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परमाणु संरचना (ATOMIC STRUCTURE)

Contents:
1. परमाणु (Atoms)
2. अणु (Molecules)
3. जॉन डॉल्टन का परमाणु ससद्ांत (Principles of Atoms by John
Dalton)
4. परमाणु संख्या या परमाणु क्रमांक (Atomic Number)
5. परमाणु भार या परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)
6. समस्थासनक (Isotopes)
7. संयोजकता (Valency)

1. परमाणु (Atoms):
हजारों वर्षों पूवव भारतीय महसर्षव कणाद ने सबसे पहले यह बताया था सक
यसद हम पदाथव को सवभासजत करते जाएं तो हमें छोटे -छोटे कण प्राप्त होंगे
और एक स्स्थसत ऐसी आएगी जब इसे और सवभासजत नहीं सकया जा सकेगा
।इस प्रकार उन्ोंने सूक्ष्म कणों की अवधारणा दी सजन्ें परमाणु नाम सदया
गया । इसी प्रकार ग्रीक दार्वसनक डे मोसक्रट् स के भी यही सवचार थे । उन्ोंने
पदाथव के सूक्ष्म असवभासजत कण को परमाणु (Atom) कहा ।

प्रत्येक पदाथव बहुत छोटे -छोटे कणों से समलकर बनता है सजन्ें परमाणु (Atom)
कहते हैं । ... एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार, भार तथा अन्य गुणों में समान
होते हैं सकन्तु दू सरे तत्व के परमाणुओं से सभन्न होते हैं ।

इस प्रकार पदाथव परमाणुओं से समलकर बना है तथा ”परमाणु पदाथव की


मू लभूत इकाई है ।”
क्या सभी पदाथों के परमाणु एक समान होते हैं ? इसे जानने के सलए आइए
एक सरल प्रयोग करें । तााँबे के तार के कुछ टु कड़े एवं लोहे की कुछ कीलें
ले कर उनके पास एक छड़ चुम्बक लाइए । आप दे खेंगे सक लोहे की कीलें
चुम्बक की ओर आकसर्षवत होती हैं सकंतु तांबे के तार के टु कड़े नहीं । इससे
स्पष्ट होता है सक अलग-अलग पदाथों में अलग-अलग प्रकार के परमाणु
होते हैं ।
जब समान प्रकार के कई परमाणु आपस में समलते हैं तो एक र्ुद् पदाथव
प्राप्त होता है सजसे तत्व कहते हैं ।

2. अणु (Molecules):
अब हम ये जान चुके हैं सक परमाणु क्या है ? ले सकन एक सवर्ेर्ष बात
जानना भी आवश्यक है सक पदाथव में परमाणु स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाए
जाते हैं । पदाथव में केवल अणु स्वतंत्र अवस्था में उपस्स्थत रहता है । दो
या दो से असधक परमाणु आपस में जु ड़कर अणु (Molecule) बनाते हैं ।

अणु दो प्रकार से बनते हैं :


1. समान तत्ोों से:
ये समान प्रकार के परमाणुओं से समलकर बनते हैं । जैसे- हाइडरोजन का
अणु (H2) हाइडरोजन के दो परमाणुओं से समलकर बनता है ।
2. असमान तत्ोों से:
ये असमान तत्वों के परमाणुओं से समलकर बनते हैं । जैसे- एक हाइडरोजन
का परमाणु व एक क्लोरीन का परमाणु समलकर हाइडरोजन क्लोराइड
(हाइडरोक्लोररक अम्ल) का एक अणु बनाते हैं ।

इसी प्रकार जल का अणु (H2O) दो हाइडरोजन परमाणुओं एवं एक


ऑक्सीजन परमाणु से समलकर बनता है ।

यौगिक के अणुओ ों के अन्य उदाहरण:


NH3 (अमोसनया का अणु), मीथेन (CH4) का अणु आसद ।
उपरोक्त उदाहरणों में आपने एक बात और दे खी । कुछ अणु दो
परमाणुओं से समलकर बने हैं , कुछ अणु तीन परमाणु से और कुछ चार
परमाणु से ।

इस प्रकार गिस अणु में:


1. केवल एक परमाणु होता है , उसे एक परमाण्विक अणु कहते हैं ।
उदाहरण: He (हीसलयम), Ne (सनयॉन)
2. दो परमाणु वाले अणु गिपरमाण्विक अणु कहलाते हैं ।
उदाहरण: N2 (नाइटर ोजन), NaCl (सोसडयम क्लोराइड या साधारण नमक)
3. तीन परमाणु वाले अणु गिपरमाण्विक अणु कहलाते हैं ।
उदाहरण: H2O (जल का अणु)
इसी प्रकार अमोसनया का अणु NH3 चतुथव परमास्िक होता है क्योंसक इसमें
एक नाइटर ोजन एवं तीन हाइडरोजन परमाणु होते हैं । इस तरह कुल चार
परमाणु होते हैं ।
3. िॉन डॉल्टन का परमाणु गसद्ाोंत (Principles of Atoms by
John Dalton):
सन् 1808 में अंग्रेज वैज्ञासनक जॉन डॉल्टन ने अपना परमाणु ससद्ान्त प्रस्तुत सकया ।
इस गसद्ाोंत के अनुसार:
i. प्रत्येक पदाथव बहुत छोटे -छोटे कणों से समलकर बनता है सजन्ें परमाणु (Atom)
कहते हैं ।
ii. परमाणु असवभाज्य होता है ।
iii. एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार, भार तथा अन्य गुणों में समान होते हैं सकन्तु
दू सरे तत्व के परमाणुओं से सभन्न होते हैं ।
iv. परमाणु को न तो नष्ट सकया जा सकता है और न ही बनाया जा सकता है ।
v. परमाणु सरल (पूणाांक) अनुपात में संयुक्त होते हैं ।
परमाणु का सोंघटन:
जॉन डॉल्टन के परमाणु ससद्ांत की धारणा लगभग सौ वर्षों तक रसायन
र्ास्त्र की प्रगसत में सहायक हुई । काफी समय तक यह मान्यता परमाणु
एक असवभाज्य कण ले सकन बीसवीं र्ताब्दी के प्रारं भ में अने क वैज्ञासनकों ने
इस क्षेत्र में काम सकया और प्रयोगों के आधार पर यह ससद् सकया सक
परमाणु सवभासजत सकया जा सकता है ।

आइए इस तागलका से परमाणु के तीन मूलभूत कणोों इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन


और न्यूटरॉन िानकारी प्राप्त करें :
यह गवगभन्न प्रकार के अगत सूक्ष्म कणोों से गमलकर बना है, गिन्हें
मूलकण कहते हैं । मुख्य रूप से ये तीन मूलकण हैं-
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूटरॉन:
इलेक्ट्रॉन की खोि:
इले क्ट्रॉन बहुत हल्के ऋणावेसर्त कण हैं । इसकी खोज इं स्िर् वैज्ञानी सर
जे॰जे॰ टॉमसन ने कैथोड सकरणों में की । इले क्ट्रॉन का भार हाइडरोजन
परमाणु के भार लगभग 1/1837 भाग होता है ।

प्रोटॉन की खोि:
प्रोटॉन असत सूक्ष्म धनावेसर्त कण हैं । इसकी खोज गोल्डस्टीन ने की । एक
प्रोटीन का भार लगभग 1800 इले क्ट्रॉनों के भार के बराबर होता है । प्रोटॉन
का भार हाइडरोजन परमाणु के भार के लगभग बराबर होता है ।
न्यूटरॉन की खोि:
न्यूटरॉन सवद् युत उदासीन कण है , इसकी खोज इं स्िर् वैज्ञानी जेम्स चैडसवक
ने की थी । न्यूटरॉन का भार लगभग एक प्रोटॉन के भार के बराबर होता है ।

अणु व परमाणु में अोंतर को समझें :

4. परमाणु सोंख्या या परमाणु क्रमाोंक (Atomic Number):


सकसी तत्व के परमाणु के नासभक में उपस्स्थत प्रोटान की संख्या उस तत्व
की परमाणु संख्या अथवा परमाणु क्रमांक कहलाती है । इसे ‘Z’ से प्रदसर्वत
करते हैं ।

चूंसक परमाणु उदासीन होता है इससलए सकसी परमाणु में सजतने प्रोटॉन
(धनावेसर्त कण) होते हैं उतने ही इले क्ट्रॉन (ऋणावेसर्त कण) होते हैं
अथावत
5. परमाणु भार या परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass):
सकसी तत्व के परमाणु के नासभक में उपस्स्थत प्रोटॉन एवं न्यूटरॉन की संख्या
का योग परमाणु भार अथवा परमाणु द्रव्यमान कहलाता है । इसे ‘A’ से
प्रदसर्वत करते हैं ।

