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परिवहन का अर्थ
परिवहन का अर्थ
प्रस्तावना
परिवहन का अर्थ
परिवहन की विधि
परिवहन के माध्यम
परंपरागत साधन
पैदल
पालकी
साइकिल रिक्शा
निष्कर्ष
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प्रस्तावना
प्रक्रिया को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य पशुओं तथा विभिन्न
प्रकार के वाहनों का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में परिवहन तथा
रेल यातायात स्थल परिवहन के अंग हैं। जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो
अन्य माध्यम है। पाइप लाइनों का प्रयोग जल पेट्रोलियम तथा प्राकृ तिक गैस
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परिवहन का अर्थ
राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक विकास तथा भावात्मक एकता के लिए उन्नत एवं
प्राचीन समय में मनुष्य ही परिवहन का सर्वोत्तम माध्यम होता था, अर्थात स्वयं
पहुंचाने में मदद करता था। बाद में सभ्यता के विकास के साथ-साथ पशुओं का सहारा
लिया। गधे, खच्चर, घोंड़े, हाथी, कु त्ते आदि पशुओं के साथ माल ढोने का कार्य लिया
गया। बाद में बैल एवं भैंस का प्रयोग किया जाने लगा।
लगा। आज वर्तमान में त्वरित एवं सहज-सुलभ परिवहन माध्यम में रेल को ज्यादा
महत्व दिया जाता है। चाहे यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में या फिर
किसी उद्योग के लिए कच्चे माल की आयात या निर्मित माल को लंबी दूरी तक ले
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परिवहन शब्द संस्कृ त के ‘‘वह’’ धातु से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ ‘‘वहन’’
से है तथा ‘परि’’ उपसर्ग जोड़कर परिवहन शब्द का अर्थ लगाया जाता है जिसका
शाब्दिक अर्थ भार को वहन करना है। इसके अलावा कं धे से उठाकर ले जाना या सिर
पर वहन करने जैसे भावार्थ लगाया जाता है। परिवहन में यांत्रिकी के प्रयोग से भी
लगाया जाता है। जैसे साइकिल का प्रयोग करना, चार पहिये, छ: या दस पहिये का
प्रयोग करना भी होता है, यह परिवहन सड़क मार्ग द्वारा संचालित किये जाते हैं।
इसके साथ ही रेल या ट्रेन जिसे संस्कृ त में लौह पथ गामिनी के नाम से भी जाना
एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने में सहायता मिलती है। व्यवसाय में
इसको एक सहायक क्रिया के रूप में माना जाता है, जो कच्चे माल को उत्पादन के
इस गतिविधि में लगी हैं, उन्हें ट्रांसपोर्टर कहा जाता है। ट्रांसपोर्टर कच्चे माल, तैयार
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परिवहन की विधि
को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य पशुओं तथा विभिन्न प्रकार के वाहनों
माध्यम से पहुंचाने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। डाक सेवाएं टेलीफोन तार और
फै क्स सेवाएं इंटरनेट और उपग्रह संचार के प्रमुख साधन हैं। यहां एक अच्छा साधन
है
आधुनिक युग में परिवहन तथा संचार आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन गए हैं।
स्थापित करती हैं। यदि परिवहन तथा संवाद के तंत्र काम करना बंद कर दें तो विश्व
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परिवहन के माध्यम-वस्तुओं तथा सेवाओं के परिवहन के लिए स्थल जल वायु तथा
तीन मुख्य माध्यम है जिन्हें क्रमशः स्थल परिवहन जल परिवहन तथा वायु
अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। सड़क और रेल यातायात स्थल परिवहन के अंग हैं।
जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो अन्य माध्यम है। पाइप लाइनों का प्रयोग जल
पेट्रोलियम तथा प्राकृ तिक गैस जैसे द्रव्य पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है।
