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वायुमंडल की परिभाषा

• पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ो किमी की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। वायुमण्डल विभिन्न गैसों का
मिश्रण है जो पृथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए है। निचले स्तरों में वायुमण्डल का संघटन अपेक्षाकृ त एक समान रहता है। ऊँ चाई में
गैसों की आपेक्षिक मात्रा में परिवर्तन पाया जाता है।
• वायुमंडल किसे कहते हैं/ वायुमंडल क्या है ?
• वायुमंडल विभिन्न गैसों के मिश्रण से बना वह अदृश्य क्षेत्र है जो पृथ्वी के चारों ओर लगभग 600 किलोमीटर की ऊं चाई में फै ला
हुआ है।वायुमंडल का विस्तार पृथ्वी की सतह से सुदूर आकाश तक है जिसमें धूल कणों और जलवाष्प के अलावा विभिन्न गैसों
का मिश्रण पाया जाता है।वायुमंडल के ऊपरी परत के अध्ययन को वायु विज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन
को रितु विज्ञान (Meteorology) कहते हैं।वायुमंडल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन,कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन,
हिलियम, जीनोंन, ओजोन आदि गैस पाई जाती है।
वायुमंडल और उसका संघटन
 वायुमण्डल पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ों कि.मी. की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को कहते हैं ।
 वायुमण्डल विभिन्न गैसों का मिश्रण है जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है । पृथ्वी के चारों ओर हवा के
घेरे के विशाल आवरण को वायुमंडल कहते हैं ।
 वायुमंडल का करीब 99% भाग के वल नाइट्रोजन (78.8%) एवं ऑक्सीजन (20.95%) गैसों से निर्मित हैं ।
शेष कार्बन 1% भाग में सभी गैसें निऑन (आर्गन, नियनि. हीलियम हाइड्रोजन, क्रिप्टॉन, क्रिप्टन जेनॉन,
हीलियम, ओजोन) सम्मिलित हैं ।
 पृथ्वी के साथ वायुमंडल ओजोन गुरुत्वाकर्षण के कारण टिका रहता है । वायुमण्डल का विस्तार लगभग
10,000 किमी. तक माना गया है ।
 वायुमंडल अनेक गैसों का यांत्रिक सम्मिश्रण है, इसमें पायी जाने वाली प्रमुख गैसे व अन्य पदार्थ
निम्नलिखित हैं-
3) वायुमंडल की संरचना ( Structure of Atmosphere )–:
• वायुमंडल की संरचना विभिन्न गैसों के मिश्रण से बनी है जिनमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन,
हाइड्रोजन, हिलियम, नियॉन क्रिप्टान और ओजोन गैस हैं।
• पृथ्वी की सतह के समीप कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन गैस प्रमुखता से पाई जाती है, जो पूरे वायुमंडल के
आयतन का 99% भाग अपने में समाहित किए हुए हैं,
• वायुमंडल में मिलने वाली गैसों को अवरोही क्रम ( घटते क्रम) में निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है।
S.N. गैसें प्रतिशत आयतन
1 नाइट्रोजन (N) 78.03
2 ऑक्सीजन (O) 20.99
3 आर्गन (Ar.) 0.93
4 कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) 0.03.
5 हाइड्रोजन ( H ) 0.01
6 नियॉन (Ne) 0.0018
7 हिलियम ( He) 0.0005
8 क्रिप्टान (Kr) 0.0001
9 जिनान (Xe) 0.000.005
10 ओजोन (O₃) 0.000.0001
नाइट्रोजन
• नाइट्रोजन गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों में से अधिक है।
• नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब पौधों की शक्ति तथा प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है।
• इस गैस का कोई रंग गंध अथवा स्वाद नहीं होता नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि, यह वस्तुओं को
तेजी से जलने से बचाती है।
• यदि वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रख पाना कठिन हो जाता।
• नाइट्रोजन से पेड़ पौधों में प्रोटीन का निर्माण होता है जो भोजन का मुख्य अंग है।
