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॥ अंिन्यासः॥
श्री अंगिरा ऋिये नमः गशरगस । अनष्टु पु छं दसे नमः मख
ु े।
श्री प्रत्यंगिरा देवतायै नमः हृगद । ु ।
हं बीजाय नमः िह्ये
ह्रीं शक्तये नमः पादयो । िीं कीलकाय नमः सवाांि े ।
ममाभीष्ट गसद्धये पाठे गवगनयोिाय नमः अंजलौ ।
॥ देवी ध्यानम्॥
ु ैश्चतर्दु भधृत तीक्ष्ण बाण, धनववु रा-भीश्च शवांगि-यग्ु मा ।
भज
ु ु॥
रक्ताम्बरा रक्त तनगस्त्र-नेत्रा, प्रत्यंगिरेय ं प्रणतं पनात
॥ देवी ध्यानम्, सरलता से ॥
ु ैश्-चतर्दु भ-धृत तीक्ष्ण बाण, धनववु रा-भीश्-च शवांगि-यग्ु मा ।
भज
ु ु ॥ *तनस्= तनः
रक्ताम्बरा रक्त तनस्-गत्र-नेत्रा, प्रत्यंगिरे-यं प्रणतं पनात
शब्दाथ:व
*अम्भोरुह = कमल
िािा = शत्रतु ा रखने वाला ।११।
दमन-कं = वश में करना ।११।
अरुि=
् गमत्रवत्बनाना, Good Tempered ।१२।
॥ गशव उवाचः।
ु ् िह्यतरम
शृण ु गप्रये ! प्रवक्ष्यागम, िह्याद ु ् परम्।
गवना येन न गसध्यगि मंत्राः कोगि गियागिताः॥
प्रत्यंि रक्षण कगर, तेन प्रत्यंगिरा मता ।
ु ावगहतानघे ॥
काली प्रत्यंगिरां वक्ष्ये, शृणष्व
ु
देव्यवाचः।
प्रभो ! प्रत्यंगिरा-गवद्या सवव गवद्योत्तमा स्मृता ।
अगभचारागद दोिाणां नागशनी गसगद्ध दागयनी ।
मह्यं तत् कथयस्वाद्य, करुणा यगद ते मगय ।
गशव उवाचः।
साध ु साध ु महादेगव ! त्वं गह संसार मोगचनी ।
ु सख
शृणष्व ु गचत्तेन वक्ष्ये देगव ! समासतः।
देगव ! प्रत्यंगिरा गवद्या, सवव ग्रह गनवागरणी ॥
मर्ददनी सवव दुष्टानां, सवव पाप प्रमोगचनी ॥
ु
स्त्री बाल प्रभतीनां च, जिूनां गहत कागरणी ।
ु करी सदा ॥
सौभाग्य जननी देवी, बल पगष्ट
॥ गवगनयोिः॥
ॐ ॐ ॐ अस्य श्री प्रत्यंगिरा मंत्रस्य, श्री अंगिरा ऋगिः, अनष्टु पु छन्दः, श्री प्रत्यंगिरा
देवता, हं बीजम्, ह्रीं शगक्तः, िीं कीलकं ममाभीष्ट गसद्धये पाठे गवगनयोिः।
॥ अंिन्यासः॥
श्री अंगिरा ऋिये नमः गशरगस । अनष्टु पु छंदसे नमः मख
ु े।
ु े।
श्री प्रत्यंगिरा देवतायै नमः हृगद । हं बीजाय नमः िह्य
ह्रीं शक्तये नमः पादयो । िीं कीलकाय नमः सवाांि े ।
ममाभीष्ट गसद्धये पाठे गवगनयोिाय नमः अंजलौ ।
॥ देवी ध्यानम्॥
ु ैश्चतर्दु भधृत तीक्ष्ण बाण, धनववु रा-भीश्च शवांगि-यग्ु मा ।
भज
ु ु॥
रक्ताम्बरा रक्त तनगस्त्र-नेत्रा, प्रत्यंगिरेय ं प्रणतं पनात
(* अब माता का पूजन / मानगसक पूजन आगद करें )
॥ मूल स्तोत्र पाठ ॥
ॐ नमः सहस्र सूयक्ष ु