स्थल परिवहन-परिवहन के सभी माध्यमों में स्थल परिवहन का सबसे अधिक महत्व
काल में मनुष्य स्वयं ही वाहन का काम करता था आज भी कु छ ऐसे भाग है जहां
मानव वाहन परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है। सघन वन प्रदेश अथवा उबर खाबर
पर्वती प्रदेश कु छ ऐसे ही इलाके हैं जहां सड़कों का निर्माण कठिन है और भार ढोने का
कार्य मानव स्वयं ही करता है।आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व मनुष्य ने परिवहन के
लिए पशुओं का प्रयोग करना शुरू किया। मुख्य रूप से घोड़ा तथा खच्चर बोझा ढोने
के काम करते थे पहिए के आविष्कार से पशुओं द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों तथा
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ऊपर हम विचार विमर्श कर चुके हैं कि परिवहन, दूरी की बाध को समाप्त कर देता है,
पर उपलब्ध हो जाती है। चाहे पूरे संसार में दूरी जितनी भी हो। बिना परिवहन के कोई
पाता है, जहाँ उसे संसाध्ति तथा एकित्रत करके उससे अर्(निर्मित अथवा पूर्णत:
प्रकार दूर-दराज के स्थानों पर तैयार सामान देश के विभिन्न क्षेत्रों में पैफले
बड़े पैमाने पर सामान का उत्पादन होता है। इससे लोगों में अपनी पसंद का और
अलग-अलग कीमत वाला बढ़िया किस्म का सामान खरीदने की इच्छा जागती है।
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कम लागत मेंं अध्कि उत्पादन को सुविधजनक बनाता है : हम जानत े है कि बड़े
पैमाने पर उत्पादन सदा हमारी पसंद के स्थान पर होना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसके
लिए बड़े बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, विशेषत: जमीन की, जो आसानी से
हर जगह उपलब्ध् नहीं होती है। परन्तु परिवहन, सुगमता से मानव शक्ति एवं
आवश्यक कच्चा माल विनिर्माण के लिए अंतिम रूप से चयनित स्थान पर उपलब्ध
करा देता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन से प्रति इकाई लागत कम आती है।
आंतरिक गड़बड़ी (अशांति) जैसी राष्ट्रीय संकट की स्थिति में परिवहन सशस्त्रा
सेनाओं और उनके लिए जरूरी सामान को शीघ्रता से संकट के स्थान पर पहुंचाने में
रोजगार सृजन मेंं सहायता करना : परिवहन से लोगों को ड्राइवर, कं डक्टर, पायलट,
विमान कर्मचारी, समुद्री जहाज के कै प्टन आदि के पदों पर रोजगार मिलता है। इन
लोगों को परिवहन व्यवसाय में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। इसके अलावा कु छ
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मजदूरों की गतिशीलता में सहायता : परिवहन सुविधाएँ मजदूरों को कार्य के स्थानों
तक पहुँचाने में बहुत मदद करती हैं। आपको मालूम होगा कि दूसरे देशों के उद्योगों
और कारखानों में काम करने के लिए हमारे देश से लोग दूसरे देश जाते हैं और विदेशी
भी हमारे देश में कार्य करने के लिए आते हैं। देश में भी लोग रोजगार की खोज में एक
स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। साथ ही यह हमेशा संभव नहीं होता कि कारखाने के
आस-पास से ही मजदूर मिल जाए। अधिकांश उद्योगों में लोगों को उनके निवास
स्थान से कार्य स्थल तक लाने ले जाने के लिए परिवहन की अपनी व्यवस्था है।
राष्ट्रों को निकट लाने में सहायता : परिवहन से लोगों तथा माल के एक देश से दूसरे
देश में आवागमन में सहायता मिलती है। इससे विभिन्न देशों के लोगों में संस्कृ ति,
विचारों और रीति रिवाजों का आदान-प्रदान होता है। इससे लोगों में अन्य देशों के बारे
में बेहतर समझ तथा ज्ञान उत्पन्न होता है। इस प्रकार परिवहन अंतर्राष्ट्रीय भाईचारा
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परिवहन के माध्यम
मोटर सायकल, ट्रक, बस, कार, जीप में बैठकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने
के लिए हमें सड़क मार्ग की आवश्यकता होती है। रेलगाड़ी और मालगाड़ियां रेल की
उपयोग करते है, उसी प्रकार हेलीकाप्टर और हवाई जहाज के लिए हवा की
आवश्यकता होती है। अत: परिवहन के सभी साधनों के लिए एक माध्यम विशेष की
सड़क परिवहन
रेल परिवहन
जल परिवहन
वायु परिवहन
सड़क परिवहन -
सड़क मार्ग से परिवहन जानवरों के द्वारा (घोड़े, ऊॅं ट, गधे) जानवरों द्वारा खींची
जाने वाली गाड़ियों तथा मोटर वाहन (वैन, ट्रक आदि) से किया जाता है। जानवर
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तथा जानवरों के द्वारा खींचे जाने वाले वाहन का उपयोग कम मात्रा में गांवों तक ही
सीमित है। वैन शहर के भीतर स्थानीय परिवहन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
अधिकांश माल ट्रकों के द्वारा ढोया जाता है जो सुगम, कम खर्चीले तथा सुरक्षित
रेल परिवहन -
है जो इसी उद्देश्य से बिछाई गई रेल की पटरियों पर चलती हैं। दूर स्थानों में ले जाने
की क्षमता की दृष्टि से रेल परिवहन कम खर्चीला एवं सुरक्षित है। भारत में रेल
परिवहन भारत सरकार के स्वामित्व में है तथा माल के परिवहन में इसका बड़े
जल परिवहन -
जिसमें बोट, स्टीमर, लॉच, जहाज आदि के माध्यमों को उपयोग में लाया जाता है।
यह संचालन देश के भीतर अथवा एक देश से दसू रे देश मे हो सकता है। भारत में
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परिवहन के इस साधन का उपयोग कम है क्योंकि देश के भीतर जलमार्ग सीमित हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समुद्र एवं महासागर से परिवहन तटवर्ती क्षेत्रों में बहुत
सामान्य है। परिवहन का यह माध्यम लम्बी दूरी तक भारी माल को ले जाने के लिए
कम खर्चीला है।
माल लाने ले जाने एवं व्यक्तियों के आने जाने के लिए हवाई जहाज के उपयोग को
वायु परिवहन कहते हैं। यह परिवहन का सबसे तेज गति वाला माध्यम है तथा
इसका अधिकांश उपयोग यात्रियों को लाने, ले जाने के लिए होता है। जहां तक
लिए होता हैं जैसे कि दवाए, मशीन के पुर्जे, इलैक्ट्रोनिक सामान आदि। बड़े माल
वाहक हवाई जहाजों की व्यवस्था के कारण अब माल ढोनें के लिए हवाई परिवहन
का उपयोग देश के भीतर एवं विदेशी व्यापार के लिए काफी बढ़ गया है।
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परिवहन की विधि
प्रक्रिया को परिवहन कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य पशुओं तथा विभिन्न प्रकार
माध्यम से पहुंचाने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। डाक सेवाएं टेलीफोन तार और
फै क्स सेवाएं इंटरनेट और उपग्रह संचार के प्रमुख साधन हैं। यहां एक अच्छा साधन
है
आधुनिक युग में परिवहन तथा संचार आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन गए हैं।
स्थापित करती हैं। यदि परिवहन तथा संवाद के तंत्र काम करना बंद कर दें तो विश्व
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की अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी। परिवहन व संचार मार्ग चैनलों और वाहनों का एक
तीन मुख्य माध्यम है जिन्हें क्रमशः स्थल परिवहन जल परिवहन तथा वायु
अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। सड़क और रेल यातायात स्थल परिवहन के अंग
हैं। जल परिवहन तथा वायु परिवहन दो अन्य माध्यम है। पाइप लाइनों का प्रयोग
जल पेट्रोलियम तथा प्राकृ तिक गैस जैसे द्रव्य पदार्थों के परिवहन के लिए किया
जाता है।
प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं ही वाहन का काम करता था आज भी कु छ ऐसे भाग है
जहां मानव वाहन परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है। सघन वन प्रदेश अथवा उबर
