट्टी में दबा दें । अगले
दिन उस कील को
निकालकर मुख्य-द्वार के बाहर की मिट्टी में दबा दें । इस उपाय से आपके निवास अथवा प्रतिष्ठान में किसी प्रकार की
नकारात्मक शक्ति का
प्रवेश नहीं होगा । आप आर्थिक संकट में भी नहीं आएं गे ।

९॰ यदि आप पर किसी प्रकार का कोई कर्ज है, तो होली की रात्ति में यह उपाय करके कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं ।
जिस स्थान पर होली जलनी हो, उस स्थान पर एक छोटा-सा गड्ढा खोदकर उसमें तीन अभिमंत्रित गोमती चक्र तथा
तीन कौड़ियाँ दबा दें । फिर मिट्टी में लाल गुलाल व हरा गुलाल मिलाकर उस गड्ढे को भरकर उसके ऊपर पीले गुलाल
से कर्जदार का नाम लिख दें । जब होली जले तब आप पान के पत्ते पर
३ बतासे, घी में डु बोया एक जोड़ा लौंग, तीन
बड़ी इलायची, थोड़े-से काले तिल व गुड़ की एक डली रखकर तथा सिन्दू र छिड़ककर पान के पत्ते से ढक दें ।

रि ते त्ये नि के गो ती होलि में ते ल्रीं


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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
अब सात परिक्रमा करते हुए प्रत्येक बार निम्न मंत्र का जप करके एक-एक गोमती चक्र होलिका में डालतेजाएं - “ल्रीं
ल्रीं फ्रीं फ्रीं अमुक कर्ज विनश्यते फट् स्वाहा” यहां अमुक के स्थान पर कर्जदार का नाम लें । परिक्रमा
करने के बाद
प्रणाम करके वापस आ जाएं । अगले दिन जाकर सर्वप्रथम तीन अगरबत्ती दिखाकर गड्ढे में से सामग्री निकाल लें और
थोड़ी-सी गुलाल मिश्रित
मिट्टी भी ले लें । फिर सभी को किसी नदी में प्रवाहित कर दें । कु छ ही समय
में कर्ज मुक्ति के
मार्ग निर्मित होने लगेंगे ।

१०॰ आपने देखा होगा कि किसी निवास या व्यवसाय स्थल पर अचानक ही कु छ अजीबो-गरीब घटनाएं घटित होती हैं
अथवा उस स्थान पर जो व्यक्ति प्रवेश करता है, उसके मन में डर के साथ अजीब-सी घुटन होने लगती है अथवा बिना
बात के नुकसान या झगड़े होने लगते
हैं । यदि आपके साथ ऐसा कु छ होता है, तो समझ जाएं कि आप पर अथवा उस
स्थान पर किसी प्रकार की कोई ऊपरी बाधा का प्रभाव है । जब तक आप उस बाधा से मुक्ति नहीं पा लेंगे, तब तक
आप ऐसे ही परे शान रहेंगे । इस बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप यह उपाय अवश्य करें ।

जिस स्थान पर यह बाधा है, उस स्थान के सर्वाधिक निकट जो भी वृक्ष हो, उसको देखें । यदि पीपल का वृक्ष हो, तो
बहुत अच्छा है । होली के पूर्व शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को अंधेरा होने पर आप उस स्थान पर जाएं , जिस स्थान पर
वृक्ष है । फिर ताँबे के
एक पात्र में दू ध में थोड़ी-सी शक्कर मिश्रित करें और खोए के तीन लड्डू , थोड़ी-सी साबूदाने की
खीर, ११ हरी इलायची, २१ बताशे, दू ध से बनी थोड़ी-सी कोई भी अन्य मिठाई तथा एक सूखे खोपरे में बूरा भरकर
उसके मध्य लौंग का एक जोड़ा रखकर उस वृक्ष की जड़ में अर्पित करें । साथ ही २१ अगरबत्ती भी अर्पित करें । यही
क्रिया किसी मन्दिर में लगे पीपल के वृक्ष पर भी करें । प्रथम बार के प्रयोग से ही आप परिवर्तन अनुभव करें गे । यदि
समस्या अधिक है,
तो यह क्रिया ३, ५, ७ या ११ सोमवार तक करें । आप निश्चित रुप से ऊपरी बाधा
से मुक्ति पा लेंगे ।
परन्तु इतना ध्यान रखें कि बाधा से मुक्ति के बाद आप
प्रभु श्री हनुमान् जी के नाम पर कु छ दान अवश्य करें ।

