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गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 1

गगोपपिककागगीतमम
शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृत पविदगोत्तमकाटगीकका एविवं
पहनगी अनिनुविकाद कके सकाथ

लकेखक
शगीभकागवितकानिवंद गनुर

आरकार्यवितर्य सनिकातनि विकापहनिगी 'धमर्यरकाज' कके ससौजन्य सके प्रककाशशित

Notion Press

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 2

NOTION PRESS
India. Singapore. Malaysia.

ISBN xxx-x-xxxxx-xx-x

First Published – 2021

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पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 3

गगोपपिककागगीतमम
शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृत पविदगोत्तमकाटगीकका एविवं
पहनगी अनिनुविकाद कके सकाथ

लकेखक
शगीभकागवितकानिवंद गनुर

आरकार्यवितर्य सनिकातनि विकापहनिगी 'धमर्यरकाज' कके ससौजन्य सके प्रककाशशित

Notion Press

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गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 4

धमर्यसवंरक्षणकाथकार्यरकाधमर्यसवंहकारहकेतविके ।
पनिग्रहकाणकाञ्च धमकार्यजका लगोकके लगोकके प्रविरर्यतकामम ।।

शगीपनिग्रहकाचकारर्य (शगीभकागवितकानिवंद गनुर)

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 5

*-*-*

गगोपपिकका गगीत शगीमदकागवित महकापिनुरकाण कके दशिम स्कन्ध कके ३१विव


अधकार सके शलरका गरका हहै। इसमव गगोपपिरगोवं कके दकारका शगीककृष्ण कके
प्रपत ककी गरगी पविरह प्रकाथर्यनिका कका विणर्यनि हहै। प्रसनुत सवंस्करण
पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर कके दकारका गगोपपिकका गगीत पिर शलखगी
गरगी पविदगोत्तमका टगीकका कके पहनगी अनिनुविकाद कके सकाथ हहै।

*-*-*

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 6

गगोपपिककागगीतमम

रतकादपिद्मरजसका खलनु सविर्यपविघका


अजकानिकल्मषकनुबनुपरकनुमकागर्यजन्यकान्याः।
ददरगीककृतका पविमलमङ्गलशसरहसवं
विनके महकेशितनिरवं पगररजकात्मजवं तमम ॥०१॥

स एकदका पनिग्रहगो विहैष्णविहैरकाहूतगोऽरगोधकावं जगकाम।


ततगोनिवित्सरसमनुपिलक्ष्य विहैष्णविकान्याः सकागतवं सकागतपमपत बनुविनिम
रथगोशचतकेऽरनिके सकापपितविनन्याः। सररदजलके सकातकापह्निकवं ककृतका स
तनु पदविसकाग्रके दकेशिदकेशिकानरकागतहैन्याः पिसौरहैपविर्यष्णनुधमर्यपिरकारणहैन्याः
सजज्जितविनवं सभकामण्डपिवं प्रपविविकेशि। तवं धदम्रजपटलवं
बह्मदण्डपिकाशणनिवं सतपिन्याःप्रभरकाशन्वितमष्टधकातनुभनुजङ्गकाङ्गद -
रदकाक्षकनुण्डलविहैजरजनमकाल्यससौरपिनुण्डणधकाररणवं व्रतकापदशभन्याः
प्रक्षगीणगकातवं पनिग्रहकाचकारर्यं दृषका सभकासदगो पविशसजष्मिपररके। कनुत
पविशिकेरपमपत शचनरनिम स शिकानमनिका सभकानकगोणके भदमसौ
जसतका पविष्णनुधकानिरतगो बभदवि। तदका तदहस्यविकेत्तकारगो
विहैष्णविकासवं पिनुरस्ककृतगोचकासनिके सकापिरकामकासनुन्याः।
सनुग्रगीविदनुगकार्यशधपितकेविर्वैकनुण्ठगमनिवं जकातका सवंसनुविनिम

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 7

शगीरकामकानिनुजशशिष्यखकेचरपिपतरर्यो पविष्णनुधमकार्यशन्वितसवं विनके


पिरमकात्मधकामपनिरतवं सनुग्रगीविदनुगकार्यशधपिपमपत सवंसकृत जनिकानिकावं पिनुरतगो
घपटककारर्यपिरर्यनमनुपिपदष्टविकानिम। अथ ककेशचत्तवं कगोऽरपमपत
कनुतशकागतगोऽल्पविरस इपत कमकारकाधरतगीपत मनुहुमनुर्यहुन्याः
पिप्रचनु सदकाभकेददशिर्शी च दकेविकेषनु शिकास्त्रप्रकामकाण्यरक्षकगो
पनिग्रहकागमसदकेत्तका बह्मशचननिततरगो पनिग्रहगोऽहपमपत
प्रतभकासत। एविवं पनिग्रहगोपकवं शनुतका जहसनुसके पकपमदवं धकृतवं
तरकेपत। सगोऽबविगीदरवं विकाशशिष्ठपविधकानिगोकगो मम
निक्षतकाशधपिपतशचपह्नितगो बह्मदण्ड इपत। एविवं शनुतका ततविहैष्णविकान्याः
सकाधनुसकाजध्वितददन्याःनु पकननु छद्मविहैष्णविका जहसनुन्याः। पिनुनिसकेऽरवं
धमर्यध्विजगी पिकाखण्डगी विकाजस बनुविनिम जहसनुरजकानिपन्निग्रहस्य विकातकार्यं
तदका सगोऽशचनरतम। विकेशिधकाररणगो विहैष्णविकान्याः सहसकाशण सन्त्यत
दनुलर्यभसतबगोशधतन्याः। निकेततॄणकामकेकशकाटनु ककारगोऽपिरन्याः सङ्ग्रहगी नि
पविष्णनुशचनकगो रथगोकवं शिमनुनिका मपहषमपदर्यनिगीतनके कलसौ
छद्मविहैष्णविका उदरमररणगो हररपविक्रपरणगो भपविष्यजन
सतमकेततम। जकापतसरतकेनि जकानिकेऽहवं व्यतगीतके कलसौ पतसहसकाब
उज्जिपरन्यकावं पविक्रमकाकर्यस्य भदपितकेनिर्यविमहगीपिपतमण्डलके पिकृथगीशसवंह
इपत सकामनकासमकाजसौ शिकहैश पविपनिपिकापततन्याः। अहगो ककालस्य
मकाहकातवं ककालस्य गपतरगीदृशिगी। जन्मन्यजसन्नि मके रकाजवं नि
हरर्यंञ्चतनुरपङ्गणगी। इमके नि जकानिजन पविष्णनुधमर्यं रतगो

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गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 8

मकामनुपिहसजन तसकादत नि सकातव्यपमतकेविवं भगोजनिकेनि पविनिका स


विकृनकाविनिवं प्रपत जगकाम। पतपदविसकानरके मकागर्यमनुपिलङ
विकृनकाविनिमकागत शगीककृष्णविक्रपविहकाररणवं दृषका गव्यमकाशि।
विकृत्तकानमकेतजकातका दनुगर्यपिपतमहकानगो पविमनिका बभदवि
रसकादकाचकारर्यो पनिरकाशिगीगर्यतन्याः सशशिष्यवं पनिग्रहवं प्रतगीङकाञ्चककार
क्षकापिरकामकास। रगो पविष्णनुन्याः स शशिविन्याः सकाक्षकादकेविगी सका
गणनिकारकन्याः। पदविकाकरके तनु रगोऽभकेदन्याः पकवं नि जकानिजन दनुजर्यनिकान्याः ?
कथमकेतके छद्मविहैष्णविका मकावं दद्रुह्यनगीपत पविशचन्त्य
पनिग्रहकाचकारर्योऽवितकारप्रशिससौ महकावितकारसनुपतवं रचरकामकास। पिनुनिश
शगीसदकके शिङ्करभकाष्यवं, पिसौरषके पिनुरषगोत्तमवं, गगोपपिककागगीतके
पविदगोत्तमकाटगीककाञ्च विकेदसनुतसौ सविर्योत्तमकाटगीककावं शललकेख।

एक बकार विहैष्णविगोवं कके पनिमनण दकेनिके पिर पनिग्रहकाचकारर्य अरगोधका गरके।


तकेईस विषर्य ककी अविसका विकालके उनव दकेखकर विहैष्णविगोवं निके "सकागत हहै,
सकागत हहै" ऐसका कहतके हुए रथगोशचत भविनि मव उनव ठहरकारका।
सररद कके जल मव सकानि एविवं पनितपक्ररकाओवं कगो करकके उनगोवंनिके अगलके
पदनि दकेशि-दकेशिकानर सके आरके हुए पविष्णनुधमर्यपिरकारण प्रजकाजनिगोवं सके
सनुसजज्जित सभकामण्डपि मव प्रविकेशि पकरका। उनि धदम्रविणर्य ककी जटकाओवं
विकालके, बह्मदण्ड कगो हकाथगोवं मव धकारण पकरके हुए, अपिनिगी तपिस्यका ककी
प्रभका सके रनुक, अष्टधकातनु कके सपिर्य कगो भनुजका मव पिहनिके, रदकाक्ष कके
कनुण्डल, विहैजरनगी ककी मकालका एविवं ससौरपिनुण्डण कगो धकारण पकरके हुए,

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 9

व्रत आपद कके दकारका क्षगीण शिरगीर विकालके पनिग्रहकाचकारर्य कगो दकेखकर
सभकासदगण पविजसत हगो गरके। "मनुझके कहकाहाँ बहैठनिका चकापहए ..."
ऐसका सगोचतके हुए विके शिकान मनि सके सभका कके अजनम कगोनिके मव भदपम
पिर बहैठकर भगविकानिम पविष्णनु कके धकानि मव लगीनि हगो गरके। तब उनिकके
रहस्य कगो जकानिनिके विकालके विहैष्णविगोवं निके उनिकका समकानि करतके हुए ऊवंचके
आसनि पिर पबठकारका। सनुग्रगीविपकलकाधगीशि कके विहैकनुण्ठगमनि कगो
जकानिकर उनिककी सनुपत करतके हुए,

"शगीरकामकानिनुजकाचकारर्य जगी कके शशिष्यगोवं मव सदरर्य कके समकानि, जगो पविष्णनुधमर्य


मव जसत हह, उनि पिरमपिद कगो प्रकाप्त सनुग्रगीविदनुगकार्यशधपिपत कगो मह
प्रणकाम करतका हूहाँ",

ऐसका सरण करकके लगोगगोवं कके समक्ष उनगोवंनिके आधगी घड़गी तक


उपिदकेशि पकरका। इसकके बकाद कनुछ लगोग उनव "रह कसौनि हहै, कहकाहाँ सके
आरका हहै, रह छगोटगी आरनु विकालका पकसककी आरकाधनिका करतका हहै"
ऐसका बकार बकार पिदछनिके लगके तब "मह दकेवितकाओवं मव अभकेददशिर्यनि करनिके
विकालका, शिकास्त्रप्रकामकाण्य ककी रक्षका करनिके विकालका, पनिग्रहकागमगोवं कके रहस्य
कगो जकानिनिके विकालका, बह्मशचननि मव रत पनिग्रहकाचकारर्य हूहाँ", ऐसका उनगोवंनिके
उत्तर पदरका। पनिग्रहकाचकारर्य कके ऐसके विचनि कगो सनुनिकर विके लगोग हवंसनिके
लगके और पिदछका पक "रह तनुमकारके हकाथ मव कका धकारण कर रखका हहै
?" पनिग्रहकाचकारर्य निके कहका - "विशशिष्ठ ककी पिरम्परका मव उक पविधकानि कके
अनिनुसकार रह मकेरके निक्षतकाशधपिपत कके शचह्नि सके रनुक बह्मदण्ड हहै।"

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 10

इस बकात कगो सनुनिकर ततज विहैष्णविगोवं निके सकाधनु-सकाधनु ऐसका कहका


पकननु छद्मविहैष्णविगोवं निके उपिहकास पकरका। पफिर विके छद्मविहैष्णवि, "रह
धमर्यध्विजगी हहै, पिकाखण्डगी हहै" ऐसका कहतके हुए हवंसनिके लगके कगोवंपक विके
उनिकके विकासपविक रूपि कगो निहगीवं जकानितके थके। पफिर पनिग्रहकाचकारर्य निके
पविचकार पकरका पक रहकाहाँ कगोई एक तगो निकेतकाओवं कका चकाटनु ककार हहै तगो
ददसरका सङ्ग्रहपिरकारण हहै, पविष्णनुशचनक निहगीवं। विकेशि सके तगो हजकारगोवं
विहैष्णवि हह पकननु शजसके तत कका बगोध हगो, विह दनुलर्यभ हगी हहै। जहैसका
शशिवि जगी निके मपहषमपदर्यनिगी तन मव कहका हहै पक कशलरनुग मव
छद्मविहैष्णवि हगोवंगके जगो ककेविल पिकेट भरनिके एविवं भगविकानिम कगो बकेचनिके विकालके
हगोवंगके, विह सत हगी हहै। मह जकापतसरशसपर सके रह जकानितका हूहाँ पक
कशलरनुग कके तगीनि हज़कार विषर्य बगीतनिके पिर उज्जिपरनिगी कके महकारकाज
पविक्रमकापदत कके निविमहगीपिपतमण्डल मव मह पिकृथगीशसवंह निकाम कका
सकामन थका जगो रनुर मव शिकगोवं कके दकारका मकार पदरका गरका थका।

