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NCERT Solutions for Class 12

Chemistry
Chapter 6 – General Principles and Processes of Isolation of
Elements

1. कॉपर का निष्कर्षण हाइड्र ोधातुकर्ष द्वारा नकया जाता है , परन्तु नजिंक का िह िं।
व्याख्या क नजए।

उत्तर:

 zn²    cu ²  
Zn  E 0   0.75V  , Cu  E 0   0.34V 
 zn   cu 

से अधिक धकयाशील होता है । कॉपर आयनोों के धिलयन से Cu ²  आयनोों को Zn ZnO के


द्वारा आसानी से प्रधतस्थाधपत धकया जा सकता है ।

Zn  s   Cu ²   aq   Zn²   aq   Cu  s 

इस प्रकार, कॉपर को हाइड्रोिातु कर्म के द्वारा धनष्कधषमत धकया जा सकता है । परन्तु, धजों क के
ज़्यादा धियाशील होने के कारण, Zn ²  आयन युक्त धिलयन से आसानी से धिस्थाधपत नहीों
धकया जा सकता है । इस प्रकार, कॉपर को हाइड्रोिातु कर्म के द्वारा धनष्कधषमत धकया जा सकता
है । परन्तु, धजों क को अधिक धियाशील होने की िजह से Zn ²  आयन युक्त धिलयन से आसानी
से धिस्थाधपत नहीों धकया जा सकता है ।इसकी िजह यह है धक धजों क से अधिक धियाशील िातु;
जै से-ऐलु धर्धनयर्, र्ैग्नीधशयर्, कैल्सियर् आधद जल से धिया करती है इसधलए, धजों क को
हाइड्रोिातु कर्म के द्वारा धनष्कधषमत नहीों धकया जा सकता है ।

2. फेि प्लवि नवनध र्ें अविर्क क क्या भूनर्का है ?

उत्तर: फेन प्लिन धिधि र्ें अिनर्क का र्ुख्य कायम सोंकरता के द्वारा अयस्क के अियिोों र्ें
से धकसी एक को फेन बनाने से रोकना है ।

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ZnS  4 NaCN  Na₂  Zn  CN  ₄   Na₂S

जै से, NaCN का प्रयोग अिनर्क के रूप र्ें PbS से ZnS अयस्क को पृथक् करने के धलए
धकया जाता है । यह ZnS के साथ सोंकर यौधगक बनाता है तथा इसको फेन बनाने से रोकता है ।

इस प्रकार केिल PbS ही फेन बनाने के धलए उपलब्ध होता है तथा इसे ZnS से सरलता से
पृथक् धकया जा सकता है ।

3. अपचयि द्वारा ऑक्साइड् अयस्ोिं क अपे क्षा पाइराइट से तााँबे का निष्कर्षण अनधक
कनिि क्योिं है ?

उत्तर: पायराइट अयस्क र्ें, कॉपर Cu₂ S के रूप र्ें धिद्यर्ान रहता है । Cu₂ S के धनर्ाम ण की
र्ानक र्ुक्त ऊजाम (f G  ), CS ₂ से अधिक होती है , जो धक एक ऊष्माशोषी यौधगक है ।
इसधलए, काबमन या H₂ का प्रयोग Cu₂ S को Cu िातु र्ें अपचधयत करने के धलए नहीों धकया जा
सकता है । इसके धिपरीत Cu₂O के f G  का र्ान CO , से बहुत कर् होता है । इसधलए,
Cu₂O को काबमन के द्वारा Cu िातु र्ें सरलता से अपचधयत धकया जा सकता है ।

