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HINDI PROJECT

WORK
By ASHOKA Group
असम
असम को पूर्वोत्तर भारत का 'प्रवेश-द्वार' कहा जाता है। सामान्य रूप से यह मान्यता है कि 'असम शब्द संस्कृ त से लिया गया है जिसका अर्थ है वह भूमि जो समतल नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि अहोम राजाओं के कारण इसका नाम असम पडा।
यहाँ मंगोलियन, इंडो-ईरानी, इंडो-बर्मीज, तिब्बती-बर्मी नस्लों और इनके भाषा समूहों के लोग परस्पर गुँथे' हुए हैं। यानी उनकी मूल संस्कृ तियों और भाषा के साथ-साथ उनके मेल से बनी भाषा-संस्कृ तियाँ भी खूब प्रचलित हैं। ब्रह्मपुत्र असम की
प्रमुख नदी है। विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली ब्रह्मपुत्र में ही स्थित है।असम की प्रमुख क्षेत्रीय और आधिकारिक এएँ हैं-असमिया और बोड़ो। असम कला- शाल, संगीत, नृत्य आदि से समृद्ध राज्य है। रेशमी व सूती वस्त्र, धातु, बाँस और बेंत
की अस्तुओं के निर्माण में असमवासी बहुत कु शल । । चित्रकला की तो यहाँ बहुत पुरानी परंपरा है। सातवी शताब्दी में यहाँ आए चीनी यात्री ह्वेनसांग है इसका जिक्र किया है। असम का प्रसिद्ध त्योहार बिहूहै। यह साल में तीन बार मनाया जाता है। माघ
के महीने में 'माघी बिहू' मनाया जाता है। इसे 'भोगाली बिह' भी कहते हैं। भोगाली यानी भोज करना। कार्तिक मास यानी अक्तू बर के मध्य में 'कं गाली बिहू' मनाया जाता है। कं गाली पानी गरीबी। यह वह अवसर होता है, जब नई फसल तैयार नहीं होती
और पुराने अनाज मंडार खाली होते हैं। तीसरा बिहू अप्रैल के मध्य बोहाम (यानी बैसाख) के महीने में मनाया जाता है इसे 'बोहागी यारोंगाली (रंगीन) बिहू' कहा जाता है। इन तीनों में सबसे महत्त्वपूर्ण बैसाख का रॉगाली बिहू है। यह बैसाखभर चलता
है। इसमें बिहू नृत्य की प्रतियोगिताएँ होती हैं। बिहू ऐसा उत्सव है, जिसमें लगभग पूरा असमी समाज शामिल हो जाता है।असम में बाँस के जंगल और चाय के बागान खूब हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क में पाया जानेवाला एक मींग का गैंडा असम की मुख्य
धरोहर है। मानस टाइगर रिज़र्व और मनेरी टाइगर रिज़र्व अन्य अभयारण्य हैं। पक्षियों की कई प्रजातियाँ तथा दुर्लभ हॉलॉक गिब्बन नामक लंगूर यहाँ पाए जाते हैं। कामाख्या देवी का मंदिर यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।असम को पूर्वोत्तर
भारत का ‘प्रवेश-द्वार’ कहा जाता है। सामान्य रूप से यह मान्यता है कि ‘असम शब्द संस्कृ त से लिया गया है जिसका अर्थ है वह भूमि जो समतल नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि अहोम राजाओं के कारण इसका नाम असम पडा। यहाँ मंगोलियन,
इंडो-ईरानी, इंडो-बर्मीज, तिब्बती-बर्मी नस्लों और इनके भाषा समूहों के लोग परस्पर गुँथे’ हुए हैं। यानी उनकी मूल संस्कृ तियों और भाषा के साथ-साथ उनके मेल से बनी भाषा-संस्कृ तियाँ भी खूब प्रचलित हैं। ब्रह्मपुत्र असम की प्रमुख नदी है। विश्व
का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली ब्रह्मपुत्र में ही स्थित
असम की प्रमुख क्षेत्रीय और आधिकारिक এएँ हैं-असमिया और बोड़ो। असम कला- शाल, संगीत, नृत्य आदि से समृद्ध राज्य है। रेशमी व सूती वस्त्र, धातु, बाँस और बेंत की अस्तुओं के निर्माण में असमवासी बहुत कु शल । । चित्रकला की तो यहाँ
बहुत पुरानी परंपरा है। सातवी शताब्दी में यहाँ आए चीनी यात्री ह्वेनसांग है इसका जिक्र किया है। असम का प्रसिद्ध त्योहार बिहू
