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कक्षा 9 विज्ञान नोट्स

Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

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हमारे आस-पास के पदार्थ


पदार्थ -
• कोई भी वस्तु जिसका द्रव्यमान होता है और िो स्थान (आयतन) घेरता हो, पदाथथ कहलाता है।
• भारत के प्राचीन दार्थजनकों ने पदाथथ को पााँच मल
ू तत्वों में वर्गीकृ त जकया, जिसे 'पचं तत्त्व' कहा र्गया। इनके अनसु ार प्रकृ जत की
सभी वस्तएु ं चाहे वो सिीव हो या जनिीव, पचं तत्व से जनजमथत है।

प्राचीन दार्थवनक -

• आधजु नक वैज्ञाजनकों ने पदाथथ को दो भार्गों में वर्गीकृ त जकया है।

1. पदार्थ का भौवतक स्िरूप -

(अ) पदाथथ कणों से जमलकर बना होता हैं -

प्राचीन दार्थजनक महजषथ कणाद के अनुसार "पदाथथ छोटे-छोटे कणों से जमलकर बना होता है।"

उदाहरण - िल में नमक\र्कथ रा का घल


ु ना।

प्रयोर्ग -हम एक बीकर लेते है, जिसे िल से भर देते है। अब उसमें कांच की छड की सहायता से नमक या र्कथ रा डाल देते है, तब
हमने देखा िल के स्तर पर िहां जनर्ान अंजकत था उसमें बदलाव आता है अथाथत‌् हम कह सकते है जक पदाथथ कणों से जनजमथत होता
है।• पदाथथ के कण अजतसक्ष्ू म होते है -
• पदाथथ के कणों का आकार बहुत सक्ष्ू म होता है।

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उदाहरण - पौटेजर्यम परमैंर्गनेट का िल में जवलय
प्रयोग - पौटेजर्यम परमैंर्गनेट का एक छोटे कण को यजद एक जर्गलास पानी में डालने पर परू े जर्गलास का पानी रंर्गीन हो िाता है
अथाथत‌् एक छोटा कण जर्गलास में पानी के जितने कण है, उतने भार्गों में जवभाजित हो िाता है और सभी कणों के साथ जमल िाता
है तो हम कह सकते है जक पदाथथ के कण अजत सक्ष्ू म होते है।

पदार्थ के कणों के अवभिाक्षवणक गुण -

1. पदार्थ के कणों के मध्य ररक्त स्र्ान होता है -


पदाथथ के कणों के मध्य पयाथप्त ररक्त स्थान होता है।
उदाहरण - िल में नमक या र्कथ रा का घल ु ना
प्रयोग - हम एक बीकर लेते है जिसको आधा िल से भर देते है िल में काचं की छड की सहायता से र्क्कर डाल देते है। र्क्कर
बीकर के पेंदे पर एकजित हो िाती है तथा िल का स्तर बढ िाता है । काचं की छड की सहायता से र्क्कर को िल में जमलाया
िाता है। तब हम देखते है जक र्क्कर पानी में जवलेय हो िाती है। अथाथत‌् पदाथों के मध्य ररक्त स्थान होता है।

2. पदार्थ के कण वनरन्तर गवतर्ीि होते है।


यह पदाथथ का दसू रा र्गणु है। पदाथथ के छोटे-छोटे कण जनरन्तर र्गजतर्ील होते है। तापमान बढाने पर कणों की र्गजति ऊिाथ बढ िाती
है।
उदाहरण - नीली स्याही का िल में जवलेय
प्रयोग - िल से आधा भरा हुआ बीकर लेते है, जिसमें स्याही की दो बदूं े जमलाते है तब हम देखते है जक जर्गलास में पानी का रंर्ग
नीला हो िाता है अथाथत‌् पदाथथ के कण जनरन्तर र्गजतर्ील होते है।

3. पदार्थ के कण एक दूसरे को आकवषथत करते है -


पदाथथ के कणों के बीच एक बल कायथ करता है। यह बल कणों को एक-दसू रे से बांधे रखता है। इस आकषथण बल का सामर्थयथ अलर्ग-
अलर्ग पदाथों में जभन्न-जभन्न होता है। सवाथजधक आकषथण बल ठोस पदाथों में तथा न्यनू तम र्गैसीय पदाथो में होता है।

