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कक्षा12 (म. प्र.

बोर्ड) रसायन विज्ञान

अध्याय 5: उपसहसंयोजक यौगिक(CH-5)

प्रश्नबैंक- 2023-24 (समाधान)

नोट-

अनुभाग-1. वस्तुननष्ठ प्रश्न (1 अंक)


अनुभाग-2 अनतलघुउत्तरीयप्रश्न (2 अंक)

अनुभाि 1-िस्तुननष्ठ प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न.1 [Pt(NH₃)₂Cl₂] का IUPAC नाम है ____________।

(a) डाइऐम्मीनडाइक्लोररडोप्लैटटनम (ii)


(b) डाइऐम्मीनडाइक्लोररडोप्लैटटनम (iv)
(c) डाइऐम्मीनडाइक्लोररडोप्लैटटनम (0)
(d) डाइक्लोररडोडाइएम्मीनप्लैटटनम (iv)

उत्तर: (a)

प्रश्न.2 ननम्नललखित में से कौन-सी स्पीशीज का ललंगड होना अपेक्षित नहीं है।

(a) NO
(b) NH⁺₄
(c) NH₂CH₂CH₂NH₂
(d) CO

उत्तर: (b)

प्रश्न.3 एथेन-1, 2-डाइऐमीन के ललगंड की तरह व्यवहार के संबंध में सही कथन हैं-
(a) यह उदासीन ललगंड है।
(b) यह द्ववदं तरु ललगंड है।
(c) यह कीलेटी ललगंड है।
(d) यह एकदं तुर ललगंड है।

(a) i, ii
(b) i,iii
(c) i,ii,iii
(d) i, iv

उत्तर: (c)

प्रश्न.4 अलभकथन – ([Fe(CN₆)³⁻आयन दो अयुगललत इलेक्रॉनों के समकि चुंबकीय आघूर्ण


प्रदलशणत करता है।
तकण – क्योंकक इसमें d²sp³ संकरर् होता है।

(a) अलभकथन और तकण दोनों सही हैं और तकण अलभकथन का सही स्पष्टीकरर् है।
(b) अलभकथन और तकण दोनों सही कथन हैं परन्तु तकण अलभकथन का स्पष्टीकरर् नहीं है।
(c) अलभकथन सही है परन्तु तकण गलत कथन है।
(d) अलभकथन गलत है परन्तु तकण सही कथन है।

उत्तर: (d)

प्रश्न.5 [Pt(NH3)BrCl NO2] – काIUPAC नाम–

(a) एमीनब्रोमीडोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(II)
(b) एमीनब्रोमीडोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(III)
(c) एमीनब्रोमोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(II)
(d) एमीनब्रोमोक्लोरोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(III)
उत्तर: (a)

प्रश्न.6[Ni(CN4)2- मेंसंकरर्है-

(a)sp
(b)sp2
(c)dsp2
(d)sp3

उत्तर: (c)

प्रश्न.7[Ni(CO)4] में पाया जाने वाला संकरर् है –


(a)sp
(b)sp2
(c)dsp2
(d)sp3

उत्तर: (d)

प्रश्न.8 ररक्त स्थानों की पनू तण कीजजये।

(a)………………संयोजकता आयननत हो सकती है


(b)उप-सहसंयोजन सत्ता में केन्रीय परमार्ु / आयन से पररबद्ध आयन अथवा अर्ु
…………..कहलाते हैं।
(c)संकुल जजनमें धातु परमार्ु केवल एक प्रकार के दाता समूह से जुडा रहता है ।……….……संकुल
कहलाते हैं।
(d)जब ललगैण्ड एक से अधधक परमार्ु इलेक्रॉन त्यागकर उपसहसंयोजी आबन्ध बनाये तो यह
ललगैण्ड ………………कहलाता है।
उत्तर:

(a)प्राथलमक
(b)ललगैण्ड
(c)होमोलेजप्टक
(d)बहुदन्तरु

प्रश्न.9 एक शब्द /वाक्य में उत्तर दीजजये।

(a)जब एक ललगैण्ड, धातु आयन से एक दाता परमार्ु द्वारा पररबद्ध होता है जैस-े Cl–, H2O या
NH3 तो ललगैण्ड क्याकहलाता है?
(b)समन्वयन मण्डल[CO(H2O)(CN)(en)2]2+ में धातु की ऑक्सीकरर् संख्या को दशाणइए।
(c)टे राब्रोमीडो क्यूप्रट
े (II) का सूत्रललखिये।
(d)किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण (CFSE) ककसे कहते हैं?