अहगो ! ककाल कका कहैसका मकाहकात हहै, ककाल ककी रह कहैसगी गपत हहै ?
इस जन्म मव नि मकेरके पिकास रकाज हहै, नि महल हहै और नि चतनुरवंपगणगी
सकेनिका हगी हहै। रके सब लगोग पविष्णनुधमर्य कगो निहगीवं जकानितके हह, सगो मकेरका
उपिहकास कर रहके हह, अतएवि अब रहकाहाँ रकनिका निहगीवं चकापहए। इस
प्रककार सके पबनिका भगोजनि पकरके हगी विके विकृनकाविनि कगो चलके गरके। तगीनि
पदनिगोवं कके बकाद मकागर्य कगो पिदणर्य करकके विकृनकाविनि पिहुहाँचकर शगीककृष्ण
बकावंककेपबहकारगी जगी कका दशिर्यनि करकके उनगोवंनिके गव्यप्रकाशिनि पकरका। इस
विकृत्तकान कगो जकानिकर दनुगर्यपिपत महन शखन्नि हगो गरके पक एक आचकारर्य

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 11

पबनिका भगोजनि पकरके हगी चलके गरके एविवं अपिनिके शशिष्य कगो पनिग्रहकाचकारर्य
कके पिकास भकेज कर उनगोवंनिके क्षमका मवंगविकारगी। जगो पविष्णनु हह, विह
सकाक्षकातम शशिवि हह, विहगी दकेविगी और गणनिकारक हह। सदरर्य मव भगी अभकेद
हहै, कका रके दनुजर्यनि इसके निहगीवं जकानितके ? पफिर कगोवं रके छद्मविहैष्णवि
मनुझसके दगोह करतके हह, ऐसका सगोचकर पनिग्रहकाचकारर्य निके सभगी अवितकारगोवं
ककी प्रशिजस मव महकावितकारसनुपत ककी रचनिका ककी। पफिर शगीसदक पिर
शिङ्करभकाष्य, पिनुरषसदक पिर पिनुरषगोत्तमभकाष्य, गगोपपिककागगीत पिर
पविदगोत्तमकाटगीकका एविवं विकेदसनुपत पिर सविर्योत्तमकाटगीकका शलखगी।
गगोप्य ऊचनुन्याः
जरपत तकेऽशधकवं जन्मनिका व्रजन्याः
शरत इशनरका शिश्वदत पह ।
दपरत दृश्यतकावं पदक्षनु तकाविकका -
स्त्वपर धकृतकासविस्त्वकावं पविशचन्वितके ॥ १॥

भकाविकाथर्य - गगोपपिरगोवं निके कहका - हके प्यकारके ! तनुमकारके जन्म लकेनिके कके ककारण
विहैकनुण्ठ आपद लगोकगोवं सके भगी अशधक व्रजमण्डल ककी मपहमका बढ़
गरगी हहै। तभगी तगो ससौनरर्य एविवं मकाधनुरर्य ककी दकेविगी लकगी जगी अपिनिका
धकाम छगोड़कर रहकाहाँ ककी सकेविका कके शलए पनित पनिविकास करनिके लगगी
हह। पकननु पप्ररतम ! दकेखगो तनुमकारगी गगोपपिरकाहाँ, शजनगोवंनिके तनुमकारके चरणगोवं
मव हगी अपिनिके प्रकाण समपपिर्यत कर रखके हह, विके विनि-विनि मव भटक कर
तनुमव ढदहाँढ रहगी हह।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 12

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
एतकासनु शनुतरन्याः सविकार्य व्रजके गगोपिकनुमकाररकका इपत पनिग्रहकागमकेषनु।
पिरबह्मणन्याः शिबशिकरश। विहैशशिष्ट्यभकाविकाज्जिरसकेनि जरपत।
जन्मनिकावितकारकेण सकामकान्यतकादशधकमनुत्कषर्षेण रकाजतके।
चतनुव्यदर्यहपविलकासदकासगणहैररष्टगो पविजकारतके तत्तनु पदव्यवं नि
भसौपतकमम। अजगोऽपपि सन्निव्यरकात्मका भदतकानिकामगीश्वरगोऽपपि सनिम।
प्रककृपतवं सकामशधष्ठकार समविकारकात्ममकाररकेपत शगीककृष्णन्याः। जन्म
कमर्य च मके पदव्यपमपत गगीतकारकामम। व्यकापिनिकाद्व्रज उच्यतके
व्यकापिकगो बह्म उच्यत इपत स्ककानके। सशचनकामपिहकार
शगीपनिविकासचरणकारपविनकशलतलशलतपविगशलतकामनुपिकानिमत्तका
मनजसतका मनगकापमनिगीशनरका व्रजमलङ्कनुविर्यतगी वितर्यतके। तपर
पिरकातरके बह्मशण पनिष्कलके धकृतप्रकाणका गगोपिरस्त्वकामकाककाररजन।
दृगगोचरप्रतक्षगीभदरतकापमपत।

पनिग्रहकागमगोवं कका विचनि हहै पक व्रज मव जगो गगोपपिरकाहाँ हह, विके सब विकेदगोवं
ककी शनुपतरकाहाँ हह और पिरबह्म ककी शिबशिपकरकाहाँ हह। पविशशिष्ट भकावि कके
ककारण जर हहै, अतएवि शिगोशभत हगोतका हहै। जन्म कका अथर्य अवितकार
हहै शजसकके ककारण सकामकान्य सके अशधक उत्ककृष्ट शिगोभकारमकानि हहै।
चतनुव्यदर्यहपविलकास कके भकजनिगोवं कके दकारका पिदशजत हगोकर जगो जन्म
हगोतका हहै, विह पदव्य हहै, भसौपतक निहगीवं। अजन्मका एविवं अपविनिकाशिगी हगोनिके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 13

पिर भगी, सबगोवं कका सकामगी हगोनिके पिर भगी अपिनिगी प्रककृपत कका अशधष्ठकानि
बनिकर अपिनिगी मकारका सके हगी प्रकट हगोतका हूहाँ, ऐसका गगीतका मव शगीककृष्ण
निके कहका हहै। मकेरके जन्म एविवं कमर्य पदव्य हह, ऐसका गगीतका मव हहै। व्यकाप्त
हगोनिके सके व्रज कहलकातका हहै, सविर्यव्यकापिगी बह्म व्रज हहै, ऐसका
स्कनपिनुरकाण कका विचनि हहै। अपिनिगी शचनका कगो छगोड़कर शगीपनिविकास
भगविकानिम कके चरणकमलगोवं सके स्पशिर्शीभदत सनुनर दवि चरणगोदक कगो
पिगीकर प्रमनुपदत हगोनिके सके मन मन मनुस्ककानिके विकालगी, मन मन गपत
सके चलनिके विकालगी इशनरका हहै जगो व्रज कगो शिगोशभत करतगी हुई रह रहगी
हह। पिर सके पिरके, तनुझ कलकातगीत बह्म मव शजनगोवंनिके अपिनिके प्रकाण
सकापपित कर पदरके हह, ऐसगी गगोपपिरकाहाँ तनुमव बनुलका रहगी हह। आपि हमकारके
निकेतगोवं कके अनगर्यत प्रतक्ष हगोवं, ऐसका भकावि हहै।

शिरदनुदकाशिरके सकाधनुजकातसतम
सरशसजगोदरशगीमनुषका दृशिका ।
सनुरतनिकाथ तकेऽशिनुल्कदकाशसकका
विरद पनिघतगो निकेह पकवं विधन्याः ॥०२॥

भकाविकाथर्य - हके हमकारके प्रकेमपिदणर्य हृदर कके सकामगी ! हम तगो आपिककी


पबनिका मगोल ककी दकासगी हहै। तनुम शिरत्ककालगीनि सनुनर जलकाशिर मव सके
कमलकशणर्यकका ककी छटका कके ससौनरर्य कगो चनुरकानिके विकालके निकेतगोवं सके हमव
घकारल कर चनुकके हगो। हके पप्रर ! कका ककेविल अस्त्रगोवं सके हतका करनिका

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 14

हगी विध हगोतका हहै ? इनि निकेतगोवं सके मकारनिका हमकारका विध करनिका निहगीवं हहै ?

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
दकास्यतकेऽसहै भकृपतसकेनि दकाससस्त्रगीतके दकाशसकका। शिनुल्कहगीनिका
पनिष्ककामभकाविकेनि ददकातकात्मकानिपमतशिनुल्कदकाशसकका।
शिरपदतकृतनुरथविका पिद्मन्याः। पिदमकानिवं सरररकारकावित्प्रविकाहमकानिवं
जगजन्मनिगोपत तसकात्ककालन्याः पिद्मपमपत विहैष्णविकागमके।
ककालगोऽसगीपत गगीतकारकावं शगीककृष्णन्याः। सरशस जकारतके सरशसजवं
चनगो पिद्मगो विका। रके रथका मकावं प्रपिदनके तकावंसथहैवि
भजकारहपमपत गगीतकारकामम। ककानभकाविनिरकारकाशधतगो गगोपविनगो
रथकेष्टककामप्रपिदरपरतका भपवितनुमहर्यपत। दशिर्यनिगीरगो
दशिर्यनिकासविगोऽदशिर्यनिकेनि गतकासदनिम भककान्नि हजन पकमनु
दृग्रदपिशिनुल्ककेनिहैवि दकासगीरपपि तकागकेनि नि ककेविलवं
शिस्त्रघकातहैरपपितदशिर्यनितकेनि च।

शजसके विकेतनिपिदविर्यक आजगीपविकका दगी जकारके, विह दकास हहै। स्त्रगीत ककी
पविविक्षका हगोनिके पिर दकाशसकका हहै। पबनिका शिनुल्क कके, पनिष्ककाम भकावि सके
अपिनिके आपि कगो पनिविकेपदत करनिके विकालगी अशिनुल्कदकाशसकका हहै। शिरतम
शिब सके ऋतनु अथविका पिद्म कका बगोध हहै। निदगी कके प्रविकाह कके समकानि
गपतशिगील जगत कगो निष्ट करनिके सके ककाल कगो पिद्म कहतके हह, ऐसका
विहैष्णविकागम मव हहै। मह ककाल हूहाँ, ऐसका शगीककृष्णविचनि गगीतका मव हहै।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 15

जलकाशिर मव उतन्नि हगोनिके सके चनमका रका कमल कगो पिद्म कहतके हह।
जगो शजस भकावि सके मकेरगी आरकाधनिका करतका हहै, मह उसगी भकावि सके
उसकका भजनि करतका हूहाँ, ऐसका गगीतका मव हहै। पिपतभकावि कके दकारका
आरकाशधत हुए गगोपविन रथकाशभलपषत ककामनिका कगो पिदणर्य करनिके विकालके
हगोनिके चकापहरके। जगो दशिर्यनिगीर हहै, उसकके दशिर्यनि मव हगी प्रकाण जसत हह
शजनिकके, ऐसके दशिर्यनिविशञ्चत हगोकर प्रकाण तकागनिके विकालके भकगोवं कगो कका
निहगीवं मकारतके हह ? दशिर्यनि हगी शजनिकके दकासगीत कका मदल्य हहै, ऐसगी
दकाशसरगोवं कके तकाग सके भगी उनिकका हनिनि हगोतका हहै, मकात शिस्त्रप्रहकार सके
हगी निहगीवं, अपपितनु अदशिर्यनि सके भगी।

पविषजलकाप्यरकादकालरकाक्षसका -
दषर्यमकारतकादहैदनुतकानिलकातम ।
विकृषमरकात्मजकापदश्वतगो भरका -
दृषभ तके विरवं रशक्षतका मनुहुन्याः ॥०३॥

