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CH 5 S Hin. I
CH 5 S Hin. I
नोट-
उत्तर: (a)
प्रश्न.2 ननम्नललखित में से कौन-सी स्पीशीज का ललंगड होना अपेक्षित नहीं है।
(a) NO
(b) NH⁺₄
(c) NH₂CH₂CH₂NH₂
(d) CO
उत्तर: (b)
प्रश्न.3 एथेन-1, 2-डाइऐमीन के ललगंड की तरह व्यवहार के संबंध में सही कथन हैं-
(a) यह उदासीन ललगंड है।
(b) यह द्ववदं तरु ललगंड है।
(c) यह कीलेटी ललगंड है।
(d) यह एकदं तुर ललगंड है।
(a) i, ii
(b) i,iii
(c) i,ii,iii
(d) i, iv
उत्तर: (c)
(a) अलभकथन और तकण दोनों सही हैं और तकण अलभकथन का सही स्पष्टीकरर् है।
(b) अलभकथन और तकण दोनों सही कथन हैं परन्तु तकण अलभकथन का स्पष्टीकरर् नहीं है।
(c) अलभकथन सही है परन्तु तकण गलत कथन है।
(d) अलभकथन गलत है परन्तु तकण सही कथन है।
उत्तर: (d)
(a) एमीनब्रोमीडोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(II)
(b) एमीनब्रोमीडोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(III)
(c) एमीनब्रोमोक्लोरीडोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(II)
(d) एमीनब्रोमोक्लोरोनाइरीटो-N-प्लेटटनेट(III)
उत्तर: (a)
प्रश्न.6[Ni(CN4)2- मेंसंकरर्है-
(a)sp
(b)sp2
(c)dsp2
(d)sp3
उत्तर: (c)
उत्तर: (d)
(a)प्राथलमक
(b)ललगैण्ड
(c)होमोलेजप्टक
(d)बहुदन्तरु
(a)जब एक ललगैण्ड, धातु आयन से एक दाता परमार्ु द्वारा पररबद्ध होता है जैस-े Cl–, H2O या
NH3 तो ललगैण्ड क्याकहलाता है?
(b)समन्वयन मण्डल[CO(H2O)(CN)(en)2]2+ में धातु की ऑक्सीकरर् संख्या को दशाणइए।
(c)टे राब्रोमीडो क्यूप्रट
े (II) का सूत्रललखिये।
(d)किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण (CFSE) ककसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्तर-
(a) (ii)
(b) (iii)
(c) (iv)
(d) (i)
अनुभाि 2. अनतलघउ
ु त्तरीय प्रश्न
उत्तर: ये दो लवर्ों का लमश्रर् होते हैं जो जलीय ववलयन बनाने पर अपने संघटक आयनों में टूट
जाते हैं । द्ववक लवर् के सभी संघटक आयन अपनी स्वतन्त्र पहचान रिते हैं तथा आयनीकरर्
होने पर अपने परीिर् दे ते हैं ।
उत्तर: माना कक टदये गये संकर आयनों में धातु की ऑक्सीकरर् संख्या x हैं।
∴ x = +3
1. टे राहाइड्रॉजक्सडोजजंकेट(II)
2. पोटै लशयम टे राक्लोररडोपैलेडेट (II)
उत्तर: 1. [Zn(OH)4]2-
2.K2[PdCl4]
1. [Co(NH3)6]Cl3 2. [Pt(NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl
उत्तर:
उत्तर: [Fe(C2O4)3]3- में Fe की समन्वय संख्या 6 है क्योंकक C2O2-4 द्ववदन्तुर ललगेण्ड हैं, जो
6 बंधोद्वाराधातुआयनसेजुडारहताहै।
उत्तर:होमोलेजप्टक – संकुल जजनमें धातु परमार्ु केवल एक प्रकार के दाता समूह (ललगेण्ड) से जुडा
रहता है, होमोलेजप्टक संकुल कहलाते हैं। उदाहरर्ाथण– [Co(NH3)6]3+ तथा [Fe(CN)6]4-.
. हे टरोलेजप्टक – संकुल जजनमें धातु परमार्ु एक से अधधक प्रकार के दाता समूहों (ललगेण्डों) से जुडा
रहता है, हे टरोलेजप्टक संकुल कहलाते हैं। उदाहरर्ाथण – [Co(NH3)4Cl2]+ तथा [Pt(NH3)5Cl]3+.