है। यह साल में तीन बार मनाया जाता है। माघ के महीने में ‘माघी बिहू’ मनाया जाता है। इसे ‘भोगाली बिह’ भी कहते हैं। भोगाली यानी भोज करना। कार्तिक मास यानी अक्तू बर के मध्य में ‘कं गाली बिहू’ मनाया जाता है। कं गाली पानी गरीबी। यह वह
अवसर होता है, जब नई फसल तैयार नहीं होती और पुराने अनाज मंडार खाली होते हैं। तीसरा बिहू अप्रैल के मध्य बोहाम (यानी बैसाख) के महीने में मनाया जाता है इसे ‘बोहागी यारोंगाली (रंगीन) बिहू’ कहा जाता है। इन तीनों में सबसे महत्त्वपूर्ण
बैसाख का रॉगाली बिहू है। यह बैसाखभर चलता है। इसमें बिहू नृत्य की प्रतियोगिताएँ होती हैं। बिहू ऐसा उत्सव है, जिसमें लगभग पूरा असमी समाज शामिल हो जाता है।
◦ असम में बाँस के जंगल और चाय के बागान खूब हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क में पाया जानेवाला एक मींग का गैंडा असम की मुख्य धरोहर है। मानस टाइगर रिज़र्व और मनेरी टाइगर रिज़र्व अन्य अभयारण्य हैं। पक्षियों की कई प्रजातियाँ तथा दुर्लभ
हॉलॉक गिब्बन नामक लंगूर यहाँ पाए जाते हैं। कामाख्या देवी का मंदिर यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।
मेघालय
मेघालय यानी ‘बादलों का घर’। देश में सर्वाधिक वर्षावाला क्षेत्र मॉसिनराम इसी राज्य में स्थित है। इस राज्य का एक-तिहाई भाग वनों से ढका है। मेघालय पहले असम
का हिस्सा हुआ करता था । 21 जनवरी 1972 को असम के दो जिलों-खासी हिल्स और जयंतिया हिल्स के साथ गारो हिल्स को मिलाकर मेघालय राज्य का
निर्माण किया गया। मेघालय में खासी, जयंतिया और गारो जनजातियों की अधिकता है। इसमें भी सबसे अधिक संख्या में है खासी जनजाति-लगभग पचास प्रतिशत ।
◦ यहाँ की अधिकांश जनजातियों में मातृसत्तात्मक व्यवस्था है । यहाँ वंश परंपरा तथा उत्तराधिकार स्त्रियों से चलता है। यह परंपरा खासी, जयंतिया एवं गारो तीनों
जनजातियों में प्रचलित है । यहाँ परिवार कीछोटी बेटी सारी संपत्ति की उत्तराधिकारी होती है और परिवार के बुजुर्गों तथा बच्चे पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसकी ही
होती है । नृत्य-संगीत सभी जनजातियों की जीवनशैली का अनिवार्य अंग है तो मेघालय भी है। अपवाद नहीं है।
नागालैंड
नागालैंड को उत्तर-पूर्व का ‘स्विट्जरलैंड’ माना जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र है और रोमांच के दीवाने पर्यटकों के लिए बड़ी शानदार जगह है। ‘नागा’ नाम मैदानी लोगों
दुवारा दिया गया है। संस्कृ त में पहाड़ को नग भी कहते हैं, इसलिए यहाँ रहनेवाले ‘नागा’ नाम से जाने जाने लगे। नागाओं की सोलह जातियों हैं। सबकी अलग-अलग
वेशभूषाएँ हैं, जिनसे उनकी पहचान हो जाती है। इनके कपड़े बहुत सुंदर होते हैं और ज्यादातर मोटी ऊन के बने होते हैं। ये अपने साथ कु छ हथियार भी रखते हैं, जो
इनकी वेशभूषा का ही एक हिस्सा-सा लगते हैं नागा लोग सुंदर और मिलनसार प्रकृ ति के होते हैं। देहयष्टिं पर मंगोल प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, लेकिन इनकी आँखें
मंगोलों जैसी नहीं होतीं। नागा नाचने-गाने के शौकीन तथा उत्सव प्रेमी होते हैंl
◦ नागालैंड अपने ‘कोहिमा वार’ के लिए भी प्रसिद्ध है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सन 1944 में जापानी फ़ौजों को यहाँ रोका गया था। इस युद्ध में जापानियों को