भकाविकाथर्य - हके पिनुरषशकेष्ठ ! ककाशलर निकाग कके पविष सके ददपषत रमनुनिका
जल सके हगोनिके विकालगी मकृतनु, अजगर कके रूपि मव भक्षण करनिके विकालका
अघकासनुर, इन ककी विषकार्य, आककाशिगीर पबजलगी-आहाँधगी, दकाविकानिल,
तकृणकावितर्य, विकृषभकासनुर और व्यगोमकासनुर आपद सके उतन्नि सवंकटगोवं सके
अलग-अलग समर पिर सब प्रककार सके तनुमनिके बकार-बकार हमकारगी रक्षका
ककी हहै।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 16

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
विहैनितकेरभरकात्ककाशलरगो रमनुनिकाकनुण्डके पनिविसञ्जलवं ददषरपत स।
फिशणपनिग्रहकेण तरका जनिका रशक्षतकान्याः। पविशिकेषकेण
आसमनकादलतगीपत व्यकालन्याः सपिर्यन्याः ककालगो विका।
ककालमकृतनुभरकादनुधकृत मगोक्षमकागर्यं ददकापत।
व्यकालरूपपिणकाघकासनुरकादरक्ष। महकेनकगोपिचगोपदतकेनि
सम्वतर्यकनिदनिनुनिका धपषर्यतकानिम व्रजसौककानिम सगोपिस्करकान्ररक्ष। एविवं
जड़दकाविकापग्निनिकाथविका भविकाटविगीजसतकापग्निनिका स रक्षरपत।
विकृषकात्मजकेनि कनुणपिवित्सकेनि मरसदनिनुनिका व्यगोमकेनि
तकापडितकान्व्रजसकान्ररक्ष। एविमसङकातकेभन्याः सङ्कटकेभगो
तमसकाकवं मनुहुमनुर्यहू रशक्षतविकानिशस।

पविनितकापिनुत गरडि कके भर सके ककाशलर रमनुनिकाजगी कके कनुण्ड मव रहतका


हुआ जल कगो प्रददपषत करतका थका, उस निकाग कका पनिग्रह करकके
आपिकके दकारका लगोगगोवं ककी रक्षका ककी गरगी। जगो पविशिकेष करकके
सम्पदणर्यतरका भक्षण कर जकारके, विह व्यकाल हहै। सपिर्य एविवं ककाल, दगोनिगोवं
कगो व्यकाल कहतके हह। आपि ककालमकृतनु कके भर सके उरकार करकके
मगोक्षमकागर्य दकेतके हह। सपिर्यरूपिगी अघकासनुर सके भगी रक्षका ककी। महकेन कके
क्रगोध सके उत्प्रकेररत सवंवितकर्य मकेघ कके दकारका पिगीपड़त पकरके जका रहके
व्रजविकाशसरगोवं तथका उनिकके सवंसकाधनिगोवं ककी रक्षका ककी। सकाथ हगी भसौपतक

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 17

जड़ विनि मव लगगी अपग्नि तथका सवंसकाररूपिगी विनि, भविकाटविगी ककी अपग्नि सके
विह (ककृष्ण) रक्षका करतका हहै। विकृषकासनुर कके पिनुत वित्स निकामक रकाक्षस,
मर दकानिवि कके पिनुत व्यगोमकासनुर कके दकारका तकापडित व्रजसकानिविकाशसरगोवं ककी
रक्षका ककी। इस प्रककार सके असवंख्य बकार सवंकटगोवं सके आपिनिके हम सबगोवं
ककी बकारमकार रक्षका ककी हहै।

नि खलनु गगोपपिककानिननिगो भविका -


निशखलदकेपहनिकामनरकात्मदृकम ।
पविखनिसकाशथर्यतगो पविश्वगनुप्तरके
सख उदकेपरविकानिम सकाततकावं कनुलके ॥ ४ ॥

भकाविकाथर्य - हके सखके ! आपि मकात रशिगोदका जगी कके हगी पिनुत निहगीवं हह
अपपितनु समस दकेहधकारररगोवं कके हृदर मव जसत अनन्याःसकाक्षगी हह।
बह्मदकेवि कके दकारका प्रकाशथर्यत हगोकर सवंसकार ककी रक्षका कके पनिपमत्त आपिनिके
रदनुकनुल मव अवितकार ग्रहण पकरका हहै।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
रहस्यविकेतगो गगोपपिककान्याः शनुपतरूपपिण्यगो
रहस्यप्रककाशिनिमनुपिक्रमजन। नि ककेविलवं गगोपिमपहष्यका रशिगोदकारकान्याः
सनुतगोऽपपितन्यकेषकामपिगीतत
ककारकागकारजसतविसनुदकेविदकेविककीजन्यकाष्टमगभर्यसङ्ककेतशकापपि गकृह्यतके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 18

ततविकापदशभन्याः। सकलदकेपहनिकापमपत।
सकृपष्टदृष्ट्यकाण्डजपपिण्डजसकेदजगोशदज इपत चतनुपविर्यधगो दकेहन्याः।
अण्डजका मत्स्यपिक्ष्यकादरन्याः। पपिण्डजका मनिनुष्यपिश्वकादरन्याः। सकेदजका
रदककाककृरकादरगोशदजका विनिस्पतरन्याः। जसपतदृष्ट्यका
सदलसदकककारणपमपत पतपविधगो दकेहन्याः। अन्निप्रकाणमरकगोशिकाभकावं
सञ्चकाशलतगो भसौपतकलगोकरकातकाप्रवितर्यकन्याः
कमर्यप्रकारब्धपनिमकार्यणपनिपमत्तन्याः सदलदकेहन्याः।
मनिगोपविजकानिमरकगोशिकाभकावं सञ्चकाशलतन्याः
सगर्यपनिककृतकापदलगोकरकातकाप्रवितर्यकन्याः कमर्यप्रकारब्धभगोगपनिपमत्तन्याः
सदकदकेहन्याः। आनिनमरकगोशिकेनि सञ्चकाशलतन्याः
सतधनुविबह्मलगोकरकातकाप्रवितर्यकन्याः कमकार्यसपकपनिमनुर्यकजगीविकानिकावं
सकेचरका पदव्यलगोकगोपिभगोगपनिपमत्तन्याः ककारणदकेहन्याः।
सवंहकारदृष्ट्यकापविनिकाशशिपविनिकाशिगीपत पदपविधन्याः।
सगर्यजसपतसवंहकारपनिग्रहकानिनुग्रहकमर्यशण
पविष्णनुसदरर्यशशिविशिपकगणकेशिकापदरूपिवं धकृतकाथविकावितकारपविधकानिकेनि
रकामककृष्णककाशलककास्कनशिरभनिकृशसवंहगोमकापदप्रकटगीककृतका दकेहका
अपविनिकाशशिनि आबह्मककीटपिरर्यनशिकेषकासनु पविनिकाशशिनिन्याः।
तसकात्सविर्यदकेपहनिकापमपत।

रहस्य कगो जकानिनिके विकालगी शनुपतरूपपिणगी गगोपपिरकाहाँ रहस्य कका प्रककाशिनि

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 19

करतगी हह। ककेविल गगोपपिरगोवं ककी रकानिगी रशिगोदका जगी कके हगी निहगीवं, अपपितनु
औरगोवं कके भगी पिनुत हगो, रहकाहाँ ककारकागकार मव जसत विसनुदकेवि एविवं दकेविककी
कके मकाधम सके अष्टम गभर्य कके रूपि मव जन्म लकेनिके कका सवंककेत भगी
ततविकापदरगोवं कके दकारका ग्रहण पकरका जकातका हहै। सभगी दकेपहरगोवं मव, ऐसका
कहतके हह। सकृपष्ट ककी दृपष्ट सके अण्डज, पपिण्डज, सकेदज एविवं उशदज,
रके चकार प्रककार कके दकेह हह। इसमव मछलगी, पिक्षगी आपद अण्डज हह।
मनिनुष्य, पिशिनु आपद पपिण्डज हह, ककीट, जदवं आपद सकेदज हह। विनिस्पपत
आपद उशदज हह। जसपत ककी दृपष्ट सके सदल, सदक एविवं ककारण, रह
तगीनि प्रककार कके दकेह हह। अन्निमर एविवं प्रकाणमर कगोशिगोवं कके दकारका
सञ्चकाशलत, भसौपतक लगोक मव पनिविकास तथका पक्ररका कका प्रवितर्यक,
कमर्यप्रकारब्ध कके पनिमकार्यण कका पनिपमत्त सदलदकेह हहै।

मनिगोमर एविवं पविजकानिमर कगोशिगोवं कके दकारका सञ्चकाशलत, सगर्य-निरक


आपद लगोकगोवं मव पनिविकास तथका पक्ररका कका प्रवितर्यक कमर्यप्रकारब्ध कके
भगोग कका पनिपमत्त सदकदकेह हहै। आनिनमर कगोशि कके दकारका
सञ्चकाशलत सतलगोक, धनुविलगोक, बह्मलगोक आपद मव पनिविकास तथका
पक्ररका कका प्रवितर्यक, कमर्य ककी आसपक सके मनुक जगीविगोवं ककी अपिनिगी
इचका सके पदव्यलगोकगोवं कके उपिभगोग कका पनिपमत्त ककारणदकेह हहै। सवंहकार
ककी दृपष्ट सके अपविनिकाशिगी एविवं पविनिकाशिगी, रह दगो प्रककार कके दकेह हह।
सकृपष्ट, जसपत, सवंहकार, पनिग्रह एविवं अनिनुग्रह कमर्य मव पविष्णनु, सदरर्य, शशिवि,
शिपक, गणकेशि आपद रूपि कगो धकारण करकके अथविका अवितकारपविधकानि
सके रकाम, ककृष्ण, ककाशलकका, स्कन, शिरभ, निकृशसवंह, उमका आपद

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 20

प्रकटगीककृत दकेह अपविनिकाशिगी हह, इनिकके अपतररक बह्मका सके ककीटपिरर्यन


शिकेष दकेह पविनिकाशिगी हह। इस प्रककार सके, "सभगी दकेपहरगोवं कके" ऐसका
कहका।

ईश्वरन्याः सविर्यभदतकानिकावं हृदकेशिकेऽजनुर्यनि पतष्ठतगीपत गगीतकारकामम।


तसकादनरकात्मदृकम। ककेशिकमर्यपविपिकाककाशिरहैरपिरकामकृष्टन्याः
पिनुरषपविशिकेष ईश्वर इपत रगोगदशिर्यनिके।
अपविदकाजसतकारकागदकेषकाशभपनिविकेशिकान्याः ककेशिका इपत ततहैवि। पिनुर इपत
दकेहन्याः। तकेषनु पिनुषनुर्य शिकेतके स पिनुरषन्याः। दकेहजगीविरगोरहैकभकाविमपविदका।
कतकृर्यतकाशभमकानिगोऽजसतका। सनुखभकाविनिरकासपकमहैतगीबगोधगो रकागन्याः।
दनुन्याःखभकाविनिरकापनिविकृर्यपत्तशितनुबगोधगो दकेषन्याः। दकेहगोऽहपमपत मतका
मरणभरमशभपनिविकेशिन्याः। एशभन्याः पिञ्चककेशिहैरबकाशधत ईश्वरन्याः।
फिलभकेदतकातनुण्यपिकापिपमशशतरपहतपमपत चतनुपविर्यधवं कमर्य।
ककालभकेदतकाशत्क्रिरमकाणसशञ्चतप्रकारब्धपमपत पतपविधवं कमर्य।
भकाविभकेदतकापन्निष्ककामसककाम इपत पदपविधवं कमर्य। एविवं
पिञ्चककेशिनिविकमर्यशभरनिशभहतगो निविपविधदकेहकेषनु पिनुषनुर्य शिकेतके स पिनुरष
ईश्वरगोऽशखलदकेपहनिकामनरकात्मदृपगपत। पविष्णगोनिर्यखरसमदतगो बह्मका
विहै पविखनिका मनुपनिररपत पनिग्रहकागमकेषनु विहैष्णविकागमकेषनु च। सतवं
सतकाशरवं सतगनुणवं सकेविकेत ककेशिविमम । रगोऽनिन्यतकेनि मनिसका
सकाततन्याः समनुदकाहृत इपत पिकाद्मगोत्तरके। सतमकेवि सकातवं

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 21

तत्तनिगोतगीपत सकाततगो पविष्णनुन्याः। सतरनुकपविधकानिकेनि सतरूपपिणवं


निकारकारणवं रकामसङ्कषर्यणकापदशभरपिपदष्टकेनिहैककारनिमतकेनि
सकाततसवंपहतकापदशभरचर्यरजन रके तके सकाततकासकेषकावं कनुलन्याः
सकाततकनुलससकात्तकेनि बह्मणका पविखनिसका भदभकारहरणकार
प्रकाशथर्यतस्त्वमसकाकवं सकाततकावं कनुलकेऽवितगीणर्योऽसगीतथर्यन्याः।