• ऑक्सीजन (O) –:
• यह एक ज्वलनशील गैस है जो अन्य पदार्थों के साथ मिलकर जलने का कार्य करती है।
• ऑक्सीजन के अभाव में इंधन का प्रयोग संभव नहीं है ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
• यह् गैस वायुमंडल में 16 किलोमीटर तक फै ली हुई है उसके ऊपर इसका घनत्व अत्यधिक कम हो जाता है।
• कार्बन डाइ-अक्साइड (CO₂) –:
• पृथ्वी पर पाई जाने वाली सभी गैसो में यह सबसे भारी गैस है और इस कारण यह वायुमंडल की सबसे निचली परत में पाई
जाती है।
• यह गैस सूर्य से आने वाली सूर्य ताप को पृथ्वी तक आने देती है लेकिन जब यह ताप (गर्मी) वापस अंतरिक्ष में परावर्तित होता
है तो उसे यह अपने में रोक लेती है।
• इसी गैस की वजह से पृथ्वी पर ग्रीन हाउस इफे क्ट होता है और जिसके प्रभाव से पृथ्वी गर्म होती है।
• ओजोन (O₃) –:
• यह गैस ऑक्सीजन का ही एक विशेष प्रतिरूप है (O₃)।
• यह वायुमंडल में अधिक ऊं चाई पर ही अति न्यूनतम मात्रा में मिलती है ।
• यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है ।
• वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में कमी होने से सूर्य की पराबैंगनी किरणें अधिक मात्रा में पृथ्वी पर पहुंचकर कई भयानक
बीमारियां फै ला सकती हैं।
जलवाष्प (Water Va-pour) –:
• वायुमंडल की संरचना में जलवाष्प एक महत्वपूर्ण घटक है वायुमंडल में मौसम संबंधी होने वाली समस्त गतिविधियों पर
सर्वाधिक प्रभाव जलवाष्प का ही होता है।
• वायुमंडल में जलवाष्प कई माध्यमों से वाष्पीकरण (vaporization) की क्रिया द्वारा पहुंचता है जिनमें प्रमुख विशाल जल
राशि के क्षेत्र समुद्र झिले, नदियां और तालाब है।
• वायुमंडल में जलवाष्प सर्वाधिक परिवर्तनशील और असमान वितरण वाली होती है, वायुमंडल में जलवाष्प के असमान वितरण
की तुलना करें तो उष्ण कटिबंधीय उष्ण और आद्र् क्षेत्रों में कु ल हवा में जलवाष्प का आयतन
• 4% तक हो सकता है।
• वही मरुस्थलीय एवं ध्रुवीय क्षेत्रों में इसकी मात्रा 1% या उससे भी कम हो सकती है ।इस प्रकार भूमध्य रेखा पर इसकी मात्रा
अधिकतम होती है और जैसे-जैसे ध्रुवों की ओर जाएंगे इसकी मात्रा कम होती जाएगी।
• भू तल से ऊं चाई के क्रम में भी जलवाष्प की मात्रा में परिवर्तन होता है, उचाई बढ़ने के साथ ही इसकी मात्रा कम होती जाती है।
• सामान्यतः सतह से 2 किलोमीटर की ऊं चाई पर समस्त जलवाष्प का 50% भाग पाया जाता है।
• जलवाष्प सूर्य से आने वाली गर्मी को कु छ मात्रा में सोख (अवशोषित) लेती है। साथ ही पृथ्वी द्वारा शोषित सूर्यताप जब विकरण
द्वारा वायुमंडल में पहुंचता है तभी वह उसे आवशोषित कर पृथ्वी पर सामान्य औसत तापमान
• बनाए रखती है जिससे पृथ्वी का तापमान न तो अत्यधिक कम होता है और ना ही अधिक गर्म।
वायुमंडलीय अशुद्धियां –:
• वायुमंडल में जलवाष्प एवं विभिन्न गैसों के अलावा सूक्ष्म ठोस कणों की उपस्थिति भी पाई जाती है, जिन्हें वायुमंडलीय
अशुद्धियां कहा जा सकता है, यह अशुद्धियां भी वायुमंडल मे अपना प्रभाव डालती है,
• इन वायुमंडलीय अशुद्धियों के कारण सूर्य की किरणों में प्रकीर्णन की प्रक्रिया होती है, जिससे आकाश का रंग नीला और सूर्योदय
और सूर्यास्त के समय आसमान नारंगी रंग का दिखाई देता है।
• सूक्ष्म अशुद्धियां वायुमंडल में कई माध्यमों से पहुंचते हैं, जिनमें प्रमुख है समुद्री नमक, धूल धुआं, राख, मिट्टी के बारीक कण
ज्वालामुखी उल्कापिंड आदि ।
• नमक और धुएं के कण आद्रता ग्राही नाभिकों का कार्य करते हैं, इनके प्रभाव से वायुमंडलीय जलवाष्प के संघनन की क्रिया
तेजी से होती है जिससे बादल कोहरा आदि का निर्माण होता है ।
• वायुमंडल की परतें :–
• वायुमंडल की परतों को दो विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है।
