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Mantra Tantra Yantra Vigyan:#3 PART(NARAYAN / PRACHIN / NIKHIL-MANTRA SADHANA VIGYAN) Rejuvenating
Ancient Indian Spiritual Sciences - Narayan | Nikhil Mantra Vigyan formerly Mantra Tantra Yantra Vigyan is a monthly
magazine containing articles on ancient Indian Spiritual Sciences viz.
Nothing impossible
असम्भव कु छ भी नही बस आप में
इच्छा शक्ति होनी चाहिए। आप में कु छ खास है बस आप को उसे बहार निकलना है। आप एक आम इंसान से महान बन सकते है। सोचना
अभी से शुरू करे कल बहुत देर हो जायेगी|निखिलेश्वरनंद)
Mantra Gurudev Arvind Shrimali NAND KISHORE GuruJI Shivir KAILASH Guru ji SHIVIRS
Shrimali, महाकाल मंत्र, शिव शंकर साधना Mantra Tantra Yantra Vigyan Facebooks
Mantra Tantra Yantra Vigyan Vishwa
Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr Narayan Dutt Shrimali, महाकाल मंत्र, शिव शंकर Vidyalaya
To Contact us
Nikhil Kunj at Jodhpur, India:
Nikhil Mantra Vigyan,
14A, Main Road,
Dr. Shrimali Marg,
High Court Colony,
Jodhpur 342001, Rajasthan, India
https://m.youtube.com/watch?v=RpTGUbQZ2-0
phone 91-291-2638209/2624081
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Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr Narayan Dutt Shrimali,
महाकाल मंत्र,
शिव शंकर साधना
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बावन भैरव प्रयोग) Bawan Bhairav Prayog by Dr. Narayan Dutt Shrimali
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HIDDEN SECRETS OF
https://m.youtube.com/watch?v=iYRwVlPXvV8 YAKSHINI SADHNA
यक्षिणी साधना के लिए साधक का
चिंतन क्या होना चाहिए ? वस्तुतः
दुर्गा गुप्त-सप्तशती gupt durga saptashati मेरे अनुभूत सरल लघु प्रयोग
(MERE ANUBHOOT SARAL
LAGHU PRAYOG)
मेरे अनुभूत सरल लघु प्रयोग
(MERE ANUBHOOT SARAL
LAGHU PRAYOG) 1.घर
मे क्लेश का वातावरण अचानक से हो जाए तो थोडा
नमक ले ...
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गोपनीयं प्रयत्नेन स्व-योनि-वच्च पार्वति।
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पाठ-मात्रेण संसिद्धिः कु ञ्जिकामन्त्रमुत्तमम्॥ 4॥
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अथ मंत्र
Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji
ॐ श्लैं दुँ क्लीं क्लौं जुं सः ज्वलयोज्ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल प्रबल-प्रबल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
॥ इति मंत्रः ॥
इस 'कु ञ्जिका-मन्त्र' का यहाँ दस बार जप करे । इसी प्रकार 'स्तव-पाठ' के अन्त में पुनः इस मन्त्र का दस बार जप कर
Dr Narayan D…
D…
'कु ञ्जिका स्तोत्र' का पाठ करे ।
karpoora gour…
gour…
धां धीं धूं धूर्जटेर्पत्नी वां वीं वागेश्वरी तथा।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि, शां शीं शूं मे शुभं कु रु॥
।।मन्त्र।।
अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव, आविर्भव, हं सं लं क्षं मयि जाग्रय-जाग्रय, त्रोटय-त्रोटय दीप्तं कु रु कु रु स्वाहा॥
ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा॥
परमहंस स्वामी
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कु ञ्जिकायै नमो नमः ।।
जागोगे तो कब जागोगे
ऐं लोके कीर्तयन्ती, मम हरतु भयं, राक्षसान् हन्यमाने।
अनंत देवी देवता हैं, अनंत उपासना पद्धति है, कहाँ कहाँ
जाकर सिर झुकाओगे, किन किन दरवाज़ों पर जाकर
घ्रां-घ्रां-घ्रां घोर-रुपे, घघ-घघ-घटिते, घर्घरे घोर-रावे।।
ParamPujya Pratahsamaraniya Om
ह्रीं-स्थाने काम-राजे, ज्वल-ज्वल ज्वलिते, कोशिनि कोश-पत्रे।
स्वच्छन्दे कष्ट-नाशे, सुर-वर-वपुषे, गुह्य-मुण्डे नमस्ते।।५
Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji
Mantra Tantra Yantra Vigyan (formerly Mantra
Tantra Yantra Vigyan) is a monthly magazine
ॐ घ्रां-घ्रीं-घ्रूं घोर-तुण्डे, घघ-घघ घघघे घर्घरान्याङि् घ्र-घोषे।
Note
स्तवन
जा रहा है.......?
रक्ष त्वं मुण्ड-धारी गिरि-गुह-विवरे निर्झरे पर्वते वा।
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चं-चं-चं चन्द्र-हासा चचम चम-चमा चातुरी चित्त-के शी।
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डं-डं-डं डाकिनीनां डमरुक-सहिता दोल हिण्डोल डिम्भा।
देवी कवच
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विनियोग – ॐ अस्य श्रीदेव्या: कवचस्य ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, ख्फ्रें चामुण्डाख्या महा-लक्ष्मी: देवता, ह्रीं ह्रसौं
ह्स्क्लीं ह्रीं ह्रसौं अंग-न्यस्ता देव्य: शक्तय:, ऐं ह्स्रीं ह्रक्लीं श्रीं ह्वर्युं क्ष्म्रौं स्फ्रें बीजानि, श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये सर्व रक्षार्थे च
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पाठे विनियोग:।
ऋष्यादि-न्यास – ब्रह्मर्षये नम: शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नम: मुखे, ख्फ्रें चामुण्डाख्या महा-लक्ष्मी: देवतायै नम: हृदि, ह्रीं
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ह्रसौं ह्स्क्लीं ह्रीं ह्रसौं अंग-न्यस्ता देव्य: शक्तिभ्यो नम: नाभौ, ऐं ह्स्रीं ह्रक्लीं श्रीं ह्वर्युं क्ष्म्रौं स्फ्रें बीजेभ्यो नम: लिंगे,
श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये सर्व रक्षार्थे च पाठे विनियोगाय नम: सर्वांगे।
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ध्यान-
ॐ रक्ताम्बरा रक्तवर्णा, रक्त-सर्वांग-भूषणा।
मंत्र रहस्य
नवमं सिद्धि-दात्रीति, नवदुर्गा: प्रकीर्त्तिता:।
भैरव साधना
अग्निना दह्य-मानास्तु, शत्रु-मध्य-गता रणे।
ह्मी र्वा षि
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 4/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
ब्राह्मी हंस-समारूढ़ा, सर्वाभरण-भूषिता।।10
ध्यान धारना और समाधि
लक्ष्मी: पद्मासना देवी, पद्म-हस्ता हरिप्रिया।
धन वर्षिणी तारा
श्वेत-रूप-धरा देवी, ईश्वरी वृष वाहना।।11
दीक्षा संस्कार
इत्येता मातर: सर्वा:, सर्व-योग-समन्विता।
तांत्रिक सिद्धियां
नानाभरण-षोभाढया, नाना-रत्नोप-शोभिता:।।12
तंत्र साधना
इन्द्र-नीलैर्महा-नीलै, पद्म-रागै: सुशोभने:।।13
Labels
अधरे चामृत-कला, जिह्वायां च सरस्वती।।25
Diksha methodology
(2)
प्राणापानौ तथा व्यानमुदानं च समानकम्।
Guru Gita
(3)
सर्वं रक्षतु मे देवी, जयन्ती पाप-नाशिनी।।44
Is dedicated to you
(2)
इदं तु देव्या: कवचं, देवानामपि दुर्लभम्।
chakra
(1)
सहजा: कु लिका नागा, डाकिनी शाकिनी तथा।
Kundalini Awakening
(1)
अन्तरीक्ष-चरा घोरा, डाकिन्यश्च महा-रवा:।।54
Meaning)
(1)
ब्रह्म-राक्षस-वेताला:, कू ष्माण्डा भैरवादय:।।55
सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र sarv karya janjira mantra sadhana Nikhil Elements Overview
(3)
Nikhileshwarananda Stawan
(1)
सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र
Para Vidya / Surya Vigyan (परा विद्या)
(1)
“या उस्ताद बैठो पास, काम आवै रास। ला इलाही लिल्ला हजरत वीर कौशल्या वीर,
आज मज रे जालिम शुभ करम Paramhansa Swami Trijta Aghori ji
(1)
दिन करै जञ्जीर। जञ्जीर से कौन-कौन चले? बावन वीर चलें, छप्पन कलवा चलें। चौंसठ योगिनी चलें, नब्बे नारसिंह Praan Vikhandan Mantra (प्राण विखंडन मंत्र)
चलें। देव चलें, दानव चलें। पाँचों त्रिशेम चलें, लांगुरिया सलार चलें। भीम की गदा चले, हनुमान की हाँक चले। नाहर (1)
की धाक चलै, नहीं चलै, तो हजरत सुलेमान के तखत की
दुहाई है। एक लाख अस्सी हजार पीर व पैगम्बरों की दुहाई Praan Vikhandan Mantra and Para Vidya
है। चलो मन्त्र, ईश्वर वाचा। गुरु का शब्द साँचा।”
Surya Vigyan
(1)
विधि- उक्त मन्त्र का जप शुक्ल-पक्ष के सोमवार या मङ्गलवार से प्रारम्भ करे । कम-से-कम ५ बार नित्य करे । अथवा Pravachan
(1)
२१, ४१ या १०८ बार नित्य जप करे । ऐसा ४० दिन तक करे । ४० दिन के अनुष्ठान में मांस-मछली का प्रयोग न करे । Prayog by Dr. Narayan Dutt Shrimali
(1)
जब ‘ग्रहण’ आए, तब मन्त्र का जप करे ।
Prosperity
(1)
यह मन्त्र सभी कार्यों में काम आता है। भूत-प्रेत-बाधा हो अथवा शारीरिक-मानसिक कष्ट हो, तो उक्त मन्त्र ३ बार Purv Jivan Darshan Sadhana
(2)
पढ़कर रोगी को पिलाए। मुकदमे
में, यात्रा में-सभी कार्यों में इसके द्वारा सफलता मिलती है।
sadgurudev chalisa.
(1)
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
mantra
(1)
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
saraswati sadhana
(1)
मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
surya grahan
(1)
_________________________________________________
Dutt Shrimali
(1)
श्रीकृ ष्ण कीलक
Telepathy Power
(1)
ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्।
SIDDHASHRAM
(1)
विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो !
what is Diksha
(1)
वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक !
__________________________________________________
गणपति पूजन एवं मनोकामना पूर्ति प्रयोग
(1)
श्री गणेश मन्त्र
गणेश मोहिनी साधना Ganesh siren Silence
(1)
देपालसर (चूरु) गणेशजी
गुरु - शिष्य का पारस्परिक संबंध
(3)
“ॐ नमो सिद्ध-विनायकाय सर्व-कार्य-कर्त्रे सर्व-विघ्न-प्रशमनाय सर्व-राज्य-वश्य-करणाय सर्व-जन-सर्व-स्त्री-पुरुष- गुरु आह्वान् स्तोत्र
(1)
आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा।”
गुरु की कृ पा से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है
(1)
विधि- नित्य-कर्म से निवृत्त होकर उक्त मन्त्र का निश्चित संख्या में नित्य १ से १० माला ‘जप’ करे । बाद में जब घर से गुरु पूर्णिमा
(1)
निकले, तब अपने अभीष्ट कार्य का चिन्तन करे । इससे अभीष्ट कार्व सुगमता से पूरे हो जाते हैं।
सन्तति-सम्वृद्धि-दायिनी, शुभ-शिष्य-वृन्द-प्रदायिनी।
गुरु-पुष्य नक्षत्र योग क्या है
(1)
नव-रत्ना नारायणी, भगवती भद्र-कारिणी।।२
गुरुगीता लघु
(1)
धर्म-न्याय-नीतिदा, विद्या-कला-कौशल्यदा।
गुरुमंत्र की शक्तियाँ
(1)
प्रेम-भक्ति-वर-सेवा-प्रदा, राज-द्वार-यश-विजयदा।।३
गुरुमंत्र से समाधी की और
(1)
धन-द्रव्य-अन्न-वस्त्रदा, प्रकृ ति पद्मा कीर्तिदा।
गुरोरष्टकं
(1)
सुख-भोग-वैभव-शान्तिदा, साहित्य-सौरभ-दायिका।।४
ग्रह दोष क्या है?
(5)
वंश-वेलि-वृद्धिका, कु ल-कु टुम्ब-पौरुष-प्रचारिका।
सर्व-कार्य-सिद्धि-कारिका, भूत-प्रेत-बाधा-नाशिका।
जब कभी आप मुझे समझेंगे जब गंगा मे पानी बह
चुका होगा
(1)
अनाथ-अधमोद्धारिका, पतित-पावन-कारिका।
साधन-ज्ञान-संरक्षिका, मुमुक्षु-भाव-समर्थिका।
जैसी रही भावना जिसकी
(3)
जिज्ञासु-जन-ज्योतिर्धरा, सुपात्र-मान-सम्वर्द्धिका।।८
जो डर गया समझो मर गया
(1)
अक्षर-ज्ञान-सङ्गतिका, स्वात्म-ज्ञान-सन्तुष्टिका।
जो तंत्र से भय खाता हैं
(1)
पुरुषार्थ-प्रताप-अर्पिता, पराक्रम-प्रभाव-समर्पिता।।९
जो दुः ख आया नहीं है उसे टाला जाना चाहिए
(3)
स्वावलम्बन-वृत्ति-वृद्धिका, स्वाश्रय-प्रवृत्ति-पुष्टिका।
ज्योतिष में फलकथन का आधार
(1)
प्रति-स्पर्द्धी-शत्रु-नाशिका, सर्व-ऐक्य-मार्ग-प्रकाशिका।।१०
ज्वालामालिनी यंत्र
(1)
जाज्वल्य-जीवन-ज्योतिदा, षड्-रिपु-दल-संहारिका।
तंत्र क्या है..कुं डलिनी क्या होती है
(1)
भव-सिन्धु-भय-विदारिका, संसार-नाव-सुकानिका।।११
तंत्र साधनाएं
(9)
चौर-नाम-स्थान-दर्शिका, रोग-औषधी-प्रदर्शिका।
दुर्गा गुप्त-सप्तशती
(1)
ॐ नमो नारायणी नव-दुर्गेश्वरी। कमला, कमल-शायिनी, कर्ण-स्वर-दायिनी, कर्णेश्वरी, अगम्य-अदृश्य-अगोचर-
नक्षत्र योग क्या है
(1)
अकल्प्य-अमोघ-अधारे , सत्य-वादिनी, आकर्षण-मुखी, अवनी-आकर्षिणी, मोहन-मुखी, महि-मोहिनी, वश्य-मुखी, विश्व-
वशीकरणी, राज-मुखी, जग-जादू गरणी, सर्व-नर-नारी-मोहन-वश्य-कारिणी, मम करणे अवतर अवतर, नग्न-सत्य नव वर्ष पर आप सभी गुरुभाई और गुरुबहिनो को
हार्दिक मंगलकामनायें
(1)
कथय-कथय।
पापांकु शा साधना
(3)
श्री लक्ष्मी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीशक्ति-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीदेवी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री रसेश्वरी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री ऋद्धि-यन्त्रेभ्यो
नमः । श्री सिद्धि-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री कीर्तिदा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीप्रीतिदा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीइन्दिरा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्री पारद लक्ष्मी
(2)
कमला-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीहिरण्य-वर्णा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरत्न-गर्भा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुवर्ण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुप्रभा- पारद विग्रह के सम्बन्ध में
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपङ्कनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीराधिका-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपद्म-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरमा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीलज्जा- पूजन एवं मनोकामना पूर्ति प्रयोग
(1)
यन्त्रेभ्यो
नमः । श्रीजया-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपोषिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसरोजिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीहस्तिवाहिनी-यन्त्रेभ्यो बगलामुखी जयंती
(1)
नमः । श्रीगरुड़-वाहिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसिंहासन-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीकमलासन-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । बावन भैरव प्रयोग)
(1)
श्रीपुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीतुष्टिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीवृद्धिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपालिनी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीतोषिणी- बीजात्मक तंत्र और भाग्य उत्कीलन विधान
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीरक्षिणी-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीवैष्णवी-यन्त्रेभ्यो नमः ।
भय मुक्ति प्रयोग
(1)
श्रीमानवेष्टाभ्यो नमः । श्रीसुरे ष्टाभ्यो नमः । श्रीकु बेराष्टाभ्यो नमः । श्रीत्रिलोकीष्टाभ्यो नमः । श्रीमोक्ष-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीभुक्ति-
भाग्योदय लक्ष्मी यंत्र
(1)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीकल्याण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीनवार्ण-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीअक्षस्थान-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीसुर-स्थान-यन्त्रेभ्यो
भारत का उत्थान
(4)
नमः । श्रीप्रज्ञावती-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीपद्मावती-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीशंख-चक्र-गदा-पद्म-धरा-यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीमहा-लक्ष्मी-
भारत का उत्थान तुम कर सकते हो
(4)
यन्त्रेभ्यो नमः । श्रीलक्ष्मी-नारायण-यन्त्रेभ्यो नमः । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीमहा-माया-महा-देवी-महा-शक्ति-महा-लक्ष्मी-
स्वरुपा-श्रीसर्व-कामना-सिद्धि
महा-यन्त्र-देवताभ्यो नमः ।
भारत का पहला आतंकवादी मुस्लिम था भारत का
इतिहास
(1)
ॐ विष्णु-पत्नीं, क्षमा-देवीं, माध्वीं च माधव-प्रिया। लक्ष्मी-प्रिय-सखीं देवीं, नमाम्यच्युत-वल्लभाम्। ॐ महा-लक्ष्मी च
भैरवी स्त्री शक्ति का उदगम भी होती है
(1)
विद्महे विष्णु-पत्नि च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। मम
सर्व-कार्य-सिद्धिं कु रु-कु रु स्वाहा।
विधिः -
मंत्र जप प्रभाव:-
(1)
१॰ उक्त सर्व-कामना-सिद्धी स्तोत्र का नित्य पाठ करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती है।
मंत्र शक्ति और प्रभाव - उनके नियम
(1)
२॰ इस स्तोत्र से ‘यन्त्र-पूजा’ भी होती हैः -
मंत्र शक्ति गूढ़ार्थ १
(1)
‘सर्वतोभद्र-यन्त्र’ तथा ‘सर्वारिष्ट-निवारक-यन्त्र’ में से किसी भी यन्त्र पर हो सकती है। ‘श्रीहिरण्यमयी’ से लेकर ‘नव-ग्रह- मंत्र साधना के नियम
(1)
दोष-निवारण’- १४ श्लोक से इष्ट का आवाहन और स्तुति है। बाद में “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं” सर्व कामना से पुष्प समर्पित कर मन्त्र मुलं गुरु बाक्यम
(2)
धऽयान करे और यह भावना रखे कि- ‘मम सर्वेप्सितं सर्व-कार्य-सिद्धिं कु रु कु रु स्वाहा।’
महा ऋषि मारकं डे पुनीत सरस्वती साधना
(1)
फिर अनुलोम-विलोम क्रम से मन्त्र का जप करे -”ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीमहा-माया-महा-शक्त्यै क्लीं ह्रीं ऐं श्रीं ॐ।”
महाकाल मंत्र
(2)
स्वेच्छानुसार जप करे । बाद में “ॐ श्रीपारिजात-पुष्प-गुच्छ-धरिण्यै नमः ” आदि १६ मन्त्रों से यन्त्र में, यदि षोडश-पत्र हो,
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम
(1)
तो उनके ऊपर, अन्यथा यन्त्र में पूर्वादि-क्रम से पुष्पाञ्जलि प्रदान करे । तदनन्तर ‘श्रीलक्ष्मी-तम्त्रेभ्यो नमः ’ और ‘श्री सर्व-
माँ कामाख्या का शक्तिपीठ
(1)
कामना-सिद्धि-महा-यन्त्र-देवताभ्यो नमः ’ से अष्टगन्ध या जो सामग्री मिले, उससे ‘यन्त्र’ में पूजा करे । अन्त में ‘लक्ष्मी-
गायत्री’ पढ़करपुष्पाजलि देकर विसर्जन करे ।
मां सरस्वती की पूजा-उपासना
(1)
___________________________________________________
माया दासी संत की साकट की शिर ताज
(1)
नवनाथ-शाबर-मन्त्र
मिलना और बिछु ड़ना दोनों जीवन की मजबूरी है।
(2)
“ॐ नमो आदेश गुरु की। ॐकारे आदि-नाथ, उदय-नाथ पार्वती। सत्य-नाथ ब्रह्मा। सन्तोष-नाथ विष्णुः , अचल अचम्भे-
नाथ। गज-बेली गज-कन्थडि-नाथ, ज्ञान-पारखी चौरङ्गी-नाथ। माया-रुपी मच्छे न्द्र-नाथ, जति-गुरु है गोरख-नाथ। घट- मृत्योर्मा अमृतं गमय
(7)
घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई। नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। ॐ नमो आदेश गुरु की।।”
मे गर्वस्थ वालकको चेतना देता हुँ :
(1)
विधिः - पूर्णमासी से जप प्रारम्भ करे । जप के पूर्व चावल की नौ ढे रियाँ बनाकर उन पर ९ सुपारियाँ मौली बाँधकर यह कोई अनहोनी घटना नहीं है
(1)
नवनाथों के प्रतीक-रुप में रखकर उनका षोडशोपचार-पूजन करे । तब गुरु, गणेश और इष्ट का स्मरण कर आह्वान यह ललकार हैं अब भी नहीं जागोगे तो कब जागोगे
करे । फिर मन्त्र-जप करे । प्रतिदिन नियत समय और निश्चित संख्या में जप करे । ब्रह्मचर्य से रहे, अन्य के हाथों का (8)
भोजन या अन्य खाद्य-वस्तुएँ ग्रहण न करे । स्वपाकी रहे। इस साधना से नवनाथों की कृ पा से साधक धर्म-अर्थ-काम- युग परिवर्तन
(7)
मोक्ष को प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है। उनकी कृ पा
से ऐहिक और पारलौकिक-सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
युद्धम् देहि
(1)
विशेषः -’शाबर-पद्धति’ से इस मन्त्र को यदि ‘उज्जैन’ की ‘भर्तृहरि-गुफा’ में बैठकर ९ हजार या ९ लाख की संख्या में ये कै सी परिक्षा
(1)
जप लें, तो परम-सिद्धि मिलती है और नौ-नाथ प्रत्यक्ष दर्शन देकर अभीष्ट वरदान देते हैं।
रस कर्म में सिद्धि
(1)
_______________________________________________________
मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों का नाम। सेवक लालकिला का का असली नाम लालकोट है
(1)
सुमरे चन्द्र-नाथ, पूर्ण होंय सब काम।।”
लोग नारायण दत्त श्रीमाली जी का इतना विरोध क्यों
विधिः - प्रतिदिन नव-नाथों का पूजन कर उक्त स्तुति
का २१ बार पाठ कर मस्तक पर भस्म लगाए। इससे नवनाथों की करते है?