गगीतका कहतगी हहै पक हके अजनुर्यनि ! ईश्वर सभगी प्रकाशणरगोवं कके हृदरदकेशि
मव जसत रहतका हहै। अतएवि अनरकात्मदृकम कहका। रगोगदशिर्यनि मव
कहतके हह - ककेशि एविवं कमर्यपविपिकाक सके शभन्नि एविवं अप्रभकापवित
पिनुरषपविशिकेष ईश्वर हहै। विहगीवं कहतके हह पक अपविदका, अजसतका, रकाग,
दकेष एविवं अशभपनिविकेशि, रह पिकावंच ककेशि हह। पिनुर कका अथर्य दकेह हहै।
उनि पिनुरसवंजक दकेहगोवं मव जगो शिरनि करतका हहै, विह पिनुरष हहै। दकेह और
जगीवि ककी एकतका कका भकावि अपविदका हहै। कतकृर्यत कका अशभमकानि
अजसतका हहै। सनुख ककी भकाविनिका सके आसक हगोकर महैतगी कका बगोध
रकाग हहै। दनुन्याःख ककी भकाविनिका कके ककारण पनिविकृपत्त कका अनिनुभवि करनिके सके
शितनुतका कका बगोध दकेष हहै। मह रह दकेह हूहाँ, ऐसका मकानिकर मकृतनु सके
भरभगीत हगोनिका अशभपनिविकेशि हहै। इनि पिकावंचगोवं ककेशिगोवं सके जगो बकाशधत
निहगीवं, विह ईश्वर हहै। फिलभकेद सके पिनुण्य, पिकापि, पिनुण्य-पिकापि पमशशत एविवं
पिनुण्य-पिकापि रपहत, रके चकार प्रककार कके कमर्य हह। ककालभकेद सके
पक्ररमकाण, सशञ्चत एविवं प्रकारब्ध, रके तगीनि प्रककार कके कमर्य हह।
भकाविभकेद सके पनिष्ककाम एविवं सककाम, रके दगो प्रककार कके कमर्य हह। इस

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 22

प्रककार सके पिकावंच ककेशि एविवं निसौ कमर्मों कके दकारका प्रभकापवित नि हगोतका
हुआ, निसौ प्रककार कके पिनुरसवंजक शिरगीरगोवं मव शिरनि करनिके विकालका विह
पिनुरष ईश्वर सभगी प्रकाशणरगोवं ककी अनरकात्मका कका दष्टका हहै, ऐसका अथर्य
हहै। भगविकानिम पविष्णनु कके निखगोवं सके उतन्नि बह्मका हगी पविखनिका निकामक
मनुपनि हह, ऐसका पनिग्रहकागम एविवं विहैष्णविकागम मव विणर्यनि हहै। सतरूपिगी,
सत कके आशर, सतगनुण सके रनुक ककेशिवि ककी जगो अनिन्यभकावि सके
आरकाधनिका करतका हहै, विह सकातत कहका गरका हहै, ऐसका पिद्मगोत्तरपिनुरकाण
ककी उपक हहै। सत हगी सकात कहका गरका हहै। जगो उस सत कका
पविसकार करके, विह सकातत पविष्णनु हह। सतरनुकपविधकानि सके सतरूपिगी
निकारकारण ककी पिरशिनुरकाम, सङ्कषर्यण आपद कके दकारका उपिपदष्ट
एककारनिमत सके, सकाततसवंपहतका आपद कके दकारका जगो अचर्यनिका करतके हह,
विके सकातत हह, उनिकका कनुल सकाततकनुल हहै। अतएवि पविखनिका बह्मका
कके दकारका पिकृथगी कके भकार कगो हरण करनिके ककी प्रकाथर्यनिका पकरके जकानिके पिर
आपि हम सकाततगोवं कके कनुल मव अवितररत हुए हह, ऐसका अथर्य हहै।

पविरशचतकाभरवं विकृजष्णधनुरर्य तके


चरण मगीरनुषकावं सवंसकृतकेभर्यरकातम ।
करसरगोरहवं ककान ककामदवं
शशिरशस धकेपह निन्याः शगीकरग्रहमम ॥०५॥

भकाविकाथर्य - अपिनिके पप्ररजनिगोवं ककी इचका पिदणर्य करनिके मव अग्रगण्य

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 23

विकृजष्णकनुलशकेष्ठ ! जगो जनि जन्म-मरण कके चक्र सके भरभगीत हगोकर


तनुमकारके चरणगोवं कका आशर ग्रहण करतके हह, तनुमकारके करकमल उनि
शिरणकागतगोवं कगो अपिनिगी छकारका मव लकेकर पनिभर्यर कर दकेतके हह। हके
पप्ररतम ! सबककी ककामनिकाओवं कगो पिदणर्य करनिके विकालके शजस करकमल
सके तनुमनिके लकगीदकेविगी कका हकाथ पिकड़का थका, विहगी हमकारके मसक पिर
रख दगो।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
विकृजष्णकनुलगोदविकानिकावं धनुरन्धर इपत विकृजष्णधनुरर्य। च इपत शिबके गतसौ
च। रण इपत रमणके शनुतसौ च। मधनुरवं रमणगीरवं शिबवं करगोतगीपत
चरणमम। गतथर्षे रमणगीरगतका चलतगीपत चरणमम।
दहैविगीसम्पदनगर्यतकाभरवं प्रथममम। सवंसकृतकेभर्यरकादभरमम।
रसौदशिकका तनु जपनितवं शचत्तविहैकव्यदवं भरपमपत सकापहतदपिर्यणके।
मरणजन्यभरजनिकककेशिपविशिकेषगोऽशभपनिविकेशिन्याः। अभरवं
सविर्यभदतकेभगो ददकारकेतद्व्रतवं मम इपत पविष्णनुविकाकमम।
भरस्यकाभकावि इतव्यरगीभकाविगो रदका निकाजस भरवं
रसकात्तदभरमम। गकृहकापत फिलदकातकृतकेनि जगीविकापनिपत ग्रहगो
ग्रहणकाथर्षे च। ककाममशभलकाषवं ददकापत ककामदन्याः। शशरञ्च
दकेविदकेविस्य पितगी निकारकारणस्य च रकेपत पिनुरकाणके। रकेनि करकेण
लकका हसवं गकृहगीतविकानिम तवं शशिरशस मदशरर्य धकेपह सपन्निधकापिर।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 24

विकृजष्णकनुल मव उतन्नि लगोगगोवं ककी धनुरगी कगो धकारण करनिके विकालके कगो
विकृजष्णधनुरर्य कहतके हह। 'च' शिब गपत एविवं शिब कके रूपि मव प्ररनुक
हगोतका हहै। 'रण' शिब विकेदगोवं मव रमण कके रूपि मव प्ररनुक हगोतका हहै।
मधनुर रमणगीर शिब करनिके विकालका चरण हहै। गपत कके अथर्य मव
रमणगीर गपत सके चलनिके विकालके कगो चरण कहतके हह। दहैविगी सम्पदका कके
अनगर्यत 'अभर' प्रथम हहै। सवंसकृपत कके भर सके अभर कहका गरका
हहै। सकापहतदपिर्यण कका विचनि हहै पक रसौदशिपक सके उतन्नि शचत्त मव
पविकलतका कगो भर कहतके हह। मकृतनु सके उतन्नि भर कगो उतन्नि करनिके
विकालके ककेशिपविशिकेष कगो अशभपनिविकेशि कहतके हह। पविष्णनुविकाक हहै पक मह
सभगी प्रकाशणरगोवं कगो अभर दकेतका हूहाँ, ऐसका मकेरका व्रत हहै। भर कका
अभकावि, इस प्रककार सके अव्यरगीभकावि हगोकर शजसकके दकारका भर निहगीवं
हहै, उसके अभर कहतके हह। जगीविगोवं कगो फिल प्रदकानि करनिके ककी शिपक
सके रनुक हगोनिके सके ग्रह कहतके हह। ग्रहण कके अथर्य मव भगी प्ररगोग हगोतका
हहै। ककामनिका एविवं अशभलकाषका कगो दकेतका हहै, विह ककामद हहै। पिनुरकाण
कहतके हह, दकेविदकेविकेश्वर निकारकारण ककी पितगी शगी हहै। उस हकाथ कगो,
शजससके लकगी कका हकाथ पिकड़का थका, उसके मकेरके शशिर पिर, मदरकार्य पिर
सकापपित करव।

व्रजजनिकापतर्यहनिम विगीर रगोपषतकावं


पनिजजनिसरध्विवंसनिजसत ।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 25

भज सखके भविशत्कङ्करगीन्याः स निगो


जलरहकानिनिवं चकार दशिर्यर ॥०६॥

भकाविकाथर्य - व्रज कके पनिविकाशसरगोवं कके दनुन्याःख कगो ददर करनिके विकालके विगीर !
तनुमसके प्रकेम करनिके विकालगोवं कके मद-अहङ्ककार कगो निष्ट करनिके कके शलरके
तनुमकारगी एक मधनुर मनुस्ककानि हगी ककाफिकी हहै। हके सखके ! तनुम हमसके रष्ट
नि हगो, हमसके प्रकेमभकावि कका व्यविहकार करगो। हम तगो तनुमकारगी दकाशसरकाहाँ
हह। हमव अपिनिके कमलसदृशि मनुखमण्डल कका दशिर्यनि करकाओ।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
व्रजनिवं व्यकापप्तररतनुकका व्यकापिनिकाद्व्रज उच्यत इपत स्ककानके
शिकाजण्डल्यन्याः। व्रजजनि इपत गगोचरपिनुनिरकाविपतर्यलगोकपनिविकाशसनिन्याः।
आपतर्यदर्यन्याःनु खवं दहैपहकदहैपविकभसौपतकनिकामकेपत। पतपविधगो भकाविन्याः।
पिशिनुविगीरपदव्यपमतत विगीरभकाविन्याः। पविशिकेषकेणकेररपत ददरगीकरगोपत
शितदञ्च कमर्यशण समथर्य इपत विगीरन्याः। शिरणकागतभकाविगतगो जनिगो
पनिजजनिन्याः। सर इपत गविकार्यथर्षे। सखकेपत सनुप्तबनुरजगीविरगोन्याः
सङ्ककेतन्याः। दका सनुपिणकार्य सरनुजका सखकारकेपत श्वकेतकाश्वतरशनुपतन्याः
पिहैप्पलकादसवंपहतकारकाञ्च। पकवं करगोपम प्रकाथर्यरपत स पकङ्करन्याः स्त्रगीतके
पकङ्करगी। जलके रगोहतगीपत जलरहञ्जलजन्याः पिकाद्मभकाविके।
आपिगो निकारका इपत
प्रगोकमस्त्यपग्निविकारनुहररविवंशिभपविष्यपिद्मशशिविबह्मबह्मकाण्ड-

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 26

स्कनभकारतके च। जलके तजसन्निरनिवं कल्परतगीपत जलरहन्याः।


एककाणर्यविसमदतगो महकापविरकापडिपत। चरपत शचत्त इपत चकारन्याः।

स्कनपिनुरकाण मव शिकाजण्डल्य ऋपष कहतके हह पक व्रजनि शिब सके


व्यकापप्त कका भकावि ग्रहण पकरका जकातका हहै एविवं व्यकापिक हगोनिके सके व्रज
कहतके हह। व्रजजनि कका अथर्य इशनरगर पिनुनिरकावितर्शी लगोक कके
पनिविकाशसरगोवं सके हहै। आपतर्य कका अथर्य दनुन्याःख हहै जगो दहैपहक, दहैपविक एविवं
भसौपतक, तगीनि प्रककार कका हगोतका हहै। भकावि कके तगीनि प्रककार हह -
पिशिनुभकावि, विगीरभकावि एविवं पदव्यभकावि। रहकाहाँ विगीरभकावि हहै। पविशशिष्ट
प्रककार सके शितनुओवं कगो निष्ट करतका हहै, उनव ददर करतका हहै, कमर्य मव
समथर्य हहै जगो, उसके विगीर कहतके हह। जगो शिरणकागतभकावि सके आ गरका
हहै, विह व्यपक पनिजजनि कहलकातका हहै। सर शिब गविर्य कके अथर्य मव
हहै। सखका शिब सके सनुप्त एविवं बनुर जगीविगोवं कका सवंककेत हहै।