११॰ यदि आपको ऐसा लगे कि आपके निवास अथवा व्यवसाय स्थल पर कोई ऊपरी बाधा है, तो आप इस उपाय द्वारा
उस बाधा से मुक्ति पा सकते हैं । होली की रात्रि में गाय के गोबर से इक दीपक बनाएं । इसके बाद उसमें सरसों का
तेल, लौंग का जोड़ा, थोड़ा-सा गुड़ और काले तिल डाल दें । फिर दीफक को अपने मुख्य द्वार के बिल्कु ल मध्य स्थान
पर रख दें । द्वार की चौखट के बाहर आठ सौ ग्राम काली साबूत उड़द को फै ला दें ।

अब द्वार के अन्दर आकर दीपक को जला दें और द्वार बन्द कर दें । अगले दिन ठण्डा दीपक उठाकर घर के बाहर
रख दें और झाड़ू
की मदद से सारी उड़द को समेट लें । फिर ठण्डा दीपक और उड़द को बहते हुए जल
में प्रवाहित
कर दें । तत्पश्चात् घर वापस आ जाएं तथा हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें । इसके बाद आप अगले शनिवार से
पुनः यही क्रिया लगातार तीन शनिवार करें । यदि आपको लगे कि बाधा अधिक बड़ी है, तो अगले शुक्ल पक्ष से पुनः
तीन बार यह क्रिया दोहराएं । कार्य सिद्ध हो जाने पर शनिवार को ही किसी भी पीपल के वृक्ष में मीठे जल के साथ
धूप-दीप अर्पित करें । इस उपाय द्वारा आप ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे ।

_____________________________________________

श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र

विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता
है.

मंत्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में
कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.

श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र

विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी
को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है.

मंत्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र
का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर
कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.

श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र

विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता
है.

मंत्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में
कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.

प्रत्येक साधना के कु छ नियम होते है, इसी प्रकार


साबर साधनाओं में भी कु छ विशेष नियम होते है ! इन नियमों का
पालन किये बिना सिद्धि मिलना बहुत मुश्किल होता है और यदि इन नियमों का पालन किया जाएँ तो साबर साधनाएँ
जल्दी सिद्ध हो जाती है ! जिस प्रकार वैदिक रीति में करन्यास, अंगन्यास आदि का महत्त्व है , उसी प्रकार साबर
साधनाओं में आसन जाप और शारीर कीलन का महत्त्व है ! आप लोगो की सुविधा के लिए आसन जाप की आसान
विधि दी जा रही है ! किसी भी साधना को करने से पहले इन मंत्रो का प्रयोग अवश्य करें ! यह मंत्र स्वयं सिद्ध है , इन्हें
सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है !

आसन बिछाते हुए इस मन्त्र का जाप करे और आसन को नमस्कार करे -

ॐ नमो आदेश श्री गुरूजी को,

अंतर मन्त्र ढाई कं कर

जय शिव शंकर

अब आसन पर बैठ कर आसन जाप पढ़े -

सत नमो आदेश,गुरूजी को आदेश,

ॐ गुरूजी मन मारू मैदा करू,करू चकनाचूर

पांच महेश्वर आज्ञा करे तो बैठू आसन पूर

श्री नाथ जी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश

पूजा के बाद आसन उठाते हुए इस मन्त्र का जाप करे , आसन उठाने का मन्त्र -

ॐ सत नमो आदेश,गुरूजी को आदेश

ॐ गुरूजी, ॐ तरो तरो महेश्वर करणी उतारो पार

संत चले घर अपने मंदिर जय जयकार

श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश

_____________________________________

ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र

यह प्रयोग स्वयं सिद्ध है ! इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है ! फिर भी पर्व काल में एक माला जप ले !

जिन लोगों की साधना बार बार स्वप्नदोष की वजह से भंग हो जाती है वह इसका इस्तेमाल जरुर करे !

एक बात का हमेशा ख्याल रखे कि यदि आपका मन पवित्र नहीं है तो किसी भी उपाय से ब्रह्मचर्य की रक्षा नहीं हो
सकती !

|| मंत्र |

“सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश !

पारा पारा महापारा पारा पहुंचा दशमे द्वारा दशमे द्वारे कौन पहुंचाए ?