• i) भौतिक विभाजन और ।
• ii) रासायनिक विभाजन ।
• i) भौतिक विभाजन ।
• वायुमंडल में हवा और गैसों की कई स्तरीय परते विद्यमान है जो घनत्व तापमान एवं रासायनिक संरचना की दृष्टि से एक दूसरे से
पूर्णता अलग है।
• वायुमंडल में वायु का घनत्व धरातल पर सर्वाधिक रहता है और ऊं चाई के साथ यह घटता जाता है।
• वायुमंडल को सामान्यता 5 स्तरों या परतों में बांटा जाता है।
• A) क्षोभमंडल ।(Troposphere)
• B) समताप मंडल ।(Stratosphere)
• C) मध्य मंडल।(Mesosphere)
• D) ताप मंडल और।(Thermosphere)
वायुमंडल की परतें :–
A)क्षोभमंडल ।(Troposphere)
• भू सतह से सर्वाधिक करीब यह वायुमंडल का सबसे निचला भाग है इसे परिवर्तन मंडल और संवहन मंडल के नाम से भी जाना
जाता है।
• ध्रुवों पर इसकी ऊं चाई 6 से 8 किलोमीटर और भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर के लगभग होती है।
• इस मंडल में तापमान की गिरावट ऊपर बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है 165 मीटर की ऊं चाई पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड या 1
किलोमीटर की ऊं चाई पर 6.4 डिग्री सेंटीग्रेड होती है।
• सभी वायुमंडलीय घटनाएं जैसे बादल आंधी एवं वर्षा इसी मंडल में होती है (मौसम संबंधी घटनाएं)।
• क्षोभ सीमा (Tropopause)
• यह क्षोभ मंडल और समताप मंडल के बीच स्थित है, इसमें तापमान के गिरने की दर रुक जाती है, हवा का तापमान भूमध्य
रेखा पर 80 डिग्री सेंटीग्रेड और ध्रुवों के ऊपर लगभग 45 डिग्री सेंटीग्रेड होता है, मौसम परिवर्तन
• की घटना यहां समाप्त हो जाती है।
B)समताप मंडल । (Stratosphere)–:
• क्षोभ सीमा के ऊपर भू सतह से औसतन 50 किलोमीटर की ऊं चाई तक समताप मंडल फै ला हुआ है, समताप मंडल की
निचली सीमा 20 किलोमीटर की ऊं चाई पर तापमान अपरिवर्तित रहता है, परंतु ऊपर की ओर जाने
• पर उसमें वृद्धि होती जाती है ।
• इस मंडल में ऊपर की ओर तापमान की वृद्धि के कारण सूर्य की पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करने वाली ओजोन गैस पाई
जाती है, इस मंडल की खोज 1902 ईसवी में टीज रेंस डी बोर्ड द्वारा की गई थी, इस मंडल में
• बादल धूल कण जलवाष्प नहीं पाए जाते हैं जिससे मौसम संबंधी किसी भी घटना का अभाव होता है।
ओजोन मंडल (Ozonosphere)–:
• समताप मंडल के सबसे निचले भाग में 15 से 35 किलोमीटर की ऊं चाई तक ओजोन मंडल विद्यमान है।
• सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलेट रेज्) का अवशोषण यह गैस कर लेती है और पृथ्वी के जीव जंतुओं के लिए
रक्षा के आवरण के रूप में कार्य करती है।
• ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली गैस CFC(क्लोरोफ्लोरोकार्बन) है जो एयर कं डीशनर फ्रिज आदि से निकलती थी ।
ओजोन परत को नुकसान CFC में उपस्थित सक्रिय क्लोरीन(CI) के कारण होती थी।
• ओजोन परत का क्षरण इन गैसों के प्रयोग पर रोक के बाद रुक गया है, और यह परत् फिर से पूर्ववत हो गई है । ओजोन परत
की मोटाई मापने के लिए डॉबसन इकाई का प्रयोग होता है।
C) मध्य मंडल। (Mesosphere)–:
• समताप मंडल के ऊपर औसतन 50 से 80 किलोमीटर की ऊं चाई वाला वायुमंडल भाग, मध्य मंडल के नाम से जाना जाता
है।
• इस मंडल में ऊं चाई के साथ तापमान गिरता जाता है, ऊपरी सीमा में तापमान -100 डिग्री सेंटीग्रेड हो सकता है।
• मध्य सीमा या मेसोपाज (Mesopause)–:
• मध्य मंडल की सबसे ऊपरी सीमा पर (80 किलोमीटर) मेसोपाज पाया जाता है, यह मध्य मंडल और ताप मंडल के बीच
स्थित है।
• यहां ऊं चाई के साथ तापमान में फिर से वृद्धि देखी गई है।
• D) ताप मंडल। (Thermosphere)
• भू सतह से 80 किलोमीटर से लेकर 640 किलोमीटर की ऊं चाई तक ताप मंडल पाया जाता है ।