(2)
कृ पा मिलती है। साथ
ही सब प्रकार के भय-पीड़ा, रोग-दोष, भूत-प्रेत-बाधा दू र होकर मनोकामना, सुख-सम्पत्ति आदि वह मनुष्य ही नहीं हैं
(1)
अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं। २१ दिनों तक, २१ बार पाठ करने से सिद्धि होती है।
विचित्र हनुमान वीर मंत्र तत्काल अनिष्ठ दू र करे ।
(1)
नव-नाथ-स्मरण
विशाल हिरदे पक्ष जागरण की तन्त्रोकत गणपती
“आदि-नाथ ओ स्वरुप, उदय-नाथ उमा-महि-रुप। जल-रुपी ब्रह्मा सत-नाथ, रवि-रुप विष्णु सन्तोष-नाथ। हस्ती-रुप साधना
(1)
गनेश भतीजै, ताकु कन्थड-नाथ कही जै। माया-रुपी मछिन्दर-नाथ, चन्द-रुप चौरङ्गी-नाथ। शेष-रुप अचम्भे-नाथ, विशिष्ट सिद्धियां
(2)
वायु-रुपी गुरु गोरख-नाथ। घट-घट-व्यापक घट का राव, अमी महा-रस स्त्रवती खाव। ॐ नमो नव-नाथ-गण, चौरासी शिव शंकर साधना
(2)
गोमेश। आदि-नाथ आदि-पुरुष, शिव गोरख आदेश। ॐ श्री नव-नाथाय नमः ।।”
शिव सहस्त्रनाम
(1)
विधिः - उक्त स्मरण का पाठ प्रतिदिन करे । इससे पापों का क्षय होता है, मोक्ष
की प्राप्ति होती है। सुख-सम्पत्ति-वैभव से शिष्य धर्म
(1)
साधक परिपूर्ण हो जाता है। २१ दिनों तक २१ पाठ करने से इसकी सिद्धि होती है।
शिष्य धर्म गुरु वाणी
(1)
___________________________________________________
शिष्यत्व
(5)
प्रार्थना-विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-प्रिया सती से प्रगट हुई कामाक्षा भगवती। आदि-शक्ति युगल-मूर्ति महिमा अपार, दोनों
शुक्र महाग्रह मंत्र
(1)
की प्रीति अमर जाने संसार।
दोहाई कामाक्षा की, दोहाई दोहाई। आय बढ़ा, व्यय घटा, दया कर माई।
मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः शिव-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै, ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।”
श्रधा क्या होती है ?
(1)
विधि- किसी दिन प्रातः स्नान कर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप कर ११ बार गाय के घी से हवन करे । नित्य ७ बार जप श्राद्ध और पितरे श्वर तर्पण srad aur pitesvar
tarpan
(1)
करे । इससे शीघ्र ही आय में वृद्धि होगी।
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श्री अर्जुन-कृ त श्रीदुर्गा-स्तवन
(1)
शत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र
श्री गुरु स्तोत्रम्
(1)
विनियोगः - ॐ अस्य श्रीशत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र-मन्त्रस्य ज्वालत्-पावक ऋषिः , अनुष्टुप छन्दः , श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवता, श्री धूमावती जयंती
(1)
मम शत्रु-पाद-मुख-बुद्धि-जिह्वा-कीलनार्थ, शत्रु-नाशार्थं, मम स्वामि-वश्यार्थे वा जपे पाठे च विनियोगः ।
श्री नारायण कवच
(1)
ऋष्यादि-न्यासः - शिरसि ज्वालत्-पावक-ऋषये नमः । मुखे अनुष्टुप छन्दसे नमः , हृदि श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवतायै नमः , श्री नारायण दत्त श्रीमालीजी
(1)
सर्वाङ्गे मम शत्रु-पाद-मुख-बुद्धि-जिह्वा-कीलनार्थ, शत्रु-नाशार्थं, मम स्वामि-वश्यार्थे वा जपे पाठे च विनियोगाय नमः ।।
श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोत्रम
(1)
कर-न्यासः - ॐ ह्रां क्लां अंगुष्ठाभ्यां नमः । ॐ ह्रीं क्लीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ ह्रूं क्लूं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ ह्रैं क्लैं श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र
(1)
अनामिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रौं क्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रः क्लः करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः ।
श्रीसरस्वती स्तोत्रम्
(1)
हृदयादि-न्यासः - ॐ ह्रां क्लां हृदयाय नमः । ॐ ह्रीं क्लीं शिरसे स्वाहा। ॐ ह्रूं क्लूं शिखायै वषट्। ॐ ह्रैं क्लैं कवचाय
सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद पंचक
(1)
हुम्। ॐ ह्रौं क्लौं नेत्र-त्रयाय वौषट्। ॐ ह्रः क्लः अस्त्राय फट्।
स्तवन
(1)
।।फल-श्रुति।।
स्तोत्रम
(2)
इमं स्तवं जपेन्नित्यं, विजयं शत्रु-नाशनम्।
विशेषः -
Posts
यह स्तोत्र अत्यन्त उग्र है। इसके विषय में निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान अवश्य देना चाहिए-
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(क)
(ख) प्रथम और अन्तिम आवृति में नामों के साथ फल-श्रुति मात्र पढ़ें । पाठ नहीं होगा।
(ग) घर में पाठ कदापि न किया जाए, के वल शिवालय, नदी-तट, एकान्त, निर्जन-वन, श्मशान अथवा किसी मन्दिर के
एकान्त में ही करें ।
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(घ) पुरश्चरण की आवश्यकता नहीं है। सीधे ‘प्रयोग’ करें । प्रत्येक ‘प्रयोग’ में तीन हजार आवृत्तियाँ करनी होगी।
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►
2022
(2)
►
देवाकर्षण मन्त्र
►
2021
(3)
►
“ॐ नमो रुद्राय नमः । अनाथाय बल-वीर्य-पराक्रम प्रभव कपट-कपाट-कीट मार-मार हन-हन पथ स्वाहा।”
बहुत कु छ करने पर भी अपेक्षित सुख-शान्ति नहीं पाता। इसके लिए यह ‘प्रयोग’ सिद्धि-दायक है।
►
2019
(23)
►
उक्त मन्त्र का ४१ दिनों में एक या सवा लाख जप ‘विधिवत’ करें । मन्त्र को भोज-पत्र या कागज पर लिख कर पूजन- ▼
2018
(13)
▼
स्थान में स्थापित करें । सुगन्धित धूप, शुद्ध घृत के दीप और नैवेद्य से देवता को प्रसन्न करने का संकल्प करे । यम- ▼
August
(2)
▼
नियम से रहे। ४१ दिन में मन्त्र चैतन्य हो जायेगा। बाद में मन्त्र का स्मरण कर कार्य करें । प्रारब्ध की हताशा को
Mahakaal Sadhna (महाकाल साधना) by Dr
छोड़कर, पुरुषार्थ करें और देवता उचित सहायता करे गें ही, ऐसा संकल्प बनाए रखें।
Narayan Dutt ...