उत्तर:

(a) एकदन्तरु ललगैण्ड


(b) +3
(c) Cu(Br)4] 2-
(d) किकों के दो सेटों के बीच की ऊजाण अन्तर को किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण (CFSE) कहते हैं।

प्रश्न-10 सही जोडी लमलाइये।


(a) K[Co(CO)4]में कोबाल्ट की ऑक्सीकरर् संख्या (i) मैग्नीलशयम
(b) [Cr(CO)6]में कोबाल्ट की ऑक्सीकरर् संख्या (ii)+1
(c) धिगनाडण अलभकमणक (iii) 0
(d) क्लोरोकिल (iv) काबणधाजत्वकयौधगक

उत्तर-
(a) (ii)
(b) (iii)
(c) (iv)
(d) (i)

अनुभाि 2. अनतलघउ
ु त्तरीय प्रश्न

प्रश्न.11 द्ववक-लवर् को उदाहरर् सटहत समझाइए।

उत्तर: ये दो लवर्ों का लमश्रर् होते हैं जो जलीय ववलयन बनाने पर अपने संघटक आयनों में टूट
जाते हैं । द्ववक लवर् के सभी संघटक आयन अपनी स्वतन्त्र पहचान रिते हैं तथा आयनीकरर्
होने पर अपने परीिर् दे ते हैं ।

जैसे- िेरस अमोननयम सल्िेट (मोहर लवर्) – FeSO4. (NH4)2SO4.6H2O.


पोटै लशयम एल्यम
ु ीननयम सलिेट (पोटाश एलम)- K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O.

प्रश्न.12 उभयदन्तरु ललगेण्ड से क्या तात्पयण है?

उत्तर: वह ललगेण्ड जो दो लभन्न परमार्ओ


ु ं द्वारा जड
ु सकता है, उसे उभयदन्ती संलग्नी या उभयदन्तरु
ललगेण्ड कहते हैं। ऐसे ललगेण्ड के उदाहरर् हैं- NO–2 तथा SCN– आयन।

प्रश्न.13 [Co(H2O)(CN)(en)2]2+ के धातु की ऑक्सीकरर् संख्या ज्ञात कीजजए –

उत्तर: माना कक टदये गये संकर आयनों में धातु की ऑक्सीकरर् संख्या x हैं।

x + (0) + (-1) + (0) = +2;

∴ x = +3

प्रश्न.14 IUPAC ननयमों के आधार पर ननम्नललखित के ललए सत्र


ू ललखिए –

1. टे राहाइड्रॉजक्सडोजजंकेट(II)
2. पोटै लशयम टे राक्लोररडोपैलेडेट (II)

उत्तर: 1. [Zn(OH)4]2-

2.K2[PdCl4]

प्रश्न.15 IUPAC ननयमों के आधार पर ननम्नललखित के सव्ु यवजस्थत नाम ललखिए –

1. [Co(NH3)6]Cl3 2. [Pt(NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl

उत्तर:

1.हे क्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड

2.डाइऐम्मीनक्लोररडो( मेधथल ऐमीन)प्लैटटनम (II) क्लोराइड

प्रश्न.16 [Fe(C2O4)3]3- में Fe की समन्वय संख्याज्ञातकरें ।

उत्तर: [Fe(C2O4)3]3- में Fe की समन्वय संख्या 6 है क्योंकक C2O2-4 द्ववदन्तुर ललगेण्ड हैं, जो
6 बंधोद्वाराधातुआयनसेजुडारहताहै।

प्रश्न.17 [NiCl4]2- अनच


ु ुम्बकीय है जबकक [Ni(CO)4] प्रनतचुम्बकीय है, जबकक दोनों चतुष्िलकीय हैं,
क्यों?

उत्तर:[NiCl4]2- में दो अयुजग्मत इलेक्रॉन है, अतः यह अनुचम्


ु बकीय है। जैस-े CN– , CO प्रबल िेत्र
ललगैण्ड है, समान रूप से CO के कारर् इलेक्रॉनों का यग्ु मन होता है। कोई अयुजग्मत इलेक्रॉन शेष
नहीं होते हैं, अतः यह प्रनतचुम्बकीय है।