Cu₂O  s   C  s   2Cu  s   CO  g 

यही कारण है धक पायराइट से Cu का धनष्कषमण इसके ऑक्साइड् के अपचयन द्वारा अधिक


कधिन है ।

4. व्याख्या क नजए-

1. र्ण्डल पररष्करण,

उत्तर: र्ण्डल पररष्करण – यह धिधि इस धसद्धान्त पर आिाररत है धक अशु ल्सद्धयोों की धिले यता
िातु की िोस अिस्था की अपेक्षा गधलत अिस्था र्ें अधिक होती है । अशु द्ध िातु की छड़ के
एक धकनारे पर एक िृत्ताकार गधतशील तापक लगा रहता है (धचत्र-1)। इसकी सहायता से
अशु द्ध िातु को गर्म धकया जाता है । तापक जै से ही आगे की ओर बढ़ता है , गधलत से शु द्ध िातु

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धिस्टधलत हो जाती है तथा अशु ल्सद्धयााँ सोंलग्न गधलतों र्ण्डल र्ें चली जाती हैं । इस धिया को
कई बार दोहराया जाता है तथा तापक को एक ही धदशा र्ें बार-बार चलाते हैं । अशु ल्सद्धयााँ छड़
के एक धकनारे पर एकधत्रत हो जाती हैं । इसे काटकर अलग कर धलया जाता है । यह धिधि
र्ुख्य रूप से अधतउच्च शु द्धता िाले अद्धम चालकोों जै से जर्ेधनयर्, धसधलकन, बोरॉन, गैधलयर्
एिों इल्सण्डयर् तथा अन्य अधतशुद्ध िातु ओों को प्राप्त करने के धलए बहुत उपयोगी है ।

2. स्तम्भ वणषलेखिक ।

उत्तर: स्तम्भ िणमलेल्सिकी (Column chromatography) – यह धिधि इस धसद्धान्त पर आिाररत


है । धक अधिशोषक पर धर्श्रण के धिधिन्न घटकोों का अधिशोषण अलग-अलग होता है । धर्श्रण
को द्रि या गैसीय र्ाध्यर् र्ें रिा जाता है जो धक अधिशोषक र्ें से गुजरता है । स्तम्भ र्ें धिधिन्न
घटक धिन्न-धिन्न स्तरोों पर अधिशोधषत हो जाते हैं , बाद र्ें अधिशोधषत घटक उपयुक्त
धिलायकोों (धनक्षालक) द्वारा धनक्षाधलत कर धलए जाते हैं । गधतशील र्ाध्यर् की िौधतक अिस्था,
अधिशोषक पदाथम की प्रकृधत एिों गधतशील र्ाध्यर् के गर्न के प्रिर् पर धनिमर होने के कारण
इसे ‘स्तम्भ िणम लेल्सिकी‘ नार् धदया गया है । इस प्रकार की एक धिधि र्ें कााँ च की नली र्ें
Al₂O₃ का एक स्तम्भ बनाया जाता है तथा गधतशील र्ाध्यर् धजसर्ें अियिोों का धिलयन
उपल्सस्थत होता है , द्रि प्रािस्था र्ें होता है । यह स्तम्भ िणमलेल्सिकी का एक उदाहरण है ।

यह धिधि सूक्ष्म र्ात्रा र्ें पाए जाने िाले तत्ोों के शु ल्सद्धकरण और शु द्ध धकए जाने िाले तत् तथा
अशु ल्सद्धयोों के रासायधनक गुणोों र्ें अधिक धिन्नता न होने की ल्सस्थधत र्ें शु ल्सद्धकरण के धलए
अत्यधिक उपयोगी होती है । स्तम्भ िणमलेल्सिकी र्ें प्रयुक्त प्रिर् को धचत्र-2 र्ें दशाम या गया है ।

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5. 673 K ताप पर C तथा CO र्ें से कौि-सा अच्छा अपचायक है?