इस प्रकार परमाणु संख्या एवं परमाणु भार ज्ञात होने पर सकसी तत्व के
परमाणु में इले क्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूटरॉन की संख्या बताई जा सकती है ।

दे ण्वखए तागलका:

6. समस्थागनक (Isotopes):
एक ही तत्व के ऐसे परमाणु सजनकी परमाणु संख्या (Z) समान ले सकन
परमाणु भार (A) अलग-अलग होते हैं , समस्थासनक कहलाते हैं । अथावत्
एक ही तत्व के कुछ परमाणुओं में यद्यसप प्रोटॉनों की संख्या तो दू सरे
परमाणु को प्रोटानों की संख्या के समान होती है परन्तु उनके नासभकों में
न्यूटरॉनो की संख्या दू सरे परमाणुओं के नासभकों के न्यूटरॉनों की संख्या के
बराबर नहीं होती ।

उदाहरण- हाइडरोजन के तीन समस्थासनक हैं :


आयनोों का बनना:
परमाणु उदासीन होता है क्योंसक इसमें धनावेसर्त कण (प्रोटॉन) एवं
ऋणावेसर्त कण (इले क्ट्रॉन) की संख्या बराबर होती है । यसद इस सवद् युत
उदासीन परमाणु में एक और इले क्ट्रॉन आ जाए तो इसमें एक इले क्ट्रॉन की
असधकता हो जाती है इससलए वह ऋण आवेसर्त हो जाएगा ।

दू सरी ओर यसद उदासीन परमाणु से एक इले क्ट्रॉन सनकल जाए तो


इले क्ट्रॉनों की संख्या एक कम हो जाएगी और प्रोटॉन (धनआवेर्) एक
असधक हो जाएगा इससलए वह धनआवेसर्त हो जाएगा ।
एक उदाहरण से इसे समझते हैं :
(Na) सोसडयम के परमाणु की परमाणु सं ख्या = 11

अथाव त इसमें प्रोटॉन (11) = इलेक्ट्रॉन (11)

यसद इसमें से एक इलेक्ट्रॉन सनकल जाता है तब इलेक्ट्रॉन की सं ख्या 10 एवं प्रोटॉन की सं ख्या 11
हो जाती है अथाव त एक प्रोटॉन (धनआवे र्) ज्यादा हो जाता है , इससलए सोसडयम धन आयन बन
जाता है ।

इसी प्रकार ऋण आयन का बनना क्लोरीन के उदाहरण से समझा जा सकता है ।

क्लोरीन (Cl) की परमाणु सं ख्या = 17

अथाव त इसमें प्रोटॉन (17) = इलेक्ट्रॉन (17)

यसद इसमें एक ओर इलेक्ट्रॉन आ जाए तब इले क्ट्रॉन की सं ख्या 18 तथा प्रोटॉन की सं ख्या 17 हो
जाती है अथाव त एक इलेक्ट्रॉन ज्यादा हो जाता है इससलए क्लोरीन ऋणआयन बन जाता है ।

थॉमसन का परमाणु मॉडल

सन 1891-1897 तक के अपने प्रयोगो द्वारा सन 1898 में जे . जे . थॉमसन ने यह बताया की परमाणु एक समान आवेसर्त
गोला (सत्रज्या लगभग 10−10m)होता है, सजसमे धनावेर् समान रूप से सवतररत रहता है । ... इस मॉडल की महत्वपू णव बात
यह है सक इसमे परमाणु का द्रव्यमान पू रे परमाणु पर समान रूप से बं टा हुआ माना गया है । जैसे- प्लम पुसडं ग, रे स़िन
पुसडं ग, तरबूज मॉडल आसद। इस मॉडल का नाम तरबूज मॉडल इससलए रखा गया क्योंसक इस मॉडल में परमाणु का
धनावेर् पुसडं ग या तरबूज के समान माना गया है और इलेक्ट्रॉन इसमे प्लम अथवा बीज की तरह उपस्स्थत है । इस
मॉडल की महत्वपूणव बात यह है सक इसमे परमाणु का द्रव्यमान पूरे परमाणु पर समान रूप से बंटा हुआ माना गया है ।
परं तु यह मॉडल भसवष्य के परमाणु के प्रयोगो के सं गत नहीं पाया गया। यह परमाणु मॉडल रदरफोडव के प्रकीणव न को
नहीं समझा सका। इससलए इसे रद्द कर सदया गया।

