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अम्ल क्षार लवण
अम्ल क्षार लवण
ललटमस षवलयन बैंगनी रं ग का रंजक होता है जो थैलोप़फाइटा समूह वेफ ललचेन पौधे से लनकाला जाता है । प्रायः इसे
सूचक की तरह उपयोग ककया जाता है। ललटमस षवलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब यह बैंगनी
रं ग का होता है।
बहुत सारे प्राकृ लतक पदाथथ जैसे: लाल पत्ता गोभी, हल्दी,हायड्रें जजया, पेटूलनया एवं जेरालनयम जैसे कई पफूलों की रं गीन
पंखुकड़यााँ ककसी षवलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपजस्थलत को सूलचत करते हैं। इन्हें अम्ल-क्षारक सूचक या कभी-
कभी केवल सूचक कहते हैं ।
यहां कुछ ऐसे पदाथथ होते हैं जजनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में लभन्न हो जाती है। इन्हें गंधीय सूचक
कहते हैं।
अलभकियाओ में धातु, अम्लों से हाइड्रोजन परमाणुओं का हाइड्रोजन गैस के रूप में षवस्थापन करती है और एक यौलगक
का लनमाथण करती है जजसे लवण कहते हैं I
(सोकियम जजन्केट)
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सभी धातु काबोनेट एवं हाइड्रोजनकाबोनेट अम्ल के साथ अलभकिया करके संगत लवण, काबथन िाइऑक्साइि एवं जल
बनाते हैं । चुना पत्थर ,खकड़या एवं संगमरमर कैजल्सयम काबोनेट के षवषवध रूप हैं I
उदाहरण:-
अम्ल द्वारा क्षारक का प्रेजक्षत प्रभाव तथा क्षारक द्वारा अम्ल का प्रभाव समाप्त हो जाता है। अलभकिया
को इस प्रकार ललख सकते हैं ः NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O(l)
अम्ल एवं क्षारक की अलभकिया के पररणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इसे उदासीनीकरण अलभकिया
कहते हैं। सामान्यतः उदासीनीकरण अलभकिया को इस प्रकार ललख सकते हैं ः क्षारक + अम्ल → लवण + जल
क्षारक एवं अम्ल की अलभकिया के समान ही धाजत्वक ऑक्साइि अम्ल के साथ अलभकिया करवेफ लवण एवं जल
प्रदान करते हैं , अतः धाजत्वक ऑक्साइि को क्षारकीय ऑक्साइि भी कहते हैं ।
उदाहरण:-
बीकर में कॉपर ऑक्साइि की अल्प मात्रा लीजजए एवं कहलाते हुए उसमें धीरे -धीरे तनु हाइड्रोक्लोररक अम्ल लमलाइए।
आप दे खेंगे कक षवलयन का रं ग नील-हररत हो जाएगा एवं कॉपर ऑक्साइि घुल जाता है। षवलयन का नील-हररत रं ग
अलभकिया में कॉपर(II)क्लोराइि के बनने के कारण होता है ।
काबथन िाइऑक्साइि एवं कैजल्सयम हाइड्रॉक्साइि (चूने का पानी) के बीच हुई अलभकिया दे खी। कैजल्सयम हाइड्रॉक्साइि
जो एक क्षारक है , काबथन िाइऑक्साइि के साथ अलभकिया करके लवण एवं जल का लनमाथण करता है । चूाँकक यह
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क्षारक एवं अम्ल वेफ बीच होने वाली अलभकिया के समान है , अतः हम यह लनष्किथ लनकाल सकते हैं कक अधाजत्वक
ऑक्साइि अम्लीय प्रकृ लत के होते हैं।
धातु के साथ अलभकिया करने पर सभी अम्ल हाइिा्रजेन गसै उत्पन्न करते हैं । इससे पता चलता है कक सभी अम्लों
में हाइड्रोजन होता है।
जल की उपजस्थलत में HCL में हाइिा्रजेन आयन उत्पन्न होते हैं ।जल की अनपुजस्थलत में HCL अणुओं से H+ आयन
पृथक नही हो सकते हैं ।
HCl + H2 O → H3 O+ + Cl-
हाइड्रोजन आयन स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकते लेककन ये जल के अणुओं के साथ लमलकर रह सकते हैं। इसललए
हाइड्रोजन आयन को सदै व H+(aq) या हाइड्रोलनयम आयन(H3O+) से दर्ाथना चाकहए।
H+ + H2 O → H3 O+
NaOH(s) H2 O → Na+(aq)+OH-(aq)
KOH(s) H2 O → K+(aq)+OH-(aq)
Mg(OH)2(s) H2 O→ Mg2+(aq)+2OH-(aq)
क्षारक जल में हाइड्रॉक्साइि (OH-)आयन उत्पन्न करते हैं। जल में घुलनर्ील क्षारक को क्षार कहते हैं ।
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सभी अम्ल H+(aq) तथा सभी क्षारक OH-(aq) उत्पन्न करते हैं, अतः अब हम उदासीनीकरण अलभकिया को लनम्नललजखत
रूप में व्यक्त कर सकते हैं।
H X + M OH → MX + HOH
जल में अम्ल या क्षारक लमलाने पर आयन की सांद्रता (H3O+/OH-)में प्रलत इकाई आयतन में कमी हो जाती है। इस
प्रकिया को तनुकरण कहते हैं एवं अम्ल या क्षारक तनुकृत होते हैं ।