उत्तर: 673 K ताप पर C एिों CO र्ें से CO एक अच्छा अपचायक है । इसको धनम्न प्रकार
सर्झाया जा सकता है –

एधलों घर् धचत्र (धचत्र 3) र्ें, C , CO₂ िि लगिग क्षैधतज है , जबधक C , CO₂ िि उर्ध्मगार्ी हैं
तथा दोनोों िि 673 K पर एक-दू सरे को काटते हैं ।

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C  s   O₂  g   CO₂  g  ऊजाम की दृधि से कर् सम्भाव्य है क्ोोंधक इसकी fG  का र्ान

अधिधिया fG  की तुलना र्ें कर् ऋणात्मक होता है । इसधलए 673 K से नीचे CO एक
अधिक अच्छे अपचायक के रूप र्ें कायम करता है ।

6. कॉपर के नवद् युत-अपघटि शोधि र्ें ऐिोड् पिं क र्ें उपखथथत सार्ान्य तत्ोिं के िार्
द नजए। वे वहााँ कैसे उपखथथत होते हैं ?

उत्तर: कॉपर के िैद्युत शोिन र्ें ऐनोड् र्ड् र्ें उपल्सस्थत सार्ान्य तत्त्व सेलेधनर्य, टे लुररयर्,
धसल्वर, गोल्ड आधद हैं । ये तत्त्व कॉपर से कर् धियाशील होते हैं तथा िैद्युत प्रधिया र्ें
अप्रिाधित रहते हैं ।

7. आयरि (लोहे) के निष्कर्षण के दौराि वात्या भट्ट के नवनभन्न क्षेत्ोिं र्ें होिे वाल
अनभनियाओिं को नलखिए।

उत्तर: आयरन के ऑक्साइड् अयस्कोों को धनस्तापन अथिा िजम न से साल्सित करके,


लाइर्स्टोन तथा कोक के साथ धर्धश्रत करके िात्या िट्टी के हॉपर र्ें ड्ाला जाता है । िात्या
िट्टी र्ें धिधिन्न ताप-परासोों र्ें आयरन ऑक्साइड् का अपचयन होता है । िात्या िट्टी र्ें होने
िाली अधिधियाएाँ धनम्नधलल्सित हैं –

500 – 800 K पर (िात्या िट्टी र्ें धनम्न ताप पररसर र्ें)

3Fe₂O₃  CO  2 Fe₃O₄  CO₂ 


Fe₃O₄  4 CO  3 Fe   4CO₂ 
Fe₂O₃  CO  2 FeO  CO₂ 

900 – 1500 K पर (िात्या िट्टी र्ें उच्च ताप-पररसर र्ें)

C  CO₂  2 CO 
FeO  CO  Fe  CO₂ 

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चूना पत्थर (लाइर्स्टोन) िी CaO र्ें अपघधटत हो जाता है जो अयस्क की धसधलकेट अशु ल्सद्ध
को िातु र्ल के रूप र्ें हटा दे ता है । िातु र्ल (slag) गधलत अिस्था र्ें होता है तथा आयरन से
पृथक्कृत हो जाता है ।

8. नजिंक ब्लेण्ड से नजिंक के निष्कर्षण र्ें होिे वाल रासायनिक अनभनियाओिं को


नलखिए।

उत्तर: धजों क ब्लेण्ड से धजों क के धनष्कषमण र्ें होने िाली अधिधियाएाँ धनम्नधलल्सित हैं –

1. सािण (Concentration) – अयस्क को पीसकर फेन प्लिन प्रिर् द्वारा इसको सािण
धकया जाता है ।

2. िजम न (Roasting) – साल्सित अयस्क का लगिग 1200 K ताप पर िायु की अधिकता


र्ें िजम न धकया जाता है धजससे धजों क ऑक्साईड्  ZnO  प्राप्त होता है ।

2ZnS  3O₂  2ZnO  2SO₂

3. अपचयन (Reduction) – प्राप्त धजों क ऑक्साइड् को चूधणम त कोक के साथ धर्लाकर


एक फायर क्ले ररटॉटम र्ें 1673 K तक गर्म धकया जाता है , पररणार्स्वरूप यह धजों क
िातु र्ें अपचधयत हो जाता है ।