रदरफोडव का परमाणु मॉडल

रदरफोडड ने कहा सक नासभक के चारो ओर इले क्ट्रॉन वृ त्ताकार कक्षाओ में सजन्े कक्षा कहा गया। ...
इससलए यह परमाणु मॉडल सौरमं डल से समलता-जु लता है ,सजसमे सूयव नासभक होता है और ग्रह
गसतमान इले क्ट्रॉन की तरह होते हैं । इले क्ट्रॉन और नासभक आपस में आकर्षव ण के स्स्थर वै धयु त बलो
द्वारा बं धे रहते हैं ।

दरफोडड का परमाणु मॉडल प्रससद् रसायनज्ञ तथा भौसतकर्ास्त्री द्वारा सनसमव त परमाणु के मॉडल को कहा
जाता है । रदरफोडव ने यह मॉडल सन 1911 के अपने इले क्ट्रॉन के प्रयोगों द्वारा सदया। इस मॉडल ने परमाणु के
भीतर धनावेसर्त भाग होने की बात बताई। उन्ोंने यह दर्ाव ने के सलए एक प्रयोग सकया, जो सनम्नानुसार है :
रदरफोडव ने सोने की 100 nm (100 नेनोमीटर) की पतली पन्नी पर अल्फा कणों की बौछार की। सोने की पन्नी के
चारों ओर फोटोग्रासफक प्ले ट लगाई जो प्रसतदीप्त पदाथव (ZnS, सजंक सल्फाइड)से ले सपत थी। जब उन्ोने सोने
की पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की तो सनम्न पररणाम प्राप्त हुए-

1. असधकां र् अल्फा कण सोने की पन्नी से सबना सवक्षे सपत हुए सनकल गए।
2. अल्फा कणो का कम अंर् बहुत कम कोण से सवक्षे सपत हुआ।
3. बहुत ही थोड़े कण (20000 में से 1) वासपस उसी पथ से लौट आए अथाव त 180०सुपरस्िप्ट पाठ के कोण पर
लौट आए।
रदरफोडव ने यह सनष्कर्षव सनकाले -
1. परमाणु का असधकां र् भाग ररक्त या खोखला होता है ।
2. कुछ ही अल्फा कण प्रसतकर्षवण बल के कारण सवक्षे सपत हुए। इससे यह पता चलता है सक परमाणु के मध्य
धनावेसर्त भाग पाया जाता है ।
3. रदरफोडव ने गणना करके सदखाया सक नासभक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तु लना ने नगण्य
है । परमाणु की सत्रज्या लगभग 10−10 होती है व नासभक की सत्रज्या 10−15 होती है ।
4. परमाणु का धनावेर् व द्रव्यमान एक असत अल्प क्षे त्र में केस्ित होता है । रदरफोडव ने इसे 'नासभक' कहा।
5. रदरफोडव ने कहा सक नासभक के चारो ओर इले क्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओ में सजन्े कक्षा कहा गया। इन
कक्षाओ में इले क्ट्रॉन बहुत ते जी से घूमते हैं । इससलए यह परमाणु मॉडल सौरमं डल से समलता-जुलता
है ,सजसमे सूयव नासभक होता है और ग्रह गसतमान इले क्ट्रॉन की तरह होते हैं ।
6. इले क्ट्रॉन और नासभक आपस में आकर्षवण के स्स्थर वैधयुत बलो द्वारा बंधे रहते हैं ।