श्वकेतकाश्वतरगोपिपनिषतम एविवं पिहैप्पलकाद सवंपहतका कका विचनि हहै पक सनुनर


पिवंखगोवं विकालके दगो पिक्षगी हह जगो सकाथ हगी उतन्नि एविवं सखकाभकावि सके रहतके
हह। "मह कका करूहाँ ?" ऐसगी प्रकाथर्यनिका करनिके विकालका पकवं कर हहै। स्त्रगीत
ककी पविविक्षका मव पकवं करगी शिब हगो जकातका हहै। जल मव उतन्नि हगोतका हहै,
विह जलरह जलज कमल कके अथर्य मव हहै। आपि (जल) शिब कगो
निकारका कहतके हह, ऐसका अपग्नि, विकारनु, हररविवंशि, भपविष्य, पिद्म, शशिवि,
बह्म, बह्मकाण्ड, स्कनपिनुरकाण एविवं महकाभकारत मव कहतके हह। उस जल
मव अपिनिके पनिविकास ककी कल्पनिका करनिके विकालका जलरह कहतके हह।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 27

एककाणर्यवि कके जल सके उतन्नि महकापविरकाटम कका भकावि हहै। जगो शचत्त मव
पविचरण करके, विह चकार हहै।

प्रणतदकेपहनिकावं पिकापिकशिर्यनिवं
तकृणचरकानिनुगवं शगीपनिककेतनिमम ।
फिशणफिणकापपिर्यतवं तके पिदकामनुजवं
ककृणनु कनुचकेषनु निन्याः ककृजन्ध हृचरमम ॥०७॥

भकाविकाथर्य - तनुमकारके रके चरणकमल शिरणकागत जगीविगोवं कके पिकापिगोवं कगो निष्ट
करनिके विकालके हह। उनिककी सकेविका सरवं ससौनरर्य-मकाधनुरर्य सके रनुक
लकगीदकेविगी करतगी हह। रके विहगी चरण हह जगो बछड़गोवं कके पिगीछके पिगीछके
चलतके हह एविवं सपिर्य (ककाशलर निकाग) कके फिणगोवं पिर पिड़के हह। हमकारका
हृदर तनुमकारके पविरगोग मव जल रहका हहै, तनुम अपिनिके विके चरणकमल
हमकारके विक्षन्याःसल पिर रखकर हमकारगी हृदरजकालका कगो शिकान कर
दगो।
शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
प्रकषर्षेण नितन्याः प्रणतन्याः। दकेहके कमर्यप्रकारब्धकाकषर्षेण नितगो जगीविन्याः
प्रणतदकेहगी। अनिनुष्ठकानिवं पनिपषरस्य तकागगो पविपहतकमर्यणन्याः । निकृणकावं
जनिरतन्याः पिकापिवं ककेशिशिगोककामरप्रदपमपत महकापनिविकार्यणतनके।
ततकापिवं कशिर्यरतगीपत पिकापिकशिर्यकसशत्क्रिरका पिकापिकशिर्यनिमम। अहवं
तका सविर्यपिकापिकेभगो मगोक्षपरष्यकापम मका शिनुच इपत

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 28

शगीमदगविदगीतकारकावं शगीककृष्णप्रपतजका। तकृण्यतके भक्ष्यतके


गविकापदशभररपत तकृणवं लसौपकककाथर्षे। तकृह पहवंसकाथर्षे तकृणन्याः।
तकृणकाहकारगी गगोवित्सन्याः। पहवंसकाथर्षे सविकार्यहकारगी ककालन्याः। ककालगोऽजस
लगोकक्षरककृत्प्रविकृर इपत शगीमदगविदगीतकारकावं शगीककृष्णगोपकन्याः।
रनुगकानिनुरूपिकेण जगीवितकेनि बह्म तस्य ककालस्यकानिनुचरगो वित्सकानिनुचरगो
विका तकृणपिदकानिनुगन्याः। शगीरगीपत लकगी ऐश्वरर्यञ्च। पनिककेतपत
पनिविसतजसपन्निपत पनिककेतनिमम। फिनिपत पविसकृपतवं गचतगीपत
फिणकास्त्यस्यकेपत फिणगी। लसौपकककाथर्षे ककाशलरमदर्यनिसनभर्यन्याः।
गदढकाथर्षे मशणपिनुरजसतपविष्णगोसलके फिशणरूपिधकाररण्यकान्याः
कनुण्डशलनिगीशिककान्याः सङ्ककेतन्याः। कनुच इपत सनिन्याः। सङ्कगोचकाथर्षे
कनुचन्याः। मकारकाककेशिसङ्कनुशचतगो जगीवि ईश्वरस्य तकारककापङ्घ्रिसवंस्पशिर्षेनि
विगीतमलगो भदतका मगोदतके।

जगो पविशशिष्ट प्रककार सके आकपषर्यत हगोकर झनुक,के विह प्रणत हहै। दकेह मव
कमर्यप्रकारब्ध सके आकपषर्यत हगोनिके सके झनुकका हुआ जगीवि प्रणतदकेहगी
कहलकारका। महकापनिविकार्यणतन मव कहतके हह पक पनिपषर ककृत कगो
करनिके एविवं पविपहत ककृत कके पिररतकाग सके पिकापि उतन्नि हगोतका हहै जगो
ककेशि, शिगोक, रगोग आपद प्रदकानि करतका हहै। उस पिकापि कगो जगो खगीवंच
कर निष्ट कर दके, विह पिकापिकशिर्यक हहै एविवं रह पक्ररका पिकापिकशिर्यनि
कहलकातगी हहै। शगीमदगविदगीतका मव शगीककृष्ण ककी प्रपतजका हहै पक मह
तनुमव सभगी पिकापिगोवं सके मनुक कर ददवंगका, तनुम शचनका मत करगो। गसौ

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 29

आपद कके दकारका भक्षण पकरका जकातका हहै, विह लसौपकक अथर्य मव तकृण
कहलकातका हहै। पहवंसका कके अथर्य मव भगी तकृण शिब हगोतका हहै। तकृण कका
आहकार करनिके विकालका गकार कका बछड़का हहै। पहवंसका कके अथर्य मव सबगोवं
कका भक्षण करनिके विकालका ककाल हहै। मह लगोकगोवं कके सवंहकार मव ततर
ककाल हूहाँ, ऐसगी शगीमदगविदगीतका मव शगीककृष्ण ककी उपक हहै। विह
ककाल आगके आगके चलतका हहै और रनुगकानिनुरूपि जगीविभकावि मव बह्म
उसकके पिगीछके पिगीछके चलतका हहै।

इस प्रककार बछड़के कका अनिनुगमनि करनिके विकालका अथविका बछड़के कका


अनिनुकरण करनिके विकालका तकृणपिदकानिनुग हहै। शगी शिब सके लकगी एविवं
ऐश्वरर्य कका भकावि हहै। शजसमव पनिविकास पकरका जकारके विह पनिककेतनि हहै।
पविसकार हगोकर जकातका हहै विह फिण हहै। उस फिण कगो धकारण करनिके
विकालका फिणगी कहलकातका हहै। लसौपकककाथर्य मव ककाशलरमदर्यनि कका सनभर्य
हहै। गदढ़ अथर्य मव मशणपिनुर चक्र मव जसत पविष्णनु कके निगीचके फिशणरूपि -
धकाररणगी कनुण्डशलनिगीशिपक कका सङ्ककेत हहै। कनुच सनि कगो कहतके हह।
सङ्कगोच कके अथर्य मव भगी कनुच शिब हहै। मकारका कके ककेशि सके सवंकनुशचत
जगीवि ईश्वर कके तकारणहकार चरणगोवं कके सवंस्पशिर्य सके पनिषकापि हगोकर
आनिशनत हगोतका हहै।

मधनुररका पगरका विलनु विकाकरका


बनुधमनिगोजरका पिनुष्करकेक्षण।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 30

पविशधकरगीररमका विगीर मनुह्यपत -


रधरसगीधनुनिकाप्यकाररस निन्याः॥०८॥

भकाविकाथर्य - हके कमलनिरनि ! तनुमकारगी विकाणगी पकतनिगी मधनुर हहै। उसकका


एक एक पिद-शिब-अक्षर मधनुर सके भगी मधनुर हहै। बड़के बड़के पविदकानिम
उसपिर रगीझकर अपिनिका सविर्यस समपपिर्यत कर दकेतके हह। तनुमकारगी उस
विकाणगी कका रसकासकादनि करकके तनुमकारगी सकेपविककाएवं हम गगोपपिरकाहाँ मगोपहत
हगो रहगी हह। अब तनुम अपिनिके पदव्यकामकृत सके भगी अशधक मधनुर
अधरसनुधका पपिलकाकर हमव सवंतकृप्त कर दगो।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
मकाधनुरर्यं रकातगीपत मधनुरमम। पगरका विकागथर्षे। बहुभकाषणकाथर्षे
विलनुविकाकमम भगवितगोऽशखलवं मधनुरपमपत मधनुरकाष्टकके
शगीविल्लभकाचकारर्यन्याः। मनिगो जकानिकापत जकापिरपत तगोषरतगीपत
मनिगोजमम। पिनुष्कवं विकारर रकातगीपत पिनुष्करपमपत पिद्ममम। तकादृशिसौ
निकेतसौ रस्य स पिनुष्करकेक्षणन्याः। पविधपत पविदधकापत पविश्वपमपत
पविधगीरकेतके सनुखदनुन्याःखकेऽनिकेनिकेपत पविशधन्याः। सगीधनुशिबस्य मकाधनुरर्यं
मजध्वितथर्यन्याः। अधरसगीधनुनिका अधरकामकृतकेनि। आप्यकारस
सभकृतगगोपपिककापनिपत।

मकाधनुरर्य कगो जगो प्रदकानि करके विह मधनुर हहै। पगरका शिब बगोलनिके कके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 31

अथर्य मव हहै। बहुत बकात करनिके कके पनिपमत्त विलनुविकाक शिब हहै, जहैसका
पक मधनुरकाष्टक मव शगीविल्लभकाचकारर्य जगी निके कहका हहै - भगविकानिम कका
सबकनुछ मधनुर हहै। मनि ककी बकात कगो जकानिनिके विकालका एविवं उसके सननुष्ट
करनिके विकालका मनिगोज हहै। पिनुष्क अथकार्यतम जल कगो प्रदकानि करके अथविका
जल शजसकका उपिकादकानि हगो उसके पिनुष्कर अथकार्यतम मनिगोज कहतके हह।
उसकके हगी समकानि शजसकके दगो निकेत हगोवं, विह पिनुष्करकेक्षण हहै। पविश्व कगो
धकारण करतका हहै अथविका धकारण करविकातका हहै, दनुन्याःख एविवं सनुख कके
पविधकानि कका पनिमकार्यण करतका हहै, विह पविशध हहै। सगीधनु शिब मकाधनुरर्य
एविवं मधनु कके अथर्य मव हहै। अधरसगीधनु कके दकारका अथकार्यतम अधरकामकृत कके
दकारका अपिनिगी सकेपविककाओवं, हम गगोपपिरगोवं कगो पपिलकाकर तकृप्त करगो।

तवि कथकामकृतवं तप्तजगीविनिवं


कपविशभरगीपडितवं कल्मषकापिहमम।
शविणमङ्गलवं शगीमदकाततवं
भनुपवि गकृणजन तके भदररदका जनिकान्याः॥०९॥

भकाविकाथर्य - तनुमकारगी लगीलकाकथका भगी अमकृततनुल्य हहै। जगो लगोग


पविरहकापग्नि मव जल रहके हह, उनिकके शलरके जगीविनितनुल्य हहै। बड़के बड़के
प्रबनुर महकात्मका जनिगोवं निके उसकका गनुणगकानि पकरका हहै। विह सकारके पिकापिगोवं
कगो निष्ट करतगी हहै, पविसकृत एविवं मङ्गलमरगी हहै। जगो तनुमकारगी लगीलका
कका गकानि करतके हह, विकासवि मव पिकृथगी पिर विके हगी सबसके बड़के दकानिगी हह।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 32

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
प्रबन्धकल्पनिकावं सगोकसतकावं प्रकाजकान्याः कथकावं पविदनुररपत
कगोलकाहलकाचकारर्यन्याः। निकाजस मकृतवं मरणवं रसकात्तत्ततकापरनिकावं
मरणकाभकाविकात्तस्य तथकातममकृतमम। कथकामकृतपमपत। तकापिसनु
पतपविधन्याः। दहैपहकदहैपविकभसौपतकनिकामकापनि। तकापितरपविविशजर्यतन्याः
कथकामकृतपिकानिकेनि। कवितके सविर्यं जकानिकापत सविर्यं विणर्यरपत सविर्यं सविर्यतगो
गचपत विका कपविरकेविवं कपविशभव्यकार्यख्यकापरतवं तवि कथकामकृतवं
शिनुभकमर्य स्यपत निकाशिरतगीपत कल्मषवं पविददरगीकरगोपत। शविणके
कणकार्यमकृतमकेवि पविसकृतमनिनपिकारमजस। रके जनिकासवि
कथकागकारनिवं कनुविर्यजन तकेऽशखलभदमण्डलके दकाततॄणकावं शशिरगोमशणन्याः।