ZnO  C   1673K  Zn   CO 

1673 K पर धजों क िातु िाष्पीकृत होकर (क्वथनाोंक 1180 K ) आसधित हो जाती है ।

4. धिद् युत-अपघटनी शोिन (Electrolytic refining) – अशु द्ध धजों क ऐनोड् बनाता है तथा
कैथोड् शु द्ध धजों क की शीट से बना होता है । धिद् युत-अपघट्य तनु H₂SO₄ से अम्लीकृत
ZnSO₄ धिलयन होता है । धिद् युत िारा प्रिाधहत करने पर शु द्ध Zn कैथोड् पर सोंगृहीत
हो जाता है ।

9. कॉपर के धातु कर्ष र्ें नसनलका क भूनर्का सर्झाइए।

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उत्तर: िजम न के दौरान कॉपर पाइराइट FeO तथा Cu₂O के धर्श्रण र्ें पररिधतम त हो जाता है ।

FeO (क्षारीय) को हटाने के धलए प्रगलन के दौरान एक अम्लीय गालक धसधलका धर्लाया जाता
है । FeO , SiO₂ से सोंयोग करके फेरस धसधलकेट  FeSiO₃ िातु र्ल बनाता है जो गधलत अिस्था
र्ें प्राप्त र्ैट पर तै रने लगता है ।

अत: कॉपर के धनष्कषमण र्ें धसधलका की िूधर्का ऑक्साइड् को िातु र्ल के रूप र्ें हटाने की
होती है ।

10. ‘वणषलेखिक पद का क्या अथष है ?

उत्तर: िणमलेल्सिकी (िोर्ैटोग्राफी) ग्रीक िाषा र्ें िोर्ा का अथम रों ग तथा ग्राफी का अथम धलिना
होता है । शब्द का प्रयोग सिमप्रथर् 1906 र्ें आईिेट (Iswett) के द्वारा पौिोों से रों गीन पदाथों
को पृथक् करने के धलए धकया गया था। अब इस शब्द का र्ूल अथम अल्सस्तत्हीन है क्ोोंधक
आजकल इस तकनीक का प्रयोग व्यापक रूप र्ें पृथक्करण, शोिन तथा रों गीन या रों गहीन
धर्श्रण के अियिोों के लक्षणीकरण (characterisation) तत्त्वोों के धनिाम रण र्ें धकया जाता है ।
यह काबमधनक यौधगक के धर्श्रण के अियिोों का दो प्रािस्थाओों के बीच धितरण के धसद्धान्त
पर आिाररत है । इन दोनोों प्रािस्थाओों र्ें एक ल्सस्थर होती है , जो धक िोस या द्रि हो सकती है ।
इसे ल्सस्थर प्रािस्था कहते हैं । दू सरी प्रािस्था को गधतशील प्रािस्था कहते हैं । यह गधतशील
प्रकृधत की होती है और द्रि या गैस की बनी होती है ।

11. वणषलेखिक र्ें खथथर प्रावथथा के चयि र्ें क्या र्ापदण्ड अपिाए जाते हैं?

उत्तर: ल्सस्थर प्रािस्था इस प्रकार के पदाथम की बनी होनी चाधहए, जो धक अशु ल्सद्धयोों को शु द्ध
धकये जाने िाले तत्त्व की अपेक्षा अधिक प्रबलता से अधिशोधषत करने र्ें सक्षर् हो। इससे तत्त्व
का धनगमर्न (elution) सुगर्ता से हो जाता है ।

12. निनकल-शोधि क नवनध सर्झाइए।

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उत्तर: धनधकल-शोिन का र्ॉन्ड प्रिर् (Mond process of nickel purification) – इस प्रिर्
र्ें धनधकल (अशु द्ध) को काबमन र्ोनोक्साइड् के प्रिाह र्ें गर्म करने से िाष्पशील धनधकल
टे टरोकाबोधनल सोंकुल बन जाता है –