गुरु गोरखनाथ पहुचाये , जो न पहुंचाए तो हनुमान का ब्रहमचर्य खंडित हो जाये ,

माता अन्जनी की आन चले , गुरु गोरख का वान चले ,

मे र्य ये तो त्रि में नी मै नी को भो के ये


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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
मेरा ब्रहमचर्य जाये तो हनुमान त्रिया राज्य में रानी मैनाकनी को भोग के आये !

दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ आओ जैसे हनुमान का ब्रहमचर्य रखा हमारी भी लाज बचाओ !

ॐ गुरूजी भग में लिंग , लिंग में पारा जो राखे वही गुरु हमारा !

काम कामनी की यह आग इसे मिटावे गोरखनाथ

माया का पर्दा देयो हटा दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ !

दुहाई दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की ! आदेश गुरु गोरख के !

नाथ जी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश !

|| विधि ||

रात को सोते समय इस मंत्र को 21 बार जप करे और लाल लंगोट धारण करे ! लंगोट धारण करते वक़्त भी इस मंत्र
का जाप करे !

भगवान से हमारी यही कामना है कि आपको साधनाओं में सफलता प्रदान करे !

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hirendra pratap singh
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Thursday, May 17, 2018

Simplest Sabar mantra very important life

Simplest Sabar mantra very important in the time of real need

in mine previous post. The photograph was.. oops ..even I shocked to see that.. haha . is there
anyone, who still like my way of writing, please raise your hand, I start counting, ….only 1
person(me only)….... now, I am sharing some very simple but very effective Sabar mantra with
you all. One more thing, in the end, I will ask you, anyone mantra to repeat. It’s a test. be ready
for that ….. 

I just little elaborate the cause behind that. As one complete day , we spend in visiting
Ghoram ghati, in search of divines herbs, and available there, and you already knew that
what happened while returning. I was very worried, for the safety of not only me but all of
mine fellow member, praying sadgurudevji for that continuously, fearing that some scorpion,
or snake if could come our way what would be happened, 

as the darken darks. Feeling a little bit restless , only a two mobile’s touch was on our help
for 20 people. I tried to memories some of the mantra, what I have read from Sadgurudev ji
magazine and from other great ones, and also from other sources, (I really highly thankful to
all of them , and producing the mantra mentioned by them, here, gathered from various
sources ) either I was able to recall the mantra or only the process, mine helplessness was
very high. 

I never ever thought that one day such a things can happened, one should not take any
mantra or sadhana very easy, or just time pass, everything is has a value, in the time of
need. 

sabar mantra a great section of divinity created just for common person to achieve his goal,
either material or spiritual, highly practiced by not even from village people, but to great
savants of this divine field, its common faith that they are created by guru gorakhnath ji and
later numerous mantra added by people belonging to every cast and religion, whichever
belongs to him or others,not easily to decide but all are very effective . You can get a result
within a second. 

Not only to the problem related to common people like minor health problem to the problem
can not be discussed openly, all, are covered in that. Even mahavidya sadhana, yakshni
sadhana, apsara sadhana and every imaginable field are covered in that, even “Agni
shathai parad process” too covered in that, all the parad sanskar can be done by this great
branch of mantra. 

Yes yes , shamshan awaking,……. to…. kapaal sadhana .. you can count… infinite

https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 15/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
mantra… but why, I am writing this, you all are, already known this common fact, 

For any poisonous insects biting : 

” Om chande phuh.” ॐ चन्डे फु : 

Repeat 21 times this mantra while rubbing your finger on the spot, surely within a few
second you get relief. 

On scorpion sting : 

“Dhay bisa der” “धाय बिसा देर " is the mantra repeat only (with little loud) in front of the
person , and asked him to touch earth with impact with either hand of feet, on doing the
three times. He will get relief. 

If snake comes : 

start chanting “muniraaj aastik namh” or “मुनिराज आस्तिक नमः " on just a few times repeating
of mantra, snake will go out of your sight. 

Complete safety while thunderstorm / strong wind blows. : 

“Hukm shekh pharid kamariya ,nishi adhariya, 

Aag pani pathriya teeno se to hi bacheya.” 