पदार्थ की अिस्र्ाएं

पदाथथ की तीन अवस्थाएं होती है ।


1. ठोस

2
2. द्रव
3. र्गैस

इसके अजतररक्त दो अवस्थाएं ओर होती है।


चौथी अवस्था - प्लाज्मा (जवजलयम कुकस ने खोि की)
पाचं वी अवस्था - बोस आइसंटीन पदाथथ (बोसोन कण)
(सत्येन्द्र नाथ बोस ने खोिा)

1. ठोस अिस्र्ा के गुणधमथ -

• ठोस का आकार जनजित होता है।


• ठोस का आयतन जनजित होता है।
• ठोस में सपं ीड‌्यता नर्गण्य होती है।
• ठोस में अणओ ु ं के मध्य अतं राजण्वक बल अजधक होता है।
• ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएं होती है।

2. द्रि अिस्र्ा के गुणधमथ -

• द्रव का आकार जनजित नहीं होता है।


• द्रव का आयतन जनजित होता है।
• द्रव की संपीड‌्यता ठोस से अजधक व र्गैस से कम होती है।
• द्रव में अणओ
ु ं के मध्य अंतराजण्वक बल कम होता है।
• द्रव तरल होते है और उनमें बहाव होता है।

3. गैस अिस्र्ा के गुणधमथ -

• र्गैस का आकार जनजित नहीं होता है।


• र्गैस का आयतन जनजित नहीं होता है।
• र्गैस की सपं ीड‌्यता सवाथजधक होती है।
• र्गैसों की अतं राजण्वक बल बहुत कम होता है।
• र्गैसों में कोई स्पष्ट सीमाएं नहीं होती है।

पदार्थ की विवभन्न अिस्र्ाओ ं के गुण

गुण ठोस द्रि गैस

आकार जनजित अजनजित अजनजित

आयतन जनजित जनजित अजनजित

कणों के मध्य आकषथण बि सवाथजधक ठोस से कम व र्गैस से अजधक नर्गण्य

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संपीड्यता नर्गण्य ठोस से अजधक व र्गैस से कम सवाथजधक

घनत्ि सवाथजधक ठोस से कम व र्गैस से अजधक न्यनू तम

पदार्थ की अिस्र्ा पररितथन ि प्रभाि -


िब भी पदाथथ की अवस्था में पररवतथन होता है तो मख्ु यत: उनके कणों के बीच की दरू ी, कणों की ऊिाथ एवं कणों की जस्थजत में
पररवतथन होता है।

अिस्र्ा पररितथन

तापमान का प्रभाि -
ताप देने से कणों की र्गजति ऊिाथ बढ िाती है। ठोस को ताप देने पर कण अजधक तेिी से कंपन करते लर्गते है। ऊष्मा के द्वारा प्रदत्त
की र्गई ऊिाथ कणों के बीच के आकषथण बल को पार कर लेती है। इस कारण कण अपने जनयत स्थान को छोड़कर अजधक स्वतंि
होकर र्गजत करने लर्गते है। एक अवस्था ऐसी आती है जिसमें ठोस जपघलकर द्रव बन िाता है।

गिनांक -
वह ताप जिस पर ठोस जपघलकर द्रव बन िाता है उसे पदाथथ का र्गलनांक कहते है। बर्थ का र्गलनांक 273.16 K है।

सगं िन -
र्गलने की प्रजिया अथाथत‌् ठोस से द्रव अवस्था में पररवतथन को संर्गलन कहते है।

एक वायमु ंडलीय दाब पर एक जकलोग्राम ठोस को उसके र्गलनांक पर द्रव में बदलने के जलए जितनी ऊष्मीय ऊिाथ की
आवश्यकता होती है उसे संर्गलन की प्रसप्तु ऊष्मा या र्गप्तु ऊष्मा (एन्थैल्पी) कहते है।