कगोलकाहलकाचकारर्य कहतके हह पक प्रबन्धकल्पनिका अथविका सत घटनिका


कगो बनुपरमकानिम जनि कथका कहतके हह। शजसकगो पिगीनिके कके बकाद मकृतनु
निहगीवं हगोतगी एविवं पिगीनिकेविकालगोवं कके शलरके मरण कका अभकावि हगो जकातका हहै,
ऐसके लक्षणगोवं सके रनुक पिकेर कगो अमकृत कहतके हह, अतएवि कथकामकृत
कका। तकापि तगीनि प्रककार कके हगोतके हह - दहैपहक, दहैपविक एविवं भसौपतक, रके
उनिकके निकाम हहै। कथकामकृत कके पिकानि सके रके तगीनि तकापि निष्ट हगो जकातके
हह। सब कनुछ जकानितका हहै, विणर्यनि करतका हहै, सविर्यत शजसककी
(बसौपरक) गपत हहै, उसके कपवि कहतके हह। ऐसके कपविरगोवं कके दकारका
बतकारके गरके तनुमकारके कथकामकृत, जगो शिनुभकमर्मों कका निकाशि करनिके विकालके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 33

कल्मष कगो ददर भगकानिके विकालके हह, शविण करनिके पिर रह कथकामकृत
अनिनपिकार (शजसकका पिकार पिकानिका समवि निहगीवं हहै) ऐसका प्रतगीत हगोतका
हहै। जगो लगोग तनुमकारगी कथका कका गकारनि करतके हह, विके समस
भदमण्डल मव दकातकाओवं मव सविर्यशकेष्ठ हह।

प्रहशसतवं पप्रर प्रकेमविगीक्षणवं


पविहरणञ्च तके धकानिमङ्गलमम।
रहशस सवंपविदगो रका हृपदस्पकृशिन्याः
कनुहक निगो मनिन्याः क्षगोभरजन पह॥१०॥

भकाविकाथर्य - पकसगी ककाल मव तनुमकारगी प्रकेमभरके हकास्य एविवं शचतविनि कगो


दकेखकर, तनुमकारगी भकावंपत भकावंपत क्रकीडिकाओवं-लगीलकाओवं कका धकानि करकके
हम आनिनमग्नि हगो जकातगी थगीवं। विह धकानि भगी पिरममङ्गलककारगी हहै।
उसकके बकाद तनुमनिके पमलकर हमव एककान मव हृदर कगो छद निके विकालगी
प्रकेम ककी बकातव एविवं पिररहकास पकरका। हके कपिटगी सखके ! विके सब विकातकार्यएवं
सरण आकर हमकारके मनि कगो क्षनुब्ध पकरके दकेतगी हह।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
प्रहशसतपमपत पिररहकासगो हसनिपमपत। प्रकेमका पविशिकेषकेणकेशक्षतपमपत
प्रकेमविगीक्षणमम। पप्ररस्य भकाविगो रथगोज्ज्वलनिगीलमशणककारन्याः सविर्यथका
ध्विवंसरपहतवं सतपपि ध्विवंसककारणके । रदकाविबन्धनिवं रदनिगोन्याः स प्रकेमका

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 34

पिररककीपतर्यत इपत। पविहरणपमपत पविहकारकाथर्षे पविशशिष्टप्रककारकेण


हरणकाथर्षे च। क्रकीडिकाथर्यं पिदकावं गमनिपमपत पविहकारन्याः।
अपदतगीरविसनुपनि पविजचद पविजचदकानरकेशनरविकृपत्तप्रविकाह इपत
विकेदकानसकारन्याः। बह्मकात्मशचनका धकानिवं स्यकापदपत गरडिपिनुरकाण
आपदषनु। मङ्गपत पहतकाथर्यं मङ्गलमम। प्रशिसकाचरणवं
पनितमप्रशिसपविविजर्यनिमम । एतपर मङ्गलवं प्रगोकवं
ऋपषशभसतदशशिर्यशभररतकेककादशिगीततमम। रमनकेऽजसनिम रहन्याः।
दकेशिकादन्यत रहगोऽव्यरवं शिबकानरवं विकाजस सनुरतविकाचकमम।
चहैतन्यतका सवंपवितम। कनुहकपमपत कपिटभकाविन्याः। रदका तनु
सङ्कल्पपविकल्पककृतका मनिसदकेपत प्रपिञ्चसकारतनके
शगीशिवंकरकाचकारर्यन्याः। मनिगोऽनन्याःकरणसमदहके प्रथमन्याः
सङ्कल्पपविकल्पककारगीपत। क्षगोभरजन उदकेगमशिकाजनवं
जनिरनगीतथर्यन्याः।

प्रहशसत कका अथर्य हवंसगी-मजकाक सके समजन्धत हहै। प्रकेमपिदविर्यक


पविशिकेषप्रककार सके दकेखनिके कगो प्रकेमविगीक्षण कहतके हह। पप्ररतका कका भकावि
प्रकेम हहै, जहैसका पक उज्ज्वलनिगीलमशणककार कहतके हह - जगो ध्विवंस निहगीवं
करनिके विकालका हगोकर भगी (अपिनिके आकषर्यणबल सके) ध्विवंस कर दके,
रनुगल दम्पपत कके मध ऐसका भकाविबन्धनि प्रकेम कहलकातका हहै। पविहकार
एविवं पविशशिष्ट प्रककार सके हरण, दगोनिगोवं हगी अथर्य मव पविहरण शिब आरका
हहै। खकेलनिके अथविका मनिगोरवंजनि कके शलए पिहैरगोवं सके चलनिके ककी पक्ररकागपत

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 35

कगो पविहकार कहतके हह। अपदतगीर विसनु (बह्म) मव सकावंसकाररक बन्धनिगोवं


एविवं शचननिगोवं कगो बकारमकार ककाटकर इशनरगोवं कगो विकृपत्त कगो उस
अपदतगीर तत मव लगकानिके ककी पक्ररका कगो विकेदकानसकार मव धकानि कहका
गरका हहै। गरडिपिनुरकाण आपद मव बह्म और आत्मका कका एकतबगोध
करनिके हुए शचननि करनिका धकानि कहलकातका हहै। जगो पहत कके शलए
गपतमकानिम हगो विह मङ्गल हहै। एककादशिगी तत मव (अपत आपद) कका
विचनि हहै पक प्रशिस कका आचरण एविवं अप्रशिस ककी विजर्यनिका हगी
ततदशिर्शी ऋपषरगोवं कके दकारका मङ्गल कहका गरका हह। शजसमव रमण
पकरका जकारके, उसके रह(सम) कहतके हह। पनिज दकेशिसकानि सके शभन्नि
रह(सम) शिब सनुरतक्रकीडिका कका विकाचक हहै। चहैतन्यतका कका भकावि सवंपवितम
कहलकातका हहै। कनुहक कपिटभकावि कगो कहतके हह। प्रपिञ्चसकार तन मव
शगीशिवंकरकाचकारर्य कहतके हह पक जब सङ्कल्प और पविकल्प करनिके लगतका
हहै तगो मनि कहलकातका हहै। अनन्याःकरण समदह मव जगो प्रथम हहै,
सङ्कल्प एविवं पविकल्प कका ककारर्य करके विह मनि हहै। क्षगोभरजन कका
अथर्य उदकेग और अशिकाजन कगो जन्म दकेनिका हहै।

चलशस रद्व्रजकाचकाररनिम पिशिदनिम


निशलनिसनुनरवं निकाथ तके पिदमम।
शशिलतकृणकाङ्कनुरहैन्याः सगीदतगीपत निन्याः
कशललतकावं मनिन्याः ककान गचपत॥११॥

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 36

भकाविकाथर्य - हके सकापमनिम ! तनुमकारके चरण जब गसौचकारण कके पनिपमत्त व्रज


सके पनिकलतके हह तगो कमल सके भगी अशधक सनुनर एविवं कगोमल आपिकके
चरणगोवं मव जगो विन्य निनुककीलके तकृण एविवं छगोटके पित्थरगोवं कके टनु कड़के चनुभतके
हगोवंगके, उस विकेदनिका कगो दकेखकर हमकारके मनि पिगीपड़त हगो जकातके हह।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
चलशस - बह्मकाण्डके सविर्षे पपिण्डकाशचलकारमकानिकान्याः सजन। बह्मकाण्ड
एवि व्रजगो रथका स्ककानके व्यकापिकगो व्रज उच्यतके। पिशिनु इपत
पिकाशिबरगो जगीविगो रथका तनुषकेण बरगो व्रगीपहन्याः स्यकात्तनुषकाभकाविकेनि
तण्डनुलन्याः। एविवं बरसथका जगीविन्याः कमर्यनिकाशिके सदकाशशिविन्याः।
पिकाशिबरसथका जगीविन्याः पिकाशिमनुकन्याः सदकाशशिविशहैवि
स्कनगोपिपनिषपद। तसकादगोचकारक इवि पिकाशिबरकानिकावं
पिशिनुसवंजककानिकावं जगीविकानिकावं चकाररपत। निल्यत इपत निशलनिमम बन्धनिवं
पिद्मञ्च। तकादृशिवं कगोमलवं सनुनरञ्च निशलनिसनुनरमम।
शशिलतकृणकाङ्कनुरहैन्याः। तगीक्ष्णकगोणरनुकका रजन्याःकणकान्याः शगीककृष्णचरणसौ
शभनजन तदका गगोपिगीनिकावं मनिगो पविदगीणर्यं भविपत।

बह्मकाण्ड मव सभगी पपिण्ड चलकारमकानिम हह। बह्मकाण्ड हगी व्रज हहै जहैसका
पक स्कनपिनुरकाण मव कहतके हह पक व्यकापिक हगोनिके सके व्रज हहै। पिकाशिबर
हगोनिके सके जगीवि कगो पिशिनु कहतके हह। जहैसका पक, शछलकके सके ढकके रहनिके
पिर धकानि एविवं शछलकके सके मनुक हगोनिके सके चकाविल कहलकातका हहै, विहैसके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 37

हगी कमर्यपिकाशि मव बन्धका हुआ चकेतनि जगीवि एविवं कमर्यनिकाशि ककी जसपत
मव सदकाशशिवि कहलकातका हहै। पिकाशि सके बर ककी जगीवि एविवं पिकाशि सके
मनुक ककी सदकाशशिवि सवंजका हगोतगी हहै ऐसका स्कनगोपिपनिषतम कका कथनि
हहै। अतएवि चरविकाहके कके समकानि पिकाशिबर पिशिनुसवंजक जगीविगोवं कगो
चरकातका हहै। बन्धनि कके अथर्य मव निशलनि पिद हहै, पिद्म कके भगी अथर्य मव
हहै। उसकके हगी समकानि कगोमल एविवं सनुनर कगो निशलनिसनुनर कहतके
हह। तगीक्ष्ण रजन्याःकण एविवं तकृणकापद कके अङ्कनुर ककी बकात करतके हह। जब
निनुककीलके कगोणगोवं विकालके धदल कके कण शगीककृष्ण कके चरणगोवं कगो भकेदतके हह,
तब गगोपपिरगोवं कका मनि भगी पविदगीणर्य हगो जकातका हहै।

पदनिपिररक्षरके निगीलकनुनलहै -
विर्यनिरहकानिनिवं पबभ्रदकाविकृतमम ।
घनिरजसलवं दशिर्यरनिम मनुहु -
मनिशस निन्याः सरवं विगीर रचशस ॥१२॥

भकाविकाथर्य - पदनि ढलनिके पिर जब विनि सके तनुम घर ककी ओर लसौटतके हगो,
तम हम दकेखतगी हह पक तनुमकारके मनुखकमल पिर निगीलके निगीलके ककेशिसमदह
लटक रहके हह शजनिमव गसौविगोवं कके खनुर सके उड़गी भकारगी धदल पिड़गी हुई हहै।
हके पप्रर ! अपिनिका विह ससौनरर्य पदखकाकर तनुम बकार बकार अपिनिके प्रपत
हमकारके मनि मव प्रकेम कका सञ्चकार करतके हगो।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 38