हुक्म शेख फरीद कमरिया ,निशि अंधरिया ,

आग पानी पथरिया तीनो से तो ही बचेइया

Just repeat three times and make a clap sound from hand।

In any type of difficulty: 

“Om pa me ae me hum” " ॐ पा में ऐ में हुम" 

any time when you are in midst of any difficulty just repeat/chant 101 times, this great
mantra. 

To get relief from For headache : 

“ Om jah hah sah “ “ ॐ जः हः सः " 

Drink water already abhimantrit with 21 times of repeating this mantra. 

To digest the food: 

Agastya kumbhkarn cha shani cha badvanalam,

Aahaar pachanarthay ,smeret bheem cha panchakam.” 

अगस्त्य कु म्भकर्ण च शनि च बदवानालम ,

आहार पचानार्थय ,स्मरे त भीम च पंचकम.” 

Repeat the mantra 7 times while moving your hand on your stomach. 

To get success while in journey: 

“om peer bajarangi, ram lakshman ke sangi,

Jahan jahan jayen ,phtah ke danka bajaye,

Duhai mata anjni ki aan. 

ॐ पीर बजरं गी , राम लक्ष्मण के संगी ,

जहाँ जहाँ जाएँ ,फतह के डंका बजाये ,

दुहाई माता अंजनी की आन 

While doing work or on journey time repeat it as much you can, you will be blessed

with success. 

To get success in work: 

Shur shiromani sahsi,sumati sameer kumar,

Agam sugam sab kaam karoon,kartal Siddhi bichar 

शि रो नी सी ति मी
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 16/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
शूर शिरोमनी साहसी ,सुमति समीर कु मार ,

अगम सुगम सब काम करूं ,करतल सिद्धि बिचार 

Chant the mantra, sometimes . at the beginning of work. 

I think for now, it is enough, when I asked Aarif ji, is there any special process, protecting
from snake and other poisonous insects, why not Sadgurudev has not given us,” shiva
shasthrakkshri kavach”, thrice appeared in "mantra tantra yantra vigyan" old issue, is a
boon for protecting not only us, but from the people around us, while returning I was praying
to Sadgurudev ji, he was busy chanting this greatest kavach. 

Point to consider: 

One of most important things of Sabar mantra is that , they totally depend upon your faith in
your guru and off course in you too. Not all the process are so simple as I mentioned here,
but require a high degree of carefulness, are you not remembering Sadgurudevji’s word
mentioned in introcution in tantric siddhiyan. Some time while doing some greatest highly
effective sadhana , person has to set aside his own daily routine sadhana like ma bhagvati
gaytri mantra jap. Kindly go through that. But the mantra I collected and mentioned here not
having such a precondition. 

If your faith in Sadgurudev ji , and in you too, definitely they will work. 

Second important things I like to share with you is that, without the pure sadhana
articles/materials, acheving success in this type of sadhana, is almost impossible. But
suppose you are not having any needed material, on the time of need, then what you will
do?…have you not remember poojya sadgurudevji, already mentioned many times the
power and utility of “Sabar yantra”, which can be easily get from poojya paad gurud trimurti
ji at Jodhpur. Is like a boon for us.doing sabar mantra jap in front of it, removes all the
absence and negativity. 

Some important ritual like bhairav sthapan etc.. are essential for higher level
sadhana, and still can be got from Sadgurudev ji at Jodhpur. 

And also, though getting result in this type of sadhana is very easy, but on the path of some
higher Sabar sadhana, if one should seek the prior blessing of sadgurudevji, and get Sabar
Diksha from him, what a great luck for him. 

So I am spreading rose flower patels on the path for you, my dearest gurubrother and
sisters. positively hoping that, at least you understand the power behind the Sabar sadhana
. I pray that, sadgurudev ji bless you all, for great success, and all of us very soon become
his true shshyas

Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan


hirendra pratap singh
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4:15 AM
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Simplest Sabar mantra very important life

Friday, April 6, 2018

need for a master in mantra siddhi मंत्र सिद्धि में गुरु की


आवश्यकता क्यों होती है ?

मंत्र सिद्धि में गुरु की आवश्यकता क्यों होती है ?