इस काबोधनल को और अधिक ताप पर गर्म करते हैं धजससे यह धिघधटत होकर शु द्ध िातु दे
दे ता है ।

13. नसनलका युक्त बॉक्साइट अयस् र्ें से नसनलका को ऐलु नर्िा से कैसे अलग करते
हैं ? यनद कोई सर् करण हो तो द नजए।

उत्तर: शु द्ध ऐलु धर्ना को बॉक्साइट अयस्क से बायर प्रिर् द्वारा पृथक्कृत धकया जा सकता
है । धसधलका युक्त बॉक्साईट अयस्क को NaOH के साि धिलयन के साथ 473 – 523 K ताप
पर तथा 35 – 36 bar दाब पर गर्म करते हैं । इससे ऐलु धर्ना, सोधड्यर् ऐलु धर्नेट के रूप र्ें
तथा धसधलका, सोधड्यर् धसधलकेट के रूप र्ें घुल जाता है तथा अशु ल्सद्धयााँ अिशे ष के रूप र्ें
रह जाती हैं ।

पररणार्ी धिलयन को छानकर अधिलेय अशु ल्सद्धयोों (यधद कोई हो) को हटा धदया जाता है तथा
इसे CO₂ गैस प्रिाधहत करके उदासीन कर धदया जाता है । इस अिस्था पर धिलयन को ताजा
बने हुए जलयोधजत Al₂O₃ के नर्ूने से बीजारोधपत धकया जाता है जो अिक्षेपण को प्रेररत
करता है ।

सोधड्यर् धसधलकेट धिलयन र्ें शे ष रह जाता है तथा जलयोधजत ऐलु धर्ना को छानकर,
सुिाकर तथा गर्म करके पुनः शु द्ध Al₂O₃ प्राप्त कर धलया जाता है ।

14. उदाहरण दे ते हुए भजषि व निस्तापि र्ें अन्तर बताइए।

उत्तर: धनस्तापन र्ें साल्सित अयस्क को उसके गलनाों क से नीचे िायु की सीधर्त र्ात्रा र्ें गर्म
धकया जाता है ।

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िजम न र्ें अयस्क को िायु की अधिकता र्ें तीव्रता से गर्म करते हैं । इसके फलस्वरूप P ,
As, S आधद की अशु ल्सद्धयााँ ऑक्सीकृत हो जाती हैं तथा सल्फाइड् अयस्क िातु ऑक्साइड् र्ें
पररिधतम त हो जाता है ।

15. ढलवााँ लोह कच्चे लोहे से नकस प्रकार नभन्न होता है ?

उत्तर: िात्या िट्टी से प्राप्त अशुद्ध आयरन को कच्चा लोहा कहा जाता है । इसर्ें S , P, Si, Mn
आधद की अशु ल्सद्धयोों के साथ लगिग 4% काबमन होता है । ढलिाों लोहे को बनाने के धलए कच्चे
लोहे को गर्म िायु र्ें स्क्रैप आयरन तथा कोक के साथ धपघलाया जाता है । इसर्ें काबमन की
र्ात्रा कर् (लगिग 3%) पायी जाती है ।