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ॐ नमः शिवाय।”
►
May
(2)
►
_____________________________________________________________
►
April
(3)
►
►
March
(2)
►
►
2017
(11)
►
नित्य 108 जप करके जो भी प्रार्थना की जायेगी, पूरी होगी। सिद्ध मन्त्र है, अलग से सिद्ध करना आवश्यक नहीं है। ►
2015
(24)
►
8 1 6
►
2013
(3)
►
3 5 7
4 9 2
►
2012
(37)
►
कु छ प्रयोग निम्नलिखित है -
►
2011
(144)
►
चुटकी में राख लेकर 3 बार अभिमन्त्रित करके मारने से लगी आग बुझ जायेगी, भूत-प्रेतादि दू र होंगे, बुखार उतर ►
2010
(41)
►
►
2009
(1)
►
शत्रुनाषार्थ- 1 नारियल, 2 नींबू, एक पाव गुड़, 1 पैसा भर सिंदू र, अगरबत्ती और नींबू बंध सके , इतना लाल कपड़ा।
शनिवार को रात में कण्डे की आग जलाकर पूर्वाभिमुख बैठकर कण्डे की राख 1 चुटकी लेकर उस पर 1 बार मन्त्र
पढकर शत्रु की दिशा में फें के, ऐसा तीन बार करें । फिर कहे कि ‘‘मेरे अमुक शत्रु का नाश करो’’ और 1 नींबू काटकर Gurudev Kailash Chandra Shrimaliji
आग पर निचोड़ें। फिर शेष बचा नींबू और सिन्दू र कपड़े में लपेट कर रात भर अपने सिरहाने रखे और सवेरे पहर 3-4
Trilochan Mahadev Dhan Maihar Shakti
बजे उसे शत्रु के घर में फें क दे या किसी से फिं कवा दें। नारियल, अगरबत्ती और गुड़ किसी देवी मन्दिर में चढ़ा दें।
Sadhana Mahotsav - Jaunpur (Uttar
प्रसाद स्वयं न खाए। शत्रु का नाश होगा।
Pradesh) - 17/12/2016 - Unknown
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Tripur Sundari Sarva Sammohan Tri-Shakti
दुर्गा शाबर मन्त्र Diksha Mahotsav - Kailash Narayan Dham
“ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह वाहिनीं बीस हस्ती भगवती, रत्न मण्डित सोनन की माल। उत्तर पथ में आन बैठी, हाथ सिद्ध (New Delhi) - 8/12/2016 - Unknown
वाचा ऋद्धि-सिद्धि। धन-धान्य देहि
देहि, कु रू कु रू स्वाहा।”
Purushottam Gauri Shakti Sadhana
उक्त मन्त्र का सवा लाख जप कर सिद्ध कर लें।
फिर आवश्यकतानुसार श्रद्धा से एक माला जप करने से सभी कार्य Mahotsav - Darbhanga
(Bihar) - 3/12/2016 - Unknown
सिद्ध होते हैं। लक्ष्मी प्राप्त होती है। नौकरी में उन्नति और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
छे दनाय, वन-रक्षाकर-समूह-विभञ्जनाय,
द्रोण-पर्वतोत्पाटनाय, स्वामि-वचन-सम्पादितार्जुन, संयुग-संग्रामाय, गम्भीर- Mantra Tantra Yantra Vigyan
शब्दोदयाय, दक्षिणाशा-मार्तण्डाय, मेरु-पर्वत-पीठिकार्चनाय, दावानल-कालाग्नि-रुद्राय, समुद्र-लंघनाय, -
सीताऽऽश्वासनाय, सीता-रक्षकाय, राक्षसी-संघ-विदारणाय, अशोक-वन-विदारणाय, लंका-पुरी-दहनाय, दश-ग्रीव-शिरः -
र्णा दि लि नि र्व मे हो वि जि ज़िं गी
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 9/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
कृ न्त्तकाय, कु म्भकर्णादि-वध-कारणाय, बालि-निर्वहण-कारणाय, मेघनाद-होम-विध्वंसनाय, इन्द्रजित-वध-कारणाय, ज़िंदगीनामा
सर्व-शास्त्र-पारं गताय, सर्व-ग्रह-विनाशकाय, सर्व-ज्वर-हराय, सर्व-भय-निवारणाय, सर्व-कष्ट-निवारणाय, सर्वापत्ति- -
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Maps
काली-शाबर-मन्त्र
“काली काली महा-काली, इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली। पीती भर भर रक्त प्याली, उड़ बैठी पीपल की डाली। दोनों
हाथ बजाए ताली। जहाँ जाए वज्र की ताली, वहाँ ना आए दुश्मन हाली। दुहाई कामरो कामाख्या नैना योगिनी की, ईश्वर
महादेव गोरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।।”
विधिः - प्रतिदिन १०८ बार ४० दिन तक जप कर सिद्ध करे । प्रयोग के समय पढ़कर तीन बार जोर से ताली बजाए।
जहाँ तक ताली की आवाज जायेगी, दुश्मन का कोई वार या भूत, प्रेत असर नहीं करे गा।
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महा-लक्ष्मी मन्त्र
“राम-राम क्ता करे , चीनी मेरा नाम। सर्व-नगरी बस में करुँ , मोहूँ सारा गाँव।
राजा की बकरी करुँ , नगरी करुँ बिलाई। नीचा में ऊँ चा करुँ , सिद्ध गोरखनाथ की दुहाई।।”
विधिः - जिस दिन गुरु-पुष्य योग हो, उस दिन से प्रतिदिन एकान्त में बैठ कर कमल-गट्टे की माला से उक्त मन्त्र को
१०८ बार जपें। ४० दिनों में यह मन्त्र
सिद्ध हो जाता है, फिर नित्य ११ बार जप करते रहें।
विधिः उक्त मन्त्र का जप प्रातः ११ माला देवी के किसी सिद्ध स्थान या नित्य पूजन स्थान पर करे । रात्रि में १०८ मिट्टी के
दाने लेकर किसी कु एँ पर
तथा सिद्ध-स्थान या नित्य-पूजन-स्थान की तरफ मुख करके दायाँ पैर कु एँ में लटकाकर व
बाँएँ पैर को दाएँ पैर पर रखकर बैठे । प्रति-जप के साथ एक-एक करके १०८ मिट्टी के दाने कु एँ में डाले। ग्तारह दिन
तक इसी प्रकार करे । यह प्रयोग शीघ्र आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए है।
लक्ष्मी-पूजन मन्त्र
“आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ । गले में हार पहनाऊँ ।। बचनों की
बाँधी, आवो हमारे पास। पहला वचन
श्रीराम का, दू जा वचन ब्रह्मा का, तीजा वचन महादेव का। वचन चूके , तो नर्क पड़े। सकल पञ्च में पाठ करुँ । वरदान
नहीं
देवे, तो महादेव शक्ति की आन।।”
विधिः - दीपावली की रात्रि को सर्व-प्रथम षोडशोपचार से लक्ष्मी जी का पूजन करें । स्वयं न कर सके , तो किसी
कर्म-
काण्डी ब्राह्मण से करवा लें। इसके बाद रात्रि में ही उक्त मन्त्र की
५ माला जप करें । इससे वर्ष-समाप्ति तक धन की
कमी नहीं होगी और सारा वर्ष सुख तथा उल्लास में बीतेगा।
________________________________________________________________
इस यन्त्र को चमेली की लकड़ी की कलम से, भोजपत्र पर कुं कु म या कस्तुरी की स्याही से निर्माण करे ।इस यन्त्र की
साधना पूर्णिमा की रात्री से करें । रात्री में स्नानादि से पवित्र होकर एकान्त कमरे में आम की लकड़ी के पट्टे पर सफे द
वस्त्र बिछावें, स्वयं भी सफे द वस्त्र धारण करें , सफे द आसन पर ही यन्त्र निर्माण व पूजन करने हेतु बैठें । पट्टे पर यन्त्र
रखकर धूप-दीपादि से पूजन करें । सफे द पुष्प चढ़ाये। फिर पाँच माला “ॐ सं सौन्दर्योत्तमायै नमः ।” नित्य पाँच रात्रि
करें । पांचवे दिन रात्री में एक माला देशी घी व सफे द चन्दन के चूरे से हवन करें । हवन में आम की लकड़ी व चमेली
की लकड़ी का प्रयोग करें ।
क॰ “ॐ अं आं इं ईं उं ऊं हूँ फट्।”
विधिः - ताम्बूल को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्या को खिलाने से उसे खिलानेवाले के ऊपर मोह उत्पन्न होता है।
ख॰ “ॐ नमो भगवती पाद-पङ्कज परागेभ्यः ।”
विधिः - किसी पर्व काल में १२५ माला अथवा १२,५०० बार मन्त्र का जप कर सिद्ध
कर लेना चाहिए। बाद में प्रयोग के
समय किसी भी एक मन्त्र को तीन बार जप करने से आस-पास के व्यक्ति मोहित होते हैं
मोहन
“ॐ नमो भगवति, पुर-पुर वेशनि, सर्व-जगत-भयंकरि ह्रीं ह्रैं, ॐ रां रां रां
क्लीं वालौ सः चव काम-बाण, सर्व-श्री समस्त
नर-नारीणां मम वश्यं आनय आनय स्वाहा।”
विधिः - किसी भी सिद्ध योग में उक्त मन्त्र का १०००० जप करे । बाद में साधक अपने मुहँ पर हाथ फे रते हुए उक्त मन्त्र
को १५ बार जपे। इससे साधक को सभी लोग मान-सम्मान से देखेंगे।
क॰ “ॐ मोहना रानी-मोहना रानी चली सैर को, सिर पर धर तेल की दोहनी। जल मोहूँ
थल मोहूँ, मोहूँ सब संसार।
मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी
भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई गौरा-पार्वती की, दुहाई बजरं ग बली
की।
ख॰
“ॐ नमो मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई लोना चमारी की,
दुहाई गौरा-पार्वती की। दुहाई बजरं ग बली की।”
विधिः - ‘दीपावली’ की रात में स्नानादिक कर पहले से स्वच्छ कमरे में ‘दीपक’
जलाए। सुगन्धबाला तेल या इत्र तैयार
रखे। लोबान की धूनी दे। दीपक के पास पुष्प, मिठाई, इत्र इत्यादि रखकर दोनों में से किसी भी एक मन्त्र का २२ माला
‘जप’ करे । फिर लोबान की ७ आहुतियाँ मन्त्रोचार-सहित दे। इस प्रकार मन्त्र सिद्ध होगा तथा तेल या इत्र प्रभावशाली
बन जाएगा। बाद में जब आवश्यकता हो, तब तेल या इत्र को ७ बार उक्त मन्त्र से अभीमन्त्रित कर स्वयं
लगाए। ऐसा
कर साधक जहाँ भी जाता है, वहाँ लोग उससे मोहित होते हैं। साधक को सूझ-बूझ से व्यवहार करना चाहिए। मन चाहे
कार्य अवश्य पूरे होंगे।
“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद,
तप-तप, सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कु रु-कु रु स्वाहा।”
विधीः - उक्त मन्त्र का २१,००० जप करने से मन्त्र सिद्ध होता है। तद्दशांश हवन-तर्पण-मार्जन-ब्रह्मभोज करे । बाद में
नित्य कम-से-कम एक माला जप करे । इससे मन्त्र में चैतन्यता होगी और शुभ परिणाम मिलेंगे।
प्रयोग हेतु फल, फू ल, पान कोई भी खाने-पीने की चीज उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्य को दे।
उक्त मन्त्र द्वारा साधक का बैरी भी मोहित होता है। यदि साधक शत्रु को लक्ष्य में रखकर नित्य ७ दिनों तक ३००० बार
जप करे , तो उसका मोहन अवश्य होता है।
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“ॐ गुरुजी काला भैरुँ कपिला के श, काना मदरा, भगवाँ भेस। मार-मार काली-पुत्र। बारह कोस की मार, भूताँ हात
ले जी खूँ गेडि हाँ ऊँ भै रुँ को की रि द्धि वो चौ बी को की सि द्धि वो ती हो
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 10/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