प्रश्न.18 [Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचम्


ु बकीय है,जबकक दब
ु णल अनुचुम्बकीय है, व्याख्या कीजजए।
उत्तर:[Fe(H2O)6]3+ मेंH2O दब
ु णल िेत्र ललगैण्ड है। इसकी उपजस्थनत से 3d इलेक्रॉनों का यग्ु मन नहीं
होता। संकरर् sp3d2 से बाह्य किक संकुल बनते हैं, जजसमें पााँच अयुजग्मत इलेक्रॉन होते हैं, अत:
यह प्रबल अन-ु चुम्बकीय है, जबकक संकुलों में Fe की +3 ऑक्सीकरर् अवस्था है, जजसका ववन्यास
d5 है। [Fe (CN)6]3-मेंCN– प्रबल िेत्र ललगैण्ड है, इसकी उपजस्थनत से 3d इलेक्रॉनों का युग्मन होता
है, केवल एक अयुजग्मत इलेक्रॉन शेष रहता है। अतः संकरर् d2sp3 के कारर् अन्तर किक संकुल
बनते हैं। ।

प्रश्न.19 IUPAC ननयमों के आधार पर ननम्नललखित के सुव्यवजस्थत नाम ललखिए


[Mn(H2O)6]2+, [NiCl4]2-, [Ni(NH3)6]Cl2 (2017), [Co(en)3]3+

उत्तर:1. हे क्साऐक्वामैंगनीज (II) आयन

2.टे राक्लोररडोननककलेट (II) आयन

3.हे क्साऐम्मीनननककल (II) क्लोराइड

4.टरस(एथेन-1,2-डाइऐमीन) कोबाल्ट (III) आयन

प्रश्न.20 होमोलेजप्टक तथा हे टरोलेजप्टक के दो उदाहरर् दे ते हुए समझाइए।

उत्तर:होमोलेजप्टक – संकुल जजनमें धातु परमार्ु केवल एक प्रकार के दाता समूह (ललगेण्ड) से जुडा
रहता है, होमोलेजप्टक संकुल कहलाते हैं। उदाहरर्ाथण– [Co(NH3)6]3+ तथा [Fe(CN)6]4-.
. हे टरोलेजप्टक – संकुल जजनमें धातु परमार्ु एक से अधधक प्रकार के दाता समूहों (ललगेण्डों) से जुडा
रहता है, हे टरोलेजप्टक संकुल कहलाते हैं। उदाहरर्ाथण – [Co(NH3)4Cl2]+ तथा [Pt(NH3)5Cl]3+.

प्रश्न.21 संयोजकता आबंध लसद्धांत द्वारा [Mn(CN)₆]³⁻ , [Co(NH₃)₆]³⁺ ,के संकरर् का


प्रकारचुंबकीय व्यवहारस्पष्ट कीजजए।
उत्तर1. [Mn(CN)₆]³⁻

संकरर् d2sp3

चंब
ु कीय व्यवहार- 2 आयजु ग्मतइलेक्रॉनोंकेकारर्अनच
ु म्
ु बकीय

2.[Co(NH₃)₆]³⁺

चंब
ु कीय व्यवहार-आयजु ग्मत इलेक्रॉनों के उपलब्ध न होने के कारर् प्रनतचम्
ु बकीय

प्रश्न.22 संकुल का प्रेक्षित रं ग संकुल द्वारा अवशोवषत तरं ग दै र्घयण से कैसे संबंधधत होता है।

उत्तर: जब श्वेत प्रकाश संकुल पर पडता है तो इसका कुछ भाग अधधशोवषत हो जाता है। किस्टल
िेत्र ववपाटन जजतना अधधक होता है, संकुल द्वारा अधधशोवषत तरं गदै र्घयण उतना ही कम होता है। बचे
हुए तरं गदै र्घयण का रं ग संकुल का प्रेक्षित रं ग होता है।

प्रश्न.23 किस्टल िेत्र ववपाटन के आधार पर स्पष्ट कीजजए कक Co (III) दब


ु णल िेत्र ललगंड के साथ
अनुचुंबकीय अष्टिलकीय संकुल क्यों बनाता है जबकक प्रबल िेत्र ललगंड के साथ यह प्रनतचब
ुं कीय
अष्टिलकीय संकुल बनाता है।

उत्तर: दब
ु णल िेत्र ललगंडों के साथ ∆0< p, इसललए Co (III) का इलेक्रॉनी ववन्यास t⁴₂ e²ₐहोता है
और इसमें 4 अयुगललत इलेक्रॉन होते हैं तथा यह अनुचुंबकीय होता है। प्रबल िेत्र ललगंडों के साथ,
∆0> p, इसललए इलेक्रॉनी ववन्यास t⁶₂ e⁰होता है। इसमें कोई अयग
ु ललत इलेक्रॉन नहीं होता और
यह प्रनतचंब
ु कीय है।