16. अयस्ोिं तथा िनिजोिं र्ें अन्तर स्पष्ट क नजए।

उत्तर: प्राकृधतक रूप से उपल्सस्थत रासायधनक पदाथम, धजनके रूप र्ें िातु एाँ अशु ल्सद्धयोों के साथ
िूपपमटी र्ें उपल्सस्थत होती हैं , िधनज (minerals) कहलाते हैं । िे िधनज, धजनसे िातु ओों का
धनष्कषमण सरल तथा आधथम क रूप से लािदायक हो, अयस्क कहलाते हैं । अतः सिी अयस्क
िधनज होते हैं , परन्तु सिी िधनज अयस्क नहीों होते हैं । उदाहरणाथम – िूपपमटी र्ें लोहा
ऑक्साइड्ोों, काबोनेटोों तथा सल्फाइड्ोों के रूप र्ें धिद्यर्ान होता है । लोहे के इन िधनजोों र्ें से
धनष्कषमण के धलए लोहे के ऑक्साइड्ोों को चुना जाता है , इसधलए लोहे के ऑक्साइड्, लोहे के
अयस्क हैं । इसी प्रकार िूपपमटी र्ें ऐलु धर्धनयर् दो िधनजोों के रूप र्ें पाया जाता है - बॉक्साइट
( Al₂O₃. xH ₂O) तथा क्ले ( Al₂O₃. 2SiO₂. 2 H ₂O) । इन दोनोों िधनजोों र्ें से बॉक्साइट से Al का
धनष्कषमण सरलतापूिमक तथा आधथम क रूप से लािदायक रूप र्ें धकया जा सकता है , इसधलए
बॉक्साइट ऐलु धर्धनयर् का अयस्क है ।

17. कॉपर र्ैट को नसनलका क परत चढे हुए पररवतष कोिं र्ें क्योिं रिा जाता है ?

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उत्तर: धसधलका युक्त पररितम क (बेसेर्र पररितम क) र्ें र्ैट र्ें उपल्सस्थत शे ष FeS को FeO र्ें
ऑक्सीकृत करने के धलए रिा जाता है जो धसधलका के साथ सोंयोग कर सोंगधलत िातु र्ल
बनाता है ।

जब सम्पूणम लोहे को िातु र्ल के रूप र्ें पृथक् कर धलया जाता है , तब कुछ Cu₂S ऑक्सीकरण
के फलस्वरूप Cu₂O बनाता है जो अधिक Cu₂S के साथ अधिधिया करके कॉपर िातु बनाता
है ।

2Cu₂S  3O₂  2Cu 2O  2SO₂ 


2Cu₂O  Cu₂S  6Cu   SO₂ 

अत: कॉपर र्ैट को धसधलका की परत चढ़े हुए पररितम क र्ें र्ैट र्ें उपल्सस्थत FeS को FeSiO3
िातु र्ल के रूप र्ें हटाने के धलए िी रिा जाता है ।

18. ऐलु नर्नियर् के धातु कर्ष र्ें िायोलाइट क क्या भूनर्का है?

उत्तर: िायोलाइट, धर्श्रण के सोंगलन ताप को कर् करता है तथा ऐलु धर्ना की िैद्युत
चालकता को बढ़ाता है जो धक िास्ति र्ें धिद् युत का अच्छा चालक नहीों होता है ।

19.निम्न कोनट के कॉपर अयस्ोिं के नलए निक्षालि निया को कैसे नकया जाता है ?

उत्तर: धनम्न ग्रेड् कॉपर अयस्क का धनक्षालन िायु या जीिाणु ओों की उपल्सस्थधत र्ें अम्ल के साथ
धिया कर धकया जाता है । इस प्रधिया र्ें कॉपर Cu ²  आयनोों के रूप र्ें धिलयन र्ें चला जाता
है ।

1
Cu  s   2 H   aq   O₂  g   Cu ²   aq   H ₂O  l 
2

20. Co का उपयोग करते हुए अपचयि द्वारा नजिंक ऑक्साइड् से नजिंक का निष्कर्षण
क्योिं िह िं नकया जाता?

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उत्तर: एधलों घर् धचत्र र्ें CO, CO₂ िि Zn, ZnO िि के ऊपर ल्सस्थत है । यह स्पि करता है धक
CO से CO₂ बनाने के धलए f G  का र्ान Zn से ZnO के धनर्ाम ण के र्ान से कर् ऋणात्मक
है । इसधलए, यधद CO का अपचायक के रूप र्ें प्रयोग धकया जाता है , तो अपचयन र्ें बहुत
अधिक ताप की आिश्यकता होगी। यही कारण है धक धजों क को CO अपचायक के प्रयोग द्वारा
ZnO से धनष्कधषमत नहीों धकया जाता है ।

21. Cr₂O₃ के नवरचि के नलए Δf G  ¹ का र्ाि – 540 kJ mol  ¹ है तथा Al₂O₃ के नलए
– 827 kJ mol  ¹ है । क्या Cr₂O₃ का अपचयि Al से सम्भव है ?