लिर्नांक -
द्रव को ताप देने पर कणों की र्गजति ऊिाथ बढने से र्गैस में बदलते है। वह तापमान जिस पर द्रव, र्गैस में बदलता है उसे क्वथनाक

कहते है। उदा. िल का क्वथनाक ं 100°C या 373 K

एक वायमु ण्डलीय दाब पर एक जकलोग्राम द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के जलए जितनी ऊष्मीय ऊिाथ की
आवश्यकता होती है उसे वाष्पन की प्रसप्तु ऊष्मा या र्गप्तु ा ऊष्मा (एंथैल्पी) कहते है।

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2. दाब पररितथन का प्रभाि -
दाब लर्गाने पर र्गैस के कण समीप आते है। इनके मध्य दरू ी घटने पर र्गैस अवस्था द्रव में बदल िाती है। परन्तु अत्यजधक दाब
लर्गाकर द्रव को ठोस नहीं बना सकते हैं क्योंजक द्रव में सपं ीड‌्यता अत्यन्त कम होती है।

उदाहरण -LPG (द्रवीकृ त पेट्रोजलयम र्गैस)


CNG (सपं ीजडत प्राकृ जतक र्गैस)

वाष्पीकरण - क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में पररवजतथत होने की इस प्रजिया को वाष्पीकरण कहते है।

िाष्पीकरण को प्रभावित करने िािे कारक -


1. सहत क्षेि बढ़ने पर
2. तापमान में वृजि
3. आद्रथता में कमी
4. वायु र्गजत में वृजि

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1. सतह क्षेत्र बढने पर - वाष्पीकरण एक सतही प्रजिया है, सतह बढने से वाष्पीकरण की दर बढ िाती है। ऐसा इसजलए होता है
क्योंजक वाष्पीकरण के दौरान अजधक सतह जमलने से पदाथथ के कणों को आस-पास से अजधक ऊष्मा अवर्ोजषत करने के जलए
जमलता है जिससे कणों की र्गजति ऊिाथ बढ िाती है।
उदा. कपड़े सख ु ाने के जलए र्ै ला देते है।

2. तापमान में िृवि - तापमान बढाने पर कणों को अजधक से अजधक र्गजति ऊिाथ जमलती है जिससे वाष्पीकरण की दर बढ
िाती है।

3. आद्रथता में कमी - वायु में उपजस्थत िल वाष्प की मािा को आद्रथता कहते है। वायु में उपजस्थत िलवाष्प के कणों की मािा
ऊष्मीय ऊिाथ को कम करती है। जिससे वाष्पीकरण की दर घट िाती है।

4. िायु की गवत में िवृ ि - वायु के तेि होने से िलवाष्प के कण तेिी से वायु के साथ उड िाते है जिससे आस-पास के
िलवाष्प की मािा घट िाती है और वाष्पीकण आसानी से होने लर्गता है।

िाष्पीकरण के कारण र्ीतिता - वाष्पीकरण के दौरान द्रव जनरन्तर अपनी ऊिाथ को वाष्पीकृ त करता है। वाष्पीकरण के दौरान
कम हुई ऊिाथ को पनु : प्राप्त करने के जलए द्रव के कण अपने आस-पास से ऊिाथ अवर्ोजषत कर लेते है। इस तरह आस-पास से
ऊिाथ के अवर्ोजषत होने के कारण र्ीतलता आ िाती है।

उदाहरण -

1. जमट्टी के घडे में रखे पानी का ठंडा हो िाना।


2. हथेली पर इि
3. एसीटोन या पेट्रोल जर्गरने पर ठंडक होना
4. र्गजमथयों में कूलर से ठंडक होना

❖ पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर



1.वनम्नविवित तापमानों को सेवससयस इकाई में पररिवतथत करें -
❖ (1) 300 K (2) 573 K

❖ उत्तर:- सेजल्सयस = 300 K – 273 = 27° C


❖ सेजल्सयस = 573 K – 273 = 300°C
❖ 2.वनम्नविवित तापमानों को के वसिन इकाई में पररिवतथत करें -
❖ (1) 25°C (2) 373°C


❖ उत्तर:- 25°C
के जल्वन में ताप = (25+273) K = 298 K
❖ 373°C
के जल्वन में ताप = (373 + 273) K = 646 K