मंत्र सिद्धि के लिए साधक को गुरु की नितान्त आवश्यकता होती है | इसलिए साधक अपने लिए सामर्थ्यवान
गुरु की खोज करता है और चयन करता है | गुरु भी शिष्य की सुपात्रता से प्रभावित होने के उपरान्त ही अपना
शिष्य स्वीकार करता है | जब गुरु साधक को अपना शिष्य बनाता है तभी वह शिष्य को दीक्षित करता है | मंत्र
की सिद्धि और शक्ति की दीक्षा देता है | गुरु अपने शिष्य को मंत्र की दीक्षा शीघ्र भी दे सकता है और देर से भी
| वह कब देगा यह नहीं कहा जा सकता है | वह शिष्य को यह समझकर कि यह दीक्षा देने योग्य हो गया है, इसे
दीक्षा देना निरर्थक सिद्ध नहीं होगा, यह जानकर उसे उचित समय पर दीक्षा देता है | यह गुरु की इच्छा पर
निर्भर करता है |
गुरु दीक्षा प्राप्त होने के बाद साधक को अपनी साधना का मार्ग सरल व सुगम लगने लग जाता है | उसके
अतिरिक्त ज्ञान का विकास हो जाता है जिससे गुरु की शक्ति रूपी दीक्षा से साधक की शारीरिक व मानसिक
अशुद्धियाँ स्वयमेव विलुप्त हो जाती है | क्योंकि दीक्षा एक प्रकार से शक्ति रूप व तेजपुंज होता है इसलिए गुरु
की दीक्षा को हमारे भारतीय संस्कृ ति में एक अमूल्य व श्रेष्ठ शक्तिदान कहा गया है |
गुरु की महानता , श्रेष्ठता सर्वोपरि व निर्विवाद है | शास्त्र में बड़े -बड़े ऋषियों मुनियों द्वारा गुरु को ईश्वर तुल्य ही
नहीं अपितु उससे भी महान कहा गया है | ऐसे ऐसे महान गुरुओं का इतिहास गौरवशाली व गरिमापूर्ण है जो
वास्तव में ही साधक के लिए ईश्वर से भी बढ़कर सिद्ध हुए है और होते रहेंगे | भगवान राम और कृ ष्ण ने महर्षि
विश्वामित्र , गुरु वशिष्ठ व संदीपन जैसे गुरुओं की शिष्यता ग्रहण कर गुरु की श्रेष्ठता को प्रमाणित किया है |
कबीर दास जी ने तो गुरु को महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि : –
गुरु गोबिंद दोउ खड़े , काको लागू पाँव |

बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय ||


र्था बी जी की हि र्ण ते ते है कि मे रे औ गोवि र्था
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
अर्थात कबीर दास जी गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहते है कि मेरे समक्ष गुरु और गोविन्द अर्थात
भगवान दोनों ही खड़े है | परन्तु समझ में नहीं आता कि पहले मै किसको प्रणाम करूँ | फिर गुरु की श्रेष्ठता
बताते हुए स्वयं ही उत्तर देते है कि हे गुरुवर आप ही श्रेष्ठ व पूज्यनीय है क्योंकि आपने ही तो हमें ईश्वर प्राप्ति
का मार्ग व ईश्वर का ज्ञान कराया है | अन्यथा मै तो ईश्वर के सम्बन्ध में बिल्कु ल ही अनभिज्ञ था कोरा कागज था |
इसलिए गुरु को ही पहले प्रणाम करना चाहिए फिर ईश्वर को |
कबीर दास जी कहते है की यदि ईश्वर रूठ जाये तो गुरु की शरण प्राप्त हो जाती है परन्तु यदि गुरु रूठ जाये
तो कहीं भी शरण प्राप्त नहीं होती | इस प्रकार कबीर ने गुरु की श्रेष्ठता का वर्णन किया है |

Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan


hirendra pratap singh
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10:40 PM
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right method of chanting chanting during mantra siddhi मंत्र