उत्तर: हााँ , Al के द्वारा Cr₂O₃ का अपचयन सम्भि है । इसको धनम्न प्रकार सर्झा जा सकता
है –

इस प्रधिया र्ें धनधहत अधिधियाएाँ धनम्न हैं –

3
2 Al  s   O₂  g   Al₂O₃  s  ; f G   – 827 kJ mol  ¹ i 
2

3
2Cr  s   O₂  g   Cr₂O₃  s  ; f G   – 540 kJ mol  ¹ ii 
2

सर्ीकरण  ii  र्ें से  i  को घटाने पर

2 Al  s   Cr₂O₃  3  Al₂O₃  s   2Cr  s  ;


f G   – 827   540   – 287 kJ mol  ¹

चूाँधक सोंयुक्त ररड्ॉक्स अधिधिया के धलए f G  का र्ान ऋणात्मक है , इसधलए प्रधिया


सम्भाव्य है । अथाम त् Al के द्वारा Cr₂O₃ का अपचयन सम्भि है ।

22. C व CO र्ें से ZnO के नलए कौि-सा अपचायक अच्छा है ?

उत्तर: काबमन CO से अधिक अच्छा अपचायक है , इसको अग्र प्रकार स्पि धकया जा सकता है

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एधलों घर् धचत्र र्ें , C, CO Al₂O₃ िि Zn, ZnO िि से 1120 K से अधिक ताप पर नीचे ल्सस्थत
तथा C , CO₂ िि 1323 K से अधिक ताप पर नीचे ल्सस्थत है । इस प्रकार, C से CO के धलए
f G  का र्ान तथा C , CO₂ के धलए f G  ⁻ के र्ान िर्शः 1120 K तथा 1323 K पर C से
ZnO के धलए f G  के र्ान से कर् है जबधक C , CO₂ िि Zn, ZnO िि से 2273 K पर िी
ऊपर है । इसधलए ZnO को C के द्वारा अपचधयत धकया जा सकता है परन्तु CO के द्वारा नहीों।
इसधलए C ि CO र्ें से ZnO के अपचयन के धलए C अधिक अच्छा अपचायक है ।

23. नकस नवशेर् खथथनत र्ें अपचायक का चयि ऊष्मागनतक कारकोिं पर आधाररत है ।
आप इस कथि से कहााँ तक सहर्त हैं ? अपिे र्त के सर्थषि र्ें दो उदाहरण द नजए।

उत्तर: धकसी धनधित िाल्सत्क ऑक्साइड् का िाल्सत्क अिस्था र्ें अपचयन करने के धलए उधचत
अपचायक का चयन करने र्ें ऊष्मागधतकी कारक सहायता करता है । इसे धनम्नित् सर्झा जा
सकता है –