ककसी षवलयन में उपजस्थत हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के ललए एक स्केल षवकलसत ककया गया जजसे
pH स्केल कहते हैं।
ककसी भी उदासीन षवलयन के pH का मान 7 होगा। यकद pH स्केल में ककसी षवलयन का मान 7 से कम है तो यह
अम्लीय षवलयन होगा एवं यकद pH मान 7 से 14 तक बढ़ता है तो वह षवलयन में OH - की सांद्रता में वृषि को
दर्ाथता है , अथाथत यहााँ क्षार की र्षक्त बढ़ रही है I
अम्ल तथा क्षारक की र्षक्त षवलयन(जल) में िमर्ः H+ आयन तथा OH- आयन की संख्या पर लनभथर करती है ।
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अम्लीय विाथ का जल जब नदी में प्रवाकहत होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है।
यह अत्यन्त रोचक है कक हमारा उदर हाइड्रोक्लोररक अम्ल उत्पन्न करता है। यह उदर को हालन पहुाँचाए षबना भोजन
के पाचन में सहायक होता है। अपच की जस्थलत में उदर अत्यलधक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है जजसके कारण
उदर में ददथ एवं जलन का अनुभव होता है। इस ददथ से मुक्त होने के ललए ऐन्टै लसि (antacid) जैसे क्षारकों का उपयोग
ककया जाता है । यह ऐन्टै लसि अम्ल की आजध्क्य मात्रा को उदासीन करता है । इसके ललए मैग्नीलर्यम हाइड्रॉक्साइि
(लमल्क ऑफ मैगनीलर्या) जैसे दब
ु थल क्षारक का उपयोग ककया जाता है ।
मुाँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दााँतों का क्षय प्रारं भ हो जाता है। दााँतों का इनैमल(दत्तवल्क) कैजल्सयम
हाइड्रोक्सीएपेटाइट(कैजल्सयम फॉस्पफेट का किस्टलीय रूप) से बना होता है जो कक र्रीर का सबसे कठोर पदाथथ है।
यह जल में नहीं घुलता लेककन मुाँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर यह संक्षाररत हो जाता है । मुह
ाँ में उपजस्थत
बैक्टीररया, भोजन वेफ पश्चात मुाँह में अवलर्ष्ट र्वथफरा एवं खाद्य पदाथों का लनम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते
हैं । मुाँह की सफाई के ललए क्षारकीय दं त-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आजध्क्य मात्रा को उदासीन ककया जा
सकता है जजसके पररणामस्वरूप दं त क्षय को रोका जा सकता है ।
मधुमक्खी का िंक एक अम्ल छोड़ता है जजसके कारण ददथ एवं जलन का अनुभव होता है । िं क मारे गए अंग में
बेककंग सोिा जैसे दब
ु थल क्षारक के उपयोग से आराम लमलता है । नेटल के िं क वाले बाल मेथैनॉइक अम्ल छोड़
जाते हैं जजनके कारण जलन वाले ददथ का अनुभव होता है।
लवण :-
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प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षारक के लवण के pH का मान 7 होता है तथा ये उदासीन होते हैं । जबकक प्रबल अम्ल एवं
दब
ु थल क्षारक वेफ लवण के pH का मान 7 से कम होता है तथा ये अम्लीय होते हैं । प्रबल क्षारक एवं दब
ु थल अम्ल के
लवण के pH का मान 7 से अलधक होता है तथा ये क्षारकीय होते हैं।
सोकियम क्लोराइि वेफ जलीय षवलयन (लवण जल) से षवद्युत प्रवाकहत करने पर यह षवयोजजत होकर सोकियम
हाइड्रॉक्साइि उत्पन्न करता है। इस प्रकिया को क्लोर-क्षार प्रकिया कहते हैंI क्योंकक इससे लनलमथत उत्पाद - क्लोरीन
(क्लोर) एवं सोकियम हाइड्रॉक्साइि(क्षार) होते हैं।
क्लोरीन गैस ऐनोि पर मुक्त होती है एवं हाइड्रोजन गैस कैथोि पर। कैथोि पर सोकियम हाइड्रॉक्साइि षवलयन का
लनमाथण भी होता है। इस प्रकिया से उत्पन्न हुए तीनों उत्पाद उपयोगी हैं ।
षवरं जक चू णथ :-
र्ुष्क बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] पर क्लोरीन की किया से षवरंजक चूणथ का लनमाथण होता है। षवरंजक चूणथ को
CaOCl2 से दर्ाथया जाता है यद्यषप वास्तषवक संगठन काफी जकटल होता है।
1) वस्त्र उद्योग में सूती एवं ललनेन के षवरं जन के ललए कागज़ की पैफक्री में लकड़ी के मज्जा एवं लाउं ड्री में साफ
कपड़ों के षवरंजन वेफ ललए
बे ककं ग सोिा :-
इसको बनाने में साकियम क्लोराइि का उपयाग एक मलू पदाथथ के रूप में ककया जाता है I
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धोने का सोिा -
यह भी एक क्षारीय लवण है .