सिद्धि के समय मंत्र जप की सही विधि | मंत्र साधना के नियम

मंत्र सिद्धि के समय मंत्र जप की सही विधि | मंत्र साधना के नियम


शास्त्रों के अनुसार मंत्र उच्चारण द्वारा देव आराधना शीघ्र फलदायी है | मंत्रों में साक्षात् देव का वास होता है |
हिन्दू सभ्यता में प्राचीन काल से ही मंत्र द्वारा देव आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है | जीवन में आये घोर से
घोर संकं ट को भी मंत्र साधना द्वारा दू र किया जा सकता है | किन्तु इसके लिए जरूरी होता है की मंत्र जप
कठोर संकल्प और द्रढ़ विश्वास के साथ किये जाये |
नियमित मंत्र जप से मनुष्य आत्मिक और भौतिक सुख को प्राप्त कर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है | असाध्य से
असाध्य रोग के निवारण के लिए , धन-लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए , व्यवसाय में उन्नति के लिए , परिवार में सुख-
शांति बनाये रखने के , शत्रुओं से छु टकारा पाने के लिए, इन सब के अतिरिक्त जीवन में आये किसी भी संकट
के निवारण के लिए मंत्र जप द्वारा देव आराधना विशेष रूप से फलदायी है |
हमारे धर्म शास्त्रों में सभी देवी-देवताओं के मन्त्रों का अलग -अलग और विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है |
हमारे वेद-शास्त्रों में वर्णित मन्त्रों को वैदिक मंत्र की संज्ञा भी दी गयी है | सभी वैदिक मंत्रो के स्पष्ट अर्थ होते है
इसलिए यह जरुरी है कि किसी भी मंत्र का जप करते समय उसके स्पष्ट अर्थ को ध्यान में रखा जाये |
मंत्र जप की सही विधि : –
मंत्र सिद्धि में मंत्र जप की विधि सबसे अधिक महत्व रखती है | मंत्र सिद्धि में मंत्र का जप करते समय कु छ बातों
का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अन्यथा ये छोटी-छोटी त्रुटियाँ आपको आपके लक्ष्य से दू र कर सकती है |
तो आइये जानते है किसी भी मन्त्र को सिद्ध करते समय मन्त्र जप की सही विधि के सम्बंधित कु छ नियम :-
बिना गुरु के मंत्र सिद्ध करना बहुत कठिन है | इसलिए, मंत्र सिद्ध करने से पहले गुरु धारण करना अनिवार्य है |
कठोर संकल्प लेकर, मन में द्रढ़ निश्चय के भाव के साथ और स्वयं को आत्मविश्वास से परिपूर्ण कर मंत्र साधना
(सिद्धि) करें | आप जिस भी कार्य सिद्धि हेतु मंत्र साधना कर रहे है वह अवश्य ही पूर्ण होगा ऐसे भाव सैदव
अपने मन में बनाये रखे |
मंत्र सिद्धि के समय मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए | मंत्र का उच्चारण शुरू में धीमे स्वर में
बोलकर, बाद में सिर्फ होठों को हिलाकर जिससे की मंत्र की आवाज आपके कानों तक ही पहुंचे | और कु छ
दिन बाद मंत्र का उच्चारण सिर्फ मन ही मन में करना चाहिए | मुख से बिना बोले मन ही मन मंत्र का उच्चारण
करना सबसे अधिक फल देने वाला माना गया है |
मंत्र सिद्धि में मंत्र जप के लिए एक निश्चित समय का चुनाव कर प्रतिदिन उसी समय पर मंत्र का जप करें | सुबह
सूर्योदय से पहले और संध्या काल का समय मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ है | किन्तु कु छ साधनाएँ ऐसी भी है जिनमें
सिद्धियाँ पाने के लिए मंत्र जप रात्रि काल में किये जाते है |
मंत्र सिद्धि में मंत्र जप के समय साधक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए |(कु छ साधनायो में
दक्षिण दिशा की और मुख करके साधना की जाती है )
प्रथम दिन ही मंत्र जप की संख्या निश्चित कर प्रतिदिन उतने ही मंत्र के जप करने चाहिए | कभी कम या कभी
अधिक ऐसा कदापि न करें | आप चाहे तो मंत्र जप की संख्या बढ़ा सकते है किन्तु कम कभी न करें |
मंत्र जप करते समय माला को हमेशा छिपाकर रखे | इसके लिए आप माला को गोमुखी में रखकर मंत्र जप
करें | | माला पूरी होने पर माला के सुमेरु को भूलकर भी पार नहीं करना चाहिए | वहीँ से ही माला को घुमा
देना चाहिए |
मंत्र सिद्धि में मंत्र जप के समय माला हाथ से छू टनी नहीं चाहिए |
मंत्र सिद्ध करने के काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें और वाणी में मधुरता लाये | इन दिनों में भूलकर भी
अपशब्द का प्रयोग न करें |

Posted by Mantra Tantra Yantra Vigyan


hirendra pratap singh
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मंत्र साधना के नियम

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Grihasth Aarti Mantra Tantra Yantra Vigyan