संकरर् d2sp3
चंब
ु कीय व्यवहार- 2 आयजु ग्मतइलेक्रॉनोंकेकारर्अनच
ु म्
ु बकीय
2.[Co(NH₃)₆]³⁺
चंब
ु कीय व्यवहार-आयजु ग्मत इलेक्रॉनों के उपलब्ध न होने के कारर् प्रनतचम्
ु बकीय
प्रश्न.22 संकुल का प्रेक्षित रं ग संकुल द्वारा अवशोवषत तरं ग दै र्घयण से कैसे संबंधधत होता है।
उत्तर: जब श्वेत प्रकाश संकुल पर पडता है तो इसका कुछ भाग अधधशोवषत हो जाता है। किस्टल
िेत्र ववपाटन जजतना अधधक होता है, संकुल द्वारा अधधशोवषत तरं गदै र्घयण उतना ही कम होता है। बचे
हुए तरं गदै र्घयण का रं ग संकुल का प्रेक्षित रं ग होता है।
उत्तर: दब
ु णल िेत्र ललगंडों के साथ ∆0< p, इसललए Co (III) का इलेक्रॉनी ववन्यास t⁴₂ e²ₐहोता है
और इसमें 4 अयुगललत इलेक्रॉन होते हैं तथा यह अनुचुंबकीय होता है। प्रबल िेत्र ललगंडों के साथ,
∆0> p, इसललए इलेक्रॉनी ववन्यास t⁶₂ e⁰होता है। इसमें कोई अयग
ु ललत इलेक्रॉन नहीं होता और
यह प्रनतचंब
ु कीय है।
उत्तर: समान ज्यालमती वाले यौधगकों का चुंबकीय आघूर्ण लभन्न होता है , संकुलों में यह दब
ु णल और
प्रबल ललगंडों की उपजस्थनत के कारर् होता है, जजसके िलस्वरूप इनकी CFSE लभन्न होती है। यटद
CFSE उच्च है तो संकुल चुंबकीय आघूर्ण का ननम्न मान दशाणता है तथा इसके ववपरीत भी।
उदाहरर्ाथण [CoF₆]³⁻और [Co(NH₃)₆]³⁺, पहले वाला अनुचुंबकीय होता है और बाद वाला प्रनतचुंबकीय
होता है।
उत्तर: वे योगात्मक योधगक जो ठोस अवस्था में क्वाथी होते हैं परं तु जलीय ववलयन में पूर्ण रुप से
आयननत हो जाते हैं उन्हें द्ववक लवर् कहते हैं इन्हें जालक लवर् भी कहते हैं |
1.कानेलाइट KCl.MgCl2.6H2O
उत्तर- वे योगात्मक योधगक जो ठोस तथा बबललयन दोनों अवस्थाओं में स्थाई होते हैं परं तु यह जल
में पूर्ण रुप से आयननत नहीं होते हैं।केंरीय धातु परमार्ु तथा ललगें ड के मध्य बना उपसहसंयोजक
बंध जजसमें ललगें ड दाता का तथा केंरीय धातु परमार्ु िाही का काम करता है , इस प्रकार बनी
संकुल को संकुल योधगक कहते हैं |
ककसी भी किक में अयुजग्मत इलेक्रॉन नहीं होते हैं, इसललए [Fe(CN)6]4- प्रनतचम्
ु बकत्व दशाणता है।
अतः [Fe(CN)6]4- प्रनतचुम्बकीय तथा अष्टिलकीय है।
उत्तर: ललगण्डों को उनके बढ़ती हुई िेत्र प्रबलता के िम में एक श्रेर्ी में व्यवजस्थत ककया जा सकता
है, इस प्रकार की श्रेर्ी स्पेक्टरोरासायननक श्रेर्ीकहलाती है। यह ववलभन्न ललगेण्डों के साथ बने संकुलों
द्वारा प्रकाश के अवशोषर् पर आधाररत प्रायोधगक तथ्यों द्वारा ननधाणररत श्रेर्ी है।जोइसप्रकारहै -
I– < Br– < SCN– < Cl– < S2 < F– < OH– < C2O2-4 < H2O < NCS– < EDTA4- <
NH3 < en < CN– < CO
प्रश्न.29 दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड तथा प्रबल िेत्र ललगेण्ड में अन्तर स्पष्ट कीजजये।
उत्तर- दब
ु णलिेत्र ललगेण्ड तथा प्रबल िेत्र ललगेण्ड के मध्य अन्तर-
दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड-वे ललगेण्ड जजनकी किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण (CFSE), Δ0 का मान कम होता
है, दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड कहलाते हैं। दब
ु णल िेत्र ललगेण्ड के कारर् इलेक्रॉनों का यग्ु मन नहीं होता तथा
ये उच्च चिर् संकुल बनाते हैं।
प्रबल िेत्र ललगेण्ड-वे ललगेण्ड जजनकी किस्टल िेत्र ववपाटन ऊजाण, Δ0 का मान अधधक होता है, प्रबल
िेत्र ललगेण्ड कहलाते हैं। प्रबल िेत्र ललगेण्ड के कारर् इलेक्रॉनों का यग्ु मन होता है तथा ये ननम्न
चिर् संकुल बनाते हैं।