१) सोकियम काबोनेट का उपयोग कााँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है । २) इसका उपयोग बोरे क्स जैसे सोकियम
यौलगक के उत्पादन में होता है। ३) काबोनेट का उपयोग घरों में साफ-सफाई के ललए होता है। ४)जल की स्थायी
कठोरता को हटाने के ललए इसका उपयोग होता है ।
र्ुष्क कदखने वाले कॉपर सल्प़ेफट किस्टलों में किस्टलन का जल होता है । जब हम किस्टल को गमथ करते हैं तो यह
जल हट जाता है एवं लवण का रं ग श्वेत हो जाता है। यकद आप किस्टल को पुनः जल से लभगोते हैं तो किस्टल का
नीला रं ग वापस आ जाता है।
लवण के एक सूत्र इकाई में जल के लनजश्चत अणुओं की संख्या को किस्टलन का जल कहते हैं। कॉपर सल्फेट के
एक सूत्र इकाई में जल के पााँच अणु उपजस्थत होते हैं । जलीय कॉपर सल्प़ेफट का रासायलनक सूत्र CuSO4.5H2
Oहै ।जजप्सम एक अन्य लवण है जजसमें किस्टलन का जल होता है। इसमें किस्टलन वेफ जल वेफ दो अणु होते हैं।
इसका रासायलनक सूत्र CaSO4.2H2 O है।
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✓ अम्ल-क्षारक सूचक रं जक या रं जकों वेफ लमश्रण होते हैं जजनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की उपजस्थलत को
सूलचत करने वेफ ललए ककया जाता है ।
✓ षवलयन में H+ आयन के लनमाथण के कारण ही पदाथथ की प्रकृ लत अम्लीय होती है । षवलयन में OH-
(aq)आयन के लनमाथण से पदाथथ की प्रकृ लत क्षारकीय होती है।
✓ जब कोई अम्ल ककसी धातु के साथ अलभकिया करता है तो हाइड्रोजन गैस का उत्सजथन होता है । साथ ही
संगत लवण का लनमाथण होता है।
✓ जब क्षारक ककसी धातु से अलभकिया करता है तो हाइड्रोजन गैस के उत्सजथन के साथ एक लवण का
लनलनथमाण होता है I जजसका ऋण आयन एक धातु एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं से संयुक्त रूप से लनलमथत
होता है।
✓ जब अम्ल ककसी धातु काबोनेट या धातु हाइड्रोजनकाबोनेट से अलभकिया करता है तो यह संगत लवण काबथन
िाइऑक्साइि गैस एवं जल उत्पन्न करता है ।
✓ जल में अम्लीय एवं क्षारकीय षवलयन षवद्युत का चालन करते हैं क्योंकक ये िमर्ः हाइड्रोजन एवं हाइड्रॉक्साइि
आयन का लनमाथण करते हैं ।
✓ अम्ल या क्षारक की प्रबलता की जााँच pH(0-14) स्केल के उपयोग से की जा सकती है जो षवलयन में
हाइड्रोजन आयन की सांद्रता की माप होता है।
✓ एक उदासीन षवलयन के pH का मान 7 होता है जबकक अम्लीय षवलयन के pH का मान 7 से कम एवं
क्षारकीय षवलयन के pH का मान 7 से अलधक होता है।
✓ सभी जीवों में उपापचय की किया pH की एक इष्टतम सीमा में होती है।
✓ सांद्र अम्ल या क्षारक को जल के साथ लमलश्रत करना एक अत्यन्त ऊष्माक्षेपी अलभकिया है ।
✓ अम्ल एवं क्षारक एक-दस
ू रे को उदासीन करके लवण एवं जल का लनमाथण करते हैं । लवण के एक सूत्र
इकाई में जल के लनजश्चत अणुओं की संख्या को किस्टलन का जल कहते हैं।
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