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❖ 3. वनम्नविवित अििोकनों हेतु कारण वििें-
(a) नेफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदाथथ छोडे जबना अदृश्य हो िाती है
(b) हमें इि की र्गंध बहुत दरु बैठे हुए भी पहुच िाती है
❖ उत्तर:- (a) नेफ्थलीन उध्वथपातन का उदाहरण है अथाथत ठोस अवस्था से जबना द्रव में बदले र्गैसीय अवस्था में पररवजतथत हो िाता हे इस जिया
को उध्वथपातन कहते है
❖ (b) इि के कण हवा के कणों के साथ जमलकर चारों तरर् र्ै ल िाते है इि के कणों के इस तरह र्ै लने के कारण कुछ दरू ी पर बैठे होने पर भी
हम इसकी र्गंध प्राप्त कर लेते है।
❖ 4. वनम्नविवित पदार्ों को उनके कणों के बीच बढते हुए आकषथण के अनुसार व्यिवस्र्त करें-
(a) जि (b) चीनी (c)ऑलसीजन
उत्तर:- ऑक्सीिन < िल < चीनी
अन्तराजण्वक आकषथण बल सबसे कम र्गैस में उससे अजधक द्रव में सबसे अजधक ठोस में होता है अत: यह ऑक्सीिन में सबसे कम जर्र िल
में तथा सवाथजधक चीनी में होर्गा
❖ 5. वनम्नविवित तापमानों पर जि की भौवतक अिस्र्ा लया है।

(a) 25°C (b) 0°C (c) 100°C

उत्तर:- (a) 25°C - द्रव अवस्था

(b) 0°C - ठोस अवस्था


(c) 100°C – र्गैस अवस्था
❖ 6. पुवि हेतु कारण दें-
(a) जि कमरे के ताप पर द्रि है।
(b) िोहे की अिमारी कमरे के ताप पर ठोस है।
उत्तर:- (a) कमरे के ताप पर पानी द्रव होता है क्योंजक इसका कोई जनजित आकार नहीं होता है। यह उस बतथन का आकार ग्रहण कर लेता है
जिसमें उसे रखा िाता है तथा यह आसानी से प्रवाजहत हो सकता है अत: यह तरल है।
(b) लोहे की अलमारी एक ठोस है क्योंजक इसका आकार व आयतन जनजित होता है अथाथत‌् यह ठोस पदाथथ है।
❖ 7. 273 K पर बर्थ को ठंडा करने पर तर्ा जि को इसी तापमान पर ठंडा करने पर र्ीतिता का प्रभाि अवधक लयों होता है?
उत्तर:- 273 K पर पानी के कणों की अपेक्षा बर्थ के कणों की ऊिाथ कम होती है। अत: बर्थ वातावरण से अजधक ऊष्मा अवर्ोजषत कर
सकती है यही कारण है की समान ताप पर होते हुए भी बर्थ पानी की अपेक्षा अजधक ठंडक पहुचाती है।
❖ 8. उबिते हुए जि अर्िा भाप में से जिने की तीव्रता वकसमें अवधक महसूस होती है?
उत्तर:- 373 K या 1000C पर वाष्प के कणों की ऊिाथ समान ताप पर पानी के कणों की ऊिाथ से अजधक होती है। ऐसा वाष्प के कणों द्वारा
वाष्पन की र्गुप्त ऊष्मा के रूप में अजतररक्त ऊिाथ अवर्ोजषत जकए िाने के कारण होता है। अत: िब वाष्प त्वचा के सम्पकथ में आती है तो
समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा अजधक ऊिाथ मक्त ु करती है। इसजलए 373 K पर वाष्प द्वारा समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा
अजधक िलने की तीव्रता पैदा होती है।
❖ 9. वनम्नविवित वचत्र के िए A, B, C, D, E तर्ा F की अिस्र्ा पररितथन को नामांवकत करे-


❖ उत्तर:- A- संर्गलन B- वाष्पन C- संघनन
D- िमना E- ऊधथपातन F-जनपेक्षण

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