मिली करारी हार के कारण इसे पूर्व का ‘स्टालिन गार्ड’ भी कहा जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा अंग्रेजी है। राज्य में साक्षरता का स्तर साठ प्रतिशत से ऊपर है।
मिज़ोरम
मिजोरम शब्द का अर्थ है पहाड़ी लोगों का देश- मी-लोग, जो-पहाड़ी, रम-देश। मित्तल लोग मूलतः कौन हैं, कहाँ से आए-इसका कोई ठीक-ठीक पता नहीं चलता।
ऐसा माना जाता है कि ये लोग बर्मा के चिन पहाड़ों से भारत में आए। लेकिन उत्तर-पूर्व की तमाम जनजातियों की तरह इनका इतिहास भी अंधेरे की चादर में ढका है।
इस क्षेत्र में लुशाई पहाड़ियाँ हैं जो बहुत ऊँ ची नहीं हैं लेकिन सदा हरी-भरी रहती है। मिजोरम देश का अके ला राज्य है, जहाँ कोई बेघर नहीं है। यहाँ साक्षरता की दर
के रल के सबसे ऊँ ची है। शहरीकरण में मिजोरम देश में दूसरे स्थान पर है। इस छोटे-से राज्य में बाईस शहर या कस्बे हैं। यहाँ की सबसे बड़ी नदी छिमतुई पुई है, जो
बर्मा के चिन राज्य से निकलती है और मिज़ोरम के क्षेत्र से होते हुए फिर बर्मा (म्यांमार) में प्रवेश कर जाती है और वहाँ से बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। इस नदी
का व्यापारिक रूप से बहुत महत्त्व है। म्यांमार के साथ व्यापार में इसे जलमार्ग की तरह इस्तेमाल किया जाता है
◦ मिजो जीवनशैली सामाजिक जीवन का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। दया, करुणा, निस्स्वार्थ सेवा, उदारता तथा सबके प्रति समभाव रखना इन लोगों का
विशेष धर्म है । मिज़ो दूसरों के हित में आत्म-बलिदान को श्रेष्ठ सामाजिक मूल्य मानते हैं। मिज़ो समाज परस्पर बड़ी सघनता के साथ जुड़ा है। यहाँ लैंगिक भेदभाव
नहीं है। पूरे गाँव के लोग एक बड़े परिवार की तरह रहते हैं जन्म-मृत्यु विवाह आदि में पूरा गाँव शामिल होता है। गीत-संगीत और नृत्य में भी उनकी गहरी रुचि है।
अगर वाद्य-यंत्र न भी हों तो वे ताली की आवाज़ पर भी गा लेते हैं।
त्रिपुरा
महामाया त्रिपुर सुंदरी की भूमि त्रिपुरा देश का तीसरा सबसे छोटा राज्य है, जो तीन तरफ़ से बांगलादेश से घिरा है। भारत में विलय से पूर्व त्रिपुरा एक अलग रियासत
थी। आजादी से पहले तेरह सौ वर्षों तक यहाँ बर्मन शासकों ने शासन किया।
◦ त्रिपुरा एक मिश्रित संस्कृ तिवाला राज्य है। त्रिपुरा की लगभग तीस प्रतिशत आबादी आदिवासियों कीहै, जिनमें प्रमुख हैं- त्रिपुरी रियांग और जमातिया। इनका रहन-
सहन और पहनावा बाका से अलग है। जंगली जानवरों से रक्षा के लिए ये अपना घर खंभों के ऊपर बाँसों से बनाते हैं। इनका मटका नृत्य, जो घड़े पर होता है,
उल्लेखनीय है। गैर आदिवासी संस्कृ तियों में बांगला संस्कृ ति की प्रधानता है। बंगाली घरों में होनेवाली ‘उलू ध्वनि”” जगह-जगह पर सुनाई पड़ जाती है। कटहल,
आम, के ले, नारियल, सुपारी और चंपा के पेड हर घर में दिखाई देते हैं। यहाँ की एक अत्यंत रोचक बात है ऊनाकोटि में चट्टानों पर उत्कीर्ण असंख्य मूर्तियाँ, जिनमें
से अधिकतर शिव की हैं। कहा जाता है कि यहाँ एक कम एक करोड़ ऐसी मूर्तियाँ हैं। इनको किसने बनाया, ये कै से बनीं-इसको लेकर अनेक दंतकथाएँ” प्रचलित हैं।
मणिपुर
मणिपुर क्षेत्र अपने इतिहास काल में अनेक नामों से पुकारा जाता रहा। मगर अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इस क्षेत्र के राजा भाग्यचंद तथा उनके वंशजों के चलाए
सिक्कों पर ‘मणिपुरेश्वर’ का नाम अंकित है। इसके ही आधार पर इसका नाम ‘मणिपुर’ पड़ गया।