• ऊं चाई के साथ तापमान में वृद्धि होती जाती है ।
• यहां हवा अत्यंत विरल अवस्था में पाई जाती है।
• आयनमंडल (Ionosphere) –:
• ताप मंडल का सबसे निचला हिस्सा आयन मंडल के नाम से जाना जाता है, आयन मंडल की ऊं चाई 80 से 400 किलोमीटर के मध्य है।
• इस मंडल में विद्युतीय और चुंबकीय घटनाएं होती हैं, पृथ्वी पर होने वाले खूबसूरत प्राकृ तिक दृश्य में से एक ध्रुवीय ज्योति इसी आयन मंडल में
होती है।
• पृथ्वी से भेजी जाने वाली रेडियो तरंगे इसी मंडल से परावर्तित होकर वापस पृथ्वी पर लौट आती है।
• यहां तापमान फिर से ऊं चाई के साथ बढ़ने लगता है, आयन मंडल निम्न 3 परतों में बटा हुआ है।
• D परत
• यह आयन मंडल की सबसे निचली परत है, जिसकी ऊं चाई 80 से 96 किलोमीटर तक है इस परत से रेडियो की लंबी तरंगों का परावर्तन होता
है।
• E परत
• D परत के ऊपर 96 से 145 किलोमीटर की ऊं चाई तक यह परत है जिसके दो भाग हैं E-1 और E-2 इस परत से रेडियो की मध्यम
तरंगे परावर्तित होती हैं।
• F परत
• E परत के ऊपर 145 किलोमीटर से 360 किलोमीटर की ऊं चाई में यह पर स्थित है, इसकी भी दो भाग हैं F-1, F-2 यहां से रेडियो की
लघु तरंगे परावर्तित होती है।
• आयन मंडल के प्रभाव से ही रेडियो कार्यक्रम और संदेश सुनना संभव हुआ है। यदि यह परत नहीं होती तो रेडियो तरंगे पृथ्वी पर वापस लौटने
• बाह्यय मंडल या आयतन मंडल।(Exosphere)
• भू सतह से 640 किलोमीटर की ऊं चाई पर स्थित है जहां हवा अत्यंत विरल अवस्था में है।
• इस मंडल की अधिकतम ऊं चाई 10,000 किलोमीटर तक हो सकती है।
• इस मंडल में हाइड्रोजन और हीलियम गैस पाई जाती है।
• ii) रासायनिक संरचना –:
• रासायनिक संरचना की दृष्टि से संपूर्ण वायुमंडल को दो भागों में बांटा जा सकता है।
• A) सम् मंडल और।(Hemosphere)
• B) विषम मंडल।(Hetero sphere)
• सम् मंडल ।(Hemosphere)–:
• स्तरीय संरचना की दृष्टि से वायुमंडल की क्षोभ या परिवर्तन मंडल, समताप मंडल तथा मध्य मंडल को सम् मंडल में सम्मिलित
किया जा सकता है।
• इस मंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन दो प्रमुख गैस प्रमुखता से पाई जाती हैं।
• इस मडल की औसत ऊं चाई 96 किलोमीटर तक हो सकती है जहां मौसम संबंधी सभी घटनाएं होती हैं।
• रासायनिक संरचना की दृष्टि से तीनों मंडलों में गैसीय् अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं मिलता इसलिए इसे सम् मंडल के नाम से
पुकारा जाता है।
• B) विषम मंडल ।(Hetero sphere) –:
• इस मंडल की ऊं चाई 96 किलोमीटर से 10,000 किलोमीटर तक मानी गई है ।
• इस विषम मंडल में मिलने वाली गैसय् परतो तथा गैसों के अनुपात में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है ।
• इस विषम मंडल में गैसों की चार परतें पाई जाती है।
• (i) आणविक नाइट्रोजन परत (Molecular Nitro zen Layer) –:
• इस परत में मुख्यतः नाइट्रोजन के अणुओं पाए जाते हैं इनकी ऊं चाई 90 से 200 किलोमीटर तक हो सकती है।
• ii) आणविक ऑक्सीजन परत (Molecular Oxygen Layer) –:
• इसमें मुख्यता ऑक्सीजन के अणु पाए जाते हैं इस परत की ऊं चाई 200 से 1,100 किलोमीटर तक हो सकती है।
• iii) हीलियम परत (Helium Layer) –:
• 1,100 से 3,500 किलोमीटर की ऊं चाई पर स्थित इस परत में मुख्य रूप से हीलियम के अणु पाए जाते हैं।
• iv) आणविक हाइड्रोजन परत (Molecular Hydrogen Layer) –:
• यह परत सबसे हल्की एवं वायुमंडल के सबसे ऊपरी भाग में स्थित है इसमें हाइड्रोजन के अणु मिलते हैं। इसकी सबसे निचले
स्तर की सीमा 3,500 किलोमीटर की ऊं चाई पर स्थित है जबकि ऊपरी सीमा निश्चित नहीं है।
• सामान्यता इसका विस्तार 10,000 किलोमीटर की ऊं चाई तक हो सकता है।

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