बोर का परमाणु मॉडल


बोर का पू रा नाम था- नील्स हे नररक डे सवड बोर। इनका जन्म 1885 को डे नमाकव में हुआ। सन्
1913 में बोर द्वारा परमाणु मॉडल पे र् सकया गया।
नील्स बोर द्वारा रदरफोडव के परमाणु मॉडल में कुछ तथ्ों की अनुपस्स्थसत का अं दाजा लगाया
गया तथा प्लां क के क्वाण्टम ससद्ां त की सहायता ले ते हुए बोर ने अपना एक मॉडल तैयार सकया।
यह मॉडल नील्स बोर द्वारा परमाणु के सम्बन्ध में पे र् सकया गया था।
इसे रदरफोडव -बोर मॉडल भी कहा जाता है , क्योंसक यह रदरफोडव के परमाणु मॉडल में कुछ
स्स्थसतयों में सु धार व नवीनीकरण करके बनाया गया था, अतः काफी हद तक रदरफोडव के
मॉडल से मे ल खाता हुआ था।
बोर के इस मॉडल के अनुसार यह बात प्रस्तु त की गयी थी सक इलेक्ट्रॉन द्वारा नासभक के बाहरी
ओर सनरन्तर तेज गसत से चक्कर लगाये जाते हैं । इसके सलए इलेक्ट्रॉन को ऊजाव या बल की
आवश्यकता पड़ती है । इसे अपकेंसद्रय बल कहते हैं ।
जब सवद् यु त के ऋण आवे र् यु क्त इलेक्ट्रॉन का नासभक के चक्कर लगाने से इसमें स्स्थत धन
आवे र् वाले प्रोटॉन के कारण इनके मध्य आकर्षवण बल उत्पन्न होता है । यह आकर्षवण बल ही
इलेक्ट्रॉन को अपकेंसद्रय बल दे ने में सहायक होता है । इसके कारण ही इनमे गसत करने की ऊजाव
बनी रहती है ।
अतः बोर के परमाणु मॉडल के पररणामस्वरूप यह बात स्पष्ट होती है सक इलेक्ट्रॉन को
अपकेंसद्रय बल नासभक में स्स्थत प्रोटॉन के होने से प्राप्त होता है ।
बोर ने अपने मॉडल में इस बात का भी व्याख्यान सकया सक परमाणु के भीतर स्स्थत नासभक के
बाहृ भाग में सभन्न-सभन्न स्तर (कक्षा या कक्ष) सृ सजत हुए होते हैं , सजनमे इलेक्ट्रॉन वृ त्ताकार गसत
करते हैं ।
इन सभन्न-सभन्न स्तरों पर ऊजाव का स्तर भी सभन्न होता है अथाव त् जो स्तर या कक्ष नासभक के असधक
ऩिदीक होगा, उसमे ऊजाव काफी कम होगी। जैसे-जैसे इन कक्षों की स्स्थसत नासभक से दू र होती
जाती है , वै से-वै से इनमे ऊजाव का स्तर बढ़ता जाता है ।
परमाणु में सकसी कारणवर् यसद ऊजाव में पररवतवन होता है , तो इलेक्ट्रॉन द्वारा भी कक्षों या ऊजाव
स्तरों में पररवतव न होने लगता है ।
जब परमाणु के भीतर इलेक्ट्रॉन अपने एक ही कक्ष में स्थायी रूप से गसतमान रहता है तो इसे
आद्य अवस्था कहा जाता है ।
जब ऊजाव स्तर में बदलाव के कारण इलेक्ट्रॉन एक कक्ष की त्यागकर दू सरे कक्ष में पहुाँ च जाता है
तो इसे इलेक्ट्रॉन की उत्ते सजत अवस्था कहा जाता है ।
इलेक्ट्रॉन द्वारा गसत करते वक्त इन कक्षों के कारण ऊजाव का सनधाव रण होता है , सजससे इलेक्ट्रॉन
में तीव्रता पै दा होती है । इसी वजह से सवसकरण को उत्ससजवत नही कर पाते।
इस सबंदु ने रदरफोडव के मॉडल की कमी को दू र कर सदया, क्योंसक यहााँ यह बात ससद् हुई सक
सवसकरण का उत्सजवन न होने के कारण इलेक्ट्रॉन नासभक के भीतर नही सगर सकते।
कसमयााँ - परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा गसतर्ील रहने के दौरान उनमे पाई जाने वाली ऊजाव का स्तर
कम व ज्यादा होता है । इससे इलेक्ट्रॉन द्वारा अपने कक्षों में भी पररवतव न सकया जाता है । इस
कारण स्पे क्ट्रम रे खाओं का सृ जन होता है ।
चुम्बकीय प्रभाव वाले क्षे त्र में इन स्पे क्ट्रम रे खाओं में सवभाजन होता है , इससे पड़ने वाला प्रभाव
“़िीमान प्रभाव” कहलाता है ।
सवद् यु त प्रभावी क्षे त्र में स्पे क्ट्रम रे खाओं में सवभाजन होने की सक्रया से पड़ने वाले प्रभाव को “स्टॉकव
प्रभाव” कहते हैं ।
बोर द्वारा प्रस्तु त सकये गए मॉडल में ़िीमान प्रभाव व स्टॉकव प्रभाव दोनों का स्पष्टीकरण नही सकया
गया।
सनष्कर्षव - बोर द्वारा अपना परमाणु मॉडल प्रस्तु त होने से पहले ही परमाणु की सं रचना के सम्बन्ध
में बहुत से तथ् सासबत हो चुके थे , जैसे- परमाणु का सवभाजन नही सकया जा सकता, परमाणु के
केि में नासभक(केिक) पाया जाता है व परमाणु कई छोटे -छोटे कणों से समलकर बनता है ।
इनमे से कुछ धनावे सर्त, ऋणावे सर्त व उदासीन प्रकृसत के होते हैं ।
बोर द्वारा रदरफोडव के मॉडल को उच्च स्तर पर ले जाकर उसमे नई खोजों के तथ्ों को जोड़ा
गया व परमाणु सरं चना सम्बन्धी कुछ सनयमों से ज्ञात करवाया गया। कुछ कसमयों के अलावा बोर
का मॉडल काफी कामयाब रहा।

