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Date : 15-06-2020.
श्री गणेशाय नमः।
This Book Contains –
॥ श्री श्री गायत्री हृदयम्(१) ॥ (Easy To Learn Copy)
and
॥ श्री श्री गायत्री हृदयम्(१) ( PRINT-COPY)
॥ एक आवश्यक सचू ना ॥
इस माध्यम से दी गयी जानकारी का मख्ु य उद्देश्य ससर्फ उनलोगों तक देवी-देवताओ ं
के स्तोत्र , कवच आसद का ज्ञान सरल शब्दों में देना-पहचुँ ाना है,
जो इसको जानने-सीखने के इच्छुक है ।
यह ससर्फ देखने-सनु ने-पढ़ने-और-सीखने के उद्देश्य से बनाई गयी है ।
वेद - शास्त्र, ग्रंथों और अन्य पस्ु तकों मे सदया हआ बहमल्ू य ज्ञान देखने-पढ़ने-सनु ने-समझने-
जानने और सजं ो कर सरु सित रखने योग्य है ।
पर इस जानकारी का गलत तरीके से उपयोग, या प्रयोग आपका नक ु सान कर सकता है ।
अतः सावधान रहें ।
इससे होने वाले सकसी भी तरह की लाभ-हासन के सलये हम सजम्मेवार नही होंगे ।
(धन्यवाद )
सन्ध्याकालस्तथाच्छादनं संवत्सिो,
रनरमषमिोिात्र आरदत्यिन्द्रमाः॥२०॥
* सन्ध्या-कालस्-िथा-आच्छादनं संवत्सिो,
* रनरमषम्-अिोिात्र आरदत्यश्-चन्द्रमाः॥२०॥
सिस्र-पिमां देवीं शि-मध्यां दशाविां ।
सिस्र-नेत्रां गायत्रीं शिणमिं* प्रपद्ये ॥२१॥ *=शिणम्-अिम्
ॐ ित्सरविवु ित ण्े याय नमः। ॐ िि्पूव त जयाय नमः।
ॐ िि् प्राििारदत्य* प्ररिष्ठाय नमः॥२२॥ *प्रािि्-आरदत्य =प्रािःआरदत्य
सायमधीयानो* रदवस-कृ िं पापं नाशयरि । *= सायम्-अधीयानो
प्राििधीयानो* िारत्र-कृ िं पापं नाशयरि । *= प्रािि्-अधीयानो
िि् सायं प्रािि्-अधीयानो-अपापो भवरि ॥२३॥
*अधीयान = Reading / Studying / One who studies.
य इदं गायत्री-हृदयं ब्राह्मणः पठे ि्,
अपेय-पानाि्पूिो भवरि । अभक्ष्य-भक्षणाि् पूिो भवरि ।
अज्ञानाि्पूिो भवरि । स्वणतस्तये ाि्पूिो भवरि ।
गरुु िल्प-गमनाि्पूिो भवरि । अपरि पावनाि्पूिो भवरि ।
ब्रह्म-ित्यायाः पूिो भवरि । अब्रह्मचािी ब्रह्मचािी भवरि ।
|| General Information ||
विशेष –
** ऐसा यहां कहा गया है, सक इस स्तोत्र के पाठ से,
६०-लाख गायत्री मन्त्र जप के बराबर का र्ल प्राप्त होता है ॥२४॥ Shloka : 24