कलेजी खूँहा गेडिया। जहाँ जाऊँ भैरुँ साथ। बारह कोस की रिद्धि ल्यावो। चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो। सूती होय,
तो जगाय ल्यावो। बैठा होय, तो उठाय ल्यावो। अनन्त के सर की भारी ल्यावो। गौरा-पार्वती की विछिया ल्यावो। गेल्याँ
की रस्तान मोह, कु वे की पणिहारी मोह, बैठा बाणिया मोह, घर बैठी बणियानी मोह, राजा की रजवाड़ मोह, महिला
बैठी रानी मोह। डाकिनी को, शाकिनी को, भूतनी को, पलीतनी को, ओपरी को,
पराई को, लाग कूँ , लपट कूँ , धूम कूँ ,
धक्का कूँ , पलीया कूँ , चौड़ कूँ , चौगट कूँ , काचा कूँ , कलवा कूँ , भूत कूँ , पलीत कूँ , जिन कूँ , राक्षस कूँ , बरियों से बरी
कर दे। नजराँ जड़ दे ताला, इत्ता भैरव नहीं करे , तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे , माता पार्वती का चीर
फाड़ लँगोट करे । चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई
बार ? खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कू ण पूजा मेटे। राजा मेटे राज से जाय, प्रजा मेटे दू ध-पूत से
जाय, जोगी मेटे ध्यान से जाय। शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।”
विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८)
जप करे । भोग में गुड़ व तेल का शीरा तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को
खिलाए। यह प्रयोग किसी
अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।
विधिः - सर्व-प्रथम किसी रविवार को गुग्गुल, धूप, दीपक सहित उपर्युक्त मन्त्र का पन्द्रह हजार जप कर उसे सिद्ध करे ।
फिर आवश्यकतानुसार इस मन्त्र का १०८ बार जप कर एक लौंग को अभिमन्त्रित लौंग को, जिसे वशीभूत करना हो,
उसे खिलाए।
२॰ “ॐ नमो काला गोरा भैरुं वीर, पर-नारी सूँ देही सीर। गुड़
परिदीयी गोरख जाणी, गुद्दी पकड़ दे भैंरु आणी, गुड़,
रक्त का धरि ग्रास, कदे न छोड़े मेरा पाश। जीवत सवै देवरो, मूआ सेवै मसाण। पकड़ पलना ल्यावे। काला भैंरु न
लावै, तो अक्षर देवी कालिका की आण। फु रो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”
विधिः - २१,००० जप। आवश्यकता पड़ने पर २१ बार गुड़ को अभिमन्त्रित कर साध्य को खिलाए।
विधिः - उक्त मन्त्र को सात बार पढ़कर पीपल के पत्ते को अभिमन्त्रित करे । फिर मन्त्र को उस पत्ते पर लिखकर,
जिसका वशीकरण करना हो, उसके घर में फें क देवे। या घर के पिछवाड़े गाड़ दे। यही क्रिया ‘छितवन’ या ‘फु रहठ’
के पत्ते द्वारा भी हो सकती है।
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१॰ बच्चे ने दू ध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दू ध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कु त्ते या गाय को
खिला दें।
२॰ नमक, राई के दाने, पीली सरसों, मिर्च, पुरानी झाडू का एक टुकड़ा लेकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर से ‘आठ’ बार
उतार कर अग्नि में जला दें। ‘नजर’ लगी होगी, तो मिर्चों की धांस नहीँ आयेगी।
३॰ जिस व्यक्ति पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर उससे हाथ फिरवाने से लाभ होता है।
४॰ पश्चिमी देशों में नजर लगने की आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फर्नीचर को छू लेता है। ऐसी
मान्यता है कि उसे नजर नहीं लगेगी।
६॰ इस्लाम धर्म के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अण्डा’ या ‘जानवर की कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख दें।
दरगाह या कब्र से फू ल और अगर-बत्ती की राख
लाकर ‘नजर’ वाले के सिरहाने रख दें या खिला दें।
७॰ एक लोटे में पानी लेकर उसमें नमक, खड़ी लाल मिर्च डालकर आठ बार उतारे । फिर थाली में दो आकृ तियाँ- एक
काजल से, दू सरी कु मकु म से बनाए। लोटे का पानी थाली में डाल दें। एक लम्बी काली या लाल रङ्ग की बिन्दी लेकर
उसे तेल में भिगोकर ‘नजर’ वाले पर उतार कर उसका एक कोना चिमटे या सँडसी से पकड़ कर नीचे से जला दें।
उसे थाली के बीचो-बीच ऊपर रखें। गरम-गरम काला तेल पानी वाली थाली में गिरे गा। यदि नजर लगी होगी तो, छन-
छन आवाज आएगी, अन्यथा नहीं।
९॰ चाकू से जमीन पे एक आकृ ति बनाए। फिर चाकू से ‘नजर’ वाले व्यक्ति पर से एक-एक कर आठ बार उतारता
जाए और आठों बार जमीन पर बनी आकृ ति को काटता जाए।
१०॰ गो-मूत्र पानी में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाए और उसके आस-पास पानी में मिलाकर छिड़क दें। यदि स्नान करना
हो तो थोड़ा स्नान के पानी में भी डाल दें।
११॰ थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मिर्च लेकर, जिसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सिर
पर सात बार घुमाकर आग में डाल दें। ‘नजर’-दोष होने पर मिर्च जलने की गन्ध नहीं आती।
१२॰ पुराने कपड़े की सात चिन्दियाँ लेकर, सिर पर सात बार घुमाकर आग में जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है।
१३॰ झाडू को चूल्हे / गैस की आग में जला कर, चूल्हे / गैस की तरफ पीठ कर के , बच्चे की माता इस जलती झाडू को
7 बार इस तरह स्पर्श कराए कि आग की तपन बच्चे को न लगे। तत्पश्चात् झाडू को अपनी टागों के बीच से निकाल
कर बगैर देखे ही, चूल्हे की तरफ फें क दें। कु छ समय तक झाडू को वहीं पड़ी रहने दें। बच्चे को लगी नजर दू र हो
जायेगी।
१४॰ नमक की डली, काला कोयला, डंडी वाली 7 लाल मिर्च, राई के दाने तथा फिटकरी की डली को बच्चे या बड़े पर
से 7 बार उबार कर, आग में डालने से सबकी नजर दू र हो जाती है।
१५॰ फिटकरी की डली को, 7 बार बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर आग में डालने से नजर तो दू र होती ही है,
नजर लगाने वाले की धुंधली-सी शक्ल भी फिटकरी की डली पर आ जाती है।
१६॰ तेल की बत्ती जला कर, बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर दोहाई बोलते हुए दीवार पर चिपका दें। यदि नजर
लगी होगी तो तेल की बत्ती भभक-भभक कर जलेगी। नजर न लगी होने पर शांत हो कर जलेगी।
१७॰ “नमो सत्य आदेश। गुरु का ओम नमो नजर, जहाँ पर-पीर न जानी। बोले छल सो अमृत-बानी। कहे नजर कहाँ से
आई ? यहाँ की ठोर ताहि कौन बताई ? कौन जाति तेरी ? कहाँ ठाम ? किसकी बेटी ? कहा तेरा नाम ? कहां से
उड़ी, कहां को जाई ? अब ही बस कर ले, तेरी माया तेरी जाए। सुना चित लाए, जैसी होय सुनाऊँ आय। तेलिन-
तमोलिन, चूड़ी-चमारी, कायस्थनी, खत-रानी, कु म्हारी, महतरानी, राजा की रानी। जाको दोष, ताही के सिर पड़े।
जाहर पीर नजर की रक्षा करे । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। फु रो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”
विधि- मन्त्र पढ़ते हुए मोर-पंख से व्यक्ति को सिर से पैर तक झाड़ दें।
१८॰ “वन गुरु इद्यास करु। सात समुद्र सुखे जाती। चाक बाँधूँ, चाकोली बाँधूँ, दृष्ट बाँधूँ। नाम बाँधूँ तर बाल बिरामनाची
आनिङ्गा।”
najar_nashak
विधि- पहले मन्त्र को सूर्य-ग्रहण या चन्द्र-ग्रहण में सिद्ध करें । फिर प्रयोग हेतु उक्त मन्त्र के यन्त्र को पीपल के पत्ते पर
किसी कलम से लिखें।
“देवदत्त” के स्थान पर नजर लगे हुए व्यक्ति का नाम लिखें। यन्त्र को हाथ में लेकर उक्त मन्त्र
११ बार जपे। अगर-बत्ती का धुवाँ करे । यन्त्र को काले डोरे से बाँधकर रोगी को दे। रोगी मंगलवार या शुक्रवार को
पूर्वाभिमुख होकर ताबीज को गले में धारण करें ।
ॐ मो दे वे ले प्रे ले बी ले रि ले ले ले की
https://mantra-tantra-yantra-science.blogspot.com/2018/ 11/20
4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
१९॰ “ॐ नमो आदेश। तू ज्या नावे, भूत पले, प्रेत पले, खबीस पले, अरिष्ट पले- सब पले। न पले, तर गुरु की,
गोरखनाथ की, बीद याहीं चले। गुरु संगत, मेरी भगत, चले मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”
विधि- उक्त मन्त्र से सात बार ‘राख’ को अभिमन्त्रित कर उससे रोगी के कपाल पर टिका लगा दें। नजर उतर जायेगी।
२०॰ “ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय, ह्रीं धरणेन्द्र-पद्मावती सहिताय। आत्म-चक्षु, प्रेत-चक्षु, पिशाच-चक्षु-सर्व नाशाय,
सर्व-ज्वर-नाशाय, त्रायस
त्रायस, ह्रीं नाथाय स्वाहा।”
विधि- उक्त जैन मन्त्र को सात बार पढ़कर व्यक्ति को जल पिला दें।
२१॰ “टोना-टोना कहाँ चले? चले बड़ जंगल। बड़े जंगल का करने ? बड़े रुख का पेड़ काटे। बड़े रुख का पेड़ काट के
का करबो ? छप्पन छु री बनाइब। छप्पन छु री बना के का करबो ? अगवार काटब, पिछवार काटब, नौहर काटब,
सासूर काटब, काट-कू ट के पंग बहाइबै, तब राजा बली कहाईब।”
विधि- ‘दीपावली’ या ‘ग्रहण’-काल में एक दीपक के सम्मुख उक्त मन्त्र का २१ बार जप करे । फिर आवश्यकता पड़ने
पर भभूत से झाड़े, तो नजर-टोना दू र होता है।
“उदना देवी, सुदना गेल। सुदना देवी कहाँ गेल ? के करे गेल ? सवा सौ लाख विधिया गुन, सिखे गेल। से गुन सिख के
का कै ले ? भूत के पेट पान कतल कर दैले। मारु लाती, फाटे छाती और फाटे डाइन के छाती। डाइन के गुन हमसे
खुले। हमसे न खुले, तो हमरे गुरु से खुले। दुहाई ईश्वर-महादेव, गौरा-पार्वती, नैना-जोगिनी, कामरु-कामाख्या की।”
विधि- किसी को नजर लग गई हो या किसी डाइन ने कु छ कर दिया हो, उस समय वह किसी को पहचानता नहीं है।
उस समय उसकी हालत पागल-जैसी हो जाती है। ऐसे समय उक्त मन्त्र को नौ बार हाथ में ‘जल’ लेकर पढ़े । फिर उस
जल से छिं टा मारे तथा रोगी को पिलाए। रोगी ठीक हो जाएगा।
यह स्वयं-सिद्ध मन्त्र है, के वल माँ पर विश्वास की
आवश्यकता है।
१॰ “हनुमान चलै, अवधेसरिका वृज-वण्डल धूम मचाई। टोना-टमर, डीठि-मूठि सबको खैचि बलाय। दोहाई छत्तीस