7. सोंयोिकता (Valency):
हम जानते हैं सक परमाणु आपस में जुड़कर अणु बनाते हैं । प्रत्येक परमाणु की दू सरे
परमाणु से जुड़ने (संयोजन) की क्षमता सनसित होती है सजसे संयोजकता कहते हैं।
संयोजकता को कई तरह से पररभासर्षत सकया गया है ।
इसे हाइडरोिन की सोंयोिकता िारा तुलनात्मक रूप से गनम्न प्रकार से
पररभागित गकया िा सकता है:
गकसी भी तत् की सोंयोिकता वह सोंख्या है िो यह दर्ाडती है गक उस तत् का
एक परमाणु हाइडरोिन के गकतने परमाणुओ ों से सोंयोि करता है , अथवा
गवस्थागपत करता है ।
उदाहरण:
1. HCL में Cl की संयोजकता 1 है क्योंसक वह हाइडरोजन के 1 परमाणु से संयोग
करती है ।
2. H2O (जल) में ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है क्योंसक वह हाइडरोजन के 2
परमाणुओं से संयोग करता है ।
3. NH3 में (अमोसनयामें ) नाइटर ोजन की संयोजकता 3 है क्योंसक वह हाइडरोजन के 3
परमाणुओं से संयोग करती हैं ।
4. CH4 (समथेन) में काबवन की संयोजकता 4 है क्योंसक यह हाइडरोजन के 4
परमाणुओं से संयोग करता है । सकन्तु सभी तत्व हाइडरोजन से संयोग नहीं करते ।
ऐसे तत्वों की संयोजकता ऑक्सीजन की संयोजकता 2 द्वारा तुलनात्मक रूप से ज्ञात
की जाती है ।
उदाहरण:
MgO में Mg की संयोजकता 2 होती है क्योंसक यह O के एक परमाणु से
संयोग करता है , सजसकी संयोजकता 2 होती है ।
पररवतडनर्ील सोंयोिकता:
कुछ तत्वों में एक से असधक संयोजकता होती है उदाहरण- फेरस क्लोराइड
(FeCl2) आयरन की संयोजकता 2 तथा फेररक क्लोराइड (FeCl3) में
आयरन की संयोजकता 3 होती है । ऐसे तत्वों की संयोजकता पररवतवनर्ील
(चर) संयोजकता कहलाती है । कॉपर, सटन आसद भी पररवतवनर्ील
संयोजकता दर्ावते हैं ।

मूलक:
सवसभन्न तत्वों के आवेसर्त परमाणु या परमाणुओं के समू हों को मू लक कहते
हैं । अने क बार सवसभत्र परमाणुओं का आवेसर्त समू ह एक इकाई की तरह
कायव करता है । इन समू हों को मू लक कहते हैं ।

ये मूलक दो प्रकार के होते हैं:


1. धनात्मक मू लक जैसे Na+ (सोसडयममूलक), NH4+ (अमोसनयम मू लक)
जो नाइटर ोजन एवं हाइडरोजन परमाणुओं का समू ह है ।
2. ऋणात्मक मू लक जैसे Cl– (क्लोराइडमू लक), CO32- (काबावनट मू लक)
जो काबवन और ऑक्सीजन परमाणुओं का समू ह होता है ।
प्रत्येक मू लक एक इकाई के रूप में रासायसनक सक्रयाओं में भाग ले ता है ।
प्रत्येक मू लक पर एक सनसित आवेर् होता है । मू लकों पर जो आवेर्
लगाया जाता है वह उस मू लक की संयोजकता होती है ।
मू लक अणु का ही एक सहस्सा होता है । सकसी अकाबवसनक यौसगक का अणु
दो मू लकों से समलकर बनता है जैसे सोसडयम क्लोराइड (NaCl) का अणु
Na+ (सोसडयम आयन या मू लक) तथा Cl– (क्लोराइड मू लक या आयन) से
समलकर बनता है ।

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