े णाय श्रीकण्ठानागद रुपाय परुिाय ु हुताय ऐ ं महासखाय
परू ु व्यागपने
महेश्वराय जित्सृगष्ट कागरणे ईशानाय सवव व्यागपने महाघोरागत घोराय
ॐ ॐ ॐ प्रभावं दशवय दशवय ।
ॐ ॐ ॐ गहल गहल, ॐ ॐ ॐ गवद्यतु गिह्वे बन्ध-बन्ध, मथ-मथ, प्रमथ-प्रमथ, गवध्वंसय-
गवध्वंसय, ग्रस-ग्रस, गपव-गपव, नाशय-नाशय, त्रासय-त्रासय, गवदारय-गवदारय, मम शत्रून
खागह -खागह, मारय-मारय, मां सपगरवारं रक्ष-रक्ष कगर कुम्भस्तगन सवावपद्रवेभ्यः ।
ॐ महा मेघौंघ रागश सम्वतवक गवद्यदु ि कपर्ददनी, गदव्य कनकाम्भोरुहगवकच माला
धागरणी परमेश्वगर गप्रये । गछगन्द-गछगन्द (/गछगन्ध-गछगन्ध), गवद्रावय-गवद्रावय देगव ! गपशाच
ु िरुड़, गकन्नर, गवद्याधर, िन्धवव, यक्ष, राक्षस, लोकपालान् स्तम्भय-स्तम्भय,
नािासर,
कीलय-कीलय, घातय-घातय गवश्वमूर्दत महा-तेजसे ।
ॐ हं (? ह्रं) सः मम्शत्रूणां गवद्यां स्तम्भय-स्तम्भय ।
ु ं स्तम्भय-स्तम्भय ।
ॐ हं सः मम्शत्रूणां मख
ॐ हं सः मम्शत्रूणां हस्तौ स्तम्भय-स्तम्भय ।
ॐ हं सः मम्शत्रूणां पादौ स्तम्भय-स्तम्भय ।
ॐ हं सः मम्शत्रूणां िृहाित कुिुम्ब मख
ु ागन स्तम्भय-स्तम्भय, स्थानम्कीलय-कीलय,
ग्रामं कीलय-कीलय, मण्डलम् कीलय-कीलय, देशं कीलय-कीलय सववगसगद्ध महाभािे !
धारकस्य सपगरवारस्य शागिम्कुरु कुरु फि्स्वाहा ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ, अं अं अं अं अं, हं हं हं हं हं, खं खं खं खं खं, फि्स्वाहा ।
Kali-Pratyangira-Str e2Learn By VRakesh
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|| General Information ||
विशेष –
To Repeat Stotra or Kavach 3/11/21/51/101-Repeat only Main Part .
पहले विवियोग करें , विर न्यास, ध्याि, विर छोटी सी पजू ि,
उसके बाद किच स्तोत्र या कोई पाठ/मन्त्र जप आवद वकया जाता है ।
मलू -पाठ बार -बार (वजतिा मि हो), िलश्रतु ी अगर है तो अन्त में एक बार पाठ करते है ।
माता श्री काली-प्रत्यंवगरा एक बहुत ही उग्र शवि है, अतः इिके किच, स्तोत्र, मन्त्र जप आवद वकसी
योग्य और तन्त्र के ज्ञािी गुरु के संरक्षण और विदेश में ही करिा ज्यादा उवचत रहता है ।
उनके वकसी भी पजू ा, पाठ मन्त्र-जप इत्यावि में, कोई भी एक किच पाठ अिश्य करना चाविये ।
किच का पाठ िमेशा ज्यािा सरु वित िोता िै, तथा किच से भी साधक के सारे - कायय वसद्ध िोते िै ।
पर इनसे संबवन्त्धत प्रयोग, बिुत सोच-विचार के करना चाविये ।