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
पदनिपिररक्षरके - सहसरनुगपिरर्यनमहरर्यद्ब्रह्मणगो पविदनुररपत
शगीमदगविदगीतकारकामम। तपदनिस्य क्षरके
निगीलकनुनलहैनिर्शीलविणर्यसवंवितर्यकमकेघशृङलकासङ्ककेतन्याः। विनिपमपत
सवंसकारगो भविकाटविगीशसरकानगतका। घनिरजसलपमपत।
पिकातकालतलविकाशसनिकानिनसवंजकशिकेषकेण फिदत्ककाररतकेनि
गरलप्रतकापिकेनिकादृष्टदृश्यकाथर्यन्याः। रगोपगनिकावं शचत्तके सवंसकारगोन्मदलनिके
शगीमन्निकारकारणसपन्निधकानिलकाभहकेतनुनिका
सर इपत गकारजन गगोपपिककान्याः।

पदनि कके क्षर हगोनिके कका अथर्य कल्प कके अन सके हहै। शगीमदगविदगीतका
मव विणर्यनि हहै पक सहस महकारनुग कके समकानि बह्मकाजगी कका एक पदनि
हगोतका हहै। उस पदनि कके क्षर हगोनिके पिर, "निगीलकनुनल" सके निगीलके रवंग
कके सवंवितर्यक मकेघगोवं ककी शृवंखलका कका सवंककेत हहै। भविकाटविगी कके शसरकान
कके अनिनुसकार विनि कका अथर्य सवंसकार हहै। पफिर घनिरजसल कहतके हह।
पिकातकाल कके भगी निगीचके रहनिके विकालके अनिनसवंजक शिकेषनिकाग कके फिनुहाँफिककार
सके जगो पविष पनिकलतका हहै, उसकके प्रतकापि सके दृश्य भगी अदृष्ट हगो
जकातका हहै, ऐसका अथर्य हहै। रगोपगरगोवं कके शचत्त मव सवंसकार कके उन्मदलनि सके
शगीमन्निकारकारण कके सपन्निधकानिलकाभ कगो हगी "सर" शिब सके गगोपपिरकाहाँ
गकातगी हह।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 39

प्रणतककामदवं पिद्मजकाशचर्यतवं
धरशणमण्डनिवं धकेरमकापिपद।
चरणपिङ्कजवं शिनमवं च तके
रमण निन्याः सनिकेष्वपिर्यरकाशधहनिम ॥१३॥

भकाविकाथर्य - तनुमकारके चरणकमल अपिनिगी शिरण मव आनिके विकालके लगोगगोवं


ककी ककामनिकाओवं कगो तनुम पिदणर्य करनिके विकालके हह। उनि चरणकमलगोवं ककी
सकेविका सरवं शगीलकगीजगी करतगी हह। पिकृथगी उनिसके शिगोभकारमतगी हगोतगी
हहै। सवंकट मव पघरके लगोगगोवं कके दकारका शचननि पकरके जकानिके पिर विके
आपिपत्तरगोवं कका पनिविकारण कर दकेतके हह। हके रमणशकेष्ठ ! तनुम अपिनिके
उनगीवं चरणगोवं कगो हमकारके सनिगोवं पिर रखकर हमकारके हृदर ककी व्यथका
कगो शिकान कर दगो।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
मकामकेकवं शिरणवं व्रज इपत गगीतकारकावं भगविदनुपकन्याः। अहवं तका
सविर्यपिकापिकेभगो मगोक्षपरष्यकापम मका शिनुच इपत ततहैवि। तसकातम
प्रणतककामदन्याः। पिद्मपमपत कमलकाथर्षे। पिद्मजका लकगीररतथर्यन्याः।
पिद्मपमपत ककाल इपत लकगीतनके। ककालस्य पिगोपषकका शिपकररपत
लकगीससकातद्मजका। तरकाशचर्यतवं पिद्मजकाशचर्यतमम।
धरशणमण्डनिपमपत। सविर्यं धकाररतगीपत धरका धरपत जगीविकादगीपनिपत

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 40

धरशणविकार्य। पनिजचरणशचह्निहैसस्यका मण्डनिवं धरशणमण्डनिपमपत।


धकेरमकापिपद। दहैपहकदहैपविकभसौपतककापद -
पतपविधकापिपन्निविकारकशिपकसवंरनुतसौ भगविचरणकारपविनसौ। सनि इपत
पिरगोधरन्याः। पिरगो धकाररतगीपत पिरगोधरन्याः। पिर इपत दनुगवं जलञ्च।
तसकातरगोधरशिबकातकृथगीतपपि गकृह्यतके। पिकृशथव्यकावं
सचरणन्यकासकेनि दनुष्टरकाक्षसककृननिकमर्यणका शिवं पविसकारर।

शगीमदगविदगीतका मव भगविकानिम ककी उपक हहै, ककेविल मकेरगी हगी शिरण मव


आविगो। विहगीवं कहतके हह - "मह तनुमव सभगी पिकापिगोवं सके मनुक कर ददवंगका,
तनुम शचनका मत करगो", अतएवि प्रणतककामद हह। पिद्म शिब कमल
कके अथर्य मव हहै। पिद्मजका कका अथर्य लकगी हहै। लकगीतन मव पिद्म कका
अथर्य ककाल बतकारका गरका हहै। ककाल ककी पिगोपषकका शिपक लकगी हहै,
अतएवि पिद्मजका हहै। इस प्रककार सके पिद्मजका कके दकारका अशचर्यत चरण
हह। पफिर धरशणमण्डनि कहतके हह। सबगोवं कगो धकारण करविकातगी हहै, विह
धरका हहै अथविका जगीविगोवं कगो धकारण करतगी हहै विह धरशण हहै। अपिनिके
चरणशचह्निगोवं सके उसकका मण्डनि धरशणमण्डनि हहै शजनिकका धकानि
आपिपत्त कके समर करनिका चकापहरके। दहैपहक, दहैपविक एविवं भसौपतक
आपद तगीनिगोवं प्रककार कके तकापिगोवं कका पनिविकारण करनिके ककी शिपक सके रनुक
भगविकानिम कके दगोनिगोवं चरणकमल हह। सनि कका अथर्य पिरगोधर सके हहै।
जगो पिर कगो धकारण करके विह पिरगोधर हहै। पिर कका अथर्य दनुग एविवं
जल दगोनिगोवं हगोतका हहै। अतएवि पिरगोधर शिब सके पिकृथगी कका अथर्य भगी

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 41

ग्रहण पकरका जकातका हहै। पिकृथगी मव अपिनिके चरणगोवं कके न्यकास सके दनुष्ट
रकाक्षसगोवं कके सवंहकारकमर्य कके मकाधम सके शिकाजन कका पविसकार करगो।

सनुरतविरर्यनिवं शिगोकनिकाशिनिवं
सररतविकेणनुनिका सनुष्ठनु चनुजमतमम।
इतररकागपविसकारणवं निकृणकावं
पवितर विगीर निसकेऽधरकामकृतमम ॥१४॥

भकाविकाथर्य - हके विगीर ! तनुमकारका अधरकामकृत प्रकेमपमलनि ककी आककावंक्षका कगो


बढ़कानिके विकालका हहै। पविरह सके उतन्नि सवंतकापि कगो विह निष्ट कर दकेतका हहै।
रह सवंगगीतमरगी बकावंसनुरगी पनिरनर उसकका चनुमनि करतगी रहतगी हहै।
शजनगोवंनिके एक बकार उसके पिगी शलरका, विह पिनुनिन्याः पकसगी अन्य आसपक
कगो सरण निहगीवं करतका हहै। अपिनिका विहगी अधरकामकृत हमव भगी
पपिलकाओ।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
सनुरतपमपत लगोकगोत्तरके प्रकेमकानिन भकाविन्याः। लसौपकककानिम तकका
पिरमकाथर्यदकारककानिनन्याः सनुरतवं सनुष्ठनु रतवं रमणवं रतकेपत। शिगोक इपत
पिञ्चककेशिका अपविदकाजसतकारकागदकेषकाशभपनिविकेशिकादरसकेषकावं निकाशिनिवं
शिगोकनिकाशिनिमम। सररतविकेणनुररपत दकेहन्याः। सप्तसरका विकेणनुमधके दकेहके
सप्तचक्रकाशण भविजन रसकादनुच्यतके शिरगीरमकादवं खलनु

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 42

धमर्यसकाधनिमम। निकाजस धरकारकाममकृतवं रत्तदधरकामकृतमम।


अलसौपकककापिनुनिरकाविपतर्यधकामरगोजनिपनिपमत्तलगीलकामकाधनुरर्यजन्यका-
मकृतमधरकामकृतपमपत।

सनुरत कका अथर्य लगोकगोत्तर मव प्रकेमकानिन कका भकावि हहै। लसौपकक


विकासनिकाओवं कगो छगोड़कर पिरमकाथर्यदकारक आनिन, शजसमव भलगी प्रककार
सके व्यपक रमण करके विह सनुरत हहै। शिगोक कका तकातरर्य अपविदका,
अजसतका, रकाग, दकेष एविवं अशभपनिविकेशि आपद पिञ्चककेशिगोवं सके हहै।
उनिकका निकाशि हगी शिगोकनिकाशिनि कहका गरका हहै। सर विकालगी बकावंसनुरगी रह
दकेह हहै। जहैसके बकावंसनुरगी कके मध सकात सर हगोतके हह विहैसके हगी इस शिरगीर
कके भगीतर सकात चक्र हह अतएवि कहका जकातका हहै पक शिरगीर धमर्यसकाधनि
कका प्रकाथपमक उपिकादकानि हहै। जगो अमकृत इस पिकृथगी मव निहगीवं, विह
अधरकामकृत हहै। अलसौपकक, अपिनुनिरकावितर्शी धकाम सके जगोड़निके कके शलए
लगीलका-मकाधनुरर्य सके जन्य विह अधरकामकृत हहै, ऐसका समझनिका चकापहए।

अटपत रदविकानिपह्नि ककानिनिवं


तनुपटरनुर्यगकारतके तकामपिश्यतकामम।
कनुपटलकनुनलवं शगीमनुखञ्च तके
जडि उदगीक्षतकावं पिकककृद्दृशिकामम ॥१५॥

भकाविकाथर्य - पप्ररतम ! पदनि मव जब तनुम विनिपविहकार कके शलए चलके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 43

जकातके हगो, तब तनुमव नि दकेख पिकानिके कके ककारण हमकारका एक एक क्षण


रनुग कके समकानि बगीतनिके लगतका हहै। जब सनकाककाल मव तनुम विकापिस
लसौटतके हगो तब तनुमकारके घनुवंघरकालके बकालगोवं सके रनुक सनुनर मनुख कगो हम
दकेखतगी हह एविवं उस समर पिलक झपिकनिके पिर भगी जकानि पिड़तका हहै
पक इनि निकेत पिलकगोवं कगो बनिकानिके विकालका पविधकातका मदखर्य हहै।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
अटपत भ्रमपत भविकानिम। अपह्नि पदविसके, बह्मणगो पदविकाकल्पके।
ककानिनि इपत भविकारण्यके। तसरकेणनुशस्त्रकवं भनुङके रन्याः ककालन्याः सका
तनुपटन्याः सकृतकेपत भकागवितके। क्षणदरकात्मकन्याः ककालन्याः। रदका भदलर्योकके
महकारनुगगो व्यतगीतवं भविपत तथका पदव्यके लगोकके तनुपटरकेवि। रदका
पनिमकेषगोन्मकेषपक्ररकारकावं चक्षनुषगी पनिमगील्यकेतके तदका
भगविदशिर्यनिपविघककारणकेनि लगोकजनिपरतका पविधकातका मदखर्य इवि
भकासतके। सविर्यस्य लगोचनिवं शिकास्त्रमम।
शिकास्त्रगतपविशधपनिषकेधकापदसककामकमर्यबन्धमकेवि दृशिकावं पिकन्याः।

अटपत कका अथर्य आपिकके भ्रमण करनिके सके हहै। अपह्नि कका अथर्य पदनि सके
हहै, बह्मका कके पदविकाकल्प मव। ककानिनि कका अथर्य सवंसकाररूपिगी विनि सके हहै।
भकागवित मव कहतके हह पक जगो तगीनि तसरकेणनु कके बरकाबर हगो उस ककाल
कगो तनुपट कहतके हह। रह लगभग दगो क्षण कके बरकाबर हगोतका हहै। जब
पिकृथगी मव एक महकारनुग व्यतगीत हगोतका हहै तगो पिरमधकाम मव तनुपट भर

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 44

कका हगी ककाल व्यतगीत हगोतका हहै। जब पिलक झपिकनिके ककी पक्ररका कके
समर दगोनिगोवं निकेत बन हगो जकातके हह, उस समर भगविकानिम कके दशिर्यनि मव
पविघ पिड़निके कके ककारण सभगी लगोकगोवं कगो बनिकानिके विकालका पविधकातका मदखर्य
हगी लगतका हहै। शिकास्त्र सबगोवं कके निकेत हह। उनिमव बतकारके गरके
सककामकमर्यगत बन्धनिरूपिगी पविशधपनिषकेध हगी उनि निकेतगोवं कके पिलकगोवं कके
समकानि हह।
पिपतसनुतकान्विरभ्रकातकृबकान्धविका-
निपतपविलङ तकेऽन्त्यच्यनुतकागतकान्याः ।
गपतपविदसविगोदगीतमगोपहतकान्याः
पकतवि रगोपषतन्याः कस्त्यजकेपन्निशशि ॥१६॥

भकाविकाथर्य - हम अपिनिके पिपत, पिनुत, भकाई-बन्धनु एविवं कनुल-पिररविकार कका


तकाग करकके उनिककी आजका कका उल्लवंघनि करकके तनुमकारके पिकास आरगी
हह। हम तनुमकारगी सभगी चकाल एविवं सवंककेतगोवं कगो समझतगी हुई तनुमकारगी
मधनुर गकानि ककी गपत सके मगोपहत हगोकर रहकाहाँ आरगी हह। छशलरका !
इस प्रककार रकापत कगो आरगी हुई शस्त्ररगोवं कका तनुमकारके अपतररक और
कसौनि पिररतकाग कर सकतका हहै ?