कोटि देवता की, दोहाई लोना चमारिन की।”
२॰ “वजर-बन्द वजर-बन्द टोना-टमार, डीठि-नजर। दोहाई पीर करीम, दोहाई पीर असरफ की, दोहाई पीर अताफ
की, दोहाई पीर पनारु की नीयक मैद।”
विधि- उक्त मन्त्र से ११ बार झारे , तो बालकों को लगी नजर या टोना का दोष दू र होता है।
“आकाश बाँधो, पाताल बाँधो, बाँधो आपन काया। तीन डेग की पृथ्वी बाँधो, गुरु
जी की दाया। जितना गुनिया गुन भेजे,
उतना गुनिया गुन बांधे। टोना टोनमत जादू । दोहाई कौरु कमच्छा के , नोनाऊ चमाइन की। दोहाई ईश्वर गौरा-पार्वती
की,
ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”
विधि- नमक अभिमन्त्रित कर खिला दे। पशुओं के लिए विशेष फल-दायक है।
“ओम नमो आदेश गुरु का। गिरह-बाज नटनी का जाया, चलती बेर कबूतर खाया, पीवे दारु, खाय जो मांस, रोग-दोष
को लावे फाँस। कहाँ-कहाँ से लावेगा? गुदगुद में
सुद्रावेगा, बोटी-बोटी में से लावेगा, चाम-चाम में से लावेगा, नौ नाड़ी
बहत्तर कोठा में से लावेगा, मार-मार बन्दी कर लावेगा। न लावेगा, तो अपनी माता की सेज पर पग रखेगा। मेरी भक्ति,
गुरु की शक्ति, फु रो मन्त्र ईश्वरी वाचा।”
विधिः - छोटे बच्चों और सुन्दर स्त्रियों को नजर लग जाती है। उक्त मन्त्र पढ़कर मोर-पंख से झाड़ दें, तो नजर दोष दू र
हो जाता है।
“कालि देवि, कालि देवि, सेहो देवि, कहाँ गेलि, विजूवन खण्ड गेलि, कि करे गेलि, कोइल काठ काटे गेलि। कोइल
काठ काटि कि करति। फलाना का धैल धराएल, कै ल
कराएल, भेजल भेजायल। डिठ मुठ गुण-वान काटि कटी पानि
मस्त करै । दोहाई गौरा पार्वति क, ईश्वर महादेव क, कामरु कमख्या माई इति सीता-राम-लक्ष्मण-नरसिंघनाथ क।”
विधिः - किसी को नजर, टोना आदि संकट होने पर उक्त मन्त्र को पढ़कर कु श से झारे ।
नोट :- नजर उतारते समय, सभी प्रयोगों में ऐसा बोलना आवश्यक है कि “इसको बच्चे की, बूढ़े की, स्त्री की, पुरूष
की, पशु-पक्षी की, हिन्दू या मुसलमान की, घर वाले की या बाहर वाले की, जिसकी नजर लगी हो, वह इस बत्ती,
नमक, राई,
कोयले आदि सामान में आ जाए तथा नजर का सताया बच्चा-बूढ़ा ठीक हो जाए। सामग्री आग या बत्ती
जला दूंगी या जला दूंगा।´´
_______________________________________________________________
“उत्तर काल, काल। सुन जोगी का बाप। इस्माइल जोगी की दो बेटी-एक माथे चूहा,
एक काते फू ला। दू हाई लोना
चमारी की। एक शब्द साँचा, पिण्ड काँचा, फु रो मन्त्र-ईश्वरो वाचा”
विधिः - पर्वकाल में एक हजार बार जप कर सिद्धकर लें। फिर मन्त्र को २१ बार पढ़ते हुए लोहे की कील को धरती में
गाड़ें, तो ‘फू ली’ कटने लगती है।
दाद का मन्त्र
“ओम् गुरुभ्यो नमः । देव-देव। पूरा दिशा भेरुनाथ-दल। क्षमा भरो, विशाहरो वैर, बिन आज्ञा। राजा बासुकी की आन,
हाथ वेग चलाव।”
विधिः - किसी पर्वकाल में एक हजार बार जप कर सिद्ध कर लें। फिर २१ बार पानी को अभिमन्त्रित कर रोगी को
पिलावें, तो दाद रोग जाता है।
पीलिया का मंत्र
“ओम नमो बैताल। पीलिया को मिटावे, काटे झारे । रहै न नेंक। रहै कहूं तो डारुं छे द-छे द काटे। आन गुरु गोरख-नाथ।
हन हन, हन हन, पच पच, फट् स्वाहा।”
विधिः - उक्त मन्त्र को ‘सूर्य-ग्रहण’ के समय १०८ बार जप कर सिद्ध करें । फिर शुक्र या शनिवार को काँसे की कटोरी
में एक छटाँक तिल का तेल भरकर, उस कटोरी को रोगी के सिर पर रखें और कु एँ की ‘दू ब’ से तेल को मन्त्र पढ़ते हुए
तब तक चलाते रहें, जब तक तेल पीला न पड़ जाए। ऐसा २ या ३ बार करने से पीलिया रोग सदा के लिए चला जाता
है।
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शत्रु-मोहन
“चन्द्र-शत्रु राहू पर, विष्णु का चले चक्र। भागे भयभीत शत्रु, देखे जब चन्द्र वक्र। दोहाई कामाक्षा देवी की, फूँ क-फूँ क
मोहन-मन्त्र। मोह-मोह-शत्रु मोह, सत्य तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र।। तुझे शंकर की आन, सत-गुरु का कहना मान। ॐ नमः
कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”
विधिः - चन्द्र-ग्रहण या सूर्य-ग्रहण के समय किसी बारहों मास बहने वाली नदी के किनारे , कमर तक जल में पूर्व की
ओर मुख करके खड़ा हो जाए। जब तक ग्रहण लगा रहे, श्री कामाक्षा देवी का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र का पाठ
करता रहे। ग्रहण मोक्ष होने पर सात डु बकियाँ लगाकर स्नान करे । आठवीं डु बकी लगाकर नदी के जल के भीतर की
मिट्टी बाहर निकाले। उस मिट्टी को अपने पास सुरक्षित रखे। जब किसी शत्रु को सम्मोहित करना हो, तब स्नानादि
करके उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर उसी मिट्टी का चन्दन ललाट पर लगाए और शत्रु के पास जाए। शत्रु इस प्रकार
सम्मोहित हो जायेगा कि शत्रुता छोड़कर उसी दिन से उसका सच्चा मित्र बन जाएगा।
सभा मोहन
“गंगा किनार की पीली-पीली माटी। चन्दन के रुप में बिके हाटी-हाटी।। तुझे गंगा की कसम, तुझे कामाक्षा की दोहाई।
मान ले सत-गुरु की बात, दिखा दे करामात। खींच
जादू का कमान, चला दे मोहन बान। मोहे जन-जन के प्राण, तुझे
गंगा की आन। ॐ नमः कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”
विधिः - जिस दिन सभा को मोहित करना हो, उस दिन उषा-काल में नित्य कर्मों से
निवृत्त होकर ‘गंगोट’ (गंगा की
मिट्टी) का चन्दन गंगाजल में घिस ले और उसे
१०८ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करे । फिर श्री कामाक्षा देवी का
ध्यान
कर उस चन्दन को ललाट (मस्तक) में लगा कर सभा में जाए, तो सभा के सभी लोग जप-कर्त्ता की बातों पर
हो एँ गे
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
मुग्ध हो जाएँ गे।
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“डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर
दिखा खप्पर लियां, खड़ी कालका।
तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी का, फागड़ दीफू , गले फु ल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-
शक्ति। जय कालका खपर-धनी। जय मचकु ट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड
भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-
धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”
विधि- नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित रखते हुए अगर-बत्ती जलाकर प्रातः -सायं उक्त मन्त्र
का ४०-४०
जप करे । कम या ज्यादा न करे । जगदम्बा के दर्शन होते हैं।
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१॰ यदि किसी ने आपके व्यवसाय अथवा निवास पर कोई तंत्र क्रिया करवा रखी हो,
तो होली की रात्रि में जिस स्थान
पर होलिका दहन हो, उस स्थान पर एक गड्ढा खोसकर उसमें ११ अभिमंत्रित कौड़ियाँ दबा दें । अगले दिन कौड़ियों
को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बांधकर बहते जल में
प्रवाहित कर दें । तंत्र क्रिया नष्ट हो
जाएगी ।
२॰ यदि आपके कार्यों में लगातार बाधाएँ आ रही हो, अथवा घर में अचानक ही अप्रिय घटनाएँ घटित होती
हों, जिसके
कारण बड़ी हानि उठानी पड़ती हो अथवा आपको लगता हो कि आपके घर पर कोई ऊपरी चक्कर है अथवा किसी ने
कोई बन्दिश करवा दी है, तो आप इस उपाय के माध्यम से उपरोक्त सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं ।
होली की रात्रि में घर में किसी शुद्ध स्थान पर गोबर से लीपकर उसपर अष्टदल बनाएं । फिर एक बाजोट रखकर लाल
वस्त्र बिछाकर उस पर अभिमंत्रित ३ लघु नारियल तथा श्री हनुमान यंत्र को स्थान दें । इसके बाद एक पात्र में थोड़ा-सा
गाय का कच्चा दू ध रखें तथा अलग से पंचगव्य रखें । फिर नारियल व यंत्र पर रोली से तिलक करके प्रभु श्री हनुमान्
जी से अपनी समस्या के समाधान का निवेदन करें और गुड़ का भोग लगाएँ ।
तत्पश्चात् शुद्ध घी के दीपक के साथ चन्दन की अगरबत्ती व गुग्गुल की धूप अर्पित करें । फिर ताँबे की प्लेट पर रोली से
“ॐ
हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” मंत्र लिखकर एक सामान्य नारियल को फोड़कर
(पधारकर) उसके पानी को अपने
साधना स्थल पर छिड़क दें और नारियल को प्लेट के पास रख दें । फिर मूंगे की माला से “ॐ घण्टाकर्णो महावीर सर्व
उपद्रव नाशय कु रु-कु रु स्वाहा” मंत्र की तीन माला का जप करें । मंत्र समाप्त होने के बाद प्रणाम करके बाहर आ
जाएँ । गाय के दू ध को अपने घर के चारों ओर घुमते
हुए धारा के रुप में बिखराकर कवच जैसा बना दें और पंचगव्य
से मुख्यद्वार को लीप दें ।
अगले दिन स्नान करके प्रभु को भोग व धूप-दीप अर्पत करके घण्डाकर्ण मंत्र की पुनः तीन माला का जप करें । इस
प्रकार यह क्रिया लगातार
११ दिन तक करें । ११वें दिन मंत्र जप के बाद १४-१८ वर्ष के किसी लड़के को भोजन
कराकर दक्षिणा और वस्त्र आदि दें । फिर उसका चरण स्पर्श कर विदा करें ।
उसके जाने के बाद लाल वस्त्र पर लघु
नारियल, यंत्र और टू टा नारियल रखकर एक
पोटली का रुप दें । उसको किसी लकड़ी के डिब्बे में रखकर अपने घर
में कहीं भी गड्ढा खोदकर दबा दें ।
३॰ व्यवसाय में सफलता के लिए आप जब होली जल जाए, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं । फिर अपने
दुकान एवं व्यवसाय स्थल के आग्नेय कोण में उस अग्नि की मदद से सरसों के तेल का दीपक जला दें । इस उपाय
से
आपके दुकान व व्यवसाय स्थल की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी । इससे आपके दुकान एवं
व्यवसाय में सफलता मिलेगी ।
४॰ यदि आपके परिवार अथवा परिचितों में कोई व्यक्ति अधिक समय से अस्वस्थ हो, तो उसके लिए
यह उपाय
लाभकारी होगा । होली की रात्रि में सफे द वस्त्र में ११ अभिमंत्रित