एधलों घर् आरे ि से यह स्पि होता है धक िे िातुएाँ, धजनके धलए उनके ऑक्साइड्ोों के धनर्ाम ण
की र्ानक र्ुक्त ऊजाम अधिक ऋणात्मक होती है , उन िातु ऑक्साइड्ोों को अपचधयत कर
सकती हैं धजनके धलए उनके सम्बल्सित ऑक्साइड्ोों के धनर्ाम ण की र्ानक र्ुक्त ऊजाम कर्
ऋणात्मक होती है । दू सरे शब्दोों र्ें, कोई िातु धकसी अन्य िातु के ऑक्साइड् को केिल तब
अपचधयत कर सकती है , जबधक यह एधलों घर् आरे ि र्ें इस िातु से नीचे ल्सस्थत हो। चूोंधक
सोंयुक्त रे ड्ॉक्स अधिधिया का र्ानक र्ुक्त ऊजाम पररितम न ऋणात्मक होगा (जो धक दोनोों िातु
ऑक्साइड्ोों के f G  र्ें अन्तर के तु ल्य होता है ।), अत: Al तथा Zn दोनोों FeO को Fe र्ें
अपचधयत कर सकते हैं , परन्तु Fe , Al₂O₃ को Al र्ें तथा ZnO को Zn र्ें अपचधयत नहीों कर
सकता। इसी प्रकार C , ZnO को Zn र्ें अपचधयत कर सकता है , परन्तु CO ऐसा नहीों कर
सकता।

24. उस नवनध का िार् नलखिए नजसर्ें क्लोर ि सह-उत्पाद के रूप र्ें प्राप्त होत है ।
क्या होगा यनद NaCl के जल य नवलयि का नवद् युत-अपघटि नकया जाए?

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उत्तर: ड्ाउन की प्रधिया र्ें गधलत NaCl l के िैद्युत-अपघटन के फलस्वरूप सह-उत्पाद
के रूप र्ें क्लोरीन प्राप्त होती है ।

NaCl  fused   Na   Cl 

कैथोड् पर : Na  e  Na  s 

ऐनोड् पर : Cl   e  1/ 2 cl₂  g 

जब NaCl के जलीय धिलयन का िैद्युत-अपघटन धकया जाता है , तो कैथोड् पर H₂ गैस तथा


ऐनोड् पर Cl₂ गैस प्राप्त होती हैं । NaOH का एक जलीय धिलयन सह-उत्पाद के रूप र्ें प्राप्त
है ।

NaCl  aq   Na   aq   Cl –  aq 

ऐनोड् पर :

कैथोड् पर : 2H ₂O  l   2e  2OH  a   H₂  g 

25. ऐलु नर्नियर् के नवद् युत-धातु कर्ष र्ें ग्रे फाइट छड़ क क्या भूनर्का है ?

उत्तर: इस प्रधिया र्ें ऐलु धर्ना, िायोलाईट तथा फ्लुओरस्पार (CaF₂) के गधलत धर्श्रण का
धिद् युतअपघटन ग्रेफाइट को ऐनोड् के रूप र्ें तथा ग्रेफाइट की परत चढ़े हुए आयरन को
कैथोड् के रूप र्ें प्रयुक्त करके धकया जाता है । धिद् युत-अपघटन करने पर Al कैथोड् पर
र्ुक्त होती है , जबधक ऐनोड् पर CO तथा CO₂ र्ुक्त होती हैं ।

कैथोड् पर : Al ³ (गधलत)  Al  l 

ऐनोड् पर : C  s   O²  (गधलत)  CO  g   2e –

C  s   2O²  (गधलत)  CO₂  g   4e –

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यधद धकसी अन्य िातु को ग्रेफाइट के स्थान पर प्रयुक्त धकया जाता है , तब र्ुक्त O₂ न केिल
इले क्ट्रोड् की िातु को ऑक्सीकृत ही करे गी, बल्सि कैथोड् पर र्ुक्त Al की कुछ र्ात्रा को
पुनः Al₂O₃ र्ें पररिधतम त कर दे गी। चूाँधक ग्रेफाइट अन्य धकसी िातु से सस्ता होता है , इसधलए
इसे ऐनोड् के रूप र्ें प्रयुक्त धकया जाता है । इस प्रकार ऐलु धर्धनयर् के धनष्कषमण र्ें ग्रेफाइट
छड़ की िूधर्का ऐनोड् पर र्ुक्त O₂ को सोंरधक्षत करना है धजससे यह र्ुक्त होने िाले Al की
कुछ र्ात्रा को पुन: Al₂O₃ र्ें पररिधतम त न कर दे ।

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