खाबर पर्वती प्रदेश कु छ ऐसे ही इलाके हैं जहां सड़कों का निर्माण कठिन है और भार
ढोने का कार्य मानव स्वयं ही करता है।आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व मनुष्य ने
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परिवहन के लिए पशुओं का प्रयोग करना शुरू किया। मुख्य रूप से घोड़ा तथा खच्चर
बोझा ढोने के काम करते थे पहिए के आविष्कार से पशुओं द्वारा खींची जाने वाली
के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सबसे प्रमुख परिवहन के साधन हैं हवाई परिवहन,
रेल परिवहन सड़क परिवहन और जल परिवहन, लेकिन अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं
शामिल हैं। मानव संचालित परिवहन और पशु चालित परिवहन अपने तरीके का
परिवहन है, लेकिन यह सामान्य रूप से अन्य श्रेणियों में आते हैं। सभी परिवहन में
हैं।
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अधिक मोड का उपयोग करते हैं उन्हें इंटरमोडल के रूप में वर्णित किया जा सकता
है।
अन्य
माल भेजता है, लेकिन वायुचालित ट्यूब हवा के सहारे ठोस संकु चित कै प्सूल को भी
भेज सकते हैं। तरल पदार्थ/गैसों के लिए, किसी भी रासायनिक स्थिर तरल या गैस
के द्वारा पाइप लाइन के माध्यम से भेजा जा सकता है। मल, गारा, पानी और बियर
के लिए कम दूरी की प्रणाली का प्रयोग होता है, जबकि पेट्रोलियम और प्राकृ तिक
आमतौर पर ढलान वाले स्थानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। विशेष समाधान
में हवाई ट्रामवे, एलीवेटर, चलती सीढ़ी और स्की लिफ्ट शामिल हैं इसमें से कु छ को
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अंतरिक्ष परिवहन पृथ्वी के बाहर परिवहन के साधन के लिए अंतरिक्ष यान का
इस्तेमाल किया जाता है। जबकि इस प्रौद्योगिकी में बड़ी मात्रा में अनुसंधान किए
गए हैं, इसका उपयोग बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रहों को छोड़ने के लिए किया जाता है।
हालांकि, आदमी चांद पर उतरा है और सौर मंडल के सभी ग्रहों की जांच के लिए
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परिवहन की विधि के घटक
दुनिया भर में यात्री परिवहन विधि के लिए व्यापक रूप से सबसे अधिक
ऑटोमोबाइल (16,000 बिलियन यात्री कि.मि.), बसें (7000), वायु (2800), रेल
(1900) और शहरी रेल (250) का इस्तेमाल होता है।[1] .
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प्रयुक्त मोड के लिए माल परिवहन व्यापक रूप से सबसे अधिक सागर (40,000
बिलियन टन), इसके बाद रोड (7000), रेल (6500), तेल पाइपलाइनें (2,000) और
अंतर्देशीय नेविगेशन (1500) का इस्तेमाल होता है।
परंपरागत साधन
पैदल
प्राचीन काल में लोग लंबी दूरियाँ अधिकतर पैदल तय किया करते थे। उदाहरणार्थ,
नगरीय क्षेत्रों में भी प्रतिदिन लोग कई किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर ही पूरी करते
हैं।
मुंबई महानगर में, पैदल यात्रियों का पारगमन सुधारने के लिए, मुंबई महानगर
पालकी
संस्कृ त 'पालकी' से आया है। तमिल में उसे 'पालाक्कु ' कहतें हैं। पुर्तगाली पालकी को
'पालन क्वीम' बुलाते थे और अंग्रेजों उसे 'पालन क्वीन'। पुराने दिनों में इसका प्रमुख
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उपयोग देवता और मूर्तियों को ले जाना था। पुराने दिनों में इसका प्रमुख उपयोग
देवता और मूर्तियों को ले जाना था। बाद में १५वी सदी में यह ग्यान हैं कि नवाबें इसे
यत्रो के लिए उपयोग करते थे। अमीर परिवारों के लड़कियाँ, औरतें को पालकी में
घुमाया जाता था और उनके अनुरक्षण के लिए नर घोड़ों पर सवार करते थे। धीरे धीरे
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बैल गाड़ी एवं घोड़ा गाड़ी
बैलगाड़ियों का उपयोग पारंपरिक रूप से पर्वहन साधन के रूप में किया जाता रहा है,
मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में। आज भी भारत के नगरों और ग्रामों में बैलगाड़ियां
देखी जा सकतीं है। हाल ही के वर्षों में कु छ नगरों में दिन के समय बैलगाड़ियों और
अंग्रेज़ों के आगमन के साथ ही घोड़ा गाड़ियों में बहुत से प्रबलतीव्र सुधार हुए हैं जिन्हें
यातायात के लिए प्रारंभिक दिनों से उपयोग में लाया जा रहा है। आज भी, छोटे कस्बों
इनका उपयोग किया जाता है और इन्हें तांगा या बग्गी कहा जाता है। मुंबई में
पर्यटकों को लुभाने के लिए विक्टोरिया काल की कु छ बग्गीयां अभी भी चलन में हैं
साइकिल रिक्शा
नगरों में चलन में हैं। यह तिपहिया साइकिल से आकार में बड़े होते हैं जिसमें दो या
तीन लोग पीछे की ऊँ ची सीट पर बैठते हैं और एक व्यक्ति आगे की सीट पर बैठकर
रिक्शा खिंचता है। इसे चलाने के लिए साइकिल के समान ही पैडल पर बल लगाना
पड़ता है। नगरीय क्षेत्रों में अब अधिकतर ऑटो रिक्शा ने इनका स्थान ले लिया है।
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साइकिल
भारत में साइकिल का अर्थ दोपहिया सइकिल से होता है। यह अभी भी भारत में
यातायात का प्रमुख साधन है। पहले से कहीं अधिक संख्या में आज भारत में लोग
साइकिल खरीदने में समर्थ हैं। २००५ में, भारत के ४०% से भी अधिक परिवरों के पास
बीच है। परिवहन दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+वहन, "परि" का अर्थ है पार व
"वहन" का अर्थ है ले जाना, अर्थात् परिवहन का आशय पार ले जाना है। व्यक्तियों
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परिवहन का महत्व एवं उपयोगिता
1. सड़के , रेल, जलमार्ग, वायुमार्ग एवं इनके साधन मण्डी के लिए कृ षि उपजें उधोगों
परिवहन के साधन भारतीय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ आधार प्रदान करते हुए
सदभाव एवं भाईचारे को जागृत कर देश को एकता के सूत्र मे बाँधने का कार्य भी करते
है। भारत के विस्तृत विस्तार, आर्थिक, सांस्कृ तिक तथा सामाजिक बहुलता एवं
विविधता, भाषायी, सांस्कृ तिक तथा वैचारिक एवं भौगोलिक दूरी से राष्ट्रीय एकता के
खंडित होने का खतरा लगातार बना रहता है। परिवहन के साधन वैचारिक व
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3. परिवहन के साधन राष्ट्रीय नीति प्रगति व समृद्धि के सूचक है। इनसे ही माल व
गयी है। किसी एक देश के बजारों मे हुए परिवर्तन का प्रभाव अन्य देशों के बाजारों पर
अवश्य पड़ता है। दुनिया के लोगो की परस्पर निर्भरता को परिवहन के साधन सुलभ
5. परिवहन के साधन, प्राकृ तिक आपदाओं जैसे-- अकाल, बाढ़, महामारी, अतिवृष्टि
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सूखा किसे कहते है, सुखा के कारण और प्रभाव
जाने से लगाया जाता है। परिवहन का आशय उन साधनों से है जिनके द्वारा मनुष्य
या वस्तुएँ एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाये जाते हैं। परिवहन के अंतर्गत रेल,
परिवहन क्या है ट्रांसपोर्ट को जानने के लिए हम आपको बता दें कि आप सभी Covid-
जानते हैं कि lockdown में परिवहन व्यवस्था ठप्प हो जाने से सम्पूर्ण जन-जीवन
किस तरह थम सा गया था। समस्त परिवहन तंत्र यानि कि सड़क परिवहन, रेल
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परिवहन, जल परिवहन, वायु परिवहन आदि को बंद देने से सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था
अस्त-व्यस्त हो गयी थी। इससे साफ़ तौर पर आप समझ सकते हैं कि परिवहन का
महत्व क्या है? Transport kya hai in hindi? आइये बिना देर किए हम परिवहन के
आर्थिक विकास में परिवहन का महत्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। परिवहन के