गोमती चक्र, नागके सर के २१ जोड़े तथा ११
धनकारक कौड़ियाँ बांधकर कपड़े पर हरसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर रोगी पर से सात बार उसारकर किसी
शिव मन्दिर में अर्पित करें । व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा । यदि बिमारी गम्भीर हो, तो यह क्रिया शुक्ल पक्ष के
प्रथम सोमवार से आरम्भ करके लगातार ७
सोमवार को करें ।
५॰ यदि आप अपना कोई विशेष कार्य सिद्ध करना चाहते हों अथवा कोई व्यक्ति गम्भीर रुप से रोगग्रस्त हो, तो होली
की रात्रि में किसी काले कपड़े में काली हल्दी तथा खोपरे में बूरा भरकर पोटली बनाकर पीपल के वृक्ष के नीचे गड्ढा
खोदकर दबा दें । फिर पीपल के वृक्ष को आटे से निर्मित सरसों के तेल का दीपक, धूप-अगरबत्ती तथा मीठा जल
अर्पित करें । इसके बाद आठ अभिमंत्रित गोमती चक्र पीपल पर ही छोड़कर पीछे देखे बिना घर आ जाएं । शुक्ल पक्ष
के प्रथम शनिवार को जाकर सिर्फ उपरोक्त प्रकार से दीपक व
धूप-अगरबत्ती अर्पित करके छोड़े गए गोमती चक्र ले
आएं । जब तक कार्य सिद्ध
न हो, वह गोमती चक्र अपनी जेब में रखें अथवा जो व्यक्ति रोग-ग्रस्त हो, उसके सिरहाने
रख दें । कु छ ही समय में आपके कार्य सिद्ध होने लगेंगे अथवा अस्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ लाभ करे गा ।
६॰ यदि आप आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं, तो जिस स्थान पर होलिका जलती हो, उस स्थान पर गड्ढा खोदकर अपने
मध्यमा
अंगुली के लिए बनने वाले छल्ले की मात्रा के अनुसार चाँदी, पीतल व लोहा दबा दें । फिर मिट्टी से ढककर
लाल गुलाल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं । जब आप होलिका पूजन को जाएं , तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी
हवन सामग्री, शुद्ध घी में डु बोया लौंग का जोड़ा तथा बताशै रखें । दू सरे पान के
पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और सात
बार परिक्रमा करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें । परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री
होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं । अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई
सामग्री ले जाकर पुनः यही क्रिया करें ।
जो धातुएं आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं । फिर किसी सुनार से तीनों
धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा अंगुली के माप का छल्ला बनवा लें । १५ दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के
गुरुवार को छल्ला धारण कर लें । जब तक आपके पास
यह छल्ला रहेगा, तब तक आप कभी भी आर्थिक संकट में
नहीं आएं गे ।
७॰ यदि
आप किसी प्रकार की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं, तो होली पर यह उपाय अवश्य
करें । होली की रात्रि में
चन्द्रोदय होने के बाद अपने निवास की छत पर अथवा किसी खुले स्थान पर आ जाएं । फिर चन्द्रदेव का स्मरण करते
हुए चाँदी की एक प्लेट में सूखे छु हारे तथा कु छ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित
करें । अब दू ध से अर्घ्य प्रदान करें । अर्घ्य के बाद कोई सफे द प्रसाद तथा के सर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें
। चन्द्रदेव से आर्थिक संखट दू र कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें । बाद
में प्रसाद और मखानों को बच्चों में
बांट दें । आप प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रदेव को दू ध का अर्घ्य अवश्य दें । कु छ ही दिनों में आप अनुभव करें गे कि
आर्थिक संकट दू र होकर समृद्धि बढ़ रही है ।
८॰ होली के दिन अपने घर पर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान में सूर्य डू बने से पहले धूप-दीप करें । घर व
प्रतिष्ठान की
सारी लाइट जला दें तथा मन्दिर के सामने माँ लक्ष्मी का कोई मंत्र ११ बार मानसिक रुप से जपें । तत्पश्चात् घर अथवा
प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर जिस स्थान पर होली जलनी हो, वहां की मिट्टी में दबा दें । अगले
दिन उस कील को
निकालकर मुख्य-द्वार के बाहर की मिट्टी में दबा दें । इस उपाय से आपके निवास अथवा प्रतिष्ठान में किसी प्रकार की
नकारात्मक शक्ति का
प्रवेश नहीं होगा । आप आर्थिक संकट में भी नहीं आएं गे ।
९॰ यदि आप पर किसी प्रकार का कोई कर्ज है, तो होली की रात्ति में यह उपाय करके कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं ।
जिस स्थान पर होली जलनी हो, उस स्थान पर एक छोटा-सा गड्ढा खोदकर उसमें तीन अभिमंत्रित गोमती चक्र तथा
तीन कौड़ियाँ दबा दें । फिर मिट्टी में लाल गुलाल व हरा गुलाल मिलाकर उस गड्ढे को भरकर उसके ऊपर पीले गुलाल
से कर्जदार का नाम लिख दें । जब होली जले तब आप पान के पत्ते पर
३ बतासे, घी में डु बोया एक जोड़ा लौंग, तीन
बड़ी इलायची, थोड़े-से काले तिल व गुड़ की एक डली रखकर तथा सिन्दू र छिड़ककर पान के पत्ते से ढक दें ।
१०॰ आपने देखा होगा कि किसी निवास या व्यवसाय स्थल पर अचानक ही कु छ अजीबो-गरीब घटनाएं घटित होती हैं
अथवा उस स्थान पर जो व्यक्ति प्रवेश करता है, उसके मन में डर के साथ अजीब-सी घुटन होने लगती है अथवा बिना
बात के नुकसान या झगड़े होने लगते
हैं । यदि आपके साथ ऐसा कु छ होता है, तो समझ जाएं कि आप पर अथवा उस
स्थान पर किसी प्रकार की कोई ऊपरी बाधा का प्रभाव है । जब तक आप उस बाधा से मुक्ति नहीं पा लेंगे, तब तक
आप ऐसे ही परे शान रहेंगे । इस बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप यह उपाय अवश्य करें ।
जिस स्थान पर यह बाधा है, उस स्थान के सर्वाधिक निकट जो भी वृक्ष हो, उसको देखें । यदि पीपल का वृक्ष हो, तो
बहुत अच्छा है । होली के पूर्व शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को अंधेरा होने पर आप उस स्थान पर जाएं , जिस स्थान पर
वृक्ष है । फिर ताँबे के
एक पात्र में दू ध में थोड़ी-सी शक्कर मिश्रित करें और खोए के तीन लड्डू , थोड़ी-सी साबूदाने की
खीर, ११ हरी इलायची, २१ बताशे, दू ध से बनी थोड़ी-सी कोई भी अन्य मिठाई तथा एक सूखे खोपरे में बूरा भरकर
उसके मध्य लौंग का एक जोड़ा रखकर उस वृक्ष की जड़ में अर्पित करें । साथ ही २१ अगरबत्ती भी अर्पित करें । यही
क्रिया किसी मन्दिर में लगे पीपल के वृक्ष पर भी करें । प्रथम बार के प्रयोग से ही आप परिवर्तन अनुभव करें गे । यदि
समस्या अधिक है,
तो यह क्रिया ३, ५, ७ या ११ सोमवार तक करें । आप निश्चित रुप से ऊपरी बाधा
से मुक्ति पा लेंगे ।
परन्तु इतना ध्यान रखें कि बाधा से मुक्ति के बाद आप
प्रभु श्री हनुमान् जी के नाम पर कु छ दान अवश्य करें ।
११॰ यदि आपको ऐसा लगे कि आपके निवास अथवा व्यवसाय स्थल पर कोई ऊपरी बाधा है, तो आप इस उपाय द्वारा
उस बाधा से मुक्ति पा सकते हैं । होली की रात्रि में गाय के गोबर से इक दीपक बनाएं । इसके बाद उसमें सरसों का
तेल, लौंग का जोड़ा, थोड़ा-सा गुड़ और काले तिल डाल दें । फिर दीफक को अपने मुख्य द्वार के बिल्कु ल मध्य स्थान
पर रख दें । द्वार की चौखट के बाहर आठ सौ ग्राम काली साबूत उड़द को फै ला दें ।
अब द्वार के अन्दर आकर दीपक को जला दें और द्वार बन्द कर दें । अगले दिन ठण्डा दीपक उठाकर घर के बाहर
रख दें और झाड़ू
की मदद से सारी उड़द को समेट लें । फिर ठण्डा दीपक और उड़द को बहते हुए जल
में प्रवाहित
कर दें । तत्पश्चात् घर वापस आ जाएं तथा हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें । इसके बाद आप अगले शनिवार से
पुनः यही क्रिया लगातार तीन शनिवार करें । यदि आपको लगे कि बाधा अधिक बड़ी है, तो अगले शुक्ल पक्ष से पुनः
तीन बार यह क्रिया दोहराएं । कार्य सिद्ध हो जाने पर शनिवार को ही किसी भी पीपल के वृक्ष में मीठे जल के साथ
धूप-दीप अर्पित करें । इस उपाय द्वारा आप ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे ।
_____________________________________________
विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता
है.
मंत्र
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में
कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.
विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी
को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है.
मंत्र
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र
का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर
कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.
विधि - सात कु ओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो
उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता
है.
मंत्र
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में
कील, जहां
से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फे र न सूरत दिखाए, हाथ कूँ , नाक कूँ , सिर कूँ , पीठ कूँ , कमर
कूँ , छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फु रे , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फु रो मंत्र इश्वरोवाचा.
जय शिव शंकर
पूजा के बाद आसन उठाते हुए इस मन्त्र का जाप करे , आसन उठाने का मन्त्र -
_____________________________________
यह प्रयोग स्वयं सिद्ध है ! इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है ! फिर भी पर्व काल में एक माला जप ले !
जिन लोगों की साधना बार बार स्वप्नदोष की वजह से भंग हो जाती है वह इसका इस्तेमाल जरुर करे !