प्रश्न.24 समान ज्यालमती वाले यौधगकों का चंब


ु कीय आघर्
ू ण लभन्न क्यों होता है।

उत्तर: समान ज्यालमती वाले यौधगकों का चुंबकीय आघूर्ण लभन्न होता है , संकुलों में यह दब
ु णल और
प्रबल ललगंडों की उपजस्थनत के कारर् होता है, जजसके िलस्वरूप इनकी CFSE लभन्न होती है। यटद
CFSE उच्च है तो संकुल चुंबकीय आघूर्ण का ननम्न मान दशाणता है तथा इसके ववपरीत भी।
उदाहरर्ाथण [CoF₆]³⁻और [Co(NH₃)₆]³⁺, पहले वाला अनुचुंबकीय होता है और बाद वाला प्रनतचुंबकीय
होता है।

प्रश्न.25 द्ववक-लवर् को उदाहरर् द्वारा समझाइये।

उत्तर: वे योगात्मक योधगक जो ठोस अवस्था में क्वाथी होते हैं परं तु जलीय ववलयन में पूर्ण रुप से
आयननत हो जाते हैं उन्हें द्ववक लवर् कहते हैं इन्हें जालक लवर् भी कहते हैं |

1.कानेलाइट KCl.MgCl2.6H2O

2.पोटाश एलम या किटकरी K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O

3. लवर् या किस्टलीय िेरस अमोननया सल्िेट FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O

प्रश्न.26 संकुल-लवर् को उदाहरर् द्वारा समझाइये।

उत्तर- वे योगात्मक योधगक जो ठोस तथा बबललयन दोनों अवस्थाओं में स्थाई होते हैं परं तु यह जल
में पूर्ण रुप से आयननत नहीं होते हैं।केंरीय धातु परमार्ु तथा ललगें ड के मध्य बना उपसहसंयोजक
बंध जजसमें ललगें ड दाता का तथा केंरीय धातु परमार्ु िाही का काम करता है , इस प्रकार बनी
संकुल को संकुल योधगक कहते हैं |

जैसे : [Cu(NH3)4]SO4 = [Cu(NH3)4]2+ + SO42-


प्रश्न.27 संयोजकता आबन्ध लसद्धान्त के आधार पर [Fe(CN)6]4-की उपसहसंयोजन सत्ता में आबन्ध
की प्रकृनत की वववेचना कीजजए –

उत्तर:1. [Fe(CN6)]4- –आयरन की ऑक्सीकरर् अवस्था +2


Fe का इलेक्रॉननक ववन्यास = [Ar] 3d6 4s2

Fe 2+ का इलेक्रॉननक ववन्यास = [Ar] 3d6


d-उपकोश के इलेक्रॉन युजग्मत हो जाते हैं, चाँकू क CN– आयन प्रबल िेत्र ललगेण्ड हैं।

ककसी भी किक में अयुजग्मत इलेक्रॉन नहीं होते हैं, इसललए [Fe(CN)6]4- प्रनतचम्
ु बकत्व दशाणता है।
अतः [Fe(CN)6]4- प्रनतचुम्बकीय तथा अष्टिलकीय है।

प्रश्न.28 स्पेक्रो रासायननक श्रेर्ी क्या है?

उत्तर: ललगण्डों को उनके बढ़ती हुई िेत्र प्रबलता के िम में एक श्रेर्ी में व्यवजस्थत ककया जा सकता
है, इस प्रकार की श्रेर्ी स्पेक्टरोरासायननक श्रेर्ीकहलाती है। यह ववलभन्न ललगेण्डों के साथ बने संकुलों
द्वारा प्रकाश के अवशोषर् पर आधाररत प्रायोधगक तथ्यों द्वारा ननधाणररत श्रेर्ी है।जोइसप्रकारहै -

I– < Br– < SCN– < Cl– < S2 < F– < OH– < C2O2-4 < H2O < NCS– < EDTA4- <
NH3 < en < CN– < CO

प्रश्न.29 दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड तथा प्रबल िेत्र ललगेण्ड में अन्तर स्पष्ट कीजजये।

उत्तर- दब
ु णलिेत्र ललगेण्ड तथा प्रबल िेत्र ललगेण्ड के मध्य अन्तर-
दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड-वे ललगेण्ड जजनकी किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण (CFSE), Δ0 का मान कम होता
है, दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड कहलाते हैं। दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड के कारर् इलेक्रॉनों का यग्ु मन नहीं होता तथा
ये उच्च चिर् संकुल बनाते हैं।

प्रबल िेत्र ललगेण्ड-वे ललगेण्ड जजनकी किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण, Δ0 का मान अधधक होता है, प्रबल
िेत्र ललगेण्ड कहलाते हैं। प्रबल िेत्र ललगेण्ड के कारर् इलेक्रॉनों का यग्ु मन होता है तथा ये ननम्न
चिर् संकुल बनाते हैं।

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