संभव नहीं है। उद्योगों द्वारा बनाये गए कच्चे माल को औद्योगिक कें द्रों तक
बग़ैर असंभव है। परिवहन के साधनों की मदद से ही शीघ्र नष्ट होने वाली
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वस्तुओं को दूर स्थित बाज़ारों तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है।
की गतिशीलता को बढ़ाने में विशेष मदद मिली है। परिवहन के कारण श्रमिक
दूर-दूर के कक्षेत्रों में जाकर काम करने को तत्पर रहते हैं। उत्पादन हेतु श्रम की
होता है। औद्योगीकरण में कच्चा माल उद्योगों तक पहुँचाया जाता है। साथ
तरह जानते हैं हैं कि यह सब परिवहन के कारण ही संभव हो पाता है। परिवहन
है।
बीज, खाद, यंत्र आदि खेतों तक पहुँचाने एवं उपज को मंडी तक ले जाने में
अच्छे से अच्छे साधन कृ षि के लिए उपलब्ध हो पाते हैं। यदि मंडी में सही मूल्य
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उपभोक्ताओं की संतुष्टि - परिवहन के विकास से एक महत्वपूर्ण सुविधा यह हुई
(7) क़ीमतों में स्थिरता - देश में क़ीमतों को स्थिर बनाये रखना हो तो परिवहन की
भूमिका सर्वोपरि माना जाता है। किसी स्थान पर वस्तु की आपूर्ति कम हो जाने
को लाकर उसकी बढ़ती क़ीमतों पर रोक लगाना, परिवहन के बग़ैर असंभव होता
है।
इसी प्रकार, देश में किसी वस्तु की कमी हो जाने पर उसे दूसरे देशों से आयात
किया जाना ताकि उस वस्तु की क़ीमतों को स्थिर रखा जा सके । इस प्रक्रिया में भी
(8) तीव्र आर्थिक विकास - जिस देश में परिवहन की सुविधा जितनी कु शल व
विकसित होगी। वह देश उतना ही अधिक विकास कर पायेगा। सीधे शब्दों में कहा
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सामान्य जन-जीवन के हालातों पर नज़र डालें तो हम सामाजिक तौर पर
जीवन स्तर में वृद्धि - मनुष्य यदि अपनी आवश्यकता की वस्तुओं के ओ प्राप्त
करने में सक्षम हुआ है तो उसका स्पष्ट कारण है परिवहन का उचित विकास।
परिवहन का विकास ही मनुष्य के जीवन स्तर में वृद्धि का कारण होता है।
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समझाइये।
(2) ज्ञान में वृद्धि - जनसामान्य के ज्ञान में वृद्धि होने का श्रेय नोश्चित तौर पर हम
ज्ञान प्राप्त करना यानि कि स्कू ल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी जाकर शिक्षा प्राप्त करना
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(1) देश की सुरक्षा एवं शांति - देश की सुरक्षा एवं शांति बनाये रखने के लिए
पर सैनिकों, हथियार, खाद्य सामग्री आदि को पहुँचाना सम्भव हो पाता है। देश में
होती है। साथ ही परिवहन के साधनों से भी सरकार को विभिन्न करों के रूप में
(3) रोज़गार में वृद्धि - परिवहन ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से बेरोज़गार
लोग कार्यकु शलता के अनुसार विभिन्न स्थानों पर जाकर रोज़गार प्राप्त करते हैं।
परिवहन दैनिक जीवन से लेकर सम्पूर्ण संरचना का आधारभूत अंग है। इसके
निष्कर्ष
प्राचीन समय में मनुष्य ही परिवहन का सर्वोत्तम माध्यम होता था, अर्थात स्वयं
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पहुंचाने में मदद करता था। बाद में सभ्यता के विकास के साथ-साथ पशुओं का सहारा
लिया। गधे, खच्चर, घोंड़े, हाथी, कु त्ते आदि पशुओं के साथ माल ढोने का कार्य लिया
गया। बाद में बैल एवं भैंस का प्रयोग किया जाने लगा।
लगा। आज वर्तमान में त्वरित एवं सहज-सुलभ परिवहन माध्यम में रेल को ज्यादा
महत्व दिया जाता है। चाहे यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में या फिर
किसी उद्योग के लिए कच्चे माल की आयात या निर्मित माल को लंबी दूरी तक ले
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सन्दर्भ
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