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
पिकापत रक्षतगीपत पिपतन्याः सदरतके सकेपत सनुतन्याः। पिरस्परकाककाङका
रगोग्यतका चकान्विरन्याः। भ्रकाजत इतकेकगभर्यजकातगो भ्रकातका। बन्धनुरकेवि

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 45

सनुहृतम। एतकेषकावं लगोकसमन्धकानिकामकाजकामपतक्रर


गगोप्यगोऽच्यनुतसवंजकवं पिरमकेपष्ठनिमकारकाधरजन। समपहमगो नि
भविपत च्यनुतसगोऽच्यनुतन्याः। बह्मरहस्यविकेतगो गगोप्यन्याः
शिबबह्मरूपपिण्यन्याः समकारकाजन्यशचपदलकासभविके क्रकीडिनवं पिरबह्म
शगीककृष्णवं मकारकासमशलनिवं पकतवि इपत समगोधरजन।

जगो रक्षका करके विह पिपत हहै। शजसके जन्म पदरका जकारके, विह सनुत हहै।
पिरस्पर समन्ध ककी आककावंक्षका विकालके अन्विर कनुटनुमगी कहलकातके हह।
एक हगी गभर्य सके उतन्नि समन्धगी कगो भकाई कहतके हह। ससौहकादर्य सके
रनुक व्यपक कगो सनुहृतम कहतके हह। इनि सब लसौपकक समन्धगोवं ककी
आजका कका अपतक्रमण करकके गगोपपिरकाहाँ अच्यनुतसवंजक पिरबह्म ककी
आरकाधनिका करतगी हह। जगो कभगी अपिनिगी मपहमका सके निगीचके नि पगरके, विह
अच्यनुत हहै। बह्म कके रहस्य कगो जकानिनिके विकालगी शिबबह्मरूपपिणगी
गगोपपिरकाहाँ अपिनिगी मकारका सके उतन्नि अपिनिके हगी शचपदलकासरूपि सवंसकार मव
क्रकीड़का करतके हुए पिरबह्म शगीककृष्ण कगो उनिककी मकारकाबलशिगीलतका कके
ककारण कपिटगी ! इस प्रककार सके समगोशधत करतगी हह।

रहशस सवंपविदवं हृचरगोदरवं


प्रहशसतकानिनिवं प्रकेमविगीक्षणमम ।
बकृहदनुरन्याः शशरगो विगीक्ष्य धकाम तके

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 46

मनुहुरपतस्पकृहका मनुह्यतके मनिन्याः ॥ १७॥

भकाविकाथर्य - एककान मव तनुम पमलनि ककी इचका एविवं प्रकेम भकावि कगो
जगकानिके विकालगी बकातव करतके थके। पिररहकास करकके हमव छकेड़तके थके। तनुम
प्रकेमभरगी शचतविनि सके हमव दकेखकर मनुस्कनुरकातके थके और जहकाहाँ लकगी जगी
कका सदहैवि पनित पनिविकास हहै, ऐसके तनुमकारके पविशिकाल विक्षन्याःसल कगो हम
दकेखतगी थगीवं। हमकारगी लकालसका पनिरनर बढ़तगी हगी जका रहगी हहै और
हमकारका मनि अशधककाशधक मनुग हगोतका जका रहका हहै।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
रहशस एककानजसतसौ। सवंपविदपमपत चहैतन्यकाविसकारकामम। हृदकेशिके
दहरके सविर्यनिकाडिगीसमदहके सनुषनुमगोदकेपत। प्रहशसतकानिनिवं
प्रकेमविगीक्षणपमपत हकासमकातकेण ककृपिकालकाविण्यदृपष्टमकातकेण
जगपन्निमकार्यणवं करगोपत। बकृहदनुरगो धमर्यस्य सङ्ककेतन्याः। पविरकाटनुरषस्य
विक्षगो धमर्यन्याः स तनु बकृहतम। धकापमर्यकमनुपिहैपत लकगीन्याः।

रहशस कका अथर्य एककान जसपत मव हहै। सवंपवितम कका अथर्य


चहैतन्यकाविसका मव हहै। दहरसवंजक हृदरदकेशि मव सभगी निकापडिरगोवं कके
मध सनुषनुमका निकाम ककी निकाड़गी हहै जगो ऊपिर ककी ओर उठतगी हहै।
प्रहशसतकानिनि एविवं प्रकेमविगीक्षण कका तकातरर्य रह हहै पक ईश्वर अपिनिगी
हवंसगी सके एविवं ककृपिकामरगी लकाविण्यदृपष्ट सके हगी सवंसकार कका पनिमकार्यण कर
दकेतके हह। पविशिकाल विक्षन्याःसल सके धमर्य कका सवंककेत हहै। धमर्य पविरकाटम

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 47

पिनुरष कका विक्षन्याःसल हहै, जगो पविशिकाल हहै। ऐसके हगी धकापमर्यक व्यपक
कके पिकास लकगी आतगी हहै।

व्रजविनिसौकसकावं व्यपकरङ्ग तके


विकृशजनिहन्त्र्यलवं पविश्वमङ्गलमम ।
तज मनिकाकम च निस्त्वतकृहकात्मनिकावं
सजनिहृदद्रुजकावं रपन्निषददनिमम ॥१८॥

भकाविकाथर्य - प्यकारके ! तनुमकारगी रह अशभव्यपक व्रज-विनिविकाशसरगोवं कके


सम्पदणर्य दनुन्याःख-तकापि कगो निष्ट करनिके विकालगी और पविश्व कका पिदणर्य मङ्गल
करनिके कके शलरके हहै। हमकारका हृदर तनुमकारगी लकालसका सके भर रहका हहै।
तनुम हमव कगोई ऐसगी औषशध दके दगो शजससके तनुमकारके पनिजजनिगोवं कका
रह हृदररगोग सविर्यथका पनिमदर्यल हगो जकारके।

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
व्रज इपत व्यकापिकगो बह्मकाण्डगगोलकन्याः। विनिपमपत भनुविनिवं।
विनिसौकसकापमपत भविकारण्यपिपततकानिकावं जगीविकानिकामम। विकृशजनिपमपत
पिकापिमम। पविश्वस्यकाशखलचरकाचरपनिककारजगीविकानिकावं पिकापिवं पहतका
तकेभगो मङ्गलवं ददकापत स पविश्वमङ्गलन्याः। निकामगोचकारणभकेषजकापदपत
हृदद्रुजकावं पनिषददनिमम।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 48

व्रज कका अथर्य व्यकापिक बह्मकाण्डगगोलक हहै। विनि कका अथर्य भनुविनि हहै।
विनि मव रहनिके विकालके कका अथर्य इस सवंसकाररूपिगी विनि मव पगरके हुए जगीविगोवं
सके हहै। विकृशजनि कका अथर्य पिकापि हहै। सम्पदणर्य पविश्व कके चरकाचर अशखल
जगीविसमदह कके पिकापिगोवं कगो निष्ट करकके उनव मङ्गल दकेनिके विकालका
पविश्वमङ्गल हहै। निकामगोचकारणरूपिगी औषशध सके हृदर कके रगोग कगो निष्ट
करनिके कका अथर्य हहै।

रत्तके सनुजकातचरणकामनुरहवं सनिकेषनु


भगीतकान्याः शिनिहैन्याः पप्रर दधगीमपह ककर्यशिकेषनु ।
तकेनिकाटविगीमटशस तदथतके नि पकवं जसतम
कदपिकार्यपदशभभ्रर्यमपत धगीभर्यविदकारनुषकावं निन्याः ॥ १९॥

भकाविकाथर्य - तनुमकारके चरण कमल सके भगी अशधक कगोमल हह। उनव
हम अपिनिके कठगोर सनिगोवं पिर भगी बहुत डिरतके हुए धगीरके सके रखतके हह
तकापक उनव कहगीवं चगोट नि लग जकारके। उनगीवं चरणगोवं सके तनुम रकापत कके
समर दकारण विनि मव शछपिके हुए भटक रहके हगो। कका कवंकड़ पित्थर
आपद ककी चगोट लगनिके सके उनिमव पिगीड़का निहगीवं हगोतगी ? हमव तगो रह
सब सगोचकर हगी चक्कर आ रहका हहै, हम अचकेत हगो रहगी हह। हके
प्रकाणनिकाथ ! हमकारका जगीविनि तनुमकारके शलरके हहै, हम तनुमकारके शलरके हगी जगी
रहगी हह।

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 49

शगीपनिग्रहकाचकारर्यककृतका पविदगोत्तमकाटगीकका
गगोप्यगो पनिविकेदरन्त्यनके - तवि पिकादसौ कमलकादपपि कगोमलसौ। विरवं
तसौ सहृदरके धकारणके भगीतकान्याः कठगोरबनुदका। तकाभकावं कथवं
शशिलकापदषनु शशिततकृणकणटककेषनु भ्रमशस ? नि तके व्यथका जकारतके ?

अन मव गगोपपिरकाहाँ पनिविकेदनि करतगी हह - तनुमकारके दगोनिगोवं चरण कमल सके


भगी अशधक कगोमल हह। हम अपिनिके कठगोर हृदर मव उनव धकारण
करनिके सके भगी डिरतगी हह। उनिसके पकस प्रककार तनुम पित्थरगोवं मव एविवं
तगीखके घकास एविवं ककावंटगोवं मव भ्रमण करतके हगो ? कका तनुमव पिगीड़का निहगीवं
हगोतगी ?
एषका पविदगोत्तमकाटगीकका जकापनिनिकामपपि बगोशधनिगी।
शिगोधनिगी लगोकरककानिकावं पनिग्रहकेण प्रककाशशितका॥

रह पविदगोत्तमकाटगीकका जकापनिरगोवं कगो भगी बगोध प्रदकानि करनिके विकालगी हहै।


सवंसकार मव आसक जनिगोवं कगो शिनुर करनिके विकालगी हहै और इसके
पनिग्रहकाचकारर्य कके दकारका प्रककाशशित पकरका गरका हहै।

शगीमदकागवितञ्चहैवि दकेविगीभकागवितवं तथका।


महकाभकागवितवं पिनुण्यवं प्रपिठनिम जकाह्निविगीतटके॥
पदव्यके विकारकाणसगीक्षकेतके स सकात्मकाततवित्सरन्याः।
शललकेख गगोपपिककागगीतवं पविश्वकेशिककृपिरकाशन्वितन्याः॥

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर


गगोपपिककागगीतमम - पविदगोत्तमका टगीकका 50

उनगोवंनिके शगीमदकागवित, शगीमदकेविगीभकागवित एविवं पिनुण्यसरूपि


महकाभकागवित कगो पदव्य विकारकाणसगी क्षकेत मव गवंगकाजगी कके तट पिर पिकाठ
करतके हुए पिचगीस विषर्य ककी अविसका मव भगविकानिम पविश्वनिकाथ ककी ककृपिका
सके गगोपपिककागगीत (पिर रह टगीकका) शलखगी।

|| इपत शगीमदकागवितगोकके गगोपपिककागगीतके शगीमपन्निग्रहकाचकारर्यककृतका


पविदगोत्तमकाटगीकका सम्पदणकार्य ||

| इस प्रककार सके शगीमदकागवित मव कहके गरके गगोपपिककागगीत पिर


शगीपनिग्रहकाचकारर्य कके दकारका शलखगी गरगी पविदगोत्तमकाटगीकका पिदणर्य हुई |

पनिग्रहकाचकारर्य शगीभकागवितकानिवंद गनुर

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