इस राज्य की जनसंख्या का लगभग साठ प्रतिशत घाटी में है और चालीस प्रतिशत पहाड़ी क्षेत्री में है। पहाड़ी इलाकों में नागा, कु की, पाडते जनजातियों का कब्जा है,
तो मैदान में मेइती का। इस प्रदेश की मुख्य भाषा मेइती लॉन है। इसी को मणिपुरी का नाम भी दिया गया है।
◦ मणिपुर राज्य की संस्कृ ति अत्यंत समृद्ध है। यहाँ की हिंदू जनसंख्या वैष्णव धर्म से सर्वाधिक प्रभावित है। कृ ष्णभक्ति यहाँ के मैदानी क्षेत्र में जन –जन में व्याप्त” है
मणिपुरी नृत्य पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 17 है। और भारत के शास्त्रीय नृत्यों में इसका प्रमुख नाट्य-प्रस्तुति है। इसके परिधान और नर्तक की साज-सज्जा के रल के
कथकली नृत्य की तरह ही अनोखी वास्तव में कृ ष्ण की रासलीला की ही होती है। यह अत्यंत कोमल, भावप्रधान तथा गौरवमय नृत्य शैली है। जयदेव, विद्यापति,
चंडीदास, गोविंद दास जैसे भक्त कवियों की रचनाएँ ही ज्यादातर इसके साथ गीत रूप में गाई जाती हैं।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल का अर्थ है ‘उगते सूर्य का पर्वत’ यानी वह स्थान जहाँ सूर्य सबसे पहले दस्तक देता है। अकल अरुणाचल प्रदेश में ही भाषा, संस्कृ ति एवं नस्लों की जितनी
विविधता है, उतनी पूरे एशिया में अन्यत्र कहीं नहीं है। यहाँ के अधिकांश निवासी तिब्बत-बर्मी मूल के हैं और उनकी मुख्य भाषा भी उसी मूलको है। यहाँ की सारी
भाषाओं की गणना व पहचान का काम भी बहुत कठिन है। प्रायः हर जनजाति की अपनी अलग भाषा है। अरुणाचल प्रदेश में साक्षरता का स्तर करीब 66.25 प्रतिशत
। है। राज्य की मुख्य भाषा हिंदी और असमी है। लेकिन अंग्रेजी भाषा भी खूब प्रचलन में है।
◦ अरुणाचल के लोग बुनाई कला में माहिर हैं और हर जनजाति की बुनाई की अपनी विशिष्ट शैली है।
सिक्किम
सेवन सिस्टर्स कहे जानेवाले राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर भारत का एक और प्रमुख राज्य है सिक्किम। यह गोवा के बाद देश का सबसे छोटा राज्य है पारंपरिक कथाओं के
अनुसार गुरु रिपोछे नाम के एक बौद्ध संत ईसा की आठवीं शताब्दी में इस क्षेत्र में आए थे उस समय वहाँ कोई राजा नहीं था। उन्होंने इस क्षेत्र में रहनेवालों को बीदध
धर्म की दोक्षा” दी उत्तर-पूर्व का यह अके ला नेपाली बहुल राज्य है। यहाँ ग्यारह सरकारी भाषाएँ हैं जिनमें नेपाली मुख्य संपर्क भाषा है और उसके अलावा भूटिया,
लेप्चा, लिंबू, नेवारी, राई, गुरुं ग, मंगर, शेरपा, तमांग, सुंबर को भी मान्यता प्राप्त है।
राजधानी गंगटोक एकमात्र बड़ा शहर है। गंगटोक में स्थित नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टिवेटोलॉजी (Namgyal Institute of Tibetology) धार्मिक व
ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यह तिब्बती साहित्य और शिल्प का अनूठा भंडार है। समुद्र से 5500 फु ट की ऊँ चाई पर स्थित इस इंस्टीट्यूट की स्थापना सिक्किम
के शासक सरताशी नामग्याल ने 1958 में की थी। यहाँ तिब्बती विज्ञान, चिकित्सा और ज्योतिष के अलावा लेप्चा और संस्कृ त की भी बहुत-सी पांडु लिपियाँ हैं।
गंगटोक से कु छ दूर स्थित एंचेय बौद्धमठ की बहुत मान्यता है। एंचेय मठ का अर्थ है-एकांत मठ। इसका निर्माण एक सुंदर पहाड़ी पर किया गया है जहाँ से दुनिया के
तीसरे सबसे ऊँ चे पर्वत शिखर कं चनजंगा का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
◦ पारंपरिक गुंपा नृत्य सिक्किम का सर्वाधिक प्रसिद्ध नृत्य है।

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