Grihasth Aarti The "Mantra Tantra Yantra Vigyan" magazine has now been
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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु : गुरुर्देवो महेश्वर : |
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जय गुरुदेव दयानिधि दिनन हितकारी | Vigyan
जय जय मोह विनाशक भाव बन्धन हारी | |
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जप ताप तीरथ संयम दान विविध कीजैं | Material Perfectis
गुरु बिन ज्ञान न होवे कोटि यतन कीजैं | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
माया मोह नदी जल जीव बहे सारे | अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो में |
नाम जहाज बिठा कर गुरु पल में तारे | | अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो में |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
कम क्रोध मद मत्सर चोर बड़े भारी | है जीत तुम्हारे हाथो में और हार तुम्हारे हाथो में ||
ज्ञान खड़ग दे कर में गुरु सब संहारे | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
अब सौंप दिया ....
नाना पंथ जगत में निज-निज गुण गावें |
सब का सार बता कर गुरु मारग लावें | | मेरा निश्चय है बस एक यही , इक बार तुम्हे पा जाऊ में |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
गुरु चरणामृत निर्मल सब पातक हारी | अर्पण कर दू दुनिया भर का , सब प्यार तुम्हारे हाथो में ||
वचन सुनत श्री गुरु के सब संशयहारी | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . . अब सौंप दिया ....
तन मन धन सब अर्पण गुरु चरणन कीजे |
ब्रह्मानन्द परम पद मोक्ष गति दिजैं | | जो जग में राहू तो ऐसे राहू , ज्यो जल में कमल का फू ल रहे |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
मेरे सब गुण दोष समर्पित हो , भगवान तुम्हारे हाथो में ||
Sanyaas Aarti
अब सौंप दिया ....
Jay Sanyaasee AgraNee Jay shaantam rupam |
Jay-Jay Sanyastvam Maa Jay
Bhagawad rupam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Himaalaye nivasit Muktam यदि मानव का मुझे जनम मिले , तो तब चरणों का पुजारी बनू |
Prakarti tvaam Madhye |
Vicharati Giriwar Gahne Gahavrasahi muditaam ||
Om
Jay-Jay-Jay nikhilam ...
shaantam Vesham bhavyam aDhviteey rupam | इस पूजक की इक इक राग का , हो तार तुम्हारे हाथो में ||
vyaaghram vajr vahantum vaKshasthal tvam tvam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam
...
Ved PuraaN shaastram JyotiSh Mahitatvam |
Mantr-tantr UDhvaaray अब सौंप दिया ....
Saadhyam Sahi Sahitam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
RiShi divyam deh
Bhasmam rudraaKsham sahitam |
Vicharit nishidin Praaptei dhany Mahee जब जब संसार का कै दी बनू , निष्काम भाव से कर्म करू |
Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Siddhaashram SapraaNam Mantram
straShTatvam |
LaKsham LaKsh nihaarat Advay Adhi Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay फिर अंत समय में प्राण ताजू , साकार तुम्हारे हाथो में ||
nikhilam ...
Bhavy Vishaalam netram Bhaalam tejasvam |
LaKsham LaKsh
nihaarat Advay Adhi Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Sangeet Yuktam अब सौंप दिया ....
Aaraartikam PaThat Yadi shraNutam |
Guru Mod Var Praaptum shiShyatvam
Purnam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Jay Sanyaasee AgraNee Jay shaantam मुझ में तुझ में भेद यही , में नर हूँ तुम नारायण हो |
rupam |
Jay-Jay Sanyastvam Maa Jay Bhagawad rupam ||
Om Jay-Jay-Jay
nikhilam ... में हूँ संसार के हाथो में , संसार तुम्हारे हाथो में ||

सौं दि
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Vandanaa अब सौंप दिया ....
Karpoor goram KaruNaawataaram, Sansaar saaram Bhujagendr haaram |
Sadaa vasantam Hradayaaravinde, Bhavam bhavaanee Sahitam namaami ||
naaraayaNo tvam nikhileshwaro tvam,
Maata-Pita Guru Aatma tvamevam |
Brahmaa tvam ViShNushch rudrastvamevam;
Siddhaashramo tvam Gurutvam
PraNamyam ||
GururBrahmaa GururviShNuH Gururdevo MaheshwaraH |
GuruH SaaKshaat Parabrahm tasmei shree Guruve namaH ||

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