एक बात का हमेशा ख्याल रखे कि यदि आपका मन पवित्र नहीं है तो किसी भी उपाय से ब्रह्मचर्य की रक्षा नहीं हो
सकती !
|| मंत्र |
पारा पारा महापारा पारा पहुंचा दशमे द्वारा दशमे द्वारे कौन पहुंचाए ?
दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ आओ जैसे हनुमान का ब्रहमचर्य रखा हमारी भी लाज बचाओ !
ॐ गुरूजी भग में लिंग , लिंग में पारा जो राखे वही गुरु हमारा !
|| विधि ||
रात को सोते समय इस मंत्र को 21 बार जप करे और लाल लंगोट धारण करे ! लंगोट धारण करते वक़्त भी इस मंत्र
का जाप करे !
भगवान से हमारी यही कामना है कि आपको साधनाओं में सफलता प्रदान करे !
in mine previous post. The photograph was.. oops ..even I shocked to see that.. haha . is there
anyone, who still like my way of writing, please raise your hand, I start counting, ….only 1
person(me only)….... now, I am sharing some very simple but very effective Sabar mantra with
you all. One more thing, in the end, I will ask you, anyone mantra to repeat. It’s a test. be ready
for that …..
I just little elaborate the cause behind that. As one complete day , we spend in visiting
Ghoram ghati, in search of divines herbs, and available there, and you already knew that
what happened while returning. I was very worried, for the safety of not only me but all of
mine fellow member, praying sadgurudevji for that continuously, fearing that some scorpion,
or snake if could come our way what would be happened,
as the darken darks. Feeling a little bit restless , only a two mobile’s touch was on our help
for 20 people. I tried to memories some of the mantra, what I have read from Sadgurudev ji
magazine and from other great ones, and also from other sources, (I really highly thankful to
all of them , and producing the mantra mentioned by them, here, gathered from various
sources ) either I was able to recall the mantra or only the process, mine helplessness was
very high.
I never ever thought that one day such a things can happened, one should not take any
mantra or sadhana very easy, or just time pass, everything is has a value, in the time of
need.
sabar mantra a great section of divinity created just for common person to achieve his goal,
either material or spiritual, highly practiced by not even from village people, but to great
savants of this divine field, its common faith that they are created by guru gorakhnath ji and
later numerous mantra added by people belonging to every cast and religion, whichever
belongs to him or others,not easily to decide but all are very effective . You can get a result
within a second.
Not only to the problem related to common people like minor health problem to the problem
can not be discussed openly, all, are covered in that. Even mahavidya sadhana, yakshni
sadhana, apsara sadhana and every imaginable field are covered in that, even “Agni
shathai parad process” too covered in that, all the parad sanskar can be done by this great
branch of mantra.
Yes yes , shamshan awaking,……. to…. kapaal sadhana .. you can count… infinite
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
mantra… but why, I am writing this, you all are, already known this common fact,
Repeat 21 times this mantra while rubbing your finger on the spot, surely within a few
second you get relief.
On scorpion sting :
“Dhay bisa der” “धाय बिसा देर " is the mantra repeat only (with little loud) in front of the
person , and asked him to touch earth with impact with either hand of feet, on doing the
three times. He will get relief.
If snake comes :
start chanting “muniraaj aastik namh” or “मुनिराज आस्तिक नमः " on just a few times repeating
of mantra, snake will go out of your sight.
Just repeat three times and make a clap sound from hand।
any time when you are in midst of any difficulty just repeat/chant 101 times, this great
mantra.
Repeat the mantra 7 times while moving your hand on your stomach.
While doing work or on journey time repeat it as much you can, you will be blessed
with success.
शि रो नी सी ति मी
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
शूर शिरोमनी साहसी ,सुमति समीर कु मार ,
I think for now, it is enough, when I asked Aarif ji, is there any special process, protecting
from snake and other poisonous insects, why not Sadgurudev has not given us,” shiva
shasthrakkshri kavach”, thrice appeared in "mantra tantra yantra vigyan" old issue, is a
boon for protecting not only us, but from the people around us, while returning I was praying
to Sadgurudev ji, he was busy chanting this greatest kavach.
Point to consider:
One of most important things of Sabar mantra is that , they totally depend upon your faith in
your guru and off course in you too. Not all the process are so simple as I mentioned here,
but require a high degree of carefulness, are you not remembering Sadgurudevji’s word
mentioned in introcution in tantric siddhiyan. Some time while doing some greatest highly
effective sadhana , person has to set aside his own daily routine sadhana like ma bhagvati
gaytri mantra jap. Kindly go through that. But the mantra I collected and mentioned here not
having such a precondition.
If your faith in Sadgurudev ji , and in you too, definitely they will work.
Second important things I like to share with you is that, without the pure sadhana
articles/materials, acheving success in this type of sadhana, is almost impossible. But
suppose you are not having any needed material, on the time of need, then what you will
do?…have you not remember poojya sadgurudevji, already mentioned many times the
power and utility of “Sabar yantra”, which can be easily get from poojya paad gurud trimurti
ji at Jodhpur. Is like a boon for us.doing sabar mantra jap in front of it, removes all the
absence and negativity.
Some important ritual like bhairav sthapan etc.. are essential for higher level
sadhana, and still can be got from Sadgurudev ji at Jodhpur.
And also, though getting result in this type of sadhana is very easy, but on the path of some
higher Sabar sadhana, if one should seek the prior blessing of sadgurudevji, and get Sabar
Diksha from him, what a great luck for him.
So I am spreading rose flower patels on the path for you, my dearest gurubrother and
sisters. positively hoping that, at least you understand the power behind the Sabar sadhana
. I pray that, sadgurudev ji bless you all, for great success, and all of us very soon become
his true shshyas
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Simplest Sabar mantra very important life
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मंत्र साधना के नियम
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4/12/22, 8:59 pm Siddhashram - Mantra Tantra Yantra Vigyan: 2018 - Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences
Grihasth Aarti The "Mantra Tantra Yantra Vigyan" magazine has now been
| | प्रार्थना | | replaced with three sister magazines. These magazine are
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु : गुरुर्देवो महेश्वर : |
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्में श्री गुरुवे नमः | | Back to Issue Nikhil Mantra Vigyan and Back to Issue Pracheen
आरती श्री गुरुदेव Mantra Yantra Vigyan and Back to Issue Narayan Mantra Sadhana
जय गुरुदेव दयानिधि दिनन हितकारी | Vigyan
जय जय मोह विनाशक भाव बन्धन हारी | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . . Please send an email to nmv@siddhashram.net or info@pmyv.org or
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव गुरु मूरत धारी | nmsv@siddhashram.me for further details.
वेद पुराण बखानत गुरु महिमा भारी | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . . You should subscribe to Magazine listed above to attain Spiritual &
जप ताप तीरथ संयम दान विविध कीजैं | Material Perfectis
गुरु बिन ज्ञान न होवे कोटि यतन कीजैं | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
माया मोह नदी जल जीव बहे सारे | अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो में |
नाम जहाज बिठा कर गुरु पल में तारे | | अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो में |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
कम क्रोध मद मत्सर चोर बड़े भारी | है जीत तुम्हारे हाथो में और हार तुम्हारे हाथो में ||
ज्ञान खड़ग दे कर में गुरु सब संहारे | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
अब सौंप दिया ....
नाना पंथ जगत में निज-निज गुण गावें |
सब का सार बता कर गुरु मारग लावें | | मेरा निश्चय है बस एक यही , इक बार तुम्हे पा जाऊ में |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
गुरु चरणामृत निर्मल सब पातक हारी | अर्पण कर दू दुनिया भर का , सब प्यार तुम्हारे हाथो में ||
वचन सुनत श्री गुरु के सब संशयहारी | |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . . अब सौंप दिया ....
तन मन धन सब अर्पण गुरु चरणन कीजे |
ब्रह्मानन्द परम पद मोक्ष गति दिजैं | | जो जग में राहू तो ऐसे राहू , ज्यो जल में कमल का फू ल रहे |
ॐ जय-जय-जय गुरुदेव . . .
मेरे सब गुण दोष समर्पित हो , भगवान तुम्हारे हाथो में ||
Sanyaas Aarti
अब सौंप दिया ....
Jay Sanyaasee AgraNee Jay shaantam rupam |
Jay-Jay Sanyastvam Maa Jay
Bhagawad rupam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Himaalaye nivasit Muktam यदि मानव का मुझे जनम मिले , तो तब चरणों का पुजारी बनू |
Prakarti tvaam Madhye |
Vicharati Giriwar Gahne Gahavrasahi muditaam ||
Om
Jay-Jay-Jay nikhilam ...
shaantam Vesham bhavyam aDhviteey rupam | इस पूजक की इक इक राग का , हो तार तुम्हारे हाथो में ||
vyaaghram vajr vahantum vaKshasthal tvam tvam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam
...
Ved PuraaN shaastram JyotiSh Mahitatvam |
Mantr-tantr UDhvaaray अब सौंप दिया ....
Saadhyam Sahi Sahitam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
RiShi divyam deh
Bhasmam rudraaKsham sahitam |
Vicharit nishidin Praaptei dhany Mahee जब जब संसार का कै दी बनू , निष्काम भाव से कर्म करू |
Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Siddhaashram SapraaNam Mantram
straShTatvam |
LaKsham LaKsh nihaarat Advay Adhi Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay फिर अंत समय में प्राण ताजू , साकार तुम्हारे हाथो में ||
nikhilam ...
Bhavy Vishaalam netram Bhaalam tejasvam |
LaKsham LaKsh
nihaarat Advay Adhi Yuktam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Sangeet Yuktam अब सौंप दिया ....
Aaraartikam PaThat Yadi shraNutam |
Guru Mod Var Praaptum shiShyatvam
Purnam ||
Om Jay-Jay-Jay nikhilam ...
Jay Sanyaasee AgraNee Jay shaantam मुझ में तुझ में भेद यही , में नर हूँ तुम नारायण हो |
rupam |
Jay-Jay Sanyastvam Maa Jay Bhagawad rupam ||
Om Jay-Jay-Jay
nikhilam ... में हूँ संसार के हाथो में , संसार तुम्हारे हाथो में ||
सौं दि
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Vandanaa अब सौंप दिया ....
Karpoor goram KaruNaawataaram, Sansaar saaram Bhujagendr haaram |
Sadaa vasantam Hradayaaravinde, Bhavam bhavaanee Sahitam namaami ||
naaraayaNo tvam nikhileshwaro tvam,
Maata-Pita Guru Aatma tvamevam |
Brahmaa tvam ViShNushch rudrastvamevam;
Siddhaashramo tvam Gurutvam
PraNamyam ||
GururBrahmaa GururviShNuH Gururdevo MaheshwaraH |
GuruH SaaKshaat Parabrahm tasmei shree Guruve namaH ||
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गुरु मंत्र - मूल तत्त्व दुर्लभ TEEVRA VASHIKARAN MTYV Vishwa Vidyalaya
स्तोत्र - त्रिजटा अघोरी SIDDH KLEEM SADHNA For Admission
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